जब अफेयर का राज पकड़ा जाए

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

1. करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

2. सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

3. नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

4. न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

5. कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

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सैक्स फैंटेसीज: बदल रही है सोच

कौमेडी सीरियल ‘भाबीजी घर पर हैं’ की कहानी कई बार सैक्स फैंटेसीज दिखाने की कोशिश करती है. इस सीरियल में अनिता और विभू मिश्रा नामक पतिपत्नी एक रोमांटिक कपल है. अनीता के करैक्टर में वह कई बार समाज की सैक्स फैंटेसीज को दिखाने की कोशिश भी करती है. अनीता जब बहुत रोमांटिक मूड में होती है, तो पति विभू से कहती है कि वह किसी दूसरे रूप में प्यार करना चाहती है. कभी वह उसे प्लंबर बनने को कहती है, कभी इलैक्ट्रीशियन तो कभीकभी गुंडामवाली तक बनने को कहती है. पति विभू उसी गैटअप में आता है. वह पत्नी से उसी अंदाज में बात करता है. इस से पत्नी अनीता को बहुत खुशी महसूस होती है. वह दोगुनी ऐनर्जी से प्यार करती है. यह कौमेडी सीरियल भले ही हो, पर इस में पतिपत्नी संबंधों को बहुत ही नाटकीय ढंग से दिखाया जा रहा है.

सैक्स को ले कर महिलाओं पर रूढिवादी सोच हमेशा हावी रही है. लेकिन अब समय के साथ यह टूटने लगी है. अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी सैक्स को पूरी तरह ऐंजौय करना चाहती हैं. इसे ले कर उन के मन में कई तरह के सपने भी होते हैं. अब ये बातें भी पुरानी हो गई हैं कि कौमार्य पति की धरोहर है. अब शादी के पहले ही नहीं शादी के बाद भी सैक्स की वर्जनाएं टूटने लगी हैं. शादी के बाद पतिपत्नी खुद भी ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जहां वे खुल कर अपनी हसरतें पूरी कर सकें.

परेशानियों से बचाव

सैक्स के बाद आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए भी महिलाएं तैयार रहती हैं. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर रिचा सिंह बताती हैं, ‘‘शादी से कुछ समय पहले लड़कियां हमारे पास आती हैं, तो उन का एक ही सवाल होता है कि उन्होंने शादी के पहले सैक्स किया है. इस बात का पता उन के होने वाले पति को न चले, इस के लिए वे क्या करें? लड़कियों को जब इस बारे में सही राय दी जाती है तो भी वे मौका लगते ही सैक्स को ऐंजौय करने से नहीं चूकतीं. शादी के कई साल बाद महिलाएं हमारे पास इस इच्छा से आती हैं कि वे शारीरिक रूप से कुंआरी सी हो जाएं.’’

विदेशों में तो सैक्स को ले कर तमाम तरह के सर्वे होते रहते हैं पर अपने देश में ऐसे सर्वे कम ही होते हैं. कई बार ऐसे सैंपल सर्वों में महिलाएं अपने मन की पूरी बात सामने रखती हैं. इस से पता चलता है कि सैक्स को ले कर उन में नई सोच जन्म ले रही है. डाक्टर रिचा कहती हैं कि शादी से पहले आई एक लड़की की समस्या को एक बार सुलझाया गया तो कुछ दिनों बाद वह दोबारा आ गई और बोली कि मैडम एक बार फिर गलती हो गई.

सैक्स रोगों की डाक्टर प्रभा राय बताती हैं कि हमारे पास ऐसी कई महिलाएं आती हैं, जो जानना चाहती हैं कि इमरजैंसी पिल्स को कितनी बार खाया जा सकता है. कई महिलाएं तो बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की गोलियों का प्रयोग करती हैं. कुछ महिलाएं तो गर्भ ठहर जाने के बाद खुद ही मैडिकल स्टोर से गर्भपात की दवा ले कर खा लेती हैं. मैडिकल स्टोर वालों से बात करने पर पता चलता है कि बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की दवा का प्रयोग करने वाले पतिपत्नी नहीं होते हैं.

बदल रही सोच

सैक्स अब ऐंजौय का तरीका बन गया है. शादीशुदा जोड़े भी खुद को अलगअलग तरह की सैक्स क्रियाओं के साथ जोड़ना चाहते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की फैंटेसीज अब चुपचाप बैडरूम तक पहुंच गई है, जहां केवल दूसरे मर्दों के साथ ही नहीं पतिपत्नी भी आपस में तमाम तरह की सैक्स फैंटेसीज करने का प्रयास करते हैं. इंटरनैट के जरीए सैक्स की हसरतें चुपचाप पूरी होती रहती हैं. सोशल मीडिया ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सऐप इस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. फेसबुक पर महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने निक नेम से फेसबुक अकाउंट खोलते हैं और मनचाही चैटिंग करते हैं. इस में कई बार महिलाएं अपना नाम पुरुषों का रखती हैं ताकि उन की पहचान न हो सके. वे चैटिंग करते समय इस बात का खास खयाल रखती हैं कि उन की सचाई किसी को पता न चल सके. यह बातचीत चैटिंग तक ही सीमित रहती है. बोर होने पर फ्रैंड को अनफ्रैंड कर नए फ्रैंड को जोड़ने का विकल्प हमेशा खुला रहता है.

इस तरह की सैक्स चैटिंग बिना किसी दबाव के होती है. ऐसी ही एक सैक्स चैटिंग से जुड़ी महिला ने बातचीत में बताया कि वह दिन में खाली रहती है. पहले बोर होती रहती थी. जब से फेसबुक के जरीए सैक्स की बातचीत शुरू की है तब से वह बहुत अच्छा महसूस करने लगी है. वह इस बातचीत के बाद खुद को सैक्स के लिए बहुत सहज अनुभव करती है. पत्रिकाओं में आने वाली सैक्स समस्याओं में इस तरह के बहुत सारे सवाल आते हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि सैक्स की फैंटेसी अब फैंटेसी भी नहीं रह गई है. इसे लोग अपने जीवन का अंग बनाने लगे हैं.

समाजशास्त्री डाक्टर मधु राय कहती हैं, ‘‘पहले ऐसी बातचीत को मानसिक रोग माना जाता था. समाज भी इसे सही नहीं मानता था. अब इस तरह की घटनाओं को बदलती सोच के रूप में देखा जा रहा है. हमारे पास सैक्स समस्याओं पर चर्चा करने आए व्यक्ति ने बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने में असमर्थ था. उस ने कई डाक्टरों से अपना इलाज भी करवाया, लेकिन कोई लाभ न हुआ. ऐसे में उस की पत्नी ने घर के नौकर के साथ संबंध बना लिए. एक दिन पति ने पत्नी को नौकर के साथ संबंध बनाते देख लिया. मगर उसे गुस्सा आने के बजाय अपने में बदलाव महसूस हुआ. उस दिन उस ने अपनी पत्नी के साथ खुद भी सैक्स संबंध बनाने में सफलता पाई. अब वह खुद को सहज महसूस करने लगा था.’’

तरहतरह के लोग

फेसबुक को देखने, पसंद करने और चैटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग हैं. ज्यादातर लोग गलत जानकारी देते हैं. व्यक्तिगत जानकारी देना पसंद नहीं करते.

छिबरामऊ की नेहा पाल की उम्र 20 साल है. वह पढ़ती है. वह लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है. 32 साल की गीता दिल्ली में रहती है. वह नौकरी करती है. उस की किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप है. वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है. उस की सब से अच्छी दोस्त रीथा रमेश है, जो केरल की रहने वाली है. वह दुबई में अपने पति के साथ रहती है. अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है. ऐसे ही तमाम नामों की लंबी लिस्ट है. इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुल कर लैस्बियन मानती हैं और लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं. कुछ गृहिणियां भी इस में शामिल हैं, जो अपने खाली समय में चैटिंग कर के मन को बहलाती हैं. कुछ लड़केलड़कियां और मर्द व औरतें भी आपस में सैक्सी बातें और चैटिंग करते हैं.

कई लड़केलड़कियां तो अपने मनपसंद फोटो भी एकदूसरे को भेजते हैं. फेसबुक एकजैसी रुचियां रखने वाले लोगों को आपस में दोस्त बनाने का काम भी करता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट भेजता है. इस के बाद दूसरी ओर से फ्रैंडशिप कन्फर्म होते ही चैटिंग का यह खेल शुरू हो जाता है. हर कोई अपनीअपनी पसंद के अनुसार चैटिंग करता है. कुछ लड़कियां तो ऐसी चैटिंग करने के लिए पैसे तक वसूलने लगी हैं. वाराणसी के रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं, ‘‘मुझ से चैटिंग करते समय एक लड़की ने अपना फोन नंबर दिया और कहा इस में क्व500 का रिचार्ज करा दो. मैं ने नहीं किया तो उस ने सैक्सी चैटिंग करना बंद कर दिया.’’

इसी तरह से लखनऊ के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, ‘‘मेरी फ्रैंडलिस्ट में 4-5 लड़कियों का एक ग्रुप है, जो मुझे अपने सैक्सी फोटो भेजती हैं. मेरे फोटो देखना भी वे पसंद करती हैं. कभीकभी मैं उन का नैटपैक रिचार्ज करा देता हूं. इन से बात कर मैं बहुत राहत महसूस करता हूं. मुझे यह अच्छा लगता है, इसलिए मैं कुछ रुपए खर्च करने को भी तैयार रहता हूं.’’

फेसबुक के अलावा अब व्हाट्सऐप पर भी इस तरह की चैटिंग होने लगी है.

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शादी की 7 नई परिभाषाएं

शादी जिंदगी का सब से महत्त्वपूर्ण रिश्ता है. हर रिश्ते में कुछ उसूल, सिद्धांत और नियम होते हैं. मगर यह जरूरी नहीं कि जो नियम एक रिश्ते पर सही साबित हों वे दूसरे पर भी लागू हो जाएं. समय के साथ हर चीज बदलती है तो फिर पतिपत्नी के रिश्ते में भी बदलाव लाजिम है. कुछ वर्षों से दांपत्य के रिश्ते में भी बदलाव आए हैं. कुछ मान्यताएं पुरानी मानी जाने लगी हैं और उन की जगह नई मान्यताएं लेने लगी हैं. वे अच्छी हैं या बुरी इस का फैसला हर दंपती अपने हिसाब से करता है.

जानिए, किस तरह बदल रहे हैं आज के दंपती शादी की पुरानी परिभाषाओं को:

1. पार्टनर की इच्छा

पुरानी परिभाषा: शादी में पार्टनर की इच्छा को महत्त्व देना जरूरी है.

नई परिभाषा: वैसे तो नया नियम इस पुराने नियम को खारिज नहीं करता, पर यह जरूर कहता है कि शादी में इतना समर्पित होना भी अच्छा नहीं कि अपना वजूद ही खत्म हो जाए. अपनी इच्छाओं और जरूरतों को समझना जरूरी है. तभी रिश्ते खुश रह सकेंगे. अगर रिश्ते खुश नहीं रहेंगे तो जीवन में किसी मोड़ पर शिकायतें जन्म लेने लगेंगी. इसलिए अपनी इच्छाओं व जरूरतों में फर्क करना और उन्हें समझना जरूरी है. खुद की खुशी नहीं चाहेंगे तो दूसरे को भी खुश नहीं रख सकेंगे.

2. संबंधों में पहल

पुरानी परिभाषा: सैक्स संबंधों में पहल पुरुष को करनी चाहिए.

नई परिभाषा: नए दंपती मानते हैं कि सैक्स संबंधों में पहल कोई भी कर सकता है. स्त्रियां भी अब ऐक्टिव पार्टनर हैं. वे अपनी सैक्सुअल संतुष्टि को ले कर खुल कर बात करती हैं. पुरुष भी फीमेल पार्टनर की इच्छा, पसंदनापसंद का खयाल रखते हैं. सैक्स पर खुल कर बात करना अब टैबू नहीं रहा. ये कपल्स फैमिली प्लानिंग, सैक्सुअल हैल्थ पर कोर्टशिप के दौरान ही बात करना ठीक समझते हैं. नई व्यस्त दिनचर्या में तो वे डेट प्लानिंग भी करने लगे हैं. सैक्स संबंधों को वे ऐंजौय करते हैं. साथ ही लंबे समय तक सैक्सुअली ऐक्टिव रहने के लिए अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने लगे हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में सबकुछ अच्छा चले, इस के लिए प्यार ही नहीं, सैक्सुअल कंपैटिबिलिटी भी जरूरी है. इस सैक्सुअल कैमिस्ट्री में कई पहलू शामिल हैं जैसे चाह, अभिव्यक्ति का तरीका, सैक्स वैल्यूज और सैक्सुअल पर्सनैलिटी.

कई कपल्स के बीच मानसिक, भावनात्मक अनुकूलता तो होती है, लेकिन सैक्सुअल स्तर पर सोच एकजैसी नहीं होती. इस से रिश्ते का एक पहलू उपेक्षित होता है. नतीजा होता है असंतुष्टि, सैक्सुअल कुंठाएं, अवसाद, बेचैनी, भावनात्मक दूरी, गुस्सा और कई बार नपुंसकता भी. दोनों पार्टनर्स को सैक्स में संतुष्टि नहीं मिलती तो धीरेधीरे एक पार्टनर सैक्स से भागने लगता है. इस से कम कामेच्छा (लो लिबिडो) की भावना पनपने लगती है, जो समय के साथ जीरो लिबिडो में बदल सकती है. इस से रिश्ते के बाकी पहलू भी प्रभावित होने लगते हैं.

रश्मि और मानस शादी के 3 साल बाद काउंसलर से मिलने पहुंचे. पत्नी की लो डिजायर्स और पति की अधिक इच्छा के बीच तालमेल नहीं बैठ पा रहा था. बातचीत में दोनों ने माना कि उन्होंने कभी एकदूसरे से अपनी सैक्स डिजायर्स नहीं बांटीं. सैक्स सिर्फ शारीरिक ही नहीं भावनात्मक क्रिया भी है. हर कपल के लिए जरूरी है कि वे इस पर बात करें. इंटरकोर्स के बाद उन्हें कैसा महसूस होता है? वे अंतरंग रिश्ते से क्या चाहते हैं? इसे वे करीब आने का जरीया मानते हैं या शारीरिक रसायनों को रिलीज करने का माध्यम? उन्हें सैक्स में ऐक्स्प्लोर करना अच्छा लगता है या वे सिर्फ इसे निभाते हैं? यदि एक के लिए सैक्स का अर्थ प्यार और इंटीमेसी है और दूसरे के लिए केवल रिलैक्स होने का तरीका तो उन के बीच सैक्सुअल कैमिस्ट्री मुश्किल हो सकती है.

3. झगड़ा और दांपत्य

पुरानी परिभाषा: झगड़ों से रिश्तों में दरार पड़ती है.

नई परिभाषा: झगड़ों से रिश्ते में प्यार बढ़ता है. बशर्ते उन्हें सही समय पर सुलझा लिया जाए और तार्किक ढंग से उन पर सोचा जाए. नए जोडे़ मानते हैं कि पतिपत्नी होने का अर्थ यह नहीं कि हर बात पर समान ढंग से सोचा जाए. मतभिन्नता हो सकती है और कई बार छोटीछोटी बातों पर बहस हो सकती है. बहस हो भी क्यों नहीं. आखिर अपनी बात रखने का यह सब से प्रभावशाली तरीका है.

4. अलगाव

पुरानी परिभाषा: शादी 7 जन्मों का बंधन है. इस में तलाक की बात नहीं करनी चाहिए.

नई परिभाषा: शादी इसी जन्म में निभाया जाने वाला रिश्ता है. यह बंधन नहीं. कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती हैं जब पतिपत्नी का साथ चलना असंभव हो जाता है. पुरजोर कोशिशों के बावजूद यदि मुद्दे नहीं सुलझते तो रिश्तों को ढोते रहने के बजाय नए कपल समझदारी से अलग हो जाते हैं. कई कपल्स ऐसे भी हैं जिन के बच्चे हैं और अलग होने के बावजूद वे परवरिश से जुड़ी जिम्मेदारियां मिलजुल कर निभा रहे हैं.

5. जब न सुलझे विवाद

पुरानी परिभाषा: घर की बात घर में रहे, बाहर न जाए.

नई परिभाषा: पतिपत्नी को आपसी मामले खुद सुलझाने चाहिए. उन्हें किसी से शेयर नहीं किया जाना चाहिए. इस पुरानी धारणा को नए दंपती एक सीमा के भीतर ही स्वीकार करते हैं. जब तक उन्हें लगता है कि वे खुद समस्या को सुलझा सकते हैं, तब तक वे मुद्दों को तीसरे तक नहीं पहुंचने देते. लेकिन जैसे ही उन्हें लगने लगता है कि कुछ बातें ऐसी हैं, जिन्हें दोनों मिल कर नहीं सुलझा पा रहे हैं तो वे किसी तीसरे की मदद लेने से नहीं हिचकिचाते.

6. किस का ज्यादा महत्त्व

पुरानी परिभाषा: घर में मेल (पति) मैंबर का महत्त्व ज्यादा है. वह जो कहे उसे मानना होगा.

नई परिभाषा: शादी एक कंपैनियनशिप है, जिस में दोनों की बातों, राय या विचारों का बराबर महत्त्व है. इसीलिए दूसरे को सुनना और उदारता से प्रतिक्रिया करना जरूरी है. नए दंपती पार्टनर की बातों को सुनना, स्वीकारना जानते हैं, मगर उन्हें आदेशमान कर उन का अनुकरण नहीं करते. पार्टनर से सहमत नहीं हैं तो गुस्सा या तुरंत प्रतिक्रिया करने के बजाय वे शांति से अपनी राय व्यक्त करना जानते हैं.

7. औपचारिकता की सीमा

पुरानी परिभाषा: औपचारिकता की क्या जरूरत है? पतिपत्नी प्रेमीप्रेमिका नहीं.

नई परिभाषा: दांपत्य जीवन के शुरुआती दिनों में पतिपत्नी एकदूसरे के लिए नई किताब की तरह होते हैं, जिस का हर चैप्टर अपने में रहस्य और रोमांच समेटे होता है. लेकिन पूरी किताब पढ़ लेने के बाद उन में यह सोच पैदा हो जाती है कि अब तो वे एकदूसरे को अच्छी तरह जान चुके हैं. अब उन्हें एकदूसरे से किसी भी तरह की औपचारिकता की जरूरत क्यों? इसी के चलते वे एकदूसरे को कई बातें बताना या पूछना जरूरी नहीं समझते. यह विचार उन के रिश्ते को प्रभावित करना शुरू कर देता है. कोई भी काम करने से पहले एकदूसरे को उस की जानकारी देने, गलती हो जाने पर माफी मांगने और कुछ खास मौकों पर एकदूसरे की तारीफ करने जैसी औपचारिकताएं इस रिश्ते की गरमाहट को बरकरार रखने के लिए जरूरी होती हैं. भागदौड़ भरी जिंदगी और घरपरिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच पतिपत्नी भूल जाते हैं कि उन का एकदूसरे के प्रति भी कुछ दायित्व बनता है.

लंबा समय साथ बिताने के बाद कई बार पतिपत्नी एकदूसरे को फौर ग्रांटेड लेने लगते हैं. लेकिन नए कपल्स पुरानी पीढ़ी की इस धारणा को खारिज करते हैं. रिश्तों का नया फौर्मूला कहता है कि शादी में भी थोड़ी औपचारिकता जरूरी है. खास मौकों पर गिफ्ट्स का आदानप्रदान, नाइट आउट, डिनर प्लान करना और कभीकभी प्रेमीप्रेमिका की तरह अपने लिए कुछ क्षण चुराना जरूरी है. यों भी महानगरीय नौकरीपेशा दंपती बहुत कम समय साथ बिता पाते हैं. ऐसे में एकदूसरे को यह एहसास कराना जरूरी है कि उन्हें पार्टनर का खयाल है और व्यस्त दिनचर्या में भी वे पार्टनर को कभी नहीं भूलते. शादी एक लौंगटर्म इन्वैस्टमैंट की तरह है. जितना प्यार डालेंगे, भविष्य में दोगुना वापस मिलेगा. ज्यादातर झगड़ों का तार्किक आधार नहीं होता. वे किसी भी बात पर हो सकते हैं, लेकिन उन्हें सुलझाने के लिए तार्किक होने की जरूरत पड़ती है. शादी को निभाने के लिए त्याग, समर्पण, परस्पर भरोसा, समझौता, तालमेल आदि जरूरी है. मगर इन में से किसी भी एक पर अति से रिश्ते में खटास पैदा हो सकती है.

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दूसरी शादी को अपनाएं ऐसे

जैसे जैसे स्नेहा के विवाह के दिन नजदीक आते जा रहे थे, वैसेवैसे उस की परेशानियां बढ़ती जा रही थीं. अतीत के भोगे सुनहरे पल उसे बारबार कचोट रहे थे. विवाह के दिन तक वह उन पलों से छुटकारा पा लेना चाहती थी, लेकिन सौरभ की यादें थीं कि विस्मृत होने के बजाय दिनबदिन और गहराती जा रही थीं. बीते सुनहरे पल अब नुकीले कांटों की तरह उस के दिलदिमाग में चुभ रहे थे. मातापिता भी स्नेहा के मन के दर्द को समझ रहे थे, लेकिन उन के सामने स्नेहा के दूसरे विवाह के अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं था. स्नेहा की उम्र भी अभी महज 23 साल थी. उसे अभी जिंदगी का लंबा सफर तय करना था. ऐसे में उस के मातापिता अपने जीतेजी उसे तनहाई से उबार देना चाहते थे. यही सोच कर उन्होंने स्नेहा की ही तरह अपने पूर्व जीवनसाथी के बिछुड़ जाने की वेदना झेल रहे एक विधुर व्यक्ति से उस का विवाह तय कर दिया.

शादी जो असफल रही

कई मामलों में औरत दूसरा विवाह करने के बावजूद अपने पहले पति से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ पाती है. दूसरी बार तलाक की शिकार 32 साल की देवयानी बताती हैं, ‘‘दूसरा विवाह मेरे लिए यौनशोषण के अलावा कुछ नहीं रहा. मेरा पहला विवाह महज इसलिए असफल रहा था, क्योंकि मेरे पूर्व पति नपुंसक थे और संतान पैदा करने में नाकाबिल. विवाह के बाद मेरे दूसरे पति ने पता नहीं कैसे यह समझ लिया था कि सैक्स मेरी कमजोरी है. इसीलिए अपना पुरुषोचित अहं दिखाने के लिए वे मेरा यौनशोषण करने लगे. इस से उन के अहं की तो संतुष्टि होती थी, लेकिन वे मेरे लिए मानसिक रूप से बहुत ही पीड़ादायक सिद्ध होते थे.

‘‘मुझे लगा कि उन से तो मेरा पहला पति ही बेहतर था, जो संवेदनशील तो था. मेरे मन के दर्द और प्यार को समझता तो था. पहले पति से तलाक और दूसरे से विवाह का मुझे काफी पछतावा होता था, लेकिन अब मैं कुछ कर नहीं सकती थी. इसी बीच एक दिन शौपिंग के दौरान मेरी मुलाकात अपने पहले पति से हुई. तलाक की वजह से वे काफी टूटे से लग रहे थे. चूंकि उन की इस हालत के लिए मैं खुद को कुसूरवार समझती थी, इसलिए उन से मिलने लगी. मेरे दूसरे पति चूंकि शुरू से शक्की थे, इसलिए मेरा पीछा करते या निगरानी कराते. मेरे दूसरे पति का व्यवहार इस हद तक निर्मम हो गया कि मुझे एक बार फिर अदालत में तलाक के लिए हाजिर होना पड़ा. अब मैं ने दृढ़संकल्प कर लिया है कि तीसरा विवाह कभी नहीं करूंगी. सारी जिंदगी अकेले ही काट दूंगी.’’

नमिता बताती है, ‘‘जब मुझे शादी का जोड़ा पहनाया गया तथा विवाह मंडप में 7 फेरों के लिए खड़ा किया गया, तो मेरे मन में दूसरे विवाह का उत्साह कतई नहीं था. फूलों से सजे पलंग पर बैठी मैं जैसे एकदम बेजान थी. इन्होंने जब पहली बार मेरा स्पर्श किया तो शुभम की यादों से चाह कर भी मुक्त नहीं हो पाई. इसलिए दूसरे पति को अंगीकार करने में मुझे काफी समय लगा.’’

यह समस्या बहुत सी महिलाओं की यह समस्या सिर्फ स्नेहा, देवयानी व नमिता की ही नहीं है, बल्कि उन सैकड़ोंहजारों महिलाओं की है, जो वैधव्य या तलाक अथवा पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद दोबारा विवाह करती हैं. पहला विवाह उन की जिंदगी में एक रोमांच पैदा करता है. किशोरावस्था से ही मन में पलने वाले विवाह की कल्पना के साकार होने की वे सालों प्रतीक्षा करती हैं. पति, ससुराल और नए घर के बारे में वे न जाने कितने सपने देखती हैं. लेकिन वैधव्य या तलाक से उन के कोमल मन को गहरा आघात पहुंचता है. दूसरा विवाह उन के लिए तो लंबी तनहा जिंदगी को एक नए हमसफर के साथ काटने की विवशता में किया गया समझौता होता है. इसलिए दूसरे पति, उस के घर और परिवार के साथ तालमेल बैठाने में विधवा या तलाकशुदा औरत को बड़ी कठिनाई होती है.

जयपुर के एक सरकारी विभाग में नौकरी करने वाली स्मृति को यह नौकरी उन के पति की मौत के बाद उन की जगह मिली थी. स्मृति ने बताया, ‘‘यह विवाह मेरी मजबूरी थी. चूंकि पति के दफ्तर वाले मुझे बहुत परेशान करते थे. वे कटाक्ष कर इसे सरकार द्वारा दान में दी गई बख्शीश कह कर मेरी और मेरे दिवंगत पति की खिल्ली उड़ाते थे. मेरे वैधव्य और अकेलेपन के कारण वे मुझे अवेलेबल मान कर लिफ्ट लेने की कोशिश करते, लेकिन जब मैं ने उन्हें किसी तरह की लिफ्ट नहीं दी, तो वे अपने या किसी और के साथ मेरे झूठे संबंधों की कहानियां गढ़ते. वे दफ्तर में अपने काम किसी न किसी बहाने मेरे सिर मढ़ देते और बौस से मेरी शिकायत करते कि मैं दफ्तर में अपना काम ठीक से नहीं करती हूं. बौस भी उन्हीं की बात पर ध्यान देते. ऐसे में मुझे लगा दूसरा विवाह कर के ही इन परेशानियों से बचा जा सकता है.

‘‘संयोगवश मुझे एक भला आदमी मिला, जो मेरा अतीत जानते हुए भी मुझे सहर्ष स्वीकारने को राजी हो गया. हम दोनों अदालत में गए, जरूरी खानापूर्ति की और जब विवाह का प्रमाणपत्र ले कर बाहर निकले, तो एहसास हुआ कि मैं अब विधवा नहीं, सुहागिन हूं. पर सुहागरात का कोई रोमांच नहीं हुआ. वह दिन आम रहा और रात भी वैसी ही रही जैसी आमतौर पर विवाहित दंपतियों की रहती है. बस, खुशी इस बात की थी कि अब मैं अकेली नहीं हूं. घर में ऐसा मर्द है जो पति है. इस के बाद दफ्तर वालों ने परेशान करने की कोशिश करना खुद छोड़ दिया.’’

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक डा. शिव गौतम कहते हैं, ‘‘दरअसल, दूसरे विवाह की मानसिक तौर पर न तो पुरुष तैयारी करते हैं और न ही महिलाएं. दोनों ही उसे सिर्फ नए सिरे से अपना टूटा परिवार बसाने की एक औपचारिकता भर मानते हैं, जिस का खमियाजा दोनों को ही ताजिंदगी भुगतना पड़ता है.

‘‘दूसरे पति को हमेशा यह बात कचोटती है कि उस की पत्नी के शरीर को एक व्यक्ति यानी उस का पहला पति भोग चुका है, उस के तन और मन पर राज कर चुका है. उस की पत्नी का शरीर बासी खाने की तरह उस के सामने परोस दिया गया है. इसलिए ऐसे बहुत से पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते हैं.’’

महिलाओं की मानसिक समस्याओं का निदान करने वाली मनोचिकित्सक डा. मधुलता शर्मा ने बताया, ‘‘मेरे पास इस तरह के काफी मामले आते हैं. पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी को मन से स्वीकार नहीं कर पाता. उसे हमेशा अपनी पत्नी के बारे में शक बना रहता है खासकर तब जब उस की पत्नी तलाकशुदा हो. उसे लगता है कि उस के साथ विवाह के बावजूद उस की पत्नी का गुप्त संबंध अपने पूर्व पति से बना हुआ है. उस की गैरमौजूदगी में पत्नी अपने पूर्व पति से मिलतीजुलती है. उस का शक इस हद तक पहुंच जाता है कि उस की निगरानी करना शुरू कर देता है.’’

खुद को विवाह के लिए तैयार करें

डा. मधुलता के यहां एक काफी मौडर्न महिला सुनैना से मुलाकात हुई. उस ने अब तक 4 शादियां कीं और अब 5वीं शादी की तैयारी में थी. सुनैना ने हंसते हुए बताया, ‘‘जब मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी, तब मातापिता ने शादी कर दी. लेकिन डेढ़ साल बाद हमारा तलाक हो गया. दूसरे पति की सड़क हादसे में मौत हो गई. तीसरे व चौथे पति से भी तलाक हो गया. लेकिन चारों पतियों के साथ मैं ने यादगार समय बिताया. जिन तीनों पतियों ने मुझे तलाक दिए, आज भी मेरी उन से अच्छी दोस्ती है. अकसर हम लोग मिलते रहते हैं. अब मैं ने 5वां पति तलाश लिया है. मेरे मन में इस विवाह के प्रति वही उत्साह, रोमांच और उत्सुकता है, जो पहले विवाह के समय थी. इस बार हनीमून मनाने स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’ सुनैना ने पुनर्विवाह के बारे में अपना मत कुछ इस तरह व्यक्त किया, ‘‘शादी दूसरी हो या तीसरी या फिर चौथी या 5वीं, खास बात यह है कि आप खुद को विवाह के लिए इस तरह तैयार कीजिए जैसे आप पहली बार विवाह करने जा रही हैं. आप के नए पति को भी इस से मतलब नहीं होना चाहिए कि आप विवाह के अनुभवों से गुजर चुकी हैं. दरअसल, वह तो बस इतना चाहता है कि आप उस के साथ बिलकुल नईनवेली दुलहन की तरह पेश आएं.’’

गौरतलब है कि कम उम्र से ही लड़कियां अपने पति, ससुराल और सुहागरात की जो कल्पनाएं और सपने संजोए रहती हैं, वे बड़े ही रोमांचक होते हैं. लेकिन विवाह के बाद तलाक व वैधव्य के हादसे से गुजर कर उसे जब दोबारा विवाह करना पड़ता है, तो उस में पहले विवाह का सा न तो खास उत्साह रहता है, न रोमांच.

ऐसा क्यों होता है

एक ट्रैवेल ऐजैंसी में कार्यरत महिला प्रमिला ने बताया, ‘‘15-16 साल की उम्र से ही लड़कियां अपने पति और घर के बारे में सपने देखना शुरू कर देती हैं. वे सुहागरात के दौरान अपना अक्षत कौमार्य अपने पति को बतौर उपहार प्रदान करने की इच्छा रखती हैं. इसलिए अधिकतर लड़कियां अपने बौयफ्रैंड या प्रेमी को चुंबन की हद तक तो अपने शरीर के अंगों का स्पर्श करने की इजाजत देती हैं, लेकिन कौमार्य भंग करने की इजाजत नहीं देतीं. साफ शब्दों में कह देती हैं कि यह सब तुम्हारा ही है, लेकिन इसे तुम्हें विवाह के बाद सुहागरात को ही सौंपूंगी.

‘‘लेकिन दूसरी बार विवाह करने वाली औरत के पास अपने दूसरे पति को देने के लिए ऐसा उपहार नहीं होता. अगर दूसरा पति समझदार हुआ, तो उस के मन में यह आत्मविश्वास पैदा कर सकता है कि तुम्हारा पिछला जीवन जैसा भी रहा हो, लेकिन मेरे लिए तुम्हारा प्रेम ही कुंआरी लड़की है. मेरे दूसरे पति मनोज ने यही किया था. उस ने विवाह को जानबूझ कर 6 महीने के लिए टाला और इस दौरान मेरे प्रति अपना प्रेम प्रगाढ़ करता रहा. हम लोग अकसर डेटिंग पर जाते. वह मेरे साथ प्रेमी का सा व्यवहार तो करता, लेकिन शारीरिक संबंध की बात न करता. इसीलिए कभीकभी तो मुझे उस के पुरुषत्व पर शक होने लगता.

‘‘संभवतया उस ने मेरे शक को भांप लिया था, इसलिए एक दिन वह मुझे गोवा ले गया. समुद्र के किनारे हम प्रेमियों की तरह एकदूसरे के साथ प्रेम करते रहे. वह बोला कि प्रमिला, मैं इस समय चाहूं तो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूं और तुम मना भी नहीं कर सकतीं, लेकिन मैं चाहता हूं कि विवाह के पहले तुम से उसी स्थिति में आ जाऊं, जिस में तुम अपने पहले विवाह के समय थीं.

‘‘मनोज की इस बात ने मेरे आत्मविश्वास को काफी बल दिया. उस का मानना था कि औरत हमेशा तनमन से अपने पति के प्रति समर्पित रहती है, क्योंकि विवाह के बाद उस का संबंध सिर्फ अपने पति से रहता है. और सचमुच मनोज ने 6 माह के दौरान मेरे मन को तलाकशुदा के बजाय कुंआरी लड़की बना दिया था. सुहागरात के समय मैं अपना कौमार्य किसी और को उपहारस्वरूप दे चुकी थी, लेकिन मनोज के साथ सब कुछ नयानया तथा रोमांचकारी लग रहा था.’’

फर्ज मातापिता का

मनोवैज्ञानिक डा. मधुलता बताती हैं, ‘‘औरत 2 बार विवाह करे या 3 बार, असली बात उस माहौल की है, जिस में उसे दूसरी या तीसरी बार विवाह के बाद जिंदगी गुजारनी होती है. यह बात सही है कि पहले पति की मीठीकड़वी यादों से वह दूसरे विवाह के समय खुद को आजाद नहीं कर पाती. ऐसे में उस के मातापिता का फर्ज बनता है कि दूसरे विवाह के पहले ही वे उसे मानसिक रूप से तैयार करें, विवाह के प्रति उस के मन में उत्साह पैदा करें. लेकिन ऐसे मामलों में अकसर मातापिता तथा परिवार के अन्य लोग पहले से ही ऐसा माहौल तैयार कर देते हैं गोया लड़की का विवाह वे महज इसलिए कर रहे हैं ताकि उस का घर बस जाए और उसे जिंदगी अकेले न काटनी पड़े. यह व्यवहार उस के मन में निराशा पैदा करता है.’’

दूसरेतीसरे विवाह की स्थिति वैधव्य की वजह से उपजी हो या तलाक के कारण, परिवार वालों को चाहिए कि बेटी के पुनर्विवाह से पूर्व, विवाह के बाद में भी उस के साथ ऐसा ही स्नेहपूर्ण व्यवहार करें, गोया वे अपना या बेटी का बोझ हलका नहीं कर रहे, बल्कि समाज की इकाई को एक परिवार को प्रतिष्ठित सदस्य दे रहे हैं.

ऐसे मामलों में सगेसंबंधियों और परिचितों का भी कर्तव्य बनता है कि वे पुनर्विवाह के जरीए जुड़ने वाले पतिपत्नी के प्रति उपेक्षा का भाव न रख कर जहां तक हो सके अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं. विधवा या तलाकशुदा महिला का पुनर्विवाह मौजूदा वक्त की जरूरत है. इस से औरत को सामाजिक व माली हिफाजत तो मिलती ही है, साथ ही वह चाहे तो अतीत को भुला कर खुद में वसंत के भाव पैदा कर के दूसरे विवाह को भी प्रथम विवाह जैसा ही उमंगों से भर सकती है.

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शादी में न करें जल्दबाजी

शादी को ले कर हमारे समाज में 2 बातें प्रचलित हैं- छोटी उम्र में शादी और चट मंगनी पट ब्याह. लेकिन इन्हीं 2 कारणों से कई बार शादीशुदा जीवन में परेशानियां झेलनी पड़ जाती हैं. आखिर शादी जैसा अहम निर्णय, जिस से हमारा पूरा जीवन बदल जाता है, उसे लेने में जल्दबाजी क्यों?

कच्ची उम्र की कम समझदारी और कम तजरबा हमारे आने वाले जीवन में ऐसा विष घोलने की क्षमता रखता है, जिस से मीठे के बजाय कड़वे अनुभव हमारी यादों में जुड़ते जा सकते हैं. शादी सिर्फ 2 प्यार करने वालों का मिलन नहीं, अपितु यह ऐसे 2 इंसानों को एक बंधन में बांधती है जिन की परवरिश, शख्सीयत, भावनाएं, शिक्षा और कई बार भाषा भी भिन्न होती है. कभीकभी तो शादी के जरीए 2 अलग संस्कृतियों का भी मेल होता है.

ऐसे बंधन को बांधने से पहले समझदारी इसी में है कि एकदूसरे की पसंदनापसंद, जिंदगी के लक्ष्यों, एकदूसरे के परिवारों के बारे में जानने के लिए ज्यादा वक्त दिया जाए. धैर्य के साथ अपने होने वाले साथी को अच्छी तरह जानने में ही अक्लमंदी है. टैक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफैसर टेड हस्टन के अनुसार विवाह के धागे को जोड़ने से पहले अपनी आंखें खोल कर अपने साथी की अच्छाइयां तथा कमियां भली प्रकार तोल लेनी चाहिए.

सही कारणों के लिए ही करें शादी

हां करने से पहले जांच लें कि आप हां क्यों करना चाहती हैं. कहीं इसलिए तो नहीं कि परिवार वाले कह रहे हैं या फिर उम्र हो रही है अथवा आप की सहेलियों की शादियां हो रही हैं? ध्यान रहे कि इस नए रिश्ते को निभाना आप को है. इसलिए अच्छी तरह विचार कर के निर्णय लें.

उर्मिला आज भी पछताती है कि क्यों उस ने कालेज में चूड़े पहनने के चाव में शादी की इतनी जल्दी मचाई. चूड़े तो पहन लिए पर जल्द ही गलत आदमी से शादी करने का दंड उसे भुगतना पड़ा. जिस उम्र में उसे अपनी शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए था, उस उम्र में उठाए गलत कदम के कारण वह स्वावलंबी नहीं बन पाई और अब गलत पति को सहने के सिवा उस के पास कोई और चारा नहीं.

आर्थिक मजबूती परख लें: 18 की होते ही रचना ने अपने ही संगीत शिक्षक से भाग कर शादी कर ली. किंतु तोतामैना का यह रोमांस अल्पायु निकला. कारण? उस का पति केवल उसे ही संगीत सिखाता था. उस के पास और कोई विद्यार्थी नहीं था. जल्द ही पैसे की तंगी ने शादी के रिश्ते से संगीत गायब कर दिया. जब गृहस्थी का भार पड़ा तो दोनों ही अपने निर्णय पर पछताए.

यदि आप का होने वाला पति घरगृहस्थी के खर्च उठाने में असमर्थ है तो शादी का डूबना तय समझिए.

स्वभाव जांचना बेहद जरूरी: अकसर लड़कियां सुनहरे ख्वाब संजोते समय अपने प्रेमी या मंगेतर का स्वभाव जांचना दरकिनार कर बैठती हैं. कुछ ये सोचती हैं कि अभी उन का रिश्ता मजबूत नहीं है. इसीलिए वह उन से इस प्रकार बात कर रहा है तो कुछ सोचती हैं कि शादी के बाद वे अपने हिसाब से अपने पति का स्वभाव बदल लेंगी. दोनों स्थितियों में नुकसान लड़की का होता है. यह बात तय है कि शादी के बाद कोई किसी का स्वभाव नहीं बदल सकता. जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करना आवश्यक है. यदि आप का प्रेमी या मंगेतर गुस्सैल है तो शादी के बाद उस के गुस्से का निशाना अकसर आप को ही बनना पड़ेगा. इसलिए ऐसे इंसान से शादी न करें, जिस का अपने गुस्से पर काबू न हो.

एकदूसरे का प्यार आंकना: जब भी मिलें या बातचीत करें तब यह अवश्य परखें कि क्या आप के होने वाले पति का प्यार आप के लिए सच्चा है? क्या उसे आप की भावनाओं की कदर है? क्या वह आप की खुशी के लिए कदम उठाता है? क्या वह अपने मन की बात आप से करता है? और जो बातें आप उस से करती हैं, क्या वह उन्हें अपने तक रख पाता है?

इसी प्रकार अपनी भावनाएं भी परखनी जरूरी हैं. क्या आप उसे प्यार करती हैं? यदि नहीं तो अभी शादी के लिए आगे बढ़ना गलत रहेगा. गृहस्थ जीवन के सागर में बहुत ऊंचीनीची लहरें आती हैं. ऐसे समय में एकदूसरे के प्रति प्रेम ही गृहस्थी की नैया को डूबने से बचाता है.

जबान संभाल कर:

पहली स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति (मखौल उड़ाते हुए): तब तो तुम्हारा नंबर जरूर लगेगा.

दूसरी स्थिति:

पत्नी: मेरे दफ्तर में आजकल कुछ टैंशन चल रही है. लगता है कुछ लोगों को निकाला जाएगा.

पति: अच्छा? तुम किसी बात की चिंता मत करना. हम दोनों मिल कर इस गृहस्थी को सुचारु रूप से चला लेंगे. मैं तुम्हें कुछ अच्छे कैरियर कंसल्टैंट के नंबर दूंगा, तुम उन से बात करना. यदि तुम्हारी नौकरी चली भी जाती है, तो वे नई नौकरी पाने में तुम्हारी मदद करेंगे.

शादी 2 ऐसे लोगों को जोड़ती है जो एकदूसरे से अलहदा हैं. वे जिस तरह अपनी बात रखते हैं उस का असर काफी हद तक उन के शादीशुदा जीवन पर पड़ता है. वे या तो बातबात पर नुक्स निकाल सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं या फिर प्यार से एकदूसरे का हौसला बढ़ा सकते हैं. जी हां, अपनी बातों से हम या तो अपने जीवनसाथी को चोट पहुंचा सकते हैं या उस के जख्मों पर मरहम लगा सकते हैं. अपनी जबान पर लगाम न लगाने से शादीशुदा जीवन में भारी तनाव पैदा हो सकता है.

मातापिता बनने से पहले: शादी के बाद अगला पड़ाव होता है संतान. एक संतान का आगमन पतिपत्नी के रिश्ते को पूरी तरह बदल देता है. एक ओर जहां पत्नी मां बनते ही अपना पूरा ध्यान बच्चे पर केंद्रित कर देती है, वहीं पति अकसर पत्नी के जीवन में आए इस बदलाव में अपना पुराना स्थान खोजता रहता है. मातापिता बनने से पूर्व यह जरूरी है कि पतिपत्नी के आपसी रिश्ते का गठबंधन मजबूत हो चुका हो ताकि जब नए रोल को निभाने का समय आए तो एकदूसरे के प्रति किसी गलतफहमी की गुंजाइश न रहे.

एक बैंक की मैनेजर ऋतु गोयल कहती हैं, ‘‘जब मेरी बेटी ने अपनी पसंद से शादी करने की इच्छा जताते हुए मुझे अपने बौयफ्रैंड के बारे में बताया तो मैं ने उस से पूछा कि सब से पहले 10 जरूरी गुणों के बारे में सोचो जो तुम अपने जीवनसाथी में देखना चाहोगी. अगर तुम्हारे बौयफ्रैंड में सिर्फ 7 गुण दिखते हैं तो खुद से पूछो कि क्या तुम रोजाना उन 3 कमियों को बरदाश्त कर पाओगी? अगर तुम्हारे मन में जरा भी शक है, तो कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छी तरह सोच लेना.’’

यह सच है कि आप को हद से ज्यादा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. अगर आप शादी करना चाहते हैं, तो यह सचाई ध्यान में रखें कि आप को ऐसा साथी कभी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो और जो आप से शादी करेगा उसे भी ऐसा साथी नहीं मिलेगा, जिस में कोई खोट न हो. ‘जल्दबाजी में शादी करो और इत्मीनान से पछताओ’ कहावत को चरितार्थ करने में समझदारी नहीं है.

कंपैटिबिलिटी क्विज

कंपैटिबिलिटी में 3 बातें खास होती हैं- आपसी मित्रता व समझौता करने की क्षमता, एकदूसरे के प्रति सहानुभूति व एकदूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ती करने का माद्दा. इस क्विज को सुलझाएं. इस से आप जान पाएंगी कि आप दोनों शादी के लिए कितने तैयार हैं:

(1) आप दोनों को ले कर विचारविमर्श करते हैं:

क. कभीकभी

ख. आएदिन

ग. कभी नहीं

घ. हमेशा.

सही जवाब है हमेशा. यदि आप दोनों शादी को ले कर गंभीर हैं तो विवाह संबंधी विचारविमर्श आप दोनों की सूची में होना चाहिए.

(2) साथी का मुझे छोड़ कर चले जाने का विचार मात्र ही मुझे:

क. उदास कर देता है

ख. चैन देता है

ग. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

घ. मैं बुरी तरह टूट कर बिखर जाऊंगी.

सही जवाब है उदास कर देता है. यदि आप का रिश्ता स्वस्थ है तो आप का पूरा वजूद केवल अपने साथी के इर्दगिर्द नहीं घूमेगा. आप के रिश्ते में एक संतुलन होगा. आप अपने साथी को चाहेंगी अवश्य, किंतु चाहने और आवश्यकता होने में फर्क होता है.

(3) शादी मेरे लिए:

क. फिल्मों की तरह रोमानी है

ख. बेहद कठिन राह है

ग. इतनी कठिन भी नहीं

घ. परिश्रम व मजे का तालमेल है.

सही जवाब है परिश्रम व मजे का तालमेल. शादी में मेहनत जरूर लगती है पर वह नामुमकिन नहीं. शादी को सफल बनाने के लिए उस की ओर लगातार ध्यान देना चाहिए.

(4) अपने साथी को देख कर मैं:

क. उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं

ख. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

ग. घबराने लगती हूं

घ. थोड़ाबहुत खुश होती हूं.

सही जवाब है उत्साहित व प्रसन्न हो जाती हूं. यदि आप को अपने साथी को देखने से शादी से पहले खुशी नहीं मिलती है तो बाद में क्या होगा. यह बात सच है कि शादी का खुमार समय के साथ कम होता जाता है और उसे बरकरार रखने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए शुरुआत उत्साह व खुशी से होनी चाहिए.

(5) खास मुद्दों पर हम दोनों:

क. कभी चर्चा नहीं करते हैं

ख. कभीकभार चर्चा कर लेते हैं

ग. रोज चर्चा करते हैं

घ. तभी चर्चा करते हैं जब बात हाथ से बाहर हो जाए.

सही जवाब है कभीकभार चर्चा कर लेते हैं. जिंदगी में इतना कुछ घटित होता रहता है कि यदि आप चर्चा नहीं करते हैं तो अभी आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं और यदि आप रोज चर्चा करते हैं तो आप के रिश्ते में तनाव अधिक है और मस्ती कम. अच्छा रिश्ता मस्तीभरा तथा गंभीर बातों का मिलाजुला रस होता है.

(6) प्रेम मेरे लिए:

क. लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति है

ख. मेरा खयाल रखने के लिए साथी की खोज है

ग. अपने साथी का ध्यान रखना

घ. किसी और की तरह बन जाना.

सही जवाब है लेनदेन की सुंदर अभिव्यक्ति. प्यार में केवल एक ही साथी दूसरे का खयाल रखे यह मुमकिन नहीं. प्यार समझौते का दूसरा नाम है, जिस में दोनों तरफ से आदानप्रदान होना आवश्यक है.

तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार. जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती. पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय:

इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और  सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

Married Life की डोर न होने दें कमजोर

पतिपत्नी का रिश्ता विश्वास की डोरी से बंधा होता है. अगर इस रिश्ते में विश्वास की गाड़ी जरा सी भी डगमगाई, तो फिर रिश्ते के टूटने में देर नहीं लगती. पूरा परिवार ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है. अत: एकदूसरे पर संदेह करना मतलब घर की बरबादी को न्योता देना है. फिर चाहे संदेह पति करे या पत्नी. ज्यादातर मामलों में जब पत्नी नौकरीपेशा होती है तब यह संदेह उत्पन्न होता है, जिस का कारण औफिस के लोगों से बातचीत, दोस्ती होती है. संदेह करने वाला पति यह नहीं समझता कि उस की भी औफिस में महिला दोस्त हैं. वह भी उन से हंसहंस कर बातें करता है. अगर औरत किसी से हंसतेबोलते दिख जाए तो हजारों लोगों की उंगलियां उठने लगती हैं. समाज के ठेकेदार पता नहीं उसे क्याक्या नाम देने लगते हैं.

एक सच्ची दास्तां से रूबरू कराना चाहता हूं. पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं. उन के परिवार में 4 लड़के भी हैं. बड़े लड़के की उम्र करीब 27 साल होगी. काफी सालों तक सब ठीक चलता रहा. फिर अचानक पति के स्वभाव में बदलाव आने लगा. वह बदलाव परिवार को बरबाद करने के लिए काफी था. पति सरकारी नौकरी करता है. पत्नी प्राइवेट जौब करती है. कुछ साल पहले पतिपत्नी के बीच मतभेद शुरू हो गए थे. मतभेद की वजह शक था. पतिपत्नी में रोज लड़ाई होती थी. पति पत्नी को गंदी गालियां देता. बेचारी पत्नी सहन करती रही.

पति को पत्नी के औफिस के एक आदमी पर शक था. पत्नी आखिर अपनी बेगुनाही को कैसे साबित करे, यह उस के लिए बड़ी मुसीबत बन चुकी थी. महल्ले में, रिश्तेदारों में परिवार की बदनामी हो रही थी. लेकिन पति को इस से क्या मतलब? उस पर तो धुन सवार थी. पति सुबह से शाम तक गायब रहे तो कुछ नहीं. लेकिन पत्नी के पास किसी का फोन भी आ जाए तो वह क्यों आया है? किस का है? कौन है? हजारों सवाल खड़े हो जाते हैं. ऐसा ही कुछ उस परिवार में चल रहा था. दरअसल, पत्नी एक दिन अपने सहकर्मी की गाड़ी में बैठ कर औफिस तक गई थी. बस पति को यही बात खाए जा रही थी. हर रोज इस बात पर ताना देता. यहां तक कि वेश्या तक कहा. पूरे घर में तनाव का माहौल बना रहता था.

57 साल की उम्र में पति का इस तरह से व्यवहार करना पत्नी और बच्चों को तनिक भी अच्छा नहीं लगता था. पूरे महल्ले में वह परिवार चर्चा का विषय बना हुआ था. पत्नी पर शक करने से कितना नुकसान परिवार झेल रहा था, पति को इस बात से कोई लेनादेना नहीं था. कहते हैं बेटा हो जब आप बराबर, तो समझो उसे बाप बराबर. लेकिन उस परिवार में पति को न अपने बच्चों का लिहाज था और न ही पत्नी का. पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. लेकिन उस परिवार में यह विश्वास डगमगा गया था, जिस से पूरा परिवार तबाह हो रहा था.

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1. रिश्ते पर भरोसा

पतिपत्नी के रिश्ते की डोर भरोसे पर टिकी होती है. भरोसा टूटा कि रिश्ता टूटा. घरपरिवार में एक बार कलह ने दस्तक दे दी तो फिर बाहर जाने वाली नहीं. धीरेधीरे लड़ाईझगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि तलाक तक की नौबत आ जाती है, जिस से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. जिंदगी भर इस रिश्ते की गाड़ी को चलाने के लिए एकदूसरे पर पूरा भरोसा करना जरूरी है.

2. सुनीसुनाई बातों को अनसुना करें

अकसर पति को पत्नी की बातें दूसरों से सुनने को मिलती हैं. अधिकतर मामलों में जब लोग कोई बात किसी से कहते हैं तो उस में कुछ बातें मिर्चमसाले के साथ खुद से भी जोड़ देते हैं. ऐसे में ये बातें आहत करती हैं. शक की गुंजाइश पैदा कर देती हैं. अत: इस रिश्ते में दूसरे की बातों को ज्यादा महत्त्व न दें जब तक कि आप अपनी आंखों से न देख लें.

3. भावनाओं की कद्र करें

पतिपत्नी के रिश्ते में एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करना बहुत जरूरी है. कभीकभी छोटी सी बात भी काफी बड़ी बन जाती है. औफिस से लौट कर आने के बाद जो समय मिलता है, उसे एकदूसरे के साथ व्यतीत करें ताकि दिलों की बातें एकदूसरे से कह सकें. पतिपत्नी के रिश्ते में सैक्स का बहुत महत्त्व है. अधिकतर रिश्ते इस वजह से टूट जाते हैं कि इस क्रिया के लिए समय नहीं निकाल पाते. इस से संदेह की स्थिति उत्पन्न होती है.

4. बच्चों के भविष्य की चिंता

पतिपत्नी के रिश्ते से जब आप मातापिता के रिश्ते में पहुंचते हैं तब आप एक अच्छा जोड़ा कहलाने के साथसाथ अच्छे मातापिता भी कहलाना पसंद करते हैं. जब आप बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के बारे में सोचेंगे तो फालतू बातों की ओर आप का ध्यान ही नहीं जाएगा.

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5. अफेयर से बचें

शादी के पहले आप का किस से क्या संबंध था, किस से अफेयर था, इस बात को भूलते हुए शादी के बाद अफेयर से बचें. कुछ मामलों में ऐसा होता है कि एकदूसरे से प्यार करने वालों की जब शादी दूसरी जगह हो जाती है और जब यह बात पत्नी या पति को पता चलती है तो संदेह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. लेकिन कई बार शादी के बाद भी किसी के साथ अफेयर की बातें सामने आती हैं, जिस से पूरा परिवार बिखरने लगता है. अत: जब एक बार शादी के बंधन में बंध जाते हैं, तो फिर अपने जीवनसाथी और परिवार के विषय में ही सोचना चाहिए.

सुख की गारंटी नहीं शादी

लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के प्रोफैसर (जो हैप्पीनैस ऐक्सपर्ट भी हैं) पाल डोलन के शब्दों में, ‘‘शादी पुरुषों के लिए तो फायदेमंद है, लेकिन महिलाओं के लिए नहीं. इसलिए महिलाओं को शादी के लिए परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वे बिना पति के ज्यादा खुश रह सकती हैं खासकर मध्य आयुवर्ग की विवाहित महिलाओं में अपनी हमउम्र अविवाहित महिलाओं की तुलना में शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने का ज्यादा खतरा होता है. इस से वे मर भी जल्दी सकती हैं.’’

विवाहित महिलाओं की तुलना में अविवाहित महिलाएं ज्यादा खुश रहती हैं. शादीशुदा, कुंआरे, तलाकशुदा, विधवा और अलग रहने वाले लोगों पर किए गए सर्वे के आधार पर पाल डोलन का कहना है कि आबादी में जो हिस्सा सब से स्वस्थ और खुशहाल रहता है वह उन महिलाओं का है जिन्होंने कभी शादी नहीं की और जिन के बच्चे नहीं हैं. उन के मुताबिक जब पतिपत्नी एकसाथ होते हैं और उन से पूछा जाए कि वे कितने खुश हैं तो उन का कहना होता है कि वे बहुत खुश हैं. लेकिन जब पति या पत्नी साथ में नहीं हों तो वे स्वाभाविक रूप से यह कहते सुने जा सकते हैं कि जिंदगी दूभर हो गई है.

अगर कहीं भी शादी की बात पर बहस होती है तो शादी की जरूरत के कई कारण बताए जाते हैं जैसे नई सृष्टि की रचना, भावनात्मक सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था, औरत मां बन कर ही पूरी होती है, स्त्रीपुरुष एकदूसरे के पूरक हैं, समाज में अराजकता रोकने में सहायक आदि. ये सारे कारण शादी को महज एक जरूरत का दर्जा देते हैं, मगर कोई यह नहीं कहता कि हम ने शादी अपनी खुशी के लिए की है.

ज्यादातर घरों में लड़कियों को बचपन से शादी कर के खुशीखुशी घर बसाने के सपने दिखाए जाते हैं. हर बात के पीछे उन्हें समझया जाता है कि शादी के बाद वे अपने मन का कर सकेंगी, शादी के बाद बहुत प्यार मिलेगा, शादी के बाद अपने घर जाएंगी या फिर शादी के बाद ही उन का जीवन सार्थक होगा वगैरहवगैरह. मगर सच तो यह है कि शादी के बाद भी बहुत सी लड़कियों के सपने हकीकत के आईने में बेरंग ही नजर आते हैं.

अपना घर

घर की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा लड़कियों के मन में बचपन से यह बात भरी जाती है कि मां का घर उस का अपना नहीं है. उसे मायका छोड़ कर ससुराल जाना पड़ेगा और वही उस का अपना घर कहलाएगा. ससुराल पहुंच कर लड़की को पता चलता है कि वह इस घर में बाहर से आई है और कभी सगी नहीं कहलाएगी. वह बहू ही रहेगी कभी बेटी नहीं हो सकती.

मायके के पास पैसों की कितनी भी कमी हो पर लड़की को कभी महसूस नहीं होने देते, जबकि ससुराल कितनी भी धनदौलत से पूर्ण हो पर बहू को अपनी सीमा में रहना होता है. शुरुआत में कई साल उसे घरपरिवार के किसी भी मसले में बोलने का हक नहीं दिया जाता. ससुराल वाले कितने भी एडवांस हों, मगर बहू तो बहू ही होती है. वह बेटे या बेटी की बराबरी नहीं कर सकती.

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अकेलापन

लड़कियों को बचपन से शादी के सपने दिखाए जाते हैं. जिस लड़की की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती या फिर वह स्वयं शादी करना नहीं चाहती तो मांबाप या रिश्तेदारों के साथसाथ सारा समाज उसे सिखाता है कि शादी के बाद ही लाइफ सैटल हो पाती है. शादी के बिना जीवन में कुछ भी नहीं रखा. भले ही वह लड़की सैल्फ डिपैंडैंट हो, अच्छा कमा रही हो मगर उसे बुढ़ापे का डर जरूर दिखाया जाता है.

उसे बताया जाता है कि जब घर में सब खुद के परिवारों में व्यस्त हो जाएंगे तो वह अकेली रह जाएगी. यह सोच काफी हद तक सही है क्योंकि समय के साथ जब मांबाप चले जाते हैं और भाईबहन अपनी दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं तब अविवाहित लड़की खुद को अकेला महसूस करती है. मगर इस का समाधान कठिन नहीं. यदि वह अपने काम में व्यस्त रहे और रिश्तेदारों व दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखे तो इस तरह की समस्या नहीं आती.

बात पते की

लड़कियों को बचपन से यह भी सिखाया जाता है कि एक औरत मां बनने के बाद ही पूर्ण होती है. लड़कियों पर कम उम्र में ही शादी के लिए दबाव डाला जाता है ताकि वे सही उम्र में मां बन जाएं. मां बनना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है मगर जरा सोचिए इस के कारण लड़की को सब से पहले तो अपनी पढ़ाई और कैरियर बीच में छोड़ना पड़ता है. फिर वह शादी कर दूसरे घर आ जाती है और वहां एडजस्टमैंट कर ही रही होती है कि हर तरफ से बच्चे के लिए दबाव पड़ने लगती है.

सही समय पर बच्चे हो गए तो सब अच्छा है पर मान लीजिए किसी कारण से बच्चे नहीं हुए तब क्या होता है? दबी आवाज में उस पर ही इलजाम लगाए जाते हैं. उसे बांझ कह कर पुकारा जाता है. सालोंसाल बच्चे की चाह में घर वाले उसे पंडेपुजारियों और झड़फूंक वालों के पास ले जाते हैं. इन सब के बीच उस महिला को कितना मैंटल स्ट्रैस होता होगा यह बात समझनी भी जरूरी है.

शादी के बाद पति गलत आदतों का शिकार निकल जाए तो जरूरी नहीं कि आप की जिंदगी खुशहाल ही रहेगी. शादी के समय आप को यह पता नहीं होता कि आप का पति कैसा है? पति अच्छा निकला तो लड़की सुकूनभरी जिंदगी जीती है, मगर जरूरी नहीं कि हमेशा ऐसा ही हो. कितनी ही लड़कियां शादी के बाद अपने शराबी पति के अत्याचारों का शिकार बन जाती हैं तो कुछ पति की बेवफाई से परेशान रहती हैं.

कुछ के पति बिजनैस डुबो देते हैं तो कुछ दोस्तबाजी के चक्कर में बीवी को रुलाते रहते हैं. बहुत से पति ऐसे भी होते हैं जो पत्नी के साथ मारपीट करते हैं और उसे अपने पैरों की जूती से ज्यादा नहीं समझते. ऐसे में आप यह कैसे कह सकते हैं कि शादी के बाद लड़की को सुख ही मिलेगा और उस का जीवन संवर जाएगा? संभव तो यह भी है न कि उस की जिंदगी बरबाद ही हो जाए और उसे उम्रभर घुटघुट कर जीना पड़े.

ससुराल वालों के सितम

कई बार ऐसा भी होता है कि मांबाप तो अच्छा घर देख कर बेटी की शादी करते हैं, मगर नतीजा उलटा निकलता है. बहुत से मामलों में ससुराल वाले लड़की पर जुल्म करते हैं. कभी दहेज के लिए धमकाते हैं तो कभी घरेलू हिंसा करते हैं. बहुत सी लड़कियों को ससुराल में जिंदा जला दिया जाता है. कुछ घरों में ऊपरी तौर पर भले ही कुछ न किया जाए पर दिनरात ताने दिए जाते हैं, बुराभला कहा जाता है.

अकसर सास बहू के खिलाफ बेटे के कान भरती पाई जाती है. ऐसे हालात में लड़की को शादी के बाद घुटघुट कर जीना पड़ता है और उस की जिंदगी खुशहाल होने के बजाय बरबाद हो जाती है.

मांबाप का कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को हमेशा अप्रत्याशित के लिए तैयार रहने के काबिल बनाएं. शादी के बाद भी ऐसा बहुत कुछ हो सकता है जिस का मुकाबला करने के लिए खुद को मजबूत बनाना पड़ता है और दिमाग से ही नहीं, मन से व तन से भी. बेहतर होगा कि मातापिता बेटियों पर शादी के लिए दबाव डालने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाएं.

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शादी मजबूरी क्यों

एक शादीशुदा महिला ही जानती है कि शादी के बाद असल में उसे क्याक्या ?ोलना पड़ता है. यही वजह है कि आज बहुत सी लड़कियां शादी करना नहीं चाहतीं. उन का मानना है कि जब वे खुद कमा रही हैं और शांति से जी रही हैं तो फिर शादी कर के अपनी परेशानियां क्यों बढ़ाएं. दरअसल, हमारा सामाजिक तानाबाना ही इस तरह का रहा है जहां यह माना जाता है कि महिलाओं का काम घर संभालना और बच्चे पैदा करना होता है जबकि पुरुषों का काम कमाना और महिलाओं को संरक्षण देना. लेकिन वक्त के साथ महिलाओं और पुरुषों के रोल बदल रहे हैं. ऐसे में सोच बदलनी भी जरूरी है.

यह सही है कि अविवाहित जीवन में महिलाओं को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. मगर शादी भी इंसान को अनेक सामाजिक व पारिवारिक झंझटों में फंसाती है. तो फिर अविवाहित जीवन को गलत या हेय क्यों माना जाए? क्यों न लड़कियों को खुद तय करने दिया जाए कि उन्हें क्या करना है?

30-35 साल से ऊपर की अविवाहित महिला अब भी लोगों की आंखों में खटकती है. लड़की भले ही कितना भी पढ़लिख ले और ऊंचे पद पर पहुंच जाए, लेकिन उसे ससुराल भेज कर ही मातापिता के सिर से बोझ उतरता है. ज्यादातर लोगों की सोच यह होती है कि 30 साल से ऊपर की अविवाहित लड़की सुखी हो ही नहीं सकती.

सुख का सीधा संबंध शादी से है. मगर सच तो यह है कि सुखी या दुखी और खुश या नाखुश होने की परिभाषा सब के लिए अलगअलग होती है. ऐसी बहुत सी अविवाहित महिलाएं हैं जो 30 के ऊपर हैं और अपनेआप में पूर्ण हैं. आप मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, पीनाज मसानी, बरखा दत्त, सोनल मान सिंह जैसी बहुत सी महिलाओं का नाम ले सकते हैं. हम यदि कहीं भी अचीवर्स लिस्ट ढूंढ़ते हैं तो कभी भी शादी क्राइटेरिया नहीं होता यानी जीवन में आप की खुशी शादी पर निर्भर नहीं करती.

मातापिता का कर्तव्य है कि बच्चों को शिक्षित करें, आत्मनिर्भर बनाएं और उस के बाद अपने जीवन के निर्णय ख़ुद लेने दें. सब के सुख अलगअलग होते हैं. सुख को अगर परिभाषित करें तो कोई भी इंसान जब अपने मन की करता है या कर पाता है शायद तभी वह सब से सुखद स्थिति में होता है.

विवाह तभी करना चाहिए जब आप किसी को इतना चाहें कि उस के साथ जीवन बिताना चाहें. मगर जिस की शादी में रुचि न हो उसे कभी भी नहीं करनी चाहिए. प्रेम हो तो शादी करें, मगर उस में भी खुशी मिलेगी ही यह कहा नहीं जा सकता. जीवन में खुशियां चुननी पड़ती हैं. कोई हाथ में रख कर नहीं देता. खुशियां पाने का यत्न हम सभी करते हैं. कभी सफल होते हैं तो कभी असफल. विवाह करना या न करना व्यक्ति का निजी मामला है. इस में कोई कुछ नहीं कह सकता. हमारे समाज में शादीशुदा, अविवाहित और समलैंगिक के लिए व्यक्ति के स्तर पर समान इज्जत होनी चाहिए. कोई क्या चुनता है यह व्यक्तिगत मसला है.

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आज की जीवनशैली में घर और औफिस की बढ़ती जिम्मेदारियों को निभाना यों तो आसान लगता है किंतु वास्तव में आसान है नहीं. स्वस्थ मानसिकता के अभाव में इस रिश्ते को निभाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइए, उन बातों का अध्ययन करें जो कमजोर पड़ते रिश्तों को और अधिक कमजोर बनाती हैं.

विवाह के बाद के पहले 5 वर्ष

  • पतिपत्नी के लिए पहले 5 वर्ष बहुत अहमियत रखते हैं. शुरू के 5 वर्षों में जो गलतियां करते हैं वे हैं:
  • खुद को बदलने की जगह पार्टनर से बदलने की चाह रखना.
  • य लाइफपार्टनर से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखना.
  • छोटीछोटी बातों को मुद्दा बना कर लड़ाईझगड़ा करना. न खुद चैन से रहना, न दूसरे को चैन से रहने देना.
  • एकदूसरे के दोषों को ढूंढ़ढूंढ़ कर आलोचना और ताने मारने की प्रवृत्ति रखना.

इन कारणों से पतिपत्नी में दूरी बढ़ती जाती है और वक्त रहते अगर सूझबूझ से अपनी समस्याओं का समाधान पतिपत्नी नहीं कर पाते हैं तो अलगाव होना और फिर तलाक की संभावना बढ़ जाती है. अत: दोनों को इस बात का आभास होना चाहिए कि रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं. इन्हें अथक प्रयास द्वारा, स्वस्थ मानसिकता के साथ संभालना बहुत जरूरी होता है.

गलतियों को मानें

सब से विचित्र बात यह है कि पतिपत्नी अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाते जबकि जीवन से संबंधित ये गलतियां जीवन को अधिक सीमा तक प्रभावित करती हैं. इन्हें छोटी गलतियां मानना ही मूलरूप से गलत है. रिश्ते को हर हाल में टूटने से बचाने की जिम्मेदारी पति और पत्नी दोनों की होती है. मुश्किलें पतिपत्नी की हैं, तो समाधान भी उन के द्वारा ही ढूंढ़ा जाना चाहिए.

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दिल खोल कर प्रशंसा करें

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट मानते हैं कि एकदूसरे के प्रति तारीफ के शब्द न केवल पार्टनर्स को एकदूसरे के नजदीक लाते हैं, बल्कि टूटने के कगार पर आ गए रिश्तों में ताजगी भरने की भी संभावना रखते हैं. वैवाहिक जीवन की कामयाबी बहुत सीमा तक इस बात पर निर्भर करती है कि पतिपत्नी एकदूसरे की प्रशंसा कर के जीवन को आनंदपूर्ण बनाए रखें.

रिलेशनशिप टिप्स

ऐक्सपर्ट स्टीव कपूर ने अपनी पुस्तक में हैल्दी रिलेशनशिप के निम्न टिप्स दिए हैं:

पतिपत्नी को सैंस औफ ह्यूमर रखना चाहिए. चीजों और समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए, जब यह स्थिति और समस्या की मांग हो.

पतिपत्नी को एकदूसरे की ड्रैस सैंस की तारीफ करनी चाहिए. अच्छी बातों के लिए तारीफ करने में कंजूसी बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

एकदूसरे को कौंप्लिमैंट दें. विश्वास के आधार पर रिश्ते में मिठास भरें.

यदि पतिपत्नी में से कोई एकदूसरे की बात मानने को तैयार नहीं है तो इस के कारण को जानने की कोशिश करें न कि उस के साथ विवाद कर उसे परेशान करें और खुद भी परेशान हों.

सरे की भावनाओं से खिलवाड़ ठीक नहीं होता है. एकदूसरे को ब्लैकमेल करने से या उस की कमजोरी पर फोकस करने की आदत आत्मघाती होती है. भावनात्मक स्तर पर एकदूसरे के साथ जुड़ाव के लिए वक्त निकाल कर घूमने अवश्य जाएं. भूल कर भी अपने प्यार का प्रदर्शन लोगों के सामने न करें.

बहसबाजी अच्छी आदत नहीं है. जब भी ऐसा अवसर आए अपने संवाद को कट शौर्ट कर के सुखद मोड़ देते हुए अपने रिश्ते को बचाएं और संवारें.

रिलेशनशिप की समस्याओं की पृष्ठभूमि

आइए, रिलेशनशिप की समस्याओं को नीतिपूर्वक तरीके से निबटने के बारे में जानें:

  • आप अपने पार्टनर को बेहद प्यार करते हैं, लेकिन जब बात आती है इगो को बैलेंस करने की तो चुपचाप सहन करते हुए कभी खुल कर एकदूसरे के सामने नहीं आ पाते हैं. चुप रहना एक बहुत बड़ी कमजोरी बन जाती है. बेहतर होगा कि अपनी तरफ से आप स्पष्ट रूप से पार्टनर का सहयोग कर विवाहित जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचें.
  •  रिलेशनशिप का सारा दारोमदार क्रिया और प्रतिक्रिया का है. अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में जल्दबाजी न करें. सोचसमझ कर व सूझबूझ के साथ सही प्रतिक्रिया दें. एक सिंगल वार्तालाप से हमेशा समस्या सुलझ जाने की आशा न करें.
  • अपनी रिलेशनशिप को बेहतर बनाए रखने के लिए एकदूसरे से सुझाव मांगें और अध्ययन करने के बाद उन सुझावों को अमल में लाएं जो रिलेशनशिप के लिए कारगर और उपयोगी हैं. यह काम धैर्यपूर्वक समस्या को खुले दिल से स्वीकार करने के बाद ही हो सकता है.
  •   कार का वादविवाद न करें और न ही दूसरे लोगों को उस का हिस्सा बनाएं. कम से कम शब्दों में समस्या को परिभाषित करें. एकदूसरे को उचित समय दें. ऐसा माहौल बनाएं जिस में आप खुले दिल और दिमाग से समस्या का निवारण करने की जिम्मेदारी पूरी लगन और सचाई के साथ कर सकें.
  • हर समस्या के समाधान पर एकदूसरे को पार्टी, लंच, डिनर दे कर यह एहसास कराएं कि जो कुछ हुआ बहुत अच्छा हुआ.

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ऐसे निकालें समस्याओं के हल

पतिपत्नी का रिश्ता जब विवाह के बाद प्रारंभिक चरण में होता है तो सब रिश्तेदारों की अपेक्षाएं वास्तविक आधार पर नहीं होतीं. संबंधी नई बहू से आशा करते हैं कि वह हर रिश्ते को दिल से सम्मान दे. अपनी सुविधा को नजरअंदाज कर वह रिश्ते का निर्वाह इस तरह करे जैसे वह उन्हें बरसों से जानती है. अधिकतर पत्नियां जन्मदिन या शादी की वर्षगांठ पर यह उम्मीद रखती हैं कि पति उपहार में डायमंड या गोल्ड के आभूषण, डिजाइनर वस्त्र आदि उसे गिफ्ट करे. दोनों पार्टनर जीवन के लिए प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाएं तो वे जीवन को क्रोध, तानों और दोषारोपण की मौजूदगी में भी उत्तम तरीके से बिता सकते हैं.

मनोवैज्ञानिक जौन गोटमैन का सुझाव है कि पतिपत्नी का महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है कि वे एकदूसरे पर कीचड़ न उछालें. एकदूसरे के प्रशंसक बनें. एकदूसरे के लिए चिंता तो करें, लेकिन रचनात्मक सोच के साथ. उन का हर फैसला सहयोग के आधार पर होना चाहिए. हर विवाह की स्थिति ऐसी होती है कि अगर आप खूबियां ढूंढ़ेंगे तो आप को सब कुछ अच्छा नजर आएगा. अगर एकदूसरे की कमियों पर फोकस करना चाहेंगे तो बहुत कमियां नजर आएंगी. इसलिए बेहतर होगा कि अच्छाई पर फोकस रखें व पौजिटिव नजरिया अपनाएं. आप में वे सब गुण और काबिलीयत हैं, जो आप को ‘विन विन’ स्थिति में रख कर विजयी घोषित कर सकते हैं. प्यार मांगने से नहीं मिलता है. प्यार के लिए डिजर्व करना पड़ता है. जीवन का हर लमहा आनंद से सराबोर होना चाहिए. यह पतिपत्नी का जन्मसिद्ध अधिकार है.

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क्या शादी से पहले की यह प्लानिंग

बदलती सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों ने लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित किया है. आधुनिकता के इस युग में ऐसी सभी सामाजिक मान्यताएं जो व्यक्ति की इच्छाओं और हितों के खिलाफ हैं, अपना औचित्य खो चुकी हैं. बदलावों की इस सूची में विवाह की प्रक्रिया को भी शामिल किया जा चुका है. जहां पहले मातापिता ही अपनी संतान के लिए हमसफर चुनते थे, वहीं अब जीवनसाथी का चुनाव युवा खुद करने लगे हैं.

प्यार के नशे में चूर युवाओं को अपने साथी के साथ के अलावा कुछ नहीं सूझता. अपने रिश्ते पर सामाजिक मुहर लगवाने के लिए शादी के बंधन में युवा बंध तो जाते हैं, लेकिन प्यार का हैंगओवर तब उतर जाता है जब पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से सामना होता है.

इस स्थिति में कई बार रिश्ते टूटने के कगार पर पहुंच जाते हैं. ऐसा ही हुआ दिल्ली की दिव्या के साथ. वह अपने प्रेमी अमित को पति के रूप में पा कर बेहद खुश थी. दिव्या का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत था, लेकिन अमित अपने घर में इकलौता कमाने वाला था. अत: मातापिता की जिम्मेदारी के साथसाथ छोटे भाई की पढ़ाईलिखाई का खर्च भी उसे ही उठाना पड़ता था.

पहले से अमित के परिवार की आर्थिक स्थिति से अवगत दिव्या को उस के जिम्मेदाराना  स्वभाव ने ही आकर्षित किया था. लेकिन यह आकर्षण तब फीका पड़ने लगा जब दिव्या को ससुराल जा कर घरेलू कामकाज में खटना पड़ा. आमदनी अच्छी होने के बावजूद अमित दिव्या को नौकरचाकर की सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता था, क्योंकि उस की सैलरी का आधे से अधिक हिस्सा घर की ही जिम्मेदारियों को पूरा करने में खर्च हो जाता था.

दिव्या ने भी शादी से पहले अमित से इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने की कोई बात नहीं की थी. अमित दिव्या को इसीलिए ऐडजस्टिंग स्वभाव का समझता था. लेकिन यहां गलती दिव्या की है. गलती यह नहीं कि सुविधाओं के अभाव में वह ऐडजस्ट नहीं कर पा रही, बल्कि गलती यह है कि दिव्या ने शादी से पूर्व अपनी जरूरतों का जिक्र अमित से नहीं किया जो उस की सब से बड़ी भूल थी.

दिव्या की ही तरह कई लड़कियां हैं, जो अपनी उम्मीदों को अपने प्रेमी पर शादी से पहले कभी जाहिर नहीं करतीं और बाद में उम्मीद के विपरीत परिस्थितियों में उन्हें इस बात का पछतावा होता है कि आखिर अपनी इच्छाओं को पहले जाहिर कर देते तो ये दिन न देखने पड़ते.  इसलिए बहुत जरूरी है कि शादी से पहले अपनी और अपने प्रेमी की इन बातों का खयाल कर लिया जाए:

– आप का प्रेमी किराए के मकान में रहता है, मगर आप अपना घर चाहती हैं, इस बात को अपने प्रेमी के आगे रखने में कोई हरज नहीं है. यदि उस की आर्थिक स्थिति उसे शादी से पहले नया घर खरीदने की मंजूरी देगी तो वह शायद ऐसा कर सकेगा वरना शादी के बाद जल्दी से जल्दी अपना घर खरीदने का प्रयास करेगा. इस के अलावा आप खुद भी अपना घर खरीदने में अपने पति की आर्थिक सहायता करने के लिए खुद को तैयार कर सकेंगी.

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– आजकल कामकाजी लड़कियों के पास रसोई में परिवार के लिए खाना बनाने का समय नहीं होता, लेकिन विवाह बाद रसोई के काम के अलावा घर के बाकी काम भी करने पड़ते हैं. मगर सहयोग के लिए एक नौकर हो तो बात बन जाती है. अपने प्रेमी को शादी से पहले ही इस बात का संकेत दे दें कि आप पूरा दिन रसोई में नहीं खट सकतीं और आप को बेसिक होम ऐप्लायंस और एक नौकर की आवश्यकता पड़ेगी. यदि आप के प्रेमी के घर में पहले से ये सब चीजें उपलब्ध नहीं होगीं, तो वह कोशिश करे आप की मदद के लिए कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराने की या फिर वह आप को साफ कह दे कि घर के काम के लिए सहयोग की उम्मीद न रखें. इस से आप अपने लिए सुविधा का सामान खुद भी जुटा सकती हैं.

– घर में वाहन होने के बाद भी उस के सुख से आप वंचित हैं, क्योंकि वाहन पति नहीं पति के पिता का है. जाहिर है आप का उस वाहन पर हक नहीं है. लेकिन यदि वाहन आप के लाइफस्टाइल के लिए बहुत जरूरी है, तो इस की व्यवस्था करने के लिए प्रेमी को कहें या फिर खुद प्रयास करें.

– प्रेमी की दादी, बहन या भाई की जिम्मेदारी उठाना.

– प्रेमी यदि संयुक्त परिवार से है तो भाभी/देवरानी आदि की समस्याएं.

– नौकरी है तो ठीक वरना अपने व्यवसाय के लंबे घंटे.

कैरियर प्लानिंग पर भी चर्चा जरूरी

आज की लड़कियां शिक्षित, आत्मनिर्भर और महत्त्वाकांक्षी हैं. घर बैठ कर रोटियां बेलने के बजाय उन्हें लैपटौप पर उंगलियां दौड़ाना पसंद है. मगर शादी के बाद पति चाहता है कि वह हाउसवाइफ बन जाए. अब यहां निर्णय आप को लेना है कि पति चाहिए या कैरियर अथवा दोनों. इस के लिए आप को विवाह का निर्णय लेने के पूर्व ही बौयफ्रैंड से इन बिंदुओं पर बात कर लेनी चाहिए:

– शादी के बाद भी आप अपने कैरियर के लिए उतनी ही फिक्रमंद रहना चाहती हैं जितनी अभी हैं. हो सकता है आप का बौयफ्रैंड इस के विपरीत आप को नौकरी छोड़ घर की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए कहे. इस परिस्थिति में यदि आप अपने कैरियर से खुशीखुशी समझौता कर लेती हैं तो ठीक है वरना रिश्ते से समझौता करना ही बेहतर विकल्प होगा.

– शादी के बाद प्रेमी किस शहर में शिफ्ट होने की सोच रहा है. इस बारे में प्रेमी से चर्चा करें. आपसी सहमति से ही किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होने का निर्णय लें.

– कई बार शादी के बाद भी युवा अपने कैरियर से संतुष्ट नहीं होते. ऐसे में जौब छोड़ कर फिर से पढ़ने का मन बना लेते हैं. आप के साथ ऐसा न हो, इस के लिए पार्टनर से इस विषय पर भी बात कर लें.

परखें पार्टनर की नीयत

प्यार में साथी के आकर्षण में खो जाना एक आम बात है. लेकिन आकर्षण में इतना भी न खोएं कि पार्टनर की नीयत को न परख सकें. दरअसल, लड़कियां अधिक भावुक होती हैं. लड़कों की मीठीमीठी बातों में जल्दी फंस जाती हैं. लेकिन कुछ लड़कों में इस के विपरीत गुण होते हैं. वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लेते हैं. जैसे कानपुर की सोनिया को कौशल ने फंसाया था. दोनों एक ही कालेज में पढ़ते थे. सोनिया पढ़ाई में होशियार थी. उस के घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी. कौशल इन सभी बातों को भांप चुका था. सोनिया को अपने प्यार में फंसाने का उस का मकसद केवल उस के पैसों पर जिंदगी भर मजे लूटना था. घर वालों के बहुत समझाने पर भी सोनिया नहीं मानी और कौशल से शादी कर ली.

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शादी के बाद पति का निकम्मापन सोनिया को खलने लगा. लेकिन अब घर वालों से भी वह कुछ नहीं कह सकती थी. पछताने के सिवा अब उस के पास और कोई चारा न था.

सोनिया जैसी स्थिति का सामना हर उस लड़की को करना पड़ सकता है, जो अपने पार्टनर की नीयत को परखे बिना शादी का फैसला ले लेती है. लेकिन सवाल यह उठता है कि साथी की नीयत को कैसे परखा जाए? चलिए हम बताते हैं:

– पैसों को ले कर बौयफ्रैंड का क्या बरताव है, यह भांपने की कोशिश करें. जब आप दोनों साथ घूमते हैं, तो अधिक खर्चा कौन करता है? कहीं पैसे खर्च करने में साथी आनाकानी तो नहीं करता? इन बातों को समझने की कोशिश करें.

– भले ही आप की सैलरी आप के बौयफ्रैंड से ज्यादा हो, लेकिन उस के आत्मसम्मान को परखें. यदि वह आप से पैसे लेने में नहीं हिचकता तो जाहिर है कि उस में आत्मसम्मान की कमी है.

– यह जानने की कोशिश करें कि आप का साथी शादी के वक्त आप से किनकिन विलासिता की चीजों की डिमांड करता है. जाहिर है यदि वह आप से नक्द या किसी मूल्यवान वस्तु की चाहत रखता है तो उसे आप से नहीं आप के पैसों से प्रेम है.

शादी से पूर्व फाइनैंशियल प्लानिंग

कनासा स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्चर एवं असिस्टैंट प्रोफैसर औफ फैमिली स्टडीज ऐंड ह्यूमन सर्विस की सोनया बर्ट की 4,500 कपल्स पर की गई स्टडी के परिणामस्वरूप पतिपत्नी के रिश्ते में सब से बुरा वक्त तब आता है, जब पैसों को ले कर दोनों में झगड़े होते हैं. स्टडी के मुताबिक इन झगड़ों की वजह से रिश्ता टूटने के कगार पर आ जाता है. इसलिए शादी से पूर्व ही भविष्य में आने वाली आर्थिक जरूरतों पर चर्चा कर लेनी चाहिए.

इस बाबत आर्थिक सलाहकार अरविंद सिंह सेन कहते हैं, ‘‘लव मैरिज में अकसर किसी एक पक्ष के घर वालों को रिश्ते पर आपत्ति होती है. ऐसे में शादी के बाद अपनी सभी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए नए जोड़े को अपनी ही आमदनी पर निर्भर होना पड़ता है. ऐसे में सब से अधिक जरूरी होती है सिर छिपाने के लिए एक छत यानी अपना घर और आपातकालीन स्थितियों से निबटने के लिए नक्द पैसा. यदि शादी से पूर्व कुछ निवेश किए गए हों तो इस से काफी मदद मिलती है. ये निवेश इस प्रकार के हो सकते हैं:

– अपना घर होने के सपने को पूरा करने के लिए शादी से 2-4 साल पहले ही रियल स्टेट स्मौल इन्वैस्टमैंट प्लान लिया जा सकता है. इस प्लान के तहत बिना होम लोन लिए और एकमुश्त डाउनपेमैंट की समस्या से बचने के लिए छोटीछोटी इंस्टौलमैंट्स दे कर अपना घर बुक किया जा सकता है. हां, यह प्लान लेने से पहले कुछ जरूरी बातों पर जरूर गौर कर लें:

– सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइडलाइन को पढ़ कर ही कोई फैसला लें.

– विश्वसनीय बिल्डर द्वारा बनाई गई प्रौपर्टी में ही निवेश करें.

– चिट फंड कंपनियों द्वारा बनाई प्रौपर्टी में निवेश करने से बचें.

– ग्रुप हैल्थ इंश्योरैंस प्लान लें. यदि आप तय कर चुकी हैं कि शादी आप को अपने बौयफ्रैंड से ही करनी है तो अपने और उस के नाम पर इस प्लान को लिया जा सकता है. यह प्लान शादी के बाद सेहत से जुड़ी हर परेशानी में आप का आर्थिक मददगार बनेगा. इस प्लान के तहत छोटीछोटी बीमारियों से ले कर प्रैगनैंसी तक इस प्लान में कवर होते हैं.

अत: भावनाओं में बह कर बनाए गए रिश्ते भविष्य में आने वाली दिक्कतों का सामना करने में कमजोर साबित हो सकते हैं. प्रेम विवाह में अकसर ऐसा ही होता है. लेकिन थोड़ी सी समझदारी, प्लानिंग और साथी को परखने की कला आप की शादीशुदा जिंदगी को सफल बना सकती है.

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