Valentine’s से पहले ताजमहल पहुंचे सारा और कार्तिक, दिए ऐसे रोमांटिक पोज

बौलीवुड स्टार कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) और सारा अली खान (Sara Ali Khan) हाल ही में अपनी अपकमिंग फिल्म ‘लव आज कल’ (Love Aaj Kal 2) के प्रमोशन के लिए आगरा पहुंचे. यहां पहुंचकर दोनों ने ताज महल का दीदार किया. कार्तिक और सारा को देखकर फैन्स की भीड़ वहां उमड़ गई. लेकिन दोनों फिर भी खूब मस्ती करते दिखे. इतना ही नहीं, कार्तिक (Kartik Aaryan) ने इस दौरान सबके सामने सारा को गोद में भी उठाया. सारा-कार्तिक (Sara-Kartik) के इस दौरान के फोटो और वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं. फैन्स ने सारा-कार्तिक के इस मोमेंट को अपने-अपने कैमरे में कैद किया. कार्तिक और सारा ने अपने फैन्स को निराश नहीं किया. उन्होंने फैन्स के साथ खूब सेल्फी क्लिक की.

इससे पहले सारा को अपने हाथों से खाना खिलाते दिखे कार्तिक आर्यन…

कार्तिक (Kartik Aaryan) ने अभी हाल ही में सारा के साथ अपनी फोटो शेयर की जिसमें वो अपने हाथों से खाना खिला रहे हैं. इस फोटो को शेयर करते हुए कार्तिक ने लिखा, ‘काफी दुबली हो गई हो, आओ पहले जैसी सेहत बनाएं.’

 

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Awwwww ????? This picture ? Dono apne main hi khoye huye hain ?? #saraalikhan #kartikaaryan #Sartik #LoveAajKal

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कार्तिक और सारा की कैमेस्ट्री है फैंस को पसंद

कार्तिक-सारा की इस फोटो को फैन्स बहुत पसंद कर रहे हैं. सभी दोनों की केमिस्ट्री को काफ़ी पसंद कर रहे हैं. हालांकि कुछ का कहना है कि क्या से जो और वीर (लव आज कल में दोनों का किरदार) है या कार्तिक और सारा.

अक्सर आते हैं साथ नजर

वैसे बता दें कि जब से इस फिल्म की शूटिंग शुरू हुई है तब से ही दोनों के रिलेशन की खबरें आने लगी थीं. दोनों साथ में पार्टीज और डिनर पर जाते थे. लेकिन फिर अचानक खबर आई कि दोनों का ब्रेकअप हो गया है. दोनों का मिलना भी बंद हो गया था. हालांकि फिल्म के डबिंग सेशन के दौरान दोनों फिर साथ नजर आए और अब दोनों साथ में खूब जोर-शोर से फिल्म का प्रमोशन कर रहे हैं.

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फिल्म ‘लव आज कल 2′(Love Aaj Kal 2)  की बात करें तो इसमें कार्तिक डबल रोल में हैं. फिल्म में सारा, कार्तिक के साथ आरुषी शर्मा और रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) लीड रोल में हैं. इम्तियाज अली (Imtiaz Ali ) द्वारा डायरेक्ट यह फिल्म 14 फरवरी को रिलीज होगी.

16 साल के लड़के का रोल करने के लिए कार्तिक आर्यन ने घटाया इतना वजन

अपने किरदार में ढलने के लिए कलाकार क्या-क्या नहीं करते. वह हर तरह के चैलेंज लेने के लिए तैयार रहते हैं और अपने किरदार में फिट बैठने के लिए किसी भी हद तक जाना हो तो वह तैयार रहते हैं. एक ऐसे ही अभिनेता हैं कार्तिक आर्यन, जो अपने किरदार को परफेक्ट तरीके से निभाने में कोई कोताही नहीं कर रहे और खुद को अपनी हर फिल्म के लुक के अनुसार चैलेंज कर रहे हैं.

यही वजह है कि जब इम्तियाज़ ने उन्हें अपनी आने वाली फिल्म लव आजकल के लिए आठ किलो वजन घटाने को कहा तो वह फौरन तैयार हो गए और उन्होंने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी. दरअसल, लव आजकल में वह दो दौर के किरदार में हैं. तो ऐसे में उन्हें 90s के दौर के लुक में ढलने के लिए अपने मौजूदा वजन से कम वजन में दिखना था. इसीलिए वह फौरन तैयार हो गए.

फिल्म में वह रघु और वीर के किरदार में हैं. रघु का किरदार 90s से संबंध रखता है. वहीं वीर नए जमाने का है. ऐसे में दोनों किरदारों में पूरी तरह से भिन्नता दिखाने के लिए ही उन्हें इम्तियाज़ ने वजन कम करने को कहा. चूंकि रघु का किरदार स्कूल गोइंग बौय है, इसलिए उन्होंने अपने लुक को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस किरदार के लिए उन्होंने अपने सिग्नेचर अंदाज़ के हेयर स्टाइल को भी बदला, ताकि वह स्कूल किड लग सकें.

 

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90s hot kids be like ? Kartik minus 8kgs= #Raghu ????❌ #FiftyShadesOfRaghu ?? ? #CoolBoyz Squad Goals ? #School #LoveAajKal ❤️

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कार्तिक ने इस किरदार के लिए स्ट्रिक्ट डायट फौलो किया और लगभग आठ किलो वजन कम किया. कार्तिक ने आज ही लव आजकल के सेट की एक और तस्वीर साझा किया है, जिसमें वह अपने बाकी सह कलाकारों के साथ पोज स्कूल यूनिफौर्म में पोज देते नजर आ रहे हैं.


तस्वीर देख कर ऐसा लग रहा है कि कार्तिक अभी अभी हाई स्कूल से आए हो. तस्वीर में उनका ट्रांसफॉर्मेशन साफ रूप से नजर आ रहा है. उन्होंने उसे कैप्शन देते हुए लिखा हैं.

90s hot kids be like. Kartik minus 8kgs = Raghu. #FiftyShadesOfRaghu #CoolBoyz Squad Goals. #School #LoveAajKal.’ Now that’s truly commendable for the young actor to go an extra mile for his role.

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वाकई कार्तिक अपने हर किरदार के साथ न्याय करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वह हर बार कुछ चैलेंजिंग करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. बताते चलें कि कार्तिक के दोनों ही लुक की खूब तारीफ ही रही है. फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों ने हरी झंडी दिखाई है और कार्तिक पर सभी बेशुमार प्यार लुटा रहे हैं.

जाहिर सी बात है कि इस बार इम्तियाज़ जो कि रोमांटिक फिल्में बनाने में माहिर माने जाते हैं और उनके साथ कार्तिक जो कि इन दिनों सबके चहेते रोमांटिक हीरो हैं. ऐसे में जब दोनों पहली बार साथ आ रहे हैं, तो दर्शकों की उत्सुकता और अधिक बढ़ी हुई है. सारा अली खान और नई डेब्यू कलाकार आरुषि के साथ कार्तिक जंच रहे हैं. कार्तिक के फैन्स को फिल्म की रिलीज का इंतजार है.

फिल्म रिव्यू : लुका छुपी

रेटिंग : दो स्टार

‘‘लिव इन रिलेशनशिप’’ की आड़ में विवादास्पद ‘‘लव जेहाद’’ के मुद्दे पर कटाक्ष करने वाली रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘लुका छुपी’’ पूर्णतः निराश करने वाली फिल्म है. सामाजिक स्वीकृत रिश्तों व धार्मिक कट्टरता पर धार्मिक अनुष्ठानों पर हास्य व्यंगात्मक कटाक्ष करने वाली यह फिल्म कमजोर पटकथा व निर्देशन के चलते पूरी तरह से बिखरी व अति सतही फिल्म बनकर रह गयी है. हास्य के नाम पर फिल्म में अस्वाभाविक व अविश्वसनीय दृश्यों की भरमार है.

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फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के छोटे शहर मथुरा से शुरू होती है. जहां विनोद उर्फ गुड्डू शुक्ला (कार्तिक आर्यन) अपने पिता व दो बड़े भाईयों के साथ रहता है. गुड्डू के पिता शुक्लाजी (अतुल श्रीवास्तव) की साड़ियों की दुकान है, जहां गुड्डू के दोनों बड़े भाई बैठते हैं. जबकि गुड्डू स्वयं एक स्थानीय केबल चैनल का टीवी रिपोर्टर है. उसका दोस्त अब्बास (अपारशक्ति खुराना) इसी चैनल में कैमरामैन हैं. जबकि मथुरा शहर के पूर्व सांसद और संस्कृति रक्षा मंच के नेता विष्णु प्रसाद त्रिवेदी (विनय पाठक) ने गुंडो की फौज पाल रखी है. विष्णु प्रसाद त्रिवेदी शहर में लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ मुहीम चलाते हुए अपने गुंडो के मार्फत प्रेमी जोड़ा को पकड़कर उनके मुंह पर कालिख पोतकर शहर में घुमवाते हैं. त्रिवेदी की संस्था ‘‘संस्कृति रक्षा मंच’’तो अभिनेता नाजिम खान के ‘लिव इन रिलेशनशिप में रहने का विरोध कर रहे हैं. त्रिवेदी की इकलौती बेटी रश्मी त्रिवेदी (कृति सैनन) दिल्ली से मास कम्यूनीकेशन की पढ़ाई कर मथुरा आती है, तो त्रिवेदी अपने प्रयासो से पांडे के इसी केबल चैनल में गुड्डू के साथ रिपोर्टर बनवा देते हैं. धीरे धीरे दोनों में प्यार हो जाता है.

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गुड्डू का मानना है कि यदि आप प्यार में हैं, तो प्यार को मजबूती प्रदान करने के लिए शादी क्यों न कर ली जाए? जबकि रश्मी का मानना है कि भले प्यार हो, पर शादी से पहले लिव इन में रहकर प्रेमी को समझना चाहिए. मगर रश्मी के पिता ने तो लिव इन के खिलाफ कहर बरपा रखा है. इसलिए अब्बास की सलाह पर रश्मी और गुड्डू चैनल के लिए एक स्टोरी करने के बहाने ग्वालियर जाते हैं, जहां वह एक किराए के मकान में लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं, मगर मोहल्ले के लोगों को बताते हैं कि वह दोनों शादीशुदा हैं. पर गुड्डू के भाई का साला बाबूलाल (पंकज त्रिपाठी) ग्वालियार आता है और वह गुड्डू के बारे में जानकर मथुरा से गुड्डू के पूरे परिवार को ले आता है. फिर वह सपरिवार मथुरा पहुंचते हैं.

मथुरा में गुड्डू के माता पिता रश्मी के पिता त्रिवेदी से मिलते हैं और अंत में त्रिवेदी जी अपने सम्मान के लिए एक छोटा सा समारोह कर चैनल के माध्यम से सूचना देते हैं कि उनकी बेटी की शादी गुड्डू से हो गयी. इधर रश्मी उदास रहती है कि गुड्डू के माता पिता उसे इज्जत दे रहे हैं और वह उन्हें धोखा दे रही है. इसलिए अब वह व गुड्डू दोनों शादी करना चाहते हैं. अब्बास की सलाह पर जब भी परिवार से छिपकर गुड्डू व रश्मी शादी करने मंदिर पहुंचते हैं, मामला बिगड़ जाता है. अंततः वह दोनों अग्रवाल सामूहिक विवाह में शादी करने पहुंचते हैं, जहां त्रिवेदी के पहुंचने से सच सामने आ जाता है. पर वहीं पर दोनों की शादी हो जाती है. पर उससे पहले गुड्डू, विष्णु प्रसाद त्रिवेदी को लंबा चौड़ा भाषण सुनाता है जो कि वर्तमान सरकार को फायदा पहुंचाने वाला राजनीतिक बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं.

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कैमरामैन से निर्देशक बने लक्ष्मण उतेकर ने अपनी फिल्म के लिए एक बेहतरीन विषय उठाया, मगर इसे वह सिनेमा के परदे पर सही ढंग से उतारने में विफल रहे. यदि फिल्म की पटकथा पर ध्यान दिया गया होता, तो यह एक तेज तर्रार हास्यपूर्ण बेहतर फिल्म बन सकती थी. फिल्म में गुड्डू व रश्मी के बीच कुछ सुंदर सेंसुअल दृश्य भी हैं. पर कथानक व पटकथा लेखन के स्तर पर लेखक व निर्देशक इस कदर भटक गए कि मूल विषय पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय पड़ोसियों की चुहुलबाजी, प्रपंच आदि भर दिया, जिसके चलते एक गंभीर विषय महज लोगों के शोरगुल व ठहाकों के बीच गुम होकर रह गया. पंकज त्रिपाठी का बाबूलाल का किरदार सही रखा गया, मगर महज हास्य के लिए बाबूलाल को कुछ ऐसे संवाद दे दिए गए, जिससे फिल्म बहुत ही सस्ती व घटिया स्तर की बन कर रह गयी.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो बाबूलाल के किरदार में पंकज त्रिपाठी ने अपनी तरफ से  सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया, मगर लेखक की तरफ से उन्हें दिए गए संवादों ने सारा बेड़ा गर्क कर दिया. अब्बास के किरदार में अपारशक्ति खुराना जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब हुए हैं. कार्तिक आर्यन व कृति सैनन कुछ दृश्यों में जरुर अच्छे लगते हैं, मगर पूरी फिल्म के परिप्रेक्ष्य में निराशा होती है.

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दो घंटे छह मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘लुका छुपी’’ का निर्माण दिनेश वीजन ने ‘मैडौक फिल्मस’’ के बैनर तले किया है. फिल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर, लेखक रोहण शंकर, संगीतकार तनिष्क बागची, व्हाइट नौयजव अभिजीत वघाणी, कैमरामैन मिलिंद जोग तथा कलकार हैं- कार्तिक आर्यन, कृति सैनन, अपारशक्ति खुराना, पंकज त्रिपाठी, अतुल श्रीवास्तव, विनय पाठक, अरूण सिंह व अन्य.

मुझे इंडस्ट्री एक गैम्बल लगती है : कार्तिक आर्यन

फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता कार्तिक आर्यन मध्यप्रदेश के ग्वालियर के हैं. बचपन से ही वे शरारती थे और पढाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था, जिससे उन्हें कई बार अपने माता-पिता से डांट भी पड़ती थी, लेकिन अभिनय करना उन्हें पसंद था और वे स्कूल कौलेज में अधिकतर नाटकों में भाग लिया करते थे. स्कूल की पढाई के बाद वे दिल्ली और फिर मुंबई पढाई के लिए आए और यहां पर पढ़ाई के साथ – साथ फिल्मों में काम के लिए औडिशन भी देने लगे. ऐसे ही उन्हें पहली फिल्म मिली और वे पढाई छोड़कर अभिनय के क्षेत्र में आ गए. पहली फिल्म की सफलता के बाद उनकी पहचान बनी और उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. विनम्र और हंसमुख स्वभाव के कार्तिक से फिल्म ‘लुकाछिपी’ के प्रमोशन पर बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.

ये फिल्म लिव इन रिलेशनशिप पर आधारित है, आप इस पर कितना विश्वास करते हैं?

मैंने कभी इस बारें में सोचा नहीं है कि ये सही है या गलत. मेरे हिसाब से जब दो लोग साथ रहने का निश्चय लेते हैं तो उसमें कुछ गलत नहीं होता. हां ये सही है कि जिस समाज में हम रहते हैं वहां इसे सही नहीं कहा जाता. असल में ये सब आपकी सोच पर निर्भर करता है. मेरे साथ शादी करने वाली लड़की अगर शादी से पहले मेरे साथ रहकर देखना चाहे कि वह मेरे साथ शादी कर रह सकती है या नहीं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी.

अभी आपको अच्छी फिल्में मिल रही हैं, सभी निर्देशक आपको नोटिस कर रहे हैं, आपका इस बारें में क्या कहना है?

मैं बहुत खुश हूं कि केवल इंडस्ट्री ही नहीं, बल्कि दर्शक भी मेरे काम की सराहना कर रहे हैं. सालों बाद फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ की सफलता के बाद वह रात आई है, जिसकी मेरी इच्छा थी. 7 साल के संघर्ष के बाद मुझे स्टारडम मिला है. भविष्य में भी ऐसा रहे, लोग मुझे नयी-नयी भूमिका में देखें, ऐसा कोशिश करता रहूंगा.

एक्टिंग एक इत्तफाक था या बचपन से ही आप इस क्षेत्र में आना चाहते थे?

बचपन से मुझे अभिनय का शौक था. मैं तब फिल्में बहुत देखता था और मेरा रुझान ग्लैमर की तरफ अधिक था. उस समय मैं ग्वालियर में एक साधारण परिवार से था, एक्टिंग क्या होती है, कुछ भी पता नहीं था, लेकिन ये करना है इसकी सोच मेरे अंदर कक्षा नौ से आ चुकी थी.

स्टारडम मिलने के बाद आपने कुछ मानक तैयार किये हैं, ताकि आप ग्राउंडेड रहें ?

ऐसा कुछ तय नहीं किया है. मैं एक साधारण परिवार से हूं, जहां बचपन की तरह आज भी कुछ गलत करने पर माता-पिता डांटते हैं. मुझे इंडस्ट्री एक गैम्बल लगती है. जहां हर दिन एक नया संघर्ष रहता है.

आउटसाइडर होने की वजह से मुश्किलें क्या रहीं?

अपनी पहचान बनाना बहुत मुश्किल था. मुझे इंडस्ट्री और विज्ञापनों के बारें में कुछ भी पता नहीं था. एक लम्बा सफर था. मैं बेलापुर से रोज अंधेरी जाता था और फिर रिजेक्ट होकर वापस आता था. ढाई से तीन साल तक मैं औडिशन की लाइन में लगता था और बाहर से अनफिट सुनकर ही रिजेक्ट हो जाता था. ये सही है कि परिवार का कोई भी इंडस्ट्री से न होने पर पहला चांस मिलना ही मुश्किल हो जाता है. काफी औडिशन के बाद पहला काम मिलने पर भी संघर्ष था, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री एक व्यवसाय है और यहां उन्हें ही काम मिलता है, जिनकी फैन फोलोइंग अधिक हो, जिसे लोग देखना चाहे. इससे लोग आप पर पैसा लगाना चाहते हैं. मेरे साथ पहली फिल्म के बाद भी वैसा नहीं था. मुझे कम लोग जानते थे. फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ के बाद मुझे काम मिलना शुरू हुआ.

आपके यहां तक पहुंचने में माता-पिता का सहयोग कैसा रहा?

पहले वे सहयोग नहीं करते थे, लेकिन आज खुश हैं. जब मैं ग्वालियर से मुंबई आया तो माता-पिता को बताकर नहीं आया था, क्योंकि मुझे डर था कि मेरे बताने पर वे मुझे ये काम करने नहीं देंगे. वे चाहते थे कि में पढ़ाई करूं. मैंने मुंबई और आस-पास के सभी कौलेजों के लिए परीक्षा दी, ताकि मैं मुंबई पहुंच जाऊं. नवी मुंबई के एक कौलेज में मुझे इंजीनियरिंग पढ़ने का चांस मिला और मैं यहां आकर 10 से 12 छात्रों के बीच में रहा. पैसे नहीं थे और मैंने अपने रूम मेट को भी नहीं बताया था, कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं, क्योंकि वे भी एक्टर ही बनना चाहते थे. जब मैं फिल्म ‘प्यार का पंचनामा’ के औडिशन पर पहुंचा और 6 महीने बाद मुझे पता लगा कि मुझे फिल्म मिली है, तब मैंने रोते हुए मां को बताया था कि मैं अभिनय के लिए ही यहां आया हूं और इंजीनियरिंग की पढाई नहीं करना चाहता. मां को अभी भी मेरे काम की चिंता है, पर पिता बहुत खुश हैं.

आप किस तरह की लड़की को अपना जीवन साथी बनाना पसंद करेंगे?

जो लड़की अपने काम को लेकर ‘पैशनेट’ हो, साथ ही एक दूसरे पर विश्वास और इमानदार रहने की भी जरुरत है.

आपका ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

मुझे डार्क चरित्र बहुत अच्छे लगते हैं. निर्देशक श्रीराम राघवन के साथ काम करने की इच्छा है. मैं बहुत सकारात्मक हूं, पर ऐसे चरित्र बहुत पसंद है.

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