जीवन को आसान बनाए बीमा पौलिसी

भारत जैसे बढ़ती आबादी वाले देश में जीवन बीमा को उतना महत्त्व नहीं दिया जाता, जितना दिया जाना चाहिए. जबकि जीवन बीमा सिर्फ आप के पैसों को ही सुरक्षा प्रदान नहीं करता, बल्कि आप का भविष्य भी सुरक्षित करता है.

आज आमदनी के नए स्रोत की आवश्यकता है. यही वजह है कि सरकारी और निजी कंपनियों ने इस ओर दिलचस्पी दिखाई है. फलस्वरूप आज बैंकों की करीब 90 हजार शाखाएं भारत में हैं, जिन में से 15 से 20% बीमा का व्यवसाय भी कर रही हैं. इसलिए बैंक बीमा पौलिसी का सरल माध्यम बन गए हैं. समझना यह है कि आप अपने बैंक से बीमा पौलिसी कैसे लें :

हर बैंक का बीमा अधिकारी ग्राहक को पूरी जानकारी के साथ सभी कागजात व फार्म भी उपलब्ध करवाता है. बीमा राशि अधिक होने पर बैंक अधिकारी बीमा कंपनी की सहायता से मैडिकल परीक्षण का भी प्रबंध करवाता है. ग्राहकों का बैंक के साथ लंबा संबंध रहता है. सभी सहकारी क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के कई बड़े बैंक भी इंश्योरैंस का काम कर रहे हैं. बस, समझना यह है कि आप बैंक से बीमा कैसे लें. आईआरडीए के अनुसार बैंक की शाखाओं में एक बीमा अधिकारी होता है, जिसे ‘स्पेसिफइडपर्सन’ भी कहते हैं. वह व्यक्ति बैंक की शाखाओं में ग्राहक की पूरी जानकारी उपलब्ध करवाता है. बीमा कराने से पहले उस के सभी पहलुओं पर अच्छी तरह गौर कर लें.

अब जानिए एक खास पौलिसी के बारे में

रिवर्स मौडगेज

5 साल पहले रिवर्स मौडगेज स्कीम बैंकों द्वारा बाजार में लाई गई, लेकिन यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाई. 3 साल पहले सैंट्रल बैंक औफ इंडिया के चेयरमैन और नैशनल हाउसिंग बैंक के चेयरमैन के साथ स्टार यूनियन दाईची लाइफ इंश्योरैंस के मैनेजिंग डायरैक्टर और सीईओ के. सहाय की बैठक हुई. इस बैठक में रिवर्स मौडगेज विषय पर चर्चा हुई.

के. सहाय ने सुझाव दिया कि रिवर्स मौडगेज लोन स्कीम को बीमा कंपनी के लाइफ एन्यूनिटी स्कीम के साथ जोड़ दिया जाए तो ग्राहकों के लिए यह अधिक आकर्षक होने के साथसाथ बैंक के द्वारा दिया गया पैसा सुरक्षित रहेगा. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए जनवरी 2009 में एक रिवर्स मौडगेज लोन एनेवल एन्वीटी प्लान को लौंच किया गया. इस के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं :

कोई भी व्यक्ति जिस के पास अच्छा मकान है, पर उस की बुढ़ापे में कोई नियमित आय नहीं है. वह इस मकान के मूल्यांकन के आधार पर नियमित मासिक आय प्राप्त कर सकता है.

रिवर्स मौडगेज लोन के तहत मकान का स्वामित्व आजीवन पति या पत्नी के पास रहता है. किसी भी स्थिति में वे मकान से बाहर नहीं होते.

एन्यूनिटी की रकम व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है. 60 साल की उम्र वाले व्यक्ति के मकान की कीमत अगर 50 लाख है जिस में से 30 लाख इंश्यारैंस कंपनी को मिला है, तो आज के हिसाब से उस रकम में से करीब 20 हजार रुपए प्रति महीने तक उस व्यक्ति को मिलते हैं. इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए स्टार यूनियन दाईची इंश्योरैंस कंपनी ने आसान शर्तें रखी हैं.

धन सुरक्षा प्लैटिनम

इस बारे में के. सहाय आगे कहते हैं कि यह सिंगल प्रीमियम पौलिसी है, जिस के अंतर्गत बीमा राशि पूरी तरह गारंटीड होती है. ग्राहक को इस पौलिसी को खरीदते समय पूरी सूचना लिखित रूप में दी जाती है. 1 लाख रुपए तक की रकम पर इनकम टैक्स की छूट है. 5 करोड़ तक का रिस्क इस में कवर किया जा सकता है. ये रिस्क फ्री है. अगर बीच में पैसे की आवश्यकता है तो सरेंडर करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. लोन लेने की भी इस में व्यवस्था है.

फरवरी में स्टार यूनियन दाइची लाइफ इंश्योरैंस 3 साल पूरे करेगी, 3 साल में कपंनी ने साढ़े 3 लाख लोगों को बीमा पौलिसी बेची है. पिछले साल 933 करोड़ प्रीमियम हासिल कर कंपनी को इस साल 15 सौ करोड़ प्रीमियम प्राप्त करने की संभावना है. 34 साल से इस क्षेत्र में काम कर रहे के. सहाय का मानना है कि बीमा योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी कम है, इसलिए वे महिलाओं के लिए छोटे पैमानों पर एजेंसी चैनल बनाने वाले हैं.

मैं जैसा था वैसा ही हूं : रणवीर सिंह

29 वर्षीय अभिनेता रणवीर सिंह ने अलगअलग भूमिका निभा कर उस मुकाम को हासिल कर लिया जहां पहुंचना आसान न था. फिल्मों में आने की इच्छा उन्हें शुरू से थी. लेकिन जिस तरह फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मी परिवारों के बच्चों को लौंच किया जा रहा था उसे देख कर उन के लिए कोई जगह होगी या नहीं, यह सोच कर उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की तरफ गंभीरता से सोचना शुरू किया. इसी उद्देश्य से उन्होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी से क्रिएटिव राइटिंग की कला सीखी. लेकिन उन्हें तो फिल्मों में काम करना था. अत: वापस मुंबई आ गए. इसी बीच उन्हें यशराज बैनर तले काम करने का मौका मिला और फिर वे फिल्म इंडस्ट्री में रम गए.

रणवीर को बनावटी लोग पसंद नहीं. वे किसी भी बात को कहने में कभी संकोच नहीं करते. पिछले दिनों उन से बातचीत हुई. पेश हैं, उस के कुछ खास अंश:

आप अपने कैरियरग्राफ को कैसे देखते हैं?

मैं अपने काम से बहुत संतुष्ट हूं. मैं ने हमेशा अलगअलग भूमिकाएं निभाई हैं. जोया अख्तर की फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ का काम चल रहा है. यह बहुत ही वास्तविक और फ्रैश फिल्म है. यह संपूर्ण फिल्म है. इस तरह की फिल्में बहुत कम मिलती हैं. पहले मुझे शक था कि अभिनय के क्षेत्र में मैं सफल हो पाऊंगा या नहीं. पर अब लगता है कि ठीक जा रहा हूं, क्योंकि हर बार एक नया किरदार करने का औफर मिलता है. ‘बैंड, बाजा, बारात’ से ले कर ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’, ‘लुटेरा’, ‘रामलीला’, ‘गुंडे’, ‘किल दिल’, ‘दिल धड़कने दो’ आदि फिल्में अपनेआप में अलग और बेहतरीन फिल्में हैं. मेरा काम दर्शकों को पसंद आ रहा है तो मैं सफल हूं. मैं आगे भी अच्छा काम करने की इच्छा रखता हूं.

आप बहुत ऐनर्जेटिक ऐक्टर माने जाते हैं. इस का राज क्या है?

कई बार लोग मुझे ऐसा कहते हैं पर यह ऐनर्जी मुझे लोगों से ही मिलती है, जो मुझे देखते हैं और मेरे बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हैं. मैं हमेशा लोगों को कुछ अधिक देना चाहता हूं. फिल्म ‘लुटेरा’ के समय मेरी पीठ की हड्डी टूट गई थी. 3 महीने मैं बैड पर पड़ा रहा. तब सोचता था कि पता नहीं ठीक होने पर दोबारा ऐक्शन, डांस कर पाऊंगा या नहीं. इस के बाद डेंगू हुआ. उस वक्त भी मुझे काम छोड़ कर आराम करना पड़ा. मैं अपने जीवन के हर काम को लास्ट समझ कर उसे पूरी तरह जी लेने की कोशिश करता हूं. फिर चाहे वह मां से मिलना हो या फिल्म की शूटिंग. शायद मैं इसी वजह से इतना ऐनर्जेटिक दिखता हूं.

अभी आप विज्ञापनों में भी काफी पौपुलर हो रहे हैं. क्या किसी स्क्रिप्ट में अपनी क्रिएटिविटी डालते हैं?

मैं किसी से कहता नहीं हूं कि मैं कुछ नया करूंगा या करना चाहता हूं. अगर कोई मुझ से मेरी राय मांगता है, तो मैं उसे अवश्य राय देता हूं. कई विज्ञापनों के क्रिएटिव औस्पैक्ट को मैं ने ही बनाया है. निर्देशक शाद अली हमेशा कुछ भी बनाते समय मुझ से परामर्श अवश्य लेते हैं. मैं 16 वर्ष की उम्र से उन से मिलता आ रहा हूं. वे मेरे भाई की तरह हैं. उन के साथ रह कर मैं ने काम सीखा, उन के साथ मैं ने असिस्टैंट डाइरैक्टर बन कर कई फिल्में बनाईं. उन्होंने ही मुझ में अभिनय कला को देख कर फिल्मों में काम करने की सलाह दी थी.

विज्ञापनों या फिल्मों को चुनते वक्त किस बात का खास ध्यान रखते हैं?

मेरा मानना है कि विज्ञापनों के जरीए गलत मैसेज नहीं जाना चाहिए. मैं नैगेटिव विज्ञापन नहीं करता. फिल्म वही चुनता हूं जिस में कुछ नयापन हो, जो अलग लगे और दर्शक मुझे याद रखें.

फिल्मों में आने के बाद आप की जिंदगी कितनी बदली है?

समय कम हो गया है. जिम्मेदारी बढ़ गई है. परिवार के साथ समय कम बिता पाता हूं. लेकिन अच्छी कहानियों पर काम करने की भूख बढ़ गई है. इस के अलावा कुछ अधिक बदलाव नहीं आया है. मैं जैसा था वैसा ही हूं.

आने वाली फिल्म कौन सी है?

‘किल दिल’ मेरी आने वाली फिल्म है, जिस में परिणीति चोपड़ा मेरे साथ है. उस ने अपनेआप को काफी निखारा है. बहुत प्रोफैशनल अभिनेत्री है.

आप किसे अपना आदर्श मानते हैं?

शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान आदि सभी ने मुझे प्रभावित किया है. इस के अलावा गोविंदा की सभी परफौर्मैंस मेरे लिए खास हैं. उन के साथ फिल्म ‘किल दिल’ में अभिनय करना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. वे जबरदस्त अभिनेता हैं. हर किरदार में फिट हो जाते हैं.

अभी तो बच्ची है आलिया

2006 से ही इलियाना ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था पर हिंदी फिल्मों में पहला ब्रेक उन्हें फिल्म ‘बरफी’ से मिला. आलिया भट्ट और श्रद्धा कपूर से अपनी तुलना किए जाने पर इलियाना कहती हैं, ‘‘मेरी तुलना इन दोनों से करना गलत होगा, क्योंकि मुझे लगता है कि मैं उन दोनों से उम्र में थोड़ी बड़ी हूं.’’

वे आगे कहती हैं, ‘‘आलिया तो मेरे लिए बच्ची है. मैं और आलिया एक ही जिम में जाती हैं और मैं उसे वहां वर्कआउट करते हुए देखती हूं तो उस से कहती हूं कि आलिया तुम अभी बहुत छोटी हो, तुम्हें अपनी जिंदगी को और एंजौय करना चाहिए.’’ पर इलियाना मैम, आलिया ने जो पहचान इतनी कम उम्र और कम समय में हासिल की है, वहां तक आप का पहुंचना…

दीदी से तुलना पसंद नहीं

‘दावत ए इश्क’ की दावत के बाद अब परिणीति फिल्म ‘किलदिल’ में सभी के दिलों को निशाना बना रही हैं. पर मैडम तब बिलकुल उखड़ जाती हैं जब कोई उन की तुलना उन की कजिन प्रियंका से करने लगता है. परिणीति का कहना है कि उन की (प्रियंका) जगह अलग है मेरी अलग, हमारा कोई मैच नहीं. हमेशा कुछ नया करने की शौकीन परिणीति को अलगअलग किरदारों को परदे पर उतारने का शौक है. इस बारे में उन का कहना है कि मैं अपने कैरियर की शुरुआत से किरदारों के साथ ऐक्सपैरिमैंट करती आ रही हूं और अब मैं रीजनल फिल्में करना चाहती हूं, क्योंकि उन फिल्मों में काम करना मेरे लिए पूरी तरह से चुनौती भरा होगा.

बिग बी बनेंगे दीपिका के पापा

बिग बी के प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान में हिस्सा लेने पर माइक्रो ब्लौगिंग साइट ट्विटर पर मोदी ने लिखा, ‘जब अमिताभ बच्चन खुद झाड़ू उठा कर स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हो गए हैं तो कौन इस से प्रेरित नहीं होगा. यह बहुत ही सार्थक प्रयास है.’

पिछले दिनों बिग बी सुजीत सरकार की फिल्म ‘पीकू’, जिस में वे दीपिका पादुकोण के पिता की भूमिका में हैं, की शूटिंग के लिए कोलकाता पहुंचे, तो शहर से जुड़ी कई यादों का आनंद लिया. यहां उन्होंने बीबीडी बाग में साइकिलिंग भी की. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि फिल्म ‘पीकू’ के शहर में हवाईअड्डे से ड्राइव करने पर कई सारी यादें उमड़ रही हैं. पिता और उस की बेटी के रिश्ते पर बनने वाली इस फिल्म में बिग बी बंगाली मोशाय के किरदार में काफी मोटे नजर आएंगे. फिल्म के फर्स्टलुक की पिक्चर जारी हो गई है, जिस में बिग बी चैकओवर शर्ट और हैट में नजर आ रहे हैं. फिल्म में इरफान खान लीड रोल में नजर आएंगे. यह फिल्म अप्रैल, 2015 में रिलीज होगी.

सुगंध महकाए तनमन

हर किसी को सुगंध अच्छी लगती है. जिस से सुगंध आ रही हो, उस की ओर दूसरे व्यक्ति का खिंचाव सहज ही हो जाता है. सुखद सुगंध तनमन दोनों को आनंदित करती है. परफ्यूम लगाने के बाद आप ज्यादा फैमिनिन और सिडक्टिव भी महसूस करती हैं. यही वजह है कि परफ्यूम लगाना हर कोई पसंद करता है. बाजार में उपलब्ध इस की वैराइटी से यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि लोगों को इसे लगाने का कितना शौक है.

कामोत्तेजक भी

परफ्यूम कामोत्तेजक की तरह होता है. सही परफ्यूम निश्चित रूप से आप की पर्सनैलिटी को एक अपील देता है. लगातार परफ्यूम का इस्तेमाल करते रहने से एक वक्त में वह आप के लाइफस्टाइल की निशानी बन जाता है. परफ्यूम की गंध बता देती है कि अभीअभी कौन यहां से गुजरा है.

बेहतरीन क्वालिटी का परफ्यूम बेशक पौकेट पर भारी पड़े, पर अन्य साधारण फ्रैगरैंस जैसे डियोडरेंट, बौडी स्प्रे, कोलोन या पैकेज्ड फ्रैगरैंस की तुलना में न सिर्फ आप को अपनी सुगंध से सराबोर करता है वरन आप को यह एहसास भी कराता है कि यह वाकई महंगा सौदा नहीं है. यह लंबे समय तक आप के शरीर पर लिपटा रहता है और आप को तरोताजा भी रखता है.

फ्रैगरैंस कंसल्टैंट रितेश के अनुसार, ‘‘फैशन और फ्रैगरैंस दोनों एकदूसरे से जुड़े हुए हैं. इन दिनों फ्रैश और ट्रांसपरैंट फ्रैगरैंस का चलन है, क्योंकि महिलाएं अपनी एक अलग व खुली सोच रखने लगी हैं. परफ्यूम भी अब ऐक्सैसरीज बनते जा रहे हैं.’’

पर्सनैलिटी के अनुसार चयन

परफ्यूम में करीब 22% ऐसेंशियल औयल होता है और किस परफ्यूम में ऐसेंशियल औयल की मात्रा कितनी होती है, उसी के आधार पर उस की क्वालिटी, कीमत व खुशबू निर्भर करती है. लेकिन परफ्यूम महंगा है या सब से लोकप्रिय है, इसलिए आप को उसे खरीदना चाहिए, यह जरूरी नहीं है, क्योंकि हो सकता है कि उस की खुशबू आप के शरीर के नैचुरल कैमिकल्स के साथ मेल न खाए. किसी और के परफ्यूम की खुशबू से प्रभावित हो उसे खरीदने की भूल न करें.

परफ्यूम का चयन करने से पहले अपनी पर्सनैलिटी का ध्यान रखें. यह जानें कि आप किस तरह की सोच रखती हैं. साथ ही मौसम का ध्यान रख कर ही परफ्यूम खरीदें. अगर सर्दी का मौसम है तो ओरिऐंटल सैंट्स ले सकती हैं, क्योंकि उन की स्ट्रौंग मस्की खुशबू गरमाहट का एहसास कराती है. गरमियों और वसंत के मौसम में फ्रूटी या फ्लोरल फ्रैगरैंस इस्तेमाल कर सकती हैं.

टैस्टिंग

परफ्यूम की टैस्टिंग करते समय उसे सीधे शरीर पर स्प्रे करें और 30 से 60 सैकंड तक इंतजार करें ताकि स्प्रे आप के रोमकूपों में समा जाए और आप को सैंट की पूरी सुगंध का पता भी चल जाए और यह भी जान जाएं कि वह आप के शरीर के नैचुरल कैमिकल्स के साथ किस तरह रिएक्ट करता है. एक बार में अलगअलग परफ्यूम के केवल 2-3 सैंपल ही टैस्ट करें अन्यथा उन की फ्रैगरैंस आपस में घुलमिल जाएगी और आप के लिए अपनी पसंद का परफ्यूम चुनना कठिन हो जाएगा. परफ्यूम नोट्स बोतल पर लिखे होते हैं, वे उस की खुशबू का निर्धारण करते हैं, इसलिए उन्हें ध्यान से पढ़ें.

सारे परफ्यूम में 3 नोट्स होते हैं- टौप नोट, जो सब से पहले उड़ता है, मिडिल नोट, जो कुछ देर बाद बनता है और तीसरा बेस नोट, जो वास्तविक सैंट होता है.

परफ्यूम खरीदते समय एक समय में एक ही बोतल लें, क्योंकि उस के नोट्स और महक केवल 1 वर्ष तक ही कायम रहते हैं. उस के बाद फ्रैगरैंस बदल जाती है और उस का असर भी खत्म हो जाता है. परफ्यूम खरीदने से पहले हर चीज के बारे में बारीकी से जान लें. सब से पहले यह तय करें कि आप कितनी तरह की फ्रैगरैंस का प्रयोग करती हैं, फिर कितनी बार और कितना परफ्यूम लगाती हैं. जो महिलाएं बहुत ज्यादा परफ्यूम लगाती हैं, वे 100 मि.ली. की बोतल खरीदें और जो विभिन्न अवसरों पर विभिन्न तरह के परफ्यूम लगाने की शौकीन हैं, उन के लिए 50 मि.ली. की बोतल ही पर्याप्त है.

कहां लगाएं

कई महिलाएं शिकायत करती हैं कि ब्रैंडेड परफ्यूम लगाने के बावजूद उस की फ्रैगरैंस बहुत देर तक नहीं रहती है. इस की वजह है कि आप उसे कहां लगा रही हैं. परफ्यूम हमेशा शरीर के पल्स पौंइट्स (जहां धड़कन होती है) पर ही लगाएं. पल्स पौइंट्स एक छोटे पंप का काम करता है यानी धड़कनों की धकधक के साथ परफ्यूम की खुशबू चारों ओर फैलती है.

परफ्यूम को दोनों कलाइयों, कानों के पीछे, गले के बीचोबीच और कुहनियों के जोड़ों पर लगाएं. कुछ लोग कपड़ों यहां तक कि बालों पर भी इसे छिड़क लेते हैं, जो ठीक नहीं.

बहुत अधिक मात्रा में परफ्यूम लगाने से महक ज्यादा देर तक कायम रहेगी यह जरूरी नहीं है. पल्स पौइंट्स पर इसे 1-2 बार ही लगाएं.

ऐलर्जी से बचें

डर्माटोलौजिस्ट डा. अमन वर्मा के अनुसार, ‘‘परफ्यूम आमतौर पर सिंथैटिक होते हैं और अधिकांश कैमिकल्स से बने होते हैं. ये कैमिकल्स त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं. इन से ऐलर्जी भी हो जाती है. दाने, जलन, ड्राइनैस यहां तक कि इन के इस्तेमाल से पिगमैंटेशन भी हो जाती है. संवेदनशील त्वचा के लिए तो ये बहुत हानिकारक साबित होते हैं. अगर त्वचा में किसी तरह का रिएक्शन हो जाए तो प्रभावित स्थान को ठंडे पानी से धोएं. फिर अच्छा वाटरबेस्ट मौइश्चराइजर लगाएं. उस जगह को खुजलाएं नहीं वरना सूजन हो सकती है. ऐसे नैचुरल परफ्यूम का इस्तेमाल करें जिस में कैमिकल्स न हो. मस्क और बर्गामोट में नैचुरल तत्त्व होते हैं. हालांकि वे बहुत महंगे होते हैं.’’

जांचपरख कर खरीदें ज्वैलरी

आज आभूषण सिर्फ सजनेसंवरने के लिए ही नहीं, निवेश के लिहाज से भी चलन में हैं. इसलिए इन्हें खरीदने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें.

गहने खरीदते समय क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए यह जानने के लिए हम ने बात की जैम व आभूषणों की जानीमानी प्रयोगशाला ‘जैमोलौजिकल इंस्टिट्यूट औफ अमेरिका’ (जीआईए) के  भारतीय संस्थान की मैनेजिंग डायरैक्टर निरूपा भट्ट से.

जैमोलौजिकल इंस्टिट्यूट औफ अमेरिका प्रयोगशाला के मुख्य कार्य कौनकौन से हैं?

इस प्रयोगशाला में आभूषणों को उत्तम गुणवत्ता प्रदान करने के लिए डायमंड के कैरेट, क्लैरिटी व कट क ो निर्धारित किया जाता है. इस के अतिरिक्त यह लोकप्रिय ज्वैलरी शैक्षिक संस्थान भी है. यह भारत भर में आभूषणों पर उपयोगी सेमिनार व वर्कशौप का भी आयोजन करता है. 1950 में स्थापित यह लाभ निरपेक्ष संस्था आज विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुकी है और वर्तमान में 14 देशों में कार्यरत है.

जीआईए कैसे कार्य करता है?

यह जैमोलौजिकल लैबोरेटरी व जानामाना हौलमार्क ब्रैंड है, जो डायमंड, कलर्ड स्टोंस व पर्ल्स की गुणवत्ता व विश्वसनीयता को प्रामाणिकता प्रदान करता है. इस के अलावा जीआईए देश भर में जैम व आभूषणों से संबंधित कोर्सेज भी कराता है.

आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर के लैब में नकली आभूषणों की जांच की जाती है. वहीं नैचुरल जैम्स के रंग व क्लैरिटी में सुधार कर उन के लुक को आकर्षक बनाने का कार्य भी किया जाता है.

आभूषण खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

किसी भी बेशकीमती आभूषण को खरीदने से पहले इंटरनैट पर रिसर्च जरूर करें व जीआईए जैसे विशेषज्ञों से सुझाव भी ले सकती हैं. जीआईए की वैबसाइट पर आभूषणों से संबंधित आवश्यक सुझाव व जानकारी दी गई है. इस संस्था के विशेषज्ञों से आभूषणों की गुणवत्ता व उन के रूप को बदलने से संबंधित प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं, जो विश्वसनीय व आकर्षक आभूषण खरीदने के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होते हैं.

जीआईए जैसी प्रतिष्ठित प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित किए गए आभूषण खरीदना फायदेमंद रहता है. उपभोक्ताओं को ज्वैलर से आवश्यक  जानकारी व विश्वसनीयता से संबंधित तर्कपूर्ण सवाल भी जरूर करने चाहिए. आभूषण खरीदना भी एक निवेश ही है. अत: इसे खरीदने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लें.

ज्वैलरी इंडस्ट्री में कैरियर कैसे बनाया जा सकता है?

आज ज्वैलरी इंडस्ट्री में काफी अवसर उभर रहे हैं. हमारे द्वारा कराए जाने वाले ग्रैजुएट जैमोलौजिस्ट के कोर्स में जैमस्टोंस के निर्माण व उन की गुणवत्ता की जांच के बारे में सिखाया जाता है. इस में डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है, जिस में ज्वैलरी रिटेल सैक्टर के विषय में पढ़ाया जाता है.

ज्वैलरी डिजाइनिंग कोर्स भी भविष्य के लिए अच्छा विकल्प है. इस के अलावा आभूषणों के विषयों पर हौबी कोर्सेज भी किए जा सकते हैं. इन कोर्सेज द्वारा आभूषणों की मूलभूत जानकारी प्रदान की जाती है.

आज नकली आभूषणों का बाजार गरम है. कहीं इस का कारण लोगों में रत्नों को ले कर अंधविश्वास तो नहीं?

मैं लोगों के अंधविश्वास पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती. मेरे हिसाब से आभूषण निवेश का बहुत अच्छा विकल्प हैं. जैमस्टोन खरीदने से पहले उपभोक्ताओं को निवेश को सुरक्षित करना चाहिए. उन्हें देख लेना चाहिए कि आभूषण प्रमाणित हैं कि नहीं. प्रमाणपत्र में आभूषणों को उन की गुणवत्ता के अनुसार ग्रेड दिया जाता है. यह सुनिश्चित कर लें. नकली आभूषणों की जांच के लिए जीआईए विशेषज्ञ वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, वहीं ज्वैलर्स को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिए कि उपभोक्ताओं को आभूषण बेचते समय सारी आवश्यक जानकारी व विश्वसनीयता सुनिश्चित कर दें.

आधुनिकता में सजे परंपरागत परिधान

ग्लोबलाइजेशन की वजह से फैशन का जलवा चाहे भारत हो या विदेश, हर जगह देखने को मिलता है. फैशन की दुनिया आज इतनी बड़ी हो चुकी है कि हर कोई इसे किसी न किसी रूप में अपनाना चाहता है. चाहे डिजाइनर हो या खरीदार या आम इंसान आज हर कोई फैशन में शामिल होना चाहता है. और ऐसा हो भी क्यों न? आज बौलीवुड से ले कर टीवी तक का हर कलाकार एक बार रैंप पर प्रसिद्ध डिजाइनर के कपड़े पहन कर उतरना चाहता है, जिन्हें डिजाइन करने का मौका जाहिर सी बात है डिजाइनरों को, तो उन्हें देख कर उन्हें अपनाने का मौका हर किसी को मिलता है.

ऐसा ही जलवा इस साल लैक्मे फैशन वीक विंटर फैस्टिव के इंडियन टैक्सटाइल डे पर देखने को मिला, जिस में सभी नामचीन डिजाइनरों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को विश्व स्तर तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश की. टसर, सिल्क, जामदानी, पेशावरी, सिल्क, बनारसी, रौ सिल्क आदि के दर्जनों भारतीय परिधान अलगअलग रूप में उतारे गए.

डिजाइनर प्रतिमा पांडे के ‘प्रमा’ लेबल ने ‘मिडवे गार्डन’ के दृश्य को साकार किया. इस में नैचुरल फैब्रिक को अधिक महत्त्व दिया गया, इसलिए सिल्क, चंदेरी और मद्रास कौटन चैक्स के ऊपर फ्लोरल ऐंब्रौयडरी का प्रयोग किया गया, जो देखने में काफी ऐलिगैंट थी. इस बारे में प्रतिमा का कहना था कि यह कलैक्शन सन 1920 से प्रेरित है. इस तरह के कपड़े आप किसी भी अवसर पर पहन सकते हैं. यह रैट्रो फैशन की याद दिलाता है और यह स्टाइलिश कलैक्शन हर किसी पर जंचता है.

डिजाइनर श्रुति संचेती के ‘पिनाकेल’ ब्रैंड ने सिल्क के ऊपर बाइबै्रंट कलर और डिजाइन प्रस्तुत किया. श्रुति बताती हैं कि मेरा विंटर कलैक्शन सिल्क को समर्पित था. भारत में सिल्क की बहुत वैराइटी है जिसे लोग जानते नहीं हैं. ऐसे में हम डिजाइनर का फर्ज बनता है कि हम उसे अलगअलग रूप में विश्व स्तर तक पहुंचाएं. मैं ने उत्तर के बनारसी सिल्क और दक्षिण की पोचमपल्ली को नए रूप में उतारा है. इस की रिचनैस को बनाए रखने के लिए जरदोजी, कट वर्क और ऐंब्रौयडरी का प्रयोग किया गया है. त्योहारों के समय इस तरह के चटकदार रंग और परिधान सभी पहन सकते हैं. युवाओं से ले कर वयस्क तक सभी इस तरह के परिधान पहन सकें, इसे सोच कर केवल साड़ी ही नहीं बल्कि स्कर्ट, प्लैजोपैंट, लौंग कुरता, प्लीटिड पैंट, ब्लाउज आदि सभी प्रकार के वस्त्र बनाए गए हैं, जिन्हें हर समय व्यक्ति प्रयोग में ला सकता है.

कोलकाता के डिजाइनर सौमित्र मंडल पिछले 5 साल से इस फैशन वीक में आते हैं. उन का कहना था कि मैं बंगाल टैक्सटाइल को अपने वस्त्रों में प्रयोग करता हूं, जिस में खादी के कपड़े अधिक होते हैं. इस बार मैं ने रौयल फैमिली लाइफस्टाइल को ध्यान में रख कर वस्त्र बनाए हैं, जो विंटर में बहुत आकर्षक होंगे. आज के परिवेश को ध्यान में रख कर मैं ने पीच कलर और वेज कलर रखा है, जिन्हें कोई भी महिला आज से कई सालों बाद भी पहन सकती है. दरअसल, फैशन हमेशा बदलता है, इसलिए स्टाइल पर अधिक ध्यान केंद्रित करना पड़ता है. इस में अधिकतर बंद गला कुरता, जैकेट्स, पैरेलल पैंट्स, कैपरीज व मिनी कुरता आदि फौर्मल और इनफौर्मल सभी तरह के परिधान हैं.

हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की राबाड़ी जनजाति से प्रेरित हो कर वैशाली एस. ने रंगबिरंगे परिधान रैंप पर उतारे. वैशाली कहती हैं कि चटकदार रंग हमेशा त्योहारों में पौपुलर होते हैं. वैशाली को लाल, औरेंज, गुलाबी, नीला, पीला आदि सभी रंग अच्छे लगते हैं, इसलिए उन्होंने उन्हीं रंगों के प्रयोग से लहंगाचोली, साड़ीब्लाउज आदि बनाए हैं. उन्हें लगता है कि ये आदिवासी रंग लोग अधिक पसंद करते हैं और अधिक घेर वाली रंगबिरंगी लहंगाचोली किसी खास अवसर पर हमेशा अलग लुक देती है.

जिस तरह एक अच्छा परिधान आप के व्यक्तित्व को निखारता है, वैसे ही मेकअप उस में चार चांद लगाता है. लैक्मे इनोवेशन की हैड पूर्णिमा लांबा बताती हैं कि फैशन और मेकअप साथसाथ चलते हैं. अगर मनीष मल्होत्रा ने पर्पल घाघरा बनाया है, तो मुझे पर्पल मेकअप के 3-4 शेड निकालने पड़ते हैं. इस साल आगे ब्राइडल सीजन है. ऐसे में चटकदार रंग नए रूप में पेश किए गए. मेकअप शेड्स हम अपने मेकअप ऐक्सपर्ट और डिजाइनर से बात कर के निकालते हैं. हमारी कोशिश रहती है कि इंडियन टैक्सटाइल को नए रूप में लोगों तक पहुंचाया जाए, ताकि आज के युवा उसे पहन कर गर्व महसूस करें, न कि उसे पुराना स्टाइल समझ कर अपनाने से बचें. इस बार प्लम, मैजैंटा, वायलेट व पर्पल रंग थोड़े मौडर्न कलर कौंबिनेशन में नजर आएंगे.

फैशन का बदलता स्वरूप

पिछले कुछ सालों से भारतीय फैशन हर 6 महीने में बदलता है. फैशन को आगे बढ़ाने में मध्यवर्ग का काफी योगदान है, जिस की क्रय शक्ति पहले की तुलना में काफी बढ़ चुकी है.

आज हर व्यक्ति ऐसा फैशन चाहता है जो कार्यालय से ले कर पार्टी तक चल सके. साथ ही आरामदायक और आकर्षक भी हो. इसी को ध्यान में रख कर डिजाइनर नएनए डिजाइन बना कर ऐफोर्डेबल कपड़े मार्केट में उतारता है.

इस बारे में कोलकाता के डिजाइनर सौमित्र मंडल बताते हैं कि पहले फैशन फिल्मों से आता था. हीरोइनें या हीरो जैसे कपड़े पहनते थे वैसे ही लोग भी पहनने लगते थे. श्रीदेवी, रेखा, डिंपल आदि का स्टाइल सभी महिलाएं अपनाना पसंद करती थीं. यहां तक कि हेयरस्टाइल भी कौपी किए जाते थे. पर अब फिल्में फैशन जगत से प्रभावित हो रही हैं. बदलाव नैटवर्किंग, टीवी चैनल्स और रैंप शो के आधार पर होता है. इस के अलावा क्षेत्रीय संस्कृति और रहनसहन भी उस से जुड़ा होता है.

आज कोई भी व्यक्ति जब औफिस जाता है तो उस वक्त वह ऐसी पोशाक पहनना चाहता है, जो उस की इमेज को बनाए रखे. और अगर उसे शाम को किसी पार्टी में जाना होता है तो वह चाहता है कि वही पोशाक पहन कर वह पार्टी में जा सके. यह वैस्टर्न परिधान से संभव हो पाता है. लेकिन आज हमारे देश के परिधान विदेशों में भी पसंद किए जाने लगे हैं.

भारत का फैशन एक ग्लैमरयुक्त फैशन है, जिस में पारंपरिकता के साथसाथ आधुनिकता भी होती है, इसलिए मौडल से ले कर अभिनेत्रियां सभी इसे पहनना पसंद करती हैं.

फैशन में वस्त्रों के साथसाथ लिंजरी में भी काफी बदलाव आया है. लिंजरी हमेशा आरामदायक होनी चाहिए जिस से आप की पोशाक सुंदर दिखे. भारत में लिंजरी का बाजार आज काफी विकसित हो चुका है. आज फैशन के लेटैस्ट स्टाइल में लो बैक ब्लाउज और कुरते पहने जाते हैं, इसलिए हमें लिंजरी भी लेटैस्ट स्टाइल की उपलब्ध है. सही लिंजरी से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है.

भारत में थोड़ी ढकी हुई लिंजरी महिलाएं पसंद करती हैं, जबकि विदेशों में ट्रांसपेरैंट लिंजरी पसंद की जाती है. हर महिला को बौडी शेप के आधार पर लिंजरी पहननी चाहिए. अगर हैवी वेट है, तो आरामदायक और अपलिफ्ट वाली लिंजरी ठीक रहती है और अगर पतली महिला है तो पुशअप या एनहांस वाली लिंजरी स्टाइल के लिए सही होती है.

अपडेट कर गया ब्यूटी ऐक्सपो

ब्यूटी और फैशन इंडस्ट्रीज इतनी तेजी से बदलती है कि अब खुद को अपडेट करते रहना ब्यूटीशियंस की अहम जरूरत हो चली है. एक ब्यूटीशियन रोज कुछ न कुछ नया सीखती है, क्योंकि कारोबार का ट्रैंड लेटैस्ट शब्द से तय होता है.

भोपाल में गृहशोभा द्वारा ओएसआर कौस्मैटिक के साथ मोटल शिराज में आयोजित 2 दिवसीय जलसा ‘भोपाल ब्यूटी ऐक्सपो’ इन्हीं जरूरतों को पूरा करता हुआ था. इस में लगभग 150 ब्यूटीशियंस ने शिरकत कर ऐक्सपर्ट्स से नएनए टिप्स लिए. कई कंपनियों ने अपने स्टाल भी इस कार्यक्रम में लगाए थे.

ब्यूटी ऐक्सपो के पहले दिन मुंबई के मशहूर हेयर आर्टिस्ट उदय टिक्के ने मौजूद ब्यूटीशियंस को लेटैस्ट हेयर टैक्नीक के बारे में लाइव डैमो दिया. उदय टिक्के का कहना है कि अगर कैंची जरा भी गलत चली तो खूबसूरती गायब हो जाती है, क्योंकि इंसान की खूबसूरती उस के बालों से झलकती है.

उदय ने हेयरकटिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों व लेटैस्ट हेयरकट्स की जानकारी भी दी. उन का कहना है कि बालों का गिरना समस्या नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया है.

ब्यूटीशियन गजाला रूही का कहना था कि अब फैशन या हेयरकट मिनटों में छोटे शहरों तक पहुंच जाते हैं और हम ग्राहक भी इन की मांग करते हैं. लिहाजा, ऐसे कार्यक्रमों में जा कर हमें तकनीक सीखने को मिलती है और ऐक्सपर्ट से उपयोगी टिप्स भी मिलते हैं.

कार्यक्रम का दूसरा दिन इंदौर से आईं ब्राइडल मेकअप ऐक्सपर्ट उन्नति सिंह के नाम रहा.

उन्नति सिंह ने मेकअप से तअल्लुक रखती बुनियादी बातों पर खासा जोर दिया, जिन्हें आमतौर पर पार्लर में मामूली समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है. मसलन, कदकाठी के मुताबिक दुलहन का मेकअप कैसा होना चाहिए, ड्रैस कैसी होनी चाहिए और मौसम के अनुसार मेकअप कैसे करना चाहिए. लंबी महिलाओं के लिए इन दिनों हाईबन स्टाइल ट्रैंड में है. इस स्टाइल की खूबी यह है कि यह इंडोवैस्टर्न ड्रैसेज पर भी फबता है.

लाइव डैमो

स्मोकी मेकअप और लिपस्टिक लगाने का सही तरीका भी उन्नति ने बताया. उन्होंने ब्राइडल मेकअप का लाइव डैमो देते हुए मौडल्स को ऐसे सजाया कि वे सचमुच की दुलहनें लगने लगीं. सर्दी के मौसम में होने वाली शादियों के मेकअप के विशेष टिप्स दिए.

ब्यूटी ऐक्सपो के आखिर में नेलआर्ट पर दिल्ली से आईं ऐक्सपर्ट स्मृति सलूजा ने उपयोगी जानकारी दी. नेलट्रैंड, नेलआर्ट और नाखून काटते वक्त बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी उन्होंने बताया.

2 दिन तक चले इस उपयोगी जलसे में ब्यूटीशियंस ने ऐक्सपर्ट्स द्वारा दी गई जानकारी को पूरी तन्मयता से सुना. कार्यक्रम में शहर की वरिष्ठ ब्यूटीशियंस इला द्विवेदी, बीना श्रीवास्तव, स्वाति खिलरानी, कांता सूद, वंदना जैन खासतौर से मौजूद थीं. कार्यक्रम का सफल संचालन राकेश बाठला ने किया. अंत में ओएसआर कौस्मैटिक व गृहशोभा द्वारा अतिथियों को स्मृतिचिह्न प्रदान किए गए.

पोलका डोट कौम, फाइन डिजाइन, एलेंजा (स्किन केयर) वेस्टीज, मानसी ब्यूटी अकादमी, आइवा, अंश इंटरनैशनल हेयर ऐक्सैसरीज, यलो रोज, जगुआर, सीजर, रस्क हेयर कलर, अरोमा ट्रेलर सेवलर्स डिस्पोजल, बेबी लिप्स व डाक्टर दीक्षित हर्बल कार्यक्रम के सहप्रायोजक थे.

त्वचा न मुरझाए इस के हैं उपाय

जब आप का मन धूप सेंकने के लिए करने लगता है तो यह सर्दी की आहट का साफ संकेत होता है. यह मौसम अपने साथ कई समस्याएं भी ले कर आता है. इस दौरान वातावरण में नमी की कमी के चलते त्वचा बेजान, कांतिहीन, पपड़ीदार और शुष्क पड़ जाती है. हो सकता है कड़ाके की ठंड में आप के लिए बाहर जाना सुरक्षित न हो, क्योंकि इस से चेहरे की चमक फीकी पड़ने का खतरा बढ़ सकता है. इस के अलावा घर में लगे हीटर और तापमान को नियंत्रित रखने वाले कृत्रिम उपकरण भी आप की त्वचा की नमी सोख लेते हैं. लिहाजा, अपनी त्वचा की नमी, चमक और कांति वापस लाने के लिए आजमाएं इन नुसखों को:

स्नान की अवधि

त्वचा को शुष्क होने से बचाने के लिए ज्यादा गरम पानी के बजाय नहाने के लिए कुनकुने पानी और नमीयुक्त साबुन या बौडी वाश का ही इस्तेमाल करें. नहाने का पानी जितना गरम रखेंगी आप की त्वचा को उतना ही नुकसान झेलना पड़ेगा. नहाने की अवधि भी कम रखें और नहाने के बाद शरीर को नमीयुक्त बनाए रखने के लिए मौइश्चराइजर का प्रयोग करें.

रखें त्वचा मौइश्चराइज

नहाने के तत्काल बाद त्वचा को मौइश्चराइज करने से शरीर में तेल की मौजूदगी बहुत हद तक बढ़ जाती है. सर्द हवाओं से आहत त्वचा की सुरक्षा के लिए मौइश्चराइज क्रीम का इस्तेमाल करें. शरीर में लगाने के लिए ऐंटीइची, औयली स्किन, ड्राई स्किन सहित और कई तरह की मौइश्चराइजर क्रीमें बाजार में उपलब्ध हैं. उन में से आप अपनी त्वचा की प्रकृति के अनुरूप कोई भी क्रीम चुन सकती हैं. यह क्रीम दरकती त्वचा को मुलायम बनाती है. त्वचा में पानी का स्तर कम रहने पर त्वचा की ऐक्सफौलिएशन और हाइड्रेशन की स्वाभाविक क्रिया नहीं हो पाती है और इस वजह से त्वचा में कई तरह के संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है.

खानपान

त्वचा की शुष्कता की समस्या पौष्टिक खानपान, मछली और अलसी के तेल, ओमेगा-3 तथा ओमेगा-6 जैसे फैटी ऐसिड के सेवन से दूर हो सकती है. सोरायसिस और ऐक्जिमा जैसे त्वचा के संक्रामक रोगों से मुकाबले के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त रखना जरूरी है. अपने भोजन में अंगूर, गाजर, पालक, बादाम, अंडे, मछली आदि शामिल करें, क्योंकि ये सब विटामिन और ओमेग-3 फैट के अच्छे स्रोत होते हैं.

स्किनबूस्टर्स

जो लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या या कामकाज के कारण त्वचा की सेहत बनाए रखने में असमर्थ होते हैं, वे अपनी त्वचा में भरपूर नमी बनाए रखने के लिए स्किनबूस्टर्स आजमा सकते हैं. त्वचा की नजाकत और चमक बनाए रखने के लिए रैस्टिलेन वाइटल एक कारगर विकल्प है. नए जमाने का डर्मल फिलर रैस्टिलेन वाइटल चंद मिनटों में चमत्कारी परिणाम देता है. और इस का असर महज कुछ दिनों तक नहीं रहता. हाइड्रोलिक हयालुरोनिक ऐसिड, जिस में पर्याप्त जल बचाए रखने और अवशोषित करने की क्षमता होती है, से त्वचा को मिलने वाली चमक तथा कोमलता 1 साल तक बनी रहती है. हयालुरोनिक ऐसिड जैल को माइक्रोइंजैक्शन की सहायता से त्वचा की बाहरी परतों में पिरोया जाता है. यह त्वचा को अंदर से नमीयुक्त बनाए रखता है.

सनस्क्रीन

यह गलत धारणा है कि सिर्फ गरमी के मौसम में ही त्वचा को नुकसानदेह यूवी किरणों से सुरक्षित रखने के लिए सनस्क्रीन की जरूरत पड़ती है. सचाई यह है कि सर्दी के मौसम में भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल उतना ही जरूरी होता है. त्वचा को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए शरीर के खुले हिस्सों में 15 या इस से अधिक एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें.

खुरदरे वस्त्रों को त्वचा से दूर रखें

ऊनी और अन्य खुरदरी पोशाकों को सीधे तौर पर त्वचा के संपर्क में न रखें. अधोवस्त्र के तौर पर मुलायम कपड़े की पोशाकें पहनें और ऊपर जैकेट या स्वैटर पहनें. यदि आप कोई ऊनी या खुजली पैदा करने वाला वस्त्र पहनना चाहती हैं, तो उस के नीचे कौटन लाइनर पहन लें ताकि आप की त्वचा में खुजली पैदा न हो.

-डा. माधुरी अग्रवाल
स्किन क्लीनिक, मुंबई की डर्मेटोलौजिस्ट एवं कौस्मो फिजीशियन

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