Hair Care Tips : क्या आप भी करती हैं हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल, तो इसके ये हैं साइड इफैक्ट्स

Hair Care Tips : सुंदर व स्ट्रेट बालों की चाह में महिलाएं स्ट्रेटनिंग का सहारा लेती हैं. कोई शादी हो या फंक्शन, महिलाएं बालों पर स्ट्रेटनर चला कर स्ट्रेट बाल आसानी से पा लेती हैं. लेकिन बारबार ऐसा करने से बालों की सेहत पर इस का बुरा असर पड़ता है. आइए, जानते हैं स्ट्रेटनर बालों के लिए किस तरह नुकसानदायक है. स्ट्रेटनिंग करने से बालों से कुछ ऐसे कैमिकल्स रिलीज होते हैं, जिन से बाल डैमेज होने शुरू हो जाते हैं. उन में और कई सारी समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो जाती हैं जैसे:

 

1. ड्राई हेयर

स्ट्रेटनिंग से बाल बहुत ज्यादा ड्राई हो जाते हैं. दरअसल, स्ट्रेटनर के इस्तेमाल से बालों का नैचुरल औयल खत्म हो जाता है, जिस से वे कमजोर और बेजान नजर आने लगते हैं. यदि आप ड्राई हेयर पर लगातार हीट का इस्तेमाल करेंगी तो ड्राइनैस के साथसाथ आप को हेयर फौल की समस्या भी शुरू हो जाएगी. इसलिए स्ट्रेटनर का लगातार इस्तेमाल करने से बचें.

2. बालों में फ्रिजिनैस

बालों में स्ट्रेटनिंग का इस्तेमाल करने से वे ज्यादा बिखरे और उलझे नजर आते हैं. स्ट्रेटनिंग के बाद जब महिलाएं हेयर वाश करती हैं तो सीधे शैंपू का इस्तेमाल कर लेती हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. हेयरस्टाइल बनाते समय हीट या कैमिकल का इस्तेमाल करते हैं तो हेयर वाश से पहले हलके गरम औयल की मसाज लेनी चाहिए और 15 मिनट तक स्टीमर का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि स्टीमर नहीं है तो हौट टौवेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह बालों को डैमेज होने से बचाता है.

3. हेयर फौल

हीट और कैमिकल्स जब बालों पर जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होने शुरू हो जाते हैं तो उन में कई सारी दिक्कतें देखने को मिलती हैं. इन सब में सब से बड़ी समस्या है बालों का टूटना. कई बार बाल इतने डैमेज हो जाते हैं कि जड़ से टूटने लगते हैं. ऐसे में जरूरी है कि कैमिकल्स और हीटिंग उपकरणों जैसे हेयर स्प्रे, हेयर जैल, स्टे्रटनर, ड्रायर आदि से बचना चाहिए. हेयर फौल के समय ज्यादा गैप वाली कंघी का इस्तेमाल करना चाहिए.

4. बालों की चमक खत्म होना

ऐसा कहा जाता है कि सुंदर बालों से किसी भी माहिला का व्यक्तित्व निखर जाता है. लेकिन जब बाल रूखे और बेजान हों तो इस से चेहरे का निखार भी कम लगने लगता है. ज्यादा हीट के इस्तेमाल से धीरेधीरे बालों का मौइस्चर खत्म हो जाता है, जिस वजह से बालों की सुंदरता और चमक गायब हो जाती है. उन की चमक बढ़ाने के लिए हर 5 दिन में हेयर स्पा लें और शैंपू के बाद हेयर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

5. सिर में खुजली की परेशानी

स्टे्रटनिंग का नकारात्मक असर सिर यानी स्कैल्प पर भी पड़ता है. स्ट्रेटनिंग की वजह से स्कैल्प ड्राई होनी शुरू हो जाती है. इस कारण सिर में खुजली की समस्या शुरू होने लगती है. इस के लिए जरूरी है कि बालों को हफ्ते में 3 बार वाश करें. उन्हें नैचुरली ड्राई होने दें. ड्रायर का इस्तेमाल न करें.

यदि स्ट्रेट हेयर अधिक पसंद हैं तो बिना हीट के भी स्ट्रेट हेयर आसानी से पा सकती हैं. आइए, जानते हैं कैसे बिना हीट के नैचुरल स्ट्रेट हेयर पा सकती हैं:

6. कोकोनट मिल्क और नीबू

कोकोनट मिल्क में नीबू का रस बराबर मात्रा में मिला लें. अब इसे हलके गीले बालों में लगाएं. 15 मिनट बाद बालों को कुनकुने पानी से धो लें. हफ्ते में 3 बार इस का इस्तेमाल करने से बाल मुलायम और स्ट्रेट हो जाएंगे.

7. दूध, शहद और केला

केले को अच्छी तरह मैश कर उस में दूध और शहद मिलाएं. इस मिश्रण को बालों में लगा कर आधा घंटा छोड़ दें. फिर शैंपू कर लें. इस से बालों का रूखापन खत्म होगा, साथ ही वे स्ट्रेट भी नजर आएंगे.

8. हौट औयल थेरैपी

जैतून, नारियल और बादाम के तेल का मिश्रण बना लें और इसे हलका गरम कर के बालों में लगाएं. इस के बाद तौलिए या स्टीमर का इस्तेमाल कर के स्टीम लें. यह बालों को हैल्दी रखने का सब से अच्छा तरीका है. इस से बालों का रूखापन भी खत्म होता है और वे स्ट्रेट और खूबसूरत भी दिखते हैं.

9. अंडा और औलिव औयल

2 अंडों को फेंट लें. अब इस में जैतून का तेल और शहद मिला लें. इस से बालों और स्कैल्प की मसाज करें. 1 घंटे तक ऐसे रखने के बाद शैंपू कर लें. अंडा बालों के लिए सब से अच्छा कंडीशनर माना जाता है. इस से बाल घने, चमकदार और स्ट्रेट हो जाते हैं.

वफादारी का सुबूत

तकरीबन 3 महीने बाद दीपक आज अपने घर लौट रहा था, तो उस के सपनों में मुक्ता का खूबसूरत बदन तैर रहा था. उस का मन कर रहा था कि वह पलक झपकते ही अपने घर पहुंच जाए और मुक्ता को अपनी बांहों में भर कर उस पर प्यार की बारिश कर दे. पर अभी भी दीपक को काफी सफर तय करना था. सुबह होने से पहले तो वह हरगिज घर नहीं पहुंच सकता था. और फिर रात होने तक मुक्ता से उस का मिलन होना मुमकिन नहीं था.

‘‘उस्ताद, पेट में चूहे कूद रहे हैं. ‘बाबा का ढाबा’ पर ट्रक रोकना जरा. पहले पेटपूजा हो जाए. किस बात की जल्दी है. अब तो घर चल ही रहे हैं…’’ ट्रक के क्लीनर सुनील ने कहा, फिर मुसकरा कर जुमला कसा, ‘‘भाभी की बहुत याद आ रही है क्या? मैं ने तुम से बहुत बार कहा कि बाहर रह कर कहां तक मन मारोेगे. बहुत सी ऐसी जगहें हैं, जहां जा कर तनमन की भड़ास निकाली जा सकती है. पर तुम तो वाकई भाभी के दीवाने हो.’’ दीपक को पता था कि सुनील हर शहर में ऐसी जगह ढूंढ़ लेता है, जहां देह धंधेवालियां रहती हैं. वहां जा कर उसे अपने तन की भूख मिटाने की आदत सी पड़ गई है. अकसर वह सड़कछाप सैक्स के माहिरों की तलाश में भी रहता है. शायद ऐसी औरतों ने उसे कोई बीमारी दे दी है.

दीपक ने सुनील की बात का कोई जवाब नहीं दिया. वह मुक्ता के बारे में सोच रहा था. उस की एक साल पहले ही मुक्ता से शादी हुई थी. वह पढ़ीलिखी और सलीकेदार औरत थी. उस का कसा बदन बेहद खूबसूरत था. उस ने आते ही दीपक को अपने प्यार से इतना भर दिया कि वह उस का दीवाना हो कर रह गया. दीपक एमए पास था. वह सालों नौकरी की तलाश में इधरउधर घूमता रहा, पर उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली. दीपक सभी तरह की गाडि़यां चलाने में माहिर था. उस के एक दोस्त ने उसे अपने एक रिश्तेदार की ट्रांसपोर्ट कंपनी में ड्राइवर की नौकरी दिलवा दी, तो उस ने मना नहीं किया.

वैसे, ट्रक ड्राइवरी में दीपक को अच्छीखासी आमदनी हो जाती थी. तनख्वाह मिलने के साथ ही वह रास्ते में मुसाफिर ढो कर भी पैसा बना लेता था. ये रुपए वह सुनील के साथ बांट लेता था. सुनील तो ये रुपए देह धंधेवालियों और खानेपीने पर उड़ा देता था, पर घर लौटते समय दीपक की जेब भरी होती थी और घर वालों के लिए बहुत सा सामान भी होता था, जिस से सब उस से खुश रहते थे. दीपक के घर में उस की पत्नी मुक्ता के अलावा मातापिता और 2 छोटे भाईबहन थे. दीपक जब भी ट्रक ले कर घर से बाहर निकलता था, तो कभी 15 दिन तो कभी एक महीने बाद ही वापस आ पाता था. पर इस बार तो हद ही हो गई थी. वह पूरे 3 महीने बाद घर लौट रहा था. उस ने पूरे 10 दिनों की छुट्टियां ली थीं.

‘‘उस्ताद, ‘बाबा का ढाबा’ आने वाला है,’’ सुनील की आवाज सुन कर दीपक ने ट्रक की रफ्तार कम की, तभी सड़क के दाईं तरफ ‘बाबा का ढाबा’ बोर्ड नजर आने लगा. उस ने ट्रक किनारे कर के लगाया. वहां और भी 10-12 ट्रक खड़े थे.

यह ढाबा ट्रक ड्राइवरों और उन के क्लीनरों से ही गुलजार रहता था. इस समय भी वहां कई लोग थे. कुछ लोग आराम कर रहे थे, तो कुछ चारपाई पर पटरा डाले खाना खाने में जुटे थे. वहां के माहौल में दाल फ्राई और देशी शराब की मिलीजुली महक पसरी थी. ट्रक से उतर कर सुनील सीधे ढाबे के काउंटर पर गया, तो वहां बैठे ढाबे के मालिक सरदारजी ने उस का अभिवादन करते हुए कहा, ‘‘आओ बादशाहो, बहुत दिनों बाद नजर आए?’’

सुनील ने कहा, ‘‘हां पाजी, इस बार तो मालिकों ने हमारी जान ही निकाल ली. न जाने कितने चक्कर असम के लगवा दिए.’’

‘‘ओहो… तभी तो मैं कहूं कि अपना सुनील भाई बहुत दिनों से नजर नहीं आया. ये मालिक लोग भी खून चूस कर ही छोड़ते हैं जी,’’ सरदारजी ने हमदर्दी जताते हुए कहा.

‘‘पेट में चूहे दौड़ रहे हैं, फटाफट

2 दाल फ्राई करवाओ पाजी. मटरपनीर भी भिजवाओ,’’ सुनील ने कहा.

‘‘तुम बैठो चल कर. बस, अभी हुआ जाता है,’’ सरदारजी ने कहा और नौकर को आवाज लगाने लगे.

2 गिलास, एक कोल्ड ड्रिंक और एक नीबू ले कर जब तक सुनील खाने का और्डर दे कर दूसरे ड्राइवरों और क्लीनरों से दुआसलाम करता हुआ दीपक के पास पहुंचा, तब तक वह एक खाली पड़ी चारपाई पर पसर गया था. उसे हलका बुखार था.

‘‘क्या हुआ उस्ताद? सो गए क्या?’’ सुनील ने उसे हिलाया.

‘‘यार, अंगअंग दर्द कर रहा है,’’ दीपक ने आंखें मूंदे जवाब दिया.

‘‘लो उस्ताद, दो घूंट पी लो आज. सारी थकान उतर जाएगी,’’ सुनील ने अपनी जेब से दारू का पाउच निकाला और गिलास में डाल कर उस में कोल्ड ड्रिंक और नीबू मिलाने लगा. तब तक ढाबे का छोकरा उस के सामने आमलेट और सलाद रख गया था.

‘‘नहीं, तू पी,’’ दीपक ने कहा.

‘‘इस धंधे में ऐसा कैसे चलेगा उस्ताद?’’ सुनील बोला.

‘‘तुझे मालूम है कि मैं नहीं पीता. खराब चीज को एक बार मुंह से लगा लो, तो वह जिंदगीभर पीछा नहीं छोड़ती. मेरे लिए तो तू एक चाय बोल दे,’’ दीपक बोला. सुनील ने वहीं से आवाज दे कर एक कड़क चाय लाने को बोला. दीपक ने जेब से सिरदर्द की एक गोली निकाली और उसे पानी के साथ निगल कर धीरेधीरे चाय पीने लगा. बीचबीच में वह आमलेट भी खा लेता. जब तक उस की चाय निबटी. होटल के छोकरे ने आ कर खाना लगा दिया. गरमागरम खाना देख कर उस की भी भूख जाग गई. दोनों खाने में जुट गए. खाना खा कर दोनों कुछ देर तक वहीं चारपाई पर लेटे आराम करते रहे. अब दीपक को भी कोई जल्दी नहीं थी, क्योंकि दिन निकलने से पहले अब वह किसी भी हालत में घर नहीं पहुंच सकता था. एक घंटे बाद जब वह चलने के लिए तैयार हुआ, तो थोड़ी राहत महसूस कर रहा था. कानपुर पहुंच कर दीपक ने ट्रक ट्रांसपोर्ट पर खड़ा किया और मालिक से रुपए और छुट्टी ले कर घर पहुंचा. सब लोग बेचैनी से उस का इंतजार कर रहे थे. उसे देखते ही खुश हो गए.

मां उस के चेहरे को ध्यान से देखे जा रही थी, ‘‘इस बार तो तू बहुत कमजोर लग रहा है. चेहरा देखो कैसा निकल आया है. क्या बुखार है तुझे?’’

‘‘हां मां, मैं परसों भीग गया था. इस बार पूरे 10 दिन की छुट्टी ले कर आया हूं. जम कर आराम करूंगा, तो फिर से हट्टाकट्टा हो जाऊंगा,’’ कह कर वह अपनी लाई हुई सौगात उन लोगों में बांटने लगा. सब लोग अपनीअपनी मनपसंद चीजें पा कर खुश हो गए. मुक्ता रसोई में खाना बनाते हुए सब की बातें सुन रही थी. उस के लिए दीपक इस बार सोने की खूबसूरत अंगूठी और कीमती साड़ी लाया था. थोड़ी देर बाद एकांत मिलते ही मुक्ता उस के पास आई और बोली, ‘‘आप को बुखार है. आप ने दवा ली?’’

‘‘हां, ली थी.’’

‘‘एक गोली से क्या होता है? आप को किसी अच्छे डाक्टर को दिखा कर दवा लेनी चाहिए.’’

‘‘अरे, डाक्टर को क्या दिखाना? बताया न कि परसों भीग गया था, इसीलिए बुखार आ गया है.’’

‘‘फिर भी लापरवाही करने से क्या फायदा? आजकल वैसे भी डेंगू बहुत फैला हुआ है. मैं डाक्टर मदन को घर पर ही बुला लाती हूं.’’

दीपक नानुकर करने लगा, पर मुक्ता नहीं मानी. वह डाक्टर मदन को बुला लाई. वे उन के फैमिली डाक्टर थे और उन का क्लिनिक पास में ही था. वे फौरन चले आए. उन्होंने दीपक की अच्छी तरह जांच की और जांच के लिए ब्लड का सैंपल भी ले लिया. उन्होंने कुछ दवाएं लिखते हुए कहा, ‘‘ये दवाएं अभी मंगवा लीजिए, बाकी खून की रिपोर्ट आ जाने के बाद देखेंगे.’’ रात में दीपक ने मुक्ता को अपनी बांहों में लेना चाहा, तो उस ने उसे प्यार से मना कर दिया.

‘‘पहले आप ठीक हो जाइए. बीमारी में यह सबकुछ ठीक नहीं है,’’ मुक्ता ने बड़े ही प्यार से समझाया.

दीपक ने बहुत जिद की, लेकिन वह नहीं मानी. बेचारा दीपक मन मसोस कर रह गया. उस को मुक्ता का बरताव समझ में नहीं आ रहा था. दूसरे दिन मुक्ता डाक्टर मदन से दीपक की रिपोर्ट लेने गई, तो उन्होंने बताया कि बुखार मामूली है. दीपक को न तो डेंगू है और न ही एड्स या कोई सैक्स से जुड़ी बीमारी. बस 2 दिन में दीपक बिलकुल ठीक हो जाएगा. दीपक मुक्ता के साथ ही था. उसे डाक्टर मदन की बातें सुन कर हैरानी हुई. उस ने पूछा, ‘‘लेकिन डाक्टर साहब, आप को ये सब जांचें करवाने की जरूरत ही क्यों पड़ी?’’

‘‘ये सब जांचें कराने के लिए आप की पत्नी ने कहा था. आप 3 महीने से घर से बाहर जो रहे थे. आप की पत्नी वाकई बहुत समझदार हैं,’’ डाक्टर मदन ने मुक्ता की तारीफ करते हुए कहा.

दीपक को बहुत अजीब सा लगा, पर वह कुछ न बोला. दीपक दिनभर अनमना सा रहा. उसे मुक्ता पर बेहद गुस्सा आ रहा. रात में मुक्ता ने कहा, ‘‘आप को हरगिज मेरी यह हरकत पसंद नहीं आई होगी, पर मैं भी क्या करती, मीना रोज मेरे पास आ कर अपना दुखड़ा रोती रहती है. उसे न जाने कैसी गंदी बीमारी हो गई है. ‘‘यह बीमारी उसे अपने पति से मिली है. बेचारी बड़ी तकलीफ में है. उस के पास तो इलाज के लिए पैसे भी नहीं हैं.’’

दीपक को अब सारी बात समझ में आ गई. मीना उस के क्लीनर सुनील की पत्नी थी. सुनील को यह गंदी बीमारी देह धंधेवालियों से लगी थी. वह खुद भी तो हमेशा किसी अच्छे सैक्स माहिर डाक्टर की तलाश में रहता था. सारी बात जान कर दीपक का मन मुक्ता की तरफ से शीशे की तरह साफ हो गया. वह यह भी समझ गया था कि अब वक्त आ गया है, जब मर्द को भी अपनी वफादारी का सुबूत देना होगा.

शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को लेकर संतुष्ट नहीं रहते हैं? क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 23 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मु झे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथसाथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.

इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें.

घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं. इस से आप पर काम का बो झ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.

ये भी पढ़ें- 

कोरोना काल में सेक्स सबसे बडी परेशानी का सबब बन गया है. बिना तैयारी के सेक्स से गर्भ ठहरने लगाहै. उम्रदराज लोगों के सामने ऐसी परेशानियां खडी हो गई है. स्कूल बंद होने से बच्चों के घर पर रहने से पति पत्नी को अपने लिये समय निकालना मुश्किल होने लगा. बाहर आना जाना बंद हो गया. कभी पति के पास समय है तो कभी पत्नी का मूड नहीं. कभी पत्नी का मूड बना तो पति को औनलाइन वर्क से समय नहीं. ऐसे में आपसी तनाव, झगडे और जल्दी सेक्स की आदत आम होने लगी है. जिस वजह से आपसी झगडे बढने लगे है. ऐसे में जरूरी है कि आपस में समय तय करके सेक्स करे. जिससे आपसी झगडे कम होगे तालमेल बढेगा.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

घर पर बनाएं वेज मोमोज, आज ही ट्राई करें ये रेसिपी

मोमोज एक ऐसा फास्ट फूड है जो बच्चों से लेकर बड़ो तक, सबका पसंदीदा है. हम अकसर फ्राइड या स्टीम्ड मोमोज खाते हैं. पर जब आप घर पर ही आसानी से मोमोज बना सकती हैं तो बाहर का खाने की क्या जरूरत है? घर पर आसानी से बनाएं वेज मोमोज और बच्चों को ईवनिंग में सरप्राइज दें.

सामग्री

– 200 ग्राम मैदा

– एक चुटकी नमक

– गुनगुना पानी

– 50 ग्राम तेल

स्टफिंग के लिए

– 250 ग्राम सब्जियां(बंदगोभी, प्याज, गाजर, शिमला मिर्च आदि)

– बारीक कटा लहसुन

– 2 हरे प्याज

– 1 इंच अदरक का टुकड़ा

– 1 टी स्पून अजीनोमोटो

– 1 टेबल स्पून सिरका

– 3-4 बारीक कटी हरी मिर्च

– नमक स्वादानुसार

विधि

मैदे में नमक मिलाएं और गुनगुने पानी से गुंथ लें. आधे घंटे के लिए ढककर रखें. दोबारा गुंथे और पतली-पतली पूरियों के आकार में गुथे हुए मैदे को बेल लें.

स्टफिंग की सब्जियों को आपस में मिक्स कर लें.

अब हर पूरी पर एक टेबल स्पून स्टफिंग रखें और गुझिया या मोमोज के ही शेप में रोल कर लें. थोड़ा तेल लगाएं. एक भगोने में पानी उबालने रखें. एक छलनी को चिकना करके रखें. इसमें सभी मोमोज को रख दें. एक प्लेट उल्टी कर ढंक दें. तकरीब 20 मिनट तक भाप दें. सॉस और मेयोनिज के साथ गर्मागरम सर्व करें.

कौन जिम्मेदार: किशोरीलाल ने कौनसा कदम उठाया

‘‘किशोरीलाल ने खुदकुशी कर ली…’’ किसी ने इतना कहा और चौराहे पर लोगों को चर्चा का यह मुद्दा मिल गया.

‘‘मगर क्यों की…?’’  भीड़ में से सवाल उछला.

‘‘अरे, अगर खुदकुशी नहीं करते, तो क्या घुटघुट कर मर जाते?’’ भीड़ में से ही किसी ने एक और सवाल उछाला.

‘‘आप के कहने का मतलब क्या है?’’ तीसरे आदमी ने सवाल पूछा.

‘‘अरे, किशोरीलाल की पत्नी कमला का संबंध मनमोहन से था. दुखी हो कर खुदकुशी न करते तो वे क्या करते?’’

‘‘अरे, ये भाई साहब ठीक कह रहे हैं. कमला किशोरीलाल की ब्याहता पत्नी जरूर थी, मगर उस के संबंध मनमोहन से थे और जब किशोरीलाल उन्हें रोकते, तब भी कमला मानती नहीं थी,’’ भीड़ में से किसी ने कहा.

चौराहे पर जितने लोग थे, उतनी ही बातें हो रही थीं. मगर इतना जरूर था कि किशोरीलाल की पत्नी कमला का चरित्र खराब था. किशोरीलाल भले ही उस के पति थे, मगर वह मनमोहन की रखैल थी. रातभर मनमोहन को अपने पास रखती थी. बेचारे किशोरीलाल अलग कमरे में पड़ेपड़े घुटते रहते थे. सुबह जब सूरज निकला, तो कमला के रोने की आवाज से आसपास और महल्ले वालों को हैरान कर गया. सब दौड़ेदौड़े घर में पहुंचे, तो देखा कि किशोरीलाल पंखे से लटके हुए थे. यह बात पूरे शहर में फैल गई, क्योंकि यह मामला खुदकुशी का था या कत्ल का, अभी पता नहीं चला था.

इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस आई और लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले गई. यह बात सही थी कि किशोरीलाल और कमला के बीच बनती नहीं थी. कमला किशोरीलाल को दबा कर रखती थी. दोनों के बीच हमेशा झगड़ा होता रहता था. कभीकभी झगड़ा हद पर पहुंच जाता था. यह मनमोहन कौन है? कमला से कैसे मिला? यह सब जानने के लिए कमला और किशोरीलाल की जिंदगी में झांकना होगा. जब कमला के साथ किशोरीलाल की शादी हुई थी, उस समय वे सरकारी अस्पताल में कंपाउंडर थे. किशोरीलाल की कम तनख्वाह से कमला संतुष्ट न थी. उसे अच्छी साडि़यां और अच्छा खाने को चाहिए था. वह उन से नाराज रहा करती थी.

इस तरह शादी के शुरुआती दिनों से ही उन के बीच मनमुटाव होने लगा था. कुछ दिनों के बाद कमला किशोरीलाल से नजरें चुरा कर चोरीछिपे देह धंधा करने लगी. धीरेधीरे उस का यह धंधा चलने लगा. वैसे, कमला ने लोगों को बताया था कि उस ने अगरबत्ती बनाने का घरेलू धंधा शुरू कर दिया है. इसी बीच उन के 2 बेटे हो गए, इसलिए जरूरतें और बढ़ गईं. मगर चोरीछिपे यह धंधा कब तक चल सकता था. एक दिन किशोरीलाल को इस की भनक लग गई. उन्होंने कमला से पूछा, ‘मैं यह क्या सुन रहा हूं?’

‘क्या सुन रहे हो?’ कमला ने भी अकड़ कर कहा.

‘क्या तुम देह बेचने का धंधा कर रही हो?’ किशोरीलाल ने पूछा.

‘तुम्हारी कम तनख्वाह से घर का खर्च पूरा नहीं हो पा रहा था, तो मैं ने यह धंधा अपना लिया है. कौन सा गुनाह कर दिया,’ कमला ने भी साफ बात कह कर अपने अपराध को कबूल कर लिया. यह सुन कर किशोरीलाल को गुस्सा आया. वे कमला को थप्पड़ जड़ते हुए बोले, ‘बेगैरत, देह धंधा करती हो तुम?’ ‘तो पैसे कमा कर लाओ, फिर छोड़ दूंगी यह धंधा. अरे, औरत तो ले आया, मगर उस की हर इच्छा को पूरा नहीं करता है. मैं कैसे भी कमा रही हूं, तेरे से तो नहीं मांग रही हूं,’ कमला भी जवाबी हमला करते हुए बोली और एक झटके से बाहर निकल गई. किशोरीलाल कुछ नहीं कर पाए. इस तरह कई मौकों पर उन दोनों के बीच झगड़ा होता रहता था. इसी बीच शिक्षा विभाग से शिक्षकों की भरती हेतु थोक में नौकरियां निकलीं. कमला ने भी फार्म भर दिया. उसे सहायक टीचर के पद पर एक गांव में नौकरी मिल गई.

चूंकि गांव शहर से दूर था और उस समय आनेजाने के इतने साधन न थे, इसलिए मजबूरी में कमला को गांव में ही रहना पड़ा. गांव में रहने के चलते वह और आजाद हो गई. कमला ने 10-12 साल इसी गांव में गुजारे, फिर एक दिन उस ने अपने शहर के एक स्कूल में ट्रांसफर करवा लिया. मगर उन की लड़ाई अब भी नहीं थमी. बच्चे अब बड़े हो रहे थे. वे भी मम्मीपापा का झगड़ा देख कर मन ही मन दुखी होते थे, मगर उन के झगड़े के बीच न पड़ते थे. जिस स्कूल में कमला पढ़ाती थी, वहीं पर मनमोहन भी थे. उन की पत्नी व बच्चे थे, मगर सभी उज्जैन में थे. मनमोहन यहां अकेले रहा करते थे. कमला और उन के बीच खिंचाव बढ़ा. ज्यादातर जगहों पर वे साथसाथ देखे गए. कई बार वे कमला के घर आते और घंटों बैठे रहते थे. कमला भी धीरेधीरे मनमोहन के जिस्मानी आकर्षण में बंधती चलीगई. ऐसे में किशोरीलाल कमला को कुछ कहते, तो वह अलग होने की धमकी देती, क्योंकि अब वह भी कमाने लगी थी. इसी बात को ले कर उन में झगड़ा बढ़ने लगा.

फिर महल्ले में यह चर्चा चलती रही कि कमला के असली पति किशोरीलाल नहीं मनमोहन हैं. वे किशोरीलाल को समझाते थे कि कमला को रोको. वह कैसा खेल खेल रही है. इस से महल्ले की दूसरी लड़कियों और औरतों पर गलत असर पड़ेगा. मगर वे जितना समझाने की कोशिश करते, कमला उतनी ही शेरनी बनती. जब भी मनमोहन कमला से मिलने घर पर आते, किशोरीलाल सड़कों पर घूमने निकल जाते और उन के जाने का इंतजार करते थे.  पिछली रात को भी वही हुआ. जब रात के 11 बजे किशोरीलाल घूम कर बैडरूम के पास पहुंचे, तो भीतर से खुसुरफुसुर की आवाजें आ रही थीं. वे सुनने के लिए खड़े हो गए. दरवाजे पर उन्होंने झांक कर देखा, तो शर्म के मारे आंखें बंद कर लीं. सुबह किशोरीलाल की पंखे से टंगी लाश मिली. उन्होंने खुद को ही खत्म कर लिया था. घर के आसपास लोग इकट्ठा हो चुके थे. कमला की अब भी रोने की आवाज आ रही थी.

इस मौत का जिम्मेदार कौन था? अब लाश के आने का इंतजार हो रहा था. शवयात्रा की पूरी तैयारी हो चुकी थी. जैसे ही लाश अस्पताल से आएगी, औपचारिकता पूरी कर के श्मशान की ओर बढ़ेगी.

गुनहगार: नीना ने जब कंवल को देखा तो हैरान क्यों हो गई

अपने बैडरूम से आती गाने की आवाज सुन कर कंवल तड़प उठा था. तेज कदमों से चल कर बैडरूम में पहुंचा तो देखा सामने टेबल पर रखे म्यूजिक सिस्टम की तेज आवाज पूरे घर में गूंज रही थी. गाना वही था जिसे सुनते ही उस का रोमरोम जैसे अपराधभाव से भर जाता. उस का मन गुनाह के बोझ से दबने लगता. आंखें नम हो जातीं और दिल बेचैन हो उठता.

‘‘मेरे महबूब कयामत होगी, आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी…’’ गाने के स्वर कंवल के कानों में पिघले सीसे के समान फैले जा रहे थे. उस ने दोनों हाथों से कानों को बंद कर लिया. पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो उठा.

तभी गाने की आवाज आनी बंद हो गई. उस ने चौंक कर आंखें खोलीं तो सामने विशाखा खड़ी थी.

‘‘कंवल, यह क्या हो गया तुम्हें?’’

विशाखा उस के चेहरे से पसीना पोंछती घबराए स्वर में बोली.

‘‘तुम जानती हो विशाखा यह गाना मेरे दिल और दिमाग को झंझड़ कर रख देता,’’

‘‘फिर क्यों सुनते हो यह गाना?’’

कंवल अब तक कुछ संयमित हो चुका था.

‘‘मुझे माफ कर दो कंवल, गाना सुन कर मैं बंद करने आ रही थी पर शायद मुझे देर हो गई,’’ विशाखा के चेहरे पर गहरे अवसाद की छाया लहरा रही थी.

‘‘बुरा मान गई विशाखा? दरअसल, गलती मेरी ही है. इस में तुम्हारा क्या दोष है?’’ कह कर कंवल कमरे से बाहर निकल गया.

विशाखा उस के पीछे आई तो देखा वह गाड़ी ले कर जा चुका था. वह जानती थी कि अकसर कंवल ऐसे में लंबी ड्राइव पर निकल जाता है. वह एक गहरी सांस ले कर घर के अंदर चली गई.

दिशाविहीन और उद्देश्यविहीन गाड़ी चलाते हुए कंवल की यादों में एक चेहरा आने लगा. वह चेहरा था शैलजा का. शैलजा, विशाखा की चचेरी बहन. विशाखा के चाचाचाची दूसरे शहर में रहते थे. कंवल और विशाखा की शादी में बहुत चाह कर भी उस के चाचा अपनी नौकरी की वजह से शामिल नहीं हो सके थे और शैलजा के भी इम्तिहान हो रहे थे.

अत: कंवल की मुलाकात शैलजा से दो साल पहले विशाखा के छोटे भाई मुकुल की शादी में हुई थी. शैलजा ने अपने सहज और सरल स्वभाव से पहली ही मुलाकात में कंवल का ध्यान आकृष्ट कर लिया.

शादी का घर, रातदिन चहलपहल. गपशप में ही सारा समय कट जाता था. बरात चलने की तैयारी हो रही थी. दूल्हा सज रहा था. बड़ी बहन विशाखा के उपस्थित रहने पर भी शैलजा ने ही ज्यादातर रस्में निभाई थीं क्योंकि मुकुल का विशेष आग्रह था. मुकुल और शैलजा की शुरू से ही अच्छीखासी जमती थी. विशाखा अपने हठी और रूखे स्वभाव की वजह से हंसीठिठोली वाले माहौल से कुछ अलग ही रहा करती थी.

कंवल मित्रमंडली में बैठा बतिया ही रहा था कि मुकुल की आवाज सुनाई दी, ‘‘अरे जीजाजी वहां क्या कर रहे हैं, जरा यहां आइए और मामला सुलझाइए.’’

दूल्हे को काजल लगाने का प्रश्न था. मुकुल ने कहा था कि जो बारीक लगा सकेगा, वही लगाएगा.

विशाखा ने भी स्पष्ट कर दिया था कि यह तो शैलजा ही बेहतर कर सकती है सो वही करे.

शैलजा ने शर्त रखी, ‘‘काजल लगाने का मेहनताना क्या मिलेगा?’’

कंवल अब इस चुहलबाजी का हिस्सा बन चुका था. बोला, ‘‘मुंहमांगा.’’

शैलजा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली, ‘‘आप से नहीं पूछ रही हूं.’’

‘‘अच्छा ठीक है जो चाहो सो ले लेना,’’ मुकुल बोला.

कंवल फिर शैलजा को छेड़ते हुए बोला, ‘‘इन्हें जो चाहिए मैं जानता हूं. अगले साल इन की शादी में भी आना होगा.’’

शैलजा से कुछ कहते न बना. अंत में काजल विशाखा ने लगाया. कंवल का मजाक चलता ही रहता था. शैलजा खीज उठती थी तो वह चुप हो जाता था क्योंकि उस की कोई साली नहीं थी इसलिए वह शैलजा से ही दिल खोल कर मजाक करता.

इसी तरह एक दिन दानदहेज पर कोई चर्चा चल रही थी. कंवल बोला, ‘‘कहते हैं पुराने जमाने में दासदासियां भी दहेज में दी जाती थीं.’’

‘‘और सालियां भी,’’ किसी की आवाज आई.

‘‘हां, वे भी देहज में दी जाती थीं,’’ विशाखा की मां ने समर्थन किया.

कंवल को मसाला मिल गया. कहने लगा, ‘‘इस का मतलब अब तो शैलजा पर मेरा पूरा अधिकार है. वह मेरे दहेज की साली जो है.’’

चारों तरफ हंसी के ठहाके गूंज पड़े. शैलजा कुछ नाराज सी हो गई.चूंकि वह दहेज के विरुद्ध बोल रही थी पर कंवल की बात की वजह से उस का भाषण ही बंद हो गया.

कंवल जब कभी मूड में होता तो कहता, ‘‘मुकल, तुम लोग शैलजा से बोलने से पहले मु?ा से पूछ लिया करो.’’

‘‘क्यों जीजाजी, ऐसी क्या बात हो गई?’’

‘‘शैलजा मेरी पर्सनल प्रौपर्टी है.’’

‘‘मैं क्यों, विशाखा दीदी है आप की पर्सनल प्रौपर्टी,’’ शैलजा गुस्से में कहती.

‘‘वह तो है ही और तुम भी.’’

सब की हंसी में शैलजा का गुस्सा खत्म हो जाता. 3-4 दिन बाद मुकुल अपनी पत्नी के साथ 2 हफ्ते के लिए बाहर घूमने गया. विशाखा के मातापिता और चाचाचाची ने भी शहर के पास के ही तीर्थ घूमने का मन बना लिया. शैलजा जाना नहीं चाहती थी तो विशाखा ने उसे अपने घर चलने का सु?ाव दिया. थोड़ी नानुकर के बाद शैलजा मान गई.

कंवल के घर में शैलजा काफी खुश रही. विशाखा अपनी सहेलियों, शौपिंग और किट्टी पार्टियों में व्यस्त रहती थी. शैलजा का दिल इन सब में नहीं लगा था इसलिए वह कंवल के साथ शहर घूमने चली जाती.

शैलजा का उन्मुक्त व्यवहार, खुशमिजाज स्वभाव, हर विषय पर खुल कर बोलने और सब से बढ़ कर कंवल के साथ रह कर वह कंवल

को काफी हद तक जानने लगी थी. इन्हीं सब बातों की वजह से कंवल उस में वह मित्र तलाशने लगा था जिस की तलाश विशाखा में कभी पूरी नहीं हुई थी.

एक दिन जब विशाखा घर पर नहीं थी तब शैलजा ने दोपहर का भोजन टेबल पर लगा कर कंवल को आवाज दी.

कंवल आया तो शैलजा को देख कर ठगा सा रह गया.

‘‘क्या हुआ जीजाजी ऐसे क्या देख रहे हो?’’ शैलजा ने उसे यों खुद को देखते हुए पूछा.

‘‘अरे शैलजा तुम तो साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो. इस साड़ी में तो तुम बिलकुल विशाखा जैसी दिख रही हो.’’

‘‘छोडि़ए जीजाजी, कहां विशाखा दीदी और कहां मैं… आप खाना खाइए.’’

उस दिन तो बात आईगई हो गई पर बातों ही बातों में कंवल ने शैलजा से वादा ले लिया कि जितने भी दिन शैलजा यहां रहेगी साड़ी ही पहनेगी.

एक दिन सुबह की चाय के समय विशाखा ने बताया कि मुकुल और नीना वापस आ चुके हैं और उस ने उन्हें आज रात के खाने पर बुलाया है पर उसे आज कहीं जरूरी काम से जाना है इसलिए खाना बाहर से मंगा लिया जाए.

इस पर शैलजा बोल उठी कि बाहर से खाना मंगवाने की क्या जरूरत है, उसे सारा दिन काम ही क्या है, खाने का सारा इंतजाम वह कर देगी.

शाम होतेहोते मुकुल और नीना आ गए. विशाखा अभी तक घर नहीं आई थी. मुकुल ने गुलाबजामुन खाने की फरमाइश की तो शैलजा सोच में पड़ गई. उस ने तो गाजर का हलवा बनाया था. नैना मुकुल के साथ घर देखने लगी. इसी बीच किसी को पता ही नहीं लगा कि कब शैलजा गुलाबजामुन लेने बाहर चली गई.

तभी विशाखा आ गई. वह सीधी रसोई में खाने का इंतजाम देखने चली गई. रसोई से बाहर आ कर उस ने ऊपर से सभी की सम्मिलित हंसी सुनी तो समझ गई कि मुकुल और नीना आ चुके हैं और सभी लोग ऊपर के कमरे में हैं. उस ने सोचा पहले कपड़े बदल ले फिर सभी से मिलेगी. यह सोच कर वह बैडरूम में कपड़े बदलने चली गई. इतने में कंवल भी बैडरूम में अपना कुछ पुराना अलबम लेने आ गया.

तभी नीना घूमते हुए उस के बैडरूम के आगे से गुजरी तो उस ने देखा कि कमरे का दरवाजा हलका सा खुला है और कंवल ने किसी को बांहों में घेरे के ले रखा है.

विशाखा दीदी तो घर में है नहीं फिर यह कौन है… अरे… यह तो शैलजा है, उसी ने तो पीली साड़ी पहन रखी है. छि: शैलजा और जीजाजी को तो किसी बात की शर्म ही नहीं है. यह देख और सोच कर नैना का दिल बिलकुल उचाट हो गया.

उस ने मुकुल से कहा कि उस की तबीयत बहुत खराब हो रही है और वह अभी इसी वक्त घर पर जाना चाहती है. मुकुल ने कहा यदि वह ऐसे बिना खाना खाए चले गए तो सभी को बहुत बुरा लगेगा. बेहतर होगा कि वह बाथरूम जा कर हाथमुंह धो ले तो कुछ अच्छा महसूस करेगी.

नीना बेमन से हाथमुंह धोने चली गई. बाहर आई तो उसे सभी दिखाई दिए. उस दिन नीना खाने में कोई स्वाद न महसूस कर सकी.

अगले ही दिन मुकुल के मातापिता और चाचाचाची वापस आ गए. चाचाचाची वापस जाने का कार्यक्रम बनाया तो नीना बोली, ‘‘सही है चाचीजी, वैसे भी जवान लड़की का ज्यादा दिन किसी के घर रहना ठीक नहीं है.’’

चाची अवाक सी हो नीना का मुंह देखने लगी, नीना उठ कर जाने लगी तो उन्होंने उस का हाथ पकड़ कर बैठा लिया और जो उस ने कहा था उस का मतलब जानने की इच्छा जताई.

नीना ने पिछली रात की सारी घटना उन्हें बता दी. चाची सुन कर हैरान हो गईं. कंवल का स्थान उन की नजरों में बहुत ऊंचा था. उन्होंने फौरन शैलजा को वापस आने के लिए फोन कर दिया.

उधर शैलजा अपनी मां की आवाज सुन कर बहुत खुश हुई और जाने की तैयार करने लगी. कंवल उसे छोड़ने जाने के लिए तैयार होता उस से पहले शैलजा ने बताया कि मां ने कहा है कि मुकुल लेने आ रहा है वह छुट्टी न करे और औफिस जाए.

शैलजा को जाने की तैयारी करते देख कर कंवल का मन अचानक भारी हो उठा. शैलजा ने भी कंवल का चेहरा देखा तो उस की आंखें भर आईं. उस ने माहौल को हलका करने के लिए कंवल से कहा, ‘‘चलिए जीजाजी, अब न जाने कब मुलाकात हो इसलिए जाने से पहले वह गाना सुना दीजिए.’’

कंवल की आवाज अच्छी थी, ‘‘मेरे महबूब कयामत होगी…’’

शैलजा का पसंदीदा गाना था और यह गाना वह कंवल से अकसर सुना करती थी.

1 हफ्ते बाद जो हुआ उस पर किसी को भी सहसा विश्वास न हुआ. शैलजा ने आत्महत्या कर ली थी. मरने से पहले वह कंवल के नाम की चिट्ठी छोड़ गई थी जो विशाखा को उस की मृत्यु के बाद उस की अलमारी में मिली थी.

विशाखा ने चिट्ठी पढ़ी तो हैरान रह गई. उस ने कंवल को भी वह चिट्ठी पढ़वाई. चिट्ठी में लिखा था-

‘‘आदरणीय जीजाजी,

‘‘बहुत सोचने पर भी मुझे आप के और मेरे बीच कोई ऐसा संबंध दिखाई नहीं दिया जिस पर मुझे शर्म आए पर न जाने किस ने मेरे मातापिता को आप के और मेरे नाजायज संबंध की झूठी बात बताई है. मैं ने अपने मातापिता को समझने की बहुत कोशिश की परंतु उन्होंने मेरी किसी बात पर विश्वास नहीं किया. मेरे पिताजी ने मुझ से कहा है कि क्या मेरा पालनपोषण उन्होंने इसलिए किया था कि बड़ी हो कर मैं उन के नाम पर कलंक लगाऊं? क्या मैं ने आप से संबंध बनाते वक्त विशाखा दीदी का भी खयाल नहीं किया? जीजाजी आप जानते हैं कि आप के और मेरे संबंध पवित्र हैं फिर यह मुझ किस बात की सजा दी जा रही है… इस ग्लानि के साथ जीना मेरे बस में नहीं है. यदि मुझ से कोई गलती हुई हो तो मैं विशाखा दीदी और आप से माफी मांगती हूं.

शैलजा.’’

चिट्ठी पढ़ कर का कंवल और विशाखा ने शैलजा के मातापिता से बात करने का विचार किया.

शैलजा की मां ने स्पष्ट शब्दों में नीना का नाम लिया और कहा कि उस ने खुद कंवल और शैलजा को आपत्तिजनक अवस्था में देखा था.

‘‘कैसी बात कर रही हो नीना? तुम कंवल पर झूठा इलजाम लगा रही हो. उस दिन कंवल के साथ बैडरूम में मैं थी न कि शैलजा,’’ विशाखा गुस्से में बोली.

‘‘नहीं दीदी, आप तो घर पर ही नहीं थीं और फिर शैलजा ने उस दिन पीली साड़ी पहनी हुई थी और मैं ने उसी को जीजाजी के साथ देखा था,’’ नीना अपनी बात पर अडिग थी.

तब विशाखा सारी बात समझ गई. उस ने नीना को बताया कि वह घर आ चुकी थी और

सब से मिले बिना ही कपड़े बदलने चली गई इसलिए नीना को लगा कि विशाखा घर पर नहीं है और उस दिन विशाखा घर से पीली साड़ी पहन कर ही गई थी और उसे ही बदलने के लिए वह बैडरूम में गई थी. उस वक्त शैलजा घर पर ही नहीं थी, वह तो मुकुल के लिए मिठाई लेने बाहर गई हुई थी.

नीना जैसे अर्श से फर्श पर गिरी हो. वह कंवल के पैरों में गिर पड़ी, ‘‘मुझे माफ कर दीजिए जीजाजी, यह अनजाने में मुझ से कैसी गलती हो गई जिस का पश्चात्ताप तो मैं अब मर कर भी नहीं कर सकती.’’

कंवल ने उसे पैरों से उठाया. उसे कुछ कहने के लिए कंवल के पास शब्द नहीं थे.

शाम का धुंधलका छाने लगा था. कंवल वापस घर आ गया था पर शैलजा की मौत से ले कर आज तक यही सोचता आया कि उस की मौत का गुनहगार कौन है. क्या नीना, जिस की सिर्फ एक गलतफहमी ने उस के और शैलजा के रिश्ते को अपवित्र किया या फिर शैलजा के मातापिता, जिन्हें अपनी परवरिश पर विश्वास नहीं था या फिर विशाखा, जिस ने सदा कंवल को अपनी मनमरजी से चलाना चाहा जिस के सान्निध्य में कंवल कभी संतुष्ट नहीं हो सका या फिर शैलजा जिस ने बात की गहराई में जाए बिना भावनाओं में बह कर अपना जीवन समाप्त करने का फैसला किया या फिर कंवल खुद जिस ने अपनी खुशी के लिए शैलजा से साड़ी पहनने का वादा लिया था? आखिर कौन था असली गुनहगार?

वक्त का पहिया: सेजल को अपनी सोच क्यों छोटी लगने लगी?

‘‘आज फिर कालेज में सेजल के साथ थी?’’ मां ने तीखी आवाज में निधि से पूछा.

‘‘ओ हो, मां, एक ही क्लास में तो हैं, बातचीत तो हो ही जाती है, अच्छी लड़की है.’’

‘‘बसबस,’’ मां ने वहीं टोक दिया, ‘‘मैं सब जानती हूं कितनी अच्छी है. कल भी एक लड़का उसे घर छोड़ने आया था, उस की मां भी उस लड़के से हंसहंस के बातें कर रही थी.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’ निधि बोली.

‘‘अब तू हमें सिखाएगी सही क्या है?’’ मां गुस्से से बोलीं, ’’घर वालों ने इतनी छूट दे रखी है, एक दिन सिर पकड़ कर रोएंगे.’’

निधि चुपचाप अपने कमरे में चली गई. मां से बहस करने का मतलब था घर में छोटेमोटे तूफान का आना. पिताजी के आने का समय भी हो गया था. निधि ने चुप रहना ही ठीक समझा.

सेजल हमारी कालोनी में रहती है. स्मार्ट और कौन्फिडैंट.

‘‘मुझे तो अच्छी लगती है, पता नहीं मां उस के पीछे क्यों पड़ी रहती हैं,’’ निधि अपनी छोटी बहन निकिता से धीरेधीरे बात कर रही थी. परीक्षाएं सिर पर थीं. सब पढ़ाई में व्यस्त हो गए. कुछ दिनों के लिए सेजल का टौपिक भी बंद हुआ.

घरवालों द्वारा निधि के लिए लड़के की तलाश भी शुरू हो गई थी पर किसी न किसी वजह से बात बन नहीं पा रही थी. वक्त अपनी गति से चलता रहा, रिजल्ट का दिन भी आ गया. निधि 90 प्रतिशत लाई थी. घर में सब खुश थे. निधि के मातापिता सुबह की सैर करते हुए लोगों से बधाइयां बटोर रहे थे.

‘‘मैं ने कहा था न सेजल का ध्यान पढ़ाई में नहीं है, सिर्फ 70 प्रतिशत लाई है,’’ निधि की मां निधि के पापा को बता रही थीं. निधि के मन में आया कि कह दे ‘मां, 70 प्रतिशत भी अच्छे नंबर हैं’ पर फिर कुछ सोच कर चुप रही.

सेजल और निधि ने एक ही कालेज में एमए में दाखिला ले लिया और दोनों एक बार फिर साथ हो गईं. एक दिन निधि के पिता आलोकनाथ बोले, ‘‘बेटी का फाइनल हो जाए फिर इस की शादी करवा देंगे.’’

‘‘हां, क्यों नहीं, पर सोचनेभर से कुछ न होगा,’’ मां बोलीं.

‘‘कोशिश तो कर ही रहा हूं. अच्छे लड़कों को तो दहेज भी अच्छा चाहिए. कितने भी कानून बन जाएं पर यह दहेज का रिवाज कभी नहीं बदलेगा.’’

निधि फाइनल ईयर में आ गई थी. अब उस के मातापिता को चिंता होने लगी थी कि इस साल निकिता भी बीए में आ जाएगी और अब तो दोनों बराबर की लगने लगी हैं. इस सोचविचार के बीच ही दरवाजे की घंटी घनघना उठी.

दरवाजा खोला तो सामने सेजल की मां खड़ी थीं, बेटी के विवाह का निमंत्रण पत्र ले कर.

निधि की मां ने अनमने ढंग से बधाई दी और घर के भीतर आने को कहा, लेकिन जरा जल्दी में हूं कह कर वे बाहर से ही चली गईं. कार्ड ले कर निधि की मां अंदर आईं और पति को कार्ड दिखाते हुए बोलीं, ‘‘मैं तो कहती ही थी, लड़की के रंगढंग ठीक नहीं, पहले से ही लड़के के साथ घूमतीफिरती थी. लड़का भी घर आताजाता था.’’

‘‘कौन लड़का?’’ निधि के पिता ने पूछा.

‘‘अरे, वही रेहान, उसी से तो हो रही है शादी.’’

निधि भी कालेज से आ गई थी. बोली, ‘‘अच्छा है मां, जोड़ी खूब जंचेगी.’’ मां भुनभुनाती हुई रसोई की तरफ चल पड़ीं.

सेजल का विवाह हो गया. निधि ने आगे पढ़ाई जारी रखी. अब तो निकिता भी कालेज में आ गई थी. ‘निधि के पापा कुछ सोचिए,’ पत्नी आएदिन आलोकनाथजी को उलाहना देतीं.

‘‘चिंता मत करो निधि की मां, कल ही दीनानाथजी से बात हुई है. एक अच्छे घर का रिश्ता बता रहे हैं, आज ही उन से बात करता हूं.’’

लड़के वालों से मिल के उन के आने का दिन तय हुआ. निधि के मातापिता आज खुश नजर आ रहे थे. मेहमानों के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं. दीनानाथजी ठीक समय पर लड़के और उस के मातापिता को ले कर पहुंच गए. दोनों परिवारों में अच्छे से बातचीत हुई, उन की कोई डिमांड भी नहीं थी. लड़का भी स्मार्ट था, सब खुश थे. जाते हुए लड़के की मां कहने लगीं, ‘‘हम घर जा कर आपस में विचारविमर्श कर फिर आप को बताते हैं.’’

‘‘ठीक है जी,’’ निधि के मातापिता ने हाथ जोड़ कर कहा. शाम से ही फोन का इंतजार होने लगा. रात करीब 8 बजे फोन की घंटी बजी. आलोकनाथजी ने लपक कर फोन उठाया. उधर से आवाज आई, ‘‘नमस्तेजी, आप की बेटी अच्छी है और समझदार भी लेकिन कौन्फिडैंट नहीं है, हमारा बेटा एक कौन्फिडैंट लड़की चाहता है, इसलिए हम माफी चाहते हैं.’’

आलोकनाथजी के हाथ से फोन का रिसीवर छूट गया.

‘‘क्या कहा जी?’’ पत्नी भागते हुए आईं और इस से पहले कि आलोकनाथजी कुछ बताते दरवाजे की घंटी बज उठी. निधि ने दरवाजा खोला. सामने सेजल की मां हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए खड़ी थीं और बोलीं, ’’मुंह मीठा कीजिए, सेजल के बेटा हुआ है.’’

अब सोचने की बारी निधि के मातापिता की थी. ‘वक्त के साथ हमें भी बदलना चाहिए था शायद.’ दोनों पतिपत्नी एकदूसरे को देखते हुए मन ही मन शायद यही समझा रहे थे. वैसे काफी वक्त हाथ से निकल गया था लेकिन कोशिश तो की जा सकती थी.

मेरा प्यार था वह: प्रेमी को भूल जब मेघा ने की शादी

मुझे ऐसा लगा कि नीरज वहीं उस खिड़की पर खड़ा है. अभी अपना हाथ हिला कर मेरा ध्यान आकर्षित करेगा. तभी पीछे से किसी का स्पर्श पा कर मैं चौंकी.

‘‘मेघा, आप यहां क्या कर रही हैं? सब लोग नाश्ते पर आप का इंतजार कर रहे हैं और जमाईजी की नजरें तो आप ही को ढूंढ़ रही हैं,’’ छेड़ने के अंदाज में भाभी ने कहा.

सब हंसतेबोलते नाश्ते का मजा ले रहे थे, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मैं एक ही पूरी को तोड़े जा रही थी.

‘‘अरे मेघा, खा क्यों नहीं रही हो? बहू, मेघा की प्लेट में गरम पूरियां डालो,’’ मां ने भाभी से कहा.

‘‘नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरा नाश्ता हो गया,’’ कह कर मैं उठ गई.

प्रदीप भैया मुझे ही घूर रहे थे. मुझे भी उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि आखिर उन्होंने मेरी खुशी क्यों छीन ली? पर वक्त की नजाकत को समझ कर मैं चुप ही रही. मां पापा भी समझ रहे थे कि मेरे मन में क्या चल रहा है. मैं नीरज से बहुत प्यार करती थी. उस के साथ शादी के सपने संजो रही थी. पर सब ने जबरदस्ती मेरी शादी एक ऐसे इनसान से करवा दी, जिसे मैं जानती तक नहीं थी.

‘‘मां, मैं आराम करने जा रही हूं,’’ कह कर मैं जाने ही लगी तो मां ने कहा, ‘‘मेघा, तुम ने तो कुछ खाया ही नहीं… जूस पी लो.’’

‘‘मुझे भूख नहीं है,’’ मैं ने मां से रुखे स्वर में कहा.

‘‘मेघा, ससुराल में सब का व्यवहार कैसा है और तुम्हारा पति सार्थक, तुम्हें प्यार करता है कि नहीं?’’ मां ने पूछा.

‘‘सब ठीक है मां,’’ मन हुआ कि कह दूं कि आप लोगों से तो सब अच्छे ही हैं. फिर मां कहने लगी, ‘‘सब का मन जीत लेना बेटा, अब वही तुम्हारा घर है.’’

‘‘मांबेटी में क्या बातें हो रही हैं?’’ तभी मेरे पति सार्थक ने कमरे में आते ही कहा.

‘‘मैं इसे समझा रही थी कि अब वही तुम्हारा घर है. सब की बात मानना और प्यार

से रहना.’’

‘‘मां, आप की बेटी बहुत समझदार है. थोड़े ही दिनों में मेघा ने सब का मन जीत लिया,’’ सार्थक ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मेरी शादी को अभी 3 ही महीने हुए थे, मैं शादी के बाद पहली बार मां के घर आई

थी. हमारे यहां आने से सब खुश थे, पर मेरी नजर तो अभी भी अपने प्यार को ढूंढ़ रही थी.

सार्थक ने रात में कमरे में आ कर कहा, ‘‘मेघा क्या हुआ? अगर कोई बात है तो मुझे बताओ. जब से यहां आई हो, बहुत उदास लग रही हो.’’

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है,’’ मैं ने अनमने ढंग से जवाब दिया. सार्थक मुझे एकदम पसंद नहीं. मेरे लिए यह जबरदस्ती और मजबूरी का रिश्ता है, जिसे मैं पलभर में तोड़ देना चाहती हूं पर ऐसा कर नहीं सकती हूं.

‘‘अच्छा ठीक है,’’ सार्थक ने बड़े प्यार से कहा.

‘‘आज मेरे सिर में दर्द है,’’ मैं ने अपना मुंह फेर कर कहा.

रात करीब 3 बजे मेरी नींद खुल गई. सोने की कोशिश की, पर नींद नहीं आ रही थी. फिर पुरानी यादें सामने आने लगीं…

हमारे घर में सब से पहले मैं ही उठती थी. मेरे पापा सुबह 6 बजे ही औफिस के लिए निकल जाते थे. मैं ही उन के लिए चायनाश्ता बनाती थी. बाकी सब बाद में उठते थे.

मेरे पापा रेलवे में कर्मचारी थे, इसलिए हम शुरू से ही रेलवे क्वार्टर में रहे. रेलवे क्वार्टर्स के घर भले ही छोटे होते थे, पर आगे पीछे इतनी जमीन होती थी कि एक अच्छा सा लौन बनाया जा सकता था. हम ने भी लौन बना कर बहुत सारे फूलों के पौधे लगा रखे थे, शाम को हम सब कुरसियां लगा कर वहीं बैठते थे.

मेरे घर के सामने ही मेरी दोस्त नम्रता का घर था, उस के पापा भी रेलवे में एक छोटी पोस्ट पर काम करते थे. मैं और नम्रता एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थीं. हम दोनों पक्की सहेलियां थीं. बेझिझक एकदूसरे के घर आतीजाती रहती थीं. एक रोज मैं और नम्रता बाहर खड़ी हो कर बातें कर रही थीं, तभी मेरी नजर उस के घर की खिड़की पर पड़ी तो देखा कि नीरज यानी नम्रता का बड़ा भाई मुझे एकटक देख रहा है. मुझे थोड़ा अजीब लगा. नीरज भी सकपका गया. मैं अपने घर के अंदर चली गई, पर बारबार मेरे दिमाग में उलझन हो रही थी कि आखिर वह मुझे ऐसे क्यों देख रहा था.

मैं ने महसूस किया कि वह अकसर मुझे देखता रहता है. नीरज का मुझे देखना मेरे दिल को धड़का जाता था. शायद नीरज मुझे पसंद करने लगा था. धीरेधीरे मुझे भी नीरज से प्यार होने लगा. हमारी आखें चार होने लगीं. उस की आंखों ने मेरी आंखों को बताया कि हमें एकदूसरे से प्यार हो गया है. अब तो हमेशा मैं उस खिड़की के सामने जा कर खड़ी हो जाती थी. नीरज की भूरी आंखें और सुनहरे बाल मुझे पागल कर देते थे. अब हम छिपछिप कर मिलने भी लगे थे.

सुबह मैं फिर उसी खिड़की के पास जा कर बैठ गई. तभी पीछे से किसी का स्पर्श पा

कर मैं हड़बड़ा गई और मेरी सोच पर पूर्णविराम लग गया.

‘‘मेघा, तुम कब से यहां बाहर बैठी हो? चलो अंदर चाय बनाती हूं,’’  मां ने कहा.

‘‘मैं यहीं ठीक हूं मां, आप जाओ, मैं थोड़ी देर में आती हूं.’’

मां ने मुझे शंका भरी नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘तुम अभी तक उस लफंगे को नहीं भूली हो? अरे, सब कुछ एक बुरा सपना समझ कर क्यों नहीं भूल जाती हो? उसी में सब की भलाई है. बेटा, अब तुम्हारी शादी हो चुकी है, अपनी घरगृहस्थी संभालो. अपने पति को प्यार करो. इतना अच्छा जीवनसाथी और ससुराल मिली है. एक लड़की को और क्या चाहिए?’’

मां की बातों से मुझे रोना आ गया. मेरी गलती क्या थी? यही न कि मैं ने प्यार किया और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है? अपने पति से कैसे प्यार करूं. जब मुझे उन से प्यार ही नहीं है?

‘‘अब क्यों रो रही हो? अगर तेरी करतूतों के बारे में जमाई राजा को पता चल गया, तो क्या होगा? अरे बेवकूफ लड़की, क्यों अपना सुखी संसार बरबाद करने पर तुली हो,’’ मां ने गुस्से में कहा.

‘‘कौन क्या बरबाद कर देगा मांजी?’’ सार्थक ने पूछा? जैसे उन्होंने हमारी सारी बातें सुन ली हों.

मां हड़बड़ा कर कहने लगी, ‘‘कुछ नहीं जमाईजी, मैं तो मेघा को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि अब पिछली बातें भूल जाओ… यह अपनी सब सहेलियों को याद कर के रो रही हैं.’’

‘‘ऐसे कैसे भूल जाएगी अपनी सहेलियों को… स्कूलकालेज अपने दोस्तों के साथ बिताया वह पल ही तो हम कभी भी याद कर के मुसकरा लेते हैं,’’ सार्थक ने कहा, ‘‘मेघा, दुनिया अब बहुत ही छोटी हो गई है. हम इंटरनैट के जरीए कभी भी, किसी से भी जुड़ सकते हैं.’’

हम मां के घर 3-4 दिन रह कर अपने घर रांची चल दिए. पटना से रांची करीब 1

दिन का रास्ता है. सार्थक तो सो गए पर ट्रेन की आवाज से मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं फिर वही सब सोचने लगी कि कैसे मेरे परिवार वालों ने हमारे प्यार को पनपने नहीं दिया.

प्रदीप भैया को कैसे भूल सकती हूं. उन की वजह से ही मेरा प्यार अधूरा रह गया था. मेरी आंखों के सामने ही उन्होंने नीरज को कितना मारा था. अगर तब नीरज की मां आ कर प्रदीप भैया के पैर न पकड़ती, तो शायद वे नीरज को मार ही डालते. उस दिन के बाद हम दोनों कभी एकदूसरे से नहीं मिले.

भैया ने तो यहां तक कह दिया था नीरज को कि आइंदा कभी यहां नजर आया या  मेरी बहन को नजर उठा कर भी देखने की कोशिश की, तो मार कर ऐसी जगह फेंकूंगा कि कोई ढूंढ़ नहीं पाएगा.

प्रदीप भैया की धमकी से डर कर नीरज और उस के परिवार वाले यहां से कहीं और

चले गए.

नम्रता को हमारे प्यार के बारे में सब पता था. एक दिन नम्रता मेरी मां से यह कह कर मुझे अपने घर ले गई कि हम साथ बैठ कर पढ़ाई करेंगी. हमारी 12वीं कक्षा की परीक्षा अगले महीने शुरू होने वाली थी. अत: मां ने हां कर दी. अब तो हमारा मिलना रोज होने लगा.

एक रोज जब मैं नम्रता के घर गई तो कोई नहीं दिखा सिर्फ नीरज था. उस ने बताया कि नम्रता और मां बाहर गई हैं. मैं वापस अपने घर आने लगी तभी नीरज ने मेरा हाथ अपनी ओर खींचा.

‘‘नीरज, छोड़ो मेरा हाथ कोई देख लेगा,’’ मैं ने नीरज से कहा.

‘‘कोई नहीं देखेगा, क्योंकि घर में मेरे अलावा कोई है ही नहीं,’’ उस ने शरारत भरी नजरों से देखते हुए कहा. उस की नजदीकियां देख कर मेरा दिल जोरजोर से धड़कने लगा. मैं अपनेआप को नीरज से छुड़ाने की कोशिश कर भी रही थी और नहीं भी. मैं ने अपनी आंखें बंद कर लीं. तभी उस ने मेरे अधरों पर अपना होंठ रख दिया.

‘‘नीरज, यह क्या किया तुम ने? यह तो गलत है.’’

‘‘इस में गलत क्या है? हम एकदूसरे से प्यार करते हैं,’’ कह कर उस ने मेरे गालों को

चूम लिया.

किसी को हमारे प्यार के बारे में अब तक कुछ भी पता नहीं था, सिर्फ नम्रता को छोड़ कर सुनहरे सपनों की तरह हमारे दिन बीत रहे थे. हमारे प्यार को 3 साल हो गए.

नीरज की भी नौकरी लग गई, और मेरी भी स्नातक की पढ़ाई पूरी हो गई. अब तो हम अपनी शादी के सपने भी संजोने लगे.

मैं ने नीरज को अपने मन का डर बताते हुए कहा, ‘‘नीरज, अगर हमारे घर वाले हमारे शादी नहीं होने देंगे तो?’’

‘‘तो हम भाग कर शादी कर लेंगे और अगर वह भी न कर पाए तो साथ मर सकते हैं न? बोलो दोगी मेरा साथ?’’

‘‘हां नीरज, मैं अब तुम्हारे बिना एक दिन भी नहीं सकती हूं,’’ मैं ने उस के कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा.

हमें पता ही नहीं चला कि कब प्रदीप भैया ने हमें एकदूसरे के साथ देख लिया था.

मेरे और नीरज के रिश्ते को ले कर घर में बहुत हंगामा हुआ. मुझे भैया से बहुत मार भी पड़ी. अगर भाभी बीच में न आतीं, तो शायद मुझे मार ही डालते. उस वक्त मांपापा ने भी मेरा साथ नहीं दिया था.

जल्दीजल्दी में मेरी शादी तय कर दी गई. इन जालिमों की वजह से मेरा प्यार अधूरा रह गया. कभी माफ नहीं करूंगी इन प्यार के दुश्मनों को.

‘‘हैलो मैडम, जरा जगह दो… मुझे भी बैठना है,’’ किसी अनजान आदमी ने मुझे छूते हुए कहा, तो मैं चौंक उठी.

मैं ने कहा, ‘‘यह तो आरक्षित सीट है.’’ तभी 2 लोग और आ गए और मेरे साथ बदतमीजी करने लगे. मैं चिल्लाई, ‘‘सार्थक.’’

सार्थक हड़बड़ा कर उठ गए. जब उन्होंने देखा कि कुछ लड़के मेरे साथ छेड़खानी करने लगे हैं, तो वे सब पर टूट पड़े. रात थी, इसलिए सारे पैसेंजर सोए हुए थे. मैं तो डर गई कि कहीं चाकूवाकू न चला दें.

अत: मैं जोरजोर से रोने लगी. तब तक डिब्बे की लाइट जल गई और पैसेंजर उन बदमाशों को पकड़ कर मारने लगे. कुछ ही देर में पुलिस भी आ गई.

‘‘मेघा, तुम ठीक हो न, तुम्हें कहीं लगी तो नहीं?’’ सार्थक ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. उन के सीने से लगते ही लगा जैसे मैं ठहर गई. अब तक तो बेवजह भावनाओं में बहे जा रही थी, जिन की कोई मंजिल ही न थी.

‘‘मैं ठीक हूं, मैं ने कहा.’’ सार्थक के हाथ से खून निकल रहा था, फिर भी उन्हें मेरी ही चिंता थी.

तभी किसी पैसेंजर ने कहा, ‘‘आप चिंता न करें भाई साहब इन्हें कुछ नहीं हुआ है. पर थोड़ा डर गई हैं. खून तो आप के हाथ से निकल रहा है.’’

तभी किसी ने आ कर सार्थक के हाथों पर पट्टी बांध दी. तब जा कर खून का बहना रुका.

मैं यह क्या कर रही थी? इतने अच्छे इनसान के साथ इतनी बेरुखी. सार्थक को अपने से ज्यादा मेरी चिंता हो रही थी… मैं इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हूं?

अब सार्थक ही मेरी दुनिया है, मेरे लिए सब कुछ है. नीरज तो मेरा प्यार था. सार्थक तो मेरा जीवनसाथी है.

बालों को करें त्योहार के लिए तैयार

निशा ने इस दीवाली अपने लिए एक बेहद खूबसूरत ड्रैस ली थी. नैट के दुपट्टे और लहरदार डिजाइन वाले इस लाइट पिंक स्लीवलैस सूट में वह बहुत प्यारी लग रही थी. मगर जब शाम में तैयार होते समय उस ने ड्रैस के हिसाब से बालों में एक अच्छा स्टाइल बनाने की कोशिश की तो वह सही लुक में नहीं आ पाया. उस के बाल रूखे और बेजान से लग रहे थे जिन में वह स्टाइल सूट नहीं कर रहा था. फिर उस ने बालों को खुला छोड़ने की सोची तो भी वे अच्छे नहीं लगे.

दरअसल, दीवाली से जस्ट पहले निशा एक ऐग्जाम देने लखनऊ गई थी और फिर आ कर शौपिंग में लग गई. इस वजह से वह अपने बालों का खयाल नहीं रख पाई और जब खूबसूरत दिखने का समय आया तो बालों की वजह से वह मात खा गई.

त्योहार एक ऐसा मौका है जब हर लड़की या महिला सब से खूबसूरत दिखना चाहती है. रंगबिरंगे नए कपड़ों के साथ स्टाइलिश या खुले बालों में सब की निगाहों पर छा जाना चाहती है, जबकि त्योहारों के सीजन में हमारा अधिकांश समय तैयारियों और व्यस्तता में व्यतीत होता है. ऐसे में अपने बालों की देखभाल करने के लिए समय निकालना कठिन हो जाता है.

त्योहारों में आकर्षक दिखने के लिए लड़कियां बाल खुले रखती हैं और खुले बाल अच्छे लगें इस की तैयारी पहले से करनी होती है. त्योहारों के आगमन से कुछ समय पहले से एक हेयर केयर रूटीन अपनाने की जरूरत है ताकि आप अच्छा हेयरस्टाइल बना सकें या लहराते खुले बाल रख सकें.

त्योहारी सीजन से पहले ऐसे करें हेयर केयर:

  1. अपने आहार पर ध्यान दें

पौष्टिक आहार का सेवन करना सब से महत्त्वपूर्ण है. विटामिन सी, आयरन और प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों का सेवन आप के सिर की त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है और बालों के ?ाड़ने से लड़ने में मदद करता है. इस के अतिरिक्त आहार में अधिक ओमेगा थ्री और ओमेगा 6 वाले खाद्यपदार्थ जैसे अंडे, बादाम और अखरोट शामिल करें.

2. बालों की नियमित रूप से ट्रिमिंग

नियमित रूप से ट्रिम करवाना स्वस्थ बालों को बनाए रखने का एक अनिवार्य हिस्सा है. हर 7-8 सप्ताह में अपने बालों को ट्रिम करने से दोमुंहे बालों को बालों की जड़ों तक बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है, जिस से बाल टूटते और बेजान होने लगते हैं. नियमित ट्रिम्स बालों के विकास को बढ़ावा देती है और बालों को एक ताजा, जीवंत रूप देती है. इस से बालों में मजबूती आती है और आप नएनए स्टाइल बना पाती हैं.

3. नियमित सफाई

अगला कदम उपयुक्त शैंपू से नियमित सफाई का महत्त्वपूर्ण कदम है विशेषरूप से त्योहारी सीजन के दौरान ऐसा करना बहुत जरूरी है. इस समय आप अकसर मार्केट वगैरह में घूमती हैं और धूलमिट्टी से आप का सामना होता रहता है. यदि आप ने बालों में कोई कैमिकल ट्रीटमैंट लिया है तो आप के क्लींजर में पीएच संतुलन और मौइस्चराइजिंग प्रभाव होना चाहिए. जो महिलाएं या लड़कियां रोजाना बाल धोती हैं उन के लिए सल्फेट मुक्त शैंपू जरूरी है. साथ ही ऐसा शैंपू चुनें जो आप के बालों के प्रकार से मेल खाता हो और आप की किसी भी समस्या जैसे रूसी या रूखापन का समाधान करता हो.

धीरेधीरे शैंपू को अपनी स्कैल्प में लगाएं और गंदगी, अतिरिक्त तेल आदि को हटाने के लिए इस की मालिश करें. अब कुनकुने पानी से अच्छी तरह धो लें. अपने बालों को पूरा दिन ताजा बनाए रखने के लिए फल या नीबू जैसी हलकी सुगंध वाले शैंपू का उपयोग कर सकती हैं.

4. बालों की कंडीशनिंग

यदि बालों की कंडीशनिंग नियमित रूप से की जाए तो यह बालों की देखभाल के लिए सब से सरल और प्रभावी कदम हो सकता है. आप को बस थोड़े ऐलोवेरा में नारियल तेल की थोड़ी मात्रा गरम करनी है. फिर अपनी उंगलियों को इस गरम तेल में डुबोएं और इसे अपने बालों में लगाएं. उन जगहों पर ज्यादा लगाएं जो शुष्क या रूखी है. कंडीशनर को कुछ मिनट तक अपना जादू चलाने दें ताकि यह आप के बालों में प्रवेश कर उन्हें हाइड्रेट कर सके.

इस से आप के बालों की समस्याएं दूर हो जाएंगी. ऐलोवेरा+नारियल का मेल न केवल आप के बालों को पोषण देगा और उन्हें स्वस्थ बनाएगा बल्कि ऐलोवेरा के कंडीशनिंग प्रभाव के कारण आप के बाल मुलायम भी बनेंगे. इस से आप के लिए किसी भी उत्सव के ट्रैंडी हेयरस्टाइल को बनाने में आसानी होगी.

अपने बालों को नियमित रूप से ब्रश करने से आप को बालों को साफ करने में मदद मिलेगी. चौड़े दांतों वाली कंघी से ब्रश करने की सही तकनीक स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने में मदद करेगी जिस से बालों का रूखापन कम होगा. इस से आप के बाल फ्रैश और स्टाइलिश बने रहेंगे.

5. हेयर मास्क लगाना

त्योहार के मौके पर स्टाइलिंग के लिए बालों को तैयार करने के लिए करीब 6-7 दिन पहले हेयर मास्क लगाना भी आवश्यक है क्योंकि आप के बाल जितने अधिक हाइड्रेटेड होंगे उतना बेहतर होगा. हेयर मास्क आप मेहंदी का भी लगा सकती हैं या दूसरे और भी कई तरह के बेहतरीन हेयर मास्क हैं जैसे ऐलोवेरा और नारियल तेल का हेयर मास्क, मेहंदी और आंवला का हेयर मास्क, शहद और अंडे का हेयर मास्क, ऐवोकाडो और औलिव औयल हेयर मास्क, नारियल तेल और अंडे का हेयर मास्क और बालों में तेल लगाना.

अपने बालों को नमी देने के लिए तेल का उपयोग करें. तेल आप के बालों को मौइस्चराइज करता है. इस से आप का हेयरस्टाइल अच्छा दिखता है. जिन दिनों आप हेयर मास्क नहीं लगाती हैं उन दिनों बालों को धोने के बाद उन में कुछ घंटों के लिए या फिर रातभर के लिए तेल लगाएं. थोड़ी मात्रा में तेल लें और अपनी उंगलियों का उपयोग कर के गोलाकार गति में अपने सिर की मालिश करें. रात को सोने से पहले अपने बालों में आवश्यक तेलों का मिश्रण लगाएं. इस से रूखे व बेजान बाल भी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं.

तेल के मिश्रण को अपनी स्कैल्प और बालों पर अच्छे से लगाने के बाद अपने बालों को 10 मिनट के लिए गरम तौलिए में लपेटें और फिर छोड़ दें. सुबह हलके हेयर क्लींजर से धो लें. आप जरूरत के हिसाब से नारियल तेल, सरसों तेल, आंवला, बादाम या ऐसे हर्बल तेल चुनें जो बालों की जड़ों में प्रवेश करते हैं, जड़ों को मजबूत करते हैं और आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं. ये बालों के विकास को उत्तेजित कर प्राकृतिक चमक प्रदान करते हैं.

6. बालों को कोमल बनाएं

मुलायम, रेशमी बाल त्योहार के दौरान आप की खूबसूरती को और भी खास बना सकते हैं. इस के लिए निम्न सामग्री का प्रयोग करें:

1 अंडा, 1 चम्मच ऐलोवेरा जूस और कुछ बूंदें नीबू का रस एक साफ कांच के कटोरे में मिलाएं और अपने साफ और सूखे बालों पर लगाएं. अपने सिर को शौवर कैप से ढक कर एक घंटे के लिए छोड़ दें. फिर हलके शैंपू से धो लें और बालों को सूखने दें.

7. हीटिंग टूल्स का कम प्रयोग

त्योहारों के समय हेयरस्टाइल बनाने के लिए आमतौर पर हीटिंग टूल्स का काफी इस्तेमाल किया जाता है. मगर हीटिंग टूल्स के साथ स्टाइल करने से आप के बालों की प्राकृतिक नमी खत्म हो जाती है. इसलिए ब्लोड्राइंग, स्ट्रेटनिंग और कर्लिंग से बचें. इस के बजाय यदि आप ऐलोवेरा और नारियल तेल जैसे प्राकृतिक तत्त्वों को अपनाती हैं तो इस से न केवल आप के बालों को आवश्यक डिटौक्स ट्रीटमैंट मिलेगा बल्कि ये नर्म, मजबूत और स्वस्थ भी बनेंगे.

8. त्योहार के दिन हेयर केयर

त्योहार के दिन अपने बालों को किसी अच्छे शैंपू से धोएं. फिर कंडीशनर का इस्तेमाल कर इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें. बाल तैयार हो जाएं तो अपनी ड्रैस के हिसाब से एक खूबसूरत, स्टाइलिश लेकिन सरल हेयरस्टाइल बनाएं. त्योहारों के दौरान हमें लगातार कई मौकों के लिए तैयार होना होता है. ऐसे में कोशिश करें कि आप हर दिन अलगअलग हेयरस्टाइल बनाएं.

9. बालों को कलर करें

अपने बालों पर कलर लगा कर आप इन्हें एक अलग लुक दे सकती हैं और अपनी खूबसूरती में चार चांद लगा सकती हैं. मार्केट में मिलने वाले कलर्स का प्रयोग कर सकती हैं या फिर मेहंदी या चुकंदर का रस ट्राई करें. ये प्राकृतिक रूप से आप के बालों को काला कर आकर्षक बनाएंगे और कंडीशन भी करेंगे. चुकंदर के रस का उपयोग करने के बाद आप को अपने बालों पर पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए और ध्यान रखें कि एक बार जब आप अपने बालों पर पानी का उपयोग कर लेंगी तो रंग नहीं रहेगा.

10. बाल सावधानी से सुलझाएं

बालों के अनावश्यक टूटने और खिंचने से बचने के लिए बालों को धीरे से सुल?ाना महत्त्वपूर्ण है. कंडीशनर लगाने के बाद चौड़े दांतों वाली कंघी या विशेषरूप से सुल?ाने के लिए डिजाइन किए गए ब्रश का उपयोग करें. सिरों से शुरू करें और धीरेधीरे किसी भी गांठ या उल?ान को हटाते हुए ऊपर की ओर बढ़ें. इस से बाल कम टूटते हैं.

त्योहारी सीजन के दौरान जब आप हर दिन नया हेयरस्टाइल बनाने के लिए हीट का उपयोग करती हैं तो यह आप के बालों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है. इस के विपरीत अगर आप पहले से बालों की देखभाल करेंगी तो उन्हें अपने हिसाब से संवारना बहुत आसान हो जाएगा और हीटिंग टूल्स के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी.

कहीं आप फ्रोजन शोल्डर के शिकार तो नहीं, डौक्टर की राय जानें यहां

मुंबई की एक पाश एरिया में रहने वाले 40 वर्षीय मोहन के बाई हाथ और कंधों  में बहुत दर्द रहता था, उन्हें लगा कि ये हार्ट की कोई बीमारी है, उन्होंने कई डौक्टर को कंसल्ट किया, सारे टेस्ट करवा डालें, लेकिन कुछ नहीं निकला. अंत में जब वे ओर्थोपेडिक सर्जन के पास गए, तो उन्होंने उनके लाइफस्टाइल के बारें में बात की और पता चला कि उनके बायें हाथ का दर्द उनकी गलत सोने की पोस्चर की वजह से है. वे अपने सिर के नीचे हाथ रखकर सोते है और लगातार ऐसा करने की वजह से उन्हें फ्रोजन शोल्डर की शिकायत हो चुकी है, जिसकी वजह से उनके बाए हाथ और कंधों में दर्द रहता है. डौक्टर ने उन्हें कुछ एक्सरसाइज और सोने की आदत को बदलने के लिए कहा, जिससे उनके फ्रोजन शोल्डर की शिकायत और हाथ दर्द ठीक हो गया.

इस बारें में एमीकेयर हौस्पिटल के जौइंट स्पेशलिस्ट और ओर्थोपेडिक सर्जन डा. हिमांशु गुप्ता कहते है कि कंधे के जोड़ों में जकड़न यानी फ्रोजन शोल्डर, जिसे एडहेसिव कैप्सूलाइटिस भी कहा जाता है. यह स्थिति मधुमेह ग्रस्त और उन लोगों में अधिक होती है जो अपनी बाहों को अधिक अवधि के लिए एक स्थान पर स्थिर रखते हैं. समय रहते इसका ध्यान देने पर आसानी से इसका इलाज हो सकता है. इसकी शुरूआती लक्षण, जांच और इलाज की जानकारी होने की जरुरत होती है. वैसे तो इसका इलाज नौनसर्जिकल ही होता है, लेकिन कई बार सर्जिकल भी करना पड़ता है. इसके लक्षण निम्न है,

जानें वजह

हालांकि फ्रोजन शोल्डर के स्पष्ट कारणो के सन्दर्भ में कुछ कहा नहीं जा सकता परन्तु इसकी शुरुआत अक्सर कुछ विशेष कारकों से जुड़ी होती है. 40 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है. मधुमेह, थायरौयड और हृदय रोग जैसे शारीरिक स्थितियों में इसके होने की संभावना बढ़ सकती है. किसी चोट या सर्जरी के बाद लंबे समय तक स्थिर रहने से औटोइम्यून विकारों और हार्मोनल असंतुलन के साथ-साथ कंधे जम जाते हैं, जिसका दर्द नीचे हाथ तक आ सकता है.

क्या है लक्षण

फ्रोजन शोल्डर के लक्षणों को तीन अलग-अलग स्टेज में देखा जा सकता है, प्रत्येक की पहचान विशेष संकेतों से होती है,

  1. फ्रीजिंग स्टेज

इसके शुरूआती दौर में दर्द और अकड़न बढ़ जाती है, जिससे कंधे की गति सीमित हो जाती है. बालों में कंघी करना या कपड़े पहनना जैसे साधारण कार्यों में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.

2. फ्रोजन स्टेज

इसमें दर्द कुछ हद तक कम रह सकता है, लेकिन जकड़न बनी रहती है. कंधे की गतिशीलता काफी कम हो जाती है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियां प्रभावित होने लगती है.

3. थाइंग स्टेज

इस स्टेज में व्यायाम से सुधार होता है, दर्द थोडा कम हो जाता है, और अधिकतर मरीज फिर से अपने कंधे का प्रयोग कर पाते हैं.

क्या है इलाज

फ्रोजन शोल्डर के सही इलाज के लिए रोगी के मेडिकल हिस्ट्री,  उनका संपूर्ण शारीरिक परीक्षण और कभीकभी, एक्स-रे या एमआरआई स्कैन जैसी अन्य इमेजिंग तकनीकों के संयोजन की जरुरत होती है. सही इलाज के लिए फ्रोजन शोल्डर के लक्षणों को बारीकी से देखना पड़ता है, ताकि इसकी शिकायत को जल्दी कम किया जा सकें.

बिना सर्जरी के इलाज प्रक्रिया में दर्द को कम करना और कंधे की कार्यप्रणाली को वापस शुरु करना शामिल होता है. इसमें दवा के साथ कई बार फिजियोथिरेपिस्ट की सहायता लेनी  सकती है.

फिजियोंथिरेपिस्ट द्वारा बताए गए व्यायाम और स्ट्रेच कंधे की गतिशीलता को बनाए रखने और सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

दर्द और सूजन को कम करने के लिए नौनस्टेरायडल एंटीइन्फ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs) और कॉर्टिकोस्टेरौइड इंजेक्शन का सही तरीके से उपयोग किया जा सकता है.

इसके इलाज में थर्मल थेरेपी काफी कारगर होती है. गर्मी या ठंडे पैक का इस्तेमाल परेशानी को कम कर सकता है और मांसपेशियों की जकड़न में ये प्रक्रियां आराम दे सकता है.

जब पारंपरिक तरीके काम नही आते हैं और मरीज का जीवन स्तर लगातार प्रभावित होता रहता है, तो सर्जिकल इलाज एकलौता विकल्प बच जाता हैं:

मैनीपुलेशन अंडर एनेस्थीसिया (MUA) में, मरीज एनेस्थीसिया के तहत होता है तो ओर्थोपेडिक सर्जन कंधे को विभिन्न गतियों से घुमाता है, जिससे स्थिर टिश्यू में गति आ जाती है.

आर्थ्रोस्कोपिक रिलीज़ भी एक प्रकार की न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल है. इस तरीके की इलाज में कंधे के जोड़ के अन्दर बारीक़ टिश्यू को सही करना पड़ता है.

सर्जिकल और नौनसर्जिकल तरीकों के बीच का निर्णय फ्रोजन शोल्डर की गंभीरता और दैनिक गतिविधियों पर इसके असर पर निर्भर करता है. शुरुआत में, व्यायाम और दवाओं के साथ नौनसर्जिकल तरीकों से इलाज की कोशिश की जाती है, जबकि कुछ जटिल मामलों में सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जाता है जब पारंपरिक  तरीकों से इलाज के बावजूद दर्द और परेशानियां बनी रहती है.

सावधानियां

  • उपचार के साथसाथ, डौक्टर्स द्वारा बताये गए निर्देशों का पालन करना और उनका सलाह लेना आवश्यक है.
  • नियमित निर्देश के अनुसार व्यायाम करें, जिसमे हल्के स्ट्रेच और व्यायाम को जारी रखना आवश्यक है, ताकि लचीलेपन को बढाने और स्वास्थ्य के सुधार में सहायता मिले.
  • अत्यधिक तनाव से बचने की हमेशा कोशिश करें, कंधे का अधिक से अधिक प्रयोग करने से बचें, ताकि उस पर अधिक दबाव न पड़ें.
  • अपने पोस्चर सही रखने की हमेशा कोशिश करें, अगर आप एक स्थान पर बैठकर लैपटॉप या मोबाइल पर अधिक समय तक काम करते हो तो समयसमय पर उठकर थोड़ी टहल लें, इससे कंधे के जोड़ को राहत मिलती है और दर्द में भी कमी आती है.
  • इलाज को कारगर बनाने के लिए तय दवाईओं और नियमों का पालन करना जरूरी होता है, इससे दर्द से बहुत हद तक राहत मिलती है.

इस प्रकार फ्रोजन शोल्डर शरीर में उत्पन्न एक विशेष डिसऔर्डर है, जिसके सभी लेवेल्स, लक्षणों और उपचार के तरीके की जानकारी आवशयक है. सर्जरी या नौन सर्जरी के माध्यम से इलाज संभव होता है, ताकि दर्द कम हो और दैनिक जीवन में व्यक्ति की गतिशीलता लगातार बनी रहे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें