अलका याग्निक को अचानक क्यों सुनाई देना हुआ बंद, इस बीमारी की शिकार हुईं सिंगर

हाल ही में अलका याग्निक ने खुलासा किया था कि उन्हें धीरेधीरे कम सुनाई देने लगा है और उन की सुनने की शक्ति कम हो रही है। अलका याग्निक को एक बीमारी हो गई है जिस की वजह से उन्हें अब कम सुनाई देता है। अलका के सेक्रेटरी ने हाल ही में अलका याग्निक के हैल्थ को ले कर अपडेट दिया साथ ही यह भी बताया कि अलका को कम सुनाई देने की पीछे खास वजह क्या है.

खतरनाक बीमारी

दरअसल, 90 के दशक की मशहूर सिंगर अलका याग्निक को रेयर डिसऔर्डर की बीमारी हो गई है जिस की वजह से उन को एक कान से कम सुनाई देता था लेकिन फिर धीरेधीरे उन्हें दूसरे कान से भी कम सुनाई देने लगा.

सेक्रेटरी के अनुसार, अलका याग्निक 2 महीने पहले फ्लाइट से गोवा गई थीं. जब वे प्लेन से उतरीं तो उन्हें सुनना बंद हो गया. जब 24 घंटे तक भी उन की हालत में सुधार नहीं हुआ, तो उन्होंने डाक्टर को दिखाया. उसी दौरान इस बीमारी का पता चला. मैनेजर नीरज मिश्रा के अनुसार, अलका याग्निक कोविड के दौरान एक खतरनाक वायरस का शिकार हुई थीं जिसके बाद ही उन्हें कम सुनाई देने की बीमारी शुरू हो गई.

वायरस का अटैक

सेक्रेटरी के अनुसार, कई अन्य लोगों को भी इस तरह की बीमारी हुई है. मैनेजर के अनुसार कोविड के टाइम पर जब उन्हें यह वायरस अटैक हुआ तो वह कम सुनने की क्षमता से प्रभावित हुई थीं. लेकिन फिलहाल उन की हालात ठीक नहीं है जिस की वजह से वे अस्पताल में भी भरती भी हुई थीं। अब वह घर पर आराम कर रही हैं और पहले से उन की हालत बेहतर है।

फिलहाल, अलका याग्निक कोई शो नहीं कर रही हैं। उन्होंने सारे शो की डेट आगे बढ़ा दी है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले इंस्टाग्राम के जरीए अलका याग्निक ने अपनी इस बीमारी का खुलासा किया था साथ ही लोगों को लाउड म्यूजिक न सुनने के लिए भी सावधान किया था.

हैडफोन का साइडइफैक्ट

अलका के अनुसार वह हैडफोन लगाकर लाउड म्यूजिक सुनती थीं जिस वजह से भी उन्हें न सुनने की तकलीफ बढ़ गई.

एक मासूम सी ख्वाहिश: रवि को कौनसी लत लगी थी

 कहानी- कीर्ति प्रकाश

योंतो रवि और प्रेरणा की शादी अरेंज्ड मैरिज थी, मगर सच यही था कि दोनों एकदूसरे को शादी से 3 साल पहले से जानते थे और एकदूसरे को पसंद करते थे. दिल में एकदूसरे को जगह दी तो फिर कोई और दिल में न आया. दुनिया एकदूसरे के दिल में ही बसा ली सदा के लिए.

सब के लिए एक नियत वक्त आता है और इन दोनों के जीवन में भी वह नियत खूबसूरत वक्त आया जब मातापिता, समाज ने इन्हें पतिपत्नी के बंधन में बांध दिया.

जीवन आगे बढ़ा और प्यार भी. रवि और प्रेरणा के बीच हर तरह की बात होती. अमूमन पतिपत्नी बनने के बाद ज्यादातर जोड़ों के बीच बहुत सारी बातें खत्म हो जाती हैं. मसलन, राजनीति, खेलकूद, देशदुनिया, साइंस, कैरियर, हंसीमजाक आदि. मगर इन के बीच सबकुछ पहले जैसा था. हंसीमजाक, ठिठोली, वादविवाद, एकदूसरे की टांग खिंचाई, एकदूसरे की खास बातों में सलाह देनालेना, साथ घूमनाफिरना, एक ही प्लेट में खाना, एकदूसरे का इंतजार करना आदि सबकुछ बहुत प्यारा था रवि और प्रेरणा के बीच. ऐसा नहीं कि रवि और प्रेरणा के  झगड़े न होते हों. होते थे मगर वैसे ही जैसे दोस्त लड़ते झगड़ते, मुंह फुलाते और आखिर में वही होता, चलो छोड़ो न यार जाने दो न. सौरी बाबा… माफ कर दो न. गलती हो गई और दोनों एकदूसरे को गले लगा लेते.

रवि और प्रेरणा की छोटी सी प्यारी सी गृहस्थी थी. शादी को 6 साल हो गए थे. अनंत 2 साल का हो गया था. अब एक और मेहमान बस 4-5 महीनों में आने वाला था. जीवन की बगिया महक रही थी. रवि प्रेरणा का बहुत खयाल रखता था. प्रेरणा ने भी जीवन के हर पल में रवि को हद से ज्यादा प्यार किया. शादी के 6 साल बाद भी यों लगता जैसे अब भी दोनों प्यार में हैं और जल्द से जल्द एकदूसरे के जीवनसाथी बनना चाहते हों. रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों के अलावा शायद ही कोई सम झ पाता था कि दोनों पतिपत्नी हैं. हां, अनंत के कारण भले ही अंदाज लगा लेते थे वरना नहीं.

अब सबकुछ अच्छा चल रहा था. कहीं कोई कमी न थी. फिर भी जाने क्यों कभीकभी प्रेरणा उदास हो जाती. रवि शायद ही कभी उस के उदास पल देख पाता और कभी दिख भी जाते तो प्रेरणा कहती, ‘‘कुछ नहीं, यों ही.’’

प्रेम चीज ही ऐसी है जो स्व का त्याग कर दूसरे को खुश रखने की कला सिखा ही देती है. मगर इन सब बातों के बीच एक ऐसी बात थी, एक ऐसी आदत रवि की जिसे प्रेरणा कभी दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. हालांकि उस ने कोशिश बहुत की. उस ने कई बार रवि से कहा भी, बहुत मिन्नतें भी कीं कि प्लीज इस आदत को छोड़ दो. यह हमारी प्यारी गृहस्थी, हमारे रिश्ते, हमारे अगाध प्यार के बीच एक दाग है. कहतेकहते अब 6 साल बीतने को थे. रवि ने न जाने उस आदत को खुद नहीं त्यागना चाहा या फिर उस से हुआ नहीं, पता नहीं. जबकि कहते हैं कि दुनिया में जिंदगी और मौत के अलावा बाकी सबकुछ संभव है. महान गायिका लताजी का यह गाना सुन कर मन को बहला लेती, ‘हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कभी जमीं तो कभी आसमां नहीं मिलता…’

नन्हे मेहमान के आगमन में बस 2 महीनों की देरी थी. रवि जल्दी घर आता. प्रेरणा को बहुत प्यार देता. अनंत भी खुश था, क्योंकि उसे बताया गया कि मम्मी तुम्हारे लिए जल्द ही एक बहुत ही सुंदर गुड्डा या गुडि़या लेने जाएंगी जो तुम्हारे साथ खेलेगी भी, दौड़ेगी भी और बातें भी करेगी. अनंत को गोद में लिए रवि प्रेरणा के साथ बैठ घंटों दुनियाजहान की बातें करता. प्रेरणा हर वक्त खुश थी पर कभीकभी अनायास पूछ बैठती, ‘‘रवि, तुम सच में अपनी आदत नहीं छोड़ सकते?’’

रवि उस के हाथ थाम फिर वही बात दोहरा देता जो पिछले 6 सालों से कहता आ रहा था, ‘‘बस 2-4 दिन दे दो मु झे. सच कहता हूं इस बार पक्का. तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगा.’’

प्रेरणा कसक भरी मुसकान के साथ सिर हिला देती, ‘‘ओके, प्लीज, इस बार जरूर.’’

रवि प्यार से प्रेरणा के माथे को चूम लेता, कभी गालों पर थपकी दे कर कहता, ‘‘इस बार पक्का प्रौमिस.’’

बात फिर खत्म हो जाती.

एक शाम अचानक प्रेरणा का बहुत दिल किया कि आज आइसक्रीम

खाने चलते हैं. वैसे भी 2-3 महीनों से कहीं निकली नहीं थी. रवि ने कहा, ‘‘मैं घर ही ले आता हूं.’’

प्रेरणा नहीं मानी. तीनों तैयार हो कर आइसक्रीमपार्लर चले गए. आइसक्रीम खाते हुए बहुत खुश थे तीनों. होनी कुछ और लिखी गई थी, जिस का समय नजदीक था. तीनों घर आए. अनंत तो आते ही सो गया. प्रेरणा के दिल में आज फिर एक सोई हुई ख्वाहिश जगी. उस ने रवि का हाथ पकड़ कर अपनी ओर प्यार से खींचते हुए कहा, ‘‘रवि, सुनो न एक बात… इधर आओ तो जरा.’’

मगर रवि ने पुरानी आदत के अनुसार हाथ छुड़ाते हुए कहा, ‘‘रुको प्रेरणा. बस 5 मिनट, मैं अभी आया,’’ और फिर बालकनी में चला गया और सिगरेट पीने लगा.

अचानक प्रेरणा की तेज चीख सुन कर रवि दौड़ा. प्रेरणा बाथरूम में लहूलुहान पड़ी थी. अब बस उस की आंखें कुछ कह रह थीं पर उस के मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी. रवि के प्राण ही सूख चले. उस ने बिना देर किए ऐंबुलैंस बुलाई और प्रेरणा को कुछ ही पलों में हौस्पिटल पहुंचाया गया. तत्काल इलाज शुरू हुआ. रवि अब तक अपने मातापिता और प्रेरणा के घर वालों को भी खबर कर चुका था. सभी आ गए. सभी प्रेरणा के लिए चिंतित और दुखी थे.

उधर अनंत घर में अकेला था. सिर्फ नौकरों के भरोसे छोटा बच्चा नहीं रह सकता, इसलिए रवि की मां को घर जाना पड़ा. इधर डाक्टर प्रेरणा की कंडीशन को अब भी खतरे में बता रहे थे. बच्चा पेट में खत्म हो गया था. औपरेशन कर दिया था. अब प्रेरणा को बचाने की कोशिश में जुटे थे. थोड़ी देर में अनंत को ले कर मां पुन: हौस्पिटल आईं. मां ने रवि के हाथ में एक पेपर देते हुए कहा, ‘‘यह तकिए के नीचे रखा था शायद… अनंत के हाथ में खेलते हुए आ गया. कोई जरूरी चीज हो शायद यह सोच मैं लेती आई.’’

मां पढ़ना नहीं जानती थीं सो रवि पढ़ने लगा.

उस ने पहचान लिया. प्रेरणा की लिखावट थी और जगहजगह स्याही ऐसे बिखरी हुए थी कि लग रहा था उस ने रोतेरोते ही ये सब लिखा है. अरे यह तो अभी शाम को लिखा है उस ने… क्योंकि प्रेरणा की आदत सभी जानते हैं. वह कुछ भी लिखती है तो उस पर अपने साइन कर के नीचे तारीख और समय भी लिखती है. मतलब कि जब रवि थोड़ी देर के लिए सिगरेट पीने बालकनी में गया था तभी प्रेरणा ने यह लिखा था.

कागज में लिखा था, ‘पता है रवि जब प्यार में हम दोनों सराबोर हुए थे पहली बार… जब हम पहली बार अपनेअपने दिल की बात एकदूसरे से कहने को मिले थे, जो शायद हमारे प्यार की पहली ही शाम थी, उस दिन हम ने समंदर किनारे बने उस कौफीहोम में समंदर की लहरों को साक्षी मान कर एकदूसरे से पूछा था कि हम एकदूसरे को ऐसा क्या दे सकते हैं जो सच में बहुत नायाब हो. मैं ने कहा पहले आप कहो रवि. याद है रवि आप ने क्या कहा था? आप को तो शायद याद ही नहीं है, लेकिन मैं एक पल को भी नहीं भूली. आप ही ने कहा था रवि कि मैं तुम्हारी आंखों से अपनी आंखों को जोड़ना चाहता हूं. बोलो दोगी मु झे यह तोहफा? मैं ने आप की आंखों में प्यार की सचाई देखी थी. उस एक पल में मैं ने आप के साथ अपना पूरा जीवन देख लिया था. ऐसे तोहफे आप मांगेंगे यह कल्पना तो नहीं की थी, लेकिन आप की इस ख्वाहिश ने ही मु झे भी यह ख्वाहिश दे दी कि मैं आप की यह इच्छा जरूर पूरी कर दूं. दिल में तो आया था कि अभी ही पूरी कर दूं. पर मैं शादी के बाद आप की यह इच्छा जरूर पूरी करूंगी, मैं ने सोच लिया था. लेकिन साथ ही यह भी था कि मु झे आप का सिगरेट पीना बरदाश्त न था मैं ने अपने घरपरिवार में कभी ये सब देखासुना नहीं था.

‘मु झे इस के धुएं से, इस की अजीब सी स्मैल से हद से ज्यादा नफरत थी. मेरा दम घुटने को हो आता है इस से. फिर भी मैं ने नजरें नीची कर के कहा कि सही वक्त आने पर आप को यह तोहफा जरूर दूंगी. आप की आंखें खुशी से चमक उठी थीं. मु झे बहुत अच्छा लगा था रवि. फिर आप ने मु झ से पूछा कि तुम्हें मु झ से क्या चाहिए? याद है रवि, मैं ने एक ही चीज मांगी थी. रवि आप सिगरेट पीना छोड़ दो. इस के अलावा मु झे सारी जिंदगी कुछ और नहीं चाहिए. आप ने कहा बस 1 सप्ताह बाद तुम मु झे सिगरेट पीते नहीं देखोगी. मैं कितनी खुश हुई थी, आप इस का अंदाजा नहीं लगा सकते. लेकिन आप ने पलट कर यह नहीं पूछा कि मु झे यही तोहफा नायाब क्यों लगा? मैं ने बताया भी नहीं. जानते हो रवि क्यों नहीं मांगा था मैं ने ताकि मैं आप की ख्वाहिश पूरी कर सकूं. हां रवि, आप की सांसों से अपनी सांसों को जोड़ने की ख्वाहिश मेरे मन में भी जग चुकी थी. पर आप की सिगरेट पीने की आदत ने मु झे यह कभी करने न दिया.

‘मु झे आप से बहुत प्यार मिला है रवि बहुत सम्मान मिला है. सच है कि आप को जीवनसाथी पा कर मैं इस जहान में खुद को सब से ज्यादा खुशहाल पाती हूं. हमारी एकदूसरे से नजदीकियां तो शरीर और मन की तरह हैं रवि. पर बेहद अजीब है न कि इतने करीब हो कर भी वह पल नहीं आ पाया कि मेरा वादा और मेरी एक छोटी सी ख्वाहिश पूरी हो सके.

‘शादी के बाद इन 6 सालों में आप ने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर अफसोस मेरी एक छोटी सी यह ख्वाहिश आज भी अधूरी है. कितनी बार मैं ने चाहा, मगर हर बार जब भी आप की सांसों का हमकदम बनना चाहा हर बार वही सिगरेट की अजीब सी गंध ने मु झे मुंह फेर लेने को मजबूर किया. लेकिन आप ने कभी यह सम झने की कोशिश नहीं की. क्या कोई यकीन कर सकता है रवि कि पतिपत्नी हो कर, 1 बच्चे के मातापिता हो कर भी हम एकदूसरे के होंठों के स्पर्श को नहीं जानते. लोग हंसेंगे कि यह क्या बकवास है. भला 6 साल के दांपत्य जीवन में ऐसा पल न आया हो. मैं कैसे कहूं कि यह हमारे अटूट बंधन, गहरे प्रेम के बीच एक दाग की तरह है, मगर सच है आप नहीं सम झोगे रवि. लेकिन मैं अब सम झ गई हूं कि आप मु झे भी शायद छोड़ सकते हो, लेकिन सिगरेट को नहीं, कभी नहीं. मैं फिर आज इसलिए लिख रही हूं रवि क्योंकि आज हद से ज्यादा दिल मचल गया था और लगा था कि आप ने आज तो बहुत देर से सिगरेट नहीं पी है. शायद आज एक बार ही सही मेरी ख्वाहिश पूरी हो जाएगी. लेकिन आज भी आप हाथ छुड़ा कर सिगरेट उठा कर चल दिए.

‘मैं रोना चाहती हूं चीखचीख कर पर नहीं रो सकती, शायद हमारे अगाध प्रेम में यह शोभनीय नहीं होगा. मैं बांटना चाहती हूं अपना यह दर्द, मगर क्या यह किसी से कहना उचित लगेगा? बेहद अपमानित महसूस करने लगी हूं आप की सिगरेट के सामने अपनेआप को. कोई तरीका नहीं है मेरे पास अपनी इस अधूरी ख्वाहिश का दर्द बांटने के लिए सिवा इस के कि पन्ने पर उतार कर दिल हलका कर लूं, जबकि जानती हूं पहले की ही तरह कुछ देर बाद इसे भी फाड़ कर फेंक दूंगी पर कोई बात नहीं दिल तो हलका हो जाता है. आई लव यू रवि, लव यू औलवेज.’

पढ़तेपढ़ते रवि आंसुओं में डूब गया. उसे आज एहसास हुआ कि

उस की सिगरेट की लत के कारण क्या से क्या हो गया.

रवि के सिगरेट ले कर चले जाने के कारण प्रेरणा को आज बहुत ज्यादा बुरा लगा. उस की आंखों से आंसू छलक आए. उस ने पेपर और पैन उठाया और

अपने मन की सारी बात उस कागज पर लिख कर अपने मने को हलका कर लिया. जब तक रवि सिगरेट खत्म कर के कमरे में वापस आने वाला था. प्रेरणा का चेहरा आंसुओं से भीग गया था. वह उठ कर हाथमुंह धोने चली गई. जब वह वाशरूम से वापस आने लगी तो अचानक उस का पैर फिसल गया. यह उस की संतप्त मन की मंशा थी या प्रैगनैंसी के कारण उसे चक्कर आया होगा या फिर उस की जीवन की इतनी ही अवधि तय थी यह तो कुदरत को ही पता था या फिर खुद प्रेरणा को.

रवि पागलों की तरह डाक्टर से कह रहा था, ‘‘मेरी प्रेरणा को बचा लो. मेरा सबकुछ ले लो… मेरी जान भी उसे दे दो, मगर बचा लो उसे.’’

मगर यह नहीं हो सका. 8 घंटे के अथक प्रयास के बाद डाक्टरों ने आकर कहा, ‘‘हम ने बहुत कोशिश की, लेकिन हम हार गए. प्रेरणा के पास अब ज्यादा समय नहीं. उस से मिल लें आप लोग.’’

रवि बदहवास प्रेरणा के पास पहुंचा. प्रेरणा की आंखें शून्यता से भरी थीं. रवि ने उस का हाथ थामा और पागलों की तरह कहने लगा, ‘‘प्रेरणा मु झे छोड़ कर मत जाओ… मत जाओ प्रेरणा… मैं तुम्हारी हर बात मान लूंगा आज से, अभी से. अब नहीं टालूंगा 1 सैकंड भी नहीं. बस मत जाओ… मत जाओ मु झे छोड़ कर.’’

प्रेरणा की आंखें रवि के चेहरे पर टिक गईं. वह बड़ी मुश्किल से जरा सा मुसकराई और फिर अपने होंठों पर एक मासूम सी ख्वाहिश सजा हमेशा के लिए खामोश हो गई.

विध्वंस के अवशेष से: क्या हुआ था ईला के साथ

‘‘घरके बाहर का दरवाजा खुला हुआ है पर किसी को इस का ध्यान नहीं, सभी मां के कमरे में बैठ कर गप्पें मार रहे होंगे. आजकल कालोनी में दिनदहाड़े ही कितनी चोरियां हो रही हैं… इन्हें पता हो तब न,’’ औफिस से लौटी ईला बड़बड़ाते हुए अपनी मां के कमरे के दरवाजे को खोलने ही जा रही थी कि अंदर से आती हुई आवाजों ने उस के पैरों को वहीं रोक दिया.

उस का छोटा भाई शिबु गुस्से से मां से कह रहा था ‘‘देखो मां, आगे से मैं यहां आने वाला नहीं हूं, क्योंकि कालोनी में दीदी के बारे में फैली बातों को सुन कर मैं शर्म से गड़ा जा रहा हूं… किसी भी दोस्त से आंख उठा कर बात नहीं कर सकता.

‘‘क्या जरूरत है दीदी को सुरेश साहब के साथ टूर पर जाने की? अपनी नहीं तो हमारी मर्यादा का तो कुछ खयाल हो.’’

मां कुछ देर तक चुपचाप शिबु को निहारती रहीं, फिर अपनी भीगी आंखों को अपने आंचलसे पोंछते हुए बोलीं, ‘‘करूं भी तो क्या करूं? घर की सारी जिम्मेदारियां उठा कर उस ने मेरे मुंह पर ताला ही लगा दिया है… जब भी कुछ कहो तो ज्वालामुखी बन जाती है. मेरा तो इस घर में दम घुट रहा है. आत्महत्या कर लेने की धमकी देती है. इस बार मैं तुम्हारे साथ ही यहां से चल दूंगी. रहे अकेली इस घर में. माना कि बाप की सारी जिम्मेदारियों को उठा लिया तो क्या सिर चढ़ कर इस तरह नाचेगी कि सभी के मुंह पर कालिख पुत जाए? यही सब गुल खिलाने के लिए पैदा हुई थी?

‘‘कितने रिश्ते आए, लेकिन उसे कोई पसंद नहीं आया… अब इतनी उम्र में किसी कुंआरे लड़के का रिश्ता आने से रहा… उस पर बदनामियों का पिटारा साथ है.’’

मां और भाई के वार्त्तालाप से ईला को क्षणभर के लिए ऐसा लगा कि किसी ने उस के कानों में जैसे पिघला सीसा डाल दिया हो. ईला बड़ी मुश्किल से अपनी रुलाई रोकने की कोशिश कर रही थी कि तभी छोटी बहन नीला बोलना शुरू हो गई, ‘‘दीदी और सुरेश के संबंधों की कहानी मेरी ससुराल की देहरी पर भी पहुंच गई है. सास ताना देती है कि कैसी बेशर्म है… देवर सुनील हमेशा मेरी खिंचाई करते कहता रहता है कि अरे भाभी उस फैक्टरी में आप की दीदी की बड़ी चलती है. उस से कहा कि सुरेश साहब से कह कर मेरी नौकरी लगवा दे. अनिल भी चुटकियां लेने से बाज नहीं आता. सच में उन की बातें सुन शर्म से गड़ जाती हूं.’’

‘‘समधियाना में भी कोई इज्जत नहीं रह गई है किसी की… ऐसी बातें तो हजारों पंख लगा कर उड़ती हैं. मजाल है कि कोई उसे कुछ समझ सके,’’ नहले पर दहला जड़ते हुए मां की बातों ने तो जैसे ईला को दहका कर ही रख दिया.

‘‘क्यों हमें बहुत सीख देती थी… ऐसे रहो, ऐसा करो, यह पहनो, वह नहीं पहनो… लड़कों से ज्यादा बात नहीं करते… खुद पर इन बातों को क्यों लागू नहीं करतीं?’’

नीला के शब्द ईला के कलेजे के आरपार हो रहे थे.

‘कृतघ्नों की दुनिया संवारने में सच में मैं ने अपने जीवन के सुनहरे पलों को गंवा दिया,’ सोच ईला रो पड़ी. फिर सभी के प्रत्यारोपों के उत्तर देने के लिए कमरे में जाने लगी ही थी कि सब से छोटी बहन मिली की बातों ने उस के बढ़ते कदम रोक दिए.

‘‘मेरी ससुराल वाले भी इन बातों से अनजान नहीं हैं… प्रत्यक्ष में तो कुछ नहीं कहते, लेकिन पीठ पीछे छिछले जुमले उछाल ही देते हैं.

‘‘अमित कह रहे थे कि अब तुम सभी को मिल कर अपनी दीदी का घर बसा देना चाहिए… तुम लोगों के लिए उन्होंने जो किया उस के समक्ष इन सब बेकार बातों का कोई अर्थ नहीं है… शिबु को बोलो कि बहन की शादी करे और मां को अपने पास ले जाए. अब हम सभी को मिल कर जल्द से जल्द कुछ कर लेना चाहिए अन्यथा यह समय भी रेत की तरह हाथों से फिसल जाएगा.’’

‘‘तो कहो न अमित से कि वही कोई अच्छा रिश्ता ढूंढ़ दे… बड़ा लैक्चर देता है,’’ शिबु और नीला की गरजना से पूरा कमरा गूंज उठा.

‘चलो कोई तो ऐसा है जो उस के त्याग, उस की तपस्या को समझ सका,’ सोच ईला दरवाजा खोल अंदर चली गई.

अचानक ईला को सामने देख कर सब अचंभित हो गए… सब की बोलती बंद हो गई.

अपनेआप पर किसी तरह काबू पाते हुए मां ने कहा, ‘‘अरे ईला

तुम अंदर कैसे आई? बाहर का दरवाजा किस ने खोला? क्यों रे नीला बाहर का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था क्या?’’

‘‘शायद नियति को मुझ पर तरस आ गया हो… उसी ने दरवाजा खोल कर मेरे सभी अपनों के चेहरों पर पड़े नकाब को नोच कर मुझे उन की वास्तविकता को दिखा दिया… इतना जहर भरा है मेरे अपनों में मेरे लिए… तुम सभी को मेरे कारण शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है… अच्छा ही हुआ जो आज सबकुछ अपने कानों से सुन लिया,’’ अपनी रुलाई पर काबू पाते हुए उस ने कहा, ‘‘तो क्यों न मैं पहले अपनी मां के आरोपों के उत्तर दूं… तो हां मां आप ने उस विगत को कैसी भुला दिया जब पापा की मृत्यु के बाद आप के सभी सगेसंबंधियों ने रिश्ता तोड़ लिया था? अनेकानेक जिम्मेदारियां आप के समक्ष खड़ी हुई थीं… आप ही हैं न मां वे जो अपने 4 बच्चों सहित मरने के लिए नदीनाले तलाश कर रही थीं… तब आप चारों की चीख ने न जाने मेरी कितनी रातों की नींद छीन ली थी.

‘‘तीनों छोटे भाईबहनों के भविष्य का प्रश्न मेरे समक्ष आ कर खड़ा हो गया तो मैं ने अपने सभी सपनों का गला घोट दिया… अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ कर पापा की जगह अनुकंपा बहाली को स्वीकार कर चल पड़ी अंगारों पर कर्तव्यपूर्ति के लिए… आईएएस बनने का मेरा सपना टूट गया… सारी जिम्मेदारियों को निभाने में मेरा जीवन बदरंग हो गया… मेरे कुंआरे सपनों के वसंत मुझे आवाज देते गुजर गए…

‘‘मेरे जीवन में भी कोई रंग बिखेरे… मेरा अपना घरपरिवार हो… आम लड़कियों की तरह मेरी आंखों में भी ढेर सारे सपने तैर रहे थे. मेरे वे इंद्रधनुषी सपने आप को दिखे नहीं? अपने पति की सारी जिम्मेदारियां मुझे सौंप कर आप चैन की नींद सोती रहीं. आप का बेटा शिबु, नीला और मिली आप की बेटियां सभी अपने जीवन में बस कर सुरक्षित हो गए तो आप को मुझ में बुराइयां ही नजर आ रही हैं… क्या मैं आप की बेटी नहीं हूं? कैसी मां हैं आप जिस ने अपने 3 बच्चों का जीवन सुंदर बनाने के लिए अपनी बड़ी बेटी को जीतेजी शूली पर चढ़ा दिया?’’

मां के पथराए चेहरे को देख कर ईला कुछ क्षणों के लिए चुप तो हो गई, लेकिन क्रोध के मारे कांपती रही. फिर भाई को आग्नेय दृष्टि से निहारते हुए बोली, ‘‘हां तो शिबु आज तुम्हें शर्मिंदगी महसूस हो रही है… उस समय शर्म नाम की यह चीज कहां थी जब मैडिकल का ऐंट्रैंस ऐग्जाम एक बार नहीं 3 बार क्लियर नहीं कर पाए थे. डोनेशन दे कर नाम लिखाने के लिएक्व50 लाख कहां से आए थे? इस के लिए मुझे कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी… तुम्हें डाक्टर बनाने के लिए मुझे अपने कुंआरे सपनों को बेचना पड़ा था. तब तुम सब इतने नादान भी नहीं थे कि समझ नहीं सको कि मैं ने अपने कौमार्य का सौदा कर के इतने रुपयों का इंतजाम किया था… तो आज मैं तुम लोगों के लिए इतनी पतित कैसे हो गई?’’

सिर झकाए शिबु के मुंह में जबान ही कहां थी कि वह ईला के प्रश्नों के उत्तर दे सके. फिर भी किसी तरह हकलाते हुए बोला, ‘‘तुम गलत समझ रही हो दीदी… मेरे कहने का मतलब यह नहीं था.’’

जवाब में ईला किसी घायल शेरनी की तरह दहाड़ उठी, ‘‘चुप हो जाओ… तुम सब ने अपनी आंखों को लज्जाहीन कर लिया है… मैं ने सारे आक्षेप सुन लिए हैं… और तुम नीला भूल गई उस दिन को जब कालोनी के सब से बदनाम व्यक्ति रमेश के साथ तुम भाग रही थी तो सुरेश साहब के ड्राइवर ने तुम्हें उस के साथ जाते देख लिया था और तत्काल उन्हें खबर कर दी थी. साहब ने ही तुम्हें बचाया था… सुरेश साहब ने मुझे बताने के साथसाथ आधी रात को पुलिस स्टेशन जाने के लिए अपनी गाड़ी तक भेज दी थी…

‘‘जीवन में तुम्हें व्यवस्थित करने के लिए मुझे न जाने कितनी जहमत उठानी पड़ी थी… तुम्हारी शादी का दहेज जुटाने के लिए, तुम्हारे होने वाले पति की डिमांड को पूरा करने के लिए अपनी कौन सी धरोहर को गिरवी रखना पड़ा था मुझे… तुम लोगों ने कभी पूछा था कि एकसाथ इतने रुपयों का इंतजाम मैं ने कैसे

किया? आज ससुराल में तुम्हें मेरे कारण लज्जित और अपमानित होना पड़ रहा है… भेज देना अपने देवर को कुछ न कुछ उस के लिए भी कर ही दूंगी.’’

ईला ने उस की बातें सुन ली थीं. इस पर नीला को बड़ा क्षोभ हुआ… 1-1 कर के स्मृतियों के सारे पन्ने खुल गए. असहनीय वेदना की ऊंची लहरों को उछालते हुए विगत का समंदर उस के समक्ष लहरा उठा तो वह अपनी दीनहीन प्रौढ़ बहन के लिए तड़प उठी और फिर रोते हुए बोली, ‘‘भाग जाने देतीं मुझे उस बदनाम रमेश के साथ… कोई जरूरत नहीं थी मेरी शादी के लिए तुम्हें इतनी बड़ी कीमत चुकाने की… पढ़ालिखा कर मुझे सब तरह से योग्य बनाया. दोनों बहनें मिल कर घर की जिम्मेदारियां बांट लेतीं. हम सभी को अमृत पिला कर खुद विषपान करती रहीं… दीदी, तुम्हारे स्वार्थरहित प्यार को यह कैसा प्रतिदान मिला हम सभी से? क्यों मिटती रहीं हम सब के लिए? जलती रहीं तिलतिल कर. लेकिन हम सब पर कोई आंच नहीं आने दी,’’ और फिर नीला जोरजोर से रो पड़ी.

इतनी देर से चुप मां ने कहा, ‘‘कैसे निर्दयी बन गए थे हम. बेटी के त्याग को मान देने के बदले इतनी ओछी मानसिकता पर उतर आए हैं हम…

जा मिली अपनी दीदी के लिए चाय बना ला.’’

सकुचाते, लजाते मिली को उठते देख ईला ने

कहा, ‘‘मिली चायवाय बनाने की कोई जरूरत नहीं है… तुम्हें अपनी सहेलियों से आंखें मिलाने में शर्म आ रही है तो तुम लौट जाओ अपनी ससुराल… उन दिनों को भूल गई जब 1-1 जरूरत की पूर्ति के लिए मुझे निहारा करती थी. अरे, तुम से अच्छा और समझदार तुम्हारा पति है जिस से मेरा खून का कोई रिश्ता नहीं है, फिर भी मेरे लिए कुछ सोचता तो है. यही मेरे अपने हैं जिन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुरबान होती रही… तमाम जिंदगी भागती रही,’’ कह ईला अपने कमरे में घुस गई और दरवाजा बंद कर लिया.

बिस्तर पर लेटते ही आंखों के समक्ष विस्मृत अतीत की स्मृतियों के पृष्ठ खुलने लगे. इन्हीं अपनों की खुशी के लिए क्या नहीं किया उस ने… माना कि सुरेश साहब की मुझ पर बेशुमार मेहरबानियां रही हैं, पर क्या उन्होंने भी उस की भरपूर कीमत उस की देह से नहीं वसूली है? उस के हिस्से की सारी धूप ही को परिवार ने ताप लिया है. फिर भी उसे उस का कभी कोई गम नहीं हुआ था. सपनों को ही चुरा लिया…

परिवार की खुशियों में सबकुछ भूल कर जीती रही… सारी जिल्लतों को सहती रही. मगर यह कोई नई बात थोड़े थी. पारिवारिक बोझ को झेलने के लिए, दायित्वों को निभाने के लिए जब भी बड़ी बेटियां सामने आती हैं तो उन्हें इन बेशुमार मेहरबानियों के लिए, कर्तव्यों के लिए अपने कौमार्य की कीमत देनी ही पड़ती है… जालिम मर्द समाज ऐसे ही किसी असहाय लड़की की मदद तो करने से रहा.

कितने रंगीन सपने भरे थे उस की आंखों में, पर सभी के सपनों को साकार करने में उस ने अपने सारे इंद्रधनुषी सपनों को खो दिया. मगर सिवा रुसवाई के कुछ भी तो नहीं मिला उसे.

अतीत के उमड़ते घने काले बादलों के बीच चमकती बिजली में ईला के समक्ष अचानक शिखर का चेहरा उभर गया जो उसे दीवानगी की हद तक प्यार करता था.

कितना प्यार था, कितना मान… सबकुछ भूल कर उस की बांहों में सिमटना चाहा था उस ने. कितना सम्मान था शिखर की आंखों में उस के लिए… पारिवारिक जिम्मेदारियों के दावानल ने उस की चाहतों को जला कर रख दिया, उसे यों मिटते वह देख नहीं सका.

शिखर के प्रति छलकते अथाह सागर को ही उदरस्त कर लिया. मायूस हो

कर उस ने सिर्फ उसे ही नहीं, बल्कि दुनिया को ही हमेशा के लिए छोड़ दिया. शिखर को याद कर वह देर तक रोती रही.

मुझे यों तड़पता छोड़ कर तुम क्यों चले गए शिखर? तुम्हें क्या पता कि अपने दिल की गहराइयों से तुम्हारे प्यार को… तुम्हारी यादों को निकालने के लिए मुझे अपने मन को कितना मथना पड़ा था? रातों की तनहाइयों में मैं तुम्हें टूट कर पुकारती रही, लेकिन तुम 7 समंदर का फासला तय नहीं कर पाए? तुम्हारा भी क्या दोष. तुम ने तो मेरे साथ मिल कर मेरे कंधों पर पड़ी जिम्मेदारियों को भी बांट लेना चाहा था… मैं ही विचारों के कठोर कवच में कैद हो कर रह गई थी.

आवेश में आ कर ईला कुछ उलटासीधा कदम न उठा ले, सोच कर सभी घबराए से उस के कमरे के सामने खड़े हो कर पश्चात्ताप की अग्नि में झलसते हुए आवाजें दे रहे थे…

ईला से दरवाजा खोलने की विनती कर रहे थे पर उस ने दरवाजा नहीं खोला. सब की निर्मम सोच ने उसे पत्थर सा बना दिया था.

घबरा कर ईला का भाई उस के साथ कार्यरत जावेद के घर की ओर दौड़ पड़ा. बिना देर किए वह दौड़ा चला आया और ईला से दरवाजा खोलने की गुहार करने लगा. फिर ‘कहीं ईला ने ऐसावैसा तो नहीं कर लिया,’ सोच वह दरवाजा तोड़ने के लिए व्याकुल हो उठा.

वर्षों दौड़तीभागती ईला को आज बड़ी थकान महसूस हो रही थी. नींद से बो?िल पलकें मुंदने ही वाली थीं कि कहीं दूर से आती पहचानी सी आवाज ने उसे झकझेर कर उठा दिया. किसी दीवानी की तरह दौड़ कर उस ने दरवाजा खोल दिया. बाहर जिसे प्रतीक्षा करते पाया उस पर यकीन नहीं कर सकी. अपलक कुछ पलों तक उसे निहारती रही. फिर थरथराते कदमों से आगे बढ़ी तो जावेद ने उसे अपनी बांहों में थाम लिया.

वह उस की आंखों में असीम प्यार के लहराते सागर में डूब गई. विध्वंस के अवशेष से ही जीवन की नई इबारत लिखने को वह तत्पर हो उठी. सारे गिलेशिकवे जाते रहे. फिर महीने के भीतर ही ईला ने जावेद से कोर्ट मैरिज कर ली, जिस की पत्नी अपने दूसरे बच्चे के प्रसव के दौरान चल बसी थी. उस की मां फातिमा बेगम की बूढ़ी, कमजोर बांहें घर और जावेद के

2 बच्चों की जिम्मेदारियों को उठाने में असमर्थ सिद्ध हो रही थीं. कालेज के दिनों से ही जावेद की पलकों पर ईला छाई हुई थी.

जाहिदा से शादी कर लेने के उपरांत भी जावेद ईला को अपने मन से नहीं निकाल सका था. जाहिदा के गुजर जाने के बाद ईला के प्रति उस की चाहत नए सिरे से उभर आई थी. ईला ने भी उस की आंखों में अपने प्रति प्यार की लौ पहचान ली थी. जबतब उस के कदम जावेद के क्वार्टर की ओर उठ जाते थे. वहां जा कर वह उस के बच्चों से खेल कर अपने अतृप्त मातृत्व का सुखद आनंद लिया करती थी. जावेद के साथ फातिमा बेगम भी उस के आने की राह में आंखें बिछाए रहती थीं. कितनी बार ईला ने उन से जावेद की दूसरी शादी के लिए कहा, पर वे बच्चों के लिए सौतेली मां की कल्पना करते ही सिहर जाती थीं.

ईला भी बच्चों से जुड़ तो गई थी परधर्म की ऊंची दीवार को फांदने की हिम्मतनहीं जुटा पाती थी. लेकिन अब उस ने धर्म

की कंटीली बाड़ को पार कर ही लिया. कौन क्या कहेगा, पारिवारिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं क्या होंगी, उस ने रत्तीभर भी परवाह नहीं की. जावेद की सबल बांहों में अपने थके, बुझे शरीर को सौंप दिया. इधर जावेद ने भी वर्षों से छिपी चाहत को हजारों हाथों से थाम लिया. फातिमा बेगम ने सलमासितारों से जड़ी अपनी शादी की ?िलमिलाती चुन्नी ईला को ओढ़ा कर अपने कलेजे से लगा लिया. फिर तो जैसे खुशियों का आकाश धरती पर उतर आया.

औफिस की ओर से ईला और जावेद के उठाए गए इस कदम की आलोचना कम सराहना ज्यादा हुई. फिर एक पार्टी का आयोजन किया गया, जिसे आयोजित करने में सुरेश साहब ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया. सितारों से जड़े सुर्ख जोड़े एवं बड़ी नथ व जड़ाऊ झमर में सजी ईला और सिल्क के कुरते और धोती में सजे जावेद ने विध्वंस के अवशेष से नए जीवन की शुरुआत कर ली जहां नई रोशनी, नई खुशियां उन का स्वागत कर रही थीं.

‘‘जाहिदा से शादी हो जाने के बाद भी जावेद ईला को अपने मन से निकाल नहीं सका था. ईला ने भी उस की आंखों में अपने लिए प्यार महसूस कर लिया था…’’

मेरा मंगेत्तर किसी और से प्यार करता है, मैं क्या करूंं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 25 साल की युवती हूं. सगाई हो चुकी है. सगाई के बाद हुई दूसरी मुलाकात में लड़के ने मुझे बता कर चौंका दिया कि वह किसी लड़की से प्यार करता है और हमेशा करता रहेगा. शादी वह दबाव में आ कर रहा है, क्योंकि घर वाले उस की प्रेमिका से जो तलाकशुदा है, शादी नहीं करने देंगे. उस का कहना है कि शादी से पहले ही अपने प्रेम संबंध के बारे में इसलिए बता रहा है ताकि शादी के बाद मैं उस से शिकायत न करुं कि उस ने मुझे धोखा दिया है. मैं समझ नहीं पा रही कि क्या करूं? हमारी सगाई काफी धूमधाम से हुई थी. तमाम सगेसंबंधी शामिल हुए थे. दोनों परिवार बहुत खुश थे. अब यदि वह सगाई तोड़ते हैं तो बहुत बदनामी होगी.

जवाब

प्यार करना था तक तो बात ठीक थी पर करता रहेगा गलत. आप को अपने घर वालों को यह बात बता देनी चाहिए. लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता छोड़ दें. लोगों के डर से आप जबरदस्ती के रिश्ते को नहीं ढोना चाहेंगी.

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आज के समय में जब महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपनी प्रोफैशनल जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, तो घर के कामों में भी साझेदारी की उम्मीद होना स्वाभाविक है.

एक संतुलित और स्वस्थ रिश्ते के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों मिल कर घर की जिम्मेदारियों को बांटें. खासकर वर्किंग महिलाओं के लिए किचन का काम अकेले संभालना थकानभरा हो सकता है. ऐसे में, पति को किचन में मदद के लिए तैयार करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है.

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो आप के पति को किचन के काम में हाथ बंटाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं :

खुले और ईमानदार संवाद से शुरुआत करें

सब से पहले अपने पति से इस मुद्दे पर खुल कर बात करें. अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें कि किचन का काम सिर्फ एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह साझेदारी का काम है. उन्हें बताएं कि एक वर्किंग महिला के रूप में आप के पास समय और ऊर्जा की सीमाएं होती हैं, और उन की मदद से काम जल्दी और आसानी से निबट सकता है. यह बातचीत शिकायत या नाराजगी के बजाय एक समझदारी और सहयोग पर आधारित होनी चाहिए.

साझा जिम्मेदारी का महत्त्व बताएं

घर के काम केवल महिला की जिम्मेदारी नहीं होते. यह महत्त्वपूर्ण है कि आप का पति यह समझे कि घर और किचन का काम दोनों की जिम्मेदारी है. यह साझेदारी न केवल आप के काम को हलका करेगी, बल्कि आप दोनों को एक टीम की तरह काम करने में भी मदद मिलेगी. इस से आप दोनों को एकदूसरे के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिलेगा, जो रिश्ते को भी मजबूत बनाएगा.

काम को बांटने की योजना बनाएं

अपने पति के साथ मिल कर किचन के कामों को बांटने का एक व्यवस्थित तरीका बनाएं. उदाहरण के लिए, आप दोनों इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि एक दिन आप खाना बनाएंगी और दूसरे दिन आप का पति सब्जियां काटेगा या सफाई करेगा.

काम बांटने से किचन का बोझ एक व्यक्ति पर नहीं पड़ेगा और दोनों अपनीअपनी जिम्मेदारियों को संतुलित कर सकेंगे.

मदद को एक सहज और प्राकृतिक प्रक्रिया बनाएं

कभीकभी पति किचन में काम करने से घबराते हैं क्योंकि वे इसे मुश्किल या समय लेने वाला मानते हैं. इसलिए, शुरुआत में छोटे और सरल कामों से शुरू करें, जैसे बर्तन निकालना, सब्जियां धोना या टेबल लगाना. जब वे इन कामों में सहज हो जाएंगे, तो धीरेधीरे बड़े कामों में भी मदद करने के लिए तैयार हो सकते हैं.

प्रशंसा और प्रोत्साहन दें

जब भी आप का पति किचन में मदद करे, उन की सराहना जरूर करें. चाहे वे कितना ही छोटा काम क्यों न करें, उन की मदद की प्रशंसा करने से उन्हें और मदद करने की प्रेरणा मिलेगी.

उदाहरण के लिए, अगर उन्होंने कुछ अच्छा किया हो, तो उन्हें बताएं कि उनशकी मदद ने आप का काम कितना आसान कर दिया. सकारात्मक फीडबैक हमेशा प्रेरणा का काम करता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इस फेस्टिव सीजन दिखें सबसे खूबसूरत, फौलो करें ये टिप्स

इस बात में कोई संदेह नहीं कि त्योहारों के मौसम में हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है. ऐसे में विटामिन सी से भरपूर शहतूत और कोकोआ आपकी त्वचा में निखार लाने में काफी मदद करते हैं. हम आपकी त्वचा में निखार लाने का उपाय बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:

 

विटामिन-सी

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) त्वचा पर चमक व निखार लाने में काफी अहम भूमिका निभाता है. यह त्वचा की कोशिकाओं के पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है. एक अध्ययन के अनुसार, यह धूप व पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान को रोक कर त्वचा को ठीक करती है.

कोकोआ

जब त्वचा पर पराबैंगनी किरणों की रोशनी पड़ती है तो ऑक्सीजन के प्रतिक्रियाशील चरित्र के कारण अणु मुक्त होते हैं. सूर्य की रोशनी के कारण त्वचा की उम्र बढ़ना व झुर्रिया पड़ना लाजिमी है. एंटी ऑक्सीडेंट से समृद्ध कोकोआ कोशिकाओं की मरम्मत करता है और हानिकारक असर को खत्म करके त्वचा को पोषण देता है.

समुद्री शैवाल

सूजन को कम कर मुंहासों को खत्म करने में यह मददगार है. इसमें मौजूद प्राकृतिक एक्सफॉलिएंट रोम छिद्रों को बंद कर सकने वाले मृत कोशिकाओं को भी हटा देता है. शरीर पर लगाने पर यह त्वचा से अधिक तरल और अपशिष्ट पदार्थ को निकालता है. त्वचा पर जमी गंदगी हटाने के लिए क्लींजर का काम भी करता है.

आरब्यूटिन

यह बेयरबेरी पौधे से प्राप्त एक अणु है, जो मेलानीन को बनने से रोकता है. चेहरे का रंग साफ कर काले धब्बों से भी छुटकारा दिलाता है.

शहतूत

पुरुषों और महिलाओं द्वारा अक्सर त्वचा के रूखेपन, मुंहासों और बढ़ती उम्र के असर को बेअसर करने के लिए शहतूत द्वारा इलाज किया जाता है. संवेदनशील त्वचा पर भी निखार लाने के लिए शहतूत का प्रयोग किया जा सकता है. त्वचा में नमी बनाए रखने के साथ ही दाग-धब्बों से भी छुटकारा दिलाता है. यह बालों का टूटना कम कर उनको बढ़ाने और चमक लाने में भी सहायक है.

अपने पार्टनर संग बनाएं वैजिटेबल पुलाव और रायता, ये रही इजी ट्रिक

कपल एकदूसरे की मदद से वैजिटेबल पुलाब और रायता डिश का चुनाव कर सकते हैं. इस डिश में आप सब्जी काटने में और रायता बनाने जैसे दही मथने, बूंदी एवं मसाले डालने, मिक्स करने के लिए हस्बैंड की मदद ले सकती हैं. बाकी डिश की तैयारी आप कर सकती हैं जैसे चावल बनाना, फ्राई करना आदि. डिश के तैयार होने के बाद उसे टेबल पर सजाने के लिए भी कह सकती हैं.

तो आए आज किचन में अपने पार्टनर संग बनाएं वैजिटेबल पुलाब और रायता यानी एक हैल्दी और टेस्टी डिश:

मुख्य सामग्री

1 कप चावल,

5 छोटे चम्मच रिफाइंड तेल

1/2 कप मटर के दाने,

1/2 कप आलू,

1/2 फूलगोभी,

10-15 बींस,

2-3 गाजर,

2 प्याज बड़े,

1 चम्मच जीरा,

3 बड़े चम्मच बिरयानी मसाला या चाहें तो खड़े मसाले जैसे लौंग, कालीमिर्च, इलाइची ,तेजपत्ता, जायफल आदि भी ले सकती हैं. इन्हें पहले थोड़ा सेंक लें. फिर पीस लें.

नमक स्वादानुसार.

सामग्री रायते की

500 ग्राम दही,

200 ग्राम बूंदी,

1 हरीमिर्च,

1/4 चम्मच लालमिर्च ,

1 चम्मच सिंका एवं पिसा जीरा,

1/4 चम्मच कालीमिर्च,

काला नमक,

सफेद नमक स्वादानुसार.

आप चाहें तो रायता मसाले का भी उपयोग कर सकती हैं.

विधि

चावलों को अच्छी तरह धो लें. 3 कप पानी में चावल डाल कर एक बरतन में पकने के लिए रख दें. जब चावल 80% तक पक जाएं तब पानी से निकाल कर एक छलनी में डाल दें और फैला लें.

एक कड़ाही में तेल गरम होने पर जीरा तड़काएं व प्याज डालें. जब प्याज गुलाबी हो जाए तो कटी सब्जी डालें और नमक डाल कर पकाएं. जब सब्जी पक जाए तो बिरयानी मसाला या घर का बना मसाला डालें और थोड़ी देर भूनें.

अब कड़ाही में पके चावल डाले और सब्जी के साथ अच्छी तरह मिक्स कर थोड़ी देर और पकाएं. वैजिटेबल पुलाव तैयार है

तैयार वैजिटेबल पुलाव को सर्विग बाउल में डाले और धनियापत्ती, कसे नारियल से सजाएं. आप चाहें तो सजाने के लिए अपने पार्टनर की मदद ले सकती हैं.

रायता विधि

आप चाहें तो रायता बनाने के लिए भी अपने पार्टनर की मदद ले सकती हैं.

एक बाउल में मथा दही ले कर उस में बूंदी और सारे मसाले डाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. धनियापत्ती से सजाएं. रायता तैयार है.

इस तरह आप पार्टनर संग वैजिटेबल पुलाव और रायते का मजा ले रिश्ते में मिठास घोल सकती हैं. अपने पार्टनर संग बनाए खाने के फोटोज लेना न भूलें ताकि ये पल आप के लिए यादगार बन जाएं.

दांपत्य में मिठास बनाए रखने के लिए समयसमय पर एकदूसरे को स्पैशल फील कराते रहना जरूरी होता है. छोटीछोटी बातों से भी एकदूसरे के प्रति प्रेम जता कर आपसी रिश्ते में मिठास घोल रिश्ते में कड़वाहट को दूर रखा जा सकता है.

झगड़ा: क्यों भागा था लाखा

लेखक- युधिष्ठिर लाल कक्कड़

रात गहराने लगी थी और श्याम अभीअभी खेतों से लौटा ही था कि पंचायत के कारिंदे ने आ कर आवाज लगाई, ‘‘श्याम, अभी पंचायत बैठ रही?है. तुझे जितेंद्रजी ने बुलाया है.’’

अचानक क्या हो गया? पंचायत क्यों बैठ रही है? इस बारे में कारिंदे को कुछ पता नहीं था. श्याम ने जल्दीजल्दी बैलों को चारापानी दिया, हाथमुंह धोए, बदन पर चादर लपेटी और जूतियां पहन कर चल दिया.

इस बात को 2-3 घंटे बीत गए थे. अपने पापा को बारबार याद करते हुए सुशी सो गई थी. खाट पर सुशी की बगल में बैठी भारती बेताबी से श्याम के आने का इंतजार कर रही थी.

तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया, तो भारती ने सांकल खोल दी. थके कदमों से श्याम घर में दाखिल हुआ.

भारती ने दरवाजे की सांकल चढ़ाई और एक ही सांस में श्याम से कई सवाल कर डाले, ‘‘क्या हुआ? क्यों बैठी थी पंचायत? क्यों बुलाया था तुम्हें?’’

‘‘मुझे जिस बात का डर था, वही हुआ,’’ श्याम ने खाट पर बैठते हुए कहा.

‘‘किस बात का डर…?’’ भारती ने परेशान लहजे में पूछा.

श्याम ने बुझी हुई नजरों से भारती की ओर देखा और बोला, ‘‘पेमा झगड़ा लेने आ गया है. मंगलगढ़ के खतरनाक गुंडे लाखा के गैंग के साथ वह बौर्डर पर डेरा डाले हुए है. उस ने 50,000 रुपए के झगड़े का पैगाम भेजा है.’’

‘‘लगता है, वह मुझे यहां भी चैन से नहीं रहने देगा… अगर मैं डूब मरती तो अच्छा होता,’’ बोलते हुए भारती रोंआसी हो उठी. उस ने खाट पर सोई सुशी को गले लगा लिया.

श्याम ने भारती के माथे पर हाथ रखा और कहा, ‘‘नहीं भारती, ऐसी बातें क्यों करती हो… मैं हूं न तुम्हारे साथ.’’

‘‘फिर हमारे गांव की पंचायत ने क्या फैसला किया? क्या कहा जितेंद्रजी ने?’’ भारती ने पूछा.

‘‘सच का साथ कौन देता है आजकल… हमारी पंचायत भी उन्हीं के साथ है. जितेंद्रजी कहते हैं कि पेमा का झगड़ा लेने का हक तो बनता है…

‘‘उन्होंने मुझ से कहा कि या तो तू झगड़े की रकम चुका दे या फिर भारती को पेमा को सौंप दे, लेकिन…’’ इतना कहतेकहते श्याम रुक गया.

‘‘मैं तैयार हूं श्याम… मेरी वजह से तुम क्यों मुसीबत में फंसो…’’ भारती ने कहा.‘‘नहीं भारती… तुम्हें छोड़ने की बात तो मैं सोच भी नहीं सकता… रुपयों के लिए अपने प्यार की बलि कभी नहीं दूंगा मैं…’’‘‘तो फिर क्या करोगे? 50,000 रुपए कहां से लाओगे?’’ भारती ने पूछा.

‘‘मैं अपना खेत बेच दूंगा,’’ श्याम ने सपाट लहजे में कहा.

‘‘खेत बेच दोगे तो खाओगे क्या… खेत ही तो हमारी रोजीरोटी है… वह भी छिन गई तो फिर हम क्या करेंगे?’’ भारती ने तड़प कर कहा.

यह सुन कर श्याम मुसकराया और प्यार से भारती की आंखों में देख कर बोला, ‘‘तुम मेरे साथ हो भारती तो मैं कुछ भी कर सकता हूं. मैं मेहनतमजदूरी करूंगा, लेकिन तुम्हें भूखा नहीं मरने दूंगा… आओ खाना खाएं, मुझे जोरों की भूख लगी है.’’

भारती उठी और खाना परोसने लगी. दोनों ने मिल कर खाना खाया, फिर चुपचाप बिस्तर बिछा कर लेट गए.

दिनभर के थकेहारे श्याम को थोड़ी ही देर में नींद आ गई, लेकिन भारती को नींद नहीं आई. वह बिस्तर पर बेचैन पड़ी रही. लेटेलेटे वह खयालों में खो गई.

तकरीबन 5 साल पहले भारती इस गांव से विदा हुई थी. वह अपने मांबाप की एकलौती औलाद थी. उन्होंने उसे लाड़प्यार से पालपोस कर बड़ा किया था. उस की शादी मंगलगढ़ के पेमा के साथ धूमधाम से की गई थी.

भारती के मातापिता ने उस के लिए अच्छा घरपरिवार देखा था ताकि वह सुखी रहे. लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद ही उस की सारी खुशियां ढेर हो गई थीं, क्योंकि पेमा का चालचलन ठीक नहीं था. वह शराबी और जुआरी था. शराब और जुए को ले कर आएदिन दोनों में झगड़ा होने लगा था.

पेमा रात को दारू पी कर घर लौटता और भारती को मारतापीटता व गालियां बकता था. एक साल बाद जब सुशी पैदा हुई तो भारती ने सोचा

कि पेमा अब सुधर जाएगा. लेकिन न तो पेमा ने दारू पीना छोड़ा और न ही जुआ खेलना.

पेमा अपने पुरखों की जमीनजायदाद को दांव पर लगाने लगा. जब कभी भारती इस बात की खिलाफत करती तो वह उसे मारने दौड़ता.

इसी तरह 3 साल बीत गए. इस बीच भारती ने बहुत दुख झेले. पति के साथ कुदरत की मार ने भी उसे तोड़ दिया. इधर भारती के मांबाप गुजर गए और उधर पेमा ने उस की जिंदगी बरबाद कर दी. घर में खाने के लाले पड़ने लगे.

सुशी को बगल में दबाए भारती खेतों में मजदूरी करने लगी, लेकिन मौका पा कर वह उस की मेहनत की कमाई भी छीन ले जाता. वह आंसू बहाती रह जाती.

एक रात नशे की हालत में पेमा अपने साथ 4 आवारा गुंडों को ले कर घर आया और भारती को उन के साथ रात बिताने के लिए कहने लगा. यह सुन कर उस का पारा चढ़ गया. नफरत और गुस्से में वह फुफकार उठी और उस ने पेमा के मुंह पर थूक दिया.

पेमा गुस्से से आगबबूला हो उठा. लातें मारमार कर उस ने भारती को दरवाजे के बाहर फेंक दिया.

रोती हुई बच्ची को भारती ने कलेजे से लगाया और चल पड़ी. रात का समय था. चारों ओर अंधेरा था. न मांबाप, न कोई भाईबहन. वह जाती भी तो कहां जाती. अचानक उसे श्याम की याद आ गई.

बचपन से ही श्याम उसे चाहता था, लेकिन कभी जाहिर नहीं होने दिया था. वह बड़ी हो गई, उस की शादी हो गई, लेकिन उस ने मुंह नहीं खोला था.

श्याम का प्यार इतना सच्चा था कि वह किसी दूसरी औरत को अपने दिल में जगह नहीं दे सकता था. बरसों बाद भी जब वह बुरी हालत में सुशी को ले कर उस के दरवाजे पर पहुंची तो उस ने हंस कर उस के साथ पेमा की बेटी को भी अपना लिया था.

दूसरी तरफ पेमा ऐसा दरिंदा था, जिस ने उसे आधी रात में ही घर से बाहर निकाल दिया था. औरत को वह पैरों की जूती समझता था. आज वह उस की कीमत वसूलना चाहता है.

कितनी हैरत की बात है कि जुल्म करने वाले के साथ पूरी दुनिया है और एक मजबूर औरत को पनाह देने वाले के साथ कोई नहीं है. बीते दिनों के खयालों से भारती की आंखें भर आईं.

यादों में डूबी भारती ने करवट बदली और गहरी नींद में सोए हुए श्याम के नजदीक सरक गई. अपना सिर उस ने श्याम की बांह पर रख दिया और आंखें बंद कर सोने की कोशिश करने लगी.

दूसरे दिन सुबह होते ही फिर पंचायत बैठ गई. चौपाल पर पूरा गांव जमा हो गया. सामने ऊंचे आसन पर गांव के मुखिया जितेंद्रजी बैठे थे. उन के इर्दगिर्द दूसरे पंच भी अपना आसन जमाए बैठे थे. मुखिया के सामने श्याम सिर झुकाए खड़ा था.

पंचायत की कार्यवाही शुरू

करते हुए मुखिया जितेंद्रजी ने कहा, ‘‘बोल श्याम, अपनी सफाई में तू क्या कहना चाहता है?’’

‘‘मैं ने कोई गुनाह नहीं किया है मुखियाजी… मैं ने ठुकराई हुई एक मजबूर औरत को पनाह दी है.’’

यह सुन कर एक पंच खड़ा हुआ और चिल्ला कर बोला, ‘‘तू ने पेमा की औरत को अपने घर में रख लिया है श्याम… तुझे झगड़ा देना ही पड़ेगा.’’

‘‘हां श्याम, यह हमारा रिवाज है… हमारे समाज का नियम भी है… मैं समाज के नियमों को नहीं तोड़ सकता,’’ जितेंद्रजी की ऊंची आवाज गूंजी तो सभा में सन्नाटा छा गया.

अचानक भारती भरी चौपाल में आई और बोली, ‘‘बड़े फख्र की बात है मुखियाजी कि आप समाज का नियम नहीं तोड़ सकते, लेकिन एक सीधेसादे व सच्चे इनसान को तोड़ सकते हैं…

‘‘आप सब लोग उसी की तरफदारी कर रहे हैं जो मुझे बाजार में बेच देना चाहता है… जिस ने मुझे और अपनी मासूम बच्ची को आधी रात को घर से धक्के दे कर भगा दिया था… और वह दरिंदा आज मेरी कीमत वसूल करने आ खड़ा हुआ है.

‘‘ले लीजिए हमारा खेत… छीन लीजिए हमारा सबकुछ… भर दीजिए उस भेडि़ए की झोली…’’ इतना कहतेकहते भारती जमीन पर बेसुध हो कर लुढ़क गई.

सभा में खामोशी छा गई. सभी की नजरें झुक गईं. अचानक जितेंद्रजी अपने आसन से उठ खड़े हुए और आगे बढ़े. भारती के नजदीक आ कर वह ठहर गए. उन्होंने भारती को उठा कर अपने गले लगा लिया.

दूसरे ही पल उन की आवाज गूंज उठी, ‘‘सब लोग अपनेअपने हथियार ले कर आ जाओ. आज हमारी बेटी पर मुसीबत आई है. लाखा को खबर कर दो कि वह तैयार हो जाए… हम आ रहे हैं.’’

जितेंद्रजी का आदेश पा कर नौजवान दौड़ पड़े. देखते ही देखते चौपाल पर हथियारों से लैस सैकड़ों लोग जमा हो गए. किसी के हाथ में बंदूक थी तो किसी के हाथ में बल्लम. कुछ के हाथों में तलवारें भी थीं.

जितेंद्रजी ने बंदूक उठाई और हवा में एक फायर कर दिया. बंदूक के धमाके से आसमान गूंज उठा. दूसरे ही पल जितेंद्रजी के साथ सभी लोग लाखा के डेरे की ओर बढ़ गए.

शराब के नशे में धुत्त लाखा व उस के साथियों को जब यह खबर मिली कि दलबल के साथ जितेंद्रजी लड़ने आ रहे हैं तो सब का नशा काफूर हो गया. सैकड़ों लोगों को अपनी ओर आते देख वे कांप गए. तलवारों की चमक व गोलियों की गूंज सुन कर उन के दिल दहल उठे.

यह नजारा देख पेमा के तो होश ही उड़ गए. लाखा के एक इशारे पर उस के सभी साथियों ने अपनेअपने हथियार उठाए और भाग खड़े हुए.

फटाफट बनाए जाने वाले ये तीन Smoothie , टेस्ट भी सेहत भी

Smoothie Recipe : स्मूदी फलों से तैयार होता है. इसी वजह से यह एंटी औक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. इसमें काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है. फलों की वजह से ही यह विटामिन से भरपूर होता है. स्मूदी बनाने के लिए दूध या दही का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रोटीन का बेस्ट सोर्स है. बहुत सारे लोग स्मूदी में नट्स, सीड्स भी डालते हैं, इसमें मौजूद ओमेगा फैटी एसिड्स हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा माना गया है. इतना ही नहीं ब्रेकफास्ट में स्मूदी लेने से वजन कंट्रोल में रहता है. बौडी को हाइड्रेट रखता है. कुल मिला कर कहा जाए, तो स्मूदी एक हेल्दी ड्रिंक है जो अपने स्वाद की वजह से बेहद पसंद किया जाता है.

मिक्सड बेरी स्मूदी

सामग्री
एक कप फ्रोजन ब्लूबेरी
एक गिलास दूध
शूगर टेस्ट के अनुसार

विधि

  • फ्रोजन बेरी को ब्लेंडर में डालें.
  • इसमें फ्रेश मिल्क और शुगर मिला लें.
  • तीनों को ब्लेंडर में चला लें. जब सारी सामग्री अच्छी तरह मिल जाए, तो इसे शीशे के गिलास में परोसें.

फायदें

ब्लूबेरी में एंथोसायनिन नामक एंटऔक्सीडेंट पाया जाता है. यह फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है. इस वजह से स्किन लंबे समय तक यंग दिखती है. दिल की बीमारियों को दूर रखने का काम करता है.
इसका फाइबर डाइजेशन को सही रखने के साथ ही कौन्सटिपेशन को काबू में रखता है.

टिप्स

ब्रेकफास्ट में इस स्मूदी को लेना चाहते हैं, तो इसमें ओट्स मिला लें. ब्लू बेरी के साथ क्रेन बेरी और स्ट्राबेरी भी मिला कर इसके टैस्ट को और भी अच्छा बना सकते हैं.

Mango Smoothie in a Glass Jar with Fresh Mango on a Dark Surface

मैंगो बनाना स्मूदी

सामग्री
एक केला (छिलका उतारकर टुकड़े किए हुए)
एक आम अच्छी तरह पका हुआ (छिलका उतारकर टुकड़े किए हुए)
एक गिलास दूध
या एक बड़ा कटोरा ताजी दही
शुगर टेस्ट के अनुसार

विधि

  • आम और केला को ब्लेंडर में डाल दें.
  • इसमें एक गिलास दूध डाल दें.
  • दूध को डाइजेस्ट करने में दिक्कत होती हो या दूध घर में मौजूद नहीं हो, तो दही लें. दही ताजी होनी चाहिए. दही के साथ यह स्मूदी और भी अच्छी बनती है.
  • इसमें शुगर मिला कर ब्लेंडर को चला लें.
  • अच्छी तरह मिक्स होने के बाद इसे गिलास में परोसें.

फायदें

  • आम में विटामिन सी, विटामिन ए और फोलेट मौजूद होता है, इस वजह से यह इम्युन सिस्टम के लिए अच्छा माना गया है.
  • आम में मौजूद एंटी औक्सीडेंट बढ़ती उम्र के असर को कम करने का काम भी करता है.
  • आम में नैचुरल शुगर पाए जाने की वजह से एनर्जी लेवल बरकरार रहता है.
  • केला को पोटैशियम का सोर्स माना गया है. यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने का काम करता है.
  • एक्सरसाइज करने वालों के लिए केला एनर्जी का सबसे अच्छा स्रोत है इसलिए यह स्मूदी जिम जाने वालों के लिए बेस्ट कहा जा सकता है.

टिप्स

  • परोसते समय इसमें बादाम की कतरनें डाल सकते हैं.
  • इसमें चिया सीड्स या फ्लैक्स सीड्स मिला कर इसे और भी हैल्दी बना सकते हैं. इन सीड्स को मिलाने के बाद तुरंत नहीं पिएं, इसे थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रखें, इससे सीड्स अच्छी तरह से फूल जाएंगे.

Ai generated image of banana

बनाना बेरी स्मूदी

सामग्री
1 बड़ा केला
1 कप स्ट्रौबेरी और ब्लूबेरी
1 कप दही या दूध
शुगर (स्वादानुसार)

विधि

  • ब्लेंडर में केला, बेरीज, दही/दूध और शुगर डाल दें.
  • सभी को चिकना होने तक ब्लेंड करें.
  • आपकी स्मूदी तैयार है, गिलास में निकालें और पिएं.

टिप्स
आप चाहें, तो इसमें चिया सीड्स भी मिला सकते हैं लेकिन चिया सीड्स मिलाने के बाद इसे तुरंत न पिएं, इसे फूलने दें. शुगर लेने से बचना चाहती हैं, तो इसमें शहद मिलाएं.

गृहशोभा कुकिंग क्वीन इवेंट, बेंगलुरु

गृहशोभा महिला पाठक व्यक्तित्व विकास, एवर फौर प्रौस्पेरिटी का विशेष विकास, कुकिंग क्वीन कार्यक्रम हाल ही में दिल्ली प्रैस की प्रकाशन टीम, गृहशोभा द्वारा भव्य तरीके से आयोजित किया गया. प्रमुख प्रायोजक स्पाइस पार्टनर एल.जी. इंगु, पर्यटन पार्टनर उत्तराखंड पर्यटन विभाग रहे.

इस कार्यक्रम का पूरा फोकस पौष्टिक खाना पकाने और खाने पर था. पिछले महीने 22 सितंबर को यह कार्यक्रम इस्कौन, राजाजीनगर, बैंगलुरु के पास नंबर 19 पर आयोजित किया गया था. आरजी इसका आयोजन रॉयल होटल में किया गया था. इस कार्यक्रम के लिए शहर की सैकड़ों महिलाएं अपनी सेहत, पौष्टिक भोजन, कुकिंग प्रतियोगिता, सैलिब्रिटी शेफ द्वारा कुकिंग डेमो, ढेर सारे मनोरंजन आदि के लिए बड़े उत्साह के साथ यहां एकत्र हुईं.

शेफ सविता कृष्णमूर्ति, जो धारावाहिक ‘अमृतवॢषनी से टेलीविजन पर यशोदम्मा की भूमिका निभाकर कर्नाटक में एक लोकप्रिय वैम्प बन गईं, ‘माने कोटक और कई अन्य कुकिंग शो में मुख्य शेफ के रूप में चमकीं. बाद में उन्होंने 45 से अधिक धारावाहिकों के जरीए अपार लोकप्रियता हासिल की. सुब्बुलक्ष्मी संसार, शनि, पारू, महल, राघवेंद्र की महिमा, दीपक और अपनी हवा, अपनी… आदि प्रमुख हैं. वर्तमान में उदय टीवी धारावाहिक ‘राधिका में अभिनय कर रही हैं. 3 जैसे सितारामा कल्याण, ङ्क्षप्रस, गॉडफादर, मायाबाजार आदि तैयारी की विधि को सलीके से समझाते हुए उन्होंने बताया कि कैसे यह कामकाजी महिलाओं के लिए जल्दी तैयार होने में मददगार है, कैसे यह बच्चों और बड़ों के टिफिन बॉक्स के लिए सहायक है. दर्शक उनके इस स्वादिष्ठ व्यंजन की तैयारी पर उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दे रहे थे. बीच में क्या कम या ज्यादा है लेकिन उसे कैसे ठीक किया जाए, इस डिश को बेहतरीन तरीके से कैसे पेश किया जा सकता है, इसकी पूरी जानकारी दी.

बाद में, जब बड़ी संख्या में दर्शक उनके द्वारा तैयार की गई ‘पाव भाजी का स्वाद लेने आए, तो न केवल उन सभी ने दिल से इसे साझा किया, बल्कि खाना पकाने के बारे में उनका ज्ञान भी साझा किया.

कुकिंग क्चीन सुपर जोड़ी प्रतियोगिता

अगले कार्यक्रम के रूप में शेफ सविता ने बैठक में एकत्रित महिलाओं में से लकी ड्रा के माध्यम से 5 भाग्यशाली जोड़ों का चयन किया. उन सभी को 5 पंक्ति की टेबल, इंडक्शन स्टोव, नाश्ता बनाने के लिए आवश्यक सभी सामग्री, उसे उपयोग करने के लिए आवश्यक सभी उपकरण उपलब्ध कराए गए. प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो आधे घंटे में खाना पकाते हैं, अधिकतम सामग्री का साफ-सुथरा उपयोग करते हैं, काउंटर को बहुत साफ रखते हैं, समान रूप से स्वादिष्ठ पकाते हैं और उत्तम प्रस्तुति देते हैं.

जिसने भी इसे पूरी तरह से, सफाई से और स्वादिष्ठ तरीके से तैयार किया, शेफ ने इसका स्वाद चखा और हर तरह से उत्तम रैसिपी के लिए पुरस्कार की घोषणा की.

इस संबंध में प्रथम पुरस्कार त्रिवेणी और वरुणा द्वारा तैयार ‘वेज खरभात को, द्वितीय पुरस्कार नागाश्री और तनुजा द्वारा तैयार ‘रागी डोसा वेज करी रैसिपी को, तृतीय पुरस्कार अनुराधा और कलावती, सौम्या द्वारा तैयार ‘हैदराबादी पकोड़ा रैसिपी को दिया गया. और जोड़ी द्वारा तैयार ‘चपाती वेज कुर्मा रेसिपी ‘उप्पिट्टिन कडुबू के लिए रश्मी और भव्या और चूड़ामणि को सांत्वना पुरस्कार दिया गया.

पोषण विशेषज्ञ सत्र

इसके बाद आयुर्वेदिक सलाहकार डॉ. प्रज्वला राज ने महिलाओं के बड़े समूह को, जो हमारे भोजन में पोषण के बारे में, स्वस्थ सात्विक भोजन के सेवन के बारे में एक क्रांतिकारी व्याख्या दी थी, वे प्रतिधि आयुर्वेद मेडिकल सेंटर के संस्थापक हैं. 18 वर्षों के अनुभव के साथ इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं और आयुर्वेदिक हर्बल अनुसंधान में अग्रणी हैं. उन्होंने प्रामाणिक आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करने के लिए बैंगलुरु में एक अस्पताल शुरू किया. इसके अलावा, वह प्रतिधि फाउंडेशन नाम का एक एनजीओ भी चलाते हैं.

40 महिलाओं को अपने दैनिक भोजन में पोषक तत्वों को कैसे मिलायें और पूरे दिन उनका सेवन कैसे करें, अपने स्वास्थ्य को कैसे बनाए रखें, आयरन की दवा के बारे में सरल शब्दों में पूरी जानकारी दी. उन्होंने हमें बताया कि उम्र के हिसाब से हमारे भोजन में स्थूल/सूक्ष्म पोषक तत्व, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि कितने होने चाहिए.

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक भोजन की कैलोरी गिनती की जांच करनी चाहिए और उसका सेवन करना चाहिए. उन्होंने दूध, फल, ताजी हरी सब्जियां, मछली, अंडे, सफेद मांस (मछली जरूर खाएं, लाल मांस नहीं) आदि के पोषण मूल्य के बारे में बताया. मधुमेह, हाई बीपी, गठिया के मरीजों को खान-पान, जई, जौ आदि के बारे में विस्तार से बताया गया. फिर उन्होंने दर्शकों के सैकड़ों प्रश्नों के उचित उत्तर दिए और पौष्टिक भोजन के बारे में उनके सभी संदेहों को दूर किया.

गेङ्क्षमग सत्र

पूरे कार्यक्रम का वर्णन करते हुए एंकर समीरा खान ने कार्यक्रम में आईं महिलाओं का भरपूर मनोरंजन किया. विभिन्न गीतों और नृत्यों में भाग लेने वाली महिलाओं ने उत्साह के साथ खूब ठहाके लगाए और नृत्य किया. जैसे-जैसे प्रत्येक सत्र आगे बढ़ा, दर्शकों से उससे और मनोरंजन से संबंधित प्रश्नोत्तरी की एक श्रृंख्ला पूछी गई. उचित और त्वरित उत्तर देने वाली महिलाओं को गृहशोभा द्वारा मौके पर ही रोमांचक पुरस्कार वितरित किए गए.

सभी कार्यक्रम सम्पन्न करने के बाद कार्यक्रम में आईं महिलाओं ने बेहतरीन पौष्टिक भोजन किया, सभी को उपहारों से भरा एक गुडी बैग मिला और खुशी-खुशी विदा हुईं. कुल मिलाकर गृहशोभा कुकिंग क्वीन कार्यक्रम में आईं सभी महिलाओं ने इसका खूब लुत्फ उठाया. इवेंट काफी सफल रहा था.

YRKKH : अभिरा के इमशोन्स के साथ खेलेगी रूही, अपना बच्चा देने का करेगी ऐलान

टीवी का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishat Kya kehlata Hai) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो का ट्रैक अभिरा, अरमान और रूही के इर्दगिर्द दिखाया जा रहा है. सीरियल की कहानी में लीप आने के बाद अरमान और अभिरा की जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है.

औफिस में बखेड़ा खड़ा करेगा अरमान

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि अरमान का गुस्सा सातवें आसमान पर है. वह अपने औफिस के लोगों पर बुरी तरह भड़क जाता है. अभिरा के कारण औफिस में अरमान नया ड्रामा खड़ा कर देता है. अरमान से बात करने की कोशिश करती है. अभिरा की वजह से अरमान औफिस में भी बखेड़ा खड़ा कर देता है. दूसरी तरफ अभिरा मनीष से अपने दिल की बात बताती है.

अरमान की मां का बर्थडे किया जाएगा सेलिब्रेट

मनीष उसे समझाता है और कहता है कि अभिरा को अपनी जिंदगी पर फोकस करना चाहिए. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि अभिरा परिवार को दिखाएगी कि रूही इस पार्टी की हर तैयारी कर रही है.

रूही का होगा ऐक्सीडेंट

तो दूसरी तरफ रात होते ही अरमान अपनी मां के पास पहुंच जाएगा. वह अपनी मां को जन्मदिन की बधाई देगा. लेकिन वह अभिरा को पार्टी में शामिल होने से मना करेगा. अगले दिन पूरा पोद्दार परिवार विद्दा का बर्थडे सेलिब्रेट करेगा. इसी बीच अभिरा और अरमान में जमकर लड़ाई होगी. ऐसे में अरमार घर से बाहर चला जाएगा और अभिरा उसका पीछा करेगी. दूसरी तरफ रूही का ऐक्सीडेंट हो जाएगा.

अभिरा की भवनाओं के साथ खेलेगी रूही

हौस्पीटल में चेकअप करवाने के बाद सबको पता चलेगा कि रूही मां बनने वाली है. ऐसे में वह अपना बच्चा अभिरा को देने का ऐलान करेगी. वह अपने प्रेग्नेंसी के जरिए अभिरा की भवनाओं के साथ खेलेगी. अभिरा से यह वादा कर के वह अबौर्शन करवा देगी. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि  मनिष को लगा कि अभिरा कभी मां नहीं बन सकती, इसलिए विद्दा उसे नहीं अपना रही है. परिवार के लोगों ने भी इस बात से सहमती जताया. शो में लीप आने के बाद अरमान पूरी तरह बदल गया है. अरमान अपने परिवार के लोगों से भी मुंह मोड़ लिया है.

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