बढ़ती उम्र में पाना चाहती हैं सिल्की और शाइनी हेयर, तो फौलों करें Madhuri Dixit के हेल्दी हेयर सीक्रेट

किसी की भी पर्सनैलिटी में हेयर का बहुत खास रोल होता है. उम्र बढ़ने के साथसाथ हम सभी के हेयर रफ होने के साथ झड़ने भी लगते है ऐसी स्थिति में अगर आप भी पाना चाहती है सौफ्ट, शाइनी और लहराते हेयर तो आप बौलीवुड की खूबसूरत ऐक्ट्रेस माधुरी दीक्षित के हेयर सीक्रेट्स के ब्यूटी टिप्स अपना कर बेस्ट हेयर पा सकती हैं.

माधुरी के सिल्की और शाइनी हेयर

बौलीवुड की धकधक गर्ल 57 की उम्र की है, मगर फिर भी उनकी खूबसूरती के सभी दीवाने हैं. माधुरी के इस उम्र में हेयर काफी सिल्की और शाइनी है. वो ऐसा क्या करती हैं अपने हेयर के लिए आइए जानते हैं.

होममेड हेयर मास्क

माधुरी बढ़ती उम्र में अपनी खूबसूरती को मेंटेन करने के लिए गुड डाइट के साथसाथ एक्सरसाइज और होममेड चीजों का इस्तेमाल करती हैं. जिससे उनकी स्किन और हेयर पर प्रोडक्ट्स के कोई साइड इफेक्ट्स न पड़े. माधुरी के वो ब्यूटी सीक्रेट्स क्या हैं आइए जानते है.

हेल्दी हेयर सीक्रेट

प्यारी सी मुस्कान वाली माधुरी दीक्षित ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए एक हेयर सीक्रेट्स का वीडियो शेयर किया हैं. इसमें उन्होंने हेयर्स को सॉफ्ट और शाइनी बनाने के टिप्स बताए है. उन्होंने एक DIY हेयर मास्क के बारे में बताया है. इस मास्क में कोकोनट औयल, बनाना और हनी को मिला कर मास्क बनाया साथ ही उन्होंने बताया कि बनाना न्यूट्रिशन देता है और हेयर को सॉफ्ट बनाता है इसके साथ ही इसमें पोटेशियम और सिलिका होता है. कोकोनट औयल भी न्यूट्रिशन होता है, यह हेयर में डैंड्रफ को दूर करता है जिससे हेयर फॉल कम होता है और हेयर स्ट्रांग बनते है. हनी बालों को स्मूथ करता है. अगर इन इन तीनों को मिलाकर हेयर पर लगाया जाए तो हेयर की लाइफ और खूबसूरती बढ़ जाती है.

कैसे बनाएं हेयर मास्क

सबसे पहले 2 पका हुआ बनाना ले उसे मिक्सी में डालकर पीस लें. फिर इस पेस्ट को मिक्सी जार से निकाल कर एक बाउल में डाल लें. फिर उसमें 3 स्पून कोकोनेट औयल, 2 स्पून हनी डाल कर अच्छी तरह से मिला लें. फिर इस पेस्ट को क्लीन ड्राई हेयर में ब्रश या फिंगर की हेल्प से हल्के-हल्के पूरे हेयर में अप्लाई करें. 20 मिनट बाद इसे साफ पानी से तब तक धोते रहे जब तक पूरा मास्क हेयर से निकल न जाएं. इसके बाद हेयर में किसी माइल्ड सौफ्ट शैंपू का इस्तेमाल करें. क्योकि बनाना और हनी चिपचिपा होता है. इसलिए इसे धोते समय ध्यान देना होगा ये हेयर से जल्दी नही निकलता है. फिर ड्राई टावल से हेयर को हल्के-हल्के हाथों से थपथपाते हुए ड्राई करे. ध्यान रहे हेयर को ड्राई करने के हेयर ड्रायर का बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें. इसके बाद आप अपने खूबसूरत, लहराते हेयर को खुद देख कर खुश हो जाएंगी इस मास्क को आप 1 वीक में एक बार इस्तेमाल कर सकती हैं.

हेयर मसाज-

हेयर को और हेल्दी रखना चाहती है तो अपने हेयर की वाश करने से पहले औयल मसाज जरूर करें जिससे सिर की ब्लड सर्कुलेशन सही रहे और औयल आपके हेयर की रूट्स तक पहुंचे. इसके अलावा वीक में दो से तीन बार शैंपू करें. ज्यादा केमिकल कलर करने से बचें. हर तीन महीने में हेयर की ट्रिमिंग जरूर करवाते रहे.

डाइट का रखें ध्यान

हेयर को न्यूट्रिशन देने के लिए सिर्फ होममेड ब्यूटी प्रोडक्ट्स ही नहीं जरूरी है आपको अपनी डाइट का भी पूरा ध्यान रखना है आप घर का भी बना हेल्दी खाना खाएं ग्रीन वेजिटेबलस और मौसमी फ्रूट्स का सेवन जरूर करें.

प्यूबिक हेयर से हमेशा के लिए पाना चाहती हैं छुटकारा, तो लेजर हेयर रिमूवल है बैस्ट औप्शन

जैसेजैसे लङके और लडकियां किशोरावस्था में पहोचते है उन में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं जिसे प्यूबर्टी के नाम से जाना जाता है. सही शब्दों में प्यूबर्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जिस में एक बच्चे के प्रजननीय अंग पूर्ण रूप से विकसित हो जाते हैं और वह प्रजनन के काबिल हो जाता है. आमतौर पर लड़कियों में प्यूबर्टी की शुरुआत 8 से 13 साल की उम्र में होती है.

लड़कियों में इस वक्त महत्त्वपूर्ण बदलाव आते हैं जो लंबे समय तक उन के साथ रहते हैं. जैसे :

ब्रैस्ट का बढ़ना : लड़कियों में प्यूबर्टी शुरू होते ही सब से पहले ब्रैस्ट का विकास शुरू होता है. शरीर
के बाकी अंगो के साथसाथ ब्रैस्ट भी बढ़ती है. कई बार दोनों ब्रैस्ट के साइज में फर्क होता है जोकि आम बात है। और कई बार संपूर्ण ब्रैस्ट के साइज में फर्क होता है जैसे या तो साइज बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है या फिर बहुत ही कम रह जाता है जोकि डाइट और कभीकभी जीन्स पर भी निर्भर करता है.

बगल और निजी अंगों पर बालों का आना : प्यूबर्टी के हिट करते ही लङके और लङकियों में सब से पहले निजी अंगों पर बाल आना शामिल होते हैं. लड़कियों के हाथों की बगलों और जैनेटाइल में बाल आने लगते हैं. ये बाल अकसर इरीटेशन और शारीरिक स्मैल की वजह बनते है. आजकल लङकियां इन्हें परमानैंट हटाने के लिए कई तरह के ट्रीटमैंट ले रही हैं।

मासिक धर्म की शुरुआत : प्यूबर्टी के वक्त लड़कियों में होने वाला सब से बङा बदलाव मासिक धर्म की शुरुआत है. यह इस बात का संकेत है कि लड़की अब जन्म देने के काबिल है.

इन लक्षणों में सब से ज्यादा परेशान करने वाला होता है बगल और निजी अंगों व हिस्सों पर बालों का आना. इस के लिए लङकिया कई तरह के ट्रीटमैंट्स लेती हैं जैसे वैक्सिंग, हेयर रिमूवल क्रीम या फिर लेजर ट्रीटमैंट. इन सब के अपने अपने फायदे और नुकसान हैं.

वैक्सिंग जहां हर 15 दिन में करवानी पङती है, वहीं हेयर रिमूवल क्रीम अकसर स्किन डैमेज या बर्न
कर देती है जिस से बगलों में काले दाग पङ जाते हैं और जब बाल दोबारा आते हैं तब बङे ही
असहज और इरीटेटिंग महसूस कराते हैं. यही वजह है कि अब लड़कियां लेजर हेयर रिमूवल ट्रीटमैंट
पर ज्यादा ध्यान देने लगी हैं जिस से यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए.

लेजर हेयर रिमूवल क्या है

लेजर हेयर रिमूवल शरीर पर अनचाहे बालों को हटाने का एक ऐडवांस तरीका है या कह सकते हैं कि परमानैंट सौल्यूशन है. आजकल यह बड़ा ही प्रचलित है. लोग अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर यह ट्रीटमैंट करा सकते हैं. यह अधिकतर चेहरा, बगल, बिकनी एरिया, पीठ और पैरों पर कराया जाता है.

लेजर हेयर रिमूवल कैसे काम करता है

लेजर हेयर रिमूवल में सैलेक्टिव फोटोथर्मोलिसिस नामक प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. लेजर
से निकलने वाली गरमी उन कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जिन में बहुत अधिक पिगमेंट (रंग) होता
है क्योंकि काले बालों में बहुत अधिक पिगमेंट होता है, इसलिए यह ज्यादा गरमी को अवशोषित करता
है.

बाल हीट को हेयर फोलिकल्स तक पहुचा देते हैं जिस से की वे खत्म हो जाते हैं और बालों के फिर से बढ़ने का रास्ता भी. लेकिन यह सब के लिए से तरीके से काम नहीं करता। हेयर फोलिकल्स कि कई स्टेज होने के कारण कई लोगों को कई लेजर उपचार ट्रीटमैंट करवाने पङते हैं.

लेजर हेयर रिमूवल कौन करवा सकता है

शरीर पर ऐक्सट्रा बाल होने पर कोई भी व्यक्ति लेजर हेयर रिमूवल करवा सकता है. यह एक कौस्मेटिक प्रक्रिया है. यह आप की पर्सनैलिटी को बेहतर बना सकता है और अनचाही पसीने और स्मैल से छुटकारा भी दिला सकता है.

लेजर हेयर रिमूवल किसे नहीं करवाना चाहिए

लेजर हेयर रिमूवल करवाने से पहले हमेशा अपने हैल्थ ऐक्सपर्ट या स्किन ऐक्सपर्ट से बात करें. इसे नजरअंदाज करना बेहतर होगा अगर आप प्रैगनेंट हैं, स्किन से जुडी कुछ दवाएं ले रहे हैं, जैसेकि मुंहासे, जैनेटाइल्स में कोई समस्या हो वगैरा.

टीनएज में जब गर्लफ्रैंड बने, तो ‘दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं वक्त गुजरता नहीं…’

दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं, वक्त गुजरता नहीं, क्या यही प्यार है. अकसर हर युवादिल इस सिचुएशन से गुजरता है. अगर आप का हाल ए दिल भी आजकल यही है जनाब, तो आप सही जगह हैं. हम आप को यही समझना चाहते हैं कि कुछ देर शांति से बैठ कर अपने दिल से पूछ तो लें कि यह प्यार ही है या फिर इन्फैक्चुएशन है.

आज तुम्हें वह लड़की बहुत अच्छी लग रही है लेकिन कल उस ने तुम्हारे साथ चलने को मना कर दिया, अपनी डीपी शेयर नहीं की या फिर किसी और लड़के से बात कर ली तो कहीं गुस्से में रिश्ता तोड़ने तो नहीं बैठ जाओगे. सच तो यह है कि अगर यह तुम्हारा इन्फैक्चुएशन है तो रिश्ता 10 दिन में खत्म हो जाएगा. तुम्हें 14-15 साल की उम्र में मालूम ही नहीं कि गर्लफ्रैंड का मतलब क्या होता है. शायद तुम्हारे पेरैंट्स भी यही बात कहते होंगे. लेकिन तुम चाहो तो खुद इसे एक्सपीरियंस कर के देख लो.

स्टेटस सिंबल भी है गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड बनाना

14 वर्षीया आशिमा से जब पूछा गया कि आखिर उसे बौयफ्रैंड की जरूरत क्या है तो उस का जवाब था, ‘साथसाथ घूमनेफिरने और पार्टियों में जाने के लिए एक बौयफ्रैंड तो चाहिए ही, वरना लोग सोचेंगे कि मु?ा में कोई आकर्षण ही नहीं है.

‘मेरी सभी सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं. अगर मैं नहीं बनाऊंगी तो लोग मुझे लो क्लास समझेंगे और अपने ग्रुप का पार्ट नहीं बनाएंगे और साथ ही, मैं उन के ग्रुप में अनफिट हो जाऊंगी.’ अगर आप भी यही सोच कर गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड बना रहे हैं तो अपने मन का करें, मन न हो तो न बनाएं क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना.

जमाने को न लगे खबर

गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड बनाओ तो इस को शेयर ज्यादा मत करो. अगर कभी पब्लिक प्लेस में कोई जानकार मिल जाए तो बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड कह कर न मिलवाएं. इस का नुकसान आप को ही होगा. उसे क्लासमेट या फिर जस्ट फ्रैंड कह कर मिलवाएं. लेकिन फिर भी अगर किसी से शेयर करना है तो उस से करो जो अपने पेट में बात रख सके. लेकिन एक फ्रैंड को जरूर मालूम होना चाहिए कि मैं इस के साथ इस कैफे में बैठ कर गप्पें मारती हूं, हम स्कूटी पर राइड पर जाते हैं.

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें

अगर बौयफ्रैंड बना ही लिया है तो उसे परखें और खूब बातें करें और जानें कि क्या उस का और आप का मैंटल लैवल मैच कर रहा है, क्या आप अपनी पूरी जिंदगी उस इंसान के साथ बिताने में कम्फर्टेबल हैं और बातोंबातों में पता करें कि उस की लाइफ के गोल क्या हैं. उस के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचें कि सिर्फ टाइम पास करना है या फिर आप इस रिलेशन को ले कर सीरियस हैं.

अपनी फर्स्ट प्रायोरिटी तय करें

वैसे तो आप का सब से पहला फोकस अपने कैरियर पर ही होना चाहिए. यही समय है जब पढ़लिख कर कुछ बना जा सकता है. फिर ऐसे गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड तो बहुत मिल जाएंगे पर अगर किसी पर दिल आ ही गया है तो कोई बात नहीं, बौयफ्रैंड बनाएं लेकिन फर्स्ट प्रायोरिटी केवल कैरियर ही होना चाहिए क्योंकि गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड तो आतेजाते रहेंगे लेकिन अगर पढ़ाई करने का यह समय चला गया तो फिर लौट कर नहीं आएगा.

गर्लफ्रैंड बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान

कोई लड़की पसंद है तो कोई बात नहीं, थोड़ा इंतजार करें. उस से प्यार का इजहार करने से पहले खुद को थोड़ा समय दें, फिर किसी नतीजे पर पहुंचें. यह फैसला दिल और जज्बात से जुड़ा होता है.

अपने को उस लड़की के काबिल बनाएं. पहले अपनी पढ़ाईलिखाई पर ध्यान दें, कुछ बन जाएं तभी तो लड़की भी आप को चाहेगी. अपने कैरियर पर भी पूरा ध्यान दें क्योंकि आप का फ्यूचर ब्राइट होगा तो उस जैसी कई लड़कियां आप का साथ चाहने के लिए लाइन में लगी दिखेंगी. इसलिए कुछ ऐसा करें कि आप को कोई रिजैक्ट न कर सके.

गर्लफ्रैंड के साथ झगड़ा हो गया है, मैं उसे कैसे मनाऊं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं अपनी गर्लफ्रैंड जोकि मेरी ही क्लास में पढ़ती है, से बहुत प्यार करता हूं, लेकिन कुछ दिन से वह मुझ से बात नहीं करती. हमारे बीच झगड़ा हो गया है, क्योंकि मैं ने उस के स्कर्ट में आने पर उस की टांगों की सुंदरता की तारीफ कर दी. मैं उस से दूर नहीं जाना चाहता. ऐग्जाम्स भी आने वाले हैं. मैं क्या करूं?

जवाब

भई, सब से पहले तो आप यह बताइए कि आप उस से प्यार करते हैं या उस के शरीर से. आप की बातों से तो लगता है आप का प्यार शारीरिक आकर्षण है, जो इस उम्र में हो जाता है वरना आप का उस की टांगों की सुंदरता की ओर ही ध्यान क्यों गया? वह भी आप से इसी वजह से नाराज है.

बहरहाल, आप उस से अपनी गलती की माफी मांग मामला सुलटाइए. फिर प्यार में एकदूसरे की मदद पढ़ाई के जरिए कीजिए. शारीरिक आकर्षण से ध्यान हटाएंगे तो पढ़ाई पर भी ध्यान दे पाएंगे वरना पेपर भी बकवास जाएंगे और अगर पढ़ाई न हुई तो महबूबा भी हाथ से जाएगी. अत: एकदूसरे का संबल बनिए, पढ़ाई कर कैरियर बनाइए, ताकि सारी उम्र साथ निभा सकें.

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जब बिस्तर पर पकड़े जाएं रंगे हाथों

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Teej Special : घर पर ऐसे बनाएं मेवा मोदक, ट्राई करें ये आसान रेसिपी

अगर आप घर पर मोदक बनाने की सोच रही हैं तो हम आपको आज मेवा मोदक की रेसिपी बताएंगे. मेवा मोदक बनाना आसान है. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी होते है, जिसके चलते आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को फेस्टिवल में मोदक खिला सकती हैं. आइए आपको बताते हैं मेवा मोदक की खास रेसिपी…

हमें चाहिए

250 ग्राम गेहूं का आटा

200 ग्राम काजू, बादाम व पिस्ते के टुकड़े

25 ग्राम किशमिश

25 ग्राम मगज

25 ग्राम गोंद

100 ग्राम अथवा स्वादानुसार पिसी चीनी

200 ग्राम देशी घी.

बनाने का तरीका

कड़ाही में घी गरम कर गोंद को तल लें. गोंद के फूलते ही उसे घी से निकाल लें. उसी कड़ाही में आटा डाल कर मंदी आंच पर हलका सुनहरा होने तक भूनें. अब इस में काजू, बादाम, पिस्ता, किशमिश, मगज व गोंद को पीस कर मिलाएं. 2-3 मिनट और भूनें. फिर चीनी मिला कर आंच से उतार लें. थोड़ा गरम रहते ही मिश्रण के मनचाही नाप के मोदक बना लें.

चित्तशुद्धि: क्यों सुकून की तलाश कर रही थी आभा

लेखिका- कंवल भारती

इस शहर में मेरा पहली बार आना हुआ है. यह मेरे लिए अनजाना है. 5 साल तक एक ही शहर में रहने के बाद मेरा ट्रांसफर इस शहर में हुआ है. हुआ क्या है, किसी तरह कराया है. जहां से मैं आई हूं वहां एक मंत्री का इतना दबदबा था कि उस के गुंडे औफिस आ कर मेज पर चढ़ कर बैठ जाते थे, और मंत्री के नाम पर गलत काम कराने का दबाव बनाते थे. गालियां उन की जबान पर हर वक्त धरी रहती थीं. औरत तक का कोई लिहाज उन की नजरों में नहीं था.

मैं स्टेशन से बाहर निकलती हूं. बहुत सारे रिकशे खड़े हैं. मैं हाथ के संकेत से एक रिकशे वाले को बुलाती हूं. मैं उस से कुछ कहे बिना ही रिकशे में बैठ जाती हूं. रिकशे वाला पूछ रहा है, ‘‘बहनजी, कहां जाइएगा?’’ मैं उस से विकास भवन चलने को कहती हूं. नए शहर में रिकशे में बैठ कर घूमना मु झे अच्छा लगता है. सड़कें, बाजार और दिशाएं अच्छी तरह दिखाई देती हैं.

रिकशे वाला स्टेशन से बाहर निकल कर सीधे रोड पर चल रहा है. यह स्टेशन रोड है. कुछ दूर चल कर सड़क पर ढेर सी सब्जियों की दुकानें देख रही हूं. मैं अनुमान लगाती हूं, शायद यह यहां की सब्जी मंडी है. मैं रिकशे वाले से कन्फर्म करती हूं. वह बता रहा है, ‘‘बहनजी, यह अनाज मंडी है. सब्जियां भी यहां बिकती हैं.’’

मैं देख रही हूं, सड़क के दोनों ओर सब्जियों के ढेर से सड़क काफी संकरी हो गई है. गाय और सांड़ खुले घूम रहे हैं. इस भीड़ वाले संकरे रास्ते से निकल कर आगे दाहिने हाथ पर राजकीय चिकित्सालय की इमारत दिख रही है. फिर चौक आता है. रिकशे वाला कह रहा है, ‘‘यहां बाईं तरफ घंटाघर है, यह सामने नगरपालिका है.’’

रिकशा चौक से आगे जा कर बाएं मुड़ जाता है. इस रोड की सजीधजी दुकानें बता रही हैं कि यह यहां का मुख्य बाजार है. मैं दोनों ओर गौर से देखती जा रही हूं. किराने, वस्त्रों, साडि़यों, रेडीमेड गारमैंट्स, बरतन, स्टेशनरी आदि की काफी सारी दुकानें नजर आ रही हैं. साडि़यों के एक शोरूम पर नजर पड़ती है. बहुत ही भव्य शोरूम लग रहा है. अब तो इस शहर में रहना ही है. सो, मैं निश्चित कर रही हूं, इस शोरूम पर जरूर आना है.

कुछ दूर चल कर एक संकरा पुल आता है. इस पुल पर काफी जाम है. रिकशे वाला धीरेधीरे रास्ता बनाते हुए चल रहा है. पुल के नीचे नदी है, पर उस में पानी ज्यादा नहीं दिख रहा है. रिकशे वाला पुल और नदी का नाम बता रहा है, पर मेरा ध्यान उस की तरफ नहीं है. इसलिए मैं उसे सुन नहीं पाई. पुल पार करते ही बाईं ओर एक बड़ी सी मिठाई की दुकान नजर आई. रिकशे वाला बता रहा है, ‘‘बहनजी, इस दुकान की इमरती दूरदूर तक मशहूर है.’’

इमरती मुझे बहुत अच्छी लगती है. पर अब डायबिटीज की पेशेंट हूं, इसलिए परहेज करती हूं. इसी वक्त चमेली की खुशबू नथुनों में भर जाती है. देखती हूं कि सड़क के दोनों ओर इत्र की दुकानें हैं. यहां से आगे चल कर फिर एक बाजार आया है. दुकानों के बोर्ड पढ़ती हूं, कोई गंज बाजार है.

रिकशा अब बाएं मुड़ रहा है. आगे एक देशी शराब का ठेका बाईं तरफ दिखाई दे रहा है.

रिकशा वाला कह रहा है, ‘‘यहां शाम को मछली बाजार लगता है.’’ पर मैं उस की बात अनसुनी कर देती हूं. यहां से कोई 20 मिनट बाद कलैक्ट्रेट का गेट दिखाई देने लगा है. रिकशा इसी गेट के अंदर प्रवेश कर रहा है. मैं बाईं ओर जिला कोषागार का औफिस देख रही हूं. उस के थोड़ा ही आगे विकास भवन की बिल्डिंग दिखाई देने लगी है. रिकशा वहीं पर रुक जाता है.

मैं रिकशे से उतरती हूं. मैं उस से किराया पूछती हूं, वह 10 रुपए मांग रहा है. यहां इतना कम किराया. मु झे यह ठीक नहीं लग रहा है. मैं मन में सोच रही हूं, यह तो इस के श्रम के साथ न्याय नहीं है. पर मैं कर भी क्या सकती हूं. मैं ने उसे 10 रुपए दिए. बाद में सौ रुपए का नोट अलग से दिया कि वह मेरी तरफ से तुम्हारे बच्चों के लिए मिठाई है. आज इस शहर में मेरा पहला दिन है. जाओ, उसी दुकान से इमरती ले कर घर जाना.

रिकशे वाले की आंखों में खुशी देख कर मैं अपने बचपन की यादों में खो जाती हूं. पिताजी चीनी मिल में मजदूर थे. एक दिन जब वे रात में ड्यूटी से घर आए, तो उन के हाथों में मिठाई का डब्बा था. उस में इमरतियां थीं. मां ने पूछा था ‘मिठाई कहां से लाए,’ तो पिताजी ने बताया था, ‘एक नए अफसर आए हैं. उन के साथ मिल के विभागों में घूमा था. उन्होंने मु झ से घरगृहस्थी की बातें पूछी थीं. जब चलने को हुआ, तो उन्होंने 50 रुपए दे कर कहा था कि बच्चों के लिए मिठाई ले जाना.’ उस दिन मैं ने पहली बार इमरती खाई थी. ओह, मैं भी कहां खो गई. वर्तमान में लौटती हूं.

मैं सूटकेस ले कर विकास भवन में प्रवेश करती हूं. अपने विभाग में जा कर अपना जौइनिंग लैटर बनवाती हूं. बाबू बताता है, डीएम साहब अवकाश पर हैं, उन का चार्ज सीडीओ के पास है. मैं बाबू के साथ सीडीओ से मिलने जाती हूं. मैं उन्हें जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर अपना जौइनिंग लैटर सौंपती हूं.

आज का दिन ऐसे ही बीत जाता है. सीडीओ से मिल कर अच्छा लग रहा है. रोबदाब वाली अफसरी उन में नहीं दिखी. वे मु झे मिलनसार और सहयोगी स्वभाव के लगे. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या इस शहर में कोई संबंधी है?’’ मेरे मना करने पर उन्होंने तुरंत ही मेरे आवास की समस्या भी हल कर दी है.

डीआरडीए के परियोजना निदेशक का ट्रांसफर हो गया था, और उन का आवास खाली पड़ा था. वे मु झे उस की चाबी दिलवा देते हैं. मैं उन का आभार व्यक्त करती हूं.

बाबू ने आवास की साफसफाई करवा दी है. कुछ जरूरी सामान भी उस ने उपलब्ध करा दिया है. अकसर नई जगह पर नींद थोड़ी मुश्किल से आती है. पर 12 घंटे की रेलयात्रा की थकान थी, इसलिए लेटते ही नींद ने आगोश में ले लिया था. सुबह 6 बजे आंख खुली. आदत के अनुसार अखबार के लिए बाहर आई. पर अखबार कहां से होता. किसी हौकर से डालने को कहा भी नहीं गया था.

संयोग से साइकिल पर एक हौकर आता दिखाई दिया. मैं उस से एक हिंदी और एक इंग्लिश का अखबार लेती हूं, और यही 2 अखबार उस से रोज डालने को कहती हूं. ब्रश कर के चाय बनाती हूं. मैं दूध का इस्तेमाल नहीं करती हूं. बाकी सारा सामान इलैक्ट्रिक केतली, शुगरफ्री के पाउच और टीबैग्स घर से साथ ले कर आईर् हूं. चाय पीने के साथ अखबार पढ़ती हूं.

एक खबर पढ़ कर चौंक जाती हूं. क्या सरला इसी शहर में है? क्या यह वही सरला है, जो मेरी क्लासपार्टनर थी या यह कोई और है? नाम तो उस का भी सरला था. बहुत छुआछूत करती थी. मगर यह वही सरला है, तब तो यह बिलकुल नहीं बदली. वैसी की वैसी ही कूपमंडूक है अभी तक. सच में कुछ लोग कभी नहीं बदलते. घुट्टी में दिए गए संस्कार उन में ऐसे रचबस जाते हैं कि उन की पूरी दिनचर्या संस्कारों की गुलाम हो जाती है. अच्छाबुरा, और सहीगलत में वे कोई अंतर ही नहीं कर पाते. बस, उन के लिए उन की मान्यताएं, आस्थाएं और संस्कार ही उन का परम धर्म होते हैं. मु झे याद है, एक बार मैं ने कहा था, चल सरला, आज बाहर किसी रैस्तरां में कुछ खापी कर आते हैं.

वह तुरंत बोली थी, ‘तुम जाओ, मु झे अपना धर्म नहीं भ्रष्ट करना.’

मैं ने कहा, ‘क्या रैस्तरां में खाने से धर्म भ्रष्ट हो जाता है?’

‘और क्या?’

‘तु झ से किस ने कहा?’

‘किसी ने नहीं कहा, पर क्या तु झे पक्का पता है कि वहां जातकुजात के लोग नहीं होते हैं? ब्राह्मण ही खाना बनाते और परोसते हैं?’

‘तू जातपांत को मानती है?’

‘हां, मैं तो मानती हूं.’

उस का रिऐक्शन इतना खराब होगा, मु झे नहीं पता था. मैं तो सुन कर अवाक रह गई थी.

अगर यह वही सरला है, तब तो उस की नौकरानी ने उस के खिलाफ केस कर के ठीक ही किया है. बताइए, यह कोई बात हुई कि जो नौकरानी 6 महीने से चायनाश्ता और खाना बना रही थी, उसे इस वजह से मारपीट कर के नौकरी से निकाल दिया कि वह उसे ब्राह्मण सम झ रही थी जबकि वह यादव निकली. इस ब्राह्मणदंभी को यह नहीं पता कि जो आटा वह बाजार से लाती है, वह किस जाति या धर्म के खेत के गेहूं का आटा है- ब्राह्मण के, यादव के, चमार के या मुसलमान के?

पर ऐसे लोग यहां भी तर्क जमा लेते हैं, कहते हैं, अग्नि में तप कर सब शुद्ध हो जाता है. अन्न अग्नि में शुद्ध हो जाता है, लेकिन उसे बनाने वाला शुद्ध नहीं होता है. वह अगर ब्राह्मण है तो ब्राह्मण ही रहता है, और यादव है तो यादव ही रहता है. मैं तो यह खबर पढ़ कर ही परेशान हुई जा रही हूं, यह कितनी अवैज्ञानिक सोच है, कह रही है, नौकरानी ने मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया. इतने दिनों से मैं एक शूद्रा के हाथ का बना खाना खा रही थी.

मैं सरला से मिलने की सोचने लगी हूं. पर पहले तो यह पता करना होगा कि वह रहती कहां है. पर इस से भी पहले उस का फोन नंबर मिलना जरूरी है. यहां भी सीडीओ साहब काम आते हैं. और मु झे उस के आवास का पता व फोन नंबर मिल जाता है. मैं तुरंत नंबर मिलाती हूं. फोन स्विचऔफ जा रहा है. हो सकता है ऐसी परिस्थिति में उसे अनेक लोगों के फोन आ रहे होंगे. उसी से बचने के लिए उस ने फोन स्विचऔफ कर दिया होगा. पर उस से मिलना जरूरी है. इसलिए मैं उस से मिलने उस के आवास की ओर चल देती हूं.

ट्रांजिट होस्टल में सैकंड फ्लोर पर जा कर मैं एक दरवाजे की घंटी बजाती हूं. दरवाजा सरला ही खोलती है. मैं इतने सालों के बाद भी उसे पहचान लेती हूं. पर वह मु झे देख कर अवाक सी है, …..पहचानने का भाव उस की आंखों में मु झे दिख रहा है. फिर पूछती है, ‘‘जी कहिए?’’

मेरे जवाब देने से पहले ही वह फिर बोल पड़ती है, ‘‘बोलिए, किस से मिलना है?’’

‘‘अरे सरला, मु झे पहचाना नहीं? मैं आभा हूं, कानपुर वाली तेरी क्लासफैलो.’’

फिर वह थोड़ा चौंक कर बोली, ‘‘अरे आभा तू? तू यहां कैसे? माफ करना यार, कोई 10 साल के बाद मिल रही हो, इसलिए पहचान नहीं पाई. आओ, अंदर आओ.’’

मैं उस के साथ अंदर प्रवेश करती हूं. ड्राइंगरूम एकदम साफसुथरा लग रहा है, करीने से सजा हुआ. मैं सोफे पर बैठ जाती हूं. वह फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर गिलास में डालती है और मु झे दे कर मेरे पास ही बैठ जाती है. फिर ढेर सारे सवाल करती है, ‘‘और बता, तू इतनी मोटी जो हो गई, पहचानती कैसे? और तू इस शहर में क्या कर रही है? किसी रिलेटिव के पास आई है क्या? और तु झे मेरा पता कैसे मिला?’’

‘‘अरे रुक यार, कितने सवाल पूछेगी एकसाथ?’’

वह हंसने लगती है. पर मैं देख रही हूं कि उस की हंसी में स्वाभाविकता नहीं है. एकदम फीकी सी हंसी. मैं सम झ रही हूं, वह खुश नहीं है, अंदर से परेशान है.

मैं उसे बताती हूं, ‘‘मैं ने यहां कल ही समाज कल्याण अधिकारी के पद पर जौइन किया है. आज ही सुबह अखबार में तेरी खबर पढ़ी, और बेचैन हो गई. इतनी चिंतित हुई कि किसी तरह तेरा नंबर और पता लिया. पहले फोन किया, वह स्विचऔफ जा रहा था. फिर मिलने चली आई.’’

‘‘किस से मिला मेरा फोन नंबर और पता?’’

‘‘अब यह सब छोड़. वैसे सीडीओ साहब से ही मिला.’’

‘‘क्या बात है, एक ही दिन में काफी मेहरबान हो गए सीडीओ साहब?’’ उस ने व्यंग्यात्मक मजाक किया.

‘‘हां, तो क्या हुआ? भले व्यक्ति हैं. मिलनसार हैं.’’

‘‘और मोहब्बत वाले हैं,’’ यह कह कर वह फिर हंसी.

‘‘हां, हैं मोहब्बत वाले. अब तो खुश. अब तू बता, तू ने यह क्या कांड कर डाला?’’

‘‘कैसा कांड?’’

‘‘अरे, तेरी कुक ने तु झ पर मारपीट का मामला दर्ज कराया है. यह कांड नहीं है.’’

‘‘अरे, वह कुछ नहीं है, उस से मैं निबट लूंगी.’’

‘‘कैसे? यह कहेगी कि वह  झूठ बोल रही है?’’

‘‘हां, तो क्या हुआ?’’

‘‘तेरे लिए गरीब औरत के लिए कोई इज्जत नहीं है?’’

‘‘काहे की गरीब और काहे की इज्जत? क्या मेरी कोई इज्जत नहीं है? मेरा धर्म भ्रष्ट कर के चली गई?’’ उस ने क्रोध से भर कर कहा.

‘‘कैसा धर्म भ्रष्ट? क्या किया उस ने?’’

तब उस ने बताया, ‘‘मु झे एक ब्राह्मण कुक की जरूरत थी. एक व्यक्ति ने एक औरत को मेरे यहां भेजा कि यह बहुत अच्छा खाना बनाती है और ब्राह्मण भी है. उस व्यक्ति के विश्वास पर मैं ने उसे रख लिया. वह काम करने लगी. सुबह में वह नाश्ता बनाती और दोनों समय का खाना बना कर, खिला कर चली जाती थी. अचानक 6 महीने बाद उस की कालोनी की एक औरत उस से मिलने आई. मैं ने उस से पूछा, ‘तुम इसे कैसे जानती हो?’ उस ने बताया, ‘यह हमारी ही कालोनी में रहती है.’

‘‘मैं ने पूछा, ‘कौन है यह,’ तो वह बोली, ‘यादव है.’

‘‘यह सुन कर मेरे तो बदन में आग लग गई. इतना बड़ा  झूठ मेरे साथ, यह घोर अनर्र्थ था. मैं 6 महीने से एक शूद्रा के हाथों का बना खाना खा रही थी. मेरे नवरात्र के व्रत तक भ्रष्ट कर गई. मेरा सारा धर्म भ्रष्ट कर गई.’’

मैं ने कहा, ‘‘इस का मतलब है कि तु झे दूसरी औरत ने बताया कि वह कुक यादव है, तब तु झे पता चला.’’

‘‘हां, वरना मैं ब्राह्मण ही सम झती रहती.’’

‘‘और भ्रष्ट होती रहती?’’

‘‘और क्या? मु झे उस ने बचा लिया.’’

‘‘अच्छा, उस पहले व्यक्ति ने उसे ब्राह्मण बताया था.’’

‘‘हां.’’

‘‘मतलब यह कि एक ने कहा, वह ब्राह्मण है, तो तू ने उसे ब्राह्मण मान लिया, दूसरे ने कहा, वह यादव है, तो तू ने उसे यादव मान लिया. कोई तीसरा उसे चमार बताता, तो उसे मान लेती.’’

‘‘तू कहना क्या चाहती है?’’

‘‘मैं यह कहना चाहती हूं कि औरत की जाति को पहचानने का तेरे पास कोई मापदंड नहीं है. जो भी जाति औरत अपनी बताएगी, या दूसरा व्यक्ति बताएगा, तू उसी पर विश्वास करेगी.’’

अब वह घूम गई, क्योंकि कोई जवाब उस के पास नहीं है. मैं ने कहा, ‘‘सरला, औरत के वर्ग की कोई पहचान नहीं है.’’

‘‘क्यों नहीं है?’’ उस ने बहस में अपने अज्ञान को निरर्थक छिपाने का प्रयास किया.

‘‘बता क्या पहचान है? किस चीज से पहचानेगी – चेहरे से? भाषा से? पहनावे से?’’

वह मौन रही.

‘‘अच्छा, तू बता, तेरी क्या पहचान है? तू कैसे साबित करेगी कि तू ब्राह्मण है?’’ मैं ने तर्क किया, ‘‘पुरुष तो अपना जनेऊ दिखा कर साबित कर देगा, पर औरत क्या दिखा कर साबित करेगी कि वह ब्राह्मण है?’’

वह सोच में पड़ गई थी. गरम लोहा देख कर मैं ने फिर तर्क का प्रहार किया, ‘‘क्या तेरा जनेऊ हुआ है?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘मेरा भी नहीं हुआ है,’’ मैं ने कहा, ‘‘तू धर्म को ज्यादा सम झती है. जिस का जनेऊ नहीं होता, उसे क्या कहते हैं?’’

वह चुप.

मैं ने कहा, ‘‘उसे शूद्र कहते हैं. तब बिना जनेऊ के तू भी शूद्रा हुई कि नहीं? मैं भी शूद्रा हुई कि नहीं?’’

उस का ब्राह्मण अहं आहत हो गया, तुरंत बोली, ‘‘एक ब्राह्मणी शूद्रा कैसे हो सकती है?’’

‘‘नहीं हो सकती न, फिर सम झा तू, किस तरह ब्राह्मण है?’’

‘‘मेरे पिता ब्राह्मण हैं, दादा ब्राह्मण थे, मेरी मां ब्राह्मण हैं,’’ उस ने तर्क दिया.

मैं ने कहा, ‘‘यह कोई तर्कनहीं है. तेरे पिता और दादा ब्राह्मण हो सकते हैं, पर तेरी मां भी ब्राह्मण हैं, इस का दावा तू कैसे कर सकती है? खुद तेरी मां भी ब्राह्मण होने का दावा नहीं कर सकती.’’

‘‘तू कैसी अजीब बातें कर रही है, क्यों नहीं कर सकती मेरी मां ब्राह्मण होने का दावा?’’ उस ने क्रोध में जोर दे कर कहा.

‘‘क्योंकि वे औरत हैं, इसलिए.’’

‘‘मतलब?’’

मतलब यह है कि औरत उस तरल पदार्थ की तरह है, जो जिस बरतन में रखा जाता है, वह उसी का रूप धारण कर लेता है. औरत अपने पिता या पति के वर्ग से जानी जाती है, उस का अपना कोई वर्ण नहीं होता है. वह ब्राह्मण से विवाह करने पर ब्राह्मणी, ठाकुर से विवाह करने पर ठकुरानी, लाला से विवाह करने पर लालानी होगी, और शूद्र वर्ण में जिस जाति से विवाह करेगी, उस की भी वही जाति मानी जाएगी. सरला, मैं फिर कह रही हूं कि औरत का अपना कोई वर्ण नहीं होता है.’’

वह मौन हो कर सुन रही थी. पर मैं सम झ रही थी कि उसे यह अच्छा नहीं लग रहा था. मैं ने अपनी बात जारी रखी, ‘‘तुम्हारी मां भी तुम्हारे पिता के वर्ण से ब्राह्मण हैं, और दादी भी तुम्हारे दादा के वर्ण से ब्राह्मण थीं. इस से पहले की पीढि़यों के बारे में भी जहां तक तुम्हें याद है, वहीं तक बता सकती हो. उस के बाद वह भी नहीं.’’

मैं ने आगे कहा, ‘‘तू ऋतु को तो जानती होगी. अभी पिछले महीने उस की किन्हीं प्रोफैसर शर्मा से शादी हुई है.’’

‘‘इस में अचरज क्या है?’’ अब उस ने पूछा.

‘‘सरला, अचरज यह है कि ऋतु की मां ब्राह्मण नहीं थीं. रस्तोगी जाति की थीं, जिसे शायद सुनार कहते हैं. फिर वह एक शूद्रा की बेटी हुई कि नहीं? पर चूंकि उस के पिता भट्ट थे, इसलिए वह भी ब्राह्मण है. अब उस के बच्चे भी भट्ट ब्राह्मण कहलाएंगे, क्योंकि दूसरी पीढ़ी में वह ब्राह्मण हो गई. इसलिए सरला, यह ब्राह्मण का भूत दिमाग से निकाल दे.’’

पर हार कर भी सरला हार मानने को तैयार नहीं थी. उस ने गुण का सवाल खड़ा कर दिया, ‘‘तो क्या ब्राह्मण का कोई गुण नहीं होता?’’

अनजाने में यह उस ने एक अच्छा प्रश्न उठा दिया था. मु झे उसे निरुत्तर करने का एक और अवसर मिल गया. मैं ने कहा, ‘‘इस का मतलब है, तू ने यह मान लिया कि ब्राह्मण गुण से होता है?’’

‘‘बिलकुल, इस में क्या शक है?’’

‘‘गुड, अब यह बता, ब्राह्मण के गुण क्या हैं?’’

‘‘ब्राह्मण के गुण?’’

‘‘हां, ब्राह्मण के गुण?’’

‘‘क्या तू नहीं जानती?’’

‘‘हां, मैं नहीं जानती. तू बता?’’ फिर मैं ने कहा, ‘‘अच्छा छोड़, यह बता, ब्राह्मण के कर्म क्या हैं.’’

‘‘वेदों का पठनपाठन और दान लेना.’’

‘‘गुड, और ब्राह्मणी के?’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि यह कर्म जो तू ने बताए हैं, वे तो ब्राह्मण के कर्म हैं. ब्राह्मणी के कर्म क्या हैं?’’

‘‘ब्राह्मण और ब्राह्मणी एक ही बात है.’’

‘‘एक ही बात नहीं है, सरला. स्त्री के रूप में ब्राह्मणी वेदों का पठनपाठन नहीं कर सकती. उस का कोई संस्कार भी नहीं होता. वह यज्ञ भी नहीं कर सकती. एक ब्राह्मणी के नाते क्या तू यह सब कर्म करती है?’’

‘‘नहीं, मेरी इस में कोई रुचि नहीं है.’’

‘‘वैरी गुड. अब तू ने सही बात कही. यार, तबीयत खुश कर दी. अब मैं तु झे बताती हूं कि शास्त्रों में ब्राह्मण का गुण भिक्षाटन कर के जीविका कमाना है. तू नौकरी क्यों कर रही है? यह तो ब्राह्मण का गुण नहीं है.’’

‘‘यार, तेरी बातें तो अब मु झे सोचने पर मजबूर कर रही हैं. मैं इतनी पढ़ीलिखी, क्यों भीख मांगूंगी? यह तो व्यक्ति की क्षमताओं का तिरस्कार है.’’

‘‘व्यक्ति की क्षमताओं का ही नहीं, गुणों का भी.

‘‘हर व्यक्ति में ब्राह्मण है, क्षत्रिय है, वैश्य है और शूद्र है. गुण के आधार पर वह स्त्री ब्राह्मण है, जिसे तू ने शूद्रा मान कर मारपीट कर निकाल दिया. उसे अगर पढ़नेलिखने का अवसर मिलता और बौस बन कर तेरे ऊपर बैठी होती, तो क्या तू तब भी उस से नफरत करती? लेकिन मैं जानती हूं, तू तब भी करती. तेरे जैसे अशुद्ध चित्त वाले जातीय अभिमानी लोग ही समाज को रुढि़वादी बनाए हुए हैं.’’

वह गुमसुम बैठी थी. मैं ने कहा, ‘‘यार, तू ने तो चाय भी नहीं पिलाई. चल, आज मैं ही तु झे चाय बना कर पिलाती हूं.’’ यह कह कर मैं उस के किचन में चली जाती हूं.

शादी के बाद पति का प्यार कम हो गया है, अब वो मुझसे ज्यादा बात नहीं करते…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

शादी से पहले मेरे पति घंटों बातें किया करते थे लेकिन अब जब मैं उन्हें फोन करती हूं, तो कहते हैं कि औफिस के काम में बिजी हूं. घर आकर बात करूंगा. मैं दिनभर बोर घर पर अकेली बोर हो जाती हूं. मुझे लगता है शादी के बाद मेरे पति बदल गए हैं, अब मैं क्या करूं?

Hikers hugging standing nature with backpacks close up couple in love embracing

जवाब

ऐसा माना जाता है डेट करने के बाद जब कपल्स शादी कर लेते हैं, तो उस रिश्ते में नयापन कम हो जाता है. कई बार शादी के कुछ महीनों बाद ही रिश्ता उबाऊ लगने लगता है. हालांकि आप ऐसा बिलकुल न सोचे. हो सकता है कि आपके पति ये भी सोचते होंगे घर जाना ही है, तो फिर औफिस का काम सही से पूरा कर ले. ऐसा भी हो सकता है कि डेट के दौरान आपके पति आपको अच्छी तरह समझना चाहते हों, इसलिए वो समय निकाल कर आपसे बातचीत करते होंगे.

शादी के बाद अक्सर महिलाओं की जिंदगी बदल जाती है, उनके पास खुद के लिए भी टाइम नहीं होता. लेकिन अगर आपको समय मिल रहा है, आप इसका फायदा उठाएं. जिन चीजों में आपका इंट्रैस्ट हैं, उसे करने की कोशिश करें. आप पढ़ीलिखी हैं, अगर इंडिपैंडेट बनना चाहती हैं, तो घर पर खाली बैठने से बेहतर है कि आप कुछ काम करें, जिससे आप भी फाइनैंसियली स्ट्रौंग हो. हर महिला की भी आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए.

अगर आपको डांसिंग, पेटिंग, राइटिंग पसंद है, तो आप इसे औनलाइन भी लोगों तक पहुंचा सकती हैं. जिससे आपके प्रतिभा की भी पहचान होगी और आपके खाली समय का सही से उपयोग हो जाएगा.

मैरिड लाइफ में कैसे बना रहेगा प्यार

कई बार बिजी लाइफस्टाइल के कारण पतिपत्नी में दूरियां बढ़ने लगती हैं. जिंदगी घर और औफिस के काम तक सीमट कर रह जाती है. चाहे कप्लस कितना भी व्यस्त हों, आप एकदूसरे के लिए टाइम जरूर निकालें.

देखा गया है कि शादी के बाद पतिपत्नी का घूमनाफिरना कम हो जाता है, लेकिन ऐसा बिलकुल न करें. मैरिड लाइफ में स्पार्क बनाए रखने के लिए कपल्स बाहर जरूर घूमने जाएं. आप एकदूसरे के गिफ्ट के जरिए सरप्राइज देते रहें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 9650966493 भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

‘माऊ’ के पैरेंट्स बने अंकिता लोखंड और विक्की जैन, सोशल मीडिया पर शेयर की ये खुशखबरी

बौलीवुड टीवी एक्ट्रैस अंकिता लोखंडे जो अपने अति चर्चित धारावाहिक पवित्र रिश्ता की बदौलत आज भी अच्छी ऐक्ट्रैस के रूप में पहचानी जाती हैं. अंकिता लोखंडे ने भले ही बहुत ज्यादा फिल्में या सीरियल नहीं की हैं लेकिन बावजूद इसके अंकिता लोखंडे बेहतरीन ऐक्ट्रैस के रूप में अपनी खास पहचान रखती हैं.
इसके अलावा अंकिता लोखंडे एक और पहचान रखती हैं और वह है बिजनेस टायकून और कोयला व्यापारी विक्की जैन की धर्मपत्नी होना और स्वर्गीय एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की प्रेमिका पिछले दिनों में होना.

पिछले दिनों अंकिता कलर्स के अति चर्चित शो बिग बौस 17 में अपने पति विक्की जैन से लड़की झगड़ती नजर आई और फिलहाल कलर्स चैनल पर कौमेडी शो लाफ्टर शेफ में वह हद से बाहर ओवर ऐक्टिंग करती नजर आ रही है.

लेकिन फिलहाल अंकिता लोखंडे ने सोशल मीडिया पर अपनी मां बनने की खबर देकर सबको चौंका दिया. उनके प्रशंसक सोच में पड़ गए की आखिर अंकित प्रेग्नेंट कब हुई और बच्चा कब हुआ? कुछ लोगों ने तो यह भी अंदाजा लगा लिया कि वह शायद सरोगेसी के जरिए मां बनी है.

इन सभी खबरों पर रोक लगाते हुए विक्की जैन ने बताया कि अंकिता मां तो बनी है , लेकिन किसी बच्चे की नहीं, बल्कि बिल्ली के बच्चे की. जो एक पर्शियन कैट है और अंकिता विक्की ने उसको गोद लिया है. इस क्यूट बिल्ली का नाम अंकित ने माऊ रखा है.

विक्की अंकिता ने माऊ के साथ सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो और फोटोस भी शेयर किए हैं जिसमें अंकिता बिल्ली के क्यूट बच्चे के साथ खेलती और घूमती नजर आ रही हैं.

गौरतलब है फिल्म इंडस्ट्री के कई स्टार्स खुद बच्चा पैदा करने के बजाय सेरोगेसी या अन्य तरीके का इस्तेमाल करके रेडीमेड बच्चे पैदा कर रहे हैं. ताकि उनका टाइम और फिगर खराब ना हो . लेकिन इन सब में अंकिता लोखंडे और भी निराली निकली कि उन्होंने बिल्ली के बच्चे को ही गोद लेकर मां बन गई.

मस्तीमजाक जरूरी, मगर किस हद तक?

जिस तरह इंद्रधनुष के 7 रंग होते हैं, ठीक उसी तरह हमारी जिंदगी में भी हर तरह के रंग होना जरूरी है. जैसे खुशी, दुख, मजाक, गम, गंभीरता, भोलापन आदि…और सब से महत्त्वपूर्ण बचपन से भरा पागलपन व मस्ती.

ये सब जब जिंदगी में शामिल होते हैं तो जिंदगी में कई रंग ले आता है जिस से हमें खुशियां मिलती हैं. अगर हमारे जिंदगी में ये सब न हो तो जिंदगी बेरंग हो जाती है. जिस तरह दुख के बगैर खुशी की अहमियत समझ नहीं आती, उसी तरह लगातार खुशियां आप को कठिन जीवन लड़ने की चुनौतियों के सामने कमजोर कर देती हैं और थोड़ी सी मुश्किलें आने पर भी आप उस से घबरा जाते हो. यही वजह है कि जिंदगी में चाहे कितनी ही तकलीफ आ जाएं हमेशा खुश और पौजिटिव रहने की कोशिश जरूरी है. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें मस्तीमजाक करना बिलकुल पसंद नहीं होता. वे हमेशा गंभीर रहते हैं. उन के चेहरे से ही क्रोध व चिड़चिड़ापन झलकता है.

कैसेकैसे लोग

ऐसे लोगों से अगर कोई अच्छा इंसान भी है तो भी लोग उस से 4 फुट की दूरी बना कर रखते हैं. इस के विपरीत कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें गंभीर रहना या सीरियस होना नहीं आता. कई बार भयंकर तकलीफ में भी उन्हें मजाक सूझता है. और ऐसे मजाकियां इंसान को देख कर कई बार लोग भी सोच में पड़ जाते हैं कि भला इतनी तकलीफ और परेशानी में कोई कैसे मजाक कर सकता है या हंस सकता है.

लेकिन ऐसे स्वभाव से मस्तीखोर लोग जिन की हर बात में मजाक होता है वह सीधेसीधे बात करेंगे तो भी लगता है कि वह मजाक ही कर रहे हैं. ऐसे लोग जहां भी पहुंच जाते हैं वहां रौनक हो जाती है. हर किसी को उन के साथ अच्छा लगता है. ऐसे मजाकिया लोग हर महफिल की शान होते हैं. वे जहां पहुंच जाते हैं वहां का माहौल हंसी और ठहाकों से भर उठता है.

भारी भी पङता है मजाक

लेकिन कई बार मस्तीमजाक या पागलपन में मुंह से ऐसी बात भी निकल जाती है जो लोगों को दुख पहुंचा सकती है या शर्मिंदा कर सकती है. ऐसे में कई बार सामने वाला इंसान इतना दुखी या बेइज्जत महसूस करने लगता है कि वह मरने या मारने तक पर उतारु हो जाता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप के द्वारा किया गया मजाक या पागलपन वाली हरकत एक हद तक हो, जो मजाक तक ही सीमित हो, अपनी हदें पार करते हुए किसी के दुख, बेइज्जती या शर्मिंदगी का कारण न बन जाए.

हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई जिस का नाम था ‘खेलखेल में’. अक्षय कुमार, फरदीन खान सहित कई सितारों से सजी इस फिल्म में भी मजाकमस्ती के तौर पर सब मिल कर एक गेम खेलते हैं जिस के तहत हरकोई अपना मोबाइल एक रात के लिए सामने टेबल पर रखेगा और इस दौरान जिस का भी कौल आएगा उस को स्पीकर पर रख कर सब के सामने बात करनी होगी क्योंकि आज के समय में मोबाइल ही एक ऐसा माध्यम है जिस के जरीए किसी की भी छवि खराब हो सकती है, प्राइवेट बातें सामने आ सकती हैं. इसलिए कुछ लोग इस गेम में शामिल होने से इनकार कर देते हैं. लेकिन मजाक, मस्ती और गेम के तौर पर खेले जाने वाला यह पागलपन वाला गेम आखिरकार सभी को खेलना पड़ता है. और फिर उस के बाद वहां मौजूद 1-1 लोगों के जो सच सामने आते हैं वह उन की पूरी जिंदगी में कुहराम मचाने के लिए काफी होते हैं.

सच से सामना

एक पतिपत्नी जहां आत्महत्या करने पहुंच जाते हैं, वहीं दूसरे एक दोस्त के गे होने का सच सब के सामने आने की वजह से उस को सब के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है. यानी छोटे से मजाक, फन वाले गेम की वजह से कई लोगों की एक ही रात में दुनिया उजड़ जाती है.

ऐसे में कहने का मतलब यह है कि मजाक उतना और वही करना चाहिए जो लोगों को खुशी प्रदान करें, हंसाएं और टैंशन से बाहर निकालें. नकि उस मजाकमस्ती की वजह से सामने वाली की जिंदगी में तूफान आ जाए और रिश्ते टूट कर बिखर जाएं.

वैसे, एक सच यह भी है कि दोस्तों और रिश्तेदारों में एक न एक बंदा ऐसा जरूर होता है जो लोगों की खिंचाई कर के या किसी खास की नकल कर के सब का मनोरंजन करता है और ऐसे में जब किसी की खिंचाई या नकल मजेदार होती है तो सब को मजा भी बहुत आता है. लेकिन ऐसे में भी इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप का मजाक कहीं सामने वाले पर या खुद आप पर भारी न पड़ जाए. क्योंकि अगर आप का मजाक किसी का अपमान बन गया तो आप के खुद के पिटने के चांसेस भी ज्यादा बढ़ जाते हैं या मस्तीमजाक के तहत जिस का मजाक बहुत ज्यादा उड़ा है वह बहुत दुखी हो कर गलत स्टैप भी उठा सकता है. लिहाजा, बहुत जरूरी है कि आप मजाकमस्ती जरूर करें लेकिन आप का मजाक लोगों को हंसाएं और सिर्फ हंसाएं.

अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नंदा IIM अहमदाबाद से करेंगी ये कोर्स, इस ऐक्टर संग थी नजदीकियां

Navya Naveli Nanda :अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की नातिन नव्या नवेली नंदा भले ही स्क्रीन से कोसों दूर रहती हैं, लेकिन अक्सर सुर्खियों में छायी रहती हैं. कभी फैशन सेंस को लेकर तो कभी अफेयर को लेकर लाइमलाइट में रहती हैं. अब नव्या अपने कैरियर को लेकर छायी हुई हैं.

आईआईएम अहमदाबाद में लिया एडमिशन

उन्होंने देश के जानेमाने इंडियन इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में एडमिशन लिया है. यहां पढ़ने का नव्या का सपना था. उनका ये सपना अब पूरा हो गया. अब वह IIM से MBA करेंगी.

सोशल मीडिया पर कैंपस की फोटो की शेयर

उन्होंने फ्रैंड्स के साथ अहमदाबाद कैंपस की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी. वह इन फोटोज में काफी खुश नजर आ रही थीं. फैंस ने जमकर नव्या की तारीफ की. नव्या ने इन फोटोज के कैप्शन में लिखा, ‘सपने सच होते हैं.’

जैसे ही नव्या ने अपने एडमिशन को लेकर पोस्ट शेयर किया, लोग उन्हें बधाई देने लगे. कई लोगों ने देश में पढ़ाई करने के लिए नव्या की तारीफ की तो कुछ लोगों ने तो ये भी कहा कि नव्या जो कोर्स कर रही है, उसके बारे में पहले कभी नहीं सुना.

2 सालों तक अहमदाबाद रहेगा नव्या का ठिकाना

आईआईएम (IIM) देश का टौप एमबीए कौलेज है. हर छात्र का सपना होता है, यहां एडमिशन लेना. नव्या नवेली नंदा ने यहां ब्लेंडेड पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (BPGP) में एडमिशन लिया है. यह 2 साल का फुल टाइम कोर्स है यानी नव्या अहमदाबाद में 2 सालों तक रहकर पढ़ाई करेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कोर्स की फीस करीब 20 लाख रुपए हैं.

लंदन से हुई थी नव्या की स्कूलिंग

रिपोर्ट्स के मुताबिक नव्या नवेली का स्कूलिंग लंदन से हुआ है. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए नव्या ने न्यूयार्क की फोर्डहम यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था. उन्होंने यहां डिजिटल टेक्नोलौजी और यूएक्स डिजाइन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी और अब नव्या अहमदाबाद में आगे का कोर्स पूर करेंगी.

क्या मामी ऐश्वर्या को पसंद नहीं करती है नव्या

हाल ही में नव्या नंदा का एक इंटरव्यू वायरल हो रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बच्चन परिवार की सभी महिलाओं का नाम लेते हुए हीरो बताया, लेकिन नव्या ने मामी ऐश्वर्या (Aishwarya Rai Bachchan) के नाम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि नव्या अपनी मामी ऐश्वर्या राय बच्चन को पसंद नहीं करती हैं. दरअसल, नव्या ने टाक शो में बात करते हुए कहा कि मेरी मां, दादी, नानी और बुआ, ये चार औरतें हैं, जिनसे मैंने बहुत कुछ सिखा है, अगर इनका कोई गुण मिल जाए, तो मेरी लाइफ सेट हो जाएगी.

पेरिस फैशन वीक में किया था रैंप वाक

साल 2023 अक्टूबर में नव्या नवेली नंदा पेरिस फैशन वीक में नजर आई थीं. नव्या ने पहली बार किसी फैशन वीक के रैंप पर वाक किया था. वह अपनी मां श्वेता नंदा और नानी जया बच्चन के साथ गई थी. नव्या ने पेरिश फैशन वीक में रैंप वाक के दौरान रेड कलर का औफ शौल्डर मिनी ड्रैस पहना था. खुले बालों में वह बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थी. जब नव्या रैंप वाक कर रही थी तो मां श्वेता उनके लिए हूटिंग करते दिखीं. इस फैशन वीक इवेंट का वीडियो श्वेता नंदा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा, ”लिटिल मिस लोरियल”.

निखिल नंदा और श्वेता नंदा (Shweta Nanda) की नव्या नवेली नंदा बेटी हैं. उनका जन्म 6 दिसंबर 1997 में हुआ. नव्या के पिता निखिल नंदा एस्कार्ट्स ग्रुप के एमडी हैं और मां श्वेता बच्चन लेखिका हैं. नव्या का एक भाई भी है अगस्त्य नंदा.

इस एक्टर के साथ रिलेशनशिप में थी नव्या

नव्या के अफेयर के चर्चे सुर्खियों में छायी रहती है. लंबे समय से नव्या का नाम गली बाय फेम सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) के साथ जोड़ा जा रहा था. कई बार इन दोनों को साथ में पार्टीज, वेकेशन, मूवी डेट्स पर स्पौट किया गया था. मगर कुछ ही दिनों पहले ये खबर आई कि दोनों का ब्रेकअप हो गया है. जी हां, एक रिपोर्ट के मुताबिक नव्या और सिद्धांत अलग हो गए हैं, लेकिन ब्रेकअप के बाद भी दोनों दोस्त रहेंगे. आपको ये भी बता दें कि नव्या भी अपनी मां की तरह ऐक्ट्रैस नहीं है. नव्या का फिल्मों में काम करने का कोई इरादा भी नहीं है.

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