‘माऊ’ के पैरेंट्स बने अंकिता लोखंड और विक्की जैन, सोशल मीडिया पर शेयर की ये खुशखबरी

बौलीवुड टीवी एक्ट्रैस अंकिता लोखंडे जो अपने अति चर्चित धारावाहिक पवित्र रिश्ता की बदौलत आज भी अच्छी ऐक्ट्रैस के रूप में पहचानी जाती हैं. अंकिता लोखंडे ने भले ही बहुत ज्यादा फिल्में या सीरियल नहीं की हैं लेकिन बावजूद इसके अंकिता लोखंडे बेहतरीन ऐक्ट्रैस के रूप में अपनी खास पहचान रखती हैं.
इसके अलावा अंकिता लोखंडे एक और पहचान रखती हैं और वह है बिजनेस टायकून और कोयला व्यापारी विक्की जैन की धर्मपत्नी होना और स्वर्गीय एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की प्रेमिका पिछले दिनों में होना.

पिछले दिनों अंकिता कलर्स के अति चर्चित शो बिग बौस 17 में अपने पति विक्की जैन से लड़की झगड़ती नजर आई और फिलहाल कलर्स चैनल पर कौमेडी शो लाफ्टर शेफ में वह हद से बाहर ओवर ऐक्टिंग करती नजर आ रही है.

लेकिन फिलहाल अंकिता लोखंडे ने सोशल मीडिया पर अपनी मां बनने की खबर देकर सबको चौंका दिया. उनके प्रशंसक सोच में पड़ गए की आखिर अंकित प्रेग्नेंट कब हुई और बच्चा कब हुआ? कुछ लोगों ने तो यह भी अंदाजा लगा लिया कि वह शायद सरोगेसी के जरिए मां बनी है.

इन सभी खबरों पर रोक लगाते हुए विक्की जैन ने बताया कि अंकिता मां तो बनी है , लेकिन किसी बच्चे की नहीं, बल्कि बिल्ली के बच्चे की. जो एक पर्शियन कैट है और अंकिता विक्की ने उसको गोद लिया है. इस क्यूट बिल्ली का नाम अंकित ने माऊ रखा है.

विक्की अंकिता ने माऊ के साथ सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो और फोटोस भी शेयर किए हैं जिसमें अंकिता बिल्ली के क्यूट बच्चे के साथ खेलती और घूमती नजर आ रही हैं.

गौरतलब है फिल्म इंडस्ट्री के कई स्टार्स खुद बच्चा पैदा करने के बजाय सेरोगेसी या अन्य तरीके का इस्तेमाल करके रेडीमेड बच्चे पैदा कर रहे हैं. ताकि उनका टाइम और फिगर खराब ना हो . लेकिन इन सब में अंकिता लोखंडे और भी निराली निकली कि उन्होंने बिल्ली के बच्चे को ही गोद लेकर मां बन गई.

मस्तीमजाक जरूरी, मगर किस हद तक?

जिस तरह इंद्रधनुष के 7 रंग होते हैं, ठीक उसी तरह हमारी जिंदगी में भी हर तरह के रंग होना जरूरी है. जैसे खुशी, दुख, मजाक, गम, गंभीरता, भोलापन आदि…और सब से महत्त्वपूर्ण बचपन से भरा पागलपन व मस्ती.

ये सब जब जिंदगी में शामिल होते हैं तो जिंदगी में कई रंग ले आता है जिस से हमें खुशियां मिलती हैं. अगर हमारे जिंदगी में ये सब न हो तो जिंदगी बेरंग हो जाती है. जिस तरह दुख के बगैर खुशी की अहमियत समझ नहीं आती, उसी तरह लगातार खुशियां आप को कठिन जीवन लड़ने की चुनौतियों के सामने कमजोर कर देती हैं और थोड़ी सी मुश्किलें आने पर भी आप उस से घबरा जाते हो. यही वजह है कि जिंदगी में चाहे कितनी ही तकलीफ आ जाएं हमेशा खुश और पौजिटिव रहने की कोशिश जरूरी है. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें मस्तीमजाक करना बिलकुल पसंद नहीं होता. वे हमेशा गंभीर रहते हैं. उन के चेहरे से ही क्रोध व चिड़चिड़ापन झलकता है.

कैसेकैसे लोग

ऐसे लोगों से अगर कोई अच्छा इंसान भी है तो भी लोग उस से 4 फुट की दूरी बना कर रखते हैं. इस के विपरीत कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें गंभीर रहना या सीरियस होना नहीं आता. कई बार भयंकर तकलीफ में भी उन्हें मजाक सूझता है. और ऐसे मजाकियां इंसान को देख कर कई बार लोग भी सोच में पड़ जाते हैं कि भला इतनी तकलीफ और परेशानी में कोई कैसे मजाक कर सकता है या हंस सकता है.

लेकिन ऐसे स्वभाव से मस्तीखोर लोग जिन की हर बात में मजाक होता है वह सीधेसीधे बात करेंगे तो भी लगता है कि वह मजाक ही कर रहे हैं. ऐसे लोग जहां भी पहुंच जाते हैं वहां रौनक हो जाती है. हर किसी को उन के साथ अच्छा लगता है. ऐसे मजाकिया लोग हर महफिल की शान होते हैं. वे जहां पहुंच जाते हैं वहां का माहौल हंसी और ठहाकों से भर उठता है.

भारी भी पङता है मजाक

लेकिन कई बार मस्तीमजाक या पागलपन में मुंह से ऐसी बात भी निकल जाती है जो लोगों को दुख पहुंचा सकती है या शर्मिंदा कर सकती है. ऐसे में कई बार सामने वाला इंसान इतना दुखी या बेइज्जत महसूस करने लगता है कि वह मरने या मारने तक पर उतारु हो जाता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप के द्वारा किया गया मजाक या पागलपन वाली हरकत एक हद तक हो, जो मजाक तक ही सीमित हो, अपनी हदें पार करते हुए किसी के दुख, बेइज्जती या शर्मिंदगी का कारण न बन जाए.

हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई जिस का नाम था ‘खेलखेल में’. अक्षय कुमार, फरदीन खान सहित कई सितारों से सजी इस फिल्म में भी मजाकमस्ती के तौर पर सब मिल कर एक गेम खेलते हैं जिस के तहत हरकोई अपना मोबाइल एक रात के लिए सामने टेबल पर रखेगा और इस दौरान जिस का भी कौल आएगा उस को स्पीकर पर रख कर सब के सामने बात करनी होगी क्योंकि आज के समय में मोबाइल ही एक ऐसा माध्यम है जिस के जरीए किसी की भी छवि खराब हो सकती है, प्राइवेट बातें सामने आ सकती हैं. इसलिए कुछ लोग इस गेम में शामिल होने से इनकार कर देते हैं. लेकिन मजाक, मस्ती और गेम के तौर पर खेले जाने वाला यह पागलपन वाला गेम आखिरकार सभी को खेलना पड़ता है. और फिर उस के बाद वहां मौजूद 1-1 लोगों के जो सच सामने आते हैं वह उन की पूरी जिंदगी में कुहराम मचाने के लिए काफी होते हैं.

सच से सामना

एक पतिपत्नी जहां आत्महत्या करने पहुंच जाते हैं, वहीं दूसरे एक दोस्त के गे होने का सच सब के सामने आने की वजह से उस को सब के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है. यानी छोटे से मजाक, फन वाले गेम की वजह से कई लोगों की एक ही रात में दुनिया उजड़ जाती है.

ऐसे में कहने का मतलब यह है कि मजाक उतना और वही करना चाहिए जो लोगों को खुशी प्रदान करें, हंसाएं और टैंशन से बाहर निकालें. नकि उस मजाकमस्ती की वजह से सामने वाली की जिंदगी में तूफान आ जाए और रिश्ते टूट कर बिखर जाएं.

वैसे, एक सच यह भी है कि दोस्तों और रिश्तेदारों में एक न एक बंदा ऐसा जरूर होता है जो लोगों की खिंचाई कर के या किसी खास की नकल कर के सब का मनोरंजन करता है और ऐसे में जब किसी की खिंचाई या नकल मजेदार होती है तो सब को मजा भी बहुत आता है. लेकिन ऐसे में भी इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप का मजाक कहीं सामने वाले पर या खुद आप पर भारी न पड़ जाए. क्योंकि अगर आप का मजाक किसी का अपमान बन गया तो आप के खुद के पिटने के चांसेस भी ज्यादा बढ़ जाते हैं या मस्तीमजाक के तहत जिस का मजाक बहुत ज्यादा उड़ा है वह बहुत दुखी हो कर गलत स्टैप भी उठा सकता है. लिहाजा, बहुत जरूरी है कि आप मजाकमस्ती जरूर करें लेकिन आप का मजाक लोगों को हंसाएं और सिर्फ हंसाएं.

अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नंदा IIM अहमदाबाद से करेंगी ये कोर्स, इस ऐक्टर संग थी नजदीकियां

Navya Naveli Nanda :अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की नातिन नव्या नवेली नंदा भले ही स्क्रीन से कोसों दूर रहती हैं, लेकिन अक्सर सुर्खियों में छायी रहती हैं. कभी फैशन सेंस को लेकर तो कभी अफेयर को लेकर लाइमलाइट में रहती हैं. अब नव्या अपने कैरियर को लेकर छायी हुई हैं.

आईआईएम अहमदाबाद में लिया एडमिशन

उन्होंने देश के जानेमाने इंडियन इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में एडमिशन लिया है. यहां पढ़ने का नव्या का सपना था. उनका ये सपना अब पूरा हो गया. अब वह IIM से MBA करेंगी.

सोशल मीडिया पर कैंपस की फोटो की शेयर

उन्होंने फ्रैंड्स के साथ अहमदाबाद कैंपस की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी. वह इन फोटोज में काफी खुश नजर आ रही थीं. फैंस ने जमकर नव्या की तारीफ की. नव्या ने इन फोटोज के कैप्शन में लिखा, ‘सपने सच होते हैं.’

जैसे ही नव्या ने अपने एडमिशन को लेकर पोस्ट शेयर किया, लोग उन्हें बधाई देने लगे. कई लोगों ने देश में पढ़ाई करने के लिए नव्या की तारीफ की तो कुछ लोगों ने तो ये भी कहा कि नव्या जो कोर्स कर रही है, उसके बारे में पहले कभी नहीं सुना.

2 सालों तक अहमदाबाद रहेगा नव्या का ठिकाना

आईआईएम (IIM) देश का टौप एमबीए कौलेज है. हर छात्र का सपना होता है, यहां एडमिशन लेना. नव्या नवेली नंदा ने यहां ब्लेंडेड पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (BPGP) में एडमिशन लिया है. यह 2 साल का फुल टाइम कोर्स है यानी नव्या अहमदाबाद में 2 सालों तक रहकर पढ़ाई करेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कोर्स की फीस करीब 20 लाख रुपए हैं.

लंदन से हुई थी नव्या की स्कूलिंग

रिपोर्ट्स के मुताबिक नव्या नवेली का स्कूलिंग लंदन से हुआ है. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए नव्या ने न्यूयार्क की फोर्डहम यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था. उन्होंने यहां डिजिटल टेक्नोलौजी और यूएक्स डिजाइन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी और अब नव्या अहमदाबाद में आगे का कोर्स पूर करेंगी.

क्या मामी ऐश्वर्या को पसंद नहीं करती है नव्या

हाल ही में नव्या नंदा का एक इंटरव्यू वायरल हो रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बच्चन परिवार की सभी महिलाओं का नाम लेते हुए हीरो बताया, लेकिन नव्या ने मामी ऐश्वर्या (Aishwarya Rai Bachchan) के नाम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि नव्या अपनी मामी ऐश्वर्या राय बच्चन को पसंद नहीं करती हैं. दरअसल, नव्या ने टाक शो में बात करते हुए कहा कि मेरी मां, दादी, नानी और बुआ, ये चार औरतें हैं, जिनसे मैंने बहुत कुछ सिखा है, अगर इनका कोई गुण मिल जाए, तो मेरी लाइफ सेट हो जाएगी.

पेरिस फैशन वीक में किया था रैंप वाक

साल 2023 अक्टूबर में नव्या नवेली नंदा पेरिस फैशन वीक में नजर आई थीं. नव्या ने पहली बार किसी फैशन वीक के रैंप पर वाक किया था. वह अपनी मां श्वेता नंदा और नानी जया बच्चन के साथ गई थी. नव्या ने पेरिश फैशन वीक में रैंप वाक के दौरान रेड कलर का औफ शौल्डर मिनी ड्रैस पहना था. खुले बालों में वह बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थी. जब नव्या रैंप वाक कर रही थी तो मां श्वेता उनके लिए हूटिंग करते दिखीं. इस फैशन वीक इवेंट का वीडियो श्वेता नंदा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा, ”लिटिल मिस लोरियल”.

निखिल नंदा और श्वेता नंदा (Shweta Nanda) की नव्या नवेली नंदा बेटी हैं. उनका जन्म 6 दिसंबर 1997 में हुआ. नव्या के पिता निखिल नंदा एस्कार्ट्स ग्रुप के एमडी हैं और मां श्वेता बच्चन लेखिका हैं. नव्या का एक भाई भी है अगस्त्य नंदा.

इस एक्टर के साथ रिलेशनशिप में थी नव्या

नव्या के अफेयर के चर्चे सुर्खियों में छायी रहती है. लंबे समय से नव्या का नाम गली बाय फेम सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) के साथ जोड़ा जा रहा था. कई बार इन दोनों को साथ में पार्टीज, वेकेशन, मूवी डेट्स पर स्पौट किया गया था. मगर कुछ ही दिनों पहले ये खबर आई कि दोनों का ब्रेकअप हो गया है. जी हां, एक रिपोर्ट के मुताबिक नव्या और सिद्धांत अलग हो गए हैं, लेकिन ब्रेकअप के बाद भी दोनों दोस्त रहेंगे. आपको ये भी बता दें कि नव्या भी अपनी मां की तरह ऐक्ट्रैस नहीं है. नव्या का फिल्मों में काम करने का कोई इरादा भी नहीं है.

एक ही आग में : क्या एक विधवा का किसी से संबंध रखना है गुनाह

‘‘यह मैं क्या सुन रही हूं सुगंधा?’’ मीना ने जब यह बात कही, तब सुगंधा बोली, ‘‘क्या सुन रही हो मीना?’’

‘‘तुम्हारा पवन के साथ संबंध है…’’

‘‘हां है.’’

‘‘यह जानते हुए भी कि तुम विधवा हो और एक विधवा किसी से संबंध नहीं रख सकती,’’ मीना ने समझाते हुए कहा. पलभर रुक कर वह फिर बोली, ‘‘फिर तू 58 साल की हो गई है.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’ सुगंधा ने कहा, ‘‘औरत बूढ़ी हो जाती है तब उस की इच्छा नहीं जागती क्या? तू भी तो

55-56 साल के आसपास है. तेरी भी इच्छा जब होती होगी तो क्या भाई साहब के साथ हमबिस्तर नहीं होती होगी?’’

मीना कोई जवाब नहीं दे पाई. सुगंधा ने जोकुछ कहा सच कहा है. वह भी तो इस उम्र में हमबिस्तर होती है, फिर सुगंधा विधवा है तो क्या हुआ? आखिर औरत का दिल ही तो है. उस ने कोई जवाब नहीं दिया.

तब सुगंधा बोली, ‘‘जवाब नहीं दिया तू ने?’’

‘‘तू ने जो कहा सच कहा है,’’ मीना अपनी रजामंदी देते हुए बोली.

‘‘औरत अगर विधवा है तो उस के साथ यह सामाजिक बंधन क्यों?’’ उलटा सुगंधा ने सवाल पूछते हुए कहा. तब मीना पलभर के लिए कोई जवाब नहीं दे पाई.

सुगंधा बोली, ‘‘अगर किसी की पत्नी गुजर जाती है तो वह इधरउधर मुंह मारता फिरे, तब यह समाज उसे कुछ न कहे, क्योंकि वह मर्द है. मगर औरत किसी के साथ संबंध बनाए, तब वह गुनाह हो जाता है.’’

‘‘तो फिर तू पवन के साथ शादी क्यों नहीं कर लेती?’’ मीना ने सवाल किया.

‘‘आजकल लिव इन रिलेशनशिप का जमाना है,’’ सुगंधा बोली, ‘‘क्या दोस्त बन कर नहीं रह सकते हैं?’’

‘‘ठीक है, ठीक है, तेरी मरजी जो आए वह कर. मैं ने जो सुना था कह दिया,’’ नाराज हो कर मीना बोली, ‘‘मगर तू 3 बच्चों की मां है. वे सुनेंगे तब उन पर क्या गुजरेगी, यह सोचा है?’’

‘‘हां, सब सोच लिया है. क्या बच्चे नहीं जानते हैं कि मां के दिल में भी एक दिल छिपा हुआ है. उस की इच्छा जागती होगी,’’ समझाते हुए सुगंधा बोली, ‘‘देखो मीना, इस बारे में मत सोचो. तुम अपनी लगी प्यास भाई साहब से बुझा लेती हो. काश, ऐसा न हो, मगर तुम मुझ जैसी अकेली होती तो तुम भी वही सबकुछ करती जो आज मैं कर रही हूं. समाज के डर से अगर नहीं भी करती तो तेरे भीतर एक आग उठती जो जला कर तुझे भीतर ही भीतर भस्म करती.’’

‘‘ठीक है बाबा, अब इस बारे में तुझ से कुछ नहीं पूछूंगी. तेरी मरजी जो आए वह कर,’’ कह कर मीना चली गई.

मीना ने जोकुछ सुगंधा के बारे में कहा है, सच है. सुगंधा पवन के साथ संबंध बना लेती है. यह भी सही है कि सुगंधा 3 बच्चों की मां है. उस ने तीनों की शादी कर गृहस्थी भी बसा दी है. सब से बड़ी बेटी शीला है, जिस की शादी कोटा में हुई है. सुगंधा के दोनों बेटे सरकारी नौकरी में हैं. एक सागर में इंजीनियर है तो दूसरा कटनी में तहसीलदार.

सुगंधा खुद अपने पुश्तैनी शहर जावरा में अकेली रहती है. अकेले रहने के पीछे यही वजह है कि मकान किराए पर दे रखा है.

सुगंधा के दोनों बेटे कहते हैं कि अम्मां अकेली मत रहो. हमारे साथ आ कर रहो, तब वह कभीकभी उन के पास चली जाती है. महीने दो महीने तक जिस बेटे के पास रहना होता है रह लेती है. मगर रहतेरहते यह एहसास हो जाता है कि उस के रहने से वहां उन की आजादी में बाधा आ रही है, तब वह वापस पुश्तैनी शहर में आ जाती है.

यहां बड़ा सा मकान है सुगंधा का, जिस के 2 हिस्से किराए पर दे रखे हैं, एक हिस्से में वह खुद रहती है. पति की पैंशन भी मिलती है. उस के पति शैलेंद्र तहसील दफ्तर में बड़े बाबू थे. रिटायरमैंट के सालभर के भीतर उन का दिल की धड़कन रुकने से देहांत हो गया.

आज 3 साल से ज्यादा समय बीत गया है, तब से वह खुद को अकेली महसूस कर रही है. अभी उस के हाथपैर चल रहे हैं. सामाजिक जिम्मेदारी भी वह निभाती है. जब हाथपैर चलने बंद होंगे, तब वह अपने बेटों के यहां रहने चली जाएगी. फिर किराएदारों से किराया भी समय पर वसूलना पड़ता है. इसलिए उस का यहां रहना भी जरूरी है.

ज्यादातर सुगंधा अकेली रहती है, मगर जब गरमी की छुट्टियां होती हैं तो बेटीबेटों के बच्चे आ जाते है. पूरा सूना घर कोलाहल से भर जाता है. अकेले में दिन तो बीत जाता है, मगर रात में घर खाने को दौड़ता है. तब बेचैनी और बढ़ जाती है. तब आंखों से नींद गायब हो जाती है. ऐसे में शैलेंद्र के साथ गुजारी रातें उस के सामने चलचित्र की तरह आ जाते हैं. मगर जब से वह विधवा हुई है, शैलेंद्र की याद और उन के साथ बिताए गए पल उसे सोने नहीं देते.

पवन सुगंधा का किराएदार है. वह अकेला रहता है. वह पौलीटैक्निक में सिविल मेकैनिक पद पर है. उस की उम्र 56 साल के आसपास है. उस की पत्नी गुजर गई है. वह अकेला ही रहता है. उस के दोनों बेटे सरकारी नौकरी करते हैं और उज्जैन में रहते हैं. दोनों की शादी कर के उन का घर बसा दिया है.

रिटायरमैंट में 6 साल बचे हैं. वह किराए का मकान तलाशने आया था. धीरेधीरे दोनों के बीच खिंचाव बढ़ने लगा. जिस दिन चपरासी रोटी बनाने नहीं आता, उस दिन सुगंधा पवन को अपने यहां बुला लेती थी या खुद ही वहां बनाने चली जाती थी.

पवन ऊपर रहता था. सीढि़यां सुगंधा के कमरे के गलियारे से ही जाती थीं. आनेजाने के बीच कई बार उन की नजरें मिलती थीं. जब सुगंधा उसे अपने यहां रोटी खाने बुलाती थी, तब कई बार जान कर आंचल गिरा देती थी. ब्लाउज से जब उभार दिखते थे तब पवन देर तक देखता रहता था. वह आंचल से नहीं ढकती थी.

अब सुगंधा 58 साल की विधवा है, मगर फिर भी टैलीविजन पर अनचाहे सीन देखती है. उस के भीतर भी जोश पैदा होता है. जोश कभीकभी इतना ज्यादा हो जाता है कि वह छटपटा कर रह जाती है.

एक दिन सुगंधा ने पवन को अपने यहां खाना खाने के लिए बुलाया. उसे खाना परोस रही थी और कामुक निगाहों से देखती भी जा रही थी. वह आंचल भी बारबार गिराती जा रही थी. मगर पवन संकेत नहीं समझ पा रहा था. वह उम्र में उस से बड़ी भी थी. उस की आंखों पर लाज का परदा पड़ा हुआ था.

सुगंधा ने पहल करते हुए पूछ लिया, ‘‘पवन, अकेले रहते हो. बीवी है नहीं, फिर भी रात कैसे गुजारते हो?’’

पवन कोई जवाब नहीं दे पाया. एक विधवा बूढ़ी औरत ने उस से यह सवाल पूछ कर उस के भीतर हलचल मचा दी. जब वह बहुत देर तक इस का जवाब नहीं दे पाया, तब सुगंधा फिर बोली, ‘‘आप ने जवाब नहीं दिया?’’

‘‘तकिया ले कर तड़पता रहता हूं,’’ पवन ने मजाक के अंदाज में कहा.

‘‘बीवी की कमी पूरी हो सकती है,’’ जब सुगंधा ने यह बात कही, तब पवन हैरान रह गया, ‘‘आप क्या कहना चाहती हो?’’

‘‘मैं हूं न आप के लिए,’’ इतना

कह कर सुगंधा ने कामुक निगाहों से पवन की तरफ देखा.

‘‘आप उम्र में मुझ से बड़ी हैं.’’

‘‘बड़ी हुई तो क्या हुआ? एक औरत का दिल भी है मेरे पास.’’

‘‘ठीक है, आप खुद कह रही हैं तो मुझे कोई एतराज नहीं.’’

इस के बाद तो वे एकदूसरे के बैडरूम में जाने लगे. जल्दी ही उन के संबंधों को ले कर शक होने लगा. मगर आज मीना ने उन के संबंधों को ले कर जो बात कही, उसे साफसाफ कह कर सुगंधा ने अपने मन की सारी हालत बता दी. मगर एक विधवा हो कर वह जो काम कर रही है, क्या उसे शोभा देता है? समाज को पता चलेगा तब सब उस की बुराई करेंगे. उस पर ताने कसेंगे.

मीना ने तो सुगंधा के सामने पवन से शादी करने का प्रस्ताव रखा. उस का प्रस्ताव तो अच्छा है, शादी समाज का एक लाइसैंस है. दोनों के भीतर एक ही आग सुलग रही है.

मगर इस उम्र में शादी करेंगे तो मजाक नहीं उड़ेगा. अगर इस तरह से संबंध रखेंगे तब भी तो मजाक ही बनेगा.

सुगंधा बड़ी दुविधा में फंस गई. उस ने आगे बढ़ कर संबंध बनाए थे. इस से अच्छा है कि शादी कर लो. थोड़े दिन लोग बोलेंगे, फिर चुप हो जाएंगे. उस ने ऐसे कई लोग देखे हैं जो इस उम्र में जा कर शादी भी करते हैं. क्यों न पवन से बात कर के शादी कर ले?

‘‘अरे सुगंधा, आप कहां खो गईं?’’ पवन ने आ कर जब यह बात कही, तब सुगंधा पुरानी यादों से आज में लौटी, ‘‘लगता है, बहुत गहरे विचारों में खो गई थीं?’’

‘‘हां पवन, मैं यादों में खो गई थी.’’

‘‘लगता है, पुरानी यादों से तुम परेशानी महसूस कर रही हो.’’

‘‘हां, सही कहा आप ने.’’

‘‘देखो सुगंधा, यादों को भूल जाओ वरना ये जीने नहीं देंगे.’’

‘‘कैसे भूल जाऊं पवन, आप से आगे रह कर जो संबंध बनाए… मैं ने अच्छा नहीं किया,’’ अपनी उदासी छिपाते हुए सुगंधा बोली. फिर पलभर रुक कर वह बोली, ‘‘लोग हम पर उंगली उठाएंगे, उस के पहले हमें फैसला कर लेना चाहिए.’’

‘‘फैसला… कौन सा फैसला सुगंधा?’’ पवन ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘हमारे बीच जो संबंध है, उसे तोड़ दें या परमानैंट बना लें.’’

‘‘मैं आप का मतलब नहीं समझा?’’

‘‘मतलब यह कि या तो आप मकान खाली कर के कहीं चले जाएं या फिर हम शादी कर लें.’’

सुगंधा ने जब यह प्रस्ताव रखा, तब पवन भीतर ही भीतर खुश हो गया. मगर यह संबंध कैसे होगा. वह बोला, ‘‘हम शादी कर लें, यह बात तो ठीक है सुगंधा. मगर आप की और हमारी औलादें सब घरगृहस्थी वाली हो गई हैं. ऐसे में शादी का फैसला…’’

‘‘नहीं हो सकता है, यही कहना चाहते हो न,’’ पवन को रुकते देख सुगंधा बोली, ‘‘मगर, यह क्यों नहीं सोचते कि हमारी औलादें अपनेअपने घर में बिजी हैं. अगर हम शादी कर लेंगे, तब वे हमारी चिंता से मुक्त हो जाएंगे. जवानी तो मौजमस्ती और बच्चे पैदा करने की होती है. मगर जब पतिपत्नी बूढ़े हो जाते हैं, तब उन्हें एकदूसरे की ज्यादा जरूरत होती है. आज हमें एकदूसरे की जरूरत है. आप इस बात को क्यों नहीं समझते हो?’’

‘‘आप ने ठीक सोचा है सुगंधा. मेरी पत्नी गुजर जाने के बाद मुझे अकेलापन खूब खलने लगा. मगर जब से आप मेरी जिंदगी में आई हैं, मेरा वह अकेलापन दूर हो गया है.’’

‘‘सच कहते हो. मुझे भी अपने पति की रात को अकेले में खूब याद आती है,’’ सुगंधा ने भी अपना दर्द उगला.

‘‘मतलब यह है कि हम दोनों एक ही आग में सुलग रहे हैं. अब हमें शादी किस तरह करनी चाहिए, इस पर सोचना चाहिए.’’

‘‘आप शादी के लिए राजी हो गए?’’ बहुत सालों के बाद सुगंधा के चेहरे पर खुशी झलकी थी. वह आगे बोली, ‘‘शादी किस तरह करनी है, यह सब मैं ने सोच लिया है.’’

‘‘क्या सोचा है सुगंधा?’’

‘‘अदालत में गुपचुप तरीके से खास दोस्तों की मौजूदगी में शादी करेंगे.’’

‘‘ठीक है.’’

‘‘मगर, इस की हवा किसी को भी नहीं लगनी चाहिए. यहां तक कि अपने बच्चों को भी नहीं.’’

‘‘मगर, बच्चों को तो बताना ही पड़ेगा,’’ पवन ने कहा, ‘‘जब हमारे हाथपैर नहीं चलेंगे, तब वे ही संभालेंगे.’’

‘‘शादी के बाद एक पार्टी देंगे. जिस का इंतजाम हमारे बच्चे करेंगे,’’ जब सुगंधा ने यह बात कही, तब पवन भी सहमत हो गया.

इस के ठीक एक महीने बाद कुछ खास दोस्तों के बीच अदालत में शादी कर के वे जीवनसाथी बन गए. सारा महल्ला हैरान था. उन्होंने अपनी शादी की जरा भी हवा न लगने दी थी. 2 बूढ़ों की अनोखी शादी पर लोगों ने उन की खिल्ली उड़ाई. मगर उन्होंने इस की जरा भी परवाह नहीं की.

कोई खुश हो या न हो, मगर उन की औलादें इस शादी से खुश थीं, क्योंकि उन्हें मातापिता की नई जोड़ी जो मिल गई थी.

खत्म हुआ तूफान: क्या सच्चा था आकाश का प्यार

शाम के 5 बज रहे थे, 170 से 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवाएं तथा समंदर की कई फुट ऊंची लहरों का शोर किसी भी इंसान को भयभीत करने के लिए काफी था. ऐसे में एक लड़की का बचाओबचाओ का स्वर आकाश के कानों में पड़ा. बगैर परवाह किए वह चक्रवाती तूफान ‘हुदहुद’ के चक्रव्यूह को भेदता हुआ पानी में कूद पड़ा और उसे बचा कर किनारे की तरफ ले आया. वह उस लड़की को पहचानता नहीं था, मगर बचाने का हर संभव प्रयास कर रहा था. समुद्रतट पर उसे लिटा कर वह उस के शरीर में भरा पानी निकालने लगा. थोड़ी देर में लड़की ने आंखें खोल दीं. उसे होश आ गया था मगर वह ठंड से कांप रही थी. आकाश कुछ देर उसे देखता रहा. फिर उसे गोद में उठा कर सुरक्षित स्थान पर ले आया.

वह लड़की अभी भी भयभीत थी और आकाश को लगातार देख रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे वह उस के साथ स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रही हो. आकाश उसे ले कर दूर एक टूटेफूटे घर की तरफ बढ़ गया. घर के दरवाजे पर एक बूढ़ी खड़ी थी. आगंतुक की गोद में एक लड़की को देख बूढ़ी ने उन्हें अंदर आने दिया और पूछा, ‘‘क्या यह तुम्हारी बीवी है?’’

‘‘नहीं, दरअसल यह लड़की तूफान में फंस गई थी और डूब रही थी, इसलिए मैं इसे बचा कर यहां ले आया,’’ आकाश ने कहा.

‘‘अच्छा किया तुम ने. इसे ठंड लग रही होगी. ऐसा करो, तुम इसे मेरे बिस्तर पर लिटा दो. मैं इस के कपड़े बदल देती हूं. इस तूफान ने तो हमारा जीना ही दूभर कर रखा है. खाने के ऐसे लाले पड़ रहे हैं कि लूट मची हुई है. कल एक ट्रक सामान भर कर आने वाला था. खानेपीने की चीजें थीं उस में. मगर यहां पहुंचने से पहले ही सबों ने उसे लूट लिया. हमारे पास तक कुछ पहुंचा ही नहीं. अभी मेरा मरद गया है. शायद कुछ ले कर लौटे,’’ बूढ़ी बोली.

करीब 50 साल की थी वह महिला मगर दुख और परेशानियां उस की उम्र बढ़ा कर दिखा रही थीं. बूढ़ी के पास जो भी कपड़े थे, वह उन्हें ही ले आई और लड़की को पहनाने लगी. आकाश दूसरे कोने में खड़ा हो गया और कमरे का मुआयना करने लगा. यह एक छोटा सा कमरा था, जिस में बैड और किचन के कुछ छोटेमोटे सामानों के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा था. एक कोने में खाली बरतन पड़े थे और बाईं तरफ एक रस्सी बंधी थी जिस पर 2-4 फटे कपड़े लटके हुए थे. 2 दिनों में हुदहुद की मार हर किसी के घर पर नजर आने लगी थी. बहुत से लोग मर चुके थे, तो बहुतों के घर बह गए थे. पूरे गांव में खौफ और बरबादी का मंजर था. ऐसे में आकाश को विशाखापटनम पहुंचना जरूरी था.

जब वह निकला था अपने गांव से, तो उसे हुदहुद के आने की खबर नहीं थी. मगर रास्ते में इस तूफान में वह पूरी तरह फंस गया था. उस की प्रेमिका दिशा उसी के कहने पर हमेशा के लिए अपना घर छोड़ कर उस से मिलने पहुंच चुकी थी और एक होटल में ठहरी हुई थी. आकाश उस के पास जाने की हड़बड़ी में था, मगर बीच में यह वाकेआ हो गया. वह क्या करता? लग रहा था जैसे रास्ता लंबा होता जा रहा है. बूढ़ी ने अब तक लड़की के कपड़े बदल दिए थे और उस पर कंबल डाल दिया था. इस के बाद वह गरमगरम चाय बना लाई और दोनों के हाथों में 1-1 प्याला दे दिया.

लड़की अभी भी काफी परेशान और घबराई हुई लग रही थी. आकाश ने लड़की को समझाने का प्रयास किया कि वह घबराए न. वैसे आज वह खुद भी कम परेशान न था. एक तरफ तूफान का जोर और दूसरी तरफ प्रेमिका के पास पहुंचने की जल्दी. उस पर इस तूफान में मिली लड़की की जिम्मेदारी. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. करीब 2-3 घंटे उस घर में गुजारने के बाद आकाश ने आगे जाना तय किया. मगर इस लड़की का क्या किया जाए, जो अभी भी बहुत ही घबराई हुई थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी?

आकाश ने लड़की से पूछा, ‘‘अब बताओ, कहां छोड़ूं तुम्हें? तुम्हारा घर कहां है?’’

लड़की फफकफफक कर रोने लगी फिर रोतेरोते ही बोली, ‘‘मेरा घर तो डूब गया. मेरे तो केवल बाबा थे, उन्हें भी लहरें अपने साथ ले गईं. अब कोई नहीं है मेरा.’’ वह बोल कर फिर रोने लगी. आकाश उस के माथे पर हाथ फिराने लगा और बोला, ‘‘प्लीज, रोओ मत. मैं हूं न. कोई इंतजाम कर दूंगा. अभी चलो मेरे साथ, मैं ले चलता हूं तुम्हें.’’

थोड़ी देर में जब लड़की थोड़ी सामान्य हो गई तो आकाश ने आगे जाने की सोची. उस ने सहारा दे कर लड़की को उठाया तो वह दर्द से कराह उठी. शायद उस के पैर में गहरी चोट लगी थी. आकाश ने फिर से उसे गोद में उठा लिया और बाहर निकल आया. वह अब और रुक नहीं सकता था. काफी आगे जाने पर उसे एक बस मिल गई, जो विशाखापटनम ही जा रही थी. उस ने लड़की को बस में बैठाया और खुद भी बैठ गया. लड़की अब उसे कृतज्ञता और अपनेपन से देख रही थी. आकाश ने मुसकरा कर उस का सिर सहलाया और पहली बार गौर से लड़की को देखा. लंबे काले बालों वाली लड़की देखने में काफी खूबसूरत थी. रंग बिलकुल गोरा, चमकता हुआ. वह एकटक आकाश की तरफ ही देख रही थी. आकाश भी थोड़ी देर उसे देखता रहा फिर सहसा ही नजरें हटा लीं. उसे जल्द से जल्द अपनी प्रेमिका के पास पहुंचना था. वह दिशा को याद करने लगा. दिशा बहुत खूबसूरत नहीं पर अलग सा आकर्षण था उस के पूरे वजूद में. आकाश पूरी तरह दिशा की यादों में खो गया. लेकिन बस अचानक झटके से रुक गई तो उस का ध्यान बंट गया.

दोबारा बस चलने पर आकाश एक बार फिर से दिशा के बारे में सोचने की कोशिश करने लगा मगर अब बारबार उस के जेहन में बगल में बैठी लड़की का खयाल आने लगा था. इतनी सुंदर है, अकेली कहां जाएगी? सहानुभूति के अलावा शायद एक अजीब तरह का रिश्ता भी जुड़ने लगा था उन के बीच. इसे प्यास लग रही होगी, उस ने सोचा. एक जगह बस रुकते ही आकाश की नजर सामने दुकान पर गई. पानी की 1 लिटर की बोतल उठाते हुए उस ने पूछा, ‘‘कितने की है?’’

‘‘100 रुपए की.’’

‘‘क्या? पानी की बोतल इतनी महंगी?’’

‘‘क्या करें भैया, इस तूफान की वजह से चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं.’’

आकाश ने पानी की बोतल खरीद ली और लड़की को पीने को दी. बाद में थोड़ा पानी उस ने भी पी लिया.

विशाखापटनम बस स्टौप आ चुका था. आकाश ने लड़की को सहारा दे कर नीचे उतारा और रिकशा ढूंढ़ने लगा. बड़ी मुश्किल से एक रिकशा वाला मिला. उस पर बैठ कर वह होटल की तरफ चल पड़ा. रास्ते में वह सोच रहा था कि इसे मां के पास छोड़ दूंगा. गांव में सहारा मिल जाएगा बेचारी को वरना इस अकेली लड़की को देख कोई इस के साथ क्या कर बैठे या कहां पहुंचा दे कुछ कहा नहीं जा सकता और फिर इस के बाबा भी नहीं रहे, घर भी बह गया. हुदहुद तूफान ने इस लड़की की जिंदगी सड़क पर ला कर खड़ी कर दी.

उधर दिशा होटल में बैठी लगातार टीवी समाचार पर नजरें टिकाए बैठी थी, जिस में आ रहा था: ‘चक्रवाती तूफान हुदहुद से प्रभावित आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने और स्थिति का जायजा लेने प्रधानमंत्री विशाखापटनम पहुंचे. गौरतलब है कि इस चक्रवाती तूफान में 24 लोगों की जान गई है और यह तटीय आंध्र प्रदेश में अपने पीछे भारी तबाही के निशान छोड़ गया है.

‘चक्रवात के कारण मची तबाही की दास्तां यह है कि सड़कों पर जड़ों के साथ उखड़े पेड़, बिजली के खंभे और तारें आदि पड़े हैं. चक्रवात के कारण जिले में 15 मौतें हो गईं. स्थिति सामान्य करने के लिए संघर्ष जारी है.’दिशा का मन वैसे ही घबरा रहा था, उस पर हुदहुद के समाचारों से परेशान हो वह कई दफा आकाश को फोन कर चुकी थी. मगर उस से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था. तभी दरवाजे की घंटी बजी.

वह दौड़ती हुई आई और दरवाजा खोला तो सामने खड़े आकाश को देख कर खुशी से उछल पड़ी. मगर यह क्या, बगल में एक सकुचाई, सुंदर सी लड़की. आकाश नेउस का हाथ पकड़ कर बैड पर बैठाया और फिर दिशा की तरफ मुखातिब हुआ. दिशा की आंखों में परेशानी साफ झलक रही थी. न चाहते हुए भी उस के चेहरे पर शिकन की लकीरें आ गई थीं. ‘यह कौन है?’ उस की निगाहों में यही प्रश्न था, जिसे भांपते हुए आकाश ने उसे किनारे लाते हुए कहा, ‘‘ऐक्चुअली, यह सुनीता है. दरअसल, यह तूफान में फंस गई थी. मैं ने इसे बचाया. इस का घर, बाबा, सब तूफान में बह गए. इसलिए मुझे साथ लाना पड़ा.’’

दिशा ने फिर लड़की की तरफ देखा तो उस के चेहरे पर शिकन और बढ़ गई. आकाश की ओर देखती हुई वह बोली, ‘‘तुम दोनों पूरे रास्ते साथ थे?’’

‘‘हां दिशा, मैं इसे अकेला नहीं छोड़ सकता था. यह घबराई हुई थी.’’

दिशा आकाश का हाथ पकड़ती हुई बोली, ‘‘इसे जाने दो. मुझे तो बस इस बात की खुशी है कि तुम सकुशल लौट आए. तुम्हें कुछ हुआ नहीं. सच बहुत डर गई थी मैं,’’ कहती हुई वह आकाश के सीने से लग गई.

आकाश ने प्यार से उसे बांहों में बांधा और बोला, ‘‘रास्ते भर बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहा.’’

मगर यह क्या, बोलतेबोलते उस की आवाज अटक गई. कहीं वह झूठ तो नहीं बोल रहा, उस ने सोचा.

तभी वह लड़की वहीं बैठेबैठे बोल पड़ी, ‘‘मुझे भूख लग रही है. कल से कुछ नहीं खाया.’’

‘‘मैं अभी कुछ मंगवाता हूं,’’ कहते हुए आकाश ने दिशा का हाथ छोड़ दिया और आगे बढ़ा तो दिशा उसे रोक कर बोली, ‘‘तुम बैठो. मेरे पास खाने की कुछ चीजें पड़ी हैं. अभी ही मंगवाया था उन्हें वही खिला देती हूं. भूख तो तुम्हें भी लगी होगी न? चलो हम दोनों बाहर जा कर कुछ खा लेते हैं.’’

आकाश समझ रहा था कि दिशा उस लड़की के साथ कंफर्टेबल नहीं है. वह उस के साथ अकेले वक्त बिताना चाहती है. उसे खुद भी उस लड़की की उपस्थिति अजीब लग रही थी. इतनी दूर से उस की दिशा सिर्फ उस की खातिर आई है और वह उसे गले भी नहीं लगा पा रहा है.

‘‘चलो,’’ आकाश उठ कर खड़ा हो गया. दिशा ने खाने की चीजें लड़की के आगे रखीं और आकाश के साथ बाहर निकल आई.

‘‘मैं तुम्हारी खातिर अपना कल छोड़ आई हूं आकाश. सिर्फ तुम ही अब मेरा आज, मेरा सब कुछ हो और मैं चाहती हूं कि तुम भी मेरे बन कर रहो,’’ दिशा आकाश की नजरों में झांक रही थी. वह उन आंखों में सिर्फ खुद को देखना चाहती थी.

आकाश ने पलकें झुका लीं. वह दिशा के मन की बेचैनी समझ सकता था.

उस ने दिशा का हाथ थाम कर कहा, ‘‘ऐसा ही होगा.’’ दिशा मुसकराई. पर उस मुसकराहट में संशय साफ नजर आ रहा था. आकाश और दिशा खाते वक्त खामोश थे पर दोनों के मन में तूफान मचा हुआ था. कहां पता था कि हुदहुद का यह तूफान उन के जीवन में भी तूफान ले आएगा.

‘‘बहुत सुंदर है वह लड़की,’’ अचानक दिशा बोल पड़ी.

‘‘तो?’’ आकाश ने अजीब नजरों से उस की तरफ देखा. दिशा का यह रवैया उसे नागवार गुजरा था.

‘‘बस यों ही कह रही हूं,’’ वह मुसकराई, ‘‘मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. पर आज क्या यह हमारे साथ ही रहेगी?’’

‘‘हूं. अब क्या करूं, बताओ? अकेला कैसे छोड़ दूं इसे? मैं खुद परेशान हूं. कहां हम अपनी जिंदगी के इतने कठिन मोड़ पर खड़े हैं और कहां यह लड़की इस वक्त हमारी जिंदगी में…’’

‘‘परेशानी बढ़ाने आ गई है.’’ आगे के शब्द दिशा ने पूरे किए तो आकाश मुसकरा कर रह गया.

‘‘चलो इस की बातें छोड़ो. मैं इसे मां के पास छोड़ आऊंगा. वहां घर के काम में मदद कर दिया करेगी या अंकल के यहां छोड़ दूंगा. तुम यह सोचो कि अब आगे क्या करना है. अपने मांबाप को मैं काफी हद तक सहमत कर चुका हूं, इस शादी के लिए. बस तुम्हें देख लेंगे तो बाकी का एतराज भी जाता रहेगा.’’

आकाश ने दिशा का मूड ठीक करने का प्रयास किया तो दिशा के चेहरे पर प्यार की लाली फैल गई. दोनों खापी कर पुन: होटल लौट आए. वह लड़की अब काफी हद तक सामान्य हो चुकी थी.

रात में दोनों लड़कियां बैड पर और आकाश सोफे पर सो गया. अचानक 3-4 बजे के करीब आकाश की आंखें खुलीं तो देखा कि वह लड़की उस के सोफे के कोने पर बैठी है और उठ कर वाशरूम की तरफ जाने की कोशिश कर रही है. मगर पैर में चोट की वजह से ठीक से उठ नहीं पा रही है.

आकाश को उठा देख वह लाचार नजरों से उस की तरफ देखती हुई बोली, ‘‘मैं उधर जा रही थी तो चला नहीं गया, सो…’’

आकाश ने चुपचाप उसे पकड़ कर उठाया और वाशरूम तक ले गया.

इस दौरान दिशा की आंखें भी खुल चुकी थीं. वह इन दोनों को इस तरह साथ देख कर चौंक पड़ी. दिशा को उठा देख आकाश भी सकपका गया. फिर भी उस ने चुपचाप लड़की को बैड पर लिटाया और फिर दिशा की तरफ मुखातिब हुआ. वह करवट बदल कर सोने का उपक्रम करने लगी. आकाश भी आ कर लेट गया.

उधर दिशा रात भर करवटें बदलती रही. उसे नींद नहीं आ रही थी. दिमाग में बस वही दृश्य घूम रहा था, जो उस ने देखा था. आकाश कितने प्यार से उसे थामे हुए था और वह लड़की किन नजरों से उस की तरफ देख रही थी. पहले भी उस ने देखा है कि वह लड़की आकाश को वैसी ही नजरों से देखती है. और फिर वह इतनी खूबसूरत है कि कोई भी पिघल जाए.

दिशा सुबहसुबह उठी और बाहर निकल आई. पार्क में बेचैनी से चहलकदमी करती रही. फिर जब वह थक गई तो वापस कमरे की ओर लौट पड़ी. मगर दरवाजे पर पहुंचते ही उस के पांव ठिठक गए. उस ने परदे के अंदर झांक कर देखा. वह लड़की अभी भी आकाश की तरफ देख रही थी. वह आगे बढ़ती या कुछ सोचती, इस से पहले ही उस लड़की ने आकाश का हाथ पकड़ लिया. आकाश ने मुड़ कर उस की तरफ देखा तो वह पास आ गई और धीरे से बोली, ‘‘आकाश, मैं तुम्हें बहुत प्यार करने लगी हूं. प्लीज मुझे कभी अकेला मत छोड़ना मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं…’’

दिशा के सीने में आग सी लग गई और मन में तूफान सा मच गया. आकाश भी दो पल के लिए निरुत्तर हो गया. दिशा को लगा अब अंदर जा कर उस लड़की के बाल पकड़ कर खींचती हुई बाहर ले आएगी. तभी लड़की का हाथ आहिस्ता से परे सरकाते हुए आकाश ने दृढ़ शब्दों में कहा, ‘‘मैं दिशा से प्यार करता हूं और सारी जिंदगी उसी का बन कर रहूंगा. जो तुम चाहती हो वह नहीं हो सकता. मगर हां, मैं तुम्हें तकलीफ में अकेला नहीं छोड़ूंगा. तुम मेरी जिम्मेदारी बन गई हो. इसी शहर में मेरे अंकल रहते हैं, जो डाक्टर हैं उन की कोई संतान नहीं. वे वृद्ध हैं और उन की वाइफ बीमार रहती हैं. तुम उन की सेवा कर देना और वे तुम्हें बेटी की तरह प्यार देंगे.’’

लड़की ने कुछ नहीं कहा. बस खामोश नजरों से आकाश की तरफ देखती रही. फिर धीरे से बोली, ‘‘मुझे नहीं पता था कि आप दिशा से प्यार करते हैं. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई शायद. मगर मैं कभी भी आप को भूल नहीं पाऊंगी. आप मुझे जहां भेजना चाहते हैं, भेज दें. मुझे पूरा विश्वास है आप पर,’’ कह कर वह खामोश हो गई.

इधर दरवाजे पर खड़ी दिशा के लिए अपने आंसुओं को रोक पाना कठिन हो रहा था. वह रोती हुई पार्क की तरफ भाग गई ताकि अपने मन में उठ रहे तूफान पर काबू पा सके. मन के गलियारों में उमड़ताघुमड़ता यह तूफान अब थमता जा रहा था. उसे ऐसा लग रहा था जैसे उस के मन में उठी बेचैन लहरें धीरेधीरे शांत होती जा रही हैं. हुदहुद ने जो तूफान उस की जिंदगी में उठाया था, उसे आकाश की वफा ने एक झटके में प्यार के रंगों से सराबोर कर दिया था. वह पूरी तरह इस तूफान के साए से मुक्त हो चुकी थी. आकाश के प्रति उस का प्रेम और भी गहरा हो गया था.

देर से करना चाहती हैं बेबी प्लान, तो जानें क्या है ओवेरियन रिजर्व

हाल के वर्षों में ऐसी युवा महिलाओं की संख्‍या काफी बढ़ रही है जिन में ओवेरियन रिजर्व तेजी से कम हो रहा है. आमतौर पर यह समस्या उम्रदराज महिलाओं में देखी जाती थी. ओवेरियन रिजर्व का मतलब किसी महिला के अंडाशय में एग्स की क्वालिटी और उन की संख्या से है. ओवेरियन रिजर्व के कम होने का अर्थ है एग्स की निर्माण क्षमता का घट जाना, जोकि प्रजनन को काफी प्रभावित कर सकता है.

डाक्टर्स का कहना है कि यह रोग न केवल महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि आज के दौर में प्रजनन स्वास्थ्य को ले कर भी महत्त्वपूर्ण सवाल भी खड़े करता है.

क्या होता है ओवेरियन रिजर्व

ओवेरियन रिजर्व किसी भी महिला के प्रजनन स्वास्थ्य का अहम हिस्सा है. सामान्यतौर पर महिलाएं 20 लाख एग्स की सीमित संख्या के साथ पैदा होती हैं. यौवन अवस्था तक लगभग 300,000 से 400,000 एग्स के साथ यह संख्या समय के साथ धीरेधीरे घटती जाती है. हर मासिकचक्र के साथ एग्स का एक समूह तैयार हो जाता है, लेकिन इस में से केवल एक ही ओव्युलेट हो पाता है. वहीं अन्य डिजेनरेशन की स्वाभाविक प्रक्रिया में चली जाते हैं, जिसे एट्रेसिया कहा जाता है.

जैसेजैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है उन के एग्स की संख्या और गुणवत्ता कम होने लगती है. जब तक महिलाएं अपने 30वें और 40 की शुरुआती उम्र में पहुंचती हैं, ये गिरावट और भी स्पष्ट हो जाती है. इस वजह से कई बार गर्भधारण करने में समस्या पेश आती है. हालांकि, अब महिलाओं में उन के 20वें और 30 के शुरुआती वर्षों में ही ओवेरियन रिजर्व कम होने की समस्या बढ़ रही है. इस प्रवृत्ति का परिवार नियोजन पर काफी गहरा असर पड़ता है.

महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व के कम होने की वजह

ओवेरियन रिजर्व के समय से पहले कम होने के कई सारे कारण हैं. उन में से सबसे अहम है अनुवांशिक कारण. कुछ महिलाओं में एग्स की कम संख्या या तेजी से एग कम होने की आनुवांशिक प्रवृत्ति होती है. समय से पहले मेनोपौज या प्रजनन से जुड़ी समस्याएं इस खतरे का सब से बड़ा सूचक हो सकती हैं. इस में
जीवनशैली से जुड़े कारक अहम भूमिका निभाते हैं.

जैसे धूम्रपान को एग्स के कम होने की गति को तेज करने के लिए जाना जाता है और इस का संबंध ओवेरियन रिजर्व के कम होने से है. इस के साथ ही पर्यावरण में मौजूद टौक्सिंस जैसे कुछ कैमिकल्स और प्रदूषक अंडाशय के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं.

ऐंडोमेट्रियोसिस, ओवरी की सर्जरी या कैंसर के लिए की गई कीमोथेरैपी जैसी चिकित्सकीय परिस्थितियों की वजह से भी ओवेरियन रिजर्व कम हो सकता है. कुछ मामलों में औटोइम्युन डिसऔर्डर में शरीर गलती से अपने ही ओवरी के टिश्‍यू पर हमला करने लगता है, जिस से एग्स की संख्या कम होने लगती है.

ओवेरियन रिजर्व का कम होना कैसे प्रजनन को प्रभावित कर सकता है

ओवेरियन रिजर्व के कम होने का कतई मतलब नहीं है कि महिला गर्भधारण नहीं कर सकती है, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने की संभावना को कम कर सकता है और इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी अस्सिटेड रिप्रोडक्टिव टेक्‍नोलौजीज (एआरटी) में अवरोध पैदा कर सकता है.

जिन महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होता है, उन में अकसर प्रजनन की दवाएं अपना असर कम दिखाती हैं. इस की वजह से आईवीएफ साइकिल के दौरान कम एग्स मिल पाते हैं.

इस के अलावा एग्स की खराब गुणवत्ता की वजह से गर्भपात होने का खतरा भी जुड़ा होता है. इन समस्याओं का काफी गहरा मनोवैज्ञानिक तथा भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है और प्रजनन समस्याओं को संभालने में और भी तनाव पैदा कर सकता है.

समय पर पहचान और परीक्षण

निम्न ओवेरियन रिजर्व के बारे में समय पर पहचान कर लेना उन महिलाओं में जरूरी होता है जोकि भविष्य में गर्भधारण की योजन बना रही हैं.

कुछ जांचों की मदद से ओवेरियन रिजर्व का पता लगाया जा सकता है, जिस में ऐंटी मुलेरियन हारमोन (एएमएच) टेस्ट शामिल है. ये ओवेरियन फौलिकल्स द्वारा निर्मित होने वाले हारमोन के स्तर का पता लगाता है.

एएमएच के स्तर का कम होना घटे हुए ओवेरियन रिजर्व की तरफ इशारा करता है. सामान्यरूप से इस्तेमाल होने वाला एक और टेस्ट है ऐंट्रल फौलिकल काउंट (एएफसी). यह अल्ट्रासाउंड पर आधारित तरीका है जोकि मासिकचक्र की शुरुआत में अंडाशय में छोटे फौलिकल्स की संख्या गिनता है.

जिन महिलाओं को खतरा है या जिन के परिवार में प्रजनन संबंधी समस्याओं का इतिहास रहा है, उन्हें जल्द ही ये परीक्षण करवाने की सलाह दी जाती है. किसी महिला के ओवेरियन रिजर्व को जान लेने के बाद गर्भधारण की योजना के बारे में जानकारी से भरा निर्णय लेने में मदद मिल सकती है. इस की मदद से एग फ्रीजिंग जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है.

प्रजनन संरक्षण और उपचार के विकल्प

जिन युवा महिलाओं में निम्न ओवेरियन रिजर्व होने का पता चला है, उन के पास कई सारे विकल्प हैं. उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन जिसे एग फ्रीजिंग के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं को युवावस्था में अपने एग्स संरक्षित रखने का अवसर देता है, जब एग्स की क्वालिटी ज्यादा बेहतर होती है. यह उन महिलाओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण विकल्प हो सकता है, जोकि देरी से बच्चे पैदा करना चाहती हैं.

डोनर एग्स का भी इस्तेमाल

ऐसी महिलाएं जोकि सक्रिय रूप से गर्भधारण करने का प्रयास कर रही हैं, उन के लिए आईवीएफ जैसे प्रजनन उपचार को बेहतर परिणामों के हिसाब से तैयार किया जा सकता है. इस में ओवेरियन रिजर्व के कम होने पर भी फर्क नहीं पड़ता. कुछ मामलों में डोनर एग्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर यदि एग्स बेहद खराब हैं.

प्रजनन में चुनौतियां

युवा महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व का कम होना एक चिंताजनक प्रवृत्ति है जोकि जागरूकता तथा समय पर उपचार के महत्त्व को बताता है. वैसे तो इस समस्या की वजह से प्रजनन में चुनौतियां आ सकती हैं, यह काफी बड़ी रुकावट है. इस समस्या को समझ कर, समय पर जांच कराने और प्रजनन संरक्षण के विकल्पों के बारे में जानकर महिलाएं अपने प्रजनन स्वास्थ्य को सुरक्षित करने की दिशा में कदम उठा सकती हैं.

यदि आप प्रजनन को ले कर चिंतित हैं तो सलाह जरूर लें. आप के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आप के प्रजनन का भविष्य काफी अहम है. यदि आज आप इस का ख्याल रखती हैं तो कल काफी सुनहरा होगा.

बढ़ता प्रदूषण घटती आयु : क्या होता है पीएम 2.5, सेहत के लिए कैसे है खतरनाक

आज प्रदूषण भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है क्योंकि वायु प्रदूषण से जहां अनेक नईनई बीमारियां और दूसरी समस्याएं पैदा हो रही हैं, वहीं इस का असर उम्र पर भी पड़ने लगा है.

दिल्ली वालों के लिए बढ़ता प्रदूषण समय से पहले काल बन कर सामने आ सकता है.

शिकागो विश्वविद्यालय के ‘द ऐनर्जी पौलिसी इंस्टीट्यूट’ की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि 2022 में प्रदूषणस्तर 2021 से 19.3 % कम था जिस से उस वक्त प्रदूषण की गिरावट से लोगों की आयु 1 वर्ष बढ़ गई.

‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक 2024’ शीर्षक नाम से हाल ही में आई इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली वालों के लिए यह प्रदूषण स्लो प्वाइजन की तरह बन कर सांसों में घुल रहा है.

दिल्ली विश्व स्तर पर सब से प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है व उत्तर भारत के सब से प्रदूषित इलाकों में दिल्ली शामिल है. यदि डब्ल्यूएचओ मानक को दिल्ली पूरा नहीं कर पाती है तो लोगो की जिंदगी में 11.9 साल की कमी संभव है. भारत के अपने मानकों के अनुसार अगर दिल्ली में प्रदूषण का मौजूदा स्तर बना रहता है तो 8.5 वर्ष की कमी हो सकती है.

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सालाना पीएम 2.5 मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तय है, फिर भी 40% से ज्यादा आबादी इस सीमा से ज्यादा खराब हवा में गुजरबसर कर रही है जिस कारण लोगों पर मौत का खतरा अधिक बढ़ गया है.

जानें क्या है पीएम 2.5

PM को पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण भी कहा जाता है. ये कण सभी के स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन आदि होने लगती हैं.

यह हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम यानि श्वसनतंत्र को प्रभावित करता है और सांस की बीमारियों को बढ़ा सकता है. ये प्रदूषण बढ़ाने वाला अहम कारक भी है.

बचाव

मानव जीवन में प्रदूषण की समस्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है. विकास के साथसाथ प्रदूषण की समस्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ा है, मानव जीवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है जिस से बचाव करना बेहद जरूरी है.

ऐसे बचाएं खुद को

*सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें.

*इलैक्ट्रिक जैसे ऊर्जा कुशल वाहन खरीदें.

*गोइंग ग्रीन को अपना कर पर्यावरण की रक्षा करें.

*प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग से बचें.

*सौर ऊर्जा का प्रयोग करें.

*हमेशा रिसाइकिल करने योग्य उत्पादों का उपयोग करें.

*धूम्रपान से बचें क्योंकि यह आप को और आप के आसपास के लोगों के लिए बहुत खतरनाक है।

आम आदमी को अपने घर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कुछ जरूरी उपकारणों का सहारा लेना चाहिए क्योंकि घर के भीतर भी कुछ ऐसी गैस मौजूद होती हैं जिन्हें फिल्टर करना अति आवश्यक है अन्यथा यह आप को नुकसान पहुंचा सकती है.

किचन में चिमनी का इस्तेमाल करें, वाटर प्यूरिफायर व एअर प्यूरिफायर का प्रयोग अवश्य करें क्योंकि ये न केवल ऐलर्जन और पीएम 0.1 जितने छोटे प्रदूषक तत्त्वों को छानने में सक्षम हैं, बल्कि नुकसानदायक गैसों, जैसे वीओसी, नाईट्रोजन डाई औक्साइड आदि को भी फिल्टर करते हैं, जिस से घर स्वच्छ व प्रदूषणमुक्त होता है.

महिला खिलाड़ियों में अचानक वजन बढ़ने के क्या हैं कारण ?

महिला खिलाड़ियों में हारमोनल बदलावों जैसेकि ऐस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रौन और कोर्टिसोल की वजह से वजन बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है.

इन बदलावों की वजह से उन का वजन काफी प्रभावित हो सकता है और इस के परिणामस्वरूप उन के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है. बेहतर प्रदर्शन बनाए रखने और अपनी खेल की मांग को पूरा करने के लिए महिला खिलाड़ियों में हारमोन की वजह से वजन में होने वाले बदलावों को समझना और उसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है.

वजन बढ़ने के कारण

डा. बीना मुक्तेश, क्लीनिकल डाइरैक्टर फर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ, मदरहुड फर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ का कहना है कि विभिन्न कारणों से वजन बढ़ सकता है, लेकिन हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि महिला खिलाड़ियों में हारमोनल कारणों की वजह क्या हो सकती है.

हारमोनल बदलावों की वजह

ऐस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रौन जैसे हारमोंस में होने वाले बदलावों का महिलाओं के शरीर पर दिनभर काफी गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर मासिकचक्र के आसपास. इन हारमोनल बदलावों की वजह से वाटर रिटैंशन, भूख और मूड स्विंग की समस्या हो सकती है, जिस से वजन में तत्काल रूप से बदलाव हो सकते हैं.

उदाहरण के लिए ओव्युलेशन से ठीक पहले ऐस्ट्रोजेन अपने चरम पर होता है और इस से वाटर रिटैंशन हो सकता है और वजन बढ़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ ओव्युलेशन के बाद प्रोजेस्ट्रौन बढ़ जाता है और यह पाचन की गति को धीमा कर सकता है.

कई बार इस से ब्लौटिंग और वाटर रिटैंशन की समस्या होने लगती है. इन वजहों से दिन के अलगअलग पहर में शरीर में भारीपन या ब्लौटिंग महसूस होती है. इस के साथ ही ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाला हारमोन इंसुलिन, शरीर के वजन को बढ़ा सकता है.

इंसुलिन की अत्यधिक मात्रा खाने की खुराक और फैट स्टोरेज को बढ़ा सकता है, जिस से समय के साथ वजन बढ़ सकता है. अन्य हारमोनल कारक जैसे थायराइड की कार्यक्षमता भी इस में भूमिका अदा करती है.

स्ट्रेस कोर्टिसोल

हाइपोथायरोडिज्म एक ऐसी समस्या है, जिस में थायराइड बहुत ही कम हारमोन का निर्माण करता है और इस से वजन बढ़ता है. स्ट्रेस कोर्टिसोल भी इस की वजह बन सकता है.

प्रतियोगिताओं के दौरान हारमोनल बदलाव

ऐस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रौन जैसे हारमोंस में बदलाव, वाटर रिटैंशन, ब्लौटिंग और ऐनर्जी के स्तर में बदलाव किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है, खासकर प्रतियोगिताओं के दौरान. ये बदलाव खिलाड़ी की ताकत, दृढ़ता और पूरी शारीरिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं.

महिलाओं के वजन में महत्त्वपूर्ण है हारमोनल असंतुलन

थायराइड का सही तरीके से काम न करना, इंसुलिन प्रतिरोधकता और ऐस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रौन तथा प्रोलैक्टिन में बदलाव महिलाओं में वजन बढ़ने का महत्त्वपूर्ण कारण हो सकता है.

इंसुलिन प्रतिरोधकता के परिणामस्वरूप फैट स्टोरेज हो सकता है और वजन बढ़ सकता है. वहीं, मासिकचक्र के आसपास ऐस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रौन के स्तर में होने वाला बदलाव वाटर रिटैंशन और ब्लौटिंग का कारण बन सकता है. प्रोलैक्टिन का बढ़ा हुआ स्तर वजन बढ़ा सकता है. तनाव की वजह से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जोकि हारमोनल प्रभावों को बढ़ा सकता है. इस से भूख के साथ ही फैट स्टोरेज बढ़ सकता है.

इस असंतुलन को नियंत्रित करने में लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे संतुलित आहार लेना और नियमित ऐक्सरसाइज, तनाव के नियंत्रण की तकनीक जैसी चीजें शामिल हैं. हारमोन के स्तर की नियमित निगरानी रखने से सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद मिलती है.

तनाव और शारीरिक श्रम महिला खिलाड़ियों में हारमोन के स्तर को प्रभावित करता है

तनाव तथा शारीरिक श्रम का काफी ज्यादा प्रभाव कोर्टिसोल हारमोन के स्तर पर पड़ता है. ये एक स्ट्रेस हारमोन है, जोकि ज्यादा ट्रैनिंग या मनोवैज्ञानिक दबाव की वजह से अकसर बढ़ जाता है.

कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर भूख के साथ ही फैट स्टोरेज को बढ़ा सकता है और ऐस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्ट्रौन जैसे अन्य हारमोनल संतुलन में अवरोध पैदा कर सकता है.

नियमित, सख्त ट्रैनिंग से मसल मास और वजन बढ़ सकता है. मसल मास, प्रदर्शन के लिए सेहतमंद और भी आवश्यक है, लेकिन जिन खेलों में वजन मायने रखता है, उन में खिलाड़ियों के लिए अतिरिक्त वजन, चिंता का विषय हो सकता है.

महिला खिलाड़ी इन बदलावों की निगरानी व नियंत्रण ऐसे करें

कुछ हारमोंस महिला तथा पुरुष दोनों के ही वजन तथा प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं, लेकिन महिलाओं में हारमोनल बदलावों के अनुभव का दायरा व्यापक होता है. इस से उन के वजन पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है.

इन बदलावों के सही नियंत्रण के लिए महिलाओं को अपने वजन, पानी की मात्रा और यूरीन की मात्रा पर भी नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इन से हारमोनल असंतुलन का पता चलता है.

ऐसे रखें खयाल

संतुलित आहार और उचित हाइड्रेशन बनाए रखना जरूरी है. नियमितरूप से खून की जांच, लिवर तथा किडनी की कार्यप्रणाली का परीक्षण संपूर्ण सेहत और हारमोन के स्तर का पता लगाने के लिए आवश्यक है.

डाइट तथा हाइड्रेशन पर कड़ी नजर रखने से महिला खिलाड़ियों को काफी कुछ समझने में मदद मिल सकती है. इस से वे अपने वजन और प्रदर्शन का प्रभावी नियंत्रण कर सकती हैं.

डिनर में बनाएं मिंट अनियन पुलाव, मिनटों में कर सकती हैं तैयार

मौसम कोई भी हो हर दिन नाश्ता, लंच और डिनर में क्या बनाया जाए, हर कामकाजी और घरेलू महिला को इस समस्या का सामना करना ही पड़ता है. कामकाजी दंपतियों के लिए तो यह समस्या और भी अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि औफिस और घर दोनों में ही संतुलन बैठाने के कारण उनके पास समय का अभाव होता है इसलिए उन्हें कुछ ऐसा चाहिए होता है जिसे जल्दी बनाया जा सके साथ ही वह हैल्दी और स्वादिष्ट भी हो ताकि घर के सभी सदस्यों को पर्याप्त पोषण भी मिल सके. मिंट यानी पुदीना आजकल सालभर बाजार में उपलब्ध रहता है पुदीना में अनेकों विटामिन्स, पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम, एंटी औक्सीडेंट और थायमीन जैसे अनेकों पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं इसलिए इसे किसी न किसी रूप में अपने आहार में शामिल करना चाहिए.

मिंट को आमतौर पर चटनी बनाकर अथवा सुखाकर रायते आदि में प्रयोग किया जाता है. आज हम आपको मिंट और प्याज से बहुत ही स्वादिष्ट पुलाव बनाना बता रहे हैं जिसे आप बहुत आसानी से 5 से 10 मिनट में बनाकर तैयार कर सकते हैं. आप इसे पापड़, अचार और दही के साथ सर्व कर सकते हैं.

कितने लोगों के लिए 4

बनने में लगने वाला समय 20 मिनट

मील टाइप वेज

सामग्री

बासमती चावल 1 कप
ताजी पोदीना पत्तियां ½ कप
ताजा हरा धनिया ¼ कप
हरी मिर्च 4
कटा प्याज 1
कटा लहसुन 4 कली
अदरक 1 छोटी गाँठ
तेजपात पत्ता 2
बड़ी इलायची 2
दालचीनी टुकड़ा 1 इंच
जीरा ¼ इंच
नमक स्वादानुसार
घी 1 टीस्पून
काजू 4
बारीक कटा टमाटर 1
नीबू का रस 1 टीस्पून
बारीक कटी हरी धनिया 1 टीस्पून

बनाने की विधि

चावल को 2-3 बार साफ पानी से धोकर 1 कप पानी में भिगोकर आधे घंटे के लिए रख दें. पोदीना, हरा धनिया, हरी मिर्च और अदरक को मिक्सी में 1 टीस्पून पानी के साथ दरदरा पीस लें. प्रेशर कुकर में तेल गर्म करें और इसमें पहले काजू को हल्का भूरा होने तक भूनकर निकाल लें. अब बचे तेल में जीरा, तेजपात पत्ता, बड़ी इलायची, दालचीनी भूनकर कटे प्याज और लहसुन को भूनकर दरदरा पिसे मिंट मसाला डाल कर धीमी आंच पर मसाले के तेल छोड़ने तक पकायें. अब इसमें भीगे चावल, कटे टमाटर और नमक डालकर अच्छी तरह चलायें. प्रेशर कुकर का ढक्कन लगाकर तेज आंच पर एक प्रेशर लेकर गैस बंद कर दें. जब प्रेशर पूरी तरह निकल जाए तो ढक्कन खोलकर नीबू का रस और कटा हरा धनिया डालकर चलायें. भुने काजू से गार्निश करके सर्व करें.

भूलकर भी चेहरे पर न लगाएं ये चीजें, स्किन हो सकती है डैमेज

लोग अपने चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए क्या क्या नहीं करते. चाहे पुरुष हों या महिलाएं ,सभी अपने चेहरे की रंगत निखारने व उसको बेदाग बनाने के लिए हजारों जतन करते हैं, वो तरहतरह के ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट का इस्‍तेमाल करते हैं. इन्टरनेट पर बताये जाने वाले ब्यूटी टिप्स को फौलो करते हैं और लोगों के बताए घरेलू नुस्‍खों को आजमाने से भी पीछे नहीं हटते. हालांकि इन टिप्‍स और घरेलू नुस्खों के इस्‍तेमाल से कुछ समय के लिए तो आपका चेहरा ग्‍लो करने लगता है लेकिन बाद में फिर वही परेशानी सामने आने लगती है.

लोगों का चेहरा इन नुस्खों को आजमाने के बाद और भी रूखा और बेजान हो जाता. क्‍योंकि अपने चेहरे को चमकाने व उनकी रौनक बढ़ाने के लिए कभीकभी जानेअनजाने में हम अपने चेहरे पर कुछ ऐसी चीज़ों का प्रयोग कर लेते हैं ,जिससे हमारे चेहरे को नुकसान पहुंचता है और हमारी स्किन खराब हो जाती है. क्योंकि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें अगर आप बिना जानकारी के अपने चेहरे पर इस्तेमाल करेंगे तो फायदे के बजाय नुकसान ही होगा.

आइये जानते है की ब्यूटी एक्सपर्ट के मुताबिक , ऐसी कौन सी चीज़े है जिन्हें भूलकर भी अपने चेहरे पर नहीं लगाना चाहिए-

1- बौडी लोशन

मार्केट में बहुत तरह के बौडी लोशन available है जो सिर्फ बौडी पर लगाने के लिए बने होते हैं ना कि चेहरे पर लगाने के लिए .कभी कबार ऐसा होता है कि अगर हमारे पास फेस क्रीम खत्म हो जाती है तो हम बॉडी लोशन को अपने चेहरे पर लगा लेते हैं. यह गलती आप बिलकुल ना करें.

क्योंकि हमारे चेहरे की स्किन और हमारी बौडी की स्किन दोनों ही अलगअलग मौलिक्यूल से बनी होती हैं.हमारे चेहरे की स्किन बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव होती है और बौडी लोशन फेस क्रीम की तुलना में ज्यादा गाढे होते हैं. इनका इस्तेमाल अपने चेहरे पर करने से हमारी स्किन में बहुत ज्यादा तेल जमा हो जाता है इससे हमारी स्किन सेल्स को नुक्सान पहुंचता है और हमारी स्किन बहुत औयली हो जाती है.

2-बियर

बीयर को चेहरे पर लगाने से इसके एसिडिक नेचर के कारण आपकी स्किन ड्राई हो सकती है और आपके चेहरे की चमक भी कम हो सकती है.और तो और इसकी अधिक मात्रा चेहरे पर लगाने से पिम्पल्स और जलन जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है.इसलिए बियर को अपने चेहरे पर कभी न लगाएं.

3-वैसलीन

वैसलीन को चेहरे पर लगाने से धूल के कण हमारी चेहरे की स्किन पर आसानी से चिपक जाते हैं जिससे हमारी स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं और हमारी स्किन खराब होने लगती है.

4- टूथपेस्ट

वैसे तो टूथपेस्ट को त्वचा में होने वाली समस्याओं जैसे दाग- धब्बे, मुंहासे और झुर्रियों के लिए उपयोगी माना जाता है. लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि टूथपेस्‍ट को अपनी स्किन पर लगाना नुकसानदायक भी हो सकता है. इससे आपके चेहरे की ड्राईनेस बढती है और इसके ज्‍यादा इस्‍तेमाल से झुर्रियां और झाइयां जैसी समस्यां भी हो सकती हैं. इसलिए चेहरे पर direct टूथपेस्‍ट लगाने से बचना चाहिए.

5-पुदीना

मैंने अक्सर देखा है की कई लोग पुदीने का फेस पैक बनाकर अपने चेहरे पर इस्‍तेमाल करते हैं. पर क्या आपको पता है की ये फेस पैक आपकी स्किन के लिए कितना नुक्सान दायक हो सकता है. पुदीना में मेंथोल पाया जाता हैं.जिसके कारन आपकी स्किन पर रेड कलर के rashes हो सकते हैं.पुदीने को चेहरे पर लगाने से चेहरे का रंग डाउन होता है और कई लोगों में तो पिम्पल्स की प्रौब्लम भी होने लगती है.

6-सिरका (vinegar)

कुछ लोग अक्सर अपने चेहरे के दागधब्बो को मिटने के लिए विनेगर का इस्तेमाल करते है. लेकिन शायद वो ये नहीं जानते है की विनेगर को अपनी स्किन पर कभी भी डायरेक्‍ट अप्‍लाई नहीं करना चाहिए.
विनेगर में एसिड की मात्रा ज्यादा होती है अगर आप इसे बिना पानी मिलाये अपने चेहरे पर लगाएंगे तो स्किन में खुजली या rashes होने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाएंगी .और आपकी स्किन में इन्फेक्शन भी हो सकता है.

इसलिए अगर आप इसे अपनी स्किन पर लगानी चाहती हैं तो कोशिश करें कि कम एसिडिक नेचर वाला ही विनेगर लें और पानी में मिलाकर ही लगाएं.अधिक एसिडिक नेचर वाला विनेगर चेहरे पर कभी भी न लगाये.

7- बेकिंग सोडा

वैसे तो बेकिंग सोडा से स्किन को कई फायदे होते हैं लेकिन अगर इसे पानी मिलाए बिना स्किन पर लगाया जाए तो इसमें मौजूद लेड के कारण स्किन का ph लेवल बैलेंस नहीं रहता और त्वचा पर मुंहासे और दागधब्बों की समस्या हो सकती है. यहां तक की चेहरे की रंगत भी फीकी पड़ सकती है. इसलिए इसे भूल कर भी कभी अपने चेहरे पर directly न लगाएं.

अगर आप इसे अपने चेहरे पर यूज करना ही चाहते है तो याद रखें की बेकिंग सोडा की मात्रा बहुत कम होनी चाहिए. इसे पानी में घोलने के बाद आप अपने चेहरे पर यूज कर सकते हैं. हो सके तो उसको  2 हफ्ते में ही इस्तेमाल करें .रेगुलर इस्तेमाल करने से बचें क्योंकि इससे आपकी स्किन बहुत ड्राई हो सकती हैं.

8-मेयोनीज

ये तो हम सभी जानते है की बालों के लिए मेयोनीज़ काफी फायदेमंद होता है और इससे बालों में चमक भी आती है.पर इसके एसिडिक नेचर के कारण इसे कभी भी अपने चेहरे पर use न करें.वरना चेहरे पर इन्फेक्शन का चांस बहुत बढ़ जायेगा.

9- गर्म पानी

अक्सर देखा गया है कि लोग अपने चेहरे को गर्म पानी से धोते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि गर्म पानी बैक्टीरिया खत्म करने के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन इसी के साथसाथ ये हमारे चेहरे का moisture भी खत्म कर देता है.इसलिए कभी भी गर्म पानी से चेहरा नहीं धोना चाहिए . आप अपने चेहरे को धोने के लिए हलके गुनगुने पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं.

10-साबुन

हमारे चहरे की त्वचा हमारी बौडी के compare में काफी सेंसिटिव होती है. साबुन में बहुत तरह के केमिकल होते है. साबुन चेहरे के नेचुरल oil और सीबम को निकाल देता है ,जिनके कारण हमारी स्किन का ph लेवल असंतुलित हो जाता है.जिससे चेहरा बेजान और बहुत ज्यादा रुखा हो जाता है.

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