पाना चाहती हैं सेलिब्रिटी जैसा लुक, तो ट्राई करें मल्टी डायमेंशनल हेयर कलर

फैशन के रंग भी बड़े निराले होते हैं. कल तक जहां काले घने बालों का फैशन था, वहीं आज के बदलते दौर में काली रेशमी जुल्फे रेड, ब्लू, औरेंज और पीकौक जैसे डिफरैंट कलर की नजर आने लगी हैं. इन कलरफुल जुल्फों का फैशन इस कदर जोर शोर से है कि आज टीनएज गर्ल्स से लेकर लेडीज भी इसको अपना रही हैं. तो क्यों न आप भी ट्रैंड को फौलो करते हुए भीड़ से अलग हट कर अपनी खास पहचान बनाएं.

सबकुछ ट्रेंड के अनुसार ही

जावेद हबीब सलोन के हेयर आर्टिस्ट आरिफ मियां का कहना है कि फैशनेबल और ट्रैंडी दिखना आजकल हर कोई चाहता है. अब ब्राउन, गोल्डन और बरगंडी हेयर के दिन गए अब फैशनेबल लड़कियों के लिए खासतौर पर मार्केट में ऐसे फंकी कलरफुल हेयर कलर आए हैं, जिसे आप अपने हेयर पर लगाकर लुक को चेंज कर पर्सनैलिटी को निखार सकती है.

फंकी हेयर कलर ट्रेंड

वहीं रिच लुक्स यूनिसेक्स सलोन के हेयर स्टाइलिश राजेन्द्र सिंह का कहना है कि लुक स्विच करने के लिए हेयर कलर भी बदला जा सकता है. नए ट्रैंड में नए कलर्स के साथ एक्सपैरिमेंट करना चाहते हैं तो इनमें से कोई एक फंकी शेड्स चुन सकते हैं. जैसे-फ्लर्टी रेड, मिस्टिक ब्लू, जेस्टी येलो, वंडर ब्लू, ग्लोरियस ग्रीन, क्रेजी वायलेट, पर्की ग्रीन,ऊम्फी औरेंज, ग्रोवी पिंक ये फंकी कलर अमोनिया फ्री और पेरोक्साइड फ्री है. इसके अलावा आप और्गन सीक्रेट्स हेयर कलर भी ट्राई कर सकती है जिसमें क्रिमसन रेड, हनी ब्लोंड, प्लम, बीज ब्लोंड, सेंडर ब्लोंड, ऐश ब्लोंड.

आजकल ट्रैंड कब बदल जाए कह नहीं सकते कुछ समय पहले तक सिर्फ हेयर की अंदर की तरफ की एक लट को डिफरैंट कलर से हाई लाइट करने का ट्रेंड था जिसमे आप अपनी पसंद का रेडवाइन, रेड चेरी, ब्लू, ग्रीन और पिकौक कलर कुछ भी करवा सकती थी लेकिन अब कुछ लड़कियां फंकी ग्लोबल कलर करवाने लगी है इससे आपका पूरा लुक ही बदल जाता है.

मैंटेन करना आसान नहीं

फैशन हेयर कलर मैंटेन करने के लिए आपको अपने हेयर एक्सपर्ट से कई अपाइंटमेंट की आवश्यकता पड़ेगी इससे आपका टाइम और रुपए ज्यादा खर्च होगा.

फैशन के रंग जल्दी फेड पड़ जाते हैं

फैशन के रंग जल्दी फेड हो जाते हैं क्योंकि ये कोई परमानेंट ट्रीटमेंट नहीं है इसलिए अपने हेयर एक्सपर्ट के टच में रहे और हेयर को लेकर जो भी प्रोटेक्शन आपको बताए जाए उसका पालन करे. जैसे कलर प्रोटेक्शन शैम्पू, कंडीशनर, मास्क सीरम का प्रयोग करें.

सेमी और परमानेंट हेयर कलर

आप चाहें तो अपने मनचाहे हेयर कलर की स्ट्रिप्स कलर करवा सकती हैं या फिर दो या तीन शेडों में अपने पूरे हेयर को कलर करवा सकती हैं. मार्केट में हेयर कलर दो प्रकार के मौजूद हैं, जिनमें परमानेंट व सेमी परमानेंट दोनों प्रकार के कलर आते हैं. यदि आप कुछ सप्ताह के लिए हेयर कलर करवाना चाहते हैं तो सेमी परमानेंट हेयर कलर आपके लिए बेस्ट होगा लेकिन ज्यादा लंबे समय तक हेयर को कलर्ड बनाने के लिए आप परमानेंट हेयर कलर का उपयोग कर सकती हैं.

फंकी हेयर कलर करवाने से पहले रखें इन बातों का खास ध्यान-

  • किसी अच्छे पार्लर या सैलून में हेयर एक्सपर्ट से ही ब्रांड का हेयर कलर करवाएं.
  • पहली बार फंकी कलर करवा रही है तो अपने हेयर की नीचे की लटो में कलर करवा कर देखे की ये कलर आपको सूट कर रहा है या नही.
  • हेयर पर कलर करते समय अपनी आईज की सुरक्षा का पूरा ख्‍याल रखें.
  • तेज धूप से आपके कलर किए हुए बाल खराब हो सकते हैं. अत: उन्हें धूप से बचाए और एक्सपर्ट के बताएं हुए कंडीशनर/मास्क और सीरम जरूर लगाएं.
  • इस बार अपने लुक को डिफरैंट दिखाने के लिए इन फंकी कलर्स को आजमा कर जरूर देखें और फैशन की ट्रैंड में आप भी शामिल हो जाए.

महंगी ज्वैलरी को लंबे समय तक बनाए रखना चाहती हैं नया, तो अपनाएं ये आसान तरीका

रश्मि को ज्वैलरी पहनने का बहुत शौक है, आजकल गोल्ड और डायमंड ज्वैलरी पहनना तो अपनी जान को ही खतरे में डालने जैसा है इसलिए उसने भांति भांति की आर्टिफिशियल ज्वैलरी खरीद रखी है पर इसके बावजूद जब भी वह ज्वैलरी पहनना चाहती है तो कभी कान का एक टौप्स नहीं मिलता, कभी नैकलेस की मैचिंग के कान इयरिंग्स नहीं मिलते. और इसका कारण है ज्वैलरी का व्यवस्थित ढंग से न रखा जाना.

आशिमा जब भी बाजार जाती है विविध प्रकार की ज्वेलरी खरीद लेती है पर सही ढंग से न रखे जाने के कारण वह बहुत जल्दी काली पड़ जाती है या चमक खत्म हो जाने के कारण पुरानी सी दिखने लगती है.
आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी से बाजार भरा पड़ा है. ये दिखने में बहुत खूबसूरत और दाम में काफी सस्ती होती हैं इसलिए ये हर किसी के लिए बजट फ्रैंडली भी होती हैं. ज्वैलरी कोई भी हो सबसे जरूरी होता है उसका रखरखाव. रखरखाव और पर्याप्त देखभाल के अभाव में महंगी से महंगी ज्वैलरी भी खराब हो जाती है और सही देखभाल से सस्ती ज्वैलरी भी सालों साल चलती है. यूं तो आजकल बाजार में विविध रंग और डिजाइन के ज्वैलरी बौक्सेज मौजूद हैं परन्तु कई बार ये काफी महंगे होते हैं जिन्हें हर कोई नहीं खरीद पाता आज हम आपको घर में ही मौजूद कुछ चीजों की मदद से ज्वैलरी स्टोर करने के आइडियाज दे रहे हैं जिनकी मदद से आप अपनी किसी भी ज्वैलरी को बड़े आराम से स्टोर कर सकती हैं.

1-हुक्स देंगे नया लुक

आजकल बाजार में विविध आकार और रंग के सेल्फ एडहेसिव हुक्स मौजूद हैं इन्हें आप औनलाइन या औफलाइन अपनी सुविधानुसार खरीद सकती हैं. इनमें पीछे की तरफ ग्लू लगा रहता है और इनके पीछे लगी प्लास्टिक की पतली चिप को हटाकर आप इन्हें अपनी कवर्ड के किसी भी प्लेन सरफेस पर चिपका सकतीं हैं. ये सिंगल और मल्टीपल हुक्स दोनों ही फौर्म में मार्केट में उपलब्ध हैं. इन्हें अपनी आवश्यकतानुसार अपनी वार्डरोब में चिपकाकर आप अपनी हर तरह की ज्वैलरी हैंग करके रख सकती हैं. सामने दिखने के कारण इन्हें निकालना भी काफी आसान रहता है.

2-हैंगर हैं बहुत यूजफुल

हैंगर का प्रयोग आमतौर पर कपड़े टांगने के लिए किया जाता है परन्तु आप इन पर अपनी ज्वैलरी भी स्टोर कर सकती हैं. एल्युमिनियम के हैंगर को एक साइड से खोलकर चौड़ा कर लें और फिर इसमें आप अपनी विविध प्रकार की लंबी, छोटी मालायें, चैन्स और इयरिंग्स आदि को हैंग करके खुली साइड को फिर से इस तरह बंद कर दें कि यह आसानी से खुल जाए.

लकड़ी और प्लास्टिक के हैंगर पर कपड़े सुखाते समय लगाए जाने वाले क्लिप से इन्हें हैंग करें.
3-कप और प्लेट्स हैं बहुत काम के किचिन के अनुपयोगी कप और प्लेट्स को आप अपनी ड्रेसिंग टेबल की ड्राअर में रखकर इसमें आप दो तीन टौप्स, इयरिंग्स आदि आसानी से रख सकती हैं. चैन्स और नैकलेस को आप कप के ऊपर या हैंडल में हैंग कर सकतीं हैं. आप डिस्पोजल ग्लास और कप्स का प्रयोग भी कर सकती हैं.

4- कलरफुल बटन्स

बड़े साइज के बटन्स के होल में आप नोज पिन, इयरिंग्स, आदि को हुक करके किसी भी डिब्बे में रख सकतीं हैं इससे ये गुमेगी भी नहीं और देखने में भी अच्छी लगेगी.

5- कांच की बौटल्स

लकड़ी के किसी भी पुराने बौक्स को सुतली या धागे की सहायता से दीवार पर हैंग कर दें. अब फेविकोल से इसमें 2 खाली कांच की बोतलें चिपकाकर इस पर आप अपनी चूड़ियां, ब्रेसलेट, हेयरबैंड्स आदि को हैंग कर सकतीं हैं. ये दिखने में भी एक शोपीस जैसा लगता है.

6-किचिन नैपकिन रोल

किचिन में टिश्यू पेपर रोल का प्रयोग किया जाना आजकल बहुत आम बात है. टिश्यू पेपर के प्रयोग के बाद खाली रोल का उपयोग आप अपनी बैंगल्स, ब्रेसलेट को रखने के लिए कर सकती हैं.

7-थर्माकोल शीट्स हैं बड़े काम की

अक्सर घर में आने वाले इलेक्ट्रौनिक सामान को थर्माकोल शीट्स में पैक किया जाता है. इस थर्माकोल शीट को आप अपनी वार्डरोब के आकार के अनुसार काटकर डबल साइड टैप से वार्डरोब में चिपका दें. अब इसमें विविध आकार के हुक्स लगाकर अपनी ज्वैलरी को टांग सकती हैं.

हौसले बुलंद रहें सरकार: क्या पत्नी को खुश करना है बेहद मुश्किल

आजकल पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है कि शाम को जब भी मैं औफिस से सहीसलामत घर लौट कर आता हूं तो पत्नी हैरान हो कर पूछती है, ‘आ गए आज भी वापस?’ कई बार तो मुझे उस के पूछने से ऐसा लगता है मानो मुझे शाम को सकुशल घर नहीं आना चाहिए था. उस के हिसाब से लगता है, वह मुझ से ऊब गई हो जैसे. वैसे, एक ही बंदे के साथ कोई 20 साल तक रहे, तो ऊबन, चुभन हो ही जाती है. मुझे भी कई बार होने लगती है.

हर रोज मेरे सकुशल घर आने पर उस में बढ़ती हैरानी को देख सच पूछो तो मैं भी परेशान होने लगा हूं. कई बार इस परेशानी में रात को नींद नहीं आती. अजीबअजीब से सपने आते हैं. कल रात के सपने ने तो मुझे तड़पा ही दिया.

मैं ने सपने में देखा कि जब मैं औफिस से सब्जी ले कर घर आ रहा था तो मेरा एनकाउंटर हो गया है. पुलिस कहानियां बना अपने को शेर साबित कर रही है. मीडिया में मरने के बाद मैं कुलांचे मार रहा हूं. इस देश में आम आदमी मरने के बाद ही कुलांचे मारता है वह भी मीडिया की कृपा से. बहरहाल, मामला आननफानन सरकार के द्वार पहुंचा तो उस ने मामले को सांत्वना देनी चाही. प्रशासन मेरी पत्नी के द्वार सांत्वना देने के बजाय मामला दबाने आ धमका. वह तो मेरे जाने से पहले ही प्रशासन का इंतजार कर रही थी जैसे.

मेरे फेक एनकाउंटर के बाद सरकार और पत्नी के बीच जो बातें हुईं, प्रस्तुत हैं, आने वाले समय में किए जाने वाले फेक एनकाउंटरों में शहीद होने वालों को प्रसन्न करने वाले उन बातों के कुछ अंश :

‘बहनजी, गलती हो गई, हमारे पुलिस वाले से आप के पति का एनकाउंटर हो गया,’ कोई सरकार सा मेरी बीवी के आगे दोनों हाथ जोड़े सांत्वना देने के बदले मेरी मौत की सौदेबाजी करने के पूरे मूड में.

‘कोई बात नहीं सर. पुलिस से बहुधा गलती हो ही जाती है. हमारी पुलिस है ही गलती का पुतला. उन के जाने के बाद ही सही, आप हमारे द्वार आए, हमें तो कुबेर मिल गया. अब हमें उन के एनकाउंटर का तनिक गम नहीं. वैसे भी इस धरती पर जो आया है, उसे किसी न किसी दिन तो जाना ही है. बंदा जाने के बाद भी कुछ दे कर जाए तो बहुत अच्छा लगता है सर.’ आह, मेरी बीवी का दर्द. वारि जाऊं बीवी की मेरे लिए श्रद्धांजलि के प्रति. काश, ऐसी बीवी ब्रह्मचारियों को भी मिले.

‘देखो बहनजी, हम वैसा दूसरा पति तो आप को ला कर दे नहीं सकते पर हम ऐसा करते हैं…’ सरकार ने बीच में अपनी वाणी रोकी तो मेरी बीवी की आर्थिक चेतना जैसे जागृत हुई. उन के जाने के बाद अब तो सरकार मुझे, बस, आप का ही सहारा है,’ पत्नी कुछ तन कर बैठी.

‘तो आप को अपने यहां आप के पति की जगह पर सरकारी नौकरी में लगा देते हैं. आप चाहो तो कल से ही आ जाओ. इस के साथ ही साथ आप को एक सरकारी टू रूम सैट भी हम अभी दे देते हैं. चाबियां निकालो यार. आप के खाते में अपनी गलतीसुधार के लिए जिंदा जनता के पैसों में से 20 लाख रुपए जमा करवा देते  हैं,’ सरकार ने मुसकराते हुए घोषणा की तो पत्नी के कान खड़े हुए.

‘पर सर, उस मामले में तो आप ने उन की पत्नी को पीआरओ बनाया है. वहां भी पति ही गया है. पति तो सारे एक से होते हैं. फिर मेरे साथ मुआवजे को ले कर भेदभाव क्यों? उस के खाते में आप ने 25 लाख रुपए डाले. उस के बच्चों की पढ़ाई के लिए 5-5 लाख रुपए की एफडी बना दी. मेरी आप से इतनी विनती है कि कम से कम पतियों के एनकाउंटर के मामले में हम महिलाओं के साथ भेदभाव तो न कीजिए. चलो, ऐसा करती हूं सास के खाते में डालने वाले पैसे आप की सरकार पर छोड़े. पर…’

‘देखिए बहनजी, आप उन से अपनी तुलना मत कीजिए. कहां राजा भोज, कहां आप का गंगू तेली.’

‘सरकार माफ करना, आप जात पर उतर रहे हैं,’ पत्नी ने सरकार को वैसे ही आंखें दिखाईं जैसे मुझे दिखाती थी तो सरकार सहमी. पत्नी की आंखों से बड़ेबड़े तीसमारखां सहम जाते हैं. ऐसे में भला सरकार की क्या मजाल.

‘जात पर नहीं बहनजी, मैं तो मुहावरे पर उतरा था,’ सरकार को लग गया कि किसी गलत बीवी से पाला पड़ा है. सो, सरकार ने मुहावरे पर स्पष्टीकरण जारी किया.

‘पर फिर भी?’

‘देखिए बहनजी, सरकार को आप भी ब्लैकमेल मत कीजिए. सच पूछो तो, कहां उन की बीवी, कहां आप? वह मामला कुछ अधिक ही पेचीदा हो गया था. मीडिया बीच में आ गया था वरना…’

‘तो आप को क्या लगता है कि मेरे मामले में मीडिया बीच में नहीं आएगा? नहीं आएगा तो मैं ढोल बजाबजा कर सब को बताऊंगी कि मेरे पति को इन की पुलिस ने फ्री में निशाना बना दिया है,’ मेरी पत्नी की धमकी सुन सरकार डरीसहमी.

‘प्लीज, बहनजी, आप जो चाहेंगी हम करेंगे, पर मीडिया को बीच में मत डालिए. यह मसला मेरे, आप के और आप के पति के बीच हुए एनकाउंटर का है. मतलब हम तीनों के बीच का. अब पुलिस से गलती हो गई तो हो गई. सरकारी कर्मचारियों से बहुधा गलती हो ही जाती है. नशे में ही रहते हैं हरदम. पर इस गलती के लिए हम उन की जान भी तो नहीं ले सकते न. पर अब आप को भविष्य में आप के पति से भी अधिक खुश रखने के लिए दिल खोल कर मुआवजा तो दे सकते हैं न. सो दे रहे हैं. वैसे भी बहनजी, आज के इस दौर में क्या रखा है पतिसती में? अब तो कोर्ट ने भी साफ कर दिया है कि…’

‘देखो सर, अपने पति के फेक एनकाउंटर के बदले जितना आप ने पिछली दीदी को दिया है, उतना तो कम से कम लूंगी ही. इधर हर रोज पैट्रोलडीजल के दाम तो सुबह होते ही 4 इंच बढ़े होते हैं, पर अब आप ने गैस के दाम भी बढ़ा दिए. अब हमारे पास दिल जलाने के और बचा ही क्या? ऐसे में आप खुद ही देख लीजिए कि पति का मुआवजा ईमानदारी से दीदी को दिए मुआवजे से अधिक नहीं, तो उतना तो कम से कम बनता ही है.’

‘देखो बहनजी, हम ठहरे ब्रह्मचारी. हमें न पति के रेट पता हैं न पत्नी के. इस झंझट से बचने के लिए ही तो हम ने विवाह नहीं करवाया. तो अच्छा, ऐसा करते हैं, चलो, न मेरी न आप की. जो मेरे सलाहकार आप के पति के एनकाउंटर का तय करेंगे, सो आप को दे दूंगा. मेरा क्या? मेरे लिए तो सब टैक्स देने वालों का है. मैं तो बस बांटनहार हूं. अब पुलिस से गलती हो गई तो भुगतनी भी तो मुझे ही पड़ेगी. पर जो आप सरकार पर थोड़ा रहम करतीं तो…’ बीवी चुप रही.

आखिर, सरकार ने मेरी पत्नी को सांत्वना देते सहर्ष घोषणा की कि सरकार बहनजी के पति के फेक एनकाउंटर के मुआवजे के दुख में शरीक होते हुए उन्हें पुलिस में थानेदार की नौकरी, रहने को थ्री बैडरूम सरकारी आवास, उन के खाते में 25 लाख रुपए, बच्चों की सगाई के लिए 10-10 लाख रुपए और सास के लिए 5 लाख रुपए देने की सहर्ष घोषणा करती है.

सरकार की इस घोषणा के बाद मत पूछो कि पत्नी कितनी खुश. उस वक्त मेरा फेक एनकाउंटर उसे कितना पसंद आया, मत पूछो. उस ने ऊपर वाले को दोनों हाथ जोड़े और कहा, ‘हे ऊपर वाले, मेरे हर पति का ऐसा फेक एनकाउंटर हर जन्म में 4-4 बार हो.’

और मैं पत्नी से भी ज्यादा खुश. उसे इतना प्रसन्न मैं ने उस वक्त पहली बार देखा, तो मन गदगद हो गया. मेरी अंधी आंखें खुशी के आंसुओं से लबालब हो आईं. वाह, अपने एनकाउंटर के बाद ही सही, पत्नी को खुश तो देख सका.

हे जनपोषण को चौबीसों घंटे वचनबद्ध मित्रो, आप ने मेरा फेक एनकाउंटर कर मुझे मृत्यु नहीं, खुशियों भरा नया जीवन प्रदान किया है. आप के हौसले यों ही बुलंद रहें.

इन विटामिन्स की कमी से शरीर में हो सकती हैं कई बीमारियां, भूलकर भी न करें नजरअंदाज

शरीर के लिए विटामिंस से भरपूर डाइट लेना बहुत जरूरी है वरना शरीर में अनेक बीमारियां घर करने लगती हैं. विटामिंस कमी के कारण शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिन्हें पहचान कर यदि समय रहते डाइट में जरूरी बदलाव कर लें तो शरीर को बड़ी तकलीफों से बचा सकते हैं.

आइए, जानते हैं उन लक्षणों के बारे में जिन से पता चलता है कि शरीर में किस विटामिन की कमी है.

विटामिन ए की कमी के लक्षण

स्किन का ड्राई होना: स्किन का ड्राई होना विटामिन ए की कमी का मुख्य लक्षण होता है. विटामिन ए से स्किन की कोशिकाओं का निर्माण होता है. विटामिन ए उन की मरम्मत करने का भी काम करता है. पर्याप्त विटामिन ए नहीं मिलने से ऐग्जिमा और अन्य स्किन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

आंखों में समस्या: आंखों की समस्याएं विटामिन ए की कमी से होने वाली समस्याओं में सब से मुख्य हैं. विटामिन ए की कमी का पहला संकेत आंखों का ड्राई होना है. इस की कमी से रतौंधी नामक बीमारी भी हो सकती है. व्यक्ति को शाम या रात को कम दिखाई देना शुरू हो जाता है. आंखें तेज प्रकाश को सहन नहीं कर पाती हैं.

बांझपन: विटामिन ए पुरुषों और महिलाओं दोनों ही के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है, साथ ही यह शिशुओं के उचित विकास के लिए भी आवश्यक होता है. यदि किसी स्त्री को गर्भवती होने में परेशानी हो रही है तो विटामिन ए की कमी इस का एक कारण हो सकता है.

बच्चों का विकास धीमा होना: जिन बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए नहीं मिलता है उन का विकास बहुत धीमा होता है. मानव शरीर के समुचित विकास के लिए विटामिन ए बेहद जरूरी है.

गले और छाती में संक्रमण: गले या छाती में बारबार संक्रमण, विशेष रूप से विटामिन ए की कमी का संकेत हो सकता है. विटामिन ए श्वसनतंत्र के संक्रमण से बचाता है.

घाव भरने में समस्या: जब शरीर में चोट लगती है तो उस के घाव या फिर सर्जरी के बाद ठीक नहीं होने वाले घाव विटामिन ए की कमी के लक्षण हो सकते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि विटामिन ए स्वस्थ स्किन के लिए एक महत्त्वपूर्ण घटक कोलोजन के निर्माण को बढ़ावा देता है.

मुंहासे होना: मुंहासे होना भी विटामिन ए की कमी का लक्षण हो सकता है. विटामिन ए स्किन के विकास को बढ़ावा देता है और सूजन से लड़ता है, इसलिए यह मुंहासों को रोकने या उन का इलाज करने में मदद करता है.

विटामिन ए की प्राप्ति के स्रोत: अंडे, दूध, यकृत, गाजर, पीली या नारंगी सब्जियां जैसे स्क्वैश, पालक, स्वीट पोटैटो, दही, सोयाबीन व अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां.

विटामिन बी12 की कमी के लक्षण

हाथों या पैरों में झुनझुनी: विटामिन बी12 की कमी के कारण हाथों या पैरों में झुनझुनी हो सकती है. यह लक्षण इसलिए होता है क्योंकि विटामिन बी12 तंत्रिकातंत्र के संचालन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

चलने में परेशानी: समय के साथ विटामिन बी12 की कमी के कारण व्यक्ति को चलने की समस्य हो सकती है. मांसपेशियों में कमजोरी भी महसूस हो सकती है.

पीली स्किन: पीलिया विटामिन बी12 की कमी का एक प्रमुख लक्षण है. पीलिया तब होता है जब किसी व्यक्ति का शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है.

विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो सकती है, जिस से पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है.

थकान: विटामिन बी12 की कमी के कारण व्यक्ति को थकावट महसूस हो सकती है. इस की वजह शरीर में चारों ओर औक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है, जिस से व्यक्ति बेहद थका हुआ महसूस करता है.

तेज हृदय गति: हृदय की गति का तेज होना भी विटामिन बी12 की कमी का लक्षण हो सकता है. शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने पर दिल तेजी से धड़कना शुरू कर देता है.

मुंह का दर्द: विटामिन बी12 की कमी से मुंह में छाले या जलन की समस्या हो सकती है.

मानसिक समस्या: विटामिन बी12 की कमी से व्यक्ति की सोचने या तर्क करने की क्षमता प्रभावित होती है. वह चिड़चिड़ा या अवसादग्रस्त हो सकता है.

विटामिन बी की प्राप्ति के स्रोत: दूध और उस से बने उत्पादों में, अंडे के सफेद भाग में और मछली एवं मुरगे में विटामिन बी भरपूर मात्रा में होता है. अखरोट में भी बिटामिन बी पाया जाता है. सुपारी, अंगूर, पिस्ता, नारंगी आदि में भी यह विटामिन भरपूर होता है.

विटामिन सी की कमी के लक्षण

थकान: असामान्य रूप से थकान महसूस होना विटामिन सी की कमी का संकेत हो सकता है. दरअसल, यह विटामिन शरीर में कार्निटाइन को कम करता है, जिस से मैटाबोलिज्म और ऐनर्जी बढ़ती है. ऐसे में इस की कमी के कारण आप बेवजह थकान महसूस कर सकते हैं.

त्चचा पर नील के निशान: अगर शरीर पर नील के निशान पड़ने लगें तो समझ लें कि शरीर में विटामिन सी की कमी हो गई है. इस से रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिस से शरीर पर ऐसे निशान पड़ने लगते हैं.

नाक या मसूढ़ों से खून आना: अगर आप की नाक या मसूढ़ों से अकसर खून आने लगा है तो यह भी विटामिन सी की कमी का लक्षण हो सकता है.

जोड़ों में दर्द और सूजन: जोड़ों में तेज दर्द और सूजन होना भी इस की कमी की तरफ इशारा करता है. जोड़ों में कोलोजन का स्तर कम हो जाता है, जिस से दर्द व सूजन की समस्या हो सकती है.

ऐनीमिया: शरीर में विटामिन सी की कमी होने से आयरन का बैलेंस भी बिगड़ जाता है, जिस से ऐनीमिया का खतरा हो सकता है.

रूखे बाल और हेयर फौल: अगर आप के बाल असामान्य रूप से झड़ रहे हैं, तो यह भी विटामिन सी की कमी का संकेत हो सकता है. इस के अलावा रूखे, बेजान और दोमुंहे बाल भी इस की कमी की ओर इशारा करते हैं.

अचानक वजन बढ़ना: अगर ऐक्सरसाइज और डाइटिंग के बावजूद वजन बढ़ रहा है, तो समझ लें कि शरीर में विटामिन सी की कमी हो गई है. दरअसल, विटामिन सी मैटाबोलिज्म को रैग्युलेट करती है. शरीर में इस की कमी से मैटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है.

रूखी स्किन: अगर आप की स्किन पर मुंहासे दिखने लगे हैं या स्किन जरूरत से ज्यादा रूखी रहने लगी है तो यह विटामिन सी की कमी के कारण हो सकता है.

जल्दीजल्दी इन्फैक्शन होना: विटमिन सी शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बना कर इसे इन्फैक्शन से बचाने में मदद करता है. इस की कमी होने पर आप बैक्टीरियल और वायरल इन्फैक्शन की चपेट में आ सकते हैं.

विटामीन सी की प्राप्ति के स्रोत: खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नीबू, संतरा, बेर, कटहल, पुदीना, अंगूर, टमाटर, अमरूद, सेब, दूध, चुकंदर, चौलाई, पालक आदि विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं. इन के अलावा दालों में भी विटामिन सी पाया जाता है.

विटामिन डी की कमी के लक्षण

थकान महसूस करना: हड्डियों में दर्द और कमजोरी महसूस होना. इस के अलावा शरीर के अलगअलग हिस्सों की मांसपेशियों में लगातार दर्द भी इस का एक लक्षण है. आमतौर पर औरतों में विटामिन डी की कमी से डिप्रैशन या स्ट्रैस की समस्या ज्यादा होती है. इस विटामिन की कमी से इंसान के बाल तेजी से झड़ने लगते हैं. चोट लगने पर उस के भरने में काफी समय लगता है.

विटामिन डी की कमी का असर मूड पर भी होता है. इस की कमी का असर सैरोटोनिन हारमोन पर भी पड़ता है, जो मूड स्विंग्स की समस्या पैदा करता है. विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी होने पर जरा सी चोट लगने पर हड्डी टूटने, खासतौर पर जांघों, पेल्विस और हिप्स में दर्द होता है.

विटामिन डी की प्राप्ति के स्रोत: धूप, मछली, अंडा, दूध, मशरूम, संतरा आदि.

विटामिन ई की कमी से होने वाली समस्याएं

ऐनीमिया यानी शरीर में खून की कमी, बालों का विकास रुक जाना, स्किन ड्राई रहना, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना, आंखों की रोशनी कम हो जाना आदि.

विटामिन ई की प्राप्ति के स्रोत: कीवी, पीनट बटर, सूरजमुखी के बीज, पालक, ऐवोकाडो, बादाम, ब्रोकली, टमाटर, मूंगफली, पपीता, शिमलामिर्च आदि.

विटामिन के की कमी के लक्षण

विटामिन के की कमी के कारण शरीर में रक्त का थक्का नहीं जमता और इस वजह से इस से जुड़ी समस्याएं नजर आने लगती हैं.

आसानी से चोट लगना या स्किन पर चोट के निशान दिखाई देना, हलकी चोट लगने पर भी बहुत खून बहना, नाक या मसूढ़ों से अचानक खून आना, मलमूत्र में खून आना, मासिकधर्म के समय खून का काफी ज्यादा बहाव, अधिक गंभीर मामलों में खोपड़ी के भीतर रक्तस्राव भी शामिल हो सकता है.

विटामिन के की प्राप्ति के स्रोत: पालक, ब्रोकली, शतावरी, स्प्राउट्स, गोभी, शलगम, डेयरी उत्पाद, अनाज, वनस्पति तेल, सोयाबीन, अनार, हरी सेम, पत्तागोभी, कीवी, काजू आदि.

शौर्टकट बाल कटवाने के बाद हेयर फौल होने लगा है, मैं क्या करूंं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैंने अपने बालों में जब से शौर्टकट करवाया है मेरे बाल गिरने शुरू हो गए हैं. बताएं मैं क्या करूं कि मेरे बाल गिरने बंद हो जाएं और लंबे भी हो जाएं?

जवाब-

कभी भी कट कराने से बालों का गिरना शुरू हो ऐसा नहीं हो सकता, बल्कि कट कराने से बालों की ग्रोथ बढ़ती है क्योंकि अब सारा खाना आप के छोटे बालों को मिल रहा है. वे जल्दी बढ़ने लगते हैं. बालों के गिरने के बहुत सारे रीजन हो सकते हैं जैसेकि खाने में प्रोटीन की कमी क्योंकि बाल बने हैं हार्ड प्रोटीन कैरोटिन से.

आप अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं जैसेकि दूध, दही, अंडा, हरी सब्जियां, राजमा, दालें या चिकन इत्यादि. आप चैक कीजिए कि कहीं आप के हारमोंस इनबैलेंस तो नहीं हैं. इस के लिए आप किसी डाक्टर या किसी हेयर कंसलटैंट या किसी अच्छे क्लीनिक में जा कर काउंसलर से मिलें जो आप के बालों के गिरने का रीजन ढूंढ़ ले.

थायराइड या दूसरे हारमोंस इनबैलेंस होने से बालों का गिरना शुरू हो जाता है. आप वैसे घर पर हैड मसाज करें. इस के लिए आप ऐरोमैटिक औयल का इस्तेमाल कर सकती हैं जिस में लैवेंडर×रोजमैरी औयल हों या फिर एक पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं.

इस के लिए रात को 1 कप दही में 2 बड़े चम्मच मेथीदाना भिगो दें. सुबह इसे बारीक पीस लें. इस में 2 बड़े चम्मच फ्रैश ऐलोवेरा जैल मिला लें. अगर अंडा खाती हैं तो 1 अंडा इस में डाल दें. 1 चम्मच शहद व 1 चम्मच औलिव औयल मिला लें. इस पैक को बालों की जड़ों में लगाएं. फिर 1 घंटे बाद धो लें. ऐसे लगातार करते रहने से बाल लंबे हो जाते हैं.

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बुढ़ापे में जो दिल बारबार खिसका

पार्क के ट्रैक पर जौगिंग कर रही नेहा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. यह तो माथुर अंकल ने मुझे आंख मारी, एक बार नहीं बल्कि 2 बार. पिछले हफ्ते ही तो घर पर आए थे, पापाजी से बात कर रहे थे. मैं चाय दे कर आई थी. शायद धोखा हुआ है, पर दोबारा घूम कर आई तो फिर वही हरकत. नहीं, वही हैं माथुर अंकल, बदतमीज इंसान, इन्हें तो नमस्ते भी नहीं करना. वह शिखा के साथ आगे बढ़ गई. ‘‘क्या हुआ अचानक तेरा मुंह क्यों उतर गया और बोलती बंद?’’ शिखा उस के चेहरे को ध्यान से देख रही थी.

‘‘अरे यार, देख रही है ब्लू स्ट्राइप्स की टीशर्ट में जो अंकल 3 बंदों के बीच बैठे हैं, उस ने बिना सिर घुमाए आंखों से इशारा किया था. वे हर राउंड पर मुझे आंख मारे जा रहे हैं और मेरे घुसते ही हाथ का इशारा कर के गाना गाने लगे ‘जरा हौलेहौले चलो मोरे साजना…’ शिट, फादर इन लौ के जानपहचान के हैं वरना इन्हें अच्छे से सबक सिखा देती अभी. पिछले हफ्ते घर आए थे. मुझ से मिले भी थे. फिर भी ऐसी हरकत, न उम्र का लिहाज न रिश्ते की मर्यादा. मम्मीजी को बोलूंगी, वही बताएंगी इन्हें.’’ ‘‘तू अभी नई है न यहां. अरे, ये चारों बुड्ढ़े हैं ही ऐसे. सभी को आएदिन चेतावनी मिलती रहती है, पर जबतब ये किसी को छेड़ने से बाज नहीं आते. मजाल है कि सुधर जाएं. कभी चाट वाले के पास, तो कभी कहीं…रोजरोज कौन मुंह लगे इन के. लेने दो इन को मजा. तुझे नहीं पता, नई खोज है, वैज्ञानिक बता रहे हैं कि महिला को छेड़नाघूरना आदमी की सेहत के लिए अच्छा होता है, उम्र बढ़ती है. बीवी बूढ़ी होगी तो ठीक से करवाचौथ रख नहीं पाती होगी, सेंकने दो इन्हें आंखें, बढ़ा लेने दो उम्र, इस से ज्यादा कर भी क्या पाएंगे. यार, इग्नोर कर, बस,’’ यह कह कर शिखा हंसने लगी.

‘‘समझा लीजिए इन्हें रेवती बहन, पानी सिर से ऊपर जा रहा है, रामशरणजी तो बहूबेटियों पर भी छींटाकशी से बाज नहीं आ रहे. बुढ़ापे में मुफ्त जेल की सैर हो जाएगी. कैसे रहती हैं ऐसे घटिया, लीचड़ आदमी के साथ. आप की भी बहू आने वाली है, तब देखेंगे,’’ भन्नाई हुई पड़ोसिन लीला निगम धमकी दे कर चली गईं. रामशरण माथुर अपनी आदत से लाचार थे. 60 साल के होने के बावजूद वे सड़कछाप आशिक बने हुए थे. बुढ़ापे में भी यही उन का शगल था. 2 ही बच्चे थे उन के. बड़ी लड़की रानी और बेटा रणवीर छोटा था. उन की ऐसी ओछी बातें सुनते ही वे दोनों बड़े हुए थे. पहले तो पड़ोस की औरतों के लिए लवलैटर क्या, पूरा रजिस्टर लिख कर अपने ही बच्चों को पढ़ापढ़ा कर हंसते, तो कभी चुपके से खत उन के घर फेंक आने को कहते और दोस्तों के साथ मजे लेते.

रेवती उन की बुद्धि पर हैरानपरेशान होती, अपने बच्चों के साथ कोई पिता ऐसा कैसे कर सकता है. नादान बच्चे गलत रास्ते पर न चल पड़ें, आशंका से रेवती गुस्सा करती, मना करती तो लड़ने बैठ जाते, समझते वह दूसरी औरतों से जलन के मारे ऐसा कह रही है. उसे चिढ़ाने के लिए वे ऐसी हरकतें और करने लगते. मां कुछ कहे, बाप कुछ और सिखाए, तो बच्चों पर अलग प्रभाव पड़ना ही था. रानी ने रोधो कर किसी तरह बीए किया. वह अपनी शादी के लिए लालायित रहती. जल्दी से जल्दी घर बसा कर इस माहौल से दूर चले जाना चाहती थी. बाप की हरकतों से जबतब कालोनी, कालेज की सखीसहेलियों में उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़ती. ‘पापाजी तो अभी अपने में ही रमे हुए हैं, मेरी शादी क्या खाक करेंगे,’ यह सोच कर उस ने फेसबुक पर किसी रईस से पींगें बढ़ाईं और उस से शादी कर सुदूर विदेश चली गई.

रेवती चाहती थी छोटा बेटा रणवीर भी शादी कर अपना घर बसा ले. उस का माहौल बदले और वह खुश रहे. पर वह शादी के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था. ऐसे वातावरण में होता भी कैसे, घर की प्रतिष्ठा पर पिता ही कीचड़ उछाल रहा था. वह किसी बड़ी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर जौब करने लगा था. बढि़या कमा रहा था. सो, घर की सारी जिम्मेदारी बाप द्वारा उस पर डाल दी गई कि उस के ऊपर इतना खर्च हुआ है, अब वह नहीं करेगा तो क्या हम बूढ़े करेंगे. जवानी में खूब पैसे उड़ाए, कुछ बुढ़ापे के लिए न जोड़ा न छोड़ा, कि बेटा आखिर होता किसलिए है? पढ़ायालिखाया, खर्च किया किसलिए? रेवती क्या, निर्लज्ज से वे बेटे को भी उस पर खर्च हुआ जुड़ाने लग जाते.

रेवती को गुस्सा आता, तो कह उठती, ‘‘ऐसा भी कोई बाप होता है? बेटे के लिए लोग क्याक्या नहीं करते, कितना कुछ कर गुजरते हैं उन के सुंदर भविष्य के लिए. इस ने तो हर जगह अपने दम से ऐडमिशन लिया, शुरू से स्कौलरशिप से पढ़ाई की. तुम तो उसे खिलाया आलूगोभी, आटादाल भी जोड़ लो, छि, कैसे पिता हो.’’ अब तो बेटा ही घर का सारा खर्च उठा रहा था, फिर भी जबतब अलग से कभी चाटजलेबी खाने, तो कभी वाकिंग शू, शर्ट कुछ भी खरीदने के लिए रामशरण आतुर रहते और बिना झिझके रणवीर के सामने हाथ फैला देते. पत्नी रेवती इस तरह के व्यवहार से पहले ही बहुत शर्मिंदा रहती. अब जो लोगों से बहूबेटियों को छेड़ने की शिकायत सुनती तो जमीन में धंसती जाती. वह उन्हें समझासमझा कर थक गई. वे कुछ सुनने को राजी नहीं. उस पर से हंसते कहते, ‘जोर किस का, बुढ़ाने में जो दिल खिसका.’

इस बार अगर रणवीर के कानों में यह बात पड़ गई तो गुस्से और शर्मिंदगी में वह जाने क्या कर डाले. पिछली बार भी ऐसी ओछी हरकत से शर्मिंदा हो कर कितना फटकारा था बाप को और फिर तंग आ कर आखिरी चेतावनी भी दी थी कि अगर नहीं सुधरे, तो वह घर छोड़ कर चला जाएगा. ‘अच्छा है, रणवीर आज 8 बजे तक आएगा, तब तक शायद मामला ठंडा पड़ जाए,’ रेवती सोचने लगी.

औफिस से निकलते समय रणवीर एक बैंक के एटीएम में जा घुसा, उस का कार्ड ब्लौक हो गया. वह अंदर बैंक में गया तो ‘मे आई हैल्प यू’ सीट पर जयंति सिन्हा का साइन बोर्ड रखा था. सीट खाली थी. कुछ जानापहचाना सा नाम लग रहा है, वह यह सोच ही रहा था कि सीट वाली आ गई. ‘‘सर, मैं आप की क्या हैल्प कर सकती हूं,’’ जयंति ने कुछ पेपर टेबल पर रख कर सिर उठाया था.

दोनों एकदूसरे को देख कर आवाक रह गए. ‘मिस खुराफाती सिन्हा?’ वह मन ही मन बोल कर मुसकराया. इतने सालों बाद भी रणवीर 7वीं-8वीं क्लास में साथ पढ़ी जयंति को पहचान गया, ‘यही नाम तो रखा था उस के सहपाठियों ने इस का.’

‘‘अरे तुम, मास्टर रोंदूतोंदू, खुला बटन, बहती नाक, पढ़ाकू वीर,’’ वह थोड़ा झिझकी थी फिर फ्लो में बोल कर खिलखिला उठी, ‘‘वाउ, तोंद तो गायब हो गई है. ओहो, अब तो बड़े स्मार्ट हो गए हो, चमकता सूटबूटटाई, महंगी वाच…क्या बात है, क्या ठाठ हैं?’’ अगलबगल खड़े लोग भी सुन रहे थे, रणवीर झेंप गया. ‘‘तो अब मास्टर से मिस्टर शर्मीले बन गए हो, अच्छा छोड़ो ये सब, यार बताओ, किस काम से आना हुआ यहां. मैं पहले दूसरी ब्रांच में थी, अभी कल ही यहां जौइन किया है. अच्छा इत्तफाक है, जल्दी बोलो, ड्यूटी आवर खत्म होने को है, फिर बाहर निकल कर ढेर सारी बातें करेंगे,’’ वह मुसकराई.

जयंति ने फटाफट उस की समस्या का समाधान करवाया और उस के साथ बाहर निकल आई. ‘‘कोई घर पर इंतजार तो नहीं कर रहा होगा?’’ वह मुसकराई.

‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं, अभी शादी नहीं की. मां को इंतजार रहता है, फोन कर देता हूं.’’ और वे दोनों कौम्प्लैक्स के हल्दीराम रैस्टोरैंट में आराम से बैठ गए. मां को तभी आज उस ने 8 बजे घर पहुंचने का टाइम बता दिया. दोनों बचपन के किस्सों में खो गए. फिर अब तक क्याक्या, कैसे किया वगैरह एकदूसरे से शेयर करते व हंसते बाहर निकल आए. रणवीर बहुत दिनों बाद इतना हंसा था. जयंति अब भी वैसी ही मस्तमौला खुराफाती है. उस को उस का साथ बहुत भला लगा. ‘इतनी परेशानियां झेली… पिता का असमय अचानक देहांत, मां का कैंसर से निधन, भाई का ससुराल में घरजमाई बन कर चले जाना और जाने क्याक्या उस ने इतने दिनों में. पर अपने मस्तमौला स्वभाव पर कोई असर न आने दिया. यह सीखने वाली बात है,’ यह सोच कर वह हलका महसूस कर रहा था. उस दिन रणवीर को कुछ मालूम नहीं चलने पाया कि कोई पड़ोसी फिर पापा की शिकायत कर के गए हैं. वह खाना खा कर सो गया और दूसरे दिन सुबह फिर औफिस चला गया. रेवती ने चैन की सांस ली. बेकार ही इन पर गुस्सा हो कर उलझता, और फिर बहुत बड़ा बखेड़ा हो जाता. घर बिखर जाए, इस से पहले मैं ही कुछ करती हूं. पिछली बार अपनी सहेली संध्या के दरोगा भतीजे ने इन पर विश्वास कर, भला जानते हुए इन्हें छेड़खानी के आरोप से छुड़ाया था. उसी से मदद लेती हूं. बिना शर्म के बताऊंगी कि ये ऐसे ही मस्तमिजाज हैं. लोग सही आरोप लगाते हैं. तू ही सुधार के लिए कुछ कर, यही ठीक रहेगा. यह सोचते हुए वह कुछ आश्वस्त हुई.

रणवीर और जयंति का तकरीबन रोज ही मिलना हो जाता. दोनों को एकदूसरे का बरसों बाद मिला साथ अच्छा लगने लगा था. एक दिन जब जयंति ने रणवीर से कहा, ‘‘यार, इतने दिन हो गए कई बार कहा भी, घर में तो सब से मिलवाओ, मेरा तो कोई है नहीं, लेदे के एक वही मस्ताना डौग है, वैसे वह भी मिलने लायक चीज है, चलोगे, मिलोगे?’’ वह हंसी थी.

‘‘चलूंगा, पर आज नहीं. मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं जयंति कि क्यों मैं तुम्हें घर नहीं ले जा पाता,’’ रणवीर ने पिता की वजह से घरबाहर फैले रायते को जयंति के सामने रख दिया. ‘‘छि, बड़ी शर्म आती है मुझे, घर से बाहर निकलते लोगों से मिलते. सब बाप की तरह बेटे को भी समझते होंगे. क्या करूं कोई उपाय सूझ नहीं पाता. मैं खुद उस घर में नहीं जाना चाहता. सिर्फ मां की वजह से वहां हूं. मां से अलग घर, मैं सोच भी नहीं पाता. ऐसे पिता की वजह से न घर में कोई आता है न ही हम किसी को बुलाने की हिम्मत कर पाते हैं. मां की तो पूरी जिंदगी ही उन्होंने खराब कर दी, वही अब मेरे साथ भी कर रहे हैं. रानी दी ने तो सही किया, लड़की थीं, निकल गईं जंजाल से. पर मैं तो बेटा हूं, इन्हें छोड़ भी नहीं सकता, बुढ़ापे में मां को इन से अलग भी नहीं कर सकता. साथ रख कर ही पालना पड़ेगा. जब तक इन की हरकतें रहेंगी, ये जिंदा रहेंगे, तब तक कुछ नहीं हो सकता. कितना भी कर लूं, पर न मैं ऐसे में खुश रह सकता हूं, न मां को या किसी को खुशी दे सकता हूं. शादी के बारे में तो सोच ही नहीं सकता.’’

‘‘ओह, तो यह बात है जरा सी, जो तुम सब को कब से परेशान किए हुए है.’’

‘‘तुम्हें यह जरा सी बात लगती है?’’ ‘‘इसीलिए तुम ने शादी न करने का फैसला कर लिया है,’’ वह बोली.

‘‘ऊं, न, नहीं, ऐसा कुछ नहीं. पर कुछ हद तक सही ही है. जहां खुद मेरा दम घुटता हो वहां किसी को लाने की मैं सोच भी कैसे सकता हूं.’’ ‘‘लग तो कुछ ऐसा ही रहा है,’’ वह मुसकराई, तुम शादी तो करो, यार, मैं उसे ऐसे गुरुमंत्र दूंगी कि बस, फिर तुम कमाल देखते ही रहना. आई प्रौमिस यू, तुम तो जानते ही हो, जो मैं कहती हूं वह जरूर कर के रहती हूं.’’

‘‘कोई और क्यों, तुम क्यों नहीं. जानता हूं कि असलियत जान कर किसी को मुझ से शादी करना मंजूर नहीं होगा,’’ वह कुछ संकुचाते हुए बोल ही गया. उस के संबल में उसे एक उम्मीद की किरण सी उसे दिखने लगी. पर जयंति अचानक दिए इस प्रपोजल पर हैरान थी. अपनी हैसियत से उसे ऐसी सपने में भी कल्पना न थी. जल्दी में कुछ न सूझा तो वह बोल पड़ी, ‘‘मेरे ऊपर तो बड़ी जिम्मेदारी है जो कभी पीछा नहीं छोड़ेगी.’’

‘‘अभी तो तुम ने कहा, कोई नहीं रहता, तुम अकेले हो?’’ ‘‘भूल गए, मस्ताना, उस का भी कोई नहीं मेरे सिवा,’’ वह अमिताभ की फिल्म ‘द ग्रेट गैम्बलर’ के अंदाज में गा उठी.

‘‘मैं मजाक नहीं कर रहा, पूरी तरह से सीरियस हूं.’’ ‘‘अच्छा, चलो, फिर कर लेते हैं, पर समझ लो, मैं तुम्हारी हस्ती से मैच भी करूंगी? एक पहिया गाड़ी का, एक स्कूटी का. आड़ातिरछा चलाचला के झूम…’’ और वह हंसने लगी. रणवीर की गंभीर गुस्से वाली मुद्रा देख कर वह फिर बोली, ‘‘अच्छा, अब सीरियस हो जाती हूं. मां से तो मिलवाओगे या सीधे कोर्ट मैरिज कर के घर ले चलना है.’’ वह फिर से हंसने वाली थी, अपने को रोक कर मुसकराई.

जयंति रणवीर की मां रेवती से मिली, आशीर्वाद लिया और फिर शहनाइयां बज उठीं. जयंति ब्याह कर रणवीर के घर आ गई. उस के साथ मस्ताना भी था. रेवती, रणवीर दोनों ही ने उसे साथ लाने को कहा था. रेवती ने देखा, हमेशा गंभीर दिखने वाले बेटे के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी. मस्ताना की चमकती आंखें रामशरण को लगता उन्हें ही घूर रही हैं. वह अपनी लहरदार, घनी पूंछ जब पटकता तो लगता उन्हें धमकी दे रहा हो. कई बार रामशरण मस्ताना की वजह से ताकझांक करते हुए, कहीं चोरी पकड़ी न जाए, गिरतेगिरते बचते क्योंकि मस्ताना कहीं न कहीं से उन्हें देख लेता. लहराती दुम उठा कर जो वह जोरजोर से भूंकना शुरू करता तो रुकने का नाम ही न लेता. जयंति को मालूम हो गया था कि ससुरजी मस्ताना से थोड़ा डरते हैं. वह अकसर उन्हें मस्ताना से काफी दूर घूम कर जाते हुए देखती तो मुसकराती. कोई शरारत उस के खुराफाती दिमाग में दौड़ने लगी थी. कुछ तो करना ही पड़ेगा घर में सब के सुकून के लिए.

सुबहशाम जयंति भी ससुरजी के टाइम पर ही मस्ताना को टहलाने के लिए जाने लगी. पहले बहुत जिद की थी पापाजी से, ‘‘आप ही उसे अपने साथ ले जाया कीजिए पापाजी, मैं मां का हाथ बंटा लूंगी. फिर औफिस भी जाना होता है.’’ पर रामशरण किसी न किसी बहाने से टाल गए. अगले वीक उस की छुटटी सैंक्शन हो गई. जितनी भी छुट्टियां बची थीं, सब ले डालीं. रणवीर तो उसे यह जौब छोड़ कर उसे अपना पसंदीदा एनीमेशन कोर्स कर कुछ बड़ा करने पर जोर दे रहा था जिसे वह अपने घर की परेशानियों के चलते पूरा न कर सकी थी.

‘‘अब ये सब करने की क्या जरूरत है? जो चाहती थी वह कर डालो न.’’ ‘‘ओ थैंक्स डियर, तुम्हें अब भी याद है? मेरा तो सपना ही था. अभी कुछ दिन रुक जाओ, फिर देखती हूं.’’

रणवीर की आंखों में असीमित प्यार देख कर वह निहाल हुई जा रही थी. उसे सब याद आया कि वह ब्लैकबोर्ड पर, कौपी में अकसर सहपाठियों, टीचर के कार्टून बना दिया करती, हूबहू कोई भी पहचान लेता. एक बार प्रिंसिपल शशिपुरी का भी कार्टून बना डाला. अचानक मैम राउंड पर आ गईं. सभी बच्चे हंसी से लोटपोट हुए जा रहे थे. मैम ने अपना कार्टून पहचान लिया और औफिस बुला कर उसे खूब झाड़ा. उस दिन मिस खुराफाती को पहली बार किसी ने रोते देखा था. सब बच्चों को तो मजा आया पर जाने क्यों रणवीर को अच्छा नहीं लगा था, जबकि उस ने उसे कितनी ही बार चिढ़ाया, कितने ही नाम दिए थे. वह सोचता, ‘इसे तो आज इस अनोखी प्रतिभा के लिए इनाम मिलना चाहिए था.’

जयंति के मस्ताना के साथ सुबह टहलने जाने से पार्क में रामशरण और उन के दोस्तों की मस्ती थोड़ी कम हो गई थी. एक तो साथियों में से वह एक की बहू थी, उस पर से उस का खूंखार नजरों से घूरता अल्सेशियन डौग मस्ताना. कभी जयंति शाम को जल्दी घर आती तो वह शाम को भी मस्ताना को ले कर निकल पड़ती सखियों के पास टहलते हुए. फिर तो रामशरण और उन के दोस्तों की शाम भी खराब होती. चाटगोलगप्पे वालों के यहां उन का लड़कियों से छेड़खानीचुहल करने का मजा किरकिरा हो जाता. जयंति अपने मस्तमौला स्वभाव के कारण जल्दी ही नेहा, शिखा आदि लड़कियों से घुलमिल गई. इतवार व छुट्टियों के दिनों में अकसर वे सुबह अपनीअपनी स्कूटी पर पास की पहाड़ी की ओर खुली हवा में सैर कर आतीं. इन बुड्ढों के दिल में हूक उठती, पार्क में रौनक जो नहीं दिखती.

एक दिन आखिर एक बुड्ढे ने कमैंट कर ही दिया, ‘‘अरे, कहां जाती हो घूमने अकेलेअकेले, हमें भी तो कभी घुमा दिया करो, तरस खाओ हम पे.’’ सुन लिया था जंयति ने भी. मस्ताना को ले कर वह थोड़ा आगे बढ़ गई थी नेहा के पास. उस ने नेहा से धीरे से कहा, ‘‘बोल दो, ‘हांहां, एकएक बैठ जाओ स्कूटी पर’ तुम चारों अपनीअपनी स्कूटी पे इन्हें वहीं पहाड़ी के पीछे झरने के पास दूर छोड़ कर वापस आ जाना. आज इन्हें मजा चखा ही देते हैं. फिर सारी आशिकी भूल जाएंगे. मैं फोन पर कौंटैक्ट में रहूंगी. ससुर हैं एक, इसलिए मैं नहीं जा सकती. तब तक मैं घर जा कर वापस मस्ताना को दोबारा टहलाने यहां आती हूं.’’

नेहा ने पलक झपकते ही कहे पर अमल किया और बाकी सहेलियों को आंख मारी.

‘‘हांहां, क्यों नहीं, अंकल, जरूर. हम 4 हैं, आप भी 4 स्कूटी पर बैठ सकेंगे? तो आइए, आप लोग भी क्या याद करेंगे.’’ ‘‘बुड्ढों का चौगड्डा खुशी की बौखलाहट में जल्दी ही एकएक कर के चारों लड़कियों के पीछे मजे लेने बैठ गया. लड़कियों ने आपस में एकदूसरे को आंख मारी, तो बुड्ढों ने अपने साथियों को. सब के अपने मंसूबे थे. लड़कियों ने जो झटके से स्कूटी स्टार्ट की तो अंकल लोगों की मानो हलक में सांस अटक गई. और जो स्पीड पकड़ी तो वे लाललाल हुए मुंह से रोकने के लिए चिल्लाते रहे. लड़कियां आज दूर निकल कर पहाड़ी के पीछे झरने के पास तक चली गईं, जिसे देखने की तमन्ना तो थी पर अकेली वे वहां जाने से डरती थीं. आज मौका मिल गया, एक पंथ दो काज. वे सोचने लगीं कि काश, जयंति भी साथ आ पाती तो कितना मजा आता.

‘‘अंकल, आप लोग यहां पत्थरों पर चैन से बैठो. हम थोड़ा दूसरी ओर से भी देख कर आती हैं.’’ उन्होंने कहा. ‘‘ओके गर्ल्स,’’ बुड्ढे मस्त थे.

‘‘हां जयंति, तुम्हारे कहे अनुसार हम ने चारों बुड्ढों को वहीं झरने के पास धोखे से छोड़ दिया है. अब हम वापस आ रही हैं, आधे घंटे में मिलते हैं, ओके,’’ आगे बढ़ कर नेहा ने जयंति को मिशन पहाड़ी सफल हुआ बता दिया था.

अंकल लोग तो अभी अपनी सांसें ही ठीक कर रहे थे, वे दूसरी ओर के दूसरे रास्ते से निकल कर वापस पार्क पहुंच कर देर तक मजा लेती रहीं. जयंति वहीं इंतजार कर रही थी. मोबाइल पर सारा डायरैक्शन उन्हें वही दे रही थी. ‘‘काश, तू भी साथ चल सकती तो सब की बिगड़ी शक्लें देखती.’’

‘‘कोई नहीं, अब घर पर बिगड़ी शक्लों के साथ बुरी हालत भी देख लूंगी, वह हंसी थी.’’ ‘‘बुरे फंसे सारे बुढ़ऊ. वहां न कोई सवारी, न कोई आदमी. पैदल जब इतनी दूर चल कर आएंगे हांफतेकांपते, तब असली मजा आएगा.’’

‘‘आज अच्छी तरह ले लिया होगा लड़कियों के संग सैर का मजा.’’ ‘‘अब शायद सुधर जाएं और हमें छेड़ने की हिमाकत न करें,’’ सब अपने मिशन पर खूब हंसीं.

अब यह देखो, चारचांद लगाने के लिए और क्या लाई हूं.’’ जयंति बैग से कुछ निकालने लगी तो सभी उत्सुकतावश देखने लगीं. ‘‘अरे वाह, कैप्स, स्कार्फ. कितना प्यारा रैड कलर. पर एक ही कलर क्यों? किस के लिए? हमारे लिए?’’ शिखा, सीमा, नेहा, ज्योति सब खुश भी थीं, हैरान भी.

‘‘अब सीक्रेट सुनो, मेरे फादर इन लौ नई कैप के लिए मेरे हबी से कह रहे थे. मैं ने कहा कि मैं ले आऊंगी, और मैं एक नहीं, 4-4 लाल रंग की टोपियां उठा लाई, इसी चौकड़ी के लिए. जानती हो क्यों? क्योंकि मस्ताना, द हीरो, को लाल रंग से सख्त चिढ़ है. कल पार्क में आ कर बैठने तो दो बुड्ढों को. जब ज्यादा लोग टहल के चले जाते हैं, पार्क तकरीबन खाली हो जाता है. ये बुड्ढे तब भी बैठे मजे ले रहे होते हैं. बस, तभी इन्हें ये गिफ्ट पहना कर और फिर उन्हें मजा दिलाएंगे. आइडिया कैसा लगा?’’ ‘‘हां, स्कार्फ की गांठ जरा कस के लगाना सभी, ताकि जल्दी खोल न सकें वे,’’ शिखा ने कहा तो सभी हंस पड़ीं.

‘‘हां, मैं और शिखा पार्क के दोनों गेट बंद कर के रखेंगी,’’ नेहा ने योजना को सफल बनाने में एक और टिप जोड़ा. ‘‘और मस्ताना को पार्क के अंदर छोड़ कर वहां से थोड़ी देर के लिए बाहर निकल जाऊंगी. फिर मस्ताना अपना काम करेगा और मैं 5-7 मिनट बाद लौट आऊंगी स्थिति संभालने,’’ हाहा, सब खूब हंसीं.

‘‘बुढ़ापे में जब रेबीज की कईकई सुइयां लगेंगी, तो सारी लोफरी निकल जाएगी.’’ उन के सम्मिलित ठहाकों से पार्क गुंजायमान हो उठा. दूसरे दिन कांड हो चुका था. टोपियां संभालते स्कार्फ खोलने की कोशिश में गिरतेपड़तेचिल्लाते उन आशिकमिजाज बुड्ढों की हालत देखने लायक थी. बाकी खड़े लोगों ने भी लड़कियों का साथ दिया.

‘‘जो हुआ, ठीक हुआ इन के साथ.’’ ‘‘अच्छा सबक है. सभी को तंग कर रखा था.’’

‘अच्छा हुआ, सबक तो मिला. जोर किस का बुढ़ापे में जो दिल खिसका,’ रेवती भी चिढ़ से बुदबुदा उठी. पास खड़ी जयंति ने सुना, उन की आंखों में कोई दर्द भी न दिखा तो उसे राहत मिली कि वह उन की दोषी नहीं है. पास के अस्पताल में रोज इंजैक्शन लगवाने जाते दोस्त आंसुओं में कराहते हुए मिलते, पर कुछ न कह पाते न आपस में, न घर वालों से, न ही और किसी से. जयंति की टीम ने उन्हें एक नारे से सावधान कर दिया था, ‘जब तक बहूबेटियों के लिए इज्जत आप के पास, तब तक खैर मनाओ आप…वरना और भी तरीके हैं अपने पास…’

फिल्म बैड न्यूज में दिखाए गए इंटिमेट और न्यूड सीन से संजय दत्त को है सख्त ऐतराज

अपनी असल जिन्दगी में 308 प्रेम संबंध रखने वाले  और जेल की हवा खा चुके संजय दत्त को बैड न्यूज में विक्की कौशल और तृप्ती डिमरी पर फिल्माए गए इंटिमेट और न्यूड सीन को लेकर सख्त ऐतराज है. जो की फिल्म में दो तीन बार दिखाए गए हैं. जहां एक और बैड न्यूज़ बौक्स औफिस पर अच्छा कलेक्शन कर रही है. वहीं दूसरी तरफ एक खास वर्ग इस फिल्म में दिखाए गए इंटिमेट और न्यूड सीन को लेकर फिल्म की आलोचना भी कर रहे हैं.

इसी श्रेणी में हाल ही में संजय दत्त ने भी एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने इस फिल्म की आलोचना करते हुए कहा है कि बौलीवुड फिल्मों का स्तर दिन पर दिन गिर रहा है. जिससे हमारे देश का और बौलीवुड फिल्मों का नाम खराब हो रहा है. नए कलाकार जल्दी सफलता पाने के लिए गंदेगंदे सीन देकर प्रसिद्धि पाना चाहते हैं. जिसके चलते हमारे बौलीवुड फिल्मों का भविष्य खतरे में है. क्योंकि इस तरह के सस्ते और घटिया दृश्यों की वजह से दर्शक फिल्म देखने थिएटर तक नहीं पहुंच रहे. संजय दत्त ने खास तौर पर बैड न्यूज़ में विकी कौशल और तृप्ति डीमरी के बैड सीन्स को लेकर यह तानाकशी की है.

गौरतलब है तृप्ति डीमरी ने इससे पहले भी फिल्म एनिमल में बोल्ड सीन और इंटिमेट सीन खुल कर दिए हैं. एनिमल से पहले भी तृप्ति ने कुछ फिल्में की है . जिससे उनका खास पहचान नहीं मिली. लेकिन एनिमल में अंग प्रदर्शन और सेक्सी सीन के बाद उनको कई फिल्मों के औफर आए. जहां तक संजय दत्त का सवाल है तो संजय दत्त का ऐतराज ठीक वैसा ही है जैसे हम करें तो रासलीला और दूसरा करे तो करेक्टर ढीला. कहने का तात्पर्य है यह है कि की संजय दत्त ने अपने फिल्मी करियर में तमाम लव और इंटिमेट सीन किये हैं लेकिन अब वही दूसरे कर रहे है तो उनको बौलीवुड फिल्मों और देश की बदनामी की चिंता सता रही है .

नागिन एक्ट्रैस Mouny Roy का बढ़ गया था 30 किलो वजन, इस बीमारी की वजह से कर रही थी बैडरैस्ट

नागिन फेम एक्ट्रैस मौनी राय (Mouny Roy) कई टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी हैं. वह अपनी एक्टिंग के साथसाथ परफैक्ट फिगर के लिए भी जानी जाती हैं. एक्ट्रैस ने टीवी के अलावा बौलीवुड फिल्मों में भी काम किया है. मौनी राय ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया है.

3 महीने तक बैडरेस्ट पर थीं

मौनी ने बताया कि नागिन सीरियल करने से पहले उनका वजन 30 किलो बढ़ गया था जिसके कारण एक्ट्रैस परेशान हो गई थी. मौनी राय ने वजन बढ़ने का कारण बैडरैस्ट बताई.

एक्ट्रैस को हुई थी ये बीमारी

दरअसल नागिन फेम एक्ट्रैस को 7-8 साल पहले L4-L5, स्लिप डिस्क डिजनरेशन और कैल्शियम स्टोन था. जिस वजह उन्हें ज्यादा दवाइयां खानी पड़ती थी और वह 3 महीने तक बैड रैस्ट पर थी. ऐसे में उनका वजन 30 किलो बढ़ गया था.

वजन बढ़ने की वजह से लगा था जिंदगी खत्म हो गई

मौनी ने आगे बताया कि इतना वजन बढ़ने के बाद उन्हें लगा था कि उनकी जिंदगी खत्म हो गई. एक्ट्रैस ने यह भी कहा उस समय वह लाइमलाइट में नहीं थी. इस वजह उन्हें किसी ने देखा नहीं था.

मौनी राय ने कैसे कम किया अपना वजन

वजन कम करने के लिए मौनी ने दवाइयां खाना कम कर दी. ऐसे में उनके वजन पर फर्क पड़ा. एक्ट्रैस ने कुछ दिनों तक जूस पिया फिर उन्हें अहसास हुआ कि यह वजन कम करने का अनहैल्दी तरीका है.
फिर उन्होंने खाना शुरू किया, पहले वह बहुत ज्यादा खाना खा लेती थी लेकिन वेट कंट्रोल करने के लिए खाना कम कर दिया. एक्ट्रैस ने आगे बताया कि वह एक न्यूट्रिशनिस्ट के पास पहुंची, जो उनका वेट कंट्रोल करने में काफी मदद की.

क्यों होती है स्लिप डिस्क

बदलते लाइफस्टाइल की वजह से स्लिप डिस्क की समस्या किसी को भी हो सकती है. यह शारीरिक कमजोरी से संबंधित बीमारी है. गलत पौस्चर में बैठना, काम की वजह से देर तक बैठे रहना रीढ़ की सेहत पर भारी पड़ता है. पहले जहां लोगों को बढ़ती उम्र में स्लिप डिस्क की समस्या होती थी आज युवा भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं.

दरअसल, हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में 33 कशेरुकाएं यानी हड्डियों की श्रृंखला होती है और ये डिस्क से जुड़ी रहती है. एक्सपर्ट के अनुसार, ये रबड़ की तरह होती है, जो हड्डियों को जोड़ने और लचीलापन बनाए रखने में मदद करती हैं. ये डिस्क रीढ़ की हड्डियों के सुरक्षा कवच होते हैं.किसी भी वजह से चोट लगने या कमजोरी के कारण डिस्क का आंतरिक भाग बाहरी रिंग से बाहर निकल सकता है, इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है.

स्लिप डिस्क होने के लक्षण

  • जब कमर में तेज दर्द हो, जो बिलकुल बर्दाश्त करने लायक नहीं होता है. ऐसे में कमर की सारी मांशपेशियां जकड़ने लगती है, इस कंडिशन में व्यक्ती ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता है.
  • स्लिप डिस्क होने पर उन हिस्सों में झनझनाहट और जलन महसूस होती है. वहां की मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती है.
  • खांसते या छींकते समय भी गर्दन, पीठ के ऊपरी हिस्से या बांहों के नीचे दर्द होता है.
  • सिर और गर्दन को पीछे झुकाने या ऊपर देखने पर पीठ के ऊपर वाले हिस्से में दर्द रहता है.

फेस्टाग्राम : भावी सासूमां और बहू हो गई रील्स लवर्स

आजकल छोटे कसबों में रहने वाली औरतों को कोई पिछड़ा हुआ न सम झे. इन छोटे कसबों की औरतें पहननेओढ़ने और पार्टी करने के मामले में शहर वालियों को भी पीछे करने लगी हैं.

अभी परसों कविता के यहां पर किट्टी पार्टी थी जिस में मेरी मुलाकात सनोबर से हुई. अरे वही सनोबर जो एक छोटे से गांव से आई थी. भाई वाह, क्या कमाल का कायाकल्प हो गया है उस का जब वह अपने गांव से इस कसबे में रहने आई थी तो उस के चेहरे पर छोटी जगह से होने के कारण एक डर और दबेपन का भाव  झलकता रहता था और बातचीत करने में भी हिचकती थी पर अब तो उस के चेहरे की चमक कुछ और ही बयां करती है.

सनोबर के लंबे बालों की जगह अब छोटे बालों ने ले ली है, कपड़ों में भी आधुनिकता की  झलक है जो थोड़े से छोटे हो गए हैं और उस

का शरीर भी किसी सांचे में ढला हुआ सा लगता है. अब तो ऐरोबिक कसरतें करती है वह और उस का सावलां रंग भी अब तो गोरागुलाबी हो चला है.

‘‘इतना फिट और खूबसूरत कैसे रह लेती हो सनोबर?’’ मैं ने हलकी सी  िझ झक के साथ कहा तो सनोबर ने दंभ भरे अंदाज में मु झे बताया कि यह सब सफलता की चमक है, सफलता? कैसी सफलता? मेरी आंखों में छिपे सवाल को भांप कर सनोबर ने समाधान करते हुए बताया कि दरअसल वह डांस के रील्स बनाती है और फिर उन्हें इंस्टाग्राम और अन्य तमाम तरह के सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर अपलोड करती है और फिर लोग लाइक और कमैंट करते हैं और उस की रील्स पसंद आने पर उसे फौलो भी करते हैं. सनोबर के 5 हजार से भी ज्यादा फौलोअर्स हैं और इतने फौलोअर्स होने से उसे एक तरह से सैलिब्रिटी स्टेटस तो हासिल है ही, साथ ही साथ वह इन रील्स को बना कर पैसे भी कमाती है.

कहीं न कहीं सनोबर की सफलता ने मु झे भी इंस्पायर किया कि मैं भी कुछ करूं और आजकल भला रील्स बनाने से ज्यादा सरल क्या होगा? किसी अधिक ताम झाम की जरूरत नहीं, थोड़ाबहुत शक्लसूरत ठीक हो तो अच्छी बात है और अगर नहीं भी हो तो फिल्टर लगा कर काम चल जाता है, बस शुरुआती दौर में लोग आप को लाइक करने लगें तो आगे का काम और आसान हो जाता है. हां तो लोगों के लाइक आने में कौन सी कठिनाई है. अरे भले मैं एक ट्रैंड डांसर न सही पर बचपन में पड़ोस वाली आंटी को भरतनाट्यम करते देखते थे तभी से क्लासिकल डांस के प्रति रुचि जागी थी और

मैं शौकिया क्लासिकल डांस करने लगी थी और अब तो मेरे पास सीखने के लिए इंटरनैट उपलब्ध है तो ऐसे में जब मैं अपनी क्लासिकल डांसिंग मूव्स दिखाऊंगी तो लोग मुझे जरूर पसंद करेंगे और मेरी रील को वायरल होने से कौन रोकेगा भला?

मगर मेरे साथ एक कड़क सासससुर की निगरानी की समस्या भी थी. शायद ही मेरी सासूमां को मेरा डांस करना भाता. पर कला तो कला है और उसे दबा कर रखने में उस का नष्ट हो जाना तय है, यही सोच कर मैं ने अपनी डांस की एक पोशाक निकाली जिसे मैं ने अपने रिश्तेदार की शादी में जाने के लिए खरीदा था. अब इस में ढेरों सिकुड़नें पड़ चुकी थीं क्योंकि जब मेरी बेटी गर्भ में थी तभी इसे अलमारी में रख दिया गया था और अलमारी की सफाई के दौरान ही इसे निकालते और धूप में सुखाकर वापस रख दिया जाता और आज पूरे 5 साल बाद इसे पहनने के मकसद से बाहर निकाला गया है. पोशाक की हालत देख कर इसे ड्राई क्लीन की जरूरत महसूस हुई तो फट से इसे कसबे की सब से अच्छी लौंड्री से ड्राईक्लीन कराया.

लांड्री वाले भी बड़े पारखी होते हैं, कपड़े के वजन और डिजाइन देखकर पोशाक की अहमियत जान लेते है और उसी के अनुसार बिल को ज्यादा या कम बनाते हैं.

खैर, कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है. मन में ललक थी एक सैलिब्रिटी स्टेटस पाने की सो मैं ने बिल चुकाया और चौराहे वाले पार्लर में चेहरे का रंगरोगन कराया. किसी भी नृत्य की विधा में चेहरे और आंखों के उपयोग की अहमियत को तो आप जानते ही हैं इसलिए आंखों पर मेकअप वाली लड़की को विशेष ध्यान देने को कहा. चेहरा ठीक हुआ तो घर आ कर डांस के लिए जगह तलाशनी थी मैं ने क्योंकि डांस ऐसी जगह करना था जो मेरी सास को बिलकुल डिस्टर्ब न करे.

वैसे तो मेरी सास हर घरेलू काम में परफैक्ट हैं और ऐसा ही परफैक्शन वे मु झ से चाहती हैं पर शायद ही वे कभी मेरे काम से संतुष्ट रही हों पर फिर भी हम सासबहू का रिश्ता ठीकठाक ही चल रहा था. इसलिए नीचे के कमरों को छोड़ कर मैं ने अपनी छत को चुना क्योंकि वहां पर कोई डिस्टरबैंस भी नहीं होगी और ठीक रोशनी मिलेगी जिस से वीडियो की क्वालिटी अच्छी आएगी.

वीडियो शूट करने के लिए पड़ोस की 20 साल की लड़की गरिमा को मैं ने अपना मोबाइल थमाया और बड़े ही मनोयोग से भरतनाट्यम की मुद्राएं बना कर नृत्य करने लगे. अभी थोड़ा ही वीडियो बना था कि मेरी 5 साल की बिटिया छुटकी रोने लगी. उस के रोने से

मेरी सास का ध्यान उस तरफ गया और वे तो मेरी रील्स बनाने और नाचने की तैयारियों को देख कर पहले से मुंह बनाए बैठी थीं सो अब

उन्हें मुझ पर चिल्लाने का पूरा अधिकार मिल चुका था. ‘‘अरे आजकल तो औरतों को अपने नाचगाने से फुरसत ही नहीं, जब बच्चे नहीं संभाले जाते तो उन्हें पैदा ही मत करो, हमारे जमाने में तो…’’ और इस के आगे सास ने क्याक्या कहा मैं ने सुनने की कोशिश भी नहीं करी और चुपचाप अपने कमरे में आ कर बेटी को चुप कराने लगी.

कुछ सासूमां की बातें और कुछ डांस ठीक से न कर पाने के कारण मन खिन्न हो चुका था और वैसे भी इतने दिनों से डांस करना छूट चुका था सो शरीर का लचीलापन भी कम हो गया था और मैं हांफने लगी थी. अगले कई दिनों तक मैं ने डांस नहीं किया पर फिर एक दिन जब सासूमां मार्केट गई थीं तब गरिमा की जिद पर मैं ने फिर से डांस किया और एक छोटा सा वीडियो बना कर रील के रूप में इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया और तमाम हैशटैग बना कर अपने दोस्तों को टैग भी करना नहीं भूली.

रील के पोस्ट होने के ठीक बाद ही मैं लाइक्स और कमैंट का इंतजार करने लगी और इसी उम्मीद में घर का सब काम छोड़ कर आती और मोबाइल में नोटिफिकेशन चैक करती पर रात तक सिर्फ 10-12 लाइक्स ही आए थे. थोड़ी निराशा जरूर हुई पर वैसे मैं ने रील बनाने से पहले गूगल पर पढ़ा था कि रील बनाते ही आप फेमस नहीं हो जाओगे बल्कि इस के लिए बहुत धैर्य रखना होगा.

मुझे निराश देख कर गरिमा ने मुझे इशारों

में बताया कि लोग मसालेदार वीडियो ज्यादा देखना चाहते हैं. ऐसे में भला मेरे शुद्ध भरतनाट्यम के मूव्स को भला कौन देखना चाहेगा? और हो सकता है कि मेरे वीडियो

ठीक औडियंस तक पहुंच ही न पा रहे हों. अभी मैं दुविधा में ही थी कि मेरे पति कुमार आ गए. वे थोड़े परेशान लग रहे थे. कारण

पूछने पर पता चला कि कंपनी ने कुमार का प्रमोशन कर के उन का ट्रांसफर भी कर दिया है और अब उन्हें इस पैतृक कसबे को छोड़कर कानपुर जाना होगा,

ट्रांसफर का नाम सुनते ही मां और पापा का मन भारी हो गया. होता भी क्यों नहीं? कुमार को लखनऊ से अपनी ग्रैजुएशन खत्म करते ही जौब मिल गई थी और उन की कंपनी ने उन के पैतृक कसबे में ही अपने काम के विस्तार के लिए भेज दिया था. बड़े कम लोग होते हैं जिन्हें उन के मांबाप के पास रह कर ही नौकरी मिल जाती है और मांबाप की सेवा का अवसर भी पर अब तो इन्हें कानपुर जाना था.

रात का खाना किसी से नहीं खाया गया, मु झ से भी नहीं. सुबह सासूमां ने बनावटी हिम्मत दिखाते हुए कहा, ‘‘कानपुर कौन सा दूर है, हम दोनों हर महीने आते रहेंगे अपनी छुटकी के पास.’’

‘‘तो क्या आप लोग हमारे साथ नहीं चलोगे?’’ कुमार के इस सवाल के जवाब में बाबूजी ने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में अपना घर छोड़ कर कहीं और नहीं जाना.

कुमार ने बहुत रिक्वैस्ट करी पर मांपापा नहीं माने, कुमार के साथ मु झे भी कानपुर जाना पड़ा. जब से ब्याह कर आई थी तब से इसी घर में सासससुर के साथ रही पर अब उन से दूर जाना थोड़ा बुरा तो लग ही रहा था पर अपने पति के साथ किसी बड़े शहर में जाना, बड़ी बिल्डिंगों के फ्लैट में रहना, मौल में ऐस्कलेटर पर चढ़तेउतरते हुए सैल्फी लेना यह सब मन को सुहा तो रहा ही था और फिर कुमार के साथ जब अकेली रहूंगी तो जी भर कर मनचाही रील्स भी तो बना सकूंगी, ये सब सोचते हुए उत्साह बढ़ रहा था, जरूरी पैकिंग कर ली गई थी और अगले दिन हम कानपुर के लिए रवाना हो गए.

कानपुर में फ्लैटरूपी आवास, कुमार की कंपनी ने दिलाया था इसलिए हमें कोई परेशानी नहीं हुई. हम ने अपना सामान भी सैट कर लिया और डिनर बाहर जा कर किया. नई जगह में आ कर मन प्रफुल्ल था और अपने कानपुर प्रवास के दूसरे ही दिन मैं ने धड़ल्ले से रील्स बनानी शुरू कर दीं. यहां तो सास की कोई पाबंदी भी नहीं थी. मैं ने कुछ नई साडि़यां खरीदीं और नाभिप्रदर्शना ढंग से बांध कर हिंदी फिल्मों के गानों पर रील्स बना इंस्टाग्राम पर पोस्ट कीं जिन पर अपेक्षाकृत कुछ अधिक लाइक्स भी आए थे. मु झे लगा कि इंस्टाग्राम पर स्टार बनने से मु झे कोई नहीं रोक सकता पर ऐसा नहीं था क्योंकि महीनों बीत जाने पर और सैकड़ों रील्स डालने के बाद भी मेरी कोई रील ऐसी नहीं थी जिस के हजारों लाइक्स आए हों और यह काम काफी कठिन है यह हमारी सम झ में आ चुका था.

इंस्टाग्राम से मन हटा तो पड़ोसी रीना ने फेसबुक का नाम कुछ लिखने और फोटोज पोस्ट करने के लिए सु झाया, मु झे ठीक लगा कि फेसबुक पर कोई किस्साकहानी लिखा जाए. मसलन, पहलेपहल मैं ने लिखा, ‘‘सिर में तेज दर्द है, कुछ अच्छा नहीं लग रहा.’’

इस छोटी सी बात के बदले कई राय और घरेलू नुसखे बताने वाले कमैंट आ गए. जुड़े लोगों की संख्या देख कर भी उत्साह जगा और फिर कुछ और लिखने को प्रेरित हुई. कभी कविता तो कभी बचपन की यादें तो कभी अपनी नन्ही बेटी की शैतानियों के बारे में लिखती रही तो मेरी पोस्ट अच्छे ढंग से वायरल होने लगीं, कभी लिखने को कुछ न होता तो मनगढ़ंत कहानी बना कर पोस्ट कर देती. अब तो मेरे कई रिश्तेदार भी मुझ से सोशल मीडिया पर जुड़ने लगे और मेरी तारीफ करने लगे थे.

कहते हैं कि अच्छा समय बहुत जल्दी गुजर जाता है. मुझे कानपुर आए कब 1 साल हो गया पता ही नहीं चला और आज ही सासूमां का फोन आया था कि वे कल शाम को कानपुर हमारे पास आ रही हैं.

अब जब से मैं ने अपनी सास के आने की खबर सुनी थी तब से तो मेरे होश ही उड़ गए. यहां पर 2 कमरों के फ्लैट में काम ही कितना था? कुमार लंच ले नहीं जाते थे सो अपने लिए 4 परांठे बना कर ही काम चला लेती थी. कभी जोमैटो का सहारा ले लेती. इधर जब से लिखना शुरू किया तब से तो और भी काहिल हो गई थी और मन को यह कह कर सम झा लेती कि अरे अब तू बड़ी फेसबुकिया लेखक हो गई है. इतना आराम तो कर ही सकती है पर अब सासूमां आ रही हैं तो सब से पहले तो वे मेरी किचन में  झांकेंगी और किचन के सारे कनस्तरों में उन्हें घुन और कीड़े ही नजर आएंगे. किचन से ही लगा हुआ एक छोटा सा स्टोर था. मैं ने सोचा लगे हाथों इस का भी मुआयना कर लूं सो देखा कि 2 किलोग्राम चने की दाल में घुन लग चुका था और चावलों में भी कीड़े पड़ गए थे.

1 लिटर पुराना शहद भी मिला, सोचा  झाड़ू करने वाली रजनी को यह सामान दे दूंगी पर उस ने भी मुंह बना कर कह दिया, ‘‘इस में तो अनाज से ज्यादा घुन है मैडम हम ऐसा सामान नहीं खाते.’’

मन मसोस कर मैं फिर से स्टोर में रखे सामान को तलाशने की नीयत से गई तो देखा कि अचार में फफूंद लगी हुई है और नीबू का अचार भी खराब हो रहा है. वैसे इतना सब सामान लाने में कुमार की गलती है. अरे, जब कम खर्चा है तो छोटी पैकिंग वाला सामान लाओ भला किलोकिलो क्यों लाते हो? मैं बहुत  झुं झुलाई और वहां अचार के डब्बे को हाथ में ले कर एक सैल्फी खींची और फेसबुक पर अपलोड कर दी. उस के साथ में कैप्शन लिख दिया कि कड़क और सख्त सासूमां के आने के साइड इफैक्ट. आगे लिखा कि जब सासूमां के साथ रहती थी तब उन्होंने रील्स बनाने को मना कर दिया था अब वे फिर से मेरे पास आ रही हैं,पता नहीं फेसबुक पर आप लोगों से कब मुलाकात होगी और इतना लिख कर बड़ी जल्दी से पोस्ट का बटन दबा दिया और मुक्त भाव से बिखरे सामान को ठीक करने में लग गई.

शाम तक काफी हद तक घर ठीक भी हो गया, अचानक मन में खयाल आया कि भले ही यह फ्लैट छोटा है, थोड़ाबहुत पैदल चल कर ही काम हो जाता है पर कितना अच्छा होता कि वेनिस की तरह यहां भी चारों तरफ पानी होता और एक से दूसरी जगह जाने के लिए हमें सुंदरसुंदर नावों का सहारा लेना पड़ता. खयाल अच्छा था पर अभी मैं इन खयालों में और डूबती कुमार के फोन ने मेरे विचारों पर रोक लगा दी.

‘‘अरे वह तुम्हारी चचेरी ननद बेबी का फोन आया था, बड़ी तारीफ कर रही थी तुम्हारे फेसबुकिया लेखन की और वह जो तुम ने मेरी मां पर कोई पोस्ट डाली है उस के बारे में भी जिक्र कर रही थी.’’

पोस्ट और अपनी चचेरी ननद का नाम सुनते ही मेरे मन में कुछ खटका. मैं सम झ गई थी कि अब तक मेरी सासूमां तक वह अचार वाली पोस्ट तो पहुंच ही गई होगी और सासूमां के बारे में लिखे शब्द उन्हें बता भी दिए गए होंगे.

मैं ने तुरंत मोबाइल खोला और पोस्ट हटानी चाहीें पर अब तक तो उस पोस्ट पर सैकड़ों लाइक्स आ चुके थे और इतनी देर में तो मेरी ननद ने अपना काम कर ही दिया होगा पर अब मैं सिर्फ इस पोस्ट को डिलीट करने के अलावा कर ही क्या सकती थी.

शाम को सासससुर आ गए ढेरों सामान लाए थे जिस में देशी घी और अचार मुख्य रूप से था, मेरी बेटी तो अपने दादादादी से अलग ही नही हो रही थी.

सच कहूं तो सासूमां के सामने काफी असहज महसूस कर रही थी मैं और उस का कारण मेरी सासूमां के हैशटैग वाली पोस्ट थी, पर तीर तो कमान से निकल ही चुका था इसलिए मैं पूरे मनोयोग से सासूमां की सेवा करने में लग गई. उन की पसंद का पूरा ध्यान रखा और देर रात तक उन के पास बैठ कर पुरानी यादों को ताजा करती रही.

‘‘तुम्हारी ननद बेबी कह रही थी कि अब तुम बड़ी अच्छी कविताकहानी लिखने लगी हो.’’

मैं यह बात सुन कर सन्न रह गई कि निश्चित ही बेबी ने सासूमां को उस पोस्ट के बारे में सबकुछ बता दिया होगा तभी तो वे पूछताछ कर रही हैं. मैं हकला गई.

सासूमां ने आगे कहना शुरू किया, ‘‘अरे तू चाहे नाचे या गीत लिखे या गाए पर जो भी कर एक स्त्री की मर्यादा में रह कर कर. उस कसबे में थे तो हमें भी आसपास की लोकलाज का ध्यान रखना था, परिवार की इज्जत का खयाल रखने के लिए हम ने भी घूंघट में जीवन काट दिया पर अब जीवन की सां झ आ गई है, अब तक तो हम ने सब का ध्यान रखा और अब भी हम लोगों के लिए जीते रहेंगे तो भला हम कब जीवन जी पाएंगे इसलिए अब जो हमें अच्छा लगेगा हम वही करेंगे.’’

सासूमां थोड़ा रुकीं और फिर बोलीं, ‘‘वह जो तुम लोगों का नाच का अड्डा है न वह जो ग्राम है न, क्या कहते हैं उसे? हां इंस्टाग्राम, उस जगह पर आजकल तो बहुएं अपनी सास के साथ मिल कर खूब रील्स बनाती है. अरे, अब हम से नाचवाच तो होगा नहीं पर कुरसी पर बैठेबैठे आंखों के इशारे तो हम भी कर सकते हैं.’’

सासूमां शरमाते हुए कह रही थीं. मैं अब तक उन की सारी मजबूरी और छोटी जगह में रहने के कारण एक दायरे में बंधे रहने की विवशता सम झ चुकी थी.

इतनी देर में दूसरे कमरे से कुमार और ससुर साहब उठ कर हमारा डांस देखने के लिए आ गए थे और सब सासूमां का यह रूप देख कर मारे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे.

फट से मैं ने मोबाइल उठाया और अपनी सासूमां के साथ एक छोटा सा शूट किया. पाशर्व में गाना बज रहा था, ‘‘सास गाली देवे, ननद चुटकी लेवे ससुराल गेंदा फूल…’’

गाना भले ही बहुत  झुमाने वाला नहीं था मगर सोलफूल था जिस में सासूमां पहले तो बैठेबैठे अपने ऐक्सप्रैशन देती रहीं पर फिर वे जल्दी से बैड से उतर कर मेरे साथ नाचने लगीं और तब तक नाचती रही जब तक वे थक नहीं गईं. यह देख कर ससुर और कुमार भी हमारे साथ नाच में शामिल हो गए थे.

इसी बीच मैं सब की नजर बचा कर इस मजेदार मौके को फेसबुक और इंस्टाग्राम दोनों जगह लाइव और पोस्ट करने में लग गई थी. इंस्टाग्राम पर रील्स के रूप में तो फेसबुक पर एक कहानी के रूप में.

मैं और मेरी सास के भले ही फौलोअर्स नहीं थे पर हम दोनों अपनेआप में ही एक सैलिब्रिटी स्टेटस हासिल कर चुकी थीं और मेरी ससुराल सच में एक गेंदाफूल ही तो थी जिस मे रिश्तों के रंग थे, आपसी प्रेम की सुगंध थी. यहां इंस्टाग्राम की रील्स थी तो फेसबुक की कहानियां भी और मैं और मेरी सास अब मिल कर चला रहे थे जीवन का फेस्टाग्राम.

दोस्त की बीवी मुझ से संबंध बनाना चाहती है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मुझे अपने कलिग से अच्छी दोस्ती हो गई और हमारी यह दोस्ती पारिवारिक भी होती जा रही है. वह भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता है और मेरी भी कुछ दिनों पहले ही शादी हुई है, तो मैं भी अपने पत्नी के साथ रहता हूं. हम दोनों का अकसर एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता है.

मेरे दोस्त की पत्नी 2 बच्चों की मां है, लेकिन उस ने अपने फिगर को बहुत खूबसूरती से मैंटेन किया है. वह जिम भी जाती है. वह दिखने में बहुत खूबसूरत है. अभी कुछ दिनों पहले मेरी पत्नी मायके गई थी। ऐसे में मैं रात का खाना खाने अपने दोस्त के घर गया था. जब मैं उस के घर गया तो भाभीजी ने मुझे खाना खिलाया। मेरा दोस्त कहीं बाहर गया था. किचन में कुछ सामान गिरने की आवाज आई. मैं इसी बहाने भाभीजी के करीब गया. वह मना नहीं की और हम दोनों बच्चों से छिप कर एक कमरे में चले गए। भाभीजी ने बताया कि पति को घर आने में समय लगेगा. मैं ने उन्हें किस किया.

मैं इंटिमेट होने के लिए फोरप्ले कर ही रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी. हम दोनों चौंक गए और खुद को संभाला. भाभीजी तो कमरे से बाहर निकल कर दरवाजा खोलने चली गईं, मैं अभी कमरे से बाहर जा ही रहा था कि मेरे दोस्त ने मुझे देख लिया, लेकिन उसे शक नहीं हुआ. उस ने बस इतना ही पूछा कि मेरा कमरा कैसा लगा? मैं ने बात बनाते हुए कहा कि भाभीजी ने कमरे को काफी अच्छे तरीके से सजाया है. वह भी बस मुझे ही देखे जा रही थी.

अब जब भी मैं दोस्त के घर जाता हूं मेरी निगाहें भाभीजी पर होती हैं। वे भी उसी निगाह से मुझे देखती हैं. मेरी पत्नी भी मेरे पास आ गई है. मैं जब भी उस के साथ सैक्स करता हूं तो मुझे भाभीजी की याद आती है. सोचता हूं कि कब मैं अपनी अधूरी इच्छा पूरी कर पाऊंगा. इसी वजह से किसी भी काम में मन नहीं लगता. आप ही बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

देखिए, आप शादीशुदा हैं और जिस महिला से आप संबंध बनाना चाहते हैं, वह आप के दोस्त की पत्नी है जिस के 2 बच्चे भी हैं. कोई भी किसी के प्रति आकर्षित हो सकता है, लेकिन शादीशुदा जिंदगी को अनदेखा कर अपने सुख के लिए मन में ऐसी इच्छा पालना गलत साबित हो सकता है.

अभी आप की नईनई शादी हुई है. आप की पत्नी को आप से ढेर सारी उम्मीदें होंगी. ऐसे में आप अपनी पत्नी को प्यार और सम्मान दें. उन की इच्छाओं को पूरी करें. आप कहीं घूमने जाएं। जो प्यार आप अपने दोस्त की पत्नी को देना चाहते हैं, वह प्यार आप अपनी पत्नी को दें. इस से आप की भी जिंदगी बेहतर होगी और दोनों दोस्त का घर भी टूटने से बच जाएगा.

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