शरारा सेट में हीरामंडी एक्ट्रैस ने फैशन वर्ल्ड में मचाया धूम, जानें इस ड्रैस से जुड़ी दिलचस्प बातें

इंडिया काउचर वीक 2024 में बौलीवुड एक्ट्रैसेस अपने फैशन का जलवा दिखा रही हैं. यह फैशन प्रेमियों के लिए बेहतरीन मौका है. यह शो 24 जुलाई से शुरू हुआ और 31 जुलाई 2024 तक चलेगा. आठ दिन के इस कार्यक्रम में 14 शो आयोजित होने वाले हैं. इस कार्यक्रम के छठें दिन जयंती रेड्डी ने बेहतरीन डिजाइन पेश कीं. इनकी डिजाइन की हुई डैसे में अदिति राव हैदरी ने कैरी किया था.

एक्ट्रैस शरार सेट में वह हूर की परी दिखाई दे रही थी. जब अदिति रैंप वाक कर रही थी, तो सबकी निगाहें उन पर टीकी थी. वह पेप्लन टौप और शरारा में बेहद खूबसूरत दिखाई दे रही थी. इस आउटफिट को सीक्विन एम्ब्रायडरी से सजाया गया है. अदिति राव हैदरी ने अपने लुक को चोकर नेकेलेस से कम्पलीट किया था. एक्ट्रैस का यह शाही अंदाज लुक ने रैंप पर चार चांद लगा दिया.

हालांकि इस ड्रैस को लेकर अक्सर लोग कन्फ्यूज होते हैं कि गरारा और शरारा एक ही ड्रैस है या अलगअलग. आज हम आपके इस कन्फ्यूजन को दूर करेंगे और इन ड्रैस के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे.

गरारा और शरारा में क्या है अंतर

इन दिनों ये ड्रैस काफी ट्रैंड में है. जिसे आम लड़कियों से लेकर सेलिब्रेटी तक इस ड्रैस को पार्टी या फंक्शन में पहन रही हैं. इस आउटफिट को नवाबी पोषाक कहा जाता है. वैसे तो ये आउटफिट एक जैसे ही दिखते हैं, लेकिन ये जानना जरूरी है कि दोनों ड्रैस में क्या अंतर है.

गरारा

गरार एक पारंपरिक पहनावा है, जिसकी शुरुआत नवाबों के शहर लखनऊ से हुई थी. इस ड्रैस को खासकर मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं. ये ड्रैस महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगाता है.
गरारा की सबसे खास बात होती है कि इसके पैंट चौड़े होते हैं. यह पैंट 12 मीटर के अधिक कपड़े से भी बना होता है. गरारा डुपट्टे के साथ पहना जाता है. उस समय यह ड्रैस दरबार की महिलाओं का पसंदीदा परिधान बन गया. जो महिलाएं ये ड्रैस पहनती थीं, उन्हें फैशनेबल माना जाता था.

गरारा का पायजामा घुटने तक फिट और उसके नीचे काफी घेरदार होता है. पायजामा के घुटने पर जरी या गोटा का काम होता है. इस वजह से यह ड्रैस दो भागों में दिखता है. इसके साथ घुटने तक की लंबाई के कुर्ते पहना जा सकते हैं या महिलाएं इससे छोटे कुर्ते भी पहनती हैं. पहले गरारा बनाने के लिए केवल रेशम के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आज के समय में तो किसी भी कपड़े से गरारे बना दिए जाते हैं.

शरारा

इसे भी मुगल काल का ड्रैस माना जाता है.  शरारा एक पैंट स्टाइल बाटम वियर होता है. यह कमर से एकदम फीटिंग होता है, लेकिन नीचे की तरफ फुल घेरदार होते है. पहले के जमाने में इसे सिर्फ कुर्ती के साथ पहना जाता था, लेकिन अब शरारा छोटे से कुर्ते के साथ भी पहन सकती हैं. जिससे एलिगेंट लुक मिलेगा. इसे ब्लाउज या क्रौप टौप के साथ भी पहना जा सकता है. कई बौलीवुड एक्ट्रैसेस ने इस ड्रैस को स्क्रीन पर पहने नजर आईं हैं. सारा अली खान, करीना कपूर, दीपिका पादुकोण जैसे एक्ट्रैस ने इस ड्रैस को पहने स्टाइलिश लुक में दिखाई दी हैं.

समय के साथ बहुत बदल गया है भाई बहन का रिश्ता

भाई बहन के बीच का रिश्ता बहुत खास होता है. दोस्ती आती जाती रहती है लेकिन आप अपने भाई या बहन के साथ उम्र भर बंधे रहते हैं. यह रिश्ता अक्सर किसी व्यक्ति के जीवन में सब से लंबे समय तक चलने वाले रिश्तों में से एक होता है. आप एक ही माहौल में बड़े होते हैं, एक ही मातापिता से पैदा होते हैं और समान यादें और समान अनुभव साझा करते हैं.

इंटरनेशनल जर्नल औफ बिहेवियर डवलपमेंट में प्रकाशित एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि चरित्र निर्माण में भाई बहन का अच्छा रिश्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाई-बहन से अच्छा रिश्ता मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है और किशोरावस्था में जोखिम भरे व्यवहार के खतरे को कम करता है. इसी तरह अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ मिसौरी के मानव विकास एवं परिवार विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक शोधकर्ता सारा किल्लोरेन के मुताबिक अपने भाई-बहनों के साथ रिश्तों के आधार पर लोग सीखते हैं कि दूसरों से कैसे व्यवहार किया जाए. ऐसे भाई बहन जो एक दूसरे के विरोधी और नकारात्मक होते हैं वे अपने समकक्षों के साथ भी उसी प्रकार का व्यवहार करते हैं.

यह सच है कि विकास और आधुनिकता की तीव्र लहर ने सब से ज्यादा असर अगर किसी पर डाला है तो वे हमारे रिश्ते ही हैं. इंटरनेट, तकनीक, एक्सपोजर और लड़कियों की बढ़ती महत्वाकांक्षाएं ये तमाम ऐसे पहलू हैं जिन्होंने इंसान की सोच को बदलाव की ओर उन्मुख किया है. आज लड़कियां हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही हैं, वे आत्मनिर्भर हो रही हैं, माबाप का नाम रोशन कर रही हैं, घरों में बच्चों की संख्या कम होने लगी है, जीवन के प्रति लोगों की सोच बदली है, आगे बढ़ने के नए रास्ते खुले हैं और इस बदलती जीवन शैली का प्रभाव हमारे रिश्तों पर भी पड़ा है. एक ही कोख से जन्म लेने वाले भाई-बहन का रिश्ता भी इस बदलाव से अछूता नहीं रहा है.

ये आए हैं परिवर्तन :

खौफ की जगह दोस्ती को मिली है जगह

पहले भाई एक खौफ का नाम हुआ करता था. खासकर छोटी बहनें भाइयों से बहुत डरा करती थीं. रिश्ते में मधुरता तो होती थी फिर भी वे भाइयों से डरती थीं. भाई का नाम ही खौफ माना जाता था.

दिल्ली के लक्ष्मी नगर में रहने वाली निभा बताती हैं, ” हम तीन भाई बहन हैं. जब मैं छोटी थी तो बड़े भाई का रौब पापा जैसा था. जैसे पापा से डर लगता था वैसे ही बड़े भैया भी डरा कर रखते थे. उनसे कोई जरूरी बात करने के लिए कई-कई दिन सोचना पड़ता था. लेकिन आज इस रिश्ते में डर की जगह दोस्ती ने जगह ले ली है. मेरी खुद की बेटी 16 और की और बेटा 18 साल का है. दोनों में दोस्तों जैसा रिश्ता है. वे दोनों आपस में ऐसी बातें भी शेयर कर लेते हैं जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. मेरी बेटी अपने बड़े भाई के साथ कॉलेज लाइफ की हर बात शेयर कर लेती है. ऐसा ही भाई की तरफ से भी है. कोई भी काम करना हो दोनों एक-दूसरे की सलाह जरूर लेते हैं. यहाँ तक कि वे आपस में गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की बातें भी करते हैं. एक दुसरे के साथ ठहाके लगाते हैं और सारे सीक्रेट्स भी शेयर करते हैं. ”

भाई अब बहन की निगरानी रखने के बजाए फ्रेंडली हुए हैं. वैसे भी अब घर में कई भाई बहन नहीं होते. ले दे कर अगर एक बहन है तो भाई उसी से हर तरह से जुड़ जाता है. रिश्ता अधिक गहरा और दोस्ताना हो जाता है.

बहनें भी करने लगी हैं भाई की आर्थिक मदद

भाई बहन का रिश्ता महज भावनाओं से जुड़ा ही नहीं रहा. ये व्यवहार में भी मजबूत हुआ है. महिलाओं की स्थिति समाज में पहले से सुदृढ़ हुई है. इसलिए जरूरत पड़ने पर बहनें अब आर्थिक तौर पर भी भाई की मदद करने में सक्षम हुई हैं. जबकि पहले यह सोच थी कि कैसी भी स्थिति हो भाई को ही बहन को कुछ देना है. अब ऐसी सोच में बदलाव आया है. महिला की पुरुषों पर कम हुई निर्भरता भी इसका कारण है.

निर्भरता की कमी

इसी तरह पहली भाई को बहन का रक्षक माना जाता था. बहनों को कहीं जाना हो तो भाई साथ जाते थे. कई दफा भाई को साथ चलने के लिए बहनों को मिन्नतें करनी पार्टी थीं क्योंकि उन्हें पता होता था कि पेरेंट्स अकेले नहीं जाने देंगे, इसलिए भाई भाव खाते थे. मगर अब बहनें इतनी मजबूत हो चुकी हैं कि वे खुद कहीं भी अकेली जा सकती हैं. यहाँ तक कि दुसरे शहर या दूसरे देश जा कर भी अकेली रह लेती हैं. इस से बहनों की भाइयों पर निर्भरता कम हुई है.

बराबरी का रिश्ता

आज भाई बहन का रिश्ता बराबरी का रिश्ता बन चुका है. यह एक ऐसा रिश्ता है जिस में बराबरी भी है और दोस्ती भी, जिस में प्यार भी है और तकरार भी. दोनों एक दूसरे के सुख को बांटते हैं और परेशानी में ढाल बनकर खड़े रहते हैं. इस रिश्ते में वो मर्म है जो इंसान के दिल को छूता है. आज बहन जहां अपने भाई में पिता, दोस्त और सहायक की छवि देखती है वहीं भाई भी अपनी बहन में माँ और दोस्त के अहसास साथ साथ एक इमोशनल सपोर्ट को महसूस करता है. उसके लिए बहन वह है जिससे कभी प्यार से, कभी लड़ कर, कभी रूठ कर तो कभी घूस देकर अपना हर काम करवाया जा सकता है. बहन ही है जो उसे समझती है और माता पिता की डांट से भी बचाती है. वहीं भाई भी अपनी बहन के साथ हर सुख -दुःख में खड़ा रहता है. उसके लिए पूरी दुनिया से भी लड़ने से नहीं डरता.

भाईबहन के बीच संपत्ति विवाद

संपत्ति को लेकर झगड़ा तकरीबन हर तीसरे परिवार में देखने को मिलता है. खासकर आजकल भाई बहनों के बीच भी संपत्ति विवाद होने लगे हैं. किसी-किसी जगह यह बगैर कानून के हस्तक्षेप के हल हो जाता है तो कहीं बात कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाती है.

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 पैतृक संपत्ति में बेटों के साथ ही बेटियों को भी बराबर अधिकार दिया गया है. कानून में संशोधन से पूर्व केवल परिवार के पुरूषों को ही उत्तराधिकारी का दर्जा दिया जाता था. हिंदू उत्तराधिकार कानून के मुताबिक संपत्ति दो तरह की होती है. एक संपत्ति पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति और दूसरी पैतृक संपत्ति होती है जो पिछली 3 पीढ़ियों से परिवार को मिलती आई है. कानून के मुताबिक बेटा हो या बेटी पैतृक संपत्ति पर दोनों का जन्म से बराबर का अधिकार होता है. इस तरह की संपत्ति को कोई पिता अपने मन से किसी को नहीं दे सकता यानी किसी एक के नाम पर वसीयत नहीं कर सकता और ना ही बेटी को उसका हिस्सा देने से वंचित कर सकता है. अगर पिता ने कोई संपत्ति खुद अपनी आय से खरीदी है तो उसे अपनी इच्छा से किसी को भी ये संपत्ति देने का अधिकार है. कानून के मुताबिक अगर पिता की मौत हो गई और उसने खुद अर्जित संपत्ति की वसीयत मृत्यु से पहले नहीं बनाई थी तो ऐसी स्थिति में उसकी संपत्ति उसके बेटे और बेटियों में बराबर बराबर बांटी जाएगी.

अकसर भाई घर की लड़कियों को पैतृक संपत्ति का हिस्सेदार मानने से बचते हैं. यही वजह है कि कई बहनें आज भी अपने हक से वंचित रह जाती हैं पर बहनों को यह पता होना चाहिए कि पिता एवं भाई के साथ आप भी पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हैं. सिर्फ भाई के साथ रिश्ता खराब होने के डर से आप को अपने इस अधिकार से वंचित रहने की जरुरत नहीं है. रिश्ता अपनी जगह है और आप का हक़ अपनी जगह.

इसलिए यदि भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इन्कार कर दें तो आप अपने अधिकार के लिए कानूनी नोटिस भेज सकते हैं. आप संपत्ति पर अपना दावा पेश करते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं. मामले के विचाराधीन होने के दौरान प्रापर्टी को बेचा न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए आप उस मामले में कोर्ट से रोक लगाने की मांग कर सकते हैं. मामले में अगर आपकी सहमति के बिना ही संपत्ति बेच दी गई है तो आपको उस खरीदार को केस में पार्टी के तौर पर जोड़कर अपने हिस्से का दावा ठोकना होगा.

पर कानूनी लड़ाई के बावजूद बहनों को भाई के साथ रिश्ता सामान्य बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए. जब आपस में मिलें तो रिश्ते की गर्माहट बरकरार रखें.

जिनके भाई या बहन नहीं वे होते हैं स्वार्थी

कुछ सर्वेक्षणों में भाई बहनों के बारे में रोचक तथ्य सामने आए हैं. हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि जो बच्चे अकेले होते हैं वे बड़े होकर स्वार्थी प्रवृत्ति के निकलते हैं. ये अध्ययन चीन के एक विश्वविद्यालय की ओर से कराया गया. इसमें कहा गया है कि जिन बच्चों का बचपन अकेलेपन में गुजरता है उनका दिमाग भी सामान्य बच्चों से अलग हटकर विकसित होता है. यह अध्ययन विश्वविद्यालय में पढ़ रहे 250 छात्र-छात्राओं पर किया गया. इनमें आधे वो लोग थे जिनके कोई भाई बहन नहीं था. जो बच्चे परिवार में अकेले थे वैज्ञानिकों ने उनके मस्तिष्क का अध्ययन किया और फिर इस आधार पर उनके व्यक्तित्व से जुड़ी आदतों का पता चला. जो बच्चे अकेले होते हैं उनकी दिमागी बनावट सामान्य बच्चों के मुकाबले अलग होती है और यही उन्हें स्वार्थी बनाती है.

यह रिश्ता बहुत अमूल्य और अनोखा है. इसे संभाल कर रखिए. इसे सहेजिए क्योंकि इस रिश्ते की बराबरी कोई नहीं कर सकता.

बारिश में बढ़ जाता है इन्फैक्शन का खतरा, तो इस तरह करें खुद का बचाव

बरसात का मौसम शुरू होते ही इन्फैक्शन का दौर भी शुरू हो जाता है हर मौसम के मुकाबले सबसे अधिक इन्फैक्शन बारिश के मौसम में होते हैं जैसे बैक्टीरियल इन्फेक्शन,फंगल इन्फेक्शन, प्रोटोजोआ रोग जैसे ब्रोनकाइटिस, टाइफाइड या फ्लू,मलेरिया, डेंगू का खतरा अधिक बढ़ जाता है खास कर बच्चे और बुजुर्गों का इस मौसम में ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में बीमारियों से बचने के लिए हमें पहले से ही तैयार रहना बहुत जरूरी है. जिससे आप मौसम का मजा लें ना कि बिस्तर पर बीमार पड़े रहें.

कारण

अधिकतर जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है जो प्रकृतिक बदलावो को भी नहीं झेल पाते हैं और बाहरी संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं.

बचाव है जरूरी

  • मौसम चाहे कोई भी हो साफ सफाई का ध्यान रखना हमारे स्वस्थ शरीर के लिए बेहद जरूरी है इसलिए अपने आस पास सफाई व अपनी स्वच्छ्ता अवश्य बनाए रखें.
  • खासी जुकाम है तो मुंह को कवर करें और बाहर जाते समय मास्क का उपयोग करें.
  • ऐसे में अपने आस पास जलभराव ना होने दें, क्योंकि इससे मच्छर पनपने का खतरा होता है जो डेंगू, मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी का करण बनता है.
  • खाना खाने के पहले और बाद में हाथ आवश्य धोएं.
  • किसी से हाथ मिलाने के बाद हाथों को पानी से धोएं या सैनीटाइज़ करें.
  • घर की सफाई में कीटनाशक का प्रयोग करें व मच्छरों को पनपने ना दें.
  • कूलर साफ रखें, सब्जियों व फलों को अच्छे से धोएं.
  • कपड़ों को पहनने से पहले इस्त्री कर लें.
  • फ़िल्टर हुआ पानी या पानी को उबालकर पिएं.
  • मौसम कोई भी हो दिन में कम से कम तीन लीटर पानी आवश्यक पीएं.
  • रात में सोने से पहले गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करें जिससे आपकी ओरल हेल्थ अच्छी रहेगी और संक्रमण का खतरा.
  • मांसहारी भोजन,तला हुआ भोजन और शराब से परहेज करें.
  • अच्छी डाइट हमारे स्वास्थ को दुरुस्त रखती है व इम्युनिटी बढ़ाती जिससे बिमारियों का खतरा कम होता है.
  • रोज 30 मिनट एक्सरसाइज अवश्य करें.
  • किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर डाक्टर से सलाह लें

एग फ्रीजिंग करवाने के क्या हैं कारण, जानें इसके स्टेप्स और नुकसान भी

आधुनिकता और आजादी ने स्त्रियों की जीवनशैली को पूरी तरह बदल दी है. अब उन की पहली प्राथमिकता शादी नहीं बल्कि शानदार करियर को आगे बढ़ाने की होती है. ऐसे में शादी और बच्चा पीछे छूट जाता है. लेकिन विज्ञान भी पीछे कहां है? एक नई मेडिकल टेक्नीक के तहत अब वे अपने अंडे फ्रीज करवा कर कुछ सालों के लिए मां बनना टाल सकती हैं. यानी कोई महिला अगर चाहे तो वह गर्भधारण की अपनी जैविक उम्र ( 20 -35 ) में अपने अंडे को सहेज कर रखवा सकती है और कुछ सालों बाद इसी अंडे से गर्भधारण कर सकती है.

वैसे देखा जाए तो लुभावने विज्ञापनों से लोगों को शानदार वादों के साथ बेवकूफ बनाने का एक लंबा इतिहास रहा है. झुर्रियों को बनने से पहले ही मिटा देने वाली परफेक्ट क्रीम से लेकर, चंद महीनों में रंगत बदलने और 10 दिनों में आपके पूरे शरीर को टोन करने वाले वर्कआउट गैजेट तक कितने ही चीजों के विज्ञापन दिखा कर हमारे दिमाग से खेला जाता रहा है. हमें उन समस्याओं के बारे में बताया जाता है जिनके बारे में हम ने कभी ध्यान ही नहीं दिया था. उन्हें हल करने के लिए हमें तरह तरह के समाधानों के ऑप्शन बताए जाते हैं.

आजकल महिलाओं को समझाया जा रहा है कि वे युवावस्था में ही अपने अंडों को फ्रीज कर लें ताकि बड़ी उम्र में शादी कर के भी मां बन सकें. देश भर में अंडों को फ्रीज करने के लाभों का गुणगान हो रहा है. हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि कुछ हालातों में और कुछ महिलाओं के लिए यह उपयोगी साबित हो सकता है. मगर इसे हम अपनी आम जिंदगी में शामिल कर लें इस बात पर अभी विचार करने की जरूरत है.

क्या है एग फ्रीजिंग

एग फ्रीजिंग एक आधुनिक प्रजनन तकनीक है जो महिलाओं को भविष्य में उपयोग के लिए अपने अंडों को फ्रीज कर के और स्टोर करके अपनी प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने की अनुमति देती है. इस तकनीक का उपयोग दशकों से कैंसर जैसी चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित महिलाओं की मदद करने के लिए किया जाता रहा है जो उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि अब अधिक से अधिक महिलाएं गैर-चिकित्सा कारणों से अपने अंडों को फ्रीज करना चुन रही हैं.

बॉलीवुड जगत से एकता कपूर, मोना सिंह के बाद काजोल की बहन तनीषा मुखर्जी ने भी खुलासा किया है कि वो भी 39 साल की उम्र में अपने एग्स फ्रीज करवा चुकी हैं. बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं की प्रजनन शक्ति घटने लगती है. एग फ्रीजिंग महिलाओं की फर्टिलिटी को बनाए रखने का एक तरीका है.

एग फ्रीजिंग को ओसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला के अंडे (ओसाइट्स) निकाले जाते हैं, उन्हें फ्रीज किया जाता है और भविष्य में उपयोग के लिए सब जीरो टेंपरेचर पर स्टोर किया जाता है ताकि वह बाद में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के माध्यम से गर्भधारण का प्रयास कर सके.

एग फ्रीजिंग के स्टेप्स

प्रारंभिक परामर्श:

अंडे को फ्रीज करने की प्रक्रिया में पहला कदम डॉ के साथ प्रारंभिक परामर्श करना है. इस परामर्श के दौरान डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास की समीक्षा करेंगे, शारीरिक जांच करेंगे और अंडे को फ्रीज करने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे.

डिम्बग्रंथि उत्तेजना:

एक बार जब आप अंडे को फ्रीज करने का फैसला कर लेते हैं तो आपको अपने अंडाशय को कई अंडे बनाने के लिए उत्तेजित करने के लिए दवाओं का एक कोर्स शुरू करना होगा. ये दवाएँ खुद से ली जाने वाली इंजेक्शन या मौखिक दवाएँ हो सकती हैं और ये आम तौर पर 8-14 दिनों तक चलती हैं.

निगरानी:

डिम्बग्रंथि उत्तेजना प्रक्रिया के दौरान आपका डॉक्टर आपके हार्मोन के स्तर की निगरानी करेगा और आपके अंडाशय में में मौजूद अंडे की वृद्धि और विकास को ट्रैक करने के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षाएं करेगा.

एग निकालना :

परिपक्व हो जाने पर आपका डॉक्टर अंडे निकालने की प्रक्रिया करेगा. इसमें आमतौर पर एक ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड-निर्देशित सुई शामिल होती है जिसमें परिपक्व अंडों को निकालने के लिए योनि की दीवार के माध्यम से और प्रत्येक रोम में एक पतली सुई डाली जाती है. प्रक्रिया आमतौर पर बेहोश करने की दवा दे कर की जाती है और इसमें लगभग 20-30 मिनट लगते हैं.

एग फ्रीज करना :

एक बार जब अंडे निकाल लिए जाते हैं तो उन्हें विट्रीफिकेशन नामक प्रक्रिया का उपयोग करके तुरंत जमा दिया जाता है. इस प्रक्रिया में अंडों को निर्जलित किया जाता है और फिर बर्फ के क्रिस्टल के गठन को रोकने के लिए तेजी से जमाया जाता है जो अंडों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. जमे हुए अंडों को ऐसे पात्र में स्टोर किया जाता है जो बहुत कम तापमान (-196 डिग्री सेल्सियस) बनाए रखता है.

कुल मिलाकर इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर 2-4 सप्ताह लगते हैं. अंडों को अनिश्चित काल के लिए स्टोर किया जा सकता है और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के माध्यम से गर्भावस्था को प्राप्त करने के लिए बाद की तारीख में शुक्राणु के साथ पिघलाया और निषेचित किया जा सकता है.

किन कारणों के मद्देनजर किया जा सकता है एग फ्रीजिंग

मेडिकल कारण :

कैंसर के उपचार से गुजर रही महिलाएं जैसे कि कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी, जो उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है. अंडे को फ्रीज करने से उनकी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने में मदद मिल सकती है ताकि वे उपचार के बाद जैविक बच्चे पैदा कर सकें.

समय से पहले डिम्बग्रंथि विफलता :

समय से पहले डिम्बग्रंथि विफलता से पीड़ित महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए अंडे को फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं.

एंडोमेट्रियोसिस:

एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए अंडे को फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं.

आनुवंशिक विकार :

जिन महिलाओं में आनुवंशिक विकार हैं जैसे टर्नर सिंड्रोम तो वे अपनी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए अंडे को फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं.

सामाजिक कारण :

जो महिलाएं सामाजिक कारणों से गर्भधारण में देरी करना चाहती हैं जैसे उच्च शिक्षा या कैरियर संबंधी लक्ष्य तो वे अपनी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए अंडे को फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं.

सही पार्टनर न मिलना :

जिन महिलाओं का कोई पार्टनर नहीं है या जिन के पुरुष साथी में शुक्राणुओं की संख्या कम है या शुक्राणु की गुणवत्ता खराब है वे अपनी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए अंडे को फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं.

एग्स फ्रीज कराने की सही उम्र

एग्‍स को फ्रीज कराने के लिए 30-35 साल से पहले का समय आमतौर से ठीक होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ महिला की प्रजनन क्षमता और अंडाणुओं की गुणवत्ता कम होती चली जाती है. हालांकि अंडों को 40 साल की आयु तक फ्रीज कराया जा सकता है लेकिन इस मामले में सफलता की संभावनाएं कम हो जाती हैं.

फ्रीज एग्‍स को काफी लंबे समय तक के लिए रखा जा सकता है लेकिन इस मामले में कोई निश्चित जवाब देना मुश्किल है क्योंकि यह टेक्नॉलॉजी अभी नई है. हालांकि मौजूदा प्रमाणों से पता चला है कि एग्‍स को 10 सालों तक रिजर्व करके रखा जा सकता है. कुछ क्लिनिक इससे भी लंबे समय तक एग्‍स को रिजर्व कर सकते हैं.

एग फ्रीजिंग के नुकसान और जोखिम

एग फ्रीजिंग के साथ आपको किसी भी उम्र में माँ बनने की आजादी मिलती है. नई तकनीक हमारी जिंदगी आसान करती है लेकिन हम इस प्रक्रिया से जुड़ी समस्याओं के बारे में बहुत कम जानते हैं.

अंडों को फ्रीज करने की लागत

भारत में अंडा फ्रीज करवाने में 1.5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ता है. बहुत कम कंपनियां अपनी स्वास्थ्य योजनाओं के हिस्से के रूप में गैर-चिकित्सा कारणों से ऐच्छिक एग फ्रीजिंग के लिए भुगतान करती हैं. इसलिए अधिकांश एग फ्रीजिंग लागतों का भुगतान जेब से करना पड़ता है.

अगर यह प्रक्रिया एक बार में सफल नहीं होती तो इसके लिए कुछ और दौर की आवश्यकता होती है यानी लागत और बढ़ती जाती है. साथ ही फ्रीज एग्स को स्टोर करने की लागत भी काफी होती है. जब कोई महिला बाद में अपने फ्रीज अंडों द्वारा गर्भधारण करने के लिए तैयार होती है तो उसे IVF की आवश्यकता होगी. इसका मतलब है कि अंडों को शुक्राणु से निषेचित करना, भ्रूण को विकसित करना, आनुवंशिक असामान्यताओं की जांच करना और अंत में उपलब्ध भ्रूणों में से एक या अधिक को गर्भ में प्रत्यारोपित करना. इन पर काफी अतिरिक्त खर्च आता है.

सफलता की गारंटी नहीं

एग फ्रीजिंग भविष्य में गर्भधारण की गारंटी नहीं देती है. सबसे अच्छी परिस्थितियों में IVF केवल 50 प्रतिशत मामलों में ही काम करता है और फ्रीज्ड अंडों का उपयोग करने से ये संभावनाएं और भी कम हो सकती हैं. वैसे भी अधिक उम्र में गर्भपात की संभावना भी अधिक होती है. यह भी हो सकता है कि कई साल बाद जब महिला मां बनना चाहे तो बढ़ती उम्र में उसे कोई ऐसी समस्या निकल आये कि वह मां न बन सके. इसलिए एग फ्रीज कर के सालों मां बनने का सपना देखना सही नहीं. अगर सपना टूटा तो दिल को गहरी चोट लगेगी.

स्वास्थ्य जोखिम

अंडे को फ्रीज करने से जुड़ी मुख्य चिंताओं में से एक है संभावित स्वास्थ्य जोखिम. एग फ्रीजिंग असुविधाजनक भी हो सकता है. एक महिला को इस के लिए इंजेक्शन वाली दवाएँ लेने की ज़रूरत होती है और बार-बार रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ते हैं. इस प्रक्रिया में कई अंडे बनाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं. इस से कई समस्याएं हो सकती हैं;

1. ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS): इस स्थिति के कारण अंडाशय में सूजन और दर्द हो सकता है.

2. संक्रमण: संक्रमण का जोखिम होता है.

3. रक्तस्राव: अंडे निकालने की प्रक्रिया के दौरान रक्तस्राव का जोखिम हो सकता है.

अंडे को फ्रीज करने का निर्णय लेने से पहले इन स्वास्थ्य जोखिमों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए.

भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

अपने अंडों को फ्रीज करने का निर्णय भावनात्मक रूप से बहुत भारी पड़ सकता है. महिलाओं को प्रक्रिया की सफलता और भविष्य में प्रजनन क्षमता के परिणामों के बारे में तनाव और चिंता का अनुभव हो सकता है.

सफलता दर : हालांकि पिछले कुछ वर्षों में अंडा फ्रीजिंग की सफलता दर में सुधार हुआ है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि फ्रीज किए गए अंडे से आप 10- 15 साल बाद सफलतापूर्वक गर्भ धारण कर ही पाएंगी.

सीमित शेल्फ जीवन : एग को कई वर्षों तक संग्रहित करने की एक सीमा है. समय जितना लंबा होगा अंडे की क्वालिटी खराब होने का खतरा उतना ही अधिक होगा.

पार्टनर से सेपरेशन :
यह भी संभव है कि जब एक शादीशुदा महिला करियर की खातिर एग फ्रीज कराती है और 8 -10 बाद बच्चा पैदा करने का फैसला लेती है. मगर इस बीच उस का पार्टनर के साथ तलाक हो जाता है. तब उस महिला की स्थिति अजीब हो जाएगी और बच्चे को दुनिया में लाने का सपना जिंदगी की उलझनों में उलझ जाएगा.

अंडों को फ्रीज करने का विकल्प कुछ महिलाओं के लिए मूल्यवान और जीवन बदलने वाला हो सकता है लेकिन यह विकल्प हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, खासकर इसलिए क्योंकि अंडे को फ्रीज करना किसी भी तरह से आसान प्रक्रिया नहीं है और इससे भविष्य में गर्भधारण की गारंटी नहीं मिलती है. महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और प्रजनन लक्ष्यों के साथ ही अंडे को फ्रीज करने की प्रक्रिया और लागत समेत कई अन्य कारकों पर सावधानीपूर्वक विचार किए बिना अपने अंडों को फ्रीज करने का निर्णय नहीं लेना चाहिए.

इसी के साथ महिलाओं को अगर एग फ्रीज कराना ही है तो छोटी अवधि के लिए कराएं. जैसे 4 – 5 साल. इस से ज्यादा समय के लिए फ्रीज करना समझदारी नहीं. उस से अच्छा है मां बनने की उम्र में माँ बन जाना और बाकी चीजें आगे के लिए छोड़ना ताकि जिंदगी में बाद में पछताना न पड़े.

अभिषेक और ऐश्वर्या के कारण ट्रैंड कर रहा है ‘ग्रे डिवोर्स’, जानें इसके बारे में खास बातें

ग्रे डिवोर्स! ये दो शब्द इन दिनों इंटरनेट पर छाए हुए हैं. अचानक से यह शब्द ट्रेंड में आया है बौलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन और एक्ट्रैस ऐश्वर्या राय के कारण. दरअसल, पिछले कुछ समय से बौलीवुड के इस पावर कपल की शादी को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. राधिका मर्चेंट और अनंत अंबानी की शादी में ऐश्वर्या व आराध्या बच्चन का अलग आना और बच्चन परिवार का एक साथ आना सभी की नजरों को खटक गया. इसके बाद अभिषेक और ऐश्वर्या के रिश्ते को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जाने लगीं. इसी बीच अभिषेक के एक लाइक ने इन अटकलों को और भी हवा दे दी. क्या है यह पूरा मामला, आइए जानते हैं.

दरअसल, पिछले दिनों अभिषेक बच्चन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट को ‘लाइक’ किया था. यह पोस्ट ‘ग्रे डिवोर्स’ को लेकर थी. ऐसे में इस कपल के फैंस के साथ ही तमाम मीडिया में अभिषेक और ऐश्वर्या के तलाक की बातों को बल मिल गया. लोग सोचने लगे कि इस जोड़े के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि इससे ‘ग्रे डिवोर्स’ को लेकर भी लोगों की जिज्ञासा बढ़ने लगी. तभी से ग्रे डिवोर्स ट्रेंड में आ गया है.

यह है ग्रे डिवोर्स

वैसे तो ग्रे डिवोर्स तलाक ही है. लेकिन इसमें कुछ अलग भी है. दरअसल, जब कोई कपल 50 या इससे ज्यादा की उम्र के बाद तलाक का फैसला लेता है तो उसे ग्रे डिवोर्स कहा जाता है. यानी इस तलाक में एक कपल सालों के साथ के बाद अलग होने का फैसला करता है. ‘ग्रे’ शब्द उनकी उम्र को दर्शाता है. यानी जिस उम्र में लोगों के बालों में सफेदी आने लगती है, उसमें वे तलाक का फैसला लेते हैं तो यह ग्रे डिवोर्स की श्रेणी में आता है. सालों पहले तक माना जाता था कि बड़ी उम्र में तलाक लेना अच्छा नहीं होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत सहित दुनियाभर में ग्रे डिवोर्स का चलन बढ़ा है.

ग्रे डिवोर्स की हैं कई चुनौतियां

ग्रे डिवोर्स एक बड़ा फैसला है, जिसकी अपनी चुनौतियां हैं. सबसे पहले तो सालों के साथ के बाद अलग होने का फैसला लेना एक मुश्किल काम है. क्योंकि शादी के कई सालों में लोगों को एक दूसरे की आदत हो जाती है. इसी के साथ बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ने लगती हैंं. यही वो समय होता है जब कपल को एक-दूसरे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इसी के साथ रिटायरमेंट, पेंशन, निवेश आदि को लेकर भी यह दौर महत्वपूर्ण होता है. बड़ी उम्र में फाइनेंशियल सिक्योरिटी भी एक बड़ी चिंता रहती है.

ग्रे डिवोर्स के पीछे हैं कई कारण

ग्रे डिवोर्स के पीछे कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि कई फैक्टर्स के कारण कपल इस फैसले को लेते हैं.

एमटी नेस्ट सिंड्रोम : कोई भी कपल जब पेरेंट बनता है तो उसकी पहली प्राथमिकता उसके बच्चे हो जाते हैं. कई बार मतभेद और मनभेद होने के बावजूद कपल्स बच्चों के भविष्य को देखते हुए अलग नहीं होते. लेकिन 50 की उम्र के बाद आमतौर पर बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करके करियर बनाने की राह पकड़ लेते हैं. कई बार वे घर से दूर जाकर नौकरी करते हैं. ऐसे में कपल्स को लगता है कि अब उनके पास कोई साझा टारगेट नहीं रह गया है. यही कारण है कि वे अलग होने का फैसला ले लेते हैं.

वित्तीय स्वतंत्रता : कुछ सालों पहले तक महिलाएं घर की चारदीवारी में रहती थीं. ऐसे में वे वित्तिय तौर पर आत्मनिर्भर नहीं होती थीं. यही कारण था कि वे चाहते हुए भी पार्टनर से अलग नहीं हो पाती थीं. लेकिन पिछले कुछ सालों में यह तस्वीर बदल गई है. अब महिलाएं नौकरीपेशा होती हैं और आर्थिक रूप से मजबूत होती हैं. ऐसे में वे अनचाहे रिश्ते का बोझ नहीं उठाना चाहती हैं और अलग होने का फैसला ले लेती हैं.

रिटायरमेंट : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कपल्स के पास एक दूसरे के लिए भी भरपूर समय नहीं होता. ऐसे में बहुत ही कम समय साथ बिता पाते हैं. लेकिन कई बार रिटायरमेंट के बाद कपल्स एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा समय बिताने लगते हैं, जिससे उनके बीच मतभेद बढ़ने लगते हैं. इसी के कारण वे अलग होने का फैसला ले लेते हैं.

अटूट प्यार: यामिनी से क्यों दूर हो गया था रोहित

‘कितने मस्ती भरे दिन थे वे…’ बीते दिनों को याद कर यामिनी की आंखें भर आईं.

कालेज में उस का पहला दिन था. कैमिस्ट्री की क्लास चल रही थी. प्रोफैसर साहब कुछ भी पूछते तो रोहित फटाफट जवाब दे देता. उस की हाजिरजवाबी और विषय की गहराई से समझ देख यामिनी के दिल में वह उतरता चला गया.

कालेज में दाखिले के बाद पहली बार क्लास शुरू हुई थी. इसीलिए सभी छात्रछात्राओं को एकदूसरे को जाननेसमझने में कुछ दिन लग गए. एक दिन यामिनी कालेज पहुंची तो रोहित कालेज के गेट पर ही मिल गया. उस ने मुसकरा कर हैलो कहा और अपना परिचय दिया. यामिनी तो उस पर पहले दिन से ही मोहित थी. उस का मिलनसार व्यवहार देख वह खुश हो गई.

‘‘और मैं यामिनी…’’ उस ने भी अपना परिचय दिया तो रोहत ने उसे कैंटीन में अपने साथ कौफी पीने का औफर कर दिया. वह मना नहीं कर सकी.

साथ कौफी पीते हुए रोहित टकटकी लगा कर यामिनी को देखने लगा. यामिनी उस की नजरों का सामना नहीं कर पा रही थी. लेकिन उस के दिल में खुशी का तूफान उमड़ रहा था. क्लास में भी दोनों साथ बैठे रहे.

शाम को घर लौटते समय रोहित ने यामिनी से अचानक प्यार का इजहार कर दिया. वह भौंचक्की रह गई. लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो गई और भाग कर रिकशे पर बैठ गई. थोड़ी देर बाद यामिनी ने पीछे मुड़ कर देखा. रोहित अब तक अपनी जगह पर खड़ा उसे ही देख रहा था.

यामिनी के दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं. खुशी से उस के होंठ लरज रहे थे. उस की आंखों में सिर्फ रोहित का मासूम चेहरा दिख रहा था. न जाने क्यों वह हर पल उसे करीब महसूस करने लगी.

अगले दिन सुबह यामिनी की नींद खुली तो आदतन उस ने अपना मोबाइल चेक किया. रोहित ने मैसेज भेजा था, ‘सुप्रभात, आप का दिन मंगलमय हो.’

यामिनी देर  तक उस मैसेज को देखती रही और रोमांचित होती रही. वह भी उसे एक खूबसूरत सा जवाब देना चाहती थी. लेकिन क्या जवाब दे, सोचने लगी. मैसेज टाइप करने के लिए अनजाने में उस की उंगलियां आगे बढ़ीं. लेकिन वे कांपने लगीं.

यामिनी फिर रोहित के मैसेज को प्यार से देखने लगी और जवाब के लिए कोई अच्छा सा मैसेज सोचने लगी. लेकिन दिमाग जैसे जाम सा हो गया. अच्छा मैसेज सूझ ही नहीं रहा था. आखिरकार उस ने ‘आप को भी सुप्रभात’ टाइप कर मैसेज भेज दिया.

यामिनी की जिंदगी की एक नई शुरुआत हो चुकी थी. रोहित से मिलना, उसे देखना और प्यार भरी बातें करना यामिनी को अच्छा लगने लगा. एकदूसरे से मिले बिना उन्हें चैन नहीं आता. जिस दिन किसी प्रोफैसर के छुट्टी पर रहने के कारण क्लास नहीं रहती, उस दिन दोनों आसपास के किसी पार्क में चले जाते या बाजार घूमते. मस्तियों में उन के दिन गुजर रहे थे. हालांकि कालेज में दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगी थीं. लेकिन उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी.

बातों ही बातों में यामिनी को मालूम हुआ कि रोहित के मातापिता इस दुनिया में नहीं हैं. एक ऐक्सीडैंट में उन की मौत हो गई थी. रोहित के चाचाचाची ही उस की देखभाल कर रहे थे. रोहित का घर शहर से दूर एक गांव में था. वह यहां किराए का कमरा ले कर कालेज की पढ़ाई कर रहा था. रोहित पढ़ाई में अच्छा था. इसीलिए यामिनी को उस से मदद मिल जाती थी पढ़ाई में.

एक दिन यामिनी कालेज गई तो पाया कि रोहित कालेज नहीं आया है. बहुत देर इंतजार करने के बाद यामिनी ने उसे फोन किया, लेकिन रोहित ने फोन नहीं उठाया. जब यामिनी ने कई बार फोन किया तब रोहित ने काल रिसीव किया और दबी आवाज में बोला, ‘‘यामिनी, मैं कालेज नहीं आ पाऊंगा. बुखार है मुझे. तुम परेशान नहीं होना. मैं ठीक होते ही आऊंगा.’’

दूसरे दिन भी रोहित कालेज नहीं आया. इसीलिए कालेज में यामिनी का मन नहीं लग रहा था. उसे रहरह कर रोहित का खयाल आता. उस ने सोचा, ‘कहीं रोहित की बीमारी बढ़ न जाए. उस से मिलने जाना चाहिए. पता नहीं अकेले किस हाल में है? दवा ले रहा है या नहीं. खाना कैसे खा रहा है.’

बहुत मुश्किल से ढूंढ़तेढूंढ़ते यामिनी रोहित के कमरे पर पहुंची. देर तक दस्तक देने के बाद रोहित ने दरवाजा खोला. उस का बदन तप रहा था. उस की हालत देख कर दया से ज्यादा गुस्सा आ गया यामिनी को. बोली, ‘‘इतनी तेज बुखार है और तुम ने बताया भी नहीं. दवा ली क्या? घर पर किसी को बताया?’’

रोहित अधखुली पलकों से यामिनी को देखते हुए शिथिल आवाज में बोला, ‘‘नहीं. चाचाचाची को कष्ट नहीं देना चाहता और डाक्टर के पास जाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.’’

2 दिनों में ही बहुत कमजोर पड़ गया था रोहित. आंखों के नीचे कालापन दिखने लगा था. यामिनी का मन रो पड़ा. रोहित ने शायद कुछ खाया भी नहीं था, क्योंकि खाना वह खुद बनाता था. होटल से लाया हुआ खाना एक स्टूल पर पड़ा था और सूख चुका था. एक शीशे के गिलास में थोड़ा सा पानी था. एक बिस्कुट का अधखुला पैकेट बगल में पड़ा था. कमरा भी अस्तव्यस्त था.

यह सब देख यामिनी से रहा नहीं गया. वह कमरा साफ करने लगी. रोहित हाथ के इशारे से मना करता रहा. पर यामिनी उसे आराम करने को कह कर सफाई में लगी रही. कमरे की सफाई करने के बाद वह पास की दुकान से ब्रैड और दूध ले आई और रोहित को खाने को दिया. रोहित एक ही ब्रैड खा पाया.

रोहित की हालत ठीक नहीं थी. वह अकेला था. यामिनी पास के एक डाक्टर से संपर्क कर दवा ले आई और रोहित को खिलाई. वह शाम तक उसी के पास बैठी रही. रोहित आंखों में आंसू लिए यामिनी को देखता रहा. यामिनी उसे बारबार समझाती, ‘‘मुझ से जितना होगा करूंगी. रोते क्यों हो?’’

‘‘तुम कितनी अच्छी हो यामिनी. बचपन से मैं प्यार को तरसा हूं. मम्मीपापा मुझे छोड़ कर चले गए. साथ में मेरी सारी खुशियां भी ले गए. चाचाचाची ने मुझे आश्रय जरूर दिया. लेकिन एक बोझ समझ कर. उन से प्यार कभी नहीं मिला. जब तुम मेरी जिंदगी में आई तो मैं ने जाना कि प्यार क्या होता है? तुम्हारा प्यार, तुम्हार सेवाभाव देख कर मुझे अपने मम्मीपापा की याद आ गई. इसीलिए मेरी आंखों में आंसू आ गए.

‘‘खैर मुझे अपने चाचाचाची से कोई शिकायत नहीं है. मैं उन की अपनी औलाद तो नहीं हूं. लेकिन बचपन से मुझे किसी का साया तो नसीब हुआ,’’ रोहित की आंखों से आंसू की धारा बह रही थी.

‘‘बस करो रोहित. अभी यह सब सोचने का वक्त नहीं. स्वास्थ्य पर ध्यान दो. खुद को अकेला नहीं समझो. मैं साथ देने से कभी पीछे नहीं हटूंगी,’’ कहते हुए यामिनी ने दुपट्टे से रोहित के आंसू पोंछ दिए.

वह करीब 2 घंटे तक रोहित के पास बैठी रही. शाम होने को आ गई थी. दवा के प्रभाव से रोहित को पसीना आ गया था. बुखार कम हुआ तो वह कुछ अच्छा महसूस करने लगा था. यामिनी ने कहा, ‘‘अब मैं चलूंगी. घर पर सब मेरा इंतजार कर रहे होंगे. तुम रात में दूध गरम कर ब्रैड के साथ ले लेना. दवा भी ले लेना. किसी तरह की परेशानी हो तो फोन जरूर करना. यह नहीं सोचना कि मैं क्या कर पाऊंगी? तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.’’

रोहित को ढांढ़स बंधा कर यामिनी अपने घर आ गई. लेकिन उसे चिंता होती रही. रात में वह सब की नजर बचा कर घर की छत पर गई और फोन कर रोहित का हाल पूछा. रोहित ने कहा कि अभी वह ठीक महसूस कर रहा है. यह जान कर यामिनी को राहत महसूस हुई.

चौथे दिन रोहित ठीक हो गया. यामिनी पिछले 2 दिन उस के घर गई थी. सब से नजर बचा कर वह रोहित के लिए घर से खाना ले जाती थी और घंटों उस के पास बैठ कर बातें करती थी. 5वें दिन रोहित कालेज आया तो यामिनी बहुत खुश हुई. उस के ठीक होने की खुशी में वह उस के गले से लिपट गई. यामिनी अब रोहित के बहुत करीब आ चुकी थी.

ऐसे ही 3 साल कब बीत गए उन्हें एहसास ही न हुआ. खुशियों के वे पल जैसे पंख लगा कर उड़ गए और उन के जुदाई के दिन आ गए. दरअसल, उन की कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई थी. रोहित ने आगे की पढ़ाई के लिए कालेज में ही पुन: दाखिला ले लिया. वह प्रोफैसर बनना चाहता था. लेकिन यामिनी के आगे की पढ़ाई के लिए उस के पापा ने मना कर दिया. इसीलिए अब उस का रोहित से मिलनाजुलना बेहद मुश्किल हो गया. हर पल उसे रोहित की याद आती. रोहित से दूर रहने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता.

यामिनी के मम्मीपापा अब उस की शादी कर के अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. इसीलिए यामिनी के लिए लड़का ढूंढ़ा जाने लगा था. उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया गया था. रोहित से दिल की बात कहना भी कठिन हो गया उस के लिए. मोबाइल फोन का ही आसरा रह गया था. वह जब भी मौका पाती, रोहित को फोन कर देती और उसे कुछ करने के लिए कहती ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो जाएं. लेकिन रोहित को कोई उपाय नहीं दिखता.

जब घर में शादी की बात चलती तो यामिनी की हालत बुरी हो जाती. रोहित से दूर होने की बात सोच कर उस का मन अजीब हो जाता. अपने मम्मीपापा को रोहित के बारे में बताने की उस की हिम्मत नहीं होती थी. पापा पुलिस में थे. इसीलिए गरम मिजाज के थे. हालांकि शायद ही वह कभी गुस्सा हुए हों यामिनी पर. वह उन की इकलौती बेटी जो थी.

एक दिन यामिनी को उस की मां ने बताया कि उसे देखने कुछ मेहमान आएंगे. लड़का डाक्टर है. यह जान कर यामिनी की आंखों से आंसू निकल गए. वह किसी तरह सब से बच कर रोहित से मिलने गई. उस के गले से लिपट कर रो पड़ी. जब उस ने अपने लिए लड़का देखे जाने की बात बताई तो रोहित भी अपने आंसू नहीं रोक पाया.

तभी यामिनी बोली, ‘‘रोहित, तुम मुझे मेरे पापा से मांग लो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’

कुछ सोचते हुए मायूस शब्दों में रोहित बोला, ‘‘अभी इस दुनिया में मेरा खुद का ही कोई ठिकाना नहीं है. मैं किस मुंह से तुम्हारे पापा से तुम्हें मांग पाऊंगा. अगर उन्होंने मना कर दिया तो हमारी उम्मीद टूट जाएगी. जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाता, तुम्हें धीरज रखना होगा. मेरे किसी योग्य होने तक अपनी शादी को किसी बहाने टलवा लो. मैं जल्दी ही तुम्हारा हाथ मांगने आऊंगा.’’

‘‘काश, मैं ऐसा कर पाती. जीवन की अंतिम सांस तक तुम्हारा इंतजार करूं, पर न जाने क्यों मेरे मम्मीपापा को मेरी शादी की जल्दी पड़ी है? रोहित, मेरे पापा से मेरा हाथ मांग लो. मैं जिंदगी भर तुम्हारा एहसान मानूंगी.’’ यामिनी अपनी रौ में कहती चली गई, ‘‘मैं किसी और से शादी नहीं कर सकती. तुम नहीं मिले तो मैं अपनी जान दे दूंगी.’’

रोहित ने घबरा कर कहा, ‘‘ऐसा गजब नहीं करना. तुम से दूर होने की बात मैं सोच भी नहीं सकता. लेकिन फिलहाल हमें इंतजार करना ही पड़ेगा.’’

यामिनी एक उम्मीद लिए अपने घर लौट आई. रोहित से जिंदगी भर के लिए मिलने के खयाल से उस के दिल की धड़कन बढ़ जाती. उस ने सोचा, क्या हसीन समां होगा जब वह और रोहित हमेशा के लिए साथ होंगे.

लेकिन चंद दिनों बाद ही यामिनी के खयालों की हसीन दुनिया ढहती नजर आई. उन की मां ने बताया कि अगले दिन ही उसे देखने मेहमान आ रहे हैं. यामिनी को काटो तो खून नहीं. उस ने घबरा कर रोहित को फोन किया. पर यह क्या? वह काल पर काल करती गई और उधर रिंग होती रही लेकिन रोहित ने फोन रिसीव नहीं किया. आखिर रोहित को आज हो क्या गया है? फोन क्यों नहीं उठा रहा है? वह काफी परेशान हो गई.

शायद वह किसी काम में व्यस्त होगा. इसलिए यामिनी ने थोड़ी देर ठहर कर कौल किया. लेकिन फिर भी उस ने फोन नहीं उठाया. ऐसा कभी नहीं हुआ था. वह तो तुरंत कौल रिसीव करता था या मिस्ड होने पर खुद ही कौलबैक करता था. आधी रात हो गई लेकिन यामिनी की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह रोहित को कौल करती रही. अंत में कोई जवाब दिए बिना रोहित का मोबाइल फोन स्विच औफ हो गया तो यामिनी की रुलाई फूट पड़ी.

अगले दिन सुबह पापा के ड्यूटी पर जाने के बाद यामिनी बहाना बना कर घर से निकल गई और रोहित के कमरे पर जा पहुंची, क्योंकि मेहमान शाम को आने वाले थे. पर यह क्या? वहां ताला लगा था. आसपास के लोगों से उस ने पूछा तो पता चला कि रोहित कमरा खाली कर कहीं जा चुका है. वह कहां गया है, यह कोई

नहीं बता पाया. यामिनी की आंखों में आंसू आ गए. अब वह क्या करे? कहां जाए? रोहित बिना कुछ कहे जाने कहां चला गया था. लेकिन रोहित ऐसा कर सकता है, यामिनी को यकीन नहीं हो रहा था.

शाम निकट आती जा रही थी और उस की दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी.

अगर लड़के वालों ने उसे पसंद कर लिया तो क्या होगा? वह कैसे मना कर पाएगी शादी के लिए? उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उस ने सोचा, यह वक्त कहीं ठहर जाए तो कितना अच्छा हो. लेकिन गुजरते वक्त पर किस का अधिकार होता है.

धीरेधीरे शाम आ ही गई. लड़के वाले कई लोगों के साथ यामिनी को देखने आ गए. यामिनी का कलेजा जैसे मुंह को आ गया. जीवन में कभी खुद को उस ने इतना लाचार नहीं महसूस किया था. मां की जिद पर उस ने मन ही मन रोते हुए अपना शृंगार किया. उसे लड़के वालों के सामने ले जाया गया.

उस का दिल रो रहा था. रोहित से वह जुदा नहीं होना चाहती थी. यह सोच कर यामिनी की पीड़ा और बढ़ जाती कि अगर सब रजामंद हो गए तो क्या होगा? इस कठिन घड़ी में रोहित उसे बिना कुछ कहे कहां गायब हो गया था. यामिनी अकेले दम पर कैसे प्यार निभा पाएगी? उस ने क्या सिर्फ मस्ती करने के लिए प्यार किया था? जब निभाने और जिम्मेदारी उठाने की बात आई तो उसे छोड़ कर चुपचाप गायब हो गया. यह कैसा प्यार था उस का?

लेकिन यामिनी का मन रोहित के अलावा किसी और को स्वीकार करने को तैयार नहीं था. वह मन ही मन कामना कर रही थी कि लड़के वाले उसे नापसंद कर दें. लेकिन उन लोगों ने उसे पसंद कर लिया. अपने प्यार को टूटता देख यामिनी बेसब्र होती जा रही थी. इतनी कठिन घड़ी में वह अपनी भावनाओं के साथ अकेली थी. रोहित तो जाने किस दुनिया में गुम था. आखिर उस ने ऐसा क्यों किया? क्या प्यार उस के लिए मन बहलाने की चीज थी? यामिनी का विकल मन रोने को हो रहा था.

घर में खुशी का माहौल था. उस की मां सभी परिचितों एवं रिश्तेदारों को फोन पर लड़के वालों द्वारा यामिनी को पसंद किए जाने की सूचना दे रही थीं. पापा धूमधाम से शादी करने के लिए जरूरी इंतजाम के बारे में सोच रहे थे. लेकिन यामिनी मन ही मन घुट रही थी. रोहित को वह भूल नहीं पा रही थी. वह सोचती कि काश, उस की यह शादी न हो. उस के दिल में तो सिर्फ रोहित बसा था. वह कैसे किसी और के साथ न्याय कर पाएगी.

कुछ दिन बीते और इसी दौरान एक नई घटना घट गई. जिस बात को ले कर यामिनी घुली जा रही थी वह बिना कोशिश के ही हल हो गई. लड़के वाले शादी को ले कर आनाकानी करने लगे थे. जो शादी में मध्यस्थ का काम कर रहे थे उन्होंने बताया कि लड़के वालों ने ज्यादा दहेज के लालच में दूसरी जगह शादी पक्की कर ली. यह जान कर यामिनी को राहत सी महसूस हुई. कई दिनों के बाद उस की होंठों पर मुसकराहट आई.

शादी की बात टलते ही यामिनी को राहत मिली. पर अफसोस, रोहित अब भी उस के संपर्क में नहीं था. वह रोहित को याद कर हर पल बेचैन रहने लगी. बिना बताए वह कहां चला गया है? उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों स्विच औफ कर लिया है? ज्योंज्यों दिन बीत रहे थे उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. कभीकभी उसे लगता कि रोहित ने उस के साथ धोखा किया है.

यामिनी हमेशा रोहित के नंबर पर कौल करती. लेकिन मोबाइल फोन हमेशा स्विच औफ मिलता. उस ने फेसबुक पर भी कई मैसेज पोस्ट किए पर कोई जवाब नहीं मिला. एक दिन उस ने देखा कि रोहित ने उसे फेसबुक पर भी ब्लौक कर रखा था. उस की इस हरकत पर यामिनी को बहुत गुस्सा आया. जिस के लिए उस ने अपना सारा चैन खो दिया, वह उस से दूर होने की हर कोशिश कर रहा है.

 

गुस्से से उस के होंठ कांपने लगे. बिना बताए इस तरह की हरकत? शादी नहीं करनी थी तो पहले बता देता. चोरों की तरह बिना कुछ बताए गायब हो जाना तो उस की कायरता है.

यामिनी की जिंदगी अजीब हो गई थी. रोहित पर उसे बहुत गुस्सा आता. लेकिन वह उस की यादों से दूर जाता ही नहीं था. उस की आंखों से जबतब आंसू छलक पड़ते. किसी काम में जी नहीं लगता. वह कभी मोबाइल चैक करती, कभी टीवी का चैनल बदलती तो कभी बालकनी में जा कर बाहर का नजारा देखती.

हर पल वह रोहितरोहित कह कर पुकारती. पता नहीं रोहित तक उस की आवाज पहुंचती भी थी या नहीं? वह यामिनी को लेने लौट कर आएगा भी या नहीं? कहीं वह अपनी नई दुनिया न बसा ले. यामिनी के दिल में डर बैठने लगता. फिर वह खुद ही अपने दिल को समझाती कि रोहित ऐसा नहीं है. एक दिन जरूर लौट कर आएगा और उसे अपना बना कर ले जाएगा.

लेकिन जैसेजैसे समय बीत रहा था यामिनी का मन डूबता जा रहा था. उस की उंगलियां रोहित का मोबाइल नंबर डायल करतेकरते शिथिल हो गईं. हर दिन वह उस की कौल आने का इंतजार करती. लेकिन न तो रोहित का कौल आया, न ही वह खुद आया. 2 महीने तक फोन लगालगा कर यामिनी हार गई तो उस ने मोबाइल फोन को छूना भी बंद कर दिया. उसे नफरत सी हो गई मोबाइल फोन से. एक दिन गुस्से में उस ने रोहित का मोबाइल नंबर ही अपने मोबाइल फोन से डिलीट कर दिया.

दिन बीतते रहे. एक दिन यामिनी के पापा के तबादले की खबर आई. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में कौंस्टेबल थे. तबादले की वजह से पूरा परिवार आगरा आ गया.

यामिनी के मन से रोहित की उम्मीद अब लगभग खत्म सी हो गई थी.

आगरा में आ कर यामिनी को लगा कि शायद अपनी बीती जिंदगी को भूलने में अब आसानी हो. वह अकसर सोचती, ‘आगरा में ताजमहल है. कहते हैं वह मोहब्बत का प्रतीक है. लेकिन सचाई तो सारी दुनिया जानती है कि वह एक कब्र है. सही माने में वह मोहब्बत की कब्र है. ऊपर से रौनक है जबकि भीतर में एक दर्द दफन है. तो क्या उस के प्यार का भी यही हश्र होगा?’

घर में यामिनी की शादी की बात जब कभी होती तो उस का मन खिन्न हो जाता. शादी और प्यार दोनों से नफरत होने लगी थी उसे. जो चाहा वह मिला नहीं तो अनचाहे से भला क्या उम्मीद हो? उस ने सब को मना कर दिया कि कोई उस की शादी की बात न करे.

यामिनी को आगरा आए हुए 1 साल बीत चुका था. रोहित 3 साल से जाने किस दुनिया में गुम था. वह सोचती, ‘क्या रोहित को कभी मेरी याद नहीं आती होगी? अगर उस का प्यार छलावा था तो मुझे भुलावे में रखने की क्या जरूरत थी? एक बार अपने दिल की बात कह तो देता. मैं दिल में चाहे जितना भी रोती पर उसे माफ कर देती. कम से कम मेरा भ्रम तो टूट जाता कि प्यार सच्चा भी होता है?’

जब से यामिनी आगरा आई थी वह कहीं आतीजाती नहीं थी. नई जगह, नए लोग और अपने अधूरे प्यार में जलती रहती. कहीं भी उस का मन नहीं लगता. लेकिन एक दिन मां की जिद पर उसे पड़ोस में जाना पड़ा, क्योंकि पड़ोस की संध्या आंटी की बेटी नीला को लड़के देखने वाले आ रहे थे.

मां को लगा कि शायद शादीविवाह का माहौल देख कर यामिनी का मन कुछ बहल जाए. नीला का शृंगार करने की जिम्मेदारी यामिनी को सौंपी गई. अपना साजशृंगार भूल चुकी यामिनी नीला को सजाने में इतनी मसरूफ हुई कि नीला भी उस के कुशल हाथों की मुरीद हो गई. उस की सुंदरता से यामिनी को रश्क सा हो गया. शायद उस में ही कमी थी जो रोहित उस की दुनिया से दूर हो गया.

लड़के वाले आ चुके थे. नीला का शृंगार भी पूरा हो चुका था. नीला की मां चाहती थीं कि वही नीला को ले कर लड़के के पास जाए. यामिनी का जी नहीं कर रहा था. लेकिन संध्या आंटी का जी दुखाने का उस का इरादा न हुआ. वह बेमन से नीला के कंधे पर हाथ रख कर हाल की ओर चल पड़ी.

सामने सोफे पर बैठे लड़के को देख कर यामिनी गश खा कर गिर पड़ी. जिस का उस ने पलपल इंतजार किया, जिस के लिए आंसू बहाए, अपना सुखचैन छोड़ा और जो जाने क्यों चुपके से उस की जिंदगी से दूर चला गया था, वह बेवफा रोहित उस के सामने बैठा था, नीला के लिए किसी राजकुमार की तरह सज कर.

‘यामिनी… यामिनी…’ आंखें खोलो, तभी कोई मधुर आवाज यामिनी के कानों से टकराई. उस के मुंह पर पानी के छीटे मारे जा रहे थे. उस ने आंखें खोली. चिरपरिचित बांहों में उसे खुद के होने का एहसास हुआ.

‘‘आंखें खोलो यामिनी…’’ फिर वही मधुर आवाज हाल में गूंजी.

यामिनी के होंठ से कुछ शब्द फिसले, ‘‘तुम रोहित हो न?’’

‘‘हां यामिनी…मैं रोहित हूं.’’

यामिनी की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. वह बोल पड़ी, ‘‘तुम ने मुझ से बेवफाई क्यों की रोहित? कहां चले गए थे तुम मुझे बिना बताए. मैं आज तक तुम्हें ढूंढ़ रही हूं. तुम्हारे दूर जाने के बाद मैं कितना रोई हूं, कितना तड़पी हूं, तुम क्या जानो. अगर तुम मुझ से दूर होना चाहते थे तो मुझे बता देना चाहिए था न. मैं ही पागल थी जो तुम्हारे प्यार में घुलती रही आज तक.’’

‘‘मैं भी बहुत रोया हूं…बहुत तड़पा हूं,’’ रोहित बोला. उस ने कहा, ‘‘क्या वह दिन तुम्हें याद है जब तुम अंतिम बार मुझ से मिली थीं?’’

‘‘हां,’’ यामिनी बोली.

‘‘उस दिन तुम्हारे जाने के ठीक बाद तुम्हारे पापा आए थे 4-5 लोगों के साथ. सभी पुलिस की वरदी में थे.’’

‘‘क्या…’’ हैरानी से यामिनी की आंखें फटी की फटी रह गई.

रोहित ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे पापा ने कहा कि मैं तुम से कभी न मिलूं और तुम्हारी दुनिया से दूर हो जाऊं, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. उन के एक सहकर्मी ने हम दोनों को एकसाथ पार्क में देख लिया था और तुम्हारे पापा को बता दिया था. इसीलिए तुम्हारे पापा बेहद नाराज थे. वे मुझे तुम से दूर कर तुम्हारी जल्द शादी कर देना चाहते थे. अब तुम्हीं बताओ यामिनी, मैं क्या करता? पुलिस वालों से मैं कैसे लड़ता वह भी तुम्हारे पापा से. तुम्हारी जिंदगी में कोई तूफान नहीं आए, इसीलिए तुम से दूर जाने के सिवा मेरे पास कोई उपाय नहीं था.’’

‘‘और इसीलिए मैं ने अपना सिम कार्ड तोड़ कर फेंक दिया और दिल पर पत्थर रख कर दिल्ली आ गया. दिल्ली में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा. 1 साल के बाद मुझे बैंक में पीओ के पद के लिए चुन लिया गया. लेकिन मेरी जिंदगी में तुम नहीं थीं. इसीलिए खुशियां भी मुझ से रूठ गई थीं. हर पल मेरी आंखें तुम्हें ढूंढ़ती रहती थीं. लेकिन फिर खयाल आता कि तुम्हारी शादी हो गई होगी अब तक. यादों के सहारे ही जिंदगी गुजारनी होगी मुझे. पर न जाने क्यों, मेरा दिल यह मानता ही न था. लगता था कि तुम मेरे सिवा किसी और की हो ही नहीं सकती.’’

‘‘कहीं तुम अब भी मेरा इंतजार न कर रही हो, इसीलिए हिम्मत कर तुम से मिलने इलाहाबाद गया ताकि सचाई का पता चल सके. पर तुम सपरिवार कहीं और जा चुकी थीं. तुम्हें ढूंढ़ने की हर मुमकिन कोशिश के बाद भी जब तुम नहीं मिलीं तो अपने चाचाचाची की जिद पर खुद को हालात के हवाले कर दिया. इसीलिए आज मैं यहां हूं. लेकिन अब तुम मुझे मिल गई. अब कोई मुझे तुम से जुदा नहीं कर सकता.’’

रोहित के मुंह से इन शब्दों को सुन कर यामिनी के दिल को एक सुकून सा  मिला. यामिनी को महसूस होने लगा कि सच में सच्चा प्यार अटूट होता है. लेकिन उस के पापा रोहित को धमकाने गए थे, यह जान यामिनी हैरत में थी. उसे अब रोहित पर गर्व हो रहा था, क्योंकि वह बेवफा नहीं था. वह चाहता तो यामिनी को ढूंढ़ने के बजाए पहले ही कहीं और शादी कर लेता.

फ्रैंच फ्राइज खाकर हो गए हैं बोर, तो बनाएं आलू से बने ये हैल्दी स्नैक्स

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है क्योंकि भारतीय भोजन में आलू एक ऐसी सब्जी है जो सबके साथ फिट हो जाती है अर्थात आलू को किसी भी सब्जी के साथ बनाया जा सकता है. आलू से न केवल सब्जियां बल्कि विविध प्रकार के नाश्ते और मिठाईयां भी बनाई जाती हैं. आलू में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी और पोटेशियम जैसे अनेकों पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं.

आमतौर पर यह धारणा है कि आलू खाने से मोटापा बढ़ता है. दरअसल उबला या सब्जी में पकाकर खाया जाने वाला आलू सेहत के लिए लाभकारी होता है, परन्तु यदि आलू को तेल या घी में तल या फ्राई कर लिया जाता है तो उसमें फेट की मात्रा 2 से 4 गुनी तक बढ़ जाती जो मोटापे का कारण बनती है इसलिए जहां तक सम्भव हो आलू को सब्जी में या उबले स्वरूप में खाने की कोशिश की जानी चाहिए. आज हम आपको उबले आलू से बनने वाली कुछ सेहतमंद जल्दी बनने वाली डिशेज बता रहे हैं-

-आलू चोखा

कितने लोंगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय      10 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

उबले आलू                     4

बारीक कटा प्याज          1

बारीक कटा टमाटर         1

बारीक कटी हरी धनिया    1 टीस्पून

नमक                              1/4 टीस्पून

नीबू का रस                      1 टीस्पून

भुना जीरा पाउडर            1/4 टीस्पून

चाट मसाला                   1/2 टीस्पून

सरसों का तेल                1/4 टीस्पून

हींग                                 चुटकी भर

विधि

आलू को छीलकर अच्छी तरह मैश कर लें. अब इसमें सरसों के तेल को छोड़कर समस्त सामग्री डालकर अच्छी तरह चलाएं. सरसों के तेल को गर्म करें और हींग भूनकर आलू के मिश्रण में डालें. चोखा तैयार है इसे आप परांठा रोटी किसी के भी साथ सर्व कर सकतीं हैं.

-आलू का रायता

कितने लोगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय      10 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री      

उबले आलू                       2

ताजा दही                       2 कप

बारीक कटा हरा धनिया    1 टीस्पून

नमक                              स्वादानुसार

सरसों का तेल                   1/2 टीस्पून

हींग                                  चुटकी भर

जीरा                               1/4 टीस्पून

हरी मिर्च कटी                   2

लाल मिर्च पाउडर              1/4 टीस्पून

विधि

आलू को मोटा मोटा मैश कर लें. दही को फेंटकर उसमें  कटी मिर्च, धनिया, लाल मिर्च, नमक और मैश किये आलू मिलाएं. सरसों का तेल गरम करके हीग भूनकर तैयार रायते में बघार लगाएं. ये रायता खाने में बहुत टेस्टी लगता है.

-आलू की चाट

कितने लोगों के लिए           2

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                         वेज

सामग्री           

उबले आलू                        2

बारीक कटा प्याज              1

बारीक कटी हरी मिर्च          2

बारीक कटा हरा धनिया       1 लच्छी

फीकी सेव                         1 टीस्पून

अनार के दाने                     1 टीस्पून

काला नमक                       1/4 टीस्पून

चाट मसाला                      1/4 टीस्पून

इमली की मीठी चटनी         1 टीस्पून

धनिया की खट्टी चटनी          1 टीस्पून

ताजा दही                           1 टेबलस्पून

पिसी शकर                          1/4 टीस्पून

विधि

आलू को छीलकर मोटा मोटा तोड़कर एक बाउल में डाल लें. दही को शकर डालकर फेंट लें. अब हरा धनिया, फीकी सेव और अनार के दानों को छोड़कर समस्त सामग्री को आलू में डालकर मिला लें. सर्विंग डिश में डालकर ऊपर से हरा धनिया, फीकी सेव और अनार के दानों से गार्निश करके सर्व करें.

बहूबेटी : क्यों बदल गए सपना की मां के तेवर

जब से वे सपना की शादी कर के मुक्त हुईं तब से हर समय प्रसन्नचित्त दिखाई देती थीं. उन के चेहरे से हमेशा उल्लास टपकता रहता था. महरी से कोई गलती हो जाए, दूध वाला दूध में पानी अधिक मिला कर लाए अथवा झाड़ पोंछे वाली देर से आए, सब माफ था. अब वे पहले की तरह उन पर बरसती नहीं थीं. जो भी घर में आता, उत्साह से उसे सुनाने बैठ जातीं कि उन्होंने कैसे सपना की शादी की, कितने अच्छे लोग मिल गए, लड़का बड़ा अफसर है, देखने में राजकुमार जैसा. फिर भी एक पैसा दहेज का नहीं लिया. ससुर तो कहते थे कि आप की बेटी ही लक्ष्मी है और क्या चाहिए हमें. आप की दया से घर में सब कुछ तो है, किसी बात की कमी नहीं. बस, सुंदर, सुसंस्कृत व सुशील बहू मिल गई, हमारे सारे अरमान पूरे हो गए. शादी के बाद पहली बार जब बेटी ससुराल से आई तो कैसे हवा में उड़ी जा रही थी. वहां के सब हालचाल अपने घर वालों को सुनाती, कैसे उस की सास ने इतने दिनों पलंग से नीचे पांव ही नहीं धरने दिया. वह तो रानियों सी रही वहां. घर के कामों में हाथ लगाना तो दूर, वहां तो कभी मेहमान अधिक आ जाते तो सास दुलार से उसे भीतर भेजती हुई कहती, ‘‘बेचारी सुबह से पांव लगतेलगते थक गई, नातेरिश्तेदार क्या भागे जा रहे हैं कहीं. जा, बैठ कर आराम कर ले थोड़ी देर.’’

और उस की ननद अपनी भाभी को सहारा दे कर पलंग पर बैठा आती. यह सब जब उन्होंने सुना तो फूली नहीं समाईं. कलेजा गज भर का हो गया. दिन भर चाव से रस लेले कर वे बेटी की ससुराल की बातें पड़ोसिनों को सुनाने से भी नहीं चूकतीं. उन की बातें सुन कर पड़ोसिन को ईर्ष्या होती. वे सपना की ससुराल वालों को लक्ष्य कर कहतीं, ‘‘कैसे लोग फंस गए इन के चक्कर में. एक पैसा भी दहेज नहीं देना पड़ा बेटी के विवाह में और ऐसा शानदार रोबीला वर मिल गया. ऊपर से ससुराल में इतना लाड़प्यार.’’

उस दिन अरुणा मिलने आईं तो वे उसी उत्साह से सब सुना रही थीं, ‘‘लो, जी, सपना को तो एम.ए. बीच में छोड़ने तक का अफसोस नहीं रहा. बहुत पढ़ालिखा खानदान है. कहते हैं, एम.ए. क्या, बाद में यहीं की यूनिवर्सिटी में पीएच.डी. भी करवा देंगे. पढ़नेलिखने में तो सपना हमेशा ही आगे रही है. अब ससुराल भी कद्र करने वाला मिल गया.’’ ‘‘फिर क्या, सपना नौकरी करेगी, जो इतना पढ़ा रहे हैं?’’ अरुणा ने उन के उत्साह को थोड़ा कसने की कोशिश की.

‘‘नहीं जी, भला उन्हें क्या कमी है जो नौकरी करवाएंगे. घर की कोठी है. हजारों रुपए कमाते हैं हमारे दामादजी,’’ उन्होंने सफाई दी. ‘‘तो सपना इतना पढ़लिख कर क्या करेगी?’’

‘‘बस, शौक. वे लोग आधुनिक विचारों के हैं न, इसलिए पता है आप को, सपना बताती है कि सासससुर और बहू एक टेबल पर बैठ कर खाना खाते हैं. रसोई में खटने के लिए तो नौकरचाकर हैं. और खानेपहनाने के ऐसे शौकीन हैं कि परदा तो दूर की बात है, मेरी सपना तो सिर भी नहीं ढकती ससुराल में.’’ ‘‘अच्छा,’’ अरुणा ने आश्चर्य से कहा.

मगर शादी के महीने भर बाद लड़की ससुराल में सिर तक न ढके, यह बात उन के गले नहीं उतरी. ‘‘शादी के समय सपना तो कहती थी कि मेरे पास इतने ढेर सारे कपड़े हैं, तरहतरह के सलवार सूट, मैक्सी और गाउन, सब धरे रह जाएंगे. शादी के बाद तो साड़ी में गठरी बन कर रहना होगा. पर संयोग से ऐसे घर में गई है कि शादी से पहले बने सारे कपड़े काम में आ रहे हैं. उस के सासससुर को तो यह भी एतराज नहीं कि बाहर घूमने जाते समय भी चाहे…’’

‘‘लेकिन बहनजी, ये बातें क्या सासससुर कहेंगे. यह तो पढ़ीलिखी लड़की खुद सोचे कि आखिर कुंआरी और विवाहिता में कुछ तो फर्क है ही,’’ श्रीमती अरुणा से नहीं रहा गया. उन्होंने सोचा कि शायद श्रीमती अरुणा को उन की पुत्री के सुख से जलन हो रही है, इसीलिए उन्होंने और रस ले कर कहना शुरू किया, ‘‘मैं तो डरती थी. मेरी सपना को शुरू से ही सुबह देर से उठने की आदत है, पराए घर में कैसे निभेगी. पर वहां तो वह सुबह बिस्तर पर ही चाय ले कर आराम से उठती है. फिर उठे भी किस लिए. स्वयं को कुछ काम तो करना नहीं पड़ता.’’

‘‘अब चलूंगी, बहनजी,’’ श्रीमती अरुणा उठतेउठते बोलीं, ‘‘अब तो आप अनुराग की भी शादी कर डालिए. डाक्टर हो ही गया है. फिर आप ने बेटी विदा कर दी. अब आप की सेवाटहल के लिए बहू आनी चाहिए. इस घर में भी तो कुछ रौनक होनी ही चाहिए,’’ कहतेकहते श्रीमती अरुणा के होंठों की मुसकान कुछ ज्यादा ही तीखी हो गई.

कुछ दिनों बाद सपना के पिता ने अपनी पत्नी को एक फोटो दिखाते हुए कहा, ‘‘देखोजी, कैसी है यह लड़की अपने अनुराग के लिए? एम.ए. पास है, रंग भी साफ है.’’ ‘‘घरबार कैसा है?’’ उन्होंने लपक कर फोटो हाथ में लेते हुए पूछा.

‘‘घरबार से क्या करना है? खानदानी लोग हैं. और दहेज वगैरा हमें एक पैसे का नहीं चाहिए, यह मैं ने लिख दिया है उन्हें.’’ ‘‘यह क्या बात हुई जी. आप ने अपनी तरफ से क्यों लिख दिया? हम ने क्या उसे डाक्टर बनाने में कुछ खर्च नहीं किया? और फिर वे जो देंगे, उन्हीं की बेटी की गृहस्थी के काम आएगा.’’

अनुराग भी आ कर बैठ गया था और अपने विवाह की बातों को मजे ले कर सुन रहा था. बोला, ‘‘मां, मुझे तो लड़की ऐसी चाहिए जो सोसाइटी में मेरे साथ इधरउधर जा सके. ससुराल की दौलत का क्या करना है?’’

‘‘बेशर्म, मांबाप के सामने ऐसी बातें करते तुझे शर्म नहीं आती. तुझे अपनी ही पड़ी है, हमारा क्या कुछ रिश्ता नहीं होगा उस से? हमें भी तो बहू चाहिए.’’ ‘‘ठीक है, तो मैं लिख दूं उन्हें कि सगाई के लिए कोई दिन तय कर लें. लड़की दिल्ली में भैयाभाभी ने देख ही ली है और सब को बहुत पसंद आई है. फिर शक्लसूरत से ज्यादा तो पढ़ाई- लिखाई माने रखती है. वह अर्थशास्त्र में एम.ए. है.’’

उधर लड़की वालों को स्वीकृति भेजी गई. इधर वे शादी की तैयारी में जुट गईं. सामान की लिस्टें बनने लगीं. अनुराग जो सपना के ससुराल की तारीफ के पुल बांधती अपनी मां की बातों से खीज जाता था, आज उन्हें सुनाने के लिए कहता, ‘‘देखो, मां, बेकार में इतनी सारी साडि़यां लाने की कोई जरूरत नहीं है, आखिर लड़की के पास शादी के पहले के कपड़े होंगे ही, वे बेकार में पड़े बक्सों में सड़ते रहें तो इस से क्या फायदा.’’

‘‘तो तू क्या अपनी बहू को कुंआरी छोकरियों के से कपड़े यहां पहनाएगा?’’ वह चिल्ला सी पड़ीं. ‘‘क्यों, जब जीजाजी सपना को पहना सकते हैं तो मैं नहीं पहना सकता?’’

वे मन मसोस कर रह गईं. इतने चाव से साडि़यां खरीद कर लाई थीं. सोचा था, सगाई पर ही लड़की वालों पर अच्छा प्रभाव पड़ गया तो वे बाद में अपनेआप थोड़ा ध्यान रखेंगे और हमारी हैसियत व मानसम्मान ऊंचा समझ कर ही सबकुछ करेंगे. मगर यहां तो बेटे ने सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया. रात को सोने के लिए बिस्तर पर लेटीं तो कुछ उदास थीं. उन्हें करवटें बदलते देख कर पति बोले, ‘‘सुनोजी, अब घर के काम के लिए एक नौकर रख लो.’’

‘‘क्यों?’’ वह एकाएक चौंकीं. ‘‘हां, क्या पता, तुम्हारी बहू को भी सुबह 8 बजे बिस्तर पर चाय पी कर उठने की आदत हो तो घर का काम कौन करेगा?’’

वे सकपका गईं. सुबह उठीं तो बेहद शांत और संतुष्ट थीं. पति से बोलीं, ‘‘तुम ने अच्छी तरह लिख दिया है न, जी, जैसी उन की बेटी वैसी ही हमारी. दानदहेज में एक पैसा भी देने की जरूरत नहीं है, यहां किस बात की कमी है, मैं तो आते ही घर की चाबियां उसे सौंप कर अब आराम करूंगी.’’ ‘‘पर मां, जरा यह तो सोचो, वह अच्छी श्रेणी में एम.ए. पास है, क्या पता आगे शोधकार्य आदि करना चाहे. फिर ऐसे में तुम घर की जिम्मेदारी उस पर छोड़ दोगी तो वह आगे पढ़ कैसे सकेगी?’’ यह अनुराग का स्वर था.

उन की समझ में नहीं आया कि एकाएक क्या जवाब दें. कुछ दिन बाद जब सपना ससुराल से आई तो वे उसे बातबात पर टोक देतीं, ‘‘क्यों री, तू ससुराल में भी ऐसे ही सिर उघाड़े डोलती रहती है क्या? वहां तो ठीक से रहा कर बहुओं की तरह और अपने पुराने कपड़ों का बक्सा यहीं छोड़ कर जाना. शादीशुदा लड़कियों को ऐसे ढंग नहीं सुहाते.’’

सपना ने जब बताया कि वह यूनिवर्सिटी में दाखिला ले रही है तो वे बरस ही पड़ीं, ‘‘अब क्या उम्र भर पढ़ती ही रहेगी? थोड़े दिन सासससुर की सेवा कर. कौन बेचारे सारी उम्र बैठे रहेंगे तेरे पास.’’ आश्चर्यचकित सपना देख रही थी कि मां को हो क्या गया है?

गृहशोभा एम्पावर हर, अहमदाबाद

दिल्ली प्रेस पब्लिकेशन के तहत गृहशोभा एम्पावर हर कार्यक्रम आयोजित किया गया. 20 जुलाई, अहमदाबाद होटल सिल्वर क्लाउड में गृहशोभा एम्पावर हर कार्यक्रम के लिए मणिनगर, रानीप, चांदखेडा, निकोल, घोडासर, नारणपुरा, जूना वाडज, थलतेज, बारेजा, नारोल से कई महिलाए उपस्थित रही थी.

हेल्लो रीडर्स, वेलकम टू गृहशोभा एम्पावर हर इवेन्ट पिछले दिनों एकदूसरे को एम्पावर, इन्स्पायर और आगे लाने के लिए कई महिलाएं एकसाथ आगे आई. खुशी भट्ट, प्रोग्राम होस्टने बखूबी सभी को उत्साहित किया. हेल्थ, ब्यूटी और फाइनेंशियल फ्रीडम कि सेलिब्रेशन के लिए सभी महिलाएं उत्साहित नजर आई.

सब से पहले जानेमाने न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ एज्युकेटर पूजा वोराने इवेन्ट के इन्टरेक्टिव सेशन में खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए  समजाया कि सोशल मीडिया पर पोषण के बारे में गलत इन्फर्मेशन हमें कैसे असर करती है. उन्होने स्वस्थ रहने कि सिम्पल टिप्स दी. उन्होंने 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को स्वास्थ्य हेतु सतर्क रहने के लिए जोर दिया. उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर जागृत रहने और स्वास्थ्य समस्याओ कि रोकथाम के लिए नियमित हेल्थ चेकअप को प्रोत्साहन दिया. कई समजदार सवाल और महत्त्वपूर्ण चर्चा के साथ ओडियन्स कि क्रियाप्रतिक्रिया जीवंत थी.

लेडीज एन्ड गर्ल्स, गृहशोभा कि इवेन्ट के लिए स्पोन्सर्स भी उतने ही उत्साहित दिखे.

होमियोपेथी के क्षेत्र में 1983 से वर्ल्ड क्लास लीडर रह चूका एसबीएल प्रीमियम होमियोपेथी प्रोडक्ट उत्पादन में अग्रेसर है. एसबीएल जिंदगी को प्राकृतिक तौर पर आगे बढाने के लिए कटिबद्ध है. एसबीएल द्वारा सवालजवाब का खेल खेला गया और 10 विनर्स को गिफ्ट दिये गए.

सांकलचंद करसनदास ट्रेडिंग फाईव स्टार (पांच तारा) द्वारा सवालजवाब के गेम में विनर्स को भेट भी दी गई. फाईव स्टार का फराली वानगी में 45 साल से लोगो के दिल दिमाग पर वर्चस्व है. पांच तारा में राजगरा आटा, मोरैया, साबुदाना, शिंगाडे का आटा, मखाना और हिमालयन रोक सोल्ट प्रीमियम प्रोडक्ट है. फाईव स्टार अपने चहिते ग्राहको को सर्जनात्मक और अच्छे से अच्छी क्वोलिटी देने के लिए प्रतिबद्ध है.

दूसरे सेशन में आशा मयूर नाई को 12 साल से भी ज्यादा फ्रीलान्स मेकअप एन्ड स्किन केर एक्सपर्ट का अनुभव है. स्किन कि देखभाल लाईफ लोंग लेसन है. हमारी स्किन कि जिंदगी के कई पडाव पर विभिन्न जरुरत रहती है. स्किन को प्राथमिक तौर पर जेन्टली साफ करना चाहिए. स्किन कि विविध ट्रीटमेन्ट में सीरम, पीएच लेवल को बेलेन्स करने के लिए सही टोनर, मोईश्चराईजर जरुरी है.

ईस के अलावा उन्होने ये भी बताया कि स्किन पर लाईफ स्टाईल का भी प्रभाव रहता है. स्ट्रेस से जलन, मुंहासे और प्रीमेच्योर एजिंग जैसी समस्या हो सकती है. बेलेन्स डायट पोषक तत्त्वो से भरपूर होना चाहिए. अच्छी निंद भी स्किन को रिज्युविनाईट और रिपेर करने का काम करती है.

स्किन केर प्रोडक्ट पसंदगी भी बहुत खास है. अगर आप की स्किन ड्राय, ओईली, कोम्बिनेशन या सेन्सिटिव है तो उसके आधार पर प्रोडक्ट पसंदगी भी होनी चाहिए. बेस्ट क्वोलिटी, सायन्स बेस प्रोडक्ट का इस्तेमाल करे. बजट और परिणाम फ्रेन्डली प्रोडक्ट में इन्वेस्ट करे. कोई भी प्रोडक्ट को रुटिन इस्तेमाल में लाने से पहले उस का पेच टेस्ट जरूरी है. आप प्राकृतिक होम रेमेडी का भी उपयोग करे. जिस में एलोवेरा, हनी, ओटमील और कोकोनट ओईल का इस्तेमाल भी हो सकता है. आखिर में मिस श्वेता रोबर्ट्स द्वारा आशा जी को सन्मानित भी किया गया.

उस के बाद सत्वम स्पाईस एन्ड इन्स्टन्ट मिक्स द्वारा सवाल-जवाब कि गेम करवाई गई. जिस में गेम विजेता बने 10 विनर्स को ईनाम दिये गये.

सत्वम न्यूट्रिफूड्स लिमिटेड, सत्वम नाम का अर्थ शुद्धता और सहज शक्ति है. सत्वम मसाला प्रस्तुत करते है क्रायोजेनिक टेक्नोलोजी से बने मसाले जो रहते है सालभर के लिए शुद्ध और फ्रेश. सत्वम मसाला कि विस्तृत श्रेणी में हिंग, लाल मिर्च, हल्दी, धनिया, जीरा, ब्लेन्डेड मसालो में रजवाडी गरम मसाला, किचन किंग, इन्स्टन्ट मिक्स में गुलाब जामुन, बासूंदी, वाटीदाल खमन, ढोकला, ईडली और उनके मिलेट इन्स्टन्ट मिक्स को न भूलना. उस में आप को मिलेंगे मसाला खिचडी, हांडवा, खीचुं, ढोंसा, उपमा. सत्वम मसाला विदेश में अमेरिका, यू.के., ओस्ट्रेलिया, आफ्रिका, गल्फ में भी उपलब्ध है. मसालो को स्टोर करना छोड इस्तेमाल करे स्मार्ट मसाला, सत्वम मसाला.

मिस हेतल कोटक एन्ड कोटक चार्टर एकाउन्टन्ट के फाउन्डर और पार्टनर है. वे इन्कमटेक्स, जीएसटी जैसे विषय के एक्सपर्ट है. आर्थिक स्वतंत्रता महिला सशक्तीकरण का अहम हिस्सा है. आज कि गतिशील अर्थव्यवस्था में, महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तीकरण पहले से ज्यादा निर्णायक है. पैसो पर अंकुश पाने से सिर्फ सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती लेकिन विकास और स्वतंत्रता कि नई दिशाएर्ं खूलती है. सक्रिय आवक, प्रत्यक्ष रोजगार व स्व रोजगार से कमाए हुए पैसे है. महिलाओं के लिए सक्रिय आवक आर्र्थिक स्थिरता का प्राथमिक स्त्रोत है. इसे बढ़ाने के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर खोजने चाहिए. कौशल्य बढाने के लिए और कमाई के नए अवसर बढाने के लिए उद्योग में वर्कशोप में हाजरी दे. नेटवर्क बढायें. फ्रीलान्स वर्क या पार्ट टाईम जौब के अवसर खोजे. जो आप कि कुशलता और रुचि के अनुरूप हो. उस से सिर्फ आवक ही नहीं, आवक के स्त्रोत में वैविध्य खोजे.

वेलकम करते है एसोसियेट स्पोन्सर्स मनिपाल सिग्ना के मीहिर भट्ट का. उन्होने प्रसंग के अनुसंधान में बताया, मनिपाल सिग्ना हेल्थ इन्स्योरन्स कंपनी मनिपाल ग्रूप और सिग्ना हेल्थकेर का जोईन्ट वेन्चर है. पिछले दस साल से मनिपाल सिग्ना भारतीय मार्केट में हेल्थ और वेलनेस क्षेत्र में हेल्थ इन्स्योरन्स एक्सपर्ट कि भूमिका अच्छे से निभा रहा है.

सभी महिलाओं ने वक्ताओ को शांति से सूना और प्रेरित हो जिंदगी में कुछ नया करने के उत्साह के साथ गृहशोभा द्वारा आयोजित एम्पावर हर प्रोग्राम को सफल बनाया.

गृहशोभा एम्पावर हर कार्यक्रम के प्रायोजक थे : एसबीएल होमियोपेथी, हेल्थ इन्स्योरन्स का जाना पहचाना नाम मनिपाल सिग्ना ग्रूप एन्ड इन्स्योरन्स एलआईसी, एलआईसी का अर्थ विश्वास भारत कि नंबर वन इन्स्योरन्स पोलिसी, फाईव स्टार, तिरुपति ओईल, सत्वम स्पाईस एन्ड इन्स्टन्ट मिक्स.

सभी निमंत्रित वक्ताओ का स्वागत दिल्ली प्रेस कि श्वेता रोबर्ट्स, ईला जी ने भेट देकर किया.

इवेन्ट प्लेस पर मौजूद महिलाओने कार्यक्रम कि दिल से सराहना करते हुए भोजन का स्वाद लिया. आखिर में गिफ्ट लेकर धन्यवाद भी दिया. तमाम महिलाए गृहशोभा के भावि इवेन्ट में उपस्थित रहने के लिए पूछताछ भी करने लगी.

नए ट्रैक “रोम बिम बाम” के साथ जहरा एस खान का ग्लोबल म्यूजिक के मंच पर कदम

सेंसेशनल सिंगर और एक्ट्रेस जहरा एस खान ने अपने बहुप्रतीक्षित इंटरनेशनल डेब्यू को नए ट्रैक “रोम बिम बाम” के साथ किया है. यह सांग, ग्लोबल म्यूजिक सेंसेशन एडवर्ड माया और गतिशील जोड़ी राम्बी और बाम्बी के साथ मिलकर बनाया गया है, जो अपनी यूनिक और कैची ट्यून्स के साथ दुनिया भर के औडियंस को प्रभावित करने के लिए तैयार है.

ग्लोबल म्यूजिक पर कदम

“रोम बिम बाम” जहरा के करियर में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है क्योंकि वह ग्लोबल म्यूजिक के मंच पर कदम रख रही है. यह सांग एडवर्ड माया की सिग्नेचर प्रोडक्शन स्टाइल को ज़हरा के इमोशनल ट्यून और राम्बी और बाम्बी के यूनिक चार्म के साथ आसानी से ब्लेंड हो जाता है, जो वास्तव में अविस्मरणीय ध्वनि अनुभव बनाता है.

एक्साइटिंग न्यू म्यूजिक जर्नी

“लव स्टीरियो अगेन” की भारी सफलता के बाद, जिसे यूट्यूब पर 600 मिलियन से अधिक बार देखा गया, ज़हरा और एडवर्ड इस न्यू म्यूजिक जर्नी पर निकलने के लिए एक्साइटेड हैं. ज़हरा एस खान का कहना है, “मैं इस अद्भुत सहयोग का हिस्सा बनकर बेहद उत्साहित हूं.” “एडवर्ड माया और रॉम्बी एंड बॉम्बी के साथ काम करना एक सपने जैसा है. ‘रोम बिम बॉम’ एक ऐसा सांग है जो मुझे लगता है कि सभी क्षेत्रों के लोगों को पसंद आएगा!”

यूनिक ट्रैक

“स्टीरियो लव” जैसे अपने चार्ट-टॉपिंग हिट के लिए प्रसिद्ध, एडवर्ड माया ने ट्रैक में अपनी अद्वितीय विशेषज्ञता लाई है, जिसमें उन्होंने हाउस, डांस और पॉप तत्वों का अपना सिग्नेचर मिश्रण डाला है.

लास्टिंग इम्पैक्ट

“रोम बिम बाम’ के लिए ज़हरा के साथ फिर से जुड़ना एक स्वाभाविक प्रगति थी. हम जो ऊर्जा और रचनात्मकता साझा करते हैं, उसे नकारा नहीं जा सकता. हमने इस ट्रैक के साथ सीमाओं को आगे बढ़ाया है, और मुझे विश्वास है कि यह एक स्थायी प्रभाव छोड़ेगा,” एडवर्ड माया कहते हैं.

मल्टीटेलेंटेड आर्टिस्ट 

ज़हरा एस खान एक मल्टीटेलेंटेड सिंगर और एक्ट्रेस हैं जिन्होंने अपनी इमोशनल आवाज़ और करिश्माई स्क्रीन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है. “कुसु” और “डांस मेरी रानी” जैसे चार्ट-टॉपिंग हिट के साथ, ज़हरा ने खुद को इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री में एक लीडिंग फीगर के रूप में स्थापित किया है.

डिफरेंट इम्प्रेशन

एडवर्ड माया एक रोमानियाई प्रोड्यूसर, म्यूजिशियन और कंपोजर हैं जो इलेक्ट्रौनिक म्यूजिक फील्ड में अपने कान्ट्रिब्यूशन के लिए फेमस हैं. क्लासीकल बैकग्राउंड होने के साथ, हाउस, डांस और पौप एलिमेंट्स के उनके यूनिक मिक्स ने दुनिया भर के औडियंस पर अलग ही छाप छोड़ी है. उनका आइकोनिक ट्रैक “स्टीरियो लव” एक वैश्विक घटना (global phenomenon) बनी हुई है.

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