मोहमोह के धागे: मानसिक यंत्रणा झेल रही रेवती की कहानी

वीर प्रताप के घर के सामने रिश्तेदार, पड़ोसियों और दूरदराज के सभी जानने वालों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी. दुखद सन्नाटा पसरा था. लोग सिर  झुकाए खड़े थे. बीचबीच में महिलाओं के दिल दहलाने वाली रोने की आवाजें बाहर तक आ जाती थीं. दरअसल, कल ही वीर प्रताप का बड़ा बेटा रणवीर, जम्मू के पास कुछ आतंकवादियों के साथ होने वाली मुठभेड़ में शहीद हो गया था. खबर मिलते ही लोग जमा होने लगे.

जब रणवीर का पार्थिव शरीर ले कर घर पहुंचे तो हाहाकार मच गया. एक ओर शहीद रणवीर की जयजयकार से आसपास का सारा इलाका गुंजित हो रहा था, दूसरी ओर उस के पार्थिव शरीर को देखते ही घर में रुदन, चीखपुकार का दृश्य दिल दहला रहा था. शाम होतेहोते पूरे राजकीय सम्मान के साथ रणवीर का अंतिम संस्कार हो गया.

घर में गहरी उदासी छाई थी. रणवीर की मां को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि उस का लाड़ला दुनिया से विदा हो चुका है. वे रो नहीं रही थीं बल्कि विस्फारित आंखों से देख रही थीं. कुछ महिलाएं उन्हें रुलाने की असफल कोशिश कर रही थीं.

सब से दयनीय हालत शहीद रणवीर की पत्नी रेवती की थी. रेवती सिर्फ 3 वर्षों पहले इस घर में सजीले रणवीर की बहू बन कर आई थी. राजपूती कदकाठी, चेहरे पर नूर, आंखों में अथाह मस्तीभरी थी. इन्हीं गुणों को देख रणवीर ने पहली बार देखने पर ही विवाह की हामी भर दी थी. दानदहेज न मिलने की आशंका पहले से ही थी. रेवती पितृविहीन थी. घर में मां और छोटा भाई था. रेवती के बहू बन कर आते ही घर में उजाला सा हो गया. रणवीर 2 महीने की छुट्टी पर आता. घर में रौनक हो जाती थी.

दोनों भाई मिल कर रेवती से हंसीमजाक करते थे. रेवती हाजिरजवाब थी. उस के खुशमिजाज स्वभाव से सारा घर गुलजार रहता. वही रेवती आज पति की मृत्यु के गहरे आघात से बेहोश पड़ी थी. विवाह के 2 महीने बाद ही रणवीर चला गया था. रेवती ने ससुराल में बड़ी बहू की जिम्मेदारी को बड़ी कुशलता से संभाल लिया था. रणवीर साल में एक या दो बार आता. परिवार को साथ नहीं रख सकता था. इसलिए रेवती ससुराल में ही रही.

जिस रेवती के रूपशृंगार से सारा घर दमकता था, उसी शृंगार को उजाड़ने के लिए रूढि़वाद समाज डट कर खड़ा हो गया. रिश्तेनाते, पड़ोस की महिलाएं बेहोश रेवती को पानी डालडाल कर होश में ला रही थीं. उन में से कुछ बड़ी बेदर्दी से उस की चूडि़यां तोड़ने, मांग का सिंदूर, बिंदी मिटाने, मंगलसूत्र, पायल, और बिछुए जैसी सुहाग की निशानियां उतारने के लिए बड़ी तत्परता से जुटी थीं. रेवती के ऊपर अमानवीय अत्याचार इस पढ़ेलिखे समाज के सामने होते रहे. परंतु कहीं से कोई विरोध का स्वर नहीं उठा.

देखतेदेखते चौथे की बैठक भी हो गई. थोड़ी सी जयजयकार करवा कर बेचारा रणवीर पत्नी को निसंतान छोड़ कर दुनिया से चला गया. पीछे अनेक ज्वलंत समस्याएं रह गईं जो अभी पत्नी और परिवार वालों को सुल झानी शेष थीं.

हर साल देश में आतंकवाद के नाम पर, नक्सलवादियों के हमलों में निर्दोष जवान शहीद होते हैं. चंद दिनों की जयजयकार कर समाज उन्हें भुला देता है और उन के परिवारों को  असहाय हाल में छोड़ दिया जाता है. उन को किनकिन संकटों से गुजरना पड़ता है, यह तो उन की विधवाएं या परिवार ही जानते हैं. परिवार वाले क्याक्या कुर्बानियां देते हैं, यह कोई नहीं जानता.

रेवती के इस उजड़े रूप को देखना सभी के लिए मुश्किल था. सहसा देख कर विश्वास नहीं होता कि यह वही रेवती है जो राजस्थान की परंपरागत पोशाक लहंगाचुनर, जो चटकीले रंगों के होते हैं, लाख की चूडि़यां, माथे पर बोरला, पैरों में पायल पहने छमछम करती घर में घूमा करती थी.

अभी 2 महीने पहले ही तो रणवीर के छोटे भाई राजवीर की शादी में कितना नाची थी. सारे रिश्तेदार देखते ही रह गए. कभी घूमरघूमर कर पद्मावती की तरह नाचती, तो कभी ‘मोरनी बागा में बोले आधी रात में…’ गाने की धुन पर नाचती. रणवीर को भी पकड़ कर साथ नाचने के लिए बाध्य करती. रोशनी से नहाई कोठी आज रणवीर की शहादत के बाद अंधेरे में डूबी सी उदास खड़ी थी.

कुछ दिनों बाद दुनिया पहले की तरह चलने लगी. राजवीर का औफिस उसी शहर में था. उस ने औफिस जाना शुरू कर दिया. देवरानी भी एक स्कूल में लग गई. रेवती को कुछ समय के लिए मायके भेज दिया गया. मायके में मां और भाईभाभी ही थे. मायके में जा कर रेवती का मन और व्यथित हो गया. रणवीर के साथ, या राखी, भाईदूज पर जब वह आती तो मां, भाईभाभी मानो बिछबिछ जाते. पूरे सजधज में जब वह आती तो महल्ले के लोग भी उस को देख रश्क करते. मां बचाई जमापूंजी से अच्छी से अच्छी खातिर करने की कोशिश करतीं. रेवती सब के लिए उपहार और मिठाई ले कर जाती. इस बार हालात बदल चुके थे.

रेवती का ऐसा उजड़ा रूप, मुख पर गहरी उदासी देखी नहीं जा रही थी. उस के मायके में पहुंचते ही एक बार फिर रुदनविलाप के स्वर गूंजे. बहुत नजदीकी पड़ोस वाले भी आ कर जमा हो गए. कुछ महिलाएं आत्मीयता और सहानुभूति दिखाने के लिए स्वर में स्वर मिला रोेने लगीं. कुछ पड़ोसिनें तो बजाय रेवती को दिलासा देने के, उस के बुरे समय के किस्से कहने लगीं. कुछ देर बाद मातमपुरसी को आई महिलाओं को हाथ जोड़ते हुए विदा किया गया. रेवती एक मूर्ति की तरह अंदर सिर  झुका कर बैठ गई.

मायके में कुछ दिन निकल गए. पर अब रेवती को अपने प्रति सब का बदला हुआ व्यवहार महसूस होने लगा. मां की डोर भी भाईभाभी के हाथ में थी. विधवा बेटी के लिए कुछ नहीं कर पातीं. उधर, भाभी का फुसफुसाते हुए उस के बारे में बातें करना वह कितनी बार सुन चुकी थी. जब भाभी तैयार हो कर घूमने या किसी आयोजन में जातीं, तो रेवती से छिप कर निकलतीं. मां भी इशारोंइशारों में रेवती को संकेत दे चुकी थीं कि शुभ अवसरों पर कमरे के अंदर ही बैठना.

रेवती का मन अब मायके से उचाट हो गया था. जाए तो कहां जाए? जब तक ससुराल से कोई बुलाए नहीं, वहां भी तो नहीं जा सकती. एक दिन अचानक देवर लेने आ गया. उसे कुछ तसल्ली हो गई. दरअसल, रणवीर के औफिस में कुछ जरूरी कागजात पर साइन करने के लिए रेवती को बुलाया गया था. रेवती उसी दिन ससुराल के लिए लौट गई. मां या भाईभाभी किसी ने भी उसे दोबारा आने को नहीं कहा. रेवती का दिल अंदर ही अंदर टुकड़ेटुकड़े हो गया. इसी मायके के लिए वह कैसी उतावली रहा करती थी.

ससुराल में भी जा कर मन को शांति न मिली. 3-4 दिन ससुर के साथ रणवीर के औफिस जाने में बीत गए. जो पैसा मिला, उस की रेवती के नाम की एफडी बनवा दी गई. पहले सास और बहू मिल कर घर के काम पूरे कर लिया करती थीं. शाम को देवरानी भी साथ देती थी. अब सास एकदम कमजोर हो गई थीं. बातचीत भी कम ही करतीं. ससुर सारा दिन अखबार या टीवी देख समय बिताते. देवरदेवरानी सुबह से गए, शाम को घर आते.

देवरानी रसोई में आ कर रेवती का हाथ बंटाती. वह अपनी स्कूल की दिनचर्या, सहकर्मियों के साथ की गई बातचीत, बच्चों की मासूम शरारतों के बारे में बताती रहती. रेवती के पास तो कुछ भी नहीं होता बताने को. वह मन मसोस कर काम में लगी रहती. सोचती, एक बच्चा ही होता तो जिंदगी कट जाती. अब सास तो शारीरिक कमजोरी की वजह से कहीं आतीजाती न थीं. घर में ही सोच में पड़ी रहतीं. किसी विशेष दिन या त्योहार पर रेवती ही परिवार की ओर से मंदिर में चढ़ावा, दान आदि देने जाने लगी.

एक दिन रेवती ने सुना कि मंदिर में एक बहुत पहुंचे हुए साधु महाराज

10 दिन के लिए आने वाले हैं. वह कई सालों में से किसी घने अरण्य में तपस्या में लीन थे. उन्हें सिद्धि प्राप्त हो गई है. अब वे मानव कल्याण हेतु विभिन्न मंदिरों में जा कर प्रवचन देंगे और भक्तों की समस्याओं का निदान करेंगे. यह सुन रेवती को मानो राह मिल गई. उस ने सोचा, साधुमहाराज से अपने कष्टों के निवारण के लिए उपाय पूछेगी.

अगले दिन रेवती ने जल्दी ही घर के काम निबटा लिए. वह मंदिर में जा कर साधुमहाराज के दर्शन के लिए खड़ी हो गई. कुछ ही देर में एक फूलों से सजी जीप में अपने अनुयायियों के साथ एक युवा साधु उतरे. उन के उतरते ही वहां खड़ी भीड़ ने फूलों की वर्षा के साथ गगनभेदी जयजयकार से पूरा इलाका गुंजित कर दिया. मंदिर के अन्य सेवकजनों ने उन्हें बड़े सम्मान से अंदर ले जा कर एक ऊंची गद्दी पर विराजमान कर दिया.

अब रेवती का उत्साह बढ़ गया. अगले दिन उतावली हो समय से पहले ही मंदिर में जा बैठी. साधुमहाराज पुजारी के साथ जब प्रवचन हौल में पधारे तो उन की नजर गद्दी के ठीक सामने अकेली बैठी रेवती पर पड़ी.श्वेत वस्त्र, सूनी मांग, सूनी कलाइयां देख उन्हें सम झते देर न लगी कि कोई विधवा है. वे धीमे स्वर में पुजारी से रेवती का सारा परिचय पता कर आंखें बंद कर गद्दी पर विराजमान हो गए. देखतेदेखते हौल खचाखच भर गया.

प्रवचन के बीच आज उन्होंने एक ऐसा भजन गाने के लिए चुना जब कृष्ण गोपियों से दूर चले जाते हैं. गोपियां उन के विरह में रोती हुई गाती हैं- ‘आन मिलो आन मिलो श्याम सांवरे, वन में अकेली राधा खोईखाई फिरे…’ लोग स्वर से स्वर मिलाने लगे. रेवती की आंखों से अविरल आंसू बह रहे थे. अंत में प्रसाद वितरण के बाद लोग चले गए तो रेवती भी उठ खड़ी हुई. अचानक उस ने देखा साधुमहाराज उसे रुकने का संकेत कर रहे हैं. वह असमंजम में इधरउधर देख खड़ी हो गई.

साधुमहाराज ने उसे अपनी गद्दी के पास बुला कर बैठने को कहा. डरती, सकुचाती रेवती बैठ गई तो उन्होंने रेवती के बारे में जो पुजारी से जानकारी हासिल की थी, सब अपने ज्योतिष ज्ञान के आधार पर रेवती को कह डाली. भोली रेवती हैरान हो उठी. उन के कदमों पर लोट गई, बोली, ‘‘यह सब सत्य है.’’

साधु महाराजजी ने कहा, ‘‘जब मैं पूजा के समय गहरे ध्यान में था तो एक फौजी मु झे ध्यानावस्था में दिखाई देता है. मानो कुछ कहना चाहता हो. अब सम झ में आया वह तुम्हारा शहीद पति ही है जो मेरे ध्यान ज्ञान के जरिए कोई संदेश देना चाहता है. कल जब मैं ध्यान में बैठूंगा तो उस से पूछूंगा.’’

भोलीभाली रेवती उस के शब्दजाल में फंसती गई. रेवती ने साधु के पैर पकड़ लिए, बोली, ‘‘महाराज, मेरा कल्याण करो.’’

साधु महाराज ने उसे हिदायत दी, ‘‘देवी, ध्यान रखना यह बात हमेशा गुप्त रखना वरना मेरी ज्ञानध्यानशक्ति कमजोर पड़ जाएगी. मैं फिर तुम्हारे लिए कुछ न कर पाऊंगा. जाओ, अब घर जाओ.’’

प्रसाद ले कर रेवती घर पहुंची. उस ने सासससुर को बड़े आदर से खाना परोसा. रणवीर की शहादत के बाद वह अवसाद की ओर चली गई थी. अब खुद ही उस से निकलने लगी है. इस का कारण मंदिर जाना, पूजापाठ में मन लगाना ही सम झा गया. दिन बीतते जा रहे थे. एक दिन प्रवचन के बाद साधुमहाराज ने एकांत में रेवती को बुलाया और कहा, ‘‘मु झे साधना के दौरान तुम्हारे पति ने दर्शन दिए. उस ने कहा, ‘मैं रेवती को इस तरह अकेला असहाय अवस्था में छोड़ आया था. अब मैं फिर उसी घर में जन्म ले कर रेवती का दुख दूर करूंगा.’’’

परममूर्खा और भावुक रेवती पांखडी साधुमहाराज की बातें सुन कर आंसुओं में डूब गई.

साधुमहाराज ने आगे कहा, ‘‘पर उसे दोबारा उसी घर में जन्म लेने से बुरी शक्तियां रोक रही हैं. उस के लिए मु झे बड़ी पूजा, यज्ञ, साधना करनी पड़ेगी. इस सब के लिए बहुत धन की जरूरत है जो तुम जानती हो हम साधुयोगियों के पास नहीं होता. अगर तुम कुछ मदद करो तो तुम्हारे पति का पुनर्जन्म लेना संभव हो सकता है.’’

यह सुन रेवती गहरी सोच में डूब गई. रेवती को इस तरह चुप देख साधु बोले, ‘‘नहींनहीं, इतना सोचने की जरूरत नहीं है. अगर नहीं है, तो रहने दो. मैं तो तुम्हारे पति की भटकती आत्मा की शांति के बारे में सोच रहा था.’’

रेवती को पता था 4-5 हजार रुपए उस की अलमारी में रखे हैं या फिर खानदानी गहने जो देवर की शादी के समय निकाले गए थे. कुछ व्यस्तता और बाद में रणवीर की मृत्यु के बाद किसी को बैंक में रखवाने की सुधबुध न रही. रेवती ने सोचा पति ही नहीं, तो गहने किस काम के. यह सोच कर बोली, ‘‘महाराज, रुपए तो नहीं, पर कुछ गहने हैं? वह ला सकती हूं क्या?’’

मक्कार संन्यासी बोला, ‘‘अरे, जेवर से तो बहुत दिक्कत हो जाएगी, पर क्या करूं बेटी, तुम्हें असहाय भी नहीं छोड़ना चाहता. चलो, कल सवेरे 8 बजे मैं यहां से प्रस्थान करूंगा, तुम जो देना चाहती हो, चुपचाप यहीं दे जाना.’’

रेवती पूरी रात करवट बदलती रही. उसे सवेरे का इंतजार था. उस ने रात को ही एक गुत्थीनुमा थैली में सारे गहने और 4 हजार रुपए रख लिए थे. वह पाखंडी साधुमहाराज से इतनी प्रभावित थी कि इस सब का परिणाम क्या होगा, एक बार भी नहीं सोचा. सवेरे उठ जल्दी से काम पूरा कर साधु को विदा देने मंदिर पहुंच गई. साधुमहाराज जीप में बैठ चुके थे. रेवती घबरा गई. वह बिना सोचेसम झे भीड़ को चीरती हुई जीप के पास पहुंच गई और पैरों में पोटली रख, पैर छू बाहर निकल आई.

रेवती भी भीड़ में धक्के खाती अंदर जा श्रद्धालुओं के साथ साधुमहाराज के सामने नीचे बिछी दरी पर जा बैठी. एक लोटा ताजा जूस पी कर साधुमहाराज ने अपना प्रवचन देना आरंभ कर दिया. बीचबीच में वे भजन भी गाते जिस में जनता उन का अनुकरण करती. रेवती तो साधुमहाराज के बिलकुल सामने बैठी थी. वह तो ऐसी मंत्रमुग्ध हुई कि आंखों से अविरल आंसू बह निकले. प्रसाद ले अभिभूत सी घर पहुंची.

बहुत दिनों बाद आज न जाने कैसे वह सासससुर से बोली, ‘‘आप दोनों का खाना लगा दूं?’’ दोनों ने हैरानी से हामी भर दी. रणवीर की मृत्यु के बाद रेवती एकदम चुप हो गई थी. घर में किसी से बात न करती. बेमन से खाना बना अपने कमरे में चली जाती. देवरदेवरानी अपने काम पर चले जाते. दोपहर को ससुर कांपते हाथों से खाना गरम कर पत्नी को देते और खुद भी खा लेते. रेवती बहुत कम खाना खाती. कभी कोई फल, कभी दही या छाछ पी लेती. उस की भूख मानो खत्म सी हो गई थी. उस ने जल्दी से खाना गरम किया और दोनों की थालियां लगा लाई. यही नहीं, पास बैठ कर मंदिर में सुने प्रवचन के बारे में भी बताने लगी.

सासससुर दोनों ने सांत्वना की सांस ली, चलो, अच्छा हुआ बहू का किसी ओर ध्यान तो लगा. वे इतने नए एवं उच्च विचारों के नहीं थे कि बहू की दूसरी शादी के बारे में सोचते अथवा आगे पढ़ाई करवाने की सोचते. राजस्थान के परंपरागत रूढि़वादी परिवार के थे जो इतना जानते थे कि पति की मृत्यु के साथ उस की पत्नी का जीवन भी खत्म हो गया. पति की आत्मा की शांति हेतु आएदिन व्रतअनुष्ठान चलते रहे. बहू का पूजापाठ में रु झान देख कर दोनों ने उस की प्रशंसा करते हुए रोज समय पर मंदिर जाने की सलाह दी.

कुछ दिनों बाद ही एक दिन देवरानी को चक्कर और उलटियां आ रही थीं. डाक्टर ने मुआयना कर के 2 माह के गर्भ की सूचना दी. घर में थोड़ी सी खुशी की लहर घूम गई. रेवती की खुशी का ठिकाना न रहा. वह सम झी, साधु की साधना का फल है. वह दिनरात देवरानी की सेवा में लग गई. सभी संतुष्ट थे.

9वें महीने में रेवती की देवरानी नीता ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. घर में छाई मुर्दनी धीरेधीरे तिरोहित होती गई. जहां तक रेवती का सवाल, उस में अलग सा परिवर्तन आ गया था. अब देवरानी से उस का ध्यान हट कर सारा ध्यान बच्चे की ओर लग गया था. नीता को भी देखभाल की जरूरत थी. रेवती सारा दिन बच्चे को गोद में लिए बैठी रहती. कभी मालिश करती, कभी स्नान करवा के डेटौल में उस के कपड़े धो कर डालती. बच्चा दूध के लिए रोता तो जा कर नीता को देती. नीता को अब खलने लगा था.

रीता ने 6 महीने की मैटरनिटी लीव ले रखी थी. अब वह चलनेफिरने लगी थी. अपने बच्चे का काम करना चाहती थी. पर रेवती उसे मौका नहीं देती. किचन का काम अधूरा पड़ा रहता. चायनाश्ता, लंच का कुछ समय न रहा था. सब की प्रश्नवाचक निगाहें रेवती पर उठने लगीं. कुछ समय तो परिवार वाले रेवती में आए इस बदलाव का कारण जानने की कोशिश करते रहे लेकिन किसी नतीजे पर न पहुंच पा रहे थे. मान लिया नवजात बच्चे के काम कर उसे संतुष्टि मिलती थी पर अब वह अपनी देवरानी नीता के मां बनने की खुशियों में बाधा बन रही थी.

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एक दिन तो हद ही हो गई. रेवतीकिचन का सारा काम अधूरा छोड़, बच्चे को ले मंदिर चली गई. बच्चा भूख के मारे रोने लगा. पर वह पूरे मंदिर परिसर की परिक्रमा करती रही. नीता नहा कर निकली, तो बच्चा नदारद. वह घबरा गई. सभी लोग रेवती और बच्चे को खोजने लगे. करीब आधे घंटे बाद रेवती भूख से बिलबिलाते, रोते बच्चे को ले कर जब घर आई तो नीता, जो सदैव जेठानी की इज्जत करती थी, उन के ऊपर हुए वैधव्य के वज्रपात के कारण ऊंची आवाज में बात न करती थी, गुस्से में फट पड़ी. उस ने रेवती की गोद से बच्चा छीनते हुए खरीखोटी सुना डाली.

रेवती को यह उम्मीद न थी. वह स्तब्ध रह गई. नीता ने चिल्ला कर कहा कि आज के बाद आप मेरे बच्चे को हाथ नहीं लगाएं. यह सुन रेवती के दिमाग में पाखंडी साधु की बात याद आई. जब तुम्हारा पति पुनर्जन्म लेगा तो बहुत लोग उसे तुम से दूर करने का प्रयास करेंगे. तुम हिम्मत न हारना. अब रेवती का दिमाग गुस्से से भर गया. वह चिल्लाने लगी, ‘‘किस का बच्चा, कौन सा बच्चा? यह बच्चा मेरे पति रणवीर हैं जिन्होंने इस घर में पुनर्जन्म लिया है. यह मेरा बच्चा है, मेरा रहेगा.’’ यह कह वह बच्चे को छीनने लगी. घरवालों ने बड़ी कठिनाई से दोनों को अलगअलग किया.

साधु महाराज ने उसे हिदायत दी, ‘‘देवी, ध्यान रखना यह बात हमेशा गुप्त रखना वरना मेरी ज्ञानध्यानशक्ति कमजोर पड़ जाएगी. मैं फिर तुम्हारे लिए कुछ न कर पाऊंगा. जाओ, अब घर जाओ.’’ सारे परिवार में खलबली मच गई. सब नीता को सम झाने लगे. रेवती की ओर से माफी मांगने लगे. नीता सम झदार लड़की थी. वह ससुराल वालों की आज्ञा की अवहेलना नहीं करना चाहती थी. सो, चुप्पी लगा गई.

रेवती, नीता की इस घोषणा से सतर्क हो गई. उस के दिमाग में साधु ने जो बातें भरी थीं वे घर बना चुकी थीं. रातरातभर वह गहरी सोच में डूबी रहती. उस के दिमाग में एक अजीब सी हलचल शुरू हो गई. वह दिमागी रुग्णता का शिकार हो गई.

एक दिन सासससुर किसी आयोजन में गए हुए थे. राजवीर औफिस गया था. नीता बच्चे को पालने में सुला कर नहाने चली गई. रेवती ने मौका पा एक बैग में कुछ कपड़े, दूध की बोतल रखी. कुछ रुपए उस के पास थे. वह बच्चे को एक चादर में लपेट कर दबेपांव घर से निकल गई. उसे स्वयं पता नहीं था कि कहां जाना है. सामने जाते हुए औटो को रोक स्टेशन चलने को कह दिया. स्टेशन आने पर हरिद्वार का टिकट ले लोगों से पूछतीपूछती प्लेटफौर्म नंबर-2 पर आ गई. उस ने साधुमहाराज के मुंह से हरिद्वार, ऋषिकेश का नाम बारबार सुना था.

उधर, नीता ने जब घर में बच्चे और रेवती को न देखा तो उसे रेवती की सारी योजना सम झ आ गई. उस ने बिना समय गंवाए पुलिस स्टेशन जा कर बच्चे और रेवती की फोटो दे कर सारी बात बताई. पुलिस सक्रिय हो गई. उस ने फिर पति, सास, ससुर रेवती के मायके में सब को सूचित किया. देखतेदेखते पुलिस ने बस अड्डे, टैक्सी स्टैंड, रेलवे स्टेशन खबर व फोटो भिजवा दीं. नीता की सू झबू झ और पुलिस की दौड़भाग से रेवती को हरिद्वार जाने वाली गाड़ी के प्लेटफौर्म से पकड़ लिया गया.

रेवती ने पुलिस को देख हंगामा कर दिया. वह किसी तरह भी बच्चा सौंपने को तैयार नहीं थी. उस ने एक ही रट लगा रखी थी कि यह मेरा रणवीर है. साधुमहाराज की तपस्या के बल पर मु झे वापस मिला है. जबरन लेडी कांस्टेबल ने बच्चे को उस की पकड़ से छुटकारा दिलवाया. रेवती अनर्गल प्रलाप करते हुए बेहोश हो गई.

लगभग एक महीने तक रेवती का मानसिक रोगों के अस्पताल में इलाज हुआ. डाक्टरों की स्नेहपूर्ण काउंसलिंग से उसे वास्तविकता से रूबरू करवाया गया. धीरेधीरे उसे अपनी नामस झी का भान हुआ. ससुराल वालों को जब रेवती द्वारा गहने देने की बात पता चली तो सब स्तब्ध रह गए. रेवती की नाजुक हालत को देख वे सब खून का घूंट पी कर रह गए. राजवीर ने मंदिर जा कर उस पाखंडी साधु की काली करतूत से सब को अवगत कराया. किसी के मोबाइल में साधु की प्रवचन करते समय की फोटो थी. उस ने प्रिंटआउट निकलवा पुलिस स्टेशन में दे कर गहने लूटने की घटना बना कर रिपोर्ट लिखवाई, पुलिस एक बार फिर अपने काम में जुट गई.

अब रेवती बहुत शर्मिंदा थी. वह नए सैशन में ऐडमिशन ले कर आगे पढ़ना चाहती थी. इस के लिए उस ने डरतेडरते सासससुर से कहा. वे दोनों पहले ही उस की नामस झी से नाखुश थे. पहले तो उन्होंने गहने गंवाने के कारण रेवती को खरीखोटी सुनाई, उस के बाद कालेज में ऐडमिशन की मांग को सिरे से खारिज कर दिया. रेवती एक बार फिर निराशा के अंधकार में डूब गई. उस दिन छुट्टी होने के कारण राजवीर घर पर ही था.

रेवती का पढ़ाई का प्रस्ताव रखना, मातापिता द्वारा खारिज करना ये सब बातें राजवीर सुन रहा था. वह नए जमाने के क्रांतिकारी विचारों का युवक था. रणवीर केवल उस का भाई ही नहीं, वरन पक्का दोस्त भी था. उसे यह सब नागवार गुजरा. वह रेवती भाभी की पीड़ा और अकेलेपन से वाकिफ था. वह भाभी के भविष्य को सुधारने के लिए कुछ करना चाहता था. अचानक ऐसा संयोग बना कि उसे रेवती को इस घोर निराशा से बाहर निकालने का मौका हाथ लगा.

राजवीर का एक दोस्त समीर था, जिस की पत्नी अचानक प्रसव के समय एक  प्यारी सी बच्ची को जन्म दे कर चल बसी. पति पर तो दुख और मुसीबत का मानो पहाड़ ही टूट गया. घर में कोई न था जो बच्ची को संभाल लेता. बच्ची को जब तक कोई संभालने वाला न मिल जाता, नर्स उसे संभाल रही थी. उस ने दोस्त से अपनी रेवती भाभी के लिए पूछा. दोस्त समीर ने तुरंत हामी भर दी. वह राजवीर का शुक्रिया करते नहीं थक रहा था पर इस में भी राजवीर को एक आशंका थी कि रेवती को उस बिना मां की बच्ची को संभालने की अनुमति उस के रूढि़वादी मातापिता की ओर से मिलेगी या नहीं.

दूसरी समस्या यह थी कि रेवती और उस के परिवार को बच्ची को संभालने के लिए समीर के घर जा कर रहना मान्य होगा या नहीं. पहली समस्या का हल तो निकल गया. रेवती को बच्ची संभालने की अनुमति तो मिल गई पर रेवती और परिवार को समीर के घर जा कर रहना मान्य नहीं था. मातापिता की त्योरियों में भी बल पड़ गए. राजवीर को भी खरीखोटी सुननी पड़ी.

खैर, रेवती बच्ची को ले कर आ तो गई पर घर के कामों के चलते बच्ची को संभाल नहीं पा रही थी. घर में हर समय 2-2 बच्चों के काम, उन के रोने के शोरगुल के कारण कामकाज में लापरवाही होते देख राजवीर ने एक घरेलू हैल्पर रख ली. रेवती ने देखा कि सभी का ध्यान राजवीर के बेटे की ओर था. बच्ची की उपेक्षा हो रही थी. बच्ची रोती रहती, रेवती काम में लगी रहती. हैल्पर भी दूसरों के काम करती रहती. उस की बात पर ध्यान नहीं देती थी. रेवती को बच्ची से बहुत लगाव हो गया था. अब उस ने हिम्मत कर के बच्ची की केयरटेकर के रूप में समीर के घर रहने का फैसला कर लिया.

समीर एक शरीफ और सम झदार लड़का था. घरभर के एतराज के बावजूद राजवीर, रेवती को समीर के घर ले गया. समीर सवेरे ही औफिस निकल जाता, शाम को आ कर थोड़ी देर अपनी बच्ची से खेलता. जब वह सो जाती तो रेवती उसे अपने कमरे में ले जाती. रेवती के कुशल हाथों ने समीर के अस्तव्यस्त घर को संभाल लिया. बच्ची को पिता का भी भरपूर प्यार मिलने लगा. रेवती संतुष्ट थी. वह दिल की गहराइयों से बच्ची को प्यार करने लगी थी.

देखतेदेखते बच्ची 5 साल की हो गई. बच्ची के 5वें जन्मदिन पर राजवीर ने समीर से मिल कर एक योजना बनाई. समीर रेवती के लिए गुलाबी साड़ी और चूडि़यां लाया और बोला, ‘‘रेवतीजी, इन 5 सालों में आप ने मेरे घर और बच्ची के लिए इतना कुछ किया जिस का मैं उपकार जीवनभर नहीं उतार सकता. क्षमा चाहता हूं. मेरे घर और बच्ची को आप ने जैसे संभाला, वह कोई अपने घर का सदस्य ही संभाल सकता है. मैं आप को केयरटेकर न मान कर बहुत ऊंचा दर्जा देता हूं. आप भी आज इस समाज की वर्जनाओं को तोड़ कर चाहें तो इस साड़ी और चूडि़यों को पहन कर मेरे मन की बात मान सकती हैं.

‘‘अब मैं आप को अपने जीवनसाथी के रूप में देख कर समाज के रूढि़वादी बंधनों को तोड़ना चाहता हूं. अगर आप को मंजूर नहीं, तो कोई बात नहीं. मु झे बुरा नहीं लगेगा. बच्ची 5 साल की हो चुकी है, मैं इसे होस्टल में भेजने का इंतजाम कर लूंगा.’’

रेवती भी जिंदगी में इतने कटु अनुभव  झेल चुकी थी कि और कुछ सहने की हिम्मत न थी. समीर की सज्जनता, सादगी और चरित्र की महानता वह परख चुकी थी. उसे भी इस घर और बच्ची के साथ समीर से भी मोह हो चुका था. ससुराल और मायके में राजवीर एकमात्र हितैषी था. उस के मन में खुशी की एक लहर सी उठी. अगले दिन बच्ची के जन्मदिन की शाम को रेवती ने पूरे घर को सजा कर समीर की दी गुलाबी साड़ी और चूडि़यां पहन लीं. मेहमानों के आने से पहले घर में यह गाना गूंजने लगा, ‘ये मोहमोह के धागे, तेरी उंगलियों से जा उल झे…’

समीर केक ले कर आया तो रेवती का यह बदला रूप देख आश्चर्य और खुशी में डूब गया. उस ने खुशी से बच्ची को गोद में उठा गोलगोल घुमाना शुरू कर दिया. रेवती ने जब उसे ऐसा करते देखा, तो भागती हुई आई, बोली, ‘‘अरे, मेरी बच्ची को चक्कर आ जाएंगे.’’ और दोनों जोर से हंस पड़े.

मैं जौइंट फैमिली में रहती हूं, रोजरोज की किचकिच और झगड़े से परेशान हूं, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं संयुक्त परिवार में रहती हूं. सासससुर अच्छे ओहदे पर थे. अब रिटायर्ड हैं जबकि मेरे पति और जेठजी अच्छी कंपनियों में काम करते हैं. ननद की शादी अभी नहीं हुई है. घर में किसी चीज की दिक्कत नहीं है यानी हर सुखसुविधा है पर आएदिन रोजरोज की किचकिच और झगड़े से परेशान रहने लगी हूं. पति चाहते हैं कि हम सब एक ही परिवार में रहें इसलिए चाह कर भी उन्हें अलग फ्लैट में रहने के लिए नहीं कह सकती. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

घर में छोटीबड़ी बातों पर तकरार होना आम बात है. कहते हैं जहां तकरार होती है वहीं प्यार भी होता है. मगर जब मतभेद मनभेद में बदल कर बड़े झगड़े का रूप लेने लगें तो यह जरूर चिंता की बात होती है. फिलहाल, आप के घर में हालात इतने खराब नहीं हुए हैं कि पति के साथ अलग रहने की सोची जाए. घर का झगड़ा किसी बड़े झगड़े का रूप न ले, इस से बचने की पहल आप को खुद करनी होगी.

इस दौरान अगर कोई गुस्से में है अथवा कुछ बोल रहा हो तो फायदा इसी में है कि दूसरे को शांत रहना चाहिए. ताली एक हाथ से नहीं बजती.

संयुक्त परिवार में तकरार आमतौर पर कामकाज को ले कर भी होती है. इसलिए बेहतर यही होगा कि घर के कामकाज को भी व्यवस्थित रूप से मिलजुल कर

करा जाए. छोटीबड़ी बातों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ने में ही समझदारी है.

लोग एकल परिवारों में रहते हुए अपने सपनों को पंख नहीं दे पाते, जबकि संयुक्त परिवार इस के बेहतर अवसर देता है. संयुक्त परिवार में पलेबढ़े बच्चे भी आम बच्चों की तुलना में मानसिक व शारीरिक रूप से अधिक श्रेष्ठ होते हैं. इसलिए इस अवसर को आपसी झगड़ों में न गंवा कर मिलजुल कर रहने में ही भलाई है.

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दिवाली पर ‘भूल भुलैया और सिंघम अगेन’ रिलीज, क्या मौजूदा सरकार को खुश करने का फौर्मूला है ?

1 नवंबर दिवाली के मौके पर दो बड़ी फिल्में रिलीज हुई जिन में एक तो भूल भुलैया 3 है और दूसरी सिंघम अगेन 3 दोनों ही फिल्मों में एक आम बात नजर आई और वह थी मौजूदा सरकार को खुश करने का फौर्मूला, ताकि इतनी बड़े बजट की फिल्म धर्म जाति के झंझट में ना पड़े और ना ही सेंसर बोर्ड में मुसलमान डायरेक्टर हिंदू एक्टर,के नाम पर धर्म के साथ खिलवाड़ आदि, हमारे देवी देवताओं की बेइज्जती का इल्जाम मेकर्स और ऐक्टर्स पर पर ना लगे और उनकी फिल्म किसी प्रौब्लम में ना आए इसी बात को ध्यान में रखकर दोनों ही फिल्मों में मौजूदा सरकार को खुश करने के लिए राम भगवान का नाम इस्तेमाल किया गया है.

भूल भुलैया 3 में जहां पर गाने हरे राम हरे राम से लेकर फिल्म में कई दृश्य में राम का नाम लिया गया है. वही सिंघम अगेन 3 रामायण को बेस करके बनाई गई है जहां एक तरफ सिंघम 1 और सिंघम अगेन 2 एक्शन, क्राइम और थ्रिलर से भरी हुई थी. वही सिंघम अगेन 3 की कहानी रामायण पर आधारित है.

हालांकि फिल्म पूरी तरह से पौराणिक नहीं है लेकिन फिल्म का आधार रामायण है. पिछले कुछ समय से कई सारी फिल्में धर्म और अंधविश्वास के चलते सेंसर में धक्के खा रही है शायद इसीलिए सिंघम अगेन 3 और भूल भुलैया 3 के मेकर्स ने मौजूदा सरकार की दखल अंदाजी को संभालने के लिए यह तरीका अपना लिया है. जिसके चलते दोनों ही फिल्में बौक्स औफिस पर फिलहाल धमाल मचा रही है. गौरतलब है अगर भाजपा सांसद और ऐक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी कोई ऐसा फार्मूला फिल्म में चिपका दिया होता. तो उनकी फिल्म को इतने सारे कट नहीं मिलते और ना ही फिल्म सेंसर में अटकती.

फैशन जगत को लगा सदमा, रोहित बल के निधन पर सैलिब्रिटीज ने अपनी संवेदनाएं कुछ इस तरह कीं व्यक्त

इंडियन फैशन को दुनिया भर में अलग पहचान दिलाने वाले फेमस फैशन डिजाइनर रोहित बल के निधन से एंटरटेनमेंट और फैशन इंडस्ट्री दोनों में शोक की लहर दौड़ गई है. दिवाली के माहौल में जब सबलोग फेस्टिवल एंजौय कर रहे थे तब रोहित को दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव के आश्लोक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां हार्ट प्रौब्लम की वजह से उनका निधन हो गया. 2 नवंबर को शाम 5 बजे नई दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट में रोहित बल का अंतिम संस्कार किया गया. सोशल मीडिया पर सेलेब्स और फैंस ने रोहित को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी है.

सोशल मीडिया पर संवेदनाएं

आपको बता दे शुक्रवार को हार्ट प्रौब्लम के चलते 63 साल के डिजाइनर रोहित बल का निधन हो गया. फिल्म इंडस्ट्री के लोगों ने उनके निधन पर सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और डिजाइनर रोहित से जुड़ी मेमोरीज शेयर की. सोनम कपूर और अनन्या पांडे जैसे बौलीवुड अभिनेताओं से लेकर डिजाइनर मनीष मल्होत्रा तक, कई लोगों ने रोहित बल को श्रद्धांजलि देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.

सलमान खान

बौलीवुड के एक्टर सलमान खान ने भी डिजाइनर रोहित बल के निधन पर शोक जताते हुए एक पोस्ट शेयर की है. X पर सलमान खान ने लिखा, ‘रेस्ट इन पीस रोहित.’
Rest in peace Rohit
#RohitBal

सोनम कपूर

सोनम कपूर ने रोहित बल की एक फोटो इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर कर लिखा-‘डियर गुड्डा, जब मैं तुम्हारी बनाई कमाल की ड्रेस में दिवाली मनाने जा रही थी, तो मुझे तुम्हारे निधन की खबर मिली. मैं खुशनसीब हूं कि तुम्हें जानने का मौका मिला. तुम्हारे बनाए कपड़े पहने और कई बार तुम्हारे शोज के लिए रैंप पर चली. उम्मीद करती हूं कि तुम्हें अब शांति मिली होगी. हमेशा तुम्हारी सबसे बड़ी फैन रहूंगी.’

करण जौहर

बौलीवुड के फिल्म मेकर भी इस डिजाइनर की याद में भावुक हो उठे. अपनी पोस्ट में करण ने लिखा कि जब उन्हे रोहित के निधन की खबर मिली उस वक्त वो उन्हीं के डिजाइनर के ही आउटफिट को कैरी किए एक पार्टी के लिए जा रहे थे. उन्होंने डिजाइनर से उनके कलेक्शन की और भी आउटफिट्स की रिक्वेस्ट भेजी हुई थी.

करीना कपूर खान

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर ने रोहित बल की फोटोज शेयर कर ब्लैक, रेड और व्हाइट कलर के हार्ट इमोजी बनाए. वहीं डायरेक्टर मधुर भंडारकर को भी रोहित बल के निधन से गहरा धक्का लगा.

निधन की खबर FDCI के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर

डिजाइनर रोहित के निधन की खबर शुक्रवार को फैशन डिजाइन काउंसिल औफ इंडिया (FDCI) के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर की गई. पोस्ट में लिखा गया है, “हम दिग्गज डिजाइनर रोहित बल के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं. वे फैशन डिजाइन काउंसिल औफ इंडिया (FDCI) के संस्थापक सदस्य थे. ट्रौडिशनल पैटर्न और मौडर्न सेंसिबिलिटी के अपने यूनिक मिश्रण के लिए जाने, जाने वाले रोहित बल के काम ने इंडियन फैशन को फिर से डिफाइन किया और जनरेशन को इंस्पायर्ड किया. कलात्मकता और नवाचार (Artistry and Innovation) के साथसाथ आगे की सोच की उनकी विरासत फैशन की दुनिया में जिंदा रहेगी. शांति से आराम करें गुड्डा.”

एक साल बाद रनवे पर

रोहित पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. अक्टूबर 2024 में, हेल्थ प्रौब्लम के लगभग एक साल बाद रनवे पर लौटे. उन्होंने लैक्मे फैशन वीक के ग्रैंड फिनाले में अपना कलेक्शन “कायनात: ए ब्लूम इन द यूनिवर्स” प्रस्तुत किया था. जहां बौलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे उनके लिए शो स्टौपर बनी थीं. रैंप पर रोहित थोड़ा लड़खड़ाए थे वो नजारा देख फैंस को रोहित की सेहत की चिंता सताने लगी थी.

इंडिया के साथसाथ विदेशों में भी पहचान

लगभग 37 साल से ज्यादा समय फैशन इंडस्ट्री में बिताने वाले रोहित बल को इंडिया के साथसाथ विदेशों में भी अपने यूनिक कलेक्शन की वजह से एक बड़ी पहचान मिली। उन्होंने निधन से दो हफ्ते पहले ही रैंप पर अपना आखिरी कलेक्शन शो लैक्मे इंडिया फैशन वीक था, जहां बौलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे उनके लिए शो स्टौपर बनी थीं. रैंप पर रोहित थोड़ा लड़खड़ाए थे वो नजारा देख फैंस को रोहित की सेहत की चिंता सताने लगी थी.

पति की तानाशाही से परेशान होकर किसी और लड़के को पसंद करती हूं, लेकिन इजहार करने से डरती हूं …

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 47 वर्षीय महिला हूं. मेरे पति बहुत ही तानाशाह किस्म के इनसान हैं. हमेशा अपनी बात मनवाते हैं. दूसरों की भावनाओं कतई कद्र नहीं करते हैं. मेरी किसी इच्छाअनिच्छा की उन्हें तनिक भी परवाह नहीं है. घर में वही होता है जो वे चाहते हैं. यहां तक कि सहवास जैसी इच्छा भी तभी पूरी होती है जब वे चाहते हैं. मेरा मन है या नहीं, यह जानने की वे कभी कोशिश नहीं करते हैं. मुझे तो लगता है कि वे मुझे बिलकुल प्यार नहीं करते. उन के साथ जिंदगी बदतर होती जा रही है. कुछ समय से मैं एक लड़के को मन ही मन चाहने लगी हूं. उस के साथ सहवास करने का मन करता है. हालांकि वह लड़का मुझे पसंद करता है या नहीं, मैं यह नहीं जानती. उस के सम्मुख प्यार का इजहार करते हुए डर लगता है. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

इतने बरसों से आप पति के साथ रह रही हैं. अब अचानक आप को उन में खोट नजर आने लगा है. कारण, एक जवान लड़के को देख कर आप खयाली पुलाव पकाने लगी हैं. आप को अपनी उम्र का ध्यान रखना चाहिए. आप कोई किशोरी नहीं अधेड़ उम्र की महिला हैं, जिसे अपनी लालसा पर नियंत्रण करना आना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बचकाने व्यवहार से आप को कुछ हासिल नहीं होगा सिवा जगहंसाई के.

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वह जमाना गया, जिस में बेटे श्रवण कुमार की तरह पूरी पगार मांबाप के हाथों या पांवों में रख देते थे और फिर अपने जेबखर्च के लिए मांबाप का मुंह ताकते थे यानी उन्हें अपनी कमाई अपनी मरजी से खर्च करने का हक नहीं था.

परिवार सीमित होने लगे तो बच्चों के अधिकार बढ़तेबढ़ते इतने हो गए हैं कि उन्हें पूरी तरह आर्थिक स्वतंत्रता कुछ अघोषित शर्तों पर ही सही मगर मिल गई है. इन एकल परिवारों में पत्नी का रोल और दखल आमदनी और खर्च दोनों में बढ़ा है, साथ ही उस की पूछपरख भी बढ़ी है.

भोपाल के जयंत एक संपन्न जैन परिवार से हैं और पुणे की एक सौफ्टवेयर कंपनी में क्व18 लाख सालाना सैलरी पर काम कर रहे हैं. जयंत की शादी जलगांव की श्वेता से तय हुई तो शादी के भारीभरकम खर्च लगभग क्व20 लाख में से उन्होंने क्व10 लाख अपनी बचत से दिए. श्वेता खुद भी नौकरीपेशा है. जयंत से कुछ कम सैलरी पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है.

शादी तय होने से पहले दोनों मिले तो ट्यूनिंग अच्छी बैठी. उन के शौक और आदतें दोनों मैच कर चुके थे. दोनों ने 4 दिन साथ एकदूसरे को समझने की गरज से गुजारे और फिर अपनी सहमति परिवार को दे दी. जयंत श्वेता के सादगी भरे सौंदर्य पर रीझा तो श्वेता अपने भावी पति के सरल स्वभाव और काबिलीयत से प्रभावित हुई. इन 4 दिनों का घूमनेफिरने और होटलिंग का खर्च पुरुष होने के नाते स्वाभाविक रूप से जयंत ने उठाया. दोनों ने एकदूसरे की सैलरी के बारे में कोई बात नहीं की.

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Anupama फेम रुपाली गांगुली का था एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, सौतेली बेटी ने लगाए गंभीर आरोप

‘अनुपमा’ (Anupama) स्टार रुपाली गांगुली अपने किरदार की वजह से लोगों के बीच काफी पौपुलर हैं. वह अकसर लाइमलाइट में बनी रहती हैं. अनुपमा की कहानी में बदलाव आने के कारण इस शो की टीआरपी डाउन हुई है, लेकिन रुपाली गांगुली पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में आ गई हैं. अनुपमा की रियल लाइफ की सौतेली बेटी ईशा वर्मा ने उन पर गंभीर आरोप लगाया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

रियल लाइफ में अनुपमा की हैं दो सौतेली बेटियां

दरअसल, रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के पति अश्विन वर्मा की पहले से दो शादियां टूट चुकी हैं.  पहले रिश्ते से दो बेटियां भी हैं. इनकी एक बेटी ईशा वर्मा ने रुपाली गांगुली पर एक पोस्ट कर आरोप लगाया है. ईशा का पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में रुपाली गांगुली से जुड़े कई खुलासे किए गए हैं.

क्या रुपाली गांगुली हैं निर्दयी औरत?

वायरल पोस्ट के अनुसार, रुपाली गांगुली के पति अश्विन वर्मा की दो शादियां है. दरअसल, ईशा ने इस पोस्ट में लिखा है कि “वह एक निर्दयी औरत है जिसने मुझे मेरी बहन से अलग कर दिया. मुंबई आने से पहले वह कैलिफोर्निया और न्यू जर्सी में 13-14 साल तक रहे हैं. जब भी मैं अपने पिता को फोन करने की कोशिश करती थी तो, वह चिल्लाना शुरू कर देती थी. उसने हमारी असली फैमिली की जिंदगी बर्बाद कर दी और लोगों से कहती है कि ये उनका सच्चा प्यार है.”

पति अश्विन वर्मा को खिलाती थीं दवाइयां

इतना ही नहीं रिपोर्ट के अनुसार, ईशा ने अपनी सौतेली मां रुपाली गांगुली की तुलना रिया चक्रवर्ती और सुशांत राजपुत से करते हुए उन्हें उनके पिता से अलग करने का आरोप लगाया है. वह मेरे पिता को अजीब दवाइयां खिलाती थीं और उनकी लाइफ कंट्रोल करती है. ईशा ने ये भी बताया कि जब वह तीन साल की थी तो उनके पिता के साथ रुपाली गांगुली का अफेयर था.

आपको ये भी बता दें कि ईशा ने सालों पहले सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की थी, जिसमें वह, रुपाली गांगुली और अपने पिता के साथ डिनर करते दिख रही हैं.

अश्विन वर्मा ने नोट शेयर कर दी सफाई

हालांकि इस पोस्ट को लेकर रुपाली गांगुली का कोई रिएक्शन नहीं आया है. लेकिन अश्विन वर्मा ने अपनी बेटी को लेकर सफाई दी है. रुपाली गांगुली के पति ने सोशल मीडिया पर एक नोट शेयर किया है, एक्स पर रुपाली गांगुली के पति ने लिखा, मेरे पिछले रिश्तों से दो बेटियां हैं, रुपाली और मैं इस बारे में हमेशा बात करते हैं कि मैं इसकी बहुत परवाह करता हूं. मैं समझता हूं कि मेरी छोटी बेटी अभी भी बहुत दुखी रहती है.अपने मातापिता के रिश्ते के टूटने से वह दुखी हैं क्योंकि तलाक एक कठिन अनुभव है, जो उस शादी के बाद बच्चों को बहुत प्रभावित करता है और नुकसान पहुंचा सकता है.’

अश्विन वर्मा ने आगे लिखा, लेकिन शादियां कई कारणों से खत्म हो जाती हैं और मेरी दूसरी पत्नी के साथ मेरे रिश्ते में कई चुनौतियां थीं, जिसके कारण हम अलग हो गए. ये चुनौतियां मेरे और उसके बीच थी. और इसका किसी दूसरे से कोई लेनादेना नहीं था.मैं केवल यही चाहता हूं यह मेरे बच्चों और मेरी पत्नी के लिए सबसे अच्छा हो और मीडिया द्वारा किसी को भी निगेटिविटी में खींचते हुए देखकर मुझे दुख होता है.’

रिपोर्ट्स के अनुसार, रुपाली गांगुली के पति की दो शादियां टूट चुकी हैं. पहली शादी प्रियंका मेहरा से हुई, दूसरी सपना वर्मा से और तीसरी शादी रुपाली गांगुली से हुई. रुपाली और अश्विन वर्मा ने 12 सालों तक एकदूसरे को डेट किया था.

सीताफल से बनाएं ये टेस्टी रेसिपी, स्वाद के साथ सेहत भी

Writer- Pratibha Agnihotri

हरे रंग का, मोटी त्वचा, और छोटी बड़ी आंखों व काले रंग के बीजों वाला सीताफल या शरीफा मुख्य रूप से ट्रौपिकल और हाई एल्टिट्यूड पर पाया जाने वाला फल है. यह स्वाद में बेहद मीठा सर्दियों में ही पाया जाने वाला मौसमी फल है. अधिकांश फलों की ही भांति इसमें भी फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. यह दिल,आंखों और पाचन क्षमता को दुरुस्त करता है. यूं तो इसे फल के रूप में भी आराम से खाया जा सकता है परन्तु इससे बने कई मीठे व्यंजन बहुत स्वादिष्ट लगते हैं.आज हम आपको सीताफल से बनने वाली 2 रेसिपीज बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप बड़ी आसानी से बना सकतीं है तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

-सीताफल शीरा

कितने लोगों के लिए             1 कप

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

पके शरीफा                        4

बारीक सूजी                         1 कप

फूल क्रीम दूध                       3 कप

पिसी शकर                        1 टेबलस्पून

इलायची पाउडर                   1/4 टीस्पून

घी                                      2 टेबलस्पून

बारीक कटी मेवा                 1/4 कप

विधि

शरीफे को धोकर बीच से दो हिस्सों में हाथ से तोड़ लें. चम्मच की सहायता से गूदे को एक बाउल में निकाल लें. अब इसे ब्लेंडर से ब्लेंड कर लें इससे बीज अलग हो जाएंगे. अब कांटे क़ी मदद से सारे बीजों को अलग कर दें. मेवा को सूखा ही कढाई में धीमी आंच पर भूनकर प्लेट में निकाल लें. अब पैन को गैस पर रखकर सूजी और दूध को अच्छी तरह मिलाएं. लगातार चलाते हुए गाढ़ा होने तक पकाएं. जैसे ही मिश्रण लगभग गाढ़ा होने लगे तो मेवा, शकर, इलायची पाउडर, शरीफे का गूदा और घी डालकर धीमी आंच पर 2 से 3 मिनट तक भूनकर गैस से हटा लें.

-शरीफा डिलाइट

कितने लोगों के लिए             8

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

शरीफे का गूदा                  1 कप

ब्रेड स्लाइस                       2

फुल क्रीम दूध                   1/2 लीटर

कन्डेन्स्ड मिल्क                 1/4 टिन

मिल्क पाउडर                   1 टेबलस्पून

बारीक कटे पिस्ता              1टेबलस्पून

केसर के धागे                    6-7

बटर                                1 टेबलस्पून

विधि

ब्रेड स्लाइस के किनारों को काटकर अलग कर दें और इसे 8 टुकड़ों में काट लें. पैन में बटर डालकर एकदम धीमी आंच पर इन टुकड़ों को क्रिस्पी होने तक रोस्ट कर लें. दूसरे पैन में केसर के धागे डालकर दूध गर्म करें जब उबाल आ जाये तो कन्डेन्स्ड मिल्क और मिल्क पाउडर डालकर अच्छी तरह चलाएं. गैस बंद कर दें और शरीफे का गूदा मिलाएं. ब्रेड के टुकड़े और मेवा डालकर सर्व करें.

पतिपत्नी के बीच कब होती है ‘वो’ की एंट्री, जानें एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के कारण

रूटीन जहां हमें व्यवस्थित रखता है वहीं कई बार बोर भी कर देता है. वर्षों तक साथ रहने के बाद जीवनसाथी के प्रति हम लापरवाह से हो जाते हैं. ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ होते ही हर अच्छाई कर्तव्य और हर बुराई अवगुण हो जाती है. आज के जमाने की तकनीक भी हमारी निजता को बनाए रखने में कारगर है. फलतया ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स आज आम हो गए हैं. क्यों हो जाते हैं पार्टनर बेवफा? क्या दैहिक विविधता की तलाश होती है या जीवन में नएपन की, रोमांस की जरूरत महसूस करते हैं या भावनात्मक साथ की? छिपाने और झूठ बोलने का रोमांच उन्हें अच्छा लगता है या वाकई वे आसक्त रहते हैं? आइए जानते हैं:

महिलाएं ध्यान चाहती हैं: विवाह काउंसलर और विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं अकेलेपन को कम करना चाहती हैं. वे इसीलिए मित्रता करती हैं कि कोईर् उन्हें ध्यान से सुने. विवाहित जीवन में अकसर पति या बच्चे महिला को समझ नहीं पाते और यही उन के जीवन की सब से बड़ी विडंबना बन जाती है.

बीइंग ऐप्रिशिएटेड: ऐप्रिशिएट होने की इच्छा हम सब को होती है. हम में से प्रत्येक दूसरे से प्रशंसा सुन कर संतुष्टि पाता है. पर विवाह के गुजरते वर्षों में एकदूसरे को ऐप्रिशिएट करना हम कम कर देते हैं.

पुरुष अपनी पावर और इंटेलैक्ट के लिए पहचाने जाना चाहते हैं: पुरुषों को अपनी व्यवस्था संबंधी योग्यताओं पर बहुत नाज होता है. वे स्ट्रौंग ह्यूमंस के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं.

स्त्रियों को डिजायरेबल लगना पसंद है: स्त्रियों को सैल्फ ऐस्टीम और सैक्सी फील करने के लिए पुरुषों के ध्यान की आवश्यकता महसूस होती है.

ईगो बूस्ट होता है: विपरीत लिंगी के साथ बिताए थोड़े समय में ईगो को बूस्ट मिलता है और मन को तसल्ली. स्वयं के प्रति आप पुन: आश्वस्त से हो जाते हैं. कौन्फिडैंस वापस लौट आता है.

स्पाउस एकदूसरे का भावनात्मक सहारा नहीं बनना चाहते: शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे की भावनात्मक जरूरतें पूरी करने से बचते हैं. उन्हें डर होता है कि दूसरा कहीं उन्हें अपना गुलाम न बना ले. वे सच सुनना पसंद नहीं करते. अपनी भावनाएं भी कई बार एकदूसरे से छिपा लेते हैं. शादी, शादी नहीं युद्ध का मैदान बन जाती है.

असंतोष पनपता है: विवाह में जब मन नहीं मिलते, अंडरस्टैंडिंग गड़बड़ा जाती है तो असंतोष सा पनपने लगता है. यही असंतोष किसी दूसरे की तरफ आकर्षित करता है और ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर पनपते हैं.

साइकिएट्रिस्ट के अनुसार, इनसान हमेशा किसी ऐसे साथ की तलाश में रहता है जो उसे उस की कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार सके. जब आप किसी के साथ कंफर्टेबल होते हैं तो आप ज्यादा संयम नहीं रख पाते, बस यहीं से शुरुआत होती है अफेयर की.

आप को अपना तथाकथित पार्टनर (अफेयर वाला) जन्मोंजन्मों का साथी लगने लगता है. उस का साथ आप में एक नशा सा भरने लगता है और फिर आप नैतिकताअनैतिकता की सारी सीमाएं लांघ जाते हैं. सामने आया अवसर और अफेयर थ्रिल आप से कई ऐसे काम करवाता है जिस पर खुद आप को भी यकीन नहीं आता.

आप अपनी प्रत्येक हरकत को सही ठहराते हैं, आप को लगने लगता है कि आप को नए संबंध बनाने का पूरा हक है. शारीरिक भूख अफेयर को एक मदमस्त कर देने वाले रोमांच से भर देती है. नएपन की चाह, उस से उपजा एहसास बहुत हद तक इन रिश्तों को टिकाए रखता है.

यदि आप के साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो, आप के पार्टनर का यह सच आप को पता चले कि वह आप को बिना बताए किसी और से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, तो यकीनन आप टूट जाएंगे.

आप अलग तरीके से रीऐक्ट करेंगे: गुस्से, दुख, उत्तेजना से भरे आप उस के हर काम को, हर क्रिया को शक की निगाहों से देखेंगे. आप सोचने लगेंगे कि क्या वह हमेशा से आप से झूठ बोलता रहा? दूसरे के प्रति आकर्षित होने का उस का कारण क्या था? क्या वह आप से बेहतर था?

शारीरिक भावनात्मक स्तर पर बेवफाई से दिल टूटता है: रिश्ते छिन्नभिन्न हो जाते हैं. जिस का दिल टूटता है कई बार तो वह अपनेआप में सिमट सा जाता है पर कई लोग पार्टनर को उसी अफेयर के बारे में बारबार जाहिर कर के बेइज्जत करते हैं.

हर अफेयर का मतलब पुराने रिश्तों का हमेशा के लिए टूट जाना नहीं होता: हो सकता है आप के बच्चों की खातिर आप को साथ रहना पड़े या बूढ़े मांबाप को आप दुख न पहुंचाना चाहते हों. तलाक से जुड़े हर पहलू पर सोचसमझ कर निर्णय लेने के बाद आप यदि हर तरह के परिणाम के लिए तैयार हों तो संबंध खत्म कर दीजिए.

क्या रिश्ता तोड़ने योग्य मुद्दा है: अपने जीवन पर नजर डालिए. क्या आप दोनों साथ में खुश और संतुष्ट रहे हैं? क्या आप एकदूसरे के पूरक हैं? यदि उत्तर हां में है तो फिर सिर्फ एक अफेयर के कारण अपना रिश्ता खत्म न कीजिए.

धमकाइए मत और भीख भी मत मांगिए: अफेयर का पता चलने के बाद साथी को ब्लैकमेल करना, धमकाना या उस से दया की भीख मांगना गलत है. अपनी गरिमा बनाए रखें. अपने पार्टनर के साथ कनैक्टेड रहने के लिए आप को स्वयं का व्यक्तित्व लुभावना और बोल्ड बनाए रखना पड़ेगा.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रिश्ते का अंत नहीं: रिसर्च बताते हैं कि शुरुआत में भले ही लगे पर ऐसे अफेयर 3-4% ही विवाह में तबदील होते हैं. बाकी भी ज्यादा समय नहीं चलते.

समय निकालिए: ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर का पता चलते ही निष्कर्ष पर मत पहुंचिए. समय निकाल धैर्य से सोचिए. कह देने के बाद आप वापस नहीं आ सकते या तो रिश्ता निभाना पड़ेगा या तुरंत छोड़ना पड़ेगा.

सोचसमझ कर निर्णय लें:  सचाई उगलवाने से पहले आप को मालूम होना चाहिए कि आप कितना सह पाएंगे. क्या आप उस के शारीरिक संबंधों की बात सुन कर उद्वेलित हो उठेंगे या उस के भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव से परेशान होंगे.

सचाई जानें: क्या आप तलाक ले कर अकेले गुजारा कर लेंगे? क्या आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं? पतिपत्नी पर घर के कामों के लिए और पत्नी पति पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर होती है. अत: सोचसमझ कर निर्णय लेना सही रहता है.

माफ करना सीखें: यदि पार्टनर गलती मान रहा है और ‘आगे से कभी ऐसा नहीं होगा’ कह रहा है तो आप भी उस के आचरण को परखने के बाद उसे माफ कर दीजिए. गलती सभी से होती है.

प्रोफैशनल की मदद लें: विवाह काउंसलर इस काम में अपने प्रोफैशनल स्किल्स से आप की मदद कर सकता है. उस से मदद लेना रिश्ता जोड़ने के लिए अच्छा है.

हम सभी इनसान हैं. मानव स्वभाव के कारण हम से कईर् गलतियां हो जाती हैं. शादी जैसे बंधन जिसे निभाने में सालों लग जाते हैं, उसे ऐसे ही तोड़ देना सही नहीं.

विवाह के टूटने का दंश समाज को, बच्चों को, बुजुर्ग मातापिता को भुगतना पड़ता है. इसीलिए ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स पर भी कड़ा मन रख कर माफ कर के नए अटूट रिश्ते की शुरुआत की जा सकती है.

बौयफ्रैंड के बदले बिहेवियर से परेशान हो गई, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. अपने मौसाजी के भतीजे से प्यार करती हूं. साल भर हुआ है हम दोनों को मिले हुए. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. लड़के के घर वालों को कोई ऐतराज नहीं है पर मेरे पापा इस रिश्ते के लिए राजी नहीं हैं. हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. अब समस्या यह है कि आजकल मेरा बौयफ्रैंड मुझ से कुछ उखड़ाउखड़ा रहता है. दरअसल मुझ से पहले वह किसी और लड़की से प्रेम करता था. अब उस की शादी हो चुकी है. लगता है वह लड़की दोबारा उस के संपर्क में आ गई है. पूछने पर भड़क उठता है. मेरी शक करने की आदत उसे नागवार गुजरती है. बताएं, क्या करूं?

जवाब

आप ने साफ नहीं लिखा है कि आप के पिता आप के बौयफ्रैंड जो आप का रिश्तेदार भी है के साथ रिश्ते के क्यों खिलाफ हैं. मातापिता हमेशा अपने बच्चों का भला चाहते हैं. इसलिए विचार करें कि आप के पिता क्यों उस से आप की शादी नहीं करना चाहते. इस के अलावा आप को यह भी संदेह है कि आप के प्रेमी ने अपनी पूर्व प्रेमिका से फिर से संबंध बना लिए हैं. ऐसे में आप को शादी के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. इस रिश्ते को थोड़ा और समय देना चाहिए. इस से आप को अपने प्रेमी को जानने का मौका मिलेगा. तब यदि आप को लगे कि आप का संदेह बेबुनियाद है, आप का प्रेमी आप के प्रति संजीदा है और साथ ही आप के पिता के ऐतराज की भी कोई खास वजह नहीं है तब आप इस विवाह के लिए पिता को मनाने का प्रयास कर सकती हैं. यदि वे राजी नहीं होते तो कोर्ट मैरिज कर सकती हैं. मगर जो भी फैसला करें सोचसमझ कर करें.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Winter Special : रूखे हाथ बन जाएंगे मक्खन से मुलायम, फौलो करें ये टिप्स एंड ट्रिक्स

हम अपने हर छोटेबड़े काम को करने के लिए सबसे पहले हाथ ही बढ़ाते हैं. पर क्या हम अपने हाथों का उतना ध्यान रख पाते हैं जितना रखना चाहिए? शायद नहीं.

हाथ अक्सर उपेक्षित ही रह जाते हैं और इस वजह से ये रूखा और भद्दा नजर आने लगता है. रूखे और बेजान हाथों के लिए कई कारक उत्तरदायी हो सकते हैं. कई बार शुष्क हवा, ठंडा मौसम, सूरज की तेज रोशनी, पानी से अत्यधिक संपर्क, केमिकल्स और कठोर साबुन के इस्तेमाल से भी हाथ बेकार हो जाते हैं.

इसके अलावा कई मेडिकल कंडिशन्स भी हाथों को रूखा बना देती हैं. अगर आपके हाथ भी रूखे और बदसूरत हो गए हैं तो इन घरेलू उपायों का अपनाकर आप एकबार फिर मक्खन जैसे हाथ पा सकती हैं:

1. औलिव औयल के इस्तेमाल से हाथ कोमल बनते हैं. इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैटी एसिड्स पाए जाते हैं जो रूखे हाथों को कोमल और मुलायम बनाने का काम करते हैं. इससे हाथों में मॉइश्चर बना रहता है.

2. ओटमील के इस्तेमाल से भी हाथों का रूखापन और खुरदुरापन ठीक हो जाता है. ये एक नेचुरल क्लींजिंग की तरह काम करता है. इसमें मौजूद प्रोटीन हाथों की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा मुलायम बनी रहती है.

3. नारियल तेल में फैटी एसिड्स का एक अनोखा मिश्रण मौजूद होता है, जो ड्राई स्किन के लिए बेहतरीन होता है. इसके अलावा ये सूरज की रोशनी में झुलस गए हाथों को निखारने का काम भी करता है.

4. मिल्क क्रीम का इस्तेमाल करके भी आप अपने हाथों को मक्खन की तरह बना सकती हैं. मिल्क क्रीम में हाई फैट होता है और ये एक नेचुरल मॉइश्चराइजर है. इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड त्वचा के pH लेवल को भी मेंटेन करने में मदद करता है.

5. शहद भी एक नेचुरल मॉइश्चराइजर है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट पर्यापत मात्रा में होता है. ये त्वचा की नमी को त्वचा में लॉक करने का काम करता है, जिससे त्वचा मुलायम बनी रहती है.

6. एलोवेरा का इस्तेमाल भी काफी कारगर है. ये त्वचा की नमी को बनाए रखने के साथ ही हाथों पर एक लेयर बना देता है जिससे हाथ बाहरी कारकों से प्रभावित होने से बचे रहते हैं.

7. इसके अलावा दही और केले को भी हाथों पर मलने से हाथ मुलायम बने रहते हैं. दही के इस्तेमाल से हाथों की टैनिंग भी दूर हो जाती है.

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