करती हैं डेस्क जौब, तो जरूर करें ये एक्सरसाइज

डैस्क जौब आजकल की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है, जिस वजह से बहुत सारी महिलाएं पीठ दर्द, गरदन का दर्द, फ्रोजन शोल्डर जैसी कई समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं.

अगर आप भी डैस्क जौब में हैं, तो हम आप को कुछ आसान व्यायाम बता रहे हैं, जो आप के शरीर को अधिक समय तक डैस्क जौब करने से उत्पन्न तकलीफों से छुटकारा दिला सकते हैं:

गरदन के व्यायाम

– अपने दोनों हाथ सिर के पीछे रखें. हाथ के दबाव से रोकते हुए अपने सिर को पीछे की तरफ ले जाने का प्रयास करें. कुछ मिनट तक इसी मुद्रा में रहें. थोड़ी देर तक इस प्रक्रिया को जारी रखें.

– डैस्क के सामने कई घंटों तक बैठे रहने के बाद कुछ देर अपने सिर को बाएं, दाएं, ऊपर और नीचे की दिशा में घुमाएं और फिर दोनों तरफ झुकाएं. इस व्यायाम को कुछ देर तक दोहराती रहें.

कंधों के व्यायाम

– अपने सिर के पीछे एक पैंसिल या पैन रखें तथा उसे अपने स्थान पर संतुलित बनाए रखने के लिए कंधों का इस्तेमाल करें.

– अपनी बांहों को ऊपर की तरफ फैलाएं और फिर कुछ सैकंड उसी अवस्था में रखें. इस प्रक्रिया को दोहराती रहें.

– अपने दोनों हाथों को कंधों पर दोनों तरफ रखते हुए कंधों को घड़ी की सूई की दिशा और विपरीत दिशा में बारीबारी से घुमाएं.

शरीर को सीधी मुद्रा में रखें

– अपनी कुरसी को ऐडजस्ट करते हुए उसे इतनी ऊंचाई तक रखें जहां से आप आरामदेह स्थिति में सीधे तरीके से बैठ सकें तथा आप की कंप्यूटर स्क्रीन आप की आंखों के समानांतर रहे.

– पालथी मार कर बैठने की कोशिश करें. अपने शरीर को उसी मुद्रा में रखें जिस तरह आप बैठती हैं ताकि आप आराम महसूस कर सकें.

पैरों, बाजुओं और कलाइयों के व्यायाम

– अपने पैरों को दीवार की तरफ तानें. घुटनों को मोड़े बगैर बाजुओं से पैर छूने की कोशिश करें.

– इसी अवस्था में अपने पैरों को ऊपर तथा नीचे गतिशील रखते हुए जौगिंग करें.

– पोरों को बजाएं. आप स्टैपलर की मदद से भी ऐसा कर सकती हैं.

– फुरसत के वक्त हवा में पैर चलाएं ताकि पैरों और बाजुओं की मांसपेशियां मुक्त हो सकें.

पीठ दर्द से मिले राहत

– घूमने वाली कुरसी का इस्तेमाल करें और एक से दूसरी तरफ घूमते हुए अपने पेट के निचले हिस्से को घुमाएं, फिर इसी तरह उलटी दिशा में घुमाएं.

– नियमित अंतराल पर ब्रेक लेती रहें. अपने काम का बोझ हलका करने के लिए औफिस के गलियारे में थोड़ी देर चहलकदमी करें.

डा. राजीव के. शर्मा

इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल, दिल्ली

लास एंजेलिस अमेरिका के कैलिफोर्निया का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल

अगर आप विदेश जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो अमेरिका के लास एंजेलिस एक अच्छा विकल्प हो सकता है. यहां का खुशनुमा मौसम, दूरदूर तक फैले समु्द्र तट और घूमनेफिरने की तमाम सुविधाओं के कारण इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल माना जाता है. यहां आप न सिर्फ समुद्र की ऊंचीऊंची लहरों पर सर्फिग कर सकते हैं, बल्कि पहाड़ों पर चढ़ाई करने का आनंद भी उठा सकते हैं. यहां के सुंदर समु्द्री तट, नेशनल पार्क और एम्यूजमेंट पार्क तो आपको बिल्कुल एक नई दुनिया में ले जाने का अहसास दिलाता है.

लास एंजेलिस अमरीका के कैलिफोर्निया प्रांत का सबसे बड़ा शहर एवं पूरे देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. बोलचाल की भाषा में इसे एल ए, कहा जाता है, इसकी अनुमानित जनसंख्या 3.8 मिलियन है, जो एवं क्षेत्रफल 461.9 वर्ग मील में फैला है. यहां पूरी दुनिया से आई आबादी है, जो अलग -अलग भाषाएँ बोलते है. लॉस एंजेल्स शहर लास एंजेल्स काउंटी में एक प्रशासनिक मुख्यालय भी है, जो अमरीका में अत्यंत सघन बसा हुआ एवं काफी विविधता वाला काउंटी है. आज लॉस एंजेल्स पूरी दुनिया के संस्कृति, तकनीक, मीडिया, व्यापार के क्षेत्र में एक प्रमुख शहर के रूप में स्थापित है. यहाँ आने वाले पर्यटक यहाँ की खूबसूरती  की तारीफ करते नहीं थकते.

लॉस एंजिल्स एक ऐसा शहर है, जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है.  यात्रा करने के लिए इतने रोमांचक स्थानों के साथ, अपनी यात्रा कार्यक्रम की योजना बनाना चुनौतीपूर्ण होता है. लॉस एंजिल्स में आकर्षण की सूची में हर किसी के लिए कुछ नया और रोमांचक है, चाहे आप पहली बार आने वाले यात्री हों या अनुभवी यात्री. अपने बैग पैक करके और हॉलीवुड या मालिबू के प्राचीन समुद्र तटों की चकाचौंध और ग्लैमर की खोज करके अमेरिका के सबसे जीवंत और गतिशील शहरों में से एक के जादू का अनुभव कर सकते है.

यह कैलिफोर्निया में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जगह है.  यह चारों ओर से पहाड़, घाटी और जंगल से घिरा हुआ है. पैसिफिक महासागर के अलावा इसके निकट रेगिस्तान भी है. ऐसे में आप यहां आकर इन दोनों जगह जाने का लुत्फ ले सकते हैं और छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं.  इसके अलावा ‘हॉलिवुड’ के कारण भी यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहता है और इसे देखने के लिए पूरे साल दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं.

यहां की एक तिहाई से ज्यादा आबादी दूसरे स्थानों से आकर बसी है.  दुनियाभर से लोग यहां आए और शहर में रहने लगे है.  वैसे, यहां ज्यादातर लोग लैटिन अमेरिका, कोरिया, लिटिल इथोपिया, चाइनाटाउन और टोक्यो से आकर बसे हैं.

यूनिवर्सल स्टूडियो और हॉलिवुड साइन

यदि आप कैलिफोर्निया आएं और लॉस एंजलिस का यूनिवर्सल स्टूडियो देखने न जाएं तो लगेगा आपने कुछ मिस कर दिया.  दरअसल, यह यहां के सबसे पुराने फिल्म स्टूडियो में से एक है. यूनिवर्सल स्टूडियो उत्तरी लॉस एंजलिस की सैन फर्नाडो घाटी में चारों ओर फैला हुआ एक स्टूडियो है, जिसे फैमिली फ्रेंडली थीम पार्क के कारण भी जाना जाता है.  यह फिल्म के शौकीनों की पसंदीदा जगह है और उन्हें यहां आकर एक सुखद एहसास होता है. यहां ‘किंगकॉन्ग’ से लेकर ‘वॉटरव‌र्ल्ड’ तक तमाम फिल्मों की शूटिंग हुई है.

यहां आकर दर्शक ये भी देख सकते हैं कि फिल्मों की शूटिंग कैसे होती है.  इस कॉम्प्लेक्स में ‘यूनिवर्सल सिटी वॉक’ शॉपिंग सेंटर भी है, जहां पर दर्शक फिल्मों की शूटिंग के दौरान कलाकारों की लाइव परफॉर्मेस के साथ ही मूवी अथवा सेलिब्रिटी को भी देख सकते हैं. हॉलिवुड इसे लॉस एंजलिस के सबसे ज्यादा पसंदीदा वाले स्थानों में शुमार किया जाता है और दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं.  वर्ष भर यहां पर्यटकों का तांता लगा रहता है. वर्ष 1920 में जब बिना आवाज वाली फिल्मों का दौर था, तब से लेकर अब तक यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म और एंटरटेनमेंट का केंद्र बना हुआ है. ‘टिनसेलटाउन’ में उस जमाने के कई टेलिविजन स्टूडियो यहां पर मौजूद हैं और हॉलिवुड आने वाले पर्यटक टीवी शो देखने के लिए अपनी टिकट भी रिजर्व करा सकते हैं. इतना ही नहीं ऐतिहासिक चाइनीज थियेटर में यहां सड़कों के किनारे सीमेंट में बड़े-बड़े हॉलिवुड सितारों के हाथों और पैरों के निशान छपे हुए हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र है.

सैंटा मोनिका पियर

सैंटा मोनिका पियर एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक लैंडमार्क है और लॉस एंजिल्स में अवश्य जाना चाहिए. यह क्षेत्र वर्ष 1909 का बना है और तब से यह एक लोकप्रिय और आकर्षक है. यहाँ आने वालों को नीले प्रशांत महासागर के लुभावने दृश्यों और सुंदर कैलिफोर्निया तटरेखा देखने को मिलती है. यहाँ की सूर्यास्त देखने योग्य होती है. इस रोमांटिक माहौल में डिनर का आनंद लेने या टहलने के लिए बहुत अच्छा होता है. सैंटा मोनिका को टेलिविजन शो बेवॉच की शूटिंग के लिए भी जाना जाता है.  यहां वह सब चीज मौजूद है, जो दक्षिणी कैलिफोर्निया आने वाले देखना चाहते हैं.  यहां पर समुद्र की लहरों पर सर्फिग के साथ बीच पर नहाने का अलग ही मजा है. घूमने का सबसे अच्छा समय यहाँ अप्रैल-जून या सितंबर-नवंबर, होता है, जब मौसम सुहावना होता है और भीड़ कम होती है.

बेवर्ली हिल्स

बेवर्ली हिल्स अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध और विश्व के धनी लोगों के मकान के लिए प्रसिद्ध है, जो अपनी भव्य हवेली और ग्लैमरस जीवन शैली के लिए जाना जाता है. दुनिया के सबसे प्रसिद्ध फैशन ब्रांडों में से कुछ के स्टोरफ्रंट खोजने के लिए पर्यटक रोडियो ड्राइव पर टहल सकते हैं. यहाँ पर बने हुए सभी अमीरों के घर अपने अलग अंदाज और रईसी को बताती है. आपको बता दे कि बॉलीवुड के प्रसिद्ध किंग खान यानि शाहरुख खान ने का भी एक मकान बेवर्ली हिल्स पर है.

इसके अलावा यहाँ आने वाले बेवर्ली हिल्स फ़ार्मर्स मार्केट का भी पता लगा सकते हैं, जो स्थानीय रूप से तैयार किए गए उत्पादों और कलात्मक उत्पादों के लिए एक लोकप्रिय स्थान होता है. यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय हमेशा रहता है. सप्ताह के दिनों में भीड़ कम होती है.

मालिबू

लॉस एंजिल्स के ठीक उत्तर में स्थित एक तटीय शहर मालिबू है, जो अपने प्राचीन समुद्र तटों और लुभावने दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है. पर्यटक पैसिफिक कोस्ट हाईवे के साथ ड्राइव कर सकते हैं, जो समुद्र तट के पास से निकलता है और समुद्र के किनारों के ऊबड़-खाबड़ तट के शानदार दृश्य को प्रस्तुत करता है.  यह शहर कई समुद्र तटों का भी घर है, जिनमें सर्फ़ाइडर बीच, सर्फर्स के बीच लोकप्रिय और ज़ूमा बीच शामिल है, जो सफेद रेत के लिए जाना जाता है.  इसके अलावा यहाँ कई सकते हैं, जो विभिन्न प्रकार की लंबी पैदल यात्रा और बाइकिंग ट्रेल्स के लिए जाने जाते है. यहाँ यात्रा करने का समय हमेशा अच्छा रहता है, लेकिन बसंत और पतझड़ में भीड़ कम होती है.

डिज्नीलैंड

डिज़नीलैंड रिज़ॉर्ट लॉस एंजिल्स में अपनी जादुई सवारी, रंगीन पात्रों और परिवार के अनुकूल माहौल के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक माना जाता है. यह मनोरंजन पार्क बच्चों के साथ लॉस एंजिल्स की यात्रा करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अवश्य जाना चाहिए. यहाँ के आकर्षक शॉपस और उनमें पाए जाने वाले शो पिसेज डिज्नी से संबंधित है. सभी उम्र के लोगों के लिए यहाँ कुछ न कुछ है. यदि आप डिज़्नी के प्रशंसक हैं, तो डिज़नीलैंड रिज़ॉर्ट लॉस एंजिल्स में अवश्य जाए, यहाँ हर रात 9.30 को आतिशबाजी देखने योग्य होती है. यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जनवरी से अप्रैल और सितंबर से नवंबर  सप्ताह के दिनों में करना अच्छा रहता है.

कोरोना डेलमार बीच

कोरोना डेलमार बीच एक बहुत ही सुन्दर प्रशांत महासागर का समुद्री किनारा है, यहाँ की रेत सफेद होने की वजह से ये पर्यटकों के लिए आकर्षक बन चुका है, यहाँ पर्यटक रिलैक्स होने के लिए आते है. यहाँ आने वाले पूरे दिन इस समुद्री किनारों पर नहाने, स्कूबा डाइविंग करने और प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेते है. यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर तक होता है, जब मौसम बहुत ही सुहावना होता है.

पाम स्प्रिंग

लॉस एंजिल्स की साउथ में स्थित पाम स्प्रिंग एक बहुत ही खूबसूरत वैली है, कैलिफोर्निया की रिवरसाइड काउंटी की कोलोरेडों डेसर्ट एरिया से निकलकर यहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है. 10,834 फीट की ऊंचाई पर स्थित माउंटेन सेन जेसिनटों मे स्थित कोचेला वैली में तकरीबन 50 हजार लोग रहते है. इस माउंटेन से वैली में जाने के लिए एरियल ट्राम वे की व्यवस्था है, जो बहुत ही आकर्षक होता है. पाइन और फर के बड़े – बड़े पेड़ों के बीच इस घाटी में कई ट्रॅकिंग के रास्ते है, जिसे बहुत ही सुन्दर तरीके से बनाया गया है. ट्रैकिंग के शौकीन इसका आनंद उठा सकते है, यहाँ का तापमान गर्मी में 12 से 14 डिग्री सेन्टीग्रेड होता है. जबकि जाड़े में यहाँ का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे होने की वजह से काफी स्नोफॉल होता है, जिसका आनंद पर्यटक उठाते है.

New Couple शादी की धूमधाम पर नहीं बल्कि फ्यूचर के लिए ऐसे करें बचत

शादी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल होता है. भारत में शादी की कई रस्में निभाई जाती है. देखा जाए, तो ये रस्में महीनेभर चलती है. शादी से जुड़े फंक्शन मेंहदी, संगीत, प्री वेडिंग, हल्दी जैसे कई फंक्शन होते हैं. ऐसे में हर कोई चाहता है कि हमारे घर की यादगार शादी हो कि लोग इसे हमेशा याद रखें.

सेलिब्रिटीज की शादियों में लाखोंकरोड़ों खर्च होते हैं, हालांकि उनके पास पैसों की कमी नहीं है, तो कितने भी पैसे खर्च हो जाए, इससे फर्क नहीं पड़ता.. लेकिन मीडिल क्लास फैमिली भी शादी में बहुत पैसे खर्च करती है. आपने आसपास लोगों से सुना होगा या अपने घर में भी देखा होगा कि गार्डियन शादी में अपनी औकात से ज्यादा खर्च करते हैं. कुछ लोग शादी में खर्चे करने के लिए ही पैसे बचाते हैं, तो वहीं कुछ लोग कर्ज लेकर भी शादी में खर्च करते हैं. इतना ही नहीं जब शादी का बजट बढ़ने लगता है, तो लोग बैंक से भी लोन ले लेते हैं.

Affectionate indian couple celebrating propose day together

वेडिंग डेस्टिनेशन पर खर्च

मीडिल क्लास भारतीय पेरेंट्स की सोच होती है कि उनके बेटे या बेटी की शादी आलीशान हो. शादी की डेस्टिनेशन के अलग खर्चे होते हैं. लोकेशन के आधार पर इसके लागत भी अलगअलग होती है. छोटे बैंक्वेट, फाइवस्टारहोटल, हाल से लेकर फार्महाउस तक, इन जगहों की कीमत अलग होती है. लोग घर पर शादी के फंक्शन करने के बजाय वेडिंग डेस्टिनेशन का चुनाव करते हैं. अगर बड़े शहरो में आप शादी के लिए डेस्टिनेशन का चुनाव करते हैं, तो इसके लिए 25 से 50 लाख या इससे ज्यादा भी खर्च हो सकते हैं.

A wedding ceremony with a white tablecloth on the table and a white tablecloth.

डेकोरेशन पर खर्च

एक डेकोरेशन का खर्च अलग, कई प्रकार के लैंप, मोमबत्तियों और सेंटरपीस से एंट्री को बेहतर बनाने से लेकर स्टेज और मंडप को कई फूलों की सजावट से लेकर कई तरह के औप्शन हैं.कुछ लोग तो एक्स्ट्रा डेकोरेशन भी करवाते हैं, हर बैंक्वेट या होटल सिल्वर से लेकर प्लैटिनम तक अलगअलग प्लान उपलब्ध कराता है और लोग अपनी पसंद के अनुसार चुनते हैं. इसमें भी लाख रुपए तक खर्च हो सकते हैं.

The Wedding Stage of Indian Marriage

कैंटरिंग पर खर्च

शादी का कोई भी फंक्शन अच्छे खाने के बिना पूरा नहीं होता है. मेहमानों के स्वागत का अहम हिस्सा खाना होता है. कैंटरिंग में भी लोग जमकर पैसा खर्च करते हैं. स्ट्रार्टर से लेकर लंच या डिनर तक की व्यवस्था होती है. भारतीय शादियों में खाने से कोई समझौता नहीं किया जाता है. शादियों में सिर्फ इंडियन फूड ही नहीं बल्कि अलगअलग जैसे स्ट्रीट फूड स्टौल से लेकर इटैलियन फूड भी शामिल होता है. कैटरिंग का खर्च प्लेट की संख्या के हिसाब से अलग-अलग होता है. इसमें भी 2 लाख तक खर्च हो ही जाता है, अगर ज्यादा मेहमान आते हैं, तो खर्च ज्यादा भी हो सकते हैं.

Dessert table of delicious snacks on wedding reception.

कपड़े और गहने पर खर्च

खास तौर पर दूल्हा और दुल्हन के लिए पहनावे पर ज्यादा खर्च किए जाते हैं. लोग अपनी शादी के कपड़ों  पर उतना ही खर्च करते हैं जितना वे केटरिंग पर करते हैं. ब्राइडल लहंगा और सूट के खर्चे से आप अंजान नहीं होंगे. मार्केट में ब्राइडल लहंगा की कीमत 20,000 से लेकर शुरू होती है, पसंद पर निर्भर करता है, लड़कियां 1 लाख रुपए के लहंगे भी खरीदती हैं. तो वहीं शेरवानी की कीमत भी महंगे होते हैं. शादियों में कपड़े खरीदना दूल्हादुल्हन तक सीमित नहीं है. इसमें एकदूसरे के परिवार और रिश्तेदारों को गिफ्ट देना होता है.

Couple Praying At A Beautifully Wallpaper

शादी ज्वेलरी के बिना पूरा नहीं होता है. मातापिता शादी के लिए बचपन से ही अपने बच्चों के लिए ज्वेलरी की व्यवस्था शुरू कर देते हैं. हालांकि दुल्हन के लहंगे के हिसाब से भी ब्राइडल सेट आता है, जो काफी महंगे मिलते हैं. शादी में और भी कई बड़ेछोटे खर्चे होते हैं, जिन्हें गिनाना मुश्किल है.

Colorful decorative objects in the shape of a heart

कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि भारतीय शादी पैसे की बर्बादी होती है. हालांकि लोग अपने शौक से करते हैं, तो ये उनका निजी मामला है, लेकिन न्यू कपल को इसमें समझदारी दिखानी चाहिए.

कई बार शादी में होने वाले खर्च की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है. ऐसे में शादी में बेफिजूल की खर्च न कर दैनिक जरूरतों पर ध्यान दें.

  • न्यू कपल को जहां रहना है, उस जगह पर खर्च करें, अपने घर के लुक को चेंज करें.
  • किचन या बाथरूम में जिस चीज की जरूरत है, उस पर खर्च करें.
  • शादी में खर्च होने वाले पैसे को सेव करें, आपके फ्यूचर में काम आ सकता है.
  • शादी के लिए छोटा फंक्शन रखें, मेहमानों की लिस्ट भी कम ही रखें. इससे आपका बचत होगा.
  • शादी में पैसे बहाने के बजाय आप खुद की जरूरतों को समझें. कई बार पैसे की कमी के कारण कपल में खटास आने लगती है. ऐसे में आप बचत करें, जिससे इन परेशानियों से निपट सकें.

पति से दूर रहती हूं इसलिए दूसरे लड़के के साथ करती हूं बेड शेयर, अगर ये बात पति को पता चल गया तो…

सवाल

हाल ही में मेरी शादी हुई है, जौब की वजह से हम पतिपत्नी दूर रहते हैं. जिस फ्लैट में मैं रहती हूं, वहां एक लड़का रहता है. अभी वह पढ़ाई कर रहा है. दरअसल हमारे बीच उस दिन बात शुरू हुई, जब लाइट चली गई थी. वह बाहर निकलकर वाक कर रहा था. मैं भी उस टाइम निकली थी.

हमदोनों ने पूरी रात बातें की, एकदूसरे के बारे में अच्छी तरह से जाना. हालांकि पहले मुझे लगा कि मैं मैरिड हूं, तो वो मुझसे नहीं बात करना चाहेगा, लेकिन मुझसे ज्यादा वह लड़का ही फ्रेंक हो रहा था. दूसरे दिन वह अपनी बाइक से औफिस भी छोड़ने गया. अब हम एक कपल की तरह रहते हैं, रोजाना रात में सेक्स करते हैं. वह मेरा बहुत ख्याल रखता है, मुझसे कहता है कि तुम अपने पति को डिवोर्स दे दो. मैं तुम्हारे साथ रहूंगा, लेकिन दिक्कत ये है कि वह मुझसे उम्र में 5 साल छोटा है.

Couple having dinner at a restaurant

तो दूसरी तरफ मेरे पति मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं, उन्हीं के कारण मैं घर से बाहर रहती हूं. अब आप ही बताएं, जो पति इतना भरोसा करे, उसे मैं धोखा कैसे दे सकती हूं और यह लड़का भी मेरी केयर करता है, समझ नहीं आ रहा क्या करूं?

जवाब

देखिए, आप खुद ही बता रही हैं कि आपके पति आप पर भरोसा करते हैं और पतिपत्नी के रिश्ते का बुनियाद विश्वास ही होता है. कई बार वर्किग कपल को अलगअलग शहर में रहना पड़ता है, लेकिन बढ़ते टेक्नोलौजी के कारण अलग रहने का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.

unhappy couple on bed with worried expression

मान लीजिए आपके पति आपके पास आते हैं और आप जिस लड़के के साथ रहती हैं. उन्हें ये बात पता चल गया, तो आपकी शादी का टूटना तय है. आपने ये भी बताया कि वह लड़का आपसे उम्र में छोटा है और अभी वह पढ़ाई कर रहा है. अगर आप उसके साथ दोबार शादी करती है, तो आप दोनों के लाइफ में परेशानी बढ़ेगी. उस लड़के के मांबाप चाहेंगे कि उनका बेटा पढ़लिखकर बड़ा आदमी बने न कि प्रौब्लम में पड़े.

Close-up of man embracing her girlfriend

आपको समझदारी से काम लेनी होगी, ताकि किसी का दिल न टूटे. आप उस लड़के को समझाइए कि अभी उसकी उम्र पढ़ने की है. आपदोनों के बीच जो भी कुछ हुआ, उसे भूल जाएं और अपने लाइफ में आगे बढ़ें.

अगर पौसिबल हो, तो आप अपना ट्रांसफर पति के शहर में करवा सकती हैं या आप अपना फ्लैट भी चेंज कर सकती हैं. ताकि आप उस लड़के से दूर रहें. बहुत मुश्किल से अच्छा लाइफपार्टनर मिलता है, अगर आपके पति सही इंसान है और आप भी उन्हें समझती हैं, तो अपनी शादी टूटने से बचाएं और अपने पति का साथ निभाएं.

मुलाकात का एक घंटा : स्वार्थ की बकझक में लगे थे वो दोनों

एक ही साथ वे दोनों मेरे कमरे में दाखिल हुए. अस्पताल के अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा हुआ मैं उस घड़ी को मन ही मन कोस रहा था, जब मेरी मोटर बाइक के सामने अचानक गाय के आ जाने से यह दुर्घटना घटी. अचानक ब्रेक लगाने की कोशिश करते हुए मेरी बाइक फिसल गई और बाएं पैर की हड्डी टूटने के कारण मुझे यहां अस्पताल में भरती होना पड़ा. ‘‘कहिए, अब कैसे हैं?’’ उन में से एक ने मुझ से रुटीन प्रश्न किया.

‘‘अस्पताल में बिस्तर पर लेटा व्यक्ति भला कैसा हो सकता है? समय काटना है तो यहां पड़ा हूं. मैं तो बस यहां से निकलने की प्रतीक्षा कर रहा हूं,’’ मैं ने दर्दभरी हंसी से उन का स्वागत करते हुए कहा. ‘‘आप को भी थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए थी. अब देखिए, हो गई न परेशानी. नगरनिगम तो अपनी जिम्मेदारी निभाता नहीं है, आवारा जानवरों को यों ही सड़कों पर दुर्घटना करने के लिए खुला छोड़ देता है. लेकिन हम तो थोड़ी सी सावधानी रख कर खुद को इन मुसीबतों से बचा सकते हैं,’’ दूसरे ने अपनी जिम्मेदारी निभाई.

‘‘अब किसे दोष दें? फिर अनहोनी को भला टाल भी कौन सकता है,’’ पहले ने तुरंत जड़ दिया. लेकिन मेरी बात सुनने की उन दोनों में से किसी के पास भी फुर्सत नहीं थी. अब तक शायद वे अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुके थे और अब शायद उन के पास मेरे लिए वक्त नहीं था. वे आपस में बतियाने लगे थे.

‘‘और सुनाइए गुप्ताजी, बहुत दिनों में आप से मुलाकात हो रही है. यार, कहां गायब रहते हो? बिजनेस में से थोड़ा समय हम लोगों के लिए भी निकाल लिया करो. पर्सनली नहीं मिल सकते तो कम से कम फोन से तो बात कर ही सकते हो,’’ पहले ने दूसरे से कहा. ‘‘वर्माजी, फोन तो आप भी कर सकते हैं पर जहां तक मुझे याद है, पिछली बार शायद मैं ने ही आप को फोन किया था,’’ पहले की इस बात पर दूसरा भला क्यों चुप रहता.

‘‘हांहां, याद आया, आप को शायद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कुछ काम था. कह तो दिया था मैं ने सिंह को देख लेने के लिए. फिर क्या आप का काम हो गया था?’’ पहले ने अपनी याददाश्त पर जोर देते हुए कहा. ‘‘हां, वह काम तो खैर हो गया था. उस के बाद यही बात बताने के लिए मैं ने आप को फोन भी किया था, पर आप शायद उस वक्त बाथरूम में थे,’’ गुप्ता ने सफाई दी.

‘‘लैंडलाइन पर किया होगा. बाद में वाइफ शायद बताना भूल गई होंगी. वही तो मैं सोच रहा था कि उस के बाद से आप का कोई फोन ही नहीं आया. पता नहीं आप के काम का क्या हुआ? अब यदि आज यहां नहीं मिलते तो मैं आप को फोन लगाने ही वाला था,’’ पहले ने दरियादिली दिखाते हुए कहा. ‘‘और सुनाइए, घर में सब कैसे हैं? भाभीजी, बच्चे? कभी समय निकाल कर आइए न हमारे यहां. वाइफ भी कह रही थीं कि बहुत दिन हुए भाभीजी से मुलाकात नहीं हुई,’’ अब की बार दूसरे ने पहले को आमंत्रित कर के अपना कर्ज उतारा, वह शायद उस से अपनी घनिष्ठता बढ़ाने को उत्सुक था.

‘‘सब मजे में हैं. सब अपनीअपनी जिंदगी जी रहे हैं. बेटा इंजीनियरिंग के लिए इंदौर चला गया. बिटिया को अपनी पढ़ाई से ही फुर्सत नहीं है. अब बच गए हम दोनों. तो सच बताऊं गुप्ताजी, आजकल काम इतना बढ़ गया है कि समझ ही नहीं आता कि किस तरह समय निकालें. फिर भी हम लोग शीघ्र ही आप के घर आएंगे. इसी बहाने फैमिली गैदरिंग भी हो जाएगी,’’ पहले ने दूसरे के घर आने पर स्वीकृति दे कर मानो उस पर अपना एहसान जताया. ‘‘जरूर, जरूर, हम इंतजार करेंगे आप के आने का, मेरे परिवार को भी अच्छा लगेगा वरना तो अब ऐसा लगने लगा है कि लाइफ में काम के अलावा कुछ बाकी ही नहीं बचा है,’’ दूसरे ने पहले के कथन का समर्थन किया.

मैं चुपचाप उन की बातें सुन रहा था. ‘‘और सुनाइए, तिवारी मिलता है क्या? सुना है इन दिनों उस ने भी बहुत तरक्की कर ली है,’’ पहले ने दूसरे से जानकारी लेनी चाही.

‘‘सुना तो मैं ने भी है लेकिन बहुत दिन हुए, कोई मुलाकात नहीं हुई. फोन पर अवश्य बातें होती हैं. हां, अभी पिछले दिनों स्टेशन पर जोशी मिला था. मैं अपनी यू.एस. वाली कजिन को छोड़ने के लिए वहां गया हुआ था. वह भी उसी ट्रेन से इंदौर जा रहा था. किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर बता रहा था. इन दिनों उस ने अपने वजन को कुछ ज्यादा ही बढ़ा लिया है,’’ दूसरे ने भी अपनी तरफ से बातचीत का सूत्र आगे बढ़ाया. ‘‘आजकल तो मल्टीनेशनल्स का ही जमाना है,’’ पहले ने अपनी ओर से जोड़ते हुए कहा.

‘‘पैकेज भी तो अच्छा दे रही हैं ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां,’’ दूसरे ने अपनी राय व्यक्त की. ‘‘बहुराष्ट्रीय कंपनियां पैसे तो देती हैं लेकिन काम भी खूब डट कर लेती हैं. आदमी चकरघिन्नी बन कर रह जाता है. उन में काम करने वाला आदमी मशीन बन कर रह जाता है. उस की अपनी तो जैसे कोई लाइफ ही नहीं रह जाती. एकएक सेकंड कंपनी के नाम समर्पित हो जाता है. सारे समय, चाहे वह परिवार के साथ आउटिंग पर हो या किसी सोशल फंक्शन में, कंपनी और टार्गेट उस के दिमाग में घूमते रहते हैं.’’

जाने कितनी देर तक वे कितनी और कितने लोगों की बातें करते रहे. अभी वे जाने और कितनी देर बातें करते तभी अचानक मुझे उन में से एक की आवाज सुनाई दी. ‘‘अरे, साढ़े 4 हो गए.’’

‘‘इस का मतलब हमें यहां आए 1 घंटे से अधिक का समय हो रहा है,’’ यह दूसरे की आवाज थी. ‘‘अब हमें चलना चाहिए,’’ पहले ने निर्णयात्मक स्वर में कहा.

‘‘आप ठीक कह रहे हैं, घर में वाइफ इंतजार कर रही होंगी,’’ दूसरे ने सहमति जताते हुए कहा. आम सहमति होने के बाद दोनों एक साथ उठे, मुझ से विदा मांगी और दरवाजे की ओर बढ़ गए.

मैं ने भी राहत की सांस ली. अब मेरे कमरे में पूरी तरह सन्नाटा छाया हुआ था. मुझे ऐसा लगा जैसे अब कमरे में उस पोस्टर की कतई आवश्यकता नहीं है जिस के नीचे लिखा था, ‘‘कृपया शांति बनाए रखें.’’

एक और बात, वे एक घंटे बैठे, लेकिन मुझे कतई नहीं लगा कि वे मेरा हालचाल पूछने आए हों. लेकिन दूसरों के साथ दर्द बांटने में जरूर माहिर थे. जातेजाते दर्द बढ़ाते गए. उन की फालतू की बातें सोचसोच कर मैं अब उन के हिस्से का दर्द भी झेल रहा था.

मौडर्न मिलन : जब पति को उस ने गोरी बांहों में बांध लिया

यह कुदरती और वाकई अनोखी बात थी कि रूढि़वादी और धार्मिक मांबाप ने अपनी जिस लाड़ली बेटी का नाम विद्योत्तमा रखा था, उस के मंगेतर का नाम एक पुरोहित ने नामकरण के दिन कलुवा रख दिया था. लेकिन विद्योत्तमा के रिश्ते की बात जब कलुवा से चली तो उस चालाक पुरोहित ने मंगनी के समय झट कलुवा का नाम बदल कर उसे कालिदास बना दिया. विद्योत्तमा और कालिदास का विवाह भी कर दिया गया. सुहागरात में प्रथम भेंट पर कालिदास को अपनी दुलहन का घूंघट उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ी. कशिश से भरी, बड़ीबड़ी मोहक अंखियों और तीखे नयननक्श वाली, बेजोड़ खूबसूरती की मलिका विद्योत्तमा ने मुसकराते हुए अपने मांग टीके पर अटके नाममात्र के घूंघट को खुद ही उलट कर अपनी गरदन पर लपेट लिया. फिर उस के एक छोर को अपने दाएं हाथ की पहली उंगली में फंसाए शरारती अदा के साथ अपने लाल रसीले होंठों और चमकदार दंतुलियों से जैसे काट खाया. फिर कालिदास के सीने से अपनी पीठ को सटाते उस ने गरदन घुमा कर तिरछी नजरें अपने दूल्हे राजा के हैरतअंगेज चेहरे पर चुभाईं. तब बोली, ‘‘हाय, डियर क्यूट. आई लव यू सो वैरी मच.’’

कालिदास के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आईं. प्रथम मिलन का ऐसा बेलिहाज नजारा तो शायद उस के बाप के बाप तक ने कभी सपने में भी नहीं देखा होगा. तभी लगभग हकलाता हुआ सा कलुआ बोल पड़ा, ‘‘जरा संभल कर ठीक से बैठो, प्रिये. चलो, कुछ देर प्यारभरी मीठीमीठी बातें हो जाएं. यह हमारे मधुर मिलन की पहली इकलौती घड़ी है, प्राणप्यारी.’’ ‘‘मीठीमीठी बातें? ह्वाट नौनसेंस,’’ कहते हुए दुलहन बिदक कर दूर छिटक गई और बोली, ‘‘तुम्हें तो मुझ को देखते ही भूखे भेडि़ए की तरह झपटचिपट कर मेरे तनबदन को बेशुमार किसेज (चुंबनों) की झड़ी लगाते निहाल कर देना चाहिए था. अभी इतनी देर तक लबरलबर तो खूब करते रहे. क्या तुम मुझ को लव नहीं करते. डोंट यू लाइक मी? जो अभी भी मुझे अपनी बांहों में जकड़ने से हिचकते घबरा रहे हो.’’

बेचारा कालिदास सचमुच काफी घबरा गया था, लेकिन अब जल्दी ही वह अपने को हिम्मत के साथ संभालता हुआ बोला, ‘‘सुनो, मेरी प्यारी हंसिनी, मुझ को तो तुम अपने सामने एक बगले जैसा ही समझो क्योंकि मैं तो सिर्फ हाईस्कूल थर्ड डिविजन से पास हूं, जबकि तुम अंगरेजी साहित्य में फर्स्ट क्लास एम.ए. पास. मुझे ताज्जुब हो रहा है कि तुम ने मुझ जैसे चपरगट्टू भौंतर छोरे से शादी करने की बात भला कैसे मंजूर कर ली जबकि असल में मैं तुम्हारे काबिल और माफिक दूल्हा हूं ही नहीं. मैं…मैं…मैं तो…’’ दुलहन हंस पड़ी और बोली, ‘‘ओह, स्टौप आल दिस मैं मैं मिमियाना. अजी हुजूरेआला, तुम तो इन आल रिस्पेक्ट्स, हर हाल में मेरे ही काबिल हो. मैं आज भी उन ‘अधभरी गगरी’ जैसी छलकती छोकरियों में से नहीं हूं जो तितलियों की मानिंद इतराती अपने कालेज जाने में ही ऐसी अकड़ दिखाती हैं मानो वे पहले से ही डिगरीशुदा हों और अब सीधे कनवोकेशन में गाउन व हुड धारण करने की फौरमैलिटी निभाने जा रही हों. और जो आंखलड़ाऊ लव मैरिज के बाद अपने हसबैंड को लड़ाईझगड़े में सर्वेंट तक बोलने से नहीं चूकतीं.

‘‘डियर, मैं तो पहले से ही मान चुकी थी कि हम ‘मेड फौर ईच अदर’ यानी ‘इक दूजे के लिए ही बने’ हैं. तुम कम पढ़ेलिखे हो तो क्या, तुम नेक, खूबसूरत, तंदुरुस्त और उम्दा स्वभाव के नौजवान हो. फिर आजकल के योग्य लड़के तो भारीभरकम दहेज लिए बिना शादी को तैयार ही नहीं होते हैं जबकि तुम ने दहेज जैसे अशुभ नाम को अपनी जबान पर आने तक नहीं दिया. मैं तुम को उन दहेज के लालची लीचड़ों से सौगुना ज्यादा धनी मानती हूं. ‘‘तुम अपने हुनर में एक माहिर मोटर मेकैनिक हो और मुझ को पूरा यकीन है तुम बिगड़ती मोटरगाडि़यों की तरह अपने घरपरिवार रूपी गाड़ी की मेंटिनेंस में भी उस के ढीले पेचपुर्जों को सुधार कर उसे जिंदगी की खुशहाल राह पर कामयाबी के साथ दौड़ा सकते हो. तुम्हारे अंदर कोई बुरा व्यसन भी नहीं है, तो फिर यह नर्वसनेस क्यों? इनसान किताबें पढ़ कर और डिगरियां हासिल करने मात्र से विद्वान नहीं बन जाता. पढ़नेलिखने के साथ अगर इनसान उस से मिली नसीहतों को अपने जीवन में नहीं अपनाता तो वह किताबों के बोझ से लदे एक गधे जैसा ही होता है.’’

विद्योत्तमा के मुख से ऐसी बातें सुन कर कालिदास के मन में घिरे शकसंदेहों की सारी धुंध उड़नछू हो गई. वह बोला, ‘‘ओह डार्लिंग, मैं तो इस वजह से डरा हुआ था कि तुम्हारा नाम विद्योत्तमा और मेरा नाम भी कालिदास है तो कहीं तुम भी मुझे…’’ ‘‘रिजेक्ट कर देती और लताड़ के साथ भगा देती. यही न?’’ खिलखिलाते हुए विद्योत्तमा बीच में ही बोल पड़ी, ‘‘माई डियर साजन, तुम यह क्यों भूल गए कि वह पुराने जमाने की अपने ज्ञान के घमंड में चूर विद्योत्तमा थी लेकिन मैं तो 21वीं सदी की मौडर्न नवयुवती हूं. यानी मैं वह विद्योत्तमा हूं जो अपने पति को पति होने के नाते अपना दास, मतलब जोरू का गुलाम बना कर भले ही रख दूं, पर गुजरे वक्त की वह विद्योत्तमा कतई नहीं हूं कि हनीमून में ही अपने पति को बेइज्जत कर के घर से खदेड़ कर खुद को बगैर मर्द की (विधवा) औरत बना कर रख दूं और तब उस के लंबे अरसे के बाद अधेड़ विद्वान कालिदास हो कर लौट आने तक पलपल घुटतीसिसकती रहूं.

‘‘जब तक वह कालिदास बन कर आएगा तब तक उस की जवानी का जोशीला पोटाश तो संस्कृत के श्लोकों को पढ़नेरटने में ही खत्म हो चुका होगा. आने के बाद भी वह बजाय लंबी जुदाई से बढ़ी बेताबी के तहत रातों को मुझ से चिपट पड़ने के, ग्रंथ लिखने की खातिर कलम घिसने में मशगूल हो जाएगा और मैं अपने चेहरे पर पड़ती झुर्रियों को दर्पण में निहारती, कभी ऊंघती तो कभी उस कवि लेखक के लिए चाय बनाती बाकी बची उम्र को काटतीगुजारती रहूं. ‘‘फिर नाम में क्या रखा है, डियर. आंख के अंधे नाम नयनसुख की तरह भिखारियों में क्या कई लक्ष्मियां और धनपति नाम के औरतमर्द नहीं होते? छोड़ो इन यूजलेस बातों को अब. लम्हालम्हा गहराती मदमाती रात के साथ अब क्यों न हम भी अपने प्यार के समंदर की गहराइयों में खो जाएं? सो कम औन माइ लव, माइ स्वीट लाइफपार्टनर,’’ कहते हुए विद्योत्तमा ने कालिदास को अपनी सुडौल गोरी बांहों में बांध लिया. तब कालिदास ने भी उमड़ते प्रेम आनंद के एहसास के साथ उसे अपने दिल से सटा दिया. लग रहा था, कवि कालिदास के मेघदूतम वाले बेदखल किए गए, इश्क में तड़पते, यक्ष का भी अपनी प्यारी दिलरुबा से एक बार फिर मौडर्न मिलन हो रहा हो.

हर महिला को पता होनी चाहिए मैंस्ट्रुअल हाइजीन से जुड़ी ये चीजें

मासिकधर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन अभी भी भारतीय समाज में मासिकधर्म को अपवित्र या गंदा माना जाता है. इसे कई गलत धारणाओं और प्रथाओं से जोड़ दिया गया है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं.

ऐसे समय में अगर सफाईस्वच्छता नहीं रखी गई तो जीवाणु, संक्रमण, खुजली, जलन आदि का खतरा अधिक हो सकता है. योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया निश्चित पीएच संतुलन बनाए रखते हैं. मगर गरमी, उमस के कारण होने वाले संक्रमण और हानिकारक बैक्टीरिया के विकास से यह बैलेंस बिगड़ जाता है और महिलाएं गंभीर यूरिनरी इन्फैक्शन का शिकार हो जाती हैं.

भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत

जब मौसम गरम और उमस भरा होता है, तो अधिकांश महिलाओं को मासिकधर्म में बदलाव का अनुभव हो सकता है. पीरियड्स मौसमी बदलाव से संबंधित होते हैं. गरमी के कारण पीरियड्स लंबे समय तक या अधिक बार हो सकते हैं. टीनऐज गर्ल और पेरी मेनोपौज वूमन को अधिक परेशानी हो सकती है क्योंकि इस दौरान हारमोन अस्थिर होते हैं.

मेनोपौज के करीब आ रही महिलाओं को अकसर फाइब्रौयड्स की शिकायत हो जाती है जिस की वजह से बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता है और दर्द भी बरदाश्त से बाहर होता है. ऐसे में उन्हें घर वालों की भावनात्मक सपोर्ट और इलाज की जरूरत होती है. लेकिन मासिकधर्म को अपवित्र दशा मानने वाले घरों में महिलाओं को सारा दर्द अकेले ही सहना पड़ता है.

मैंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए जरूरी टिप्स

हाइड्रेटेड रहें: शरीर से विशैले पदार्थों को बाहर निकालने और शरीर के पीएच संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है. ताजे जामुन खाएं और स्वादिष्ठ हर्बल पानी भी जरूर पिएं.

सूती अंडरगार्मैंट्स पहनें: गरमी के मौसम में कौटन अंडरगार्मैंट्स खासकर कौटन पैंटी पहनें. कौटन सूती कपड़े में हवा आसानी से आ और जा सकती है. यह स्किन को साफ और सूखा रखने में मदद करता है. इस दौरान आर्टिफिशियल धागों से तैयार कपड़े और अंडरगार्मैंट्स नहीं पहनने चाहिए जिन में अधिक पसीना आए. इस से गुप्तांगों में बैड बैक्टीरिया बढ़ता है. स्किन में खारिशखुजली और जलन हो सकती है.

साफ और कौटन तौलिए का इस्तेमाल:कौटन तौलिए का उपयोग करें. कभी भी दूसरे लोगों का इस्तेमाल किया हुआ तौलिया इस्तेमाल न करें. पतले तौलिए का उपयोग करें. इसे साफ करना और सुखाना आसान होता है. अपना यूज किया हुआ तौलिया किसी और के साथ सा?ा न करें. बेहतर स्वच्छता के लिए अपने तौलिए को हर दिन साफ करें.

प्राइवेट पार्ट्स की सफाई: नहाते समय अपने प्राइवेट पार्ट्स को रोजाना साफ और ताजे पानी से धोएं. गरम पानी का प्रयोग न करें. किसी भी प्रकार के सुगंधित साबुन का प्रयोग न करें. योनि के पीएच बैलेंस को बनाए रखने के लिए रासायनिक मुक्त, साबुन मुक्त सफाई का चयन करें. जिम, तैराकी या कोई खेल खेलने के बाद हमेशा अपने इंटिमेट रीजन को धो लेना चाहिए. उसे थपथपा कर सुखा भी लेना चाहिए.

ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन: पीरियड के दौरान कंफर्टेबल ऐंटीबैक्टीरियल सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करना चाहिए. पीरियड्स हाइजीन के लिए हर 3-4 घंटे पर पैड बदल लेना चाहिए. अच्छी क्वालिटी की पीरियड्स पैंटी का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बैक्टीरिया ग्रो न करे. इंटिमेट एरिया के बालों को भी शेव करें वरना यहां बैक्टीरिया पनप सकते हैं.  इस से यीस्ट इन्फैक्शन और यूटीआई से बचाव हो सकता है.

पीरियड्स में स्नान जरूर करें: यह सिर्फ एक भ्रांति है कि पीरियड्स के दौरान नहाना नहीं चाहिए. असल में पीरियड्स के दौरान स्नान करना पूरी तरह से सुरक्षित है. इस से थकान और दर्द के स्तर में बहुत कमी आती है. इस से मूड भी बेहतर होता है. कुनकुने पानी से स्नान पीरियड्स क्रैंप्स को कम करता है. पीरियड्स साइकिल के दौरान किसी भी दिन बालों को धोना भी पूरी तरह से सुरक्षित है.             –

कस्टमर फ्रैंडली बनें बैंक

बैंक आजकल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं जबकि उन के ग्राहक चाहे आम घरेलू गृहिणियां हों या बड़े कौरपोरेट, पैसेपैसे को स्ट्रगल कर रहे हैं. यह मोदी सरकार की फाइनैंशियल नीतियों का नतीजा है जो 2016 की नोटबंदी से शुरू हुआ था. लोगों के हाथों से पैसा छीन जबरन बैकों में डलवा दिया गया जहां सेविंग बैंक में नाममात्र का ब्याज दिया जाता है पर लोन देने पर बैंक चमड़ी उधेड़ लेते हैं. क्रैडिट कार्डों पर 35-40% से भी ज्यादा ब्याज वसूला जाता है और जमा राशि पर 4% का ब्याज दिया जाता है तो मुनाफा होगा ही.

एक तरह से हमारे बैंक मंदिरों की तरह हो गए हैं. जनता को कहा जाता है कि अगले जन्म या भविष्य को सुरक्षित करना है तो मंदिर में चढ़ावा चढ़ाओ और भूल जाओ, तुम्हारा भविष्य अपनेआप अच्छा हो जाएगा. बैंक मिनिमम बैलेंस, केवाईसी, मिसमैच सिग्नेचर, अनऔपरेटिव अकाउंटों के नाम पर सालों ग्राहकों का पैसा दबाए रखते हैं, बिना ब्याज दिए और फिर कहते हैं कि हम ने अपनी कुशलता से मुनाफा कमाया.

हमारे देश में पैसा कमाने का सब से बड़ा और अच्छा तरीका एक तो महाजनी है और दूसरा लौटरी या सट्टा बाजार चलाना. बैंक दोनों में सीधे या इनडाइरैक्टली लगे हैं. बैंकों के एजेंट इंश्योरैंस या डिपौजिट प्लान बेचते समय वे सपने दिखाते हैं कि हजारों जमा करें, करोड़ों हो जाएंगे. बहुत से ग्राहक कागज भूल जाते हैं, सिग्नेचर बदल जाते हैं, मृत्यु हो जाती है. इन मामलों में बैंकों के पास पैसा मुफ्त का जमा रह जाता है.

बैंकों के बिना इकौनौमी की कल्पना नहीं की जा सकती पर वे कस्टमर फ्रैंडली बनें यह बहुत जरूरी है. रिजर्व बैंक औफ इंडिया का हवाला दे कर ग्राहकों का पैसा दबा लेता लेना या छोटेछोटे कामों के लिए फीस लेना एक गलत काम है पर यही छोटामोटा पैसा बड़ा हो कर बैंकों के 3 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा बन गया है. मोदी सरकार ने लोगों को जबरन बैंकों की ओर धकेला है, उन की जेब से नक्द निकाल कर.

औनलाइनऔनलाइन का शोर मचा कर कस्टमर्स को औनलाइन खर्च करने पर मजबूर किया है. इसी तरह औनलाइन सिस्टम खराब है, कह कर कस्टमर्स को टाल कर उन के जमा पैसे पर मुफ्त का ब्याज खाया गया है.

बैंकों को कस्टमर्स का फाइनैंशियल फ्रैंड बनना चाहिए पर इस के आसार कम ही दिखते हैं. बैंक कमाएं, मजबूत हों, यह हर कोई चाहता है पर आरबीआई का खंजर लिए उन के सिर पर सवार भी न रहें.

चाहती हैं बौलीवुड एक्ट्रेस जैसा लुक, तो New Style से ड्रैप करें साड़ी

भारत में महिलाएं साड़ी को परिधान के रूप में जितना महत्त्व देती हैं उतना शायद किसी और परिधान को नहीं. पूरब से ले कर पश्चिम तक, उत्तर से ले कर दक्षिण तक भारत जैसे विभिन्नता से भरे हुए देश में जहां कदमकदम भाषा और संस्कृति बदलती है साड़ी ज्यों का त्यों अपना अस्तित्व बनाए हुए है.

इस के साथ ही फैशन के दौर में कुछ बदलावों और स्टाइल के साथ यह युवा महिलाओं की भी पसंदीदा ड्रैस बनती जा रही है. शादी पार्टी हो या फेयरवैल पार्टी हो अथवा त्योहार हर खास ओकेजन में युवतियां भी इसे स्टाइल के साथ कैरी कर रही हैं.

केवल कैरी ही नहीं कर रहीं बल्कि इसे पहनने (ड्रैपिंग) के नएनए तरीके भी खोज रही हैं. वर्तमान में साड़ी ड्रैपिंग के कितने ही तरीके ट्रैंड में हैं जो महिलाओं की खूबसूरती और स्टाइल को और बढ़ा देते हैं.

तो आइए जानते हैं साड़ी ड्रैपिंग के कुछ मौडर्न तरीकों के बारे में जिन पर अमल कर आप दिखेंगी एकदम स्टाइलिश, हौट और अट्रैक्टिव.

बैल्ट के साथ साड़ी ड्रैपिंग

यह काफी सिंपल लुक है. साड़ी को ट्रैडिशन तरीके से बांध कर उस पर उसी से मैच करती हुई एक बैल्ट साड़ी के ऊपर और ब्लाउज के नीचे कमर पर बाध लें. आप कलर कौंबिनेशन की बैल्ट भी चूज कर सकती हैं.

साड़ी ड्रैपिंग विद लैगिंग

आजकल साड़ी को लैगिंग के साथ भी कैरी किया जाता है. इस में साड़ी के अंदर पहने जाने वाले पेटीकोट की जगह जिस कलर की साड़ी पहनी जा रही है उसी कलर की लैगिंग पहनी जाती है जिस पर साड़ी ड्रेप की जाती है. इंडोवैस्टर्न से बना यह साड़ी स्टाइल काफी पौपुलर भी है.

दुपट्टा साड़ी ड्रैपिंग

जी नहीं यह दुपट्टे से बनी साड़ी नहीं है बल्कि इस लुक में मैचिंग पैंट और ब्लाउज के साथ साड़ी का इस्तेमाल दुपट्टे की तरह ड्रैप कर के किया जाता है. यह मौडर्न और ग्लैमरसलुक देता है.

स्कर्ट स्टाइल साड़ी ड्रैपिंग

यह स्कर्ट के साथ साड़ी नहीं बल्कि इस में भी साड़ी को स्कर्ट स्टाइल में ड्रैप किया जाता है. इस में साड़ी को फ्रिल लुक दे कर स्कर्ट की तरह पहनाया जाता है और नौर्मल लैंथ से थोड़ा ऊपर की तरफ ताकी यह स्कर्ट का लुक दे सके. इस तरह से बंधी साड़ी को कई तरह के डिजाइन ब्लाउज के साथ पहना जा सकता है.

लुंगी स्टाइल साड़ी ड्रैपिंग

बिना किसी प्लीट्स और पिन्स के लुंगी की तरह पहना जाने वाला यह साड़ी स्टाइल बहुत ही सिंपल और इजी टू कैरी है. बिना प्लीट्स के इसे बस लुंगी की तरह लपेट लिया जाता है और पल्लू भी बिना प्लीट्स के प्लेन ही कंधे पर रहता है. हलकी ज्वैलरी के साथ यह काफी सोबर लुक देता है.

इन साइड साड़ी ड्रैपिंग

इस में पल्लु अंदर से बाहर की तरफ निकाला जाता है. इस स्टाइल में साड़ी को कंट्रास्ट ब्लाउज के साथ पहना जाता है. इस के लिए साड़ी के पल्लू को ब्लाउज से अलग कर के साइड से पीछे ले जाना होता है.

धोती स्टाइल साड़ी

टैंक टाप जैसे ब्लाउज के साथ धोती स्टाइल साड़ी आजकल काफी चलन में है. साड़ी को बिलकुल इस तरह ड्रैप किया जाता है जैसे पुरुष धोती पहनते हैं. यह अधिकतर महाराष्ट्र में पहनी जाती है जोकि बेहद खूबसूरत और ग्रेसफुल दिखाई देती है.

लहंगा स्टाइल साड़ी

लहंगा स्टाइल में साड़ी पहनना वैसे तो काफी कौमन है लेकिन इस का ऐलिगैंट लुक इसे कभी ट्रैंड से बाहर जाने नहीं देता. अगर आप लहंगा भी और साड़ी भी दोनों ही चीजें एकसाथ पहनने का ऐक्सपैरीमैंट अपने ऊपर करना चाहती हैं तो इस से बेहतर औप्शन कोई नहीं है. इस ड्रेपिंग स्टाइल से आप को इतनी ग्रेस मिलेगी कि सभी की नजरें एक बार के लिए आप पर ठहर जाएंगी. इसे शादी के किसी फंक्शन या किसी त्योहार के मौके पर भी पहन सकती हैं.

बंगाली पैठनी साड़ी ड्रैपिंग

साडि़यों की बात हो और बंगाली साड़ी ड्रैपिंग स्टाइल की बात न की जाए तो बात कुछ अधूरी सी लगती है. सिल्क साड़ी को अच्छे से ट्रैडिशनल वे में बांध कर पल्लू को पीछे से आगे की तरफ ला कर उसे कंधे के दूसरी तरफ पिन कर दिया जाता है. यह आप को बेहद ही खूबसूरत लुक देता है. पहले के समय में महिलाएं पल्लू से घर की चाबियां बांधे रखती थीं. धीरेधीरे इस साड़ी ड्रैपिंग स्टाइल में चेंज हो गया और आज बेहद खूबसूरत लुक देता है.

बीच बहस में : पति की समझदारी का श्रेय ले गई पत्नी

मुद्दा जरा टेढ़ा था लेकिन हम ने दिमाग के घोड़े ऐसे दौड़ाए कि अमीनाजी हमारी कायल हो गईं. ऐसे में पत्नीजी भी हमारी बुद्धिमानी पर नतमस्तक हुए बगैर न रह सकीं, पर तुर्रा देखो, हमारी समझदारी का श्रेय भी वे खुद ले गईं.

मैं जब अपने औफिस से लौट कर आया तो पत्नी के चेहरे पर अजीब सी खुशी नाच रही थी. मैं समझ गया कि शायद हमारी सासुजी आ रही हैं क्योंकि बरसात के मौसम में जब घने काले बादल छाए हों, बिजली चमके, मौसम में अजीब सी उमस हो तो जान लें कि तेज बरसात होने वाली है. उसी तर्ज पर पत्नीजी के चेहरे की मुसकान देख कर हम जान गए कि हमारी आफत (सासुजी) आने वाली होंगी और पता नहीं यह साढ़ेसाती कितने बरसों तक रहेगी? कब तक हम परेशान होते रहेंगे. लेकिन पत्नी ने हमारे भ्रम को तोड़ते हुए कहा, ‘‘आज आप के पसंद के पकौड़े बनाए हैं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘एक खुशखबरी है…’’

‘‘अच्छा,’’ हम ने डरते हुए थूक निगलते हुए आगे कहा, ‘‘मम्मीजी आ रही होंगी?’’

‘‘नहीं तो.’’

‘‘मैं मेरी मां की नहीं, तुम्हारी अम्मा की कह रहा हूं.’’

‘‘न मेरी मां, न तुम्हारी मम्मी.’’

पत्नी ने हमें संशय में डाल दिया था.

‘‘फिर क्या बात है?’’ हम ने अपने को संयत करते हुए प्रश्न किया.

‘‘मैं ने तुम्हें बताया था न, कि मेरी एक सहेली थी,’’ पत्नी ने कहा.

‘‘कौन, वो मीनाटीना?’’

‘‘जी नहीं, अमीना,’’ पत्नी ने बताया.

‘‘अमीना के बारे में तो कभी नहीं बताया.’’

‘‘भूल गई शायद.’’

‘‘कौन, वो…?’’

‘‘जी नहीं, मैं बताना भूल गई.’’

‘‘तो क्या हो गया.’’

‘‘वह दिल्ली जा रही थी, तो उस ने खबर दी कि वह यहां रुकते हुए आगे जाएगी,’’ पत्नी ने बताया.

‘‘तो ठीक है न, आ जाने दो.’’

‘‘लेकिन…?’’

‘‘लेकिन क्या?’’

‘‘वह मुसलमान है.’’

‘‘तो क्या हो गया?’’

‘‘तुम ऐडजस्ट कर लोगे?’’

‘‘मुझे ऐसा क्या करना है. आए, शौक से,’’ मैं ने कहा.

‘‘तुम कितने अच्छे हो.’’

‘‘सो तो पहले से ही हूं.’’

‘‘जानती हूं इसलिए तो मैं ने तुम से शादी की,’’ पत्नी ने जवाब दिया, फिर मेरे सामने गोभी के पकौड़े रखते हुए वे कहने लगीं, ‘‘जानते हैं, अमीना और हमारा घर पासपास था. हम दोनों के बीच कभी भी धर्म दीवार नहीं बनी. हमारे त्योहार में वह भागीदारी करती थी और ईद पर हम सब उस के घर जाते थे. कभी किसी भी तरह का धर्म या जाति का भेदभाव नहीं था. उस के बाद वह स्थानीय चुनाव में खड़ी हो गई थी. उसे जिताने में हम ने एड़ीचोटी की ताकत लगा दी थी और वह जीत गई थी. क्या दिन थे वे…’’

पत्नीजी अपने में गुम मुझे पूरा किस्सा सुनाए जा रही थीं. मैं हूं हां करते जा रहा था.

‘‘तर्क देने में तो वह माहिर है.’’

‘‘कौन?’’

‘‘अमीना, और कौन,’’ पत्नी समझ गई थी कि मेरा ध्यान उस ओर कम ही है, इसलिए वह नाराज हो कर किचन में चली गई. मैं न्यूज देखने लगा था. रात को भोजन किया तो पत्नी की आंखों में अपनी सहेली के आने की खुशी जाहिर हो रही थी. खरबूजे को तो कटना ही है, चाहे सासू के नाम पर, चाहे सहेली के नाम पर.

सुबह 8 बजे टैक्सी रुकी तो अमीनाजी ने हमारे गरीबखाने में प्रवेश किया. दोनों सहेलियां गलबहियां हुईं. हम से परिचय हुआ. हमारी शादी के समय वह कहीं विदेश गई हुई थी. इसलिए हम से माफी मांगी और मैरिज का गिफ्ट शादी के

7 बरसों बाद ला कर दिया. हम ने भी दांतों को निपोरते हुए स्वीकार कर लिया. इस में 2 मत नहीं थे कि अमीना वास्तव में बहुत सुंदर थी. बातचीत में तहजीब थी. उस की आवाज का सुर कम था, लय में था जबकि हमारी बेगम का तो बेसुर कभीकभी तो गधे को मात देने वाला हो जाता था. वह जब चीखती तो मैं शांत ही रहना पसंद करता था.

सुबह नाश्ते में इतने विभिन्न प्रकार के व्यंजन थे कि तबीयत खुश हो गई. नाश्ते के टेबल पर मैं ने प्रशंसा करते हुए अमीनाजी से कहा, ‘‘आप तो महीने में

4-6 बार आ जाया करें.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘ताकि हमारी बेगम इतने वैरायटी का नाश्ता रोज बना कर खिलाएं.’’ पत्नीजी ने हंसते हुए कहा, ‘‘जनाब, यह मेहनत, मेरी नहीं, अमीना की है. यह खाना पकाने में भी मास्टर है.’’ अमीना थोड़ा शरमा गई थी.

‘‘भई अमीनाजी, कुछ प्रकार का नाश्ता इधर भी सिखा देना.’’

अमीना चुप हो गई, लेकिन अणुबम जैसे आग्नेय नेत्रों से पत्नी ने हमें देखा.

नाश्ते के बाद हम घूमने गए. अगले दिन अमीनाजी को रवाना होना था. एक समाचारपत्र वाहक सांध्य का समाचारपत्र ले कर चीखता हुआ निकला. वह हैडलाइन को देख कर चीख रहा था, ‘‘राज्य में गौमांस पर प्रतिबंध…’’

मैं ने पेपर लिया. उस को पढ़ा. उस में लिखा था, ‘पूरे देश में गौहत्या या बीफ के मांस पर रोक लगाने के लिए सरकार विचार कर रही है.’

पत्नीजी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं, उन्होंने खुश हो कर कहा, ‘‘चलो, हमारी गौमाता अब मरने से बचेगी.’’

मुझ से नहीं रहा गया, मैं ने कहा, ‘‘बूढ़ी होने पर उसे सड़कों पर छोड़ देंगे मरने के लिए.’’

‘‘उस में तैंतीस करोड़ देवीदेवताओं का वास होता है,’’ पत्नी ने तर्क दिया.

‘‘एक बात बताओ, रेलगाड़ी से कट कर या ट्रक से टकरा कर जब

वह मरती है तो यह तैंतीस करोड़ देवीदेवता कहां चले जाते हैं? वे भी कटमरते होंगे?’’

‘‘चुप रहो, फालतू की बातें नहीं करते,’’ पत्नीजी ने तुनक कर कहा.

‘‘यार, जीजाजी सही ट्रैक पर हैं, तुम इस बात का जवाब दो. ये तर्क की बातें हैं,’’ अमीना ने बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा.

‘‘तुम ही बताओ, अरबों का मांस विदेश में निर्यात होता है, हजारों लोग इस व्यवसाय में लगे हैं, वे सब बेरोजगार हो जाएंगे. फिर सस्ता प्रोटीन जो मिलता है वह भी नहीं मिल पाएगा. यह तो किसी एक वर्ग एक जाति को संतुष्ट करने की राजनीतिभर है,’’ मैं ने अमीना के सामने खुद को बुद्धिमान साबित करते हुए कहा.

‘‘क्या मतलब?’’ पत्नी लगभग दहाड़ीं.

‘‘तुम नाराज मत हो तो एक बात कहूं?’’

‘‘कहिए न जीजाजी,’’ अमीनाजी ने मजे लेते हुए कहा.

‘‘देखो, हिंदुओं में गाय की पूजा होती है, इसलिए धर्म के खिलाफ है गौहत्या. कहो, सच है?’’

‘‘बिलकुल सच है.’’

‘‘धर्म में ऐसा उल्लेख है, ऐसा कहा जाता है.’’

‘‘बिलकुल,’’ पत्नीजी ने उछलते हुए कहा.

‘‘हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है.’’

‘‘हां, है,’’ पत्नी ने कहा.

‘फिर एक बात बताएं?’

‘‘कहिए?’’

‘‘अमीनाजी इसलाम में शराब को हराम माना गया है, उन के धर्म की चिंता करते हुए पूरे देश में शराबबंदी हो जानी चाहिए.’’

‘‘हां, यह तो सच है,’’ पत्नीजी ने कहा.

‘‘क्या सरकार कर पाएगी?’ बिलकुल नहीं. देश में कुछ राज्यों में चूहे को खाया जाता, कुछ राज्यों में कुत्तों को खाया जाता है और कुछ राज्यों में भैंसे को खाया जाता है. डियर, एक बात बताओ, इन में से कौन सा पशु हिंदू देवीदेवता का पूजनीय नहीं है? गणेश को ले कर दत्तात्रेय तक सब पशु देवताओं के नाम के साथ जुड़े हैं. क्या सरकार खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए इन जानवरों को मार कर खाने पर प्रतिबंध लगाएगी? बिलकुल नहीं.’’

‘‘यह बात बिलकुल सच है, जीजाजी,’’ अमीना ने खुश हो कर कहा.

‘‘अरे, हमारे धर्म में तो चींटी, चिडि़या, बरबूटे, मोर, सारस, तोता, उल्लू सब खाए जाते हैं और सब किसी न किसी देवीदेवता के वाहन हैं. फिर बताओ, क्या देश में सरकार खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए मांसाहार पर प्रतिबंध लगा सकती है? देश की 35 प्रतिशत आबादी मांसाहार पर निर्भर है. और तो और, कछुआ, सांप, अजगर, मछली तक खाए जाते हैं जो कि हमारे देवीदेवता के पूज्य वाहन हैं. मैं ऐसे किसी भी प्रतिबंध के खिलाफ हूं. जिसे नहीं खाना है वह न खाए. लेकिन झूठी धर्मनिरपेक्षता की आड़ में, झूठी प्रसिद्धि पाने का प्रयास करना गलत है. क्यों अमीनाजी, सच है या गलत?’’

अमीनाजी खुश हो गईं और मेरी पत्नी को एक ओर खींच कर ले गईं. थोड़ी देर में पत्नी आईं और फिर हम लौट कर घर आ गए.

सुबह अमीनाजी गईं तो हम सब को बहुत दुख हो रहा था बिछुड़ने का. अमीनाजी चली गईं तो मैं ने पत्नीजी से प्रश्न किया, ‘‘बीच बहस में तुम उठ कर अमीना के साथ कहां चली गई थीं? और अमीना ने तुम से क्या कहा था जो तुम एकदम शांत हो कर लौटी थीं?’’

पत्नीजी थोड़ा मुसकराईं और कहने लगीं, ‘‘वह मुझे खींच कर एक ओर ले गई और मेरा हाथ जोरों से पकड़ कर कहा, ‘तुझे बधाई हो.’ मैं ने पूछा, ‘किस बात की बधाई?’ तो उस ने कहा, ‘मालिक ने तुझे इतना समझदार, तर्क में निपुण पति दिया है. सच में यहां आ कर धन्य हो गई. मेरी इच्छा तो उन्हें उस्ताद बनाने की हो रही है.’’

‘‘सच, यही कहा था अमीनाजी ने?’’ मैं ने खुश हो कर पूछा.

‘‘बिलकुल सच. उस के बोलने के बाद मुझे लगा कि अमीना जैसी तार्किक बात करने वाली यदि तुम्हारी इतनी प्रशंसा कर रही है, तो दम तो है तुम में,’’ पत्नीजी ने खुश हो कर कहा.

‘‘सो तो हम हैं ही,’’ मैं ने हंस कर कहा.

‘‘वो तो तुम शादी होने के बाद इतने बुद्धिमान हो गए, वरना मैं जानती हूं तुम कैसे थे?’’ पत्नी ने कहा और मेरे किसी तरह के उत्तर को सुने बिना अंदर किचन में चली गई थीं.

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