प्रजनन संबंधी समस्याओं के लक्षण क्या हैं और मुझे कब मदद लेनी चाहिए?

सवाल 

मैं 32 वर्षीय महिला हूं और पिछले एक साल से गर्भधारण करने में असमर्थ हूं. प्रजनन संबंधी समस्याओं के लक्षण क्या हैं और मुझे कब मदद लेनी चाहिए?

जवाब

अगर आप पिछले एक साल से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं और आप इस में सफल नहीं हो पा रही हैं तो आप अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और जांच कराएं. डाक्टर आप को बता सकते हैं कि किस समय संभोग करने से गर्भ ठहर सकता है. आप का डाक्टर कुछ टेस्ट भी कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ओवरी का ट्यूब खुला है कि नहीं, फौर्मेशन हो रहा है कि नहीं, यूटरस ठीक है कि नहीं आदि. डाक्टर आप के पुरुष साथी की भी जांच कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस में कोई कमी तो नहीं है.

सवाल

मैं 27 वर्षीय महिला हूं और अभी मै गर्भवती हूं. स्वस्थ गर्भावस्था के लिए मु?ो किन प्रसवपूर्व विटामिनों पर विचार करना चाहिए?

जवाब

आप को फोलिक ऐसिड का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के पहले 3 महीने में यह बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है.  विटामिन डी भी काफी जरूरी विटामिन है. कैल्शियम और आयरन भी बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है. आयरन से गर्भ में बच्चे के प्रति ब्लड फ्लो बढ़ता है.

सोने की चिड़िया: पीयूष की मौत के बाद सुहासिनी की जिंदगी में क्या हुआ

बड़े से मौल में अपनी सहेली शिखा के साथ चहलकदमी करते हुए साड़ी कार्नर की ओर बढ़ गई थी सुहासिनी. शो केस में काले रंग की एक साड़ी ने उस का ध्यान आकर्षित किया पर सेल्स- गर्ल की ओर पलटते ही वह कुछ यों चौंकी मानो सांप पर पांव पड़ गया हो.

‘‘अरे, मानसी तुम, यहां?’’ उस के मुंह से अनायास ही निकला था.

‘‘जी हां, मैं यहां. कहिए, किस तरह की साड़ी आप को दिखाऊं? या फिर डे्रस मेटीरियल?’’ सेल्स गर्ल ने मीठे स्वर में पूछा था.

‘‘नहीं, कुछ नहीं चाहिए मुझे. मैं तो यों ही देख रही थी,’’ सुहासिनी के मुख से इतना भी किसी प्रकार निकला था.

मानसी कुछ बोलती उस से पहले ही सुहासिनी बोल पड़ी, ‘‘मानसी, क्या मैं तुम से कुछ देर के लिए बातें कर सकती हूं?’’

‘‘क्षमा कीजिए, मैम, हमें काम के समय व्यक्तिगत कारणों से अपना स्थान छोड़ने की अनुमति नहीं है. आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगी,’’ मानसी ने धीमे स्वर में उत्तर दिया था और अपने कार्य में व्यस्त हो गई थी.

‘‘क्या हुआ? इस तरह प्रस्तरमूर्ति बनी क्यों खड़ी हो? चलो, जल्दी से भोजन कर के चलते हैं. लंच टाइम समाप्त होने वाला है,’’ शिखा ने उसे झकझोर ही दिया था और मौल की 5वीं मंजिल पर स्थित रेस्तरां की ओर खींच ले गई थी.

‘‘क्या लोगी? मैं तो अपने लिए कुछ चाइनीज मंगवा रही हूं,’’ शिखा ने मीनू पर सरसरी निगाह दौड़ाई थी.

‘‘मेरे लिए एक प्याली कौफी मंगवा लो और कुछ खाने का मन नहीं है,’’ सुहासिनी रुंधे गले से बोली थी.

‘‘बात क्या है? कैंटीन में खाने का तुम्हारा मन नहीं था इसीलिए तो हम यहां तक आए. फिर अचानक तुम्हें क्या हो गया?’’ शिखा अनमने स्वर में बोली थी.

‘‘साड़ी कार्नर के काउंटर पर खड़ी सेल्सगर्ल को ध्यान से देखा तुम ने?’’

‘‘नहीं. मैं ने तो उस पर ध्यान नहीं दिया. मैं दुपट्टा खरीदने लगी थी पर तुम ने तो उस से बात भी की थी और उसे ध्यान से देखा भी था.’’

‘‘ठीक कह रही हो तुम. मेरे मनमस्तिष्क पर इतनी देर से वही छाई हुई है. पता है कौन है वह?’’

‘‘नहीं तो.’’

‘‘वह मेरी ननद मानसी है, शिखा.’’

‘‘क्या कह रही हो? वह यहां क्या कर रही है?’’

‘‘साडि़यों के काउंटर पर साडि़यां बेच रही है और क्या करेगी.’’

‘‘पर क्यों?’’

‘‘यही तो जानना चाहती थी मैं पर उस ने तो बात तक नहीं की.’’

‘‘बात नहीं की तो तुम उसे गोली मारो. क्यों अपनी जान हल्कान कर रही हो. वैसे भी तुम तो उस घर को 3 वर्ष पहले ही छोड़ चुकी हो. जब पीयूष ही नहीं रहा तो तुम्हारा संपर्क सूत्र तो यों भी टूट चुका है,’’ शिखा ने समझाया था.

‘‘संपर्क सूत्र तोड़ना क्या इतना सरल होता है, शिखा? उस समय पीयूष का संबल छूट जाने पर मैं कुछ भी सोचनेसमझने की स्थिति में नहीं थी. मातापिता, भाईभाभी ने विश्वास दिलाया कि वे मेरे सच्चे हितैषी हैं और मैं अपनी ससुराल छोड़ कर उन के साथ चली आई थी. उन्हें यह डर सता रहा था कि पीयूष के बीमे और मुआवजे आदि के रूप में जो 20  लाख रुपए मिले थे उन्हें कहीं मेरे ससुराल वाले न हथिया लें.’’

‘‘उन का डर निर्मूल भी तो नहीं था, सुहासिनी?’’

‘‘पता नहीं शिखा, पर मेरे और पीयूष के विवाह को मात्र 3 वर्ष हुए थे. परिवार का बड़ा, कमाऊ पुत्र हादसे का शिकार हुआ था…उन पर तो दुखों का पहाड़ टूटा था…मैं स्वयं भी विक्षिप्त सी अपनी 2 वर्ष की बेटी को सीने से चिपकाए वास्तविकता को स्वीकार करने का प्रयत्न कर रही थी. ऐसे में मेरे परिवार ने क्या किया जानती हो?’’

‘‘क्या?’’

‘‘मेरे दहेज की एकएक वस्तु वापस मांग ली थी उन्होंने. मेरी सास ने विवाह में उन्हें दी गई छोटीमोटी भेंट भी लौटा दी थी. सिसकते हुए कहने लगीं, ‘मेरा बेटा ही चला गया तो इन व्यर्थ की वस्तुओं को रख कर क्या करूंगी?’ पर जब मैं अपनी बेटी टीना को उठा कर चलने लगी तो वे तथा परिवार के अन्य सदस्य फफक उठे थे, ‘मत जाओ, सुहासिनी और तुम जाना ही चाहती हो तो टीना को यहीं छोड़ जाओ. पीयूष की एकमात्र निशानी है वह. हम पाल लेंगे उसे. वैसे भी वह तुम्हारे भविष्य में बाधक बनेगी.’’’

‘‘तो तुम ने क्या उत्तर दिया था, सुहासिनी?’’

‘‘मैं कुछ कह पाती उस से पहले ही बड़ी भाभी ने झपट कर टीना को मेरी गोद से छीन लिया था और टैक्सी में जा बैठी थीं. मैं निशब्द चित्रलिखित सी उन के पीछे खिंची चली गई थी.’’

‘‘जो हुआ उसे दुखद सपना समझ कर भूल जाओ सुहासिनी. उन दुख भरी यादों को याद करोगी तो जीना दूभर हो जाएगा,’’ शिखा ने सांत्वना दी थी.

‘‘जीना तो वैसे ही दूभर हो गया है. तब मैं कहां जानती थी कि धन के लालच में ही मेरा परिवार मुझे ले आया था. छोटे भाई सुहास ने कार खरीदी तो मुझ से 2 लाख रुपए उधार लिए थे. वादा किया था कि वर्ष भर में सारी रकम लौटा देंगे पर लाख मांगने पर भी एक पैसा नहीं लौटाया. अब तो मांगने का साहस भी नहीं होता. सुहास उस प्रसंग के आते ही आगबबूला हो उठता है.’’

‘‘चल छोड़ यह सब पचड़े और थोड़ा सा चाऊमीन खा ले. भूख लगी होगी,’’ शिखा ने धीरज बंधाया था.

‘‘मैं लाख भूलने की कोशिश करूं पर मेरे घर के लोग भूलने कहां देते हैं. अब बडे़ भैया को फ्लैट खरीदना है. प्रारंभिक भुगतान के लिए 10 लाख मांग रहे हैं. मैं ने कहा कि सारी रकम टीना के लिए स्थायी जमा योजना में डाल दी है तो कहने लगे, खैरात नहीं मांग रहे हैं, बैंक से ज्यादा ब्याज ले लेना.’’

‘‘ऐसी भूल मत करना, तुम्हें अपने लिए भी तो कुछ चाहिए या नहीं. मुझे नहीं लगता उन की नीयत ठीक है,’’ शिखा ने सलाह दी थी.

‘‘मुझे तो पूरा विश्वास है कि मेरे प्रति उन का पे्रेम केवल दिखावा है. टीना बेचारी तो बिलकुल दब कर रह गई है. हर बात पर उसे डांटतेडपटते हैं. मैं बीच में कुछ बोलती हूं तो कहते हैं कि तुम टीना को बिगाड़ रही हो.’’

‘‘तुम्हारे मातापिता कुछ नहीं कहते?’’

‘‘नहीं, वे तो अपने बेटों का ही पक्ष लेते हैं. जब से मैं ने बड़े भैया को फ्लैट के लिए 10 लाख देने से मना किया है, मां मुझ से बात तक नहीं करतीं,’’ सुहासिनी के नेत्र डबडबा गए थे.

‘‘क्यों अपने को दुखी करती है, सुहासिनी. अलग फ्लैट क्यों नहीं ले लेती. मैं ने तो पहले भी तुझे समझाया था. क्या नहीं है तेरे पास? सौंदर्य, उच्च शिक्षा, मोटा बैंक बैलेंस. दूसरे विवाह के संबंध में क्यों नहीं सोचती तू?’’

‘‘मेरे जीवन में पीयूष का स्थान कोई और नहीं ले सकता और मैं टीना के लिए सौतेला पिता लाने की बात सोच भी नहीं सकती.’’

‘‘इसीलिए तुम ने योगेश जैसे योग्य युवक को ठुकरा दिया?’’ शिखा ने अपना चाऊमीन समाप्त करते हुए कहा था.

‘‘नहीं, मैं खुद दूसरा विवाह नहीं करना चाहती. यों भी उसे मुझ से या टीना से नहीं मेरे पैसे और नौकरी में अधिक रुचि थी.’’

‘‘चलो, ठीक है, तुम सही और सब गलत. बहस में तुम से कोई जीत ही नहीं सकता,’’ शिखा ने पटाक्षेप करते हुए बिल चुकाया और दोनों सहेलियां मौल से बाहर आ गईं.

कार्यालय में व्यस्तता के बीच भी मानसी का भोलाभाला चेहरा सुहासिनी की आंखों के सामने तैरता रहा था.

5 बजते ही सुहासिनी अपना स्कूटर उठा कर मौल के सामने आ खड़ी हुई. उसे अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. कुछ ही देर में मानसी आती नजर आई थी.

‘‘अरे, भाभी, आप अभी तक यहीं हैं? आप तो मुझे देख कर बिना कुछ खरीदे ही लौट गई थीं?’’ मानसी ने उसे देख कर नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़ दिए थे.

‘‘मैं तब से यहीं नहीं हूं, मैं और मेरी सहेली शिखा यहां लंच के लिए आए थे. मैं कार्यालय से यहां फिर से केवल तुम्हारे लिए आई हूं. चलो बैठो, कहीं बैठ कर बातें करेंगे,’’ सुहासिनी ने अपने स्कूटर की पिछली सीट की ओर इशारा किया था.

‘‘नहीं भाभी, मेरी बस छूट जाएगी. देर हो जाने पर मां बहुत चिंता करने लगती हैं,’’ मानसी संकुचित स्वर में बोली थी.

‘‘बैठो मानसी, मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूंगी,’’ सुहासिनी का अधिकारपूर्ण स्वर सुन कर मानसी ना नहीं कह सकी थी.

‘‘अब बताओ, तुम्हें मौल में सेल्सगर्ल की नौकरी करने की क्या आवश्यकता पड़ गई?’’ रेस्तरां में आमने- सामने बैठते ही पूछा था सुहासिनी ने.

‘‘समय हमेशा एक सा तो नहीं रहता न भाभी. पीयूष भैया का सदमा पापा सह नहीं सके. पक्षाघात का शिकार हो गए. जो कुछ भविष्य निधि मिली उन के इलाज और अमला दीदी के विवाह में खर्च हो गई. पेंशन से फ्लैट की कि स्त दें या घर का खर्च चलाएं. उस पर रोहित भैया की डाक्टरी की पढ़ाई. रोहित भैया पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करने जा रहे थे. मैं ने ही कहा कि मैं तो प्राइवेट पढ़ाई भी कर सकती हूं. रोहित भैया ने पढ़ाई पूरी कर ली तो पूरे परिवार का सहारा बन जाएंगे. इसीलिए नौकरी कर ली. 7 हजार भी बड़ी रकम लगती है आजकल,’’ पूरी कहानी बताते हुए रो पड़ी थी मानसी.

‘‘इतना सब हो गया और तुम लोगों ने मुझे सूचित तक नहीं किया. एकदम से पराया कर दिया अपनी भाभी को?’’ सुहासिनी के नेत्र डबडबा आए थे.

‘‘पराया तो आप ने कर दिया, भाभी. भैया क्या गए आप भी हमें भूल गईं और जैसे ही आप घर छोड़ कर गईं मां तो बिलकुल बुझ सी गई हैं. सदा एक ही बात कहती हैं, ‘मैं ने सुहासिनी को अपनी बहू नहीं बेटी समझा था पर उस ने तो पीयूष के बाद पलट कर भी नहीं देखा.’ टीना को देखने को तड़पती रहती हैं. उस के जन्मदिन पर बधाई देना चाहती थीं पर पापा ने मना कर दिया. कहने लगे, आप सोचेंगी कि पैसे के चक्कर में बच्ची को बहका रहे हैं ससुराल वाले,’’ मानसी किसी प्रकार अपने आंसू रोकने का प्रयत्न करने लगी थी.

सुहासिनी ने खाने के लिए जो हलकाफुलका, मंगाया था वैसे ही पड़ा रहा. चाय भी ठंडी हो गई पर दोनों में से किसी ने छुआ तक नहीं.

‘‘मुझे घर छोड़ दो, भाभी. मां सदा यही सोचती रहती हैं कि कहीं कुछ अशुभ न घट गया हो,’’ मानसी उठ खड़ी हुई थी.

सुहासिनी मानसी को बाहर से ही छोड़ कर चली आई थी. घर के अंदर जा कर किसी का सामना करने का साहस उस में नहीं था. वैसे भी कहीं एकांत में बैठ कर फूटफूट कर रोने का मन हो रहा था उस का. अनजाने में ही कैसा अन्याय हो गया था उस से.

पीयूष की पत्नी होने के नाते ही उसे मुआवजा मिला था. उसी के स्थान पर नौकरी मिली थी और वह सारे बंधन तोड़ कर मुंह फेर कर चली आई थी.

‘‘लो, आ गईं महारानी,’’ सुहासिनी को देखते ही मां ने ताना कसा था.

‘‘क्यों, क्या हुआ? आप इतने क्रोध में क्यों हैं,’’ सुहासिनी ने पूछ ही लिया था.

‘‘पूछ रही हो तो सुन भी लो. तुम दिन भर गुलछर्रे उड़ाओ और हम तुम्हारी बिटिया को संभालें, यह हम से नहीं होगा.’’

‘‘आप को लगता है कि मैं गुलछर्रे उड़ा कर आ रही हूं? टीना आप से नहीं संभलती यह तो आप ने कभी कहा नहीं. आप कहें तो स्कूल के बाद के्रच में डाल दूंगी,’’ सुहासिनी सीधेसपाट स्वर में बोली थी.

‘‘तो डाल दो न. मना किस ने किया है. अब अम्मां की सेवा करने की नहीं करवाने की उम्र है,’’ बड़े भैया चाय पीते हुए बोले थे और बड़ी भाभी हंस दी थीं.

‘‘मुझे भी एक प्याली चाय दे दो, बहुत थक गई हूं,’’ सुहासिनी ने बात का रुख मोड़ना चाहा था.

‘‘बना लो न बीबी रानी. आज मैं भी बहुत थक गई हूं. वैसे तुम थीं कहां अब तक? आफिस तो 5 बजे बंद होता है और अब तो 7 बजने वाले हैं.’’

‘‘मानसी मिल गई थी, उस से बातें करने में देर हो गई.’’

‘‘मानसी कौन?’’ बड़ी भाभी पूछ बैठी थीं.

‘‘अरे, वही मन्नो, इस की छोटी ननद. वह क्या लेने आई थी तुझ से?’’ मां बिफर उठी थीं.

‘‘कुछ लेने नहीं आई थी. मैं ने ही उसे मौल में देखा था. बेचारी आरोहण के साड़ी कार्नर में सेल्सगर्ल क ा काम करती है.’’

‘‘मां, आप नहीं जानतीं, वहां तो अलग ही खिचड़ी पक रही है. हम ने फ्लैट के लिए केवल 10 लाख मांगे तो मना कर दिया. वहां जाने कितने लुटा कर आई है,’’ अब बड़े भैया भी क्रोध में आ गए थे.

‘‘ठीक है. मेरा पैसा है, जैसे और जहां चाहूंगी खर्च करूंगी,’’ सुहासिनी ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया था.

‘‘फिर यहां क्यों पड़ी हो? वहीं जा कर रहो जहां पैसा लुटा रही हो.’’

‘‘भैया…’’ सुहासिनी इतने जोर से चीखी थी कि घर में हलचल सी मच गई थी.

‘‘चीखोचिल्लाओ मत. माना कि तुम बहुत धनी हो. पर घर में रहना है तो नियमकायदे से रहना होगा. नहीं तो जहां सींग समाएं वहां जाने को स्वतंत्र हो तुम,’’ बड़े भैया अपना निर्णय सुना कर भीतर अपने कमरे में चले गए. सुहासिनी पत्थर की मूर्ति बनी वहीं बैठी रही थी.

तभी अंदर से टीना के रोने की आवाज आई.

‘‘टीना कहां है?’’ सुहासिनी के मुख से अनायास ही निकला था.

‘‘अंदर सो रही है. थोड़ी चोट लग गई है. बड़ी जिद्दी हो गई है. बारबार सीढि़यां चढ़उतर रही थी कि फिसल गई. सिर और चेहरे पर चोट आई है,’’ मां ने अपेक्षाकृत सौम्य स्वर में कहा था.

सुहासिनी लपक कर कमरे में गई और टीना को गोद में उठा लिया. टीना उस के कंधे से लग कर देर तक सिसकती रही थी. सुहासिनी चुपचाप अपने आंसू पीती रही थी.

कुछ ही देर में माथे पर किसी स्पर्श का अनुभव कर वह पलटी थी. मां बड़े प्यार से उस के माथे और कनपटी पर मालिश कर रही थीं.

‘‘भैया की बात का बुरा मान गई क्या बेटी?’’

‘‘नहीं मां, तकदीर ने जो खेल मेरे साथ खेला है उस में भलाबुरा मानने को बचा ही क्या है?’’

‘‘मां हूं तेरी, इतना भी नहीं समझूंगी क्या? इसीलिए तो तुझे यहां ले आई थी. आंखों के सामने रहेगी तो संतोष रहेगा कि सबकुछ ठीकठाक है. सब तुझे बरगलाने का प्रयत्न करेंगे पर तू विचलित मत होना, थकहार कर सब चुप हो जाएंगे.’’

‘‘पर मां, वहां से इस तरह आना कुछ ठीक नहीं हुआ. आप को पता है क्या पीयूष के पिता को पक्षाघात हुआ है…परिवार मुसीबत में है. उन्हें मेरी आवश्यकता है.’’

‘‘कुत्ते की दुम को चाहे कितने दिनों तक दबा कर रखो निक ालने पर टेढ़ी ही रहेगी. तू ने वहां जाने की ठान ली है तो जा पर थोड़े ही दिनों बाद रोतीगिड़गिड़ाती हुई मत आना,’’ मां पुन: क्रोधित हो उठी थीं.

सुहासिनी ने टीना की देखभाल के लिए छुट्टी ले ली थी पर घर में अजीब सी चुप्पी छाई हुई थी मानो सुहासिनी से कोई अपराध हो गया हो.

एक सप्ताह बाद सुहासिनी प्रतिदिन की भांति तैयार हो कर आई थी. उस की सहेली शिखा भी आ गई थी.

‘‘आज टीना भी स्कूल जा रही है क्या?’’ मां ने पूछा था.

‘‘नहीं मां, आज हम दोनों पीयूष के घर जा रहे हैं, अपने घर. मां, हो सके तो मुझे क्षमा कर देना. उन लोगों को इस समय मेरी आवश्यकता है,’’ सुहासिनी ने घर में सभी के गले मिल कर विदा ली थी और बाहर खड़ी टैक्सी में जा बैठी थी. सुहासिनी की मां जहां खड़ी थीं वहीं सिर पकड़ कर बैठ गई थीं.

‘‘देखो मां, तुम्हारी सोने की चिडि़या तो फुर्र हो गई. क्यों दुखी होती हो. पराया धन ही तो था. पराए घर चला गया,’’ व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोल कर भैया ने ठहाका लगाया था जिस की कसैली प्रतिध्वनि देर तक दीवारों से टकरा कर गूंजती रही थी.

Waterproof Makeup से मानसून में बढ़ेगी खूबसूरती, फौलो करें ये Easy टिप्स

वाटरप्रूफ  मेकअप की सब से खास बात यह होती है कि इसे बारिश का पानी भी नहीं बिगाड़ पाता है. शादी और पार्टी में कैमरे और लाइट के सामने गरमी लगने से भी मेकअप बहने लगता है. ऐसे में भी वाटरप्रूफ मेकअप बहुत अच्छा रहता है. रेनडांस, स्विमिंग पूल और समुद्र किनारे गरमी की छुट्टियों का मजा लेते वक्त भी वाटरप्रूफ मेकअप का कमाल दिखाई देता है.

 

क्या है वाटरप्रूफ मेकअप

बौबी सैलून की स्किन, हेयर और ब्यूटी ऐक्सपर्ट बौबी श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘पसीना आने पर मेकअप घुल कर त्वचा के रोमछिद्रों में चला जाता है, जिस से मेकअप बदरंग दिखाई देने लगता है. मेकअप रोमछिद्रों के जरिए शरीर में न जाए वाटरप्रूफ मेकअप में यही किया जाता है. त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर के किया गया मेकअप ही वाटरप्रूफ मेकअप कहलाता है. रोमछिद्रों को 2 तरह से बंद किया जाता है. तरीका नैचुरल वाटरपू्रफ और दूसरा प्रोडक्ट वाटरप्रूफ का होता है. नैचुरल  वाटरप्रूफ तरीके में त्वचा के रोमछिद्रों को बंद करने के लिए ठंडे तौलिए का प्रयोग किया जाता है. जिस तरह भाप लेने से त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं. उसी तरह से ठंडा तौलिया रखने से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. इस के लिए बर्फ का प्रयोग भी किया जा सकता है. इस के बाद मेकअप करने से पसीना उसे बहा नहीं पाता है.’’

वाटरप्रूफ मेकअप की बढ़ती मांग को देखते हुए मेकअप प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों ने वाटरपू्रफ मेकअप प्रोडक्ट्स बनाने शुरू कर दिए. इन प्रोडक्ट्स के अंदर ही ऐसे तत्त्व डाल दिए जाते हैं जो मेकअप करने के दौरान त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं. इस से मेकअप त्वचा के अंदर नहीं जा पाता और पसीना उसे

बहा नहीं पाता है. इस तरह के मेकअप प्रोडक्ट्स से मेकअप करते समय त्वचा को वाटरप्रूफ करने की जरूरत नहीं रहती है. वाटरप्रूफ प्रोडक्ट्स में क्रीम, लिपस्टिक, फेस बेस, रूज, मसकारा, काजल जैसी ढेर सारी चीजें अब बाजार में मिलने लगी हैं.

वाटरप्रूफ मेकअप प्रोडक्ट्स सिलिकौन का प्रयोग कर के बनाए जाते हैं. इस में प्रयोग होने वाला डाइनोथिकौन औयल त्वचा को चमकदार बनाता है. यह वाटरप्रूफ मेकअप को आसानी से फैलने में मदद करता है. जहां वाटरप्रूफ मेकअप के तमाम फायदे हैं वहीं कुछ खामियां भी हैं, जिन्हें जान लेना भी जरूरी है. वाटरप्रूफ मेकअप को हटाने के लिए पानी का प्रयोग ही काफी नहीं होता है वरन बेबी औयल या फिर सिलिकौन औयल का भी प्रयोग करना होता है. इस का प्रयोग त्वचा पर खराब प्रभाव डालता है. इस से त्वचा को नुकसान पहुंचता है. त्वचा पर इन्फैक्शन हो जाता है. ज्यादा प्रयोग करने से समय से पहले त्वचा पर झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं. इसलिए वाटरप्रूफ मेकअप का प्रयोग खास अवसरों पर ही करें. रोज इस का प्रयोग न करें.

जानें ब्यूटी ऐक्सपर्ट बौबी श्रीवास्तव से कुछ खास मेकअप टिप्स:

– इस मौसम में मेकअप करते समय डार्क शेड का प्रयोग कभी न करें. फाउंडेशन भी लाइट ही लगाएं. दागधब्बों को छिपाने के लिए वाटर बेस्ड फाउंडेशन का प्रयोग करें. अगर इस से चमक ज्यादा आने लगे तो पाउडर के बजाय ब्लौटिंग पेपर का प्रयोग करें.

– अपने गालों को गुलाबी दिखाने के लिए लाइट ब्लशर का प्रयोग करें. थोड़ा सा शिमर पाउडर आंखों के आसपास लगा कर उन्हें आकर्षक बना सकती हैं. होंठों पर लिपकलर लगाने के बाद चमकाने के लिए हलका लिपग्लौस लगाएं. लैक्मे मेकअप प्रोडक्ट्स में इस तरह का सारा सामान मिलता है.

– मसकारा दिनभर टिका रहे, इस के लिए बरौनियों के टिप्स पर मसकारा लगाएं. ऐसा करने से वह फैलता नहीं है.

– शाम की पार्टी का मेकअप करते समय नैचुरल मेकअप ही करें. शाम को धूप नहीं रहती, इसलिए चेहरे पर शिमर का प्रयोग कर सकती हैं. अगर आप धूप में निकल रही हों तो एसपीएफ -15 युक्त सनक्रीम या लोशन का प्रयोग जरूर करें. इस से त्वचा पर सनबर्न का असर कम होता है.

– स्विमिंग पूल में जाने से पहले और बाद में कीटाणुनिरोधक साबुन आदि से स्नान जरूर करें.

– इस मौसम में पूरे शरीर की डीप क्लींजिंग कराएं. सप्ताह में 1 बार बौडी मसाज कराएं. सप्ताह में 1 बार स्टीमबाथ जरूर लें. स्टीम लेते समय पानी में हलका बौडी औयल मिला लें.

– बाथटब में पानी भर कर उस में मिनरल साल्ट मिलाएं. 10-15 मिनट इस में गुजारें. फिर देखें त्वचा में चमक जरूर आएगी.

– जब भी तेज धूप से लौटें ठंडे पानी में पतला सूती कपड़ा डुबो कर निचोड़ लें और फिर उसे धूप से प्रभावित जगह पर थोड़ीथोड़ी देर के लिए रखें.

– एक टब में पानी भर नमक मिला कर हाथों और पैरों को 10 मिनट तक डुबोए रखें. इस से मृत त्वचा मुलायम हो जाएगी. इसे बाद में रगड़ कर आसानी से छुड़ाया जा सकता है. इस के बाद मौइश्चराइजर लगाएं. पैरों को 2 मिनट ठंडे पानी और 2 मिनट गरम पानी में बारीबारी से डुबोएं. इसे हौट ऐंड कोल्ड ट्रीटमैंट कहते हैं. इस से रक्तसंचार बढ़ता है.

हेयर केयर का भी रखें इन टिप्स से खास ख्याल

– अगर बाल छोटे हैं तो हलका कर्ल करा सकती हैं. बाल मीडियम साइज के हों या बढ़े हुए तो उन्हें बंधा हुआ हेयरस्टाइल देने की कोशिश करें. बाल खुले रखने हों तो उस हिसाब से कटे होने चाहिए. आजकल बालों को कलर कराने का ट्रैंड भी चल रहा है. यदि कलर करवाना है तो ब्लौंड हेयर या नैचुरल ब्राउन कलर कराएं.

– बालों में नियमित रूप से अच्छे किस्म के कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें. इस से बाल चमकदार और मुलायम होते हैं. कंडीशनर लगाने का सब से अच्छा तरीका यह होता है कि बालों के ऊपरी हिस्सों से ले कर नीचे तक अच्छी तरह से लगाएं.

– बालों को चमकदार बनाने के लिए नैचुरल हिना का प्रयोग करें. इस से बालों को कमजोर होने से बचाया जा सकता है.

सास बिना ससुराल, बहू हुई बेहाल

बचपन में एक लोक गीत ‘यह सास जंगल घास, मुझ को नहीं सुहाती है, जो मेरी लगती अम्मां, सैयां की गलती सासू मुझ को वही सुहाती है…’ सुन कर सोचा शायद सास के जुल्म से तंग आ कर किसी दुखी नारी के दिल से यह आवाज निकली होगी. कालेज में पढ़ने लगी तो किसी सीनियर को कहते हुए सुना, ‘ससुराल से नहीं, सास से डर लगता है.’ यह सब देखसुन कर मुझे तो ‘सास’ नामक प्राणी से ही भय हो गया था. मैं ने घर में ऐलान कर दिया था कि पति चाहे कम कमाने वाला मिले मंजूर है, पर ससुराल में सास नहीं होनी चाहिए. अनुभवी दादी ने मुझे समझाने की कोशिश की कि बेटी सुखी जिंदगी के लिए सास का होना बहुत जरूरी होता है, पर मम्मी ने धीरे से बुदबुदाया कि चल मेरी न सही तेरी मुराद तो पूरी हो जाए.

शायद भगवान ने तरस खा कर मेरी सुन ली. ग्रैजुएशन की पढ़ाई खत्म होते ही मैं सासविहीन ससुराल के लिए खुशीखुशी विदा कर दी गई. विदाई के वक्त सारी सहेलियां मुझे बधाई दे रही थीं. यह कहते हुए कि हाय कितनी लकी है तू जो ससुराल में कोई झमेला ही नहीं, राज करेगी राज.

लेकिन वास्तविक जिंदगी में ऐसी बात नहीं होती है. सास यानी पति की प्यारी और तेजतर्रार मां का होना एक शादीशुदा स्त्री की जिंदगी में बहुत माने रखता है, इस का एहसास सब से पहले मुझे तब हुआ जब मैं ने ससुराल में पहला कदम रखा. न कोई ताना, न कोई गाना, न कोई सवाल और न ही कोई बवाल बस ऐंट्री हो गई मेरी, बिना किसी झटके के. सच पूछो तो कुछ मजा नहीं आया, क्योंकि सास से मिले ‘वैल्कम तानों’ के प्लाट पर ही तो बहुएं भावी जीवन की बिल्डिंग तैयार करती हैं, जिस में सासूमां की शिकायत कर सहानुभूति बटोरना, नयनों से नीर बहा पति को ब्लैकमेल करना, देवरननद को उन की मां के खिलाफ भड़काना, ससुरजी की लाडली बन कर सास को जलाना जैसे कई झरोखे खोल कर ही तो जिंदगी में ताजा हवा के मजे लिए जा सकते हैं.

क्या कहूं और किस से कहूं अपना दुखड़ा. अगले दिन से ही पूरा घर संभालने की जिम्मेदारी अपनेआप मेरे गले पड़ गई. ससुरजी ने चुपचाप चाभियों को गुच्छा थमा दिया मुझे. सखियो, वही चाभियों का गुच्छा, जिसे पाने के लिए टीवी सीरियल्स में बहुओं को न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. कहते हैं न कि मुफ्त में मिली चीज की कोई कद्र नहीं होती. बिलकुल ठीक बात है, मेरे लिए भी उस गुच्छे को कमर में लटका कर इतराने का कोई क्रेज नहीं रहा. आखिर कोई देख कर कुढ़ने वाली भी तो होनी चाहिए.

मन निराशा से भर उठता है कभीकभी तो. गुस्से और झल्लाहट में कभी बेस्वाद खाना बना दिया या किसी को कुछ उलटापुलटा बोल दिया, तो भी कोईर् प्रतिक्रिया या मीनमेख निकालने वाला नहीं है इस घर में. कोई लड़ाईझगड़ा या मनमुटाव नहीं. अब आप सब सोचो किसी भी खेल को खेलने में मजा तो तब आता है जब खेल में द्वंद्वी और प्रतिद्वंद्वी दोनों बराबरी के भागीदार हों. एकतरफा प्रयास किस काम का? अब तो लगने लगा है लाइफ में कोई चुनौती नहीं रही. बस बोरियत ही बोरियत.

एक बार महल्ले की किसी महान नारी को यह कहते सुना था कि टीवी में सासबहू धारावाहिक देखने का अलग ही आकर्षण है. सासबहू के नित्य नए दांवपेच देखना, सीखना और एकदूसरे पर व्यवहार में लाना सचमुच जिंदगी में रोमांच भर देता है. उन की बातों से प्रभावित हो कर मैं ने भी सासबहू वाला धारावाहिक देखना शुरू कर दिया. साजिश का एक से बढ़ कर एक आइडिया देख कर जोश से भर उठी मैं पर हाय री मेरी किस्मत आजमाइश करूं तो किस पर? बहुत गुस्सा आया अपनेआप पर. अपनी दादी की बात याद आने लगी मुझे. उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की थी कि बेटा सास एक ऐसा जीव है, जो बहू के जीवनरूपी स्वाद में चाटमसाले का भूमिका अदा करता है, जिस से पंगे ले कर ही जिंदगी जायकेदार बनाईर् जा सकती है. काश, उस समय दादी की बात मान ली होती तो मजबूरन दिल को यह न गाना पड़ता, ‘न कोई उमंग है, न कोई तरंग है, मेरी जिंदगी है क्या, सासू बिना बेरंग है…’

मायके जाने का भी दिल नहीं करता अब तो. क्या जाऊं, वहां बैठ कर बहनें मम्मी से जहां अपनीअपनी सास का बखान करती रहती हैं, मुझे मजबूरन मूक श्रोता बन कर सब की बातें सुननी पड़ती हैं. बड़ी दीदी बता रही थीं कि कैसे उन की सास ने एक दिन चाय में कम चीनी डालने पर टोका तो दूसरे दिन से किस तरह उन की चाय में डबल चीनी मिला कर उन्होंने उन का शुगर लैवल बढ़ा दिया. लो अब पीते रहो बिना चीनी की चाय जिंदगी भर. मूवी देखने की शौकीन दूसरी बहन ने कहा कि मैं ने तो अपनी सास को सिनेमाघर में मूवी देखने का चसका लगा दिया है. ससुरजी तो जाते नहीं हैं, तो एहसान जताते हुए मुझे ही उन के साथ जाना पड़ता है मूवी देखने. फिर बदले में उस दिन रात को खाना सासू अम्मां ही बनातीं सब के लिए तथा ससुरजी बच्चों का होमवर्क करवाते हैं. यह सब सुन कर मन में एक टीस सी उठती कि काश ऐसा सुनहरा मौका मुझे भी मिला होता.

अब कल की ही बात है. मैं किट्टी पार्टी में गई थी. सारी सहेलियां गपशप में व्यस्त थीं. बात फिल्म, फैशन, स्टाइल से शुरू हो कर अंतत: पति, बच्चों और सास पर आ टिकी. 4 वर्षीय बेटे की मां मीनल ने कहा, ‘‘भई मैं ने तो मम्मीजी (सास) से ऐक्सचेंज कर लिया है बेटों का. अब उन के बेटे को मैं संभालती हूं और मेरे बेटे को मम्मीजी,’’ सुन कर कुढ़ गई मैं.

सुमिता ने मेरी तरफ तिरछी नजर से देखते हुए मुझे सुनाते हुए कहा, ‘‘सुबह पति और ससुरजी के सामने मैं अपनी सास को अदरक और दूध वाली अच्छी चाय बना कर दे देती हूं फिर उन के औफिस जाने के बाद से घर के कई छिटपुट कार्य जैसे सब्जी काटना, आटा गूंधना, चटनी बनाना, बच्चों को संभालने में दिन भर इतना व्यस्त रखती हूं कि उन्हें फुरसत ही नहीं मिलती कि मुझ में कमी निकाल सकें. शाम को फिर सब के साथ गरमगरम चाय और नमकीन पेश कर देती हूं बस.’’

उस के इतना कहते ही एक जोरदार ठहाका लगाया सारी सखियों ने.

बात खास सहेलियों की कि जाए तो पता चला कि सब ने मिल कर व्हाट्सऐप पर एक गु्रप बना रखा है, जिस का नाम है- ‘सासूमां’ जहां सास की खट्टीतीखी बातें और उन्हें परास्त करने के तरीके (मैसेज) एकदूसरे को सैंड किए जाते हैं, जिस से बहुओं के दिल और दिमाग में दिन भर ताजगी बनी रहती है, पर मुझ जैसी नारी को उस गु्रप से भी दूर रखा गया है अछूत की तरह. पूछने पर कहती हैं कि गु्रप का मैंबर बनने के लिए एक अदद सास का होना बहुत जरूरी है. मजबूरन मनमसोस कर रह जाना पड़ा मुझे.

अपनी की गई गलती पर पछता रही हूं मैं, मुझे यह अनुभव हो चुका है कि सास गले की फांस नहीं, बल्कि बहू की सांस होती है. बात समझ में आ गई मुझे कि सासबहू दोनों का चोलीदामन का साथ होता है. दोनों एकदूसरे के बिना अधूरी और अपूर्ण हैं. कभीकभी दिल मचलता है कि काश मेरे पास भी एक तेजतर्रार, दबंग और भड़कीली सी सास होती पर ससुरजी की अवस्था देख कर यह कहने में संकोच हो रहा है कि पापा एक बार फिर घोड़ी पर चढ़ने की हिम्मत क्यों नहीं करते आप?

नई लड़कियों और अविवाहित सखियो, मेरा विचार बदल चुका है. अब दिल की जगह दिमाग से सोचने लगी हूं मैं कि पति चाहे कम कमाने वाला हो पर ससुराल में एक अदद सास जरूर होनी चाहिए. जय सासूमां की.

घर का हर कोना इन गैजेट्स की मदद से करें चुटकियों में साफ

घर की सफाई जरूरी होती है, लेकिन बिजी रहने के कारण साफसफाई में टाइम लग जाता है. वहीं अब मार्केट में मौजूद प्रौडक्ट और हाई टैक गैजेट्स ने हर मुश्किल काम को आसान बना दिया है. घर की साफ-सफाई के लिए झाड़ू पोंछे को रिप्लेस करने के लिए अब कई एडवांस और स्मार्ट हाई टैक गैजेट्स मौजूद हैं, जिसे आप इस फेस्टिव सीजन ट्राय कर सकती हैं. ये आपके घर को चमकाने के साथ-साथ अलग लुक देंगे.

 

1. वैक्यूम क्लीनर

यह है तो पुराना उपकरण पर अब छोटा और सुविधाजनक होता जा रहा है. जितने समय में आप झाड़ू से एक कमरे की सफाई करेंगी, उतने समय में वैक्यूम क्लीनर 3-4 कमरों को साफ कर देगा. अगर आप एक वैक्यूम क्लीनर से अनेक काम चाहती हैं तो मल्टीपल क्लीनिंग वैक्यूम क्लीनर खरीदें.

यह सूखे के साथ-साथ गीले फर्श की भी सफाई कर सके और इंडिकेटर के जरीए डस्ट बैग फुल हो चुका है, तो इस की भी जानकारी दे. वैक्यूम क्लीनर से हर कोने की सफाई करना चाहती हैं, तो यह भी चैक कर लें कि वैक्यूम क्लीनर में साइड ब्रश है या नहीं. इसे एक बार चार्ज कर के आप 2 घंटे तक काम में ला सकती हैं.

2. फरबौल वैक्यूम क्लीनर

इन दिनों फरबौल वैक्यूम क्लीनर काफी डिमांड में है. कलरफुल होने की वजह से यह काफी आकर्षक नजर आता है. फुटबौलनुमा यह वैक्यूम क्लीनर औटोमैटिकली पूरे घर में बौल की तरह घूमते हुए फर्श की सफाई करता है. इस का इस्तेमाल छोटे कमरे की सफाई के लिए बैस्ट है. साथ ही यह वुडन फ्लोरिंग के लिए भी अच्छा साबित होता है.

3. औटोमैटिक फ्लोर मौप

यह गैजेट पहले फर्श पर पड़े कूड़ेकचरे को साफ करता है, फिर पोंछा लगाता है. फर्श पर पोंछा लगाने के लिए इस में थोड़ा सा पानी भर दें. जिस कोने तक आप के हाथ नहीं पहुंच पाते, वहां भी यह गैजेट आसानी से पहुंच जाता है. इस की बैटरी को एक बार फुल चार्ज कर के आप इस से लगातार 2 घंटे काम ला सकती हैं.

4. मौपेड वैक्यूम

फ्लोर मौप की तरह ही मौपेड वैक्यूम भी झाड़ू और पोंछा दोनों काम करता है. छोटे कमरे की सफाई के लिए यह बैस्ट है. लेकिन अगर कमरा बड़ा है, तो फ्लोर मौप ही खरीदें. एक बार इसे फुल चार्ज करने पर यह 6 घंटे तक काम करता है.

इसे खुद चलाने की जरूरत नहीं होती, टाइम सैट कर के बस इसे छोड़ दें. पूरे फर्श की सफाई के बाद यह खुद रुक जाता है. यह दिखने में भी आकर्षक नजर आता है. इस्तेमाल के बाद इसे डैकोर ऐक्सैसरीज की तरह भी यूज कर सकती हैं.

5. फ्लोर वाशिंग

वुडन फ्लोरिंग को धोने की जरूरत नहीं होती. झाड़ू और पोंछे से भी यह साफ नजर आता है, लेकिन हार्ड फ्लोरिंग को चमकाने के लिए उसे वाश करना जरूरी है. ऐसे में कमरे की सफाई करने के बजाय फ्लोर वाशिंग गैजेट आप के काम आ सकता है.

यह थ्री स्टैप्स में काम करता है. पहले कमरे में फैले कचरे को हटाता है, फिर पानी की सहायता से फ्लोर को भिगो कर साफ करता है और आखिर में गीले फर्श को पोंछ कर सुखाता भी है. तो अब फर्श धोने के लिए आप को डिटर्जैंट और प्लास्टिक ब्रूम की सहायता नहीं लेनी पड़ेगी.

6. हाउसकीपिंग डिवाइस यूवीई

किचन टेबल, डाइनिंग टेबल के साथसाथ घर में रखी बाकी टेबल्स की सफाई के लिए अब आप को एक हाथ में स्प्रे और दूसरे में स्पंज ले कर घूमने की जरूरत नहीं है. हाउसकीपिंग डिवाइस की सहायता से मुश्किल लगने वाले इस काम को आप आसानी से कर सकती हैं.

टाइम सैट करते ही यह गैजेट खुदबखुद टेबल की सफाई में जुट जाता है. इसे हाथ से चलाने की जरूरत नहीं होती है.

7. विंडो ग्रिल क्लीनर

क्या आप भी दरवाजों और खिड़कियों पर लगे ग्लास को चमकाने के लिए स्पंज और तरहतरह के ब्रशों का इस्तेमाल करती हैं? अगर हां तो अब उन्हें अलविदा कह दीजिए और घर ले आइए ग्रिल क्लीनर. इस गैजेट को ग्रिलर पर सैट कर के सिर्फ एक बटन दबाने पर यह अपना काम शुरू कर देता है. इस के जरीए आप एक-डेढ घंटे में खिड़कियों और दरवाजों पर लगे ग्लास को चमका सकती हैं.

8. गटर क्लीनर

कई बार पेड़ के सूखे पत्तों की वजह से तो कभी धूलमिट्टी के चलते घर के बाहर बना गटर बंद हो जाता है, जिसे साफ करना सिरदर्द बन जाता है. इसे क्लियर करने के लिए आप गटर क्लीनर की मदद ले सकती हैं.

एक बार चार्ज करने पर यह कई गटर आसानी से क्लीन कर देता है. बाजार में औटोमैटिक गटर क्लीनर भी मिलते हैं, जिन्हें रिमोट के जरीए चलाया जाता है, तो कुछ को खुद चलाना पड़ता है. अपनी सुविधानुसार दोनों में से किसी एक का चुनाव करा जा सकता है.

9. ऐक्वेरियम ग्लास क्लीनर

दीवाली आ रही है. घर के साथ फिश टैंक की सफाई भी तो आप को ही करनी होगी. फिश टैंक के ग्लास की सफाई के लिए आप को सारी मछलियों को पानी सहित बाहर निकालने की जरूरत नहीं है.

ऐक्वेरियम ग्लास क्लीनर खुदबखुद एक ही समय में फिश टैंक के अंदरबाहर ग्लास की सफाई में जुट जाता है. इसे इस्तेमाल करने के लिए इस के ऊपरी भाग को फिश टैंक के भीतर डाल दें और बाहरी भाग को बाहर के ग्लास पर सैट कर दें. चुंबक लगा होने की वजह से दोनों आपस में जुड़ जाते हैं, जिस से एक ही साथ अंदर और बाहर दोनों तरह से कांच चमचमाने लगता है.

10. बाथरूम क्लीनर मशीन

बाथरूम क्लीन करना है, यह सोचते ही कइयों के सिर में दर्द शुरू हो जाता है. अगर आप को इस दर्द को छूमंतर करना है, तो बाथरूम क्लीनर खरीद लाइए. इसे इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है. रस्सीनुमा इस गैजेट से वैस्टर्न स्टाइल सीट साफ करनी हो तो इसे नल से जोड़ कर नल खोल दें.

इस के सिरहाने लगे 3 ब्रश सफाई का काम शुरू कर देते हैं. इसे आप नल से जोड़ कर बाथटब, बाथरूम की फ्लोरिंग और दीवारों की सफाई भी कर सकती हैं. गैजेट में मौजूद इंडिकेटर सफाई हो चुकी है का अलार्म भी बजाता है.

11. मिनटों में पाएं चमचमाती सफाई

ग्लास की सफाई से ले कर कैबिनेट की सफाई तक के लिए कई घरेलू नुस्खे हैं. कुछ ऐसे लिक्विड क्लीनर हैं, जिन के इस्तेमाल से सारे जिद्दी दाग आसानी से छुड़ाए जा सकते हैं.

शीशों की सफाई के लिए होम डैकोरेशन में ग्लास का इस्तेमाल कमरे को क्लासी लुक देता है, लेकिन जब यह गंदा हो जाता है तो घर का लुक फीका नजर आता है. दरवाजों, खिड़कियों, टेबलों पर लगे ग्लास को साफ करने के लिए लिक्विड ग्लास क्लीनर का इस्तेमाल करें. इसे कांच पर स्प्रे करने के बाद स्पंज की सहायता से पोंछ दें. शीशा चमक उठेगा.

12. जंग हटाने के लिए

मैटल का इस्तेमाल कमरों को मौडर्न लुक देता है, लेकिन पानी लगते ही मैटल बदरंग नजर आता है तो कई बार उस पर जंग लग जाने से भी कमरों का लुक बिगड़ जाता है. इस जंग से निबटने के लिए रस्ट क्लीनर लिक्विड का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह क्लीनर हर तरह के जंग की छुट्टी कर देता है.

13. तेल, मसालों के धब्बे छुड़ाने के लिए

किचन में तेल और मसालों का इस्तेमाल खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथसाथ किचन रैक्स, ऐप्लायंस, कंटेनर आदि पर जिद्दी दाग भी छोड़ जाता है, जिस से चिपचिपाहट महसूस होती है. इस चिपचिपाहट को साबुन से छुड़ाना मुमकिन नहीं होता है. अत: इसे छुड़ाने के लिए ग्रीस क्लीनर का इस्तेमाल करें.

14. ग्रिल को क्लीन करने के लिए

खुली और बड़ी जगह की सफाई बेहद आसान होती है, लेकिन जब बारी आती है बारीक चीजों की सफाई की, तो समझ नहीं आता कि शुरुआत कहां से की जाए. खिड़कियों और दरवाजों की ग्रिल भी उन्हीं में से एक है. इसे साफ करने के लिए आप ग्रिल लिक्विड क्लीनर खरीद सकती हैं.

15. मार्बल फ्लोर की सफाई के लिए

मार्बल या स्टोन के फर्श पर अगर कोई चीज गिर जाए तो उसे छुड़ाना काफी मुश्किल होता है, लेकिन मार्केट में मिलने वाला मार्बल क्लीनर आप को इस दाग से बचा सकता है. मार्बल के जिस हिस्से में दाग लगा है वहां यह क्लीनर गिरा कर कुछ देर के लिए छोड़ दें. बाद में ब्रश की सहायता से साफ कर लें.

16. टाइल्स चमकाने के लिए

टाइल्स जितनी जल्दी चमकती हैं, उतनी जल्दी गंदी भी हो जाती हैं. अत: टाइल्स को चमकाने के लिए टाइल्स क्लीनर का इस्तेमाल करें.

17. ब्रास साफ करने के लिए

दरवाजों, खिड़कियों, कैबिनेट्स, बाथरूम आदि में ज्यादातर ब्रास के हैंडल लगे होते हैं, तो कई घरों में नल, शौवर आदि भी ब्रास के ही होते हैं, जो बदरंग होने पर घर के पूरे लुक को बिगाड़ देते हैं. अत: इन्हें क्लीन रखने के लिए ब्रास क्लीनर का इस्तेमाल करें.

18. कर दें हर दाग की छुट्टी

यह जरूरी नहीं कि हर चीज की सफाई के लिए आप बाकायदा उसी क्लीनर का इस्तेमाल करें यानी शीशे की सफाई के लिए ग्लास क्लीनर, टाइल्स के लिए टाइल्स क्लीनर आदि. आप औल पर्पज क्लीनर खरीद कर भी दागों की छुट्टी कर सकती हैं.

‘मेरे मेहबूब मेरे सनम’ Song हुआ रिलीज, अलग अंदाज में नजर आईं तृप्ति डिमरी

एनिमल मूवी में रणबीर कपूर के साथ इंटीमेट सीन देकर कुल 20 मिनट के रोल से पौपुलर होने वाली
त्रप्ति डिमरी आज सबकी चहेती बन गई हैं. उनके फैंस अब फिल्म ‘एनिमल’ के बाद विक्की कौशल और एमी विर्क के साथ ‘बैड न्यूज’ में उन्हें वापस स्क्रीन पर देखने के लिए काफी एक्ससाइटेड हैं.

खूबसूरती है लाजवाब

इस फिल्म के पिछले दो सौंग “तौबा तौबा” और “जानम” में अपनी एक्टिंग से औडियंस का दिल जीतने के बाद, मेरे मेहबूब मेरे सनम’ सौंग में तृप्ति डिमरी एक बौलीवुड हीरोइन की तरह दिख रही हैं. इस गाने में त्रिप्ति की खूबसूरती ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है. फिर चाहे वह ब्लू गाउन में हो, रेड गुजराती ड्रेस में हो, समुद्र किनारे की ड्रेस में हो या शेफ की ड्रेस में, त्रिप्ति हर रूप में बहुत सुंदर लग रही हैं.

फेमस सौंग का न्यू वर्जन

आपको बता दें कि विक्की कौशल और त्रिप्ती डिमरी की फिल्म बैड न्यूज का तीसरा गाना, “मेरे मेहबूब मेरे सनम,” शाहरुख खान, जूही चावला और सोनाली बेंद्रे की फिल्म डुप्लिकेट के फेमस सौंंग का न्यू वर्जन है.

फिल्मों में आने से पहले तृप्ति डिमरी काफी समय तक विपरा डायलौग्स नाम के एक यूट्यूब चैनल पर वाइन वीडियो बनाती थीं. इसके बाद तृप्ति ने मौडलिंग का रुख किया फिर फिल्मों में आने के लिए एक्टिंग की क्लासेज भी लीं.

त्रिप्ति की आने वाली फिल्मों में ‘बैड न्यूज’ के बाद वह कार्तिक आर्यन और विद्या बालन के साथ ‘भूल भुलैया 3’ में नजर आएंगी. डिमरी के पास ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’, और शाजिया इकबाल की ‘धड़क 2’ में भी दिखेंगी.

फैशन में ट्रेंड कर रहा है गुजरात की घरचोला साड़ी, Neeta Ambani से लेकर Deepika को है खूब पसंद

बौलीवुड इंडस्ट्री हो या कोई फैशन आईकौन या आम महिलाएं, इन सबके बीच एक बात कौमन है, अगर ये ट्रेडिशनल आउटफिट पहनती हैं, तो साड़ी जरूर कैरी करती हैं. यूं कह सकते हैं कि भारतीय महिलाओं की पहचान साड़ी है.

जब बौलीवुड एक्ट्रेसेस साड़ी पहनती हैं, तो उनके लुक्स और स्टाइल करोड़ों फैंस को उनका दीवाना बना देता है. बीते 12 जुलाई को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में देशविदेश से तमाम हस्ती शिरकत किए थे. जिनका अंबानी फैमिली ने वार्म वेलकम किया. इसमें बौलीवुड एक्ट्रेसेस ट्रेडिशनल ड्रेसेस में नजर आईं. रेखा, दीपिका दुकोण, ऐश्वर्या राय, माधुरी दीक्षित, गौरी खान, सोनाक्षी सिन्हा, आलिया भट्ट सहित तमाम एक्ट्रेसेस दिखाई दे रही थी. इस फंक्शन में 60 साल की नीता अंबानी की खूबसूरती चर्चे में है. वो लाल रंग की घरचोला साड़ी और नवरत्न हार पहनी बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी. कहा जा रहा है कि वो अबतक के सबसे खूबसूरत लुक में दिखाई दे रही थी.

घरचोला साड़ी की ये हैं खास बातें

घरचोला साड़ी गुजरात की ट्रेडिशनल साड़ी है. इस साड़ी में नीता अंबानी किसी महल की रानी से कम नहीं लग रही थी. घरचोला साड़ी बहुत ही खूबसूरत होती है. इसे कौटन या सिल्क से बनाया जाता है. इस पर जरी से काम किया जाता है. गुजरात की महिलाएं इस साड़ी को शादियों में जरूर पहनती हैं.

निता अंबानी के अलावा ये एक्ट्रेसेस भी घरचोला साड़ी में आ चुकी हैं नजर

दीपिका पादुकोण

दीपिका पादुकोण ने इस खूबसूरत साड़ी को अनंत अंबानी की प्री-वेडिंग फंक्शन में पहनकर अपनी खूबसूरती से सभी का ध्यान अपनी तरफ खींच रही थी. इस साड़ी के साथ स्मोकी आई मेकअप कहर बरपा रहा था. हेयर स्टाइल में मेसी बन किया है और इस पर गजरे लगे है.

सोनम कपूर

फैशन की आइकौन कही जाने वाली सोनम कपूर ने भी घरचोला साड़ी पहनी थी. उन्होंने अपनी मां सुनिता कपूर की 35 सालपुरानी साड़ी पहनी नजर आईं थी. मरून कलर की साड़ी में उनकी खूबसूरती देखते बन रही थी. इस साड़ी को एक्ट्रेस ने सीधे पल्ले में कैरी किया था. इससे उनकी खूबसूरती और बढ़ गई थी.

शनाया कपूर

संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर ने भी इस ट्रेडिशनल साड़ी को पहनकर अपनी खूबसूरती का जलवा बिखेरा था. इस साड़ी के साथ उन्होंने हेवी ज्वेलरी भी कैरी की थी जो उनके लुक को कंप्लीट कर रहा था.

कोरियन गर्ल्स की तरह चाहती हैं ग्लोइंग स्किन, तो फौलो करें ग्लास स्किन रूटीन

Korean Glass Skin : खूबसूरत दिखना हर किसी को पंसद होता है. ग्लोइंग स्किन पाने के लिए लड़कियां न जाने कितने पैसे खर्च कर देती हैं. वैसे आजकल कोरियन ग्लास काफी ट्रेंड में है. आइए जानते हैं, आखिर क्या है कोरियन ग्लास स्किन ?

आपने कोरियन गर्ल्स को तो देखा ही होगा, उनके चेहरे पर कोई दागधब्बे नहीं होते हैं. वो अपनी स्किन का खास ख्याल रखती हैं. कोरियन गर्ल्स समयसमय पर अपनी स्किन को स्क्रब, क्लिन और मौइश्चराइज करती रहती हैं. ऐसे में हर लड़की कोरियन ग्लास स्किन पाना चाहती है.

Portrait of beauty asian female with perfect healthy glow skin facial

इस स्किन को पाने के लिए लड़कियां क्या कुछ नहीं करती हैं. महंगे से महंगे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं. अगर आप पार्लर में कोरियन ग्लास स्किन फेशियल करवाते हैं, तो इसका खर्च लगभग 4,000 रुपए लगेंगे और अगर आप कोरियन स्किन ट्रीटमेंट करवाते हैं, तो इसके लिए 7, 000  रुपये खर्च करने पड़ेंगे. ये प्राइस IndiaMart के वेबसाइट पर उपलब्ध है.

अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है और आप कोरियन ग्लास स्किन के लिए फेशियल करवाते हैं, तो इससे चेहरे पर कुछ देर के लिए चेहरे पर रेडनेस नजर आ सकता है. अगर आपको पहले से स्किन एलर्जी की
समस्या है, तो यह फेशियल करवाने से पहले ब्यूटी एक्सपर्ट से अपनी प्रौब्लम शेयर करें.

Portrait of smiling young woman touching cheek

चाहें तो आप घर पर भी कोरियन ग्लास स्किन पाने के लिए कुछ खास टिप्स को फौलो कर सकती हैं…

चेहरे की क्लींजिंग करें

अगर कोरियन ग्लास स्किन की चाहत रखती है, तो चेहरे की क्लींजिंग करना बहुत जरूरी है. दिनभर के थकान के बाद बिना चेहरा साफ किए ही सो जाती हैं, तो इससे आपकी स्किन बेजान नजर आती है. रोजाना रात में सोने से पहले चेहरे की डीप सफाई जरूर करें.

अच्छी क्वालिटी का मोौइश्चराइजर यूज करें

कोरियन ग्लास गर्ल्स की तरह दिखना है, तो स्किन केयर रूटीन में मौइश्चराइजर जरूर शामिल करें. चेहरे पर मौइश्चराइजर लगाने से ड्राई स्किन से छुटकारा मिलेगा.

Beautiful asian woman applying skin treatment

चेहरे पर लगाएं फेस सीरम

मार्केट में आपको कई तरह के फेस सीरम मिल जाएंगे. इसे चेहरे पर लगाने से स्किन हाइड्रेट और ग्लोइंग नजर आता है. आप अपनी स्किन पर फेस सीरम का इस्तेमाल जरूर करें.

स्किन का हाइड्रेट रहना है जरूरी

शरीर में पानी की कमी से चेहरे पर असर दिखाई देता है. स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए नियमित रूप से 6-7 ग्लास पानी जरूर पिएं.

Attractive freshness asian woman clean face fresh water with care look to mirror in bathroom home

हफ्ते में एक-दो बार फेस मास्क लगाएं

हर हफ्ते चेहरे पर दही और शहद का फेस मास्क लगाएं. इसके लिए एक बाउल में 2 चम्मच दही लें, अब इसमें शहद को डालें. इस मिश्रण को अच्छे से मिक्स करें. अब इसे चेहरे पर लगाएं. करीब 15-20 मिनट तक लगा रहने दें. इसके बाद साफ पानी से धो लें.

डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां और फल खाएं

शरीर विटामिन-सी की कमी न होने दें. इसके लिए संतरा, मौसंबी का जूस पिएं. इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं. अगर आप नानवेजिटेरियन हैं, तो फिश भी खा सकती हैं.

Beautiful woman face

कोरियन ग्लास स्किन के फायदे

  • पिग्मेंटेशन की समस्या कम होती है.
  • अगर आप कोरियन ग्लास क्रीम चेहरे पर लगाते हैं, तो यहस्किन में कोलेजन बूस्टर की तरह काम करती है.
  • चेहरे की झुर्रिया और फाइन लाइंस भी कम होती है.

संपूर्णा: पत्नी को पैर की जूती समझने वाले मिथिलेश का क्या हुआ अंजाम

बंगले में प्रवेश करते वक्त रिद्धी बिलकुल निश्चिंत थी कि अभी यहां सिर्फ मिथिलेश ही उसे मिलेगा. मिथिलेश अपने बैडरूम में लैपटौप पर औफिस का काम रहा था. उस की पीठ दरवाजे की तरफ थी. रिद्धी ने मिथिलेश की पीठ पर धीरे से एक चपत लगाई.

मिथिलेश चौंक गया. फिर तुरंत संभलते हुए बोला, ‘‘ओह. साली साहिबा आप?’’

‘‘क्यों जीजू आप क्या दीदी का इंतजार कर रहे थे? वह तो अभीअभी क्लीनिक गई होगी.’’

‘‘अरे नहींनहीं, मैं तो तुम्हें ही याद कर रहा था.’’

‘‘ऐसा है तो एक अच्छी सी सैल्फी लेती हूं… आप की शादी के 5 साल हो गए, इकलौती साली के साथ आप की एक भी सैल्फी नहीं,’’ रिद्धी ने शिकायत की.

‘‘कैसे हो सैल्फी? तुम तो इन 5 सालों में दुधमुंही बच्ची थी. कहां फटकती थी मेरे पास,’’ मिथिलेश नजदीकी बढ़ाते हुए रिद्धी की आंखों में देखने लगा.

रिद्धी के शरीर में धीरेधीरे चूहल दौड़ने लगी. वह जीजू के साथ लिपट कर  इस तरह सैल्फी खींचने लगी कि मिथिलेश की सांसें उखड़ गईं. रिद्धी के मन की पोटली मिथिलेश के सामने छितर गई थी. सैल्फी के बाद चुप्पी के शुन्य को भरते हुए वह बोल पड़ी, ‘‘देखो जीजू, सैल्फी में भी हम एकदूसरे के साथ कितने अच्छे लग रहे हैं.’’

मिथिलेश लैपटौप को छोड़ अपने बिस्तर पर आ गया और फिर एक झटके में रिद्धी को अपनी बांहों में भर लिया.

‘‘जीजू दीदी को पता चला तो?’’

‘‘महीनेभर से तुम्हारे दिल का हाल मैं साफ पढ़ रहा हूं, अब भूल जाओ दीदी को. घरवाली को वश में रखना मुझे बखूबी आता है.’’

रिद्धी अब तक मिथिलेश से लगभग लिपट चुकी थी. 23 साल की नवयौवना ने 35 साल के मिथिलेश के पौरुष को वशीभूत कर लिया था. प्रथम अनुभूति की लीला जब थमी, रिद्धी का मन कुछ बेचैन हो उठा. बोली, ‘‘जीजू, क्या मुझ से गलती हो गई?’’

मिथिलेश ने उस के होंठों को अपने चुंबन में जकड़ने के बाद आश्वस्त किया, ‘‘हमारी परंपरा है कि पत्नियां अपने पतियों को सदा खुश रखें. अब खुश मैं कैसे होता

हूं यह जानने की कोई जरूरत ही नहीं. ज्यादा मत सोचो, तुम कालेज की पढ़ाई खत्म कर लो, फिर अपने विभाग में लगवा दूंगा… 11 बजने को हैं, मुझे भी औफिस के लिए निकलना है.’’

रिद्धी के लिए नौकरी की बात भी एक बड़ा लालच थी, जिसे वह अनदेखा नहीं कर पाई तो रिद्धी और मिथिलेश ने अपनी सुविधानुसार अपना दर्शन बना कर रिश्ते के विश्वास को दरकिनार कर दिया. उन की रंगरलियां बिना किसी रोकटोक के चलती रहीं.

आज से 5 साल पहले उस दिन दोपहर 3 बजे के करीब 24 साल की सिद्धी वाहन के इंतजार में यूनिवर्सिटी के बाहर खड़ी थी. अचानक सामने से बाइक पर बैठा चिन्मय आता दिखा. सिद्धी को देख वह रुक गया, ‘‘अरे चिन्मय? 2 साल से कहां थे?’’

‘‘एमकौम और बैंक परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था,’’ तुम बताओ?

‘‘चलोचलो गांधी मैदान चलते हैं,’’ सिद्धी ने फूरती दिखाई.

चिन्मय ने कहा, ‘‘बैठो बाइक पर.’’

बिना किसी औपचारिकता के वह पीछे बैठ तो  गई, लेकिन यहां लोगों के पास बातें बनाने के लिए ऐसे मसले मिल जाएं तो उन के पास वक्त की कमी नहीं रहती. खैर, इस मुलाकात को वह जाया नहीं करना चाहती थी.

पटना के प्रसिद्ध गोलघर के पास ही है गांधी मैदान. लोगों की तफरीह के लिए अच्छा खुला इलाका है. दोनों ने पर्यटकों के लिए बने बेंच पर अपना आसन जमाया. शाम होने में वक्त था. लोग न के बराबर थे.

‘‘और सुनाओ?’’ पहले की तरह ही शरमीले चिन्मय ने मंदमंद मुसकराते हुए पूछा.

‘‘साइकोलौजी में मास्टर पूरा हुआ. 80% है… और तुम्हारा?’’ सिद्धी की उत्सुकता बढ़ गई थी चिन्मय के बारे में जानने को.

‘‘बैंक की नौकरी ही मेरे हिस्से समझे. तुम अब क्या करोगी?’’

‘‘एक चपत लगाऊंगी तुम्हें. ऐसी भेदभरी नजरों से क्यों देख रहे हो? मन में कोई चोर है क्या?’’ सिद्धी ने बिंदास अंदाज में पूछा.

‘‘चोर नहीं, जो है वह बताना तो चाहता हूं, मगर ?िझक रहा हूं.’’

‘‘बता भी दो, हमारी दोस्ती 10वीं कक्षा के बाद से है. अब नई दुलहन की तरह शरमाना छोड़ो,’’ सिद्धी ने अधिकार से कहा. यह सुन चिन्मय बोला, ‘‘शादी कर लो मुझ से, परीक्षाएं बेहतर गईं हैं, नौकरी की गारंटी दे सकता हूं.’’

सिद्धी का मजाकिया लहजा अचानक गायब हो गया. बोली, ‘‘क्या बोल रहे हो, चिन्मय? एक तो तुम मेरे हमउम्र, दूसरे तुम कायस्थ और मैं ब्राह्मण. मेरे घर वाले काट डालेंगे दोनों को. मेरे पापा इनकम टैक्स विभाग में अच्छे पद पर हैं, इसलिए बड़ी उम्र तक पढ़लिख रही हूं, गांव में तो 15-16 साल तक लड़कियों की शादी हो जाती है. फिर अभी मेरा इरादा क्लीनिक खोलने का है. ये सब कह कर मैं पापा को गुस्सा नहीं दिलवा सकती.’’

चिन्मय कमजोर और दुखी महसूस करने लगा  था. उस ने अनुनय के स्वर में कहा, ‘‘सच कह दो सिद्धी मैं तुम्हें कभी पसंद नहीं था?’’

सिद्धी अपने दिल के हरेक कोने में फैली छोटेछोटे जुगनुओं की रोशनी को अनदेखा नहीं कर पाई. उस के करीब जा कर उस के हाथों को अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘तुम मेरे लिए क्या हो इतनी जल्दीबाजी में मैं बता नहीं सकती. मगर शादी पसंद करने से हो नहीं सकती. सच कहूं तो दोस्त पति नहीं बन सकता. उस का रोब हो तो वह इज्जत देने के काबिल बनता है… उसे समर्पण किया जा सकता है. कुछ बातें व्यावहारिक होती हैं.’’

‘‘काश, तुम मुझे समझ पाती,’’ निराश चिन्मय की आंखें छलछला आई थीं.

‘‘चिन्मय, हमारे घर वालों और गांव वालों की जातिवादी कट्टरता को तुम नहीं जानते. मैं तुम्हें उन से दूर ही रखना चाहती हूं.’’

और तब से वह फोन नंबर के रूप में सिद्धी के मोबाइल के कौंटैक्ट लिस्ट में बस सेव हो कर रह गया.

मिथिलेश इनकम टैक्स विभाग में सिद्धी के पापा से ऊंचे औहदे पर आसीन था. सिद्धी के पापा को ऐसा दामाद हीरों में कोहिनूर लगा था.

रूप की धनी, हंसमुख, उच्चशिक्षिता सिद्धी रोबदार अफसर के बंगले में राजलक्ष्मी सी रौनक ले कर बसने आ गई.

सालभर उन दोनों के बीच आर्कषण का जादू चलता रहा. मगर सिद्धी के इज्जतदार, रोबदार पति के आकर्षण का सच धीरेधीरे सामने आने लगा.

सिद्धी अब काउंसिलिंग के लिए अपना क्लीनिक खोलना चाहती थी. उस ने पति के अकाउंट में जमा पिता के दिए 15 लाख कैश में से 2 लाख मांगे. मिथिलेश अनसुना करता रहा.

रात को उस ने सोते वक्त भी यही दोहराया तो मिथिलेश का जवाब था, ‘‘जब तक बच्चे नहीं हो जाते तुम कुछ भी नहीं करोगी.’’

‘‘मगर मेरे लिए यह बहुत जरूरी है.’’

‘‘अभी जरूरी है विस्तर पर पति को खुश करना, ज्यादा बातें मत बनाओ.’’

सिद्धी व्याकुल हो गई. बोली, ‘‘ये क्या कि बच्चे जब तक…’’

मिथिलेश के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने उस के होश उड़ा दिए. त्योरियां चढ़ गईं मिथिलेश की. बोला, ‘‘सीधी बात समझ नहीं आती. बिस्तर पर आते ही तुरंत मेरी सेवा में लग जाया करो,’’ अब तक मिथिलेश ने उस की साड़ी निकाल किनारे फेंक दी थी और उस की संगमरमरी देह पर निर्ममता के हजारों घोड़े दौड़ा दिए थे.

अपनी जानकारी में या अपनी बिरादरी में अब तक ऐसी ही स्त्रियों को वह देखता आया था जो पति के दुर्व्यवहार को हंस कर टाल जाया करती थीं.

मिट्टी कितनी ही एक सी हो, मूर्तियां तो अलग होती ही हैं. सिद्धी भी मिथिलेश की उम्मीद से परे थी. वह न तो उठी और न ही चाय बनाई. मिथिलेश भी मिथिलेश था. वह रसोई से चाय के खाली कप उठा लाया और बैडरूम की जमीन पर पटक दिए. उसे बालों से पकड़ कर खींचा और चीखा, ‘‘बाप का राज समझती है? औरत हो कर मर्द पर गुस्सा दिखाती है? मांबाप ने पति की इज्जत करना नहीं सिखाया? मुंह उठा कर चली आई,’’ और बस तब से हर दिन रोबदार, इज्जतदार पति के प्रति समर्पण का कुहरा छटता गया. उस की लगभग प्रतिदिन ऐसे इज्जतदार पति से मुलाकात होती जो उस का गर्व नहीं बल्कि खुद में अहंकार का विस्फोट था. उसे पास बैठा कर कभी उस की मनुहार नहीं करता, बल्कि अपराधी की तरह सिद्धी को सामने खड़ा कर उसे फटकरता था.

ऐसे कठिन दिन बिताए. फिर भी 5 साल गुजर गए. सिद्धी को अपने जीवन में कुछ अच्छा होने की उम्मीद अब भी बाकी लगती थी, यद्यपि अब तक न तो बच्चे हो पाए थे और न ही कैरियर बन पाया था.

इतना जरूर था कि उस की निराशा बगावत पर आ गई थी और डर की दीवार टूटने पर आमादा थी.

एक दिन अचानक उस के पिता की मृत्यु की सूचना आई. सिद्धी खबर मिलते ही मां के पास चली गई. लेकिन मिथिलेश तो श्राद्ध के दिन अपना चेहरा दिखाने पहुंचा.

चिन्मय अब बैंक में मैनेजर था. सूटबूट में उस की रौनक देखते ही बनती थी. सिद्धी के पिता की मृत्यु के बाद मां के घर में पसरे सूनेपन को चिन्मय भरसक भरने की कोशिश करता. सिद्धी के साथ ठिठोली करता, उसे चिढ़ाता, उस से मानमनौबल करता. सिद्धी की जो बातें कभी उस का बचपना लगती थीं आज मिथिलेश के व्यक्तित्व से दोचार होने के बाद एक पुरुष साथी में जरूरी गुण लगने लगी थी. इज्जत देने के लिए प्रेम होना जरूरी है और पतिपत्नी के बीच प्रेम समानता के बिना कहां संभव है?

चिन्मय की मदद से उस ने एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में साइकोलौजिस्ट की नौकरी ढूंढ़ ली थी. तनख्वाह अच्छी थी. सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक वहां बैठने की बात थी जो सिद्धी को सहज स्वीकार्य था.

खोए हुए आत्मविश्वास का मंत्रपाठ जो चिन्मय ने दिया उस के भरोसे अब मिथिलेश की नाजायज चीखों के आगे डटे रहने की उस में फिर से शक्ति आने लगी. अलबत्ता, मिथिलेश धीरेधीरे उस की तरफ से लापरवाह होता गया. कुछ हद तक अनसुने, अनदेखे का भाव. हां बिस्तर की चाकरी सिद्धी को हर हाल में करनी पड़ती.

चिन्मय की जिंदगी निराली थी. बड़े भाईभाभी उस के साथ रहते तो थे, लेकिन आंगन के बीच एक दीवार खड़ी थी जो भाभी कोशिशों का नतीजा थी. सिद्धी के प्रति लगाव और भाभी का व्यवहार कुल मिला कर उस ने शादी के खयाल को परे ही कर रखा था.

एक तरफ के दोमंजिले मकान में चिन्मय ऊपर और नीचे  उस के मम्मीपापा रहते थे. मातापिता की उम्र अधिक थी और ज्यादातर वे कामवाली के भरोसे रहते. चिन्मय उन का बराबर खयाल रखता. छुट्टी के दिन उन्हें घुमाने भी ले जाता.

वापस आ कर सिद्धी मिथिलेश के गुस्से को और झेल पाने में खुद को लाचार पा रही थी. कुछ मन लगे, कुछ ध्यान बंटे इसलिए रिद्धी को वह अपने पास बुलाने लगी थी. यों साल गुजरा. आज सिद्धी की तबीयत ठीक नहीं थी. सोचा कि नर्सिंगहोम न जाए, फिर कुछ मरीजों का सोच कर वह चली गई. वापस जब आई तब दिन के 11 बज रहे थे. सोचा था जल्दी आ कर थोड़ा आराम कर लेगी.

सीढि़यों से दूसरी मंजिल पर आतेआते उस ने कई ऐसी आवाजें सूनीं जिन से विश्वास की चूलें हिल गईं. आंखें पथरा गईं. बैडरूम से आती आवाजें साफ होती गईं जो सीने में सौसौ हथौड़ों के बराबर थीं.

रिद्धी की आवाज आ रही थी, ‘‘जीजू बस अब और नहीं,’’ खिलखिलाहट के साथ कहती हुई वह शायद जीजू पर लोट गई थी.

सिद्धी की अनुभवी आंखें अंदर का सारा दृश्य देख रही थीं.

‘‘जीजू… दीदी आ जाएगी,’’ छोड़ो अब और नहीं.

‘‘अभी देर है, वैसे आ भी जाएगी तो क्या, मैं परवाह नहीं करता.’’

सिद्धी दूसरे कमरे तक किसी तरह खुद को ढकलते हुए ले गई और बिस्तर पर फेंक दिया अपनेआप को. घृणा से भर गई वह अपने जीवन के प्रति. एक पत्नी होने का उसे इतना दुखद सिला क्यों मिल रहा है?

मिथिलेश बदमिजाज था, पत्नी को पैरों की जूती समझता था. परंपरावादी सोच को शास्त्रवाक्य मान कर पत्नी को अपने से नीच जीव समझता था. सहने की हद होती है और इस हद की रेखा सिद्धी को ही खींचनी थी.

रात को सोते वक्त सिद्धी की सपनों से लवरेज आंखें अफसोस के आंसुओं से दोहरी हो गईं.

मिथिलेश उसे देखते ही मशीन की तरह अपने शिकंजे में कसने लगा. वह परे हट कर चीखी, ‘‘आप ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा

क्यों किया?’’

ढीठ की तरह मिथिलेश ने जवाब दिया, ‘‘मुझ पर उंगली उठाने का तुम्हें कोई हक नहीं. पहले मेरा वंश बढ़ाओ, फिर सवाल करना, समझ.’’

यही एक नश्तर था जो सिद्धी को हर आड़े वक्त पर चुभता था. क्या वह वाकई मां  बनने लायक नहीं थी? क्या वह इतने सालों से बिना चैकअप कराए बैठी है? वह नहीं, मिथिलेश पिता बनने के काबिल नहीं. लेकिन वह चुप है ताकि मिथिलेश को बुरा न लगे.

इधर मिथिलेश इस खुशी में उसे धोखे और मक्कारी से नवाज रहा है कि वह औरत है. उस के पैरों की जूती है. क्यों शरीर की किसी कमी के जाहिर होने पर मर्द की इज्जत चली जाएगी? क्यों मर्द की इज्जत अहंकार की प्रत्यंचा पर चढ़ा तीर होती है? क्या मिथिलेश जैसा पति दोस्त नहीं. पत्नी का मालिक होता है? सैकड़ों अनसुलझे सवाल सिद्धी को परेशान करने लगे थे.

मिथिलेश के दिल में क्यों इतनी खुन्नस है? क्या सिद्धी का पढ़ालिखा समझदार होना मिथिलेश के अंह को चोट पहुंचाता है? क्या यही इज्जतदार होने की निशानी है?

अगले दिन दोपहर तक सिद्धी का कोई अतापता नहीं था. खानेपीने का इंतजाम कर वह निकल गई थी. शाम को मिथिलेश के हाथों में उस का डाक्टरी परीक्षण था. यह उस के स्त्रीत्व का प्रमाणपत्र था जैसे.

रिपोर्ट को नौर्मल देख मिथिलेश की त्योरियां चढ़ गईं. रिपोर्ट को टेबल पर फेंक उस ने कहा, ‘‘यह अपनी किसी पहचानवाली से करवा लाई हो, आपस की मिलीभगत होगी.’’

‘‘आप ने खुद की जांच कर ली है या नहीं… कुछ नहीं तो कम से कम मेरी बहन के साथ मेरे पीछे गलत रिश्ता तो न बनाते,’’ सिद्धी ने तीखे शब्दों में कहा.

सिद्धी ने उसी वक्त अपने मन के सारे दरवाजे मिथिलेश के लिए बंद कर दिए. मन के रीते कोने में सुकून की छोटी सी एक सांस बची थी और वह था चिन्मय.

आज सारे बंधन उस ने इस देहरी पर तोड़े और कुछ जरूरी सामान के साथ वह बाहर आ गई. टैक्सी कर यूनिवर्सिटी गेट के पास पहुंची. चिन्मय को उस ने पहले ही फोन कर दिया था. चिन्मय का घर यहां से करीब था, आज रविवार था, वह घर पर ही था, सो जल्दी वह यूनिवर्सिटी गेट पहुंच गया. सिद्धी को अपनी कार में बैठा कर वह अपने घर ले आया.

एक मूक वार्त्तालाप ने सिद्धी के दर्द का पूरा खुलासा कर दिया था.

चिन्मय के घर पहुंच कर वह फ्रैश हुई, कपड़े बदले और फिर फोन की सिम नष्ट कर दी और चिन्मय के  मम्मीपापा से मिलने पहुंच गई. चिन्मय ने याद दिलाया जरूरी कौंटैक्ट के बारे में. सिद्धी ने निश्चित किया कि डायरी में जरूरी नंबर उस के पास नोट हैं.

चिन्मय ने मम्मी से कहा, ‘‘देखो एक पुरानी लड़की आई है, अब कुछ दिन इसे यही रहना है.’’

मम्मी स्मृति पर बल देते हुए उसे कुछ देर देखती रही, फिर कहा, ‘‘अरे सिद्धी हो क्या?’’

सिद्धी ने उन के पैर छुए, तो मम्मी ने कहा, ‘‘बेटी ब्राह्मण हो कर हमारे पैर न छुओ.’’

‘‘ऐसा अब कभी न कहना आंटी. मैं ने जाति के अंहकार का चाबुक पोरपोर में सहा है. जिंदगी और रिश्ते दंभ से नहीं सरलता और प्रेम से चलते हैं.’’

मम्मी ने उसे गले लगाते हुए कहा, ‘‘बिटिया तो बड़े पते की बात करती है. जा इसे ऊपर अपनी बगल वाला कमरा दे दे. जब तक चाहो रहो बेटी, हमारी दुनिया आबाद हो जाएगी.’’

सालों से अनास्था, अपमान और निराशा के तूफान में जो उलझ थी, आज इस सही किनारे पर लगने की उम्मीद ने उसे बड़ा धैर्य बंधाया.

रात को सोने से पहले चिन्मय सिद्धी का बिछावन आदि सही करने के लिए उस के कमरे में गया.

वह सो रही थी. चिन्मय ने उस के माथे पर हाथ रखा तो चौंक पड़ा, ‘‘सिद्धी तुम्हें तो बुखार है.’’

‘‘कुछ देर तुम मेरे पास रहो,’’ सिद्धी के स्वर में अनुनय था.

चिन्मय ?झिझका, ‘‘क्या हुआ? नहीं बैठोगे?’’

‘‘मैं डर रहा हूं.’’

‘‘मैं तुम्हें डराउंगी नहीं,’’ सिद्धी ने निराशा में भी परिहास किया.

‘‘मैं खुद से डर रहा हूं, कहीं पुरानी मनोदशा के भंवर में न फंस जाऊं.’’

‘‘मैं ने मना कब किया?’’

‘‘नहीं, अब मैं तुम पर कोई हक नहीं जमा सकता. तुम किसी और की हो.’’

सिद्धी ने उसे अपने पास जोर से खींच कर कहा, ‘‘जाति, परंपरा और शास्त्र से भी ऊपर होता है मनुष्य का चरित्र और उस का मन. मैं ने ऊंचनीच, परंपरा, उम्र, आदि कई आधारहीन सोचों के चलते तुम जैसे नर्मदिल, हंसमुख, सरल और जिम्मेदार इंसान को खो दिया था. मगर अब आंडबरों के बोझ से मैं ने खुद को मुक्त कर लिया है. जाति के दिखावे में मैं अपने मन से और छल नहीं कर सकती. रही बात समाज की तो कागज पर एक हस्ताक्षर और सबकुछ खत्म.’’

चिन्मय ने उठना चाहा. बोला, ‘‘कल सुबह बातें करेंगे. तुम आवेश में हो. गलती की गुंजाइश बढ़ती जा रही.’’

चिन्मय के हाथ को सिद्धी ने कस लिया था. बोली, ‘‘चिन्मय, उन लोगों ने मुझे बांझ कह कर घर से निकाला, जबकि यह सच नहीं था. मिथिलेश ने मेरी बहन के साथ रिश्ता बना कर मुझे सड़क पर फेंकने की पूरी तैयारी की. अब चाहे समाज मेरे बारे में कुछ भी राय बनाए मैं यह साबित कर के रहूंगी कि मैं नहीं थी बांझ.’’

चिन्मय दूर हटते हुए बोला, ‘‘तुम बदहवास हो रही हो, मैं अपनेआप को शायद रोक न पाऊं. यह प्यार बचपन का है सिद्धी, मेरी परीक्षा मत लो. तुम नहीं जानती तुम मेरे लिए क्या हो.’’

‘‘चिन्मय, मैं नहीं जानती तुम मुझ से क्या पाओगे, मगर मैं तुम से याचना करती हूं मुझे साबित कर दो… मुझे हीनता की बेडि़यों से मुक्त करो… यह पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी.’’

प्रेम और आंकाक्षा, ने दोनों को एक सूत्र में पिरो दिया. रात की चांदनी खिड़की से

आ कर उन की इस मधुयामिनी को स्नेहिल स्पर्श देती रही.

कुछ दिन बाद उस ने तलाक की मांग कर ली. मिथिलेश ने भी हां कर दी. 8 महीने बीत चुके थे. मिथिलेश से डिवोर्स जल्दी मिल गया. कुछ जानपहचान के वकीलों ने दोनों को अलग करा ही दिया.

सिद्धी मां बनने वाली थी. कुछ समय इंतजार फिर वह चिन्मय की अर्द्धांगिनी बनेगी. सिद्धी अपनी मां का आशीर्वाद ले चुकी थी.

रिद्धी को भी जब मिथिलेश के अहंकार के हाथों खूब जिल्लतें उठानी पड़ीं तो वह भी उस से तोबा कर हमेशा के लिए गोवा चली गई.

बेटे के जन्म के बाद सिद्धी कुछ ठान कर चिन्मय और बेटे लावण्य को ले मिथिलेश के घर पहुंची. अच्छा ही था कि सिद्धी को पहले से पता हो गया था कि किसी लड़की वाले को उस दिन बातचीत के लिए मिथिलेश के घर वालों ने बुलाया था.

बैठक में उन तीनों को अचानक देख सब चौंक गए.

मिथिलेश ने तीव्र क्रोध में कहा, ‘‘तुम यहां क्यों आई?’’

‘‘कुछ बातें बाकी रह गई थीं उन्हें कहे बिना हिसाब का गणित मिल ही नहीं रहा था, मिथिलेश,’’ शांत और दृढ़ सिद्धी ने धीरेधीरे कहा.

मिथिलेश अपना नाम उस के मुंह से सुन अवाक रह गया.

सिद्धी ने कहा, ‘‘तुम क्या हो मिथिलेश? अंहकार में सने एक धोखेबाज व्यक्ति. अफसर की कुरसी एक पल में छिन जाए तो रह जाएगा क्या? एक दुश्चरित्र बदमिजाज आदमी?’’

‘‘तुम्हें इज्जत देना इतना भी आसान नहीं मिथिलेश… और पत्नी तो सुखदुख की सहचरी होती है. कामना के बीज से प्रेम का संसार रचने वाली. उसे क्या छोटेबड़े के जाल में उलझते हो? ‘पति का नाम लेना पाप है’ इस सोच से अब निकल जाओ आगे की राह तुम्हारी सरल नहीं होगी.’’

मिथिलेश के अंहकार और आडंबर ने कभी सिद्धी को जानने का मौका ही नहीं दिया. वह हैरान था.

सिद्धी ने लड़की वालों की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप एक बहन को इस के हवाले करने से पहले सोचिएगा जरूर. आज मेरी गोद में मेरा बच्चा है जबकि मैं इस घर में बांझ होने के कलंक से दूषित कर धोखे का शिकार हुई और अपमानित कर निकाली गई. फिर आप की बेटी की बारी है. यह मर्द होने के अहंकार से इतना त्रस्त है कि अपनी कमी को कभी स्वीकारेगा नहीं और पत्नी पर दोष मढ़ कर स्वयं को तृप्त महसूस करेगा.’’

मिथिलेश क्रोध में तमतमाया पहले की तरह सिद्धी की ओर हाथ उठाने को दौड़ा. तुरंत चिन्मय ने सख्त हाथों से उसे रोक लिया.

मिथिलेश तड़प रहा था. बोला, ‘‘खुद के चरित्र का ठिकाना नहीं…’’

चिन्मय तुरंत उस की बात को पकड़ते हुए बोल पड़ा, ‘‘चिन्मय प्रसाद उस का ठिकाना है. वह मेरे घर की लक्ष्मी है, मेरे मन का हार है, हम ने रजिस्टर्ड मैरिज के लिए कोर्ट में अर्जी डाल दी है. कुछ दिनों में यह मेरे सिर का ताज बन जाएगी. गलती से भी अब कभी सिद्धी के बारे में गलत बातें न कहना.’’

नए बनने वाले रिश्तेदार मिथिलेश के घर से मौका पाते ही खिसक लिए.

सिद्धी पूर्ण संतुष्ट हो गई थी. मित्रता, विश्वास और प्रेम का जो समर्पण उस के पास था उस के स्पर्श से अब वह संपूर्णा थी… सिद्ध संपूर्णा.

सबक: क्यों शिखा की शादीशुदा जिंदगी में जहर घोल रही थी बचपन की दोस्त

अपनेमंगेतर रवि के दोस्त मयंक की सगाई के मौके पर शिखा पहली बार नेहा से मिली थी. कुछ ही देर में नेहा के मुंह से उस ने बहुत सी ऐसी बातें सुनीं, जिन से साफ जाहिर हो गया कि वह उसे फूटी आंख नहीं भा रही थी.

शिखा को पता था कि वह अच्छी डांसर नहीं है, लेकिन उसे डांस करने में बहुत मजा आता था. रवि के साथ कुछ देर डांस करने के बाद जब वह अपनी परिचित महिलाओं के पास गपशप करने पहुंची, तब नेहा ने बुरा सा मुंह बना कर टिप्पणी की, ‘‘डांस में जोश के साथसाथ ग्रेस भी नजर आनी चाहिए, नहीं तो इंसान जंगली सा नजर आता है.’’

फिर कुछ देर बाद उस ने शिखा की फिगर को निशाना बनाते हुए कहा, ‘‘शिखा, तुम मेरी बात का बुरा मत मानना, पर आजकल जो जीरो साइज का फैशन चल रहा है, वह मेरी समझ से तो बाहर है. फैशन अपनी जगह है पर प्रेमी या पति के हिस्से में प्यार करते हुए सिर्फ हड्डियों का ढांचा आए, यह उस बेचारे के साथ नाइंसाफी होगी या नहीं?’’

नेहा की इस बात को सुन कर सब औरतें खूब हंसी. शिखा ने कुछ तीखा जवाब देने से खुद को रोक लिया. अपने दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी शिखा की समझ में नहीं आया कि नेहा क्यों उस के साथ ऐसा गलत सा व्यवहार कर रही है.

शिखा ने एकांत में जा कर आखिरकार रवि से पूछ ही लिया, ‘‘अतीत में तुम्हारे नेहा से कैसे संबंध रहे हैं?’’

‘‘ठीक रहे हैं, पर तुम यह सवाल क्यों पूछ रही हो?’’ उन्होंने ध्यान से शिखा के चेहरे को पढ़ना शुरू कर दिया.

‘‘क्योंकि मुझे लग रहा है कि नेहा जानबूझ कर मेरे साथ बेढंगा सा व्यवहार कर रही है. चूंकि आज हम पहली बार मिले हैं, इसलिए मेरी किसी गलती के कारण उस के यों नाराज नजर आने का सवाल ही नहीं उठता. आर यू श्योर कि किसी पुरानी अनबन के कारण वह आप से नाराज नहीं चल रही है?’’

‘‘नहीं, मेरे साथ कभी उस का झगड़ा नहीं हुआ है.’’

‘‘फिर क्या कारण हो सकता है, जो वह मुझ से इतनी खुंदक खा रही है?’’

‘‘इंसान का मूड सौ कारणों से खराब हो जाता है. तुम बेकार की टैंशन क्यों ले रही हो, यार? चलो, तुम्हें टिक्की खिलाता हूं.’’

‘‘वह मेरा पार्टी का सारा मजा किरकिरा कर रही है.’’

‘‘तो चलो उस से झगड़ा कर लेते हैं,’’ रवि कुछ चिड़ उठे थे.

‘‘तुम नाराज मत होओ. मैं उस की बातों पर ध्यान देना बंद कर देती हूं,’’ उस का मूड ठीक करने को शिखा फौरन मुसकरा उठी.

‘‘यह हुई न समझदारी की बात,’’ रवि ने प्यार से उस का गाल थपथपाया और फिर हाथ पकड़ कर टिक्की वाले स्टाल की तरफ बढ़ चला.

शिखा नेहा के गलत व्यवहार के बारे में सबकुछ भूल ही जाती अगर उस ने  कुछ देर बाद उन दोनों को बाहर बगीचे में बहुत उत्तेजित व परेशान अंदाज में बातें करते खिड़की से न देख लिया होता.

वह उन की आवाजें तो नहीं सुन सकती थी पर उन के हावभाव से अंदाज लगाया कि रवि उसे कुछ समझने की कोशिश कर रहा था और वह बड़ी अकड़ से अपनी बात कह रही थी. उत्तेजित लहजे में बोलते हुए नेहा रवि के ऊपर हावी होती नजर आ रही थी, इस बात ने शिखा के मन में खलबली सी मचा दी.

अपने मन की चिंता को काबू में रखते हुए वह मयंक के पास पहुंची और गंभीर लहजे में बोली, ‘‘आप मुझे 1 बात सचसच बताओगे, मयंक भैया?’’

‘‘बिलकुल बताऊंगा,’’ मयंक ने मुसकरा कर जवाब दिया.

‘‘आप तो जानते ही हो कि मैं रवि को अपनी जान से ज्यादा चाहती हूं.’’

‘‘यह मुझे अच्छी तरह से मालूम है.’’

‘‘नेहा से आज मैं पहली दफा मिली हूं. वह मुझ से अकारण क्यों चिड़ी हुई है और बातबात में मुझे सब के सामने शर्मिंदा करने की कोशिश क्यों कर रही है, मेरे इन सवालों का जवाब तुम दो, प्लीज.’’

शिखा को बहुत संजीदा देख मयंक ने कोई कहानी गढ़ने का इरादा त्याग दिया. वह शांत खड़ी हो कर उन के बोलने का इंतजार कर रही थी.

कुछ देर बाद उस ने धीमी आवाज में शिखा को बताया, ‘‘नेहा कालेज में हमारे साथ पढ़ती थी. रवि और वह कभी एकदूसरे को बहुत चाहते थे. फिर उस के मातापिता की रजामंदी न होने से वे शादी नहीं कर पाए थे.

‘‘अमीर पिता की बेटी नेहा की शादी भी बड़े अच्छे घर में हुई है, पर अपने पति के साथ उस के संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. लेकिन तुम किसी बात की चिंता मत करो. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि रवि के मन में अब उस के लिए कोई आकर्षण मौजूद नहीं है.’’

‘‘लेकिन नेहा के मन में रवि के लिए अभी भी आकर्षण मौजूद है, नहीं तो मैं उस की आंखों में क्यों चुभती?’’ नेहा के मन में गुस्सा बढ़ने लगा था.

‘‘मुझे एक बात बताओ. रवि के प्यार के ऊपर तुम्हें पूरा विश्वास है न?’’

‘‘अपने से ज्यादा विश्वास करती हूं मैं उन पर, लेकिन…’’

‘‘लेकिन को गोली मारो और मुझे बताओ कि जब रवि के प्यार पर तुम्हें पूरा विश्वास है, तो फिक्र किस बात की कर रही हो?’’

‘‘जो बीज भविष्य में बड़ी सिरदर्दी का पेड़ बनने की संभावना रखता हो, क्या उसे शुरू में ही नष्ट कर देना समझदारी नहीं होगी?’’

‘‘यह बात तो ठीक है, पर तुम करने क्या जा रही हो?’’

‘‘तुम्हारी पार्टी में कोई बखेड़ा खड़ा नहीं करूंगी, देवरजी. मैं नेहा को ऐसा सबक सिखाना चाहती हूं कि वह भविष्य में कभी मुझ से पंगे लेने की जुर्रत न करे. तुम तो बस मेरा परिचय उस के पति से करा दो, प्लीज.’’

शिखा की बात को सुन मयंक की आंखों से चिंता के भाव तो कम नहीं हुए पर वो नेहा के पति विवेक के साथ उस का परिचय कराने को साथ चल पड़ा था.

आकर्षक युवतियों के लिए पुरुषों के मन को प्रभावित करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता है. शिखा ने विवेक की जिंदगी के बारे में जानने को थोड़ी सी दिलचस्पी दिखाई, तो बहुत जल्दी वो दोनों बहुत अच्छे मित्रों की तरह से हंसनेबोलने लगे थे.

‘‘मेरे पति कहीं नजर नहीं आ रहे हैं और मेरा दिल आइसक्रीम खाने को कर रहा है,’’ करीब 15 मिनट की जानपहचान के बाद शिखा की इस इच्छा को सुनते ही विवेक की आंखों में जो चमक पैदा हुई वह इस बात का प्रतीक थी कि उस का जादू विवेक पर पूरी तरह से चल गया है.

‘‘अगर तुम्हें ठीक लगे तो मेरे साथ आइसक्रीम खाने चलो,’’ उस ने फौरन साथ चलने का प्रस्ताव शिखा के सामने रख दिया.

‘‘आप चलोगे मेरे साथ?’’

‘‘बड़ी खुशी से.’’

‘‘यों मेरे साथ अकेले बाहर घूमने जाने से कहीं आप की पत्नी नाराज तो नहीं हो जाएंगी?’’ यह पूछते हुए शिखा बड़ी अदा से मुसकराई.

‘‘उसे मैं ने इतना सिर नहीं चढ़ाया हुआ है कि इतनी छोटी बात को ले कर मुझ से झगड़ा करे.’’

‘‘फिर भी हमें बिना मतलब किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए. आप बाहर मेरी कार नंबर 4678 के पास मेरा इंतजार करोगे, प्लीज. मैं 2 मिनट के बाद बाहर आती हूं.’’

‘‘जैसी तुम्हारी मरजी,’’ कह हौल के मुख्य द्वार की तरफ चल पड़ा.

विवेक  जैसे ही शिखा की नजरों से ओझल हुआ तो वह तेज चाल से कुछ दूर  खड़ी नेहा से मिलने चल पड़ी.

पास पहुंच कर शिखा ने उस का हाथ पकड़ा और उसे उस की सहेलियों से कुछ दूर ले आई. फिर उस के कान के पास मुंह ले जा कर उस ने हैरान नजर आ रही नेहा को कठोर लहजे में धमकी दी, ‘‘मुझे तुम्हारे और रवि के बीच कालेज में रहे पुराने इश्क के चक्कर के बारे में सबकुछ पता लग गया है. तुम अभी भी उस के साथ चक्कर चालू रखना चाहती हो, यह भी मुझे पता है. आज तुम ने सब के सामने जो मुझे बेइज्जत करने की बारबार कोशिश करी है, उस के लिए मैं तुम्हें सजा जरूर दूंगी.’’

‘‘मैं विवेक के साथ बाहर घूमने जा रही हूं और रास्ते में उसे तुम्हारी चरित्रहीनता के बारे में सब बता कर उस की नजरों में तुम्हारी छवि बिलकुल खराब कर दूंगी. तुम तो मेरे और रवि के बीच कबाब में क्या हड्डी बनती, मैं ही तुम्हारे विवाहित जीवन की सारी खुशियां नष्ट कर देती हूं,’’ उसे धमकी देने के बाद शिखा गुस्से से कांपने का अभिनय करती हुई मुख्य दरवाजे की तरफ चल पड़ी.

नेहा ने शिखा को घबराहट और डर से कांपती आवाज में पुकार कर रोकने की कोशिश करी, पर उस ने मुड़ कर नहीं देखा.

हौल से बाहर आ कर शिखा दाईं तरफ कुछ फुट दूर एक झड़ी के पीछे छिप कर बैठ गई. वहां से उसे दरवाजा साफ नजर आ रहा था.

रवि और नेहा मुश्किल से 2 मिनट बाद बेहद घबराए हुए दरवाजे से बाहर आए. जब शिखा या विवेक उन्हें कहीं नहीं नजर आए, तो वे आपस में बातें करने लगे.

‘‘शिखा तो कहीं दिखाई नहीं दे रही है,’’ रवि बहुत परेशान नजर आ रहा था.

‘‘उसे ढूंढ़ कर विवेक से बातें करने से रोको, नहीं तो वह मुझे कभी चैन से जीने नहीं देगा,’’ नेहा की आवाज डर के मारे कांप रही थी.

‘‘जब वह कहीं दिखाई ही नहीं दे रही है, तो मैं उसे रोकूं कैसे?’’ विवेक चिड़ उठा.

‘‘तुम ने उसे हमारे प्रेम के बारे में कुछ बताया ही क्यों?’’

‘‘मैं पागल हूं जो उसे तुम्हारे बारे में कुछ बताऊंगा?’’

‘‘फिर उस ने मुझ से क्या यह झूठ बोला है कि वह हमारे बारे में सबकुछ जान गई है?’’

‘‘हो सकता है किसी और ने उसे सब बता दिया हो, पर मुझे यह बताओ कि तुम आज बेकार ही उस के साथ चिड़ और नाराजगी से भरा गलत व्यवहार कर उसे क्यों छेड़ रही थी?’’

‘‘क्योंकि यह सच है कि वह घमंडी लड़की तुम्हारी भावी जीवनसंगिनी के रूप में मुझे रत्तीभर पसंद नहीं आई है.’’

‘‘तुम्हें अपनी यह राय अपने तक रखनी चाहिए थी. तुम्हारेमेरे बीच जो प्यार का रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो चुका है, उस के आधार पर तुम्हें किसी कमअक्ल स्त्री की तरह शिखा से खुंदक नहीं खानी चाहिए थी,’’ रवि ने उसे फौरन डांटा तो मेरे मन ने इसे रवि की नेहा में कोई दिलचस्पी न होने का सुबूत मान कर बड़ी राहत महसूस करी.

‘‘तुम उसे रोकने के बजाय मुझे लैक्चर मत दो, तुम्हें पता नहीं कि विवेक का गुस्सा कितना तेज है. शिखा की बातें सुनने के बाद वह गुस्सैल इंसान मुझे ताने देदे कर मार डालेगा. कितनी पागल और बेवकूफ है यह शिखा. उस के लिए ये सब खेल होगा, पर मेरी तो जिंदगी बरबाद हो जाएगी.’’

वह अचानक रोने लगी तो मैं ने उन के सामने आने का यही मौका उचित समझ.

अपने छिपने की जगह से बाहर आते हुए ही मैं ने नेहा को सख्त लहजे में चेतावनी देनी शुरू कर दी, ‘‘अगर तुम में थोड़ी सी भी बुद्धि है तो आज की इस घटना को, अपने मन के डर और इस वक्त अपनी आंखों से बहते इन आंसुओं को कभी मत भूलना. रवि की बातों से यह साफ जाहिर हो रहा है कि उसे तुम से किसी तरह का कोई वास्ता नहीं रखना है. तुम भी कभी उस के साथ गलत नीयत के साथ मुलाकात करने की कोशिश मत करना. तुम मेरी कुछ बातें इस वक्त कान खोल कर सुन लो. जो बीत गया है उसे भूलो और वर्तमान की तुलना अतीत से कर अपना मन मत दुखाओ. रवि और मैं कुछ ही दिनों बाद शादी कर के नई शुरुआत करने जा रहे हैं. अपने विवाहित जीवन के दुखों को दूर करने के लिए अगर तुम ने मेरे रवि को गुमराह कर हमारे रास्ते में दिक्कत खड़ी करने की कभी कोशिश करी, तो बहुत पछताओगी.’’

मेरी चेतावनी के जवाब में बहुत डरी हुई नेहा के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. कुछ देर पहले उस में नजर आ रही सारी अकड़ छूमंतर हो गई थी.

मैं ने बड़े अधिकार से रवि का हाथ पकड़ा और उसे साथ ले कर अंदर हौल की तरफ चल पड़ी. मुझे पक्का विश्वास था कि नेहा भविष्य में मेरे भावी जीवनसाथी के साथ किसी तरह का संपर्क बनाने की जुर्रत कभी नहीं करेगी.

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