इस Diwali बाजार से महंगी मिठाई लाने के बजाय घर पर ही इन सस्ती चीजों से बनाएं ये टैस्टी स्वीट्स

बस कुछ ही दिनों बाद दिवाली (Diwali) का त्योहार आने वाला है. लेकिन लोग महीनों पहले से ही इस त्योहार की तैयारी में जुट गए हैं. इन दिनों हर शाम मार्केट में खूब भीड़ देखने को मिलती है. घर की डेकोरेशन से लेकर नए कपड़े तक लोग इस त्योहार को सेलिब्रैट करने के लिए तरहतरह की चीजें खरीदते हैं. इसके अलावा मिठाइयों की दुकान पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. मिठाई लेने के लिए लोग घंटों लाइन में खड़े रहते हैं और त्योहार पर मिठाइयों की महंगाई ज्याद बढ़ जाती है, तो क्यों न इस दिवाली आप घर पर ही खुद से आसान तरीकों से मीठे में कुछ डिशेज बनाएं. आपको इनकी सामग्री भी खरीदने में भी कम पैसे लगेंगे. तो आइए जानते हैं इन स्वीट्स की आसान रेसिपी.

1. बेसन की बर्फी

सामग्री

3 कप बेसन
1 कप देसी घी
2 कप चीनी
7 कटे हुए बादाम
7 कटे हुए काजू

बनाने की विधि

  • एक पैन या ट्रे को घी से अच्छी तरह चिकना कर लें. आप इस पर बटर पेपर या एल्युमिनियम फौयल भी लगा सकते हैं और फिर थोड़ा घी इस पर डाल कर फैला सकते हैं.
  • अब एक पैन गर्म करें, अब इसमें देसी घी डालें और इसे धीमी आंच पर पिघलने दें.
  • घी पिघलने के बाद इसमें बेसन डालें और अच्छी तरह मिलाएं.
  • बेसन का मिश्रण एक पूरी गांठ जैसा हो जाएगा या आप इसे गाढ़ा होने दें. आप इस मिश्रण को चलाते रहें.
  • कुछ मिनट बाद आप देखेंगे कि बेसन का मिश्रण पिघलने लगेगा और किनारों से घी निकलने लगेगा.
  • घी निकलने के बाद भी लगातार चलाते रहें, बेसन अच्छे से भुन जाएगा और उसका रंग हल्का सुनहरा होने दें.
  • एक तरफ चीनी की चाशनी तैयार कर लें और बादाम, काजू को भी बारीक काट लें.
  • बेसन के गाढ़े पेस्ट में चाशनी और ड्राई फ्रूट्स मिक्स करें.
  • इसे अच्छी तरह मिलाएं. अब इस मिश्रण को ट्रे पर रखें.
  • और इसे ट्रे पर पूरा फैलाएं. गर्म मिश्रण हो, तभी क्यूबस के आकार में काट लें. इसे एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करें.

2. सूजी के लड्डू

सामग्री
2 कप सूजी
1 कप दूध
3 बड़ा चम्मच देसी घी
3 बड़े चम्मच मलाई
1 बड़े चम्मच ड्राई फ्रूट्स
1 चम्मच इलाइची पाउडर
आवश्यकतानुसार चीनी का बूरा

बनाने की विधि

  • सबसे पहले एक पैन गर्म करें, इसमें घी डालें.
  • जब घी पिघल जाए, तो इसमें सूजी डालकर भून लें.
  • अब इसमें चीनी का बूरा, ड्राई फ्रूट्स और इलाइची पाउडर भी मिला दें. इसे भूनते रहें.
  • अब इस मिश्रण में मलाई डालें. अगर आपको ये मिश्रण थोड़ा सूखा लग रहा है, तो इसमें दूध डालकर थोड़ा गिला कर दें.
  • अब मिश्रण ठंडा होने के लिए रख दें. आप इनसे स्वादिष्ट लड्डू बांध लें.
  • इससे लड्डू आसानी से बन जाएंगे.

3. खोए की बर्फी

सामग्री

2 कप खोया

आधा कप घी

1 चम्मच इलायची पाउडर

1 कप चीनी

बनाने की विधि

  • एक पैन में घी गर्म कर लें, इसमें  खोया डालकर भून लें.
  • इसे हल्की आंच पर चलाते रहें. फिर इसमें चीनी डालें
  • इसे तब तक चलाते रहें, जब तक चीनी अच्छी तरह न घुल जाए.
  • जब इसका रंग पूरी तरह बदल जाए, तो गैस बंद कर दें.
  • एक ट्रे में घी लगाएं, और खोए को इस पर फैला दें.
  • जब ठंडा हो जाए तो, इलायची पाउडर मिलाएं और बर्फी की शेप में इसे काट दें

रूह का स्पंदन: क्या थी दीक्षा के जीवन की हकीकत

‘‘डूयू बिलीव इन वाइब्स?’’ दक्षा द्वारा पूरे गए इस सवाल पर सुदेश चौंका. उस के चेहरे के हावभाव तो बदल ही गए, होंठों पर हलकी मुसकान भी तैर गई. सुदेश का खुद का जमाजमाया कारोबार था. वह सुंदर और आकर्षक युवक था. गोरा चिट्टा, लंबा, स्लिम,

हलकी दाढ़ी और हमेशा चेहरे पर तैरती बाल सुलभ हंसी. वह ऐसा लड़का था, जिसे देख कर कोई भी पहली नजर में ही आकर्षित हो जाए. घर में पे्रम विवाह करने की पूरी छूट थी, इस के बावजूद उस ने सोच रखा था कि वह मांबाप की पसंद से ही शादी करेगा.

सुदेश ने एकएक कर के कई लड़कियां देखी थीं. कहीं लड़की वालों को उस की अपार प्यार करने वाली मां पुराने विचारों वाली लगती थी तो कहीं उस का मन नहीं माना. ऐसा कतई नहीं था कि वह कोई रूप की रानी या देवकन्या तलाश रहा था. पर वह जिस तरह की लड़की चाहता था, उस तरह की कोई उसे मिली ही नहीं थी.

सुदेश का अलग तरह का स्वभाव था. उस की सीधीसादी जीवनशैली थी, गिनेचुने मित्र थे. न कोई व्यसन और न किसी तरह का कोई महंगा शौक. वह जितना कमाता था, उस हिसाब से उस के कपड़े या जीवनशैली नहीं थी. इस बात को ले कर वह हमेशा परेशान रहता था कि आजकल की आधुनिक लड़कियां उस के घरपरिवार और खास कर उस के साथ व्यवस्थित हो पाएंगी या नहीं.

अपने मातापिता का हंसताखेलता, मुसकराता, प्यार से भरपूर दांपत्य जीवन देख कर पलाबढ़ा सुदेश अपनी भावी पत्नी के साथ वैसे ही मजबूत बंधन की अपेक्षा रखता था. आज जिस तरह समाज में अलगाव बढ़ रहा है, उसे देख कर वह सहम जाता था कि अगर ऐसा कुछ उस के साथ हो गया तो…

सुदेश की शादी को ले कर उस की मां कभीकभी चिंता करती थीं लेकिन उस के पापा उसे समझाते रहते थे कि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा. सुदेश भी वक्त पर भरोसा कर के आगे बढ़ता रहा. यह सब चल रहा था कि उस से छोटे उस के चचेरे भाई की सगाई का निमंत्रण आया. इस से सुदेश की मां को लगा कि उन के बेटे से छोटे लड़कों की शादी हो रही हैं और उन का हीरा जैसा बेटा किसी को पता नहीं क्यों दिखाई नहीं देता.

चिंता में डूबी सुदेश की मां ने उस से मेट्रोमोनियल साइट पर औनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने को कहा. मां की इच्छा का सम्मान करते हुए सुदेश ने रजिस्ट्रेशन करा दिया. एक दिन टाइम पास करने के लिए सुदेश साइट पर रजिस्टर्ड लड़कियों की प्रोफाइल देख रहा था, तभी एक लड़की की प्रोफाइल पर उस की नजर ठहर गई.

ज्यादातर लड़कियों ने अपनी प्रोफाइल में शौक के रूप में डांसिंग, सिंगिंग या कुकिंग लिख रखा था. पर उस लड़की ने अपनी प्रोफाइल में जो शौक लिखे थे, उस के अनुसार उसे ट्रैवलिंग, एडवेंचर ट्रिप्स, फूडी का शौक था. वह बिजनैस माइंडेड भी थी.

उस की हाइट यानी ऊंचाई भी नौर्मल लड़कियों से अधिक थी. फोटो में वह काफी सुंदर लग रही थी. सुदेश को लगा कि उसे इस लड़की के लिए ट्राइ करना चाहिए. शायद लड़की को भी उस की प्रोफाइल पसंद आ जाए और बात आगे बढ़ जाए. यही सोच कर उस ने उस लड़की के पास रिक्वेस्ट भेज दी.

सुदेश तब हैरान रह गया, जब उस लड़की ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. हिम्मत कर के उस ने साइट पर मैसेज डाल दिया. जवाब में उस से फोन नंबर मांगा गया. सुदेश ने अपना फोन नंबर लिख कर भेज दिया. थोड़ी ही देर में उस के फोन की घंटी बजी. अनजान नंबर होने की वजह से सुदेश थोड़ा असमंजस में था. फिर भी उस ने फोन रिसीव कर ही लिया.

दूसरी ओर से किसी संभ्रांत सी महिला ने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘मैं दक्षा की मम्मी बोल रही हूं. आप की प्रोफाइल मुझे अच्छी लगी, इसलिए मैं चाहती हूं कि आप अपना बायोडाटा और कुछ फोटोग्राफ्स इसी नंबर पर वाट्सऐप कर दें.’’

सुदेश ने हां कह कर फोन काट दिया. उस के लिए यह सब अचानक हो गया था. इतनी जल्दी जवाब आ जाएगा और बात भी हो जाएगी, सुदेश को उम्मीद नहीं थी. सोचविचार छोड़ कर उस ने अपना बायोडाटा और फोटोग्राफ्स वाट्सऐप कर दिए.

फोन रखते ही दक्षा ने मां से पूछा, ‘‘मम्मी, लड़का किस तरह बातचीत कर रहा था? अपने ही इलाके की भाषा बोल रहा था या किसी अन्य प्रदेश की भाषा में बात कर रहा था?’’

‘‘बेटा, फिलहाल वह दिल्ली में रह रहा है और दिल्ली में तो सभी प्रदेश के लोग भरे पड़े हैं. यहां कहां पता चलता है कि कौन कहां का है. खासकर यूपी, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान वाले तो अच्छी हिंदी बोल लेते हैं.’’ मां ने बताया.

‘‘मम्मी, मैं तो यह कह रही थी कि यदि वह अपने ही क्षेत्र का होता तो अच्छा रहता.’’ दक्षा ने मन की बात कही. लड़का गढ़वाली ही नहीं, अपने इलाके का ही है. मां ने बताया तो दक्षा खुश हो उठी.

दक्षा मां से बातें कर रही थी कि उसी समय वाट्सऐप पर मैसेज आने की घंटी बजी. दक्षा ने फटाफट बायोडाटा और फोटोग्राफ्स डाउनलोड किए. बायोडाटा परफेक्ट था. दक्षा की तरह सुदेश भी अपने मांबाप की एकलौती संतान था. न कोई भाई न कोई बहन. दिल्ली में उस का जमाजमाया कारोबार था. खाने और ट्रैवलिंग का शौक. वाट्सऐप पर आए फोटोग्राफ्स में एक दाढ़ी वाला फोटो था.

दक्षा को जो चाहिए था, वे सारे गुण तो सुदेश में थे. पर दक्षा खुश नहीं थी. उस के परिवार में जो घटा था, उसे ले कर वह परेशान थी. उसे अपनी मर्यादाओं का भी पता था. साथ ही स्वभाव से वह थोड़ी मूडी और जिद्दी थी. पर समय और संयोग के हिसाब से धीरगंभीर और जिम्मेदारी भी थी.

दक्षा का पालनपोषण एक सामान्य लड़की से हट कर हुआ था. ऐसा नहीं करते, वहां नहीं जाते, यह नहीं बोला जाता, तुम लड़की हो, लड़कियां रात में बाहर नहीं जातीं. जैसे शब्द उस ने नहीं सुने थे, उस के घर का वातावरण अन्य घरों से कदम अलग था. उस की देखभाल एक बेटे से ज्यादा हुई थी. घर के बिजली के बिल से ले कर बैंक से पैसा निकालने, जमा करने तक का काम वह स्वयं करती थी.

दक्षा की मां नौकरी करती थीं, इसलिए खाना बनाना और घर के अन्य काम करना वह काफी कम उम्र में ही सीख गई थी. इस के अलावा तैरना, घुड़सवारी करना, कराटे, डांस करना, सब कुछ उसे आता था. नौकरी के बजाए उसे बिजनैस में रुचि ही नहीं, बल्कि सूझबूझ भी थी. वह बाइक और कार दोनों चला लेती थी. जयपुर और नैनीताल तक वह खुद गाड़ी चला कर गई थी. यानी वह एक अच्छी ड्राइवर थी.

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दक्षा को पढ़ने का भी खासा शौक था. इसी वजह से वह कविता, कहानियां, लेख आदि भी लिखती थी. एकदम स्पष्ट बात करती थी, चाहे किसी को अच्छी लगे या बुरी. किसी प्रकार का दंभ नहीं, लेकिन घरपरिवार वालों को वह अभिमानी लगती थी. जबकि उस का स्वभाव नारियल की तरह था. ऊपर से एकदम सख्त, अंदर से मीठी मलाई जैसा.

उस की मित्र मंडली में लड़कियों की अपेक्षा लड़के अधिक थे. इस की वजह यह थी कि लिपस्टिक या नेल पौलिश के बारे में बेकार की चर्चा करने के बजाय वह वहां उठनाबैठना चाहती थी, जहां चार नई बातें सुननेसमझने को मिलें. वह ऐसी ही मित्र मंडली पसंद करती थीं. उस के मित्र भी दिलवाले थे, जो बड़े भाई की तरह हमेशा उस के साथ खड़े रहते थे.

सब से खास मित्र थी दक्षा की मम्मी, दक्षा उन से अपनी हर बात शेयर करती थी. कोई उस से प्यार का इजहार करता तो यह भी उस की मम्मी को पता होता था. मम्मी से उस की इस हद तक आत्मीयता थी. रूप भी उसे कम नहीं मिला था. न जाने कितने लड़के सालों तक उस की हां की राह देखते रहे.

पर उस ने निश्चय कर लिया था कि कुछ भी हो, वह प्रेम विवाह नहीं करेगी. इसीलिए उस की मम्मी ने बुआ के कहने पर मेट्रोमोनियल साइट पर उस की प्रोफाइल डाल दी थी. जबकि अभी वह शादी के लिए तैयार नहीं थी. उस के डर के पीछे कई कारण थे.

सुदेश और दक्षा के घर वाले चाहते थे कि पहले दोनों मिल कर एकदूसरे को देख लें. बातें कर लें और कैसे रहना है, तय कर लें. क्योंकि जीवन तो उन्हें ही साथ जीना है. उस के बाद घर वाले बैठ कर शादी तय कर लेंगे.

घर वालों की सहमति से दोनों को एकदूसरे के मोबाइल नंबर दे दिए गए. उसी बीच सुदेश को तेज बुखार आ गया, इसलिए वह घर में ही लेटा था. शाम को खाने के बाद उस ने दक्षा को मैसेज किया. फोन पर सीधे बात करने के बजाय उस ने पहले मैसेज करना उचित समझा था.

काफी देर तक राह देखने के बाद दक्षा का कोई जवाब नहीं आया. सुदेश ने दवा ले रखी थी, इसलिए उसे जब थोड़ा आराम मिला तो वह सो गया. रात करीब साढ़े 10 बजे शरीर में दर्द के कारण उस की आंखें खुलीं तो पानी पी कर उस ने मोबाइल देखा. उस में दक्षा का मैसेज आया हुआ था. मैसेज के अनुसार, उस के यहां मेहमान आए थे, जो अभीअभी गए हैं.

सुदेश ने बात आगे बढ़ाई. औपचारिक पूछताछ करतेकरते दोनों एकदूसरे के शौक पर आ गए. यह हैरानी ही थी कि दोनों के अच्छेबुरे सपने, डर, कल्पनाएं, शौक, सब कुछ काफी हद इस तरह से मेल खा रहे थे, मानो दोनों जुड़वा हों. घंटे, 2 घंटे, 3 घंटे हो गए. किसी भी लड़की से 10 मिनट से ज्यादा बात न करने वाला सुदेश दक्षा से बातें करते हुए ऐसा मग्न हो गया कि उस का ध्यान घड़ी की ओर गया ही नहीं, दूसरी ओर दक्ष ने भी कभी किसी से इतना लगाव महसूस नहीं किया था.

सुदेश और दक्षा की बातों का अंत ही नहीं हो रहा था. दोनों सुबह 7 बजे तक बातें करते रहे. दोनों ने बौलीवुड हौलीवुड फिल्मों, स्पोर्ट्स, पौलिटिकल व्यू, समाज की संरचना, स्पोर्ट्स कार और बाइक, विज्ञान और साहित्य, बच्चों के पालनपोषण, फैमिली वैल्यू सहित लगभग सभी विषयों पर बातें कर डालीं. दोनों ही काफी खुश थे कि उन के जैसा कोई तो दुनिया में है. सुबह हो गई तो दोनों ने फुरसत में बात करने को कह कर एकदूसरे से विदा ली.

घर वालों की सहमति पर सुदेश और दक्षा ने मिल कर बातें करने का निश्चय किया. सुदेश सुबह ही मिलना चाहता था, लेकिन दक्षा ने ब्रेकफास्ट कर के मिलने की बात कही. क्योंकि वह पूजापाठ कर के ही ब्रेकफास्ट करती थी. सुदेश में दक्षा से मिलने के लिए गजब का उत्साह था. दक्षा की बातों और उस के स्वभाव ने आकर्षण तो पैदा कर ही दिया था. इस के अलावा दक्षा ने अपने जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें मिल कर बताने को कहा था. वो बातें कौन सी थीं, सुदेश उन बातों को भी जानना चाहता था.

निश्चित की गई जगह पर सुदेश पहले ही पहुंच गया था. वहां पहुंच कर वह बेचैनी से दक्षा की राह देख रहा था. वह काले रंग की शर्ट और औफ वाइट कार्गो पैंट पहन कर गया था. रेस्टोरेंट में बैठ कर वह हैडफोन से गाने सुनने में मशगूल हो गया. दक्षा ने काला टौप पहना था, जिस के लिए उस की मम्मी ने टोका भी था कि पहली बार मिलने जा रही है तो जींस टौप, वह भी काला.

तब दक्षा ने आदत के अनुसार लौजिकल जवाब दिया था, ‘‘अगर मैं सलवारसूट पहन कर जाती हूं और बाद में उसे पता चलता है कि मैं जींस टौप भी पहनती हूं तो यह धोखा देने वाली बात होगी. और मम्मी इंसान के इरादे नेक हों तो रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता.’’

तर्क करने में तो दक्षा वकील थी. बातों में उस से जीतना आसान नहीं था. वह घर से निकली और तय जगह पर पहुंच गई. सढि़यां चढ़ कर दरवाजा खोला और रेस्टोरेंट में अंदर घुसी. फोटो की अपेक्षा रियल में वह ज्यादा सुंदर और मस्ती में गाने के साथ सिर हिलाती हुई कुछ अलग ही लग रही थी.

अचानक सुदेश की नजर दक्षा पर पड़ी तो दोनों की नजरें मिलीं. ऐसा लगा, दोनों एकदूसरे को सालों से जानते हों और अचानक मिले हों. दोनों के चेहरों पर खुशी छलक उठी थी.

खातेपीते दोनों के बीच तमाम बातें हुईं. अब वह घड़ी आ गई, जब दक्षा अपने जीवन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें उस से कहने जा रही थी. वहां से उठ कर दोनों एक पार्क में आ गए थे, जहां दोनों कोने में पेड़ों की आड़ में रखी एक बेंच पर बैठ गए. दक्षा ने बात शुरू की, ‘‘मेरे पापा नहीं हैं, सुदेश. ज्यादातर लोगों से मैं यही कहती हूं कि अब वह इस दुनिया में नहीं है, पर यह सच नहीं है. हकीकत कुछ और ही है.’’

इतना कह कर दक्षा रुकी. सुदेश अपलक उसे ही ताक रहा था. उस के मन में हकीकत जानने की उत्सुकता भी थी. लंबी सांस ले कर दक्षा ने आगे कहा, ‘‘जब मैं मम्मी के पेट में थी, तब मेरे पापा किसी और औरत के लिए मेरी मम्मी को छोड़ कर उस के साथ रहने के लिए चले गए थे.

‘‘लेकिन अभी तक मम्मीपापा के बीच डिवोर्स नहीं हुआ है. घर वालों ने मम्मी से यह कह कर उन्हें अबार्शन कराने की सलाह दी थी कि उस आदमी का खून भी उसी जैसा होगा. इस से अच्छा यही होगा कि इस से छुटकारा पा कर दूसरी शादी कर लो.’’

दक्षा के यह कहते ही सुदेश ने उस की तरफ गौर से देखा तो वह चुप हो गई. पर अभी उस की बात पूरी नहीं हुई थी, इसलिए उस ने नजरें झुका कर आगे कहा, ‘‘पर मम्मी ने सभी का विरोध करते हुए कहा कि जो कुछ भी हुआ, उस में पेट में पल रहे इस बच्चे का क्या दोष है. यानी उन्होंने गर्भपात नहीं कराया. मेरे पैदा होने के बाद शुरू में कुछ ही लोगों ने मम्मी का साथ दिया. मैं जैसेजैसे बड़ी होती गई, वैसेवैसे सब शांत होता गया.

‘‘मेरा पालनपोषण एक बेटे की तरह हुआ. अगलबगल की परिस्थितियां, जिन का अकेले मैं ने सामना किया है, उस का मेरी वाणी और व्यवहार में खासा प्रभाव है. मैं ने सही और गलत का खुद निर्णय लेना सीखा है. ठोकर खा कर गिरी हूं तो खुद खड़ी होना सीखा है.’’

अपनी पलकों को झपकाते हुए दक्षा आगे बोली, ‘‘संक्षेप में अपनी यह इमोशनल कहानी सुना कर मैं आप से किसी तरह की सांत्वना नहीं पाना चाहती, पर कोई भी फैसला लेने से पहले मैं ने यह सब बता देना जरूरी समझा.

‘‘कल कोई दूसरा आप से यह कहे कि लड़की बिना बाप के पलीबढ़ी है, तब कम से कम आप को यह तो नहीं लगेगा कि आप के साथ धोखा हुआ है. मैं ने आप से जो कहा है, इस के बारे में आप आराम से घर में चर्चा कर लें. फिर सोचसमझ कर जवाब दीजिएगा.’’

सुदेश दक्षा की खुद्दारी देखता रह गया. कोई मन का इतना साफ कैसे हो सकता है, उस की समझ में नहीं आ रहा था. अब तक दोनों को भूख लग आई थी. सुदेश दक्षा को साथ ले कर नजदीक की एक कौफी शौप में गया. कौफी का और्डर दे कर दोनों बातें करने लगे तभी अचानक दक्षा ने पूछा था, ‘‘डू यू बिलीव इन वाइब्स?’’

सुदेश क्षण भर के लिए स्थिर हो गया. ऐसी किसी बात की उस ने अपेक्षा नहीं की थी. खासकर इस बारे में, जिस में वह पूरी तरह से भरोसा करता हो. वाइब्स अलौकिक अनुभव होता है, जिस में घड़ी के छठें भाग में आप के मन को अच्छेबुरे का अनुभव होता है. किस से बात की जाए, कहां जाया जाए, बिना किसी वजह के आनंद न आए और इस का उलटा एकदम अंजान व्यक्ति या जगह की ओर मन आकर्षित हो तो यह आप के मन का वाइब्स है.

यह कभी गलत नहीं होता. आप का अंत:करण आप को हमेशा सच्चा रास्ता सुझाता है. दक्षा के सवाल को सुन कर सुदेश ने जीवन में एक चांस लेने का निश्चय किया. वह जो दांव फेंकने जा रहा था, अगर उलटा पड़ जाता तो दक्षा तुरंत मना कर के जा सकती थी. क्योंकि अब तक की बातचीत से यह जाहिर हो गया था. पर अगर सब ठीक हो गया तो सुदेश का बेड़ा पार हो जाएगा.

सुदेश ने बेहिचक दक्षा से उस का हाथ पकड़ने की अनुमति मांगी. दक्षा के हावभाव बदल गए. सुदेश की आंखों में झांकते हुए वह यह जानने की कोशिश करने लगी कि क्या सोच कर उस ने ऐसा करने का साहस किया है. पर उस की आंखो में भोलेपन के अलावा कुछ दिखाई नहीं दिया. अपने स्वभाव के विरुद्ध उस ने सुदेश को अपना हाथ पकड़ने की अनुमति दे दी.

दोनों के हाथ मिलते ही उन के रोमरोम में इस तरह का भाव पैदा हो गया, जैसे वे एकदूसरे को जन्मजन्मांतर से जानते हों. दोनों अनिमेष नजरों से एकदूसरे को देखते रहे. लगभग 5 मिनट बाद निर्मल हंसी के साथ दोनों ने एकदूसरे का हाथ छोड़ा. दोनों जो बात शब्दों में नहीं कह सके, वह स्पर्श से व्यक्त हो गई.

जाने से पहले सुदेश सिर्फ इतना ही कह सका, ‘‘तुम जो भी हो, जैसी भी हो, किसी भी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा किए बगैर मुझे स्वीकार हो. रही बात तुम्हारे पिछले जीवन के बारे में तो वह इस से भी बुरा होता तब भी मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता. बाकी अपने घर वालों को मैं जानता हूं. वे लोग तुम्हें मुझ से भी अधिक प्यार करेंगे. मैं वचन देता हूं कि बचपन से ले कर अब तक अधूरे रह गए सपनों को मैं हकीकत का रंग देने की कोशिश करूंगा.’’

सुदेश और दक्षा के वाइब्स ने एकदूसरे से संबंध जोड़ने की मंजूरी दे दी थी.

दीवाली पर दिखना चाहती हैं सबसे मौडर्न, तो इन बौलीवुड दीवाज के पर्ल लुक को करें फौलो

दीवाली (Diwali Look) आने में अभी कुछ दिन बाकी है लेकिन इस फैस्टिवल की धूम अभी से सब जगह देखने को मिल रही है. 5 दिन चलने वाले इस बिग सैलिब्रेशन को लोग अपनेअपने तरीके से ऐंजौय करने के मूड में हैं. अगर बात हो दीवाली पार्टी की, तो यही वह टाइम होता है जिस में हम कई पार्टियों में शामिल होते हैं और उन पार्टियों में शामिल होने के लिए हमे कुछ ऐसी ड्रैसेज या ज्वैलरी को सिलैक्ट करना होता है जो यूनिक हो.

अगर आप भी इस बार फैस्टिवल पार्टी पर रौयल और ग्रेसफुल दिखना चाहती हैं तो बौलीवुड दीवाज की तरह पर्ल कोर लुक ट्राई कर सकती हैं. यह आप को ऐलिगेंट लुक तो देंगे ही साथ ही काफी कंफर्टेबल भी होते हैं.

पर्ल लुक्स

अब पर्ल ने भी फैशन की दुनिया में अपनी जगह बना ली है. बौलीवुड की फेमस ऐक्ट्रैस भी इसे खूब पसंद कर रही हैं.

यहां पर हम आप को बौलीवुड की इन 5 ऐक्ट्रैस के पर्ल लुक्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने पर्ल लुक स्टाइल में जलवा बिखेरा.

आलिया भट्ट का डिफरेंट पर्ल लुक

सब से पहले बात करेंगे ऐक्ट्रैस आलिया भट्ट की जिन्होंने 2023 के मेट गाला में अपनी ग्रेट ऐंट्री की, जिस में उन्होंने प्रबल गुरुंग का व्हाइट प्रिंसेस बिची वेव्स गाउन पहना, जो डिफरैंट साइज के पर्ल से सजा हुआ था.

स्टाइलिस्ट अनाइता श्रौफ द्वारा स्टाइल किया गया आलिया का लुक बेहतरीन पर्ल के इयररिंग्स, बेतूल फिंगरलेस ग्लव्स और डैलिकेट लार्ज रिंग्स के साथ कंप्लीट किया गया था.

गाउन के साथ उन का सिंपल मेकअप और पर्ल अक्ट्रैटिव लग रहे थे.

जाह्नवी कपूर का स्‍टाइलिश और ग्लैमरस लुक

जाह्नवी कपूर का फैशन सेंस हमेशा स्‍टाइलिश और ग्लैमरस रहा है. एनएमएसीसी लौंच के रैड कार्पेट पर जाह्नवी ने मनीष मल्होत्रा का कस्टम लहंगा पहना.

जाह्नवी ने एक खूबसूरत पर्ल से सजा ब्लाउज पहना और उसे इंट्रीकेट थ्रेड वर्क वाले लहंगे के साथ मिलाया. उन का केप दुपट्टा पर्ल की डिटेलिंग और थ्रेड की कारीगरी का ग्रेट कौंबिनेशन था. उन का लुक नैक में पर्ल के चोकर, छोटे ईयररिंग्स सिंपल क्रिस्टल स्टड्स और स्लीक बैक बन के साथ पूरा हुआ, उस पर उन का ग्लौसी और लाइट मेकअप कंप्लीट लुक दिखा रहा था.

कुब्बरा सैत का पर्ल्स लेयर्स लुक

अपने फैशन ऐक्सपेरिमैंट के लिए जानी जाने वाली ऐक्ट्रैस कुब्बरा सैत, डिजाइनर अभिषेक शर्मा के गाउन में दिखीं जो हजारों पर्ल्स की लेयर्स से बना था. उन्होंने ग्लैमरस मेकअप किया हुआ था. ग्लिटरी आईज मेकअप के साथ प्लम लिप शेड लगाया, हेयर को स्ट्रेट कर ओपन किया और उस पर बड़े हैंगिंग पर्ल इयररिंग्स पहने.

शर्वरी वाघ का पर्ल्स की डिटेलिंग

एनएमएसीसी गाला में शर्वरी वाघ ने अबू जानी संदीप खोसला की खूबसूरत व्हाइट साड़ी पहनी. साड़ी में रफल्स, पंख और दर्जनों पर्ल्स की खूबसूरत डिटेलिंग थी. शर्वरी ने इस साड़ी को एक ओटीटी ब्लाउज के साथ पहना, जिस में स्ट्रक्चर्ड शोल्डर्स थे, जिसे हजारों पर्ल से सजाया गया था.

उन का सिंपल मेकअप और क्लासी ऐक्सेसरीज बैस्ट लग रहे थे. उस पर शर्वरी के क्रिस्टल स्टड और गुलाबी ग्लौसी लिप्स कमाल के लग रहे थे.

कृति सेनन का ऐलिगेंस लुक

कृति सेनन ने मनीष मल्होत्रा की व्हाइट सिल्क सैटिन साड़ी में ऐलिगेंस का प्रदर्शन किया, जिस में पर्ल्स की हलकी डिटेलिंग थी. उन के हाईनेक ब्लाउज में पर्ल की लेयर्ड थी, जो उन के लुक में ग्लैमर का स्पर्श जोड़ रही थीं. कृति के स्ट्रेट हेयर और शाइनी स्मोकी आईज ने इस क्लासिक लुक को पूरा किया.

डैकोरेशन इनोवेटिव आइडियाज के साथ इस दीवाली अपने घर को दें यूनिक लुक

जगमग रोशनी, धूमधड़ाके, खुशी, उत्साह और उमंग का फैस्टिवल है दीवाली. इस दिन लोग न सिर्फ अपने लुक को खूबसूरत बनाते हैं, बल्कि अपने घर को बैस्ट दिखाने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां करते हैं.

पूरे घर की साफसफाई के साथ दीवाली का दिन पास आते ही बैस्ट डैकोरेशन से अपने घर को खूबसूरती से सजाने में कोई कसर नही छोड़ते. इस के लिए लोग हमेशा की तरह कलरफुल लाइट्स, कैंडल्स और दीए की जगमग से घर का कोनाकोना रोशन करते हैं.

तो क्यों न इस बार कुछ ऐसा किया जाए जिस से इस दीवाली आप का घर सब से अलग और बेहतर दिखे. इस के लिए हम आप को बता रहे हैं कुछ ऐसे परफैक्ट, यूनिक और अट्रैक्टिव आइडियाज, जिन को अपना कर आप भी घर को यूनिक दिखा सकती हैं :

डैकोरेशन के शानदार आइडियाज

दीवाली के दिनों आप को मार्केट में डैकोरेशन के एक से बढ़ कर एक यूनिक आइटम्स मिल जाएंगे. लेकिन आप अपने घर के अनुसार ही डैकोरेशन आइटम्स को सिलेक्ट करें. कुछ लोग घर को सजाने में बहुत सारे डैकोरेशन आइटम्स खरीद कर घर को सजाते हैं जिस से घर बहुत भराभरा तो लगता है मगर उतना अच्छा नहीं लगता. अगर आप कुछ यूनिक आइडिया को फौलो करेंगी तो आप का घर भी दीवाली की जगमग में अपनी अलग ही चमक बेखेरेगा. तो क्यों न डैकोरेशन की शुरुआत घर के मेनगेट से ही की जाए.

मेन गेट से हो डैकोरेशन की शुरुआत

दीवाली फैस्टिवल पर सब से पहले घर को डैकोरेट करने के लिए मेनगेट यानि घर के मुख्य द्वार से खूबसूरत रंगोली बना कर शुरुआत करें. रंगोली के पैटर्न से अपने घर को सजाना लंबे समय से स्वागत और उत्सव के संकेत के रूप में देखा जाता रहा है. आजकल मार्केट में तरहतरह के डिजाइन वाली स्टीकर वाली रंगोली मिल जाएगी जिसे आप आसानी से मेनगेट की फर्श से चिपका सकती हैं लेकिन इस बार आप कुछ क्रिऐटिव करना चाहती हैं तो आप फ्लोटिंग वाली रंगोली बनाएं जो पानी और फ्रैश फ्लौवर्स से बनती है.

फ्लोटिंग और फ्लोर कौर्नर रंगोली

इस में एक बड़ा खूबसूरत डिजाइन वाला बाउल लें, उस में पानी भर दें. फिर इस में दीए, फ्लौवर्स पेटल्स और अन्य फ्रैगरेंस आइटम्स से सजाएं. इस में पानी की सतह पर डिजाइन बनाया जाता है. यह रंगोली एक यूनिक कला है, जिसे आप अपने घर के बाहर और अंदर कहीं भी सजा सकती हैं. इसे देख कर ही ताजगी का एहसास होता है और फैस्टिवल का वातावरण भी बैस्ट हो जाता है. इस के लिए आप को ज्यादा मेहनत की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इस के अलावा आजकल फ्लोर कौर्नर रंगोली डिजाइन काफी चलन में है.

अगर आप के घर में जगह कम है तो अपने घर के कोनों को सजाने के लिए कलरफुल फ्लौवर्स और ग्रीन लीव्स से डिजाइन बना कर सजाएं.

प्रवेशद्वार में तोरण और वंदनवार हो खास

दीवाली के अवसर पर घर के दरवाजे की सजावट का विशेष महत्त्व है. बाहर से ही घर का लुक ऐसा होना चाहिए जिस से आने वाले गेस्ट की निगाहें ठहर जाएं. इस के लिए आप को मार्केट में बनेबनाए तोरण और वंदनवार मिल जाएंगे. लेकिन गेंदे के नैचुरल फ्लौवर्स और आम की हरी पत्तियों से दरवाजे को सजाने से घर का लुक खास होता है. इसे लगाए बिना दीवाली की सजावट और त्योहार की खुशियां अधूरी रह जाती हैं.

मिट्टी की मटकियों से करें डैकोरेट

आप घर के मुख्य दरवाजे को मिट्टी की मटकियों से सजा सकते हैं. इस के लिए आप को मिट्टी की मटकियों को एक के ऊपर एक लगा कर खूबसूरत डिजाइन बनाना है और इसे उस जगह के कोने में लगा कर कलर पेंटिंग, गोटापट्टी, मिररवर्क से डैकोरेट करें. यह स्टाइल सभी को प्रभावित करेगा और लोग आप के डैकोरेशन की तारीफ करते नहीं थकेंगे.

डैकोरेटिव लाइटिंग लैंप

दीवाली में घर के अंदर और बाहर की सजावट के लिए लाइटिंग डिस्प्ले के साथ इंजौय करना न भूलें. इस के लिए टेबल लैंप, हैंगिंग लैंप और फ्लोर लैंप बेहतरीन औप्शन हैं. आप टेबल लैंप को साइड टेबल, शैल्फ या फ्लोर पर रख सकते हैं. डाइनिंग टेबल के ऊपर या घर के प्रवेशद्वार पर हैंगिंग लैंप बहुत अच्छे लगते हैं.

लिविंगरूम या बैडरूम के लिए फ्लोर लैंप बैस्ट लगते हैं. अगर आप अलगअलग प्लेसमेंट के साथ प्रयोग कर के डिफरैंट कलर के बल्ब लगाएंगे तो घर की रोशनी में चार चांद लग जाएगा.

डिजाइनर मिट्टी के लैंप

इस दीवाली आप दीए के अलावा मिट्टी से बने लैंप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. मिट्टी के लैंप के अंदर कैंडल की जलती हुई रोशनी जब लैंप के डिजाइन से छन कर बाहर आती है तो इस की रोशनी में घर और भी खूबसूरत लगता है. इसे आप घर की बालकनी और छत को डैकोरेट कर सकते है. ये मार्केट में आप को आसानी से मिल जाएंगे.

लालटेन और जार स्टाइल दीए

इस दीवाली अगर अपने घर को क्लासी लुक देना चाहते हैं तो आप सिंपल मिट्टी के दीयों की जगह कुछ अलग तरह के दीयों का इस्तेमाल करें. इस के लिए आप लालटेन स्टाइल के दीयों को ले सकती हैं. ये लालटेन स्टाइल लालटेन आप को मार्केट में डिफरैंट कलर के आसानी से मिल जाते हैं जिस में आप दीए जला कर अपने घर को सजा सकते हैं.

इस की रोशनी दूर तक जाती है और घर जगमग हो उठता है. इस के अलावा आप कलरफुल खूबसूरत जार स्टाइल दीए का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. मार्केट में ये जार आसानी से मिल रहे हैं. इन जार के अंदर दीए जला कर आप अपने घर की खूबसूरती को और भी जगमग कर सकते हैं.

कलरफुल लाइटिंग झालर

दीवाली सजावट और रोशनी का फैस्टिवल है. घर को रोशन करने के लिए घर के अंदर भी कलरफ़ुल इलैक्ट्रिक लाइट्स से सजावट की जा सकती है. डिफरैंट डिजाइन और कलर्स वाली झालरें मार्केट में उपलब्ध हैं. जैसे दीए की शेप वाली झालर जो जलने के बाद काफी सुंदर लगती हैं. फेयरी लाइट्स, जिसे घर या बाहर कहीं भी सजा सकते हैं. इस के अलावा पाइप वाली झालर की डैकोरेशन काफी अच्छी लगती है. इसे आप कमरे, खिङकियों और एलईडी के पीछे लगा सकते हैं.आप एलईडी बल्ब में कई तरह के डिजाइन और कलर खरीद कर घर को सजा सकते हैं.

तो फिर, इस दीवाली इन खास आइडियाज से घर को रोशन करें और इस फैस्टिवल का भरपूर मजा लें.

दीवाली आई पति की हो गई धुलाई

दीवाली का त्योहार आने से कुछ दिनों पहले करवाचौथ का व्रत आता है, जिस में पत्नियां पूरे दिन भूखेप्यासे रह कर रात को चांद देख कर पति की पूजा करती हैं और फिर खाने पर टूट पड़ती हैं. वही सारी पत्नियां दीवाली आते ही उन पतियों को घर के काम करने में लगाने में जरा भी देरी नहीं लगातीं.

करवाचौथ पर पूजे जाने वाले वे सारे पति दीवाली पर घर के कोनेकोने के जाले, पंखे और दीवारों को साफ करते नजर आते हैं. यह हकीकत भी है और फिलहाल किया हुआ मजाक भी. लेकिन सचाई यही है कि शादी के बाद पति का सच्चा प्यार तभी नजर आता है जब वह पत्नी के साथ बराबरी करते हुए घर के कामकाज में हाथ बटाता है. अगर पत्नी हाउसवाइफ है, तो वह फिर भी पति के थोड़ेबहुत नखरे झेल लेती है लेकिन कहीं अगर वह वर्किंग वूमन है तो फिर तो उस पति की शामत ही आ जाती है जो पति निखट्टू और कामचोर है और जो दीवाली के मौके पर भी पत्नी की काम में मदद करने के बजाय मोबाइल पर गेम खेलते या यारदोस्तों के साथ बतियाते नजर आते हैं, वही पत्नी अगर उन से कोई काम बोल भी दे तो वे इतना खराब काम करते हैं कि पत्नी भी सिर पीटते हुए सोचती है की इन को बोलने से अच्छा तो मैं खुद ही कर लेती.

जोरू का गुलाम ही बनें तो अच्छा

कई बार पति जानबूझकर खराब काम करते हैं, तो कई बार सही में उन को ठीक ढंग से काम करना नहीं आता. ऐसे मौके पर पत्नी का पारा सातवें आसमान पर होता है, तो बड़े से बड़े सुरमा पति भी भीगी बिल्ली बन जाते हैं.

शादीशुदा जिंदगी की सब से बड़ी एक सचाई यह है कि एक मर्द प्रोफैशनल लाइफ में कितने ही बड़े ओहदे पर हों लेकिन पत्नी के सामने वह जोरू का गुलाम ही होता है क्योंकि सारे शादीशुदा पति अच्छे से जानते हैं कि जो औरत उन का घर, बच्चे व परिवार संभालती है उस के सामने शांत रहना ही सब से अच्छा रास्ता है क्योंकि शांति का रास्ता ही उन की जिंदगी और घर में खुशी का माहौल बनाए रखता है.

ऐसे में वे सारे पति अपनी पत्नी से पंगा नहीं लेते जो सुखी विवाहित जीवन बिताना चाहते हैं. भले ही फिर वह देश को चलाने वाले नेता हों या 10-10 गुंडो को पीटने वाले सुपरस्टार अभिनेता. अपनी पत्नी के सामने ये सारे पति प्यारभरे रोमांटिक स्टाइल में यही कहते नजर आते हैं,”आओ हुजूर तुम को सितारों में ले चलूं…”

पेश हैं, ऐसे ही कई बेबस और वफादार पतियों पर एक नजर….

दीवाली का मौका हो और पति ने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ दावतें रख ली हो और ऐसे में घर की नौकरानी भाग जाए तो पति की शामत आना लाजिमी है.

जब पति और पत्नी दोनों नौकरी करते हैं तो उन को घर और बच्चे संभालने के लिए नौकरानी का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे में दीवाली पर जब शेखी बघारने के लिए पति 2-3 दीवाली की पार्टी रख देता है और खुद घर के काम में कोई दिलचस्पी नहीं लेता, ऐसे में अगर अचानक नौकरानी छुट्टी ले कर गांव भाग जाए तो पति की शामत ही आ जाती है और उस को दिन में भी तारे नजर आने लगते हैं क्योंकि नौकरानी के न रहते पत्नी के साथ काम करने वाला पति अगर गलती पर गलती करता है तो घर में महाभारत का माहौल बन जाता है. ऐसे मौके पर भी अगर पति अपनी गलती मानते हुए चुप्पी साध लेता है तो उन का सुखी वैवाहिक जीवन बना रहता है. लेकिन अगर कहीं पति अपने इगो प्रौब्लम के चलते बदले में खुद भी खरीखोटी सुनाने लगता है तो यह बढ़ता हुआ झगड़ा कई बार तलाक तक भी पहुंच जाता है क्योंकि ऐसे निखट्टू पति से परेशान पत्नी कई बार ऐसा भी सोचती है कि ऐसे इंसान के साथ रहने से अच्छा मैं अकेले ही जीवन गुजार लूं.

नेता से अभिनेता तक सभी अपनी पत्नी के सामने नतमस्तक

देसी हो या विदेशी सुखी इंसान वही होता है जो अपनी पत्नी के साथ बना कर चलता है, पत्नी का सम्मान करता है, परिवार को साथ ले कर चलता है। ऐसे ज्यादातर लोगों का उच्च स्थान होता है. जैसेकि विदेश से आए ओबामा भारत भ्रमण के लिए अपनी पत्नी के साथ भारत आते हैं तो हमारे देश के लालू प्रसाद यादव भी 11 बच्चों के पैदा होने के बाद भी राबड़ी देवी को उतना ही प्यार करते हैं जितना की शुरुआत में करते थे. इतना ही नहीं बौलीवुड के सुपरस्टार्स अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, शाहरुख खान, गोविंदा आदि सभी अपनी पत्नियों के सामने खुल कर नहीं बोल पाते.

शाहरुख और गोविंदा तो खुलेआम कहते हैं कि मैं जोरू का गुलाम बन कर रहूंगा. ऐसे में सारे मर्दों को एक बात तो समझनी होगी कि अगर वह अपने प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में शांति, समृद्धि और तरक्की चाहते हैं तो उन को अपने घर से ही औरत का सम्मान करने की शुरुआत करनी होगी चाहे वह बीवी हो या बेटी. वरना दीवाली हो या रोजमर्रा की जिंदगी, पत्नी के प्रकोप से उन को कोई नहीं बचा पाएगा क्योंकि अगर पत्नी चंद्रमुखी है तो उस को ज्वालामुखी और सूर्यमुखी बनने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता. इसलिए अगर सारे मर्द अपनी दीवाली अच्छी बनाना चाहते हैं तो पत्नी के साथ मिल कर चलें, इसी में उन की भलाई है.

फैमिली से रहते हैं दूर, तो मनाएं वर्चुअल दीवाली और अपनों के रहें करीब

दीवाली खुशियों और उमंग का त्योहार, जब घरघर में दीए जलते हैं और हरकोई अपने प्रियजनों के साथ होता है, तब घर से दूर रह रहे बच्चों व उन के परिवार के लिए यह समय बड़ा कठिन होता है. पढ़ाई या नौकरी की वजह से जो बच्चे घर से दूर रहते हैं, उन्हें हर त्योहार पर अपने परिवार की बहुत याद आती है. ऐसे में मातापिता की जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को अपने पास होने का एहसास कराएं.

इसलिए यहां कुछ ऐसे तरीके आप को बता रहे हैं, जिस से घर से दूर होने के बावजूद वे आप को और आप के प्यार को महसूस करेंगे और उन्हें लगेगा कि वे आप के साथ ही हैं.

दीवाली सैलिब्रेशन का आयोजन करें

आज टैक्नोलौजी ने इतनी तरक्की कर ली है कि मीलों की दूरियों को भी कम कर दिया है और इस का सब से ज्यादा फायदा उन मांबाप को हुआ है जिन के बच्चे उन से दूर रहते हैं. वैसे तो उन्हें अपने बच्चे की याद हरपल आती ही है लेकिन त्योहारों जैसे खास मौकों पर याद अधिक सताती है. लेकिन अब टैंशन की बात नहीं है क्योंकि अब आप चौबीस घंटे उन के साथ वीडियो कौल पर रह सकते हैं और वीडियो कौल के जरीए वर्चुअल दीवाली मना सकते हैं. घर की सजावट, पटाखों की रोशनी और मिठाइयों का आनंद वीडियो कौल पर शेयर कर सकते हैं. इस से बच्चे भले ही शारीरिक रूप से दूर हों, लेकिन वे मानसिक और भावनात्मक रूप से आप के साथ जुड़ा महसूस करेंगे।

तैयारियों से जोड़े रखें

बच्चों को दीवाली की तैयारियों का हिस्सा बनाएं, भले ही वे घर पर न हों. उन्हें घर की सजावट, रंगोली डिजाइन या मिठाइयों के बारे में सुझाव देने के लिए कहें. इस तरह वे दूर रह कर भी घर की तैयारियों में भागीदार बन सकते हैं और उन का मन लगेगा कि वे भी त्योहार का हिस्सा हैं.

स्पैशल दीवाली गिफ्ट भेजें

बच्चों को दीवाली पर उन के पसंदीदा चीजों का एक स्पैशल गिफ्ट भेजें. इस में घर की बनी मिठाइयां, उन के पसंदीदा स्नैक्स, कुछ दीए आदि हो सकते हैं, ताकि वे अपने रहने की जगह पर भी दीवाली का आनंद ले सकें.

साथ ही, एक व्यक्तिगत संदेश या पत्र लिख कर भेजें, जिस में आप अपने प्यार और यादों को उन के साथ शेयर करें.

पुरानी यादों को ताजा करें

वीडियो कौल की मदद से बच्चों के साथ पुरानी दीवाली की यादों को शेयर करें. उन्हें याद दिलाएं कि किस तरह उन्होंने बचपन में घर सजाया था या कैसे वे पटाखे जलाने का आनंद लेते थे. ये बातें बच्चों को अपने परिवार के साथ बीते समय की याद दिलाएंगी और उन्हें आप के साथ जुड़े रहने का एहसास होगा और मन भी लगा रहेगा.

एकसाथ फिल्म या शो देखें

दीवाली के मौके पर कोई दिवाली थीम्ड फिल्म या शो बच्चों के साथ वर्चुअली देखने का प्लान बनाएं. आप नैटफ्लिक्स पार्टी या अन्य औनलाइन प्लैटफौर्म्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिस से आप एकसाथ फिल्म देख सकते हैं और मजेदार पल साझा कर सकते हैं.

बच्चों की पसंद के पकवान बनाएं

अगर आप के बच्चे किसी खास मिठाई या पकवान के शौकीन हैं, तो दीवाली पर वह पकवान बना कर उन की तसवीर या वीडियो उन्हें भेजें. इस के साथ ही, अगर संभव हो तो उन्हें वे पकवान कूरियर द्वारा भेजें. इस से उन्हें घर के स्वाद का एहसास होगा और वे खुद को आप के करीब महसूस करेंगे.

समय का सही उपयोग करें

बच्चे जब दीवाली पर घर से दूर होते हैं, तो वे खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं. इसलिए कोशिश करें कि दीवाली के दौरान उन के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, भले ही वह वर्चुअल ही क्यों न हो. उन से बात करें, उन के दिन के बारे में जानें और उन्हें यह महसूस कराएं कि वे आप के लिए कितने खास हैं.

भाईदूज पर शुभकामनाएं भेजें

अगर आप का बच्चा दीवाली के बाद भाईदूज या अन्य खास त्योहारों पर घर नहीं आ सकता, तो उन्हें शुभकामनाएं और स्नेह भेजें. उन्हें फोन या वीडियो कौल के माध्यम से शुभकामनाएं दें और साथ ही एक छोटा सा भाईदूज का गिफ्ट भेज कर उन्हें खुश करें.

गांव की कालेज की छात्रा से प्यार हो गया है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मुझे अपने गांव के पास के ही एक गांव की कालेज की छात्रा से प्यार हो गया है. एक दिन उस के ट्यूशन पढ़ने के लिए जाते वक्त मैं ने उसे अपने प्यार के बारे में बताने के लिए आवाज दे कर रोका. मैं कुछ कह पाता, उस से पहले ही वह मुझे पागल कह कर चली गई. वह हमेशा मेरी ओर देखा करती थी, जिस से मुझे लगा था कि वह भी मुझे पसंद करती है. मैं क्या करूं?

जवाब-

कोई राह चलती लड़की कभीकभार नजरें उठा कर देख ले तो उसे प्यार नहीं समझना चाहिए. बात साफ है कि वह आप से प्यार नहीं करती. आप से रहा न जाए, तो कोई बहाना निकाल कर एक बार उस से दोटूक बात कर लें. वह मान जाए तो आगे बढ़ें, वरना उस का पीछा करना छोड़ दें.

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जयपुर, राजस्थान के मालवीय नगर में रहने वाली 20 साला निधि कोचिंग के लिए टोंक फाटक जाती थी और वहां से ही अपने बौयफ्रैंड के साथ नारायण सिंह सर्किल के पास बने सैंट्रल पार्क की झाडि़यों में जिस्मानी संबंध बना कर उस से बाजार में खूब खरीदारी कराती थी. यही हाल कुछ समय पहले तक उस की बड़ी बहन कीर्ति का था. उस के भी कई बौयफ्रैंड थे. एक बार जब वह एक बौयफ्रैंड के साथ एक पार्क में संबंध बना रही थी कि तभी वहां 5-6 कालेज के दादा किस्म के लड़के आ गए. उन लड़कों को देख कीर्ति का बौयफ्रैंड वहां से भाग गया, मगर उन लड़कों ने कीर्ति को दबोच लिया और 3-4 घंटे तक उस का बलात्कार किया. जब कीर्ति को होश आया, तो वह गिरतेपड़ते अपने घर पहुंची. उस के बाद उस ने अपने सभी बौयफ्रैंडों से दोस्ती खत्म कर ली और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया. वह आज एक बड़ी सरकारी अफसर है.

कई साल पहले राजस्थान के धौलपुर जिले के बसेड़ी कसबे में जाटव जाति का एक गरीब परिवार का लड़का चंद्रपाल जब पटवारी की नौकरी पर लगा था, तब उस के मांबाप ने उसे समझाया था कि वह अपनी नौकरी ईमानदारी से करे. अपने मांबाप की इन बातों को सुन कर चंद्रपाल ने अपना काम ईमानदारी से करना शुरू कर दिया था.

पटवारी की नौकरी करते हुए वह कुछ सालों बाद भूअभिलेख निरीक्षक बन गया और उस के बाद नायब तहसीलदार और अब तहसीलदार बन कर ईमानदारी से अपना काम कर रहा है.

30 साला मनोज एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क है. कमाऊ महकमे में होने के चलते वह हजार दो हजार रुपए रोजाना ऊपर की कमाई कर लेता है. वह जयपुर के प्रताप नगर हाउसिंग बोर्ड में अपनी 23 साला बीवी सुप्रिया के साथ रहता है.

जब मनोज की बीवी 3 बच्चों की मां बन गई, तो उस का झुकाव अपनी 20 साला कालेज में पढ़ने वाली साली नेहा की ओर हो गया. वह उसे अपने पास ही रखने लगा. उस ने अपनी साली को पैसे और महंगेमहंगे तोहफे दे कर पटा लिया था. बीवी के सो जाने पर वह अपनी साली के कमरे में चला जाता था.

एक रात को अचानक नींद खुल जाने से जब मनोज की बीवी सुप्रिया ने उसे अपने बैड पर नहीं देखा, तो वह अपनी छोटी बहन नेहा के कमरे में चली गई. वहां पर उन दोनों को साथ देख वह गुस्से में आगबबूला हो उठी.

कुछ दिनों तक तो वे दोनों एकदूसरे से दूर रहे, मगर फिर होटल में मिलने लगे. एक दिन जब वे होटल में पुलिस द्वारा पकड़े गए, तो उन के मांबाप को बहुत दुख हुआ.

वे दोनों जीजासाली सोच रहे थे कि अगर सुप्रिया उन के बीच रोड़ा नहीं बनती, तो उन्हें होटल में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. लिहाजा, उन्होंने सुप्रिया की गला घोंट कर हत्या कर दी.

हत्या के बाद वे दोनों वहां से फरार हो गए. दूसरे दिन जब पड़ोस के लोगों को मालूम हुआ, तो उन्होंने पुलिस को बुला लिया.कई दिनों के बाद सुप्रिया की हत्या के जुर्म में मनोज और नेहा को गिरफ्तार कर लिया गया.

दूसरों की ऐसी भूल से सबक ले कर जो लोग इन्हें अपनी जिंदगी में शामिल नहीं करते हैं, वे सुख भरी जिंदगी बिताते हैं.ॉ

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Festive Special: घर पर बनाएं सौफ्ट और स्पंजी छेने के रसगुल्ले, नोट करें ये तरीका

त्योहारों ने दस्तक दे दी है ,और बिना मिठाई के तो हर त्योहार फीका सा लगता है और जब मिठाइयों की बात हो रही हो तो हम छेने के रसगुल्ले को कैसे भूल सकते है.सच कहूं तो छेने के रसगुल्ले एक ऐसी भारतीय मिठाई है जिसे किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं है. यह मिठाई बच्चो से लेकर बुजुर्गों तक सभी को बहुत पसंद आती है. बंगाली भोजन का तो ये एक सिग्नेचर व्यंजन है.

अगर आप चीनी वाले हिस्से को थोडा सीमित कर दे तो वास्तव में छेने के रसगुल्ले सबसे स्वास्थ्यप्रद भारतीय मिठाइयों में से एक है . क्योंकि इसमें न ही घी या रिफाइंड का उपयोग होता है और न ही मैदे का. आप इन्हें Healthy और जूसी पनीर बौल भी कह सकते हैं.

पर अक्सर जब लोग घर पर रसगुल्ला बनाते है तो उनकी सबसे बड़ी समस्या ये होती है की रसगुल्ले नरम नहीं बनते.  लेकिन वास्तव में इस मिठाई को घर पर बनाना बहुत ही आसान है बस जरूरत है तो कुछ बुनियादी चीजों को ध्यान में रखने की. अगर इन चीज़ों को ध्यान में रखा जायेगा तो रसगुल्ले हमेशा सौफ्ट और स्पंजी बनेंगे.

तो चलिए आज हम बहुत ही आसान तरीके से घर पर ही रसगुल्ले बनाते है. अगर आप Begginer है यानी अगर आप पहली बार भी छेने का रसगुल्ला बनाना Try कर रहे हैं तो आप इस आसान और झटपट रसगुल्ला रेसिपी से घर पर ही सौफ्ट और स्पंजी रसगुल्ला बनाना सीख सकते हैं.

कितने रसगुल्ले बनेंगे – 8 से 10 (इसकी क्वांटिटी रसगुल्ले की साइ पर निर्भर करती है)
समय – 25 से 30 मिनट

हमें चाहिए-

दूध – 1.5 लीटर
नींबू का रस – 2 टेबल स्पून
अरारोट – 2 छोटी चम्मच
चीनी – 700 ग्राम
गुलाब जल या केवडा -1 छोटी चम्मच (ऑप्शनल)

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले रसगुल्ले बनाने के लिए हमें छेने की जरूरत पड़ेगी .इसलिए हम घर पर ही ताज़ा छेना बनायेंगे.

2- छेना बनाने के लिये दूध को किसी भारी तले वाले बर्तन में निकाल कर गरम कीजिये. दूध में उबाल आने के बाद, दूध को गैस से उतार लीजिये, दूध को हल्का सा ठंडा होने दीजिये.
(NOTE:एक चीज़ याद रखियेगा की छेने के लिए दूध को थोडा ठंडा करना होगा.गैस पर उबलते वक़्त ही दूध में नीम्बू न डाले, वरना छेना सख्त बनेगा.)

3-जब दूध थोडा ठंडा हो जाये तब उसमे थोड़ा थोड़ा नीबू का रस डालते हुये चमचे से चलाइये, दूध जब पूरा फट जाय और दूध में छेना और पानी अलग दिखाई देने लगे तो नींबू का रस डालना बन्द कर दीजिये.

4-अब छेने को कपड़े में छानिये और ऊपर से ठंडा पानी डाल दीजिये ताकि नीबू का स्वाद छेने में न रहे. कपड़े को चारों ओर से उठाकर हाथ से दबा कर अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये. रसगुल्ला बनाने के लिये छेना तैयार है.

5-अब छेना को किसी प्लेट में निकाल लीजिये और 4-5 मिनिट छेने को अच्छे से मसल कर चिकना कर लीजिये, अब छेना में अरारोट मिला कर फिर से उसे अच्छे से चिकना कर लीजिये ताकि वो गुथे हुये आटे की तरह दिखाई देने लगे .अब रसगुल्ला बनाने के लिये छेना तैयार है.

6-अब छेने के छोटे छोटे गोले बना कर प्लेट में रख लीजिये. सारे रसगुल्ले के लिये गोले इसी तरह बना लीजिये और किसी गीले कपड़े से ढक कर रख दीजिये.

7-अब चीनी और 2 कप पानी किसी चौड़े बर्तन में डाल कर गरम कीजिये, चाशनी में उबाल आने के बाद, छेने से बने गोले चाशनी में डाल दीजिये.

8-अब छेने के गोले और चाशनी को तेज़ आंच पर कम से कम 15 से 20 मिनट तक पकाए.कुछ देर में चाशनी गाढ़ी होने लगेगी.

9-अब चाशनी में 1 बड़े चम्मच से थोडा-थोडा करके पानी डालिये, ध्यान रहे कि चाशनी में हमेशा उबाल आता रहे, रसगुल्ला पकते समय 1 – 2 कप तक पानी डाल सकते हैं. रसगुल्ले फूल कर लगभग दुगने हो जाते हैं, रसगुल्ला पकने के बाद गैस बन्द कर दीजिये. रसगुल्ले को चीनी के पानी में ही ठंडे होने दीजिये.
10-तैयार है छेने के रसगुल्ले.अब आप इसमें गुलाब जल डाल कर इसे फ्रिज में रख कर ठंडा कर ले और फिर सर्वे करें.

कुछ मत लाना प्रिय: रश्मि की सास ने कौनसी बात बताई थी

अजय ने टूअर पर जाते हुए हमेशा की तरह मुझे किस किया. बंदा आज भी रोमांटिक तो बहुत है पर मैं उस बात से मन ही मन डर रही थी जिस बात से शादी के पिछले 10 सालों से आज भी डरती हूं जब भी वे टूअर पर निकलते हैं. मेरा डर हमेशा की तरह सच साबित हुआ, वे बोले, ”चलता हूं डार्लिंग, 5 दिनों बाद आ जाऊंगा. बोलो, हैदराबाद से तुम्हारे लिए क्या लाऊं?”

मैं बोल पङी, ”नहीं, प्लीज कुछ मत लाना, डिअर.”

पर क्या कभी कह पाई हूं, फिर भी एक कोशिश की और कहा, ‘’अरे नहीं, कुछ मत लाना, अभी बहुत सारे कपड़े पङे हैं जो पहने ही नहीं हैं.’’

‘’ओह, रश्मि, तुम जानती हो न कि जब भी मैं टूअर पर जाता हूं, तुम्हारे लिए कुछ जरूर लाता हूं, मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे लिए कुछ लाना.’’

थोङा प्यार और रोमांस के साथ (टूअर पर जाते हुए पति पर प्यार तो बहुत आ रहा होता है ) मैं ने भी अजय को भेज कर अपनी अलमारी खोली. यों ही ऊपरी किनारे में रखे कपड़ों का और बाकी कुछ चीजों का वही ढेर उठा लिया जो अजय पिछले कुछ सालों में टूअर से लाए थे. इस में कोई शक नहीं कि अजय मुझे प्यार करते हैं पर मुश्किल थोड़ी यह है कि अजय और मेरी पसंद थोड़ी अलगअलग है.

अजय हमेशा मेरे लिए कुछ लाते हैं. कोई भी पत्नी इस बात पर मुझ से जल सकती है. सहेलियां जलती भी हैं, साफसाफ आहें भी भरती हैं कि हाय, उन के पति तो कभी नहीं लाते ऐसे गिफ्ट्स. हर बार इस बात पर खुश मैं भी होती हूं पर परेशानी यह है कि अजय जो चीजें लाते हैं, अकसर मेरी पसंद की नहीं होतीं.

अब यह देखिए, यह जो ब्राउन कलर की साड़ी है, इस का बौर्डर देख रहे हैं कि कितना चौड़ा है. यह मुझे पसंद ही नहीं है और सब से बड़ी बात यह कि ब्राउन कलर ही नहीं पसंद है. अजीब सा लगता है यह पीला सूट. इतना पीला? मुझे खुद ही आंखों में चुभता है, औरों की क्या कहूं.

अजय को ब्राइट कलर पसंद है. कहते हैं कि तुम कितनी गोरी हो… तुम पर तो हर रंग अच्छा लगता है. मैं मन ही मन सोचती हूं कि हां, ठीक है, प्रिय, गोरी हूं तो कभी मेरे लिए मेरे फैवरिट ब्लू, व्हाइट, ब्लैक, रैड कलर भी तो लाओ. मुझ पर तो वे रंग भी बहुत अच्छे लगते हैं. और अभी तो अजय ने एक नया काम शुरू किया है. वह अपनेआप को इस आइडिया के लिए शाबाशी देते हैं, अब वह टूअर पर फ्री टाइम मिलते ही जब मेरे लिए शौपिंग के लिए किसी कपड़े की शौप पर जाते हैं, वीडिओ कौल करते हैं, कहते हैं कि मैं तुम्हें कपड़े दिखा रहा हूं तो तुम ही बताओ तुम्हें क्या चाहिए? मैं ने इस बात पर राहत की थोड़ी सांस ली पर यह भी आसान नहीं था.

पिछले टूअर पर अजय जब मेरे लिए रैडीमैड कुरती लेने गए, दुकानदार को ही फोन पकड़ा दिया कि इसे बता दो तुम्हें. मैं ने बताना शुरू किया कि कोई प्लेन ब्लू कलर की कुरती है?

”हां जी, मैडम, बिलकुल है.”

फिर वह कुरतियां दिखाने लगा. साइज समझने में थोड़ी दिक्कत उसे भी हुई और समझाने में मुझे भी. अजय को मैं ने व्हाट्सऐप पर मैसेज भी भेजे कि अभी न लें, साइज समझ नहीं आ रहा है, उन का रिप्लाई आया कि सही करवा लेना. एक कुरती लिया गया, फिर अजय हैदराबाद में वहां के फेमस पर्ल सैट लेने गए. मैं यहां दिल्ली में बैठीबैठी इस बात पर नर्वस थी कि क्या खरीदा जाएगा.

मैं बोली जा रही थी कि पहले वाले भी रखे हैं अभी तो. न खरीदो पर पत्नी प्रेम में पोरपोर डूबे हैं अजय. आप लोग मुझे पति के लाए उपहारों की कद्र न करने वाली पत्नी कतई न समझें. बस, जिस बात से घबराती हूं, वह है पसंद में फर्क.

रास्ते से अजय ने फोन किया, ”किस तरह का सैट लाऊं?”

”बहुत पतला सा, जिस में कोई बड़ा डिजाइन न हो, बस छोटेछोटे व्हाइट मोतियों की पतली सी माला और साथ में छोटी कान की बालियां, जो मैं कभी भी पहन पाऊं.’’

मैं ने काफी अच्छी तरह से अपनी पसंद बता दी थी. अगले दिन सुबह ही अजय को वापस आना था. हमारे दोनों बच्चों के लिए भी वे वहां से करांची बिस्कुट और वहां की मिठाई भी लाने वाले थे. अजय को दरअसल सब के लिए ही कुछ न कुछ लाने का शौक है. यह शौक शायद उन्हें अपने पिताजी से मिला है.

ससुरजी भी जब घर आते, कुछ न कुछ जरूर लाया करते. कभी किसी के लिए, तो कभी किसी के लिए कुछ लाने की उन की प्यारी सी आदत थी. सासूमां हमेशा इस बात को गर्व से बताया करतीं.

उन्होंने मुझे भी एक बार हिंट दिया, ”तुम्हारे ससुरजी को मेरे लिए कुछ लाने की आदत है. यह अलग बात है कि कभी मुझे उन की लाई चीजें कभी पसंद आती हैं, तो कभी नहीं, पर जिस प्यार से लाते हैं, बस उस प्यार की कद्र करते हुए मैं भी उन की लाई चीजें देखदेख कर थोड़ा चहकने की ऐक्टिंग कर लेती हूं जिस से वे खुश हो जाएं. तो बहू, जब भी अजय कुछ लाए, पसंद न भी हो तो खुश हो कर दिखाना,” हम दोनों इस बात पर बहुत देर तक हंसी थीं और इस बात पर जीभर कर हंसने के बाद हमारी बौंडिंग बहुत अच्छी हो गई थी.

सासूमां तो बहुत ही खुश हो गई थीं जब उन्हें समझ आया कि हम दोनों एक ही कश्ती में सवार हैं, कभी मूड में होतीं तो ससुरजी की अनुपस्थिति में अपनी अलमारी खोल कर दिखातीं, ”यह देखो, बहू, यह जितनी भी गुलाबी छटा बिखरी देख रही हो मेरे कपड़ों में, सब गुलाबी कपड़े तुम्हारे ससुरजी के लाए हुए हैं. उन्हें गुलाबी रंग बहुत पसंद हैं. वे जीवनभर मेरे लिए जो भी लाए, सब गुलाबी ही लाए. सहेलियां, रिश्तेदार गुलाबी रंग में ही मुझे देखदेख कर बोर हो गए पर तुम्हारे ससुरजी ने अपनी पसंद न छोड़ी. गुलाबी ढेर लगता रहा एक कोने में.”

मैं बहुत हंसी थी उस दिन, पर मैं ने प्यारी सासूमां की बात जरूर गांठ से बांध ली थी कि अजय जो भी लाते हैं, मैं ऐसी ऐक्टिंग करती हूं कि वे खुद को ही शाबाशी देने लगते हैं कि कितनी अच्छी चीज लाए हैं मेरे लिए. मुझे तो कुछ भी खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ती. ऐक्टिंग का अच्छा आइडिया दे गईं सासूमां. आज अगर वे होतीं तो अपनी चेली को देख खुश होतीं.

यह अलग बात है कि मैं अजय को यह नहीं समझा पाई कभी कि जब इतने नए कपड़े रखे रहते हैं तो मैं बीचबीच में अपनी पसंद का बहुत कुछ क्यों खरीदती रहती हूं. कुछ भी कहें लोग, पति होते तो हैं भोलेभाले और आसानी से आ जाते हैं बातों में. तभी तो आजतक जान नहीं पाए कि मैं खुद भी क्यों खरीदती रहती हूं बहुत कुछ.

दरअसल, मैं वह गलती भी नहीं करना चाहती जो मेरी अजीज दोस्त रीता ने की थी. उस ने शादी के बाद अपने पति की लाई हुई चीजें देख कर उन्हें साफसाफ समझा दिया कि दोनों की पसंद में काफी फर्क है. उसे उन का लाया कुछ पसंद नहीं आएगा तो पैसे बेकार जाएंगे. वह अपनी पसंद की ही चीजें खरीदना पसंद करती है और वे उस के लिए कुछ न लाया करें. वह जो भी खरीदेगी, आखिर होगा तो उन का ही पैसा, तो उन पति पत्नी में यहां बात ही खत्म हो गई.

जीवनभर का टंटा एक बात में साफ. पर मैं ने देखा है कि जब भी उस का फ्रैंड सर्किल उस से पूछता है कि भाई साहब ने क्या गिफ्ट दिया या क्या लाए, तो उस का चेहरा उतरता तो है, क्योंकि उन के पति ने भी उन की बात पर ध्यान दे कर फिर कभी न उन पर अपना पैसा वैस्ट किया, न ही समय. मतलब पति के लाए उपहारों में बात तो है.

खैर, रात को बच्चे खुश थे कि पापा उन के लिए जरूर कुछ लाएंगे. मैं हमेशा की तरह उन के आने पर तो खुश थी पर कुछ लाने पर तो डरी ही हुई थी, जब सुबह बच्चे अपनी चीजों में खुश थे.

अजय ने किसी फिल्मी हीरो की तरह पर्ल सैट का बौक्स मुझे देते हुए रोमांटिक नजरों से देखते हुए कहा, ”अभी पहन कर दिखाओ, रश्मि.”

मैं ने बौक्स खोला, खूब बड़ेबड़े मोतियों की माला, बड़ा सा हरा पेडैंट, कंधे तक लटकने वाली कान खी बालियां, खूब भारीभरकम सा सैट. शायद मेरे चेहरे का रंग उड़ा होगा जो अजय पूछ रहे थे, ”क्या हुआ? पसंद नहीं है?”

”अरे, नहींनहीं, यह तो बहुत ही जबरदस्त है,” मुझे सासूमां की बात सही समय पर याद आई तो मैं ने कहा.

”थैंक यू,’’ कहते हुए मैं मुसकरा दी. मैं ने बौक्स अलमारी में रखा, वे फ्रैश होने चले गए. मैं ने उन के सामने चाय रखते हुए टूअर की बातें पूछीं और साथ में लगे हाथ पूरी चालाकी से यह भी कहा, ”बहुत भारी सैट ले आए. कोई हलकाफुलका ले आते जो कभी भी पहन लेती. यह तो सिर्फ किसी फंक्शन में ही निकलेगा. कोई हलका सा नहीं था क्या?’’

”अरे, था न. बहुत वैराइटी थी. पर मैं ने सोचा कि हलका क्या लेना.’’

मन हुआ कहूं कि प्रिय, इतना मत सोचा करो, बस जो हिंट दूं, ले आया करो. पर चुप ही रही और सामने बैठी कल्पना में हलकेफुलके सैट पहने अपनेआप को देखती रही.

अजय महीने में 15 दिन टूअर पर ही रहते हैं. एक दिन औफिस से आ कर बोले, ”रश्मि, अगले हफ्ते चंडीगढ़ जाना है, बोलो, क्या चाहिए? क्या लाऊं तुम्हारे लिए?’’

मैं ने प्यार से उन के गले में बांहें डाल दीं,”कुछ नहीं, इतना कुछ तो रखा है. हर बार लाना जरूरी नहीं, डिअर.’’

”मेरी जान, पर मुझे शौक है लाने का.’’

मेरा दिल कह रहा था कि नहीं… जानते हैं न आप, क्यों कह रहा था?

इस त्योहार घर को दें रंगों से नया लुक

दीपावली का त्योहार आने वाला है- घरों में इस की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. इस त्योहार की तैयारियों में घर की साफसफाई और रंगरोगन सब से जरूरी माना जाता है. तो क्यों न हम इस दीपावली अपने घर को रंगों के सही तालमेल से नया लुक दें और अपने घर को बनाएं और भी खूबसूरत.

घर हो या कोई कमरा रंगों के सही तालमेल से उसे खूबसूरत बनाया जा सकता है. बस इस के लिए आवश्यकता है रंगों का सही चुनाव करने की. इस जानकारी के माध्यम से आप रंगों का सही तालमेल कर अपने घर को सुंदर और खूबसूरत बना सकती हैं.

सफेद या हलके रंग का चुनाव

अधिकतर लोग घर की दीवारों पर सफेद या हलके रंग का चयन करते हैं क्योंकि यह न सिर्फ क्लासी लुक देता है बल्कि हमेशा चलन में रहने वाला रंग भी है, साथ ही सफेद या हलके रंग की दीवारें उस पूरे कमरे को बड़ा और बेहतर दिखाती हैं और बेहतर रोशनी देती हैं जिस से देखने वाले का पूरा ध्यान कमरे या घर में मौजूद फर्नीचर अथवा सजावटी सामान पर केंद्रित करने में सहायक होता है.

यों चुनें रंगों को

कंट्रास्ट रंगों का चुनाव कर के भी आप अपने घर को कलरफुल बना सकते हैं. इस के लिए आप रंगों का कौंबिनेशन बनाए जैसे लाल के साथ पीला, हरे के साथ नारंगी या पीला आदि. कलर व्हील में 2 एकदम अलग छोरों पर मौजूद रंग, जैसे नीले के साथ नारंगी, लाल के साथ हरा या फिर पीले के साथ बैगनी रंग का चुनाव किया जा सकता है पर इस चुनाव में आप को एक बात का ध्यान रखना होगा कि यदि दीवारें पीले रंग में रंगी हों तो सजावट के लिए परदों का रंग, बैडशीट, कुशन या सोफे के कवर की कोई एक चीज बैगनी रखें.

यदि आप ने दीवार के लिए लाल रंग

चुना हो तो बैडशीट या कुशन हरे रंगे के चुने जा सकते हैं. इसी तरह नीले और नारंगी रंग का कंट्रास्ट कौंबिनेशन भी किया जा सकता है. इन रंगों के तालमेल से घर को सजाने पर घर जीवंत हो उठेगा.

एक ही कलर प्लेट के कई शेड्स का चुनाव

एक ही कमरे के अंदर एक ही रंग के अलगअलग शेड्स का चुनाव भी आप के घर को अलग और सुंदर लुक दे सकता है जैसे एक ही कमरे की जिस दीवार को उभारना हो उसे गहरे नीले और जिसे ज्यादा न उभारना हो उसे हलके नीले रंग से कलर करवाया जा सकता है. आजकल यह काफी चलन में है और एक दीवार पर उसी रंग से कंट्रास्ट वाल पेपर लगाने का भी ट्रैंड है. बीच में ब्रीदिंग स्पेस के लिए एकदम हलका नीला या सफेद रंग को जगह दी जा सकती है. इसी तरह अन्य रंगों के प्लेट के साथ भी किया जा सकता है.

कमरे के अनुसार हो रंग का चयन

रंगों के उचित उपयोग से घर को ऊर्जा से भरा हुआ, खुशहाल और आकर्षक बनाया जा सकता है इसलिए ध्यान रहे जिन कमरों में दिन का अधिकांश समय बिताया जाता है उन में हलके और शांतिपूर्ण रंगों का उपयोग किया जा सकता है साथ ही जिन कमरों का इस्तेमाल सिर्फ कुछ घंटों के लिए ही किया जाता है उन में चमकीले रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

यदि किसी कमरे में बहुत अधिक धूप आती है, तो लाइट को कम करने के लिए गहरे रंग का उपयोग किया जा सकता है. दूसरी ओर जिस कमरे में धूप नहीं आती है उसे पीले जैसे जीवंत रंग से चमकाना चाहिए या फिर सफेद रंग भी कर सकते हैं इसलिए अलगअलग कमरों में अलगअलग रंगों का प्रयोग करना चाहिए. जैसे घर में यदि कोई कमरा- मैडिटेशन आदि के लिए हो तो वहां सफेद या किसी हलके रंग का चुनाव उपयुक्त होगा क्योंकि यह रंग शांति देता है, साथ ही किचन, बाथरूम आदि में भी सफेद रंग, पीच किसी भी हलके रंग का चुनाव कर सकते हैं ताकि पर्याप्त रोशनी आ सके.

रोशनी पर भी दें ध्यान

घर की सजावट के लिए रंगों का चुनाव करते समय इस बात को भी ध्यान में रखें कि उस जगह रोशनी कैसी है कम या ज्यादा, उस का रंग क्या है ताकि रंग सही तरीके से उठ कर दिखे. इस के लिए रोशनी का सही विभाजन होना आवश्यक है ताकि लाइट सही ऐंगल से और सही मात्रा में दीवारों पर पड़े और रंग उठ कर दिख सकें क्योंकि रंगों पर रोशनी का भी अलगअलग तरह से प्रभाव पड़ता है.

एक ही रंग सुबह, दोपहर और शाम की रोशनी में अलगअलग नजर आता है और जब उस पर किसी खास ऐंगल से लाइट पड़ती है तो उस रंग का प्रभाव बिलकुल अलग नजर आ सकता है. अत: रंगों का चुनाव करते समय इस बात पर भी ध्यान दें कि रंग का वही शेड चुनें, जो आप को हर रोशनी में अच्छा लगे.

बहुत सारे रंगों का न हो इस्तेमाल

एक ही कमरे में यदि हर चीज चमकीली हो तो आंखें चौंधिया जाती हैं. इसी तरह यदि एक ही कमरे में आप ढेर सारे रंगों को जगह देते हैं तो कमरा सुंदर लगने की जगह अजीब भी नजर आ सकता है. अत: यदि आप घर को अलगअलग रंगों से सजाना चाहते हैं तो अलगअलग कमरों में इस का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन एक ही कमरे में बहुत सारे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए ताकि इस की सुंदरता या खूबसूरती बनी रहे.

सजावट से दें घर को नई ऊर्जा

यदि आप घर के किसी कमरे को नई ऊर्जा से भरना चाहते हैं तो आप उस की ऐक्सैसरीज या सजावट में रंगों को शामिल कर सकते हैं जैसे कुशंस, परदे या रग्स इस के अलावा ताजा फूल, किताबें और लैंप्स भी आप के कमरे को तुरंत सकारात्मक ऊर्जा से भर देंगे. यदि आप रंगों के साथ कोई नया प्रयोग करना चाहते हैं तो डाइनिंगरूम से इस की शुरुआत करना सब से अच्छा रहेगा ताकि खाना खाते समय शांति का अनुभव हो.

खाने की टेबल के ऊपर एक लैंप लगाए ताकि टेबल की खूबसूरती और बढ़ा जाए. टेबल के चारों और एक सी लाइट रहे, लेकिन टेबल के ऊपर लाइट लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि लाइट सीधी आंखों पर न आए और बहुत ज्यादा ब्राइट न हो ताकि आप को खाना खाने में किसी तरह की परेशानी न हो.

रंग आप के मनोविज्ञान पर भी असर डालते हैं और उन के सही इस्तेमाल से मन शांत रहता है. फिर जब बात मन के शांत रहने की हो तो बेशक घर के ज्यादा शांति कहीं नहीं मिलती इसलिए घर के इंटीरियर के लिए रंगों का सही चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हम यहां ज्यादा समय तक रहते हैं तब हमारे ऊपर इन रंगों का सही, सकारात्मक और खुशनुमा प्रभाव पड़ता है और हम खुश रहते हैं.

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