जिस दिन स्त्री औकात पर आ गई तो…

‘‘रूही उठो बेटा वरना लेट हो जाओगी. अभी तो तुम्हें पैकिंग भी करनी है.

रात को पैकिंग क्यों नहीं की? मु?ो भी आज औफिस जल्दी जाना है वरना मैं तुम्हारी हैल्प कर देती. जल्दी से उठो.

‘‘ब्रेकफास्ट बना कर रख जाऊंगी खा लेना और समय से निकलना. मु?ो नहीं लगता आज तुम पहला लैक्चर अटैंड कर पाओ. और हां तुम्हारा साथ ले जाने का सामान भी मैं पैक कर रही हूं. आज का खाना तो घर का ही खा लेना. आज होस्टल से मत खाना. कम से कम एक दिन तो घर का खाना खाया जाएगा,’’ इस तरह बोलतेबोलते पूजा ?ाटपट किचन का काम भी निबटा रही थी और साथ में खुद का औफिस का बैग भी रैडी कर रही थी.

मगर जब थोड़ी देर तक पूजा ने देखा कि न तो रूही ने कोई जवाब दिया और न ही अभी उस ने बिस्तर छोड़ा.

‘‘ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. रूही तो एक आवाज पर ही उठ जाती है, आज क्यों नहीं उठ रही? देखूं तो कहीं तबीयत तो खराब नहीं इस की. आजकल वायरल भी तो बहुत फैला हुआ है,’’ ऐसा खुद से ही बड़बड़ाते हुए वह रूही के कमरे की तरफ चल दी.

रूही को हाथ लगाते हुए कहा, ‘‘क्या हुआ बेटा तबीयत तो ठीक है? आज उठा क्यों नहीं मेरा बच्चा?’’

जब पूजा ने प्यार से रूही का गाल थपथपाया तो रूही उठ कर उस के गले लग कर सुबकने लगी, ‘‘मम्मा, मु?ो नहीं जाना उस कालेज, मैं यहीं आप के पास रह कर पत्राचार पढ़ लूंगी या फिर इसी शहर के कालेज में ही पढ़ लूंगी. मु?ो नहीं जाना आप से दूर.’’

पूजा ने उसे प्यार से चुप कराया, ‘‘रूही मेरा बच्चा इस में रोने वाली क्या बात है. अच्छा एक बात सचसच बताओ, तुम्हें मु?ा से दूर नहीं जाना या कोई और बात है?’’

‘‘नहीं मम्मा मु?ो आप से दूर नहीं जाना बस इसीलिए.’’

मगर जिस तरह रूही कहते हुए नजरें चुरा रही थी उस से पूजा का माथा ठनका कि अवश्य कोई बात है जिसे रूही शायद बताना नहीं चाहती.

आज औफिस में बहुत जरूरी मीटिंग थी इसलिए पूजा का औफिस जाना भी जरूरी था. इसलिए उस ने उसे ज्यादा कुछ न कहते हुए शाम को आ कर बात करने के लिए कह कर औफिस के लिए चली गई. पर पूजा को औफिस में भी चैन कहां. उस का किसी काम में मन ही नहीं लग रहा था. मीटिंग में भी उस ने खास इंटरैस्ट नहीं लिया, बस चुपचाप सब के व्यूज सुनती रही क्योंकि उस का ध्यान तो रूही में था कि ऐसा क्या हो गया जो वह कालेज नहीं जाना चाहती.

पूजा अपने कैबिन में गुमसुम सी बैठी थी कि चपरासी ने आ कर कहा, ‘‘बौस ने बुलाया है.’’

पूजा चुपचाप उठ कर बौस के कैबिन की तरफ चल दी.

‘‘मैं आई कम इन सर?’’

‘‘पूजा, यस, यस, औफकोर्स कम इन.’’

पूजा अंदर आ कर, ‘‘यस सर.’’

‘‘आओ पूजा बैठो,’’ कुरसी की तरफ इशारा करते हुए सर ने कहा और पूजा के बैठने के बाद उसे टेबल पर रखा पानी का गिलास दिया, ‘‘लो पहले पानी पीयो और रिलैक्स हो जाओ, फिर आराम से बात करते हैं.’’

पूजा ने आराम से कुरसी पर बैठ कर पानी पी पिया.

‘‘अब बताओ पूजा क्या बात है? आज तक मैं ने तुम्हें इतना परेशान कभी नहीं देखा, जबकि मैं तुम्हें 8-10 सालों से जानता हूं. जब से मैं ट्रांसफर हो कर इस ब्रांच में आया हूं तुम्हें बहादुर, निडर और साहसी देखा है. कभी न घबराने, हार न मानने या न ही डगमगाने वाली हो तुम. आज पहली बार मु?ो तुम्हारे माथे पर शिकन की लकीरें नजर आई हैं. ऐसा क्या हो गया है, किसी ने कुछ कहा तो बताओ?’’

‘‘नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं, किसी ने कुछ नहीं कहा, बस रूही को ले कर थोड़ा सा परेशान थी.’’

‘‘क्यों क्या हुआ रूही को? वह तो बहुत सम?ादार बच्ची है. 2-4 बार तुम्हारे साथ आई तो उस से बातचीत करने पर मैं ने महसूस किया कि वह तुम्हारी तरह बहुत हिम्मत वाली है. कोई परेशानी है तो तुम मु?ा से बे?ि?ाक शेयर कर सकती हो.’’

 

‘‘सर, आप को याद है जब रूही ने 12वीं कक्षा पास की थी, तब वह

मैकेनिकल इंजीनियरिंग करना चाहती थी और वह भी पीयूसे कहती थी मम्मा यहां जगाधरी जैसे छोटे शहर में नहीं पढ़ना मु?ो. मु?ो तो बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ना है बल्कि यहां तक भी कहा था कि वह कुछ न कुछ कर के अपना खर्चा भी स्वयं निकालेगी. तब आप से मैं ने सलाह ली तो आप ने भी यही कहा था कि उसे भेज दूं, वहां आगे बढ़ने का स्कोप है.’’

‘‘हांहां मु?ो अच्छे से याद है. तुम घबरा रही थी कि वह तुम्हारे बिना रह नहीं पाएगी.’’

‘‘जी सर और उस ने एक साल बड़े अच्छे से निकाला. वह खुद कहती थी मम्मा अगर मैं ऐसा सोचूंगी तो मैं रह नहीं पाऊंगी. मु?ो अकेले रहना सीखना होगा. तभी तो मैं आप का बेटा बन कर आप का सहारा बन पाऊंगी. आज वही रूही कालेज न जाने के लिए रो रही है. उस ने मु?ा से कहा तो यही है कि वह मु?ा से दूर नहीं रहना चाहती. लेकिन मेरा मन कह रहा है कि यह बात नहीं है कुछ और बात है जिसे वह मु?ो बता नहीं पा रही.’’

‘‘पूजा तुम चिंता मत करो, मीटिंग हमारी सक्सैस रही. उम्मीद है टैंडर हमें ही मिलेगा. इस का फैसला तो अगले हफ्ते होगा. अब कोई खास काम नहीं है, तुम ऐसा करो अब घर चली जाओ और रूही के साथ 2 दिन बिताओ और प्यार से उस से पूछो कि क्या बात है. वह अवश्य तुम्हें बताएगी. बस उसे थोड़ा वक्त देना.’’

‘‘जी सर, धन्यवाद सर आप ने हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया है. मैं अभी चली जाती हूं घर और कल तक मैं उस के साथ ही रहूंगी ताकि वह अपने मन की बात तसल्ली से मु?ो बताए.’’

पूजा ने घर आ कर रूही से सामान्य तरीके से बातचीत की. खाना खा कर दोनों मांबेटी टीवी चला कर बैठ गईं.

‘‘रूही क्या कहती है शाम को मूवी चलें? सुना है बहुत अच्छी मूवी है.’’ रूही ने चुपचाप सिर हिला दिया.

पूजा ने औनलाइन टिकट बुक कर लिए. शाम को दोनों मांबेटी मूवी देखने गईं. वहीं पर बर्गर और कौफी ले ली. घर आ कर खाने की इच्छा ही नहीं हुई.

‘‘रूही कुछ खाना है क्या? कहो तो बना दूं?’’

‘‘अरे नहीं मम्मा मेरा तो पेट फट जाएगा आज. एक तो मूवी में इतनी कौमेडी कि

हंसहंस कर पेट में बल पड़ गए उस पर इतना हैवी बर्गर था. लगता है बर्गर वाले ने इस मूवी को देखने वालों के लिए स्पैशल बर्गर बनाया था. वह मजा आ गया. जितना आज हंसे इतना तो कभी नहीं हंसे.’’

‘‘हां यह तो है और मेरी आंखों के सामने तो बारबार वही सीन आ रहा है जब दूल्हे का मामा गधे को…’’ आगे वह बात ही पूरी न कर सकी और दोनों खूब हंसी.

थोड़ी देर बाद रूही जब बिलकुल अच्छे से मां से बातें करने लगी तब…

‘‘रूही, बेटा अब खुल कर बता मु?ो. तु?ो वहां कालेज में क्या प्रौब्लम है? क्यों तू वहां से पढ़ाई बीच में छोड़ना चाहती है?’’

‘‘मम्मा मैं ने आप को लास्ट टाइम बताया था न कि अतुल सर क्लास में मु?ा से ही अधिकतर सवाल पूछते हैं और अच्छे से पढ़ने और सम?ाने पर मैं सारे जवाब सही देती हूं और वे हर वक्त क्लास में मेरा ही उदाहरण देते हैं कि रूही को देखो ट्यूशन ग्रुप भी पढ़ाती है और खुद भी पढ़ती है, तुम सब से बैस्ट स्टूडैंट है वह. तुम्हें रूही से कुछ सीखना चाहिए.

‘‘अब वे किसी न किसी बहाने मु?ो छूने लगते हैं. जैसे मैं ने किसी सवाल का जवाब दिया तो मेरे पास आ कर शाबाश रूही कहते हुए मेरी पीठ पर हाथ फिराते हैं, कभी मु?ो गले से लगाने की कोशिश करते हैं. 1-2 बार तो मु?ो औफिस में बिना वजह बुला कर अपने साथ लिपटा लिया और बोले कि तुम बहुत अच्छी लगती हो. तुम मेरी फेवरेट स्टूडैंट हो. मैं बड़ी मुश्किल से खुद को छुड़ा कर बाहर आई और संयोग से और लैक्चरार भी वहां आ गए.

‘‘और मम्मा उन्हें क्लास में ऐसा करते देख कर 3-4 लड़के भी कभीकभी मु?ो बहाने से टच करते हुए कहते हैं कि रूही तो सर की बैस्ट स्टूडैंट है. कीप इट अप रूही. ऐसा कहते हुए मेरी पीठ पर या गाल पर हाथ फिराते हैं.’’

पूजा सम?ा गई कि रूही के भोलेपन और अकेलेपन का सब नाजायज फायदा उठाने की फिराक में हैं. अब न तो पूजा नौकरी छोड़ कर रूही के साथ रह सकती थी और न ही रूही को इतनी अच्छी यूनिवर्सिटी छोड़ कर यहां छोटे से कसबे में ला सकती थी. रूही के सिवा और है भी तो कोई नहीं कैसे करे, किसे रूही की निगरानी के लिए उस के पास भेजे. फिर उस ने सोचा ये सब तो रूही को अकेले ही हैंडल करना होगा.

‘‘रूही आज तुम्हें मैं एक कहानी सुनाती हूं,’’ और पूजा ने रूही को अपनी गोद में लिटाया और कहानी सुनाने लगी:

‘‘एक लड़की थी भोलीभाली सी. उसे एक कालेज में एक लड़के से प्यार हो गया. लड़की पंजाबी और लड़का पंडित. लड़की के मातापिता को कोई एतराज नहीं था. वे नए ख्यालात के लोग थे लेकिन लड़के के मातापिता को एतराज था इस शादी से. लेकिन आखिर इकलौता बेटा जिस की जान उस पंजाबी लड़की में है, अगर वही न रहा तो क्या करेंगे इस जिद्द और जीवन का. इसलिए शादी की रजामंदी तो दे दी लेकिन उसे अपनी पत्नी को ले कर अलग रहने को कह दिया.

दोनों की शादी हो गई. दोनों अलग घर में रहने लगे. 1 साल बाद उन की एक प्यारी सी गुडि़या जैसी बेटी पैदा हुई. जब गुडि़या 3 साल की हो गई तब उन्होंने सोचा कि अब उस के लिए एक भाई लाना चाहिए. इस फैसले को लिए अभी एक ही दिन हुआ था कि लड़के का औफिस लौटते हुए ऐक्सीडैंट हो गया. ऐक्सीडैंट भी इतनी बुरी तरह कि औन द स्पौट ही लड़के की मृत्यु हो गई.

एक तो लड़के के मातापिता पहले से उसे पसंद नहीं करते थे अब तो बेटे की मौत का जिम्मेदार भी उसे ही ठहराने लगे. वह लड़की अकेली सहमी सी, छोटी सी बच्ची गोद में, पति की मृत्यु हो गई और सासससुर पहले से ही उसे नापसंद करते और अब तो बेटे की मौत भी उस के सिर मढ़ दी. दिनरात आंसू बहाती रहती. घर खर्च इत्यादि मातापिता देने लगे. गुडि़या को स्कूल में दाखिला भी दिलाना था. मातापिता ने करा दिया. लेकिन वह हर वक्त डरीसहमी, छुईमुई सी रहती. लेकिन उसी की कालोनी में उसी की हमउम्र उस की एक सहेली बन गई थी. किरण नाम था उस का. वह एक स्कूल में टीचर थी. उस ने उस लड़की को सम?ाया, ‘‘सुन तु इस तरह अगर दुनिया से डरेगी तो यह दुनिया तु?ो और डराएगी, तु?ो जीने नहीं देगी यह दुनियां और फिर सोचो इस छोटी सी जान का कौन है? इस की मां भी तुम हो और पिता भी तुम. तुम्हें इसे पढ़ानालिखाना है. इसे तुम्हीं तो पालोगी और आज अभी तुम्हारे भाई की शादी नहीं हुई कल को जब तेरे भाई की शादी हो गई तब? तू पढ़ीलिखी है अपने पैरों पर खड़ी हो कर दुनियां को दिखाओ, किरण ने उस लड़की को मोटिवेट किया, उसे हिम्मत बंधाई. उस के सारे सर्टिफिकेट निकालवाए. 1-2 जगह उस का सीवी बना कर भेजा. किरण के हौंसला देने पर उस लड़की ने सोचा कि बात तो सही है. यदि मैं ऐसे ही रही तो मेरी गुडि़या का क्या होगा? कब तक मैं दूसरों के सहारे जीऊंगी.

और वह खुद ही अपना सीवी ले कर चल पड़ी जमाने की पथरीली राहों पर. अच्छी पढ़ीलिखी होने पर नौकरी तो अच्छी मिल गई मगर हरकोई उस की काबिलियत से पहले उस के जिस्म का मुआयना करता. कब तक सहती वह. बेशक पति की मृत्यु के बाद उस ने बहुत सी मुश्किलों का सामना किया लेकिन उस ने अब सहना छोड़ दिया क्योंकि अब वह चंडी बन चुकी थी. जब भी कोई गलत हाथ उस की तरफ बढ़ता तोड़ देती उस हाथ को. जब भी कोई गंदी नजर उस की ओर उठती आंखें निकाल लेती उस की वह. सब को मुंहतोड़ जवाब देना सीख लिया. उस की हिम्मत, हौसले के आगे औफिस हो या घरबाहर कोई भी उसे छू नहीं सकता.

आज उस लड़की की हरकोई इज्जत करता है क्योंकि उस ने इस मतलबपरस्त दुनिया में जीना सीख लिया है. जब तक किसी दूसरे के सहारे जीओगे तब तक जिंदगी जिंदगी नहीं बल्कि भीख होगी. अगर इज्जत से जीना है तो बैसाखियों को छोड़ कर खुद के पैरों पर खड़ा होना होगा.

‘‘बस मम्मा मैं सब सम?ा गई और यह भी जान गई कि यह कहानी किस की है. अब आप देखना आप की बेटी कुछ बन कर ही आएगी वहां से. मैं अभी अपना सामान पैक करती हूं. कल सुबह मु?ो कालेज जाना है.’’

अगले दिन अतुल सर ने रूही को क्लास में प्यार से अपने साथ चिपकाते हुए

कहा, ‘‘रूही डियर कहां रह गई थी? कल क्लास में क्यों नहीं आई? तुम्हारे बिना तो हमारा मन ही नहीं लगा कल.’’ सर के ऐसा करते और कहते ही पूरी क्लास हंसने लगी.

‘‘चटाक,’’ यह क्या इतनी जोर से आवाज और पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया. रूही का जोरदार हाथ सर के गाल पर पड़ा था. सब लड़कियां क्लास में खड़ी हो कर तालियां बजा रही थीं. लड़के शर्म और घबराहट से सिर नीचा किए बैठे थे और अतुल सर महोदय गाल पर हाथ रखे चुपचाप क्लास से बाहर चले गए.

इधर पूजा सोचने लगी किसी औरत को बेसहारा देख कर हरकोई सहारा देने के बहाने उस के शरीर का सौदा क्यों करता है? क्या स्त्री की इतनी ही औकात है?

नहीं दोस्त स्त्री की औकात इतनी नहीं. स्त्री अपनी औकात दिखाती नहीं इसलिए पुरुष की नजर में उस की कोई औकात नहीं वरना जिस दिन स्त्री अपनी औकात पर आ गई तो पूरी सृष्टि को तहसनहस भी कर सकती है स्त्री. इसलिए हमेशा स्त्री का सम्मान करें.

सोलमेट : आखिर क्या हुआ था संवित के साथ ?

‘‘सोलमेट्स किसे कहते हैं मम्मा?’’ संवित ने बड़े प्यार से पूछा.

‘‘सोलमेट्स आत्मिक साथी होते हैं जो सामने न हो कर भी  साथसाथ होते हैं पर मेरे लाल के मन में यह जिज्ञासा कैसे जाग गई?’’ मैं ने हमेशा की तरह उसे छेड़ा.

‘‘मैगजीन में पढ़ा था तो सोचा आप से पूछ लूं. आप का सोलमेट कौन है मम्मा?’’

‘‘तुम हो बेटे.’’

‘‘सच्ची?’’

‘‘हांहां.’’

सुनते ही खुश हो कर मेरे गले लग गया. उस के नजरों से ओ?ाल होते ही ‘सोलमेट’ शब्द कानों से टकराता हुआ सीधे दिल और दिमाग की सैर करता पुरानी यादों को जगाने लगा…

मैं अपने सोलमेट ‘आकाश’ को भला कैसे भूल सकती थी. हमारी दोस्ती की उम्र कुल 2 साल थी पर लगता था जैसे बरसों का नाता था. इस की शुरुआत तब हुई थी जब हमारे विभाग की ओर से 5 दिवसीय ट्रेनिंग के लिए हमें बिनसर भेजा गया था. अपने औफिस से नेहा और मैं चुने गए थे. दूसरे सैंटर से आकाश और अन्य 5 औफिसर भी थे जिन में दो उम्रदराज महिलाएं भी थीं. वहां के मौसम, हरियाली सब में एक अद्भुत सा रस था, शांति में भी मधुर संगीत था. सूर्योदय जल्दी हुआ करता. हम सवेरे उठ कर सैर पर निकलते. लौटने के बाद तैयार हो कर ट्रेनिंग क्लास के लिए जाते. नई जगह व नए माहौल का असर था कि हम सबों में एक बचपना सा जग गया था. चौक से निशाना लगाना. कागजी हवाईजहाज भी उड़ाना… 1-1 कर हम ने बचपन वाली सारी हरकतें दोहरा ली थीं.

ट्रेनिंग के बाद लंच होता और उस के बाद बस में सवार होते. आसपास की सभी देखने योग्य जगहों को कम समय में ही कवर करना था. बस में हम अंत्याक्षरी खेलते, बातें करते और सफर का पता ही नहीं लगता. घूमफिर कर लौटने में रात हो जाती और डिनर कर अपने कमरों में आ जाते. नजदीकी सारी खूबसूरत जगहों की सैर कर आए थे. अल्मोड़ा, कौशानी से तो आने का दिल ही नहीं कर रहा था.

इन रोमांचक 5 दिनों को शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं. अच्छा वक्त जल्दी बीत जाता है सो यह भी बीत गया. हम दिल्लीवासियों ने लौटते समय एक वादे के साथ विदा ली कि जहां तक हो सकेगा हम मिलते रहेंगे. वादे के अनुसार जब भी कोई बुक फेयर या ऐग्जीबिशन में जाना होता हम इकट्ठे जाते. मिलनाजुलना भी हो जाता और काम भी. इसी बीच हमारे परिवार वालों की भी दोस्ती हो गई थी. हमारे बच्चे भी हमउम्र थे. सभी को कंपनी मिल जाती थी. कई बार अपनी पत्नी के साथ आकाश हमारे घर भी आया था.

सबकुछ सहज चल रहा था कि एक दिन आकाश का एक मेल आया, ‘‘धरा… हम आज के बाद बात न करें तो बेहतर होगा.’’

‘‘यह क्या बेवकूफी है आकाश?’’ आंखें डबडबा गई थीं. गुस्सा भी आ रहा था. उस बेतुके मेल के बदले सवाल दाग दिया तो तुरंत ही फोन की घंटी बज उठी.

‘‘अरे, मजाक किया था. तारीख तो देख लेती. मैं तो बस इस तारीख (08.08.08)को यादगार बनाना चाहता था.’’

‘‘ऐसे कैसे? तुम ने तो डरा ही दिया था.’’

‘‘ओह तो मेरी बहादुर दोस्त डरती भी है?’’

‘‘तुम जैसे अच्छे दोस्त को खोना नहीं चाहती.’’

‘‘खोना तो मैं भी नहीं चाहता. खैर, छोड़ो वीकैंड पर पिकनिक के लिए चलें?’’

‘‘सारे दोस्तों से पूछ कर फोन करना.’’

मगर उस का कोई फोन नहीं आया. अगस्त के बाद सितंबर आया और एक लंबा सा मेल साथ लाया. ओह तो पहले वाला ट्रेलर था असली पिक्चर अब रिलीज हुई है. जाने क्याक्या लिख रखा था उस में. अभी आधा ही पढ़ा था कि भावनाओं का तूफान सा उमड़ा. अक्षर धुंधलाने लगे. औफिस में आंखें गीली कैसे करती? बमुश्किल खुद को संभाला और नयनों के कपाट बंद कर फिर उन्हीं दिनों की सैर करने लगी. ठीक से याद करने लगी. कुछ ऐसावैसा तो न घटा था? आखिर कोई तो बात हुई होगी? मेरी किस बात से उसे सिगनल मिला होगा. ध्यान आया कि आखिरी शाम एक पहाड़ी की चढ़ाई के वक्त हम अकेले थे.

‘‘मुझ से और न चढ़ा जाएगा आकाश.’’

‘‘कम औन धरा. तुम कर सकती हो.’’

‘‘ऊंची चढ़ाई है,’’ मैं ने घबराहट से उस की ओर देखा तो उस ने हाथ बढ़ा दिया. मैं ऊंचाई से इन वादियों को देखने का लोभ संवरण नहीं कर पा रही थी. मित्रता के उस आमंत्रण को सहर्ष स्वीकारती मंजिल की ओर बढ़ती चली गई. थोड़ी ही देर की मशक्कत के बाद हम चोटी पर थे. बाकी के साथियों ने हमारा साथ छोड़ नीचे ही डेरा डाल दिया था. उन में वे महिलाएं भी थीं जिन्हें घुटनों में दर्द की शिकायत थी. ऊपर आसमान और अगलबगल हरेहरे पेड़ों से आच्छादित पहाड़ ही पहाड़ नजर आ रहे थे. बड़ा ही मनोरम दृश्य था.

कुछ क्षणों के लिए यह भी भूल गई थी कि अपने पीछे पति व बेटे को छोड़ कर आई

हूं. ताजी हवा छूछू कर सिहरन जगा रही थी. प्रकृति के उस नरम स्पर्श ने मन को सहला दिया था. चेहरे पर एक विजयी मुसकान थी मानो किला फतह कर लिया हो. तापमान थोड़ा कम था जैसा अमूमन ऊंचाइयों पर होता है. आंखें बंद कर अपने अंदर उस खूबसूरती और शीतलता को आत्मसात कर जब आंखें खोलीं तो आकाश के नयनयुग्मों को खुद पर अटका पाया. फिर हंसते हुए ही टोका, ‘‘कहां खो गए?’’

‘‘कहां खो सकता हूं. यहां से सुरक्षित वापसी की चिंता हो रही है,’’ आकाश अनायास टोके जाने पर हड़बड़ा गया.

‘‘ऊपर जाने के लिए ही प्रयास की जरूरत है, नीचे तो गुरुत्वाकर्षण बल खींच लेगी हमें,’’ मेरे विज्ञान के ज्ञान पर उसे हंसी आ गई. दोनों के ठहाके वादियों से टकरा कर वापस आ रहे थे. सच, प्रकृति के उन अद्भुत नजारों की याद ने दिलोदिमाग को तरोताजा कर दिया. वापस मेल पढ़ने लगी.

‘‘डियर सोलमेट,

‘‘माफ करना अपनी मरजी से तुम्हें यह नाम दे रहा हूं. तुम दोस्त हो एक बहुत ही प्यारी दोस्त जिसे आजीवन सहेज कर रखना चाहता हूं पर मेरी विडंबना देखो कि तुम्हें अपने ही हाथों दूर कर रहा हूं. मु?ो पता है कि मैं तुम्हारे साथ गलत करने जा रहा हूं पर जब तक तुम मेरे मेल को पूरा न पढ़ लो, कृपया कोई राय न बनाना. याद है तुम्हें 2006 की अपने ट्रेनिंग के आखिरी दिन की वह पहाड़ी की चढ़ाई. कितना बोलती थी तुम. यहांवहां की, स्कूलकालेज की तमाम बातें और उस के बाद उस ऊंचाई पर जा कर तुम्हारा खामोश हो जाना मु?ो दुस्साहसी बना रहा था. मैं ही जानता हूं उस वक्त खुद को कैसे संभाल सका. सच कहूं तो तुम्हारी मासूमियत की ताकत ने ही मु?ो नियंत्रित किया. जी चाहता था कि वापस ही न लौटूं पर जैसा तुम ने कहा था कि गुरुत्वाकर्षण बल हम दोनों को वापस अपनी दुनिया में खींच कर ले आएगा, वही हुआ.

‘‘तुम वापसी के बाद अपनी दुनिया में मशगूल हो गई पर तुम्हारा एक हिस्सा मेरे साथ चला आया और जबतब मु?ो परेशान करने लगा. वादे के अनुसार हम मिलते रहे. तुम समान भाव से सभी मित्रों को बुलाती. मैं आने से खुद को न रोक पाता. तुम्हारे प्रति एक चाहत, एक ?ाकाव के साथ आता. वह चाहत मेरे अंदर बढ़ती ही जा रही थी. खुद को  सम?ाने की बहुत कोशिश की. अपनी पत्नी के साथ वक्त बिताना चाहा पर कुछ काम नहीं आया. तब जा कर मैं ने यह कठोर निर्णय लिया कि मेरे परिवार के हित के लिए मेरा तुम से कभी न मिलना ही श्रेयस्कर होगा.’’

मन बड़ा अजीब सा हो रहा था. हम दोनों 30 पार कर चुके थे. हंसतेखेलते परिवार व बच्चे होते हुए यह सब आखिर क्यों हुआ होगा? आंखें मूंद कर बहुत सोचा तो मन से यही जवाब आया. घर और जिम्मेदारियों से दूर खूबसूरत वादियों में बचपन जीते हुए, उन उन्मुक्त क्षणों में मन किशोर सा हो गया था. उसी हठ में कुछ चाह बैठा. चाहतों की उस मीठी दस्तक ने साथी का मन भरमा दिया होगा पर मु?ो ऐसा कुछ क्यों नहीं लगा था? शायद हम स्त्रियां संबंधों की सीमा रेखा में दक्ष आर्किटैक्ट इंजीनियर होती हैं जिन्हें अपनी हदों का भलीभांति भान होता है.

दुख, कोध,भावुकता और ठगे जाने का एहसास, सभी एकसाथ मन में घुमड़ रहे थे. पूरे

2 साल तक मन में रखा था उस ने. पहले कहता तो सम?ाती या सम?ाती पर उस ने तो अपने फैसले में शामिल होने का हक तक न दिया था. मैं घोर अचरज में थी कि जिस दोस्ती पर गर्व कर रही थी उस के टूटने का दूख कैसे मनाती. यह ऐसा दर्द था जिसे किसी से सा?ा भी नहीं कर सकती थी.

इसी बीच अगला मेल आया:

‘‘सुना था कि प्यार उम्र व सीमाओं के बंधन को नहीं मानता और अब सम?ा भी गया हूं. मैं खुद को सम?ाने का हर संभव प्रयास करता हुआ अब थक गया हूं. तुम सोच रही होगी कि अपनी पत्नी के साथ प्रेम विवाह होते हुए भी ऐसी कमजोर बातें क्यों कर रहा हूं. तो यहां एक और बात बताना चाहूंगा कि हमारे वैवाहिक संबंध मधुर होते हुए भी मानसिक तौर पर वैसा सामंजस्य नहीं बन सका जो तुम्हारे साथ उन 5 दिनों में बन गया. सच कहूं तो मु?ो भी नहीं पता कि मेरेतुम्हारे बीच क्या है. जब भी तुम से मिलता हूं, तुम्हारी बातों में खो सा जाता हूं. तुम और तुम्हारी निश्छल हंसी हमेशा मन को घेरे रहती है. तुम्हारी इजाजत के बगैर ही तुम से प्यार करने लगा हूं. एक ओर तुम्हारा निश्छल व्यक्तित्व और दूसरी ओर इन सब से अनजान अपनी पत्नी की ओर देखता हूं तो खुद को अपराधी पाता हूं. अपनी पत्नी और अपनी सोलमेट के बीच मैंने पत्नी को चुन लिया है. तुम से एक अनुरोध है कि मु?ा से संपर्क बनाने की कोशिश न करना. तुम्हारी आवाज कहीं मेरे निर्णय को डिगा न दे.’’

‘‘गलत है आकाश. हमारी इतनी प्यारी दोस्ती का ऐसा अंत? ऐसा क्यों किया आकाश? मु?ा से कह कर तो देखते? मैं तुम्हारा मन साफ कर देती. बात करने से राह निकल आती है. पर तुम ने तो कुछ कहा ही नहीं. दोस्त हो कर दोस्ती का हक छीन लिया. सोलमेट्स क्या होते हैं नहीं जानती. बस इतना जानती हूं कि अपने किसी फुतूर में तुम ने हमारी दोस्ती की बलि चढ़ा दी.’’

उस की एकतरफा सोच से तड़प कर मेल कर विरोध जताया पर उधर से कोई जवाब

नहीं आया. कुछ ही समय में मैं ने खुद को बखूबी संभाल लिया पर उस गुस्ताख को कैसे सम?ाती जिस ने स्वयं अपनी परेशानियां बढ़ाईं और समाधान भी कर लिया मानो मैं कोई बुत हूं. मेरी अपनी इच्छाओं का कोई वजूद नहीं. हालांकि मु?ा से कहता तो शायद मैं भी वही करती पर वह निर्णय एकतरफा न होता. उस में मेरी भी भागीदारी होती. हम एकदूसरे की राह को आसान करते. हम सोलमेट्स थे पर अपनी बातें कह नहीं सके. क्या इस खूबसूरत आत्मिक रिश्ते का यही हश्र होना था? मेरा सोलमेट अपने ही हाथों मेरी रूह को छलनी कर गया था और मैं अपने इस दुख का जिक्र तक नहीं कर सकी थी. मैं कतराकतरा टूट रही थी और वह भी टूट कर कहीं बिखर गया था.

खैर, अब इन बातों को भी सालों बीत गए. मेरा पुत्र अब सम?ादार किशोर हो चुका है पर आज भी जब किसी की सच्ची दोस्ती देखती हूं तो दोस्त याद आता है. सच कहूं तो आज भी इसी आस में बैठी हूं कि कभी तो उस के मन में घिर आए काले बादल किसी पहाड़ी से टकरा कर जरूर बरसेंगे. कहीं तो धरा और आकाश के बीच संवाद होगा जहां दोनों बोलबतिया कर मन हलका कर लेंगे. कभी तो मेरा संजीदा दोस्त, मेरी दोस्ती की कद्र कर पाएगा. उस दिन बीच के सारे फासले भुला कर खिलखिलाता हुआ वापस आएगा और सच्चा सोलमेट कहलाएगा.

 

औल इज वैल : आदिराज भोलीभाली लड़कियों को बनाता था अपना शिकार

Writer-  इंदु सिन्हा ‘इंदु’

गुलाबी शहर यानी पिंक सिटी जयपुर. रात का अंधियारा चारों तरफ अपने पंख पसार चुका था. लेकिन वह अंधकार को कायम रखने में सफल नहीं हो पाया था. पूरा शहर रोशनी से नहा रहा था. ऐसी ही एक खूबसूरत शाम थी. जयपुर के म्यूजियम के सामने ढेर सारी लड़कियों और लड़कों का ?ांड खड़ा था. खूबसूरत रोशनी से जगमगाते म्यूजियम के साथ सैल्फी का दौर चल रहा था.

‘‘काश, शाम को भी म्यूजियम में जाने की परमिशन होती तो मजा आ जाता,’’ शैली जोर

से बोली.

‘‘ओ डार्लिंग, नोनो तुम डर जातीं शाम को म्यूजियम के अंदर,’’ विराट ने शैली का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो शैली अपना हाथ छुड़ा दूर चली गई.

‘‘शैली यार, आओ 1-2 सैल्फी और लेते हैं.’’ फिर चलते है.

दूसरे फ्रैंड्स भी शैली और विराट की नोक?ांक देख रहे थे. वे सब जानते थे कि विराट और शैली एकदूसरे को पसंद करते हैं. दोनों क्लासमेट भी थे.

‘‘नहींनहीं बहुत सैल्फी हुईं अब चलें. आओ भी,’’ शैली बोली.

‘‘अच्छा,’’ कह तभी विराट ने दौड़ कर शैली को पकड़ लिया तो वह खिलखिला कर हंस दी.

दूसरे फ्रैंड्स करण, शर्लिन, स्वीटी, रोहन बोले, ‘‘अब चलो यार बहुत हो गई मस्ती.’’

‘‘हां चलोचलो. अरे सुनो,’’ अचानक शैली रुक गई.

‘‘क्यों क्या हुआ,’’ स्वीटी व रोहन बोले.

‘‘हम सब तो मसाला चौक चल रहे हैं न,’’ शैली ने पूछा.

‘‘हां, वहीं चल रहे हैं,’’ रोहन बोला.

‘‘तो देख लो अभी रात में तो वहां और भीड़ होगी, गाड़ी पार्किंग की समस्या भी होती है,’’ शैली बोली.

‘‘हां यार यह बात तो सही है. पिछली बार भी परेशानी हुई थी,’’ विराट बोला.

‘‘ऐसा करते हैं म्यूजियम की पार्किंग में रख देते हैं अपनी गाडि़यां,’’ रोहन ने सु?ाया.

‘‘हां फ्रैंडस यह ठीक रहेगा,’’ स्वीटी बोली.

तुरंत ही सब पार्किंग में पहुंच गए. पार्किंग के गार्ड को पता था म्यूजियम के सामने ही सड़क पार करते ही मसाला चौक पर शाम को बहुत भीड़ लगती. ये छोरेछोरियां जल्दी निकलने वाले नहीं हैं वहां से. उस ने देखा 6 लड़केलड़कियां हैं. गाडि़यां 3 हैं. अत: बोला, ‘‘9 बजे रात तक गाड़ी ले जाओ तभी खड़ी करना क्योंकि ज्यादा लेट होने पर समस्या आती है.’’

‘‘ओके अभी शाम के 8 बज रहे हैं. हम लोग तो घंटे भर में फ्री हो जाएंगे. क्यों फ्रैंड्स, विराट ने पूछा.

‘‘बिलकुलबिलकुल बस नाश्ता करना है… हम 9 के पहले ही आ जाएंगे.’’

‘‘ठीक है,’’ कह कर गार्ड ने पार्किंग का बड़ा गेट खोल दिया. सब ने वहां अपनीअपनी गाड़ी खड़ी कर दी. फिर हंसतेखिलखिलाते हुए सड़क पर चल पड़े. मुश्किल से 10 मिनट में मसाला चौक के गेट पर खड़े थे.

रोहन टिकट की लाइन में खड़ा हो गया. ऐंट्री फीस क्व10 थी. रोहन ने 6 टिकट खरीदे. सब फ्रैंड्स मसाला चौक के अंदर दाखिल हो गए.

विराट बैठने की जगह देखने लगा लेकिन उसे नहीं दिखाई दी. भीड़ बहुत थी. ढेर सारे फूड स्टाल रंगबिरंगी रोशनी से नहा रहे थे. सभी उम्र के लोगों का अच्छाखासा जमावड़ा था. लोग टेबल खाली होने का इंतजार कर रहे थे.

मसाला चौक में चारों तरफ फूड स्नैक्स और जयपुर के प्रसिद्ध व स्थानीय खानों के स्टाल थे. स्टालों के बीचबीच ढेर सारी काले, गहरे रंग के पत्थर की टेबलें थीं, जिन के चारों और कुरसियां लगी थीं. व्यक्ति किसी भी स्टाल से और्डर दे कर किसी भी टेबल पर बैठ सकता था.

‘‘अब क्या करें विराट,’’ शैली बोली, ‘‘यहां टेबल ही खाली नहीं हो रही है. सब फ्रैंड्स बिखर कर अलगअलग टेबलों के सामने थे. जहां टेबल खाली हो, तुरंत फोन पर बताएं.

तभी रोहन ने करण को फोन किया कि उस की तरफ एक टेबल खाली हो रही है. सभी रोहन की ओर चले गए. जिस टेबल का वह बता रहा था उस टेबल के लोग खाना खाने के अंतिम दौर में थे. छोटे बच्चे हाथ में आइसक्रीम के कोन लिए थे. 5-7 मिनट में ही टेबल खाली हो गई. टेबल साफ करने वाला लड़का टेबल साफ कर गया. सब टेबल के चारों और कुरसियों पर जम गए.

‘‘जल्दी सोचो क्या खाना है स्टाल पर और्डर देने चलते हैं,’’ विराट ने कहा, ‘‘कोई भी 2 लोग चलेंगे और और्डर की चीजें ले आएंगे.’’

‘‘यह ठीक रहेगा,’’ रोहन बोला.

तय हुआ रोहन, विराट, स्वीटी जा कर और्डर भी करेंगे और ले के भी आएंगे. सभी अपने पसंद की चीजें बताने लगे. किसी को छोलेभठूरे चाहिए थे तो किसी को पनीर उत्तपम. शैली को यहां का लोकल फूड पसंद था. काठियावाड़ी थाली, उस के साथ ढेर सी चटनियां भी टेस्टी होती हैं.

ओकेओके,’’ विराट बोला, फिर वे तीनों और्डर देने चले गए.

करण बड़ी देर से देख रहा था, शैली सामने स्टाल पर बैठे एक लड़के को गौर से देख रही थी. लड़के का साइड फेस ही शैली के सामने था, पीठ पूरी दिख रही थी. जब खाता था तो इधरउधर सामने नजर घुमाता था. तब ही शैली और करण को नजर आता था. पूरा चेहरा नहीं दिख रहा था.

करण ने सोचा शायद शैली का पहचान वाला हो तभी इतनी गौर से देख रही है. आखिर उस ने पूछ ही लिया, ‘‘शैली क्या बात है इतना ध्यान से क्या देख रही हो?’’

‘‘शैली ने जवाब नहीं दिया. वह उसी तरह उसे देखती रही. फिर अचानक शैली खुश हो कर चिल्लाई, ‘‘करण आओ तो.’’

‘‘क्या हुआ?’’ करण चिल्लाया, ‘‘कुछ बोलो भी. खाना आने वाला है.’’

‘‘अरे रुको, मैं अभी आई,’’ शैली बोली.

शर्लिन भी उस का चेहरा देख रही थी. उसे पता था कि वह उठेगी. इसीलिए वह कुरसी छोड़ना नहीं चाहती थी.

शैली उस व्यक्ति के पास गई. करण ने रोकना चाहा लेकिन वह उस व्यक्ति की टेबल पर जा चुकी थी. शैली जब उस की टेबल पर पहुंची तो व्यक्ति अपना खाना खत्म कर चुका था.

‘‘आप आदिराज हैं?’’ शैली बोली.

‘‘जी.’’

आदिराज वे प्रसिद्ध यूट्यूबर जिन की पोस्ट पर लाखों व्यूज आते हैं.

‘‘मैं आप की बड़ी फैन हूं… आप को फौलो करती हूं. आप के डास के वीडियो बहुत सुंदर होते हैं,’’ शैली खुशी के मारे पागल हुए जा रही थी. ‘‘प्लीजप्लीज एक सैल्फी,’’ कहतेकहते शैली ने अपना मोबाइल निकाल लिया और आदिराज के नजदीक जा कर 1-2 सेल्फी ले ही लीं. फिर सैल्फी ले कर अपने फ्रैंड्स के पास पहुंची. विराट उस का इंतजार ही कर रहा था. वह और्डर की चीजें ले कर आ गया था.

‘‘शैली कहां चली गई थी?’’ विराट ने शिकायत की.

‘‘विराट आदिराज यहां मिल गए थे,’’ शैली खुश हो कर बोली.

‘‘आदिराज वे यूट्यूबर? विराट बोला.

‘‘हांहां वही आदिराज,’’ शैली ने बताया.

‘‘अरे, यह तो अच्छी बात है. बधाई हो,’’ सभी फ्रैंड्स बोले.

‘‘विजिटिंग कार्ड भी दिया है मु?ो… मैं ने सैल्फी भी ली है. अभी फेसबुक पर पोस्ट करती हूं,’’ शैली बोली.

‘‘पहले यहां से फ्री हो लो बाद में पोस्ट कर देना,’’ विराट बोला.

‘‘विराट प्लीज,’’ शैली बोली.

‘‘जरा समझने की कोशिश करो कि हमारी गाडि़यां म्यूजियम की पार्किंग में खड़ी हैं,’’ विराट ने सम?ाया.

‘‘ओके चलो खा लेते हैं,’’ शैली बोली.

सब ने अपनेअपने और्डर की डिश एकदूसरे से शेयर की.

शैली का लोकल फूड भी जायकेदार था. बड़ी सी रोटी, ढेर सारी चटनियां, कढ़ी, दाल, गार्लिक चटनी ज्यादा टेस्टी लगी सब को. उस के बाद आइसक्रीम का कोन ले कर सभी म्यूजियम की पार्किंग में आए. लेकिन शैली का मन आदिराज के साथ कुछ मिनट की हुई मुलाकात में उल?ा हुआ था.

परफ्यूम कितना प्यारा लगाया था. कितनी मीठी सी खुशबू आ रही थी उस के कपड़ों से. शैली को परफ्यूम की खुशबू बड़ी अच्छी लगी थी.

विराट बोला, ‘‘शैली अब बैठो भी,’’ लेकिन शैली खयालों में खोई थी.

‘‘शैली घर नहीं चलना है क्या?’’ विराट ने थोड़ा ऊंची आवाज में कहा.

‘‘ओ हां, चलो,’’ कह कर शैली विराट के पीछे बैठे गई. शैली व विराट एक ही कालोनी में रहते थे.

बाकी फ्रैंड्स दूसरे दिन का मिलने का प्रौमिस कर चल दिए.

सारे रास्ते विराट यह सोचता रहा कि शैली ने रास्ते में कहीं भी बात नहीं की है न ही जवाब दिया है किसी भी बात का. विराट ने घर से थोड़ी दूरी पर बाइक रोकी.

बाइक रुकते ही शैली बोली, ‘‘क्या हुआ बाइक क्यों रोकी? घर आ गया.’’

‘‘पहले यह बताओ जब से आदिराज से मिली हो कहां खोई हो?’’ विराट ने पूछा.

‘‘विराट तुम देखते तो तुम भी फैन हो जाते. कितना हैंडसम था. उस के परफ्यूम की खुशबू कितनी भीनीभीनी थी.’’

‘‘देखो शैली, वह पब्लिक फील्ड है… उस के न जाने कितने फैन होंगे तुम्हारे जैसे. घर चलो. कल मिलते हैं, फिर आराम से बात करेंगे. बाइक पर बैठो घर छोड़ देता हूं.’’

ओके बाबा चलो,’’ शैली बोली.

विराट ने बाइक शैली के पास घर के रोकी. बिना देखे शैली अंदर चली गई. हमेशा की तरह शैली ने विराट से गुडनाइट नहीं की, न ही देखा. विराट को थोड़ा अजीब लगा, ‘खैर, कल मिल ही रहे हैं न कल बात करूंगा,’ विराट ने सोचा.

डिनर के बाद शैली अपने रूम में गई तो भी उस का मन बेचैन था. उसे हर जगह आदिराज दिख रहा था. शैली की मौम भी परेशान थीं. शैली ने डिनर भी ठीक से नहीं किया.

क्या पता किन खयालों में खोई है. कहीं फ्रैंड्स के साथ कोई बात न हुई हो, कोई ?ागड़ा. सोच कर शैली की मौम प्रतिभा ने विराट को फोन किया.

विराट स्टडी कर रहा था. शैली की मौम का फोन देख तुरंत उठाया.

‘‘हैलो विराट कैसे हो?’’ प्रतिभा बोलीं.

‘‘ठीक हूं. आंटी आप बताएं कैसे फोन किया?’’

‘‘बेटा तुम्हारी क्या आपस में फ्रैंड्स की

कोई कहासुनी या बात हुई है क्या?’’ प्रतिभा ने सवाल किया.

‘‘नहीं आंटी ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ. पर आप यह क्यों पूछ रही हैं,’’ विराट आश्चर्य में था.

‘‘शैली ने ठीक से डिनर भी नहीं किया. चुपचुप सी है. मैं ने सोचा कहीं लड़ाई?ागड़ा न हुआ हो,’’ शैली की मौम ने शंका दूर करनी चाही.

‘‘नहीं, हम सब बड़े खुश थे. खूब ऐंजौय किया. शैली भी खुश थी,’’ विराट बोला. फिर विराट को अचानक ध्यान आया वह बोला, ‘‘आंटी एक बात जरूर हुई थी.’’

‘‘वह क्या?’’ प्रतिभा ने तुरंत पूछा.

वह यह कि जब हम 3 फ्रैंड्स मसाला चौक पर और्डर करने गए थे तब शैली को फेमस यूट्यूबर आदिराज मिले थे. तब शैली ने उन के साथ सैल्फी भी ली थी, उन से बात भी की थी. बस यही बात हुई थी,’’ विराट बोला.

‘‘हां विराट शैली आदिराज की फैन है. वह तो नौर्मल बात है,’’ प्रतिभा बोली.

‘‘आंटी कल संडे  है, हम ने घूमने का प्रोग्राम बनाया है, शैली भी चलेगी तब देखते हैं उस का मूड कैसा रहता है,’’ विराट बोला.

‘‘हां यह ठीक है. ओके गुडनाइट बेटा,’’ कह कर प्रतिभा ने फोन काट दिया.

संडे की सुबह, आराम की सुबह. शैली आराम से उठती थी. मौम ने भी डिस्टर्ब नहीं किया.

विराट के कितने मैसेज आ चुके थे पर शैली ने एक भी मैसेज नहीं देखा था.

विराट ने कौल की. बड़ी देर तक रिंग जाती रही पर कौल नहीं उठी. विराट परेशान हो गया. सुबह के 10 बज रहे थे पर शैली ने कोई कौल अटैंड नहीं की. सुबह 11 बजे तो निकलना था. मौसम भी खुशनुमा था. गरमी भी नहीं थी. आखिर दोपहर 12 बजे शैली ने विराट को कौल की.

विराट ने तुरंत कौल अटैंड की, ‘‘शैली क्या बात है तुम को नहीं चलना है क्या?

फ्रैंड्स इंतजार कर रहे हैं. न मैसेज का जवाब न कौल अटैंड कर रही हो. क्या बात है?’’ विराट थोड़ा चिढ़ गया था.

नहीं विराट आज मेरा मूड नहीं है. मैं नहीं जाऊंगी. तुम लोग जाओ,’’ कह कर शैली ने कौल काट दी.

तभी प्रतिभा आईं तो देखा शैली रैडी नहीं हुई है.

‘‘शैली फ्रैंड्स के साथ जा रही हो न… रैडी नहीं हुई?’’ प्रतिभा ने पूछा.

‘‘नहीं मौम मैं नहीं जा रही हूं. मैं फ्रैश हो कर आती हूं, तुम ब्रेकफास्ट बना दो कुछ भी,’’ कह कर शैली वाशरूम में चली गई.

प्रतिभा किचन में जा कर शैली का पसंदीदा नाश्ता बनाने लगीं. पनीर के परांठे और गार्लिक की चटनी शैली को पसंद थी. नाश्ता ले कर वे शैली के रूम में ही चली गईं. शैली वाशरूम से आ कर बैठी थी.

शैली ने नाश्ता किया. फिर बोली, ‘‘मौम, मैं स्टडी करूंगी.’’

‘‘ओकेओके,’’ कह कर मौम चली गईं.

शैली ने दरवाजा बंद कर अपने कपड़ों में से सब से अच्छी ड्रैस निकाल कर पहनी, अच्छे से मेकअप किया. फिर वीडियो बनाने लगी. डांस के इस बीच कई बार विराट की कौल आई पर उस ने अटैंड नहीं की. कुछ अच्छे वीडियो बना कर फिर उस ने आदिराज का विजिटिंग कार्ड निकाला. फिर सोच में पड़ गई शैली कि कौल करे या नहीं.

मु?ो भी वीडियो पर लाखों व्यूज चाहिए. वे आदिराज ही गाइड कर सकते हैं. उन के यूट्यूब चैनल पर मेरा वीडियो बन गया तो लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाएंगी. वीडियो वायरल हो गया, लाखों व्यूज मिलने लगे तो मजा आ जाएगा. उस के लिए जरूरी है, कौल नहीं कर के सीधी मुलाकात की जाए आदिराज से. हां, यह ठीक रहेगा. आदिराज ने नहीं पहचाना तो? सैकड़ों लोग मिलते होंगे.

नहीं मुलाकात ठीक रहेगी एक सैल्फी भी ले लेगी. वह परफ्यूम की खुशबू. कितनी प्यारी थी. शैली ने विजिटिंग कार्ड देखा. स्टूडियो का भी पता था. ठीक मौम को बोल देगी फ्रैंड्स से मिलने जा रही है. शैली ने डिसीजन लेने के बाद शाम को स्टूडियो जाना तय किया.

 

शाम को प्यारी सी ड्रैस पहनी और मौम से बोली, ‘‘मौम मैं विराट और दूसरे फ्रैंड्स

से मिलने जा रही हूं,’’ और फिर एक्टिवा ले कर निकल गई.

स्टूडियो ढूंढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगा. लाल कोठी के नजदीक था स्टूडियो. बाहर रिसैप्शनिस्ट बैठी थी. क्या औफिस है वाह. शैली ने सोचा.

‘‘जी आदिराजजी से मिलना है,’’ शैली बोली.

‘‘क्या काम है?’’ उस ने रूखे अंदाज में पूछा.

‘‘वे अपने कुछ वीडियो दिखाने हैं.’’

‘‘अपौइंटमैंट लिया है आप ने?’’ युवती ने पूछा.

‘‘हां,’’ शैली ने ?ाठ बोला.

‘‘अच्छा मैं पूछती हूं,’’ कह कर उस ने मोबाइल हाथ में लिया ही था कि तब तक शैली स्टूडियो का दरवाजा खोल कर भीतर आ गई. वह लड़की तुरंत उस के पीछे गई. आदिराज कुछ वीडियो देखने में बिजी थे. शैली दौड़ कर आदिराज के सामने आ गई. आदिराज हड़बड़ा गए.

‘‘सर, यह लड़की जबरदस्ती घुस गई है.’’

आदिराज ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम जाओ मैं बात करता हूं.’’

‘‘आदिराजजी मैं आप की फैन हूं. अभी

2 दिन पहले मसाला चौक में मिली थी. सैल्फी भी ली थी.’’

आदिराज जोरजोर से हंसने लगे. फिर बोले, ‘‘तो उस से क्या हुआ? सैकड़ों लोग सैल्फिया लेते हैं.’’

‘‘मैं आप को बहुत पसंद करती हूं,’’ शैली बोली, ‘‘मैं ने भी अपने कुछ डांस के वीडियो बनाए हैं. प्लीज देखिए न,’’ शैली गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘देखो प्लीज, तुम बाहर मेरी सैके्रटरी को दे दो. मैं बिजी हूं,’’ आदिराज ने कहा.

शैली ने वीडियो आदिराज की पीए को दे दिए. फिर बहुत देर तक स्टूडियो में ही घूमती रही, खुश होती रही.

जब घर पहुंची तो शाम के 7 बज रहे थे. मौम परेशान हो रही थीं. शैली को देखा तो उन की चिंता गुस्से मे बदल गई, ‘‘कहां थी शैली तुम इतनी देर से? फ्रैंड्स के तो मेरे पास फोन आ रहे थे?’’ मौम बोलीं.

‘‘मौम सौरी, आदिराज के पास गई थी,’’ शैली तुरंत मौम से बोली.

‘‘क्या काम था?’’ मौम ने पूछा.

‘‘मैं भी अपने वीडियो बना कर देखूंगी  कितनी सफलता मिलती है,’’ शैली बोली.

‘‘देखो शैली पढ़ाई पर फोकस करो समय बर्बाद मत करो,’’ कह कर मौम चली गईं.

शैली तो ख्वाबों में डूबी रहने लगी. वह एक ही सपना बारबार देखने लगी. उस के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. लाखोंकरोड़ों व्यूज… रुपए ढेर सारे… फेमस हो रही है वह.

जिस दिन संडे को आदिराज से मिली थी उसी रात जब शैली डिनर कर रही थी विराट आ गया था. शैली की मौम विराट को देख बोलीं, ‘‘विराट तुम ही सम?ाओ शैली को आदिराज के चक्कर में वीडियो और व्यूज का भूत सवार है इस पर.’’

‘‘शैली ये सब फालतू की बातें हैं. ये

सब छोड़ो. ऐग्जाम नजदीक आ रहे हैं, ऐक्स्ट्रा क्लास लगेगी.’’

‘‘देखो विराट मु?ो शिक्षा मत दो, अपना भाषण अपने पास रखो. तुम जैलिसी रखते हो मु?ा से आदिराज के कारण,’’ शैली गुस्से में बोली.

‘‘ऐसा कुछ नहीं है शैली,’’ विराट ने कहा.

‘‘ऐसा ही है,’’ कह कर शैली तुरंत अपने रूम में चली गई.

दूसरे दिन कालेज में भी शैली फैं्रड्स से दूरदूर ही रही. विराट ने कोशिश की कि शैली का मूड सही हो जाए. मगर दूसरे फ्रैंड्स भी आसपास थे इसलिए खुल कर नहीं बोल पाया.

घर आ कर शैली फिर रूम मे बंद हो कर डांस की प्रैक्टिस करने लगी और वीडियो बनाने लगी. एक दिन बाद वह शाम को आदिराज के पास जाएगी पहले वीडियो के बारे में पूछेगी.

दूसरे दिन कालेज से आते समय शैली ने आदिराज के स्टूडियो पर जाने का प्लान बनाया. स्टूडियो जाने के लिए उस को 2 पीरियड छोड़ने पडे़.

वह सीधी स्टूडियो पहुंची. बाहर रिसैप्शनिस्ट ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की क्योंकि शैली कई बार आ चुकी थी.

आज आदिराज के पास एक व्यक्ति और भी था जो आदिराज के साथ लैपटौप पर कुछ काम करने में बिजी था.

‘‘आओ शैली,’’ आदिराज ने कहा तो शैली बेहोश होतेहोते बची. आज समय साथ है. बोली, ‘‘जी आदिराजजी.’’

‘‘तुम कोशिश कर सकती हो. मेहनत तो तुम्हें करनी होगी. ठीक है न,’’ आदिराज ने कहा.

‘‘जी मैं तैयार हूं… मेहनत करूंगी,’’ शैली खुशी के मारे सपनों में उड़ने लगी.

‘‘तुम्हारे वीडियो मैं ने देखे हैं, इसलिए मैं

ने बोला.’’

तभी एक नौकर जूस से भरे गिलास सुंदर ट्रे में सजाए कर ले आया.

‘‘जूस लो फिर हम तुम्हारे डांस के वीडियो पर चर्चा करेंगे,’’ आदिराज बोले.

‘‘सर आप भी लीजिए न,’’ शैली बोली, ‘‘क्यों नहीं,’’ आदिराज ने कहा और फिर जूस का गिलास उठा लिया.

‘‘अरे हां शैली इन से मिलो ये हमारे साथ ही काम करते हैं… तुम ने देखा हो शायद. ये फर्नांडीज हैं.

‘‘हैलो सर,’’ शैली ने कहा.

‘‘बहुत आगे तक जाओगी शैली,’’

फर्नांडीज बोले.

शैली ने जूस का गिलास खत्म किया. जूस पीने के बाद उसे लगा उस का शरीर और दिमाग कहीं हवा में उड़ रहे हैं. अच्छा लगा उसे. हलकाहलका महसूस कर रही थी.

‘‘चलो डांस के कुछ स्टैप्स दिखाओ शैली.’’

‘‘जी,’’ शैली ने कहा.

आदिराज ने कैमरा चालू करवा दिया था.

तभी फर्नांडीज ने भी शैली के साथ डांस शुरू किया. डांस करतेकरते फर्नांडीज शैली को स्टूडियो में बने एक कमरे में ले गए. कैमरा वहां भी चालू था.

‘‘शैली कौपरेट करो,’’ फर्नांडीज बोले.

‘‘जी,’’ शैली बोली.

 

अब तक फर्नांडीज शैली के शरीर के कपडे़ हटा कर उसे लगभग नग्न कर चुके थे.

शैली कुछ सम?ा नहीं पाई कि क्या हो रहा है. अब तक फर्नांडीज ने शैली के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना शुरू कर दिया था.

शैली चिल्ला पड़ी. कैमरा चलता रहा, शैली चिल्लाती रही. आदिराज मुसकराते रहे.

लगभग आधे घंटे बाद कैमरा रुका. शैली अस्तव्यस्त हालत में थी.

‘‘शैली उठो बढि़या काम किया है,’’ आदिराज ने उस की पीठ थपथपाई.

शैली ने कपडे़ पहने और बाहर के रूम में आ गई.

‘‘शैली ये लो क्व20 हजार वीडियो के,’’ आदिराज ने शैली को क्व20 हजार लिफाफे में रख कर देते हुए कहा.

‘‘क्या?’’ शैली आश्चर्य से बोली.

‘‘यस तुम्हारी मेहनत,’’ आदिराज ने कहा.

‘‘देखो शरीर का क्या है? क्या गंदा हो गया शरीर… घर जा कर अच्छे से नहा लेना. तुम सोचो विदेश में कहां सोचते है ये बातें? नहीं न? गुड गर्ल,’’ कह कर आदिराज ने उस के बालों को सहला दिया.

शैली जाने लगी तो आदिराज ने आवाज लगाई, ‘‘सुनो शैली.’’

‘‘जी,’’ शैली ने आदिराज को देखा.

‘‘यह वीडियो कहीं भी इस्तेमाल नहीं होगा. होगा भी तो फेस इस पर तुम्हारा नहीं होगा, सिर्फ बौडी तुम्हारी होगी.’’

‘‘जी ठीक है,’’ शैली खुश हो गई. इतनी बड़ी रकम. शैली खुशीखुशी घर लौटी.

‘‘मौम, देखो क्व20 हजार मेरे वीडियो के,’’ शैली ने मौम से कहा.

‘‘कौन सा वीडियो है जिस की पहली बार में ही इतनी बड़ी रकम मिल गई है?’’ मौम ने पूछा.

‘‘मौम यूट्यूब में देखना जब आएगा,’’ कह शैली अपने रूम चली गई.

वाह, मैं तो फेमस हो जाऊंगी शैली सोचने लगी. लाखों व्यूज लाखों फौलोअर्स मजा आएगा.

विराट की कौल भी अटैंड नहीं की उस ने. आखिरकार विराट सुबह घर आ गया.

‘‘शैली कहां बिजी हो? कौल अटैंड

नहीं की?’’

‘‘विराट मैं सच में बिजी हूं. कालेज में मिलते हैं. तब बात करते हैं,’’ शैली ने इतराते हुए कहा.

विराट कुछ नहीं बोला. चायनाश्ता कर चला गया.

कालेज में शैली ने सब फ्रैंड्स को बताया, डांस का वीडियो जल्द ही यूट्यूब में आएगा. जबरदस्त हिट होगा. सभी फ्रैंड्स ने बधाई दी. लेकिन विराट सोच में डूबा था.

‘‘अब कब वीडियो बनेगा?’’ रोहन ने पूछा.

‘‘जल्दी ही,’’ शैली बोली.

फिर शैली सारा दिन कालेज में दिन में भी सपने देखती रही किउस के लाखों

फौलोअर्स हो रहे हैं. जब कालेज से घर पहुंची तो बहुत खुश थी. उसे लगा कालेज के फ्रैंड्स भी उस से जलने लगे हैं. अपने रूम में पहुंच कर उस ने आदिराज के यूट्यूब चैनल को देखा तो खुशी से उछल पड़ी. उस का डांस का वीडियो भी था. लेकिन उस के फौलोअर्स इतने ज्यादा नहीं थे. वह उदास हो गई.

इतने में मोबाइल पर मधुर आवाज गूंजी. देखा तो व्हाट्सऐप पर कुछ वीडियो थे. ये किस के वीडियो हैं. धीरेधीरे वीडियो खुलने लगे जब वीडियो खुले तो डर के मारे उस की चीखें निकल गईं. वे उसी के वीडियो थे. नग्न जब स्टूडियो में थी. ये तो फर्नांडिज हैं. उस की तेज आवाज सुन कर उस की मौम चौंक गईं. दौड़तीदौड़ती उस के रूम पर पहुंचीं दरवाजा बंद था. उन्होंने जोरजोर से दरवाजा खटखटाया, ‘‘शैलीशैली दरवाजा खोलो क्या हुआ?’’

शैली डर गई कि मौम को पता चल जाएगा. वह बोली, ‘‘मौम कुछ नहीं हुआ, चूहा आ गया था अचानक.’’

‘‘चूहे तो हैं ही नहीं,.. घर में कैसे चूहा आ गया?’’ मौम बोलीं.

‘‘आती हूं मैं चेंज कर के,’’ शैली बोली.

‘‘अच्छा ठीक है,’’ मौम बोली.

शैली ने जल्दीजल्दी वे वीडियो डिलीट कर दिए. तभी मोबाइल की मधुर आवाज गूंज उठी. देखा तो आदिराज का नाम चमक रहा था.

‘‘हैलो,’’ शैली की आवाज कांप रही थी.

क्यों शैली विडियो कैसे लगे?’’ फिर आदिराज की जोरजोर से हंसने की आवाज.

‘‘शैली घबराने की जरूरत नहीं है ये पोर्न मूवी में इस्तेमाल होंगे, चिंता मत करो बौडी तुम्हारी रहेगी फेस किसी दूसरी लड़की का होगा. आज भी शाम को आ जाओ. पहले तो तुम को नशा देना पड़ा था. अब तो बिना नशे के काम करोगी आ जाओ. रुपए इंतजार कर रहे हैं,’’ कह कर आदिराज ने फोन काट दिया.

शैली ने मन ही मन डिसीजन लिया. आज वह बेवकूफ नहीं बनेगी. ऐसा क्यों किया आदिराज ने? क्या करे? विश्वास किस पर करे? हां, विराट पर विश्वास किया जा सकता है. उस ने तुरंत विराट को कौल की.

‘‘क्या हुआ?’’ विराट बोला.

‘‘मुझे तुम से अभी मिलना है अर्जैंट शैली बोली.

‘‘ठीक है घर आता हूं,’’ विराट बोला,

‘‘नहीं घर नहीं, मसाला चौक,’’ शैली ने कहा.

‘‘ठीक है वहीं आ जाता हूं,.. निकल रहा हूं घर से.’’

‘‘ओके,’’ शैली ने कहा और फिर मौम से बोल कर मसाला चौक के लिए निकल गई.

कुछ ही समय में दोनों मसाला चौक में बैठे थे.

‘‘क्या हुआ घबराई हुई क्यों हो?’’ विराट ने पूछा पर शैली जवाब नहीं दे पाई. उस की आंखों में आंसू भर आए और गला रुंध गया.

‘ख्शैली क्या हुआ यार? क्यों परेशान हो,’’ विराट घबरा गया.

शैली ने मोबाइल सामने कर दिया. विराट का गुस्से के मारे चेहरा लाल हो गया. वह चिल्ला पड़ा, ‘‘फेमस होने का भूत सवार था तुम पर… भुगतो अब. साले को पुलिस के डंडे पड़वाते हैं.’’

मगर फिर विराट यह सोच कर चुप हो गया कि पुलिस में मामला उल?ोगा… ऐग्जाम भी सिर पर हैं, फिर सोशल मीडिया पर भी बतंगड़ बनने लगती हैं बातें.

‘‘कुछ सोचते हैं,’’ विराट इतना ही बोला.

‘‘ठीक है,’’ शैली बोली, उस का चेहरा उदास था. आंखें आंसुओं से भरी थीं.

‘‘सुनो, अब चेहरे पर स्माइल रखो, घर पर भी मुसकराती हुई जाओ.’’

मगर शैली उल?ान में थी.

‘‘शैली टैंशन मत लो सब मु?ा पर छोड़ दो… अब जैसा में बोलूं वैसे करना… ठीक है? हम आदिराज को उसी के जाल में फंसाएंगे,’’ विराट बोला.

‘‘लेकिन कैसे?’’ शैली बोली.

‘‘तुम और मैं कल उस से उस के स्टूडियो में मिलते हैं. जैसा मै बोलूं वैसे ही करती रहना. ठीक है न,’’ विराट ने सम?ाया.

दूसरे ही दिन दोनों आदिराज के स्टूडियो पहुंच गए.

‘‘आओ शैली आओ,’’ आदिराज ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘आप ने चीटिंग की है मेरे साथ,’’ शैली ने गुस्से में कहा.

‘‘कैसी चीटिंग?’’ आदिराज ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘आप ने तो डांस के लिए कहा था,’’

शैली बोली.

‘‘डांस के वीडियो ही तो हैं चैनल पर,’’ आदिराज ने कहा.

‘‘लेकिन फौलोअर्स नहीं बढ़ रहे हैं,’’

शैली बोली.

‘‘तुम जैसी लड़कियां ही मेरी शिकार होती हैं, जो हथेली पर सरसों उगाने की सोचती हैं. मेहनत लगती हैं, पैशन बनाए रखना पड़ता है,’’ आदिराज ने कहा.

 

कुछ देर बाद विराट भी अंदर आ गया. उसे देख कर वह चुप हो गया. शैली को

देखने लगा.

विराट हंस दिया. फिर बोला, ‘‘आदिराज वीडियो तो शानदार, सुपर बने हैं लेकिन जबरदस्ती में वह मजा कहा.’’

‘‘मतलब?’’ आदिराज बोला.

‘‘तुम्हारी मेहनत थोड़ी कम करने आया हूं,’’ विराट बोला, ‘‘कोई बढि़या लोकेशन पर सेमी पोर्न वीडियो बनाएं मेरा और शैली का… औरिजनल दिखेगा और पसंद भी किया जाएगा, फिर सुहागरात वाला सीन. बोलिए तैयार हैं आप आदिराज जी?’’

‘‘क्या? सही बोल रहे हो?’’ आदिराज की शक्ल देखने लायक थी.

‘‘जी, शैली और मैं एकदूसरे को पसंद करते हैं. रुपए किस को बुरे लगते हैं? रुपए थोड़े ज्यादा हों तो अच्छा रहेगा,’’ विराट मुसकराया.

‘‘रजामंदी से वीडियो बने तो ज्यादा अच्छे बनेंगे और पसंद भी होंगे. जबरदस्ती में वह बात नहीं होती,’’ आदिराज बोले.

‘‘लोकेशन दूसरी हो, बढि़या हो. बंद स्टूडियो में वह मजा कहां?’’ विराट बोला.

‘‘क्यों नहीं जब रजामंदी है तो क्या परेशानी है. पोर्न वीडियो का तो कारोबार सब जगह फैला है,’’ आदिराज बोला.

‘‘देर से सही शैली को सम?ा आया कि रुपए कमाने का शौर्टकट रास्ता इस से बेहतर नहीं हो सकता. क्यों शैली?’’ आदिराज अपनी सफलता पर खुश था.

‘‘विराट को वीडियो दिखाए तो विराट ने कहा कि गोल्डन चांस है. आदिराज जैसे फेमस यूट्यूबर की डाइरैक्शन में वीडियो बनेगा… तो मैं तैयार हो गई,’’ शैली बोली.

‘‘गुड गर्ल,’’ आदिराज बोला.

‘‘यहां से कुछ दूरी पर चंपा विहार है जहां हरियाली भी है, छोटीछोटी पहाडि़याटीले भी हैं वहां कैसा रहेगा?’’ विराट बोला, ‘‘छोटा सा मंदिर भी है, वहां मेरी शैली की शादी वाला सीन फिल्माने के बाद सुहागरात वाला सीन भी हो जाएगा,’’ विराट बोला, ‘‘आप कहें तो… विराट ने बात अधूरी छोड़ी.

‘‘क्यों नहीं क्यों नहीं,’’ आदिराज बोला, ‘‘मेरा असिस्टैंट साथ रहेगा.’’

शादी के गवाह के रूप में 1-2 दोस्तों

को ऐक्टिंग का मौका मिल जाता… तो विराट गिडगिड़ाया.

‘‘ले आना, तुम भी क्या याद करोगे,’’ आदिराज बोला, ‘‘ठीक है कल मिलते हैं.’’

दूसरे दिन दोपहर में विराट शर्लिन और रोहन को पूरा प्लान सम?ा कर शैली को ले कर चंपा विहार पहुंच गया. वहां आदिराज पहले ही अपने असिटैंट के साथ रैडी था.

‘‘आदिराजजी की जय हो,’’ विराट बोला.

आदिराज खुश था कि रजामंदी से सब हो रहा है.

‘‘वीडियो शूट के पहले थोड़ा ऐंजौय हो जाए,’’ रोहन बोला और फिर उस ने वाइन की बोतलें निकालीं.

‘‘अरे वाह,’’ आदिराज बोला.

शर्लिन ने फटाफट गिलास निकाले,

नमकीन काजुओं से प्लेटें सजा दीं. चियर्स, गिलास टकराए और हवा में शराब और काजुओं की खुशबू तैरने लगी.

‘‘शैली,’’ आदिराज ने एक बड़ा घूंट भरा और फिर शैली को देखने लगा.

‘‘जी आदिराजजी,’’ शैली ने कातिल मुसकान आदिराज की ओर फेंकी.

‘‘1-2 पेग तुम भी ले लो शैली. ज्यादा नशीला हो जाएगा वीडियो में,’’ आदिराज बोला.

‘‘मेरे ऊपर तो विराट के प्रेम का नशा इतना है कि शराब की जरूरत नहीं है,’’ शैली इतराते हुए बोली.

जोरजोर से आदिराज हंसने लगा. तीसरा पैग था उस का. नशा होने लगा था उसे. बोला, ‘‘आदिराज दुनिया का सब से फेमस यूट्यूबर हूं. दुनिया मेरी मुट्ठी में होगी, दौलत के पहाड़ होंगे मेरे पास. पोर्न मूवी की दुनिया का किंग हूं मैं.’’

उस के असिस्टैंट को भी नशा हो रहा था. लेकिन वह फिर भी होश में था.

रोहन आदिराज का विडियो बनाने में लगा था.

‘‘चलो शैली रेडी हो जाओ विराट के साथ.’’ आदिराज लड़खड़ाती आवाज में बोल रहा था.

‘‘मैं रैडी हूं आदिराज,’’ कह कर शैली विराट के गले लग गई.

‘‘गुड गर्ल,’’ आदिराज बोला एक ओर अपना कैमरा सैट करने लगा, लेकिन उस के हाथ कांप रहे थे. असिस्टैंट जो थोड़ा होश में था वह उस की मदद करने लगा.

‘‘क्यों परेशान हो रहे हो भाई, हम लोग हैं मदद के लिए,’’ कह विराट ने शैली को अपने से दूर किया और असिस्टैंट के पास पहुंच गया.

रोहन ने भी विराट के साथ मिल कर आदिराज को नशे की हालत में मजबूर किया. उस के असिस्टैंट की मदद से शैली के सभी न्यूड वीडियो डिलीट करवाए. फिर शैली और शर्लिन को घर भेज दिया.

रोहन ने पुलिस को फोन कर दिया था क्योंकि  सैकड़ों न्यूड वीडियो और पोर्न मूवी थीं इसलिए जेल की हवा जरूरी थी. कुछ देर बाद आदिराज को गिरफ्तार कर लिया गया.

विराट और रोहन घर पहुंचे. शैली और उस का परिवार इंतजार कर रहा था.

‘‘लाखों फौलोअर्स चाहिए,’’ विराट बोला, ‘‘चलो वीडियो बनाते हैं.’’

‘‘नहीं चाहिए सौर’’ शैली बोली, ‘‘मैं भटक गई थी.’’

‘‘कोई बात नहीं,’’ मौम हंस दीं.

‘‘औल इज वैल,’’ सभी बोले और फिर वातावरणी में हंसी की गूंज फैल गई.

नेल एक्सटेंशन करवाने से पहले जान लें यह बातें

अब आपको अपने नाखूनों को लंबे करने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप नेल एक्सटेंशन करवा सकती हैं. यह नाखूनों को झट से लंबे और सुंदर करने का एक सबसे प्रमुख तरीका है. इसके द्वारा आप अपने नाखूनों की मन चाही शेप या फिर डिजाइन बनवा सकती हैं. बहुत सी महिलाएं आज के समय में इस क्रिया में दिलचस्पी रखती हैं लेकिन बहुत सी महिलाओं के मन में यह संदेह रहता है कि कहीं इसके कारण उनके असली नाखूनों को तो कोई नुकसान नहीं पहुंच जाएगा. आइए जान लेते हैं नेल एक्सटेंशन से जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में.

 

एक्रिलिक और जेल नेल के बीच का अंतर जानें 

एक्रिलिक नेल एक सॉल्वेंट में डूबे हुए पाउडर की ही फॉर्म होती है जो आपके असली नाखूनों पर एक्सटेंशन का काम करते हैं. यह आपके नाखूनों की ऊपरी परत को और मजबूत करने का काम करते हैं। जेल नेल को एलईडी या फिर यूवी लेजर का प्रयोग करके हार्ड फॉर्म में लाया जाता है. यह नेल पॉलिश कलर में ज्यादातर देखने को मिलते हैं.

 यह कितने सालों तक टिके रहते हैं 

यह आपके नाखूनों पर निर्भर करता है. कुछ महिलाओं के नेल एक्सटेंशन केवल दो से तीन हफ्ते ही टिकते हैं तो कुछ महिलाओं के नेल एक्सटेंशन एक महीना भी चल जाते हैं. यह आप जिस तरह का काम करती हैं और आप जिस तरह से इनको मेंटेन करके रखती हैं इस बात पर भी निर्भर करता है.

 यह काफी महंगी प्रक्रिया और इसमें समय भी काफी लगता है 

अगर आप बजट की बात करें तो नेल एक्सटेंशन एक महंगी प्रक्रिया है. इसमें आपको एक बार में 2 से 5 हजार तक खर्च करने पड़ सकते हैं. इसके साथ ही जब आप इन्हें करवाने जाती हैं तो उस दिन पूरी तरह से फ्री हो कर जाएं क्योंकि इस प्रक्रिया में काफी ज्यादा समय लग जाता है. अगर आप बजट में कटौती करके किसी सस्ते या फिर अन प्रोफेशनल जगह से अपने नेल एक्सटेंड करवाती हैं तो इससे आपके असली नाखूनों को खतरा पहुंच सकता है इसलिए जब बजट बनने के बाद ही ऐसा करवाना चाहिए.

 यह आपके नाखूनों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं

नेल एक्सटेंशन आपके असली नाखूनों को कमजोर कर सकते हैं और उनके लिए यह नुकसान दायक भी हैं. नेल एक्सटेंशन करने से पहले आपके नाखूनों को ऊपर से फाइल किया जाता है और अगर यह फिलिंग ज्यादा हो जाती है तो इससे आपके नाखून कमजोर होने लगते हैं और आसानी से टूटने लग जाते हैं. लेकिन अगर आप किसी एक्सपर्ट से अच्छे प्रोडक्ट्स के साथ इसे करवाती हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.

 प्रोफेशनल नेल टेक्नीशियन के पास ही जाएं 

आपको एक प्रोफेशनल नेल टेक्नीशियन के पास जा कर ही नेल एक्सटेंशन करवानी चाहिए क्योंकि अगर आप किसी बिना अनुभव प्राप्त व्यक्ति से ऐसा करवाती हैं तो इससे आपके नाखूनों के साथ काफी खिलवाड़ हो सकता है. बहुत सी महिलाएं जब नेल एक्सटेंशन को निकालने का समय आता है तो कुछ जुगाड करके घर पर ही ऐसा करने का प्रयास करती हैं लेकिन ऐसा होने से भी आपके असली नाखूनों को काफी नुकसान पहुंच सकता है इसलिए इन्हें निकलवाने के समय भी आपको किसी एक्सपर्ट के पास ही जाना चाहिए.

इन सभी बातों का आपको नेल एक्सटेंशन करवाने से पहले जरूर ध्यान रखना चाहिए और अपने असली नाखूनों की भी अच्छे से केयर करते रहना चाहिए.

क्या होते हैं पैंटी लाइनर्स, जानें इसके बारे में कुछ खास बातें

योनि से स्राव होना एक आम और सामान्‍य घटना है. कुछ लोग अपने अंडरवियर को पूरे दिन सूखा, साफ और योनि के स्राव से मुक्‍त रखने के लिये पैंटी लाइनर्स का इस्‍तेमाल करते हैं. ये आपके सैनिटरी पैड की तरह ही होते हैं लेकिन ये सेनिटरी पैड से बहुत पतला होता है. जिसे पैंटी को सूखा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये पतले, छोटे और कम सोखने की क्षमता वाले होते है इनका इस्तेमाल उन दिनों में किया जाता है, जब आपको वेजाइनल डिस्चार्ज और स्पौटिंग हो सकती यह किसी भी तरह की स्पॉटिंग होने से रोकने और आपके वैजाइनल एरिया को साफ-सुथरा और तरोताज़ा महसूस करने में मदद करता है.

पैंटी लाइनर्स के बारे में बता रही है डॉ. मंजू गुप्‍ता, सीनियर कंसल्‍टेन्‍ट ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एवं गाइनेकलॉजिस्‍ट, मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा.

क्या है पैंटी लाइनर्स-

योनि के स्राव या मासिक धर्म के हल्‍के बहाव को सोखने के लिये अंडरवियर की किनारी में पहने जाने वाले गीलापन सोखने वाले पैड को पैंटीलाइनर कहा जाता है. कुल मिलाकर, पैंटीलाइनर्स पतले पैड्स होते हैं. छोटे, पोर्टेबल पैंटीलाइनर्स से लेकर योनि के भारी स्राव और पीरियड के कम बहाव के लिये बनाए गए बड़े, सुरक्षात्‍मक पैंटीलाइनर्स तक, पैंटीलाइनर्स तरह-तरह के आकारों और परिवहन विकल्‍पों में उपलब्‍ध हैं. कमरबंद के साथ उपयोग में आने वाले पैंटीलाइनर्स की कुछ किस्‍में उपलब्‍ध हैं. डिस्‍पोजेबल पैंटीलाइनर्स का चिपकने वाला गोंद उन्‍हें सतहों से चिपका देता है. कुछ पैटर्न्‍स में विंग्‍स होते हैं, जो सपोर्ट बढ़ाने के लिये अंडरगारमेंट्स पर लिपट जाते हैं.

कॉटन के रियूजेबल पैंटीलाइनर्स भी हैं, जो कई रंगों, आकारों, मटेरियल, डिजाइन और सोखने की क्षमता के साथ आते हैं. इन्‍हें कुछ साल तक रियूज किया जा सकता है और बार-बार धोया जा सकता है. लिपटने वाले विंग्‍स को छोर पर एक साथ बाँध दिया जाता जो रियूजेबल पैंटीलाइनर्स को पकड़ कर रखते हैं.

पैंटीलाइनर्स किस काम के लिये होते हैं?

पैंटीलाइनर्स योनि से होने वाले नियमित स्राव, मासिक धर्म के अपेक्षित हल्‍के बहाव, मासिक धर्म की शुरूआत और अंत में हल्‍के दागों, धब्‍बों और संभोग के बाद के स्राव को सोखने के लिये बनाये जाते हैं. सुरक्षा बढ़ाने के लिये, पैंटीलाइनर्स को रूई के फाहे, पैड्स और मेंस्‍ट्रल कप्‍स के साथ पहना जा सकता है. कुछ लोगों के लिये पैंटीलाइनर्स पैड्स से ज्‍यादा अनुकूल और सुखद होते हैं. मासिक धर्म के दौरान कई कारणों से योनि से स्राव होता है और यह आम है, जैसे कि योनि को चिकना रखने, ओव्‍युलेशन (अंडोत्‍सर्ग), कामोत्‍तेजना, आदि में. अंडरवियर को सूखा और धब्‍बों से मुक्‍त रखने के लिये पैंटीलाइनर पहनना फायदेमंद हो सकता है. चूँकि जवानी के दौरान धब्‍बे लगना और कभी भी पीरियड आना हो सकता है, इसलिये पैंटीलाइनर्स रखने से मदद मिल सकती है.

पैंटीलाइनर्स के फायदे :

पैंटीलाइनर्स पेशाब रिसने, योनि के स्राव और आकस्मिक मासिक धर्म से नियमित सुरक्षा देते हैं.

पैंटीलाइनर्स गीलापन रोकने में मदद करते हैं.

मासिक धर्म के बाद भी हल्‍का-हल्‍का खून बहने पर पैंटीलाइनर्स फायदेमंद हो सकते हैं. अगर बहाव फाहा या पैड के मुकाबले बहुत हल्‍का है, तो पैंटीलाइनर काम आता है.

पैंटीलाइनर्स अंडरपैंट्स को साफ बनाये रखने में मदद कर सकते हैं.

पैंटीलाइनर्स वयस्‍क अवस्‍था के असंयम से बचा सकते हैं.

प्रसव के बाद हल्‍के बहाव में, जो बच्‍चे के जन्‍म के बाद कुछ हफ्तों या महीनों तक भी हो सकता है, पैंटीलाइनर्स काम आ सकते हैं.

पैंटीलाइनर से जुड़ी कुछ जरूरी सलाह-

पेंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल भारी बहाव के लिये नहीं होना चाहिये, इन्‍हें मासिक धर्म के पहले या बाद पहना जा सकता है.

पेंटीलाइनर्स अगर लेबिया (भगोष्‍ठ) से रगड़ाते हैं, तो लालिमा, जलन और खुजली हो सकती है.

सुगंधित अंडरवियर के केमिकल्‍स योनि के आस-पास के कोमल ऊत्‍तकों को नुकसान पहुँचा सकते हैं.

सिंथेटिक फाइबर्स से बनी अंडरवियर और पारगमन रोकने वाली परत वाले पैंटीलाइनर्स का नियमित इस्‍तेमाल प्रजनन अंगों में हवा के आवागमन को सीमित कर देता है, जिससे पसीना भाप बनकर नहीं उड़ पाता है. हवा की आवाजाही नहीं रोकने वाले और आपके कपड़ों को सूखा रखने वाले ब्रीदेबल लाइनर्स (हवादार लाइनर्स) का इस्‍तेमाल करने की सलाह विशेषज्ञ देते हैं.

पैंटीलाइनर्स के इस्‍तेमाल पर आसान दिशा-निर्देश

पैंटीलाइनर्स को पैड्स की तरह अंडरवियर के भीतर पहना जा सकता है और उन्‍हें बैठाने के लिये उनके भीतर चिपकने वाली एक पट्टी होती है.

पैंटीलाइनर को लम्बवत घुसाकर अंडरवियर की कोणिका (किनारों) को ढँकने और बांधने की ज़रुरत होती है.

अगर पैंटीलाइनर बहुत गीला हो जाए, तो उसे तुरंत बदल देना चाहिये.

रात में पैंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल न करें. संक्रमण का खतरा कम करने के लिये उन्‍हें जितना संभव हो, उतनी बार बदलना चाहिये.

सुगंधित पैंटीलाइनर्स के इस्‍तेमाल से बचें, क्‍योंकि उनसे खुजली और असहजता होती है. सुगंधित के बजाए ऑर्गेनिक कॉटन वाले पैंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल करें.

लोचिया या प्रसव के बाद खून बहने के मामले में पैंटीलाइनर्स को इस्‍तेमाल किया जा सकता है. लोचिया से नुकसान नहीं होता है और यह बच्‍चे के जन्‍म के बाद आठ सप्‍ताह तक रहता है.

प्रैग्नेंसी के बाद ब्रैस्ट में क्यों होते हैं बदलाव

आमतौर पर प्रैग्नेंसी के दौरान और बाद एक महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के बाद स्तनों में बदलाव होता ही है. क्‍या आप जानते हैं, स्तन लोब्‍युल्‍स से बने होते हैं, जो दूध बनाने वाली ग्रंथियाँ होती है और इनमें नलिकाएँ  हुती हैं, जो दूध को निप्‍पल तक ले जाती हैं और उनके इर्द-गिर्द ग्रंथीय, नसों वाले और चर्बीदार ऊत्‍तक होते हैं. उम्र बढ़ने के साथ ग्रंथीय ऊत्‍तक का आकार घटता है. प्रैग्नेंसी के दौरान स्‍तन का विकास इस प्रक्रिया का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, क्‍योंकि उसे शिशु के लिये दूध बनाने के लिये बदलाव से गुजरना होता है. प्रैग्नेंसी से पहले के हॉर्मोन स्‍तन के ऊतकों में बदलाव लाते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान मिलने वाले शुरूआती संकेतों में स्‍तनों को संवेदी अनुभव होना शामिल है, जो शरीर में अतिरिक्‍त हॉर्मोन्‍स के बहने से होता है.

डॉ. तनवीर औजला, सीनियर कंसल्‍टेन्‍ट ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एवं गाइनेकलॉजिस्‍ट, मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा की बता रही हैं गर्भावस्था के दौरान स्तनों में क्या बदलाव होते है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हमारे स्‍तनों में शिशु को दूध देने के लिये बदलाव होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान होने वाले इन बदलावों में स्‍तनों का आकार बढ़ना और स्‍तनों तथा निप्‍पल का मुलायम या संवेदनशील होना शामिल है. इसमें निप्‍पलों और एरीयोला का रंग भी बदलता है और मोंटगोमरी ग्रंथियाँ स्‍पष्‍ट और बड़ी दिखाई देती हैं. स्‍तनों में ज्‍यादा खून आने लगता है, जिससे उनकी नसें गहरे रंग की हो जाती हैं. इस अवस्‍था में एस्‍ट्रोजेन और प्रोजेस्‍टेरॉन की मात्रा बढ़ जाती है और इन दोनों हॉर्मोन्‍स के मिलने से दूध बनने लगता है.

प्रैग्नेंसी के बाद प्रोजेस्‍टेरॉन और एस्‍ट्रोजेन का स्‍तर घट जाता है, जो प्रोलेक्टिन हॉर्मोन से संकेत मिलने के बाद होता है और प्रोलेक्टिन ही दूध बनाता है. शिशु के लिये दूध बनाने में आमतौर पर दो दिन लगते हैं. जन्‍म के बाद 3 से 5 दिन में लिम्‍फेटिक फ्लूइड के कारण स्‍तन बड़े हो जाते हैं. लिम्‍फेटिक फ्लूइड से ही स्‍तन की नलिकाएँ बनती हैं.

प्रैग्नेंसी के बाद भी स्‍तनों में बदलाव जारी रहते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-

स्‍तनों के भरने का मतलब प्रैग्नेंसी के बाद सामान्‍य रूप से उनका आकार बढ़ने से है और यह दूध बनने के दौरान होता है. स्‍तनों का भरना कम करने के लिये शिशु को बार-बार दूध पिलाना महत्‍वपूर्ण है, ताकि दूध बच्‍चे की भूख के अनुसार आता रहे.

ब्रैस्टफीडिंग कराते समय निप्‍पल में दर्द होता है, जिससे निप्‍पल कट सकती है या उसमें से खून आ सकता है. निप्‍पल क्रीम या स्‍तन का दूध इस दर्द से राहत देने में मदद कर सकता है. कभी-कभी निप्‍पल के कटने से यीस्‍ट का संक्रमण भी हो जाता है.

जब दूध की नलिकाएँ बाधित होती हैं, तब ‘मेस्‍टाइटिस’ नामक एक संक्रमण हो जाता है. यह एक स्‍तन से दूसरे स्‍तन में भी पहुँच जाता है. स्‍तन की स्किन पर लाल निशान, बाधित नलिका के इर्द-गिर्द स्किन का गर्म होना और स्‍तन में तेज दर्द इसके लक्षण हैं.

अगर उपर्युक्त मेस्‍टाइटिस या संक्रमण का उपचार न हो, तो फोड़ा हो जाता है और मवाद इकट्ठा होने लगता है, जिसके लिये फिर ऐंटीबायोटिक्‍स दिये जाते हैं और मवाद को सुई से निकाला जाता है.

स्‍तनों पर खिंचाव के निशान दिखते हैं, जो गायब होने में कुछ समय ले सकते हैं.

स्‍तनों को पुराने सामान्‍य आकार में ले जाने के लिये प्रभावित करने में शरीर के वजन की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है. कई महिलाओं को ब्रैस्टफीडिंग और दूध बनने के कारण स्‍तनों में ढीलेपन का अनुभव होता है. इससे बचने के लिये पूरी प्रैग्नेंसी के दौरान और बाद में भी सपोर्टिव ब्रा पहनी जा सकती है और स्‍वास्‍थ्‍यकर आहार की आदत डाली जा सकती है, जो प्रैग्नेंसी के बाद स्‍तन से जुड़ी समस्‍याओं को रोकने में मदद करेगी.

जब आपका पार्टनर हो बहुत ज्यादा इमोशनल, तो रिश्ते को इस तरह संभालें

मेघा की नईनई शादी हुई थी. एक दिन जब वह औफिस से घर आई, तो देखा उस का पति रजत सोफे पर बैठा फूटफूट कर रो रहा है. मेघा की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ. वह परेशान हो गई कि उस का पति ऐसे क्यों रो रहा है. मेघा के कई बार पूछने पर रजत ने बताया, ‘‘मैं ने तुम्हें फोन किया था, लेकिन तुम ने फोन नहीं उठाया. बस बिजी हूं का मैसेज भेज दिया.’’

मेघा हैरान हो गई. उसे समझ नहीं आया कि क्या जवाब दे. जिस समय रजत का फोन आया उस समय वह बौस के साथ मीटिंग में थी. उस समय तो मेघा ने रजत को सौरी कह कर किसी तरह मामला दफादफा कर दिया. लेकिन जब यह रोजरोज की बात बन गई, तो उस के लिए रजत के साथ रहना मुश्किल हो गया.

इस बाबत जब मेघा ने अपनी सास से बात की, तो वे बोलीं, ‘‘रजत बचपन से ही बहुत ज्यादा भावुक है. छोटीछोटी बातों का बुरा मान जाता है.’’

रजत की तरह बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जो बेहद भावुक होते हैं. उन के साथ जिंदगी बिताना कांटों पर चलने के समान होता है. कब कौन सी बात उन्हें चुभ जाए पता ही नहीं चलता. पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. संबंधों की प्रगाढ़ता के लिए प्यार के साथसाथ एकदूसरे की भावनाओं को समझने और अपने साथी पर भरोसा बनाए रखने की भी जरूरत होती है. सच तो यह है कि पतिपत्नी का रिश्ता तभी खूबसूरत बनता है, जब आप अपने साथी को पूरी स्पेस देते हैं. मशहूर लेखक खलील जिब्रान का कहना है कि रिश्तों की खूबसूरती तभी बनी रहती है, जब उस में पासपास रहने के बावजूद थोड़ी सी दूरी भी बनी रहे. आज रिश्तों की सहजता के लिए दोनों के बीच स्पेस बेहद जरूरी है.

आमतौर पर तो पतिपत्नी एकदूसरे को पूरा समय देते हैं, लेकिन कभीकभार स्थिति उलट हो जाती है. अगर आप का जीवनसाथी बेहद इमोशनल है, तो उस की यही डिमांड रहती है कि हर समय आप उस के आसपास ही घूमती रहें. आप की प्राइवेसी उस की भावनाओं के आहत होने का सबब बन जाती है. बहुत ज्यादा भावुक पति के साथ जीवन बिताना सच में बेहद मुश्किल होता है. आप समझ नहीं पाती हैं कि आप की कौन सी बात आप के पति को बुरी लग रही है.

इस संबंध में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डाक्टर तृप्ति सखूजा का कहना है कि बेहद संवेदनशील या यों कहें भावुक व्यक्ति के साथ निर्वाह करने में दिक्कत होती है. अगर दूसरा साथी समझदार न हो, तो कई बार संबंध टूटने के कगार पर भी पहुंच जाते हैं. अगर आप के पति जरूरत से ज्यादा इमोशनल हैं, तो आप को उन के साथ बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. उन की भावनाओं का खयाल रख कर ही आप उन्हें अपने प्यार का एहसास दिला सकती हैं. पति की भावनाओं को ठीक तरह से समझ न पाने के कारण संबंधों में दूरी आने लगती है. कारण यह है कि इमोशनल व्यक्ति की सब से बड़ी कमी यह होती है कि अगर आप उस से कोई सही बात भी कहेंगी, तो उसे ऐसा महसूस होगा कि आप उस की अवहेलना कर रही हैं. वह अपने संबंधों को ले कर हमेशा असुरक्षित रहता है, इसलिए उस के साथ रहने के लिए छोटीछोटी बातों का भी ध्यान रखना होगा ताकि आप उस के साथ अपने संबंधों को मजबूती दे सकें.

बात को तरजीह दें

आप के पति भावुक हैं, तो यह बेहद जरूरी है कि आप उन की कही सारी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें. इस से आप को पता चलेगा कि उन के मन में क्या चल रहा है. पति की बातों को सुन कर आप यह निर्णय ले पाएंगी कि उन के साथ आप को कैसा व्यवहार करना है. जब भी आप के पास फुरसत हो, उन के साथ बैठ कर बातचीत करें. बात करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जब वे कुछ कहें, तो आप बीच में टोकें नहीं. उन की बात को सुन कर आप को इस बात का एहसास हो जाएगा कि वे परेशान क्यों हैं.

सच जानने की कोशिश करें

अगर आप के पति हर समय भावुक बातें करते हैं और यह चाहते हैं कि आप हर समय उन के आसपास ही रहें, तो उन के पास बैठ कर उन के इस तरह के व्यवहार का कारण पूछें. अगर वे कोई तार्किक जवाब न दे पाएं, तो आप उन्हें प्यार से समझाएं कि आप उन के साथ हर समय हैं. जब भी उन्हें कोई दिक्कत होगी, तो वे आप को अपने करीब पाएंगे. आप के आश्वासन से आप के पति के मन में आप के साथ अपने रिश्ते को ले कर सुरक्षा का भाव आएगा. यकीन मानिए आप के प्रयास से धीरेधीरे उन की अनावश्यक भावुकता कम होने लगेगी.

उन के करीब आएं

आप पति के जितना ज्यादा करीब जाएंगी, आप को उन के व्यवहार के बारे में

उतना ही ज्यादा पता चलेगा. आप की नजदीकी से आप के पति को इस बात का एहसास होगा कि आप उन्हें प्यार करती हैं. जब वे आप के प्यार को महसूस करेंगे, तो उन की भावनात्मक असुरक्षा कम होगी. ऐसे में वे अपने मन की सारी बातें आप के साथ शेयर करेंगे. उस समय आप उन की भावुकता का कारण जान कर उन्हें उस से छुटकारा दिला सकती हैं. आप उन्हें हर समय इस बात का एहसास दिलाती रहें कि अच्छीबुरी हर स्थिति में आप उन के साथ हैं.

कारण जानने की कोशिश

आप के पति इतने ज्यादा इमोशनल क्यों हैं, इस के पीछे का कारण जानने की कोशिश करें. इस के लिए आप परिवार के सदस्यों मसलन, अपनी सासूमां और ननद की सहायता ले सकती हैं. कोई भी पुरुष विवाह पूर्व अपनी मां और बहन के सब से ज्यादा करीब होता है. अगर उन की यह भावुकता किसी लड़की के कारण है, जो उन्हें छोड़ कर चली गई है, तो आप उन्हें समझाएं कि उन के साथ जो हुआ अच्छा नहीं हुआ, लेकिन अब उन के जीवन में कुछ भी बुरा नहीं होगा. आप उन के साथ हमेशा रहेंगी. आजीवन उन्हें प्यार करेंगी.

स्थिति का धैर्यपूर्वक सामना करें

आप के पति भावुक हैं, तो उन के साथ अपने संबंधों को पटरी पर लाने के लिए आप को उत्तेजना नहीं धैर्य की जरूरत है. भले ही उन की बातों से आप को गुस्सा आता हो. उन्हें पलट कर जवाब देने की बजाय उन की बातों को ध्यानपूर्वक सुन कर उन्हें सांत्वना दें.

पति को प्यार का एहसास कराएं

भावुक पति को मानसिक तौर पर संतुष्ट और सुरक्षित रखने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि आप उन्हें बहुत प्यार करती हैं. उन की पसंदनापसंद आप के लिए बहुत माने रखती है. इस के लिए आप उन्हें समयसमय पर उपहार दें या फिर उन की पसंद का काम कर के उन्हें इस बात का एहसास दिला सकती हैं कि आप को उन की परवाह है और आप उन की भावनाओं का खयाल रखती हैं.

Monsoon Special: घर पर रेस्टोरैंट जैसा बनाएं इंस्टैंट पैन पनीर टिक्का

अगर मौनसून में मार्केट की बजाय आपको घर पर पनीर टिक्का बनाकर खाने का मन है तो इंस्टैंट पैन पनीर टिक्का की ये रेसिपी ट्राय करना ना भूलें.

सामग्री

250 ग्राम पनीर

2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

2 छोटे चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच औरिगैनो

1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

पनीर के मोटे चौकोर टुकड़े काट लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर अदरकलहसुन पेस्ट कुछ सैकंड भूनें. अब इस में टोमैटो सौस, लालमिर्च पाउडर, नमक और फिर पनीर के टुकड़े डालें और उलटेंपलटें. फिर जब एक तरफ से पनीर के टुकड़े सिंक कर काले होने लगें तो दूसरी तरफ से सेंकें. औरिगैनो बुरकें और 2 सैकंड उलटपलट कर सर्व करें.

मेरे पति को लड़कों में इंंटरेस्ट है, अब मैं क्या करूं?

सवाल

कुछ दिनों पहले मेरी शादी हुई. मैं अपने पति के साथ Honeymoon मनाने गोवा गई थी. हमने वहां बहुत एंजौय किया. मैं पति से इंटिमेट होना चाहती थी, लेकिन उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी हमें एकदूसरे को समझना चाहिए, सेक्स तो जिंदगीभर करना है. मैंने कहा अंडरस्टेंड करना और सेक्स दोनों हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है. इसकी शुरुआत अभी से ही करना जरूरी है पर उसने मेरी बात नहीं मानी. खैर मैंने भी खुद को समझा लिया कि एक तरह से पति का भी कहना ठीक है. हम वापस घर आए. फिर भी मेरे हसबैंड बाहर सोते थे.

 

मैंने उसे कमरे में आने के लिए कई बार कहा पर उसने ये कहकर मना कर दिया कि यार हमारी ज्वाइंट फैमिली है, तो अच्छा नहीं लगता कि मैं तुम्हारे पास आकर सो जाऊं, मुझे उस दिन बहुत तेज गुस्सा आया, मैंने कहा हमारी शादी हुई है न कि तुम्हें किसी गैरलड़की के साथ सोना है. आखिरकार वह कमरे में आया लेकिन वह मुझसे दूर ही रहा.

two men pose for a picture with a pride flag behind them

हालांकि जब वह नींद में था तो मैंने उसका फोन चेक किया. उसके मैसेज पढ़े, फोटोज भी देखा.. वह सिर्फ लड़कों से बातें करता है. उसका एक बौयफ्रेंड भी है.. इससे पता चल गया कि मेरा हसबैंड गे है. यह बात जानकर मैं अदर तक हिल गई हूं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूं?

जवाब

देखिए ये किसी के लिए भी शौकिंग हो सकता है कि उसका पति गे है. आपने ये भी बताया है कि पति और आपके बीच कभी संबंध नहीं बने है. हम आपको यह सलाह देंगे कि आप अपने गुस्सा और निराशा को कंट्रोल करें. आप अपने मायके और ससुराल वाले दोनों को अपने पति के बारे में बताएं. इसमें आपकी कोई गलती नहीं है कि आपके पति सिर्फ लड़कों में इंट्रेस्टेड हैं. जितना जल्दी हो सके आप इस शादी से बाहर निकलें.

Beautiful brunette woman in a white t-shirt

जिंदगी बहुत लंबी है, हो सकता है कोई अच्छा साथी आपका इंतजार कर रहा हो और आपसे सच्चे मन से प्यार करे. अच्छी बात है कि समय रहते आपको पता चल गया कि आपका पति गे है. आपकी जिंदगी बर्बाद होने से बच गई.

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