पराठे के साथ परोसें भरवा शिमला मिर्च, खाना होगा बेहद लजीज

अक्सर आपके घर में शिमला मिर्च बनाता होगा, जो कि आपके बच्चों को नापसंद होता है. शिमला मिर्च एक हैल्दी फूड है. इसीलिए आज हम आपको भरवा शिमला मिर्च कैसे बनाएं, इसकी रेसिपी बताएंगे. भरवा शिमला मिर्च बनाना आसान है. ये हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी है. तो आइए आपको बताते हैं भरवा शिमला मिर्च की हेल्दी रेसिपी के बारे में.

हमें चाहिए

शिमला मिर्च- 5-6

आलू- 300 ग्राम या 5-6

तेल- 4 टेबिल स्पून

हींग- 1-2 पिन्च

जीरा- आधा छोटी चम्मच

हल्दी पाउडर- आधा छोटी चम्मच

धनिया पाउडर- एक छोटी चम्मच

लाल मिर्च पाउडर- एक चौथाई छोटी चम्मच

गरम मसाला- एक चौथाई छोटी चम्मच

अमचूर पाउडर- एक चौथाई छोटी चम्मच

नमक- स्वादानुसार

बनाने का तरीका

सबसे पहले आलू उबालने रख दें. शिमला मिर्च अच्छी तरह धोलें. अब उनके डन्ठल चाकू की सहायता से निकाल दें, साथ ही उनके अन्दर के बीज भी निकाल कर हटा दें.

अब उबाले हुये आलुओं को छील लें और बारीक तोड़ लें. कढ़ाई में एक टेबिल स्पून तेल डाल कर गरम कर लीजिये. हींग और जीरा डाल दीजिये. जीरा भुनने के बाद हल्दी, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर, गरम मसाला और अमचूर पाउडर डाल दीजिये. अब इस मसाले को आधा मिनिट तक भूनिये. इसमें आलू और नमक डाल दीजिये. कलछी से चलाते हुये 2-3 मिनिट तक भूनिये. गैस से उतार लीजिये और ठंडा होने दीजिए. पिठ्ठी शिमला मिर्च में भरने के लिये तैयार है.

अब शिमला मिर्च लीजिये और उसमें ये पिठ्ठी भर दीजिये. जो डन्ठल आपने हटाए थे वे लगा कर उसके काटे हुये स्थान को बन्द कर दीजिये. इसी तरह सारे शिमला मिर्च भर कर तैयार कर लीजिये.

कढ़ाई में बचा हुआ तेल ( 3 टेबिल स्पून ) डाल कर गरम कीजिये. और उसमें वे शिमला मिर्च लगा कर रख दीजिये, और ढक दीजिये. 2-3 मिनिट बाद ढक्कन खोलकर उनको पलट दीजिये. अब दुबारा ढक दीजिये. 2-3 मिनिट बाद खोलिये और जिस ओर शिमला मिर्च नहीं सिके हैं उस साइड नीचे की तरफ करते हुये पलट दीजिये. 1-2 मिनट में ये बन कर अब तैयार होने वाले हैं. अब भरवा शिमला मिर्च को गरमागरम पराठों के साथ अपनी फैमिली को परोसें.

मुट्ठी भर राख

व्यंग्य- अलका पाठक

मुट्ठी में जो था वह राख थी, दूसरों के लिए चमकते सितारे थे, झिलमिलाते, दमकते.

आंचल में आने को सितारे तैयार थे. बस, अपने ही पग मैं ने पीछे हटा लिए. एक उम्र होती है जिस में सितारों के सपने आते हैं. फूलों से लदी डालियां लचक- लचक कर हवाओं को खुशबू से भर देती हैं. ठीक इसी वक्त मुंहमांगी मुराद कुबूल होने के समय पांव अपनेआप पीछे हो गए.

बेटी के लिए वर तलाश करें तो गुणों की एक अदृश्य लंबी सूची साथ रहती है. पढ़ालिखा, बारोजगार, सुंदर, सुदर्शन, सुशील, अच्छे कुलखानदान का सभ्य, संभ्रांत. अपना मकान, छोटा परिवार. छोटा भी इतना कि न सास न ननद. लड़के की बहन कोई है ही नहीं और मां का 4 साल पहले इंतकाल हो गया. यह आखिरी वाक्य इस ठसक के साथ मुंह से बाहर आया कि यह गुणों का कोई बोनस है, सोने पर सुहागा है.

बापबेटे 2 जन ही हैं. दोनों कामकाजी हैं. मां की तसवीर पर माला लटक रही है, ड्राइंगरूम में ही. बस, लड़की तो पहले ही दिन से राज करेगी, राज. सासननदों की झिकझिक उस परिवार में नहीं है.

बताने वाली चहक रही थी, ‘‘क्या राजकुमार सा वर मिला है. लड़की तकदीर वाली है.’’

मां ने बेटी की आंखों में चमक देखी, ‘यही ठीक है.’

‘‘लड़का सुंदर है. दोनों ही परिवारों ने एकदूसरे को देख लिया है, पसंद कर लिया है. ऐसे लड़के को तो झट से घेर लेना चाहिए. देर करोगी तो रिश्ता हाथ से निकल जाएगा. अब सोच क्या रही हो?’’

‘‘मैं सोच रही हूं कि लड़के की मां नहीं है…’’

‘‘यह तो और अच्छी बात है. फसाद की जड़ ही नहीं है,’’ बताने वाली को लड़के के गुण को कम कर के आंकने की जरूरत न समझ आई. बेटी की मां है, बेटी का हित नहीं देख पा रही. अरे, सास नहीं है. लड़की पहले ही दिन से राज करेगी. अपने घर को अपने हिसाब से चलाएगी. बापबेटे दोनों चाहते हैं कि जल्दी से रिश्ता पक्का हो, घर में रौनक आए.

मां की आंखों में रौनक की जगह उदासी का सागर दिखा. पहले दिन से होने वाला राज दिखा कि लाड़चाव करने, बोलनेबतियाने के लिए परिवार में कोई नहीं. लड़की जाते ही गृहस्थी का बोझ संभालेगी और बापबेटे हर घड़ी उस की तुलना अपनी पत्नी व मां से करेंगे. जिंदा मां धूरि बराबर और मरी मां देवी समान. हर घड़ी पूजित. मां ऐसा करती थीं, वैसा करती थीं. होतीं तो उन के साथ देखसुन कर लड़की गृहस्थी सीखसमझ लेती कि क्या करना है, कैसे करना है. अब ऐसे में तो तुलना मात्र ही शेष रहती है.

काम की तुलना, उठनेबैठने, चलने- फिरने की तुलना. बेटेबहू का सुख बाप से न सहा जाएगा. न हंसना न बोलना, न घूमना न फिरना. बेटे को पापा…पापा का राग रहेगा. पापा घर में अकेले हैं, पापा उदास हैं…पापा के दुख के सागर में गोते लगाता रहेगा.

जमाना जालिम होता रहेगा और ध्यानाकर्षण के लिए तरहतरह की बीमारियां, पापाजी को सिरदर्द, पापाजी को ब्लड प्रेशर…मां होती तो पापाजी की देखभाल करती रहती और बेटेबहू अपने में मगन रहते. दुखी आदमी के सामने सुखी होना भी तो मुसीबत ही है. ऐसे में परपीड़न का आनंद लेने वाला कैसे उसे बेटी समझेगा? मां होती तो यह आशंका शायद न होती.

मां का न होना कोई गुण नहीं बल्कि कमी है, ऐसा बेटी की मां को लग रहा था. परिवार एक ऐसे शीशे का सामान था जिस पर ‘हैंडिल विद केअर’ तो लगा ही होता है. यहां तो यह न केवल शीशे का था बल्कि चटका भी हुआ था. हाथ में लग जाए तो खून निकल आए.

सास नहीं है, यानी कि वर की मां नहीं है. इस बात पर हाथ आया रिश्ता छोड़ने वाली कन्या की मां को जिस ने कहा, मूर्ख ही कहा. बताइए सास नहीं है लड़ने को, इस बात पर प्रसन्न नहीं हो सकती. ज्यादा सोचनेसमझने की जरूरत नहीं होती, इस को कहते हैं भाग्य को ठोकर मारना.

कब से बेटी हंसीहंसी में कहती कि कितना अच्छा है. मांबाप फोटो वाले हों. मतलब फोटो माला पहन कर दीवार पर लटकी हो. सास की ‘नो किचकिच.’

किचकिच, झिकझिक नहीं किंतु इस का अर्थ स्नेह की कमी, नियंत्रण का अभाव. ननद नहीं है, लड़का अकेला है. मान लें कि वह शेयर करना जानता ही न होगा. स्वकेंद्रित होगा. बिना नियंत्रण के या तो उच्छृंखल होगा या दब्बू. पिता के स्नेह में सहानुभूति का अनुपात अधिक. जो कहो, सो मान लो. बच्चा कहीं उदास न हो. उस की आदत अपनी बात मनवाने की होगी बजाय मानने की.

सास का न होना कोई बोनस नहीं हो सकता. न ही सोने पर सुहागा. दुख की छाया यों कि लड़की के तन पर गहने तक सास के पुराने होंगे. मोह के मारे तुड़वा कर फिर न गढ़वाए जाएंगे. मां होती तो यह फैसला मां का होता कि नए गढ़वाए जाएंगे कि पुरानों को बदला जाएगा. अब चूंकि है नहीं इसलिए मां को तो उन्हें पहनना नहीं है. सब बहू पहनेगी. वैसे के वैसे ही पहने तो अच्छा. अनुपस्थित होते हुए भी वह सदा उपस्थित रहेगी. इस में सुलहसंवाद की संभावना नहीं है.

बेटी की मां की रात करवटें बदलते बीती. ऐसे झंझटों में क्यों डालें बेटी को. परिवार ठीक है, अच्छा है लेकिन सामान्य नहीं है. खोज के पैरामीटर में एक शब्द और जुड़ा. परिवार छोटा और सामान्य और बेटा पढ़ालिखा, बारोजगार, सुंदर, सुदर्शन, सुशील, अच्छे कुलखानदान का, सभ्य, संभ्रांत. सास का न होना मुट्ठी की राख भर है, आसमान के चमकते सितारे नहीं, जिस की कोई साध करे.

डिलीवरी से पहले जरूर कराएं ये टेस्ट

प्रैग्नेंसी महिलाओं के लिए एक खुशनुमा एहसास होता है. इस वक्त उन्हें सबसे ज्यादा केयर की जरूरत होती है. इसलिए डौक्टर से नियमित जांच कराना बहुत जरूरी है. इसी चैकअप को डिलीवरी से पहले देखभाल कहा जाता है. डिलीवरी से पहले का मतलब जन्म से पहले होता है, इस का अर्थ यह है कि जो टैस्ट शिशु के जन्म से पहले किए जाते हैं उन्हें डिलीवरी से पहले टैस्ट कहते हैं. शिशु को स्वस्थ बनाने के लिए नियमित रूप से डिलीवरी से पहले चैकअप बहुत जरूरी है. डा. रुचि गुप्ता का कहना है कि चैकअप कर जच्चा और बच्चा दोनों के लिए जोखिमों की पहचान कर उन्हें कम किया जाता है. यह मां को डौक्टर से किसी भी तरह के प्रश्न पूछने का मौका देता है. महिलाओं को उन की जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य, आहार संबंधी सलाह दी जाती है.

पहली अपौइंटमैंट में क्या होता है

पहली अपौइंटमैंट में मूलरूप से आप डौक्टर के साथ चर्चा करती हैं, जिस में आप अपनी प्रैगनैंसी के बारे में बात कर सकती हैं. डौक्टर स्वास्थ्य से जुडे मुद्दे और जोखिम जो मां और बच्चे दोनों को हो सकते है, की जांच कर सकती हैं. प्रैग्नेंसी में मां को जो प्रौब्लम्स आ रही हैं उनकी जांच, स्कैन, परीक्षण, बच्चा कब होने वाला है, प्रैगनैंसी को कितने महीने हुए हैं, मैडिकल हिस्ट्री, मां मानसिक रूप से ठीक है, किसी तरह के डिप्रैशन का शिकार तो नहीं है आदि पर बात कर डौक्टर रक्त परीक्षण, स्वस्थ भोजन और जीवन शैली में बदलाव की सलाह दे सकती हैं.

बच्चे के दिल की धड़कन को सुनना पहली तिमाही जांच

घर पर प्रैग्नेंसी परीक्षण, बल्ड ग्रुप और आरएच फैक्टर,एनीमिया की जांच, ब्लड शुगर, हेपेटाइटिस बी स्क्रीनिंग.

विटामिन डी के स्तर के लिए टैस्ट, डबल मार्कर टैस्ट यह टैस्ट प्रैग्नेंसी के 11 और 14 सप्ताह में करने को कहा जाता है. यह परीक्षण कुछ विशेष विकारों जैसे कि एडवर्ड्स सिंड्रोम और डाउन सिंड्रोम की प्रारंभिक जानकारी देता है. यह जांच बल्ड टैस्ट कर के की जाती है, जो मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और प्लाज्मा प्रोटीन ए के स्तर को मापता है, जो प्रैग्नेंसी से जुड़ा होता है. एचसीजी एक प्रकार का हारमोन है, जो प्रैग्नेंसी के दौरान नाल द्वारा बनाया जाता है. परीक्षण सारी चीजों को स्पष्ट कर देता है.

डा. रुचि गुप्ता के अनुसार डाउन सिंड्रोम परीक्षण के दूसरे परीक्षण में बल्ड टैस्ट किया जाता है और बच्चे की गरदन के पीछे तरल पदार्थ को मापने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है. गर्भ के अंदर सभी शिशुओं के गले में तरल पदार्थ होता है, लेकिन डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में इस की मात्रा कहीं अधिक होती है. परीक्षण को न्यूचल ट्रांस्लूसैंसी स्कैन कहा जाता है. यह स्कैन डाउन सिंड्रोम के जोखिम को पहचानने में मदद करता है.

बड़े जोखिम वाली प्रैगनैंसी के अन्य टैस्ट कुछ इस प्रकार हैं:

– अल्फा फीटोप्रोटीन (एएफपी), ऐल्ब्यूमिन के लिए मूत्र परीक्षण, कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) परीक्षण हाई रिस्क वाली प्रैगनैंसी में गर्भपात के जोखिम को रोकने के लिए किए जाते हैं.

– डाउन सिंड्रोम टैस्ट 15 से 20वें हफ्तों के बीच भी किए जा सकते हैं. अगर प्रैगनैंट महिला पहले 3 महीनों में टैस्ट नहीं करवा पाती है तो डौक्टर उसे अगले 3 महीनों में ये सभी टैस्ट करवाने की सलाह देती हैं.

दूसरी तिमाही के कौंप्लिकेशंस देखने के लिए निम्न परीक्षण किए जाते हैं:

जीटीटी (ग्लूकोज टौलरैंस टैस्ट)

यह टैस्ट मधुमेह रोगियों के लिए किया जाता है. इस प्रकार का मधुमेह प्रैग्नेंसी के दौरान ही होता है, क्योंकि नाल हारमोन बनाती है, जिस से खून में शुगर का लैवल बढ़ जाता है. इस के अलावा अगर अग्नाशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, तो तीसरी तिमाही में या उस से पहले गर्भकालीन मधुमेह हो सकता है. गर्भावधि हाइपरटैंशन के लिए ब्लड प्रैशर टैस्ट प्रीक्लेंपसिया के लिए मूत्र परीक्षण, अल्ट्रासाउंड स्तर या ऐनोमली स्कैन, डाउन सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए ट्रिपल टैस्ट या चौगुनी टैस्ट यदि रोगी का टैस्ट पौजिटिव निकलता है और उसे खत्म करने का फैसला करता है. ये प्रक्रिया अधिक दर्दनाक होती है.

तीसरी तिमाही टैस्ट

तीसरी तिमाही का टैस्ट संक्रमण के लिए किया जाता है. यह टैस्ट संभावित संक्रमण और कमियों से बचाता है. तीसरी तिमाही तक पहुंचने से पहले शरीर बीते 6 महीनों में कड़ी मेहनत से गुजर चुका होता है. इस में ये परीक्षण शामिल हैं- एनीमिया चेक करने के लिए ब्लड टैस्ट, ग्लूकोस टैस्ट, एसटीडी/एचआईवी, अल्ट्रासाउंड, यह देखने के लिए कि प्लैसेंटा कहां है और बच्चा कैसे बढ़ रहा है.

फ्लू और खांसी के लिए टीका

डा. रुचि गुप्ता का कहना है कि ये सभी टैस्ट अच्छी लैब में ही होने चाहिए. उस प्रयोगशाला में ही जाएं जो नए 3 डी और 4 डी अल्ट्रासाउंड को बढ़ावा देती है. 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में प्रैग्नेंसी की जटिलताओं का खतरा अधिक होता है. पहली तिमाही 35 से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए असुरक्षित चरण है. देर से गर्भधारण से डाउन सिंड्रोम, मां में गर्भकालीन, मधुमेह, गर्भपात और समय से पहले जन्म जैसे दोष हो सकते हैं.

-डा. रुचि गुप्ता

3 एच केयर डाट इन, नई दिल्ली

सुगंधा लौट आई : क्या थी सुगंधा की अनिल को छोड़ने की वजह?

मैं उन दिनों बीबीए के अंतिम सैमेस्टर में था. इरादा तो ग्रैजुएशन के बाद एमबीए करने का था पर इस की हैसियत नहीं थी. पापा रिटायर हो चुके थे और रिटायरमैंट पर पैसे बहुत कम मिले थे. नौकरी के दौरान ही 2 बेटियों की शादी के लिए उन्होंने पीएफ से काफी पैसे निकाल लिए थे. छोटी बेटी की शादी के कुछ महीने बाद मम्मी चल बसीं.

पापा की पेंशन इतनी थी कि मेरी पढ़ाई और घर का खर्र्च आराम से चल जाता था. पापा ने मुझे बीबीए करने को कहा. मैं ने सोचा कि बीबीए के बाद बिजनैस के कुछ गुर सीख लूंगा और नौकरी न भी मिली तो अपना बिजनैस करूंगा. पापा ने कहा कि जरूरत पड़ने पर अपना घर गिरवी रख कर बैंक से कर्ज ले लेंगे. घर क्या था, बंटवारे के बाद पुश्तैनी घर में 3 रूम का एक फ्लैट उन के हिस्से आया था.

एक दिन मैं घर से निकल कर थोड़ी दूर ही गया था कि अचानक मेरे ऊपर पानी की कुछ बूंदें गिरीं. मौसम बरसात का नहीं था और ऊपर नीले आसमान में दूर तक बादल का नामोनिशान भी नहीं था. हां, जाड़े की शुरुआत जरूर थी. फिर दोबारा पानी की कुछ बूंदें मेरे सिर और चेहरे पर आ गिरीं. तब मैं ने देखा कि ठीक ऊपर पहली मंजिल की बालकनी पर खड़ी एक लड़की बालों को झटक रही थी. मैं ने रूमाल से अपने चेहरे से उन बूंदों को पोंछते हुए ऊपर देखा. लड़की थोड़ी सहमी सी लगी, फिर मुसकराई. उस के होंठ से कुछ अनसुने शब्द निकले हालांकि होंठों की मूवमैंट से मैं समझ गया कि वह सौरी बोल रही थी.

मैं ने शरारत से हंसते हुए कहा ‘‘इट्स ओके पर एक बार फिर मुसकरा दो.’’

इस पर वह खिलखिला कर हंस पड़ी और शरमा कर अंदर चली गई. मैं ने महसूस किया कि  गोरे रंग की इस लड़की के मुख में दूधिया दंतपंक्तियां उस की सुंदरता में चार चांद लगा रही थीं.

इस के 2 दिन बाद मैं फिर उस रास्ते से जा रहा था तो उस लड़की की बालकनी की ओर देखने लगा. वह लड़की तो वहीं खड़ी थी पर उस ने बालों में तौलिया बांध रखा था. इस बार मैं मुसकरा पड़ा तो जवाब में वह खिलखिला उठी, मुझे अच्छा लगा. फिर कुछ दिनों तक वह नजर नहीं आई. करीब 2 सप्ताह के बाद मुझे वह बाजार में सब्जी खरीदती मिली. इत्तफाक से मैं भी वहीं गया था. दोनों की नजरें मिलीं, मैं ने हिम्मत कर पूछा ‘‘इधर कुछ दिनों से आप दिखीं नहीं.’’

‘‘हां, छुट्टियां थीं, मैं दीदी के यहां गई थी. आज ही लौटी हूं.’’

मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह पहली मुलाकात में इतनी फ्रैंकली बात करेगी. उस ने काफी सामान लिया था और उन्हें 2 थैलों में बांट कर दोनों हाथों में ले कर चलने लगी. मैं एक थैला उस के हाथ से लेना चाहता था, पर वह बोली. ‘‘थैंक्स, मैं खुद ले लूंगी आप क्यों तकलीफ करेंगे. घर ज्यादा दूर भी नहीं है. अगर जरूरत पड़ी तो रिक्शा ले लूंगी.’’

मैं ने उस के हाथ से थैला लगभग छीनते हुए कहा, ‘‘इस में तकलीफ की कोई बात नहीं है. रिक्शा के पैसे बचा कर हम चाय पी लेंगे.’’

चाय की दुकान सामने थी, वहां बैंच पर बैग रख कर बोला. ‘‘भैया 2 स्पैशल चाय बना देना.’’ चाय पीतेपीते थोड़ा परिचय हुआ, उस ने अपना नाम सुगंधा बताया. उस के पिता नहीं थे और वह मां के साथ रहती थी. वह बीसीए कर एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी. मैं ने भी अपनी पढ़ाई और बिजनैस के इरादे के बारे में बताया. मैं ने चाय के पैसे देने के लिए पर्स निकाला तो उस ने रोकते हुए कहा, ‘‘रिक्शा का पैसा मेरा बचा है तो पेमैंट मैं ही करूंगी.’’

मुझे अच्छा नहीं लगा, माना कि अभी नौकरी नहीं थी पर चाय के पैसे तो दे ही सकता

था. चाय पी कर टहलते हुए निकले, पहले उस का ही घर पड़ता था. उस ने दूसरा थैला मुझ से ले कर कहा, ‘‘थैंक्स, अनिलजी.’’

मैं और सुगंधा अकसर मिलने लगे थे जहां तक नौकरी का सवाल था वह सैटल्ड थी. मुझे बीबीए करने के बाद भी कोई मन लायक नौकरी नहीं मिल रही थी, जो औफर थे उन के वेतन बहुत कम थे. मैं कुछ अपना ही बिजनैस करने की सोच रहा था. वह मुझे प्रोत्साहित करती रही और ऐसे लोगों के उदाहरण देती जो निरंतर कठिन संघर्ष के बाद सफल हुए.

मेरे पास लैपटौप और इंटरनैट था. मैं दिन भर उसी पर अच्छी नौकरी या वैकल्पिक बिजनैस के अवसर तलाश रहा था. सुगंधा कभीकभी मुझे अपने घर भी ले जाती. उस की मां मुझे बहुत प्यार करती थी. एक दिन सुगंधा मेरे घर आई और उस ने बताया कि उस के स्कूल में कंप्यूटर लगने जा रहा है और फिर बच्चों को कंप्यूटर सिखाना है. उसी सिलसिले में एक प्रोजैक्ट रिपोर्ट और टैंडर बनाना है. वह चाहती थी कि मैं भी अपना टैंडर भरूं. मैं ने कंप्यूटर ऐप्लिकेशन का कोर्स भी किया था और पढ़ाई के दौरान टैंडर, मार्केटिंग की जानकारी भी मिली थी. मेरे पापा भी यही चाहते थे कि इस अवसर को न गवाऊं.

मैं ने टैंडर भरा और इत्तफाक कहें या सौभाग्य मुझे पहला अवसर मिला. सुगंधा के स्कूल की शाखाएं हमारे राज्य के कुछ अन्य शहरों के अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी थीं. उस के प्रिंसिपल इस राज्य के स्कूलों में कंप्यूटर प्रोजैक्ट के इंचार्र्ज थे. सुगंधा ने कहा ‘‘अगर तुम्हारे काम से वे खुश हुए तो अन्य स्कूलों में भी तुम्हें काम मिलने की संभावना है.’’

मैं ने कहा ‘‘मैं टीचर नहीं बनना चाहता हूं. कंप्यूटर इंस्टौल कर नैटवर्किंग आदि एक टीचर और कुछ बच्चों को दोचार दिनां में सिखा दूंगा, इस के बाद उसे आगे बढ़ाना तुम लोगों की जिम्मेदारी होगी.’’

‘‘ठीक है, आप मुझे ही बता देना. मैं ने भी कंप्यूटर का कोर्स किया है.’’

मुझे मेरे पहले काम में ही आशातीत सफलता मिली. प्रिंसिपल बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने बाकी 11 स्कूलों के लिए टैंडर भरने को कहा. मेरी खुशी का ठिकाना न रहा. सुगंधा, उस की मां और पापा सभी बहुत खुश थे. पापा ने तो यहां तक कहा ‘‘इस लड़की के कदम बहुत शुभ हैं. इन के पड़ते ही तुम्हारी जिंदगी में एक खुशनुमा मोड़ आया है, क्यों न तुम दोनों ही मिल कर काम करो, बल्कि मुझे तो यह लड़की बेहद पसंद है. तुम्हारी जीवनसाथी बनने लायक है.’’

सुगंधा की मां के भी कुछ ऐसे ही विचार थे. मुझे एहसास था कि हम दोनों

एकदूसरे को चाहने लगे थे पर हम ने अपनी चाहत को मन में ही दबा कर रखा था, खास कर मैं ने क्योंकि अभी तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं था. अब तो बड़ों की इजाजत मिल चुकी थी सो खुल्लमखुल्ला मर्यादित और एक दायरे के अंदर इश्क का सिलसिला शुरू हो गया.

मुझे बाकी स्कूल के टैंडर भी मिल गए तब मैं ने अपने घर से ही अपनी निजी कंपनी की शुरूआत की. ‘‘सुनील डौट कौम.’’ पापा ने पूछा ‘‘यह सुनील कौन है जिस के नाम की कंपनी तुम ने खोली है?’’

मैं ने उन्हें कहा ‘‘सु फौर सुगंधा और नील आप के बेटे अनिल का नाम दोनों को मिला कर सुनील रखा है.’’

‘‘अच्छा तो बात यहां तक पहुंच गई है तब तो मुझे सुगंधा की मां से बात करनी होगी.’’

सुगंधा को भी मेरी कंपनी का नाम सुन कर आश्चर्य हुआ. मैं ने जब उसे इस का मतलब समझाया तो वह हंसने लगी. पापा ने उस की मां से मिल कर हम दोनों की चट मंगनी पट शादी करा दी.

कुछ ही दिनों में मुझे और काम मिले. मैं अकेले तो सब काम नहीं कर सकता था

इसलिए मैं ने 2 नए आदमी रखे. इसलिए

अलग औफिस के लिए बड़ी जगह की जरूरत पड़ी तो मैं ने 2 औफिस केबिन किराए पर

लिए. बाहर वाले केबिन में मेरा स्टाफ और

अंदर वाले में मैं खुद बैठता. कभीकभी सुगंधा

भी आ कर मेरे साथ कुछ देर बैठती. मैं उसे पा कर बहुत खुश था. मुझे लगा मुझे मेरा मुकाम मिल गया है.

शादी के 2 साल बाद सुगंधा गर्भवती हुई. हम दोनों बहुत खुश थे. मैं उसे काफी समय देने लगा था. हर पल आने वाले मेहमान को ले कर सोचता और भविष्य का प्लान करता रहा. इस के चलते बिजनैस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था. सुगंधा मुझे बारबार आगाह करती कि वह तो आजीवन मेरे साथ है उस की इतनी ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और अपने काम पर ज्यादा समय दे. इसी बीच उस की मां चल बसी. दुर्भाग्यवश चौथे महीने में सुगंधा का मिसकैरेज हो गया. वह बहुत उदास रहने लगी थी और डिप्रैशन में चली गई.

अब मैं अपना पहले से भी ज्यादा समय उस पर देने लगा. वह मुझे समझाती कि कुछ दिनों की बात है मैं ठीक हो जाऊंगी. मैं उसे समझाता कि उस के ठीक होने के बाद ही मैं काम पर जाऊंगा. मेरे प्रोजैक्ट्स डेडलाइन मिस करने लगे थे. नए काम का अकाल पड़ने लगा और पुराने कस्टमर भी नाराज थे. इस बीच सुगंधा बहुत कुछ ठीक हो चली थी पर मेरा बिजनैस दुबारा पटरी पर नहीं आ सका था.

मुझे अपने स्टाफ की छंटनी करनी पड़ी. औफिस का किराया देने के लिए सुगंधा

ने स्कूल से कर्ज लिया था. मैं फिर से अपने घर से काम करने लगा, पर काम तो था नहीं. काम ढूंढ़ना ही मेरा काम था. सुगंधा मुझे ढाढ़स देती और कहती कि काम के लिए और लोगों के

पास जाऊं. मैं अपमानित महसूस कर रहा था कि कुछ दिन पहले मैं दूसरों को नौकरी देता था

और अब मुझे काम के लिए दूसरों की चौखट पर जाना होगा. मुझे लगा कि सुगंधा इस बात से नाराज हुई थी.

कुछ ही दिनों के बाद अचानक मेरे जीवन में भूचाल आया. एक सुबह अचानक  सुगंधा घर से गायब थी. वह एक लिफाफा छोड़ गई थी. उस में एक पत्र था जिस में लिखा था-

मैं आप को और इस शहर को छोड़ कर जा

रही हूं. आप मेरी फिक्र न करें. मैं लौट कर आप के जीवन में आऊंगी या नहीं अभी नहीं कह सकती, पर आप की यादों के सहारे मैं जी

लूंगी. आप किसी की कही एक बात हमेशा

याद रखें- ‘‘जिंदगी जीना आसान नहीं होता,

बिना संघर्ष के कोई महान नहीं होता, जब तक

न पड़े हथौड़े की चोट, पत्थर भी भगवान नहीं होता. बस आप पूरी लगन से एक बार फिर

अपने काम में लगे रहिए, कामयाबी जरूर मिलेगी. मेरी दुआएं और शुभकामनाएं सदा आप के साथ हैं.’’

मैं सकते में था कि सुगंधा ने ऐसा फैसला क्यों लिया होगा. मैं ने पापा से भी उस के बारे में पूछा कि शायद उन्हें कुछ बताया हो पर उन्हें भी कुछ पता नहीं था.

मुसीबत की इस घड़ी में सिर्फ पापा मेरे साथ खड़े रहे. मैं ने सुगंधा के स्कूल में पता किया कि शायद वह इसी गु्रप के किसी दूसरे स्कूल में हो. पर सुगंधा का कोई सुराग नहीं मिला. मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था. पापा ने कहा, ‘‘फिलहाल तुम काम के बारे में सोचना छोड़ दो और मैनेजमैंट करो. तुम ने पहले से मैनेजमैंट में ग्रैजुएशन कर रखा है अब तुम एमबीए करोगे. वहां से तुम्हें बहुत सारे अवसर और विकल्प मिलेंगे. मैं इस घर को गिरवी रख कर तुम्हें एमबीए करने भेज सकता हूं. इस बीच तुम्हारा ध्यान भी दुनियादारी से हट जाएगा.’’

आईआईएम अहमदाबाद भारत का

सर्वश्रेष्ठ मैनेजमैंट स्कूल माना जाता है, वहां

मुझे दाखिला मिला. मेरी पढ़ाई और पूर्व

अनुभव के चलते मुझे दूसरे वर्ष में मल्टीनैशनल कंपनी में बहुत अच्छा प्लेसमैंट मिल गया.

पढ़ाई पूरी होने के बाद 6 महीने की ट्रैनिंग

ब्रिटेन में और फिर ब्रिटेन या अन्य किसी देश में पोस्टिंग होती.

मैं मैनेजमैंट करने के बाद लंदन गया. मैं अपने नए काम और पोस्टिंग से बहुत खुश था. हर 2-3 साल के बाद मेरी पोस्टिंग ब्रिटेन के अतिरिक्त फ्रांस, इटली, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया में होती रही और साथ में मुझे

प्रमोशन भी मिलता रहा. इस बीच 10 साल

बीत गए. इस दौरान मुझे सुगंधा के बारे में कोईर् खबर नहीं मिली. ऐसा नहीं था कि मैं उसे पूरी तरह से भूल चुका था. प्रमोशन के साथ बढ़ते टारगेट और जिम्मेदारी के चलते अपने निजी जीवन के बारे में सोचने का समय कम मिलता था. फिर भी तन्हाई के आलम में उस की बहुत याद आती और शराब भी उस गमगीन माहौल

को भुलाने में नाकाम होती थी. मन में उम्मीद अभी भी जिंदा थी कि सुगंधा शायद किसी दिन वापस आ जाए. पापा से लगभग रोजाना संपर्क होता था.

मेरी कंपनी मुंबई में अपना दफ्तर खोलने जा रही थी और मेरे एक जूनियर कलीग को

इस काम के लिए मुंबई भेजा गया. पूरा औफिस सैट होने के बाद कंपनी मुझे वहां चीफ बना कर भेज रही थी. इस औफिस के लिए के कुछ सौफ्टवेयर इंजीनियर चाहिए थे. इस के लिए पहले राउंड का इंटरव्यू मेरा कलीग

लेता उस के बाद उस की डिटेल्स के साथ फाइनल इंटरव्यू फोन और विडियो कौनफ्रैंस

द्वारा मुझे लेना था. मेरे पास 6 लोगों के नाम आए उन में से मुझे दो इंजीनियर मुझे लेने थे. पहले राउंड के इंटरव्यू के बाद जो लिस्ट मुझे मिली उसे देख कर मैं चौंक उठा. सुगंधा लिस्ट में टौप पर थी. पहले मुझे कुछकुछ संदेह हुआ कि शायद कोई और सुगंधा हो जब मैं ने उस का पूरा बायोडाटा देखा तो पाया कि वह मेरी सुगंधा ही थी. उस ने बीसीए के बाद एमसीए किया और पिछले 5 वर्षों से एक कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर थी.

मैं ने सुगंधा का फाइनल विडियो इंटरव्यू लिया. मैं ने 10 वर्षों से

दाढ़ी बढ़ा रखी थी, आंखों पर चश्मा चढ़ गया था और कनपटी के बालों पर सफेदी थी. शायद उस ने मुझे पहचाना नहीं, मैं ने औफिस को बोल रखा था कि मेरा नाम उसे नहीं बताया जाए बस चीफ ऐग्जीक्यूटिव बोला जाए.

बहुत दिनों के बाद सुगंधा की तस्वीर देख कर मुझे जो खुशी मिली उसे शब्दों

में मैं बयां नहीं कर सकता. मुझे उस के फोटो

से ही सुगंधा की खुशबू का अहसास हो रहा

था जो मेरे मन को तरंगित कर जाता. उस ने

अपने को बड़ी खूबसूरती से मैंटैन कर रखा

था. खैर उस का इंटरव्यू पूरा हुआ. मुझे उसे सिलैक्ट करना ही था, इसलिए नहीं कि वह मेरी ऐक्स थी. वह अपनी काबीलियत के बल पर टौपर थी.

मैं ने अपने मुंबई वाले कलीग से कहा कि बिना मेरे बारे में सुगंधा को बताए वह मेरे बारे

में उस के मन की बात जानने की कोशिश करे. निजी बातें होशियारी से करे ताकि उसे संदेह नहीं हो. सुगंधा से बात कर उस ने फोन पर कहा, ‘‘आप के लिए मुझे बहुत पापड़ बेलने पड़े. मैं ने जब उस से पूछा कि आप के परिवार में आप के अलावा और कौनकौन हैं तो उस ने कहा मैं ही मेरा परिवार हूं. और आगे निजी बातें पूछने के लिए सुगंधा से बहुत फटकार मिली. जब मैं ने कहा कि आप ने मेरे निकटतम मित्र की जिंदगी बरबाद कर दी है और वह आप की याद में काफी दिनों तक शराब के नशे में डूबे इधरउधर भटक रहा था.’’

मैं ने पूछा ‘‘उस ने क्या कहा?’’

वह बोली ‘‘मैं अनिल को बहुत प्यार करती थी और उन का सम्मान आज भी करती हूं. वे बहुत टैलेंटेड हैं और वे अपने काम में ज्यादा ध्यान न दे कर मेरे पीछेपीछे अपना समय बरबाद कर रहे थे. मैं उन्हें ऊंचाईयों पर देखना चाहती हूं. मुझे लगा कि मैं उन की उन्नति में बाधा बन गई थी इसीलिए दिल पर पत्थर रख कर उन से दूर चली गई.’’

‘‘अगर आज वे कहीं से मिल जाएं तो

आप दोबारा उन्हें स्वीकार करेंगी?’’ मेरे कलीग के पूछने पर सुगंधा बोली, ‘‘अगर अनिलजी

मेरे सामीप्य से अपने मुकाम तक पहुंचने में कामयाब होंगे तो मैं समझूंगी कि मेरा त्याग

और मेरी उपासना सफल रही और मैं अपने को खुशनसीब समझूंगी.’’

‘‘अगर मैं कहूं कि मेरा वह दोस्त आज

भी आप के इंतजार में पलकें बिछाए बैठा है

और अब उस ने इतना कुछ हासिल कर रखा

है जिसे जान कर आप को गर्व होगा और

आप इसे अपने वर्षों की उपासना का नतीजा

ही समझें.’’

‘‘वे कहां है आजकल? मुझे बस इतना पता है कि मैनेजमैंट करने के बाद वे विदेश चले गए थे.’’ सुगंधा ने मेरे  कलीग से कहा.

‘‘फिलहाल मुझे भी ठीक से पता नहीं है फिर भी मैं जल्द ही पता कर आप को बता दूंगा. वैसे आप का जौइनिंग लैटर रैडी है. आज फ्राइडे है, आप मंडे को ज्वाइन करेंगी. तब तक हमारे चीफ भी यहां होंगे और आप सीधा उन्हें ही रिपोर्ट करेंगी.’’ मेरे कलीग ने कहा.

मैं मुंबई आ गया. सोमवार को अपने केबिन में बैठा था, मेरी पीए ने फोन पर कहा ‘‘सर, सुगंधा मैम हैज कम. शी इज गोइंग टू रिपोर्ट यू.’’

‘‘सैंड हर इन.’’

‘‘गुड मौर्निंग सर, दिस इज सुगंधा योर सौफ्टवेयर इंजीनियर रिपोर्टिंग टू यू.’’ सुगंधा ने कहा.

‘‘वैलकम इन अवर फैमिली, मेरा मतलब मेरी कंपनी में. मेरी कंपनी ही मेरी फैमिली रही है अब तक.’’

सुगंधा मुझे अभी भी नहीं पहचान सकी

थी. मैं ने उस से कहा ‘‘आप अपने केबिन में

जा कर अपनी जौब की जानकारी लें. कल

सुबह आप मुझे मिलेंगी फिर बाकी काम मैं समझा दूंगा.’’

दूसरे दिन सुबह मैं ने अपने केबिन डोर पर अपना नेम प्लेट ‘अनिल कुमार’ लगवा

दी थी. मैं क्लीन शेव्ड हो कर अपनी कुर्र्सी पर बैठा था. सुगंधा नौक कर मेरे केबिन में आई

और मुझे देख कर ठिठक कर खड़ी हो गई और बोली ‘‘आप?’’

‘‘लगता है तुम ने मेरी नेम प्लेट नहीं देखी?’’

‘‘मैं ने गौर नहीं किया.’’

‘‘यही मेरी कंपनी और फैमिली है. आज

से तुम भी इसी फैमिली की अतिविशिष्ट सदस्य हुई. मुझे उम्मीद थी मेरी सुगंधा एक न एक दिन जरूर आएगी इसीलिए तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में मैं ने आज तक सोचा ही नहीं.’’

मेरे कलीग ने तुम्हारे दूर जाने का कारण मुझे बता दिया था. मुझे तुम पर नाज है और तुम्हें सैल्यूट करना होगा.

मैं ने उठ कर सैल्यूट किया और उसे

गले लगाया. मेरा कलीग केबिन के शीशे के पारदर्शी दीवार के उस पार से यह नजारा देख रहा था. उस ने मुझे कनखी मारी और हम तीनों मुस्करा उठे.

एहसास : क्या दोबारा एक हो पाए राघव और जूही?

आज सुबह सुबह औफिस जाते हुए जैसे ही राघव की नजर कैलेंडर पर पड़ी, तो आज की तारीख देख कर एक बार उस के मन में जैसे कुछ छन्न से टूट गया. आज 9 जनवरी थी औैर आज ही उस की दुनिया पूरे 1 साल के अकेलेपन की बरसी मना रही थी.

जूही को उस के जीवन से गुजरे आज पूरा 1 साल हो गया था. जूही उस की पत्नी… हां, आज भी तो यह सामाजिक रिश्ता कायम था. कानून और समाज की नजर में जूही और राघव आज भी शादी के बंधन में बंधे थे. लेकिन सिर्फ नाम के लिए ही यह रह गया था. जूही को उस की जिंदगी से गए लंबा अरसा हो गया था. खुद को इस विवाहरूपी बंधन से आजाद करने की कोशिश न तो जूही ने की थी और न ही राघव ही इस मैटर को आगे बढ़ा पाया था.

दिमाग में उमड़ते इन पुराने दिनों के चक्रवात ने अनायास ही राघव के जिस्म को अपने शिकंजे में जकड़ लिया. राघव ने अपना लैपटौप बैग और मोबाइल उठा कर कमरे की मेज पर रखा और फिर अपनी नौकरानी शांति को 1 कप कौफी बनाने की हिदायत देता हुआ अपनी अलमारी की ओर बढ़ चला. वह जानता था कि अब उस का मन उस सुविधायुक्त कमरे में नहीं लगेगा. उस ने अलमारी खोलते हुए उस नीले कवर वाले लिफाफे को बाहर निकाला. कवर पर आज भी खूबसूरत लफ्जों में ‘राघव’ लिख हुआ था. वही कर्विंग लैटर्स वाली लिखावट जो जूही की खास पहचान है

‘‘राघव, इन खाली पन्नों पर आज अपने उन जज्बातों को उकेर कर जा रही हूं, जिन्हें शब्द देने से न जाने क्यों मेरे हाथ कांपते रहते थे. आज जब यह चिट्ठी तुम्हें मिलेगी, मैं तुम्हारी इस दुनियावी आडंबरों से भरे जीवन से बहुत दूर जा चुकी हूंगी. लेकिन चलने से पहले तुम से चंद बातें कर लेना जरूरी है. जानते हो कल रात मझे फिर वही सपना आया. तुम मुझे अपने दफ्तर की किसी पार्टी में ले गए हो. सपने में जानेपहचाने लोग हैं. परस्पर अभिवादन और बातचीत हो रही है कि अचानक सब के चेहरों पर देखते ही देखते एक भयानक हंसी आ जाती है.

‘‘उन सभी की वह भयानक हंसी किसी राक्षसी अट्टाहास में बदल जाती है. धीरेधीरे वे सभी भयानक अंदाज में हंसने और चिल्लाने लगते हैं और तब एक और भयानक बात होती है. उन खतरनाक आवाजों और हंसी के भीतर घृणा में लिपटा तुम्हारा डरावना चेहरा नजर आने लगता है. तुम्हारे सिर पर 2 सींग उग जाते हैं. जैसे तुम तुम न हो कर कोई भयावह यमदूत हो. मानों बड़ेबड़े दांतों वाले असंख्य यमदूत… डर के मारे मेरी आंखें खुल गईं. जनवरी की उस सर्द रात में भी मैं पसीने से तरबतर थी. मैं जब अपने सपने का जिक्र करती तो तुम उसे मेरे दिमाग में पनप रही कुंठा की संज्ञा दे देते. विडंबना यह है कि मेरी तमाम कुंठाओं के जनक तुम ही तो हो.

‘‘मुड़ कर देखने पर लगता है कि मामूली सी ही तो बात थी. मेरे शरीर पर काबिज वह  कुछ ऐक्स्ट्रा वजन ही तो था. लेकिन तुम्हारे उस यमदूत रूप के जड़ में मेरा यह बढ़ा हुआ वजन ही तो था. लेकिन क्या यह बात वाकई इतनी मामूली सी थी? तुम ने ‘आइसबर्ग’ देखा है? उस का केवल थोड़ा सा हिस्सा पानी की सतह के ऊपर दिखता है. यदि कोई अनाड़ी देखे तो लगेगा जैसे छोटा सा बर्फ का टुकड़ा पानी की सतह पर तैर रहा है. पर ‘आइसबर्ग’ का असली आकार तो पानी की सतह के नीचे तैर रहा होता है, जिस से टकरा कर बड़ेबडे जहाज डूब जाते हैं. जो बात ऊपर से मामूली दिखती है उस की जड़ में कुछ और ही छिपा होता है. बड़ा और भयावह.’’

आंखों में पनप रही उस नमकीन  झील को काबू में करते हुए राघव सोचने लगा कि सच, वह कितना गुस्सैल हो गया था. बातबात पर चिढ़ना और जूही पर अपना सारा गुस्सा उतारना उस का रोज का रूटीन बन गया था. शुरुआत में ऐसा नहीं था. जूही और उस का वैवाहिक जीवन खुशहाल था. लेकिन धीरेधीरे काम के भार और सहकर्मियों के साथ व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के चलते वह इतना परेशान हो गया था कि अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन वह अब जूही पर उतारने लगा था.

राघव खत का बचा हिस्सा पढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. लेकिन वह जानता था कि जूही के उन सिसकते लफ्जों की मार सहना ही उस की सजा है, इसीलिए उस ने आगे पढ़ना शुरू किया.

‘‘8 महीने पहले करवाए ब्लड टैस्ट में ही तो पता चला है कि मु झे हाइपोथायराइडिज्म है. इस में न चाहते हुए भी वज़न का बढ़ना तो लाजिम है न? क्या इस में मेरा अपना कोई कसूर है?’’

खत में जूही ने आगे लिखा था, ‘‘भद्दी, बदसूरत कहीं की. तुम गुस्से से पागल हो कर चीख रहे होते. शायद मैं तुम्हें शुरू से ही भद्दी लगती थी, बदसूरत लगती थी. मेरा मोटापा तो एक बहाना था. शायद यही वजह रही होगी कि तुम्हें मेरी हमेशा हंसने और खिलखिलाने की मामूली सी आदत भी असहनीय लगती थी.जब हम किसी से चिढ़ने लगते हैं, नफरत करने लगते हैं तब उस की हर आदत हमें बुरी लगती है.

‘‘यदि तुम्हे मु झ से प्यार होता तो शायद तुम मेरे मोटापे को नजरअंदाज कर देते. लेकिन तुम अकसर किसी न किसी बात पर अपने विश बुझे बाणों से मुझे बेधते रहते. सचाई तो यह है कि शादी के बाद से अब तक तुम ने अपनी एक भी आदत सिगरेट पीना, शराब पीना, रात में देर तक कमरे की बत्ती जला कर काम करते रहना नहीं बदली. केवल मैं ही बदलती रही. तुम्हारी हर पसंदनापसंद के लिए. तुम्हारी हर खुशी के लिए. जो तुम खाना चाहते थे, घर में केवल वही चीजें बनती थीं. जो तुम्हें अच्छा लगे, मुझे वही करना था. जो तुम्हें पसंद हो, मुझे वही कहनासुनना था. जैसे मैं मैं नहीं रह गई थी केवल तुम्हारा विस्तार भर थी.’’

राघव के दिलोदिमाग में जैसे किसी ने ढेरों कांटे चुभो दिए थे. लेकिन वह उस पीड़ा को भोगना चाहता था. वह आज जूही को उस के वजूद को फिर से महसूस करना चाहता था.

अब वह खत का आगे का हिस्सा पढ़ने लगा- ‘‘खाना मैं बनाती थी, कपड़ेलत्ते मैं धोती थी, बरतन मैं साफ करती थी,  झाड़ूपोंछा मैं लगाती थी. तुम रोज औफिस से आ कर ‘आज बहुत थक गया हूं’ कहते और टांगें फैला कर बिस्तर पर लेट अपना पसंदीदा टीवी प्रोग्राम चला लेते. एक गिलास पानी भी तुम खुद उठ कर नहीं ले सकते थे. फिर भी थकते सिर्फ तुम थे. शिकायत सिर्फ तुम कर सकते थे. उलाहने सिर्फ तुम दे सकते थे. बुरी सिर्फ मैं थी.

‘‘कमियां सिर्फ मुझ में थीं. दूध के धुले, अच्छाई के पुतले सिर्फ तुम थे. मैं ने तुम से कुछ ज्यादा तो नहीं चाहा था. एक पत्नी अपने पति से जो चाहती है, मैं भी केवल उतना भर ही चाहती थी. काश, तुम भी मुझे थोड़ा प्यार दे पाते, घर के कामों में मेरा थोड़ा हाथ बंटाते, अपनी किसी प्यारी अदा से मेरा मन मोह ले जाते. असल में तुम ने मुझ से कभी प्यार किया ही नहीं. मैं केवल घर का काम करने वाली मशीन थी, घर की नौकरानी थी जिसे रात में भी तुम्हारी खुशी के लिए बिस्तर पर रौंदा जाता था.

‘‘बिस्तर और रसोई के गणित से परे भी स्त्री होती है, यह बात तुम्हारी समझ से बाहर थी. लेकिन इस सब के बावजूद मेरे हाल ही में बढ़ गए वजन से इतनी परेशानियों के बाद भी मेरे चेहरे पर हमेशा खेलती मुसकान से तुम्हें चिढ़ थी. पर उस बेवजह के तनाव का क्या… उन यातना भरे भारी दिनों का क्या… उन परेशान रातों का क्या जो मैं ने तुम्हारे साथ किसी सजायाफ्ता मुजरिम की तरह गुजारी हैं? तुम चाहते थे कि मैं अपनी बिगड़ रही फिगर पर शर्मिंदा रहूं. क्यों? क्या शरीर के भूगोल में जरा सा भी फेरबदल हो जाना कोई अपराध है, जो तुम मुझे सजा देने पर तुले रहे?

‘‘राघव, तुम जानते हो तुम्हारे चेहरे पर भी एक मस्सा उगा हुआ है. मैं ने तो कभी इस बात पर एतराज नहीं जताया कि वहां वह मस्सा क्यों है? मैं ने तो कभी यह नहीं कहा कि उस मस्से की वजह से तुम बदसूरत लगते हो. असल में तुम्हारे लिए मेरा मोटापा मुझे नीचा दिखाने का बहाना भर था. अब जबकि मेरा थायराइड काबू में है और अब मैं पहले से काफी बेहतर भी दिखने लगी हूं तो अब तुम्हें मुझ से कोई लेनादेना नहीं है. तुम ने एक बार भी नहीं कहा कि मैं अब तुम्हें कैसी लगती हूं. जानते हो राघव, घृणा का बरगद जब फैलने लगता है, तो उस की जड़ें संबंधों की मिट्टी में बहुत गहरे तक अपने पांव पसार लेती हैं. पता नहीं मैं इतने साल तुम्हारे साथ कैसे रह गई. अपना मन मार कर, अपना वजूद मिटा कर.

‘‘पर अब बहुत हो गया. मुझे तुम्हारे हाथों पिटना मंजूर नहीं. मेरे वजूद को हर कदम पर इस तरह और जलील होना मंजूर नहीं. तुम एक बीमार मानसिक अवस्था में हो और मु झे अब इस रुग्ण मानसिक अवस्था का हिस्सा और नहीं बनना. हमारे पास जीने के लिए एक ही जीवन होता है और मुझे अब यों घुटघुट कर और नहीं जीना. आज मैं स्वयं को तुम से मुक्त करती हूं. हां, एक बात और मुझे अपने चेहरे पर हमेशा खेलती हुई यह मुसकान बेहद अच्छी लगती थी और वे सभी लोग अच्छे लगते थे, जो मेरे बढ़े हुए वजन के बावजूद मु झे चाहते थे, मु झ से प्यार करते थे.  प्यार, जो तुम मझे कभी नहीं दे सके.

-जूही.’’

अपने हाथ में सिहरते हुए उस खत को राघव बहुत देर तक योंही थामे रहा. इस 1 साल ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया. पत्नी केवल शोपीस नहीं होती. वह जीवन का अभिन्न अंग होती है. इस 1 साल में शालिनी डिसूजा, वह विदेशी कैथी जो इंटर्न बन कर आई थीं आदि ने उस पर डोरे डालने चाहे थे.

कुछ रात भर साथ भी रहीं पर वह किसी को न मन दे सका न शरीर. बिस्तर पर पहुंचतेही वह ठंडा पड़ जाता. रात को साथ खाना खातेखाते जब किसी का फोन आ जाता, तो वे लड़कियां उकता जातीं जबकि जूही ने रात को बिस्तर पर न कोईर् मांग की न उस के फोनों से शिकायतें कीं.

पिछले 1 साल भर से उस ने बहुत बार यह सोचा था कि वह जूही को फोन करेगा, उस से अपनी ज्यादतियों के लिए माफी मांगेगा, लेकिन अब और इंतजार नहीं.

आज वह उसे बताना चाहता है कि उसे अपनी सभी गलतियों का एहसास है औैर हां,एक बात और भी तो बतानी है कि उसे जूही की मुसकान से प्यार है और जूही के हाइपोथायराइडिज्म से उसे कोई शिकायत नहीं है. वह जैसी भी है उस की अपनी है. वहीउस की है.

सोनाली बोस 

सिर्फ Sex ही नहीं पैसों के मामले में भी पति देते हैं धोखा

कुन्दन बिजनेसमैन है और उसकी पत्नी नमिता घरेलू महिला है. कम पढ़ेलिखे होने के कारण नमिता को पैसों की लेनदेन कम ही समझ आता है. कुन्दन भी नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी को बिजनेस या रुपएपैसे से जुड़ी चीजें समझ आए.

नमिता हर वक्त घर के कामों में लगी रहती है और अपने पति और परिवार के लिए अच्छाअच्छा खाना बनाती है. हालांकि कैरेक्टर के मामले में कुन्दन सही इंसान है, लेकिन पैसों और संपत्ति के मामले में वह अपनी पत्नी को धोखा देता है. जी हां, अगर एक पति अपनी पत्नी से पैसे या संपत्ति से जुड़ी चीजें छिपाता है, तो यह भी धोखा ही कहलाता है. आइए जानते हैं कैसे?

जब पिता से मिले पैसे पति अपने नाम करवाता है

Husband supporting comforting upset depressed wife, infertility and sympathy concept

आप मैरिड हैं और आपके पति ने अपने पिता से मिली संपत्ति को अपने नाम करवा लिया है, हालांकि पति यह भी कह सकता है कि उसके पिता के पैसे हैं, सिर्फ उसके हैं, लेकिन पतिपत्नी का हक समान होता है. अगर ऐसे में पत्नी को हिस्सा नहीं मिलता है, तो यह धोखा है.

पत्नी को बिना बताए किसी को पैसे देना

Couple fighting against yellow background

कई बार किसी दोस्त या रिश्तेदार को पैसे की जरूरत होती है, ऐसे में पुरुष अपनी पत्नी को बिना बताए पैसे दे देते हैं, उन्हें लगता है कि यह मदद है, लेकिन आप अपनी पत्नी से इस बारे में चर्चा नहीं करते हैं, तो यह भी एक तरह का धोखा है.

 

खुद फैसला लेकर घर बेचना

Young couple sitting outdoors

आपने आसपास कई महिलाओं से सुना या पढ़ा भी होगा, फलां के पति ने घर बेच दिया अब उनके रहने का भी ठिकाना नहीं है. खुद फैसला लेकर घर बेचना गलत है. अगर कोई समस्या भी है, तो अपनी पत्नी से राय लें. घर बेचना या गिरवी रखना कोई हल नहीं है. अगर फाइनेंशियल प्रौब्लम से भी गुजर रहे हैं और घर बेचना जरूरी है, तो पत्नी से सलाह लें, अगर उसकी राजामंदी हो, तो ही आप अपना घर बेचें.

फिक्स डिपोसिट करते समय पत्नी के बजाय किसी और का नाम देना

कुछ पुरुषों को लगता है कि उनके पैसे पर सिर्फ उनका हक है. कुछ लोग पैसे फिक्स डिपोजिट या कोई इंश्योरेंस लेते हैं, तो नौमिनी में अपनी पत्नी का नाम देने के बजाय भाईबहन, मातापिता या किसी रिश्तेदार का नाम देते हैं.हसबैंडवाइफ के रिश्ते आपस में सही नहीं होते हैं, तो ऐसी स्थिति आती है. लेकिन अगर कोई भी पति ऐसा करता है, तो यह बेवफाई है.

बीवी को बिना बताए सट्टेबाजी करना

सट्टेबाजी के जरिए जल्दी पैसा कमाने के लालच में लोग जल्दी ठगी के शिकार होते हैं. कई बार व्यक्ति करोड़ों के कर्ज में भी आ जाता है. अगर आपके पति आपको बिना बताए आनलाइन सट्टेबाजी खेलते हैं और बाद में पता चलता है कि वो लाखोंककरोड़ों रुपए हार गए हैं, ये सुनकर अचानक बड़ा झटका लगता है. सट्टेबाजी में हारने के कारण लोग आत्महत्या की तरफ भी कदम बढ़ाते हैं. पत्नी को बिना बताए सट्टेबाजी खेलना भी एक बड़ा धोखा है.

2500 रुपए खर्च करके बन सकती हैं प्रोफैशनल मेहंदी आर्टिस्ट

मेहंदी लगाना हर किसी को पसंद होता है, खासकर लड़कियों को मेहंदी लगाने का काफी शौक होता है. चाहे कोई फेस्टिवल हो, शादी या पार्टी लड़कियां बहुत ही शौक से अपने हाथों पर मेहंदी लगवाती हैं. कुछ लड़कियां मेहंदी आर्टिस्ट की मदद लेती हैं, तो कुछ लड़कियां खुद ही अपने हाथों पर मेहंदी लगा लेती हैं. अगर आपके पास भी मेहंदी लगाने की स्किल या आर्ट है, तो आप इसे अपनी करियर के रूप में चुन सकती हैं और इससे अच्छी कमाई भी कर सकती हैं.

आजकल मार्केट में मेहंदी आर्टिस्ट की डिमांड बढ़ गई है. इसके लिए कई सारे कोर्सेज भी करवाए जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी इस कला में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है.

Indian Weddings

मेहंदी आर्ट से कैसे करें कमाई

अगर आपको मेहंदी लगाने का शौक हैं, तो आप ऑनलाइन कई तरह के डिजाइन देखकर घर पर भी प्रैक्टिस कर सकते हैं या किसी मेहंदी आर्टिस्ट से ट्रेनिंग भी ले सकते हैं. आप शादियों, त्योहार या अन्य अवसरों पर मेहंदी आर्ट का उपयोग कर पैसे कमा सकते हैं. इसके अलावा आप मेहंदी पार्लर भी खोल सकती है, इसमें आपके ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं होंगे और आपकी अर्निंग बेहतर होगी.

Artist making mehndi on womans hand near tea cup

अगर आप प्रोफेशनल मेहंदी आर्टिस्ट बनना चाहती हैं, तो मेहंदी आर्ट की कोर्स भी कर सकती हैं. यह कोर्स बहुत ही सस्ता है. इसे ब्राइडल मेहंदी डिजाइन, इंडो अरेबिक मेहंदी डिजाइन, अफ्रीकन मेहंदी डिजाइन में किया जा सकता है. इसे प्राइवेट इंस्टिट्यूट करवाती है. इसकी फीस भी काफी कम है. आपको 1500-2500 रूपए देने होंगे.

Beautiful artwork drawn on the hand of an Indian bride with herbal heena in wet condition

अपनी मेहंदी आर्ट का औनलाइन करें प्रचार

आप अपनी मेंहदी आर्ट का औनलाइन माध्यम से भी प्रचार कर सकती है. इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक पर शौर्ट्स वीडियोज डालकर अपने आर्ट के बारे में बता सकती हैं. यह आपके बिजनेस को बढ़ाने और लोगों तक पहुंचाने का अच्छा तरीका साबित हो सकता है. आप अपनी मेहंदी डिजाइन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर सकती हैं. इसके अलावा पेड औनलाइन क्लासेज भी शुरू कर सकती हैं.

देश के ये मेहंदी आर्टिस्ट हैं बेहद पौपुलर 

वीना नागदा कई सेलिब्रिटीज को मेहंदी लगा चुकी हैं. वो अमूमन हर एक्ट्रेस को मेहंदी लगाई हैं. अनंतराधिका की मेहंदी को लेकर वो काफी चर्चे में हैं. ज्यादातर एक्ट्रेसेज उन्हीं से मेहंदी लगवाती हैं. मेहंदी आर्टिस्ट मांबेटी की यह जोड़ी काफी पौपुलर है. ये दोनों हाई प्रोफाइल शादियों में जाकर मेहंदी लगाती हैं. यहां तक की विदेशों में भी उषा और एकता शाह मेहंदी डिजाइन के लिए फेमस हैं. इन दोनों ने नीता अंबानी, ऐश्वर्या राय जैसी मशहूर हस्तियों के साथ काम किया है.

मानसून में मसाले जल्दी हो जाते हैं खराब, तो इन तरीकों से रखें सुरक्षित

बारिश का मौसम अधिकतर हर किसी के मन को भाता है यह गर्मी से तो निजात दिलाता है लेकिन अपने साथ कई सारी परेशानिया भी लाता है.जैसे सीलन, मच्छर, कीड़े मकोड़े, गंदगी जिन से निजात पाना बहुत बड़ी सरदर्दी बन जाता है ऐसे में हमारी रसोई की रौनक कहलाए जाने वाले मसाले भी अछूते नहीं रहते और वह भी नमी के कारण खराब होने लगते हैं. कई बार तो हम अनजाने में वही खराब मसाले खा कर बिमार भी पड़ जाते हैं. इसलिए हमें बरसात के मौसम में अपने मसालो का खास ध्यान रखना चाहिए. तो चलिए जानते है कुछ ऐसे ट्रिक्स जिनके जरिए हम अपने मसालो को खराब होने से बचा सकते हैं.

एयर टाइट डिब्बे

वैसे तो हर मौसम के लिए ही एयर टाइट डब्बे सबसे बेहतर कहलाए जाते हैं.लेकिन बारिश के मौसम में नमी व बाहरी हवा इनमे नहीं पहुंच पाती जिससे मसाले खराब होने से बचे रहते हैं.और ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल करने योग्य रहते हैं.

 

Herbs and spices selection - cooking, healthy eating

मसालो में मसाले का प्रयोग

हमने सुना है लोहा लोहे को काटता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मसालो को कीड़ो से बचाना है तो मसाले ही मसाले को बचा सकते हैं जी हाँ हमारी रसोई में तेज़ पत्ता, लौंग,बड़ी इलायची तो रहती ही है बस अपने पिसे मसालो की क्वांटिटी को देखते हुए उसमे एक दो तेज़ पत्ता , लौंग , व बड़ी इलायची डाल दें. ऐसा करने से आपके मसाले खराब होने से बचे रहेंगे व स्वाद भी खराब नहीं होगा.

साबुत मसाले

बेहतर होगा की बारिश के मौसम में साबुत मसाले ही लाएं जिन्हें आप जरूरत के हिसाब से हल्का सा गर्म कर मिक्सी में पीस ले व प्रयोग में ले लें. घर के पिसे मसालो का स्वाद भी बेहतर होता है व साबुत मसाले ज्यादा लम्बे समय तक ठीक रहते हैं.

फ्रिज में रखें सही ढंग से

यदि आप अपने मसालो को फ्रिज में रखते हैं तो मसालो का स्वाद बदल जाता है इसलिए उन्हें एयर टाइट डब्बे में ही रखें. जिससे उनका स्वाद बरकरार रहे.

धूप दिखाएं

वैसे तो बारिश के मौसम में धूप का निकलना बड़ा ही मुश्किल होता है लेकिन जब भी तेज़ धूप हो तो मसालो को दो घंटे की धूप अवश्य दिखाएं.

एक नई चिंता

दुनियाभर में नए बच्चों के पैदा होने की दर तेजी से घट रही है. 50 साल पहले जो डर पौलिसी मेर्क्स को सता रहा था कि 100-200 साल बाद यह पृथ्वी कैसे बढ़ती पौपुलेशन का बो?ा संभालेगी, आज डर लग रहा है कि वीरान होते गांवशहरों का दुनिया के अमीर देश क्या करेंगे? आज अफ्रीका को छोड़ दें तो सब जगह औरतें इतने बच्चे पैदा नहीं कर रहीं जिस से कि पौपुलेशन स्थिर रह सके.

कोरिया और जापान जैसे देशों में 2त्न का जरूरी टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 0.7 व 0.6 पर आ गया है. भारत के अधिकांश राज्यों में यह दर 1.7 के आसपास है. बिहार और उत्तर प्रदेश अभी 2.4 के आसपास हैं पर तेजी से भारत भी पटरी पर आ रहा है जबकि दुनिया में कहीं भी अब पौपुलेशन कंट्रोल स्टेट पौलिसी नहीं है.

20 साल से कम उम्र की लड़कियों में बच्चे पैदा करने की दर हर जगह बुरी तरह कम हुई है. औरतें अपने सुखों के लिए या बच्चों को पालने के बोझ व खर्च के कारण 1 या 2 बच्चों से बहुत खुश हैं. भारत में भी औसत इसीलिए 1.7 की है क्योंकि बहुत औरतें 1 भी बच्चा पैदा नहीं कर रहीं.

कुछ देशों ने बच्चों को पैदा होते ही मोटी रकम देनी शुरू की है जो माओत्सतुंग के चीन के 2 से ज्यादा बच्चा करने पर जुरमाने का उलटा है. फिर भी औरतें हैं कि मान नहीं रहीं. कैरियर वाली औरतें भी अब पैसे की वजह से बच्चे पैदा नहीं कर रहीं. उन्हें लगता है कि सरकार अगर कुछ सहायता कर भी देगी तो भी जो फाइनैंशियल व फिजिकल बर्डन उन पर बढ़ेगा वह कहीं ज्यादा होगा. 50 साल में चीजों को खुदबखुद ठीक करना ह्यूमन इनोवेशन की एक और निशानी है जो अपनी जरूरतों और अपनी पहुंच के बीच अपनेआप तालमेल बैठा लेता है.

कम बच्चों का मतलब है पर्यावरण पर घटता बो?ा एक और मुसीबत का कम होना. कम बच्चों से परेशान सरकारें बेकार की लड़ाइयों में नहीं उल?ोंगी. रूस और यूक्रेन दोनों को लड़ाई में सैनिकों की कमी हो रही है. लोग देश छोड़ कर भाग रहे हैं ताकि उन्हें अपनी सरकार की बेमतलब की लड़ाई में बंदूकें न उठानी पड़ें.

कम बच्चों का नुकसान तो दादाओं और नानाओं को होगा जिन्हें संभालने वाले नहीं रहेंगे.

उन्हें देर तक काम करना होगा. अब 50-55 में रिटायर होने का सपना लोग छोड़ दें. पहले तो उन्हें अपने बेटेबेटियों के बच्चे पालने में साथ देना होगा और जब ग्रांड चिल्ड्रन बड़े हो जाएंगे, उन्हें काम करते रहना होगा ताकि दूसरों पर मुहताज न हों. लाइफस्टाइल भी ऐसा होता जा रहा है कि लोग पड़ोसी को भी नहीं जानते तो दोस्त कहां बनेंगे.

सरकारें चाहे जितना पैसा दे दें यह पक्का है कि नए बच्चे थोक में तो नहीं मिलेंगे. जल्द ही भारत, बंगलादेश, पाकिस्तान, दक्षिणी अमेरिका और फिलीपींस से अमीर देशों में काम करने के लिए छटपटाने वालों की भी कमी हो जाएगी क्योंकि जहां बच्चे 1-2 होंगे वे मांबाप को नहीं छोड़ेंगे. अब क्लाईमेट को छोड़ो पौपुलेशन की चिंता सताएगी.

इस का नुकसान धर्म के दुकानदारों को होगा क्योंकि हर बच्चे से धर्म पैसा कमाना शुरू कर देता है. हर धर्म में बच्चों को ले कर हर दूसरेतीसरे साल कोई आयोजन होता है जिस में धर्म का बिल्ला लगाए कोई वसूलदार आ जाता है.

बालों को कलर कराने के बाद कैसे ध्यान रखें?

सवाल

बालों को कलर कराने के बाद किनकिन बातों का ध्यान रखें कि बालों का कलर ज्यादा देर तक चले और खूबसूरत बना रहे?

जवाब

बालों के रंग को ज्यादा देर तक सुंदर बनाए रखने के लिए कलर सेफ शैंपू ऐंड कलर सेफ कंडीशनर और स्टाइलिंग उत्पादों में निवेश करें जो विशेष रूप से कलर्ड बालों के लिए डिजाइन किए गए हों. ये उत्पाद आप के बालों पर कोमल होते हैं और उन के रंग को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं. अपने बालों को रोजाना धोने से बचें क्योंकि यह प्राकृतिक तेलों को छीन सकता है और आप के बालों के रंग को जल्दी फीका बना सकता है. धोने के बीच ड्राई शैंपू या कंडीशनर का उपयोग करें या धोने के बीच का समय बढ़ाएं. बालों को हीट वाली चीजों से बचाएं जैसेकि फ्लैट आयरन, कर्लिंग आयरन और ब्लो ड्रायर या उन्हें कम गरमी पर उपयोग करें ताकि आप के रंग को कोई नुकसान न हो.

स्विमिंग पूल में क्लोरीन का उपयोग करने से बालों का रंग फीका हो सकता है. अत: स्विमिंग से पहले बालों को गीला करें और एक संरक्षक लीव इन कंडीशनर लगाएं या स्विम कैप पहनें. नियमित रूप से डीप कंडीशनिंग ट्रीटमैंट या हेयर मास्क का उपयोग करें ताकि आप के बालों के रंग को पोषण मिले और वे स्वस्थ और नमी भरे रहें. लंबे समय तक धूप में रहने से रंग फीका होने का खतरा हो सकता है खासकर हलके रंगों के लिए. बाहर जाते समय हैट पहनें या बालों के लिए वी प्रोटैक्टेड प्रोडक्ट्स का उपयोग करें. अपने बालों के एंड्स को नियमित रूप से कटवाएं ताकि स्प्लिट एंड्स न हों.

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