एहसास : क्या दोबारा एक हो पाए राघव और जूही?

आज सुबह सुबह औफिस जाते हुए जैसे ही राघव की नजर कैलेंडर पर पड़ी, तो आज की तारीख देख कर एक बार उस के मन में जैसे कुछ छन्न से टूट गया. आज 9 जनवरी थी औैर आज ही उस की दुनिया पूरे 1 साल के अकेलेपन की बरसी मना रही थी.

जूही को उस के जीवन से गुजरे आज पूरा 1 साल हो गया था. जूही उस की पत्नी… हां, आज भी तो यह सामाजिक रिश्ता कायम था. कानून और समाज की नजर में जूही और राघव आज भी शादी के बंधन में बंधे थे. लेकिन सिर्फ नाम के लिए ही यह रह गया था. जूही को उस की जिंदगी से गए लंबा अरसा हो गया था. खुद को इस विवाहरूपी बंधन से आजाद करने की कोशिश न तो जूही ने की थी और न ही राघव ही इस मैटर को आगे बढ़ा पाया था.

दिमाग में उमड़ते इन पुराने दिनों के चक्रवात ने अनायास ही राघव के जिस्म को अपने शिकंजे में जकड़ लिया. राघव ने अपना लैपटौप बैग और मोबाइल उठा कर कमरे की मेज पर रखा और फिर अपनी नौकरानी शांति को 1 कप कौफी बनाने की हिदायत देता हुआ अपनी अलमारी की ओर बढ़ चला. वह जानता था कि अब उस का मन उस सुविधायुक्त कमरे में नहीं लगेगा. उस ने अलमारी खोलते हुए उस नीले कवर वाले लिफाफे को बाहर निकाला. कवर पर आज भी खूबसूरत लफ्जों में ‘राघव’ लिख हुआ था. वही कर्विंग लैटर्स वाली लिखावट जो जूही की खास पहचान है

‘‘राघव, इन खाली पन्नों पर आज अपने उन जज्बातों को उकेर कर जा रही हूं, जिन्हें शब्द देने से न जाने क्यों मेरे हाथ कांपते रहते थे. आज जब यह चिट्ठी तुम्हें मिलेगी, मैं तुम्हारी इस दुनियावी आडंबरों से भरे जीवन से बहुत दूर जा चुकी हूंगी. लेकिन चलने से पहले तुम से चंद बातें कर लेना जरूरी है. जानते हो कल रात मझे फिर वही सपना आया. तुम मुझे अपने दफ्तर की किसी पार्टी में ले गए हो. सपने में जानेपहचाने लोग हैं. परस्पर अभिवादन और बातचीत हो रही है कि अचानक सब के चेहरों पर देखते ही देखते एक भयानक हंसी आ जाती है.

‘‘उन सभी की वह भयानक हंसी किसी राक्षसी अट्टाहास में बदल जाती है. धीरेधीरे वे सभी भयानक अंदाज में हंसने और चिल्लाने लगते हैं और तब एक और भयानक बात होती है. उन खतरनाक आवाजों और हंसी के भीतर घृणा में लिपटा तुम्हारा डरावना चेहरा नजर आने लगता है. तुम्हारे सिर पर 2 सींग उग जाते हैं. जैसे तुम तुम न हो कर कोई भयावह यमदूत हो. मानों बड़ेबड़े दांतों वाले असंख्य यमदूत… डर के मारे मेरी आंखें खुल गईं. जनवरी की उस सर्द रात में भी मैं पसीने से तरबतर थी. मैं जब अपने सपने का जिक्र करती तो तुम उसे मेरे दिमाग में पनप रही कुंठा की संज्ञा दे देते. विडंबना यह है कि मेरी तमाम कुंठाओं के जनक तुम ही तो हो.

‘‘मुड़ कर देखने पर लगता है कि मामूली सी ही तो बात थी. मेरे शरीर पर काबिज वह  कुछ ऐक्स्ट्रा वजन ही तो था. लेकिन तुम्हारे उस यमदूत रूप के जड़ में मेरा यह बढ़ा हुआ वजन ही तो था. लेकिन क्या यह बात वाकई इतनी मामूली सी थी? तुम ने ‘आइसबर्ग’ देखा है? उस का केवल थोड़ा सा हिस्सा पानी की सतह के ऊपर दिखता है. यदि कोई अनाड़ी देखे तो लगेगा जैसे छोटा सा बर्फ का टुकड़ा पानी की सतह पर तैर रहा है. पर ‘आइसबर्ग’ का असली आकार तो पानी की सतह के नीचे तैर रहा होता है, जिस से टकरा कर बड़ेबडे जहाज डूब जाते हैं. जो बात ऊपर से मामूली दिखती है उस की जड़ में कुछ और ही छिपा होता है. बड़ा और भयावह.’’

आंखों में पनप रही उस नमकीन  झील को काबू में करते हुए राघव सोचने लगा कि सच, वह कितना गुस्सैल हो गया था. बातबात पर चिढ़ना और जूही पर अपना सारा गुस्सा उतारना उस का रोज का रूटीन बन गया था. शुरुआत में ऐसा नहीं था. जूही और उस का वैवाहिक जीवन खुशहाल था. लेकिन धीरेधीरे काम के भार और सहकर्मियों के साथ व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता के चलते वह इतना परेशान हो गया था कि अपनी सारी फ्रस्ट्रेशन वह अब जूही पर उतारने लगा था.

राघव खत का बचा हिस्सा पढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. लेकिन वह जानता था कि जूही के उन सिसकते लफ्जों की मार सहना ही उस की सजा है, इसीलिए उस ने आगे पढ़ना शुरू किया.

‘‘8 महीने पहले करवाए ब्लड टैस्ट में ही तो पता चला है कि मु झे हाइपोथायराइडिज्म है. इस में न चाहते हुए भी वज़न का बढ़ना तो लाजिम है न? क्या इस में मेरा अपना कोई कसूर है?’’

खत में जूही ने आगे लिखा था, ‘‘भद्दी, बदसूरत कहीं की. तुम गुस्से से पागल हो कर चीख रहे होते. शायद मैं तुम्हें शुरू से ही भद्दी लगती थी, बदसूरत लगती थी. मेरा मोटापा तो एक बहाना था. शायद यही वजह रही होगी कि तुम्हें मेरी हमेशा हंसने और खिलखिलाने की मामूली सी आदत भी असहनीय लगती थी.जब हम किसी से चिढ़ने लगते हैं, नफरत करने लगते हैं तब उस की हर आदत हमें बुरी लगती है.

‘‘यदि तुम्हे मु झ से प्यार होता तो शायद तुम मेरे मोटापे को नजरअंदाज कर देते. लेकिन तुम अकसर किसी न किसी बात पर अपने विश बुझे बाणों से मुझे बेधते रहते. सचाई तो यह है कि शादी के बाद से अब तक तुम ने अपनी एक भी आदत सिगरेट पीना, शराब पीना, रात में देर तक कमरे की बत्ती जला कर काम करते रहना नहीं बदली. केवल मैं ही बदलती रही. तुम्हारी हर पसंदनापसंद के लिए. तुम्हारी हर खुशी के लिए. जो तुम खाना चाहते थे, घर में केवल वही चीजें बनती थीं. जो तुम्हें अच्छा लगे, मुझे वही करना था. जो तुम्हें पसंद हो, मुझे वही कहनासुनना था. जैसे मैं मैं नहीं रह गई थी केवल तुम्हारा विस्तार भर थी.’’

राघव के दिलोदिमाग में जैसे किसी ने ढेरों कांटे चुभो दिए थे. लेकिन वह उस पीड़ा को भोगना चाहता था. वह आज जूही को उस के वजूद को फिर से महसूस करना चाहता था.

अब वह खत का आगे का हिस्सा पढ़ने लगा- ‘‘खाना मैं बनाती थी, कपड़ेलत्ते मैं धोती थी, बरतन मैं साफ करती थी,  झाड़ूपोंछा मैं लगाती थी. तुम रोज औफिस से आ कर ‘आज बहुत थक गया हूं’ कहते और टांगें फैला कर बिस्तर पर लेट अपना पसंदीदा टीवी प्रोग्राम चला लेते. एक गिलास पानी भी तुम खुद उठ कर नहीं ले सकते थे. फिर भी थकते सिर्फ तुम थे. शिकायत सिर्फ तुम कर सकते थे. उलाहने सिर्फ तुम दे सकते थे. बुरी सिर्फ मैं थी.

‘‘कमियां सिर्फ मुझ में थीं. दूध के धुले, अच्छाई के पुतले सिर्फ तुम थे. मैं ने तुम से कुछ ज्यादा तो नहीं चाहा था. एक पत्नी अपने पति से जो चाहती है, मैं भी केवल उतना भर ही चाहती थी. काश, तुम भी मुझे थोड़ा प्यार दे पाते, घर के कामों में मेरा थोड़ा हाथ बंटाते, अपनी किसी प्यारी अदा से मेरा मन मोह ले जाते. असल में तुम ने मुझ से कभी प्यार किया ही नहीं. मैं केवल घर का काम करने वाली मशीन थी, घर की नौकरानी थी जिसे रात में भी तुम्हारी खुशी के लिए बिस्तर पर रौंदा जाता था.

‘‘बिस्तर और रसोई के गणित से परे भी स्त्री होती है, यह बात तुम्हारी समझ से बाहर थी. लेकिन इस सब के बावजूद मेरे हाल ही में बढ़ गए वजन से इतनी परेशानियों के बाद भी मेरे चेहरे पर हमेशा खेलती मुसकान से तुम्हें चिढ़ थी. पर उस बेवजह के तनाव का क्या… उन यातना भरे भारी दिनों का क्या… उन परेशान रातों का क्या जो मैं ने तुम्हारे साथ किसी सजायाफ्ता मुजरिम की तरह गुजारी हैं? तुम चाहते थे कि मैं अपनी बिगड़ रही फिगर पर शर्मिंदा रहूं. क्यों? क्या शरीर के भूगोल में जरा सा भी फेरबदल हो जाना कोई अपराध है, जो तुम मुझे सजा देने पर तुले रहे?

‘‘राघव, तुम जानते हो तुम्हारे चेहरे पर भी एक मस्सा उगा हुआ है. मैं ने तो कभी इस बात पर एतराज नहीं जताया कि वहां वह मस्सा क्यों है? मैं ने तो कभी यह नहीं कहा कि उस मस्से की वजह से तुम बदसूरत लगते हो. असल में तुम्हारे लिए मेरा मोटापा मुझे नीचा दिखाने का बहाना भर था. अब जबकि मेरा थायराइड काबू में है और अब मैं पहले से काफी बेहतर भी दिखने लगी हूं तो अब तुम्हें मुझ से कोई लेनादेना नहीं है. तुम ने एक बार भी नहीं कहा कि मैं अब तुम्हें कैसी लगती हूं. जानते हो राघव, घृणा का बरगद जब फैलने लगता है, तो उस की जड़ें संबंधों की मिट्टी में बहुत गहरे तक अपने पांव पसार लेती हैं. पता नहीं मैं इतने साल तुम्हारे साथ कैसे रह गई. अपना मन मार कर, अपना वजूद मिटा कर.

‘‘पर अब बहुत हो गया. मुझे तुम्हारे हाथों पिटना मंजूर नहीं. मेरे वजूद को हर कदम पर इस तरह और जलील होना मंजूर नहीं. तुम एक बीमार मानसिक अवस्था में हो और मु झे अब इस रुग्ण मानसिक अवस्था का हिस्सा और नहीं बनना. हमारे पास जीने के लिए एक ही जीवन होता है और मुझे अब यों घुटघुट कर और नहीं जीना. आज मैं स्वयं को तुम से मुक्त करती हूं. हां, एक बात और मुझे अपने चेहरे पर हमेशा खेलती हुई यह मुसकान बेहद अच्छी लगती थी और वे सभी लोग अच्छे लगते थे, जो मेरे बढ़े हुए वजन के बावजूद मु झे चाहते थे, मु झ से प्यार करते थे.  प्यार, जो तुम मझे कभी नहीं दे सके.

-जूही.’’

अपने हाथ में सिहरते हुए उस खत को राघव बहुत देर तक योंही थामे रहा. इस 1 साल ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया. पत्नी केवल शोपीस नहीं होती. वह जीवन का अभिन्न अंग होती है. इस 1 साल में शालिनी डिसूजा, वह विदेशी कैथी जो इंटर्न बन कर आई थीं आदि ने उस पर डोरे डालने चाहे थे.

कुछ रात भर साथ भी रहीं पर वह किसी को न मन दे सका न शरीर. बिस्तर पर पहुंचतेही वह ठंडा पड़ जाता. रात को साथ खाना खातेखाते जब किसी का फोन आ जाता, तो वे लड़कियां उकता जातीं जबकि जूही ने रात को बिस्तर पर न कोईर् मांग की न उस के फोनों से शिकायतें कीं.

पिछले 1 साल भर से उस ने बहुत बार यह सोचा था कि वह जूही को फोन करेगा, उस से अपनी ज्यादतियों के लिए माफी मांगेगा, लेकिन अब और इंतजार नहीं.

आज वह उसे बताना चाहता है कि उसे अपनी सभी गलतियों का एहसास है औैर हां,एक बात और भी तो बतानी है कि उसे जूही की मुसकान से प्यार है और जूही के हाइपोथायराइडिज्म से उसे कोई शिकायत नहीं है. वह जैसी भी है उस की अपनी है. वहीउस की है.

सोनाली बोस 

सिर्फ Sex ही नहीं पैसों के मामले में भी पति देते हैं धोखा

कुन्दन बिजनेसमैन है और उसकी पत्नी नमिता घरेलू महिला है. कम पढ़ेलिखे होने के कारण नमिता को पैसों की लेनदेन कम ही समझ आता है. कुन्दन भी नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी को बिजनेस या रुपएपैसे से जुड़ी चीजें समझ आए.

नमिता हर वक्त घर के कामों में लगी रहती है और अपने पति और परिवार के लिए अच्छाअच्छा खाना बनाती है. हालांकि कैरेक्टर के मामले में कुन्दन सही इंसान है, लेकिन पैसों और संपत्ति के मामले में वह अपनी पत्नी को धोखा देता है. जी हां, अगर एक पति अपनी पत्नी से पैसे या संपत्ति से जुड़ी चीजें छिपाता है, तो यह भी धोखा ही कहलाता है. आइए जानते हैं कैसे?

जब पिता से मिले पैसे पति अपने नाम करवाता है

Husband supporting comforting upset depressed wife, infertility and sympathy concept

आप मैरिड हैं और आपके पति ने अपने पिता से मिली संपत्ति को अपने नाम करवा लिया है, हालांकि पति यह भी कह सकता है कि उसके पिता के पैसे हैं, सिर्फ उसके हैं, लेकिन पतिपत्नी का हक समान होता है. अगर ऐसे में पत्नी को हिस्सा नहीं मिलता है, तो यह धोखा है.

पत्नी को बिना बताए किसी को पैसे देना

Couple fighting against yellow background

कई बार किसी दोस्त या रिश्तेदार को पैसे की जरूरत होती है, ऐसे में पुरुष अपनी पत्नी को बिना बताए पैसे दे देते हैं, उन्हें लगता है कि यह मदद है, लेकिन आप अपनी पत्नी से इस बारे में चर्चा नहीं करते हैं, तो यह भी एक तरह का धोखा है.

 

खुद फैसला लेकर घर बेचना

Young couple sitting outdoors

आपने आसपास कई महिलाओं से सुना या पढ़ा भी होगा, फलां के पति ने घर बेच दिया अब उनके रहने का भी ठिकाना नहीं है. खुद फैसला लेकर घर बेचना गलत है. अगर कोई समस्या भी है, तो अपनी पत्नी से राय लें. घर बेचना या गिरवी रखना कोई हल नहीं है. अगर फाइनेंशियल प्रौब्लम से भी गुजर रहे हैं और घर बेचना जरूरी है, तो पत्नी से सलाह लें, अगर उसकी राजामंदी हो, तो ही आप अपना घर बेचें.

फिक्स डिपोसिट करते समय पत्नी के बजाय किसी और का नाम देना

कुछ पुरुषों को लगता है कि उनके पैसे पर सिर्फ उनका हक है. कुछ लोग पैसे फिक्स डिपोजिट या कोई इंश्योरेंस लेते हैं, तो नौमिनी में अपनी पत्नी का नाम देने के बजाय भाईबहन, मातापिता या किसी रिश्तेदार का नाम देते हैं.हसबैंडवाइफ के रिश्ते आपस में सही नहीं होते हैं, तो ऐसी स्थिति आती है. लेकिन अगर कोई भी पति ऐसा करता है, तो यह बेवफाई है.

बीवी को बिना बताए सट्टेबाजी करना

सट्टेबाजी के जरिए जल्दी पैसा कमाने के लालच में लोग जल्दी ठगी के शिकार होते हैं. कई बार व्यक्ति करोड़ों के कर्ज में भी आ जाता है. अगर आपके पति आपको बिना बताए आनलाइन सट्टेबाजी खेलते हैं और बाद में पता चलता है कि वो लाखोंककरोड़ों रुपए हार गए हैं, ये सुनकर अचानक बड़ा झटका लगता है. सट्टेबाजी में हारने के कारण लोग आत्महत्या की तरफ भी कदम बढ़ाते हैं. पत्नी को बिना बताए सट्टेबाजी खेलना भी एक बड़ा धोखा है.

2500 रुपए खर्च करके बन सकती हैं प्रोफैशनल मेहंदी आर्टिस्ट

मेहंदी लगाना हर किसी को पसंद होता है, खासकर लड़कियों को मेहंदी लगाने का काफी शौक होता है. चाहे कोई फेस्टिवल हो, शादी या पार्टी लड़कियां बहुत ही शौक से अपने हाथों पर मेहंदी लगवाती हैं. कुछ लड़कियां मेहंदी आर्टिस्ट की मदद लेती हैं, तो कुछ लड़कियां खुद ही अपने हाथों पर मेहंदी लगा लेती हैं. अगर आपके पास भी मेहंदी लगाने की स्किल या आर्ट है, तो आप इसे अपनी करियर के रूप में चुन सकती हैं और इससे अच्छी कमाई भी कर सकती हैं.

आजकल मार्केट में मेहंदी आर्टिस्ट की डिमांड बढ़ गई है. इसके लिए कई सारे कोर्सेज भी करवाए जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी इस कला में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है.

Indian Weddings

मेहंदी आर्ट से कैसे करें कमाई

अगर आपको मेहंदी लगाने का शौक हैं, तो आप ऑनलाइन कई तरह के डिजाइन देखकर घर पर भी प्रैक्टिस कर सकते हैं या किसी मेहंदी आर्टिस्ट से ट्रेनिंग भी ले सकते हैं. आप शादियों, त्योहार या अन्य अवसरों पर मेहंदी आर्ट का उपयोग कर पैसे कमा सकते हैं. इसके अलावा आप मेहंदी पार्लर भी खोल सकती है, इसमें आपके ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं होंगे और आपकी अर्निंग बेहतर होगी.

Artist making mehndi on womans hand near tea cup

अगर आप प्रोफेशनल मेहंदी आर्टिस्ट बनना चाहती हैं, तो मेहंदी आर्ट की कोर्स भी कर सकती हैं. यह कोर्स बहुत ही सस्ता है. इसे ब्राइडल मेहंदी डिजाइन, इंडो अरेबिक मेहंदी डिजाइन, अफ्रीकन मेहंदी डिजाइन में किया जा सकता है. इसे प्राइवेट इंस्टिट्यूट करवाती है. इसकी फीस भी काफी कम है. आपको 1500-2500 रूपए देने होंगे.

Beautiful artwork drawn on the hand of an Indian bride with herbal heena in wet condition

अपनी मेहंदी आर्ट का औनलाइन करें प्रचार

आप अपनी मेंहदी आर्ट का औनलाइन माध्यम से भी प्रचार कर सकती है. इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक पर शौर्ट्स वीडियोज डालकर अपने आर्ट के बारे में बता सकती हैं. यह आपके बिजनेस को बढ़ाने और लोगों तक पहुंचाने का अच्छा तरीका साबित हो सकता है. आप अपनी मेहंदी डिजाइन की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर सकती हैं. इसके अलावा पेड औनलाइन क्लासेज भी शुरू कर सकती हैं.

देश के ये मेहंदी आर्टिस्ट हैं बेहद पौपुलर 

वीना नागदा कई सेलिब्रिटीज को मेहंदी लगा चुकी हैं. वो अमूमन हर एक्ट्रेस को मेहंदी लगाई हैं. अनंतराधिका की मेहंदी को लेकर वो काफी चर्चे में हैं. ज्यादातर एक्ट्रेसेज उन्हीं से मेहंदी लगवाती हैं. मेहंदी आर्टिस्ट मांबेटी की यह जोड़ी काफी पौपुलर है. ये दोनों हाई प्रोफाइल शादियों में जाकर मेहंदी लगाती हैं. यहां तक की विदेशों में भी उषा और एकता शाह मेहंदी डिजाइन के लिए फेमस हैं. इन दोनों ने नीता अंबानी, ऐश्वर्या राय जैसी मशहूर हस्तियों के साथ काम किया है.

मानसून में मसाले जल्दी हो जाते हैं खराब, तो इन तरीकों से रखें सुरक्षित

बारिश का मौसम अधिकतर हर किसी के मन को भाता है यह गर्मी से तो निजात दिलाता है लेकिन अपने साथ कई सारी परेशानिया भी लाता है.जैसे सीलन, मच्छर, कीड़े मकोड़े, गंदगी जिन से निजात पाना बहुत बड़ी सरदर्दी बन जाता है ऐसे में हमारी रसोई की रौनक कहलाए जाने वाले मसाले भी अछूते नहीं रहते और वह भी नमी के कारण खराब होने लगते हैं. कई बार तो हम अनजाने में वही खराब मसाले खा कर बिमार भी पड़ जाते हैं. इसलिए हमें बरसात के मौसम में अपने मसालो का खास ध्यान रखना चाहिए. तो चलिए जानते है कुछ ऐसे ट्रिक्स जिनके जरिए हम अपने मसालो को खराब होने से बचा सकते हैं.

एयर टाइट डिब्बे

वैसे तो हर मौसम के लिए ही एयर टाइट डब्बे सबसे बेहतर कहलाए जाते हैं.लेकिन बारिश के मौसम में नमी व बाहरी हवा इनमे नहीं पहुंच पाती जिससे मसाले खराब होने से बचे रहते हैं.और ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल करने योग्य रहते हैं.

 

Herbs and spices selection - cooking, healthy eating

मसालो में मसाले का प्रयोग

हमने सुना है लोहा लोहे को काटता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मसालो को कीड़ो से बचाना है तो मसाले ही मसाले को बचा सकते हैं जी हाँ हमारी रसोई में तेज़ पत्ता, लौंग,बड़ी इलायची तो रहती ही है बस अपने पिसे मसालो की क्वांटिटी को देखते हुए उसमे एक दो तेज़ पत्ता , लौंग , व बड़ी इलायची डाल दें. ऐसा करने से आपके मसाले खराब होने से बचे रहेंगे व स्वाद भी खराब नहीं होगा.

साबुत मसाले

बेहतर होगा की बारिश के मौसम में साबुत मसाले ही लाएं जिन्हें आप जरूरत के हिसाब से हल्का सा गर्म कर मिक्सी में पीस ले व प्रयोग में ले लें. घर के पिसे मसालो का स्वाद भी बेहतर होता है व साबुत मसाले ज्यादा लम्बे समय तक ठीक रहते हैं.

फ्रिज में रखें सही ढंग से

यदि आप अपने मसालो को फ्रिज में रखते हैं तो मसालो का स्वाद बदल जाता है इसलिए उन्हें एयर टाइट डब्बे में ही रखें. जिससे उनका स्वाद बरकरार रहे.

धूप दिखाएं

वैसे तो बारिश के मौसम में धूप का निकलना बड़ा ही मुश्किल होता है लेकिन जब भी तेज़ धूप हो तो मसालो को दो घंटे की धूप अवश्य दिखाएं.

एक नई चिंता

दुनियाभर में नए बच्चों के पैदा होने की दर तेजी से घट रही है. 50 साल पहले जो डर पौलिसी मेर्क्स को सता रहा था कि 100-200 साल बाद यह पृथ्वी कैसे बढ़ती पौपुलेशन का बो?ा संभालेगी, आज डर लग रहा है कि वीरान होते गांवशहरों का दुनिया के अमीर देश क्या करेंगे? आज अफ्रीका को छोड़ दें तो सब जगह औरतें इतने बच्चे पैदा नहीं कर रहीं जिस से कि पौपुलेशन स्थिर रह सके.

कोरिया और जापान जैसे देशों में 2त्न का जरूरी टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 0.7 व 0.6 पर आ गया है. भारत के अधिकांश राज्यों में यह दर 1.7 के आसपास है. बिहार और उत्तर प्रदेश अभी 2.4 के आसपास हैं पर तेजी से भारत भी पटरी पर आ रहा है जबकि दुनिया में कहीं भी अब पौपुलेशन कंट्रोल स्टेट पौलिसी नहीं है.

20 साल से कम उम्र की लड़कियों में बच्चे पैदा करने की दर हर जगह बुरी तरह कम हुई है. औरतें अपने सुखों के लिए या बच्चों को पालने के बोझ व खर्च के कारण 1 या 2 बच्चों से बहुत खुश हैं. भारत में भी औसत इसीलिए 1.7 की है क्योंकि बहुत औरतें 1 भी बच्चा पैदा नहीं कर रहीं.

कुछ देशों ने बच्चों को पैदा होते ही मोटी रकम देनी शुरू की है जो माओत्सतुंग के चीन के 2 से ज्यादा बच्चा करने पर जुरमाने का उलटा है. फिर भी औरतें हैं कि मान नहीं रहीं. कैरियर वाली औरतें भी अब पैसे की वजह से बच्चे पैदा नहीं कर रहीं. उन्हें लगता है कि सरकार अगर कुछ सहायता कर भी देगी तो भी जो फाइनैंशियल व फिजिकल बर्डन उन पर बढ़ेगा वह कहीं ज्यादा होगा. 50 साल में चीजों को खुदबखुद ठीक करना ह्यूमन इनोवेशन की एक और निशानी है जो अपनी जरूरतों और अपनी पहुंच के बीच अपनेआप तालमेल बैठा लेता है.

कम बच्चों का मतलब है पर्यावरण पर घटता बो?ा एक और मुसीबत का कम होना. कम बच्चों से परेशान सरकारें बेकार की लड़ाइयों में नहीं उल?ोंगी. रूस और यूक्रेन दोनों को लड़ाई में सैनिकों की कमी हो रही है. लोग देश छोड़ कर भाग रहे हैं ताकि उन्हें अपनी सरकार की बेमतलब की लड़ाई में बंदूकें न उठानी पड़ें.

कम बच्चों का नुकसान तो दादाओं और नानाओं को होगा जिन्हें संभालने वाले नहीं रहेंगे.

उन्हें देर तक काम करना होगा. अब 50-55 में रिटायर होने का सपना लोग छोड़ दें. पहले तो उन्हें अपने बेटेबेटियों के बच्चे पालने में साथ देना होगा और जब ग्रांड चिल्ड्रन बड़े हो जाएंगे, उन्हें काम करते रहना होगा ताकि दूसरों पर मुहताज न हों. लाइफस्टाइल भी ऐसा होता जा रहा है कि लोग पड़ोसी को भी नहीं जानते तो दोस्त कहां बनेंगे.

सरकारें चाहे जितना पैसा दे दें यह पक्का है कि नए बच्चे थोक में तो नहीं मिलेंगे. जल्द ही भारत, बंगलादेश, पाकिस्तान, दक्षिणी अमेरिका और फिलीपींस से अमीर देशों में काम करने के लिए छटपटाने वालों की भी कमी हो जाएगी क्योंकि जहां बच्चे 1-2 होंगे वे मांबाप को नहीं छोड़ेंगे. अब क्लाईमेट को छोड़ो पौपुलेशन की चिंता सताएगी.

इस का नुकसान धर्म के दुकानदारों को होगा क्योंकि हर बच्चे से धर्म पैसा कमाना शुरू कर देता है. हर धर्म में बच्चों को ले कर हर दूसरेतीसरे साल कोई आयोजन होता है जिस में धर्म का बिल्ला लगाए कोई वसूलदार आ जाता है.

बालों को कलर कराने के बाद कैसे ध्यान रखें?

सवाल

बालों को कलर कराने के बाद किनकिन बातों का ध्यान रखें कि बालों का कलर ज्यादा देर तक चले और खूबसूरत बना रहे?

जवाब

बालों के रंग को ज्यादा देर तक सुंदर बनाए रखने के लिए कलर सेफ शैंपू ऐंड कलर सेफ कंडीशनर और स्टाइलिंग उत्पादों में निवेश करें जो विशेष रूप से कलर्ड बालों के लिए डिजाइन किए गए हों. ये उत्पाद आप के बालों पर कोमल होते हैं और उन के रंग को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं. अपने बालों को रोजाना धोने से बचें क्योंकि यह प्राकृतिक तेलों को छीन सकता है और आप के बालों के रंग को जल्दी फीका बना सकता है. धोने के बीच ड्राई शैंपू या कंडीशनर का उपयोग करें या धोने के बीच का समय बढ़ाएं. बालों को हीट वाली चीजों से बचाएं जैसेकि फ्लैट आयरन, कर्लिंग आयरन और ब्लो ड्रायर या उन्हें कम गरमी पर उपयोग करें ताकि आप के रंग को कोई नुकसान न हो.

स्विमिंग पूल में क्लोरीन का उपयोग करने से बालों का रंग फीका हो सकता है. अत: स्विमिंग से पहले बालों को गीला करें और एक संरक्षक लीव इन कंडीशनर लगाएं या स्विम कैप पहनें. नियमित रूप से डीप कंडीशनिंग ट्रीटमैंट या हेयर मास्क का उपयोग करें ताकि आप के बालों के रंग को पोषण मिले और वे स्वस्थ और नमी भरे रहें. लंबे समय तक धूप में रहने से रंग फीका होने का खतरा हो सकता है खासकर हलके रंगों के लिए. बाहर जाते समय हैट पहनें या बालों के लिए वी प्रोटैक्टेड प्रोडक्ट्स का उपयोग करें. अपने बालों के एंड्स को नियमित रूप से कटवाएं ताकि स्प्लिट एंड्स न हों.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें. ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर, डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा 

मानसून में रहना है हेल्दी, तो ट्राई करें ये 4 औयल फ्री हैल्दी रेसिपी

भोजन हर इंसान की बेसिक आवश्यकता होती है. पहले की अपेक्षा आज किचिन काफी आधुनिक हो गयी है और किचिन के प्रत्येक कार्य के लिए आधुनिक उपकरणों के साथ साथ मेड की सेवाएं भी ली जातीं हैं जिसके कारण शारीरिक परिश्रम न के बराबर होता है. शारीरिक परिश्रम के अभाव में जब अधिक तला अर्थात डीप फ्राइड भोजन अथवा अधिक तेल में पकी सब्जियां इत्यादि खायीं जातीं है तो शरीर में धीरे धीरे कोलेस्ट्रौल की मात्रा बढ़ने लगती है जो आगे चलकर ह्रदय की बीमारी का कारण बन जाता है. यदि भोजन बनाते समय तेल का प्रयोग न के बराबर किया जाए तो काफी हद तक कोलेस्ट्रौल की मात्रा को घटाकर मोटापा और हार्टअटैक जैसी अनेकों बीमारियों को गम्भीर होने की स्थिति में पहुंचने से बचाया जा सकता है. आज हम आपको ऐसी ही कुछ रेसिपीज बनाने के आइडियाज दे रहे हैं जिन्हें आप आसानी से बिना तेल के बना सकती हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

मिक्स वेज करी

मिक्स वेज करी बनाने के लिए सर्वप्रथम एक पैन में बिना तेल घी के जीरा तड़का कर बारीक कटा प्याज, अदरक, हरी मिर्च और लहसुन डाल दें धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए भूनें. बीच बीच में एक एक चम्मच पानी मिलाते रहें इससे प्याज जलेगा नहीं. जब प्याज हल्के ब्राउन कलर का हो जाये तो इसमें हल्दी, धनिया और गरम मसाला डालकर 5 मिनट तक भूनें. अब बारीक कटे टमाटर डालें और जब टमाटर गल जाएं तो बारीक कटी बीन्स, गोभी, शिमला मिर्च आदि सब्जियां डालकर पकाएं. अंत में हरे धनिया से गार्निश करके सर्व करें.

Top view delicious meat soup with potatoes and greens on dark-blue desk

टोफू टिक्का मसाला

टोफू, शिमला मिर्च और टमाटर को चौकोर टुकड़ों में काट लें. अब एक टेबलस्पून बेसन में 1 कप हंग कर्ड डालकर अच्छी तरह चलायें. इसमें हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर, नमक, कसूरी मैथी आदि डालकर चलायें. तैयार मिश्रण में कटी सब्जियां और टोफू मिक्स करके आधा घंटे के लिए रख दें. आधा घंटे बाद इन सभी को टिक्का स्टिक में लगाकर तंदूर या माइक्रोवेब में पकाकर सर्व करें.

सूजी बड़ा पाव

1 कप सूजी को एक कप पानी और आधा टीस्पून नमक के साथ बिना भूनें और बिना तेल घी के पका कर ठंडा होने दें. अब उबले आलू में सभी मसाले और हरा धनिया मिलाकर एक स्ट्फिंग तैयार करके छोटी छोटी बॉल्स बना लें. सूजी को हथेली से अच्छी तरह मसलें और एक छोटी सी लोई लेकर हथेली पर फैलाएं, अब इसके बीच में आलू की स्ट्फिंग रखकर चारों तरफ से बंद कर दें. तैयार बड़ा पाव को 10 मिनट धीमी आंच पर भाप में पकाकर टोमेटो सौस या चटनी के साथ सर्व करें.

पनीर कोफ्ता करी

किसे पनीर में थोडा सा अरारोट या मैदा, नमक और बारीक कटी हरी मिर्च मिलाकर अच्छी तरह मसलकर छोटी छोटी बॉल्स बना लें. अब इन बॉल्स को भाप में पका लें. प्याज, टमाटर, लहसुन, अदरक हरी मिर्च और टमाटर को तेजपात पत्ता, बड़ी इलायची, काली मिर्च और कुछ काजू के साथ 1 कप पानी के साथ प्रेशर कुकर में उबाल लें. जब प्याज, टमाटर ठंडे हो जाएँ तो इन्हें मिक्सी में पीसकर छान लें. तैयार ग्रेवी में 1 कप पानी और स्वादानुसार नमक मिलाकर तब तक उबालें जब तक कि ग्रेवी गाढ़ी न हो जाये. अब इसमें तैयार पनीर के बॉल्स डालकर 5 मिनट धीमी आंच पर पकाकर सर्व करें.

Feet Care : पैरों की देखभाल है जरूरी, आजकल ट्रैंड में हैं ये फुट केयर प्रोडक्ट्स

अपने आप को ब्यूटीफुल दिखाने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते. कभी तरहतरह के फेशियल, फेस मास्क और फेशियल टूल्स तो कभी घरेलू नुस्खे के नाम पर हल्दी बेसन का पेस्ट हम अपने चेहरे पर लगा लेते हैं. यहां तक कि हम स्किन केयर ट्रीटमेंट लेने से भी नहीं हिचकिचाते. लेकिन क्या सारी खूबसूरती सिर्फ चेहरे में ही बसती है. शरीर के बाकी हिस्से भी हमें खूबसूरत दिखने में उतनी ही मदद करते हैं जितना की फेस. इसलिए हमें उनपर भी ध्यान देना चाहिए. इसी कड़ी में आज हम आप को कुछ ट्रैंडी फुट केयर प्रोडक्ट्स की जानकारी दे रहे हैं.

1 . फुट मास्क

क्या हो अगर हम आप से कहे कि आज हम आप को पेडिक्योर में लगने वाला समय और पैसे बचाने का उपाय बताने वाले हैं. हम बात कर रहे हैं मार्केट में आने वाले फुट मास्क की. अब तक हम ने सिर्फ फेस मास्क सुना था लेकिन अब मार्केट में ऐसे कई मास्क आ रहे हैं जो आप के फुट के लिए बहुत उपयोगी है. पेडी ब्राइट फुट मास्क, O3+, टोनीमोली पीलिंग मास्क, माउन टेनर फुट मास्क, इनीस फ्री फुट मास्क, पेट्रीटफी ड्राई इनसेंस फुट पैक, स्माइल फुट पीलिंग मास्क, एजैय फुट मास्क, लस्का ड्रमा पीलिंग मास्क, हाउस ऑफ ब्यूटी फुट मास्क, केयर स्मिथ, शायनी फुट सुपर पीलिंग ऐसे ही कुछ फुट मास्क है जो आप की फुट केयर में आप की हैल्प करेंगे. आप इन्हें कई औनलाइन शौपिंग साइट जैसे मिंतरा, नायका, अमेजन, फ्लिपकार्ट, पर्पल और इन ब्रांड की खुद की वेबसाइट से खरीद सकते हैं.

Foot washing in spa before treatment. spa treatment and product for female feet and hand spa.

2. कैलस रिमूवर टूल्स

फुट के देखभाल की बात हो और कैलस रिमूवर टूल्स की बात न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता. मार्केट में आने वाले कैलस रिमूवर टूल्स की बात करे तो बड़ीबड़ी कंपनियां अपने ब्रांड के ऐसे टूल्स निकाल रहे हैं. केयर स्मिथ ब्लूम रिचार्जजेबल कीमत 1000, लाइफ लौंग सौफ्ट स्किन कैलस रिमूवर इस की कीमत भी 1000 है और ये दोनों अमेजन पर उपलब्ध है. इस के अलावा एगारो, विनस्टोन, हैवल्स, बाबिला, प्रोटच, सीमिनो, पिन स्टोन, स्मूथ फीट जैसे ब्रांड के भी कैलस रिमूवर मार्केट में आते हैं. इन की कीमत ब्रांड और क्वालिटी पर डिपेंट करती है. ये आप को नायका, अजियो, मिंतरा और फिल्पकार्ट जैसी शोपिंग साइट पर मिल जाएंगे. ये कैलस रिमूवर टूल्स आप को बिलिक्टि, बिग बास्केट जैसे चंद मिनटों में डिलीवर करने वाले डिलवरी पार्टनर पर भी आसानी से मिल जाएंगे.

3. फुट क्रीम

पैरों की सही देखभाल के लिए फुट क्रीम बहुत जरूरी है. ये फड़ी एडियों को हील करने का काम करती है. मार्केट में कई ब्रांड की फुट क्रीम आती है जैसे हिमालया सौफ्ट हील क्रीम, वेदिकलाइन सौफ्ट हील क्रीम, माट्रा फुट केयर क्रीम, फिक्स ड्रमा फुट क्रीम, काया डीप नरिश फुट क्रीम, द मौम्स कंपनी फुट क्रीम, अरौमा मैजिक फुट क्रीम, फिक्स ड्रमा, केमिस्ट एट प्ले, ग्लोबल क्रैक क्रीम, कैलेस कुशन फुट केयर क्रीम, बोरोप्लस, बोरोलिन. ये क्रीमस बजट फ्रैडली भी है. इन क्रीमस को ऐसे इंग्रीडियंस से बनाया जाता है जो फटी एडियों को रिपेयर करने का काम करती है.

4. सिलिकौन जेल हील सौक्स

सिलिकौन जेल हील सौक्स आप की एड़ी की हड्डी की हिफाजत करती है. ये सौक्स आप के पैरों पर पड़ने वाला प्रेशर कम करती है. असल में सिलिकौन जैली से आप की हील में नमी बनी रहती है जो फटी हुई बाहरी स्किन को निकाल कर आप को फटी हुई एड़ियों से निजात दिलाती है. वहीं दूसरी ओर यह आप के पैरों में होने वाले दर्द की प्रौबलम को भी दूर करती है. कुल मिलाकर यह आप के लिए बहुत फायदेमंद है. बात करें कि ये सिलिकौन जेल हील सौक्स कौन से है और इन्हें कहां से खरीदा जा सकता है तो हम आप को बता दें कि मार्केट में माउनट्रेनस बहुत डिमांट में है. इस के अलावा मात्रा, प्रोफेशनल एंटी क्रेक सिलिकौन सौक्स, फुटिक, जक, रॉयकन्सल्टन्सी कुछ और ब्रांड है. इन की कीमत 199 से शुरू होकर 799 तक है. ये अमेजन, पर्पल, नायका, अजियो, जियो मार्ट, मिंत्ररा, फिल्पकार्ट, वनएमजी,
ब्लिंकइंट पर अवलेबल है. साथ ही अपनी कंपनी की खुद की वेबसाइट पर भी.

5. फुट स्प्रे

पूरे दिन जूते पहनेपहने हमारे पैरों से स्मैल आने लगती है जो हमें शर्मिंदगी महसूस कराती है. इस शर्मिंदगी से खुद को बचाने के लिए हमें अपने पैरों की एस्ट्रा केयर करने की जरूरत होती है. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए आज हम आप के लिए एक ऐसा प्रोडक्ट लेकर आए है जो आप को शर्मिंदगी से बचाएंगी जैसे फुट स्प्रे. सैनटूस फुट स्प्रे ऐसा ही एक स्प्रे है जो आप को बदबूदार पैरों से राहत दिलाएगा. ये लेमन ग्रास से बना है. मार्केट में इस की 129 ग्राम की बोतल 200 रुपये में मिलती है. औनलाइन यह नाइका, अजियो, मिंतरा, अमेजन, पर्पल जैसी शौपिंग साइट पर अवलेबल है.

इन बेहतरीन और बजट फ्रेंडली फुट केयर प्रोडक्ट को अपनाकर आप अपने पैरों को और भी ज्यादा ब्यूलीफुल बना सकते हैं. साथ ही लोगों की तारीफ भी पा सकते हैं,

ये घर बहुत हसीन है : आर्यन की जिंदगी में क्या था एक कौल का रहस्य?

“वान्या, अब तुम ही संभालना घर और मेरे इस अनाड़ी से भाई को. अगर फ्लाइट्स बंद नहीं हो रही होतीं तो मैं कुछ दिन तुम लोगों के साथ बिताकर जाती. चलो ठीक भी है हमारा जल्दी जाना. बच्चे दादा-दादी को खूब तंग कर रहे होंगे कोलकाता में. बहुत चाह रहे थे बच्चे अपनी दुल्हन मामी से मिलना. जल्दबाज़ी में सब कुछ नहीं करना पड़ता तो सबको लेकर आती.” सुरभि अपनी नई-नवेली भाभी वान्या को टैक्सी में पीछे की सीट पर बैठे हुए बता रही थी. वान्या मुस्कुराते हुए सिर हिलाकर कभी सुरभि को देखती तो कभी पास ही बैठे अपने पति आर्यन को.

सुरभि का बोलना जारी था, “शादी चाहे जल्दबाज़ी में हुई, लेकिन सही फ़ैसला है. अब मुझे आर्यन की फ़िक्र तो नहीं रहेगी. कोविड-19 ने तो ऐसा आतंक मचाया है कि डर लगने लगा है. तुम लोग भी ध्यान रखना अपना. हो सके तो अभी घर पर ही रहना, घूमने के लिए तो उम्र पड़ी है…..!”

“बस, बस….रहने दो. टीचर है भाभी तुम्हारी और हमारे साले साहब आर्यन भी बेवकूफ़ थोड़े ही हैं कि जब इंडिया में भी कोरोना अपने पैर फैला रहा है तब बिना सोचे-समझे चल देगें कहीं घूमने. क्यों साले साहब?” ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे सुरभि के पति विशाल ने सिर पीछे घुमाकर आर्यन पर मुस्कुराती दृष्टि डालते हुए कहा.

वान्या और आर्यन का विवाह दो दिन पहले ही हुआ था. जुलाई में डेट थी शादी की, लेकिन कोरोना के कारण आर्यन ने ही फ़ैसला किया था कि सादे समारोह में केवल पारिवारिक सदस्यों के बीच विवाह जल्दी से जल्दी हो जाये. वान्या का घर दिल्ली में था, इसलिए विवाह का आयोजन वहीं हुआ था. आर्यन हिमाचल-प्रदेश के बड़ोग शहर का रहने वाला था. परिवार के नाम पर आर्यन की एक बड़ी बहन सुरभि थी, जो कोलकाता में अपने परिवार के साथ रहती थी. पति के साथ विवाह में सम्मिलित होने सुरभि वहां से सीधा दिल्ली पहुंच गयी थी. आज वे दोनों वापिस जा रहे थे, वान्या को लेकर आर्यन भी अपने घर आ रहा था. दीदी, जीजू  को एअरपोर्ट छोड़ने के बाद उनको रेलवे स्टेशन जाना था. दिल्ली से कालका तक वे ट्रेन से जाने वाले थे, जो रात 11 बजे चलकर सुबह 4 बजे कालका पहुंचती है. वहां से टैक्सी द्वारा उन्हें आगे का सफ़र तय करना था.

“लो बातों बातों में पता ही नहीं लगा और एअरपोर्ट आ भी गया.” सुरभि के कहते ही टैक्सी रुक गयी. आर्यन सामान उतारने लगा और विशाल दौड़कर ट्रौली ले आया. सुरभि और विशाल हाथ हिलाकर एअरपोर्ट के गेट की ओर चल दिए.

आर्यन और वान्या को लेकर टैक्सी रेलवे स्टेशन की ओर रवाना हो गयी.

ट्रेन अपने निर्धारित समय पर चली. रात सोते हुए कब बीत गयी पता ही नहीं लगा. सुबह वे ट्रेन से उतरकर बाहर आये तो वान्या को ठंडी हवा के झोंके स्वागत करते से प्रतीत हुए. “मार्च में भी इतना ठंडा मौसम?” वान्या पूछ बैठी.
“यह कोई ठंड है? अभी तो पहाड़ पर चढ़ना है मैडम. ठंड से आपकी मुलाक़ात तो होनी बाकी है अभी.” आर्यन ने कहा तो वान्या ख्यालों में ही ठिठुरने लगी. उसका चेहरा देख आर्यन ठहाका लगाकर हंसते हुए बोला, “अरे, डर गयीं? बड़ोग में इस समय सिर्फ़ रातें ठंडी होंगी, दिन में तो मौसम सुहाना ही होगा. तुम कभी हिली एरियाज़ में नहीं गयीं इसलिए पता नहीं होगा.”

टैक्सी आई तो दोनों की बातचीत का सिलसिला टूट गया. चलती टैक्सी में वान्या उनींदी आंखों से बाहर झांक रही थी. भोर के नीरव अंधेरे में जलते बल्बों की मद्धम रोशनी से पेड़ भी ऊंघते हुए लग रहे थे. कुछ देर बाद सूर्य उदय हुआ तो खिलती धूप से उर्जा पाकर वातावरण में नवजीवन संचरित हो उठा.
परवाणु आने तक वान्या प्रकृति की सुन्दरता को मन में क़ैद करती रही, आगे का रास्ता तन में झुरझुरी बढ़ाने लगा था. एक ओर खाई तो दूसरी ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर घने दरख्त !

धरमपुर आकर ड्राईवर ने चाय पीने के लिए टैक्सी रोकी. हवा की ताज़गी वान्या भीतर तक महसूस कर रही थी. सड़क किनारे बने ढाबे में जाकर आर्यन चाय ले आया. वान्या की निगाहें चारों ओर के मनोरम दृश्य को अपनी आंखों में समेट लेना चाहती थी. मौसम की खनक और आर्यन का साथ….वान्या के दिल में बरसों से छुपकर बैठे अरमान अंगडाई लेने लगे.

धरमपुर से बड़ोग अधिक दूर नहीं था. पाइनवुड होटल आया तो टैक्सी चौड़ी सड़क से निकलकर संकरे रास्ते पर चलती हुई एक घर के सामने रुक गयी. बंगलेनुमा मकान देख वान्या ठगी सी रह गयी. सफ़ेद मार्बल से जड़ा उजला, धवल महल सा तनकर खड़ा मकान जैसे याद दिला रहा था कि वान्या अब हिमाचल प्रदेश में है. हिम का उज्जवल रंग आर्यन की तरह ही अब उसके जीवन का अभिन्न अंग बन जायेगा.
सामान निकालकर आर्यन टैक्सी वाले का बिल चुका दो सूटकेसों पर बैग्स रख पहियों के सहारे खींचता हुआ ला रहा था. वान्या भी अपना पर्स थामे कदम बढ़ाने लगी. पहाड़ में बनी चार-पांच सीढ़ियां चढ़ने पर वे गेट के सामने थे, जिसे किले का फ़ाटक कहना उचित होगा. गेट के भीतर दोनों ओर मखमली घास कालीन सी बिछी थी. बंगले की ऊंची दीवारों के साथ-साथ लगे लम्बे पाइन के पेड़ सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे.
आर्यन ने चाबी निकालकर लकड़ी का नक्काशीदार भारी-भरकम दरवाज़ा खोला और दोनों कमरे के भीतर दाखिल हो गए. कमरा क्या एक विशाल हौल था. लकड़ी के फ़र्श पर मोटा रंग-बिरंगी आकृतियों के काम वाला तिब्बती कालीन बिछा था. बैठने के लिए सोफ़े के तीन सेट रखे थे. उनकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई राजसी शोभा लिए थी. सोफ़ों से कुछ दूरी पर एक दीवान बिछा हुआ था. उसे देखकर वान्या को म्यूज़ियम में रखे शाही तख़्त की याद आ गयी. तख़्त के एक ओर हाथीदांत की नक्काशी वाली लकड़ी की तिपाही पर नीली लम्बी सुराही रखी थी. नीचे ज़मीन पर पीतल के गमले में सेब का बोनसाई किया पौधा लगा था, जिसमें लाल-लाल नन्हे सेब ऐसे लग रहे थे जैसे क्रिसमस ट्री पर बौल्स सजाई गयी हों.
“सामान अन्दर के कमरे में रख देते हैं….फिर मैं चाय बना लेती हूं, किचन कहां है?” वान्या समझ नहीं पा रही थी कि ऐसे बंगले में रसोई किस ओर होगी? उसे तो लग रहा था जैसे वह किसी महल में खड़ी है.
“आउटहाउस से नरेन्द्र आता ही होगा. वह लगा देगा सामान….उसकी वाइफ़ प्रेमा किचन संभालती है, तुम फ्रैश हो जाओ बस.” कहते हुए आर्यन ने खिडकियां खोल मोटे पर्दे हटा दिए. जाली से छनकर कमरे में आ रही धूप हल्के ठंडे मौसम में सुकून दे रही थी.

“यहां घर अधिकतर ऐसे बने होते हैं कि ठंड का असर कम से कम हो. यह मकान मेरे परदादा ने बनवाया था, मोटी-मोटी दीवारें हैं और फ़र्श लकड़ी से बने हैं. छत ढलुआं है ताकि बरसात और बर्फ़ बिल्कुल न ठहरे.” आर्यन बता रहा था कि डोरबैल बज गयी. नरेन्द्र और प्रेमा आये थे. दोनों ने घर का काम शुरू कर दिया.

“अच्छा अब मैं नहा लेता हूं.” कहकर आर्यन चल दिया, वान्या भी उसके पीछे-पीछे हो ली. कमरे से बाहर निकल लम्बी गैलरी में नीले रंग के कारपेट पर चलते हुए पैरों की पदचाप खो गयी थी. गैलरी के दोनों ओर कमरे दिख रहे थे. घर के बाकी कमरे भी बड़े-बड़े होंगे इसकी वन्या ने कल्पना भी नहीं की थी. एक कमरे में दाखिल हो आर्यन ने दस फुट ऊंची महागनी की गोलाकार फ्रैंच स्टाइल में बनी अलमारी खोल कपड़े निकाले और बाथरूम में चला गया.

वान्या की आंखें कमरे का मुआयना करने लगीं. चौड़ी सिहांसननुमा कुर्सी को देख वान्या का दिल चाह रहा था कि उस पर बैठ आंखें मूंद रास्ते की सारी थकान भूल जाये, लेकिन पहले नहाना ज़रूरी है सोचते हुए वापिस ड्राइंग-रूम में जा अपना सूटकेस खोल कपड़े देखने लगी.

अचानक तिपाही पर रखा आर्यन का मोबाइल बज उठा. ‘वंशिका कौलिंग’ देखा तो याद आया यह सुरभि दीदी की बेटी का नाम है. वान्या ने फ़ोन उठा लिया. उसके हैलो कहते ही किसी बच्चे की आवाज़ सुनाई दी, “पापा कहां है?”

दीदी के बच्चे तो बड़े हैं. यह तो किसी छोटे बच्चे की आवाज़ है, सोचते हुए वान्या बोली, “किस से बात करनी है आपको? यह नंबर तो आपके पापा का नहीं है. दुबारा मिलाकर देखो, बच्चे!”
“आर्यन पापा का नाम देखकर मिलाया था मैंने….आप कौन हो?” बच्चा रुआंसा हो रहा था.

वान्या का मुंह खुला का खुला रह गया. इससे पहले कि वह कुछ और बोलती आर्यन बाथरूम से आ बाहर आ गया. “किसका फ़ोन है?” पूछते हुए उसने वान्या के हाथ से मोबाइल ले लिया और तोतली आवाज़ में बातें करने लगा.

निराश वान्या कपड़े हाथ में लेकर बाथरूम की ओर चल दी. ‘किसने किया होगा फ़ोन? आर्यन भी जुटा हुआ है उससे बातें करने में. क्या आर्यन की पहले शादी हो चुकी है? हां, लगता तो यही है. तलाक़ हो चुका है शायद. मुझे बताया भी नहीं….यह तो धोखा है!’ वान्या अपने आप में उलझती जा रही थी.

आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस कमरे के आकार का बाथरूम जिसके वह सपने देखती थी, उसकी निराशा को कम नहीं कर रहा था. एअर फ्रैशनर की भीनी-भीनी ख़ुशबू, हल्की ठंड और गरम पानी से भरा बाथटब! जी चाह रहा था कि अभी आर्यन आ जाये और अठखेलियां करते हुए उसे कहे कि ‘फ़ोन उसके लिए नहीं था, किसी और आर्यन का नंबर मिलाना चाहता था वह बच्चा. मुझे पापा कब बनना है, यह तो तुम बताओगी….!’ वान्या फूट-फूट कर रोने लगी.

बाहर आई तो डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आर्यन उसकी प्रतीक्षा कर रहा था. ऊंची बैक वाली गद्देदार काले रंग की कुर्सियां वान्या को कोरी शान लग रहीं थी. वान्या के बैठते ही आर्यन उसके बालों से नाक सटाकर लम्बी सांस लेता हुआ बोला, “कौन सा शैम्पू लगाया है? कहीं यह ख़ुशबू तुम्हारे बालों की तो नहीं? महक रहा हूं अन्दर तक मैं!”

वान्या को आर्यन की शरारती मुस्कान फिर से मोहने लगी. सब कुछ भूल वह इस पल में खो जाना चाहती थी. “जल्दी से खा लो. अभी प्रेमा सफ़ाई कर रही है. उसे जल्दी से वापिस भेज देंगे….अपना बैड-रूम तो तुमने देखा ही नहीं अब तक. कब से इंतज़ार कर रहा है मेरा बिस्तर तुम्हारा ! ” आर्यन का नटखट अंदाज़ वान्या को मदहोश कर रहा था.

नाश्ता कर वान्या बैडरूम में पहुंच गयी. शानदार कमरे में कदम रखते ही रोमांस की ख़ुमारी बढ़ने लगी. “मुझे ज़रूर ग़लतफहमी हुई है, आर्यन के साथ कोई हादसा हुआ होता तो वह प्यार के लम्हों को जीने के लिए इतना बेताब न दिखता. उसका इज़हार तो उस आशिक़ जैसा लग रहा है, जिसे नयी-नयी मोहब्बत हुई हो.” सोचते हुए वान्या बैड पर लेट गयी. फ़ोम के गद्दे में धंसे-धंसे ही मखमली चादर पर अपना गाल रख सहलाने लगी. प्रेमा और नरेंद्र के जाते ही आर्यन भी कमरे में आ गया. खड़े-खड़े ही झुककर वान्या की आंखों को चूम मुस्कुराते हुए उसे अपने बाहुपाश में ले लिया.

“कैसा है यह मिरर? कुछ दिन पहले ही लगवाया है मैंने?” बैड के पास लगे विंटेज कलर फ़्रेम के सात फुटिया मिरर की ओर इशारा करते हुए आर्यन बोला.

दर्पण में स्वयं को आर्यन की बाहों में देख वान्या के चेहरे का रंग भी आईने के फ़्रेम सा सुर्ख़ हो गया.
प्रेमासिक्त युगल एकाकार हो एक-दूसरे की आगोश में खोए-खोए कब नींद की आगोश में चले गए, पता ही नहीं लगा.

सायंकाल प्रेमा ने घंटी बजाई तो उनकी नींद खुली. ग्रीन-टी बनवाकर अपने-अपने हाथों में मग थामे दोनों घर के पीछे की ओर बने गार्डन में रखी बेंत की कुर्सियों पर जाकर बैठ गए. वहां रंग-बिरंगे फूल खिले थे. कतार में लगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की शाखाएं हवा चलने से एक-दूसरे के साथ बार-बार लिपट रहीं थीं. सभी पेड़ों पर भिन्न आकार के फल लटक रहे थे, रंग हरा ही था सबका. वान्या की उत्सुक निगाहों को देख आर्यन बताने लगा, “मेरे राइट हैंड साइड वाले चार पेड़ आलूबुखारे के और आगे वाले तीन खुबानी के हैं. अभी कच्चे हैं, इसलिए रंग हरा दिख रहा है. दीदी की बेटी को बहुत पसंद है कच्ची खुबानी. हमारी शादी में नहीं आ सकी, वरना खूब एंजौय करतीं.”

“अपने बच्चों को साथ क्यों नहीं लाईं दीदी? वे दोनों आ गए तो बच्चे भी आ सकते थे. दीदी की बेटी नाम वंशिका है न? सुबह इसी नाम से कौल आई तो मैंने अटैंड कर ली, पर वह तो किसी और का था. किस बच्चे के साथ बात कर रहे थे तुम?” वान्या का मस्तिष्क फिर सुबह वाली घटना में जाकर अटक गया.
“तुम्हें देखते ही शादी करने को मन मचलने लगा था मेरा. दीदी से कह दिया था कि कोई आ सकता है तो आ जाये, वरना मैं अकेले ही चला जाऊंगा बारात लेकर! सबको लाना पौसिबल नहीं हुआ होगा तो जीजू को लेकर आ गयीं देखने कि वह कौन सी परी है जिस पर मेरा भाई लट्टू हो गया!”
आर्यन का मज़ाक सुन वान्या मुस्कुराकर रह गयी.

“एक मिनट…..शायद प्रेमा ने आवाज़ दी है, वापिस जा रही होगी, मैं दरवाज़ा बंद कर अभी आया.” वान्या की पूरी बात का जवाब दिए बिना ही आर्यन दौड़ता हुआ अन्दर चला गया.

कुछ देर तक जब वह लौटकर नहीं आया तो वान्या उस बच्चे के विषय में सोचकर फिर संदेह से घिर गयी. व्याकुलता बढ़ने लगी तो बगीचे से ऊपर की ओर जाती हुई सफ़ेद रंग की घुमावदार लोहे की सीढ़ियों पर चढ़ गयी. ऊपर खुली छत थी, जहां से दूर तक का दृश्य साफ़ दिखाई दे रहा था. ऊंची-ऊंची फैली हुई पहाड़ियों पर पर पेड़ों के झुरमुट, सर्प से बलखाते रास्ते और छोटे-बड़े मकान. मकानों की छतों का रंग अधिकतर लाल या सलेटी था. सभी मकान एक-दूसरे से कुछ दूरी पर थे. ‘क्या ऐसी ही दूरी मेरे और आर्यन के बीच तो नहीं? साथ हैं, लेकिन एक फ़ासला भी है. क्या राज़ है उस फ़ोन का आखिर?’ वान्या सोच में डूबी थी. सहसा दबे पांव आकर आर्यन ने अपने हाथों से उसकी आंखें बंद कर दीं.

“तुम ही तो आर्यन….! कब आये छत पर?”

“हो सकता है यहां मेरे अलावा कोई और भी रहता हो और तुम्हें कानों कान ख़बर भी न हो.” आर्यन शरारत से बोला.
“और कौन होगा?” वान्या घबरा उठी.

“अरे कितनी डरपोक हो यार….यहां कौन हो सकता है?” वान्या की आंखों से हाथों को हटा उसकी कमर पर एक हाथ से घेरा बनाकर आर्यन ने अपने पास खींच लिया. “चलो, छत पर और आगे. तुम्हें यहां से ही कुछ सुन्दर नज़ारे दिखाता हूं.”

आर्यन से सटकर चलते हुए वान्या को बेहद सुकून मिल रहा था. उसकी छुअन और ख़ुशबू में डूब वान्या के मन में चल रही हलचल शांत हो गयी. दोनों साथ-साथ चलते हुए छत की मुंडेर तक जा पहुंचे. देवदार के बड़े-बड़े शहतीरों को जोड़कर बनाई गयी मुंडेर की कारीगरी देखते ही बनती थी. ‘काश! इन शहतीरों की तरह मैं और आर्यन भी हमेशा जुड़े रहें.’ वान्या सोच रही थी.

“देखो वह सामने सीढ़ीदार खेत, पहाड़ों पर जगह कम होने के कारण बनाये जाते हैं ऐसे खेत…..और दूर वहां रंगीन सा गलीचा दिख रहा है? फूलों की खेती होती है उधर.”

कुछ देर बाद हल्का कोहरा छाने लगा. आर्यन ने बताया कि ये सांवली घटायें हैं जो अक्सर शाम को आकाश के एक छोर से दूसरे तक कपड़े के थान सी तन जाती हैं. कभी बरसती हैं तो कभी सुबह सूरज के आते ही अपने को लपेट अगले दिन आने के लिए वापिस चली जाती हैं.”
सूरज ढलने के साथ अंधेरा होने लगा तो दोनों नीचे नीचे आ गए. घर सुन्दर बल्बों और शैंडलेयर्स से जगमग कर रहा था. वान्या का अंग-अंग भी आर्यन के प्रेम की रोशनी से झिलमिला रहा था. सुबह वाली बात मन के अंधेरे में कहीं गुम सी हो गयी थी.

प्रेमा के खाना बनाकर जाने के बाद आर्यन वान्या को डायनिंग रूम के पास बने एक कमरे में ले गया. कमरे की अलमारी में महंगी क्रौकरी, चांदी के चम्मच, नाइफ़ और फ़ोर्क आदि वान्या को बेहद आकर्षित कर रहे थे, लेकिन थकान से शरीर अधमरा हो रहा था. कमरे में बिछे गद्देदार सिल्वर ग्रे काउच पर वह गोलाकार मुलायम कुशन के सहारे कमर टिकाकर बैठ गयी. आर्यन ने कांच के दो गिलास लिए और पास रखे रेफ़्रीजरेटर से एप्पल जूस निकालकर गिलासों में उड़ेल दिया. वान्या ने गिलास थामा तो पैंदे पर बाहर की ओर क्रिस्टल से बने गुलाबी कमल के फूल की सुन्दरता में खो गयी.

“फूल तो ये हैं….कितने खूबसूरत !” कहते हुए आर्यन ने अपने ठंडे जूस में डूबे अधरों से वान्या के होठों को छू लिया. वान्या मदहोश हो खिलखिला उठी.

“जूस में भी नशा होता है क्या? मैं अपने बस में कैसे रहूं?” आर्यन वान्या के कान में फुसफुसाया.
“नशा तो तुम्हारी आंखों में है.” कांपते लबों से इतना ही कह पायी वान्या और आंखें मूंद लीं.

सहसा आर्यन का फ़ोन बज उठा. आर्यन सब भूल जूस का गिलास टेबल पर रख बच्चे से बातें करने लगा.
रात को अकेले बिस्तर पर लेटी हुई वान्या विचित्र मनोस्थिति से गुज़र रही थी. ‘कभी लगता है आर्यन जैसा प्यार करने वाला न जाने कैसे मिल गया? लेकिन अगले ही पल स्वयं को छला हुआ महसूस करती हूं. सिर से पांव तक प्रेम में डूबा आर्यन एक फ़ोन के आते ही सब कुछ बिसरा देता है? क्या है यह सब?’ आर्यन की पदचाप सुन वान्या आंखें मूंदकर सोने का अभिनय करते हुए चुपचाप लेटी रही. आर्यन ने लाइट औफ़ की और वान्या से लिपटकर सो गया.

अगले दिन भी वान्या अन्यमनस्क थी. स्वास्थ्य भी ठीक नही लग रहा था उसे अपना. सारा दिन बिस्तर पर लेटी रही. आर्यन बिज़नस का काम निपटाते हुए बीच-बीच में हाल पूछता रहा. वान्या के घर से फ़ोन आया. अपने मम्मी-पापा को उसने अपने विषय में कुछ नहीं बताया, लेकिन उनकी स्नेह भरी आवाज़ सुन वह और भी बेचैन हो उठी.

रात को आर्यन खाने की दो प्लेटें लगाकर उसके पास बैठ गया. टीवी औन किया तो पता लगा कि अगले दिन ‘जनता कर्फ़्यू’ की घोषणा हो गयी है.

“अब क्या होगा? लगता है पापा का कहा सच होने वाला है. वे आज ही फ़ोन पर कह रहे थे कि लौकडाउन कभी भी हो सकता है.” वान्या उसांस लेते हुए बोली.

आर्यन ने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए, “घबराओ मत तुम्हें कोई काम नहीं करना पड़ेगा. प्रेमा कहीं दूर थोड़े ही रहती है कि लौकडाउन में आएगी नहीं. तुम क्यों उदास हो रही हो? लौकडाउन हो भी गया तो हम दोनों साथ-साथ रहेंगे सारा दिन….मस्ती होगी हमारी तो!”

वान्या को अब कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. पानी पीकर सोने चली गयी. मन की उलझन बढ़ती ही जा रही थी. ‘पहले क्या मैं कम परेशान थी कि यह जनता कर्फ़्यू ! लौकडाउन हुआ तो अपने घर भी नहीं जा सकूंगी मैं. आर्यन से फ़ोन के बारे में कुछ पूछूंगी और उसने कह दिया कि हां, मेरी पहले भी शादी हो चुकी है. तुम्हें रहना है तो रहो, नहीं तो जाओ. जो जी में आये करो तो क्या करूंगी? यहां इतने बड़े घर में कैसी पराई सी हो गयी हूं. आर्यन का प्रेम सच है या ढोंग?’ अजीब से सवाल बिजली से कौंध रहे थे वान्या के मन-मस्तिष्क में.
अपने आप में डूबी वान्या सोच रही थी कि इस विषय में कहीं से कुछ पता लगे तो उसे चैन मिल जाये. ‘कल प्रेमा से सफ़ाई करवाने के बहाने पूरे घर की छान-बीन करूंगी, शायद कोई सुराग हाथ लग जाये.’ सोच उसे थोड़ा चैन मिला तो नींद आ गयी.

अगले दिन सुबह से ही प्रेमा को हिदायतें देते हुए वह सारे बंगले में घूम रही थी. आर्यन मोबाइल में लगा हुआ था. दोस्तों के बधाई संदेशों का जवाब देते हुए कुछ की मांग पर विवाह के फ़ोटो भी भेज रहा था. वान्या को प्रेमा के साथ घुलता-मिलता देख उसे एक सुखद अहसास हो रहा था.

इतना विशाल बंगला वान्या ने पहले कभी नहीं देखा था. जब दो दिन पहले उसने बंगले में इधर-उधर खड़े होकर खींची अपनी कुछ तस्वीरें सहेलियों को भेजी थीं तो वे आश्चर्यचकित रह गयीं थीं. उसे ‘किले की महारानी’ संबोधित करते हुए मैसेजेस कर वे रश्क कर रहीं थी. इतने बड़े बंगले का मालिक आर्यन आखिर उस जैसी मध्यमवर्गीया से सम्बन्ध जोड़ने को क्यों राज़ी हो गया? और तो और कोरोना के बहाने शादी की जल्दबाजी भी की उसने.

वान्या का मन बेहद अशांत था. प्रेमा के साथ-साथ घर में घूमते हुए लगभग दो घंटे हो चुके थे. रहस्यमयी निगाहों से वह घर को टटोल रही थी. बैडरूम के पास वाले एक कमरे में चम्बा की सुप्रसिद्ध कशीदाकारी ‘नीडल पेंटिंग’ से कढ़ी हुई हीर-रांझा की खूबसूरत वौल हैंगिंग में उसे आर्यन और अपनी सौतन दिख रही थी. पहली बार लौबी में घुसते ही दीवार पर टंगी मौडर्न आर्ट की जिस पेंटिंग के लाल, नारंगी रंग उसे उसे रोमांटिक लग रहे थे, वही अब शंका के फनों में बदल उसे डंक मार रहे थे. बैडरूम में सजी कामलिप्त युगल की प्रतिमा, जिसे देख परसों वह आर्यन से लिपट गयी थी आज आंखों में खटक रही थी. ‘क्या कोई अविवाहित ऐसा सामान सजाने की बात सोच सकता है? शादी तो यूं हुई कि चट मंगनी पट ब्याह, ऐसे में भी आर्यन को ऐसी स्टेचू खरीदकर सजाने के लिए समय मिल गया….हैरत है!’ घर की एक-एक वस्तु आज उसे काटने को दौड़ रही थी. ‘कैसा बेकार सा है यह मनहूस घर’ वह बुदबुदा उठी.

लगभग सारे घर की सफ़ाई हो चुकी थी. केवल एक ही कमरा बचा था, जो अन्य कमरों से थोड़ा अलग, ऊंचाई पर बना था. पहाड़ के उस भाग को मकान बनाते समय शायद जान-बूझकर समतल नहीं किया गया होगा. बाहर से ही छत से थोड़ा नीचे और बाकी मकान से ऊपर उस कमरे को देख वान्या बहुत प्रभावित हुई थी. प्रेमा का कहना था कि उस बंद कमरे में कोई आता-जाता नहीं इसलिए साफ़-सफ़ाई की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन वान्या तो आज पूरा घर छान मारना चाहती थी. उसके ज़ोर देने पर प्रेमा झाड़ू, डस्टर और चाबी लेकर कमरे की ओर चल दी. लकड़ी की कलात्मक चौड़ी लेकिन कम ऊंचाई वाली सीढ़ी पर चढ़ते हुए वे कमरे तक पहुंच गए. प्रेमा ने दरवाज़े पर लटके पीतल के ताले को खोला और दोनों अन्दर आ गए.

कमरे में अखरोट की लकड़ी से बनी एक टेबल और लैदर की कुर्सी रखी थी. काले रंग की वह कुर्सी किसी भी दिशा में घूम सकती थी. पास ही ऊंचे पुराने ढंग के लकड़ी के पलंग पर बादामी रंग की याक के फ़र से बनी बहुत मुलायम चादर बिछी थी. कुछ फ़ासले पर रखी एक आराम कुर्सी और कपड़े से ढके प्यानो को देख वान्या को वह कमरा रहस्य से भरा हुआ लगने लगा. दीवार पर घने जंगल की ख़ूबसूरत पेंटिंग लगी थी. वान्या पेंटिंग को देख ही रही थी कि दीवार के रंग का एक दरवाज़ा दिखाई दिया. ‘कमरे के अन्दर एक और कमरा’ उसका दिमाग चकरा गया. तेज़ी से आगे बढ़कर उसने दरवाज़े को धक्का दे दिया. चरर्र की आवाज़ करता हुआ दरवाज़ा खुल गया.

छोटा सा वह कमरा खिलौनों से भरा हुआ था, उनमें अधिकतर सौफ़्ट टौयज़ थे. पास ही आबनूस का बना एक वार्डरोब था, वान्या ने अचंभित होकर वार्डरोब खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह खुल नहीं रहा था. पीतल के हैंडल को कसकर पकड़ जब उसने अपना पूरा दम लगाया तो वार्डरोब झटके से खुल गया और तेज़ धक्का लगने के कारण अन्दर से कुछ तस्वीरें निकलकर गिर गयीं. वान्या ने झुककर एक फ़ोटो उठाया तो सन्न रह गयी. आर्यन एक विदेशी लड़की के साथ बर्फ़ पर स्कीइंग कर रहा था. गर्म लम्बी जैकेट, कैप, आंखों पर गौगल्स और हाथों में दस्ताने पहने दोनों बेहद खुश दिख रहे थे. बदहवास सी वह अन्य तस्वीरें उठा ही रही थी कि प्रेमा की आवाज़ सुनाई दी, “मेम साब, इस कमरे में क्या कर रहीं हैं आप?”

वान्या ने झटपट सारी तस्वीरें वार्डरोब में वापिस रख दीं. “यहां की सफ़ाई करनी होगी. मोबाइल के ज़माने में यहां कौन सी फ़ोटो रखी हैं? सामान को निकालकर इस रैक को साफ़ कर लेते हैं.” अपने को संयत कर वान्या ने वार्डरोब की ओर इशारा कर दिया.

“नहीं, ऐसा मत कीजिये. आप जल्दी-जल्दी मेरे साथ अब नीचे चलिए. साहब आ गए तो….!”

“साहब आ गए तो क्या हो जायेगा? घर साफ़ करना है या नहीं?” वान्या बेचैनी और गुस्से से कांपने लगी.

“साहब कितने खुश हैं आपके साथ. यहां आ गए तो….दुखी हो जायेंगे. मेम साब आप चलिए न नीचे….मैं

नहीं करूंगी आज यहां की सफ़ाई.” वान्या का हाथ पकड़ खींचते हुए प्रेमा कातर स्वर में बोली.

“नहीं जाऊंगी मैं यहां से…..बताओ मुझे कि यहां आकर क्यों दुखी हो जायेंगे साहब.”

“सुरभि मेम साब ने मुझे आपको बताने से मना किया था, लेकिन अब आप ही मेरी मालकिन हो. जैसा आप कहोगी मैं करुंगी. ऐसा करते हैं इस छोटे कमरे से निकलकर बाहर वाले बड़े कमरे में चलते हैं.”

बड़े कमरे में आकर वान्या पलंग पर बैठ गयी. प्रेमा ने दरवाज़े को चिटकनी लगाकर बंद कर दिया और वान्या के पास आकर धीमी आवाज़ में कहना शुरू किया, “मेम साब, यह कमरा आर्यन साहब के बड़े भाई का है. उन दोनों की उम्र में तीन साल का फ़र्क था, लेकिन प्यार वे पिता की तरह करते थे आर्यन साहब को. आपको पता होगा कि साहब के मां-पिताजी को गुजरे कई साल हो चुके हैं. बड़े भाई ने अपने पिता का धंधा अच्छी तरह संभाल लिया था. एक बार जब बड़े साहब काम के सिलसिले में देश से बाहर गए तो वहां अंग्रेज लड़की से प्यार कर बैठे. शादी भी कर ली थी दोनों ने. अंग्रेज मैडम डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं थी,

इसलिए साहब के साथ यहां नहीं आयीं थीं. साहब वहां आते-जाते रहते थे. एक साल बाद उनका बेटा भी हो गया. बड़े साहब बच्चे को यहां ले आये थे. यह बात आज से कोई ढाई-तीन साल पहले की है. उस टाइम आर्यन साहब पढ़ाई कर रहे थे और मुम्बई में रह रहे थे. जब पिछले साल अंग्रेज मैडम की पढ़ाई पूरी हुई तो बड़े साहब उनको हमेशा के लिए लाने विदेश गए थे. वहां….बहुत बुरा हुआ मेम साब.” प्रेमा अपने सूट के दुपट्टे से आंसू पोंछ रही थी. वान्या की प्रश्नभरी आंखें प्रेमा की ओर देख रही थी.
“मेम साब, बर्फ़ पर मौज-मस्ती करते हुए अचानक साहब तेज़ी से फिसल गए और वे लड़खड़ा कर गिरे तो अंग्रेज मैडम भी गिरीं, क्योंकि दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े थे. लुढ़कते-लुढ़कते दोनों नीचे तक आ गए और जब तक लोग अस्पताल ले जाते, बहुत देर हो चुकी थी. साथ-साथ हाथ पकड़े हुए चले गए दोनों इस दुनिया से. उनका बेटा कृष अब सुरभि दीदी के पास रहता है.”

वान्या दिल थामकर सब सुन रही थी. रुंधे गले से प्रेमा का बोलना जारी था. “मेम साब, इस दुर्घटना के बाद जब सुरभि दीदी यहां आईं थीं तो कृष आर्यन साहब को देखकर लिपट गया और पापा, पापा कहकर बुलाने लगा, क्योंकि बड़े साहब और छोटे साहब की शक्ल बहुत मिलती थी. ये देखो….!” प्रेमा ने प्यानों पर ढका कपड़ा उठा दिया. प्यानों की सतह पर एक पोस्टर के आकार वाली फ़ोटो चिपकी थी जिसमें आर्यन और बड़ा भाई एक-दूसरे के गले में हाथ डाले हंसते हुए दिख रहे थे. दोनों का चेहरा एक-दूसरे से इतना मिल रहा था कि किसी को भी जुड़वां होने का भ्रम हो जाये.

“मेम साब, अभी आप कह रही थीं न कि मोबाइल के टाइम में भी ऐसे फ़ोटो? ये बड़े साहब ने पोस्टर बनवाने के लिए रखे हुए थे. बहुत शौक था बड़े-बड़े फ़ोटो से उन्हें घर सजाने का.” प्रेमा आज जैसे एक-एक बात बता देना चाहती थी वान्या को.
“ओह! अच्छा एक बात बताओ, कृष ने आर्यन से अपनी मम्मी के बारे में कुछ नहीं पूछा ?” वान्या व्यथित होकर बोली.
“नहीं, अपनी मां के साथ तो वह तब तक ही रहा जब दो महीने का था. बताया था न मैंने कि बड़े साहब ले आये थे उसको यहां. कभी-कभी साहब के साथ जाता था तभी मिलता था उनसे. वैसे भी वे छह महीने की ट्रेनिंग पर थीं और कहती थीं कि अभी बच्चा मुझे मम्मी न कहे सबके सामने. कृष कोई दीदी-वीदी समझता होगा शायद उनको.”

वान्या सब सुनकर गहरी सोच में डूब गयी. कुछ देर तक शांत रहने के बाद प्रेमा फिर बोली, “मेम साब, जब आपका रिश्ता पक्का नहीं हुआ था और साहब आपसे मिलकर आये थे तो आपकी फ़ोटो साहब ने मुझे और मेरे पति को दिखाई थी. हमें उन्होंने आपके बारे में बताते हुए कहा था कि इनका चेहरा जितना भोला-भाला लग रहा है, बातों से भी उतनी मासूम हैं. वैसे स्कूल में टीचर हैं, समझदार हैं, मेरे पास रुपये-पैसे की तो कोई कमी नहीं है. मुझे ज़रुरत है तो उसकी जो मेरा साथ दे, मेरे अकेलेपन को दूर कर दे, जिसके सामने अपना दर्द बयां कर सकूं. मैंने इनको तुम्हारी मेम साब बनाने का फ़ैसला कर लिया है….!”

वान्या प्रेमा के शब्दों में अभी भी खोयी हुई थी. प्रेमा के “मेम साब अब नीचे चलते हैं” कहते ही वह गुमसुम सी सीढियां उतरने लगी.

प्रेमा के वापिस चले जाने के बाद वह आर्यन के साथ लंच कर आराम करने बैडरूम में आ गयी. वान्या को प्यार से अपनी ओर खींचते हुए आर्यन बोला, “रात में बहुत नींद आ रही थी, अब नहीं सोने दूंगा.”
“लेकिन एक शर्त है मेरी.” वान्या आर्यन के सीने पर सिर रखकर बोली.

“कहो न ! कोई भी शर्त मानूंगा तुम्हारी.” वान्या के चेहरे से अपना चेहरा सटा आर्यन बोला.”
“कोरोना के हालात ठीक होने के बाद हम दीदी के पास चलेंगे और अपने बेटे कृष को हमेशा के लिए अपने साथ ले आयेंगे.”

आर्यन की सांस जैसे वहीं थम गयी. “प्रेमा ने बताया न !” भर्राये गले से वह इतना ही बोल सका.
वान्या ने मुस्कुराकर ‘हां’ में सिर हिला दिया.

आर्यन वान्या को अपने सीने से लगाये ख़ामोश होकर भी बहुत कुछ कह रहा था. वान्या को प्रेम में डूबे युगल की मूर्ति आज बेहद ख़ूबसूरत लग रही थी. मन ही मन वह कह उठी, ‘बेकार नहीं, मनहूस नहीं….ये घर बहुत हसीन है!’

तुम सावित्री हो : क्या पत्नी को धोखा देकर खुश रह पाया विकास?

अमेरिका के एअरपोर्ट से जब मैं हवाईजहाज में बैठी तो बहुत खुश थी कि जिस मकसद से मैं यहां आई थी उस में सफल रही. जैसे ही हवाईजहाज ने उड़ान भरी और वह हवा से बातें करने लगा वैसे ही मेरे जीवन की कहानी चलचित्र की तरह मेरी आंखों के आगे चलने लगी और मैं उस में पूरी तरह खो गई…

विकास और मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत हैं. वैसे मैं उम्र में विकास से 1 वर्ष बड़ी हूं. वे कंपनी में एम.डी. हैं, जबकि मैं सीनियर मैनेजर. कंपनी में साथसाथ काम करने के दौरान अकसर हमारी मुलाकात होती रहती थी. मेरे मम्मीपापा मेरी शादी के लिए लड़का देख रहे थे, लेकिन कोई अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था. आखिर थकहार के मम्मीपापा ने लड़का देखना बंद कर दिया. तब मैं ने भी उन से टैलीफोन पर यही कहा कि वे मेरी शादी की चिंता न करें. जब होनी होगी तब चट मंगनी पट शादी हो जाएगी. दरअसल, विकास का कार्यक्षेत्र मेरे कार्यक्षेत्र से एकदम अलग था. यदाकदा हम मिलते थे तो वह भी कंपनी की लिफ्ट या कैंटीन में. वे कंपनी में मुझ से सीनियर थे, हालांकि मैं पहले एक दूसरी कंपनी में कार्यरत थी. मैं ने उन के 3 वर्ष बाद यह कंपनी जौइन की थी. एक बार कंपनी के एक सेमिनार में मुझे शोधपत्र पढ़ने के लिए चुना गया. उस समय सेमिनार की अध्यक्षता विकास ने की थी. जब मैं ने अपना शोधपत्र पढ़ा तब वे मुझ से इतने इंप्रैस हुए कि अगले ही दिन उन्होंने मुझे अपने कैबिन में चाय के लिए आमंत्रित किया. चाय के दौरान हम ने आपस में बहुत बातें कीं. बातोंबातों में उन्होंने मुझ से मेरे बारे में ंसारी बातें मालूम कर लीं. रही उन के बारे में जानकारी लेने की बात, तो मैं उन के बारे में बहुत कुछ जानती थी और जो नहीं जानती थी वह भी उन से पूछ लिया.

जब मैं उन के कैबिन से उठने लगी, तब उन्होंने कहा, ‘‘अलका, क्या तुम मुझ से शादी करना चाहोगी?’’

‘‘पर सर, मैं उम्र में आप से 1 साल बड़ी हूं.’’

‘‘उम्र हमारे बीच दीवार नहीं बनेगी,’’ वे बोले.

‘‘फिर ठीक है, मैं अपने मम्मीपापा से बात कर के आप को बताती हूं.’’

‘‘वह तो ठीक है, लेकिन मैं इस बारे में तुम्हारी अपनी राय जानना चाहता हूं?’’

‘‘जो आप की राय है, वही मेरी,’’ मैं ने कुछ शरमाते हुए कहा और कैबिन से बाहर आ गई. ड्यूटी से घर लौटने के बाद मैं ने टैलीफोन पर मम्मीपापाजी से विकास के प्रस्ताव पर सविस्तार बात की तो वे बोले, ‘‘बेटी, यदि तुम्हें यह रिश्ता पसंद है तो हम भी तैयार हैं.’’ फिर क्या था मेरी और विकासजी की चट मंगनी और पट शादी हो गई. यह हमारी शादी के 2 साल बाद की बात है. एक दिन विकास ने मुझे अपने कैबिन में बुलाया और बताया, ‘‘कंपनी मुझे 2 सालों के लिए अमेरिका भेजना चाहती है. अब मेरा वहां जाना तुम्हारे हां कहने पर निर्भर है. तुम हां कहोगी तो ही मैं जाऊंगा वरना बौस से कह दूंगा कि सौरी कुछ परिस्थितियों के चलते मैं अमेरिका जाने के लिए असमर्थ हूं.’’ यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात थी कि कंपनी स्वयं अपने खर्च पर विकास को अमेरिका भेज रही थी. ऐसा चांस बहुत कम मिलता है. अत: मैं ने उन्हें अमेरिका जाने के लिए उसी समय अपनी सहमति दे दी. करीब 1 माह बाद विकास अमेरिका चले गए. वहां जाने के बाद मोबाइल पर हमारी बातें होती रहती थीं, लेकिन समय बीतने के साथसाथ बातें कम होती गईं. जब एक बार मैं ने उन से इस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘यहां बहुत काम रहता है, फिर यहां नया होने के कारण सब कुछ समझने में मुझे ज्यादा वक्त देना पड़ रहा है.’’ इस प्रकार 8-9 माह बीत गए. एक दिन सुबह 5 बजे हमारी डोरबैल बजी. मैं ने दरवाजा खोला तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मेरे सामने विकास खड़े थे. जब वे अंदर आए तब मैं ने पूछा, ‘‘आप ने तो आने के बारे में कुछ बताया ही नहीं?’’

तब वे बोले, ‘‘तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था. दरअसल, मैं कंपनी के काम से केवल 1 सप्ताह के लिए यहां आया हूं.’’

‘‘बस 1 सप्ताह?’’ मैं ने पूछा.

‘‘हां, कंपनी ने मेरे इंडिया आने के साथसाथ मेरा रिटर्न टिकट भी करवा दिया है,’’ मुझ से आंखें चुराते हुए उन्होंने जवाब दिया. इस 1 सप्ताह के दौरान हम रोज शाम को कहीं बाहर घूमने चले जाते और फिर रात को किसी होटल में खाना खा कर ही लौटते. दिन बीतने को कितना समय लगता है? देखतेदेखते हफ्ता बीत गया और वे लौट गए. एक दिन जब मैं ड्यूटी से घर लौटी तो दरवाजे के पास एक चिट्ठी पड़ी देखी. चिट्ठी विकास की थी. मैं बैडरूम में आई और अपने कपड़े चेंज कर चिट्ठी पढ़ने लगी. पूरी चिट्ठी पढ़ने पर ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई हो. उन्होंने चिट्ठी में लिखा था:

‘अलका,

तुम्हें सच बता रहा हूं कि मैं कंपनी के किसी काम से इंडिया नहीं आया था. दरअसल, जब हम रोज शाम को घूमने जाते थे तो उस दौरान यह बात तुम्हें बताना चाहता था, लेकिन तब हिम्मत न जुटा पाने के कारण कुछ नहीं बता पाया, इसलिए यहां पहुंचते ही यह चिट्ठी लिख रहा हूं. यहां रहने के दौरान मैं एक लड़की सायना जेली के संपर्क में आया और फिर हम ने शादी कर ली.

तुम्हारा- विकास.’

विकास की चिट्ठी पढ़ने के बाद मन किया आत्महत्या कर लूं, क्योंकि मेरी दुनिया में विकास के अलावा और कोई था ही नहीं. फिर सोचा यदि आत्महत्या कर ली तो मेरे मम्मीपापा मुझे ही दोषी समझेंगे. अत: मैं ने अपना मन मजबूत करना शुरू किया. अब मेरे सामने सवाल यह था कि मैं करूं तो करूं क्या? यदि मैं इस बात को अपने मम्मीपापा को बताती तो उन का दिल बैठ जाता. यदि इस बात को मैं अपनी कंपनी की सहेलियों के साथ शेयर करती तो भी बदनामी हमारी ही होनी थी, क्योंकि कहते हैं न जितने मुंह उतनी बातें. अत: मैं ने धैर्य रखने का निर्णय लिया और रोजाना ड्यूटी जाती तो किसी को इस बात का एहसास नहीं होने देती कि मेरे साथ क्या हुआ है और मैं इस समय किस दौर से गुजर रही हूं. सब के साथ हंसहंस कर बातें करती. यदाकदा कोई विकास के बारे में पूछता तो कह देती कि अमेरिका में आनंद ले रहे हैं. ऐसे ही डेढ़ साल बीत गया. एक दिन मम्मी ने टैलीफोन पर पूछा, ‘‘अलका, तेरे पति के लौटने का समय हो गया है न? कब आ रहे हैं हमारे दामादजी?’’ अब मैं क्या जवाब देती? मम्मी को समझाने भर के लिए कहा, ‘‘मम्मीजी, शायद कंपनी उन के 6 महीने और बढ़ाना चाहती है. अत: वे 6-7 महीने बाद ही आएंगे. दरअसल, वे चाहते हैं कि मैं ही 1-2 महीनों की छुट्टी ले कर अमेरिका चली आऊं.’’

मैं ने मम्मी से यह कह तो दिया, पर उस पूरी रात सो नहीं पाई. बिस्तर पर पड़ेपड़े मुझे अचानक यह खयाल आया कि हमारी शादी को हुए 2 साल हो गए हैं. इस दौरान मैं मां न बन सकी. विकास चाहते थे कि पहला बच्चा जल्दी हो जाए. घर में बच्चे की किलकारियां सुनने के लिए वे बहुत बेताब थे. तभी मुझे खयाल आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि विकास बच्चा जल्दी चाहते थे, इसीलिए उन्होंने वहां जा कर सायना से शादी कर ली? यह विचार मन में आते ही मैं एकदम बिस्तर से उठ बैठी. इस विचार ने मुझे सारी रात जगाए रखा. एक दिन घर लौट रही थी, तब हमारी कंपनी के उज्ज्वल सर मुझे मिल गए. मैं ने उन का अभिवादन किया. वे देर तक खामोश खड़े रहे. तब मैं ने ही खामोशी को तोड़ते हुए उन से पूछा, ‘‘सर, आप कब अमेरिका से आए?’’

‘‘मैडम, मुझे यहां आए 1 सप्ताह ही हुआ है… सच बताऊं विकास के साथ वहां बहुत बुरा हुआ.’’

मैं उन की बात सुन कर दंग रह गई. और फिर तुरंत पूछा, ‘‘सर, विकास के साथ क्या बुरा हुआ?’’

वे बोले, ‘‘मैडम, विकास ने जिस सायना से शादी की थी, उस ने विकास के बैंक खाते में जमा लाखों डौलर औनलाइन सर्विस के माध्यम से अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए और फिर विकास ने जो गोल्ड खरीद रखा था, उसे भी अपने साथ ले कर फरार हो गई. अभी तक उस का कोई अतापता नहीं है. इतना ही नहीं उस ने विकास के नाम पर कई जगहों से क्रैडिट पर कीमती सामान की खरीदारी भी की. विकास बुरी तरह आर्थिक परेशानी के दौर से गुजर रहा है. इस घटना के बाद विकास ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की पर बचा लिया गया. सायना फ्रौड लेडी है और ऐसा औरों के साथ भी कर चुकी है.’’ इस घटना से मैं पुन: सदमे में आ गई. हालांकि एक सचाई यह भी थी कि विकास और मेरे बीच अब कोई संबंध नहीं रह गया था. जब सायना उन की जिंदगी में आई थी तभी से मेरे उन के संबंध खत्म हो गए थे. मैं घर आई तो सोच के समंदर में डूब गई कि अब क्या किया जाए? सोच की हर लहर मेरे मन के किनारे पर आ कर टकरा रही थी.

तभी एक शांत लहर ने मेरे विचारों को दिशा दी कि विकास तुम्हारे साथ प्यार या संबंध निभाने में भले ही असफल रहे हों, लेकिन तुम ने भी तो उन्हें अपनी जिंदगी के लिए चुना था? तो फिर अब तुम चुपचाप कैसे बैठ सकती हो? उन से गलती हुई है इस का अर्थ यह तो नहीं कि उन के और तुम्हारे बीच कभी प्यार के संबंध थे ही नहीं? आज उन के बुरे वक्त में उन का साथ देना तुम्हारा दायित्व है. ऐसे अनगिनत सवाल मेरे मन से आ कर टकराए और तभी मैं ने निश्चय किया कि मैं अपना दायित्व अवश्य निभाऊंगी. फिर क्या था. मैं ने अपनी एक सहेली की मदद से अपने फ्लैट को एक कोऔपरेटिव बैंक के पास गिरवी रख कर क्व25 लाख कर्ज लिया और अमेरिका पहुंच गई. जब मैं ने उन के फ्लैट की डोरबैल बजाई तो उन्होंने ही दरवाजा खोला और फिर मुझे देखते ही आश्चर्यचकित तो हुए ही, साथ ही शर्मिंदा भी. मैं जानती थी कि वे इस घटना के कारण गहरे अवसाद से गुजर रहे हैं, फिर भी मैं ने एक बार तो उन से पूछ ही लिया, ‘‘विकास, सायना से अंतरंग संबंध बनाते समय क्या तुम्हें एक बार भी मेरा खयाल नहीं आया कि मुझ पर क्या गुजरेगी? खैर, मुझ पर क्या गुजर रही है, यह तुम क्योंकर सोचोगे भला?’’ मेरी बात सुन कर विकास एक अपराधी की तरह खामोश रहे. उन का चेहरा गवाही दे रहा था कि उन्हें अपनी गलती पर पछतावा है. उन से कोई जवाब न पा कर मैं सीधे अपने उस मकसद पर आ गई, जिस के लिए मैं अमेरिका आई थी. उन के साथ बैठ कर मैं ने एक लिस्ट तैयार की जिस में सायना ने जहांजहां से इन के क्रैडिट पर कीमती वस्तुएं खरीदी थीं. अगले दिन विकास को अपने साथ ले कर उन की सारी उधारी चुकता कर दी. हम फ्लैट में लौटे तब रात के 10 बज रहे थे. मैं थकीहारी सोफे पर आ कर बैठ गई. तब विकास बोले, ‘‘अलका, सच, तुम सावित्री हो. जिस प्रकार सावित्री सत्यवान को मौत के मुंह से वापस लाई थी, उसी प्रकार तुम भी मुझे मौत के मुंह से वापस लाई हो वरना मैं तो आत्महत्या करने का अपना इरादा फिर से पक्का कर चुका था.’’

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विकास की बात सुन कर मैं ने इतना ही कहा, ‘‘विकास, हमारे रिश्ते में सेंध तुम ने ही लगाई है. खैर, अब तुम पूरी तरह मुक्त हो, क्योंकि न तुम ऋणग्रस्त हो और न ही किसी बंधन में गिरफ्त. मैं ने तो यहां आ कर सिर्फ अपना पत्नीधर्म निभाया है, क्योंकि मैं ने अपनी तरफ से यह रिश्ता नहीं तोड़ा है. चूंकि मैं मुंबई से रिटर्न टिकट ले कर यहां आई हूं, इसलिए कल ही मुझे मुंबई लौटना है.’’ तभी एअरहोस्टेज की इस घोषणा से मेरी तंद्रा टूटी कि हवाईजहाज मुंबई एअरपोर्ट पर लैंड करने वाला है. कृपया अपनीअपनी सीटबैल्ट बांध लें. एअरपोर्ट उतर टैक्सी पकड़ अपने फ्लैट पहुंची. अब घर पर अकेली रह कर भी क्या करती, इसलिए अगले ही दिन से ड्यूटी जौइन कर ली. करीब 2 सप्ताह बाद विकास भी अमेरिका से लौट आए. अब हम दोनों रोज साथसाथ कंपनी जाते हैं. और हां, एक गुड न्यूज यह भी है कि मैं शीघ्र ही मां बनने वाली हूं.

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