Writer- कुमसुम वर्मा
सुमन अपनी बादामी आंखों में मोटेमोटे मोतियों से आंसू लिए मु?ो अपनी दर्दभरी दास्तान सुना रही थी. उस समय उस के सांवलेसलोने मुखड़े पर निराशा एवं उदासी की स्याही फैली हुई थी.
सुमन का रवि के साथ लंबे समय से अफेयर चल रहा था. 6 महीने से वे लिव इन में एक रूम में ही रह रहे थे. दोस्तों को यह बात पता थी पर दोनों के मातापिता को नहीं. घर में चहलपहल होती थी. लेकिन उस रोज घर में एकांत कोना तलाश कर वहां बैठ कर वह किसी गहरे सोच में डूबी थी.
कभी सुमन अपने पार्टनर की मधुर कल्पनाओं में डूबी हुई होती तो कभी उस के होंठ उस के जोक्स पर मुसकराहट से फैल जाते, कभी रात के पैशन का सोच कर चेहरा लाज के मारे गुलनार हो जाता और वह अपना सांवला मुखड़ा हथेलियों में छिपा लेती. तभी उस की फ्रैंड ने उस के कंधे पर हाथ रखा.
सुमन की कल्पनाओं का महल टूट गया. उस के पास मधुरी खड़ी थी. आसमानी रंग की अमेरिकन जौर्जेट की औफशोल्डर ड्रैस पहने थी. गालों पर रूज, आंखों में तिरछा काजल और पतलेपतले नाजुक होंठों पर लिपस्टिक लगा रखी थी. वह अपनी शरारतपूर्ण नजरों से उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘क्या सोच रही थी? क्या काम है जो तूने मु?ो यहां बुलाया?’’
‘‘कुछ नहीं.’’
‘‘मु?ा से छिपाने की कोशिश कर रही हो? ओ मेरी जान, हमें भी तो बताओ अपने मन की बात?’’
‘‘कहा न कुछ भी नहीं.’’
‘‘मुंह से कह रही हो कुछ भी नहीं लेकिन मन में शायद किसी याद का दीपक जल रहा है. क्या तुम्हारा पार्टनर शहर से बाहर गया हुआ है?
‘‘यार लगता है मुकेश को मु?ा से बोरियत होने लगी है. वह अब उखड़ाउखड़ा रहता है.’’
‘‘क्यों?’’ माधुरी आश्चर्यभरी निगाहों से घूरती हुई बोली, ‘‘हां कई कपल्स में कुछ महीनों के बाद बोरियत सी छा जाती है.’’
‘‘ अच्छा, कुछ काम की बातें बताने आई हूं तुम्हें. अगर तुम मेरी बताई राह पर चलोगी तो हो सकता है तुम्हारा पार्टनर राजकुमार तुम्हारे आगेपीछे फिरे, तुम्हारी हर बात माने. अगर मेरी बात नहीं मानी तो मरजी से लिव इन में रहने के बाद भी तुम्हें सारा जीवन पार्टनर की दासी बन कर व्यतीत करना पड़ेगा.’’
‘‘पहेलियां मत बु?ाओ, सचसच बताओ, क्या कहना चाहती हो?’’
‘‘एक मिनट ठहरो,’’ कहते हुए मधु ने उठ कर एक ऐसी टेबल देखी जहां चारों ओर कोई नहीं था और वहां जा कर बैठ गई.
सुमन विचित्र सी निगाहों से मधु की तरफ देख रही थी. मधु ने कहना शुरू
किया, ‘‘यदि आरंभ में ही लड़की अपने पार्टनर को अपने बस में कर ले, बातबात में नखरे
दिखाए तो पार्टनर उस के चरणों का दास बन जाता है और सदा उस की उंगलियों पर नाचता रहता है. लेकिन अगर लड़की शुरू में ही अपने पार्टनर से दब जाए, अपने भीतर हीनभावना महसूस करे तो पार्टनर उस पर छा जाता है और लड़की पार्टनर की दासी बन कर रह जाती है. लिव इन में आपसी सम?ौते के बावजूद मेल ईगो हावी रहता है.’’
‘‘मगर मैं ने तो सम?ा था कि लिव इन में दोनों एकदूसरे के साथी होते हैं, लड़की हमदर्द होती है.’’
‘‘पुरुषों का लिखा हुआ कहीं मोटीवेशनल मैसेज इंस्टाग्राम पर पढ़ा होगा, जो लड़कियों के मन में इन्फीरियौरिटी जगाने के लिए लिखते हैं. तुम केवल मेरी बात याद रखो,’’ मधु गहरी सांस ले कर बोली, ‘‘सैक्स ऐक्साइटेड आदमी में ही नहीं, औरत में भी होती है. फर्क केवल इतना होता है कि आदमी किसी युवा सुंदर फीमेल
शरीर को देख कर शीघ्र ही ऐक्साइट हो जाता है, किंतु औरत में ऐक्साइटमैंट जाग्रत होने में समय लगता है. इतना ही नहीं वह अपनी लिबिडो को काबू में भी कर सकती है और यही वह गुण है जिस के आधार पर वह पार्टनर को अपना
दीवाना और गुलाम बना लेती है. तुम दोनों ने लिव इन का फैसला चाहे कई बार रातें साथ गुजारने के बाद किया हो पर लड़कों का जेनेटिक गुण जाता नहीं है.’’
‘‘देखो मधु, अपनी भावनाओं पर काबू पाना और पति को दास बनाना मेरे बस का काम नहीं,’’ सुमन ने एक ही सांस में कह दिया.
मधु ने सुमनकी आंखों में देखते हुए कहा, ‘‘अगर तुम संयम से काम लो तो अवश्य ही
तुम्हें सफलता मिल सकती है. जानती हो जिस लड़की का शरीर पार्टनर को आसानी से मिल जाता है उस का मेल पार्टनर अपनी पार्टनर के लिए पागल नहीं होता. पार्टनर को अगर तरसने, तड़पने के बाद लड़की का जिस्म मिलता है तो वह उस की कद्र करता है. किंतु जो लड़की हलका सा इशारा पा कर स्वयं को पार्टनर के पहलू में डाल देती है उस लड़की के प्रेम में न तो वह बंधा रहता है, न ही वह उस की परवाह करता है. इस के विपरीत वह अपनी सुंदर पार्टनर को छोड़ कर साधारण शक्लसूरत की लड़कियों पर भी डोरे डालता फिरता है क्योंकि फीमेल पार्टनर का बदन उसे जब चाहे सहज ही प्राप्त हो जाता है. इसलिए उसे अपनी पार्टनर में उस रस का एहसास नहीं होता.
‘‘सुमन, अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारा पार्टनर केवल तुम्हारा रहे तो तुम्हें पार्टनर को नखरे दिखाने होंगे, उसे थोड़ा तरसाना होगा. मेरी बन्नो, तुम नहीं जानती कि जो लड़की जितने अधिक नखरे दिखाती है, लड़के उतना ही अधिक उस के आगेपीछे घूमते हैं. अब तुम खुद ही सोच लो कि तुम्हें क्या चाहिए स्वयं पार्टनर के इशारों पर नाचने वाली रहना या पार्टनर को अपना गुलाम बना कर रखना?’’
‘‘लेकिन बौयफ्रैंड अगर इन बातों से विमुख हो जाए तो?’’
‘‘ऐसा नहीं होता,’’ मधु ने कहा, ‘‘अब मेरे ही पति को देख ले न, मैं जब जी चाहे मायके आ कर बैठ जाती हूं और वह मेरे बगैर नहीं रह सकता. दौड़ता हुआ चला आता है मु?ा से मिलने. सुमन, तुम नारी हो कर भी स्त्री के सौंदर्य से अनभिज्ञ हो. जानती हो, पुरुष को रि?ाने और ?ाकाने के लिए ही कुदरत ने स्त्री को एक ऐसा खूबसूरत शरीर दिया है जिसे पाने की लालसा में आदमी सबकुछ नहीं, फिर भी बहुत कुछ कर सकता है. इसलिए तुम्हें अपने शरीर का सही इस्तेमाल करना होगा.’’
‘‘सही इस्तेमाल से तुम्हारा क्या मतलब है? हमारे सैक्स संबंध तो महीनों से हैं और दोनों फैशनेट रहते हैं,’’ सुमन ने प्रश्नसूचक नजरों से उस की तरफ देख कर पूछा.
मधु ने उस की ओर विचित्र सी निगाहों से देखा, फिर बोली, ‘‘अब क्या सारी बातें खोल कर सम?ानी पड़ेंगी? अपने दिमाग से भी तो काम लो न. कुछ पढ़ा भी है या सिर्फ सोशल मीडिया का ज्ञान बघार रही है.’’
मधु के जाने के बाद सुमन उस की बातों को सम?ाने का यत्न करने लगी. उस के मस्तिष्क में कई बातें बारबार गूंजने लगीं.
सुमन मधु की बातों पर जितना अधिक विचार करती वह उस के दिल में उतनी ही अधिकाधिक उतरती चली जातीं. धीरेधीरे उसे इस बात का एहसास होने लगा कि मधु ने जो कुछ भी कहा है वह सही है. यही एक ऐसा तरीका है जिसे अपना कर वह अपने बौयफ्रैंड को अपनी मुट्ठी में कर सकती.
1 सप्ताह इन्हीं विचारों में गुजर गया. दोनों साथ रहने का नाटक सा करते रहे. उन के बीच गरमाहट कम हो गई थी. उस के बाद वे 2 सप्ताह के लिए दोस्तों के साथ लंबे टूर पर निकले और वे दिन सुखपूर्वक गुजर गए.
एक दिन सुमन मधु का मैसेज मिला, जिस में उस ने अपनी उन्हीं बातों का जिक्र किया था. परिणामतया उस के दिमाग में मधु की वे बातें फिर घूमने लगीं और उस ने उसी दिन से मधु के बताए तरीकों पर अमल करने का निश्चय कर लिया.
शाम के 7 बज रहे थे. सुमन पहले फ्लैट
में आ चुकी थी. रवि के दफ्तर से लौटने का समय हो रहा था. वह ड्रैसिंगटेबल के सामने
खड़ी हो कर मेकअप करने लगी. सहसा रवि ने भीतर आ कर पीछे से उसे अपनी बांहों में भर लिया. वह तड़प उठी. उस ने रवि की पकड़ से निकलने का यत्न किया, मगर सफल न हो
सकी. इस पर वह तड़प कर बोलीं, ‘‘यह क्या बदतमीजी है?’’
रवि हंस कर बोला, ‘‘इसी बदतमीजी का तो दूसरा नाम प्यार है. आज तुम बीवी की तरह मेकअप क्यों कर रही हो.’’
‘‘तुम्हारी ये बातें मु?ो पसंद नहीं.’’
‘‘वाह, जवाब नहीं तुम्हारे नखरे का,’’ रवि मुसकरा कर बोला.
‘‘मु?ो तंग मत करो वरना…’’
‘‘वरना क्या? खैर, मैं बैठ कर तुम्हारी वेट करता हूं. देखूं तो सही तुम एक पत्नी की तरह कैसी लगोगी,’’ रवि ने एक गहरी सांस लेते हुए सुमन को छोड़ दिया.
रात गहराने लगी थी. रवि खिड़की के पास खड़ा न जाने क्या सोच रहा था. वह
बिस्तर पर जा कर लेट गई थीं. एकाएक रात को रवि ने उसे जगाया.
सुमन तड़प कर उठी. फिर क्रोध भरी नजरों से रवि की तरफ देख कर बोली, ‘‘कमाल के हो तुम. सोने भी नहीं देते.’’
‘‘सुमन,’’ रवि प्यारभरे स्वर में बोला, ‘‘आज मेरा मन बहुत बेताब हुआ जा रहा है.’’
‘‘लेकिन आज मेरा मन नहीं है. कल कर…’’
‘‘लेकिन मेरा मन तो है तुम भी तो तैयार
हो रही थीं… किस के लिए?’’ कहते हुए उस
ने उस का हाथ थाम लिया और फिर उसे चूम
भी लिया.
सुमन ने एक ?ाटके से हाथ छुड़ा लिया और तमतमाए स्वर में बोली, ‘‘अगर ज्यादा तंग करोगे तो मैं बालकनी में जा कर सो जाऊंगी. आज तुम ने मेरा मूड औफ कर दिया है.’’
‘‘सुमन,’’ रवि एकाएक गंभीर हो गया.
‘‘हर रोज वही काम करना अब मु?ो अच्छा नहीं लगता. 1 साल हो गया उसी रूटीन को दोहराते हुए.’’
‘‘आखिर क्यों?’’ रवि ने तड़प कर पूछा.
‘‘हर बात की कोई हद होती है. तुम्हारी रोजरोज की इन हरकतों से मु?ो बोरियत महसूस होने लगी है,’’ सुमन ने प्रत्युत्तर में कहा.
‘‘लेकिन मु?ो तो बोरियत महसूस नहीं होती, उलटे अच्छा लगता है,’’ रवि ने बनावटी गंभीरता से कहा, ‘‘प्लीज, सुमन, मान जाओ.’’
‘‘तुम्हें तो बस अपनी चिंता है मेरी कोई परवाह नहीं,’’ वह कठोर स्वर में बोल गई.
अब रवि ने अधिक बोलना उचित नहीं सम?ा. वह केवल हौले से इतना ही बोल पाया, ‘‘ठीक है, सो जाओ,’’ कह कर उस ने करवट बदली और आंखें बंद किए निढाल सा पड़ा रहा.
उस दिन के बाद से सुमन ने रवि को तरसाना, तड़पाना शुरू कर दिया. ऐसा तो पहले
कभी नहीं हुआ था. रवि अविवाहित युवक की तरह मन मसोस कर रहने लगा. हां, कभीकभार वह रवि को आत्मसमर्पण कर देती परंतु रवि की व्यग्रता और बेसब्री बढ़ती रहे, इस विचार से वह अब ज्यादा नखरे दिखाने लगी थी. लिव इन में एकदूसरे का कौऔपरेशन जरूरी था पर सुमन के दिमाग में न जाने कौन सा कीड़ा घुस गया था.
एक रात रवि ने सुमन को मनाने का खूब यत्न किया, मगर उस ने तो मानो न मानने का प्रण कद रखा था. जब वह बिलकुल नहीं मानी तो रवि क्रोधित हो उठा और तनिक कठोर स्वर में बोला, ‘‘ज्यादा नखरे करना अच्छी बात नहीं है सुमन. मैं नखरे ढीले करना भी जानता हूं.’’
‘‘अच्छा,’’ सुमन व्यंग्य भरी हंसी होंठों पर ला कर बोली, ‘‘अब तक कितनी लड़कियों
के नखरे ढीले करने का खिताब हासिल किया है?’’
‘‘इस मामले में तुम पहली लड़की साबित होगी.’’
‘‘अच्छा,’’ कहते हुए उस ने कंबल और तकिया बगल में दबाया और बालकनी में जा कर दरवाजा बंद कर लिया. रवि बुत बना दरवाजे को कुछ पल तक घूरता रहा.
उन को साथ रहते हुए 6 महीने ही हुए, किंतु इस दरमियान सुमन ने रवि को कई बार तरसाया. एक दिन तो सुमन ने उस के दिल पर गहरा आघात पहुंचाया. लिव इन में रहना एक आपसी सम?ौता है पर इसे भी तोड़ना आसान नहीं है. रवि को अब एक घर, एक छत, एक बिस्तर की आदत हो चुकी थी. वह इस सम?ौते को बेवकूफी में तोड़ना नहीं चाहता था.
इस घटना को हुए 1 माह बीत गया मगर इस दौरान रवि में जो परिवर्तन आया उसे देख
कर सुमन के दिल में अब घबराहट सी होने लगी कि माधुरी गलत तो नहीं कह रही. वह खुद से पूछने लगी. वह उखड़ीउखड़ी सी रहने लगी थी. रवि की लापरवाही देख कर उस का दिल डूबने लगा था.
अब रवि का व्यवहार बदल गया था. उस का उत्साह न जाने कहां खो गया था. सुमन के प्रति उस की आंखों में चाहत का जो अथाह सागर रहता था, वह सूखने लगा था. अब वह कभी उस से प्यार जताने का प्रयत्न न करता. सदैव खामोश और गंभीर रहने लगा था. उस के होंठों की हंसी को जैसे किसी ने सदा के लिए नोच कर फेंक दिया था. ऐसे पतिपत्नी की तरह रह रहे थे जिन्हें जबरन गले बांध दिया हो.
सुमन अब बारबार यही सोचती कि अगर रवि एक बार भी उसे कहेगा तो वह आत्मसमर्पण कर देगी लेकिन रवि ने तो अब उस की उपेक्षा करनी आरंभ कर दी थी. जो कभी उस की हर इच्छा को मानने को तैयार रहता था, अब वह उस की बातों को अनसुना कर जाता था. घर के सारे काम वह मशीन की तरह करता. खर्च का अपना हिस्सा टेबल पर रख जाता. अब तो हिसाब भी मांगना बंद कर दिया था. बौक्स में कम पैसे से रहते तो वह बैंक से निकाल कर दे देता था. दोनों के पास शेयरिंग क्रैडिट कार्ड था और वह आधे शेयर से ज्यादा पैसे ट्रांसफर कर रहा था.
सुमन अब अपनी उपेक्षा सहन नहीं कर पा रही थी. वह रवि की नजरों में फिर पहले जैसा महत्त्व प्राप्त करना चाहती थी. पर कभी उसे स्वयं अपने व्यवहार पर खेद होता और कभी रवि के व्यवहार से मन कचोटने लगता. पिछले कुछ दिनों से वह रवि के कपड़ों पर विशेष ध्यान देने लगी थी. कभी उसे रवि के सूट पर लंबे रेशमी बाल मिलते, कभी लिपस्टिक का कोई हलका सा दाग और कभी ऐसे सैंट की खुशबू जिसे रवि इस्तेमाल नहीं करता था.
यह सब देखते हुए भी सुमन रवि से कुछ पूछने का साहस नहीं जुटा सकी. वह
जानती थी कि उस का रवि पर पत्नी सा हक तो है नहीं और गर्लफ्रैंड का रोल वह अदा नहीं कर रही तो पूछे क्या? जब भी कुछ बात करना चाहती रवि का गंभीर एवं कठोर चेहरा देख कर उस का कंठ शुष्क पड़ जाता. वह केवल कुछ क्षण प्रश्नसूचक दृष्टि से उसे निहारती रहती. समय से औफिस जाती. अब देर से लौटती क्योंकि उस ने कुछ ऐक्स्ट्रा ड्यूटी ले ली थीं. उस की प्रमोशन भी हो गई थी.
रवि कभीकभार सुमन की आंखों में ?ांकता जरूर पर उस में छिपी समर्पण की भावना को ताड़ न सका वह. वस्तुत: उस ने सुमन की भावनाओं को सम?ाने का कभी प्रयास ही नहीं किया.
एक दिन सुमन जल्दी औफिस से आ गई. व्याकुल नजरों से बारबार डोरकी तरफ देखने लगी. वह लैपटौप पर काम करते हुए रवि की प्रतीक्षा कर रही थी. सहसा मोबाइल का अलार्म बजा. उस ने परेशान नजरों से घड़ी की तरफ देखा. रात के 11 बज चुके थे. उस का दिल घबराने लगा. वह पुन: उदास नजरों से खिड़की के बाहर देखने लगी. बिजली के खंभों की टिमटिमाती रोशनी को छोड़ कर सर्वत्र अंधकार छाया हुआ था. इस बिल्डिंग में 9 बजे के बाद चहलपहल वैसे ही कम हो जाती थी.
एकाएक लिफ्ट के दरवाजे की आवाज हुई तो वह दौड़ती हुई आगे बढ़ी और दरवाजा खोल कर उस का इंतजार करने लगी. कुछ क्षण बाद जैसे ही रवि ने घर में प्रवेश किया, वह अपनी नशीली आंखों से रवि की आंखों में ?ांकते हुए खास अंदाज में बोली, ‘‘ रवि, आज बहुत देर लगा दी तुम ने?’’
रवि ने उस के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया और कोट उतार कर सोफे पर बैठ गया.
सुमन अपनी उपेक्षा देख कर तिलमिला उठी. फिर भी उस ने संयम से काम लिया. दरवाजा बंद कर के वह रवि के पास आई और उस के जूतों के फीते खोलते हुए बोली, ‘‘आप के लिए खाना गरम कर दूं? आज मैक्सिक्न मंगाया था. बेक्ड पोटैटो खुद भी बनाए हैं.’’
‘‘मु?ो भूख नहीं है,’’ रवि शुष्क स्वर में बोला.
रवि के निकट आने पर सुमन को लगा रवि शराब पी कर आया है. मगर वह कुछ कहने की हिम्मत न कर सकी. रवि ने जूते उतार कर रैक में रखे ही थे कि सुमन बोली, ‘‘तुम्हारा कोट अलमारी में टांग दूं?’’
‘‘तुम्हारे लिए इतना ही काफी है,’’ रवि ने उपेक्षा से कहा और फिर स्वयं दूसरे कमरे में जा कर उस ने कपड़े उतारे और नाइट सूट पहन कर बिस्तर पर लेट गया.
सुमन रवि के समीप पहुंच कर बोली, ‘‘पिछले दिनों से तुम कुछ खिंचेखिंचे से नजर आ रहे हो?’’
‘‘मु?ो नींद आ रही है. प्लीज, मु?ो सोने दो,’’ कह कर रवि ने दूसरी तरफ करवट बदल ली.
‘‘लगता है, तुम मु?ा से अभी तक नाराज हो शायद इसीलिए मु?ा से दूरदूर रहने लगे हो?’’
‘‘दूरी बनी रहे तो ही अच्छा है.’’
‘‘लेकिन क्यों?’’ सुमन ने तड़प कर पूछा.
‘‘क्योंकि रोजरोज की उन्हीं बातों से बोरियत महसूस होने लगती है,’’ रवि ने जवाब दिया.
‘‘ऐसी भी क्या नाराजगी?’’ सुमन ने कहा, फिर रविका हाथ पकड़ कर अपने दिल पर रखते हुए बोली, ‘‘देखो तो यह दिल कितना तड़प रहा है.’’
रवि ने एक ?ाटके के साथ अपना हाथ खींच लिया और बोला, ‘‘कमाल की लड़की हो गई तम, मु?ो सोने भी नहीं देती.’’
सुमन के दिल को एक धक्का सा लगा. उस का दिल भर आया. आंखों में आंसू
छलक आए. वह अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करती हुई कुछ पल तक रवि की तरफ देखती रही, फिर अपना चेहरा हथेलियां में छिपा कर फफक कर रो पड़ी. लेकिन रवि पर इस का कोई असर नहीं हुआ. वह कंबल और तकिया उठा कर बैठक में चला गया.
अगले दिन सुमन ने रवि से कहा, ‘‘मैं मां के पास जाना चाहती हूं.’’
‘‘ठीक है. मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूगा,’’ रवि ने इतनी सहजता से कहा जैसे उसे जुदाई का तनिक भी दुख न हो.
सुमन गुस्से में आ कर पिता के घर चली आई, वह वहां रोज रवि के फोन का इंतजार करती. उसे विश्वास था कि एक न एक दिन
रवि उसे लेने जरूर आएगा परंतु 2 माह बीत
जाने पर भी रवि लेने नहीं आया. दोनों में
छिटपुट काम की बात होती थी. सुमन लगातार औफिस जा रही थी. उस के दोस्तों को यही लगा था कि सुमन कुछ दिन मां के पास गुजारना चाहती है.
मांबाप को जब पता चला कि सुमन रवि
के साथ रह रही है तो उन्होंने बहुत सम?ाया
पर ये दोनों अपनी जिद पर अड़े थे कि वे अभी शादी के बंधन में बंधना नहीं चाहते. सुमन
अपने मांबाप की इकलौती संतान थी और पढ़ीलिखी थी इसलिए मांबाप को उस के भविष्य की चिंता नहीं थी. मातापिता दोनों के अपने कैरियर थे इसलिए उन्होंने यंग एडल्ट्स को अपने फैसले करते देखा था और चाहेअनचाहे उसे इजाजत दे दी थी. वह इस बार से पहले भी
कई 8-8, 10-10 दिनों के लिए पेरैंट्स के पास रहने आती थी और रवि भी पेरैंट्स से हिलमिल गया था.
उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि उन की बेटी ने किस बहकावे में आ कर रवि को टैस्ट करना शुरू कर दिया है. वह आई तो उन्होंने उसे सामान्य सम?ा क्योंकि वह रोज पहले की तरह औफिस चली जाती थी और शाम को आ कर मां के साथ गप्पें लगाती थी.
एक दिन सुमन को ही ?ाकना पड़ा, अपनी हार माननी पड़ी. वह स्वयं रवि के घर चली गई.
इतने दिनों की जुदाई के बावजूद रवि ने उस में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. उसे रवि के पास लौटे 2 दिन बीत चुके थे लेकिन रवि में
कोई अंतर नजर नहीं आ रहा था. वह बेहद परेशान हो उठी. उसे अब इस बात का एहसास होने लगा था कि उन की बसीबसाई जोड़ी किसी भी समय उजड़ सकती है. लिव इन में यह सुविधा तो है कि जब चाहो अपना सामान ले
कर चलते बनो पर जब एक साथी के साथ रहने की आदत पड़ जाए तो बात ब्रेकअप की कठिन होती है.
तीसरे दिन अपने दफ्तर में सुमन विचार में डूबी थी. आखिर उस ने फैसला किया कि वह रवि से क्लीयर बात करेगी, उस से अपने बिहेवियर के लिए सौरी बोलेगी. उस रात वह
8 बजे घर आ गई. रात 10 बजे कार की
आवाज के कुछ क्षण बाद ही दरवाजे की घंटी बजी. उस ने जैसे ही डोर खोला तो देखा रवि के साथ 24-25 वर्ष की छरहरे बदन की एक युवती थी. वह निर्लज्जता से मुसकराती हुई उस की ओर देख रही थी. अपने हावभाव से वह कोई कौलगर्ल लगी.
सुमन की आंखों में खून उतर आया. उस का चेहरा क्रोधावेश में लाल पड़ गया. वह
क्रोधित स्वर में बोली, ‘‘तुम्हें शर्म नहीं आती? गर्लफ्रैंड के घर में रहते किसी वेश्या को घर में लाते हुए…’’
‘‘चुप रहो, तुम्हें मेरे निजी मामले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं,’’ रवि गुस्से से बोला, ‘‘यह घर मेरा भी है. मैं यहां कुछ भी कर सकता हूं. शुक्र करो कि मैं ने घर छोड़ा नहीं है, अगर तुम अपना भला चाहती हो तो खामोश रहो.’’
रवि के ये शब्द कानों में उतर कर उस के दिल को घायल कर गए. आंखें आंसुओं से डबडबा गईं. उस ने थरथराती, रोंआसी आवाज में कहा, ‘‘छोटी सी गलती की इतनी बड़ी सजा मत दो. मु?ो माफ कर दो.’’
‘‘माफ और तुम जैसी लड़की को, जिस
ने अपने बौयफ्रैंड को सिवा तड़प के कुछ न दिया हो?’’ वह दांत किटकिटा कर बोला, ‘‘मैं तुम्हें क्षमा नहीं कर सकता,’’ कह कर उस ने आगे बढ़ने की कोशिश की परंतु वह उस के पैरों को पकड़ती हुई बोली, ‘‘आप जो कहेंगे, मैं वही करूंगी, लेकिन मु?ो…’’
सुमन अपनी बात पूरी तरह कह भी नहीं पाई थी कि रवि की आंखों में घृणा के गहरे बादल सिमट आए. वह चिल्ला उठा, ‘‘तुम नफरत के काबिल हो, माफी के नहीं. जाने दो मु?ो.’’
‘‘नहीं, मैं मर जाऊंगी, पर इस घर में कौलगर्ल को अपने बैड पर सजने नहीं दूंगी.’’
‘‘हट जाओ वरना…’’ रवि गरज उठा और अपने हाथों से उसे दूर धकेल कर
तेज कदमों से उस युवती को ले कर बैडरूम में चला गया.
2 घंटे बाद जब वह लड़की कमरे से निकली तो साफ लग रहा था कि उस ने न तो कपड़े उतारे, न ही दोबारा मेकअप किया. ऐसा साफ था कि वह बस बैठी रही.
सुमन का मन भर आया कि वे लिव इन में रह रहे पर न जाने क्यों वह रवि पर अधिकार जमाने लगी. उसे सबक सिखाने के लिए ही रवि ने यह सब किया.
वह लड़की जातेजाते बोल गई कि हर अपने इंपोटैंट बौयफ्रैंड को छोड़ दे. मेरे साथ चल, रोज मजा कराऊंगी. कमाई भी होगी.
सुमन ने बैडरूम का दरवाजा खोला और रवि को बांहों में भर कर उस पर चुंबनों की बौछार कर दी.
कुछ देर तो रवि अकड़ा खड़ा रहा पर फिर पिघल गया. अगली सुबह जब वे उठे तो 10 बजे चुके थे. उन्हें औफिस के लिए देर हो गई थी पर किसे परवाह थी.