Monsoon Special: कैरी से डालें ये साल भर चलने वाले स्पेशल अचार

इन दिनों बाजार में आमों की भरमार है एक तरफ जहां पके आमों की विविध वेरायटी उपलब्ध है तो इन्हीं दिनों देशी कच्चे आम जिन्हें कैरी भी कहा जाता है भी खूब मिल रहे हैं. इन दिनों जो कैरी आती है वह अचार के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है. आम का अचार एकमात्र ऐसा अचार है जो प्रत्येक घर में रुचिपूर्वक खाया जाता है. प्रस्तुत हैं आम के अचार की कुछ विधियां और कुछ टिप्स जिन्हें ध्यान रखने से वर्ष भर तक आपका अचार खराब नहीं होगा-

अचार रखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

-अचार के लिए आम सदैव ताजे, बिना दाग धब्बे वाले और कच्चे ही लें, पिलपिले और दगीले आम का अचार अधिक दिनों तक नहीं चलता.

-यदि आप मीठा अचार बना रहीं हैं तो कलमी आम का प्रयोग करें क्योंकि इनका स्वाद मिठास वाला होता है जिससे शकर की मात्रा कम लगती है.

-अचार रखने के लिए एकदम सूखे कांच के जार का प्रयोग करें.

-1 किलो आम के अचार में 2 टेबलस्पून वेनेगर या सिरका अवश्य मिलाएं इससे आपका अचार खराब नहीं होगा.

-आम के अचार में यदि मैथीदाना, मूंगफली दाना और चने का प्रयोग कर रहीं हैं तो इन्हें पहले पानी में भिगोकर फुला लें फिर साफ सूती कपड़े पर रातभर सुखाकर अचार में मिलाएं.

-जारी सहित अचार डालने की अपेक्षा आप जारी के ऊपरी हिस्से को छिल्के सहित छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें फिर अचार डालें इससे अचार का मसाला और तेल कम लगेगा साथ ही अचार की वेस्टेज भी नहीं होगी.

-यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आम को किसकर चटनी अचार डालें ताकि आप जरूरत के अनुसार ही बच्चों को अचार दे सकें.

-अचार में तेल इतना डालें कि अचार पूरी तरह तेल में डूबा रहे अन्यथा अचार के खराब होने की सम्भावना रहती है.

-अचार बनाने के लिए सदैव सरसों के तेल का ही प्रयोग करें.

1.सलोनी अचार

सामग्री

बिना जारी की छोटी कैरी     500 ग्राम,

नमक                                1 टी स्पून,

हल्दी                                 1/4 टी स्पून,

लाल मिर्च पाउडर                1 टी स्पून,

दरदरी सौंफ                         1 टी स्पून,

राई की दाल                         1 टी स्पून,

सरसों की दाल                      1 टी स्पून,

सरसों का तेल                       1/2 लीटर,

हींग                                     चुटकी भर,

कश्मीरी लाल मिर्च                1 टी स्पून,

मैथी दाना                           1/4 टी स्पून

विधि-

कैरी को छीलकर हल्दी नमक लगाकर कांच के जार में भरकर जार के मुंह को कपड़े से बांध दें और इसे दो दिन तक धूप में रखें. सरसों के तेल को अच्छी तरह गर्म कर लें. जब तेल गुनगुना सा रहे तो उसमें मैंथी दाना और हींग डालकर भूनें और गैस बंद कर दें फिर एक एक करके सभी मसाले डाल दें. अच्छी तरह चलाकर ठंडा होने दें. अब कैरी में तैयार मसाले को मिलाकर पुनः कांच के जार में भरकर धूप में रखें. एक सप्ताह बाद प्रयोग करें.

2.हींगला

सामग्री

कच्ची कैरी                      500 ग्राम

काला नमक                    1 टी स्पून

हींग                               1/ टी स्पून

लाल मिर्च पाउडर             1 टी स्पून

विधि-कैरी को धो छीलकर छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें. कटी कैरी में नमक, हींग और लाल मिर्च मिलाएं. कांच के जार में भरकर दो तीन दिन धूप में रखकर प्रयोग करें. यह अचार हाजमे के लिए बहुत लाभकारी होता है.

3.आम का नवरत्न अचार

सामग्री

कलमी कच्चे आम           1 किलो

शकर                              1 किलो

गुड़                                  500 ग्राम

दरदरी काली मिर्च                  10

लौंग                                      6

बड़ी इलायची                          4

दालचीनी                              1 इंच

बारीक कटी मेवा                   1 कटोरी

मगज के बीज                      1 टेबल स्पून

कटा खोपरा                         1 टेबल स्पून

घी                                      1 टी स्पून

विधि-

आम को छीलकर मोटी किसनी से किस लें. गर्म घी में काली मिर्च, बड़ी इलायची, दालचीनी, लौंग, डालकर भून लें और किसे आम डालकर ढक दें धीमी आंच पर 2-3 मिनट तक पकाएं. अब शकर और गुड़ डालकर पुनः धीमी आंच पर ही शकर के पूरी तरह घुलने तक पकाएं. मेवा, मगज और कटा नारियल डालकर गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर जार में भरकर प्रयोग करें.

4.आम का छुंदा

सामग्री

कच्चे आम                    1 किलो ग्राम

काला नमक                   1 टी स्पून

गुड़                                50 ग्राम

लाल मिर्च पाउडर            1 टी स्पून

कलौंजी                          1/4 टी स्पून

विधि-

आम को धोकर छील लें. सूती कपड़े से पोंछकर किस लें. गर्म कड़ाही में डालकर नमक डाल दें. 5 मिनट तक धीमी आंच पर हल्का सा गलने तक पकाएं. अब किसा गुड़, लाल मिर्च पाउडर मिलाकर कांच के जार में भरें. एक सप्ताह तक धूप में रखकर प्रयोग करें.

5.आम और मैथीदाना का अचार

सामग्री

कच्चे आम                       500 ग्राम

मैथी दाना                        100 ग्राम

हल्दी पाउडर                     1 टी स्पून

लाल मिर्च पाउडर              1 टी स्पून दरदरी

सोैंफ                              1 टी स्पून

राई और सरसों की दाल       1 टेबल स्पून

नमक                                  1 टेबल स्पून,

सरसों का तेल                       1/2 लीटर

विधि-

आम को धोकर छील लें और लंबे टुकड़ों में काट लें. नमक और हल्दी लगाकर 12 घंटे रखा रहने दें. मैथी को भी 1 कप पानी में भिगो दें. दूसरे दिन मैथी दाना को छानकर नमक हल्दी वाले आम में मिलाकर पुनः 12 घंटे के लिए रख दें. अगले दिन तेल को गर्म करें जब धुआं निकलने लगे तो गैस बंद कर दें. गुनगुने तेल में समस्त मसाले डालकर चलाएं जब मसाला ठंडा हो जाए तो कच्चे आम और मैथी दाना मिलाएं. कांच के जार में भरकर एक सप्ताह तक धूप में रखकर प्रयोग करें.

हेल्दी प्रैग्नेंसी के लिए ओरल हाइजीन क्यों है जरूरी

गर्भावस्था के कारण महिलाओं के शरीर में हारमोन से जुड़े कई बदलाव आते हैं. इन में से कुछ बदलाव के कारण उन्हें मसूड़ों की बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरौन का स्तर बढ़ जाता है, जिस से प्लाक में मौजूद बैक्टीरिया के प्रति गतिविधि तेज हो जाती है और इस से मसूड़ों की बीमारी यानी सूजन (जिंजिवाइटिस) की समस्या हो सकती है. प्लाक वह परत होती है, जो दांतों पर जम जाती है. आमतौर पर अच्छी ओरल केयर वाली गर्भवती महिलाओं में भी प्रोजेस्टेरौन का स्तर बढ़ने के कारण यह समस्या हो सकती है, इसलिए अगर कोई महिला गर्भधारण करने की योजना बना रही है, तो बेहतर होगा कि वह डैंटल चैकअप करा ले और अगर जरूरत हो तो दांतों की समस्या का इलाज भी करा ले. यह गर्भधारण से पूर्व होने वाले चैकअप में शामिल होना चाहिए.

 

मसूड़ों की बीमारी जिंजिवाइटिस दांतों के आसपास मौजूद कोमल कोशिकाओं का एक संक्रमण होता है. इस में दर्द नहीं होता और यही वजह है कि इस पर ध्यान नहीं जाता और इसलिए इस का इलाज भी नहीं हो पाता है. इस के चेतावनी संकेतों में मसूड़ों का लाल या उन से खून निकलना, सूजन आना या कमजोर होना आदि शामिल है. ऐसे मसूड़े जिन की दांतों पर पकड़ ढीली हो गई हो या फिर वे दांतों से अलग हो रहे हों, इस बीमारी के संभावित संकेत हैं. मुंह में खराब स्वाद का रहना, सांस की बदबू या फिर स्थाई दांतों की पकड़ में बदलाव आना भी मसूड़ों में बीमारी होने का संकेत है.

अगर गर्भवती महिला के दांतों की बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो इस से काफी गंभीर नतीजे निकल सकते हैं. कभीकभी मसूड़ों के किनारों और दांतों के बीच सूजन भी दिखाई देती है. यह सूजन नुकसानरहित होती है. लेकिन इस से भी खून निकलने लगता है. यह अकसर लाल शहतूत के आकार की होती है, जिसे गम ऐप्युलिस कहते हैं. इस सूजन को प्रैगनैंसी ट्यूमर भी कहते हैं, लेकिन इस की प्रवृत्ति कैंसर की नहीं होती है. यह गम ऐप्युलिस डिलिवरी के बाद अपनेआप गायब हो जाते हैं. लेकिन उस के बाद भी दिखाई दे, तो उसे डैंटल सर्जन लोकल ऐनेस्थीसिया दे कर निकाल सकता है.

अगर गर्भवती महिलाएं इन समस्याओं का उपचार न कराएं तो ये बहुत गंभीर रूप भी ले सकती हैं. मसूड़ों की समस्या और अचानक गर्भपात, समयपूर्व प्रसव, प्रीऐक्लंप्सिया और गैस्टेशनल डायबिटीज के बीच कुछ संबंध हो सकता है. कई शोधकर्ता इन विषयों पर काफी समय से शोध कर रहे हैं. इन शोधों के नतीजे कुछ भी हों, लेकिन इन से एक बात तो यह साफ है कि गर्भधारण की योजना बनाने से पहले यह तय करना बेहतर है कि आप के मुंह में किसी भी प्रकार का संक्रमण न रहे. अगर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया तो प्रैगनैंसी जिंवाइटिस होने के कारण दांत को सपोर्ट करने वाली हड्डी को नुकसान भी पहुंच सकता है.

मसूड़ों की बीमारी बढ़ कर दांतों से सटी हड्डियों और दांतों को कसने वाली सस्पैंसरी ऐपेरेटस में भी पहुंच कर पेरियोडोंटल बीमारी की वजह बन सकती है. पेरियोडोंटल बीमारी से ऐसी गंभीर बीमारी हो सकती है, जिस में वांछित नतीजे हासिल करने के लिए डैंटल सर्जन की जरूरत होती है. पेरियोडोंटल बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन यह लंबे समय में होने वाली बीमारी है और इस की वजह से दांत पसीजने लगते हैं और मसूड़ों पर जोर पड़ता है. दिन में मसूड़ों में लगा सफेद या पीला डिस्चार्ज दिखाई देता है, जिस से मुंह से बदबू आती है और स्वाद खराब रहता है. पेरियोडोंटल बीमारी से पीडि़त जच्चा शिशु के मुंह का चुंबन लेते समय ये कीटाणु उस के मुंह तक पहुंचा सकती है, जो उस के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

जर्नल औफ नैचुरल साइंस, बायोलौजी ऐंड मैडिसिन के अनुसार, मसूड़ों में जलन पैदा करने वाले बैक्टीरिया रक्तप्रवाह के साथ गर्भ में पल रहे भू्रण तक पहुंच सकते हैं. मसूड़ों की बीमारी से ऐसे ऐंडोटौक्सिंस उत्पन्न हो सकते हैं, जो साइटोकाइंस और प्रोस्टाग्लैंडिंस का उत्पादन बढ़ा देते हैं. पेरियोडोंटाइटिस (लंबे समय तक रहने वाली मसूड़ों की बीमारी) से पीडि़त गर्भवती महिला में समयपूर्व प्रसव होने की आशंका 4 से 7 गुना अधिक रहती है. मसूड़ों से जुड़ी समस्या को अकसर महिलाएं गंभीरता से नहीं लेती हैं, विशेषतौर पर तब जब उस में दर्द न हो रहा हो. लेकिन जब मसूड़ों की समस्या के कारण समयपूर्व प्रसव होता है या सामान्य से कम वजन के शिशु का जन्म होता है, तब इस के नतीजे भी गंभीर होते हैं.

बैक्टीरिया संक्रमण से निकले इस जानलेवा हानिकारक तत्त्व या जहर के कारण नवजात शिशु का वजन सामान्य से कम रह सकता है.

यूएस नैशनल लाइबे्ररी औफ मैडिसिन, नैशनल इंस्टिट्यूट्स औफ हैल्थ जैसे विश्वसनीय सैंटरों द्वारा प्रकाशित किए गए शोध में सामने आया है कि समयपूर्व प्रसव और कम वजन वाले बच्चों के 1 महीना भी जीवित न रहने की आशंका 40 गुना अधिक होती है. 1 महीने तक जीवित रहने वाले ऐसे बच्चों में न्यूरोडैवलपमैंटल गड़बड़ी, स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं और जन्मजात विकार का जोखिम काफी ज्यादा होता है, बल्कि समयपूर्व प्रसव होना ही लंबी अवधि की सभी न्यूरोलौजिकल परिस्थितियों में से करीब आधे से ज्यादा मामलों की वजह है. समयपूर्व प्रसव के बाद जन्मे शिशुओं में फेफड़ों की जन्मजात बीमारी, आंतडि़यों में जख्म, कार्डियोवैस्क्युलर विकार, कमजोर शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता और श्रव्य व दृश्य समस्याएं होती हैं. व्यावहारिकता के लिहाज से कम संभावनाओं के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है. उन में जटिलताओं की दर भी काफी ज्यादा होती है.

मसूड़ों की बीमारी से ऐसे ऐंडोटौक्सिंस उत्पन्न हो सकते हैं, जो साइटोकाइंस और प्रोस्टाग्लैंडिंस का उत्पादन बढ़ा देते हैं. गर्भवती महिलाओं में साइटोकाइंस के उच्च स्तर से गर्भाशय की झिल्ली फट सकती है और इस तरह समयपूर्व प्रसव हो सकता है. (साइटोकाइंस ऐसे नियामकीय प्रोटीन होते हैं, जो कोशिकाओं के बीच संदेशवाहक के तौर पर काम करते हैं) बैक्टीरिया संक्रमण से निकले इस जानलेवा तत्त्व या जहर के कारण नवजात का वजन सामान्य से कम रह सकता है. बैक्टिरियल संक्रमण से निकलने वाले इस जानलेवा जहर के कारण सामान्य से कम वजन वाले शिशु जन्म ले सकते हैं. समयपूर्व प्रसव और नवजात शिशु का वजन सामान्य से कम रहने के करीब 30 से 50 फीसदी मामलों की वजह ऐसे संक्रमण होते हैं. मसूड़ों की समस्या भी उन संक्रमणों में से एक है, जिन के कारण ऐसे नतीजे आते हैं.

फिर भी अच्छी खबर यह है कि मसूड़ों की बीमारियों का आसानी से इलाज संभव है और इन की रोकथाम भी आसानी से की जा सकती है. इन का इलाज कराना बहुत आसान है. अत: अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो सब से पहले अपने डैंटिस्ट के पास जाएं और जांच कराएं कि आप को दांतों से संबंधित कोई समस्या तो नहीं है. अगर है तो उस का तुरंत इलाज करवाएं.

गर्भावस्था के दौरान क्या करें

जैसे ही आप गर्भधारण करें, तुरंत डैंटिस्ट से मसूड़ों का चैकअप कराएं.

कम से कम दिन में 2 बार ब्रश करें. 1 बार फ्लास करें और गर्भावस्था में जिंजिवाइटिस से बचने के लिए ऐंटीमाइक्रोबियल सौल्यूशन से कुल्ला करें.

ज्यादा मीठे खाद्य या पेयपदार्थों से परहेज करें. ऐसे खाद्यपदार्थों को तरजीह दें, जो प्रोटीन, कैल्सियम, फासफोरस और विटामिन ए, सी, डी के साथसाथ फौलिक ऐसिड के भी अच्छे स्रोत हों.

गर्भावस्था के दौरान नियमित चैकअप और स्केलिंग व क्लीनिंग से डैंटिस्ट को आप के मसूड़ों के स्वास्थ्य पर नजर रखने में मदद मिलेगी और किसी भी आने वाली समस्या का इलाज समय पर हो सकेगा.

गर्भावस्था के दौरान अगर मसूड़ों में किसी भी समस्या का संकेत मिलता है, तो तुरंत डैंटिस्ट से मिलें.

शिशु को जन्म देने के बाद भी डैंटिस्ट से जरूर मिलें विशेषतौर पर पहले तीन महीनों तक. शिशु के 12 महीने के होते ही उसे डैंटिस्ट के पास जरूर ले कर जाएं.

बारबार उबकाई और उलटी आने की समस्या से जूझ रही गर्भवती महिलाओं को दांतों की सतह को नुकसान से बचाने के लिए सलाह :

कमकम मात्रा में संपूर्ण आहार लें. दिन भर के दौरान कम मात्रा में ऐसा भोजन खाएं, जो प्रोटीन से भरपूर हो जैसे पनीर.

उलटी करने के बाद अच्छे टूथपेस्ट या 1 चम्मच बेकिंग सोडा (सोडियम बाईकार्बोनेट) को 1 कप पानी में मिलाएं या फिर फ्लोराइड युक्त कोई भी माउथवाश से कुल्ला करें. इस से दांतों की सतह पर मिनरल लौटाने में मदद मिलती है.

उलटी करने के तुरंत बाद ब्रश न करें, क्योंकि मुंह के ऐसिड से दांतों की सतह काफी कमजोर हो जाती है और तुरंत ब्रश करने से इन्हें और नुकसान पहुंच सकता है.

एक कोमल टूथब्रश और फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से दिन में 2 बार ब्रश करें, इस से दांत मजबूत होंगे.

जिंजिवाइटिस मसूड़ों की बीमारी का शुरुआती चरण होता है और इसे पेशेवर स्कैलिंग व क्यूरेटेज से हटाया जा सकता है. डीप स्कैलिंग और क्यूरेटेज में प्लाक और टार्टर को मसूड़ों की ऊपरी और निचली सतह से हटा कर दांतों की पौलिशिंग की जाती है. मसूड़ों की समस्या का इलाज करने के लिए रूट प्लानिंग भी की जा सकती है, जिस के बाद दांतों की पौलिशिंग होती है. रूट प्लानिंग के दौरान दांतों की सतह पर मौजूद खुरदरे धब्बों को समान किया जाता है, जिस से मसूड़ों को चिपकने के लिए साफ सतह मिलती है. फ्लैप सर्जरी और म्यूको जिंजिवल सर्जरी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर मसूड़ों की ज्यादा गंभीर बीमारियों को दूर किया जा सकता है. हड्डियों को और नुकसान से बचाने के लिए बोन ग्राफ्टिंग भी की जा सकती है, जिस से दांत को टूटने और ऐक्सफौलिएशन से बचाया जा सकता है.

-लैफ्टिनैंट जनरल डा. विमल अरोड़ा चीफ क्लीनिकल औफिसर, क्लोव ड

जा रही हैं बुटीक बिजनैस करने, तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान

क्याआप मात्र 5 हजार में बड़ी पार्टी के लिए स्वयं को तैयार कर सकती हैं? यदि आप का जवाब हां है तो मतलब आप क्रिएटिव हैं ध्यान रहे, फैशन का मतलब यह नहीं होता कि आप ने अपनी ड्रैस कितनी महंगी तैयार की है. सही माने में डिजाइनिंग का मतलब यही होता है कि अपनी क्रिएटिविटी से आप ने कम लागत में कितनी आकर्षक ड्रैस तैयार की है.

इसलिए बुटीक बिजनैस में आने से पहले स्वयं पर यह टैस्ट कर के देखें. जैसे अपनी पुरानी साड़ी का डिजाइनर सूट बनाएं. अकसर महिलाएं अपनी महंगी ब्राइडल ड्रैस को सारी जिंदगी ऐसे ही पड़े रहने देती हैं, जबकि अपनी क्रिएटिविटी से उस की आकर्षक ड्रैस बनाई जा सकती है. इस के साथसाथ बिजनैस शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातें भी जान लें:

1. मूलभूत जरूरतें:

बुटीक की शुरुआत करने से पहले कुछ महत्त्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करना आवश्यक होता है. इन में से एक है बुटीक खोलने की जगह. शुरुआत में यह छोटी सी जगह से भी शुरू किया जा सकता है. पार्लर के साथ, घर के कमरे या गैरेज में. छोटी दुकान किराए पर ले कर भी शुरू किया जा सकता है.

बुटीक में टेलर मास्टर का चुनाव सोचसमझ कर करना चाहिए. उस से सिलाई मास्टर हो या फिर कढ़ाई वाला सुनिश्चित कर लें कि उसे खाके बनाने आने चाहिए यदि वे खाके बनाने नहीं जानते होंगे तो आप को इस के लिए अलग से कोई मास्टर रखना पड़ेगा और आप की लागत बढ़ जाएगी.

बुटीक में अच्छी कंपनी की सिलाई व ओवरलौक मशीनें रखें. अगर टेलर मास्टर के पास सही सिलाई मशीन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो खुद खरीद कर दें. इसी तरह बढि़या टेप, सीजर्स, ट्रेसिंग व्हील, नीडल्स, पैटर्न मेकिंग टूल्स, कटिंग पैड, कटिंग टेबल, प्रौपर लाइटिंग का इंतजाम रखें ताकि टेलर मास्टर टिक कर काम करे.

2. शुरुआती दौर:

बिजनैस की शुरुआत में कम लागत वाले कपड़े बाजार से लाएं. इस के अलावा अपने बुटीक को लोकप्रिय बनाने के लिए सस्ते व उपयोगी उपायों का प्रयोग करें जैसे अपने बैग्स पर नाम छपाएं, अपने बुटीक का लोगो बनाएं पर इसे स्वयं डिजाइन करें. विजिटिंग कार्ड छपाएं, लोकल अखबार में विज्ञापन दें. बुटीक के नाम के पैंफलेट्स व बैनर बनाएं. ग्राहकों व जगह के अनुसार ही सिलाई निर्धारित करें. फेसबुक, व्हाट्सऐप्स पर अपने कपड़ों की डिजाइनों के फोटो पोस्ट करें.

3. क्षेत्र की जानकारी:

बुटीक की शुरुआत करने से पहले बेसिक कोर्स करना अच्छा रहता है. बाकी सारी जानकारी अनुभव से प्राप्त हो जाती है. जैसेजैसे काम करती जाएंगी आप अपने क्षेत्र में निपुण होती जाएंगी. नईनई जगहों की वेशभूषा की जानकारी लें और स्वयं कागज पर ड्रैस डिजाइन करें. इंटरनैट से सिर्फ डिजाइन का अंदाजा लिया जा सकता है परंतु अपनी प्रतिभा को मौलिक रूप में कागज पर उतारें और उसे बनाएं तभी आप अच्छी डिजाइनर बन सकेंगी.

4. गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं:

बुटीक चाहे नया हो या फिर पुराना गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए. अच्छी क्वालिटी का फैब्रिक इस्तेमाल करें, पक्की तरह सिलाई करें. कार्य के प्रति ईमानदार रहेंगी तो आप की साख मजबूत बनेगी. मार्केट में अपने बुटीक का एक स्टैंडर्ड मैंटेन करें ताकि मोलभाव की सिरदर्दी न रहे.

5. आप का व्यवहार:

ग्राहकों के प्रति आप का व्यवहार कैसा है इस पर बुटीक का लाभ बहुत निर्भर करता है. उन पर अपनी पसंद को थोपें नहीं व अपने गाहकों की शारीरिक कमजोरियों को छिपाने वाले डिजाइन व उन के बजट के अनुसार उन्हें सलाह दें.

6. आप का काम:

आप के कार्य में विश्वास झलकना आवश्यक है. जल्दबाजी में ग्राहक से कुछ भी सिलने का वादा न करें और वही तारीख दें जिस पर आप कार्य कर सकती हों. अगर किसी को समय दिया है तो चाहे देर रात तक काम क्यों न करना पड़ें, काम पूरा कर के ही हटें.

7. कैसे कमाएं अधिकतम लाभ:

अपने बुटीक में स्कूल यूनिफौर्म भी सिल सकती हैं. इस से अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है, इस के साथसाथ दुकानदारों को अपने कपड़े सप्लाई कर के और किसी ब्रैंड से जुड़ कर उस के लिए कपड़े बना कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है.

8. ग्राहक से खुलें:

आप को किसी की भी पूरी बौडी का पूरा अंदाजा होना चाहिए और इस तरह का कौन्फिडैंस पैदा करें कि ग्राहक महिला अपने कपड़े बिना हैजिटेशन के आप के सामने उतार दे और आप उस के शरीर का पूरा अंदाजा हो जाए. अपनी ड्रैसों को धार्मिक रूप न दें क्योंकि वे आप के ग्राहक काट सकती हैं. ऐसी ड्रैसेज तैयार करें कि हर वर्ग की महिलाएं आप के पास खुल कर आएं.

9. पढ़ें:

इस बिजनैस में सफल होने के लिए घर में फैशन व दूसरी पत्रिकाएं रखें ताकि जो भी आप के पास आए वह अगर बैठा हो तो कुछ बिजी रह सके.

दागधब्बों ने छीन लिया है आपकी खूबसूरती, तो लगाएं ये नेचुरल मास्क

यहां दाग धब्बों को कम करने के लिए जिन प्राकृतिक मास्क की सूची दी गयी है वो कनेक्टिव टिशु देकर स्वयं को सुधारने के लिए ताकत प्रदान करती है. घाव, काटना, जलना आदि से लेकर मुंहासों तक की त्वचा की सारी समस्याओं के उपचार में ये होम मेड मास्क उपयोगी हैं.

यदि आपका घाव ताज़ा है तो इन उपचारों को अपनाने से पहले अपने घाव को अच्छी तरह धो डालें. यहां शरीर के दाग धब्बों को हटाने के लिए 10 प्राकृतिक मास्क बताए गए हैं.

1. नीम

यह दाग धब्बों को हल्का करने के लिए एक विश्वसनीय तरीका है. नीम में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो किसी भी प्रकार की जलन को कम करते हैं और दाग धब्बों को हल्का बनाते हैं. क्या करें नीम की कुछ पत्तियों को पीसकर पानी की सहायता से पेस्ट बनायें. इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर लगायें. इसे 30 मिनिट तक लगा रहने दें. इसके बाद इसे धो दें तथा थपथपा कर सुखा दें. ऐसा प्रतिदिन करें.

2. टमाटर

टमाटर में लाइकोपिन और एंटीऑक्सीडेंटस होते हैं जो त्वचा को चिकना बनांते हैं, मृत कोशिकाओं को निकालते हैं तथा स्वच्छ त्वचा को बाहर लाते हैं.

 क्या करें

पके हुए टमाटर का एक पतला टुकड़ा काटें. इसे प्रभावित जगह पर लगायें. इसे ऐसे ही सूखने दें. जब आपकी त्वचा में खिंचाव महसूस होने लगे तब इसे पानी से धो डालें. इसे प्रतिदिन सुबह के समय करें.

3. रोजमेरी ऑइल

रोजमेरी ऑइल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो गहरे दाग धब्बों को भी हल्का कर देते हैं.

क्या करें

प्रतिदिन सुबह 15 मिनिट तक ऑर्गेनिक रोज़मेरी ऑइल से त्वचा की मालिश करें. इसे धोएं नहीं. रोजमेरी हल्का तेल होता है जो आसानी से त्वचा में सोख लिया जाता है तथा यह अपने पीछे गुलाब की खुशबू छोड़ जाता है.

4. हल्दी

हल्दी में एंटीऑक्सीडेंटस होते हैं जो त्वचा की परतों में अंदर तक जाते हैं, कनेक्टिव टिशूज को सुधारते हैं तथा दाग धब्बों को कम करते हैं.

क्या करें

एक चम्मच हल्दी में समान मात्रा में कच्चा दूध मिलाएं. इस पेस्ट को धब्बों पर लगायें. इसे 20 मिनिट तक लगा रहने दें तथा बाद में धो डालें. दाग धब्बों को दूर करने के लिए इसे दिन में दो बार दोहरायें.

5. दही

दही में उपस्थित लेक्टिक एसिड त्वचा को मुलायम बनाता है, जलन को कम करता है तथा दाग धब्बों को हल्का करता है.

क्या करें

एक चम्मच दही में एक चुटकी हल्दी मिलाएं. इसे प्रभावित जगह पर लगायें. इसे 20 मिनिट तक लगा रहने दें तथा उसके बाद धो डालें. इसके बाद त्वचा पर थोड़ा नारियल का तेल लगायें.

6. एलो वीरा

एलोवीरा एक प्राकृतिक शीतक है जो क्षतिग्रस्त त्वचा को सुधारते हैं तथा त्वचा के नए ऊतकों के निर्माण में सहायक होते हैं.

क्या करें

एक कटोरे में एलोवीरा जैल लें. इसे दाग पर लगायें तथा 5 मिनिट तक मालिश करें. इसे तब तक लगा रहने दें जब तक यह सूख न जाए. इसे ठंडे पानी से धो डालें. दाग धब्बों में परिणाम दिखाई देने के लिए इसे दिन में दो बार लगायें.

7. जैतून का तेल 

जैतून के तेल में विटामिन ई और एंटी ऑक्सीडेंटस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ऑलिव ऑइल त्वचा को हाईड्रेट रखता है जो त्वचा में सुधार की प्रक्रिया को तीव्र करता है.

क्या करें

प्रभावित जगह पर ऑलिव ऑइल से मसाज करें. त्वचा को इस पोषक तत्व को अवशोषित करने दें.

8. फिश ऑइल

फिश ऑइल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं जो त्वचा के पुन:निर्माण और घाव भरने में सहायक होते हैं. चाहे आप इसे त्वचा पर लगायें या आवश्यकतानुसार इसका उपयोग करें दोनों ही स्थितियों में इसका प्रभावी असर दिखता है.

9. अंडे की सफेदी

अंडे प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है तथा इसमें त्वचा के लिए उपयोगी एलबुमिन पाया जाता है जो दाग धब्बों में बहुत प्रभावकारी है.

क्या करें

रुई के फाहे को अंडे की सफेदी में डुबायें तथा इसे धीरे धीरे दाग पर लगायें. इसे टब तक लगा रहने दें जब तक त्वचा खिंचने न लगे. उसके बाद धोकर साफ कर लें. प्रभावी प्रभाव देखने के लिए इसे सप्ताह में तीन बार अपनाएं.

जब वाइफ की इनकम हसबैंड से हो ज्यादा

पायल और कार्तिक वर्किंग कपल हैं, लेकिन पायल अपने पति से ज्यादा पैसे कमाती है. आए दिन उनके बीच झगड़े होते हैं. पायल अक्सर चिल्लाती है, मेरी सैलरी तुमसे ज्यादा है फिर भी घर का काम मुझे करना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि कार्तिक उसका मदद नहीं करता बल्कि पायल चाहती है कि वो अपने पति से ज्यादा पैसे कमा रही है, तो उसे घर का एक भी काम न करना पड़े.

 

आपको अक्सर ऐसे किस्से सुनन को मिलते होंगे, फलां की बीवी ज्यादा पैसे कमाती है, तो हर वक्त अपने पति को ताने सुनाती रहती है, लेकिन क्या यह जायज है कि अगर आप वर्किंग वाइफ हैं और आपका इनकम ज्यादा है, तो आप अपने हसबैंड को नीचा दिखाने के लिए बारबार पैसों को लेकर ताने देते रहें?

Young couple in love given key from new apartment

बिलकुल नहीं, इस तरह की बातों से पतिपत्नी का रिश्ता प्रभावित होगा. कई बार ये झगड़ा अलगाव की वजह भी बनता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी मैरिड लाइफ में इनकम को लेकर झगड़ा न करें. आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि अगर वाइफ की इनकम पति से ज्यादा है, तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

 

पति पर अकड़ न दिखाएं

अगर आप अपने पति से बहस करती हैं, तो पैसों को लेकर अकड़ न दिखाएं. ऐसा कुछ न कहें, जिससे बाद में आपको पछतावा हो. बहसबाजी के दौरान ये न कहे कि “मैं तुमसे ज्यादा पैसे कमाती हूं” ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें. ये आपके हसबैंड के जहन में शर्म की भावना पैदा कर सकता है.

खुद के पैसों की बचत करें

अगर आपका पार्टनर आपसे कम अर्निंग करता है, तो आप अपने पैसों की सेविंग करें. भविष्य में आपदोनों के लिए ये सेविंग काम आ सकता है. कई बार ज्यादा इनकम होने के कारण बेफिजूल के खर्चे होते हैं, इस तरह के खर्चे पर रोक लगाएं.

खुद फैसला न लें

गाड़ी खरीदना हो, घर या गहने या फिर कोई और चीज, तो अकेले फैसला न लें. आप अपने पार्टनर से सलाह लेकर ही कोई महंगी चीज खरीदें. अकेले कोई भी डिसिजन लेकर पैसे का घमंड न दिखाएं.

बोलते समय भाषा का रखें ध्यान

कई बार गुस्सा में कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं, जिससे सामने वाले को काफी तकलीफ होती है. आप अपने पार्टनर से पैसे को लेकर बहसबाजी के दौरान भाषा का ख्याल रखें.

शरवरी वाघ का लेटैस्ट ग्लैमरस अंदाज, देखें Photos

हौरर कौमेडी फिल्म ‘मुंज्या’ से खास पहचान बनाने वाली बौलीवुड स्टार शरवरी वाघ अपने स्टाइल सैंस के चलते खूब चर्चा में रहती हैं. वे एक प्रोफैशनल स्टाइल आइकौन की तरह फैशन गोल सैट करती रहती हैं. चाहे इंडियन ड्रैस हो या वैस्टर्न ड्रैस, वे किसी भी लुक को परफैक्शन के साथ कैरी करती हैं. इसलिए उन के स्टाइल सैंस के दीवाने कई हैं.

उन के लुक्स और खूबसूरती को ले कर अब उन्हें नई नैशनल क्रश भी करार दिया जा रहा है.

ग्लैमरस स्टाइल

हाल ही में ऐक्ट्रैस शरवरी वाघ एक फैशन स्टोर लौंच के मौके पर बेहद स्टाइलिश और ग्लैमरस अंदाज में दिखीं. शरवरी ने साटन फैब्रिक ड्रेप्ड स्कर्ट सैट विद 3डी सीक्विन पर्ल्स वाली ड्रैस पहन रखी थी.

मस्टर्ड गोल्डन फ्लौट साटन फैब्रिक, आरी ड्रेप्ड स्कर्ट के साथ उन्होंने पतली स्ट्रैप का फ्लौवर वाला टौप पहना था.

लाइट मेकअप के साथ हेयर को ओपन कर रखा था. शरवरी का यह अंदाज उन के लुक में चार चांद लगा रहा था.

फिल्मी कैरियर की शुरुआत

शरवरी ने फिल्म इंडस्ट्री में एक असिस्टैंट डाइरैक्टर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. 2020 में अमेजान प्राइम वीडियो की एक वेब सीरीज ‘द फौरगौटन आर्मी : आजादी’ के लिए से शरवरी वाघ ने ऐक्टिंग की शुरुआत की. फिर 2021 से यश राज फिल्म्स की फिल्म ‘बंटी और बबली-2’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की.

इस फिल्म में वे ऐक्ट्रैस रानी मुखर्जी और ऐक्टर सैफ अली खान के साथ असिस्टैंट के रोल में थीं. शरवरी ने फिल्म ‘प्यार का पंचनामा 2’, ‘बाजीराव मस्तानी’और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ में असिस्टेंट डाइरैक्टर के रूप में काम किया.

शरवरी के प्रोजेक्ट

यश राज फिल्म्स वाइआरएफ स्पाई यूनिवर्स की पहली फीमेल लीड स्पाई फिल्म बनने जा रही है, जिस में आलिया भट्ट के साथ शरवरी मेन रोल में नजर आएंगी. सूत्रों के अनुसार शाहरुख खान, सलमान खान और ऋतिक रोशन जैसे स्टार्स भी इस फिल्म का हिस्सा होंगे. यह फिल्म ऐक्शन से भरपूर फिल्म होगी.

सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाली शरवरी वाघ अपने फैंस के लिए लेटैस्ट फोटोज शेयर करती हैं.
फैंस भी उन के लुक्स को खूब कौपी करते दिखते हैं.

आइस फेशियल कहीं चुरा न ले आपके चेहरे का नूर

चेहरे की खूबसूरती के लिए लड़कियां क्या कुछ नहीं करतीं। वे न सिर्फ कई तरह के महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं, त्वचा की चमक बरकरार रहे इस के लिए घरेलू नुसखा भी अपनाती हैं.

इन दिनों गर्ल्स के बीच आइस फेशियल का ट्रैंड काफी फेमस हो रहा है. सोशल मीडिया पर भी आइस फेशियल के वीडियोज आ रहे हैं.

 

इस की मदद से त्वचा में कसाव और चमक आता है. मेकअप करने से पहले चेहरे पर आइस लगाया जाता है, जिस से मेकअप अधिक समय तक रहे. लेकिन कई बार आइस फेशियल के इस्तेमाल से त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं.

तो आइए, जानते हैं इस के कुछ नुकसान :

सैंसिटिव स्किन

जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है, उन के लिए आइस फेशियल नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में अगर आप चेहरे पर आइस लगाते हैं, तो इस से आपकी त्वचा ड्राई हो सकती है या अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

बैक्टीरियल इंफैक्शन

कुछ लोग बिना चेहरा साफ किए ही आइस फेशियल शुरू कर देते हैं। ऐसे में बैक्टीरियल इंफैक्शन का खतरा बढ़ सकता है.

फफोले

अगर आप रोजाना बहुत देर तक स्किन पर बर्फ रगड़ते हैं, तो इस से त्वचा की कोशिकाएं डैड हो सकती हैं, जिस से फफोले भी हो सकते हैं. आइस फेशियल करते समय तौलिए या कोल्ड कंप्रेस का जरूर इस्तेमाल करें.

माइग्रेन

जिन्हें साइनेस या माइग्रेन की समस्या है, वे चेहरे पर आइस न लगाएं. इस से परेशानी बढ़ सकती है.

झुर्रियां

स्किन पर रोजाना बर्फ रगड़ने से झुर्रियां और ऐक्ने की समस्या होती है। आइस फेशियल लगातार करने से डार्क सर्कल की समस्या भी बढ़ सकती है.

ये 5 तरह की साड़ियां पहन पार्टी में छा जाएंगी आप

साड़ी एक ऐसा पहनवा है जिसे महिलाएं खास मौके पर पहनना बेहद पसंद करती हैं वैसे आजकल तो लड़कियां भी किसी फंक्शन पर साड़ी को पहनने से नहीं चुकती क्योंकि यह एक ऐसा पहनवा है जिसमे कई वैरायटी तो हैं ही साथ में पहनने का तरीका भी दिल को छू जाता है.

साड़ी कई अलगअलग फैब्रिक्स में आसानी से मार्केट में मिल जाती हैं भारत में कई राज्यों की साड़ी तो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं साड़ी ना एक आरामदायक परिधान है बल्कि यह आपको स्टाइलिश व खूबसूरत भी दिखाती है लाइटवेट साड़ी महिलाओं की पहली पसंद होती हैं फिर चाहे डेली वियर में पहनना हो या फंक्शन में क्योंकि ये पहनने में भी आसानी से आ जाती है और स्लिम भी दिखाती है तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसी साड़ियों के बारे में जो महिलाओ के साथसाथ लड़कियां भी पहन सकती हैं.

चंदेरी सिल्क साड़ी

चंदेरी साड़ी मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध साड़ी है इसे साडियों की रानी भी कहा जाता है वजन में यह बेहद हल्की व पारदर्शिता के लिए जानी जाती है ये साड़ी कॉटन व रेशमी कपड़े के साथ हाथ से तैयार की जाती हैं जरी का काम इन साडियों में बहुत ही लुभावना लगता है इनकी कीमत 1000रू से लेकर 5000 रु तक में आसानी से आ जाती है.वजन में बेशक हल्की लेकिन हैवी लुक देने में सहायक ये साड़ी गर्मियों के लिए बेस्ट व सदाबहार भी है.

टसर सिल्क

झारखण्ड के रांची में टसर की खेती होती है इन साड़ी के धागे बहुत ही मजबूत होते हैं जिससे सही रखरखाव के साथ यह 40 साल तक आराम से चलने वाली साड़ी है यह यह वजन में बहुत हल्की व चमक में शानदार होती है इस साड़ी की कीमत 8000 रु से लेकर लाख तक की होती है.

आर्गेजा साड़ी

आर्गेनाज़ा सिल्क को कोरा सिल्क भी बोला जाता है यह वाराणसी सिल्क है जो वजन में बिलकुल हल्की और पहनने में बहुत आसान होती है यह आपको एक रॉयल लुक देती है.यह सिल्क आजकल बहुत चलन में है यह 1000 रु से 5000रु तक में अच्छी साड़ी आ जाती है.

जामदानी साड़ी

यह पश्चिम बंगाल की पारम्परिक साड़ी है.जामदानी साड़ियां बहुत ही कोमल,महीन, मलमल बनावट और अलंकृत कारीगरी के लिए प्रसिद्ध हैं.इस सारी की खास विशेषता है कि इन्हें अभी भी हथकरघा द्वारा बनाया जाता है.इसपर पारम्परिक सजावटी डिज़ाइन बहुत ही मनभावन होते हैं इसकी शुरुवाती कीमत 2500 रु है.

जैसे को तैसा

भारतीय जनता पार्टी की घोर अंधसमर्थक ऐक्ट्रैस कंगना रनौत को 48 घंटे भी जीते हुए नहीं हुए थे कि उस की कट्टरता की छवि पर एक बड़ा सा निशान लग गया. जो हुआ वह एकदम गलत ही नहीं थोड़ा डराने वाला भी था. कंगना रनौत चंडीगढ़ से दिल्ली आने के लिए एअरपोर्ट पर सिक्युरिटी से गुजर रही थी कि तभी एक महिला कौंस्टेबल ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया, बिना किसी वजह से.

कुछ ही मिनटों में पता चला कि थप्पड़ मारने वाली सैंट्रल सिक्युरिटी फोर्स की एक कौंस्टेबल कुलविंदर कौर है जिसे कंगना रनौत से एक पुराना पौलिसी मतभेद था. मतभेद यह था कि कंगना ने अपने अंधभक्ति के दिनों में कमैंट किया था कि मोदी सरकार द्वारा थोपे गए 3 फार्म कानूनों के विरोध में बैठे किसान तो भाड़े के हैं. कंगना ने लिखा था कि क्व100-100 दे कर औरतों को लाया गया है धरने पर. एक तरह से कंगना का कमैंट उन कानूनों का कानूनी ढंग से प्रोटैस्ट करने वालियों को पेशेवर औरतें मानता था. कुलविंदर कौर का मानना था कि उन में उस की मां भी थी. कुलविंदर ने अपने उस गुस्से को भीड़भाड़ में उस नई सांसद पर न केवल उतारा बल्कि उस ने खुलेआम ऐलान भी कर दिया कि थप्पड़ मारने का उसे कोई गिला नहीं है.

कंगना रनौत अनापशनाप बोलने में माहिर थी और कई बार बिना सोचेसमझे कुछ भी इंटरनैट पर लिखने से बुरी तरह ट्रोल भी हुई पर अंधभक्तों की एक बड़ी फौज उस के साथ रही. उस क्वीन को इसीलिए टिकट भी दिया गया होगा और वह जीत गई. यह भक्तों का करिश्मा है.

इस मामले में खतरनाक बात यह है कि जो आग भक्तों ने पिछले 20 सालों में हिंदूमुसलमानों को ले कर सारे देश में जगहजगह लगाई थी, वह उसी तरह बैक फायर कर सकती हैं जैसी इंदिरा गांधी के जमाने में हुई थी. कंगना जैसे मामले कहीं भी हो सकते हैं और छोटे खतरों में न आने वाले होने लगे हों तो कोई बड़ी बात नहीं.

नरेंद्र मोदी की हार से बौखलाए भक्तों ने हिंदुओं को कायर, खुदगर्ज, लुटेरे (क्योंकि 85 करोड़ को खाना मिलता है), निकम्मे, निठल्ले, द्रोही और न जाने क्याक्या कहा जाने लगा है. जिन औरतों ने अयोध्या में राम मंदिर में जाने के लिए चौड़ी की जा रही सड़क के लिए अपने मकानों को तोड़ने पर शिकायतें टीवी इंटरव्यूज में दर्ज की हैं, उन्हें बड़ा ट्रोल किया जा रहा है क्योंकि इस अयोध्या की सीट से भाजपा का कैंडीडेट ही हार गया है.

कंगना रनौत जैसी बकवास बहुत से भक्तों ने की थी. आज भी टीवी ऐंकरों में अंजना ओम कश्यप, रुबिया लियाकत, चित्रा त्रिपाठी की खिंचाई होते दिखने लगी है. जो औरतें औरत विरोधी एजेंडे को सपोर्ट करती रहीं, उन्हें कुछ तो सहना पड़ सकता है.

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स्टफ्ड भिंडी

सामग्री

250 ग्राम ताजी मुलायम भिंडी द्य 2 बड़े चम्मच प्याज का पेस्ट द्य 1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट द्य 2 बड़े चम्मच भुने चने का आटा, लालमिर्च पाउडर  2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर,  1/2 छोटा चम्मच सुमन हल्दी पाउडर,  1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर, 2 बड़े चम्मच सुमन कच्चीघानी मस्टर्ड औयल, नमक स्वादानुसार.

विधि

भिंडी को धो व पोंछ कर ऊपर व नीचे का हिस्सा थोड़ा सा काट दें. प्रत्येक भिंडी में लंबाई में चीरा लगाएं व हलके हाथों से अंदर के सारे बीज निकाल दें. 1 चम्मच तेल गरम कर के प्याज, लहसुन व अदरक भूनें और फिर सभी सूखे मसाले मिला कर 1 मिनट और भूनें. भुने चने का आटा मिलाएं व नमक डालें. मसाले को ठंडा कर के प्रत्येक भिंडी में भर दें. नौनस्टिक तवे पर बचा तेल गरम कर के भिंडियों को गलने और लाल होने तक पकाएं.

फ्रैंचबींस विद मूंग दाल

सामग्री

150 ग्राम फ्रैंचबींस,  1 गाजर,  1/4 कप धुली मूंग दाल, 2 छोटे चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी द्य 1 छोटा चम्मच राई द्य 1 छोटा चम्मच जीरा, 1 छोटा चम्मच लहसुन बारीक कटा, 1 साबूत लालमिर्च, 1 बड़ा चम्मच नारियल कद्दूकस किया, 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल, नमक स्वादानुसार.

विधि

दाल को 1/2 घंटा पानी में भिगो दें. फ्रैंचबींस को धो कर छोटाछोटा काट लें. गाजर को भी छोटे क्यूब्स में काटें. एक कड़ाही में तेल गरम कर के राई, जीरा व लहसुन का तड़का लगाएं. फिर हलदी पाउडर व कटी सब्जियां और दाल को पानी से निथार कर छौंक दें. अदरक हरीमिर्च, नमक भी डालें. 1 बड़ा चम्मच पानी डालें और सब्जी को ढक दें. दाल, फ्रैंचबींस व गाजर के गलने व पानी के सूखने तक पकाएं. ऊपर से नारियल बुरक कर सर्व करें.

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