जानिए आपकी हंसी से शरीर को क्या होते हैं फायदे

किसी ने सही कहा है, हंसने से हस्ती बनती है. हंसने से हैल्दी बनते हैं. हंसने से बीमारियां दूर भागती हैं.शोध बताते हैं कि हंसने से हैप्पी हारमोंस रिलीज होते हैं, जिस से दिल की बीमारियां दूर होती हैं, अच्छी सोच बनती है और चेहरे पर ग्लो आता है. कहा भी गया है कि लाफ्टर इज ए बैस्ट मैडिसिन हंसी एक बेहतर दवा का काम करती है. मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि हंसने से न सिर्फ फेफड़ों की ऐक्सरसाइज होती है बल्कि फेशियल मसल्स भी मजबूत होती हैं.

सुबह की कुछ मिनटों की हंसी आप का पूरा दिन बना देती है. लाफ्टर डे इसीलिए मनाया जाता है ताकि बढ़ रहे स्ट्रैस और डिप्रैशन जैसी दिक्कतों से हंसना भूल चुके लोगों को इस के फायदों के बारे में बताया जा सके.

लाफ्टर क्लब के एक मैंबर कर्नल हरमिंदर सिंह कहते हैं कि उन के जीवन में हंसी बहुत महत्त्व रखती है. हंसने और खुश रहने के चलते ही उन की सेहत सुधरी है. हंसी से सिर्फ सेहत ही नहीं सुधरती बल्कि इस का असर पेड़पौधों पर भी होता है.

हसीं बरकरार रखें

इंडियन नेवी से रिटायर्ड, अशोक साहनी कहते हैं कि हमारे जीवन में हंसना उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना. अगर अपने जीवन में हंसी बरकरार रखें तो शरीर हैल्दी बना रहता है.

‘हंसतेहंसते कट जाएं रस्ते, जिंदगी यों ही चलती रहे…’ यह गाना हमें यही सीख देती है कि जिंदगी में दुख हो या खुशी, हमें हंसतेमुसकराते रहना चाहिए. वर्र्ल्ड लाफ्टर रिपोर्ट की माने तो 146 देशों की सूची में भारत का स्थान 136वां है. इसलिए हमें ज्यादा हंसने की जरूरत है.

एक हिंदी फिल्म का यह संवाद, ‘मैं तो कहता हूं, कभी क्यों, दिनभर में इतनी बार हंसो कि हाफ सैंचुरी लग जाए’ इसलिए हंसने के बहाने ढूंढ़ें. जितनी दफा मन करे हंस दें क्योंकि हंसने से सिर्फ माहौल ही अच्छा नहीं बनता बल्कि आप की मानसिक और शारीरिक सेहत भी दुरुस्त बनती है.

लाजवाब फायदे

हर किसी की जिंदगी में छोटीमोटी परेशानियां तो लगी ही रहती हैं. उन्हें ज्यादा सीरियसली न लें. स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए हंसना जरूरी है. हंसना जिंदगी के लिए टौनिक है. इस के बिना जिंदगी बेकार, बेजान है. इसलिए बेजान जिंदगी को बेजोड़ बनाने के लिए हंसी बहुत जरूरी है.

हंसताखिलखिलाता चेहरा हर किसी को पसंद आता है. इंसान को हंसता देख कर सामने वाला भी हंस पड़ता है. अंग्रेजी में कहा भी गया है कि लांग फेस्ट मैन इज सो बोरिंग यानि कि हमेशा उदास रहने वाले लोग काफी बोरिंग होते हैं.

हंसना क्यों है जरूरी और क्या हैं इस के फायदे, आइए जानते हैं:

द्य जरा सी हंसी, जरा सी खुशी आप को कई बीमारियों से दूर रखती है. हंसने से दिल और दिमाग खुश हो जाता है. आप की लाइफ में हैप्पीनैस आने लगती है. हंसने से तनमन में उत्साह का संचार होता है. हंसना एक उत्तम टौनिक का काम करता है. नैचुरोपैथी ऐक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि हंसना शरीर के लिए किसी दवा से कम नहीं है. इसीलिए तो आज जगहजगह हास्य क्लब बनाए गए हैं ताकि भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी से मुक्ति मिल सके.

द्य बातचीत करते समय हम जितनी औक्सीजन लेते हैं उस से 6 गुना अधिक औक्सीजन हंसते समय मिलती है. मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को हंसने और खुश रहने की सलाह देते हैं. उन का कहना है कि जब आप मुसकराते हैं तो आप का मस्तिष्क अपनेआप सोचने लगता है कि आप खुश हैं.

द्य खुल कर हंसने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही बना रहता है. जब आप हंसते हैं तब आप के शरीर में ज्यादा मात्र में औक्सीजन पहुंचती है, जो हार्ट पंपिंग रेट को ठीक रखने में मदद करती है.

द्य हंसने से आप का इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है, जो आप को कई तरह की बीमारियों से बचाता है. इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि आप हंसते, मुसकराते और खिलखिलाते रहें.

द्य हंसने से शरीर में मैलाटोनिन नाम का हारमोन ज्यादा बनता है जो आप को रात में सुकून की नींद दिलाने में मदद करता है. जिन लोगों को नींद की समस्या हो उन्हें हंसने की आदत डाल लेनी चाहिए.

हंसने से हमारी कैलोरी बर्न होती है. इस से मोटापे की समस्या से छुटकारा मिलता है. कई फिजियोथेरैपिस्ट भी मानते हैं कि हंसना बहुत बड़ी ऐक्सरसाइज है, जो किसी भी समय की जा सकती है.

हंसने से आप लंबे समय तक जवां और खूबसूरत बने रह सकते हैं. जब आप खुल कर हंसते हैं तो चेहरे की मांसपेशियां अच्छी तरह से काम करती हैं जिस से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है. इस से आप यंग और खूबसूरत दिखते हैं. इसलिए हंसने में कंजूसी बिलकुल न करें.

द्य हंसने से शरीर में कई हारमोंस ऐक्टिव होते हैं. उन में एक सैक्स हारमोन भी है. हंसने से आप सैक्स के दौरान बेहतर परफौर्मैंस दे सकते हैं. नियमित रूप से हंसने से हार्टअटैक और अन्य दिल से जुड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है. दरअसल, हंसने से आप लोगों से सोशली एक्टिव हो जाते हैं, जिससे तनाव खुद ब खुद कम हो जाता है.

कोई व्यक्ति हंसता है तो वह पौजीटिविटी की तरफ बढ़ता है. पौजीटिव होने से आप हर तरह के काम में ज्यादा लौजिकल होते हैं. चाहे वह दफ्तर का काम हो या घर का. आप हर काम को दोगुन्ने उत्साह से करते हैं. अगर आप खुश हैं तो अपने बौस से बेहतर संवाद कायम कर पाते हैं. आप चुस्त एवं फुरतीला रहते हैं. हंसने से दिमाग शांत और तनावरहित रहता है जिस से आप का खुद पर यकीन बढ़ता है.

जो बातें आप को तनाव देती हैं उन से दूर रहें. बहुत से लोग बीते और आने वाले कल की सोचसोच कर दुखी रहते हैं. इस से कोई फायदा नहीं क्योंकि जिंदगी तो आज में है. इसलिए आज में जीएं. आप को जो काम अच्छा लगता है वह करें. न सोचें कि लोग क्या सोचेंगे. काम की कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो अपने लिए थोड़ा समय जरूर निकालें. इस से आप को आंतरिक खुशी मिलेगी. जैसेकि म्यूजिक सुनें, डांस करें, अच्छीअच्छी किताबें पढ़ें, टीवी पर अपना पसंदीदा प्रोग्राम देखें, अपने पालतू के साथ समय बिताएं, प्रकृति को निहारें, शौपिंग करें. जो भी आप को अच्छा लगे वह करें पर दुखी न रहें. जिंदगी का हर पल कीमती है. बीता पल वापस कभी लौट कर नहीं आता इसलिए अपने जीवन के हर पल को खुश हो कर हंसतेमुसकराते हुए बिताएं.

बड़ी खुशियों के इंतजार में छोटीछोटी खुशियों को अनदेखा न करें. जब भी मौका मिले हंसें, खुल कर हंसें. बहुत से लोग अकेलेपन से दुखी रहते हैं. लेकिन सोचो कि अकेले हैं तो क्या गम है?

महात्मा गांधी, चर्चिल, अब्राहम लिंकन, जौर्ज बर्नार्ड शा, सुकरात आदि कुछ ऐसे नाम है जिन्होंने मुसकराहट और विनोदप्रियता को अपना कर खुद को चिंतामुक्त रखा. व्यक्तित्व निर्माण के क्षेत्र में महान हस्ती स्वेट मौडर्न ने लिखा है कि मुसकराहट पर खर्च कुछ नहीं आता है पर यह पैदा बहुत करती है. इसे पाने वाले मालामाल हो जाते हैं परंतु देने वाले दरिद्र नहीं होते हैं. एक क्षण की मुसकान कभीकभी स्मृति बन जाती है जो बहुत काम आती है. तब भी यह मोल नहीं ली जा सकती है, मांगी नहीं जा सकती है, उधार नहीं दी जा सकती है क्योंकि जब तक यह दी न जाए तब तक संसार में यह किसी के किसी काम की नहीं है.

विज्ञान भी कहता है कि हंसना सेहत के लिए बहुत जरूरी है. कुदरत ने यह उपहार हम सभी को मुफ्त में दिया है. लेकिन जापान में हंसी सीखने के लिए लोगों को ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है. इस के लिए उन्हें 4,500 येन चुकाने पड़ रहे हैं.

कोरोनाकाल में जापानियों ने मास्क पहनने का सख्ती से पालन किया. फरवरी में हुए सर्वे के मुताबिक, सरकार से छूट मिलने के बाद 8% ने ही मास्क छोड़ा. इस का साइड इफैक्ट यह हुआ कि लोग हंसनामुसकराना ही भूल गए और अब उन्हें हंसनेमुसकराने की ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है.

मेरी स्किन में बिलकुल भी चमक नहीं है, क्या करूं?

सवाल

मेरी स्किन बहुत डल होती जा रही है. इस में ग्लो बिलकुल नहीं है. प्लीज हैल्प करिए?

जवाब

आप की स्किन में ग्लो नहीं है तो पहले आप अपनी हैल्थ का ध्यान रखें जैसेकि प्रतिदिन कम से कम 8 घंटे की नींद लें. प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं. अपनी डाइट में फल और सब्जियां शामिल करें. विटामिन सी और बी युक्त आहार लें. हर दिन नियमित व्यायाम करें जैसे योगा, वाकिंग या जिम. नियमित रूप से अपने चेहरे को कुछ सैकंड्स के लिए स्क्रब करें. इस के लिए आप ओट्स को दही में भिगो दें. उस में 2 चम्मच हनी, 1 चम्मच ऐलोवेरा जैल मिला लें. चुटकीभर हलदी भी मिला सकती हैं. इस से कुछ सैकंड स्क्रब करें और 5 मिनट बाद धो दें. फिर कोई अच्छा मौइस्चराइजर या फेस पैक लगाएं. अपने स्किन केयर प्रोडक्ट्स को स्विच करें और नैचुरल या और्गेनिक प्रोडक्ट्स का उपयोग करें. प्रतिदिन सुबह और शाम में सीटीएम नैचुरल स्किन केयर रूटीन फौलो करें. समयसमय पर फैशियल या स्किन ट्रीटमैंट्स करवाएं जैसे गोल्ड फैशियल या फ्रूट फैशियल आदि.

टीचर : क्या था रवि और सीमा का नायाब तरीका?

जिससुंदर, स्मार्ट महिला को मैं रहरह कर देखे जा रहा था, वह अचानक अपनी कुरसी से उठ कर मेरी तरफ मुसकराती हुई बढ़ी तो एअरकंडीशंड बैंकेट हौल में भी मुझे गरमी लगने लगी थी.

मेरे दोस्त विवेक के छोटे भाई की शादी की रिसैप्शन पार्टी में तब तक ज्यादा लोग नहीं पहुंचे थे. उस महिला का यों अचानक उठ कर मेरे पास आना सभी की नजरों में जरूर आया होगा.

‘‘मैं सीमा हूं, मिस्टर रवि,’’ मेरे नजदीक आ कर उस ने मुसकराते हुए अपना परिचय दिया.

मैं उस के सम्मान में उठ खड़ा हुआ.

फिर कुछ हैरान होते हुए पूछा, ‘‘आप मुझे जानती हैं?’’

‘‘मेरी एक सहेली के पति आप की फैक्टरी में काम करते हैं. उन्होंने ही एक बार क्लब में आप के बारे में बताया था.’’

‘‘आप बैठिए, प्लीज.’’

‘‘आप की गरदन को अकड़ने से बचाने के लिए यह नेक काम तो मुझे करना ही पड़ेगा,’’ उस ने शिकायती नजरों से मेरी तरफ देखा पर साथ ही बड़े दिलकश अंदाज में मुसकराई भी.

‘‘आई एम सौरी, पर कोई आप को बारबार देखने से खुद को रोक भी तो नहीं सकता है, सीमाजी. मुझे नहीं लगता कि आज रात आप से ज्यादा सुंदर कोई महिला इस पार्टी में आएगी,’’ उस की मुसकराने की अदा ही कुछ ऐसी थी कि उस ने मुझे उस की तारीफ करने का हौसला दे दिया.

‘‘कुछ सैकंड की मुलाकात के बाद ही ऐसी झूठी तारीफ… बहुत कुशल शिकारी जान पड़ते हो, रवि साहब,’’ उस का तिरछी नजर से देखना मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा गया.

‘‘नहीं, मैं ने तो आज तक किसी चिडि़या का भी शिकार नहीं किया है.’’

वह हंसते हुए बोली, ‘‘इतने भोले लगते तो नहीं हो. क्या आप की शादी हो गई है?’’

‘‘हां, कुछ महीने पहले ही हुई है और तुम्हारे पूछने से पहले ही बता देता हूं कि मैं अपनी शादी से पूरी तरह संतुष्ट व खुश हूं.’’

‘‘रियली?’’

‘‘यस, रियली.’’

‘‘जिस को घर का खाना भर पेट मिलता हो, उस की आंखों में फिर भूख क्यों?’’ उस ने मेरी आंखों में गहराई से झांकते हुए पूछा.

‘‘कभीकभी दूसरे की थाली में रखा खाना ज्यादा स्वादिष्ठ प्रतीत हो तो इनसान की लार टपक सकती है,’’ मैं ने भी बिना शरमाए कहा.

‘‘इनसान को खराब आदतें नहीं डालनी चाहिए. कल को अपने घर का खाना अच्छा लगना बंद हो गया तो बहुत परेशानी में फंस जाओगे, रवि साहब.’’

‘‘बंदा संतुलन बना कर चलेगा, तुम फिक्र मत करो. बोलो, इजाजत है?’’

‘‘किस बात की?’’ उस ने माथे पर बल डाल लिए.

‘‘सामने आई थाली में सजे स्वादिष्ठ भोजन को जी भर कर देखने की? मुंह में पानी लाने वाली महक का आनंद लेने की?’’

‘‘जिस हिसाब से तुम्हारा लालच बढ़ रहा है, उस हिसाब से तो तुम जल्द ही खाना चखने की जिद जरूर करने लगोगे,’’ उस ने पहले अजीब सा मुंह बनाया और फिर खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘‘क्या तुम वैसा करने की इजाजत नहीं दोगी?’’ उस की देखादेखी मैं भी उस के साथ खुल कर फ्लर्ट करने लगा.

‘‘दे सकती हूं पर…’’ वह ठोड़ी पर उंगली रख कर सोचने का अभिनय करने लगी.

‘‘पर क्या?’’

‘‘चिडि़या को जाल में फंसाने का तुम्हारा स्टाइल मुझे जंच नहीं रहा है. मन पर भूख बहुत ज्यादा हावी हो जाए तो इनसान बढि़या भोजन का भी मजा नहीं ले पाता है.’’

‘‘तो मुझे सिखाओ न कि लजीज भोजन का आनंद कैसे लिया जाता है?’’ मैं ने अपनी आवाज को नशीला बनाने के साथसाथ अपना हाथ भी उस के हाथ पर रख दिया.

‘‘मेरे स्टूडैंट बनोगे?’’ उस की आंखों में शरारत भरी चमक उभरी.

‘‘बड़ी खुशी से, टीचर.’’

‘‘तो पहले एक छोटा सा इम्तिहान दो, जनाब. इसी वक्त कुछ ऐसा करो, जो मेरे दिल को गुदगुदा जाए.’’

‘‘आप बहुत आकर्षक और सैक्सी हैं,’’ मैं ने अपनी आवाज को रोमांटिक बना कर उस की तारीफ की.

‘‘कुछ कहना नहीं, बल्कि कुछ करना है, बुद्धू.’’

‘‘तुम्हें चूम लूं?’’ मैं ने शरारती अंदाज में पूछा.

‘‘मुझे बदनाम कराओगे? मेरा तमाशा बनाओगे?’’ वह नाराज हो उठी.

‘‘नहीं, सौरी.’’

‘‘जल्दी से कुछ सोचो, नहीं तो फेल कर दूंगी,’’ वह बड़ी अदा से बोली.

उस के दिल को गुदगुदाने के लिए मुझे एक ही काम सूझा. मैं ने अपना पैन  जेब से निकाल कर गिरा दिया और फिर उसे उठाने के बहाने झुक कर उस का हाथ चूम लिया.

‘‘मैं पास हुआ या फेल, टीचर?’’ सीधा होने के बाद जब मैं ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा तो शर्म से उस के गोरे गाल गुलाबी हो उठे.

‘‘पास, और अब बोलो क्या इनाम चाहिए?’’ उस ने शोख अदा से पूछा.

‘‘अब इसी वक्त तुम कुछ ऐसा करो जिस से मेरा दिल गुदगुदा जाए.’’

‘‘मेरे लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं है,’’ कह वह मेरा हाथ थाम डांस फ्लोर की तरफ चल पड़ी.

उस रूपसी के साथ चलते हुए मेरा मन खुश हो गया. उधर लोग हमें हैरानी भरी नजरों से देख रहे थे.

डांस फ्लोर पर कुछ युवक और बच्चे डीजे के तेज संगीत पर नाच रहे थे. सीमा ने बेहिचक डांस करना शुरू कर दिया. मेरा ध्यान नाचने में कम और उसे नाचते हुए देखने में ज्यादा था. क्या मस्त हो कर नाच रही थी. ऐसा लग रहा था मानो उस के अंगअंग में बिजली भर गई हो. आंखें यों अधखुली सी थीं मानो कोई सुंदर सपना देखते हुए किसी और दुनिया में पहुंच गई हों.

करीब आधा घंटा नाचने के बाद हम वापस अपनी जगह आ बैठे. मैं खुद जा कर 2 कोल्डड्रिंक ले आया.

‘‘थैंक यू, रवि पर मेरा दिल कुछ और पीने को कह रहा है,’’ उस ने मुसकराते हुए कोल्डड्रिंक लेने से इनकार कर दिया.

‘‘फिर क्या लोगी?’’

‘‘ताजा, ठंडी हवा की मिठास के बारे में क्या खयाल है?’’

‘‘बड़ा नेक खयाल है. मैं ने कुछ दिन पहले ही घर में नया एसी. लगवाया है. वहीं चलें?’’

‘‘बच्चे, इस टीचर की एक सीख तो इसी वक्त गांठ बांध लो. जिस का दिल जीतना चाहते हो, उस के पहले अच्छे दोस्त बनो. उस के शौक, उस की इच्छाओं व खुशियों को जानो और उन्हें पूरा कराने में दिल से दिलचस्पी लो. अपने फायदे व मन की इच्छापूर्ति के लिए किसी करीबी इनसान का वस्तु की तरह से उपयोग करना गलत भी है और मूर्खतापूर्ण भी,’’ सीमा ने सख्त लहजे में मुझे समझाया तो मैं ने अपना चेहरा लटकाने का बड़ा शानदार अभिनय किया.

‘‘अब नौटंकी मत करो,’’ वह एकदम हंस पड़ी और फिर मेरा हाथ पकड़ कर उठती हुई बोली, ‘‘तुम्हारी कार में ठंडी हवा का आनंद लेने हम कहीं घूमने चलते हैं.’’

‘‘वाह, तुम्हें कैसे पता चला कि मुझे लौंग ड्राइव पर जाना बहुत पसंद है?’’ मैं ने बहुत खुश हो कर पूछा.

‘‘अरे, मुझे तो दूल्हादुलहन को सगुन भी देना है. तुम यहीं रुको, मैं अभी आया,’’ कह कर मैं स्टेज की तरफ चलने को हुआ तो उस ने मेरा बाजू थाम कर मुझे रोक लिया. बोली, ‘‘अभी चलो, खाना खाने को तो लौटना ही है. सगुन तब दे देना,’’ और फिर मुझे खींचती सी दरवाजे की तरफ ले चली.

‘‘और अगर नहीं लौट पाए तो?’’ मैं ने उस के हाथ को अर्थपूर्ण अंदाज में कस कर दबाते हुए पूछा तो वह शरमा उठी.

 

कुछ देर बाद मेरी कार हाईवे पर दौड़ रही थी. सीमा ने मुझे एसी. नहीं चलाने

दिया. कार के शीशे नीचे उतार कर ठंडी हवा के झोंकों को अपने चेहरे व केशों से खेलने दे रही थी. वह आंखें बंद कर न जाने कौन सी आनंद की दुनिया में पहुंच गई थी.

कुछ देर बाद हलकी बूंदाबांदी शुरू हो गई पर उस ने फिर भी खिड़की का शीशा बंद नहीं किया. आंखें बंद किए अचानक गुनगुनाने लगी.

गाते वक्त उस के शांत चेहरे की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना असंभव था. उस का मूड न बदले, इसलिए मैं ने बहुत देर तक एक शब्द भी अपने मुंह से नहीं निकाला.

गाना खत्म कर के भी उस ने अपनी आंखें नहीं खोलीं. अचानक उस का हाथ मेरी तरफ बढ़ा और वह मेरा बाजू पकड़ कर मेरे नजदीक खिसक आई.

‘‘भूख लग रही हो तो लौट चलें?’’

मैं ने बहुत धीमी आवाज में उस की इच्छा जाननी चाही.

‘‘तुम्हें लग रही है भूख?’’ बिना आंखें खोले वह मुसकरा पड़ी.

‘‘अब हम जो करेंगे, वह तुम्हारी मरजी से करेंगे.’’

‘‘तुम तो बड़े काबिल शिष्य साबित हो रहे हो, रवि साहब.’’

‘‘थैंक यू, टीचर. बोलो, कहां चलें?’’

‘‘जहां तुम्हारी मरजी हो,’’ वह मेरे और करीब खिसक आई.

‘‘तब खाना खाने चलते हैं. यह चुनाव तुम करो कि शादी का खाना खाना है या हाईवे के किसी ढाबे का.’’

‘‘अब भीड़ में जाने का मन नहीं है.’’

‘‘तब किसी अच्छे से ढाबे पर रुकते…’’

‘‘बच्चे, एक नया सबक और सीखो. लोहा तेज गरम हो रहा हो, तो उस पर चोट करने का मौका चूकना मूर्खता होती है,’’ उस ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा तो मेरी रगरग में खून तेज रफ्तार से दौड़ने लगा.

‘‘बिलकुल होगी, टीचर. अरे, गोली मारो ढाबे को,’’ मैं ने मौका मिलते ही कार को वापस जाने के लिए मोड़ लिया.

अपने घर का ताला खोल कर मैं जब तक ड्राइंगरूम में नहीं पहुंच गया, तब तक सीमा ने न मेरा हाथ छोड़ा और न ही एक शब्द मुंह से निकाला. जब भी मैं ने उस की तरफ देखा, हर बार उस की नशीली आंखों व मादक मुसकान को देख कर सांस लेना भी भूल जाता था.

मैं ने ड्राइंगरूम से ले कर शयनकक्ष तक का रास्ता उसे गोद में उठा कर पूरा किया. फिर बोला, ‘‘तुम दुनिया की सब से सुंदर स्त्री हो, सीमा. तुम्हारे गुलाबी होंठ…’’

‘‘अब डायलौग बोलने का नहीं, बल्कि ऐक्शन का समय है, मेरे प्यारे शिष्य,’’ सीमा ने मेरे होंठ अपने होंठों से सील कर मुझे खामोश कर दिया.

फिर जो ऐक्शन हमारे बीच शुरू हुआ, वह घंटों बाद ही रुका होगा, क्योंकि मेरी टीचर ने स्वादिष्ठ खाने को किसी भुक्खड़ की तरह खाने की इजाजत मुझे बिलकुल नहीं दी थी.

अगले दिन रविवार की सुबह जब दूध वाले ने घंटी बजाई, तब मेरी नींद मुश्किल से टूटी.

‘‘आप लेटे रहो. मैं दूध ले लेती हूं,’’ सीमा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे पलंग से नहीं उठने दिया.

‘‘नहीं, तुम यहां से हिलना भी मत, टीचर, क्योंकि यह शिष्य कल रात के सबक को 1 बार फिर से दोहराना चाहता है,’’ मैं ने उस के होंठों पर चुंबन अंकित किया और दूध लेने को उठ खड़ा हुआ.

आजकल मैं अपनी जीवनसंगिनी सीमा की समझदारी की मन ही मन खूब दाद देता हूं. मैं फैक्टरी के कामों में बहुत व्यस्त रहता हूं और वह अपनी जौब की जिम्मेदारियां निभाने में. हमें साथसाथ बिताने को ज्यादा वक्त नहीं मिलता था और इस कारण हम दोनों बहुत टैंशन में व कुंठित हो कर जीने लगे थे.

‘‘हम साथ बिताने के वक्त को बढ़ा नहीं सकते हैं तो उस की क्वालिटी बहुत अच्छी कर लेते हैं,’’ सीमा के इस सुझाव पर खूब सोचविचार करने के बाद हम दोनों ने पिछली रात से यह ‘टीचर’ वाला खेल खेलना शुरू किया है.

कल रात हम रिसैप्शन में पहले अजनबियों की तरह से मिले और फिर फ्लर्ट करना शुरू कर दिया. कल उसे टीचर बनना था और मुझे शिष्य. कल मैं उस के हिसाब से चला और मेरे होंठों पर एकाएक उभरी मुसकराहट इस बात का सुबूत थी कि मैं ने उस शिष्य बन कर बड़ा लुत्फ उठाया, खूब मौजमस्ती की.

अगली छुट्टी वाले दिन या अन्य उचित अवसर पर मैं टीचर बनूंगा और सीमा मेरी शिष्या होगी. उस अवसर को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए मेरे मन ने अभी से योजना बनानी शुरू कर दी है. हमें विश्वास है कि साथसाथ बिताने के लिए कम वक्त मिलने के बावजूद इस खेल के कारण हमारा विवाहित जीवन कभी नीरसता व ऊब का शिकार नहीं बनेगा.

लव आजकल: विनय से शादी क्यों नहीं कर पाई वह

जिम में ट्रेडमिल पर चलतेचलते वैशाली ने सामने लगे शीशे में खुद को देखा. फिर मन ही मन अपने रूपरंग और फिगर पर इतराई कि कौन कहेगा वह इस महीने 35 साल की हो गई है. वह चलने की स्पीड बढ़ाते हुए अब लगभग दौड़ने सी लगी थी. अचानक उसे महसूस हुआ कि उसे कोई देख रहा है. उस ने सामने शीशे में फिर देखा. करीब 25 साल का नवयुवक वेट उठाते हुए उसे चोरीचोरी देख रहा था. वह थोड़ी देर टे्रडमिल पर दौड़ी, फिर साइक्लिंग करने लगी. वह लड़का अब ट्रेडमिल पर था. जिम में हर तरफ शीशे लगे थे. शीशे में ही उस की नजरें कई बार उस लड़के से मिलीं, तो वह अनायास मुसकरा दी. उस की नजरों से शह पा कर वह लड़का भी मुसकरा दिया. दोनों अपनाअपना वर्कआउट करते रहे. अपनी सोसाइटी के इस जिम में वैसे तो वैशाली शाम को आती थी पर शाम को जिस दिन किट्टी पार्टी होती थी, वह जिम सुबह आती थी. अपने पति निखिल के औफिस और 5 वर्ष के बेटे राहुल को स्कूल भेजने के बाद वह आज सुबह 9 बजे ही जिम आ गई थी.

वैशाली ने उस लड़के से आंखमिचौली करते हुए खुद को एक नवयुवती सा महसूस किया. घर आ कर जब तक वह फ्रैश हुई, उस की मेड किरण आ गई, फिर वह काम में व्यस्त हो गई. अगले दिन वैशाली निखिल और राहुल के लिए नाश्ता बना रही थी, तभी अचानक जिम वाला लड़का ध्यान आ गया कि कहीं देखा तो है उसे. कहां, याद नहीं आया. होगा इसी सोसाइटी का, कहीं आतेजाते देखा होगा, फिर सोचा वह लड़का तो सुबह ही होगा. जिम में, शाम को तो दिखेगा नहीं. उस लड़के की तरफ वह पहली नजर में ही आकर्षित हो गई थी. स्मार्ट, हैंडसम लड़का था. वह अपना मन उस से हटा नहीं पाई और निखिल और राहुल के जाने के बाद जिम के लिए तैयार हो गई.

9 बज रहे थे. जा कर देखा, वह लड़का आ चुका था. वैशाली उसे देख कर मुसकरा दी. वह भी मुसकरा दिया. रोज की तरह दोनों अपनीअपनी ऐक्सरसाइज करते रहे. एकदूसरे से जब भी नजरें मिलीं, मुसकराते रहे, कोई बात नहीं हुई. 1 हफ्ता यही रूटीन चलता रहा. दोनों ही एकदूसरे के प्रति आकर्षित थे. वैशाली बहुत खूबसूरत थी, फिगर की उचित देखरेख से बहुत यंग दिखती थी. एक दिन वह लड़का वैशाली के जिम से निकलने पर साथसाथ चलता हुआ अपना परिचय देने लगा. ‘‘मैं विनय हूं, अभीअभी एक कंपनी में जौब शुरू की है.’’

वैशाली ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मैं वैशाली.

विनय बोला, ‘‘मैं जानता हूं, आप मेरे सामने वाली बिल्डिंग में ही रहती हैं.’’

वैशाली चौंकी, ‘‘आप को कैसे पता?’’

‘‘मैं आप की सहेली रेनू का देवर हूं, आप को मैं ने 1-2 बार अपने घर पर देखा भी है, शायद आप ने ध्यान नहीं दिया होगा. आप के बेटे राहुल की मेरी भाभी कभीकभी ड्राइंग में हैल्प करती हैं.’’

वैशाली हंस दी, ‘‘हां, रेनू की ड्राइंग अच्छी है, कई बार चार्ट बनाने में रेनू ने उस की हैल्प की है.’’

दोनों बातें करतेकरते अपनी बिल्डिंग तक पहुंच गए थे. वैशाली घर आ कर भी विनय के खयालों में डूबी रही… कितनी अच्छी स्माइल है, कितना स्मार्ट है और मुझ जैसी 1 बेटे की मां को पसंद करता है, यह उस की आंखों से साफ महसूस होता है. विनय को भी वैशाली अच्छी लगी थी. कहीं से एक बच्चे की मां नहीं लगती. जिम में वर्कआउट करते हुए तो एक कालेज गोइंग गर्ल ही लगती है. दोनों ही एकदूसरे के बारे में सोचने लगे थे. अब वैशाली शाम की जगह सुबह 9 बजे ही जिम जाने लगी थी, जहां अब मुख्य आकर्षण विनय ही था और यही हाल विनय का भी था. पहले वह कभीकभार जिम से छुट्टी भी कर लेता था पर जब से वैशाली से दोस्ती हुई थी, उसे देखने के चक्कर में कतई छुट्टी नहीं करता था. और अब तो दोनों के मोबाइल फोन के नंबरों का भी आदानप्रदान हो चुका था. सोमवार को जिम बंद रहता था. उस दिन दोनों बेचैनी से एकदूसरे से फोन पर बात करते. निखिल अपनी पत्नी की हरकतों से अनजान अपने काम और परिवार की जिम्मेदारियों को हंसीखुशी निभाने वाले एक सभ्य पुरुष थे. वैशाली के जोर देने पर विनय अब वैशालीजी की जगह वैशाली पर आ गया था. 2 साल पहले ही निखिल का ट्रांसफर दिल्ली से मुंबई हुआ था पर उन्हें अकसर किसी न किसी काम से दिल्ली जाना पड़ता रहता था.

एक दिन निखिल 3-4 दिनों के लिए दिल्ली गए तो वैशाली ने राहुल के स्कूल जाने के बाद विनय को घर बुलाया. जिम से दोनों ने छुट्टी कर पहली बार अपने रिश्ते को एक कदम और आगे बढ़ा दिया. विनय पहली बार वैशाली के घर आया था. दोनों के बीच पहली बार शारीरिक संबंध भी बन गए.

विनय ने कहा, ‘‘सौरी वैशाली, शायद मुझे नहीं आना चाहिए था.’’

‘‘कोई बात नहीं विनय, बस अब मेरा साथ कभी न छोड़ना.’’

‘‘पर वैशाली, तुम्हारे पति को कभी भनक लग गई तो?’’

‘‘नहींनहीं, यह नहीं होना चाहिए, बहुत गड़बड़ हो जाएगी, बहुत संभल कर रहना होगा.’’

वैसे भी महानगरों में कौन क्या कर रहा है, इस बात से किसी को मतलब नहीं होता है और फिर किसी के पास समय ही कहां होता है. उस के बाद दोनों अकसर अकेले में मिलते रहते थे. वैशाली तनमन से विनय के प्यार में डूबी थी. विनय अकसर औफिस से हाफडे लेता था, दोनों के संबंधों के 6 महीने कब बीत गए, दोनों को ही पता न चला. वैशाली मशीनी ढंग से अपनी घर की जिम्मेदारियां पूरी करती और विनय के खयालों में डूबी रहती. एक दिन वैशाली किट्टी पार्टी में गई थी. वहां रेनू भी थी. रेनू ने उत्साहपूर्ण स्वर में सब को बताया, ‘‘बहुत जल्दी एक गुड न्यूज दूंगी तुम लोगों को.’’

सब पूछने लगीं, ‘‘जल्दी बताओ.’’

रेनू हंसी, ‘‘अभी नहीं, डेट तो पक्की होने दो.’’

अनीता ने पूछा, ‘‘कैसी डेट? बता न.’’

‘‘विनय के लिए लड़की देखी है, सब को पसंद आ गई है, बहुत अच्छी है, बस शादी की डेट फिक्स करनी बाकी है.’’

वैशाली को गहरा झटका लगा, ‘‘क्या? विनय के लिए?’’

‘‘हां भई, अब तो अच्छीखासी जौब कर रहा है… उस की जिम्मेदारी भी पूरी कर दें.’’

रेखा ने पूछा, ‘‘वैसे तो आजकल लड़के खुद ही लड़की पसंद कर लेते हैं. उस ने कोई लड़की खुद नहीं पसंद की?’’

‘‘नहीं भई, मेरा देवर तो बहुत ही प्यारा है, मांपिताजी ने कई बार पूछा, उस ने हमेशा यही कहा, आप लोग जहां कहोगे मैं कर लूंगा.’’

वैशाली ने अपनी कांपती आवाज पर नियंत्रण रखते हुए पूछा, ‘‘उस ने हां कर दी है?’’

‘‘और क्या?’’

वैशाली ने फिर पूछा, ‘‘उस ने देख ली लड़की?’’

‘‘हां भई, हम सब गए थे लड़की के घर. सब तय हो गया है. बस डेट फिक्स करनी है, 2-3 महीने के अंदर शादी हो जाएगी.’’

वैशाली के दिल पर गहरी चोट लगी. वह मन ही मन फुफकार रही थी. फिर, ‘‘कुछ जरूरी काम है,’’ कह कर वह किट्टी पार्टी से उठ कर बाहर निकल आई और फिर तुरंत विनय को फोन मिलाया, ‘‘मुझे तुम से मिलना है, विनय, अभी इसी वक्त.’’

‘‘कल जिम में मिलते हैं न सुबह.’’

‘‘नहीं, अभी, फौरन मुझ से मिलो.’’

‘‘क्या हुआ, अभी मुश्किल है, मैं औफिस में हूं.’’

‘‘ठीक है, जिम में सुबह मिलते हैं.’’

रात वैशाली ने जैसे जाग कर गुजारी, एक पल भी उसे नींद नहीं आई. निखिल ने उसे बेचैन सा देखा, तो कई बार उस का माथा सहलाया, पूछा, ‘‘तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘हां, ऐसे ही,’’ कह कर वह मन ही मन छटपटाती रही, पति के स्नेहिल स्पर्श से भी उसे चैन नहीं मिला. जिस विनय के प्यार में रातदिन डूब कर उसे अपना सब कुछ सौंप दिया और उस ने उसे कुछ बताया भी नहीं, इतना बड़ा धोखा…

सुबह निखिल और राहुल के जाते ही वैशाली जिम पहुंच गई. वहां अकेले एक कोने में पहुंच कर वैशाली गुर्रा पड़ी, ‘‘यह क्या सुना मैं ने कल? तुम विवाह कर रहे हो?’’

‘‘हां, मैं बताने वाला था पर मौका नहीं मिला, फिर मैं भूल गया, सौरी.’’

‘‘तुम्हें शर्म नहीं आई विवाह के लिए हां कहते हुए?’’

‘‘शर्म कैसी वैशाली?’’

‘‘हमारे बीच जो संबंध है उस के बाद भी यह पूछ रहे हो? धोखा दे रहे हो मुझे?’’ वैशाली का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.

आतेजाते लोगों की नजरें उन पर न पड़ें, यह सोच कर विनय ने कहा, ‘‘अभी मैं तुम्हारे घर आता हूं, वहीं बात करते हैं, यहां ठीक नहीं रहेगा.’’ वैशाली उसी समय घर चली गई.

विनय भी थोड़ी देर में पहुंच गया. बोला, ‘‘क्या हो गया? इतना गुस्सा क्यों कर रही हो?’’

‘‘तुम किसी से विवाह करने की सोच भी कैसे सकते हो? हमारा जो रिश्ता है…’’

विनय ने बीच में ही बात काटी, ‘‘हमारा जो रिश्ता है, वह रहेगा न, परेशान क्यों हो?’’

‘‘कैसे रहेगा? कल तुम्हारी पत्नी होगी, कैसे रहेगा रिश्ता?’’

‘‘तुम्हारे भी तो पति हैं, तुम ने रखा न मुझ से रिश्ता?’’

‘‘नहीं, मैं यह नहीं सहन करूंगी, तुम शादी नहीं कर सकते किसी से.’’

‘‘यह तो गलत बात कर रही हो तुम.’’

‘‘नहीं, तुम सोचना भी मत यह वरना…’’

विनय को भी गुस्सा आ गया, ‘‘धमकी दे रही हो? मेरा परिवार है, मातापिता हैं… वे जहां कहेंगे, मैं विवाह करूंगा.’’

वैशाली जैसे फुफकार उठी, ‘‘मैं देखती हूं कैसे मेरे साथ रंगरलियां मना कर तुम कहीं और रिश्ता जोड़ते हो.’’

विनय उसे शांत करने की कोशिश में खुद को असफल होता देख बोला, ‘‘अभी मैं जा रहा हूं, कल मिलता हूं, जिम नहीं जाएंगे, यहीं बैठ कर बात करेंगे.’’ दिन में कई बार वैशाली ने विनय को फोन पर बुराभला कहा, उसे धमकी दी… पूरा दिन विनय को वैशाली के बिगड़े तेवर परेशान करते रहे. वैशाली का रौद्र रूप, उस का धमकी देना उसे बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करता रहा. विनय बहुत तेज दिमाग का लड़का था. वह पूरी स्थिति को अच्छी तरह सोचतासमझता रहा. पहले की मोहिनी, गर्विता सुंदरी वैशाली एक घायल नागिन की तरह फुफकारती विनय को अपना नया रूप दिखा गई थी.

अगले दिन विनय वैशाली से मिलने नहीं जा पाया. उसे औफिस जल्दी जाना था. वैशाली फोन पर चिल्लाती रही. शाम को विनय घर पहुंचा तो हंसीखुशी का माहौल था. अगले महीने की डेट फिक्स हो चुकी थी. 10 दिन बाद सगाई थी. विनय को वैशाली का क्रोधित रूप याद आता रहा. वह मन ही मन बहुत परेशान था. अगली सुबह विनय ने वैशाली के फ्लैट की डोरबैल बजाई. उतरा मुंह लिए वैशाली ने दरवाजा खोला, विनय को दुख हुआ. अब कुछ भी हो रहा हो, दोनों ने इस से पहले काफी समय प्यार भरा बिताया था. उस ने वैशाली के कंधे पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा, ‘‘क्यों टैंशन में हो? मैं कहीं भागा तो नहीं जा रहा… हम मिलते रहेंगे.’’

‘‘नहीं, तुम विवाह के लिए मना कर दो, मैं तुम्हारी पत्नी को सहन नहीं करूंगी.’’

‘‘क्यों? मैं ने कभी तुम्हारे पति को कुछ कहा है?’’

वैशाली गुर्राई, ‘‘वह सब मैं नहीं जानती, तुम ने विवाह किया तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’

विनय चुपचाप पैंट की जेब में हाथ डाल कर खड़ा हो गया, बोला, ‘‘मैं कुछ नहीं कर सकता अब… 10 दिन बाद सगाई है मेरी.’’

‘‘तो ठीक है, मैं भी देखती हूं कैसे विवाह करते हो तुम?’’

‘‘क्या करोगी?’’

‘‘मैं सब को बताऊंगी कि तुम ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. अभी इसी समय चिल्लाऊंगी, बदनाम कर दूंगी तुम्हें, इतने दिन मेरे साथ मौजमस्ती कर तुम आराम से किसी और के साथ घर नहीं बसा सकते.’’ वैशाली गुस्से में चिल्लाए जा रही थी.

अचानक विनय ने कहा, ‘‘ठीक है, फिर अब मैं चलता हूं और तुम्हें नेक सलाह देना चाहता हूं, कोई गलत हरकत करने की स्थिति में तुम नहीं हो इसलिए मेरे बारे में कुछ गलत कहनेकरने की सोचना भी मत.’’

‘‘मतलब? क्या कर लोगे?’’

‘‘चाहता तो नहीं था यह सब पर तुम्हारी धमकियां और गुस्सा यह सब करने पर मजबूर कर गया, लो सुनो,’’ कह कर विनय ने पैंट की जेब से अपना फोन निकाला और बटन औन करते ही वैशाली की गुस्से से भरी आवाज कमरे में गूंज गई, ‘इतने दिन मेरे साथ मौजमस्ती…’

यह सुनते ही वैशाली के चेहरे का रंग उड़ गया. विनय कह रहा था, ‘‘यह सब मैं करना नहीं चाहता था पर अगर तुम ने मुझे बदनाम किया तो तुम्हारे पति भी यह सुनेंगे. जो भी हमारे बीच हुआ, अच्छाबुरा, उस का जिम्मेदार मैं अकेला नहीं हूं. दोस्त बन कर हम हमेशा साथ रह सकते थे पर तुम ने धमकियां देदे कर इस की गुंजाइश भी नहीं छोड़ी. अब तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते,’’ और फिर विनय चला गया. वैशाली चोट खाई नागिन की तरह उसे जाते देख फुफकारती रह गई.

घर पर भी आसानी से कर सकती हैं बालों को कर्ल, फौलो करें ये स्टेप्स

आजकल लड़कियों के लिए रोज नईनई हेयरस्‍टाइल बनाना मानों जैसे आम बात हो चुकी है. पल में सीधे बाल तो पल में कर्ली. पर क्‍या रोज इन हेयरस्‍टाइल को बदलने के चक्‍कर में ब्‍यूटी पार्लर के चक्‍कर लगाना जरुरी है. क्‍या मनपसंद हेयरस्‍टाइल को हम घर में ही नहीं बना सकते. कभी-कभी आपके मन में ऐसे सवाल जरुर उठते होगें. आज हम आपको बालों को कर्ली करना भी बताएगें. चलिए जानते हैं कि घर में किस तरह से आप अपने बालों को कर्ली कर सकती हैं.

 

बालों को घर में कर्ली करने के टिप्‍स

1. अपने बालों को शैम्‍पू करें और उन्‍हें कंघी की मदद से अंदर की ओर ब्‍लो ड्राय करें. अगर कर्ल करने में आपको परेशानी आ रही है तो आप इसके लिए सीरम, बौबी पिन और हेयर स्‍प्रे भी इस्‍तमाल कर सकती हैं.

2. आप फोम रोलर खरीद सकती हैं और उससे गीले बालों को ऊपर की ओर मोड़ कर कस के बांध लें. नीचे के बालों के लिए बडे़ रोलर का यूज़ करें और आगे के बालों के लिए छोटे रोलर का यूजकरें. इसके बाद ब्‍लो ड्राय करें और सावधानी से उन्‍हें निकाल कर क्‍लिप या पिन लगा कर बालों को सेट कर लें.

3. अगर आपको लचकदार कर्ल बाल चाहिए तो हेयर स्‍ट्रेटनर का इस्‍तमाल करते हुए बालों को वेवी लुक दें. आप इस हेयरस्‍टाइल बिना परेशानी के रोजआजमा सकती हैं.

4. अगर बाल छोटे हैं तो उन्‍हें ब्‍लो ड्रायर,कंघी और छोटे रोलर की मदद से कर्ल किया जा सकता है. आप चाहें तो पेपर स्‍ट्रिप के इस्‍तमाल से भी यह काम कर सकती हैं.

5. कोमल बालों के लिए आपकोसौफ्टनर का इस्‍तमाल करना होगा. अमोनिया बेस्‍ड और कठोर शैम्‍पू का प्रयोग बिल्‍कुल न करें अगर आपको अपने कर्ल कोमल और मुलायम बनाने हों तो.

आखिर क्यों : अंधभक्ति के कारण बर्बाद हुई रोली की जिंदगी

रोली बहुत देर तक अपनी मम्मी की बात पर विचार करती रही. कुछ गलत तो नहीं कह रही थी उस की मम्मी. परंतु रोली को अच्छे से पता था कि शिखर और उस के मातापिता रोली की बात को पूरी तरह से नकार देंगे. तभी बाहर ड्राइंगरूम में शिखर ने न्यूज लगा दी. चारों तरफ कोरोना का कहर मचा हुआ था. हर तरफ मृत्यु और बेबसी का ही नजारा था, तभी पापाजी चिंतित से बाहर निकले और शिखर से बोले, ‘‘वरुण को कंपनी ने 2 महीने का नोटिस दे दिया है.‘‘

वरुण शिखर की बहन का पति था. शिखर बोला, ‘‘पापा, चिंता मत कीजिए, वरुण टैलेंटेड लड़का है. कुछ न कुछ हो जाएगा, मैं 1-2 जगह बात कर के देखता हूं.‘‘

रोली रसोई में चाय बनाते हुए सोच रही थी, ‘आज वरुण हैं तो कल शिखर भी हो सकता है,’ चाय बनातेबनाते रोली ने दृढ़ निश्चय ले लिया था.

जब सभी लोग चाय की चुसकियां ले रहे थे, तो रोली बोली, ‘‘अगले हफ्ते मेरठ वाले गुरुजी यहीं पर आ रहे हैं. मैं चाहती हूं कि हम भी अपने घर पर यज्ञ करवाएं.

‘‘यज्ञ करवाने के पश्चात न केवल हमारा परिवार कोरोना के संकट से बचा रहेगा, बल्कि शिखर की नौकरी पर भी कोई आंच नहीं आएगी.‘‘

‘‘बस 50,000 रुपए का खर्च है, पर ये कोरोना पर होने वाले खर्च से तो बहुत सस्ता है शिखर.”

रोली की सास अपनी पढ़ीलिखी बहू के मुंह से ये बात सुन कर हक्कीबक्की रह गईं और बोलीं, ‘‘रोली, ये तुम क्या कह रही हो? चारों तरफ कोरोना का कहर है और तुम ऐसे में घर में यज्ञ करवाना चाहती हो?‘‘

रोली तुनकते हुए बोली, ‘‘हां मम्मीजी, आप को तो मेरी सब चीजों से दिक्कत है.’‘

‘‘आप खुद जपतप करें सब ठीक, पर अगर मैं परिवार की भलाई के लिए कुछ करवाना चाहूं तो आप को उस में भी दिक्कत है.‘‘

रोली के ससुर बोले, ‘‘रोली बेटा, ऐसी बात नहीं है, पर ये संभव नहीं है.

‘‘तुम्हें तो मालूम ही है कि हम ऐसे भीड़ इकट्ठी नहीं कर सकते हैं.‘‘

शिखर उठते हुए बोला, ‘‘रोली, मेरे पास ऐसे यज्ञपूजन पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं और शायद हम अब कोरोना से बच भी जाएं, परंतु उस यज्ञ के कारण हमारा पूरा परिवार जरूर कोरोना के कारण स्वाहा हो जाएगा.‘‘

रोली गुस्से में पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली गई. रात के 8 बज गए, लेकिन रसोई में सन्नाटा था. शिखर कमरे में गया और प्यार से बोला, ‘‘रोली गुस्सा थूक दो, आज खाना नहीं खिलाओगी क्या?‘‘

रोली चिल्लाते हुए बोली, ‘‘क्यों नौकरानी हूं तुम्हारी और तुम्हारे मम्मीपापा की?‘‘

‘‘अपनी इच्छा से मैं घर में एक काम भी नहीं कर सकती, पर जब काम की बारी आती है तो बस वह ही याद आती है.’‘

शिखर रोली को प्यार से समझाता रहा, परंतु वह टस से मस नहीं हुई.

शिखर और उस के मम्मीपापा की सारी कोशिशें बेकार हो गई थीं. रोली की आंखों पर गुरुजी के नाम की ऐसी पट्टी बंधी थी कि वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी.

रोली के मन में कोरोना का डर इस कदर हावी था कि वह किसी भी तरह कोरोना के पंजे से बचना चाहती थी.

रोली की मम्मी उसे रोज फोन पर बताती कि कैसे गुरुजी ने अपने तप से रोली के मायके में पूरे परिवार को कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित कर रखा है.

रोली की मम्मी यह भी
बोलतीं, ‘‘अरे, हम लोग न तो मास्क लगाते हैं और न ही सेनेटाइजर का प्रयोग करते हैं. बस गुरुजी की भभूति लगा लेते हैं.‘‘

‘‘सारी कंपनियों में छंटनी और वेतन में कटौती हो रही है, पर तेरे छोटे भाई का तो गुरुजी के कारण ऐसे संकट काल में भी प्रमोशन हो गया है.‘‘

आज गुरुजी रोली के शहर देहरादून आ गए थे. रोली को पता था कि शिखर गुरुजी का यज्ञ घर पर कभी नहीं कराएगा और न ही कभी पैसे देगा.

रोली ने गुरुजी के मैनेजर से फोन पर बात की, तो उन्होंने कहा, ‘‘आप यहीं पर आ जाएं. तकरीबन 500 भक्त और भी हैं. गुरुजी के भक्तों ने ही गुरुद्वारा रोड पर एक हाल किराए पर ले लिया है…

‘‘आप बेझिझक यहां चली आएं,‘‘ गुरुजी के मैनेजर ने कहा.

रोली मन ही मन खुश थी, परंतु 50,000 रुपयों का इंतजाम कैसे करे? वह यही सोच रही थी, तभी रोली को ध्यान आया कि क्यों न वह अपने मायके से मिला हुआ सेट इस अच्छे काम के लिए दान कर दे.

सुबह काम करने के बाद रोली तैयार हो गई और शिखर और उस के मम्मीपापा से बोली, ‘‘मैं 2 दिन के लिए गुरुजी के शिविर में जा रही हूं.‘‘

‘‘मैं ने पैसों का बंदोबस्त कर लिया है. परिवार की खुशहाली के लिए यज्ञ कर के मैं परसों तक लौट आऊंगी.‘‘

शिखर की मम्मी बोलीं, ‘‘रोली, होश में तो हो ना…‘‘

‘‘हम तुम्हें कहीं नहीं जाने देंगे. तुम्हें मालूम है ना कि ये महामारी है और इस का वायरस बड़ी तेजी से फैलता है.‘‘

रोली गुस्से में बोली, ‘‘आप भी भूल रही हैं मम्मी कि मैं एक बालिग हूं. आप को शायद मालूम नहीं है कि जिस तरह का व्यवहार आप मेरे साथ कर रही हैं, वो घरेलू हिंसा के दायरे में आता है. यह एक तरह की मानसिक और भावनात्मक हिंसा है.‘‘

शिखर ने अपने मम्मीपापा से कहा, ‘‘जब रोली ने कुएं में छलांग लगाने का निर्णय ले ही लिया है, तो आप उसे रोकिए मत.‘‘

शिखर बिना कुछ बोले रोली को उस हाल के गेट तक छोड़ आया. हाल के गेट पर भीड़ देख शिखर ने रोली से कहा, ‘‘रोली, एक बार और सोच लो.‘‘

रोली मुसकराते हुए बोली, ‘‘मैं तो गुरुजी को घर पर बुलाना चाहती थी, पर तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की जिद के कारण मैं यहां पर हूं.‘‘

रोली जैसे ही हाल के अंदर पहुंची, बाहर गेट पर खड़े युवकों ने उस का मास्क उतरवा दिया और फिर गंगाजल से उस के हाथ धुलवाए.

अंदर धीमाधीमा संगीत चल रहा था. रोली ने देखा कि तकरीबन 300 लोग वहां थे. हर कोई गुरुजी के आगे सिर झुका कर श्रद्धा के साथ दान कर रहा था.

रोली भी गुरुजी के आगे हाथ जोड़ते हुए बोली, ‘‘गुरुजी, मेरे पास तो बस ये गहने हैं देने के लिए.‘‘

गुरुजी शांत स्वर में बोले, ‘‘बेटी, दान से अधिक भाव का महत्व है. तुम जो भी पूरी श्रद्धा से भेंट करोगी, वह हमें स्वीकार है.‘‘

सात्विक भोजन, सात्विक माहौल, न कोई महामारी का डर और न ही चिंता. रोली को इतना हलका तो पहले कभी महसूस नहीं हुआ था. उस का गुस्सा भी काफूर हो गया था. अब तो रोली को अपने परिवार की बुद्धि पर तरस आ रहा था कि वो ऐसे अच्छे आनंदमय वातावरण से वंचित रह गए हैं.

पूरा दिन गुरुजी के प्रवचन और यज्ञ में बीत गया था. रात में जब रोली सोने के लिए कमरे में गई तो देखा कि उस छोटे से कमरे में 8 महिलाओं के बिस्तर लगे हुए थे.

रोली पहले तो हिचकिचाई, पर फिर उसे गुरुजी की कही हुई बात याद आई कि कैसे हम ने डरडर कर इस वायरस को अपने ऊपर हावी कर रखा है. ये वायरस मनुष्य को मनुष्य से दूर करना चाहता है. दरअसल, ऐसे पूजाहवन से ही इस महाकाल वायरस का सफाया हो जाएगा. ये ऊपर वाले का इशारा है हम मूर्ख मनुष्यों के लिए कि हम उन की शरण में जाएं. अगर विज्ञान कुछ करने में सक्षम होता, तो क्यों पूरे विश्व मे त्राहित्राहि मची रहती.

ये सब बातें याद आते ही रोली शांत मन से आंखें बंद कर के सो गई. सुबह 6 बजे रोली की आंखें खुलीं तो उसे लगा, जैसे वह रूई की तरह हलकी हो गई है.

गुरुजी को स्मरण कर के रोली ने सब से पहले अपनी मम्मी को फोन लगाया और फिर शिखर को फोन कर अपना हालचाल बताया.

अगला दिन भी भजन, प्रवचन और ध्यान में ऐसे बीत गया कि रोली को पता भी नहीं चला कि कब शाम हो गई. तकरीबन 500 लोग इस पूजा में सम्मलित थे, परंतु न तो कोई आपाधापी थी, न ही कोई घबराहट.

शाम के 7 बजे रोली ने गुरुजी को प्रणाम किया, तो गुरुजी ने उसे भभूति देते हुए कहा, ‘‘बेटी, ये भभूति तुम्हारी हर तरह से रक्षा करेगी.‘‘

जब रोली बाहर निकली तो देखा कि शिखर कार में बैठा उस की प्रतीक्षा कर रहा था.

रोली बिना कोई प्रतिक्रिया किए कार में बैठ गई. घर आ कर भी वह बेहद शांत और संभली हुई लग रही थी. रोली ने किसी से कुछ नहीं कहा और न ही उस के सासससुर ने उस से कुछ पूछा.

अगले रोज सुबहसुबह शिखर ने रोली को खुशखबरी सुनाई कि बहुत दिनों से जिस कंपनी में उस की बात अटकी हुई थी, वहां से बात फाइनल हो गई है. 1 अगस्त को उसे पूना में ज्वाइनिंग के लिए जाना है.

रोली नाचते हुए बोली, ‘‘ये सब गुरुजी की कृपा है.‘‘

शिखर बोला, ‘‘अरे वाह, मेहनत मैं करूं और क्रेडिट तुम्हारे गुरुजी ले जाएं.‘‘

जब से रोली गुरुजी के पास से आई थी, उस ने सावधानी बरतनी छोड़ दी थी. शिखर की नौकरी के कारण रोली का विश्वास और पक्का हो गया था.

और फिर एक हफ्ते बाद रोली को वह खुशखबरी भी मिल गई, जिस का पिछले 5 साल से इंतजार कर रही थी. वह मां बनने वाली थी. घर में ऐसा लग रहा था, चारों ओर खुशियों की बरसात हो रही है. रोली को पक्का विश्वास था कि देरसवेर ही सही, शिखर और उस का परिवार भी गुरुजी की भक्ति में आ जाएगा. पर, जब 5 दिन बाद रोली को बुखार हो गया, तो रोली के सासससुर और शिखर के होश उड़ गए थे. परंतु रोली ने कोई दवा नहीं ली, बल्कि गुरुजी के यहां से लाई भभूति चाट ली.

शिखर ने रोली को टेस्ट कराने के लिए भी कहा, परंतु रोली ने कहा, ‘‘मैं ने गुरुजी से फोन पर बात की थी. मुझे वायरल हुआ है. गुरुजी ने कहा है कि परसों तक सब ठीक हो जाएगा.‘‘

पर, उसी रात अचानक ही रोली को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. रोली को महसूस हो रहा था, जैसे पूरे वातावरण में औक्सीजन की कमी हो गई हो.

शिखर रात में ही रोली को ले कर अस्पताल भागा. बहुत मुश्किलों से रोली को किसी तरह अस्पताल में दाखिला मिला. पुलिस ने पूछताछ की, तो एक के बाद एक लगभग 500 लोगों की एक लंबी कोरोना चेन बन गई.

गुरुजी का फोन स्विच औफ आ रहा था. यज्ञ में शामिल हुए परिवारों का जब कोरोना टेस्ट हुआ तो ऐसा लगा, कोरोना बम का विस्फोट हो गया है. जहां पहले शहर में बस गिनती के 50 मामले थे, वे अब सीधे 500 पार कर गए थे.

रोली शर्म के कारण आंख नहीं उठा पा रही थी. काश, उस ने शिखर और उस के परिवार की बात मान ली होती. रोली को अपने से ज्यादा पेट में पल रहे बच्चे की चिंता हो रही थी. उधर शिखर को रोली के साथसाथ अपने डायबिटिक मातापिता की भी चिंता हो रही थी. शिखर को समझ नहीं आ रहा था कि क्यों रोली की इस अंधभक्ति का नतीजा रोली के साथसाथ पूरे परिवार को भुगतना पड़ेगा. आखिर कब तक हम पढ़ेलिखे लोग भी अपनेआप को इस तरह अंधविश्वास के कुएं में धकेलते रहेंगे? आखिर क्यों हम आज भी हर समस्या का शार्टकट ढूंढ़ते हैं? आखिर क्यों…?

हक ही नहीं कुछ फर्ज भी

बेटा बेटीको बराबर मानने वाले सुकांत और निधि दंपती ने अपने तीनों बच्चों उन्नति, काव्या और सुरम्य में कभी कोई फर्क नहीं रखा. एकसमान परवरिश की. यही कारण था जब बड़ी बेटी उन्नति ने डैंटल कालेज में प्रवेश लेने की इच्छा जाहिर की तो…

‘‘पापा ऐश्वर्या डैंटल कोर्स करने के लिए चीन जा रही है. मैं भी जाना चाहती हूं. मुझे भी डैंटिस्ट ही बनना है.’’

‘‘तो बाहर जाने की क्या जरूरत है? डैंटल कोर्स भारत में भी तो होते हैं.’’

‘‘पापा, वहां डाइरैक्ट ऐडमिशन दे रहे हैं 12वीं कक्षा के मार्क्स पर… यहां कोचिंग लूं, फिर टैस्ट दूं. 1-2 साल यों ही चले जाएंगे,’’ उन्नति बोली.

‘‘पर बेटा…’’

‘‘परवर कुछ नहीं पापा. आप ऐश्वर्या के पापा से बात कर लीजिए. मैं उन का नंबर मिला देती हूं… उन्हें सब पता है… वे अपने काम के सिलसिले में अकसर वहां जाते रहते हैं.’’

सुकांत ने बात की. फीस बहुत ज्यादा थी. अत: वे सोच में पड़ गए.

‘‘ऐजुकेशन लोन भी मिलता है जी आजकल बच्चों को विदेश में पढ़ने के लिए… पढ़ने में भी ठीकठाक है… पढ़ लेगी तो दांतों की डाक्टर बन जाएगी,’’ निधि भी किचन से हाथ पोंछते हुए उन के पास आ गई थीं.

‘‘पर पहले पता करने दो ठीक से कि वह मान्यताप्राप्त है भी या नहीं.’’

‘‘है न मां. बस वापस आ कर यहां एक परीक्षा देनी पड़ती है एमसीआई की और प्रमाणपत्र मिल जाता है. पापा, अगर मेरी जगह सुरम्य होता तो आप जरूर भेज देते.’’

‘‘नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है. तुम ने ऐसा क्यों सोचा? क्या तुम भाईबहनों में मैं ने कभी कोई फर्क किया?’’ सुकांत ने उस के गालों पर प्यार से थपकी दी.

बैंक में कैशियर ही तो थे सुकांत. निधि स्कूल में टीचर थीं. दोनों के वेतन से घर बस ठीकठाक चल रहा था. कुछ ज्यादा जमा नहीं कर सके थे दोनों. सुकांत की पैतृक संपत्ति भी झगड़े में फंसी थी. बरसों से मुकदमे में पैसा अलग लग रहा था. हां, निधि को मायके से जरूर कुछ संपत्ति का अपना हिस्सा मिला था, जिस से भविष्य में बच्चों की शादी और अपना मकान बनाने की सोच रहे थे.

‘‘मकान तो बनता रहेगा निधि, शादियां भी होती रहेंगी… पहले बच्चे लायक बन जाएं तो यह सब से बड़ी बात होगी… है न?’’ कह सुकांत ने सहमति चाही थी, फिर खुद ही बोले, ‘‘हो सकता है हम मुकदमा जीत जाएं… तब तो पैसों की कोई कमी नहीं रहेगी.’’

‘‘हां, ठीक तो कह रहे हैं. आजकल बहुएं भी लोग कामकाजी ही लाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं. बढि़या प्रोफैशनल कोर्स कर लेगी तो घरवर भी बहुत अच्छा व आसानी से मिल जाएगा,’’ निधि ने अपनी सहमति जताई.

‘‘जमा राशि आड़े वक्त के लिए पड़ी रहेगी… कोई ऐजुकेशन लोन ही ले लेते हैं. वही ठीक रहेगा… पता करता हूं डिटेल… इस के जौब में आने के बाद ही किस्तें जानी शुरू होंगी.’’

सुकांत ने पता किया और फिर सारी प्रक्रिया शुरू हो गई. उन्नति पढ़ाई के लिए विदेश चली गई. दूसरी बेटी काव्या के अंदर भी विदेश में पढ़ाई करने की चाह पैदा हो गई. 12वीं कक्षा के बाद उस ने लंदन से बीबीए करने की जिद पकड़ ली.

‘‘पापा, दीदी को तो आप ने विदेश भेज दिया मुझे भी लंदन से पढ़ाई करनी है… पापा प्लीज पता कीजिए न.’’

सुकांत और निधि ने सारी तहकीकात कर काव्या को भी पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया.

अब रह गया था सब से छोटा बेटा सुरम्य. पढ़ने में वह भी अच्छा था. वह भी डाक्टर बनना चाहता था. मगर घर का खर्च देख कर उस का खयाल बदलने लगा कि मातापिता कहां तक करेंगे… साल 6 महीने बाद पीएमटी परीक्षा में सफल भी हुआ तो 4 साल एमबीबीएस की पढ़ाई. फिर इंटर्नशिप. उस के बाद एमडी या एमएस उस के बिना तो डाक्टरी का कोई मतलब ही नहीं. फिर अब मम्मीपापा रिटायर भी होने वाले हैं… कब कमा पाऊंगा, कब उन की मदद कर पाऊंगा… 2 लोन पहले ही उन के सिर पर हैं.

मुझे कुछ जल्दी पढ़ाई कर के पैसा कमाना है. फिर उस ने अपना स्ट्रीम ही कौमर्स कर लिया. 12वीं कक्षा के बाद उस ने सीए की प्रवेश परीक्षा पास कर ली. स्टूडैंट लोन ले कर उस ने अपनी सीए की पढ़ाई शुरू कर दी. दिन में पढ़ाई करना और रात में काल सैंटर में जौब करने लगा. सुकांत और निधि थोड़े परेशान अवश्य थे, पर मन में कहीं यह संतोष था कि बच्चे काबिल बन कर अपने पैरों पर खड़े हो इज्जत और शान की जिंदगी जीएंगे, इस से बड़ी और क्या बात होगी उन के लिए.

सुकांत रिटायर हो कर किराए के मकान में आ गए थे.

‘‘और क्या जी हम नहीं बनवा सके घर तो क्या बच्चे तो अपना घर बना कर ठाठ से रहेंगे,’’ एक दिन निधि बोलीं.

उन्नति का बीडीएस पूरा हो गया. वापस आ कर उस ने भारत की मान्यता के लिए परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. इंटर्नशिप के बाद उसे लाइसैंस मिल गया. मांबाप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. उन्नति ने एक पीजी डैंटिस्ट रवि को जीवनसाथी के रूप में पसंद कर लिया. रवि को दहेज नहीं चाहिए था पर घर वालों को शादी धूमधाम से चाहिए थी.

‘‘ठीक ही तो है पापा शादी रोजरोज थोड़े ही होती है. अब ये लोग दहेज तो नहीं ले रहे न,’’ उन्नति मम्मीपापा, को दलील के साथ राजी करने की कोशिश में थी.

‘‘हांहां, हो जाएगा. तू चिंता मत कर,’’ सुकांत ने उसे तसल्ली देते हुए कहा.

जैसेतैसे सुकांत और निधि ने बड़ी बेटी को फाइवस्टार होटल से विदा किया.

‘‘मम्मीपापा मुझे पढ़ने का शौक था सो पढ़ लिया… प्रैक्टिस वगैरह मेरे बस की नहीं… मुझे तो बस घूमनाफिरना और मस्ती करनी है. लोन का आप देख लेना… मेरे पास वहां बैंक का कोई लेटरवैटर नहीं आना चाहिए वरना बड़ा बुरा फील होगा ससुराल में… रवि को मैं ने लोन के बारे में कुछ नहीं बताया है,’’ उन्नति ने जातेजाते दोटूक अपना मंतव्य बता डाला.

‘‘रवि को मालूम है तू काम नहीं करेगी?’’ सुरम्य को जब मालूम हुआ तो उस ने हैरानगी से पूछा.

इस पर उन्नति बोली, ‘‘और क्या… कह रहे थे कुछ करने की जरूरत नहीं है. बस रानी बन कर रहना… पलकों पर बैठा कर रखेंगे तू देखना,’’ और वह हंस दी थी.

‘‘दीदी तुम्हें मालूम है न कि मम्मीपापा अब रिटायर हो चुके हैं… हम लोगों के चक्कर में बेचारे मकान तक नहीं बनवा सके… बैंक से स्टूडैंट लोन तो है ही प्राइवेट लोन अलग से, विदेश की पढ़ाई उन्हें कितनी महंगी पड़ी पता है?’’

‘‘भाई, तू तो लड़का है. सीए बनते ही बढि़या कंपनी में लग जाना है. तू ठहरा तेज दिमाग… फिर धड़ाधड़ पैसे कमाएगा तू… थोड़ा ओवरटाइम भी कर लेना हमारे लिए… मुझे तो गृहस्थी संभालने दे… लाइफ ऐंजौय करनी है मुझे तो, वह अपने लंबे नाखूनों में लगी ताजा नेलपौलिश सुखाने लगी.’’

‘‘कमाल है दीदी पहले विदेश की महंगी प्रोफैशनल पढ़ाई पर खर्च करवाया, फिर फाइवस्टार में शादी की… दहेज न देने पर भी इतना खर्च हुआ जिस की गिनती नहीं. अब काम नहीं करेगी तो तुम्हारा लोन कैसे अदा होगा, सोचा है? माना काव्या दीदी का और मेरा लोन तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं पर अपना लोन तो चुकता कर जो बैंक से तुम ने अपने नाम लिया है… काम क्यों नहीं करोगी? फिर प्रोफैशनल पढ़ाई क्यों की? इतना पैसा क्यों बरबाद करवाया जब तुम्हें केवल हाउसवाइफ ही बनना था?’’

‘‘तू तो करेगा न भाई काम?’’

‘‘तुम काम नहीं करोगी तो कुछ दिनों में ही प्यार हवा हो जाएगा रवि का.’’

‘‘तमीज से बात कर. रवि तेरे जीजू हैं.’’

‘‘तुम्हारी वजह से मैं ने डाक्टरी की पढ़ाई नहीं की जबकि मैं बचपन से ही डाक्टर बनना चाहता था. घर की स्थिति देख कर अपना इरादा ही बदल लिया. न… न… करतेकरते भी इतना खर्च करवा डाला… कर्ज में डूब गए हैं मम्मीपापा… शर्म नहीं आती तुम्हें? कब जीएंगे वे अपने लिए कभी सोचा है?’’

‘‘तू है न उन का बेटा… करना सेवा सारी उम्र लायक बेटा बन कर.’’

‘‘वाह, बाकी हर चीज में बराबरी पर जिम्मेदारी में नहीं. वह तो शुक्र है मकान नहीं बना वरना बिकवा कर उस में से भी अपना शेयर लेती… छोड़ उन्नति दीदी तुम क्या समझोगी… जाओ खुश रहो,’’ सुरम्य बाकी का सारा उफान पी गया.

उधर काव्या ने भी लंदन में कमाल कर दिया. वहीं अपने एक दोस्त प्रतीक से ब्याह रचा लिया. 1 महीने के गर्भ से थी. पढ़ाई अधूरी छोड़ कर भारत लौट आई. ससुराल वालों ने उसे स्वीकारा नहीं.

वे कट्टर रीतिरिवाजों वाले दक्षिण भारतीय मूल के थे. बड़ी जद्दोजहद के बाद राजी हुए पर घर में फिर भी नहीं रखा. लिहाजा प्रतीक और वह घर से अलग रहने पर मजबूर हो गए. दोनों में से किसी के अभी जौब में न होने की वजह से सारा खर्च सुकांत और निधि के कंधों पर ही आ गया.

काव्या ने तो पढ़ाई छोड़ ही दी थी पर प्रतीक ने अपना एमबीए पूरा कर लिया. बाद में उसे जौब भी मिल गई.

उधर उन्नति की ससुराल की असलियत सामने आने  लगी. आए दिन सास तकाजा करतीं, ताने देतीं, ‘‘बहू, तुम्हारी हर महीने की इनकम कहां है. हम ने रवि को तुम से शादी की इजाजत इसलिए दी थी कि दोनों मिल कर घरपरिवार का स्तर बढ़ाने में मदद करोगे… वैसे ही लंबाचौड़ा परिवार है हमारा… बहू तुम से न घर का काम संभाला जाता है न बाहर का… देखती हूं रवि भी कितने दिन तुम्हारी आरती उतारता है,’’ भन्नाई हुई सास रेवती महीने बाद ही अपने असली रूप में आ गई थी.

रवि जब अपने दोस्तों की प्रोफैशनल वर्किंग पत्नियों को देखता तो उन्नति को ले कर अपमानित सा महसूस करता. रोजरोज दोस्तों की महंगी पार्टियों से उसे हाथ खींचना पड़ता. उन्नति को न ढंग का कुछ पकाना आता न कुछ सलीके से करनेसीखने में ही दिलचस्पी लेती. सजनेसंवरने में वक्त बरबाद करती.

फिर वही हुआ जो सुरम्य ने कहा था. खर्चे से रवि परेशान था, क्योंकि अपनी बहनों की ससुराल और रिश्तेदारी निभाने के लिए वही एक जरीया था. उस पर छोटे भाई आकाश की पढ़ाई भी उस के सिर थी.

बहनों की ससुराल वालों ने उस की पुश्तैनी प्रौपर्टी बिकवा कर उस में से हिस्सा लेने के बाद भी मुंह बंद नहीं किया. आए दिन फरमाइशें होती रहतीं, जिन से घर के सभी सदस्य चिड़ेचिड़े से रहते.

तब उन्नति को समझ आया कि बहनों की शादी के बाद प्रौपर्टी और पैसों में ही नहीं घर की जिम्मेदारियों में भी अपनी कुछ हिस्सेदारी समझनी चाहिए. उन्नति को मम्मीपापा और सुरम्य की बहुत याद आई.

आंखें सजल हो उठीं कि कितनी मुश्किल हुई होगी उन्हें. इतने कम पैसों में वे कैसे घर चलाते थे? हमारी जरूरतें, शौक पूरे करते रहे वे… अपना तो उन से सब कुछ करवा लिया हम ने पर उन की जरूरतों को कभी न समझा. सिर्फ नाम के लिए महंगी पढ़ाई कर ली. अपनी मस्ती और स्वार्थ के चलते न काम किया न अपना लोन ही चुकाया. वह आत्मग्लानि से भर उठी.

सप्ताह उपरांत उन्नति ने रवि की मदद से एक प्राइवेट डैंटल हौस्पिटल में काम करना शुरू कर दिया. रवि से उस ने साफ कह दिया, ‘‘जानती हूं कि और कुछ तो मम्मीपापा लेंगे नहीं पर कम से कम अपना ऐजुकेशन लोन जो मैं ने लिया था उसे अवश्य चुकाना चाहूंगी… तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?’’

रवि ने प्यार से उस के कंधे पर हाथ रख मन ही मन सोचा कि काश उस की बहनें भी ऐसा सोच पातीं.

कुछ सालों बाद काव्या के ससुराल वालों ने उसे अपना लिया. उधर प्रतीक को बड़ी प्रमोशन मिली. उस ने यूएसए के क्लाइंट से अपनी कंपनी को बड़ा फायदा पहुंचाया था. वह एक झटके में ऊंचे ओहदे पर पहुंच गया.

काव्या को ऐशोआराम की सारी सुविधाएं मिलने लगीं तो उसे रहरह कर मम्मीपापा और घर की परिस्थितियों से जूझते भाई की तकलीफ ध्यान आने लगी कि उस ने कैसेकैसे उन का साथ दिया. हम बहनें तो निकम्मी निकलीं. उस का मन पश्चात्ताप से भर उठा. फिर उस ने उन्नति से मन की पीड़ा शेयर की तो उन्नति ने उस से.

इधर सुकांत के गांव की बरसों से मुकदमे में फंसी पैतृक संपत्ति का फैसला उन के पक्ष में हो गया. करीब 50 लाख उन की झोली में आ गए.

‘‘शुक्र है निधि जो फैसला हमारे पक्ष में हो गया. देर आए दुरुस्त आए. मैं ने सुरम्य को औफिस में ही फोन कर बता दिया. आता ही होगा. उन्नति और काव्या को भी खुशखबरी दे दो. उन्हें संडे को आने को कहना.’’

सुकांत के स्वरों में खुशी और उत्साह छलक रहा था. वे जल्द ही अपनी खुशी तीनों बच्चों में बांट लेना चाहते थे और रकम भी.

‘‘संडे को तो दोनों वैसे भी आने वाली हैं. रक्षाबंधन जो है. तभी सरप्राइज देंगे. अभी नहीं बताते,’’ निधि बोलीं.

पीछे का दरवाजा खुला था. उन्नति और काव्या दबे पांव हिसाब लगाते हुए कि पापा इस समय बाथरूम में होंगे और मां किचन में. मेड जा चुकी होगी. 9 बज रहे हैं तो सुरम्य सो ही रहा होगा. एकदूसरे को देख मुसकराते हुए वे सुकांत और निधि के बैडरूम में पहुंच गईं. सुकांत की दराज खोल उन्होंने चुपके से कुछ रखा. फिर सीधे सुरम्य के रूम में जा कर तकियों के वार से उसे जगा दिया.

‘‘आज भी देर तक सोएगा? संडे तो है पर रक्षाबंधन भी है. उठ जल्दी नहा कर आ. राखी नहीं बंधवानी?’’

‘‘अरे उठ भी तुझे राखी बांधने के बाद ही मां कुछ खाने को देंगी… बहुत जोर की भूख लग रही है,’’ कहते हुए काव्या ने एक तकिया उसे और जमा दिया.

‘‘क्या है,’’ सुरम्य आंखें मलते हुए उठ बैठा.

दोनों बहनें उसे बाथरूम की ओर धकेल हंसती हुई किचन की ओर बढ़ गईं.

‘‘मां सरप्राइज,’’ कह दोनों निधि से लिपट गईं.

‘‘अरे, कब घुसी तुम दोनों? मुझे तो पता ही नहीं चला,’’ कह निधि मुसकरा उठी.

राखियां बंधवाने के बाद जब सुरम्य ने दोनों को 6-6 लाख के चैक दिए तो दोनों बहनें उस का चेहरा देखने लगीं.

‘‘मजाक कर रहा है?’’

‘‘मजाक नहीं सच में बेटा… हम वह मुकदमा जीत गए… उसी के 4 हिस्से कर दिए. एक मेरा व निधि का बाकी तुम तीनों के.’’

‘‘अरे नहीं पापा ये हम नहीं ले सकतीं,’’ काव्या और उन्नति एकसाथ बोलीं. उन्होंने उन पैसों को लेने से साफ इनकार कर दिया, ‘‘नहीं मम्मीपापा, इन पर केवल सुरम्य का ही हक है. उसी ने आप दोनों के साथ सारी जिम्मेदारियां उठाई हैं. पहले घर के छोटेछोटे कामों में फिर बड़े कामों में… लोन, बिल्स, औपरेशन, इलाज, रिश्तेदारी, गाड़ी और अब यह मकान. आप दोनों और घर से अलग अपने लिए कुछ नहीं जोड़ा उस ने.

‘‘सच है मम्मीपापा हर बात में बराबरी करने वाली हम बेटियां पढ़लिख कर भी बेटियां ही रह गईं बेटा न बन सकीं. हम ने शान और मस्ती के अलावा कुछ सोचा ही नहीं… कभी समझना ही नहीं चाहा. दायित्व तो दूर की बात… मेरे और काव्या के लिए बहुत कुछ कर लिया आप ने… अब तो इस का ही हक बनता है हमारा नहीं.’’

‘‘हां पापा, अब तो बस झट से इस के लिए अच्छी सी लड़की पसंद कीजिए और इस की धूमधाम से शादी कर दीजिए, बहुत आनाकानी कर चुका है. हां, नेग हम बड़ाबड़ा लेंगी.’’

उन्नति और काव्या एक के बाद एक बोले जा रही थीं. फिर वे सुरम्य को छेड़ने लगीं, ‘‘वैसे एक बहुत सुंदर लड़की मेरे पड़ोस में है. बस थोड़ी तोतली है. उस से करेगा शादी?’’ उन्नति ने ठिठोली की तो काव्या भी पीछे नहीं रही, ‘‘अरे, मेरी ननद की देवरानी की छोटी बहन दूध जैसी गोरीचिट्टी है. बस थोड़ी भैंगी है. पर उस के बड़े फायदे रहेंगे एक नजर किचन में तो दूसरी से वह तुझे निहारेगी.’’

काव्या और उन्नति दोनों अगले ही दिन चली गईं. घर सूना हो गया.

‘‘निधि… ये मेरी दराज में लिफाफे कैसे रखे हैं?’’ कह उन्होंने एक खोला तो पत्र में लिखावट उन्नति की थी. लिफाफे में हजारहजार के नोट रखे थे. वे अचरज से पढ़ने लगे-

‘‘मम्मीपापा यह मेरी पहली कमाई का छोटा सा अंश है,  आप दोनों के चरणों में. आप इसे मना मत करिएगा. आप दोनों ने मुझे इस काबिल बनाया. मैं कमा कर कम से कम अपना लोन तो खुद उतार सकती थी पर मैं तो अपने में ही मस्त थी. मैं इतनी स्वार्थी कैसे बन गई.

‘‘न कभी आप लोगों के लिए सोचा न सुरम्य के लिए. छोटा था पर हर बात में उस से बराबरी करते हुए उस से घर के कामों में भी फायदा उठाया और अपने बाहर के काम भी उसी से करवाए कि वह लड़का है. सब कुछ उसी पर डाल कर हम बहनें मजे लेती रहीं. सौरी मम्मीपापा. मैं फिर जल्द आऊंगी. आप की डैंटिस्ट बेटी उन्नति.’’

दूसरा लिफाफा काव्या का था, लिखा था-

‘‘मां और पापा, आप ने हमेशा हम तीनों को बराबर का प्यार दिया, हक दिया. बराबर मानते हैं न तो सुरम्य की ही तरह मुझे भी अपना लोन चुकाने दीजिए. आप दोनों मना नहीं करेंगे, सामने से देती तो आप बिलकुल न लेते पर सोचिए तो पापा अगर बेटेबेटी में कोई फर्क नहीं मानते तो आप को इसे लेना ही पड़ेगा. प्रतीक की भी यही इच्छा है.

‘‘पता नहीं बेटियों का बेटों की तरह मांबाप पर तो हक है पर मांबाप को बेटों की तरह बेटियों पर हक अभी भी समाज में क्यों मान्य नहीं हो पा रहा? प्रतीक ऐसा ही सोचता है. आप ने अपनी परेशानियों को एक ओर कर के हमारे सपने, हमारी जरूरतें पूरी की हैं. हमारा आप पर हक है ठीक है पर हमारा फर्ज भी तो है कुछ… जिसे मैं पहले कभी नहीं समझ पाई. आप दोनों की लाडली बेटी काव्या.’’

पत्र के पीछे लोन अमाउंट का चैक संलग्न था.

बेटियों की चिट्ठियां पढ़ रहे सुकांत और उन के पास खड़ी निधि की आंखें सजल हो उठी थी और सीना गर्व से भर उठा.

‘‘हमें इन्हें वापस करना होगा निधि, कितने समझदार बन गए हैं बच्चे. इन्होंने हमारे लिए इतना सोचा यही बहुत है… अब हमें वैसे भी पैसे की कोई जरूरत नहीं रही.’’

निधि ने आंचल से आंखों के कोरों को पोंछ मुसकराते हुए अपनी सहमति में सिर हिला दिया.

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मानसून में शाम के नाश्ते में भी कुछ चटपटा खाने को मन करता है, ऐसे में हमारे पास कई सारे ऑप्शन है, जिसे हम शाम के नाश्ते में बना सकते हैं. तो आइए जानते हैं उन्हें बनाने कि रेसिपी.

अरबी पत्ता रोल्स

सामग्री

अरबी के पत्ते –

1 बड़ा कप बेसन –

1 छोटा चम्मच जीरा –

चुटकी भर हींग –

1/4 छोटा चम्मच हलदी –

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर –

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर –

1/4 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर –

1 छोटा चम्मच दरदरी सौंफ –

1 छोटा चम्मच जैतून का तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

बेसन में नमक, तेल व सभी मसाले मिला लें.

आवश्यकतानुसार पानी मिला कर गाढ़ा घोल बना लें.

अरवी के पत्तों को चकले पर उलटा रखें. बेलन से बेल कर उन की नसें  दबा दें.

अब एक पत्ते पर तैयार घोल रख कर दूसरा पत्ता ऊपर रखें. पुन: घोल लगा कर पत्तों को रोल कर लें.

इसी तरह सब पत्तों के रोल्स बना कर भाप में पकाएं.

जब बेसन सूख जाए व पत्ते नर्म हो जाएं तब आंच से उतार कर रख दें.

ठंडे हो जाने पर मनचाहे टुकड़ों में काट कर टोमैटो सौस व पुदीना चटनी के साथ सर्व करें. आप चाहें तो रोल्स को तल भी सकती हैं.

दाल फरा

सामग्री

– 1/2 कप चने की दाल

– 2 छोटे चम्मच अदरक बारीक कटा

– 2 हरीमिर्चें बारीक कटी-

3 कलियां लहसुन

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

– 1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

– 3/4 कप आटा

– 1/2 कप चावल का आटा

– 2 छोटे चम्मच मोयन के लिए तेल

– 1/8 छोटा चम्मच सोडा बाई कार्ब

– फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल

– थोड़ा सा चाटमसाला – लालमिर्च पाउडर और नमक स्वादानुसार.

विधि

चने की दाल को करीब 6 घंटे पानी में भिगोएं. पानी निथार कर दाल और लहसुन को दरदरा पीस लें.

फिर बाकी सारी सामग्री इस में मिला दें. अब दोनों प्रकार का आटा मिला कर मोयन का तेल, सोडा बाई कार्ब और एकचौथाई चम्मच तेल डाल कर रोटी के आटे की तरह मुलायम गूंध लें.

20 मिनट ढक कर रखें. आटे की पतली रोटियां बेलें.

रोटी पर दाल वाला मिश्रण फैलाएं और रोटी को हलके हाथों से रोल कर दें. दोनों किनारे बंद कर दें. इस तरह सब रोल तैयार कर लें.

अब सभी रोल को उबलते पानी में डाल कर 10 मिनट पकाएं.

पानी से रोल निकाल कर ठंडा करें. फिर छोटेछोटे टुकड़े काट कर गरम तेल में सुनहरा तल लें.

सर्विंग प्लेट में निकाल कर चाटमसाला बुरक कर चटनी के साथ सर्व करें.

बेसन पनीर फ्रिटर्स

सामग्री

– 1 कप बेसन

– 3 बड़े चम्मच चावल का आटा

– 1 कप छाछ

– 1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

– 1 छोटा चम्मच सांबर पाउडर

– चुटकी भर खाने वाला सोडा

– 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 200 ग्राम पनीर

– 1/4 कप पुदीना व धनियापत्ती की चटनी

– फ्रिटर्स तलने के लिए औयल – नमक स्वादानुसार.

विधि

बेसन में चावल का आटा मिलाएं. इस में छाछ डाल कर गाढ़ा घोल बना लें. 3 घंटे के लिए ढक कर रख दें.

पनीर के 1 इंच मोटे टुकड़े काटें और प्रत्येक के बीच में स्लिट कर के हरी चटनी लगा दें.

बेसन वाले मिश्रण में पनीर व तेल को छोड़ कर बाकी सारी सामग्री मिलाएं. मिश्रण बहुत गाढ़ा हो तो थोड़ा सा पानी डाल लें.

प्रत्येक चटनी लगे टुकड़े को बेसन वाले मिश्रण में लपेट कर धीमी आंच पर तेल में डीप फ्राई कर चटनी के साथ सर्व करें.

4. सूजी का मेवा भरा दहीवड़ा

सामग्री

– 1/2 कप सूजी

– 1 कप दूध

– 1/2 कप पानी

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– 2 बड़े चम्मच मिलाजुला मेवा बारीक कटा

– 1 कप फ्रैश जमा फेंटा दही

– मीठी इमली की सोंठ

– धनियापत्ती की चटनी

– नमक, जीरा पाउडर, मिर्च पाउडर सभी स्वादानुसार

– दहीवड़े सेंकने के लिए औयल.

विधि

सूजी को सूखा ही नौनस्टिक कड़ाही में 2 मिनट भूनें. कड़ाही में 1 चम्मच तेल में जीरा भूनें और उस में दूध व पानी डाल दें. जब गरम हो जाए तो धीरेधीरे सूजी डालें और चलाती रहें.

जब मिश्रण गोले की तरह इकट्ठा होने लगे तब आंच बंद कर के मिश्रण ठंडा करें.

एक कड़ाही में पुन: तेल गरम करें. थोड़ाथोड़ा मिश्रण हाथ में ले बीच में मेवा भर के बंद करें. वड़े का आकार दें. इसे धीमी आंच पर सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें.

2 मिनट के लिए पानी में डालें. हलके हाथों से निचोड़ें. प्रत्येक वड़े को दही में लपेट कर प्लेट में रखें. ऊपर से और दही डालें. नमक, मिर्च, जीरा व खट्टीमीठी सोंठ डाल कर तुरंत सर्व करें.

5. केसरी पोहा स्क्वेयर्स

सामग्री

– 3/4 कप पतला चिड़वा

– 1/4 कप बारीक सूजी

– 1 कप चीनी

– 1 कप दूध

– 2 कप पानी

– चुटकी भर केसरी रंग

– 10-12 धागे केसर के

– 1 बड़ा चम्मच बादाम कतरन

– 2 छोटे चम्मच पिस्ता कतरन

– 1/4 कप घी

– 1/4 छोटा चम्मच छोटी इलायची चूर्ण

– 2 बड़े चम्मच रंगीन टूटीफ्रूटी.

विधि

चिड़वे को नौनस्टिक कड़ाही में धीमी आंच पर 3 मिनट भून ठंडा कर मिक्सी में पाउडर बना लें.

फिर कड़ाही में घी डाल कर सूजी व बादाम भूनें. इस में पोहा पाउडर मिलाएं.

दूध और पानी डाल कर धीमी आंच पर चलाएं ताकि गुठलियां न बनें. जब यह फूल जाए और गाढ़ा होने लगे तब चीनी व रंग डाल दें.

केसर को तवे पर हलका सा भून कर पीस कर मिश्रण में डाल दें. बराबर चलाती रहें. आधी बादाम कतरन भी डालें.

जब मिश्रण एकदम इकट्ठा हो जाए तब उस में टूटीफ्रूटी मिलाएं और चिकनाई लगी ट्रे में फैला दें.

ऊपर से बादाम व पिस्ता कतरन और इलायची चूर्ण बुरक कर दबा दें. ठंडा कर के मनचाहे टुकड़ों में काट लें.

व्यंजन सहयोग : नीरा कुमार

Anupama’ का जबरदस्त ‘लीप’ : देवदास जैसे दिखेंगे अनुज, बुजुर्गों की शादियां कराएगी अनुपमा

‘लीप’ सीरियल्स का हिस्सा बनती रही है और औडियन्स के लिए यह बोर करते लंबे सीरियल में ताजगी भरी खुशबू की तरह होती है काफी लंबे समय से सीरियल अनुपमा ने दर्शकों पर अपनी पकड़ बना रखी है, जब उन्हें महसूस होने लगता है एपिसोड को जबरदस्ती खींचा जा रहा है, तो प्रोड्यूसर राजन शाही तुरंत कुछ बदलाव करते हैं.

जल्दी ही सीरियल अनुपमा में इस तरह का बदलाव नजर आएगा. सीरियल में लीप आनेवाला है और इसका प्रोमो दर्शकों के सामने आ चुका है, सोमवार से दर्शक रुपाली गांगुली और एक्टटर गौरव ख्रन्ना को नए अवतार में देखेंगे .  

महाएपिसोड, महालीप, महामिलन हथकंडे की क्या जरूरत
दशकों से सीरियल्स के प्रोड्यूसर्स अधिक टीआरपी वाले ड्रामाज को जबरदस्ती खींचने के लिए तरहतरह के हथकंडे अपने आते हैं, जिसमें महाएपिसोड, महाट्विस्ट, लीप शामिल है. यह काफी पहले ही साबित हो चुका है कि हिंदी सीरियल्स को देखना है, तो दिमाग को लीविंग रूम के सेंटर टेबल पर रख दो और केवल मनोरंजन करो. इस तरह के मनोरंजन को टाइमपास मनोरंजन कह सकते हैं. आज 80 और 90 के दशक जैसे सीरियल्स नहीं बन रहे हैं, जो दूरदर्शन पर बहुत पौपुलर हुए थे. बुनियाद, हमलोग, शक्तिमान, औफिसऔफिस, देखभाईदेख, फौजी इन सब सीरियल्स के कंटैंट अलग थे. किसी में मिडिल क्लास परिवार की तंगहाली (हमलोग)को दिखाया गया, किसी में दफ्तर का कल्चर (औफिसऔफिस) जहां बाबूओं की बड़ी चलती है, किसी में अपक्लास कौमेडी (देखभाईदेख) दिखाई गई, तो कोई सीरियल केवल बच्चों को ध्यान में (शक्तिमान) रखकर बनाया गया, किसी में देश के बंटवारे की त्रासदी (बुनियाद) सबसे मजेदार बात है कि इनमें से किसी में सासबहू का जौनर नहीं था. हो सकता है कई लोगों को यह सीरियल आज स्लो लगे लेकिन इन्हीं सीरियल्स से (फौजी) शाहरुख खान जैसे एक्टर की पहचान बनी, जो आज बौलीवुड का बादशाह बन गया है.

औडियन्स को यह समझना होगा कि हम धारावाहिक शब्द जब से सीरियल में बदला है हमने अच्छे कंटैंट का स्वागत करना छोड़ दिया और निर्माताओं ने पैसे कमाने के लिए नागनागिन, परिवार में हिंसक षडयंत्र, भूतभूतनी, सुपरपावर जैसे कंटैंट परोसने शुरू कर दिए शायद यही वजह है कि अच्छे कंटैंट देखने के लिए लोग सरहद पार के धारावाहिकों का रुख करने लगे हैं और हम महालीप में उलझे हैं

प्रोमो में चौंकाने वाले तथ्य
इस प्रोमो में जो सबसे खटकने या उत्सुकता जगाने वाला सीन दिखाया जा रहा है, वह है इसके लीड एक्टर गौरव खन्ना यानी अनुज कपाड़ियां का लुक. गुड लुकिंग एक्टर गौरव खन्ना का कैरेक्टर अनुज कपाड़ियां लंबी दाढ़ी और बढ़े हुए बाल में नजर आ रहे हैं. इस सीन को देखकर लग रहा है कि वह अनुपमा से बिछड़ चुका है और उसकी याद में तनहाई के दिन गुजार रहा है. अनुज के रोल को पसंद करनेवाले दर्शकों का यह मानना है कि लीप के बाद आनेवाले एपिसोड्स में अनुज को अपनी एक्टिंग दिखाने का जोरदार चांस मिलने वाला है क्योंकि उनका यह लुक देवदास से इंस्पायर्ड लग रहा है
दूसरी तरफ एक्ट्रैस रूपाली गांगुली का किरदार अनुपमा को एक आशा भवन नाम के वृद्धाश्रम में देखा जा सकता है, जहां वह अपने दुखों को दिल में दबाए बुजुर्गों की सेवा कर रही है. प्रोमो देखकर दर्शकों को यह अहसास हो जाएगा कि भले ही अनुपमा और अनुज किसी वजह से अलग हो चुके हैं लेकिन वे दोनों हरपल एकदूसरे को भूला नहीं पाए.

अनुपमा को महिलाओं ने क्यों पसंद किया
अनुपमा सीरियल लोगों को क्यों पसंद आ रहा है, इस सवाल का एक ही जबाव है कि अनुपमा का किरदार एक ऐसी महिला का है, जो अपने परिवार के साथसाथ अपने लिए भी जीती है, वह भावनाओं से ज्यादा तर्क के आधार पर डिसीजन लेने में यकीन करती है यह सीरियल उन महिलाओं को पसंद आ रहा है, जिन्होंने अपनी लाइफ में बोल्ड स्टैप लिए और उन महिलाओं को भी रास आ रहा है, जो बोल्ड स्टैैप ले तो नहीं पाई लेकिन चाहती है कि उनकी बेटी, बहन या न्यू जैनरेशन की लड़कियां अपनी लाइफ का डिसीजन खुद ले.

अंडरआर्म्स में कट के निशान की फोटो Viral, ब्रैस्ट कैंसर के बाद Hina Khan पहले से ‘स्ट्रांग अवतार’ में

‘खुशी’ का विपरीत शब्द ‘दुख’ न होकर कैंसर होना चाहिए था, कुछ साल पहले तक ऐसा ही लगता था. यह मर्ज ही कुछ ऐसा है, जो तन, मन और धन तीनों पर एकसाथ हमला करता है लेकिन कई कैंसर पैशेंट अब दुख देने वाली भावनाओं को मुंह चिढ़ा रहे हैं और इस हैल्थ इश्यू को मुद्दा नहीं बनने दे रहे हैं, एक्ट्रैस हिना खान भी इनमें से एक है.

हाल में हिना खान को पता चला कि उन्हें ब्रैस्ट कैंसर है. इसके बाद उन्होंने अपना इलाज शुरू किया. अब उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर अपनी कुछ फोटो पोस्ट की है, इन पिक्चर्स में उनके बाल काफी छोटे दिख रहे हैं और उनके अंडरआर्म्स में 2 इंच का एक कट दिख रहा है. इन फोटोज के साथ हिना ने लोगों को एक स्ट्रौंग मैसेज दिया है, “आप इन तस्वीरों में क्या देखते हैं?, मेरे बौडी के जख्म के निशान या मेरे आंखों में मौजूद आशा की किरण. ये जख्म मेरे हैं और मैंने पूरे प्यार के साथ  स्वीकारा है क्योंकि इस आगे बढ़ने की पहली निशानी है, जिसे मैं डिजर्व करती हूं ”

हिना खान ने अपने बाल काफी छोटे करा लिए हैं, जो इस बात का इशारा है कि उनकी कीमोथैरेपी शुरू हो गई है. जब वह अपने बालों को कटवा रही हैं, तो वीडियो के बैकग्राउंड से उनकी मां के रोने की आवाज आ रही है. वह अपनी मां को समझा जा रही है कि नौर्मली भी बाल काटे जाते हैं, बाल छोटे होते हैं और फिर लंबे हो जाते हैं, इसमें रोने की कोई बात नहीं. हिना ने इस वीडियो पोस्ट करने के साथ महिलाओं को खासकर कैंसरे से पीड़ित महिलाओं को लिखा है,“ मैं जानती हूं, यह सब काफी कठिन है, हमारे लिए बाल बहुत ही मायने रखते हैं, महिलाओं के लिए यह ताज की तरह होते हैं, जिसे हम कभी उतारना नहीं चाहते, लेकिन अगर आपको जिंदगी की इस कठिन जंग को जीतना है, तो ऐसे डिसीजन लेने होंगे ”

साल 2009 में टेलीविजन सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ से घरघर के लिविंग रूम में एंट्री कर चुकी यह एक्ट्रैस आज एक बड़ी सैलिब्रिटी है. इस सीरियल में अक्षरा के रूप में उनका कैरेक्टर एक आइडियल बेटी, बहू और मां का था. अब साल 2024 चल रहा है, तब से अबतक हिना ने बहुत ऊंचाइयों को छूआ है, अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के बल पर वह छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक आ गई. बौलीवुड में जगह बनानी आसान नहीं होती जबतक कि आपकी इच्छाशक्ति जबरदस्त मजबूत न हो. उन्होंने कई म्यूजिक वीडियोज, मूवीज और वेबसीरीज में काम किया. इतना ही नहीं मूल रूप से कश्मीरी 36 साल की इस एक्ट्रैस ने खुद को काफी फिट रखा है.

रियल लाइफ में भी हिना खान को काफी संजीदा देखा गया है, उन्हें देखकर ही लगता है कि वह काफी फोकस्ड हैं. इस इंडस्ट्री में रहने के बावजूद उनका काम उनके कोस्टार के साथ नहीं जुड़ा. हां, उनके जिंदगी में एक शख्स है, जिसका उन्होंने इंटरव्यूज में जिक्र किया है, उसका नाम रौकी जायसवाल है. रौकी से उनकी मुलाकात उनके पहले सीरियल के सेट पर हुई थी, बौयफ्रेंड रौकी उस सीरियल के प्रोड्यूसर थे . हिना के कैंसर डिटैक्ट होने पर रौकी ने कहा कि वह चाहते हैं हिना अच्छी तरह रीकवर हो जाए. हिना से जब पूछा गया कि वे शादी कब करेंगी, तो उनका जबाव था कि वे दोनों मानसिक तौर पर एक पतिपत्नी की तरह ही हैं, इसलिए दिखावे के लिए शादी करने की जरूरत नहीं है. फिलहाल हिना के सभी दोस्त उनकी हिम्मत को बढ़ावा दे रहे हैं.

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