बारिश में जा रहे हैं पिकनिक मनाने, तो बड़े काम के हैं ये टिप्स

पानी के बरसते ही गर्मी की तपिश से जैसे ही राहत मिली तो घूमने की शौकीन हर दिल अजीज राजी ने अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ मांडू घूमने का प्लान बना डाला. नियत दिन पर 10 मेम्बर्स का ग्रुप अपनी अपनी गाड़ी से निकल पड़ा पर मांडू पहुंचने से पहले ही राजी की कार खराब हो गयी जिसे सही करवाने में लगभग आधा दिन निकल गया. राजी की इस लापरवाही से पूरे ग्रुप का ही मजा खराब हो गया सब मन ही मन राजी को कोस रहे थे.

बारिश में हर तरफ मौसम बड़ा सुहावना होता है, चारों तरफ हरियाली और वाटरफौल्स मन को मोह लेते हैं और मन घूमने को करने लगता है इसीलिए इस मौसम को पिकनिक आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. अक्सर लोग फैमिली और फ्रेंड्स के साथ पिकनिक मनाने का प्लान करते हैं परन्तु जरा सी लापरवाही से पूरी पिकनिक का मजा बिगड़ जाता है. पिकनिक पर जाने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है-

1-वाहन है सबसे जरूरी

आप जिस भी वाहन से जाना चाहते हैं जाने से पहले उसकी हवा, पेट्रोल और फ्रंट ग्लास से पानी हटाने वाले वाइपर की चेकिंग अवश्य करवाएं ताकि रास्ते में पानी बरसने पर भी आपको किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.

2-जगह का हो सही चुनाव

अपने परिवार के सदस्यों की रुचि और उम्र के अनुसार जगह का चुनाव करें मसलन यदि परिवार में बुजुर्ग और छोटे बच्चे हैं तो पहाड़ी और ऊंचाई वाले स्थान पर जाने से बचें, जगह ऐसी होना चाहिए जहां आप आसानी से पहुंच जाएं.

3- सही फुटवियर का चयन

चूंकि बारिश में चारों तरफ कीचड़ और मिट्टी हो जाती है इसलिए खुली चप्पल या सैंडल के स्थान पर वाटर प्रूफ जूतों का ही प्रयोग करें. बाजार में आजकल विभिन्न ब्रांड के मानसून फ़्रेंडली चप्पल और शूज उपलब्ध हैं आप उनका प्रयोग भी कर सकते हैं.

4-क्रीम और दवाइयां भी हैं खास

बारिश में भांति भांति के कीट पतंगे चारों तरफ हो जाते हैं इनसे बचाव के लिए ओडोमास जैसे ब्रांड की कोई क्रीम अपने साथ अवश्य रखें और खुले स्थान पर बैठने से पहले इसे अपने शरीर पर एप्लाई कर लें.
कुछ लोगों को तेज धूप, गर्मी, उमस अथवा घुमावदार जगहों पर चक्कर और उल्टी की समस्या होने लगती है इसलिए दवाइयां अपने साथ रखें और इन जगहों पर जाने से पहले खा लें.

5-रेनकोट और छाता

इन दिनों पानी कभी भी बरस सकता है इसलिए किसी भी जगह पर जाने से पहले रेनकोट और छाता अपने साथ अवश्य रखें. आजकल बाजार में वाटर रजिस्टेंस पोंचू भी उपलब्ध हैं ये साइज में छोटे होते हैं, दिखने में फैशनेबल और शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने में भी कारगर होते हैं.

6-ड्रायबैग

आपका बैग भले ही कितना भी वाटरप्रूफ हो परन्तु फिर भी आप एक प्लास्टिक और जिप्लौक बैग अपने साथ अवश्य लेकर जाएं. प्लास्टिक बैग आपके गीले कपड़े और जिप लौक बैग आपके मोबाइल को रखने के काम आएगा. यदि आप लेपटॉप भी अपने साथ लेकर जा रहे हैं तो इसके लिए भी अलग से एक प्लास्टिक बैग लेकर जाएं.

7-कपड़े और तौलिया

मानसून की बारिश आपको कभी भी भिगो सकती है इस बात को ध्यान में रखते हुए 1 अतिरिक्त जोड़ी पहनने वाले कपड़ो की लेकर जाएं.

इस मौसम में फर वाली मोटी टॉवेल के स्थान पर पतली टॉवेल या गमछे को अपने साथ लेकर जाएं ताकि बारिश में भीगने पर भी ये जल्दी सूख जाए.

8-पौली बैग्स और डिस्पोजल

पिकनिक पर जाते समय खाने पीने के लिए डिस्पोजल ग्लास और प्लेट्स का ही प्रयोग करें. साथ ही पिकनिक वाले स्थल पर जरा भी गंदगी आप न करें इस बात को ध्यान में रखते हुए कचरे को रखने के लिए एक अतिरिक्त कचरा बैग को अपने साथ लेकर जाएं.

9-स्टूल और न्यूज पेपर

आजकल बाजार में भांति भांति के फोल्डिंग स्टूल्स एवेलेबल हैं ये जरा भी जगह नहीं घेरते और मिनटों में इन्हें कहीं पर भी खोलकर प्रयोग किया जा सकता है पिकनिक के लिए ये बहुत उपयुक्त होते हैं.
बैठने के लिए प्लास्टिक की चटाई लेकर जाएं और यदि आप चादर लेकर जा रहे हैं तो 5-6 न्यूज पेपर्स को पहले जमीन पर बिछा दें फिर ऊपर से चादर बिछा दें इससे आपकी चादर गन्दी नहीं होगी.

10-स्नैक्स

रेडीमेड स्नैक्स के बड़े एक पैकेट के स्थान पर छोटे छोटे ज्यादा पैकेट अपने साथ लेकर जाएं क्योंकि बारिश में एक बार खुल जाने पर पूरी खाद्य सामग्री नमी युक्त हो जाती है.

ब्रेकअप के बाद अपने टूटे हुए दिल को संभाले कैसे?

‘प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है, हर खुशी से, हर गम से बेगाना होता है….’ किशोर कुमार का यह गाना शायद ही कोई हो, जिसे पसंद न हो.

यों प्यार बहुत ही खूबसूरत एहसास है और शायद ही कोई होगा जिस ने इसे दिल से महसूस न किया हो। जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो हर वक्त उस के खयालों में गुम रहना, उस के लिए कुछ खास करना, मतलब मानों हम सिर्फ उसी के लिए जीना चाहते हैं…

 

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कुछ ऐसा ही होता है न प्यार का रिश्ता… लेकिन कुछ लोगों की जिंदगी में यह रिश्ता जितनी जल्दी बनता है, उतनी ही आसानी से टूट भी जाता है. प्यार से शुरू हुआ यह रिश्ता कब टौक्सिक बन जाता है, पता ही नहीं चलता.

लड़कों के मामले में लड़कियां ज्यादा इमोशनल होती हैं. ब्रेकअप के बाद भी कई लड़कियां अपने बौयफ्रैंड को मनाने की कोशिश करती हैं, हालांकि इस के बावजूद जब आप का पार्टनर आप से दूर रहना चाहता है, तो इस स्थिति में आप की तकलीफ ज्यादा बढ़ती है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने रिश्ते की सचाई को स्वीकार करें और इस दर्द से बाहर निकलें.

ब्रेकअप के बाद अपने टूटे हुए दिल को फिर से जोड़ने के लिए ये कुछ टिप्स आप के काम आ सकते हैं :

Close up on couple with broken heart painted behind them

ऐक्स से न करें दोबारा संपर्क

ब्रेकअप के बाद बौयफ्रैंड से जुड़ी हर अच्छी याद आती हैं. ऐसे में आप बारबार कौल या मैसेज करना चाहती हैं, लेकिन ये गलती भूल कर भी न करें.
अगर आप अपने ऐक्स से बात करेंगी, तो आप ज्यादा हर्ट होंगी. हर बातचीत आप के पुराने जख्मों को कुरेद सकती है. आप का अपने बौयफ्रैंड से बारबार वही रिक्वैस्ट करना कि लाइफ में फिर वापस आ जाओ, ये सारी चीजें कहना आप को परेशानी में डाल सकती हैं, इसलिए बेहतर है कि आप अपने पास्ट से बाहर निकलें और आने वाली जिंदगी को सुनहरा मौका दें.

यादों से निकलें बाहर

कई बार हम अपनी अच्छी यादों को संजो कर रखते हैं, लेकिन यही यादें हमारे लिए मुसीबत बन जाती हैं. बौयफ्रैंड की याद दिलाने वाली चीजों से खुद को दूर रखने की कोशिश करें. हालांकि यह चैलेंजिंग हो सकता है, लेकिन पुरानी यादों को भूलाने के लिए ऐसा करना जरूरी है.
ऐक्स की यादों से निकलने के लिए आप अपनी बैस्ट फ्रैंड या घर के किसी सदस्य से मदद ले सकती हैं, जिस से आप सहज महसूस करेंगी.

जल्दी नए रिश्ते में न आएं

ब्रेकअप के बाद अकसर लोगों को इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है. ऐसे में लोग नए रिश्ते की तलाश करने लगते हैं, लेकिन जल्दबाजी में नए रिश्ते की शुरुआत करना गलत फैसला साबित हो सकता है.

अपनों के साथ समय बिताएं

अकसर लोग ब्रेकअप के अकेले में बैठ कर साथी की याद में आंसू बहाते हैं. ऐसा बिलकुल न करें। आप अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के साथ समय बिताएं, इस से आप को रिलैक्स और अपनापन महसूस होगा.
आप ऐसी ऐक्टिविटीज में भी भाग ले सकती हैं, जो आप को पसंद हो. इस तरह ब्रेकअप के दर्द से आप आसानी से बाहर निकल सकती हैं.

दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाएं

रिश्ता टूटने के बाद आप सोचती हैं कि अब क्या कहीं घूमने जाऊं, तो इस तरह के खयाल से बाहर निकलें और अपनी नई जिंदगी की खुशियां मनाने के लिए किसी ट्रिप का प्लान करें. ट्रैवलिंग एक तरह की थेरैपी है. आप अपने करीबी फ्रैंड्स के साथ पसंदीदा जगह पर घूमने जाएं और भरपूर ऐंजौय करें.

सोनाक्षी-जहीर की शादी दुल्हादुलहन राजी तो क्या करेगा पंडित और काजी

आजकल सोनाक्षी सिन्हा की शादी चर्चा का विषय बनी हुई है क्योंकि सोनाक्षी सिन्हा जिन के बंगले का नाम रामायण, पिता का नाम शत्रुघ्न सिन्हा और भाइयों का नाम लव और कुश है, ऐसी धार्मिक फैमिली की बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने जब अपने कई साल पुराने मुसलिम प्रेमी जहीर इकबाल के साथ शादी का ऐलान किया तो घरपरिवार से ले कर सोशल मीडिया और धर्म के ठेकेदार पंडित और काजी तक तहलका मच गया.

यों घर वालों का सोनाक्षी का मुसलिम परिवार में शादी का निर्णय सदमा देने जैसा तो था ही, जिस के चलते उन के परिवार में भाई और पिता दोनों ही बहुत दुखी हो गए. पर इस के साथ ही इस खबर के बाद सोनाक्षी की शादी चर्चा का विषय बन गई.

चर्चा का विषय

हालांकि 23 जुलाई को सोनाक्षी की शादी कोर्ट मैरिज के तहत संपन्न हो गई और खुशीखुशी यह शादीशुदा जोड़ा हनीमून के लिए रवाना भी हो गया. बावजूद इस के सोनाक्षी की शादी को ले कर विवाद चर्चा का विषय बना रहा.

सोशल मीडिया पर शत्रुघ्न सिन्हा सोनाक्षी की शादी को ले कर सब से ज्यादा ट्रोल हुए.

आजकल सोशल मीडिया का यह हाल है कि यहां पर हरकोई अपने व्यूवर्स और सब्सक्राइबर बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है फिर चाहे वह खुशी या दुख की खबर हो या किसी की बेइज्जती करने की बात, ट्रोलर्स किसी भी तरह नहीं चूकते, जिस के चलते सोनाक्षी की शादी के बाद भी शत्रुघ्न सिन्हा और भाई लव चर्चा का विषय बने रहे.

गरम रहा अफवाहों का बाजार

जहां शत्रुघ्न सिन्हा के लिए सोनाक्षी सिन्हा की शादी को ले कर अस्पताल में भरती होने से ले कर हार्टअटैक और सर्जरी तक की खबरें फैलीं, वहीं भाई लव की नाराजगी को लेशकर सोनाक्षी कि शादी के खिलाफ बयानबाजी का ट्रोलर्स ने बहुत फायदा उठाया जबकि सचाई यह थी कि लव शादी में मौजूद थे और शत्रुघ्न सिन्हा रूटीन चैकअप के लिए हौस्पिटल ऐडमिट हुए थे.

ऐसे में जब सोनाक्षी अपने पिता को देखने अस्पताल पहुंची तो कुछ लोगों ने उन के प्रेग्नैंट होने की खबर भी उड़ा दी.

बीच में धर्म के ठेकेदार

धर्म के कुछ ठेकेदार हिंदूमुसलिम शादी को ले कर सोशल मीडिया पर बयानबाजी करते नजर आए. सोशल मीडिया पर इतनी बेइज्जती देख ऐक्टर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा जो हमेशा अपनी फिल्मों में सब को खामोश कहते रहते थे, खुद ही खामोश रहना सही समझा.

सोनाक्षी की शादी से हिंदू धर्म के ठेकेदार पंडितों को सब से भारी नुकसान हुआ. सोनाक्षी की शादी को लेकर पंडितों में भी काफी नाराजगी दिखाई दी क्योंकि दक्षिणा के नाम पर अमीर घरों में शादी कराने वाले पंडित करीबन शादी का 2% शादी करने की फीस और दक्षिणा के रूप में ढेर सारे पैसे लेते हैं. उस के बाद बाकी सारे विधिविधान के तहत कार्यक्रम और शादी के बाद बच्चा होने पर उस बच्चे को ले कर सारे रीतिरिवाज के तहत होने वाले कार्यक्रमों में दक्षिणा इन सभी चीजों का सोनाक्षी की मुसलिम से शादी होने की वजह से पंडितों का भारी नुकसान हो गया.

हालांकि अगर मुसलिम हिंदू की यह शादी किसी गरीब लड़केलड़की की होती तो कोई भी पूछने भी न आता. लेकिन क्योंकि यह शादी एक सैलिब्रिटी और अमीर जोड़े की है, इस शादी से धर्म के ठेकेदार और हिंदू समुदाय के लोग सब से ज्यादा आहत हुए, जिस के चलते शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा की शादी पर इतना बवाल हो गया.

राज: कैसे समधन की मददगार बनीं नेहा की सास

हम तीनों बहनों की शादियां हो चुकी हैं. कोई बेटा न होने के कारण मां अकेली रहती हैं. इसलिए 4 दिन बाद होने वाले मोतियाबिंद के आपरेशन के पश्चात मां की देखभाल करने की समस्या का हल ढूंढ़ना जरूरी था. इस विषय पर मैं ने अपनी मझली बहन नीरजा से फोन पर बात की.

‘‘डाक्टर गुप्ता ने मां की आंख का आपरेशन करने के लिए 4 दिन बाद की डेट दे दी है. मेरे लिए तो 1 दिन से ज्यादा छुट्टी लेना असंभव है, क्योंकि आफिस में सालाना क्लोजिंग का काम चल रहा है,’’ वार्त्तालाप के आरंभ में ही मैं ने यह बात साफ कर दी कि मैं मां की देखभाल के लिए उन के साथ नहीं रह पाऊंगी.

‘‘फिर मां की देखभाल कैसे होगी? तुम्हें तो पता है कि मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती है,’’ नीरजा की आवाज में फौरन चिढ़ व गुस्से के भाव उभरे.

‘‘मां की देखभाल के नाम पर तुझे एकदम से अपनी बीमारी याद आ गई. और सब जगह घूमनेफिरने में तेरी बीमारी रुकावट क्यों नहीं डालती?’’

‘‘मजबूरी में तो तुम भी छुट्टी ले ही सकती हो. पिछले साल

इन्हीं क्लोजिंग के दिनों में तुम जीजाजी के साथ मलयेशिया घूम कर

आईं न.’’

‘‘मलयेशिया घूमने का मौका तो इन के आफिस वालों की तरफ से मुफ्त में मिला था. उसे छोड़ देना तो नासमझी होती बहना.’’

‘‘मैं तुम से झगड़ी तो मेरे सिर का दर्द जानलेवा हो जाएगा. क्या तुम्हारी इस बारे में नेहा से बात हुई है?’’ नीरजा ने वार्त्तालाप को हमारी छोटी बहन की तरफ मोड़ दिया.

‘‘मैं उसे अभी फोन करूंगी, पर क्या फायदा होगा उस से इस बारे में कोई बात करने का? तुझे लगता है कि उस की सास उसे मां की देखभाल के लिए मायके आने की इजाजत देंगी?’’

‘‘बिलकुल नहीं देंगी. नेहा को भेजने की बात वही उन से कहे जिसे अपनी बेइज्जती कराने का शौक हो. वे तो बहुत मुंहफट औरत हैं.’’

नेहा की सास के साथ करीब 3 महीने पहले हमारा एक अनुभव बहुत खराब रहा था. तब नेहा और कपिल की शादी हुए 1 महीना ही बीता था.

नीरजा और मैं उस शाम पहली दफा नेहा की ससुराल में मिठाई और फल ले कर पहुंचे.

‘मौसीजी, कुछ देर के लिए हम नेहा को अपने साथ बाजार घुमाने ले

जाएं?’ कुछ देर बैठने के बाद मैं ने अपनी आवाज में भरपूर मिठास भर कर नेहा की सास से उसे साथ ले जाने की इजाजत मांगी थी.

‘नेहा तो घूमने नहीं जा सकेगी. बड़ी बहू के दोनों बच्चों की परीक्षाएं 2 दिन बाद शुरू हो रही हैं और उन की तैयारी कराने की सारी जिम्मेदारी नेहा के सिर पर है. ऐसे में 1 दिन भी जाया करना उन का रिजल्ट बिगाड़ देगा,’ बड़े रूखे से अंदाज में मौसीजी ने नेहा को साथ भेजने से इनकार कर दिया था.

‘प्जीज, थोड़ी देर के लिए भेज दीजिए न, मौसीजी,’ नीरजा ने तो उन की खुशामद करने को हाथ भी जोड़ दिए थे.

‘अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज कर के वह नहीं जा सकेगी,’ वे नाराज नजर आतीं हमारे पास से उठीं और घर के भीतरी भाग में चली गईं.

हम दोनों बहनों की एक तरह से उन के हाथों बहुत बेइज्जती हुई थी. हम ने जब उन के खराब व्यवहार की शिकायत नेहा से की तो वह उलटा हमें ही समझाने लगी थी.

‘मम्मीजी की बातों का आप दोनों बुरा न मानो, क्योंकि वे दिल

की बहुत अच्छी हैं. आप के लिए गरमगरम समोसे और जलेबियां उन्होंने ही मंगाई हैं.’

नेहा का उन की तरफदारी करना हमारा गुस्सा और ज्यादा बढ़ा गया था, ‘मां ने जल्दबाजी दिखाते हुए बहुत गलत घर में तेरी शादी कर दी है. ऐसे दमघोंटू वातावरण में तू जी कैसे रही है?’ नीरजा ने सहानुभूति प्रकट की थी.

‘मैं तो यहां बहुत खुश हूं. मेरी ससुराल के सब लोग जबानके कड़वे पर दिल के अच्छे हैं,’’ नेहा का यह जवाब सुन कर हम दोनों बहनें उस का मुंह हैरानी से ताकने लगी थीं.

उस की जिंदगी में खुशी देने वाली कोई बात हमें तो नजर नहीं आई थी. घर में सास का हिटलरी हुक्म पूरी तरह से चलता था. जब वे गुस्से में होतीं तो नेहा के ससुरजी या दोनों बेटों की भी उन के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती थी.

मौसीजी ने घर के सारे काम दोनों बहुओं के बीच बांटे हुए थे.

नेहा पढ़ाने के लिए स्कूल जाती थी पर इस कारण उसे अपने हिस्से के काम करने में कोई छूट नहीं मिली थी. मौसीजी का अपना मन होता तो घर के कामों में हाथ बंटातीं, नहीं तो जबान हिला कर बस, हुक्म सुनाती रहती थीं.

नेहा को सुबह 6 बजे उठ कर रोज सुबह का नाश्ता तैयार करना होता था. रात को चपातियां वही सेंकती. आज के समय में भी जब मौसीजी का मन करता तो वे दोनों बहुओं से पैर दबवा लेती थीं.

नेहा के जेवर भी उस की सास ने अपने पास

दबा कर रख लिए थे. बाहर वालों के सामने उसे सिर पर पल्ला रखना पड़ता था. इतनी तेज सास के साथ रहते हुए भी नेहा खुश है, यह बात हम दोनों बड़ी बहनों की समझ में बिलकुल नहीं आती थी. हमारी नजरों में तो वे बददिमाग और बेहद घमंडी स्त्री थीं.

नीरजा से बातें करने के बाद मैं ने कपिल को फोन कर मां के आपरेशन के बारे में जानकारी दे दी. फिर मां से कहा, ‘‘मां, तुम्हारे आपरेशन के लिए मैं अकेली 25 हजार रुपए खर्च कर रही हूं. नीरजा तो फ्लैट की किस्त का बहाना बना कर 1 धेला देने को तैयार नहीं है और नेहा से रुपए मांगना अच्छा नहीं लगेगा. जब सारा खर्च मैं ही कर रही हूं तो तुम्हारी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी नीरजा की रहेगी,’’ मेरी तीखी बात सुन कर मां ने नाराजगी भरे अंदाज में आंखें मूंद लीं.

करीब घंटे भर के बाद कपिल नेहा के साथ वहां आ गया.

‘‘कहां आपरेशन हो रहा है इन का?’’

कपिल ने मां के आपरेशन के बारे में बातें

करनी शुरू कीं.

‘‘यहां पास में डाक्टर गुप्ता के आंखों के अस्पताल में 4 दिन बाद आपरेशन होगा,’’ बड़ी मुश्किल से ही मैं अपनी आवाज को सहज रख पा रही थी.

‘‘शहर के सब से नामी और काबिल

आई सर्जन डाक्टर कैलाश से आपरेशन क्यों नहीं करातीं?’’

‘‘क्योंकि वह मरीजों को लूटता है, कपिल,’’ मैं ने चिढ़ कर जवाब दिया.

‘‘वह कैसे?’’ कपिल हैरान नजर आने लगा.

‘‘करीब डेढ़ गुना ज्यादा खर्च आएगा डाक्टर कैलाश के यहां आपरेशन कराने का. यहां 25 हजार में काम हो जाएगा और वहां

35 हजार लगेंगे.’’

‘‘मैं समझता हूं कि आंख के मामले में हमें सब से अच्छी जगह ही जाना चाहिए.’’

‘‘25 हजार से ज्यादा खर्च करना मेरे बजट से बाहर होगा. कपिल, तुम तो मुझे यह बताओ कि क्या कुछ दिन के लिए नेहा मां की देखभाल के लिए यहां आ सकती है?’’ मैं ने वार्त्तालाप की दिशा बदल दी.

‘‘मैं इस बारे में मम्मी से बात करता हूं,’’ सीधा जवाब देना टाल कर उस ने फिर चुप्पी साध ली.

कुछ देर बाद अकेले में नेहा ने मुझे अपनी मजबूरी बता दी, ‘‘मैं मां की देखभाल के लिए नहीं आ सकती हूं, निशा दीदी. सासूमां आने की इजाजत नहीं देंगी, क्योंकि जेठानी के दोनों बच्चों की आजकल वार्षिक परीक्षाएं चल रही हैं.’’

‘‘तू तो उस घर के रंग में पूरी तरह रंग कर निर्मोही हो गई है,’’ नेहा से यह चुभती बात कह कर मैं अपने घर आने को निकल पड़ी.

अगले दिन 11 बजे के करीब मैं मां से मिलने पहुंची तो वे घर में नहीं थीं. पड़ोस वाली कमला आंटी से पता लगा कि कपिल डाक्टर कैलाश के यहां उन की आंख का चैकअप कराने के लिए उन्हें साथ ले गया है.

शाम को मां ने मुझे बताया कि अब उन की

आंख का आपरेशन डाक्टर कैलाश ही करेंगे. मैं ने फौरन फोन कर नेहा से कह दिया कि 25 हजार से ज्यादा होने वाला खर्च कपिल को ही वहन करना पड़ेगा.

फिर 4 दिन के बाद सारा घटनाक्रम बड़ी तेजी से घूमा.

‘‘हम नेहा को तो आप की देखभाल करने के लिए नहीं भेज पा रहे हैं, पर आप को तो अपने यहां बुला सकते हैं न? आप अपनी बेटी की ससुराल में नहीं बल्कि अपनी बहन के घर रहने जा रही हैं,’’ ऐसी दलील दे कर नेहा की सास मेरी मां को आपरेशन होने के 1 दिन पहले अपने घर ले गई थीं.

इस कारण नीरजा ने तो बड़ी राहत की सांस ली पर मुझे यों महसूस हुआ जैसे मैं ठगी गई हूं. अब नीरजा को न आपरेशन के लिए कुछ खर्च देना था और न ही मां की देखभाल करने की जहमत उठानी थी.

‘‘आप इनसान नहीं, देवी हो,’’ आपरेशन थिएटर में जाने से पहले मां के मुंह से नेहा की सास की प्रशंसा में यह वाक्य कई बार निकला.

‘‘आपरेशन पूरी तरह से सफल रहा है,’’

डाक्टर कैलाश के मुंह से यह खबर सुन कर हम सब बहुत खुश हो गए.

‘‘निशा , हम सारा हिसाब बाद में कर लेंगे,’’ ऐसा कह कर मौसीजी ने आपरेशन का पूरा बिल भी खुद ही चुका दिया. आपरेशन होने के बाद मां पूरे 10 दिन नेहा की ससुराल में ही रहीं. मौसीजी ने उन को अपने कमरे में रखा. नेहा के ससुरजी ड्राइंगरूम में सोने लगे थे. मां की पूरी देखभाल मौसीजी कर रही थीं. उन्हें डाक्टर को दिखा लाने की जिम्मेदारी कपिल या उस के बड़े भाई ने निभाई.

मां को उन के यहां से विदा करा लाने

के लिए मैं अपनी कार से अकेली उन के घर पहुंची. नीरजा कमर दर्द का बहाना बना कर

मेरे साथ नहीं आई पर मुझे लगा कि वह आपरेशन में हुए खर्चे का अपना हिस्सा

सब के सामने न दे पाने की शर्मिंदगी से बचना चाहती थी.

‘‘निशा, आपरेशन पर कुल 30 हजार का खर्च आया है, जोकि तुम तीनों बहनों को

आपस में बांटना होगा. ऐसे मामलों में हिसाब से चलना ठीक रहता है,’’ मौसीजी ने मुझे अपने पास बिठा कर अस्पताल का बिल मेरे हाथ में पकड़ा दिया.

मैं तो कुल मिला कर फायदे में ही रही. 25 हजार की जगह अब मुझे नीरजा व अपने हिस्से के 20 हजार रुपए ही देने पड़े. बाद में मां की देखभाल के लिए मुझे जो आया की पगार देनी पड़ती, मेरा वह खर्चा भी बच गया.

विदा के समय मां ने भावुक हो कर मौसीजी से कहा, ‘‘बहनजी, आप ने मेरी इतनी अच्छी तरह देखभाल कर के जो एहसान मेरे सिर पर चढ़ा दिया है, वह मैं इस जिंदगी में नहीं उतार पाऊंगी.’’

‘‘एहसान शब्द को मुंह से निकाल कर आप हमें शर्मिंदा न करें, बहनजी. आप की देखभाल में अगर कुछ कमी रह गई हो तो अपनी इस बहन को माफ कर देना,’’ मौसीजी ने अपना बड़प्पन दिखाते हुए मां से उम्र में बड़ी होने के बावजूद उन के सामने हाथ जोड़ दिए.

‘‘आखिरी सांस तक मैं यह प्रार्थना जरूर

करूंगी कि आप के संयुक्त परिवार में सब की अच्छी सेहत, मन की हंसीखुशी और सुखशांति बनी रहे,’’ यह आशीर्वाद दे कर मां आंखों में आंसू लिए कार में बैठ गईं.

मुझे मौसीजी को नजदीक से देखनेसमझने का मौका मिला तो उन के बारे में मेरी राय पूरी तरह बदल गई थी. मौसीजी की जबान कड़वी व तीखी होने के बावजूद घर का हर सदस्य उन का पूरा मानसम्मान क्यों करता है, इस का राज भी मेरी समझ में आ गया था.

उन के पास सोने का दिल था. वे स्वभाव की तेज जरूरी थीं, पर उन की बातें किसी को अपमानित नहीं करती थीं. अपने परिवार की खुशहाली के लिए पूरी तरह से समर्पित ये बुजुर्ग महिला बड़ी कुशलता से घर चलाते हुए परिवार के हर सदस्य के सुखदुख का पूरा ध्यान रख रही थीं. अपने दिल में उन के प्रति श्रद्धा व सम्मान के भाव रख कर मैं ने विदा के समय उन के पैर छुए तो उन्होंने मुझे छाती से लगा कर ढेर सारे आशीष दे डाले.

100 करोड़ तक की शादियां करायी है सैलिब्रेटी वैडिंग प्लानर्स ने, मिलें अनुष्का, दीपवीर के प्लानर्स

कहते हैं? शादी 2 दिलों का संगम है, जो 2 लोगों को जीवनभर प्यार के बंधन में बांधता है। आम लोगों की जिंदगी में शादी लड़की, लड़के के परिवार वालों और कुछ खास रिश्तेदारों की मौजूदगी में साधारण तरीके से हो जाती है लेकिन किसी भी बौलीवुड सैलिब्रिटीज की रियल लाइफ शादियां किसी ड्रीम वैडिंग से कम नहीं होती। इस में इतना तामझाम होता है जो आम लोगों की सोच से परे होता है।

मैरिज है ग्रैंड इवैंट

बौलीवुड की शादियों में पिक्चर, लोकेशन, डैकोरेशंस, वैडिंग ड्रैसेस और पिपरेशंस तक, सबकुछ बेहद परफैक्टऔर ग्रैंड होता है। इस शादी के शुरू होने से ले कर संपन्न होने तक इतनी फुजूलखर्ची होती है कि देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं।

इस शादी को प्लान करने के लिए पूरी फौज की जरूरत होती जो वैडिंग कपल के हर ओकेजन में पहनने वाली ड्रैसेस, शादी में आए गेस्ट और डैकोरेशन का पूरा ध्यान रखता है और शादी वाले घर से मोटी रकम वसूलता है।

मुश्किल टास्क

सैलिब्रिटीज की शादी में पूरी दुनियाजहान की नजरें भी उन पर होती हैं। ऐसे में वैडिंग कपल के सपने को पूरा करना एक मुश्किल टास्क साबित होता है, लेकिन वैडिंग प्लानर्स भी इस फंक्शन को मोटी रकम ले कर बेहतरीन और खूबसूरत तरीके से पूरा कर देते हैं।

सैलिब्रिटीज की वैडिंगड्रीम को पूरा करने के लिए कई ऐसे वैडिंग प्लानर्स हैं जिन्होंने उन की शादी के फंक्शन को परफैक्ट तरीके से निभाया।

वैडिंग प्लानर टीना थारवानी

शादी की इस लिस्ट में सब से पहले नाम टीना थारवानी का आता है, जिन्होंने अनुष्का शर्मा विराट कोहली की शादी करवाई है। इन दोनों की शादी को टीना ने उनके सपनों का दिन बना दिया। शादी को रौयल बनाने के लिए विराट अनुष्का ने पानी की तरह पैसा बहाया था।

दोनों ने 11 दिसंबर, 2017 को इटली में करीबी रिश्तेदारों के बीच शादी की थी और उस के बाद भारत में दोनों ने दिल्ली और मुंबई में शानदार रिसैप्शन दिए जहां तमाम हस्तियां पहुंची थीं।

जिस रिजौर्ट में विरुष्का की शादी थी वह खास उन के लिए दिसंबर में खोला गया था जबकि यह रिजौर्ट हमेशा अप्रैल में खुलता है। शादी के लिए 50 खास मेहमानों को ही न्योता दिया गया था। यहां 1 व्यक्ति के 1 हफ्ते रुकने का खर्च करीब ₹1 करोड़ है। इस हिसाब से विराट और अनुष्का की शादी के लिए मेहमानों को ठहराने में ही ₹45-50 करोड़ खर्च किए गए थे। इस के बाद टीना की टीम ने नयनतारा विग्नेश शिवन और अथिया शेट्टी केएल राहुल की शादी की भी प्लानिंग की।

वैडिंग प्लानर वंदना मोहन

आप को पता ही होगा कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी साल 2018 की सब से चर्चित शादियों में शुमार है। दोनों 6 साल तक एकदूसरे को डेट करने के बाद शादी के बंधन में बंध गए। दीपवीर के शादी के वैन्यू से ले कर डिजाइनर कपड़ों तक, मेहमानों के लिए किए गए अरैंजमेंट सबकुछ वैडिंग प्लानर वंदना मोहन ने किया।

इटली की ऐतिहासिक भूमि पर 2 दिन का ग्रैंड सैलिब्रेशन प्लान किया। उन्होंने हर छोटी बात का ध्यान रखते हुए शादी को पर्सनल टच दिया। शादी के फेरे ले कर कोमो की खूबसूरत बैकग्राउंड में हुए जिस में करोड़ों रुपए खर्च हुए।

इवैंट मैनेजमेंट में 30 साल का अनुभव वाली वंदना मोहन दिल्ली की फेमस वैडिंग डिजाइनर हैं। वंदना की ‘बैकस्टेज प्रोडक्शन’ नाम से इवैंट मैनेजमेंट कंपनी भी है। इस के साथ ही वह ‘द वेडिंग डिजाइन’ कंपनी भी चलाती हैं और कई सैलिब्रिटीज की शादी का सारा अरैंजमेंट कर चुकी हैं। वंदना जितनी अपनी क्रिऐटिवटी के लिए फेमस हैं उतनी ही मोटी फीस लेती हैं जो की करोड़ों में होती है।

वैडिंग प्लानर भवनेश साहनी और फरीद खान

भवनेश साहनी और फरीद खान ने अपनी टीम के साथ मिल कर ऐक्ट्रैस सोनम कपूर आनंद आहूजा की शादी समारोह को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

शादी के बाद रिसैप्शन में उन्होंने मेहमानों के लिए खास इंतजाम के साथसाथ मेहमानों के लिए
ड्रैस कोड इंडियन और वैस्टर्न फौर्मल रखा। सोनम कपूर की शादी ने पूरी मुंबई को रौशन कर दिया था।

विदेशों में होने वाली बौलीवुड शादियों के बाद, यह भारत में होने वाली पहली शादी थी। सोनम कपूर की शादी के समारोह को 3 हिस्सों में बांटा गया था- मेहंदी की रस्म वेन्यू सनटेक, सिग्नैचर आइसलैंड बीकेएस में। शादी का वेन्यू रौकलैंड, बैंडस्टैंड, बांद्रा में हुआ।

वैडिंग प्लानर आदित्य मोटवानी

आदित्य मोटवाने डैस्टिनेशन वैडिंग के लिए सब से ऊपर है। मोटवानी ने अपनी एजेंसी, मोटवाने ऐंटरटेनमैंट ऐंड वैडिंग्स के माध्यम से शहर में कुछ सब से चर्चित और शानदार शादियों का आयोजन किया है। उन्होंने कई फेमस हस्तियों की शादियों की योजना बनाई है। राजस्थान में सिद्धार्थ और कियारा की शादी, हैदराबाद में सलमान खान की छोटी बहन अर्पिता खान और आयुष शर्मा की शादी, आस्ट्रिया में जिंदल और जसानी की शादी, जयपुर में हिंदुजा और महतानी की शादी और कई अन्य शामिल हैं। उन का काम खास है और उन का प्रोफैशनल स्टाइल ही वैडिंग प्लानर्स में खास बनाता है।

देशी गर्ल प्रियंका ने जोधपुर के उम्मेद भवन में अपनी उम्र से 10 साल छोटे निक जोनस के साथ रौयल शादी की जो हिंदू और क्रिश्चियन दोनों रीतिरिवाज से संपन्न हुई। मुंबई में उन्होंने शादी का एक ग्रैंड रिसैप्शन दिया और ऐसी ही शानदार पार्टी लांस ऐंजेल्स में भी दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रियंका निक ने अपनी शाही शादी में ₹100 करोड़ का खर्च किया था.

वैडिंग प्लानर सचित मित्तल

सचित मित्तल ने अपनी बेहतरीन टीम के साथ दिल्ली में पुलकित सम्राट और कृति खरबंदा के लिए एक बेहतरीन वैडिंग सैलिब्रेशन प्लान किया था। टीम ने उन के सपनों को हकीकत में बदल दिया और उन की शादी को एक फैस्टिवल की तरह सैलिब्रेट किया जिस ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा।

पुलकित सम्राट दिल्ली के रहने वाले हैं और वे खासतौर पर इस शादी को दिल्ली के आसपास ही करना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने एनसीआर स्थित मानेसर के आईटीसी ग्रैंड भारत को शादी के लिए चुना। इस शादी में बौलीवुड थीम है और बौलीवुड थीम से ही शादी के चारों इवैंट सजे नजर आएंगे। इस के साथ ही शादी में देश के कल्चर का भी पूरा खयाल रखा गया है।

सूत्र बताते हैं कि इस ग्रैंड वैडिंग में दिल्ली से ही सारे इंतजाम किए गए हैं। बाहर से किसी भी तरह की कोई चीज को हायर नहीं किया गया है।

कौस्मेटोलौजिस्ट नाम भी पैसा भी

कौस्मेटोलोजी एक ऐसा कोर्स है जो आजकल काफी ट्रेड में है. मार्केट में इस कोर्स की बढ़ती डिमांड को देखकर यूथ बड़ी संख्या में इस ओर आकर्षित हो रहा है. इस ओर बढ़ती डिमांड के कई कारण है जैसे इस के ढेर सारे करियर औपशन और अच्छा खासा पैकेज. आज हम अपने इस आर्टिकल के जरिये आप को कौस्मेटोलोजिस्ट की पूरी जानकारी देंगे.

क्या है कौस्मेटोलोजी
दरअसल कौस्मेटोलोजी ब्यूटी इंडस्ट्री का ही एक कोर्स है. इस कोर्स में ब्यूटी रिलेटेड सभी चीजों को कवर किया जाता हैं. बालों को शैंपू, स्टाइल, कलर, कर्ल या स्ट्रेट करना.

कस्टर को उन के बालों की बनावट, स्थिति और रंग के साथसाथ उन की स्कि के रंग के आधार पर उन के लिए बेस्ट हेयर स्टाइल और कलर के बारे में गाइड करना या सलाह देना. इस के अलावा फेशियल हेयर, शेव और दाढ़ी ट्रिम करना.

यह कहना गलत नहीं होगा कि कौस्मेटोलोजिस्ट एक ऐसा विशेषज्ञ होता है जो हेयर स्टाइलिंग, मेकअप एप्लीकेशन सहित मसाज थेरेपी, स्किन केयर ट्रीटमेंट आदि सर्विसेज देता है. कहने का मतलब यह होता है कि इस कोर्स को करने के बाद आप को अलग से कोई भी ब्यूटी कोर्स करने की जरुरत नहीं होती है. असल में यह कोर्स अपने आप में एक पूरा पैकेज है. इस कोर्स को आप कई नैशनल और इंटरनैशनल मान्यता प्राप्त ब्यूटी एकेडमी से कर सकते हैं.

कौस्मेटोलोजी कोर्स
मास्टर्स इन कौस्मेटोलोजी कोर्स में स्टूडेंट्स को बेसिक मेकअप एंड एडवांस मेकअप कोर्स, बेसिक स्किन और एडवांस स्किन, स्पा थेरेपी, बेसिक हेयरस्टाइलिंग और एडवांस हेयरस्टाइलिंग, बेसिक हेयरड्रेसिंग और एडवांस हेयरड्रेसिंग, और बेसिक टू एडवांस नेल कोर्स कराया जाता है. साथ ही इस कोर्स में माइक्रोब्लैडिंग, आईलैश एक्सटेंशन, हेयर एक्सटेंशन और हाइड्रा फेशियल ट्रीटमेंट भी सिखाया जाता है.

कौस्मेटोलोजिस्ट का काम मेकअप आर्टिस्ट से कहीं ज्यादा होता है. देखा जाए तो कौस्मेटोलोजी में फेस, हेयर के साथ ही पूरी बौडी का ब्यूटी ट्रीटमेंट किया जाता है. लकिन यह तय है कि कौस्मेटोलोजिस्ट से ट्रीटमेंट लेने के बाद आप खुद को और भी ज्यादा ब्यूटीफुल लगेंगे है और न सिर्फ सब आप की खूबसूरती की ओर आकर्षित होंगे बल्कि आप भी सेल्फ लव की सीढ़ी चढ़ेगी.

क्या है करियर औप्शन
कौस्मेटोलोजिस्ट के रूप में आप हाई-एंड सैलून, ब्यूटी-स्किन क्लीनिक में स्किन, हेयर एक्सपर्ट, वेडिंग या इवेंट स्टाइलिस्ट, सैलून मैनेजर, हेयर स्टाइलिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं. इस के अलावा आप कौस्मेटिक्स इंडस्ट्री में सेल्स या मार्केटिंग स्पेशलिस्ट भी बन सकते हैं. इस के बाद भी आप के पास कई औपशन है जैसे आप ब्यूटी स्कूलों या संस्थानों में ब्यूटी एक्सपर्ट के तौर पर पढ़ा सकते हैं. आप अपना खुद का सैलून शुरू कर सकते हैं. आप फ्रीलांस वर्क भी कर सकते हैं.

अगर बात की जाए की कि कौस्मेटोलोजिस्ट बनने के लिए किन योग्यताओं की जरूरत होती है तो आप को बता दे कि
कौस्मेटोलोजिस्ट बनने के लिए आप को ब्यूटी से जुड़ी जानकारी होनी चाहिए यानि आप को ब्यूटी से जुड़ी समस्याओं, उन के कारण और सौल्यूशन की नौलेज होनी चाहिए. इस के अलावा स्किन टाइप्स की समझ होना भी बहुत जरूरी है. साथ ही अगर आप को मार्केट में आने वाले कौस्मेटिक प्रौडक्ट्स की जानकारी होगी तो ये आप के लिए फायदे का काम करेगा.
कौस्मेटोलोजिस्ट बनने के लिए आप में इन के अलावा कुछ और स्किल्स भी होनी चाहिए जैसे-हार्ड वर्क, डिटरमिनेशन, डेडीकेशन, क्रिएटिविटी,कम्युनिकेशन स्किल्स,पेशेंस, प्रेज़ेन्स औफमाइंड, औब्जरवेशन स्किल्स और समझने की क्षमता.

कैसे बने कौस्मेटोलोजिस्ट
अगर आप कौस्मेटोलोजिस्ट बनने में इंटरेस्ट रखते है तो सबसे पहले आप किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 करें.
इस के बाद नौन-मेडिकल कौस्मेटोलोजिस्ट के लिए 12वीं और ग्रेजुएशन के बाद कौस्मेटोलोजी में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करें.
मेडिकल कौस्मेटोलोजिस्ट के लिए 12वीं के बाद प्रोफेशनल डिग्री जैसे एमबीबीएस/बीडीएस/बीएएमएस/ बीएचएमएस/पीजीडीसी डिग्री और लाइसेंस लें.

कौन से है प्रौफेशनल कोर्स
कौस्मेटोलोजिस्ट में टाइम पीरियड और पद के आधार पर अलगअलग कोर्स है, जैसे-
सर्टिफिकेट प्रौग्राम- यह प्रौग्राम प्रोग्राम मुख्य रूप से ट्रेनिंग और एक्सपीरियंस के बारे में हैं. इस का टाइम पीरियड 2 से 6 महीने होता है.
डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा कोर्स- इस कोर्स में छात्रों को कौस्मेटोलोजी के विभिन्न महत्वपूर्ण कौन्सेप्ट्स सिखाए जाते हैं. इस कोर्स की अवधि 1–2 साल होती है.
बैचलर्स कौस्मेटोलोजी कोर्सेज: ये विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है हैं जो कौस्मेटोलोजी के सभी महत्वपूर्ण टूल्स और टैक्नोलौजी के बारे में जानना चाहते हैं. इस कोर्स की अवधि 3 साल है.
मास्टर कौस्मेटोलोजी कोर्सेज : ये उन स्टूडेंड के लिए हैं जो कौस्मेटोलोजी के एडवांस कौन्सेप्ट्स में एक्सपर्ट बनना चाहते हैं. मास्टर कोर्स की अवधि 3 साल है.

कहां से करे कोर्स
इन कोर्सस को आप अलगअलग एकेडमी और यूनिवर्सिटी से कर सकते हैं जिस में टौप रिक्रूटमेंट कंपनियां है-

  • वी एल सीसी एकेडमी औफ ब्यूटी हैल्थ एंड मैनेजमेंट,
  • शहनाज हुसैन इंटरनेशनल ब्यूटी एकेडमी, लैक्मे,
  • लुक्स, गीतांजलि, लोरियल, हबीब हेयर एकेडमी,
  • नेशनल एंड रीजनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फौर वूमेन,
  • वूमेन पोलिटेक्निक, लंदन स्कूल औफ ट्रेंड्स.
  • कुछ इंटरनेशनल एकेडमी भी है जैसे- मनुकौ इंस्टीट्यूट औफ टेक्नोलॉजी, न्यूज़ीलैंड, पेराल्टा कम्युनिटी कॉलेज डिस्ट्रिक्ट, यूसए , यूनिवर्सिटी आफ आर्ट्स लंदन,टोरेंस यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया , टोई ओहोमाई इंटरनेट टेक्नोलॉजी, न्यूजीलैंड,अलामो कालेज, यूसए, चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया, सेंट्रल न्यू मैक्सिको कम्युनिटी कालेज, यूसएफालमाउथ विश्वविद्यालय, यूके.

कौस्मेटोलोजिस्ट का मिशन एक ऐसा क्यूरेटेड लुक तैयार करना होता है जो क्लाइंट की अंदरूनी सुंदरता को दर्शाता हो.
इसलिए अगर आप का इंटरेस्ट ब्यूटी की फिल्ड में है तो यह कोर्स आप के लिए ही है. अगर आप में काबिलियत है तो यह कोर्स आप को कम समय में प्रसिद्धि और पैसा दोनों दिलाने में आप की मदद करेगा. आप हाउस वाइफ रही हो, आप की उम्र कोई भी रही हो आप यह प्रोफेशन किसी भी उम्र में अपना सकती है.

कोर्स करने का खर्च
भारत में अगर कौस्मेटोलोजी कोर्स की फीस की बात की जाए तो यह 1-5 लाख रुपये प्रतिवर्ष है.
लेकिन यह पूरी तरह से कोर्स के प्रकार, स्तर और इसे जिस एकेडमी से किया जा रहा है, उस पर निर्भर करता है. सरकारी कालेजों में इस की फीस 5 हजार रुपये से 65 हजार रुपये तक है. वहीं निजी कालेजों में यह 20 हजार से 4 लाख 50 हजार रुपये तक है.

Monsoon Special: घर में आसानी से बनाएं क्रीमी कौर्न चाट, ये रही रेसिपी

बरसात के मौसम में कई बार हमे घर पर कुछ चटपटा खाने का मन होता है. ऐसे में हमे समझ नहीं आता क्या खाये और क्या न खाये. वैसे Monsoon सीजन में सबसे ज्यादा क्या खाया जाता है. बरसात के समय लोग सबसे ज्यादा कॉर्न या भुट्टा खाते है. बारिश के दौरान भुट्टा खाने का अलग ही स्वाद होता है.

चलिए आज हम आपको क्रीमी कॉर्न चाट रेसिपी के बारे में बताने जा रहे है. जो खाने में बहुत ही चटपटी और टेस्टी लगती है. इसका नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आ गया होगा. झमाझम बारिश हो ऐसे में आप घर पर क्रीमी कॉर्न चाट बनाए तो आपकी चटोरी जीभ को भी चटपटा स्वाद मिल जाएगा. बच्चे से लेकर बड़े तक सब लोग बड़े ही चाव से खाएंगे. क्रीमी कॉर्न चाट बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं है. बेहद कम समय में जल्दी बन जाएगी. तो देर किस बात की  चलिए आपको रेसिपी बताते है.

क्रीमी कौर्न चाट रेसिपी को बनाने के लिए जरूरी सामग्री

  1. 1 कप उबले अमेरिकन कौर्न के दाने
  2. 5 चेरी टमाटर
  3. 1 स्लाइस नींबू के स्लाइस
  4. 1 बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
  5. 2 बड़े चम्मच सेव
  6. 2 बड़े चम्मच कटी हुई धनिया पत्ती
  7. 1/2 कप कद्दूकस की हुई तोरी
  8. 1/2 कप कटी हुई लाल शिमला मिर्च
  9. 1/2 बड़ा चम्मच मिर्च के गुच्छे
  10. 1 बड़ा चम्मच मक्खन
  11. 2 बड़े चम्मच लहसुन मेयोनेज़
  12. नमक आवश्यकता अनुसार

जानिए कैसे बनाएं क्रीमी कौर्न चाट

सब्जियों को भूनें

एक पैन में मक्खन गरम करें. कटी हुई तोरी और लाल शिमला मिर्च डालें. मध्यम आंच पर 1 मिनट के लिए भूनें. अब कौर्न डालें और एक और मिनट के लिए भूनें.

मसाला डालें, अब लाल मिर्च पाउडर, चिल्ली फ्लेक्स और स्वादानुसार नमक डालें. अच्छा मिश्रण दें.

गार्निश करें और परोसें, मिश्रण को प्याले में निकाल लीजिए. चेरी टमाटर, नींबू, हरा धनिया, सेव और गार्लिक मेयो से गार्निश करें। बनकर तैयार है आपकी चटपटी क्रीमी कॉर्न चाट.

बिंदी लगाने के कारण माथे पर निशान पड़ गए हैं, इसे कम करने के उपाय बताएं

सवाल

 

मुझे हर रोज बिंदी लगानी होती है मगर बिंदी लगातेलगाते मेरे माथे पर कुछ निशान पड़ गए हैं. कोई इलाज बताएं जिस से ये निशान कम हो जाए?

जवाब

कभीकभी बिंदी का ग्लू अच्छी क्वालिटी का नहीं होता जिस से माथे पर निशान पड़ने लग जाते हैं. हमेशा अच्छी क्वालिटी की बिंदी ही खरीदें और रात को सोने से पहले उसे उतार भी दें. जो निशान पड़े हैं उन को हटाने के लिए आप आलू का एक टुकड़ा लें और उसे माथे पर रगड़ें. इस से निशान कम होने के चांसेज हैं. आप चाहें तो थोड़ा सा ऐलोवेरा का ताजा जैल में चुटकीभर मीठा सोडा मिलाएं और इस से माथे पर मसाज करें. इस से भी निशान के हटने के चांसेज हैं. हर रोज नारियल तेल लगाने से भी किसी भी तरह का निशान कम होने के चांसेज होते हैं. कोई लाभ न होने पर किसी कौस्मैटिक क्लीनिक में जा कर लेजर ट्रीटमैंट ले सकती हैं. कैमिकल पील भी एक अच्छा औप्शन है जिस से स्किन की एक लेयर निकल जाती है और निशान मिट जाता है.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

स्रूस्, व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

ग्रहों की शांति: रामचरण कैसे अंधविश्वास से निकला?

‘‘बोलो माताजी महाराज की जय,’’ पंडित का यह स्वर कानों में पड़ते ही घर की औरतों ने घूंघट खींच लिए और बारीबारी से पंडित के पैर छूने के लिए आंगन में आ गईं.

‘‘सदा खुश रहो. जल्द ही बेटे का मुंह देखो,’’ पंडित ने घर की नई बहू के सिर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद दिया.

‘‘चलो, सब औरतें घर के भीतर जाओ. हमें पंडितजी से कुछ बात करनी है,’’ घर के मुखिया रामचरण ने घर की औरतों को अंदर भेज दिया और फिर पंडितजी के साथ चारपाई पर बैठते हुए बोले, ‘‘पंडितजी, 3 बेटों का बाप होने के बाद भी पोते का मुंह नहीं देख पा रहा हूं. जो उपाय आप ने दोनों बेटों की बहुओं को बताए थे वे सब करने के बाद भी दोनों ने एक के बाद एक 4 लड़कियां पैदा की हैं.’’

‘‘अरे, कहां, रामचरण, आप की बहुओं को एकादशी का निर्जला व्रत करने को कहा था मैं ने, जब वे पहली बार पेट से थीं. बड़ी बहू तो आधे व्रत में ही बेहोश हो गई और पता नहीं दूसरी ने भी व्रत पूरा किया या नहीं. अरे, एक बार व्रत पूरा नहीं हुआ तो देवीमां थोड़े ही बारबार मानती हैं,’’ पंडित ने अपनी झोली से पत्रिकाएं निकाल लीं, ‘‘अरे, रामचरणजी, आप तो सभी संस्कार भूल गए हैं. हमें आए इतनी देर हो गई और आप की बहुओं ने चायनाश्ता भी नहीं कराया, घर आए पंडित को भूखा

रखना पाप है.’’

पंडित की यह बात सुन कर रामचरण गुस्से में चिल्लाए, ‘‘अरे, रमेश की बहू, पंडितजी के लिए चायनाश्ता ला.’’

कुछ देर बाद ही पंडितजी ने चायनाश्ता कर के नई बहू और बेटे का मंदिर में आ कर हवन कराने का मुहूर्त निकाला और चले गए.

रामचरण गजोला गांव के सरपंच हैं.

3 बेटे और अब 3 बहुओें से भरापूरा परिवार है. छोटे बेटे की शादी को अभी 4 दिन हुए हैं. मंदिर में पूजा कराने के लिए मुहूर्त के लिए पंडित को घर बुलवाया था, पर पंडित जातेजाते उन्हें एक बार फिर पोते का सपना दिखा गया.

‘‘अरी, रमेश की अम्मां, पंडितजी ने कल सुबह का मुहूर्त निकाला है. मंदिर में पूजा के लिए सभी को कह दे. सुबहसुबह तैयार रहेंगे,’’ रामचरण अपनी बीवी को कह कर घर के बाहर निकल गए.

रसोईघर में जा कर उन की बीवी ने सभी बहुओं को जल्दी तैयार होने को कह दिया. उन के जाने के बाद बहुएं आपस में बातें करने लगीं, ‘‘अरे, पंडित भी न, मुआ पता नहीं कब हमारी जान छोड़ेगा,’’ रमेश की बीवी गीता बोल पड़ी, ‘‘पैर कब्र में हैं, पर देखा, नई बहू को कैसे घूर रहा था.’’

‘‘हां दीदी, जब मेरी शादी हुई थी तो आशीर्वाद देने के बहाने बारबार कभी मेरी कमर तो कभी सिर पर हाथ फेर रहा था,’’ बीच वाली बहू मंजू बोली.

‘‘जब मैं पहली बार पेट से थी तो 7वें महीने में एकादशी का व्रत आया. मुझ से बोला कि अगर निर्जला व्रत करोगी तो बेटा होगा. अरे, 7वें महीने 1 घंटे भी भूखाप्यासा नहीं रहा जाता, तो पूरे 24 घंटे कैसे रहती? आधे दिन में बेहोश हो गई. इसलिए बेटी होने पर सब दोष मेरे सिर आ गया,’’ गीता की आवाज भर्रा गई.

‘‘दीदी, जाने भी दो, इस पंडित ने तो मांबाप

दोनों को बस में कर रखा है. साल में जितने ये हम से व्रत रखवाएगा उतना ही तो दान बापू से पाएगा,’’ मंजू पानी की बालटी उठा कर किचन से बाहर चली गई और गीता अपने काम में लग गई, पर दिल की धड़कन तेज हो गई सीमा की, जो अभी बस, 4 दिन पहले ही इस घर में आई थी. उसे भी पंडित की नजरें सही नहीं लगी थीं, पर बेचारी नई है, घर में दोनों बहुओं की बातचीत से उस ने अपने को दूर ही रखा.

अगली सुबह घर के सारे लोग नहाधो कर मंदिर की ओर चल पड़े. रास्ते में औरतों का एक झुंड देख कर गीता ने सीमा से कहा, ‘‘नई बहू, वहां उन औरतों के चेहरे मत देखना. देखना, उन के पास से जब हम निकलें तो आंखें नीची रखना.’’

‘‘क्यों दीदी, क्या हुआ?’’ सीमा ने पूछा.

‘‘अरे, वह विधवाओं का झुंड है. वे सुबह तड़के ही मंदिर से पूजा कर के वापस आ रही हैं. सूरज निकलने के बाद वे मंदिर क्या, घर के बाहर भी नहीं जा सकतीं, समझी? बस, सुबह उन के मुंह देखना अपशकुन है,’’ गीता ने सीमा से कहा.

मंदिर पहुंच कर रामचरणजी ने पंडित से पूछा, ‘‘पंडितजी, ये विधवाएं आज देर से मंदिर आई थीं क्या? हमारे रास्ते में पड़ गई थीं. इन को कहा था कि सुबह तड़के मंदिर आ कर अपनेअपने घर में बंद रहा करो.’’

‘‘अरे, रामचरणजी, आप गुस्सा मत हों, आज के बाद ऐसा नहीं होगा. आप आइए, पूजा करिए,’’ पंडित ने पूजा संपन्न की और बोला, ‘‘रामचरणजी, आप की नई बहू के ग्रह कुछ अनुकूल नहीं हैं. राहु जल्द ही मंगल के साथ आ कर इस की राशि में आने वाला है,’’ पंडित ने अपना सिर खुजाया.

‘‘अरे, पंडितजी, पर आप ने ही तो विवाह से पहले इन की कुंडलियां मिलाई थीं और

आप ने कहा था, इस के ग्रह बहुत अच्छे

हैं,’’ रामचरणजी ने चिंता से पंडित से कहा.

पंडित कुछ हड़बड़ा गया, ‘‘अरे, वे ग्रह कुंआरी लड़की के थे, अब एक विवाहिता के ग्रह हैं,’’ पंडित ने बात संभाली.

‘‘अब आप ही कहें, क्या करें हम?’’ रामचरण ने पंडित से पूछा.

‘‘करना क्या है, रामचरणजी, ग्रह शांति के लिए 12 दिन का हवन है, जो हम यहां अपने दूसरे पंडितों की सहायता से करेंगे और उस का प्रसाद 12वें दिन आप की बहू ग्रहण कर लेगी. बस, सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी,’’ फिर पंडित उंगलियों पर कुछ हिसाब करने लगा.

‘‘रामचरणजी, ग्रह की दशाओं के अनुसार यह हवन हम पंडित ही कर सकते हैं. आप के घर का इस में कोई नहीं बैठे. आप बस, हवन सामग्री के लिए 5,100 रुपए दे दीजिए. हम हवन संपन्न कर देंगे.’’

पंडित की बात सुन कर रामचरणजी तुरंत राजी हो गए और पैसे पंडित को दे कर वापस आ गए.

घर आ कर सीमा ने अपने पति सूरज से इस

अंधविश्वास के बारे में बात करनी चाही पर सूरज ने यह कह कर बात टाल दी कि ग्रहों की दशा पंडित से बेहतर कौन समझ सकता है. इसलिए उन को इस सब में नहीं पड़ना चाहिए. पर सीमा का मन बेचैन हो रहा था. वह समझ चुकी थी कि यह एक शुरुआत है. अभी उसे बड़ी भाभियों की तरह इस अंधविश्वास के नाम पर बहुत कुछ सहना पड़ेगा.

हवन हो गया. फिर व्रतों का सिलसिला चल पड़ा. वह पंडित अपनी टोली के साथ किसी न किसी बहाने रामचरण को डरा कर, कभी ग्रह का डर तो कभी नक्षत्रों का भय दिखा कर पैसे लेता रहता और इस सब का असर सीमा पर और दूसरी बहुओं पर होता. उन्हें पूरे दिन का उपवास, कभी ठंड में सुबहसुबह नदी के ठंडे पानी में नहाने और कभीकभी तो 7 दिन तक मौन व्रत भी रखना पड़ता. हद तो तब हो जाती जब नदी में स्नान के बाद गीले कपड़ों में उन्हें पंडित मंदिर बुलाता और पंडित की लालची निगाहें उन के गीले बदन को घूरतीं.

सीमा के सब्र का बांध टूटने को था कि घर में जैसे भूचाल आ गया. 5 महीने के बाद भी जब सीमा ने गर्भधारण नहीं किया तो पंडित ने ग्रहों को एक बार फिर अनुकूल करने के लिए 3 रातों तक मंदिर में महाकाली का हवन कराने की सलाह दी. जब सीमा को पता चला तो वह फूटफूट कर रोने लगी.

उसे रोता देख गीता ने उस की हिम्मत बढ़ाई, पर सीमा बोली, ‘‘दीदी, आप तो सब जानती हैं, यह पंडित कितना कमीना है. मैं रात में अकेली मंदिर में हवन के लिए नहीं जाऊंगी. बच्चा पैदा करना क्या सिर्फ मेरे हाथ में है? यह तो पतिपत्नी दोनों के हाथ में है. तो हवन में सिर्फ मैं ही क्यों जाऊं, मेरे पति क्यों नहीं बैठ सकते?’’

सीमा की बातों में दम था पर गीता उसे समझाने लगी, ‘‘तू घबरा मत. तू आज रात को जा. वे पंडित कुछ नहीं करेंगे,’’ गीता ने सीमा को झूठी तसल्ली दी.

रात को डरतेडरते सीमा हवन के लिए अकेली मंदिर पहुंच गई. पंडित और उस के चेले पहले से ही वहां मौजूद थे.

‘‘आ जाओ, दुलहन, बैठो,’’ पंडित ने सीमा को अपने पास बैठने को कहा पर सीमा उस के सामने ही बैठ गई.

‘‘क्या दुलहन, 5 महीने बाद भी गर्भ नहीं ठहरा, मतलब घोर विपदा आने वाली है, पर मेरे पास सब का हल है, अगर तुम चाहो तो…,’’

सीमा ने घूर कर पंडित को देखा.

‘‘अरे, मेरा मतलब है, यह हवन कर के सब कुछ ठीक हो जाएगा,’’ सीमा का मन घबराने लगा. 3 घंटे तक पंडित कुछ मुंह में ही मंत्र बोलता रहा और हवन में सामग्री डालता रहा. रात गहराने लगी.

‘‘अरी दुलहन, अगर थक गई हो तो थोड़ा आराम कर लो. हवन 1 घंटे बाद फिर शुरू करेंगे,’’ पंडित ने लालची निगाहों से सीमा को ऊपर से नीचे तक देखा.

‘‘नहीं, हम ऐसे ही ठीक हैं. हमें आराम नहीं करना,’’ सीमा अपनी जगह से नहीं हिली.

‘‘अरे दुलहन, हवन तो हमारे चेले कर ही रहे हैं. चलो, भीतर थोड़ा आराम कर लो,’’ पंडित थोड़ा सा पास आ कर कहने लगा, ‘‘देखो दुलहन, तुम्हारे ससुर को पोता चाहिए. उस के लिए तुम्हें कुछ तो करना ही होगा.

‘‘मेरा मतलब अभी 2 रातें बाकी हैं. आज नहीं तो कल आराम कर लेना.’’

पंडित की बातें सीमा को समझ में आ गई थीं. पूरी रात पंडित सीमा को बहलाने की कोशिश करता रहा.

सुबह तड़के विधवाओं के मंदिर आने पर सीमा की जान में जान आई. पंडित के एक चेले ने उन विधवाओं से पूजा की थाली ली. सीमा साफ देख पा रही थी कि थाली लेने के बहाने  चेला उन विधवाओं को घूर रहा था. एक विधवा का तो उस चेले ने हाथ ही पकड़ लिया था, पर वे विधवाएं चुपचाप अपना अपमान करा रही थीं. मंदिर से लौटते समय सीमा ने उन विधवाओं को रोक लिया. ‘‘देखो बहनो, वह पंडित और उस के चेले ठीक नहीं हैं. तुम सब क्यों अपना ऐसा अपमान करवा कर भी चुप हैं?’’

उन में से एक विधवा बोली, ‘‘दीदी, आप

के सिर पर पति का साया है, फिर भी आप रात को मंदिर में इस पंडित के पास आईं मगर हम तो असहाय हैं. हम विरोध नहीं कर सकतीं. हमें तो जब चाहे यह रात को हवन के बहाने बुला सकता है और हमारे घर के लोग ग्रहों के डर से हमें यहां भेज देते हैं. आप हमारी फिक्र मत करिए, हमें तो आदत हो गई है इस अपमान की.’’

वे सब चली गईं, पर सीमा को आईना दिखा गईं. सीमा ने गहरी सांस ली और घर आ गई. वह जानती थी और उसे यह बात समझ में आ गई थी कि पंडित का हौसला सिर्फ इसलिए बढ़ा है, क्योंकि औरतें लोकलाज के डर से उस के खिलाफ नहीं जा सकतीं, पर वह नहीं सहेगी. एक रात तो बच गई पर आज रात वह पंडित उसे नहीं छोड़ेगा और अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो फिर ग्रहों की दशा का बहाना कर वह बाबूजी के कान भरेगा और कोई और रास्ता खोज लेगा.

सीमा ने काफी देर तक सोचविचार कर एक योजना बनाई. उस ने घर की बड़ी बहू को पूरी योजना बताई, गीता ने भी सीमा का साथ देने का मन बना डाला. रात को जब सब सो गए और सीमा मंदिर चली गई तब गीता ने जोरजोर से चिल्लाना शुरू कर दिया. सब घर वाले आंगन में इकट्ठा हो गए. तब गीता बोली, ‘‘मांजी, मुझे अभी कालीमां का सपना आया है. अगर हम सब इसी वक्त मंदिर में मां के दर्शन करने नहीं गए तो अनर्थ हो जाएगा.’’

सपने वाली बात सुन कर घर के सभी लोग मंदिर जाने को तैयार हो गए और वहां मंदिर में अपनी योजनानुसार सीमा वक्त देखने लगी. रात गहराते ही पंडित ने उसे आराम करने को कहा, वह तुरंत मान गई. वहां घर से जब सब मंदिर जाने के लिए निकले तो मंदिर में पंडित और सीमा को कमरे में जाता देख पंडित के चेले भी हवन छोड़ कर दारू पीने लगे. थोड़ी देर बाद ही जब रामचरण का परिवार मंदिर पहुंचा तो पंडित के चेलों को दारू पीता देख उन के होश उड़ गए.

तभी योजनानुसार सीमा भी चीखतीचिल्लाती पंडित के कमरे से बाहर निकली. अपने घर की बहू की ऐसी हालत देख कर रामचरणजी गुस्से में आ गए और उन्होंने पंडित का गला पकड़ लिया.

‘‘अरे रामचरणजी, आप की बहू पर काला साया है. वह चुड़ैल है…’’ पंडित कुछ और कहता, उस से पहले ही रामचरण ने उस के मुंह पर ही 2-4 घूंसे जड़ दिए.

‘‘कमीने पंडित, तू ने हमारे घर की बहू को छुआ कैसे? ग्रहों के नाम पर हमें लूटता रहा और हम घर की शांति के लिए अपना धन लुटाते रहे, पर हमारी आंखों पर तो पट्टी बंधी थी, जो पोते के लालच में हम ने अपनी बहू को यहां भेजा,’’ रामचरण ने एक और थप्पड़ पंडित को जड़ दिया.

पंडित के बाकी चेले अब तक रामचरण के बेटों की लातों और घूंसों से होश में आ चुके थे.

रामचरण को पंडित को मारते देख सीमा

बोली, ‘‘बाबूजी, रुकिए, पंडित को मारने से क्या होगा? आज यह पंडित चला जाएगा तो दूसरा आ जाएगा. दोष इन पंडितों का नहीं है, हमारे डर का है. ग्रह आसमान में नहीं हमारे दिलों में हैं, जिन की शांति के लिए हम इन पंडितों के पास आते हैं और ये पंडित जैसा चाहे उस का फायदा उठाते हैं. आप जब तक इन अंधविश्वासों से नहीं निकलोगे तब तक ये पंडित हमारा फायदा उठाते रहेंगे. मेरा साथ तो आप सब ने दिया पर उन विधवाओं के बारे में सोचें, जो आए दिन ऐसे पंडितों का शिकार होती हैं और इन के साथसाथ अपने घर के लोगों द्वारा भी अपमानित होती हैं. बाबूजी, कृपया आप उन्हें भी अंधविश्वासों के इस जाल से मुक्ति दिलाएं.’’

सीमा की बात सुन कर रामचरणजी की आंखें खुल गईं और वे बोले, ‘‘बेटी, तुम

चिंता मत करो. तुम ने मेरी आंखें खोली हैं. मैं बाकी गांव वालों की भी आंखें खोलूंगा. चलो, घर चलें. इस पंडित और इस के चेलोें को कमरे में बंद कर दो, सुबह इन की ग्रहों की शांति जो करनी है.’’

झिलमिल सितारों का आंगन होगा

नीलमस्ती में गुनगुना रहा था, ‘‘मेरे रंग में रंगने वाली, परी हो या हो परियों की रानी,’’ तभी पीछे से उस की छोटी बहन अनु ने आ कर कहा, ‘‘भैया प्यार हो गया है क्या किसी से शादी के बाद?’’

नील बोला, ‘‘नहीं तो पर गाना तो गा ही सकता हूं.’’

अनु मुसकराते हुए अंदर चाय बनाने चली गई. तभी घर के बाहर कार के रुकने की आवाज आई. अनु ने खिड़की से देखा, राजीव भैया और मधु भाभी आ रहे थे.

अनु जब चाय ले कर कमरे में पहुंची तो राजीव भैया बोले, ‘‘अनु मेघा भाभी नहीं आई अब तक?’’

इस से पहले कि अनु कुछ बोल पाती, मम्मी बोलीं, ‘‘अरे मेघा के तो बैंक में बहुत काम चल रहा है देर रात घर में पहुंचती है. बेचारी का काम के बो झ के कारण चेहरा उतर जाता है.’’

नील बरबस बोल उठा, ‘‘अरे मम्मी बहू ही तुम्हारी काले मेघ जैसी है, तुम बेकार में ही काम को दोष दे रही हो.’’

मेघा ने तभी घर में कदम रखा था. नील की बात पर वह सकपका गई.

नील खुद ही अपने चुटकुले पर हंसने लगे. नील की मम्मी का माथा ठनका और बोलीं, ‘‘नील हंसीमजाक करने का भी एक स्तर होता है.’’

नील बोला, ‘‘मम्मी मेघा मेरी जीवनसाथी है. मेरे साथसाथ मेरे मजाक को भी सम झती है.’’

मगर मेघा को देख कर ऐसा नहीं लग रहा था. कुछ देर बाद मेघा तैयार हो कर बाहर आ गई. महरून सूट में बेहद सलोनी लग रही थी. परंतु नील बारबार मधु की तरफ देख रहा था.

राजीव नील का करीबी दोस्त था. अभी पिछले हफ्ते ही उन का विवाह हुआ था. मधु बेहद खूबसूरत थी, परंतु मेघा के तीखे नैननक्श भी कुछ कम नहीं थे.

डाइनिंगटेबल पर तरहतरह के पकवान सजे हुए थे. अनु बोली, ‘‘मधु भाभी यह फ्रूट कस्टर्ड और शाही पनीर हमारी मेघा भाभी की पसंद हैं.’’

राजीव बोल उठा, ‘‘अरे अनु, मधु कुछ भी फ्राइड या औयली नहीं लेती हैं. चेहरे पर दाने आ जाते हैं.’’

एकाएक नील प्रशंसात्मक स्वर में बोल उठा, ‘‘फिर गोरे रंग पर अलग से दिखते भी हैं. गहरे रंग में तो सब घुलमिल जाता है.’’

मेघा बोली, ‘‘हां सिवा प्यार के,’’ उस के बाद मेघा वहां रुकी नहीं और दनदनाती हुई अंदर चली गई. उस के बाद महफिल न जम सकी.

जब वे लोग जा रहे थे तो मेघा उन्हें छोड़ने बाहर भी नहीं आईर्. कमरे में घुसते ही नील बोला, ‘‘मेघा तुम बाहर क्यों नहीं आईं?’’

मेघा ने कहा, ‘‘क्योंकि मैं थक गई थी और तुम तो थे न वहां मधु का ध्यान रखने के लिए.’’

नील गुस्से में बोला, ‘‘इतनी असुरक्षित क्यों रहती हो? अगर कोई सुंदर है तो क्या उसे सुंदर कहने से मैं बेवफा हो जाऊंगा.’’

मेघा बोली, ‘‘नील मैं तुम्हारी तरह अपने पापा के साथ काम नहीं करती हूं कि जब मरजी हो तब जाओ और जब मरजी हो तब मत जाओ.’’

नील गुस्से में बोला, ‘‘बहुत घमंड है तुम्हें अपनी नौकरी का. जो भी करती हो अपने लिए करती हो. मेरे लिए तो तुम ने कभी कुछ नहीं किया है.’’

सुबह मेघा के दफ्तर जाने के बाद मम्मी नील से बोलीं, ‘‘नील, कुछ तो बिजनैस पर ध्यान दे. शादी को 7 महीने हो गए हैं. कल को तुम्हारे खर्चे भी बढ़ेंगे.’’

नील हमेशा की तरह मम्मी की बात को टाल कर चला गया. रात को खाने पर पापा गुस्से में नील से बोले, ‘‘तुम्हारा ध्यान कहां है? आज पूरा दिन तुम दफ्तर में नहीं थे. ऐसा ही रहा तो मैं तुम्हें खर्च देना बंद कर दूंगा.’’

नील बेशर्मी से बोला, ‘‘पापा, आप कमाते हो और मम्मी घर पर रहती हैं पर मेरे केस में मेरी बीवी कमाती है और मैं बाहर के काम देख लेता हूं.’’

मेघा हक्कीबक्की रह गई. अंदर कमरे में घुसते ही मेघा ने नील को आड़े हाथों लिया, ‘‘क्या तुम ने मु झ से शादी मेरी तनख्वाह के कारण की है? मैं ने तो सोचा था कि तुम घर की जिम्मेदारियां उठाओगे और मैं पैसे बचा कर एक घर खरीद लूंगी. कब तक मम्मीपापा पर बोझ बने रहेंगे.’’

नील भी गुस्से में बोला, ‘‘मैं ने भी सोचा था कि गोरीचिट्टी बीवी लाऊंगा, जो मु झे सम झेगी और मेरी मदद करेगी. पर तुम्हें तो अपनी नौकरी की बहुत अकड़ है.’’

हालांकि नील ने यह बात दिल से नहीं कही थी पर यह मेघा के दिल में फांस की तरह चुभ गई.

आज पूरा दिन बैंक में मेघा को नील का रहरह कर मधु को देखना याद आ रहा था. बारबार वह यही सोच रही थी कि क्या वह बस नील की जिंदगी में नौकरी के कारण है.

एकाएक उसे अपनी दादी की बात याद आ गई. दादी कितना कहती थीं कि बिट्टू यह गोरेपन की क्रीम लगा ले. आजकल काले को भी गोरी दुलहन चाहिए.

मेघा का जब गौरवर्ण नील से विवाह हो रहा था तो उस ने दादी से कहा था, ‘‘दादी, देखो तुम्हारी बिट्टू को गोरा दूल्हा मिल गया है और वह भी बिना फेयर ऐंड लवली के.’’

मगर आज मेघा को लगा था कि नील ने तो उस की नौकरी के कारण उस के काले रंग से सम झौता किया था.

मेघा की जिंदगी में वैसे तो सबकुछ नौर्मल था, पर एक अनकहा तनाव था, जो उस के और नील के बीच पसर गया था. नील को लगने लगा था कि मेघा को अपनी नौकरी का घमंड है तो मेघा को लगता था कि नील उस की दबी हुई रंगत के कारण अपने दोस्तों की बीवियों से हेय सम झता है. इसलिए नील उसे कभी भी अपने किसी दोस्त के घर ले कर नहीं जाता था.

उधर नील अपनी नाकामयाबियों के जाल में इतना फंस गया था कि उस ने अपना सामाजिक दायरा बहुत छोटा कर लिया था.

नील कुछ करना चाहता था. वह प्रयास भी करता पर विफल हो जाता था. पिता के व्यापार में उस का मन नहीं लगता था. वह अपने हिसाब से, अपनी तरह से काम करना चाहता था. आज उसे एक बहुत अच्छा प्रोपोजल आया था. काम ऐसा था, जिस में नील अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को भी इस्तेमाल कर सकता था. परंतु अपने काम के लिए उसे पूंजी की जरूरत थी. नील को पता था कि  उस के पिता अपने पुराने अनुभवों के कारण उस की मदद नहीं करेंगे.

नील को लगा मेघा उस की जीवनसाथी है शायद वह उस की बात सम झ जाए. जब नील ने मेघा से कहा तो मेघा तुनक कर बोली, ‘‘अलग बिजनैस का इतना ही शौक है, तो अपनी कमाई से कर लो. मु झे तो लगता है कि तुम ने मु झ से शादी ही इस कारण से की है कि बीवी की कमाई से अपने सपने पूरे करोगे. फ्रीसैक्स मु झ से मिल ही रहा है. जेबखर्च 30 की उम्र में भी अपने पापा से लेते हो और बाहर घुमाने के लिए ये पतली, सुंदर और गोरी लड़कियां तो तुम्हारे पास होंगी ही न.’’

रात में खाने की मेज पर तनाव छाया रहा. अनु ने चुपके से पापा को सारी बात बता दी थी.

पापा ने मेघा से कहा, ‘‘बेटा एक बार नील की बात पर ठंडे दिमाग से सोचो. जब बच्चे हो जाएंगे तो वैसे ही तुम लोगों का हाथ तंग हो जाएगा.’’

मेघा भाभी फुफकार उठीं, ‘‘अच्छा बहाना ढूंढ़ा है पूरे परिवार ने पैसा उघाई का. जानती हूं एक काली लड़की का उद्धार क्यों किया है इस परिवार ने. अब कीमत तो चुकानी ही होगी न? इतना ही अच्छा बिजनैस प्रोपोजल है तो आप क्यों नहीं लगाते हो पैसा.’’

नील अपनाआपा खो बैठा और चिल्ला कर बोला, ‘‘काला तुम्हारी त्वचा का रंग नहीं पर दिल का रंग है मेघा, तुम से शादी मैं ने अपने दिल से की थी पर लगता है कुछ गलती कर दी है.’’

नील बेहद रोष में खाना अधूरा छोड़ कर चला गया था. यह जरूर था कि वह मेघा को चिढ़ाने के लिए कुछ भी बोल देता था पर उस के दिल में ऐसा कुछ नहीं था. आज मेघा वास्तव में विद्रूप लग रही थी. न जाने क्या सोच कर नील ने कार राजीव के घर की तरफ मोड़ दी थी.

3 बार घंटी बजाने के पश्चात नील मुड़ ही रहा था कि मधु ने दरवाजा खोला. एक रंग उड़ेगा उन में और छितरे हुए बालों में वह बेहद फूहड़ लग रही थी. लग ही नहीं रहा था कि उस के विवाह को एक माह ही हुआ है. अंदर का हाल देख कर तो नील चकरा ही गया. चारों तरफ कपड़ों का अंबार और धूल जमी हुई थी.

राजीव  झेंपते हुए बोला, ‘‘अरे, मधु को धूल से ऐलर्जी है. 2 दिन से कामवाली भी नहीं आ रही है.’’

मधु ट्रे में 2 कप चाय ले आई. अचानक नील को लगा कि वह कितना खुशहाल है मेघा कितनी सुघड़ है. नौकरी के साथसाथ घर भी कितनी अच्छी तरह संभालती है और एक वह है नकारा. अगर मेघा कुछ कहती भी है तो उस के भले के लिए ही कहती है. कब तक वह अपने परिवार पर बो झ बना रहेगा?

चाय पीने के बाद नील ने झिझकते हुए कहा, ‘‘राजीव यार, कुछ पैसे मिल सकते हैं क्या? मैं बिजनैस शुरू करना चाहता हूं.’’

राजीव बोला, ‘‘नील पूरी सेविंग शादी में खर्च हो गई है और मधु के नखरे देख कर लगता है अब सेविंग हो नहीं पाएगी.’’

रात में जब नील घर पहुंचा तो देखा मेघा जगी हुई थी. नील को देख कर बोली, ‘‘फोन क्यों स्विच औफ कर रखा है? नील क्या हम शांति से बात नहीं कर सकते हैं?’’

नील ने मेघा से कहा, ‘‘मेघा मैं कोशिश कर रहा हूं पर मु झे तुम्हारे साथ की जरूरत है.’’

मेघा भी भर्राए स्वर में बोली, ‘‘नील मैं जानती हूं पर जब तुम मेरे रंग पर  कटाक्ष करते हो, तु झे बहुत छोटा महसूस होता है.’’

नील बोला, ‘‘तुम पर नहीं मेघा, अपनी नाकामयाबी पर हताश हो कर कटाक्ष कर देता हूं. आज तक किसी से नहीं कहा पर मेघा बहुत कोशिश कर के भी अपनी नाकामयाबी की परछाईं से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं. तुम अच्छी नौकरी में हो तुम नहीं सम झ सकती कि कितना मुश्किल है नाकामयाबी का बो झ ढोना.’’

मेघा सुबकते हुए बोली, ‘‘जानती हूं नील, कैसा लगता है जब लोग आप को रिजैक्ट कर देते हैं. तुम से पहले 10 लड़के मेरे रंग के कारण मु झे नकार चुके थे. तुम से विवाह के बाद ऐसा लगा जैसे सबकुछ ठीक हो गया है पर रहरह कर तुम्हारे मजाक मेरे दिल में कड़वाहट भर देते हैं.’’

नील बोला,’’ पगली ऐसा कुछ नहीं हैं, मैं ज्यादा बोलता हूं न तो कुछ भी बोल जाता हूं. तुम से ज्यादा सम झदार और प्यारी पत्नी मु झे नहीं मिल सकती है, यह मैं अच्छी तरह जानता हूं. हां तुम्हारा मु झे हेयदृष्टि से देखना पागल कर देता था और इस कारण मैं कभीकभी जानबू झ कर तुम्हें नीचा दिखाने के लिए कभीकभी कटाक्ष कर देता था.’’

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