कैसी हो वर्किंग प्रैगनैंट वूमन की डाइट

मां बनना हर महिला के लिए सब से सुखद एहसास होता है. गर्भ में पलने वाला बच्चा महिला को कई चीजें सिखाता है. संवेदनशील बनाता है, प्यार करना सिखाता है. यही वजह है कि कोई भी महिला गर्भवती होने पर अपना खास खयाल रखती है, क्योंकि इस समय मां बनने वाली महिला सिर्फ अपना ही खाना नहीं खाती वरन बच्चे का भी खाती है.

मां बनने वाली वर्किंग लेडी अकसर खुद को थकाथका सा महसूस करती है. 8-9 घंटे औफिस में रहने के कारण वह ज्यादा थक जाती है. उस के बाद वर्किंग महिला को घर का कामकाज भी करना पड़ता है. इसलिए पूरा दिन उस के लिए मुश्किल भरा होता है. आइए, जानें कि वर्किंग लेडी जो मां बनने वाली हो उस के लिए पूरे दिन का डाइट प्लान कैसा हो:

ऐसा हो नाश्ता

अगर आप सुबह उठते ही खाना बनाना या फिर घर का अन्य काम शुरू कर देती हैं तो यह गलत है. सुबह उठते ही सब से पहले आप ग्रीन टी पीएं. अगर आप की सुबह की शुरुआत ग्रीन टी से होगी तो आप दिन भर ऐनर्जी से भरपूर रहेंगी. उस के बाद आप सब से पहले फ्रैश हो नहा लें. यदि लंच खुद ही तैयार करती हैं तो रात को ही इस की तैयारी कर लें. अगर आप को सुबह सब कुछ तैयार मिलेगा तो खाना बनाना सिरदर्द नहीं बनेगा. खाना बनाने के बाद सब से पहले नाश्ता कर लें. नाश्ते में उबले अंडे, रोटी और सब्जी खाएं, इस के बाद अपना टिफिन तैयार करें. टिफिन में आप फ्रूट्स, नट्स और लंच रखें. दही या छाछ रखना तो बिलकुल न भूलें.

औफिस पहुंचने पर

औफिस पहुंचने पर सब से पहले पानी पीएं. पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. उस के बाद थोड़ी देर आराम करें. काम शुरू करने से पहले सेब या अनार खा लें. यह आप की सेहत के साथसाथ बच्चे के लिए भी अच्छा है. केला रखा हो तो उसे भी खा लें. इस के बाद अपना काम शुरू करें.

लंच में खाएं बढि़या खाना

लंच में दालरोटी, सब्जी, दही या छाछ जो कुछ भी आप लाई हों उसे अच्छी तरह से चबाचबा कर खाएं. खाने में जल्दबाजी न करें. खाने के साथसाथ खीरा भी खाएं. इस वक्त आप के लिए और बच्चे के लिए सलाद बहुत जरूरी है.

ईवनिंग स्नैक्स

अकसर देखा जाता है कि ईवनिंग स्नैक्स के रूप में प्रैगनैंट महिला समोसा, जलेबी जैसी चीजें खा लेती हैं. ये चीजें स्वादिष्ठ तो होती हैं, लेकिन हैल्दी बिलकुल भी नहीं. अत: आप घर से नट्स ले कर आएं और फिर उन्हें ही खाएं. अगर आप का चाय या कौफी पीने का मन है तो पी लें. दोनों के लिए फायदेमंद रहेंगे. ईवनिंग स्नैक्स के नाम पर पूरा पेट न भरें, क्योंकि रात को डिनर भी करना है.

घर पहुंचने के लिए जल्दबाजी न करें. अगर  औफिस की कैब है, तो अच्छी बात है वरना शाम के समय सड़कों पर भीड़ होती है. अत: आराम से निकलें. थोड़ी देर होगी, लेकिन आराम से घर पहुंचें, सुरक्षित पहुंचें. घर पहुंचने पर थोड़ा आराम करें. पानी पीएं. उस के बाद घर के काम करें.

डिनर में सेहतमंद खाना

डिनर में सेहतमंद खाना बनाएं. एक टाइम दाल जरूर खाएं, साथ में रोटी, सलाद, सब्जी के रूप में बेबीकौर्न, ब्रोकली, पनीर आदि खा सकती हैं.

रात का खाना खाते ही सोएं नहीं. थोड़ा टहलें. 1 गिलास दूध दिन भर में जरूर पीएं. प्रैगनैंसी के दौरान दूध आप के लिए बेहद जरूरी भी है. साथ ही डाक्टर ने आप को जो दवाएं दी हैं उन्हें याद से खा लें.

अगर आप औफिस के साथसाथ घर का काम मैनेज नहीं कर पा रही हैं तो घर में मदद के लिए मेड रख लें. सारा काम अपनेआप पर न लें. इस से आप को आराम मिलेगा.

7 हैल्थ समस्याओं से बचाता है पू्रंस

कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर वाला ड्राईफ्रूट पू्रंस यानी सूखा आलूबुखारा सेहत का ध्यान रखने वालों के बीच आजकल खासा ट्रैंड में है. इस में मौजूद पौलीफिनोल नामक ऐंटीऔक्सीडैंट और पोटैशियम दोनों हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. बिगड़ी हुई जीवनशैली में हम छोटी भूख लगने पर कुछ भी खा लेते हैं. जबकि इस के बजाय दिन में एक बार 5-6 पू्रंस खा लें तो शरीर को सही पोषण मिल सकता है.

  1. आंतों को बनाए सेहतमंद

पू्रंस में सौल्यूबल फाइबर काफी मात्रा में होता है जिस से आंतों की सफाई अच्छी तरह होती है. इस के सेवन से आंतें स्वस्थ रहती हैं और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है.

2. औस्टियोपोरोसिस में लाभदायक

कई मैडिकल शोधों में यह माना गया है कि औस्टियोपोरोसिस की समस्या से ग्रस्त लोगों में पू्रंस काफी लाभदायक रहा है. इस के संतुलित सेवन से बोन डैंसिटी में सुधार होने की संभावना बढ़ जाती है खासतौर पर यदि किसी महिला को मेनोपौज के बाद यह समस्या हुई है तो उसे डाक्टर की सलाह से इस का सेवन जरूर करना चाहिए.

3. ऐनीमिया से करे बचाव

पू्रंस आयरन के साथसाथ पोटैशियम, विटामिन के, विटामिन बी, जिंक और मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत है. इस के नियमित सेवन से आप के शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स की जरूरत काफी हद तक पूरी हो सकती है.

4. डायबिटीज नियंत्रण में सहायक

चूंकि इस में सौल्यूबल फाइबर पाया जाता है इसलिए यह डाइजेशन प्रोसैस को धीमा करने में सहायक है और जब पाचनक्रिया धीमी हो जाए तो डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त लोगों की ब्लड शुगर नियंत्रण में रहती है.

5. मांसपेशियों की चोट से उबारे

पू्रंस में बोरोन नाम का खनिज पाया जाता है जो मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी होता है. यदि आप को मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं हर दूसरे दिन हो जाती हैं तो यह संकेत है कि आप के शरीर में बोरोन की कमी है.

6. दिल की सेहत का रखे खयाल

चूंकि पू्रंस कौलेस्ट्रौल और शुगर को नियंत्रण में रखने में सहायक है इसलिए यह दिल के लिए भी लाभदायक है क्योंकि इन समस्याओं का सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है.

7. ओबेसिटी कम करे

मोटापा आज की जीवनशैली में सब से बड़ी समस्या है. पू्रंस खाने से आप की बारबार कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती जिस से आप अपने वजन को नियंत्रित रख सकती हैं.

कैसे खाएं: वैसे तो पू्रंस को स्नैक की तरह भी खाया जा सकता है लेकिन दूसरे विकल्प भी हैं:

  •  नाश्ते में ओटमील या दलिया के साथ मिक्स कर खा सकती हैं.
  • दूसरे नट्स के साथ संतुलित मात्रा में मिक्स कर खा सकती हैं.
  • हैल्दी ड्रिंक्स या स्मूदी के साथ इसे ब्लैंड कर सकती हैं.
  • प्यूरी बना कर जैम की तरह इस्तेमाल कर सकती हैं.
  • बेकिंग का शौक है तो कुछ डिशेज में इस का इस्तेमाल किया जा सकता है.

सेहत से जुड़े इन फायदों के साथसाथ पू्रंस के और भी कई फायदे हैं जैसे:

  • यह बालों को मजबूत बनाने में सहायक है.
  • आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है.
  • इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है.
  • समय से पहले झुर्रियों का आना रोकने में सहायक है.

ज्यादा प्रदूषण के कारण बढ़ रही है बच्चों में मोटापे की परेशानी

हाल ही में हुई एक शोध की माने तो अधिक वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने वाले बच्चे दूसरे बच्चों की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं. कारण है कि वो अधिक जंक फूड खाते हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चे अधिक जंक फूड का सेवन करते हैं. वायु में प्रदूषण का स्तर अधिक होने के कारण बच्चों में हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन 34 फीसदी तक बढ़ जाता है. स्टडी में ये भी पाया गया कि ऐसे वातावरण में बच्चे घर का खाना खाने से ज्यादा बाहर का खाना पसंद करते हैं.

हालांकि बच्चों की आदत में इस बदलाव के पीछे के कारण का ठीक ठीक पता नहीं लगाया जा सका है. पर जानकारों की माने तो इसका सीधा संबंध वायु प्रदूषण से है. जानकारों का मानना है कि प्रदूषण से शरीर को खाने से मिलने वाली एनर्जी और ब्लड शुगर पर प्रभाव पड़ता है और भूख भी कम लगती है.

शोधकर्ताओं की माने को वायु प्रदूषण के स्तर में कमी कर के मोटापे के इस परेशानी को कम किया जा सकता है. अमेरिका में हुए इस शोध में करीब 3100 बच्चों को शामिल किया गया था. इन सभी बच्चों में वायु प्रदूषण से उनके रेस्पिरेटरी सिस्टम पर होने वाले प्रभाव की जांच की गई.

स्टडी में शामिल बच्चों से उनकी खान पान की आदतों के बारे में जानकारी ली गई. वो कब और क्या खाते हैं इस आधार पर इस स्टडी के निष्कर्ष पर पहुंचा गया है. आपको बता दें कि इस शोध में स्टडी में शामिल सभी लोगों के घर के आसपास में मौजूद बिजली संयंत्रों में और गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण की मात्रा की जांच की गई थी.

इस जांच में पाया गया कि प्रदूषण के  अधिक स्तर वाले क्षेत्र में रहने वाले बच्चों ने हाई ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं. स्टडी के नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले बच्चे 34 फीसदी ज्यादा ट्रांस फैट डाइट का सेवन करते हैं.

पिएं ये तीन जूस, तेजी से कम होगा आपका वजन

जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन गई है वजन का बढ़ना लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. वजन कम करने के लिए लोग वर्क आउट, एक्सरसाइज, जिम, डाइटिंग जैसी ना जाने कौन कौन सी चीजें करते हैं. पर उससे उन्हें मनमुताबिक फायदा नहीं होता. वजन कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि आप किसी भी खाद्य पदार्थ से परहेज ना करें. इस खबर में हम आपको कुछ जूसों के बारे में बताएंगे जिसे अपनी डाइट में शामिल कर आप अपने वजन को कम कर सकती हैं.

गाजर का जूस

गाजर में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर के पाचन में काफी वक्त लगता है और इसे खाने से ज्यादा भूख भी नहीं लगती. अगर आप जल्दी अपना वजन कम करना चाहती हैं तो आज ही अपनी टेली डाइट में गाजर को शामिल करें. 100 ग्राम गाजर में करीब 41 कैलोरी और 3 ग्राम फाइबर होता है. गाजर और चुकंदर के जूस में आंवला का रस भी मिला सकते हैं.

टमाटर का जूस

वजन कम करने के में टमाटर काफी लाभकारी होता है. आपको बता दें कि टमाटर में बहुत कम कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है. 100 ग्राम टमाटर में करीब 18 कैलोरी और 3.86 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है. अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से टमाटर के जूस का सेवन शुरू कर दें. इसमें पानी की खूब मात्रा होती है. टमाटर के साथ चुकंदर का रस मिलकार भी पी सकते हैं.

सेब का जूस

सेब सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. ये एक लो कौलोरी वाला फल है. आपको बता दें कि 100 ग्राम सेब में 50 कैलोरी होती है. वजन कम करने के लिए इसे अपनी डाइट में शामिल करना एक अच्छा आइडिया है.

9 टिप्स लाइफ में बनाएं बैलेंस

रितु कितना भी कोशिश कर ले, दफ्तर का तनाव उस पर हावी ही रहता है. जैसे ही कोई काम आता है उसे करना आरंभ कर देती है. जब वह कार्य के मध्य तक पहुंचती है तो बौस के निर्देश बदल जाते हैं. नतीजतन रितु चिड़चिड़ाहट से भर उठती है. वह इतना अधिक चिड़चिड़ाती है कि घरपरिवार में भी उस की लड़ाई हो जाती है. इस तनाव के कारण वह बहुत बार गलत डिसीजन भी ले लेती है. खुल कर हंसना क्या होता है वह भूल चुकी है.

चाह कर भी रितु खुद को कंट्रोल नहीं कर पाती है. जैसे ही कोई कार्य आता है वह बिना सोचेसम?ो उसे करने में जुट जाती है. थके मन से कार्य करने के कारण उस की वर्क ऐफिशिएंसी जीरो हो गई.

रितु का मन सोचता नहीं बल्कि दौड़ता है, उस के आसपास आने से लोग कतराते हैं. उधर घर में भी रितु सारे कार्य खुद के ही सुपरविजन में करवाती. घर के कामों के लिए किसी पर विश्वास नहीं कर पाती है.

रितु हाई ब्लड प्रैशर, डायबिटीज की मरीज बन चुकी है. दफ्तर और घर के लोग अब उस से कन्नी काटते हैं. आज भी रितु तनाव में जी रही है पर अब तनाव काम से हट कर सेहत का हो गया है.

पूजा को भी यही बीमारी है. दफ्तर से ले कर घर का हर कार्य खुद ही करने की उस की आदत हो गई है. लगता है कि उस के बिना कोई काम ठीक से नहीं हो सकता है पूजा को हर काम खुद करना भी होता और फिर सब के सामने रोना भी होता कि घर और दफ्तर में कोई भी कार्य उस के बिना नहीं हो सकता है.

इस का नतीजा यह निकला कि आसपास के लोगों में पूजा हंसी का पात्र बन गई है. सब को लगता है पूजा लाइमलाइट में रहने के लिए ऐसा करती है. इसलिए अब उस के रोने का न घर में और न ही दफ्तर में किसी पर असर होता है. जब भी कोई काम होता है तब सब को पूजा की याद आती है. खाली समय पूजा को भी काटने को दौड़ता है क्योंकि उसे खुद नहीं पता है कि खुद के साथ समय कैसे व्यतीत होता है. वह एक प्रोग्राम्ड रोबोट बन गई है.

कुमुद घर की सब से बड़ी बहू थी. वह एक भरे पूरे परिवार में रहती थी. धीरेधीरे वह कब कुमुद से भाभी, चाची, ताई और मामी बन गई उसे खुद ही नहीं पता चला. परिवार की हर शादी और हर फंक्शन में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी.

कुमुद अपनेआप को तो कहीं पीछे छोड़ आई थी. अपने बुटीक का सपना परिवार की जिम्मेदारियों में कहीं स्वाहा हो गया था. मगर जब कुमुद का संयुक्त परिवार अलग हो गया तो उस के पास बहुत अधिक समय हो गया. उस ने अपने पुराने सपने को फिर से जिंदा करा और अपने घर में ही छोटा सा बुटीक खोल लिया था और देर से ही सही खुद का सपना पूरा कर लिया.

आप को अपने परिवार में या दफ्तर में ऐसे उदाहरण देखने को आराम से मिल जाएंगे जो पूरे दफ्तर या घर की धुरी को संभाल कर रखते हैं. हर कार्य चाहे छोटा हो या बड़ा उन के बिना पूरा नहीं होता है. काम करतेकरते वे इतने ओवरवर्कड हो जाते हैं कि उन की खुद की प्रोडक्टिविटी जीरो हो जाती है.

रिश्तों के नाम पर, शौक के मामले में, हर तरह से वे शून्य हो जाते हैं. इंसान हो कर भी वे मशीन का जीवन जीते हैं.

क्या करें और कैसे करें ताकि आप अपनी प्रोफैशनल, पर्सनल और सोशल लाइफ में बैलेंस बना सकें?

  1. हर समय अवेलेबल न रहें

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर समय काम करने के लिए तत्पर रहते हैं. घर हो या दफ्तर वे हर काम को करने के लिए अवेलेबल रहते हैं. जानेअनजाने सारे काम का भार उन के सिर पर ही आ जाता है. थके हुए मन और तन से वे कितना काम कर पाएंगे? धीरेधीरे उन की प्रोडक्टिविटी जीरो हो जाती है. छुट्टी के दिन और नौर्मल दिन में उन के लिए कोई फर्क नहीं रह जाता है. नतीजतन ऐसे लोग हर समय चिड़चिड़ाने लगते हैं.

2. खुद को थोड़ा रिलैक्स रखें

24 घंटे काम में ध्यान न लगाएं, थोड़ी देर आंखें बंद कर के यों ही बैठ जाएं. अगर बहुत सारे काम पाइपलाइन में हैं तो कामों को प्रायोरिटाइज करें. अगर कुछ काम छूट जाते हैं तो उन्हें छोड़ दे. आप हर काम के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. कुछ जिम्मेदारी अपने लिए भी लें.

3. हर समय लीड न करें

घर हो या दफ्तर हर समय लीड लेने से बचें. कभीकभी दूसरों को भी नेतृत्व करने का मौका दें. जिन लोगों को लीड लेने की आदत होती है वे अकसर अपनी टीम में दोगुना काम करते हैं. काम उतना ही करें जितना आप का शरीर इजाजत दे.

4. दफ्तर का तनाव दफ्तर में ही रखें

दफ्तर में तनाव हो सकता है मगर उसे घर पर मत ले कर आएं. जैसे आप दफ्तर में घर का काम नहीं करती हैं वैसे ही दफ्तर का काम घर पर मत ले कर आएं. दफ्तर का तनाव वहां ही छोड़ आएं, अपने बच्चों या परिवार के सदस्यों पर बेवजह गुस्सा न करें. याद रहे घर में आप के टाइम पर उन का पूरा हक है.

5. घर में करें काम विभाजित

जैसे दफ्तर में हर काम को विभाजित करा जाता है वैसे ही घर पर भी करें. खुद को अपनी मां या सास से कंपेयर न करें. घर के जितने काम के लिए आप जिम्मेदार हैं उतनी ही जिम्मेदारी अपने पति को भी दें. खुद को देवी नहीं, एक औरत ही रहने दें.

6. पौजिटिव वोकैबुलरी का करे प्रयोग

कोशिश करें कि नकारात्मक शब्दावली का प्रयोग कम से कम करें. आप जो बोलते हैं उस की ऐनर्जी आप के चारों तरफ रहती है. अपनी वोकैबुलरी में बस सकारात्मक शब्दों को ही स्थान दें. आप जैसे बोलेंगे वैसा ही सोचेंगे और जैसा सोचेंगे वैसा ही हो जाएगा.

7. न कहना सीखें

अपनेआप को वरीयता दें, खुद को हर समय अवेलेबल न रखें. फिर चाहे घर हो या दफ्तर. जो काम करना नहीं चाहती हैं, उसे न कहना सीख लें. अपनेआप को वरीयता देना सीखें. हमेशा दूसरों को खुश करने के चक्कर में कहीं खुद को ही नाराज न कर दें.

8. हर काम में परफैक्शन न ढूंढें

अगर आप को हर काम में परफैक्शन ढूंढ़ने की आदत है तो आप हमेश ही नाखुश रहने वाले हैं. काम को काम की तरह ही करें, उस के लिए अपनेआप को स्वाहा न कीजिए. परफैक्शन ढूंढ़ने वाले लोग हमेशा परेशान ही रहते हैं. कुछ काम को सीधेसादे ढंग से करना होता है और कुछ काम को बहुत परफैक्टली करना ही होता है. अगर आप ऐसा करना सीख लेंगी तो आप की जिंदगी आसान हो जाएगी.

9. बदलाव का करें स्वागत

जिंदगी में एक ही चीज स्थाई है और वह है बदलाव यानी चेंज. कोई रिश्ता, कोई काम कभी भी एक सा नहीं रहता है. आप आज अपने बच्चों के लिए जरूरी होंगे मगर कल उन के लिए आप शायद फालतू बन जाएं, इस बात को याद रखें और खुद को वरीयता देना सीखें वरना बाद में आप की जिंदगी रोतेबिसूरते ही बीतेगी. दूसरों को भी समय दें मगर खुद की जिम्मेदारी उठाना और खुद के लिए समय देना बेहद जरूरी है.

Festive Special: फैस्टिवल्स में ऐसे रखें टमी फिट

फैस्टिवल सीजन में जीभ पर कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि फैस्टिव मूड के साथसाथ शौपिंग भी जोरों से चलती है, जिस भी मार्केट में जाते हैं वहां के स्नैक्स का स्वाद चखे बिना लौटना खुद को गवारा नहीं होता. ऐसे में ऐक्साइटमैंट के चक्कर में हम ओवर ईटिंग कर बैठते हैं, जो न सिर्फ त्योहारों के दौरान वजन को बढ़ाने का काम करती है, बल्कि पेट दर्द, ऐसिडिटी जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जो सारे त्योहारों की रौनक को फीका करने का ही काम करेगा. ऐसे में जरूरत है ये हैल्दी टिप्स अपनाने की:

1. लैमन वाटर से करें दिन की शुरुआत

हरकोई खुद को हमेशा फिट देखना चाहता है. खासकर फैस्टिवल्स के दौरान सैंटर औफ अट्रैक्शन बनना हर किसी की इच्छा होती है. ऐसे में लैमन वाटर आप की बौडी को डिटौक्स करने का काम करेगा. इस से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाने से मैटाबोलिज्म स्ट्रौंग होता है और पेट संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है.

2. ब्रेकफास्ट हो लो कैलोरी

शरीर को चलाने के लिए ईंधन की जरूरत होती है और वह खाने के जरीए ही मिल सकता है. इस के लिए आप को ब्रेकफास्ट में कार्बोहाइड्रेट से ज्यादा प्रोटीन का इनटैक बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि प्रोटीन रिच ब्रेकफास्ट हैल्दी होने के साथसाथ आप की टमी को भी लंबे समय तक फुल रखने का काम करता है. इस के लिए अंडे को भी अपने ब्रेकफास्ट में शामिल कर सकती हैं.

3. लंच हो फाइबर से भरा

फैस्टिवल्स के दौरान औयली चीजें व मीठा बहुत अधिक खाते हैं, जिस कारण वजन बढ़ने के साथसाथ पेट संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. ऐसे में आप लंच में हाई फाइबर रिच फूड जैसे ओट्स, चने, स्प्राउट्स, फू्रट्स, हरी सब्जियां आदि शामिल करें. इन्हें पचाना आसान होता है और कब्ज की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

4. चाय-कौफी की जगह ग्रीन टी

बहुत ज्यादा बिजी शैड्यूल होने के कारण हमें थकान दूर करने के लिए थोड़ीथोड़ी देर में चायकौफी की जरूरत होती है, जो ऐसिडिटी की प्रौब्लम के साथसाथ हमारे पाचनतंत्र को बिगाड़ने का भी काम करती है. ऐसे में आप ग्रीन टी से खुद को रखें फ्रैश, क्योंकि इस में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होता है जो बीमारियों से लड़ने का काम करता है.

5. ईवनिंग स्नैक्स हों हैल्दी

हर किसी को शाम आतेआते भूख लग जाती है. ऐसे में लंच हैल्दी करने के बाद अगर आप ईवनिंग के स्नैक्स में समोसा या फिर औयली चीजें खा लेंगी तो पूरे दिन की मेहनत पर पानी फिर सकता है. ऐसे में आप अपने पास भुने चने, नट्स, फ्रूट्स रखें, जिन से आप का पेट भी भर जाए और टमी भी फिट रहे.

6. पानी की मात्रा बढ़ाएं

सभी जानते हैं कि पानी तरोताजा रखने का काम करता है. यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है. इस से पेट संबंधी बीमारियां दूर होने के साथसाथ स्किन भी चमकतीदमकती दिखती है. इसलिए रोजाना 3-4 लिटर पानी जरूर पीएं.

7. ऐक्सरसाइज से रहें फिट

फिट रहना है तो व्यायाम तो करना ही पड़ेगा. इसलिए आप रोजाना अपना 20-25 मिनट ऐक्सरसाइज का शैड्यूल बनाएं. दिनचर्या में ब्रिस्क वौक, साइकिलिंग, रनिंग, ऐरोबिक्स आदि को शामिल करें, क्योंकि इस से कैलोरी बर्न होने के कारण आप अपना वजन कंट्रोल कर सकती हैं.

8. जम कर उठाएं त्योहारों का लुत्फ

अगर आप त्योहारों से पहले अपना डाइट चार्ट बना कर चलेंगी तो त्योहारों पर बिना मन मारे आप पकवानों का लुत्फ उठा सकती हैं, क्योंकि 1-2 दिन खाने से कोई मोटा नहीं होता. लेकिन इस से पहले से प्लानिंग करना बहुत जरूरी है.

इस दौरान तलाभुना और बेटाइम खानापीना आम बात है. आप इस से बच नहीं पातीं और ऐसिडिटी व अपच का शिकार हो जाती हैं. ऐसे में बिसमथ फार्मूला से तैयार स्टोमाफिट टैबलेट व सिरप आप को पेट संबधी इन समस्याओं से न सिर्फ दूर रखेंगे, बल्कि ऐसी समस्याओं को बढ़ने से भी रोकेंगे. इन का सेवन चिकित्सक की सलाह से करें.

कितनी कैलोरी है जरूरी

आप एक दिन में जितनी कैलोरी का सेवन करते हैं उस का असर आप के वजन पर पड़ता है. स्वस्थ रहने एवं वजन नियंत्रण के लिए आप को ज्यादा कैलोरी की आवश्यकता नहीं होती है. इस के लिए अपनी डाइट में कम कैलोरीयुक्त खानपान की चीजें शामिल करना आवश्यक है, साथ ही वेट लौस ऐक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना आवश्यक है.

यदि आप वजन कम करना चाहते हैं तो आप सीआईसीओ यानी ‘कैलोरी इन कैलोरी आउट’ डाइट को अपना सकते हैं.

वजन नियंत्रित करने के लिए कितनी कैलोरी आवश्यक है? इस के लिए सब से पहले अपने बेसल मेटाबौलिक रेट (बीएमआर) की गणना करें, जो आप के शरीर की क्रियाओं जैसे सांस लेने, दिल की धड़कन, पाचन और मांसपेशियों आदि के लिए चाहिए.

अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो अपनी डाइट में कम कैलोरी और वजन बढ़ाने के लिए अधिक कैलोरी को शामिल करें.

सीआईसीओ डाइट क्या है

  •  यह आप के प्रतिदिन कैलोरी इंटेक से जुड़ी डाइट है.
  •  यह वजन घटाने और वजन बढ़ाने दोनों के लिए ही उपयुक्त है क्योंकि यह आप की कैलोरी की खपत को पूरी तरह से नियंत्रित रख सकती है.
  •  जब आप का कैलोरी इन्टेक कम होता है और खपत ज्यादा होती है तो कैलोरी डैफिसिट माना जाता है जिस की वजह से आप का वजन तेजी से कम होता है.
  •  इस डाइट को करने के लिए आप को आप का बीएमआर कैलकुलेट करना पड़ता है. इस के बाद कैलोरी को डैफिसिट करते हैं ताकि आप का वजन कम हो सके. जैसे आप का कैलोरी  इन्टेक 2,000 प्रतिदिन कैलोरी है और आप ने दिनभर में बर्न की 2,500 कैलोरी तो यहां 500 कैलोरी का डैफिसिट है. इस का अर्थ हुआ कि अब आवश्यक 500 कैलोरी आप के शरीर में स्टोर्ड फैट और मसल्स से बर्न होगी और आप का वजन तेजी से कम होने लगेगा.

सीआईसीओ के फायदे

  •  कैलोरी की खपत को नियंत्रित करती है.
  •  इस डाइट को फौलो करने से आप वजन बढ़ाने से बच सकते हैं.
  •  यह डाइट हृदय रोग, अवसाद, कैंसर और सांस की समस्याओं तक कई बीमारियों से सुरक्षित रखने में मदद कर सकती है.
  •  शरीर की अतिरिक्त चरबी को प्राकृतिक रूप से कम करने के लिए भी इस डाइट को फौलो किया जा सकता है.
  • इस के अलावा आप औक्सीडेटिव तनाव कम करने और हारमोनल संतुलन बनाए रखने के लिए भी इस डाइट को अपना सकते हैं.

सीआईसीओ के नुकसान

  •  कैलोरी पर बहुत अधिक ध्यान देने से शरीर में महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है.
  •  इस डाइट से बालों का ?ाड़ना, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, सूजन और कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
  •  इस के अतिरिक्त कैलोरी की कमी से ऐक्सरसाइज करने में कठिनाई भी हो सकती है.

वजन कम करने के लिए आवश्यक नहीं कि आप अपनी कैलोरी को काउंट करें. आप इस के लिए एक बेहतर डाइट प्लान बना सकते हैं ताकि शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी न हो और कमजोरी महसूस न हो और आप का शरीर स्वस्थ बना रहे.

अपनाएं ये टिप्स

अपने आहार में चुनें ऐसी चीजें जिन की कैलोरी कम हो. चयन करें पोषक तत्त्वों से भरपूर खाना न कि कैलोरी के हिसाब से जैसे लो कैलोरी वाली चीजें चावल, केक, एग व्हाइट आदि की जगह न्यूट्रिशएस फूड को अपने आहार में शामिल करें जैसे फल, सब्जियां, फिश, एग्स, बींस और नट्स.

रहें ऐक्टिव

अपनी कैलोरी को बर्न करने के लिए अपनी हौबी के अनुसार ऐक्टिविटी का चुनाव करें ताकि कैलोरी का डैफिसिट हो सके. अपनी नींद और स्ट्रैस को मैनेज करें. अच्छी नींद और कम तनाव दोनों वजन कम करने में सहायक होते हैं. अत: 7-8 घंटे की साउंड नींद लें और तनाव से दूर रहें.

फैस्टिव फिटनैस टिप्स

उत्सवी माहौल होता ही ऐसा है कि लोग दिनरात मौजमस्ती के रंग में रंगे रहते हैं. ऐसे में वक्तबेवक्त सोना और खानापीना तो आम बात है. हां, इन वजहों से आप की सेहत खराब न हो, इस के लिए यहां बताई गई बातों पर गौर जरूर करें.

खानपान

फैस्टिव सीजन में मिठाई और पार्टी से पूरी तरह परहेज करना मुमकिन नहीं होता. फिर भी अपने डेली रूटीन में कुछ बातों का ध्यान रखने से आप काफी हद तक त्योहारों के साइड इफैक्ट्स से खुद को महफूज रख सकती हैं.

– हमारे शरीर में पानी का बहुत ज्यादा महत्त्व है. अत: सुबह उठ कर 2 गिलास कुनकुना पानी पीने से शरीर के अच्छे बैक्टीरिया शरीर में रहते हैं और पानी शरीर को नई ऊर्जा देता है. इस के कुछ देर बाद अजवाइन को उबाल कर उस के पानी को पीने से आप काफी हद तक फैट को कंट्रोल कर सकती हैं. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना न भूलें.

– सुबह खाली पेट 1 चम्मच अलसी के बीज भी कोेलैस्ट्रौल कम करने में सहायता कर सकते हैं. नमकरहित खाना या खाने में कम नमक का प्रयोग करने से भी आप अपने वजन को कंट्रोल कर सकती हैं, साथ ही बैली फैट भी नहीं बढ़ता. ब्लडप्रैशर भी ठीक रहता है. त्योहारों के दौरान रात के खाने से ले कर सुबह के नाश्ते तक हफ्ते में 2 दिन नमक का प्रयोग करें.

– खाना खाने से आधा घंटे पहले और 1 घंटा बाद पानी न पीएं. पूरे दिन में न ज्यादा ठंडा न ज्यादा गरम पानी पीएं. ऐसा करने से पाचनशक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी.

– घर में बनने वाली मिठाई में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग करें. दुकान से भी बेसन से बनी मिठाई ही खरीदें. काफी शोधों से पता चला है कि चीनी, गेहूं और दूध शरीर में जलन पैदा करते हैं, जिस से शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है.

– नीबू पानी या विटामिन सी सप्लिमैंट लेने से जलन से बचा जा सकता है.

अच्छी नींद

फैस्टिव सीजन की भागदौड़ के चलते महिलाएं भरपूर नींद नहीं ले पातीं. जो बहुत नुकसानदायक सिद्ध होता है. इसलिए कम से कम 6-7 घंटे की नींद जरूर लें, क्योंकि सोने के दौरान शरीर से निकलने वाला कैमिकल मैलाटोनिन शरीर को ऊर्जावान बनाता है.

वार्मअप ऐक्सरसाइज

चाहे आप गृहिणी हों या कामकाजी सभी को त्योहारों के कामकाज से निबटने के लिए ऐनर्जी की जरूरत होती है. अत: इस के लिए सुबह की हुई वार्मअप ऐक्सरसाइज पूरे दिन के लिए ऊर्जा से भर देती है. ये ऐक्सरसाइजेज बहुत ही सरल और इफैक्टिव हैं.

– घुटनों को बारीबारी से 10-10 बार छाती की तरफ ले जाना.

– एक ही जगह 2 मिनट खड़े हो कर जौगिंग करना.

– 4-4 बार फौरवर्ड बेंडिंग ऐंड साइड बेंडिंग करना.

– 5-5 बार धीरेधीरे दोनों ओर गरदन घुमाना.

शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कानों को कंधों से छुआना, कंधों को घुमाना. नैक स्ट्रैचिंग को भी आजमाया जा सकता है.

पोस्चर

– खड़े हो घुटनों को हलका सा मोड़ कर रखें.

– सोते समय 1 तकिया गरदन के नीचे और 1 तकिया पैरों के बीच में करवट सोते हुए और सीधे सोते हुए तकिया घुटनों के नीचे लगाएं.

– गाड़ी में घूमते समय अगर गाड़ी की सीट नीची है तो एक कुशन कूल्हों के नीचे लगा कर बैठें.

– सीधा कमर को न मोड़ कर घुटनों को मोड़ कर नीचे झुक कर कोई चीज उठाएं.

– एक पैर को आगे और एक को पीछे रख कर ऊपर से कुछ उतारें.

– खाना पकाते समय कंधों को पीछे रखें और गरदन को हर 2-3 मिनट में सीधा करती रहें.

– डा. एकता अग्निहोत्री

फिटनैस की डांस थेरैपी

डांस करना महज एक कला या शौक ही नहीं, बल्कि यह उपचार की एक पद्धति भी है. आधुनिक शोध और अध्ययनों ने इस बात की पुष्टि की है कि नृत्यशैली चाहे जो हो, डांस करने वाले की सेहत पर उस के सकारात्मक असर होते हैं और यह व्यक्ति को ताउम्र स्वस्थ, निरोगी तथा दीर्घायु वाला बना सकती है. अब तो इसे एक थेरैपी के तौर पर अपनाया जाने लगा है. बिना दवा के उपचार की यह पद्धति विश्वभर में लोकप्रिय होती जा रही है.

अब डांस सिर्फ ऐंटरटेनमैंट नहीं बल्कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों के इलाज का जरिया भी है, जिस के लिए बाकायदा डिगरी और ट्रेनिंग लिए थेरैपिस्ट मौजूद हैं. यही नहीं, यह थेरैपी बच्चों के स्कूलों, हौस्पिटल, डीऐडिक्शन सैंटर और डांस इंस्टिट्यूट का हिस्सा बन चुकी है. प्राइवेट कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के तनाव को कम करने और परफौर्मैंस को बढ़ाने के लिए औफिस में ही डांस थेरैपी सेशन शुरू कर दिए हैं. स्पैशल ऐजुकेटर और हैल्थ प्रोफैशनल्स को थेरैपी सिखाई जा रही है. इस से डिप्रैशन और पार्किंसन जैसी मानसिक बीमारियों व शारीरिक अक्षमता जैसी समस्याओं का भी इलाज किया जा रहा है.

डांस के फायदे

डांस मूवमैंट फेसिलिटेटर निरमेथा जैन के अनुसार, शरीर के लिए मूवमैंट बेहद जरूरी है. पैदा होने से पहले ही बच्चा मूवमैंट के जरिए अपनी बात कहने लगता है. जब हम बड़े होने लगते हैं, शरीर का हिलना कम हो जाता है. जिस से हमारे ऐक्सप्रैशन जाहिर होने कम हो जाते हैं. डांस इसी ऐक्सप्रैशन को मूवमैंट के जरिए रिलीज करता है.

मुंबई की देविका मेहता गरबा से अपने पेरैंट्स का इलाज करती हैं. उन्होंने साइकोलौजी की पढ़ाई की है. वे कहती हैं, ‘‘गरबे के मूवमैंट जन्म से मृत्यु तक के सारे जीवनचक्र को दिखाते हैं. ताली बजाने से ऐक्युप्रैशर पौइंट्स चार्ज होते हैं. झुकने और उठने से शरीर की कनैक्टिविटी बनी रहती है, हाथों और आंखों का कोऔर्डिनेशन सुधरता है और कम्युनिकेशन बेहतर होता है.’’

निकिता मित्तल फिजियोथेरैपिस्ट थीं. पीडिएट्रिक रिहेबिलिटेशन सैंटर में नौकरी करती थीं. उन्हें डांस थेरैपी के बारे में पता चला. अब वे अपंग बच्चों के लिए पुणे में डांस थेरैपी एकेडमी चलाती हैं. निकिता कहती हैं, ‘‘अपंग बच्चे सोचते हैं कि वे अक्षम हैं. डांस उन का ध्यान बांट कर उन से वही काम करवाता है. इमोशनल और फिजिकल हैल्थ को ध्यान में रख कर वे हर बच्चे को कोर्स करवाती हैं.’’

व्हीलचेयर पर बैठे अपने भाई से त्रिपुरा कश्यप को डांस थेरैपी सीखने का आइडिया मिला. उन का भाई म्यूजिक सुनते ही व्हीलचेयर पर बैठेबैठे कमर से ऊपर के हिस्से को हिलाता था. त्रिपुरा के पास क्लासिकल डांस में डिगरी थी, उन्होंने साइकोलौजी से मास्टर किया और फिर अमेरिका जा कर डांस थेरैपी की ट्रेनिंग ली. वे वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को भी थेरैपी देती हैं और अपंग बच्चों के लिए भी सेशन कराती हैं. वे दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में भी वर्कशौप आयोजित करती हैं.

डांस कई समस्याओं का हल

वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि नृत्य से तनाव, थकान और सिरदर्द जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है. इस के अलावा, यह थेरैपी मैंटल हैल्थ और सैल्फ एस्टीम में भी अपना योगदान देती हैं, व्यक्ति मानसिक रूप से फ्री होता है और उस में समस्याओं का सामना करने की ज्यादा क्षमता उत्पन्न हो जाती है.

स्वीडन की ओरेबी यूनिवर्सिटी हौस्पिटल की फिजिकल थेरैपिस्ट अन्ना डुबर्ग और कई चिकित्सकों ने लड़कियों पर एक अध्ययन किया. इस में 112 युवतियों को शामिल किया गया. जिन की उम्र 13 से 19 वर्ष के बीच थी. 8 महीने तक किए गए इस अध्ययन में 91 फीसदी युवतियों पर इस का असर पौजिटिव पाया गया.

डांस द्वारा हम चुस्तदुरुस्त रह सकते हैं. डांस मोटापे को हावी नहीं होने देता और इस से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है तथा शरीर लचीला होता है. इस से हाथ, पैर, कमर, पेट, गरदन, आंखें आदि सभी में लोच बढ़ती है. रक्त का संचार शरीर में नियमित रहता है.

डांस से ताउम्र जोश बरकरार

तन और मन की स्वस्थता के लिए डांस बहुत जरूरी है. इस से शरीर तो स्वस्थ और मजबूत बनता ही है, साथ ही मन भी प्रफुल्लित रहता है. डांस से मानसिक परेशानियां और उलझनें दूर होती हैं तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. चिरयौवन के लिए डांस का बड़ा योगदान है. इस से शरीर पर उम्र का प्रभाव देर से आता है. इस से तन और मन में ताउम्र जोश और उमंग बनी रहती है.

बीमारियों का इलाज भी

डांस के जरिए न केवल मनोरंजन बल्कि औटिज्म, डिप्रैशन, मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज भी हो सकता है. गौरतलब है कि कुछ डांस एक्युपंक्चर के सिद्धांत पर आधारित हैं और इस के जरिए कई बीमारियों का इलाज हो सकता है.

क्लासिकल डांस की भावभंगिमाएं व्यायाम पर आधारित होती हैं. अंगों के संचालन से संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है. भरतनाट्यम में तो आंखों, पलकों और पुतलियों का भरपूर व्यायाम होता है. कथक नृत्य में भी ग्रीवाभेद व नेत्र संचालन किया जाता है. डांस के दौरान गरदन की भी अच्छी कसरत हो जाती है. इस से गरदन सुडौल और सुराहीदार होती है. डांस से शरीर सुडौल और चेहरे पर निखार आता है. कमर, नितंब, स्तन आदि अंगों में कसाव आता है तथा वे सही आकार में आ जाते हैं.

ऐरोबिक्स तो नाचते हुए सेहत बनाने का एक सर्वमान्य तरीका है, जिस के माध्यम से कई लोग अपनी सेहत बना रहे हैं. ऐरोबिक्स से न केवल शरीर में स्फूर्ति आती है बल्कि मन की शांति तथा दिमागी कार्यक्षमता भी बढ़ती है.

डांस से पौजिटिव सोच

डांस व्यक्ति की सोच को सकारात्मक बनाता है तथा मन को शांति प्रदान करता है. इस से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है और व्यक्ति खुद को पहले से अधिक चुस्तदुरुस्त पाता है. कसरत करने से दिल की मांसपेशियां उतनी सक्रिय नहीं होतीं, लेकिन डांस करने से रोमरोम फड़क उठते हैं.

शोध से पता चला है कि डांस मांसपेशियों की ऊर्जा बढ़ाता है, श्वसन प्रक्रिया को नियमित करता है तथा ब्लडप्रैशर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. यही नहीं, इस से घबराहट व बेचैनी दूर होती और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है.

यदि वर्जिश संगीतमय हो तो व्यायाम के लाभ दोगुने हो जाते हैं. सुरताल के साथ किए जाने वाले व्यायाम को ऐरोबिक्स कहते हैं. इस की बाजार में सीडी तथा डीवीडी मिलती हैं. ऐरोबिक्स के लिए पौपसंगीत की धुनें ठीक रहती हैं.

वैज्ञानिक विश्लेषणों से पता चलता है कि भागदौड़ की जिंदगी में यदि मनपसंद डांस दैनिक जीवन में आत्मसात किया जाए, तो हर दर्द में दवा की जरूरत नहीं पड़ती.

डायटीशियन, भक्ति सामंत ने पके हुए केले को नियमित डाइट में शामिल करने का राज क्या बताया, जानें यहां

अधिकतर ऐसा माना जाता है कि जिस खाने की चीज का स्वाद अच्छा न हो, वह ज्यादातर हेल्दी ही होती है, लेकिन पके हुए केले के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि बच्चे से लेकर व्यस्क सभी तकरीबन केला खाना पसंद करते हैं. केला स्वाद में जितना अच्छा लगता है उससे कहीं ज्यादा अच्छे उसके फायदे होते हैं.

इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की चीफ डायटीशियन, भक्ति सामंत कहती है कि मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया का फल केला, दुनिया भर में सभी उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में उगाया जाता है. आसानी से मिलने वाले फलों में केले को अपने आहार में कई तरह से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. पोषक तत्वों का एक ऐसा किफायती पैकेज, जिसके लाभ सभी ले सकते हैं. अगर आप अपने आहार को बेहतर बनाने, उसमें पोषण और स्वाद जोड़ने के पॉकेट फ्रेंडली तरीके खोज रहे हैं, तो उसके लिए केले को एक बेहतरीन आहार कहा जा सकता है, रोज एक केला खाने से हमारे शरीर को रोगों से लड़ने में काफी मदद मिल सकती है और ये हानिकारक नहीं होता, साथ ही एक सप्लीमेंट का काम करता है.

केला सामयिक पेट भर सकता है, इसलिए राह चलते लोग भूख लगने पर इसे खाना उचित समझते है, क्योंकि छिलके के अंदर पके केले को हायजिनकली भी साफ माना जाता है, लेकिन इसमें इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि केला किसी बीमारी का इलाज नहीं है. इसका सेवन बीमारी से बचाव करने और उसके लक्षणों के प्रभाव को कम करने में कुछ हद तक सहायक हो सकता है.

इसके फायदे निम्न है,

  • यह फल फाइबर, पोटेशियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है.
  • केला स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य की कई समस्याओं में फायदा पहुंचाने वाला होता है, केले में भारी मात्रा में पोटेशियम होने के कारण यह रक्तचाप को कम करने में मदद करता है.
  • केला खाने से हृदय प्रणाली पर तनाव कम होने की वजह से हाइपरटेंशन होने का खतरा कम हो सकता है.
  • मधुमेह मरीज़ को आमतौर पर केले से पूरी तरह परहेज करने की सलाह दी जाती है, जो वास्तव में गलत है, केले में प्रोटीन और फाइबर काफी ज़्यादा होता है, उसे कभी – कभी खाने में कोई हर्ज नहीं. इसके अलावा एक मेडिकल रिसर्च की मानें, तो केले को मधुमेह के इलाज के लिए के ट्रेडिशनल मेडिसिन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, साथ ही बनाना स्टेम (डंठल) और इसके फूल भी मधुमेह की स्थिति में कुछ हद तक राहत पहुंचा सकता है.
  • केला फाइबर युक्त होता है, इसलिए यह वजन घटाने में भी सहायक होता है. यह शरीर में बिना कैलोरी बढ़ाये पेट भर सकता है, जिससे वजन नियंत्रित रहता है. इसके अलावा केले में रेजिस्टेंस स्टार्च भी रहता है, जो वजन को नियंत्रित कर सकता है.
  • आपने सुना होगा कि पुरानी पीढ़ी के लोग केला खाने से रोकते हैं, खासकर जब खांसी और सर्दी हो. वे कहते हैं कि इससे लक्षण और अधिक बढ़ जाते हैं, लेकिन अध्ययनों के अनुसार केले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट अस्थमा से पीड़ित बच्चों में घरघराहट के प्रभाव को कम करने में मदद करता हैं.
  • केले का सेवन कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन सी और ल्यूसीन के उच्च स्तर के कारण ये मजबूत एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कैंसर विरोधी प्रभाव डालने का काम करते हैं.
  • BRAT आहार में ‘बी’ का मतलब केला है, जो दस्त के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाने वाला आहार है. लगातार दस्त होने पर कई बार डॉक्टर्स बच्चे या वयस्कों को पके केले खाने की सलाह देते है. इसमें काफी ज़्यादा फाइबर और पानी होता है, जो पाचन तंत्र को नियमित करने में मदद करते हैं और दस्त के दौरान होने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स के नुकसान को पूरा करने में मदद करके व्यक्ति को तुरंत ऊर्जा देता हैं.
  • इसमें पेक्टिन भी प्रचुर मात्रा में होता है जो मल को नरम करने और कब्ज को रोकने में मदद करता है.
  • केले में अमीनो एसिड- ट्रिप्टोफैन होने के कारण यह तुरंत मूड बूस्टर भी है, जो यादाश्त, सीखने की क्षमता और मूड में सुधार करने के लिए जाना जाता है.
  • कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भरपूर होने के कारण, केला भूख मिटाने का भी अच्छा स्त्रोत है. यह तुरंत ऊर्जा देता है और इसे स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर एथलीटों तक सभी के लिए एक बहुत ही अच्छा स्नैक विकल्प है.
  • यही नहीं स्वस्थ और चमकती त्वचा भी केले के सेवन के कई लाभों में से एक है, क्योंकि केला एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन C और विटामिन A का एक समृद्ध स्रोत है.

कुल मिलाकर, पॉकेट फ्रेंडली केला पर्याप्त पोषक तत्वों, स्वास्थ्य लाभ और सुविधा के साथ एक उत्कृष्ट विकल्प है. इसे नियमित अपने डाइट में शामिल करें.

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