जोरू का गुलाम : रोहिणी और सासूमां का कैसा था रिश्ता

दफ्तर से आज आधे दिन की छुट्टी ले कर रोहिणी घर आ गई. वह चाहती तो थी कि सीधे डाक्टर के पास चली जाए लेकिन दोपहर का वक्त था और इस वक्त उस लेडी डाक्टर की डिस्पैंसरी बंद होती है जिसे रोहिणी दिखाना चाहती थी. वैसे भी कल्याण में जहां रोहिणी का घर है वहां से डिस्पैंसरी ज्यादा दूर नहीं है इसलिए उस ने सोचा कि वह अपने पति अलंकार के दफ्तर से लौटने के पश्चात उस के साथ चली जाएगी.

पिछले कुछ दिनों से रोहिणी को सुबह उठने में काफी तकलीफ हो रही थी. उसे बहुत ज्यादा आलसपन भी महसूस होने लगा था और कभीकभी सुबह के वक्त हलका बुखार भी रहता. वह किचन में भी ठीक से खाना नहीं बना पा रही थी. किचन में मसालों की गंध उसे असहनीय लगने लगे थी. पहले तो रोहिणी को लगा कि शायद मौर्निंग सिकनैस की वजह से उसे ऐसा हो रहा है लेकिन आज तो औफिस में भी उसे काम करने में बड़ी तकलीफ होने लगी तो वह घर आ गई और आते वक्त अलंकार को भी फोन पर बता दिया ताकि वह भी घर जल्दी आ जाए और वे दोनों डाक्टर के पास जा सके.

वी.टी से कल्याण की दूरी ट्रेन से लगभग 2 घंटे की है, जिस की वजह से घर आते हुए रोहिणी पूरी तरह से थक चुकी थी. वैसे तो वह रोज ही थक जाती थी पर आज उसे कुछ ज्यादा ही थकान महसूस हो रही थी. रोहिणी ने सोचा कि घर जाते ही वह पहले थोड़ी देर आराम करेगी उस के बाद ही घर के कामों को हाथ लगाएगी लेकिन यहां घर पहुंची तो उस ने देखा सासूमां संपदा सोफे पर लगभग लेटी हुई हैं और ससुरजी किचन में हैं. आमतौर पर ससुरजी किचन में कम ही दिखाई देते थे. रोहिणी कुछ कहती उस से पहले ही उसे दफ्तर से जल्दी आया देख संपदा कहने लगीं, ‘‘अरे रोहिणी तुम जल्दी आ गई हो. चलो अच्छा हुआ. मेरे सिर में काफी दर्द है, मेरे बहुत मना करने पर भी तुम्हारे बाबा मेरे लिए चाय बना रहे हैं, जरा तुम जा कर देख लो वे ठीक से चाय बना भी रहे हैं या नहीं. तुम तो जानती हो मैं ने कभी दूसरी औरतों की तरह इन्हें जोरू का गुलाम बना कर नहीं रखा, कभी इन से घर का कोई काम नहीं कराया इसलिए तो इन्हें ठीक से चाय बनाना भी नहीं आता. अब तुम आ ही गई हो तो जा कर जरा चाय बना लाओ और सुनो मेरे लिए पानी की गरम थैली भी ले आना. न जाने क्यों आज सुबह से मेरे घुटनों में भी दर्द है.’’

रोहिणी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करती उस से पहले ही रोहिणी के ससुर चाय और गरम पानी की थैली ले कर आ गए. रोहिणी को जल्दी आया देख कर बोले, ‘‘अरे बेटा तुम कब आई? पता होता तो तुम्हारे लिए भी चाय बना देता. लो तुम मेरी चाय ले लो. मैं अपने लिए दूसरी बना लेता हूं.’’

यह सूनते ही संपदा भड़क गई और कहने लगी, ‘‘ये कैसी बातें कर रहे हैं आप? घर में

बहू के होते हुए आप चाय बनाएंगे शोभा देगा क्या? आप चाय पीजिए, यह अपने लिए चाय खुद बना लेगी. तुम जाओ रोहिणी कुछ खाने के लिए भी बना कर ले आओ और अपने लिए चाय भी बना लेना.’’

रोहिणी की आंखें नम हो गईं. वह चिल्ला कर कहना चाहती थी कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, उसे किचन से आने वाले मसाले की स्मैल बरदाश्त नहीं हो रही है और वह इस वक्त आराम करना चाहती है लेकिन उस ने ऐसा कुछ नहीं कहा क्योंकि वह जानती थी कि यदि अभी वह कुछ भी कहेगी तो घर पर महाभारत छिड़ जाएगा और वह न डाक्टर के पास चैकअप के लिए जा पाएगी और न ही अभी आराम कर पाएगी इसलिए रोहिणी चुपचाप किचन में जा कर परेशानी होते हुए भी पकौड़े बना कर ले आई और संपदा के सामने रख कर अपने कमरे में चली गई.

संपदा नहीं चाहतीं कि रोहिणी के रहते कोई और घर के काम करे क्योंकि उन का मानना था कि घर की बहू को ही घर के सारे काम करने चाहिए, इसी में सास का मान और शान है. यदि अलंकार कभी रोहिणी की किचन में या किसी और काम में हाथ बंटाने की कोशिश भी करता तो वे अपने बेटे को जोरू का गुलाम कहने से नहीं चूकतीं. यह जुमला अलंकार के पुरुषत्व को ठेस पहुंचाता. यह बात संपदा बखूबी जानती थी. अलंकार इसलिए संपदा या घर के किसी अन्य सदस्य की उपस्थिति में रोहिणी की किसी भी प्रकार से मदद करने से कतराता. थोड़ी देर आराम करने के बाद भी रोहिणी की थकान दूर नहीं हुई.

तभी संपदा की आवाज आई, ‘‘रोहिणी… रोहिणी तुम्हारा आराम फरमाना हो गया हो तो रात के खाने की तैयारी शुरू कर दो, आज आनंद और संगीता आ रहे हैं. दोनों रात का खाना खा कर ही जाएंगे. कुछ अच्छा बना लेना.’’

रोहिणी सम?ा गई अब आराम कर पाना संभव नहीं क्योंकि जब भी उस की ननद संगीता और ननदोई आनंद घर आते हैं कोई अपनी जगह से हिलता तक नहीं है. पानी भी सब के हाथों में ले कर पकड़ाना पड़ता है.

संगीता और संपदा दोनों मांबेटी रूम में ऐसे जम कर बैठ जाती हैं जैसे बात करने के अलावा घर पर कुछ और काम ही न हो. ससुरजी और अलंकार भी बस आनंद के साथ ही बैठे रहते हैं और हर थोड़ी देर में चाय और उस के साथ

कुछ न कुछ खाने की फरमाइश का यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक संगीता और आनंद घर वापस नहीं लौट जाते और बेचारी रोहिणी दौड़दौड़ कर सब की फरमाइशें भी पूरी करती और संगीता के 2 साल के बेटे मोनू को

भी संभालती.

जब भी रोहिणी इस विषय में अलंकार से कुछ कहती तो उस का बस एक ही जवाब होता, ‘‘तुम क्या चाहती हो तुम्हारे रहते आनंद के सामने मां घर का काम करें या कुछ घंटों के लिए आई मेरी बहन तुम्हारा हाथ बंटाए? अपनी ससुराल में तो वह बेचारी काम करती ही है. अब यहां भी करे या फिर तुम यह चाहती हो कि मैं तुम्हारे आगेपीछे घूमूं, किचन में तुम्हारा हाथ बटाऊं ताकि लोग मु?ो जोरू का गुलाम कहें.’’

 

इतना सब सुनने के बाद रोहिणी के पास कुछ कहने को रह ही नहीं जाता और

उस की जबान पर बस यह बात आ कर ठहर जाती कि इतना पढ़नेलिखने के बाद आज भी लोगों की मानसिकता वहीं के वहीं है. अब भी उन की सोच में कोई बदलाव नहीं है. यदि कोई पति घर के काम करता है या फिर अपनी पत्नी का किसी काम में हाथ बंटाता है तो वह जोरू का गुलाम और पत्नी घर से बाहर जा कर अपने कार्य क्षेत्र में पूरा दिन काम करती है, अपने पति का आर्थिक रूप से सहयोग करती है, घर का पूरा काम करती है, घर के हर सदस्य के जरूरतों का खयाल रखती है तो वह क्या है? घर की बहू है या घर की गुलाम. रोहिणी अपने ही विचारों में खोई हुई थी कि संपदा ने फिर आवाज लगाई और रोहिणी तबीयत ठीक न होने के बावजूद किचन में आ कर काम करने लगी. उस ने सारा खाना आनंद और संगीता की पसंद अनुसार ही बनाया ताकि उसे यह सुनने को न मिले कि अरे यह क्या बना दिया, यह तो आनंद को पसंद नहीं या फिर यह तो संगीता नहीं खाती उस की पसंद का कुछ और बना दो.

खाना बनतेबनते ही अलंकार भी दफ्तर से लौट आया और थोड़ी देर में संगीता भी अपने पति और बेटे के साथ आ पहुंची. सभी को चायनाश्ता कराने के बाद जब रोहिणी ने अलंकार से कहा, ‘‘चलो हम डाक्टर के पास चलते हैं. तुम तो जानते हो मेरी तबीयत बिलकुल भी ठीक नहीं चल रही है, खाने के वक्त तक हम लौट आएंगे.’’

रोहिणी के ऐसा कहते पर अलंकार कहने लगा, ‘‘अरे यह तुम क्या कह रही हो? अभी संगीता और आनंद आए हुए हैं उन्हें इस तरह छोड़ कर जाना अच्छा नहीं लगेगा और फिर आनंद क्या सोचेगा मेरे बारे में. एक काम करते हैं कल चलते हैं.’’

आनंद से यह सब सुन रोहिणी से रहा नहीं गया और वह बोल पड़ी, ‘‘कोई क्या सोचेगा, कौन क्या कहेगा इस बात की चिंता है तुम्हें लेकिन बीवी की सेहत खराब है, वह उसी हालत में घर और बाहर के काम रह रही है इस बात का खयाल नहीं है क्योंकि तुम्हें तो सिर्फ और सिर्फ अपनी इमेज की ही चिंता है. यदि मेरे साथ चले जाओगे तो कहीं कोई तुम पर यह व्यंग्य न कस दे कि देखो जोरू का गुलाम अपनी बीवी का पल्लू पकड़ कर चला गया, तो ठीक है तुम अपनी इमेज संभालो मैं मम्मीजी से बात कर लेती हूं और डाक्टर को दिखा आती हूं,’’ कह कर रोहिणी वहां से चली गई.

 

शादी के 1 साल बाद आज पहली बार रोहिणी ने इस प्रकार अलंकार से

बात की. इस से पहले उस ने कभी न अलंकार से और न ही घर के किसी दूसरे सदस्य से इस तरह ऊंची आवाज में बात

की थी.

रोहिणी गुस्से में तमतमाती हुई संपदा के कमरे की ओर बढ़ी, जहां संगीता और संपदा बातें कर रहे थे. जब रोहिणी कमरे के करीब पहुंची तो उस ने सुना संगीता अपने पति आनंद की शिकायत संपदा से कर रही है. वह कह रही थी, ‘‘मम्मी ये आनंद मेरी कोई बात नहीं सुनते और न ही मानते हैं, घर के किसी भी काम में मेरा हाथ नहीं बंटाते. घर का सारा काम और उस पर छोटे बच्चे को संभालना. मैं सुबह से ले कर शाम तक काम कर के थक जाती हूं. अगर मैं आनंद से कुछ करने को कहती हूं तो उलटा वे मु?ा से नाराज हो कर कहने लगते हैं कि मैं कोई जोरू का गुलाम नहीं हूं जो तुम्हारे इशारे पर काम करूं और यदि कभी आनंद हैल्प करना भी चाहें तो सासूमां इन्हें जोरू का गुलाम कह कर ताने देने लगती हैं. एक दिन तो सासूमां मु?ा से कहने लगीं कि तुम्हारे मायके में भी तुम्हरी भाभी ही सारा काम करती है जबकि वह तो जौब भी करती हैं फिर तुम क्यों नहीं कर सकती. मम्मी मैं तो तंग आ गई हूं, कुछ सम?ा ही नहीं आ रहा क्या करूं.’’

‘‘अरे तुम परेशान क्यों होती हो, तुम आनंद को सम?ाने की कोशिश करो. घरगृहस्थी अकेले से नहीं चलती पतिपत्नी दोनों को मिल कर इस गृहस्थीरूपी गाड़ी को चलाना पड़ता है. आनंद जरूर सम?ा जाएगा और तुम सब के सामने आनंद से कभी कुछ काम करने को मत कहा करो. तुम ने कभी देखा है, मैं तुम्हारे पापा से कभी किसी के सामने कुछ काम करने को कहती हूं नहीं न? ऐसा नहीं है तुम्हारे पापा चाय नहीं बनाते या घर का कोई काम नहीं करते, सब करते हैं लेकिन अकेले में इसलिए जब तुम दोनों अकेले में होते हो तभी आनंद से कुछ काम करने को कहा करो. इस से तुम्हारी सास को ताने मारने का मौका ही नहीं मिलेगा सम?ा?’’ संपदा सम?ाती हुई संगीता से कह रही थीं.

सारी बातें सुनने के बाद रोहिणी ने कमरे में यों प्रवेश किया जैसे उस ने कुछ सुना ही न हो. रोहिणी को कमरे में देख संपदा और संगीता ऐसे घबरा गई जैसे उन की कोई चोरी पकड़ी गई हो.

रोहिणी बढ़ी विनम्रतापूर्वक बोली, ‘‘मम्मीजी आज मेरी डाक्टर से अपौइंटमैंट है, मु?ो जाना है, मैं जल्दी ही लौट आऊंगी खाने के पहले.’’

समय की नजाकत को देखते हुए संपदा ने रोहिणी को जाने की इजाजत दे दी. जब रोहिणी घर लौटी तो अलंकार की आंखों में पछतावा और दुख था. वह जानता था कि रोहिणी को उस की जरूरत है. वैसे रोहिणी आत्मनिर्भर है. वह अकेले जा सकती है लेकिन रोहिणी के साथ जाना उस का फर्ज था और वे लोग क्या कहेंगे कि मायाजाल में फंस कर रह गया.

रोहिणी को देखते ही संपदा ने कहा, ‘‘सब ठीक तो है न? डाक्टर ने क्या कहा?’’

रोहिणी गहरी सांस भरती हुई बोली, ‘‘मम्मीजी फिक्र की कोई बात नहीं है सब ठीक है बस कल एक टैस्ट करवाना है,’’ कह कर रोहिणी सब के लिए खाना परोसने लगी.

सभी के खाना खाने और संगीता व आनंद के जाने के पश्चात रोहिणी ने अलंकार को सम?ाया कि परेशान होने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि अलंकार टैस्ट की बात सुन कर घबरा गया था. उस के चेहरे से यह बात साफ ?ालक रही थी.

दूसरे दिन जब शाम को रोहिणी की रिपोट आई तो पता चला कि रोहिणी मां बनने वाली है.

यह सुन कर सभी के चेहरे पर खुशी

की लहर दौड़ गई. रोहिणी को मां बनने की खुशी तो थी लेकिन वह यह बात भी जानती थी कि बच्चे के आने के बाद उस की जिम्मेदारियां और काम दोगुना हो जाएंगा क्योंकि अब भी रोहिणी की परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं था.

रोहिणी मां बनने वाली है यह जानने के बावजूद न संपदा घर के कामों में उस का हाथ बंटा रही थीं और न अलंकार. संपदा को घर के कामों में रोहिणी का हाथ बंटाना सास की शान के खिलाफ लगता और अलंकार जोरू का गुलाम नहीं कहलाना चाहता था. अब तो संपदा के ताने की लिस्ट में कुछ और ताने भी जुड़ गए थे जैसे आजकल की बहुएं तो पति को उंगलियों पर नचाना चाहती हैं, अरे भई हम ने भी तो 2-2 बच्चे जने हैं और उन्हें बिना किसी की मदद से बड़ा किया है. हमें तो कभी किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ी और आजकल की लड़कियां तो बस ससुराल वालों से काम कराने के मौके ढूंढ़ती रहती हैं.

रोहिणी घर के काम, दफ्तर के काम और अपनी प्रैगनैंसी की वजह से स्वास्थ्य में हो रहे उतारचढ़ाव से परेशान होने लगी थी लेकिन उसे कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा था. वह अलंकार को सम?ा ही नहीं पा रही थी कि घर का काम करना या पत्नी का हाथ बंटाने का अर्थ जोरू का गुलाम नहीं होता.

 

अचानक रविवार की एक सुबह संगीता रोती हुई अपने बेटे मोनू के

साथ घर पहुंची. संपदा बेटी को इस हाल में देख कर घबरा गई. अलंकार और उस के पिता भी परेशान हो गए. संगीता लगातार बिना कुछ कहे रोए जा रही थी.

तभी रोहिणी संगीता को शांत कराती हुई बोली, ‘‘आखिर बात क्या है जो तुम इस तरह आ गई हो? कुछ तो बताओ?’’

तब संगीता रोती हुई कहने लगी, ‘‘भाभी, आनंद मेरी कोई हैल्प नहीं करते. आज सुबह मैं किचन में थी और मोनू ने अपनी ड्रैस गीली कर ली और जब मैं ने आनंद से कहा कि वे मोनू की ड्रैस चेंज कर दें तो वे मु?ा से ?ागड़ने लगे और कहने लगे कि यह तुम्हारा काम है, तुम संभालो और जब मैं ने कहा कि मैं किचन में इंगेज हूं तो आनंद मु?ा से कहने लगे कि मैं कोई जोरू का गुलाम नहीं जो तुम्हारे इशारे पर नाचूं और इतना ही नहीं आज तो आनंद ने मु?ा पर हाथ भी उठा दिया. अब आप ही बताइए भाभी अपने बच्चे के कपड़े बदलने से क्या कोई जोरू का गुलाम हो जाता है? ऊपर से यदि किसी दिन आनंद मेरी कोई हैल्प करना भी चाहें तो सासूमां उन्हें जोरू का गुलाम कह कर रोक देती हैं.’’

संगीता का इतना कहना था कि संपदा संगीता को डांटते हुए कहने लगीं, ‘‘मैं ने तुम से कितनी बार कहा है सब के सामने आनंद से काम करने को मत कहा कर. जो कहना है अकेले में कहा कर. तु?ो सम?ा नहीं आती क्या मेरी बात?’’

संपदा का इतना कहना था कि रोहिणी के संयम का बांध टूट गया और वह संपदा से कहने लगी, ‘‘क्यों अकेले में कहेंगी, पति जब चाहे सब के सामने अपनी पत्नी को थप्पड़ जड़ सकता है, जो मन में आए कह सकता है और पत्नी अपने पति से एक काम नहीं कह सकती. छोटी सी हैल्प की उम्मीद नहीं रख सकती क्यों? यह सब आप जैसे लोगों की दोहरी व निम्न मानसिकता का नतीजा है.

‘‘जब एक पत्नी, पति का हर छोटे से छोटा काम करती है तो वह पत्नी धर्म कहलाता है और पति का पत्नी के प्रति कोई धर्म नहीं है. मम्मीजी यदि आप संगीता को यह सम?ाने के बजाय कि अपने पति से अकेले में काम के लिया कहा कर आनंद को यह सम?ातीं कि पत्नी का हाथ बंटाने से पति जोरू का गुलाम नहीं होता तो यह नौबत नहीं आती. किसी ने बिलकुल ठीक ही कहा है बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से पाएं.’’

जब रोहिणी यह सब कह ही रही थी आनंद भी वहां आ गया था और सिर ?ाकाए खड़ा था. अलंकार की आंखें भी शर्म और पछतावे से ?ाकी हुई थीं. संपदा को भी इस बात का दुख था कि वह स्वयं एक नारी हो कर नारी के दर्द को सम?ाने में चूक गई.

अभी यह सब चल ही रहा था कि रोहिणी के ससुर सब के लिए चाय बना कर ले आए.

यह देख कर संपदा ने कहा, ‘‘चाय के साथ नमकीन भी हो जाए.’’

यह सुन कर रोहिणी किचन की ओर मुड़ी ही थी कि अलंकार ने कहा, ‘‘तुम आराम से बैठो नमकीन मैं ले आता हूं क्योंकि अब मैं सम?ा चुका हूं कि पत्नी का हाथ बंटाने से पति जोरू का गुलाम नहीं हो जाता.’’?

यह सुन कर पूरा हौल ठहाकों से गूंज उठा.

प्यार की झंकार : लव मैरिज के बावजूद भी मृगया और राज के बीच क्यों बढ़ने लगी दूरियां ?

Writer- Savi Sharma

‘‘मृगया कहां हो? कुछ चैक साइन करने हैं,’’ राज ने फोन कर मृगया से कहा. वह आज औफिस नहीं आई थी कुछ काम था.

‘‘थोड़ी देर में आ जाऊंगी,’’ मृगया बोली.

अब अकसर राज मृगया से चैक साइन करवाने में ?ां?ालाने लगा. उस ने मृगया से कहा कि चैक साइन करने की पावर मु?ो भी दो. मगर वह इस विषय पर खामोश हो जाती. उस के लिए यह निर्णय आसान नहीं था वह अभी भी राज पर इतना यकीन नहीं कर पाई थी कि उसे पावर दे या बिजनैस में हिस्सेदार बनाए.

अब राज मृगया से छोटीछोटी बातों पर ?ागड़ा करता. राज के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगा.

‘‘मृगया कहां हो?’’ राज बाहर से आ कर रात 10 बजे घर में घुसते हुए चिल्लाया.

मृगया जो कृश को सुलाने की कोशिश कर रही थी कमरे से निकल बाहर आई, ‘‘क्यों चिल्ला रहे हो?’’

‘‘राज, मैं ने तुम्हें कितनी बार फोन मिलाया तुम ने नहीं उठाया. आज दोस्त भी हंस रहे थे कि मेरी औकात कुछ नहीं है. बिल ज्यादा हो गया तो मैनेजर ने भी बिन तुम से बात किए पैसे देने से मना कर दिया,’’ अपमान और ग्लानि से राज का चेहरा तमतमा रहा था, ‘‘मेरी हैसियत ही क्या है. तुम मालकिन और मैं क्या?’’

मृगया पलभर को सकते में आ गई कि कहीं उसे राज को सम?ाने में कोई गलती तो नहीं हुई. उसे याद आने लगा राज का भोला चेहरा, भोली सी बच्चे जैसी मुस्कान और उस का मृगया के लिए सोचना. वह अतीत के बादलों पर पिघलने लगी…

राज ने देखा आज मृगया औफिस पहले आ गई. पूछा, ‘‘अरे आज आप इतनी जल्दी? पहले रोज देर हो जाती थी?’’ राज ने मुसकरा कर कहा.

‘‘मृगया ने एक नजर राज को देखा और फिर अपने कैबिन की ओर बढ़ गई. उस के पास समय ही नहीं होता है कि फालतू किसी की बात पर ध्यान दे.

पहले घर देखो भले ही कितने काम वाले हों फिर भी देखना तो पड़ता ही है. एक छोटा बेटा, बिस्तर पर पड़ी सास और इतना बड़ा घर. गार्डन भी खूब बड़ा और खूबसूरत, पति मृदुल को कितना शौक था फूलों का. दिन चांदी के रातें सोने की थीं.

रात के 11 बजे अचानक फोन आया. अभी 2 घंटे पहले मृदुल बिजनैस के सिलसिले में अमेरिका की फ्लाइट में बैठे थे टेक औफ के पहले बात हुई थी निश्चिंत हो वह सो गई थी. एक साल का कृश उस के पास सो रहा था.

‘‘हैलो आप को खेद के साथ सूचित कर रहे हैं जो फ्लाइट अमेरिका के लिए उड़ी थी. वह तकनीकी खराबी के कारण इमरजैंसी लैंडिंग में क्षतिग्रस्त हो गई है यात्रियों को काफी चोटें आई हैं, पूरी डीटेल बाद में दी जाएगी.’’

सपनों को वक्त का बाज इस तरह भी नोचता है यह कल्पना मृगया की सोच से परे थी.

जिंदगी ने आसमान से अचानक जमीन पर ला पटका. मृदुल उस के जीवन में सुख के हस्ताक्षर कर वाष्प बन न जाने कहां अंतरिक्ष में छिप गया. मृदुल तो चले गए रह गया बड़ा बिजनैस, मां और छोटा बेटा. मृगया की सोचने की शक्ति ही खत्म हो गई.

मां ने तो बेटे के गम में बिस्तर ही पकड़ किया. मृगया जो खिलाती चुपचाप खातीं. चुपचाप शून्य में निहारती रहतीं. वक्त ने दूसरी बार यह घाव दिया था. मृदुल के पिता भी जब मृदुल 8वीं में था तभी छोड़ गए थे. अब दोबारा यह घाव उन्हें पत्थर बना गया.

मृगया ने वक्त के साथ संभलना शुरू किया. शायद जिंदगी के साथ चलतीफिरती मशीन बन गई थी.

राज को मृगया की पूरी स्थिति पता थी. यह भी जानता था कि इस के पति का बहुत बड़ा बिजनैस था.

अभी कुछ दिनों पहले ही मृगया ने औफिस शुरू किया था पर अब वह नौकरी छोड़ने का निर्णय कर रही थी.

राज ने नौक कर पूछा, ‘‘क्या मैं आ सकता हूं?’’

मृगया ने सपाट स्वर में जवाब दिया, ‘‘आइए,’’ फिर सीट की तरफ इशारा किया, बैठिए.’’

‘‘राज,’’ अगर आप नाराज न हों तो आप से एक सवाल पूछना चाहता हूं?’’

‘‘पूछिए.’’

‘‘आप नौकरी छोड़ रही हैं?’’

‘‘हां, अब पति का काम संभालना है, पहले यह नौकरी अपने शौक के लिए करती थी, अब समय नहीं है.’’

औपचारिक बातें कर राज मृगया के सामने प्रस्ताव रख गया कि यदि उसे बिजनैस में किसी सहायता की आवश्यकता हो तो वह ख़ुशी से करेगा.

आज 8 महीने हो गए. मृगया पति के बिजनैस को संभाल रही है. पति के रहते कभी उसने बिजनैस स्किल सम?ाने की कोशिश ही नहीं की या उसे यह एक आफत ही लगता था. हां कंपनी में जौब करना अलग बात है पर पूरा बिजनैस संभालना अलग बात है. दिनोंदिन उस की उल?ान बढ़ती जा रही थी.

‘‘हैलो राज क्या तुम मेरे औफिस आ

सकते हो?’’

‘‘हां, बताइए कब आना है?’’

‘‘कल 1 बजे मेरे औफिस आ कर मिलो.’’

‘‘ओके.’’

अगले दिन राज मृगया के औफिस आया. औपचारिक बातों के बाद मृगया ने उसे अपना औफिस जौइन करने के लिए कहा.

राज ने हामी भर दी. उस की भोली सूरत पर छाई चिंता की लकीरें उसे अपनी ओर खींचती थीं. फिर मृगया का औफर भी अच्छा था.

अब कभीकभी मृगया के घर भी राज को जाना पड़ता. कुछ काम के बारे में जल्दी निर्णय लेना होता तो घर चला जाता.

घर जा कर कभी मां का हाल लेता कभी आया के साथ खेल रहे बच्चे से बात करता.

अब बिना फोन किए भी राज मृगया के घर चला जाता. अभी तक उस की शादी भी नहीं हुई थी. मातापिता गांव में रहते थे.

एक रोज काम के बारे में बात करते रात के 10 बज गए.

‘‘अरे, आज तो बहुत देर हो गई है. अब खाना खा कर जाना,’’ मृगया बोली.

राज भी मान गया.

औपचारिक से कब अनौपचारिक हो गए राज और मृगया पता ही नहीं चला.

एक रात सोते में राज ने सपना देखा कि उस की और मृगया की शादी हो रही है. अचानक हड़बड़ाहट में उठ बैठा. पूरा पसीने में भीग था. न जाने कितने सवालों ने आ घेरा. खुद भी तो यही चाह रहा था फिर यह बेचैनी क्यों? पूरी रात आंखों में निकल गई. एक पल न सो सका.

एक दिन इतवार को राज ने मृगया को फोन किया, ‘‘मृगया, मैं बहुत दिनों से तुम से कुछ कहना चाह रहा हूं.’’

‘‘कहो.’’

‘‘अगर हम बंधन में बंध जाएं तो? देखो कृश भी मु?ा से घुलमिल गया है और मैं भी तुम को…’’

‘‘मैं भी क्या?’’ मृगया ने ठंडे स्वर में पूछा.

‘‘मैं भी तुम से प्यार करता हूं,’’ राज हकलाते हए कह गया.

‘‘तुम जानते हो मैं विधवा हूं और एक बच्चा है. अभी तुम भावावेश में कह रहे हो… फिलहाल अभी मैं ने कुछ सोचा नहीं है.’’

‘‘मृगया कहां हो? सब काम निबट गया हो तो जरा आना,’’ मां ने मृगया को आवाज लगाई.

मृगया आई तो मां ने स्नेह से पास बैठाया और सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए  कहा, ‘‘मृगया… बेटा राज अच्छा इंसान है. देख ले, सोच ले जल्दी नहीं है. मैं जानती हूं तू मृदुल को बहुत प्यार करती है. पर मैं कब तक जिंदा रहूंगी. कृश और तुम्हारा पूरा जीवन पड़ा है. तेरा सारा बिजनैस संभालने में भी मदद कर रहा है. भला इंसान है.’’

‘‘ठीक है मां सोचती हूं पर कहीं धोखा दिया तो? अगर मन में पैसों का लालच हुआ तो? अभी कुंआरा है फिर एक विधवा से शादी?’’

‘‘बेटा, तुम शुरू में बिजनैस में सां?ा मत करना. कुछ समय देखना फिर जो ठीक लगे करना.’’

आखिर कुछ दिन बाद मृगया ने राज से शादी के लिए हां कह दी. राज और मृगया विवाह बंधन में बंध गए. मृगया ने तमाम उल?ानें मन में समेटे राज के साथ नए वैवाहिक जीवन में कदम रखा.

दोनों साथ मिल कर औफिस जाते. काम को और बेहतर तरीके से करने लगे. अब मृगया राज पर कुछकुछ विश्वास करने लगी थी. शादी को साल होने को आया. अगले महीने ही तो ऐनिवर्सरी है.

मगर आज राज का यह रूप अचानक उस की सोच को विराम लगा. मृगया जैसे अतीत से वर्तमान में लौट आई. एक अनिश्चितता ने उसे परेशान कर दिया. वह सीधे अपनी सासूमां के पास जा कर गमसुम बैठ गई.

मां ने देखा कि मृगया परेशान है. बोलीं, ‘‘यहां आओ बेटा, कोई दुविधा है?’’ कहते हुए उन्होंने उसे पास बैठा लिया.

मृगया फूटफूट कर रो पड़ी ‘‘क्या हुआ, ऐसे क्यों रो रही हो बेटा?’’

‘‘मां जिस का डर था वही हुआ, राज कह रहे हैं उन्हें शादी कर के क्या मिला. आज चिल्ला रहे थे कि 1-1 पैसे के लिए हाथ फैलाना पड़ता है. मां मैं ने गलती की राज से शादी कर के.’’

‘‘नहीं मृगया ऐसी बात नहीं. सोच राज अच्छा नौजवान व पढ़ालिखा लड़का है. उसे लड़कियों की कमी नहीं थी. वह तेरे पास आया. तु?ो अपनाया. कृश को भी पिता का प्यार दिया, अपना नाम दिया. लेकिन सोच उस के पास सबकुछ दे कर अधिकार क्या है? वह ठीक कह रहा है अगर अब भी उसे हर बार पैसे के लिए मैनेजर को फोन करना पड़े तो उस का अपमान ही होगा और तेरा भी. मृगया उसे अब पूरी तरह अपना ले उसे उस के अधिकार दे कर.’’

मृगया सोचने लगी मां ठीक कह रही हैं मृदुल के बाद उस का जीवन कितना

नीरस हो गया था. जीवन मशीन की तरह चल रहा था. उस नीरस जीवन में राज ने ही रंग भरे हैं. कृश को भी पिता का प्यार मिला. राज ने उसे अपना जीवन दे दिया और वह खुद अब तक भ्रम में ही खड़ी है. कहीं ऐसा न हो वह प्यार की ?ांकार अब न सुन पाए तो पूरा जीवन बिन प्यार खाली ही गुजरेगा? मृदुल तो उस का अतीत था. उस का आज सिर्फ और सिर्फ राज है. अब पूरा हक दे कर उसे अपनाएगी. उस ने मुसकरा कर दूर से आते राज को देखा और समर्पण, प्यार और विश्वास से उस की आंखों में सतरंगी धनुष खिलने लगे.

बौयफ्रेंड को है खोने का डर, तो ऐसे बने पजेसिव गर्लफ्रेंड

‘ हमको सिर्फ तुमसे प्यार है ‘ बरसात फिल्म के इस गाने को अक्सर हम खुद से रिलेट कर पाते हैं क्योंकि हम में से ज्यादातर की जिंदगी में कोई ऐसा खास शख्स होता है जिसे हम ये शब्द कहना चाहते हैं. अब अगर आप किसी से इतना प्यार करते हैं तो आप भी चाहेंगे कि सामने वाला भी केवल आप से ही प्यार करे. मगर अक्सर ऐसा होता नहीं है. खासतौर पर लड़के मन से चंचल होते हैं. उन्हें अगर कोई खूबसूरत लड़की दिख जाए तो उन का मन डोलने लगता है. वे अपनी गर्लफ्रेंड के अलावा भी दूसरी खूबसूरत नाजनीना को अपने दिल में स्थान दे देते हैं. ऐसे में उन की गर्लफ्रेंड का क्या होगा यह सोचने वाली बात है. अगर गर्लफ्रेंड पजेसिव है तब तो उस के लिए हालात और भी बुरे हो जाएंगे. वह अपने बॉयफ्रेंड को किसी और से आंखें चार करते हुए भला कैसे देख सकती है? उसे हमेशा ही यह डर लगने लगेगा कि कहीं उस का बौयफ्रेंड किसी और का न हो जाए.

दरअसल किसी भी रिश्ते के डेवलप होने में समय लगता है. अगर आप किसी लड़के से फ्रेंडशिप भी करती हैं तो उसे मजबूत होने में 4- 6 महीने लग ही जाते हैं. इस के लिए एक दूसरे को समझना पसंद करना और साथ समय बिताना जरूरी होता है. काफी मेहनत और एफर्ट लगाने के बाद ही आप कह पाती हैं कि वह आप का दोस्त है. दोस्ती से बढ़कर रिलेशनशिप के स्टेज तक पहुंचना और भी कठिन होता है. काफी केयर करनी होती है. एक दूसरे के लिए त्याग करने होते हैं. धीरे धीरे आकर्षण पैदा होता है और तब कमिटमेंट की बात आती है. लड़कियां बौयफ्रेंड को रिझाने के लिए सजती संवरती हैं. मेकअप और ब्यूटी पार्लर के साथ कपड़ों और फैशन पर काफी खर्च करती है. अपने बिजी शेड्यूल से समय निकाल कर उस के साथ घूमती फिरती हैं. उसे विश्वास दिलाती हैं कि वह उन के लिए कितना महत्वपूर्ण है. बॉयफ्रैंड को जब जरुरत हो मदद करती हैं. वह जब बुलाए तो मिलने जाती हैं. उस के लिए शॉपिंग करती हैं. नई नई चीजें बना कर उसे खिलाती हैं. घंटों फोन पर बातें करती हैं. उस के लिए कई दफा अपने मां बाप से भी झूठ बोल जाती हैं.

इतना सब करने के बाद साल दो साल में उन्हें एक अच्छा बौयफ्रेंड मिलता है जिस पर वे पूरा भरोसा करती हैं. मगर यही लड़का यदि किसी और के साथ घूमने फिरने लगे तो लड़कियों की रातों की नींद उड़ जाती है और इस में कुछ गलत भी नहीं. इतनी मेहनत से मिलने वाले बॉयफ्रेंड को वे भला इतनी आसानी से जाने कैसे दे सकती हैं.

हर लड़की को एक पजेसिव गर्लफ्रेंड बनना चाहिए. उसे समझना होगा कि उस का बौयफ्रैंड बहुत कीमती है और वह उसे खोने का चांस नहीं ले सकती. पति की तरह ही बौयफ्रैंड से भी उम्र भर का कमिटमेंट हुआ रहता है. जिस के साथ पूरी उम्र बितानी है उस के थोड़े नखरे भी सहने पड़ें और पीछा करना पड़े तो घबराना नहीं चाहिए. अपने बौयफ्रैंड को दूसरी लड़कियों की बुरी नजर से बचाने के लिए एक पजेसिव गर्लफ्रेंड बनने से हिचकिचाएं नहीं;

फिल्मों में दिखाया जाता है कि जैसे दो ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं वैसे ही लड़का और लड़की मिलते हैं और फिर प्यार हो जाता है. ज्यादातर हम फिल्मों में जो देखते हैं उसे हकीकत मान लेते हैं और सपनों की दुनिया में जीने लगते हैं. हालाँकि हकीकत बहुत अलग होती है. हकीकत में लड़के मिलने आसान नहीं होते. काफी समय लगता है कोई रिश्ता जुड़ने में.

एक रिश्ते में अलग-अलग गुणों और स्वभाव वाले दो व्यक्ति एक साथ आते हैं. वे आपस में कुछ समानताएं पाते हैं और कुछ पसंद नापसंद मिलता हुआ देखते हैं तो साथ बढ़ते हैं. आप के अंदर कई खूबियां होंगी मगर कुछ कमियां भी होंगी. अगर आप के बौयफ्रेंड को कोई लड़की दिखती है जिस में वह खूबियां हैं जो आप में नहीं तो वह उस की तरफ आकर्षित हो सकता है. ऐसे में आप दो काम कर सकती हैं; एक तो खुद में ज्यादा से ज्यादा खूबियां पैदा करना और दूसरे अपने बौयफ्रेंड को दूसरी लड़कियों खासकर चपल और खूबसूरत लड़कियों के संपर्क में कम से कम आने देना. इस के लिए अगर आप को बौयफ्रेंड पर हमेशा नजर रखनी पड़े तो भी गलत नहीं.

हमेशा कांटेक्ट में रहें

हमेशा कोशिश करें कि फोन पर अपने बौयफ्रेंड को अपने साथ व्यस्त रखें. फ्री टाइम में या तो चैटिंग करती रहिए या फिर वीडियो कॉल पर बातें करती रहे. अगर वह कभी फ़ोन न उठाए तो उस से अर्जेंट बात है कह कर मैसेज करें और कारण जानें कि वह फोन क्यों नहीं उठा रहा. वह किसी जरूरी मीटिंग में हो सकता है. मगर यदि वह किसी लड़की के साथ है तो कोई न कोई बहाना बना कर उसे अपने पास बुला लीजिए.

रोज शेड्यूल जानना

रोज सुबह या एक रात पहले अपने बौयफ्रेंड से उस का शेड्यूल पूछ लें और फिर उस के बिजी ऑवर को छोड़ कर बाकी के समय आप अपने साथ उस का प्लान बुक कर लें. उस से कहें कि वह पूरे दिन के दौरान किए गए हर काम को शेयर करें. उस ने क्या खाया, किस से मिला, क्या बात की, कहाँ गया सब कुछ. अगर वह ऐसा करने से उकताए तो उसे अपने प्यार का अहसास दिलाएं और खुद भी अपने हर पल से उसे वाकिफ रखें.

कभीकभी जासूसी भी करें

कभीकभी अपने बौयफ्रेंड की जासूसी करना गलत नहीं. आप अचानक से उस के घर या काम वाली जगह पर पहुंचे या उस के किसी दोस्त ,साथी या कामवाली को अपने विश्वास में ले कर उस से बौयफ्रेंड की जिंदगी में मौजूद लोगों की जानकारियां निकलवाएं. इस से आप बौयफ्रेंड के झूठ को सूंघ सकती हैं और समझ सकती हैं कि वे आप के प्रति सच्चे हैं या नहीं. अगर वह झूठ बोल रहा है तो आप उस पर और कड़ी नजर रख कर हकीकत समझ जाएंगी और फिर उस अनुरूप अपना प्लान बना सकेंगी. इस से पहले कि चीजें नियंत्रण से बाहर हो जाएं उचित समय पर समाधान की तलाश करना बेहतर है.

खूबसूरत लड़कियों से बचा कर रखें

विपरीत लिंग के दोस्त होना सामान्य बात है. यहां तक कि जब आप ऑफिस में होते हैं तो भी आपको दोनों लिंगों के लोगों से मिलना जुलना पड़ता है. इस पर आप का कोई नियंत्रण नहीं है और यह पूरी तरह से स्वीकार्य है. मगर आप उसे किसी लड़की से बात करते देख कम्फर्टेबल नहीं भी हो सकती हैं. कोशिश करें कि फ़्लर्ट करने में तेज या ज्यादा ही बन संवर कर आने वाली लड़कियों से उसे दूर ही रखें और जब वह उन से बात कर रहा हो तो कोई न कोई बहाने से उसे अपने साथ व्यस्त कर लें. कोशिश करें कि वह अपना अधिक से अधिक समय आप के साथ बिताए.

कंट्रोलिंग होना भी बुरा नहीं

अपने बौयफ्रेंड से आप यह अपेक्षा करती हैं कि वह आप को सब से इंपॉर्टेंट स्थान दे और मैसेज के जवाब भी तुरंत मिले. मगर कई दफा जब ऐसा नहीं होता तो आप का मन डांवाडोल होने लगता है. ऐसे में आप अपने बॉयफ्रेंड को यह जता सकती हैं कि जब वह तुरंत जवाब नहीं देता तो आपको बुरा लगता है. आप उन से साफ़ कहें कि आप के मैसेज का जवाब उसे तुरंत देना होगा. वैसे भी अगर आप रोज घंटों व्हाट्सअप या कॉल के जरिए कनेक्टेड हैं तो ज्यादा समस्या नहीं आएगी. साथ ही वह कहीं भी जाए तो आप को बता कर जाए.

बोर नहीं बिंदास बनें

अगर आप अपने बौयफ्रेंड से दूर रहेंगी तो वह ऐसी लड़की की तरफ आकर्षित हो सकता है जो करीब आने में कम्फर्टेबल है. इसलिए जब वह सब के सामने आप का हाथ थाम लें और सार्वजनिक रूप से प्यार दर्शाए तो भले ही आप असहज या शर्मिंदा महसूस कर रही हों मगर इस से इंकार न करें. जब वह ऐसा न करे तो आप खुद आगे बढ़ कर करीब आने की पहल कर सकती हैं. साथ ही आप का हक़ बनता है कि यदि वह किसी और लड़की से फ़्लर्ट करे या कोई लड़की उस के पास जाने की कोशिश करे तो उसे रोकें क्योंकि एक बार कोई करीब आ गई तो फिर आप कुछ नहीं कर सकेंगी.

डिजिटल स्टौकिंग

डिजिटल स्टौकिंग हमेशा संभव है. आप बॉयफ्रेंड से उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पासवर्ड शेयर करने पर जोर दे. अगर नहीं तो हर प्लेटफॉर्म पर आप लगातार चेक करे और इस बात पर नजर रखेगी कि वह कहां और किसके साथ हैं. उस का इंस्टाग्राम अकाउंट आप की तस्वीरों से भरा होना चाहिए.

अपनी खूबसूरती से दीवाना बना दें

यदि आप अपने बौयफ्रेंड को काबू करना चाहती है और उसे केवल अपना बनाए रखना चाहती हैं तो आपको सबसे पहले खुद को आकर्षक बनाना जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर किसी लड़के की चाहत होती है कि उसकी गर्लफ्रेंड दूसरी लड़कियों की तुलना में अलग और दिखे. इस के लिए आप को सबसे पहले खुद को फिट रखना होगा. अपने आप को फिट रखने के लिए आप जिम भी ज्वाइन कर सकती है. इसके अलावा आपको अपने ड्रेसिंग सेंस पर खास ध्यान देना होगा. क्योंकि ज्यादातर लड़के लड़कियों के ड्रेसिंग सेंस और उनकी लुक पर ही फिदा होते है. इसी तरह थोड़ा बहुत मेकअप और बन संवर कर रहने का मिजाज आप को अलग दिखाएगा. इस के लिए ब्यूटी पार्लर्स और शोप्पिंग्स के लिए जाने में कोताही न करें.

अपनी याद दिलाएं

उसे ऐसे गिफ्ट्स और सरप्राइजेज दें कि  इसके जरिए उसे अक्सर आप की याद आती रहे. मसलन पेन गिफ्ट में दें. यह हमेशा उस के हाथ या पौकेट में रहेगा. उसे ऐसी जगह ले जाएं जहां वह कभी न गया हो. ताकि उस जगह के साथ आप की यादें उस के जेहन में बस जाएं. उसे परफ्यूम गिफ्ट करें ताकि उस की खुशबू आप की याद दिलाए. उस के कमरे में अपनी कुछ चीजें जैसे रुमाल, हैडबैंड , दुपट्टा आदि छोड़ कर आएं ताकि उन्हें देखते ही आप याद आ जाएं.

छोटे ब्रेस्ट को दिखाना है अट्रैक्टिव, तो वियर करें ये ब्लाउज डिजाइन

शादी, पार्टी और फेयरवेल जैसे खुशी के मौके पर सभी महिलाएं स्टाइलिश और ग्लैमरस दिखना चाहती हैं. वे चाहती है कि फंक्शन में सबसे ज्यादा ब्यूटीफुल वह ही दिखें. हर कोई उन की तारीफों के पुल बांधे. उन्हें देखते ही सब की नजरें उन पर अटक जाए. लेकिन ऐसा उन महिलाओं के लिए संभव नहीं जिन का ब्रैस्ट साइज स्मौल या कहे छोटा होता है. स्मौल साइज की वजह से वह ऐसे फंक्शन से दूर भागती है क्योंकि उन में वह कौफिडेंस नहीं होता जो बिग बूब्स वाली लड़कियों या महिलाओं में होता है.

आज हम आप की इस समस्या से निजात दिलाने में आप की मदद करेंगे यानि आज हम आप को कुछ ऐसे ब्लाउज डिजाइन बताएंगे जिन्हें पहनकर न सिर्फ आप के स्मौल ब्रैस्ट बिग लगेंगे बल्कि आप स्टाइलिश और मौडर्न भी लगेंगी. साथ ही इन ब्लाउज को पहनकर आप का कौफिडेंस लेवल भी पहले से कई गुणा बढ़ जाएगा.

पेश है स्मौल ब्रैस्ट को बिग दिखाने वाले कुछ ब्लाउज डिजाइन-

1. पैडेड ब्लाउज करें वियर

अगर आप का ब्रेस्ट साइज छोटा है, तो इस के लिए आप पैडेड ब्लाउज को वियर कर सकती हैं. इस में आप को बैकलेस, डीप नेकलाइन और स्ट्राइप वाले ब्लाउज के अलगअलग डिजाइन मिल जाएंगे. पैडेड ब्लाउज को वियर कर के आप अपने छोटे बैस्ट को हैवी लुक दे पाएंगी. ध्यान रहे पैडेड ब्लाउज की फीटिंग तब और अच्छी खिल कर आती है जब ब्लाउज में अच्छे पैड का इस्तेमाल किया गया हो. आप इसे किसी बूटीक से तैयार करवा सकती है. दूसरे औपशन के लिए आप इसे रेडीमेड भी खरीद सकती हैं. इस के लिए आप को मार्केट जाकर अपने साइज के हिसाब से पैडेड ब्लाउज खरीदना है. आप चाहे तो पैडेड ब्लाउज को औनलाइन वेबसाइट से भी आर्डर कर सकती है.

2. पैडेड पफ स्लीव्स ब्लाउज

आजकल पैडेड ब्लाउज ट्रेंड में हैं, तभी तो सेलीब्रिटीज हो या इंस्ट्राग्राम इनफुलेंसर अपनी रिल्स में पैडेड पफ स्‍लीव्‍स ब्लाउज पहने दिख ही जाते हैं. और ये तो सच है कि जिसे भी सेलीब्रिटीज ने अपने स्ट्राइल कर लिया वह ट्रेंड में आ ही जाता है. बात करे इस ब्‍लाउज डिजाइन की तो पैडेड होने के कारण यह छोटे बैस्ट वाली महिलाओं पर ये खूब फबेंगे. इतना ही नहीं इस तरह के ब्लाउज में आप किसी भी तरह की बैक और फ्रंट नेकलाइन कैरी कर सकती हैं. साथ ही आप को इस के लिए ब्रा कैरी करने की भी जरूरत नहीं होगी. आप को बता दे कि पैडेड ब्लाउज में फिटिंग बहुत अच्छी आती हैं. पफ स्‍लीव्‍स की वजह से यह ब्लाउज और अट्रैक्टिव लगता है.

3. बोटनेक ब्लाउज डिजाइन

अगर आप के ब्रैस्ट का साइज कम है, तो आप अपनी फिगर को हाईलाइट करने के लिए बोटनेक ब्लाउज डिजाइन ट्राई कर सकती हैं. लेकिन ध्यान रहे कि बोटनेक ब्लाउज डिजाइन में आप पैड जरूर लगवाएं. इस से आप की फिटिंग और भी अच्छी आएगी. आप चाहे तो बोटनेक ब्लाउज डिजाइन को बिना पैड के सिलाकर इसे पैडेड ब्रा के साथ पहन सकती हैं.

वैसे तो आप बोटनेक ब्लाउज डिजाइन को किसी भी तरह की साड़ी के साथ कैरी कर सकती हैं. लेकिन यह ब्‍लाउज डिजाइन सबसे ज्यादा जॉर्जेट, सिल्क और ऑर्गेंजा साड़ी के साथ पहने जाते हैं. आप बोटनेक ब्लाउज में फुल स्लीव्स बनाने की गलती कभी न करें. यह कौबिनेशनस बिलकुल भी अच्छा नहीं रहेगा. आप बोटनेक ब्लाउज के साथ स्लीवलेस या हाफ स्लीव्ज बनवा सकती हैं. ये कौबिनेशनस हमेशा हिट रहता है.

4. हौल्टर नेकलाइन ब्लाउज

हौल्टर नेकलाइन ब्लाउज की खास बात यह है कि इस में कंधे और ब्रैस्ट अच्छे से हाइलाइट होते हैं. यह डिजाइन छोटे ब्रैस्ट वाली महिलाओं के लिए बैस्ट होते हैं, क्योंकि इसे पहनने के बाद आप के स्मौल ब्रैस्ट हैवी लगने लगते हैं. इस ब्लाउज को पीछे से फुल कवर करके भी तैयार किया जा सकता हैं और बैकलेस स्टाइल में भी. अगर आप इस ब्लाउज डिजाइन को एम्ब्रोयडरी वर्क वाले कपड़े से तैयार करवाएंगी तो यह डिजाइन और ज्यादा खिलकर आएगा. लेकिन अगर आप ज्यादा झंझट नहीं चाहती तो इसे सीधा मार्केट से खरीद भी सकती हैं.

5. रफल स्टाइल ब्लाउज डिजाइन

अभी हाल ही में अवनीत ने बोम्बे टाइम्स फैशन वीक में डिजाइनर दीप्ति बालागिरी के क्लोदिंग ब्रांड ‘हाउस औफ दीप्ति’ के लिए रैंप वौक किया था. अवनीत इस शो की शो स्टोपर थीं और रफल ब्लाउज और स्कर्ट पहना था. अगर आप के ब्रेस्ट साइज छोटे हैं तो आप भी अवनीत की तरह रफल स्टाइल वाले ब्लाउज वियर कर सकती हैं. इस ब्लाउज डिजाइन में इस की स्लीव्स और रफल डिजाइन की वजह से आप के ब्रैस्ट हाइलाइट होंगे. आप इस तरह का ब्लाउज अपने पसंदीदा बुटीक से बनवा सकती है या फिर मार्केट से इसे रेडीमेड भी खरीद सकती हैं.

6. फ्लावर कट ब्लाउज डिजाइन

इन दिनों कई सेलिब्रिटीज को फ्लावर कट ब्लाउज डिजाइन पहने देखा गया है. ऐसे में अगर आप के भी छोटे ब्रैस्ट हैं तो आप भी अपने लिए फ्लावर कट ब्लाउज डिजाइन तैयार करवा सकती है. यह ब्लाउज डिजाइन आप के क्लीवेज को फ्लॉन्ट करता है. ऐसे में यह आप के सिंपल से लुक को भी स्टाइलिश बना देगा. वैसे कई सेलिब्रिटीज इवेंट में फ्लावर कट ब्लाउज डिजाइन पहने नजर आ चुकी है.

7. पान शेप ब्लाउज

पान शेप ब्लाउज डिजाइन भी इन दिनों ट्रेड कर रहा है. कई बौलीवुड सेलेब्स भी इसे कैरी कर चुके हैं. यह ब्लाउज लाइट वेट साड़ी के साथ खूब जचता है. वे महिलाएं जिन के ब्रैस्ट छोटे है वे पान शेप वाले ब्लाउज को ट्राई कर सकती हैं. यह ब्लाउज आप के ब्रैस्ट को अपलिफ्ट करने में हैल्प करता है. अगर आप के भी ब्रैस्ट छोटे साइज के है तो आप इस ब्लाउज को पहन सकती हैं.

8. वी नेक ब्लाउज डिजाइन

छोटे ब्रैस्ट वाली महिलाएं अगर अपने लिए कोई ऐसा डिजाइन ढूंढ रही है जिस से उन के ब्रैस्ट हैवी लगे तो उन्हें एक बार वी नेक ब्लाउज डिजाइन जरूर ट्राई करना चाहिए. इस में आप अपना क्लीवेज भी शो कर सकती है. इस तरीके के ब्लाउज न सिर्फ देखने में खूबसूरत लगते हैं बल्कि यह आप की खूबसूरती में चार चांद भी लगा देते हैं. इस का एक उदाहरण अनन्या पांडे है. वह अक्सर वी नेक ब्लाउज पहने स्पैट की जाती है.

इन ब्लाउज डिजाइन के अलावा कुछ और ब्लाउज डिजाइन है जो छोटे ब्रैस्ट साइज वाली महिलाओं के ब्रैस्ट को हैवी दिखाने में हैल्प करते हैं जैसे- स्वीटहार्ट नेकलाइन ब्लाउज डिजाइन, नेक राउंड, टर्टल नेक, ट्यूब, लीफ पैटर्न, ब्रालेट, डीप यू, पैडेड स्ट्रिप्स, चौकोर नेक विद पफ स्लीव्स, ब्रा स्टाइल.

छोटे ब्रैस्ट वाली लड़कियां और महिलाएं इस तरह के ब्लाउज डिजाइन को किसी भी तरह की साड़ी, लहंगे या इंडियन एथेनिक वेयर के साथ पहन सकती हैं. इन्हें पहनकर वह अपने स्टाइलिश लुक को फ्लोंट कर सकती है और यकीन माने आप इन्हें कैरी करके कौफिडेंट भी फील करेंगी

प्रैगनैंसी में बाधक बनती है डायबिटीज

भारत में डायबिटीज बहुत तेजी से बढ़ रही है. बिगड़ता खानपान, स्ट्रैस और शारीरिक श्रम में कमी इस का सब से बड़ा कारण बनता जा रहा है. पिछले 2 दशकों में डायबिटीज बच्चों एवं युवाओं में सब से तेजी से बढ़ रही है. दिल्ली में 20 से 40 साल की उम्र के लोगों में 48 फीसदी से ज्यादा डायबिटीज से ग्रस्त हैं.

कैसे होती डायबिटीज

हमारे शरीर में रक्त के द्वारा पोषक एवं जीवनदायक तत्त्व पहुंचते हैं, जिन में से एक है शुगर ग्लूकोस. अगर रक्त में शुगर की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ जाती है तो उसे डायबिटीज कहते हैं. हमारे शरीर से शुगर को रक्त में पहुंचने के 2 तरीके होते हैं- पहला भोजन और दूसरा लिवर.

हमारे भोजन का एक बड़ा हिस्सा कार्बोहाइड्रेट से बनता है, जो शुगर का संयुक्त है. यह कार्बोहाइड्रेट खाना पचाने की क्रिया के दौरान शुगर में परिवर्तित हो जाता है. भोजन के बाद जब रक्त में ग्लूकोस की मात्रा अधिक हो जाती है तब पैंक्रियाज से छूट कर इंसुलिन रक्तप्रणाली में पहुंच जाती है, जिस के कारण ग्लूकोस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती है और रक्त में ग्लूकोस की मात्रा कम हो जाती है.

जब कोशिकाओं में ग्लूकोस की जरूरत

पूरी हो जाती है तो इंसुलिन के जरीए अतिरिक्त ग्लूकोस ग्लाइकोजन में बदल जाता है और जरूरत पड़ने पर लिवर ग्लाइकोजन को तोड़ कर ग्लूकोस में परिवर्तित करता है. पैंक्रियाज में इंसुलिन ठीक से न बन पाने अथवा कोशिकाओं में ग्लूकोस के न जाने के कारण रक्त में शुगर  के बढ़ने की मात्रा की स्थिति को डायबिटीज कहते हैं. डायबिटीज को टाइप 1 और टाइप 2 में बांटा जा सकता है.

टाइप 1 डायबिटीज: टाइप 1 डायबिटीज पैंक्रियाज की बीटा, कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन न बन पाने से उत्पन्न होती है. रक्त में शुगर की मात्रा अधिक होने पर भी यह कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाती, जिस के कारण रक्त में शुगर का स्तर बहुत बढ़ जाता है. यह स्थिति ज्यादातर बचपन या किशोरावस्था में ही प्रकट हो जाती है और रोगी को इंसुलिन के टीके लगाने पड़ते हैं. टाइप 1 डायबिटीज के मामले में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पैंक्रियाज की बीटा कोशिकाओं को नष्ट करने लगती हैं, जिस के कारण इंसुलिन नहीं बनता.

टाइप 2 डायबिटीज: इस स्थिति में पैंक्रियाज की बीटा, कोशिकाएं इंसुलिन तो बनाती हैं, परंतु पूरी मात्रा में नहीं बना पातीं या कोशिकाओं पर इस का प्रभाव खत्म हो जाता है, जिस के कारण रक्त में शुगर का स्तर अनियमित हो जाता है. अच्छी बात यह है कि अगर रोगी अपनी जीवनशैली और खानपान में सुधार लाए तो स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

बदलती जीवनशैली कई सारी परेशानियों का कारण बन रही है, जिन में इनफर्टिलिटी या बां?ापन भी एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है. आजकल डिंक्स रहने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यह शब्द उन दंपतियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो ताउम्र बिना बच्चे के रहने का फैसला करते हैं और रहते हैं. लेकिन कुछ दंपती बच्चे की चाह होने ने बावजूद इस से वंचित रह जाते हैं और यह बां?ापन की समस्या के कारण होता है.

जब मां डायबिटीज से पीडि़त हो

यदि मां डायबिटीज से पीडि़त है, तो उस स्थिति में गर्भस्थ शिशु और मां दोनों के लिए खतरे की बात होती है. ऐसे में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है. यदि गर्भ में बच्चा पूर्ण विकसित हो जाता है तो प्रसव के दौरान बच्चे का आकार सामान्य से बड़ा होने की स्थिति में सर्जरी ही डिलिवरी का एकमात्र विकल्प होता है.

गर्भावस्था में इंसुलिन का स्तर

डायबिटीज के टाइप 1 में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है और टाइप 2 में इंसुलिन रिजिस्टैंस हो जाता है. दोनों में ही इंसुलिन का इंजैक्शन लेना जरूरी होता है. इस से शरीर में ग्लूकोस का स्तर सामान्य बना रहता है. गर्भधारण करने के लिए इंसुलिन के एक न्यूनतम स्तर की आवश्यकता होती है.

टाइप 1 डायबिटीज की स्थिति में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं. इस स्थिति में गर्भधारण करना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है. दोनों की सेहत पर इस का विपरीत प्रभाव पड़ता है. वहीं दूसरी ओर टाइप 2 डायबिटीज में शरीर रक्तधाराओं में ग्लूकोस के स्तर को सामान्य नहीं बनाए रख पाता, क्योंकि शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता. इस स्थिति से निबटने के लिए आहार में परिवर्तन जरूरी हो जाता है. नियमित व्यायाम करने से भी इंसुलिन के स्तर को सामान्य बनाया जा सकता है.

अन्य हारमोन भी होते हैं प्रभावित

इंसुलिन हारमोन का एक प्रकार है और इस के असंतुलित होने से शरीर के अन्य हारमोन जैसे ऐस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरौन और टेस्टोस्टेरौन का स्तर भी प्रभावित होता है. हारमोन असंतुलित होने के कारण महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट व बां?ापन की समस्या हो सकती है.

अगर पुरुषों के बराबर आजादी चाहिए

4 जून, 2024 को चौंकाने वाले नतीजों के आने पर उन भक्त सवर्ण, ऊंची जातियों की महिलाओं को खुशी मनानी चाहिए जो दिन में घंटों पूजापाठ में लगाती हैं, व्रतउपवास करती हैं, भजनकीर्तन गाती हैं, सड़कों पर कलश सिर पर रखे धूप, पानी, सर्दी में चलती हैं, पति को परमेश्वर मानती हैं. खुशी इसलिए मनानी चाहिए कि उन के मन पर बंधी और रोज नईनई बांधी जा रही जंजीरों के जनक की जड़ों के नीचे से थोड़ी सी जमीन खिसकी है.

ये औरतें वैसे अपने को धन्य मानती हैं कि उन्हें पूजापाठ का अवसर मिलता है, भगवानों के दर्शन होते हैं, माता की चौकी पर प्रसाद मिलता है, प्रवचनों में घंटों बैठने के बाद स्वामी के चरण छूने का अवसर मिलता है. असल में यह सब मानसिक गुलामी के कारण औरतें करती हैं और लगभग हर ऐस्टैब्लिश्ड धर्म में ऐसा होता है.

जिस प्रचारतंत्र से भारतीय जनता पार्टी ने देश में अपनी पकड़ बनाई थी, उस से कहीं ज्यादा पकड़ पार्टी को चलाने वालों की पीढि़यों ने सदियों से सवर्ण औरतों पर बना रखी थी. जब से राम मंदिर का मुद्दा ले कर भारतीय जनता पार्टी ने विधायक और सांसद बनाने शुरू किए हैं तभी से ऊंची जातियों की पढ़ीलिखी, पैसे वाली, मांबाप की दुलारी सैल्फकौन्फिडैंट औरतों को भी धर्म की जंजीरें नएनए ढंग से पहनानी शुरू कर दी हैं.

व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंटरनैट, इंस्टाग्राम, ट्विटर का जम कर उपयोग कर के सत्ता में आते ही इन औरतों को वापस पौराणिक काल में ले जाने की तैयारी शुरू हो गई. मौडर्न ऐजुकेशन और शहरी ऐटमौसफियर की वजह से ये औरतें दिखावा तो इंडीपैंडैंस का करती थीं पर इन्हें जो पढ़ाया, सुनाया और दिखाया जाता था, उस में वह पौराणिकता भरी थी जो सती सावित्री, द्रौपदी, दमयंती, शकुंतला में थी.

इन औरतों में से बहुतों को तो अंगरेजी में पौराणिक ज्ञान परोसा गया. एअरकंडीशंड हौलों में प्रवचन व भजन कार्यक्रम कराए गए, हाईटैक देवीदेवता पेश किए गए क्योंकि इस सब के पीछे सरकार की सपोर्ट और फाइनैंस था. यही वजह है कि आज की पढ़ीलिखी युवतियां भी बेहद घुटनभरे माहौल में पति और बच्चों में उल?ा रहती हैं.

भगवा सरकार ने मंदिरों का कायापलट कर दिया ताकि औरतें घर से बाहर निकल कर मंदिर के साथ बने रेस्तरां में खाना खा सकें, हौल में कीर्तन कर सकें, मारबल के फर्श पर बैठ कर ध्यान लगा सकें.

1955-56 में जवाहर लाल नेहरू ने जो आजादी की डोर औरतों को हिंदू कानूनों में बदलाव ला कर दी थी वह मांबाप ने भुला डाली और हिंदू सवर्ण औरतों को मुसलमानों के 3 तलाक, बहुविवाहों में और जरूरत से ज्यादा बच्चों के सवालों में उल?ा दिया ताकि वे अपने पर सवाल न कर बैठें.

कांग्रेस ने इन चुनावों में स्त्री न्याय की कल्पना की थी. भाजपा का नारा था लाडली बहन और उज्ज्वला. भाजपा के एक नारे में भाई को प्रौमिनैंस दी गई तो दूसरे में औरतों को चूल्हे से बांध दिया गया है. यही तो पुराण व स्मृतियां कहती हैं, यही तो वे सारे प्रवचनकर्त्ता कहते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी नीतियों में, वादों में कहीं भी औरतों को बराबर के हक दिलाने की बात नहीं की. बातें तो वैसे भी बेमतलब की होती हैं क्योंकि असलियत में जो किया जाता है वह महत्त्व का होता है.

भाजपा के दौरान महिला पहलवानों के विरोध को दबाया ही नहीं गया, उस के जनक के पुत्र को उत्तर प्रदेश में टिकट भी मिला और वह जीता भी. जो भी कानून आज औरतों को सुरक्षा दे रहे हैं वे बने 2014 से पहले ही थे. भाजपा तो धारा 370, कृषि कानूनों, जीएसटी कानूनों, नोटबंदी आदेशों, हिंदूमुसलिम विवाद बढ़ाने, लिव इन के अधिकार को कुचलने में व्यस्त रही.

हिंदू पर्सनल कानूनों में सुधार लाना तो दूर, जो थोड़ेबहुत सुधार पहले हुए थे उन के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करती रही क्योंकि पुराणों में स्पष्ट है कि सवर्णों की औरतों के पास भी कोई अधिकार नहीं है. हिंदू औरतों को बारबार सती, सीता, द्रौपदी, दमयंती, पद्मिनी की तरह त्याग करने को कहा जाता रहा, बारबार यह दोहराया जाता रहा है. इसे स्कूली टैक्स्ट बुक्स में ठूंसा जाने लगा.

4 जून, 2024 को एक  ब्रेक लगा है. यह ब्रेक है, स्पीड ब्रेकर है, स्टौप की निशानी है अभी नहीं कहा जा सकता. यदि औरतों को पुरुषों के बराबर आजादी चाहिए तो उन्हें वह सरकार चाहिए जो बराबरी के अधिकार दिलाने वालों का गुणगान करे न कि उन का जिन्होंने उन्हें घर निकाला दिया.

काली स्याही : सुजाता के गुमान को कैसे किया बेटी ने चकनाचूर

क्लब में ताश खेलने में व्यस्त थी सु यानी सुजाता और उधर उस का मोबाइल लगातार बज रहा था.

‘‘सु, कितनी देर से तुम्हारा मोबाइल बज रहा है. हम डिस्टर्ब हो रहे हैं,’’ रे यानी रेवती ताश में नजरें गड़ाए ही बोली.

‘‘मैं इस नौनसैंस मोबाइल से तंग आ चुकी हूं,’’ सु गुस्से से बोली, ‘‘मैं जब भी बिजी होती हूं, यह तभी बजता है,’’ और फिर अपना मुलायम स्नैक लैदर वाला गुलाबी पर्स खोला, जो तरहतरह के सामान से भरा गोदाम बना था, उस में अपना मोबाइल ढूंढ़ने लगी.

थोड़ी मशक्कत के बाद उसे अपना मोबाइल मिल गया.

‘‘हैलो, कौन बोल रहा है,’’ सु ने मोबाइल पर बात करते हुए सिगरेट सुलगा ली.

‘‘जी, मैं आप की बेटी सोनाक्षी की क्लासटीचर बोल रही हूं. आजकल वह स्कूल बहुत बंक मार रही है.’’

‘‘व्हाट नौनसैंस, मेरी सो यानी सोनाक्षी ऐसी नहीं है,’’ सु अपनी सिगरेट की राख ऐशटे्र में डालते हुए बोली, ‘‘देखिए, आप तो जानती ही हैं कि आजकल बच्चों पर कितना बर्डन रहता है… वह तो स्कूल खत्म होने के बाद सीधे कोचिंग क्लास में चली जाती है… अगर कभी बच्चे स्कूल से बंक कर के थोड़ीबहुत मौजमस्ती कर लें, तो उस में क्या बुराई है?’’ और फिर सु ने फोन काट दिया और ताश खेलने में व्यस्त हो गई.

वह जब रात को घर पहुंची तब तक सो घर नहीं आई थी.

‘‘मारिया, सो कहां है?’’ सु सोफे पर ढहती हुई बोली.

‘‘मैम, बेबी तो अब तक नहीं आया है,’’ मारिया नीबूपानी से भरा गिलास सु को थमाते हुए बोली, ‘‘बेबी, बोला था कि रात को 8 बजे तक आ जाएगा, पर अब तो 10 बज रहे हैं.’’

‘‘आ जाएगी, तुम चिंता मत करो,’’ सु अपने केशों को संवारती हुई बोली, ‘‘विवेक तो बाहर से ही खा कर आएंगे और शायद सो भी. इसलिए तुम मेरे लिए कुछ लो फैट बना दो.’’

‘‘मैम, हम कुछ कहना चाहते थे, आप को. बेबी का व्यवहार और उन के फ्रैंड्स…’’

‘‘व्हाट, तुम जिस थाली में खाती हो, उसी में छेद करती हो. चली जाओ यहां से. अपने काम से काम रखा करो,’’ सु गुस्से में बोली.

‘सभी लोग मेरी फूल सी बच्ची के दुश्मन बन गए हैं. पता नहीं मेरी सो सभी की आंखों में क्यों खटकने लगी है, यह सोचते हुए उस ने कपड़े बदले. झीनी गुलाबी नाइटी में वह पलंग पर लेट गई.

‘‘क्या हुआ जान? बहुत थकी लग रही हो,’’ विवेक शराब का भरा गिलास लिए उस के पास बैठते हुए बोला.

‘‘हां, आज ताश खेलते हुए कुछ ज्यादा पी ली थी और फिर पता नहीं, रे ने किस नए ब्रैंड की सिगरेट थमा दी थी. कमबख्त ने मजा तो बहुत दिया पर शायद थोड़ी ज्यादा स्ट्रौंग थी,’’ सु करवट लेते हुए बोली, ‘‘पर तुम इस समय क्यों पी रहे हो?’’

‘‘अरे भई, माइंड रिलैक्स करने के लिए शराब से अच्छा कोई विकल्प नहीं और फिर सामने शबाब तैयार हो तो शराब की क्या बिसात?’’ कहते हुए विवेक ने अपना गिलास सु के होंठों से लगा दिया.

‘‘यू नौटी,’’ सु ने विवेक को गहरा किस किया और फिर कंधे से लगी शराब पीने लगी.

‘‘सोनाक्षी कहां है?’’ विवेक सु के केशों में उंगलियां फिराते हुए बोला.

‘‘होगी अपने दोस्तों के साथ. अब बच्चे इतने प्रैशर में रहते हैं तो थोड़ीबहुत मौजमस्ती तो जायज है,’’ और सु ने अपनी बांहें विवेक के गले में डाल दीं. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे में समाने लगे.

तभी सु का मोबाइल बज उठा, ‘‘व्हाट नौनसैंस, मैं जब भी अपनी जिंदगी के मजे लूटना शुरू करती हूं, यह तभी बज उठता है,’’

सु विवेक को अपने से अलग कर मोबाइल उठाते हुए बोली. फोन पर सो की सहेली प्रज्ञा का नाम हाईलाइट हो रहा था.

पहले तो सु का मन किया कि वह अपना मोबाइल ही बंद कर दे और फिर से अपनी कामक्रीडा में लिप्त हो जाए, पर फिर उस का मन नहीं माना और अपना फोन औन कर दिया.

‘‘आंटी, सो ठीक नहीं है. वह मेरे सामने बेहोश पड़ी है,’’ प्रज्ञा रोते हुए बोली.

‘‘तुम मुझे जगह बताओ, मैं अभी वहां पहुंचती हूं,’’ कह कर सु ने तुरंत अपने कपड़े बदले और गाड़ी ले कर वहां चल दी.

वैसे वह विवेक को भी अपने साथ ले जाना चाहती थी, लेकिन वह सो चुका था. उसे ज्यादा चढ़ गई थी.

जब सु प्रज्ञा के बताए पते पर पहुंची तो हैरान रह गई. सारा हौल शराब की बदबू और सिगरेट के धुएं से भरा था. सो सामने बैठी नीबूपानी पी रही थी.

‘‘क्या हुआ तुम्हें?’’ सु के स्वर में चिंता थी.

‘‘ममा, अब तो ठीक हूं, बस आज कुछ ज्यादा हो गई थी,’’ सो अपना सिर हिलाते हुए बोली.

‘‘तुम ने ड्रिंक ली है?’’ सु ने चौंककर पूछा.

‘‘तो क्या हुआ ममा?’’

‘‘तुम ऐसा कैसे कर सकती हो?’’ सु परेशान हो उठी.

‘‘मैं तो पिछले 6 महीनों से ड्रिंक कर रही हूं, इस में क्या बुरा है?’’ सो लापरवाही से एक अश्लील गाना गुनगुनाते हुए बोली.

‘‘पर तुम तो कोचिंग क्लास जाने की बात कहती थीं और कहती थीं कि माइंड रिलैक्स करने के लिए तुम थोड़ाबहुत हंसीमजाक और डांस वगैरह कर लेती हो, पर यह शराब…’’

‘‘व्हाट नौनसैंस, अगर आप से कहती कि मैं शराब पीती हूं तो क्या आप इजाजत दे देतीं?’’

सु ने तब एक जोरदार थप्पड़ सो के गाल पर दे मारा.

‘‘ममा, मुझे टोकने से पहले खुद को कंट्रोल कीजिए. आप तो खुद रोज ढेरों गिलास गटक जाती हैं. अगर मैं ने थोड़ी सी पी ली तो क्या बुरा किया?’’ सो सिगरेट सुलगाती हुई बोली, ‘‘माइंड रिलैक्स करने के लिए बहुत बढि़या चीज है यह.’’

सो को सिगरेट पीते देख सु को इतना गुस्सा आया कि उस का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा और तब गुस्से के अतिरेक में उठा उस का हाथ सो ने हवा में ही लपक लिया और हंसते हुए बोली, ‘‘ममा, मुझे सुधारने से पहले खुद को सुधारो. खुद तो क्लब की शान बनी बैठी हो और मुझ से किताबी कीड़ा बनने की उम्मीद रखती हो. ममा, मांबाप तो बच्चों के लिए सब से बड़े आदर्श होते हैं और फिर मैं तो आप के द्वारा अपनाए गए रास्ते पर चल कर आप का ही नाम रोशन कर रही हूं,’’ कह कर सिगरेट की राख ऐशट्रे में डाली और अपने दोस्तों के साथ विदेशी गाने की धुन पर थिरकने लगी.

तभी बाहर से हवा का एक तेज झोंका आया और उस से ऐशट्रे में पड़ी राख उड़ कर सु के मुंह पर आ गिरी. तब सु का सारा मुंह ऐसा काला हुआ मानो किसी ने अचानक आधुनिकता की काली स्याही उस के मुख पर पोत दी हो.

दुनिया : जब पड़ोसिन ने असमा की दुखती रग पर रखा हाथ

लेखिका- गुलनाज

यह फ्लैट सिस्टम भी खूब होता है. कंपाउंड में सब्जी वाला आवाजें लगाता तो मैं पैसे डाल कर तीसरी मंजिल से टोकरी नीचे उतार देती, लेकिन मेरे लाख चीखनेचिल्लाने पर भी सब्जी वाला 2-4 टेढ़ीमेढ़ी दाग लगी सब्जियां व टमाटर चढ़ा ही देता. एक दिन मामूली सी गलती पर पोस्टमैन 1,800 रुपए का मनीऔर्डर ले कर मेरे सिर पर सवार हो गया और आज हौकर हमारा अखबार फ्लैट नंबर 111 में डाल गया.

मिसेज अनवर वही अखबार लौटाने आई थीं. मैं ने शुक्रिया कह कर उन से अखबार लिया और फौर्मैलिटी के तौर पर उन्हें अंदर आने के लिए कहा तो वे झट से अंदर आ गईं और फैल कर बैठ गईं. कुछ देर इधरउधर की बातें कर के मैं उन के लिए कौफी लेने किचन की तरफ बढ़ी तो वे भी मेरे पीछे ही चली आईं और लाउंज में मौजूद चेयर संभाल ली. मैं ने वहीं उन्हें कौफी का कप थमाया और लंच की तैयारी में जुट गई.

वे बोलीं, ‘‘कुछ देर पहले मैं ने तुम्हारे फ्लैट से एक साहब को निकलते देखा था. उन्हें लाख आवाजें दी मगर उन्होंने सुनी नहीं, इसलिए मुझे खुद ही आना पड़ा.’’

‘‘चलिए अच्छी बात है, इसी बहाने आप से मुलाकात तो हो गई,’’ कह कर मैं मुसकरा दी. फिर गोश्त कुकर में चढ़ाया, फ्रिज से

सब्जी निकाली और उन के सामने बैठ कर छीलने लगी.

‘‘सच कहती हूं, जब से तुम आई हो तब से ही तुम से मिलने को दिल करता था, मगर इस जोड़ों के दर्द ने कहीं आनेजाने के काबिल कहां छोड़ा है.’’

मैं खामोशी से लौकी के बीज निकालती रही. तब उन्होंने पूछा, ‘‘तुम्हारे शौहर तो मुल्क से बाहर हैं न?’’

‘‘जी…?’’ मैं ने चौंक कर उन्हें देखा, ‘‘जिन साहब को आप ने सुबह देखा, वही तो…’’

‘‘हैं… वे तुम्हारे शौहर हैं?’’

मिसेज अनवर जैसे करंट खा कर उछलीं और मैं ने ऐसे सिर झुका लिया जैसे आफताब सय्यद मेरे शौहर नहीं, मेरा जुर्म हों. वैसे इस किस्म के जुमले मेरे लिए नए नहीं थे मगर हर बार जैसे मुझे जमीन में धंसा देते थे. मैं ने लाख बार उन्हें टोका है कि कम से कम बाल ही डाई कर लिया करें, मगर बनावट उन्हें पसंद ही नहीं है.

मिसेज अनवर ने यों तकलीफ भरी सांस ली जैसे मेरी सगी हों. फिर बोलीं, ‘‘कितनी प्यारी दिखती हो तुम, क्या तुम्हारे घर वालों को तुम्हें जहन्नुम में धकेलते वक्त जरा भी खयाल नहीं आया?’’

फिर वे लगातार व्यंग्य भरे वाक्य मुझ पर बरसाती रहीं और कौफी पीती रहीं. मेरी अम्मी को सारी जिंदगी ऐसे ही लोगों की जलीकटी बातें सताती रहीं. अब्बा बैंकर थे और बहुत जल्दी दुनिया छोड़ गए थे. अम्मी पढ़ीलिखी थीं, इसलिए अब्बा की बैंकरी उन के हिस्से में आ गई. अम्मी की आधी जिंदगी 2-2 पैसे जमा करते गुजरी. उन्होंने अपने लहू से अपने पौधों की परवरिश की, मगर जब फल खाने का वक्त आया तो…

बड़ी आपा शक्ल की प्यारी मगर, मिजाज की ऊंची निकलीं. उन के लिए रिश्ते तो आते रहे मगर उन की उड़ान बहुत ऊंची थी. मास्टर डिगरी लेने के बाद उन्हें लैक्चररशिप मिल गई तो उन की गरदन में कुछ ज्यादा ही अकड़ आ गई और अम्मी के खाते में बेटी की कमाई खाने का इलजाम आ पड़ा.

‘‘बेटी की शादी कब कर रही हैं आप? अब कर ही डालिए. इतनी देर भी सही नहीं.’’ लोग ऐसे कहते जैसे अम्मी के कान और आंखें तो बंद हैं. वे मशवरे के इंतजार में बैठी हैं. अम्मी बेटी की बात मुंह पर कैसे लातीं. किसकिस को बड़ी आपा के मिजाज के बारे में बतातीं.

अम्मी पाईपाई पर जान देती थीं और सारा जमाजोड़ बेटियों के लिए बैंक में रखवा देती थीं. आपा हर रिश्ते पर नाक चढ़ा कर कह देतीं, ‘‘असमा या हुमा की कर दीजिए न, आखिर उन्हें भी तो आप को ब्याहना ही है.’’

और इस से पहले कि असमा या हुमा के लिए कुछ होता बड़े भैया उछलने लगे. मेरी शादी होगी तो जारा सरदरी से ही. अम्मी भौचक्की रह गईं. अभी तो पेड़ का पहला फल भी न खाया था. अभी दिन ही कितने हुए थे बड़े भाई को नौकरी करते हुए. जारा सरदारी भैया की कुलीग थी. अम्मी ने ताड़ लिया कि बेटा बगावत के लिए आमादा है. ऐसे में हथियार डाल देने के अलावा कोई चारा न था. फिर वही हुआ जो भाई ने चाहा था.

जारा सरदरी को अपनी कमाई पर बड़ा घमंड और शौहर पर पूरा कंट्रोल था. ससुराल वालों से उस का कोई मतलब न था. बहुत जल्दी उस ने अपने लिए अलग घर बनवा लिया.

अम्मी को बड़ी आपा की तरफ से बड़ी मायूसी हो रही थी लेकिन हुमा के लिए एक ऐसा रिश्ता आ गया, जो अम्मी को भला लगा. आखिरकार बड़ी आपा के नाम की सारी जमापूंजी खर्च कर उसे ब्याह दिया. हुमा का भरापूरा ससुराल था. ससुराल के लोगों के मिजाज अनूठे थे. इस पर शौहर निखट्टू.

उस की सारी उम्मीदें ससुराल वालों से थीं कि वे उसे घरजमाई रख लें, कारोबार करवा दें या घर दिलवा दें. यह कलई बाद में खुली. झूठ पर झूठ बोल कर अम्मी को दोनों हाथों से लूटा गया. मगर ससुराल वालों की हवस पूरी न हुई.

हुमा बहुत जल्दी घर लौट आई. उस का सारा दहेज ननदों के काम आया. फिर बहुत मुश्किल से तलाक मिलने पर उसे छुटकारा मिला. लेकिन इस पर खानदान के कई लोगों ने अम्मी को यों लताड़ा जैसे अम्मी को पहले से सब कुछ पता था.

हुमा का उजड़ना उन्हें मरीज बना गया. वे आहिस्ताआहिस्ता घुल रही थीं. एक रोज वे बिस्तर से जा लगीं, मगर सांसें जैसे हम दोनों बहनों में अटकी थीं.

कभी-कभी बड़े भैया बीवीबच्चे समेत घर आते तो अम्मी की परेशानियां जबान पर आ जातीं. लेकिन वे हर बात उड़ा जाते. ‘‘अम्मी, हो जाएगा सब कुछ. आप फिक्र न किया करें.’’

परेशानियों के इसी दौर में छोटे भैया से मायूस हो कर अम्मी ने उन्हें ब्याहा. छोटे भैया अपने पैरों पर खड़े थे. लेकिन घर की जिम्मेदारियों से दूर भागते थे. घर की गाड़ी अम्मी के बचाए पैसों पर ही चल रही थी. लेकिन घर चलाने के लिए एक जिम्मेदार औरत का होना जरूरी होता है, यह सोच कर ही अम्मी ने छोटे भैया को ब्याह दिया था.

लेकिन अम्मी एक बार फिर मात खा गईं. छोटी भाभी बहुत होशियार और समझदार साबित हुईं, मगर मायके के लिए. उन के दिलोदिमाग पर मायके का कब्जा था. कोई न कोई बहाना बना कर मायके की तरफ दौड़ लगाना और कई दिन डेरा डाल कर वहां पड़ी रहना उन की फितरत थी. ससुराल में वे कभीकभी ही नजर आतीं. अचानक छोटे भैया को दुबई में नौकरी का चांस मिल गया और भाभी का पड़ाव हमेशा के लिए मायके में बन गया.

इस दौरान एक खुशी की बात यह हुई कि बड़ी आपा के लिए एक भला रिश्ता मिल गया. संजीदा, सोबर और जिम्मेदार एहसान अलवी. पढ़ेलिखे होने के साथसाथ अरसे से अमेरिका में रहते थे. आपा जितनी उस उम्र की थीं, उस से कम की ही नजर आती थीं और एहसान अलवी अपनी उम्र से 2-4 साल ज्यादा के दिखते थे.

अम्मी को फिर इनकार का अंदेशा था. उन्होंने आपा को समझाया, ‘‘ऐसा रिश्ता फिर मिलने वाला नहीं. समझो कि गोल्डन चांस है. पानी पल्लू के नीचे से गुजर जाए तो लौट कर नहीं आता.’’

पता नहीं क्या हुआ कि यह बात आपा की अक्ल में समा गई. फिर चट मंगनी, पट ब्याह. आपा अमेरिका चली गईं.

शादी के नाम पर हुमा रोने बैठ जातीऔर एक ही रट लगाती, ‘‘मुझे नहीं करनी शादीवादी.’’

मैं आईने के समाने खड़ी होती तो आठआठ आंसू रोती. हमारे खानदान के हर घर में रिश्ता मौजूद था, मगर लड़के 4 अक्षर पढ़ कर किसी काबिल हो जाते हैं, तो खानदान की फीकी सीधी लड़कियों पर हाथ नहीं रखते हैं. ऐसे में सारी रिश्तेदारी धरी की धरी रह जाती है. फिर अब उन्हें बदला भी लेना था. अम्मी ने भी तो खानदान की किसी लड़की पर हाथ नहीं रखा था. उन के दोनों बेटों की बीवियां तो पराए खानदान की थीं. इस धक्कमपेल में मेरी उम्र 30 पार कर गई.

फिर अचानक बड़ी आपा की ससुराल के किसी फंक्शन में आफताब सय्यद के रिश्तेदारों ने मुझे पसंद किया. आफताब की सारी फैमिली कनाडा में रहती थी और उन के सभी भाईबहन शादीशुदा थे. आफताब की पहली शादी नाकाम हो चुकी थी. बीवी ने नया घर बसा लिया था. उन के 2 बच्चे थे, जो आफताब के पास ही थे. अम्मी को मेरी नेक सीरत पर भरोसा था. और मुझे भी कहीं न कहीं तो समझौता करना ही था. पानी पल्लू के नीचे से गुजर जाए तो लौट कर नहीं आता, यह बात मैं ने गिरह में बांध ली थी.

आफताब बहुत खयाल रखने वाले शौहर साबित हुए. हमारी उम्र में फर्क बहुत ज्यादा न था. मगर दुनिया तो यही समझती थी कि वे मुझ से बहुत बड़े हैं और बच्चों समेत सारी गृहस्थी मेरी मुट्ठी में है. इस एहसास की झील में कोई न कोई कंकड़ डाल कर हलचल मचा ही देता था. तब मुझे लगता था कि इंसान अपनी जिंदगी से समझौता कर भी ले तो दुनिया उसे कहां छोड़ती है?

मैं डेली मेकअप की जगह कौन सा मेकअप करूं?

सवाल-

चिपचिपाहट, पसीना आदि मेरा मेकअप बिगाड़ देते हैं. ऐसे में मैं नियमित मेकअप की जगह कौन सा मेकअप करूं?

जवाब-

आप स्मज फ्री मेकअप करें. इस के लिए आप को वाटरप्रूफ मेकअप ही करना चाहिए. इस से मेकअप फैलता नहीं है और लंबे समय तक टिका रहता है. मेकअप करने से पहले टोनर और बर्फ का इस्तेमाल जरूर करें. आंखों और आईब्रोज को स्मज फ्री रखने के लिए हमेशा जैल या पाउडर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें. यदि जैलबेस प्रोडक्ट नहीं है तो वाटरप्रूफ मसकारे से भी आईब्रोज को डिफाइन कर सकती हैं. आईलैशेज पर वाटरप्रूफ मसकारा लगाएं. अगर आप आईशैडो का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो हलका या न्यूड शेड ही चुनें. इस से अगर वह स्मज भी होगा तो पता नहीं चलेगा. काजल कितने भी अच्छे ब्रैंड का क्यों न हो, थोड़े समय के बाद फैलने लगता है, जिस से आंखों के आसपास कालापन आ जाता है, जिस से पूरा लुक बिगड़ सकता है. लिप्स पर हमेशा मैट लिपस्टिक का ही इस्तेमाल करें.

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कम से कम मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ ही मेकअप के लाइट शेड्स से बहुत कम समय में आप न्यूड मेकअप लुक पा सकती हैं. यह काफी क्लासी और सौफिस्टिकेटेड नजर आता है. खास मौकों के साथ ही औफिशियल मीटिंग्स और रैग्युलर डेज में भी न्यूड मेकअप लुक कैरी किया जा सकता है. जानते हैं न्यूड मेकअप लुक के कुछ खास ट्रिक्स.

1. जरूरी है डेली स्किन केयर रूटीन

चूंकि न्यूड मेकअप लुक के लिए मेकअप के डार्क शेड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है, इसलिए चेहरे की नैचुरल ब्यूटी उभर कर दिखती है. ऐसे में जरूरी है कि त्वचा अंदर से स्वस्थ, बाहर से बेदाग और कोमल हो. लेकिन यह तभी मुमकिन है जब आप नियमित रूप से क्लींजिंग, टोनिंग, मौइश्चराइजिंग और स्क्रबिंग करेंगी. इस से त्वचा स्वस्थ रहेगी और न्यूड मेकअप लुक उभर कर दिखेगा.

2. टिंट मौइश्चराइजर

सब से पहले फेसवाश से चेहरा धो कर पोंछ लें. फिर मौइश्चराइजर लगाएं. इस के लिए लाइट या फिर टिंट मौइश्चराइजर चुनें. इसे पूरे चेहरे पर लगा कर हलके हाथों से त्वचा को मौइश्चराइज करें. अब आंखों के पास आई क्रीम लगाएं. इसे सैट होने के लिए थोड़ी देर के लिए यों ही छोड़ दें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

महिलाओं में क्यों होता है मेनोपौज, इसके लक्षणों को ऐसे करें कंट्रोल

एक महिला को उम्र बढ़ने के साथसाथ कई तरह की सेहत संबंधी समस्याओं से गुजरना पड़ता है. किसी भी महिला को उम्र के हर मोड़ पर पीरियड्स से लेकर मेनोपौज तक इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इस दौरान महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे बौडी, मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है.

 

माना जाता है कि आमतौर पर महिलाओं में 45-50 की उम्र में मेनोपौज की शुरुआत होती है. यानी महिलाओं में हर महीने होने वाले मेंस्ट्रुअल साइकिल पूरी तरह बंद हो जाते हैं. अगर किसी महिला को लगातार 1 साल तक पीरियड्स न हो, तो यह मेनोपौज माना जाता है.

क्यों होता है मेनोपौज

यह एक नेचुरल प्रक्रिया है. जब ओवरी अंडे रिलीज करना बंद कर देती है, तो महिला को मेनोपौज होना शुरु हो जाता है. इससे महिलाओं में कई तरह के हार्मोन का स्तर भी लो हो जाता है. जिससे महिला में रिप्रोडक्टिव प्रौसेस बंद हो जाता है.

क्या है पेरी मेनोपौज पीरियड

मेनोपौज के पहले महिला के शरीर में एक बदलाव का समय आता है, इस स्थिति में कभी पिरियड आते है और कभी नहीं आते. इस अवस्था को पेरी मेनोपौज कहा जाता है.

मेनोपौज के लक्षण

  • अनियमित पीरियड्स
  • वेजाइनल ड्राइनेस
  • नींद न आना
  • मूड स्विंग्स
  • वेट बढ़ना
  • हेयर फॉल

मेनोपौज के लक्षणों से कैसे कंट्रोल करें

ऊपर दिए गए लक्षण नजर आए, तो इन्हें कम करने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें. खाने में पौष्टिक चीजों को लें, रोजाना एक्सरसाइज करें. स्मोकिंग, एल्कोहल और ज्यादा कैफीन युक्त चीजें न लें. अगर आपको ज्यादा पसीना आता है, तो लूज कपड़े पहनें.

मेनोपौज दो स्टेज में होता है

  • 30 की उम्र के बाद ही कुछ महिलाओं में यह दिखाई देने लगते हैं. हालांकि मेनोपौज होने की सही उम्र 40 से 45 साल है.
  • कुछ महिलाओं को लेट से भी मेनोपौज होता है, 50 की उम्र में भी मेनोपौज हो सकता है.

मेनोपौज के दौरान खाएं ये फूड्स

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर फूड्स खाएं, इसके लिए महिलाएं अपनी डाइट में सालमन, मैकेरल जैसी मछलियां खा सकती हैं. ये हेल्दी फैट्स से भरपूर होती हैं.
  • मेनोपौज के दौरान महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होती हैं, ऐसे में डेयरी प्रोडक्ट्स या अन्य कैल्शियम युक्त चीजें खाने की सलाह दी जाती है.
  • मेनोपौज वाली  महिलाओं की डाइट में फल और सब्जियां शामिल करना बेहद जरूरी है. ये विटामिन्स से भरपूर होते हैं.
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