मैं एक शादीशुदा शख्स से प्यार करती हूं, लेकिन वह मुझे पसंद नहीं करता है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है, अभी मैं सिंगल हूं, स्कूल टीचर हूं, वहां एक एक सीनियर टीचर ने ज्वाइन किया है. वो हमें ट्रेनिंग देते हैं. मैं उन्हीं के साथ रोजाना लंच करती हूं, वो मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मैंने उनसे अपने मन की भी बात बताई. लेकिन उन्होंने कहा कि मैं शादीशुदा हूं और दो बच्चों का बाप हूं. आप जो भी मेरे बारे में सोचती हैं, वो ख्याल अपने मन से निकाल दें. आइन्दा मैं आपसे बात भी नहीं करूंगा.

इसके बाद अब वो मेरे साथ लंच भी नहीं करते. वो अपने केबिन में ही खाना खा लेते हैं. मैं उनके पास जाती भी हूं, तो वो ये कहकर टाल देते हैं कि काम में मैं बिजी हूं. ट्रेनिंग में सबके साथ आपसे मिलता हूं. वो अब मेरे साथ सख्ती से पेश आते हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूं? उन्हें कैसे मनाऊं?

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जवाब

आप उनसे प्यार करने लगी हैं, इसलिए चाहती हैं कि वह आपसे नाराज न रहें. जैसा कि आपने बताया आपके सीनियर पहले ही बता चुके हैं, उनकी पत्नी है और दो बच्चों के पिता है और वो आपसे सख्ती से पेश आ रहे हैं. ऐसे में आपको समझदारी से काम लेनी होगी. आप उनके पीछे मत भगिये.

कुछ समय के लिए आप उनसे दूर ही रहे तो बेहतर है. आपके भी मन में जो उनके प्रति फीलिंग्स हैं. उससे बाहर निकलना बहुत जरूरी है. इसलिए दूरी बनाना सही है. रही बात प्यार की तो लाइफ में न चाहते हुए भी हम ऐसे शख्स से प्यार कर बैठते हैं, जो हमारे लिए सही साबित नहीं होता.

आजकल लोग प्यार की आड़ में लड़कियों की जिंदगी खराब करते हैं. ये तो उस शख्स की ईमानदारी है कि उसने अपने रिश्तों के बारे में आपसे कुछ नहीं छिपाया और वह इसलिए आपसे दूरी बना रहे हैं कि आपक मन में जो भी उनके लिए भावनाएं हैं, उससे आप बाहर निकलें. ऐसे में आप अपने कैरियर पर फोकस करें. आप टीचर हैं, बच्चों को पढ़ाने के साथ उनसे मजेदार ऐक्टिविटीज भी करवाएं, इससे बच्चे भी इंट्रैस्ट लेंगे और आप भी अपने काम में पूरी तरह व्यस्त रहेंगी. आप अपने सीनियर से प्रोफैशनली रिलेशन रखें.

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नया रिश्ता : पार्वती-विशाल ने किसे चुना अपना जीवनसाथी

अमित की मम्मी पार्वती ने शरमाते हुए विशाल कुमार को अंगूठी पहनाई तो अमित की पत्नी शिवानी और उन के बच्चे अनूप व अतुल ने अपनी दादी पर फूलों की बरसात करनी शुरू कर दी. बाद में विशाल कुमार ने भी पार्वती को अंगूठी पहना दी. माहौल खुशनुमा हो गया, सभी के चेहरे खिल उठे, खुशी से झूमते बच्चे तो अपने नए दादा की गोद में जा कर बैठ गए.

यह नज़ारा देख कर अमित की आंखें नम हो गईं. वह अतीत की यादों में खो गया. अमित 5 वर्षों से शहर की सब से पौश कालोनी सनराइज सोसाइटी में रह रहा था. शिवानी अपने मिलनसार स्वभाव के कारण पूरी कालोनी की चहेती बनी हुई थी. कालोनी के सभी कार्यक्रमों में शिवानी की मौजूदगी अकसर अनिवार्य होती थी.

अमित के मातापिता गांव में रहते थे. अमित चाहता था कि वे दोनों उस के साथ मुंबई में रहने के लिए आ जाएं मगर उन्होंने गांव में ही रहना ज्यादा पसंद किया. वे साल में एकदो बार 15-20 दिनों के लिए जरूर अमित के पास रहने के लिए मुंबई आते थे. मगर मुंबई आने के 8-10 दिनों बाद ही गांव लौटने का राग आलापने लग जाते थे.

वक्त बीत रहा था. एक दिन रात को 2 बजे अमित का मोबाइल बजा.

‘हैलो, अमित बेटा, मैं तुम्हारे पिता का पड़ोसी रामप्रसाद बोल रहा हूं. बहुत बुरी खबर है, तुम्हारे पिता शांत हो गए है. अभी घंटेभर पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था. हम उन्हें अस्पताल ले कर जा रहे थे, रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.’

अपने पिता की मृत्यु के बाद अमित अपनी मम्मी को अपने साथ मुंबई ले कर आ गया. बतौर अध्यापिका सेवानिवृत्त हुई पार्वती अपने पति के निधन के बाद बहुत अकेली हो गई थी. पार्वती को पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था. अमित और शिवानी के नौकरी पर जाने के बाद वह अपने पोते अनूप और अतुल को पढ़ाती थी. उन के होमवर्क में मदद भी करती थी.

पार्वती को अमित के पास आए 2 साल हो गए थे. अमित के पड़ोस में विशाल कुमार रहते थे. वे विधुर थे, नेवी से 2 साल पहले ही रिटायर हो कर रहने के लिए आए थे. उन का एक ही बेटा था जो यूएस में सैटल हो गया था. एक दिन शिवानी ने पार्वती की पहचान विशाल कुमार से करवाई. दोपहर में जब बच्चे स्कूल चले जाते थे तब दोनों मिलते थे. कुछ दिनों तक दोनों के बीच औपचारिक बातें होती थीं. धीरेधीरे औपचारिकता की दीवार कब ढह गई, उन्हें पता न चला. अब दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई. पार्वती और विशाल कुमार का अकेलापन दूर हो गया.

एक दिन शिवानी ने अमित से कहा- ‘अमित, पिछले कुछ दिनों से मम्मी में आ रहे बदलाव को तुम ने महसूस किया क्या?’

अमित की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, उस ने विस्मय से पूछा- ‘मैं कुछ समझा नहीं, शिवानी, तुम क्या कह रही हो?’

‘अरे अमित, मम्मी अब पहले से ज्यादा खुश नज़र आ रही हैं, उन के रहनसहन में भी अंतर आया है. पहले मम्मी अपने पहनावे पर इतना अधिक ध्यान नहीं देती थीं, आजकल वे बहुत ही करीने से रह रही हैं. उन्होंने अपने संदूक से अच्छीअच्छी साड़ियां निकाल कर वार्डरोब में लटका दी हैं. आजकल वे शाम को नियमितरूप से घूमने के लिए जाती हैं…’

अमित ने शिवानी की बात बीच में काटते हुए पूछा- ‘शिवानी, मैं कुछ समझा नहीं, तुम क्या कह रही हो?’

‘अरे भई, मम्मी को एक दोस्त मिल गया है. देखते नहीं, आजकल उन का चेहरा खिला हुआ नज़र आ रहा है.’

‘व्हाट…कैसा दोस्त, कौन दोस्त, शिवानी. प्लीज पहेली मत बुझाओ, खुल कर बताओ.’

‘अरे अमित, आजकल हमारे पड़ोसी विशाल अंकल और मम्मी के बीच याराना बढ़ रहा है,’ यह कहती हुई शिवानी खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है. मम्मी वैसे भी अकेली पड़ गई थीं. वे हमेशा किताबों में ही खोई रहती थीं. कोई आदमी दिनभर किताबें पढ़ कर या टीवी देख कर अपना वक्त भला कैसे गुजार सकता है. कोई तो बोलने वाला चाहिए न. चलो, अच्छा हुआ मगर यह सब कब से हो रहा है, मैं ने तो कभी महसूस नहीं किया. तुम्हारी पारखी नज़रों ने यह सब कब भांप लिया? शिवानी, यू आर ग्रेट…’ अमित ने विस्मय से कहा.

‘अरे अमित, तुम्हें अपने औफिस के काम, मीटिंग, प्रोजैक्ट्स आदि से फुरसत ही कहां है, मम्मी अकसर मुझ से तुम्हारी शिकायत भी करती हैं कि अमित को तो मुझ से बात करने का वक्त भी नहीं मिलता है,’ शिवानी ने शिकायत की तो अमित तुरंत बोला, ‘हां शिवानी, तुम सही कह रही हो, आजकल औफिस में इतना काम बढ़ गया है कि सांस लेने की फुरसत तक नहीं मिलती है. मगर मुझे यह सुन कर अच्छा लगा कि अब मम्मी बोर नहीं होंगी. साथ ही, हमें कभी बच्चों को ले कर एकदो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा तो मम्मी घर पर अकेली भी रह सकती हैं.’ अमित ने अपने दिल की बात कह दी.

‘मगर अमित, मैं कुछ और सोच रही हूं,’ शिवानी ने धीरे से रहस्यमयी आवाज में कहा तो अमित ने विस्मयभरी आंखों से शिवानी की सूरत को घूरते हुए कहा- ‘हां, बोलो, बोलो, तुम क्या सोच रही हो?’

‘मैं सोच रही हूं कि तुम विशाल अंकल को अपना पापा बना लो,’ शिवानी ने तुरुप का पता फेंक दिया.

‘क्या…तुम्हारा दिमाग तो नहीं खिसक गया,’ अमित लगभग चिल्लाते हुए बोला.

‘अरे भई, शांत हो जाओ, पहले मेरी बात ध्यान से सुनो. मम्मी अकेली हैं, उन के पति नहीं हैं. और विशाल अंकल भी अकेले हैं व उन की पत्नी नहीं हैं. जवानी की बनिस्पत बुढ़ापे में जीवनसाथी की जरूरत ज्यादा होती है. मम्मी और विशाल अंकल दोनों सुलझे हुए विचारों के इंसान हैं, दोनों सीनियर सिटिजन हैं और अपनी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियों से मुक्त हैं.

‘विशाल अंकल का इकलौता बेटा है जो यूएस में सैटल है. विशाल अंकल के बेटे सुमित और उस की पत्नी तान्या से मेरी अकसर बातचीत भी होती रहती है. वे दोनों भी चाहते हैं कि उन के पिता यूएस में हमेशा के लिए आ जाएं मगर उन्हें तो अपने वतन से असीम प्यार है, वे किसी भी कीमत पर वहां जाने को राजी नहीं, सेना के आदमी जो ठहरे. फिर उन का तो कहना है कि वे आखरी सांस तक अपने बेटे और बहू को भारत लाने की कोशिश करते रहेंगे. मगर वे अपनी मातृभूमि मरते दम तक नहीं छोडेंगे.’ अमित बड़े ध्यान से शिवानी की बात सुन रहा था.

शिवानी ने किंचित विश्राम के बाद कहा, ‘अमित, अब मैं मुख्य विषय पर आती हूं. तुम ने ‘लिवइन रिलेशनशिप’ का नाम तो सुना ही होगा.’

शिवानी की बात सुन कर अमित के चेहरे पर अनभिज्ञता के भाव तेजी से उभरने लगे जिन्हें शिवानी ने क्षणभर में पढ़ लिया और अमित को समझाते हुए बोली- ‘अमित, आजकल हमारे देश में विशेषकर युवाओं और बुजुर्गों के बीच एक नए रिश्ते का ट्रैंड चल रहा है जिसे ‘लिवइन रिलेशनशिप’ कहते हैं. इस में महिला और पुरूष शादी के बिना अपनी सहमति के साथ एक ही घर में पतिपत्नी की तरह रह सकते हैं. आजकल शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र लोग इस तरह की रिलेशनशिप को अधिक पसंद करते है क्योंकि इस में विवाह की तरह कानूनी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता है. भारतीय कानून में भी इसे स्वीकृति दी गई है.

‘शादी के टूटने के बाद आप को कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पडता है मगर इस रिश्ते में इतनी मुश्किलें नहीं आती हैं. लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला आप को सामाजिक व पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति देता है. इस रिश्ते में सामाजिक व पारिवारिक नियम आप पर लागू नहीं होते हैं. अगर यह रिश्ता टूट भी जाता है तो आप इस में से आसानी बाहर आ सकते हैं. इस में कोई कानूनी अड़चन भी नहीं आती है. इसलिए मैं चाहती हूं कि…’ बोलती हुई शिवानी फिर रुक गई तो अमित अधीर हो गया और झल्लाते हुए बोला- ‘अरे बाबा, लगता है तुम ने ‘लिवइन रिलेशनशिप’ विषय में पीएच डी कर रखी है. पते की बात तो बता नहीं रही हो, लैक्चर दिए जा रही हो.’

‘अरे यार, बता तो रही हूं, थोड़ा धीरज रखो न,’ शिवानी ने मुसकराते हुए कहा.

‘ठीक है, बताओ,’ अमित ने बात न बढ़ाने की मंशा से कहा.

‘अमित, मैं चाहती हूं कि हम मम्मी और विशाल अंकल को ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने के लिए राजी कर लेते हैं ताकि दोनों निश्चिंत और स्वच्छंद हो कर साथसाथ घूमफिर सकें,’ शिवानी ने अपने मन की बात कह दी.

‘मगर शिवानी, क्या मम्मी इस के लिए तैयार होंगी?’ अमित ने संदेह व्यक्त किया.

‘क्यों नहीं होंगी, वैसे भी आजकल दोनों छिपछिप एकदूसरे से मिल रहे हैं, मोबाइल पर घंटों बात करते हैं. लिव इन रिलेशनशिप के लिए दोनों तैयार हो जाएंगे तो वे दुनिया से डरे बगैर खुल कर मिल सकेंगे, साथ में भी रह सकेंगे,’ शिवानी ने अमित को आश्वस्त करते हुए कहा.

‘इस के लिए मम्मी या विशाल अंकल से बात करने की मुझ में तो हिम्मत नहीं है बाबा,’ अमित ने हथियार डालते हुए कहा.

‘इस की चिंता तुम न करो, अमित. अपनी ही कालोनी में रहने वाली मेरी एक खास सहेली रेणू इस मामले में मेरी सहायता करेगी. वह इस प्रेमकहानी से भलीभांति वाकिफ भी है. हम दोनों मिल कर इस शुभकार्य को जल्दी ही अंजाम दे देंगे. हमें, बस, तुम्हारी सहमति का इंतजार है,’ शिवानी ने विश्वास के साथ यह कहा तो अमित की व्यग्रता कुछ कम हुई.

उस ने शांत स्वर में कहा, ‘अगर मम्मी इस के लिए तैयार हो जाती हैं तो भला मुझे क्यों एतराज होगा. उन्हें अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का हक तो है न.’

अमित की सहमति मिलते ही शिवानी और रेणु अपने मिशन को अंजाम देने में जुट गईं. शिवानी को यह विश्वास था कि पार्वती और विशाल अंकल पुराने जमाने के जरूर हैं मगर उन्हें आधुनिक विचारधारा से कोई परहेज नहीं है. दोनों बहुत ही फ्लैग्जिबल है और परिवर्तन में यकीन रखते हैं. एक संडे को शिवानी और रेणू गुलाब के फूलों के एक सुंदर गुलदस्ते के साथ विशाल अंकल के घर पहुंच गईं.

विशाल कुमार ने अपने चिरपरिचित मजाकिया स्वभाव में उन का स्वागत करते हुए कहा- ‘वाह, आज सूरज किस दिशा में उदय हुआ है, आज तो आप दोनों के चरण कमल से इस गरीब की कुटिया पवित्र हो गई है.’

शिवानी और रेणू ने औपचारिक बातें समाप्त करने के बाद मुख्य बात की ओर रुख किया. रेणू ने कहना शुरू किया-

‘अंकल, आप की और पार्वती मैडम की दोस्ती से हम ही नहीं, पूरी कालोनी वाकिफ है. इस दोस्ती ने आप दोनों का अकेलापन और एकांतवास खत्म कर दिया है. कालोनी के लोग क्या कहेंगे, यह सोच कर अकसर आप दोनों छिपछिप कर मिलते हैं. अंकल, हम चाहते हैं कि आप दोनों ‘औफिशियली’ एकदूसरे से एक नया रिश्ता बना लो और दोनों खुल कर दुनिया के सामने आ जाओ…’

कुछ गंभीर बने विशाल कुमार ने बीच में ही पूछा, ‘मैं समझा नहीं, रेणू. तुम कहना क्या चाहती हो?’

‘अंकल, आप और पार्वती मैडम ‘लिवइन रिलेशनशिप’ बना लो, फिर आप को दुनिया का कोई डर नहीं रहेगा. आप कानूनीरूप से दोनों साथसाथ रह सकते हैं और घूमफिर सकते हैं,’ यह कहती हुई शिवानी ने ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के बारे में विस्तृत जानकारी विशाल अंकल दे दी.

विशाल अंकल इस के लिए तुरंत राजी होते हुए बोले-

‘यह तो बहुत अच्छी बात है. दरअसल, मेरे और पार्वती के बीच अब तो अच्छी कैमिस्ट्री बन गई है. हमारे विचारों में भी बहुत समानता है. हम जब भी मिलते हैं तो घंटों बाते करते हैं. पार्वती को हिंदी साहित्य की अकूत जानकारी है. उस ने अब तक मुझे हिंदी की कई प्रसिद्ध कहानियां सुनाई हैं.’

‘अंकल, अब पार्वती मैडम को लिवइन रिलेशनशिप के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी आप की होगी.’

‘यस, डोन्ट वरी, आई विल डू इट. मगर जैसे आप दोनों ने मुझ से बात की है, वैसे एक बार पार्वती से भी बात कर लो तो ज्यादा ठीक होगा, बाकी मैं संभाल लूंगा.’

विशाल अंकल को धन्यवाद दे कर शिवानी और रेणू खुशीखुशी वहां से विदा हुईं. अगले संडे दोनों ने पार्वती से बात की. पहले तो उन्होंने ना नू, ना नू किया, मगर शिवानी और रेणू जानती थीं कि पार्वती दिल से विशाल कुमार को चाहती हैं और वे इस रिश्ते के लिए न नहीं कहेंगी, फिर उन दोनों की बेहतर कन्विन्सिंग स्किल के सामने पार्वती की ‘ना’ कुछ ही समय के बाद ‘हां’ में बदल गई.

शिवानी ने दोनों की ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की औपचारिक घोषणा के लिए एक दिन अपने घर  पर एक छोटी पार्टी रखी थी, जिस में अमित, शिवानी और विशाल कुमार के बहुत करीबी दोस्त ही आमंत्रित थे. विशाल और पार्वती ने एकदूसरे को अंगूठियां पहना कर इस नए रिश्ते को सहर्ष स्वीकर कर लिया.

“अरे अमित, कहां खो गए हो, अपनी मम्मी और नए पापा को केक तो खिलाओ,” शिवानी ने चिल्ला कर यह कहा तो अमित अतीत से वर्तमान में लौटा.

इस नए रिश्ते को देख अमित की नम आंखों में भी हंसी चमक उठी.

Anupamaa : टीटू और नंदिता पर शक करेगी डिंपी, अपनी बहू को थप्पड़ मारेगी अनुपमा

Anupamaa : टीवी का पौपुलर शो अनुपमा लगातार टीआरपी चार्ट में टौप पर है. इस शो के हर एपिसोड में हाईवोल्टेज ड्रामा दिखाया जाता है, जिससे दर्शकों का इंट्रैस्ट बना रहता है. इन दिनों शो में दिखाया जा रहा है कि शाह परिवार घर से बेघर हो गए हैं, ऐसे में अनुपमा उन्हें आशा भवन ले गई है. तोषू और पाखी आशा भवन की चीजों को घटिया बताते हैं और वहां अपनी स्टैंडर्ड के सामान के बारे में बात करते हैं, तो अनुपमा अपने दोनों बच्चों को सबक सिखाती है. तो वहीं सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में डिंपी नया बखेड़ा खड़ा करेगी. आइए जानते हैं सीरियल के नए ट्विस्ट के बारे में…

नंदिता पर आरोप लगाएगी डिंपी

अनुपमा के लेटेस्ट एपिसोड में आप देखेंगे कि आशा भवन में सभी लोग हौल में बैठेंगे, तभी नंदिता का पैर फिसलेगा, ऐसे में टीटू उसे बचा लेगा. ये देखते ही डिंपी भड़क जाएगी. वह खरीखोटी सुनाएगी, कहेगी कि नंदिता उसका घर तोड़ना चाहती है. डिंपी ये भी आरोप लगाएगी कि नंदिता का कोई अफेयर रहा होगा, तभी उसकी शादी टूट गई.

डिंपी को थप्पड़ मारेगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुपमा का पारा चढ़ेगा और डिंपी को थप्पड़ मारेगी. वह डिंपी को नंदिता से माफी मांगने के लिए कहती है. वहीं तोषु और पाखी का नया ड्रामा भी देखने को मिलेगा. आशा भवन से निकाले जाने के बाद दोनों भाईबहन सड़क पर भटकते नजर आएंगे. फिर तोषु वनराज का क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेगा और दोनों होटल में ठहरेंगे. दोनों भाईबहन एंजौय करेंगे और अपनी फोटोज सोशल मीडिया पर डालेंगे. दूसरी तरफ किंजल और आध्या वो फोटोज देख लेंगे. जब मैनेजर होटल का बिल लेकर आएगा तो दोनों की अकल ठिकाने आती है.

अपनी बेटी की अकल ठिकाने लगाएगी बा

दूसरी तरफ आशा भवन में अनुपमा एक नई सुबह की शुरुआत करेगी. भवन के सभी सदस्य मिलजुल कर काम करते हैं. बा ये देखकर इमोशनल हो जाती है.  इसके बाद सभी लोग आशा भवन में मिलकर आरती करते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ डिंपी और डौली दोनों ही अपने नखड़े दिखाते हैं. लेकिन उनदोनों को काम पर लगा देती है, उन्हें प्याज काटने के लिए देती हैं.

शो में आप ये भी देखेंगे कि अनुज जौब की तलाश में लग जाता है. तभी उसे एक काल आता है और वह अनुपमा से शेयर करता है. शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अनुपमा शाह हाउस को बचा पाएगी?

62 की उम्र में 26 वाली कमाल की फिटनेस चाहती हैं, तो ऐक्ट्रेस अनिता राज से ले फिटनेस मंत्र

अकसर देखा गया है 50 प्लस की महिलाएं अपनी फिटनैस और लुक का जरा भी ध्यान नहीं रखती हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अब इस उम्र में लुक और फिटनैस पर ध्यान दे कर क्या करना है। अब तो बस आराम करना है. जबकि यही वह बैस्ट टाइम होता है जब आप अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों से फ्री हो कर खुद की फिटनैस के लिए समय निकाल सकती हैं और लुक को बेहतर बना सकती हैं.

यहां हम बौलीवुड की उस ऐक्ट्रैस की बात कर रहे हैं जो 60 प्लस की हो चुकी हैं लेकिन उन की फिटनैस से उन की उम्र का पता ही नहीं चलता.

गजब की फिटनैस

80 के दशक की पौपुलर ऐक्ट्रैस अनीता राज ने 62 की उम्र में गजब की फिटनैस बरकरार रखी है। इस उम्र में बौडी को फिट रखना हर किसी के बस की बात नहीं लेकिन उन्होंने कर दिखाया। उन्होंने उम्र को अपनी बौडी पर बिलकुल भी हावी होने नहीं दिया.

अगर आप को अनीता राज की फिटनैस की झलक देखनी है तो आप उन के इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक नजर डाल सकती हैं जहां वह जिम में जबरदस्त ऐक्सरसाइज करती पसीना बहाती दिख जाएंगी.

अनीता राज का फिटनैस वीडियो

हाल ही में अनीता राज ने इंस्टाग्राम पर फिटनैस वीडियो शेयर किया है, जिस में वे व्हाइट कलर की स्लीवलैस जिम टौप, व्हाइट शौर्ट्स और औरेंज कलर के शूज पहन कर जिम में नजर आ रही हैं.

कभी वे स्क्वौड करती नजर आ रही हैं तो कभी डंबल उठाती नजर आ रही हैं। पसीने से भीगी ऐक्ट्रैस की ऐनर्जी देख कर लग ही नहीं रहा कि वह 60 से ऊपर की हैं। उन के फिटनैस वीडियोज को देख कर उन के फैंस खूब तारीफ कर रहे हैं.

फैंस के कमैंट्स

किसी ने कमैंट किया कि आप को फिट रहने के लिए इतनी मेहनत करती देख अच्छा लगता है. वहीं, एक यूजर ने पूछा कि क्या वह डाइट भी फौलो करती हैं? तो एक्ट्रेस ने जवाब दिया कि वह पौष्टिक और संतुलित आहार लेती हैं। एक ने पूछा कि क्या वह पूरी बौडी का वर्कआउट करती हैं तो उन्होंने कहा कि हां.

फिल्मों से टीवी तक का सफर

फेमस ऐक्टर जगदीश राज खुराना की बेटी अनीता राज ने 100 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है. उन की बस्ट फिल्मों में ‘गुलामी’, ‘जरा सी जिंदगी’, ‘जमीन आसमान’ और ‘मास्टरजी’ रही है. फिल्मों के बाद अनीता राज ने 1993 में ‘आशिकी’ से टैलीविजन पर डैब्यू किया, फिर वे कई टीवी सीरियल्स में नजर आईं, जिन में ‘ईना मीना डीका’, ‘तुम्हारी पाखी’, ’24’, ‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘ छोटी सरदारनी’ और ‘माया’ वगैरह.

लेकिन ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ से अनीता राज ने घरघर में अपनी पहचान बनाई है.

इंटिमेट सीन के कारण इस ऐक्ट्रैस ने फिल्म को किया रिजैक्ट, करोड़ों के औफर को मारी लात

साउथ इंडस्ट्री में जहां हीरोइन इंटिमेट सीन और सैक्सी डांस मूमेंट्स देने में जरा भी नहीं हिचकिचाती है . वही साउथ की हीरोइन साई पल्लवी ने अपने अभी तक के सफल करियर में किसी भी फिल्म में चुंबन दृश्य नहीं दिया है . क्योंकि साई पल्लवी के अनुसार ऐसे सीन देने से उनके घर वालों की छवि खराब होती है और वो नहीं चाहती कि वह फिल्मों में कोई भी ऐसा काम करें जिससे उनको अपने परिवार के सामने शर्मिंदा होना पड़े.

जिसके चलते खबरों के अनुसार साई पल्लवी को विजय देवरकोंडा के साथ करोड़ों के बजट की फिल्म डियर कौमरेड आफर हुई थी, लेकिन क्योंकि इस फिल्म में विजय देवरकोंडा के साथ एक लंबा चुबन दृश्य था और कुछ इंटिमेट सीन थे. जिसकी वजह से साई पल्लवी ने ये फिल्म करने से इनकार कर दिया. साई पल्लवी के इनकार के बाद यह फिल्म रश्मिका मंदांना को औफर हो गई . डियर कौमरेड फिल्म रश्मिका मदन की झोली में आ गई है. यह फिल्म रिलीज हो चुकी है. लेकिन यह फिल्म ना करने से सई पल्लवी को कोई नुकसान नहीं हुआ. बल्कि आज भी उनके पास ढेर सारी फिल्में है.

ऐसे में कहना गलत ना होगा कि सक्सेस अपने उसूलों के साथ भी पाई जा सकती है. गौरतलब है बौलीवुड में भी सुपरस्टार एक्टर सलमान खान को चुंबन दृश्यों से सख्त ऐतराज है. सलमान खान ने भी अपने अब तक के करियर में किसी भी फिल्म में चुंबन दृश्य नहीं दिया है. लेकिन वह भी 44 वर्ष से फिल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं.

फर्श पर जमी काई से हैं परेशान, तो हटाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके

बारिश का मौसम लगभग समाप्ति की ओर है. बारिश के बाद घर की अधिकांश दीवारें, फर्नीचर और बाथरूम में पानी की नमी के कारण सीलन से प्रभावित हो जाती है. जब यह सीलन काफी लंबे समय तक बनी रहती है तो दीवारों में फफूंद और काई लग जाती है. यही नहीं कई बार इस फफूंद और काई से दीवारों का रंग हरा और काला तक हो जाता है. इस काई और फफूंद में हजारों अदृश्य वायरस (माइक्रोऔर्गेनिज्म) होते हैं जो सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं.

औल इंडिया इंस्टीट्यूट औफ मेडिकल साइंसेज के अनुसार भारत में 5 करोड़ से अधिक लोग इस काई और फफूंद से उत्पन्न होने वाली फंगल डिजिज से प्रभावित होकर डौक्टर के पास जाते हैं. इन माइक्रोऔर्गेनिज्म से राइनाइटिस अर्थात् लगातार नाक का बहना, एलर्जी, अस्थमा, छींक आना, और शरीर में खुजली होने जैसी अनेकों समस्याएं हो सकतीं हैं. इसलिए आवश्यक है कि घर के किसी भी हिस्से में किसी भी प्रकार की सीलन, काई या फफूंद न पनपने दें. यदि आपके घर का कोई भी स्थान इससे प्रभावित है तो आप निम्न तरीकों से उसे दूर कर सकते हैं-

1-फफूंद प्रभावित स्थान को झाड़ू से साफ करने की कोशिश न करें क्योंकि ऐसा करने से फफूंद में मौजूद कीटाणु हवा में जाकर घर के लोगों को प्रभावित करेंगे.

2-सर्वप्रथम एक गीले कपड़े से फफूंद को हल्के हाथ से रब करें, इससे उस जगह का कालापन काफ़ी हद तक कम हो जाएगा. इस कपड़े को डस्टबिन में फेंक दें.

3-एक कपड़े को फिनायल या वेनेगर में डुबोयें और प्रभावित स्थान को साफ़ करें इससे वह स्थान कीटाणु मुक्त हो जाएगा. इस कपड़े को दोबारा प्रयोग करने का प्रयास न करें.

4-काई युक्त स्थान पर विनेगर को अच्छी तरह छिड़ककर आधे घंटे के लिए छोड़ दें फिर ब्रश से रगड़कर साफ़ करें, काई के मलबे को हटाकर साफ़ पानी से धो दें. फर्श और दीवारें एकदम चमक जाएंगी. इसके बाद आवश्यकतानुसार पेंट करवाएं.

5-आजकल बाज़ार में अनेकों फंगस रिमूवर और ब्लीच उपलब्ध हैं आप इनका प्रयोग कर सकती हैं, बस इन्हें प्रयोग करने से पहले उस पर लिखे निर्देशों को अवश्य पढ़ लें.

6-बाथरूम के फर्श पर जमा काई या फंगस को हार्पिक अथवा फ्लोर क्लीनर से साफ़ करें, बाथरूम के फर्श को साफ़ करते समय ध्यान रखें कि क्लीनर या हार्पिक नलों या जेट पर न लगने पायें. क्योंकि इन सभी में निहित एसिड से नल और जेट का रंग काला हो जाता है जो बाद में देखने में अच्छे नहीं लगते.

7-फंगस को साफ़ करने के लिए आप डिटौल के घोल का प्रयोग कर सकती  हैं. इसके लिए 1 टेबलस्पून डिटॉल में 5 चम्मच पानी मिलाकर घोल तैयार करें.

8-फंगस और काई को साफ करने के बाद यदि दीवार पर कोई निशान दिखे तो उस स्थान को पेंट करा दें.
9-2 लीटर पानी में 4 चम्मच बोरेक्स पाउडर और 2 चम्मच चूना अच्छी तरह मिलाकर घोल तैयार करें. अब इस घोल को प्रभावित स्थान पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें. 20 मिनट बाद ब्रश से रगड़कर साफ़ कर लें.

10-कई बार नमी के कारण कपड़ों में भी काली काली फफूंद लग जाती है इसे पहले कपड़ो से झाड़कर साफ़ कर दें. फिर वाशिंग मशीन के हीट मोड पर डिटौल और सर्फ से धोएं. यदि धुलने के बाद कोई निशान हो जाए तो ब्लीच या वेनिश से साफ कर दें.

रखें इन बातों का भी ध्यान

-काई या फफूंद हटाते समय मुंह पर कपड़ा बांधें या मास्क लगाएं ताकि वायरस आपके शरीर में प्रवेश न कर सकें.

-घर के किसी भी स्थान पर पानी जमा न होने दें.

-ब्लीच और एसिड का प्रयोग करते समय हाथों में ग्लव्स अवश्य पहनें.

-यदि अधिक सीलन है तो वाटर प्रूफ़िंग करवायें ताकि अगली बारिश में सीलन न आए.

रील बनाने की सनक में गंवाई जान, पूरा परिवार हुआ खत्म

रील्स बनाने की सनक लोगों के सिर परवान चढ़ने लगी है ऐसे लोग ना जगह देखते हैं ना इन्हें मौत का भय सताता है. इन्हें सिर्फ मतलब है तो सोशल मीडिया पर फेमस होने से. हाल ही में हुआ एक ऐसा ही हादसा बताता है कि लोग रील्स की सनक में कैसे अपनी और अपनों की जीवन लीला समाप्त करने पर तुले हुए हैं.
यह हादसा है लखीमपुर खीरी का, जहां रील बनाने के चक्कर में ट्रेन की चपेट में आने से दंपती और उनके इकलौते बेटे की मौत हो गई. ये तीनों रेलवे ट्रैक पर रील बना रहे थे इसी समय लखनऊ-पीलीभीत पैसेंजर ट्रेन आ गई.

यह देख दंपती भागे. हड़बड़ी में ढाई साल का मासूम बेटा गोद से छिटककर पटरी पर गिर गया. उसे उठाने में तीनों ट्रैन की चपेट में आ गए और तीनों इंजन के अगले हिस्से में फंसने के बाद दो सौ मीटर तक घिसटते चले गए. ऐसा ही एक मामला नरकटियागंज के बसंतपुर गांव से आया जहां करताहा नदी में छलांग लगाकर रील्स बनाने गए चार छात्रों में तीन नदी में डूब गए, जिसमें दो किशोरों की मौत हो गई है. ग्रामीण गोताखोरों के करीब 4:30 घंटे के प्रयास के बाद डूबे दोनों किशोरों का शव नदी से निकाला गया.
यह मामला पहला नहीं है ऐसे ना जाने हर साल कितने लोग मौत के शिकार महज सोशल मीडिया पर फेमस होने के चक्कर में मौत को गले लगा लेते हैं.

कोई उल्टा लटक कर वीडियो बनाने की सनक में जान गवा रहा है तो कोई खतरनाक खाई, झरनों के पास शूट करने के चक्कर में जान से हाथ धो बैठते है. आए दिन हो रही ऐसी वारदात बेहद चिंताजनक है जहां एक तरफ सोशल मीडिया से हम दूर दराज बैठे लोगों के बारे में जान पाते हैं आज उसी प्लेटफौर्म पर नाम व पैसा कमाने के चक्कर में खतरे को बिना भापे जान गवाना भी आम हो गया है जरूरी है कि हमें समझदारी के साथ चीजों का सदुपयोग करने का ज्ञान हो.

ब्यूटी प्रौडक्ट खरीदने से पहले ध्यान रखें ये बातें, स्किन डैमेज से बच सकती हैं आप

महिलाएं सुंदर दिखने के लिए हजारों सालों से ब्यूटी प्रसाधनों का इस्तेमाल करती आ रही हैं. मगर पहले ये ब्यूटी प्रौडक्ट प्राकृतिक चीजों जैसे हलदी, नीबू, मेहंदी, चंदन, फूलों इत्यादि से तैयार किए जाते थे, जिन के इस्तेमाल करने पर बिना किसी दुष्प्रभाव के सौंदर्यवर्धन होता था पर आज अधिकांश ब्यूटी प्रसाधनों में अनेक रसायनों का उपयोग होता है, जिन का स्किन पर दुष्प्रभाव हो सकता है.

 

इसके अलावा आज नामी कंपनियों की नकल के सस्ते ब्यूटी प्रसाधनों की भी बाजारों में भरमार है. साथ ही कुछ महिलाएं सस्ते के चक्कर में ब्रैंडेड ब्यूटी प्रौडक्ट न खरीद कर नकली व लोकल खरीद कर खुद ही मुसीबत से दोचार होती हैं. इन डुप्लीकेट ब्यूटी प्रसाधनों के निर्माण में घटिया और हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल होता है.

आइए जानते हैं कि ब्यूटी प्रसाधनों को खरीदने से पहले किनकिन बातों पर गौर करना जरूरी है.

ब्यूटी प्रसाधनों के संभावित दुष्प्रभाव

ब्यूटी प्रौडक्ट में मौजूद विभिन्न रसायनों के प्रभाव से संवेदनशील स्किन वालों को श्वसन तंत्र की ऐलर्जी हो सकती है. स्किन में लालिमा, खुजली, दाने, चकत्ते आदि हो सकते हैं. फिर ऐलर्जी के कारण जुकाम, आंखों में जलन, लालिमा, पानी बहना यहां तक कि दमा भी हो सकता है.

अनेक ब्यूटी प्रसाधनों के निर्माण में कोलतार का उपयोग किया जाता है, जो ऐलर्जी कर सकता है. साथ ही यह कैंसर का कारक भी माना जाता है. इस के प्रभाव से मूत्राशय कैंसर, नौनहौजकिन लिंफोमा आदि की भी संभावना बढ़ जाती है.

कुछ चेहरे के दाग, मुंहासे, दाने मिटाने वाले ब्यूटी प्रौडक्ट के उपयोग से संवेदनशील स्किन वालों में अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न होने के कारण दाने, मुंहासे खत्म होने के बजाय और बढ़ सकते हैं.

  • टैलकम, डस्टिंग पाउडर, कौंपैक्ट इत्यादि का उपयोग करने से स्किन के रोमछिद्र बंद हो सकते हैं, जिस के कारण मुंहासे, झुर्रियां, चकत्ते हो सकते हैं. लंबे समय तक इन का इस्तेमाल करने से स्किन की प्राकृतिक कोमलता नष्ट हो जाती है. वह खुरदरी, निस्तेज, अनाकर्षक हो जाती है.
  • घटिया क्वालिटी की लिपस्टिक को लंबे समय तक लगाने से होंठों की श्लेष्मा झिल्ली सिकुड़ने लगती है. होंठ काले, ओजहीन, खुरदरे हो जाते हैं. लिपस्टिक में मौजूद रसायनों की कुछ मात्रा शरीर के अंदर भी पहुंचती है, जिस के हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं.
  • नेलपौलिश के अत्यधिक उपयोग से नाखूनों की प्राकृतिक चमक कम हो जाती है. वे कमजोर, खुरदरे हो सकते हैं, टूट सकते हैं. कुछ युवतियों को ऐलर्जी के कारण नाखूनों की जड़ों में दाने, खुजली हो सकती है.
  • आंखें नाजुक अंग हैं. काजल, आईलाइनर, आईशैडो, मसकारा, आईलैशेज, आईब्रोज पैंसिल आदि का इस्तेमाल आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है. इन से ऐलर्जी के कारण आंखों में खुजली, आंखों के नीचे काले घेरे, स्किन का खुरदरापन, पलकों के बालों का कड़ा हो कर झड़ना इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं.
  • बिंदी के पीछे लगे ऐडहैसिव से बिंदी लगाने के स्थान पर खुजली, लालिमा, संक्रमण, दाग हो सकते हैं.
  • सिंदूर, पैंसिल वाली बिंदियों में तरल रूप से लगाई जाने वाली बिंदियां भी समस्या पैदा कर सकती हैं.
  • डाई के भी संश्लेषित रसायनों से निर्मित होने के कारण उस से भी ऐलर्जी, बाल झड़ने, जल्दी सफेद होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. कार्बनिक रंजकों से निर्मित हेयर डाई के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है.
  • बालों को सैट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली क्रीमें, जैल, स्प्रे, लोशन, तेल में मौजूद रसायन, सुगंध भी बालों की जड़ों को कमजोर कर सकती हैं. बाल जल्दी सफेद हो सकते हैं, उन की नैसर्गिक कोमलता व चमक समाप्त हो सकती है.
  • हेयर रिमूविंग क्रीम लोशन, साबुन भी पूरी तरह से दुष्प्रभावरहित नहीं होते हैं. इन के उपयोग से भी ऐलर्जी, कालापन, रूखापन, धब्बे इत्यादि परेशानियां हो सकती हैं.

सलाह

ब्यूटी प्रसाधनों के लिए यथा संभव कृत्रिम पदार्थों के स्थान पर प्राकृतिक ब्यूटी प्रसाधनों का उपयोग करें. कृत्रिम, संश्लेषित रसायनों से निर्मित कौस्मैटिक उत्पादों का उपयोग कम से कम करें. प्रतिष्ठित कंपनियों के द्वारा निर्मित ब्यूटी प्रसाधनों का ही प्रयोग करें और उन्हें विश्वसनीय दुकानों से ही खरीदें ताकि सही मूल्य पर असली कौस्मैटिक मिले. कोलतार मिले कौस्मैटिक को आंखों, पलकों पर न लगाएं.

एक जगह के लिए बने ब्यूटी प्रौडक्ट को दूसरे ब्यूटी प्रौडक्ट की जगह जैसे लिपस्टिक को ब्लशर की और आईशैडो को गीला कर आईलाइनर की जगह इस्तेमाल न करें वरना ऐलर्जी या अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

यदि किसी ब्यूटी प्रौडक्ट से ऐलर्जी है या कोई और समस्या होती है, तो उस का इस्तेमाल भविष्य में कभी न करें. सोने से पहले मेकअप जरूर उतार लें.

ध्यान रखें कि चेहरे की स्किन काफी संवेदनशील होती है. इसलिए ब्यूटी प्रौडक्ट केवल नामी कंपनियों वाले अथवा ब्रैंडेड ही खरीदें.

कब जाओगे प्रिय: क्या गलत संगत में पड़ गई थी कविता

अपना बैग पैक करते हुए अजय ने कविता से बहुत ही प्यार से कहा, ‘‘उदास मत हो डार्लिंग, आज सोमवार है, शनिवार को आ ही जाऊंगा. फिर वैसे ही बच्चे तुम्हें कहां चैन लेने देते हैं. तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि मैं कब गया और कब आया.’’

कविता ने शांत, गंभीर आवाज में कहा, ‘‘बच्चे तो स्कूल, कोचिंग में बिजी रहते हैं… तुम्हारे बिना कहां मन लगता है.’’

‘‘सच मैं कितना खुशहाल हूं, जो मुझे तुम्हारे जैसी पत्नी मिली. कौन यकीन करेगा इस बात पर कि शादी के 20 साल बाद भी तुम मुझे इतना प्यार करती हो… आज भी मेरे टूअर पर जाने पर उदास हो जाती हो… आई लव यू,’’ कहतेकहते अजय ने कविता को गले लगा लिया और फिर बैग उठा कर दरवाजे की तरफ बढ़ गया. कविता का उदास चेहरा देख कर फिर प्यार से बोला, ‘‘डौंट बी सैड, हम फोन पर तो टच में रहते ही हैं, बाय, टेक केयर,’’ कह कर अजय चला गया.

कविता दूसरी फ्लोर पर स्थित अपने फ्लैट की बालकनी में जा कर जाते हुए अजय को देखने लगी. नीचे से अजय ने भी टैक्सी में बैठने से पहले सालों से चले आ रहे नियम का पालन करते हुए ऊपर देख कर कविता को हाथ हिलाया और फिर टैक्सी में बैठ गया.

कविता ने अंदर आ कर घड़ी देखी. सुबह के 10 बज रहे थे. वह ड्रैसिंगटेबल के शीशे में खुद को देख कर मुसकरा उठी. फिर उस ने रुचि को फोन मिलाया, ‘‘रुचि, क्या कर रही हो?’’

रुचि हंसी, ‘‘गए क्या पति?’’

‘‘हां.’’

‘‘तो क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘फटाफट अपना काम निबटा, अंजलि से भी बात करती हूं, मूवी देखने चलेंगे, फिर लंच करेंगे.’’

‘‘तेरी मेड काम कर के गई क्या?’’

‘‘हां, मैं ने उसे आज 8 बजे ही बुला लिया था.’’

‘‘वाह, क्या प्लानिंग होती है तेरी.’’

‘‘और क्या भई, करनी पड़ती है.’’

रुचि ने ठहाका लगाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आधे घंटे में मिलते हैं.’’

कविता ने बाकी सहेलियों अंजलि, नीलम और मनीषा से भी बात कर ली. इन सब की आपस में खूब जमती थी. पांचों हमउम्र थीं,

सब के बच्चे भी हमउम्र ही थे. सब के बच्चे इतने बड़े तो थे ही कि अब उन्हें हर समय मां की मौजूदगी की जरूरत नहीं थी. कविता और रुचि के पति टूअर पर जाते रहते थे. पहले तो दोनों बहुत उदास और बोर होती थीं पर अब पतियों के टूअर पर जाने का जो समय पहले इन्हें खलता था अब दोनों को उन्हीं दिनों का इंतजार रहता था.

कविता ने अपने दोनों बच्चों सौरभ और सौम्या को घर की 1-1 चाबी सुबह ही स्कूल जाते समय दे दी थी. आज का प्रोग्राम तो उस ने कल ही बना लिया था. नियत समय पर पांचों सहेलियां मिलीं. रुचि की कार से सब निकल गईं. फिर मूवी देखी. उस के बाद होटल में लंच करते हुए खूब हंसीमजाक हुआ.

मनीषा ने आहें भरते हुए कहा, ‘‘काश, अनिल की भी टूरिंग जौब होती तो सुबहशाम की पतिसेवा से कुछ फुरसत मुझे भी मिलती और मैं भी तुम दोनों की तरह मौज करती.’’

रुचि ने छेड़ा, ‘‘कर तो रही है तू मौज अब भी… अनिल औफिस में ही हैं न इस समय?’’

‘‘हां यार, पर शाम को तो आ जाएंगे न… तुम दोनों की तो पूरी शाम, रात तुम्हारी होगी न.’’

कविता ने कहा, ‘‘हां भई, यह तो है. अब तो शनिवार तक आराम ही आराम.’’

मनीषा ने चिढ़ने की ऐक्टिंग करते हुए कहा, ‘‘बस कर, हमें जलाने की जरूरत नहीं है.’’

नीलम ने भी अपने दिल की बात कही, ‘‘यहां तो बिजनैस है, न घर आने का टाइम है न जाने का, पता ही नहीं होता कब अचानक आ जाएंगे. फोन कर के बताने की आदत नहीं है. न घर की चाबी ले जाते हैं. कहते हैं, तुम तो हो ही घर पर… इतना गुस्सा आता है न कभीकभी कि क्या बताऊं.’’

रुचि ने पूछा, ‘‘तो आज कैसे निकली?’’

‘‘सासूमां को कहानी सुनाई… एक फ्रैंड हौस्पिटल में ऐडमिट है. उस के पास रहना है. हर बार झूठ बोलना पड़ता है. मेरे घर में मेरा सहेलियों के साथ मूवी देखने और लंच पर जाना किसी को हजम नहीं होगा.’’

कविता हंसी, ‘‘जी तो बस हम रहे हैं न.’’

यह सुन तीनों ने पहले तो मुंह बनाया, फिर हंस दीं. बिल हमेशा की तरह सब ने शेयर किया और फिर अपनेअपने घर चली गईं.

सौरभ और सौम्या स्कूल से आ कर कोचिंग जा चुके थे. जब आए तो पूछा, ‘‘मम्मी, कहां गई थीं?’’

‘‘बस, थोड़ा काम था घर का,’’ फिर जानबूझ कर पूछा, ‘‘आज डिनर में क्या बनाऊं?’’

बाहर के खाने के शौकीन सौरभ ने पूछा, ‘‘पापा तो शनिवार को आएंगे न?’’

‘‘हां.’’

‘‘आज पिज्जा मंगवा लें?’’ सौरभ की आंखें चमक उठीं.

सौम्या बोली, ‘‘नहीं, मुझे चाइनीज खाना है.’’

कविता ने गंभीर होने की ऐक्टिंग की, ‘‘नहीं बेटा, बाहर का खाना बारबार और्डर करना अच्छी आदत नहीं है.’’ को घर का ही खाना पसंद है. आप हमेशा घर पर ही तो बनाती हैं… आज तो कुछ चेंज होने दो.’’

कविता ने बच्चों पर एहसान जताते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आज मंगवा लो पर रोजरोज जिद मत करना.’’

सौम्या बोली, ‘‘हां मम्मी, बस आज और कल, आज इस की पसंद से, कल मेरी पसंद से.’’

‘‘ठीक है, दे दो और्डर,’’ दोनों बच्चे चहकते हुए और्डर देने उठ गए.

कविता मन ही मन हंस रही थी कि उस का कौन सा मूड था खाना बनाने का, अजय को घर का ही खाना पसंद है, बच्चे कई बार कहते हैं पापा का तो टूअर पर चेंज हो जाता है, हमारा क्या… वह खुद बोर हो जाती है रोज खाना बनाबना कर. आज बच्चे अपनी पसंद का खा लेंगे. उस ने हैवी लंच किया था. वह कुछ हलका ही खाएगी. फिर वह सैर पर चली गई. सोचती रही अजय टूअर पर जाते हैं तो सैर काफी समय तक हो जाती है नहीं तो बहुत मुश्किल से 15 मिनट सैर कर के भागती हूं. अजय के औफिस से आने तक काफी काम निबटा कर रखना पड़ता है.

शाम की सैर से संतुष्ट हो कर सहेलियों से गप्पें मार कर कविता आराम से लौटी. बच्चों का पिज्जा आ चुका था. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग खाओ, मैं आज कौफी और सैंडविच लूंगी.’’

बच्चे पिज्जा का आनंद उठाने लगे. अजय से फोन पर बीचबीच में बातचीत होती रही थी. बच्चों के साथ कुछ समय बिता कर वह घर के काम निबटाने लगी. बच्चे पढ़ने बैठ गए. काम निबटा कर उस ने कपड़े बदले, गाउन पहना, अपने लिए कौफी और सैंडविच बनाए और बैडरूम में आ गई.

अजय टूअर पर जाते हैं तो कविता को लगता है उसे कोई काम नहीं है. जो मन हो बनाओ, खाओ, न घर की देखरेख, न आज क्या स्पैशल बना है जैसा रोज का सवाल. गजब की आजादी, अंधेरा कमरा, हाथ में कौफी का मग और जगजीतचित्रा की मखमली आवाज के जादू से गूंजता बैडरूम.

अजय को साफसुथरा, चमकता घर पसंद है. उन की नजरों में घर को साफसुथरा देख कर अपने लिए प्रशंसा देखने की चाह में ही वह दिनरात कमरतोड़ मेहनत करती रहती है. कभीकभी मन खिन्न भी हो जाता है कि बस यही है क्या जीवन?

ऐसा नहीं है कि अजय से उसे कम प्यार है या वह अजय को याद नहीं करती, वह अजय को बहुत प्यार करती है. यह तो वह दिनरात घर के कामों में पिसते हुए अपने लिए कुछ पल निकाल लेती है, तो अपनी दोस्तों के साथ मस्ती भरा, चिंता से दूर, खिलखिलाहटों से भरा यह समय जीवनदायिनी दवा से कम नहीं लगता उसे.

अजय के वापस आने पर तनमन से और ज्यादा उस के करीब महसूस करती है वह खुद को. उस ने बहुत सोचसमझ कर खुद को रिलैक्स करने की आदत डाली है. ये पल उसे अपनी कर्मस्थली में लौट कर फिर घरगृहस्थी में जुटने के लिए शक्ति देते हैं. अजय महीने में 7-8 दिन टूअर पर रहते हैं. कई बार जब टूअर रद्द हो जाता है तो ये कुछ पल सिर्फ अपने लिए जीने का मौका ढूंढ़ते हुए उस का दिमाग जब पूछता है, कब जाओगे प्रिय, तो उस का दिल इस शरारत भरे सवाल पर खुद ही मुसकरा उठता है.

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