ढलती उम्र में यंग एक्ट्रेसेस को मात देती हैं बौलीवुड की ये 5 हसीनाएं

कहा जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ चेहरे का नूर फीका पड़ने लगता है लेकिन बौलीवुड की कुछ ऐसी हसीनाएं हैं. जिन्होंने ढलती उम्र में अपने रूपयौवन को बरकरार रख कर उम्र को भी मात दे दी है. आज हम आपको बौलीवुड की बढ़ती उम्र की उन एक्ट्रेसेस के बारे में बताएंगे जो अभी फिल्मों से तो दूर है, लेकिन उनकी खूबसूरती और फिटनेस का जलवा सोशल मीडिया की वजह से हर किसी की जुबान पर है. सबसे पहले हम बात करेंगे एक ऐसी एक्ट्रेस की जो ढलती उम्र के बावजूद और भी स्टाइलिश होती जा रही हैं. जी हां हम बात कर रहे बौलीवुड एक्ट्रेस रेखा की जिनके चाहने वालों की लिस्ट बहुत लंबी है.

 

  1. एवर ग्रीन रेखा

फिल्म इंडस्ट्री में लगभग 5 दशकों तक सक्रिय रहने वाली एवर ग्रीन एक्ट्रेस रेखा की खूबसूरती और फिटनेस का जलवा आज भी कायम है. हालांकि अब वो फिल्मों से दूर हैं लेकिन वो जब भी किसी इवेंट में जाती हैं तो लोगों की निगाहें उन्ही पर होती है. रेखा को देखते ही सारे कैमरे उनकी ओर घूम जाते है. 70 साल की रेखा की खूबसूरती और फिटनेस के दीवाने कम नहीं है उनके आगे यंग एक्ट्रेसेस भी फेल हैं. रेखा आज भी बौडी को फिट रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज और योग करती हैं. डेली रूटीन में स्‍पा ट्रीटमेंट और अरोमाथैरेपी से स्‍किन को निखारना ज्‍यादा बेहतर समझती हैं. बालों को मेंटेन रखने के लिए वह नियमित रूप से शहद, दही और अंडे का हेयर पैक लगाती हैं.

हाल ही में सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल के वेडिंग रिसेप्शन में रेखा अलग ही अंदाज में नजर आई हमेशा साड़ी पहनने वाली एक्ट्रेस को सिल्क सूट में देख कर लोग हैरान रह गए. रेखा ने क्रीम और गोल्डन कलर का चूड़ीदार सूट पहना था. कुर्ते की नेकलाइन, स्लीव्स और बॉर्डर पर गोल्डन इम्ब्राइडरी हुई थी. इस सूट के साथ उन्होंने क्रीम और गोल्डन बॉर्डर वाली साड़ी को लपेटा था. था.जो इंडो वेस्टर्न लुक दे रहा था, सूट के साथ उन्होंने ग्रीन कलर की जूलरी पहनी और हमेशा की तरह हैवी मेकअप और बालों में गजरा लगाना नही भूली. लोग ने उनके फैशन सेंस और खूबसूरती के दीवाने हो गए दुल्हन सोनाक्षी सिंहा से ज्यादा लाइम लाइट में रेखा रही.

2–बोल्ड एंड ब्यूटीफुल शर्मिला टैगोर

वेटरन बौलीवुड एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर ऐसी पहली हीरोइन रही जिन्होंने 60 के दशक में बिकिनी पहनकर लोगों को चौंका दिया था. अपने समय की ग्लैमरस, बोल्ड और ब्यूटीफुल रही बंगाली बाला का 80 की उम्र में भी ग्रेस और चार्म खत्म नहीं हुआ है. दादी की उम्र की शर्मिला का मानना है कि यंग दिखने के लिए भरपूर नींद और बैलेंस्ड डाइट और हेल्दी थिंकिंग बहुत जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने खूबसूरती को निखारने के लिए हमेशा नेचुरल चीजो का प्रयोग किया. स्किन को शाइन बनाने के लिए वो चंदन और बादाम के आयल का मिश्रण तैयार कर नेचुरल स्किन केअर रेमेडी नरगिस फूल और कुंकुमादि आयल का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि ये ब्यूटी प्रोडक्ट इजी और इफेक्टिव होते है. जैसे फूलों के अर्क, केसर, जड़ीबूटी और तुलसी के मिश्रण पुराने परखे हुए नुस्खे है जो आपको हार्म नही पहुंचाते. बढ़तीउम्र का अपना एक ग्रेस होता है जो शर्मिला में बखूबी दिखता है. शर्मिला टैगोर ने अपने समय में हर तरह की स्टाइलिश ड्रेसेस को पहना है फिर चाहे वो ट्रेडिशनल इंडियन जरी वर्क की साड़ी हो या वेस्टर्न ड्रेसेस लेकिन अब उम्र के साथ रायल या एलीगेंट लुक के लिए साड़ी के साथ सेलेक्टिव ज्वैलरी पहनती है जो उन्हें और भी ग्रेसफुल दिखाती हैं.

3–ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी

बौलीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी उन एक्ट्रेसेस में शामिल हैं, जिनमें सौन्दर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है. वो सिर्फ एक्ट्रेस ही नही डांसर, राइटर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और अब सफल पौौलिटिशियन भी है. 76 साल की हेमा की स्किन आज भी काफी यंग दिखाई देती है. ब्यूटीफुल ऐंड फ्लॉलेस स्किन को पाने के लिए ड्रीम गर्ल ने अपनी डायट से लेकर ब्यूटी केयर रूटीन को काफी स्ट्रिक्ट रखा है. स्किन हाइड्रेशन के लिए हेमा 2-3 लीटर पानी जरूर पीती हैं. ये टॉक्सिन्स को फ्लश आउट करने और स्किन को ग्लोइंग बनाने में मदद करता है. हाइड्रेशन लेवल जब मेनटेन रहता है तो त्वचा कोमल भी बनी रहती है, जिससे ड्राईनेस से स्किन पर आने वाले एजिंग के साइन्स दूर ही रहते हैं.

हेमा मालिनी प्योर वेजिटेरियन हैं और उनका मानना है कि बहुत से ऐसे वेजिटेरियन फूड्स होते हैं जिनमें कैलोरी और फैट की मात्रा कम होती है. हेमा सालों से चीनी के बजाय शहद का इस्तेमाल करती हैं. जिससे शरीर में फैट जमा नहीं होता है और वेट भी कंट्रोल रहता है. हेमा एक अच्छी डांसर भी है डांस से अपनी बॉडी को फिट रखती है. अच्छी डाइट और हाइड्रेशन ही उनकी चमकती त्वचा का राज है वह अपनी डायट और वर्कआउट को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हैं, जो उन्हें हेल्दी बौडी एंड स्किन पाने में मदद करता है. इसके अलावा वह अपनी स्‍किन को जितना हो सके उतना मेकअप-फ्री रखती है.

4–स्टाइलिश और एलिगेंट संगीता बिजलानी

90 के दशक की खूबसूरत एक्ट्रेस संगीता बिजलानी मौडल, एक्ट्रेस और ब्यूटी पेजेंट टाइटल होल्डर रही हैं. 1980 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली ये एक्ट्रेस 63 साल की उम्र में भी बेहद फिट और ग्लैमरस नजर आती हैं. संगीता बिजलानी आज भले ही फिल्मों की चकाचौंध से दूर हैं, लेकिन वह अपने फैंस के साथ सोशल मीडिया पर अपनी चमक बनाएं हुए हैं और समय-समय पर अपने फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं. अधिकतर उनका इंस्‍टाग्राम अकाउंट फिटनेस के वीडियो और फोटो वाला होता है. संगीता एक घंटे डेली योग, मेडिटेशन की एक्सरसाइज करती हैं. वे अपने घर में ही स्पौट जौगिंग करती हैं. इसके साथ ही जिम में हार्ड कोर वर्कआउट, पिलाटे, वेट ट्रेनिंग भी करती हैं.
अगर बात करे संगीता के ब्यूटी और स्टाइल की तो ग्लोइंग स्किन, खूबसूरती और फैशन सेंस के मामले में आज भी कई यंग एक्ट्रेसेस को कड़ी टक्कर देती नजर आती हैं. ब्यूटी प्रोडक्ट्स में वो कुछ घरेलू नुस्खे भी आजमाती हैं. चेहरे पर मलाई, शहद, दूध का इस्तेमाल करती हैं. हेल्दी डाइट के साथ प्रॉपर नींद लेती हैं, जिसका पॉजिटिव असर उनकी त्वचा पर दिखता है.
हाल ही में संगीता बिजलानी को एयरपोर्ट पर स्पौट किया गया. जहां अपने लेटेस्ट एयरपोर्ट लुक से सभी को इम्प्रेस किया वाइट स्टाइलिश फुल स्लीव्स शर्ट और ब्लू डेनिम जींस पहने दिखी. अपने लुक को बेस्ट दिखाने के लिए शर्ट के साथ ब्रौड बेल्ट लगाई और फुटवियर में वाइट स्निकर्स पहने जो उनको स्टाइलिश और एलिगेंट दिखा रहे थे.

5. चार्मिंग और स्टाइलिश नीतू सिंह

70-80 के दशक की फेमस एक्ट्रेस नीतू सिंह आज के समय दादी बन चुकी है लेकिन उनकी फिटनेस और खूबसूरती यंग एक्ट्रेसेस को मात देती है उनकी त्वचा से उनकी उम्र का पता ही नही चलता है. 66 की उम्र में नीतू कपूर आज भी चार्मिंग और स्टाइलिश दिखती है क्योंकि वह अपनी फिटनेस और डाइट का खास ख्याल रखती है. बढ़ती उम्र में नीतू का ड्रेसिंग सेंस कमाल का है इंडियन एथनिक से लेकर वेस्‍टर्न ड्रेस में उनके लुक का कोई सानी नही. नीतू खूबसूरत दिखने के लिए वह अच्‍छी डाइट लेती हैं. ग्लोइंग स्किन के लिए वह खीरे से बना डिटॉक्‍स वॉटर पीती हैं अपने चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का पैक इस्तेमाल करती हैं. नीतू कपूर सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं और वह अक्सर अपनी खूबसूरत फोटोज शेयर कर फैंस का दिल जीत लेती हैं. उनकी एनर्जी और फिटनेस देख कर लगता है बढ़ती उम्र का उन पर कोई असर नही आज भी वो उतनी ही सुंदर और फिट दिखती है जैसे सालों पहले दिखा करती थी.

डिलीवरी के बाद से शादीशुदा जिंदगी में तनाव है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 30 वर्षीय विवाहित महिला हूं. 2 माह पूर्व नौर्मल डिलीवरी के जरिए मैं एक स्वस्थ बच्चे की मां बनी हूं. मेरे पति चाहते हैं कि हम पहले की तरह शारीरिक संबंध बनाएं. लेकिन मैं डरती हूं कि कहीं इस से कुछ परेशानी तो नहीं होगी. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या यह उपयुक्त समय है शारीरिक संबंध बनाने का?

जवाब
आमतौर पर महिलाओं को सामान्य डिलीवरी के 6 हफ्ते के बाद सैक्स संबंध बनाने की सलाह दी जाती है. लेकिन यह प्रत्येक महिला के शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार होने पर भी निर्भर करता है. कई बार जल्दबाजी संक्रमण का कारक बन सकती है. इसलिए, आप के लिए यही बेहतर होगा कि आप सैक्स संबंध बनाने से पूर्व एक बार अपनी गाइनीकोलौजिस्ट से अवश्य सलाह कर ले.

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सेक्स के ये चार राज बड़े काम के हैं

वे आपके इशारों को नहीं समझ रहे हैं और आपने तय कर रखा है कि आप भी उन्हें नहीं बताने वालीं कि आप क्या चाहती हैं. पर कुछ तरीके ऐसे भी हैं जिनके सहारे सेक्स के दौरान आप बिन कुछ कहे अपनी इच्छाओं को पूरा करवा सकती हैं.

मादकता हमेशा सेक्सी लौन्जरीज, सेंशुअल परफ्यूम या स्मोकी आंखों में ही नहीं छिपी होती. सच है कि ये चीजें निजी पलों में उत्साह का संचार करती हैं, लेकिन कभी-कभी मन की बात मनवाने के लिए छल और चालाकी से भी गुरेज करें.

अक्सर पुरुषों को हल्का-सा इशारा समझ में नहीं आता और आपका शर्मीलापन लंबे इंतजार का कारण बन सकता है, जबकि र्स्माट चालें इस खेल में आपको मनचाहा नतीजा दे सकती हैं.

अपने भीतर की युवती को बाहर निकालें

वे मूड में नहीं हैं और आप हैं. हो सकता है कि वे सचमुच थके हुए हों या फिर केवल उन्हें थोड़ा उकसाने की जरूरत हो. ऐसे में समय की कसौटी पर खरे उतरे हथियार इस्तेमाल करें. ‘‘जब मैं सेक्स चाहती हूं और वे बहानेबाजी कर रहे होते हैं तो मैं सेक्स के झटपट सेशन का सुझाव देती हूं,’’ कहती हैं रोहिणी. वहीं नित्या कहती हैं, ‘‘मैं लौन्जरी उतारकर स्नग टी-शर्ट पहन लेती हूं. लेकिन ये नहीं दिखती कि मैं इसकी मांग कर रही हूं. फिर यदि वे किताब पढ़ रहे हैं तो मैं उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए फिजूल के सवाल पूछने लगती हूं.’’

इंतजार करवाएं

अपने साथी के साथ सेक्स के दौरान हम जानते हैं कि आगे क्या होनेवाला है. सेक्शुअल गतिविधियों का क्रम जैसे पूरी तरह पता होता है-गर्दन पर चुंबन, होंठों पर गहन चुंबन, नाभि पर चुंबन… इस एकरसता से उबरना चाहती हैं? तो इसे चुहलबाजी के साथ करें. खेलें और उन्हें आनंद से वंचित रखें. जहां बात खुद को बेहतर समझने का खेल खेलने की हो तो पुरुष इसे किसी महिला के साथ खेलने से कभी बोर नहीं होते.

हिम्मत करें

आप उम्मीद करती हैं कि वे घिसी-पिटी सेक्शुअल गतिविधियों के बजाय आपके शरीर के दाएं हिस्से पर ज्यादा समय बिताएं? तो उन्हें चुनौती देने की कोशिश करें. प्रत्येक पुरुष को चुनौती पसंद होती है. वो पूरी बेशर्मी से उसका सामना करेंगे. उनसे कहें कि आपको नहीं लगता कि आप ‘फलां’ चीज में अच्छे हैं और वे तुरंत आपको गलत साबित करने में जुट जाएंगे. यहां तरकीब ये है कि यह बात उन्हें चुनौती देने की तरह कहिए, व्यंग्य या ताने की तरह नहीं.

बाद का प्यार जरूर पाएं

संतुष्टिदायक पलों के बाद उनकी बेरुखी हमेशा ही झगड़े का करण बनता है. इस उन्माद के बाद उन्हें अकेला छोड़ दें, क्योंकि इजेकुलेशन के बाद उनके हार्मोन्स का स्तर उन्हें शिथिल कर देता है और वे आराम करना चाहते हैं. लेकिन कौन-सा पुरुष ये नहीं सुनना चाहता कि निजी पलों के दौरान उसका प्रदर्शन कितना बेहतरीन था? ‘‘जब मैं अपने बौयफ्रेंड को बताती हूं कि कहां-कहां उनका स्पर्श और चुंबन मुझे रोमांचित कर गया और जब उन्होंने कमान संभाली तो मैंने कितनी गर्माहट महसूस की तो वो मुझे अपनी ओर खींचकर आलिंगन में ले लेते हैं. मुझे लगता है जब कोई आपको प्यार करता है और इसका एहसास करता है तो आपको भी उसे ऐसा ही महसूस कराना चाहिए,’’ ये कहना है रानी का.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

सच के पैर: क्या थी गुड्डी के भैयाभाभियों की असलियत

बूआजी आएंगी फलमिठाई लाएंगी, नई किताबें लाएंगी सब को खूब पढ़ाएंगी…’ छोटी गा रही थी.

‘बूआजी आते समय मेरे लिए नई ड्रैसेज जरूर ले आना,’ दूसरी की मांग होती. इस तरह की मांगें हर साल गरमी की छुट्टियां आते ही भाइयों के बच्चों की होती. जिन्हें गुड्डी मायके जाते ही पूरा करती. मगर एक बार जब वह मायके गई, तो बड़े भैयाभाभी की बातचीत सुन उस के पांव तले की जमीन ही जैसे खिसक गई.

‘‘बड़ी मुश्किल से दोनों का तलाक कराया,’’ भाभी कह रही थीं.

‘‘और क्या, अगर तलाक नहीं होता तो क्या गुड्डी हमें इतना देती? देखना, बड़ी की शादी में कम से कम 10 लाख उस से लूंगा,’’ भैया कह रहे थे.

‘‘बदले में क्या देते हैं हम लोग? हर साल एक मामूली साड़ी पकड़ा देते हैं. वह इतने में भी अपना सर्वस्व लुटा रही है,’’ हंसते हुए उस की भाभी ने कहा तो वह जैसे धड़ाम से जमीन पर आ गिरी. सच में उस का शोषण तीनों भाइयों ने किया है. उसे याद आ गई 20 वर्ष पूर्व की घटना. उस के विवाह के लिए लड़का देखा जा रहा था. पिताजी तीनों बेरोजगार बेटों की लड़ाई व बहुओं की खींचतानी झेल न पाए और गुजर गए. फिर तो उस की शादी के लिए रखे क्व5 लाख वे सब खूबसूरती से डकार गए.

उस का विवाह उस से लगभग दोगनी उम्र के व्यक्ति रमेश से कर दिया गया और दहेज तो दूर सामान्य बरतनभांडे तक उसे नहीं दिए गए. यह देख मां से न रहा गया. वे बोल पड़ीं, ‘‘अरे थोड़े जेवर और जरूरी सामान तो दो, लोग क्या कहेंगे?’’ ‘‘आप चुप रहें मां. हमें अपनी औकात में शादी करनी है. सारा इसे दे देंगे, तो मेरी बेटियों की शादी कैसे होगी?’’ बड़ा भाई डांट कर बोला तो वे चुप रह गईं. फिर तो गुड्डी ससुराल गई और उस के बाद उस की पढ़ाई और नौकरी तक इन सबों ने कभी झांका तक नहीं. रमेश पत्नी को पढ़ाने के पक्षधर थे, इसलिए उन के सहयोग से उस ने बीए की परीक्षा पास की. उस के कुछ दिनों बाद बैंक की क्लैरिकल परीक्षा पास कर ली, तो बैंक में नौकरी लग गई. रमेश पढ़ीलिखी पत्नी चाहते थे परंतु कमाऊ पत्नी नहीं. अत: जैसे ही उस की नौकरी लगी उन्होंने समझाने की कोशिश की, ‘‘क्या तुम्हारा नौकरी करना इतना जरूरी है?’’

‘‘हां क्यों न करें. इतनी औरतें करती हैं. फिर बड़ी मुश्किल से लगी है,’’ उस ने सरलता से जवाब दिया.

‘‘फिर बच्चे होंगे, तो कौन पालेगा?’’

‘‘क्यों, दाई रख लेंगे. आजकल बहुत से लोग रखते हैं. मैं भविष्य की इस छोटी सी समस्या के लिए नौकरी नहीं छोड़ सकती.’’ इस दोटूक जवाब पर रमेश कुछ नहीं बोले. पर उन का जमीर इस बात को स्वीकार न कर सका कि लोग उन्हें जोरू का गुलाम या जोरू की कमाई खाने वाला कहें. इधर उस के मायके के लोग उस की नौकरी की खबर सुनते ही मधुमक्खी के समान आ चिपके. पतिपत्नी की लड़ाई में हमेशा मायके वाले फायदा उठाते हैं. यहां भी यही हुआ. मायके वालों के उकसाने पर वह तलाक का केस कर नौकरी पर चली गई. बाद में आपसी सहमति पर तलाक हो भी गया. इस के बाद इस दूध देती गाय का भरपूर शोषण सब ने किया. कभी बड़े भैया की लड़की का फार्म भरना है तो कभी किसी की बीमारी में इलाज का खर्च, तो कभी कुछ और. ऐसा कर के हर साल वे सब इस से अच्छीखासी रकम झटक लेते थे.

उस वक्त गुड्डी का वेतन 30 हजार था. उस में से सिर्फ 10 हजार किराए के मकान में रहने, खानेपीने वगैरह में जाते थे. बाकी भाइयों की भेंट चढ़ जाता था. मगर उस दिन की भैयाभाभी की बातचीत ने उस के मन को हिला कर रख दिया. उस के बाद वह 4 दिन की छुट्टियां ले कर किसी काम से मधुबनी गई थी, तो वहां संयोगवश उस के पति साइकिल पर फेरी लगाते दिख गए. ‘‘ये क्या गत बना रखी है?’’ औपचारिक पूछताछ के बाद उस ने पहला प्रश्न किया.

‘‘कुछ नहीं, बस जी रहे हैं, तुम कैसी हो?’’ उन्होंने डबडबाई आंखों को संभालते हुए प्रश्न किया.

‘‘मैं ठीक हूं, आप की पत्नी और बच्चे?’’ उस का दूसरा प्रश्न था.

‘‘पत्नी ने मुझे छोड़ कर नौकरी का दामन थामा, तो बिन पत्नी बच्चे कहां से होते?’’ उन्होंने जबरदस्ती हंसने का प्रयास करते हुए कहा.

‘‘गांव में कौनकौन है?’’ पिताजी का निधन तुम्हारे सामने हो गया था. तुम्हारे जाने के 1 साल बाद मां गुजर गईं और सभी भाइयों ने परिवार सहित दूसरे शहरों को ठिकाना बना लिया,’’ उन का सीधा उत्तर था.

‘‘और आप?’’

इस प्रश्न पर वे थोड़ा सकुचा गए. फिर बोले, ‘‘मैं यहीं मधुबनी में रहता हूं. सुबह से शाम ढले तक कारोबार में लगा रहता हूं. सिर्फ रात में कमरे में रहता हूं.’’ ‘‘मुझे अपने घर ले चलिए,’’ कह कर वह जबरदस्ती उन के साथ उन के घर में गई. वहां एक पुरानी चारपाई, एक गैस स्टोव व जरूरत भर का थोड़ा सा सामान था. उसे बैठा कर वे सब्जी व जरूरी समान की व्यवस्था करने गए तब तक उस ने सारे समान जमा दिए. उन के लौट कर आते ही सब्जीरोटी बना कर उन्हें खिलाई और खुद खाई. उस रात वह उन के बगल में लेटी तो उन के सिर पर उंगलियां फेरते उस ने पूछा, ‘‘आप ने दूसरी शादी क्यों नहीं की?’’

‘‘क्यों, क्या एक शादी काफी नहीं है? जब पहली पत्नी ने ही साथ नहीं दिया, तो दूसरी की बात मैं ने सोची ही नहीं.’’ इस जवाब से वह टूट गई. दोनों रात में एक हो गए. आंसुओं ने नफरत के बांध को तोड़ दिया.

अगले दिन चलते समय उस ने कहा, ‘‘आप मेरे साथ चल कर वहीं रहिए.’’ ऐसा न जाने किस जोश में आ कर वह बोल उठी थी. पर रमेश ने बात को संभाला, ‘‘यह ठीक नहीं होगा. हम दोनों तलाकशुदा हैं वैसी दशा में मेरा तुम्हारे साथ रहना…’’

‘‘ठीक है, मैं दरभंगा में रहती हूं. आप महीने में 1 बार वहां आ सकते हैं?’’ उस ने पूछा. ‘‘मिलने में कोई बुराई नहीं है,’’ रमेश ने फिर बात को संभाला. फिर बस स्टैंड तक जा कर बस में बैठा आए और हाथ में 200 रख दिए. प्यार की भूखी गुड्डी इस व्यवहार से गदगद हो गई. दूसरी ओर अपने सगे भैयाभाभी की कही बात उसे तोड़ रही थी. सच कड़वा होता है मगर यह इतना कड़वा था कि इसे झेल पाना मुश्किल हो रहा था. उस के यही सब सोचते जब उस के मोबाइल की घंटी बजी तो वह वर्तमान में लौटी.

‘‘क्यों इस बार छुट्टी में नहीं आ रही हो?’’ उस के बड़े भैया का स्वर था.

‘‘नहीं, इस बार आना नहीं हो सकता,’’ उस ने विनम्रता से जवाब दिया.

‘‘क्यों, क्या हो गया?’’

‘‘कुछ नहीं भैया, बस जरूरी काम निबटाने हैं.’’ इस जवाब पर फोन कट गया. इस के बाद वह कई महीने मायके तो नहीं गई पर हर माह मधुबनी हो आती थी. रमेश उसे प्यार से घर लाते, उस का पूरा ध्यान रखते और भरपूर सुख देते. उन के साथ रात गुजारने में उसे असीम सुख मिलता था. वह इस प्यार से गदगद रहती. उस के जाते वक्त हर बार रमेश 100-200 या साड़ी हाथ में अवश्य रखते. फिर प्रेम से बस में चढ़ा आते. सब से बड़ी बात यह कि उन्होंने आज तक यह नहीं पूछा था कि अब वह किस पद पर है वेतन कितना मिलता है?

‘‘क्यों आप को मेरे बारे में कुछ नहीं जानना?’’ एक बार उस ने पूछा था.

‘‘जानता तो हूं कि तुम बैंक में हो,’’ उन्होंने सहज भाव से जवाब दिया. उन की सब से बड़ी बात यह थी कि वे अपने ऊपर 1 पैसा भी नहीं खर्च करने देते थे, इसलिए स्वाभाविक रूप से वह उन की ओर झुकती चली गई. एक दिन अचानक बहुत दिनों से मायके न जाने पर उस की मां, बड़े, मझले और छोटे भैयाभाभी सभी आए. मझले को मैडिकल में लड़के का ऐडमिशन कराने हेतु 1 लाख चाहिए थे, वहीं बड़े भैया बड़ी लड़की की शादी हेतु पूरे 5 लाख की मांग ले कर आए थे. इसी प्रकार छोटा भी दुकान हेतु पुन: 2 लाख की मांग ले कर आया था. उन सब की मांग सुन कर वह फट पड़ी, ‘‘क्यों आप लोग अपना इंतजाम खुद नहीं कर सकते, जो जबतब आ जाते हैं? मेरी भी शादी हुई थी, तब आप तीनों ने क्या दिया था?’’

इस पर सब सकपका गए मगर छोटा बेहयाई से बोला, ‘‘हमारे पास नहीं था, इसलिए नहीं दिया. तुम्हारे पास है तभी न ले रहे हैं.’’ ‘‘कुछ नहीं, पहले पिछला हिसाब करो. मुझ से जो लिया लौटाओ. मेरे पास सब लेनदेन लिखा है.’’ तभी उस के पति का फोन आ गया. ‘‘क्यों क्या हुआ, कैसे हैं आप?’’

‘‘बस 2 दिन से थोड़ा सा बुखार है. तुम्हारी याद आ रही थी, इसलिए फोन कर दिया.’’ पति का थका स्वर सुन कर वह तुरंत बोली. ‘‘रात की बस पकड़ कर मैं आ रही हूं आप चिंता न करें.’’ फिर वह फोन रख कर जल्दीजल्दी जाने का समान पैक करने लगी.

‘‘क्या हुआ अचानक कहां चल दीं?’’ मां ने घबरा कर पूछा.

‘‘जा रही होगी गुलछर्रे उड़ाने,’’ मझला भाई बोला. ‘‘सुनो, अपनी औकात में रह कर बोला करो. ये मेरे पति का फोन था.’’ यह सुन कर सभी की आंखें फटी रह गईं.

‘‘तलाकशुदा पति से तेरा क्या मतलब?’’ उस की मां बोलीं.

‘‘मां, मतलब तो शादी के बाद भाइयों का भी बहन की आमदनी या जायदाद से नहीं होता पर मेरे भाई तो बहन को दूध देती गाय समझ पैसा लूटते रहे. जब वापस देने की बारी आई तो बहाने करने लगे.’’ उस का यह रूप देख सब भौचक्के थे.

‘‘और हां मां, आप सब ने मिल कर मेरी शादी इसलिए तुड़वाई ताकि मेरे पैसे पर ऐश कर सकें.’’

‘‘बेटा, तुम गलत समझ रही हो,’’ मां ने फिर समझाना चाहा. ‘‘सच क्या है मां यह तुम भी जानती हो. पूरे 5 लाख जो पापा ने मेरी शादी के लिए रखे थे, इन तीनों ने डकार लिए थे. एक फटा कपड़ा तक नहीं दिया था. फिर 4 साल तक हाल नहीं पूछा. लेकिन जैसे ही नौकरी मिली चट से आ कर सट गए और तुम मां हो कर हां में हां मिलाती रहीं.’’ यह कड़वा सच उन सब के कानों में सीसे की तरह उतर रहा था. ‘‘आप लोग जाएं क्योंकि मुझे रात की बस से उन के पास जाना है. जब मेरा पूरा पैसा देने लायक हो जाएं तो आइएगा.’’ इतना कह कर वह तैयार हो कर घर से निकली, तो वे सब हाथ मलते ऐसे पछता रहे थे जैसे कारूं का खजाना हाथ से निकल गया हो और वह तेजी से बस स्टैंड की ओर बढ़ती जा रही थी.

पति वल्लभा: क्यों पति पर गुस्सा हुई कविता

मुझे न जाने क्या हो जाता है. मैं मन ही मन कविता की खूबसूरती से ईर्ष्या करती हूं. हालांकि मैं और कविता आपस में अच्छी दोस्त हैं, हमारे पतियों की भी आपस में बनती है और बच्चों की भी आपस में दोस्ती है. हम लोग जहां भी जाते हैं साथ जाते हैं. मेरा और कविता का परिचय विवाह पूर्व का है. हम दोनों शहर के एक ही महल्ले की हैं. हम दोनों ही युवतियां महल्ले के मनचले युवकों की धड़कनें हुआ करती थीं. लोगों को यह बता पाना मुश्किल था कि हम दोनों में से कौन अधिक सुंदर है.

संयोग देखिए हम लोगों का विवाह भी एक ही साथ एक ही शहर में यहां तक कि एक ही महल्ले में हुआ. तारीख भी एक ही. बस, महीने में फर्क था. मेरी शादी जनवरी में हुई तो कविता की फरवरी में.

शादी के बाद महल्ले वालों को भी यह बता पाना मुश्किल था कि कौन बहू ज्यादा सुंदर है. आज हम लोगों की शादी हुए 15 साल हो गए हैं. हम दोनों के ही 3-3 बच्चे हैं पर इस समय के अंतराल ने जहां मुझ में काफी परिवर्तन ला दिया है वहीं कविता के यौवन और सौंदर्य को मानों समय से कोई मतलब ही न हो. कैसे संभाल रखा है उन्होंने अपनी इस खूबसूरती को, कुछ समझ में नहींआता है. और उन के पति योगेश आज भी उन के उतने ही दीवाने हैं जितने 15 साल पहले थे. उन का अपना खुद का अच्छाखासा बिजनैस है पर औफिस जाने तक वे अपना पूरा समय कविता के साथ ही व्यतीत करते. औफिस से भी 2 बार फोन अवश्य करते. जब तक उन का फोन नहीं आता कविता लंच नहीं लेती और फिर औफिस से आने के बाद तो दोनों की जोड़ी हर समय साथ ही दिखाई देती.

यदि कहीं किसी जगह केवल महिला कार्यक्रम का आयोजन होता तो आयोजन समाप्त होने से पूर्व ही योगेश वहां उन्हें लेने के लिए मौजूद होते. इस बात का उन का काफी मजाक भी बनता, जिसे सुन कर कविता के गाल लाज से लाल हो उठते.

इधर मेरे पति का यह हाल था कि एक तो वे डाक्टर और वे भी दिल के. व्यस्तता का कोई अंत नहीं. रात में भी मरीज उन की जान नहीं छोड़ते. अकसर कोई न कोई इमरजैंसी केस आता रहता. इसलिए पार्टियों में भी अकसर मुझे अकेले ही जाना पड़ता. हालांकि योगेश और कविता मेरे साथ होते पर उस प्रेमी युगल की गुटरगूं मुझे मन से एकदम अकेला कर देती.

मुझे इस सब का कारण उन की बेइंतहा खूबसूरती ही लगती. पर उन की खूबसूरती का राज क्या है, यह जानने की उत्सुकता मुझे ही नहीं पूरे महल्ले की महिलाओं को रहती थी. तभी तो एक दिन महिला कार्यक्रम में एक महिला ने उन से यह पूछ ही लिया, ‘‘कविताजी आखिर आप की इस खूबसूरती का राज क्या है और आप इस के लिए क्या करती हैं, यह आज आप को बताना ही पड़ेगा.’’

कविता शरमाते हुए बोली, ‘‘कुछ भी नहीं, हां, कभीकभार अगर थोड़ी सी मोटी हो जाती हूं तो मुझे तो पता ही नहीं चलता पर ये तुरंत कहते हैं कि आजकल तुम्हारा वजन कुछ ज्यादा हो रहा है. तब मैं 2-4 दिन इन के साथ वाक पर जाती हूं और सब ठीक हो जाता है. मैं कभीकभी इन से पूछती भी हूं कि आप को कैसे पता चल जाता है तो ये कहते हैं कि जानेमन तुम्हारी छवि मेरी

आंखों और दिल में इस कदर बसी हुई है कि उस में जरा सा भी परिवर्तन मुझे तुरंत समझ में आ जाता है.’’

अब मेरी समझ में आ गया कि कविता की खूबसूरती का राज क्या है. वे पति वल्लभा हैं. मेरी मां कहा करती थीं कि जिस स्त्री का पति उसे अधिक प्यार करता है उस के चेहरे पर एक अजीब सा सौंदर्य रहता है और कविता शायद उसी सौंदर्य की स्वामिनी हैं. मैं ने घर जा कर अपने स्थूल होते शरीर को देखा और अपनी उपेक्षा का अनुभव किया.

रात को मैं ने अपने पति का ध्यान आकर्षित करने के लिए पूछा, ‘‘सुनिए, मैं मोटी हो गई हूं न?’’

उन्होंने मेरी ओर देख कर कहा, ‘‘नहीं तो.’’

मैं उन के इस उत्तर पर गुस्से से बिफर उठी, ‘‘क्या खाक नहीं… पता है इन 15 सालों में मेरा वजन लगभग 5 किलोग्राम बढ़ गया है पर आप को क्या? आप को मेरी कोई परवाह क्यों होने लगी. आप के घर का काम सुचारु रूप से जो चल रहा है. एक कविता हैं उन के पति को उन का इतना ध्यान रहता है कि 500 ग्राम वजन भी बढ़ता है तो वे बताते हैं और आप 5 किलोग्राम वजन बढ़ने पर भी कह रहे हैं नहीं तो.’’

मेरे पति बोले, ‘‘वजन बढ़ गया है, तो क्या हुआ. कोई बीमारी तो है नहीं. 15 वर्ष पूर्व तुम नववधू थीं अब गृहिणी और किशोर होते हुए बच्चों की मां हो. हर उम्र की एक गरिमा होती है. इस में परवाह न करने वाली बात कहां से आ गई. तुम तो मुझे हर समय हर अवस्था में अच्छी लगती हो.’’

मैं अपने पति की इस बात पर चुप तो हो गई पर मेरे मन में यह बात घर कर गई कि

कविता पति वल्लभा हैं और इस का उदाहरण मुझे समयसमय पर मिलता रहता. अगर मैं कभी बच्चों के स्कूल न जाने पर बच्चों की ऐप्लीकेशन देने सुबहसुबह उन के घर जाती तो वे मुझे एक खूबसूरत नाइटी पहने करीने से तैयार मिलतीं. जबकि सुबह की व्यस्तता के चलते मैं काफी अस्तव्यस्त रहती. जब मैं ने फिर उन से इस का कारण जानना चाहा तो उसी मोहक मुसकान से उत्तर मिला, ‘‘सुबह की चाय यही बनाते हैं. कहते हैं कि फ्रैश हो कर जल्दी तैयार हो कर आओ. तैयार हो कर इन के हाथ से चाय का कप लेती हूं. चाय पी कर बच्चों की तैयारी में लग जाती हूं.’’

सुबह चाय की उम्मीद करना तो इन से व्यर्थ था, पर एक दिन मैं थोड़ा जल्दी उठ कर पहले तैयार हुई और फिर चाय का कप ले कर इन के पास गई तो ये मुझे आंखें फाड़फाड़ कर देखने लगे, ‘‘सुबहसुबह तैयार क्यों हो गईं? कहीं जा रही हो या कोई आने वाला है?’’

मैं इन की इस टिप्पणी पर नाराज हो गई और बोली, ‘‘क्यों क्या तैयार हो कर कोई गुनाह किया है?’’ यह कहने के साथ ही मेरी आंखों से आंसू गिरने लगे.

यह देख कर मेरे पति बोले, ‘‘भई, ऐसा भी मैं ने क्या कह दिया जो तुम रोने लगीं?’’

मैं अपने रोने का कारण जब तक इन्हें समझाती उस के पहले ही अस्पताल से इमरजैंसी काल आ गई और ये अस्पताल जाने के लिए जल्दी-जल्दी तैयार होने लगे. एक बार कविता बीमार पड़ीं तो मैं उन्हें देखने गई. आप विश्वास कीजिए ऐसा लग रहा था कि पिक्चर की शूटिंग होने वाली हो. बढि़या बिस्तर पर करीने से कपड़े पहने व होंठों पर हलकी सी लिपस्टिक लगाए वे लेटी थीं. चेहरे पर बुखार की तपिश जरूर लग रही थी, पर वह भी उन की सुंदरता को द्विगुणित कर रही थी.

मुझे से नहीं रहा गया तो मैं ने पूछ ही लिया, ‘‘आप बीमारी में भी तैयार रहती हैं?’’

इस का उत्तर मुझे उन से उन के चिरपरिचित अंदाज में ही मिला, ‘‘ये कहते हैं तुम्हारा उतरा चेहरा मुझे अच्छा नहीं लगता है. इसीलिए मुझे तैयार रहना पड़ता है.’’

कविता के बाद मैं बीमार पड़ी तो मैं ने भी सोचा कि कविता की तरह सजसंवर कर रहूं पर वायरल की कमजोरी की वजह से मुझ से तो उठा भी नहीं गया. मैं इन से बोली, ‘‘चेहरा बहुत खराब लग रहा है.’’

ये बोले, ‘‘नहीं तो.’’

मैं झुंझलाई, ‘‘नहीं तो क्या? मैं शीशे में अपना चेहरा भी नहीं देख पा रही हूं और आप बड़ी आसानी से कह रहे हैं नहीं तो.’’

ये बोले, ‘‘तो क्या कहूं? अरे, बीमार हो तो बीमार लग रही हो. ठीक हो जाओगी तो फिर पहले की तरह हो जाओगी. इस में इतना परेशान होने की क्या बात है?’’

मैं सारी शौपिंग भी अकेले करती पर अकेले साड़ी खरीदना बहुत खल जाता. लगता कोई तो बताने वाला हो कि मुझ पर क्या अच्छा लग रहा है क्या बुरा. पर इन के पास समय कहां? एक दिन मैं ने कविता से अपनी परेशानी बताई तो वे बोलीं, ‘‘कल हम दोनों जा रहे हैं. आप भी हमारे साथ चलिएगा.’’

मैं उन लोगों के साथ चली तो गई पर मन ही मन कुढ़ती रही. कविता कोई साड़ी पसंद कर अपने ऊपर रख कर योगेश को दिखातीं तो वे उस के बारे में अपनी राय बताते हुए कहते, ‘‘नहीं जानू, यह तुम पर ज्यादा अच्छी नहीं लग रही है… हां यह बहुत अच्छी लग रही है आदि.’’

योगेश को ब्राइट कलर बहुत अच्छे लगते थे. उन्होंने अपनी पत्नी को 10-12 साडि़यां ब्राइट कलर की दिलवाईं. मैं इतने ब्राइट कलर नहीं पहनती पर उन दोनों ने जिद कर के मुझे भी 2-3 साडि़यां ब्राइट कलर की दिलवा दीं.

मैं ने कहा भी, ‘‘मैं ब्राइट कलर नहीं पहनती हूं.’’ mपर वे लोग बोले, ‘‘क्यों नहीं पहनतीं. अभी आप की उम्र ही क्या है? और फिर ब्राइट कलर पहनने से इंसान की उम्र भी कम दिखती है.’’

मैं उन के कहने पर उन साडि़यों को घर ले आई पर जब उन्हें अपने पति को दिखाया तो वे बोले, ‘‘किसी को देने के लिए लाई हो क्या?’’

मैं ने कहा, ‘‘मतलब?’’

वे बोले, ‘‘तुम इतने ब्राइट कलर नहीं पहनती हो, इसलिए.’’

‘‘पहले नहीं पहनती थी तो क्या अब नहीं पहन सकती? कविता पहनती हैं कि नहीं. हम दोनों हमउम्र ही तो हैं.’’

मेरी इस बात पर वे हंस पड़े, ‘‘ठीक है, यह बात है तो पहनो भाई मैं कहां मना कर रहा हूं.’’

लेकिन मैं उन साडि़यों को नहीं पहन पाई. जब भी पहनने का मूड बनाती तो लगता मेरे ऊपर अच्छी नहीं लगेंगी. हमउम्र होने से क्या हुआ. कविता की बात और है. 3-4 महीने पहले वे सीढि़यों से गिर पड़ीं. हाई हील सैंडल पहने थीं. बैलेंस बिगड़ गया. कूल्हे और दाएं पैर में फै्रक्चर हो गया. बिस्तर से हिलनाडुलना मना हो गया. योगेश बड़े मनोयोग से पत्नी की सेवा करते. हम लोग भी जबतब उन का हालचाल लेने जाते रहते.

कुछ समय बाद उन की हड्डी तो जुड़ गई पर शायद लेटे रहने अथवा अच्छी सेवा के कारण वे थोड़ी स्थूल हो गईं. मैं जब उन का हालचाल लेने जाती तो वे अपनी स्थूलता के कारण चिंतित दिखाई देतीं.

मैं उन्हें समझाती, ‘‘आप इतनी मोटी नहीं हो गई हैं. और फिर जब आप सामान्य जीवन जीने लगेंगी तो फिर से छरहरी काया की स्वामिनी हो जाएंगी.’’

मेरी बात पर वे फीकी हंसी हंस देतीं. समय बीतता गया. उन का जीवन सामान्य हो चला था पर स्थूलता में खास परिवर्तन नहीं आया था.

एक दिन दोपहर में मैं उन के घर गई. काफी गपशप होती रही. उन की सास भी आ कर बैठ गईं. नौकर चायनाश्ता ले आया. नाश्ते में गुलाबजामुन भी थे घर के बने हुए. कविता की प्रिय डिश जिसे बनाना और खाना दोनों ही उन्हें अत्यधिक प्रिय था.

नौकर जब उन को गुलाबजामुन देने लगा तो उन्होंने मना कर दिया. बोलीं, ‘‘थोड़ी चीनी और चिकनाई कम कर दी है. दिन पर दिन मोटी जो होती जा रही हूं.’’

मैं ने कहा, ‘‘ऐसा भी क्या? यह तो आप की प्रिय डिश है लीजिए न.’’

मेरे और उन की सास के आग्रह करने पर उन्होंने गुलाबजामुन ले लिए. अभी उन्होंने खाना शुरू ही किया था कि योगेश बाहर से आ गए. कविता को गुलाबजामुन खाते देख कर तमतमा गए, ‘‘तुम गुलाबजामुन खा रही हो, कितनी बार कहा कि जबान पर कंट्रोल रखा करो. और मां तुम से भी मैं ने कह रखा है कि देखा करो कहीं ये मीठी और चिकनी चीजें तो नहीं खा रहीं.’’

मैं थोड़ा किनारे बैठी थी, इसलिए उन की नजर अभी तक मुझ पर नहीं पड़ी थी. अचानक जब उन की नजर मुझ पर पड़ी तो वे संभल गए. अपने स्वर को मृदु बना कर

बोले, ‘‘जानू, तुम्हारी भलाई के लिए कह रहा हूं डाक्टर ने मना किया है न.’’ और फिर वे भीतर चले गए.

मैं पूरी घटना से एकदम अचकचा गई थी. योगेशजी का इतना गुस्सा मेरे लिए अप्रत्याशित था. मैं ने कविता से पूछा, ‘‘क्या हुआ है आप को? डायबिटीज वगैरह हो गई है क्या?’’

कविता जो अपने पति के व्यवहार पर एकदम क्रोधित थीं. बोलीं, ‘‘डायबिटीज नहीं, मोटापा हुआ है मोटापा. अब क्या करूं अगर मोटी हो गई हूं? डाक्टर कहते हैं 35 साल के बाद औरतें थोड़ी मोटी हो जाती हैं और फिर दवा का भी थोड़ा साइड इफैक्ट है. हां, थोड़ाबहुत मीठे और चिकनाई का त्याग करने से नियंत्रण हो सकता है, इसी कारण मुझे मीठी और चिकनी चीजें छूने के लिए भी नहीं मिलती हैं. केवल उबला खाना, भला यह भी कोई जिंदगी है.’’ और कविता की आंखों से टपटप आंसू गिरने लगे.

मैं उस पति वल्लभा का चेहरा मायूस होते देखती रही.

अपहरण: रायन दंपती का जब दिखावा पड़ा महंगा

नीरव शांति भी कितनी जानलेवा हो सकती है इस का ऋचा को रायन दंपती के कमरे में जा कर ही आभास हुआ था. बडे़ से सजेधजे ड्राइंगरूम में 20-25 लोग बैठे थे पर किसी के पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. बीचबीच में बज रही फोन की घंटी ही इस घोर शांति को भंग कर रही थी. ऋषभ और सारंगी रायन शहर के धनवान दंपती थे.

ऋषभ रायन की व्यापारिक कामयाबी का लोहा सभी मानते थे. उधर सारंगी के हर हावभाव से झलकता था कि वह अभिजात्य वर्ग से हैं. कई समाजसेवी और गैरसरकारी संगठनों से वह जुड़ी थीं. उन के समाज सेवा के कार्यों की तो सराहना होती ही थी, मीडिया व समाचारपत्रों में  भी उन की अच्छीखासी पैठ थी.

ऐसे नामीगिरामी परिवार के इकलौते पुत्र आर्यन का अपहरण कर लिया गया था. दिनरात मित्रों से घिरे रहने वाले आर्यन का भला कौन शत्रु हो सकता है? ऋचा की आंखों के सामने आर्यन का हंसता चेहरा तैर गया था. आर्यन के अपहरण के बाद सारंगी का रोरो कर बुरा हाल था. ऋषभ उसे सांत्वना देने के अलावा कुछ नहीं कह पा रहे थे. बीचबीच में उन्हें पुलिस वालों के सवालों का उत्तर भी देना पड़ता था. शहर में जो भी सुनता दौड़ा चला आता. कब? क्या? कैसे हुआ? इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए ऋषभ पस्त हो गए थे.

अपने  लाड़ले पुत्र का अपहरण, ऊपर से पुलिस और मीडिया वालों के तीखे सवाल…वह बहुत कठिनाई से खुद पर संयम रख पा रहे थे. उन के मित्रों व संबंधियों ने यह भार अपने कंधों पर उठा लिया था. वह केवल दोनों हाथ जोड़ कर मुसकराने की असफल कोशिश क रते थे.

काफी देर तक निरुद्देश्य बैठे रहने के बाद ऋचा और रोमेश ने रायन दंपती से विदा ली थी. वैसे उस तनाव में किसी से विदा लेना न लेना अर्थहीन था. बातबात पर ठहाके  लगाने, चुटकुले सुनाने वाले ऋषभ रायन सामान्य व्यवहार में भी स्वयं को असमर्थ पा रहे थे.

कार में बैठते समय ऋचा को अपनी पिछली किटी पार्टी याद आ गई. पार्टी में सारंगी बड़े उत्साह से आर्यन के जन्मदिन के बारे में क्लब के सदस्यों को बता रही थी :

‘अगले माह अपनी पार्टी सारंगी के यहां होगी,’ ऋचा ने रुपए गिन कर सारंगी की ओर बढ़ाते हुए कहा था.

‘क्या? मेरे यहां? नहींनहीं. अगले माह मैं अपने यहां पार्टी नहीं रख पाऊंगी. आर्यन का जन्मदिन है न. बड़ी तैयारी करनी है. किसी को चाहिए तो इस माह चिट ले ले, मुझे कोई आपत्ति नहीं है,’ सारंगी अपना पर्स खोल छोटे से आईने में अपनी छवि निहारती और लिपस्टिक ठीक करती हुई बड़ी अदा से बोली थी.

‘मुझे नहीं लगता कि यह इतनी बड़ी समस्या है?’ तवांगी बोली, ‘आर्यन का जन्मदिन जून के अंत में है. आज तो पहली मई है. जन्मदिन क्या 2 माह तक मनाओगी?’

उस की इस बात पर ऋचा के साथ रूपा और मीना भी खिलखिला पड़ीं तो सारंगी का चेहरा तमतमा गया था.

‘मेरे इकलौते बेटे का जन्मदिन है. उस के लिए 2 माह तो क्या 2 वर्ष भी कम हैं,’ सारंगी रूखे स्वर में बोली थी.

‘कोई बात नहीं, इस माह की किटी पार्टी मैं अपने यहां रख लेती हूं, पर उस में आने के लिए तो समय निकाल लेना,’ रूपा ने सारंगी को शांत करने का प्रयत्न किया था.

‘देखूंगी, कोई वादा नहीं करती,’ सारंगी का उत्तर था.

‘पार्टी में तो आना ही पड़ेगा. यह बात तो पहले दिन ही तय हो गई थी कि चाहे कितनी भी व्यस्तता हो, कोई सदस्या पार्टी में आने से मना नहीं करेगी,’ रूपा अड़ गई थी.

‘छोड़ो न इस बहस को, चलो, अपना पत्ता फेंको, सारंगी को तुम्हारे यहां पार्टी में लाने का जिम्मा मेरा रहा,’ ऋचा ने चर्चा पर वहीं विराम लगाया था.

‘क्या उपहार दे रही हो आर्यन को?’ अचानक ही ऋचा ने बात का रुख मोड़ दिया था.

‘ऋषभ ने मर्सीडीज मंगवाई है. आर्यन की यही मांग थी. छोेटीमोटी वस्तुओं पर तो वह हाथ रखता ही नहीं. वैसे भी हमारा एक ही बेटा है और इस बार ऐसी शानदार पार्टी देंगे कि शहर  में उस की चर्चा साल भर होती रहेगी.’

‘लेकिन सारंगी, 14 साल के बच्चे को कार का उपहार, तुम्हें डर नहीं लगता?’ ऋचा ने प्रश्न किया तो वहां बैठी सभी महिलाओं की प्रश्नवाचक निगाहें सारंगी पर टिक गई थीं.

‘14 वर्षीय? आर्यन तो पिछले 2 सालों से कार चला रहा है,’ सारंगी ने गर्वपूर्ण स्वर में बताया था.

‘लाइसेंस का कैसे करोगी? 14 साल के बच्चे को ड्राइविंग  लाइसेंस कौन देगा?’

‘इन छोटीछोटी बातों की चिंता मिडिल क्लास के लोग करते हैं हम नहीं. आर्यन का लाइसेंस तो 2 साल पहले ही बन गया था. वैसे भी उस की सहायता के लिए एक ड्राइवर हमेशा उस के साथ रहेगा,’ अपनी बात पूरी करते हुए सारंगी मुसकराई थी. अपनी सहेलियों के चेहरों पर आए प्रशंसा और ईर्ष्या के भाव देख कर सारंगी पुलक उठी थी.

किटी पार्टी समाप्त होने तक चर्चा आर्यन और उस के जन्मदिन के इर्दगिर्द ही घूमती रही थी.

‘अच्छा, अब मैं चलूंगी,’ सारंगी अचानक उठ खड़ी हुई और बोली, ‘आज अपने मित्रों के साथ वह छुट्टियां बिताने मालदीव जा रहा है. मैं जरा जल्दी में हूं.’

‘अच्छा, अब हमें भी चलना चाहिए,’ रूपा और मीना भी उठ खड़ी हुई थीं.

‘बैठो न कुछ देर, अब तो सारंगी चली गई है, वह जब तक यहां रहती है केवल अपना गुणगान करती रहती है. हम तो खुल कर हंसबोल भी नहीं सकते,’ ऋचा और कुछ अन्य सहेलियां बोली थीं.

‘मैं ने तो मना किया था पर सारंगी ने ऐसी जिद पकड़ी कि उसे शामिल करना पड़ा. पर आप लोग नहीं चाहतीं तो अगली चिट में साफ मना कर देंगे. मुझे भी लगता है कि सारंगी का दंभ बढ़ता ही जा रहा है.’ ऋचा ने आश्वासन दिया था.

उस का बेटा प्रसाद, जो आर्यन का सहपाठी था, बोर्ड की परीक्षा में सारे प्रांत में प्रथम आया था और अब फोन पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था.

सारंगी का स्वर सुनते ही ऋचा को लगा कि प्रसाद की कामयाबी पर उसे बधाई देने के लिए ही फोन किया है. पर सारंगी तो दूर की हांक रही थी. छुट्टियां मनाने आर्यन गया था पर उस का असर सारंगी पर दिख रहा था. वह चटखारे लेले कर आर्यन की मालदीव में छुट्टी का विस्तार से वर्णन कर रही थी पर एक बार भी प्रसाद की उपलब्धि का नाम तक नहीं लिया था.

‘कल ही प्रसाद का परीक्षाफल आया है,’ ऋचा बोली, ‘‘मेरा बेटा पूरे प्रांत में प्रथम आया है. आजकल तो कालिज में दाखिले के लिए भी प्रवेश परीक्षा देनी होती है. प्रसाद उसी की तैयारी में जुटा है.’

‘ओह हां, मैं तो भूल ही गई थी. आर्यन बता रहा था. आर्यन ने भी अच्छा किया है. वह तो पूरे 10 हजार रुपए ले कर अपने मित्रों के साथ मस्ती करने गया है. उसे कालिज में दाखिले के लिए दिनरात एक करने की आवश्यकता नहीं है.’

‘क्यों? अभी से पढ़ाई छोड़ कर पिता के साथ बिजनेस करने का इरादा है क्या?’

‘क्या कह रही हो? ऋषभ रायन का बेटा इतनी सी आयु में क्या बिजनेस करेगा? वह आगे की पढ़ाई के लिए स्विट्जरलैंड जा रहा है. मुझे तो मध्यवर्गीय बच्चों पर बड़ा तरस आता है. आधा जीवन तो किताबों में सिर खपाए रहते हैं. शेष आधा 10 से 5 हजार की नौकरी में,’ सारंगी ने सहानुभूति जताते हुए कहा था पर ऋचा के कानों में मानो किसी ने पिघला सीसा उडे़ल दिया था.

‘समझती क्या है अपनेआप को? मेरे प्रसाद से तुलना करेगी आर्यन की?’ फोन रखते ही चीख उठी थी ऋचा.

‘क्या हुआ? बड़े क्रोध में हो? किस से बात कर रही थीं?’ समाचारपत्र पढ़ते रोमेश ने चौंक कर सिर उठाया था.

‘सारंगी थी. कभीकभी ऐसी बेहूदा बातें करती है कि सहन नहीं होतीं.’

‘तुम्हारी प्यारी सहेली है सारंगी. पता नहीं कैसे सहन कर लेती हो उसे,’ रोमेश तल्खी से बोले थे.

‘दिल की बुरी नहीं है. बस, कभीकभी…’ ऋचा हकला गई थी.

‘हांहां कहो न…चुप क्यों हो गईं? कभीकभी दौलत के नशे में ऊटपटांग बातें करने लगती हैं तुम्हारी सारंगी जी…’

‘छोड़ो यह सब, प्रसाद पूरे प्रांत में प्रथम आया है. चलो, कहीं बाहर चलते हैं,’ ऋचा ने किताबों में सिर गड़ाए बैठे प्रसाद को देख कर कहा था.

‘क्या हुआ, मां?’ प्रसाद ने चौंक कर सिर उठाया था.

‘कुछ नहीं, तुम्हारी इस कामयाबी से हम बहुत खुश हैं. तुम जल्दी से तैयार हो कर आ जाओ. आज बाहर जाने का बहुत मन है,’ ऋचा ने आग्रह किया था.

‘ठीक है मां, पर कल हम कुछ मित्र मिल कर पार्टी दे रहे हैं यह भूल मत जाना,’ प्रसाद ने याद दिलाया था.

‘मुझे अच्छी तरह याद है, मैं तुम्हें रोकूंगी नहीं. इतनी कड़ी मेहनत के बाद वैसे भी यह तुम्हारा अधिकार बनता है,’ ऋचा ने प्रसाद को दुलारते हुए कहा था.

रोमेश चुपचाप बैठे मां-बेटे के संवाद को सुन रहे थे. प्रसाद तैयार होने चला गया तो उन्होंने ऋचा पर गहरी नजर डालते हुए निश्वास ली थी.

‘क्या है? ऐसे क्यों देख रहे हो? जाना है, तैयार नहीं होना क्या?’ ऋचा ने प्रश्न किया था.

‘मैं सोच रहा था कि अपने अहं की तुष्टि के लिए मातापिता अपने बच्चों को भी नहीं बख्शते हैं.’

‘क्या मतलब?’

‘यही कि प्रसाद को उस के पुराने स्कूल से निकाल कर जीनियस इंटरनेशनल में डालने की जिद तुम ने ही की थी, क्योंकि वहां तुम्हारी सहेली सारंगी का पुत्र पढ़ता था. तुम ने इसे सम्मान का प्रश्न बना लिया था.’

‘तो इस में बुरा क्या था. आजकल छात्र स्कूल में केवल पढ़ने ही नहीं जाते, संपर्क सूत्र विकसित करने भी जाते हैं. इस का लाभ प्रसाद को बाद में मिलेगा. वैसे भी बच्चों के विद्यालय के स्तर से ही मातापिता के स्तर का पता चलता है,’ ऋचा ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा था.

‘हां, पर प्रसाद इन वर्षों में किस तनाव से गुजरा है इस का तुम्हें थोड़ा सा भी आभास नहीं है. आर्यन और उस के मित्रों ने प्रसाद और उस के जैसे बच्चों को उपहास का पात्र बना कर रख दिया. अधिकतर शिक्षक भी आर्यन और उस के मित्रों का ही पक्ष लेते थे. यह तो प्रसाद की पढ़ाई में लगन ने उसे बचा लिया, नहीं तो पता नहीं क्या हो जाता.’

‘जो भी हुआ अच्छा ही हुआ. यहां पढ़ कर प्रसाद पूरे प्रांत में प्रथम आया है. पुराने स्कूल में होता तो न जाने क्या हाल होता.’

‘हां, मैं तुम्हें भी सलाह दूंगा. मित्रता अपने स्तर के लोगों में ही शोभा देती है. अपनी क्षमता से अधिक तेजी से दौड़ोगी तो मुंह के बल गिरोगी.’

तभी प्रसाद तैयार हो कर आ गया तो ऋचा और रोमेश की बहस को वहीं विराम लग गया. पूरे परिवार ने पहले फिल्म देखने और फिर क्लब जा कर भोजन करने का निर्णय लिया था. वहीं भोजन करते समय उन्हें आर्यन के अपहरण का समाचार मिला था. टीवी पर आर्यन का छायाचित्र देख कर यह संशय भी जाता रहा था कि वह आर्यन रायन ही था.

ऋचा, रोमेश और प्रसाद का खाना बीच में ही अधूरा रह गया. तीनों चुपचाप भोजन कक्ष से बाहर आ गए थे. ऋचा वहां से सीधे जाना चाहती थी जबकि रोमेश, प्रसाद के साथ वहां जाने के पक्ष में नहीं थे. उन्हें डर था कि प्रसाद के वहां जाने पर न केवल ऋषभ और सारंगी बल्कि पुलिस और मीडिया भी उस से पूछताछ प्रारंभ कर देंगे.

प्रसाद पिता का रुख देख कर चुप रह गया था. ऋचा ने भी दोचार बार जोर डाला था पर रोमेश के कहने पर मान गई थी.

रायन कैसल यानी ऋषभ के घर पहुंच कर ऋचा को लगा कि शायद रोमेश की बात ही सही थी. सदा मित्रों से घिरे रहने वाले आर्यन का एक भी मित्र वहां नहीं था. दबे स्वर में लोग यह भी बात कर रहे थे कि आर्यन के तथाकथित मित्रों ने ही उस का अपहरण कर लिया और अब 10 करोड़ की फिरौती की मांग की थी.

कार रुकी तो ऋचा की तंद्रा टूटी, वह कार से उतर कर घर में आ गई.

प्र्रसाद की अपने मित्रों के साथ सफलता की पार्टी धरी की धरी रह गई थी. उस के अन्य मित्रों के मातापिता ने अपनेअपने पुत्र को न केवल किसी पार्टी में जाने से मना कर दिया, उन के घर से निकलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

रोमेश 2-3 बार ऋचा के साथ रायन कैसल गए थे पर अब उन्हें वहां बारबार जाने की कोई तुक नजर नहीं आती थी. हां, ऋचा जरूर दिन में 3-4 चक्कर लगाती, सारंगी को सांत्वना देती पर समझ नहीं पाती थी कि बुरी तरह टूट चुकी सारंगी से क्या कहे.

‘‘धीरज रखो सारंगी, मुझे पूरा विश्वास है कि आर्यन सहीसलामत लौट आएगा. कोई उस का बाल भी बांका नहीं कर सकता,’’ बहुत सोचविचार कर एक दिन बोली थी ऋचा.

‘‘तुम सारंगी की सहेली हो न बेटी,’’ तभी अचानक ऋषभ की मां पूछ बैठी थीं.

‘‘जी.’’

‘‘तो तुम ने समझाया नहीं कि बेटे की हर इच्छा पूरी करना ही मां का धर्म नहीं होता. मैं ने हर बार मना किया कि आर्यन के हाथ में इतना धन मत दो. पर सारंगी को तो अपनी शानोशौकत के सामने कुछ नजर ही नहीं आता था. मैं तो पुराने जमाने की हूं, नए जमाने के रंगढंग क्या समझूं. जाओ, अब जा कर मेरे आर्यन को ले आओ,’’ एक ही सांस में बोल कर वह बिलख कर रोने लगी थीं.

ऋषभ और कुछ अन्य संबंधी उन्हें उठा कर ले गए थे पर बड़े से हाल में सन्नाटा छा गया था और ऋषभ की मां की सिसकियां देर तक गूंजती रही थीं.

ऋचा कुछ देर तक सारंगी को सांत्वना देती रही थी, फिर चुपचाप उठ कर चली आई थी. उस ने रोमेश को सारी बात बताई तो वह भी सोच में डूब गए थे.

पति रोमेश को गंभीर देख ऋचा बोली, ‘‘एक सप्ताह होने को आया पर आर्यन का कहीं पता नहीं है. पुलिस भी हाथ पर हाथ रख कर बैठी है.’’

‘‘ऐसी बात नहीं है, ऋषभ बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं. कल तो रायन दंपती की अपहरणकर्ताओं के नाम अपील भी प्रसारित की गई थी. पुलिस भी पूरा प्रयत्न कर रही है,’’ रोमेश ने मत व्यक्त किया था.

‘‘मेरे मित्र कह रहे थे कि रायन अंकल ने फिरौती के रुपए भी दे दिए हैं पर आर्यन का अभी तक पता नहीं है,’’ प्रसाद ने रहस्योद्घाटन किया था.

कुछ देर तक आर्यन के बारे में चिंता कर के पूरा परिवार सो गया था.

रात में दरवाजे की घंटी के स्वर से ऋचा की नींद खुल गई. झांक कर देखा तो कोई नजर नहीं आया. घबरा कर उस ने रोमेश को जगाया.

रोमेश ने दरवाजा खोला तो कोई नीचे गिरा पड़ा था. उठा कर मुंह देखा तो दोनों चौंक कर पीछे हट गए. फटे कपडे़ में आर्यन जमीन पर पड़ा था जिस के शरीर पर जहांतहां चोट के निशान थे. फिर तो प्रसाद की सहायता से उसे उठा कर वे अंदर ले आए. आननफानन में रायन दंपती को खबर की और आर्यन को अपनी गाड़ी में डाल कर अस्पताल ले गए.

आर्यन वहां तक कैसे पहुंचा यह सभी के लिए एक पहेली थी. उधर बेहोश पडे़ आर्यन के होश में आने की प्रतीक्षा थी. पहली बार रोमेश ने निरीह पिता की मजबूरी देखी थी. आज ऋषभ की सारी दौलत बेमानी हो गई थी.

‘‘आर्यन ठीक हो जाएगा न,’’ उन्होंने रोमेश से पूछा था. उन्होंने उन का हाथ दबा कर मौन आश्वासन दिया था.

Monsoon Special: बारिश में भीग गए हैं आपके बाल, तो इस तरह रखें ख्याल

मौनसून में बालों के बारबार पानी से भीगने पर उन का चिपचिपा होना, उलझना, झड़ना आदि समस्याएं आम हो जाती हैं. वैसे तो यह सीजन सभी किस्म के बालों के लिए समस्याएं ले कर आता है, मगर औयली बालों में समस्याएं कहीं अधिक होती हैं. औयली हेयर वातावरण की गंदगी, प्रदूषण को आसानी से आकर्षित करते हैं. इन्हीं कारणों से वे झड़ने लगते हैं. इस बारे में हेयर ऐक्सपर्ट कांता मोटवानी कहती हैं कि बारिश के मौसम में बाल अकसर भीग जाते हैं. बारिश का प्रदूषण और ऐसिड मिला पानी बालों को नुकसान पहुंचाता है. इसलिए जहां तक हो सके बारिश में भीगने के बाद तुरंत बालों को साफ पानी से धो कर सुखा लें. इस से उन्हें कम नुकसान होगा.

इस मौसम में किसी भी किस्म के हेयर जैल और हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट का इस्तेमाल न करें. इस समय कैमिकल फ्री हेयर प्रोडक्ट्स का प्रयोग उपयुक्त रहता है. नियमित कंडीशनिंग और शैंपू से सिर की त्वचा से अतिरिक्त तेल निकल जाता है, जिस से बाल ड्राई हो कर झड़ने लगते हैं.

हेयर स्टाइलिस्ट असगर साबू कहते हैं कि स्वस्थ बाल पाने के लिए पुराने समय के हेयर रूटीन को छोड़ कर नए रूटीन को फौलो करें, जो इस तरह है:

– अगर आप रोज शैंपू करती हैं, तो माइल्ड शैंपू का प्रयोग करें. लेकिन बारबार शैंपू करने से बालों का प्राकृतिक तेल बाहर निकल जाता है. जिस से डैंड्रफ होने का खतरा रहता है. लेकिन बारिश की वजह से बाल गीले और चिपचिपे हो जाते हैं, इसलिए सप्ताह में 2-3 दिन शैंपू जड़ों में लगाएं.

– स्मूथ कैराटिन युक्त शैंपू इस मौसम में लाभदायक होता है. इस से बाल साफ, सिल्की और चमकदार लगते हैं. कैराटिन बालों को पोषण देता है, जिस से वे उलझते नहीं. इस के अलावा बालों की कंडीशनिंग, सिरम लगाना आदि लाभदायक रहता है.

– शैंपू के बाद बालों में मास्क लगाना आवश्यक है. अगर आप के बाल फिजी हैं, तो ऐंटीफिजी मास्क प्रयोग करें. मास्क अधिक समय तक न लगाए रखें वरना आप के बाल औयली हो जाएंगे. केवल 5-7 मिनट लगाए रखना ही काफी है.

– मौनसून में बालों में तेल लगाना आवश्यक है. कोकोनट औयल, औलिव औयल आदि में बालों को पोषण प्रदान करने की क्षमता होती है. शैंपू से पहले सप्ताह में 1-2 बार तेल को हलका गरम कर पोरों से बालों की जड़ों में लगाएं. समय की कमी हो तो 5 मिनट से ले कर आधे घंटे तक तेल लगाने के बाद तौलिए से सिर को ढक लें. शैंपू के बाद बालों को हलके ड्रायर से सुखा लें ताकि बाल चमकदार दिखें.

– जब बाल गीले हों तो उन्हें कभी न बांधें. बड़े दांतों वाले ब्रश से कंघी करें. हैल्दी हेयर के लिए प्रोटीन अधिक मात्रा में आवश्यक है. अगर आप शाकाहारी हैं तो हरी सब्जियां, बींस होलग्रेन्स, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स आदि ले सकती हैं और अगर नौनवैजिटेरियन हैं, तो मछली, अंडे का सेवन अधिक करें. वर्किंग हैं, तो अपने साथ तौलिया अवश्य रखें ताकि बालों के गीला हो जाने पर उन्हें तौलिए से अच्छी तरह सुखा सकें. बीचबीच में हेयर कट करवा कर उन्हें अच्छा लुक अवश्य दें.

– मौनसून में बालों के लिए प्रोटीन ट्रीटमैंट भी जरूरी होता है. एग, हनी व कर्ड पैक बालों के लिए बहुत ही लाभदायक प्रोटीन पैक है. विधि इस प्रकार है:

2 अंडों में 2 बड़े चम्मच दही मिलाएं. आधे नीबू का रस और कुछ बूंदें शहद की डाल कर अच्छी तरह मिलाएं और फिर बालों की जड़ों में लगाएं. आधे घंटे बाद बालों को साफ पानी से धो लें.

– कुनकुने पानी में 2 बडे़ चम्मच विनेगर डाल कर बालों में लगाने से उन में चमक आ जाती है और वौल्यूम भी बढ़ता है.

– बारिश के मौसम में छाता अवश्य साथ रखें ताकि बालों को भीगने से बचाया जा सके और मौनसून में भी उन की बारिश में खूबसूरती बरकरार रहे.

केयर औफ कलर्ड हेयर

– बाल गीले होने पर बाहर न निकलें, क्योंकि उस दौरान क्यूटिकल्स खुले होेते हैं और बाहरी प्रदूषण की वजह से कई मिनरल्स जैसे सल्फेट, फासफोरस, पोटैशियम व सोडियम नमी में शामिल हो जाते हैं, जो बालों को कमजोर बना देते हैं और कलर को फीका कर देते हैं.

– हेयर वाश करने के बाद बालों में सीरम जरूर लगाएं. ऐसा करने से क्यूटिकल्स बंद हो जाएंगे, साथ ही बाल सौफ्ट व सिल्की भी हो जाएंगे. इस के अलावा सीरम के इस्तेमाल से कलर में शाइन भी आएगी.

– अगर आप गौर्जियस लुक के लिए बालों में कलर करवाने की सोच रही हैं या फिर कलर चेंज करवाना चाहती हैं, तो जरा ठहर जाएं, क्योंकि मौनसून के सीजन में कलर जल्दी फेड होने का डर बना रहता है.

– बालों को नरिशमैंट देने के लिए सप्ताह में 1 बार हेयर मास्क भी लगा सकती हैं. इस के लिए नीम की पत्तियों को सुखा कर क्रश कर लें और फिर इस में मेयोनीज व अंडा मिला कर बालों में लगाएं और कुछ घंटों बाद पानी से धो लें. इस पैक में शामिल नीम के ऐंटीसैप्टिक गुण आप के बालों को हर प्रकार के इन्फैक्शन से बचाएंगे. अंडे में युक्त प्रोटीन से बालों को मजबूती मिलेगी, साथ ही कलर भी लंबे समय तक टिका रहेगा. इस के अलावा मेयोनीज से कलर में शाइन भी नजर आएगी.

– अपने कलर को स्टाइलिश अंदाज में दिखाने के लिए आप चोटियां भी बना सकती हैं. स्टाइलिश व फैशनेबल ब्रैड्स के बीच कलरफुल स्ट्रैंड्स बेहद खूबसूरत दिखेंगी. इस के अलावा आप बालों में मैसी साइड लो बन भी बना सकती हैं. चेहरे पर मेकअप लुक के बजाय नैचुरल लुक लाने के लिए बन में कुछ स्ट्रैंड्स जरूर निकाल दें. ऐसा करने से चेहरे पर रियल लुक नजर आएगा.

– भारती तनेजा

उत्तरदायित्व: बहू दिव्या के कारण क्यों कठघरे में खड़ी हुई सविता

‘‘भई, मैं ने तो अपनी शादी से पहले ही सोच लिया था कि अगर अपनी मां की टोकाटाकी ‘यह मत करो, यह मत पहनो, ऐसे चलो, वैसे मत बोलो’ वगैरहवगैरह सहन कर सकती हूं तो सास की छींटाकशी भी चुपचाप सहन कर लूंगी और मैं ने जो सोचा था वह किया भी,’’ सविता ने बड़े दर्प से कहा, ‘‘अब सास बनने से पहले भी मैं ने फैसला कर लिया है कि जब मैं अपनी अनपढ़ नौकरानियों के नखरे झेलती हूं, उन की बेअदबी की अनदेखी करती हूं तो अपनी पढ़ीलिखी बहू की छोटीमोटी गलतियों को भी अनदेखा किया करूंगी.’’ फिर थोड़ा रुक कर आगे कहा, ‘‘कोई भी 2 व्यक्ति कभी भी एकजैसा नहीं सोचते, कहीं न कहीं सामंजस्य बैठाते हैं, तो फिर भला सासबहू के रिश्ते में समझौते की गुंजाइश क्यों नहीं है?’’

‘‘सौरभ की शादी कर लो, इस सवाल का जवाब तुम्हें खुदबखुद मिल जाएगा,’’ उस की अभिन्न सहेली नीलिमा व्यंग्य से बोली.

‘‘हां सविता, सौरभ की शादी के बाद देखेंगे क्या कहती हो,’’ किट्टी पार्टी में आई अन्य महिलाएं चहकीं.

‘‘वही कहूंगी जो आज कह रही हूं,’’ सविता के स्वर में आत्मविश्वास था.

सौरभ और दिव्या की शादी धूमधाम से हो गई. शादी के 2 वर्षों बाद भी किसी को सविता या दिव्या से एकदूसरे की शिकायत सुनने को नहीं मिली. दोनों के संबंध वाकई में सब के लिए मिसाल बन गए.

‘‘चालाक औरतों के हाथी की तरह खाने के दांत और, दिखाने के और होते हैं,’’ नीलिमा ने एक दिन मुंह बिचका कर ऊषा से कहा, ‘‘बाहर तो बहू से बेटी या सहेली वाला व्यवहार और घर में जूतमपैजार. यही सबकुछ सविता भी करती होगी अपनी बहू के साथ.’’

‘‘मुझे भी यही शक था नीलिमा. सो एक रोज जब मेरी जमादारनी नहीं आई तो मैं ने सविता की जमादारनी को बुला लिया और फिर उसे फुसला कर कुरेदकुरेद कर सविता और दिव्या के ताल्लुकात के बारे में पूछा,’’ ऊषा ने बताया.

‘‘अच्छा, फिर क्या पता चला?’’ सभी महिलाओं ने एकसाथ पूछा.

‘‘वही सबकुछ जो हमें पहले से मालूम था, बल्कि उसे और भी पुख्ता कर दिया,’’ ऊषा ने उसांस ले कर कहा, ‘‘यह नहीं है कि सविता दिव्या को डांटती नहीं है या दिव्या पलट कर जवाब नहीं देती, दोनों में मतभेद और मानमनौअल भी होते हैं, मगर पल भर के लिए. दोनों उस का ‘इशू (मसला) नहीं बनातीं और तूल नहीं देतीं.’’

इसी तरह कई वर्र्ष बीत गए. दिव्या के 2 बच्चे भी हो गए, लेकिन सासबहू के संबंध वैसे ही मधुर बने रहे. अचानक दिव्या का नर्वस ब्रेकडाउन होने की खबर सुन कर सब चौंक पड़े.

सब से ज्यादा हैरान, परेशान सविता थी. दिव्या को क्या टैंशन हो सकती है भला? पैसे की कोई कमी नहीं है. बच्चों की परवरिश भी अपने ढंग से ठीक कर रही है. बच्चे भी सुशील और होनहार हैं. बच्चों की पूरी जिम्मेदारी सविता और उस के पति गौरव पर डाल कर दिव्या और सौरभ स्वच्छंद हो कर घूमतेफिरते हैं. सौरभ भी जान छिड़कता है दिव्या पर. सविता चौंक पड़ी.

‘‘पति का पत्नी पर अधिक आसक्त होना, जरूरत से ज्यादा कामेच्छा भी तो पत्नी के तनाव का कारण हो सकती है?’’

सब शर्मलिहाज छोड़ कर सविता ने सौरभ से जवाबतलब किया.

‘‘ऐसा कुछ नहीं है, मां. हमारे यौन संबंध बिलकुल सामान्य हैं. मैं ने दिव्या के साथ कभी भी कोई जोरजबरदस्ती नहीं की, जिसे ले कर वह तनावग्रस्त हो,’’ सौरभ ने आश्वासन दिया.

‘‘तो फिर इस तनाव की वजह क्या है?’’ सविता ने जिरह की, ‘‘जिस की वजह से दिव्या का नर्वस ब्रेकडाउन हुआ है?’’

‘‘अप्रत्यक्ष या वर्तमान में तो कुछ भी नहीं है,’’ सौरभ हंसा, ‘‘लेकिन अगर किसी अप्रत्यक्ष डर या भविष्य को ले कर कोई तनाव पाल ले तो इसे तो उसी के दिमाग का दोष कहा जाएगा.’’

‘‘एकदम गलत,’’ सविता भड़क उठी, ‘‘दिव्या तुम से कहीं ज्यादा संतुलित है.’’

‘‘तो फिर आप खुद ही उस से उस के तनाव की वजह पूछ लो, मां. और अगर आप के पास उस का हल हो तो सुझा भी दो.’’

‘‘कोई समस्या ऐसी नहीं होती जिस का कोईर् हल न हो.’’

‘‘दिव्या की समस्या कुछ ऐसी ही है.’’

‘‘मानो तुझे समस्या मालूम है?’’

‘‘हां, समस्या की जड़ ही मैं हूं,’’ सौरभ ने हंसते हुए बात काटी, ‘‘मगर मैं अपने को उखाड़ कर फेंकने वाला नहीं हूं. फिर भी आप दिव्या से तो बात कर ही लो और बेहतर रहे कि आज ही. क्योंकि अभी तो इलाज चल ही रहा है, तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो डाक्टर तो आता ही है, वह संभाल लेगा.’’

सविता को बेटे की बातें अटपटी लगीं, लेकिन समस्या गंभीर थी. सो, उस ने दिव्या से पूछने का फैसला किया.

‘‘आजकल जो माहौल है, मां, उस में जब तक बच्चे स्कूल से न आ जाएं, घर के मर्द काम पर से न लौट आएं, तब तक सभी को घबराहट रहती है,’’ दिव्या ने कह कर टालना चाहा.

‘‘मगर सभी का तो इन और इन के अलावा रोजमर्रा की कई और चिंताओं को ले कर नर्वस ब्रेकडाउन नहीं होता,’’ सविता तुनक कर बोली, ‘‘देख दिव्या, अगर तू नहीं चाहती कि तेरे बारे में सोचसोच कर मैं भी तेरी तरह बीमार पड़ जाऊं और घर व बच्चे परेशान हो जाएं, तो तुझे मुझे अपनी टैंशन की वजह बतानी ही पड़ेगी.’’

पहले तो कुछ देर दिव्या चुप रही, फिर कुछ हिचकिचाते हुए बोली, ‘‘आप जिद कर रही हैं, मांजी, इसलिए बताना पड़ रहा है. मेरी टैंशन की वजह आप हैं, मां.’’

सविता के सिर पर किसी ने जैसे बम विस्फोट कर दिया. ‘‘मेरी वजह से भी किसी को टैंशन हो सकती है, कभी सोचा नहीं था. खैर, मेरी वजह से कोई परेशान हो, यह तो मुझे कतई गवारा नहीं है. मैं अभी इन्हें फोन कर के नीतिबाग वाली कोठी खाली करवाने को कहती हूं. किराएदार के जाते ही हम दोनों वहां रहने चले जाएंगे,’’ सविता ने उठते हुए कहा.

‘‘रुकिए मां, मैं ने आप से कहीं जाने के लिए नहीं कहा है और न ही मैं आप को कभी कहीं जाने दूंगी. बात मेरी टैंशन की हो रही है और वह आप के कहीं भी रहने या न रहने से कम नहीं होगी,’’ दिव्या ने असहाय भाव से कहा.

‘‘क्यों नहीं होगी, जब उस की वजह ही हटा दी जाएगी तो.’’

‘‘उस की वजह नहीं हटाई जा सकती, मां,’’ दिव्या ने बात काटी, ‘‘मुझे उस के साथ ही जीना है.’’

‘‘बेहतर रहे दिव्या, तू यह सब छोड़ कर अपनी परेशानी की वजह मुझे साफसाफ बता दे,’’ सविता ने कड़े स्वर में कहा.

‘‘परेशानी की वजह है, पापा के रतिका शर्मा के साथ विवाहेतर संबंध. पर आप का चुप रहना या  यह कहिए, रतिका को स्वीकार कर लेना.’’

सविता को जैसे किसी ने करंट छुआ दिया.

‘‘यह भी खूब रही, जब इन के और रतिका के रिश्ते को ले कर कभी मुझे भरी जवानी में कोई तनाव नहीं हुआ तो तुझे क्यों हो रहा है?’’ सविता ने हाथ नचा कर पूछा.

‘‘महज इसीलिए मां कि आप कभी इस रिश्ते को ले कर परेशान ही नहीं हुईं. आप ने इसे गंभीरता से लिया ही नहीं. आप ने अपने पति को चुपचाप एक अन्य स्त्री के साथ बांट लिया. माना कि आप झगड़ा कर के खानदान की इज्जत नहीं उछालना चाहती थीं या सौरभ को टूटे परिवार का बच्चा कहलवाना नहीं चाहती थीं और आप की इस समझदारी और त्याग ने आप को ससुराल में महान बना दिया, लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या?’’ सविता ने आवेग में पूछा, ‘‘उस सब से तुझे क्या फर्क पड़ा? तू क्यों गड़े मुरदे उखाड़ रही है?’’

‘‘मुझे ही तो फर्क पड़ा है, मां. जिन्हें आप गड़े मुरदे समझ रही हैं उन के साए मेरी जिंदगी पर छाए हुए हैं और हमेशा छाए रहेंगे,’’ दिव्या ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘शादी से पहले ही सौरभ ने मुझे पापा और रतिका के संबंध के बारे में बता दिया था. आप की सहनशीलता और त्याग को सराहते हुए कहा था कि उस के जीवन में आदर्श महिला सिर्फ उस की मां हैं और उन्हीं के सभी गुण वह अपनी बीवी में भी देखना चाहेगा. उस समय तो प्यार के ज्वार में मैं ने भी हामी भर ली थी कि मैं भी आप ही के पदचिह्नों पर चलूंगी, मगर अब लग रहा है कि यह तो असंभव है.’’

‘‘क्या असंभव है?’’

‘‘आप जैसा बनना या आप के पदचिह्नों पर चलना.’’

‘‘अरी, छोड़ बेटी, तू मुझ से कहीं अच्छी गृहिणी, पत्नी और मां है,’’ सविता सराहना के स्वर में बोली.

‘‘उस से कुछ फर्क नहीं पड़ता, मां. सवाल है मेरे सहनशील होने का, जो मैं कभी हो ही नहीं सकती. और न आप की तरह अपने पति को किसी दूसरी औरत के साथ बांट सकती हूं.’’

सविता बुरी तरह चौंक पड़ी.

‘‘नहीं, सौरभ का किसी दूसरी औरत के साथ कोई चक्कर नहीं हो सकता. दूसरी औरत के साथ फंसे लोग खुलेआम शाम घर आ कर बच्चों के साथ नहीं खेला करते,’’ सविता कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘और सौरभ बिला नागा बच्चों के सोने से पहले घर आ जाता है. खैर, यह बता, यह दूसरी औरत वाली बात तेरे दिमाग में आई कहां से?’’

‘‘पिछले हफ्ते छोटी चाची के पोते के मुंडन पर यह सब चचेरेफुफेरे भाईबहनोई बैठे अपनी सफलता और कमाई की बातें कर रहे थे. सुनील भैया ने कहा कि वे और सौरभ तो अब इतना कमा रहे हैं कि चाहें तो एक गृहस्थी और भी बसा लें. इस पर सौरभ बोला, ‘और हमारे पास तो एक्स्ट्रा (फालतू) बीवी रखने का लाइसैंस भी है. बीवियों के एतराज करने की परंपरा तो हमारे खानदान में है ही नहीं.’ मानती हूं मां, ये सब मजाक में कही गई बातें थीं.

‘‘लेकिन मजाक को हकीकत में बदलते क्या देर लगती है? सौरभ सफल, आकर्षक और दिलचस्प व्यक्ति है, उस पर तो हर आयु में औरतें कुरबान होती रहेंगी. कितने मोहपाश में बांधूंगी मैं उसे? देशविदेश में घूमता है, कभी भी कहीं भी फिसल सकता है. परिवार के धिक्कार या ‘लोग क्या कहेंगे’ का डर तो उसे है नहीं.

‘‘आप क्यों चुप रहीं, मां? क्यों नहीं खदेड़ा रतिका को अपनी जिंदगी से बाहर? क्यों नहीं अपना संपूर्ण हक जताया पति पर? क्यों बनीं त्याग की मूर्ति और क्यों की एक गलत परंपरा आदर्श के नाम पर स्थापित इस परिवार में? यह सवाल सिर्फ मेरा ही नहीं रिश्ते की मेरी सभी देवरानीजेठानियों का भी है, मां,’’ दिव्या फूटफूट कर रोने लगी, ‘‘क्यों दिया आप ने हम सब को जीवनभर का यह दर्द? क्या हमारी पीढ़ी के प्रति आप का कोई उत्तरदायित्व नहीं था, मां?’’

सविता हतप्रभ सी देखती रही. उस के पास न तो दिव्या के सवालों के जवाब थे और न ही उस के तनाव का कोई इलाज.

क्या झुका हुआ शरीर आस्टियोपोरोसिस का लक्षण है ?

डा राजीव वर्मा
एचओडी एंड कंसलटेंट –जौइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थोपेडिक्स
मणिपाल हॉस्पिटल , द्वारका

आस्टियोपोरोसिस चुपचाप बढ़ता है और तब तक कोई लक्षण प्रकट नहीं करता जब तक हड्डी टूटने की घटना नहीं होती है. इसका एक लक्षण झुका हुआ शरीर भी है, पर लोग अक्सर इसे बढ़ती उम्र का संकेत मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. भारत में लाखों लोग ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं. इसलिए इसके लक्षणों को समय रहते समझना और इसकी रोकथाम करना आवश्यक है. आस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है. यह तब होता है जब पुरानी हड्डी घिसने की तुलना में नई हड्डी बनने की गति धीमी होती है. इस असंतुलन के कारण हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और वो कमजोर हो जाती हैं.

 

शरीर में हड्डियां लगातार बनती रहती हैं. किशोरावस्था में शरीर में नई हड्डी पुरानी हड्डी घिसने के मुकाबले ज्यादा तेजी से बनती है. लेकिन बढ़ती उम्र के साथ नई हड्डी बनने की गति भी धीमी हो जाती है. इसलिए हड्डियों का घनत्व, शक्ति और वजन कम होने लगता है, और हड्डी टूटने का का खतरा बढ़ जाता है. आस्टियोपोरोसिस के कारणों में हार्मोनल परिवर्तन (विशेषकर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद), और विटामिन डी की कमी, और कुछ विशेष मेडिकल समस्याएं या दवाएं शामिल हैं. झुककर बैठना: ख़तरे का पहला संकेत. झुक कर बैठना या काइफोसिस (कुबड़ापन), ऑस्टियोपोरोसिस का पहला लक्षण है. यह वर्टिब्रा के टूटने या कमजोर होने के कारण होता है, क्योंकि इससे रीढ़ की हड्डी सिकुड़ जाती है, और फिर झुक जाती है.

आस्टियोपोरोसिस में शरीर कैसे झुक जाता है

1. वर्टिब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर: यह फ्रैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों को होता है. इसका कारण रीढ़ की हड्डी कमजोर होना है. इसकी वजह से शरीर झुक जाता है और लंबाई कम हो जाती है.

2. कमजोर मांसपेशियां: इसमें रीढ़ की हड्डी के आसपास की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और शरीर झुक जाता है.

3. डिजनरेटिव परिवर्तन: बढ़ती उम्र और ऑस्टियोपोरोसिस के कारण वर्टिब्रा के बीच की डिस्क कमजोर हो जाती है, और रीढ़ की हड्डी मुड़ जाती है.

आस्टियोपोरोसिस के अन्य लक्षण हैं:-

झुके हुए शरीर के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:-

● पीठ दर्द: वर्टिब्रा के कमजोर होने या टूटने के कारण होता है.
● लंबाई घटना: मरीजों को महसूस होने लगता है कि समय के साथ उनकी लंबाई कम हो रही है.
● हड्डी टूटना: मामूली गिरने या चोट लगने से भी हड्डियां आसानी से टूट जाती हैं.

भारत में ऑस्टियोपोरोसिस एक बढ़ती समस्या है. इसके बढ़ने के कई कारण हैं. सबसे पहले, जनसांख्यिकी की भूमिका है. भारत की वृद्ध आबादी तेजी से बढ़ रही है. जैसे-जैसे जीवन प्रत्याशा बढ़ती है, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी उम्र से संबंधित समस्याएं भी बढ़ती हैं. यह बीमारी विशेष रूप से वृद्धों को प्रभावित करती है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के घनत्व में प्राकृतिक गिरावट के कारण वे कमजोर हो जाते हैं और उन्हें आम तौर से ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है.

दूसरा, खान-पान की आदतें भी मुख्य कारण हैं. भारतीय आहार विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार, आबादी का एक बड़ा हिस्सा आवश्यक मात्रा से कम पोषक तत्वों का सेवन करता है.

तीसरा, धूप की भी इसमें मुख्य भूमिका है. भारत में पर्याप्त धूप निकलती है, फिर भी यहाँ विटामिन डी की कमी आम है. इसका कारण जीवनशैली है, जैसे बढ़ती इनडोर गतिविधियाँ और सांस्कृतिक मान्यताएं, जैसे ज्यादा से ज्यादा शरीर को कपड़ों से ढकना, जिसकी वजह से शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती है. इसके अलावा, लोग ऊंची इमारतों में रहने लगे हैं, जिससे बाहर समय बिताना कम हो गया है.

चौथा, जेनेटिक संवेदनशीलता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. शोध से पता चलता है कि ऑस्टियोपोरोसिस की ऊँची दर में कुछ आनुवंशिक कारणों का भी योगदान है. ये आनुवंशिक प्रवृत्तियाँ हड्डियों के घनत्व और हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे कुछ व्यक्तियों को दूसरों के मुकाबले ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है. जर्नल ऑफ एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 50 मिलियन लोग ऑस्टियोपोरोटिक या हड्डी के कम वजन से पीड़ित हैं, जिससे उन्हें फ्रैक्चर का खतरा होता है. इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस 8% से 125% तक ज्यादा होता है. ऑस्टियोपोरोसिस का निदान

भविष्य में फ्रैक्चर को रोकने और स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए ऑस्टियोपोरोसिस का शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है.
डायग्नोस्टिक टूल्स:

1. बोन मटेरियल डेन्सिटी (बीएमडी) परीक्षण: बोन डेन्सिटी को मापने के लिए सबसे आम रूप से ड्युअल-एनर्जी एक्स-रे एब्ज़ॉर्पशियोमीट्री (डेक्सा) स्कैन किया जाता है.
2. रक्त परीक्षण: ये हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम और विटामिन डी के स्तर और पोषक तत्वों की जाँच के लिए किया जाता है.
3. वर्टीब्रल फ्रैक्चर असेसमेंट (वीएफए): यह इमेजिंग टूल वर्टीब्रल फ्रैक्चर का पता लगाने में मदद करता है.

ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम और प्रबंधन ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर स्थिति है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और इलाज की मदद से इसे नियंत्रित किया व रोका जा सकता है.

1. कैल्शियम: यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. वयस्कों को प्रतिदिन लगभग 1000-1200mg कैल्शियम की आवश्यकता होती है. इसके स्रोतों में डेयरी उत्पाद और पत्तेदार सब्जियाँ हैं.
2. विटामिन डी: यह कैल्शियम अवशोषण के लिए आवश्यक है. सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर शरीर विटामिन डी का संश्लेषण करता है. इसकी कमी वाले लोगों के लिए सप्लीमेंट्स जरूरी हैं.
3. धूम्रपान और अत्यधिक शराब से परहेज: दोनों ही हड्डियों के नुकसान के प्रमुख कारण हैं और इनमें योगदान करते हैं और इसलिए इनसे बचना चाहिए.

इलाज:

दवाओं से ऑस्टियोपोरोसिस के प्रबंधन में मदद मिलती है. इनमें बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स, सलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर (एसईआरएम), और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) शामिल हैं.

• कैल्शियम सप्लीमेंट: यह उन लोगों को दिया जाता है जो आहार के माध्यम से अपनी कैल्शियम की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं.
• विटामिन डी सप्लीमेंट: यह उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें सीमित धूप या अवशोषण की समस्या है.
• बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स: ये हड्डी में मिनरल्स का घनत्व को बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं.
• सलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर (एसईआरएम): रालोक्सिफेन जैसे एसईआरएम हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से जुड़े जोखिमों के बिना एस्ट्रोजन के कारण होने वाले हड्डी-सुरक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं.
• हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी): इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो रजोनिवृत्ति के बाद के जोखिमों और बार-बार होने वाले रजोनिवृत्ति के लक्षणों से पीड़ित होती हैं.
• पैराथाइरॉइड हार्मोन एनालॉग्स: टेरीपैराटाइड जैसी दवाओं का उपयोग ओस्टियोब्लास्ट द्वारा नई हड्डियों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है.

ऑस्टियोपोरोसिस प्रबंधन में सर्जिकल प्रक्रियाओं की भूमिका

अगर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डी टूटती है, तो सर्जरी जरूरी हो जाती है. इन प्रक्रियाओं का उद्देश्य हड्डी को जोड़ना, फिर से गतिविधि संभव बनाना, और जटिलताओं को रोकना है. अगर हड्डी टूटने पर पारंपरिक इलाज से लाभ ना मिले, तो सर्जरी का परामर्श दिया जाता है.

सामान्य सर्जिकल प्रक्रियाएं

1. वर्टीब्रोप्लास्टी और काइफोप्लास्टी

वर्टीब्रोप्लास्टी: यह एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें टूटे हुए वर्टिब्रा में बोन सीमेंट डालकर इसे ठीक किया जाता है.

काइफोप्लास्टी: इस प्रक्रिया में, टूटे हुए वर्टिब्रा में बलून डालकर जगह बनाई जाती है ताकि उसमें बोन सीमेंट भरा जा सके और वर्टिब्रा की ऊंचाई फिर से ठीक की जा सके.

2. स्पाइनल फ्यूजन
इस प्रक्रिया में बोन ग्राफ्ट और/या मेटल रॉड्स, प्लेट्स या स्क्रू की मदद से दो या अधिक वर्टिब्रा को जोड़कर रीढ़ की हड्डी को ठीक किया जाता है.

3. हिप फ्रैक्चर सर्जरी

हिप फ्रैक्चर सर्जरी के प्रकार:

इंटरनल फिक्सेशन: इसमें स्क्रू, रॉड और प्लेट की मदद से फ्रैक्चर को ठीक किया जाता है.

टोटल हिप रिप्लेसमेंट: इसमें फ़ेमोरल हेड और एसिटाबुलम सहित हिप के पूरे जॉइंट को प्रोस्थेटिक से बदला जाता है.

4. सर्जरी द्वारा कलाई और अन्य फ्रैक्चर ठीक करना इसमें स्क्रू, पिन, प्लेट या बाहरी उपकरणों द्वारा फ्रैक्चर ठीक किया जाता है.

शरीर का झुकना देखने में एक छोटी समस्या है, लेकिन यह ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती लक्षण हो सकता है. पर सही पोषण, नियमित व्यायाम, जीवनशैली में बदलाव और इलाज की मदद से ऑस्टियोपोरोसिस को ठीक करना संभव है. शरीर झुकने के परिणामों और ऑस्टियोपोरोसिस के प्रभाव को समझकर एक स्वस्थ भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है. यदि शारीरिक मुद्रा में कोई परिवर्तन या हड्डी कमजोर होने का कोई अन्य लक्षण महसूस हो, तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. हड्डियां शरीर को आधार देती हैं, इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए उनका
स्वस्थ होना बहुत जरूरी है.

महंगी ब्रैडिड हील्स और पुरुषवादी सोच

हाल ही में राधिका मर्चेट और अनंत अंबानी ने अपनी दूसरी प्री वेडिंग पार्टी इंजौय की. इस सेलिब्रेशन में राधिका का आउटफिट चारों ओर चर्चा का विषय बना रहा. अपने आउटफिट में उन्होंने वाइट शीयर ड्रैस पहनी थी. जो एक बौडी हगिंग नी लेंथ गाउन था. इस के साथ ही उन्होंने हाई हील्स को कैरी किया, जो जिम्मी चूं ब्रैंड की थी. ये एक लग्जरी ब्रैंड है. उन की हील्स पर 12 हजार क्रिस्टल थे. हील्स पर क्रिस्टल को 9 तरह से लगाया गया था. ये बेहद शाइन कर रहे थे. इस के फ्रंट पर हुआ पाइंटिड हार्ट शेप वाला डिजाइन कमाल का लग रहा था. इन हील्स की कीमत इंटरनेट पर 3.76 लाख रुपये बताई जा रही है.

ये तो अंबानी की होने वाली बहू राधिका मर्चेट की हील्स की बात. मार्केट में ऐसी बहुत सी लग्जरी हील्स मौजूद है जिनकी कीमत लाखों करोड़ों में हैं. आज हम इन्हीं लग्जरी हील्स के बारे में जानेंगे.

मून स्टार हील्स

लग्जरी हील्स की लिस्ट में सब से पहला नाम आता है मून स्टार हील्स का. इस हील को 2019 में माइड फैशन वीक में दुनिया के सामने पेश किया गया था. ये फैशन शो इटली में संपन्न हुआ था. इसे डिजाइन इन एमिरेट्स के हिस्से के रूप में पेश किया गया था. यह हील ठोस सोने से बनी है. इस के सामने की तरफ 30 कैरेट के हीरे लगे हैं. इस की कीमत 19.9 मिलियन डौलर रखी है जो भारत में करीब 1 अरब, 66 लाख रुपये है. यह एक सुपर लग्जरी ब्रांड है. यह आम लोगों के बस से बहुत दूर है.

डेबी विंगम डायमंड हाई हील्स

डेबी विंगम डायमंड हाई हील्स काफी खास है. इस में करीब 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई जाती हैं. अगर हम इस कीमत की करें तो करीब 15.1 मिलियन डौलर है. भारतीय रुपये में इस की कीमत तकरीबन 1 अरब, 26 करोड़ रुपये है. इन में कई डिजाइन आते हैं. जो लोग लग्जरी हील्स का शौक रखते है उन के लिए यह बेस्ट आप्शन साबित हो सकती हैं. ये हील्स दुनिया के सबसे महंगे हील्स की लिस्ट में आती हैं. इन की कीमत ज्यादा जरूर है लेकिन यह देखने में काफी खूबसूरत लगती है. इस फुटवियर को खरीदना सभी के बस की बात नहीं है.

डायमंड से सजा फुटवियर

एक बार आप जब इस फुटवियर को देख लेंगे तो अपनी नजरें इस से हटा नहीं पाएंगे. ये फुटवियर डायमंड से बना हुआ है. इस हील्स में 15 कैरेट डी ग्रेड के हीरे जड़े हुए हैं. डायमंड हील्स की कीमत की बात करें तो इस की कीमत करीब 17 मिलियन डौलर यानि भारतीय करेंसी के अनुसार 124 करोड़ रुपए है. जो लोग डायमंड से बने फुटवियर पहनते हैं, वे इस में जरूर रुचि लेंगे. इस फुटवियर को अपने आउटफिट के साथ कैरी करने पर न सिर्फ आप स्टालिश और मौडन लगेंगी बल्कि आप किसी प्रिसेंस से कम भी नहीं लगेंगी.

स्टाइलिश लुक पाने में जितना हाथ कपड़ों का होता है, उतना ही हाथ हील्स का भी होता है. स्टाइलिश लुक न केवल लोगों को आप की ओर आकर्षित करते हैं बल्कि ये आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मदद करता है. लेकिन इस का नाता सिर्फ स्टाइल या मौडन लगने से नहीं है. इस के पीछे एक समाजवादी सोच घर करती है जो कहती है कि महिलाएं तुम ऊंची एड़ी वाली हील्स जरूर पहन लो लेकिन अपनी नाक
हमारे फैसलों के बीच में मत लाओ.

भारतीय समाज जो पुरुषवादी सोच से ग्रसित है चाहता है कि महिलाएं इन ऊंची एडियों की सैंडिलों में फंसकर रह जाए और अपने बारे में कुछ भी सोच ही न पाए. वे चाहते हैं कि महिलाएं घर परिवार तक सीमित रहे और जब कभी भी वह बगावत करें तो उन्हें गिफ्ट के तौर पर ऊंची एडियों वाली सैंडिल थमा दी जाए और उन का मुंह बंद कर दिया जाए.

ये पुरुषवादी समाज यही तो जानता है, महिलाओं का मुंह बंद कराना. सदियों से वह यही तो करता आया है. महिलाओं को अपनी दासी बनाना, उन्हें प्रताड़ित करना यही तो उस की खूबी है और इसी के चलते तो वह समाज का ठेकेदार बनकर बैठा है. असल में महिलाओं को अपने काबू में करने की सोच लिए बैठे पुरुषों और उन के समर्थकों को ये हजम नहीं होगा कि एक महिला उस से आगे निकल जाए. इसलिए वे अपने घर की महिलाओं को भेंट के रूप में हील्स देते हैं जो कि असल में हील्स नहीं उन के पैरों की बेडियां है. महिलाओं को इन बेडियों को अपनाना नहीं चाहिए. हां अगर वे इसे स्टाइल और कौफिडेंस के तौर पर देख रही है तो वे इसे बेझिझक अपना सकती है.

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