समझौता : रवि और नेहा के बीच कौनसा समझौता हुआ था

Writer- पुष्णा सक्सेना

रवि  का फोन देख कर नेहा को कुछ आश्चर्य हुआ. ने खुद फोन पर कहा, ‘‘कुछ इंपौर्टैंट बातें करनी हैं, 5 बजे शाम को तैयार रहना. मैं स्वयं लेने आ जाऊंगा,’’ और फिर फोन काट दिया.

‘क्या इंपौर्टैंट बातें होंगी,’ सोच कर नेहा मुसकरा पड़ी. अपने कालेज की साहसी स्टूडैंट्स में नेहा का नाम टौप पर था. शायद इसीलिए रवि का इनवाइट ऐक्सैप्ट करने में उसे अधिक देर नहीं लगी.

ठीक 5 बजे रवि की कार का हौर्न सुन कर नेहा बाहर आ गईर्. समय की पाबंदी नेहा का गुण था. पीछे से मां ने कहा भी, ‘‘अरे, घर में तो बुलातीं,’’ लेकिन तब तक नेहा बाहर निकल चुकी थी. रवि कार से बाहर निकल कर उस की प्रतीक्षा कर रहा था. नीली ब्रैंडेड जैकेट व जींस में रवि का व्यक्तित्व निखर उठा था.

‘‘हाय,’’ के साथ ही कार का दरवाजा खोल रवि ने नेहा को अपने साथ की अगली सीट पर बैठा लिया. कार के रवाना होते ही एक अजीब सी पुलक से नेहा अभिभूत हो उठी. फिर भी रवि का अनयूजुअल साइलैंस नेहा को कुछ परेशान कर रहा था.

रेस्तरां के एकांत कैबिन में पहुंचते ही साहसी नेहा का मन भी धड़कने लगा. बेहद रवि ने शालीनता के साथ कुरसी आगे खींच कर नेहा के बैठने का वेट किया.

‘‘क्या पसंद करेंगी, कोल्ड या हौट?’’ रवि ने बैठते हुए पूछा.

रवि के प्रश्न पर हलके स्मित के साथ नेहा ने कहा, ‘‘जो आप पसंद करें.’’

रवि गंभीरता से बोला, ‘‘देखो नेहा, तुम से कुछ बातें स्पष्ट करनी थीं. विश्वास है तुम मेरा मतलब सम?ा जाओगी.’’

कुछ सरप्राइज के साथ नेहा ने जैसे ही रवि की ओर देखा, वह बोला, ‘‘मां तुम्हें अपनी डौटर इन ला मान चुकी हैं. हर क्षण तुम्हारी प्रशंसा करती रहती हैं. तुम ने उन्हें पूरी तरह अपने मोहपाश में बांध लिया है पर मेरी प्रौब्लम कुछ और है. मैं कहीं और कमिटेड हूं.’’

रवि के अंतिम शब्दों ने नेहा को बुरी तरह चौंका दिया कि ओह वह किस इंद्रधनुषी स्वप्नजाल में फंस रही.

‘‘तो प्रौब्लम क्या है? आप वहां विवाह करने को स्वतंत्र हैं. मैं ने तो कोई बंधन नहीं लगाया. फिर प्रपोजल भी तो तुम्हारी तरफ से ही आया था. हम तो गए नहीं थे,’’ कहतेकहते नेहा का स्वर कुछ हद तक तीखा हो आया था.

‘‘यही तो प्रौब्लम है नेहा. मैं मां का एकमात्र बेटा हूं. बिना जाने मां की बात मानने का वचन दे बैठा हूं और अब अगर वचन तोड़ता हूं तो मां घर छोड़ कर गोवा चली जाएंगी. वहां हमारा एक फ्लैट है. उन की जिद तो तुम मु?ा से अधिक अच्छी तरह जानती हो. पिताजी के न रहने पर मां ने तुम्हें भी मेरी तरह इस बंधन को स्वीकार करने के लिए विवश किया था. मां कह रही थीं तुम इंडिपैंडैंट जीवन बिताना चाहती थीं. क्या यह सच नहीं है?’’

रवि के बात की सीरियसनैस पर नेहा हंस पड़ी, ‘‘क्या स्ट्रेंज बात है. मैं मैरिज कमिटमैंट में बंधना नहीं चाहती, यह आप की खुशी का मामला है.’’

रवि पूरे उत्साह से बोला, ‘‘बिलकुल यही बात है नेहा. हम दोनों विवश किए गए हैं. अब परिस्थिति यह है कि  अगर हम विवाह करते हैं तो मेरे मन के अलावा मेरा सबकुछ पत्नी के नाते तुम्हारा. तुम्हारी हर आवश्यकता का मैं ध्यान रखूंगा. बदले में तुम से कोई अपेक्षा नहीं रखूंगा. हां, कभीकभी पार्टियों में हमें कपल की सफल एक्टिंग भी करनी होगी. इन सब कष्टों के बदले मैं तुम्हें प्रतिमाह क्व40 हजार जेबखर्च के रूप में दूंगा. कहिए, क्या खयाल है तुम्हारा?’’

‘‘बहुतबहुत धन्यवाद,’’ नेहा के स्वर में उत्साह था या व्यंग्य रवि ठीक से सम?ा नहीं सका.

‘‘धन्यवाद किसलिए?’’

‘‘क्व40 हजार की रकम जो तुम दे रहे हो. क्या थैंक्स भी न दूं? फिर ये सब इतने स्पष्ट रूप से जो बताया है आप ने.’’

‘‘अगर न बताता तो?’’

‘‘आप से नफरत करती.’’

‘‘और अब?’’

‘‘अब कोशिश करूंगी आप का दृष्टिकोण सम?ा सकूं.’’

रवि ने आश्वस्त हो नेहा की ओर हलके से मुसकरा कर देखा, फिर कहा, ‘‘नेहा तुम सोच लो. तुम भी स्वतंत्र विचारों वाली लड़की हो. तुम्हें मैं हर संभव इंडिपैंडैंस दूंगा. हां, बदले में अपने लिए भी इंडिपैंडैंस चाहूंगा. 2 अच्छे फ्रैंड्स की तरह हम साथ रह सकते हैं न?’’

‘‘रवि इतने इंडिपैंडैंट हो कर भी आप

अपना मनचाहा पार्टनर नहीं पा सके, यह क्या कम आश्चर्य की बात नहीं है? मैं आप की मां

से सिफारिश करूंगी. शायद वे मेरी बात मान

लें. तब तो आप मेरे औवलाइज्ड रहेंगे न?’’

कह कर नेहा अपनी परिचित स्माइल के साथ उठने लगी.

‘‘नहीं… नहीं… नेहा ऐसा अनर्थ न कर बैठिएगा. मां का पूजापाठ, छुआछूत तुम

जानती हो क्या एक विदेशी, विधर्मी, मांसाहारी को वे इस जीवन में कभी अपना सकेंगी? उन का सपना तोड़ मृत्यु से पूर्व ही मैं उन्हें समाप्त नहीं कर सकता.’’

कुछ कटु हो कर नेहा ने तिक्त स्वर में कहा, ‘‘फिर आप कुछ और वर्ष मैरिज टाल

क्यों नहीं देते? मु?ा से आप क्या ऐक्सपैक्ट करते हो? मेरा अपना जीवन है, सपने हैं, मैं आज के लिए सैक्रिफाइस क्यों करूंगी?’’

रवि के उठते ही नेहा रेस्तरां से बाहर निकल आई और मन ही मन में बोली, ‘हूं क्या सरोगैंस है. मैं इन के पक्ष में निर्णय दूंगी. क्या सम?ाते हैं अपने को?’

नेहा को घर के दरवाजे पर छोड़ कर रवि चला गया. पर्स को एक ओर फेंक नेहा पलंग पर पड़ गई. उस की कुछ सोचनेसम?ाने की शक्ति चुक गई थी, ‘पाखंडी कहीं का, इस की मां के लिए मैं बलि चढ़ जाऊं,’ पर हर विरोध के बावजूद रवि का आकर्षक व्यक्तित्व बारबार स्मृति में आ उसे चिढ़ा जाता. अपने मृत धनी पिता का एकमात्र उत्तराधिकारी, विदेश से सौफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिगरी प्राप्त रवि का आकर्षण क्या कम था?

मध्यवर्गीय परिवार की नेहा के लिए जब रवि की मां ने प्रस्ताव रखा था तो मां, पिता,

छोटा भाई सब गर्व और उल्लास से भर गए थे. घर की बेटी इतने बड़े परिवार में जाएगी, इस

से बड़ा सुख और क्या हो सकता था? रवि का घर नेहा के घर के एकदम पास था. नेहा का परिवार एक फ्लैट में किराए पर रहता था. रवि

का पूरा बड़ा हाउस था. 4-5 लोग घर में काम करते थे. एकमात्र बेटे के विदेश चले जाने पर

रवि की मां अपना सारा स्नेह नेहा पर ही लुटाती थीं, हर छोटेबड़े काम के लिए वे नेहा पर ही निर्भर थीं. उस घर की डौटर इन ला बनने का स्वप्न नेहा ने कभी नहीं देखा था. पर रवि की बातें सुन कर नेहा को लगता जैसे वह उसे युगों से जानती हो.

रवि की पसंदनापसंद क्या है, यह रवि की मां नेहा को सुनाया करती थीं. नेहा डाक्टर

बन कर गांव में जाना चाहती थी. वह आजीवन विवाह न करने का निर्णय रवि की मां के प्रस्ताव और अनुरोध पर ही नहीं ले सकी थी. रवि की मां ने सु?ाव दिया था कि वह शहर में ही क्लीनिक खोल कर गरीबों की सेवा कर सकती है. हो सकता है वे लोग एक हौस्पिटल बनवा दें और यह योजना नेहा को भा गई थी.

मगर अब वह क्या करे? छोटा भाई

समन्वय बारबार हंस रहा था, मां का उत्सुक चेहरा उस से कुछ पूछ रहा था. एक बार नेहा

की इच्छा हुई कि अपनी मां को सबकुछ बता दे पर अपमान से मन तिलमिला उठा. सिरदर्द का बहाना कर वह सारी रात करवटें बदलती रही. कालेज के जीवन में नेहा ने हर चुनौती खुशी से

स्वीकार की थी पर यह चुनौती जीवनभर का

प्रश्न थी. सुंदर, सरल दिखने वाली नेहा के

मन की दृढ़ता सब जानते थे. अब वही नेहा असमंजस में पड़ गई थी कि क्या करे? सुबह

8 बजे रवि को उसे अपना निर्णय देना था. यह निर्णय उस के पक्ष में नहीं होना चाहिए. उस का दंभ टूटना ही चाहिए, यह सोचतेसोचते नेहा न जाने कब सो गई.

सुबह समन्वय ने ?ाक?ोर कर जगाया, ‘‘दी, क्या पूरी रात सपने देखती रहीं? जीजाजी की मां आई हैं.’’

हड़बड़ा कर नेहा ने रजाई फेंक दी. अस्तव्यस्त सी नेहा के उठने से पूर्व ही रवि की मां ने आ कर उस का माथा छुआ और परेशान हो कर बोलीं, ‘‘बुखार तो नहीं है वरना मेरी नेहा तो कभी इतनी देर तक नहीं सोती, 8 बजने वाले हैं.’’

रवि की मां अकसर वाक पूरी कर के नेहा की मां से मिलने आ जाती थीं और बिना संकोच के चाय पी कर जाती थीं. कई बार तो खुद किचन में चाय बना लेतीं जबकि अपने घर में कभी किचन में नहीं घुसती थीं.

तभी मोबाइल की घंटी सुन नेहा का मन धड़कने लगा. समन्वय ने शैतानी से मुसकरा कर फोन थमा दिया. उधर से रवि की सधी आवाज कानों में पड़ी, ‘‘कहिए नेहा, ठीक से सो सकी हो न? क्या निर्णय लिया तुम ने? क्या मैं बधाई दे सकता हूं तुम्हें?’’

‘‘जी, थैंक्स,’’ कह कर नेहा एकदम हड़बड़ा गई.

उधर से रवि का पूर्ण आश्वस्त स्वर कानों में बज उठा, ‘‘शुक्रिया, आई एम औब्लाइज्ड नेहा,’’ कह कर रवि ने फोन काट दिया.

इधर रवि की मां   के चेहरे पर प्रसन्नता ?ालक उठी थी. वे नेहा की मां से बोलीं, ‘‘देखा, सुबह होते ही फोन कर रहा है, एक हमारे दिन थे,’’ कह कर वे जोर से हंस दीं.

उस के बाद नेहा बहुत व्यस्त हो गई. रवि की मां खरीदारी करने के लिए नेहा को भी साथ ले जाती और रवि तो साथ होता ही था. नेहा

को कभीकभी आश्चर्य होता कि रवि कितनी सहज ऐक्टिंग कर लेता है. सगाई के मौके पर

रवि ने जिद की कि नेहा अपनी पसंद की अंगूठी स्वयं ले.

रवि के साथ अंगूठी खरीदने के लिए खड़ी नेहा ने किंचित व्यंग्य से कहा, ‘‘आप को तो पहले भी अनुभव होगा, अब फिर अंगूठी खरीदने के लिए उल्लास क्यों जता रहे हैं?’’

किंतु रवि ने नेहा की स्वीकृति की मुहर लगवा कर ही अंगूठी खरीदी. अंगूठी पहनाते समय रवि बड़ा सहज रहा. किंतु उस के हाथ के स्पर्श से जब नेहा के तार ?ान?ाना उठे तो वह बुरी तरह ?ां?ाला उठी.

विवाह भी तय हो गया. नेहा को अपने पर कौन्फिडैंस था. उस ने रवि की

बात नहीं बताई किसी को. ब्राइडगू्रम के रूप में रवि का मोहक व्यक्तित्व सब की प्रशंसा और कुछ की ईर्ष्या का कारण बन गया. विवाह की प्रथम रात्रि को न चाहते हुए भी वह संस्कारशील, लज्जाशील वधू बन कर बैठी रही.

कमरे में घुसते ही रवि ने परिहासपूर्ण

स्वर में कहा, ‘‘अरे, यह क्या? आप तो सचमुच ही न्यू ब्राइड लग रही हैं. हम दोनों मित्र हैं, याद है न?’’

लज्जा से नेहा का मन रोने को हो आया.

‘‘खैर, लीजिए जब तम रीति निभा रही हो तो मैं भी उपहार दे कर तुम्हारा घूंघट हटाऊंगा.’’

हाथों में बहुमूल्य हीरे के कंगन पहनाने के प्रयास पर नेहा चिढ़ गई, ‘‘आप के इस उपहार के लिए मैं ने यह वेश धारण नहीं किया. यह तो मां की जिद थी. मेरी ओर से ये कंगन आप अपनी उसी प्रियतमा को दे दीजिए.’’

रवि ने मुसकराते हुए हाथ जबरन पकड़ कर उन में कंगन पहना दिए, ‘‘उस की चिंता तुम्हें नहीं करनी होगी, नेहा. मैं उस की चिंता स्वयं

कर लूंगा.’’

जलती अग्निशिखा सदृश रवि का यह वाक्य नेहा के मन व प्राण को ?ालसा गया. क्रोध से कंगन उतार नेहा नीचे बिछे कालीन पर जा लेटी.

रवि ने स्नेह से पुकारा, ‘‘नेहा, हमारे सम?ौते में ऐसा तो कुछ नहीं था. पलंग काफी बड़ा है.’’

‘‘जी नहीं, मेरी नीचे सोने की आदत है,’’ नेहा बोली.

मगर रवि ने उसे बड़ी सहजता से उठा कर पलंग पर लिटा दिया, ‘‘मेरे यहां तुम्हें कष्ट हो, यह मैं स्वप्न में भी नहीं सोच सकता नेहा.’’

दूसरे दिन प्राय: घर में रवि की मौसी, मामी उत्सुकता से नेहा का मुख निहार रही थीं. उस का अपमान व लज्जा से आरक्त चेहरा और रवि का प्रसन्न मुख उन्हें आश्वस्त कर गया. उन के परिहास नेहा के अंतर में गड़ जाते. अपने को सहज बनाए रख कर नेहा सब छोटेबड़े रीतिरिवाज पूरे करती गई.

इन सब रस्मों में रवि का सहयोग देख नेहा जल रही थी. वह सोच रही थी, पुरुष कितने पाखंडी होते हैं, ऊपर से आज्ञाकारी बनते हैं और अंदर से धूर्त होते हैं. अगर वह रवि की मां को सब बता दे तो? फिर रवि के भयभीत चेहरे को याद कर के नेहा चेष्टापूर्वक होंठों पर आई मुसकान दबा गई.

घर में सबकुछ सहज, सामान्य चल रहा था. मां ने रवि से कहा, ‘‘नेहा को मालदीव

घुमा ला.’’

भयभीत नेहा एकांत की कल्पना से सिमट मां से याचनापूर्ण शब्दों में बोली, ‘‘नहीं मां, मैं तुम्हें यहां अकेले छोड़ कर नहीं जाऊंगी.’’

रवि की दुष्ट मुसकान पर नेहा का सर्वांग जल उठा. वह चाहती थी कि रवि की प्रिया के विषय में कुछ जाने पर रवि ने कभी नेहा से उस विषय में बात ही नहीं की.

फिर भी रवि की अज्ञात प्रिया नेहा के साथ हर पल जीती थी. रात में रवि ने पूछा, ‘‘अच्छा नेहा क्या मैं तुम्हारे लिए सचमुच इतना असाध्य हूं कि  मेरे साथ घूमने जाने की कल्पना मात्र से जाड़ों में भी तुम्हें पसीना आ गया?’’

नेहा ने शांत रह कहा, ‘‘अगर यह सच है तो क्या गलत था? क्या मेरे साथ रहते हुए भी आप हर पल किसी और के साथ नहीं रहते? फिर हमारे सम?ौते में इस तरह के दिखावोें की बात तो आप ने की नहीं थी?’’ कह कर नेहा करवट बदल सोने का अभिनय करने लगी.

नेहा के एक मित्र डाक्टर आनंद उस से मिलने आया. नेहा के विवाह के समय डाक्टर आनंद एक कौन्फ्रैंस में भाग लेने अमेरिका गया था. नेहा उस की बहुत प्रशंसिका थी. रवि का परिचय करा नेहा डाक्टर आनंद से बातों में इस तरह व्यस्त हो गई मानो रवि का अस्तित्व ही

न हो.

डाक्टर आनंद के जाते ही रवि एकदम रिक्त कंठ से बोला, ‘‘अगर तुम्हें उन से इतना लगाव था तो उन से विवाह क्यों नहीं कर लिया?’’

नेहा बड़े शांत स्वर में बोली, ‘‘जिस से बहुत लगाव हो उसी से विवाह किया जाए, यह जरूरी तो नहीं.’’

जैसे ही रवि ने यह सुना वह तिलमिला कर बाहर चला गया.

आनंद प्राय: आता रहता. उस का विनोद स्वभाव रवि की मां को बहुत प्रिय था. इसीलिए मां के आग्रह पर हस्पताल जाने के पूर्व डाक्टर आनंद प्राय: उन के घर आता और रवि की मां

व नेहा के साथ ही कौफी पीता था. वापस जाते समय डाक्टर आनंद को कभीकभी रवि भी

मिल जाता.

रवि आश्चर्यजनक रूप से दफ्तर से जल्दी वापस आने लगा था. उधर नेहा ने परिस्थितियों से सम?ौता कर लिया था. उत्सव, समारोहों में नेहा की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी. कभीकभी पार्टियों में प्रशंसकों से घिरी नेहा को खोज पाना रवि के लिए समस्या हो जाती. जब डांस पार्टियां होती थीं तो अकसर नेहा रवि को छोड़ कर किसी और के साथ नाचना शुरू कर देती.

नेहा का कंठ मधुर था. अब तो मानो उस के गीतों में वेदना साकार हो जाती थी. एक दिन पार्टी में उस ने गाया भी.

रवि उस से बोला, ‘‘तुम इतना अच्छा गा लेती हो, इस का मु?ो पता नहीं था.’’

अपने लिए पहली बार प्रशंसा सुन कर नेहा को अच्छा लगा. संयत, सधी आवाज में बोली, ‘‘मैं क्या हूं यह जानना तो हमारे सम?ौते की शर्त नहीं थी, फिर यह दुख क्यों?’’

उत्तर में कोई व्यंग्य न था पर रवि क्षुब्ध

हो उठा.

रवि के दफ्तर जाते समय नेहा बोली, ‘‘रवि, अगर में क्लीनिक न खोल किसी बड़े अस्पताल में नौकरी कर लूं तो आप को आपत्ति तो नहीं होगी?’’

रवि ने बहुत ही कठोर शब्दों में कहा, ‘‘क्यों घर पर डाक्टर आनंद से मिलने में कोई असुविधा है क्या? पर तुम तो शायद उसी के साथ काम करना चाहोगी. अगर जेबखर्च अपर्याप्त है तो और बढ़ जाएगा पर तुम्हारा अस्पताल में नौकरी करना मु?ो कभी स्वीकार न होगा.’’

‘‘ठीक है, मैं पास ही क्लीनिक खोल

लूंगी. और हां, आप का दिया जेब खर्च मैं ने कभी छुआ भी नहीं है. पर वक्त काटना मु?ो कठिन लगता है,’’ कहती हुई नेहा तीर सी कमरे से बाहर चली गई.

दूसरे दिन दफ्तर से आते ही रवि ने मां से कहा, ‘‘10 दिनों का अवकाश ले आया हूं. नेहा से कह दो मालदीव जाना है.’’

सुनते ही नेहा ने उत्तर दिया, ‘‘कल से क्लीनिक खोलने की व्यवस्था करनी है, इसलिए जाना असंभव है.’’

एकांत पाते ही रवि ?ाल्ला उठा, ‘‘हमें

जाना ही होगा, क्लीनिक बाद में खोला जा

सकता है.’’

‘‘आप की स्वतंत्रता में मैं कभी बाधा नहीं बनी. फिर आप ने मेरी स्वतंत्रता का भी आश्वासन दिया था.’’

आवेश में नेहा को जबरदस्ती आलिंगन में ले रवि बोला, ‘‘तुम मेरी पत्नी हो, मैं पति के नाते तुम्हें आज्ञा देता हूं कि तुम्हें चलना है.’’

आश्चर्य से नेहा का मुख खुला का खुला रह गया, ‘‘आप की पत्नी होने

के नाते क्या मैं केवल आप की आज्ञा पालन करने के लिए हूं? कहां गया आप का वादा? जब जी चाहा, पत्नी बना लिया, जब चाहा दूर धकेल दिया,’’ नेहा एकदम फूट पड़ी. कई दिनों का बांध एकसाथ टूट गया.

रवि ने हंसते हुए बड़े स्नेह से नेहा का सिर अपने सीने से चिपका लिया और स्नेहिल हाथों से उस के मुख पर बिखरी जुलफों को हटाते हुए बोला, ‘‘बस हार गईं? आखिर निकलीं न बुद्धू. अरे भई, जब मां ने कहा था कि तुम मु?ा से विवाह करने को उत्सुक नहीं हो तो मेरा अहं आहत हुआ था. मेरा संबंध न किसी और से था न है न होगा. मैं तो मां की तरह बस तुम्हारा पुजारी हूं और रहूंगा. क्या इतना सा सत्य भी तुम मेरी आंखों में नहीं पढ़ पाईं?’’

नेहा आश्चर्य से सिर उठा कर बोली, ‘‘क्या इतने दिनों तक आप मु?ा से भी ऐक्टिंग करते रहे?’’ कहते वह शर्म से लाल हो उठी.

‘‘हां, सच इतने दिन बेकार जरूर गए पर इस रोमांस में क्या मजा नहीं आया नेहा?’’ फिर एक पल रुक रवि ने पूछा, ‘‘सच बताना नेहा, क्या डाक्टर आनंद से तुम्हें कुछ ज्यादा ही

लगाव है?’’

‘‘धत्, वे तो मु?ो बड़े भाई जैसे पूज्य हैं. उन्होंने ही तो मु?ो डाक्टर बनने की प्रेरणा दी थी.’’

नेहा को अपनी बांहों में समेट स्नेह चुंबन अंकित कर रवि ने पूछा, ‘‘अब मालदीव चलना है या क्लीनिक खोलोगी?’’

नेहा ने लजाते हुए पूछा, ‘‘इतना तंग क्यों किया रवि?’’

‘‘एक नए अनुभव के लिए. अगर उसी पुरातनपंथी ढंग से विवाह कर लेते तो क्या तुम्हारे लिए इतनी चाहत होती? कितनी बार ईर्ष्या से डाक्टर आनंद को पीटने को जी चाहा था.’’

नेहा की चढ़ती भृकुटि देख रवि हंस पड़ा, ‘‘माफी चाहता हूं भूल गया था कि वे पूजनीय हैं. सच, कितनी बार अपने में समेट लेने के लिए जी मचला था पर जब विदेश में था तभी सोच लिया था कि जब तक तुम्हारे मन में अपने लिए चाह नहीं जगा लूंगा, तब तक मात्र आम भारतीयों की तरह पति बन कर अधिकार नहीं लूंगा,’’ फिर हंस कर नेहा को छेड़ा, ‘‘क्यों, कैसा रहा हमारा घर वाला हनीमून?’’

‘‘तुम्हारे हनीमून की ऐसी की तैसी. मां न जाने क्या सोचती होंगी,’’ कहते हुए नेहा अपने को छुड़ा कर नीचे भाग गई.

Monsoon Skin Care : मानसून में स्किन का ख्याल रखें कुछ ऐसे

मानसून आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है, मनुष्य से लेकर जीव-जंतु, प्रकृति सभी खुश हो जाते है. बारिश की झमाझम बूंदे दिनरात गिरती रहती है, ऐसे में स्किन की सही देखभाल करना बहुत आवश्यक है, बरसात के मौसम में नमी अधिक होती है, ऐसे में स्किन सम्बन्धी कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है. इस बारें में स्किनक्राफ्ट के एक्सपर्ट डॉ. कौस्तव गुहा कहते है कि बारिश के पानी से खुद को हमेशा बचाने की जरुरत होती है, क्योंकि अधिक देर तक स्किन के गीले रहने से कई प्रकार की स्किन सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती है. कुछ सुझाव निम्न है,

 

1. चेहरे पर मुंहासे का होना आम समस्या है, जिसका सामना हर कोई करता है. खासकर, बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है. असल में बारिश की वजह से वातावरण में नमी अधिक हो जाती है, लेकिन स्किन रूखी हो जाती है, क्योंकि तैलीय स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए स्किन अतिरिक्त सीबम का उत्पादन करती है. कई बार जरूरत से ज्यादा तेल या सीबम स्किन के रोम छिद्रों में भरकर उन्हें बंद कर देता है, जो मुंहासे निकलने का कारण बन सकता है. ऐसे में बारिश के मौसम में मुंहासों या पिंपल से बचने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए न सिर्फ गर्म पानी से नहाना फायदेमंद हो सकता है, बल्कि ऑयल फ्री क्लिंजर भी इस मौसम में लाभदायक होता है.

2. स्किन संबंधी रोग अधिकतर बारिश के मौसम में ही देखने को मिलते है, इन्हीं में से एक समस्या एक्जिमा है,इसके कारण स्किन लाल, खुजलीदार और सूजी हुई नजर आती है, संवेदनशील स्किन को मानसून में एक्जिमा की समस्या अधिक होती है. पहले से ही एक्जिमा की समस्या से जूझ रहे लोगों को बरसात के मौसम में  परेशानी अधिक झेलनी पड़ती है,इसलिए इस अवस्था में प्रभावित जगह को गीले कपड़े से लपेटने से कुछ राहत मिलती है. इसके अलावा,डॉक्टर द्वारा बताया गया, क्रीम भी फायदेमंद हो सकता है. क्रीम लगाकर प्रभावित जगह को गीली पट्टी से कवर करने पर जल्दी आराम मिलता है.

3. ‘स्कैबीज’ एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो सारकोपटेस स्केबीज़ नामक कीट के काटने से होता है. बारिश के चलते तापमान और ह्यूमिडिटी में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण इस कीट को पनपने का मौका मिलता है. स्कैबीज होने पर स्किन पर चकत्ते और गंभीर खुजली हो सकती है.इसलिएबारिश के मौसम में दूषित पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए, ताकि स्कैबीज जैसी समस्या न हो.यह स्किन संबंधी संक्रामक विकार है, इसलिए अगर कोई पहले से ही इससे ग्रसित हैं, तो उसे दूसरों से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि यह बीमारी न फैल सके.

4. मानसून में पैर सबसे अधिक प्रभावित होते है. फर्श पर नमी होने या बारिश की वजह से मोजे गीले होने से बचना चाहिए. तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव होने से पांव पसीने से भर जाता है, ऐसे में नमी की वजह से पाँव में सफेद फंगल इन्फेक्शन और खुजली की समस्या हो सकती है. इस समस्या को एथलीट फुट (Athlete’s foot)भी कहा जाता है. यह समस्या पैरों में अधिक नमी के कारण होता है,लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. बारिश में अपने पैरों को हमेशा सूखा रखने का प्रयास करना आवश्यक है. लंबे समय तक गीले मोजे न पहनना और घर में हमेशा चप्पल पहनकर चलना भी जरुरी है.

5. बारिश का मौसम कितना ही खूबसूरत क्यों न हो, लेकिन हवा में नमी बढ़ जाने से शरीर से पसीना निकलने लगता है. इस वजह से स्किन पर रैशेज और खुजली जैसी समस्याएं होने लगती है. इसलिएमानसून में ज्यादातर ढीले कपड़े पहने,साथ ही स्किन की समस्याओं से बचने और उन्हें नियंत्रित रखने के लिए ऑयल फ्री मॉइस्चराइजर या लोशन लगाते रहे.

6. मानसून में ह्यूमिडिटी बढ़ जाने से स्किन रूखी और खुरदुरी हो जाती है. इससे स्किन बेजान व पीली दिखाई देने लगती है, ऐसे में चेहरे को नियमित रूप से माइल्ड फेस वॉश से धोकर,मॉइस्चराइजर लगाने से इस समस्या से बचा जा सकता है.

7. बारिश में फॉलिक्युलिटिस की समस्या भी होती है. यह केशों के रोम छिद्र में होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन है. इससे बाल टूटने लगते है और बालों के रोमछिद्रों में सूजन व खुजली होने लगती है. यह समस्या मानसून में पसीने, डिहाइड्रेशन और ह्यूमिडिटी की वजह से होती है. इसे दूर करने के लिए एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर बताये गए साबुन या क्रीम लगायें.

8. मॉनसून में कुछ लोगों के शरीर पर गोलाकार लाल पैच दिखाई देते हैं, जिसमें खुजली भी होती है. यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जिसे दाद भी कहा जाता है. यह शरीर से अधिक पसीना निकलने की वजह से होता है. अगर किसी को दाद हो गया है, तो उसे साफ और ढीले कपड़े पहनने चाहिए.नहाते समय एंटीबैक्टीरियल युक्त साबुन का उपयोग करे. इसके अलावाअपनी चीजें मसलन मेकअप ब्रश, तौलिया, साबुन और कपड़ों को दूसरों के साथ शेयर न करें.

9. नेल इंफेक्शन भी मॉनसून में होने वाली विभिन्न समस्याओं में से एक है. यह इंफेक्शन नाखूनों के नीचे गंदगी और मृत स्किन के जमा होने पर होता है. इससे नाखूनों में दर्द होने के अलावा स्किन संबंधी अन्य बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में बेहतर यही है कि समय-समय पर नाखूनों को काटते रहें और एंटी-बैक्टीरियल पाउडर या लिक्विड सॉल्यूशन का उपयोग करें.

10. इस मौसम में हाइव्स की समस्या भी होती है, ऐसा कीट-पतंगों के काटने से होता है. इससे स्किन पर लाल दाने बन जाते है,जिनमें बहुत खुजली होती है. सामान्य दिनों की तुलना में मॉनसून में कीड़ों के काटने की आशंका ज्यादा होती है. इसलिए, अगर कोई कीड़ा काटे, तो उससे राहत पाने के लिए कोल्ड कंप्रेस का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर हालत गंभीर हो,तो डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई लें.

रीते मन की उलझन

शाम के 7 बज चुके थे. सर्दियों की शाम का अंधेरा गहराता जा रहा था. बस स्टैंड पर बसों की आवाजाही लगी हुई थी. आसपास के लोग भी अपनेअपने रूट की बस का इंतजार कर रहे थे. ठंडी हवा चल पड़ी थी. हलकीफुलकी ठंड शालू के रोमरोम में हलकी सिहरन पैदा कर रही थी. वह अपनेआप को साड़ी के पल्लू से कस कर ढके जा रही थी.

शालू को सर्दियां पसंद नहीं है. सर्दियों में शाम होते ही सन्नटा पसर जाता है. उस पसरे सन्नाटे ने ही उस के अकेलेपन को और ज्यादा पुख्ता कर दिया था. सोसाइटी में सौ फ्लैट थे. दूर तक आनेजाने वालों की हलचल देख दिन निकल जाता लेकिन शाम होतेहोते वह अपनेआप को एक कैद में ही पाती थी. उस कैदखाने में जिस में मखमली बिस्तर व सहूलियत के साजोसामान से सजा हर सामान होता था. वह अकेली कभी पलंग पर तो कभी सोफे पर बैठी मोबाइल पर उंगलियां चलती तो कभी बालकनी में खड़ी यू आकार में बने सोसाइटी के फ्लैटों की खिड़कियों की लाइटें देखती जो कहीं डिम होतीं तो कहीं बंद होतीं. चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा होता था.

सोसाइटी के लौन में दोपहर बाद बच्चों के खेलनेकूदने के शोर से उस सन्नाटे में जैसे हलचल सी नजर आती. वह भी रोजाना लौन में वाक के लिए चली जाती और कुछ देर हमउम्र पास पड़ोसिनों के साथ अपना वक्त गुजार आती. फिर भी शाम की चहलपहल के बाद सिर्फ सन्नाटा ही होता. अपने शाम के खाने की तैयारी के बाद भी उस के पास होता सिर्फ रोहन का इंतजार. वह जैसेजैसे अपनी उन्नति की सीढि़यां चढ़ रहा था वैसेवैसे उस का घर के लिए वक्त कम होता जा रहा था. कई बार उस ने शिकायत की लेकिन रोहन उसे एक ही बात कहता, ‘‘शालू, तुम नहीं सम?ागी बौस बनना आसान नहीं है. प्राइवेट सैक्टर है इतनी सहूलियत हमें कंपनी इसीलिए ही देती है कि हम टाइम पर काम करें.’’

रोहन की बातों पर शालू चुप हो जाती थी और उस छोटी सी बहस के बाद दोनों के बीच कोई वार्त्तालाप न होता. रात रोहन अपने लैपटौप पर कुछ न कुछ औफिशियल काम करने लगता. न जाने कब सोता. रोज की यही दिनचर्या थी, उस की. उस के बाद कभीकभी तो रोहन हफ्ते 15 दिन के टूर से लौटता और कभी विदेश जा कर महीनेभर बाद लौटता. इस दौरान शालू अकेली ही रहती. कभीकभी अपनी सहेलियों से, पासपड़ोसियों से मिल आती लेकिन इन सब से कब तक उस का वक्त गुजरता. उसे अपनी सहेलियों को उन के परिवार व पति के साथ देख खुशी तो होती साथ ही जलन भी होती. उस के घर की चारदीवारी में तनहाई और अकेलापन उस के मन को रीता किए जा रहा था.

आजकल दोनों में काम की बात ही होती थी. पहले सी आपसी नोक?ांक, हंसीमजाक भी अब बंद हो गया था. कभीकभी रोहन उसे पार्टी में व बाहर ले कर जाता था. वह कभी गलत राह पर भी नहीं था यह शालू को विश्वास था लेकिन उस के पास उस के लिए भी तो वक्त नहीं था.

एक दिन शालू ने रोहन को अपनी सहेली की ऐनिवर्सरी पार्टी में चलने को कहा. रोहन के साथ चलने की हां भरने पर ही वह बड़े शौक से रोहन की पसंद की शिफौन की गुलाबी साड़ी पहन तैयार हुई. बाल भी खुले रखे साथ में पर्ल सैट पहन उस ने उस दिन अपनेआप को दर्पण में बारबार निहारा. आज काफी अरसे बाद वह रोहन के साथ अपनी सहेलियों के बीच जा रही थी वह बहुत खुश थी लेकिन धीरेधीरे शाम से रात हो गई. वह रोहन का इंतजार करती रही. फोन करती तो स्विच्ड औफ. न जाने कब रोहन का इंतजार करतेकरते उस की सोफे पर ही आंख लग गई.

रात 12 बजे रोहन ने घर की बैल बजाई तो उस ने अपनी सूजी हुई लाल आंखों को छिपाते हुए गेट खोल दिया. अपने सामने शालू को तैयार देख रोहन को याद आया कि उसे तो आज शालू की फ्रैंड की ऐनिवर्सरी में जाना था. वह शालू को देखते ही बोला, ‘‘ओह सौरी शालू, मीटिंग लंबी चली… मैं तुम्हे कौल भी नहीं कर पाया.’’

रोहन को उस दिन शालू ने कुछ न कहा. गेट खोलकर वह कमरे में चली गई और चेंज कर बिस्तर पर औंधे मुंह लेटी रही. न जाने कितनी बार रोहन ने बात करने की कोशिश की लेकिन शालू आज बुत बनी थी.

सुबह शालू चुपचाप नाश्ता बना कर पैकिंग में लग गई. रोहन औफिस के लिए

निकलने लगा तो उस ने पूछा, ‘‘यह पैकिंग… तुम कहीं जा रही हो?’’

शालू ने कहा, ‘‘हां, मायके.’’

रोहन रात की बात याद कर बोला, ‘‘सौरी, वह कल टाइम ही नहीं मिला. शालू प्लीज.’’

‘‘रोहन अब तुम्हारी सौरी और प्लीज से मैं थक चुकी हूं. मु?ो जाने दो,’’ उस दिन वह रोहन के घर से अकेले निकल पड़ी थी. उस ने बहुत रोका लेकिन अब शायद उस की बरदाश्त से बाहर था वहां रुकना.

मायके पहुंची तो अचानक उसे देख कर सब हैरान थे लेकिन वह सरप्राइज विजिट का नाम दे 15 दिन रुक गई. मगर धीरेधीरे मां को सब सम?ा आने लगा. उन्होंने शालू से पूछा तो वह हंस कर अपने दर्द को छिपा इतना ही कह पाई, ‘‘क्या, मैं यहां कुछ दिन अपनी मरजी से नहीं रुक सकती?’’

मां ने शालू की नजरों को पढ़ते हुए कहा, ‘‘बेटा रह तो सकती हो पर अब तुम्हारी मरजी के साथ रोहन की मंजूरी भी जरूरी है.’’

मां के इतना कहते ही शालू का छिपा दर्द उभर उठा और वह अपनी आंखों में भरे आंसुओं को मां के आगे रोक न सकी. अपनी उदासी व अपना अकेलापन बयां कर गई.

तब मां ने उसे बताया, ‘‘तुम्हारे आने के दूसरे दिन ही रोहन ने मु?ो फोन पर सब बता दिया. वह अपनी नौकरी के कारण तुम्हें समय नहीं दे पाता. उस का उसे भी दुख है लेकिन वह तुम्हारे बिना परेशान है. कुछ निर्णय जल्दबाजी में सही नहीं होते. बेटा. रात ही मेरी उस से बात हुई. तुम ने इतने दिनों में उसे फोन भी नहीं किया और उस का फोन भी अटैंड नहीं किया.

‘‘इतनी नाराजगी भी अच्छी नहीं. वह तुम्हें लेने आना चाहता है. वह जो कुछ कर रहा है पैसा कमाने के लिए ही तो कर रहा है. अभी तुम्हारी शादी को सालभर हुआ है तुम दोनों की पूरी जिंदगी पड़ी है. गृहस्थी में बहुत से त्याग करने पड़ते हैं… रोहन को कुछ समय दो बेटा, एकदूसरे का साथ दो.’’

कुछ देर बात कर मां उस के कमरे की मूनलाइट का स्विच औन कर जातेजाते उसे फिर एक बार सोचने के लिए कह गई. मूनलाइट की सफेद रोशनी में वह बिस्तर पर लेटी रोहन के साथ बीते पल याद करने लगी…

जब उसे बुखार हुआ तो रोहन ने औफिस की जरूरी मीटिंग भी कैंसिल कर दी थी और दिनरात उस का खयाल रखा था जैसे कोई किसी बच्चे का रखता है. उस वक्त जब वायरल फीवर से उस की नसनस में दर्द था उसे टाइमटाइम पर दवा, जूस सब देता. कितना खयाल रखता था और एक बार वह 10 दिन की कह कर मां के पास आई थी तो रोहन 5 दिन बाद ही आ कर उसे सरप्राइज दे शिमला ट्रिप प्लान कर आया था. दोनों बांहों में बांहें डाले शिमला की वादियों में घूमते रहे. तब दिनरात कब बीतते थे पता ही न चलता.

रोहन ने शालू की नाराजगी पर कभी जोर से बात नहीं की. वह हर बार उसे समझाने की कोशिश करता और सौरी भी कह देता लेकिन न जाने उसे ही धीरेधीरे क्या हो गया. उस ने चुप्पी साध ली. शालू रोहन की थकान को उस की बेरुखी सम?ाती थी जब वह कमरे में आ कर सो जाता. कभी सोचा ही नहीं कि घर से बाहर आराम कहां है और मैं ने उसे घर आने के बाद अपने प्यार के सहारे की जगह नाराजगी और चुप्पी ही दी. उस ने कभी कुछ न कहा. वह जिस प्यार को भूल बैठी थी वह फिर आज उस के दिल की परतों को हटा सहलाने लगा था. उस का रिश्ता प्यार के एहसास को बटोरने लगा था. उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था. न जाने कैसे आहिस्ताआहिस्ता उस ने रोहन को अपनेआप से इतना दूर कर दिया. अब वह रोहन को और इंतजार नहीं करवाना चाहती थी.

‘‘यह लो, चाय पी लो. तुम्हें ठंड लग जाएगी बस आने वाली है. आधा घंटा बाकी है,’’ रोहन की आवाज से वह एकाएक वर्तमान में लौट आई. सामने 2 चाय के कप लिए रोहन मुसकरा रहा था. उसे देख कर वह भी मुसकरा दी. उस समय ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच कोई दूरी न हो, दोनों ने एकदूसरे को माफ कर दिया हो.

पास की बैंच पर बैठ कर दोनों ने चाय पी. शालू रोहन के हाथ में हाथ डाले उस के कंधे पर सिर रख बस का इंतजार करने लगी. कुछ ही देर में बस आ गई. रोहन ने बस में सामान रखा और बस में चढ़ने के लिए शालू का हाथ थाम लिया. बस चल पड़ी. दोनों एकदूसरे में खोए सफर तय कर रहे थे.

अब वे कभी न खत्म होने वाली राह पर चल पडे़ थे. रोहन के चेहरे पर शालू की बिखरी लटें अपना आधिपत्य जता रही थीं. शालू रोहन की अदा पर मंदमंद मुसकरा रोहन के आगोश में सिमटी जा रही थी. वह खुश थी कि आज रोहन ने उस के रीते मन की उल?ान को अपने प्रेम भरे साथ से सुल?ा दिया.

मां बनने से पहले : क्या बच्चा पैदा करना अपराध है?

Writer-   जयश्री चटर्जी

मेरे यह कहते ही कि घर में एक नया मेहमान आने वाला है, मेरे पति ने मु?ो जिस गुस्से व आश्चर्य से देखा उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी.

‘‘हम उस का क्या करेंगे?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘मु?ो नहीं मालूम,’’ मैं ने कहा. मु?ो इन से किसी ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, इसलिए मु?ो कुछ गुस्सा सा भी आ गया था और मैं ने उसी लहजे में उन से पूछ डाला, ‘‘और सब बच्चों का क्या करते हैं? उन्हें खिलापिला कर, पालपोस कर बड़ा ही करते हैं न.’’

मगर जैसे ही मैं ने अपनी बात खत्म की,

मेरे पति ने देश की खराब आर्थिक स्थिति पर

एक लंबा भाषण मु?ो सुना डाला और यह सम?ाने की कोशिश की कि जब उज्ज्वल भविष्य के अवसर न हों तो बच्चे पैदा करना एक अपराध है. उन्होंने मु?ो राहुल गांधी के 2-4 भाषण दिखा

डाले, जिस में उन्होंने बेरोजगारी की बात की. उन खबरों को दिखा डाला जिन में सिपाई और पटवारी की सैकड़ों की नौकरियों के 20-30 लाख कैंडीडेट बैठे थे.

2 घंटे बाद जब मेरे पति ने दफ्तर से फोन किया तो मैं ने सोचा कि वे परिवारनियोजन के विशेषज्ञ से बातचीत कर के कुछ नई बात बताने वाले होंगे. लेकिन फोन पर उन्होंने जिस लहजे में बात की वह बिलकुल भिन्न था.

‘‘अपने दफ्तर में कोई भारी चीज उठाना

या खिसकाना नहीं,’’ उन्होंने बड़े प्यारभरे स्वर

में कहा, ‘‘तुम्हें इस दौर में कोई अधिक थकाने वाला काम भी नहीं करना चाहिए. इस में पहले

3 महीने बहुत नाजुक होते हैं. जब तक मैं

डाक्टर से सलाह ले कर यह बता न दूं कि

तुम्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है,

तब तक तुम चुपचाप काम करते रहो. तुम ऐसी हो कि कोई न कोई गड़बड़ी कर बैठोगी और सबकुछ गड़बड़ हो जाएगा. मेरा काम एक सेल्सरूम में काउंटर पर बैठने का काफी हिलाना ढुलना होता है.’’

‘‘धन्यवाद,’’ मैं ने मन ही मन प्रसन्न होते हुए कुछ व्यंग्य से कहा. लेकिन मेरे व्यंग्य को वे सम?ा नहीं सके.

‘‘मैं ने एक बहुत जरूरी पैकेट औनलाइन और्डर कर दिया है. तुम शाम को डिलिवरी ले लेना,’’ वे बोले.

‘‘जरूरी पैकेट,’’ मैं खुशी से बावली हो उठी और बोली, ‘‘जरूर 4 दिन पहले जो ड्रैस मु?ो बहुत पसंद आई थी उसे ही तुम ने खरीदा होगा. ओह, तुम कितने अच्छे हो.’’

‘‘तुम तो बिलकुल बावली हो. मैं ने गाजरें और्डर की हैं,’’ मेरे पति ने धीमे से कहा.

‘‘गाजरें,’’ मैं ने आश्चर्य से दोहराया. मैं सोचने लगी कि मेरे पति की तबीयत तो ठीक

है न.

‘‘हां,’’ उधर से जवाब आया, ‘‘हम दोनों चश्मा पहनते हैं क्योंकि हमारी नजर कमजोर है. तुम यह कभी नहीं चाहोगी कि हमारे बच्चे की भी नजर कमजोर हो. आज से तुम खाने के साथ कच्ची गाजर खाओगी. गाजर में ऐसे विटामिन होते हैं जो आंखों की रोशनी के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.’’

उसी दिन से मैं ने गाजर खाना शुरू कर दिया और खातेखाते ऊब गई. मेरी कलीग्स ने यह कह कर मेरा मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि मैं अधिक गाजर खाती हूं. इसलिए उन की कीमत बढ़ गई है. सच जानिए, उस साल गाजर की कीमत बहुत बढ़ गई थी. मैं टिफिन में गाजर का सलाद, गाजर के परांठे और गाजर का हलवा लाने लगी थी.

जब मेरी कलीग्स को पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं तो सभी ने आ कर तरहतरह की सलाहें दीं. जल्द ही मेरे मोबाइल पर प्रसिद्ध कवियों, राजनेताओं, धर्मगुरुओं आदि की बातों और तसवीरों का एक अंबार लग गया और मु?ो यह कहा गया कि उन्हें मैं सोने से पहले जरूर देखूं. मु?ा से कहा गया कि फिर सुबह आंख खुलते भी रोज उन तसवीरों को देखूं. तब मेरा बच्चा उन की तरह ही गुणवान होगा.

एक शाम मेरी एक सहेली आई, उस ने भी कुछ और तसवीरें कमरे में टांग दीं. हमारे टू रूम सैट में बेबीरूम की जगह तो नहीं थी तो हमारा अपना बैडरूम बेबी रूप सा दिखने लगा.

मेरे पति इसे ले कर मु?ा से रोज मजाक करने लगे, ‘‘इन सभी लोगों के गुण बच्चे में आ जाएं तब तो बहुत ही अच्छा है, पर अगर कहीं बच्चे की शक्ल इन बढ़ते लोगों की तरह हो गई तो क्या होगा. फिर तो सब पुरुषों की तसवीरें हैं. यदि तुम्हारी पहली संतान लड़की हुई तो क्या तुम उसे गांधी की तरह पोपले मुंह वाली देखना चाहोगी?’’

उन की बात मु?ो तर्कसंगत लगी और मैं ने तुरंत सारी तसवीरें उस कमरे से हटा दीं. मोबाइल से भी डिलीट कर डालीं.

मेरे पति ने सम?ाया, ‘‘तुम इन लोगों की अच्छाइयों के बारे में दिन में एक बार सोचो जरूर. सब से अच्छा तरीका तो यह होगा कि देखो तो अच्छेअच्छे बच्चों की तसवीरें और सोचो इन महापुरुषों के गुणों के बारे में.’’

कुछ दिनों बाद मेरी एक घनिष्ठ धर्मभीरू सहेली ने गीता की एक पीडीएफ मु?ो

भेंट की और बोली, ‘‘हर रात सोने से पहले इस का एक पृष्ठ पढ़ना. इस से तुम्हें मानसिक शांति मिलेगी और तुम्हारे बच्चे का शारीरिक विकास भी ठीक होगा.’’

जब मैं ने पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि यह तो चचेरे भाइयों के समक्ष युद्ध की बातें हैं और अर्जुन को युद्ध करने के लिए कहा जा रहा है. हाय क्या मेरा बच्चा रथ पर चढ़ कर तीरों की बारिश करेगा? डर के मारे मैं ने पीडीएफ फाइल तुरंत बंद कर दी.

उस के जाने के कुछ देर बाद एक और सहेली आई. वह मेरे लिए कुरान ले कर आई थी. उस ने बताया कि यह प्रति हज यात्रा पर जाने वालों के लिए विशेष रूप से प्रकाशित की गई है. मु?ो हर रात सोने से पहले उस का एक पृष्ठ पढ़ना चाहिए ताकि होेने वाला बच्चा कुरान में वर्णित गुणों से युक्त हो. मैं प्रभावित हुई पर उसे भी कोने में साथ रख दिया.

कुछ दिनों बाद मैं अपनी एक पुरानी स्कूल अध्यापिका से मिलने गई. उन्होंने रात में पढ़ने के लिए बाइबिल दी. मैं ने उन्हें गीता और कुरान के बारे में बताया और कहा कि मैं रात में सोने से पहले तीनों पुस्तकों का 1-1 पृष्ठ पढ़ूंगी. मैं ने सोचा कि आधुनिक युग की एक महिला द्वारा

धर्म में इतनी रुचि दिखाने से मेरी अध्यापिका खुश होंगी. लेकिन उन्होंने मेरी ओर कुछ परेशान नजरों से देखा. बोलीं, ‘‘मैं तुम्हें धर्म पर इतनी पुस्तकें पढ़ने की सलाह नहीं दूंगी. ऐसा न हो कि तुम्हारा बच्चा या बच्ची जो भी हो, इतना धार्मिक बन जाए कि इस संसार में उस की कोई रुचि ही न रहे. ऐसी हालत में तुम्हें दुख होगा. मैं स्वयं ऐसे दौर में फंस चुकी हूं. मेरी बड़ी लड़की की गृहस्थ में कोई रुचि ही नहीं है. उसे सबकुछ जंजाल नजर आता है. उस का पति उस से

परेशान है.’’

एक शाम हम लोग घूमने जा रहे थे कि किताबों की एक दुकान दिख गई. मेरे पति को एक पुस्तक नजर आई. उस का शीर्षक था, ‘‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें.’’

‘‘तुम्हें यह जरूर पढ़नी चाहिए,’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी यह जानना चाहता हूं कि एक गर्भवती महिला 3-4 महीने बाद सुंदर कैसे दिख सकती है.’’

मैं बोली, ‘‘फिर खरीद लीजिए.’’

मगर मेरे पति कुछ ?ि?ाकते हुए बोले, ‘‘मैं अंदर नहीं जाऊंगा. दुकानदार सम?ोगा कि मैं बाप बनने वाला हूं.’’

‘‘लेकिन आप बाप तो बनने वाले हैं?’’

‘‘मैं जानता हूं, लेकिन जब लोगों का पता चल जाता है कि कोई बाप बनने वाला है तो वे उसे अजीब नजरों से देखते हैं. क्या तुम नहीं देखतीं कि जब तुम मेरे साथ चलती हो तो लोग मु?ो किस तरह घूरते हैं.’’

‘‘लोग मु?ो घूरते हैं, इस के लिए तो मु?ो ?ि?ाक होनी चाहिए.’’

‘‘अच्छा, अगर तुम्हें अपने शरीर के अजीब आकार को ले कर कोई संकोच नहीं है तो तुम खुद जा कर क्यों नहीं खरीद लेतीं,’’ उन्होंने कुछ जोर से कहा.

मगर मैं भी ऐसा करने में कुछ ?ि?ाक रही थी. आखिर वही दुकान में गए. थोड़ी देर बाद डाक्टर स्पाक की पुस्तक ‘बेबी ऐंड चाइल्ड केयर’ (शिशु और उस की देखभाल) पुस्तक ले कर आ गए. मैं ने आश्चर्य से किताब को देखा और पूछा, ‘‘यह क्यों लाए?’’

‘‘दुकानदार कुछ लड़कियों से घिरा हुआ था, ‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें’ बड़ा अजीब सा शीर्षक है. इसलिए मैं ने वह न मांग कर यही ले ली. हमें इस की भी तो जरूरत पड़ेगी,’’ उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा.

‘‘लेकिन मैं तो ‘गर्भावस्था में सुंदर कैसे दिखें’ खरीदना चाहती हूं,’’ मैं कुछ जोर से बोली, ‘‘यदि आप नहीं ला सकते तो आइए, हम दोनों अंदर चलें.’’

मैं दुकान के एक कर्मचारी के पास जा पहुंची जो कोने में खड़ा था.

‘‘मु?ो वह पुस्तक चाहिए,’’ मैं ने उस की ओर इशारा करते हुए कहा.

‘‘अरे, वह,’’ उस ने कहा और फिर इतनी जोर से शीर्षक पढ़ा कि दुकान में मौजूद हर आदमी मुड़ कर हमें देखने लगा. मैं ने पुस्तक ले कर उस की कीमत चुकाई और इस तरह बाहर आ गई जैसे मैं इन बातों की परवा नहीं करती. लेकिन सच यह है कि मैं यह जरूर सोच रही थी कि मेरा बस चलता तो दुकान के उस कर्मचारी को तत्काल नौकरी से निकाल देती.

एक शाम हम लोग संगीत सुन रहे थे. मेरे पति ने अचानक कहा, ‘‘हमारे यहां

बेटा होगा.’’

‘‘वह मेरे लिए हर 2 घंटे बाद चाय बनाएगी,’’ उन्होंने अपनी बात इस तरह जारी रखी, जैसे मेरी बात सुनी ही न हो.

‘‘इतने स्वार्थी न बनिए,’’ मैं ने तुरंत जवाब दिया, ‘‘हमारे यहां लड़का होगा.’’

‘‘नहीं होगा,’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी खूबसूरत लड़की होगी, जिस के साथ हम लोग खूब खेलेंगे. इस घर को घर बनाने के लिए एक प्यारी सी लड़की का होना बहुत जरूरी है.’’

मैं ने जवाब देने के लिए मुंह खोला,

लेकिन तभी मैं रुक गई और मुसकराने लगी क्योंकि मु?ो अचानक याद आया कि क्या वे अपना वह लंबाचौड़ा भाषण भूल गए कि हर

नया बच्चा देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बो?ा होता है.

मेरी जांघों और कमर पर सैल्युलाइट के पैचेज दिखते हैं, इन्हें दूर करने के लिए क्या करूं?

सवाल-

मेरी जांघों और कमर पर सैल्युलाइट के पैचेज दिखते हैं. उन के कारण मैं अपनी मनपसंद ड्रैस भी नहीं पहन पाती. बताएं इन्हें दूर करने के लिए मैं क्या करूं?

जवाब-

अपनी कमर, पेट का निचला हिस्सा, बाजू या जांघ पर गौर कीजिएगा. अगर यहां की त्वचा ढीली और गड्ढेदार है तो आप को भी सैल्युलाइट है. दरअसल, सैल्युलाइट त्वचा के नीचे जमा होने वाले फैट के कारण होता है. इस के लिए नियमित व्यायाम सब से कारगर उपाय है.

शरीर में कसाव लाने के लिए अपने व्यायाम में स्ट्रैचिंग को भी जगह दें. ब्यूटी पार्लर में इस तरह के ट्रीटमैंट में आमतौर पर स्लिमिंग औयल का इस्तेमाल किया जाता है. तेल को प्रभावित स्थान पर लगा कर नीचे से ऊपर की ओर मालिश की जाती है. मालिश के स्ट्रोक भी सख्त होते हैं.

समस्या कम है तो घर पर इस तरह के तेल से लगातार सही तरीके से मालिश कर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. अगर समस्या अधिक है तो फिर ट्रीटमैंट लेना पड़ता है.

अल्ट्रासोनिक मशीन की मदद से तेल को त्वचा की निचली सतह तक पहुंचा कर वहां से वसा हटाई जाती है. इस के लिए लेजर थेरैपी भी काफी चलन में है. आप ऐवोकाडो औयल को बेस के तौर पर इस्तेमाल करते हुए इस में लैवेंडर, बर्गमोट और युक्लिप्टस औयल को मिला कर घर पर ही स्लिमिंग औयल तैयार कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें

स्ट्रैच मार्क्स यानी त्वचा पर खिंचाव के निशान. यों तो महिलाओं में गर्भावस्था के बाद होने वाली यह एक आम परेशानी है, लेकिन कई बार देखा गया है कि वजन कम करने के बाद भी इस तरह के निशान त्वचा पर देखे जाते हैं. यही नहीं महिलाओं के साथसाथ पुरुषों में भी स्ट्रैच मार्क्स एक आम समस्या बनते जा रहे हैं. स्टैच मार्क्स कई तरह के होते हैं, जिन के होने की कुछ अलगअलग वजहें हो सकती हैं. लेकिन इन से घबराने की जरूरत नहीं है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Pregnancy के बाद महिलाओं में आंखों की समस्या को न करें नजरअंदाज

प्रेगनेंसी के समय महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते रहते है,जिससे मानसिकऔर शारीरिक बदलाव कुछ न कुछ होते है. एक बदलाव आँखों की समस्या का होता है, जिसमें किसी-किसी महिला को धुंधला दिखाई पड़ता है या आँखों की रौशनी कम हो जाती है. पहले इसे समझना मुश्किल होता है, क्योंकि अधिकतर बढती उम्र के साथ ही महिलाओं में आंखो की समस्या दिखाई पड़ती है, इसलिए गर्भावस्था में आँखों की रौशनी कम होने पर भी महिलाएं इग्नोर करती है. इससे बाद में आँखों की समस्या बढ़ जाती है.

करवाएं जाँच धुंधलेपन की

मुंबई की अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ,डॉ. पल्लवी बिप्टे का इस बारें में कहना है कि असल में गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं को आंखो की समस्या का सामना करना पडता है.हालाँकि यह बदलाव अधिकतर अस्थायी होता है, लेकिन कई बार ये गंभीर भी हो सकती है, इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपनी आंखो की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है.नई माओं को आंखो से धुंधलापन दिखने पर तुरंत उसकी जांच करवा लेना आवश्यक होता है.बढ़ना मात्रा

टिश्यूज में फ्लूइड की मात्रा का बढ़ना

विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था या फिर प्रसव के बाद हॉर्मोन्स के कारण कर्ई बार टिश्यूज में फ्लूड की मात्रा बढने से आँखों की पुतली का आकार बदल सकता है, जिससे महिला को ठीक से दिखाई नहीं पड़ती, आंखो में ड्राईनेस की समस्या भी हो सकती है. इसके अलावा आँखों का लाल होना, आंखो से पानी आना, जलन होना आदि कई समस्याएं हो सकती है.अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की समस्या है, तो रेटिना में बदलाव होने की समस्या हो सकती है. इससे भी महिला को धुंधला दिखता है. यह समस्या अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में होती है.समय पर सही इलाज न मिलने पर गर्भावस्था के तीसरी तिमाही और प्रसव के बाद यह समस्या बढ सकती है.

समस्या उच्च रक्तचाप की

इसके आगे डॉक्टर कहती है कि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या होती है. इसे प्रीक्लैंप्सिया कहा जाता है.इसमें गर्भवती महिला का ब्‍लड प्रेशर लेवल बढ़ जाता है और किडनी असामान्‍य रूप से कार्य करने लगती है. जिसके कारण आंखो में धुंधलापन छा जाता है. इसलिए प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने ब्‍लड प्रेशर लेवल पर नजर रखनी चाहिए.इसके अलावा काफी कम महिलाओं को प्रसव के बाद पिट्यूटरी एडिनोमा की शिकायत होती है. इसमें महिलाओं के शरीर की पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर विकसित होने लगती है,इससे शरीर में हार्मोंस के स्राव की सामान्‍य क्रिया में रुकावट आती है जो कि प्रेगनेंसी के बाद आंखों से संबंधित समस्‍याओं का कारण बन सकती है.

समस्या वाटर रिटेंशन की

गर्भावस्था में वाटर रिटेंशन यानि जल जमाव के कारण, कॉर्निया सूज जाता है और दृष्टि धुंधली हो जाती है. इसके अलावा गर्भावस्था में, आंसू का उत्पादन कम होता है और आंखों में सूखापन होता है.इसमें प्री-एक्लेमप्सिया या उच्च रक्तचाप से धुंधली दृष्टि, प्रकाश की चमक, फ्लोटर्स और यहां तक अस्थायी अंधापन भी हो सकता है. हालाँकि आंखों की अधिकांश समस्याएं अस्थायी होती है और गंभीर नहीं होती, लेकिन प्रसव के बाद में या पहले, आँखों में किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, जो निम्न है.

लक्षण

  • किसी चीज का डबल दिखाई देना,
  • आंखों में दर्द होना,
  • आंखो में खुजली होना,
  • धुंधलापन या चक्कर का आना,
  • अक्षर को पढ़ने में कठिनाई महसूस करना,
  • आंखों पर दबाव महसूस होना,
  • प्रकाश में आते ही आंखों पर इसका प्रभाव पड़ना आदि कई है.

आंखो की समस्या का ध्यान

  • आंखो में समस्या दिखाई दे, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह से आईड्रॉप का इस्तेपाल करें,
  • अगर यह समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण हो रही है, तो डॉक्टर इसके लिए एस्ट्रोजन हार्मोन के विकास के कारण होने वाले ट्यूमर को रोकने की दवाई का देना,
  • वजन पर नियंत्रण रखना और अपना ब्लडप्रेशर को एक नियमित अंतराल पर चेक करवाते रहना,
  • शुगर लेवर पर अधिक ध्यान देना, ताकि जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव हो सके.

इसलिए अचानक नजर में धुंधलापन या डबल दिखने लगे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर दवाई लेना आवशयक है, ताकि समय रहते आँखों का इलाज कर लिया जाय.

Monsoon Special: समोसे हो या कचौड़ी, खस्ता रेसिपी ऐसे बनाएं

Monsoon सीजन में समोसे हो या कचौड़ी अलग ही मजा आ जाता है, तो आप भी Monsoon में घर पर बनाए समोसा, कचौड़ी और खस्ता कचौड़ी.

कुछ व्यंजन खस्ता ही बनाए जाते हैं. लेकिन कभीकभी काफी मोयन डालने के बाद भी व्यंजन को खस्ता कैसे बनाया जाए, आइए, जानते हैं :

समोसे व कचौड़ी को खस्ता बनाने के लिए मैदे को गूंधने से पहले उस में जरा सा कौर्नफ्लोर पाउडर मिला लें.

खस्ता मठरी बनाने के लिए मैदे को हलका सा भून लें या मैदे की पोटली बना कर उसे भाप दें.

खस्ता गुझिया बनाने के लिए मैदे कोे दूध से गूंधें.

खस्ता चकली बनाने के लिए चकली का आटा पिसवाते समय जरा सा पोहा मिला कर पिसवाएं.

बेसन का चीला खस्ता बने इस के लिए घोल में जरा सी सूजी व जरा सा तेल डाल दें.

खस्ता आलू की टिक्की बनाने के लिए आलू मिश्रण में जरा सा अरारोट मिला दें.

सांभरवड़ा खस्ता व कुरकुरा बनाने के लिए पिसी दाल में जरा सा फूला हुआ पोहा मिला दें.

पापड़ के लिए आलू उबालते समय पानी में खाने का सोडा डाल देने से पापड़ खस्ता बनते हैं.

पकौड़े खस्ता बनाने के लिए बेसन के घोल में जरा सा चावल का आटा मिला दें.

खस्ता परांठा बनाने के लिए बीच की परत पर तेल या घी लगा कर आटा बुरकें.

खस्ता ब्रेडरोल बनाने के लिए ब्रेड भिगोने वाले पानी में जरा सा कौर्नफ्लोर मिला दें. ब्रेडरोल काफी देर तक खस्ता व कड़े बने रहेंगे.

बेसन के सेव अधिक खस्ता बनाने के लिए मोटे झारे की अपेक्षा बारीक छेद वाले झारे का इस्तेमाल करना चाहिए.

कटलेट खस्ता बनाने के लिए जिस भी चीज के कटलेट बनाएं, उन्हेें सूखी ब्रेड के चूरे में लपेटें, फिर तलें.

पानीपूरी को खस्ता व फूलीफूली बनाने के लिए मैदे, आटे व सूजी के मिश्रण में जरा सा खाने वाला सोडा अवश्य डालें.

खस्ता बाटी बनाने के लिए गेहूं के आटे में थोड़ा सा मक्की का आटा मिला दें.

Monsoon Tips For Home : रैनी सीजन में ऐसे करें अपने घर की देखभाल

बारिश का मौसम लगभग हर किसी को पसंद होता है. यह मौसम लोगों को भीषण गर्मी से राहत दिलाता है, लेकिन यह अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है.

खिड़कियों या दरवाजों से बारिश की बूंदे देखना काफी एंजौयफुल होता है, लेकिन जब घर में सीलन होती और इसके कारण हर कोना बदबूदार हो जाता है. इस मौसम में कारपेट, मैट्स, आलमारी में रखे कपड़े माइश्चर हो जाते हैं. तब ये बारिश का मौसम मुसिबत बन जाती है. कुछ आसान तरीकों से आप बारिश के दिनों में इन समस्याओं से राहत पा सकते हैं.

वाटरप्रूफिंग की मदद लें

घर की दीवारों, छत और बालकनियों के दरारों की अच्छे से पहचान करें. उन जगह और छेद के आकार के हिसाब से उन्हें ठीक करवा लें. सीलन से बचने के लिए वाटर प्रूफिंग पेंट या सीलेंट स्प्रे की डबल कोटिंग कर सकते हैं. इससे पानी की बूंदें नहीं आएंगी.

घर में नमी वाली जगहों को डिसइंफेक्ट करें

बरसात के मौसम में कीचन, बाथरूम यानी ज्यादा नमी वाली जगहों पर मक्खियां और कीड़े ज्यादा पनपते हैं. ऐसे में मानसून में घर के फर्श, दीवार आदि जहां नमी की संभावना हो, उन जगहों को डिसइंफेक्ट करते रहें. इसके लिए आपको मार्केट में कीटाणुनाशक स्प्रे भी मिल जाएंगे. जो बारिश के दिनों में घर को डिसइंफेक्ट करेंगे.

दीवारों को मौइश्चर होने से बचाएं

बारिश के मौसम में दीवार और घर की सतहें माइश्चर हो जाती है, जिससे बदबू फैलता है. कई बार अलमारियों में भी रखे कपड़े माइश्चर हो जाते हैं. इस तरह की समस्या से निपटने के लिए आप नेचुरल टिप्स भी फौलो कर सकते हैं. घर के कोनों या आलमारियों के कोनों में साल्ट रख सकते हैं, इसके लिए सी साल्ट में बेकिंग सोडा और एप्सोम साल्ट मिलाकर कोनों में रख सकते हैं.

कारपेट और मैट्स को इस तरह रखें सीलन फ्री

घर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए अक्सर लोग ऊनी और फर से बने मैटर्स लगाते हैं, लेकिन अगर आप मानसून में नमी से बचना चाहते हैं, तो माइश्चर प्रूफ वाले मैट्स खरीदें. इसके अलावा कार्पेट्स और मैट्स को कुछ घंटों के लिए धूप में छोड़ दें.

फर्श को पोंछा लगाने के लिए क्लीनिंग एजेंट का करें यूज

मानसून में ज्यादा आदर्ता के कारण नमी होती है, जिसके कारण बैक्टीरिया पनपते हैं. इससे इंफेक्शन हो सकता है. ऐसे में घर की खिड़कियों को खुला रखें और फर्श पर भीगे जूतेचप्पल या अन्य सामान को ज्यादा देर तक न छोड़ें. पोंछा लगाने के लिए क्लीनिंग एजेंट का जरूर इस्तेमाल करें. इससे बैक्टीरिया कम फैलेंगे.

सोशल मीडिया पर इन दो हस्तियों ने मचा रखा है धमाल, हर कोई है हैरान

सोशल मीडिया के दौर में आज कल 2 ही चीजे सबसे ज्यादा वायरल हो रही है.एक तो मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी का लग्जरी कार्ड और दूसरा उर्फी जावेद का अजीबो-गरीब ड्रेसिंग सेंस.दोनों की ही बातों का आम लोगों से कोई लेना देना नही फिर भी उनकी चीजों का बखान करना ट्रेंड बनता जा रहा है.

अगर बात करे बिजनेसमैन मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की तो ये परिवार किसी न किसी कारणवश सुर्खियों में बना रहता है, आप सबको पता ही होगा कि अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी अपनी मंगेतर राधिका मर्चेंट संग शादी के बंधन में बंधने वाले हैं, राधिका-अनंत के दो ग्रैंड प्री-वेडिंग फंक्शन हो चुके हैं.अब 12 जुलाई को विवाह,13 जुलाई को आशीर्वाद समारोह और 14 जुलाई को रिसेप्शन होगा.शादी की तैयारियां जितनी जोर-शोर से चल रहीं हैं उतनी ही जोर-शोर से सोशल मीडिया पर उसका बखान किया जा रहा है और इस बीच अनंत और राधिका की शादी का वेडिंग कार्ड भी सामने आ गया है.ये लग्जरी वेडिंग कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

तामझाम से भरा वेडिंग कार्ड

शादी का कार्ड एक बड़े गोल्डन कलर के बॉक्स में है.उसको खोलने पर उसमें एक ऑरेंज कलर का बॉक्स है उसमें विष्णु जी की तस्वीर में उनके हृदय पर लक्ष्मी जी की तस्वीर छपी है, पूरे ऑरेंज बॉक्स पर विष्णु श्लोक है.ऑरेंज डिब्बे को खोलते ही विष्णुमंत्र सुनाई देते हैं. ऑरेंज बॉक्स में है एक गोल्डन बुक जिसमें विष्णु जी की छोटी सी मूर्ति भी लगी है और उसमें हर पन्ने पर शादी के फंक्शन की जानकारी है.
यह निमंत्रण पत्र भगवान गणपति, राधा-कृष्ण और देवी दुर्गा से सुसज्जित एक शानदार चांदी का मंदिर दिखाता है.असली चांदी और बेहतरीन नक्काशी से बने इस निमंत्रण कार्ड के साथ एक चांदी का बॉक्स भी शामिल है.इस कार्ड के साथ कई और छोटे कार्ड भी लगे हुए हैं, जिसमें अनंत और राधिका के इनिशियल्स हैं और इसके साथ ही कई गिफ्ट्स भी रखे हुए हैं.

दो तरह के निमंत्रण पत्र

अनंत-राधिका की शादी के दो तरह के निमंत्रण पत्र सामने आए हैं.शादी का कार्ड वीवीआईपी और खास लोगों के लिए है.वीवीआईपी को दिए गए कार्ड के अंदर चांदी का मंदिर है और उसके अंदर सोने की चार मूर्तियां हैं.वहीं, दूसरे कार्ड गोल्डन बॉक्स जैसा है.इस कार्ड में मंदिर को छोटे रूप में बॉक्स के अंदर रखा गया है.

हैंड रिटन लेटर

वेडिंग कार्ड के साथ सभी गेस्ट के नाम के साथ नीता अंबानी की ओर से एक पत्र भी है, जिसे हाथ से लिखा गया है.इस पत्र में नीता अंबानी अपनी भावनाएं जाहिर कर रही हैं और सभी अतिथियों से पावन मौके पर पधारने का अनुरोध कर रही हैं.

अंतरंगी स्टाइल

जिस तरह से आएदिन सोशल मीडिया पर अंबानी परिवार छाया रहता है उसी तरह टीवी एक्ट्रेस उर्फी जावेद भी सोशल मीडिया पर अपने फैशन सेंस के अलावा अपने बेबाक अंदाज के लिए भी काफी छाई हुई हैं.उनका अंतरंगी स्टाइल और अजीबोगरीब ड्रेसिंग उनके फैंस को भी हैरान कर देता है कभी वो दो बड़े कोन वाली ड्रेस कभी शीशों के टुकड़ों वाली तो कभी सीपियों से, कभी पत्ते तो कभी जूट के थैले से अपने लिए ड्रेस बना लेती हैं.हाल ही में वो अनोखे समर स्पेशल आउटफिट में नजर आईं. उर्फी के इस ड्रेस में उनकी ब्रेस्ट पर दो पंखे लगे हुए नजर आए.

उर्फी कब क्या पहनकर आएंगी ये किसी को पता नहीं रहता लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो ही जाता है.इस तरह के ड्रेसिंग स्टाइल्स की वजह से उर्फी को अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया जाता है.उनकी ड्रेस को लेकर कई बार उन पर कानूनी कार्रवाई भी हो चुकी है लेकिन उन्हें कोई फर्क नही पड़ता.

मोरक्को में मावाजीन फेस्टिवल में परफौर्म करने वाली पहली भारतीय कलाकार- जहरा एस खान

बौलीवुड एक्ट्रेस सलमा आगा की बेटी, फेमस ब्रिटिश- इंडियन सिंगर और एक्ट्रेस जहरा एस खान, भारतीय संगीत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, मावाजीन फेस्टिवल में प्रतिष्ठित मंच पर परफार्म करने वाली पहली भारतीय कलाकार बन गईं.

दर्शकों पर एक अमिट छाप

अपनी मनमोहक आवाज़ और आनस्क्रीन मौजूदगी के लिए मशहूर ज़हरा के साथ फेमस म्यूज़िक प्रोड्यूसर अलावन भी शामिल हुईं, जब उन्होंने फेस्टिवल में अपने चार्ट-टापिंग हिट्स में से एक, “कुसु कुसु” को अलावन द्वारा रीमिक्स करके परफार्म किया. उन्होंने अलावन के साथ मिलकर BTS का गाना “डायनामाइट” भी गाया. ज़हरा की दमदार आवाज़ और स्टेज पर मौजूदगी ने इस शानदार परफ़ॉर्मेंस को दुनिया भर के दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ी. जहरा का ऐतिहासिक परफौर्मेंस भारतीय संगीत की अंतरराष्ट्रीय पहचान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

भारत का प्रतिनिधित्व करना अभिभूत करने वाला

जहरा का कहना है, “मावाजीन में परफौर्म करना एक सपने के सच होने जैसा था,” “उस मंच पर खड़े होकर, ATEEZ, मेट्रो बूमिन, निकी मिनाज, कैमिला कैबेलो, सेंट्रल सी, केल्विन हैरिस जैसे वैश्विक आइकन के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करना वास्तव में अभिभूत करने वाला था. लेकिन सबसे अविश्वसनीय हिस्सा? भीड़! यह दुनिया भर से आए चेहरों का एक समुद्र था, जो संगीत की शक्ति से एकजुट थे. मैं एलन और भीड़ के लिए अविश्वसनीय रूप से आभारी हूं, जिन्होंने इस विद्युत ऊर्जा का प्रदर्शन किया. यह रात साबित करती है कि भारतीय संगीत में विश्व मंच पर अपार संभावनाएं हैं, और प्रतिभाशाली एलन के साथ सहयोग करना एक ऐसा सम्मान था जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगी.”

अनुभव को साझा करना एक सच्चा सम्मान

एलन ने कहा, “ज़हरा के साथ मंच साझा करना अभूतपूर्व था.” “उनकी आवाज़ में जादू है, और उनकी मंच उपस्थिति ने जगह में आग लगा दी! हमारे प्रदर्शन पर भीड़ की प्रतिक्रिया विद्युतीय थी और ज़हरा जैसे प्रतिभाशाली कलाकार के साथ सहयोग करना और इस अनुभव को साझा करना एक सच्चा सम्मान था. भारतीय संगीत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने वाले इस जादू को एक साथ बनाना एक विशेषाधिकार था.”

मशहूर संगीत समारोहों में से एक

मावज़ीन फेस्टिवल दुनिया के सबसे बड़े और सबसे मशहूर संगीत समारोहों में से एक है, जो अंतरराष्ट्रीय और मोरक्कन प्रतिभाओं की विविधतापूर्ण रेंज को प्रदर्शित करने के लिए जाना जाता है. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े संगीत समारोह के रूप में, मावज़ीन में हर साल 2.5 मिलियन से ज़्यादा लोग आते हैं. सात चरणों में 90 कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए, यह उत्सव एक सच्चे संगीत पावरहाउस के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मज़बूत करता है

अलन एक मल्टी-प्लैटिनम निर्माता/लेखक हैं, जिन्होंने BTS, काई, IVE जैसे कुछ सबसे बड़े Kpop कलाकारों के साथ काम किया है और उनके पास 30 से ज़्यादा बिलबोर्ड नंबर 1 हैं. एक गायिका के रूप में अपनी शैलीझुकाव वाली बहुमुखी प्रतिभा के साथ, ज़हरा ने भारतीय संगीत के कुछ सबसे बड़े नामों के साथ सहयोग करके दर्शकों को आकर्षित किया है, जिसने उन्हें आलोचकों की प्रशंसा और विशाल प्रशंसक आधार दिलाया है. उन्होंने एक कुशल अभिनेता के रूप में भी खुद को स्थापित किया है, उनकी आगामी फ़िल्म “वृषभ” तेलुगु भाषा में एक फंतासी-एक्शन-ड्रामा फ़िल्म है जो बहुत जल्द पूरे भारत में रिलीज होगी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें