मैं अपने सफेद बालों से बहुत परेशान हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 23 वर्ष की हूं. मैं अपने सफेद बालों से बहुत परेशान हूं. पहले तो एक -दो दिखते थे लेकिन अब ज्यादा सफेद बाल दिखने लगें है. मेरे सफेद बाल होने की क्या वजह है? क्या मुझे कोई बीमारी है? क्या यह ठीक हो जाएगा? कृपया कर के कोई उपाय बताएं.

जवाब-

बालों के सफेद होने के बहुत से कारण हो सकते हैं. हम सभी के बालों में मेलनिन नाम का पिग्मेंट पाया जाता है. उम्र के साथ मेलनिन का बनना कम हो जाता है और बाल सफेद होने लग जाते हैं. कई लोगों में मेलनिन की कमी कम उम्र में ही हो जाती है. ऐसे में काले बाल सफेद होने लगते है. यह परेशानी ज़्यादातर उन लोगों को होती है जो जंक फूड, शराब, धूम्रपान का सेवन अधिक करते है.

सफेद बाल से निजात पाने के लिए आप इन उपाय को अपना सकती है-

  • नारियल तेल और बादाम तेल लें उसमे विटामिन ई की कैप्सूल मिला दें. अब इस तेल को बालों के जड़ो में लगाएं. इससे सफेद बाल बढ़ना बंद हो जाएगा.
  • मेंहदी और मेथी को मिलाकर पेस्ट बना लीजिए. इसके बाद उसमें थोड़ा बटर मिल्क और नारियल का तेल मिला लीजिए. इस मिश्रण से मसाज करना बहुत फायदेमंद रहेगा.
  • चायपत्ती, मेहंदी और नीमपत्ती के इस्तेमाल से भी सफेद बाल में काफी फायदा होता है. चायपत्ति, मेहंदी ( पत्ते वाली) और नीमपत्ती इनको मिला कर 1-2 घंटे छोड़ दे उसके बाद बालों में 1-2 घंटे लगा कर छोड़ दें. इससे सफेद बाल काले हो जाएंगे.

एक बार फिर: सुमित को क्या बताना चाहती थी आरोही

आरोही ने रात 8 बजे औफिस से निकलते ही जय को फोन किया, ‘‘मैं अभी निकली हूं, तुम घर पहुंच गए?’’

‘‘हां, जल्दी फ्री हो गया था, सीधे घर ही आ गया. औफिस नहीं आया फिर.’’

‘‘डिनर का क्या करना है? कुछ बना लोगे या और्डर करना है? मु  झे भी घर आतेआते 1 घंटा तो लग ही जाएगा.’’

‘‘और्डर कर दो यार, कुछ बनाने का मन नहीं… और हां आइसक्रीम भी खत्म हो गई है, वह भी और्डर कर दो.’’

आरोही ने फोन रख दिया, दिन काफी व्यस्त रहा था, शारीरिक और मानसिक रूप से काफी थक गई थी. अभी भी दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था…

जय और आरोही एक ही कंपनी में अलगअलग डिवीजन में काम करते हैं. आरोही पुणे की है और मुंबई में 2 साल से एक बड़ी कंपनी में जय से बड़ी पोस्ट पर है और बहुत अच्छी तरह अपनी लाइफ जी रही है. जय के साथ 1 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है. दोनों एक मीटिंग में मिले थे, एक ही बिल्डिंग में दोनों के औफिस हैं, बस अलगअलग हैं, जय दिल्ली का है. दोनों एकदूसरे के साथ खुशीखुशी फ्लैट शेयर कर रहे हैं और काम भी मिलबांट कर करते हैं.

दोनों के परिवार वालों को नहीं पता कि दोनों लिव इन में रहते हैं. आरोही का जय का मस्त स्वभाव बहुत अच्छा लगता है. जय को आरोही का जिम्मेदार स्वभाव भाता है. दोनों एकदूसरे से बिलकुल अलग हैं पर एकदूसरे को बहुत पसंद करते हैं. मगर आजकल जय के बारे में जितनी गहराई से सोचती जा रही थी, कहीं कुछ खल रहा था, जिस पर पहले कभी ध्यान नहीं गया था…

तभी उस की मम्मी रेखा का फोन आ गया, दिन में एक बार आरोही की अपनी फैमिली से बात हो ही जाती. बात कर के आरोही ने डिनर और्डर कर दिया. वह जब घर पहुंची, जय कोई मूवी देख रहा था. फ्रैश हो कर आरोही भी लेट गई. इतने में खाना भी आ गया.

आरोही ने कहा, ‘‘चलो जय, खाना लगा लें?’’

‘‘प्लीज, तुम ही लगा लो, मूवी छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा है,’’ जय ने कहतेकहते आरोही को फ्लाइंग किस दे दिया. आरोही मुसकरा दी. दोनों ने डिनर साथ किया. मूवी खत्म होने पर जब जय सोने आया, आरोही लेटीलेटी फोन पर ही कुछ देख रही थी. जय ने आरोही के पास लेट कर अपनी बांहों में भर लिया.

आरोही भी उस के सीने से लगती हुई बोली, ‘‘कैसा था दिन?’’

‘‘बोर.’’

आरोही चौंकी, ‘‘क्यों?’’

‘‘बहुत काम करना पड़ा.’’

‘‘तो इस में बुराई क्या है?’’

‘‘अरे यार, मेरा मन ही नहीं करता कोई काम करने का, मन होता है कि बस आराम करूं. घर में भी सब मु  झे कामचोर कहते हैं,’’ जय ने हंसते हुए बताया और आगे शरारत से कहा, ‘‘असल में बस मन यही होता है कि या आराम करूं या तुम्हें प्यार.’’

‘‘पर डियर, खाली आराम या मु  झे प्यार करने से तो लाइफ नहीं चलेगी न?’’

‘‘चल जाएगी बड़े आराम से… देखो, तुम्हारी सैलरी मु  झ से बहुत ज्यादा है, इस में हमारा घर आसानी से चल सकता है और तुम हो भी अपने पेरैंट्स की इकलौती संतान, वहां का भी सब तुम्हारा है. चलो, शादी कर लेते हैं. मजा आ जाएगा,’’ कहतेकहते जय उस के थोड़ा और नजदीक आ गया.

2 युवा दिलों की धड़कनें जब तेज होने लगीं तो बाकी बातों की फिर जगह न रही. सब भूल दोनों एकदूसरे में खोते चले गए. अगले कुछ दिन तो रोज की तरह ही बीते, दोनों पतिपत्नी तो नहीं थे पर लिव इन में रहने वाले रहते तो पतिपत्नी की ही तरह हैं. रिश्ते पर मुहर नहीं लगी होती है पर रिश्ता तो होता ही है.

कभी नोक  झोंक भी होती, फिर रूठनामनाना भी होता, पर कुछ बातें आरोही को आजकल सचमुच खल रही थीं, बातें तो छोटी थीं पर उन पर ध्यान तो जा ही रहा था. हर तरह के खर्च आरोही के ही जिम्मे आते जा रहे थे, सारे बिल्स, खानेपीने के सामान की जिम्मेदारी, फ्लैट का किराया भी काफी दिन से जय ने नहीं दिया था. यह विषय आने पर कहता कि यार, तुम तो मु  झ से ज्यादा कमाती हो, मेरे पास तो प्यार है, बस.

ऐसा नहीं कि जय की सैलरी बहुत कम थी, हां, आरोही जितनी नहीं थी. इस पर

आरोही कहना तो बहुत कुछ चाहती थी पर जय को इतना प्यार करने लगी थी कि उस से पैसों की बात करना उसे बहुत छोटी बात लगती थी. वह यही सोचती कि एक दिन तो दोनों शादी कर ही लेंगे, क्या फर्क पड़ता है, पर जितना जय को दिन ब दिन जान रही थी, वह मन ही मन थोड़ा अलर्ट हो रही थी. 6 महीने और बीते, आरोही ने नोट किया, जय जब भी अपने घर दिल्ली जाता, वहां से उसे न कोई फोन करता, न किसी तरह का कोई मतलब रखता. एक दिन उस के कलीग रवि ने आरोही को हिंट दिया कि जय अपने पेरैंट्स की पसंद की लड़की से शादी करने के लिए तैयार है, इसलिए उस के दिल्ली के चक्कर बढ़ गए हैं.

आरोही के लिए यह एक बड़ा   झटका था. वह अकेले में खूब रोई, सचमुच जय को अपना जीवनसाथी मानने लगी थी. बहुत दुखी भी रही पर वह आजकल की हिम्मती, आत्मनिर्भर और इंटैलीजैंट लड़की थी. जीभर कर रोने के बाद वह सोचने लगी कि अच्छा हुआ,जय की सचाई पता चल गई. वही तो सारे खर्च, सारे काम करती आ रही थी. ठीक है, अब ब्रेकअप होगा, ठीक है, कोई बात नहीं, दुनिया में न जाने कितनी लड़कियों के साथ ऐसा होता है. मैं एक चालाक लड़के के लिए अब और नहीं रोऊंगी, एक बार फिर अपनी लाइफ शुरू करूंगी.

जय जब वापस आया तो आरोही ने उसे लंच टाइम में औफिस की कैंटीन में आने के लिए कहा और सीधेसीधे बात करना शुरू किया, ‘‘देखो जय, मु  झे साफसाफ बात करना पसंद है… अब हम साथ नहीं रह सकते.’’

जय चौंका, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘मैं और बेवकूफ नहीं बन सकती, तुम आराम से अपने पेरैंट्स की मरजी से शादी करो, मु  झे कोई प्रौब्लम नहीं है. मैं तुम्हारे साथ रह कर काफी आर्थिक रूप से नुकसान उठा चुकी हूं. अब इतनी भी बेवकूफ नहीं कि तुम्हें पालती रहूं और जब तक तुम्हारी शादी न हो, तुम्हारे शरीर की जरूरतों के लिए एक सुविधा बनी नहीं… अब यह बताओ मैं दूसरा फ्लैट ढूंढ़ू या तुम जाओगे?’’

जय का चेहरा शर्म और अपमान से काला हो गया.   झेंपते हुए बोला, ‘‘मैं ही चला

जाता हूं.’’

‘‘ठीक है, अगर हो सके तो कल शनिवार है, कल कहीं भी शिफ्ट हो जाना, मैं पुणे जा

रही वीकैंड में… मेरे आने से पहले अपना सामान ले जाना.’’

आरोही ने औफिस से जल्दी उठ कर रात की ही बस पकड़ ली और पुणे चली गई. शिवनेरी बस पुणे और मुंबई के बीच चलने वाली आरामदायक बसें हैं, सोफे जैसी सीट पर बैठ कर आरोही बीते दिनों को याद कर उदास तो हो रही थी पर वह लाइफ में आगे बढ़ने के लिए भी खुद को संभालती जा रही थी.

कई बार आंखें नम हुईं, कई बार दिल बैठने को हुआ पर जय की चालाकियां बहुत दिनों से देख रही थी, बहुत कुछ खलने लगा था. दिमाग कहता रहा जो हुआ, अच्छा हुआ.

पुणे आने तक दिल भी दिमाग का साथ देने लगा कि अच्छा हुआ, एक लालची, स्वार्थी और कामचोर इंसान का साथ छूटा. मजबूत कदमों से चलते हुए उस ने घर पहुंच कर खुद को मां की नर्म, स्नेही बांहों में सौंप दिया. मां मां थीं, उदास चेहरा देख कर सम  झ गईं बेटी रात को यों ही तो नहीं आई. हमेशा सुबह की बस पकड़ कर आती थी, पर उस समय किसी ने कुछ नहीं पूछा.

उस के पापा संजय ने उसे खूब दुलारा. खाना खा कर थकी हूं मां, सुबह बात करते हैं, कह कर आरोही सोने लेट गई.

शनिवार और रविवार आरोही ने हमेशा की तरह अपने मम्मीपापा के साथ बिताए, तीनों थोड़ा घूम कर आए, बाहर खायापीया. रेखा आरोही की पसंद की चीजें बनाती रहीं, आरोही का बु  झा चेहरा देख 1-2 बार पूछा, ‘‘आरोही, सब ठीक तो है न? औफिस के काम का स्ट्रेस है क्या?’’

‘‘नहीं मम्मी, सब ठीक है.’’

रेखा सम  झदार मां थीं. सम  झ गईं, बेटी अभी अपने मन की कोई बात शेयर करने के मूड में नहीं है, जब ठीक सम  झेगी, खुद ही शेयर कर लेगी. मांबेटी की बौंडिंग अच्छी है, जब ठीक लगेगा, बताएगी. संडे की रात आरोही वापस मुंबई आने के लिए पैकिंग कर रही थी.

संजय ने कहा, ‘‘बेटा, एक परिचित हैं, उन्होंने अपने बेटे सुमित के लिए तुम्हारे लिए

बात की है. तुम जब ठीक सम  झो, उन से मिल लो, कहो तो अगली बार तुम्हारे आने पर उन्हें बुला लूं?’’

बैग बंद करते हुए आरोही के हाथ पल भर को रुके, फिर रेखा की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मम्मी, मु  झे थोड़ा समय दो.’’

संजय ने कहा, ‘‘अरे बेटा, अब तुम 30 की हो गई, वैलसैटल्ड हो… यह परिवार अच्छा है. एक बार मिल तो लो. सबकुछ तुम्हारी हां कहने के बाद ही होगा.’’

आरोही ने कहा, ‘‘इस समय मु  झे जाने दें, मैं बहुत जल्दी आप से इस बारे में बात कर लूंगी.’’

संजय और रेखा आज के जमाने के पेरैंट्स थे… उन्होंने बेटी पर अपनी मरजी कभी नहीं थोपी. उसे भरपूर सहयोग दिया हमेशा. यह भी एक कारण था कि आरोही बहुत स्ट्रौंग, बोल्ड और इंटैलीजैंट थी, वह अपनी शर्तों पर जीने वाली लड़की थी, फिर भी अपने पेरैंट्स की बहुत रिस्पैक्ट करती.

रेखा ने मन ही मन कुछ अंदाजा लगाया कि कोई बात है जरूर, हमेशा खिला रहने वाला

चेहरा यों ही नहीं बु  झा, फिर कहा, ‘‘ठीक है,

तुम आराम से जाओ… ये बातें तो फोन पर भी

हो जाएंगी.’’

मुंबई अपने फ्लैट पर आ कर आरोही ने देखा कि जय अपना सारा सामान ले जा चुका है… खालीखाली तो लगा पर उस ने अपनेआप को इतने समय में संभाल लिया था. उस ने यह बात स्वाभाविक तौर पर ली. खुद से ही कहा

कि इतने दिन का साथ था, कोई बात नहीं.

आदत थी उस की, छूट जाएगी. ऐसे   झूठे रिश्तों के लिए अफसोस करने में वह अपनी लाइफ नहीं बिता सकती. अभी बहुत कुछ करना है, खुश रहना है, जीना है, लाइफ जय जैसों के साथ खत्म नहीं हो जाती.

बस यह विचार आते ही आरोही रोज की तरह औफिस पहुंची. रवि ने बताया कि जय किसी दोस्त के साथ रहने चला गया है… तुम ने जो किया, ठीक किया.

जय के औफिस की बिल्डिंग से आतेजाते जब भी कभी उस का आमनासामना हुआ, आरोही के निर्विकार चेहरे को देख जय की कभी हिम्मत ही नहीं हुई उस से बात करने की. कुछ महीनों बाद आरोही ने पेरैंट्स के कहने पर सुमित से मिलना स्वीकार कर लिया.

सुमित मुंबई में ही काम करता था. वह अपने 2 दोस्तों के साथ फ्लैट शेयर करता था. पुणे में सुमित अपने मम्मीपापा, विकास और आरती और छोटी बहन सीमा के साथ उन के घर आया. पहली मीटिंग में तो सब एकदूसरे से मिल कर खुश हुए.

मुंबई में ही होने के कारण सुमित चाहता था कि वह मुंबई में ही जौब करने वाली लड़की के साथ शादी करे. सब को यह सोच कर अच्छा लग रहा था कि दोनों पुणे आतेजाते रहेंगे. दोनों के ही घर एक जगह थे, सबकुछ ही देखते तय होता गया. आरोही ने पेरैंट्स की पसंद का मान रखा, सुमित से जितना मिली, वह ठीक ही लगा.

आरोही चाहती थी कि नया रिश्ता वह ईमानदारी के साथ शुरू करे, वह

सुमित को जय के साथ लिव इन में रहने के बारे में बताना चाहती थी. इस बारे में जब उस ने अपने पक्के दोस्त रवि से बात की, तो रवि ने कहा, ‘‘क्या जरूरत है? मत बताओ, कोई भी लड़का कितनी भी मौडर्न हो, यह बरदाश्त नहीं करेगा.’’

‘‘क्यों? अगर वह मु  झे बताए कि वह भी किसी गर्लफ्रैंड के साथ लिव इन में रहा है, तो मैं तो कुछ नहीं कहूंगी, उलटा इस बात पर खुश होऊंगी कि मेरे होने वाले पति ने ईमानदारी के साथ मु  झ से अपना सच शेयर किया.’’

‘‘यार, तुम आरोही हो. सब से अलग, सब से प्यारी लड़की,’’ फिर आरोही को हंसाने के लिए शरारत से कहा, ‘‘मेरी बीवी आज तक मेरे कालेज की गर्लफ्रैंड को ले कर ताने मारती है… अब बोलो.’’

आरोही हंस पड़ी, ‘‘बकवास मत करो, जानती हूं मैं तुम्हारी बीवी को, वह बहुत अच्छी हैं.’’

‘‘हां, यही तो… सम  झो, लड़के जल्दी हजम नहीं करते ऐसी बातों को… वह तो तुम बहुत बड़े दिल की हो.’’

रवि ने काफी सम  झाया पर आरोही जब सुमित के कहने पर उस के साथ डिनर पर गई, तो आरोही ने जय के बारे में सब बता दिया.

सुन कर सुमित मुसकराया, ‘‘तुम बहुत सच्ची हो. आरोही, मु  झे इन बातों का फर्क नहीं पड़ता, मेरे भी 2 ब्रेकअप हुए हैं, क्या हो गया. यह तो लाइफ है. होता ही रहता है. अब तुम मिली हो, बस मैं खुश हूं.’’

आरोही के दिल से जैसे बो  झ हट गया.

1-2 बार और सुमित से मिलने के बाद उस ने अपने पेरैंट्स को इस शादी के लिए हां कर दी. उन की खुशी का ठिकाना न था. 4 महीने बाद की शादी की डेट भी फिक्स हो गई.

दोनों पक्ष शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए. बहुत तो नहीं पर सुमित और आरोही बीचबीच में मिलते रहते, दोनों औफिस के काम में व्यस्त रहते पर चैटिंग, फोन कौल्स चलते रहते. शादी पुणे में ही धूमधाम से हुई. दोनों के काफी कलीग्स आए.

मुंबई आ कर आरोही के ही फ्लैट में सुमित अपने सामान के साथ शिफ्ट कर गया.

दोनों खुश थे, आरोही ने जय का खयाल पूरी तरह से दिलोदिमाग से निकाल दिया था. 1 साल बहुत खुशी से बीता.

आरोही अपनी लाइफ से अब पूरी तरह संतुष्ट व सुखी थी. दोनों छुट्टी होने पर कभी साथ पुणे निकल जाते, कभी किसी के पेरैंट्स मिलने आ जाते. सब ठीक था, आरोही की अगली 2 प्रोमोशंस तेजी से हुई, वह अब काफी अच्छे पैकेज पर थी, उस ने बहुत जल्दी अब एक अपना फ्लैट लेने की इच्छा जाहिर की.

सुमित ने कहा, ‘‘देखो आरोही, तुम्हारी सैलरी मु  झ से अब काफी ज्यादा है, तुम चाहो तो ले लो.’’

आरोही चौंकी, ‘‘अरे, मेरा पैसा तुम्हारा पैसा अलगअलग है क्या? हमारा भी प्यारा सा अपना घर होगा, कब तक इतना किराया देते रहेंगे?’’

‘‘देख लो, तुम ही सोच लो, मैं तो अपनी सैलरी से ईएमआई दे नहीं पाऊंगा, घर भी पैसा भोजना होता है मु  झे.’’

आरोही ने सुमित के गले में बांहें डाल दीं. कहा, ‘‘ठीक है, तुम बस मेरे साथ फ्लैट पसंद करते चलो, सब हो जाएगा.’’

यह सच था कि सुमित की सैलरी आरोही से बहुत कम थी और जब से आरोही की प्रोमोशंस हुई थीं, सुमित की मेल ईगो बहुत हर्ट होने लगी थी. वह अकसर उखड़ा रहता. आरोही यह सम  झ रही थी, उसे खूब प्यार करती, उस की हर जरूरत का ध्यान रखती और जब आरोही ने कहा कि सुमित, मैं सोच रही हूं, मैं औफिस जानेआने के लिए एक कार ले लूं. बस में ट्रैफिक में बहुत ज्यादा टाइम लग रहा है. मजा आएगा, फिर पुणे भी कार से जायाआया करेंगे, अभी तो बस और औटो में बैठने का मन नहीं करता.’’

सुमित ने कुछ तलख लहजे में कहा, ‘‘तुम्हारे पैसे हैं, चाहे उड़ाओ चाहे बचाओ, मु  झे क्या,’’ कह कर सुमित वहां से चला गया.

आरोही इस बदले रूप पर सिर पकड़ कर बैठी रह गई. 2 महीने में ही आरोही ने फ्लैट और कार ले ही ली. सुमित मशीन की तरह पसंद करने में साथ देता रहा.

थोड़ा समय और बीता तो आरोही को

सुमित के व्यवहार में कुछ और बदलाव दिखे, अब वह कहता, ‘‘तुम ही पुणे जा कर सब से मिल आओ, तो कभी कहता टूर पर जा रहा हूं, 2 दिनों में आ जाऊंगा.’’

आरोही ने कहा, ‘‘मैं भी चलूं? कार से चलते हैं, मैं घूम लूंगी… तुम अपना काम करते रहना. आनेजाने में दोनों का कुछ चेंज हो जाएगा.

सुमित ने साफ मना कर दिया. वह चला गया. अब वह पहले की तरह बाहर जा कर आरोही से उस की खबर बिलकुल न लेता. आरोही फोन करती तो बहुत बिजी हूं, घर आ

कर ही बात करूंगी, कह कर फोन रख देता. सुमित बहुत बदल रहा था और इस का कारण

भी आरोही के सामने जब आया, तो वह ठगी सी रह गई.

एक सुबह सुमित सो रहा था, उस का मोबाइल साइलैंट था, पर जब कविता नाम उस की स्क्रीन पर बारबार चमकता रहा, आरोही ने धीरे से फोन उठाया और दूसरे कमरे में जा कर जैसे ही हैलो कहा, फोन कट गया. आरोही ने यों ही व्हाट्सऐप चैट खोल ली और जैसेतैसे फिर कविता और सुमित की चैट पढ़ती गई, साफ हो गया कि दोनों का जबरदस्त अफेयर चल रहा है, गुस्से के मारे आरोही का खून खौल उठा.

साफसाफ सम  झ आ गया कि सुमित की बेरुखी का क्या कारण है. वह चुपचाप सोफे पर बैठी कभी रोती, कभी खुद को सम  झाती, सुमित के जागने का इंतजार कर रही थी, सुमित जब सो कर उठा, आरोही के हाथ में अपना फोन देख चौंका. आरोही का चेहरा देख उसे सब सम  झ आ गया. बेशर्मी से बोला, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘तुम बताओ, यह सब क्या चल रहा है?

‘‘तो तुम भी तो शादी से पहले लिव इन रिलेशनशिप में रही थी?’’

आरोही हैरान रह गई. बोली, ‘‘ये सब तो शादी से पहले की बात है और तुम्हें सब पता था. मैं ने तुम्हें शादी के बाद तो कभी धोखा नहीं दिया? तुम तो मु  झे अब धोखा दे रहे हो…’’

‘‘असल में मैं तुम से अलग होना चाहता हूं… मैं अब कविता से शादी करना चाहता हूं.’’

आरोही ने गुस्से से कहा, ‘‘तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आ रही है?’’

‘‘तुम्हें आई थी लिव इन में रहते हुए?’’

‘‘पहले की बात अब इतने दिनों बाद करने का मतलब? अब अपनी ऐय्याशी छिपाने के लिए मु  झ पर ऊंगली उठा रहे हो?’’

‘‘मैं ने अपना ट्र्रांसफर दिल्ली करवा लिया है. आज मैं पुणे जा रहा हूं,’’ कह कर सुमित आरोही की तरफ कुटिलता से देखते हुए मुसकराया और वाशरूम चला गया.

आरोही को कुछ नहीं सू  झ रहा था. यह क्या हो गया, अपना अफेयर चल रहा है, तो गड़े मुरदे उखाड़ कर मु  झ पर ही इलजाम डाल रहा है. मेड आ गई तो वह भी औफिस के लिए तैयार होने लगी और चुपचाप सुमित को एक शब्द कहे बिना औफिस चली गई.

रवि ने उस की उड़ी शकल देखी तो उसे कैंटीन ले गया और परेशानी का कारण पूछा. देर से रुके आंसू दोस्ती की आवाज सुन कर ही बह निकले. वह सब बताती चली गई. इतने में दोनों की एक और कलीग दोस्त सान्या भी आ गई. सब जान कर वह भी हैरान रह गई. थोड़ी देर बाद तीनों उठ कर काम में लग गए.

आरोही के दिल को चैन नहीं आ रहा था. फिर एक और धोखा. क्या करे. क्या यह रिश्ता किसी तरह बचाना चाहिए? नहीं, जबरदस्ती

कैसे किसी को अपने से बांध कर रखा जा सकता है? यह तो प्यार, विश्वास का रिश्ता है. अब तो कुछ भी नहीं बचा. वह अपना आत्मसम्मान खो कर तो जबरदस्ती इस रिश्ते को नहीं ढो सकती.. जो होगा देखा जाएगा. ऐसे रिश्ते का टूटना ही अच्छा है.

जब रात को आरोही घर लौटी, सुमित जा चुका था. वह अपनी पैकिंग अच्छी तरह

कर के गया था, लगभग सारा सामान ले गया. कुछ दिन बाद ही आरोही को तलाक के पेपर मिले तो वह रो पड़ी. यह क्या हो गया, सब बिखर गया. उस की कहां क्या गलती है.

सुमित ने उसे फोन किया और कहा, ‘‘साइन जल्दी कर देना, मैं कोर्ट में यही कहने वाला हूं कि तुम चरित्रहीन हो, तुम पहले भी लिव इन में बहुत समय रह चुकी हो और मु  झे ये सब बताया नहीं गया था.’’

‘‘पर मैं ने तुम्हें सारा सच बता दिया था और तुम्हें कोई परेशानी नहीं थी.’’

‘‘पर तुम्हारे पास कोई सुबूत नहीं है न कि तुम ने मु  झे सब बता दिया था.’’

आरोही चुप रह गई. अगले दिन रवि और सान्या ने सब जान कर अपना सिर पकड़ लिया. फिर सान्या ने पूछा, ‘‘आरोही, तुम ने कैसे बताया था सुमित को जय के बारे में?’’

‘‘मिल कर, फिर बहुत कुछ चैटिंग में भी इस बारे में बात होती रही थी.’’

‘‘चैट कहां है?’’

‘‘उन्हें तो मैं डिलीट करती रहती हूं. सुमित भी जानता है कि मु  झे चैट डिलीट करते रहने की आदत है.’’

‘‘अभी राजनीति में, ड्रग केसेज में जो इतनी चैट खंगाल दी गईं, वह भी नामी लोगों की, तो इस का मतलब यह मुश्किल भी नहीं.’’

‘‘और मेरे पास कविता और उस के अफेयर का सुबूत है… मैं ने जब उन दोनों की चैट पढ़ी, खूब सारी पिक्स ले ली थीं.’’

‘‘यह अच्छा किया तुम ने, गुस्से में होश नहीं खोया, दिमाग लगाया. भांडुप में मेरा कजिन सुनील पुलिस इंस्पैक्टर है, उस से बात करूंगी, वह तुम्हारी पुरानी चैट निकलवा पाएगा, इसे तो तलाक हम देंगे. बच्चू याद रखेगा.’’

सान्या ने उसी दिन सुनील से बात की. उस ने कहा सब हेल्प मिल जाएगी. रवि और सान्या आरोही के साथ खड़े थे. वीकैंड आरोही ने पुणे जा कर अपने पेरैंट्स से बात करने का, उन्हें पूरी बात बताने का मन बनाया.

अभी तक आरोही ने अपने पेरैंट्स से कुछ भी शेयर नहीं किया था. सुमित आरोही से अब बिलकुल टच में नहीं था. कभीकभी एक मैसेज तलाक के बारे में कर देता.

संजय और रेखा पूरी बात सुन कर सिर पकड़ कर बैठ गए. कुछ सम  झ न आया, दोनों को जय के बारे में भी अब ही पता चला था, क्या कहते, बच्चे जब आत्मनिर्भर  हो कर हर फैसला खुद लेने लगें तो सम  झदार पेरैंट्स, कुछ कहने का फायदा नहीं है, यह भी जानते हैं. जय के साथ, सुमित के साथ बेटी का अनुभव अच्छा नहीं रहा, प्यारी, सम  झदार बेटी दुखी है, यह समय उसे कुछ भी ज्ञान देने का नहीं है.

इस समय उसे अपने पेरैंट्स की सपोर्ट चाहिए. कोई ज्ञान नहीं… और सुमित तो गलत कर ही रहा था… जय की बात जरूर अजीब लगी थी, पर अब वे बेटी के साथ थे.

संजय ने कहा, ‘‘मैं आज ही वकील से बात करता हूं.’’

रेखा ने सुमित के पेरैंट्स अनिल और रमेश से बात की. मिलने के लिए कहा, उन्होंने आरोही को चरित्रहीन कहते हुए रेखा के साथ काफी अपमानजनक तरीके से बात की तो सब को सम  झ आ गया, यह रिश्ता नहीं बचेगा.

रवि और सान्या आरोही के टच में थे. सुनील ने काफी हिम्मत बंधा दी थी, बहुत कुछ सोच कर सुमित को आरोही ने फोन किया, ‘‘सुमित, मैं पुणे आई हुई हूं, कल सुबह चली जाऊंगी. आज तुम से मिलना चाहती हूं… कैफे कौफी डे में आज शाम को 5 बजे आओगे?’’

‘‘ठीक है,’’ पता नहीं क्या सोच कर सुमित मिलने के लिए तैयार हो गया.

आरोही बिना पेरैंट्स को बताए सुमित से मिलने के लिए पहुंची. दिल में अपमान और क्रोध का एक तूफान सा था. आज भड़ास निकालने का एक मौका मिल ही गया था. एक टेबल पर बैठा सुमित उसे देख कर जीत और बेशर्मी के भाव के साथ मुसकराया. उस के बैठते ही कहा, ‘‘देखो, गिड़गिड़ाना मत, मु  झे दीनहीन लड़कियां अच्छी नहीं लगतीं.’’

यह सुनते ही आरोही के दिल में कुछ बचा भी एक पल में खत्म हो गया. मजबूत स्वर में

बोली, ‘‘मु  झे भी धोखेबाज लोग अच्छे नहीं लगते. आज तुम्हें बस इतना बताने आई हूं कि मैं जा कर तलाक के पेपर साइन कर दूंगी… अभी तक पूरी तैयारी भी तो करनी थी.’’

सुमित उस की आवाज की मजबूती पर चौंका, ‘‘कैसी तैयारी?’’

‘‘तुम मु  झे चरित्रहीन बताने वाले हो न? मैं ने भी तुम्हारी और कविता की सारी चैट के फोटो ले लिए थे और इंस्पैक्टर सुनील हमारी वे चैट निकाल रहे हैं, जिन में मैं ने तुम्हें साफसाफ जय के बारे में पहले ही बता दिया था और तुम्हें

उस में कोई आपत्ति नहीं थी. तुम्हारे ऊपर तो ऐसीऐसी बात उठेगी कि किसी लड़की को आगे धोखा देना भूल जाओगे, सारी ऐयाशियां न भूल जाओ तो कहना.

‘‘मैं कभी कमजोर लड़की नहीं रही… तुम्हारे जाने का अफसोस हो ही नहीं सकता

मु  झे, मैं खुश हूं कि जल्द ही तुम से पीछा छूट गया. मैं तो एक बार फिर जीवन में आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार हूं. अब कोर्ट में अपने वकील के साथ मिलेंगे,’’ कह कर मुसकराते हुए आरोही खड़ी हो गई. फिर कुछ याद करते हुए बैठ गई. वेटर को इशारा करते हुए बिल मांगा और कहा, ‘‘कौफी भले ही ठंडी हो गई थी, भले ही पी भी नहीं, पर आज एक बार फिर मेरे आत्मविश्वास को देख कर तुम जैसे, जय जैसे पुरुष की यह उड़ी शकल देखने में बहुत मजा आया,’’ कहतेकहते उस ने पेमैंट की और वहां से निकल गई.

सुमित आने वाले तूफान से अभी से घबरा गया था.

सेम सेक्स पर बनी ये मूवीज रही कंट्रोवर्शियल

बौलीवुड में समलैंगिक रिश्ते पर कई सारी फिल्में भी बनी हैं, जो कंट्रोवर्सी में भी रहीं, लेकिन देखा जाए, तो इन फिल्मों में सिर्फ पोर्न दिखाए गए हैं. समलैंगिक जोड़े को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन फिल्म में ये चीजें नहीं दिखाई जाती है, सिर्फ चस्का के लिए समलैंगिक फिल्में बनाई जाती हैं. इनमें कोई व्यवहारिक बातें नहीं की गई हैं.

फिल्म निर्मताओं में इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि होमोसेक्सुअल आधारित फिल्म में ये दिखाएं कि सेम सेक्स जोड़े बुढ़ापे तक साथ रहें और उनके रिश्तेदार आसानी से इन्हें स्वीकार करें.

हालांकि सदियों पहले भी समलैंगिक रिश्ते बनते थे, लेकिन इसका कोई कानून नहीं था. उस समय किसी को पता भी नहीं चलता था कि कौन होमोसेक्सुअल है, लेकिन कुछ सालों पहले समलैंगिक रिश्ते का मामला सुप्रिम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रिम कोर्ट ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से इनकार कर दिया. हालांकि सुप्रिम कोर्ट की तरफ से समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को रोकने के लिए कई दिशानिर्देश भी जारी किए. सीजेआई ने समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का भी अधिकार दिया है.

आज इस आर्टिकल में कुछ गे फिल्में और लेस्बियन फिल्मों के बारे में बताएंगे, जो विवादों में रही.

lesbian पर बनने वाली फेमस फिल्में

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अनफ्रीडम (2015)

अनफ्रीडम फिल्म की कहानी समलैंगिक रिश्तों पर आधारित है. इसमें दो लड़कियों की प्रेम कहानी दिखाया गया है, जो समाज में अपनी शादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ती है. दोनों लड़कियों के बीच कई बोल्ड सीन्स भी दिखाए गए हैं. यह उस समय की विवादित फिल्मों में से एक थी. इस फिल्म को कई सीन्स के लिए सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था.

राज कुमार अमित द्वारा अनफ्रीडम फिल्म का डायरेक्शन किया गया है. इस फिल्म में कई एक्टर्स ने शानदार किरदार निभाया है, प्रीती गुप्ता, विक्टर हुसैन, आदिल हुसैन, भानु उदय,  जैसे मुख्य कलाकार इस फिल्म के हिस्सा थे.

मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ (2005)

साल 2014 में आई फिल्म मार्गरिटा विद ए स्ट्रा दो महिलाओं के बीच के प्यार को दर्शाती है. इस में कल्कि कोचलिन और सयानी गुप्ता मुख्य किरदार में हैं. इन दोनों के बीच इंटिमेट सीन दिखाए गए हैं. इस फिल्म में कल्कि कोचलिन की एक्टिंग काबिल-ए-तारिफ है. सयानी गुप्ता ने भी अच्छी एक्टिंग की है. यह फिल्म भी कंट्रोवर्शी में रही है.

फायर (1996)

यह रोमांटिक ड्रामा फिल्म है.  फायर फिल्म में जेठानी और देवरानी के बीच संबंध दिखाए गए हैं. इस फिल्म में शबाना आजमी और नंदिता दास के समलैंगिक रिश्तों को दिखाया गया था. फिल्म की कहानी ये है कि दोनों महिलाओं के पति को उनमें कोई दिलचस्पी नहीं है. शबाना (सीता) और नंदिता (राधा) दोनों एकदूसरे की देखभाल करती हैं. वो पूरा दिन किचन में काम करती हैं. पतियों द्वारा छोड़ी गई ये महिलाएं कब एकदूसरे की प्रेमिका बन जाती है और अपनी इच्छाओं को पूरी करती हैं, इस फिल्म में ये सारी चीजें बखूबी दिखाई गई हैं.

साल 1996 में आई यह फिल्म  विवादित सीन के कारण सुर्खियों में छायी रही. यह रोमांटिक ड्रामा फिल्म है.

Gay पर बनने वाली फेमस फिल्में

माई ब्रदर निखिल (2005)

डायरेक्टर ओनिर द्वारा निर्देशित फिल्म माई ब्रदर निखिल में दो युवाओं के बीच समलैंगिक रिश्तों को दिखाया गया है. इस फिल्म में जूही चावला भी हैं, उनके भाई (निखिल) का किरदार संजय सूरी ने निभाया है, जो किसी लड़के से प्यार करते हैं. उनको एड्स भी हो जाता है. इस फिल्म का मुख्य आकर्षण समलैंगिक रिश्ता है. यह फिल्म भी उस दौर में कंट्रोवर्सी में छायी रही.

अलीगढ़ (2016)

यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. इस फिल्म में उत्रर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में स्थापित डॉ. श्रीनिवास रामचंद्र सिरस की कहानी दिखाई गई है. ये अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के प्रोफेशर थे. उन्हें किसी कारणवश सस्पेंड कर दिया जाता है. इस फिल्म की कहानी प्रोफेशर के इर्दगिर्द घूमती है. प्रोफेशर के रोल मनोज वाजपेयी ने निभाया है. उनका किरदार हामोसेक्सुअल प्रोफेशर का है. उनका संबंध एक रिक्शा चलाने वाले के साथ है. ये फिल्म भी विवादित फिल्मों में से एक है. इस फिल्म में मनोज वाजपेयी के अलावा राजकुमार राव भी नजर आए हैं.

पद्मावत (2018)

रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर स्टारर फिल्म पद्मावत में  खिलजी का सेवक समलैंगिक होता है. फिल्म में दिखाया गया है कि मलिक कफूर के दिल में अलाउद्दीन खिलजी के लिए एक अलग ही प्रेम होता है. वह खिलजी के इशारों पर करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है. फिल्म में ऐसे कई सीन्स हैं, जहां काफूर के दिल में खिलजी के लिए साफ प्यार नजर आता है. इस फिल्म पर रोक लगी थी, यहां तक कि धरणें भी निकाले गए थे. इस फिल्म के विरोध में डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को थप्पड़ भी जड़ दिया गया था.

आई एम (2010)

साल 2010 में आई फिल्म आई एम होमोसेक्सुअल पर आधारित है. इसमें राहुर बोस ने समलैंगिक का किरदार निभाया था. इसमें मनिशा कोइराला, जूही चावला, नंदिता दास जैसे कालाकार मुख्य भूमिका में हैं.

वेडिंग फंक्शन में दिखा Cocktail Girl का गोल्डन स्टाइल, देखें Photos

बौलीवुड एक्ट्रेस डायना पेंटी को उनकी ड्रेसिंग सेंस, बोल्डनेस और लुक्स के लिए जाना जाता है. अक्सर वो इंस्टाग्राम पर अपने ट्रेडिशनल लुक, ग्लैमरस स्टाइल और बोल्ड फोटोज से तहलका मचाती रहती हैं. हाल ही में उन्हें एक वेडिंग फंक्शन में गोल्ड अवतार में देखा गया.

गोल्डन लेस साड़ी

एक्ट्रेस डायना पैंटी वेडिंग फंक्शन में गोल्डन कलर की साड़ी में नजर आयी ब्रांड ईक्षा की गोल्ड लेस साड़ी,
जिसमें कटडाना स्वारोवस्की क्रिस्टल, सेक्विन और पर्ल्स का काम था जो रात की जगमग रोशनी में उनके रूप में चार-चांद लगा रही थी.

केप डिजाइनर ब्लाउज

साड़ी के साथ केप ब्लाउज में भी बेहतरीन काम था. फ्रंट से वी नैक कस्टम-मेड, हैवी डेकोरेटेड ब्लाउज में क्रिस्टल जड़े हुए थे जालीदार पैनल के साथ एक बंद नेकलाइन थी जो एक नैकलेस की तरह थी. एल्बो तक की लंबाई वाली ट्रांसपरेंट केप स्लीव्स, जिसमे फ्लावर की एप्लीक इम्ब्रॉइडरी की गई थी साथ ही इसे चमकीले पर्ल से सजाया गया था. इस साड़ी और ब्लाउज में उनका अंदाज लाजवाब लग रहा था.

ग्लोसी मेकअप

इसके साथ ही लुक को और स्टाइलिश बनाने के लिए डायना ने ग्लॉसी मेकअप किया, मैरून लिप कलर से लिप को सजाया, आखों में थोड़ा बाहर की तरफ निकला हुआ स्टाइलिश आई लाइनर लगाया और बालों को जूड़ा बना कर फ्रंट के बालों की 2 लटे फेस पर छोड़ रखी थी. स्टोन और पर्ल वाले हैंगिंग इयररिंग पहन कर लुक को अच्छे से कंपलीट किया हुआ था. उनका ये अंदाज काफी ग्लैमरस लग रहा था.

चोपर्ड पार्टी में दिखा ग्लैमरस लुक

इससे पहले भी डायना के गोल्डन ग्लैमरस लुक ने सभी को अपना दीवाना बनाया हुआ था. चोपर्ड
(Chopard) पार्टी में में डायना पेंटी ग्रीस फैशन डिजाइनर Celia Kritharioti की डिजाइन की हुई फ्रिंज शिमरी गोल्डन ड्रेस पहने हुए नजर आई थी. इसमें उन्होंने गोल्डन ड्रेस के साथ गोल्डन कलर के लांग बूट्स भी कैरी किए हुए थे साथ ही मिनिमल मेकअप के साथ खुले बालों मे डायना का ये लुक फैंस को काफी पंसद आया था.

फिल्म ‘कौकटेल’ से डेब्यू करने वाली डायना अपने स्टाइल और ग्लैमर से इंटरनेट पर अक्सर छाई रहती हैं. वो आखिरी बार फिल्म सेक्शन 84 आईपीएस में अमिताभ बच्चन के साथ नजर आई थीं.

फिटनेस फ्रिक लोगों को क्यों आता है हार्ट अटैक, Akshay Kumar ने बताई इसकी वजह और बचने के टिप्स

अक्षय कुमार उन एक्टरों में से एक है जो सिक्स पैक मसल्स वाली बौडी बनाने के बजाय फिटनेस, अच्छी सेहत, एनर्जी से भरपूर स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं. जिसके चलते अक्षय कुमार वेटलिफ्टिंग, स्टेराइड्स, सप्लीमेंट लेने के बजाय सीढ़ी चढ़ना, दौड़ना, और घर का बना खाना खाकर अच्छी सेहत बनाने पर ज्यादा विश्वास रखते हैं. हाल ही में हुई बातचीत के दौरान अक्षय कुमार ने युवाओं में बढ़ती अति व्यस्तता के चलते टेंशन, डिप्रेशन, हाइपर टेंशन और जल्दी से जल्दी हीरो और हीरोइन की तरह बौडी बनाने के चक्कर में सप्लीमेंट स्टेराइड लेकर अपने आप को मानसिक और शारीरिक तौर पर गंभीर बीमारी की तरफ़ ढकेलते हुए कम उम्र में दिल की बीमारी से ग्रस्त होने वाले युवाओं के प्रति चिंता जाहिर की…..

अक्षय कुमार ने बताया की उन्होंने पिछले कुछ दिनों पहले एक अस्पताल में विजिट किया था . जहां पर उन्होंने 20 से 30 उम्र के युवाओं को अस्पताल के बेड पर पाया. ऐसे में जब अक्षय ने उनके बीमारी की वजह जानी तो पता चला की ज्यादातर लड़के लड़कियां दिल की बीमारी से ग्रस्त है. जिसकी वजह हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, आदि ही बताई जा रही थी. इसी बात को मद्दे नजर रखते हुए अक्षय कुमार ने युवाओं के लिए कुछ खास टिप्स और जानकारी दी..

अक्षय कुमार के अनुसार आज के युवा वर्ग में एक ऐसी प्रवृत्ति पाई जा रही है जिसमे वह कम समय में ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश में लगे रहते हैं. फिर चाहे वह आर्थिक तौर पर हो या तो शारीरिक तौर पर ही क्यों ना हो. जबकि सच्चाई यह है कि किसी भी चीज को बिगाड़ने में अगर चंद सेकंड लगते हैं तो बनाने में महीनो और सालो लग जाते हैं . लेकिन आज के युवा फास्ट फूड की तरह लाइफ में भी सब कुछ फास्ट फास्ट चाहते हैं. ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में या अपनी इच्छा अनुसार सफलता पाने के चक्कर में मानसिक तौर पर बीमार होने लगते हैं जिसके चलते हाइपर टेंशन डिप्रेशन जेसी खतरनाक मानसिक बीमारियां उनको अस्पताल पहुंचा देती हैं. जबकि सच्चाई यह है की आर्थिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होने के लिए अपने आप को पूरा समय देना होता है. जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. जो हमेशा आपको गलत रास्ते पर ही लेकर जाता है यही वजह है कि आज के युवाओं में सब्र की कमी है और दिल का दौरा ज्यादा बढ़ रहा है.

जिम में एक्सरसाइज करते हुए , हुई मौत के जिम्मेदार युवा खुद ही है…

आजकल बहुत सारी ऐसी खबरें आ रही हैं की कई सारे जवान लड़के लड़कियां जिम में एक्सरसाइज करतेकरते या औफिस में काम करतेकरते दिल का दौरा पढ़ने से अचानक मौत के घाट उतर गए. ऐसे में अगर मैं कहूं कि आप अपनी मौत का कारण खुद है तो शायद आपको गलत लगेगा .लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप जिम में एक्सरसाइज कर रहे हैं तो कई सारी सावधानियां जरूरी हैं. सबसे पहले तो सप्लीमेंट यह स्टेरायड से दूर रहे यह आपके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. दूसरा एक्सरसाइज शुरू करने से पहले 10-15 मिनट वार्म अप जरूर करें ताकि आपकी बौडी का तापमान एक्सरसाइज के लायक हो. और एक्सरसाइज पूरी होने के बाद 10 मिनट का आराम भी जरूर करें.

आपकी मांसपेशियां नार्मल हो सके. जिम में एक्सरसाइज करते समय सर पर पानी बिल्कुल भी ना डालें इससे शरीर पर गलत और हानिकारक अंजाम होते हैं. बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने के बाद आपका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है ऐसे में सिर पर पानी डालना नुकसान देह साबित होता है . इसलिए सर पर पानी डालकर अपने दिमाग की गर्मी शांत ना करें. इसके अलावा डाइटिंग करके लोग जल्दी से जल्दी पतले होना चाहते हैं या गलत दवाइयां का इस्तेमाल करते हैं ताकि उनका वेट जल्द से जल्द कम हो जाए ऐसा करने से भी शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है. बजाय इसके अगर घर का बना खाना खाएंगे भूखे रहने के बजाय सही डाइट लेंगे तो आप आराम से घर बैठे भी पतले हो सकते हैं.

मेरी दादी रोज सुबह दो चम्मच देसी घी खाती थी और वह 98 साल तक जिंदा रही. कहने का मतलब ये है देसी घी, बादाम अखरोट का सेवन भी जरूर करे ये आपको शारीरिक तौर पर मजबूत करता है. और किसी भी बीमारी से लड़ने की आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा और क्षमता रहती है. कहने का मतलब यह है कि अगर आपको लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन जीना है तो आपको अनुशासन के साथ सही मार्ग पर चलकर अपने आप को खुद ही मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रखना होगा. और तभी आप दिल की बीमारी या किसी और भयानक बिमारी से अपने आप को बचा सकते है और पूरी तरह फिट रह सकते है .

बारिश में बनाएं लेयर्ड वर्मीसेली मैंगो पुडिंग, बहुत आसान है इसकी रेसिपी

मौसम चाहे कोई भी हो मीठे की चाहत तो होती ही है. यूं तो आजकल बाजार में रेडीमेड चीजों की भरमार है परन्तु रेडीमेड खाद्य वस्तुओं को खाने में सबसे बड़ी समस्या उनकी कम पौष्टिकता की होती है क्योंकि इनका स्वाद बढ़ाने के लिए भांति भांति के स्वीटनर्स, रंग और प्रिजर्वेटिव का प्रयोग किया जाता है जिससे हर समय इन्हें खाना सेहतमंद नहीं होता. यदि थोड़ी सी कोशिश से घर पर ही कुछ मीठा बना लिया तो यह सेहत के लिए तो अच्छा रहता ही है साथ ही बाजार के रेडीमेड मीठे की अपेक्षा काफी सस्ता भी पड़ता है. इस समय आम का सीजन है, तो आज हम आपको आम से ही एक बहुत टेस्टी और झटपट बनने वाला मीठा बनाना बता रहे हैं जिसे आप चुटकियों में घर पर बना सकते हैं तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है.

कितने लोगों के लिए 4

बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

रोस्टेड वर्मीसेली 1 कप
फूल क्रीम दूध 2 कप
मिल्क पाउडर 2 टेबलस्पून
शकर 2 टेबलस्पून
कस्टर्ड पाउडर 1 टीस्पून
पके दशहरी आम 4
इलायची पाउडर 1/4 टीस्पून
बारीक कटी मेवा 2 टेबलस्पून
रूहाफजा शर्बत 3 टीस्पून

विधि

दूध को 4-5 उबाल आने तक पका लें. अब इसमें वर्मीसेली डालकर चलाएं और धीमी आंच पर 5 मिनट तक ढककर पकाएं. 1 टीस्पून गुनगुने दूध में मिल्क पाउडर और कस्टर्ड पाउडर को मिक्स लरें और इसे वर्मीसेली में डालकर चलाएं. शकर डालकर 2-3 मिनट तक पकाकर गैस बंद कर दे . इसे ठंडा होने के लिए पंखे की हवा में रख दें बीच बीच में चलाते रहें ताकि इसमें मलाई न पड़ने पाए. 2 आम को छीलकर पीस लें और बचे 2 आम को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें.

अब एक लंबे ग्लास में पहले 1 टीस्पून आम की प्यूरी फिर तैयार वर्मीसेली, फिर 1 टीस्पून कटे आम और रोस्टेड नट्स डालकर ग्लास के किनारे से आधा टीस्पून रूहाफजा शर्बत ग्लास के किनारों से चारों तरफ डालकर पुनः मैंगो प्यूरी, वर्मीसेली, कटे आम और रोस्टेड नट्स की लेयर लगा दें. इसी प्रकार तीसरी लेयर दोहराकर सबसे ऊपर कटे नट्स और आम के टुकड़े डालकर फ्रिज में रखकर ठंडा ठंडा सर्व करें.

बेइज्जती पाने की होड़

पहले मैं इस भरम में जीता था कि हर इनसान इज्जत के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहता है लेकिन बाद में मेरी इस सोच में बदलाव तब आया जब मुझे अपनी खुद की आंखों से बेइज्जती के साथ जीनेमरने की कसमें खाने वाले धुरंधरों के दर्शन करने का मौका मिला.

भारत की खोज बड़े ही मौज के साथ वास्को डी गामा ने की थी, लेकिन बेइज्जती के बोझ की खोज किस रोज और किस ने की थी, यह बता पाना उतना ही मुश्किल है जितना मुश्किल आम आदमी के लिए बिना रीचार्ज किए स्मार्ट फोन की बैटरी को पूरा दिन चलाना है.

कुछ लोग बेइज्जत होने को अपना बुनियादी हक मानते हैं और इसे पाने के लिए वे लगातार अपनी इज्जत को तारतार करते हुए इसी जद्दोजेहद में लगे रहते हैं. ‘बेइज्जती पिपासु’ लोगों को अपनी पूरी उम्र इज्जत की प्राणवायु हजम नहीं होती है. इज्जत भरी जिंदगी की इच्छा से ही ‘बेइज्जती प्रिय’ लोग सहम जाते हैं और इज्जत जैसी नुकसान पहुंचाने वाली और मारक चीज से उचित दूरी बना कर चलते हैं. बेइज्जत होना इन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों में शुमार होता है.

बेइज्जती के नशेड़ी उलट हालात में भी बेइज्जती का हरण कर उस का वरण करने में कामयाब हो जाते हैं. आम का सीजन हो या केले का, ये लोग हमेशा से ही सरेआम बेइज्जती से गले मिलना पसंद करते हैं ताकि सार्वजनिक जिंदगी में ट्रांसपेरैंसी बनी रहे.

इसी ट्रांसपेरैंसी और ईमानदारी के चलते ये जल्द ही बेइज्जती के वामन रूप से विराट रूप धर लेते हैं. हर देश, काल और हालात में ‘बेइज्जती उपासक’ अपनी निष्ठा और निष्ठुरता से बेइज्जती हासिल कर ही लेते हैं.

बेइज्जती के इस धंधे में कभी मंदी नहीं आती है क्योंकि बेइज्जती में हमेशा नकद से ही आप का कद बढ़ता रहता है और उधार से बेइज्जती की धार कुंद होती चली जाती है.

विजय माल्या और नीरव मोदी ने भले ही बैंक से कर्ज ले कर बैंक को चूना लगा दिया हो, लेकिन देश से भाग कर, बेइज्जत होने की दौड़ में सब को पछाड़ कर ‘बेइज्जती उद्योग’ को चार चांद लगा दिए हैं.

कुछ लोगों में बेइज्जत होने का जुनून ही उन के सुकून की वजह होता है. बेइज्जती का घूंट वे कहीं से भी लूट लेते हैं. गलती से मिली इज्जत की वाह, इन की धमनियों में होने वाली बेइज्जती के नियमित बहाव को नहीं रोक पाती है.

बेइज्जती प्रदेश के मूल निवासी, चाहे अपने निवास पर हों या दूसरी किसी जगह के प्रवास पर, वे बेइज्जती की लौजिंगबोर्डिंग हमेशा अपने शरीर पर धारण किए रहते हैं.

इस प्रदेश के मूल निवासी हमेशा बेइज्जत होने के नएनए मौके और तरीके खोजने की कोशिश करते रहते हैं ताकि बेइज्जती की बोरियत से बचा कर इसे समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके.

लगातार बेइज्जत होना भी एक ऐसी कला है जिसे आम आदमी के लिए अंजाम देना मुश्किल होता है. बेइज्जती के फील्ड में पेशेवर फील्डिंग करने वालों की कमी महसूस की जाती रही है.

डिमांड के मुकाबले सप्लाई न होने से बैलैंस गड़बड़ा रहा?है. लेकिन फिर भी देख कर संतोष और कुछकुछ होता है कि कुछ लोगों ने बेइज्जत होने को अपनी जिंदगी का मिशन और सहारा बना लिया है और वे बेइज्जती के सामने मुसाफिर की तरह ट्रैफिक के नियमों का पालनपोषण कर, इस रास्ते पर दांडी मार्च रहे हैं.

इन्हीं लोगों द्वारा उपजी क्वालिटी के चलते क्वांटिटी की कमी महसूस नहीं हो पाती है और क्वांटिटी की कमी के खिलाफ उठने वाली संगठित आवाज बेइज्जती के बोझ के नीचे दब जाती है.

बेइज्जती उद्योग में अभी भी बहुत उम्मीदें हैं जिन पर बेइज्जत हो कर गंभीरता से विचार करना जरूरी है. समाज के फायदे के लिए इस क्षेत्र में लोगों को बढ़ावा देने की जरूरत है क्योंकि आज की गलाकाट होड़ में जहां लोगों को इज्जत और नाम के लिए दरदर भटकने के बाद भी बेइज्जती ही हाथ लगती है, वहीं अगर उन्हें सीधे ही बेइज्जत होने के लिए बढ़ावा दिया जाए तो उन का यह भटकाव काफी हद तक कम होगा और नतीजतन समाज में इज्जत पाने की अंधी दौड़ में भागने वाले, उसेन बोल्ट जैसे धावक की आवक भी कम हो जाएगी.

प्रजनन संबंधी समस्याओं के लक्षण क्या हैं और मुझे कब मदद लेनी चाहिए?

सवाल 

मैं 32 वर्षीय महिला हूं और पिछले एक साल से गर्भधारण करने में असमर्थ हूं. प्रजनन संबंधी समस्याओं के लक्षण क्या हैं और मुझे कब मदद लेनी चाहिए?

जवाब

अगर आप पिछले एक साल से गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं और आप इस में सफल नहीं हो पा रही हैं तो आप अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और जांच कराएं. डाक्टर आप को बता सकते हैं कि किस समय संभोग करने से गर्भ ठहर सकता है. आप का डाक्टर कुछ टेस्ट भी कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ओवरी का ट्यूब खुला है कि नहीं, फौर्मेशन हो रहा है कि नहीं, यूटरस ठीक है कि नहीं आदि. डाक्टर आप के पुरुष साथी की भी जांच कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उस में कोई कमी तो नहीं है.

सवाल

मैं 27 वर्षीय महिला हूं और अभी मै गर्भवती हूं. स्वस्थ गर्भावस्था के लिए मु?ो किन प्रसवपूर्व विटामिनों पर विचार करना चाहिए?

जवाब

आप को फोलिक ऐसिड का सेवन करना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के पहले 3 महीने में यह बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है.  विटामिन डी भी काफी जरूरी विटामिन है. कैल्शियम और आयरन भी बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है. आयरन से गर्भ में बच्चे के प्रति ब्लड फ्लो बढ़ता है.

सोने की चिड़िया: पीयूष की मौत के बाद सुहासिनी की जिंदगी में क्या हुआ

बड़े से मौल में अपनी सहेली शिखा के साथ चहलकदमी करते हुए साड़ी कार्नर की ओर बढ़ गई थी सुहासिनी. शो केस में काले रंग की एक साड़ी ने उस का ध्यान आकर्षित किया पर सेल्स- गर्ल की ओर पलटते ही वह कुछ यों चौंकी मानो सांप पर पांव पड़ गया हो.

‘‘अरे, मानसी तुम, यहां?’’ उस के मुंह से अनायास ही निकला था.

‘‘जी हां, मैं यहां. कहिए, किस तरह की साड़ी आप को दिखाऊं? या फिर डे्रस मेटीरियल?’’ सेल्स गर्ल ने मीठे स्वर में पूछा था.

‘‘नहीं, कुछ नहीं चाहिए मुझे. मैं तो यों ही देख रही थी,’’ सुहासिनी के मुख से इतना भी किसी प्रकार निकला था.

मानसी कुछ बोलती उस से पहले ही सुहासिनी बोल पड़ी, ‘‘मानसी, क्या मैं तुम से कुछ देर के लिए बातें कर सकती हूं?’’

‘‘क्षमा कीजिए, मैम, हमें काम के समय व्यक्तिगत कारणों से अपना स्थान छोड़ने की अनुमति नहीं है. आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगी,’’ मानसी ने धीमे स्वर में उत्तर दिया था और अपने कार्य में व्यस्त हो गई थी.

‘‘क्या हुआ? इस तरह प्रस्तरमूर्ति बनी क्यों खड़ी हो? चलो, जल्दी से भोजन कर के चलते हैं. लंच टाइम समाप्त होने वाला है,’’ शिखा ने उसे झकझोर ही दिया था और मौल की 5वीं मंजिल पर स्थित रेस्तरां की ओर खींच ले गई थी.

‘‘क्या लोगी? मैं तो अपने लिए कुछ चाइनीज मंगवा रही हूं,’’ शिखा ने मीनू पर सरसरी निगाह दौड़ाई थी.

‘‘मेरे लिए एक प्याली कौफी मंगवा लो और कुछ खाने का मन नहीं है,’’ सुहासिनी रुंधे गले से बोली थी.

‘‘बात क्या है? कैंटीन में खाने का तुम्हारा मन नहीं था इसीलिए तो हम यहां तक आए. फिर अचानक तुम्हें क्या हो गया?’’ शिखा अनमने स्वर में बोली थी.

‘‘साड़ी कार्नर के काउंटर पर खड़ी सेल्सगर्ल को ध्यान से देखा तुम ने?’’

‘‘नहीं. मैं ने तो उस पर ध्यान नहीं दिया. मैं दुपट्टा खरीदने लगी थी पर तुम ने तो उस से बात भी की थी और उसे ध्यान से देखा भी था.’’

‘‘ठीक कह रही हो तुम. मेरे मनमस्तिष्क पर इतनी देर से वही छाई हुई है. पता है कौन है वह?’’

‘‘नहीं तो.’’

‘‘वह मेरी ननद मानसी है, शिखा.’’

‘‘क्या कह रही हो? वह यहां क्या कर रही है?’’

‘‘साडि़यों के काउंटर पर साडि़यां बेच रही है और क्या करेगी.’’

‘‘पर क्यों?’’

‘‘यही तो जानना चाहती थी मैं पर उस ने तो बात तक नहीं की.’’

‘‘बात नहीं की तो तुम उसे गोली मारो. क्यों अपनी जान हल्कान कर रही हो. वैसे भी तुम तो उस घर को 3 वर्ष पहले ही छोड़ चुकी हो. जब पीयूष ही नहीं रहा तो तुम्हारा संपर्क सूत्र तो यों भी टूट चुका है,’’ शिखा ने समझाया था.

‘‘संपर्क सूत्र तोड़ना क्या इतना सरल होता है, शिखा? उस समय पीयूष का संबल छूट जाने पर मैं कुछ भी सोचनेसमझने की स्थिति में नहीं थी. मातापिता, भाईभाभी ने विश्वास दिलाया कि वे मेरे सच्चे हितैषी हैं और मैं अपनी ससुराल छोड़ कर उन के साथ चली आई थी. उन्हें यह डर सता रहा था कि पीयूष के बीमे और मुआवजे आदि के रूप में जो 20  लाख रुपए मिले थे उन्हें कहीं मेरे ससुराल वाले न हथिया लें.’’

‘‘उन का डर निर्मूल भी तो नहीं था, सुहासिनी?’’

‘‘पता नहीं शिखा, पर मेरे और पीयूष के विवाह को मात्र 3 वर्ष हुए थे. परिवार का बड़ा, कमाऊ पुत्र हादसे का शिकार हुआ था…उन पर तो दुखों का पहाड़ टूटा था…मैं स्वयं भी विक्षिप्त सी अपनी 2 वर्ष की बेटी को सीने से चिपकाए वास्तविकता को स्वीकार करने का प्रयत्न कर रही थी. ऐसे में मेरे परिवार ने क्या किया जानती हो?’’

‘‘क्या?’’

‘‘मेरे दहेज की एकएक वस्तु वापस मांग ली थी उन्होंने. मेरी सास ने विवाह में उन्हें दी गई छोटीमोटी भेंट भी लौटा दी थी. सिसकते हुए कहने लगीं, ‘मेरा बेटा ही चला गया तो इन व्यर्थ की वस्तुओं को रख कर क्या करूंगी?’ पर जब मैं अपनी बेटी टीना को उठा कर चलने लगी तो वे तथा परिवार के अन्य सदस्य फफक उठे थे, ‘मत जाओ, सुहासिनी और तुम जाना ही चाहती हो तो टीना को यहीं छोड़ जाओ. पीयूष की एकमात्र निशानी है वह. हम पाल लेंगे उसे. वैसे भी वह तुम्हारे भविष्य में बाधक बनेगी.’’’

‘‘तो तुम ने क्या उत्तर दिया था, सुहासिनी?’’

‘‘मैं कुछ कह पाती उस से पहले ही बड़ी भाभी ने झपट कर टीना को मेरी गोद से छीन लिया था और टैक्सी में जा बैठी थीं. मैं निशब्द चित्रलिखित सी उन के पीछे खिंची चली गई थी.’’

‘‘जो हुआ उसे दुखद सपना समझ कर भूल जाओ सुहासिनी. उन दुख भरी यादों को याद करोगी तो जीना दूभर हो जाएगा,’’ शिखा ने सांत्वना दी थी.

‘‘जीना तो वैसे ही दूभर हो गया है. तब मैं कहां जानती थी कि धन के लालच में ही मेरा परिवार मुझे ले आया था. छोटे भाई सुहास ने कार खरीदी तो मुझ से 2 लाख रुपए उधार लिए थे. वादा किया था कि वर्ष भर में सारी रकम लौटा देंगे पर लाख मांगने पर भी एक पैसा नहीं लौटाया. अब तो मांगने का साहस भी नहीं होता. सुहास उस प्रसंग के आते ही आगबबूला हो उठता है.’’

‘‘चल छोड़ यह सब पचड़े और थोड़ा सा चाऊमीन खा ले. भूख लगी होगी,’’ शिखा ने धीरज बंधाया था.

‘‘मैं लाख भूलने की कोशिश करूं पर मेरे घर के लोग भूलने कहां देते हैं. अब बडे़ भैया को फ्लैट खरीदना है. प्रारंभिक भुगतान के लिए 10 लाख मांग रहे हैं. मैं ने कहा कि सारी रकम टीना के लिए स्थायी जमा योजना में डाल दी है तो कहने लगे, खैरात नहीं मांग रहे हैं, बैंक से ज्यादा ब्याज ले लेना.’’

‘‘ऐसी भूल मत करना, तुम्हें अपने लिए भी तो कुछ चाहिए या नहीं. मुझे नहीं लगता उन की नीयत ठीक है,’’ शिखा ने सलाह दी थी.

‘‘मुझे तो पूरा विश्वास है कि मेरे प्रति उन का पे्रेम केवल दिखावा है. टीना बेचारी तो बिलकुल दब कर रह गई है. हर बात पर उसे डांटतेडपटते हैं. मैं बीच में कुछ बोलती हूं तो कहते हैं कि तुम टीना को बिगाड़ रही हो.’’

‘‘तुम्हारे मातापिता कुछ नहीं कहते?’’

‘‘नहीं, वे तो अपने बेटों का ही पक्ष लेते हैं. जब से मैं ने बड़े भैया को फ्लैट के लिए 10 लाख देने से मना किया है, मां मुझ से बात तक नहीं करतीं,’’ सुहासिनी के नेत्र डबडबा गए थे.

‘‘क्यों अपने को दुखी करती है, सुहासिनी. अलग फ्लैट क्यों नहीं ले लेती. मैं ने तो पहले भी तुझे समझाया था. क्या नहीं है तेरे पास? सौंदर्य, उच्च शिक्षा, मोटा बैंक बैलेंस. दूसरे विवाह के संबंध में क्यों नहीं सोचती तू?’’

‘‘मेरे जीवन में पीयूष का स्थान कोई और नहीं ले सकता और मैं टीना के लिए सौतेला पिता लाने की बात सोच भी नहीं सकती.’’

‘‘इसीलिए तुम ने योगेश जैसे योग्य युवक को ठुकरा दिया?’’ शिखा ने अपना चाऊमीन समाप्त करते हुए कहा था.

‘‘नहीं, मैं खुद दूसरा विवाह नहीं करना चाहती. यों भी उसे मुझ से या टीना से नहीं मेरे पैसे और नौकरी में अधिक रुचि थी.’’

‘‘चलो, ठीक है, तुम सही और सब गलत. बहस में तुम से कोई जीत ही नहीं सकता,’’ शिखा ने पटाक्षेप करते हुए बिल चुकाया और दोनों सहेलियां मौल से बाहर आ गईं.

कार्यालय में व्यस्तता के बीच भी मानसी का भोलाभाला चेहरा सुहासिनी की आंखों के सामने तैरता रहा था.

5 बजते ही सुहासिनी अपना स्कूटर उठा कर मौल के सामने आ खड़ी हुई. उसे अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी. कुछ ही देर में मानसी आती नजर आई थी.

‘‘अरे, भाभी, आप अभी तक यहीं हैं? आप तो मुझे देख कर बिना कुछ खरीदे ही लौट गई थीं?’’ मानसी ने उसे देख कर नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़ दिए थे.

‘‘मैं तब से यहीं नहीं हूं, मैं और मेरी सहेली शिखा यहां लंच के लिए आए थे. मैं कार्यालय से यहां फिर से केवल तुम्हारे लिए आई हूं. चलो बैठो, कहीं बैठ कर बातें करेंगे,’’ सुहासिनी ने अपने स्कूटर की पिछली सीट की ओर इशारा किया था.

‘‘नहीं भाभी, मेरी बस छूट जाएगी. देर हो जाने पर मां बहुत चिंता करने लगती हैं,’’ मानसी संकुचित स्वर में बोली थी.

‘‘बैठो मानसी, मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूंगी,’’ सुहासिनी का अधिकारपूर्ण स्वर सुन कर मानसी ना नहीं कह सकी थी.

‘‘अब बताओ, तुम्हें मौल में सेल्सगर्ल की नौकरी करने की क्या आवश्यकता पड़ गई?’’ रेस्तरां में आमने- सामने बैठते ही पूछा था सुहासिनी ने.

‘‘समय हमेशा एक सा तो नहीं रहता न भाभी. पीयूष भैया का सदमा पापा सह नहीं सके. पक्षाघात का शिकार हो गए. जो कुछ भविष्य निधि मिली उन के इलाज और अमला दीदी के विवाह में खर्च हो गई. पेंशन से फ्लैट की कि स्त दें या घर का खर्च चलाएं. उस पर रोहित भैया की डाक्टरी की पढ़ाई. रोहित भैया पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करने जा रहे थे. मैं ने ही कहा कि मैं तो प्राइवेट पढ़ाई भी कर सकती हूं. रोहित भैया ने पढ़ाई पूरी कर ली तो पूरे परिवार का सहारा बन जाएंगे. इसीलिए नौकरी कर ली. 7 हजार भी बड़ी रकम लगती है आजकल,’’ पूरी कहानी बताते हुए रो पड़ी थी मानसी.

‘‘इतना सब हो गया और तुम लोगों ने मुझे सूचित तक नहीं किया. एकदम से पराया कर दिया अपनी भाभी को?’’ सुहासिनी के नेत्र डबडबा आए थे.

‘‘पराया तो आप ने कर दिया, भाभी. भैया क्या गए आप भी हमें भूल गईं और जैसे ही आप घर छोड़ कर गईं मां तो बिलकुल बुझ सी गई हैं. सदा एक ही बात कहती हैं, ‘मैं ने सुहासिनी को अपनी बहू नहीं बेटी समझा था पर उस ने तो पीयूष के बाद पलट कर भी नहीं देखा.’ टीना को देखने को तड़पती रहती हैं. उस के जन्मदिन पर बधाई देना चाहती थीं पर पापा ने मना कर दिया. कहने लगे, आप सोचेंगी कि पैसे के चक्कर में बच्ची को बहका रहे हैं ससुराल वाले,’’ मानसी किसी प्रकार अपने आंसू रोकने का प्रयत्न करने लगी थी.

सुहासिनी ने खाने के लिए जो हलकाफुलका, मंगाया था वैसे ही पड़ा रहा. चाय भी ठंडी हो गई पर दोनों में से किसी ने छुआ तक नहीं.

‘‘मुझे घर छोड़ दो, भाभी. मां सदा यही सोचती रहती हैं कि कहीं कुछ अशुभ न घट गया हो,’’ मानसी उठ खड़ी हुई थी.

सुहासिनी मानसी को बाहर से ही छोड़ कर चली आई थी. घर के अंदर जा कर किसी का सामना करने का साहस उस में नहीं था. वैसे भी कहीं एकांत में बैठ कर फूटफूट कर रोने का मन हो रहा था उस का. अनजाने में ही कैसा अन्याय हो गया था उस से.

पीयूष की पत्नी होने के नाते ही उसे मुआवजा मिला था. उसी के स्थान पर नौकरी मिली थी और वह सारे बंधन तोड़ कर मुंह फेर कर चली आई थी.

‘‘लो, आ गईं महारानी,’’ सुहासिनी को देखते ही मां ने ताना कसा था.

‘‘क्यों, क्या हुआ? आप इतने क्रोध में क्यों हैं,’’ सुहासिनी ने पूछ ही लिया था.

‘‘पूछ रही हो तो सुन भी लो. तुम दिन भर गुलछर्रे उड़ाओ और हम तुम्हारी बिटिया को संभालें, यह हम से नहीं होगा.’’

‘‘आप को लगता है कि मैं गुलछर्रे उड़ा कर आ रही हूं? टीना आप से नहीं संभलती यह तो आप ने कभी कहा नहीं. आप कहें तो स्कूल के बाद के्रच में डाल दूंगी,’’ सुहासिनी सीधेसपाट स्वर में बोली थी.

‘‘तो डाल दो न. मना किस ने किया है. अब अम्मां की सेवा करने की नहीं करवाने की उम्र है,’’ बड़े भैया चाय पीते हुए बोले थे और बड़ी भाभी हंस दी थीं.

‘‘मुझे भी एक प्याली चाय दे दो, बहुत थक गई हूं,’’ सुहासिनी ने बात का रुख मोड़ना चाहा था.

‘‘बना लो न बीबी रानी. आज मैं भी बहुत थक गई हूं. वैसे तुम थीं कहां अब तक? आफिस तो 5 बजे बंद होता है और अब तो 7 बजने वाले हैं.’’

‘‘मानसी मिल गई थी, उस से बातें करने में देर हो गई.’’

‘‘मानसी कौन?’’ बड़ी भाभी पूछ बैठी थीं.

‘‘अरे, वही मन्नो, इस की छोटी ननद. वह क्या लेने आई थी तुझ से?’’ मां बिफर उठी थीं.

‘‘कुछ लेने नहीं आई थी. मैं ने ही उसे मौल में देखा था. बेचारी आरोहण के साड़ी कार्नर में सेल्सगर्ल क ा काम करती है.’’

‘‘मां, आप नहीं जानतीं, वहां तो अलग ही खिचड़ी पक रही है. हम ने फ्लैट के लिए केवल 10 लाख मांगे तो मना कर दिया. वहां जाने कितने लुटा कर आई है,’’ अब बड़े भैया भी क्रोध में आ गए थे.

‘‘ठीक है. मेरा पैसा है, जैसे और जहां चाहूंगी खर्च करूंगी,’’ सुहासिनी ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया था.

‘‘फिर यहां क्यों पड़ी हो? वहीं जा कर रहो जहां पैसा लुटा रही हो.’’

‘‘भैया…’’ सुहासिनी इतने जोर से चीखी थी कि घर में हलचल सी मच गई थी.

‘‘चीखोचिल्लाओ मत. माना कि तुम बहुत धनी हो. पर घर में रहना है तो नियमकायदे से रहना होगा. नहीं तो जहां सींग समाएं वहां जाने को स्वतंत्र हो तुम,’’ बड़े भैया अपना निर्णय सुना कर भीतर अपने कमरे में चले गए. सुहासिनी पत्थर की मूर्ति बनी वहीं बैठी रही थी.

तभी अंदर से टीना के रोने की आवाज आई.

‘‘टीना कहां है?’’ सुहासिनी के मुख से अनायास ही निकला था.

‘‘अंदर सो रही है. थोड़ी चोट लग गई है. बड़ी जिद्दी हो गई है. बारबार सीढि़यां चढ़उतर रही थी कि फिसल गई. सिर और चेहरे पर चोट आई है,’’ मां ने अपेक्षाकृत सौम्य स्वर में कहा था.

सुहासिनी लपक कर कमरे में गई और टीना को गोद में उठा लिया. टीना उस के कंधे से लग कर देर तक सिसकती रही थी. सुहासिनी चुपचाप अपने आंसू पीती रही थी.

कुछ ही देर में माथे पर किसी स्पर्श का अनुभव कर वह पलटी थी. मां बड़े प्यार से उस के माथे और कनपटी पर मालिश कर रही थीं.

‘‘भैया की बात का बुरा मान गई क्या बेटी?’’

‘‘नहीं मां, तकदीर ने जो खेल मेरे साथ खेला है उस में भलाबुरा मानने को बचा ही क्या है?’’

‘‘मां हूं तेरी, इतना भी नहीं समझूंगी क्या? इसीलिए तो तुझे यहां ले आई थी. आंखों के सामने रहेगी तो संतोष रहेगा कि सबकुछ ठीकठाक है. सब तुझे बरगलाने का प्रयत्न करेंगे पर तू विचलित मत होना, थकहार कर सब चुप हो जाएंगे.’’

‘‘पर मां, वहां से इस तरह आना कुछ ठीक नहीं हुआ. आप को पता है क्या पीयूष के पिता को पक्षाघात हुआ है…परिवार मुसीबत में है. उन्हें मेरी आवश्यकता है.’’

‘‘कुत्ते की दुम को चाहे कितने दिनों तक दबा कर रखो निक ालने पर टेढ़ी ही रहेगी. तू ने वहां जाने की ठान ली है तो जा पर थोड़े ही दिनों बाद रोतीगिड़गिड़ाती हुई मत आना,’’ मां पुन: क्रोधित हो उठी थीं.

सुहासिनी ने टीना की देखभाल के लिए छुट्टी ले ली थी पर घर में अजीब सी चुप्पी छाई हुई थी मानो सुहासिनी से कोई अपराध हो गया हो.

एक सप्ताह बाद सुहासिनी प्रतिदिन की भांति तैयार हो कर आई थी. उस की सहेली शिखा भी आ गई थी.

‘‘आज टीना भी स्कूल जा रही है क्या?’’ मां ने पूछा था.

‘‘नहीं मां, आज हम दोनों पीयूष के घर जा रहे हैं, अपने घर. मां, हो सके तो मुझे क्षमा कर देना. उन लोगों को इस समय मेरी आवश्यकता है,’’ सुहासिनी ने घर में सभी के गले मिल कर विदा ली थी और बाहर खड़ी टैक्सी में जा बैठी थी. सुहासिनी की मां जहां खड़ी थीं वहीं सिर पकड़ कर बैठ गई थीं.

‘‘देखो मां, तुम्हारी सोने की चिडि़या तो फुर्र हो गई. क्यों दुखी होती हो. पराया धन ही तो था. पराए घर चला गया,’’ व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोल कर भैया ने ठहाका लगाया था जिस की कसैली प्रतिध्वनि देर तक दीवारों से टकरा कर गूंजती रही थी.

Waterproof Makeup से मानसून में बढ़ेगी खूबसूरती, फौलो करें ये Easy टिप्स

वाटरप्रूफ  मेकअप की सब से खास बात यह होती है कि इसे बारिश का पानी भी नहीं बिगाड़ पाता है. शादी और पार्टी में कैमरे और लाइट के सामने गरमी लगने से भी मेकअप बहने लगता है. ऐसे में भी वाटरप्रूफ मेकअप बहुत अच्छा रहता है. रेनडांस, स्विमिंग पूल और समुद्र किनारे गरमी की छुट्टियों का मजा लेते वक्त भी वाटरप्रूफ मेकअप का कमाल दिखाई देता है.

 

क्या है वाटरप्रूफ मेकअप

बौबी सैलून की स्किन, हेयर और ब्यूटी ऐक्सपर्ट बौबी श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘पसीना आने पर मेकअप घुल कर त्वचा के रोमछिद्रों में चला जाता है, जिस से मेकअप बदरंग दिखाई देने लगता है. मेकअप रोमछिद्रों के जरिए शरीर में न जाए वाटरप्रूफ मेकअप में यही किया जाता है. त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर के किया गया मेकअप ही वाटरप्रूफ मेकअप कहलाता है. रोमछिद्रों को 2 तरह से बंद किया जाता है. तरीका नैचुरल वाटरपू्रफ और दूसरा प्रोडक्ट वाटरप्रूफ का होता है. नैचुरल  वाटरप्रूफ तरीके में त्वचा के रोमछिद्रों को बंद करने के लिए ठंडे तौलिए का प्रयोग किया जाता है. जिस तरह भाप लेने से त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं. उसी तरह से ठंडा तौलिया रखने से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. इस के लिए बर्फ का प्रयोग भी किया जा सकता है. इस के बाद मेकअप करने से पसीना उसे बहा नहीं पाता है.’’

वाटरप्रूफ मेकअप की बढ़ती मांग को देखते हुए मेकअप प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों ने वाटरपू्रफ मेकअप प्रोडक्ट्स बनाने शुरू कर दिए. इन प्रोडक्ट्स के अंदर ही ऐसे तत्त्व डाल दिए जाते हैं जो मेकअप करने के दौरान त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं. इस से मेकअप त्वचा के अंदर नहीं जा पाता और पसीना उसे

बहा नहीं पाता है. इस तरह के मेकअप प्रोडक्ट्स से मेकअप करते समय त्वचा को वाटरप्रूफ करने की जरूरत नहीं रहती है. वाटरप्रूफ प्रोडक्ट्स में क्रीम, लिपस्टिक, फेस बेस, रूज, मसकारा, काजल जैसी ढेर सारी चीजें अब बाजार में मिलने लगी हैं.

वाटरप्रूफ मेकअप प्रोडक्ट्स सिलिकौन का प्रयोग कर के बनाए जाते हैं. इस में प्रयोग होने वाला डाइनोथिकौन औयल त्वचा को चमकदार बनाता है. यह वाटरप्रूफ मेकअप को आसानी से फैलने में मदद करता है. जहां वाटरप्रूफ मेकअप के तमाम फायदे हैं वहीं कुछ खामियां भी हैं, जिन्हें जान लेना भी जरूरी है. वाटरप्रूफ मेकअप को हटाने के लिए पानी का प्रयोग ही काफी नहीं होता है वरन बेबी औयल या फिर सिलिकौन औयल का भी प्रयोग करना होता है. इस का प्रयोग त्वचा पर खराब प्रभाव डालता है. इस से त्वचा को नुकसान पहुंचता है. त्वचा पर इन्फैक्शन हो जाता है. ज्यादा प्रयोग करने से समय से पहले त्वचा पर झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं. इसलिए वाटरप्रूफ मेकअप का प्रयोग खास अवसरों पर ही करें. रोज इस का प्रयोग न करें.

जानें ब्यूटी ऐक्सपर्ट बौबी श्रीवास्तव से कुछ खास मेकअप टिप्स:

– इस मौसम में मेकअप करते समय डार्क शेड का प्रयोग कभी न करें. फाउंडेशन भी लाइट ही लगाएं. दागधब्बों को छिपाने के लिए वाटर बेस्ड फाउंडेशन का प्रयोग करें. अगर इस से चमक ज्यादा आने लगे तो पाउडर के बजाय ब्लौटिंग पेपर का प्रयोग करें.

– अपने गालों को गुलाबी दिखाने के लिए लाइट ब्लशर का प्रयोग करें. थोड़ा सा शिमर पाउडर आंखों के आसपास लगा कर उन्हें आकर्षक बना सकती हैं. होंठों पर लिपकलर लगाने के बाद चमकाने के लिए हलका लिपग्लौस लगाएं. लैक्मे मेकअप प्रोडक्ट्स में इस तरह का सारा सामान मिलता है.

– मसकारा दिनभर टिका रहे, इस के लिए बरौनियों के टिप्स पर मसकारा लगाएं. ऐसा करने से वह फैलता नहीं है.

– शाम की पार्टी का मेकअप करते समय नैचुरल मेकअप ही करें. शाम को धूप नहीं रहती, इसलिए चेहरे पर शिमर का प्रयोग कर सकती हैं. अगर आप धूप में निकल रही हों तो एसपीएफ -15 युक्त सनक्रीम या लोशन का प्रयोग जरूर करें. इस से त्वचा पर सनबर्न का असर कम होता है.

– स्विमिंग पूल में जाने से पहले और बाद में कीटाणुनिरोधक साबुन आदि से स्नान जरूर करें.

– इस मौसम में पूरे शरीर की डीप क्लींजिंग कराएं. सप्ताह में 1 बार बौडी मसाज कराएं. सप्ताह में 1 बार स्टीमबाथ जरूर लें. स्टीम लेते समय पानी में हलका बौडी औयल मिला लें.

– बाथटब में पानी भर कर उस में मिनरल साल्ट मिलाएं. 10-15 मिनट इस में गुजारें. फिर देखें त्वचा में चमक जरूर आएगी.

– जब भी तेज धूप से लौटें ठंडे पानी में पतला सूती कपड़ा डुबो कर निचोड़ लें और फिर उसे धूप से प्रभावित जगह पर थोड़ीथोड़ी देर के लिए रखें.

– एक टब में पानी भर नमक मिला कर हाथों और पैरों को 10 मिनट तक डुबोए रखें. इस से मृत त्वचा मुलायम हो जाएगी. इसे बाद में रगड़ कर आसानी से छुड़ाया जा सकता है. इस के बाद मौइश्चराइजर लगाएं. पैरों को 2 मिनट ठंडे पानी और 2 मिनट गरम पानी में बारीबारी से डुबोएं. इसे हौट ऐंड कोल्ड ट्रीटमैंट कहते हैं. इस से रक्तसंचार बढ़ता है.

हेयर केयर का भी रखें इन टिप्स से खास ख्याल

– अगर बाल छोटे हैं तो हलका कर्ल करा सकती हैं. बाल मीडियम साइज के हों या बढ़े हुए तो उन्हें बंधा हुआ हेयरस्टाइल देने की कोशिश करें. बाल खुले रखने हों तो उस हिसाब से कटे होने चाहिए. आजकल बालों को कलर कराने का ट्रैंड भी चल रहा है. यदि कलर करवाना है तो ब्लौंड हेयर या नैचुरल ब्राउन कलर कराएं.

– बालों में नियमित रूप से अच्छे किस्म के कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें. इस से बाल चमकदार और मुलायम होते हैं. कंडीशनर लगाने का सब से अच्छा तरीका यह होता है कि बालों के ऊपरी हिस्सों से ले कर नीचे तक अच्छी तरह से लगाएं.

– बालों को चमकदार बनाने के लिए नैचुरल हिना का प्रयोग करें. इस से बालों को कमजोर होने से बचाया जा सकता है.

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