कंंगना रनौत को मिली जान से मारने की धमकी, सिख समाज ने किया ‘इमरजेंसी’ का जबरदस्त विरोध

बौलीवुड अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत हमेशा अपने दिए गए बयानों के तहत चर्चा में रहती हैं. जिसके चलते बीजेपी सांसद बनने के बावजूद कंगना को अपने बे सिर पैर के कमेंट की वजह से एयरपोर्ट पर महिला अधिकारी द्वारा थप्पड़ खाने तक की नौबत आ गई . इतना ही नहीं उनका ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया गया. कंगना के हिसाब से देश को आजादी 2014 में मिली है. और देश की सबसे ईमानदार नेता भी वो खुद ही है . इतनी सारी महान बातों के बावजूद कंगना इलेक्शन भी जीत गई. और सांसद भी बन गई.

ऐसे में आज के समय में देश की जनता किस मूड में है बताने की जरूरत नहीं. कंगना की बेबाक बयान बाजी और फिल्म इंडस्ट्री से लेकर संसद भवन तक उनके खतरनाक कमेंट जैसे राहुल गांधी गांजा लेते हैं इसलिए उनका इलाज की जरूरत है. और किसानों को लेकर भद्दे कमेंट आदि के चलते हाल ही में जब इंदिरा गांधी पर बनी उनकी फिल्म इमरजेंसी की रिलीज डेट सामने आई तो इस फिल्म की रिलीज को लेकर विवाद शुरू हो गया.

यह विवाद सिख समुदाय द्वारा शुरू हुआ है. सिख समुदाय ने सेंसर से अपील की है इमरजेंसी फिल्म को सर्टिफिकेट ना दे. क्योंकि उनका आरोप है कि कंगना ने इमरजेंसी फिल्म के नाम पर सिख समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की है. क्योंकि इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी की नेता थी और कंगना इमरजेंसी में इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं जबकि खुद व भाजपा की नेता है लिहाजा कांग्रेस और सिख समुदाय को डर है कि वह अपनी फिल्म के जरिए कांग्रेस की सिख समुदाय की छवि खराब करने का इरादा रखती हैं. गौरतलब है इंदिरा गांधी की मौत कुछ सिखों की वजह से ही हुई थी इसलिए फिल्म इमरजेंसी में भी सिखों को आड़े हाथों लिया गया है. और उनकी छवि खराब करने की कोशिश भी की गई है.

जिसके चलते कंगना को जान से मारने तक की धमकी तक मिली है. कंगना की बकवास सौरी बिंदास बयान बाजी और टिप्पणी की वजह से भाजपा के लोग भी परेशान हैं, और उन्हें आए दिन चेतावनी भी देते रहते हैं. लेकिन बावजूद इसके कंगना की कोई ना कोई टिप्पणी विवादों में घिर ही जाती है और अब तो पूरी की पूरी फिल्म आर रही है . ऐसे में सभी का घबराना वाजिब है. अब देखना यह है कंगना की इमरजेंसी क्या रंग लाती है और ढेर सारे विवादों को जन्म देती है या बौक्स औफिस पर सफलता के झंडे गाड़ती है.

ग्लैमर वर्ल्ड की सचाई दिखाती है उर्फी जावेद का यह शो ‘फौलो कर लो यार’

उर्फी जावेद अक्सर सुर्खियों में छाई रहती हैं. खासकर जब वह अजीबोगरीब ड्रैसेज में सोशल मीडिया पर फोटोज शेयर करती हैं, तो उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है. सोशल मीडिया पर उनकी फैन फौलोइंग ज्यादा है, लेकिन उनमें ट्रोलर्स की संख्या अधिक हैं.

हाल ही में उर्फी जावेद का नया रियलिटी शो ‘फौलो कर लो यार’ अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुआ है. इस सीरीज में उर्फी के रियल लाइफ को दिखाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि यह शो बिना किसी फिल्टर का बनाया गया है. इस सीरीज में उर्फी के अलावा उनकी बहनें भी स्क्रीन पर नजर आ रही हैं. यह रियलिटी शो नौ एपिसोड का है. हर एपिसोड 30 मिनट का है. इस शो से आप बोर नहीं होंगे. यह शो दर्शकों को अंतिम एपिसोड तक बांधे रखता है.

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उर्फी की असली कहानी

यह सीरिज इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें उर्फी के हर विवाद, स्ट्रगल और उनकी कहानी को भी बयां करता है. उर्फी के इस सीरिज में आपको बहनों की जबरदस्त नोंकझोंक देखने को मिलेगी. इस सीरीज एक फेमस डायलौग है ‘ आप मुझे इग्नोर नहीं कर सकते, फौलो कर लो यार’.

फेमस होने के बाद सेलिब्रिटी का स्ट्रगल खत्म हो जाता है?

इस सीरीज में फैमिली ड्रामा, पापराजी के दर्शन से लेकर ट्रायल शो सभी जरूरी चीजें दिखाए गाए हैं. यह सीरीज एक आम लड़की की है, जिसका बचपन आम भी नहीं था. वह कैसे एक इंटरनेट सेंसेशन बनी. क्या फेमस होने के बाद उर्फी का स्ट्रगल खत्म हो गया ?

इस सीरीज में सेलेब्स के कई सरी सच्ची चीजों को दिखाया गया है. कैसे सेलेब्रिटी पैप्स को खुद बुलाते हैं और पूछते हैं कि आपको कैसे पता चला. यों कहे तो ये सीरीज ईमानदारी से दिखाया गया है. कैसे उर्फी खुद पैप्स से पहले पहुंचकर उनका इंतजार करती है. वह बेझिझक बोलती है, जाह्नवी और नोरा के जैसे बट्स चाहती है और उनकी तरह उसेे डांस भी करना है.

जब सेलिब्रिटी भी आम लोगों की तरह लाइन में खड़े होते हैं

जहां सेलेब्स को रिस्पैक्ट नहीं मिलती है, इस बात को छिपाया जाता है, जबकि उर्फी इस बात को दिखाती है कि उन्हें भी आम इन्फ्लूएंसर की तरह लाइन में लगकर एक फौरेन स्टार के साथ तस्वीर खिंचवानी पड़ी. उर्फी का यह सीरीज ग्लैमर वर्ल्ड के कई तरह के सच्चाई से रूबरू करवाता है. स्टार्स के असली जीवन की क्या सच्चाई है, ये किसी को नहीं पता है. वो सच कभी बाहर ही नहीं आता. स्टार्स को लेकर सिर्फ गौसिप होता है, कयास लगाए जाते हैं, सुर्खियों में छाए रहते हैं, टीवी या अखबारों के हैडलाइंस बन कर रह जाते हैं. उर्फी ने इस सच्चाई को इस सीरीज में बहुत ही सलीके से दिखाया है. यह शो आपको हंसाने में भी कामयाब होगी.

सोशल मीडिया पर उर्फी का कितना मजाक उड़ाया जाता है, ट्रोल किया जाता है, खुलेआम गालियां दी जाती है. लेकिन, कोई भी चीज उन्हें डाउन नहीं कर सकती है. वह उन आउटफिट्स को कैरी करती हैं, जो लोगों का ध्यान उनकी तरफ खिंचती हैं.

लाइमलाइट में आने के लिए खुद ही पैप्स को बुलाते हैं

यह सीरीज सेलिब्रिटी के असली लाइफस्टाइल को दर्शाती है. कैसे कोई सेलिब्रिटी खुद को मेंटेन रखने के लिए खर्च करते हैं. लाइमलाइट में आन के लिए कैसे पैप्स को बुलाते हैं. अपनी पीआर कंपनी हायर करते हैं. अपनी पौपुलरिटी के लिए खानेपीने से लेकर रहने तक कितने कितने पैसे बहाते हैं. इस सीरीज में उर्फी ने बोल्ड तरीके से इस सच्चाई को दिखाया है.

उर्फी जावेद ने सर्जरी पर करोड़ों रुपये किए खर्च

उर्फी ने सुंदर दिखने के लिए कौस्मेटिक सर्जरी का सहारा लिया है. उन्होंने लिप फीलर भी करवाया है, यहां तक की नकली दांत भी लगवाए हैं. इन सर्जरी में वह करोड़ों रुपए का खर्च कर चुकी हैं. ये सारी चीजें इस सीरीज में दिखाई गई है. वह ब्रैस्ट फीलर भी करवाना चाहती है. हालांकि उनकी बहनें मना करती है, लेकिन वह एक्सपर्ट से राय लेने भी जाती है.

क्यों देखना चाहिए यह सीरीज

कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि परदे के पीछे स्टार्स की असली जीवन की क्या कहानी होती है, वो जितना स्टाइलिश दिखते हैं, उन्हें कैसे पब्लिसिटी मिलती है, इन सबके लिए एक्टर्स को क्याक्या करना पड़ता है. उर्फी के इस सीरिज में देख सकते हैं. यह सीरिज सेलिब्रेटी के असली जीवन को दिखा रही है.

डिलीवरी के बाद मेरे ब्रैस्ट बेडौल होते जा रहे हैं… सही शेप में लाने के लिए क्या करूंं ?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 26 साल की हूं, मेरा 6 महीने का एक बेटा है, तो उसे ब्रैस्टफीडिंग कराती हूं, ऐसे में ब्रा पहनना छोड़ दिया है. मुझे लग रहा है कि मेरे स्तन बेडौल होते जा रहे हैं, ब्रा पहनती भी हूं, तो कसने लगता है. ब्रा नहीं पहनने से कहीं स्तन बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ जाएगा. समझ नहीं आ रहा क्या करूं? आप ही इसके लिए कोई उपाय बताएं जिससे मेरा फिगर ठीक हो जाए…

The Sleeping Baby on Blanket

जवाब

जब कोई महिला पहली बार मां बनती है, तो उसके बौडी में कई तरह के बदलाव आते हैं. महिलाओं की ब्रैस्ट की शेप भी बदल जाती है. नई मां को ब्रैस्टफीडिंग भी करानी होती है, जिससे ब्रैस्ट ढीली और लटकी हुई दिखती है. आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे जिसे आप अपनाकर ब्रैस्ट को शेप में ला सकती हैं.

आपको ब्रा पहनने से समस्या होती है, लेकिन आप सही ब्रा का चुनाव करें, आजकल मार्केट में कई तरह के ब्रा मिलते हैं, जिससे आपको खिंचाव महसूस नहीं होगा. आप कम्फर्टेबल फील करेंगी. आपके ब्रैस्ट को सपोर्ट भी मिलेगा. आप इसके लिए हल्की पैडेड टीशर्ट ब्रा का औप्शन चुन सकती हैं. सौफ्ट कपड़े की ब्रा पहनें, जिससे आपको स्मूथ फील होगा. जिससे आप पूरे दिन आराम से रह सकती हैं. इसके अलावा ब्रैस्टफीडिंग करवाने के दौरान आपका पोस्चर बदलता होगा. उस दौरान अपना पोस्चर ठीक रखें. आगे की ओर झुके नहीं.

मालिश करें

ब्रैस्ट की मालिश करने से शेप में लाया जा सकता है. इससे बेहतर ब्लड सर्कुलेशन होता है. ब्रैस्ट की मालिश करने से इसे शेप में लाने में मदद मिल सकती है. इसके लिए आप बादाम का तेल या औलिव आयल का इस्तेमाल कर सकती हैं.

एक्सरसाइज करें

ब्रैस्ट को शेप में लाने के लिए एक्सरसाइज काफी मददगार साबित हो सकती है. इसका कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है. इसके लिए आप पुश अप्स, चैस्ट प्रैस कर सकती हैं, लेकिन हल्की एक्सरसाइज ही करें.

डिलीवरी होने के बाद क्यों बढ़ जाता है ब्रैस्ट का साइज

बच्चे के जन्म होने के बाद स्तन पहले से बड़े हो सकते हैं, क्योंकि आपके एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बहुत ही कम हो जाता है. प्रोलैक्टिन जो एक तरह का हार्मोन है, यह ब्रैस्ट में दूध बनाने का काम करता है. ब्रैस्ट में दूध आने की वजह से इसके शेप में बदलाव आता है. हालांकि जब बच्चा दूध पीना छोड़ देता है, तो फिर से ब्रैस्ट नार्मल शेप में आने लगते हैं.

डाइट का ख्याल रखें

बैस्टफीडिंग डाइट अलग होती है. आप किसी एक्सपर्ट का सलाह लेकर इसे फौलो करें. आप अपनी डाइट में विटामिन-बी और विटामिन-ई से भरपूर चीजें खा सकती हैं. ज्यादा फैटी चीजें न खाएं.

डिलीवरी के बाद  हो सकती हैं ये समस्याएं

डिलीवरी के बाद शरीर में कई तरह की समस्याएं होती हैं. ड्राई स्किन, स्किनपैच, हेयर फाल जैसी समस्या होती है. बौडी में हार्मोनल चेंज के कारण ये बदलाव होते हैं. कई बार ब्रैस्ट में दर्द भी होने लगता है. ये खासकर उन महिलाओं में होता है, जो पहली बार मां बनती है. हालांकि कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक हो जाता है. लेकिन जब ये परेशानी बढ़ जाए तो एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कुछ लड़कियों को क्यों अच्छा लगता है सिंगल रहना ?

‘‘मम्मा, आज मेरा खाना मत बनाना. आरवी के यहां पार्टी है.’’

‘‘क्या उस की इंगेजमैंट है?

‘‘उफ मम्मा… वह यूएस जा रही है.’’

‘‘32 साल की हो गई है, शादी कब करेगी?’’

‘‘शादी जरूरी है क्या? वह कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रही है. 20 लाख का पैकेज है. वहां जा कर उस का पैकेज और पोस्ट दोनों ही बढ़ जाएंगे. शादी कर के बस पति की इच्छा के अनुसार रहना, चाय बनाना, खाना बनाना, उन की पसंद के कपड़े पहनना आदिआदि. मैं भी इन सारे झंझटों में नहीं पड़ना चाहती. अकेले रहो अपनी आजादी से जो मन चाहे वह करो.’’

smiling girl man and flowers

रेवती नाराजगी के स्वर में बोली, ‘‘रिया तुम बहुत बोलने लगी हो. तुम भी इस साल 31 की हो गई हो, अपनी पसंद का कोई लड़का हो तो मुझे मिलवा दो,  मुझे ठीक लगेगा तो मैं तुम्हारी शादी उस सवे करा दूंगी.’’

‘‘शादी और मैं… माई फुट,’’ कह रिया बाहर निकलते हुए बोली,

‘‘मैं आप से कहना भूल गई थी कि मैं ने जौब चेंज कर के गूगल कंपनी जौइन कर ली है. मेरी सैटरडे को मुंबई की फ्लाइट है. मंडे  जौइनिंग है.’’

‘‘तुम ने पहले तो मुझे कुछ बताया नहीं?’’

‘‘सब बातें आप से बताना जरूरी है क्या?’’

रेवती मन में सोचने लगी कि यह नई पीढ़ी शादी से क्यों दूर भाग रही है. शायद यह हम लोगों की तरह पैसे के लिए पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती. वह आत्मनिर्भर है, अपने कैरियर के प्रति प्रतिबद्ध है. अपनी जिंदगी अपनी तरह से जीना चाहती है.

ठीक भी है कम से कम इन्हें हम लोगों की तरह पैसे के लिए पति के सामने अपना हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा और न ही सुनना पड़ेगा कि दिनभर करती ही क्या हो.

फिर भी शादी, परिवार और बच्चे तो समय से ही हो जाने चाहिए. लेकिन हम लोग इन के साथ जबरदस्ती भी तो नहीं कर सकते हैं.

आजकल समाज में एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. युवा महिलाओं में शादी न करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. यह प्रवृत्ति कई सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारणों से बढ़ रही है.

आर्थिक स्वतंत्रता: आज की युवा लड़कियां शिक्षित हैं. वे अपने कैरियर के प्रति सजग हैं और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर रही हैं. वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में सफलतापूर्वक अपना कैरियर बना रही हैं. आर्थिक स्वतंत्रता के कारण वे अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हो रही हैं, जिन में शादी न करने का निर्णय भी शामिल है.

पूर्वी की दीदी पायल ने लवमैरिज की थी लेकिन शक्की रोनित ने पायल को धोखा दे कर उस का सबकुछ छीन लिया साथ में बातबात पर पिटाई भी कर देता था. अंत में पै्रगनैंट पायल ने अपने पेरैंट्स के घर में शरण ली. यहां उस ने बीएड किया. अब नौकरी तलाश रही है. इसलिए पूर्वी के मन में शादी करने से ज्यादा पहले कैरियर और आर्थिक रूप से सुदृढ़ होना ही पहली प्राथमिकता है.

शिक्षा और कैरियर पर ध्यान: शिक्षा और कैरियर पर ध्यान केंद्रित करने के कारण कई महिलाएं शादी को प्राथमिकता नहीं दे रही हैं. वे अपने पेशेवर लक्ष्यों को हासिल करने और व्यक्तिगत विकास के लिए अपना समय और ऊर्जा खर्च करना चाहती हैं. इस के अतिरिक्त अपने कैरियर पर फोकस कर के अपना स्थायित्व पाने के बाद ही शादी के बारे में सोचने का निर्णय ले रही हैं.

इला के पापा समीर शर्मा यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के हैड औफ द डिपार्टमैंट से रिटायर हुए थे. इला ने साइंटिस्ट बनने का सपना देखा है. इसलिए वह पहले पीएचडी करना चाहती है. उस के जीवन का फोकस अपने कैरियर पर है. वह कहती है कि शादी का क्या जब चाहे तब कर लो.

जो महिलाएं अपने कैरियर के बारे में सोचती हैं, अपनी लाइफ में कुछ करना चाहती हैं वे जल्दी किसी बंधन में नहीं बंधना चाहतीं. 30 की उम्र हो या ज्यादा, लड़कियां सिंगल हैं और अपने कैरियर पर ध्यान दे रही हैं. उन के अंदर आगे बढ़ने का जनून है जिस में उन की किसी के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है. उन्हें अपनी लाइफ में पूरी आजादी चाहिए. शादी एक बंधन है, जहां हर पल एक जिम्मेदारी और टोकाटाकी मुंह उठाए खड़ी रहती है. इसलिए उन्हें पहले अपने जनून को पूरा करना है.

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता: आज की युवा महिलाएं व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को अधिक महत्त्व देती हैं. वे अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं लेना पसंद करती हैं और किसी भी प्रकार की सामाजिक बाधाओं या बंधनों से मुक्त रहना चाहती हैं. यही स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की चाहत शादी से दूर रखती है.

आजकल युवा लड़कियों की सोच में काफी बदलाव दिखाई पड़ रहा है. वे अब किसी भी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं. उन्हें वह सब चाहिए जिस की वे हकदार हैं. भले ही इस के लिए उन्हें सालों इंतजार करना पड़े या फिर जिंदगीभर ही अकेला रहना पड़े. वैसे दिलचस्प बात यह है कि 30-35 या 40 की उम्र में भी सिंगल हैं और वे बहुत खुश भी हैं.

आजकल लड़कियों की सोच बदल गई है उन्हें खुश रहने और पूर्ण होने के लिए किसी साथी की आवश्यकता नहीं हैं. वे अपने कैरियर पर ध्यान देने, अपने शौक को पूरा करने और दोस्त बनाने पर ध्यान लगाती हैं. लड़कियों के मन में डर होने लगा है कि जैसा पार्टनर वे चाहती हैं वैसा पार्टनर मिलेगा या नहीं और यही डर उन्हें सिंगल रहने की ओर ले जाता है.

सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन: समाज में धीरेधीरे शादी की अवधारणा बदल रही है. अब समाज में शादी को जीवन की एक आवश्यक घटना के रूप में नहीं देखा जाता है. इस के स्थान पर व्यक्तिगत खुशी और संतुष्टि को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है. यह सांस्कृतिक परिवर्तन युवा महिलाओं के अपने जीवन के बारे में नए दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है.

मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य: आज की युवा महिलाएं अब अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो रही हैं. वे रिश्तों में बंधने से पहले खुद को समझने और अपनी भावनाओं को पहचानने का पहले प्रयास करती हैं. यदि उन्हें लगता है कि शादी उन के मानसिक या भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है तो वे इसे टालना ही उचित समझती हैं.

वैकल्पिक जीवनशैली: युवा महिलाएं अब वैकल्पिक जीवनशैली को अपनाना पसंद कर रही हैं, जिस में वे शादी के बिना भी खुशहाल और पूर्ण जीवन जी सकती हैं. वे अपने दोस्तों, परिवार और पेशेवर जीवन के माध्यम से संतोष और खुशी प्राप्त कर रही हैं. इस के अलावा वे समाज की पारंपरिक अपेक्षाओं से परे जा कर अपना जीवन जीना पसंद कर रही हैं.

30 की उम्र में डेटिंग करना: आजकल युवा लड़कियां 30 की उम्र में डेटिंग कर रही हैं. सिंगल रहने की वजह आजकल कई तरह के डेटिंग एप्स भी बन रहे हैं जहां बिना किसी कमिटमैंट के लोग एकदूसरे के साथ रहते हैं. ये लोग जिम्मेदारियों और किसी एक बंधन में बंध कर रहना नहीं चाहते हैं.

अपने लिए प्यार ढूंढ़ना: आजकल की पीढ़ी खुद से प्यार करती है. लड़कियां अब खुद अपनी खुशियों को पूरा करना जान गई हैं. लंबे समय तक सिंगल रहने से खुद को जानने, सम?ाने और प्यार करने का मौका मिलता है. दोस्त और परिवार उन का साथ देने के लिए काफी होते हैं. कई बार लंबे समय तक सिंगल रहने की वजह ब्रेकअप या प्यार में धोखा भी हो सकता है.

नैशनल स्टैटिस्टिक के आंकड़ों के अनुसार: यूके में अकेले रहने वालों की संख्या पहले की तुलना में तेजी से बढ़ी है. सर्वे के मुताबिक अमेरिका में 18 साल और उस से अधिक उम्र के 117.9 मिलियन एडल्ट हैं जो तलाकशुदा, विधवा या जिन्होंने शादी नहीं की है.

वर्ल्ड इकौनौमिक फोरम की स्टडी में बताया गया है कि आजकल लोग अकेला रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. स्टडी के मुताबिक, जो लोग अपनी मरजी से अकेले रहना चाहते हैं. वे लाइफ को ज्यादा बेहतर तरीके से जीते हैं. नई स्टडी के अनुसार जो लोग अकेले रहते हैं वे अपने कैरियर में अपने दोस्तों से ज्यादा तरक्की करते हैं.

समय के साथ लोगों का नजरिया बदल रहा: हर किसी को अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने का हक है परंतु हमारे पुरुषप्रधान समाज में महिलाओं को हमेशा पुरुषों की मरजी से चलना पड़ता है इसलिए हमारे समाज के अनुसार शादी का अर्थ ही सम?ाता है. जीवनभर सम?ाता करने से अच्छा अपने कैरियर और जनून के लक्ष्य को प्राप्त करो. अब समय के साथ समाज भी बदलने लगा है.

पहले महिलाओं को ले कर सारे फैसले घर के पुरुष लेते थे. आज को मौडर्न युग में सिंगल वूमन को ले कर लोगों का नजरिया थोड़ा बदला है. अब समाज उन्हें खुले तौर पर स्वीकार करने लगा है. आज की महिला शिक्षित है, वह अपने कैरियर के फैसले खुद लेती है. ऐसे में जब उसे अपने मन का या बराबरी का पार्टनर नहीं मिलता तो वह अकेले रहने का फैसला कर लेती है.

सच तो यह है कि जैसेजैसे लड़कियों का शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है वैसेवैसे वे शादी से विमुख होती जा रही हैं. इस का मुख्य कारण है कि शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. उन के पहनावे से ले कर उन की पसंद के खाने तक, हर चीज में ससुराल और पति की मरजी शामिल हो जाती है. इसलिए अच्छा है कि अकेले रह कर मनचाहे ढंग से लाइफ को ऐंजौय करो.

कुछ तो लोग कहेंगे इस की चिंता नहीं: आजकल लड़कियां समाज की चिंता छोड़ कर अपने दिल की बात सुनना और उसी को करना पसंद करती हैं जोकि सही भी है. अविवाहित युवतियों की गिनती पहले की अपेक्षा काफी बढ़ी है. अच्छी बात यह है कि इन सिंगल महिलाओं को अपने अकेलेपन से कोई शिकायत भी नहीं है. ये जिंदगी की रेस को अकेले ही जीतना पसंद कर रही हैं.

शादी और बच्चे वाली सोच समय के साथ बदल गई है. अब सिर्फ शादी और बच्चे पैदा करना ही महिला के लिए प्राथमिकता नहीं है. अब महिलाएं कैरियर, सामाजिक रुतबा और मन मुताबिक जिंदगी जीने लगी हैं. यही कारण है कि वे शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहतीं.

साउथ फिल्म इंडस्ट्री की जानीमानी ऐक्ट्रैस प्राची अधिकारी कहती हैं कि बस यह जुमला है कि पत्नी और मां बने बिना औरत अधूरी. ये कतई जरूरी नहीं कि शादी खुशी की गारंटी हो. यदि ऐसा होता तो आएदिन तलाक या अलगाव क्यों होते. अपने अंदर के खालीपन को आप खुद ही भर सकते हैं, कोई दूसरा नहीं भर सकता. मैं अपने कैरियर और सभी शौक पूरे कर के बहुत खुश हूं.

एनजीओ की फाउंडर आराधना मुक्ति कहती हैं कि मुझे बचपन से स्टडीज, गेम्स और ट्रैवल बहुत पसंद था. शादी का कभी प्लान नहीं था. अपने कैरियर पर फोकस था. इस समय 42 की हूं और अपनी दुनिया में बहुत खुश हूं.

बनारस की नीति ने भी शादी नहीं की. वे एक सोशल वर्कर हैं. वे कहती हैं कि शादी न करने का मेरा पर्सनल फैसला है. घर वाले पहले शादी करने के लिए कहा करते थे, फिर एक समय के बाद सब ने कहना बंद कर दिया. अब घर वाले भी बेटी की पसंद को स्वीकार करने लगे हैं.

लड़की पैदा होने से मरने तक बेटी, बहू, पत्नी और मां के रूप में पहचानी जाती है परंतु नीति का कहना है कि हमें अब खुद की पहचान बनाने के लिए महिला आधारित सामाजिक मान्यताओं को तोड़ना जरूरी है.

पहले के दिनों में शादी लड़कियों के लिए पहली प्राथमिकता थी परंतु अब वह पर्सनल चौइस बन गई है. शादी लड़कियों पर एक तरह से रोकटोक ही है. ससुराल में कितनी भी छूट मिल जाए लेकिन दिमाग में रहता ही है कि वह घर की बहू है. लड़की होने के नाते हमें कंप्रोमाइज तो करना ही होता है. यदि पति साथ में है तो उस के साथ भी हर समय सामंजस्य बैठा कर ही रहना पड़ेगा.

अगर आप खुद कमा रहे हैं तो शादी नहीं करने का फैसला बहुत आसान हो जाता है.

दहेज और फाइवस्टार वाली दिखावे वाली शादियों को देख कर मन में शादी से अरुचि होती है. बढ़ते तलाक के मामलों के बारे में सुनसुन कर शादी के नाम से ही मन में डर पैदा होता है.

37 वर्षीय अनुपमा गर्ग कहती हैं कि यह कभी नहीं सोचा था कि शादी नहीं करूंगी लेकिन हमारा सामाजिक परिवेश ऐसा है कि आसानी से रिश्ते नहीं होते. अगर आप अपने कैरियर पर फोकस करना चाहते हैं या आप आगे पढ़ना

चाहते हैं, जौब करना चाहते हैं तो ससुराल वाले कहते हैं कि हमारे यहां की बहू जौब नहीं करती या फिर लोग कहेंगे कि आप नौकरी तो कर लें लेकिन घर भी आप को ही संभालना पड़ेगा. इन सब झंझटों में पड़ना ही क्यों. अकेले रहो और मौज करो.

सच तो यह है कि लोगों को यह पता ही नहीं कि शादी क्यों करनी है, कोई सामाजिक परंपरा निभा रहा है तो कोई पेरैंट्स के दबाव या खुशी के लिए शादी कर रहा है.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और मैरिज काउंसलर पीयूष भाटिया कहती हैं कि अब महिलाओं को जमाने की चिंता नहीं है. वैसे भी शादी हरेक के लिए पर्सनल मामला है. मगर हमारे समाज में लोगों को इस की बहुत ज्यादा चिंता रहती है कि पड़ोस की लड़की ने अब तक शादी क्यों नहीं की. 35 साल की महिला को अकेला रहते देख वे परेशान होते रहते हैं.

21वीं सदी की सिंगल महिला अब अपनी आजादी को ऐंजौय कर रही है. आज लड़कियां प्लेन चलाने से ले कर ट्रक और औटो सब चला रही हैं. वे गाड़ी में पंक्चर भी लगा रही हैं. उन्हें किसी भी काम के लिए किसी पर डिपैंड होने की जरूरत नहीं है.

 शादी के बाद बराबर जिम्मेदारी चाहती हैं महिलाएं

युवा लड़कियां इसलिए भी शादी से इनकार करती हैं क्योंकि शादी के बाद परिवार उन से बच्चे को जन्म देने के लिए उम्मीद करने लगता है. बच्चे के पालनपोषण करने में कैरियर प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा. इस से उन की कार्यक्षमता में निश्चित रूप से कमी  आएगी, इस के अतिरिक्त कैरियर से ब्रेक भी लेना पड़ जाता है.

हमारे समाज में पुरुष को महिला से एक पायदान ऊपर समझ जाता है. ऐसे में महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सम?ाता कर के अपना जीवन बिताएं. आज महिलाएं इस तरह से सम?ाता करने को तैयार नहीं हैं. जिस तरह से वे शिक्षित होती हैं, नएनए स्टारट्सअप के लिए दिनरात मेहनत करती हैं, अपना कैरियर औप्शन चुनती हैं, जिसे आज के समय में बनाए रखना आसान काम नहीं होता. ऐसी स्थिति में शादी को तिलांजलि दे कर आजादी से काम करना ही ठीक समझती हैं.

सिंगल रहने वाली नई पीढ़ी के ज्यादातर लोगों की पहली और सब से अहम दलील है कि उन्हें आजादी महसूस होती है. पार्टनर की चिखचिख और रोजरोज की मांगों से नजात रहती है. खुद पर फोकस्ड लाइफ सैलिब्रेट करनी है तो शादी से दूर रहो. सिंगल लाइफ की कई सकारात्मक बातों को पूरी दुनिया में सुनने, सम?ाने और अपनाने का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है. इंटरनैट पर मौजूद पाडकास्ट ‘वेल  एनफ अलोन’ पर ऐसे कई सिंगल लोगों के इंटरव्यूज काफी चर्चित हो रहे हैं. उन का कहना है कि सिंगल होना आकर्षक होने के साथ संतुष्टि भरी लाइफ जीने का शानदार तरीका भी है.

यदि कभी अकेलापन महसूस हो तो सिर्फ अपने साथ रहना सीखें. मनपसंद संगीत सुनें, बाग में लगे पौधों में पानी डालने का अभ्यास डालें, तारों को निहारें, पार्क की बैंच पर बैठ कर अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को ध्यानपूर्वक देखें. ऐसा करने से जहां मन को संतुष्टि मिलेगी वहीं अपने अकेलेपन से प्यार हो जाएगा. अपने अकेलेपन में आप मनपसंद बेहतर अवसर तलाश सकते हैं. अकेलेपन में मनमस्तिष्क सुल?ा और शांत रहता है. अपने तनावों को दूर करने के लिए मन में अच्छे विचार उत्पन्न होते हैं. गिबन का तो मानना है कि एकांत तो प्रतिभा की पाठशाला है. तो देर किस बात की आप भी अकेलेपन को ऐंजौय करें.

आजकल अकेलापन कोई मुसीबत नहीं है. अपने जीवन में पार्टनर की चिखचिख और सम?ातों से बचना है और अपने जनून को पूरा कर के मनचाही जिंदगी जीनी है तो अपने अकेलेपन में मस्त रह कर कुछ नया करते रहें.

टीनऐजर्स और पैरेंट्स के बीच होने लगे कम्यूनिकेशन गैप, तो बड़े काम के साबित होंगे ये टिप्स

मुझे याद है जब मैं करीब 15 साल की थी. 10वीं क्लास की पढ़ाई का प्रैशर और अपनी मनमानी न कर पाने का गुस्सा अलग ही अनुभवों की लिस्ट सी बनाता चला गया और युवा होतेहोते इस का अंदाजा भी नहीं लगा.

उन में से एक था बातबात पर गुस्सा हो कर मम्मीपापा से बात करना छोड़ देना. मम्मी कहीं जाने से मना कर देतीं तो कभी पापा अपनी पसंदीदा ड्रैस के लिए पैसे देने से मना कर देते. रोती और गुस्सा होती और कईकई दिन तक मम्मीपापा से बात नहीं करती.

Teenagers sitting together

अन्य टीनऐजर्स बच्चों की तरह मैं भी अपने पेरैंट्स से दिनभर की बातें करती थी जैसे दिनभर की थकान, स्कूल में मैडम की डांट तो क्लासमेट से हुई नोंकझोंक सबकुछ बताती थी, फिर धीरेधीरे सब छूटने लगा.

गुस्सा करना और बात न करना एक आदत सी बनता चला गया. शुरूशुरू में मम्मीपापा भी हंस कर टाल देते थे. मनाने की कोशिश करते, हंसाने की कोशिश भी करते. लेकिन मैं अपनी जिद्द पर अड़ी रहती, न बात करती और न ही उन की बातों का जवाब देती. फिर धीरेधीरे वह भी बंद हो गया. कम्यूनिकेशन गैप बढ़ता चला गया. आखिर वह भी कितना अपनेआप को एक ही चीज के लिए फोर्स करते.

खेलते हुए हम लोग गंभीर से हो गए, युवा होने तक ऐसा ही रहा और आज भी है. पेरैंट्स और टीनऐजर्स के बीच कम्यूनिकेशन गैप का बढ़ जाना ठीक नहीं है. बाद में यह आप को अलगथलग कर देता है. इसलिए पेरैंट्स के साथ अपना कम्यूनिकेशन बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है.

आइए, जाने अपने और अपने पेरैंट्स के बीच कम्यूनिकेशन को कैसे ठीक रखा जा सकता है:

बातचीत के लिए रहें हमेशा औपन

टीनऐजर्स और पेरैंट्स दोनों ही के लिए यह जरूरी हो जाता है कि आप बातचीत के लिए हमेशा औपन रहें. एक बच्चे के तौर पर अपने मातापिता से बातचीत करते रहे. उन से उन के स्कूली जीवन, अनुभवों और शौक के बारे में पूछें और उन्हें अपने शौक भी बताएं. अगर नाराज हैं फिर भी पेरैंट्स की तरफ से की गई बातचीत की छोटी सी कोशिश को भी नजरअंदाज न करें. अपनी नाराजगी दिखाएं जरूर लेकिन उस पर अडे़ न रहें. परिस्थिति चाहे जैसी भी हो कोशिश यह होनी चाहिए कि किसी भी रिश्ते में बातचीत का सिलसिला टूटने न पाए. बातचीत का कम होना एक अनहैल्दी रिश्ते की निशानी है, चाहे वह कोई भी रिश्ता हो.

गलत शब्दों के चयन से बचें

अकसर टीनऐजर्स बडे इमैच्योर तरीके से गुस्से ही गुस्से में ऐसी कई बातें बोल देते हैं, जिन से पेरैंट्स को काफी ठेस लगती है. हो सकता है उन का गुस्सा भी बढ़ जाए और आप का भी फिर बात और बिगड़ जाए. ऐसे में टीनऐजर्स के लिए बेहतर होता है अपनी बात को सामने रखें और सही शब्दों के साथ उन्हें बताने की कोशिश करें. ध्यान रहे एक टीनऐजर के और एक संतान के तौर पर आप अपनी लिमिट क्रौस न करें जो बाद में जा कर कम्यूनिकेशन को बढ़ा दे. मम्मीपापा से बात करते समय शब्दों के चयन का खास ध्यान रखें.

परिस्थितियां समझने की कोशिश करें

कभी भी पेरैंट्स के साथ जल्दबीजी से काम न लें, पेशंस रखें क्योंकि पेरैंट्स और आप टीनऐजर्स के बीच एक बड़ा ऐज गैप होता है, जिस से पेरैंट्स को आप की जरूरतों और पसंद को समझने में वक्त लगता है. ऐसे में पेरैंट्स के साथ जल्दबाजी या जिद न करें. ऐसा करने से पेरैंट्स आप की बातों को गैरजरूरी समझ कर नजरअंदाज कर सकते हैं. पेरैंट्स के साथ पेशंस रखें. उन्हें अपनी जरूरों और पसंद के बारे में डीटेल में बताएं ताकि वे उन्हें अच्छे से समझ सकें.

बहस करने से बचें

अकसर बच्चे अपने मम्मीपापा की बातों से भड़क जाते हैं और बहस करने लगते हैं. वह बहस फिर जल्दी ही झगड़े में बदल जाती है. टीनऐजर्स को चाहिए कि वे ऐसा न करें बल्कि यदि आप के मम्मीपापा आप को किसी बात पर सलाह देते हैं या बातोंबातों में कुछ ऐसा बोल देते हैं जो आप को दिल पर लग जाता है तो उसे कहने का सही तरीका और समय ढूंढ़े. कई बार ऐसा करने से पहले ही आप के मम्मीपापा को अपनी गलती का एहसास हो जाता है. तो हमेशा बहस करने के बजाय शांति से उस पर बात करने की कोशिश करें. जरूरी नहीं हर बार आप सही हों और वे गलत या फिर आप गलत हों और वे सही.

उन के अनुभव के बारे में पूछें

अगर आप किसी परेशानी में फंस गए हैं या आप के जीवन में किसी तरह की उलझन है चीजों को ले कर, रिश्तों को ले कर तो बेहतर होगा कि आप अपने मातापिता से पूछें. वे हमेशा आप को कोई न कोई समाधान तो दे ही देंगे. उन का अनुभव आप को अपने जीवन को बेहतर करने में मदद करेगा और इस तरह आप के बीच में पनप रहे कम्यूनिकेशन गैप को कम करने में मदद मिलेगी. इस से एक खास बात यह रहेगी कि आप को जानने का मौका मिलेगा कि आप के पेरैंट्स ने आप तक पहुंचने में कितनी परेशानियों का समना किया हो. वैसे हर केस में ऐसा होना जरूरी नहीं पर अनुभव बांटना एक अच्छा ऐक्सपीरियंस है.

खुद को पेरैंट्स की जगह पर रखें

जब भी एक टीनऐजर्स के तौर पर आप को लग रहा है आप के मम्मीपापा आप के साथ कुछ गलत कर रहे हैं तो एक बार अपनेआप को उन की जगह पर रखने की कोशिश करें. अगर आप एक टीनऐजर्स के तौर पर अपने लिए बहस कर सकते हैं तो उन्हें समझने की कोशिश भी कर सकते हैं. कई बार मम्मीपापा अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही आप की बातों का नजरअंदाज या फिर मना करते हैं. ये परिस्थितियां कई तरह की हो सकती हैं जैसे आर्थिक यानी पैसों की कमी, सामाजिक यानी आप की सुरक्षा और भविष्य से जुड़ी बातें. ऐसी कई बातें उन्हें आप की हर बात न मानने के लिए मजबूर करती हैं.

इन बातों का ध्यान रखें और कोशिश करें कि आप और आप के पेरैंट्स के बीच कम्यूनिकेशन गैप न पनपने पाए. हर मांबाप अपने बच्चों के लिए अपने से बेहतर भविष्य और वर्तमान की कामना ही नहीं करते बल्कि इन की कोशिशों में लगातार लगे रहते हैं. आप ने कई बार देखा होगा अपनी मम्मी को अपने लिए साड़ी नहीं आप के लिए ड्रैस लेते हुए अपने पापा को सेम जूतों में सालभर औफिस जाते हुए पर आप को आप की पसंद के जूते दिलवाते हुए. ऐसे में उन के साथ बातचीत बंद कर देना एक अविकसित दिमाग की निशानी से ज्यादा कुछ नहीं है. एक टीनऐजर्स और युवा के तौर पर ऐसा न होने दें और हमेशा बातचीत का सिलसिला जारी रखें भले नाराजगी लंबे समय तक चलती रहे.

क्या है हाइड्रा फेशियल फेयरनैस ट्रीटमैंट, जानें इसके बारे में सबकुछ

लड़के हों या लड़कियां हरकोई मुलायम, फेयर, चमकदार और जवां स्किन चाहता है. चमकदार और ग्लोइंग स्किन के साथ आप का कौन्फिडैंट लैवल अलग ही दिखाई देता है. भारत में वैसे तो ग्लोइंग और फेयर स्किन का क्रेज सदियों से चला आ रहा है जिस के चलते भ्रामक विज्ञापनों के जरीए फेयरनैस क्रीम वाली कंपनियों ने खूब पैसा कमाया है. आप भी हर महीने या महीने में 1 या 2 बार फेयर स्किन के पार्लर से फेशियल जैसी चीजें करवाती होंगी. नईनई तकनीकें इस क्रेज को सहारा भी देने लगी हैं.

Face cupping therapy ventosa cupping treatment for strong face lifting

इसी का उदाहरण है बाजार में आया हाइड्रा फेशियल जो आप के चेहरे को कई लैवल तक फेयर यानी गोरा कर देता है. आइए, जानते हैं इस के बारे में:

हाइड्रा फेशियल क्या है

हाइड्रा फेशियल एक कौस्मैटिक तकनीक है जिस में त्वचा को साफ और हाइड्रेट करने के लिए खास डिवाइस का उपयोग किया जाता है. यह आमतौर पर छिद्रों को साफ करने और त्वचा की मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाता है और उसे ग्लोइंग बनाता है.

इस की शुरुआत होती है स्किन के पोर्स को ढीला करने और खोलने से लेकर और फिर बेहतर सफाई के लिए ग्लाइकोलिक ऐसिड, सैलिसिलिक ऐसिड और कई वनस्पति अवयवों के मिश्रण का उपयोग कर के त्वचा को तैयार करता है.

हाइड्रा फेशियल के क्या लाभ हैं

हाइड्रा फेशियल स्किन को एक वाइब्रैंट लुक देता है. त्वचा की गहराई से सफाई होती है, डैड स्किन को आधुनिक डिवाइसेस की मदद से रिमूव किया जाता है जिस से स्किन ग्लो करती है.

मुंहासों से मिले छुटकारा

हाइड्रा फेशियल स्किन के पोर्स (रोमछिद्रों) को बंद करने वाली कोशिकाओं को हटाता है. बंद रोमछिद्रों के कारण मुंहासे हो सकते हैं. हाइड्रा फेशियल करने से चेहरे के मुंहासों से छुटकारा मिल सकता है.

ब्लैकहैड्स हटाने में करे मदद

हाइड्रा फेशियल ब्लैकहैड्स हटाने में भी मदद करता है. अगर आप की स्किन पर ज्यादा ब्लैकहैड्स हैं, तो आप हाइड्रा फेशियल का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह डैड स्किन को निकालता है जोकि ब्लैकहैड्स का मेन कारण होती है. ऐसे में फेशियल के दौरान इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट की मदद से स्किन ऐक्सफौलिएट होती है जिस से ब्लैकहैड्स हटाए जा सकते हैं.

ऐंटीएजिंग का करता है काम

हाइड्रा फेशियल ऐंटी एजिंग का भी काम करता है. हाइड्रा फेशियल लेने से एजिंग के लक्षणों में कमी होती है. एक स्टडी के मुताबिक हाइड्रा फेशियल स्किन पर दिखाई देने वाले बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसेकि ?ार्रिया आदि को कम करने में मदद करता है.

साइड इफैक्ट और सावधानियां

वैसे तो हाइड्रा फेशियल को साइड इफैक्ट साइड रहित बताया जाता है लेकिन इसे करवाने से पहले इन चीजों का पता कर लेना चाहिए:

अगर आप को कोई स्किन रिलेटिड परेशानी है या आप की स्किन ज्यादा सैंसिटिव है तो एक बार स्किन ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

अत्यधिक मुंहासे होने पर भी एक बार फेशियल लेने से पहले ऐक्सपर्ट की सलाह लें.

प्रैगनैंसी के दौरान शरीर से जुडे़ किसी भी तरह के ट्रीटमैंट को लेने से पहले डाक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि इस में इलैक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल होता है.

फेशियल कराने से पहले और बाद में की जाने वाली सावधानियों का ध्यान रखें. ऐसा न करने के गंभीर परिणाम देखे जा सकते हैं.

शरीर पर किसी भी तरह का गैरजरूरी उपचार कराने से पहले किसी ऐक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. प्रत्येक व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग होता है तो उपचार के फायदे और नुकसान भी अलगअलग होना स्वाभाविक है.

कहीं आपका कोई अपना तो नहीं BPD का शिकार, जानें इस बीमारी के लक्षण

अनुष्का अभी महज 30 साल की थी लेकिन प्यार में मिले धोके को वो झेल नहीं पाई और कभी डिप्रैशन तो कभी एंग्जायटी का शिकार हो गई. साथ ही, उसकी इमोशंस भी काफी अस्थिर हो जाते जिस कारण वह बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर से पीड़ित हो गई. जो उसके और परिवार वालों के लिए परेशानी की वजह बन गया.

Translucent and blurred portrait of woman

क्या है बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर

बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर मानसिक बीमारियों का समुदाय है इस बीमारी में आमतौर पर व्यक्ति में 9 लक्षण होते हैं . जिस व्यक्ति में उनमें से 5 लक्षण भी दिखाई देते हैं तो वो इस बीमारी से पीड़ित होता है. हावभाव ,अत्यधिक चिंता,खुद को अकेला और खालीपन महसूस करना , रिश्तों में स्थिरता न रहना , कभी किसी के साथ रिश्ता जोड़ना तो कभी किसी और के साथ रिश्तों में ठहराव न होना एक ही पल में किसी को खुद से ज्यादा प्यार करना और दूसरे ही पल में उसे गालियां देना. इसे मेडिकल लाइन में यो यो रिलेशनशिप कहते हैं. जिसमे बहुत ज्यादा करीब आ जाना और पास आ कर दूर चले जाना. एकदम बहुत अधिक गुस्सा आ जाना ,जिसके चलते पता भी नहीं होता कि मरीज क्या कर रहा है. हमेशा किसी को खो देने का डर बना रहना , तुम्हे यह लगना कि जिसको तुम प्यार करती हो वो तुम्हे छोड़ जाएगा . इसलिए बारबार फ़ोन करना ,जरूरत से ज्यादा किसी की फिक्र करना, दूसरों पर शक करना , मन में बारबार आत्महत्या के विचार उतपन्न होना , अपने ही बारे में एक सोच नहीं रख पाना. ये सभी बौर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऔर्डर के ही लक्षण हैं. यह बीमारी होकर भी बीमारी नहीं है बल्कि यह व्यक्तित्व का एक हिस्सा है जिसे व्यक्ति खुद से ही जीत सकता है.

इलाज

इसके लिए DBT करनी होती है जिसे डिएलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी कहते हैं इसमें इलाज को पांच हिस्सों में बांटा जाता है. जो हैं- व्यक्तिगत चिकित्सा, समूह कौशल प्रशिक्षण, माइंडफुलनेस , आवश्यकतानुसार फोन पर सलाह देना, हिम्मत बनाए रखने के लिए काउंसलिंग और रोगी की देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे व्यक्ति अपनी भावनाओ पर किस तरह काबू पाकर एक साधारण जीवन व्यतीत कर सकता है. जरूरत पड़ती है, तो आपको दवाइयां भी दी जाती हैं लेकिन थैरेपी थोड़े लम्बे टाइम तक चलती है. सेशन के दौरान सिखाई गई बातों को रोजमर्रा की जीवनशैली में अपनाना होता है.

कैसे बचें

  • नकरात्मक विचारों से दूरी बनाएं
  • खुद को कंट्रोल करना सीखें.
  • परिवर्तन के साथ तालमेल बना कर रहें.
  • किसी भरोसेमंद से अपने मन की बात साझा करें.
    कारण
    आनुवंशिक,हार्मोन असंतुलन,तनाव, बड़े हादसे होना जैसे मातापिता या बच्चों की मृत्य ,प्यार में धोखा,करीबी रिश्ता टूटना ,घरेलू हिंसा के ईद-गिर्द बचपन बीतना ये सभी इसके कारण हैं .

मैं पहली बार मां बनी हूं, कुछ दिनों से डिप्रैशन में चली गई हूं…

सवाल

मैं नईनई मां बनी हूं. परिवार में अन्य सदस्य होने के बावजूद भी मैं अवसाद सा महसूस कर रही हूं. ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

All the sleepless nights make it worth the effort Shot of a young woman using a laptop while caring for her adorable baby at home

जवाब

एक नई मां के रूप में परिवार के सदस्यों के आसपास रहने के बावजूद अकेलापन या अवसाद महसूस करना असामान्य नहीं है. नवजात शिशु की देखभाल करना एक मुश्किल कार्य है और प्रसव के बाद का समय भावनात्मक रूप से उथलपुथल से भरा होता है. यह समय शारीरिक और मानसिक बदलाव का होता है. साथ ही नींद की कमी, हार्मोनल उतारचढ़ाव और मां के रूप में नई भूमिका चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

इन समस्याओं से लड़ने के लिए आप कुछ कदम उठा सकती हैं. अपने परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों को बताएं कि आप कैसा महसूस कर रही हैं और मदद मांगें. अपने अकेलेपन और किसी अन्य नकारात्मक भावना के बारे में डाक्टर से सलाह लें. प्रसव के बाद अवसाद (पीपीपी) के बारे में जानें- भारत में पीपीपी का प्रचलन अधिक है और यह एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है. बच्चों की देखभाल के अलावा अपने लिए भी समय निकालें और अपने आसपास या औनलाइन दूसरी नई माताओं से जुड़ें, जो शायद आप की तरह ही महसूस कर रही हों. एक ऐसे समुदाय का हिस्सा बनें जहां आप खुद को सम झ सकें और अच्छा महसूस कर सकें.

सवाल 

मुझे कलर करने के बाद अकसर माथे, कान, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है. क्या यह ऐलर्जी हो सकती है?

जवाब

कुछ लोगों को बालों में डाई लगाने के बाद ऐलर्जिक रिएक्शन होता है. यह रिएक्शन मामूली असर वाला या फिर गंभीर भी हो सकता है. बालों में कलर करने के बाद यदि आप को सिर की स्किन में मामूली जलन या सनसनाहट महसूस हो तो यह ऐलर्जी की शुरुआत हो सकती है. अगर कलर करने के बाद आप के माथे, कान, गरदन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है तो यह ऐलर्जी का गंभीर मामला हो सकता है. आप कुछ सावधानियां बरत कर बालों में हेयर डाई से हो सकने वाले नुकसान से बच सकती हैं. इस के लिए जब भी आप किसी नए ब्रैंड को इस्तेमाल करें तो पहले उस के बारे में अच्छे से जानकारी कर लें. ऐसा देखा गया है कि कई बार कुछ लोग कलर बदलने से ऐलर्जी का शिकार हुए हैं. कोशिश करें कि आप लगातार एक ही अच्छा ब्रैंड उपयोग करें. ऐलर्जी से बचने के लिए पैच टैस्ट कर के देख लें. पैच टैस्ट किसी प्रोडक्ट के प्रति आप की स्किन की संवेदनशीलता के बारे में बताता है. इस के साथ ही आप को ऐलर्जिक रिएक्शन से भी बचाता है. इसलिए हेयर डाई का मिश्रण बनाते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें. कान के पीछे का हिस्सा सब से ज्यादा संवेदनशील होता है. यह किसी भी प्रकार के ऐलर्जिक रिएक्शन के लक्षणों को तुरंत दिखाता है. आप रुई के फाहे को हेयर डाई के मिश्रण में डुबो कर कान के पीछे लगा लें. इसे 24 घंटे तक लगाकर रखने से आप ऐलर्जी के प्रकोप से बची रहेंगी. यदि आप हेयर डाई को निर्धारित समय से ज्यादा समय तक लगा कर रखती हैं तो यह आप के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है. आजकल बिना अमोनिया के कलर मिलते हैं. उन्हें ट्राई कर लें वरना हिना में कौफी, आंवला और शिकाकाई मिला कर इस्तेमाल करें.

एहसास: क्यों सास से नाराज थी निधि

मालती ने अलमारी खोली. कपड़े ड्राईक्लीनर को देने के लिए, सुबह ही अजय बोल कर गया था, ‘मां ठंड शुरू हो गई है. मेरे कुछ स्वेटर और जैकेट निकाल देना,’ कपड़े समेटते हुए उस की नजर कुचड़मुचड़ कर रखे शौल पर पड़ी. उस ने खींच कर उसे शैल्फ से निकाला. हलके क्रीम कलर के पश्मीना के चारों ओर सुंदर कढ़ाई का बौर्डर बना था. गहरे नारंगी और मैजेंटा रंग के धागों से चिनार के पत्तों का पैटर्न. शौल के ठीक बीचोंबीच गहरा दाग लगा था. शायद, चटनी या सब्जी के रस का था जो बहुत भद्दा लग रहा था.

यह वही शौल था जो उस ने कुछ साल पहले कश्मीर एंपोरियम से बड़े शौक से खरीदा था. प्योर पश्मीना था. अजय की बहू को मुंहदिखाई पर दूंगी, तब उस ने सोचा था. पर इतने महंगे शौल का ऐसा हाल देख कर उस ने माथा पीट लिया. हद होती है, किसी भी चीज की. निधि की इस लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया. पिछले संडे एक रिश्तेदार की शादी थी, वहीं कुछ गिरगिरा दिया गया होगा खाना खाते वक्त, दाग लगा, सो लगा, पर महारानी से इतना भी न हुआ की ड्राईक्लीन को दे देती या घर आ कर साफ ही कर लेती.

तमीज नाम की चीज नहीं इस लड़की को. कुछ तो कद्र करे किसी सामान की. ऐसा अल्हड़पन कब तब चलेगा. मालती बड़बड़ाती हुई किचन में आई. किचन में काम कर रही राधा को उन्होंने शाम के खाने के लिए क्या बनाना है, यह बताया और कपड़ों को ड्राइंगरूम में रखे दीवान के ऊपर रख दिया. और फिर हमेशा की तरह शाम के अपने नित्य काम में लग गई.

देर शाम अजय और निधि हमेशा की तरह हंसतेबतियाते, चुहल करते घर में दाखिल हुए. ‘‘राधा, कौफी,’’ निधि ने आते ही आवाज दी और अपना महंगा पर्स सोफे पर उछाल कर सीधे बाथरूम की ओर बढ़ गई. अजय वहीं लगे दीवान पर पसर गया था. मालती टीवी पर कोई मनपसंद सीरियल देख रही थी, पर उस की नजरें निधि पर ही थीं. वह उस के बाथरूम से आने का इंतजार करने लगी. शौल का दाग दिमाग में घूम रहा था.

‘‘और मां, क्या किया आज?’’ जुराबें उतारते हुए अजय ने रोज की तरह मां के दिनभर का हाल पूछा. बेचारा कितना थक जाता है, बेटे की तरफ प्यार से देखते हुए उन्होंने सोचा और किचन में अपने हाथों से उस के लिए चाय बनाने चली गई. इस घर में, बस, वे दोनों ही चाय के शौकीन थे. निधि को कौफी पसंद थी.

निधि फ्रैश हो कर एक टीशर्ट और लोअर में अजय की बगल में बैठ कर कौफी के सिप लेने लगी. मालती उस की तरफ देख कर थोड़े नाराजगीभरे स्वर में बोली, ‘‘निधि, ड्राईक्लीन के लिए कपड़े निकाल दिए हैं. सुबह औफिस जाते हुए दे देना. तुम्हारे औफिस के रास्ते में ही पड़ता है तो मैं ने निकाल कर रख दिए,’’ मालती ने जानबू झ कर शौल सब से ऊपर दाग वाली तरफ से रखा था कि उस पर निधि की नजर पड़े.

‘‘ठीक है मां,’’ कह कर निधि अपने मोबाइल में मैसेज पढ़ने में बिजी हो गई. उस ने नजर उठा कर भी उन कपड़ों की तरफ नहीं देखा.

मालती कुनमुना कर रह गई. उस ने उम्मीद की थी की निधि कुछ नानुकुर करेगी कि नहीं, मैं नहीं दे पाऊंगी, टाइम नहीं है, औफिस के लिए लेट हो जाएगा वगैरहवगैरह. पर यहां तो उस के हाथ से एक और वाकयुद्ध का मौका निकल गया. हमेशा यही होता है, उस के लाख चाहने के बावजूद निधि का ठंडापन और चीजों को हलके में लेना मालती की शिकायतों की पोटली खुलने ही नहीं देता था.

मालती उन औरतों में खुद को शुमार नहीं करना चाहती थी जो बहू से बहाने लेले कर लड़ाई करे और बेटे की नजरों में खुद मासूम बनी रहे. वह खुद को आधुनिक सम झती थी और यही वजह थी कि अपनी तरफ से वह कोई राई का पहाड़ वाली बात नहीं उठाती थी. वैसे भी, घर में कुल जमा 3 प्राणी थे और चिकचिक उसे पसंद नहीं थी. पर कभीकभी वह निधि की आदतों से चिढ़ जाती थी. मालती को घर में बहू चाहिए थी जो सलीके से घरबाहर की जिम्मेदारी संभाले. पर यहां तो मामला उलटा था. ठीक है, उस ने सोचा, अगर किसी को कोई परवा नहीं तो मैं भी क्यों अपना खून जलाऊं, मैं भी दिखा दूंगी कि मु झे फालतू का शौक नहीं कि हर बात में इन के पीछे पड़ूं. इन की तरह मैं भी, वह क्या कहते हैं, कूल हूं.

अपनी इकलौती संतान को ले कर हर मां की तरह मालती के भी बड़े सपने थे. अजय को जौब मिली भी नहीं थी कि रिश्तेदारी में उस की शादी की बातें उठने लगीं. मालती खुद से कोई जल्दी में नहीं थी. पर कोई भाभी, चाची या पड़ोसिन अजय के लिए किसी न किसी लड़की का रिश्ता खुद से पेश कर देती. ‘अभी अजय की कौन सी उम्र निकली जा रही है. जरा सैटल हो जाने दो.’ यह कह कर वह लोगों को टरकाया करती.

पर दिल ही दिल में अपनी होने वाली बहू की एक तसवीर उस के मन में बन चुकी थी. चांद सी खूबसूरत, गोरी, पतली, नाजुक सी, सलीकेदार जो घर में खाना पकाने से ले कर हर काम में हुनरमंद हो. अब यह सब थोड़ा मुश्किल तो हो सकता है पर नामुमकिन नहीं. वह तो ऐसी लड़की ढूंढ़ कर रहेगी अपने लाड़ले के लिए. लेकिन उस की उम्मीदों के गुब्बारे को उस के लाड़ले ने ही फोड़ा था. एक दिन, निधि को घर ला कर.

उसे निधि का इस तरह घर पर आना बहुत अटपटा लगा था. क्योंकि अजय किसी लड़की को इस तरह से कभी घर ले कर नहीं आया था. वह बात अलग थी कि स्कूलकालेज के दोस्त  झुंड बना कर कभीकभार आ धमकते थे. जिस में बहुत सी लड़कियां भी होती थीं.

मालती को कभी अखरता नहीं था अजय के यारदोस्तों का आना. पर उस ने अपने लिए कोई लड़की पसंद कर ली थी, यह बात मालती को सपने में भी नहीं आई थी. उस का बेटा अपनी मां की पसंद से शादी करेगा, यही मालती को गुमान था. जिस दिन अजय ने बताया कि वह अपनी किसी खास दोस्त को उस से मिलाने ला रहा है, वह सम झ कर भी अनजान बनने का नाटक करती रही. एक बार भी नहीं पूछा अजय से कि आखिर इस बात का मतलब क्या है?

उस दिन शाम को अजय निधि को अपनी बाइक पर बिठा कर घर ले आया. मालती ने कनखियों से निधि को देखा. नहीं, नहीं, उस के सपनों में बसी बहूरानी के किसी भी सांचे में वह फिट नहीं बैठती थी. आते ही ‘नमस्ते आंटी’ बोल कर धम्म से सोफे पर पसर गई. निधि लगातार च्युइंगम चबा रही थी. बौयकट हेयर, टाइट जींस और टीशर्ट में उस की हलकी सी तोंद भी  झलक रही थी. अजय ने मालती को ऐसे देखा जैसे कोई बच्चा अपना इनाम का मैडल दिखा कर घरवालों के रिऐक्शन का इंतजार करता है.

मालती चायनाश्ता लेने किचन में चली गई. अजय उस के पीछेपीछे चला आया. मां के मन की टोह लेने कुछ मदद करने के बहाने. मालती बड़ी रुखाई से बिना कुछ कहे नमकीन बिस्कुट ट्रे में रखती गई और चाय ले कर बाहर आ गई. निधि बहुतकुछ बातें कर रही थी जिन्हें मालती अनमने मन से सुन रही थी. अजय को मालती के चेहरे से पता चल गया कि उस की मां को निधि जरा भी पसंद नहीं आई.

क्या लड़की है, बाप रे. आते ही ऐसे मस्त हो गई जैसे इस का अपना घर हो. न शरमाना, न कोई  िझ झक, बातबात पर अजय को एकआध धौल जमा रही निधि उन्हें कहीं से भी लड़कियों जैसी नहीं लगी. चलो, ठीक है, आजकल का जमाना है लड़कियां लड़कों से कम नहीं. पर इस तरह किसी लड़की का बिंदासपन उसे अजीब लगा. वह भी तब जब वह पहली बार होने वाली सास से मिल रही हो. मालती पुराने खयालों को ज्यादा नहीं मानती थी पर जब बात बहू चुनने की आई तो एक छवि उस के मन में थी, किसी खूबसूरत सी दिखने वाली लड़की को देखते ही मालती उस के साथ अजय की जोड़ी मिलाने लगती दिल ही दिल में, पर अजय और यह लड़की? मालती की नजरों में यह बेमेल था.

यह सही है कि हर मां को अपना बच्चा सब से सुंदर लगता है. लेकिन अजय तो सच में लायक था. देखने में जितना सजीला, मन का उतना ही उजला.

मालती ने सोचा, आखिर अजय को सारी दुनिया की लड़कियां छोड़ कर एक निधि ही पसंद आनी थी? उस ने लाख चाहा कि अजय अपना इरादा बदल दे निधि से शादी करने का, उस के लिए बहुत से रिश्ते आए और कुछेक सुंदर लड़कियों के. मालती ने फोटो भी छांट कर रख ली थी उसे दिखाने के लिए.

पर, आखिर वही हुआ जो अजय और निधि ने चाहा. बड़ी ही धूमधाम से निधि उस के बेटे की दुलहन बन कर आ गई. अपनी इकलौती बेटी निधि को बहुतकुछ दिया उस के मांबाप ने. लेकिन रिश्तेदारों और जानपहचान वालों की दबीदबी बातें भी मालती तक पहुंच ही गईं. खूब दहेज मिला होगा, एकलौती बेटी जो है अपने मांबाप की, लालच में हुई है यह शादी वगैरहवगैरह.

बेटे की खुशी में ही मालती ने अपनी खुशी ढूंढ़ ली थी. उस के बेटे का घर बस गया. यह एक मां के लिए खुशी की बात थी. वह निधि को घर के कामकाज सिखा देगी, यह मालती ने सोचा. पर मालती को क्या पता था, निधि बिलकुल कोरा घड़ा निकलेगी. घरगृहस्थी के मामलों में, अव्वल तो उसे कुछ आता नहीं था और अगर कुछ करना भी पड़े तो बेमन से करती थी. मालती खुद बहुत सलीकेदार थी. हर काम में कुशल, उसे हर चीज में सफाई और तरीका पसंद था.

शादी के शुरुआती दिनों में मालती ने उसे बहुत प्यार से घर के काम सिखाने की कोशिश की. जिस निधि ने कभी अपने घर में पानी का गिलास तक नहीं उठाया था, उस के साथ मालती को ऐसे लगना पड़ा जैसे कोई नर्सरी के बच्चे को  हाथ पकड़ कर लिखना सिखाता है. एक दिन मालती ने उसे चावल पकाने का काम सौंपा और खुद बालकनी में रखे गमलों में खाद डालने में लग गई. थोड़ी देर बाद रसोई से आते धुएं को देख कर वह  झटपट किचन की ओर भागी. चावल लगभग आधे जल चुके थे. मालती ने लपक कर गैस बंद की.

बासमती चावल पतीले में खिलेखिले बनते हैं, यह सोच कर उस के घर में चावल कुकर में नहीं, पतीले में पकाए जाते थे. वह निधि को तरीका सम झा कर गई थी. उस ने निधि को आवाज दी. कोई जवाब न पा कर वह बैडरूम में आई तो देखा, निधि अपने कानों पर हैडफोन लगा कर मोबाइल में कोई वीडियो देखने में मस्त थी. मालती को उस दिन बहुत गुस्सा आया. इतनी बेपरवाही. अगर वह न होती तो घर में आग भी लग सकती थी. उस ने निधि को उस दिन दोचार बातें सुना भी दीं.

‘सौरी मां’ बोल कर निधि खिसियाई सी चुपचाप रसोई में जा कर पतीले को साफ करने के लिए सिंक में रख आई. उस दिन के बाद मालती ने उसे फिर कुछ पकाने को नहीं कहा कभी. कुछ पता नहीं, कब क्या जला बैठे. और वैसे भी, अजय मां के हाथ का ही खाना पसंद करता था. उस ने भी निधि को टिपिकल वाइफ बनाने की कोई पहल नहीं की. निधि और अजय की कोम्पैटिबिलिटी मिलती थी और दोनों साथ में खुश थे. यही बहुत था मालती के लिए.

पर उस को एक कमी हमेशा खलती रही. वह चाहती थी कि औरों की तरह उस के घर में भी पायल की रुन झुन, चूडि़यों की खनक गूंजे, सरसराता साड़ी का आंचल लहराती घर की बहू रसोई संभाले या छत पर अचारपापड़ सुखाए. कुछ तो हो जो लगे कि नई बहू आई है घर में. शादी के एक हफ्ते बाद ही निधि ने पायल, बिछुए और कांच की चूडि़यां उतार कर रख दी थीं. हाथों में, बस, एक गोल्ड ब्रैसलेट और छोटे से इयर रिंग्स पहन कर टीशर्ट व पाजामे में घूमने लगी थी. मालती ने उसे टोका भी पर उस के यह बोलने पर कि, मां ये सब चुभते हैं, मालती चुप हो गई थी.

छुट्टी वाले दिन दोनों अपने लैपटौप पर या तो कोई मूवी देखते या वीडियो गेम खेलते रहते. मालती अपने सीरियल देखती रहती और कसमसाती रहती कि कोई होता जो उस के साथ बैठ कर यह सासबहू वाले प्रोग्राम देखता. कभी पासपड़ोस में कोई कार्यक्रम होता, तो मालती अकेली ही जाती. लोगबाग पूछते, ‘अरे बहू को क्यों नहीं लाए साथ?’ तो वह मुसकरा कर कोई बहाना बना देती. अब कैसे बोले कि बहू तो वीडियो गेम खेल रही है अपने कमरे में.

कुल मिला कर उस के सपने मिट्टी में मिल गए थे. घर में बहू कम दूसरा बेटा आया हो जैसे. किसी शादीब्याह में भी निधि को खींच कर ले जाना पड़ता था. उसे कोई शौक ही नहीं था सजनेसंवरने का. शादी की इतनी सारी एक से एक कीमती साडि़यां पड़ी थीं, पर मजाल है जो निधि ने कभी पहनने की जहमत उठाई हो.

अपने एक रिश्तेदार की शादी में जयपुर जाना पड़ा मालती को, तो निधि और अजय को खूब सारी हिदायतें दे कर गई. खाना बहुत थोड़ा जल्दी उठ कर बना के फ्रिज में रख जाना. अजय को बाहर का खाना पचता नहीं. पेट अपसैट हो जाता है. फिर राधा को भी 10 दिन के लिए अपने गांव जाना था. ऐसे में घर की जिम्मेदारी उन दोनों पर ही है, मालती उन को बारबार यह बता रही थी. उसे पता था, दोनों लापरवाह हैं, पर जाना जरूरी था.

एक हफ्ते बाद मालती जब वापस घर लौटी तो सुबह की ट्रेन लेट हो कर दिन में पहुंची. स्टेशन से औटो कर के घर पहुंची. एक चाबी उस के पास थी पर्स में. अंदर आ कर सामान वहीं नीचे रख कर वह सोफे पर थोड़ा सुस्ताने बैठी. उस ने सोचा, चाय बनाएगी पहले अपने लिए, फिर फ्रैश होगी. सिर दर्द कर रहा था सफर की थकावट से. एक सरसरी नजर घर पर डाली उस ने पर सफाई का नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था. उस के पैरों के पास कालीन पर दालभुजिया बिखरी पड़ी थी.  झाड़ू तक नहीं लगी  थी घर में लगता है उस के जाने के बाद.

वह बुदबुदाती हुई रसोई की तरफ बढ़ी ही थी कि तभी उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. अजय के दोस्त का फोन था, ‘‘हैलो बेटा,’’ मालती ने फोन रिसीव किया. दूसरी तरफ से जो उसे सुनाई दिया उसे सुन कर वह धम्म से सोफे पर गिर पड़ी. अजय के दोस्त ने उसे हौस्पिटल का नाम बता कर जल्द आने को कहा. अजय की बाइक को किसी गाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी.

आननफानन मालती ज्यों की त्यों हालत में हौस्पिटल के लिए निकल पड़ी. गेट पर ही उसे अजय का दोस्त यश मिल गया था. दोनों कालेज के गहरे दोस्त थे. अजय को आईसीयू में रखा गया था. उस के हाथपैरों में गहरी चोटें आई थीं. पर उस की हालत खतरे से बाहर थी. मालती ने अपनी रुलाई दबा कर बेटे की तरफ देखा. खून से अजय के कपड़े सने थे और न जाने कितनी पट्टियां उस के शरीर पर बंधी थीं.

‘‘आंटी आप बाहर बैठ जाइए,’’ मालती की हालत देख कर यश ने कहा और सहारा दे कर उस ने मालती को आईसीयू के बाहर बैंच पर बिठा दिया. यश ने उसे बताया कि कैसे ऐक्सिडैंट की जानकारी पुलिस से पहले उसे ही मिली थी. निधि अपनी एक सहेली के साथ मूवी देखने गई हुई थी. उस का फोन शायद इसीलिए नहीं मिल पाया. पास के वाटरकूलर से एक गिलास पानी ला कर उस ने मालती को दिया.

मालती ने होशोहवास दुरुस्त करने की कोशिश की. तभी उसे निधि बदहवास भागती आती दिखाई दी. मालती के पास पहुंच कर वह उस से लिपट कर रो पड़ी. मालती, जो बड़ी देर से अपने आंसू रोके बैठी थी, अब अपनी रुलाई नहीं रोक पाई. कुछ संयत हो कर निधि ने अजय को आईसीयू में देखा, बैड पर बेहोश ग्लूकोस और खून की पाइप्स से घिरा हुआ. निधि ने डाक्टर से अजय की हालत के बारे में पूछा और डाक्टर की पर्ची ले कर दवाइयां लेने चली गई. रात को मालती के लाख मना करने के बावजूद निधि ने उसे यश के साथ घर भेज दिया.

सुबह जल्दी उठ कर मालती कुछ जरूरी चीजें एक बैग में और एक थरमस में कौफी भर कर हौस्पिटल पहुंची. निधि की आंखें बता रही थीं कि सारी रात वह सोई नहीं. सो तो मालती भी नहीं पाई थी पूरी रात. निधि ने बैंच पर बैठे एक लंबी अंगड़ाई ली और थरमस से कौफी ले कर पीने लगी. मालती अजय के पास गई. वह होश में था. पर डाक्टर ने बातें करने से मना किया था. मालती को देख कर अजय ने धीरे से मुसकराने की कोशिश की. मालती ने उस का हाथ कोमलता से अपने हाथों में ले लिया और जवाब में मुसकरा दी.

करीब एक हफ्ते बाद अजय डिस्चार्ज हो कर घर आ गया. उस के पैर में अभी भी प्लास्टर लगा था. हड्डी की चोट थी, डाक्टर ने फुल रैस्ट के लिए बोला था. एक महीने के लिए उस ने औफिस से छुट्टी ले ली थी. निधि और मालती दिनरात उस की तीमारदारी में जुट गए. एक महीने के बाद जब अजय के पैर का प्लास्टर उतरा तो उस ने हलकी चहलकदमी शुरू कर दी. मगर समय शायद ठीक नहीं चल रहा था. बाथरूम में फिसलने की वजह से उसे फिर से एक और प्लास्टर लगवाना पड़ा. प्राइवेट जौब में कितने दिन छुट्टी मिलती, तंग आ कर अजय ने रिजाइन दे दिया. निधि और मालती उसे इस हालत में अब बिस्तर से उठने तक नहीं देती थीं.

कहने को तो घर में कोई कमी नहीं थी पर अजय की नौकरी न रहने से मालती को तमाम बातों की चिंता सताने लगी. अजय ने शादी के वक्त नया घर बुक कराया था, जिस की हर महीने किस्त जाती थी. उस के अलावा, घर के खर्चे, अजय की गाड़ी की किस्तें, खुद मालती की दवाइयों का खर्च. हालांकि उसे अपने पति की पैंशन मिलती थी, पर उस के भरोसे सबकुछ नहीं चल सकता था.

निधि ने अपने काम पर जाना शुरू कर दिया था. वह एक लैंग्वेज टीचर थी और पास के एक इंस्टिट्यूट में जौब करती थी. एक दिन उसे घर लौटने में बहुत देर हो गई, तो मालती की त्योरियां चढ़ गईं.

अजय की इस हालत में इतनी देर निधि का यों बाहर रहना मालती को अच्छा नहीं लगा. उस ने सोचा कि अजय भी इस बात पर नाराज होगा. लेकिन उन दोनों को आराम से बातें करते देख उसे लगा नहीं कि अजय को कुछ फर्क पड़ा. हुहूं, बीवी का गुलाम है, बहुत छूट दे रखी है निधि को इस ने, एक बार पूछा तक नहीं, यह सब सोच कर मालती कुढ़ गई थी.

किचन में अजय के लिए थाली लगाती मालती के कंधे पर हाथ रखते हुए निधि बोली, ‘‘मां, आप बैठो अजय के पास, आप दोनों की थाली मैं लगा देती हूं.’’

‘‘रहने दो, तुम दोनों खाओ साथ में, वैसे भी दिनभर अजय अकेला बोर हो जाता है तुम्हारे बिना,’’ मालती कुछ रुखाई से बोली.

‘‘सौरी मां, अब से मु झे आते देर हो जाया करेगी, मैं ने एक और जगह जौइन कर लिया है. तो कुछ घंटे वहां भी लग जाएंगे,’’ निधि ने उस के हाथ से प्लेट लेते हुए बताया.

‘‘तुम ने अजय को बताया क्या?’’

‘‘मां, मैं ने अजय से पहले ही पूछ लिया था और वैसे भी, कुछ ही घंटों की बात है, तो मैं मैनेज कर लूंगी.’’

‘‘ठीक है, अगर तुम दोनों को सही लगता है तो, लेकिन देख लो, थक तो नहीं जाओगी? तुम्हें आदत नहीं इतनी मेहनत करने की,’’ मालती ने अपनी तरफ से जिम्मेदारी निभाई.

‘‘आप चिंता मत करो मां. बस, कुछ दिनों की तो बात है.’’

मालती ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की घर के फालतू खर्चे कम करने की. वह अब थोड़ी कंजूसी से भी चलने लगी थी. सब्जी और फल लेते समय भरसक मोलभाव करती थी. उसे लगा निधि अपने खर्चों पर लगाम नहीं लगा पाएगी. पर जब से अजय का ऐक्सिडैंट हुआ था, निधि की आदतों में फर्क साफ नजर आता था. जो लड़की फर्स्ट डे फर्स्ट शो मूवी देखती थी, तकरीबन रोज ही शौपिंग, आएदिन अजय के साथ बाहर डिनर करना जिस के शौक थे, वह अब बड़े हिसाबकिताब से चलने लगी थी. और तो और, घर के कामों को भी वह मालती के तरीके से ही करने की कोशिश करती थी.

मालती उस में आए इस बदलाव से हैरान थी. एक तरह से निधि ने घर की सारी जिम्मेदारी उठा ली थी. अजय भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था. उसे निधि पर पूरा भरोसा था. पर मालती को एक तरह से यह बात चुभती थी कि बहू हो कर  वह बेटे की तरह घर चला रही है. आखिर, बहू तो बहू होती है, मालती सोचती थी.

एक दिन सुबह पार्क जाने से पहले मालती अजय के कमरे में आई. उस की बीपी की दवाई खत्म हो गई थी.

‘‘अजय, मु झे कुछ पैसे दे दे, दवाई लेनी है. पार्क के रास्ते में कैमिस्ट से  ले लूंगी.’’

‘‘लेकिन मां, मेरे पास कैश नहीं है, तुम निधि से ले लो,’’ अजय टीवी पर नजरें गड़ाए हुए बोला.

रहने दे, बाद में ले लूंगी जब एटीएम से पैसे निकालूंगी, ‘‘मालती ने जवाब दिया. निधि के सामने वह हाथ नहीं  फैलाना चाहती थी. बाहर आ कर उस ने पार्क ले जाने वाला बैग उठाया, तो उस के नीचे नोट रखे थे. मालती सम झ गई कि निधि ने चुपचाप से पैसे रखे होंगे ताकि मालती को उस से मांगना न पड़े. जब वह अजय से बात कर रही थी तो निधि बाथरूम में थी. शायद, उस ने उन दोनों की बातचीत सुन ली थी.

मालती को फिजियोथेरैपिस्ट के पास जाना पड़ता था. अकसर उसे पीठ और कमरदर्द की तकलीफ रहती थी. उस ने सोचा, यह खर्च कम करना चाहिए, तो जाना बंद कर दिया. लेकिन तबीयत खराब रहने लगी. अजय को पता चला तो बहुत नाराज हो गया. निधि पास में बैठी लैपटौप पर कुछ काम कर रही थी.

‘‘बेकार में पैसे खर्च होते हैं,’’ मालती ने सफाई दी, ‘‘पार्क में सब कसरत करते हैं, मैं भी वही किया करूंगी.’’

‘‘मां, अब से आप को क्लिनिक जाने की जरूरत नहीं, फिजियोथेरैपिस्ट यहीं घर पर आ कर आप को ट्रीटमैंट देगा,’’ निधि ने मालती से कहा.

‘‘नहीं, नहीं, इस में तो ज्यादा फीस लगेगी, रहने दो ये सब,’’ मालती को बात जंची नहीं.

‘‘मां, आप की तबीयत ठीक होना ज्यादा जरूरी है और आप के साथसाथ डाक्टर अजय को भी देख लेगा,’’ निधि ने तर्क दिया.

‘‘ठीक तो है मां, तुम घर पर ही आराम से ट्रीटमैंट करवाओ, क्लिनिक के चक्कर लगाने की जरूरत क्या है,’’ अजय ने उसे आश्वस्त किया.

अजय की तबीयत धीरेधीरे सुधरने लगी थी. निधि ने अपनी मेहनत से घर में कोई कमी नहीं आने दी. सबकुछ उस ने संभाल लिया था. घर और गाड़ी की किस्तें, महीने का घरखर्च, डाक्टर की फीस सब उस के पैसों से चल रहा था.

निधि के मांबाप 2 दिन पहले ही अमेरिका में रह रहे अपने बेटे के पास से लौटे थे. आते ही वे अजय को देखने आ गए थे. निधि उस वक्त औफिस  में थी.

आइए, चाय पी लीजिए, मालती अजय के पास बैठी निधि की मां से बोली. अजय अपने ससुरजी से बातें कर रहा था. ट्रे में 2 कप चाय उस ने अजय और निधि के पापा के लिए वहीं एक टेबल पर रख दी.

‘‘अरे, आप ने ये सब तकलीफ क्यों की, हम तो बेटी के घर कुछ खातेपीते नहीं,’’ निधि की मां कुछ सकुचा कर बोली.

‘‘छोडि़ए न बहनजी, पुराने रिवाज, आज की बहुएं क्या बेटों से कम हैं,’’ अकस्मात मालती के मुंह से निकल पड़ा.

दोनों चाय पीने लगीं. ‘‘निधि और अजय की शादी के बाद से आप से ठीक से मिलना नहीं हो पाया. आप तो जानती हैं, शादी के तुरंत बाद हमें बेटे के पास जाना पड़ा, इसलिए कभी आप से एकांत में बातें करने का मौका ही नहीं मिला,’’ निधि की मां कुछ गमगीन हो कर बोली.

‘‘हांजी, मु झे पता है, आप का जाना जरूरी था. यह तो समय का खेल है. जान बच गई अजय की, यह गनीमत है.’’

‘‘निधि को अब तक आप जान गई होंगी. अपने पापा की लाड़ली रही है शुरू से. मैं ने भी ज्यादा कुछ सिखाया नहीं उस को, मां हूं उस की, कितनी लापरवाह है, यह मैं जानती हूं. आप को बहुतकुछ सम झाना पड़ता होगा उसे. एक बेटी से बहू बनने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा. उस की नादानियों का बुरा मत मानिएगा. बस, यही कहना चाहती थी आप से.’’

जिस दिन से अजय की शादी निधि से हुई थी मालती को हमेशा निधि में कोई न कोई गलती नजर आती थी, उस ने सोचा था कि कभी मौका मिलेगा तो निधि की मां से खूब शिकायतें करेगी कि बेटी को कुछ नहीं सिखाया. लेकिन आज न जाने क्यों मालती के पास कुछ नहीं था निधि की शिकायत करने को, उल्टा उसे बुरा लगा, ऐसा लगा निधि उस की अपनी बेटी है और कोई दूसरा उस की बुराई कर रहा है.

‘‘आप से किस ने कहा कि मु झे निधि से कोई परेशानी है. हर लड़की बेटी ही जन्म लेती है. बहू तो उसे बनना पड़ता है. लेकिन यह मत सम िझए कि निधि एक कुशल बहू नहीं है. आप कभी यह मत सोचिए कि हम खुश नहीं हैं. निधि अब मेरी बेटी है,’’ मालती कुछ रुंधे गले से बोली, उसे खुद यकीन नहीं हो रहा था कि वह यह सब बोल रही थी. पर ये शब्द दिल की गहराई से निकले थे, बिना किसी बनावट के.

एक बेटी की मां के चेहरे पर जो खुशी होती है, वह खुशी दोनों मांओं के चेहरे पर थी.

रात में खाना खाने के बाद मालती बालकनी में रखी कुरसी पर बैठी दूर

से जगमग करती शहर की रोशनी देख रही थी.

हाथ में कौफी का मग लिए निधि उस के पास आ कर धीरे से एक स्टूल ले कर बैठ गई.

‘‘मां, यह आप का टिकट है इलाहबाद का,’’ निधि ने ट्रेन का टिकट उस की तरफ बढ़ा दिया.

‘‘अरे, लेकिन मैं ने तो बोला ही नहीं जाने के लिए, हर शादी में जाना जरूरी नहीं है मेरा,’’ मालती बोली.

‘‘अरे वाह, क्यों नहीं जाएंगी आप? मामाजी को बुरा लगेगा अगर हमारे घर से कोईर् भी इस शादी में नहीं गया. सौरी मां, मैं ने आप से बिना पूछे टिकट ले लिया है. अजय और मु झे लगता है आप को जाना चाहिए.’’

‘‘वह तो ठीक है. पर अभी अजय को मेरी जरूरत है. तुम तो औफिस चली जाओगी. वापस आ कर घर का काम, कितना थक जाओगी. मैं तुम दोनों को छोड़ कर नहीं जा पाऊंगी. मन ही नहीं लगेगा मेरा वहां,’’ मालती ने इसरार किया.

‘‘अजय की तबीयत अब काफी ठीक है. अब तो वे जौब के लिए एकदो इंटरव्यू देने की भी सोच रहे हैं, आप बेफिक्र हो कर जाइए मां.’’

मालती ने निधि के चेहरे की तरफ देखा. वह बहुत सादगी से बोल रही थी, न कोई बनावट न कोई  झूठ. मेरी सगी बेटी भी होती तो इस से बढ़ कर और क्या करती इस घर के लिए. निधि ने बहू का ही नहीं, बेटे का फर्ज भी निभा कर दिखा दिया था. बस, वह खुद ही अपनी सोच का दायरा बढ़ा नहीं पाई. हमेशा उसे अपने हिसाब से ढालना चाहती रही. निधि की सचाई, उस के अपनेपन और इस घर के लिए उस के समर्पण को अब जा कर देख पाई मालती. क्या हुआ अगर उस के तरीके थोड़े अलग थे. लेकिन वह गलत तो नहीं. आज मालती ने अपना नजरिया बदला तो आंखों में जमी गलतफहमी की धूल भी साफ हो गई थी.

मालती ने निधि का हाथ अपने हाथों में लिया और शहद घुले स्वर में बोली, ‘‘थैंक्यू बेटा, हमारे घर में आने के लिए,’’ कुछ आश्चर्य और खुशी से निधि ने उसे देखा और बड़े प्यार से उस के गले लग गई.   द्य

मालती कुनमुना कर रह गई. उस ने उम्मीद की थी कि निधि कुछ नानुकुर करेगी कि नहीं, मैं नहीं दे पाऊंगी, टाइम नहीं है, औफिस के लिए लेट हो जाएगा वगैरहवगैरह. पर यहां तो उस के हाथ से एक और वाकयुद्ध का मौका निकल गया.

मालती उस में आए इस बदलाव से हैरान थी. एक तरह से निधि ने घर की सारी जिम्मेदारी उठा ली थी. अजय भी थोड़ा बेफिक्र हो गया था. उसे निधि पर पूरा भरोसा था. पर मालती को एक तरह से यह बात चुभती थी कि बहू हो कर वह बेटे की तरह घर चला रही है.

TMKOC : ‘तारक मेहता’ को छोड़ चुके हैं कई कलाकार, शो के प्रोडयूसर पर लगे थे गंभीर आरोप

Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah : टीवी का कौमेडी सीरियल ‘तारक मेहता उल्टा चश्मा’ दर्शकों को खूब पसंद आता है. यह शो 16 साालों से लोगों को मनोरंजन करने में कामयाब रहा है. फैंस के बीच यह शो अपने किरदारों के नाम से भी फेमस है. कुछ दिनों पहले ही इस शो में गोली का किरदार निभाने वाले एक्टर कुश शाह ने शो को क्विट कर दिया. जिससे फैंस काफी निराश हुए. हालांकि इस कलाकार के अलावा भी कई कलाकारों ने इस शो को अलविदा कह दिया है. आइए जानते हैं उन एक्टर्स के बारे में, जिन्होंने इस शो को छोड़ दिया है.

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दिशा वकानी

दिशा वकानी यानी दया बेन कई सालों से इस शो में नजर नहीं आती है. उन्होंने 6 साल पहले ही मैटरनिटी लीव ली थी, लेकिन अब तक इस शो में उनकी वापसी नहीं हुई. हालांकि दयाबेन के इस शो में कमबैक को लेकर कई तरह की खबरें आईं. बाद में ये भी खबर आई कि दिशा वकानी ने इस शो को अलविदा कह दिया है.

दिशा वकानी इस किरदार से घरघर में पौपुलर हुईं. दया बेन का क्यूट अंदाज दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहा. आज भी लोग इस किरदार को याद करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिशा वकानी अपनी फैमिली पर फोकस कर रही हैं.

राज अंदकत

‘तारक मेहता’ में इस कालाकार ने टप्पू का किरदार निभाया था. काफी समय से वह इस शो के हिस्सा नहीं है. अब ये कलाकार सोशल मीडिया के माध्यम से अपने फैंस से जुड़े रहते हैं. वह अक्सर फोटोज और वीडियोज शेयर करते रहते हैं. जब उन्होंने ये शो छोड़ा था तो काफी भावुक हो गए थे, इस सफर के बारे में राज ने बात करते हुए कहा था कि शो के साथ मेरी कई यादें जुड़ी हुई है. मैंने इस शो से बहुत कुछ कमाया है और मैंने कई उतारचढ़ाव भी देखे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक राज अनादकट ने इस शो के छोड़ने का कारण बताया कि वह अपने करियर में ग्रोथ चाहते थे इसलिए इस शो को छोड़ा. राज ने 5 सालों तक इस शो में काम किया है और 1000 से ज्यादा एपिसोड्स के हिस्सा रहे हैं.

शैलेश लोढ़ा

शैलेश लोढ़ा ने इस शो के छोड़ने की वजह खुल कर बताई. एक इंटरव्यू के अनुसार, एक्टर ने बताया कि उनके साथ कुछ पंगा हो गया था इस वजह से उन्हें इस शो को अलविदा कहना पड़ा. उनकी अनबन तारक मेहता के प्रोडयूसर असित मोदी के साथ हुई थी जिसके कारण शैलेश लोढ़ा ने इस शो को छोड़ दिया. शो में शैलेश की जगह किसी अन्य एक्टर ने ली है.

तारक मेहता के और कई कलाकारों ने इस शो को छोड़ दिया है. जिसमें सोनू का किरदार निभाने वाली झील मेहता, मिस्टर सोढ़ी (गुरु चरण सिंह), जेनिफर मिस्त्री और कई एक्टर्स ने इस शो को अलविदा कह दिया. इस शो को छोड़ने का हर किसी की अलगअलग वजह है. हालांकि यह शो अब भी दर्शकों का दील जीत रहा है. लोगों के हंसाने में यह शो कामयाब रहा है.

तारक मेहता के प्रोडयूसर पर लगे कई गंभीर आरोप

इस शो के निर्माता असित कुमार मोदी पर कई आरोप लग चुके हैं. बीते साल ही जेनिफर मिस्त्री ने असित पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. रिपोर्ट के मुताबिक जेनिफर ने बताया था कि उन्हें जानबूझकर शो के प्रोड्यूसर असित मोदी, प्रोजेक्ट हैड सोहेल रमानी और एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर जतिन बजाज ने होली के दिन देर रात तक रोक कर रखा था. इसके बाद सभी ने मिलकर उनके साथ बदतमिजी की थी. जिसके कारण वह काफी परेशान रहीं. हालांकि असित मोदी ने जेनिफर के इस इल्जाम पर उन्होंने सफाई भी दी थी. खबरों के अनुसार, इस केस में जेनिफर की जीत हुई.

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