एक मंत्र: ठग तैयार, आप भी तैयार हों

सोशल मीडिया में जो अद्भुत क्रांति हुई है उसके परिणाम स्वरूप ठगों ने भी ठगी के अनेक रास्ते तैयार कर लिए हैं. आज हालात यह है कि घर-घर में फोन है गांव-गांव में मोबाइल फोन है ऐसे में घर बैठे ठग लाखों-करोड़ों रुपए कमा रहे हैं और मजे की बात यह है कि अनपढ़ तो अपनी जगह पढ़े-लिखी वकील, पुलिस, और बड़े अधिकारी भी ठगी का शिकार हो रहे हैं.

आइए ! आज इस आलेख में हम आपको “एक मंत्र” बताते हैं जिसके साथ लेने के बाद आप कभी भी ठगी का शिकार नहीं होंगे. आइए कुछ उदाहरण देते हुए हम आपको महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं.

पहली घटना -मोबाइल पर कॉल आया आपकी लॉटरी खुल गई है और आंख बंद करके सुनीता देवी वह सब करती गई, जो निर्देश दिए गए, परिणाम स्वरुप ठग ली गई.

दूसरी घटना -भारतीय स्टेट बैंक अभनपुर छत्तीसगढ़ में रामलाल साहू ने सेवानिवृत्ति के बाद लाखों रूपए जमा किए थे. बार बार मिस कॉल आने पर जब बात हुई तो उसके अकाउंट से रुपए गायब हो चुके थे.
तीसरी घटना – क्याकोरोना वैक्सीन आपने लगवाई थी. हां तो एक पर बटन दबाए…. और राजधानी रायपुर के रमेश अग्रवाल ठग लिए गए.

हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डाट) ने मोबाइल उपभोक्ताओं को “फर्जी काल” से सावधान रहने की सलाह दी है. विभाग ने कहा – उपभोक्ताओं को काल कर मोबाइल नंबर बंद करने की धमकियां दी जा रही हैं, जबकि इस तरह की कोई भी अधिकृत काल विभाग या अन्य किसी संस्था द्वारा नहीं की जाती है. इस तरह की काल करने वाले ठग संबंधित मोबाइल नंबरों का अवैध गतिविधियों में भी दुरुपयोग कर रहे हैं.

दूरसंचार विभाग ने कहा है – सरकारी अधिकारियों के नाम से मोबाइल उपभोक्ताओं को विदेशी मूल के नंबरों से वाट्सएप काल की जाती हैं. दरअसल ,विभाग को इस तरह की कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं. साइबर अपराधी ऐसी काल के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए निजी जानकारियां हासिल करने की कोशिश करते हैं . दूरसंचार विभाग या भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) अपनी तरफ से किसी को भी इस तरह के काल करने के लिए अधिकृत नहीं करता है.विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और संचार साथी पोर्टल पर ऐसे धोखाधड़ी वाले काल की शिकायत करनी चाहिए.

आइए!अब आपको बताते हैं कि किस तरह आप लोगों के जाल से बच सकते हैं सबसे पहले आपको यह बात समझनी होगी कि कोई भी किसी को ऐसे ही रूपए 1 भी नहीं देता अगर आपको कोई लालच देता है तो आप समझ जाइए की आपको ठगने की कोशिश की जा रही है और आप किनारा कर लीजिए. दूसरा कोई अनजान कॉल आए और गोल मोल बातें करे तो तो उससे भी आपको बचना चाहिए. किसी भी तरह के मोबाइल सर्वे से भी आपको बचना चाहिए.

Happy birthday Vicky Kaushal जानिए विक्की से जुड़ी कुछ खास बातें

बौलीवुड एक्टर विक्की कौशल आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने साल 2015 में फिल्म मसान से बौलीवुड में डेब्यू किया था. अपने करियर में विक्की ने बहुत अलग-अलग तरह की फिल्मों में काम किया. उनके परिवार के सभी सदस्य बहुत उत्साह के साथ विक्की का जन्मदिन मना रहे हैं
सोशल मीडिया पर विक्की के फैंस की ओर से ढेर सारी बधाइयां आ रही हैं.

 

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विक्की ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सारी फिल्में की हैं. हाल ही में विक्की ने विधु विनोद चोपड़ा का फिल्म डंकी में काम किया था जिसके लिए उनकी बहुत सराहना की जा रही है. आलिया भट्ट के साथ आई फिल्म राजी में भी विक्की ने ऐसी एक्टिंग की थी जिसने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी थी. फिल्म सैम बहादुर में भारत के पहले एयर फील्ड मार्शल सैम मैनिकशौ की एक्टिंग ने भी दर्शकों को खूब प्रभावित किया था. फिल्म जरा हटके जरा बचके में एक्ट्रेस सारा अली खान के साथ विक्की की केमेस्ट्री भी फैंस को खूब पसंद आई थी.

फिल्म उड़ी में मेजर विहान सिंह शेरगिल के रोल में भी विक्की को खूब पसंद किया गया इस फिल्म को दर्शकों ने भी खूब सराहा था. रनबीर कपूर की फिल्म संजू में भी एक्टर विक्की कौशल में रनबीर कपूर के दोस्त का रोल किया था जिसकों दर्शकों ने बहुत पसंद किया.

 

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विक्की ने एक्ट्रेस कटरीना कैफ से साल 2021 में राजस्थान में शादी कर ली थी. विक्की के पिता श्याम कौशल ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर विक्की की फोटो शेयर करते हुए लिखा है, “हैपी बर्थडे पुत्तर मैं तुमसे प्यार करता हूं और मुझे तुम पर गर्व है”. उन्होंने एक 23 साल पुरानी फोटो शेयर की है जिसमें छोटे विक्की ने तलवार पकड़ रखी है श्याम जी आगे लिखते हैं. “सब रब दी मेहर जोर की झप्पी.”

जब कोर्ट मैरिज हो जरूरी

प्यार करने वालों को अक्सर घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ता है. यह ऐतराज कई बार औनर किलिंग जैसी हैवानियत की वजह भी बन जाता है जो प्यार करने वालों के सपनों को तहस नहस कर देता है. इस समस्या से निबटने का एक आसान रास्ता है , कोर्ट मैरिज.

इस संदर्भ में 2 अलग धर्म के बौलिवुड सितारे सैफ और करीना की शादी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन्होंने शादी के लिए कानूनी रास्ता अख्तियार किया. बांद्रा स्थित रजिस्ट्रार औफिस जा कर उन्होंने शादी से सम्बंधित जरूरी कागजात जमा किए और आवेदन के 30 दिनों के भीतर कोर्ट मैरिज कर ली.

स्पेशल मैरिज एक्ट 1945 के अंतर्गत होने वाले विवाह को कोर्ट मैरिज कहते हैं. कोर्ट मैरिज में 2 लोगों के धर्म ,जाति या उम्र को नहीं देखा जाता बल्कि उन की सहमति और पात्रता देखी जाती है .

पात्रता

युवक-युवती दिमागी तौर स्वस्थ हों. संतानोत्पति में समर्थ हों.

लड़के की उम्र काम से काम 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए. दोनों ने अपनी इच्छा से पूरे होशोहवाश में शादी की सहमति दी हो. विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन न हो.

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती को इस बाबत एक फौर्म भर कर लिखित सूचना अपने क्षेत्र के जिला विवाह अधिकारी को देनी होती है. फिर नोटिस जारी करने का शुल्क जमा करना होता है जो काफी कम होता है. इस आवेदन के साथ युवकयुवती को फोटो पहचान पत्र, और एड्रैस प्रूफ भी प्रस्तुत करना होता है. उस के बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है. इस नोटिस को कार्यालय के नोटिस बोर्ड और किसी सार्वजनिक जगह पर चिपकाया जाता है. ताकि किसी को आपत्ति हो तो वह अपना पक्ष रख सके.

यदि विवाह इच्छुक दोनों व्यक्ति या दोनों में से कोई एक किसी दूसरे जिले का निवासी है तो यह नोटिस उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहां सार्वजनिक स्थान पर इस से सम्बद्ध नोटिस चिपकायी जाती है. इस नोटिस का उद्देश्य यह जानना है कि युवक-युवती के विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन तो नहीं है. मसलन कहीं दोनों में से कोई एक पहले से विवाहित तो नहीं. यदि विवाहित हैं तो भी वे क़ानूनी रूप से अलग हो चुके हैं या नहीं.

यदि विवाह में कोई कानूनी बाधा न हो तो नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर या फिर आवेदन लगाने के 3 माह समाप्त होने से पहले कभी भी जिला विवाह अधिकारी के सामने विवाह किया जा सकता है . लड़का-लड़की और तीन गवाहों के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. लड़का- लड़की चाहे तो वरमाला ,सिंदूर,मंगलसूत्र, लहंगाचुनरी पंडित वगैरह का इंतजाम भी कर सकते हैं.

विवाह संपन्न होने के बाद जिला विवाह अधिकारी द्वारा विवाह प्रमाणपत्र भी जारी किया जाता है. कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान है. विवाह खर्च कम मगर धांधली यहां भी शादी में कोई अड़चन न आये , कोई किडनैपिंग चार्ज न लगे ,सब काम जल्दी निबट जाए ,नोटिस घर न भेजा जाए और उसे नोटिस बोर्ड से भी तुरंत उतार दिया.

कई बार ऐसा भी होता है कि कोर्ट में 30 दिन पहले नोटिस न लगाने की बात पर युवकयुवती से 10 -20 हजार या उस से भी ज्यादा की मांग की जाती है. यदि रुपए नहीं दिए जाते तो उन के घर वालों को शादी की जानकारी देने की धमकी दी जाती है. इस तरह से यह कोर्ट में काम कर रहे लोगों ने एक धंधा बना लिया है. मजबूर युवकयुवती को हर मांग स्वीकार करनी पड़ती है क्यों कि उन के लिए उस वक़्त सुरक्षित विवाह करने से महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता.

फायदे

कोर्ट मैरिज भारत सरकार और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाह है. यदि शादी के बाद किसी वजह से तलाक की नौबत आती है तो सेटेलमेंट आसान हो जाता है.

वैसे भी लाखों करोड़ों लगा कर की जाने वाली शादियों में रुपयों की जैसी बर्बादी होती है उसे रोकने के लिए भी कोर्ट मैरिज काफी अहम् है. आप की शादी कुछ हजार रुपयों में संपन्न हो जाती है. आप बाकी के रुपए अनाथ और गरीबों को खिलाने में खर्च कर सकते हैं. अपने लिए अच्छा हनीमून पैकेज  ले सकते हैं.

शादी का सर्टिफिकेट आप के हाथों में हो तो धोखाधड़ी की संभावना भी नहींरहती. दोनों पक्ष अपनी इच्छा से शादी करते हैं इसलिए शादी के बाद उलझनों की जिम्मेदारी भी वे स्वयं लेते हैं.

Summer Special: नेचुरल मॉइश्चराइजर से दें Skin को ताजगी

नैचुरल चीजों में आपकी त्वचा को सुंदर और जवां बना रखने के ढेर सारे तत्व मौजूद होते हैं. त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए आप कई तरह के मॉइश्चराइजर  का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके किचन में ऐसी बहुत सी चीज़ें मौजूद होती हैं जो नेचुरल मॉइश्चराइजर का काम करती हैं. इन चीजों का इस्तेमाल करके आप बिना किसी खर्च के अपनी त्वचा की प्राकृतिक नमी को बनाए रख सकते हैं.

1. शहद

शहद एक बहुत अच्छा क्लींजर होता है और इसकी सबसे खास बात यह है कि इसके इस्तेमाल से त्वचा कोमल और ग्लोइंग होती है. शहद का पैक लगाने से चेहरे और हाथ-पैरों की चमक बनी रहती है.

2. बटरमिल्क

बटरमिल्क आपकी त्वचा से डेड स्किन सेल्स को निकालता है जिससे आपकी त्वचा जवां दिखती है. मॉइश्चराइजर के रूप में इसे इस्तेमाल करने के लिए ठंडे बटरमिल्क में मलमल या सूती कपड़ा डुबोएं. इस कपड़े से अपना चेहरा 5 से 10 मिनट तक के लिए ढकें और फिर पानी से धो लें.

3. ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल पुराने समय से नेचुरल मॉइश्चराइजर के रूप में किया जाता रहा है. ऑलिव ऑयल और लेवेंडर एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदों को नहाने के पानी में मिलाएं और इस पानी से नहाने से आपकी त्वचा एकदम मुलायम हो जाएगी.

4. नारियल तेल

नारियल का तेल बहुत अच्छा मॉइश्चराइजर होता है. यह हर प्रकार की त्वचा के लिए अच्छा होता है. रूखी त्वचा के लिए तो यह बहुत लाभकारी है. नारियल का तेल लगाने से असमय झुर्रियां नहीं आती हैं. 2 चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच शहद और 1 चम्मच संतरे का रस मिलाकर त्वचा पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें.

5. खीरा

खीरे में पानी की 95 प्रतिशत मौजूदगी के कारण इसके इस्तेमाल से त्‍वचा मॉइश्‍चराइज रहती है. खीरे के रस को अच्‍छी तरह गर्दन और चेहरे पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें और इसके बाद सामान्‍य पानी से धो लें. त्वचा में ताजगी आएगी और यह मुलायम भी हो जाएगी.

6. ऐलोवेरा

बहुत सारे स्किन केयर प्रॉडक्ट्स में ऐलोवेरा का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये त्वचा को चिपचिपा बनाए बिना ही मॉइश्चराइज करता है. इसमें मौजूद बीटा-कैरोटीन और विटामिन सी व ई त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं. ऐलोवेरा जेल को त्वचा पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे धो लें. चेहरे पर चमक आ जाएगी.

सोने का हिरण: क्या रजनी को आगाह कर पाई मोनिका

लिफ्ट से उतरते हुए मोनिका सोच रही थी कि इस बार भी वह रजनी से वे सब नहीं कह पाई जिसे कहने के लिए वह आज दूसरी बार आई थी. 8वीं क्लास से रजनी उस की दोस्त है. तेल चुपड़े बालों की कानों के ऊपर काले रिबन से बंधी चोटियां, कपड़े का बस्ता, बिना प्रैस की स्कूल ड्रैस, सहमी आंखें क्लास में उस के छोटे शहर और मध्यवर्गीय होने की घोषणा कर रहे थे. मोनिका को आज भी याद है कैसे क्लास की अभिजात्य वर्ग की लड़कियां उस से सवाल पर सवाल करती थीं. कोई उस की चोटी का रिबन खोल देती थी तो कोई उस का बैग कंधे से हटा देती थी. रजनी को तंग कर वे मजा लेती थीं.

ये वे लड़कियां थीं जो रिबन की जगह बड़ेबड़े बैंड लगाती थीं, जिन के सिर क्रीम और शैंपू की खुशबू से महका करते, जो कपड़े के बस्ते की जगह फैशनेबल बैग लाती थीं और पाबंदी होने के बावजूद उन के नाखून नित नई नेलपौलिश से रंगे होते थे. टीचर्स भी जिन्हें डांटनेडपटने के बदले उन से नए फैशन ट्रैंड्स की चर्चा किया करती थीं. रजनी की सहमी आंखों में सरलता का ऐसा सम्मोहन था कि मोनिका हर बार उस की मदद के लिए आगे बढ़ जाती थी. किशोरावस्था की उन की यह दोस्ती गहराने लगी. देह की पहेलियां, जीवन के अनसुलझे प्रश्न, भविष्य के सपने, महत्त्वाकांक्षाएं आदि पर घंटों बातें होती थीं उन की. समय ऐसे ही सरकता गया और डिग्री के बाद एमबीए की पढ़ाई के लिए मोनिका विदेश चली गई.

लौटने पर पता चला कि बैंक मैनेजर वसंत से विवाह रचा कर रजनी गृहस्थी में रम गई है. यह रजनी का स्वभाव था कि अपने आसपास जो और जितना भी मिला वह उस में खुश रहती थी. उस से आगे बढ़ कर कुछ और अधिक पाने की मृगतृष्णा में वह हाथ आई खुशियों को खोना नहीं चाहती थी. किंतु इस के विपरीत मोनिका अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के आकाश की ऊंचाई और विस्तार की सीमा को आगे बढ़ कर स्वयं तय करने में विश्वास करती थी. मोनिका ने बड़ी आईटी कंपनी जौइन कर ली थी. अब दोनों सखियां कम मिलती थीं पर फोन पर उन की बातों का सिलसिला जारी था. मोनिका कभी अपने मन का गुबार निकालने के लिए तो कभी कोई सलाहमशवरा लेने के लिए रजनी के घर का रुख करती थी.

हर परिस्थिति से तालमेल बैठा कर खुश रहने वाली रजनी अपने 2 बच्चों के साथ पूरी तरह गृहस्थी में रम गई थी. वसंत भी तो उस का पूरा खयाल रखता था. जन्मदिन हो या वर्षगांठ, वह कभी तोहफा देना नहीं भूलता था. महंगी साडि़यां, परफ्यूम, नैकलैस, जड़ाऊ गहनों के तोहफों को बड़े उत्साह से रजनी मोनिका को दिखाती. घूमनाफिरना, छुट्टी मनाने के लिए नई जगहों में घूमना सब कुछ तो हासिल था रजनी को. हर माने में वह एक सुखी जीवन जी रही थी.

पर उस दिन वसंत को मोनिका ने शौपिंग मौल में किसी और के साथ देखा था. मीडियम हाइट और घुंघराले बालों वाले वसंत को पहचानने में उस की आंखें धोखा नहीं खा सकती थीं. एक झोंके की तरह दोनों उस के पास से निकल गए थे. ‘‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. जरूर उसे धोखा हुआ है,’’ यह कह कर उस ने इस बात को अपने मन से निकाल दिया था.

इस बात को अभी महीना भर भी नहीं हुआ था कि वसंत उसे कौफी शौप में मिल गया. शौपिंग मौल वाली उसी लड़की के साथ. नजरें टकराने पर कसी हुई कुरती और जींस पहने, छोटे बालों वाली 25-26 वर्षीय युवती का परिचय करवाया, ‘‘यह नीना है, मेरे बैंक में कैशियर…’’ एक ठंडा सा ‘हाय’ उछाल कर मोनिका वहां से खिसक गई. उस के दिमाग में कहीं कुछ खटक गया था पर जमाना तेजी से बढ़ रहा है…एक ही प्रोफैशन के लोग अकसर साथसाथ घूमते हैं. यह सोच उस ने इस बात को भी भुलाना चाहा, पर रजनी का मासूम चेहरा और सरल आंखें उस के सामने आ जातीं.

मोनिका के मन में आया कि वह रजनी से बात करे. फोन भी मिलाया उस ने, पर नंबर मिलते ही लाइन काट दी. उस ने अपने मन को मजबूत किया कि नहीं वह अपने दिमाग में कुलबुलाते वहम के कीड़े को नहीं पालेगी. उसे कुचलना ही होगा वरना वह काला नाग बन खुशियों को न डस ले. फोन पर रजनी से अब भी बातचीत होती. उस के स्वर में झलकने वाली खुशी से मोनिका अपनेआप को धिक्कारती कि वसंत के लिए उस ने न जाने क्याक्या सोच लिया.

गरमी के दिन थे. औफिस से निकलतेनिकलते आइसक्रीम खाने और समंदर के

किनारे टहलने का प्रोग्राम बना. समंदर की ठंडी हवाओं की थपथपाहट से दिन भर की थकान उतर गई. आइसक्रीम का लुत्फ उठाते, गपियाते हुए मोनिका संजना के साथ एक ओर बैठ गई. संजना को अचानक शरारत सूझी और थोड़ी दूर झाडि़यों के झुरमुट में बैठे जोड़े पर मोबाइल टौर्च से रोशनी फेंकी. मोनिका की आइसक्रीम कोन से पिघल कर उस की कुहनी तक बहने लगी. एकदूजे की बांहों में लिपटे वसंत और नीना का ही था वह जोड़ा.

‘अपनी खास सहेली के घर को वह अपनी आंखों के आगे उजड़ते नहीं देख सकती,’ यह सोच कर औफिस से छुट्टी ले कर वह दूसरे ही दिन रजनी के घर पहुंच गई. वह किचन में रजनी के पास खड़ी अपनी बात कहने का सिरा तलाश रही थी जबकि रजनी बड़े प्यार से वसंत की मनपसंद भिंडी फ्राई, दालमक्खनी, रायता और फुलके तैयार कर रही थी. मातृत्वसुख और वसंत के प्रेम में पगी रजनी की बातों के आगे मोनिका की बात का सिरा हर बार छूट जाता और आखिर बिना कुछ कहे ही वह उस दिन लौट गई.

आज दूसरी बार भी बिना कुछ बताए रजनी के घर से लौटते हुए वह सोच रही थी कि वसंत एक पति और पिता की भूमिका बखूबी निभा रहा है. गृहस्थी की लक्ष्मणरेखा के दायरे में मिलने वाले सुख से रजनी खुश और संतुष्ट है. लक्ष्मणरेखा के दूसरी ओर वाले वसंत के बारे में जानना रजनी के लिए सोने के हिरण को पाने जैसा होगा.

मोनिका भलीभांति जानती है कि मरीचिका के पीछे दौड़ कर उसे हासिल करने का साहस रजनी में नहीं और अपनी प्यारी सखी की सरल आंखों और उस के मासूम बच्चों की हंसी को उदासी में बदलने का साहस तो मोनिका में भी नहीं है.

डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन

विश्व में प्रसव के बाद लगभग 13  प्रतिशत महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. जो उन्हें परेशान करके रख देता है. आपको बता दें कि प्रसव के तुरंत बाद होने वाले डिप्रेशन को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है. भारत और अन्य विकासशील देशों में यह संख्या 20 प्रतिशत तक है.  2020 में सीडीसी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार यह सामने आया है कि 8 में से 1 महिला  पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार होती हैं. विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में  पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने के आसार ज्यादा होते हैं. इस संबंध में बेंगलुरु के मणिपाल होस्पिटल की कंसलटेंट, ओब्स्टेट्रिक्स व गायनेकोलॉजिस्ट डाक्टर हेमनंदीनी जयरामन बताती हैं कि महिलाओं में मानसिक समस्याएं होने पर वे अंदर से टूट जाती हैं , जिन्हें परिवार के लोग भी समझ नहीं पाते हैं , जिससे वे खुद को बहुत ही कमजोर महसूस करने लगती हैं.

पोस्टपार्टम का मतलब बच्चे के जन्म के तुरंत बाद का समय होता है. बता दें कि प्रसव के तुरंत बाद महिलाओं में शारीरिक, मानसिक व व्यवहार में जो बदलाव आते हैं , उन्हें पोस्टपार्टम कहा जाता है. पोस्टपार्टम की अवस्था में पहुंचने से पहले तीन चरण होते हैं , जैसे इंट्रापार्टम (प्रसव से पहले का समय ), और एंट्रेपार्टम (प्रसव के दौरान) का समय होता है. पोस्टपार्टम बच्चे के जन्म के बाद का समय होता है. भले ही बच्चे के जन्म के बाद एक अनोखी खुशी होती है, लेकिन इस सबके बावजूद कई महिलाओं को पोस्टपार्टम का सामना करना पड़ता है. इस समस्या का इससे कोई संबंध नहीं होता है कि प्रसव नार्मल डिलीवरी से हुआ है या फिर आपरेशन से. पोस्टपार्टम की समस्या महिलाओं में प्रसव के दौरान शरीर में होने वाले सामाजिक, मानसिक व हार्मोनल बदलावों की वजह से होती है.

पोस्टपार्टम मां व बच्चे दोनों को भी हो सकता है. न्यू मोम्स में कई हार्मोनल व शारीरिक बदलाव देखे जाते हैं. जिसके कई लक्षण हैं – बारबार रोने को दिल करना, ज्यादा सोने का मन करना, कम खाने की इच्छा होना, बच्चे के साथ ठीक से संबंध बनाने में खुद को असमर्थ महसूस करना इत्यादि .  यहां तक कि इस डिप्रेशन की वजह से कई बार मां खुद को व बच्चे को भी नुकसान पहुंचा देती है. ऐसी स्तिथि में मरीज के मस्तिष्क में कई बदलाव होते हैं , जिससे एन्सिएंटी के दौरे भी पड़ने लगते हैं.

प्रसव के बाद महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें बच्चे के साथसाथ खुद की भी खास तौर पर केयर करने की जरूरत होती है. क्योंकि इस दौरान शरीर के कमजोर होने के साथ शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स दिखना, बढ़ते तनाव की वजह से पीठ में दर्द होना, लगातार बालों का झड़ना, स्तनों के आकार में बदलाव होना जैसे बदलावों से एक मां को गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही अगर वे वर्किंग हैं , तो उन पर अपने कैरियर को भी जारी रखने की चिंता सताती रहती है. जिस वजह से कई परेशानियां व सवाल मन में चलने की वजह से एक मां बच्चे के आने की खुशी के साथसाथ कई परेशानियों से घिरी रहती है, जो तनाव का कारण बनता है.

ऐसे में न्यू मोम्स की लाइफ में एक ही व्यक्ति पाजिटिविटी ला सकता है , वो है बच्चे का पिता. क्योंकि जब न्यू मोम का शरीर कमजोर होता है और वह अपने नए जीवन के साथ जूझ रही होती है, तब आपका हेल्पफुल पार्टनर आपको हर तरह से सपोर्ट देने का काम करता है. जैसे सब हो जाएगा, मैं और मेरा पूरा परिवार तुम्हारे साथ है. ऐसी स्थिति में पोस्टपार्टम से जूझ रही महिला पार्टनर की बातों से पॉजिटिव होने लगती है और उसे लगने भी लगता है कि अब वे बच्चे का ठीक से खयाल भी रख पाएगी. ये समय पोस्टपार्टम से जूझ रही महिला के लिए जितना मुश्किल होता है, उतना ही वे पार्टनर व परिवार के सहयोग से इस प्रोब्लम से उभर पाती हैं.

एक्सपर्ट डाक्टर्स की टीम महिलाओं को इस स्थिति से पूरी समझदारी व परिपक्वता से निपटने की सलाह देते हैं. विशेष रूप से जिन महिलाओं को जुड़वा बच्चे होते हैं या फिर दिव्यांग बच्चे होते हैं. उन पर एक्सपर्ट डॉक्टर्स के साथ परिवारजनों को विशेष रूप से ध्यान देने के साथ केयर की जरूरत होती है, ताकि उन्हें इस स्थिति से उभरने में आसानी हो.

कई महिलाओं को यह पता भी नहीं होता कि वे डिप्रेशन से गुजर रही हैं. ऐसे में हमें उन्हें इस स्थिति से अवगत करवाना पड़ता है. बता दें कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन का समय पर उपचार करना जरूरी होता है. क्योंकि अगर इस स्थिति का समय रहते उपचार नहीं किया जाए तो इससे महिला खुद से साथसाथ बच्चे पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती है. इसके अलावा वे बच्चे की जरूरतों को भी समझने में असमर्थ होती है. जबकि जन्म के बाद बच्चे को मां की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इसलिए समय पर ट्रीटमेंट है जरूरी.

कुछ महिलाओं में ये भी देखने को मिला है कि उनमें  पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण पहले से होते हैं. उनमें पहले से कुछ मानसिक समस्याएं देखने को मिलती हैं , जिन्हें उनके परिजन अनदेखा कर देते हैं. कुछ केसेस ऐसे भी होते हैं , जिन्हें अनुवांशिक तौर पर डिप्रेशन होता है. डिप्रेशन अनुवांशिक होता है, जो पोस्टपार्टम स्थिति में उभर कर सामने आता है. और कई बार ये मूड स्विंग के माध्यम से होता है. वैसे ये स्थिति हमेशा के लिए नहीं होती है, इसलिए समय रहते हलकी मेडिसिन व काउंसलिंग से इस स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सकता है.

इसलिए जरूरी है कि प्रसव से पहले व बाद में डॉक्टरी सलाह से शारीरिक व्यायाम करें, जिससे आपका शरीर व मन स्वस्थ रहे. क्योंकि अगर शरीर तंदुरुस्त रहता है, तो मन भी तंदुरुस्त रहता है. प्रसव के बाद सलाह से नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होगा और इससे अच्छी नींद आकर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण भी कम होंगे. इसलिए लक्षणों को इग्नोर न करें और साथ ही परिवार भी न्यू मोम्स को हर सपोर्ट दे, ताकि वे इस स्थिति से जल्दी से जल्दी बाहर निकल सके.

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चिपचिपे डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए शैंपू बताएं?

सवाल-

मैं चिपचिपे डैंड्रफ की समस्या से ग्रस्त हूं. मैं ने कई ऐंटीडैंड्रफ शैंपू इस्तेमाल किए परंतु सब बेकार रहे. कृपया समाधान बताएं?

जवाब-

डैंड्रफ की समस्या आमतौर पर ड्राई और औयली दोनों किस्म के बालों में होती है. इस को यदि समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो इस के  झड़ने से त्वचा में इन्फैक्शन फैलने का डर रहता है, साथ ही बालों की जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं, जिस की वजह से हेयर फौल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसलिए इसे समय रहते रोकना बेहद आवश्यक है.

इस के लिए सप्ताह में कम से कम 3 बार बालों में शैंपू करें और बाल धोने के लिए बहुत ज्यादा गरम पानी के बजाय कुनकुने पानी का प्रयोग कीजिए. इन्फैक्शन से बचने के लिए आप अपनी कंघी, तौलिया व तकिए को अलग रखें और इन की सफाई का भी खासतौर पर खयाल रखें. जब भी बाल धोएं तो ये तीनों चीजें किसी अच्छे ऐंटीसैप्टिक के घोल में आधा घंटा डुबो कर रखें और धूप में सुखा कर ही दोबारा इस्तेमाल करें.

सिर में औयली बाल होने के कारण रूसी है तो एक चम्मच त्रिफला पाउडर को 1 गिलास पानी में डाल कर कुछ देर के लिए उबाल लें. ठंडा हो जाने पर इसे छान लें और फिर 2 बड़े चम्मच सिरके में मिक्स कर लें और रात में इस टौनिक से सिर की मसाज कर लें. सुबह किसी अच्छे शैंपू से बाल धो लें. इन सब विधियों के बावजूद यदि आप की समस्या का हल न हो तो किसी अच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक में जा कर ओजोन ट्रीटमैंट या बायोप्ट्रोन की सिटिंग्स ले सकती हैं. इस से डैंड्रफ तो कंट्रोल होगा ही, साथ ही डैंड्रफ की वजह से हो रहा हेयर फौल में भी रुक जाएगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Summer Special: आइसक्रीम जमाने के 12 टिप्स

गर्मियां अपने साथ लातीं हैं, कुल्फी, ड्रिंक्स, आइसक्रीम और गर्म गर्म लू. गर्म लू के प्रभाव से राहत देतीं हैं आइसक्रीम और कुल्फी. यूं तो आजकल आइसक्रीम वर्ष भर ही खाई जाती है परन्तु गर्मियों में शरीर की गर्मी को शान्त करने के लिए आइसक्रीम और कुल्फी का बहुतायत से प्रयोग किया जाता है. पहले की अपेक्षा आज आइसक्रीम और कुल्फी के अनेकों फ्लेवर बाजार में उपलब्ध हैं परन्तु बाजार से खरीदने की अपेक्षा घर में बनाई गई आइसक्रीम बहुत सस्ती भी पड़ती है और हाइजीनिक भी. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनका उपयोग करके आप एकदम बाजार जैसी आइसक्रीम और कुल्फी बना सकते हैं-

1-इंस्टेंट आइसक्रीम बनाने के लिए 1 कप  व्हिपड क्रीम और 1 कप अमूल क्रीम को बीटर से फेंटकर मनचाहा एसेंस और फ़ूड कलर मिलाकर ट्रे में जमाएं. शानदार आइसक्रीम तैयार हो जाएगी.

2-यदि आप चॉकलेट आइसक्रीम बनाना चाहतीं हैं तो फेंटते समय ही इसमें  1 टेबलस्पून कोको पाउडर मिला लें और फेंटे गए बेटर को ट्रे में डालकर ऊपर से चोको चिप्स डाल दें.

3-1/2 लीटर दूध को गर्म करके 4 टीस्पून कॉर्नफ्लोर, 1 टीस्पून जी एम एस पाउडर और 1/4 टीस्पून सी एम एस पाउडर मिलाकर 2-3 उबाल लें लें. ठंडा होने पर फ्रिज में जमा दें. 6-7 घण्टे बाद 1 कप व्हिपड क्रीम मिलाकर बीटर से लगभग 15 मिनट फेंट लें. मिश्रण फूलकर दोगुना हो जाएगा. अब इसमें मनचाहा एसेंस और फ़ूड कलर मिलाकर आइसक्रीम जमाएं.

4-कुल्फी जमाने के लिए सदैव फुल क्रीम दूध का ही प्रयोग करें.

5-2 लीटर फूल क्रीम दूध को 8 टीस्पून शकर डालकर डेढ़ लीटर रहने तक उबालें, ठंडा होने पर मनचाहा एसेंस डालकर कुल्फी मोल्ड्स में भरकर जमाएं.

6-यदि आप ताजे फलों से आइसक्रीम और कुल्फी बनाना चाहतीं हैं तो फलों को छीलकर टुकड़ों में काटकर मिक्सी में पीस लें फिर इस प्यूरी को बेटर में अच्छी तरह मिलाकर जमाएं. सर्व करते समय सम्बंधित फल के छोटे छोटे टुकड़ों से गार्निश करके सर्व करें .

7-यदि आपके पास कुल्फी मोल्ड्स नहीं हैं तो आप डिस्पोजल कटोरी, ग्लास, कप या फिर घर में प्रयोग होने वाली छोटी छोटी स्टील की कटोरियों का प्रयोग करें, मिश्रण को डालकर ऊपर सर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फॉयल से कवर कर दें ताकि आइस न जमे.

8-आप चाहें तो ग्लास में कुल्फी जमाएं और फिर इसे स्लाइस में काटकर मटका कुल्फी की तरह सर्व करें.

9-आइसक्रीम और कुल्फी जमाते समय फ्रिज के तापमान को न्यूनतम पर सेट करें , जम जाने के बाद तापमान को बढ़ा दें ताकि सर्विंग के समय निकालने में परेशानी न हो.

10-आइसक्रीम जमाने के बाद बार बार फ्रिज को खोलने से बचें अन्यथा यह जमने में अधिक समय लेगी.

11-आइसक्रीम निकालने के लिए स्कूपर का प्रयोग करें. अधिक लोगों को सर्व करते समय स्कूपर को गर्म पानी में डालकर रखें.

12-कुल्फी को सर्व करने के लिए मोल्ड को दोनों हाथों की हथेलियों में दबाकर रोल करें फिर कुल्फी स्टिक लगाकर सर्व करें. यदि कुल्फी स्टिक नहीं है तो चाकू से काटकर सर्व करें.

रसोई गैस: क्या काम आई मैनेजर ने तरकीब

श्रीमतीजी ताने देदे कर थक चुकी थीं और हम गैस एजेंसी के चक्कर लगालगा कर. हम जब भी जाते एक ही जवाब सुनने को मिलता कि गैस नहीं है… नहीं है… नहीं है… श्रीमतीजी बेचारी हीटर पर खाना बना रही थीं. बिजली का बिल 4 गुना से भी अधिक आ रहा था. बिजली विभाग वालों को भी शक हो रहा था कि कहीं घरेलू बिजली कनैक्शन की आड़ में कोई उद्योग तो नहीं चला रहा है. लेकिन हम क्या कर सकते थे. हम देख रहे थे कि शहर के होटलों में घरेलू गैस का उपयोग हो रहा है.

जब हम ने अपनी व्यथा अपने दोस्त से कही तो उस ने कहा, ‘‘एजेंसी का मैनेजर

मेरा दोस्त है. उस के घर चल कर बात कर लेते हैं. बातचीत से सभी समस्याएं सुलझ

जाती हैं वरना तुम्हारी यह रिपोर्ट प्रैस, पुलिस, उपभोक्ता फोरम के चक्कर में चकरघिन्नी बन कर रह जाएगी… पानी में रह कर मगरमच्छ से बैर ठीक नहीं. फिर तू आम आदमी है. अपनी औकात में रह… लड़नेझगड़ने से कुछ नहीं होगा.

‘‘कितने लोगों ने गैस एजेंसी पर पत्थरबाजी की… पुलिस के छापे पड़े… क्या हुआ? कुछ नहीं. उलटे शिकायत करने वाले नजरों में चढ़ गए… उन की तो हमेशा की परेशानी हो गई. नियम बताने को धमकी समझते हैं ये लोग. फिर एकाध बार की

बात नहीं है. पूरा जीवन जरूरत पड़ती है

गैस की. अकेला होता तो होटल में खा लेता. घरपरिवार बसा कर ये सब करना ठीक नहीं होगा.’’

हम समझ गए. अत: दोस्त के साथ गैस एजेंसी के मैनेजर के घरगए. उस के बच्चों के लिए मिठाई भी ले गए.

मैनेजर ने बड़े अदब से बैठाया और फिर पूछा, ‘‘कहिए, क्या काम है?’’

हम ने अपनी व्यथा बताई, ‘‘सर, गैस

बुक कराए कई दिन हो गए हैं, लेकिन गैस आज तक नहीं मिली… परची कटती है

457 की, लेकिन देने पड़ते हैं 460. हमें कहते हैं कि गैस अभी नहीं आई है, पर आप की एजेंसी की गैस बाजार में उपयोग हो रही है… जबकि नियम के अनुसार…’’

मैनेजर ने हमारी बात बीच ही में काटते हुए कहा, ‘‘देखिए, नियमकानून की ही बात करनी थी तो घर क्यों आए? एजेंसी में ही मिल लेते… रही रुपयों की बात तो खुले

457 दिया कीजिए… हम लोगों ने कोई रेजगारी की फैक्टरी तो खोल नहीं रखी है, जो हर आदमी 460 दे और हम 3 रुपए की रेजगारी देते रहें.’’

हमारे दोस्त ने बिगड़ती बात को संभालते हुए कहा, ‘‘नहीं यार, यह तो पुरानी बात हो गई… यह तो इस ने यों ही कह दिया… वर्तमान समस्या यह है कि इस के घर में 2 माह से गैस नहीं है… कुछ कर भाई… बड़ी दिक्कत में है बेचारा.’’

‘‘परची कब कटवाई थी?’’ मैनेजर ने पूछा.

‘‘2 माह पहले,’’ हम ने कहा.

‘‘वह तो अब लैप्स हो गई है.’’

‘‘सर, 21 दिन पहले फिर से कटवाई थी,’’ हम ने लपलपाती नजरों से मैनेजर की तरफ देखा.

‘‘आप के घर में कोई और साधन नहीं है. मसलन लकड़ी, कोयला, मिट्टी का तेल?’’

‘‘नहीं सर,’’ हम निराशा में गोते लगाने लगे.

‘‘तो एक और कनैक्शन क्यों नहीं ले लेते?’’

‘‘सर, एक और है पत्नी के नाम. लेकिन इस बार मेहमान आ गए… फिर ठंड होने के कारण पानी गरम करने के कारण भी… लेकिन सर हम नियमानुसार ही 2 कनैक्शन के हिसाब से ही…’’

मैनेजर फिर बात बीच ही में काट कर बोला, ‘‘यार, तुम नियमकानून बहुत बताते हो… एक बात बताइए, आप प्रेम में विश्वास रखते हैं या नियमों में?’’

हम ने झेंपते हुए कहा, ‘‘माफ करना सर, हम तो प्रेम में ही विश्वास रखते हैं.’’

‘‘तो फिर आप अपनी पत्नी से भी प्रेम करते होंगे?’’

‘‘जी,’’ कह हम ने सोचा कि यह कैसा प्रश्न है?

‘‘यदि पत्नी से प्रेम करते हैं तो उस से फिर किस बात का बदला ले रहे हैं? दहेज में कुछ कमी रह गई थी क्या?’’

‘‘नहीं तो सर… यह क्या कह रहे हैं आप?’’ हम ने मरियल आवाज में कहा.

 

मैनेजर ने गंभीरता से कहा, ‘‘अजीब बातहै, आप को दहेज भी मिला, पत्नी से

प्रेम भी करते हैं और घर में 2 माह से गैस नहीं है.’’

‘‘जी हम तो जाते हैं, लेकिन…’’

‘‘आप सैर करने जाते हैं या गैस लेने?’’ मैनेजर ने व्यंग्य से पूछा, ‘‘भाई, घर में गैस

2 माह से नहीं है. आप पहले नहीं आ सकते थे? आप एजेंसी के चक्कर तो ऐसे लगा रहे हैं जैसे प्रेमी अपनी प्रेमिका के चक्कर लगाता है… आम आदमी हो कर नियमों की बात तो ऐसे करते हो मानो कोई चूहा बिल्ली को खाने की सोच रहा हो… किस युग में रहते हैं आप?’’

हम खामोश सुनते रहे. क्या करते?

मैनेजर बोलता रहा, ‘‘यदि हम आप की तरह नियमकानून पर चलने लगे तो अब तक एजेंसी किसी और के पास चली गई होती. हम बेकार हो जाते… हमारी तकलीफ भी समझिए. हमें बड़े अधिकारियों के यहां उन के एक फोन पर 1 माह में कई सिलैंडर पहुंचाने पड़ते हैं. शहर के रसूखदारों, गुंडों से ले कर धार्मिक आयोजनों में जो लंगर लगते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, सब का ध्यान रखना पड़ता है. हम कमाएं कहां से? बाजारों, होटलों से ही हमारी कमाई होती है… आप तो हमारे ही पेट पर लात मारने लगे.’’

‘‘सर गलती हो गई, आप नाराज मत होइए… बस हमारी समस्या दूर कर दीजिए…’’

‘‘चलो, तुम घर आए हो, मेरे दोस्त के दोस्त हो, तुम्हें अपनी पत्नी से भी प्रेम है

और फिर यह एक दिन की बात तो है नहीं

कि लड़ कर, कानून बता कर गैस ले गए. जीवन भर गैस चाहिए… तुम क्व100 अतिरिक्त दे दिया करो, गैस तुम्हारे घर पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी… हमारे होते हुए आप चिंता क्यों करते हैं?’’

हमारे पास कोई चारा नहीं था. इस हाथ दे उस हाथ ले. न एजेंसी के चक्कर लगाने की जरूरत न गोदाम जा कर लाइन में खड़े होने की. और तो और न ही परची कटवाने की जरूरत. बस फोन किया, पैसे दिए और सिलैंडर ले लिए.

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