Winter Special: 15 मिनट लें सुबह की धूप, जीवनभर बने रहेंगे Healthy और Energetic

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

सुबह की धूप हमारे लिए बहुत फायदेमंद होती है. लेकिन बढ़ते फ्लैट कल्चर के चलते लोग धूप लेने से वंचित रह जाते हैं, जिसकी वजह से कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों का सामना आगे करना पड़ता है. मगर दोस्तों, विशेषज्ञों कहते हैं कि सुबह केवल 10-15 मिनट धूप में टहलने या बैठने से आप सेहत से जुड़ी सभी परेशानियों से खुद को बचा सकते हैं. यहां तक की प्राकृतिक चिकित्सा में भी सूर्य चिकित्सा का अहम रोल है. एक स्टडी के अनुसार, अगर आपको सुबह की धूप नहीं मिलती , तो इससे हाई ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ जाती है. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम बात करते हैं उन सभी बड़े फायदों के बारे में जो हमें सुबह की धूप लेने से मिल सकते हैं.

सुबह की धूप कैसे है फायदेमंद

डिप्रेशन दूर करे- अगर आप रोज सुबह 10-15 मिनट तक सुबह धूप में टहलते या बैठते हैं, तो इससे डिप्रेशन की समस्या से छुटकारा मिलेगा. डॉक्टर्स भी डिप्रेशन दूर करने के लिए सुबह की धूप लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि ऐसा करने से शरीर में एंडोर्फिन रिलीज होता है. यह एक नेचुरल एंटी डिप्रेजेंट है.

ब्लड सकुर्लेशन बढ़ाए- सुबह की धूप में कुछ देर टहलना या बैठना आपकी हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है. इससे मिलने वाला विटामिन डी आपके ब्लड सकुर्लेशन को बढ़ाने का काम करता है. इतना ही नहीं, ये आपके ब्लड प्रेशर को भी रेगुलेट करने में मदद करती है.

वजन घटाए- अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो सुबह की धूप में टहलना शुरू कर दें. ऐसा करने से आपका वजन बहुत जल्दी कम हो जाएगा. कई शोधों में पाया गया है कि जिन लोगों को सुबह की धूप नहीं मिलती, उनका वजन बहुत तेजी से बढ़ता है, उनके भीतर चर्बी ज्यादा जमा हो जाती है, उनके मुकाबले जो सुबह की धूप लेते हैं.

खुश रखे- व्यस्त भरी दिनचर्या में व्यक्ति को खुश होने का अवसर बहुत कम मिलता है, लेकिन सुबह की धूप में टहलने से आपको ये खुशी मिल सकती है. जी हां, धूप में सिर्फ दस मिनट तक टहलने से आपके अंदर सेराटॉनिन का लेवल बढ़ जाता है. बता दें, कि यह एक हैप्पी हार्मोन है, जिसकी वजह से आप थके होने के बाद भी आप हैप्पी और एनर्जेटिक फील करते हैं.

सुबह की धूप लेने का तरीका-

अब हम आपको बताते हैं कि सुबह की धूप लेने का सही तरीका क्या है. आपको बता दें कि सर्दियों में सुबह आठ से दस बजे तक की धूप आपके लिए बहुत असरदार होती है. वहीं गर्मियों में सुबह 7 से 9 बजे तक आप धूप में टहल सकते हैं. अब जानिए 15 मिनट में सुबह की धूप कैसे ले सकते हैं.

– आपको जहां भी धूप अच्छे से मिलती है, वहां आप टहलना शुरू कर दें या फिर कुछ देर के लिए वहां बैठ जाएं. बैठने के बाद आंखें बंद कर लें. अब नाक से गहरी सांस लें. सांस आपकी नाभि के नीचे तक पहुंचनी चाहिए. ध्यान रखें, कि नाक से ही सांस लेनी है और नाक से ही सांस छोड़नी  है. पहले पांच मिनट में आपको यह अभ्यास करना है.

– अगले पांच मिनट में अंदर ली गई सांस और बाहर छोड़ी गई सांस पर ध्यान दें. याद रखें, इस वक्त मन में कोई और विचार न लाएं. बस रिलेक्स होकर आपकी सांस पर ध्यान देना है. लगभग 5 मिनट तक आपको ये प्रयास करना है.

– अब बाद के पांच मिनट अपने आप में महत्वपूर्ण हैं. इस वक्त आप केवल महसूस करेंगे कि सूर्य की किरणें आपके सिर के ऊपर से होते हुए आपके भीतर प्रवेश कर रही हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल रही हैं. ये किरणें आपकी बॉडी में मौजूद हर बीमारी से आपको सुरक्षा प्रदान करती हैं.

अगर आप भी खुद को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाना चाहते हैं, तो कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन सुबह की धूप लेना शुरू कर दें. इससे न केवल आपके भीतर की बीमारियां दूर होंगी, बल्कि आपके अंदर पॉजिटिविटी का लेवल भी बढ़ेगा.

Winter Special: स्नैक्स में परोसें टेस्टी मशरूम पौपकौर्न

अगर आप बच्चों को स्नैक्स में कुछ हेल्दी और टेस्टी खिलाना चाहते हैं तो ये रेसिपी ट्राय करें. मशरूम पौपकौर्न की ये रेसिपी टेस्टी की साथ-साथ आसानी से बनने वाली रेसिपी है. आप इसे कभी भी अपनी फैमिली के लिए फिल्म देखने के लिए बना सकती हैं.

हमें चाहिए

–  10-15 मशरूम

–  1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन का पाउडर

–  1 छोटा चम्मच प्याज का पाउडर

–  1 कप बै्रडक्रंब्स

–  1 छोटा चम्मच लहसुन बारीक कटा\

–  1 नींबू

–  1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर

–  तेल आवश्यकतानुसार

–  1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

–  1 बड़ा चम्मच शहद.

बनाने का तरीका

मशरूम को आधाआधा काट लें. ब्रैडक्रंब्स एक प्लेट में निकाल लें. बाकी सारी सामग्री को एक बड़े बरतन में डालें. थोड़ा सा पानी डाल कर मैरिनेशन तैयार कर लें. इस तैयार मैरिनेशन में मशरूम मिला कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. अब 1-1 मशरूम उठा कर ब्रैड क्रंब्स में लपेट लें. सारे तैयार मशरूम एक ट्रे में रख कर 1-2 घंटों के लिए फ्रिज में रख दें. तेल में तल कर चटनी के साथ परोसें.

Skin Care Tips: टैटू हटाने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय

आजकल के युवाओं में टैटू का क्रेज़ बहुत है. वे जितनी जल्दी टैटू बनवाते है, उतनी हो जल्दी उससे बोर होकर मिटाने की कोशिश करते है. ऐसे में सही जगह की तलाश कर उसे मिटाना सही होता है. गंदे और अनहाइजीनिक स्थान पर जाने से व्यक्ति को लेने के देने पड़ सकते है. इस बारें में एलायन्स टैटू स्टूडियो के सेलेब्रिटी टैटू आर्टिस्ट सनी भानुशाली बताते है कि टैटू का ट्रैंड पिछले कई सालों से हमारे देश में शुरू हुआ है. समय के साथ-साथ इसकी पौपुलैरिटी बढती गई है, ऐसे में वे कई बार बिना सोचे समझे टैटू करवा लेते है और बाद में उसे मिटाने के लिए आसपास के किसी टैटू आर्टिस्ट के पास जाते है, जिससे उन्हें मनचाहा परिणाम नहीं मिलता. टैटू रिमूवल के लिए कुछ बातों पर जरूर ध्यान दें…

1. टैटू रिमूवल के लिए करें रिसर्च

सबसे पहले इस पर रिसर्च कर लें कि कहाँ और कैसे टैटू रिमूव किया जाता हो, कई बार ऐसा करने पर भी धोखा हो जाता है, इसलिए इसे बारीकी से देखें और डौक्टर से कंसल्ट करे और जाने आपकी खोज सही है या नहीं.

2. लेजर रिमूवल है अच्छा औप्शन

लेज़र रिमूवल एक अच्छा विकल्प है, जिसे रिमूव करने में कई सेशन लगते है जो महीनों से लेकर साल तक भी होता है.

3. डौक्टर की एडवाइस से पहनें कपड़े

टैटू रिमूवल महंगा होता है,क्योंकि टैटू बनवाने के बाद उसे रिमूव करना कठिन होता है. यह दर्दनाक भी होता है, रिमूव के बाद डॉक्टर की सलाह के अनुसार कपड़े पहनने की जरुरत होती है,

4. एंटीबायोटिक औइंटमेंट की लेयर लगाना है बेस्ट

कई बार रिमूव किये गए टैटू के उपर पहले तीन दिन जब तक घाव थोड़ी भर न जाय, एंटीबायोटिक औइंटमेंट की एक लेयर लगाना भी अच्छा रहता है. टैटू में प्रयोग किये गए रंग को हल्का कर उसमें कुछ अलग आकृति भी बनायी जा सकती है.

5. टैटू बनवाने से पहले सोच लें

टैटू को रिमूव करने के बाद कई बार सफेद रंग के पैचेस और स्कार्स रहते है, इसलिए टैटू करवाने से पहले ही अच्छी तरह से सोच विचार कर लें,

6. टैटू रिमूव करने से पहले डर्मेटोलौजिस्ट के पास जाएं

किसी भी स्थान पर टैटू रिमूव न करवाएं, किसी भी अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट के पास जाएं, जिनके स्किन टोन डार्क है लेज़र रिमूवल से उनके स्किन के जलने का खतरा रहता है.

7. ब्लैक टैटू रिमूव करना रहता है आसान

सभी टैटू को रिमूव करना आसान नहीं होता, काले रंग के टैटू को रिमूव करना चटकदार रंगों की तुलना में आसान होता है, ग्रीन और ब्लू रंग के टैटू को रिमूव करना चुनौतीपूर्ण होता है. इसके आगे सनी कहते है कि टैटू को रिमूव करना बहुत मुश्किल होता है इसलिए अधिक से अधिक कोशिश उसे कवर कर नया रूप देने के बारें में सोचे, ताकि आपको बाद में किसी समस्या का सामना करना न पड़े.

पैंसिल और लिक्विड आईलाइनर में से कौन सा बेहतर रिजल्ट देता है?

सवाल-

पैंसिल आईलाइनर और लिक्विड आईलाइनर में से कौन सा बेहतर रिजल्ट देता है?

जवाब-

लिक्विड लाइनर से आंखें जितनी बड़ी और आकर्षक लगती हैं उतनी पैंसिल लाइनर से नहीं. लिक्विड आईलाइनर काफी देर तक टिका भी रहता है. जिन की स्किन औयली होती है उन के लिए लिक्विड लाइनर एक जैकपौट की तरह होता है. लिक्विड लाइनर लंबे समय तक उसी शेप में रह सकता है, साथ ही यह बिलकुल साफसुथरा भी दिखाई देता है, जबकि पैंसिल या पाउडर लाइनर की आंखों के आसपास औयल प्रोड्यूस होने के कारण दिनभर में शेप खराब भी हो सकती है या फिर पूरा भी हट सकता है. लिक्विड आईलाइनर का सब से बड़ा फायदा यह है कि आप इस की मदद से अपनी कोई भी क्रिएटिविटी कर सकती हैं. 

कब बोरिंग होती है मैरिड लाइफ

विवाह के कुछ वर्ष बाद न सिर्फ जीवन में बल्कि सैक्स लाइफ में भी एकरसता आ जाती है. कई बार कुछ दंपती इस की तरफ से उदासीन भी हो जाते हैं और इस में कुछ नया न होने के कारण यह रूटीन जैसा भी हो जाता है. रिसर्च कहती है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल व तरोताजा बनाए रखने में सैक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लेकिन यदि यही बोरिंग हो जाए तो क्या किया जाए?

पसंद का परफ्यूम लगाएं

अकसर महिलाएं सैक्स के लिए तैयार होने में पुरुषों से ज्यादा समय लेती हैं और कई बार इस वजह से पति को पूरा सहयोग भी नहीं दे पातीं. इसलिए यदि आज आप का मूड अच्छा है तो आप वक्त मिलने का या बच्चों के सो जाने का इंतजार न करें. अपने पति के आफिस से घर लौटने से पहले ही या सुबह आफिस जाते समय कानों के पीछे या गले के पास उन की पसंद का कोलोन, परफ्यूम लगाएं, वही खुशबू, जो वे रोज लगाते हैं. किन्से इंस्टिट्यूट फौर रिसर्च इन सैक्स, जेंडर एंड रिप्रोडक्शन के रिसर्चरों का कहना है कि पुरुषों के परफ्यूम की महक महिलाओं की उत्तेजना बढ़ाती है और सैक्स के लिए उन का मूड बनाती है.

साइक्लिंग करें

अमेरिकन हार्ट फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि नियमित साइक्लिंग जैसे व्यायाम करने वाले पुरुषों का हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हृदय व यौनांगों की धमनियों व शिराओं में रक्त के बढ़े हुए प्रवाह के कारण वे बेडरूम में अच्छे प्रेमी साबित होते हैं. महिलाओं पर भी साइक्लिंग का यही प्रभाव पड़ता है. तो क्यों न सप्ताह में 1 बार आप साइक्लिंग का प्रोग्राम बनाएं. हालांकि साइक्लिंग को सैक्स विज्ञानी हमेशा से शक के दायरे में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा साइक्लिंग करने से साइकिल की सीट पर पड़ने वाले दबाव के कारण नपुंसकता हो सकती है. लेकिन कभीकभी साइक्लिंग करने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

स्वस्थ रहें

वर्जिनिया की प्रसिद्ध सैक्स काउंसलर एनेट ओंस का कहना है कि कोई भी शारीरिक क्रिया, जिस के द्वारा आप के शरीर के रक्तप्रवाह की मात्रा कम होती है, सैक्स से जुड़ी उत्तेजना को कम करती है. सिगरेट या शराब पीना, अधिक वसायुक्त भोजन लेना, कोई शारीरिक श्रम न करना शरीर के रक्तप्रवाह में गतिरोध उत्पन्न कर के सैक्स की उत्तेजना को कम करता है. एक स्वस्थ दिनचर्या ही आप की सैक्स प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है.

दवाइयां

वे दवाइयां, जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं, हमारी सैक्स लाइफ का स्विच औफ कर सकती हैं. इन में से सब से ज्यादा बदनाम ब्लडप्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाइयां और एंटीडिप्रेसेंट्स हैं. इन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां और कई गैरहानिकारक दवाइयां भी सैक्स की दुश्मन हैं. इसलिए कोई नई दवा लेने के कारण यदि आप को सैक्स के प्रति रुचि में कोई कमी महसूस हो रही हो तो अपने डाक्टर से बात करें.

सोने से पहले ब्रश

बेशक आप अपने साथी से बेइंतहा प्रेम करती हों, लेकिन अपने शरीर की साफसफाई का ध्यान अवश्य रखें. ओरल हाइजीन का तो सैक्स क्रीडा में महत्त्वपूर्ण स्थान है. यदि आप के मुंह से दुर्गंध आती हो तो आप का साथी आप से दूर भागेगा. इसलिए रात को सोने से पहले किसी अच्छे फ्लेवर वाले टूथपेस्ट से ब्रश जरूर करें.

स्पर्श की चाहत को जगाएं

आमतौर पर लोगों को गलतफहमी होती है कि अच्छी सैक्स क्रीडा के लिए पहले से मूड होना या उत्तेजित होना आवश्यक है, लेकिन यह सत्य नहीं है. एकसाथ समय बिताएं, बीते समय को याद करें, एकदूसरे को बांहों में भरें. कभीकभी घर वालों व बच्चों की नजर बचा कर एकदूसरे का स्पर्श करें, फुट मसाज करें. ऐसी छोटीछोटी चुहलबाजी भी आप का मूड फ्रेश करेगी और फोरप्ले का काम भी.

थ्रिलर मूवी देखें

वैज्ञानिकों का मानना है कि डर और रोमांस जैसी अनुभूतियां मस्तिष्क के एक ही हिस्से से उत्पन्न होती हैं, इसलिए कभीकभी कोई डरावनी या रोमांचक मूवी एकसाथ देख कर आप स्वयं को सैक्स के लिए तैयार कर सकती हैं.

फ्लर्ट करें

वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लर्टिंग से महिलाओं के शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जो रोमांटिक अनुभूतियां उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए दोस्तों व सहेलियों के बीच सैक्सी जोक्स का आदानप्रदान करें, कभीकभी किसी हैंडसम कुलीग, दोस्त के साथ फ्लर्ट भी कर लें. अपने पति के साथ भी फ्लर्टिंग का कोई मौका न छोड़ें. आप स्वयं सैक्स के प्रति अपनी बदली रुचि को देख कर हैरान हो जाएंगी.

दाग: भाग 2- माही ने 2 बच्चों के पिता के साथ अफेयर के क्यों किया?

पर पता नहीं क्यों आज का माहौल कुछ बदलाबदला था. वह जवाब दे कर चुप हो जाती. लगता कहीं खो गई है. उसे देखने से ही पता चल रहा था कि हो न हो ऐसीवैसी जरूर कोई बात है, पर इस के दिल की बात जानूं कैसे, समझ में नहीं आ रहा था. तभी उस की रूमपार्टनर भारती आ गई.

‘‘मामीजी, इसे साथ ले जाइए. रात भर कमरे में टहलती रहती है. पूछने पर कहती है कि नींद नहीं आती. बेचैनी होती है. मैं ने ही इसे नींद की दवा खाने को कहा. ढंग से खाना नहीं खाती. पढ़नालिखना भी पूरी तरह से ठप कर बैठी है. लग रहा है इसे लवेरिया हो गया है,’’ कह भारती हंसी.

 

‘‘चुप भारती, जो मुंह में आ रहा है, बकती जा रही है,’’ माही का चेहरा तमतमा गया.

‘‘अरे, मुझ से नहीं कम से कम मामीजी से उस लवर का नाम बता दे ताकि इस लगन में ये तेरा बेड़ा पार करवा दें,’’ हंसते हुए भारती बैडमिंटन ले बाहर निकल गई. मैं मुसकरा पड़ी.

‘‘ईडियट कहीं की,’’ माही भुनभुनाई.

शायद यही बात हो. यह सोच कर मैं ने उस के दोनों हाथों को अपने हाथों में ले कर पूछा, ‘‘कोई लड़का है तो बोलो. मैं दीदी से बात करूंगी.’’

‘‘कोई नहीं है,’’ उस ने हाथ खींच लिए.

मैं ने उस की ठुड्डी ऊपर उठाई, ‘‘सचसच बता आखिर बात क्या है? मैं तुम्हारी मामी हूं. कोई बात तेरे दिल में घर कर गई है, इसलिए तू नींद की गोलियां खाती है. बता क्या बात है? मुझ पर विश्वास कर मैं तेरी हर बात अपने दिल में दफन कर लूंगी. तू मुझे दोस्त मानती है न… बता मेरी बेटी, तू ने कोई गलती की है, जो आज तेरी यह हालत हो गई है? देख, कहने से दुख हलका होता है. शायद मैं तेरी कुछ मदद करूं. बता न प्यारव्यार का चक्कर है या कोई होस्टल की प्रौब्लम…’’ मैं 10-15 मिनट तक यही दोहराती रही ताकि वह अपने दिल की बात बता दे.

फिर भी माही कुछ नहीं बोली तो मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया, ‘‘जब तू मुझे कुछ बताएगी नहीं तो ठीक है मैं जा रही हूं. तुम्हें मुझ पर विश्वास ही नहीं, तो मैं चली,’’ कह कर मैं उठ गई.

‘‘मामी…’’ माही ने सिर उठा कर कहा. उस की आंखों में आंसू तैर रहे थे. आंसू देख मैं घबरा गई. मगर उस की जबान खुलवाने के लिए बोली, ‘‘मैं जा रही हूं…’’ कह फिर आगे बढ़ी.

वह उठ कर मुझ से लिपट गई और बिलखबिलख कर रोने लगी, ‘‘मुझ से एक गलती हो गई है…’’

‘‘कैसी गलती?’’

‘‘एक आदमी से संबंध…’’

लगा कि मैं चक्कर खा कर गिर पड़ूंगी. मेरा दिमाग एक क्षण के लिए सन्न हो गया. हाथपांव कांपने लगे कि यह इस ने क्या कर दिया. मैं ने सोचा था किसी लड़के से प्यार होगा, पर यहां तो… मैं खुद अपनेआप को संभाल नहीं पा रही थी. मुझे माही पर हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था, पर उसे काबू में कर उस से सारी सचाई जानना मैं ने जरूरी समझा.

उसे पलंग पर बैठा मैं खुद भी बैठ गई. वह फूटफूट कर रो रही थी. मैं ने सोचा अगर मैं अभी इसे बुराभला कहूंगी तो हो सके मेरे जाने के बाद यह कहीं गले में फंदा डाल फांसी पर न लटक जाए या होस्टल की छत से ही कूछ जाए. अत: मैं ने उस से सारी बातें कोमलता से पूछीं.

माही ने बताया कि वह अकसर होस्टल की बगल में चंदन स्टेशनरी में फोटो कौपी कराने जाती थी. नोट्स या सर्टिफिकेट को हमेशा फोटोस्टेट कराने की जरूरत पड़ती ही रहती. होस्टल की सारी लड़कियां उसी दुकान पर जातीं. स्टेशनरी और फोटोस्टेट के साथसाथ मेल, कुरियर, बूथ और स्टूडियो को मिला कर 4-5 बिजनैस एक ही में थे.

मालिक चंदन के घर में ही दुकान थी. उस ने एक नौकर रखा था. चंदन की पत्नी रीता भी दुकान देखती.

रोज आतेजाते सभी लड़कियों के साथ माही की भी दोस्ती रीता और चंदन से हो गई थी. कभीकभी रीता उसे चायनाश्ता भी करा देती. उस के 4 और 6 साल के 2 बेटे थे. जिन्हें ट्यूशन पढ़ाने के लिए वह एक अच्छा टीचर ढूंढ़ रही थी.

रीता ने भारती से बात की. पढ़ाई से शाम को जो भी 1-2 घंटे फुरसत के मिलते थे उन्हें भारती बच्चों को पढ़ा कर अपनी उछलकूद बंद नहीं करना चाहती थी. अत: उस ने माही को राजी किया. उसे बच्चों को पढ़ाने का शौक था. वह पढ़ाने लगी. रीता और चंदन से हंसीमजाक होता. बच्चों को पढ़ाने के कारण उस में और इजाफा हुआ.

चंदन था तो 2 बच्चों का पिता, मगर वह बिलकुल नौजवान और हैंडसम लगता था. माही भी 20-21 साल की यौवन की दहलीज पर खड़ी छरहरे बदन की खूबसूरत लड़की थी. माही जब बच्चों को पढ़ाती या चंदन ग्राहकों के बीच रहता तो दोनों एकदूसरे को चोर निगाहों से देख लेते.

दोनों अपनी उम्र और स्थितियों से अवगत थे, मगर फिर भी विपरीत लिंगी आकर्षण की तरफ बढ़ चुके थे.

एक दिन अचानक रीता के पास फोन आया कि उस की मां की तबीयत बहुत खराब है. हौस्पिटल में ऐडमिट हैं. वह घबराई सी छोटे बेटे को ले कर अकेले ही मायके चली गई.

शहर के एक विधायक के बच्चे का किसी ने अपहरण कर लिया था. फिर क्या था? उस के चमचों ने शहर की सभी दुकानों को बंद करवा दिया और जलूस निकाल कर अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए पुलिस से उलझ पड़े.

चंदन अपनी दुकान बंद कर घर के कामों में जुट गया. रीता रसोई और कपड़ेलत्ते बिखेर गई थी. वह उन्हें समेटने लगा.

शाम को माही बच्चों को पढ़ाने आई. उस ने दुकान बंद होने का कारण पूछा. छोटे भाई के नानी गांव जाने पर बड़ा भाई पढ़ना नहीं चाहता था. माही किसी तरह उसे पढ़ा रही थी.

बनियान और लुंगी पहने चंदन चाय ले कर आया, ‘‘लो माही, चाय पीयो.’’

‘‘दीदी कब आएंगी?’’ कप लेते हुए माही की उंगलियां चंदन से छू गईं. दिल धड़क गया उस का.

‘‘कलपरसों तक आ जाएगी,’’ चंदन वहीं बैठ कर खुद भी चाय पीने लगा.

‘‘चाय बहुत अच्छी है,’’ माही मुसकराई.

‘‘शुक्र है आप जैसी मैडम को मेरी बनाई चाय अच्छी लगी, नहीं तो…’’ चंदन हंसा.

जिंदगी का गणित: भाग 2

‘‘अभी आई,’’ कह कर वह बच्चे को पालने में लिटा फिर वहां आ गई. परंतु अब राहुल बाहर जाने को उद्यत था. उसे बाहर फाटक तक छोड़ने गई तो उस ने पलट कर रमा को हाथ जोड़ कर नमस्कार किया और हौले से मुसकरा कर हिचकते हुए कहा, ‘‘यह तो अशिष्टता ही होगी कि पहली मुलाकात में ही मैं आप से इतनी छूट ले लूं, लेकिन कहना भी जरूरी है…’’

रमा एकाएक घबरा गई, ‘बाप रे, यह क्या हो गया. क्या कहने जा रहा है राहुल, कहीं मेरे मन की कमजोरी इस ने भांप तो नहीं ली?’

रमा अपने भीतर की कंपकंपी दबाने के लिए चुप ही रही. राहुल ही बोला, ‘‘असल में मैं अपने एक दोस्त के साथ रहता हूं. अब उस की पत्नी उस के पास आ कर रहना चाहती है और वह परेशान है. अगर आप की सिफारिश से मुझे कोई बरसाती या कमरा कहीं आसपास मिल जाए तो बहुत एहसान मानूंगा. आप तो जानती हैं, एक छड़े व्यक्ति को कोई आसानी से…’’ वह हंसने लगा तो रमा की जान में जान आई. वह तो डर ही गई थी कि पता नहीं राहुल एकदम क्या छूट उस से ले बैठे.

‘‘शाम को अपने पति से इस सिलसिले में भी बात करूंगी. इसी इमारत में ऊपर एक छोटा सा कमरा है. मकान मालिक इन्हें बहुत मानता है. हो सकता है, वह देने को राजी हो जाए. परंतु खाना वगैरह…?’’

‘‘वह बाद की समस्या है. उसे बाद में हल कर लेंगे,’’ कह कर वह बाहर निकल गया. गहरे ऊहापोह और असमंजस के बाद आखिर रमा ने अपने पति विनोद से फिर नौकरी करने की बात कही. विनोद देर तक सोचता रहा. असल परेशानी बच्चे को ले कर थी.

‘‘अपनी मां को मैं मना लूंगी. कुछ समय वे साथ रह लेंगी,’’ रमा ने सुझाव रखा.

‘‘देख लो, अगर मां राजी हो जाएं तो मुझे एतराज नहीं है,’’ वह बोला, ‘‘उमेशजी हमारे जानेपरखे व्यक्ति हैं. उन की कंपनी में नौकरी करने से कोई परेशानी और चिंता नहीं रहेगी. फिर तुम्हारी पसंद का काम है. शायद कुछ नया करने को मिल जाए.’’

राहुल के लिए ऊपर का कमरा दिलवाने की बात जानबूझ कर रमा ने उस वक्त नहीं कही. पता नहीं, विनोद इस बात को किस रूप में ले. दूसरे दिन वह बच्चे के साथ मां के पास चली गई और मां को मना कर साथ ले आई. विनोद भी तनावमुक्त हो गया.

रमा ने फिर से नौकरी आरंभ कर दी. पुराने कर्मचारी उस की वापसी से प्रसन्न ही हुए, पर राहुल तो बेहद उत्साहित हो उठा, ‘‘आप ने मेरी बात रख ली, मेरा मान रखा, इस के लिए किन शब्दों में आभार व्यक्त करूं?’’

रमा सोचने लगी, ‘यह आदमी है या मिसरी की डली, कितनी गजब की चाशनी है इस के शब्दों में. कितने भी तीखे डंक वाली मधुमक्खी क्यों न हो, इस डली पर मंडराने ही लगे.’ एक दिन उमेशजी ने कहा था, ‘कंपनी में बहुत से लोग आएगए, पर राहुल जैसा होनहार व्यक्ति पहले नहीं आया.’

‘लेकिन राहुल आप की डांटफटकार से बहुत परेशान रहता है. उसे हर वक्त डर रहता है कि कहीं आप उसे कंपनी से निकाल न दें,’ रमा मुसकराई थी.

‘तुम्हें पता ही है, अगर ऐसा न करें तो ये नौजवान लड़के हमारे लिए अपनी जान क्यों लड़ाएंगे?’ उमेशजी हंसने लगे थे.

‘‘राहुल, एक सूचना दूं तुम्हें?’’ एक दिन अचानक रमा राहुल की आंखों में झांकती हुई मुसकराने लगी तो राहुल जैसे निहाल ही हो गया था.

‘‘अगर आप ने ये शब्द मुसकराते हुए न कहे होते तो मेरी जान ही निकल जाती. मैं समझ लेता, साहब ने मुझे कंपनी से निकाल देने का फैसला कर लिया है और मेरी नौकरी खत्म हो गई है.’’

‘‘आप उमेशजी से इतने आतंकित क्यों रहते हैं? वे तो बहुत कुशल मैनेजर हैं. व्यक्ति की कीमत जानते हैं. आदमी की गहरी परख है उन्हें और वे आप को बहुत पसंद करते हैं.’’

‘‘क्यों सुबहसुबह मेरा मजाक बना रही हैं,’’ वह हंसा, ‘‘उमेशजी और मुझे पसंद करें? कहीं कैक्टस में भी हरे पत्ते आते हैं. उस में तो चारों तरफ सिर्फ तीखे कांटे ही होते हैं, चुभने के लिए.’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है,’’ वह बोली, ‘‘वे तुम्हें बहुत पसंद करते हैं.’’

‘‘उन्हें छोडि़ए, रमाजी, अपने को तो अगर आप भी थोड़ा सा पसंद करें तो जिंदगी में बहुतकुछ जैसे पा जाऊं,’’ उस ने पूछा, ‘‘क्या सूचना थी?’’

‘‘हमारे ऊपर वाला वह छोटा कमरा आप को मिलना तय हो गया है. 500 रुपए किराया होगा, मंजूर…?’’ रमा ने कहा तो राहुल ने अति उत्साह में आ कर उस का हाथ ही पकड़ लिया, ‘‘बहुतबहुत…’’ कहताकहता वह रुक गया.

उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो तुरंत हाथ छोड़ दिया, ‘‘क्षमा करें, रमाजी, मैं सचमुच कमरे को ले कर इतना परेशान था कि आप अंदाजा नहीं लगा सकतीं. कंपनी के काम के बाद मैं अपना सारा समय कमरा खोजने में लगा देता था. आप ने…आप समझ नहीं सकतीं, मेरी कितनी बड़ी मदद की है. इस के लिए किन शब्दों में…’’

‘‘कल से आ जाना,’’ रमा ने झेंपते हुए कहा.

किसीकिसी आदमी की छुअन में इतनी बिजली होती है कि सारा शरीर, शरीर का रोमरोम झनझना उठता है. रगरग में न जाने क्या बहने लगता है कि अपनेआप को समेट पाना असंभव हो जाता है. पति की छुअन में भी पहले रमा को ऐसा ही प्रतीत होता था, परंतु धीरेधीरे सबकुछ बासी पड़ गया था, बल्कि अब तो पति की हर छुअन उसे एक जबरदस्ती, एक अत्याचार प्रतीत होती थी. हर रात उसे लगता था कि वह एक बलात्कार से गुजर रही है. वह जैसे विनोद को पति होने के कारण झेलती थी. उस का मन उस के साथ अब नहीं रहता था. यह क्या हो गया है, वह खुद समझ नहीं पा रही थी.

मां से अपने मन की यह गुत्थी कही थी तो वे हंसने लगीं, ‘पहले बच्चे के बाद ऐसा होने लगता है. कोई खास बात नहीं. औरत बंट जाती है, अपने आदमी में और अपने बच्चे में. शुरू में वह बच्चे से अधिक जुड़ जाती है, इसलिए पति से कटने लगती है. कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा.’

‘पर यह राहुल…? इस की छुअन…?’ रमा अपने कक्ष में बैठी देर तक झनझनाहट महसूस करती रही.

राहुल ऊपर के कमरे में क्या आया, रमा को लगा, जैसे उस के आसपास पूरा वसंत ही महकने लगा है. वह खुशबूभरे झोंके की तरह हर वक्त उस के बदन से जैसे अनदेखे लिपटता रहता.

वह सोई विनोद के संग होती और उसे लगता रहता, राहुल उस के संग है और न जाने उसे क्या हो जाता कि विनोद पर ही वह अतिरिक्त प्यार उड़ेल बैठती.

नींद से विनोद जाग कर उसे बांहों में भर लेता, ‘‘क्या बात है मेरी जान, आज बहुत प्यार उमड़ रहा है…’’

वह विनोद को कुछ कहने न देती. उसे बेतहाशा चूमती चली जाती, पागलों की तरह, जैसे वह उस का पति न हो, राहुल हो और वह उस में समा जाना चाहती हो.

दाग: भाग 1- माही ने 2 बच्चों के पिता के साथ अफेयर के क्यों किया?

सुबह सुबह मेरा 2 कमरों वाला घर कचरे का ढेर दिखता है. पति को औफिस, बेटे को स्कूल और दोनों बेटियों को कालेज जाने की हड़बड़ी रहती है, इसलिए वे सारे सामान को जैसेतैसे फेंक कर चले जाते हैं. उन के जाने के बाद मैं घर की साफसफाई करती हूं. रात में खाई मूंगफली के छिलकों को उठा कर डस्टबिन में डालने जा ही रही थी कि मेरा मोबाइल बज उठा. सुबहसुबह घर के इतने सारे काम ऊपर से ये मोबाइल कंपनी वाले लेटैस्ट गानों की सुविधाओं के साथ फोन करकर के परेशान कर देते हैं. मैं ने थोड़े गुस्से से फोन पर नजर डाली, तो गुस्सा जले कपूर की तरह उड़ गया. फोन बड़ी ननद का था. मन में थोड़ा डर समा गया कि क्या बात हो गई, जो दीदी ने इतनी सुबह फोन किया? वे ज्यादातर फोन दोपहर में करतीं.

‘‘हां, प्रणाम दीदी, सब ठीक तो है?’’

‘‘नहीं कविता, कुछ ठीक नहीं है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ मैं घबरा गई कि कोई बुरी खबर न सुनने को मिले, क्योंकि ज्यादातर दिल दहला देने वाली खबरें सुबह ही मालूम पड़ती हैं.

खैर, दीदी बताने लगीं, ‘‘देखो न कविता, माही की तबीयत खराब है. उस की सहेली बता रही थी कि वह रातरात भर जगी रहती है. पूछने पर कहती है कि उसे नींद नहीं आती. बेचैनी होती है.’’

‘‘उसे कब से ऐसा हो रहा है?’’

‘‘2-3 महीनों से,’’ दीदी सुबक पड़ीं.

‘‘अरे दीदी, आप रोती क्यों हैं? मैं हूं न. मैं आज उस से मिल लूंगी,’’ कह मैं ने घड़ी देखी. 9 बज रहे थे, ‘‘अब तो वह कालेज चली गई होगी. आप चिंता न कीजिए. शाम को उस से मिल कर मैं आप को फोन करूंगी. चायनाश्ता किया आप ने?’’

‘‘नहीं…’’

‘‘अभी तक आप भूखी हैं? जाइए, नाश्ता कीजिए. मैं भी सारे काम कर के नहाने जा रही हूं. टैंशन न लीजिए,’’ कह मैं ने फोन बंद कर दिया.

घर के काम करने के साथ माही मेरे दिमाग में घूमने लगी. अच्छीभली लड़की को यह क्या हो गया? हमारे सभी रिश्तेदारों के बच्चों में वह सब से तेजतर्रार है. पढ़नेलिखने, खेलकूद सब में अव्वल. अभी वह इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में है. हमेशा अपने बेटे और दोनों बेटियों को उस से कुछ सीख लेने की बात कहती हूं, पर वे तीनों बहरे हो जाते हैं. मैं फालतू में उन पर हर महीने 8-10 हजार रुपए खर्च करती हूं.

दोपहर में चावलदाल बना कर सत्तू की पूरियां और चने की सब्जी बनाई ताकि माही भी खा ले. उसे सत्तू की पूरियां बहुत पसंद हैं. होस्टल में ये सब कहां मिलता है. मैं ने फोन कर के उसे अपने आने का प्रोग्राम नहीं बताया. एक तरह से उसे सरप्राइज देना था. घर बंद कर के चाबी बगल वाली आंटी को दे दी. पति और बच्चों के पास फोन कर दिया.

होस्टल शहर से 27-28 किलोमीटर दूर है. वहां जाने में 2 बसें बदलनी पड़ती

हैं. बस के भरने में घंटों लग जाते हैं. यही कारण था कि मैं माही से मिलने जल्दी नहीं जाती थी.

करीब 4 बजे मैं होस्टल पहुंची. लड़कियां ट्यूशन के लिए जा रही थीं.

‘‘नमस्ते मामीजी,’’ माही की सहेली भारती मुसकराई.

‘‘खुश रहो बेटा, माही कहां है?’’

‘‘अपने कमरे में.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर मैं वार्डन रमा के कैबिन में चली गई.

रजिस्टर में साइन कर सीढि़यां चढ़ माही के कमरे में दाखिल हुई. देखा लाइट बंद थी. वह छत पर टकटकी लगाए पलंग पर लेटी थी. मैं दबे पांव पीछे से उस के पास गई और उस की आंखों को अपने हाथों से ढक दिया.

‘‘कौन है?’’ वह हड़बड़ाई.

‘‘पहचानो…’’

‘‘अरे, मामीजी आप…’’ आवाज पहचान कर उस के सूखे अधरों पर मुसकान फैल गई. उस ने लाइट जलाई.

मैं पलंग पर बैठ गई. मेरे हाथों में उस के आंसू लग गए थे, ‘‘रो रही थी क्या?’’

‘‘नहीं तो?’’ उस ने आंखें पोंछ लीं.

मैं ने उसे ध्यान से देखा. सूखे फूल की तरह मुरझा गई थी वह. आंखें लाल थीं. बाल भी बिखरे थे.

‘‘क्या हो गया है तुम्हें? बिलकुल मरियल दिख रही हो. सुबह में दीदी मतलब तुम्हारी मम्मी का फोन आया कि तुम्हारी तबीयत खराब है. तुम मेरे पास चली आती या अपने घर चली जाती. डाक्टर को दिखाया? क्या बोला? दवा ले रही हो?’’ एक ही बार में मैं ने सवालों की झड़ी लगा दी.

‘‘अरे मामी, मैं ठीक हूं. आप परेशान न होइए. रुकिए, आप के लिए चाय लाती हूं,’’ माही अपने हलके भूरे बालों को समेटते हुए पलंग से उतरने लगी.

‘‘मैं चाय पी कर आई हूं. कहीं मत जा. तुम्हारे लिए सत्तू की पूरियां लाई हूं. खा लो,’’ मैं ने उसे लंचबौक्स पकड़ाया. यह सोच कर कि अभी वह खा लेगी. जैसे पहले मेरे सामने ही निकाल कर खाती और मेरी तारीफ करती कि मामीजी, आप कितना अच्छा खाना बनाती हैं. साथ में यह फरमाइश भी करती कि अगली बार गुझिया लाना. मैं भी उस की फरमाइश पूरी करती.

पर यह क्या, बाद में खा लूंगी कह कर उस ने लंचबौक्स बगल के स्टूल पर रख दिया. लंचबौक्स रखते हुए एक किताब नीचे गिर गई. किताब के अंदर रखी दवा फर्श पर बिखर गई. मैं ने उसे झट से उठा लिया, ‘‘यह तो नींद की दवा है. क्या तुम्हें नींद नहीं आती?’’ मैं ने उस की आंखों में झांकते हुए पूछा.

वह नजरें नहीं मिला पाई, ‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. आप बैठिए न. मैं चाय ले कर आ रही हूं.’’

‘‘तुम पीओगी?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘तो बस, मेरे पास बैठो. मुझे जल्दी निकलना होगा. पढ़ाईलिखाई कैसी चल रही है?’’

‘‘कुछ खास नहीं.’’

पता नहीं क्यों माही मुझ से नजरें मिला कर बातें नहीं कर रही थी. मैं जब इस से पहले मिलने आती थी, तो चहक कर मुझ से मिलती. एक दोस्त की तरह होस्टल और सहेलियों की हर छोटीबड़ी बातें मुझ से शेयर करती. शुरू से ही यह मेरे करीब रही है और मैं भी इसे उतना ही प्यार करती हूं.

26 January Special: परंपराएं- क्या सही थी शशि की सोच

story in hindi

असली नकली: अलका ने अपना कौन सा रंग दिखाया ?

दिनेश जब थकामांदा औफिस से घर पहुंचा तो घर में बिलकुल अंधेरा था. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी. नौकर ने आ कर दरवाजा खोला. दिनेश ने पूछा, ‘‘मैडम बाहर गई हैं क्या?’’ ‘‘नहीं, अंदर हैं.’’

सोने के कमरे में प्रवेश करते ही उस ने बिजली का स्विच दबा कर जला दिया. पूरे कमरे में रोशनी फैल गई. दिनेश ने देखा, अलका बिस्तर पर औंधी लेटी हुई है. टाई की गांठ को ढीला करते हुए वह बोला, ‘‘अरे, पूरे घर में अंधेरा कर के किस का मातम मना रही हो?’’ अलका कुछ न बोली.

‘‘सोई हुई हो क्या?’’ दिनेश ने पास जा कर पुकारा. फिर भी कोई उत्तर न पा कर उस ने अलका के माथे पर हलके से हाथ रखा. ‘‘अलका.’’

‘‘मत छुओ मुझे, आप प्यार का ढोंग करते हैं, आप को मुझ से जरा भी प्यार नहीं.’’

‘‘ओह,’’ दिनेश मुसकराया, ‘‘अरे, यह बात है. मैं ने तो सोचा कि…’’ ‘‘कि अलका मर गई. अगर ऐसा होता तो आप के लिए अच्छा होता,’’ अलका रो रही थी.

‘‘अरे, तुम तो रो रही हो. मैं पूछता हूं तुम्हें यह प्रमाणपत्र किस ने दे दिया कि मैं तुम्हें प्यार नहीं करता?’’ अलका तेवर चढ़ा कर बोली, ‘‘प्रमाणपत्र की क्या आवश्यकता है? मैं इतनी नासमझ तो नहीं. मुझे सब पता है.’’

‘‘ओहो, आज अचानक तुम्हें क्या हो गया है जो इस तरह बरस पड़ीं?’’ अलका आंसू पोंछती हुई बोली, ‘‘आज मैं लेडीज क्लब गई थी, तो…’’ अलका फिर रोने लगी.

दिनेश ने पूछा, ‘‘तो?’’ ‘‘क्लब में सब महिलाएं बता रही थीं कि उन के पति को उन से कितना प्रेम है और मैं…’’ अलका फिर सिसकने लगी थी.

दिनेश बड़ा परेशान था. आखिर लेडीज क्लब के साथ पति के प्यार का क्या संबंध है? दिनेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था. अलका रोतेरोते बोली, ‘‘शकुंतला बता रही थी कि उस के पति को उस से इतना प्रेम है कि वह हर महीने कुछ न कुछ उपहार ला कर जरूर देता है. पिछले महीने उस को सोने का एक सैट उपहार में मिला और कल एक बहुत महंगी कांजीवरम की साड़ी मिली है. सरला बता रही थी कि उसे उस के पति ने जड़ाऊ सैट दिया और एक दूसरे सैट के लिए और्डर दिया है. उमा बता रही थी कि उसे हीरे का…’’

‘‘अरे बस भी करो, मुझे जरा सांस तो लेने दो.’’ ‘‘हां, हां, ये सब बातें आप को क्यों भाएंगी? आप को क्या मालूम मैं अपने दिल पर पत्थर रखे कैसे मुंह छिपाए बैठी थी. मुझे तो आप ने कभी कुछ नहीं दिया,’’ अलका जोरजोर से रोने लगी.

‘‘अरे अलका, तुम तो सचमुच बच्चों जैसी बातें करती हो. भला प्यार की नापतौल सोने और हीरे से की जाती है? प्यार तो दिल में होता है, पगली.’’

अलका झुंझला कर बोली, ‘‘उमा का पति आप से कितना जूनियर है, सरला का आदमी भी तो आप से जूनियर है. जब आप के जूनियर अफसर अपनी पत्नियों को हीरेजवाहरात का सैट दे सकते हैं, तो आप क्यों नहीं दे सकते? इस का मतलब तो यही है कि आप को मुझ से जरा भी…’’ अलका फिर से आंसू बहाने लगी. ‘‘अलका, मैं जानता हूं ये लोग अपनी पत्नियों को कैसे भेंट देते हैं, मगर मैं उस रास्ते पर नहीं जाना चाहता. अलका, तुम यह सोचो, हमें जो तनख्वाह मिलती है, उस में से घर का किराया दे कर, नौकरचाकर रख कर, अच्छी तरह खापी कर इस महंगाई के दिनों में कितने रुपए बचते हैं? जो थोड़ाबहुत बचता है, उस से हर महीने महंगीमहंगी चीजें खरीद कर लाना असंभव है,’’ दिनेश समझाने की कोशिश कर रहा था.

‘‘मुझे किसी भी तरह वह हीरे का सैट चाहिए,’’ अलका चिल्लाती हुई बोली. ‘‘असंभव,’’ दिनेश रुकरुक कर बोला, ‘‘मैं सचाई के रास्ते पर चलता हूं. मुझे गलत रास्ते पसंद नहीं. रिश्वत लेना मैं गलत समझता हूं. अगर वे गलत तरीके से रुपए कमाते हैं, तो कमाने दो. मगर मैं अपने रास्ते से नहीं हटूंगा. तुम यह अच्छी तरह समझ लो.’’ दिनेश उत्तेजना से हांफ रहा था.

‘‘यही आप का अंतिम निर्णय है?’’ अलका गरजती हुई बोली. ‘‘हां.’’

‘‘तो आप भी जान लीजिए, मुझे जब तक जड़ाऊ सैट नहीं मिलेगा, मैं पानी भी नहीं पिऊंगी.’’ ‘‘अरे भई, यह क्या बचपना है. सुनो तो…’’

मगर कौन सुनने वाला था. अलका पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली गई और उस ने दरवाजा बंद कर लिया. उस रात न तो अलका ने और न दिनेश ही ने खाना खाया. दिनेश बहुत परेशान था. वह सोच रहा था, ‘जो जिद अलका कर रही है, उसे निभाना उस के लिए असंभव है. तो क्या करे वह? वह अलका की जिद से भलीभांति परिचित था. तो क्या सचमुच अलका भूखहड़ताल कर के अपनी जान दे देगी?’ सोचतेसोचते न जाने कब उस की आंख लग गई. सुबह वह अलका से बोला, ‘‘अलका, हमारी शादी की वर्षगांठ

15 दिनों बाद है न?’’ अलका ने झट मुंह फेर लिया.

‘‘ओह, तुम बोलोगी भी नहीं. अरे, मैं मान गया तुम्हारी शर्त. 15 दिनों बाद देखना मैं तुम्हें क्या उपहार देता हूं,’’ दिनेश खुश नजर आ रहा था. ‘‘क्या?’’ अलका ने अस्फुट स्वर में पूछा.

‘‘मैं तुम्हें एक शानदार सैट उपहार में दूंगा,’’ दिनेश बोला. ‘‘सच?’’

‘‘हां सच,’’ दिनेश बोला, ‘‘और सुनो, हमारी शादी की सालगिरह पर जिनजिन को बुलाना है, उन की एक लिस्ट बना लो.’’ ‘‘ओह, आप कितने अच्छे हैं,’’ खुशी से अलका की आंखें चमक उठीं.

आखिर शादी की सालगिरह का दिन आ गया. अलका उस दिन खूब सजधज कर तैयार हुई. वह मन ही मन बोली, ‘अब मैं सब को दिखा दूंगी, मेरा पति मुझे कितना प्यार करता है. सरला, उमा हर कोई मन ही मन जलेंगी.’

एकएक कर के मेहमानों से घर भरने लगा. चारों ओर से बधाइयां आ रही थीं. अलका ‘बहुतबहुत शुक्रिया’ कह कर सब का स्वागत कर रही थी. उधर, दिनेश भी मेहमानों की खातिरदारी में जुटा हुआ था. अचानक दिनेश ने अलका को बुलाया, ‘‘अरे, सुनो, तुम्हारा इन से परिचय करा दूं,’’ और एक बड़ी उम्र के व्यक्ति की ओर इशारा कर के बोला, ‘‘ये हैं मिस्टर हंसराज. मेरे बौस.’’ ‘‘नमस्ते,’’ अलका ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘नमस्ते,’’ मिस्टर हंसराज बोले, ‘‘अरे, मिसेज दिनेश, आप ने तो इतनी भारी पार्टी दे डाली. बहुत अच्छा बंदोबस्त किया है आप ने.’’ ‘‘जी,’’ अलका कुछ शरमाती हुई बोली.

मिस्टर हंसराज खाना खा रहे थे और खातेखाते अलका से गपशप कर रहे थे. ‘‘सच, दिनेश इतना होनहार और ईमानदार है कि बस पूछिए मत. उस ने तो हमारी कंपनी की आय चौगुनी कर दी. पिछले 20 वर्षों के रिकौर्ड में शायद इतना नफा कभी नहीं हुआ. मेरा बस चले तो ईमानदारी के लिए दिनेश को पद्मश्री का खिताब दिलवा दूं.’’ कह कर मिस्टर हंसराज हंसने लगे. ‘‘’अलका, वह सदा इसी तरह ईमानदारी से काम करता रहा तो मैं बताए देता हूं एक दिन वह…’

वे बात को पूरी न कर पाए. अलका के गले में कुछ अटक गया था. वह खांस रही थी. खांसतेखांसते उस का चेहरा बिलकुल लाल हो गया था. तभी दिनेश भी वहां पहुंच गया और अलका की पीठ को जोरजोर से मलने लगा. अलका ने एक लंबी सांस ली और पूरा गिलास पानी पी गई. गले में अटका भोजन का टुकड़ा नीचे उतर गया था. आंख और मुंह को पोंछती हुई वह फिर खाने का कांटा और छूरी इस प्रकार चलाने लगी जैसे किसी के दिल की चीड़फाड़ कर रही हो. मिस्टर हंसराज तो पहले ही अपनी बातूनी आदत के लिए विख्यात थे. वे कब चुप रहने वाले थे. वे बहुतकुछ बोलते जा रहे थे, मगर अलका के दिमाग में कुछ भी नहीं घुस रहा था. वे कह रहे थे, ‘‘बात यह है कि दिनेश के प्रति मेरी एक दुर्बलता है…आज अगर मेरा इकलौता पुत्र राजीव जिंदा रहता तो ठीक इसी उम्र का होता. खैर, अरे देखिए, हम भी खाते ही रह गए. सब ने तो खा भी लिया. अगर और ज्यादा देर इधर बैठे रहे तो लोग सोचेंगे, पार्टी का सारा खाना बूढ़ा खा गया.’’ और वे ठहाका मार कर हंसने लगे.

मगर अलका को न जाने क्या होता जा रहा था. उस का दम घुटने लगा. अलका, जो कुछ देर पहले खुशी से फूली नहीं समा रही थी, अब बिलकुल उदास लग रही थी.

सब मेहमानों को विदा कर के रात को जब अलका अपने कमरे में आई तो देखा दिनेश सामने खड़ा मुसकरा रहा है. हंसते हुए उस ने पूछा, ‘‘कहो, कैसी रही? मैं ने कहा था न बहुत शानदार पार्टी दूंगा. अब बोलो, तुम्हारे दिल में अब तो कोई शक नहीं कि…अरे, अलका, तुम रो क्यों रही हो? तुम्हें क्या हुआ? कुछ बोलो तो.’’ अलका दोनों हाथों से अपने गले को पकड़े थी, जैसे उस का दम घुट रहा हो. दिनेश ने प्यार से कहा, ‘‘अलका, क्या तुम्हें…’’ अलका से अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था. वह दिनेश से लिपट कर फूटफूट कर रोने लगी. और बोली, ‘‘मुझे यह हार काट रहा है. मेरा दम घुट रहा है. मेरी खुशी के लिए तुम ने घूस ली. तुम्हारे बौस को तुम पर कितना विश्वास है, उन की कितनी उच्च धारणाएं हैं तुम्हारे लिए, पर जब उन्हें मालूम होगा कि तुम बेईमान हो, घूसखोर हो तो…’’ अलका का रोना रुक नहीं रहा था.

‘‘मैं ने ही तुम्हें घूस लेने के लिए विवश किया, मैं ने ही तुम्हें गलत रास्ते की ओर पैर बढ़ाने को मजबूर किया. मैं ने बहुत बड़ा गलत काम किया है.’’ ‘‘मगर यह बात अब तुम्हारे दिमाग में किस तरह आई?’’

‘‘जब तुम्हारे बौस यह कह रहे थे कि तुम कितने ईमानदार हो तो मेरे दिल में एक तीर सा चुभ रहा था.’’ ‘‘मगर अलका, तुम्हें किस ने कहा है कि मैं ने यह पार्टी घूस के पैसों से दी?’’

‘‘वाह, आप ही ने तो कहा था कि जो तनख्वाह आप को मिलती है उस में इतनी खरीदारी नहीं कर सकते. उमा बता रही थी कि उस ने भी बिलकुल ऐसा ही सैट 2 लाख रुपए में लिया था और ऊपर से इतनी शानदार पार्टी. यह सब घूस के पैसे के बिना असंभव है. मुझे ये गहने काटे जा रहे हैं. मुझे नहीं चाहिए, नहीं चाहिए…’’

दिनेश अलका की बात सुन कर ठहाका मार कर हंसने लगा, ‘‘पागल, मैं यों दूसरी औरतों की बातों में नहीं आने वाला. अपनी आंखों से आंसू पोंछ डालो.’’

‘‘क्या?’’ अलका आश्चर्य से दिनेश का मुंह देखने लगी. ‘‘अरे, इस जड़ाऊ सैट का दाम केवल 3 हजार रुपए है.’’

‘‘क्या?’’ अलका ने अविश्वास से दिनेश की ओर देखा. ‘‘हां, यह कोई असली थोड़े ही है, यह तो नकली है. मैं ने सोचा, साल में 2 या 3 बार पहनने के लिए ये नकली गहने ही ठीक हैं. क्या फायदा सोने के उन जेवरों का जो चोरों के भय से बैंक के लौकर में पड़े रहते हैं.’’ ‘‘सच, मगर पार्टी में तो बहुत पैसे निकल गए, उस का पैसा कहां से मिला.’’

दिनेश झट से बोला, ‘‘तुम्हारी सोने की करधनी गिरवी रख कर.’’

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें