क्या है बाल रंगने के सही और नैचुरल तरीके, जानिए यहां

लंबे हेयर को कलर करने का ट्रेंड आज काफी बढ़ गया है. इस के लिए महंगे महंगे सैलून में जा कर कलर करवाने के लिए अपनी जेबें खाली करने से भी महिलाएं नहीं कतरातीं क्योंकि वे किसी भी कीमत पर नहीं चाहतीं कि उन की खूबसूरती में कोई कमी आए. लेकिन सवाल यह है कि खूबसूरती सिर्फ कैमिकल्स वाले प्रोडक्ट्स का यूज कर के ही कायम की जा सकती है? ऐसा बिलकुल नहीं है. खुद को ग्लैमरस लुक देने के लिए आप घर पर भी खुद के बालों को नए अंदाज में देख सकती हैं.

आप इंडिगो, हीना, चाय, कौफी, फूल और नट पाउडर का बिना टेंशन इस्तेमाल कर के खुद के बालों को नैचुरली ढंग से रंग सकती हैं. इस के लिए हमारे द्वारा बताई जा रही विधियों पर गौर करें.

रैड कलर के लिए हीना बैस्ट: आज से नहीं बल्कि पुराने समय से महिलाएं अपने बालों को रेडीश ब्राउन कलर में रंगने के लिए हीना का ही इस्तेमाल करती आ रही हैं ताकि उन के सफेद बाल कवर हो सकें और यह बहुत ही नैचुरल तरीका है.

कैसे तैयार करें पेस्ट: आधे कप हीना पाउडर में थोड़ा सा गरम पानी और तीन बूंदें केयोकार्पिन लाइट हेयर औयल की डालें. आसानी से पेस्ट बालों से निकल जाए इस के लिए आधा चम्मच नीबू का रस भी मिला सकती हैं. साथ ही बालों में हीना लगाने के बाद भी सौफ्टनेस बरकरार रहे तो इस के लिए उस में अंडा या फिर दही डालें. इस पेस्ट को आप कम से कम एक घंटा अप्लाई करने के बाद वॉश करें.

कैसे अप्लाई करें: बालों के छोटे छोटे सैक्शन ले कर उन में हीना अप्लाई करें. इस से हर बाल में हीना अच्छे से लग जाती है.

रैड/बरगंडी कलर: दो कप पानी ले कर उस में आधा कप केलैन्डयुला की पत्तियां, दो जपाकुसुम (हिबिस्कस के फूल) और आधा चुकुंदर ले कर उसे आधे घंटे के लिए उबालें. फिर उसे निचोड़ कर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें. शैंपू करने के बाद ही इसे बालों में अप्लाई करें. बालों में ड्राइनैस न रहे इस के लिए केयोकार्पिन लाइट हेयर औयल लगाना न भूलें.

ब्लैक हेयर्स: दो चम्मच अखरोट के पाउडर को मलमल के कपड़े में बांध कर उसे दो कप गरम पानी में रातभर के लिए भिगो दें. फिर शैंपू करने के बाद इस पूरे मिक्सचर को बालों में लगा कर धोएं. इस प्रक्रिया को प्रत्येक हफ्ते दोहराने से बाल कालेपन में आने लगते हैं.

इंडिगो: ब्लू ब्लैक हेयर्स: यह नैचुरल हेयर डाई है. अपने बालों की लंबाई और मोटाई के हिसाब से आप इंडिगो पाउडर को गरम पानी में डाल कर योगर्ट की तरह पेस्ट तैयार करें. फिर बालों के सैक्शन ले कर इन्हें 30 मिनट के लिए अप्लाई कर के छोड़ दें. ऐक्चुअल कलर आने में पूरा दिन लग सकता है लेकिन रिजल्ट काफी बेहतर आता है.

ब्राउन हेयर्स: ब्राउन हेयर्स के लिए आप गरम पानी में तीन चम्मच चाय की पत्ती ले कर उस में केयोकार्पिन हेयर औयल की डाल कर एक घंटे के लिए रख दें. फिर हर बार शैंपू करने के बाद इसे बालों में अप्लाई करें.

इसी तरह आप कौफी के पेस्ट में कुछ बूंदें केयोकार्पिन हेयर औयल की भी हर वॉश के बाद लगा सकती हैं.

कैरमल हाईलाइट्स: बालों पर कैमोमाइल चाय के पेस्ट से स्प्रे करें जिसे बनाने के लिए डेढ़ कप चाय को 2 कप गरम पानी में भिगो दें. फिर उसे 3-4 घंटे भिगोने के बाद आप अप्लाई करें. कुछ देर बाद रिजल्ट सामने होगा. और अगर आप हाईलाइट्स को लाइट करना चाहते हैं तो पानी में नीबू का रस मिला कर अप्लाई करें.

लेकिन ध्यान रखें ये दोनों चीजें शैंपू करने के बाद करने से ही फायदा मिलता है.

ऐंडोमैट्रिओसिस से बढ़ता बांझपन का खतरा

ऐंडोमैट्रिओसिस गर्भाशय से जुड़ी एक समस्या है. यह समस्या महिलाओं की प्रजनन क्षमता को सर्वाधिक प्रभावित करती है, क्योंकि गर्भधारण करने और बच्चे को जन्म देने में गर्भाशय की सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. कई महिलाओं में यह समस्या अत्यधिक गंभीर हो शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है. वैसे आधुनिक दवा और उपचार के विभिन्न विकल्पों ने दर्द और बांझपन दोनों से राहत दिलाई है. ऐंडोमैट्रिओसिस का यह अर्थ नहीं है कि इस से पीडि़त महिलाएं कभी मां नहीं बन सकतीं, बल्कि यह है कि इस के कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है.

क्या है ऐंडोमैट्रिओसिस

ऐंडोमैट्रिओसिस गर्भाशय की अंदरूनी परत की कोशिकाओं का असामान्य विकास होता है. यह समस्या तब होती है जब कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर विकसित हो जाती हैं. इसे ऐंडोमैट्रिओसिस इंप्लांट कहते हैं. ये इंप्लांट्स आमतौर पर अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब्स, गर्भाशय की बाहरी सतह पर या आंत और पैल्विक गुहा की सतह पर पाए जाते हैं. ये वैजाइना, सरविक्स और ब्लैडर पर भी पाए जा सकते हैं. बहुत ही कम मामलों में ऐंडोमैट्रिओसिस इंप्लांट्स पैल्विस के बाहर लिवर पर या कभीकभी फेफड़ों अथवा मस्तिष्क के आसपास भी हो जाते हैं.

ऐंडोमैट्रिओसिस के कारण

ऐंडोमैट्रिओसिस महिलाओं को उन के प्रजनन कालके दौरान प्रभावित करता है. इस के ज्यादातर मामले 25 से 35 वर्ष की महिलाओं में देखे जाते हैं. लेकिन कई बार 10-11 साल की लड़कियों में भी यह समस्या होती है. मेनोपौज की आयु पार कर चुकी महिलाओं में यह समस्या बहुत कम होती है. विश्व भर में करोड़ों महिलाएं इस से पीडि़त हैं. जिन महिलाओं को गंभीर पैल्विक पेन होता है उन में से 80% ऐंडोमैट्रिओसिस से पीडि़त होती हैं. इस के वास्तविक कारण पता नहीं हैं. हां, कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि ऐंडोमैट्रिओसिस की समस्या उन महिलाओं में अधिक है, जिन का बौडी मास इंडैक्स (बीएमआई) कम होता है. बड़ी उम्र में मां बनने वाली या कभी मां न बनने वाली महिलाओं में भी यह समस्या हो सकती है. इस के अलावा जिन महिलाओं में पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाते हैं या मेनोपौज देर से होता है, उन में भी इस का खतरा बढ़ जाता है. इस के अलावा आनुवंशिक कारण भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

ऐंडोमैट्रिओसिस के लक्षण

ज्यादातर महिलाओं में ऐंडोमैट्रिओसिस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, लेकिन जो लक्षण दिखाई देते हैं उन में पीरियड्स के समय अत्यधिक दर्द होना, पीरियड्स या अंडोत्सर्ग के समय पैल्विक पेन ऐंडोमैट्रिओसिस का एक लक्षण है. लेकिन यह सामान्य महिलाओं में भी हो सकता है. इस दर्द की तीव्रता हर महीने बदल सकती है और अलगअलग महिलाओं में अलगअलग हो सकती है.

पैल्विक क्षेत्र में दर्द होना यानी पेट के निचले भाग में दर्द होना और यह दर्द कई दिनों तक रह सकता है. इस से कमर और पेट में दर्द भी हो सकता है. यह पीरियड शुरू होने से पहले हो सकता है और कई दिनों तक चल सकता है. मल त्यागने और यूरिन पास करने के समय दर्द हो सकता है. यह समस्या अधिकतर पीरियड्स के समय अधिक होती है. पीरियड्स के समय अत्यधिक रक्तस्राव होना, कभीकभी पीरियड्स के बीच में भी रक्तस्राव होना, यौन संबंध के दौरान या बाद में दर्द होना, डायरिया, कब्ज और अत्यधिक थकान होना. छाती में दर्द या खांसी में खून आना अगर ऐंडोमैट्रिओसिस फेफड़ों में है, सिरदर्द और चक्कर आना अगर ऐंडोमैट्रिओसिस मस्तिष्क में है.

रिस्क फैक्टर

कई कारक ऐंडोमैट्रिओसिस की आशंका बढ़ा देते हैं जैसे:

  1. कभी बच्चे को जन्म न दे पाना.
  2. 1 या अधिक निकट संबंधियों (मां, मौसी, बहन) को ऐंडोमैट्रिओसिस होना.
  3. कोई और मैडिकल कंडीशन जिस के कारण शरीर से मैंस्ट्रुअल फ्लो का सामान्य मार्ग बाधित होता है.
  4. यूरिन की असामान्यता.

ऐंडोमैट्रिओसिस और इनफर्टिलिटी

जिन महिलाओं को ऐंडोमैट्रिओसिस है, उन में से 35 से 50% महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या होती है. इस के कारण फैलोपियन ट्यूब्स बंद हो जाती हैं, जिस से अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन नहीं हो पाता है. कभीकभी अंडे या शुक्राणु को भी नुकसान पहुंचता है. इस से भी गर्भधारण नहीं हो पाता. जिन महिलाओं में यह समस्या गंभीर नहीं होती है. उन्हें गर्भधारण करने में अधिक समस्या नहीं होती है. डाक्टर सलाह देते हैं कि जिन महिलाओं को यह समस्या है उन्हें बच्चे को जन्म देने में देर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि स्थिति समय के साथ अधिक खराब हो जाती है.

पहली बार ऐंडोमैट्रिओसिस का पता ही तब चला जब कुछ महिलाएं बांझपन का उपचार करा रही थीं. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 25 से 50% बांझ महिलाएं ऐंडोमैट्रिओसिस की शिकार होती हैं, जबकि 30 से 50% महिलाएं, जिन्हें ऐंडोमैट्रिओसिस होता है वे बांझ होती हैं. सामान्य तौर पर संतानहीन दंपतियों में से 10% का कारण ऐंडोमैट्रिओसिस होता है. बांझपन की जांच करने के लिए किए जाने वाले लैप्रोस्कोपिक परीक्षण के समय ऐंडोमैट्रिअल इंप्लांट का पता चलता है. कई ऐसी महिलाओं में भी इस का पता चलता है, जिन्हें कोई दर्द अनुभव नहीं होता. ऐंडोमैट्रिओसिस के कारण महिलाओं की प्रजनन क्षमता क्यों प्रभावित होती है, यह पूरी तरह समझ में नहीं आया है, लेकिन संभवतया ऐनाटोमिकल और हारमोनल कारणों के कारण यह समस्या होती है. संभवतया हारमोन और दूसरे पदार्थों के कारण अंडोत्सर्ग, निषेचन और गर्भाशय में भू्रण के इंप्लांट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

ऐंडोमैट्रिओसिस और कैंसर

कुछ अध्ययनों के अनुसार जिन महिलाओं को ऐंडोमैट्रिओसिस होता है उन में अंडाशय का कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. यह खतरा उन महिलाओं में अधिक होता है जो बांझ होती हैं या कभी मां नहीं बन पाती हैं.

अभी तक ऐंडोमैट्रिओसिस और ओवेरियन ऐपिथेलियल कैंसर के मध्य संबंधों के स्पष्ट कारण का पता नहीं है. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि ऐंडोमैट्रिओसिस इंप्लांट ही कैंसर में बदल जाता है. यह भी मानना है कि ऐंडोमैट्रिओसिस आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारणों से भी संबंधित हो सकता है. ये महिलाओं में अंडाशय का कैंसर होने की आशंका भी बढ़ा देते हैं.

डायग्नोसिस

ऐंडोमैट्रिओसिस का पता लगाने के लिए ये टैस्ट किए जाते हैं:

  1. पैल्विक ऐग्जाम: इस में डाक्टर हाथ से पैल्विक का परीक्षण करता है कि कोई असामान्यता तो नहीं है.
  2. अल्ट्रासाउंड: इस से ऐंडोमैट्रिओसिस होने का पता तो नहीं चलता है, लेकिन उस से जुड़े सिस्ट की पहचान हो जाती है.
  3. लैप्रोस्कोपी: यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐंडोमैट्रिओसिस है एक छोटी सी सर्जरी की जाती है, जिसे लैप्रोस्कोपी कहते हैं. इस में ऊतकों के सैंपल भी लिए जाते हैं, जिन की बायोप्सी से पता चल जाता है कि ऐंडोमैट्रिओसिस कहां स्थित है.

उपचार

पीरियड्स के दौरान होने वाले रक्तस्राव और दर्द भरे संभोग को गंभीरता से लें. स्थिति और अधिक गंभीर होने से पहले फर्टिलिटी विशेषज्ञ से मिलें. इस के उपचार के लिए दवा और सर्जरी का उपयोग किया जाता है. हारमोन थेरैपी भी इस के उपचार के लिए उपयोग की जाती है, क्योंकि मासिकधर्म के दौरान होेने वाले हारमोन परिवर्तन के कारण भी यह समस्या हो जाती है. हारमोन थेरैपी ऐंडोमैट्रिओसिस के विकास को धीमा करती है और ऊतकों के नए इंप्लांट्स को रोकती है. ऐंडोमैट्रिओसिस के कारण होने वाले दर्द की समस्या के लिए डाक्टर सर्जिकल उपचार बेहतर मानते हैं तथा बांझपन की समस्या के लिए आईवीएफ तकनीक की सलाह दी जाती है ताकि सामान्य से अधिक नुकसान होने से पहले संतान प्राप्ति की जा सके.

वॉल्वो सी 40 रिचार्ज द सेफ ड्राइव ऑफ मदरहुड

वॉल्वो सी 40 रिचार्ज द सेफ ड्राइव ऑफ मदरहुड के अंतर्गत पेश है डा. कृपाली की रोजमर्रा की जिंदगी. डा. कृपाली वर्किंग वुमन हैं और डेली लाइफ में परिवार की सुरक्षा और खुशियों से कोई समझौता नहीं करतीं. फिर चाहे बात घर के लिए किसी छोटे डिसीजन की हो या फिर सुरक्षित कार चुनने की. इस दौरान मोटरिंग वर्ल्ड के तीर्थ ने उन्हें वॉल्वो सी 40 रिचार्ज के बारे में बताया जोकि उनकी कसौटी पर खरी उतरती है. वॉल्वो सी 40 रिचार्ज के आधुनिक सेफ्टी फीचर्स, ईको फ्रेंडली डिजाइन जिसमें इंटीरियर में इस्तेमाल किया गया रिसाइकल्ड मेटेरियल भी शामिल है, इत्यादि से डा. कृपाली बेहद प्रभावित हुईं. इस कार के साथ एक पूरा दिन बिताने के बाद डा. कृपाली ने कार के कम्फर्ट और वन पेडल ड्राइविंग का सुखद अनुभव किया और पाया कि यह कर उनके लिए सही विकल्प है. पूरे सफर में मदर्स डे के महत्व को इस तरह समझा गया कि मांओं के महत्व को सम्मान देने के साथ साथ प्रकृति मां को सुरक्षित रखना भी हम सबकी जिम्मेदारी है

एक मंत्र: ठग तैयार, आप भी तैयार हों

सोशल मीडिया में जो अद्भुत क्रांति हुई है उसके परिणाम स्वरूप ठगों ने भी ठगी के अनेक रास्ते तैयार कर लिए हैं. आज हालात यह है कि घर-घर में फोन है गांव-गांव में मोबाइल फोन है ऐसे में घर बैठे ठग लाखों-करोड़ों रुपए कमा रहे हैं और मजे की बात यह है कि अनपढ़ तो अपनी जगह पढ़े-लिखी वकील, पुलिस, और बड़े अधिकारी भी ठगी का शिकार हो रहे हैं.

आइए ! आज इस आलेख में हम आपको “एक मंत्र” बताते हैं जिसके साथ लेने के बाद आप कभी भी ठगी का शिकार नहीं होंगे. आइए कुछ उदाहरण देते हुए हम आपको महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं.

पहली घटना -मोबाइल पर कॉल आया आपकी लॉटरी खुल गई है और आंख बंद करके सुनीता देवी वह सब करती गई, जो निर्देश दिए गए, परिणाम स्वरुप ठग ली गई.

दूसरी घटना -भारतीय स्टेट बैंक अभनपुर छत्तीसगढ़ में रामलाल साहू ने सेवानिवृत्ति के बाद लाखों रूपए जमा किए थे. बार बार मिस कॉल आने पर जब बात हुई तो उसके अकाउंट से रुपए गायब हो चुके थे.
तीसरी घटना – क्याकोरोना वैक्सीन आपने लगवाई थी. हां तो एक पर बटन दबाए…. और राजधानी रायपुर के रमेश अग्रवाल ठग लिए गए.

हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डाट) ने मोबाइल उपभोक्ताओं को “फर्जी काल” से सावधान रहने की सलाह दी है. विभाग ने कहा – उपभोक्ताओं को काल कर मोबाइल नंबर बंद करने की धमकियां दी जा रही हैं, जबकि इस तरह की कोई भी अधिकृत काल विभाग या अन्य किसी संस्था द्वारा नहीं की जाती है. इस तरह की काल करने वाले ठग संबंधित मोबाइल नंबरों का अवैध गतिविधियों में भी दुरुपयोग कर रहे हैं.

दूरसंचार विभाग ने कहा है – सरकारी अधिकारियों के नाम से मोबाइल उपभोक्ताओं को विदेशी मूल के नंबरों से वाट्सएप काल की जाती हैं. दरअसल ,विभाग को इस तरह की कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं. साइबर अपराधी ऐसी काल के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए निजी जानकारियां हासिल करने की कोशिश करते हैं . दूरसंचार विभाग या भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) अपनी तरफ से किसी को भी इस तरह के काल करने के लिए अधिकृत नहीं करता है.विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और संचार साथी पोर्टल पर ऐसे धोखाधड़ी वाले काल की शिकायत करनी चाहिए.

आइए!अब आपको बताते हैं कि किस तरह आप लोगों के जाल से बच सकते हैं सबसे पहले आपको यह बात समझनी होगी कि कोई भी किसी को ऐसे ही रूपए 1 भी नहीं देता अगर आपको कोई लालच देता है तो आप समझ जाइए की आपको ठगने की कोशिश की जा रही है और आप किनारा कर लीजिए. दूसरा कोई अनजान कॉल आए और गोल मोल बातें करे तो तो उससे भी आपको बचना चाहिए. किसी भी तरह के मोबाइल सर्वे से भी आपको बचना चाहिए.

Happy birthday Vicky Kaushal जानिए विक्की से जुड़ी कुछ खास बातें

बौलीवुड एक्टर विक्की कौशल आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने साल 2015 में फिल्म मसान से बौलीवुड में डेब्यू किया था. अपने करियर में विक्की ने बहुत अलग-अलग तरह की फिल्मों में काम किया. उनके परिवार के सभी सदस्य बहुत उत्साह के साथ विक्की का जन्मदिन मना रहे हैं
सोशल मीडिया पर विक्की के फैंस की ओर से ढेर सारी बधाइयां आ रही हैं.

 

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विक्की ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सारी फिल्में की हैं. हाल ही में विक्की ने विधु विनोद चोपड़ा का फिल्म डंकी में काम किया था जिसके लिए उनकी बहुत सराहना की जा रही है. आलिया भट्ट के साथ आई फिल्म राजी में भी विक्की ने ऐसी एक्टिंग की थी जिसने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी थी. फिल्म सैम बहादुर में भारत के पहले एयर फील्ड मार्शल सैम मैनिकशौ की एक्टिंग ने भी दर्शकों को खूब प्रभावित किया था. फिल्म जरा हटके जरा बचके में एक्ट्रेस सारा अली खान के साथ विक्की की केमेस्ट्री भी फैंस को खूब पसंद आई थी.

फिल्म उड़ी में मेजर विहान सिंह शेरगिल के रोल में भी विक्की को खूब पसंद किया गया इस फिल्म को दर्शकों ने भी खूब सराहा था. रनबीर कपूर की फिल्म संजू में भी एक्टर विक्की कौशल में रनबीर कपूर के दोस्त का रोल किया था जिसकों दर्शकों ने बहुत पसंद किया.

 

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विक्की ने एक्ट्रेस कटरीना कैफ से साल 2021 में राजस्थान में शादी कर ली थी. विक्की के पिता श्याम कौशल ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर विक्की की फोटो शेयर करते हुए लिखा है, “हैपी बर्थडे पुत्तर मैं तुमसे प्यार करता हूं और मुझे तुम पर गर्व है”. उन्होंने एक 23 साल पुरानी फोटो शेयर की है जिसमें छोटे विक्की ने तलवार पकड़ रखी है श्याम जी आगे लिखते हैं. “सब रब दी मेहर जोर की झप्पी.”

जब कोर्ट मैरिज हो जरूरी

प्यार करने वालों को अक्सर घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ता है. यह ऐतराज कई बार औनर किलिंग जैसी हैवानियत की वजह भी बन जाता है जो प्यार करने वालों के सपनों को तहस नहस कर देता है. इस समस्या से निबटने का एक आसान रास्ता है , कोर्ट मैरिज.

इस संदर्भ में 2 अलग धर्म के बौलिवुड सितारे सैफ और करीना की शादी का उदाहरण लिया जा सकता है जिन्होंने शादी के लिए कानूनी रास्ता अख्तियार किया. बांद्रा स्थित रजिस्ट्रार औफिस जा कर उन्होंने शादी से सम्बंधित जरूरी कागजात जमा किए और आवेदन के 30 दिनों के भीतर कोर्ट मैरिज कर ली.

स्पेशल मैरिज एक्ट 1945 के अंतर्गत होने वाले विवाह को कोर्ट मैरिज कहते हैं. कोर्ट मैरिज में 2 लोगों के धर्म ,जाति या उम्र को नहीं देखा जाता बल्कि उन की सहमति और पात्रता देखी जाती है .

पात्रता

युवक-युवती दिमागी तौर स्वस्थ हों. संतानोत्पति में समर्थ हों.

लड़के की उम्र काम से काम 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए. दोनों ने अपनी इच्छा से पूरे होशोहवाश में शादी की सहमति दी हो. विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन न हो.

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक और युवती को इस बाबत एक फौर्म भर कर लिखित सूचना अपने क्षेत्र के जिला विवाह अधिकारी को देनी होती है. फिर नोटिस जारी करने का शुल्क जमा करना होता है जो काफी कम होता है. इस आवेदन के साथ युवकयुवती को फोटो पहचान पत्र, और एड्रैस प्रूफ भी प्रस्तुत करना होता है. उस के बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है. इस नोटिस को कार्यालय के नोटिस बोर्ड और किसी सार्वजनिक जगह पर चिपकाया जाता है. ताकि किसी को आपत्ति हो तो वह अपना पक्ष रख सके.

यदि विवाह इच्छुक दोनों व्यक्ति या दोनों में से कोई एक किसी दूसरे जिले का निवासी है तो यह नोटिस उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहां सार्वजनिक स्थान पर इस से सम्बद्ध नोटिस चिपकायी जाती है. इस नोटिस का उद्देश्य यह जानना है कि युवक-युवती के विवाह में कोई क़ानूनी अड़चन तो नहीं है. मसलन कहीं दोनों में से कोई एक पहले से विवाहित तो नहीं. यदि विवाहित हैं तो भी वे क़ानूनी रूप से अलग हो चुके हैं या नहीं.

यदि विवाह में कोई कानूनी बाधा न हो तो नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर या फिर आवेदन लगाने के 3 माह समाप्त होने से पहले कभी भी जिला विवाह अधिकारी के सामने विवाह किया जा सकता है . लड़का-लड़की और तीन गवाहों के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. लड़का- लड़की चाहे तो वरमाला ,सिंदूर,मंगलसूत्र, लहंगाचुनरी पंडित वगैरह का इंतजाम भी कर सकते हैं.

विवाह संपन्न होने के बाद जिला विवाह अधिकारी द्वारा विवाह प्रमाणपत्र भी जारी किया जाता है. कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान है. विवाह खर्च कम मगर धांधली यहां भी शादी में कोई अड़चन न आये , कोई किडनैपिंग चार्ज न लगे ,सब काम जल्दी निबट जाए ,नोटिस घर न भेजा जाए और उसे नोटिस बोर्ड से भी तुरंत उतार दिया.

कई बार ऐसा भी होता है कि कोर्ट में 30 दिन पहले नोटिस न लगाने की बात पर युवकयुवती से 10 -20 हजार या उस से भी ज्यादा की मांग की जाती है. यदि रुपए नहीं दिए जाते तो उन के घर वालों को शादी की जानकारी देने की धमकी दी जाती है. इस तरह से यह कोर्ट में काम कर रहे लोगों ने एक धंधा बना लिया है. मजबूर युवकयुवती को हर मांग स्वीकार करनी पड़ती है क्यों कि उन के लिए उस वक़्त सुरक्षित विवाह करने से महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता.

फायदे

कोर्ट मैरिज भारत सरकार और कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाह है. यदि शादी के बाद किसी वजह से तलाक की नौबत आती है तो सेटेलमेंट आसान हो जाता है.

वैसे भी लाखों करोड़ों लगा कर की जाने वाली शादियों में रुपयों की जैसी बर्बादी होती है उसे रोकने के लिए भी कोर्ट मैरिज काफी अहम् है. आप की शादी कुछ हजार रुपयों में संपन्न हो जाती है. आप बाकी के रुपए अनाथ और गरीबों को खिलाने में खर्च कर सकते हैं. अपने लिए अच्छा हनीमून पैकेज  ले सकते हैं.

शादी का सर्टिफिकेट आप के हाथों में हो तो धोखाधड़ी की संभावना भी नहींरहती. दोनों पक्ष अपनी इच्छा से शादी करते हैं इसलिए शादी के बाद उलझनों की जिम्मेदारी भी वे स्वयं लेते हैं.

Summer Special: नेचुरल मॉइश्चराइजर से दें Skin को ताजगी

नैचुरल चीजों में आपकी त्वचा को सुंदर और जवां बना रखने के ढेर सारे तत्व मौजूद होते हैं. त्वचा की नमी को बनाए रखने के लिए आप कई तरह के मॉइश्चराइजर  का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके किचन में ऐसी बहुत सी चीज़ें मौजूद होती हैं जो नेचुरल मॉइश्चराइजर का काम करती हैं. इन चीजों का इस्तेमाल करके आप बिना किसी खर्च के अपनी त्वचा की प्राकृतिक नमी को बनाए रख सकते हैं.

1. शहद

शहद एक बहुत अच्छा क्लींजर होता है और इसकी सबसे खास बात यह है कि इसके इस्तेमाल से त्वचा कोमल और ग्लोइंग होती है. शहद का पैक लगाने से चेहरे और हाथ-पैरों की चमक बनी रहती है.

2. बटरमिल्क

बटरमिल्क आपकी त्वचा से डेड स्किन सेल्स को निकालता है जिससे आपकी त्वचा जवां दिखती है. मॉइश्चराइजर के रूप में इसे इस्तेमाल करने के लिए ठंडे बटरमिल्क में मलमल या सूती कपड़ा डुबोएं. इस कपड़े से अपना चेहरा 5 से 10 मिनट तक के लिए ढकें और फिर पानी से धो लें.

3. ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल पुराने समय से नेचुरल मॉइश्चराइजर के रूप में किया जाता रहा है. ऑलिव ऑयल और लेवेंडर एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदों को नहाने के पानी में मिलाएं और इस पानी से नहाने से आपकी त्वचा एकदम मुलायम हो जाएगी.

4. नारियल तेल

नारियल का तेल बहुत अच्छा मॉइश्चराइजर होता है. यह हर प्रकार की त्वचा के लिए अच्छा होता है. रूखी त्वचा के लिए तो यह बहुत लाभकारी है. नारियल का तेल लगाने से असमय झुर्रियां नहीं आती हैं. 2 चम्मच नारियल का तेल, एक चम्मच शहद और 1 चम्मच संतरे का रस मिलाकर त्वचा पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें.

5. खीरा

खीरे में पानी की 95 प्रतिशत मौजूदगी के कारण इसके इस्तेमाल से त्‍वचा मॉइश्‍चराइज रहती है. खीरे के रस को अच्‍छी तरह गर्दन और चेहरे पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें और इसके बाद सामान्‍य पानी से धो लें. त्वचा में ताजगी आएगी और यह मुलायम भी हो जाएगी.

6. ऐलोवेरा

बहुत सारे स्किन केयर प्रॉडक्ट्स में ऐलोवेरा का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये त्वचा को चिपचिपा बनाए बिना ही मॉइश्चराइज करता है. इसमें मौजूद बीटा-कैरोटीन और विटामिन सी व ई त्वचा को स्वस्थ बनाए रखते हैं. ऐलोवेरा जेल को त्वचा पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे धो लें. चेहरे पर चमक आ जाएगी.

सोने का हिरण: क्या रजनी को आगाह कर पाई मोनिका

लिफ्ट से उतरते हुए मोनिका सोच रही थी कि इस बार भी वह रजनी से वे सब नहीं कह पाई जिसे कहने के लिए वह आज दूसरी बार आई थी. 8वीं क्लास से रजनी उस की दोस्त है. तेल चुपड़े बालों की कानों के ऊपर काले रिबन से बंधी चोटियां, कपड़े का बस्ता, बिना प्रैस की स्कूल ड्रैस, सहमी आंखें क्लास में उस के छोटे शहर और मध्यवर्गीय होने की घोषणा कर रहे थे. मोनिका को आज भी याद है कैसे क्लास की अभिजात्य वर्ग की लड़कियां उस से सवाल पर सवाल करती थीं. कोई उस की चोटी का रिबन खोल देती थी तो कोई उस का बैग कंधे से हटा देती थी. रजनी को तंग कर वे मजा लेती थीं.

ये वे लड़कियां थीं जो रिबन की जगह बड़ेबड़े बैंड लगाती थीं, जिन के सिर क्रीम और शैंपू की खुशबू से महका करते, जो कपड़े के बस्ते की जगह फैशनेबल बैग लाती थीं और पाबंदी होने के बावजूद उन के नाखून नित नई नेलपौलिश से रंगे होते थे. टीचर्स भी जिन्हें डांटनेडपटने के बदले उन से नए फैशन ट्रैंड्स की चर्चा किया करती थीं. रजनी की सहमी आंखों में सरलता का ऐसा सम्मोहन था कि मोनिका हर बार उस की मदद के लिए आगे बढ़ जाती थी. किशोरावस्था की उन की यह दोस्ती गहराने लगी. देह की पहेलियां, जीवन के अनसुलझे प्रश्न, भविष्य के सपने, महत्त्वाकांक्षाएं आदि पर घंटों बातें होती थीं उन की. समय ऐसे ही सरकता गया और डिग्री के बाद एमबीए की पढ़ाई के लिए मोनिका विदेश चली गई.

लौटने पर पता चला कि बैंक मैनेजर वसंत से विवाह रचा कर रजनी गृहस्थी में रम गई है. यह रजनी का स्वभाव था कि अपने आसपास जो और जितना भी मिला वह उस में खुश रहती थी. उस से आगे बढ़ कर कुछ और अधिक पाने की मृगतृष्णा में वह हाथ आई खुशियों को खोना नहीं चाहती थी. किंतु इस के विपरीत मोनिका अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के आकाश की ऊंचाई और विस्तार की सीमा को आगे बढ़ कर स्वयं तय करने में विश्वास करती थी. मोनिका ने बड़ी आईटी कंपनी जौइन कर ली थी. अब दोनों सखियां कम मिलती थीं पर फोन पर उन की बातों का सिलसिला जारी था. मोनिका कभी अपने मन का गुबार निकालने के लिए तो कभी कोई सलाहमशवरा लेने के लिए रजनी के घर का रुख करती थी.

हर परिस्थिति से तालमेल बैठा कर खुश रहने वाली रजनी अपने 2 बच्चों के साथ पूरी तरह गृहस्थी में रम गई थी. वसंत भी तो उस का पूरा खयाल रखता था. जन्मदिन हो या वर्षगांठ, वह कभी तोहफा देना नहीं भूलता था. महंगी साडि़यां, परफ्यूम, नैकलैस, जड़ाऊ गहनों के तोहफों को बड़े उत्साह से रजनी मोनिका को दिखाती. घूमनाफिरना, छुट्टी मनाने के लिए नई जगहों में घूमना सब कुछ तो हासिल था रजनी को. हर माने में वह एक सुखी जीवन जी रही थी.

पर उस दिन वसंत को मोनिका ने शौपिंग मौल में किसी और के साथ देखा था. मीडियम हाइट और घुंघराले बालों वाले वसंत को पहचानने में उस की आंखें धोखा नहीं खा सकती थीं. एक झोंके की तरह दोनों उस के पास से निकल गए थे. ‘‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. जरूर उसे धोखा हुआ है,’’ यह कह कर उस ने इस बात को अपने मन से निकाल दिया था.

इस बात को अभी महीना भर भी नहीं हुआ था कि वसंत उसे कौफी शौप में मिल गया. शौपिंग मौल वाली उसी लड़की के साथ. नजरें टकराने पर कसी हुई कुरती और जींस पहने, छोटे बालों वाली 25-26 वर्षीय युवती का परिचय करवाया, ‘‘यह नीना है, मेरे बैंक में कैशियर…’’ एक ठंडा सा ‘हाय’ उछाल कर मोनिका वहां से खिसक गई. उस के दिमाग में कहीं कुछ खटक गया था पर जमाना तेजी से बढ़ रहा है…एक ही प्रोफैशन के लोग अकसर साथसाथ घूमते हैं. यह सोच उस ने इस बात को भी भुलाना चाहा, पर रजनी का मासूम चेहरा और सरल आंखें उस के सामने आ जातीं.

मोनिका के मन में आया कि वह रजनी से बात करे. फोन भी मिलाया उस ने, पर नंबर मिलते ही लाइन काट दी. उस ने अपने मन को मजबूत किया कि नहीं वह अपने दिमाग में कुलबुलाते वहम के कीड़े को नहीं पालेगी. उसे कुचलना ही होगा वरना वह काला नाग बन खुशियों को न डस ले. फोन पर रजनी से अब भी बातचीत होती. उस के स्वर में झलकने वाली खुशी से मोनिका अपनेआप को धिक्कारती कि वसंत के लिए उस ने न जाने क्याक्या सोच लिया.

गरमी के दिन थे. औफिस से निकलतेनिकलते आइसक्रीम खाने और समंदर के

किनारे टहलने का प्रोग्राम बना. समंदर की ठंडी हवाओं की थपथपाहट से दिन भर की थकान उतर गई. आइसक्रीम का लुत्फ उठाते, गपियाते हुए मोनिका संजना के साथ एक ओर बैठ गई. संजना को अचानक शरारत सूझी और थोड़ी दूर झाडि़यों के झुरमुट में बैठे जोड़े पर मोबाइल टौर्च से रोशनी फेंकी. मोनिका की आइसक्रीम कोन से पिघल कर उस की कुहनी तक बहने लगी. एकदूजे की बांहों में लिपटे वसंत और नीना का ही था वह जोड़ा.

‘अपनी खास सहेली के घर को वह अपनी आंखों के आगे उजड़ते नहीं देख सकती,’ यह सोच कर औफिस से छुट्टी ले कर वह दूसरे ही दिन रजनी के घर पहुंच गई. वह किचन में रजनी के पास खड़ी अपनी बात कहने का सिरा तलाश रही थी जबकि रजनी बड़े प्यार से वसंत की मनपसंद भिंडी फ्राई, दालमक्खनी, रायता और फुलके तैयार कर रही थी. मातृत्वसुख और वसंत के प्रेम में पगी रजनी की बातों के आगे मोनिका की बात का सिरा हर बार छूट जाता और आखिर बिना कुछ कहे ही वह उस दिन लौट गई.

आज दूसरी बार भी बिना कुछ बताए रजनी के घर से लौटते हुए वह सोच रही थी कि वसंत एक पति और पिता की भूमिका बखूबी निभा रहा है. गृहस्थी की लक्ष्मणरेखा के दायरे में मिलने वाले सुख से रजनी खुश और संतुष्ट है. लक्ष्मणरेखा के दूसरी ओर वाले वसंत के बारे में जानना रजनी के लिए सोने के हिरण को पाने जैसा होगा.

मोनिका भलीभांति जानती है कि मरीचिका के पीछे दौड़ कर उसे हासिल करने का साहस रजनी में नहीं और अपनी प्यारी सखी की सरल आंखों और उस के मासूम बच्चों की हंसी को उदासी में बदलने का साहस तो मोनिका में भी नहीं है.

डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन

विश्व में प्रसव के बाद लगभग 13  प्रतिशत महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. जो उन्हें परेशान करके रख देता है. आपको बता दें कि प्रसव के तुरंत बाद होने वाले डिप्रेशन को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है. भारत और अन्य विकासशील देशों में यह संख्या 20 प्रतिशत तक है.  2020 में सीडीसी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार यह सामने आया है कि 8 में से 1 महिला  पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार होती हैं. विशेष रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में  पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने के आसार ज्यादा होते हैं. इस संबंध में बेंगलुरु के मणिपाल होस्पिटल की कंसलटेंट, ओब्स्टेट्रिक्स व गायनेकोलॉजिस्ट डाक्टर हेमनंदीनी जयरामन बताती हैं कि महिलाओं में मानसिक समस्याएं होने पर वे अंदर से टूट जाती हैं , जिन्हें परिवार के लोग भी समझ नहीं पाते हैं , जिससे वे खुद को बहुत ही कमजोर महसूस करने लगती हैं.

पोस्टपार्टम का मतलब बच्चे के जन्म के तुरंत बाद का समय होता है. बता दें कि प्रसव के तुरंत बाद महिलाओं में शारीरिक, मानसिक व व्यवहार में जो बदलाव आते हैं , उन्हें पोस्टपार्टम कहा जाता है. पोस्टपार्टम की अवस्था में पहुंचने से पहले तीन चरण होते हैं , जैसे इंट्रापार्टम (प्रसव से पहले का समय ), और एंट्रेपार्टम (प्रसव के दौरान) का समय होता है. पोस्टपार्टम बच्चे के जन्म के बाद का समय होता है. भले ही बच्चे के जन्म के बाद एक अनोखी खुशी होती है, लेकिन इस सबके बावजूद कई महिलाओं को पोस्टपार्टम का सामना करना पड़ता है. इस समस्या का इससे कोई संबंध नहीं होता है कि प्रसव नार्मल डिलीवरी से हुआ है या फिर आपरेशन से. पोस्टपार्टम की समस्या महिलाओं में प्रसव के दौरान शरीर में होने वाले सामाजिक, मानसिक व हार्मोनल बदलावों की वजह से होती है.

पोस्टपार्टम मां व बच्चे दोनों को भी हो सकता है. न्यू मोम्स में कई हार्मोनल व शारीरिक बदलाव देखे जाते हैं. जिसके कई लक्षण हैं – बारबार रोने को दिल करना, ज्यादा सोने का मन करना, कम खाने की इच्छा होना, बच्चे के साथ ठीक से संबंध बनाने में खुद को असमर्थ महसूस करना इत्यादि .  यहां तक कि इस डिप्रेशन की वजह से कई बार मां खुद को व बच्चे को भी नुकसान पहुंचा देती है. ऐसी स्तिथि में मरीज के मस्तिष्क में कई बदलाव होते हैं , जिससे एन्सिएंटी के दौरे भी पड़ने लगते हैं.

प्रसव के बाद महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके लिए जरूरी है कि उन्हें बच्चे के साथसाथ खुद की भी खास तौर पर केयर करने की जरूरत होती है. क्योंकि इस दौरान शरीर के कमजोर होने के साथ शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स दिखना, बढ़ते तनाव की वजह से पीठ में दर्द होना, लगातार बालों का झड़ना, स्तनों के आकार में बदलाव होना जैसे बदलावों से एक मां को गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही अगर वे वर्किंग हैं , तो उन पर अपने कैरियर को भी जारी रखने की चिंता सताती रहती है. जिस वजह से कई परेशानियां व सवाल मन में चलने की वजह से एक मां बच्चे के आने की खुशी के साथसाथ कई परेशानियों से घिरी रहती है, जो तनाव का कारण बनता है.

ऐसे में न्यू मोम्स की लाइफ में एक ही व्यक्ति पाजिटिविटी ला सकता है , वो है बच्चे का पिता. क्योंकि जब न्यू मोम का शरीर कमजोर होता है और वह अपने नए जीवन के साथ जूझ रही होती है, तब आपका हेल्पफुल पार्टनर आपको हर तरह से सपोर्ट देने का काम करता है. जैसे सब हो जाएगा, मैं और मेरा पूरा परिवार तुम्हारे साथ है. ऐसी स्थिति में पोस्टपार्टम से जूझ रही महिला पार्टनर की बातों से पॉजिटिव होने लगती है और उसे लगने भी लगता है कि अब वे बच्चे का ठीक से खयाल भी रख पाएगी. ये समय पोस्टपार्टम से जूझ रही महिला के लिए जितना मुश्किल होता है, उतना ही वे पार्टनर व परिवार के सहयोग से इस प्रोब्लम से उभर पाती हैं.

एक्सपर्ट डाक्टर्स की टीम महिलाओं को इस स्थिति से पूरी समझदारी व परिपक्वता से निपटने की सलाह देते हैं. विशेष रूप से जिन महिलाओं को जुड़वा बच्चे होते हैं या फिर दिव्यांग बच्चे होते हैं. उन पर एक्सपर्ट डॉक्टर्स के साथ परिवारजनों को विशेष रूप से ध्यान देने के साथ केयर की जरूरत होती है, ताकि उन्हें इस स्थिति से उभरने में आसानी हो.

कई महिलाओं को यह पता भी नहीं होता कि वे डिप्रेशन से गुजर रही हैं. ऐसे में हमें उन्हें इस स्थिति से अवगत करवाना पड़ता है. बता दें कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन का समय पर उपचार करना जरूरी होता है. क्योंकि अगर इस स्थिति का समय रहते उपचार नहीं किया जाए तो इससे महिला खुद से साथसाथ बच्चे पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती है. इसके अलावा वे बच्चे की जरूरतों को भी समझने में असमर्थ होती है. जबकि जन्म के बाद बच्चे को मां की ही सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इसलिए समय पर ट्रीटमेंट है जरूरी.

कुछ महिलाओं में ये भी देखने को मिला है कि उनमें  पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण पहले से होते हैं. उनमें पहले से कुछ मानसिक समस्याएं देखने को मिलती हैं , जिन्हें उनके परिजन अनदेखा कर देते हैं. कुछ केसेस ऐसे भी होते हैं , जिन्हें अनुवांशिक तौर पर डिप्रेशन होता है. डिप्रेशन अनुवांशिक होता है, जो पोस्टपार्टम स्थिति में उभर कर सामने आता है. और कई बार ये मूड स्विंग के माध्यम से होता है. वैसे ये स्थिति हमेशा के लिए नहीं होती है, इसलिए समय रहते हलकी मेडिसिन व काउंसलिंग से इस स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सकता है.

इसलिए जरूरी है कि प्रसव से पहले व बाद में डॉक्टरी सलाह से शारीरिक व्यायाम करें, जिससे आपका शरीर व मन स्वस्थ रहे. क्योंकि अगर शरीर तंदुरुस्त रहता है, तो मन भी तंदुरुस्त रहता है. प्रसव के बाद सलाह से नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होगा और इससे अच्छी नींद आकर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण भी कम होंगे. इसलिए लक्षणों को इग्नोर न करें और साथ ही परिवार भी न्यू मोम्स को हर सपोर्ट दे, ताकि वे इस स्थिति से जल्दी से जल्दी बाहर निकल सके.

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