तलाक के बाद: क्या स्मिता को मिला जीवनसाथी

family story in hindi

चिपचिपे डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए शैंपू बताएं?

सवाल-

मैं चिपचिपे डैंड्रफ की समस्या से ग्रस्त हूं. मैं ने कई ऐंटीडैंड्रफ शैंपू इस्तेमाल किए परंतु सब बेकार रहे. कृपया समाधान बताएं?

जवाब-

डैंड्रफ की समस्या आमतौर पर ड्राई और औयली दोनों किस्म के बालों में होती है. इस को यदि समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो इस के  झड़ने से त्वचा में इन्फैक्शन फैलने का डर रहता है, साथ ही बालों की जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं, जिस की वजह से हेयर फौल की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसलिए इसे समय रहते रोकना बेहद आवश्यक है.

इस के लिए सप्ताह में कम से कम 3 बार बालों में शैंपू करें और बाल धोने के लिए बहुत ज्यादा गरम पानी के बजाय कुनकुने पानी का प्रयोग कीजिए. इन्फैक्शन से बचने के लिए आप अपनी कंघी, तौलिया व तकिए को अलग रखें और इन की सफाई का भी खासतौर पर खयाल रखें. जब भी बाल धोएं तो ये तीनों चीजें किसी अच्छे ऐंटीसैप्टिक के घोल में आधा घंटा डुबो कर रखें और धूप में सुखा कर ही दोबारा इस्तेमाल करें.

सिर में औयली बाल होने के कारण रूसी है तो एक चम्मच त्रिफला पाउडर को 1 गिलास पानी में डाल कर कुछ देर के लिए उबाल लें. ठंडा हो जाने पर इसे छान लें और फिर 2 बड़े चम्मच सिरके में मिक्स कर लें और रात में इस टौनिक से सिर की मसाज कर लें. सुबह किसी अच्छे शैंपू से बाल धो लें. इन सब विधियों के बावजूद यदि आप की समस्या का हल न हो तो किसी अच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक में जा कर ओजोन ट्रीटमैंट या बायोप्ट्रोन की सिटिंग्स ले सकती हैं. इस से डैंड्रफ तो कंट्रोल होगा ही, साथ ही डैंड्रफ की वजह से हो रहा हेयर फौल में भी रुक जाएगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Summer Special: आइसक्रीम जमाने के 12 टिप्स

गर्मियां अपने साथ लातीं हैं, कुल्फी, ड्रिंक्स, आइसक्रीम और गर्म गर्म लू. गर्म लू के प्रभाव से राहत देतीं हैं आइसक्रीम और कुल्फी. यूं तो आजकल आइसक्रीम वर्ष भर ही खाई जाती है परन्तु गर्मियों में शरीर की गर्मी को शान्त करने के लिए आइसक्रीम और कुल्फी का बहुतायत से प्रयोग किया जाता है. पहले की अपेक्षा आज आइसक्रीम और कुल्फी के अनेकों फ्लेवर बाजार में उपलब्ध हैं परन्तु बाजार से खरीदने की अपेक्षा घर में बनाई गई आइसक्रीम बहुत सस्ती भी पड़ती है और हाइजीनिक भी. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनका उपयोग करके आप एकदम बाजार जैसी आइसक्रीम और कुल्फी बना सकते हैं-

1-इंस्टेंट आइसक्रीम बनाने के लिए 1 कप  व्हिपड क्रीम और 1 कप अमूल क्रीम को बीटर से फेंटकर मनचाहा एसेंस और फ़ूड कलर मिलाकर ट्रे में जमाएं. शानदार आइसक्रीम तैयार हो जाएगी.

2-यदि आप चॉकलेट आइसक्रीम बनाना चाहतीं हैं तो फेंटते समय ही इसमें  1 टेबलस्पून कोको पाउडर मिला लें और फेंटे गए बेटर को ट्रे में डालकर ऊपर से चोको चिप्स डाल दें.

3-1/2 लीटर दूध को गर्म करके 4 टीस्पून कॉर्नफ्लोर, 1 टीस्पून जी एम एस पाउडर और 1/4 टीस्पून सी एम एस पाउडर मिलाकर 2-3 उबाल लें लें. ठंडा होने पर फ्रिज में जमा दें. 6-7 घण्टे बाद 1 कप व्हिपड क्रीम मिलाकर बीटर से लगभग 15 मिनट फेंट लें. मिश्रण फूलकर दोगुना हो जाएगा. अब इसमें मनचाहा एसेंस और फ़ूड कलर मिलाकर आइसक्रीम जमाएं.

4-कुल्फी जमाने के लिए सदैव फुल क्रीम दूध का ही प्रयोग करें.

5-2 लीटर फूल क्रीम दूध को 8 टीस्पून शकर डालकर डेढ़ लीटर रहने तक उबालें, ठंडा होने पर मनचाहा एसेंस डालकर कुल्फी मोल्ड्स में भरकर जमाएं.

6-यदि आप ताजे फलों से आइसक्रीम और कुल्फी बनाना चाहतीं हैं तो फलों को छीलकर टुकड़ों में काटकर मिक्सी में पीस लें फिर इस प्यूरी को बेटर में अच्छी तरह मिलाकर जमाएं. सर्व करते समय सम्बंधित फल के छोटे छोटे टुकड़ों से गार्निश करके सर्व करें .

7-यदि आपके पास कुल्फी मोल्ड्स नहीं हैं तो आप डिस्पोजल कटोरी, ग्लास, कप या फिर घर में प्रयोग होने वाली छोटी छोटी स्टील की कटोरियों का प्रयोग करें, मिश्रण को डालकर ऊपर सर सिल्वर फॉयल या क्लिंग फॉयल से कवर कर दें ताकि आइस न जमे.

8-आप चाहें तो ग्लास में कुल्फी जमाएं और फिर इसे स्लाइस में काटकर मटका कुल्फी की तरह सर्व करें.

9-आइसक्रीम और कुल्फी जमाते समय फ्रिज के तापमान को न्यूनतम पर सेट करें , जम जाने के बाद तापमान को बढ़ा दें ताकि सर्विंग के समय निकालने में परेशानी न हो.

10-आइसक्रीम जमाने के बाद बार बार फ्रिज को खोलने से बचें अन्यथा यह जमने में अधिक समय लेगी.

11-आइसक्रीम निकालने के लिए स्कूपर का प्रयोग करें. अधिक लोगों को सर्व करते समय स्कूपर को गर्म पानी में डालकर रखें.

12-कुल्फी को सर्व करने के लिए मोल्ड को दोनों हाथों की हथेलियों में दबाकर रोल करें फिर कुल्फी स्टिक लगाकर सर्व करें. यदि कुल्फी स्टिक नहीं है तो चाकू से काटकर सर्व करें.

अभिनेता प्रतीक गांधी ने अभिनय में सफलता पाने का राज क्या बताया, पढ़ें पूरी इंटरव्यू

गुजराती नाटक और फिल्मों से चर्चा में आये अभिनेता प्रतीक गांधी की इच्छा बचपन से डॉक्टर बनने की रही, लेकिन उन्हे अभिनय भी पसंद था, इसलिए स्कूल, कॉलेज में उन्होंने कई नाटकों में भी भाग लिया. शिक्षा को महत्व देते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और साथ में थिएटर भी करते रहे. पढ़ाई पूरी करने के बाद में उन्होंने नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल सतारा में नौकरी की. प्रतीक गांधी के माता और पिता दोनों ही टीचर है. उन दोनों ने हमेशा उनके काम के साथ सहयोग दिया है. प्रतीक को बचपन से कला का माहौल मिल है, उनके पिता एक भरतनाट्यम डान्सर और तबला वादक है, उन्होंने कई स्कूल के शोज को कोरियोग्राफ किया है. प्रतीक खुद भी तबला बजाना जानते है.

Pratik gandhi

किये संघर्ष

प्रतीक को यहाँ तक पहुँचने में बहुत संघर्ष करना पड़ा. कई बार उन्हे स्किन कलर की वजह से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा, टीवी इंडस्ट्री ने भी उन्हे स्वीकार नहीं किया, इतना ही नहीं उन्हें कहा गया कि उनका चेहरा रिच नहीं लगता, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं माना. स्किल, ऐक्टिंग पर फोकस किया, थिएटर करते रहे और खुद को मोटिवेट करते रहे, जिसका परिणाम उन्हे आगे चलकर मिला और उनकी वेब सीरीज ‘स्कैम 1992’ कि देश में ही नहीं विदेश में भी दर्शकों ने पसंद किया. अभी उनकी कॉमेडी फिल्म ‘दो और दो प्यार’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके काम को आलोचकों ने काफी पसंद किया है.

pratik gandhi

चुनौती है पसंद

प्रतीक को वेबसीरिज ‘स्कैम 1992’ के लिए पहचाना जाता है. इस वेब सीरिज में उन्होंने हर्षद मेहता का किरदार निभाया था. यह वेब सीरिज जबरदस्त हिट हुई और इसमें प्रतीक गांधी के अभिनय को लोगों ने जमकर सराहा. इस वेबसीरिज से प्रतीक गांधी को एक नई पहचान मिली. प्रतीक को हर तरह की अलग – अलग फिल्मों में अलग – अलग चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाना पसंद है. वे कहते है कि जब तक हर किरदार में दर्शक मुझे पसंद न करने लगे, मैँ संतुष्ट नहीं हो सकता.

मिला सहयोग

प्रतीक की पत्नी भामिनी ओझा भी ऐक्टिंग फील्ड से है, काम के दौरान दोनों का प्यार हुआ और शादी की, दोनों की एक बेटी मिराया है. दोनों एक ही क्षेत्र में होने की वजह से परिवार के साथ काम का सामंजस्य बैठाने में उन दोनों को कभी समस्या नहीं आई. वे कहते है कि हम हर काम को शेयर कर लेते है, साथ थिएटर करते है, एक दूसरे के आलोचक है साथ ही एक दूसरे को डायरेक्ट भी कर लेते है. इससे हम दोनों मे दोस्ती अच्छी हो चुकी है, किसी प्रकार की असुरक्षा हम दोनों में नहीं रहती, क्योंकि कोई एक दूसरे की भूमिका नहीं निभा सकता. सफलता की बात करें, तो मैंने जॉब के साथ थिएटर, फिल्म सब करता रहा. जब मुझे पत्नी के साथ समय बिताने की जरूरत थी, तब मैंने थिएटर में काम किया करता था, क्योंकि वही मेरे लिए खाली समय था.

bollywood

मेरी पत्नी ने कभी मुझपर इस बात से आरोप नहीं लगाया. देखा जाय, तो उसके सहयोग के बिना यहाँ तक पहुंचना मेरे लिए संभव नहीं था. इसके अलावा हम दोनों एक दूसरे को बराबर समझते है, फिर चाहे वह घर का काम हो या बाहर का काम या पेरेंटिंग का काम हो, दोनों आपस में बाँट लेते है. बेटी के होने के बाद मैंने पेरेटिंग में हमेशा साथ दिया है, मेरी कोशिश यह रहती है कि हम दोनों एक दूसरे को पति – पत्नी न समझकर दो व्यक्ति समझे, जो साथ रहते है.

थिएटर में काम करना जरूरी

ऐक्टिंग के क्षेत्र में आने के लिए थिएटर में काम करना सबसे जरूरी माना जाता है, आपने थिएटर भी बहुत किये है, इससे आपको कितना फायदा ऐक्टिंग में मिला पूछने पर वे बताते है कि किसी भी ऐक्टर के लिए प्रैक्टिस एरिया थिएटर होता है, जहां ऐक्टिंग के ईमोशन्स को बार – बार अलग – अलग तरीके से दिखाने का मौका मिलता है. साथ ही थिएटर में लोगों की प्रतिक्रियाँ तुरंत पता जाता है, जिससे खुद को इम्प्रूव करने का मौका मिलता है, जबकि फिल्मों में अभिनय सम्हल कर करना पड़ता है, क्योंकि इसमें दर्शकों की रुझान बाद में पता लगता है.

prateek gandhi

आगे वे कहते है कि फिल्म में किसी कलाकार को कुछ समय तक काम करने का मौका मिलता है. फिल्म के सेट पर वार फील्ड जैसी हालात होती है, जहां हर मोमेंट के लिए पैसे लगे होते है, हर चीज को बहुत ही बारीकी से उस समय शूट कर लिया जाता है और अगर किसी ने उसे ठीक तरीके से नहीं किया, तो अगला प्रोजेक्ट मिलना कठिन हो जाता है, क्योंकि ये बड़ी प्रोजेक्ट होती है, मौका भी बहुत मुश्किल से ही मिलता है. ऐसे में सही ऐक्टिंग की सभी बारीकियों को थिएटर सिखाती है, यही वजह है कि सारे बड़े कलाकार फिल्म के साथ थिएटर करना भी पसंद करते है. मैँ जब छोटे – छोटे शहरों में अपने ग्रुप के साथ जाता हूँ, तो देखता हूँ कि इन शहरों में भी बहुत सारे प्रतिभावान कलाकार है, पर उन्हे एक मौका नहीं मिलता. बदलती है सफलता का अर्थ प्रतीक को सफलता काफी मेहनत के बाद ‘स्कैम 1992’ से मिली, इस सफलता को अपने कैरियर का सबसे अच्छा समय मानते है. उनका कहना है कि मैंने 16 से 17 साल तक ऐक्टिंग के लिए मेहनत की है, उस दौरान मैंने थिएटर और रीजनल फिल्मों में काम करता रहा. उसके बाद मेरा समय बदला तो वह मेरे लिए अच्छी बात रही, इस वेब सीरीज को केवल देश में ही नहीं विदेश में
भी काफी सराहना मिली. असल में सफलता का अर्थ हर समय बदलता है जब मैँ सूरत में थिएटर कर रहा था, तब लगता था कि मुंबई से शो आने पर दर्शकों की भीड़ सूरत में इतनी कैसे हो जाती है, वे क्या अलग कर लेते है, लेकिन जब मुंबई आया तो पता लगा कि मुंबई में ऐक्टिंग के अलावा शो भी ग्लैमरस होता है. हिन्दी फिल्मों मे काम करने का भी मेरा अनुभव ऐसा ही है और मैँ अपनी सफलता को दूसरों की आँखों में देखता हूँ. एक हिन्दी फिल्म मिल जाना सफलता नहीं है, जब दर्शक मुझे अलग – अलग भूमिका में पसंद करने लगेंगे तब मैँ खुद को कुछ हद तक सफल मान सकता हूँ. इसके अलावा सफलता का अर्थ हर व्यक्ति के लिए अलग होता है. मेहनताना पाने को लेकर सफलता का आकलन करना ठीक नहीं. अगर किसी कहानी को करते हुए निर्माता, निर्देशक मेरे बारें में सोचने लगेंगे, तो मैँ सफल कलाकार हूँ. कलाकार सफल होने पर मेहनताना भी अच्छा ही मिल जाता है, ऐसा मुझे गुजराती थिएटर्स और जॉब करते हुए महसूस हुआ है.

डिनर में बनाए लजीज बटर चिकन

देशभर में पंजाबी तड़का लगे व्‍यंजनों को पसंद किया जाता है. पंजाबी खाने का नाम सुनते ही हर उम्र के लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. पंजाबियों को चिकन बहुत पसंद होता है और इसलिए चिकन बनाने की कई पंजाबी रेसिपियां मशहूर हैं. इनमें से एक है बटर चिकन. बटर और चिकन को मिलाकर बनाई गई ये रेसिपी बहुत टेस्‍टी लगती है. अगर आप रेस्‍टोरेंट जैसा खाना घर पर ही बनाना चाहती हैं तो ये बटर चिकन रेसिपी जरूर ट्राई करनी चाहिए.

सामग्री

700 ग्राम कच्चा चिकन

मैरिनेशन तैयार करने की सामग्री

1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

1 टी स्पून अदरक और लहसुन का पेस्ट

स्वादानुसार नमक

1/2 किलो दही

ग्रेवी बनाने की सामग्री

175 ग्राम सफेद मक्खन

1/2 टी स्पून काला जीरा

1/2 kg टमाटर की प्यूरी

1/2 टी स्पून चीनी

1 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

स्वादानुसार नमक

100 ग्राम क्रीम

4 हरी मिर्च (बीच से लंबाई में कटी हुई)

1/2 टी स्पून मेथी की पत्ती (क्रश की गई)

वि​धि

मैरिनेशन तैयार करने की विधि

एक कटोरी में लाल मिर्च पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट, नमक और दही को एक साथ मिक्स करके इसमें चिकन डालें. पूरी रात के लिए फ्रिज में रखकर छोड़ दें. आप इसे छह घंटे के लिए भी रख सकते हैं.

सुबह में चिकन को ओवन में या तंदूर में चिकन को दस से 12 मिनट के लिए रोस्ट कर लें.

ग्रेवी तैयार करने की विधि

एक पैन में सफेद मक्खन की आधी मात्रा डालें. इसके बाद इसमें टमाटर प्यूरी डालकर दो से तीन मिनट के लिए फ्राई कर लें. फिर इसमें जीरा, चीनी, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें.

इसके बाद इसमें तैयार किया चिकन, सफेद मक्खन, क्रीम, हरी मिर्च और मेथी की पत्ती डालकर तीन से चार मिनट के लिए हल्का भूनें. चिकन को पकने के लिए छडो दें.

जब चिकन मुलायम हो जाए, तो इसे चावल या नान के साथ सर्व करें.

स्वस्थ रहने के लिए जरूरी हैं ये 10 अच्छी आदतें

अच्छी सेहत के लिए कुछ अच्छी आदतों का होना बेहद जरूरी है. कई बार हम कुछ चीजो को लेकर लापरवाह हो जाते हैं और खुद को बीमार बना देते हैं. आपको पता ही होगा कि कई बार छोटी छोटी बिमारियां बड़ी बीमारी का कारण बन जाते हैं. इसलिए अपने सेहत से खिलवाड़ करने से बेहतर है कि आप इन 10 अच्छी आदतों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाएं और खुद को स्वस्थ रखें.

– कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने और खाना खाने से पहले व बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं. यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है. उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं या सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें.

– घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर. पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें. सिंक, वाश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें.

– ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें. उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें. इसके अलावा खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें. कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें. खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें. कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें.

– बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें. खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें. साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें. हमेशा ताजा भोजन खाएं.

– खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें. कोशिश करें कि आपकी प्लेट में ‘वैरायटी औफ फूड’ शामिल हो. खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें. सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं.

– खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल औयल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लावर, मक्का या औलिव औइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें. खाने में शक्कर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें. जंकफूड, सौफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शक्कर से बने जूस आदि का उपयोग न करें. कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो. सोने से पहले 15 से 20 मिनट टहलना ना भूलें.

– अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें. चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को 3 से 4 दिन के अन्तराल में बदलती रहें. मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें.

– मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए जरूरी है. इसलिए सुबह के समय खुद के लिए वक्त निकालें, सुबह जल्दी उठे और खुली हवा में व्यायाम या योगा अवश्य करें.

– कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें. इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें. अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही हैं तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें. कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े.

– 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डाक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें. प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें. बच्चों के साथ खेलें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें. खुद को द्यादा सिरियस ना बनाएं और क्रोध को भी खुद पर हावी ना होने दें.

मुझे एक लड़की ने रिजेक्ट कर दिया, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 17 साल का लड़का हूं और एक लड़की से प्यार करता हूं. मैं ने उसे आई लव यू कहा तो उस ने ना कर दी, लेकिन वह अब भी मेरे साथ बातचीत करती है. मैं उसे एक बार फिर से आई लव यू कहना चाहता हूं, तो बताइए उसे किस प्रकार आई लव यू बोलूं?

जवाब

पहले तो यह समझ लीजिए कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है, जो आप को उस से हो गया है लेकिन उसे आप से नहीं. आप के पत्र से लगता है कि वह आप की फ्रैंडशिप में तो है, लेकिन आप से प्यार नहीं करती. इस तरह आप का प्यार एकतरफा है. ऐसे में आई लव यू कहने से बात बनने वाली नहीं. उस के दिल में उतरना होगा आप को. उस की पसंदीदा हर बात कीजिए, फिर शायद उधर से ही आई लव यू कह दिया जाए, लेकिन जल्दबाजी न कीजिए. उस की भावनाओं का सम्मान करते हुए उचित मौका देख कर प्यार से एक बार फिर इश्क का इजहार कर दीजिए. यदि वह आंखें नीची कर मुसकरा दे तो प्यार का इकरार समझ लीजिए. हां, जोरजबरदस्ती कभी न कीजिएगा वरना दोस्ती से भी हाथ धो बैठेंगे.

किशोरावस्था में स्कूल व ट्यूशन में कब कोईर् किशोरी अच्छी लगने लगती है, इस का पता ही नहीं चलता लेकिन उसे देख कर हमें कुछकुछ होने लगता है. हम उस से बात करने का बहाना ढूंढ़ते हैं, फ्रैंडशिप की कोशिश करते हैं. यहां तक कि फेसबुक पर सर्च कर उसे फैंरड रिक्वैस्ट तक भेज देते हैं.

कभीकभी हम जल्दबाजी में कई ऐसी गलतियां कर देते हैं जिन से सब के बीच हम मजाक के पात्र बन जाते हैं. कई बार तो किशोरी हमें ठीक से जानती भी नहीं है, लेकिन हम अपने दिल की बात उसे बता देते हैं और वह इसे डिफ्यूज कर देती है, इस से सबकुछ गड़बड़ हो जाता है.

अगर आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगी है तो उसे तुरंत प्रपोज करने के बजाय पहले उस से दोस्ती करें. यदि दोस्ती के बाद भी आप को समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरुआत करें तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

अच्छा व्यवहार करें

आप अपने क्रश से अच्छा व्यवहार करें. ऐसा न हो कि उस के आते ही आप की बौडी लैंग्वेज और आवाज बदल जाए. आप के लहजे से ऐसा लगे कि आप किसी राजकुमारी से बात कर रहे हैं. आप उस के साथ भी वैसे ही बरताव करें जैसा आप अपने बाकी दोस्तों के साथ करते हैं.

साफसुथरे नजर आएं

यदि आप किसी लड़की को पसंद कर रहे हैं तो आप का साफ और अच्छा दिखना बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारा ध्यान किसी भी आकर्षक पर्सनैलिटी पर जाने से पहले कई चीजों पर जाता है जैसे मुंह की बदबू, पसीने की बदबू, इसलिए अच्छी हाइजिन हैबिट बनाएं ताकि किशोरी आप से बात करने में हिचकिचाए नहीं बल्कि खुद भी दोस्ती की पहल करे.

पौजिटिव नजरिया रखें

हमेशा लोग उन के साथ रहना पसंद करते हैं जो खुश रहते हैं और पौजिटिव नजरिया रखते हैं, इसलिए आप भी अच्छा बनने की कोशिश करें. दूसरों की बुराई करने के बजाय उन की अच्छाइयों को देखें.

नर्वस न हों

अकसर हम जब किसी को पसंद करते हैं तो उस के सामने आते ही हमारी धड़कन तेज हो जाती है और हम नर्वस हो जाते हैं. समझ नहीं पाते कि क्या करें. इसी वजह से छोटीछोटी गलतियां कर बैठते हैं, इसलिए यदि आप चाहते हैं कि कोई गलती न हो तो बजाय नर्वस होने के कौन्फिडैंट हो कर दिल जीतने की कोशिश करें.

प्रपोज करने के बजाय दोस्ती करें

जब आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगे तो उसे एकदो मुलाकातों के बाद ही प्रपोज न करें बल्कि दोस्ती करें. उसे जानने की कोशिश करें तथा उस की पसंदनापसंद को जानें. एकदम से प्रपोजल मिलने से लड़कियां थोड़ी घबरा जाती हैं और दोस्ती करने से मना कर देती हैं.

दिल की बात जानने की कोशिश करें

आप के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सामने वाले के दिल की बात जानें. ऐसा भी हो सकता है कि आप जिसे लाइक कर रहे हैं वह किसी और को लाइक करती हो और आगे जा कर आप को तकलीफ हो इसलिए बातोंबातों में पहले ही दिल की बात जानने की कोशिश करें.

सरप्राइज दें

आप अपनी बौंडिग बढ़ाने के लिए सरप्राइज प्लान करें. उस के पसंदीदा काम करें जिसे देख वह खुश हो जाए, पर ध्यान रहे ऐसा सरप्राइज न प्लान करें कि वह सरप्राइज के बजाय शौक्ड हो जाए.

प्रोत्साहित करें

हर किसी को प्रोत्साहन अच्छा लगता है. ऐसा लगता है कि कोई है जिसे हमारा काम पसंद आता है. अगर वह किसी काम को नहीं कर पा रही है तो उस में विश्वास पैदा करें कि वह कर सकती है. यदि उसे किसी चीज से फोबिया है तो उस का फोबिया दूर करने की कोशिश करें. यकीन मानिए आप का केयरिंग नेचर देख कर किशोरी जरूर इंप्रैस होगी.

हौबी में दिखाएं रुचि

हर किसी की हौबी अलग होती है, लेकिन फिर भी आप किशोरी की हौबी में रुचि दिखाएं, इस से आप दोनों को बातचीत करने और एकदूसरे को जाननेसमझने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही आप कुछ नया भी सीख पाएंगे. लेकिन ऐसी बातें न करें जिन में आप को मजा न आता हो.

पढ़ाई को बनाएं प्यार का टूल

जब आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगने लगती है तो आप अपने प्यार का एहसास कराने के लिए पढ़ाई को टूल बनाएं. पढ़ाई के बहाने उस के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. एकदूसरे से नोट्स शेयर करें. इस से आप की पढ़ाई भी हो जाएगी और आप एकदूसरे के करीब भी आ जाएंगे.

तारीफ से मिटाएं दूरियां

अपनी तारीफ सुनना भला किसे अच्छा नहीं लगता. आप भी तारीफ से दिल में जगह बना सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे जब तारीफ करें तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप चापलूसी कर रहे हैं.

खास अवसरों को रखें याद

किशोरियों को बहुत अच्छा लगता है जब कोई उन्हें उन के स्पैशल डे पर सरप्राइज देता है, इसलिए अपने क्रश के खास दिन को याद रखें. आप चाहें तो फोन में रिमाइंडर लगा सकते हैं या डायरी में नोट कर के रख सकते हैं ताकि आप भूलें नहीं.

क्या न करें

चिपकू बनने की गलती न करें

जब कोई लड़की हमें अच्छी लगने लगती है तो हम उस के आसपास मंडराने का बहाना ढूंढ़ते हैं. वह जहां जाती है उस के पीछेपीछे चले जाते हैं. उस का बात करने का मन हो चाहे न हो, लेकिन फिर भी किसी न किसी बहाने उस से बात करते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो अब मत करिए, क्योंकि ऐसा कर के आप खुद को चिपकू साबित करते हैं. अत: ऐसा माहौल बनाएं कि वह खुद आप के पास आने की कोशिश करे.

क्लास में न पीटें ढिंढोरा

अगर आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगती है तो सब को इस बारे में न बताएं, क्योंकि जब किशोरी को क्लास के किसी स्टूडैंट से पता चलेगा तो वह सब के सामने आप को भलाबुरा कह देगी, इसलिए अपने दिल की बात अपने तक ही सीमित रखें. यदि आप किसी को बताना भी चाहते हैं तो अपने किसी ऐसे दोस्त को बताएं जिस पर आप को भरोसा हो कि वह यह बात किसी से नहीं कहेगा.

पढ़ाई के समय न करें चैटिंग से डिस्टर्ब

आप को कोई लड़की अच्छी लगती है तो इस का यह मतलब नहीं कि आप हर समय मैसेज करते रहें, खासकर पढ़ाई के समय. ऐसा कर के आप न केवल सामने वाले को डिस्टर्ब करते हैं बल्कि इस से आप की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है इसलिए हर वक्त मैसेज करने के बजाय एक समय तय करें.

महंगे गिफ्ट्स में न करें पैसे बरबाद

किशोर सोचते हैं कि गिफ्ट दे कर ही दिल जीता जा सकता है और इस के लिए वे अपने दोस्तों से पैसे उधार लेते हैं. आप ऐसा कुछ न करें, अगर गिफ्ट देना ही चाहते हैं तो हैंडमेड चीजें दें, ताकि सामने वाले को आप की मेहनत व प्यार दिखे.

रिजैक्शन खुद पर हावी न करें

अगर किसी लड़की ने आप के प्रपोजल को ठुकरा दिया है तो इस रिजैक्शन को खुद पर हावी न होने दें, न ही उलटीसीधी हरकतें करें. कईर् बार ऐसा होता है कि किशोर रिजैक्शन से डिप्रैशन में चले जाते हैं, दोस्तों से मिलना छोड़ देते हैं, ऐसा न करें बल्कि अपने दिल का दरवाजा खोल कर रखें, क्या पता कब कौन दस्तक दे दे.

कुछ जरूरी बातें

– करीब आने के लिए कभी भी बौडी टचिंग का सहारा न लें.

– ईमानदार बनें. इंप्रैस करने के लिए झूठ का सहारा न लें.

– अपने बारे में वास्तविक बातें बताएं. ऐसा न सोचें कि आप अगर अपनी या पेरैंट्स की सचाई बता देंगे तो वह आप से दोस्ती नहीं करेगी.

फेशियल: बढ़ती उम्र में भी ग्लो रखें बरकरार

हर उम्र में त्वचा की जरूरत अलग होती है. उसी के अनुसार ब्यूटी प्रोडक्ट्स की आवश्यकता होती है. आप अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार ही उस का ध्यान रखें, क्योंकि आप की ढ़लती त्वचा ही आप की बढ़ती उम्र का राज खोलती है. ऐसे में यंग लुक बरकरार रखने के लिए स्किन टैक्निकल ऐक्सपर्ट उज्मा सिद्दीकी नौनसर्जिकल फेशियल की सलाह देती हैं. इस फेशियल द्वारा आप अपने चेहरे की त्वचा को बिना सर्जरी के ही फेस लिफ्ट करा कर टाइटनिंग इफैक्ट दे यंग लुक पा सकती हैं.

इस के अलावा और भी फेशियल हैं जिन से बढ़ती उम्र में भी आप चेहरे पर ग्लो पा सकती हैं:

नौनसर्जिकल फेशियल: यह फेशियल बढ़ती उम्र में ढीली हुई त्वचा और असमय पड़ने वाली झुर्रियों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह ऐलोवेरा जैसे नैचुरल तत्त्वों से बना होता है. यह बिना किसी साइड इफैक्ट के त्वचा को हाइड्रेट कर नमी को वापस लाता है. यह बिना किसी सर्जरी व इंजैक्शन के फेस की स्किन को अपलिफ्ट कराता है.

नौनसर्जिकल फेशियल कैसे करें

एक ऐलोवेरा फेशियल किट लें. इस में सभी नैचुरल प्रोडक्ट होते हैं. उस के निर्देशानुसार फेशियल शुरू करें. सब से पहले ऐक्सफौलिएटिंग क्लींजर फेस पर लगा कर 2 मिनट मसाज करें. इस से फेस अच्छी तरह क्लीन हो जाएगा. जब यह स्किन में औब्जर्व हो जाए तो कौटन से साफ कर के कंटूर मास्क ब्रश से लगा कर 15 मिनट छोड़ दें. कंटूर मास्क से पहले आंखों पर गुलाबजल से भीगी कौटन गोलाकार में लगा लें ताकि आंखें पूरी तरह कवर हो जाएं. कानों में भी कौटन लगाएं. नाक पर बटर पेपर लगाएं. मास्क फेस पर टाइटनिंग इफैक्ट देगा. 15 मिनट बाद मास्क को कौटन से साफ कर लें. फिर रिहाइड्रेट टोनर लगाएं. इस के बाद पूरे फेस पर लोशन लगा कर छोड़ दें.

इस फेशियल का आप तुरंत ही असर देखेंगी. आप की त्वचा पहले से जवां और खूबसूरत दिखेगी. इसे घर पर भी कम समय में आसानी से किया जा सकता है. अन्य फेशियल के मुकाबले यह 20 से 25 मिनट में किया जा सकता है.

इस में डे व नाइट लोशन भी उपलब्ध है. आप समय के अनुसार इन लोशन का इस्तेमाल करें और चेहरे पर ग्लो पाएं. यह हर प्रकार की स्किन के लिए बेहतर है.

बढ़ती उम्र में ग्लो के लिए फेशियल

बढ़ती उम्र में त्वचा को हाइड्रेट करने के लिए फेशियल बहुत अच्छा उपाय है. यह बढ़ती उम्र की निशानियों को रोकने का काम करता है. फेशियल द्वारा ही त्वचा की कोशिकाओं को ऐनर्जी मिलती है और वे रिजेनरेट होती हैं. मगर फेशियल कराने से पहले स्किन को जरूर जांच लें कि वह सैंसिटिव तो नहीं. अगर है तो उसी के अनुसार फेशियल का चुनाव करें.

औक्सीजन फेशियल

औक्सीजन फेशियल त्वचा को गहराई से साफ करता है. औक्सीजन फेशियल त्वचा के फ्रीरैडिकल्स से लड़ता है जोकि ऐजिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं. इस फेशियल से झुर्रियां मिटती हैं और बढ़ती उम्र का प्रभाव कम होता है. यह चेहरे को मौइश्चराइज, डिटौक्सीफाई और त्वचा की रिपेयर करता है. इस में 2 मिनट तक औक्सीजन फेशियल फेस पर स्प्रे किया जाता है. चेहरे पर फ्रैश औक्सीजन छोड़ने की प्रक्रिया के बाद त्वचा की कोशिकाओं को ऐनर्जी मिलती है. चेहरे पर शाइन आती है. रूखी त्वचा के अंदर तक नमी पहुंचती है और सूर्य की हानिकारक किरणों से हुए नुकसान से भी छुटकारा मिलता है.

अल्ट्रासैंसिटिव स्किन के लिए

चौकलेट फेशियल:

जिन की त्वचा बहुत ज्यादा सैंसिटिव होती है उन के लिए चौकलेट फेशियल बहुत अच्छा माना जाता है. यह कोको ऐंटीइनफ्लेमेटरी तत्त्वों से पूर्ण होता है. त्वचा इस से हाइड्रेट हो कर सौफ्ट हो जाती है.

सैंसिटिव स्किन के लिए फेशियल

फ्रूट फेशियल:

यह फेशियल प्राकृतिक होता है. फिर भी पैक लगवाने से पहले देख लें कि किसी फल से आप को ऐलर्जी तो नहीं. उस फल को छोड़ कर अन्य किसी भी फल से फेशियल करा सकती हैं. इस से त्वचा को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है.

सैंडलवुड फेशियल:

यह फेशियल उन के लिए सेफ है, जिन के चेहरे पर रैशेज पड़ जाते हैं. यह फेशियल घावों तथा ऐक्नों को कम करता है. इस में ऐंटीऐलर्जिक तत्त्व पाए जाते हैं, जो त्वचा की रिपेयर करते हैं. चंदन के गुणों से भरपूर यह फेशियल चेहरे पर शीतलता प्रदान करता है.

अकाई बेरी फेशियल:

यह स्किन को मौइश्चराइज करता है. इस में ऐंटीऔक्सिडैंट बहुत होते हैं इसलिए यह ऐंटीऐजिंग एजेंट का काम करता है. यह स्ट्रैस को दूर करता है और चेहरे पर ग्लो लाता है.

प्लैटिनम फेशियल:

प्लैटिनम फेशियल स्किन के अंदर जा कर बढ़ती उम्र की निशानियों को रोकता है. यह कोलोजन की मात्रा बढ़ा कर त्वचा की लचक को बेहतर बनाता है और सभी प्रकार की त्वचा के लिए बैस्ट है.

विटामिन सी फेशियल:

यह फेशियल त्वचा में ऐंटीऔक्सिडैंट्स को बढ़ावा देता है, यह न सिर्फ सैल्स बनाता है, बल्कि फ्रीरैडिकल्स को भी हटाता है. यह धूप में झुलसी त्वचा, दागधब्बों, पिंपल्स के दागों आदि को भी कम करता है.

आइसक्यूब फेशियल:

आइसक्यूब फेशियल से पोर्स में कसाव आता है और पिंपल्स से छुटकारा मिलता है. रोजाना आइस मसाज से रक्तसंचार बेहतर होता है. इस फेशियल से झुर्रियों से छुटकारा मिलता है. बर्फ के टुकड़ों को कपड़े में लपेट कर हलके हाथ से सर्कुलर मोशन में मसाज करें. आप बर्फ में किसी ऐसेंशियल औयल की कुछ बूंदें भी डाल सकती हैं. इस से सनबर्न में भी आराम मिलता है.

गोल्ड फेशियल:

इस फेशियल में सोने के छोटे पार्टिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीऐजिंग खूबियों के कारण यह त्वचा में आसानी से औब्जर्व हो जाता है, जिस से चेहरे पर ग्लो आ जाता है.

गोधरा में गोदनामा : श्रीराम की पत्नी के जीने का सहारा कौन था

मरने के अलावा उसे और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. जीने के लिए उस के पास कुछ नहीं था. न पत्नी न बच्चे, न मकान, न दुकान. उस का सबकुछ लुट चुका था. एक लुटा हुआ इंसान, एक टूटा हुआ आदमी करे भी तो क्या?

उस का घर दंगाइयों ने जला दिया था. हरहर महादेव के नारे श्रीराम पर भी कहर बरपा चुके थे. वह हिंदू था लेकिन उस की पत्नी शबनम मुसलमान थी. उस के बेटे का नाम शंकर था. फिर भी वे गोधरा में चली नफरत की आग में स्वाहा हो चुके थे.

श्रीराम अपने व्यापार के काम से रतलाम गया हुआ था. तभी अचानक दंगे भड़क उठे. जंगल की आग को तो बुझाया जा सकता है लेकिन आग यदि नफरत की हो और उस पर धर्म का पैट्रोल छिड़का जाता रहे, प्रशासन दंगाइयों का उत्साहवर्द्धन करता रहे तो फिर मुश्किल है उस आग का बुझना. ऊपर से एक फोन आया प्रशासन को. लोगों का गुस्सा निकल जाने दो. जो हो रहा है होने दो. बस, फिर क्या था? मौत का खूनी खेल चलता रहा. जिन दोस्तों ने श्रीराम का विवाह करवाया था वे अब कट्टरपंथी बन चुके थे.

दंगाई जब श्रीराम के घर के पास पहुंचे तो किसी ने कहा, ‘‘इस की पत्नी मुसलमान है. इसे मार डालना जरूरी है.’’

दंगाइयों में श्रीराम के दोस्त भी शामिल थे. उस के एक दोस्त ने कहा, ‘‘नहीं, वह श्रीराम की पत्नी है. इस नाते वह भी हिंदू हुई.’’

दंगाई बोले, ‘‘यह हिंदू नहीं मुसलमान है. यह अब भी नमाज पढ़ती है. रोजे रखती है. इस ने अपना नाम और सरनेम भी नहीं बदला. इस ने अपने बेटे का नाम जरूर शंकर रखा है किंतु उसे शिक्षासंस्कार इस्लाम के ही दिए हैं. इस तरह श्रीराम की पत्नी और बेटा मुसलमान ही हुए.’’

श्रीराम के एक दोस्त ने कहा, ‘‘कृपया यह घर छोड़ दीजिए. यह हमारे दोस्त का घर है. इस में उस की पत्नी और बच्चे रहते हैं. कल जब वह वापस आएगा तो हम उसे क्या जवाब देंगे.’’

दंगाई भड़क उठे, ‘‘श्रीराम जैसे मर्दों को जीने का कोई अधिकार नहीं है. मुसलिम औरत से विवाह किया था तो उसे हिंदू बनाना था. हिंदुओं की तरह रहना सिखाना था. ऐसे ही लोग मुसलमानों को बढ़ावा देते हैं. देखते क्या हो? खत्म कर दो सब को और आग लगा दो घर में.’’

थोड़ी ही देर में उस की पत्नीबच्चा आग के दावानल में घिर जल कर राख हो गए. घर से लगी हुई उस की दुकान लूट कर जला दी गई. जब वह वापस आया तो उस का सबकुछ लुट चुका था. वह बरबाद हो चुका था. वह मरने के लिए घर से निकल पड़ा. पहले उस ने ट्रेन के नीचे आ कर मरने की सोची किंतु भारतीय रेल की लेटलतीफी और दंगों के कारण रेल पुलिस भी सजग हो चुकी थी.

आत्महत्या करने के अपराध में कहीं उसे गिरफ्तार न होना पड़े, इसलिए उस ने फसलों की सुरक्षा के लिए कीटनाशक की शीशी खरीदी और पूरी की पूरी मुंह में उड़ेल ली. थोड़ी देर बाद उसे चक्कर आने लगे. वह बेहोश हो कर गिर पड़ा. होश आया तो उस ने स्वयं को अस्पताल में पाया. उस के दोस्त शर्मिंदगी के भाव लिए उस के पास खड़े थे. उस से माफी मांग रहे थे. किंतु उन के माफी मांगने से उस का परिवार तो जीवित होने से रहा. उसे कोई शिकायत भी नहीं थी किसी से. वह तो हर हाल में मरना चाहता था.

अस्पताल घायलों की चीखपुकार से गूंज रहा था. श्रीराम सोच रहा था कि रात को वह अपनी नस काट लेगा ताकि उसे इस अकेले और लुटे जीवन से मुक्ति मिल सके. बिना प्यार, बिना सहारे, बिना घर, बिना दुकान के वह जी कर क्या करेगा? उस की पत्नी, उस का बच्चा, घर… सब कितने प्रेम से संजोया था उस ने. शबनम से विवाह के कारण उस का अपना परिवार भी छूट गया था. क्या करेगा वह शबनम और शंकर के बिना जी कर?

जिस बैड पर वह लेटा था उस के बगल में एक मासूम बच्ची थी. घायल, चोटग्रस्त. उफ, दंगाइयों ने इसे भी नहीं छोड़ा. न जाने कैसे बच गई थी. बच्ची को होश आ चुका था. वह रोने लगी. श्रीराम ने उसे सांत्वना दी, सहलाया. उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम?’’

बच्ची ने कराहते हुए कहा, ‘‘शबाना, और आप का?’’

‘‘श्रीराम.’’

बच्ची के चेहरे पर घबराहट के भाव आ गए.

वह बोली, ‘‘आप हिंदू हो. मुझे भी मार डालोगे.’’

‘‘मैं तो खुद तुम्हारी तरह अस्पताल में भरती हूं. मैं तुम्हें क्यों मारूंगा?’’

‘‘आप तो हिंदू हैं. फिर आप को क्यों मारा?’’

श्रीराम की आंखों में आंसू आ गए.

उसे रोता देख बच्ची ने कहा, ‘‘सौरी, अंकल, आप को मुसलमानों ने मारा होगा. मेरा पूरा घर जला दिया. मेरे अम्मीअब्बू को भी मार डाला. पता नहीं, मैं कैसे बच गई?’’ यह कह कर 10 वर्ष की मासूम शबाना रोने लगी.

‘अब इस बच्ची का क्या होगा?

इसे कौन सहारा देगा? कौन इसे पालेगापोसेगा?’ श्रीराम सोचने लगा. उस ने डाक्टर से पूछा कि ठीक होने के बाद इस बच्ची का क्या होगा?

डाक्टर ने कहा, ‘‘अभी तक तो कोई रिश्तेदार आया नहीं. एकदो दिन देखते हैं, वरना यतीमखाने भिजवाना पड़ेगा.’’

श्रीराम सोचने लगा कि वह भी इस दुनिया में अकेला है और यह बच्ची भी. क्यों न इसी बच्ची को जीने का सहारा बनाया जाए. श्रीराम को शबाना में अपना बेटा शंकर दिखने लगा. उस का शबाना से मेलमिलाप बढ़ चुका था. उस ने शबाना से पूछा, ‘‘तुम मेरी बेटी बनोगी?’’

‘‘लेकिन आप तो हिंदू हैं.’’

‘‘ठीक है, तो मैं मुसलमान बन जाता हूं.’’

‘‘नहीं, अंकल, आप मुसलमान मत बनना. नहीं तो आप का भी घर जला देंगे.’’

‘‘तो तुम हिंदू बन जाओ.’’

‘‘नहीं, अंकल, मैं हिंदू नहीं बनूंगी. हिंदू लोग अच्छे नहीं होते. वे लोगों को मार डालते हैं. घर जला देते हैं.’’

‘‘तो फिर तुम्हीं बताओ, मेरी बेटी कैसे बनोगी?’’

शबाना ने दिमाग पर जोर लगाया, फिर कहा, ‘‘अंकल, आप हिंदू मैं मुसलमान. जब मुसलमान दंगे करेंगे तो मैं आप को बचाऊंगी और जब हिंदू दंगे करेंगे तो आप मुझे बचाना. क्यों, ठीक है न अंकल?’’

‘‘हां, ठीक है,’’ कह कर श्रीराम उदास हो गया. वह कैसे समझाए इस मासूम को कि दंगाइयों का कोई धर्म नहीं होता. होता तो उस की पत्नी शबनम और बेटा शंकर जिंदा होते. शैतानों का कोई ईमान नहीं होता.

बहरहाल, हुआ यों कि श्रीराम ने आत्महत्या का विचार त्याग दिया और शबाना को अपनी गोद में लिए शेष जीवन जीने में जुट गया.

परिंदे को उड़ जाने दो: क्या मां से आजादी पाकर अपनी शर्तों पर जिंदगी जी पाई शीना?

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें