फिल्म के सीन के लिए 12 घंटे तक पानी में रही: मनीषा कोईराला

डायरेक्टर संजयलीला भंसाली की फिल्म हारीमंडी में मलिकाजान के रोल के लिए बौलीवुड एक्ट्रेस मनीषा कोईराला की बहुत सराहना की जा रही है. उन्होंने इस फिल्म की शूट के लिए एक फाउंटेन वाला सीन किया जिसमें उन्हें 12 घंटों तक पानी में रहना पड़ा.

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर मनीषा ने लिखा, हीरामंडी उनके लिए एक माइलस्टोन फिल्म है. आज उन्हें इस फिल्म के लिए काफी साराहा जा रहा है. उन्हें वो दिन आज भी याद है जब उन्होंने शूटिंग की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि फिल्म के दौरान भारी कॉस्ट्यूम और ज्वेलरी पहननी पड़ी जो उनके लिए चुनौतीपूर्ण था. फाउंटेन सीक्वेंस बहुत ही चैलेंजिंग था जिसमें लगभग 12 घंटों तक लगातार उन्हें पानी के अंदर रहना पड़ा. हालांकि संजय ने कोशिश की थी कि पानी साफ हो लेकिन काफी घंटो के शूटिंग के कारण पानी गंदा हो गया था और मनीषा के शरीर का हर एक अंग कीचड़ के पानी में सन गया था. मनीषा ने बताया कि उन्हें पता था कि उन्होंने बहुत ही कठिन फिजिकल टेस्ट पास किया है.

 

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मनीषा अपने फैंस से कहती हैं कि कुछ भी हो हमें कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आप कुछ नहीं कह सकते कि कुछ अच्छा आपके लिए इंतजार कर रहा है. इस नोट के साथ मनीषा ने अपने फैंस को धन्यवाद भी दिया है.

हीरामंडी संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित सीरीज है. इसकी कहानी ब्रटिश राज्य में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का तवायफों और नवाबों के जावन को कैसे प्रभावित किया इस पर आधारित है. साथ ही सीरीज में साल 1920-40 के दशक में औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ क्रांति को दर्शाया गया है.

 

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फिल्म में मनीषा के अलावा फरदीन खान, शेखर सुमन, संजीदा शेख, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, संजय लीला भंसाली की भांजी शरमिन सेगल मुख्य भूमिकाओं में हैं.

मैने प्रीति का बौयफ्रेंड नहीं छीना था: सुचित्रा पिल्लई

बौलीवुड एक्ट्रेस सुचित्रा पिल्लई ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया है कि एक्ट्रेस प्रीति जिंटा और उनके पति लार्स जेल्डसन के बीच ब्रेकअप उनके कारण नहीं हुआ था.

एक इंटरव्यू के दौरान सुचित्रा ने बताया कि प्रीति और मैं दोनों दोस्त नहीं थे लेकिन हमारा एक कॉमन फ्रेंड था जिससे हम दोनों की पहचान हुई थी. सुचित्रा ने कहा कि लार्स और प्रीति ने एक दूसरे के कुछ समय तक डेट किया. लेकिन यह हम दोनों के मिलने से पहले था. उनके ब्रेक अप का कारण सुचित्रा नहीं थी.

सुचित्रा ने बताया कि कई मैगजींस के कवर पर लिखा था कि वो एक बॉयफ्रेंड स्नैचर हूं. इसके अलावा सुचित्रा पर एंड्रयू कॉउइन को डेट करना शरू किया जिनकी पार्टनर अचला सेहदेव थीं. इन दोनों के ब्रेकअप का कारण भी सुचित्रा को माना गया. इसके बाद एंड्रयू के साथ सुचित्रा का रिश्ता भी नहीं चला.

साल 2005 में सुचित्रा और लार्स की शादी हो गई. दोनों की एक बेटी हा अन्निका. साल 2016 में प्रति ने भी ऑस्ट्रेलियन नागरिक जीन गुडइनफ से शादी कर ली. इन दोनों के दो बच्चे हैं जिया और जय हैं जिनका जन्म साल 2021 में सरोगेसी से हुआ है.

आपको बता दें कि प्रीति बहुत सालों के बाद बिग स्क्रीन पर वापसी कर रही हैं. वो सनी देओल के साथ फिल्म लाहौर 1947 में काम कर रही हैं. यह फिल्म अभिनेता आमिर खान ने प्रोड्यूस की है. इससे पहले प्रीति जिंटा सनी के साथ फिल्म हीरो- लवस्टोरी ऑफ स्पाई, फर्ज और भैयाजी सुपरहिट में काम कर चुकी हैं. यह फिल्म राजकुमार संतोषी ने डायरेक्ट की है.

 

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आपको बता दें कि फिल्म दिल चाहता है में सुचित्रा और प्रीति ने साथ में काम किया था. इस फिल्म में सुचित्रा सैफ अली खान की गर्लफ्रेंड बनी थी जबकि प्रीति ने आमिर खान की दोस्त का रोल किया था.

जल्द ही अपने बॉयफ्रेंड मैनुअल कैंपोस से शादी करेंगी एक्ट्रेस ईशा गुप्ता

बौलीवुड एक्ट्रेस ईशा गुप्ता जल्द ही अपने बॉयफ्रेंड स्पानिश बिजनेसमैन मैनुएल कैंपोस से शादी करने वाली हैं. वो फिल्मों में ज्यादा नहीं चली लेकिन अब शादी कर रही हैं.

ई टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू के दौरान ईशा ने बताया कि दोनों एक दूसरे को करीब 5 साल से डेट कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शादी जल्द ही किसी भी समय हो सकती है. दोनों की मुलाकात बाई चांस हुई थी और फिर दोनों रिलेशनशिप में रहने लगे. ईशा कहती हैं कि वो हमेशा से बच्चे करना चाहती थीं. यह बहुत जरूरी भी है. उन्होंने बताया कि मेरी जिंदगी के दो पहलू हैं बच्चे और डॉग्स जिनके बिना वो अपनी जिंदगी सोच भी नहीं सकती हैं.

 

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ईशा ने बताया कि साल 2017 में उन्होंने अपने एग्स फ्रोज करवा लिए थे. ईशा ने आगे कहा कि अगर वो एकेटर नहीं होती तो उनके अब तक तीन बच्चे हो गए होते. उन्होंने बताया कि एग्स को फ्रीज कराने पर हार्मोनल चेंज के कारण आपका वजन तेजी से बढ़ता है.

मैनुअल से अपने संबंधों को लेकर ईशा बताया कि 2019 में उनसे मिलने से पहले वो साढ़े तीन साल तक सिंगल थीं और तभी से दोनों को पता था कि वो अपने रिलेशनशिप को लेकर सीरियस हैं. दोनों इस चीज को लेकर एकदम साफ थे कि चीजें सही रही तो हम शादी कर लेंगे. हम शादी करना चाहते है और फिर बच्चे करना चाहते हैं. मैनुअल को पता है कि ईशा को बच्चे पसंद हैं और वो भी पिता बनने के लिए तैयार हैं.

 

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वर्क फ्रंट की बात करे तो ईशा हेरी फेरा 4, देसी मैजिक, मर्डर 4 में काम कर रही हैं. ईशा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 2012 में फिल्म जन्नत 2 से की थी. इसके बाद राज 3डी, गोरी तेरे प्यार में, हमशक्लस, बेबी रुस्तम और टोटल धमाल पलटन बादशाहों आदि फिल्मों में भी काम किया. ईशा को आखिरी बार बॉबी देओल स्टारर फिल्म एक बदनाम आश्रम के तीसरे सीजन में देखा गया था. ईशा की   रुस्तम हिट रही जबकि पलटन और चक्रव्यूह फ्लौप रही. हालांकि राज-3 को भी दर्शकों ने पसंद किया.

साउथ फिल्मों के एक्टर चिरंजीवी पद्म विभूषण से सम्मानित

साउथ में तेलुगू फिल्मों के मेगास्टार चिरंजीवी को हाल ही में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया है.

चिरंजीवी एक ऐसे एक्टर है जो हमेशा विवादों से अलग रहे. उन्होंने कुछ ऐसे रोल्स किए हैं जिसने दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है. अपने करियर में चिरंजीवी ने 150 से अधिक फिल्मों में काम किया.  अपने काम के प्रति समर्पण, जूनून और प्रतिबद्धता के कारण आज चिरंजीवी ने यह मकाम हासिल किया है.वर्कफ्रंट की बात करें तो चिरंजीवी इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म विशंभर की शूटिंग कर रहे हैं. फिल्म में एक्ट्रेस त्रशा लीड रोल में हैं. यह फिल्म 2025 की शुरुआत में रिलीज होगी.

चिरंजीवी की फिल्म इंद्रा द टाइगर ऐसा फिल्म थी जिसने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी. इस फिल्म में उनके साथ सोनोली बेंद्रे ने भी काम किया. यह फिल्म साल 2002 में आई थी. फिल्म की कहानी एक आदमी की है जो अपने जिले में पानी की समस्या से लड़ने वाले दो परिवारों के बीच शांति कायम करने की कोशिश करता है। समस्या को हल करने के लिए, वह प्रतिद्वंद्वी परिवार की लड़की से शादी करने के लिए सहमत होता है।

उनकी कुछ हिट फिल्में हैं गॉडफादर, आचार्य टैगोर, शंकर दादा एमबीबीएस, स्टालिन, शंकर दादा जिंदाबाद हैं. वहीं फ्लौप फिल्मों की बात करें तो भोला शंकर उनकी एक बहुत बड़ी फलौप फिल्म है.

आपको बता दें कि इससे पहले अवार्ड के लिए चुने जाने पर चिरंजीवी ने सोशल मीडिया प्लैटफौर्म एक्स पर वीडियो शेयर किया था. वीडियो में उन्होंने कहा था कि यह खबर मिलने के बाद उनके पास शब्द नहीं बचे हैं और इसके लिए सबका अभिवादन करते हैं.

Summer Special: ओट्स से बनाएं ये टेस्टी और हैल्दी Recipe

सर्दियों में जहां हमारी पाचन क्षमता बहुत अच्छी होती है वहीं गर्मियों में पाचन क्षमता कमजोर होने के कारण हमारे पाचन तंत्र को भोजन पचाने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता है इसीलिए आहार विशेषज्ञ गर्मियों हल्का, पौष्टिक और सुपाच्य भोजन करने की सलाह देते हैं ताकि हमारा डायजेस्टिव सिस्टम भोजन को भली भांति पचा सके. ओटस को हिंदी में जई कहा जाता है. ग्लूटन फ्री होने के कारण इसे बहुत स्वस्थ अनाज माना जाता है. विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट जैसे अन्य अनेकों पौष्टिक तत्वों से भरपूर ओटस आज बाजार में अनेकों फ्लेवर में उपलब्ध है. फ्लेवर युक्त ओटस की अपेक्षा प्लेन ओटस खरीदने का लाभ यह है कि इन्हें आप अपने मनमुताबिक फ्लेवर में मीठा या नमकीन बना सकतीं है. आज हम आपको ओटस से झटपट बनने वाली हैल्दी रेसिपीज को बनाना बता रहे है जिन्हें आप आसानी से बनाकर अपनी डाइट में शामिल कर सकतीं हैं. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-अचारी ओट्स स्लाइस

कितने लोगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

प्लेन ओट्स                        1 कटोरी

धुली मूंग दाल                     1 कटोरी

हल्दी पाउडर                     1/4 टीस्पून

ताजा दही                          1 कप

आम के अचार का मसाला    1 टेबलस्पून

अदरक हरी मिर्च पेस्ट           1 टीस्पून

बारीक कटी शिमला मिर्च      1/4 कप

कटी हरी धनिया                    1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                        1/4 टीस्पून

ईनो फ्रूट सॉल्ट                     1 सैशे

नमक                                   1/2 टीस्पून

चाट मसाला                          1/4 टीस्पून

सामग्री(बघार के लिए)

तेल                                     1 टीस्पून

राई के दाने                            1/2 टीस्पून

करी पत्ता                               8-10

लंबी कटी हरी मिर्च                 3

बारीक कटा हरा धनिया           1 टीस्पून

तिल्ली                                   1/4 टीस्पून

विधि

दाल को 4-5 घण्टे के लिये भिगो दें. ओट्स को मिक्सी में ग्राइंड कर लें. दाल का पानी निथारकर दही, अदरक हरी मिर्च पेस्ट, और ओट्स मिलाकर पीस लें. अब इसमें कटी शिमला मिर्च, चिली फ्लैक्स, अचार का मसाला, नमक, हल्दी और हरा धनिया मिलाएं.

ईनो फ्रूट सॉल्ट डालकर 1 मिनट तक फेंटें.  स्टील की 4 कटोरियों को तेल से ग्रीस कर लें और तैयार मिश्रण को डालें ध्यान रखें कि हमें कटोरियों को आधा ही भरना है. अब इन्हें भाप में 20 मिनट तक पकाएं. साफ  चाकू या स्टील का चम्मच डालकर देखें यदि न चिपके तो समझ लें कि स्लाइस तैयार हो गए हैं. ठंडा होने पर बीच से स्लाइस फॉर्म में चाकू से काटकर एक प्लेट में रखें. एक पैन में गर्म तेल डालकर राई तड़काकर बघार की समस्त सामग्री को डाल दें. बघार को ओट्स के तैयार स्लाइस के ऊपर अच्छी तरह पूरा कवर करते हुए डालें. हरे धनिए से गार्निश करके सर्व करें.

-ओट्स स्प्राउट भेल

कितने लोगों के लिए          4

बनने में लगने वाला समय     20मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

प्लेन ओट्स                  1कप

परमल                           1/2 कप

अंकुरित मूंग                   1/2 कप

भुने मूंगफली दाना            1 टेबलस्पून

बारीक कटा खीरा             1

बारीक कटा प्याज             1

बारीक कटा टमाटर            1

बारीक कटी हरी मिर्च           3

नीबू का रस                        1 टीस्पून

चाट मसाला                        1/2 टीस्पून

बारीक सेव                         1 टेबलस्पून

इमली की चटनी                  1 टीस्पून

हरी चटनी                           1 टीस्पून

अनार के दाने                       1 टेबलस्पून

बारीक कटा हरा धनिया         1 टीस्पून

काली मिर्च पाउडर                 1/4 टीस्पून

विधि

ओट्स और परमल को एक साथ बिना चिकनाई के 5 मिनट तक धीमी आंच पर सेककर एक प्लेट में निकाल लें. अब हरा धनिया और अनार को छोड़कर समस्त सामग्री को एक साथ मिलाएं. सर्विंग डिश में डालकर हरे धनिए और अनार के दानों से गार्निश करके सर्व करें.

-ओट्स बादाम शेक

कितने लोगों के लिए            2

बनने में लगने वाला समय       15 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

प्लेन ओट्स                      1 टेबलस्पून

सब्जा के बीज                  1 टीस्पून

मलाई निकला दूध              1 ग्लास

भीगे बादाम                        8

पिसी मिश्री                       1 टीस्पून

बारीक कटे बादाम              1/2 टीस्पून

इलायची पाउडर                 1/4 टीस्पून

विधि

सब्जा के बीज को एक टेबलस्पून पानी में 15 मिनट के लिए भिगो दें. बादाम के छिल्के   निकाल दें. अब मिक्सी के जार में कटे बादाम को छोड़कर समस्त सामग्री को डाल कर अच्छी तरह ब्लेंड कर लें. सर्विंग ग्लास में डालकर कटे बादाम से गार्निश करके सर्व करें.

विश्वास: राजीव ने अंजू से क्यों की पैसों की डिमांड?

दोपहर के 2 बजे थे. शिवानी ने आज का हिंदी अखबार उठाया और सोफे पर बैठ कर खबरों पर सरसरी नजर दौड़ाने लगी. हत्या, लूटमार, चोरी, ठगी और हादसों की खबरें थीं. जनपद में ही बलात्कार की 2 खबरें थीं. एक 10 साला बच्ची से पड़ोस के एक लड़के ने बलात्कार किया और दूसरी 15 साला लड़की से स्कूल के ही एक टीचर ने किया बलात्कार. पता नहीं  क्या हो रहा है? इतने अपराध क्यों बढ़ रहे हैं? कहीं भी सिक्योरिटी नहीं रही. अपराधियों को पुलिस, कानून व जेल का जरा भी डर नहीं रहा. बलात्कार की खबरें पढ़ कर शिवानी मन ही मन गुस्सा हो गई. यह कैसा समय आ गया है कि किसी भी उम्र की औरत या बच्ची महफूज नहीं है. बच्चियों से भी बलात्कार. इन बलात्कारियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जो ये भविष्य में ऐसे घिनौने अपराध करने के काबिल ही न रहें.

शिवानी की नजर दीवार पर लगी घड़ी पर पड़ी. दोपहर के ढाई बज रहे थे. अभी तक मोनिका स्कूल से नहीं लौटी थी? स्कूल से डेढ़ बजे छुट्टी होती है. आधा घंटा घर लौटने में लगता है. अब तक तो मोनिका को घर आ जाना चाहिए था. शिवानी के पति कमलकांत एक प्राइवेट कंपनी में असिस्टैंट मैनेजर थे. उन की 8 साला एकलौती प्यारी सी बेटी मोनिका शहर के एक मशहूर मीडियम स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ रही थी. पढ़ने में होशियार मोनिका बातें भी बहुत प्यारीप्यारी करती थी. शादी के बाद कमलकांत ने शिवानी से कहा था, ‘देखो शिवानी, हमें अपने घर में केवल एक ही बच्चा चाहिए. हम उसी को अच्छी तरह पाल लें, अच्छी तालीम दिला दें, चाहे वह लड़का हो या लड़की. यही गनीमत होगी. उस के बाद हमें दूसरे बच्चे की चाह नहीं करनी है.’

शिवानी भी पति के इस विचार से सहमत हो गई थी. वह खुद एमए, बीऐड थी, पर बेटी के लिए उस ने नौकरी करना ठीक न समझा और एक घरेलू औरत बन कर रह गई. शिवानी के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं. कहां रह गई मोनिका? सुबह साढ़े 7 बजे वह आटोरिकशा में बैठ कर गई थी. 5 बच्चे और भी जाते हैं उस के साथ. मोनिका सब से पहले बैठती है और सब से बाद में उतरती है. आटोरिकशा चलाने वाला श्यामलाल पिछले साल से बच्चों को ले जा रहा था, पर कभी लेट ही नहीं हुआ. लेकिन 2 दिन से श्यामलाल बीमार पड़ा था. कल उस का भाई रामपाल आया था आटोरिकशा ले कर.

तब शिवानी ने पूछा था, ‘आज तुम्हारा भाई श्यामलाल कहां रह गया?’

‘उसे 3 दिन से बुखार है. उस ने ही मुझे भेजा है,’ रामपाल ने कहा था.

पहले भी 2-3 बार रामपाल ही बच्चों को ले कर गया और छोड़ कर गया था. वह भी शहर में आटोरिकशा चलाता था.

आज शिवानी को खुद पर गुस्सा आ रहा था. वह रामपाल का मोबाइल नंबर लेना भूल गई थी. मोबाइल नंबर लेना न तो कल ध्यान रहा और न ही आज. अगर उस के पास रामपाल का मोबाइल नंबर होता, तो पता चल जाता कि देर क्यों हो रही है. पता नहीं, वह पढ़ीलिखी समझदार होते हुए भी ऐसी बेवकूफी क्यों कर गई?

शिवानी के मन में एक डर समा गया और वह सिहर उठी. उस का रोमरोम कांप उठा. दिल की धड़कनें मानो कम होती जा रही थीं. उस ने धड़कते दिल से श्यामलाल का मोबाइल नंबर मिलाया.

‘हैलो… नमस्कार मैडम,’ उधर से श्यामलाल की आवाज सुनाई दी.

‘‘नमस्कार. तुम्हारा भाई रामपाल अभी तक मोनिका को ले कर घर नहीं आया. पौने 3 बज रहे हैं. पता नहीं कहां रह गया वह? मेरे पास तो रामपाल का मोबाइल नंबर भी नहीं है?’’

‘इतनी देर तो नहीं होनी चाहिए थी. स्कूल से घर तक आधे घंटे से भी कम का रास्ता है. मैं ने उस का फोन मिलाया, तो फोन नहीं लग रहा है. पता नहीं, क्या बात है?

‘सुबह मैं ने उस से कहा था कि बच्चों को छोड़ कर सीधे घर आ जाना. डाक्टर के पास जाना है. दवा लानी है. 3 दिन से बुखार नहीं उतर रहा है,’ श्यामलाल बोला.

‘‘मुझे बहुत चिंता हो रही है. बेचारी मोनिका पता नहीं किस हाल में होगी?’’ शिवानी रोंआसा हो कर बोली. थोड़ी देर बाद शिवानी ने मोनिका की क्लास में पढ़ने वाली एक बच्ची की मम्मी को मोबाइल मिला कर कहा, ‘‘हैलो… मैं शिवानी बोल रही हूं…’’

‘कहिए शिवानीजी, कैसी हैं आप?’ उधर से एक औरत की मिठास भरी आवाज सुनाई दी.

‘‘क्या आप की बेटी मुनमुन स्कूल से आ गई है?’’

‘हां, वह तो 2 बजे से पहले ही आ गई थी. क्यों, क्या बात हुई?’

‘‘हमारी मोनिका अभी तक घर नहीं आई है.’’

‘यह क्या कह रही हैं आप? एक घंटा होने को है. आखिर कहां रह गई वह? आजकल का समय भी बहुत खराब चल रहा है. रोजाना अखबार में बच्चियों के बारे में उलटीसीधी खबरें छपती रहती हैं. हम अपने बच्चों को इन लोगों के साथ भेज तो देते हैं, पर इन का कोई भरोसा नहीं. किसी के मन का क्या पता…

‘आप पुलिस में रिपोर्ट तो लिखवा ही दीजिए. देर करना ठीक नहीं है.’

यह सुनते ही शिवानी का दिल बैठता चला गया. उस के मन में एक हूक सी उठी और वह रोने लगी. उस ने स्कूल में फोन मिलाया. उधर से आवाज सुनाई दी, ‘जय भारत स्कूल…’

‘‘मैं शिवानी बोल रही हूं. हमारी बेटी मोनिका तीसरी क्लास में पढ़ती है. वह अभी तक घर नहीं पहुंची. स्कूल में कोई बच्ची तो नहीं रह गई? छुट्टी कब हुई थी?’’

‘यहां तो कोई बच्ची नहीं है. छुट्टी ठीक समय पर डेढ़ बजे हुई थी. आप की बेटी किस तरह घर पहुंचती है?’

‘‘एक आटोरिकशा से. आटोरिकशा चलाने वाला श्यामलाल बीमार था, तो उस का भाई रामपाल आटोरिकशा ले कर आया था.’’

‘बाकी बच्चे घर पहुंचे या नहीं?’

‘‘जी हां, सभी पहुंच गए. बस, मेरी बेटी नहीं पहुंची.’’

‘आप पुलिस में सूचना दीजिए. इतनी देर से बच्ची घर नहीं पहुंची. कुछ तो गड़बड़ जरूर है. आजकल किस पर विश्वास करें? कुछ पता नहीं चलता कि इनसान है या शैतान?’

यह सुन कर शिवानी की आंखों से बहते आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. लग रहा था, मानो जिस्म की ताकत निकलती जा रही हो.

शिवानी ने कमलकांत को मोबाइल फोन मिलाया.

‘हैलो…’ उधर से कमलकांत की आवाज सुनाई दी.

‘‘मोनिका अभी तक स्कूल से नहीं आई,’’ शिवानी ने रोते हुए कहा.

‘क्या कह रही हो… 3 बज चुके हैं. आखिर कहां रह गई वह? आटोरिकशा वाले का नंबर मिलाया?’ कमलकांत की डरी सी आवाज सुनाई दी.

‘‘आज भी उस का भाई रामपाल आया था. उस का नंबर मेरे पास नहीं है. श्यामलाल ने कहा है कि रामपाल का फोन नहीं मिल रहा है. सभी बच्चे अपने घरों में पहुंच चुके हैं, पर हमारी मोनिका अभी तक नहीं आई,’’ कहतेकहते शिवानी सिसकने लगी.

‘शिवानी, मैं घर आ रहा हूं. अभी पुलिस स्टेशन पहुंच कर रिपोर्ट लिखवाता हूं,’ कमलकांत की चिंता में डूबी गुस्साई आवाज सुनाई दी.

15 मिनट बाद ही कमलकांत घर पहुंच गए. शिवानी सोफे पर कटे पेड़ की तरह गिरी हुई सिसक रही थी.

‘‘शिवानी, अपनेआप को संभालो. हम पर अचानक जो मुसीबत आई है, उस का मुकाबला करना है. मैं अब पुलिस स्टेशन जा रहा हूं,’’ कहते हुए कमलकांत कमरे से बाहर निकले.

तभी घर के बाहर एक आटोरिकशा आ कर रुका. उसे देखते ही कमलकांत चीख उठे, ‘‘अबे, अब तक कहां मर गया था?’’

शिवानी भी झटपट कमरे से बाहर निकली. कमलकांत ने देखा कि रामपाल के माथे पर पट्टी बंधी हुई थी. चेहरे पर भी मारपिटाई के निशान थे.

मोनिका आटोरिकशा से उतर रही थी. रामपाल ने मोनिका का बैग उठाया. शिवानी ने मोनिका को गोद में उठा कर इस तरह गले लगा लिया, मानो सालों बाद मिली हो.

कमलकांत ने मोनिका से पूछा, ‘‘बेटी, तुम ठीक हो?’’

‘‘हां पापा, मैं ठीक हूं. अंकल को सड़क पर पुलिस ने मारा,’’ मोनिका बोली.

कमलकांत व शिवानी चौंके. वे दोनों हैरानी से रामपाल की ओर देख रहे थे.

‘‘रामपाल, क्या बात हुई? यह चोट कैसे लगी? आज इतनी देर कैसे हो गई? हम तो परेशान थे कि पता नहीं आज क्या हो गया, जो अब तक मोनिका घर नहीं आई,’’ कमलकांत ने पूछा.

‘‘चिंता करने की तो पक्की बात है, साहबजी. रोजाना तो बेटी 2 बजे तक घर आ जाती थी और आज साढ़े 3 बज गए. इतनी देर तक जब बेटी या बेटा घर न पहुंचे, तो घबराहट तो हो ही जाती है,’’ रामपाल ने कहा.

‘‘तुम्हें चोट कैसे लगी?’’ शिवानी ने हैरानी से पूछा.

आटोरिकशा के एक पहिए में पंक्चर हो गया. पंक्चर लगवाने में आधा घंटा लग गया. आगे चौक पर जाम लगा था. कुछ लोग प्रदर्शन कर किसी मंत्री का पुतला फूंक रहे थे. कुछ देर वहां हो गई. मैं इधर ही आ रहा था. मैं जानता था कि आप को चिंता हो रही होगी…’’ कहतेकहते रामपाल रुका.

‘‘फिर क्या हुआ? मोनिका कह रही है कि तुम्हें पुलिस ने मारा?’’ कमलकांत ने पूछा.

‘‘मोनिका बेटी ठीक कह रही है. मोटरसाइकिल पर स्टंट करते हंसतेचीखते हुए 3 लड़के आ रहे थे. मुझे लगा कि वे आटोरिकशा से टकरा जाएंगे, तो मैं ने तेजी से हैंडल घुमाया. एक दुकान के बाहर एक मोटरसाइकिल खड़ी थी. वह मोटरसाइकिल से हलका सा टकरा गया और मोटरसाइकिल पर बैठा तकरीबन 5 साल का बच्चा गिर गया. गिरते ही बच्चा रोने लगा.

‘‘दुकान से पुलिस का एक सिपाही कुछ सामान खरीद रहा था. वह वरदी में था, बच्चा व मोटरसाइकिल उसी की थी.

‘‘मैं ने आटोरिकशा से उतर कर सिपाही से हाथ होड़ कर माफी मांगी. उस ने मुझे गाली देते हुए 4-5 थप्पड़ मार दिए. इतना ही नहीं, मेरी गरदन पकड़ कर जोर से धक्का दिया, तो मेरा सिर आटोरिकशा से टकरा गया और खून निकलने लगा.

‘‘पास में ही एक डाक्टर की दुकान थी. मैं ने वहां पट्टी कराई और सीधा यहां आ रहा हूं,’’ रामपाल के मुंह से यह सुन कर कमलकांत और शिवानी के गुस्से का ज्वारभाटा शांत होता चला गया.

अचानक शिवानी के मन में दया उमड़ी. उस ने हमदर्दी जताते हुए कहा, ‘‘ओह, यह तो बहुत बुरा हुआ. तुम्हें चोट भी लग गई.’’

‘‘मैडमजी, मुझे अपनी चोट का जरा भी दुख नहीं है. मगर मोनिका बेटी को जरा भी चोट लग जाती या कुछ हो जाता, तो मुझे बहुत दुख होता. आप अपने बच्चे को हमारे साथ किसी विश्वास से भेजते हैं. हमारा भी तो यह फर्ज बनता है कि हम उस विश्वास को बनाए रखें, टूटने न दें,’’ रामपाल ने कहा.

‘‘रुको रामपाल, मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूं.’’

‘‘शुक्रिया मैडमजी, चाय फिर कभी. घर पर भैया इंतजार कर रहे होंगे. बहुत देर हो चुकी है. मुझे उन को भी ले कर डाक्टर के पास जाना है. आप भैया को मोबाइल पर सूचना दे दो कि मोनिका घर आ गई है. उन को भी चिंता हो रही होगी,’’ रामपाल ने कहा और आटोरिकशा ले कर चल दिया.

मेरी उम्र 34 साल है. मुझे बारबार ऐंडोमिट्रिओसिस की समस्या होती है.

सवाल

मेरी उम्र 34 साल है. मुझे बारबार ऐंडोमिट्रिओसिस की समस्या होती है. मैं सर्जरी के द्वारा रीमूव भी करवा चुकी हूं. फिर भी दोबारा ऐंडोमिट्रिओसिस बनते रहते हैं. मुझे पीरियड्स में बहुत ज्यादा स्राव व दर्द होता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

ऐंडोमिट्रिओसिस गर्भाशय में होने वाली समस्या हैजिस में गर्भाशय की आंतरिक परत बनाने वाली ऐंडोमिट्रियम लाइनिंग में असामान्य बढ़ोतरी होने लगती है और वह गर्भाशय से बाहर फैलने लगता है. कभीकभी तो इस की परत गर्भाशय की बाहरी परत के अलावा अंडाशयआंतों और अन्य प्रजनन अंगों तक भी फैल जाती है जिसे ऐंडोमिट्रिओसिस कहा जाता है. बढ़ी ऐंडोमिट्रियम परत की वजह से प्रजनन अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स और अंडाशय की क्षमता पर असर पड़ने लगता है.

ऐंडोमिट्रिओसिस महिलाओं में पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग और दर्द का भी कारण होता है. इस के कारण महिलाओं को काफी परेशानी होती है. दूसरी तरफ रीप्रोडक्टिव आयु में यह इन्फर्टिलिटी का कारण भी बनता है. यह समस्या किसी बाहरी संक्रमण के कारण न हो कर शरीर की आंतरिक प्रणाली में कमी के कारण होती है. ऐंडोमिट्रिओसिस के अंडाशय तक फैलने से उस हिस्से पर सिस्ट भी बन जाते हैं.

मैडिकल ट्रीटमैंट से आर्टिफिशियल मेनोपौज के जरीए ऐंडोमिट्रिओसिस को रोका जा सकता है. इस के लिए हारमोनल दवाएं या महीने में 1 इंजैक्शन काफी होता है. इस के अलावा ऐंडोमिट्रिओसिस की समस्या से ग्रस्त महिला यदि बच्चा चाहती हैतो इस के लिए आईयूआई और आईवीएफ जैसे स्पैशल ट्रीटमैंट मौजूद हैं. अगर महिला की उम्र ज्यादा है और कई सर्जरी हो चुकी हैंतो गर्भाशय और ओवरीज निकालकर हिस्टरेक्टोमी ही इस का सब से बेहतर इलाज है.

Summer Special: स्किन को टैनिंग से बचाने के लिए यूं रखें खयाल

हाइड्रेशन स्किन के लिए उतना ही जरूरी है, जितना गरमियों में सूखे गले की प्यास बुझाना. फिर भी महिलाएं इसे अनदेखा कर देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मौइस्चराइजर की जरूरत तो सिर्फ सर्दियों में पड़ती है और अगर गरमियों में मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करेंगी तो स्किन ग्रीसी व औयली हो जाएगी.

लेकिन वे यह नहीं जानतीं कि अगर गरमियों में हाइड्रेटेड मौइस्चराइजर का इस्तेमाल नहीं किया तो उन की स्किन औयली हो जाएगी खासकर तब जब धूप से आएंगद्ध, साथ ही दिन एसी में बैठे रहने से स्किन सुपर ड्राई भी हो सकती है.

ऐसे में जरूरत है बैस्ट हाइड्रेटेड मौइस्चराइजर अपनाने की ताकि तेज गरमी में स्किन हाइड्रेट रहे और इस मौसम में होने वाले रैशेज, टैन, सनबर्न और ऐक्नों से सुरक्षा मिल सके. तो फिर आज ही शामिल कीजिए अपने समर स्किन केयर रूटीन में इन बैस्ट मौइस्चराइजर्स को ताकि स्किन इस मौसम में मुसकराती रहे.

आइए जानते हैं कुछ खास इनग्रीडिऐंट्स से बने मौइस्चराइजर्स के बारे में:

लोटस प्लांट रैटिनोल ऐंड विटामिन सी ब्राइटनिंग क्रीम

यह प्रोडक्ट गरमियों के लिए बैस्ट है क्योंकि इस में है विटामिन सी व प्लांट रैटिनोल की खूबियां होती हैं. विटामिन सी जहां कोलोजन का निर्माण करता है, जिस से स्किन जवां दिखने लगती है वहीं यह फाइन लाइंस व झुर्रियों को कम कर इवन स्किन टोन देने का काम भी करता है. इस से स्किन से डार्क स्पौट्स भी कम होते हैं. रैटिनौइड्स स्किन को हाइपरपिगमैंटेशन व सन डैमेज से बचाने के साथसाथ स्किन के टैक्स्चर व स्किन टोन को इंप्रूव कर के स्किन को हाइड्रेट रखने का काम करता है. यह स्किन इलास्टिसिटी को इंप्रूव कर के ऐजिंग से फाइट करने में भी मददगार है.

क्यों है खास: यह स्किन में मौइस्चर को सील करता है बिना कोई नुकसान पहुंचाए क्योंकि यह नैचुरल इनग्रीडिऐंट्स से बना होने के साथसाथ पैराबिन, कैमिकल व कु्रएल्टी फ्री होने के साथ क्लीनिकली टैस्टेड भी है. यह आप को औनलाइन, औफलाइन ₹650 से ₹700 के बीच आसानी से मिल जाएगा.

न्यूट्रोजेना हाइड्रो बूस्ट वाटर जैल

ह्यालूरोनिक ऐसिड युक्त इस फेस मौइस्चराइजर को अगर समर के लिए बैस्ट कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि इस का लाइट वेट सौफ्ट व स्किन को फ्रैश फील करवाने वाला टैक्स्चर आसानी से स्किन में ऐब्जौर्ब हो कर न सिर्फ स्किन को हाइड्रेट करने में मदद करता है बल्कि स्किन को तेजी से हील कर के ब्लड सर्कुलेशन को भी इंप्रूव करता है. साथ ही इस में हैं ग्लिसरीन व औलिव ऐक्सट्रैक्ट फौर्मूला जो स्किन को डीपली हाइड्रेट करने के साथसाथ वातावरण से स्किन को होने वाले नुकसान से बचाने में भी सक्षम है.

क्यों है खास: इस का औयल फ्री फौर्मूला स्किन पर चिपचिपा फील हुए बिना स्किन को समर्स में फुल डे हाइड्रेट रखने का काम करता है, साथ ही यह नौनकमेडोजनिक है, जो पोर्स को क्लोग नहीं होने देता और 100% अलकोहल फ्री भी है. यह मार्केट से ₹1 हजार से कम में आसानी से मिल जाएगा.

वाओ स्किन साइंस ऐलोवेरा मल्टी विटामिंस फेस क्रीम

इस में मल्टी विटामिंस की खूबियां स्किन को प्रौपर न्यूट्रिशन देने का काम करती हैं. यह स्किन को ऐक्सफौलिएट कर के डैड स्किन को रिमूव करने का काम करती है. साथ ही न्यू हैल्दी स्किन सैल्स को प्रमोट कर के इवन स्किन टोन देने में भी मददगार है. इस में मौजूद ऐलोवेरा ऐक्सट्रैक्ट, विटामिन ए, ई, शिया बटर, कोको बटर, आर्गन औयल, जोजोबा औयल, आमंड औयल व ह्यालूरोनिक ऐसिड, जिस में हैं ऐंटीऔक्सीडैंट्स प्रौपर्टीज, जो स्किन को फ्री  रैडिकल्स से बचा कर स्किन ऐजिंग को रोकने में मददगार हैं. ये सब समर में स्किन को सुपर सौफ्ट, ग्लोइंग व स्मूद फील देने का काम करते हैं. इस में ह्यालूरोनिक ऐसिड स्किन में कोलोजन के स्ट्रक्यर को इंप्रूव कर के स्किन के टोन व टेक्स्चर को इंप्रूव करने में काफी मददगार साबित होता है. यह प्रोडक्ट यूवी किरणों के कारण होने वाली हाइपर पिगमैंटेशन को भी कम कर के स्किन को हाइड्रेट रखने के साथसाथ ग्लोइंग फील देने का भी काम करता है.

क्यों है खास : यह नौर्मल से औयली सभी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर डिजाइन की गई है. यह सल्फेट, सिलिकौन व पैराबिन फ्री है, जिस से यह स्किन पर किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है, साथ ही यह बजट फ्रैंडली भी है. आसानी से ₹600 तक मिल जाएगी.

कैटाफिल डेली एडवांस अल्ट्राहाइड्रेटेड लोशन

इस में है 5 यूनीक इनग्रीडिऐंट्स का कौंबिनेशन, जो स्किन को अंदर से हैल्दी बनाने का काम करता है. इस में है स्किन रीप्लेनिसिंग एजेंट, जो हैल्दी स्किन को मैंटेन करने का काम करता है, साथ ही है हुमेक्टैंट, जो वाटर को अट्रैक्ट कर के स्किन को मौइस्चर प्रदान करी है. इसी के साथ इस में हैं लिपिड्स, जो स्किन के नैचुरल फैट्स होने के कारण स्किन को मजबूती देने के साथसाथ स्किन पर बाहरी तत्वों से प्रोटैक्टिव लेयर बनाने का काम करते हैं. साथ ही है एमोलिएंट, जिस में हैं स्किन को सौफ्ट व स्मूद बनाने वाली प्रौपर्टीज और इस की वाटरलौक एबिलिटी स्किन को हाइड्रेट रखने में मदद करती है.

क्यों है खास: इस का नौनग्रीसी फौर्मूला होने के साथसाथ यह हाइपोऐलर्जेनिक फ्रैगरैंस फ्री व डर्मैटोलौजिस्ट टैस्टेड है. यह पोर्स को बंद नहीं होने देता और मिनटों में स्किन को सुपर सौफ्ट फील देने का काम करता है. यह मार्केट में ₹200 तक आसानी से मिल जाएगा.

फौरेस्ट ऐसैंशियल हाइड्रेटिंग फेशियल मौइस्चराइजर

इस का सैंडलवुड और औरेंज पील 25 एसपीएफ युक्त फौर्मूला स्किन को सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स देने का काम करता है, जिस से स्किन सूर्य की यूवीए और यूवीबी किरणों से बचने के साथसाथ स्किन के नैचुरल हाइड्रेशन लैवल को बूस्ट करने का भी काम करती है. इस में अश्वगंधा, जिस की ऐंटीएजिंग प्रौपर्टीज जहां स्किन को लंबे समय तक जवां बनाए रखने का काम करती हैं वहीं औरेंज पील नैचुरल ऐस्ट्रिजैंट होने के कारण स्किन को डिटौक्स कर के क्लीयर बनाने में मदद करता है. ऐलोवेरा स्किन के मौइस्चर को वापस लौटाने में मदद करता है और कोकोनट वाटर, जो विटामिन सी में रिच होने के कारण पिगमैंटेशन व दागधब्बों को कम करने में मददगार होता है.

क्यों है खास: इको फ्रैंडली पैकेजिंग के साथ यह कैमिकल्स, पैराबेंस व पैट्रोकैमिकल्स से फ्री है. यह ₹1300 तक में मिल जाएगा.

फाइटो फ्यूज मल्टीविटामिन फेस मौइस्चराइजर

यह फेस मौइस्चराइजर सभी स्किन टाइप को ध्यान में रख कर बनाया गया है. इस में बायो रैटिनोल की मौजूदगी सैल ऐजिंग को डिले करने व सैल्स के पुनर्निर्माण में सहायक है. साथ ही यह ऐक्नों के कारण होने वाले दागधब्बों को भी कम करने में मददगार है. यह स्किन इलास्टिसिटी को इंपू्रव कर के स्किन को यंग बनाए रखने का काम करता है.

इस में विटामिन बी 3 स्किन को हाइड्रेट करने के साथसाथ हाइपरपिगमैंटेशन, रैडनैस व ऐजिंग प्रोसैस को स्लो करने में भी सक्षम है. विटामिन ई जैसा पावरफुल ऐंटीऔक्सीडैंट स्किन को नरिश तो करता ही है, साथ ही फ्री रैडिकल्स से बचाने का भी काम करता है.

क्यों है खास: यह स्किन पर लाइट फील करवाता है और ऐजिंग के प्रोसैस को धीमा करने में काफी मदद करता है.

इस तरह इन इनग्रीडिऐंट्स से युक्त क्रीम, मौइस्चराइजर का इस्तेमाल कर समर्स में अपनी स्किन को हाइड्रेट, सौफ्ट व ग्लोइंग बना सकती हैं.

 

Sun Tan से बचाने के लिए सही मौइस्चराइजर

आपको बहरा बना सकते हैं इयरफोन, जानिए कितना खतरनाक है ये छोटा सा डिवाइस

इयरफोन या हेडफोन का बहुत ज्यादा यूज करना आपको भारी पड़ सकता है. ये आपको कई इंफेक्शन और बीमारियां दे सकता है. इतना ही नहीं इससे आपके सुनने की क्षमता तक प्रभावित हो सकती है.

इयरफोन या हेडफोन लगाकर घंटों गाने सुनना, लंबी-लंबी मीटिंग करना या फिर सफर के दौरान बातें करना, गेम खेलना, आजकल बहुत ही आम बात है. कई बार तो बिना किसी कॉल के भी लोग कानों में इयरफोन लगाकर रखते हैं. कभी ये जरूरत होती है तो कभी स्टाइल. लेकिन इयरफोन या हेडफोन का बहुत ज्यादा यूज करना आपको भारी पड़ सकता है. ये आपको कई इंफेक्शन और बीमारियां दे सकता है. इतना ही नहीं इससे आपके सुनने की क्षमता तक प्रभावित हो सकती है. लापरवाही से इयरफोन यूज करने के क्या नुकसान हो सकते हैं, ये जानना आपके लिए जरूरी है.

इंफेक्शन का है खतरा

ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर संजय शाह के मुताबिक इयरफोन यूज करने वाले लोग अक्सर इन्हें साफ करना भूल जाते हैं. ऐसे में इनमें लगातार गंदगी और पसीना एकत्रित होता रहता है. स्किन की गर्मी इन्हें तेजी से पनपा देती है. यही कारण है कि इनमें कई प्रकार के बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं. ये बैक्टीरिया आपके कानों में इंफेक्शन फैला सकते हैं, जिससे आपकी सुनने की क्षमता तक प्रभावित हो सकती है. इयरफोन का ज्यादा उपयोग करना आपको कई अन्य परेशानियों में भी डाल सकता है. आपके कान के अंदर और आस-पास इंफेक्शन हो सकता है. कई बार स्किन एलर्जी या एक्जिमा होने का खतरा भी होता है.

सुनने की क्षमता होती है प्रभावित

लंबे समय तक गंदे इयरफोन यूज करने के कारण आपके इयर कैनाल प्रभावित होते हैं. इन्हीं इयर कैनाल के जरिए हानिकारक बैक्टीरिया कान के अंदर तक पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है. यही कारण है कि कई बार लंबे समय तक इयरफोन यूज करने के कारण कान में सूजन आ जाती है या फिर तरल पदार्थ जमने लगता है, जो कान की नाजुक परतों को प्रभावित करते हैं. समय के साथ ये आपके सुनने की क्षमता हमेशा के लिए कम कर सकते हैं. कई बार इसके कारण कानों में दर्द और जलन भी होने लगती है.

इयरफोन शेयर करना है जोखिम भरा

दोस्तों या परिवार के सदस्यों का इयरफोन आपस में शेयर करना बहुत ही कॉमन सी बात है. लेकिन ये आम सी बात आपके कानों के लिए बहुत खतरनाक है. इससे बैक्टीरिया फैलना का खतरा दोगुना हो जाता है. क्योंकि आपका इयरफोन जितने लोगों के संपर्क में आएगा उसमें माइक्रोबायोम आने की आशंका उतनी ही बढ़ जाती है, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है. हर शख्स की इम्यूनिटी एक सी नहीं होती है, ऐसे में कमजोर लोगों को इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

ये सावधानियां रखना जरूरी

इयरफोन आज के समय में लोगों की जरूरत बन गया है. ऐसे में इन्हें यूज करते समय आपको कुछ सावधानियां जरूर रखनी चाहिए. अपने इयरफोन को रेगुलर साफ करें. इससे इंफेक्शन का खतरा काफी कम हो जाएगा. जरूरत होने पर ही इयरफोन का उपयोग करें. लंबे समय तक इन्हें न लगाएं, अपने कानों को सांस लेने की जगह दें. जब आप बीच-बीच में इयरफोन हटाएंगे तो कानों में नमी जमा नहीं होगी और बैक्टीरिया नहीं पनप पाएंगे.

 

 

जानिए क्या है अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल, जिसके कारण रिलेशनशिप पर पड़ता है गहरा असर

अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग रिश्ते तो बनाते हैं, लेकिन उनसे गहरा लगाव नहीं बना पाते।

पता नहीं स्वाति अर्नव अपने मन की बात खुलकर क्यों नहीं कहता? उसको अगर कोई परेशानी है तो खुलकर बोले… मुझे तो यही समझ में नहीं आता कि कौन सी बात उसको पसंद है और कौन सी नापसंद”…समीरा ने अपनी सहेली जो कि एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर भी थी उससे अपने वैवाहिक जीवन की परेशानी साझा की।

इस पर स्वाति ने कहा,” इस ​दुनिया में अलग-अलग नेचर के लोग हैं। कोई दूसरों से मिलते ही एक रिश्ता जोड़ लेता है, तो कोई बात तक करने में असहज महसूस करता है, कुछ लोग रिश्ता तो बना लेते हैं पर आगे बढ़ने से डरते हैं। दरअसल, किसी भी व्यक्ति का स्वभाव काफी हद तक उसके अटैचमेंट स्टाइल पर निर्भर करता है।”

जी हां, अटैचमेंट स्टाइल, जिसके विषय में अधिकांश लोग जानते नहीं हैं। अटैचमेंट स्टाइल कई तरह के होते हैं। लेकिन इनमें से सबसे वीक होता है अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल। अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग रिश्ते तो बनाते हैं, लेकिन उनसे गहरा लगाव नहीं बना पाते। अगर आप भी रिश्तों की ऐसी ही दुविधा में उलझे हैं तो आपको अवॉइडेंट अटैचमेंट के बारे में जानकारी होना जरूरी है।

आखिर क्यों लगाव से बचते हैं लोग

डॉक्टर स्वाति मित्तल, मनोवैज्ञानिक और सलाहकार, मैक्स हॉस्पिटल के मुताबिक अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोगों में आपको कई लक्षण नजर आते हैं। इस अटैचमेंट स्टाइल के लोग इमोशनली इनडिपेंडेंट होते हैं। वो किसी से भी नजदीकी बढ़ाने से डरते हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोग अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस नहीं कर पाते हैं, क्योंकि दूसरों पर भरोसा करने से वे डरते हैं। वे दूसरों से मिलने, जुलने से कतराते हैं। अपनी भावनाओं के बारे में बात करना पसंद नहीं करते हैं। अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल के लोग अपनी समस्याओं को खुद हल करना चाहते हैं और दूसरों से मदद नहीं मांगते हैं। वे दूसरों से इमोशनली जुड़ने से भी डरते हैं।

ये हैं अवॉइडेंट अटैचमेंट के कारण

अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल वाले लोग किसी से भी रिलेशन बनाने से बचते हैं। वे अपनी फीलिंग्स आसानी से एक्सप्रेस नहीं कर पाते। इसके पीछे कई कारण हैं।

1. शुरुआती रिश्तों का असर

अटैचमेंट स्टाइल बचपन में ही विकसित हो जाती है। यानी घर-परिवार के वातावरण का बच्चों की मानसिकता पर असर पड़ता है। खासतौर पर पेरेंट्स के साथ संबंध का इस पर गहरा असर पड़ता है। अगर पेरेंट्स बच्चे को प्यार, देखभाल, समर्पण के साथ बड़ा करते हैं तो अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल विकसित होने की आशंका कम होती है। वहीं बच्चों से दुर्व्यवहार, प्यार की कमी, ज्यादा सख्ती से बच्चा अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल में खुद-ब-खुद चला जाता है।

2. ट्रोमा या नजरअंदाज करना

अटैचमेंट स्टाइल आपकी लाइफ में रिलेशनशिप और मेंटल पीस को भी इफेक्ट करती है। लेकिन इसकी नींव भी बचपन से ही जुड़ी है। यदि बच्चे की भावनाओं या जरूरतों की लगातार आलोचना हो या उसे खारिज किया जाए तो वह यह सीखता है कि अपनी भावनाओं को छिपाना और दूसरों से दूर रहना सेफ है। कई बार ट्रोमा इसका बड़ा कारण होता है, जैसे-हर बात पर बच्चों को नजरअंदाज करना, उन्हें सबके सामने डांटना, उनकी बात-बात पर बेइज्जती करना आदि भी अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल का कारण हो सकते हैं।

3. रिश्तों के बुरे अनुभव

कई बार आपका पास्ट, आपके प्रजेंट और फ्यूचर दोनों को इफेक्ट कर देता है। अवॉइडेंट अटैचमेंट इसका एक उदाहरण है। पास्ट में किसी का रिजेक्शन, रिश्ते की विफलता, धोखा आदि भी इसके कारण हो सकते हैं। ऐसे में लोग दूसरों पर विश्वास करना बंद कर देते हैं। वे किसी के नजदीक आने से डरने लगते हैं।

अवॉइडेंट पार्टनर के साथ ऐसे करें डील

अगर आपका पार्टनर भी अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल का है तो उसके साथ डील करना एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है। आप अपने प्यार और अपनेपन से उसमें बदलाव ला सकती हैं। लव-काइंडनेस मेडिटेशन इसमें आपका मददगार हो सकता है। इसी के साथ अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने की कोशिश करें। पार्टनर को जज करने की जगह उसे कूल करने की कोशिश करें। उसे अपनी स्पेस दें और खुद उसके दिल में स्पेस बनाएं।

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