प्रेम की टिमटिमाती लौ: अमन से दूर क्यों नहीं जा पा रही थी मायरा

मायरा चाह कर भी अमन से दूरी खत्म नहीं कर पा रही थी. वे कहने को तो पतिपत्नी थे मगर अपने घर में भी अजनबियों की तरह रहने को मजबूर थे. आखिर क्यों

‘‘तुम चुपचाप अपनी तरफ सोना. खबरदार जो सीमा लांघने की कोशिश की,’’ मायरा ने अमन और अपने बीच एक तकिया रख दिया और पलट गई. वह अंदर ही अंदर गुस्से में जल रही थी. उसे अपनी औफिस वाली दोस्त पूजा की बातें याद आने लगीं.

पूजा के अनुसार मर्द अगर छोटेछोटे    झगड़ों को सुल   झाने या प्यार जताने के लिए आगे न बढ़े तो सचेत हो जाना चाहिए कि उस के जीवन में कोई और है और किसी भी क्षण इस शादी के टूटने के लिए उसे मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए. उस की ऊटपटांग बातों ने दिमाग को और प्रदूषित कर दिया. बस यहीं से मायरा के मन में शक का बीज पड़ गया और वह अमन के मोबाइल और मेल पर नजर रखने लगी.

नतीजा सामने था. फोन में अमन व रोमा की तसवीर साथ देख कर सवाल करने लगी तो    झगड़ा और बढ़ गया.

अमन भी देर रात तक करवटें बदलता रहा. नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे पता था कि उस के परिवार का रहनसहन मायरा के लायक नहीं. उस की मां की सख्ती भी कुछ ज्यादा ही है. कोई भी पढ़ीलिखी लड़की बेवजह की जिल्लत क्यों सहेगी. तभी तो वह मायरा के साथ अलग रहने के लिए भी तैयार हो गया. वह इस बात पर कितनी खुश हो गई थी कि रोमा के साथ की इस तसवीर ने बीच में आ कर बेड़ा गर्क कर दिया, जबकि रोमा अमन के स्कूल के समय की दोस्त है. दोनों के बीच दोस्ती से ज्यादा तो कुछ भी नहीं फिर भी उस की बात पर    झगड़ कर मायरा ने आज फिर से मुंह फेर लिया.

बारिश की एक दोपहर में औफिस से निकलती हुई वह रास्ते में मिल गई. तभी पता लगा कि रोमा के पिता बीमार हैं और वह अकेली ही उन की देखभाल कर रही है. खुद ही अपनी परेशानियों में घिरी है जिस के बारे में अमन कुछ जानता भी नहीं था. पुराने दोस्तों के मिलने की खुशी अलग ही होती है. उस ने याद के लिए एक सैल्फी ले ली थी. अब वही तसवीर    झगड़े की वजह बन चुकी थी. अपने पक्ष में जितनी दलीलें दे रहा था, उतना ही फंसता जा रहा था. अपनी परेशान दोस्त को छोड़ भी नहीं पा रहा था. उस का जीवन चारों ओर से परेशानियों से घिरा

हुआ था. दफ्तर से घर लौटता तो मां के ताने सुनने पड़ते.

‘‘जा बेटा अपनी जिंदगी जी ले. बहन की शादी की तु   झे क्या चिंता? जन्म मैं ने दिया तो जिम्मेदारियां भी मेरी ही हैं.’’

‘‘मैं भी फ्रिक करता हूं मां, आप ऐसा न सोचें,’’ उन्हें दिलासे दे कर जब मायरा तक पहुंचता तो उस की शिकायतों का पिटारा खुल जाता. वह सम   झ ही नहीं पा रहा था कि जिंदगी में तारतम्य बैठाए तो कैसे कि सभी खुश रहें. जानता था कि शादी व प्यार, मानमनुहार से ही चलता है. पत्नी से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई भी नहीं पर प्यार जताने के लिए भी माहौल चाहिए. अपने मन को मिनटों में कैसे बदले? जिंदगी है सिनेमा तो नहीं जो स्विच औनऔफ करते ही दृश्य बदल दे. मन मसोस कर मायरा को देखना चाहा तो तकिया बीच में आ गया. जिंदगी बड़ी ही नीरस सी गुजर रही थी. क्या सोचा था और क्या पाया.

इधर मायरा का तकिया भी आंसुओं से भीग चुका था. बारबार यही खयाल आ रहा था कि अमन ने उस से शादी ही क्यों की अगर किसी और से प्यार करता था. फालतू में उस की जिंदगी खराब की. उस के औफिस की सहेलियां अकसर अपने पति की बातें करती नहीं थकती हैं. वीकैंड्स पर पति के साथ शौपिंग करती हैं. बाहर खाना खाती हैं और उस कि हिस्से में बस यही लिखा है, ‘‘मम्मीजी आज खाने में क्या बनेगा?’’

एक इस बात पर मायरा का मन बुरी तरह चिढ़ गया. उस की जिंदगी औफिस और रसोई के बीच जाया हो रही थी. उस का भी दिल करता कि अमन कभी तो कोई सरप्राइज दे. शुक्रवार को सीधे उस के औफिस आए और कम से कम एक शाम दोनों एकदूसरे के साथ गुजारें. शादी को 1 साल होने को आया पर मजाल कि अमन ने ऐसा कुछ किया या कभी कहा भी हो.

दोनों कभी करीब आए भी तो मायरा की इच्छा जाहिर करने के बाद. अब हर बार जिद्द कर अपनी बात क्यों मनवानी? अमन की ओर से कभी तो कोई इशारा हो जो यह दिखाए कि वह भी उस के प्यार में है. दिखने में तो वह इतनी खराब तो नहीं कि उसे छूने का जी ही न करे फिर भी अमन भूले से भी कभी पहल नहीं करता. वह कोई 16 साल

की कमसिन कुंआरी तो है नहीं कि सहमीसकुचाई सी रहे. जरूरतें उस की भी हैं. मन उस का भी मचलता है. अब इस के लिए भीख तो नहीं मांग सकती. अगर वह उस के साथ ठीक रहता तो शक न करती पर इन परिस्थितियों में वह क्या कोई भी लड़की व्याकुल हो सकती है.

आखिर वजह क्या है उस के प्रति इस उदासीनता की. यही सब

सोच कर उस के आंसू थमते न थे. कहां उस की सहेलियों की रोमानी जिंदगी और कहां उस की यह रोमांस के बिना सूनी सड़कों सी रेंगती रेगिस्तानी जिंदगी. कुछ भी हो जाए अब और न सहेगी. उसे और कुछ सम   झ में नहीं आया तो गुस्से में आ कर फिर से तकिया रख दिया.

दरअसल, मायरा बेहद संवेदनशील थी. उस की शादी के लिए एक से एक रिश्ते आए थे पर उसे हर जगह कोई न कोई कमी दिख जाती. किसी की लंबाई कम तो किसी का पद छोटा, सचाई तो यह थी कि वह बहुत महत्त्वाकांक्षी थी. महत्त्वाकांक्षा कोई गलत बात तो नहीं पर कभीकभी यह निराशाजनक स्थितियां पैदा कर देती है. जहां दूरदूर तक आशा की कोई रोशनी दिखाई नहीं देती इन दुख के क्षणों में उसे अपनी बड़ी बहन का ध्यान आया. क्यों न वह कुछ दिनों के लिए उन के पास चली जाए. सुबह होते ही अपना फैसला सुना दिया.

‘‘मैं सारी उम्र चारदीवारी में कैंद पक्षी की तरह नहीं जी सकती.’’

‘‘बस अपना सोच रही हो.’’

‘‘अपनी सुरक्षा पहले कर लूं. यहां पागल होने से अच्छा है दीदी के पास चली जाऊं.’’

‘‘नहींनहीं… ऐसा मत करो, मु   झे थोड़ा सा वक्त दो. दरअसल, मम्मी के मन में वहम है कि हम दोनों की नजदीकियां बढ़ीं तो बहन की शादी की बात दरकिनार हो जाएगी.’’

‘‘बेटी से इतना नेह कि बेटे की खुशी देखी नहीं जा रही फिर तो तुम्हें बहन की शादी करा कर ही अपनी शादी करनी

चाहिए थी.’’

‘‘हां कोशिश की थी मगर ढंग का रिश्ता भी तो मिलना चाहिए.’’

‘‘हां, तो ढूंढ़ो न, जब सारी जिम्मेदारियां निभा लोगे तब मु   झे लेने आना,’’ मायरा ने भी मन खोल कर रख दिया. वह किसी हाल में    झुकने को तैयार न थी. औफिस व घर के काम का बो   झ तो सह भी लेती अगर अमन के स्नेह का मरहम लगता.

अमन किंकर्तव्यविमूढ़ था. शायद वह अपने ही परिवार के व्यवहार से दुखी था. मां और बहन पहले ही उसे नहीं सम   झ रहे थे और अब मायरा भी कुछ सुनने को तैयार नहीं थी. उस ने बहुत हाथपांव जोड़े पर वह रुकने के लिए कतई राजी न हुई. सम   झ में नहीं आ रहा था कि करे तो क्या करे? वह अपने परिवार का इकलौता लड़का था. शादी के लिए छोटी बहन कुंआरी थी. माताजी की इच्छा थी कि पहले बेटी के हाथ पीले कर दें फिर बेटे की शादी हो. लड़के के लिए अच्छे परिवार का रिश्ता आया तो मना नहीं कर पाईं. बेटी की शादी धूमधाम से संपन्न करने के बाद ही बहू घर लाना चाहती थीं. उन के मन में एक ही डर व्याप्त था कि बहू उन के बेटे को अपने रंग में रंग न ले. इसलिए वे शादी टालना चाहती थीं मगर सगाई के कुछ ही दिनों बाद जब लड़की वाले शादी के लिए जोर देने लगे तो उन्होंने बड़े ही बेमन से रजामंदी दे दी. कहीं न कहीं वे बुरी तरह से खार खाए रहतीं. जबतब बहू की लगाम कसने की फिराक में लगी रहती थीं.

औफिस से घर आते ही एक प्याला चाय पूछने के बजाय खाने की फरमाइशों की    झड़ी लगा देतीं. बेचारी लड़की मरमर के सारे काम निबटाती. आराम करने जब अपने कमरे में आती तो पति के स्नेहिल स्पर्श तक के लिए तरस जाती.

क्या करती, कहां जाती. अपनी नाराजगी दिखाने से भी कुछ हासिल नहीं हो रहा था. उसे कुछ सम   झ में नहीं आ रहा था. अपना दुख घर वालों को बता कर परेशान नहीं करना चाहती थी. तभी चुपचाप अगली ही सुबह बड़ी बहन के घर आ गई. वह उसी शहर के दूसरे कोने में रहती थीं. पहले तो अचानक अकेली आई देख कर जीजाजी चौंक गए पर दीदी ने उस के उतरे चेहरे को देख कर कुछ भी पूछने से मना कर दिया.

इधर मायरा के जाने के बाद अमन बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था. बारबार पिछली घटनाओं को जोड़ कर देखने पर भी उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. तब मजबूर हो कर उस ने जीजाजी के औफिस के नंबर पर फोन लगाया.

‘‘कमउम्र लड़की पर रसोई, औफिस

के साथसाथ परिवार के मानमर्यादा ढोने का बो   झ डाल दिया तुम ने. कुछ दिन तो आजाद परिंदों के समान जीते तब तुम्हें सम   झ में आता कि मायरा कितनी खुशमिजाज और प्यारी लड़की है.’’

‘‘जीजाजी एक मौका दिला दीजिए. मैं मायरा का दिल जीत लूंगा.’’

‘‘जो 1 साल में न कर पाए वह अब कैसे…?’’

‘‘मैं उस के औफिस के पास शिफ्ट

हो जाऊंगा.’’

‘‘इस बात के लिए तुम्हारे घरवाले तैयार हो जाएंगे?’’

‘‘मैं ने उन से बात कर ली है. अभी तो बहन साथ है तो अलग रह लेंगे बाद में सब को साथ ही रहना है. तब तक मायरा भी ऐडजस्ट कर लेगी. परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए मैं औफिस से पहले घर जाऊंगा और फिर मायरा के पास चला आऊंगा.

‘‘ठीक है मैं कुछ करता हूं. अगले हफ्ते मायरा के जन्मदिन की पार्टी रखी है. तुम चाहो तो आ कर अपनी बात कहने की कोशिश करना पर मु   झ से किसी किस्म की मदद की कोई उम्मीद मत रखना. आखिरी निर्णय मायरा का होगा. हम दोनों पतिपत्नी के    झगड़ों में नहीं पड़ना चाहते.’’

बड़ी मिन्नतों के बाद जीजाजी मान गए. उन की गिनती शहर के जानेमाने

प्रतिष्ठित व्यक्तियों में थी. वे चाहते तो अनाधिकार कुछ भी कह सकते थे परंतु उन्होंने न केवल मायरा को सहारा दिया बल्कि उस के ऊपर भी कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की. अब उसे सम   झ में आ रहा था कि उन दोनों के घर के वातावरण में कितना फर्क था. आजाद खयाल मायरा उस के घर के संकीर्ण माहौल में क्यों कुम्हला गई थी. खैर, वह बस इसी बात पर खुश था कि उसे मायरा को मनाने का मौका मिल गया.

मायरा अमन को याद कर सुबह से ही उदास थी. माना अमन से गुस्सा हो कर आई पर वह चाहता तो मना भी सकता था. न फोन न कोई मेल. जाने कैसा बेरुख आदमी है. पूजा ने जो कहा शायद वही सच है तभी तो वह भी हाथ पर हाथ धरे बैठ गया है. ऐसे व्यक्ति से क्या उम्मीद की जा सकती है.जो इंसान एक तकिया तक न लांघ सका वह अपनी मां की बात काट कर घर की दहलीज भला क्या लांघेगा.

यही सब सोच कर मन उद्वेलित था. इन बातों से बेखबर दीदी उस की पसंद का खाना बना रही थी. दोनों बहनों की उम्र में बहुत फर्क था. उन के बच्चे कालेज में पढ़ रहे थे. तभी तो दीदी ने अपने घर में उसे ऐसे रखा था जैसे कोई नन्हा बच्चा भटकता हुआ खेलने पहुंच जाता है और ममता की मारी गृहलक्ष्मी चौकलेट व खिलौने दे कर उसे प्रसन्न किया करती है. वह खुशीखुशी शाम के पार्टी की तैयारियां कर रही थी. यहां हर तरह की आजादी थी पर फिर भी मन में एक अजीब सा सूनापन था. कैसी हूक सी उठती थी और क्यों, उसे कुछ न सू   झ रहा था. खैर, जीजाजी ने उस के जन्मदिन की पार्टी में शहर के सभी अच्छे परिवारों को बुलाया था.

‘‘आज कोई पसंद आए तो बताना. शहर

के सभी हैंडसम नौजवानों को

बुलाया है.’’

‘‘अरे नहीं जीजाजी, अब कुछ भी मन नहीं करता.’’

‘‘इतना प्यार दिया अमन ने कि मन भर गया,’’ जीजाजी ने चुटकी ली तो वह एक    झूठा ठहाका लगा कर पलटी ही थी कि अनजाने वेश में एक जानीपहचानी सी आवाज ने हैप्पी बर्थडे कहा तो चौंक गई.

‘‘मे आई डांस विद यू?’’

कब उस के हाथों में हाथ दिया और कब नाचती हुई बांहों में समा गई उसे खुद ही पता नहीं चला. उस ने फुसफुसा कर जब कानों में ‘‘लव यू जान’’ कहा तो जैसे रेगिस्तान पर पहली ओस की बूंद सी ठंडक महसूस हुई. उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही शख्स है जिस के साथ उस ने एक छत के नीचे 1 साल गुजारा है. आज 1 घंटे के अंदर उस ने अपने बेबाक अंदाज से उस का दिल चुरा लिया.

दीदी और जीजाजी इन नवीन बदलावों से अनजान बनने की ऐक्टिंग कर रहे थे.

तभी अमन ने घुटनों के बल बैठ कर एक बार फिर से मायरा की आंखों में    झांकते हुए कहा, ‘‘क्या तुम मेरी बनोगी मायरा? अपने घर चलोगी?’’

मायरा यही तो चाहती थी. अमन के प्यार के इजहार से द्रवित हो गई. धीरे से हामी में सिर हिला दिया. अगली सुबह दोनों अपने घर में थे. बाहर ‘मायराअमन सदन’ लिखा था. हां. यह उन दोनों का घर था.

अमन आज जी भर कर प्यार करना चाहता था. ठीक है कि अभी तक उस ने परिवार को अपने प्यार के ऊपर प्राथमिकता दी थी तभी तो खुल कर कदम नहीं बढ़ा सका था. अपने प्यार का सलीके से इजहार तक नहीं कर पाया था. क्या करता आखिर? औफिस से सोच कर घर आता कि मायरा के साथ क्वालिटी टाइम बिताएगा पर मां के व्यंग्य और मायरा की नाराजगी से टूट जाता. बात करेगा तो बात बढ़ेगी और घर वालों को उन के बीच की दूरियों का पता लग जाएगा यही सोच कर मन मसोस कर रह जाता. बीवी को यह भी नहीं सम   झा पाता कि बेगम शादी की है आप से. पुराने इश्क में दम होता तो शादी करता ही क्यों? मैं तो खाली दिल और जज्बा ले कर जुड़ने आया था आप ही जुड़ न सकीं.

‘‘वाह जी वाह, उलटा चोर कोतवाल को डांटे? हम नहीं जुड़े या आप ने

बेरुखी दिखाई…’’ आज दोनों के मन में अपने संवाद चल रहे थे.

‘‘कुछ मत सोचो. सब भूल कर बस प्यार करो…’’ अमन की यह बात सुनते ही पति की गोद में पड़े लैपटौप यानी अपनी सौतन को हटा कर वह नजदीक आ गई.

सच, पतिपत्नी का रिश्ता बेहद अंतरंग होता है. सच कहूं तो कुदरत भी जोड़ों के बीच आना पसंद नहीं करती. दीएबाती के इस संबंध में अंदर ही अंदर प्रेम की अगन होती है जो 2 दिलों को रोशन करती है. फिर क्यों लोग उन के बीच    झगड़े की आग सुलगाते हैं? शायद लोगों के अंदर असुरक्षा की आग लपटें ले रही होती है. तभी तो प्रेम करने वाले उन्हें रास नहीं आते. बाहरी लोगों से तो फिर भी बचा जा सकता है पर नजदीकी रिश्तेदारों के लिए कोई क्या करे.

ऐसे दिलजलों की जलन की आग में न जाने कितने नवयुगल अकसर    झुलस जाते हैं. घर में ही समस्या सुल   झ जाए तो कोई अलग घर क्यों बसाए. कभीकभी आपसी आंधीतूफान से बचाने के लिए अलग आशियाना बनाना पड़ता है ताकि अपने प्रेम की टिमटिमाती लौ को बु   झने से बचाया जा सके. उसे हर हाल में जलाए रखना बस अपने ही बस में है. यही सोच कर दोनों ने फैसला लिया कि अब प्राथमिकता के आधार पर रिश्ते निभाए जाएंगे. तकिए ने अपना स्थान ले लिया था. उन के बीच उस के लिए कोई जगह शेष न रही.

 

लंच और डिनर में बनाएं ये खास डिशिज

अक्सर हम लोग इस बात को सोचकर कंफ्यूस हो जाते हैं कि खाने में क्या बनाएं. आपकी इसी उलझन का हल निकालने के लिए हम लाए हैं कुुछ रेसिपी. घर पर लंच में या डिनर में ट्राई करें ये रेसिपी.

बैगन चटखारा

सामग्री

द्य 8-10 छोटे बैगन  3-4 टमाटर  2 प्याज

1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर  1/2 छोटा चम्मच लाल देगीमिर्च 1/2 छोटा चम्मच सुमन हलदी पाउडर  1/2 छोटा चम्मच भुना व पिसा जीरा 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

2-3 तेजपत्ते  1 छोटा टुकड़ा दालचीनी  2-3 लौंग

1-2 हरीमिर्चें  जरूरतानुसार सुमन कच्ची घानी मस्टर्ड ऑयल  थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजाने के लिए  नमक स्वादानुसार.

विधि

बैगनों को धो कर अच्छी तरह पोंछ कर लंबाई में 2 भाग कर लें. मिक्सी में टमाटर व हरीमिर्च पीस लें. एक कड़ाही में सुमन कच्ची घानी मस्टर्ड ऑयल गरम कर तेजपत्ते, दालचीनी और लौंग डालें. फिर प्याज के लच्छे डाल कर भूनें. देगीमिर्च, धनिया पाउडर, नमक, हलदी, जीरा और बाकी सारे मसाले डाल कर भूनें. अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर भूनें. पिसे टमाटर डालें और घी छूटने तक भूनें. इस में बैगन मिलाएं. 1/2 कप पानी डालें और ढक कर पानी सूखने व बैगन गलने तक पकाएं.

 वैजी सोयाबीन

सामग्री

1/2 कप सोयाबीन की बडि़यां

1 शिमलामिर्च द्य 1 प्याज

1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन व हरीमिर्च

का पेस्ट  1/2 पैकेट चिली पनीर मसाला

1 टमाटर द्य 1 बड़ा चम्मच तेल

1/2 कप दूध नमक स्वादानुसार.

विधि

न्यूट्रिला को कुछ देर गरम पानी में भिगोए रखने के बाद अच्छी तरह निचोड़ कर रख लें. एक पैन में तेल गरम कर अदरक पेस्ट डाल कर भूनें. प्याज के मोटे टुकड़े काट कर पैन में डालें. कुछ नर्म होने तक भूनें. टमाटर के मोटे टुकड़े काट कर मिलाएं. जरा सा गलने तक पकाएं. सोया चंक मिला कर कुछ देर भूनें. चिली पनीर मसाला को 1 बड़े चम्मच पानी में मिला कर लगातार चलाते हुए सब्जी में डाल दें. इस में नमक मिलाएं. दूध डाल कर सब्जी को कुछ देर ढक कर पकाएं.

दाल तुरई

सामग्री

1/2 कप मूंग दाल स्प्राउट

500 ग्राम तुरई

1 लच्छे प्याज के

1 आलू

1-2 हरीमिर्चें

2-3 टमाटर

1 छोटा चम्मच लालमिर्च

1 छोटा चम्मच हलदी

1 छोटा चम्मच राई

थोड़े से करीपत्ते

1 बड़ा चम्मच ताजा कसा नारियल

2 बड़े चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार.

विधि

तुरई को 1 इंच के टुकड़ों में काट लें. आलू को छील कर लंबाई में काट लें. टमाटरों के बारीक टुकड़े काट लें. एक पैन में तेल गरम कर राई भूनें और फिर करीपत्ते डालें. प्याज के लच्छे डाल कर नर्म होने तक भूनें. टमाटर डाल कर गलने तक पकाएं. सारे मसाले डालें. कुछ देर भूनें. स्प्राउट्स मिलाएं. आलू व तुरई डाल कर ढक कर सब्जी गलने तक पकाएं. नारियल डाल कर परोसें.

कुरकुरी कमल ककड़ी

सामग्री

500 ग्राम कमल ककड़ी 1 बड़ा चम्मच शहद 1 छोटा चम्मच सिरका 1 बड़ा चम्मच सफेद तिल 1 छोटा चम्मच देगीमिर्च तेल तलने के लिए 1 बड़ा चम्मच चावल का आटा थोड़ी सी धनियापत्ती  2-3 हरीमिर्चें

1 बड़ा चम्मच शेजवान सौस एकचौथाई कप हरे प्याज के पत्ते 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट  नमक स्वादानुसार.

विधि

कमल ककड़ी को छील कर तिरछे टुकड़ों में काट लें. इन्हें नमक मिले पानी में कुछ देर भिगो दें. फिर पानी निकाल दें. एक कड़ाही में तेल गरम कर कमल ककड़ी के टुकड़ों पर चावल का आटा मिला सुनहरा होने व गल जाने तक धीमी आंच पर तलें. एक दूसरे पैन में 1 चम्मच तेल गरम कर अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर कुछ देर भूनें. तली कमल ककड़ी डालें. सारी सौस और मसाले डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. लंबाई में कटी हरीमिर्च मिलाएं. ऊपर से हरे प्याज के पत्ते व तिल बुरक कर गरमगरम परोसें.

दही वाले आलू

सामग्री

2 आलू चौकोर टुकड़ों में कटे

1 छोटा चम्मच पनीर

2 बड़े चम्मच दही

1 पैकेट रेडीमेड मसाला मैजिक

1 बड़ा चम्मच तेल

1 छोटा चम्मच देगी मिर्च

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजाने के लिए

नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को 2-3 मिनट के लिए उबलते पानी

में डाल कर रखें. फिर पानी निथार दें. पनीर को

1 चम्मच पानी के साथ मिला कर पेस्ट बना लें.

1 पैन में तेल गरम कर पहले मैजिक मसाला भूनें फिर पनीर व दही मिला कर अच्छी तरह से भूनें. फिर अब 1/2 कप पानी मिलाएं. नमक डालें. ढक कर कुछ देर पकाएं. जब आलू गल जाएं तो आंच बंद कर दें. 1 चम्मच तेल में देगीमिर्च का छौंक बना कर सब्जी पर डाल दें. धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

7 टिप्स: नहाते समय न करें गलतियां

आम तौर पर नहाना किसे अच्छा नहीं लगता है और खासकर बात गर्मियों में नहाने की हो तो क्या कहना? लेकिन नहाते समय अगर आप भी करते हैं ऐसी गलतियां तो हो जाइए सावधान क्योंकि नहाते समय होने वाली ये छोटी-छोटी गलतियां आप पर पड़ सकती हैं भारी!

स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी चीज होती है साफ-सफाई और गर्मी के मौसम में इंसानों के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं पसीने जो ना केवल आपको अनकंफर्ट फील कराते हैं बल्कि बीमार भी कर देते हैं. जिसके चलते कई लोगों को दिन में कई बार नहाने की आदत हो जाती है.

हालांकि शरीर की साफ-सफाई के लिए नहाना बेहद जरुरी होता है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप नहाने के दौरान होने वाली गलतियों से बच सकते हैं. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं वो बातें जो नहाते समय जरुर याद रखनी चाहिए.

1. आम तौर पर कुछ लोगों को लंबे समय तक नहाना अच्छा लगता है लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये ना केवल आपकी स्किन बल्कि आपके हेल्थ के लिए हार्मफुल होता है.

2. लंबे समय तक पानी में रहने से स्किन में होने वाला नेचुरल ऑयल खत्म हो जाता है जिससे आपकी स्किन रुखी हो जाती है. इसलिए कभी भी नहाने के दौरान 10 मिनट से ज्यादा समय तक पानी में ना रहें.

3. केवल इतना ही नहीं अगर आप नहाने के दौरान किसी का भी स्क्रबर यानी लोफा यूज कर लेते हैं तो सावधान क्योंकि किसी और का स्क्रबर यूज करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

4. आपका स्क्रबर बहुत पुराना या गंदा हो गया है तो उसे तुरंत बदल दें क्योंकि लंबे समय तक यूज होने से स्क्रबर में बैक्टीरिया और कीटाणु हो जाते हैं.

5. साथ ही साथ साबुन या शैम्पू से नहाते समय इस बात का ध्यान जरुर रखें कि शैंम्पू या साबुन शरीर पर से अच्छे से छूट गया है या नहीं क्योंकि कई बार ऐसी चीजें स्किन के पोर्स में रह जाती है जिससे बाद में मुंहासे या दाने हो जाते हैं.

6. तो वहीं कुछ लोंगो को गर्म पानी से नहाना अधिक पसंद होता है. हालांकि गर्म पानी से नहाने से मांसपेशियों को आराम मिलता है लेकिन बहुत ज्यादा गर्म पानी त्वचा को सीधे तौर पर नुकसान भी पहुंचाता है.

7. आपको बता दें कि इससे त्वचा का प्राकृतिक तेल गायब हो जाता है. जिसके चलते कई बार खुजली और रुखापन आ जाता है. इसलिए हल्के गर्म पानी का ही इस्तेमान करें या फिर इतना गर्म हो जितना त्वचा पर कोई नुकसान ना हो.

यों इलजाम न लगाओ: क्या मधु और अरिहंत की शादी हुई?

यों इलजाम न लगाओ…मधु और अरिहंत अलग-अलग जाति के थे और शादी करना चाहते थे. इस बात की जानकारी जब घर वालों को मिली तो फिर वही हुआ जिस की उम्मीद न थी…‘‘मां,आज मयंक का बर्थडे है…’’  मैं अभी बोल ही रही थी कि विनीत का फोन बज उठा. ‘दीदी, मयंक का जन्मदिन है. आज प्लीज छुट्टी ले कर आ जाओ.’’

‘‘अरे वाह, मैं तो अभी मां से यही बोल रही थी. जरूर आऊंगी. मैं ने औलरैडी छुट्टी के लिए बोल दिया है,’’ कह कर मैं अपने औफिस चली गई. हाफ डे के बाद मैं ने छुट्टी ले ली और फिर वहां से मौल चली गई. ठंड के दिन आ गए थे.

मैं मोंटे कार्लो के शोरूम में जा कर मयंक के लिए स्वैटर पसंद करने लगी. कई स्वैटर, जैकेट देखे. उन सब में एक स्वैटर मु   झे बहुत ही अच्छा लग रहा था. उसे देख कर मैं ने पैक कराया और फिर मोबाइल से बिल पेमैंट कर मैं चली आई. आजकल सबकुछ मोबाइल से होता है. मोबाइल मेरे कुरते की जेब में था. जब मैं घर आई, तब मु   झे याद आया कि मैं पर्स तो वहीं दुकान में भूल आई. अब मु   झे सम   झ नहीं आ रहा था कि मैं वापस जाऊं या क्या करूं क्योंकि अंधेरा भी घिरने लगा था. मैं ने मां से कहा, ‘‘मां मैं एक बार मौल में हो आती हूं. मैं ने अपना पर्स वहीं छोड़ दिया है. उसी में मेरा आधार कार्ड और सारे बैंक के कार्ड भी रखे हुए हैं इसलिए मु   झे जाना ही होगा.’’

‘‘क्या करती हो बेटी, अब तक इतनी लापरवाह कैसे हो?’’ मां बड़बड़ाई. तभी दरवाजे पर कौलिंग बैल बजी. ‘‘अरे, इस समय कौन आ गया?’’ मैं ने आश्चर्यचकित हो कर दरवाजा खोला. सामने एक अजनबी था. उस के हाथ में मेरा पर्स था. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘माधुरी, यह लो अपना पर्स. तुम अपनी पुरानी आदत कभी नहीं बदलोगी. पता नहीं कैसे मैंटेन रखती हो खुद को? हमेशा भूलने की आदत है तुम्हारी.’’ ‘‘ऐसे तो अरिहंत बोलता था,’’ मैं ने मन ही मन सोचा और अजनबी पर गौर किया. वह सचमुच में अरिहंत ही था.

‘‘अरे अरिहंत, तुम?’’‘‘हां मैं, चलो तुम ने मु   झे पहचान तो लिया,’’ उस ने अपने हाथों को अपने सिर से लगाते हुए कहा, ‘‘बड़ी इल्तिजा हमारी जो आप ने हमें पहचान लिया. अब अंदर भी बुला लो.’’‘‘हांहां,’’ मैं दरवाजे से हटते हुए बोली. अरिहंत अंदर जा कर ड्राइंगरूम में बैठ गया. उस ने कहा, ‘‘अब अपने हस्बैंड से परिचय कराओ और यह स्वैटर जो तुम खरीद रही थी वह तुम्हारे बच्चे के लिए है?’’

‘‘नहीं, वह मेरे भतीजे के लिए है, मेरे भाई के बेटे के लिए.’’ ‘‘अच्छा… विनीत का बेटा… इतना बड़ा हो गया. उस की शादी हो गई. बच्चे भी हो गए और तुम्हारे?’’ उस ने प्रश्नसूचक निगाहें मेरे ऊपर टिका दीं.‘‘नहीं…’’ मेरी बात अधूरी रह गई. तभी मां ड्राइंगरूम में आते हुए बोली, ‘‘इस की शादी में कोई रुचि नहीं. पता नहीं अपना दिल किसे दिया. कुछ बताती भी नहीं… बोलबोल कर थक गई हूं. अब बोलना भी बंद कर दिया.’’ मां की चिढ़ती हुई आवाज से न जाने क्यों मु   झे अरिहंत की आंखों में राहत नजर आई. उस ने कहा, ‘‘तो मैडम, आप ने शादी नहीं की?’’‘‘नहीं की.’’

‘‘जाओ बेटी, चाय बना कर लाओ,’’ मां ने कहा तो मैं किचन में चली गई.‘‘और बताओ बेटा, तुम्हारा क्या हालचाल है?’’ मां की आवाज रसोई तक आ रही थी. ‘‘एक बार यहां से गए तो पलट कर आए नहीं कभी?’’ मां बोल रही थी. ‘‘नहीं आंटी, हिम्मत नहीं पड़ती थी आने की. बड़ी हिम्मत करता था लेकिन पैर पीछे हट जाते थे. कुछ यादें ही ऐसी रह गई हैं,’’ अरिहंत ने टूटेफूटे शब्दों में कहा.

‘‘फिर यहां कैसे आना हुआ?’’

‘‘मैं अपनी नौकरी के सिलसिले में आया हूं. अब मेरे विभाग ने मेरा ट्रांसफर कर दिया है. मैं इस शहर को कभी भूल नहीं पाया. आज मैं यहां आने ही वाला था कि मेरी नजर माधुरी पर पड़ी जो औफिस से निकल कर मौल की तरफ जा रही थी. मैं वहीं था. तभी मैं ने उसे स्वैटर के शोरूम में घुसते हुए देखा. मैं पीछेपीछे गया मगर मैं उस से कुछ कह नहीं पाया. तभी मैं ने देखा कि वह वहां अपना पर्स भूल आई है तो मैं ने दुकान वाले भाई साहब को सारी बात बताई तो उस ने मु   झे पर्स दे दिया. मैं ने उसे चैक किया, उस में मु   झे घर का पता नजर आया. तब मु   झे लगा कि आप लोग इसी पुराने घर में रहते हैं. फिर उसी के पीछेपीछे मैं यहां तक आ गया.’’

‘‘बहुत अच्छा किया बेटा,’’ मां ने कहा. तब तक मैं चाय और प्याज की पकौड़े ले कर वहां आ चुकी थी.‘‘अरे वाह, प्याज की पकौडि़यां…’’ उस ने पूरा प्लेट उठा ली. पकौड़े खाते हुए बोला, ‘‘भूली नहीं हो पकौड़े बनाना,’’ और वह मुसकराने लगा.‘‘चाय और पकौड़े खाने के बाद उस ने मां और मु   झ से आज्ञा मांगी और चला गया. शाम हो चुकी थी. रूही खाना बनाने के लिए आ चुकी थी.

‘‘रूही आज खाना नहीं बनेगा तुम बस दूध उबाल लो.’’‘‘ठीक है दीदी, मैं सुबह की सब्जियां अभी काट लेती हूं,’’ कह कर वह रसोई में चली गई और मैं अपने कमरे में. कुछ पुरानी यादें मेरे जेहन में दोबारा घूमने लगीं… जब मैं कालेज में थी और अरिहंत भी मेरे साथ ही था. न चाहते हुए भी मेरी नजरें कई बार उस से टकरा जाती थीं और हम एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिया करते थे. समय बीता हम दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया था. अपने घर वालों से छिपछिप कर हम ने प्यार तो कर लिया था लेकिन डर लगता था कि कहीं हमारी पेरैंट्स हमारे प्रेम कहानी को स्वीकार करें या न करें.

मगर हमारा प्यार अधूरा रह गया था. अरिहंत के घर में उन की एक बड़ी बूआ जो साथ में रहती थीं. उन्हें हमारी प्रेम कहानी बिलकुल पसंद नहीं थी. कालेज के बाद अरिहंत ने बैंक के पीओ की परीक्षा दी और पास कर गया. उस के बाद उस ने अपने घर में मेरे बारे में बात की. उस की बड़ी बूआ ने सिरे से इनकार कर दिया. अरिहंत की बड़ी बूआ उस के पिता से बहुत ज्यादा बड़ी थी. वह विधवा भी थी और मायके में रह रही थी. कोई भी उन की बात नहीं काटा करता था.

मैं और अरिहंत दोनों 2 अलग-अलग जाति के थे. यह मध्यवर्ग के समाज में बहुत बड़ा मुद्दा होता है, जिस से हम दोनों भी अछूते नहीं थे. मैं चुप रही थी. मैं ने अरिहंत को पहल करने के लिए कहा था, जिस में अरिहंत पूरी तरह से फेल हो चुका था.‘‘कान खोल कर सुन लो लल्ला, मेरे रहते हुए किसी और जात की लड़की इस घर में बहू नहीं बनेगी,’’ बड़ी बूआ ने दहाड़ते हुए कहा था. बूआ की इस बात से निराश हो कर अरिहंत ने अपना ट्रांसफर दूसरे शहर में करवा लिया था.

जाने से पहले उस ने मुझसे से कहा था, ‘‘जब तक बड़ी बूआ हैं, हम दोनों नहीं मिल सकते. मेरे मातापिता को कोई आपत्ति नहीं लेकिन तुम मेरा इंतजार मत करना. तुम्हें कोई अच्छा रिश्ता नजर आए तो तुम फौरन शादी कर लेना…’’ मगर इस के लिए मैं तैयार नहीं थी. मैं ने कहा, ‘‘अब इस टूटे दिल में कौन बसेगा अरिहंत? मेरा जो कुछ है वह तुम हो.’’ ‘‘पागल मत बनो मधु, जब समय बीत जाता है तो सब कुछ सही हो जाता है. मैं जा रहा हूं तुम्हें आजाद कर के,’’ अरिहंत की इस बात पर मैं ने कुछ भी नहीं कहा फिर दोनों के रास्ते अलग हो गए. मैंने पढ़ाई के बाद कंप्यूटर का कोर्स किया और एक औफिस में काम करने लगी. मेरे घर में मेरे अलावा मेरा छोटा भाई ही था. मेरे पिता कई तरह के रिश्ते ले कर आए लेकिन मैं ने हर रिश्ते को न कर दिया. मैं ने अपनेआप को पढ़ाई में पूरी तरह डुबो दिया और बड़ी दृढ़ता से कहा, ‘‘जब तक मेरी नौकरी नहीं लगेगी मैं शादी नहीं करूंगी.’’

पिता बोलते हुए थक गए लेकिन मैं टस से मस नहीं हुई. आज अचानक अरिहंत दोबारा सामने आ गया. मेरे सोए हुए सपने और सारे अरमान जागने लगे थे. ‘‘मधु… मधु…’’ तभी मां की आवाज आई. ‘‘हां मां…’’ मैं ने अपना चेहरा छिपाते हुए कहा. मेरा पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था. मैं ने जल्दी से नल में जा कर अपना चेहरा धोया और बाहर निकली. ‘‘किन खयालों में गुम हो मधु? तुम्हें पता है कि हमें विनीत के घर जाना है?’’ मां ने कहा. ‘‘मैं तो भूल ही गई थी मां. मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूं. मां आप भी तैयार हो जाइए.’’ ‘‘मैं तैयार बैठी हूं. तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों हैं?’’  मां चिंतित हो गई.‘‘पता नहीं,’’ कह कर मैं जल्दी से तैयार होने के लिए चली गई. पार्टी काफी अच्छी थी. विनीत ने बहुत अच्छा अरेंजमैंट किया था. रात में खाना खाने के बाद हम मांबेटी दोनों वापस आ गए और सो गए. दूसरे दिन अरिहंत के फोन से ही मेरी नींद टूटी.

‘‘हैलो, मधु, मैं अरिहंत बोल रहा हूं.’’‘‘अरिहंत, तुम्हारे पास मेरा नंबर कैसे? मैं तो कल नंबर लेना ही भूल गई थी,’’ मैं चौंक कर बोली. ‘‘ओह मधु, आई एम सौरी. तुम्हारा नंबर मेरे पास पहले से था. मैं ने तुम्हारे बारे में सबकुछ पता कर लिया था. माधुरी, तुम्हारा फोन नंबर, तुम्हारी जौब प्रोफाइल, हर चीज मु   झे पता है. तुम ने शादी नहीं की, यह भी पता है और यही मु   झे जीने के लिए हिम्मत देता रहा. मैं तुम से मिलने ही आया हूं यह बताने कि अब बड़ी बूआ नहीं रही. मां और पापा को तुम से कोई आपत्ति नहीं. मैं शादी करने के लिए तैयार हूं अगर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं हो तो बताओ?’’ मैं इस सरप्राइज के लिए तैयार नहीं थी. मैं खिसियाते हुए बोली, ‘‘अरिहंत, प्लीज इस तरह का मजाक मत करो.’’‘‘नहीं मैं मजाक नहीं कर रहा. मैं सीरियस हूं. अगर तुम्हारी हां है तो मैं अभी आ रहा हूं तुम्हारी मां से बात करने के लिए.’’

अचानक इस सरप्राइज गिफ्ट से मेरी आंखें शर्म से झुक गईं. मैं ने कहा, ‘‘नहीं मुझे कोई आपत्ति नहीं है. मैं तो तुम्हारा इंतजार कर रही थी.’’ ‘‘सेम टू सेम… हियर,’’ अरिहंत ने कहा. थोड़ी देर बाद अरिहंत घर आया. उस ने मम्मी को पैर छू कर प्रणाम किया और कहा, ‘‘आंटी प्रणाम, मैं शुरू से माधुरी से बहुत ज्यादा प्यार करता था. उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता था. वह भी मेरा ही इंतजार करती रह गई.  अब मैं इस अधूरे प्यार को पूरे रिश्ते में बदलना चाहता हूं, अगर आप इजाजत दें तो?’’मां आश्चर्यचकित हो कर देखने लगीं. मां की आंखें भर उठीं, ‘‘माधुरी के पापा तुम्हारा इंतजार करते हुए चले गए बेटा.’’ ‘‘कोई बात नहीं आंटी आप हैं न. आप आशीर्वाद दे दीजिएगा.’’ मां ने तुरंत विनीत को फोन लगाया और सारी बातें बताई. विनीत भी हड़बढ़ाते हुए चला आया. उस ने सारी बातें सुन कर अरिहंत को शगुन की रकम पकड़ाते हुए कहा, ‘‘हमें यह शादी मंजूर है.’’मेरा और अरिहंत का त्याग पूरा हो चुका था. हम दोनों को अपना प्यार मिल चुका था.

 

 

औरतों की बात बस चुनावी जुमला

इस चुनाव में औरतों के मामले बिलकुल नदारद हैंहमेशा की तरह. औरतोंयुवतियोंवृद्धोंछोटी बच्चियों को ही नहींउन के परिवारों को भी यह चुनाव कुछ नहीं दिला रहा. कुछ पार्टियां गरीब लड़कियों को हर साल कुछ नक्दी की बात कर रही हैं पर यह वादा ढेरों वादों में से एक हैयह अकेला वादा नहीं है. औरतों को कुछ न मिलने का अर्थ है कि उन के परिवारों को भी कुछ नहीं मिलना.

चाहे औरतों के पास आज समाज कोई अधिकार नहीं छोड़ता पर उन पर जिम्मेदारियां तो लदी ही रहती हैं. यदि परिवार गरीब है तो हर जने का पेट भरा रहेहरेक साफ व धुले कपड़े पहनेहरेक की बीमारी में उस की देखभाल होकिसी पर भी बाहरी आर्थिक या शारीरिक हमले पर उस की पहली ढाल औरत हो. यह व्यवस्था तो धर्मसमाज और सरकार ने कर रखी है पर उसे देने के नाम पर सब मुंह फेर लेते हैं.

यह चुनाव भी औरतों के बल पर लड़ा जा रहा है पर उन्हें कुछ खास इस से मिलेगाइस की उम्मीद नहीं. आम आदमी पार्टी ने जहां भी जीत हासिल की कुछ सफल प्रयोग किए. बिजली का बो   झ कम करामहल्ला क्लीनिक खोल कर पहली चिकित्सा का प्रबंध करास्कूलों पर मंदिरों से ज्यादा खर्च कराबागबगीचे बनवाए. पर हुआ क्यादेश के कानूनअदालत व संविधान के बावजूद उस के नेताओं को एकदूसरे के कहने मात्र पर पकड़ रखा है.

भारतीय जनता पार्टी जो 545 में से 400 सीटें पाने की उम्मीद कर रही हैऔरतों को मंदिरों की लाइनों में लगवाने का वादा कर रही हैधर्म की रक्षा के लिए उन्हें अपने बच्चों को उकसाने को प्रोत्साहित कर रही है. उन को बता रही है कि अब कौन सा खाना अपनी रसोई में पकाएं और बनाएं. उन्हें 2000 साल पुरानी है कह कर अनपढ़ भगवाधारी आयुर्वेद डाक्टरों की फौज के हवाले कर रही है.

इंडिया ब्लौक की पार्टियां अपनीअपनी जातियों या अपनेअपने गढ़ों को सुरक्षित करने में लगी हैंकोई भी कुछ भी औरतों की बराबरी के लिए करने का खुला वादा नहीं कर रहीं. 1955-56 और फिर 2001 व 2013 में कांग्रेस ने हिंदू विवाह व विरासत के कानून व जमीन पर परिवार के हकों के कानून बनाए थे पर इस चुनाव में कांग्रेस भी इन की याद दिलाने में कतरा रही है. मानो उन्होंने अपने 70 सालों में ये गुनाह तो किए थे.

सदियों से बड़ेबड़े मकबरोंपिरामिडों और मंदिरों का निर्माण हुआ हैकिले बने हैंफौजें खड़ी की गई हैंहमले हुए हैं पर इन सब की कीमत किस ने दीऔरतों ने क्योंकि उन की रसोई में पहुंचने वाला अनाज धर्म और समाज के वसूलीदार पहले से ही ले गए.

आज भी हर साल जीडीपीकुल सकल उत्पादन से ज्यादा कुल टैक्स क्लैशन हर साल ज्यादा बढ़ रहा है. इस का मतलब है कि हर परिवार जो कमा रहा है उस का पहले से ज्यादा हिस्सा सरकार को दे रहा है.किसी चुनावी मंच पर औरतों के मामले पहले नंबर पर नहीं हैं. सरकारी पार्टियों के एजेंडों में तो बिलकुल नहीं. जब केंद्र सरकार औरतों की लोकतंत्र में सुरक्षा नहीं करेगी तो आखिर क्या धर्म तंत्रकौरपोरेट तंत्रऔरतों का सामान बनाने वाला तंत्रकानूनअदालतेंशहरी निकाय औरतों की चिंता करेंगे? औरतों को तो बसों की कतारों मेंपानी के टैंकरों के इंतजारराशन ढोनेरसोई की

गरमीपति और पिता की डांट और सब से बड़ी बात अगले जन्म की सुरक्षा के लिए मंदिरोंमसजिदोंचर्चों की सेवा में लगा रखा है. आदमी इन सब में कम लगते हैं. उन्हें तो सड़कों पर तेज वाहन चलानेधार्मिक जलसों में उछलकूद या हंगामा करने कीमोबाइलों से मजे लेने के लिए छूट दे रखी है क्योंकि उन का वोट जरूरी है. औरतें तो पुरुषों की गुलाम रही हैं और आज भी हैंउन की क्या चिंता करनी?

मैं 25 वर्षीय कामकाजी युवती हूं मेरी शादी होने वाली है मुझे खाना बनाना नहीं आता

सवाल

मैं 25 वर्षीय कामकाजी युवती हूं. मेरी शादी होने वाली है. मुझे खाना बनाना नहीं आता जबकि टीवी धारावाहिकों में मैं ने देखा है कि बहू को खाना बनाना नहीं आने पर ससुराल के लोग न सिर्फ उस का मजाक उड़ाते हैं वरन उसे प्रताडि़त भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

छोटे परदे पर प्रसारित ज्यादातर धारावाहिकों का वास्तविक जीवन से दूरदूर तक वास्ता नहीं होता. सासबहू टाइप के कुछ धारावाहिक तो इतने कपोलकल्पित होते हैं कि जागरूकता फैलाने के बजाय ये समाज में भ्रम और अंधविश्वास फैलाने का काम करते हैं. शायद ही कोई धारावाहिक हो जिस में सासबहू के रिश्ते को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया हो. वास्तविक दुनिया धारावाहिकों की दुनिया से बिलकुल अलग है. आज की सासें सम   झदार और आधुनिक खयाल की हैं. उन्हें पता है कि एक कामकाजी बहू को किस तरह गृहस्थ जीवन में ढालना है.

फिर भी आप अपने मंगेतर से बात कर इस बारे में जानकारी दे दें. अभी विवाह में 2 महीने बाकी भी हैं, इसलिए खाना बनाने के लिए सीखना अभी से शुरू कर दें. खाना बनाना भी एक कला है, जिस में निपुण महिला को किसी और पर आश्रित नहीं होना पड़ता, साथ ही उसे पति व बच्चों सहित घर के सभी सदस्यों का भरपूर प्यार भी मिलता है.

गर्मियों में शिशु की त्वचा के मॉइस्चर का रखें खयाल

जैसे-जैसे सूरज चमकता है वैसे-वैसे तापमान भी बढ़ने लगता है और इसका सीधा असर नन्हेमुन्नों की नाजुक त्वचा पर पड़ता है. गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को ऐक्स्ट्रा देखभाल और निगरानी की जरूरत होती है क्योंकि गर्मी में त्वचा रूखी और नमी रहित हो सकती है. शिशु को से बचाने के लिए उसकी देखभाल में सबसे महत्त्वपूर्ण त्वचा को मॉइस्चराइज करना है, जिसे अकसर अनदेखा कर दिया जाता है. ज्यादातर पेरैंट्स सिर्फ सर्दियों या फिर जब त्वचा रूखी दिखाई देती है, तब ही शिशु को मॉइस्चराइज करते हैं. हालांकि शिशु की त्वचा को रूखेपन से बचाने, उसमें नमी बनाए रखने और हैल्दी स्किन बैरियर को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज करना बहुत जरूरी है.

शिशु की त्वचा की सबसे बाहरी परत एक वयस्क व्यक्ति की त्वचा की तुलना में 3 गुना तक पतली होती है, इसलिए शिशु की त्वचा दोगुनी तेजी से नमी खो देती है और खुश्की और गर्मी के कारण होने वाले नुकसान से ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए नवजात शिशु की स्किन को ड्राई करने वाली कड़क गर्मी के दौरान मॉइस्चराइजर की बहुत अधिक जरूरत होती है.

कड़ी धूप और एयर कंडीशनिंग के इस्तेमाल के कारण शिशु की नाजुक त्वचा से प्राकृतिक नमी खो जाती है, जिससे त्वचा खुश्क और खुजलीदार हो जाती है. गर्मियों के दौरान, शिशुओं के लिए स्किन केयर रूटीन के हिस्से के रूप में मॉइस्चराजिंग अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह उनकी त्वचा को नर्म, चिकना और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. यह त्वचा में एक ऐसी परत बना देता है जो नमी को लॉक कर देता है और ड्राईनैस को रोक देता है. गर्मी के बावजूद स्किन मॉइस्चराइजिंग होने से भी यह उनकी त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है.

गर्मियों के दौरान सही मॉइस्चराइजर कैसे चुनें?

यह सच है कि अपने शिशु के लिए सही मॉइस्चराइजर चुनना बहुत मुश्किल हो सकता है. इसलिए इसे चुनते समय आपको इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए:

लंबे समय तक रखें मॉइस्चराइज्ड: अपने शिशु के लिए क्रीम चुनते समय ऐसी क्रीम चुनना सही है जो विशेष रूप से शिशुओं के लिए बनाई गई हो या उन्हें ध्यान में रख कर बनाई गई हो और लंबे समय तक स्किन में नमी बनाए रखने का काम करती हो.

शिशु के लिए सुरक्षित उत्पाद: शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए ऐसे उत्पाद चुनें, जिनमें ऐसे तत्व हों, जो पहले दिन से ही शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हों. सबसे पहले आप यह बात अच्छी तरह से जान लें कि क्रीम नैचुरल इनग्रीडिएंट्स जैसे कैमोमाइल से युक्त हो और शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल होने वाली प्रोडक्ट्स में प्राकृतिक तरीके से प्राप्त ग्लिसरीन हो, साथ ही यह त्वचा पर सूजन न लाए.

इसके अलावा ये प्रोडक्ट त्वचा की जलन को रोकते हों और आराम देते हों. ये शिशु की त्वचा को विशेष रूप से गर्मियों के दौरान ड्राईनैस से बचाने के लिए बैस्ट हों.

मॉइस्चराइजर या लोशन का इस्तेमाल करते समय ऐसे प्रोडक्ट्स की तलाश करने की सलाह दी जाती है, जिनमें नारियल तेल, दूध, प्रोटीन और चावल के अर्क जैसे तत्व हों क्योंकि वे अपने पोषक गुणों के लिए जाने जाते हैं.

वाटर बेस्ड, हल्का और चिपचिपा न हो: गर्मी के मौसम में शिशु की त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करने के लिए वाटर बेस्ड हल्का लोशन या क्रीम ही चुनें क्योंकि यह बिना किसी चिकनाई के जल्दी स्किन में ऑब्सर्व हो जाती है, जिससे यह रोजाना इस्तेमाल के लिए बैस्ट होती है.

कोई हानिकारक कैमिकल न हो: हमेशा यह जांचें कि शिशु की त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट में पैराबेंस, सल्फेट्स, फथलेट्स और ड्राई न हो. इनके बजाय ऐसे प्रोडक्ट्स चुनें, जिन्हें हाइपोएलर्जेनिक के रूप में लेबल किया गया हो क्योंकि इनसे ऐलर्जी होने के चांस कम होते हैं.

इस गर्मी में अपने बच्चे की त्वचा को कोमल, मुलायम और सॉफ्ट बनाए रखने के लिए उसे मॉइस्चराइज करना न भूलें.

 

खामोश जवाब: क्या है नीमा की कहानी

story in hindi

नीमा एक अतिमहत्त्वकांक्षा वाली महिला थी और यही कारण था कि वह ऐशोआराम की जिंदगी जीने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी. अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए उस ने पति को तलाक दे कर युवान से शादी करने की सोची. मगर क्या यह इतना आसान था…

Mother’s Day 2024: हसीं वादियों का तोहफा धर्मशाला

घूमने या सैरसपाटे की जब भी बात आती है तो शहरी आपाधापी से दूर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. इन छुट्टियों को अगर आप भी हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियों, चारों ओर हरेभरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता के बीच गुजारना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के उत्तरपूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मशाला पर्यटन की दृष्टि से परफैक्ट डैस्टिनेशन हो सकता है. धर्मशाला की पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी छोलाधार पर्वतशृंखला इस स्थान के नैसर्गिक सौंदर्य को बढ़ाने का काम करती है. हाल के दिनों में धर्मशाला अपने सब से ऊंचे और खूबसूरत क्रिकेट मैदान के लिए भी सुर्खियों में बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों से अधिक ऊंचाई पर बसा धर्मशाला प्रकृति की गोद में शांति और सुकून से कुछ दिन बिताने के लिए बेहतरीन जगह है.

धर्मशाला शहर बहुत छोटा है और आप टहलतेघूमते इस की सैर दिन में कई बार करना चाहेंगे. इस के लिए आप धर्मशाला के ब्लोसम्स विलेज रिजौर्ट को अपने ठहरने का ठिकाना बना सकते हैं. पर्यटकों की पसंद में ऊपरी स्थान रखने वाला यह रिजौर्ट आधुनिक सुविधाओं से लैस है जहां सुसज्जित कमरे हैं जो पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. बजट के अनुसार सुपीरियर, प्रीमियम और कोटेजेस के औप्शन मौजूद हैं. यहां के सुविधाजनक कमरों की खिड़की से आप धौलाधार की पहाडि़यों के नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां की साजसजावट व सुविधाएं न केवल पर्यटकों को रिलैक्स करती हैं बल्कि आसपास के स्थानों को देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं. इस रिजौर्ट से आप आसपास के म्यूजियम, फोर्ट्स, नदियों, झरनों, वाइल्ड लाइफ पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं.

धर्मशाला चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को कांगड़ा घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. ओक और शंकुधारी वृक्षों से भरे जंगलों के बीच बसा यह शहर कांगड़ा घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त धर्मशाला को ‘भारत का छोटा ल्हासा’ उपनाम से भी जाना जाता है. हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियां, देवदार के घने जंगल, सेब के बाग, झीलों व नदियों का यह शहर पर्यटकों को प्रकृति की गोद में होने का एहसास देता है.

कांगड़ा कला संग्रहालय: कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए यह संग्रहालय एक बेहतरीन स्थल हो सकता है. धर्मशाला के इस कला संग्रहालय में यहां के कलात्मक और सांस्कृतिक चिह्न मिलते हैं. 5वीं शताब्दी की बहुमूल्य कलाकृतियां और मूर्तियां, पेंटिंग, सिक्के, बरतन, आभूषण, मूर्तियां और शाही वस्त्रों को यहां देखा जा सकता है.

मैकलौडगंज : अगर आप तिब्बती कला व संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो मैकलौडगंज एक बेहतरीन जगह हो सकती है. अगर आप शौपिंग का शौक रखते हैं तो यहां से सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (एक प्रकार की सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं. यहां से आप हिमाचली पशमीना शाल व कारपेट, जो अपनी विशिष्टता के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित हैं, की खरीदारी कर सकते हैं. समुद्रतल से 1,030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मैकलौडगंज एक छोटा सा कसबा है. यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सबकुछ हैं. गरमी के मौसम में भी यहां आप ठंडक का एहसास कर सकते हैं. यहां पर्यटकों की पसंद के ठंडे पानी के झरने व झील आदि सबकुछ हैं. दूरदूर तक फैली हरियाली और पहाडि़यों के बीच बने ऊंचेनीचे घुमावदार रास्ते पर्यटकों को ट्रैकिंग के लिए प्रेरित करते हैं.

कररी : यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल व रैस्टहाउस है. यह झील अल्पाइन घास के मैदानों और पाइन के जंगलों से घिरी हुई है. कररी 1983 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हनीमून कपल्स के लिए यह बेहतरीन सैरगाह है.

मछरियल और ततवानी : मछरियल में एक खूबसूरत जलप्रपात है जबकि ततवानी गरम पानी का प्राकृतिक सोता है. ये दोनों स्थान पर्यटकों को पिकनिक मनाने का अवसर देते हैं.

कैसे जाएं

धर्मशाला जाने के लिए सड़क मार्ग सब से बेहतर रहता है लेकिन अगर आप चाहें तो वायु या रेलमार्ग से भी जा सकते हैं.

वायुमार्ग : कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा धर्मशाला का नजदीकी एअरपोर्ट है. यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंच कर बस या टैक्सी से धर्मशाला पहुंचा जा सकता है.

रेलमार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट यहां से 95 किलोमीटर दूर है. पठानकोट और जोगिंदर नगर के बीच गुजरने वाली नैरोगेज रेल लाइन पर स्थित कांगड़ा स्टेशन से धर्मशाला 17 किलोमीटर दूर है.

सड़क मार्ग : चंडीगढ़, दिल्ली, होशियारपुर, मंडी आदि से हिमाचल रोड परिवहन निगम की बसें धर्मशाला के लिए नियमित रूप से चलती हैं. उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से यहां के लिए सीधी बससेवा है. दिल्ली के कश्मीरी गेट और कनाट प्लेस से आप धर्मशाला के लिए बस ले सकते हैं.

कब जाएं

धर्मशाला में गरमी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है. इस दौरान यहां का तापमान 22 डिगरी सैल्सियस से 38 डिगरी सैल्सियस के बीच रहता है. इस खुशनुमा मौसम में पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं. मानसून के दौरान यहां भारी वर्षा होती है. सर्दी के मौसम में यहां अत्यधिक ठंड होती है और तापमान -4 डिगरी सैल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिस के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और विजिबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए धर्मशाला में घूमने के लिए जून से सितंबर के महीने उपयुक्त हैं.

Mother’s Day 2024: मदर्स डे gift idea

मां एक ऐसा शब्द जिसमें बच्चों की पूरी दुनिया समाहित होती है. मां वो है जो हर कष्ट सहती है पर बच्चों पर कोई आंच नहीं आने देती. आने वाले रविवार को मदर्स डे है. इस दिन पर मां को स्पेशल फील कराने के लिए क्या गिफ्ट दें इसको लेकर हम सब कंफ्यूज हो जाते हैं. तो आज हमारे पास आपके लिए कुछ आइडियाज है. मां को गिफ्ट करें ये गिफ्ट्स

1) बुके के साथ केक– इस दिन आप फूलों का गुलदस्ता और केक देकर मां को स्पेशल फील करा सकते हैं. फूल ऐसा तोहफा है जो सदाबहार है और हमेशा ट्रेंड में रहेगा.


2) पसंदीदा कपड़े- अगर आपकी मां को अलग-अलग तरीके के कपड़े पहनने का शौक है तो आप उन्हें उनके पसंद की साड़ी, सूट या कोई स्पेशल ड्रेस तोहफे में दे सकते हैं.


3) मेकअप किट- अगर मां को सजने संवरने का शौक है तो उन्हें मेकअप का किट गिफ्ट कर सकते हैं. इसमें आप लिपस्टिक, कॉम्पैक्ट, नेल पॉलिश, काजल,पर्फ्यूम आदि रख सकते हैं.


4) पर्स- अगर आपकी मां वर्किंग हैं या हाउसवाइफ भी हैं तो आप उन्हें पर्स या हैंड बैग तोहफे में दे सकते हैं. यह एक ऐसी चीज है जो उनके हमेशा काम आएगा. वो हमेशा जब इसे इस्तेमाल करेंगी तो आपको याद करेंगी.


5) जेवर- अगर आपकी मां को ज्वेलरी पहनने का शौक है तो उन्हें आप अंगूठी, कान की बालियां या फिर चेन, कंगन इत्यादि गिफ्ट में दे सकते हैं. यह उनकी खूबसूरती बढ़ाने में मदद करेगा.


6) घड़ी- अगर आपकी मां को असेसरीज का शौक है तो उन्हें आप अपनी पसंद की घड़ी तोहफे में दे सकते हैं. आजकल बाजार में कई तरह की घड़ियां उपलब्ध हैं. स्मार्ट वॉच से लेकर ब्रेसलेट वॉच. आप इनमें से किसी भी प्रकार की घड़ी ले सकते हैं.


7) फोटो कोलाज- इस कोलाज में आप मम्मी के बचपन से लेकर यंग ऐज के दिनों और फिर उनके रीसेंट फोटोज का एक कोलाज बनाकर गिफ्ट कर सकते हैं. यह फोटो सिलसिलेवार तरीके से होना चाहिए. इसे इस तरह लगाएं कि हर फोटो अपने आप में एक कहानी कहती हो.


8) डायरी और पेन – अगर आपकी मम्मी को लिखना पसंद है तो आप उन्हें डायरी तोहफे में दे सकते हैं. जिसमें वो अपने रोज के खर्च, हिसाब-किताब, उनकी कुछ कविताएं, शेर-शायरी आदि लिख सकती हैं.


9) फोन – अगर मां को गैजेट्स का शौक है तो आप उन्हें तोहफे में स्मार्टफोन गिफ्ट कर सकते हैं. यह आजकल के समय की एक बहुत ज़रूरी चीज हो गई है और बाजार में हर तरह के फोन उपलब्ध हैं.


10) लैपटॉप- अगर आपकी मम्मी वर्किंग हैं तो आप उन्हें लैपटॉप गिफ्ट कर सकते हैं. इससे उन्हें उनका काम करने में आसानी हो जाएगी. वो अपने रुके हुए असाइंमेंट्स कही से भी कर सकती हैं.

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