हर चीज की शुरुआत के साथ अंत भी होता है: ‘मुन्नाभाई’ फिल्म सीरीज पर अरशद वारसी

मुन्नाभाई एमबीबीएस एक ऐसी फिल्म है जिसने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है. फिल्म की तीसरी कड़ी को लेकर बौलीवुड एक्टर अरशद वारसी ने कहा है कि फिल्म के डायरेक्टर राजू हिरानी, प्रड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा और संजू भाई और वो खुद भी अगली कड़ी में काम करना चाहते हैं लेकिन अभी तक कोई फिल्म नहीं बनी है. राजू हिरानी के पास तीन स्क्रिप्ट भी हैं लेकिन अरशद ने उन्हें बताया कि जो चीज शुरू होती है उसका अंत होना भी जरूरी है.

 

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मुन्नाभाई की सीरीज में राजकुमार हिरानी ने बेस्ट फिल्में दी हैं. यह उनके करियर की बहुत अच्छी फिल्म है और ट्रैक रिकॉर्ड पर भी यह बहुत अच्छी रही हैं. इस फिल्म को दर्शकों ने भी बहुत पसंद किया है. फिल्म बौक्स ऑफिस पर भी सुपरहिट रही थी. स्टोरी के साथ-साथ औडियंस के दिलों पर मुन्ना और सर्किट की जोड़ी को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया. यह एवरग्रीन फिल्म थी और समय के साथ और स्पेशल होती गई.

इसके साथ ही वर्क फ्रंट की बात करें तो अरशद इन दिनों जौली एलएलबी की तीसरी कड़ी में काम कर रहे हैं. फिल्म को सुभाष कपूर ने लिखा है और डायरेक्ट भी किया है. फिल्म की पहली कड़ी मार्च 2013 में आई थी. इसके बाद फरवरी 2017 में इसकी दूसरी कड़ी आई थी. यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म संजीव नंदा हिट एंड रन केस पर केंद्रित थी.

 

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फिल्म में एक्टर अरशद वारसी गरीब मजदूरों की ओर से लड़ाई लड़ते हैं लेकिन उनके खिलाफ कुशल वकील राजपाल नियुक्त किए जाते हैं. राजपाल वकील का रोल फिल्म अभिनेता बोमन ईरानी ने किया था. दूसरी कड़ी में एक वकील फर्म शुरू करने के लिए एक महिला को धोखा देता है। जब उसे पता चलता है कि उस महिला ने आत्महत्या कर ली है और उसके साथ अन्याय हुआ था, तो वह खुद को दोषी समझता है और गलती सुधारने की कोशिश करता है.

  यंग मदर्स के हैल्थ इशूज

अगर आप भी स्वस्थ शरीर का साथ पाना चाहती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है…

फ्रीज करवाएं एग आमतौर पर महिलाओं में गर्भधारण की वैज्ञानिक उम्र 20 से 30 साल के बीच मानी जाती है लेकिन कैरियर को ध्यान में रख कर आज की महिला जल्दी मां नहीं बनना चाहतीं. लेकिन एक उम्र के बाद मां बनने में कौंप्लिकेशन आ सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर ऐसी कई महिलाएं हैं जो 30+ की उम्र में गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं. ऐसे में वे एग फ्रीज का रास्ता अपना सकती हैं ताकि बाद में उन्हें किसी तरह की प्रौब्लम न आए. एग फ्रीजिंग को मैडिकल भाषा में  क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं. इस प्रकिया में महिला अपने अंडाणु को 10-15 साल के लिए भी फ्रीज करवा सकती है.

युवा महिलाओं के लिए अपने अंडे फ्रीज करवाना अब आम बात हो गई है. कई फेमस सैलिब्रिटीज जैसे प्रियंका चोपड़ा, तनीषा मुखर्जी, एकता कपूर और राखी सांवत ने अपने एग फ्रीजिंग का रास्ता चुना है.

काया भटनागर जब औफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठ रही थी तो अचानक उस की कमर में तेज दर्द हुआ. यह दर्द उसे पहली बार नहीं हुआ, इस से पहले भी 2 बार उसे इस दर्द का सामना करना पड़ा था. लेकिन उस ने इसे इग्नोर किया और अब उस की यह समस्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है. ऐसा नहीं है कि काया की उम्र 40-45 साल है. इसलिए वह यह प्रौब्लम फेस कर रही है. काया अभी महज 35 साल की है और 3 साल के बच्चे की मां है. लेकिन अभी से उसे इस तरह का दर्द होना अपनेआप में चिंता का विषय है.

इस बारे में मणिपाल हौस्पिटल द्वारका में कंसल्टैंट गाइनोकोलौजिस्ट डाक्टर योगिता पाराशर कहती हैं कि 30 के बाद महिलाओं के शरीर में औस्टियोपोरोसिस की समस्या होने लगती है. इस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं जिस से वे आसानी से टूट सकती हैं, इसलिए उन के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है. यह समस्या आमतौर से मेनोपौज के बाद शुरू होती है जब शरीर में ऐस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है.

भरपूर डाइट लें

अगर आप इस से बचना चाहती हैं तो कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लें. पौसिबल हो तो सुबह की ताजा भी धूप भी लें. इस के अलावा वजन उठाने वाले काम करने से बचें. स्मोकिंग और शराब को अवौइड करें और साथ ही हड्डियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए नियमित तौर से बोन डैंसिटी टैस्ट भी करवाती रहें. तभी आप एक स्वस्थ शरीर का साथ पा पाएंगी. सिर्फ औस्टियोपोरोसिस ही एक ऐसी समस्या नहीं है जिस का सामना महिलाओं को 30+ होने के बाद करना पड़ता है. ऐसे बहुत से हैल्थ इशूज हैं जो महिलाएं अपनी लाइफ में 30 की उम्र पार करने के बाद देखती हैं, ये क्या हैं आइए जानते हैं:

इनरैग्युलर पीरियड्स

ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन में बदलाव की वजह से महिलाओं की मैंस्ट्रुअल साइकिल भी प्रभावित होता है, जिसे मैडिकल भाषा में पीसीओडी भी कहा जाता है वहीं पीरियड्स के दिन आगेपीछे होने की वजह से कई बार हैवी ब्लीडिंग होने लगती है तो कई बार ब्लीडिंग कम होती है या फिर कई बार पीरियड्स महीनामहीना नहीं होते.

इंडिया में 25त्न महिलाएं इनरैग्युलर पीरियड्स या कई महीने तक पीरियड्स न होने के बाद फिर से पीरियड्स होना, जिसे अमेनोरिया कहते हैं जैसी समस्याओं से जू?ा रही हैं वहीं 30 से 40 साल की उम्र वाली महिलाओं में प्रीमैच्योर ओवेरियन फेल्योर या पीओएफ के मामले 0.1त्न है.

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या का एक मुख्य कारण है. इस की वजह से बनने वाले सिस्ट का अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह आगे चल कर कैंसर का रूप ले सकता है. भारत में आज करीब 10त्न महिलाएं किशोरावस्था में ही पीसीओएस की प्रौब्लम का सामना कर रही हैं.

फाइब्रौयड्स की प्रौब्लम

फाइब्रौयड्स आजकल महिलाओं की सब से आम समस्या बन गई है. आमतौर पर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में होता है. इस से पीडि़त कुछ महिलाएं अपने फाइब्रौयड्स से अज्ञान होती हैं, जबकि कुछ फाइब्रौयड्स को अल्ट्रासाउंड या अन्य जांचों से पता लगाया जाता है. इसलिए समयसमय पर अपने मैडिकल टैस्ट करवाती रहें ताकि समय रहते बीमारी का इलाज किया जा सके.

मोटापे को कहें न

इस के अलावा 30+ की उम्र की महिलाओं में ऐंड्रौइड ओबेसिटी की समस्या भी देखने को मिलती है. इस समस्या में पेट के आसपास चरबी जमा होने लगती, जिसे आम भाषा में बैली फैट भी कहते हैं. होता यह है कि 30 साल की उम्र के बाद फीमेल हारमोन में कमी आने लगती है, जिस की वजह से यह प्रौब्लम होने लगती है. अगर आप अपने पेट के आसपास फैट नहीं चाहतीं तो आप खुद को मोटापे से बचाए रखें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपनी डाइट से चावल, मैगी, जंक फूड, ब्रैड और बेकरी से बने प्रोडक्ट्स से दूरी बनाएं और प्रोटीन, विटामिन सी, ई, बी12 को डाइट में शामिल करें.

डायबिटीज का बढ़ सकता है खतरा

30+ की उम्र में अगर लाइफस्टाइल और खानपान को सही नहीं रखा जाए तो डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. डायबिटीज की बीमारी होने पर उस के साइन बौडी में दिखने लगते हैं. ये साइन हैं- ज्यादा थकान होना, नजर का धुंधला होना, बहुत प्यास लगना, पेशाब ज्यादा आना, वजन कम होना, मसूड़ों में परेशानी होना. ये लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से मिलें.

हड्डियों की बिगड़ सकती है सेहत

30+ होते ही महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्सियम और विटामिन डी को भरपूर मात्रा में लेना चाहिए. इस उम्र को पार करने के बाद हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. हारमोंस में चेंज की वजह से शरीर के ढांचे पर असर पड़ता है. जोड़ों में पुराना दर्द, भंगुर हड्डियां खराब होने का ही एक लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए आप कैल्सियम से भरपूर खाद्यपदार्थ अपनी डाइट में शामिल करें जैसे दूध, पनीर और अन्य डेयरी खाद्यपदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली, गोभी और भिंडी आदि, सोया सेम, मछली.

ताकि न बनें हार्ट पेशैंट

30 साल के बाद महिलाओं में दिल की समस्याओं जैसे हार्ट अटैक एक खास समस्या बन कर उभरती है. इस की वजह में हाई ब्लड प्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा और स्मोकिंग शामिल हैं. डाइटिशियन का मानना है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहिए. इस के लिए उन्हें रैग्युलर ऐक्सरसाइज करनी चाहिए और डाइट में सैचुरेटेड फैट्स व ट्रांस फैट्स कम मात्रा में लेने चाहिए.  इस के अलावा डाक्टर से समयसमय पर ब्लड प्रैशर और कोलैस्ट्रौल की जांच भी करवाते रहना चाहिए.

मैंटल हैल्थ भी है जरूरी 30 साल की उम्र के बाद हमारे लाइफस्टाइल और कुछ गलत आदतों की वजह से हम खुद को ऐंग्जाइटी, डिप्रैशन से घिरा हुआ पाते हैं. आलसपन में बिस्तर पर पड़े रहना, पोषक आहार की कमी, देर रात तक पार्टीज, शराब इन सब का असर हमारी फिजिकल हैल्थ के साथसाथ मैंटल हैल्थ पर भी पड़ता है. ऐसे में खुद को इन समस्याओं से बचाने के लिए हमें हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए जिस में ऐक्सरसाइज से लेकर हैल्दी फूड तक शामिल है.

ब्रैस्ट औग्मैंटेशन से पाएं मनचाहा आकार

महिलाओं की खूबसूरती में उन के सुडौल स्तन चार चांद लगा देते हैं. एक दशक पूर्व तक एक महिला को उस के प्राकृतिक स्तनों के साथ ही जीना होता था, फिर चाहे वे छोटे हों या बड़े. मगर अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि बड़े स्तनों को छोटा और छोटे स्तनों को आसानी से बड़ा करवाया जा सकता है.

कामसूत्र और भारतीय सौंदर्यशास्त्र के अनुसार महिलाओं के बड़े और सुडौल स्तन उन की खूबसूरती को बढ़ा कर आत्मविश्वास को दोगुना कर देते हैं. कुछ वर्षों पूर्व तक फिल्म जगत की अभिनेत्रियां ही अपने सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए अपने छोटे स्तनों की सर्जरी करवा कर बड़ा करवाया करती थीं क्योंकि उन दिनों यह प्रक्रिया काफी कीमती हुआ करती थी परंतु आज नईनई तकनीकें आ गई हैं जिस से यह सर्जरी आम इंसान की पहुंच में भी हो गई है. इसीलिए आजकल स्तनों के आकार को बढ़ाना काफी कौमन हो गया है.

आजकल महिलाएं अपने स्तनों का मनचाहा आकार देने के लिए ब्रैस्ट सर्जरी कराने लगी हैं. ‘डाक्टर करिश्मा ऐस्थैटिक्स’ की संचालिका डाक्टर करिश्मा स्तनों का आकार बढ़ाने की सर्जरी के बारे में बताती हैं कि ब्रैस्ट सर्जरी मुख्यत: 2 प्रकार की होती है- औग्मैंटेशन सर्जरी जो छोटे स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए की जाती है और दूसरी ब्रैस्ट रिडक्शन सर्जरी जो बड़े स्तनों को छोटा करने के लिए की जाती है.

ब्रैस्ट रिडक्शन सर्जरी अकसर प्राकृतिक रूप से बढ़े हुए स्तनों को छोटा करने के लिए तब की जाती है जब बढ़े हुए स्तन बैठने, सोने और चलने में परेशानी पैदा करने लगते हैं. आमतौर पर महिलाएं स्तनों को सुडौल आकार देने और बढ़ाने के लिए ब्रैस्ट सर्जरी कराती हैं और इस प्रक्रिया को ब्रैस्ट औग्मैंटेशन/ब्रैस्ट मैमोप्लास्टी/ब्रैस्ट इंप्लांटेशन कहा जाता है. एक महिला की ब्रैस्ट में औग्मैंटेशन 3 प्रकार से किया जाता है-

सिलिकौन ब्रैस्ट इंप्लांट

सिलिकान जैल से ब्रैस्ट का औग्मैंटेशन करना पूरे विश्व में सर्वाधिक प्रचलित तरीका है. इस प्रक्रिया में ब्रैस्ट का साइज बढ़ाने के लिए सिलिकौन जैल का उपयोग किया जाता है. सिलिकौन जैल मूलत: सिलिकौन, औक्सीजन और कार्बन हाइड्रोजन जैसे तत्त्वों से बना होता है आजकल भांतिभांति के आकार और शेप के सिलिकौन जैल उपलब्ध हैं जिन का इस प्रक्रिया के दौरान प्रयोग किया जाता है.

ब्रैस्ट का जितना आकार बढ़ाना है उस के अनुसार एक शैल होता है जिसे सिलिकौन जैल से भरा जाता है और फिर सर्जरी कर के इसे स्तन में इंप्लांट कर दिया जाता है. आमतौर पर इस में जोखिम काफी कम होता है,   झुर्रियां भी कम आती है परंतु जैल के फट जाने पर दोबारा सर्जरी कराने की आवश्यकता होती है परंतु इस प्रकार की घटनाएं बहुत कम होती हैं.

फैट ट्रांसफर

इस सर्जरी में शरीर के फैट वाले हिस्से पेट, नितंब या जांघ जैसे स्थान से फैट को निकाल कर ब्रैस्ट पर इंजैक्ट कर दिया जाता है परंतु इस प्रक्रिया के लिए सर्जरी कराने वाली महिला के शरीर में पर्याप्त फैट पैकेट्स होना आवश्यक होता जहां से फैट को निकाला जा सके. इस प्रक्रिया में सर्जरी के निशान तो काफी कम आते हैं परंतु इस से स्तनों के आकार को एक निश्चित सीमा तक ही बढ़ाया जा सकता है. इन 2 तरीकों के अलावा ब्रैस्ट का साइज बढ़ाने के लिए इंजैक्शन और क्रीमें भी उपलब्ध हैं परंतु वे उतनी कारगर नहीं होतीं.

किस उम्र की महिलाएं करवा सकती हैं

ब्रैस्ट का साइज बढ़ाने के लिए मरीज की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए क्योंकि इस उम्र तक एक लडकी की ब्रैस्ट संपूर्ण रूप से विकसित हो चुकी होती है. मगर सिलिकौन ब्रैस्ट इंप्लांट के लिए किसी भी महिला की उम्र 22 साल होनी चाहिए. आजकल महिलाएं अपना परिवार पूरा करने के बाद अपनी ब्रैस्ट की सर्जरी कराना पसंद करती हैं ताकि स्तनपान के बाद भी उन के स्तनों का सौंदर्य बरकरार रहे.

वास्तव में देख जाए तो इस प्रकार की सर्जरी के लिए उम्र की अपेक्षा महिला का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना अधिक आवश्यक होता है.

कितना आता है खर्च

ब्रैस्ट औग्मैंटेशन प्रक्रिया का औसत खर्च 1 लाख 20 हजार से ले कर 2 लाख तक हो सकता है क्योंकि अलगअलग मैडिकल सैंटर की सुविधा, आवास, डाक्टर और ऐनेस्थीसिया की फीस अलगअलग हो सकती है.

कितना लगता है समय

यदि ब्रैस्ट के साइज को बढ़ाने के लिए सिलिकौन जैल इंप्लांट किया जा रहा है तो यह प्रक्रिया मात्र 30-45 मिनट में पूरी हो जाती है क्योंकि इस प्रक्रिया में महिला की बगल में एक चीरा लगा कर सिलिकौन मोल्ड को इंप्लांट कर दिया जाता है परंतु यदि फैट इंप्लांट किया जाता है तो यह प्रक्रिया 1 से 2 घंटे का समय ले लेती है क्योंकि इस में 2 बार सर्जरी की जाती है एक शरीर के फैट निकाले जाने वाले स्थान की और दूसरी ब्रैस्ट की जहां फैट को इंप्लांट किया जा रहा है.

क्या हैं साइड इफैक्ट्स

ब्रैस्ट का आकार बढ़ाना यों तो एक सामान्य सर्जरी की भांति ही होता है और आमतौर पर इस का कोई साइड इफैक्ट नहीं होता. सर्जरी के कुछ समय बाद तक हलकाफुलका दर्द, निप्पल की सैंसिटिविटी में फर्क महसूस होना, चुभन या जलन होना सर्जरी के सामान्य लक्षण होते हैं परंतु कई बार कुछ केसेज में सर्जरी के 48 घंटे के दौरान ही ब्रैस्ट में ब्लड की क्लोटिंग जिसे मैडिकल की भाषा में ‘हेमाटोमा’ और फ्लूइड का रिसना जिसे सेरोमा कहा जाता है प्रारंभ हो सकता है. इसलिए इस प्रकार की सर्जरी हमेशा ऐसे कुशल डाक्टर की निगरानी में करवानी चाहिए ताकि सर्जरी के लास्ट मिनट तक किसी भी स्थिति को संभाला जा सके.

निप्पल सर्जरी कब की जाती है

आमतौर पर ब्रैस्ट का साइज बढ़वाते समय निप्पल की सर्जरी नहीं की जाती है परंतु कई बार अत्यधिक चोट लगने या ब्रैस्ट कैंसर होने पर जब स्तन को उस के स्थान से काटना पड़ता है तब निप्पल की सर्जरी की जाती है. लिंग परिवर्तन के दौरान भी निप्पल सर्जरी की जाती है.

निप्पल सर्जरी की प्रक्रिया काफी कठिन और टाइम टेकिंग होती है क्योंकि निप्पल के अंदर बहुत सारी दुग्धग्रंथियां होती हैं और निप्पल सर्जरी के दौरान निप्पल के साथसाथ उन समस्त दुग्धग्रंथियों को भी निकालना पड़ता है. निप्पल की त्वचा का गहरा रंग प्राप्त करने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग अर्थात त्वचा प्रत्यारोपण और टिशू फ्लेपिंग भी करनी पड़ती है ताकि स्तन का स्वाभाविक रंग पाया जा सके. इसीलिए सामान्य ब्रैस्ट औग्मैंटेशन की अपेक्षा निप्पल की सर्जरी की कीमत काफी अधिक हो जाती है.

कब कराएं एसी की सर्विस

एयर कंडीशनर गरम वातावरण से राहत दे कर आप को ठंडक और सुकून का एहसास कराता है. यही कारण है कि अब पंखों और कूलरों से ज्यादा एसी का चलन बढ़ रहा है. एसी में स्नह्म्द्गशठ्ठ गैस का उपयोग किया जाता हैं. जब भी हम एसी खरीदते हैं तो हमें लगता है कि वह काफी समय तक चल सकता है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. कुछ हद तक एसी की लाइफ उस की मौडल यूनिट पर निर्भर करती है.

लेकिन उस से भी ज्यादा निर्भर करती है कि आप एसी की देखभाल कैसे करते हैं. अधिकांश लोग एसी पर तभी ध्यान देते हैं, जब उस से हवा आनी कम हो जाती है या उस में से बदबू आनी शुरू हो जाती है या उस में से आवाज आनी शुरू हो जाती है.

अगर आप चाहते हैं कि आप का एसी सालों तक आप का साथ निभाए और उस पर आप को पैसे खर्च भी नहीं करना पड़ें तो अपने एसी की देखभाल अच्छे से करें और कम से कम साल में 2 बार एसी की सर्विसिंग करवाएं. इस से उस की लाइफ को बढ़ा सकते हैं. अपने एसी की यूनिट की लाइफ को बढ़ाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

धूल या डस्ट का जमा होना: एसी को भी सफाई की जरूरत होती है. एसी की सफाई न करने से इस में जमा होने वाली धूल या डस्ट एअर फ्लो को ब्लौक करने लगती है, साथ ही इस के फिल्टर पर जमा कचरे से कौइल पर बर्फ भी जम सकती है. इस के अलावा इस से सांस की बीमारी होने का भी खतरा बना रहता है और यह बड़ों से ले कर बच्चों तक सभी के नुकसानदेह हो सकता है. इन सब परेशानियों से बचने के लिए तो एसी की सफाई करना बेहद जरूरी है.

कम कूलिंग: तेज गरमी है और हम ने एसी चालू किया और उस में कूलिंग कम हो तो हम परेशान हो जाते हैं और हम एसी की सर्विसिंग भी नहीं करवा पा रहे हैं तो आप कोशिश और थोड़ी मेहनत कर के घर पर भी विंडो एसी की सर्विस कर सकते हैं. आप उस के एअर फिल्टर साफ कर लें. ऐसा करने से भी आप को राहत मिलेगी और एसी का एअरफ्लो भी काफी बढ़ जाएगा.

स्पिलिट एसी की सर्विसिंग भी आप ऐसे ही कर सकते हैं. इनडोर यूनिट के एअर फिल्टर साफ करने के बाद आप को आउटडोर यूनिट भी साफ करनी होती है जिसे आप पानी से धो भी सकते हैं. फिर समय मिले तो एसी की सर्विसिंग जरूर करवा लें ताकि आप गरमी से राहत पा सकें.

फिल्टर को नियमित रूप से बदलें: एसी की सर्विसिंग के दौरान फिल्टर की जांच करनी चाहिए. यदि वे गंदे हैं तो उन्हें बदलने के बारे में विचार जरूर करना चाहिए भले उन्हें अभी बदलने का समय नहीं आया हो.

गंदे एअर फिल्टर का मतलब है कि घर में हवा को फैलाने के लिए सिस्टम को दोगुनी मेहनत करनी होगी. इस से न केवल पंखे पर असर पड़ता है बल्कि पूरे कूलिंग सिस्टम को नुकसान पहुंचता और कमरा पूरी तरह से ठंडा नहीं हो पाता. फिल्टर भी जल्द ही खराब हो जाता है. एसी की लंबी उम्र के लिए फिल्टर की नियमित जांच जरूर करवानी चाहिए.

कंडैंसर की करें जांच: एअर कंडीशनर का आनंद लेने के लिए एसी के कंडैंसर की जांच भी जरूरी है क्योंकि कंडैंसर घर के बाहर स्थित होता है. कंडैंसर को बाहर के मौसम से भी नुकसान हो सकता है. इस के अलावा, कंडैंसर के आसपास जमा हुए कचरे को साफ करें. यदि कंडैंसर की बगल में घास या कोई पौधा बढ़ रहा है तो उसे साफ किया जाना चाहिए.

लीक्स को चैक करना भी जरूरी: 1 साल में कम से कम एक बार लीक चैक कर लेनी चाहिए. अगर किसी भी नली से लीक हो रही है तो यह एसी के लिए अच्छा नहीं होता है. इसे तुरंत रिपेयरिंग करवाना चाहिए वरना एसी की कंडीशन खराब हो सकती है और एसी जल्द खराब हो सकता है.

एसी को दे आराम: एसी को आराम देना बेहद जरूरी होता हैं. जिस तरह हम काम करतेकरते थक जाते हैं, हमारा शरीर आराम चाहता है, आराम मिलने के बाद शरीर वापस ऊर्जा प्राप्त कर के काम करने लगता है उसी प्रकार एसी भी लगातार चलतेचलते थक जाता है. इसलिए उसे फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए उसे आराम देना बहुत जरूरी होता है.

जब एअर कंडीशनर लगातार चलाया जाता है तो वह जल्दी खराब हो जाता है. अगर आप कुछ दिनों के लिए घर से बाहर जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि एसी को ठीक तरह से बंद कर के ही जाएं. यूनिट को चालू रखने के लिए आप थर्मोस्टैट को कम से कम 5 डिगरी घुमा सकते हैं. इस से हवा ठंडी नहीं होती है. वहीं रात के समय थर्मोस्टैट को चालू कर सकते हैं. ये दोनों ही तरीके आप की एसी यूनिट की लाइफ को बढ़ाने में मदद करेंगे.

डक्ट्स को रखें साफ: कई बार हमारे घर में एसी की ठंडक नहीं होती है. इस का एक बड़ा कारण एअर डक्ट्स हो सकते हैं. अगर ये गंदे हो जाते हैं तो हवा का फ्लो कम हो जाता है. ऐसे में एअर डक्ट्स की सफाई करना नियमित तौर पर जरूरी है. यह एसी की एअर क्वालिटी को बेहतर करता है. 1 वर्ष में एक बार एयर डक्ट की सफाई करनी चाहिए.

एसी की सर्विसिंग से शोर होता खत्म: एसी की नियमित सर्विसिंग से आवाज को कम किया जा सकता है. आप परिवार के किसी सदस्य के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसी बीच एसी को चालू कर देते हैं, पर अचानक आप सदस्य की आवाज सही तरह से सुन नहीं पाते क्योंकि एसी की तेज आवाज उस की आवाज को दबा देती है. ऐसा दिन में कई बार होता है.

एक एसी यूनिट जिस की सर्विस नहीं किया जाता है वह आसानी से सिंक से बाहर हो सकती है. पंखा चीजों को इधरउधर कर सकता है और अलगअलग हिस्सों को ढीला कर सकता है.

जब पेंच थोड़े ढीले होते हैं तो वे आपस में खड़खड़ा या टकरा सकते हैं जिस से बहुत अधिक आवाज आनी शुरू हो जाती है.

दर्द का रिश्ता: क्या हुआ अमृता के साथ

‘‘अरेअमृता, सभी लड़कियां दीवाली मनाने अपनेअपने घर चली गईं, तुम क्यों नहीं गईं? दीवाली की तो तुम्हारे औफिस में भी छुट्टी होती होगी?’’ पेइंगगैस्ट हाउस की मालकिन मालती सभी लड़कियों के घर जाने के बाद अमृता के कमरे में बत्ती जली देख कर उस के कमरे में जा कर चौंक कर बोलीं.

‘‘नहीं आंटी, बस ऐसे ही मन नहीं हुआ जाने का… कोई खास बात नहीं… मैस बंद हो गया है तो भी कोई बात नहीं, मैं बाहर खाना खा लूंगी. 1 हफ्ते के अंदर तो सभी लड़कियां आ ही जाएंगी… आप चिंता मत करिए,’’ अमृता ने बुझे मन से बात टालने के लिए कहा.

मगर अमृता का उदास चेहरा देख कर मालती भांप गईं कि कोई बात जरूर है, जिस ने इसे इतने बड़े त्योहार पर भी घर जाने से रोक लिया.

‘‘बेटा, साथ रहतेरहते हम सभी एक परिवार की तरह हो गए हैं. मैस बंद हो गया तो क्या… मैं अपने लिए तो खाना बनाऊंगी ही न और फिर अब मुझे तुम सब के साथ खाना खाने की आदत भी पड़ गई है. अकेले खाना मुझे अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए हम दोनों साथ खाना खाएंगी. मैं तुम्हारी मां की तरह हूं… यदि तुम्हें उचित लगे तो मुझ से तुम कुछ भी मत छिपाओ… शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं. मुझ से तुम्हारा इस तरह उदास रहना नहीं देखा जा रहा,’’ मालती ने उस के पास बैठते हुए उस की पीठ पर हाथ रख कर कहा तो उन का ममता भरा स्पर्श पा कर अमृता की आंखों में रुके आंसू बह निकले.

‘‘मेरी मां मुझे पैदा करते ही अकेला छोड़ चल बसी थीं, मेरी मौसी ही मेरी सौतेली मां हैं. घर पर रहती हूं तो वे मुझे कोसने का कभी

कोई मौका नहीं छोड़तीं कि पैदा होते ही मैं ने मां को खा लिया, यदि ऐसा नहीं होता तो उन्हें मुझे पालने के लिए अपनी बड़ी बहन की जगह नहीं लेनी पड़ती. उस जमाने में मातापिता का वर्चस्व ही सर्वोपरि होता था. मेरे नानानानी ने सोचा कि मौसी से अधिक अच्छी तरह और कौन मेरी देखभाल कर सकता है. पापा ने भी

यह सोच कर मौसी से विवाह कर लिया कि वे अपनी बहन की बेटी को अपनी बेटी की तरह पालेंगी, लेकिन इस के विपरीत उन्होंने अपना सारा आक्रोश मुझ पर ही निकालना शुरू कर दिया.

आप बताइए मैं अपनी मां की मृत्यु का कारण कैसे हो सकती हूं…? मेरा इस में क्या दोष है और यदि उन का विवाह मेरे पापा से हुआ तो उस में मेरी क्या गलती है? इसीलिए मेरे पापा ने मुझे होस्टल में रख कर ही पढ़ाया और मुझे वे कभी घर नहीं आने देना चाहते ताकि मुझे अकारण मौसी के व्यंग्यबाण न सहने पड़ें. जब उन का मन होता है, वे स्वयं मुझ से मिलने आ जाते हैं,’’ अमृता ने सुबकते हुए बिना किसी भूमिका के सब कह डाला.

मालती उस की बात सुन कर उसे अपने गले से लगाते हुए बोलीं, ‘‘मुझे बहुत दुख हुआ ये सब जान कर, लेकिन तुम दुखी मत हो… किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताना,’’ कह वे चली गईं.

मालती के जाते ही अमृता सोच में पड़ गई कि कितना विरोधाभास है उस की मौसी और मालती आंटी के स्वभाव में. उस के मानसपटल पर 6 महीने पहले की घटना तैरने लगी. तबवह नौकरी के सिलसिले में पहली बार दिल्ली आई थी और एक पेइंगगैस्ट हाउस में रहना शुरू किया था. आते ही उसे वायरल बुखार ने अपनी चपेट में ले लिया. मैस में बना खाना उसे नहीं खाना था. फिर उस के अनुरोध  करने पर भी जब मैस चालक ने उसे उस की पसंद का खाना देने से इनकार कर दिया तो वह पास की दुकान पर ब्रैड लेने पहुंच गई. लेकिन जब दुकानदार ने ब्रैड नहीं है कहा तो वह बड़बड़ाई कि तबीयत ठीक नहीं है. लगता है मुझे मैस का तलाभुना खाना ही खाना पड़ेगा.

दुकान पर ही पास खड़ी मालती ने उस की बात सुन ली और फिर उस का हाथ छूते हुए बोलीं, ‘‘बेटा, तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है, तुम्हें तो तेज बुखार है. मेरे घर चलो, पास में ही है. तुम्हें तुम्हारी पसंद का खाना बना कर खिलाऊंगी.’’

अनजान शहर में एक अनजान औरत से ऐसी आत्मीयता भरी बात सुन

कर वह हत्प्रभ रह गई. उसे वे पढ़ीलिखी और संभ्रांत परिवार की लग रही थीं, लेकिन प्रतिदिन इतनी वारदातें सुनने में आती हैं… एकदम से किसी पर भी विश्वास करना उसे ठीक नहीं लगा, इसलिए उस ने जवाब देते हुए कहा, ‘‘नहीं आंटी, मैं मैनेज कर लूंगी. आप परेशान न हों.’’

‘‘इस में परेशानी की कोई बात नहीं. तबीयत खराब हो तो खाना भी ठीक से मिलना जरूरी है वरना तबीयत और बिगड़ सकती है.’’

‘‘उन की बात बीच में ही काट कर दुकानदार बोला, ‘‘अरे, ये पास में ही तो रहती हैं. बहुत अच्छी हैं. मैं इन्हें 20 सालों से जानता हूं.’’

मालती के आत्मीयता भरे आमंत्रण पर दुकानदार के आश्वासन की मुहर लगते ही अमृता के नानुकुर करने की गुंजाइश ही नहीं रही. अत: बोली, ‘‘ठीक है,’’ और फिर उन के साथ उन के घर पहुंच गई.

एक बड़ी सी दोमंजिला कोठी के सामने जा कर दोनों रुक गईं. मालती उसे एक बड़े ड्राइंगरूम में ले गईं. सामने दीवार पर प्रौढ़ावस्था के पुरुष का माला पहने हुए बड़ा सा फोटो लगा था. उस ने अनुमान लगाया कि वह फोटो उन के पति का ही होगा.

मालती ने उसे दीवान पर आराम करने के लिए कहा और फिर अंदर जा कर तुरंत चाय बना लाईं. उस के साथ ब्रैडस्लाइस भी थे. अमृता को बहुत संकोच हो रहा था, उन्हें ये सब करते देख कर.

उस ने सकुचाते हुए पूछा, ‘‘आंटी, आप यहां अकेली रहती हैं?’’

‘‘हां, एक बेटा है… इंजीनियर है वह. पुणे में नौकरी करता है.’’

‘‘आंटी एक बात कहूं… यदि बुरा लगे तो प्लीज मुझे माफ कर दीजिएगा.’’

‘‘नहीं बेटा, बोलो क्या कहना चाहती हो? निस्संकोच कहो.’’

उन के उत्तर से अमृता की हिम्मत बढ़ गई. बोली, ‘‘आंटी, आप का इतना बड़ा घर

है, आप को अकेलापन भी लगता होगा, आप क्यों नहीं ऊपर की मंजिल पर कुछ कमरे हम जैसी लड़कियों को रहने के लिए दे देतीं?’’ आंटी प्लीज यह मत सोचिएगा कि मैं आप की स्थिति का फायदा उठाना चाहती हूं. छोटे मुंह बड़ी बात तो नहीं कह दी मैं ने?’’ इतना बोलते ही अमृता को अपराधभावना ने घेर लिया.

लेकिन तुरंत ही मालती के उत्तर से वह उस से बाहर आ गई. मालती बोली, ‘‘नहीं बेटा, तुम ने बहुत अच्छी सलाह दी है… इस से मेरा अकेलापन भी दूर हो जाएगा और यह मकान भी जरूरतमंदों के काम आ जाएगा.’’

‘‘सच आंटी?’’ उस ने खुशी जताते हुए कहा. फिर थोड़ी तटस्थ हो कर उन्हें और सोचने का मौका न देते हुए बोली, ‘‘तो फिर देर किस बात की… मैं शाम को ही अपनी रूममेट्स को ले कर आती हूं.’’

‘‘ठीक है, लेकिन अभी लंच कर के जाना और वादा करो कि जब तक तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं हो जाती, यहीं खाना खाओगी. मुझे भी कंपनी मिल जाएगी.’’

‘‘अब तो मुझे यहीं रहना है, बहुतबहुत धन्यवाद आंटी…’’ अमृता उन से लिपट कर भावातिरेक में और बहुत कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन पहली मुलाकात में इतना अनौपचारिक होने में उसे संकोच हुआ और मालती की भी शायद यही स्थिति थी. लंच कर के शाम को फिर आने का वादा कर के वह चली गई.

शाम को अमृता अपने साथ 4 लड़कियों को ले कर मालती के घर पहुंच गई. मालती उन लोगों को देख कर बहुत खुश हुईं और फिर बोलीं, ‘‘ठीक है, मुझे 1 हफ्ते का समय दो ताकि ऊपर मैं किसी को बुला कर तुम लोगों के रहने का इंतजाम करा सकूं… जब तक मैस का इंतजाम नहीं होता, तुम लोग मेरी किचन में ही खाना खाना.’’

‘‘अरे वाह आंटी, लेकिन किसी को बुलाने की आवश्यकता क्या है? हम चारों ही मिल कर सारी व्यवस्था कर लेंगे. मैस जब तक नहीं बनेगा, हम आप को आप की किचन में खाना बना कर खिलाएंगे, हमें खाना बनाना आता है. आप जो चार्ज करेंगी हम दे देंगे…’’ दूसरी लड़की प्रियंका ने थोड़ा अनौपचारिक होते हुए कहा.

‘‘पैसे की तो मेरे पास कोई कमी नहीं है. बस थोड़ा अकेलापन रहता है… वह तुम लोगों के रहने से दूर हो जाएगा. लेकिन एक बात का ध्यान रखना मैं थोड़ी अनुशासनप्रिय हूं… टीचर थी न. बहुत ऊंची आवाज में म्यूजिक सुनना और लेट नाइट आनाजाना मुझे पसंद नहीं… कोई मजबूरी हो तो बात अलग है.’’

सारी बातें तय हो गईं और उस के बाद उन लड़कियों ने मिल कर ऊपर के 2 कमरों को व्यवस्थित किया. देखने से लग रहा था कि महीनों से उन कमरों की किसी ने खोजखबर नहीं ली है. ऊपर 5 कमरे थे. बाकी के कमरों में भी महीनेभर के अंदर ही और लड़कियां आ गई थीं.

यह सत्र की शुरुआत थी, इसलिए उन में से कुछ पढ़ने वाली लड़कियां थीं. मैस का

भी इंतजाम हो गया था, लेकिन मालती खाना अपने सुपरविजन में ही बनवाती थीं. कुल मिला कर 10 लड़कियां थीं. हरेक के खाने की पसंद का खयाल रखा जाता था.

कोई बीमार पड़ती तो उस के लिए अलग से खाना बनता था. सभी लड़कियां मालती के व्यवहार से बहुत खुश रहती थीं और जल्दी उन से घुलमिल गई थीं. उन्हें अपने घर की कमी नहीं महसूस होती थी. मालती भी अपना खाना मैस में ही खाती थीं.

एक बात सब ने महसूस की थी कि मालती का व्यवहार सामान्य औरतों से कुछ हट कर था. एक गहरी उदासी की परत उन के चेहरे पर छाई रहती थी. कभी किसी ने उन्हें खुल कर हंसते नहीं देखा था. लड़कियों का अनुमान था कि शायद पति की मृत्यु हो जाने और बेटे के दूर रहने पर बुझीबुझी रहती हैं.

अमृता के मोबाइल की घंटी बजी तो उस की विचारतंद्रा को झटका लगा. मालती का फोन था, उन्होंने डिनर के लिए उसे नीचे बुलाया था. वह तुरंत नीचे पहुंच गई और फिर सकुचाते हुए बोली, ‘‘सौरी आंटी, मुझे खाना बनाना चाहिए था… मैं आ ही रही थी. आप क्यों परेशान हुईं?’’

‘‘कोई बात नहीं, तुम्हारी मां होतीं तो क्या तुम्हें बना कर नहीं खिलातीं? आज के बाद मुझे अपनी मां ही समझो. वैसे भी तुम्हें एक प्यार करने वाली मां चाहिए और मुझे एक बेटी. फिर क्यों न हम दोनों मिल कर एकदूसरे के जीवन की इस कमी को पूरी कर दें?’’

अमृता उन की बात सुन कर अवाक रह गई. आज मालती बहुत खुश दिखाई दे रही थीं. उन का यह नया रूप देख कर वह हैरान हो रही थी. उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था. अपने कमरे में आ कर भी वह मालती के कथन के बारे में ही सोचती रही. उस की स्थिति जानने के बाद मालती की उस के प्रति प्रतिक्रिया उसे असमंजस की स्थिति में डाल रही थीं.

दीवाली के अगले दिन अमृता के पापा उस से मिलने आए तो हमेशा की तरह उस के कमरे में न आ कर उसे नीचे ही मिलने के लिए बुलाया. वह नीचे ड्राइंगरूम के बाहर मालती की आवाज सुन कर ठिठक कर खड़ी हो गई.

मालती कह रही थीं, ‘‘मेरी मां भी मुझे पैदा करते ही चल बसी थीं… अमृता की मनोस्थिति को मुझ से अधिक और कौन समझ सकता है? मैं उस की मां का स्थान तो नहीं ले सकती, लेकिन उस के जीवन की इस कमी को तो कुछ हद तक उस की सास बन कर जरूर पूरा कर सकती हूं… अमृता जैसी लड़की मुझे बहू के रूप में मिल जाएगी तो मुझे बेटी की भी कमी नहीं खलेगी. मैं ने कल अपने बेटे रोहित से भी बात की थी, उस ने मेरी पसंद पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी है. किसी प्रकार का दबाव आप या आप की बेटी पर नहीं है. आप दोनों को ठीक लगे तो मैं बात आगे बढ़ाऊं.’’

यह सुन कर अमृता के पांव जमीन में जैसे जम से गए. उसे समझने में देर नहीं लगी कि उस दिन आंटी उस पर इतनी ममता क्यों उड़ेल रही थीं. अभी वह सोच ही रही थी कि मालती की नजर उस पर पड़ गई. वे बाहर आ कर उस का हाथ पकड़ कर अंदर ले गईं.

उस के चेहरे की लजीली मुसकान से वे समझ गईं कि उस ने उन की सारी बातें सुन ली हैं और उसे इस रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं है. अत: बोंली, ‘‘अभी तक तो तुम ने एक गैस्ट के तौर पर मेरे घर में रौनक की है, अब मेरी बहू बन कर मेरे बेटे की और मेरी जिंदगी में रौनक कर दो. तुम्हें मेरी बहू बनना था, इसीलिए उस दिन तुम मुझे दुकान पर मिली थी. अमृता भावातिरेक में उन के पांव छूने के लिए झुकी तो मालती ने उसे उठा कर अपने गले से लगा लिया.’’

अमृता बोली, ‘‘मैं ने मां को तो नहीं देखा, लेकिन होतीं तो आप जैसी हीं होतीं.’’

अमृता के पापा मूकदर्शक बने इस दर्द के रिश्ते को देख रहे थे. उन की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले.

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ताप्ती: उसने जब की शादीशुदा से शादी

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Mother’s Day 2024: मुंबई का मसालेदार स्वाद ‘बेक्ड वड़ा पाव’

मदर्स डे के मौके पर अगर आप अपनी मां या बच्चों के लिए टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो मुंबई की फेमस डिश वड़ा पाव की रेसिपी ट्राय करें. ‘बेक्ड वड़ा पाव’ आसान और टेस्टी डिश है, जिसे आप अपनी फैमिली के लिए आसानी से बना सकती हैं.

सामग्री ब्रैड की

–  2 छोटे चम्मच सूखा खमीर

–  1 बड़ा चम्मच पिसी चीनी

–  1/4 कप कुनकुना पानी

–  2 कप मैदा

–  1 बड़ा चम्मच मिल्क पाउडर

–  1/2 कप कुनकुना दूध

–  नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

–  2 चम्मच तेल

–  1 चुटकी हींग

–  1/2 छोटा चम्मच जीरा

–  1/2 छोटा चम्मच सरसों

–  1 छोटा चम्मच साबूत धनिया दरदरा कुटा हुआ

–  8-10 करीपत्ते

–  1 बड़ा चम्मच अदरक व लहसुन बारीक कटा हुआ

–  1 हरीमिर्च बारीक कटी हुई

–  4 आलू उबले और मसले हुए

–  1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

–  1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

–  2 बड़े चम्मच धनिया पत्ती कटी हुई

–  1 बड़ा चम्मच नीबू का रस

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

एक कटोरी में सूखा खमीर, चीनी और कुनकुना पानी डाल कर मिलाएं. 20 मिनट एक तरफ रख दें. जब इस में झाग आ जाए तब इस में नमक, मैदा और मिल्क पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. थोड़ाथोड़ा कुनकुना दूध डालते हुए नर्म आटा गूंध लें. अब इसे ढक कर किसी गरम जगह पर तब तक रखें जब तक कि यह फूल कर डबल न हो जाए.

भरावन की विधि

कड़ाही में 2 चम्मच तेल गरम कर हींग, जीरा, सरसों और धनिया डाल कर चटकने दें. अब इस में अदरक व लहसुन डाल कर भून लें. फिर इस में नमक, लालमिर्च, धनिया पाउडर व हलदी पाडर डाल कर 1 मिनट भूनें. अब इस में आलू, हरीमिर्च डाल कर अच्छी तरह मिला लें. 5 मिनट बाद आंच बंद कर दें. नीबू का रस और धनियापत्ती डाल कर मिला लें और फिर ठंडा होने दें. आटे से लोईयां तोड़ें और थोड़ा मोटा और गोल बेल के बीच में

2-3 चम्मच भरावन (आलू का मिक्सर) रखें. इसे बंद कर गोल आकार दे दें. बेकिंग ट्रे पर रख कर किसी गरम जगह पर तब तक रखें जब तक कि यह फूल न जाए. फिर 180 डिग्री पर पहले से गरम ओवन में 10 मिनट बेक कर लें. बेक होने के बाद ऊपर मक्खन लगाएं और गरमगरम सर्व करें.

  • व्यंजन सहयोग: रीटा अरोड़ा

ईर्ष्या: क्या निशा को हुआ गलती का एहसास

निशा को डाक्टर ने जब यह बताया कि पेट में ट्यूमर है तथा आपरेशन कराना बेहद जरूरी है वरना वह कैंसर भी बन सकता है तो पति आयुष के साथ वह भी काफी घबरा गई थी. सारी चिंता बच्चों को ले कर थी. वरुण और प्रज्ञा काफी छोटे थे, उस की इस बीमारी का लंबे समय तक चलने वाला इलाज तो उस के पूरे घर को अस्तव्यस्त कर देगा.

सच पूछिए तो जब यह महसूस होता है कि हम अपाहिज होने जा रहे हैं या हमें दूसरों की दया पर जीना है तो मन बहुत ही कुंठित हो उठता है.

परिवार में सास, ननद, देवर, जेठ सभी थे पर एकाकी परिवारों में सब के सामने उस जैसी ही समस्या उपस्थित थी. कौन अपना घरपरिवार छोड़ कर इतने दिनों तक उस के घर को संभालेगा?

अपने आपरेशन से भी अधिक निशा को अपने घरसंसार की चिंता सता रही थी. यह भी अटल सत्य है कि पैर चाहे चिता में रखे हों पर जब तक सांस है तब तक व्यक्ति सांसारिक चिंताओं से मुक्त नहीं हो पाता.

आसपड़ोस के अलावा निशा ने अखबार में भी विज्ञापन देखने शुरू कर दिए तथा ‘आवश्यकता है एक काम वाली की’ नामक विज्ञापन अपना पता देते हुए प्रकाशित भी करवा दिया. विज्ञापन दिए अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि एक 21-22 साल की युवती घर का पता पूछतेपूछते आई. उस ने अपना परिचय देते हुए काम पर रखने की पेशकश की थी और अपने विषय में कुछ इस प्रकार बयां किया था :

‘‘मेरा नाम प्रेमलता है. मैं बी.ए. पास हूं. 3 साल पहले मेरा विवाह हुआ था पर पिछले साल मेरा पति एक दुर्घटना में मारा गया. संतान भी नहीं है. ससुराल वालों ने मुझे मनहूस समझ कर घर से निकाल दिया है. परिवार में अन्य कोई न होने के कारण मुझे भाई के पास रहना पड़ रहा है पर भाभी अब मेरी उपस्थिति सह नहीं पा रही है…वहां तिलतिल कर मरने की अपेक्षा मैं कहीं काम करना चाह रही हूं…1-2 स्कूलों में पढ़ाने के लिए अरजी भी दी है पर बात बनी नहीं, अब जब तक कोई अन्य काम नहीं मिल जाता, यही काम कर के देख लूं सोच कर चली आई हूं… भाई के घर नहीं जाना चाहती…काम के साथ रहने के लिए घर का एक कोना भी दे दें तो मैं चुपचाप पड़ी रहूंगी.’’

उस की साफगोई निशा को बहुत पसंद आई. उस ने कुछ भी नहीं छिपाया था. रुकरुक कर खुद ही सारी बातें कह डाली थीं. निशा को भी जरूरत थी तथा देखने में भी वह साफसुथरी और सलीकेदार लग रही थी. अत: उस की शर्तों पर निशा ने हां कर दी.

निशा को जब महसूस हुआ कि अब इस के हाथों घर सौंप कर आपरेशन करवा सकती हूं तब उस ने आपरेशन की तारीख ले ली.

नियत तिथि पर आपरेशन हुआ और सफल भी रहा. सभी नातेरिश्तेदार आए और सलाहमशवरा

दे कर चले गए. प्रेमलता ने सबकुछ इतनी अच्छी तरह से संभाल लिया था कि किसी को उस ने जरा भी शिकायत का मौका नहीं दिया. जातेजाते सब उस की तारीफ ही करते गए. फिर भी कुछ ने यह कह कर नाराजगी जाहिर की कि ऐसे समय में भी तुम ने हमें अपना नहीं समझा बल्कि हम से ज्यादा एक अजनबी पर भरोसा किया.

वैसे भी आदरयुक्त, प्रिय और आत्मीय संबंध तो आपसी व्यवहार पर आधारित रहते हैं पर परिवार में सब से बड़ी होने के नाते किसी को भी खुद के लिए कष्ट उठाते देखना निशा के स्वभाव के विपरीत था अत: अपनी तीमारदारी के लिए किसी को भी बुला कर परेशान करना उसे उचित नहीं लगा था पर वे ऐसी शिकायत करेंगे, उसे आशा नहीं थी. शायद कमियां निकालना ही ऐसे लोगों की आदत रही हो.

ऐसी शिकायत करने वाले यह भूल गए थे कि ऐसी स्थिति आने पर क्या वह सचमुच अपना घर छोड़ कर महीने भर तक उस के घर को संभाल पाते…जबकि डाक्टरों के मुताबिक उसे 6 महीने तक भारी सामान नहीं उठाना था क्योंकि गर्भाशय में संक्रमण के कारण ट्यूमर के साथ गर्भाशय को भी निकालना पड़ गया था. ऐसे वक्त में लोगों की शिकायत सुन कर एकाएक ऐसा लगा कि वास्तव में रिश्तों में दूरी आती जा रही है, लोग करने की अपेक्षा दिखावा ज्यादा करने लगे हैं.

सच, आज की दुनिया में कथनी और करनी में बहुत

अंतर आ गया है…कार्य व्यस्तता या दूरी के कारण संबंधों में भी दूरी आई है…इस में कोई संदेह नहीं है…उन के व्यवहार से मन खट्टा हो गया था.

प्रेमलता की उचित देखभाल ने निशा को घर के प्रति निश्ंिचत कर दिया था. वरुण और प्रज्ञा भी उस से हिल गए थे. शाम को उस को पार्क में घुमाने के साथ उन का होमवर्क भी वह पूरा करा दिया करती थी.

जाने क्यों निशा प्रेमलता के प्रति बेहद अपनत्व महसूस करने लगी थी… आयुष के आफिस जाने के बाद वह साए की तरह उस के आगेपीछे घूमती रहती, उस की हर आवश्यकता का खयाल रखती. एक दिन बातोंबातों में प्रेमलता बोली, ‘‘दीदी, आप के पास रह कर लगता ही नहीं है कि मैं आप के यहां नौकरी कर रही हूं. सास और भाई के घर मैं इस से ज्यादा काम करती थी पर फिर भी उन्हें मैं बोझ ही लगती थी…दीदी, वे मेरा दर्द क्यों नहीं समझ पाए, आखिर पति के मरने के बाद मैं जाती तो जाती कहां? सास तो मुझे हर वक्त इस तरह कोसती रहती थी मानो उस के बेटे की मौत का कारण मैं ही हूं. दुख तो इस बात का था कि एक औरत हो कर भी वह औरत के दुख को क्यों नहीं समझ पाई?’’

आंखों में आंसू भर आए थे…रिश्तों में आती संवेदनहीनता ने प्रेमलता को तोड़ कर रख दिया था…यहां आ कर उसे सुकून मिला था, खुशी मिली थी अत: उस की पुरानी चंचलता लौट आई थी. शरीर भी भराभरा हो गया था. निशा भी खुश थी, चलो, जरूरत के समय उसे अच्छी काम वाली के साथसाथ एक सखी भी मिल गई है.

बीचबीच में प्रेमलता का भाई उस की खोजखबर लेने आ जाया करता था. बहन को अपने साथ न रख पाने का उस को बेहद दुख था पर पत्नी के तेज स्वभाव के चलते वह मजबूर था. यहां बहन को सुरक्षित हाथों में पा कर वह निश्चिंत हो चला था. प्रेमलता का पति जो बैंक में नौकर था, उस के फंड पर अपना हक जमाने के लिए ससुराल के लोग उसे घर से बेदखल कर उस पैसे पर अपना हक जमाना चाहते थे. भाई उसे उस का हक दिलाने की कोशिश कर रहा था. भाई का अपनी बहन से लगाव देख कर ऐसा लगता था कि रिश्ते टूट अवश्य रहे हैं पर अभी भी कुछ रिश्तों में कशिश बाकी है वरना वह बहन के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटता.

प्रेमलता को इतनी ही खुशी थी कि भाभी नहीं तो कम से कम उस का अपना भाई तो उस के दुख को समझता है. कोई तो है जिस के कारण वह जीवन की ओर मुड़ पाई है वरना पति की मौत के बाद उस के जीवन में कुछ नहीं बचा था और ऊपर से ससुराल वालों की प्रताड़ना से बेहद टूटी प्रेमलता आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थी.

उस का दुख सुन कर मन भर आता था. सच, आज भी हमारा समाज विधवा के दुख को नहीं समझ पाया है, जिस पति के जाने से औरत का साजशृंगार ही छिन गया हो, भला उस की मौत के लिए औरत को दोषी ठहराना मानसिक दिवालिएपन का द्योतक नहीं तो और क्या है? सब से ज्यादा दुख तो उसे तब होता था जब स्त्री को ही स्त्री पर अत्याचार करते देखती.

एक दिन रात में निशा की आंख खुली, बगल में आयुष को न पा कर कमरे से बाहर आई तो प्रेमलता का फुस- फुसाता स्वर सुनाई पड़ा, ‘‘नहीं साहब, मैं दीदी का विश्वास नहीं तोड़ सकती.’’

सुन कर निशा की सांस रुक गई. समझ गई कि आयुष की क्या मांग होगी.

वितृष्णा से भर उठी थी निशा. मन हुआ, मर्द की बेवफाई पर चीखेचिल्लाए पर मुंह से आवाज नहीं निकल पाई. लगा, चक्कर आ जाएगा. उस ने वहीं बैठना चाहा, तो पास में रखा स्टूल गिर गया. आवाज सुन कर आयुष आ गए. उसे नीचे बैठा देख बोले, ‘‘तुम यहां कैसे? अगर कुछ जरूरत थी तो मुझ से कहा होता.’’

निशब्द उसे बैठा देख कर आयुष को लगा कि शायद निशा पानी पीने उठी होगी और चक्कर आने पर बैठ गई होगी. वह भी ऐसे आदमी से उस समय क्या तर्कवितर्क करती जिस ने उस के सारे वजूद को मिटाते हुए अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए दूसरी औरत से सौदा करना चाहा.

दूसरे दिन आयुष तो सहज थे पर प्रेमलता असहज लगी. बच्चों और आयुष के जाने के बाद वह निशा के पास आ कर बैठ गई. जहां और दिन उस के पास बातों का अंबार रहता था, आज शांत और खामोश थी…न ही आज उस ने टीवी खोलने की फरमाइश की और न ही खाने की.

‘‘क्या बात है, सब ठीक तो है न?’’ उस का हृदय टटोलते हुए निशा ने पूछा.

‘‘दीदी, कल बहुत डर लगा, अगर आप को बुरा न लगे तो कल से मैं वरुण और प्रज्ञा के पास सो जाया करूं,’’ आंखों में आंसू भर कर उस ने पूछा था.

‘‘ठीक है.’’

निशा के यह कहने पर उस के चेहरे पर संतोष झलक आया था. निशा जानती थी कि वह किस से डरी है. आखिर, एक औरत के मन की बातों को दूसरी औरत नहीं समझेगी तो और कौन समझेगा? पर वह सचाई बता कर उस के मन में आयुष के लिए घृणा या अविश्वास पैदा नहीं करना चाहती थी, इसलिए कुछ कहा तो नहीं पर अपने लिए सुरक्षित स्थान अवश्य मांग लिया था.

आयुष के व्यवहार ने यह साबित कर दिया था कि पुरुष के लिए तो हर स्त्री सिर्फ देह ही है, उसे अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए सिर्फ देह ही चाहिए…इस से कोई मतलब नहीं कि वह देह किस की है.

अब निशा को खुद ही प्रेमलता से डर लगने लगा था. कहीं आयुष की हवस और प्रेमलता की देह उस का घरसंसार न उजाड़ दे. प्रेमलता कब तक आयुष के आग्रह को ठुकरा पाएगी…उसे अपनी बेबसी पर पहले कभी भी उतना क्रोध नहीं आया जितना आज आ रहा था.

प्रेमलता भी तो कम बेबस नहीं थी. वह चाहती तो कल ही समर्पण कर देती पर उस ने ऐसा नहीं किया और आज उस ने अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए अपने लिए सुरक्षित ठिकाने की मांग की.

प्रश्न अनेक थे पर निशा को कोई समाधान नजर नहीं आ रहा था. दोष दे भी तो किसे, आयुष को या प्रेमलता की देह को. मन में ऊहापोह था. सोच रही थी कि यह तो समस्या का अस्थायी समाधान है, विकट समस्या तो तब पैदा होगी जब आयुष बच्चों के साथ प्रेमलता को सोता देख कर तिलमिलाएंगे या चोरी पकड़ी जाने के डर से कुंठित हो खुद से आंखें चुराने लगेंगे. दोनों ही स्थितियां खतरनाक हैं.

निशा ने सोचा कि आयुष के आने पर प्रेमलता के सोने की व्यवस्था बच्चों के कमरे में रहने की बात कह वह उन के मन की थाह लेने की कोशिश करेगी. पुरुष के कदम थोड़ी देर के लिए भले ही भटक जाएं पर अगर पत्नी थोड़ा समझदारी से काम ले तो यह भटकन दूर हो सकती है. अभी तो उसे पूरी तरह से स्वस्थ होने में महीना भर और लगेगा. उसे अभी भी प्रेमलता की जरूरत है पर कल की घटना ने उसे विचलित कर दिया था.

आयुष आए तो मौका देख कर निशा ने खुद ही प्रेमलता के सोने की व्यवस्था बच्चों के कमरे में करने की बात की तो पहले तो वह चौंके पर फिर सहज स्वर में बोले, ‘‘ठीक ही किया. कल शायद वह डर गई थी. उस के चीखने की आवाज सुन कर मैं उस के पास गया, उसे शांत करवा ही रहा था कि स्टूल गिर जाने की आवाज सुनी. आ कर देखा तो पाया कि तुम चक्कर खा कर गिर पड़ी हो.’’

आयुष के चेहरे पर तनिक भी क्षोभ या ग्लानि नहीं थी. तो क्या प्रेमलता सचमुच डर गई थी या जो उस ने सुना वह गलत था. अगर उस ने जो सुना वह गलत था तो प्रेमलता की चीख उसे क्यों नहीं सुनाई पड़ी. खैर, जो भी हो जिस तरह से आयुष ने सफाई दी थी, उस से हो सकता है कि वह खुद भी शर्मिंदा हों.

प्रेमलता अब यथासंभव आयुष के सामने पड़ने से बचने लगी थी. अब निशा स्वयं आयुष के खानेपीने, नाश्ते का खयाल रखने की कोशिश करती.

अभी महीना भर ही बीता होगा कि प्रेमलता का भाई आया और एक लिफाफा उस को पकड़ाते हुए बोला, ‘‘तू ने जहां नौकरी के लिए आवेदन किया था वहां से इंटरव्यू के लिए काल लेटर आया है. जा कर साक्षात्कार दे आना पर आजकल बिना सिफारिश के कुछ नहीं हो पाता. नौकरी मिल जाए तो अच्छा ही है, कम से कम तुझे किसी का मुंह तो नहीं देखना पड़ेगा.’’

एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षिका के पद के लिए इंटरव्यू काल थी. निशा ने जब काल लेटर पढ़ा तो याद आया कि इसी ग्रुप के एक स्कूल में उस की मित्र शोभना की भाभी प्रधानाचार्या हैं. निशा ने उन से बात की. नौकरी मिल गई. अगले सत्र से उसे काम करना था. डेढ़ महीना और बाकी था.

प्रेमलता की निशा को ऐसी आदत पड़ गई थी कि अब उस के बिना वह कैसे सबकुछ कर पाएगी, यह सोचसोच कर वह परेशान होने लगी थी. इस अजनबी लड़की ने उस के दुख और परेशानी के क्षणों में साथ दिया है. उस की जगह अगर कोई और होता तो भावावेश में उस का घरसंसार ही बिखेर देता…खासकर तब जब गृहस्वामी विशेष रुचि लेता प्रतीत हो. पर उस ने ऐसा न कर के न केवल अपने अच्छे चरित्र की झलक दिखाई थी बल्कि उस की गृहस्थी को टूटनेबिखरने से बचा लिया था.

स्कूल का सेशन शुरू हो गया था. घर न मिल पाने के कारण प्रेमलता उस के घर से ही आनाजाना कर रही थी. स्कूल जाने से पहले वह नाश्ता और खाना बना कर जाती थी तथा शाम का खाना भी वही आ कर बनाती. लगता ही नहीं था कि वह इस परिवार की सदस्य नहीं है…पर अब प्रेमलता को जाना ही है, सोच कर निशा भी धीरेधीरे घर का काम करने की कोशिश करने लगी थी.

‘‘दीदी, स्कूल के पास ही घर मिल गया है. अगर आप इजाजत दें तो मैं वहां रहने के लिए चली जाऊं,’’ एक दिन प्रेमलता स्कूल से आ कर बोली.

‘‘ठीक है, जैसा तुम उचित समझो. अब तो मैं काफी ठीक हो गई हूं. धीरेधीरे सब करने लगूंगी.’’

वरुण को पता चला तो वह बहुत उदास हो कर बोला, ‘‘आंटी, आप यहीं रह जाओ न. आप गणित पढ़ाती थीं तो बहुत अच्छा लगता था.’’

‘‘दीदी, आप चली जाओगी तो मुझे आलू के परांठे कौन बना कर खिलाएगा… आप जैसे परांठे तो ममा भी नहीं बना पातीं,’’ प्रज्ञा ने आग्रह करते हुए कहा.

‘‘कोई बात नहीं, बेबी, मैं दूर थोड़े ही जा रही हूं, हर इतवार को मैं मिलने आऊंगी, तब आप को आप का मनपसंद आलू का परांठा बना कर खिला दिया करूंगी,’’ प्रेमलता ने प्यार से प्रज्ञा को गोदी में उठाते हुए कहा.

निशा ने भी प्रेमलता को सदा नौकरानी से ज्यादा मित्र समझा था पर वरुण और प्रज्ञा का उस से इतना भावात्मक लगाव उस के अहम को हिला गया. अचानक उसे लगा कि इस लड़की ने कुछ ही दिनों में उस से उस की जगह छीन ली है…वह जगह जो उस ने 10 वर्षों में बनाई थी, इस ने केवल 5 महीनों में ही बना ली. बच्चे भी अब उस के बजाय प्रेमलता से ही अपनी फरमाइशें करते और वह भी हंसतेहंसते उन की हर फरमाइश पूरी करती, चाहे वह खाना हो, पढ़ना हो या बाहर पार्क में उस के साथ जाना.

‘‘क्या प्रेमलता घर छोड़ कर जा रही है?’’ शाम को चाय पीतेपीते आयुष ने पूछा था.

‘‘हां, कोई परेशानी?’’ निशा ने एक तीखी नजर से उन्हें देखा.

‘‘मुझे क्या परेशानी होगी. बस, ऐसे ही पूछ लिया था. कुछ दिन और रुक जाती तो तुम्हें थोड़ा और आराम मिल जाता,’’ निशा की तीखी नजर से अपनी आंखें चुराते हुए आयुष ने जल्दीजल्दी कहा.

पहले तो निशा सोच रही थी कि प्रेमलता से कुछ दिन और रुकने का आग्रह वह करेगी पर आयुष और बच्चों की सोच ने उसे कुंठित कर दिया. अब उसे वह एक पल भी नहीं रोकेगी. कल जाती हो तो आज ही चली जाए. जिस की वजह से उस की अपनी गृहस्थी पराई हो चली है, भला उसे अपने घर में वह क्यों शरण दे?

ईर्ष्यारूपी अजगर ने उसे बुरी तरह जकड़ लिया था. जब वह उस से विदा मांगने आई तब कोई उपहार देना तो दूर उस से इतना भी नहीं कहा गया कि छुट्टी के दिन चली आया करना जबकि बच्चों को रोते देख प्रेमलता खुद ही कह रही थी, ‘‘रोओ मत, मैं कहीं दूर थोड़े ही जा रही हूं, जब मौका मिलेगा तब मिलने आ जाया करूंगी.’’

जहां कुछ समय पहले तक निशा स्वयं आपसी रिश्तों में आती संवेदनहीनता के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रही थी, आज वह स्वयं ईर्ष्या के कारण उसी जमात में शामिल हो गई थी. तभी तो उस अजनबी लड़की के अपार प्रेम के बावजूद, उस का प्रतिदान देने में कंजूसी कर गई थी.

 

गर्मियों में मेरी स्किन डार्क हो जाती है मैं क्या करूं?

सवाल-

कहते हैं चेहरे पर बाल अगर डार्क हों तो ब्लीच करानी चाहिए. मेरे चेहरे पर बाल बिलकुल नहीं हैं पर मुझे अपनी स्किन थोड़ी डार्क नजर आने लग गई है. तो क्या मैं ब्लीच करा सकती हूं?

जवाब-

डार्क स्किन हो या बाल दोनों को ब्लीच किया जा सकता है और दोनों का रंग हलका किया जा सकता है. अगर चेहरे पर बाल नहीं हैं तो ब्लीच करते वक्त थोड़ा ज्यादा ध्यान ध्यान देने की जरूरत होती है. ब्लीच बहुत सौफ्ट और लाइट होनी चाहिए. जल्द ही रंग में फर्क आ जाता है.

सवाल-

मैं वर्किंग लेडी हूं और रोज सुबहशाम धूप का सामना करती हूं, जिस से मेरा रंग काफी डार्क होता जा रहा है. कोई घरेलू उपाय बताएं जिस से कि मैं अपना रंग साफ कर सकूं?

जवाब-

सब से पहले मैं सज्जैस्ट करूंगी कि घर से निकलने से पहले हमेशा सनस्क्रीन लगा कर ही निकलें. अगर आप धूप में बहुत ज्यादा देर रहती हैं तो 3 घंटे बाद सनस्क्रीन दोबारा भी लगाएं क्योंकि 30 या 40 एसपीएफ का सनस्क्रीन 3-4 घंटे काम करता है.

अगर आप ज्यादा देर धूप में रहें तो दोबारा सनस्क्रीन लगाना बहुत जरूरी है. हो सके तो अंब्रेला का इस्तेमाल भी करें जो आप की स्किन को तो बचाएगा ही आप के बालों को भी सन के साइड इफैक्ट से बचाएगा. फेस की टैनिंग को खत्म करने के लिए गरमियों में ऐलोवेरा बहुत अच्छा काम करता है.

आप ऐलोवेरा का एक पत्ता ले लें. उस को धो कर नीचे से टेढ़ा काट कर 1/2 घंटे के लिए किसी गिलास में रख दें. उस में से पीले रंग का एक लिक्विड निकल जाएगा. उस के बाद उस को सैंटर से 1/2-1/2 कर के जैल को निकाल लें. इस जैल में कुछ बूंदें नीबू के रस की मिलाएं और कुछ ड्रौप्स शहद की मिला लें.

इस मिक्सर से फेस पर हर रोज रात को 2 मिनट मसाज करें और सुबह धो लें. ऐसा लगातार करने से सन टैनिंग का असर खत्म हो जाएगा और आप का रंग पहले जेसा गोरा हो जाएगा.

 

Mother’s Day 2024: शैंपू करते समय न करें ये गलतियां

आज के समय में चारों तरफ इतना प्रदूषण बढ़ गया है कि सेहत के साथ-साथ स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. खाने-पीने की समस्याओं की बात करें तो हम कुछ भी खाकर अपनी भूख तो मिटा लेते हैं. लेकिन वो खाना स्वास्थ्य के लिए सही है या गलत इस बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते हैं. जिसके कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं.

पोषक तत्वों की कमी से शरीर का हार्मोनिक संतुलन बिगड़ जाता है. जिसके कारण बालों संबंधी कई समस्या हो जाती है. जिससे बालों का झड़ना और रुसी होना आम समस्या है. यह हर दूसरे व्यक्ति की समस्या है. इससे निजात पाने के लिए हम कई तरह के प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं कि इस समस्या से निजात पा लें. हम कई तरह के शैंपू भी इस्तेमाल करते हैं.

ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल महिलाओं को हो बल्कि पुरुष भी समस्या से बच नहीं पाए हैं. जिसके कारण पुरुष भी अपने बालों पर अधिक ध्यान देते हैं. कई लोग बाल गिरने के कारण इतने परेशान हो जाते हैं कि तनाव में आ जाते हैं.

इसी समस्या के कारण हम अधिक समय तक एक शैंपू का इस्तेमाल नहीं करते हैं. जिसके कारण ये समस्या और बढ़ जाती है. कई बार हम शैंपू करते समय ऐसी गलतियां कर देते है जो कि हमारे बालों के लिए हानिकारक साबित होती हैं. साथ ही सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती हैं.  जानिए ऐसी कौन सी गलतियां है जो शैंपू करते समय कभी नहीं करनी चाहिए.

  1. हमेशा बालों में शैंपू करने के बाद कंडीशनर जरुर करना चाहिए. इससे बाल रुखे नहीं होंगे.
  2. बालों को रुखापन से बचाना है तो हमेशा बालों की लंबाई के बजाय जड़ों की सफाई करें.
  3. कभी भी अधिक शैंपू का यूज नहीं करना चाहिए. इससे आपके बाल रुखे हो जाते हैं.
  4. बालों में केमिकल वाला शैंपू का इस्तेमाल न करें, क्योंकि बाल रुखे हो जाते हैं और चमक चली जाती है.
  5. हमेशा सही शैंपू का चुनाव करें. जिससे आपके बालों में किसी भी तरह की समस्या न हो.
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