YRKKH: बड़े पापा ने किया अक्षरा को कॉल, अभिरा रोई फूटकर-फूटकर

टीवी का मोस्ट पॉपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ दर्शकों को बहुत पसंद आ रहा है. शो में आए दिन कई सारे ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कृष, दादी-सा के कमरे से चुराई हुईं टॉफिया खाते-खाते उन सारे पलों को याद करेगा जब दादी सा ने घर के सदस्यों की तारीफ की थी. वह फिर काफी इमोशनल हो जाएगा और सोचेगा कि उसके अंदर कोई ऐसी क्वालिटी नहीं है जिससे इम्प्रेस होकर दादी-सा ने उसकी तारीफ करें. इसके बाद कृष अपने आपको लूजर समझने लगेगा. आगे सीरियल में अभिरा इंटर्नशिप के लिए लेट हो जाएगी. वह दौडकर आती है नीचे आएगी और टेबल पर नाश्ता न देखकर हैरान रह जाएगी. वह खुद से ही बड़बड़ाने लगेगी

अभिरा को दादी-सा करेंगी परेशान

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि दादी-सा, अभिरा की बातें सुन लेगी. वह अभिरा पर नाश्ता बनाने का दबाव डालेंगी. अभिरा कहेगी मैं सब कुछ कर लूंगी दादी-सा, वह कहेगी कल से शुरू करते हैं न प्लीज. दादी-सा कहेंगी ठीक है. कल तक व्रत रखते हैं. अभिरा कहेगी व्रत क्यों? दादी-सा बोलेंगी- क्योंकि तुम नाश्ता कल बनाओगी. दादी-सा और अभिरा की आवाज सुनकर सब बाहर आ जाएंगे. इसके बाद मनीषा दादी से पूछेंगी, ये क्या हो रहा है मम्मी-सा? दादी-सा कहेंगी, आज हमारी बहुरानी की इंटर्नशिप का पहला दिन है इसलिए सब व्रत रखेंगे. अभिरा भावुक हो जाती है. वह कहेगी आज कोई भुखे पेट नहीं जाएगा.

बड़े पापा का आएगा कॉल

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में आगे देखने को मिलेगा कि अभिरा के जाते ही रूही अरमान के लिए नाश्ता बनाएगी. वहीं दूसरी ओर बड़े पापा अभिर के तलाश में जुट जाएंगे. वह अक्षरा का नंबर ढूंढकर उसे कॉल करेंगे. रूही अरमान का नाश्ता बनाने के बाद अपने कमरे की तरफ जाती है तब उसे अभिरा के कमरे में जाने की आवाज आती है. वह अभिरा के कमरे में जाएगी. जब तक रूही फोन के पास जाएगी तब तक कॉल कट जाएगा. इसके बाद आगे बड़े पापा अभिर का नंबर रेस्टोरेंट मैनेजर से लेते है इसके बाद बड़े पापा खुश नजर आते है. वहीं अभिरा रोती हुई नजर आती है. दरअसल, अभिरा लेट ऑफिस जाती है जिस वजह से उसका मैनेजर उस पर चिल्ला देता है.

सोनम कपूर का गजब का ट्रांसफॉर्मेंशन, मां बनने के डेढ़ साल बाद घटाया 20 किलो वजन

बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर फिटनेस और फैशन के लिए जानी जाती है. एक्ट्रेस ने मां बनने के बाद वजन घटाने की अपनी यात्रा फैंस के साथ शेयर की है. सोनम कपूर ने अगस्त 2022 में बेटे वायु को जन्म दिया है. जिसके बाज उनका काफी हद तक वजन बढ़ गया था. सोनम का वजन 26 किलो ओवर वेट हो गया था. लेकिन एक्ट्रेस की एक नई इंस्टाग्राम स्टोरी में, सोनम ने अब एक पोस्ट-वर्कआउट रील साझा की है और फिटनेस बनाए रखने के माध्यम से अपनी वजन घटाने की यात्रा के बारे में बताया है.

मां बनने के बाद सोनम ने घटाया 20 किलो वजन

फैशन डीवा सोनम कपूर ने बेटे वायु के जन्म देने बाद से अपने लाड़ले का काफी ध्यान रख रही है. सोनम ने बच्चे की देखभाल के साथ अपना वजन भी कम कर लिया है. बीते दिन सोनम ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट की. इस स्टोरी में सोनम अपना फिट एडं कर्वी फिगर फ्लॉन्ट करती नजर आ रही है. उन्होंने ये भी बताया कि अभी उनका मकसद छह किलो और कम करना है. सोनम ने कैप्शन में लिखा है- क्या बात है 20 किलो कम कर लिया है, 6 किलो कम करना बाकी है.

 

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सोनम ने कैप्शन में लिखा

इस महीने की शुरुआत में, सोनम ने अपने हालिया फोटोशूट से अपनी कई तस्वीरें साझा कीं और अपनी फिटनेस की यात्रा के बारे में बताया. कैप्शन में, उन्होंने लिखा- “मुझे फिर से अपने जैसा महसूस करने में 16 महीने लग गए. बिना किसी क्रैश डाइट और वर्कआउट के धीरे-धीरे, लगातार खुद की देखभाल और बच्चे की देखभाल से. मैं अभी उस वजन तक नहीं पहुंच पाई हूं, लेकिन लगभग वहीं हूं जहां मैं होना चाहती हूं.” मैं अपने शरीर के लिए बहुत आभारी हूं और यह कितना अविश्वसनीय रहा है.” महिला होना कमाल की बात है.

 

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खांस-खांसकर बुरा हाल है तो इसे हल्के में न लें, हो सकते हैं कैंसर के संकेत

शिवानी हर समय गले में दर्द और खांसी रहने की समस्या से परेशान रहती थी. उसने पहले घरेलू नुस्खे अपनाये. फिर आराम न मिलने पर डाक्टर से मिली और बोला,” डॉक्टर साब इतनी दवाइयां कर लीं पर आराम नहीं.”

इस पर डॉक्टर ने कहा,”थ्रोट कैंसर यानी गले के कैंसर में कई तरह के कैंसर शामिल होते हैं जिसमें लैरिनिक्स, फैरिनिक्स और टॉन्सिल्स के कैंसर होते हैं. इनके अलग-अलग लक्षण होते हैं जिनसे कैंसर का पता चलता है. इन लक्षणों पर ध्यान देकर तुरंत इलाज की जरूरत होती है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत , हेड व नेक कैंसर के सर्जन डॉक्टर अक्षत मलिक का मानना है कि इन लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज कराना बेहद महत्वपूर्ण है.

गले के कैंसर के जो लक्षण होते हैं हालांकि दूसरी अन्य बीमारियों के कारण भी सामने आते हैं, लेकिन अगर ये लक्षण लगातार 2-3 हफ्तों तक दिखाई दे और वक्त के साथ-साथ हालात बिगड़ते जाएं तो इन्हें दरकिनार नहीं करना चाहिए.

लक्षण

लगातार आवाज बैठना या आवाज में बदलाव: अगर किसी का गला लगातार बैठा रहता है या आवाज दबी रहती है तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

गला सूखा: अगर गला सूखा रहने की परेशानी पुरानी है या फिर लगातार ऐसा रहता है और सामान्य इलाज से भी ठीक नहीं होता तो इसे इग्नोर न करें.

निगलने में समस्या: अगर खाना निगलने में दिक्कत हो रही है तो ये ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं.

लगातार खांसी: आमतौर पर लोग खांसी बहुत हल्के में लेते हैं लेकिन अगर सांस की दिक्कत आदि न हो और फिर भी लगातार खांसी रहती है तो दिखाने की जरूरत है.

एस्पिरेशन: कुछ निगलने पर खांसी आती है तो समस्या है. ऐसा हवा के पाइप में खाना जाने के कारण भी हो सकता है.

कान में दर्द: एक या दोनों कानों में बिना किसी खास वजह के दर्द होना भी गले में समस्या के कारण हो सकता है.

वजन कम होना: अचानक यूं ही वजन कम हो जाना, खाना निगलने में परेशानी और खाने की आदतों में बदलाव भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.

गर्दन में गांठ: अगर गर्दन में गांठ हो या सूजन हो तो ये बढ़े हुए लिम्फ नोड्स के कारण हो सकता है और इससे कैंसर फैलने के संकेत मिलते हैं.

सांस लेने में कठिनाई: अगर गले का कैंसर एडवांस स्टेज में हो तो इससे सांस की समस्या भी हो सकती है.

लगातार सांस में बदबू: अगर आप टूथब्रश करते हैं और मुंह साफ करने के अन्य तरीके भी अपनाते हैं और फिर सांसों में बदबू रहती है तो ये चिंता का कारण हो सकता है.

डॉक्टर के मुताबिक ये सभी लक्षण किसी कम गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. ऐसा करने से ट्यूमर होने की स्थिति में जल्दी डायग्नोज हो जाएगा और इलाज से इसे ठीक करना संभव रहेगा. वहीं, जो लोग स्मोकिंग करते हैं, तंबाकू का सेवन करते हैं, शराब पीते हैं वैसे लोग रेगुलर चेकअप कराएं और अपनी सेहत की मॉनिटरिंग रखें.

अपनी सेहत को सबसे ऊपर रखें, अवेयरनेस बढ़ाएं, समय पर डॉक्टर से सलाह लें और बेहतर इलाज लें ताकि गले के कैंसर के खिलाफ लड़ाई को जीता जा सके.

Winter Special: सर्दियों के दौरान अपने स्किन बैरियर्स की कैसे करें सुरक्षा ?

सर्दियों का मौसम आपकी स्किन के लिए बहुत ही मुश्किल समय होता है. यदि आप इस मौसम में हीटर का प्रयोग भी करते हैं तो भी आप ज्यादा हद तक अपनी स्किन को बचा नहीं सकेंगे. इस दौरान आपकी स्किन को हानिकारक तत्त्वों से बचाने वाले बैरियर्स खतरे में आ जाते हैं.

सर्दियों में यह बैरियर कमजोर हो जाते हैं और यह फिर धीरे धीरे खत्म होने शुरू हो जाते हैं. बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता है कि हमें यह बैरियर कैसे बचाने हैं और इसलिए उनकी स्किन बहुत ही डल व खराब हो जाती है. तो आइए जानते हैं सर्दियों में अपने स्किन बैरियर्स को कैसे सुरक्षित कर सकते हैं?

1. केवल हल्के उत्पादों का प्रयोग करें :

आपको अपनी स्किन का Ph बैलेंस बना कर रखना होता है और इसके लिए आपको किसी भी उत्पाद का अधिक प्रयोग नहीं करना है. ऐसे उत्पाद प्रयोग करने चाहिए जो स्किन के लिए बने हों और जो आपकी स्किन को अधिक नुक़सान न पहुंचाएं. यदि आप एक्सफोलिएशन करनी है तो आप बहुत ही माइल्ड उत्पादों का प्रयोग करें और वह भी हफ्ते में केवल दो ही बार प्रयोग करें. अपनी स्किन पर गर्म पानी का प्रयोग न करें.

2. अपनी स्किन पर ऑयल लगाएं :

यदि आप अपनी स्किन के बैरियर्स को नष्ट होने से बचाना चाहते हैं तो आपको अपनी स्किन से वॉटर लॉस होने से रोकना होगा. अतः फेशियल ऑयल का प्रयोग करें. इससे आपकी स्किन पर प्रयोग किए सभी उत्पाद सील हो जाएंगे और उनका आपको ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा. ऑयल प्रयोग करने से आपको हाइड्रेशन भी मिलेगी. अतः आपको अपनी स्किन में ऑयल अवश्य प्रयोग करना चाहिए.

3. बैरियर बनाने वाले तत्त्वों का प्रयोग करें :

आपको कुछ ऐसे मॉइश्चराइजर का प्रयोग करना चाहिए जिनमें सेरामाइड, स्क्वालीन, पेप्टाइड आदि तत्त्व मौजूद हों. यदि आप किसी बजट फ्रेंडली मॉइश्चराइजर का प्रयोग करना चाहते हैं जो सिंपल भी हो तो आप पेट्रोलियम जेली का प्रयोग कर सकते हैं. वह आपकी स्किन में सारा मॉइश्चर लॉक कर देगी. कॉलेजन व इलास्टिन आपकी स्किन को सॉफ्ट और जवान रखने में मदद करते हैं और पेप्टाइड इन दोनों तत्त्वों को बनाने में मदद करता है.

4. अल्ट्रा वॉयलेट से होने वाले डेमेज से बचाएं :

सूर्य के द्वारा होने वाले डेमेज से भी आपके स्किन बैरियर नष्ट हो सकते हैं. इससे आपकी स्किन में डार्क स्पॉट्स हो सकते हैं, इससे आपको डिस कलरेशन की समस्या हो सकती है, इससे आपकी स्किन में झुर्रियों जैसी समस्या होती हैं. इसके लिए आपको सनस्क्रीन का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. और आपको हर दो से तीन घंटे बाद सनस्क्रीन को दोबारा से अप्लाई कर लेना चाहिए ताकि आपकी स्किन डेमेज होने से बच सके.

5. ह्यूमिडिफायर खरीदें :

यदि आप किसी ऐसी जगह रहते हैं जहां बहुत अधिक ठंड होती है या जहां आपकी स्किन बहुत ज्यादा ड्राई रहती है तो आपको एक अच्छा सा ह्यूमिडिफायर खरीद ही लेना चाहिए. इससे आपकी स्किन में मॉइश्चर भी लॉक रहेगा और आपकी स्किन से वॉटर लॉस भी नहीं होगा. आपकी स्किन सर्दियों में बहुत डिहाइड्रटेड हो जाती है इसलिए उसे मॉइश्चर की व हाइड्रेशन की जरूरत होती है और एक ह्यूमिडिफायर का प्रयोग करने से आपकी स्किन को हाइड्रेशन मिलता है जो उसे बहुत सारा डेमेज होने से बचा सकता है.

यदि आप ऊपर लिखित सभी टिप्स सर्दियों के मौसम में अपनाते हैं तो आपकी स्किन के बैरियर्स को किसी प्रकार का कोई नष्ट नहीं पहुंचेगा और आपकी स्किन हाइड्रेटेड भी रहेगी. अतः अपनी स्किन को डेमेज व ड्राई होने से बचाने के लिए इन सभी टिप्स का प्रयोग करना बहुत आवश्यक है. इसके लिए यदि आपको थोड़े बहुत पैसे भी इन्वेस्ट करने पड़े तो उसमें बिल्कुल भी न झिझकें.

Winter Special: स्वाद और सेहत से भरपूर है किवी, घर पर बनाएं इससे टेस्टी हलवा

अगर आप में भी खून की कमी है तो डौक्टर्स का कहना है कि किवी हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है. पर क्या आपने कभी किवी हलवा खाया है. कीवी हलवा न्यूट्रीशियस के साथ-साथ हेल्दी भी होता है. ये हेल्थ के लिए हेल्दी के साथ-साथ टेस्टी भी होता है, जिसे बनाना काफी आसान है.

हमें चाहिए-

3 किवी

3/4 कप सूजी

3/4 कप घी

1 कप चीनी

2 कप पानी

1 बड़ा चम्मच बादाम की कतरन

2 छोटे चम्मच पिस्ते की कतरन

1 बड़ा चम्मच किवी क्रश.

बनाने का तरीका

किवी को छील कर 1/2 कप चीनी के साथ मिक्सी में पीस लें. बची चीनी को 2 कप पानी में घुलने तक पकाएं. एक कड़ाही में घी गरम कर के सूजी को सुनहरा होने तक भूनें.

इस में चाशनी और पिसी हुई किवी डाल दें. हलवा गाढ़ा होने तक पकाएं. अंत में किवी क्रश हलवे में मिक्स करें. बादाम और पिस्ते की कतरन से सजा कर सर्व करें.

क्या आप भी करते हैं फर्स्ट डेट पर ये गलतियां

डेटिंग ऐप के जरिए संपर्क में आए मीनल और आरुष आज पहली बार डेट पर मिलने वाले थे. मीनल ने अपनी बैस्ट ड्रैस पहनी और आरुष भी खुद को अच्छी तरह ग्रूम कर के वैन्यू पर पहुंचा ताकि फर्स्ट डेट पर दोनों एकदूसरे पर लास्टिंग इंप्रैशन छोड़ सकने में कामयाब रहें. फर्स्ट डेट की तैयारी कितनी उल्लसित करती है, यह बात आज का युवावर्ग भलीभांति जानता है. आज के समय में कोई बिरला ही होगा जो डेटिंग न करता हो. ठीक भी है, मिलेनियल्स का जमाना जो है. कपड़े, फुटवियर, हेयर, एक्सेसरीज से आप तो जंच गए, पर इस ओर भी ध्यान दें कि कहीं आप से कोई ऐसी भूल न हो जाए जिस से आप की पहली डेट आखिरी बन कर रह जाए. जैसा कि मीनल और आरुष के साथ हुआ. आइए, जानते हैं कुछ ऐसी बातें जिन को अवौइड करना ही आप के हित में है.

सैक्स

मीनल और आरुष ने एक औपचारिक हायहैलो के बाद कौफी और्डर की. इस से पहले कि दोनों एकदूसरे से कुछ खुल पाते, आरुष अपनी फैंटेसीज बताने लगा. अभीअभी हुई मुलाकात में इतनी आंतरिक बातें मीनल को कौंशियस करने लगीं. उस ने 2-3 बार टौपिक बदलने की नाकाम कोशिश की, पर जब आरुष अपनी पुरानी रिलेशनशिप्स में हुए सैक्स इंट्रैक्शन ही बताता रहा तो मीनल बहाने से उठी और वापस घर लौट गई.

ऐसा नहीं है कि फर्स्ट डेट पर आप सैक्स के बारे में बात नहीं कर सकते, लेकिन सिर्फ सैक्स के बारे में बात करने से पहले चेत जाएं. डेटिंग लाइफस्टाइल कोच मोहित राणे के अनुसार, बेहतर है कि आप सैक्स के बारे में तभी बात करें जब आप सैक्स करें. उस से पहले सैक्स के बारे में बातचीत होशियारी से करनी चाहिए ताकि वह प्लेफुल और फ्लर्टी लगे, न कि अश्लील. खासकर तब जब आप के डेटिंग पार्टनर ने इस विषय में अपनी विकलता दिखा दी हो. ऐसी स्थिति में फौरन बात बदल देने में ही होशियारी है.

एक्स

जब शौर्य ने ऋषिता से उस की पुरानी रिलेशनशिप्स के बारे में पूछा, तब उस ने एक कैजुअल जवाब की अपेक्षा की थी. इस विषय पर थोड़ी सी बात कर शौर्य, ऋषिता को कंफर्टेबल करना चाहता था. लेकिन, ऋषिता ने जो एक बार बोलना शुरू किया तो वह अपने पुराने बौयफ्रैंड्स के किस्सों में ही खो गई. शौर्य को जल्दी ही अपनी गलती का एहसास हो गया जिस का नतीजा यह हुआ कि यह फर्स्ट डेट उन दोनों की लास्ट डेट बन कर रह गई.

सभी का पास्ट होता है, यह बात आज का युवा अच्छी तरह सम झता है. इसलिए अपने पुराने प्रेमियों के बारे में बात करना आज उतना गलत नहीं है जितना एक जमाने में हुआ करता था. परंतु फिर भी आप अपनी डेट पर इस नए डेटिंग पार्टनर से कनैक्शन बनाने आए हैं, यह बात न भूलें. रिलेशनशिप काउंसलर अमन भौंसले कहते हैं कि पहली डेट पर अपने पुराने रिश्तों के बारे में या फिर आप कितनी बार डेट कर चुके हैं, या कितनों से कर चुके हैं जैसी बातों को अवौइड करना बेहतर है. इस से आप के डेटिंग पार्टनर को यह लग सकता है कि आप उस में इंटरैस्टेड नहीं हैं.

गिलेशिकवे

पलक का बचपन कठिनाइयों के दौर से गुजरा. अपनी हर फर्स्ट डेट पर सारी अवसादपूर्ण भावनाएं उड़ेलने के कारण वह आज भी अकेली है.

डेटिंग एक नया रिश्ता बनाने के लिए होती है, न कि अपनी भड़ास निकालने को एक नया कंधा ढूंढ़ने के लिए. फर्स्ट डेट पर अपने दुखड़े ले कर न बैठ जाएं. आज में जिएं. पुरानी बुरी यादों या गलत अनुभवों को पहली डेट पर सा झा करने, और फिर करते रहने की कोई जरूरत नहीं. आप का पार्टनर आप को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखे जो अपनी जिंदगी को संभालना जानता है. आत्मविश्वास की कमी या चिड़चिड़ा व्यक्तित्व सामने वाले को कभी आकर्षित नहीं कर सकता.

आर्थिक संबलता

डेट पर इस का अंदाजा लगाना कि सामने वाला कितना कमाता है या अपनी सैलरी का बखान करना, दोनों ही अनुचित हैं. पहले आप दोनों एकदूसरे को सम झने की कोशिश करें. आप दोनों की पसंदनापसंद, आप की ख्वाहिशें, आप का पैशन आदि रिश्ते को आगे ले जाने के लिए इन का मेल खाना आवश्यक है. कमाई, घर, गाड़ी आदि जीवन में बनते रहते हैं. यदि आप कुछ जांचना ही चाहते हैं तो उस की शिक्षा, शैक्षणिक संस्था, उस में आगे बढ़ने की ललक, लोगों और रिश्तों के प्रति उस का नजरिया परखें.

जल्दबाजी

सोना और विकास कैफे में बैठे कौफी पी रहे थे. बातचीत भी पौजिटिव चल रही थी कि तभी सोना कहने लगी, ‘‘शादी के बाद तुम्हें मेरा जौब करना बुरा तो नहीं लगेगा?’’ यह सुनते ही विकास चौंक गया. ‘‘शादी? किस की शादी?’’ कहता हुआ वह उठ खड़ा हुआ. सोना आज भी पछताती है कि फर्स्ट डेट पर इतना कुछ कहनेपूछने की गलती उस ने क्यों की.

जो समय बीत रहा है, उसी पर अपना फोकस रखें. न पीछे की सोचें और न आगे के बारे में अधिक सपने बुनें. इस समय को एंजौय करें. आगे के प्लान बनाने की जल्दबाजी दिखाने से आप का पार्टनर सचेत हो सकता है. क्या पता वह किस आशय से आप से मिलने आया है. पहली डेट को पहला कदम मान कर आराम से चलें. चाहे आप को व्यक्ति भा गया हो, फिर भी आगे मिलने या भविष्य के सुनहरे सपनों की कल्पनाओं से उसे डरा न बैठें.

यदि आप को अपना पार्टनर पसंद आ गया है तो अपनी फर्स्ट डेट को सैकंड डेट, थर्ड डेट और आगे की डेट्स में परिवर्तित करने की कोशिश करें. सोचसम झ कर आगे बढ़ें. हर बार अपने पार्टनर में कुछ नया पाने की अपेक्षा रखें. जैसे बच्चा चलना सीखता है वैसे ही फर्स्ट डेट में बेबी स्टैप्स लेना सम झदारी है. सीधे हाईजंप लगाने की गलती कभी न करें.

शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सैक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सैक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है. अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स  रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है. अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

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मां बनने का एहसास हर महिला के लिए सुखद होता है. लेकिन यदि किसी कारण से एक महिला मां के सुख से वंचित रह जाए तो उसके लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. हालांकि, कंसीव न कर पाने के कई कारण होते हैं लेकिन यह एक महिला के जीवन को बेहद मुश्किल और दुखद बना देता है. दरअसल, हमारे देश में आज भी बांझपन को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है. इसका प्रकोप सबसे ज्यादा महिलाओं को झेलना पड़ता है. जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है तो समाज उसे हीन भावना से देखने लगता है. इस कारण से एक महिला को लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ती है जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. ऐसी महिलाएं उम्मीद करती हैं कि लोग उनकी स्थित और भावनाओं को समझेंगे. परिवार और दोस्तों से बात करके उन्हें कुछ हद तक अच्छा महसूस होता है इसलिए ऐसे समय में बाहरी लोगों से मिलने-जुलने से बचें क्योंकि गर्भवती महिला या बच्चों को देखकर आप डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं.

सफेद गुलाब: क्यों राहुल की हसरतें तार-तार हो गई?

‘‘उफ यह बारिश तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही है,’’ निशा बुदबुदाई.

उस दिन सुबहसुबह ही बड़ी जोर से बारिश शुरू हो गई थी और जैसेजैसे बारिश तेज हो रही थी, वैसेवैसे ‘अब मैं कैसे मिलने जाऊंगी राहुल से इस बारिश में?’ सोचसोच कर निशा की परेशानी और धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. जाना भी जरूरी था राहुल से मिलने, क्योंकि राहुल मुंबई से दिल्ली सिर्फ उस से मिलने के लिए आया था.

उस ने सोचा था कि अपने दोस्त के साथ एक अच्छा वक्त बिताऊंगी. घर के रोजमर्रा के काम करतेकरते वह ऊब गई थी. जिंदगी में थोड़ा बदलाव चाहती थी, इसलिए जब राहुल ने मिलने की पेशकश रखी तो वह मना न कर सकी.

तभी अचानक उस का फोन बज उठा.

फोन राहुल का था. उस ने पूछा, ‘‘तुम कितने

बजे आओगी?’’

निशा ने घबरा कर कहा, ‘‘ऐसा करते हैं कल मिलते हैं.’’

‘‘मैं तो अपने होटल से निकल चुका हूं और कल वापस चला जाऊंगा,’’ बोल कर राहुल ने फोन काट दिया.

फिर निशा के मन में अजीब सी उथलपुथल शुरू हो गई. अब वादा किया है तो निभाना ही पड़ेगा, यही सोच कर तेज बारिश में छाता ले कर वह निकल पड़ी.

उसे राहुल ने सुभाष नगर मैट्रो स्टेशन पर बुलाया था.

चलतेचलते उस का दिल अतीत की गोद में चला गया.

2 महीने पहले नैट पर चैटिंग करते वक्त उसकी राहुल से मुलाकात हुई थी. उस के बाद

राहुल का अपने काम से वक्त निकाल कर उस से फोन पर बात करना, उसे अच्छा लगता था. जबकि उस के पति को उस से बात करने की फुरसत ही नहीं थी. वे अपने काम में इतना उल?ो रहते थे कि पत्नी का अस्तित्व महज 2-4 कामों के लिए था.

उस के एक बार बुलाने पर राहुल का ?ाट से औनलाइन आ जाना, उस की हर बात को ध्यान से सुनना और उस की परवाह करना कुछ ऐसा था, जो उसे राहुल की ओर आकर्षित कर रहा था. तभी एक दिन जब उस ने मैसेज भेजा कि अगर मैं दिल्ली आऊं तो क्या तुम मु?ा से मिलोगी? तो उस ने इस बात को मान लिया था.

राहुल के साथ हुई तमाम चैटिंग को सोचतेसोचते निशा कब मैट्रो स्टेशन पहुंच गई

उसे पता ही नहीं चला. राहुल की बस एक ?ालक ही तो देखी थी उस ने नैट पर, कैसे पहचानेगी उसे वह इसी सोच में गुम थी कि अचानक एक 5 फुट 7 इंच का सांवला सा आदमी टोकन जमा कर के बाहर निकला. इस बात से बेखबर कि 2 अनजान निगाहें उसे घूर रही हैं और पहचानने की कोशिश कर रही हैं. उस ने एक बार उड़ती सी नजर निशा पर डाल कर नजरें फेर लीं. अचानक उसे लगा कि वही

2 निगाहें उसे घूर रही हैं. उस ने पलट कर देखा निशा अभी भी उसे घूर रही थी और हलकेहलके मुसकरा रही थी.

राहुल उसे एकटक देखता ही रह गया. निशा ने सफेद रंग का सूट पहना हुआ था, जो उस के गोरे रंग पर बहुत खिल रहा था और उस की लुभावनी मुसकान ने तो उस का दिल ही हर लिया. उस का मन हुआ कि एक बार उसे बांहों में ले कर एक किस ले ले. पर अपने को संभालते हुए निशा के नजदीक जा कर हलके से मुसकराते हुए बोला, ‘‘हाय, कैसी हो?’’

‘‘मैं ठीक हूं, तुम अपनी सुनाओ. आखिर तुम यहां तक आ ही गए मु?ा से मिलने,’’ निशा ने खुश होते हुए कहा.

‘‘क्या एक दोस्त अपने दोस्त को मिलने नहीं आ सकता?’’

‘‘हां, बगैर काम के,’’ निशा ने जैसे ही बोला दोनों खिलखिला कर हंस पड़े.

फिर राजीव चौक के 2 टोकन ले कर दोनों प्लेटफार्म की सीढि़यां चढ़ने लगे. एक अजीब सा डर खामोशी के रूप में दोनों के दिलोदिमाग पर छाया हुआ था. राहुल के मन में डर था कि कहीं निशा मु?ो किसी जुर्म में फंसा न दे, तो निशा को डर था कि आज कहीं कुछ ऐसा न हो जाए कि उसे अपने इस मिलने के फैसले पर पछताना पड़े.

मैट्रो आई तो दोनों उस पर चढ़ गए. राहुल को निशा की परेशानी का कुछकुछ आभास होने लगा था. उस ने माहौल की बो?िलता को कम करने के लिए पूछा, ‘‘छुट्टियां कैसी बीतीं? कहांकहां घूमीं? बच्चे कैसे हैं?’’

निशा ने चहकते हुए जवाब दिया, ‘‘छुट्टियों में बहुत मस्ती की. बच्चों ने भी नानी के घर खूब धमाचौकड़ी की.’’

अब दोनों थोड़ाथोड़ा सहज होने लगे थे और 20 मिनट में राजीव चौक पहुंच गए. वहां से बाहर निकले तो पास की ही एक बिल्डिंग के नजदीक पहुंचे. उस में राहुल को कुछ काम था.

‘‘मैं यहीं रुकती हूं, तुम अपना काम निबटा आओ,’’ निशा ने घबराते हुए कहा.

‘‘मैं इतना बुरा इंसान नहीं हूं,’’ फिर कुछ सोच कर वह बोला, ‘‘तुम साथ चलो, मैं तुम्हें यहां अकेला नहीं छोड़ सकता,’’ इतना कह कर उस ने उस का हाथ पकड़ा और लिफ्ट की तरफ बढ़ गया.

अगर लिफ्ट को कुछ हो गया तो क्या होगा? अगर यह बीच में रुक गई

तो? अगर मैं समय पर घर नहीं पहुंची तो घर वालों को क्या जवाब दूंगी? सोचसोच कर निशा डर रही थी और सोच रही थी कि न ही मिलने आती तो अच्छा था.

उस के चेहरे पर आतेजाते भाव पर राहुल की नजर थी. वह अपनी तरफ से उस का पूरा खयाल रख रहा था. खैर लिफ्ट कहीं रुकी नहीं और राहुल 10वें फ्लोर के एक औफिस में

अपना काम निबटाने चला गया. निशा बाहर लाउंज में बैठी रही. वहां से आने के बाद राहुल उसे एक फ्लैट पर ले गया, जो उस के दोस्त

का था. कमरे में एक बैड था और एक तरफ कुरसियां व 1 मेज रखी थी. एक तरफ छोटी गैस और 8-10 जरूरत भर की चीजें रखी हुई थीं रसोई के नाम पर.

निशा कुरसी पर बैठी तो राहुल उस के पास आ कर बैठ गया. फिर बाहर बारिश क्या तेज हुई, निशा के दिल की धड़कन भी तेज हो गई. एक अनजाना डर उस के दिल में घर कर गया. तभी अचानक राहुल ने निशा के हाथ पर अपना हाथ रख दिया, तो वह घबरा कर उठ गई.

‘‘रिलैक्स निशा, तुम यह बिलकुल मत सम?ाना कि मैं तुम्हें यहां कोई जोरजबरदस्ती करने के लिए लाया हूं. लोगों की भीड़ में तुम से बात नहीं कर पाता, इसलिए तुम्हें यहां ले आया. अगर तुम्हें कुछ गलत लगता है तो हम अभी बाहर चलते हैं.’’

वह कुछ जवाब नहीं दे पाई. उसे अपनेआप पर और अपने दोस्त पर विश्वास था जिस के चलते वह यहां तक उस के साथ आ गई थी.

‘‘चलो मैं तुम्हारे लिए अच्छी सी चाय बनाता हूं.’’

‘‘तुम्हें चाय बनानी आती है?’’ निशा ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां भई, शादीशुदा हूं. बीवी ने थोड़ाबहुत तो सिखाया ही है,’’ वह कुछ इस अंदाज में बोला कि दोनों हंसे बिना न रह सके. अब वह कुछ सहज हो गई थी. बारिश अब रुक गई थी और धूप निकल आई थी. चाय पीतेपीते राहुल ने देखा कि सूरज की किरणें निशा के चेहरे पर पड़ रही थीं. उस ने फिर अपनी बीवी और बच्चे के बारे में बताया. बीवी के बारे में कहा कि वह एक अच्छी पत्नी और मां है. उस ने पूरे घर को अच्छे से संभाला हुआ है.

निशा ने भी अपने संयुक्त परिवार के बारे में बताया जहां की वह एक चहेती सदस्या है. सब उस से बहुत प्यार और उस पर विश्वास करते हैं.

बातों का सिलसिला थमा तो निशा ने राहुल को अपनी ओर देखते पाया.

वह घबरा कर उठ गई और बोली, ‘‘अब मु?ो चलना चाहिए.’’

राहुल ने उस का हाथ पकड़ कर आंखों में ?ांकते हुए कहा, ‘‘कुछ देर और नहीं रुक सकतीं?’’

‘‘3 बज गए हैं. बच्चे घर वापस आ गए होंगे और मेरा इंतजार कर रहे होंगे.’’

राहुल ने उसे फिर रुकने के लिए नहीं कहा. दोनों बातें करतेकरते कमरे से बाहर आ कर मैट्रो स्टेशन पहुंच गए और 2 टोकन सुभाष नगर के ले कर मैट्रो में चढ़ गए. अचानक मैट्रो एक ?ाटके से रुकी तो निशा संभलतेसंभलते भी राहुल की बांहों में आ गई. उस ने उसे संभालते हुए पूछा, ‘‘तुम ठीक हो?’’

‘‘हां,’’ उस ने ?ोंपते हुए कहा.

फिर उस ने निशा की आंखों में ?ांकते हुए कहा, ‘‘निशा, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. जब से मेरी तुम से दोस्ती हुई है कहीं मेरे मन में तुम्हें पाने की इच्छा पनपने लगी थी. पर तुम से मिल कर मु?ो आत्मग्लानि महसूस हो रही है कि मैं ने ऐसा सोचा भी कैसे? सूरज की किरणों ने मेरे दिल में छिपी सारी भावनाओं को भेद दिया. तुम एक सफेद गुलाब की तरह हो जो हर किसी को सचाई और पवित्रता का संदेश देता है. तुम्हें पा कर मैं उस का अस्तित्व नहीं मिटाना चाहता.’’

निशा ने उस से कहा, ‘‘कुदरत ने हम स्त्रियों को छठी इंद्रिय दी है, जो आदमी के मनसूबों से रूबरू करवाती है. मु?ो इस बात का आभास था. पर फिर भी मु?ो अपनेआप पर और तुम पर विश्वास था. तुम 100 फीसदी सही थे जब तुम ने कहा था कि मैं इतना बुरा इंसान नहीं हूं. तुम्हारा इस तरह अपनी बात कुबूल करना इस बात का प्रमाण है. हम अगर आज कुछ गलत करते तो वह हमारे पार्टनर के साथ धोखा होता.’’

‘‘शायद तुम्हें पाने की इच्छा मैं फिर न दबा पाऊं, इसलिए हम आज के बाद कभी नहीं मिलेंगे,’’ कह कर राहुल मैट्रो की सीढि़यां उतर कर हमेशा के लिए चला गया. न कोई आस न कोई करार. हां अपनी बात की एक अमिट छाप निशा के दिलोदिमाग पर छोड़ गया. जिस मैट्रो स्टेशन से यह कहानी शुरू हुई थी वहीं आ कर खत्म हो गई.

समानांतर: अपने पति को छोड़ शादीशुदा मोहन संग मीता क्यों चल पड़ी

रात   का पहला पहर बीत रहा था. दूर तक चांदनी छिटकी हुई थी. रातरानी के फूलों की खुशबू और मद्धम हवा रात को और भी रोमानी बना रहे थे. मीता की आंखों में नींद नहीं थी. बालकनी में बैठी वह चांद को निहारे जा रही थी. हवाएं उस की बिखरी लटों से खेल रही थीं. तभी कहीं से भटके हुए आवारा बादलों ने चांद को ढक लिया तो मीता की तंद्रा भंग हुई. अब चारों और घुप्प अंधेरा था. मीता उठ कर अपने कमरे में चली गई. मोहन की बातें अभी भी उस के दिल और दिमाग दोनों को परेशान कर रही थीं. बिस्तर पर करवट बदलते हुए मीता देर तक सोने की कोशिश करती रही, लेकिन नींद नहीं आई. इतनी रात गए मीता राजन को भी फोन नहीं कर सकती थी. राजन दिन भर इतना व्यस्त रहता है कि रात में 11 बजते ही वह गहरी नींद में होता है. फिर तो सुबह 7 बजे से पहले उस की नींद कभी नहीं खुलती. दोनों के बीच बातों के लिए समय तय है. उस के अलावा कभी मीता का मन करता है बातें करने का तो इंतजार करना पड़ता है. पहले अकसर मीता चिढ़ जाया करती थी. अब मीता को भी इस की आदत हो गई है. यही सब सोचतेसोचते मीता बिस्तर से उठी और कमरे के कोने में रखी कुरसी पर बैठ गई.

कुछ पढ़ने के लिए उस ने टेबल लैंप जला लिया. लेकिन आज उस का मन पढ़ने में भी नहीं लग रहा था. एक ही सवाल उस के दिमाग को परेशान कर रहा था. सिर्फ 5 महीने ही तो हुए थे मोहन से मिले हुए. क्या उम्र के इस पड़ाव पर आ कर सिर्फ 5 महीने की दोस्ती प्यार का रूप ले सकती है? उस पर तुर्रा यह कि दोनों शादीशुदा. मोहन की बातों ने उस के दिमाग को ?ाक?ोर कर रख दिया था. मीता फिर से बिस्तर पर आ कर लेट गई. मोहन के बारे में सोचतेसोचते कब उस की आंखें बंद हो गईं और वह नींद की आगोश में चली गई, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह उस ने निश्चय किया कि आज मोहन को सीधेसीधे बोल देगी कि ऐसा बिलकुल भी संभव नहीं है. मेरी दुनिया अलग है और तुम्हारी अलग. इसलिए जो रिश्ता हमारे दरम्यान है वही सही है और उसे ही निभाना चाहिए. लेकिन मोहन के सामने उस की जबान बिलकुल बंद हो गई. ऐसा लगा जैसे किसी बाह्य शक्ति ने उस की जबान को बंद कर दिया हो.

मोहन ने कौफी का घूंट भरते हुए मीता से पूछा, ‘‘फिर क्या सोचा है?’’

मीता ने थोड़ा ?ि?ाकते हुए कहा, ‘‘मोहन, ऐसा नहीं हो सकता. देखो, तुम भी शादीशुदा हो और मैं भी. यह बात और है कि हम दोनों ‘डिस्टैंस रिलेशनशिप’ में बंधे हुए हैं. न तुम्हारी पत्नी और बच्चा यहां रहते हैं और न ही मेरे पति, लेकिन हम दोनों ही अपनेअपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं. फिर हमारे बीच दोस्ती का रिश्ता तो है ही.’’

मोहन ने मीता की ओर देखे बगैर कौफी का दूसरा घूंट लिया और बोला, ‘‘मीता, शादीशुदा होने से क्या हमारा मन, प्यार सब गुलाम हो जाते हैं? क्या हमारी व्यक्तिगत पसंदनापसंद कुछ नहीं हो सकती?’’

‘‘जो भी हो मोहन लेकिन दोस्ती तक ठीक है. उस से आगे न तो मैं सोच सकती हूं और न ही तुम्हें सोचने का हक दे सकती हूं,’’ मीता थोड़ा सख्त होते हुए बोली.

मोहन ने कहा, ‘‘मीता तुम अपनी बात कह सकती हो, मेरी सोच पर तुम लगाम कैसे लगा सकती हो?’’ मोहन का स्वर अब भी बेहद संयत था.

मोहन की कौफी खत्म हो चुकी थी और मीता की कौफी अब भी जस की तस पड़ी थी. मोहन ने याद दिलाया, ‘‘कौफी ठंडी हो चुकी है मीता, कहो तो दूसरी मंगवा दूं?’’

मीता ने ‘न’ में सिर हिलाया और ठंडी ही कौफी पीने लगी. पूरे वातावरण में एक सन्नाटा छा गया था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई समुद्र जोरजोर से शोर मचाने के बाद थक कर बिलकुल शांत हो गया हो या फिर जैसे कोई तूफान आने वाला हो. काफी देर तक दोनों खामोश बैठे रहे. फिर चुप्पी को तोड़ते हुए मोहन ने मीता से कहा, ‘‘चलो, घर छोड़ देता हूं.’’

मीता ने मना कर दिया और फिर दोनों अलगअलग दिशा में चल पड़े.

मीता रास्ते भर यही सोचती रही कि आखिर उस से कहां चूक हुई? मोहन ने ऐसा प्रस्ताव क्यों रखा? लेकिन हर बार उस के मन में उठ रहे प्रश्न अनुत्तरित रह जा रहे थे. अकसर ऐसा होता है कि अगर मनमुताबिक जवाब न मिले तो व्यक्ति आत्मसंतुष्टि के लिए अपने अनुसार जवाब खुद ही तय कर लेता है. मीता ने भी खुद को संतुष्ट करने के लिए एक जवाब तय कर लिया कि वही कुछ ज्यादा ही खुल कर बातें करने लगी थी मोहन से, इसीलिए ऐसा हुआ. घर आ कर मीता ने अपने पति राजन से फोन पर ढेर सारी बातें कीं. फिर निश्चिंत हो कर अपने मन में उठ रहे गैरजरूरी विचारों को ?ाड़ा. वह स्वयं से बोली जैसे खुद को सम?ाने और आश्वस्त करने की कोशिश कर रही हो, ‘मैं अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूं. जो तुम ने कहा वैसा कभी नहीं हो सकता मोहन, तुम देखना, जिस आकर्षण को तुम प्यार सम?ा बैठे हो वह जल्द ही खत्म हो जाएगा.’

ऐसा सोचने के बाद मीता की कोशिश यही रही कि वह मोहन से कम से कम मिले. हालांकि एक ही संस्थान में दोनों शिक्षक थे, इसलिए एकदूसरे से मुलाकातें तो हो ही जाती थीं. वैसे समय में उन दोनों के बीच बातें होतीं प्रोफैशन की, साहित्य की, क्योंकि दोनों को साहित्य से गहरा लगाव था. लेकिन अब मीता थोड़ी चुपचुप सी रहती, खुल कर बातें नहीं करती. मोहन भी अपनी भावनाओं को छिपाता था. उस ने उस बारे में फिर कभी कुछ नहीं कहा. एक शाम एक पत्रिका में छपे मोहन के आलेख पर चर्चा हो रही थी. आलेख निजी संबंध पर था. कुछ चीजें मीता को खटक रही थीं जिस पर उस ने आपत्ति जताई. फिर दोनों में बहस शुरू हो गई. बाकी साथी मूकदर्शक बन गए.

अपना पक्ष रखते हुए मोहन ने मीता से पूछा, ‘‘क्या आप ने प्यार किया है?’’ फिर खुद ही जवाब भी देने लगा, ‘‘अगर किया होता तो फिर इस आलेख की गहराई को सम?ातीं और आप को आपत्ति भी नहीं होती.’’

मीता ने तल्खी से जवाब दिया, ‘‘ये कैसा बेतुका सवाल है. मैं एक शादीशुदा औरत हूं. मेरे पति हैं जिन से मैं बहुत प्यार करती हूं. भले ही वे काम की वजह से मु?ा से दूर रहते हों, लेकिन हम दोनों एकदूसरे के बेहद करीब हैं.’’

मोहन ने कहा, ‘‘फिर तो प्रेम की सम?ा आप में बेहतर होनी चाहिए थी.’’

मीता ने तंज कसा, ‘‘लगता है आप अपनी पत्नी से प्रेम नहीं करते.’’

मोहन ने जवाब दिया, ‘‘जी नहीं, हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं. हम एक आदर्श पतिपत्नी हैं, लेकिन मैं ने उन्हें किसी और से प्रेम करने से नहीं रोका. देखो मीता, इश्क का इतिहास तहजीब की उम्र से पुराना है. विवाह करना और प्यार करना दोनों अलग चीजें हैं. मानव मन गुलाम बनने के लिए बना ही नहीं है. प्रकृति ने मनुष्य को आजाद पैदा किया है. ये सामाजिक बंधन तो हमारे बनाए हुए हैं. प्राकृतिक रूप से हम ऐसे नहीं हैं.’’

पहले तो मीता सुनती रही फिर कहा, ‘‘अपनी गलती को न्यायोचित सिद्ध करने के लिए कुछ भी तर्क दिया जा सकता है. मैं इसे प्यार नहीं मानती. मेरी सम?ा से यह सिर्फ अपनी जरूरत पूरी करने के लिए दिया गया एक तर्क भर है.’’

उस शाम मोहन ने अपने जीवन में आई लड़कियों की कहानियां, अपने तर्क को सच साबित करने के क्रम में सुनाईं, लेकिन मीता उस की कोई बात मानने को तैयार नहीं थी. हां, इस घटना के बाद फिर से दोनों आपस में पहले की तरह या यों कहें पहले से ज्यादा खुल कर बातें करने लगे.

जाने कब वे दोनों एकदूसरे के इतने करीब आ गए कि जानेअनजाने दोनों की बातों में ज्यादातर दोनों का जिक्र होता. मीता को तो कई बार उस के पति राजन ने मजाक में फोन पर टोका था, ‘‘कहीं मोहन से तुम्हें प्यार तो नहीं हो गया मीता?’’ तब मीता खिलखिला देती, लेकिन राजन का यह मजाक कब गंभीर आरोप में बदल गया मीता सम?ा ही नहीं पाई और उस दिन तो सारी हदें पार हो गईं. मीता ने अभी क्लास खत्म ही की थी कि राजन का फोन आया. उस दिन राजन के स्वर से प्यार गायब था. ऐसा लग रहा था जैसे उस ने कुछ तय कर रखा हो. मीता हमेशा की तरह चहक रही थी. बातोंबातों में यह भी बोल गई कि आज दोपहर का खाना मोहन के साथ खाएगी. फिर तो जैसे शांत माहौल में तूफान आ गया. राजन, जिस ने आज तक कभी उस से ऊंची आवाज में बात नहीं की थी, आज उस के चरित्र पर उंगली उठा रहा था. तब मीता अपनी सफाई में कुछ नहीं बोल सकी थी. हालांकि उस दिन के बाद इस के लिए राजन ने जाने कितनी बार माफी मांगी, लेकिन मीता के सीने में तो नश्तर चुभा था. जख्म भरना बड़ा ही मुश्किल था. वह अपनी ओर से बहुत कोशिश करती उन बातों को भुलाने की, लेकिन वे शब्द नासूर बन चुके थे. अकसर अकेले में रिसते रहते. मोहन जब तक साथ रहता मीता हंसती रहती, खुश रहती. लेकिन मोहन के जाते ही फिर से नकारात्मक सोच हावी होने लगता. इस दौरान जानेअनजाने मोहन ज्यादा से ज्यादा वक्त मीता के साथ गुजारने लगा. शायद दोनों को अब एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था. दोनों के रिश्ते की गरमाहट की आंच दोनों के परिवार वालों तक पहुंचने लगी. शुरुआत मीता के परिवार में हुई और अब मोहन के घर में भी मातम मनाया जाने लगा. मीता मोहन के करीब आती जा रही थी और राजन से दूरी बढ़ती जा रही थी. मोहन का भी हाल ऐसा ही था. एक शाम मोहन ने फिर से मीता के सामने प्रेम प्रस्ताव रखा साथ ही यह भी कहा, ‘‘जवाब देने की कोई हड़बड़ी नहीं है. कल रविवार है. सुबह तुम्हारे घर आता हूं. सोचसम?ा लो, रात भर का समय है तुम्हारे पास.’’

मीता घर आ कर देर तक मोहन के प्रस्ताव के बारे में सोचती रही. फिर राजन के बारे में सोचा तो मुंह कसैला हो गया. यह सब सोचतेसोचते धीरेधीरे मीता की पलकें भारी होने लगीं. फिर वह यह सोचते हुए सो गई कि आखिर कल उसे मोहन को सब कुछ सचसच बताना है.

मीता सूरज की पहली किरण के साथ जागी. वह बेहद ताजगी महसूस कर रही थी, क्योंकि आज उस की जिंदगी एक नई करवट ले रही थी. वह पुरानी सभी यादों को अपनी जिंदगी से मिटा देना चाहती थी. राजन की दी हुई जिस पायल की रुन?ान से उस का मन नाच उठता था आज वही उसे बेडि़यां लगने लगी थी. जिस कुमकुम की बिंदी लगा कर वह अपना चेहरा देर तक आईने में निहारा करती थी आज वही उसे दाग सी लगने लगी थी. मीता ने अपना लैपटौप खोला और राजन को सारी बातें लिख डालीं. यह भी लिखा कि जिस दिन तुम ने पहली बार मु?ो शक की नजर से देखा था राजन, तब तक जिंदगी में सिर्फ तुम थे. लेकिन मेरे प्रति तुम्हारा अविश्वास और मेरे लिए वक्त नहीं होना, मु?ो मोहन के करीब लाता गया. मु?ो जब भी तुम्हारी जरूरत होती थी राजन, तुम मेरे पास नहीं होते थे. लेकिन मोहन हमेशा साथ रहा और इस के लिए मैं तुम्हारी हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी, क्योंकि अगर तुम ऐसा नहीं करते तो मैं मोहन की अहमियत को कभी सम?ा नहीं पाती. मु?ो ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. मैं तुम्हारी दुनिया से बहुत दूर जा रही हूं.

इतना लिखने के बाद मीता ने गहरी सांस ली. आज सालों बाद वह अपने को तनावमुक्त और आजाद महसूस कर रही थी. उस ने अपने पांवों से पायल को उतार फेंका और कुमकुम की बिंदी मिटा कर उस की जगह काली छोटी सी बिंदी, जो वह कालेज के दिनों में लगाया करती थी, एक बार फिर से लगा ली.

मोहन अपने अंदर चल रहे तूफान पर नियंत्रण रखने की कोशिश करता हुआ बैठक में मीता का इंतजार कर रहा था. इंतजार ने कौफी के स्वाद को फीका कर दिया था. लंबे इंतजार के बाद जब मीता मोहन के सामने आई तो बिलकुल पहचान में नहीं आ रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे अभीअभी उस ने कालेज में एडमिशन लिया हो. अपनी उम्र से 20 साल छोटी लग रही थी वह. मोहन उत्सुकता से उस के चेहरे की ओर देख रहा था. उसे अपना जवाब चाहिए था और ऐसा लग रहा था जैसे उस का जवाब मीता के चेहरे पर लिखा है.

मीता ने मुसकरा कर मोहन से कहा, ‘‘मोहन, कभीकभी सोच साहित्यिक होने लगती है. ऐसा लगने लगता है कि हम किसी कहानी का हिस्सा भर हैं. लेकिन सच कहूं मोहन, तो ऐसा लगता है कि तुम जब पहली बार उस शिक्षिका साहिबा से इश्क कर रहे थे, मेरे पास ही थे. फिर तुम जबजब जितनी भी स्त्रियों के पास गए, हर बार मेरे और पास आते गए और अब जब सारी दूरियां खत्म हो गईं हम और तुम एक हो गए. क्या ऐसा नहीं हो सकता हम किसी ऐसी जगह चले जाएं, जहां न कोई हमें पहचाने, न हम किसी को जानें. जहां न राजन हो न तुम्हारी प्रिया. बोलो मोहन, क्या ऐसा हो सकता है?’’

मोहन ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मीता के आंसुओं से भीगे चेहरे को सांसों की गरमी देते हुए अपने हाथों में थाम लिया. थोड़ी देर बाद दोनों एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले चल पड़े

एक अनजाने सफर पर जहां थोड़ा दर्द लेकिन सुकून था. खुली हवा थी, उम्मीदों से भरापूरा जीवन था.

पगली: आखिर क्यूं महिमा अपने पति पर शक करती थी

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