Download Grihshobha App

6 Type की होती हैं Bread, जानिए क्या हैं इनके फायदे

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

बदलती जीवनशैली में हमारे खान-पान की आदतें भी विकसित हो रही हैं. अब नाश्ते में लोग ब्रेड का सेवन ज्यादा करते हैं, क्योंकि ये सेहत के लिए बेस्ट ब्रेकफास्ट है. सैंडविच के रूप में या जैम, मक्खन के साथ खाने के अलावा इससे कई तरह के स्नैक्स भी बनाए जाने लगे हैं. आमतौर पर इन सभी के लिए हम व्हाइट ब्रेड का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब बाजार में ब्रेड की कई किस्में मौजूद हैं, जिनके बारे में अब भी बहुत से लोग नहीं जानते. ये ब्रेड न केवल खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि स्वास्थ से जुड़े इनके फायदे बहुत हैं. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं ब्रेड के प्रकार और इनसे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में.

ब्राउन ब्रेड (Brown Bread)

ब्राउन गेहूं के आटे से बनी होती है. इसे बनाने के दौरान चोकर और गेहूं के कीटाणु को नहीं हटाया जाता है. परिणामस्वरूप ब्रेड में पोषण तत्व बरकरार रहते हैं. एक ब्राउन ब्रेड में लगभग 3.9 ग्राम प्रोटीन, 21.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 2.8 ग्राम फाइबर, 15.2मिग्रा कैल्शियम, 1.4 मिग्रा आयरन, 37.3 मिग्रा मैग्रीशियम, पोटेशियम, सोडियम और जिंक जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ब्राउन ब्रेड में मौजूद फाइबर बवासीर, हदय रोग, टाइप टू डायबिटीज और कब्ज के जोखिम को कम करने में मदद करता है.

हनी और ओट्स ब्रेड (Honey and Oats Bread):

शहद और जई से बनी ये ब्रेड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होती है. इसमें 49 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 5 ग्राम फाइबर और 260 कैलोरी होने के साथ विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है. सभी पौष्टिक तत्व होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को कम कर वजन घटाने में सहायता करती है. इस ब्रेड का सेवन करने से पाचन तंत्र भी ठीक रहता है. अध्ययनों के अनुसार, हनी और ओट्स ब्रेड के सेवन से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता.

राई ब्रेड (Rye Bread)

राई की ब्रेड राई और गेहूं के मिश्रण से तैयार की जाती है. राई की ब्रेड में एक सेक्लाइनिन नाम का प्रोटीन पाया जाता है, जो आपकी बढ़ी हुई भूख को कंट्रोल करने का काम करता है और आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे वजन कम करने में तो आसानी होती ही है, साथ ही डायबिटीज में इसे खाया जाए, तो ये बहुत फायदेमंद होती है.

फ्रूट ब्रेड (Fruit Bread): 

फ्रूट ब्रेड बहुत स्वादिष्ट होती है. इसमें किशमिश, संतरे के छिलके, खुबानी, खजूर जैसे ड्राई फ्रूट्स और शुगर मिलाई जाती है. इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें अंडे, दालचीनी, जायफल भी डाले जाते हैं. फ्रूट ब्रेड प्रोटीन और फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती है. एक तरफ जहां ड्राई फ्रूट्स ओरल हेल्थ को बढ़ावा देते हैं और मसूड़ों की बीमारियों से बचाते हैं, वहीं सोडियम की मात्रा कम होने की वजह से उच्च रक्त चाप का खतरा कम हो जाता है.

बैगूएट ब्रेड (Baguette Bread):

पौष्टिकता की बात आए, तो बगुएट ब्रेड अच्छा ऑप्शन है. ये ब्रेड एक लंबे पाव की तरह होती है, जो अक्सर बड़े रेस्टोरेंट्स या बेकरी पर देखने को मिलती है. यह आमतौर पर लीन आटे का उपयोग करके बनाई जाती है. इसमें विटामिन बी, जिंक, आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं. अन्य ब्रेडों की तुलना में इसमें फाइबर की मात्रा न के बराबर होती है, लेकिन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए प्रभावी है.

वॉलनट ब्रेड( Walnut Bread ) :

वॉलनट ब्रेड दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. दरअसल, इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जिससे आप अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ा सकते हैं. बता दें, कि अखरोट को ब्रेन बूस्टिंग फूड भी माना जाता है, इसलिए दिमाग को तेज करने के लिए वॉलनट ब्रेड या अखरोट की ब्रेड का सेवन आपको एक बार जरूर करना चाहिए.

तो अगली बार आप जब भी ब्रेड खरीदने की सोचें, तो सुनिश्चित करें, कि इन हेल्दी ब्रेड का ऑप्शन चुनें. इस लेख में बताए गई 6 प्रकार की ब्रेड न केवल पोषण से भरपूर हैं, बल्कि इनका स्वाद भी आम ब्रेड से बहुत अलग है.

सुकून: क्यों सोहा की शादी नहीं करवाना चाहते थे उसके माता-पिता

सुधाकरऔर सविता की शादी के 7 साल बाद सोहा का जन्म हुआ था. पतिपत्नी के साथ पूरे परिवार की खुशी की सीमा न रही थी. शानदार दावत का आयोजन कर दूरदूर के रिश्तेदारों को आमंत्रित किया गया था.

सोहा के 3 साल की होने पर उसे स्कूल में दाखिल करवा दिया. एक दिन सविता को बेटी के पैर पर व्हाइट स्पौट्स से दिखे. रात में सविता ने पति को बताया तो अगले दिन सोहा को डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर ने ल्यूकोडर्मा कनफर्म किया. जान कर पतिपत्नी को गहरा आघात लगा. इकलौती बेटी और यह मर्ज, जो ठीक होने का नाम नहीं लेता.

डाक्टर ने बताया, ‘‘ब्लड में कुछ खराबी होने के कारण व्हाइट स्पौट्स हो जाते हैं. कभीकभी कोई दवा भी रीएक्शन कर जाती है. आप अधिक परेशान न हों. अब ऐसी दवा उपलब्ध है जिस के सेवन से ये बढ़ नहीं पाते और कभीकभी तो ठीक भी हो जाते हैं.’’

डाक्टर की बात सुन कर सुधाकर और सविता ने थोड़ी राहत की सांस ली. फिर स्किन स्पैशलिस्ट की देखरेख में सोहा का इलाज शुरू हो गया.

यौवन की दहलीज पर पांव रखते ही सोहा गुलाब के फूल सी खिल उठी. उस के सरल व्यक्तित्व और सौंदर्य में बेहिसाब आकर्षण था. मगर उस के पैरों के व्हाइट स्पौट्स ज्यों के त्यों थे. हां, दवा लेने के कारण वे बढ़े नहीं थे. सोहा को अपने इस मर्ज की कोई चिंता नहीं थी.

सविता और सुधाकर ने कभी इस बीमारी का जिक्र अथवा चिंता उस के समक्ष प्रकट नहीं की. अत: सोहा ने भी कभी इसे मर्ज नहीं समझा.

पढ़ाई पूरी करने के बाद फैशन डिजाइनर की ट्रेनिंग के लिए उस का चयन हो गया. वह कुशाग्रबुद्धि थी. अत: फैशन डिजाइनर का कोर्स पूर्ण होते ही उसे कैंपस से जौब मिल गई. बेटी की योग्यता पर मातापिता को गर्व की अनुभूति हुई.

सोहा को जौब करतेकरते 2 साल बीत गए. अब सविता को उस की शादी की चिंता होने लगी. सर्वगुणसंपन्न होने पर भी बेटी में एक भारी कमी के कारण पतिपत्नी की कहीं बात चलाने की हिम्मत नहीं पड़ती. दोनों जानते थे कि उस की योग्यता और खूबसूरती के आधार पर बात तुरंत बन जाएगी, लेकिन फिर उस की कमी आड़े आ जाएगी, सोच कर उन का मर्म आहत होता.

यद्यपि सुधाकर और सविता को पता था कि शरीर की सीमित जगहों पर हुए ल्यूकोडर्मा के दागों को छिपाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराई जा सकती है, लेकिन पतिपत्नी 2 कारणों से इस के लिए सहमत नहीं थे. पहला यह कि वे अपनी प्यारी बेटी सोहा को इस तरह की कोई शारीरिक तकलीफ नहीं देना चाहते थे और दूसरा यह कि इस रोग को सोहा की नजरों में कुछ विशेष अड़चन अथवा शारीरिक विकृति नहीं समझने देना चाहते थे. इसी कारण सोहा अपने को हर तरह से नौर्मल ही समझती.

दोनों पतिपत्नी को पूरा विश्वास था कि उन की बेटी को अच्छा वर और घर मिल जाएगा. इसी विश्वास पर सुधाकर ने औनलाइन सोहा की शादी का विज्ञापन डाला.

कुछ दिनों के बाद यूएसए से डाक्टर अर्पित का ईमेल आया, साथ में उन का फोटो भी. उन्होंने अपना पूरा परिचय देते हुए लिखा था, ‘‘मैं डा. अर्पित स्किन स्पैशलिस्ट हूं. बैचलर हूं और स्वयं के लिए आप का प्रस्ताव पसंद है. आप ने अपनी बेटी में जिस कमी का वर्णन किया है, वह मेरे लिए कोई माने नहीं रखती है. मैं आप को पूर्ण विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी तरफ से आप को या आप की बेटी को कभी किसी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.

‘‘यदि आप को भी हमारा रिश्ता मंजूर हो तो आप लोग बैंगलुरु जा कर मेरे मातापिता से बात कर सकते हैं. बात पक्की होने पर मैं विवाह के लिए इंडिया आ जाऊंगा.’’

अर्पित का मैसेज सुधाकर और सविता को सुखद प्रतीत हुआ. सोहा से भी बात की. उसे भी अर्पित की जौब और फोटो पसंद आया. मातापिता के कहने पर उस ने अर्पित से बात भी की. सब कुछ ठीक लगा.

बैंगलुरु जा कर सुधाकर ने अर्पित के परिवार वालों से बातचीत की. बिना किसी नानुकुर के शादी पक्की हो गई. 1 माह का अवकाश ले कर अर्पित इंडिया आ गया. धूमधाम के साथ सोहा और अर्पित परिणयसूत्र में बंध गए. विवाहोपरांत कुछ दिन मायके और ससुराल में रह कर वह अर्पित के साथ यूएसए चली गई.

सबकुछ अच्छा होने पर भी सुधाकर और सविता को बेटी के शुभ भविष्य के प्रति मन में कुछ खटक रहा था.

यूएसए पहुंच कर सोहा रोज ही मां से फोन पर बातें करती. अपना,

अर्पित का और दिनभर कैसे व्यतीत हुआ, पूरा हाल बताती. अर्पित के अच्छे स्वभाव की प्रशंसा भी करती.

सविता को अच्छा लगता. वे पूछना चाहतीं कि उस के पैरों के बारे में कुछ बात तो नहीं होती, लेकिन पूछ नहीं पाती, क्योंकि अभी तक कभी उस से व्यक्तिगत रूप से इस पर बात कर के उस का ध्यान इस तरफ नहीं खींचा था ताकि बेटी को कष्ट की अनुभूति न हो.

सोहा ने भी कभी इस बाबत मां से कोई बात नहीं की, इस विषय में मां से कुछ कहना उसे कोई जरूरी बात नहीं लगती थी. बस इसी तरह समय सरकता रहा.

स्वयं स्किन स्पैशलिस्ट डाक्टर होने के कारण अर्पित को ल्यूकोडर्मा के बारे में पूरी जानकारी थी. वे इस से परिचित थे कि यह बीमारी आनुवंशिक होती है और न ही छूत से. अपितु शरीर में ब्लड में कुछ खराबी होने के कारण हो जाती है. एक लिमिट में रहने तक प्लास्टिक सर्जरी से छिपाया जा सकता है. उन्होंने सोहा के साथ भी वही किया. कुछ अन्य डाक्टरों से सलाहमशवरा कर के उन्होंने बारीबारी से सोहा के दोनों पैर प्लास्टिक सर्जरी द्वारा ठीक कर दिए.

कुछ समय और बीता तो सोहा को पता चला कि उस के पांव भारी हैं. उस ने अर्पित को इस शुभ समाचार से अवगत कराया.

अर्पित ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उसे बांहों में भर लिया, ‘‘मां को भी इस शुभ समाचार से अवगत कराओ,’’ अर्पित ने कहा.

‘‘हां, जरूर,’’ सोहा ने मुसकराते हुए कहा.

दूसरे दिन सोहा ने फोन पर मां को बताया. सविता और सुधाकर को अपार हर्ष की

अनुभूति हुई. उन्हें विश्वास हो गया कि उन की बेटी का दांपत्य जीवन सुखद है.

दोनों पतिपत्नी ने शीघ्र यूएसए जाने की तैयारी भी कर ली. सोहा और अर्पित के पास मैसेज भी भेज दिया. यथासमय बेटीदामाद उन्हें रिसीव करने पहुंच गए. काफी दिनों बाद सोहा को देख कर सविता ने उसे गले से लगा लिया. घर आ कर विस्तृत रूप से बातचीत हुई.

सोहा के पैरों को सही रूप में देख कर सुधाकर और सविता को असीम खुशी हुई.

शिकायत करती हुई सविता ने सोहा से कहा, ‘‘अपने पैरों के बारे में तुम ने मुझे नहीं बताया?’’

‘‘हां मां, यह कोई ऐसी विशेष बात तो थी नहीं, जो तुम्हें बताती,’’ सोहा ने लापरवाही से कहा.

सविता के मन ने स्वीकार लिया कि बेटी की जिस बीमारी को ले कर वे लोग 24-25 सालों तक तनाव में रहे वह अर्पित के लिए कोई विशेष बात नहीं रही. ‘योग्य दामाद के साथ बेटी का दांपत्य जीवन और भविष्य उज्ज्वल रहेगा,’ सोच सविता को भारी सुकून मिला.

घोंसला: कपिल की मौत से किसे ज्यादा तकलीफ हुई

सुबह होतेहोते महल्ले में खबर फैल  गई थी कि कोने के मकान में  रहने वाले कपिल कुमार संसार छोड़ कर चले गए. सभी हैरान थे. सुबह से ही उन के घर से रोने की आवाजें आ रही थीं. पड़ोस में रहने वाले उन के हमउम्र दोस्त बहुत दुखी थे. वास्तव में वे मन से भयभीत थे.

उम्र के इस पड़ाव में जैसेतैसे दिन कट रहे थे. सब दोस्तों की मंडली कपिल कुमार के आंगन में सुबहशाम जमती थी. कपिल कुमार को चलनेफिरने में दिक्कत थी, इसलिए सब यारदोस्त उन के यहां ही एकत्रित हो जाते और फिर कभी कोई ताश की बाजी चलती तो कभी लूडो खेला जाता. कपिल कुमार की आवाज में खासा रोब था. ऊपर से जिंदादिली ऐसी कि रोते हुए को वे हंसा देते.

विनोद साहब तो उन की खबर सुन कर सुन्न रह गए. बिलकुल बगल वाला घर उन का ही था. इसलिए सब से पहले खबर उन्हें ही मिली. विनोद साहब अपनी पत्नी के साथ अकेले रहते थे. उन के दोनों बेटे अमेरिका में सैटल थे. कभीकभी मौत का ध्यान कर वे डर जाया करते थे कि अगर वे पहले चले गए तो उन की पत्नी अकेली रह जाएगी, तब उन की भोली पत्नी कैसे पैंशन और बैंक आदि के काम कर पाएगी. दोनों बेटे अपनीअपनी नौकरी में इतने मस्त थे कि वे कभी एक हफ्ते से ज्यादा इंडिया आए ही नहीं.

विनोद साहब काफी ईमानदार व मिलनसार व्यक्ति थे. वे कपिल कुमार से 3 साल बड़े थे. उन्हें मन ही मन काफी विश्वास था कि आगे उन्हें कुछ होगा तो वे उन की पत्नी की जरूर मदद कर देंगे. परंतु कपिल कुमार की अकस्मात मौत की खबर ने उन की चिंता बढ़ा दी थी.

चाय का ठेला लगाने वाला नानका सुबह उन के घर आ कर खबर पक्की कर गया था. वह सुबकसुबक कर रो रहा था. कपिल कुमार अकसर उसे छेड़ा करते थे. उस की शादी नहीं हुई थी. पर अपना घर बसाने का उस के मन में बहुत चाव था. वह पंजाब के होशियारपुर का रहने वाला था. उस के मातापिता बचपन में ही गुजर गए थे. उसे विधवा मौसी ने पाला था. फिर वह भी कैंसर से बीमार हो कर ऊपर वाले को प्यारी हो गई थी. उस का मन संसार से विरक्त हो गया था.

वह घरबार छोड़ कर इधरउधर घूमता रहा. एक दिन विनोद साहब को ट्रेन में मिला था. उस के बारे में जान कर वह उसे सम झाबु झा कर साथ ले आए थे. उन्होंने अपनी मंडली की मदद से उस को चाय का ठेला लगवा दिया था. दिनभर उस के ठेले पर अच्छा जमघट लगा रहता. उस की मीठी बोली का रस लोगों के दिलों तक पहुंच जाता था और सब उस के कायल हो जाते थे. सारा दिन मंडली का चायनाश्ता उस की जिम्मेदारी थी. वे लोग भी उस का खूब खयाल रखते. कभी उस को बड़ा और्डर मिल जाता तो वे सब उस की मदद करने बैठ जाते. उन से उस का कुछ बंधा हुआ नहीं था. जब जिस का मन होता वह उसे पकड़ा देता और उस ने भी उन के साथ कुछ हिसाबकिताब नहीं रखा था. नानका के लिए वे सभी लोग खून से बड़े रिश्ते वाले थे.

उन लोगों के दिए प्यार और अपनेपन ने उस के शुष्क मन में हरियाली भर दी. आज कपिल कुमार के जाते ही उस को लगा कि उस का अपना उसे छोड़ कर चला गया. उन की मंडली के खन्ना साहब को भी जब से खबर मिली थी तब से वे भी काफी उदास थे. मन ही मन सोच रहे थे कि उन सब का घोंसला टूट गया. दिल चाह रहा था कि दौड़ कर कपिल कुमार के घर पहुंच जाएं पर पांव थे कि साथ नहीं दे रहे थे. शायद मन ही मन अपना भविष्य वे कपिल कुमार में देख कर डर गए थे.

उन के बेटे ने जब से खबर सुनाई थी, वे सोच में डूबे थे. पता नहीं जिंदगी का मोह था या सचाई से सामना करने का डर जो उन्हें अपने जिगरी यार के घर जाने से रोक रहा था. उन के कानों में कपिल कुमार के जोरदार ठहाकों की आवाज गूंज रही थी. कल शाम ही लूडो खेलते हुए वे जब बाजी जीत गए तो बोले थे, ‘मु झ से कोई जीत नहीं सकता.’

सरदार इंदरपाल का भी यही हाल था. वे कपिल कुमार के घर सुबह ही पहुंच गए थे. उन की बौडी के पास बैठे वे पथरा से गए थे. परिवार के रोने की आवाजें रहरह कर उन के कानों में गूंज रही थीं. ‘पापाजी की तसवीरों में से अच्छी सी तसवीर निकालो…’, ‘बेटे को खबर कर दी…’,  ‘अच्छा दोपहर तक पहुंचेगा…’ ‘बेटी आ गई…’ अचानक रोने की आवाज तेज हो गई. उन के भाईबहन पहुंच गए थे. सरदार इंद्रपाल को मालूम था कि कपिल कुमार के अपने भाई से रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं थे पर अंतिम यात्रा में सब को शामिल होना था.

सरदार इंद्रपाल अपने ही विचारों में खो गए. उन का एक ही बेटा था. अपना सबकुछ लगा कर उसे पढ़ायालिखाया. अमेरिका में एक बड़ी कंपनी में काम करता था. डौलरों में तनख्वाह मिलती थी, खूब पैसा भेजता था. शुरू में तो हमेशा कहता था, ‘कुछ साल का अनुभव लेने के बाद वापस आ जाएगा, तब अपने देश में उसे अच्छी नौकरी मिल जाएगी.’ धीरेधीरे उसे अपने भविष्य के आगे बेटे का भविष्य दिखाई देने लगा. इंद्रपाल पत्नी के साथ अपने पुश्तैनी मकान में रह गए और फिर एक दिन पत्नी भी छोड़ कर चली गई. अब तो ये यारदोस्त की मंडली ही उन के लिए सबकुछ थी.

आज उन में भी एक विकेट गिर गया. कपिल कुमार के घर से बाहर आ कर उन का दिल बहुत भावुक हो गया. उन्होंने बेटे को फोन मिलाया. ‘‘क्या हुआ पापाजी, सब ठीक है न?’’ उस की आवाज की घबराहट सुन कर सरदार इंद्रपाल को अपनी गलती का एहसास हुआ. वहां इस समय मध्यरात्रि थी.

अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हुए बोले, ‘‘हां पुत्तर, सब ठीक है. रात को बुरा सपना आया था, सो तुम सब की खैरियत जानने के लिए फोन किया था. टाइम का खयाल ही दिमाग से निकल गया.’’

बेटे के दिल तक पिता की व्याकुलता पहुंच चुकी थी. उस ने धीरे से कहा, ‘‘पापाजी, क्या हुआ है?’’‘‘मेरा यार कपिल सानू छड के चला गया,’’ कहतेकहते वे बच्चों की तरह बिलख कर रोने लगे. बेटे ने कई तरह से उन को दिलासा दिया और जल्दी ही आने का वादा कर के उन्हें शांत किया.

इधर बंगाली बाबू का भी घर पर यही हाल था. जब से कपिल कुमार की डैथ का उन्हें पता चला, तब से वे न जाने कितनी बार टौयलेट जा कर आए थे. वे शुरू से कम बोलते थे, पर मितभाषी होने पर भी कुदरत ने इमोशंस उन को भी कम नहीं दिए थे. वे अच्छे सरकारी ओहदे से रिटायर्ड थे. बहुत से लोगों से उन की जानपहचान थी. परंतु रिटायरमैंट के बाद संयोग से जिस भी दोस्त को फोन किया, तो पता चला कि वह इस लोक को छोड़ गया. तब से उन के मन में वहम हो गया, इसलिए उन्होंने फोन करना ही छोड़ दिया.

सब उन का मजाक उड़ाते कि उन के फोन करने और न करने से कुछ बदलने वाला नहीं है. पर वे मुसकरा कर कहते ‘फोन न करने से मेरे मोबाइल में उन का नंबर बना रहता और दिल को तसल्ली रहती है कि मेरे पास अभी भी इतने सारे दोस्त हैं,’ उन की पत्नी कब से पैरों में चप्पल डाले तैयार खड़ी थी पर बंगाली बाबू के पेट में बारबार मरोड़ उठने लगते थे. आखिर हिम्मत कर के वे अपने यार के अंतिम दर्शन के लिए निकल पड़े. रितेश साहब इन सब से कुछ विपरीत थे. वे सुबह ही कपिल

कुमार के घर पर आ कर पूरा इंतजाम संभाल रहे थे. शादीब्याह हो या किसी का मरना, वे इसी तरह अपनी फ्री सेवा प्रदान करते हैं. किसी के बिना कुछ कहे सब इंतजाम वे अपने से कर लेते थे, फिर कपिल तो उन का यार था. इस में कैसे वे पीछे रह जाते. बाहर तंबू लगवाते वे सोच रहे थे कि बाकी दोस्त कहां रह गए. सब की मनोदशा का उन को कुछकुछ अंदाजा था. नानका वहां पहले से पहुंचा हुआ था. घर के बाहर लगे लैटर बौक्स से पानी का बिल हाथ में लिए आया और फूटफूट कर रोने लगा.

‘‘हर बार साहब मु झे पहले जा कर बिल भरने की हिदायत देते थे और सब के बिल इकट्ठे कर के देते थे. अब मु झे कौन…’’ रितेश साहब ने उसे अपने कंधे से लगा लिया और उसे चुप कराने लगे. नानका सब का दुलारा था. पानी का बिल हो या किसी बीमार रिश्तेदार को देखने जाना हो, सब का यह मुंहबोला बेटा हमेशा उन के साथ जाता था. वह कब उन के दुखसुख का साथी बन गया था, यह किसी को नहीं पता था.

दोपहर तक कपिल कुमार का बेटा परिवार सहित आ गया. सभी रिश्तेदार भी धीरेधीरे जमने शुरू हो गए. कपिल कुमार की मित्रमंडली भी उन के घर के आगे जमा हो गई. आती भी कैसे नहीं, यार को अंतिम यात्रा में कंधा देना था. अर्थी के उठाते ही एक बार फिर रुदन का स्वर ऊंचा हो गया. महल्ले के कोने में खड़ा नानका चाय वाले की आंखें नम हो आई थीं. इस मित्रमंडली की वजह से उस का मनोरंजन होता रहता था, वरना आजकल तो सब लोग घर में ही घुसे रहते हैं, कोई किसी से बात कर के राजी ही नहीं है.

शाम होतेहोते सबकुछ खत्म हो गया. जिस आदमी के ठहाकों से पूरी गली गूंजती थी, वहां आज मातम छाया था. सब अपने घरों में जा कर दुबक गए.

रितेश साहब ने हिम्मत की और कपिल कुमार के घर के आंगन में पहुंच गए. घरपरिवार के लोग अंदर थे. बाहर मित्रमंडली की कुरसियां तितरबितर थीं. धीरेधीरे उन्होंने कुरसियों को सहेजना शुरू किया और बड़े जतन से उसे सटाने लगे. वे बीच में कोई जगह खाली नहीं छोड़ना चाहते थे, शायद ऐसा करने से तथाकथित यमराज उन दोस्तों तक न पहुंच पाए. बाहर हलचल की आवाज सुन कर कपिल कुमार का बेटा बाहर आ गया.

उन्हें कुरसी लगाते देख कर बोला, ‘‘अंकल, कोई आने वाले हैं?’’ ‘‘हां बेटा, हम सब की मजलिस का समय हो गया है,’’ कहतेकहते फफक कर रोने लगे. उन्हें किसी तरह चुप करवा कर कपिल कुमार का बेटा उन्हें उन के घर छोड़ कर आया.

3-4 दिनों में ही सब क्रियाकर्मों के साथ उस ने सामान का निबटारा शुरू कर दिया. सब सामान पुराना था, इसलिए बेहतर यही सम झा गया कि आसपड़ोस वालों को या गरीबों को दे दिया जाए. कपिल कुमार की मित्रमंडली का मन था कि सभी कुरसियां वह ज्यों की त्यों छोड़ दे पर सकुचाहट की वजह से प्रकट में कोई नहीं बोला.  शायद, दोबारा अपनी मंडली को एकसाथ एकत्रित करने का साहस बटोर रहे थे.

चौथे के अगले दिन उन्हें पता चला कि सब सामान इधरउधर दे कर मकान का भी सौदा हो गया है. मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार कर व्यावहारिक होने में अब कम ही समय लगता है. नम आंखों के साथ कपिल कुमार का बेटा सब से विदाई ले कर चला गया.

उस के जाते ही सारे दोस्त अपनेअपने घरों से निकल आए जैसे उस के जाने का इंतजार कर रहे हों. कपिल कुमार के घर के बाहर एक कोने में टैंट वाले की दरी अभी भी पड़ी थी. चुपचाप सारे दोस्त असहज हो कर भी उसी दरी पर बैठने की कोशिश करने लगे. उम्र के इस मोड़ पर चौकड़ी मार कर बैठना मुश्किल था, सब निशब्द थे पर उन के मौन में भी एक प्रश्न था कि कल से कहां बैठने का इंतजाम करना है.

महल्ले के कोने में खड़ा चायवाला नानका अचानक से हाथ जोड़े उन के सामने आ कर खड़ा हो गया.  ‘‘साहब, कपिल कुमार के बेटे ने सारी कुरसियां मु झे दे दी हैं. आप सब से विनती है कि आप चल कर मेरी दुकान पर बैठें. आप सब हैं, तो इस महल्ले में रौनक है, वरना आजकल कौन किसी से बात करता है.’’

कुछ ही देर में चाय वाले के यहां उन सब का नया घोंसला तैयार था और वे सब बैठे लूडो खेलने की तैयारी में लगे थे.

New Year Special: मुसकुराता नववर्ष- क्या हुआ था कावेरी के साथ

family story in hindi

New Year Special: हैप्पी न्यू ईयर- निया को ले कर माधवी की सोच उस रात क्यों बदल गई

निया औफिस के लिए तैयार हो रही थी. माधवी वैसे तो ड्राइंगरूम में पेपर पढ़ रही थीं पर उन का पूरा ध्यान अपनी बहू निया की ओर ही था. लंबी, सुडौल देहयष्टि, कंधों तक कटे बाल, अच्छे पद पर कार्यरत अत्याधुनिक निया उन के बेटे विवेक की पसंद थी. माधवी को भी इस प्रेमविवाह में आपत्ति करने का कोई कारण नहीं मिला था. इतनी समझ तो वे भी रखती हैं कि इकलौते योग्य बेटे ने यों ही कोई लड़की पसंद नहीं की होगी. उन्होंने मूक सहमति दे दी थी पर पता नहीं क्यों उन्हें निया से दिल से एक दूरी महसूस होती थी. वे स्वयं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में अकेली रहती थीं. पति श्याम सालों पहले साथ छोड़ गए थे.

विवेक की नौकरी मुंबई में थी. उस ने जब भी साथ रहने के लिए कहा था, माधवी ने यह कह कर टाल दिया था, ‘‘सारा जीवन यहीं तो बिताया है, पासपड़ोस है, संगीसाथी हैं. वहां

मुंबई में शायद मेरा मन न लगे. तुम दोनों तो औफिस में रहोगे दिन भर. अभी ऐसे ही चलने दो, जरूरत हुई तो तुम्हारे पास ही आऊंगी. और कौन है मेरा.’’

साल में एकाध बार वे मुंबई आ जाती हैं पर यहां उन का मन सचमुच नहीं लगता. दोनों दिन भर औफिस रहते, घर पर भी लैपटौप या फोन पर व्यस्त दिखते. साथ बैठ कर बातें करने का समय दोनों के पास अकसर नहीं होता. ऊपर से निया का मायका भी मुंबई में ही था. कभी वह मायके चली जाती तो घर उन्हें और भी खाली लगता.

नया साल आने वाला था. इस बार वे मुंबई आई हुई थीं. निया ने भी फोन पर कहा था, ‘‘यहां आना ही आप के लिए ठीक होगा. मेरठ की ठंड से भी आप बच जाएंगी.’’

निया से उन के संबंध कटु तो बिलकुल भी नहीं थे पर निया उन से बहुत कम बात करती थी. माधवी को लगता था कि शायद विवेक उन्हें जबरदस्ती मुंबई बुला लेता है और निया को शायद उन का आना पसंद न हो. निया की सोच बहुत आधुनिक थी.

‘‘पतिपत्नी दोनों कामकाजी हों तो घरबाहर दोनों के काम दोनों मिल कर ही संभालते हैं,’’ यह माधवी ने निया के मुंह से सुना था तो उस की स्पष्टवादिता पर बड़ी हैरान हुई थीं.

निया को वे मन ही मन खूब जांचतीपरखती और उस की बातों पर मन ही मन हैरान सी रह जातीं. सोचतीं, अजीब मुंहफट लड़की है. आधुनिकता और आत्मनिर्भरता ने इन लड़कियों का दिमाग खराब कर दिया है.

कल ही कह रही थी, ‘‘विवेक, मैं बहुत थक गई हूं. तुम ही सब का खाना लगा लो.’’

उन्हें तो थकेहारे बेटे पर तरस ही आ गया. फौरन कहा, ‘‘अरे, तुम दोनों आराम से फ्रैश हो लो. मैं खाना लगा लूंगी. श्यामा सब बना कर तो रख ही गई है. बस, लगाना ही तो है,’’ और फिर उन्होंने सब का खाना टेबल पर लगाया.

पिछले संडे को सुबह उठते ही कह रही थी, ‘‘विवेक, आज पूरा दिन रैस्ट का मूड है, श्यामा के हाथ के खाने का मूड नहीं है. नाश्ता बाहर से ले आओ और लंच भी और्डर कर देना.’’

माधवी ने पूछ लिया, ‘‘निया, मैं बना दूं कुछ?’’

निया ने हमेशा की तरह संक्षिप्त सा उत्तर दिया, ‘‘नहीं मां, आप रैस्ट कीजिए.’’

मुझ से तो पता नहीं क्यों इतना कम बोलती है यह लड़की. अभी 2 साल ही तो हुए हैं विवाह को. सासबहू वाला कोई झगड़ा भी कभी नहीं हुआ, फिर इतनी गंभीर क्यों रहती है. ऐसा भी क्या सोचसमझ कर बात करना, माधवी अपनी सोच के दायरे में उलझी सी रहतीं.

माधवी को मुंबई आए 10 दिन हो रहे थे. निया नए साल पर सब दोस्तों को घर पर बुला कर पार्टी करने के मूड में थी. विवेक भी खूब उत्साहित था. पर अगले ही पल क्या हो जाए, किसे पता होता है. शाम को अचानक बाथरूम में माधवी का पैर फिसला तो वे चीख पड़ीं. विवेक और निया भागे आए. दर्द की अधिकता से माधवी के आंसू बह निकले थे. उन्हें फौरन हौस्पिटल ले जाया गया. पैर में फ्रैक्चर हो गया था. प्लास्टर चढ़ाया गया.

माधवी को इस बेबसी में रोना आ रहा था. घर आ कर भी 2-3 दिन सो न सकीं. बड़ी बेचैन थीं. डाक्टर को घर पर ही बुलाया गया. उन का ब्लडप्रैशर हाई था, पूर्ण आराम और दवा के लिए निर्देश दे डाक्टर चला गया. विवेक उन्हें आराम करने के लिए कह लैपटौप पर व्यस्त हो गया. माधवी को इस तकलीफ में जीने की आदत डालने में कुछ दिन लग गए. पहले निया के मना करने पर भी कुछ न कुछ इधरउधर करते हुए अपना समय बिता लेती थीं, अब तो अकेलापन और बढ़ता लग रहा था.

एक संडे को वे चुपचाप अपने रूम में लेटी थीं. अचानक उन का मन हुआ कि वाकर की सहायता से ड्राइंगरूम तक जा कर देखें. यह टू बैडरूम फ्लैट था. वे बड़ी हिम्मत से वाकर के सहारे अपने रूम से बाहर निकलीं तो उन्हें बच्चों के रूम से निया का तेज स्वर सुनाई दिया. उन का दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं था. न चाहते हुए भी उन्होंने निया की बात पर ध्यान दिया.

निया तेज स्वर में कह रही थी, ‘‘मां तुम्हारी है, तुम्हें सोचना चाहिए.’’

माधवी को तेज झटका लगा, मन आहत हुआ कि इस का मतलब मेरा अंदाजा सही था कि निया को मेरा यहां आना पसंद नहीं. अब? इतना स्वाभिमान तो मुझ में भी है कि बेटेबहू के घर अवांछित सी नहीं रहूंगी. फिर फैसला कर लिया कि जल्द ही वापस चली जाएगी. अकेली रह लेंगी पर यहां नहीं आएंगी. इसलिए निया इतनी गंभीर रहती है.

उन की आंखों से मजबूरी और अपमान से आंसू बहने लगे. चुपचाप अपने रूम में आ कर लेट गईं. थोड़ी देर बाद निया उन के लिए शाम की चाय ले कर आई तो उन्होंने उस के चेहरे पर नजर भी नहीं डाली.

निया ने कहा, ‘‘मां, उठिए, चाय लाई हूं.’’

‘‘ले लूंगी, तुम रख दो.’’

निया चाय रख कर चली गई. माधवी का दिल भर आया, कोई उन से पूछने वाला भी नहीं कि वे क्यों उदास, दुखी हैं. थोड़ी देर में उन्होंने ठंडी होती चाय पी ली और विवेक को आवाज दी. विवेक आ कर गंभीर मुद्रा में बैठ गया. उन्हें बेटे पर बड़ा तरस आया. सोचा,पिसते हैं बेटे मां और पत्नी के बीच.बेटा भी क्या करे. नहीं वह बेटे की गृहस्थी में तनाव का कारण नहीं बनेगी, सोच माधवी बोलीं, ‘‘विवेक प्लास्टर कटते ही मेरा टिकट करवा देना.’’

विवेक चौंका, ‘‘क्या हुआ, मां?’’

‘‘बस, जाने का मन कर रहा है.’’

‘‘ठीक हो जाओ, चली जाना. अभी तो टाइम लगेगा,’’ कह कर विवेक चला गया.

ठंडी सांस भर कर माधवी अपने विचारों में डूबतीउतरती रहीं. 27 दिसंबर की शाम को तीनों साथ ही डिनर कर रहे थे. माधवी ने यों ही पूछ लिया, ‘‘बेटा, तुम्हारी न्यू ईयर पार्टी का क्या हुआ?’’

‘‘निया ने कैंसिल कर दी, मां.’’

‘‘क्यों? तुम लोग तो इतने खुश थे?’’

‘‘बस, निया ने मना कर दिया.’’

‘‘पर क्यों, बेटा?’’

‘‘सब आएंगे, शोरशराबा होगा, आप डिस्टर्ब होंगी, आप को आराम की जरूरत है.’’ निया ने जवाब दिया.

‘‘अरे नहीं, मुझे तो अच्छा लगेगा, घर में रौनक होगी, बहुत बोर हो रही हूं मैं तो, तुम लोग आराम से नए साल का स्वागत करो, मजा आएगा.’’

निया बहुत हैरान हुई, ‘‘सच? मां? आप डिस्टर्ब नहीं होंगी?’’

‘‘बिलकुल भी नहीं.’’

निया ने मुसकरा कर थैंक्स मां कहा तो माधवी को अच्छा लगा.

फिर कहा, ‘‘बस, मेरे जाने का टिकट भी करवा दो अब.’’

निया ने कहा, ‘‘नहीं, अभी तो आप की फिजियोथेरैपी भी होगी कुछ दिन.’’

माधवी उफ, कह कर चुप हो गईं. प्रत्यक्षतया तो सब सामान्य था पर माधवी अनमनी थीं. अब माधवी से दिन नहीं कट रहे थे. कभीकभी बेबस, बेचैन सी हो जातीं. मन रहा था अब. बहू उन्हें रखना नहीं चाहती, बेटा मजबूर है, यह बात दिल को कचोटती रहती थी.

31 दिसंबर की पार्टी की तैयारी में निया व्यस्त हो गई. विवेक भी हर बात, हर काम में यथासंभव साथ दे रहा था. दोनों के करीब 15 दोस्त आने वाले थे. बैठेबैठे जितना संभव था माधवी भी हाथ बंटा रही थीं. खाने की कुछ चीजें बना ली थीं, कुछ और्डर कर दी थीं. दोपहर तक सारी तैयारी के बाद लंच कर के माधवी थोड़ी देर अपने रूम में आ कर लेट गईं. अभी 3 बजे थे. 20 मिनट के लिए उन की आंख भी लग गई. उठी तो चाय की इच्छा हुई. पर फिर सोचा कि बेटाबहू आराम कर रहे होंगे, वे थक गए होंगे. अत: वह खुद ही चाय बना लेंगी.

अपने वाकर के साथ वे धीरे से उठीं तो बेटेबहू के कमरे से तेज आवाजें सुन कर ठिठक गईं, वे सुनने की कोशिश करने लगीं कि क्या फिर मेरी उपस्थिति को ले कर दोनों में झगड़ा हो रहा है? रात को तो पार्टी है और अब यह झगड़ा, वह भी उस के कारण? आंसू बह निकले.

निया की आवाज बहुत स्पष्ट थी, ‘‘मां को कहने दो, तुम कैसे मां को वापस भेजने के लिए तैयार हो? मां इतनी शांत, स्नेहिल हैं, उन से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? वे दिन भर अकेली रहती हैं, उन का मन नहीं लगता होगा. तभी उस दिन अपना टिकट करवाने के लिए कहा होगा. मैं ने अपने औफिस में बात कर ली है. जब तक उन का प्लास्टर नहीं उतरता मैं वर्क फ्रौम होम कर रही हूं. बहुत ही जरूरी होगा किसी दिन तब चली जाऊंगी. तुम बेटे हो कर भी उन्हें भेजने की बात कैसे मान जाते हो? और कौन है उन का? वे अब कहीं नहीं जाएंगी, यहीं रहेंगी हमारे साथ.’’

मन में उठे भावों के उतारचढ़ाव से वाकर पकड़े माधवी के तो हाथ ही कांप गए, चुपचाप आ कर अपने बैड पर धम्म से बैठ गईं कि वह क्या सोच रही थी और सच क्या था.

वह कितना गलत सोच रही थी. क्या उस ने अपने मन के दायरे इतने सीमित कर लिए थे कि निया के गंभीर स्वभाव, उस की आधुनिकता को ही जांचनेपरखने में लगी रही. उस के मन की गहराई तक तो वह पहुंच ही नहीं पाई.

उफ, उस दिन भी तो निया यही कह रही थी कि मां तुम्हारी है, तुम्हें सोचना चाहिए.

सच ही तो है कि कई बार आंखें जो देखती हैं, कान जो सुनते हैं वही सच नहीं होता. वह तो निया के कम बोलने, गंभीर स्वभाव को अपनी उपेक्षा समझती रही पर यह तो निया का स्वभाव है, क्या बुराई है इस में?

उस के दिल में तो उस के लिए इतना अपनापन और प्यार है, आज निया जैसी बहू पा कर तो वह धन्य हो गई. आंखों से अब कुछ स्पष्ट नहीं दिख रहा था, सब कुछ धुंधला सा गया था. खुशी और संतोष के आंसू जो भरे थे आंखों में.

तभी निया चाय ले कर अंदर आ गई. माधवी को विचारमग्न देखा, पूछा, ‘‘क्या सोच रही हैं, मां?’’

माधवी को कुछ समझ नहीं आया तो ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कहते हुए मुसकरा कर अपनी बांहें फैला दीं.

कुछ न समझते हुए भी उन की बांहों में समाते हुए कहा, ‘‘यह क्या मां, अभी से?’’

माधवी खुल कर हंस दीं, ‘‘हां, अचानक अपने दिल में अभी से नववर्ष का उल्लास, उत्साह अनुभव कर रही हूं.’’

नए साल का स्वागत नई उमंग से करने के लिए माधवी अब पूरी तरह से तैयार थीं. निया के सिर पर अपना स्नेहभरा हाथ फिरा कर मुसकराते हुए चाय का आनंद लेने लगीं.

Malaika-Arjun: क्या टूट चुका है मलाइका और अर्जुन कपूर का रिश्ता? जानें इसकी वजह

Malaika-Arjun: बॉलीवुड स्टार्स की प्रोफेशनल लाइफ के साथ पर्सनल लाइफ अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है.अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा बॉलीवुड के पॉवर कपल्स में शुमार थे, लेकिन कुछ कारणों से दोनों ने अपनी राहें अलग करने का फैसला कर लिया था. कुछ दिन पहले ही अरबाज खान ने दूसरी शादी की, तो वहीं अब मलाइका अरोड़ा और अर्जुन कपूर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है.

मलाइका और अर्जुन का रिश्ता खत्म हो चुका है?

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

जी हां, बताया जा रहा है कि अर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा का कई महीनों पहले ब्रेकअप हो चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये जोड़ी अपने रिश्ते को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय उस पर काम करने का फैसला लिया है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

खबरों के अनुसार, इसके पीछे की वजह शादी बताई जा रही है. दरअसल, मलाइका अरोड़ा या अर्जुन कपूर में से कोई एक शादी के लिए अभी तैयार नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने रिश्ते को लेकर ऐसा फैसला लिया है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

मलाइका ने शादी को लेकर कहीं ये बड़ी बात

आपको बाते दें कि कपल की तरफ से ऐसी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं आई है. हाल ही में मलाइका से जुड़ी एक वीडियो सामने आया था. इसमें एक्ट्रेस से पूछा गया था कि क्या आप साल 2024 में शादी करने वाली है? इस जवाब में मलाइका ने कहा कि अगर कोई पूछेगा, तो पक्का करूंगी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

हम बिकाऊ नहीं: रामनाथ की फाइल में क्या था खास

‘‘सर,आज उस औनलाइन कंपनी में आप की मीटिंग है. उस के बाद दोपहर का खाना कंपनी के स्टाफ के साथ. हमारे गहनों को उन की वैबसाइट में डालने के सिलसिले में आज आप सौदा पक्का कर रहे हैं और दस्तखत भी करेंगे. यही आज का आप का प्रोग्राम है,’’ रामनाथ के निजी सचिव दया ने उन की डायरी को देख कर कहा और फिर संबंधित फाइल उन्हें दे दी.

रामनाथ ने उस फाइल को देख कर पूछा, ‘‘उस औनलाइन कंपनी की तरफ से कौन आ रहा है?’’ यह सवाल पूछते ही उन के मन में एक अजीब सा एहसास हुआ.

‘‘सर, पहले दिन से ही उस कंपनी की तरफ से हम से बातचीत करती आ रही वह लड़की प्रिया ही आएगी सौदा पक्का करने.’’

यह सुनते ही रामनाथ के मन में खुशी फैल गई. न जाने क्यों जब से प्रिया को पहली बार देखा या तब से रामनाथ का मन उस के प्रति आकर्षित हो गया था.

जब रामनाथ ने यह तय किया था कि वे एक अंतर्राष्ट्रीय औनलाइन कंपनी के साथ मिल कर अपने गहनों के व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे तो 1 महीना पहले जब दया ने कहा था कि उस कंपनी की ओर से एक लड़की आई है तो रामनाथ ने उसे हलके में लिया था.

रामनाथ उस शहर के ही नहीं, बल्कि देश के सब से बड़े व्यवसायियों में से एक थे. उन की वार्षिक आय करोड़ों में थी. उन के कई सारे कारोबार हैं जैसे सैटेलाइट टीवी, दैनिक और मासिक पत्रिकाएं, सोने, हीरे और प्लैटिनम के गहने तैयार कर अपने ही शोरूम में बेचना, 3-4 फाइवस्टार होटल, रियल ऐस्टेट. खासकर उन के गहने ग्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय थे. यह देख कर रामनाथ ने अपने कारोबार को और आगे बढ़ाने के लिए औनलाइन व्यापार में दाखिल होने का निर्णय लिया. उसी सिलसिले में उस अंतर्राष्ट्रीय कंपनी की ओर से प्रिया को पहली बार देखा था.

रामनाथ की आयु लगभग 50 साल थी. लंबा कद, सांवला रंग. उसी उम्र के अन्य लोगों की तरह तोंद नहीं. संक्षिप्त में कहें तो कोई भी उन्हें न तो सुंदर और न ही बदसूरत कह सकता था. अपने माथे पर कुमकुम का टीका लगाते थे और यह कुमकुम ही उन की अलग पहचान बन गई.

रामनाथ ने दया से कहा, ‘‘अंदर भेजो उस लड़की को,’’ और फिर फाइल में मग्न हो गए.

तभी सुरीली आवाज आई, ‘‘मे आई कम इन सर?’’

सुन कर फाइल से नजरें हटा कर आवाज की दिशा की ओर देखा. वहां सामने 22-23 उम्र की एक लड़की मुसकराती नजर आई. उसे देख कर रामनाथ की भौंहें खिल उठीं, फिर तुरंत खुद को संभालते हुए कहा, ‘‘कम इन’’ और फिर फाइल बंद कर दी.

लड़की लंबे कद की थी. आज के जमाने की युवतियों की तरह एक चुस्त जीन्स और स्लीवलैस ढीला टौप पहने थी. वातानुकूलित कमरे में बड़े ही अंदाज के साथ अंदर आई. हाथ में एक लैपटौप था. बाल कटे थे, कलाई पर महंगी घड़ी और कीमती फ्रेमवाले चश्मे के अलावा और कोई गहना नहीं था. उसे देख रामनाथ ने एक पल को सोचा कि इस लड़की को सुंदर बनाने के लिए किसी अन्य चीज की जरूरत ही नहीं है.

‘‘मैं हूं प्रिया. मैं अपनी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी की ओर से आप से सौदा पक्का करने आई

हूं. मैं अपने बारे में कुछ कहना चाहती हूं. आईआईएम, अहमदाबाद से एमबीए खत्म करने के बाद कैंपस इंटरव्यू में इस कंपनी ने मुझे चुना. पिछले 6 महीनों से यहीं काम कर रही हूं. यह है मेरा बिजनैस कार्ड,’’ कह प्रिया ने रामनाथ से हाथ मिलाया.

उस का हाथ बहुत ही कोमल था. उस की आवाज में रामनाथ को एक संगीत सा लगा. जब लड़की अपनी कुरसी पर बैठी तो ऐसा लगा कि पूरा कमरा ही नूर से भर गया हो.

प्रिया ने अपनी कंपनी के बारे में बहुत कुछ कहा. अकसर इस तरह के सौदे को रामनाथ बस 1-2 मिनट बात कर के अपने किसी चुनिंदा अधिकारी को उस सौदे की जिम्मेदारी सौंप देते थे. मगर न जाने क्यों इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया. 20 मिनट की बातचीत के बाद प्रिया अपनी कुरसी से उठ कर बोली, ‘‘सर आप से मिल कर बेहद खुशी हुई. इस सौदे को आगे ले चलने के लिए आप अपनी कंपनी की ओर से अपने किसी भरोसेमंद अधिकारी को मुझ से मिलवाइएगा.’’

यह सुन कर रामनाथ ने कहा, ‘‘नहीं, इस मामले को मैं खुद संभालना चाहता हूं. लीजिए यह मेरा कार्ड, रात 9 बजे के बाद फोन कीजिएगा. आमतौर पर मैं उस समय अपने दफ्तर का काम बंद कर देता हूं. तब हम आराम से बात कर सकते हैं.’’

यह सुन कर प्रिया को ताज्जुब हुआ और उस के चेहरे में यह आश्चर्य साफ नजर आया और उस ने आधुनिक अदा में अपने कंधों को उठा कर नीचे कर के इसे प्रकट भी किया.

उस पहली मुलाकात के बाद 2 बार दोनों मिले. 3-4 बार फोन पर भी बात हुई. रामनाथ को पता नहीं था, मगर उन का मन अपनेआप उस लड़की की ओर चला गया. उन की निरंतर गर्लफ्रैंड कोई नहीं. काम हो जाने के बाद उसी वक्त पैसा दे कर मामले को रफादफा करने की आदत है उन में. किसी को रखनेबनाने की दिलचस्पी नहीं है उन में. उन के मुताबिक ऐसा करना बेवकूफी है और कोई भी औरत उन के लायक नहीं है. औरतों के लिए इतना ही आदर है उन के मन में. औरतों को आम की तरह चूसना और उस के बाद फेंकना रामनाथ यही करते आए आज तक. उन का मानना है कि पैसा फेंक कर किसी को भी खरीद सकते हैं. बस अंतर इतना ही कि कौन कितना मांग रही है.

ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि  उन्होंने प्रिया को भी उसी नजरिए से देखा हो. प्रिया की कोमलता और सुंदरता उन के मन को विचलित कर रही थी. ऊपर से उस लड़की के चालचलन और अकलमंदी ने रामनाथ के मन को पागल ही बना दिया. उन्होंने उस लड़की को किसी न किसी प्रकार हासिल करने की मन ही मन ठान ली.

‘उस दिन सौदा पक्का कर दस्तखत करने के बाद उस लड़की को लंच पर ले

जाऊंगा तो उस लड़की की कमजोरी का पता चल जाएगा जिस से काम आसानी से हो जाएगा,’ सोच कर रामनाथ के चेहरे पर मुसकराहट फैल गई और फिर उस पल का बेसब्री से इंतजार

करने लगे.

उस दिन उन के अपने फाइवस्टार होटल के डाइनिंगहौल के मंद प्रकाश में प्रिया और भी सुंदर लगी. प्रिया ने एक ऐसा टौप पहना थी कि उस के प्रति रामनाथ का आकर्षण और बढ़ता गया. बहुत प्रयास कर के अपने जज्बातों को काबू में रखा.

‘‘हाउ कैन आई हैल्प यू सर,’’ विनम्र भाव से पूछा वेटर ने.

रामनाथ ने अपने लिए एक कौकटेल का और्डर दिया.

फिर वेटर ने प्रिया से पूछा, ‘‘ऐंड फौर द लेडी सर,’’

सुनते ही प्रिया ने बेझिझक कहा, ‘‘गौडफादर फौर मी.’’

इस नाम को सुनते ही रामनाथ चौंक गए. यह लड़की इतना सख्त कौकटेल पीएगी, वे सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी छोटी उम्र की लड़की ऐसा कौकटेल पी सकती है जो आदमी पर भी भारी पड़ सकता है.

कौकटेल आने के बाद दोनों पीने लगे. रामनाथ सोच रहे थे कि बात

कैसे शुरू की जाए. तभी प्रिया खुद बोली, ‘‘जी रामनाथ… हम ने डील साइन करा दी. मेरा काम यहीं तक है. इस के आगे हमारी कंपनी की तरफ से कोई और आएगा,’’ कहते वह बड़ी अदा के साथ कौकटेल पीने लगी. उस के पीने का अंदाज देख कर यह स्पष्ट हुआ कि यह लड़की इसे अकसर पीती है.

एक राउंड के बाद रामनाथ ने प्रिया के हाथ पकड़ कर उस के चेहरे को गौर से देखा ताकि उस की भावना को समझ सकें. प्रिया ने धीरे से रामनाथ के हाथों को हटा कर उन की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘तो रामनाथ आप मेरे साथ सोना चाहते हैं?’’

प्रिया का यह सवाल सुन कर रामनाथ हैरान रह गए. उन की जिंदगी में प्रिया पहली लड़की है जो इस तरह सीधे मुद्दे पर आई. इतनी छोटी उम्र में इतनी हिम्मत… रामनाथ को सच में एक झटका सा लगा.

गौडफादर को सिप करते हुए प्रिया बोली, ‘‘मैं इतनी भी भोली नहीं हूं कि आप का इरादा न समझ सकूं… पहले दिन ही मुझे पता चल गया था कि आप के मन में क्या चल रहा है… आप जैसे बड़ेकारोबारी मुझ जैसी चुटकी लड़कियों के साथ व्यवसाय के मामले में बात नहीं करते और इस काम को अपने किसी अधिकारी को ही देते लेकिन आप ने ऐसानहीं किया. और तो और आप अपना पर्सनल कार्ड भी मुझे दे कर मुझ से बात करने लगे… और यह लंच मेरी जैसी एक मामूली लड़की के साथ… मैं बेवकूफ नहीं हूं. आप के मन में क्या चल रहा है यह आईने की तरह मुझे साफ दिख रहा है. इट इज ओब्वियस… आप को कुछ बोलने की जरूरत ही नहीं.’’

रामनाथ सच में अवाक रह गए थे. उन्होंने अब तक कई लड़कियों को अपने जाल में फंसा लिया था, मगर किसी लड़की में इस तरह बात करनेझ्र की जुर्रत होगी यह उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था.

अपने कोमल हाथों से कांच के गिलास को इधरउधर घुमा कर प्रिया ही बोली, ‘‘मेरा इस तरह सीधे मुद्दे पर आना आप को चौंका गया पर गोलगोल बातें करना मेरी आदत ही नहीं… मेरे खयाल से आप का यह इरादा गलत नहीं है… आप ने अपने मन की इच्छा प्रकट की और अब अपनी राय बताने की मेरी बारी है.’’

‘‘सच कहूं तो मुझे कोई एतराज नहीं, मगर मेरी कुछ शर्तें हैं, जिन्हें आप को मानना पड़ेगा. जब बात जिस्म की होती है तो दोनों तरफ से एक लगाव का होना जरूरी है. मेरी खूबसूरती खासकर मेरा यौवन आप को मेरी ओर आकर्षित कर गया, मगर आप को अपने करीब आने की मंजूरी देने के लिए आप में ऐसा क्या है, जब मैं ने सोचा तो पता चल ही गया पैसा… बहुत ज्यादा पैसा जो मेरे पास नहीं है… वह पैसा जिसे पाने का जनून है मुझ में.’’

रामनाथ ने प्रिया की ओर देख कर कहा, ‘‘क्या तुम यह चाहती हो कि मैं तुम से शादी करूं?’’

रामनाथ की बात सुन कर प्रिया जोर से हंसने लगी. उस की हंसी से यह

साफ दिख रहा था कि उस के अंदर के गौडफादर ने अपना काम करना शुरू कर दिया है.

‘‘ओ कमऔन आप इतने बेवकूफ कैसे बन सकते हैं… शादी और आप से सच में आप मजाक ही कर रहे होंगे. आप किस जमाने में जी रहे हैं… शादी के बारे में तो मैं दूरदूर तक नहीं सोच सकती. अभीअभी मैं ने आप से कहा कि आप के पास मुझे आकर्षित करने वाली सिर्फ एक ही चीज है और वह है पैसा और आप मुझे अपने साथ रिश्ता जोड़ने की बात कर रहे हैं. हाउ द हेल कैन यू थिंक लाइक दिस?’’

‘‘आज की दुनिया में हम जैसी युवतियों का जीना ही मुश्किल है. हमारे आगे बहुत सारी चुनौतियां हैं, हमारी नौकरी में भी ढेर सारी दिक्कतें हैं. आप लोगों को इस के बारे में पता नहीं. अगर हम अमेरिका जाएं तो वहां भी जिंदगी आसान नहीं है. इन सभी कठिनाइयों को दूर करने का एक ही रास्ता है पैसा… बहुत सारा पैसा.’’

प्रिया क्या कहना चाहती है, रामनाथ को सच में पता नहीं चला.

‘‘मैं आप के इस प्रस्ताव को मानती हूं, मगर इस के बदले में आप अन्य औरतों को जिस तरह 3 या 4 लाख फेंकते हैं वे मेरे लिए पर्याप्त नहीं. आप के बारे में बहुत सारे अध्ययन करते समय मुझे पता चला कि आप के सभी कारोबारों में यह सोने और हीरे का व्यवसाय बहुत ही लाभदायक है. मैं आप के सामने 2 विकल्प रखती हूं. आप इस व्यवसाय को मेरे नाम कर दीजिए वरना आप के कारोबारों में जिन 3 बिजनैस को मैं चुनती हूं उन में मुझे 51% भागीदारी बनाइए और उस के बाद हमारा रिश्ता शुरू.

‘‘हां, यह मत समझना कि पैसे देने से आप मुझ पर किसी प्रकार का हुकम चला सकते हैं. हर महीने सिर्फ 10 दिन हम इस फाइवस्टार होटल में 1 घंटे के लिए मिल सकते हैं, बस. अगर आप को यह डील मंजूर है तो मुझे फोन कर दीजिएगा वरना अलविदा,’’ और फिर प्रिया अपना हैंडबैग ले कर वहां से चली गई.

रामनाथ का सारा नशा उतर गया. लौटती प्रिया को एकटक देखते रह गए. एक पल को पता ही नहीं चला कि वे भारत में हैं या किसी पश्चिमी देश में.

होटल से बाहर आई प्रिया को नशे की वजह से चक्कर आने लगा तो

अपनेआप को संभालने की कोशिश करने लगी तभी एक गाड़ी उस के पास आ कर रुकी. गाड़ी से एक हाथ बाहर आया और फिर प्रिया को

खींच कर गाड़ी में बैठा लिया. वह और कोई नहीं प्रिया का जिगरी दोस्त रोशन था. कुछ दूर चलने के बाद गाड़ी को किनारे खड़ा कर उस ने प्रिया के चेहरे पर पानी के छींटे मारे और फिर एक बोतल नीबू पानी पीने को दिया. नीबू पानी पीते ही प्रिया उलटी करने लगी. कुछ देर में होश में आ गई.

‘‘बहुत खूब प्रिया. जैसे हम ने योजना बनाई थी बिलकुल उसी तरह तुम ने बोल कर उस आदमी को अच्छा सबक सिखाया. अच्छा हुआ कि तुम ने उस के मंसूबे को सही वक्त पर पहचान लिया और उस कामुक व्यक्ति को अपनी औकात दिखा दी. उस जैसे आदमी यह सोचते हैं कि अपने पैसों, शान, शोहरत, रुतबे आदि से किसी भी लड़की को अपने बिस्तर तक ले जा सकते हैं.

‘‘उन के मन में औरत के लिए इज्जत नहीं. उन के लिए औरत एक खिलौना है, जिस के साथ मन चाहे समय तक खेले और फिर चंद रुपए दे कर फेंक दिया. यह लोग इंसान के रूप में समाज में भेडि़यों की तरह औरत को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं. वह अब हैरान हो कर बैठा होगा और समझ गया होगा कि औरत बिकाऊ नहीं है. उस की संकीर्ण सोच पर पड़ा पर्दा हट गया होगा.’’

प्रिया के थके चेहरे पर हलकी सी मुसकराहट फैल गई जो औरत की जीत की मुसकराहट थी.

Abortion Pills लेने के बाद मेरी वाइफ कंसीव नहीं कर पा रही है, क्या करूं?

सवाल-

सुहागरात के बाद जब बीवी पेट से हुई, तो मुझे 2 महीने बाद पता चला. मैं ने मैडिकल स्टोर से बच्चा गिराने की दवा लेकर खिला दी थी. अब 7 महीने हो चुके हैं, पर वह दोबारा पेट से नहीं हुई. मैं क्या करूं?

जवाब-

कभी भी बाजार से दवा ला कर गर्भपात नहीं करना चाहिए. इस के लिए माहिर डाक्टर की मदद लेनी चाहिए. ऐसी मनमानी से अकसर नुकसान हो जाता है. अब आप किसी माहिर महिला डाक्टर से अपनी बीवी का चैकअप कराएं और उसी के मुताबिक इलाज कराएं. वैसे, आप की बीवी का फिलहाल पेट से न होना महज संयोग भी हो सकता है.

बचाव इलाज से ज्यादा अच्छा होता है, महिला गर्भनिरोधक उपायों पर यह बात बिलकुल सही बैठती है. बाजार में काफी पहले से महिला गर्भनिरोधक मौजूद हैं, लेकिन आज भी भारत में लाखों महिलाएं ऐसी हैं, जो नहीं जानतीं कि उन के लिए कौन सा गर्भनिरोधक उपाय सही है. इस वक्त तो महिलाओं के लिए अनचाहे गर्भ से बचने और बच्चों में अंतर रखने के लिए कई तरह के उपाय बाजार में मौजूद हैं. इन में ओरल पिल्स से ले कर इंप्लांट्स तक कई विकल्प हैं. लेकिन आमतौर पर इन में से सही विकल्प का चुनाव महिलाएं नहीं कर पातीं. ज्यादातर महिलाएं विज्ञापनों, सहेलियों या रिश्तेदारों के कहने पर गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करने लगती हैं, लेकिन जानकारी की कमी और गलत विकल्प का चुनाव महिलाओं के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन जाता है.

मूलचंद अस्पताल की सीनियर गायनाकौलोजिस्ट डा. मीता वर्मा के मुताबिक, ‘‘महिलाएं गर्भनिरोधकों के बारे में जानती हैं, लेकिन भारतीय समाज में ऐसी कई भ्रांतियां हैं, जो महिलाओं के लिए मुश्किल पैदा कर देती हैं. भारत में अभी भी बच्चों को कुदरत की देन मान कर परिवार नियोजन की सोच को ही खत्म कर दिया जाता है. कई महिलाओं में यह सोच भी विकसित हो जाती है कि गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करने से उन की प्रजनन क्षमता और होने वाले बच्चे के विकास पर गलत प्रभाव पड़ेगा. इसी तरह के और भी न जाने कितने मिथक महिलाओं के मन में घर किए रहते हैं, लेकिन आज के समय में जरूरी है कि डाक्टर की सलाह से सही गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाए.’’

डा. मीता बताती हैं कि ज्यादातर जोड़े ऐंजौयमैंट को ज्यादा तरजीह देते हैं, जिस के चलते वे कंडोम या किसी भी तरह के दूसरे कौन्ट्रासैप्टिव का इस्तेमाल नहीं करते और जब गर्भ ठहर जाता है, तो गर्भपात कराने से भी नहीं हिचकते. लेकिन यहां वे यह भूल जाते हैं कि गर्भपात इस का हल नहीं है, क्योंकि बारबार गर्भपात से बच्चेदानी पर बुरा असर पड़ता है, जो महिलाओं के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है. इसलिए युवा और नवविवाहित जोड़े अगर गर्भपात को आसान रास्ता मान रहे हैं तो यह उन की भूल है.

इस वक्त महिला गर्भनिरोधक के बाजार में 2 तरह के कौन्ट्रासैप्टिव मौजूद हैं-

  • हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स.
  • नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स.

हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स : इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव सब से ज्यादा चलन में हैं. ये ऐसे कौन्ट्रासैप्टिव्स हैं, जिन के इस्तेमाल से शरीर के अंदर हारमोनल बदलाव के जरिए अनचाहे गर्भ को रोका जाता है. 35 से कम उम्र की कोई भी स्वस्थ महिला जो कुछ समय तक बच्चा नहीं चाहती, डाक्टर की सलाह से इन का प्रयोग कर सकती है. लेकिन अगर कोई महिला हार्ट या लिवर की बीमारी से पीडि़त है या उसे अस्थमा और ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है, तो हारमोन बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव्स उस के लिए ठीक नहीं हैं. इस से अलग जो महिलाएं धूम्रपान या शराब का सेवन करती हैं या जिन का वजन ज्यादा है उन्हें भी इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव्स से बचना चाहिए.

इस वक्त बाजार में इस कैटेगरी के सब से ज्यादा कौन्ट्रासैप्टिव्स उपलब्ध हैं.

  1. ओरल पिल्स

यह सब से ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाने वाला उपाय है. इसे महीने में 21 दिन खाना होता है. यह इसलिए भी ज्यादा चलन मेें है, क्योंकि इस का इस्तेमाल काफी आसान है और यह उपाय सस्ता भी है. लेकिन ओरल पिल्स को बिना डाक्टर की सलाह के न लें, क्योंकि ये सभी को सूट नहीं करतीं. इन्हें सही तरह से इस्तेमाल करने पर ही ये बचाव कर सकती हैं. लेकिन ज्यादातर महिलाएं सही पिल्स का चुनाव नहीं कर पातीं, जिस का नतीजा होता है अनचाहा गर्भ. ओरल पिल्स कई महिलाओं में वजन बढ़ाने और उल्टियों की समस्या का भी कारण बनती हैं. ओरल पिल्स के अलावा बाजार में मिनी पिल्स भी उपलब्ध हैं, जो ज्यादा कारगर और सेफ हैं. मिनी पिल्स भी प्रोजैस्ट्रौन और दूसरे हारमोंस के कौंबिनेशन से बनी होती हैं, जिन्हें दूध पिलाने वाली मां भी इस्तेमाल कर सकती है.

2. इमरजेंसी पिल्स

इस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां ओरल पिल्स की पूरक हैं. अगर कोई महिला ओरल पिल्स लेना भूल जाती है और असुरक्षित सैक्स संबंध बनाती है, तो अनचाहे गर्भ से बचने के लिए 72 घंटे के अंदर वह इस का इस्तेमाल कर सकती है. इसीलिए इसे मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहा जाता है. लेकिन यह उपाय भी सुरक्षा की पूरी गारंटी नहीं देता. इसलिए इसे केवल मजबूरी में ही इस्तेमाल करें, इसे आदत न बनाएं. लगातार इस्तेमाल से यह महिलाओं के लिए मुसीबत भी बन सकती है.

3. हारमोन इंजैक्शन

यह एक बेहद प्रभावशाली उपाय है. जो महिलाएं रोजाना गोलियां नहीं खाना चाहतीं, वे इस का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस में महिला को प्रोजैस्ट्रौन का इंजैक्शन दिया जाता है. यह इंजैक्शन यूटरस की दीवार पर मौजूद म्यूकस को गाढ़ा कर देता है ताकि स्पर्म अंदर न जाएं और औव्यूलेशन को रोका जा सके. इस इंजैक्शन को लेने के 24 घंटों के अंदर ही इस का असर शुरू हो जाता है. यह 10 से 13 हफ्तों तक सुरक्षा देता है, जिस के बाद फिर इंजैक्शन लेना होता है. कुछ महिलाओं का इस से वजन बढ़ सकता है और उन के पीरियड्स अनियमित भी हो सकते हैं. इस के इस्तेमाल के बाद कंसीव करने में भी कुछ महीनों का वक्त लग सकता है.

4. इंप्लांट

इस प्रक्रिया में एक बेहद पतली प्लास्टिक रौड हाथ के ठीक निचले हिस्से में फिट कर दी जाती है. यह रौड शरीर में प्रोजैस्ट्रौन रिलीज करती है, जिस से औव्यूलेशन नहीं हो पाता. यह यूटरस में मौजूद म्यूकस का नेचर बदल देता है, जिस से प्रैग्नैंसी को रोका जा सकता है. इसे सब से सेफ औप्शन माना जाता है. यह इंप्लांट 3 से 5 साल तक के लिए प्रैग्नैंसी से बचाव करता है. लेकिन भारत में अभी यह उपलब्ध नहीं है. 

नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स: ये ऐसे कौन्ट्रासैप्टिव्स हैं जिन से किसी तरह के हारमोन शरीर के अंदर नहीं जाते. ये उन महिलाओं के लिए कारगर हैं, जिन्हें हार्ट, लिवर, अस्थमा या ब्लडप्रैशर की शिकायत रहती है. लेकिन नौनहारमोनल कौन्ट्रासैप्टिव्स के इस्तेमाल से पहले डाक्टरी सलाह बेहद जरूरी है.

फीमेल कौन्ट्रासैप्टिव्स की इस कैटेगरी में भी कई विकल्प मौजूद हैं.

5. फीमेल कंडोम

गर्भनिरोधकों की श्रेणी में महिलाओं के लिए कंडोम एक नई चीज है. यह कंडोम लुब्रिकेटेड पौलीथिन शीट का बना होता है. भारत में महिलाओं के लिए बने ये कंडोम हाल में ही बाजार में उतारे गए हैं. इसे भी पुरुष कंडोम की ही तरह एक ही बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है. ये प्रैग्नैंसी रोकने में पूरी तरह से कारगर हैं, बशर्ते सैक्स के दौरान इस की पोजीशन ठीक रहे. यह प्रैग्नैंसी रोकने के अलावा एचआईवी जैसे रोगों से भी सुरक्षा देता है. लेकिन यह एक महंगा विकल्प है. महिला कंडोम की कीमत बाजार में 80 रुपए तक है, इसलिए डाक्टर पुरुष कंडोम की सलाह देते हैं, क्योंकि वह ज्यादा सस्ता विकल्प है.

6. इंट्रायुटेराइन कौन्ट्रासैप्टिव डिवाइस

इस डिवाइस को कौपर टी या मल्टीलोड डिवाइस के नाम से ज्यादा जाना जाता है. यह एक तरह की लचीली प्लास्टिक की डिवाइस होती है जिसे कौपर के तार के साथ यूटरस में लगा दिया जाता है. इसे डाक्टर की सहायता से फिट किया जाता है. कौपर वायर यूटरस में ऐसा असर पैदा करता है जिस से शुक्राणु और अंडाणु आपस में मिल नहीं पाते और गर्भ नहीं ठहरता. यह 98% तक सुरक्षा देता है. इसे 3 या 5 साल के लिए लगवाया जा सकता है. सरकारी हैल्थ सैंटरों में यह मुफ्त उपलब्ध है, जबकि बाजार में इस की कीमत 375 रुपए से 500 रुपए के बीच है. इस से पीरियड ज्यादा होना और पैरों में दर्द रहना आम बात है. जिन्हें कौपर से ऐलर्जी है उन के लिए इस का इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है.

7. स्पर्मिसाइड जैली

इस तरह के कौन्ट्रासैप्टिव्स भी काफी अच्छे विकल्पों में गिने जाते हैं. अगर महिलाएं कंडोम या किसी तरह के डिवाइस को इस्तेमाल नहीं करना चाहतीं, तो इस तरह की जैली या फोम बेस्ड कौन्ट्रासैप्टिव इस्तेमाल कर सकती हैं. इसे सैक्स से ठीक पहले वजाइना में लगाना होता है. इस में मौजूद ‘नोनोक्सिनोल 9 कैमिकल’ स्पर्म को संपर्क में आते ही खत्म कर देता है. कुछ मेल कंडोम में भी स्पर्मिसाइड होते हैं. यह उपाय काफी कारगर है, लेकिन कुछ महिलाओं को इस से ऐलर्जी भी होती है, इस का ध्यान रखना जरूरी है.  

Women Health Tips: डिलीवरी के बाद फिट रहने के लिए फॉलो करें ये टिप्स

शिल्पा शेट्टी या करिश्मा कपूर की पतली कमर देख कर भला किस का दिल नहीं मचलेगा. इन अभिनेत्रियों की परफैक्ट फिगर व चमकती त्वचा को देख कर भला कौन कह सकता है कि ये न केवल शादीशुदा हैं बल्कि मां भी बन चुकी हैं अधिकतर महिलाएं शादी मां बनने के बाद खुद को रिटायर समझने लगती हैं और सोचने लगती हैं कि अब उन की फिगर पहले जैसा आकार नहीं ले सकती. इसलिए वे अपनी फिटनैस को ले कर लापरवाह हो जाती हैं, उस के लिए कोई कोशिश ही नहीं करतीं.

नतीजतन उन का शरीर थुलथुला हो जाता है व त्वचा मुरझा जाती है. जबकि हकीकत यह है कि बच्चा पैदा होने के बाद यदि थोड़ा सा भी ध्यान खुद पर दिया जाए तो कोई भी महिला इन अभिनेत्रियों की तरह सुंदर दिख सकती है.

आइए जानते हैं कि कैसे डिलिवरी के बाद भी अपने को फिट और खूबसूरत रख सकती हैं.

  1. कब शुरू करें व्यायाम

दिल्ली के सार्थक मैडिकल सैंटर की डायरैक्टर (गाइने) डाक्टर निम्मी रस्तोगी का कहना है, ‘‘अगर डिलिवरी सामान्य हुई हो तो डिलिवरी के 6 हफ्तों के बाद कोई भी महिला ऐक्सरसाइज शुरू कर सकती है और अगर डिलिवरी सिजेरियन हुई हो तो 3 महीनों के बाद महिला ऐक्सरसाइज शुरू कर सकती है.’’

डिलिवरी के समय वेट गेन होना यानी वजन का बढ़ना स्वाभाविक है. हर महिला 9 किलोग्राम से 11 किलोग्राम तक वेट गेन करती है. चूंकि इस समय फिजिकल ऐक्टिविटीज नहीं होती और घी, ड्राई फू्रट्स आदि हाईकैलोरी वाली चीजों का सेवन ज्यादा किया जाता है, तो वजन बढ़ ही जाता है. अगर नियमित रूप से व्यायाम और खानपान का ध्यान रखा जाए तो बढ़े वजन को घटाया जा सकता है.

2. कैसे करें ऐक्सरसाइज

सब से अच्छी ऐक्सरसाइज वाकिंग है. जितना अधिक चल सकें चलें, पानी बौडी को मूव करती रहें. शुरुआत सरल व्यायाम से करें. शुरू में 15 मिनट ही व्यायाम करें. धीरेधीरे व्यायाम का समय बढ़ा कर 45 मिनट करें. टोनिंग, ब्रीदिंग आदि ऐक्सरसाइज करें. ध्यान रहे हैवी  पीरियड्स के दौरान ऐक्सरसाइज न करें. ऐक्सरसाइज उतनी ही करें जिस से थकान न हो. ऐसी ऐक्सरसाइज भी न करें जिस से शरीर में खिंचाव या दर्द महसूस हो. डिलिवरी के बाद हारमोनों के प्रभाव से जोड़ों में ढीलापन आ जाता है. पेट की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं. ऐसे में व्यायाम द्वारा उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है.

3. केगेल ऐक्सरसाइज

डिलिवरी के बाद योनि पर नियंत्रण कम होने से हंसते या खांसते समय यूरिन पास होने लगता है. इस समस्या के लिए केगेल ऐक्सरसाइज बहुत जरूरी है. यह ढीली हो चुकी योनि को मजबूत बनाती है. इस ऐक्सरसाइज द्वारा योनि को संकुचित किया जाता है. इस ऐक्सरसाइज में सांस को रोक कर योनि को 10-15 सैकंड तक सिकोड़ कर रखें. फिर ढीला छोड़ दें.

इस ऐक्सरसाइज को दिन में 5 बार करें. इस से योनि की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, उन का ढीलापन कम होता है.

4.पेट की ऐक्सरसाइज

पेट की मांसपेशियों के लिए पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें. पेट पर दोनों हाथ क्रौस की मुद्रा में रखें. फिर सिर को उठाएं. सिर उठाने पर पेट की मांसपेशियां सख्त हो जाएंगी. फिर एक गहरी सांस लें. फिर सांस छोड़ते हुए सिर और कंधों को 45 डिग्री के कोण तक उठाएं और पेट की मांसपेशियों को सख्त कर लें. धीरेधीरे वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं. इस व्यायाम को धीरेधीरे बढ़ाते हुए रोज 50 बार करें.

5. मौर्निंग वाक के फायदे

यदि आप हमेशा फिट रहना चाहती हैं और अपने चेहरे की चमक भी बरकरार रखनी है तो प्रतिदिन वाकिंग को अपनी आदत में शामिल करें. इस से ब्लड में कोलैस्ट्रौल कम होने के साथसाथ हृदयरोग का खतरा भी कम होता है. जोड़ भी मजबूत होते हैं और शरीर में मैटाबोलिज्म की गति तीव्र होती है. वाक आप की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. इस से इमोशनल सपोर्ट भी मिलता है.

6. खानपान कैसा हो

आप प्रोटीनयुक्त भोजन करें तो ज्यादा फायदा होगा. हम जो भोजन करते हैं उस में 60% कार्बोहाइड्रेट और 25 से 40% वसा होती है जबकि प्रोटीन कम होता है. कार्बोहाइड्रेट व वसा की मात्रा कम कर के यदि प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें तो मोटापा आसानी से कम किया जा सकता है.

  • पनीर: यह दांतों के लिए बेहद लाभकारी होता है. इस में पाए जाने वाले खनिज, लवण, कैल्सियम और फास्फोरस दांतों के इनैमल की रक्षा करते हैं. पनीर हड्डियों को भी मजबूत बनाता है.
  • अंकुरित अनाज: अंकुरित अनाज में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं, जो शरीर को मजबूत रखते हैं और बीमारियों से बचाते हैं. यह पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है. इस में ऐंटीऔक्सीडैंट और विटामिन ए,बी,सी भरपूर होते हैं. फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज खाने से आप का पाचनतंत्र मजबूत बनता है. अंकुरित अनाज में कैलोरी बहुत कम होती है.
  • पपीता: पपीते में विटामिन ए, बी, सी और डी, प्रोटीन तथा बीटा कैरोटिन जैसे तत्त्व पाए जाते हैं. पपीता वजन कम करने में बेहद सहायक है.

हरी पत्तेदार सब्जियां लौहयुक्त होती हैं. इन्हें खाने से डिलिवरी के बाद लौह की कमी से होने वाले एनीमिया से बचाव होता है. महिलाओं को प्रतिदिन 100 ग्राम हरी सब्जियां जरूरी खानी चाहिए. ये हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाती हैं और आंखों के लिए भी लाभदायक होती हैं. ये ब्रैस्ट कैंसर व लंग्स कैंसर की रोकथाम में भी कारगर हैं. सब्जियों में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है.

दिल्ली के तारकोर इन इंडिया जिम सैंटर के फिटनैस ऐक्सपर्ट पीयूष कुमार के अनुसार, ‘‘डिलिवरी के बाद ऐसी ऐक्सरसाइज करें जिस से स्टमक पर ज्यादा जोर न पड़े. इस के लिए हलकी स्ट्रैचिंग, नौर्मल क्रंच आदि करें. बैठेबैठे पैरों को क्रौस कर हिलाएं. पीठ के बल लेट कर घुटनों को मोड़ सकती हैं. पैरों को 10 बार ऊपरनीचे करें. खड़े हो कर दोनों हाथों को ऊपर की तरफ खींचें. सीधी खड़ी हो कर लैफ्टराइट मूव करें.’’

दिल्ली के ब्यूटी ऐक्सपर्ट साक्षी थडानी का कहना है कि डिलिवरी के बाद महिलाओं में हारमोनल बदलाव की वजह से थकावट सी रहती है. वे पार्लर में जाने से आलस करती हैं. ऐसे में वे घर बैठे ही खूबसूरती को कायम रख सकती हैं. क्लींजर या टोनर से चेहरे की मसाज कर के चेहरा साफ कर लें. फिर चेहरे पर लाइट बेस पाउडर लगाएं. लिप कलर लाइट कलर का ही लगाएं.

घर पर ही किसी ब्यूटीशियन को बुला कर थ्रैडिंग, वैक्सिंग कराएं. थ्रैडिंग करवाने से चेहरा साफ दिखेगा. औलिव औयल से पूरी बौडी की मालिश करवाएं और फेशियल जरूर करवाएं.

New Year Special: सर्दियों में बनाएं पालक के टेस्टी कबाब, बढ़ जाएगा खाने का स्वाद

विंटर में आपने पालक के पकौड़े तो बहुत खाए होंगे, लेकिन क्या आपने पालक के कबाब खाए हैं. पालक के कबाब बनाना बहुत आसान है. उन्हें बनाने में ज्यादा टाइम भी नही लगता. साथ ही ये टेस्टी भी होते हैं. अगर आप भी विंटरमें कुछ आसान और टेस्टी बनाने की सोच रही हैं तो ये आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. इसे आप अपनी फैमिली और बच्चों सभी को आसानी से हरी टटनी के साथ परोस सकते हैं.

हमें चाहिए

500 ग्राम पालक

150 ग्राम बेसन

200 ग्राम (कुटी हुई) मूंगफली

आधा बंच धनिया पत्तियां

8 हरी मिर्च

नमक स्वादानुसार

1 चम्मच चाट मसाला पाउडर

1 चम्मच गर्म मसाला पाउडर

3 उबला हुआ आलू

3 प्याज

डेढ़ कप औयल

बनाने का तरीका

पालक को अच्छी तरह से धोकर ब्लेंडर में डालकर पेस्ट बना लें. और उबले हुए आलू को छीलकर उसे अच्छी तरह से मैश कर लें. अब मैश किए आलू में पालक का पेस्ट, नमक, धनिया पत्ता, बेसन, मूंगफली, गर्म मसाला पाउडर, चाट मसाला और बारीक कटा प्याज डालें और अच्छी तरह से मिक्स करें.

अब तैयार मिश्रण से छोटे-छोटे कबाब बनाएं और करीब 20 मिनट के लिए अलग रख दें. फिर एक फ्राइंग पैन को मध्यम आंच पर रखें और उसमें तेल डालकर गर्म करें. जब तेल गर्म हो जाए तो तैयार कबाब को धीमी आंच पर दोनों तरफ से अच्छी तरह से फ्राई करें. अब्जौर्बेंट पेपर पर तैयार कबाब को निकालें और हरी चटनी के साथ गरमागरम अपनी फैमिली को बारिश के मौसम में परोसें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें