अभिनेत्री महिमा मकवाना ने संघर्ष और सफलता का राज क्या बताया, पढ़ें  इंटरव्यू

खूबसूरत और हंसमुख महिमा मकवाना टीवी और फिल्म अभिनेत्री है, उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी टीवी सीरियल में काम कर अपनी पहचान बनाई है.  महिमा का टीवी इंडस्ट्री में डेब्यू, शो ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ साथ हुआ है, जिसके बाद महिमा कई टीवी सीरियल्स रिश्तों का चक्रवयूह, मरियम खान और शुभारम्भ जैसे टीवी धारावाहिक में काम कर चुकी हैं.

साल 2017 में महिमा ने सबसे पहले तेलुगु फिल्म ‘वेंकटपुरम’ से अपना डेब्यू किया था. महिमा का बचपन मुंबई में ही गुजरा और उनकी पढ़ाई भी मुंबई में  हुई. महिमा जब 5 महीने की थी, तब उनके पिता का निधन हो गया था. उन्होंने बाल कलाकार के रूप में अभिनय शुरू किया है. महिमा और उनके बड़े भाई को उनकी मां ने परवरिश की, जो एक सोशल वर्कर रही.

करियर की शुरुआत

महिमा ने बचपन में ही टीवी की दुनिया में काम करना शुरू कर दिया था. दरअसल, सबसे पहले वह मिले जब हम तुम और बालिका वधू में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थीं. हालांकि, महिमा ने बतौर एक्ट्रेस सीरियल मोहे रंग दे से टीवी की दुनिया में डेब्यू किया था. महिमा को सफलता सीरियल ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से मिली, जिसके बाद वह घर-घर में पहचानी जाने लगीं. इसके अलावा वह सीआईडी, आहट, मिले जब हम तुम और झांसी की रानी में नजर आ चुकी हैं.

बड़े पर्दे पर महिमा ने तेलुगू फिल्म वेंकटपुरम से फिल्म डेब्यू किया था. इसके बाद वह शॉर्ट फिल्म टेक 2 में नजर आईं. वेब सीरीज की दुनिया में भी महिमा अपना नाम रोशन कर चुकी हैं. सबसे पहले वह रंगबाज सीजन 2 में नजर आई थीं. इसके बाद उन्होंने फ्लैश में भी काम किया. इसके अलावा उन्होंने सलमान खान की फिल्म अंतिम: द फाइनल ट्रुथ से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जो कमोवेश सफल रही. उनकी वेब सीरीज शोटाइम को लोगों ने काफी पसंद किया. उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइए जानें.

राह नहीं थी आसान

टीवी से फिल्मों में आना महिमा के लिए आसान नहीं था. वह कहती है कि जब आपका चेहरा बार-बार टीवी पर दिखने लगता है तो टाइपकास्ट होना स्वाभाविक होता है, लेकिन कठिन परिश्रम करने से उसमें सफलता मिलती है. इसमें जरूरी होता है, छोटा या बड़ा मौका मिलना, क्योंकि बिना मौके के आप कुछ भी प्रूव नहीं कर सकते. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है. फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ में सिर्फ 15 मिनट का चरित्र था, लेकिन मैंने उसे अच्छा कर दिखाया और दर्शकों ने पसंद किया.

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और इंडस्ट्री से न जुड़े होने की वजह से थोड़ी मुश्किलें आती है, लेकिन धीरज रखकर और शांत रहकर आपको मौके की तलाश करते रहना पड़ता है, हालांकि ये बहुत कठिन होता है, पर नामुमकिन भी नहीं होता. धर्मा प्रोडक्शन के साथ इस सीरीज में काम करना मेरे लिए अच्छी बात रही है. जब काम नहीं था तो मेरे मन में भी कई बार नकारात्मक विचार आते थे, कि मेरा फिल्मी करियर सफल होगा या नहीं, लेकिन मैंने निगेटिव बातों से निकलकर सकारात्मक सोच बनाए रखी.

रखना पड़ता है विश्वास

महिमा आगे कहती है कि खुद पर हमेशा विश्वास रखना पड़ता है और ये कठिन होता है. फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ, साल 2021 में रिलीज हुई थी, उसके बाद अब मुझे इस अच्छी सीरीज का काम मिला. मेरी जर्नी को अगर मैं देखती हूं, तो मैंने वर्ष 2011 से टीवी पर अच्छी शुरुआत की थी, तब से लेकर आज तक बहुत समय बीत गया है, जब मैँ खुद को कुछ सफल मान रही हूं, लेकिन इन 3 सालों में खुद को व्यस्त रखना काफी मुश्किल था.

जब मैँ टीवी पर काम कर रही थी, तो लगातार व्यस्त रहती थी. पहली फिल्म के बाद मैंने कई फिल्मों के लिए शूट किया भी था, लेकिन रिलीज नहीं हुई, ऐसा कई बार हुआ भी कि ऑडिशन दिया, सब कुछ सही था, लेकिन अंत में भूमिका किसी दूसरे को मिल गई, मैं कुछ कर नहीं सकती थी. तभी शोटाइम सीरीज आ गई, फिर मैंने खुद पर काम किया. असल में टीवी पर काम करने पर पूरी लाइफ प्रोफेशन बन जाती है, निजी जिंदगी खत्म हो जाती है. फिल्म में काम करते वक्त समय काफी होता है और उसे सही तरह से बिताने के लिए सोचना पड़ता है.

काम पर अधिक ध्यान

आलोचकों का महिमा के जीवन में अधिक प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि वे उनके हिसाब से फिल्म की कहानी को जज करते है. महिमा का कहना है कि एक फिल्म को बनाने मे सालों का समय लगता है, ऐसे में आलोचक उसे बिना ध्यान रखे, अपनी राय रख देते है. मैँ उस बारें में अधिक नहीं सोचती और उस फिल्म को अपनी नजरिए से देखना पसंद करती हूं. रिव्यू हमेशा पर्सनल होते है और किसी को टारगेट करना ही उनका काम होता है. मेरी फिल्म अंतिम: द फाइनल ट्रुथके बारें में काफी लोगों ने मेरे काम की तारीफ की मुझे अच्छा लगा, क्योंकि इससे मैं अपने काम को लेकर सबके बीच जांची गई. इसका फायदा मैँ तब मानती हूं, जब मेरे काम से दूसरे अधिक प्रोजेक्ट मुझे करने को मिले.

बदली है जिंदगी

पहले और आज की महिमा में काफी बदलाव आया है, वह कहती है कि आज की महिमा धैर्यवान हो चुकी है.पहले अगर कुछ नहीं होता था तो बहुत गुस्से में आ जाती थी. 24 साल की उम्र में मैँ अभी भी बहुत कुछ सीख रही हूं. मैं अभी हर चीज को स्वीकार करना सीख रही हूं, जो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. इसके अलावा मैं अभी भी वही मिडल क्लास लड़की हूं, जो मां से हमेशा डांट खाती है, क्योंकि वह बहुत स्ट्रिक्ट है.

वित्तीय रूप से मैं थोड़ी सफल हूं, मैं अभी भी परिवार की अकेली कमाने वाली हूं. मैंने अपनी पिता को 9 साल की उम्र में खोया है. मेरी जिम्मेदारी है, वित्तीय रूप से इंडस्ट्री में कभी भी कोई सुरक्षित नहीं होता, आज काम है, तो कल का पता नहीं होता. ये सही है कि कई बार पैसे के लिए भी सही काम न होने पर भी कर लेना पड़ता है और मुझे इसे स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं. इंडस्ट्री आसान नहीं है, यहां सही काम मिलना बहुत कठिन होता है.

आखिर कब शादी कर रही हैं बौलीवुड की ‘मुन्नी’ मलाइका आरोड़ा..

बौलीवुड की मुन्नी एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा और एक्टर अरबाज खान बहुत पहले ही एक दूसरे से अलग हो चुके हैं. दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं. दोनों ने 19 साल साथ रहने के बाद 2017 में तलाक ले लिया था.

अरबाज खान ने अपनी मेकअप आर्टिस्ट शूरा खान से शादी कर ली है और मलाइका अरोड़ा खान भी 7-8 सालों से एक्टर अर्जुन कपूर को डेट कर रही हैं.

मलाइका और अरबाज के बेटे अरहान खान के पॉडकास्ट शो दंब बिरियानी पर इस बार मलाइका गेस्ट बनकर आई थी. बातचीत के दौरान उनसे जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह इस सवाल का जवाब नहीं दे सकती हैं.

जब भी मलाइका और अर्जुन से उनकी शादी को लेकर सवाल किया जाता है तो दोनों चुप हो जाते हैं लेकिन कोई सही जवाब नहीं देते हैं. फैंस को इन दोनों की शादी का बेसब्री से इंतजार है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

;

दरअसल मलाइका ने शो पर अरहान से उनकी विर्जिनिटी को लेकर सवाल किया था. जिसके जवाब में अरहान ने अपनी मां से उनकी दूसरी शादी का सवाल किया. लेकिन मलाइका ने इस सवाल को टालते हुए मिर्ची खाना ज्यादा पसंद किया.

आपको बता दें कि, इससे पहले के एपिसोड में सलमान खान और अरबाज खान आए थे. शो के दौरान अरबाज खान ने बताया कि बड़े भाई सलमान खान के साथ उनकी ज्यादा बात नहीं होती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Malaika Arora (@malaikaaroraofficial)

दोनों भाइयों के साथ संबंधों को लेकर उन्होंने बताया था कि वो लोग आपस में ज्यादा बात नहीं करते हैं लेकिन मुश्किल के समय साथ खड़े रहते हैं और एक दूसरे के बहुत करीब हैं.

वर्क फ्रंट की बात करें तो मलाइका हाल ही में रियलिटी शो झलक दिखला जा पर बतौर जज नज़र आई थी. साथ ही मलाइका सोशल मीडिया पर भी बहुत एक्टिव रहती हैं और नई-नई पोस्ट करती रहती हैं.

दूसरी बार मां बनेंगी एक्ट्रेस स्मृति खन्ना, फ्लॉन्ट किया बेबी बंप

एक्ट्रेस स्मृति खन्ना शादी के 7 सालों के बाद फिर से मां बनने जा रही हैं. सितंबर में उनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है. सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर स्मृति ने फोटो शेयर की है जिसमें बेटी अनायका और पति गौतम गुप्ता हैं. अपनी इस पोस्ट में स्मृति ने लिखा है कि हमारा परिवार आगे बढ़ रहा है.

बेबी की ड्यू डेट सितंबर 2024 में है. स्मृति ने जो पोस्ट शेयर किया है उसमें उन्होंने गाउन पहना हुआ है और गौतम ने सफेद कमीज के साथ ग्रे पैंट पहनी हुई है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Smoo (@smriti_khanna)

स्मृति ने पोस्ट में लिखा है कि “हमारी प्यारी बेटी अनायका बड़ी बहन बनेगी. हमें इस पल का बेसब्री  से इंतजार था. हम उस प्यारे से मेहमान का स्वागत करने के लिए तैयार हैं और आप सबसे इस खुशी को शेयर कर रहे हैं.

पहली प्रेगनेंसी के दौरान स्मृति सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती थीं. इस दौरान वह अपने जैसी मां बनने वाली औरतों के साथ अपने एक्सपीरियेंस और कुछ टिप्स शेयर किया करती थीं. स्मृति एक बहुत अच्छी व्लौगर भी हैं, कि वो काफी समय से दूसरे बच्चे के लिए कोशिश कर रही थीं पर बच्चा नहीं हो रहा था। उन्होंने लिखा था ही हर प्रेगनेंसी पहले से अलग होती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Smoo (@smriti_khanna)

आपको बता दें कि काफी समय तक स्मृति खन्ना और गौतम गुप्ता ने एक दूसरे को डेट करने के बाद 2017 में शादी कर ली थी. स्मृति ने एकता कपूर के कलर्स चैनल पर आने वाले टीवी शो ‘मेरी आश्की तुमसे ही’ में रितिका जावेरी का रोल किया था जिसके बाद वो बहुत फेमस हुई थी. अपने पति से भी इसी शो के दौरान मिली थी और इसके बाद दोनों से शादी भी कर ली थी.

एक युग: सुषमा और पंकज की लव मैरिज में किसने घोला जहर?

लेखिका– शारदा त्रिवेदी

‘‘कहो सुषमा, तुम्हारे ‘वे’ कहां हैं? दिखाई नहीं दे रहे, क्या अभी अंदर ही हैं?’’

‘‘नहीं यार, मैं अकेली ही आई हूं. उन्हें फुरसत कहां?’’

‘‘आहें क्यों भर रही है, क्या अभी से यह नौबत आ गई कि तुझे अकेले ही फिल्म देखने आना पड़ता है? क्या कोई चक्करवक्कर है? मुझे तो तेरी सूरत से दाल में काला नजर आ रहा है.’’

‘‘नहीं री, यही तो रोना है कि कोई चक्करवक्कर नहीं. वे ऐसे नहीं हैं.’’

‘‘तो फिर कैसे हैं? मैं भी तो जरा सुनूं जो मेरी सहेली को अकेले ही फिल्म देखने की जरूरत पड़ गई.’’

‘‘वे कहीं अपनी मां की नब्ज पकड़े बैठे होंगे.’’

‘‘तेरी सास अस्पताल में हैं और तू यहां? पूरी बात तो बता कि क्या हुआ?’’

‘‘जया, चलो किसी पार्क में चल कर बैठते हैं. मैं तो खुद ही तेरे पास आने वाली थी. इन 3-4 महीनों में मेरे साथ जो कुछ गुजर गया, वह सब कैसे हो गया. मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आता,’’ कहते हुए सुषमा सिसक पड़ी.

‘‘अरे, तू इतनी परेशान रही और मुझे खबर तक नहीं. ब्याह के बाद तू इतनी बदल जाएगी, इस की तो मुझे आशा ही नहीं थी. जिंदगीभर दोस्ती निभाने का वादा इसी मुंह से किया करती थी?’’ सुषमा की ठोड़ी ऊपर उठाते हुए जया ने कहा, ‘‘मैं तो तेरे पास नहीं आई क्योंकि मैं समझ रही थी कि तू अपनी ससुराल जा कर मुझे भूल ही गई होगी. पर तू चिंता मत कर, मुझे पूरी बात तो बता. मैं अभी कोई न कोई हल निकालने का प्रयास करूंगी, उसी तरह जैसे मैं ने तुझे और पंकज को मिलाने का रास्ता निकाल लिया था.’’

अपनी इस प्यारी सहेली को पा कर सुषमा ने आपबीती बता कर मन का सारा बोझ हलका कर लिया.

पार्वती के पति 10 वर्ष पहले लकवा के शिकार हो कर बिस्तर से लग गए थे. इन 10 वर्षों में उस ने बड़े दुख झेले थे. उस के पति सरकारी नौकरी में थे. अत: उन्हें थोड़ी सी पैंशन मिलती थी. पार्वती ने किसी तरह स्कूल में शिक्षिका बन कर बच्चों के खानेपीने और पढ़नेलिखने का खर्च जुटाया था. 2 जोड़ी कपड़ों से अधिक कपड़े कभी किसी के लिए नहीं जुट पाए थे.

उस पर इकलौते बेटे पंकज को पार्वती इंजीनियर बनाना चाहती थी. गांव की थोड़ी सी जमीन थी, वह भी उन्हें अपनी चाह के लिए बेच देनी पड़ी. एकएक दिन कर के उन्होंने पंकज के पढ़लिख कर इंजीनियर बन जाने का इंतजार किया था. बड़ी प्रतीक्षा के बाद वह सुखद समय आया जब पंकज सरकारी नौकरी में आ गया.

पंकज के नौकरी में आते ही उस के लिए रिश्तों की भीड़ लग गई. उस भीड़ में न भटक कर उन्होंने अपने बेटे के लिए बेटे की ही पसंद की एक संपन्न घर की प्यारी सी बहू ढूंढ़ ली. सुषमा बहू बन कर उन के घर आई तो बरसों बाद घर में पहली बार खुशियों की एक बाढ़ सी आ गई.

पार्वती ने बहू को बड़े लाड़प्यार से अपने सीने से लगा लिया. छुट्टी खत्म होने पर पंकज ने सुषमा से कहा, ‘‘सुमी, मां ने बहुत दुख झेले हैं. तुम थोड़े दिन उन के पास रह कर उन का मन भर दो. मैं हर सप्ताह आता रहूंगा. घर मिलते ही तुम्हें अपने साथ ले चलूंगा.’’

पंकज की बहनें दिनभर सुषमा को घेरे रहतीं. वे उसे घर का कोई भी काम न करने देतीं. सुषमा उन की प्यारी भाभी जो थी. सुषमा को प्यास भी लगती तो उस की कोई न कोई ननद उस के लिए पानी लेने दौड़ पड़ती.

पार्वती के तो कलेजे का टुकड़ा ही थी सुषमा. उस के आने से पूरा घर खुशी से जगमगा उठा. पार्वती उसे प्यार से ‘चांदनी’ कहने लगी. सुषमा के सिर में दर्द भी होता तो वे तुरंत बाम ले कर दौड़ पड़तीं.

धीरेधीरे पंकज के विवाह को 2 महीने बीत गए थे. इस बार जब पंकज घर आया तो सुषमा ने कहा, ‘‘मैं भी तुम्हारे साथ ही चलूंगी. अब मुझे यहां अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘बस, अगले महीने ही तो घर मिल जाएगा, मैं ने तुम्हें बताया तो था…फिर तुम्हें यहां कौन छोड़ जाएगा?’’

‘‘तो तब तक हम लोग अपने पिताजी के घर रह लेंगे. मां और पिताजी कितने खुश होंगे. इतना बड़ा बंगला है.’’

‘‘नहीं सुषमा, मैं घरजमाई बन कर नहीं रह सकता. यह मुझ से नहीं होगा. यह मैं ने तुम से पहले भी कह दिया था कि मुझ से कभी इस तरह की जिद न करना.’’

‘‘मैं कुछ नहीं जानती. मैं गैस्ट हाउस में ही तुम्हारे साथ रहूंगी.’’

‘‘सुमी, जिद नहीं करते. वहां सभी अकेले रहते हैं. तुम्हारा वहां साथ चलना ठीक नहीं है. बस, थोड़े ही दिनों की तो बात है. क्या मां और बहनें तुम्हें प्यार नहीं करतीं? बस, मैं यों गया और यों आया,’’ पंकज की गाड़ी का समय हो रहा था. वह सुषमा से विदा ले कर चला गया.

पंकज 4 बहनों का अकेला भाई था. आज छोटी का जन्मदिन था. पंकज को गए 3-4 दिन हो गए थे. पार्वती चौका समेट कर बिस्तर पर जो लेटीं तो लेटते ही उन्हें नींद आ गई.

लेकिन अभी उन की आंख लगी ही थी कि किसी के कराहने की आवाज से उन की नींद टूट गई. वे घबरा कर उठ बैठीं. तुरंत बच्चों के कमरे में पहुंचीं. वहां उन्होंने देखा कि उन की प्यारी बहू सुषमा कराह रही है. उन्होंने तुरंत कमरे की बत्ती जलाई तो देखा, सुषमा बेहोश सी बिस्तर पर पड़ी है.

उन्होंने बहू को बहुत हिलायाडुलाया पर उस ने आंखें न खोलीं. इस के बाद जो दृश्य उन्होंने देखा तो उन के तो पैरों के नीचे से जमीन ही सरक गई. बहू के बगल में बिस्तर पर एक खाली शीशी पड़ी हुई थी और उस पर लिखा था, ‘जहर’. देखते ही पार्वती के मुंह से चीख निकल गई.

उन्होंने तुरंत बेटी को जगाया और स्वयं लगभग दौड़ती हुई जा कर अपने पड़ोसी को बुला लाईं. पड़ोसी की सहायता से वे बहू को अस्पताल ले गईं, जहां आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में उस का इलाज शुरू हो गया.

इधर पंकज को बुलाने के लिए भी सूचना भेज दी गई. कुछ घंटों में ही पंकज आ पहुंचा. पार्वती सोचसोच कर परेशान थीं कि आखिर बहू ने जहर क्यों खा लिया? पंकज भी सोच में पड़ गया कि सुषमा ने जहर क्यों खाया? क्या मां या बहनों ने कुछ कहा

लेकिन ये सब लोग तो उसे बहुत प्यार करते हैं. सुषमा को कुछ हो गया तो क्या उन पर दहेज का मामला नहीं चल जाएगा? आजकल आएदिन इस तरह के किस्से होते ही रहते हैं. कई प्रश्न पार्वती और उन के बेटे के दिलोदिमाग को मथने लगे.

डाक्टरों के उपचार के समय ही सुषमा ने चिल्लाना शुरू कर दिया, ‘‘मैं ने जहर नहीं खाया, मैं ने जहर नहीं खाया…’’

पर डाक्टरों ने उस की एक न सुनी. सुषमा के पेट का सारा पानी निकाल दिया गया. पेट से निकले हुए पानी का परीक्षण करने पर पता चला कि उस के पेट में जहर की एक बूंद भी नहीं है.

पार्वती ने बहू के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटी, आखिर यह सब क्यों किया? मेरी तो जान ही निकल गई थी.’’

‘‘सुषमा, तुम ने हमें कहीं का न छोड़ा. पूरे महल्ले और मेरे दफ्तर में हमारी कितनी बदनामी हुई है. हम किसी से निगाहें मिलाने लायक नहीं रहे. आएदिन दहेज के किस्से होते हैं. डाक्टरी परीक्षण में तनिक भी कमी रह जाती तो हम सब तो जेल में पहुंच गए होते. हमारी कौन सुनता? तुम ने तो हम सब को जेल भेजने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी. अभी भी कितने लोगों को विश्वास आएगा कि तुम ने जहर नहीं खाया था?’’

पंकज के हृदय को सुषमा के इस नाटक से बहुत बड़ी ठेस लगी. उस का हृदय चूरचूर हो गया. पार्वती ने बेटे को समझाने का बहुत प्रयास किया, पर पंकज किसी तरह न माना.

पार्वती ने कहा, ‘‘बेटे, तुम बहू को अब अपने साथ ही ले जाओ.’’

उन्होंने सोचा, बेटा और बहू साथ रहेंगे तो सबकुछ अपनेआप ठीक हो जाएगा. उन का सोचना गलत था. पंकज सुषमा के इस घिनौने नाटक को भूल न सका.

इस अचानक हुए हादसे की सूचना सुषमा के पिता कन्हैया लाल को भी दी जा चुकी थी. उस की मां तो बेटी के जहर खाने का समाचार सुनते ही बेहोश हो गईं.

पिता कहने लगे, ‘‘मैं हमेशा समझाता था कि ये छोटे घर के लोग रुपएपैसे के बड़े लालची होते हैं. अरे, जब पूछा तो कहने लगे कि हमें कुछ भी नहीं चाहिए. अब अपनी फूल सी बेटी को जहर खा लेने पर मजबूर कर दिया न?’’

‘‘वह भी तो उस लड़के की दीवानी बनी हुई थी. आखिर उस लड़के में ऐसी क्या खास बात है?’’ मां ने आंसू बहाते हुए कहा.

‘‘अरे, यह सब उस पंकज की चालाकी है, जो उस ने सुषमा को अपने जाल में फंसा लिया. मैं भी एक जज हूं. छोड़ूंगा नहीं उस नालायक को. उसे हथकडि़यां न लगवाईं तो मेरा भी नाम नहीं.’’

जब कन्हैया लाल पत्नी के साथ सुषमा की ससुराल पहुंचे तो गुस्से में भर कर पंकज ने साफ कह दिया, ‘‘आप अपनी बेटी को अपने साथ ले जाइए. हम तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहे.’’

‘‘हांहां, बेटी को तो हम साथ ले ही जाएंगे पर तुम्हें भी जेल की हवा खिलाए बिना नहीं छोड़ेंगे. शुक्र है कि मेरी बेटी सहीसलामत है.’’

सुषमा ने भारी मन से अपनी प्रिय सहेली को पूरी कहानी बताते हुए कहा, ‘‘जया, इस हादसे के बाद मैं पिताजी के साथ ससुराल से यहां चली आई.’’

‘‘उस के बाद पंकज से तुम्हारी भेंट हुई या नहीं?’’

‘‘नहीं जया, इस घटना के एक सप्ताह बाद पंकज मेरे घर आए थे. पिताजी उन्हें बाहर बैठक में ही मिल गए. उन्होंने वहीं खूब उलटीसीधी सुना कर पंकज को अपमानित किया. कह दिया कि अब तुम सुषमा से कभी नहीं मिल सकते. अब तो तुम्हारे पास तलाक के कागज ही पहुंचेंगे.

‘‘तब पंकज ने मेरे पिताजी से कहा कि आप मुझ से बात नहीं करना चाहते तो न करें पर मुझे सुषमा से तो एक बार बात कर लेने का अवसर दें. पर पिताजी ने कहा कि मैं तुम्हारी कोई भी बात नहीं सुनना चाहता. अब तो तुम सुषमा से कचहरी में ही मिलोगे.

‘‘इस के बाद वे भारी मन से चले गए. बाद में एक दिन उन का टैलीफोन भी आया था तो मां ने कह दिया कि आगे से टैलीफोन करने की कोई जरूरत नहीं है.’’

‘‘यह सब तो तेरे मातापिता ने किया, पर तू ने इस बीच क्या किया, यह तो तू ने बताया ही नहीं?’’

‘‘जया, मैं क्या करती, मेरी तो कुछ समझ में आया ही नहीं कि कैसे यह सब कुछ हो गया. मैं तो बस एक मूकदर्शक ही बनी रही.’’

‘‘इस का मतलब यह है कि तुम ने पंकज की ओर हाथ बढ़ाने का कोई प्रयास ही नहीं किया, जबकि पंकज ने 2 बार तुम से मिलने का प्रयास किया.’’

‘‘मैं क्या करती, पिताजी ने तो सारे रास्ते ही बंद कर दिए. उन्होंने निर्णय सुना दिया कि पंकज से मिलने या बात करने की कोई जरूरत नहीं है.’’

‘‘उन्होंने तो निर्णय कर लिया, पर क्या तू ने भी उन का निर्णय मान लिया? तेरी सूरत से तो ऐसा नहीं लगता?’’ जया ने सोचते हुए कहा.

‘‘मैं क्या करूं? मेरे मातापिता हर समय उठतेबैठते यही कहते रहते हैं कि अपने मन से विवाह करने का परिणाम देख लिया. कितनी बेरहमी से उस ने तुझे अपने घर से निकाल दिया. समाज में हमारी कितनी थूथू हुई है. पहले तो तू ने अपने से इतने नीचे खानदान में शादी की और फिर उस के बाद यह बेइज्जती. दो कौड़ी के उस लड़के की हिम्मत तो देखो. हम बड़ी धूमधाम से तेरी दूसरी शादी करेंगे. अभी तेरी उम्र ही कितनी है?’’

‘‘मातापिता ने कह दिया और तू ने सब कुछ ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया. इसी दम पर पूरे परिवार का विरोध मोल ले कर पंकज का हाथ थामा था. क्या अब तुझे पंकज सचमुच पसंद नहीं?’’

‘‘मैं अपने वादे से कहां मुकरी. मैं ने कब कहा कि वे मुझे पसंद नहीं या मैं ने कभी कोई गलत चुनाव किया था. पर पिताजी की भावनाओं का क्या करूं? उन्हें मेरी ही चिंता रहती है. दिनरात वे मेरे ही बारे में सोचते रहते हैं. वे मेरे लिए बहुत परेशान हैं.’’

‘‘जब उन के विरोध के बावजूद तू ने पंकज का हाथ थामा था तब उन की भावनाओं का खयाल कहां चला गया था? फिर यह भी सोचा है कि तू ही तो उन्हें परेशान कर रही है?’’

‘‘मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता कि क्या करूं? मेरा तो दम घुटा जा रहा है. तू ही कुछ बता कि मुझे क्या करना चाहिए? मैं ही सब की परेशानी का कारण हूं.’’

‘‘पहले तो यह समझ ले कि इस सारे झगड़े में गलती की पूरी जिम्मेदारी तेरी ही है,’’ जया ने समझाने के लहजे में कहा.

‘‘हां, मैं यह मानने को तैयार हूं, पर पंकज की भी तो गलती है कि उस ने मुझे क्षमा मांगने का मौका ही नहीं दिया. उस ने मुझे कितना अपमानित किया.’’

‘‘वाह रानीजी, वाह, गलती तुम करो और दूसरा अपने मन का तनिक सा रोष भी न निकाल सके?’’

‘‘तो फिर मैं क्या करूं, बताओ न?’’

‘‘एक बात बता, क्या पंकज में कोई कमी है जो दूसरी शादी कर के तुझे उस से अच्छा पति मिल जाएगा? क्या गारंटी है कि आगे किसी छोटे से झगड़े पर तू फिर तलाक नहीं ले लेगी या जिस व्यक्ति से तेरी दूसरी शादी होगी वह अच्छा ही होगा, इस की भी क्या गारंटी है?’’ जया ने तनिक गुस्से से पूछा.

‘‘दूसरी शादी की बात मत कहो, जया. मैं तो पंकज के अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती. शायद उस से अच्छा व्यक्ति इस संसार में दूसरा कोई हो ही नहीं सकता.’’

‘‘फिर किस बात का इंतजार है. क्या तुम समझती हो कि पंकज एक होनहार युवक तुम्हारी प्रतीक्षा में जिंदगी भर अकेला बैठा रहेगा? क्या उस के घर वाले उस के भविष्य के प्रति उदासीन बैठे होंगे? पंकज अपने घर का अकेला होनहार चिराग है.’’

‘‘यह तो मैं ने सोचा ही नहीं था. अब बता कि मैं क्या करूं?’’

‘‘तू तुरंत पंकज से मिल कर अपने मन की दूरियां मिटा ले. उस से क्षमा मांग ले. आखिर गलती की पहल तो तू ने ही की थी.’’

‘‘लेकिन पिताजी?’’

‘‘क्या पिताजीपिताजी की रट लगा रखी है. क्या तू कोई दूध पीती बच्ची है? पिता क्या हमेशा ही तेरी जिंदगी के छोटेछोटे मसले हल करते रहेंगे? उन्हें अपने मुकदमों के फैसले ही करने दे, अपना फैसला तू खुद कर.’’

‘‘अगर पंकज ने मुझे क्षमा न किया तो? मुझ से मिलने से ही इनकार कर दिया तो?’’ सुषमा ने बेचारगी से कहा.

‘‘पंकज जैसा सुलझा हुआ व्यक्ति ऐसा कभी नहीं कर सकता. तुझे उस ने क्षमा न कर दिया होता तो वह तेरे घर क्या करने आता. क्या तू इतना भी नहीं समझ सकती?’’

‘‘सच जया, तुम ने तो मेरी आंखें ही खोल दी हैं. मेरी तो सारी दुविधा दूर कर दी. मैं अभी पंकज के पास जाऊंगी. इस समय वह संभवत: दफ्तर में ही होगा. मैं अभी उसे फोन मिलाती हूं.’’

बिना तनिक भी देर किए हुए सुषमा जया के साथ तुरंत पास के टैलीफोन बूथ पर बात करने चली गई. उस ने दफ्तर का नंबर मिलाया तो पता चला कि पंकज किसी आवश्यक कार्य से अचानक आज दोपहर के बाद छुट्टी ले कर अपने घर के लिए चला गया है. पूछने पर पता चला कि शायद सगाई की तारीख तय हो रही है.

सुषमा का मन हजार शंकाओं से घिर आया. उस ने समय देखा तो ध्यान आया कि पंकज की गाड़ी छूटने में अभी आधे घंटे का समय बाकी है. अब उसे पंकज के बिछोह का एकएक क्षण एक युग जैसा लग रहा था. उस ने कहा, ‘‘जया, मैं अभी, इसी समय स्टेशन जा रही हूं. तू भी मेरे साथ चली चल.’’

‘‘नहीं जी, अब मैं मियांबीवी के बीच दालभात में मूसलचंद बनने वाली नहीं, कल मिलूंगी तो हाल बताना. वैसे अब तू मुझे ढूंढ़ने वाली नहीं. मैं अपनी औकात समझती हूं,’’ कह कर जया अपने घर की ओर मुसकराती हुई चल पड़ी.

सुषमा का हृदय तेजी से धड़क रहा था. सोचने लगी कि ट्रेन में मैं उन्हें न ढूंढ़ पाई तो, टे्रन छूट गई तो? क्या करूंगी? उन्होंने देख कर मुंह फेर लिया तो क्या होगा? हजार शंकाओं से घिरी सुषमा टे्रन के हर डब्बे के बाहर निगाहें दौड़ा कर पंकज को ढूंढ़ रही थी. तभी टे्रन ने सीटी दे दी. उस की धड़कनें और भी तेज हो उठीं. पांव एकएक मन के भारी हो गए. सोचने लगी, आज तो उसे कैसे भी हो पंकज से मिलना ही है. न मिला तो क्या होगा. उस का तो दम ही निकल जाएगा. वह और भी तेजी से चलती इधरउधर देख रही थी. हर क्षण दिल की धड़कनें तेज होती जा रही थीं. तभी उस का पैर स्टेशन पर रखे किसी सामान से टकराया और वह औंधे मुंह गिरने को हो आई.

लेकिन किन्हीं मजबूत बांहों ने उसे गिरने से संभाल लिया और एक चिरपरिचित आवाज उस के कानों में सुनाई दी, ‘‘किसे ढूंढ़ रही हो, सुषमा? बहुत देर से तुम्हें देख रहा हूं,’’ अपने डब्बे की ओर बढ़ते हुए पंकज ने कहा.

‘‘मुझे आप से कुछ बातें करनी हैं,’’ घबराहट में धड़कते हृदय से सुषमा बस इतना ही बोल सकी.

‘‘अब तो बहुत देर हो चुकी है. मेरी गाड़ी छूट रही है.’’

सुषमा के पैरों के नीचे से तो मानो जमीन ही सरक गई. उस ने फिर कहा, ‘‘मुझे आप से जरूरी बात करनी है.’’

‘‘4 दिन बाद लौटूंगा तब यदि तुम ने मौका दिया तो जरूर बात करूंगा.’’

‘‘इतने दिन तो बहुत होते हैं. क्या मैं आप के साथ चल सकती हूं? मुझे अभी बातें करनी हैं.’’

‘‘तुम मेरे साथ मेरे घर चलोगी? तुम्हारा सामान कहां है? तुम्हारे पिता…’’

‘‘बस, अब कुछ न कहें, मुझे अपने साथ लेते चलें. आप के साथ मुझे सबकुछ मिल जाएगा.’’

ट्रेन सरकने लगी थी. पंकज ने तेजी से हाथ बढ़ा कर सुषमा को अपने डब्बे में चढ़ा लिया.

सुषमा उस के सीने से लग कर सिसक पड़ी. वह यह भी भूल गई कि सब उसी की ओर देख रहे हैं.

एक लड़का मुझसे शादी करना चाहता है, लेकिन मैं उससे प्यार नहीं करती?

सवाल

मैं 16 वर्षीय 12वीं कक्षा की छात्रा हूं. एक लड़का मुझे बहुत प्यार करता है और कहता है कि वह मुझ से शादी करना चाहता है. इसे एकतरफा प्यार ही कह सकते हैं. मैं उसे साफसाफ नहीं कह सकती हूं कि मैं उसे प्यार नहीं करती, क्योंकि इस से उसे दुख होगा. मगर मैं उसे किसी मुगालते में भी नहीं रखना चाहती. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

अभी आप बहुत छोटी हैं. आप को अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर लगाना चाहिए. जहां तक आप के उक्त दोस्त की बात है उसे आप को शालीन और स्पष्ट शब्दों में समझा देना चाहिए कि आप उसे सिर्फ दोस्त मानती हैं. प्यार या शादी के बारे में सोचने की न तो अभी आप की उम्र है और न ही दिलचस्पी. इसलिए वह आप से ऐसी कोई उम्मीद न रखे.

ये भी पढ़ें…

जब बौयफ्रैंड करे चीटिंग तो अपनाएं ये उपाय

बिग बौस का घर किसी न किसी कारण से चर्चा में रहता है. ‘सीजन 10’ भी जब से शुरू हुआ तब से चर्चा में ही है. एक, सैलिब्रिटी और आम जनता के कौंसैप्ट की वजह से तो दूसरा, मोना और मनु की नजदीकियों की वजह से. इन की दोस्ती घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उथलपुथल मचा रही है. मोना के बौयफ्रैंड और मंगेतर विक्रांत सिंह राजपूत घर के अंदर मोना व मनु की इंटीमेसी से काफी परेशान हैं और मोना से रिश्ता तोड़ने की बात कह रहे हैं. इसी बीच मनु की गर्लफ्रैंड प्रिया सैनी ने भी अपनी चुप्पी तोड़ दी है. प्रिया ने कहा कि मोनालिसा डेस्पो है, जब देखो तब मनु के आसपास घूमती रहती है, वह इंटीमेट होने की कोशिश करती रहती है. इन के रिश्ते में कितनी सचाई और कितनी ड्रामेबाजी है यह तो इन के घर से बाहर निकलने पर ही पता चलेगा, लेकिन इन की तरह ही रीयल लाइफ में भी ऐसे कई कपल हैं, जो रिलेशनशिप में होते हुए भी एकदूसरे को चीट करते हैं और जब उन की सचाई सामने आती है तो पार्टनर को बहलानेफुसलाने लगते हैं.

कई बार तो ऐसा होता है कि पार्टनर की सचाई सामने आने पर समझ नहीं पाते कि क्या करें, क्या नहीं.

अगर आप का बौयफ्रैंड भी आप को चीट कर रहा है या धोखा दे रहा है तो इन बातों पर ध्यान दें :

सुसाइड करने की कोशिश न करें : अगर आप का बौयफ्रैंड किसी और के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है तो इस का यह मतलब नहीं है कि आप की लाइफ खत्म हो गई है, इस के बाद आप की लाइफ का क्या होगा, यह सोच कर आप उलटीसीधी हरकतें न करें बल्कि खुद को आगे बढ़ाने की कोशिश करें.

सोशल साइट्स पर न निकालें भड़ास: जब पार्टनर से लड़ाई होती है या पार्टनर चीट करते हैं तो अकसर युवतियां फेसबुक पर डाल देती हैं, अजीबअजीब से इलजाम लगा कर भड़ास निकालती हैं. अगर आप भी ऐसा करने की सोच रही हैं तो एक बात अच्छे से समझ लें, ऐसा करने से आप के पार्टनर के साथसाथ आप की भी बदनामी होगी इसलिए बेहतर है कि सोशल साइट्स के बजाय आपस में झगड़े को सुलझाएं.

मारपीट कर हंगामा न करें : पार्टनर को जब हम किसी दूसरे के साथ देखते हैं तो झगड़ने लगते हैं, जोरजोर से चिल्लाने लगते हैं, उस लड़की को गाली देने लगते हैं, पागलों की तरह बिहेव करने लगते हैं. लेकिन ऐसा करने के बजाय आप वहां से चुपचाप चली जाएं. अपने बौयफ्रैंड को अपनी गलती का एहसास होने दें, क्योंकि मारपीट, लड़ाईझगड़े से कोई चीज सुधरती नहीं है बल्कि बिगड़ती जाती है.

बदला लेने के बजाय दूरी बनाएं : अगर आप ने अपने बौयफ्रैंड को किसी के साथ पकड़ा है, तो दोनों से बदला लेने की कोशिश न करें, न ही उन के सामने चिल्लाचिल्ला कर पूछें कि आखिर क्यों किया मेरे साथ ऐसा? ऐसा कर के आप खुद को कमजोर दिखाती हैं.

अपनी प्रौब्लम अपने तक रखें : पार्टनर का झूठ सामने आने पर गुस्से में उस के पेरैंट्स व दोस्तों को इस बारे में बताने की गलती न करें. उस ने आप के साथ जो भी किया हो, पर उस प्रौब्लम को खुद हैंडल करने की कोशिश करें.

प्यार में अंधी न हो जाएं : आप प्यार करती हैं इस का यह मतलब नहीं है कि आप प्यार में एकदम अंधी हो जाएं, गलतियों को अनदेखा कर दें. ऐसा भी हो सकता है कि इस से पहले भी वह आप की पीठ पीछे इस तरह की हरकत कर चुका हो, लेकिन आप को पता न चला हो. खुद को कमजोर न दिखाएं.

जब बौयफ्रैंड की धोखाधड़ी का पता चलता है तब कुछ युवतियां तो बोल्डली हैंडल कर लेती हैं, लेकिन कुछ इमोशनली टूट जाती हैं और उन्हें रोते देख बौयफ्रैंड उन की कमजोरी का फायदा उठाते हैं. इसलिए खुद को कमजोर दिखाने के बजाय कौन्फिडैंट बनें.

Summer Special: बच्चों के लिए बनाएं हेल्दी तवा पिज़्ज़ा

बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खाने को चाहिए होता है.  इसलिए उन्हें पूरे दिन भूख ही लगती रहती है. पिज्जा, नूडल्स, जैसे चायनीज व्यंजन बच्चों को बहुत पसंद होते हैं यही नहीं वे इनका नाम सुनते ही बल्लियों उछलने लगते हैं. बाजार से मंगवाने पर एक तो यह महंगा पड़ता है दूसरे स्वास्थवर्धक भी नहीं होता तो क्यों न इसे घर पर ही बनाया जाए ताकि ये हैल्दी बने और बच्चे जी भर के खा सकें. आज हम इसे गेहूं के आटे से बनाएंगे आप इसमें वे सभी सब्जियां डाल सकतीं हैं जिन्हें आप अपने बच्चों को खिलाना चाहतीं हैं. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए        4

बनाने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री (बेस के लिए)

गेहूं का आटा                 1 कप

मीठा सोडा                     1/4 टीस्पून

बेकिंग पाउडर                 1/2 टीस्पून

शकर                              1/4 टीस्पून

नमक                              1/4 टीस्पून

खट्टा दही                          1/2 कप

ऑलिव ऑइल                    1 टीस्पून

सामग्री (टॉपिंग के लिए)

किसा मोजरेला चीज           1 कप

पिज्जा सॉस                       2 टीस्पून

प्याज                                 1

हरी शिमला मिर्च                  1

लाल शिमला मिर्च                  1

पीली शिमला मिर्च                  1

टमाटर                                    1

मिक्स हर्ब्स                           1/4 टीस्पून

चिली फ्लेक्स                         1/4 टीस्पून

विधि

गेहूं के आटे में दही को छोड़कर समस्त सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं. अब इसे दही के साथ अच्छी तरह मसलकर गूंथ लें.

अब ऑलिव ऑइल मिक्स करके 1 घण्टे के लिए ढककर रख दें. 1घण्टे बाद तैयार आटे को 4 भागों में विभाजित करें. कटी लोई को लगभग आधे इंच की मोटाई में बेलें और कांटे से गोद दें ताकि सिकने पर फूले नहीं. इसी प्रकार चारो पिज़्ज़ा बेस बेल लें. तैयार पिज़्जा बेस को एक नॉनस्टिक पैन में कांटे से प्रिक की गई साइड से रखें और धीमी आंच पर 2 मिनट तक सेंक कर प्लेट पर निकाल लें. सभी सब्जियों को लम्बाई में काट लें. अब तैयार पिज़्जा बेस के ब्राउन साइड पर आधा टीस्पून पिज़्ज़ा सॉस लगाकर चीज फैलाएं. ऊपर से सभी सब्जियां डालकर पुनः चीज डालें. मिक्स हर्ब्स और चिली फ्लेक्स बुरकें और भारी तले के तवे पर चारों तैयार पिज़्ज़ा रखकर ढककर 5 से 7 मिनट अथवा चीज के मेल्ट होने तक एकदम मंदी आंच पर पकाएं. हैल्दी पिज़्जा बच्चों को टोमेटो सॉस के साथ सर्व करें.

Fashion Tips: White के साथ बनाएं अपने लुक को और भी खूबसूरत

गरमी के मौसम में कलरफुल कपड़े पहनना पसंद होता है, लेकिन तेज गरमी में कलरफुल कपड़े आखों को चुभते है. इसलिए हम ज्यादात्तर कोशिश करते हैं कि लाइट या वाइड कलर के कपड़े पहनना पसंद करते हैं. और ज्यादातर लोगों की पसंद वाइट कलर ही होता है जो हमारे मूड को बेहतरीन तरीके से रिफ्लेक्ट करता है. यह एक ऐसा रंग है जिसे आप किसी भी दूसरे रंग के साथ बड़ी आसानी से टीमअप कर पहन सकती हैं. लिहाजा जब बात समर ड्रेसिंग की आती है तो ज्यादातर लोग वाइट कलर की शर्ट या टौप ही पहनना पसंद करते हैं. ऐसे में प्लेन और बोरिंग वाइट शर्ट की जगह आप भी फैशनेबल और ट्रेंडी वाइट टौप्स को अपने वौरड्रोब का हिस्सा बना सकती हैं.

1. क्लासिक अंदाज में करें खुद को ड्रैसअप

क्लासिक, फौर्मल, फुल स्लीव्स वाइट शर्ट में को थोड़ा फैशन के अकौर्डिंग बनाना चाहती हैं तो कौलर के नीचे बटन वाले पार्ट में रफल लुक को ट्राई करें. कहीं, कैजुअल आउटिंग, दोस्तों संग मस्ती या समर डेट पर जा रही हों तो वाइट कलर के इस शौर्ट ड्रेस को ट्राई कर सकती हैं.

सिंपल टौप को बनाएं ट्रेंडी

प्लेन वाइट शर्ट को ट्रेंडी तरीके से कैरी करने के लिए डेनिम ब्लू जींस के साथ प्लेन वाइट स्लीव्स शर्ट को वाइट कलर की स्पेगिटी के साथ कैरी करें.

3. वाइट ब्रालेट टौप में करें कुछ नया एक्सपेरिमेंट

वाइट के साथ कुछ एक्सपेरिमेंट करना चाहती हैं और आपको क्रौप टौप लुक पसंद है तो आप वाइट कलर के लेस वर्क वाले ब्रालेट टौप को वाइट कलर के फुल स्लीव्स शौर्ट श्रग के साथ कैरी करें या फिर प्लेन वाइट टी-शर्ट को क्रौप टौप बनाकर पहन कर ट्राई करें.

4. अलग स्टाइल में आएं नजर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by NewYu byTiee (@newyu.bytiee)

मोनोक्रोम यानी वाइट ऐंड ब्लैक लुक भी ट्राई कर सकती हैं. इसके लिए प्लेन वाइट फौर्मल शर्ट को टक-इन कर ब्लैक कलर की लेदर पैंट के साथ पहनें. या फिर आप चाहें तो वाइट कलर के लौन्ग कुर्ते को वाइट कलर की सिगरेट पैंट्स के साथ टीमअप कर भी पहन सकती हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Cutty Sark (@cutty_sarkfashion)

गले की खराश से हैं परेशान, तो अपनाएं ये आसान उपाय

बदलता मौसम हमारी हेल्थ पर असर डालता है. वहीं इस बदलते मौसम में कोल्ड होना आम बात है, लेकिन खासी-जुकाम की बात हो तो जरूरी है कि आप जल्दी से जल्दी इसका इलाज कराएं. पर आज हम आपको गले में होने वाली खराश को दूर करने के कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे अपनाकर आपको राहत मिलेगी.

1. गले को दे गर्मी

हीट पैड के जरिए या गर्म पानी में टावल को लपेट कर अपने गले पर रखें. इससे आपके गले को गर्मी मिलेगी और गले में जमा कफ बाहर आएगा और आपको आराम मिलेगा.

2. अदरक है बेस्ट मेडीसिन

अदरक कोल्ड से जुड़ी कई प्रौब्लम से राहत दिलाता है जिनमें गले की खराश भी है. अदरक को कूट कर मुंह मे रखें और चूसते रहे. अदरक के रस से भी गले की खराश से राहत मिलती है.

3. काढ़े का करें इस्तेमाल

1 कप पानी में 4-5 कालीमिर्च और तुलसी की कुछ पत्तियों को उबाले और काढ़ा बनाएं. इस काढ़े का दिन में 2 बार सेवन करें.

4. कालीमिर्च और शहद है परफेक्ट

पिसी हुई कालीमिर्च में शहद मिलाकर खाएं. इससे न सिर्फ गले को बल्कि खांसी में भी राहत मिलती है और आपके गले को भी आराम मिलता है.

5. मुलेठी का जवाब नही

गले से जुड़ी हर प्रौब्लम्स के लिए मुलेठी रामबाण हैं. इसका उपयोग गायक भी अपनी आवाज मधुर बनाने के लिए करते हैं. मुलेठी को मुंह में रखकर चूसते रहें. इसका रस आपके गले को आराम देगा.

6. गले को आराम देने वाली टेब्लेट्स

कई अच्छे ब्रांड्स की देसी गोलियां आती हैं जिनमें अदरक, मुलेठी, काली मिर्च आदि होती हैं. इन्हें चूसते रहने से भी आपको लाभ हो सकता है लेकिन ध्यान रहे किसी ऐसी-वैसी गोली को न खरीदें. सिर्फ कोई अच्छे आयुर्वेदिक ब्रैंड की ही गोली खरीदा करें.

7. गरारे करना ना भूलें

गुनगुने पानी में थोड़ा-सा नमक डालकर फिर उससे गरारे करें. इससे आपके गले में मौजूद कीटाणुओं का सफाया होगा और जमे हुए कफ को बाहर आने में मदद मिलेगी. इसके बाद आपको काफी राहत मिलेगी.

8. खाने में परहेज है जरूरी

खट्टे पदार्थों का सेवन न करें. हल्का, बिना तेल-मसाले वाला खाना खाएं. डाइट का ध्यान न रखने पर आपकी गले की खराश की प्रौब्लम बढ़ सकती है. वहीं अगर इससे भी आपकी प्रौब्लम ठीक नही होती तो आप डौक्टर को दिखाना न भूलें क्योंकि अगर इसका इलाज न हो तो कई बड़ी प्रौब्लम पैदा हो सकती है.

गुठली के दाम: बाबा सनातन की क्या थी चाल

बाबा सनातन के सामने बैठा बद्दूराम अपने बाहर निकले दांतों से टपकती लार पोंछता हुआ हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘हम तो धन्य हो गए बाबाजी. आप की उदारता और करुणा अनंत है, तभी तो हम कमेटी के मैंबर हैं और आप की छाया में बैठे हैं.’’

‘‘छाया तो हम पर महायोगी की है, जो 25 साल से लोगों की भलाई के लिए तप कर रहे हैं. साईं के सौ खेल हैं, भाई. उन्हीं की कृपा से यह महायज्ञ कराया जा रहा है और यह तुम्हारी किस्मत है कि तुम यज्ञ के कुंड में पवित्र लकडि़यां डालोगे.’’

‘‘इसी बात से तो आप का अपने भक्तों के प्रति लगाव साबित होता है.’’

यह सुन कर बाबा सनातन ने घमंड का शहद फिर चखा. ऐसे अंधभक्तों को अपने सामने इस तरह झुका देख कर बाबा सनातन का मन शहद से भरभर जाता है. इस शहद की डायबिटीज से घमंड का जन्म होता है, जो हमेशा के लिए उस के चेहरे से चिपका रहता है.

‘‘और हां, बद्दूराम, ‘एकता महायज्ञ’ की गंगा में हम महर्षि मिथ्यानंद के हाथों से तुम्हारा नाम शुद्ध कर के ‘दलित बंधु राम’ की उपाधि देंगे.’’

‘‘बैकुंठ पा लिया बाबाजी. मुक्ति का द्वार महायोगी परशुराम के जन्मदाता ही दिखा सकते हैं…मैं इस काबिल कहां कि आप को गुरुदक्षिणा दे सकूं, पर प्रभु, आप के लिए यह एकलव्य अपनी बीसों उंगलियां कटाने को तैयार है,’’ बद्दूराम शहद में केसर मिलाता हुआ बोला.

‘‘यज्ञ कामयाब हो तो मन की सभी मुरादें पूरी होती हैं. अगर चलोगे नहीं तो मंजिल तक कैसे पहुंचोगे. इस यज्ञ में तुम भी अपनी हिस्सेदारी दिखाओ. नीयत की बरकत से हो सकता है कि खुश हो कर महायोगी तुम्हारा भी भला कर दें.’’

बाबा की कलाई पर गुदे यज्ञकुंड और नीचे लिखे श्री सनातन शब्दों को देख कर बद्दूराम भक्ति से भरा होने की ऐक्ंिटग करता हुआ बोला, ‘‘बड़ा ही शानदार चित्र है. मैं भी ऐसा ही बनवाऊंगा.’’

यह सुन कर बाबा का वंशअभिमान जोश में आ गया, ‘‘कचौड़ी की बू अभी तक नहीं गई. तुम तो बेदाम की गुठली हो. अरे बेवकूफ, यह साधारण चित्र नहीं है. यह हमें हमारे यज्ञधर्म की याद कराता है और हमारे पवित्र गोत्र का निशान है. इस में छिपे संकेतों को कोई दूसरा कभी नहीं बना सकता.’’

पिछले 6 महीने से महायोगी परशुराम तप रजत जयंती के मौके पर ‘वर्ण एकता महायज्ञ’ कराने की तैयारियां बड़े हाई लैवल पर हो रही हैं और अखबारों की सुर्खियों में हैं. इसे कराने वाले बाबा सनातन खुद हैं.

दरअसल, दलित वोट के चांदी लगे लड्डुओं का अंबार देख कर ललचाई ‘कुटिल पंडा पार्टी’ ने पिछड़ों को पुचकारने का ठेका बाबा सनातन को दिया था. बाबा तकरीबन सभी प्रदेशों के छोटेबड़े दलित नेताओं को इकट्ठा कर, उन्हें पद देने के लालच में जकड़ कर इस भेड़ बाजार को महाहिंदू मेला बनाने में रातदिन जुटा था. इसी की एक कड़ी बद्दूराम था, जो गुजरात की सफाई कर्मचारी कालोनियों का उभरता नेता था और सालों से अपमान का जहर हजम करता हुआ अपनेआप को पंडा राजनीति में फिट करने की जुगत लगा रहा था.

‘‘तो ध्यान रहे कि जिस की बंदरिया वही नचावे…अभी भी बेटी बाप की है. ज्यादा से ज्यादा लोगों का इंतजाम हो. उस दिन पूरे हिंदू परिवार की सेवा के लिए रेल बुक कराई गई है…कहीं ऐसा न हो कि आसपास बरसे और दिल्ली बेचारी तरसे… सभी को यज्ञ में ले आना,’’ कहता हुआ बाबा अपने आसन से उठ खड़ा हुआ और इशारा समझ कर बद्दूराम भी उठ गया.

‘‘जाने से पहले मठ की आरती के लिए जरूर रुकना…महाप्रसाद लेते जाना. देनहार समर्थ है सो देवे दिन रैन. महायोगी तुम्हारा भला करें.’’

बद्दूराम ने जाते समय बाबा के पैर छुए. उस के जाने के बाद ‘खाइए मन भाता पहनिए जग भाता’ पर अमल करते हुए बाबा ने पास ही रखी सुराही मुंह से लगाई. ह्विस्की पीने से मठ की आरती और बाद में टैलीविजन पर आने वाले प्रवचन में माहौल जो जमेगा.

बाबा को मठ की दुकान लगाए 20 साल हो चुके हैं. महर्षि मिथ्यानंद ने जब से हिमालय पर दिव्य महायोगी परशुराम के दर्शन किए हैं तब से भक्तों में यह फैलाया गया है कि बाबा सनातन के छोटे बेटे महायोगी परशुराम 15 साल की उम्र से ही भक्तों की भलाई के लिए हिमालय की किसी अनदेखी गुफा में तप कर रहे हैं. इस बात को अब 25 साल गुजर चुके हैं.

महर्षि मिथ्यानंद, जो डीलडौल से भैंसे जैसा है, अपने गुस्से के लिए अखाड़ों में मशहूर है. तपस्वी है और हिमालय पर तप करता है, पर कब? यह मालूम नहीं. उसे ज्यादातर दिल्ली के आसपास ही देखा जा सकता है. जब बाबा सनातन अपनी दुकानदारी का प्रचार कराने के लिए मिथ्यानंद के पास गया था तब उस की बड़ीबड़ी लाल आंखें गुस्से से बाहर निकल आई थीं और उस ने बिगड़ कर फुफकारते हुए कहा था, ‘एक भगोड़े को तपस्वी बनाना चाहते हो.’

तब उसे भरी चिलम थमा कर शांत करते हुए सनातन बाबा ने कहा था, ‘महर्षि, कपूत बेटा तो मरा ही भला. वह तो 5 साल पहले ही मरखप गया. किसे क्या, सब अपनेअपने खयाल में मस्त हैं… और अगर कहीं से लौट भी आया, तो कहेंगे तपस्या से लौटा है.

‘ऋषिवर, आप खुद महाज्ञानी हैं. समझ सकते हैं कि अपनी गरज तो बावली होती है. हम ने तो ग्रंथों में देवीदेवताओं से न जाने कैसेकैसे काम करवाए हैं. धर्म की हिफाजत और उसे आगे बढ़ाने के लिए यह ठीक भी है. फिर मठ की माया में योगीराज आप का भी तो हिस्सा होगा, एक दम में हजार दम. आप को बस, जहांतहां महायोगी परशुराम से हिमालय पर मिलने की बात फैलानी है. आप के खोटे वचन से मेरा खोटा सिक्का चल पड़ेगा…इस के बाद हमें धनकुबेर बनने से खुद ब्रह्मा भी नहीं रोक पाएंगे.’

बाबा का बिजनेस औफर मिथ्यानंद ठुकरा नहीं पाया था और तभी से उस का मठ चल पड़ा. उस की तूती बोल रही है. अनेक भक्त उस के चक्कर में फंस चुके हैं. अब तो यह मठ करोड़ों रुपए की मिल्कीयत बन चुका है.

बाबा का बड़ा बेटा विष्णु पढ़ाई कर के जरमनी चला गया और एक ईरानी औरत से शादी कर के खुशहाल जिंदगी बिता रहा है. वक्त पर बाबा को मोटी रकम भी भेजता रहता है. यह बेटा बाबा के लिए रसीले आम की हैसियत रखता है. हां, पुरखों का बैठाबिठाया धर्म का धंधा नहीं करता, तो क्या हुआ, वहां कमोड का बड़ा कारोबारी है.

हां, मोटी अक्ल का छोटा बेटा परशुराम, जिसे पढ़ाई में कभी मजा नहीं आया था, एक दिन मास्टर को पत्थर से बुरी तरह घायल कर के घबराहट में गांव से नौ दो ग्यारह हो गया. यह बेटा गुठली था.

आम तो खा ही रहे थे, पर बेदाम गुठली का हाथों से निकल जाने का दुख बाबा को रातदिन खा रहा था. सोचा था, ‘किसी तरह कुछ पढ़ लेगा तो धर्म की दुकानदारी इसे सौंपेंगे, गुठली के दाम पाएंगे.’

पर सब बेकार साबित हुआ. बाबा ने अपने कुलकलंकी बेटे को ढूंढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी, आकाशपाताल, स्वर्गनरक सब एक कर दिया. इस चक्कर में काफी माल भी खर्च हो गया. 5 साल की निराशा के बाद बाबा को गुठली के दाम वसूलने की तरकीब सूझी.

मिथ्यानंद को चतुराई से इस्तेमाल कर के अनेक झूठे चमत्कारों और प्रवचनों से अपने भगोड़े बेटे परशुराम को महायोगी बना कर भावुक शिष्यों के मत्थे मढ़ दिया. आज अंधश्रद्धा की महिमा के चलते वही गुठली अब करोड़ों के दाम की है.

यज्ञ की सारी तैयारियां हो चुकी हैं. वीआईपी संतमहंतों से अपौइंटमैंट ले लिया गया है. अब सिर्फ यज्ञ कामयाब हो जाए, तब तो राजनीति में इस गुठली की कीमत इंटरनैशनल करंसी में होगी. सभी बाबा के आदेश का पालन करेंगे. वाह रे, गुठली के दाम.

रामलीला मैदान का विशाल मंच. पीछे बड़े अक्षरों में महायोगी परशुराम तप साधना रजत जयंती के पावन अवसर पर आयोजित ‘वर्ण एकता महायज्ञ’ लिखा था. मंच पर तथाकथित कई जानीमानी हस्तियों के अलावा जल्दी गुस्सा होने वाले सांड़ मिथ्यानंद समेत दूसरे संतमहंत भी मौजूद थे. भक्तों का इतना बड़ा जमावड़ा देख कर बाबा सनातन अपनेआप को संत सम्राट समझ कर इतरा रहा था.

देश के कोनेकोने से पिछड़ी जाति के लोगों को लाया गया था. उन के अपनेअपने मुखिया थे. हर मुखिया को मंच पर बुलाए जाने पर साधु द्वारा किसी उपाधि का सर्टिफिकेट ले कर, उस साधु के पैर लेट कर छूने थे और उन की तारीफ में दो शब्द कहने थे. बस, यही था ‘वर्ण एकता महायज्ञ’.

एकएक मुखिया यज्ञ में तिलजौ की तरह हवन हो रहा था. पंडा संस्कृति के तमाम लक्षणों वाले तामझाम के साथ चल रहा यह प्रोग्राम अपनी हद पर था. इधर टैलीविजन चैनल वाले इस मसालेदार यज्ञ को कवर करने की होड़ में लगे हुए थे.

बद्दूराम का जोश उस की बेचैनी को छलका रहा था. उसे शिद्दत से अपने नाम का इंतजार था कि तभी… ‘गुजरात के यजमान दलित बंधु राम यानी बद्दूराम का यज्ञ मंच पर स्वागत है…’ का ऐलान होते ही गिरतापड़ता बद्दूराम मंच पर किसी तरह पहुंचा और बाबा सनातन के पैरों पर लोट गया.

बाबा ने उसे पास बैठे मिथ्यानंद के पैरों की धूल लेने का इशारा किया. बद्दूराम ने वैसे ही किया. जवाब में मिथ्यानंद ने चिलम का जोरदार कश खींचा और प्रसाद के रूप में बद्दूराम पर धुएं का छोटा वाला बादल छोड़ा. बद्दूराम ने इसे उसी शिद्दत से स्वीकारा और बाकी सभी को प्रणाम कर बाबा के आदेश पर अपने मन की बात कहने के लिए माइक थामा और अपने मुंह का बांध फोड़ा.

वह बीचबीच में अपनी टपकती लार भी पोंछता रहा, ‘‘बाबाजी, आज का दिन बड़ा ही पावन है. हम सोचते थे कोई इतने सालों तक कैसे तप कर सकता है? माफ करें प्रभु, हम आप योगियों की चमत्कारी ताकत से अनजान थे. नहीं जानते थे कि हम पापियों के बीच रह कर भी योगी साधना करते हैं.

‘‘इस चमत्कार का बखान करने के लिए मैं ने आप से मिलने की बहुत कोशिश की, पर आप के बिजी रहने के चलते और आप की सेके्रटरी की चालाकी से ऐसा नहीं हो सका. शायद यह बखान यज्ञ की जगह पर ही हो, यही प्रभु इच्छा भी थी…

‘‘उस दिन कालोनी में मुझे यज्ञकुंड और नीचे लिखे श्री परशुराम गोदने के सभी गुण संकेतों के दर्शन हुए. मेरी तो आंखें खुल गईं. प्रभु, आप का महायज्ञ कामयाब हुआ. आप की मनचाही चीज आप को ब्याज के साथ हासिल हुई.

‘‘महायोगी परशुराम, जिन्हें आज तक हम अभागे ‘परसू’ कहते रहे, इस यज्ञधर्म को खुद साधारण इनसान बन कर, हमारे कंधे से कंधा, झाड़ू से झाड़ू मिला कर पिछले 25 साल से पाखानों की सफाई के रूप में करते आ रहे हैं.

‘‘हम कैसे जानते कि यह उन का सफाई योग चल रहा है.

‘‘इसी योग के चलते आखिरकार म्यूनिसिपैलिटी को उन्हें ‘कुशल कर्मचारी’ अवार्ड देना पड़ा. इतना ही नहीं, आप ने सच कहा था कि ‘साईं के सौ खेल हैं, वर्ण एकता को मजबूत करने के लिए उन्होंने मेरे समाज की अनाथ विधवा को अपनी छाया में ले कर एक बेटे को भी जन्म दिया, जो अब 15 साल का हो चुका है और आप का पवित्र गोत्र चिह्न, यज्ञकुंड गोदने का हकदार है.

‘‘प्रभु, वे जो सामने टैलीविजन वालों को इंटरव्यू दे रहे हैं, वही आप के बेटे सफाई महायोगी परशुराम हैं.’’

पूरा रामलीला मैदान भौचक्का सा आंखें फाड़े बद्दूराम को सुन रहा था. मंच पर नीले पड़ते बाबा सनातन को देख

कर आगबबूला मिथ्यानंद गरजा, ‘सनातन…’ और ‘त्राहिमाम’ वाला पोज अपना कर धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा. बाबा सनातन पगला जाने की हालत में पहुंच गया. उस का सत्संगी चोला गल सा गया.

बद्दूराम इस से आगे और कुछ कहता, उस से पहले ही खुद फट पड़ा, ‘‘गोद में बैठ कर आंख में उंगली डालता है.’’

इतना कह कर आव देखा न ताव उस ने अपनी खड़ाऊं उठा कर बद्दूराम की ओर कस कर दे मारी. पूरे रामलीला मैदान में हड़कंप मच गया. इसी दौरान परशुराम और बद्दूराम लीला का दौर शुरू हो गया. सनसनीखेज खबर के भूखे पत्रकारों ने बद्दूराम और परशुराम के लंबे इंटरव्यू लिए और पूरी सचाई का टैलीविजन पर प्रसारण कर अगले कई दिनों तक इसी खबर की जुगाली करते रहे.

सभी पाखंडियों को जेल की बदबूदार हवा खानी पड़ी. दिमागी बैलेंस खो चुका बाबा सनातन आखिर तक अपने खोए बेटे को उस की गवाही और सुबूतों के साबित होने पर भी अपना मानने से इनकार करता रहा. वह बस इतना ही कहता रहा, ‘यह गुठली मेरी नहीं.’

मिथ्यानंद न जाने कितने समय तक के लिए समाधि में चला गया. डाक्टरी भाषा में कहें तो इस चोट से वह कोमा में चला गया.

बाबा सनातन की गुठली के दाम ‘चालाक पंडा पार्टी’ को काफी महंगे पड़े. वह उन की मौत की वजह बनी. ‘जो अपने बेटे को अपनाने से इनकार कर सकता है, वह भला जनता को क्या अपना समझेगा.’ इस वजह से उन्हें जिन लोगों का समर्थन हासिल भी था, अब वह भी जाता रहा. एक बेदाग गुठली विषवृक्ष को बरबाद करने वाली बनी.

Summer Special: गर्मियों में जरुरी है स्किन की केयर

गर्मियों में तापमान के बढ़ने से स्किन मे जलन और चिपचिपाहट शुरू हो जाती है. स्किन अधिक सेंसेटिव होने की वजह से तपती गर्मी को सहन नहीं कर पाती, जिससे हमारी शुष्क स्किन रूखी और बेजान दिखाई देने लगती है, अगर स्किन तैलीय है, तो वह और भी तैलीय हो जाती है. सूरज की तेज किरणों की वजह से मेलेनिन पिगमेंटेशन को बढ़ाकर टैनिंग का कारण बनती है,क्योंकि मेलेनिन पिगमेंटेशन स्किन के रंग को निर्धारित करता है और स्किन को विटामिन डी प्राप्त करने में मदद करता है. इस बारें में एड्रोइट बायोमेड लिमिटेड के एक्सपर्ट सुशांत रावराने कहते है कि सूर्य के संपर्क में आने से मेलेनिन का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिससे स्किन पर काले धब्बे और पैच होने का डर रहता है. इसके अलावा तापमान के बढ़ने से स्किन के पोर्स खुल जाते है और उसमें गंदगी और तेल भरने से चेहरे पर मुंहासे और झाइयां जैसी स्किन की समस्याएं पैदा होने लगती है. इसे चमकदार बनाने के कुछ उपाय निम्न है,

रखें हाइड्रेटेड स्किन को हमेशा

गर्मियों में स्किन को हाइड्रेशन की आवश्यकता अधिक होती है, ऐसे में सही हाइड्रेटिंग सीरम का चुनाव करना ज़रूरी है, जो स्किन को हाइड्रेट कर चमकदार बनाने में कारगर होगी. इसके लिए सल्फर मुक्त उत्पाद का प्रयोग करना अच्छा रहता है. सेरामोसाइड्स या ओरल मॉइस्चराइज़र प्राकृतिक पौधा गेहूँ से उत्पन्न न्यूट्रास्युटिकल्स(पौष्टिक औषधीय पदार्थ) है, जो स्किन को हाइड्रेट करने में मदद करती है, जिसके परिणामस्वरूप स्किन की चमक प्रभावित नहीं होती. यह एक अद्भुत ओरल मॉइस्चराइज़र है, जो अंदर से पूरे शरीर के लिए काम करती है. सेंसिटिव स्किन वालों को विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेना चाहिए

मेकअप में करें कटौती

समर में कम से कम मेकअप का प्रयोग करना चाहिए, जिससे आसानी से आपका लुक नैचुरल दिखे. अधिक मेकअप से पोर्स खुल जाते है और फेस सुस्त दिखने लगता है. नमी और गर्मी की वजह से स्किन मे सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है. स्किन को नैचुरल रखने की कोशिश करें, जिससे स्किन अंदर से सुंदर और जीवंत दिखे. व्यस्त जीवनशैली में स्किन का ध्यान रखना बहुत मुश्किल होता है और व्यक्ति खुद की उपेक्षा, अनावश्यक तनाव आदि का शिकार हो जाता है, जिसका प्रभाव स्किन पर सबसे पहले पड़ता है. ग्लूटाथियोन जैसे न्यूट्रास्यूटिकल्स, पिगमेंटेशन और ब्लेमिशेज को स्किन से हटाकर खूबसूरत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. ग्लूटाथियोन हमारे शरीर में मेलेनिन के विकास को बढ़ने, जिससे स्किन को बहुत अधिक काला होने और काले धब्बे बनने से रोकता है. इसके अलावा ग्लूटाथियोन स्किन में अवशोषित अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा निर्मित विषाक्त पदार्थों और फ्री रेडिकल्स से छुटकारा पाने में मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप चमकदार और उज्ज्वल स्किन दिखाई पड़ती है.

करें सेवन विटामिन सी

विटामिन सी सबसे अधिक जरुरी एंटीऑक्सिडेंट है, जो स्किन को हमेशा मुलायम और चमकदार बनाती है. आंवला अर्क में प्राकृतिक रूप से विटामिन सी पाया जाता है. यह मेलेनिन पिगमेंट को कम कर, एंटी-एजिंग प्रोटीन के उत्पादन में वृद्धि और फ्री रेडिकल्स को बे असर कर कोलेजन को बढ़ावा देने में मदद करती है. इसके अलावा हर तरह के सिट्रस फल जिसमें नीबू, संतरा, तरबूज आदि में विटामिन सी पाया जाता है.

इसके आगे सुशांत कहते है कि स्किन को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह न केवल हमें सुंदर बनाती है, बल्कि खुद में आत्मविश्वास भी भर देती है. स्किन की सुंदरता और चमक के अलावा, न्यूट्रास्यूटिकल्स स्किन सम्बन्धी कई बिमारियों मसलन मुँहासे और फंगल संक्रमण को भी कम करती है. प्राकृतिक चीजों का प्रयोग जितना हो सकें, उतना करें और स्किन की ताजगी को बनाये रखें. स्किन की देखभाल के कुछ सुझाव निम्न है,

हमेशा नैचुरल इन्ग्रेडिएन्ट को देखकर अच्छी कंपनी की सनस्क्रीन 30-50 SPF और UVA & UVB लें, जो स्किन पर भारी किरणों को पड़ने से रोकती है,

गर्मी में टिंटेड मॉइस्चराइज़र, टिंटेड लिप बाम और ऑर्गेनिक सुरमा का इस्तेमाल कर अपनी खूबसूरती को बनाएं रखे,

लिक्विड पदार्थो का सेवन अधिक करें, ताकि स्किन, कोमल, मुलायम और कांतिमान रहे, पानी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है,

गर्मी के कारण स्किन पर सूखापन और धूल जम जाती है, इसलिए इस मौसम में माइल्ड क्लींजर से नियमित स्किन को क्लीन करना जरुरी है,

एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन लें, ताकि स्किन निखरी सी दिखे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें