Summer Recipes In Hindi : गर्मियों में रहना चाहते हैं कूल, तो जरूर ट्राई करें ये फूड्स

Summer Recipes In Hindi: गर्मियों का मौसम आ गया है और मौसम के साथ हमारे खानपान में भी बदलाव होने लगा है. इस मौसम में लोग ठंडी चीजें खाना पसंद करते हैं जिनकी तासीर ठंडी होती है. इस आर्टिकल में हम आपके लिए 8 विभिन्न प्रकार की  रेसेपीज लेकर आए हैं, जिन्हें आप इस मौसम में ट्राई कर सकते हैं.

1.  गर्मियों में लें फ्लेवर्ड लस्सी का आनंद, बस ट्राई करें ये रेसिपी

गर्मियों का मौसम प्रारम्भ हो चुका है अक्सर गर्मी के कारण मुंह और गला सूखता है और कुछ ठंडा पीने का मन करता है. गर्मी को दूर करने के लिए हम शर्बत, ज्यूस, पना, और अन्य शीतल पेय का सेवन करते हैं उन्हीं में से एक है लस्सी. अन्य पेय पदार्थों की अपेक्षा लस्सी स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है क्योंकि इसे दही से बनाया जाता है. दही में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन्स, लैक्टोज, आयरन, और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. दही एक प्रोबायोटिक फ़ूड है जो पाचन क्षमता को दुरुस्त रखता है.

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2.  बच्चों के लिए बनाएं हेल्दी तवा पिज़्ज़ा

बच्चों को हर समय कुछ न कुछ खाने को चाहिए होता है.  इसलिए उन्हें पूरे दिन भूख ही लगती रहती है. पिज्जा, नूडल्स, जैसे चायनीज व्यंजन बच्चों को बहुत पसंद होते हैं यही नहीं वे इनका नाम सुनते ही बल्लियों उछलने लगते हैं. बाजार से मंगवाने पर एक तो यह महंगा पड़ता है दूसरे स्वास्थवर्धक भी नहीं होता तो क्यों न इसे घर पर ही बनाया जाए ताकि ये हैल्दी बने और बच्चे जी भर के खा सकें. आज हम इसे गेहूं के आटे से बनाएंगे आप इसमें वे सभी सब्जियां डाल सकतीं हैं जिन्हें आप अपने बच्चों को खिलाना चाहतीं हैं.

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3. अपनों के लिए बनाएं जूस, स्मूदी और शेक

 

गर्मी हो या सर्दी हम जूस स्मूदी और शेक के बारे में पूरे वर्ष भर ही सुनते रहते हैं. प्रत्येक कैफे, रेस्टोरेंट या आइसक्रीम पार्लर सभी के मेन्यू कार्ड में हमें इन तीनों के नाम देखने को मिलते हैं. ये सभी बहुत सेहतमंद होते हैं क्योंकि ये हमारे शरीर को मिनरल्स, विटामिन्स, एंजाइम्स और एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करने के साथ एनर्जी लेवल को बढ़ाते हैं

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4.गर्मियों में घर पर बनी ठंडी-ठंडी कुल्फ़ी का ले स्वाद

तपती गर्मी में कुल्फ़ी आइसक्रीम जैसी ठंडी ठंडी खाद्य वस्तुएं ही ठंडक देतीं हैं. इसीलिए इन दिनों हर जगह कुल्फ़ी, आइसक्रीम और बर्फ के गोले के ठेले नजर आते हैं. कुल्फ़ी को दूध के द्वारा इसके मोल्ड्स में जमाया जाता है आइसक्रीम की अपेक्षा दूध से बनी कुल्फ़ी आमतौर पर बच्चों और बड़े सभी को बेहद पसन्द होती है. आजकल बाजार में भांति भांति की कुल्फ़ी मौजूद है परन्तु बाजार की अपेक्षा घर पर कुल्फ़ी बनाना सस्ता तो पड़ता ही है साथ ही बहुत हाइजीनिक भी रहता है जिससे आप आराम से कितनी भी कुल्फ़ी खाने का लुत्फ उठा सकते हैं

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5. घर पर इन आसान टिप्स से बनाएं आम पापड़ 

लोगों को इमली, आम पापड़ जैसी चीजें अच्छी लगती हैं, लेकिन मार्केट से खरीदने में उतनी ही डर रहता है कि कहीं तबियत पर इससे कोई फर्क तो नही पड़ेगा. मार्केट से आप पापड़ खरीदते हैं और आपको ये बहुत पसंद है तो आज हम आपको घर पर आपका मनपसंद आम पापड़ बनाने की रेसिपी बताएंगे.

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6.घर पर बनाएं ठंडे-ठंडे पान, खस और जामुन के शॉट्स

चिलचिलाती गर्मी में ठंडे पेय मन को बहुत राहत देते हैं. गर्मी में शरीर से निकलने वाले पसीने की कमी को पूरा करने के लिए भी आहार विशेषज्ञ अधिक से अधिक पेय पीने की सलाह देते हैं. बाजार में मिलने वाले पेय पदार्थ न तो स्वास्थ्यप्रद होते हैं और न ही हाईजिनिक. इसके अतिरिक्त बाजार से हर रोज खरीदना बजट फ्रेंडली भी नहीं होता तो क्यों न घर पर ही कुछ आसान से ड्रिंक तैयार कर लिए जायें जो बजट फ्रेंडली भी हैं और हाईजिनिक भी. मैंने इन्हें सर्व करने के लिए शॉट (छोटे ग्लास ) का प्रयोग किया है आप किसी भी प्रकार के ग्लास का प्रयोग कर सकतीं हैं

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7.गर्मी में बनाएं बादाम रोल कट कुल्फी

गर्मियों के मौसम में ठंडी ठंडी चीजें ही खाने का मन करता है. वास्तव में गर्मियों को तो कुल्फी, आइसक्रीम, ड्रिंक्स और शर्बत के लिए ही जाना जाता है. बाजार में मिलने वाली कुल्फी एक तो बहुत महंगी होती है दूसरे उतनी हाइजीनिक भी नहीं होती. घर में बनाने पर यह काफी सस्ती पड़ती है. घर में हम मनचाहे फ्लेवर में जमाकर रख सकते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही आइसक्रीम बनाना बता रहे हैं जिसे आप बहुत आसानी से घर की चीजों से ही बना सकती हैं तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है

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8.समर ड्रिंक -टेस्ट और एनर्जी से भरपूर, बच्चों को करेंगे गर्मी से दूर

क्या आपके बच्चों की गर्मी की छुट्टी चल रही है और आप उनके हाइड्रेशन के लिए परेशान हैं?बिल्कुल भी चिंता न करें, हमारे पास आपके लिए बिल्कुल सही समाधान है. इन गर्मियों की छुट्टियों के दौरान क्यों न अपने बच्चों को ताज़ा पेय पदार्थों से खुश करें जो उन्हें हाइड्रेटेड तो रखेंगे ही साथ ही उन्हें स्वस्थ भी बनाएंगे.

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आंखों में झाई समझकर, ना करें नजरअंदाज

अधिकतर लोग सिर्फ आंखों के आस पास होने वाली झाई के बारे में जानते हैं लेकिन आंखों के अंदर भी झाई की समस्या हो सकती इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं.

आंखों के अंदर होने वाली झाई को आई फ्रेकल्स(आंखों के धब्बे) कहते हैं. वैसे इस से आंखों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती. लेकिन इसकी जाँच होना बेहद जरूरी है क्योंकि कई बार जिन धब्बो को हम झाई समझकर नजरअंदाज़ कर देते हैं असल में वह समस्या कैंसर का रूप लें लेती है जिसे मेलेनोमा कहा जाता है. इसलिए धब्बे पुराने हो या नए, उनकी जांच जरूर करवानी चाहिए.

कारण जाने

आई फ्रैकल्स होने के कई कारण हो सकते हैं. आई फ्रैकल जन्मजात भी हो सकते हैं या जन्म के बाद भी. आईरिस में काले हिस्से का बढ़ना, आंखों के अंदर प्यूलिप में बदलाव होना, विजन में कमी आना भी इसके कारण हैं वहीं सूरज की तेज किरणों से भी यह समस्या हो सकती हैं इसका एक कारण मेलानोसाइट्स भी हैं जिस तरह आपकी त्वचा पर मेलानोसाइट्स के कारण झाई होने लगती हैं उसी तरह आँख के भीतर भी हो सकती हैं.

लक्षण पहचाने

ज्यादातर मेलेनोमा को शुरुवात में डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि यह आंख के अंदर के उस हिस्से में विकसित होते हैं जिन्हें व्यक्ति देख नहीं सकता। यदि मेलेनोमा स्माल है तो आँख को कोई परेशानी नहीं होती लेकिन यदि यह बढ़ जाए तो आँखों की रौशनी कम हो सकती है। इसलिए यदि मेलेनोमा की समस्या है तो समय रहते आई स्पेशलिस्ट से सपंर्क करें।

 

बचाव की जरूरत

जिन लोगो की आँखों का रंग ब्लू या ग्रीन होता हैं उनमें मेलेनोमा कैंसर का खतरा अधिक होता है।,उम्र बढ़ने के साथ साथ मेलेनोमा की समस्या भी बढ़ सकती है,श्वेत लोगों में भी इसका खतरा अधिक होता है।

गैजेट्स के इस्तेमाल से हेल्थ को नुकसान पहुंच रहा है, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं और मेरे पति दोनों सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं. गैजेट्स हमारे जीवन के अभिन्न हिस्सा बन गए हैं. जानना चाहता हूं कि क्या गैजेट्स के अधिक इस्तेमाल से स्पाइन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं?

जवाब-

गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल आजकल स्पाइन से संबंधित समस्याओं का सब से प्रमुख कारण बन कर उभर रहा है. इन के इस्तेमाल के दौरान सही पोस्चर न रखना इस खतरे को और बढ़ा देता है क्योंकि इस से मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है. गैजेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें. इन पर काम करते समय अपना पोस्चर ठीक रखें. हर 2 घंटे के बाद एक ब्रेक लें. कुछ मिनट औफिस या घर में इधरउधर चहलकदमी कर लें, थोड़ी सी स्ट्रैचिंग कर लें. इस से आप की मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिलेगा. सप्ताह में 1 बार डिजिटल डिटौक्स जरूर करें. इस दौरान गैजेट्स का इस्तेमाल बिलकुल न करें.

सवाल-

मुझे स्लिप डिस्क है. डाक्टर ने सर्जरी कराने की सलाह दी है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या नौनसर्जिकल उपायों से इसे ठीक नहीं किया जा सकता है?

जवाब-

वैसे तो स्लिप डिस्क के 90% मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है, केवल 10% मामले जो गंभीर होते हैं उन्हीं में सर्जरी कराना जरूरी होता है. अगर डाक्टर ने आप को सर्जरी की सलाह दी है तो इस का मतलब है कि आप की समस्या गंभीर है. आप सर्जरी कराने को ले कर असमंजस की स्थिति में हैं तो एक और डाक्टर की राय भी ले लें. स्लिप डिस्क का उपचार इस पर निर्भर होता है कि समस्या किस स्तर पर है और डिस्क में कितनी खराबी आ गई है. सर्जरी से पहले दवाइयों और फिजियोथेरैपी से इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है.

सवाल-

मुझे स्पांडिलाइटिस है, लेकिन समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या कुछ घरेलु उपाय हैं जिन से आराम मिल सकता है?

जवाब-

अगर स्पौंडिलाइटिस की समस्या मामूली है तो घरेलू उपायों से आराम मिल सकता है. इस के लिए हीट और कोल्ड थेरैपी बहुत कारगर है. इस से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द और कड़ापन दूर होता है. जहां भी आप को दर्द हो रहा हो हीटिंग पैड्स लगाएं. आप हौट शावर भी ले सकती हैं. सूजन को कम करने के लिए सूजे हुए स्थान पर बर्फ लगाएं. इस से सूजन भी कम होगी और दर्द से भी आराम मिलेगा. इस के अलावा सूजन, दर्द और कड़ापन कम करने के लिए नौनस्टेरौयड ऐंटीइनफ्लैमेटरी ड्रग्स भी ली जा सकती हैं. फिजिकल थेरैपी भी इस के उपचार का एक महत्त्वपूर्ण भाग है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Summer Special: बच्चों के लिए बनाए आम की ठंडी-ठंडी आइसक्रीम

गर्मियों में फलों के राजा आम से बनाएं मैंगो आइसक्रीम. मैंगो आइसक्रीम बनाने के लिए पढ़ें ये पूरी रेसिपी.

सामग्री

2 आम (500 ग्राम)

दूध 1/2 लीटर

1 कप क्रीम (200 ग्राम)

1/2 कप चीनी (100 ग्राम)

2 टेबल स्पून कॉर्न फ्लोर

विधि

सबसे पहले दूध को किसी भारी तले के बर्तन में डाल कर गरम करें. 1/4 कप दूध ठंडा ही प्याले में बचा लीजिये. दूध में उबाल आता है तब तक हम आम काट कर तैयार कर लीजिये. आम धो कर छीलिये. सारा पल्प निकाल लीजिये. दो फांके अलग कर आम के छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये. बचे हुए आम की फांके और चीनी को पीस कर प्यूरी बना लीजिये.

ठंडे दूध में कॉर्न फ्लोर डालकर चिकना घोल बना लीजिये. दूध में उबाल आने के बाद कॉर्न फ्लोर घुला दूध उबलते हुये दूध में मिलाइये. दूध को लगातार चलाते हुये 5-6 मिनिट तक पकाइये. अब आइसक्रीम के लिये दूध तैयार है. दूध को ठंडा कीजिये.

आम की प्यूरी और क्रीम को मिला कर फैट लीजिये. कॉर्न फ्लोर मिक्स ठंडा दूध भी प्यूरी में डालिये. एक बार अच्छी तरह फैट लीजिये आम के छोटे टुकड़े भी मिश्रण में मिक्स कर दीजिये. मिश्रण को किसी एयरटाइट कन्टेनर में डालिये और आम के छोटे टुकड़े भी मिश्रण में मिला दीजिये. कन्टेनर का ढक्कन लगाकर 4 से 8 घंटे के लिये फ्रीजर में रख दीजिये. ध्यान रखिये कि कन्टेनर एयरटाइट ही हो.

आम की आइसक्रीम जमकर तैयार है. खाने से 5 मिनट पहले आइसक्रीम कन्टेनर को फ्रीजर से निकाल कर बाहर रख लीजिये. ठंडी ठंडी आम की आइसक्रीम परोसिये और खाइये.

झारखंड में हैं घूमने की कई खास जगहें, गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जरूर करें यात्रा

झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है. घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और संस्कृति के धनी इस राज्य में सैलानियों के लिए देखने को बहुत कुछ है.

रांची

झारखंड की राजधानी रांची समुद्र तल से 2064 फुट की ऊंचाई पर बसा है. यह चारों तरफ से जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. इस के आसपास गुंबद के आकार के कई पहाड़ हैं जो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस जिले में हिंदी, नागपुरी, भोजपुरी, मगही, खोरठा, मैथिली, बंगला, मुंडारी, उरांव, पंचपरगनिया, कुडुख और अंगरेजी बोलने वाले आसानी से मिल जाते हैं. यहां के कई जलप्रपात और गार्डन पर्यटकों को रांची की ओर बरबस खींचते रहे हैं.

हुंडरू फौल :

रांची शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस फौल की खासीयत यह है कि इस में नदी का पानी 320 फुट की ऊंचाई से गिर कर मनोहारी दृश्य पेश करता है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर अनगड़ा के पास स्थित इस फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर (छोटी गाड़ी जिस में 10-12 लोग बैठ सकते हैं) के जरिए पहुंचा जा सकता है.

जोन्हा फौल (गौतम धारा) :

यहां राढ़ू नदी 140 फुट ऊंचे पहाड़ से गिर कर फौल बनाती है. इस की खूबी यह है कि फौल और धारा के निकट पहुंचने के लिए 489 सीढि़यां बनी हुई हैं. सीढि़यों पर चढ़ते और उतरते समय सावधानी रखने की जरूरत होती है क्योंकि पानी से भीगे रहने की वजह से सीढि़यों
पर फिसलन होती है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर स्थित यह फौल रांची शहर से 49 किलोमीटर दूर है और यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है.

दशम फौल :

शहर से 46 किलोमीटर दूर स्थित यह फौल कांची नदी की कलकल करती धाराओं से बना है. यहां पर कांची नदी 144 फुट ऊंची पहाड़ी से गिर कर दिलकश नजारा प्रस्तुत करती है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस फौल के पानी में कभी भी उतरने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि पानी के नीचे खतरनाक नुकीली चट्टानें हैं. फौल के पास के पत्थर भी काफी चिकने हैं, इसलिए उन पर खास ध्यान दे कर चलने की जरूरत है. फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस या फिर यहां चलने वाली छोटी गाडि़यों के जरिए पहुंचा जा सकता है.

हिरणी फौल :

यह फौल रांचीचाईबासा मार्ग पर है और रांची से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है. 120 फुट ऊंचे पहाड़ से गिरते पानी का संगीत पर्यटकों के दिलों के तारों को झंकृत कर देता है.

सीता फौल :

यहां 280 फुट की ऊंचाई से गिरते पानी को देखने और कैमरे में कैद करने का अलग ही मजा है. यह फौल शहर से 44 किलोमीटर दूर रांचीपुरुलिया रोड पर स्थित है. यहां कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंच सकते हैं. फौल के पानी में ज्यादा दूर तक जाना खतरे को न्यौता देना हो सकता है.

पंचघाघ :

यहां पर एकसाथ और एक कतार में पहाड़ों से गिरते 5 फौल प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा नजारा पेश करते हैं. रांची से 40 किलोमीटर और खूंटी से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस फौल के पास हराभरा घना जंगल और बालू से भरा तट है जो पर्यटकों को दोहरा आनंद देता है. इस फौल तक पहुंचने के लिए कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर आदि का सहारा लिया जा सकता है.

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान :

यह उद्यान रांची से 16 किलोमीटर पूर्व में रांचीपटना मार्ग पर ओरमांझी के पास स्थित है. इस से 8 किलोमीटर की दूरी पर मूटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र भी है.

रौक गार्डन :

कांके के रौक गार्डन में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाया जा सकता है. गार्डन का भूतबंगला बच्चों के बीच खूब लोकप्रिय है. यहां से कांके डैम का भी नजारा लिया जा सकता है.

टैगोर हिल :

शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोराबादी हिल, टैगोर हिल के नाम से मशहूर है. यह कवि रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी हुई है. रवींद्रनाथ को भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता काफी लुभाती थी. सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा लेने के लिए पर्यटक यहां घंटों बिताते हैं.
इस के अलावा बिरसा मृग विहार, नक्षत्र वन, कांके डैम, सिद्धूकान्हू पार्क, रांची झील, रातूगढ़ आदि भी रांची के मशहूर पर्यटन स्थल हैं.

एअरपोर्ट : रांची एअरपोर्ट.

रेलवे स्टेशन : रांची रेलवे स्टेशन.

बस अड्डा : रांची बस अड्डा (रेलवे स्टेशन के पास).

कहां ठहरें : मेन रोड पर कई होटल 500 से ले कर 3 हजार रुपए किराए पर मौजूद हैं.

जमशेदपुर

टाटा स्टील की नगरी जमशेदपुर या टाटा नगर पूरी तरह से इंडस्ट्रियल टाउन है, पर यहां के कई पार्क, अभयारण्य और लेक पर्यटकों को अपनी ओर खींचते रहे हैं.

जुबली पार्क :

238 एकड़ में फैले जुबली पार्क को टाटा स्टील के 50वें सालगिरह के मौके पर बनाया गया था. साल 1958 में बने इस पार्क को मशहूर वृंदावन पार्क की तरह डैवलप किया गया है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह है कि इस में गुलाब के 1 हजार से ज्यादा किस्मों के पौधे लगाए गए हैं, जो पार्क को दिलकश बनाने के साथसाथ खुशबुओं से सराबोर रखते हैं. इस में चिल्डे्रन पार्क और झूला पार्क भी बनाया गया है. झूला पार्क में तरहतरह के झूलों का आनंद लिया जा सकता है. रात में रंगबिरंगे पानी के फौआरे जुबली पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.

दलमा वन्य अभयारण्य :

दलमा वन्य अभयारण्य जमशेदपुर का खास प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य 193 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस में जंगली जानवरों को काफी नजदीक से देखने का खास इंतजाम किया गया है. हाथी, तेंदुआ, बाघ, हिरन से भरे इस अभयारण्य में दुर्लभ वन संपदा भरी पड़ी है. यह हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां से ले कर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की बेल पहाड़ी तक इस का दायरा फैला हुआ है.

डिमना लेक :

जमशेदपुर शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डिमना लेक के शांत और प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लिया जा सकता है. दलमा पहाड़ी की तलहटी में बसी इस लेक को देखने के लिए सब से ज्यादा पर्यटक दिसंबर और जनवरी के महीने में आते हैं.  इस के अलावा हुडको झील, दोराबजी टाटा पार्क, भाटिया पार्क, जेआरडी कौंप्लैक्स, कीनन स्टेडियम, चांडिल डैम आदि भी जमशेदपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

नजदीकी एअरपोर्ट : टाटा एअरपोर्ट.

रेलवे स्टेशन : टाटानगर रेलवे स्टेशन.

हजारीबाग

झारखंड के सब से खूबसूरत शहर हजारीबाग को ‘हजार बागों का शहर’ कहा जाता है. कहा जाता है कि कभी यहां 1 हजार बाग हुआ करते थे. झीलों और पहाडि़यों से घिरा यह खूबसूरत शहर समुद्र तल से 2019 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. रांची से 91 किलोमीटर की दूरी पर हजारीबाग नैशनल हाईवे-33 पर बसा हुआ है.

बेतला नैशनल पार्क :

साल 1976 में बना यह नैशनल पार्क 183.89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस नैशनल पार्क में जंगली सूअर, बाघ, तेंदुआ, भालू, चीतल, सांभर, कक्कड़, नीलगाय आदि जानवर भरे पड़े हैं. पार्क में घूमने और जंगली जानवरों को नजदीक से देखने के लिए वाच टावर और गाडि़यों की व्यवस्था है. हजारीबाग शहर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पार्क की रांची शहर से दूरी 135 किलोमीटर है.

कनेरी हिल :

यह वाच टावर हजारीबाग का मुख्य आकर्षण है. शहर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित कनेरी हिल से हजारीबाग का विहंगम नजारा लिया जा सकता है. सूर्यास्त और सूर्योदय के समय पर्यटक इस जगह से शहर की खूबसूरती को देखने आते हैं. इस वाच टावर के ऊपर पहुंचने के लिए 600 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं.
इस के अलावा रजरप्पा, सूरजकुंड, हजारीबाग सैंट्रल जेल, हजारीबाग लेक आदि कई दर्शनीय स्थल भी हैं.

नजदीकी एअरपोर्ट : रांची एअरपोर्ट (91 किलोमीटर).

रेलवे स्टेशन : कोडरमा रेलवे स्टेशन (56 किलोमीटर).

बस अड्डा : हजारीबाग बस अड्डा.

नेतरहाट :

छोटा नागपुर की रानी के नाम से मशहूर नेतरहाट से सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है. 6.4 किलोमीटर लंबे और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई में फैले नेतरहाट पठार में क्रिस्टलीय चट्टानें हैं. समुद्र तल से 3514 फुट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट के पठार रांची शहर से 160 किलोमीटर की दूरी पर हैं. झारखंड के लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट में घाघर और छोटा घाघरी फौल भी पर्यटकों को लुभाते हैं.

नजदीकी एअरपोर्ट : रांची एअरपोर्ट.

नजदीकी रेलवे स्टेशन : रांची रेलवे स्टेशन

एक रिश्ता ऐसा भी: क्या हुआ था मिस मृणालिनी ठाकुर के साथ

यों यह था तो शहर का एक बौयज कालेज अर्थात लड़कों का कालेज, लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षकों में आधे से अधिक संख्या महिलाओं की थी. लेडीज क्या थीं रंगबिरंगी, एक से बढ़ कर एक नहले पे दहला वाला मामला था. इन रंगों में मिस मृणालिनी ठाकुर का रंग बड़ा चोखा था.

लंबे कद, छरहरे बदन और पारसी स्टाइल में रंगबिरंगी साडि़यां पहनने वाली मिस मृणालिनी ठाकुर सब से योग्य टीचरों में गिनी जाती थीं. अपने विषय पर उन्हें महारत हासिल था. फिर रुआब ऐसा कि लड़के पुरुष टीचर्स का पीरियड बंक कर सकते थे, मगर मिस मृणालिनी ठाकुर के पीरियड में उपस्थिति अनिवार्य थी.

लड़का मिस मृणालिनी का शागिर्द हो और कालेज में होते हुए उन का पीरियड मिस करे, ऐसा बहुत कम ही होता था, इस लिहाज से मिस मृणालिनी ठाकुर भाग्यशाली कही जा सकती थीं कि लड़के उन से डरते ही नहीं थे, बल्कि उन का सम्मान भी करते थे.

इस तरह के भाग्यशाली होने में कुछ अपने विषय पर महारत हासिल होने का हाथ था तो कुछ मिस मृणालिनी ठाकुर की मनुष्य के मनोविज्ञान की समझ भी थी. वह अपने स्टूडेंट्स को केवल पढ़ा देना और कोर्स पूरा कराने को ही अपनी ड्यूटी नहीं समझती थीं, बल्कि वह उन के बहुत नजदीक रहने को भी अपनी ड्यूटी का एक महत्त्वपूर्ण अंग समझती थीं.

हालांकि उन के साथियों को उन का यह व्यवहार काफी हद तक मजाकिया लगता था. मिसेज अरुण तो हंसा करती थीं, उन का कहना था, ‘‘मिस मृणालिनी ठाकुर लेक्चरर के बजाय प्राइमरी स्कूल की टीचर लगती हैं.’’

मगर मिस मृणालिनी ठाकुर को इस की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि उन के व्यवहार के बारे में लोगों की क्या राय है, उन का कहना था कि जो बच्चे हम से शिक्षा लेने आते हैं हम उन के लिए पूरी तरह उत्तरदायी हैं, इसलिए हमें अपना कर्तव्य नेकनीयती और ईमानदारी से पूरा करना चाहिए.

मिस मृणालिनी ठाकुर के साथियों की सोचों से अलग स्टूडेंट्स की अधिकतर संख्या उन के जैसी थी. उन्हें सच में किसी प्राइमरी स्कूल के टीचर की तरह मालूम होता था कि लड़के का पिता क्या करता है, कौन फीस माफी का अधिकारी है? कौन पढ़ाई के साथ पार्टटाइम जौब करता है? आदि आदि.

पता नहीं यह स्टूडेंट्स से नजदीकी का परिणाम था या किसी अपराध की सजा कि एक सुबह कालेज आने वालों ने लोहे के मुख्य दरवाजे के एक बोर्ड पर चाक से बड़े अक्षरों में लिखा देखा—आई लव मिस मृणालिनी ठाकुर.

इस एक वाक्य को 3 बार कौपी करने के बाद लिखने वाले ने अपना व क्लास का नाम बड़ी ढिठाई से लिखा था: शशि कुमार सिंह, प्रथम वर्ष, विज्ञान सैक्शन बी.

किसी नारे की सूरत में लिखा यह वाक्य औरों की तरह मिस मृणालिनी ठाकुर को अपनी ओर आकर्षित किए बिना न रह सका. क्षण भर को तो वह सन्न रह गईं.

उन्होंने चोर निगाहों से इधरउधर देखा. शायद कोई न होता तो वह अपनी सिल्क की साड़ी के पल्लू से वाक्य को मिटा देतीं. मगर स्टूडेंट ग्रुप पर ग्रुप की शक्ल में आ रहे थे, बेतहाशा धड़कते दिल को संभालती मिस मृणालिनी ठाकुर स्टाफरूम तक पहुंचीं और अंदर दाखिल होने के बाद अपना सिर थामती हुई कुरसी पर गिर गई.

‘‘यकीनन आप देखती हुई आई हैं,’’ मिसेज जयराज की आवाज मिस मृणालिनी ठाकुर को कहीं दूर से आती मालूम हुई. उन्होंने सिर उठा कर मिसेज जयराज की ओर देखा और कंपकंपाती आवाज में बोलीं, ‘‘आप ने भी देखा?’’

‘‘भई हम ने क्या बहुतों ने देखा और देखते आ रहे हैं. दरअसल लिखने वाले ने लिखा ही इसलिए है कि लोग देखें.’’

‘‘मिसेज जयराज, प्लीज इसे किसी तरह…’’ मिस मृणालिनी ठाकुर गिड़गिड़ाईं.
तभी मिसेज आशीष और मिस रचना मिस मृणालिनी ठाकुर को विचित्र नजरों से देखती हुई स्टाफरूम में दाखिल हुईं.

कुछ ही देर के बाद रामलाल चपरासी झाड़न संभाले अपनी ड्यूटी निभाने आया तो मिस मृणालिनी ठाकुर फौरन उस की ओर लपकीं और कानाफूसी वाले लहजे में बोलीं, ‘‘रामलाल यह झाड़न ले कर जाओ और चाक से मेनगेट पर जो कुछ लिखा है मिटा आओ.’’

‘‘हैं जी,’’ रामलाल ने बेवकूफों की तरह उन का चेहरा तकते हुए कहा.
‘‘जाओ, जो काम मैं ने कहा वो फौरन कर के आओ,’’ मिस मृणालिनी ठाकुर की आवाज फंसीफंसी लग रही थी.

‘‘घबराइए मत मिस ठाकुर, यह बात तो लड़कों में आप की पसंदीदगी की दलील है.’’ मिस चेरियान के लहजे में व्यंग्य साफ तौर पर झलक रहा था.

‘‘अब तो यूं ही होगा भई, लड़के तो आप के दीवाने हैं,’’ मिस तरन्नुम का लहजा दोधारी तलवार की तरह काट रहा था.
मिस शमा अपना गाउन संभाले मुसकराती हुई अंदर दाखिल हुईं और मिस मृणालिनी के नजदीक आ कर राजदारी से बोलीं, ‘‘मिस मृणालिनी ठाकुर गेट पर…’’

मिस मृणालिनी ठाकुर को अत्यंत भयभीत पा कर मिसेज जयराज ने उन के करीब आ कर उन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं मृणालिनी, टीचर और स्टूडेंट में तो आप के कथनानुसार एक आत्मीय संबंध होता है.’’

फिर उन्होंने मिस तरन्नुम की ओर देख कर आंख दबाई और बोलीं, ‘‘कुछ स्टूडेंट इजहार के मामले में बड़े फ्रैंक होते हैं और होना भी चाहिए. क्यों मृणालिनी, आप का यही विचार है न कि हमें स्टूडेंट्स को अपनी बात कहने की आजादी देनी चाहिए.’’

मिसेज जयराज की इस बात पर मिस मृणालिनी का चेहरा क्रोध से दहकने लगा.
‘‘शशि सिंह वही है न बी सैक्शन वाला. लंबा सा लड़का जो अकसर जींस पहने आता है.’’ मिस रौशन ने पूछताछ की.

मिसेज गोयल ने उन के विचार को सही बताते हुए हामी भरी.
‘‘वह तो बहुत प्यारा लड़का है.’’ मिसेज गुप्ता बोलीं.

‘‘बड़ा जीनियस है, ऐसेऐसे सवाल करता है कि आदमी चकरा कर रह जाए,’’ मिसेज कपाडि़या जो फिजिक्स पढ़ाती थीं बोलीं.

मिसेज जयराज ने मृणालिनी को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मृणालिनी आप तो अपने स्टूडेंट्स को उन लोगों से भी अच्छी तरह जानती होंगी, आप की क्या राय है उस के बारे में?’’

‘‘वह वाकई अच्छा लड़का है, मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी ने उस के नाम की आड़ में शरारत की है.’’
‘‘हां ऐसा संभव है.’’ मिसेज गुप्ता ने उन की बात का समर्थन किया.

‘‘सिर्फ संभव ही नहीं, यकीनन यही बात है क्योंकि लिखने वाला इस तरह ढिठाई से अपना नाम हरगिज नहीं लिख सकता था,’’ मिसेज जयराज ने फिर अपनी चोंच खोली.यह बात मिस मृणालिनी को भी सही लगी.

शशि सिंह के बारे में मिस मृणालिनी ठाकुर की राय बहुत अच्छी थी. हालांकि सेशन शुरू हुए 3 महीने ही गुजरे थे, लेकिन इस दौरान जिस बाकायदगी और तन्मयता से उस ने क्लासेज अटेंड की थीं वह शशि सिंह को मिस मृणालिनी के पसंदीदा स्टूडेंट्स में शामिल कराने के लिए काफी थीं. ‘

लेक्चर वह अत्यंत तन्मयता से सुनता और लेक्चर के मध्य ऐसे ऐसे प्रश्न करता, जिन की उम्मीद एक तेज स्टूडेंट से ही की जा सकती थी.

मिस मृणालिनी लेक्चर देना ही काफी नहीं समझती थीं बल्कि असाइनमेंट देना और उसे चैक करना भी जरूरी समझती थीं. शशि सिंह कई बार अपना काम चैक कराने मिस मृणालिनी और मिस्टर अंशुमन के कौमन रूम में आया था. वह जब भी आता, बड़े सलीके और सभ्यता के साथ. इस आनेजाने के बीच मिस मृणालिनी ने उस के बारे में यह मालूमात हासिल की थी कि उस के मातापिता दक्षिण अफ्रीका में थे, वह यहां अपनी नानी के पास रहा करता था.

शशि जैसे सभ्य स्टूडेंट से मिस मृणालिनी को इस किस्म की छिछोरी हरकत की उम्मीद भी नहीं थी. उन्हें यकीन था कि यह हरकत किसी और की थी मगर उस ने शरारतन या रंजिशन शशि सिंह का नाम लिख दिया था.

बहरहाल, रामलाल ने कोई 15 मिनट बाद आ कर यह समाचार सुनाया कि मेनगेट पर से एकएक शब्द मिटा आया है. मगर यह बताते हुए उस के चेहरे पर अजीब सी मुसकराहट थी. मिस मृणालिनी ने अपने हैंड बैग में रखा छोटा सा पर्स निकाल कर 20 रुपए का नोट रामलाल की ओर बढ़ा दिया.मगर बात तो फैल चुकी थी, न सिर्फ टीचरों, बल्कि स्टूडेंट्स के बीच भी तरहतरह की बातें हो रही थीं.

घंटी बज गई. लड़के अपनीअपनी क्लासों में चले गए. मृणालिनी भी पीरियड लेने चली गईं. मजे की बात यह हुई कि उन का पहला पीरियड फर्स्ट ईयर साइंस बी सैक्शन में ही था. मिस मृणालिनी पहली बार क्लास में जाते हुए झिझक रही थीं, उन के कदम लड़खड़ा रहे थे. लेकिन जाना तो था ही, सो गईं और लेक्चर दिया.

लेक्चर के दौरान उन की निगाह शशि सिंह पर भी पड़ी, वह रोज की तरह तन्मयता से सुन रहा था. मिस मृणालिनी लेक्चर देती रहीं, लेकिन आंखें रोज की तरह लड़कों के चेहरों पर पड़ने के बजाए झुकीझुकी थीं. पहली बार मिस मृणालिनी को क्लास के चेहरों पर दबीदबी मुसकराहटें दिखीं.

जैसेतैसे पीरियड समाप्त हुआ तो मृणालिनी ठाकुर कमरे की ओर चल दीं. वह कमरे में पहुंची तो मिस्टर अंशुमन पहले ही मौजूद थे. मिस मृणालिनी ने रोज की तरह उन का अभिवादन किया और अपनी सीट पर बैठ गईं.

जरा देर बाद मिस्टर अंशुमन खंखारे और चंद क्षणों की देरी के बाद उन की आवाज मिस मृणालिनी के कानों से टकराई.

‘‘शशि सिंह से पूछा आप ने?’’

ओह तो इन्हें भी पता चल गया. मिस मृणालिनी ने आंखों के कोने से मिस्टर अंशुमन की ओर देखते हुए सोचा और पहलू बदल कर बोलीं, ‘‘जी नहीं.’’
‘‘क्यों?’’

‘‘मेरा विचार है यह किसी और की शरारत है, शशि सिंह बहुत अच्छा लड़का है.’’
‘‘आप ने पूछा तो होता, आप के विचार के अनुसार अगर उस ने नहीं लिखा तो संभव है उस से कोई सुराग मिल सके.’’

मिस्टर अंशुमन ने घंटी बजा कर चपरासी को बुलाया.
कुछ देर बाद शशि सिंह नीची निगाहें किए फाइल हाथ में लिए अंदर दाखिल हुआ. मिस्टर अंशुमन कड़क कर बोले, ‘‘क्या तुम बता सकते हो गेट पर किस ने लिखा था?’’

‘‘यस सर.’’ बिना देरी किए जवाब आया.
मृणालिनी ठाकुर ने घबरा कर और चौंक कर शशि की ओर देखा.
‘‘किस ने लिखा था?’’ अंशुमन सर की रौबदार आवाज गूंजी.
‘‘मैं ने..’’ शशि ने कहा.

मिस मृणालिनी चौंकी. उन्होंने देखा शशि अपराध की स्वीकारोक्ति के बाद बड़े इत्मीनान से खड़ा था.
अंशुमन सर ने मृणालिनी की ओर देखा, मानो उन की आंखें कह रही थीं, ‘मिस मृणालिनी आप का तो विचार था…’मृणालिनी ने नजरें झुका लीं.

‘‘मैं मेनगेट की बात कर रहा हूं, वहां मिस मृणालिनी के बारे में तुम ने ही लिखा था?’’ अंशुमन सर ने साफतौर पर पूछा ‘‘यस सर.’’ बड़े इत्मीनान से जवाब दिया गया.

‘‘यू इडियट… तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई?’’

अंशुमन दहाड़े, वह कुरसी से उठे और शशि के गोरेगोरे गाल ताबड़तोड़ चांटों से सुर्ख कर दिए. शशि सिर झुकाए किसी प्राइमरी कक्षा के बच्चे की तरह खड़ा पिटता रहा.

अंशुमन सर जिन का गुस्सा कालेज भर में मशहूर था, जिस कदर हंगामा कर सकते थे, उन्होंने किया. उस के 2 कारण हो सकते थे. पहला तो खुद मृणालिनी में उन की दिलचस्पी और आकर्षण और दूसरा स्टूडेंट्स और साथियों से यह कहलवाने का शौक कि अंशुमन सर बहुत सख्त इंसान हैं.

शोर सुन कर अंशुमन सर के कमरे के दरवाजे पर भीड़ सी इकट्ठी हो गई. मगर अंशुमन सर ने बाहर निकल कर घुड़की लगाई तो ज्यादातर रफूचक्कर हो गए. मगर चंद दादा किस्म के लड़के शशि की हिमायत में सीना तान कर आ गए.

मिस मृणालिनी बेहोश होने को थीं मगर इस से पहले उन्होंने भयानक नजरों से शशि की ओर देखा और पूरी ताकत से चिल्लाईं, ‘‘गेट आउट फ्राम हियर.’’
वह चुपचाप निकल गया. और फिर कभी कालेज नहीं आया.

फिर भी मिस मृणालिनी को उस का खयाल कई बार आया. इस घटना का फौरी और स्थाई परिणाम यह हुआ कि मिस मृणालिनी और उन के स्टूडेंट्स के बीच एक सीमा रेखा खिंच गई.

12 साल गुजर गए. उस घटना को समय की दीमक आहिस्ताआहिस्ता चाट गई. अंशुमन सर ने मिस मृणालिनी की ओर से मायूस हो कर शादी कर ली और कनाडा चले गए. कालेज में कई परिवर्तन आए, मिस मृणालिनी ठाकुर अपनी योग्यता और अनथक परिश्रम के सहारे वाइस प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त हो गईं.

12 साल पहले की 28 वर्षीय मिस मृणालिनी एक अधेड़ सम्मानीय औरत की शक्ल में बदल गईं. 12 साल बाद जनवरी की एक सुबह चपरासी ने मिस मृणालिनी को एक विजिटिंग कार्ड थमाते हुए कहा, ‘‘मैडम, एक साहब आप से मिलने आए हैं.’’

मिस मृणालिनी जो चंद कागजात देखने में व्यस्त थीं, कार्ड देखे बिना बोलीं, ‘‘बुलाओ.’’
जरा देर बाद उच्च क्वालिटी का लिबास पहने लंबे कद और भरेभरे जिस्म वाला व्यक्ति अंदर दाखिल हुआ. उन्होंने बिखरे हुए कागजात इकट्ठा करते हुए कहा, ‘‘तशरीफ रखिए.’’

वह बैठ गया और जब मिस मृणालिनी ठाकुर कागजात इकट्ठा करने के बाद उस की ओर मुखातिब हुईं तो वह बहुत ही साफसुथरी अंग्रेजी में बोला, ‘‘आप ने शायद मुझे पहचाना नहीं.’’

मिस मृणालिनी ठाकुर एक लम्हा को मुसकराईं और फिर एक निगाह उस के चेहरे पर डाल कर बोलीं, ‘‘पुराने स्टूडेंट हैं आप?’’

‘जी हां.’’

‘‘दरअसल इतने बच्चे पढ़ कर जा चुके हैं कि हर एक को याद रखना मुश्किल है.’’ मिस मृणालिनी ठाकुर का चेहरा अपने स्टूडेंट्स के जिक्र के साथ दमक उठा.
‘‘माफ कीजिएगा मैडम, बड़ा निजी सा सवाल है.’’ वह खंखारा.

मिस मृणालिनी चौंकी.
‘‘आप अब तक मिस मृणालिनी ठाकुर हैं या…’’

‘‘हां, अब तक मैं मिस मृणालिनी ठाकुर ही हूं.’’ स्नेह उन के चेहरे से झलक रहा था.
‘‘आप ने वाकई में नहीं पहचाना अब तक?’’ वह मुसकराकर बोला.

मिस मृणालिनी ने बहुत गौर से देखा और घनी मूंछों के पीछे से वह मासूम चेहरे वाला सभ्य सा शशि सिंह उभर आया.

‘‘क्या तुम शशि सिंह हो?’’ मस्तिष्क के किसी कोने में दुबका नाम तुरंत उन के होठों पर आ गया.
‘‘यस मैडम.’’ वह अपने पहचान लिए जाने पर खुश नजर आया.
‘‘ओह…’’ मिस मृणालिनी की समझ में कुछ न आया क्या करें, क्या कहें.

‘‘मैं डर रहा था अंशुमन सर न टकरा जाएं कहीं.’’ वह बेतकल्लुफी से बोल रहा था. मिस मृणालिनी ठाकुर शांत व बिलकुल चुप थीं.

‘‘मैं दक्षिण अफ्रीका चला गया था. फिर वहां से डैडी ने अंकल के पास इंग्लैंड भेज दिया. अब सर्जन बन चुका हूं और अपने देश आ गया हूं. मैं आप को कभी भूल न सका. मुझे विश्वास था आप कभी न कभी, कहीं न कहीं फिर मुझे मिलेंगी. और वाकई आप मिल गईं, उसी जगह जहां मैं छोड़ कर गया था.’’
‘‘माइंड यू बौय.’’ मिस मृणालिनी ने उस की बेतकल्लुफी पर कुछ नागवारी के साथ कहा.

‘‘मेरी मम्मी भी किसी हालत में यह स्वीकार नहीं करतीं कि मैं अब बच्चा नहीं रहा.’’

मिस मृणालिनी ठाकुर ने देखा वह बड़े सलीके से मुसकरा रहा था. वह फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था, पता नहीं कहां जा छिपा था.

‘‘आई स्टिल लव यू मिस मृणालिनी.’’ वह 12 साल बाद एक बार फिर अपने अपराध को स्वीकार रहा था.

‘‘शट अप!’’ मिस मृणालिनी का चेहरा लाल हो गया.
‘‘नो मैडम, आई कान्ट! और क्यों मैं अपनी जुबान बंद रखूं. अगर एक बेटे को यह अधिकार है कि वह अपनी मां को चूम कर उस के गले में बांहें डाल कर उस से अपने प्रेम का इजहार कर सकता है तो इतना अधिकार हर स्टूडेंट को है वह अपने रुहानी मातापिता से प्रेम कर सके. क्या गलत कह रहा हूं मिस मृणालिनी ठाकुर? क्या गुरु से प्रेम की स्वीकारोक्ति अपराध है मैडम?’’

मिस मृणालिनी ठाकुर ने हैरानी से देखा वह कह रहा था.
‘‘अगर अंशुमन सर की तरह आप ने भी इसे अपराध मान लिया तो यह वाकई में बड़ा दुखद होगा.’’
मिस मृणालिनी अविश्वास से उस की ओर देख रही थीं.

‘‘यस मैडम आइ लव यू.’’ उस ने एक बार फिर स्वीकार किया.

‘‘ओह डियर….’’ भावनाओं के वेग से मिस मृणालिनी की जुबान गूंगी हो चली थी. बिलकुल उस मां की तरह जिस का बेटा सालों बाद घर लौट आया हो.

कल्पवृक्ष: विवाह के समय सभी मजाक क्यों कर रहे थे?

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परिंदे को उड़ जाने दो : भाग-3

शीना ट्रिप के लिए निकल गई. बस में शीना मीताली के साथ ही बैठी थी. ट्रिप उदयपुर जा रही थी और सफर लंबा था. बस दिल्ली से निकली तो सभी गाने गाते हुए यहां से वहां बस में घूम रहे थे, इसी बीच अक्षत शीना के बगल में आ कर बैठ गया. शीना और अक्षत कभी ज्यादा बात कर ही नहीं पाए थे तो अब भी उन के पास कुछ खास था नहीं कहने के लिए. अक्षत ने शीना से पूछा कि क्या यह उस की पहली ट्रिप है जिस पर शीना ने बताया कि वह शूट्स के लिए बाहर जाती है मम्मी के साथ, लेकिन दोस्तों के साथ यह पहली बार है. दोनों में इसी तरह की बातें होने लगीं.

“तुम ने फ्रैंड्स शो  देखा क्या ?” शीना ने अक्षत से पूछा.

“नहीं, मैं शोज कम देखता हूं.”

“अरे, थोड़ा बहुत तो देख सकते हो, कितनी अच्छी चीजें हैं दुनिया में.”

“और पढ़ाई कौन करेगा?” अक्षत ने पूछा.

“वो साथसाथ हो जाएगी न,” शीना ने बच्चों जैसी आवाज में कहा.

अक्षत शीना को देख हंसने लगा.

“इस में हंस क्या रहे हो, मजाक उड़ा रहे हो मेरा?” शीना ने मुंह बनाते हुए कहा.

“नहीं, सोच रहा हूं कि तुम्हें इंग्लिश औनर्स की जगह थिएटर औनर्स जैसा कुछ करना चाहिए था, और उस में भी बस बच्चों का रोल.”

“कुछ भी. बड़ी हूं में ठीक है न,” शीना बोली.

“बड़ी हूं मैं ठीक है न,” अक्षत ने दोहराया.

“मेरी नकल मत करो.”

“मेरी नकल मत करो,” अक्षत ने फिर शीना की मिमिक्री की.

“तुम न पिटोगे अब,” शीना ने बनावटी गुस्से से कहा.

“तुम न पिटोगे अब,” अक्षत के कहते ही शीना ने उसे हलके से धक्का दिया तो अक्षत हंसने लगा, उसे देख शीना मुट्ठी बना गालों पर हाथ रख कर बैठ गई.

“अच्छा सौरी,” अक्षत ने शीना के हाथों को हिलाते हुए कहा.

पूरे रास्ते शीना और अक्षत बातें करते हुए ही गए थे. उदयपुर पहुंचने पर अक्षत और शीना साथसाथ ही घूम रहे थे. शीना को बातें करते हुए इतना कम्फर्टेबल कभी किसी और के साथ नहीं लगा था. अगले दिन साइट सीन करने जाने पर शीना अपनी तस्वीरें खिंचाने में व्यस्त थी लेकिन अक्षत सब से काफी दूर जा कर एक चबूतरे पर बैठा हुआ था. शीना ने उसे देखा तो उस की तरफ जाने लगी.

“ओ शीना मैडम, अभी आप का फोटोशूट शुरु भी नहीं हुआ है, कहां जा रही हो?”

“अरे, मैं अक्षत को भी बुला लाती हूं.”

“उसे फोटो न खींचना पसंद है न ही खिंचवाना, वो नहीं आएगा.”

“आई मैं अभी,” कहते हुए शीना अक्षत की तरफ बढ़ गई.

अक्षत ने शीना को आते हुए देखा तो हाथ से इशारा करते हुए पास बैठने के लिए कहा और शीना के बैठने की जगह से मिट्टी हटाने लगा.

“कहां खोये हुए हो, चलो न पिक्चर्स क्लिक करते हैं,” शीना ने चहकते हुए कहा.

“मेरा मन नहीं है. तुम जाओ.”

“तुम नहीं जा रहे तो मैं भी नहीं जा रही,” शीना ने कहा और मुस्कराने लगी. उसे देख अक्षत के चेहरे पर भी हलकी मुस्कराहट आ गई.

शीना अक्षत के चेहरे को देखने लगी तो अक्षत ने ‘क्या हुआ’ के भाव में आंखें ऊंचीनीची कीं.

“तुम्हें न मोडलिंग करनी चाहिए, हैंडसम हो तुम.”

“नहीं, मैं प्रोफेसर बनने में ही खुश हूं,” अक्षत ने कहा.

“प्रोफेसर बन कर क्या करोगे?”

“बच्चों को पढ़ाऊंगा और समझाऊंगा कि खूबसूरती ही सब नहीं होती.”

“तुम मुझे ताना दे रहे हो?” शीना ने गंभीरता से पूछा.

“नहीं, पर मुझे कभीकभी लगता है तुम अपने चेहरे में, अपनी बौडी में इतनी खोयी हुई हो कि तुम्हें और कुछ नहीं दिखता. तुम किसी के साथ समय नहीं बिताती, बातें नहीं करती, इंग्लिश ओनर्स में होते हुए किताबी लड़की नहीं हो तुम, ऊपर से नीचे तक ब्रांड्स में लदालद हो, किसी के प्यार में नहीं पड़तीं, बचपन से ही काम कर रही हो और बस यही तुम्हारे दिमाग में है.”

“तुम मुझे जानते ही कितना हो?” शीना के चेहरे पर भावुकता थी.

“जानना चाहता हूं,” अक्षत ने शीना की आंखों में देखते हुए कहा.

“जानने के लिए कुछ है ही नहीं.”

“मुझे लगता है बहुत कुछ है.”

“मुझे बचपन से सिखाया गया है कि आंखें हमेशा जीत पर टिकी होनी चाहिए, सुंदर दिखने के लिए प्रोडक्ट्स लगाओ, मेकअप करो, कम खाओ और एकसरसाइज ज्यादा करो, सीधे चलो, कैटवौक करो, सभी को देख कर मुस्कराओ, कैमरा देखो और पोज करो. किसी दोस्त से ही ज्यादा घुलनेमिलने नहीं दिया गया तो बौयफ्रेंड तो दूर की बात है. और तुम्हें भी लगता है मैं खोखली हूं, है न?” शीना ने अक्षत से पूछा.

“नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता. वैसे, तुम अपनी मम्मी से इतना डरती क्यों हो?”

“पता नहीं. वे हमेशा से मेरे लिए दौड़भाग करती रही हैं, उन्हें खुश करना ही चाहा है मैं ने हमेशा बस. डरती हूं क्योंकि मेरा उन के बिना है ही कौन. पापा के पैसे देते रहने को प्यार और समय कह सकते हैं तो वह भी था मेरे पास. पर पैसो को प्यार और समय मान लेने से वह प्यार और समय बन नहीं जाता न. तो मम्मी से झगड़ कर क्या ही करूंगी.”

“अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हो, आखिर जिंदगी तुम्हारी है अपनी खुशी के लिए नहीं जियोगे तो किस के लिए जियोगी. तुम्हारे अंदर जो मासूमियत है वह इस इंडस्ट्री में खत्म हो जाएगी और तुम अपने मन की नहीं सुनोगी तो डिप्रेशन और तनाव से हट कर कुछ हाथ नहीं लगेगा. अभी खोखली नहीं हो पर क्या पता हो जाओ,” अक्षत की बात सुन शीना सोच में पड़ गई थी.

शाम ढलने लगी और सभी को अब होटल की तरफ लौटना था. शीना और अक्षत भी चलने के लिए उठे. अक्षत ने शीना को हाथ पकड़ कर रोका और पौकेट से फोन निकाल लिया. “साथ में एक पिक्चर तो ले ही सकते हैं,” अक्षत ने कहा तो शीना चहक उठी.

होटल के रूम में बैठ शीना अक्षत और अपनी फोटो को देखदेख कर ही खुश हो रही थी. मीताली भी रूम में थी.

“तू अक्षत को पसंद करती है, है न?” मीताली के पूछने पर शीना ने आंखें बड़ी करते हुए कहा, “नहीं तो.”

“झूठ मत बोल, मुझे सब पता है. मुझे लगता है अक्षत को भी तू पसंद है.”

“सच?” शीना ने अपनी खुशी छिपाते हुए कहा.

“हां, आज सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर वो तुझे ही देखे जा रहा था बारबार, तू ने नोटिस नहीं किया.”

मीताली की बातें सुन शीना बेहद खुश हो गई थी. रात में डिनर के बाद सभी नीचे स्विमिंग पूल के पास बैठे थे. अक्षत भी वहीं था. शीना उस के पास जा कर बैठी तो सभी लड़के शीना को देखने लगे. सब उस के कायल पहले से थे. अक्षत ने शीना से कहा कि उस ने आने में देर कर दी क्योंकि वह वापस जा रहा है.

“क्या करोगे जा कर?” शीना पूछने लगी.

“यहां बैठने का मन नहीं है मेरा,” अक्षत ने बताया.

“मुझे तुम से कुछ बात करनी थी.”

“बोलो.”

“यहां नहीं, अंदर चलें?”

“ओके,” अक्षत ने कहा और वे दोनों शीना के रूम की तरफ बढ़ गए.

शीना, मीताली और नैना का एक ही रूम था, लेकिन इस वक्त न रूम में मीताली थी और न नैना. अक्षत और नैना रूम में बैठे तो शीना अपनी बात कहने के लिए हिम्मत जुटाने लगी और उस की झिझक अक्षत को भी दिख रही थी.

“अगर तुम मुझे प्रपोज करने वाली हो तो मेरा जवाब हां है,” अक्षत ने मजाक करते हुए कहा.

“तुम्हें कैसे पता,” शीना का मुंह खुला का खुला रह गया.

“तुम मुझे प्रपोज करने वाली हो?”

अक्षत अब हैरानी से कहने लगा.

“तुम्हें किस ने बताया?”

“तुम ने.”

“कब?”

“अभी.”

“हें? ओहह शिट,” शीना को अपनी बेवकूफी का एहसास हुआ तो उस ने अपने माथे पर हथेली दे मारी.

“आई लाइक यू,” आखिर अक्षत ने पहल करते हुए कहा.

“सच?”

“हां.”

“आई लाइक यू टू,” शीना का चेहरा लाल हो गया.

आगे पढ़ें- अक्षत ने शीना का हाथ पकड़ा और उसे किस…

सूना गला: शादी के बाद कैसी हो गई थी उसकी जिंदगी

उस की मां थी ही निर्मल, निश्छल, जैसी बाहर वैसी अंदर. छल, प्रपंच, घृणा और लालच से कोसों दूर, सब के सुख से सुखी, सब के दुख से दुखी. कभीकभी सौरभ अपनी मां के स्वभाव की सादगी देख अचंभित रह जाता कि आज के प्रपंची युग में भी उस की मां जैसे लोग हैं, विश्वास नहीं होता था उसे.

बचपन से ही सौरभ देखता आ रहा था कि मां हर हाल में संतुष्ट रहतीं. पापा जो भी कमा कर उन के हाथ में थमा देते बिना किसी शिकवाशिकायत के उसी में जोड़तोड़ बिठा कर वह अपना घर चलातीं, कभी अपने अभावों का पोटला किसी के सामने नहीं खोलतीं.

तभी मां की नजर उस पर पड़ गई थी, ‘‘अरे, तू कब जग गया. और ऐसे क्या टुकुरटुकुर देखे जा रहा है.’’

मां की स्निग्ध हंसी ने उसे ममता से सराबोर कर दिया.

‘‘बस, यों ही…आप को अलमारी ठीक करते देख रहा था.’’

वह कैसे कह देता कि कमरे में बैठा उन के निश्छल स्वभाव और संघर्षपूर्ण, त्यागमय जीवन का लेखाजोखा कर रहा था. उन के अपने परिवार के लिए किए गए समर्पण और संघर्ष का, उस सूने गले का जो कभी भारीभरकम सोने की जंजीर और मीनाकारी वाले कर्णफूल से सजासंवरा उन की संपन्नता का प्रतीक था. पिछले 6 वर्षों से उस के नौकरी करने के बाद भी मां का गला सूना ही पड़ा था.

मां को खुद महसूस हो या न हो लेकिन जब भी उस की नजर मां के सूने गले पर पड़ती, मन में एक हूक सी उठती. उसे लगता जैसे उन के जीवन का सारा सूनापन उन के खाली गले और कानों पर सिमट आया हो. इतनी श्रीहीन तो वह तब भी नहीं लगती थीं जब पापा की मृत्यु के बाद उन की दुनिया ही उजड़ गई थी.

सौरभ ने होश संभालने के बाद से ही मां के गले में एक मोटी सी जंजीर और कानों में मीनाकारी वाले कर्णफूल ही देखे थे. तब मां कितनी खुश रहती थीं. हरदम हंसती, गुनगुनाती उस की मां का चेहरा बिना किसी सौंदर्य प्रसाधन के ही दमकता रहता था.

फिर मां की खुशियों और बेफिक्र जिंदगी पर तब पहाड़ टूट कर आ गिरा जब अचानक एक सड़क दुर्घटना में उस के पापा की मौत हो गई. इस असमय आई मुसीबत ने मां को तो पूरी तरह तोड़ ही दिया. वह सूनीसूनी निगाहों से दीवार को देखती बेजान सी महीनों पड़ी रहीं. लेकिन जल्दी ही मां अपने बच्चों के बदहवासी और सदमे से रोते, सहमे चेहरे देख अपनी व्यथा दिल में ही दबा उन्हें संभालने में जुट गई थीं. एक नई जिम्मेदारी के एहसास ने उन्हें फिर से जीवन की मुख्य धारा से जोड़ दिया था.

पति के न रहने से एकाएक ढेरों कठिनाइयां उन के सामने आ खड़ी हुई थीं. पैसों की कमी, जानकारीयों का अभाव, कदमकदम पर जिंदगी उन की परीक्षा ले रही थी. उन का खुद का बनाया संसार उन की ही आंखों के सामने नष्ट होने लगा था लेकिन मां ने धैर्य का पल्लू कस कर थामे रखा.

बचपन में पिता और बाद में पति के संरक्षण में रहने के कारण मां का कभी दुनियादारी और उस के छलप्रपंच से आमनासामना हुआ ही नहीं. अब हर कदम पर उन का सामना वैसे ही लोगों से हो रहा था. लेकिन कहते हैं न कि समय और अभाव आदमी को सबकुछ सिखा देता है, मां भी दुनियादारी सीखने लगी थीं.

मां अपने टूटते आत्मबल और अपनी सारी अंतर्वेदनाओं को अपने अंतस में छिपाए सामान्य बने रहने की कोशिश करतीं लेकिन उन की तमाम कोशिशों के बावजूद सौरभ से कुछ भी छिपा नहीं था. वही एकमात्र गवाह था मां के कतराकतरा टूटने और जुड़ने का. कितनी बार ही उस ने देखा था मां को रात में अपने बच्चों से छिप कर रोते, पापा को याद कर तड़पते. तब उस के दिल में तड़प सी उठती कि कैसे क्या करे जो मां के सारे दुख हर ले.

वह चाह कर भी मां के लिए कुछ नहीं कर पाया, जबकि मां ने उन दोनों भाईबहनों का जीवन संवारने के लिए जो कर दिखाया, सभी के लिए आशातीत था. क्या नहीं किया मां ने, पोस्टआफिस की एजेंसी, स्कूल की नौकरी, ट्यूशन, कपड़ों की सिलाई यानी एकएक पैसे के लिए संघर्ष करतीं.

जब भी वह मां के संघर्ष से विचलित हो कर अपने लिए काम ढूंढ़ता, मां उसे काम करने की इजाजत ही नहीं देतीं. बस, उन्हें एक ही धुन थी कि किसी तरह उन का बेटा पढ़लिख कर सरकारी नौकरी में ऊंचा पद प्राप्त कर ले.

पापा के साथ जब वह भयंकर दुर्घटना हुई थी तब सौरभ 10वीं में पढ़ता था. मांबेटा दोनों ही व्यापार में पूरी तरह कोरे थे जिस का फायदा व्यापार में उस के पिता के साथ काम कर रहे दूसरे लोगों ने उठाया और व्यापार में लगा उस के पापा का करीबकरीब सारा पैसा डूब गया. थोड़ाबहुत जो भी पैसा बचा था, नेहा दीदी की शादी का खयाल कर मां ने बैंक में जमा करवा दिया.

नेहा दीदी की शादी में सारी जमापूंजी के साथसाथ मां के करीबकरीब सारे गहने निकल गए थे, फिर भी मां बेहद खुश थीं. नेहा को सुंदर, संस्कारी और विवेकशील पति के साथसाथ ससुराल में संपन्नता भरा परिवार जो मिला था.

नेहा दीदी की शादी के बाद 4 वर्ष बड़े ही संघर्षपूर्ण रहे. स्नातक करने के बाद सौरभ नौकरी प्राप्त करने के अभियान में जुट गया. जल्दी ही उसे सफलता भी मिली. एक बैंक अधिकारी के पद पर उस की नियुक्ति हो गई. इस दौरान जगहजगह इतने फार्म भरने पडे़ कि गहनों के नाम पर मां के गले में बची एकमात्र जंजीर भी उतर गई.

मां की साड़ी पर भी जगहजगह पैबंद नजर आने लगे थे. इतनी विकट परिस्थिति में भी मां ने हिम्मत नहीं हारी, न ही किसी रिश्तेदार के घर आर्थिक तंगी का रोना रोने या सहायता मांगने गईं. परिस्थिति ने उन्हें धरती सा सहिष्णु बना दिया था.

नौकरी मिलने के बाद जब उस ने पहली पगार मां को सौंपी थी तब खुशी के आंसू पोंछती मां ने उसे गले से लगा लिया था, ‘अरे, पगले…मां भला इन रुपयों का क्या करेगी? अब तो सारी जिम्मेदारियां तू ही संभाल, मैं तो बस, बैठेबैठे आराम करूंगी.’

इस के बाद भी सौरभ हर महीने तनख्वाह का सारा पैसा ला कर मां के हाथों में देता रहा और मां पूर्ववत घर चलाती रहीं.

शादी के लिए आए कई प्रस्तावों में से मां को निधि की सुंदरता ने इस कदर प्रभावित किया कि बिना ज्यादा खोजबीन किए वे निधि से उस की शादी करने के लिए तैयार हो गईं. जब दहेज की बात आई तो उन्होंने शादी में किसी तरह का दहेज लेने से साफ मना कर दिया. ऐसा कर शायद वह अपने पति के उन आदर्शों को कायम रखना चाहती थीं जो उन्होंने खुद की शादी में दहेज न ले कर लोगों और समाज के सामने कायम किया था. जितना भी उन के पास पैसा था उसी से उन्होंने शादी की सारी व्यवस्था की.

मां के आदर्शों और भावनाओं को समझने के बदले अमीर घर की निधि की नजरों में दहेज न लेना बेवकूफी भरी आदर्शवादिता थी. हमेशा अपनी आधुनिका मां की तुलना में वह अपनी सास के साधारण से रहनसहन को उन का देहातीपन समझ मजाक उड़ाती रहती और जबतब अपनी जबान की कैंची से उसे कतरती रहती. ऐसे मौके पर उस का दिल चाहता कि निधि से पूछे कि सभ्यता का यह कौन सा सड़ागला रूप है जिस में ससुराल के बुजुर्गों की नहीं, सिर्फ मायके के बुजुर्गों की इज्जत करना सिखाई जाती है, लेकिन वह चुप ही रहता.

 

ऐसा नहीं था कि वह निधि से डरता था, कहीं मां पर निधि की असलियत जाहिर न हो जाए, इसी भय से भयभीत रहता था. जिंदगी के इस सुखद मोड़ पर वह नहीं चाहता था कि निधि की किसी बात से मां आहत हों और वर्षों से उन के दिल में जो बहू की तसवीर पल रही थी वह धुंधली हो जाए.

निधि समझे या न समझे वह जानता था, मां निधि को बेहद प्यार करती थीं.

निधि ने घर में आते ही मां के सीधेसादे स्वभाव को परख कर बड़ी होशियारी से उन के बेटे, पैसे और घर पर अपना अधिकार कर, उन के अधिकारों को इस तरह सीमित कर दिया कि वह अपने ही घर में पराई बन कर रह गई थीं.

वह हर बार सोचता, इस महीने जरूर मां के लिए सोने की जंजीर ले आएगा, लेकिन कोई न कोई खर्च हर महीने निकल आता और वह चाह कर भी जंजीर नहीं खरीद पाता. वैसे भी शादी के बाद से घर के खर्च काफी बढ़ गए थे. अब तक साधारण ढंग से चलने वाले घर का रहनसहन काफी ऊंचे स्तर का हो गया था. एक नौकर भी आ गया था जो निधि के हुक्म का गुलाम था.

तभी सौरभ की तंद्रा मां की आवाज से टूट गई थी.

‘‘कब से पुकारे जा रही हूं, कहां खोया बैठा है. चाय बना दूं?’’

मां को यों सामने पा कर जाने क्यों सौरभ की आंखें भर आई थीं. इनकार में सिर हिला, अपने आंसू छिपाता वह बाथरूम में जा घुसा था.

उसी दिन आफिस जाने के बाद सौरभ अपनी एक फिक्स्ड डिपोजिट तोड़ कर मां के लिए एक जंजीर और मीनाकारी वाला कर्णफूल खरीद लाया था. यह सोच कर कि एक हफ्ते बाद मां के आने वाले जन्मदिन पर उन्हें देगा, उस ने गहनों का डब्बा अपनी अलमारी में संभाल कर रख दिया.

रात को उस ने अपने इस ‘सरप्राइज गिफ्ट’ की बात जैसे ही निधि को बताई, उस के तो तनबदन में आग लग गई. अब तक शब्दों पर चढ़ा मुलम्मा उतार, मां के सारे बलिदानों पर पानी फेरते हुए वह बिफर पड़ी थी, ‘‘यह तुम्हें क्या सूझी है, बुढ़ापे में अब वह इतने भारी गहनों को ले कर क्या करेंगी? अब तो उन के नातीपोते खिलाने के दिन हैं फिर भी उन की तो जैसे गहनों में ही जान अटकी पड़ी है.’’

पूरा हफ्ता उस चेन को ले कर निधि के साथ उस का शीतयुद्ध चलता रहा, फिर भी वह डटा रहा. अभी वह इतना गयागुजरा नहीं था कि उस की बातों में आ कर मां के प्रति अपने प्यार और फर्ज को भूल जाता.

एक सप्ताह बाद जब मां का जन्मदिन आया, सुबहसुबह मां को जन्मदिन की मुबारकबाद दे कर उस ने जतन से पैक किया गया गहनों का डब्बा उन के हाथों में थमा दिया था.

‘‘अरे, बेटा, यह क्या ले आया तू? अब क्या मेरी उम्र है उपहार लेने की. अच्छा, देखूं तो मेरे लिए तू क्या ले आया है.’’

डब्बा खोलते ही मां जड़ सी हो गई थीं. जाने कब तक किंकर्तव्यविमूढ़ हो यों ही खड़ी रहतीं, अगर सौरभ उन्हें गहनों को पहनने की याद नहीं दिलाता. सौरभ की आवाज में जाने कैसी कशिश थी कि जंजीर पहनतेपहनते उन की आंखें छलछला आई थीं. फिर कुछ सोच सौरभ का गाल थपथपा कर निधि को बुलाने लगीं.

कमरे में कदम रखते ही निधि की नजर मां के गले में पड़ी जंजीर पर गई, जिसे देखते ही चोट खाई नागिन सी उस की आंखों से लपट सी उठी थी, जो सौरभ से छिपी नहीं रही, पर उस की सीधीसादी मां को उस का आभास तक नहीं हुआ. तभी अपने गले से जंजीर निकाल कर निधि के गले में डालते हुए मां बोलीं, ‘‘बहू, इसे तुम मेरी तरफ से रख लो. जाने कितने अरमान थे मेरे दिल में अपनी बहू के लिए. जब सौरभ छोटा था तभी से अपने कितने ही गहने तुम्हारे नाम रख छोडे़ थे. सोचती थी एक ही तो बहू होगी मेरी, सजा दूंगी गहनों से, लेकिन परिस्थितियां ऐसी पलटीं कि सारे अरमान दिल में ही दफन हो गए.’’

सौरभ अभी कुछ बोलना चाह ही रहा था कि मां जाने कैसे समझ गईं.

‘‘न…तू कुछ नहीं बोलेगा. यह मेरे और बहू के बीच की बातें हैं. वैसे भी इस उम्र में मैं गहनों का क्या करूंगी.’’

मां के इस अप्रत्याशित फैसले ने निधि को भौचक कर दिया था. अपने छोटेपन का आभास होते ही वह सौरभ से नजरें नहीं मिला पा रही थी. उस की सारी कुटिलताएं मां के सीधेपन के सामने धराशायी हो चुकी थीं. जिस जंजीर के लिए उस ने अपने पति का जीना हराम कर रखा था, इतनी आसानी से मां उसे सौंप चुकी थीं.

निधि की नजरों में आज पहली बार सास के लिए सच्ची श्रद्धा उत्पन्न हुई थी. साथ ही यह बात शिद्दत से उसे शूल की तरह चुभ रही थी कि जिस सास को मां की तुलना में वह हमेशा गंवार और बेवकूफ समझती थी और अपनी ससुराल वालों की तुलना में अपने मायके वालों को श्रेष्ठ और आधुनिक दिखाने की कोशिश करती थी, उस की उसी सास के सरल, सादे और ऊंचे संस्कारों के सामने अब उसे अपनी गर्वोक्ति व्यर्थ का प्रलाप लगने लगी थी.

दूसरे दिन सौरभ को यह देख कर सुखद आश्चर्य हो रहा था कि निधि एक सोने की जंजीर मां को जबरदस्ती पहना रही थी. मां के बारबार मना करने पर भी वह जिद पर उतर आई थी.

‘‘मांजी, मैं ने बडे़ प्यार से इसे आप के लिए खरीदा है और अगर आप ने लेने से इनकार कर दिया तो मुझे लगेगा कि आप ने कभी मुझे बेटी माना ही नहीं.’’

इस के बाद मां इनकार नहीं कर सकी थीं. सदा से ही कम बोलने वाली मां की आंखों में अपनी बहू के लिए ढेर सारा प्यार और अपनापन उमड़ पड़ा था. मां की खुशी देख सौरभ ने नजरों से ही निधि के प्रति अपनी कृतज्ञता जता दी थी, जिसे संभालना निधि के लिए मुश्किल हो रहा था. वह नजरें चुराती, यहांवहां काम में व्यस्त होने का नाटक करने लगी.

आज पहली बार अपनी गलतियों का एहसास निधि को बुरी तरह कचोट रहा था. सास के सच्चे प्रेम और अपनेपन ने उस की आत्मा को झकझोर दिया था. बारीबारी वे बातें याद आ रही थीं जिस का समय रहते उस ने कभी कोई मूल्य नहीं समझा था. वह बीमार पड़ती तो सास उस की देखभाल बडे़ प्यार और लगन से अपने बच्चों की तरह करतीं. इतने प्यार और लगन से तो कभी उस की अपनी मां ने भी उस की सेवा नहीं की थी.

जिस सास ने अपना बेटा, घर, संपत्ति सबकुछ उसे सौंप, अपना विश्वास, प्यार और सम्मान दिया, उसी सास को महज अपना वर्चस्व साबित करने के लिए उस ने घरपरिवार से भी बेगाना कर रखा था. शादी के बाद से आज यह पहला अवसर था जब सौरभ उस के किसी काम से इतना खुश और संतुष्ट नजर आ रहा था. अपने लिए उस की नजरों से छलकता प्यार और कृतज्ञता देख निधि को बारबार नानी की नसीहतें याद आ रही थीं.

उस की नानी के पास जब भी उस की मां अपनी सास की शिकायतों की पोटली खोलतीं, नानी उन्हें समझातीं, ‘देख…नंदनी, एक बात तू गांठ बांध ले कि पति के बचपन का पहला प्यार उस की मां ही होती है, जिस का तिरस्कार वह कभी बरदाश्त नहीं कर पाता है. अगर पति का सच्चा प्यार और घर का सुख प्राप्त करना है तो उस से ज्यादा उस की मां को अहमियत देना सीख. उन की सेवा कर, उन का खयाल रख तो कुछ ही दिनों बाद उसी सास में तुम्हें अपनी मां भी दिखेगी, साथ ही तुम्हें पति को भी अपनी अहमियत जताने की जरूरत नहीं पडे़गी. वह खुद ही प्यार के अटूट बंधन में बंधा ताउम्र तुम्हारे ही चक्कर लगाएगा.’

मां हमेशा नानी की नसीहत को मजाक में उड़ा, अपनी मनमानी करतीं, नतीजतन, अपने सारे रिश्तों से मां अलग तो हुईं ही, पापा के साथ रहते हुए भी जीवन की इस संध्या बेला में काफी अकेली हो गई थीं.

एकांत पाते ही निधि अपने सारे मानअपमान और स्वाभिमान को भूल कर सौरभ के पास आ गई थी. शर्मिंदगी के भाव से भरी उस की आंखों से अविरल आंसू बह निकले.

बिना कुछ कहे पति की शांत और मुग्ध दृष्टि से आश्वस्त हो कर निधि उस की बांहों में समा गई थी. निधि को अपनी बांहों में समेटते हुए सौरभ को लगा जैसे कई दिनों की बारिश के बाद काले बादल छंट गए हैं और आकाश में खिल आई धूप ने मौसम को काफी सुहावना बना दिया है.

 

Summer Special: दिखना चाहते हैं गर्मी में सिंपल और सोबर तो ट्राई करें ये टिप्स

गरमी के मौसम में सिंपल और शोबर लुक पाने के लिए आप को अपने मेकअप के तरीके में थोड़ा बदलाव लाना होगा. कुछ इस तरह:

फ्रैश मोव मौर्निंग

स्पौटलेस व फ्लालेस स्किन टैक्स्चर के लिए चेहरे पर टिंटिड मौइश्चराइजर लगाएं. यदि स्कार्स या ऐक्ने हों तो उन्हें कंसीलर की मदद से कंसील कर लें. चेहरे पर देर तक मेकअप टिकाए रखने के लिए अपनी स्किनटोन से मैचिंग कौंपैक्ट की एक हलकी सी लेयर पूरे चेहरे पर लगाएं. गालों पर सुबह जैसी फ्रैशनैस लाने के लिए चीक्स पर पीच शेड का ब्लशऔन लगाएं. आई मेकअप की शुरुआत आई प्राइमर से करें. ऐसा करने से आंखों पर मेकअप देर तक टिका रहेगा और आईशैडो का कलर और भी इंटैंस नजर आएगा. आईज पर लैवेंडर शेड लगाएं और ब्लैक लाइनर से शेप डिफाइन करें. अगर आईशैडो नहीं लगाना चाहतीं तो आईलिड पर मजैंटा या पिंक आईपैंसिल से विंग्ड आईलाइनर भी लगा सकती हैं. ऐसे खूबसूरत रंगों का जादू बेहद कौन्फिडैंट लुक देगा.

लिप्स की शेप को पिंक लिपलाइनर से डिफाइन कर के उन्हें रोजी पिंक लिप कलर से सील करें. लेकिन उस से पहले लिप प्लमर का जरूर यूज करें. ऐसा करने से लिप्स पौउटी नजर आएंगे. इन दिनों मैसी लुक इन हैं. ऐसे में बालों में मैसी साइड लो बन बना सकती हैं. चेहरे पर मेडअप लुक के बजाय नैचुरल लुक लाने के लिए जूड़े में से कुछ लटों को जरूर निकाल दें. ऐसा करने से चेहरे पर रियल लुक नजर आएगा.

ईवनिंग ब्रौंज टच

ब्रौंज शेड के आईशैडो से आईज को ब्रौंज टच दें. आईज के आउटर कौर्नर पर ब्राउन शेड से कंटूरिंग करने के बाद आंखों के नीचे काजल स्मज कर के लगाएं. आईलिड पर लाइनर के बजाय चौकलेट ब्राउन लैश जौइनर का इस्तेमाल करें. आंखों को सेंसुअल व सैक्सी लुक देने के लिए लाइनर व मसकारा जरूर लगाएं. चेहरे पर एक लाइट बेस के लिए मूज का इस्तेमाल करें. ब्लशऔन के बजाय चीक्स पर ब्राउंजिंग करें. ऐसा करने से चेहरा पतला नजर आएगा. इन दिनों लिप्स जल्दी ड्राई हो जाते हैं. ऐसे में सब से पहले लिप्स पर अच्छी क्वालिटी का लिपबाम लगाएं. अपने ब्रौंजिश लुक को कौंप्लीमैंट करने के लिए लिप्स पर अपनी स्किनटोन पर जंचता बोल्ड रैड शेड लगाएं. जैसे अगर आप का कौंप्लैक्शन यलो टोन लिए है, तो लिप्स पर टमाटरी रैड या ब्रिक रैड आप पर सूट करेगा और अगर कौंप्लैक्शन पिंकिश टोन लिए है तो आप पर प्लम और मैरून शेड अच्छे लगेंगे. यों तो बे्रड्स का क्रेज फैशन की दुनिया में एक बार फिर लौट आया है, मगर एक डिफरैंट अंदाज के साथ. ऐसे में आप फ्रैंच बे्रड, डच ब्रेड या रिवर्स फिश प्लेट बना कर उसे स्टाइलिश ऐक्सैसरीज से सजा सकती हैं. बे्रड्स बनाने से पहले बालों में कलरफुल रिबन या ऐक्सटैंशन भी लगा सकती हैं. स्टाइलिश व फैशनेबल बे्रड्स के बीच ये कलरफुल स्ट्रैंड्स बेहद खूबसूरत दिखेंगी.

– इशिका तनेजा
ऐग्जीक्यूटिव डायरैक्टर, एल्पस कौस्मैटिक क्लीनिक

 

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