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New Year 2024: घर का बना रिच प्लम केक

नए साल के मौके पर कुछ हटके बनाने का प्लान कर रहीं है तो ये आर्टिकल आपके लिए है. इस नव वर्ष पर घर पर बनाएं लजीज और स्वादिष्ट केक और कुकीज. आइए रेसिपी आपको बताते है.

  1. प्लम केक

सामग्री मैरिनेशन की

  10 ग्राम ब्लैक करंट

  10 ग्राम गोल्डन करंट

  2 खजूर कटे

  थोड़े से काजू

  15 ग्राम अखरोट कटे

  चुटकीभर लौंग का पाउडर

  3 ग्राम अदरक पाउडर

  3 ग्राम इलायची पाउडर

 चुटकीभर जायफल पाउडर

  चुटकीभर हरी इलायची पाउडर.

सामग्री केक बनाने की

  150 ग्राम मैदा 

 100 ग्राम चीनी

 70 ग्राम ब्राउन शुगर

 150 ग्राम पिघला मक्खन

  3 अंडे   

100 ग्राम मैरिनेटेड नट्स

  80 ग्राम केक फ्रूट

  5 चैरीज कटी

1 बड़ा चम्मच मैदा 

 चुटकीभर लैमन जेस्ट

  चुटकीभर औरेंज जेस्ट 

 3 ग्राम बेकिंग पाउडर

  चुटकीभर अदरक पाउडर

 चुटकीभर इलायची पाउडर

 चुटकीभर जायफल

  थोड़ा सा लौंग पाउडर

 2-3 बूंदें वैनिला ऐसेंस

2-3 बूंदें औरेंज ऐसेंस

  2-3 बूंदें लैमन ऐसेंस 

 नमक स्वादानुसार.

विधि

ओवन को 1500 सैंटीग्रेड पर गरम करें. फिर मैरिनेटेड नट्स व केक फ्रूट्स को अच्छी तरह मिलाएं. इस में 1 बड़ा चम्मच मैदा डाल कर अच्छी तरह मिला कर एक तरफ रख दें. अब एक अन्य बाउल में मैदा छान कर उस में नमक और बेकिंग पाउडर डालें. फिर अदरक, इलायची, जायफल व लौंग पाउडर को मिला कर एक तरफ रख दें. अब चीनी और मक्खन को मिला कर तब तक चलाती रहें जब तक क्रीमी टैक्स्चर न बन जाए. फिर इस में अंडा मिला कर फेंटें. इस में मैदा, लैमन व औरेंज जेस्ट मिला कर अच्छी तरह फेंटें. अब सारे ऐसेंस मिलाएं. फिर मैरिनेटेड नट्स के मिक्स्चर को मिला कर अच्छी तरह चलाएं. अब चिकनाई लगे मोल्ड में मिक्स्चर डालें. बेक करने से पहले मोल्ड को 5 मिनट के लिए एक तरफ रख दें. फिर 1500 सैंटीग्रेड पर 25-30 मिनट बेक कर सर्व करें.

2.  केक लौलीज

सामग्री

150 ग्राम केक क्रंब्स

  5 ग्राम क्रीम

15 ग्राम मैल्ट टैंपर्ड डार्क कुकिंग चौकलेट

 10 ग्राम पिघला मक्खन

  5 ग्राम आइसिंग शुगर

  2-3 बूंदें वैनिला ऐसेंस

  कुछ लौली स्टिक्स.

विधि

एक बाउल में केक क्रंब्स लें. फिर उस में आइसिंग शुगर और पिघला मक्खन डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. अब इस में वैनिला ऐसेंस और क्रीम डाल कर चलाएं. फिर चौकलेट डाल कर मिलाएं और सौफ्ट डो तैयार कर के 5-10 मिनट फ्रिज में रखें. फिर डो से छोटीछोटी बौल्स तैयार कर पुन: फ्रिज में रखें. लौली स्टिक को पिघली चौकलेट में डिप कर के बौल्स में डालें और फिर फ्रिज में रखें. अब इन्हें पिघली चौकलेट में डिप कर के जेम्स से सजाएं और 10 मिनट फ्रिज में ठंडा कर सर्व करें.

मेरे कंधों में अचानक से दर्द होने लगता है, कोई उपाय बताएं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है. पिछले कुछ दिनों से मेरे कंधों में अचानक दर्द होने लगता है. मुझे दवाइयां खाना बिलकुल पसंद नहीं है. कृपया इस से छुटकारा पाने का कोई और उपाय बताएं?

जवाब

समय बदल चुका है और साथ ही लोगों की जीवनशैली भी, जिस के कारण युवा और कम उम्र के व्यस्क भी शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द से परेशान होने लगे हैं. वहीं अधिकतर लोग इस दर्द को अनदेखा करते रहते हैं, जो वक्त के साथ समस्या को गंभीर करता रहता है. यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि इलाज से बेहतर बीमारी की रोकथाम है. जी हां, यदि आप रोकथाम के तरीके अपनाएं तो बीमारी आप को छू भी नहीं पाएगी. बढ़ती उम्र के साथ बढ़ते दर्द से बचने के लिए एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली का पालन करें. स्वस्थ आहार का सेवन करें, शराब और धूम्रपान से दूर रहें, रोजाना ऐक्सरसाइज के लिए समय निकालें, तनाव से दूर रहें, वजन को नियंत्रण में रखें. ऐसा करने से आप एक लंबी उम्र तक स्वस्थ शरीर पा सकते हैं.

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मेरी उम्र 65 साल है. 2010 में मेरी पीठ और पैर में तेज दर्द उठा था. इलाज के लिए रीढ़ की 5 बार सर्जरी की गई. हालांकि सर्जरी की मदद से मुझे पैर के दर्द से राहत तो मिल गई है लेकिन पीठ दर्द अभी भी परेशान करता है. यहां तक कि मेरा उठनाबैठना तक दूभर हो गया है. कृपया इस का इलाज बताएं?

जवाब

सही इलाज के लिए समस्या का कारण पता होना जरूरी है. इसलिए सब से पहले इस की जांच कराएं. रेडियोफ्रीक्वैंसी एब्लेशन आरएफए, रीढ़ के जोड़ों में होने वाली दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है. दिल्ली में ऐसे कई अस्पताल हैं, जहां इस तकनीक का उपयोग किया जाता है. इस इलाज की मदद से आप को 18 से 24 महीनों के लिए दर्द से पूरी तरह से राहत मिल जाएगी. रीढ़ की जिन नसों में दर्द होता है उन के पास खास प्रकार की सूइयां लगाई जाती हैं. खास उपकरणों की मदद से रेडियो तरंगों द्वारा निकले करंट का उपयोग कर के इन नसों के पास एक छोटे हिस्से को गरमाहट दी जाती है. यह नसों से मस्तिष्क तक जाने वाले दर्द को कम करता है, जिस से आप को दर्द से राहत मिल जाएगी. इस इलाज के कई फायदे हैं जैसेकि आप को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाएगी, तेज रिकवरी होगी और कामकाज भी तुरंत शुरू कर पाएंगी.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

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Wedding Special: अगर दुल्हन बनने जा रही हैं तो इन ब्यूटी हैक का प्रयोग जरूर करें

शादी हर लड़की के जीवन का सबसे बड़ा दिन होता है. अगर आप की भी शादी नजदीक आ रही है तो इस समय तैयारियां जोरों शोरों से चल रही होंगी. लेकिन आपको अपनी स्किन का ध्यान रखना कुछ महीनों पहले ही शुरू कर देना चाहिए ताकि मुख्य दिन पर आपकी स्किन पर पिंपल्स या फिर किसी भी तरीके की परेशानी न आए. कुछ प्री ब्राइडल हैक्स का प्रयोग आपको महीनों पहले करना शुरू कर देना चाहिए. बहुत सी लड़कियां यही गलती करती हैं की अक्सर शादी के कुछ दिन पहले ही वह केमिकल ट्रीटमेंट या स्किन सुधारने की टिप्स का प्रयोग करना शुरू करती हैं. आइए जानते हैं कुछ प्री ब्राइडल हैक्स के बारे में..

जल्दी शुरुआत करें : आपको अपनी स्किन को सूट करने वाला एक स्किन केयर रूटीन बना लेना चाहिए जिसमें क्लींजिंग, एक्सफोलियटिंग, मॉइश्चराइजिंग, हाइड्रेशन आदि शामिल हो. अगर आप जल्दी शुरू कर देती हैं तो रिजल्ट देखने में जो समय लगता है वह समय आपको मिल जायेगा और अन्य तरह के ट्रीटमेंट भी आपकी स्किन पर बढ़िया काम करेंगे. इससे आप को और अच्छे नतीजे दिखेंगे.

अंदर से नरिश करना शुरू करें : अगर आप चाहती हैं की आपकी स्किन प्राकृतिक रूप से बेहतर हो और आप को ज्यादा मेहनत न करनी पड़े तो इसके लिए आप को अपना लाइफस्टाइल और डाइट सुधारने होंगे. अगर आप हेल्दी रहती हैं तो आप को स्किन केयर में भी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपकी डाइट पौष्टिक और अच्छी होनी चाहिए ताकि आपका चेहरा प्राकृतिक रूप से निखार ला पाए. खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी पीते रहें.

स्किन  केयर रूटीन : अगर आप अपना पर्सनलाइज स्किन केयर रूटीन बनाना चाहती हैं तो अपने पास के किसी स्किन के डॉक्टर से इस बारे में राय ले सकती हैं. अगर स्किन में कोई समस्या है तो मेडिकेटेड स्किन केयर प्रोडक्ट्स का प्रयोग करना आपके लिए बेहतर होगा. फेशियल, केमिकल पील्स आदि का प्रयोग करके स्किन को बेहतर बना सकती हैं.

हेयर केयर रूटीन  बालों की केयर करनी भी बेहद जरूरी होती है. अगर आप चाहती हैं की शादी वाले दिन या बाद में आपके बाल आसानी से मैनेज हो सकें तो आपको तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. आप को नियमित समय पर हेयर ऑयल मसाज लेनी चाहिए, डीप कंडीशनिंग ट्रीटमेंट और स्प्लिट एंड्स की ट्रिमिंग करवाना आपके लिए एक अच्छा फैसला हो सकता है. अपने हेयर स्टाइलिस्ट से ज्यादा जानकारी ले सकती हैं.

टीथ व्हाइटनिंग: दांतों पर बहुत सी लड़कियां ध्यान नहीं देती हैं लेकिन जब आप स्माइल करेंगी तो आपके दांत ही दिखेंगे इसलिए इनका सफेद होना और साफ होना बहुत जरूरी है. अपने ओरल हाइजीन को बनाए रखने के लिए डेली दो बार ब्रश जरूर करें. अगर संभव हो तो अपने डेंटिस्ट के पास जा कर टीथ व्हाइटनिंग सेशन भी बुक करवा सकती हैं। इसके कई बार सेशन ले सकती हैं. इसके अलावा कुछ भी ऐसा न खाएं जिससे आपके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है और दांत खराब हो सकते हैं.

अगर आप इन सभी टिप्स का प्रयोग अपनी शादी के कुछ महीनों पहले करना शुरू कर देती हैं तो आप को शादी के दिन काफी ज्यादा मदद मिल सकती है. इसके अलावा भी मानसिक रूप से खुश रहने की कोशिश करें ताकि आप प्राकृतिक रूप से ग्लो कर सकें.

पति अब परमेश्वर नहीं

अब यह समझ नहीं आ रहा है कि पूना की रेखा खन्ना की बुराई जीभर के की जाए, अब उसे टै्रंड सैंटर कहा जाए. दरअसल, उस ने नवंबर, 2023 के अंतिम सप्ताह में पुणे में अपने एक बिल्डर पति निखिल खन्ना से बहस के दौरान नाक पर मुक्का मारा जिस से उस के नाक की हड्डियां चटक गईं और वह गिर गया तथा बहुत खून बहने से उस की मौत हो गई.

बुराई इसलिए कि वह पति की हत्यारिन है, ट्रैंड सैंटर इसलिए कि उस ने सभी पतियों को चेतावनी दी है कि हिंसा दोनों तरफ से हो सकती है और पिटने वाली औरतें अब रिश्वत न लेने वाले गुप्त सरकारी कर्मचारी जीवों की तरह कम होने लगी हैं. अभी यह पता नहीं कि नाक पर मुक्का मारा गया था या कोई और चीज मारी गई थी.

अगर मुक्का मारा गया तो यह पतियों को ही नहीं सभी पुरुषों, लड़कों के लिए संदेश है कि औरतों को कमजोर कतई न समझें. औरतों को ताड़न का अधिकारी कहने वाले तुलसीदास के दिन लदने लगे हैं. अब न शूद्र को पीटा जा सकता है, न पशु को. ढोल ही बचा जिसे तुलसीदास प्रेमी बजाबजा कर दानदक्षिणा की महिमा गा सकते हैं जिस से रामचरितमानस भरी है.

रामचरितमानस वाली नारी अब अपनेआप में वैसे ही कम हो गई है. वह न दान की वस्तु है, न भोग की, न हिंसा की शिकार. अकेले में तो हर आदमी भी पिट लेता है पर उसे कमजोर नहीं सम?ा जाता. अब औरतों के समूह आसानी से जमा करे जा सकते हैं जो लड़कियों में हिंसा करने वाले लड़कों की छुट््टी कर सकते हैं.

राजस्थान का गुलाबी गैंग इस बारे में प्रसिद्ध हो चुका है और रेणुका खन्ना ने एक नया ट्रैंड स्थापित कर दिया है. 2017 में निखिल खन्ना से विवाहित रेणुका की नाराजगी यह बताई जाती है कि वह उसे उस के बर्थडे पर दुबई नहीं ले गया, फिर उस ने विवाह वर्षगांठ पर सही उपहार नहीं दिया और ऊपर से मर्दानगी दिखाते हुए उस की भतीजी की शादी के लिए दिल्ली जाने का टिकट नहीं बनवाया.

अब पतियों को उसी तरह होशियार रहना होगा जैसे सदियों से पत्नियां रहती आई हैं. धर्म का दिखावा औरतों पर से उतर रहा है और वे पति को परमेश्वर नहीं, साथी, बराबर का साथी मानती हैं. रेणुका के साथ कानून कुछ भी करे पर यह पक्का है कि बहुत से पति अब पत्नी पर हाथ उठाने से पहले 2 बार सोचेंगे.

35+ विंटर लुक्स गाइड

सर्दियों का मौसम आते ही हमारे आसपास काफी कुछ बदलने लगता है. हमारे खानपान, रहनसहन से ले कर मेकअप के तरीकों और फैशन तक में बदलाव की बयार बहने लगती है. यह जरूरी भी है क्योंकि ठंड का मौसम हर चीज में परिवर्तन ला देता है. इस मौसम में ठंड से बचने के साथ ही स्टाइलिश और खूबसूरत दिखना भी काफी अहम होता है क्योंकि यह शादियों का और पार्टीज का मौसम होता है. अगर सर्दी के इस सीजन में आप भी अपने स्टाइल को मैंटेन करते हुए फैशनेबल दिखना चाहती हैं तो आप विंटर फैशन और मेकअप से जुड़ी इन बातों का खयाल जरूर रखें:

कैसा हो आप का फैशन

जींस के साथ लौंग जैकेट: सर्दियों के सीजन में लौंग जैकेट काफी चलन में रहती है. ज्यादातर लड़कियां स्टाइलिश लुक पाने के लिए इसे कैरी करती हैं. अगर आप भी इस विंटर स्टाइलिश लुक पाना चाहती हैं तो जींस और फुलस्लीव शर्ट, स्वैटर या टीशर्ट के साथ ऐंकल लैंथ या नी लैंथ लौंग कोट वियर कर सकती हैं. ये हर तरह के कलर में आते हैं और आप को ठंड से भी बचाते हैं. इस के साथ आप फुटवियर में शूज, ऐंकल लैंथ बूट्स पेयर कर पहन सकती हैं.

हाई वेस्ट ट्राउजर के साथ स्वैटर: ठंड से बचने के साथ ही स्टाइलिश दिखने के लिए बौटम स्टाइल हाई वेस्ट पैंट और स्वैटर कैरी कर सकती हैं. इस के साथ ऐंकल लैंथ बूट्स आप को परफैक्ट लुक देंगे. आप ढीलेढाले स्वैटर, फ्रिल स्टाइल स्वैटर और स्टाइलिश स्लीव वाले स्वेटर भी इस ट्राउजर के साथ कैरी कर सकती हैं.

स्वैटर के साथ स्कर्ट: पैंट या जींस के साथ स्वैटर पहनने के अलावा आप स्कर्ट के साथ भी इसे पेयर कर सकती हैं. इस के लिए आप चाहें तो वूलन स्कर्ट का चयन भी कर सकती हैं. स्टाइलिश दिखने के लिए नी लैंथ स्कर्ट के साथ स्वैटर पहनें. इस के अलावा हाई नैक स्वैटर के साथ भी स्कर्ट की पेयरिंग काफी शानदार लगेगी. वहीं फुटवियर में आप इस के साथ थाई हाई बूट पहन सकती हैं.

स्टौकिंस के साथ शौर्ट ड्रैस: सर्दियां आते ही ज्यादातर युवतियां, महिलाएं शौर्ट ड्रैस पहनने से परहेज करने लगती हैं. मगर एक खूबसूरत तरीका है जिस से आप बिना ठंड लगे भी शौर्ट ड्रैस कैरी कर सकती हैं. सर्दियों में शौर्ट ड्रैस पहनने के लिए सब से पहले ड्रैस के अंदर थर्मल वियर टौप पहनें और नीचे पैरों में वूलन स्टौकिंस पहन सकती हैं. इस के साथ नी लैंथ बूट्स, गले में मफलर और ड्रैस के ऊपर डैनिम या लैदर की जैकेट आप के लुक में चार चांद लगा देगी. सर्दियों में कैजुअल कपड़ों के साथ आप डैनिम जैकेट कैरी कर सकती हैं. यह आउटफिट के साथ काफी स्टाइलिश लुक देगी. आप इस डैनिम जैकेट को ट्रैंडी वूलन क्रौप टौप और टीशर्ट आदि के साथ स्टाइल कर सकती हैं.

वूलन लौंग ड्रैस: आप वूलन लौंग ड्रैस अपने लिए चुन सकती हैं. इस के साथसाथ आप शौर्ट जैकेट या कोट कैरी कर सकती हैं. यह आप को स्टाइलिश लुक देने के साथसाथ गरम भी रखेगा.

साड़ी के साथ ओवरकोट: सर्दियों में अगर आप शादी अटैंड कर रही हैं और साड़ी पहन रही हैं तो आप इस के साथ मैचिंग ओवर कोट पहन सकती हैं. यह आप के ट्रैडिशनल लुक को एक मौडर्न टच देगा साथ ही आप को सर्दियों से भी बचाएगा. प्रिंटेड या ऐंब्रौयडरी वाली जैकेट भी आप साड़ी के साथ वियर कर सकती है.

लहंगा विद जैकेट: अगर आप सर्दियों की शादी में जा रही हैं और सब से लेटैस्ट फैशन ट्रैंड्स के साथ खूबसूरत दिखना चाहती हैं तो लहंगे के साथ लौंग वूलन जैकेट आप के लिए बैस्ट औप्शन साबित हो सकता है. यह आउटफिट न केवल बेहद ऐलिगैंट और ग्रेसफुल लुक देगा बल्कि आप को सर्दी से भी पूरा बचाएगा. वूलन जैकेट के साथ आप चाहें तो भारी ऐंब्रौयडरी वर्क वाला लहंगा भी पहन सकती हैं या फिर साड़ी के साथ भी यह कौंबिनेशन बेहद स्टाइलिश लुक देगा.

पुलोवर के साथ मैचिंग पैंट: अपने मनपसंद कलर के पुलोवर के साथ मैचिंग पैंट और हाई हील्स आप को काफी अच्छा लुक देंगी. यह एक कैजुअल ड्रैस है जो कंफर्टेबल और स्मार्ट लुक देती है. आप साड़ी के साथ भी ब्लाउज के बजाय पुलोवर स्वैटर पहनी सकती हैं.

ब्लेजर देगा स्मार्ट लुक: विंटर में ब्लेजर एक बेहतरीन औप्शन है. ब्लेजर की खासीयत यह है कि दिखता बहुत स्टाइलिश है और इंडियन तथा वैस्टर्न दोनों आउटफिट के साथ सूट करता है. ब्लेजर को आप शर्ट, टीशर्ट, ट्यूनिक, साड़ी, लहंगा, स्कर्ट आदि के साथ पहन सकती हैं.

स्टाइलिश लुक के लिए स्किनी जींस: विंटर में आप अपने डेली वियर में स्किनी जींस को जरूर शामिल करें. इसे खास देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है और इसे पहन कर आप स्टाइलिश भी नजर आएंगी. विंटर में आप स्किनी जींस के साथ टीशर्ट, शर्ट, ट्यूनिक, कोट आदि पहन सकती हैं.

वूलन स्कार्फ से बढ़ाएं आकर्षण: विंटर में वूलन स्कार्फ न सिर्फ स्टाइलिश ऐक्सैसरीज का काम करता है बल्कि आप को ठंड से भी बचाता है. इसलिए विंटर में वूलन स्कार्फ को अपना स्टाइल स्टेटमैंट जरूर बनाएं. आप चाहे वैस्टर्न आउटफिट पहन रही हों या इंडियन वूलन स्कार्फ के साथ आप का आउटफिट और ज्यादा स्टाइलिश नजर आएगा. वूलन स्कार्फ को आप साड़ी, सलवारकमीज, ड्रैस, जींस, टीशर्ट आदि आउटफिट्स के साथ पहन सकती हैं.

ओवरकोट: विंटर फैशन में ओवरकोट की खास जगह है. फौर्मल लुक के लिए ब्लैक, ब्राउन, ग्रे, औफ व्हाइट आदि कलर्स के ओवरकोट पहने जा सकते हैं. कैजुअल लुक के लिए पिंक, पर्पल, यलो, रैड जैसे ब्राइट कलर्स के ओवरकोट चुनें.

कार्डिगन: सर्दी से बचने के लिए कार्डिगन सब से सुरक्षित और पौपुलर औप्शन है. कार्डिगन की खासीयत यह है कि आप इसे ट्रैडिशनल और वैस्टर्न दोनों तरह के आउटफिट्स के साथ पहन सकती हैं.

टर्टल नैक: टर्टल नैक पहनने का सही मौसम विंटर ही है. ठंड से बचाने के साथ ही यह नैकलाइन बहुत स्टाइलिश भी नजर आती है. आप भी विंटर में टर्टल नैकलाइन वाली ड्रैस, टीशर्ट, ब्लाउज आदि जरूर पहनें.

गाउन: सर्दियों में गाउन भी अच्छा औप्शन है. स्पैशल पार्टी फंक्शन में रैड, ब्लैक, पर्पल, फुशिया पिंक, गोल्डन, सिल्वर जैसे ब्राइट कलर का गाउन पहन कर जाएं.

पैंट सूट के साथ ब्लेजर: दफ्तर में फौर्मल कपड़े पहनना पसंद करती हैं तो पैंट सूट से खुद को स्टाइल करें. आजकल लड़कियां ब्लेजर पहनना पसंद करती हैं. ब्लेजर के साथ मैचिंग पैंट ट्रैंड में है. आप सूट पैंट या जींस के साथ ब्लेजर को अपना सकती हैं.

नया लुक पाने के लिए अपने कोट में लगाएं बैल्ट: कोट तो सभी पहनते हैं इसलिए यह बेहद आम आउटफिट दिखाई देता है जो बड़ा ही बोरियत महसूस करवा सकता है. इसलिए ठंड के मौसम में अपने पुराने बोरिंग कोट को स्टाइलिश और नया लुक देने के लिए आप इस में बैल्ट लगा सकती हैं जो लोगों की नजरों को आप की ओर खींचने का काम करेगी.

अपने आउटफिट के हिसाब से चुनें ज्वैलरी: आउटफिट के साथसाथ ज्यादा स्टाइलिश नजर आने के लिए सही ज्वैलरी का चयन करना भी बेहद जरूरी होता है. अपनी ड्रैस के अनुसार ही ज्वैलरी और ऐक्सैसरीज कैरी करें. ऐसा करना आप को दूसरों से अलग बनाएगा.

सूट को दें नया लुक: इस के अलावा अगर आप सूट पहनना पसंद करती हैं, तो इस के ऊपर आप डिजाइनर ऊनी दुपट्टा या स्टाइलिश शौल ओढ़ सकती हैं जो आप के लुक को एकदम अलग और ऐलिगैंट बनाने का काम करेगी.

इस विंटर फुटवियर से आप भी दिखें स्टाइलिश फुटवियर आप की ओवरऔल आउटफिट में निखार लाता है. आप कितनी भी बढि़या ड्रैस कैरी कर लें लेकिन जब तक सही फुटवियर नहीं पहनतीं तो आप की पर्सनैलिटी में निखार नहीं आता. सर्दी में आप जितना अपने आउटफिट के बारे में सोचती हैं उतना ही अपने जूतों के बारे में भी सोचिए. इस मौसम में जब तक आप के पास स्टाइलिश फुटवियर न हों तब तक आप के फैशन में नयापन नहीं जोड़ा जा सकता है. कुछ ऐसे शूज या बूट के औप्शन पर ध्यान दें जो स्टाइलिश लुक के लिए आप की लिस्ट में जरूर शामिल होने चाहिए.

आइए, जानते हैं इस सर्दी में कौन से शूज आप को ट्रैंडी और स्टाइलिश लुक दें सकते हैं:

हील्स वाले बूट्स: हील्स वाले बूट्स आप को एक अलग ही स्मार्ट लुक देते हैं. अगर आप मिडी स्टाइल ड्रैस के साथ बूट्स कैरी करने की सोच रही हैं तो अपनी कमर में चौड़ी बैल्ट जरूर लगाएं. इस से आप का लुक और ज्यादा क्लासी लगेगा. बैल्ट लगाने से आप की फिगर काफी ज्यादा खूबसूरत लगेगी. इस के साथ हील्स वाले बूट्स पहनें.

ऐंकल बूट्स: ये बूट्स आप के ऐंकल एरिया को कवर करते हैं इसलिए इन्हें ऐंकल लैंथ बूट्स के नाम से जाना जाता है. अगर आप ज्यादा अट्रैक्टिव लुक चुनना चाहती हैं, तो इन बूट्स को रिप्ड जींस के साथ पेयर कर सकती हैं. वैसे आप इन्हें किसी भी तरह की ड्रैस के साथ कैरी कर सकती हैं. बस इन्हें कैरी करते वक्त ध्यान रखें कि आप ने मोजे जरूर पहन रखे हों. इस से आप के लुक में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिलेगा. ये आप को सर्दी से बचाएंगे और साथ में इन से आप का लुक भी काफी क्लासी लगेगा.

ब्लैक पंप्स: क्लासिक ब्लैक पंप्स का फैशन सदाबहार है. क्लासिक पंप्स को आप किसी भी तरह की ड्रैस के साथ पहन सकती हैं. आप चाहें तो इन्हें फौर्मल पैंसिल स्कर्ट या फिर नाइट आउट बैल बौटम के साथ पहन सकती हैं.

पतले स्ट्रैप वाली हील्स: पतले स्ट्रैप वाली हील्स देखने में बहुत खूबसूरत लगती हैं, साथ ही लड़कियों को पसंद भी ज्यादा आती हैं. इन के स्ट्रैप एकदम पतले होते हैं. आप चाहें तो सिंगर स्ट्रैप होल्डिंग वाले शूज या फिर मल्टीपल स्ट्रैप होल्डिंग वाले शूज भी ले सकती हैं. जब आप इन हील्स को सौलिड कलर के साथ पहनती हैं तो ये और भी अच्छी लगती हैं.

व्हाइट स्नीकर्स: सर्दी में स्नीकर्स सर्दी से बचने का बैस्ट औप्शन हैं. यह फुटवियर कंफर्टेबल होने के साथ ही पैरों को आराम भी देता है. व्हाइट स्नीकर का दूसरे किसी भी तरह के जूते मुकाबला नहीं कर सकते हैं. इन्हें आप जींस, ट्राउजर या फिर किसी दूसरी ड्रैस के साथ भी पहन सकती हैं.

थाईहाई बूट्स: सर्दियों में ड्रैस पहननी हो तो उस के साथ बूट बैस्ट शूज होते हैं और अगर वे थाईहाई हों तो आप की पर्सनैलिटी में चार चांद लग जाते हैं. अगर आप ओवरसाइज हूडी पहनती हैं तो इस के साथ आप थाईहाई बूट्स पहन सकती हैं. ये काफी कंफर्टेबल तो होते ही हैं देखने में भी कूल लगते हैं. शौर्ट ड्रैस के साथ हमेशा लंबी हाइट वाले बूट्स ही पहनें. इन की हाइट करीब 6 इंच होनी चाहिए. ये बोल्ड लुक देंगे.

पोप कलर हील्स: अगर फन लुक पाना चाहती हैं तो पोप कलर हील्स पहनें. पोप कलर हील्स कुछ आउटफिट्स के साथ बहुत ही अच्छी लगती हैं. ये मुख्य रूप से न्यूट्रल कलर के कपड़ों के साथ अच्छी लगती हैं. आप इन में नियौन ग्रीन से ले कर कैंडी पिंक और पंप हील्स आदि कुछ भी चुन सकती हैं.

किटन हील्स: ग्लैमरस लुक पाने के लिए आप सर्दियों के मौसम में किटन हील्स ट्राई कर सकती हैं. ये हील्स आप के लुक को स्टाइलिश दिखाने के साथसाथ आप की हाइट भी ज्यादा दिखाएंगी. इन हील्स को आप अपने किसी भी वैस्टर्न आउटफिट के साथ मैच कर के पहन सकती हैं और स्टाइलिश दिख सकती हैं.

वेज हील्स: सर्दियों के मौसम में वेज हील्स आप को स्टाइलिश लुक दे सकती हैं. ये हील्स न केवल सुंदर लगती हैं बल्कि मजबूत और कंफर्टेबल भी होती हैं और आप को स्मार्ट लुक भी देती हैं. ये वेज हील्स बूट्स की तुलना में ज्यादा सुरक्षित भी होती हैं.

पंप्स हील्स: पंप्स हील्स देखने में बेहद ट्रैंडी और कूल दिखाई देती हैं जिन्हें आसानी से हर ड्रैस के साथ कैरी किया जा सकता है. मगर इस तरह की हील्स फौर्मल ड्रैस पर काफी अच्छी लगती हैं. आप जैकेट के साथ भी इन्हें आसानी से वियर कर सकती हैं.

ब्लैक बूट्स: ब्लैक बूट्स आप के लिए एक फैशन स्टेटमैंट की तरह काम करते हैं. ये बूट्स अपने लुक के साथ प्रयोग करने की चाहत रखने वाली लड़कियों के लिए बैस्ट औप्शन हैं. ब्लैक बूट्स आप को कूल लुक देते हैं.

ग्लैडिएटर सैंडल्स: वैस्टर्न आउटफिट्स हों या इंडियन आउटफिट्स सभी के साथ सैंडल अच्छे लगते हैं. इन में आप को कई तरह की वैरायटी मार्केट में आसानी से मिल जाएगी. इन्हें आप अपनी ड्रैस के साथ मैच कर के खरीद सकती हैं.

सर्दियों में मेकअप कैसे करें

सर्दियों के मौसम में स्किन बहुत ही ज्यादा ड्राई हो जाने के कारण मेकअप करने में बहुत ही ज्यादा कठिनाई होती है. ड्राई स्किन की वजह से सर्दियों में मेकअप करने के कारण चेहरा बहुत ही ज्यादा रूखा और बेजान सा दिखने लगता है, साथ ही हर मौसम का मेकअप अलगअलग होता है. सर्दियों के मौसम में मेकअप थोड़ा ब्राइट रखा जाता है. गरमी के मौसम में जिन रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है उन का सर्दियों के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस मौसम में मेकअप करते समय इन बातों का खयाल रखें:

मेकअप के स्टैप्स

मौइस्चराइज करें: सर्दियों में स्किन को सब से पहले अच्छी तरह से साफ कर के मौइस्चराइज करना जरूरी है ताकि मेकअप करते समय स्किन ड्राई न हो और उस में अच्छी तरह से मेकअप प्रोडक्ट मैल्ट हो सकें. इस के लिए मौइस्चराइजर से चेहरे को 4-5 मिनट तक मौइस्चराइज करें ताकि स्किन सौफ्ट बन जाए. अगर आप सर्दियों में मेकअप करने से पहले कच्चे दूध को रूई से अपने चेहरे पर लगाएं और चेहरे को साफ कर लें तो इस से आप का चेहरा साफ भी होगा और मौइस्चराइज भी हो जाएगा.

फेस सीरम लगाएं: इस मौसम में फेस सीरम लगाना अच्छा होता है. इस से आप की त्वचा हाइड्रेट रहेगी और वह मुलायम और चमकदार बनी रहेगी.

प्राइमर लगाएं: आप सर्दियों के अनुसार ऐसे प्राइमर का इस्तेमाल करें जो स्किन को ड्राई न करे. अगर आप की स्किन बहुत ज्यादा ड्राई है तो आप पैट्रोलियम जैली को भी प्राइमर की जगह अपने फेस पर अप्लाई कर सकती हैं.

कंसीलर लगाएं: अगर आप की आंखों के आसपास डार्क सर्कल्स हैं और चेहरे पर भी दागधब्बे हैं तो उन्हें छिपाने के लिए कंसीलर का उपयोग कर सकती हैं. लिक्विड या क्रीमी कंसीलर यूज करें और फाउंडेशन से लाइट शेड का कंसीलर लगाएं. कंसीलर को अच्छी तरह से आंखों के आसपास लगाएं और अच्छी तरह से मिलाएं.

फाउंडेशन लगाएं: सर्दियों में आप ग्लोइंग इफैक्ट के लिए क्रीमी या औयल बेस्ड फाउंडेशन यूज करें. फाउंडेशन के बदले बीबी या फिर सीसी क्रीम भी लगा सकती हैं.

आईशैडो और आईलाइनर का इस्तेमाल करें: अगर आप सर्दियों में आईशैडो और आईलाइनर लगा रही हैं तो ज्यादा ब्लैक और ब्राउन कलर या फिर पिंक, पर्पल, चौकलेट ब्राउन, फौरेस्ट ग्रीन और नेवी ब्लू जैसे कलर का आईशैडो लगाएं. इस से आंखें बहुत ही सुंदर दिखती हैं.

इस के बाद आप काजल और आईलाइनर का इस्तेमाल करें. अगर आप को काजल फैलने की समस्या है तो आप काजल लगाने से पहले आंखों के आसपास हलकाहलका सा फेस पाउडर या फिर कोई सा भी पाउडर लगा लें जिस से आप का काजल फैलेगा नहीं. अब आप मसकारा लगा ले.

ब्लश और हाइलाइटर लगाएं: सर्दियों में ज्यादा डार्क ब्लश का इस्तेमाल न करें. बहुत ही लाइट ब्लश लगाएं और ऊपर से थोड़ा सा हाइलाइटर लगा लें. अगर आप चाहें तो ब्लश और हाइलाइटर दोनों को मिक्स कर के हलका सा लगा सकती हैं.

अंत में लिपस्टिक: अब मेकअप कंप्लीट करने के लिए आप लिपस्टिक लगाएं. सर्दियों में डार्क कलर की लिपस्टिक ज्यादा पसंद की जाती है. आप डार्क मैरून कलर, डार्क रैड या फिर डार्क पिंक कलर की भी लिपस्टिक लगा सकती हैं. लिपस्टिक लगाने से पहले अपने होंठों को अच्छी तरह मौइस्चराइज करना न भूलें. आप की लिपस्टिक जिस कलर की है उस से बस थोड़ा सा डिफरैंट कलर का लिप लाइनर लें. यह आप के होंठों को परफैक्ट लुक देगा.

नेलपौलिश: नेलपौलिश के लिए डार्क रैड, बरगंडी, पर्पल और नेवी ब्लू जैसे कलर से इस मौसम में शानदार लुक आता है. इन को लगाने से पहले आप नेल्स को कोई शेप दे देती हैं तो अच्छा रहेगा.

विंटर सीजन में हेवी मेकअप केकी नजर आने लगता है. इसलिए मिनिमल और नैचुरल मेकअप ही बेहतर माना जाता है.

चुनें नौनऔयली मौइस्चराइजर: सर्दियों के दौरान स्किन में अकसर ड्राईनैस की समस्या बनी रहती है. ऐसे में मौइस्चराइजर को अवौइड करना कई स्किन प्रौब्लम्स का कारण बन सकता है. लेकिन ज्यादातर मौइस्चराइजर स्किन के औयली और डार्क होने का कारण बनते हैं जो आप के मेकअप लुक को खराब भी कर सकते हैं. ऐसे में नौनऔयली मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करना बेहतर साबित हो सकता है.

फेशियल औयल का करें इस्तेमाल: मिनिमल मेकअप के लिए फेशियल औयल का इस्तेमाल बेहतर साबित होता है. इस के लिए अगर आप नैचुरल औयल का इस्तेमाल करें तो ज्यादा फायदेमंद साबित होगा.

घबराना क्या: जिंदगी जीने का क्या यह सही फलसफा था

‘‘देखो बेटा, यह जीवन इतना लचीला भी नहीं है कि हम जिधर चाहें इसे मोड़ लें और यह मुड़ भी जाए. कुछ ऐसा है जिसे मोड़ा जा सकता है और कुछ ऐसा भी है जिसे मोड़ा नहीं जा सकता. मोड़ना क्या मोड़ने के बारे में सोचना ही सब से बड़ा भुलावा देने जैसा है, क्योंकि हमारे हाथ ही कुछ नहीं है. हम सोच सकते हैं कि कल यह करेंगे पर कर भी पाएंगे इस की कोई गारंटी नहीं है.

‘‘कल क्या होगा हम नहीं जानते मगर कल हम क्या करना चाहेंगे यह कार्यक्रम बनाना तो हमारे हाथ में है न. इसलिए जो हाथ में है उसे कर लो, जो नहीं है उस की तरफ से आंखें मूंद लो. जब जो होगा देखा जाएगा. ‘‘कुछ भी निश्चित नहीं होता तो कल का सोचना भी क्यों?

‘‘यह भी तो निश्चित नहीं है न कि जो सोचोगे वह नहीं ही होगा. वह हो भी सकता है और नहीं भी. पूरी लगन और फ र्ज मेहनत से अपना कर्म निभाना तो हमारे हाथ में है न. इसलिए साफ नीयत और ईमानदारी से काम करते रहो. अगर समय ने कोई राह आप को देनी है तो मिलेगी जरूर. और एक दूसरा सत्य याद रखो कि प्रकृति ईमानदार और सच्चे इनसान का साथ हमेशा देती है. अगर तुम्हारा मन साफ है तो संयोग ऐसा ही बनेगा जिस में तुम्हारा अनिष्ट कभी नहीं होगा. मुसीबतें भी इनसान पर ही आती हैं और हर मुसीबत के बाद आप को लगता है आप पहले से ज्यादा मजबूत हो गए हैं. इसलिए बेटा, घबरा कर अपना दिमाग खराब मत करो.’’

ताऊजी की ये बातें मेरा दिमाग खराब कर देने को काफी लग रही थीं कि कल क्या होगा इस की चिंता मत करो, आज क्या है उस के बारे में सोचो. कल मेरा इंटरव्यू है. उस के बारे में कैसे न सोचूं. कल का न सोचूं तो आज उस की तैयारी भी नहीं न कर पाऊंगा. परेशान हूं मैं, हाथपैर फूल रहे हैं मेरे. ताऊजी के जमाने में इतनी परेशानियां कहां थीं. उन के जमाने में इतनी स्पर्धा कहां थी. आज का सच यह है कि ठंडे दिमाग से पढ़ाई करो. मन में कोई दुविधा मत पालो. अपनेआप पर भरोसा रखो उसी में तुम्हारा कल्याण होगा.

‘‘क्या कल्याण होगा? नौकरी किसी और को मिल जाएगी,’’ स्वत: मेरे होंठों से निकल गया. ‘‘तुम्हें कैसे पता कि नौकरी किसी और को मिल जाएगी. तुम अंतरयामी कब से हो गए. ‘‘किसे क्या मिलने वाला है उसी में क्यों उलझे पड़े हो. अपना समय और ताकत इस तरह बरबाद मत करो, पढ़ने में समय क्यों नहीं खर्च कर रहे?’’ इतना कहते हुए ताऊजी ने एक हलकी सी चपत मेरे सिर पर लगा दी.

‘‘कब से यही कथा दोहरा रहे हो. मिल जाएगी किसी और को नौकरी तो मिल जाए. क्या उस से दुनिया में आग लग जाएगी और सबकुछ भस्म हो जाएगा. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, कुछ भी तो नहीं. यही दुनिया होगी और यही हम होंगे. संसार इसी तरह चलेगा. किसी दूसरी नौकरी का मौका मिलेगा. यहां नहीं तो कहीं और सही.’’

‘‘आप इतनी आसानी से ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं, ताऊजी. अगर मैं कल सफल न हो पाया तो…’’ ‘‘तो क्या होगा? वही तो समझा रहा हूं. जीवन का अंत तो नहीं हो जाएगा, दो हाथ तुम्हारे पास हैं. हिम्मत और ईमानदारी से अगर तुम ओतप्रोत हो तो क्या फर्क पड़ता है. मनचाहा अवश्य मिल जाएगा.’’

‘‘क्या सचमुच?’’ क्षण भर को लगा, कितना आसान है सब. ताऊजी जैसा कह रहे हैं वैसा ही अगर सच में जीवन का फलसफा हो तो वास्तव में दुविधा कैसी, कैसी परेशानी. जो हमारा है वह हम से कोई छीन नहीं सकता. मेहनती हूं, ईमानदार हूं. मेरे पास अपनी योग्यता प्रमाणित करने का एक यही तो रास्ता है न कि मैं पूरी तरह इंटरव्यू की तैयारी करूं. जो मैं कर सकता हूं उसी को पूरा जोर लगा कर कर डालूं, न कि इस दुविधा में समय बरबाद कर डालूं कि अगर किसी और को नौकरी मिल गई तो मेरा क्या होगा?

ताऊजी की बातें मुझे अब शीशे की तरह पारदर्शी लगने लगीं. दूसरी शाम आ गई. 24 घंटे बीत चुके और मेरा इंटरव्यू हो गया. अपनी तरफ से मैं ने सब किया जो भी मेरी क्षमता में था. मेरे मन में कहीं कोई मलाल न था कि अगर इस से भी अच्छा हो पाता तो ज्यादा अच्छा होता. गरमी की शाम जब उमस गहरा गई तो सभी बाहर बालकनी में आ बैठे. ताऊजी ने पुन: चुसकी ली :

‘‘हमारे जमाने में आंगन हुआ करते थे. आज आंगन की जगह बालकनी ने ले ली है. हर दौर की समस्या अलगअलग होती है. हर दौर का समाधान भी अलगअलग होता है. ऐसा नहीं कि हमारे जमाने में हमारा जीवन आसान था. अपनी मां से पूछो जब मिट्टी के तेल का स्टोव जलाने में कितना समय लगता था. आज चुटकी बजाते ही गैस का चूल्हा जला लो. मसाला चुटकी में पीस लो आज. हमारी पत्नी पत्थर की कूंडी और डंडे से मसाला पीसा करती थी. अकसर मसाले की छींट आंख में चली जाती थी…क्यों राघव, याद है न.’’

ताऊजी ने मेरे पापा से पूछा और दोनों हंसने लगे. चाय परोसती मां ने भी नजरें झुका ली थीं. ‘‘क्यों शोभा, तुम ने क्या अपने बेटे को बताया नहीं कि उस के मांबाप को किस ने मिलाया था. अरे, इसी डंडेकूंडे ने. मसाले की छींट तुम्हारी मां की आंख में चली गई थी और तुम्हारा बाप पानी का गिलास लिए पीछे भागा था.’’

‘‘मेरी मां आप के घर कैसे चली आई थीं?’’ ‘‘तुम्हारी बूआ की सहेली थीं न. दोनों कपड़े बदलबदल कर पहना करती थीं. कदकाठी भी एक जैसी थी. राघव नौकरी पर रहता था. काफी समय बाद घर आया और अभी आंगन में पैर ही रखा था कि तुम्हारी मां को आंख पर हाथ रख कर भागते देखा. समझ गया, मसाला आंख में चला गया होगा. सो तुम्हारी बूआ समझ झट से पानी ले कर पीछे भागा. मुंह धुलाया, तौलिया ला कर मुंह पोंछा और जब शक्ल देखी तो हक्काबक्का. तभी सामने तुम्हारी बूआ को भी देख लिया. गलती हो गई है समझ तो गया पर क्या करता.’’

‘‘फिर?’’ सहसा पूछा मैं ने. ताऊजी हंसने लगे थे. पापा भी मुसकरा रहे थे और मेरी मां भी. ‘‘फिर क्या बेटा, कभीकभी गलती हो जाना बड़ा सुखद होता है. राघव बेचारा परेशान. जानबूझ कर तो इस की बांह नहीं पकड़ी थी न और न ही गरदन पकड़ कर जबरदस्ती जो मुंह पोंछा था उस में इस का कोई दोष था. तुम्हारी मां अब तक यही समझ रही थी कि तुम्हारी बूआ उस की आंखें धुला रही है.’’ हंसने लगे पापा भी.

‘‘यह भी सोचने लगी थी कि एकाएक उस के हाथ इतने सख्त कैसे हो गए हैं. बारबार कहने लगी, ‘इतनी जोर से क्यों पकड़ रही है. धीरेधीरे पानी डाल,’ और मैं सोचूं कि मेरी बहन की आवाज बदलीबदली सी क्यों है?’’ पहली बार अपने मातापिता के मिलन के बारे में जान पाया मैं उस दिन. आज भी मेरे पिता का स्वभाव बड़ा स्नेहमयी है. किसी की पीड़ा उन से देखी नहीं जाती. बूआ से आज भी बहुत प्यार करते हैं. बूआ की आंख में मसाले की छींट का पड़ जाना उन्हें पीड़ा पहुंचा गया होगा. बस, हाथ का सामान फेंक उन की ओर लपके होंगे. ताऊजी से आगे की कहानी जाननी चाही तो बड़ी गहरी सी मुसकान लिए मेरी मां को ताकने लगे.

‘‘बड़ी प्यारी बच्ची थी तुम्हारी मां. इसी एक घटना ने ऐसी डोरी बांधी कि बस, सभी इन दोनों को जोड़ने की सोचने लगे.’’ ‘‘आप दोनों की दोस्ती हो गई थी क्या उस के बाद?’’ सहज सवाल था मेरा जिस पर पापा ने गरदन हिला दी. ‘‘नहीं तो, दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. कभी नजर आ जाती तो नमस्ते, रामराम हो जाती थी.’’ ‘‘आप के जमाने में इतना धीरे क्यों था सब?’’

‘‘धीरे था तो गहरा भी था. जरा सी घटना अगर घट जाती थी तो वह रुक कर सोचने का समय तो देती थी. आज तुम्हारे जमाने में क्या किसी के पास रुक कर सोचने का समय है? इतनी गहरी कोई भावना जाती ही कब है जिसे निकाल बाहर करना तुम्हें मुश्किल लगे. रिश्तों में इतनी आत्मीयता अब है कहां?’’ पुराना जमाना था. लोग घर के बर्तनों से भी उतना ही मोह पाल लेते थे. हमारी दादी मरती मर गईं पर उन्होंने अपने दहेज की पीतल की टूटी सुराही नहीं फेंकी. आज डिस्पोजेबल बर्तन लाओ, खाना खाओ, कूड़ा बाहर फेंक दो. वही हाल दोस्ती में है भई, जल्दी से ‘हां’ करो नहीं तो और भी हैं लाइन में. तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही.

‘‘जेट का जमाना है. इनसान जल्दी- जल्दी सब जी लेना चाहता है और इसी जल्दी में वह जीना ही भूल गया है. न उसे खुश रहना याद रहा है और न ही उसे यही याद रहता है कि उस ने किस पल किस से क्या नाता बांधा था. रिश्तों में गहराई नहीं रही. स्वार्थ रिश्तों पर हावी होता जा रहा है. जहां आप का काम बन गया वहीं आप ने वह संबंध कूड़ेदान में फेंक दिया.’’

ताऊजी ने बात शुरू की तो कहते ही चले गए, ‘‘मैं यह नहीं कहता कि दादी की तरह घर को कूड़ेदान ही बना दो, जहां घर अजायबघर ही लगने लगे. पुरानी चीजों को बदल कर नई चीजों को जगह देनी चाहिए. जीवन में एक उचित संतुलन होना चाहिए. नई चीजों को स्वीकारो, पुरानी का भी सम्मान करो. इतना तेज भी मत भागो कि पीछे क्याक्या छूट गया याद ही न रहे और इतना धीरे भी मत चलो कि सभी साथ छोड़ कर आगे निकल जाएं. इतने बेचैन भी मत हो जाओ कि ऐसा लगे जो करना है आज ही कर लो कल का क्या भरोसा आए न आए और निकम्मे हो कर भी इतना न पसर जाओ कि कल किस ने देखा है कौन कल के लिए आज सोचे.

‘‘तुम्हारे पापा की शादी हुई. शोभा हमारे घर चली आई. इस ने भी कोई ज्यादा सुख नहीं पाया. हमारी मां बीमार थीं, दमा की मरीज थीं और उसी साल मेरी पत्नी को ऐसा भयानक पीलिया हुआ कि एक ही साल में दोनों चली गईं. इस जरा सी बच्ची पर पूरा घर ही आश्रित हो गया. ‘‘इस से पूछो, इस ने कैसेकैसे सब संभाला होगा. जरा सोचो इस ने अपना चाहा कब जिया. जैसेजैसे हालात मुड़ते गए यह बेचारी भी मुड़ती गई. मेरी छोटी भाभी है न यह, पर कभी लगा ही नहीं. सदा मेरी मां बन कर रही यह बच्ची. जरा सी उम्र में इस ने कब कैसे सभी को संभालना सीखा होगा, पूछो इस से.

‘‘मेरे दोनों बच्चे कब इसे अपनी मां समझने लगे मुझे पता ही नहीं चला. तुम्हारे दादा और हम तीनों बापबेटे इसे कभी कहीं जाने ही नहीं देते थे क्योंकि हम अंधे हो जाते थे इस के बिना. इस का भी मन होता होगा न अपनी मां के घर जाने का. 18-20 साल की बच्ची क्या इतनी सयानी हो जाती है कि हर मौजमस्ती से कट जाए.’’ ताऊजी कहतेकहते रो पड़े. मेरे पापा और मां गरदन झुकाए चुपचाप बैठे रहे. सहसा हंसने लगे ताऊजी. एक फीकी हंसी, ‘‘आज याद आता है तो बहुत आत्मग्लानि होती है. पूरे 10 साल यह दोनों पतिपत्नी मेरे परिवार को पालते रहे. अपनी संतान का तब सोचा जब मेरे दोनों बच्चे 15-15 साल के हो गए. कबकब अपना मन मारा होगा इन्होंने, सोच सकते हो तुम?’’

मन भर आया मेरा भी. ताऊजी चश्मा उतार आंखें पोंछने लगे. ताऊजी के दोनों बेटे आज बच्चों वाले हैं. मुझ से बहुत स्नेह करते हैं और मां को तो सिरआंखों पर बिठाते हैं. बहुत मान करते हैं मेरी मां का. ‘‘क्या जीवन वास्तव में आसान होता है, बताना मुझे. नहीं होता न. मुश्किलें तो सब के साथ लगी हैं. प्रकृति ने सब का हिस्सा निश्चित कर रखा है. हमारा हिस्सा हमें मिलेगा जरूर. नौकरी के इंटरव्यू पर ही तुम इतना घबरा रहे थे. कल पहाड़ जैसे जीवन का सामना कैसे करोगे?’’ सुनता रहा मैं सब.

सच ही कह रहे हैं ताऊजी. मेरा बचपन तो सरलसुगम है और जवानी आराम से भरपूर. क्या स्वस्थ तरीके से बिना घबराए, ठंडे मन से मैं अपनी नौकरी के अलगअलग साक्षात्कार की तैयारी नहीं कर सकता? आखिर घबराने जैसा इस में है ही क्या? कल का कल देखा जाएगा पर ऐसी भी क्या बेचैनी कि जो सुखसुविधा आज मेरे पास है उस का सुख भी नकार कर सिर्फ कल की ही चिंता में घुलता रहूं. क्यों जीना ही भूल जाऊं?

जो मेरा है वह मुझे मिलेगा जरूर. मैं ईमानदार हूं, मेहनती हूं प्रकृति मेरा साथ अवश्य देगी. सच कहते हैं ताऊजी, आखिर घबराने जैसा इस में है ही क्या? कल क्या होगा देख लेंगे न. हम हैं तो, कुछ न कुछ तो कर ही लेंगे.

क्या फर्क पड़ता है: भाग 2

कभी मेरा चेहरा और कभी शाल को देखने लगीं सोम की मां. सोम की मां ही तो हैं ये…मैं इन का क्या चुरा ले जाता हूं, अगर कुछ पल इन से मिल लेता हूं? जिस के पास समूल होता है उस का दिल इतना छोटा तो नहीं होना चाहिए न. मां तो सोम की ही हैं, वे मेरी थोड़े न हो जाएंगी.

‘‘आज इतने दिनों बाद आया है, बात भी नहीं कर रहा. क्या हुआ है तुझे? बात तो कर बच्चे.’’

सोम सामने चला आया. उस के चेहरे पर विचित्र भाव है.

‘‘बस, मौसीजी…आप को यह शाल देने आया था. अब चलता हूं नहीं तो 7 वाली बस निकल जाएगी.’’

‘‘बैठ, बैठ…हलवा तो खा कर जा. मां ने खास तेरे लिए बनाया है. दिनरात मां तेरे ही नाम की माला जपती हैं. अब आया है तो बैठ जा न,’’ सोम ने कहा, ‘‘इतनी ही देर हो रही है तो आए ही क्यों. मेरे हाथ ही शाल भेज देते न.’’

विचित्र सा अवसाद होने लगा मुझे. जी चाहा, कमरे की छत ही फाड़ कर बाहर निकल जाऊं. और वास्तव में ऐसा ही हुआ. पलक झपकते ही मैं सड़क पर था. सोम मेरे पीछे लपका था और मौसी आवाजें देती रही थीं पर मैं पीछे पलटा ही नहीं.

किसी तरह अपने कमरे में पहुंचा. न जाने कितनी बार मोबाइल पर सोम की कौल आई लेकिन बात नहीं की मैं ने. मैं क्या इतना कंगाल हूं जो किसी की भीख पर जीने लगूं. ऐसी भी क्या कमी है मुझे जो सोम की मां में अपनी ही मां की सूरत तलाशती  रहें मेरी आंखें. मां का प्यार तो अथाह सागर होता है जिस में समूल संसार को समेट ले जाने की शक्ति होती है. चाची हैं न मेरे पास जो मुझे इतना प्यार करती हैं. क्यों चला गया मैं सोम के घर पर? क्या जरूरत थी मुझे?

2 दिन की छुट्टी थी. अपना घर संवारने में ही मैं व्यस्त रहा. सोमवार सुबह आफिस जाते ही सोम सामने पड़ गया.

‘‘अजय, उस दिन तुम्हें क्या हो गया था. मां कितनी परेशान हैं तुम्हें ले कर. मोबाइल भी नहीं उठा रहे हो तुम.’’

‘‘वे तुम्हारी मां हैं. उन की परेशानी तुम समझो. भला मैं उन का क्या लगता हूं जो…’’

‘‘ऐसा मत कहो, अजय,’’ बीच में बात काटते हुए सोम बोला, ‘‘तुम्हारा ही खून तो बहता है उन के शरीर में. उस दिन तुम न होते तो क्या होता.’’

‘‘मैं न होता तो कोई और होता. सोम, इनसानियत के नाते मैं ने खून दिया. इस से कोई रिश्ता थोड़े न बन जाता है.’’

‘‘बन जाता है कभीकभी. खून से भी रिश्ता बनता है. अब देखोे न मेरा खून उन से नहीं मिला. रिश्ता नहीं है तभी तो खून नहीं मिला. मैं उन का अपना होता तो क्या खून न मिलता.’’

‘‘तुम्हारा खून उन से नहीं मिला उस से क्या फर्क पड़ता है. कभीकभी मांबच्चे का खून नहीं भी मिलता. मेरा खून उन से मिल गया इस से वे मेरी मां तो नहीं न हो जातीं. अरे, भाई, वे तुम्हारी मां हैं और तुम्हारी ही रहेंगी. तुम्हारा खून उन से नहीं मिला उस की खीज तुम मुझ पर तो मत उतारो. जा कर किसी डाक्टर से पूछो… वह तुम्हें बेहतर समझा पाएगा.’’

लंच बे्रक में भी मैं सोम को टाल गया और शाम को घर आते समय भी उस से किनारा कर लिया. मुझे क्या जरूरत है किसी के घर में अशांति, खलबली पैदा करने की. मैं अपने को भावनात्मक रूप से इतना अतृप्त मानूं ही क्यों कि किसी की थाली में परोसा भोजन देख मेरी भूख जाग जाए जबकि सोचूं तो मेरा मन गले तक भरा होना चाहिए. चाची के रूप में ऐसी मां मिली हैं जो मुझे मेरी खुशी में ही अपने बच्चों की भी खुशी मानती हैं.

चाची न पालतीं तो मेरा क्या होता. सोचा जाए तो बड़े होतेहोते किसे याद रहता है अपना बचपन. जिसे मां के रूप में देखता रहा वही मां हैं और अगर मां को देखा भी था तो कहां वह सूरत आज मुझे याद है. होश संभाला तो चाची को देखा और चाची ही याद हैं मुझे. तो मेरी मां कौन हुईं? चाची ही न?

पागल और नाशुक्रा तो मैं हूं न, जिस ने आज तक चाची को चाची ही कह कर पुकारा. चाची कबकब मेरी मां नहीं थीं जो मैं अपने मन में उम्र भर एक शूल सा चुभोता रहा कि बिन मां का हूं.

शाम को घर पहुंचा और अभी खाने की तैयारी कर रहा था कि दरवाजे पर सोम और उस की मां को खड़े पाया. मेरी दी हुई शाल ओढ़ रखी थी उन्होंने.

‘‘क्या बात है बेटा, मां से नाराज है. सोम तो नादान है. उस की वजह से अपना मन मैला मत कर.’’

‘‘नहीं तो, मौसी…’’

क्या कहता मैं. मौसी मुझे गले लगा कर रोने लगी थीं और अपराधी सा सोम सामने खड़ा था.

‘‘जन्म दे देने से ही कोई मां नहीं बन जाती बेटे, इस सोम को ही देख. मैं ने इसे जन्म नहीं दिया… मैं ने कभी किसी संतान को जन्म नहीं दिया, तो क्या मैं इस की मां नहीं हूं. क्या बांझ हूं मैं?’’

यह सुन कर मेरा सर्वांग कांपने लगा. यह क्या कह रही हैं मौसी. उन का चेहरा सामने किया. कितनी प्यारी कितनी पवित्र हैं मौसी. पुन: वही इच्छा सिर उठाने लगी… मेरी भी मां होतीं तो कैसी होतीं.

‘‘सोम हमारा गोद लिया बच्चा है. उसी तरह प्रकृति ने तुम्हें मुझ से मिला दिया. मेरे मन ने तुम्हें अपना बेटा माना है बेटे. मैं 2-2 बेटों की मां हूं. क्या तुम्हें लगता है मेरी गोद इतनी छोटी है जिस में तुम दोनों नहीं समा सकते. क्या सचमुच मैं बांझ ही हूं जिसे अपनी ममता पर सदा एक प्रश्नचिह्न ही सहना पड़े.’’

गूंगा सा हो गया मैं. क्या सच में मौसी ऐसा सोच रही हैं?

‘‘ऐसा नहीं है मां. मैं मानता हूं कि मुझ से गलती हुई है, लेकिन मैं ने ऐसा तो कभी नहीं कहा कि तुम मुझ से प्यार नहीं करती हो,’’ सोम रोंआसा हो गया था.

‘‘यही सच है सोम. जब से तुम्हें पता चला है कि मैं तुम्हारी जन्मदात्री मां नहीं हूं तभी से तुम्हारा रवैया मेरे प्रति बदल गया है. जरा सी बात पर भी तुम्हारा व्यवहार इतना पराया हो जाता है मानो कोई रिश्ता ही न हो हम में. न तुम स्वयं जीते हो न ही मुझे जीने देते होे, क्या अब मेरी बाकी की उम्र यही प्रमाणित करने में बीत जाएगी कि मेरी ममता में खोट नहीं है. मैं तो भूल ही गई थी कि तुम्हें गोद लिया था.’’

सारी की सारी कथा का सार पानी जैसा साफ हो गया मेरे सामने. रिश्तों के दांवपेच कितने मुश्किल होते हैं न जिन्हें समझने का दावा नहीं किया जा सकता. सोम रो पड़ा था अपनी मां को मनातेमनाते. किसी भी औरत के लिए ‘बांझ’ शब्द कितनी तकलीफ देने वाला है. मेरी तरफ अपनी मां का झुकाव सहा नहीं गया होगा सोम से क्योंकि रिश्ते की कमजोर नस यही है कि मौसी ने उसे जन्म नहीं दिया.

‘‘ऐसा मत सोचिए मौसी. कौन आप से आप की ममता का प्रमाण मांग सकता है. 2-2 बच्चों की मां हैं न आप. आप की गोद में तो हजारों बच्चों के लिए जगह है. हमारी तो कोई बिसात ही नहीं जो…’’ मौसी का चेहरा अपने सामने किया मैं ने.

बेऔलाद: भाग 3- क्यों पेरेंट्स से नफरत करने लगी थी नायरा

‘‘मेरे बारे में?’’ नरेशा हंसा और बोला, ‘‘अब क्या बताऊं मैडमजी, जब मैं 10 साल का था तभी मेरे पिताजी मुझे छोड़ कर चले गए और कुछ महीने बाद दादी भी हमें अकेला कर गईं. फिर मां ने लोगों के कपड़े सिल कर मुझे बड़ा किया, पढ़ायालिखाया. लेकिन मेरा मन पढ़ने में जरा भी नहीं लगता था. सोचता, क्या करूं जो मां को काम न करना पड़े. इसलिए मैं ने एक गैराज में नौकरी कर ली. लेकिन वहां भी मेरा मन नहीं लगा, तो गाइड बन गया और आज आप के सामने खड़ा हूं,’’ बोल कर नरेश हंसा तो जोली भी खिलखिला पड़ी. नरेश कहने लगा कि अब यही उस की छोटी सी दुनिया है.

‘‘नरेश… तुम्हारी यह छोटी सी दुनिया बहुत ही सुंदर है और देखो अब मैं भी तुम्हारी इस छोटी सी दुनिया की सदस्य बन गई न,’’ बोल कर जोली ने नरेश को चूम लिया.

जोली के ऐसे व्यवहार से नरेश का पूरा शरीर सिहर उठा. वह तो

सम?झ ही नहीं सका कि एकदम से यह क्या हो गया. अपलक वह जोली को देखने लगा.

‘‘क्या हुआ… करंट लगा?’’ बोल कर जोली ने फिर उस के गालों पर किस कर लिया, ‘‘अच्छे लगते हो तुम मुझे,’’ बोल कर जोली ने उस की आंखों में ?झंका तो शरमा कर उस ने अपनी नजरें ?झका लीं. एकांत में जब 2 युवा दिल मिलते हैं तो अपनेआप उन के बीच की दूरियां सिमट कर छोटी हो जाती हैं. यहां भी यही हुआ. दोनों की मरजी से कुछ ही पलों में दोनों के बीच की सारी औपचरिकताएं मिट गईं और फिर ऐसा बारबार होने लगा. लेकिन जोली के लिए यह कोई नई बात नहीं थी. उस के लिए तो यह पेट की भूख की तरह था. मगर नरेश इसे प्यार सम?झ बैठा. जोली हर रात नरेश के आगोश में समा जाती और वह जोली को ले कर रोज नए सपने बुनता.

नरेश को अब हर चीज में जोली ही दिखाई पड़ती थी. उस की हर सांस जोली का ही नाम जपती. उस का दिल सिर्फ और सिर्फ जोली के लिए ही धड़कता था. उस के हर खयाल में सिर्फ जोली ही होती थी. जब वह सोता तो जोली के सपने आते और जागता तो जोली के खयालों में खोया रहता. जोली के बारे में सोच कर वह अकेले में हंसता, तो कभी उदास हो जाता था. वह दीवानों की तरह जोली से प्यार करने लगा था. उस से एक पल की भी दूरी अब उस से सहन नहीं होती थी. जोली के बिना वह खुद को अधूरा महसूस करने लगा था.

उस के बदले व्यवहार को देख कर नरेश के दोस्त उसे पागलदीवाना बुलाने लगे थे. कहते हैं इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता. पुष्पा को भी सम?झ आ गया था कि दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे हैं. वैसे मन ही मन पुष्पा भी जोली को पसंद करने लगी थीं. बल्कि वे तो नरेश और जोली की शादी के सपने भी देखने लगी थीं. मगर दोनों ने अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं किया था. इसलिए कई बार उन्होंने घुमाफिरा कर नरेश से पूछा भी कि जोली उसे पसंद है? प्यार करता है वह उस से? लेकिन शर्मीला नरेश मुसकरा कर बस अपनी नजरें ?झका लेता था.

उधर जोली कहती कि हां, नरेश उसे अच्छा लगता है और वह तो इतना प्यारा है कि किसी को भी उस से प्यार हो जाएगा.

‘‘नरेश, तुम मु?झ से प्यार तो करते हो न?’’ नरेश की बांहों के घेरे में सिमटी जोली बोल रही थी.

‘‘हां, जोली, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं,’’ जोली के रेशमी बालों से खेलते हुए नरेश बोला, ‘‘जोली, मैं तुम से इतना ज्यादा प्यार करता हूं कि तुम्हारे बिना जी नहीं सकता.’’

‘‘विल यू मैरी मी?’’

जोली की बात पर नरेश ने ?झट से ‘हां’ कह कर उस का हाथ थाम लिया.

‘‘अरे, छोड़छोड़ मेरा हाथ,’’ जब पुष्पा जोर से चिल्लाईं तो नरेश हड़बड़ा कर उठा बैठा. ‘ओह, तो क्या यह सपना था और मैं ने मां का हाथ… नरेश लज्जित हो उठा.

‘‘ले चाय पी और जा कर देख जोली कब से तुम्हें आवाज लगा रही है.’’

मगर नरेश ने चाय छुआ नहीं था और तुरंत जोली के पास पहुंच गया.

‘‘देखो, इस लड़के को… अरे, चाय तो पी जाता, ठंडी हो जाएगी,’’ पीछे से पुष्पा चिल्लाईं. लेकिन नरेश कहां सुनने वाला था.

पुष्पा ने सोचा वहीं जा कर उसे चाय दे आतीं वरना ठंडी हो जाएगी.

इधर नरेश जब कमरे में पहुंचा, तो देखा जोली बाथरूम से आ कर निढाल सी बिस्तर पर पड़ गई.

‘‘क्या हुआ, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’ जोली का हाथ अपने हाथों से मसलते हुए नरेश ने पूछा तो वह रोने लगी.

‘‘अरे, क्या हुआ बताओ तो?’’ नरेश अब घबरा उठा.

‘‘नरेश… आई एम प्रैगनैंट.’’

‘‘प्रैगनैंट यानी तुम मां बनाने वाली हो और मैं पापा… ओह जोली, तुम ने तो मुझे खुश कर दिया,’’ और फिर जोली को अपनी गोद में उठा लिया और उसे चूमने लगा. उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो उस ने सुना वह सच है.

‘‘नरेश… नरेश… नीचे उतारो मुझे और इस का कोई रास्ता ढूंढ़ो जल्दी…’’

मगर खुशी से बौखलाया नरेश गुनगुनाने लगा, ‘‘ये हरियाली और ये रास्ता… इन

राहों पर चल कर हम और तुम…’’

‘‘नरेश,’’ जोली जोर से चीख पड़ी, ‘‘मैं तुम से शौल्यूशन मांग रही हूं और तुम हो कि पागलों की तरह गाना गा रहे हो. बताओ मुझे अब मैं क्या करूं? तुम्हें तो ध्यान रखना चाहिए था न.  वैसे गलती मेरी भी थी. सोचा था कैमिस्ट से जा कर बर्थकंट्रोल पिल ले आऊंगी पर भूल गई. लेकिन जो भी हो, मुझे यह बच्चा अबोर्ट करना है.’’

‘‘अबौर्ट मतलब गर्भपात?’’ नरेश चौंका, ‘‘पर क्यों जोली? यह बच्चा तो हम दोनों के प्यार की निशानी है. हां, मुझे पता है तुम यही सोच रही हो कि लोग क्या कहेंगे. बिन ब्याही मां बनना किसी भी लड़की के लिए शर्मिंदगी की बात होती है. इसलिए हम कल ही शादी कर लेंगे.’’

‘‘व्हाट,’’ अब चौंकने की बारी नरेश की थी, ‘‘शादी, प्यार, बच्चा… यह क्या बोले जा रहे हो तुम? नो… नो… तुम शायद गलत सम?झ रहे हो.’’

‘‘कुछ गलत नहीं सम?झ रहा हूं मैं बल्कि सब सही हो जाएगा. हम आज ही मंदिर में जा कर शादी कर लेंगे, फिर लोगों को कुछ बोलने का मौका ही नहीं मिलेगा,’’ उत्साह से भरा नरेश अपनी ही रौ में बोलता चला जा रहा था.

डर: क्या वृद्ध दंपती ने अंजान लड़की की मदद की

‘‘पता नहीं कैसेकैसे बेवकूफ लोग हैं. अखबार नहीं पढ़ते या पढ़ कर भी नहीं समझते अथवा समझ कर भी भूल जाते हैं और हर बार एक ही तरह से बेवकूफ बनते जाते हैं,’’ मेज पर अखबार पटकते हुए पति झल्लाए.

‘‘ऐसा क्या हुआ?’’ चाय के कप समेटते हुए मैं ने पूछा.

‘‘होना क्या है, फिर किसी बुजुर्ग महिला को कुछ लोगों ने लूट लिया, यह कह कर कि आगे खून हो गया है… मांजी अपने गहने उतार दीजिए…अरे खून होने से गहने उतारने का क्या संबंध और फिर खून तो हो चुका…उस के बाद खूनी वहां थोड़े खड़ा होगा. पता नहीं लोग लौजिकली क्यों नहीं सोचते? बस, आ गई बातों में और गहने उतार कर दे दिए.’’

‘‘अरे, वे तो बूढ़ी महिलाओं को निशाना बनाते हैं… घबरा जाती हैं बेचारी और फिर झांसे में आ जाती हैं.’’

‘‘अरे, बूढ़ी नहीं 35-40 साल की कामकाजी महिलाएं भी नहीं समझ पातीं. खैर मान लिया महिलाएं हैं लेकिन कितने ही आदमी भी तो ठगे जाते हैं… लड़कियां लिफ्ट लेती हैं और फिर सुनसान रास्ते पर गाड़ी रुकवा कर लूट लेती हैं…जब पता है कि आप का रास्ता सुनसान है तो क्यों देते हैं लोग लिफ्ट?’’

‘‘अब बेचारे मना नहीं कर पाते लड़कियों को मदद करने से…क्या करें,’’ मैं ने हंसते हुए कहा.

‘‘हां तुम्हें तो मौका मिल गया न हम मर्दों को कोसने का. हम तो बस…’’

‘‘अरे, आप इतना नाराज क्यों होते हैं? शायद हालात ही ऐसे होते होंगे… इंसानियत भी तो कोई चीज है. फिर किसी के माथे पर थोडे़ लिखा होता है कि जिस की आप मदद करने जा रहे हैं वह धोखेबाज है. चलिए, अब नहा लीजिए औफिस के लिए देर हो जाएगी,’’ मैं ने बात खत्म करते हुए कहा.

वैसे बात सही है. रोज तो एकजैसी घटनाएं होती हैं, पैदल चलती महिलाओं की चेन ?ापटना, मोबाइल छीन लेना, गहने उतरवा लेना, लिफ्ट ले कर लूट लेना…लेकिन पता नहीं क्यों लोग इस के बावजूद सीख नहीं लेते?

‘‘देर हो रही है, जल्दी चलिए न…हौस्पिटल दूर है. किसी को देखने जाना हो और वह भी इतनी देर से, ठीक नहीं लगता. फिर लौटने में भी देर हो जाएगी,’’ मैं ने जल्दी मचाते हुए कहा.

‘‘हां भई, चलो, अभी बहुत देर भी नहीं हुई है,’’ पति गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोले.

घर से थोड़ी ही दूर मोड़ पर एक लड़की खड़ी थी. लगभग गाड़ी के सामने ही खड़े हो कर उस ने हाथ दिया तो गाड़ी रोकनी पड़ी.

‘‘अंकल प्लीज मेरी मदद कीजिए…प्लीज मेरी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है.’’

सड़क के किनारे एक कार खड़ी थी. ऐसा लगा कि कच्ची सड़क की गीली मिट्टी में फंस गई है. अब मना तो किया नहीं जा सकता था. अत: पति तुरंत गाड़ी से उतर गए और उस की गाड़ी में बैठ कर गाड़ी स्टार्ट कर दी. गाड़ी निकालने की बड़ी कोशिश की लेकिन गाड़ी नहीं निकली. अब तक मैं भी गाड़ी से उतर आई थी. इस सुनसान रास्ते पर एक अकेली लड़की की मदद करने का एहसास सुखद था. वह लड़की भी मेरे पास आ कर खड़ी हो गई. तभी उस के मुंह से आई शराब की गंध से मैं 2 कदम पीछे हट गई. उफ, इस ने तो शराब पी रखी है. अब मैं ने गाड़ी को ध्यान से देखा तो पता चला कि गाड़ी का अगला हिस्सा दबा हुआ है, जिस की वजह से पहिया आगे को नहीं घूम पा रहा है. तभी एक गाड़ी वहां से निकली. हमारी गाड़ी बीच में खड़ी थी. खैर, गाड़ी को साइड में कर के मैं फिर जल्दी से बाहर आ गई. तब तक पति भी उस लड़की की गाड़ी से बाहर आ गए थे.

‘‘कहां रहती हो? कहां जाना है?’’ मैंने पूछा.

‘अब यह गाड़ी नहीं निकल सकती, बिना क्रेन के यह तो तय है. समय निकला जा रहा है. हमें तो हौस्पिटल जाना है…यह किस मुसीबत में फंस गए हम,’  मैं ने मन ही मन सोचा.

‘‘अंकल, प्लीज कुछ करिए न…मुझे मूसाखेड़ी जाना है… मेरी गाड़ी को पता नहीं क्या हो गया है.’’

‘‘लेकिन तुम यहां आई किस के घर हो? मूसाखेड़ी तो यहां से बहुत दूर है?’’

‘‘आंटी मैं अपनी एक सहेली के यहां आई थी. वह इसी कालोनी में रहती है.’’

‘‘तो तुम उसी के यहां चली जाओ. गाड़ी लौक कर दो. सुबह को फोन कर के क्रेन मंगवा लेना,’’ मैं ने किसी तरह पीछा छुड़ाने की गरज से कहा.

‘‘आंटी, मेरा उस सहेली से झगड़ा हो गया है. अब मैं उस के घर नहीं जा सकती. आप लोग कहां जा रहे हैं? आंटी प्लीज मुझे लिफ्ट दे दीजिए.’’

‘‘कहां रहती है तुम्हारी सहेली?’’ मैं ने पूछा तो उस ने दूर एक घर की तरफ इशारा कर दिया.

‘‘बेटा, सहेलियों में झगड़ा होता ही रहता है…वह सहेली है तुम्हें परेशानी में देख कर

जरूर मदद करेगी,’’ मैं ने फिर पीछा छुड़ाने की कोशिश की.

‘‘आंटी, मैं अच्छे घर से हूं…मेरे पापा बहुत बड़ी पोस्ट पर हैं. प्लीज आंटी मेरी मदद करिए…मैं यहां से कैसे जाऊंगी?’’

‘‘अपने घर से किसी को बुला लो,’’ मैं किसी भी तरह से इस बिन बुलाई मुसीबत से पीछा छुड़ाना चाहती थी.

‘‘आंटी, मैं होस्टल में रहती हूं. यहां कोई फैमिली मैंबर नहीं है… आप कहां तक जा रहे हैं? मु?ो किसी टैक्सी स्टैंड तक छोड़ दीजिए, प्लीज.

उफ, वही हुआ जिस का डर था. कालोनी के बाहर सुनसान रास्ता…रात का समय…एक अकेली लड़की को लिफ्ट देना…अखबार में पढ़ी खबरें… जानबू?ा कर बेवकूफ बनना… बहुत सारी बातें एकसाथ दिमाग में घूम गईं. पर फिर मन पिघलने लगा कि लड़की रात के समय अकेली कहां जाएगी? लेकिन सुनसान रास्ते पर उसे गाड़ी में बैठा कर ले जाना भी तो खतरे से खाली नहीं है. कहीं कुछ हो गया तो? घर में बच्चे इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अगर इसे अकेले यहां छोड़ दिया तो? नहींनहीं यह तो कोई बात नहीं कि अपने डर की वजह से किसी अकेली लड़की की मदद न की जाए. अत: हम ने मदद की हामी भर दी.

गाड़ी ठीक से लौक कर वह हमारी गाड़ी में बैठ गई. पूरी गाड़ी शराब की गंध से भर गई. शीशे खोलने पड़े. मैं ने पति की तरफ देखा. सम?ा तो वे भी रहे थे, लेकिन बिना मदद किए वहां से आगे बढ़ जाना ठीक भी नहीं था.

गाड़ी ने कालोनी का रास्ता तय कर मोड़ लिया तो सुनसान रास्ता शुरू हो गया. इसी के साथ मेरे दिल की धड़कनें भी तेज हो गईं कि अगर 3-4 लोग रास्ता रोक लें तो कुछ नहीं किया जा सकता. उन पर गाड़ी तो नहीं चढ़ाई जा सकती…पता नहीं हम सही कर रहे हैं या नहीं?

जैसेजैसे रास्ता सुनसान होता गया मैं और अधिक चौकन्नी हो कर बैठ गई. मोबाइल हाथ में ले लिया. साइड मिरर से उस लड़की पर नजर रखे थी. तभी अचानक गाड़ी के सामने एक कुत्ता आ गया. गाड़ी के ब्रेक लगते ही मेरे नकारात्मक विचारों को भी विराम लग गया. मन ने खुद को धिक्कारा कि छि: यह क्या सोच रही हूं…11 साल पहले जब हम इस कालोनी में रहने आए थे तब कितनी ही बार इसी सड़क पर रात के समय लोगों को लिफ्ट दी थी. और आज एक लड़की से इतना डर? दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है. फिर कर भला हो भला का यह विश्वास आज डगमगा क्यों रहा है? लेकिन मन यों ही तो हार नहीं मानता…जब उस के डर पर प्रहार होता है तो उस के अपने तर्क शुरू हो जाते हैं. संभल कर चलना और दूसरों की गलतियों से सीख लेना कोई बुरी बात तो नहीं है. फिर रोज इतनी खबरें पढ़ते हैं, दूसरों को कोसते हैं. आज जानबूझ कर खुद को मुसीबत में फंसा देना कहां की अकलमंदी है? फिर इस लड़की ने शराब पी रखी है. भले यह भले घर की हो, लेकिन शराब का शौक पूरा करने के लिए तो मातापिता पैसे नहीं भेजते होंगे न? जब घर से भेजे पैसों में खर्चे पूरे नहीं होते तो ये कोई शौर्टकट अपना लेते हैं.

अब तक हम तीनों ही खामोश बैठे थे. पति गाड़ी चला रहे थे, मैं विचारों के झंझवात में फंसी थी और पिछली सीट के अंधेरे में मैं देख नहीं पा रही थी कि वह लड़की क्या कर रही है या उस के क्या हावभाव हैं. लेकिन मुझे लगा शायद वह कुछ सोच रही है या शायद इतने नशे में है कि कुछ सोच नहीं पा रही है.

टैक्सी स्टैंड आने को था. तभी उस ने अपनी चुप्पी तोड़ी, ‘‘अंकल प्लीज, आप मुझे घर तक छोड़ दीजिए.’’

शायद उसे भी अब इतनी रात अकेले टैक्सी से जाने में डर लग रहा था.

मैं ने उस से कहा, ‘‘बेटा हमें पास ही कुछ काम है…तुम टैक्सी से चली जाओ…वह तुम्हें घर तक छोड़ देगा.’’

अब तक हम चौराहे पर आ गए थे. उस का चेहरा देख कर एक मन तो हुआ कि उसे उस के घर तक छोड़ दिया जाए, लेकिन उस का घर

10 किलोमीटर दूर था और पूरा रास्ता भी सुनसान था.

टैक्सी स्टैंड पर गाड़ी रुकते ही वह उतर गई. मैंने उस का पता पूछ टैक्सी वाले को समझाया और उस से कहा कि भैया इसे ठीक से इस के घर पहुंचा देना. उस की चिंता भी हो रही थी. अजीब उलझन थी. टैक्सी वाला भी भला आदमी लगा. उस ने पता समझ का मुझ आश्वस्त किया कि वह जगह मुझे पता है. मैं भी उसी इलाके में रहता हूं…आप चिंता न करें…मैं इन्हें सुरक्षित छोड़ दूंगा.

मैं ने उस से कहा, ‘‘जाओ बेटा, आराम से चली जाओगी’’

वह गाड़ी के बिलकुल करीब आ गई. मेरा हाथ खिड़की पर रखा था. मेरा हाथ पकड़

कर वह रो पड़ी. फिर बोली, ‘‘थैंक्यू आंटी, आई एम सौरी… मैं ने आप को बहुत परेशान किया. मेरा अपने पति से झगड़ा हो गया था…सौरी आंटी मैं ने शराब पी हुई है…आप बहुत अच्छी हैं… आप ने मेरी इतनी मदद की…’’

तभी मेरे पति भी वहां आ गए. वह उन की ओर मुखातिब हुई, ‘‘अंकल प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए… मैं ने आप को बहुत तकलीफ दी.’’

‘‘बेटा, अगर आप की कोई परेशानी है तो आप अपने मातापिता को क्यों नहीं बतातीं?’’

‘‘आंटी, वे मुझ से बहुत नाराज होंगे…मैं उन्हें नहीं बता सकती.’’

‘‘नहीं ऐसा नहीं है. चाहे कितने भी नाराज हों, हैं तो मातापिता…उन से ज्यादा आप का भला और कोई नहीं सोच सकता. इस तरह अकेले रह कर शराब पी कर खुद को परेशानी में डालने से तो कोई हल नहीं निकलने वाला. तुम मेरी बेटी जैसी हो…तुम्हें इस तरह शराब के नशे में देख कर दुख हो रहा है. बेटा, कोई भी परेशानी हो अपने मातापिता को जरूर बताओ. हो सकता है वे गुस्से में तुम्हें डांट दें, शायद थप्पड़ भी लगा दें, लेकिन फिर भी तुम्हारी परेशानी को दूर करने के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे.’’

वह मेरा हाथ पकड़े हुए थी. मैं ने उसे गले लगा लिया. 20 मिनट की असमंजस के बाद मात्र

3 मिनट में उस से ऐसी आत्मीयता हो गई कि उस का अकेलापन महसूस कर के दुख होने लगा था. मुझे नहीं पता था कि उस की असली परेशानी क्या है?

मैं ने एक बार पति की तरफ देखा. आंखों ही आंखों में बात हुई और फिर मैं ने उस से कहा, ‘‘अच्छा गाड़ी में बैठो, हम तुम्हें छोड़ देते हैं,’’ फिर टैक्सी वाले से कहा कि माफ करना भैया अब हमारा प्रोग्राम चेंज हो गया है हम ही उस तरफ जा रहे हैं.

हमारी गाड़ी अब नए रास्ते पर मुड़ चुकी थी. मैं ने उस से पूछा, ‘‘अब सचसच बताओ क्या हुआ है?’’

थोड़ी सी हिचक के बाद वह कहने लगी, ‘‘आंटी, मैं ने अपने पापा को बताए बिना शादी कर ली, लेकिन अब वह लड़का बातबात पर मुझ से झगड़ा करता है. वह कोई काम भी नहीं करता, अब तो अपने खर्चे के पैसे भी वह मुझ से मांगता है. आंटी, मैं अपने मम्मीपापा की अकेली लड़की हूं. पापा भी अच्छी पोस्ट पर हैं, लेकिन फिर भी मैं उन से कितना मांगू? मुझे अच्छा नहीं लगता. जब मना करती हूं तो झगड़ा करता है.’’

‘उफ, यह लड़की कहां फंस गई’ मैं ने मन ही मन सोचा. फिर पूछा, ‘‘उस लड़के के घर वालों को पता है तुम लोगों की शादी के बारे में?

‘‘नहीं आंटी, अभी किसी को पता नहीं है.’’

‘‘कोर्ट मैरिज की है?’’

‘‘नहीं आंटी हम ने मंदिर में की थी. बस हमारे 1-2 दोस्त आए थे.’’

‘‘तो शादी के बाद तुम लोग साथसाथ रहे भी नहीं हो?’’

‘‘शादी के बाद हम लोग 2 दिन के लिए बाहर गए थे. उस के बाद यहां जिस मकान में वह रहता है वहां मैं उस से मिलने आती हूं…लेकिन अब तो झगड़ा ज्यादा होता है.’’

उस लड़की का भविष्य खाली सड़क सा दिखाई दे रहा था. मैं ने कहा, ‘‘अच्छा, अगर वह लड़का कल तुम्हें छोड़ कर भाग जाए तो क्या करोगी? कोई सुबूत है कि उस से तुम्हारी शादी हुई है?’’

‘‘नहीं आंटी मैं उस से कहती हूं कि अब सब को बता देते हैं तो वह मना कर देता है. कहता है कि अभी समय नहीं आया’’, और वह सुबकने लगी.

मेरा मन बेचैन हो गया. साफसाफ दिखाई दे रहा था कि वह लड़का सिर्फ अपना उल्लू सीधा कर रहा है.

‘‘यहां किस के साथ रहती हो?’’ मुझे उस की होस्टल वाली कहानी भी झूठी लगी.

‘‘मम्मीपापा के साथ.’’

‘‘इतनी देर तक घर से बाहर रहने पर वे नाराज नहीं होते?’’

‘‘मैं कह देती हूं कि फ्रैंड के यहां पढ़ रही थी. आंटी, मुझे झूठ बोलना अच्छा नहीं लगता, लेकिन क्या करूं, कुछ समझ नहीं आता. सच बात बताऊंगी तो मम्मीपापा बहुत नाराज होंगे शायद घर से भी निकाल दें… मेरा हसबैंड तो

खुद का खर्च भी नहीं उठा पाता…मैं कहां जाऊंगी? क्या करूं? अभी तो मेरी पढ़ाई भी बाकी है.’’

‘‘बेटा, अगर मेरी बात मानों तो तुम आज ही अपने मम्मीपापा को सब कुछ सचसच बता दो,’’ अब मेरे पति ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘वे मांबाप हैं सुन कर गुस्सा होंगे…शायद 1-2 थप्पड़ भी मार दें, फिर भी उन से ज्यादा कोई और इस दुनिया में नहीं है जो तुम्हारा भला चाहे. तुम चाहो तो हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं.’’

मैं अवाक उन का मुंह देखने लगी कि ये मदद कैसे करेंगे? मैं ने प्रश्न वाचक नजरों से उन की ओर देखा.

‘‘अंकल यहां से राइट फिर एक और राइट.’’

‘‘देखो यहां से सब राइट होने लगा है तो तुम भी अब अपनी जिंदगी को राइट मोड़ दे दो,’’ उन्होंने कहा.

‘‘लेकिन कैसे अंकल?’’

‘‘अपने घर जाओ और अपने मम्मीपापा को सारी बात बता दो, हम लोग बाहर गाड़ी में रुकेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो तुम्हारे पापा से बात कर लेंगे.’’

‘‘लेकिन अंकल मुझे डर लगता है. वे बहुत गुस्सा होंगे…मुझे मारेंगे.’’

‘‘मारता तो तुम्हारा पति भी है न तुम्हें? तुम ने बताया नहीं लेकिन यही सही है, है न? तो जब उस से मार खा सकती हो तो पापा से 1-2 थप्पड़ खा लेने में इतना डर क्यों? और फिर हो सकता वे न मारें. लेकिन कोई हल जरूर निकालेंगे.’’

‘‘लेकिन अंकल मुझे डर लगता है.’’

‘‘बेटा, कभी तो इस डर का सामना तुम्हें करना ही होगा. लेकिन कहीं ऐसा न हो कि बहुत देर हो जाए. जाओ बेटा हिम्मत करो. हम यहीं खड़े हैं.’’

गाड़ी घर के सामने खड़ी थी. उस ने खिड़की खोल ली. नीचे उतरने को हुई तो पैर हवा में रुक गया. बोली, आंटी, ‘‘मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘बेटा, किसी न किसी दिन तुम्हें बताना ही होगा, लेकिन उस दिन शायद हम यहां नहीं होंगे. उस दिन अकेले बताना होगा.’’

वह चली गई. 2-3 मिनट के इंतजार के बाद दरवाजा खुला. सामने एक लंबातगड़े व्यक्ति की झलक दिखी.

करीब 10 मिनट इंतजार के बाद अंदर से किसी के ऊंचे स्वर में चिल्लाने की आवाजें आने लगीं. फिर घर का दरवाजा खुल गया. वह लड़की बाहर आई. उस के पीछे वही लंबातगड़े व्यक्ति थे, जो यकीनन उस के पिता थे. दोनों के बीच

5 मिनट बात हुई. मैं धड़कते दिल से जाऊं कि न जाऊं की उधेड़बुन में थी. तभी दोनों ने हाथ मिलाया और पति ने गाड़ी स्टार्ट कर दी. उस लड़की ने मुझ देख कर हाथ हिलाया. थोड़ी ही देर में गाड़ी हवा से बातें करने लगी.

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