कैबरे डांसर Helen का 4:30 मिनट का वह आईकौनिक गाना जो 67 साल बाद भी है सुपरहिट

Helen : पुराने गानों का मजा कुछ ऐसा है, कि वह आज भी नया सा लगता है, कई पुराने गाने रीमेक के जरिए आज भी लोकप्रिय है. ऐसा ही एक गाना आज से 67 साल पहले उस जमाने की प्रसिद्ध कैबरे डांसर जो अपनी खूबसूरती और अदाओं के लिए जानी जाती थी, सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हेलन पर फिल्माया गया था , 4:30 मिनट के इस आईकौनिक गाने में हेलन की अदाओं ने सबको दीवाना बना दिया था, आज भी इस गाने को लोग पूरे दिलचस्पी के साथ देखना और सुनना पसंद करते हैं.

यह गाना ओपी नैयर के संगीत से सजा गीता दत्त की आवाज में गाया हुआ गाना मेरा नाम चिन चिन चू रात चांदनी मैं और तू हेलो मिस्टर हाऊ डू यू डू है , गीत है । संगीतकार ओपी नय्यर ने इस गाने को खास तौर पर चाइनीस अंदाज में बनाया था.

आज के समय में जहां लोग एक गाने में करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं , लेकिन वह बात नहीं आती जिसके लिए लोग उस गाने को देखना या सुनना बार-बार पसंद करें, लेकिन मेरा नाम चिन चिन चू गाना 67 साल के बाद भी आज कितना पॉपुलर है कि जैसे ही यह गाना बजता है लोगों के पैर अपने आप ही थिरकने लगते हैं, शायद इसकी वजह यही है कि पहले के सिंगर एक्टर म्यूजिक डायरेक्टर पेसो से ज्यादा टैलेंट और मेहनत को अहमियत देते थे, मेरा नाम चिन चिन चू के अलावा हेलेन पर फिल्म और भी कई गाने आज भी सुपरहिट है जैसे पिया तू अब तो आजा, ये मेरा दिल यार का दीवाना,, आ जाने जा, मुंगड़ा, ओ हसीना जुल्फों वाली आदि .

गौरतलब है, उन दिनों हेलेन पर फिल्माए सेक्सी गानों में हेलन जो भीअंग प्रदर्शन वाले कपड़े पहनती थी वह पूरी तरह स्किन कलर के कपड़े से ढका होता था , जिसमें लोगों को भले ही वह अंग प्रदर्शन करने वाली ड्रेस लगती थी , लेकिन असल में उनका पूरा शरीर स्किन कलर के कपड़े से ढका होता था. इन सभी गानों में हेलन की अदाएं इतनी कातिलाना थी , कि आज इतने साल बाद भी हेलन को इन सभी आईकॉनिक गानों द्वारा याद किया जाता है.

Sonali Bendre की कलर्स पर धमाकेदार वापसी, नए शो ‘पति पत्नी और पंगा’ में आएंगी नजर

Sonali Bendre  : बौलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे , जिन्होंने आमिर खान के साथ सरफरोश ,सलमान खान के साथ हम साथ साथ है , अजय देवगन के साथ दिलजले और जख्म जैसी बेहतरीन फिल्में देने के अलावा तेलगु और मराठी फिल्मों में भी अपनी अलग पहचान बना चुकी है , इसके अलावा छोटे पर्दे पर बतौर जज इंडियाज गॉट टैलेंट और इंडियाज बेस्ट ड्रामे बाज में जज के रूप में भी दर्शकों का दिल जीत चुकी सोनाली बेंद्रे बहादुरी के साथ मेटास्टैटिक कैंसर की फोर्थ स्टेज को हरा कर एक बार फिर छोटे पर्दे पर धमाल मचाने आ रही है.

सोनाली इस शो में जोड़ियों का रिएलिटी चेक को होस्ट करेंगी. जहां मनोरंजन के साथ दिखेंगे दिल को छू लेने वाले पल. इस रियलिटी शो में बताया गया है कि प्यार सिर्फ मोमबत्तियों की रोशनी में डिनर या किसी बड़े सरप्राइज तक सीमित नहीं होता. यह उस चाय-समोसा के साथ की गई बातचीत में भी छिपा होता है.

जो दिनभर की थकान के बाद सुकून देती है, रात को ए सी के तापमान को लेकर होने वाली मजेदार नोकझोंक में, परफेक्ट रोड ट्रिप प्लेलिस्ट को लेकर कभी न खत्म होने वाली बहस में, और उन खामोश पलों में जब शब्द कम पड़ जाते हैं, साथ बना रहता है.असल रिश्ते की खूबसूरती इन्हीं छोटे-छोटे लम्हों में बसी होती है। कलर्स का नया रिएलिटी शो ‘पति पत्नी और पंगा – जोड़ियों का रिएलिटी चेक’ इसी रोजमर्रा के प्यार और रिश्तों की हलचल को मंच पर लाने वाला है—जहां सेलेब्रिटी जोड़ियों को मजेदार चैलेंजों और दिल को छू लेने वाले सच्चे पलों से होकर गुजरना होगा और इस दिलचस्प सफर की होस्ट रहेगी.

सोनाली बेंद्रे, जो अपनी सदाबहार शैली और गरिमा के साथ कलर्स पर लौट रही हैं. इस बार सोनाली केवल होस्ट ही नहीं, बल्कि जोड़ियों की दोस्त और कभी-कभी उनकी शरारतों में भागीदार भी बनेंगी. अपनी खास गर्मजोशी, बुद्धिमत्ता और हाज़िरजवाबी के साथ सोनाली ना सिर्फ उन्हें उत्साहित करेंगी, बल्कि उनकी केमिस्ट्री को सामने लाएंगी और शायद एक-दूसरे की इन जोड़ियों की खूबसूरत प्यार तकरार और कमियों में फिर से प्यार करने में भी मदद करेंगी.

शो से जुड़ने की अपनी प्रेरणा के बारे में सोनाली बेंद्रे कहती हैं, “मैंने ‘पति पत्नी और पंगा’ के लिए हाँ इसलिए कहा क्योंकि ये मेरी खुद की शादी का ही एक हिस्सा सा लग रहा था. बस इस बार कैमरों के साथ है . मैं हमेशा मानती रही हूं कि सबसे असाधारण कहानियां साधारण पलों में छिपी होती हैं.यह शो उन रोज के प्यारे टकरावों का जश्न है जो रिश्तों को सच्चा बनाते हैं.

पति पत्नी के बीच , वो नजरों का मिलना, रिमोट के लिए झगड़ा करना, और वो छोटी-छोटी जीतें जो सबसे ज़्यादा मायने रखती हैं. मैं इन जोड़ियों के साथ चलने, हंसने, सोचने और शायद प्यार को एक नए नजरिए से देखने को लेकर बेहद उत्साहित हूं.” सोनाली बेंद्रे इस शो में अपने अलग अंदाज में नजर आएंगी. सोनाली इस शो को लेकर बेहद एक्साइटेड है ,कलर्स के शो पति पत्नी और पंगा में, जहां जोड़ियां मुकाबला करेंगी, जुड़ेंगी और अपने रिश्तों की सच्चाई से रूबरू होंगी. वो भी अनोखे अंदाज में, सिर्फ कलर्स पर.

पेन इंडिया फिल्म कुबेरा फिल्म की सौन्ग लौन्च पर फैंस के चलते South Star तमिल बोलने पर हुए मजबूर

South Star : हाल ही में जुहू पी वी आर थिएटर में कुबेर म्यूजिक लॉन्च इवेंट के दौरान साउथ के सुपरस्टार्स नागार्जुन, धनुष रश्मिका मंदाना प्रमोशन के लिए पहुंचे. जहां पर तमिल फैंस भी अपने फेवरेट स्टार्स को प्रमोट करने पहुंचे थे और कई फैन तमिल भाषा का प्रचार करते नजर आए, जहां एक और सारे तमिल एक्टर अपनी फिल्मों को पेन इंडिया फिल्म के तहत जोड़ते हैं और किसी एक भाषा के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते. अपनी सभी फिल्मों को इंडियन फिल्म कहते हैं, वही सौंग लॉन्च प्रमोशन के दौरान आए तमिल फैंस रश्मिका मंदना और नागार्जुन से तमिल भाषा में बात करने की गुहार लगाते नजर आए .

अपने फैंस का दिल रखने के लिए रश्मिका और नागार्जुन ने एक लाइन तमिल में जरूर बोली लेकिन बाद में सारी बातें हिंदी और इंग्लिश में की. क्योंकि इन एक्टरों के अनुसार हिंदी ऑडियंस के लिए हिंदी ही बोलना चाहिए और इंग्लिश ऐसी लैंग्वेज है जो सबको आती है. एक्टर धनुष ने शुरुआत तमिल से की लेकिन सारी बात इंग्लिश में की.

गौरतलब है इससे पहले अल्लू अर्जुन की पुष्पा 2 और कमल हसन की ठग लाइफ की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी वहां मौजूद तमिल फैंस ने एक्टरों से तमिल भाषा में बोलने की डिमांड की थी . 21वीं सदी में जहां देश चांद तक पहुंच गया है वही हमारे देश में भाषा को लेकर अभी भी प्रेम भाव का प्रदर्शन होता रहता है, जैसे की हाल ही में कमल हसन की फिल्म ठग लाइफ कन्नड़ भाषा में इसलिए रिलीज नहीं हुई क्योंकि कमल हसन ने एक इंटरव्यू के दौरान कन्नड़ भाषा को लेकर विवादास्पद बयान दे दिया था. इसके लिए कोर्ट ने कमल हसन को माफी मांगने के लिए कहा जिसके लिए कमल ने इंकार कर दिया.

बहरहाल कुबेरा के सारे स्टार्स मीडिया के साथ मजाक मस्ती करते नजर आए. कुबरा फिल्म 20 जून को सिनेमाघर में रिलीज होने जा रही है. जो कि हिंदी के अलावा तमिल तेलुगु भाषा में भी बन रही है. इस फिल्म में अन्य कलाकार दिलीप ताहिर , जिम सर्भ आदि हैं.

Snacks Recipe : शाम के शानदार स्वाद, चाय के साथ इन स्नैक्स का उठाएं लुत्फ

रोटी रोल

सामग्री

4-5 पतली रोटियां,  1/4 कप सोया चूरा, 1 बड़ा चम्मच मटर उबले,  1 बड़ा चम्मच टोमैटो प्यूरी ,  1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच हरीमिर्च पेस्ट,  1/2 छोटा चम्मच देगी मिर्च,  1 छोटा चम्मच मैगी मसाला मैजिक,  1 छोटा चम्मच चिली पनीर मसाला, 1 कटोरी ब्रैडक्रंब्स,  अंडे या चावल के आटे का घोल,  तेल तलने के लिए,  नमक स्वादानुसार.

विधि

सोया चूरा को थोड़ी देर के लिए गरम पानी में भिगो दें. फिर पानी निथार कर अच्छी तरह निचोड़ लें. एक पैन में तेल गरम कर अदरक, लहसुन व हरीमिर्च का पेस्ट डाल कर भूनें. टोमैटो प्यूरी

मिला कर पानी सूखने तक पकाएं. सारे मसाले मिला कर कुछ देर भूनें. सोया चूरा व मटर मिला कर पानी का छींट दे कर ढक कर 2 मिनट तक पकाएं. ढक्कन हटा कर पानी सूखने तक तेज आंच पर सब्जी को लगातार चलाते हुए भून लें. रोटी में थोड़ी सी भरावन भरें. मनचाहे आकार में रोल करें. चावल के आटे के घोल में डुबो कर ब्रैडक्रंब्स लपेट कर तल लें.

‘ब्रैड का फू्रटी टोस्ट जायकेदार भी है और हैल्दी भी.’

हैल्दी टोस्ट

सामग्री

9-10 ब्रैडस्लाइस,  3-4 अनन्नास  स्लाइस

1 सेब, 1 नाशपाती,  1 कप चीज कसा

1 बड़ा चम्मच शहद,  1 बड़ा चम्मच मेयोनीज

1 छोटा चम्मच ओरिगैनो,  नमक स्वादादुसार.

विधि

ब्रैड के किनारे काट लें. फलों को बारीक टुकड़ों में काट लें. इन में मेयोनीज, शहद व नमक मिला लें. नौन स्टिक तवे पर ब्रैड को एक तरफ से सेंक लें. अब सारी सिंकी ब्रैड के सुनहरे हिस्से पर तैयार फल फैलाएं. कसा चीज बुरकें और ब्रैड को दोबारा नौनस्टिक तवे पर धीमी आंच पर नीचे से सुनहरा होने तक सेंकें. सेंकते समय ब्रैड के पीसों को ढक दें ताकि ऊपर का चीज पिघल जाए. फिर मनचाहे आकार में काटें और ओरिगैनो बुरक कर चाय के साथ परोसें.

‘घर पर रखे इनग्रीडिऐंट्स से पोटैटो की यह नई रैसिपीज जरूर ट्राई करें..’

पोटैटो स्नैक्स

सामग्री

15-20 आलू छोटे आकार के,  1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर

1/4 कप प्याज बारीक कटा,  1 छोटा चम्मच कटा लहसुन

तेल तलने के लिए,  1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

1 छोटा चम्मच सोया सौस, 1 चुटकी कालीमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच सिरका,  1 छोटा चम्मच रैड चिली पेस्ट

नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को छिलके सहित आधा गलने तक उबाल लें. फिर कांटे से गोद लें. इन में कौर्नफ्लोर मिला कर अच्छी तरह हिला लें. फिर तल लें. एक पैन में 1 चम्मच तेल गरम कर प्याज डाल कर भूनें. फिर लहसुन मिला कर कुछ देर भूनें. सारे मसाले व सौस मिला दें. 1 चम्मच कौर्नफ्लोर को 2 चम्मच पानी में घोल कर इस में मिला दें. गाढ़ा होने तक पकाएं. तले आलू मिला कर तब तक पकाएं जब तक कि सौस सभी आलुओं पर अच्छी तरह से न लिपट जाए.

‘मशरूम को इस अंदाज बनाएंगी तो चाय का मजा दोगुना हो जाएगा.’

चटपटे पौप्स

सामग्री

10-15 मशरूम द्य  1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन का पाउडर

1 छोटा चम्मच प्याज का पाउडर,  1 कप ब्रेडक्रंब्स

1 छोटा चम्मच लहसुन बारीक कटा,  1 नीबू

1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर,  तेल आवश्यकतानुसार

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर,  1 बड़ा चम्मच शहद

विधि

मशरूम को आधाआधा काट लें. ब्रैडक्रंब्स एक प्लेट में निकाल लें. बाकी सारी सामग्री को एक बड़े बरतन में डालें. थोड़ा सा पानी डाल कर मैरिनेशन तैयार कर लें. इस तैयार मैरिनेशन में मशरूम मिला कर अच्छी तरह मिक्स कर लें. अब 1-1 मशरूम उठा कर ब्रैड क्रंब्स में लपेट लें. सारे तैयार मशरूम एक ट्रे में रख कर 1-2 घंटों के लिए फ्रिज में रख दें. तेल में तल कर चटनी के साथ परोसें.

‘सोया कबाब और हरी चटनी की जुगलबंदी से करिए मेहमानों का वैलकम.’

करारे कबाब

समाग्री

1/4 कप सोया चूरा द्य  1/4 कप चने की दाल उबली

1 छोटा चम्मच हरीमिर्च कटी द्य  1 चुटकी दालचीनी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर द्य  1 चुटकी हरी इलायची पाउडर,  2-3 आलू द्य  थोड़ा सी धनियापत्ती कटी,  1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर, तेल आवश्यकतानुसार, नमक स्वादानुसार.

विधि

सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला कर मैश कर लें. फिर अच्छी तरह गूंध लें. छोटीछोटी लोइयां बना कर कबाब की शेप बना लें. नौनस्टिक पैन में थोड़ा सा तेल गरम कर कबाब डाल धीमी आंच पर दोनों ओर से कुरकुरा होने तक उलटपलट कर सेंक गरमगरम परोसें.

Hair Care : मेरे बालों में काफी खुजली होती है, क्या करूं?

Hair Care : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक पढ़ें

मैं नेपाल की रहने वाली हूं. मेरे चेहरे पर बहुत जल्दी रैशेज हो जाते हैं. इन रैशेज से बचने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आप की त्वचा का रंग लाल हो रहा है या फिर उस में खुजली या रेशैज हो रहे हैं तो यह स्किन के ड्राई होने के लक्षण हैं. हो सकता है आप की स्किन सैंसिटिव है इसलिए सुगंधित और प्रेजेर्वेटिव युक्त किसी भी चीज का उपयोग करने से पहले सावधानी बरतें. अगर स्किन पर रेशैज हो ही गए हों तो उस पर चंदन के पाउडर को रोज वाटर में अच्छी तरह मिक्स कर के उस पेस्ट को रेशैज पर लगाएं. ऐलर्जी होने पर फिटकरी के पानी से प्रभावित स्थान को धो कर साफ करें. नारियल का तेल त्वचा के लाल होने पर उस स्थान पर लगाने से कुछ राहत मिलती है. कैलेमाइन लोशन पर लगाने से भी ठंडक मिलती है. डाक्टर की सलाह से ऐंटीएलर्जिक दवाएं लें.

मैं 25 साल की हूं. अभी थोड़े दिनों से मेरी त्वचा बहुत सांवली हो गई है. मैं ने बहुत से फेयरनैस क्रीम का इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क नहीं पड़ता. मुझे लगता है कि मैं ने फेयरनैस क्रीम लगाने के बाद मेरी त्वचा और सांवली लगने लगी है. कृपया उपाय बताएं?

हो सकता है कि आप ने जिस फेयरनैस क्रीम का इस्तेमाल किया है, वह आप को सूट न कर रही हो. इसी कारण ऐसा हो रहा हो. आप उस क्रीम का इस्तेमाल छोड़ दें और सुबहशाम फेस पर एलोवेरा युक्त क्रीम का इस्तेमाल करें. इस के साथ ही एक बार अपने ब्लड टेस्ट करवाएं और डाक्टर से कंसल्ट करें. कई बार शरीर में किसी कमी के कारण भी चेहरे का रंग डल पड़ने लग जाता है. घर पर रोजाना इस पैक का इस्तेमाल करें. आप रात को केसर की 4 तुर्रियों को 2 चम्मच दूध में भिगो दें और सुबह उस में कैलेमाइन पाउडर और चुटकीभर हलदी डाल कर अपने चेहरे पर मास्क की तरह लगाएं और सूखने पर पानी से धो दें.

मुझे अपने कर्ली हेयर्स को संभालना एक बहुत बड़ा काम लगता है. क्योंकि ये बहुत ज्यादा उलझे हुए हैं. साथ ही बेजान और रुखे हो गए हैं और झड़ने भी लगे हैं. कृपया कोई उपाय बताएं?

कर्ली हेयर्स पर गरम तेल की मालिश करने से बालों को बहुत फायदा होता है. इसे नियमित रूप से अपनाने पर हमारे कर्ली हेयर्स भी बेहद सुंदर हो जाते हैं. कोकोनट औयल, औलिव औयल और आलमंड औयल किसी भी औयल को हम बालों पर मसाज करने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ऐलोवेरा और औलिव औयल बेस्ड कंडीशनर, बालों को सौफ्ट और सिल्की बनाने के साथ ही बालों में शाइन भी बढ़ाते हैं. बालों को धोने के बाद गीले बालों में, लिव इन कंडीशनर की कुछ बूंदें हाथों में लगा कर बालों पर लगाएं, इस से बाल उलझेंगे नहीं. बालों में ब्रैंड टूथ कौम से कंघी करें. ध्यान रहे ऐसा करते समय बालों को खींचना नहीं है, बल्कि स्कैल्प की ओर पुश करना है इस से बालों के सूखने के बाद बहुत सुंदर कर्ल नजर आते हैं.

मैं 24 वर्षीया छात्रा हूं. करीब 2 वर्ष से मैं बीमार रहती हूं जिस के कारण मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं व रंग भी काला लगने लगा है. कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिस से मैं इन दोनों परेशानियों से नजात पा सकूं?

ये दोनों ही समस्याएं आप को बीमारी व उस के दौरान ली जा रही दवाइयों के साइड इफैक्ट के कारण हो रही हैं. आप अपने आहार में ज्यादा पौष्टिक चीजों का सेवन कीजिए जैसे हरीसब्जियां, दूध, दही, आंवला, संतरा, टमाटर, गाजर आदि. रंग निखारने के लिए घरेलू उबटन का प्रयोग भी कर सकती हैं. आप एक बीट रूट ले लीजिए, उसे कद्दूकस कर उस का रस निकाल कर उस में आधा चम्मच कैलेमाइन पाउडर, क्योलाइन पाउडर और चंदन पाउडर मिलाएं. इस मिश्रण में कुछ बूंदें औलिव औयल को मिला कर फेस पैक बना लें और उसे पूरे फेस के साथ स्पैशली आंखों के नीचे लगाएं. इस पैक से आप की आंखों के चारों ओर पड़ने वाले घेरों को भी कम करेगा तथा आप का रंग भी साफ करेगा.

इन दिनों मेरे बालों में काफी खुजली होती है, जबकि मैं हमेशा तेल लगा कर ही बाल शैंपू करती हूं. बालों में जुएं भी नहीं हैं, कृपया बताएं मैं क्या करूं?

आप अपना शैंपू बदल कर देखिए क्योंकि कई बार किसी शैंपू से ऐलर्जिक होने के कारण भी ऐसा होता है. इस के अलावा एक बार अपना स्कैल्प चैक करें कि कहीं बालों में डैंड्रफ तो नहीं, अगर ऐसा है तो रूसी और खुजली वाले बालों की त्वचा के लिए जैतून के तेल की मालिश करें फिर गरम तौलिए से बालों को भाप दे कर 4-5 घंटे बाद बाल धो लें. इस के अलावा रूसी फैले नहीं, इस के लिए आप अपनी कंघी, तौलिया व तकिए को अलग रखें और इन की सफाई का भी खासतौर पर खयाल रखें. जब भी बाल धोएं, तो ये तीनों चीजें किसी अच्छे ऐंटीसैप्टिक के घोल में आधा घंटा डुबो कर रखें और धूप में सुखा कर ही दोबारा इस्तेमाल करें.

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गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055

कृपया अपना मोबाइल नंबर जरूर लिखें.

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Story In Hindi : एक नई दिशा – क्या वसुंधरा अपने फैसले पर अडिग रह सकी?

Story In Hindi : पोस्टमैन के जाते ही वसुंधरा ने जैसे ही लिफाफा खोला वह खुशी से उछल पड़ी और जोर से आवाज लगा कर मां को बुलाने लगी.

मां गायत्री ने कमरे में प्रवेश करते हुए घबरा कर पूछा, ‘‘क्यों, क्या

हो गया?’’

‘‘मां, आप की बेटी बैंक में अफसर बन गई. यह देखो, मेरा नियुक्तिपत्र आया है,’’ और इसी के साथ वसुंधरा मां से लिपट गई.

‘‘क्या…’’ कहने के साथ गायत्री का मुंह विस्मय से खुला का खुला रह गया.

‘‘मां, मैं न कहती थी कि मैं एक दिन अपने पैरों पर खड़े हो कर दिखाऊंगी. बस, आप मुझे सहयोग दो. देखो, मां, आज वह दिन आ गया,’’ वसुंधरा भावुक हो कर बोली.

मां की आंखों से खुशी के छलकते आंसू पोंछते हुए उस ने गले में चुन्नी डाली और बैग उठाते हुए बोली, ‘‘मां, मैं ममता मैडम के घर जा रही हूं, उन्हें अपना नियुक्तिपत्र दिखाने. मैडम कालिज से अब वापस आ चुकी होंगी.’’

वसुंधरा का बस चलता तो वह उड़ कर ममता मैडम के पास चली जाती, जो बी.एससी. में पहले साल से ले कर तीसरे साल तक उस को फिजिक्स पढ़ाती रहीं और उस का मार्गदर्शन भी करती रहीं. आज खुशी का यह दिन उन के मार्गदर्शन का ही नतीजा है.

वसुंधरा को याद हैं अतीत के वे दिन जब प्राइमरी स्कूल के अध्यापक और 4 बेटियों के पिता दीनानाथ को अपनी बेटी वसुंधरा का सदैव अपनी कक्षा में प्रथम आना भी कोई तसल्ली नहीं दे पा रहा था. उन्होंने हड़बड़ाहट में उस का विवाह वहां तय कर दिया जहां के बारे में वसुंधरा कभी सोच भी नहीं सकती थी. वह भी उस समय जब वह बी.एससी. द्वितीय वर्ष में थी.

राजू उस की सहेली मंजू की मौसी का लड़का था. मंजू ने उस के बारे में सबकुछ बता दिया था. अपार संपत्ति ने राजू को गैरजिम्मेदार ही नहीं विवेकहीन भी बना दिया था. कोई ऐसा व्यसन न था जिस का वह आदी न हो. बड़ों का सम्मान करना तो वह जानता ही न था.

वसुंधरा को यह जान कर घोर आश्चर्य और दुख हुआ कि राजू के बारे में सबकुछ जानने के बाद भी उस के पिता वहां उस के रिश्ते की बात चला रहे हैं.

‘पिताजी, मैं अभी शादी नहीं करना चाहती और उस लड़के से तो हरगिज नहीं जिस से आप मेरा रिश्ता करना चाहते हैं,’ वसुंधरा ने पिता से स्पष्ट शब्दों में अपने विचार रखते हुए कहा.

‘तुम कौन होती हो यह फैसला लेने वाली? मैं पिता हूं और यह मेरा अधिकार व जिम्मेदारी है कि मैं तुम्हारा विवाह समय से कर दूं,’ दीनानाथ गरजते हुए बोले.

‘पिताजी, मैं अभी पढ़ना चाहती हूं, जिंदगी में कुछ बनना चाहती हूं,’ वसुंधरा गिड़गिड़ाते हुए बोली.

‘तुम्हारी 3 बहनें और भी हैं. मुझे उन के बारे में भी सोचना है.’

‘वसु, तू तो हमारी स्थिति जानती है बेटी, वह एक संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार है, फिर उन्होंने खुद ही तेरा हाथ मांगा है. तू खुद सोच, हम कैसे मना कर दें,’ मां ने वसुंधरा को प्यार से समझाते हुए कहा.

‘अरे, जवानी में थोड़ी नासमझी तो सभी दिखाते हैं लेकिन परिवार की जिम्मेदारी पड़ते ही सब ठीक हो जाते हैं,’ दीनानाथ ने लड़के का बचाव करते हुए कहा.

‘पिताजी, वह  खुद अपनी जिम्मे- दारी उठाने के काबिल तो है नहीं, फिर परिवार की जिम्मेदारी क्या उठाएगा?’ वसुंधरा ने आवेश में आ कर कहा.

‘खामोश…अपने पिता से बात करने की तमीज भी भूल गई. मैं ने फैसला ले लिया है, तुम्हारा विवाह वहीं होगा,’ दीनानाथ चिल्लाते हुए बोले.

वसुंधरा समझ गई कि उस के विरोध का कोई फायदा नहीं है. वह सोचने लगी कि वादविवाद प्रतियोगिताओं में निर्णायकगण और अपार जन समूह को अपने प्रभावशाली वक्तव्यों से प्रभावित करने वाली लड़की आज अपने विचारों से अपने ही मातापिता को सहमत नहीं करा पा रही है.

घर पर उस के पिताजी ने सगाई की सभी तैयारियां शुरू कर दी थीं. वसुंधरा का मन बहुत बेचैन रहने लगा. किसी भी काम में उस का मन नहीं लग रहा था.

‘वसुंधरा, तुम्हारी फाइल पूरी हो गई?’ ममता मैडम ने ऊंची आवाज में पूछा.

‘मैडम, बस थोड़ा सा काम रह गया है,’ वसुंधरा ने झेंपते हुए कहा.

‘क्या हो गया है तुम्हें आजकल? प्रैक्टिकल की डेट आने वाली है और अभी तक तुम्हारी फाइल पूरी नहीं हुई. अभी फाइल पूरी कर के स्टाफ रूम में ले आना,’ मैडम ने जातेजाते आदेश दिया.

वसुंधरा ने जल्दीजल्दी फाइल पूरी की और सीधे स्टाफरूम की ओर भागी. संयोग से ममता मैडम उस समय वहां पर अकेली बैठी फाइलें चेक कर रही थीं. जैसे ही वसुंधरा ने अपनी फाइल मैडम को दी उन्होंने उस की परेशानी को भांपते हुए कहा, ‘क्या बात है, वसुंधरा, आजकल तुम कुछ परेशान लग रही हो. टेस्ट में भी तुम्हारे नंबर अच्छे नहीं आए. तुम तो बहुत होशियार लड़की हो और हमें तुम से बहुत उम्मीदें हैं.’

मैडम की बातें सुन कर वसुंधरा, जो इतने दिनों से घुट रही थी, फफक कर रो पड़ी. उसे रोते देख कर मैडम ने घबरा कर कहा, ‘क्यों, क्या हुआ? घर पर सब ठीक तो है?’

वसुंधरा ने रोतेरोते सारी बात मैडम को बता दी. उस की बातें सुन कर मैडम स्तब्ध रह गईं. इनसान की मजबूरी उसे कैसेकैसे कदम उठाने पर मजबूर कर देती है. काफी देर तक वह विचार करती रहीं. सहसा उन का मन उस के पिता से मिलने को करने लगा. हालांकि उस के पिता से मिलना उन्हें खुद बड़ा अटपटा लग रहा था लेकिन वसुंधरा को बरबादी से बचाने के लिए उन का मन बेचैन हो उठा.

‘तुम चिंता मत करो. मैं तुम्हारे पिताजी से इस विषय में बात करूंगी. कल रविवार है, उन से कहना कि मैं उन से मिलना चाहती हूं. बस, तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो,’ मैडम ने वसुंधरा की पीठ थपथपाते हुए कहा.

वसुंधरा खुश हो कर सहमति से सिर हिलाते हुए चली गई.

दीनानाथ रविवार के दिन ममता मैडम के घर मिलने आ गए. उन के पति नीरज भी वहां पर मौजूद थे. चाय के बाद उन्होंने वसुंधरा के लिए आए रिश्ते के बारे में बातचीत शुरू की, ‘यह तो हमारा अहोभाग्य है कि ऐसा बड़ा घर हमें अपनी लड़की के लिए मिल रहा है.’

मैडम ने तमक कर कहा, ‘घर तो आप की बेटी के लिए अवश्य अच्छा मिल रहा है लेकिन आप ने वर के बारे में कुछ सोचा कि वह क्या करता है? कितना पढ़ा लिखा है? उस की आदतें कैसी हैं?’

तब वह अति दयनीय स्वर में बोले, ‘मैडम, आप तो हमारे समाज के चलन को जानती हैं. अच्छेअच्छे घरों के रिश्ते भी दहेज के कारण नहीं हो पाते. फिर मैं अभागा 4 बेटियों का बाप कैसे यह दायित्व निभा पाऊंगा? वह परिवार मुझ से कुछ दहेज भी नहीं मांग रहा है. बस, लड़का थोड़ा बिगड़ा हुआ है. पर मुझे भरोसा है कि वसुंधरा उसे संभाल लेगी.’

‘उसे जब उस के मातापिता नहीं संभाल पाए तो एक 20 साल की लड़की कैसे संभाल लेगी?’ अचानक मैडम कड़क आवाज में बोलीं, ‘आप वसुंधरा की शादी हरगिज वहां नहीं करेंगे. वह उसे दुख के सिवा और कुछ नहीं दे सकता. आप उस परिवार की ऊपरी चमकदमक पर मत जाएं.’

वह लाचारी से खामोश बैठे रहे. मैडम अपने स्वर को संयत करते हुए उन्हें समझाने लगीं, ‘वसुंधरा एक मेधावी छात्रा है. उम्र भी कम है. शादी एक आवश्यकता है मगर मंजिल तो नहीं. उसे पढ़ने दीजिए. प्रतियोगिताओं में बैठने का अवसर दीजिए. एक अच्छी नौकरी लगते ही रिश्तों की कोई कमी उस के जैसी सुंदर लड़की के लिए न रह जाएगी. नौकरी न केवल उसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगी वरन उस के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी बढ़ाएगी.’

मैडम की बातों से सहमत हुए बगैर वसुंधरा के पिता एकाएक उठ गए और रुखाई से बोले, ‘चलता हूं, मैडमजी, देर हो रही है. वसुंधरा की सगाई की तैयारी करनी है.’

वसुंधरा बेताबी से पिता के लौटने का इंतजार कर रही थी. उसे पूरा विश्वास था कि मैडम ने जरूर पिताजी को सही फैसला लेने के लिए मना लिया होगा. जैसे ही दीनानाथ ने घर में प्रवेश किया वसुंधरा चौकन्नी हो गई.

‘सुनती हो, तुम्हारी बेटी घर की बातें अपनी मैडमों को बताने लगी है,’ पिताजी ने गरजते हुए घर में प्रवेश किया.

‘क्या हुआ? क्यों गुस्सा हो रहे हो?’ मां रसोईघर से निकलते हुए बोलीं.

‘अपनी बेटी से पूछो. साथ ही यह भी पूछना कि क्या उस की मैडम आएगी यहां इन चारों का विवाह करने?’ पिता पूरी ताकत से चिल्लाते हुए बोले.

वसुंधरा सहम कर पढ़ाई करने लगी. तीनों बहनें भी पिताजी का गुस्सा देख कर घबरा गईं.

वसुंधरा को यह साफ दिखाई  देने लगा था कि पिताजी को समझा पाना बेहद मुश्किल है. उसे खुद ही कोई कदम उठाना पड़ेगा. उस ने फैसला ले लिया कि वह किसी भी कीमत पर राजू से विवाह नहीं करेगी. भले ही इस के लिए उसे मातापिता के कितने भी खिलाफ क्यों न जाना पड़े.

मैडम की बातों से वसुंधरा उस समय एक नए जोश से भर गई जब दूसरे दिन कालिज में उन्होंने कहा, ‘यह लड़ाई तुम्हें स्वयं लड़नी होगी, वसुंधरा. बिना किसी दबाव में आए शादी करने के लिए एकदम मना कर दो. तुम्हारी योग्यता, तुम्हारी मंजिल के हर रास्ते को खोलेगी. मैं तुम्हें वचन देती हूं कि मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करूंगी.’

उस ने सारी बातों को एक तरफ झटक कर अपनेआप को पूरी तरह अपनी आने वाली परीक्षा की तैयारी में डुबा दिया.

‘बेटी, आज कालिज मत जाना. लड़के वाले आने वाले हैं. पसंद तू सब को है, बस, वह सब तुम से मिलना चाहते हैं. साथ ही अंगूठी का नाप भी लेना चाहते हैं,’ मां ने अनुरोध करते हुए कहा.

‘मां, मैं पहले भी कह चुकी हूं कि मैं यह विवाह नहीं करूंगी,’ वसुंधरा ने किताबें समेटते हुए कहा.

‘क्या कह रही है? हम जबान दे चुके हैं और सगाई की तैयारी भी कर चुके हैं. अब तो मना करने का प्रश्न ही नहीं उठता,’ मां ने वसुंधरा को समझाने की कोशिश करते हए कहा, ‘फिर मुझे पूरा विश्वास है कि तू उसे अवश्य अपने अनुसार ढाल लेगी.’

‘मां, मैं अपनी जिंदगी और शक्ति एक बिगड़े लड़के को सुधारने में बरबाद नहीं करूंगी,’ वसुंधरा ने दृढ़ता से कहा. फिर मां की ओर मुड़ते हुए बोली, ‘आप के सामने तो घर में ही एक उदाहरण हैं चाचीजी, क्या चाचाजी को सुधार पाईं? चाचाजी रोज रात को नशे में धुत हो कर घर लौटते हैं और चाचीजी अपनी तकदीर को कोसती हुई रोती रहती हैं. उन के तीनों बच्चे सहमे से एक कोने में दुबक जाते हैं.

‘मैं न तो अपने भाग्य को कोसना चाहती हूं न उस पर रोना चाहती हूं. मैं उस का निर्माण करना चाहती हूं,’ वसुंधरा ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए कहा, ‘फिर मां, मैं आज वैसे भी नहीं रुक सकती. आज मेरा प्रवेशपत्र मिलने वाला है.’

‘2 बजे तक आ जाना. लड़के वाले 3 बजे तक आ जाएंगे.’

मां की बात को अनसुना कर वसुंधरा घर से निकल गई.

अपने देवर के बारे में सोच गायत्री भी विचलित हो गईं और अपनी बेटी का एक संपन्न परिवार में रिश्ता कराने का उन का नशा धीरेधीरे उतरने लगा.

‘कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं अपनी वसु के साथ,’ गायत्री देवी ने शंका जाहिर करते हुए पति से कहा.

‘मैं उसका पिता हूं, कोई दुश्मन नहीं. मुझे पता है, क्या सही और क्या गलत है. तुम बेकार की बातें छोड़ो और उन के स्वागत की तैयारी करो,’ दीनानाथ ने आदेश देते हुए कहा.

वसुंधरा ने कालिज से अपना प्रवेशपत्र लिया और उसे बैग में डाल कर सोचने लगी, कहां जाए. घर जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था. सहसा उस के कदम मैडम के घर की ओर मुड़ गए.

‘अरे, तुम,’ वसुंधरा को देख मैडम चौंकते हुए बोलीं, ‘आओआओ, इस समय घर पर मेरे सिवा कोई नहीं है,’ वसुंधरा को संकोच करते देख मैडम ने कहा.

लक्ष्मी को पानी लाने का आदेश दे वह सोफे पर बैठते हुए बोलीं, ‘कहो, कैसी चल रही है, पढ़ाई?’

‘मैडम, आज लड़के वाले आ रहे हैं,’ वसुंधरा ने बिना मैडम की बात सुने खोएखोए से स्वर में कहा.

मैडम ने ध्यान से वसुंधरा को देखा. बिखरे बाल, सूखे होंठ, सुंदर सा चेहरा मुरझाया हुआ था. उसे देख कर उन्हें एकाएक बहुत दया आई. जहां आजकल मातापिता अपने बच्चों के कैरियर को ले कर इतने सजग हैं वहां इतनी प्रतिभावान लड़की किस प्रकार की उलझनों में फंसी हुई है.

‘तुम ने कुछ खाया भी है?’ सहसा मैडम ने पूछा और तुरंत लक्ष्मी को खाना लगाने को कहा.

खाना खाने के बाद वसुंधरा थोड़ा सामान्य हुई.

‘तुम्हारी कोई  समस्या हो तो पूछ सकती हो,’ मैडम ने उस का ध्यान बंटाने के लिए कहा.

‘जी, मैडम, है.’

वसुंधरा के ऐसा कहते ही मैडम उस के प्रश्नों के हल बताने लगीं और फिर उन्हें समय का पता ही न चला. अचानक घड़ी पर नजर पड़ी तो पौने 6 बज रहे थे. हड़बड़ाते हुए वसुंधरा ने अपना बैग उठाया और बोली, ‘मैडम, चलती हूं.’

‘घबराना मत, सब ठीक हो जाएगा,’ मैडम ने आश्वासन देते हुए कहा.

दीनानाथ चिंता से चहलकदमी कर रहे थे. वसुंधरा को देख गुस्से में पांव पटकते हुए अंदर चले गए. आज वसुंधरा को न कोई डर था और न ही कोई अफसोस था अपने मातापिता की आज्ञा की अवहेलना करने का.

कहते हैं दृढ़ निश्चय हो, बुलंद इरादे हों और सच्ची लगन हो तो मंजिल के रास्ते खुद ब खुद खुलते चलते जाते हैं. ऐसा ही वसुंधरा के साथ हुआ. मैडम की सहेली के पति एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चला रहे थे. वहां पर मैडम ने वसुंधरा को बैंक की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए निशुल्क प्रवेश दिलवाया. मैडम ने उन से कहा कि भले ही उन्हें वसुंधरा से फीस न मिले लेकिन वह उन के कोचिंग सेंटर का नाम जरूर रोशन करेगी. यह बात वसुंधरा के उत्कृष्ट एकेडमिक रिकार्ड से स्पष्ट थी.

समय अपनी रफ्तार से बीत रहा था. बी.एससी. में वसुंधरा ने कालिज में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए और आगे की पढ़ाई के लिए गणित में एम.एससी. में एडमिशन ले लिया. कोचिंग लगातार जारी रही. मैडम पगपग पर उस के साथ थीं. वसुंधरा को इतनी मेहनत करते देख दीनानाथ, जिन की नाराजगी पूरी तरह से गई नहीं थी, पिघलने लगे. 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद जब वसुंधरा स्टेट बैंक की प्रतियोगी परीक्षा में बैठी तो पहले लिखित परीक्षा फिर साक्षात्कार आदि प्रत्येक चरण को निर्बाध रूप से पार करती चली गई.

वसुंधरा श्रद्धा से मैडम के सामने नतमस्तक हो गई. बैग से नियुक्तिपत्र निकाल कर मैडम के हाथों में दे दिया. नियुक्तिपत्र देख कर मैडम मारे खुशी के धम से सोफे पर बैठ गईं.

‘‘तू ने मेरे शब्दों को सार्थक किया,’’ बोलतेबोलते वह भावविह्वल हो गईं. उन्हें लगा मानो उन्होंने स्वयं कोई मंजिल पा ली है.

‘‘मैडम, यह सब आप की ही वजह से संभव हो पाया है. अगर आप मेरा मार्गदर्शन नहीं करतीं तो मैं इस मुकाम पर न पहुंच पाती,’’ कहतेकहते उस की सुंदर आंखों से आंसू ढुलक पड़े.

‘‘अरे, यह तो तेरी प्रतिभा व मेहनत का नतीजा है. मैं ने तो बस, एक दिशा दी,’’ मैडम ने खुशी से ओतप्रोत हो उसे थपथपाते हुए कहा.

वसुंधरा फिर उत्साहित होते हुए मैडम को बताने लगी कि उस की पहले मुंबई में टे्रेनिंग चलेगी उस के बाद 2 साल का प्रोबेशन पीरियड फिर स्थायी रूप से आफिसर के रूप में बैंक की किसी शाखा में नियुक्ति होगी. मैडम प्यार से उस के खुशी से दमकते चेहरे को देखती रह गईं.

उस शाम मैडम को तब बेहद खुशी हुई जब दीनानाथ मिठाई का डब्बा ले कर अपनी खुशी बांटने उन के पास आए. उन्होंने और उन के पति ने आदर के साथ उन्हें ड्राइंग रूम में बैठाया.

दीनानाथ गर्व से बोले, ‘‘मेरी बेटी बैंक में आफिसर बन गई,’’ फिर भावुक हो कर कहने लगे, ‘‘यह सब आप की वजह से हुआ है. मैं तो बेटी होने का अर्थ सिर्फ विवाह व दहेज ही समझता था. आप ने मेरा दृष्टिकोण ही बदल डाला. मैं व मेरा परिवार हमेशा आप का आभारी रहेगा.’’

ममता विनम्र स्वर में दीनानाथ से बोलीं, ‘‘मैं ने तो मात्र मार्गदर्शन किया है. यह तो आप की बेटी की प्रतिभा और मेहनत का नतीजा है.’’

‘‘जिस प्रतिभा को मैं दायित्वों के बोझ तले एक पिता हो कर न पहचान पाया, न उस का मोल समझ पाया, उसी प्रतिभा का सही मूल्यांकन आप ने किया,’’ बोलतेबोलते दीनानाथ का गला रुंध गया.

‘‘यह जरूरी नहीं कि सिर्फ पढ़ाई में होशियार बच्चा ही जीवन में सफल हो सकता है. प्रत्येक बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है. हमें उसी प्रतिभा का सम्मान करते हुए उसे उसी ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.’’

दीनानाथ उत्साहित होते हुए बोले, ‘‘मेरी दूसरी बेटी आर्मी में जाना चाहती है. मैं अपनी सभी बेटियों को पढ़ाऊंगा, आत्मनिर्भर बनाऊंगा, तब जा कर उन के विवाह के बारे में सोचूंगा. मैं तो भाग्यशाली हूं जो मुझे ऐसी प्रतिभावान बेटियां मिली है.

Stories In Hindi : झिलमिल सितारों का आंगन होगा

Stories In Hindi : नील मस्ती में गुनगुना रहा था,”मेरे रंग में रंगने वाली, परी हो या हो परियों की रानी…” तभी पीछे से उस की छोटी बहन अनु ने आ कर कहा, “भैया, शादी के बाद भी किसी से प्यार हो गया है क्या?”

नील बोला,”नहीं तो… पर गाना तो गा ही सकता हूं.”

अनु मुसकराते हुए अंदर चाय बनाने चली गई. तभी घर के बाहर कार की आवाज सुनाई दी और अनु ने खिड़की से देखा, राजीव भैया और मधु भाभी आ गए थे.

अनु जब चाय ले कर कमरे में पहुंची तो राजीव भैया बोले,”अनु, मेघा भाभी नहीं आईं अब तक?”

अनु इस से पहले कुछ बोल पाती, मम्मी बोलीं,”अरे मेघा व्यस्त है. बैंक में बहुत काम चल रहा है. मुश्किल से ही रात में घर घुस पाती है, चेहरा एकदम से उतर गया है बेचारी का, काम के बोझ के कारण.”

नील बरबस बोल उठा,”अरे मम्मी, बहू ही तुम्हारी काले मेघ जैसी है, तुम बेकार में ही काम को दोष दे रही हो.”

तभी मेघा ने घर में कदम रखा और नील की बातें सुन कर वह एकदम से सकपका गई. नील खुद भी हंस पङा.

नील की मम्मी का माथा ठनका और बोलीं,”नील, हंसीमजाक करने का भी एक स्तर होता है.”

नील बोला,”मम्मी, मेघा मेरी जीवनसाथी है, मेरे साथसाथ मेरे मजाक को भी समझती है.”

कुछ देर बाद मेघा तैयार हो कर बाहर आ गई थी. गुलाबी सूट में वह बेहद ही सलोनी लग रही थी. पर नील बारबार मधु की तरफ देख रहा था.

राजीव नील का करीबी दोस्त था. अभी पिछले हफ्ते ही उन का विवाह हुआ था. मधु बेहद खूबसूरत थी पर
मेघा के तीखे नैननक्श भी कुछ कम नहीं थे.

डाइनिंग टेबल पर तरहतरह के पकवान सजे हुए थे. अनु बोली,”मधु भाभी, यह फ्रूट कस्टर्ड और शाही पनीर मेघा भाभी बेहद लजीज बनाती हैं.”

मधु चुपचाप थी तो अनु ने कहा,”भाभी, आप तो कुछ ले ही नहीं रही हैं.”

राजीव बोल उठा,”अरे अनु, मधु कुछ भी फ्राइड या औयली नहीं लेती है. चेहरे पर दाने आ जाते हैं.”

एकाएक नील प्रशंसात्मक स्वर में बोल उठा,”फिर गोरे रंग पर अलग से दिखता भी है. गहरे रंग में तो सब घुलमिल मिल जाता है.”

मेघा बोली,” हां, सिवाय प्यार के.”

उस के बाद मेघा वहां रुकी नहीं और दनदनाती हुई अंदर चली गई. उस के बाद महफिल जम न सकी. जब वे लोग जा रहे थे तो मेघा उन्हें छोड़ने बाहर भी नहीं आई थी.

कमरे में घुसते ही नील बोला,”मेघा, तुम बाहर क्यों नही आईं?”

मेघा ने कहा,”क्योंकि, मैं थक गई थी और तुम तो थे न वहां मधु का ध्यान रखने के लिए…”

नील गुस्से में बोला,”इतनी असुरक्षित क्यों रहती हो? अगर कोई सुंदर है तो क्या उसे सुंदर कहने से मैं बेवफा हो
जाऊंगा?”

मेघा बोली,”नील, मैं तुम्हारी तरह अपने पापा के साथ काम नहीं करती हूं कि जब मरजी हो तब जाओ और जब मरजी हो तब मत जाओ.”

नील गुस्से में बोला,”बहुत घमंड है तुम्हें अपनी नौकरी का, जो भी करती हो अपने लिए करती हो, मेरे लिए तो
तुम ने कभी कुछ नहीं किया है.”

सुबह मेघा के औफिस जाने के बाद मम्मी नील से बोलीं,”नील, कुछ तो बिजनैस पर ध्यान दो. शादी को 7 महीने हो गए हैं, कल को तुम्हारे खर्चे भी बढ़ेंगे.”

नील हमेशा की तरह मम्मी की बात को एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल कर चला गया.

रात को खाने पर पापा गुस्से में नील से बोले,”तुम्हारा ध्यान कहां है? आज पूरे दिन तुम औफिस में नहीं थे. ऐसा ही रहा तो मैं तुम्हें खर्चा देना बंद कर दूंगा.”

नील बेशर्मी से बोला,”पापा, आप कमाते हो और मम्मी घर पर रहती हैं और मेरे केस में मेरी बीवी कमाती है और मैं बाहर के काम देख लेता हूं.”

मेघा हक्कीबक्की सी रह गई.
अंदर कमरे में घुसते ही मेघा ने नील को आड़े हाथों ले लिया,”क्या तुम ने मुझ से शादी मेरी तनख्वाह के कारण करी है? मैं ने तो सोचा था कि तुम घर की जिम्मेदारियां उठाओगे और मैं पैसे बचा कर एक घर खरीद लूंगी. आखिर कब तक मम्मीपापा के सिर पर रहेंगे?”

नील भी गुस्से में बोला,”मैं ने भी सोचा था कि गोरीचिट्टी बीबी आएगी, जो मुझे समझेगी और मेरी मदद करेगी.तुम्हें तो पर अपनी नौकरी की बहुत अकड़ है.”

हालांकि नील ने यह बात दिल से नहीं कही थी पर यह मेघा के दिल में फांस की तरह चुभ गई थी. आज पूरा दिन बैंक में मेघा को नील का रहरह कर मधु को देखना याद आ रहा था. बारबार वह यही सोच रही थी
कि क्या वह बस नील की जिंदगी में नौकरी के कारण है?

एकाएक उसे अपनी दादी की बात याद आ गई. दादी कितना कहती थीं,” बिटटू यह गोरेपन की क्रीम लगा ले, आजकल काले को भी गोरी दुलहन चाहिए होती है.”

मेघा का जब नील से विवाह हो रहा था तो उस ने दादी से कहा था,”दादी, देखो, तुम्हारी बिटटू को गोरा
दूल्हा मिल गया है…”

पर आज मेघा को लग था कि नील ने तो उस की नौकरी के कारण उस के काले रंग से समझौता किया था.
मेघा की जिंदगी में वैसे तो सब कुछ सामान्य था, पर एक अनकहा तनाव था जो उस के और नील के बीच पसर गया था. नील को लगने लगा था कि मेघा को अपनी नौकरी का घमंड है तो मेघा को लगता था कि नील उस की दबी हुई रंगत के कारण अपने दोस्तों की पत्नियों से हेय समझता है. इसलिए नील उसे कभी भी अपने किसी दोस्त के घर ले कर नहीं जाता है.

मेघा को लगता था कि नील के सभी दोस्तों की पत्नियां गोरी हैं, इस कारण नील शर्माता है. उधर नील अपनी
नाकामयाबियों के जाल में इतना फंस गया था कि उस ने अपना सामाजिक दायरा बहुत छोटा कर दिया था.
नील कुछ करना चाहता था पर वह जो भी प्रयास करता सब विफल हो जाता. पिता के व्यपार में उस का दिल नहीं लगता था. वह अपने हिसाब से, अपनी तरह से काम करना चाहता था.

आज उसे एक बहुत अच्छा प्रस्ताव मिला था. काम ऐसा था जिस में नील अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को भी इस्तेमाल कर सकता था. पर अपने काम के लिए उसे पूंजी की जरूरत थी. नील को पता था कि उस के पिता अपने पुराने अनुभवों के कारण उस की मदद नहीं करेंगे.
नील को लगा कि मेघा उस की जीवनसाथी है, शायद वह उस की बात समझ जाए.

जब नील ने मेघा से कहा तो मेघा
तुनक कर बोली,”अलग बिजनैस का इतना ही शौक है तो अपनी कमाई से कर लो. मुझे तो लगता है कि तुम ने मुझ से शादी ही इस कारण से करी है कि बीवी की कमाई से अपने सपने पूरे करोगे.”

फिर चलते हुए पलट कर बोली,”फ्री में सैक्स मुझ से मिल ही रहा है, जेबखर्च 30 की उम्र में भी अपने पापा से लेते हो और बाहर घुमाने के लिए पतली, सुंदर और गोरी लड़कियां तो तुम्हारे पास होंगी ही न…”

रात में खाने की मेज पर तनाव छाया रहा. अनु ने चुपके से पापा को सारी बात बता दी थी. पापा ने मेघा को
कहा,”बेटा, एक बार नील की बात को ठंडे दिमाग से सोचो, जब बच्चे हो जाएंगे तो वैसे ही कुछ सालों तक तुम
लोगों का हाथ तंग हो जाएगा.”

मेघा फुफकार उठी,”अच्छा बहाना ढूंढ़ा है पूरे परिवार ने पैसा उगाही का. जानती हूं एक काली लड़की का
उद्धार क्यों किया है इस परिवार ने, अब कीमत तो चुकानी ही होगी. है न?

“इतना ही अच्छा बिजनैस प्रपोजल है तो आप क्यों नहीं लगाते हो पैसा?”

नील एकदम से आपा खो बैठा और चिल्ला कर बोला,”काली तुम्हारी रंगत नहीं पर दिल का रंग जरूर काला है
मेघा. तुम से शादी मैं ने अपने दिल से करी थी पर लगता है कुछ गलती कर बैठा.”

नील बेहद रोष में खाना अधूरा छोड़ कर चला गया था. यह जरूर था कि वह मेघा को चिढ़ाने के लिए कुछ भी
बोल देता था पर उस के दिल में ऐसा कुछ नहीं था. आज मेघा उसे वास्तव में कुरूप लग रही थी.

न जाने क्या सोच कर नील ने कार राजीव के घर की तरफ मोड़ दी थी. 3 बार डोरबेल बजाने के बाद नील वापस जाने के लिए मुड़ ही रहा था कि मधु ने दरवाजा खोला. एक रंग उड़े गाउन में और चारों ओर छितरे हुए बालों में मधु बेहद फूहड़
लग रही थी. लग ही नहीं रहा था कि उस के विवाह को 1 माह ही हुआ है.
अंदर का हाल देख कर तो नील चकरा गया. चारों तरफ कपड़ों अंबार और धूल जमी हुई थी. राजीव झेंपते हुए बोला,”मधु को धूल से ऐलर्जी है. 2 दिन से कामवाली भी नहीं आ रही है.”

मधु फिर ट्रे में 2 कप चाय ले आई. चाय क्या दोहन सा ही था. अचानक से नील को लगा कि वह कितना खुशहाल है. मेघा कितनी सुघड़ है. नौकरी के साथसाथ घर भी कितना अच्छे से संभालती है और एक वह है नकारा…

अगर मेघा उसे कुछ कहती भी है तो उस के भले के लिए ही तो कहती है. आखिर कब तक वह जोंक की तरह अपने परिवार पर बोझ बना रहेगा?

चाय पीने के बाद नील ने झिझकते हुए कहा,”यार राजीव, कुछ पैसे मिल सकते हैं क्या? मैं बिजनैस शुरू करना चाहता हूं.”

राजीव बोला,”नील, पूरी बचत शादी में खर्च हो गई है और मधु के नखरे देख कर लगता है कि अब बचत हो भी नहीं पाएगी.”

रात में जब नील घर पहुंचा तो देखा मेघा जगी हुई थी. नील को देख कर बोली,”फोन क्यों स्विचौफ कर रखा है? नील, क्या हम शांति से बात कर सकते हैं?”

नील ने मेघा से कहा,”मेघा, मैं कोशिश कर रहा हूं पर मुझे तुम्हारे साथ की जरूरत है.”

मेघा भी भर्राए स्वर में बोली,”नील, मैं जानती हूं पर जब तुम मेरे रंग पर कटाक्ष करते हो, मुझे बहुत छोटा महसूस होता है.”

नील बोला,”तुम पर नहीं मेघा, अपनी नाकामयाबी पर हताश हो कर कटाक्ष कर देता हूं. आजतक किसी से नहीं कहा पर मेघा बहुत कोशिश कर के भी अपनी नाकामयाबी की परछाई से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं. तुम अच्छी नौकरी में हो, तुम नहीं समझ सकतीं कि कितना मुश्किल है नाकामयाबी का बोझ ढोना.”

मेघा सुबकते हुए बोली,”जानती हूं नील, कैसा लगता है जब लोग आप को रिजैक्ट कर देते हैं. तुम से पहले 10 लड़के मेरे रंग के कारण मुझे नकार चुके थे. तुम से विवाह के बाद ऐसा लगा जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो. पर रहरह कर तुम्हारे मजाक मेरे दिल में कड़वाहट भर देते हैं.”

नील बोला,”पगली, ऐसा कुछ नहीं है, मैं ज्यादा बोलता हूं न तो कुछ भी बोल जाता हूं. तुम से ज्यादा समझदार और प्यारी पत्नी मुझे नहीं मिल सकती है, यह मैं अच्छी तरह जानता हूं. हां, तुम्हारा मुझे हेयदृष्टि से देखना मुझे पागल कर देता था और इस कारण मैं कभीकभी जानबूझ कर तुम्हें नीचा दिखाने के लिए कभीकभी कटाक्ष कर देता था.”

मेघा बोली,”मैं तुम्हें नहीं, तुम्हारी लापरवाही को हेयदृष्टि से देखती हूं,” और यह कहते हुए उस ने नील के सामने लोन के कागज रख दिए.

“तुम्हें इतना भरोसा है तो मैं तुम्हारे बिजनैस के लिए कम ब्याज दरों पर लोन ले लूंगी, बस तुम्हें कामयाब
देखना चाहती हूं.”

ऐसा लग रहा था, दोनों के वैवाहिक जीवन पर जो गलतफहमियों के बादल छाए हुए थे वे छंट गए थे और पूरे आंगन में सितारे झिलमिला रहे थे.

Hindi Love Stories : भूल जाना अब – क्या कभी पूरा होता है कॉलेज का प्यार

Hindi Love Stories : ‘‘अनु, अब तुम उन दोनों के साथ मिलनाजुलना और हंसहंस कर बातें करना छोड़ दो.’’

‘‘क्यों, तुम्हें जलन हो रही है? मैं प्यार तुम्हीं से करती हूं, इस का मतलब यह तो नहीं कि मैं बाकी लोगों से बात न करूं. इतने नैरो माइंडेड न बनो, जीत.’’

‘‘अनु, तुम खूब समझ रही हो मैं किन दोनों की बात कर रहा हूं. वे अच्छे लड़के नहीं हैं. उन की हिस्ट्री तुम्हें भी पता है न. दोनों ने मिल कर श्यामली को कैसे धोखा दिया है.’’

‘‘हां जीत, सब जानती हूं, पर मैं धोखा खाने वाली नहीं हूं. मुझे भी दूसरों को उल्लू बनाना खूब आता है.’’

‘‘मुझे भी?’’

‘‘तुम बात कहां से कहां ले आए, छोड़ो इन बातों को. अब बताओ अमेरिका जाने के बारे में क्या सोचा है तुम ने?’’

‘‘मैं चाह कर भी अभी नहीं जा सकता हूं, तुम मां की हालत देख तो रही हो.’’

विश्वजीत को अनुभा जीत कहती थी और जीत उसे अनु कहता था. जीत के पिता का देहांत कुछ वर्ष पहले हो गया था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही जीत की मां भी गंभीर रूप से बीमार पड़ीं. लकवे से आंशिक रूप से ठीक तो हो गईं, पर उन की बोली में लड़खड़ाहट आ गई थी और चलने में काफी दिक्कत होती थी. जीत और अनुभा दोनों ही अमेरिका जाने की सोच रहे थे पर अब मां की बीमारी के चलते जीत ने अपना इरादा छोड़ दिया था. अनुभा अमेरिका जा कर वहीं सैटल होने पर दृढ़ थी. अनुभा के पापा कामता बाबू भी यही चाहते थे. उन की इच्छा थी कि बेटी के अमेरिका जाने के पहले उस की शादी कर दें या कम से कम सगाई तो जरूर कर दें. उन्हें अनुभा और जीत के बारे में पता था.

कामता बाबू ने कहा, ‘‘मैं जीत की मां से बात करता हूं तुम दोनों की शादी जल्द करने के लिए.’’

‘‘मुझे यूएस जाना है और उसे मां की देखभाल करनी है. मैं उस के लिए अपने कैरियर से समझौता नहीं कर सकती हूं,’’ अनु पिता से बोली.

‘‘ठीक है, तब मैं ही कुछ रास्ता निकालता हूं,’’ कामता बाबू गंभीर हो कर बोले.

‘‘वह कैसे?’’

‘‘वह सब तुम मुझ पर छोड़ दो,’’ कामता बाबू गहरी सोच में डूब गए.

कामता बाबू ने अपने फैमिली पुरोहित को बुला कर सारी बात बताई, तब उस ने कहा, ‘‘आप लड़के की कुंडली मंगवाएं. मैं अनुभा की ऐसी कुंडली बनाऊंगा और मिलान में ऐसा दोष निकालूंगा जिस का कोई काट न होगा.’’

हुआ भी वही. जीत की कुंडली मंगवाई गई. पुरोहित ने अनुभा की झूठी कुंडली बनाई, जिस में मंगल का दोष था और कहा कि यह घोर अपशकुन है. विवाहोपरांत लड़की के विधवा होने का पूरा संयोग है.

कामता बाबू ने जीत को यह बात बताई तो जीत ने कहा, ‘‘अंकल, हम चांद और मंगल पर पहुंच रहे हैं और आप इन पुरानी दकियानूसी बातों के चक्कर में पड़े हैं.’’

‘‘फिर भी मैं किसी कीमत पर बेटी के लिए रिस्क नहीं ले सकता हूं.’’

अनुभा को भी विश्वजीत से ज्यादा अपने कैरियर की चिंता थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अनुभा कैलिफोर्निया, अमेरिका चली गई. कुछ दिन तक दोनों संपर्क में रहे थे. जीत ने उस से कहा था कि मास्टर्स के बाद इंडिया लौट आए. यहां भी उसे अच्छे जौब मिल सकते हैं. अब तो अमेरिका में ट्रंप प्रशासन है. जौब मिलना अब आसान नहीं होगा.

पर एमएस के बाद अनुभा को ओपीटी यानी औप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग वीजा मिल जाने से कुछ राहत मिली. अनुभा अमेरिका में एक ज्योतिष के संपर्क में थी. उस ने उसी ज्योतिष से पूछा कि उस का भविष्य क्या होगा. उस की कुंडली देख कर ज्योतिष ने कहा, ‘‘तुम्हारी कुंडली तो अच्छी है, मांगलिक भी नहीं हो. जल्द ही तुम्हें नौकरी मिलेगी और तुम किसी के साथ रिलेशनशिप में आओगी.’’

इत्तफाक से ज्योतिष की बात सच निकली और एक छोटी कंपनी में नौकरी भी मिली. थोड़े ही दिनों बाद उस कंपनी के कोफाउंडर से उस की नजदीकियां बढ़ीं. वह भारतीय मूल का व्यक्ति राजन था. अनुभा उस के साथ लिवइन रिलेशन में आ गई.

इस के बाद जीत और अनुभा में संपर्क महज औपचारिकता मात्र रहा था. अनुभा को अमेरिका की लाइफस्टाइल, चकाचौंध और भौतिकता रास आ गई थी, कभी खास मौकों, जन्मदिन आदि पर दोनों एकदूसरे को विश कर दिया करते थे. इधर जीत ने पुणे की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी जौइन कर ली.

जीत की मां की सहेली की एक लड़की थी लता. वह उन के घर से थोड़ी दूर रहती थी और बीएससी फाइनल ईयर में थी. कभीकभी अपनी मां के साथ जीत के घर आती थी. उस की जीत के साथ कुछ बातें भी होतीं, पर जीत को उस में कोई दिलचस्पी नहीं थी. हालांकि, लता की मां जीत को मन ही मन दामाद बनाने की सोच रही थीं.

जीत को अपनी कंपनी की तरफ से 2 सप्ताह के लिए न्यूयौर्क, अमेरिका जाना था. पर वह मां की खराब तबीयत को ले कर  दुविधा में था. उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहता था और कंपनी थी कि उसी को भेजना चाहती थी. लता की मां ने जीत को भरोसा दिलाया कि उस की मां की देखरेख में मांबेटी दोनों कोई कमी नहीं होने देंगी.

जीत न्यूयौर्क चला गया. उस ने अनुभा से भी बात की. उस का हालचाल जानना चाहा तो वह बोली, ‘‘मस्त लाइफ जी रही हूं. मैं तो तुम से शादी करना चाहती थी पर यह मंगल और शनि ने बीच में आ कर सारा खेल बिगाड़ दिया. मेरा बौयफ्रैंड अभी टूर पर ईस्ट कोस्ट गया है, वरना तुम से बात करवाती?’’ जीत बोला, ‘‘मंगलशनि में ज्यादा तो तुम्हारे अमेरिका में सैटल होने की जिद थी. तुम जानती थीं कि मैं आने की स्थिति में नहीं था. खैर, अब इन सब बातों से क्या फायदा, तुम्हें अपनी मंजिल मिल गई है.’’

अनुभा ने उसे कैलिफोर्निया आ कर मिलने को कहा पर न्यूयौर्क और कैलिफोर्निया दोनों अमेरिका के 2 छोर पर हैं. जीत वहां नहीं जा सका, उस ने कहा, ‘‘अगली बार अगर वैस्ट कोस्ट की तरफ आना हुआ तो तुम से जरूर मिलूंगा.’’

जीत 2 सप्ताह में अमेरिका का काम समाप्त कर भारत वापस आ गया. लता और उस की मां दोनों ने मिल कर उस की अनुपस्थिति में जीत की मां को किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी थी. यह देख कर उसे खुशी हुई. उस की मां ने लता की काफी तारीफ की. उन्होंने जीत से कहा, ‘‘अगर तुम्हें लता पसंद हो तो बोलो, मैं तुम्हारी शादी की बात करूंगी.’’

‘‘नहीं, मां, अभी मैं कंपनी के एक बड़े प्रोजैक्ट में लगा हूं. एक साल की डैडलाइन है. इस बीच मुझे डिस्टर्ब न करो. और लता भी कंपीटिशन एग्जाम की तैयारी कर रही है.’’

करीब एक साल बाद फिर अमेरिका जाने के लिए जीत मुंबई एयरपोर्ट गया. सिक्योरिटी चैक के बाद वह बोर्डिंग के लिए प्रतीक्षा कर रहा था. उस की बगल की कुरसी पर एक आदमी आ कर बैठा. फ्लाइट में अभी एक घंटा बाकी था, रात में एक बज रहा था.

जीत ने उस से पूछा, ‘‘आप भी अमेरिका जा रहे हैं?’’

‘‘हां, मैं भी अमेरिका जा रहा हूं.’’

‘‘मैं विश्वजीत हूं. मैं सैन फ्रांसिस्को जा रहा हूं.’’

‘‘मैं कमल सिंह, मैं बिजनैस के सिलसिले में यहां आया था. मैं सैन फ्रांसिस्को लौट रहा हूं, फिर वहां से लिवरमूर जाऊंगा.’’

‘‘वैरी गुड, लंबी यात्रा में साथ रहेगा.’’

इत्तफाक से दोनों को सीट भी अगलबगल मिली थी. इस बीच कमल ने अमेरिका में फोन किया. जीत ने भी बगल में बैठेबैठे फोन की स्क्रीन पर वह फोटो देखी जिसे कमल ने कौल किया था. फोटो पहचानने में उसे कोई दिक्कत नहीं हुई, वह अनुभा थी, उस का पहला प्यार. फोन आंसरिंग में चला गया, कमल ने कहा, ‘‘हाय अनुभा, मैं थोड़ी देर में बोर्ड करने जा रहा हूं. अब यूएस लैंड कर के ही कौल करूंगा. हैव ए गुड डे.’’

‘‘आप ने अपने घर कौल किया था?’’ जीत पूछ बैठा.

‘‘मैं ने अपनी वाइफ को कौल किया था. अभी तो औफिस में होगी, शायद किसी मीटिंग में होगी, इसीलिए फोन रिसीव नहीं कर सकी.’’

अनुभा का फोटो देख कर जीत को फिर अनुभा की याद आई. हालांकि, अब उसे अनुभा में कोई दिलचस्पी नहीं थी. वह सोचने लगा कि इस के पहले तो उस के जीवन में राजन था. अब यह नया आदमी कमल कैसे आ गया.

जीत इसी उधेड़बुन में खोया था, तब कमल ने पूछा, ‘‘क्या सोचने लगे विश्वजीत?’’

‘‘नहींनहीं, कुछ भी नहीं. यों ही घर की याद आ गई थी. वैसे आप मुझे जीत बुला सकते हैं.’’

‘‘चलिए, आप को मैं अपने घर की सैर करा देता हूं,’’ कह कर कमल ने अपना सैलफोन औन कर ‘स्मार्ट थिंग ऐप’ औन किया और मुंबई एयरपोर्ट पर बैठेबैठे अपने घर की सैर करा दी. यहीं बैठे हुए वह घर की लाइट औनऔफ या डिम कर देता, कभी घर का तापमान अपनी मरजी से सैट करता तो कभी स्विमिंग पूल की लाइट या फौआरे औन कर देता. उस के घर में एक मिनी सिनेमा थिएटर भी था. वैसे जीत को भी थोड़ीबहुत इस ऐप की जानकारी थी पर आज उस ने अपनी आंखों से देखा था. सचमुच अनुभा का घर काफी बड़ा था और किसी महल से कम नहीं था.

बातचीत के दौरान कमल को जब पता चला कि जीत और अनुभा कुछ दिन पटना में साथ पढ़े थे तो जीत और कमल दोनों में दोस्ती हो गई. अमेरिका लैंड करने के बाद कमल ने जीत को अपना कार्ड दिया और कहा, ‘‘आप हमारे घर जरूर आइएगा.’’

‘‘हां, प्रयास करूंगा,’’ बोल कर जीत ने भी अपना कार्ड उसे दिया.

‘‘प्रयास क्या करना, आप औकलैंड जा रहे हैं, वहां से लिवरमूर बस 30-35 मिनट की ड्राइव है. आप फोन करेंगे तो अगर मैं फ्री हुआ तो आप को पिक कर लूंगा.’’

‘‘थैक्स, मैं खुद आने की कोशिश करूंगा.’’

एक वीकैंड जीत ने अनुभा को फोन किया, उस की आवाज सुन कर बोला, ‘‘हाय अनुभा, जीत हियर. मैं आज तुम्हारे घर आने की सोच रहा हूं, फ्री हो?’’

‘‘मैं तो तुम्हारे लिए सदा फ्री हूं या यों भी कह सकते हो फ्रीली अवेलेबल हूं. कमल कहीं बाहर गया है, लेट नाइट में लौटेगा, पर मैं फिलहाल घर पर नहीं हूं, तुम किधर हो? मैं ही आ जाती हूं.’’

जीत ने अपने होटल का पता दिया तो वह बोली, ‘‘बस, आधे घंटे में आ रही हूं डियर.’’

ठीक आधे घंटे बाद अनुभा जीत के कमरे में थी. वह आते ही उस के गले से लिपट गई. जीत को बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि पहले वह उस से इस तरह कभी नहीं मिली थी. अलग होते हुए उस ने पूछा, ‘‘और कैसी हो? कामधाम कैसा चल रहा है?’’

‘‘बिलकुल मस्त हूं, देख ही रहे हो. यह अमेरिका भी बड़े काम की जगह है, लाइफ इज वैरी कूल.’’

‘‘अच्छा, यह कमल कब से आया तुम्हारी जिंदगी में?’’

‘‘मेरा ज्योतिष पंडित कम शातिर नहीं है. उस ने कहा कि अगर मैं उसे एक बार खुश कर दूं तो मैं एक बड़े बिजनैसमैन की जीवनसंगिनी बन सकती हूं.’’

‘‘और तुम ने उस की बात मान ली?’’

‘‘हां. वह शख्स है कमल, और उसे अपनी जिंदगी में मेरे जैसे शोपीस की जरूरत थी. सच, अब मैं कमल के साथ बहुत खुश हूं. महलों की रानी बन कर राज कर रही हूं.’’

‘‘और कल कोई कमल से बड़ा बिजनैसमैन मिल जाए तो क्या तुम उसे भी…’’

अनुभा ने उस की बात पूरी होने से पहले ही कहा, ‘‘हां, उसे भी. अमेरिका इज ए लैंड औफ अपौरचुनिटीज. हर कोई अपनी प्राइवेटलाइफ अपनी मरजी से जीने को आजाद है. ऐंड सैक्स इज नो टैबू हियर.’’

‘‘तुम इतनी बदल जाओगी, मुझे विश्वास नहीं होता.’’

‘‘लाइफ में चेंज होना चाहिए, मोनोटोनस लाइफ कोई लाइफ है. यह कमल तो महीने में 20 दिन बाहर ही रहता है. तुम क्या सोचते हो, वह सिर्फ मेरे इंतजार में बैठा रहता होगा? नो जीत, नो. वह मुझ से उम्र में 10 साल बड़ा है, मैच्योर्ड है. उस से शादी करने के बाद मैं यहां के ग्रीन कार्ड की हकदार बन गई हूं.’’

‘‘अनु, तुम पूरी तरह मैटीरिअलिस्टिक हो गई हो.’’

‘‘तुम ने सही कहा है जीत, वैसे बहुत दिनों के बाद किसी ने अनु नाम से मुझे पुकारा है,’’ बोल कर एक बार फिर वह जीत से गले लग कर अपने होंठों को उस के करीब ले आई.

तब तक दरवाजे की घंटी बजी. रूम सर्विस की आवाज थी, ‘‘योर लंच, सर’’

जीत ने जा कर दरवाजा खोला. लंच के कुछ देर बाद अनु चली गई.

इस के बाद कुछ दिनों तक जीत अपने काम में काफी व्यस्त रहा. लगभग 10 दिनों बाद उस का प्रोजैक्ट अमेरिका के क्लाइंट ने स्वीकार किया था. जीत की कंपनी की ओर से उसे तत्काल प्रमोशन की गारंटी मिली. वह बहुत खुश था. उस ने अनुभा को फोन कर यह बात बताई तो अनुभा बोली, ‘‘आज मैं भी बहुत खुश हूं. मेरे लिए भी खुशी की बात है.’’

‘‘क्या बात है, मुझे भी बता सकती हो?’’

‘‘श्योर, मैं प्रैग्नैंट हूं. आज ही खुद प्रैग्नैंसी टैस्ट किया है?’’

‘‘बधाई हो, कमल हो तो उसे भी बधाई दे दूं. आखिर उस का भी तो बच्चा है.’’

‘‘पता नहीं.’’

‘‘क्या पागलों जैसी बात करती हो?’’

‘‘खैर, वह सब छोड़ो, मैं अकेली हूं. आ जाओ तो मिल कर डिं्रक लेंगे और अपने घर के मिनी थिएटर में एडल्ट मूवी एंजौय करेंगे.’’

‘‘नो अनु, थैंक्स. 4 घंटे बाद मेरी फ्लाइट है. अब तुम वह अनु नहीं रहीं, अनुभा सिंह बन गई हो.’’

जीत मन ही मन खुश हुआ कि अच्छा हुआ ऐसी लड़की से वह बच गया. वह इंडिया लौट आया. लता और उस की मां ने एक बार फिर जीत की मां की देखभाल की थी.

लता जीत की मां के पास ही बैठी थी, जब उन्होंने जीत से कहा, ‘‘लता बैंक की नौकरी के लिए सेलैक्ट हो गई है.’’

‘‘बधाई हो लता,’’ जीत ने कहा.

‘‘थैंक्स,’’ बोल कर वह कुछ शरमा सी गई.

लता के जाने के बाद मां ने कहा, ‘‘बेटे, अब तो तेरा प्रोजैक्ट भी पूरा हो गया. मुझे लता सब तरह से अच्छी लड़की लगती है, तेरे लिए ठीक रहेगी. अब तू कहे तो बात करूं उस की मां से.’’

‘‘जैसा तुम ठीक समझो, मां, मुझे कोई एतराज नहीं है.’’

लता और जीत की शादी हो गई. आज दोनों की सुहागरात थी. अगले दिन सुबहसुबह जीत को बारबार हिचकी आ रही थी.

‘‘क्या हुआ जीत? अनुभा याद कर रही है क्या? शायद इसीलिए बारबार तुम्हें हिचकियां आ रही हैं?’’

लता ने जब अचानक अनुभा की बात की तो जीत हैरान रह गया, ‘‘तुम अनुभा को कैसे जानती हो और यह क्या बेकार की बात कर रही हो. जरा एक गिलास पानी दो.’’ लता ने पानी दिया और पानी पीते ही उस की हिचकी बंद हो गई. अब जीत ने लता को अपने पास बिठाया और आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘अब बताओ, तुम अनुभा को कैसे जानती हो?’’

‘‘अरे वाह, वह तो स्कूल में मुझ से 2 साल सीनियर थी तो क्या मैं उसे नहीं जान सकती हूं? तुम दोनों के इश्क के चर्चे मैं ने भी सुने हैं, इंजीनियरिंग कालेज में मेरी कजिन उस की क्लासफैलो थी.’’

‘‘अच्छा, सुना होगा. तब तुम्हें यह भी पता होना चाहिए कि कालेज के बाद हमारे बीच वैसी कोई बात नहीं रही. सिवा यदाकदा फोन के, बाद में वह भी लगभग नहीं रहा. हम लोग शुरू में एकदूसरे को चाहते जरूर थे पर हमारी शादी नहीं होनी थी. वह बहुत महत्वाकांक्षी थी. उसे अमेरिका जाने की जिद थी और मैं अपनी बीमार मां को इंडिया में अकेला छोड़ कर जा नहीं सकता था. वह मेरे लिए बनी ही नहीं थी.’’

‘‘हां, मुझे सब पता है, तभी तो सब जानते हुए मैं ने तुम से शादी के लिए हामी भरी थी.’’

‘‘अच्छा, अब सुबहसुबह ज्यादा बोर न करो, डार्लिंग. एक प्याली चाय अपने होंठों से सटा कर पिला दो. मिठास दोगुनी हो जाएगी.’’मैं अभी चाय बना कर लाती हूं.’’ और वह उठ कर किचन में चली गई.

Family Story : उपलब्धि – ससुर के भावों को समझ गयी बहू

Family Story : इतवार को सोचा था पर मेहमान आ गए तो उन्हीं में व्यस्त होना पड़ा. आज भी छुट्टी है और नाश्ता भी पकौडि़यों का भरपेट हो चुका है. खाना आराम से बनेगा. रसोई का हर कोना उस ने रगड़रगड़ कर अच्छी तरह चमकाया. फिर रैकों पर साफ अखबार, प्लास्टिक बिछाए.

अंदर जब कुछ सर्दी लगने लगी थी तो सोचा थोड़ी देर धूप में बैठ कर अखबार पढ़ लूं फिर खाने का काम शुरू होगा. तब तक रसोईघर भी सूख जाएगा.

अखबार ले कर शीला छत पर अभी आई ही थी कि पति विनोद की आवाज सुनाई दी, ‘‘अरे भई, कहां हो? आज खाना नहीं बनेगा क्या?’’ यह कहते हुए वह भी छत पर आ गए.

‘‘अभी तो भरपेट नाश्ता हुआ है सब का. आप ने भी तो किया है.’’

‘‘शीला, जानती हो मैं नाश्ता नहीं करता हूं. बच्चों का मन रखने के लिए 2-4 पकौडि़यां ले ली थीं. मुझे तो हर रोज 10 बजे खाने की आदत है. फिर भी बहस किए जा रही हो.’’

‘‘क्यों? आप इतवार को सब के साथ देर से खाना नहीं खाते हैं?’’

‘‘पर आज इतवार नहीं है. अब नहीं बना है तो और बात है. मुझे तो पहले ही पता है कि आजकल तुम्हारी हर काम को टालने की आदत हो गई है. अब यह समय अखबार पढ़ने का है या घर के काम का. दूसरी औरतों को देखा है, नौकरी भी करती हैं और घर भी कितनी कुशलता से संभालती हैं. यहां तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं, काम करने को नौकरानी है फिर भी हर काम देरी से होता है.’’

विनोद के ऊंचे होते स्वर के साथ शीला का मूड बिगड़ता चला गया.

शीला अखबार वहीं पटक कर नीचे रसोईघर में गई. उबले आलू रखे थे वे छौंक दिए और फटाफट आटा गूंध कर परांठे बना दिए. पर खाना देख कर विनोद का पारा और चढ़ गया.

‘‘यह क्या? सिर्फ सब्जी, परांठे. तुम जानती ही हो कि लंच के समय मैं पूरी खुराक लेता हूं. जब नाश्ता बंद कर दिया है तो खाना तो कम से कम ढंग का होना चाहिए. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया है. सारे ऊलजलूल कामों के लिए तुम्हारे पास समय है, बस, मेरे लिए नहीं.’’

गुस्से में विनोद ने थाली सरका दी थी. शीला का मन हुआ कि वह भी फट पडे़. एक तो दिन भर काम में जुटे रहो उस पर फटकार भी सुनो.  आखिर कुसूर क्या था, रसोई की सफाई ही तो की थी. चाय, नाश्ता, खाना, घर की संभाल, बच्चों की देखरेख में उस ने जिंदगी गुजार दी पर किसी को संतोष नहीं. बच्चों को लगता है मां आधुनिक, स्मार्ट नहीं हैं जैसी औरों की मम्मी हैं. विनोद को तो अब नौकरीपेशा औरतें अच्छी लगने लगी हैं. चार पैसे जो कमा कर लाती हैं. घरगृहस्थी संभा-लने वाली तो इन की नजरों में गंवार ही हैं.

विनोद तो बाहर निकल गए थे पर शीला ने बेमन से पूरा खाना बनाया. शुभा भी तब तक सहेली के घर से आ गई थी, और शुभम कोच्ंिग से. दोनों को खाना खिला कर वह अपने कमरे में आ गई.

और दिन तो शीला काम पूरा करने के बाद टीवी देखती, अधबुना स्वेटर पूरा करती या कोई पत्रिका पढ़ती पर आज कुछ भी करने का मन नहीं था. विनोद का यह बेरुखी भरा व्यवहार वह पिछले कई दिनों से देख रही थी. आखिर कहां गलत हो गई वह. क्या इन घरेलू कामों की कोई अहमियत नहीं है? अगर बाहर नौकरी करती होती तो क्या तभी तक शख्सियत थी उस की?

शादी हुए 18 साल हो गए. जब शादी हुई थी उसी साल एम.ए. फर्स्ट डिवीजन में पास किया था. चाहती तो तभी नौकरी कर सकती थी. इच्छा भी थी पर उस समय तो ससुराल वालों को नौकरी करती हुई बहू पसंद नहीं थी.

विनोद भी तब यही कहते थे कि बच्चों को अच्छे संस्कार दो, उन की पढ़ाई में मदद करो, घर संभाल लो, यही बहुत है मेरे लिए.

उस ने सबकुछ तो उन्हीं की इच्छानुसार किया था. देवर की शादी हो गई, देवरानी आ गई तब भी सासससुर उसी के पास रहे.

‘‘बड़ी बहू हम लोगों का जितना ध्यान रखती है छोटी नहीं रख पाती,’’ मांजी तो अकसर कह देती थीं.

बच्चों को संभालना, बूढ़े सासससुर की सेवा करना, घरगृहस्थी देखना, सबकुछ तो कुशलता से निभाया था उस ने. फिर ससुरजी की मौत के बाद यह सोच कर मांजी का खयाल वह और भी रखने लगी थी कि कहीं इन्हें अकेलापन महसूस न हो.

पर अब क्या हो गया? ठीक है, बच्चे अब बड़े हो गए हैं. उन्हें अब उस की उतनी जरूरत नहीं रही है. मांजी ने भी अपनेआप को सत्संग, भजन, पूजन में व्यस्त कर लिया है. विनोद का प्रमोशन हुआ है तब से उन की भी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. मकान का लोन लिया है तो खर्चे भी बढ़ गए हैं. बच्चों की भारी पढ़ाई है फिर शुभा की शादी भी 4-5 साल में करनी है. शायद इसी बात को ले कर विनोद को अब नौकरीपेशा औरतें अच्छी लगने लगी हैं. पर क्या देखते नहीं कि उस की भी तो व्यस्तता बढ़ गई है. सुबह 6 बजे से काम की जो दिनचर्या शुरू होती है तो रात को ही सिमटती है. फिर उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि वह फालतू है?

घर के सारे काम क्या अपनेआप हो जाते होंगे, और तो और शुभा जब से बाहर होस्टल में गई है और शुभम की कोचिंग शुरू हुई है, बाजार के भी सारे काम उसे ही करने पड़ रहे हैं. पर नहीं, सब को यही लगता है कि वह फालतू है. सब को उस से शिकायतें ही शिकायतें हैं. और तो और मांजी पहली बार 10-15 दिन को देवर के पास गईं तो वह भी जाते समय कहने में नहीं चूकीं, ‘‘बहू, तुम मेरी देखभाल करतेकरते थक जाती हो तो सोचा कि छोटी के पास कुछ दिन रह लूं.’’

अनमनी सी शीला फिर बाहर बरामदे में पड़े मूढ़े पर आ कर बैठ गई थी. शुभा पास ही बैठी सिर झुकाए डायरी में कुछ लिख रही थी.

‘‘क्या कर रही है?’’

‘‘मां, अब दिसंबर खत्म हो रहा है न, तो अपनी उपलब्धियां लिख रही हूं इस जाते हुए साल की और तय

कर रही हूं कि अगले साल मुझे

क्याक्या करना है. नए संकल्प भी तो करूंगी न…’’

‘‘अच्छा, क्या उपलब्धियां रहीं?’’

‘‘मां, विशेष उपलब्धि तो इस वर्ष की यह रही कि मेरा मेडिकल में चयन हो गया. अब मैं संकल्प करूंगी कि मेरा कैरियर इतना ही अच्छा रहे. अच्छे नंबर आते रहें हर परीक्षा में.’’

शुभा कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘ममा, मैं अपनी ही नहीं शुभम और पापा की भी उपलब्धियां लिखूंगी. देखो न, शुभम को इस साल स्कूल में बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिला है और पापा का तो प्रमोशन हुआ है न…’’

शीला ने भी उत्सुक हो कर शुभा की डायरी में झांका था तो वह बोली, ‘‘ममा, आप भी अपनी उपलब्धियां बताओ, मैं लिखूंगी. और आप अगले साल क्या करना चाहोगी. यह भी…’’

शीला का उत्साह फिर से ठंडा हो गया. क्या बताए, कुछ भी तो उपलब्धि नहीं है उस की. अब घर भर के लिए फालतू जो हो चली है वह…और एक ठंडी सांस न चाहते हुए भी उस के मुंह से निकल ही गई.

‘‘ओह मां, आप बहुत थक गई हो, आप को थोड़ा चेंज करना चाहिए…’’

शुभा कह ही रही थी कि फोन की घंटी बजने लगी. शुभा ने ही दौड़ कर फोन उठाया था.

‘‘मां, मामा का फोन है. पूछ रहे हैं कि शेफाली की शादी में हम लोग कब पहुंच रहे हैं. लो, बात कर लो.’’

‘‘हां, भैया, अभी तो कुछ तय नहीं हुआ है. बात यह है कि इन्हें तो फुरसत है नहीं क्योंकि बैंक की क्लोजिंग चल रही है. शुभम के अगले ही हफ्ते बोर्ड के इम्तहान हैं.’’

‘‘पर तू तो आ सकती है.’’

शीला क्या जवाब दे यह सोच ही रही थी कि शुभा ने आ कर दोबारा फोन ले लिया और बोली, ‘‘मामा, हम लोग भले ही न आ पाएं पर मम्मी जरूर आएंगी,’’ और शुभा ने फोन रख दिया था.

‘‘मां, आप हो आइए न,’’ शुभा आग्रह करते हुए बोली, ‘‘भोपाल है ही कितनी दूर. एक रात का ही तो सफर है. आप का चेंज भी हो जाएगा और नातेरिश्तेदारों से मुलाकात भी हो जाएगी. और फिर दोनों मौसियां भी तो आ रही हैं.

‘‘मां, आप यहां की चिंता न करें. मैं घर संभाल लूंगी. बस, पापा और शुभम का ही तो खाना बनाना है. फिर लीला बाई है ही मदद के लिए. बस, आप तो अपनी तैयारी करो.’’

जाने का खयाल तो अच्छा लगा था शीला को भी पर विनोद क्या तैयार हो पाएंगे? शीला अभी भी असमंजस में ही थी पर शुभा ने विनोद को राजी कर लिया था. फटाफट दूसरे दिन का आरक्षण भी हो गया और शुभा ने मां की सारी तैयारी करवा दी.

शादी की गहमागहमी में शीला को भी अच्छा लगा था. रातरात भर जाग कर बहनों में गपशप होती रहती. सब रिश्तेदारों के समाचार मिले. भैया ने बेटी की शादी खूब धूमधाम से की थी.

शेफाली के विदा होते ही घर सूना हो गया था. रिश्तेदार तो चल ही दिए थे, बहनों ने भी जाने की तैयारी कर ली थी.

‘‘भैया, मुझे भी अब लौटना है,’’ शीला ने याद दिलाया था.

‘‘अरे, तुझे क्या जल्दी है. शोभा और शशि तो नौकरीपेशा हैं. उन की छुट्टियां नहीं हैं इसलिए उन्हें लौटने की जल्दी है पर तू तो रुक सकती है.’’

भैया ने सहज स्वर में ही कहा था पर शीला को लगा जैसे किसी ने फिर कोमल मर्म पर चोट कर दी है. सब व्यस्त हैं वही एक फालतू है, वहां भी सब यही कहते हैं और यहां भी.

भैया के बहुत जोर देने पर वह 2 दिन रुक गई पर लौटना तो था ही. बेटी वापस जाएगी. शुभम पता नहीं ढंग से पढ़ाई कर भी रहा होगा या नहीं. सबकुछ भूल कर उसे भी अब घर की याद आने लगी थी.

स्टेशन पर सभी उसे लेने आए थे.

‘‘मां, बस, दादी नहीं आ पाईं आप को लेने क्योंकि वह अभी यहां नहीं हैं पर उन के 2 फोन आ गए हैं और वे जल्दी ही वापस आ रही हैं, कह रही थीं कि मन तो बड़ी बहू के पास ही लगता है.’’

शुभा ने पहली सूचना यही दी थी. उधर शुभम कहे जा रहा था, ‘‘आप ने इतने दिन क्यों लगा दिए लौटने में, 2 दिन ज्यादा क्यों रुकीं?’’

‘‘अच्छा, पहले घर तो पहुंचने दे.’’

शीला हंस कर रह गई थी. विनोद चुपचाप गाड़ी चला रहे थे. घर पहुंचते ही शुभा गरम चाय ले आई थी. शीला ने कमरे को देखा तो काफी कुछ अस्तव्यस्त सा लगा.

‘‘मां, अब यह मत कहना कि मैं ने घर की संभाल ठीक से नहीं की और रसोई को देख कर तो बिलकुल भी नहीं. आप तो बस, चाय पीओ…और फिर अपना घर संभालना…’’

शुभा ने मां के आगे एक डायरी बढ़ाई तो वह बोली, ‘‘यह क्या है?’’

‘‘मां, आप तो अपनी इस साल की उपलब्धियां बता नहीं पाई थीं पर पापा ने खुद ही आप की तरफ से यह डायरी पूरी कर दी, और पता है सब से ज्यादा उपलब्धियां आप की ही हैं…लो, मैं पढ़ूं…’’

शुभा उत्साह से पढ़ती जा रही थी.

‘‘हम सब को बनाने में आप का ही योगदान रहा. मेरा मेडिकल में चयन हुआ आप की ही बदौलत. मैं एक बार मेडिकल में असफल हो गई थी तब आप ही थीं जिन्होंने मुझे दोबारा परीक्षा के लिए प्रेरित किया और शुभम को स्कूल के बेस्ट स्टूडेंट का अवार्ड मिलना आप की ही क्रेडिट है. सुबह जल्दी उठ कर बेटे को तैयार करना, नाश्ते, खाने से ले कर हर चीज का ध्यान रखना, उस का होेमवर्क देखना, और तो और यह आप की ही मेहनत और लगन थी कि पापा का प्रमोशन हुआ. पापा कह रहे थे कि जब कभी आफिस में किसी कारण से उन्हें लौटने में देर हो जाती तो आप ने कभी शिकायत नहीं की बल्कि उन की गैरमौजूदगी में दादी को डाक्टर के पास तक आप ही ले कर जाती रहीं…’’

‘‘बसबस…अब बस कर,’’ शीला ने शुभा को टोका था. उधर विनोद मंदमंद मुसकरा रहे थे.

‘‘अब नया संकल्प हम सब लोगों का यह है कि तुम इसी तरह हम सब का ध्यान रखती रहो…’’ विनोद के कहते ही सब हंस पड़े थे. उधर शीला को लग रहा था कि एक घना कोहरा, जो कुछ दिनों से मन पर छा गया था, अचानक हटने लगा है. द

कहानी : हयात – रेहान ने क्यों थामा उसका हाथ

कहानी :  ‘‘कल जल्दी आ जाना.’’

‘‘क्यों?’’ हयात ने पूछा.

‘‘कल से रेहान सर आने वाले हैं और हमारे मिर्जा सर रिटायर हो रहे हैं.’’

‘‘कोशिश करूंगी,’’ हयात ने जवाब तो दिया लेकिन उसे खुद पता नहीं था कि वह वक्त पर आ पाएगी या नहीं.

दूसरे दिन रेहान सर ठीक 10 बजे औफिस में पहुंचे. हयात अपनी सीट पर नहीं थी. रेहान सर के आते ही सब लोगों ने खड़े हो कर गुडमौर्निंग कहा. रेहान सर की नजरों से एक खाली चेयर छूटी नहीं.

‘‘यहां कौन बैठता है?’’

‘‘मिस हयात, आप की असिस्टैंट, सर,’’ क्षितिज ने जवाब दिया.

‘‘ओके, वह जैसे ही आए उन्हें अंदर भेजो.’’

रेहान लैपटौप खोल कर बैठा था. कंपनी के रिकौर्ड्स चैक कर रहा था. ठीक 10 बज कर 30 मिनट पर हयात ने रेहान के केबिन का दरवाजा खटखटाया.

‘‘में आय कम इन, सर?’’

‘‘यस प्लीज, आप की तारीफ?’’

‘‘जी, मैं हयात हूं. आप की असिस्टैंट?’’

‘‘मुझे उम्मीद है कल सुबह मैं जब आऊंगा तो आप की चेयर खाली नहीं होगी. आप जा सकती हैं.’’

हयात नजरें झुका कर केबिन से बाहर निकल आई. रेहान सर के सामने ज्यादा बात करना ठीक नहीं होगा, यह बात हयात को समझे में आ गई थी. थोड़ी ही देर में रेहान ने औफिस के स्टाफ की एक मीटिंग ली.

‘‘गुडआफ्टरनून टू औल औफ यू. मुझे आप सब से बस इतना कहना है कि कल से कंपनी के सभी कर्मचारी वक्त पर आएंगे और वक्त पर जाएंगे. औफिस में अपनी पर्सनल लाइफ को छोड़ कर कंपनी के काम को प्रायोरिटी देंगे. उम्मीद है कि आप में से कोई मुझे शिकायत का मौका नहीं देगा. बस, इतना ही, अब आप लोग जा सकते हैं.’’

‘कितना खड़ूस है. एकदो लाइंस ज्यादा बोलता तो क्या आसमान नीचे आ जाता या धरती फट जाती,’ हयात मन ही मन रेहान को कोस रही थी.

नए बौस का मूड देख कर हर कोई कंपनी में अपने काम के प्रति सजग हो गया. दूसरे दिन फिर से रेहान औफिस में ठीक 10 बजे दाखिल हुआ और आज फिर हयात की चेयर खाली थी. रेहान ने फिर से क्षितिज से मिस हयात को आते ही केबिन में भेजने को कहा. ठीक 10 बज कर 30 मिनट पर हयात ने रेहान के केबिन का दरवाजा खटखटाया.

‘‘मे आय कम इन, सर?’’

‘‘जी, जरूर, मुझे आप का ही इंतजार था. अभी हमें एक होटल में मीटिंग में जाना है. क्या आप तैयार हैं?’’

‘‘जी हां, कब निकलना है?’’

‘‘उस मीटिंग में आप को क्या करना है, यह पता है आप को?’’

‘‘जी, आप मुझे कल बता देते तो मैं तैयारी कर के आती.’’

‘‘मैं आप को अभी बताने वाला था. लेकिन शायद वक्त पर आना आप की आदत नहीं. आप की सैलरी कितनी है?’’

‘‘जी, 30 हजार.’’

‘‘अगर आप के पास कंपनी के लिए टाइम नहीं है तो आप घर जा सकती हैं और आप के लिए यह आखिरी चेतावनी है. ये फाइल्स उठाएं और अब हम निकल रहे हैं.’’

हयात रेहान के साथ होटल में पहुंच गई. आज एक हैदराबादी कंपनी के साथ मीटिंग थी. रेहान और हयात दोनों ही टाइम पर पहुंच गए. लेकिन सामने वाली पार्टी ने बुके और वो आज आएंगे नहीं, यह मैसेज अपने कर्मचारी के साथ भेज दिया. उस कर्मचारी के जाते ही रेहान ने वो फूल उठा कर होटल के गार्डन में गुस्से में फेंक दिए. ‘‘आज का तो दिन ही खराब है,’’ यह बात कहतेकहते वह अपनी गाड़ी में जा कर बैठ गया.

रेहान का गुस्सा देख कर हयात थोड़ी परेशान हो गई और सहमीसहमी सी गाड़ी में बैठ गई. औफिस में पहुंचते ही रेहान ने हैदराबादी कंपनी के साथ पहले किए हुए कौंट्रैक्ट के डिटेल्स मांगे. इस कंपनी के साथ 3 साल पहले एक कौंट्रैक्ट हुआ था लेकिन तब हयात यहां काम नहीं करती थी, इसलिए उसे वह फाइल मिल नहीं रही थी.

‘‘मिस हयात, क्या आप शाम को फाइल देंगी मुझे’’ रेहान केबिन से बाहर आ कर हयात पर चिल्ला रहा था.

‘‘जी…सर, वह फाइल मिल नहीं रही.’’

‘‘जब तक मुझे फाइल नहीं मिलेगी, आप घर नहीं जाएंगी.’’

यह बात सुन कर तो हयात का चेहरा ही उतर गया. वैसे भी औफिस में सब के सामने डांटने से हयात को बहुत ही इनसल्टिंग फील हो रहा था. शाम के 6 बज चुके थे. फाइल मिली नहीं थी.

‘‘सर, फाइल मिल नहीं रही है.’’

रेहान कुछ बोल नहीं रहा था. वह अपने कंप्यूटर पर काम कर रहा था. रेहान की खामोशी हयात को बेचैन कर रही थी. रेहान का रवैया देख कर वह केबिन से निकल आईर् और अपना पर्स उठा कर घर निकल गई. दूसरे दिन हयात रेहान से पहले औफिस में हाजिर थी. हयात को देखते ही रेहान ने कहा, ‘‘मिस हयात, आज आप गोडाउन में जाएं. हमें आज माल भेजना है. आई होप, आप यह काम तो ठीक से कर ही लेंगी.’’

हयात बिना कुछ बोले ही नजर झुका कर चली गई. 3 बजे तक कंटेनर आए ही नहीं. 3 बजने के बाद कंटेनर में कंपनी का माल भरना शुरू हुआ. रात के 8 बजे तक काम चलता रहा. हयात की बस छूट गई. रेहान और उस के पापा कंपनी से बाहर निकल ही रहे थे कि कंटेनर को देख कर वे गोडाउन की तरफ मुड़ गए. हयात एक टेबल पर बैठी थी और रजिस्टर में कुछ लिख रही थी.

तभी मिर्जा साहब के साथ रेहान गोडाउन में आया. हयात को वहां देख कर रेहान को, कुछ गलत हो गया, इस बात का एहसास हुआ.

‘‘हयात, तुम अभी तक घर नहीं गईं,’’ मिर्जा सर ने पूछा.

‘‘नहीं सर, बस अब जा ही रही थी.’’

‘‘चलो, जाने दो, कोई बात नहीं. आओ, हम तुम्हें छोड़ देते हैं.’’

अपने पापा का हयात के प्रति इतना प्यारभरा रवैया देख कर रेहान हैरान हो रहा था, लेकिन वह कुछ बोल भी नहीं रहा था. रेहान का मुंह देख कर हयात ने ‘नहीं सर, मैं चली जाऊंगी’ कह कर उन्हें टाल दिया. हयात बसस्टौप पर खड़ी थी. मिर्जा सर ने फिर से हयात को गाड़ी में बैठने की गुजारिश की. इस बार हयात न नहीं कह सकी.

‘‘हम तुम्हें कहां छोड़ें?’’

‘‘जी, मुझे सिटी हौस्पिटल जाना है.’’

‘‘सिटी हौस्पिटल क्यों? सबकुछ ठीक तो है?’’

‘‘मेरे पापा को कैंसर है, उन्हें वहां ऐडमिट किया है.’’

‘‘फिर तो तुम्हारे पापा से हम भी एक मुलाकात करना चाहेंगे.’’

कुछ ही देर में हयात अपने मिर्जा सर और रेहान के साथ अपने पापा के कमरे में आई.

‘‘आओआओ, मेरी नन्ही सी जान. कितना काम करती हो और आज इतनी देर क्यों कर दी आने में. तुम्हारे उस नए बौस ने आज फिर से तुम्हें परेशान किया क्या?’’

हयात के पापा की यह बात सुन कर तो हयात और रेहान दोनों के ही चेहरे के रंग उड़ गए.

‘‘बस अब्बू, कितना बोलते हैं आप. आज आप से मिलने मेरे कंपनी के बौस आए हैं. ये हैं मिर्जा सर और ये इन के बेटे रेहान सर.’’

‘‘आप से मिल कर बहुत खुशी हुई सुलतान मियां. अब कैसी तबीयत है आप की?’’ मिर्जा सर ने कहा.

‘‘हयात की वजह से मेरी सांस चल रही है. बस, अब जल्दी से किसी अच्छे खानदान में इस का रिश्ता हो जाए तो मैं गहरी नींद सो सकूं.’’

‘‘सुलतान मियां, परेशान न हों. हयात को अपनी बहू बनाना किसी भी खानदान के लिए गर्व की ही बात होगी. अच्छा, अब हम चलते हैं.’’

इस रात के बाद रेहान का हयात के प्रति रवैया थोड़ा सा दोस्ताना हो गया. हयात भी अब रेहान के बारे में सोचती रहती थी. रेहान को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सजनेसंवरने लगी थी.

‘‘क्या बात है? आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,’’ रेहान का छोटा भाई आमिर हयात के सामने आ कर बैठ गया. हयात ने एकबार उस की तरफ देखा और फिर से अपनी फाइल को पढ़ने लगी. आमिर उस की टेबल के सामने वाली चेयर पर बैठ कर उसे घूर रहा था. आखिरकार हयात ने परेशान हो कर फाइल बंद कर आमिर के उठने का इंतजार करने लगी. तभी रेहान आ गया. हयात को आमिर के सामने इस तरह से देख कर रेहान परेशान तो हुआ लेकिन उस ने देख कर भी अनदेखा कर दिया.

दूसरे दिन रेहान ने अपने केबिन में एक मीटिंग रखी थी. उस मीटिंग में आमिर को रेहान के साथ बैठना था. लेकिन वह जानबूझ कर हयात के बाजू में आ कर बैठ गया. हयात को परेशान करने का कोई मौका वह छोड़ नहीं रहा था. लेकिन हयात हर बार उसे देख कर अनदेखा कर देती थी. एक दिन तो हद ही हो गई. आमिर औफिस में ही हयात के रास्ते में खड़ा हो गया.

‘‘रेहान तुम्हें महीने के 30 हजार रुपए देता है. मैं एक रात के दूंगा. अब तो मान जाओ.’’

यह बात सुनते ही हयात ने आमिर के गाल पर एक जोरदार चांटा जड़ दिया. औफिस में सब के सामने हयात इस तरह रिऐक्ट करेगी, इस बात का आमिर को बिलकुल भी अंदाजा नहीं था. हयात ने तमाचा तो लगा दिया लेकिन अब उस की नौकरी चली जाएगी, यह उसे पता था. सबकुछ रेहान के सामने ही हुआ.

बस, आमिर ने ऐसा क्या कर दिया कि हयात ने उसे चाटा मार दिया, यह बात कोई समझ नहीं पाया. हयात और आमिर दोनों ही औफिस से निकल गए.

दूसरे दिन सुबह आमिर ने आते ही रेहान के केबिन में अपना रुख किया.

‘‘भाईजान, मैं इस लड़की को एक दिन भी यहां बरदाश्त नहीं करूंगा. आप अभी और इसी वक्त उसे यहां से निकाल दें.’’

‘‘मुझे क्या करना है, मुझे पता है. अगर गलती तुम्हारी हुई तो मैं तुम्हें भी इस कंपनी से बाहर कर दूंगा. यह बात याद रहे.’’

‘‘उस लड़की के लिए आप मुझे निकालेंगे?’’

‘‘जी, हां.’’

‘‘यह तो हद ही हो गई. ठीक है, फिर मैं ही चला जाता हूं.’’

रेहान कब उसे अंदर बुलाए हयात इस का इंतजार कर रही थी. आखिरकार, रेहान ने उसे बुला ही लिया. रेहान अपने कंप्यूटर पर कुछ देख रहा था. हयात को उस के सामने खड़े हुए 2 मिनट हुए. आखिरकार हयात ने ही बात करना शुरू कर दिया.

‘‘मैं जानती हूं आप ने मुझे यहां बाहर करने के लिए बुलाया है. वैसे भी आप तो मेरे काम से कभी खुश थे ही नहीं. आप का काम तो आसान हो गया. लेकिन मेरी कोई गलती नहीं है. फिर भी आप मुझे निकाल रहे हैं, यह बात याद रहे.’’

रेहान अचानक से खड़ा हो कर उस के करीब आ गया, ‘‘और कुछ?’’

‘‘जी नहीं.’’

‘‘वैसे, आमिर ने किया क्या था?’’

‘‘कह रहे थे एक रात के 30 हजार रुपए देंगे.’’

आमिर की यह सोच जान कर रेहान खुद सदमे में आ गया.

‘‘तो मैं जाऊं?’’

‘‘जी नहीं, आप ने जो किया, बिलकुल ठीक किया. जब भी कोई लड़का अपनी मर्यादा भूल जाए, लड़की की न को समझ न पाए, फिर चाहे वह बौस हो, पिता हो, बौयफ्रैंड हो उस के साथ ऐसा ही होना चाहिए. लड़कियों को छेड़खानी के खिलाफ जरूर आवाज उठानी चाहिए. मिस हयात, आप को नौकरी से नहीं निकाला जा रहा है.’’

‘‘शुक्रिया.’’

अब हयात की जान में जान आ गई. रेहान उस के करीब आ रहा था और हयात पीछेपीछे जा रही थी. हयात कुछ समझ नहीं पा रही थी.

रेहान ने हयात का हाथ अपने हाथ में ले लिया और आंखों में आंखें डालते हुए बोला, ‘‘मिस हयात, आप बहुत सुंदर हैं. जिम्मेदारियां भी अच्छी तरह से संभालती हैं और एक सशक्त महिला हैं. इसलिए मैं तुम्हें अपनी जीवनसाथी बनाना चाहता हूं.’’

हयात कुछ समझ नहीं पा रही थी. क्या बोले, क्या न बोले. बस, शरमा कर हामी भर दी.

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