Wooden Utensils: लकड़ी के बर्तनों का बढ़ रहा है चलन, जानें कैसे करें इनकी सफाई

पुराने जमाने में लोग धातुओं के बर्तनों के अभाव में लकड़ी के बर्तनों का प्रयोग करते थे, लेकिन आज अपने गुणों के कारण लकड़ी के बर्तन काफी प्रचलन में हैं. ये नानस्टिक फ्रेंडली होते हैं, जिससे इनके द्वारा नानस्टिक बर्तन में बहुत आसानी से खाना चलाया जा सकता है, दूसरे ये गर्म नहीं होते जिससे इनमें खाना खाना काफी आसान होता है. अपेक्षा लकड़ी के आजकल लकड़ी चमचे, ग्लास से लेकर बाउल, प्लेट्स, ट्रे, मसालदान आदि सभी बहुत फैशन में हैं. लकड़ी के बर्तनों को सीधा गैस पर तो नहीं चढाया जाता परन्तु इनमें खाना परोसा अवश्य जाता है जिससे भोजन को एक पुरातन और स्वाभाविक लुक मिलता है. स्टील की भांति ये रफ टफ नहीं होते इसीलिए इन्हें खरीदने, प्रयोग करने के साथ साथ अतिरिक्त देखभाल की भी बहुत आवश्यकता होती है तो आइये जानते हैं इनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

ऐसे खरीदें

शीशम, बबूल और अखरोट की लकड़ी काफी मजबूत और कड़ी होती है इसलिए इनसे बने बर्तन भी काफी मजबूत होते हैं दूसरे इनमे अपना नेचुरल आयल होता है जिससे इनमें रूखापन नहीं होता और ये जीवाणु व फंगस रोधी होते हैं.

लकड़ी के बर्तन सदैव दिन में और प्रतिष्ठित दुकान से ही खरीदें क्योंकि कई बार लकड़ी के बीच में आये क्रेक्स को लकड़ी के रंग के मसाले से भर दिया जाता है जो रात में जरा भी नजर नहीं आता. इस क्रेक में भरा मसाला कुछ दिनों के प्रयोग के बाद निकल जाता है और दरार में फिर गंदगी भरनी प्रारम्भ हो जाती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक होती है.

लकड़ी की पोलिश किये बर्तन की अपेक्षा बिना पोलिश वाले बर्तन ही लें क्योंकि पोलिश धीरे धीरे निकलकर आपके भोजन में ही जाती है जो सेहत को नुकसान पहुंचाती है.

ऐसे करें प्रयोग

  • नये बर्तन को सीधे प्रयोग करने की अपेक्षा सर्वप्रथम साफ पानी से धोकर सूती कपड़े से पोंछ लें फिर प्रयोग करें.
  • स्टीमर को छोडकर अन्य किसी भी बर्तन को किसी भी प्रकार की आंच पर नहीं चढ़ाएं.
  • लकड़ी के बर्तनों में कोई भी तरल खाद्य वस्तु बहुत अधिक देर तक परोसकर न रखें जब खाना हो तभी परोसें.
  • किसी भी तरल सोप से धोने के बाद इन्हें किसी जाली पर रखें और फिर पोंछकर खाना सर्व करें.
  • चिप्स, बिस्किट, पकौड़े, कचौरी जैसे स्नैक्स को सीधे रखने के स्थान पर पहले टिश्यू पेपर बिछाएं फिर रखें ताकि इनकी सतह पर चिकनाई न लगे आप टिश्यू पेपर के स्थान पर सामान्य न्यूज पेपर का भी प्रयोग कर सकती हैं.

ऐसे करें इनकी देखभाल

  • इन्हें लम्बे समय तक सिंक या पानी में रखने की अपेक्षा प्रयोग करने के बाद तुरंत धोकर पोंछकर रखें ताकि ये लम्बे समय तक सेफ रह सकें.
  • इन्हें साफ करने के लिए किसी भी प्रकार के केमिकलयुक्त डिटर्जेंट या तरल सोप की अपेक्षा किसी भी डिशवाशिंग सोप का प्रयोग करें. आप इन्हें साफ़ करने के लिए वेनेगर, नीबू का रस या बेकिंग सोडा का भी प्रयोग कर सकतीं हैं. इनमें से किसी भी एक को समान मात्रा में पानी में मिलायें और फिर रुई या सॉफ्ट कपड़े को इसमें भिगोकर बर्तन पर रगड़ें आपका बर्तन एकदम नया सा चमक उठेगा.
  • तार के स्क्रबर से रगड़ने की अपेक्षा साधारण सॉफ्ट ब्रश से हल्के हाथ से धोकर सुखाएं.
  • यदि इनमें किसी भी प्रकार का दाग पड़ जाये तो अलसी, अखरोट, खसखस या नारियल के तेल में बराबर मात्रा में वेनेगर मिलाकर रुई या सॉफ्ट कपड़े से प्रभावित स्थान पर रगड़ें और बाद में साफ पानी से धोकर सुखाएं.
  • इन बर्तनों को डिशवाशर, माइक्रोवेब, ओ टी जी आदि में न रखें और न ही गैस के पास रखें वरना ये जल सकते हैं.
  • इन बर्तनों को कभी भी गीला न रखें वरना इनमें फफूंदी लग जाएगी जो सेहत के साथ साथ बर्तनों को भी नुकसान पहुंचाती है.
  • बारिश में चूंकि पूरे वातावरण में नमी रहती है इसलिए इस मौसम में इन्हें प्रयोग करने की अपेक्षा अख़बार में लपेटकर रख दें ताकि ये नमी से बचे रहें.

ऐसे करें सीजनिंग

सीजनिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके अंतर्गत किसी भी बर्तन को धोने के बाद उस पर एक कोटिंग की जाती है जिससे वह बर्तन काफी समय तक बिना प्रयोग के रखा रहने के बाद भी खराब नहीं होता.
लकड़ी के बर्तनों को धोने के बाद इन्हें पोंछकर पूरी तरह सूखा लें फिर एक कटोरे में ओलिव, या कोई भी रिफाइंड गन्धरहित तेल लेकर रुई या सॉफ्ट कपड़े को डुबोएं, निचोड़ें और फिर पूरे बर्तन पर अच्छी तरह लगाकर, सूखे कपड़े या टिश्यू पेपर से पोंछकर अतिरिक्त तेल पोंछ दें. इससे बर्तन का रूखापन समाप्त हो जयेगा और बर्तन काफी लम्बे समय तक नये से रहेंगे.

डिलीवरी से पहले कराएं Prenatal Testing ताकि ले सकें समय रहते महत्वपूर्ण फैसला

35 वर्षीय स्नेहा को जैसे ही पता लगा कि वो गर्भवती है उसे सैकड़ो चिताओं ने घेर लिया.वो ये सोच सोच कर परेशान रहती थी ,” लेट प्रेगनेंसी के साइड इफेक्ट्स बहुत ज्यादा होते है.उसका आने वाला बच्चा स्वस्थ होगा कि नहीं?”

एक दिन चेकअप के दौरान स्नेहा ने अपने मन का डर डॉक्टर से साझा किया तो उन्होंने स्नेहा को प्रीनेटल जेनेटिक टेस्ट सजेस्ट किये.क्या होता है प्रीनेटल जेनेटिक टेस्ट आप भी जान लीजिए.

प्रीनेटल जेनेटिक टेस्टिंग के तहत् कुछ ऐसी जांच शामिल होती हैं जो अजन्मे शिशु में संभावित आनुवांशिक विकारों (जेनेटिक डिसऑडर्र) की पुष्टि करती हैं.आनुवांशिक विकार किसी व्यक्ति की जीन्स में होने वाले बदलावों के कारण पैदा होते हैं.इन परीक्षणों से क्रोमोसोम में कम/अतिरिक्त क्रोमोसोम (डाउन्स सिंड्रोम) या जीन्स में होने वाले बदलावों, यानि म्युटेशंस (थैलसीमिया) का पता लगाया जाता है.जरूरी नहीं कि जेनेटिक डिसॉर्डर का कारण हमेशा आनुवांशिक ही हो.

डॉ तलत खान, डॉक्टर इंचार्ज, मेडिकल जेनेटिक्स, मैट्रोपोलिस हैल्थकेयर लिमिटेड के मुताबिक सभी गर्भवती महिलाओं को ये जांच जरूर करवानी चाहिए.दरअसल आंकड़ों के मुताबिक मैट्रोपॉलिस हैल्थकेयर लैबोरेट्री में 1 साल में प्रीनेटल जेनेटिक टेस्टिंग करवाने वाली 50,000 महिलाओं में से करीब 4 फीसदी की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी.जो कि चिंताजनक है.लेकिन परेशानी ये है कि भारत में इस विषय पर अभी भी खुलकर बातचीत नहीं होती और यही कारण है कि जागरूकता स्तर को बेहतर बनाए जाने की जरूरत है.

अमेरिकल कॉलेज ऑफ ऑब्सटैट्रिशियन्स एंड गाइनीकोलॉजिस्ट्स (ACOG) की नवीनतम गाइडलाइंस और फेडेरेशन ऑफ ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजिकल सोसायटीज़ ऑफ इंडिया (FOGSI) के मुताबिक, सभी गर्भवती महिलाओं की एन्यूप्लोइडी (aneuploidy) के लिए प्रीनेटल जेनेटिक टेस्टिंग की जानी चाहिए और यह गर्भवती की उम्र या अन्य किसी भी रिस्क फैक्टर्स के संदर्भ के बगैर होनी चाहिए.
प्रेग्नेंसी की शुरुआत होते ही जल्द से जल्द जेनेटिक टेस्टिंग पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए यानी पहले ट्राइमेस्टर के दौरान क्योंकि 10 से 18 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के समय ही जांच करवाने की सलाह दी जाती है.
सभी गर्भवती महिलाओं की जांच उनकी गेस्टेशनल एज के मुताबिक डुअल मार्कर टेस्ट (11 से 13.6 हफ्ते), क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट (14 से 17 हफ्ते) और नॉन-इन्वेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी – 10 हफ्ते के बाद) होना चाहिए.ये टैस्ट नॉन-फास्टिंग ब्लड सैंपल पर किए जा सकते हैं.

यदि स्क्रीनिंग से संभावित समस्या का संकेत मिलता है, तो 30 साल से अधिक उम्र की गर्भवती, फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक डिसऑर्डर के रिस्क को बढ़ाने वाली मेडिकल कंडीशंस वाली महिलाओं को इन्वेसिव प्रीनेटल डायग्नॉस्टिक टेस्ट करवाने चाहिए.

ये डायग्नॉस्टिक टेस्ट, कोरियॉनिक विलस सैंपलिंग और एम्नियोटिक फ्लूइड अनॅलिसिस के आधार पर किए जाते हैं और किसी भी अनुवांशिक या जेनेटिक बीमारी की पुष्टि करने के एकमात्र साधन भी हैं.लेकिन यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि इनके साथ गर्भपात का 0.1% खतरा भी जुड़ा होता है.

महिलाओं के मन में उठने वाले सवाल

टैस्ट रिजल्ट मिलने के बाद क्या होता है?

यदि जांच के नतीजे सामान्य रेंज में होते हैं तो इनसे चिंता काफी हद तक दूर हो जाती है और प्रेग्नेंसी पर नज़र रखने के लिए रूटीन एंटीनेटल चेक-अप तथा फॉलो-अप यूएसजी की मदद ली जाती है.

क्या हाइ-रिस्क सूचना से प्रीनेटल केयर पर असर पड़ता?

प्रीनेटल टेस्टिंग से हैल्थकेयर प्रोवाइडर को उन तमाम स्थतियों की जानकारी मिल जाती है जो प्रसव के बाद इलाज के लिए आवश्यक हो सकती हैं, और इस प्रकार वे संभावित कॉम्प्लीकेशन्स के लिए पहले से तैयारी कर पाते हैं.

स्क्रीनिंग टेस्ट कितने सही होते हैं?

सामान्य ट्राइसॉमी के लिए सभी स्क्रीनिंग टेस्ट 90% संवेदी होते हैं.

क्या एम्नयोसेंटेसिस से गर्भपात (एबॉर्शन) का खतरा होता है?

एम्नियोसेंटेसिस 99.9% सुरक्षित होती है और इसमें गर्भपात का खतरा केवल 0.1% होता है.

क्या इन परीक्षणों से गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग का भी पता लगाया जा सकता?

नहीं, PCPNDT गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रसव पूर्व शिशु के लिंग की जानकारी देना गैर-कानूनी होता है.

क्या प्रीनेटल जेनेटिक टेस्ट के साथ फौलो-अप सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है?

हां, अल्ट्रासाउंड का समय और फ्रीक्वेंसी का निर्धारण ऑब्सटैट्रिशयन द्वारा किया जाता है और यह हर मरीज के मामले में फर्क हो सकता है.

निष्कर्षः

जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह दी जाती है ताकि आप पहली बार प्रीनेटल विजिट के दौरान ही चर्चा कर सकें.
ज्यादातर महिलाओं के मामले में दोनों जेनेटिक स्क्रीनिंग और डायग्नॉस्टिक टेस्ट नेगेटिव आ सकते हैं.
स्क्रीनिंग पर पॉजिटिव रिजल्ट आए तो दोबारा डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाएं ताकि पुष्टि की जा सके.
यह जानकारी आगे टेस्टिंग के लिए, अतिरिक्त मेडिकल केयर, प्रेग्नेंसी के विकल्पों या प्रसव के बाद रिसोर्स/सपोर्ट की तलाश में मददगार हो सकती है.

डेटिंग से करना चाहते हैं इंकार, तो Disrespect बिना करें मना

अक्सर एक लड़की और लड़के के बीच में धोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, तो वो एक दूसरे को डेट करने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि बढ़ती हुई नजदीकियों का मतलब लव एंगल ही हो. हो सकता है कि यह एक तरफा प्रेम हो जिसके चलते आप सामने वाले को डेट करना ही नहीं चाहते हों.और आप सामने से उसे डेट के लिए मना कर दें. मुमकिन है कि आपका डेट परपोज़ल ठुकराना उसे अच्छा ना लगे.इसलिए अगर आप किसी के साथ डेटिंग के लिए नहीं जाना चाहते हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं. जिससे आप सामने वाले शख्स की भावनाओं को तकलीफ भी नहीं पहुंचाएंगे और अपनी बात भी कह देंगे.

आमने सामने करें बात

जब दो लोग आमने सामने बैठकर किसी विषय पर बात करते हैं तो उसका हल निकालना आसान भी होता है और एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमी कि कुंजाइस भी कम हो जाती है इसलिए फोन या मैसेज के द्वारा नहीं बल्कि आमने सामने बैठकर डेटिंग के परपोज़ल को मना करें और हो सकें तो उसे मना करने का रिज़न भी बताएं.जिससे वो आपकी परेशानी को समझ सकें.

निंदा ना करें

अगर आप रिश्ते में नहीं आना चाहते हैं तो आप सामने वाले में खामियां ना निकालें बल्कि आप उसे जताएं कि आप उसकी भावनाओं की कदर करते हैं लेकिन आप उसके साथ इस रिश्ते को नहीं निभा पाएंगे .

दोस्त बने रहने का रखें प्रस्ताव

यदि सामने वाले इंसान की आपको लेकर सोच अच्छी है व व्यवहार में भी वह अच्छा है तो उसे हमेशा अच्छा दोस्त बने रहने का प्रस्ताव अवश्य रखें.ऐसा करने से उसकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होगी और आपको एक अच्छा दोस्त भी मिलेगा.क्योंकि जरूरी नहीं की हर रिश्ता रोमांस से ही जुडा हो बल्कि कुछ रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.

तीसरे को ना जोड़े

जब कोई रिश्ता दो लोगो की सोच मिलने से बनता है उसमे किसी तीसरे का काम नहीं होता, उसी तरह यदि आप सामने वाले से रिश्ता ना रखने की बात करते हैं तो उसमे भी किसी तीसरे को ना जोड़े क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले को अधिक दुख पहुँचता है जिससे वह खुद को या आपको तकलीफ पहुंचाने तक की सोच सकता है.

टाले नहीं

अगर आप सामने वाले को लव पार्टनर नहीं बना सकते तो उसकी भावनाओं के साथ खेलें नहीं. कई लोग होते हैं जो डेट पर नहीं जाना चाहते और सामने वाले के प्रपोज़ल को टालते रहते हैं या इग्नोर करते हैं व उसे पैसे खर्च कराने का जरिया समझते हैं सच्चाई का पता चलने पर ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि प्यार में धोखा खाने पर सामने वाला आपके प्रति आक्रमक भी हो सकता है.इसलिए उसकी फीलिंग्स को हर्ट ना करें.

बच्चों के लिए झटपट बनाएं ये इंस्टेंट पिज्जा

आजकल सोसाइटी में पिज्जा, बर्गर, नूडल्स जैसे फ़ास्ट फ़ूड का चलन जोरों पर है यह बच्चों ही नहीं बड़ों को भी खूब भाता है. फ़ास्ट फ़ूड की विशेषता यह है कि आजकल यह रेडी टू ईट भी बाजार में उपलब्ध है जिसे केवल गर्म पानी मिलाकर भी तैयार किया जा सकता है परन्तु इस प्रकार का रेडीमेड फ़ूड सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होता है क्योंकि इसे लंबे समय तक तरोताजा और सुरक्षित रखने के लिए अनेकों ऐसे प्रिजर्वेटिव का प्रयोग किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं. फ़ास्ट फ़ूड का पूरी तरह से त्याग तो नहीं किया जा सकता परन्तु थोड़े सी मेहनत से इसे स्वास्थ्यप्रद जरूर बनाया जा सकता है. अक्सर कामकाजी महिलाओं के पास समय का अभाव रहता है…इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको कुछ इंस्टेंट पिज्जा बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप झटपट बनाकर अपने परिवार के सदस्यों को खिला सकतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

1-इंस्टेंट कप पिज़्ज़ा

कितने लोगों के लिए              2

बनने में लगने वाला समय        10 मिनट

मील टाइप                            वेज

सामग्री

ब्रेड क्रम्ब्स                         1 कप

लाल, पीली, हरी शिमला मिर्च 1/2 कप

बारीक कटा प्याज               1

कटा लहसुन                       4 कली

चिली फ्लैक्स                     1/8 टीस्पून

शेजवान चटनी                  1 टीस्पून

टोमेटो सॉस                       1 टीस्पून

तेल                                  1/4 टीस्पून

नमक                               1/8 टीस्पून

चीज क्यूब्स                        2

विधि

तेल में प्याज को सौते करके सभी सब्जियां और  नमक डालकर तेज आंच पर 3-4 मिनट तक पकाएं. जैसे ही सब्जियां नरम हो जाएं तो गैस बंद करके टोमेटो सॉस और शेजवान चटनी मिला दें. अब एक कप में पहले 1 टेबलस्पून ब्रेड क्रम्ब्स, फिर 1 टेबलस्पून फिलिंग डालकर 1/4 चीज क्यूब को ग्रेट करें इसी प्रकार दूसरी लेयर लगाएं और ऊपर से बचा चीज क्यूब किस दें. चिली फ्लैक्स डालकर 2 मिनट माइक्रोवेब करके बच्चों को खाने को दें.

माइक्रोवेब न होने पर कप की जगह स्टील की कटोरी का प्रयोग करें और किसी पैन या कड़ाही में चीज के पिघलने तक पकाकर सर्व करें.

2-मोनेको पिज्जा

कितने लोगों के लिए             4

बनने में लगने वाला समय       5 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

मोनेको बिस्किट                   8

उबला आलू                         1

टमाटर                                1

प्याज                                  1

बारीक कटी हरी धनिया           1/2 टीस्पून

नीबू का रस                         1/4 टीस्पून

चाट मसाला                         1/8 टीस्पून

टोमेटो सॉस                         1 टीस्पून

चीज क्यूब्स                        2

ऑरिगेनो                             1/8 टीस्पून

चिली फ्लैक्स                        1/8 टीस्पून

बटर                                   1 टीस्पून

विधि

तवा या कड़ाही को लो फ्लेम पर प्रीहीट होने ढककर रख दें. आलू, टमाटर, प्याज को एक बाउल में बारीक काट लें. इसमें हरी धनिया, नीबू का रस, चाट मसाला और टोमेटो सॉस अच्छी तरह मिलाएं. अब एक बिस्किट पर बटर लगाकर 1 चम्मच फिलिंग रखकर ऊपर से दूसरा बिस्किट रखकर सैंडविच जैसा तैयार कर लें. इसी प्रकार सारे सैंडविच बना लें. इन्हें एक स्टील की प्लेट में सेट करके चीज को इस तरह से ग्रेट करें कि पूरा सैंडविच कवर हो जाये. अब प्री हीटिड कड़ाही में एक स्टैंड रखकर इस प्लेट को रखकर ढक दें. चीज के मेल्ट होने तक पकाकर सर्व करें.

स्वस्ति: स्वाति ने स्वस्ति को कौन सा पाठ पढ़ाया

‘‘स्वाति दीदी और नकुल जीजाजी आ रहे हैं. आप उन्हें जा कर ले आना. मेरे औफिस में एक प्रतिनिधि मंडल आ रहा है. मेरा जाना संभव नहीं हो सकेगा,’’ स्वस्ति अपने पति सुकेतु से बोली.

‘‘मैं नहीं जा सकूंगा. फोन कर दो. टैक्सी कर के आ जाएंगे,’’ सुकेतु ने स्वयं में डूबे हुए उत्तर दिया.

‘‘विवाह के बाद पहली बार हमारे घर आ रहे हैं, बुरा मान जाएंगे. आप की दीदी आई थीं, तो आप सप्ताह भर घर से काम करते रहे थे. अब 1 दिन भी नहीं कर सकते?’’

‘‘दीदी हमारी सुखी गृहस्थी देखने आई थीं. हम कितने सुखी दिखे कह नहीं सकता, पर यह अवश्य कह सकता हूं कि वे काफी निराश लग रही थीं. मैं ने तो तभी सोच लिया था जैसे हम अपना कार्य स्वयं करते हैं, अपना पैसा अलग रखते हैं, मित्र अलग हैं, वैसे ही संबंधी भी

अलग ही रहने चाहिए. है कि नहीं?’’ सुकेतु लापरवाही से बोला तो स्वस्ति खून का घूंट पी कर रह गई.

6 वर्षों तक प्रेम की पींगें बढ़ाने के बाद सुकेतु और स्वस्ति का विवाह हुआ था. दोनों के विवाह को 1 वर्ष भी पूरा नहीं हुआ था पर विवाहपूर्व का प्रगाढ़ प्रेम कब का काफूर हो चुका था. दोनों एकदूसरे को नीचा दिखाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते थे. मधुयामिनी के समय ही दोनों में इतना झगड़ा हुआ था कि पांचसितारा होटल के प्रबंधक ने बड़ी शालीनता से दोनों को होटल छोड़ कर जाने की सलाह दे डाली थी.

‘‘हम ने पूरे सप्ताह के लिए अग्रिम किराया दे रखा है,’’ स्वस्ति क्रोधित स्वर में बोली जबकि सुकेतु चुप खड़ा देखता रहा.

‘‘आप ठीक कह रही हैं महोदया. पर हम अपने दूसरे अतिथियों को नाराज करने का खतरा नहीं उठा सकते. रही आप के अग्रिम किराए की बात, तो आप ने हमारे फर्नीचर और कपप्लेटों पर जो कृपा की है उस का हरजाना तो चुकाना ही पड़ेगा. शेष रकम हम लौटा देंगे,’’ उत्तर मिला.

दोनों चुपचाप अपने कक्ष में चले गए थे और अपने आगे के कार्यक्रम पर विचार करना चाहते थे. पर विचार करते तो कैसे, दोनों के बीच अबोला जो पसर गया था.

सुकेतु सोफे पर ही पसर गया था. पर आंखों से नींद कोसों दूर थी. स्वस्ति नर्मगुदगुदे बिस्तर पर भी करवटें बदलती रही थी. दोनों के बीच एक शब्द का भी आदानप्रदान नहीं हुआ था.

अगले दिन हालचाल जानने के लिए दोनों के मातापिता के फोन आए तो दोनों में स्वत: ही बोलचाल हो गई थी. किसी तरह दोनों ने वह समय गुजारा था, क्योंकि वापसी के टिकट पहले से ही बुक थे. अत: पहले जाना संभव नहीं था.

कुछ औपचारिकताओं के लिए उन्हें सुकेतु के मातापिता के यहां रुकना पड़ा था. दोनों के उतरे चेहरे देख कर सुकेतु की मां का माथा ठनका था.

‘‘क्या हुआ? कोई समस्या है क्या? तुम दोनों ही बड़े तनाव में लग रहे हो?’’ थोड़ा सा एकांत मिलते ही उन्होंने पूछ लिया था.

‘‘मां समझ में नहीं आता, क्या कहूं, क्या नहीं? लगता है मैं अपने जीवन की सब से बड़ी भूल कर बैठा हूं. हम दोनों का साथ रहना संभव नहीं लगता.’’

‘‘क्या कह रहे हो? पिछले 6 वर्षों से तो तुम उस के दीवाने बने घूम रहे थे. याद है मैं ने कितना समझाया था कि पहले अपनी छोटी बहन का विवाह हो जाने दो, फिर तुम्हारा विवाह करेंगे पर तब तुम ने एक नहीं सुनी थी.’’

‘‘ठीक कह रही हो मां. सच पूछो तो स्वस्ति की कलई तो अब खुली है. लगता ही नहीं है कि कभी हम दोनों एकदूसरे के प्यार में पागल थे,’’ सुकेतु बुझे स्वर में बोला था.

‘‘क्या सोचा था क्या हो गया. सोचा था तुम दोनों खुश रहोगे तो हम भी आनंदित रहेंगे पर यहां तो सब कुछ उलटपुलट होता दिख रहा है. किसी ने ठीक ही कहा है, सोना जानिए कसे-मनुष्य जानिए बसे. दुख तो इस बात का है कि तुम

6 वर्षों में भी स्वस्ति को नहीं समझ पाए.’’

‘‘इन छोटी बातों को दिल से नहीं लगाया करते, मां. थोड़े दिन और देखते हैं. ऐसा ही रहा तो अलग हो जाएंगे.’’

‘‘खबरदार, जो कभी फिर ऐसी बात मुंह से निकाली. हमारे खानदान में आज तक किसी ने तलाक की बात जबान से नहीं निकाली. इधर तुम्हारी शादी को 4 दिन हुए हैं और तुम लगे अलग होने की बातें करने,’’ मां बिगड़ गई थीं.

‘‘मैं भी तुरंत अलग नहीं होने जा रहा हूं. हमारा प्रेम 6 वर्ष पुराना है. विवाह कम से कम 6 माह तो चलना ही चाहिए. हर परिवार में कोई न कोई कार्य पहली बार अवश्य होता है. यों भी विवाह का अर्थ आजीवन कारावास तो है नहीं कि हर हाल में साथ निभाना ही पड़ेगा,’’ सुकेतु अनमने स्वर में बोल कर चुप हो गया था पर मां के चेहरे की उदासी उसे देर तक झकझोरती रही थी.

आज स्वस्ति से बहस होने के बाद मां से बात करने की तीव्र इच्छा हुई तो उस ने फोन मिला ही लिया.

‘‘क्या बात है सुकेतु, आज मां की याद कैसे आ गई?’’ मां उस का स्वर सुनते ही पहचान गई थीं.

‘‘क्या कह रही हैं मां. याद तो उस की आती है, जिसे भुला दिया गया हो. आप तो हर समय साए की तरह मेरे साथ रहती हैं.’’

‘‘अच्छा लगा सुन कर और सुनाओ क्या चल रहा है?’’

‘‘कल स्वस्ति की दीदी और जीजाजी पधार रहे हैं. काफी खुश लग रही है. मुझ से कहने लगी कि मैं उन्हें जा कर ले आऊं. उसे औफिस में काम है. मैं ने तो साफ कह दिया तुम्हारी दीदी है तुम जानो. मैं भी बहुत व्यस्त हूं,’’ और सुकेतु हंस दिया.

‘‘क्या हो गया है तुम्हें, सुकेतु? तुम तो पड़ोसियों तक की मदद करने को भी तैयार रहते थे… अतिथि हमारेतुम्हारे नहीं होते. वे तो सब के साझे होते हैं,’’ मां ने समझाना चाहा.

‘‘दीदी भी आई थीं न मां? तब स्वस्ति ने ऐसा व्यवहार किया था जैसे वे कोई अजनबी हों. मैं उस बात को चाह कर भी नहीं भुला पाया.’’

‘‘घरगृहस्थी में ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देते बेटे. तुम दोनों को जीवन साथ बिताना है. थोड़ी समझदारी दिखाओगे तो राह आसान हो जाएगी.’’

‘‘मां, आप को मेरी ही गलती नजर आ रही है. सही जवाब नहीं देने का अर्थ होगा हार स्वीकार कर लेना. आप तो जानती ही हैं कि हार स्वीकार करना मेरे स्वभाव में है ही नहीं.’’

‘‘मैं ने हारजीत की तरह कभी सोचा ही नहीं. जीवन कोई युद्ध तो है नहीं. फिर भी मैं यह तुम्हारे विवेक पर छोड़ती हूं. और सुनाओ कैसा चल रहा है?’’

‘‘सब ठीकठाक है. आप और पापा कुछ दिनों के लिए यहां आ जाओ न. अच्छा लगेगा.’’

‘‘सोचेंगे, तुम्हारी छोटी बहन नंदिनी का विवाह तय हो गया तो शायद तुम लोगों को ही आना पड़े.’’

स्वस्ति समानांतर फोन पर दोनों का वार्त्तालाप सुन रही थी. उस की आंखों में अपनी मौम की छवि तैर गई, जिन्होंने उस के मनमस्तिष्क में यह कूटकूट कर बैठा दिया था कि अपने हितों की रक्षा के लिए उसे शुरू से ही सजग रहना होगा ताकि वर पक्ष सदा डरासहमा सा रहे. अधिक चूंचपड़ करें तो पुलिस की धमकी देने से भी पीछे मत रहना. दुनिया देखी है मैं ने. तुम दोनों को मैं ने कैसी मुसीबतों में पाला है, यह मैं ही जानती हूं. तुम्हारे पापा और उन के परिवार ने तो मेरा जीवन नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. पर बाद में वे भी समझ गए थे कि मैं दूसरी ही मिट्टी की बनी हूं. उन्होंने उसे समझाया था.

स्वस्ति के लिए मां की हर बात अटल सत्य होती थी. सुकेतु से उस का प्रेमप्रसंग भी तभी आगे बढ़ा था जब मौम ने स्वीकृति दी थी.

सुकेतु और उस की मां की बातें सुन कर स्वस्ति कुछ सोचने को विवश अवश्य हुई थी,

पर वह अपनी भूल स्वीकारने को तैयार नहीं थी. अहं जो आड़े आ रहा था. वह केवल मन ही मन सोचती रही कि शायद सुकेतु का हृदय परिवर्तन हो जाए और वह अपनी मां की बात मान ले. पर सुकेतु ने ऐसा कोई मंतव्य प्रकट नहीं किया. हार कर उसे स्वाति को फोन करना ही पड़ा कि दोनों की अतिव्यस्तता के कारण वे उन्हें लेने नहीं आ सकेंगे. अत: वे टैक्सी कर के आ जाएं. उस ने अपनी आया को भी भलीभांति समझा दिया कि मेहमानों का किस प्रकार विशेष ध्यान रखना है. फिर भी दिन भर स्वस्ति चिंता में डूबतीउतराती रही.

पता नहीं स्वाति क्या सोच रही होगी. विवाह के बाद पहली बार आ रही है वह भी नकुल जीजाजी के साथ. वह जब मुंबई में पढ़ रही थी तो हर सप्ताह बड़े अधिकार से स्वाति के यहां पहुंच जाती थी. स्वाति ने भी उस के स्वागतसत्कार में कभी कोई कमी नहीं की. स्वाति को न केवल खाना खिलाने का शौक था, पाक कला में भी उसे दक्षता प्राप्त थी. नित नए पकवान बनाना उसे खूब भाता था. स्वस्ति की विचारधारा अविरल बहती जा रही थी.

उधर स्वस्ति को रसोईघर में घुसने के नाम से ही डर लगता था. फिर भी उस ने फ्रिज को फलों और सब्जियों से भर दिया था. उसे पता था नकुल को बाहर खाने का शौक नहीं है. इसीलिए वह लगभग हर तरह की सामग्री खरीद लाई थी. घर पहुंचते ही समवेत स्वर में खिलखिलाहट के स्वर सुन कर उस के होंठों पर भी मुसकान तैर गई. स्वाति जहां हो वहां मस्ती का साम्राज्य होना स्वाभाविक है.

‘‘क्या बात है? तुम सब इतना खिलखिला कर क्यों हंस रहे हो? मुझे भी तो बताओ. माफ कर दो, दीदीजीजाजी, मैं चाह कर भी छुट्टी नहीं ले सकी. पूरे दिन मन इतना तड़पता रहा कि पूछो मत. मुझे अपने बौस पर बहुत गुस्सा आ रहा था. तुम्हीं बताओ दीदी हम नौकरी क्यों करते हैं? अपना और अपनों का खयाल रखने के लिए ही न?’’

‘‘स्वस्ति इतना दुखी होने की आवश्यकता नहीं है. हम क्या पराए हैं कि तुम्हें क्षमा मांगनी पड़े? वैसे भी सुकेतु ने हमारा इतना स्वागतसत्कार किया कि तुम्हारी याद तक नहीं आई,’’ नकुल ने हंसते हुए कहा.

‘‘रहने दो न. क्यों चिढ़ाते हो बेचारी को. दिन भर खट कर घर लौटी है,’’ स्वाति ने टोका.

‘‘लो भला, मैं क्यों चिढ़ाने लगा तुम्हारी प्यारी बहन को? मैं तो केवल यह कहने का प्रयत्न कर रहा हूं कि हमारे कारण स्वस्ति को किसी अपराधबोध से पीडि़त होने की आवश्यकता नहीं है. हम तो बड़े मजे में हैं.’’

‘‘जानती हूं, मेरी गैरमौजूदगी में सब प्रसन्न ही रहते हैं. शायद मेरा चेहरा ही ऐसा है, जिसे देखते ही सब दुखी हो जाते हैं,’’ स्वस्ति रोंआसे स्वर में बोली.

‘‘इस का उत्तर तो सुकेतु ही दे सकते हैं, क्योंकि हम तो आज ही आए हैं. अत: तुम्हें देखते ही दुखी होने का प्रश्न ही नहीं उठता. वैसे भी हम तुम्हारी गैरमौजूदगी में प्रसन्न क्यों होने लगे भला?’’ नकुल ने ठहाका लगाया.

‘‘मैं ने तो ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने कब से बंद कर दिए हैं. ऐसी बातों को तो मैं एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देता हूं,’’ सुकेतु शांत स्वर में बोला.

‘‘वाह, तुम तो यह कला बड़ी जल्दी सीख गए. हम तो अब तक नहीं सीख पाए,’’ नकुल फिर हंस दिया.

‘‘देख लिया न दीदी. जो मेरी बातों को एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देता है उस से कैसा संवाद कायम हो सकता है,’’ स्वस्ति तीखे स्वर में बोली.

‘‘स्वस्ति तुम तो गंभीर हो गईं. ऐसी बातों को सहजता से लेना सीखो. सुकेतु का वह अर्थ नहीं है जो तुम लगा रही हो. वह तो केवल मजाक कर रहा है,’’ स्वाति ने समझाना चाहा.

‘‘मैं ने तो कब का कहनासुनना छोड़ दिया है दीदी. मौम ने मुझे पहले ही सावधान किया था कि हमारे और सुकेतु के परिवारों की संस्कृति में जमीनआसमान का अंतर है पर मैं ने ही ध्यान नहीं दिया था.’’

‘‘समझी, तो आजकल मौम की सलाह पर अमल किया जा रहा है,’’ स्वाति हंसी.

‘‘इस में आश्चर्य की क्या बात है. मां से अधिक मेरा भलाबुरा और कौन सोचेगा? सच पूछो तो वे मेरी मां होने के साथसाथ मेरी मित्र तथा मार्गदर्शक भी हैं.’’

‘‘जान कर प्रसन्नता हुई. हमारा कोई भाई नहीं है न. इसीलिए शायद तुम श्रवण कुमार बनने का प्रयत्न कर रही हो.’’

‘‘मौम के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है, आवश्यकता पड़ने पर मैं उन के लिए कुछ भी कर सकती हूं. पर अभी प्रश्न वह नहीं है. अभी वे मेरी शादी को बचाने में लगी हैं. आप विश्वास नहीं करोगी कि शादी के बाद सुकेतु कितना बदल गया है. हर बात में अपनी ही चलाता है. मैं तो जैसे कुछ हूं ही नहीं. मौम ने समझाया अभी से नकेल कस कर नहीं रखी तो जीवन भर पैर की जूती बना कर रखेगा. अत: अभी से सावधान हो जाओ. सावधानी हटी दुर्घटना घटी.’’

‘‘क्या कह रही है? यह सब तुझ से मौम ने कहा? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा. पर तुझे मौम से सुकेतु की शिकायत करने की क्या आवश्यकता थी?’’

‘‘मैं ने शिकायत नहीं की थी. मौम ने ही खोदखोद कर पूछा था… एक मां अपनी बेटी की चिंता नहीं करेगी तो कौन करेगा?’’

‘‘मैं मौम की आलोचना नहीं कर रही. उन की हम दोनों के लिए चिंता स्वाभाविक है, पर पतिपत्नी का संबंध बहुत नाजुक होता है. इस में किसी तीसरे का हस्तक्षेप घातक हो सकता है.

तुम अब छोटी बच्ची नहीं हो. अपने निर्णय स्वयं लेने सीखो.’’

‘‘छोड़ो ये सब दीदी. तुम बताओ घर कैसे पहुंची? घर पहुंच कर कोई परेशानी तो नहीं हुई?’’

‘‘लो भला परेशानी क्यों होने लगी? सुकेतु हमें एअरपोर्ट से घर ले आया. हमारी खूब खातिरदारी की. हमारा दिन तो खूब अच्छा गुजरा. तुम्हारी कमी अवश्य खली. तुम भी आ जातीं, तो चार चांद लग जाते.’’

‘‘1 दिन और दीदी उस के बाद तो पूरे 4 दिन की छुट्टी ली है मैं ने. खूब घूमेंगेफिरेंगे. मैं ने कई अच्छे रेस्तरां ढूंढ़ रखे हैं. कल के बाद घर में खाना बंद. ऐसेऐसे व्यंजन खिलाऊंगी तुम्हें कि मन प्रसन्न हो जाएगा.’’

‘‘क्या कह रही है स्वस्ति. नकुल को तो बाहर का खाना पसंद ही नहीं है. मुझे भी नए पकवान बनाने का बड़ा शौक है. इस संबंध में हम दोनों की खूब पटरी बैठती है.’’

‘‘यही तो समस्या है. अधिकतर पुरुष यही चाहते हैं कि पत्नी दिन भर रसोई में घुसी रहे. मुझे तो मौम ने पहले ही सावधान कर दिया था. वे नहीं चाहतीं कि मैं भी तुम्हारी तरह दिन भर खाना पकाती रहूं. हम दोनों तो अपना नाश्ताखाना सब स्वयं बना लेते हैं.’’

‘‘सुकेतु को भी खाना पकाने का शौक है क्या?’’

‘‘बहुत शौक है दीदी. मैं ही प्रोत्साहित नहीं करती. इस के कई नुकसान हैं. एक तो रोज कुछ न कुछ खरीदना पड़ता है. फिर रसोई गंदी हो जाती है. करते रहो सफाई. इसीलिए तो मौम कहती हैं कि पति की आदत खराब मत करो वरना जीवन भर पछताना पड़ेगा. दीदी एक राज की बात बताऊं?

‘‘बताओ, रोका किस ने है?’’

‘‘पिछले 1 वर्ष से हमारी गैस खत्म नहीं हुई है. गैस एजेंसी वालों ने सोचा कि हम यहां रहते ही नहीं हैं. अत: हमारा कनैक्शन ही हटा दिया था,’’ और फिर दोनों बहनें खिलखिला कर हंस दीं.

‘‘मौम ने यह भी सिखाया है क्या?’’

‘‘यही समझ लो. शादी के बाद जीवन कैसे बिताना है, मुझे तो कुछ पता ही नहीं था. सब कुछ मौम ने ही सिखाया. वे तो यह भी कहती हैं कि पति को चुस्तदुरुस्त रखना है तो किचन से दूर रहना सीखो वरना खूब खाखा कर फूल जाएंगे.’’

‘‘इसीलिए मौम ने पापा को घर और जीवन दोनों से ही निकाल फेंका,’’ स्वाति के स्वर की कड़वाहट से स्वस्ति चौंक गई.

‘‘क्या कह रही हो दीदी? मुझे तो अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा?’’

‘‘नहीं कुछ नहीं, यों ही मेरे मुंह से निकल गया था.’’

‘‘कुछ तो है जिसे तुम मुझ से छिपा रही हो… तुम्हें बताना ही पड़ेगा.’’

‘‘इस में छिपाने जैसा कुछ नहीं है. मौम ने वही किया जो करने की सीख वे तुम्हें दे रही हैं. तुम बहुत छोटी थीं तब. पर मुझे सब अच्छी तरह याद है. पापा अच्छा कमाते थे. कुछ दिनों तक घर में कुक भी था पर मौम न स्वयं कुछ पकाती थीं न उसे पकाने देती थीं. हार कर उसे हटा दिया था पापा ने. मेरा बचपन तो केक, डबलरोटी, पिज्जा तथा बाहर से लाए अन्य खाद्यानों को खाते ही बीता. कभीकभी पापा पकाया करते थे तो मैं भी उन के साथ हो लेती. शायद तभी से मुझे खाना पकाने का शौक लगा.’’

‘‘मुझे तो पापा का चेहरा भी ठीक से याद नहीं है,’’ स्वस्ति सोच में डूब गई.

‘‘तुम्हें कैसे याद होगा, नन्ही बच्ची थीं तुम. मैं भी 10 वर्ष की थी जब मांपापा अलग हो गए थे. मैं कई दिनों तक रोती रही थी. पर किसी को मुझ पर दया नहीं आई थी. मैं तो पापा के साथ रहना चाहती थी पर मां ने अनुमति नहीं दी. कुछ दिनों तक पापा स्कूल में मिलने आते थे, मुझे कुछ पैसे और खिलौने भी दे जाते थे. मां को पता लगा तो स्कूल जा कर उन के मुझे से मिलने पर रोक लगवा दी. उन्हें लगता था कि पापा मुझे उठा कर ले जाएंगे. तब से मन में मां के प्रति ऐसी उदासीनता घर कर गई है कि चाह कर भी मैं उन्हें कभी प्यार नहीं कर सकी. मां भी समझ गई थीं. इसीलिए मुझे होस्टल में डाल कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी.’’

‘‘खूब याद है. तुम केवल छुट्टियों में घर आती थीं. तब हम दोनों कितनी मस्ती किया करते थे.’’

‘‘तेरे लिए ही तो आया करती थी मैं. मां के पास तो हमारे लिए समय ही कहां था.’’

‘‘शायद इसीलिए मां ने मुझे भी होस्टल में डाल दिया था. तुम्हारे कालेज जाने से पहले हम दोनों साथ में कितनी मस्ती किया करते थे. पर तुम्हारे जाने के बाद तो न स्कूल में मन लगता था न घर में.’’

‘‘पता है, हम दोनों का बचपन घोर एकाकीपन में बीता. मां को भी क्या मिला. उन के तथाकथित मित्र 1-1 कर के दूर चले गए. अब तो रतन अंकल को छोड़ कर शायद ही कोई उन की खोज खबर लेता हो,’’ स्वाति का स्वर बेहद उदास था.

‘‘नाम मत लो रतन अंकल का. हमारे परिवार की बरबादी में उन का बड़ा हाथ है,’’ स्वस्ति एकाएक क्रोधित हो उठी.

‘‘अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराना छोड़ दो मेरी प्यारी बहना. अभी तो अपना घर संभालो. तुम्हारा घर टूटा तो मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगेगा.’’

‘‘तुम्हें क्या लगता है सारा दोष मेरा ही है?’’

‘‘बहन हूं तुम्हारी, झूठ नहीं बोलूंगी. दोष किस का है यह नहीं कहूंगी, पर अपनी गृहस्थी को केवल तुम ही बचा सकती हो. यह मैं अवश्य कहूंगी.’’

‘‘माना दोनों बहनें बहुत दिन बाद मिली हैं, पर क्या आज रतजगा है?’’ तभी हंसते हुए नकुल ने प्रवेश किया.

‘‘मुझे लगा आप दोनों फिल्म देख रहे हैं. हमारी सुध ही कहां थी आप को,’’ स्वाति हंसी.

‘‘फिल्म तो कब की समाप्त हो गई है. अब तो सोने जा रहे हैं हम.’’

‘‘चलो, हम भी सोते हैं स्वस्ति भी थकी हुई है,’’ कह स्वाति उठ खड़ी हुई.

पर स्वस्ति की आंखों से नींद कोसों दूर थी.

स्वाति और नकुल ठंडी हवा के झोंके की तरह आए थे. 1 सप्ताह घूमफिर कर चले गए. उन के जाते ही घर में पुन: सन्नाटा पसर गया.

एक दिन सुकेतु हमेशा की तरह अपने लैपटौप में डूबा था कि तभी स्वस्ति आ

कर उस के गले में बांहें डाल कर झूल गई. सुकेतु हैरान था. ऐसे प्रेमपूर्ण स्पर्श को तो वह लगभग भूल ही चुका था.

‘‘चलो खाना खा लें. ठंडा हो रहा है.’’

सुकेतु मेज पर रखी सामग्री को देख कर हैरान रह गया. फिर पूछा, ‘‘कहां से मंगाया है ये सब?’’

‘‘मंगाया नहीं है मैं ने खुद बनाया है. ऐसा खाना बाजार में कहां मिलता है?’’ कह स्वस्ति मुसकराई, उस ने लाइट बंद कर के सुगंधित मोमबत्ती जला दी थी, जिस की सुगंध पूरे कक्ष में फैल गई थी.

‘‘काश, स्वाति दीदी और पहले आ जातीं,’’ सुकेतु बोला. स्वस्ति बोली कुछ नहीं थी पर चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह भी मन ही मन स्वाति को धन्यवाद दे रही थी.

सिनेमा आइकन अनिल कपूर की यात्रा, देखें उनके फिल्मों की कुछ रोमांटिक तस्वीरें

सिनेमा आइकन अनिल कपूर ने कुछ प्रतिष्ठित किरदारों के साथ इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. कपूर चार दशकों से अधिक समय से अपना आकर्षण फैलाने के लिए मशहूर हैं. उन्हें अपने पूरे करियर में विभिन्न प्रकार के आकर्षक किरदार निभाने की उनकी क्षमता के लिए प्यार और प्रशंसा मिली है. एनिमल और फाइटर में अपने हालिया दमदार अभिनय के अलावा, कपूर कई फीमेल फैंस के हार्टरॉब थे, जो उनके रोमांटिक अभिनय से बहुत आकर्षित थीं. इस वैलेंटाइन डे पर, आइए यादों की गलियों में चलते हैं और मेगास्टार की कुछ प्रतिष्ठित रोमांटिक भूमिकाओं के बारे में बात करते हैं.

अनिल कपूर अपने अभिनय और बेहतरीन एंग्री यंग मैन की भूमिकाओं के साथ-साथ रोमांटिक हीरो भी हैं. रोमांटिक कॉमेडी “चमेली की शादी” में कपूर ने चंद्रा की भूमिका निभाई है, जो अमृता सिंह द्वारा अभिनीत चमेली से प्यार करने लगता है, जो भारत की जाति व्यवस्था पर एक व्यंग्य है.

anil kapoor

कपूर का “लाडला” में राज “राजू” वर्मा का किरदार और “मिस्टर इंडिया” में श्रीदेवी के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री, जिसमें उन्होंने अरुण की भूमिका निभाई है, प्रतिष्ठित रोमांटिक पलों के रूप में सामने आते हैं, खासकर रोमांटिक कर देने वाला गाना “काटें नहीं कटते”.

shri devi

अनिल कपूर के ट्रैजेक्टरी में टाइमलेस क्लासिक, “1942: ए लव स्टोरी” भी शामिल है, जिसमें “कुछ ना कहो” और “एक लड़की को देखा” जैसी रोमांटिक मेलोडिस शामिल हैं, जिन्हें रेडियो चार्ट पर सराहा गया है. “पुकार” में उनका प्रदर्शन रोमांटिक भूमिकाओं में उनके कौशल को दर्शाता है, विशेष रूप से स्थायी हिट “सुनता है मेरा खुदा” में. कपूर की बहुमुखी प्रतिभा रोमांटिक आकर्षण के साथ कॉमेडी जॉनर का मिश्रण करने में चमकती है. “वेलकम” में मजनू भाई और “हमारा दिल आपके पास है” में एक पति और पिता के रूप में उनकी भूमिकाओं और “बधाई हो बधाई” में एकतरफा प्यार को दर्शाने में झलकती है.

amrita singh

अपने शानदार करियर में सिनेमा आइकन अनिल कपूर ने प्रतिष्ठित रोमांटिक भूमिकाओं और अभिनय में अपनी बहुमुखी प्रतिभा और आकर्षण का प्रदर्शन किया है. “चमेली की शादी” से लेकर “1942: ए लव स्टोरी” तक, कपूर भारतीय सिनेमा में एक टाइमलेस रोमांटिक आइकन बने हुए हैं, जो स्क्रीन पर अपनी प्रेजेंस से आज भी दर्शकों को एंटरटेन कर रहे हैं.

रिश्तों की डोर: सुनंदा की आंखों पर पड़ी थी पट्टी

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घर पर भी बना सकते हैं वेज मंचूरियन ड्राई, ये रही रेसिपी

वेज मंचूरियन ड्राई स्टार्टर के रूप में परोसे जाने वाला मिश्र सब्जियों से बना एक स्वादिष्ट चाइनीज व्यंजन है. वेज मंचूरियन आज की बहुत पसंद की जाने वाली रेसीपी में से एक है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले मिक्स वेजीटेबल के कोफ्ते बनाकर उन्हें तेल में तले जाते हैं और फिर सोया सॉस, टमाटर सॉस, चिली सॉस के साथ पकाया जाता है. तो आइए आज हम आपको इस आसान सी रेसिपी की मदद से घर पर ही ड्राई मंचूरियन बनाना बताते हैं.

मंचूरियन बॉल्स के लिए सामग्री

पत्ता गोभी- 2 कप (कद्दूकस किया हुआ)

गाजर- 1 कप (कद्दूकस की हुई)

शिमला मिर्च- 1 (कद्दूकस की हुई)

हरी मिर्च- 1 (बारीक कटी हुई)

काली मिर्च- 2 चुटकी

कॉर्न फ्लोर- 4-5 टेबल स्पून

सोया सॉस- 1 छोटी चम्मच

अजीनोमोटो- ½ चम्मच (आप्शनल)

नमक- स्वादानुसार

हरा धनियां- 1 टेबल स्पून बारीक कटा हुआ

तेल- मंचूरियन बॉल तलने के लिये

मंचूरियन सॉस की सामग्री

तेल- 2 टेबल स्पून

अदरक- 1 चम्मच (कद्दूकस की हुई)

हरी मिर्च- 1- 2 (बारीक कटी हुई)

कॉर्न फ्लोर- 2-3 टेबल स्पून

सोया सॉस- 1 टेबल स्पून

टमाटो सॉस- 2 टेबल स्पून

चिल्ली सॉस- 1/2-1 छोटी चम्मच

वेजिटेबल स्टॉक- 1 कप

चीनी- 1/2-1 छोटी चम्मच

अजीनोमोटो- 2 पिंच

नमक- स्वादानुसार

विनेगर- 1 छोटी चम्मच

हरा धनियां- 1 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)

विधि

मंचूरियन बॉल्स बनाने की विधि

सबसे पहले किसी बर्तन में 1 कप पानी डाल कर उबलने के लिये रख दीजीये. इसके बाद कद्दूकस की हुई सब्जियों को उबलते पानी में डालिये और 3 मिनिट ढककर उबॉल लीजिये, सब्जियां एकदम नरम न हों. सब्जियों के ठंडा होने पर उन्हें छान लीजिये और दबा कर सब्जियों से निकले पानी यानी कि वेजिटेबल स्टॉक निकाल कर अलग रख दीजिये, इस वेजीटेबल स्टॉक को हम मंचूरियन सॉस बनाने के लिये प्रयोग में लायेंगे और सब्जियों से मंचूरियन बॉल बना लेंगे.

हल्की उबाली हुई सब्जियों में कटे हरी मिर्च, काली मिर्च, कॉर्न फ्लोर, सोया सॉस, अजीनोमोटो, हरा धनियां और नमक डाल कर अच्छी तरह मिलाइये. मिश्रण से थोड़ा थोड़ा मिश्रण निकाल कर छोटे छोटे गोले (एक छोटे नीबू के बराबर) बना कर किसी प्लेट में रख लीजिये.

कढ़ाई में तेल डालकर गरम कीजिये, गरम तेल में एक मंचूरियन बॉल तलने के लिये डालिये, यदि यह बॉल फट कर तेल में बिखर रहा हो तब मिश्रण में 1-2 टेबल स्पून कॉर्न फ्लोर और डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये और मि़श्रण से छोटे छोटे बॉल बना कर तैयार कर लीजिये. 5-6 मंचूरियन बॉल गरम तेल में डालिये और गोल्डन ब्राउन होने तक तल कर, किसी प्लेट में निकाल कर रख लीजिये. सारे मंचूरियन बॉल इसी तरह तल कर निकाल लीजिये. मंचूरियन बॉल तैयार हैं, अब हम इनके लिये मंचूरियन सॉस बनायेंगे.

मंचूरियन सॉस बनाने की विधि

कढ़ाई में तेल डालिये, तेल गरम होने पर अदरक, हरी मिर्च डालिये, थोड़ा सा भूनिये, भुने मसाले में सोया सॉस, टमाटो सॉस, मसाले को हल्का सा भूनिये.

कॉर्न स्टार्च को वेजिटेबल स्टॉक में गुठलियां खतम होने तक घोलिये, घोल को मसाले में डालिये, उबाल आने पर, चिल्ली सॉस, चीनी, नमक, विनेगर और अजीनोमोटो डाल दीजिये. हरा धनियां भी डालकर मिला दीजिये, मंचूरियन ग्रेवी में उबाल आने के बाद, ग्रेवी को धीमी आग पर 2 मिनिट तक पकने दीजिये. अब इस ग्रेवी में मंचूरियन बॉल डालिये और 1-2 मिनिट तक पका लीजिये. ध्यान रहे कि आप ड्राई मंचूरियन बना रही हैं तो ग्रवी ज्यादा न बनाएं

वेज मंचूरियन ड्राई तैयार है, गरम गरम वेज मंचूरियन परोसिये और खाइये.

नाक बहुत मोटी होने के कारण मेरे चेहरे का आकर्षण कम करती है, क्या करूं ?

सवाल

नाक बहुत मोटी होने के कारण मेरे चेहरे का आकर्षण कम करती है. क्या कोई ऐसा उपाय हैजिस से मैं नाक को स्थाई रूप से सुंदर बना सकूं?

जवाब

कौस्मैटोलौजी में राइनोप्लास्टी सर्जरी द्वारा नाक को थोड़ा छोटा कर उसे पैना या नुकीला बनाया जाता है. इस सर्जरी के बाद चेहरा ज्यादा आकर्षक लगता है. यह बेहद सुरक्षित और अत्याधुनिक वैज्ञानिक तरीका है. सर्जरी के बाद उसी दिन घर जा सकते हैं और रोजमर्रा का काम सामान्य रूप से कर सकते हैं. नाक पर कुछ दिनों तक एक बैंडेज रहता हैजिसे 8-10 दिनों के बाद निकाल दिया जाता है.

नोज रीशेपिंग के बाद नाक और उस के आसपास के हिस्सों में सूजन रहती हैजो धीरेधीरे कम हो जाती हैपर अंदरूनी हिस्से की सूजन पूरी तरह ठीक होने में 8-10 महीने लग सकते हैं.

ब्रा की सही फिटिंग रखे बीमारियों से दूर

हर महिला का फिगर तथा कपड़े पहनने का अंदाज़ अलग होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि साइज में यह छोटी सी दिखने वाली चीज अगर सही फिटिंग कि नहीं हो तो कितनी नुकसानदायक हो सकती है. ब्रा केवल एक इनरवियर नहीं है बल्कि यह आपको समाज में कॉन्फिडेंटली स्टैंड होने में मदद करती है. 1 मिनट बिना ब्रा के इमेजिन करके देखें, तो ही मन में झिझक होगी. इसलिए महिलाओं के अपने ब्रेस्ट साइज से छोटी या बहुत ज्यादा बड़ी ब्रा पहनने से  ना सिर्फ शरीर बेडॉल दिखता है बल्कि हेल्थ को भी बहुत नुकसान पहुंचता है.

1. प्रॉब्लम कैसी-कैसी

सर्वेक्षण बताता है कि 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनने के कारण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं. क्योंकि गलत ब्रा पहनने से सिर्फ पीठ या गर्दन दर्द नहीं बल्कि ब्रेस्ट कैंसर, हार्टबर्न, पाचन संबंधी समस्या, स्किन रैशेज और सिर दर्द की समस्याएं भी हो जाती है.

2. फीडिंग मदर

फीडिंग मदर अक्सर बच्चे को फीड करााने के चक्कर में छोटे साइज की ब्रा पहन लेती हैं. जो चेस्ट पर दबाव का कारण होती है  और हेवी ब्रेस्ट के ग्रैविटी के कारण महिलाएं झुक जाती हैं. यह झुकाव रीढ़ की हड्डी पर दवाब बनाता है और  पीठ में दर्द होने लगता है.

3. गर्दन में दर्द होना

कंधे और गर्दन मे दर्द होने का कारण है टाइट ब्रा और उसके स्टैप्स . इसलिए हमेशा अपने ब्रेस्ट के साइज के अनुसार ही ब्रा का चुनाव करें.

4. ब्लॉकिंग ऑफ लिम्फ नोड्स

टाइट ब्रा के कारण आपके लिंफेटिक वेसल्स पर दबाव पड़ता है यह साइज में बहुत पतली होती हैं इसकी वजह से लिम्फ वॉल्व्स और वेसेल्स ब्लॉक हो जाती हैं.

5. स्किन डिसीसेस

कहीं आपके ब्रेस्ट के आसपास फोड़े फुंसियां यार ऐसे तो नहीं क्या आप जानते हैं कि अत्याधिक ढीली या टाइट ब्रा पहनने की वजह से भी यह सब समस्याएं जन्म ले लेती हैं.  इसके कारण आपको फंगल इंफेक्शन का खतरा भी हो सकता है.

6. ब्रेस्‍ट का कैंसर

आजकल महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा ही हो रहा है. अत्याधिक कसी ब्रा पहने से ब्लड सरकुलेशन रुक जाता है और ब्रेस्‍ट कैंसर का कारण बनता है. इसके अलावा ब्रेस्ट लिगामेंट डैमेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

7. घुटन होना

कुछ महिलाएं सांस लेने की समस्या की भी शिकार होती हैं उसका एक कारण गलत साइज की ब्रा है. जिससे घुटन महसूस हो सकती है और शरीर में रक्त प्रवाह कम हो सकता है.

8. कहीं सिरदर्द तो नहीं

एक खराब फिटिंग वाली ब्रा आपकी गर्दन और बैक की मासपेशियों को कभी सपोर्ट नहीं करती. जिससे कंधे का दर्द बढ़ता है और इसका सीधा असर आपके सिर पर होता है.

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