Mandelic Acid: ब्यूटी क्वीन जैसी ग्लोइंग स्किन पाने के लिए यूज करें मंडेलिक एसिड

Mandelic Acid: ब्यूटी वर्ल्ड में आपको खूबसूरत बनाने के लिए आए दिन नित नए ब्यूटी प्रोडक्ट्स लॉन्च हो रहे हैं. इन्हीं में शामिल है स्किन को ग्लोइंग और जवां बनाने वाले ‘ब्यूटी एसिड’. हयालूरोनिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, ग्लाइकोलिक एसिड जैसे ब्यूटी एसिड्स के बीच एक नया एसिड आया है, जिसका नाम है ‘मंडेलिक एसिड’. मंडेलिक एसिड आपकी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है. क्या है मंडेलिक एसिड और कैसे है यह दूसरे ब्यूटी एसिड से अलग, आइए जानते हैं.

जानिए ब्यूटी एसिड कैसे करते हैं काम

हर ब्यूटी एसिड का अपना एक खास गुण होता है, इन्हीं के आधार पर आपकी स्किन को फायदा मिलता है. हयालूरोनिक एसिड, सबसे पॉपुलर ब्यूटी एसिड में से एक है. यह एक हीरो हाइड्रेटर के रूप में काम करता है, जिससे स्किन में नमी बनी रहती है. यह स्किन को एक्सफोलिएट भी करता है. अगर आप मुंहासों से परेशान हैं तो सैलिसिलिक एसिड आपके काम आएगा. वहीं स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ग्लाइकोलिक एसिड असरदार रहता है. इन्हीं के बीच मंडेलिक एसिड भी अब लोगों की पसंद बनता जा रहा है.

इसलिए असरदार है मंडेलिक एसिड

मंडेलिक एसिड कई रसायनों का मिश्रण है. इसमें अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड यानी एएचए, बीटा-हाइड्रोक्सी एसिड यानी बीएचए और पीएचए होता है. ये सभी त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर आपके ओपन पोर्स को बंद करते हैं. इससे आपकी स्किन को एक समान रंगत मिलती है. ये सभी सूजन को भी कम करते हैं. एएचए बादाम से प्राप्त होता है, जो मंडेलिक एसिड का प्रमुख तत्व है. मंडेलिक एसिड की खोज 1831 में जर्मनी में हुई थी. इसका नाम भी बादाम से पड़ा है. जर्मन में बादाम को ‘मैंडेल’ कहा जाता है.

मंडेलिक एसिड के फायदे

मंडेलिक एसिड में वे सभी गुण पाए जाते हैं जो ग्लाइकोलिक एसिड में पाए जाते हैं. यह एसिड धीरे-धीरे आपकी स्किन में जाकर उसे एक्सफोलिएट करता है. इससे स्किन की जलन कम होती है और उस पर ग्लो आता है. चलिए जानते हैं इसके फायदे-

स्किन होती है एक्सफोलिएट

मंडेलिक एसिड आपकी स्किन की मृत कोशिकाओं को हटाकर स्किन को एक्सफोलिएट करता है. इससे आपकी स्किन ग्लोइंग बनती है. यह स्किन सेल्स को भी रिपेयर करता है.

करता है एंटी एजिंग का काम

मंडेलिक एसिड आपकी स्किन को जवां बनाता है. इससे आपकी झुर्रियां और फाइन लाइंस दोनों ही कम होते हैं. इससे स्किन में कोलेजन का लेवल बढ़ता है. स्किन खिली हुई नजर आती है.

कम होते हैं मुंहासे

मंडेलिक एसिड में कई एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिसके कारण आपकी मुंहासों की समस्या भी कम होती है. खास बात ये है कि इससे मुंहासों के दाग भी खत्म हो जाते हैं. यह आपके ओपन पोर्स की परेशानी को भी दूर करता है. कुछ शोध के अनुसार मंडेलिक एसिड मुहांसों के घाव और सूजन को सैलिसिलिक एसिड की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके से कम करता है.

हाइपर पिगमेंटेशन का इलाज

लगातार प्रदूषण और अन्य कारणों से स्किन पर हाइपरपिगमेंटेशन होने लगता है. स्किन पर ये धब्बे आपकी खूबसूरती पर दाग से नजर आते हैं. मंडेलिक एसिड इन समस्याओं को दूर करता है. यह स्किन में मेलेनिन के उत्पादन को रोककर हाइपरपिगमेंटेशन को कम करता है.

ऐसे करें मंडेलिक एसिड का उपयोग

विशेषज्ञों के अनुसार मंडेलिक एसिड का उपयोग करने से आपको 6 से 12 सप्ताह में ही स्किन में परिवर्तन नजर आने लगेंगे. अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है या फिर आप एक्जिमा जैसी किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करें. बादाम से एलर्जी वाले लोगों को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए.

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Wedding Special: साड़ी सदाबहार पहनावे के आधुनिक अंदाज

साड़ी भारतीय मूल का एक ऐसा परिधान है जो सब की पहली पसंद है. उत्तर में बनारसी साड़ी का वर्चस्व है, तो दक्षिण में कांजीवरम का. फिल्मी समारोहों में फिल्म अदाकारा रेखा की भारीभरकम पल्लू वाली गोल्डन कांजीवरम सिल्क की साडि़यां हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रही हैं. इन के अलावा पूर्व में टंगाइल की बंगाली साड़ी, कांथा वर्क और गुजरात की घरचोला या पाटन की पटोला का बोलबाला है. इन सभी की अपनीअपनी विशेषता है. मां से बेटी को विरासत में मिलने वाली पटोला को बनने में कई महीने तो कभीकभी कई बरस भी लग जाते हैं. साड़ी एक है लेकिन इस के रूप अनेक हैं. इस को विशेष बनाती है इसे पहननेओढ़ने की कला.

रैडीमेड साड़ी

कहीं इसे अंगरखा, धोती की तरह पहनने का चलन है तो कहीं सीधे पल्लू वाली का. इस में पल्लू आगे की ओर रहता है. कहींकहीं 2 कपड़ों की साड़ी पहनी जाती है और तो और बाजार में इन दिनों रैडीमेड साड़ी भी मिलने लगी है. बड़ीबड़ी कंपनियों में काम करतीं ऐक्जीक्यूटिव्स औफिशियल सूट की तरह बड़े ही सलीके से 6 गज की बंधीबंधाई साड़ी ठीक किसी रैडीमेड पैंट की तरह पहनने लगी हैं. पहननेओढ़ने में बहुत ही आसान ये साड़ी बिना किसी झंझट के पहनी जाती है.

कारपोरेट जगत ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है. इस में साड़ी का मूल स्वरूप तो वही रहता है, लेकिन थोड़ा सा क्रिएटिव बदलाव के साथ. इस में जिप औन साड़ी, जींस के ऊपर साड़ी और साड़ी विद जैकेट वगैरह खास हैं. साड़ी विद जैकेट में साड़ी प्लेन रंग की है और ऊपर जैकेट कंट्रास्ट कलर में. पाकेट पर बटन या फ्लोरल प्रिंट है. सब से ऊपर गले में फ्लोरल स्कार्फ. इस में आगे से बंद जैकेट और खुले बटन वाले जैकेट भी उपलब्ध हैं.

इंडोवैस्टर्न फ्यूजन

कारपोरेट जगत ने साड़ी का एक और विकल्प दिया है, जिस में पल्लू को अलग से जोड़ा जाता है. यह एक तरह से क्लासिक बिजनैस जैकेट ऐंड स्कर्ट का कौंबिनेशन है. इस में आगे से पल्लू को बाएं कंधे पर जोड़ा जा सकता है. इंडोवैस्टर्न फ्यूजन वाली ये साडि़यां केबीएसएच (करोलबाग साड़ी हाउस) ने कारपोरेट जगत के लिए बाजार में उतारी हैं.

डिजाइनरों का मानना है कि साड़ी तो एक है परंतु इस को विभिन्न तरीकों से पहना जा सकता है.

दिल्ली के हौजखास में बुटीक चला रहीं अशिमा सिंह का मानना है कि स्टिचिंग यूरोपियन कल्चर की खोज है, जबकि कढ़ाईबुनाई और साड़ी ड्रैपिंग भारत, इजिप्ट, यूनान और रोम की. इन जगहों पर कपड़े को बदन के इर्दगिर्द लपेटा जाता था. भारत में तो साड़ी बिना ब्लाउज के पहनी जाती थी. आज भी आदिवासी मूल के लोगों में इसे इसी रूप में पहना जाता है.

साड़ी की देखभाल

जब बाहर से आएं साड़ी उतार कर उसे थोड़ी देर के लिए खुली हवा में छोड़ दें. इस से उस का पसीना निकल जाएगा.

साड़ी अकसर फाल से फटती है. इसलिए साड़ी उतारने के बाद किसी हलके ब्रश की सहायता से फाल में लगी गंदगी उतार दें.

यदि साड़ी में बौलपैन का दाग लग गया हो तो नेलपौलिश रिमूवर से दाग छुड़ा दें, लेकिन कपड़े का टैक्सटाइल और कलर ध्यान में रखें.

टिशू की, जरी वाली और क्रेप, शिफौन, चिनौन साडि़यां हाई ट्विस्ट की श्रेणी में आती हैं. इन का तानाबाना बना ही ऐसा होता है कि आपस में उलझ कर एकदूसरे को काट देता है. इसलिए इन्हें कभी तह लगा कर न रखें. इन्हें रोल कर के रखें.

हैंगर में बिलकुल न टांगें. ऐसा करने से बीच के फोल्ड से ये चिर जाएंगी.

जरी की साड़ी में फिनायल की गोलियां न डालें. इस से रंग काला व धूसर पड़ जाएगा.

जरीदार साड़ी पर परफ्यूम न लगाएं. इस से जरी काली पड़ने का अंदेशा रहता है.

सूती साडि़यों को धो कर कलफ लगाएं. इन्हें भी मलमल के बारीक कपड़े में सहेज कर रख सकती हैं.

इन दिनों बाजार में साडि़यां रखने के लिए खास तरह के लिफाफे भी मिलते हैं. इन में साडि़यां सहेज कर रखें. ऊपर से बंद कर दें. साइड से कोने में हलका सा टक लगा दें. इस से कीड़ा नहीं लगेगा और साडि़यां नई बनी रहेंगी.

यदि आप साडि़यां लकड़ी की अलमारी या बक्से में रख रही हैं तो पहले यह जांच लें उस में कीड़ा या दीमक तो नहीं लगी. यदि ऐसा नहीं है तो उसे के शैल्फ्स पर धूप में सुखाए नीम के पत्ते रखें. फिर शैल्फ्स पर हैंडमेड पेपर या ब्राउन पेपर बिछाएं. इस से कीड़ा नहीं लगेगा.

साडि़यों में महक न आए इस के लिए चाहें तो सुगंधित जड़ीबूटियां, सूखे फूल और पत्ते रख सकती हैं. लौंग व कालीमिर्च के दोनों की महक कीड़ों को दूर रखती है.

बुटीक चला रहीं टैक्सटाइल डिजाइनर आशिमा सिंह कहती हैं कि भारीभरकम साडि़यों को मलमल के कपड़े में लपेट कर रखें. लेकिन रख कर भूल न जाएं. साल में 1-2 बार खोल कर उन की तरह बदल दें. नहीं तो वे तह से बदरंग हो जाती हैं.

बरसात के दिनों में अकसर सीलन हो जाती है. इसलिए बरसात के बाद एक नजर उन पर डालें. कुछ हो तो फौरन ऐक्शन लें.

लमारी में सीलन कतई न हो. इसे धूप लगवाती रहें, अन्यथा सीलन कपड़ों को गला देगी. कभीकभी अलमारी अपनी निगरानी में खुली रखें.

भारी कढाई व जरदोजी वाली साडि़यों को उलटा कर के तह लगाएं. उन्हें यदाकदा पहनती हों तो हैंगर पर ठीक हैं अन्यथा वुडनरौड पर लपेट कर रखें. वे फटेंगी नहीं.

पुराने फैशन को दें नया अंदाज

फैशन के शौकीन खुद को अपडेट रखने के लिए बाजार पर पैनी नजर रखते हैं. भई, बदलते वक्त के साथ अपडेट रहना अच्छी बात भी है. वैसे फैशन खुद को दोहराता है और पुराना फैशन पलट कर नए अंदाज में छा जाता है.

पुरानेनए का मेल आप भी अपने घर बैठेबैठे कर सकती हैं. करीना कपूर ने भी कुछ ऐसा ही किया. उन्होंने अपनी शादी में अपनी सासू मां शर्मिला टैगोर के 50 साल पुराने शादी के जोड़े को आज के फैशन के अनुरूप बदलवा कर अपनी शादी में पहना. आप भी अपनी मां, नानी, दादी की पुरानी साडि़यों को आज के फैशन के मुताबिक ढाल कर नया फैशन अपना सकती हैं.

फैशनेबल लुक कैसे दें

फैशन डिजाइनर नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि नित नए फैशन के इस दौर में लोग स्टाइलिश दिखने के लिए कई जतन करते हैं. आप भी घर बैठे कुछ स्टाइलिश और डिफरैंट ड्रैस का आइडिया सोच सकती हैं.

यंग जैनरेशन के लिए

पुरानी साडि़यों में से आप शिफौन, जौर्जेट की फ्लोरल व प्रिंट वाली साडि़यों की मैक्सी, लौंग स्कर्ट अथवा फ्रौक बनवा सकती हैं. वैसे भी आजकल शिफौन, जौर्जेट के टौप खूब चलन में हैं. इस में आप प्लेन या प्रिंटेड कुछ भी बनवा सकती हैं. इस के अलावा आजकल प्लाजो पैंटें भी ट्रैंड में हैं और खूब बिक रही हैं. ये भी शिफौन या जौर्जेट के कपड़े की हैं. आप प्रिंटेड या प्लेन कोई भी पैंट बनवा सकती हैं.

सिल्क की साडि़यों से आप ट्राउजर व जैकेट बनवा सकती हैं. इन की ट्यूनिक, शर्ट आदि खूब जंचती हैं. अगर बौर्डर वाली साडि़यां हैं, तो आप औफशोल्डर टौप भी बनवा सकती हैं. इस में बौर्डर को फ्रंट में गले के पास लगवाएं. इस के अलावा सिल्क की शौर्ट कुरती भी बहुत आकर्षक बन सकती है. प्लेन सिल्क में बौर्डर को गले, आस्तीन पर लगवा कर इसे और खूबसूरत बनवाया जा सकता है.

महिलाओं के लिए

बहुत सी महिलाएं अपनी पुरानी साडि़यों के सलवार सूट बनवा लेती हैं, जिन्हें देखने से साफ पता चल जाता है कि ये पुरानी साडि़यों के बनवाए गए हैं. लेकिन यदि इन्हें बनवाते समय जरा सा स्टाइल दे दिया जाए तो यह एक स्टाइलिश ड्रैस बन सकती है. अगर साड़ी का सूट बनवाना है तो सिर्फ कुरता बनवाएं. लैंगिंग्स अलग से लें. इस से सूट स्टाइलिश भी दिखेगा और साड़ी का बना भी नहीं लगेगा.

हैवी पल्लू वाली साडि़यों के पल्लू निकाल कर उन के ब्लाउज बनवाएं और उस ब्लाउज को शिफौन की प्लेन साड़ी पर पहनें. प्लेन साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज का यह स्टाइल बहुत फबेगा. इस के अलावा ऐंब्रौयडरी वाले पल्ले की लहंगे पर पहनने के लिए कुरती बनवाएं, बौर्डर वाली साडि़यों के बौर्डर निकाल कर किसी प्लेन साड़ी में लगाएं तो साड़ी की खूबसूरती और बढ़ जाएगी.

अगर पुरानी प्रिंटेड साडि़यां फट गई हों, तो उन के फटे हिस्से को निकाल कर उस जगह दूसरी प्लेन साड़ी को जोड़ दें. प्रिंटों को चुन्नटों वाले हिस्से में लाएं तो यह एक डिजाइनर साड़ी बन जाएगी. इसी प्रकार प्लेन सिल्क के सूट या ब्लाउज में भी साड़ी के बौर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है.

प्रिंटेड व प्लेन साडि़यों के स्टोल भी बना सकती हैं जो किसी भी ड्रैस के साथ मैच कर सकते हैं. अगर नैट की साडि़यां हैं, तो उन के श्रग बनवा सकती हैं, जो आजकल किसी भी ड्रैस के साथ कैरी किए जा रहे हैं.

नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि किसी भी चीज को नया स्टाइल देने के लिए थोड़ा सा दिमाग लगाने से वह चीज स्टाइलिश बन जाती है. आप हैवीवर्क साडि़यों से दुपट्टे भी बना कर प्लेन सूट के साथ ओढ़ सकती हैं. अगर प्रिंटेड साडि़यों के दुपट्टे बनवाती हैं तो उन्हें प्लेन सूटों के साथ कैरी कर सकती हैं.

Wedding Special: खूबसूरत स्किन के लिए 5 होममेड फेसपैक

शादियों मे ये जरुरी है कि हम सबसे ज्यादा अच्छे दिखे और डिफरेंट भी ताकि सभी की नजर आप पडें. तो ऐसे में जरुरी है कि हम घर पर तैयार किया हुआ फेसपैक यूज करें ताकि आपकी स्कीन ओर भी ग्लोईंग लगे.जिससे आप शादी में चार चांद लगा दें, तो ये है  घरेलू फेसपैक बनाने का आसान तरीका.

  1. चंदन और बेसन का मिश्रण

त्‍वचा को चमकदार बनाने के लिए चंदन पाउडर और बेसन को मिलाकर उबटन बनाऐं. इसमें आप चाहें तो हल्दी और और दूध भी मिला सकते हैं. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से आपकी त्वचा खूबसूरत होगी. क्योंकि एंटी ऑक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर हल्‍दी और चंदन त्वचा में एक कसाव लेकर आते हैं, जबकि बेसन मृत त्वचा को आपके चेहरे से हटाकर उसे प्रोटीन उपलब्‍ध करवाता है और दूध त्‍वचा की रंगत को निखारने के साथ साथ त्वचा को मुलायम बनाने का काम भी करता है.

2. पपीता, शहद और नींबू
पपीते में पपेन नाम का एंजाइम होता है, जो प्राकृतिक तरीके से मृत त्‍वचा की परतों को हटाता है. शहद अपने एंटी-बैक्टीरियल गुण के कारण त्‍वचा को मुलायम बनाऐ रखता है और साइट्रिक एसिड युक्त नींबू, त्‍वचा को चमकाने का काम करता है, अत: इन तीनों को मिलाकर आप घर पर फेसपैक बनाकर लगाऐं तो ये आपके लिए बहुत लाभकारी होगा.

3. बनाऐं चीनी का स्क्रब
चीनी का स्क्रब बनाने के लिए आपको चीनी, नींबू का रस और ऑलिव ऑयल, सबको एक साथ मिक्स होता है. इसे आप चीनी का बॉडी स्‍क्रब भी कह सकती हैं. मुलायम त्वचा पाने के लिए यह स्क्रब सबसे उपयुक्त है. इस मिश्रण को लगाने के लिए इसे अपने शरीर पर धीरे-धीरे रगड़ें और चीनी के घुलने तक ऐसा करते रहें. इसके उलयोग से त्वचा की रंगत निखरती है. यह सबसे अच्छा घरेलू स्क्रब होता है.

4. बनाऐं नैचुरल फेसपैक
इसे घर पर बना एवोकाडो नैचुरल फेसपैक भी कह सकते हैं. एवोकाडो के साथ दही और शहद को मिक्स कर चेहरे पर लगाएं. इससे त्वचा में निखार आता है. दही में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, जो कोलेजन का उत्‍पादन करता है, जो त्‍वचा की चमक बरकरार रखता है. एवोकाडो में एक फैटी एसिड होता है, जो त्‍वचा को मजबूत, नरम और अधिक लचीला बनाने में मदद करता है और शहद में एंटी-ऑक्‍सीडेंट होता है, जो त्‍वचा की चमक बरकरार रखता है.

5. पपीते और ककड़ी का फेस पैक

आप पपीते और ककड़ी के गूदे में, किसी भी क्रीम को दो चम्मच मिलाकर फेस पैक तैयार कर सकती हैं. इसमें आप चाहें तो एवोकाडो भी मिला सकती हैं. इस पैक को त्‍वचा पर 20 मिनट तक लगा कर, बाद में हल्‍के कुनकुने पानी से चेहरा धो लेना चाहिए.

इन सभी घरेलू फेस पैक के इस्तेमाल से आपकी त्वचा की ऊपरी परत हर दम स्वस्थ्य रहेगी और आपकी त्वचा हमेशा साफ और चमकदार बनी रहेगी.

एक बार फिर: सुमित को क्या बताना चाहती थी आरोही?

लड़के वाले दहेज की मांग कर रहे हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. मेरी सगाई हुए 7 महीने हो चुके हैं. मेरे घर वालों ने सगाई में काफी पैसा लगाया था. शायद इसीलिए लड़के वाले बेशर्मी से मुंह खोल कर विवाह में लेनदेन की मांग कर रहे हैं. अपनी हैसियत से तो मेरे घर वाले करेंगे ही पर इस तरह से अनापशनाप मांगें सुन कर मेरा इस शादी से मन उठ गया है. मैं ने मां से साफसाफ कहा है कि वे इस रिश्ते को तोड़ दें पर उन का कहना है कि इस से बदनामी होगी और फिर मेरा भविष्य में कहीं रिश्ता नहीं होगा. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप को इस बारे में अपने मंगेतर से बात करनी चाहिए. हो सकता है कि लड़का घर वालों की इस मंशा से बेखबर हो. यदि लड़का भी इस सब में शामिल है तो आप को उस से शादी कतई नहीं करनी चाहिए. ऐसे लालची लोग ताउम्र आप को और आप के घर वालों को परेशान करते रहेंगे. सगाई तोड़ने के बाद आप की बदनामी होगी और फिर कहीं और रिश्ता नहीं होगा, यह बात सरासर गलत है. ऐसा कुछ नहीं होगा. हां, नया रिश्ता मिलने में थोड़ा समय लग सकता है. पर अभी आप की उम्र बहुत कम है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.

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दहेज प्रथा भारत में प्रचलित कोई अनोखी प्रथा नहीं है. अलगअलग नाम और रूप से यह प्राचीन रोम, ग्रीस, यूनान, मिस्र जैसे दूसरे देशों में भी प्रचलित रही. यूरोप में प्रचलित दहेज प्रथा की झलक शेक्सपियर के नाटकों में मिलती है. एशियाई देशों में भी कमोबेश अंतर के साथ दहेज लेनादेना कायम रहा है.

दहेज का मूल उद्देश्य नवविवाहित दंपती को गृहस्थी जमाने में मदद करना होता है. कुछ लोग इसे उपहार का नाम भी देते हैं. यह प्रथा आज से नहीं, सदियों से चली आ रही है. उदाहरण के लिए रामायण काल का जिक्र किया जा सकता है. वाल्मीकि रामायण में साफ लिखा है कि विदेहराज ने सीता के विवाह में दहेज में बहुत सा धन और कई लाख गाएं दीं. इस के अतिरिक्त अच्छेअच्छे कंबल, रेशमी कपड़े, हाथीघोड़े, रथ, दासी के रूप में परम सुंदरी 100 कन्याएं काफी सेना, मूंगा आदि भेंट स्वरूपप्रदान किए.

आज भी समाज के पढ़ेलिखे वर्ग के लोग हों या मध्यवर्गीय, विवाह तय करते समय दहेज को चर्चा का आवश्यक हिस्सा बनाया जाता है. विवाह के समय दहेज की चीजों को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है. मुंहमांगा दहेज न मिलने पर लड़की की जिंदगी नरक बना दी जाती है. बात सिर्फ मारपीट तक ही सीमित नहीं रहती, वरन उसे जलाने या खुदकुशी के लिए मजबूर कर देने की घटनाएं भी आम हैं.

पौपुलेशन फाउंडेशन औफ इंडिया की ऐग्जिक्यूटिव डायरैक्टर, पूनम मुटरेजा कहती हैं, ‘‘भारत में दहेज प्रथा का ही परिणाम है कि औरतों को परिवार पर आर्थिक बोझ समझा जाता है. इस वजह से उन के साथ मारपीट जैसे अपराध किए जाते हैं. लिंग चयन और घरेलू हिंसा महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव का ही प्रदर्शन है.’’

क्या कहते हैं आंकड़े

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2012 में देश भर में कुल 8,233 दहेज हत्या के मामले दर्ज हुए. पुलिस थाने में पहुंची रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन हर घंटे एक औरत दहेज की बलि चढ़ा दी गई. वर्ष 2007 में यह संख्या 8,093 थी जो 2010 में 8,391 और 2011 में 8,618 हो गई.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, 2001 से दिसंबर, 2012 तक दहेज हत्या के 91,202 मामले दर्ज कराए गए, जिन में से 84,013 पर कार्यवाही हुई. बाकी या तो तफतीश के दौरान छूट गए या उन की तफतीश की ही नहीं गई. 5,081 केसेज ऐसे भी थे, जो झूठे पाए गए थे.

रिट फाउंडेशन की प्रैसिडैंट, डा. चित्रा अवस्थी कहती हैं, ‘‘दहेज के मूल में पितृ सत्तात्मक पुरुषप्रधान समाज है. विवाह के बाद वधू वर के परिवार का हिस्सा बन जाती है और या तो उस के घर चली जाती है या उस के साथ नया घर बसाती है. पहले पत्नी स्वयं धनार्जन नहीं करती थी, इसलिए नए घर और गृहस्थी को बसाने में मदद के रूप में दहेज का रिवाज बना.

Wedding Special: शाही पोटैटो हलवा की सबसे आसान रेसिपी

वैसे तो आलू की सब्जी कई तरीकों से बनाई जाती है पर आज हम आपको शाही पोटैटो हलवा की रेसिपी बताने जा रहे हैं, जिसे आप आसानी से घर पर ही फंक्शन के लिए बना सकती हैं.

हमें चाहिए :

– 250 ग्राम आलू

– 1 कटोरी शकर

– एक बड़ा चम्मच घी

– 1/2 चम्मच इलायची पाउडर

– 4-5 काजू

– बादाम बारीक कटे हुए

– 8-10 किशमिश (कुछ देर पानी में गली हुई)।

बनाने का तरीका :

– सर्वप्रथम आलू को उबालकर छिलके उतारकर बारीक मैश कर लें.

– अब एक कड़ाही में एक चम्मच घी डालकर मैश किए हुए आलू को धीमी आंच पर गुलाबी होने तक सेंक   लें.

– उसके बाद शकर डालकर 10-15 मिनट तक चलाएं.

– शकर अच्छी‍ तरह घुल जाने पर बारीक कटे बादाम, काजू, इलायची पावडर और किशमिश डाल दें.

– लीजिए आपके लिए तैयार है स्वादिष्ट पोटेटो हलवा.

Intimate Hygiene से जुड़ी बीमारियों का ऐसे करें इलाज

क्या आप किसी प्रकार की इंटिमेट बीमारी से परेशान है? क्या डॉक्टर से कहने में शर्म महसूस करती है? किससे कहूँ? कैसे कहूँ? जैसी झिझक आपको है, तो लीजिये पढ़िए ये लेख जिसमे आपको सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे. महिलाएँ आज सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है, लेकिन वे शरीर से सम्बंधित किसी भी विषय को खुलकर नहीं कहती,पति से भी नहीं. अन्तरंग भाग की कुछ बिमारियों को वह किसी से नहीं कह पाती, इसका उदहारण एक लेडी डॉक्टर के पास मिला, जैसा कि 35 वर्षीय महिला डॉक्टर से भी अपनी बात कहने से शर्म महसूस कर रही थी और डॉक्टर पूरी तरह से उसे डांट रही थी, जबकि उसे इंटरनली कुछ बड़ी इन्फेक्शन हो चुकाथा, जिसका इलाज जल्दी करना था.

इस बारें में नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ,डॉ. गायत्री देशपांडे कहती है कि आज भी छोटे शहरों की महिलाएं, किसी पुरुष स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करवाती, उनके पास डिलीवरी के लिए नहीं जाती. असल में अंतरंग स्वच्छता और देखभाल का उनकी शारीरिक व मानसिक हेल्थ पर काफी असर होता है, लेकिन जागरूकता के साथ-साथ समय पर चिकित्सीय सहायता से वल्वोवैजाइनल इन्फेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. खासकर गर्मियों के मौसम में इंटिमेट हायजिन को बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि पसीने और गर्मी से इंटिमेट पार्ट में फंगल इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है, इसलिए महिलाओं को इस बात से अवगत होना चाहिए कि, अंतरंग स्वच्छता केवल साफ-सफाई नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर उनकी भलाई से जुड़ा विषय है. महिलाओं को उन सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि उन्हें इस विषय पर खुलकर बातचीत करने और अंतरंग देखभाल के सबसे बेहतर साधनों का उपयोग करने से रोका जाता है और कुछ घरेलू नुस्खे का प्रयोग किया जाता है, जिससे बीमारी अधिक बढ़ती है औए कई बार ये इन्फेक्शन इतना अधिक फ़ैल जाता है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है और उस महिला की मृत्यु भी हो सकती है.

इंटिमेट हाइजिन है क्या

डॉ.गायत्री आगे कहती है कि गर्भाशय ग्रीवा की बाहरी सतह से लेकर योनि के छिद्र तक की परत को वजाइनल म्यूकोस (योनि श्लेष्मा) कहते है, जो कुदरती तौर पर निकलने वाले तरल पदार्थों की मदद से खुद को साफ करने में सक्षम होता है, खुद को साफ करने की क्षमता के बावजूद, योनि में कई स्वस्थ बैक्टीरिया (लैक्टोबैसिली) मौजूद होते है,जो संक्रमण की रोकथाम के साथ-साथ माइक्रोबियल संतुलन बनाए रखते है. कई तरह के बाहरी या आंतरिक असंतुलन अथवा आदतों की वजह से डिस्बिओसिस, यानी स्वस्थ माइक्रोबियल की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे योनि या मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का डर रहता है.

इसके अलावा योनि को प्रतिदिन धोने, शौच के बाद टिश्यू पेपर या वेट वाइप्स का उपयोग करने, स्नान करने और अच्छी तरह सुखाने, अंडरगारमेंट्स की सफाई, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कियौन-संबंध बनाने से पहले औरबाद में स्वच्छता का ध्यान रखने जैसी अच्छी आदतों से योनि और इससे संबंधित सभी अन्तरंग अंगों की हिफाज़त करने में काफी मदद मिलती है.कुछ सुझाव निम्न है जिसे अपनाने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.

रखें नियमित सफाई एवं स्वच्छता

हर बार पेशाब करने के बाद योनि को सामने की तरफ से लेकर पीछे तक सादे पानी से धोना जरूरी है. महिलाओं को समझना चाहिए कि योनि क्षेत्र भी उनकी सामान्य त्वचा की तरह ही है, इसलिए नहाते समय इसे भी शरीर के दूसरे अंगों की तरह सामान्य साबुन या बॉडी वॉश से आगे से पीछे की ओर धोना चाहिए. इसकी वजह, पीछे के मार्ग (गुदा) पर बैक्टीरिया या जीवाणु मौजूद हो सकते है, जिनके संपर्क में आने से योनि में संक्रमण हो सकता है.

सही फैब्रिक का करें चुनाव

महिलाओं के लिए सूती पैंटी पहनना ही सबसे बेहतर है, जो नमी को सोखने में और इंटिमेट पार्टको सूखा रखने में सहायक होती है. इसी तरह, महिलाओं को बेहद तंग, गहरे रंग वाले या नम कपड़ों से परहेज करना चाहिए अपने कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें साफ-सुथरी जगह पर धूप में सुखाना जरुरी है, ताकि अन्तरंग भागों के आसपास नमी की मौजूदगी भी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकती है

सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग

सार्वजनिक शौचालयों में ई-कोलाई, स्टैफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी जैसे सक्रिय जीवाणु मौजूद होते है, जो महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) का सबसे आम कारण होता है. इन शौचालयों के साफ-सुथरे दिखने के बावजूद, टॉयलेट सीट, फ्लश, वॉटर नॉब्स या दरवाज़े के हैंडल जैसी जगहों पर कीटाणु और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते है. इससे बचने के  लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए,मसलन टॉयलेट सीट पर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना, कपड़े या शरीर को छूने से पहले हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइज़र और अपने पास मौजूद साबुन का उपयोग करना चाहिए. बाहर के वॉशरूम और टॉयलेट का उपयोग करने के बाद लैक्टिक एसिड आधारित वजाइनल वॉश का उपयोग करना, योनि की देखभाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

खुद को रखे स्वच्छ,यौनसंबंध से पहले

यौन-संबंधों के दौरान साथी द्वारा साफ-सफाई नहीं रखने की वजह से महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) या योनि में संक्रमण भी हो सकता है. यौन-संबंध बनाने के बाद हमेशा मूत्र त्याग की कोशिश करनी चाहिएऔर योनि को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए. कंडोमऔर गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करना यौन-संबंधों से होने वाले संक्रमणों की रोकथाम में बेहदमुख्यभूमिका निभा सकता है.एक से अधिक साथी के साथयौन-संबंधों से परहेज करेंऔर अपने साथी सेभीप्राइवेट पार्टकी स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध करें.

रहे सावधान फीका रंगत वाला या बदबूदार स्राव से

माहवारी के दिनों में फीका रंगत वाला मामूली स्राव होना बेहद सामान्य बात है. हार्मोन में बदलाव की वजह से ऐसे स्राव में योनि तथा गर्भाशय ग्रीवा की त्वचा की कोशिकाएँ मौजूद होती है, लेकिन इस तरह के स्राव के बरकरार रहने, गंध और समय-सारणी को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को दर्शाता है. प्री-ओव्यूलेटरी डिस्चार्ज (अण्डोत्सर्ग से पहले का स्राव) अपेक्षाकृत गाढ़ा, कम और गोलाकार होता है, जबकि पोस्ट-ओव्यूलेटरी वजाइनल डिस्चार्ज (माहवारी से एक हफ्ते पहले) अधिक मात्रा में, बहुत पतला और चिपचिपा होता है. महिलाओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह के स्राव बेहद सामान्य हैऔर स्वस्थ अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) की प्रक्रिया का संकेत देते है.

हालाँकि, अगर यह स्राव बेहद गाढ़ा हैऔर इसके साथ लालिमा, खुजली या जलन की समस्या जुड़ी हुई है और आपके माहवारी के दिनों के अलावा ऐसा होता है, तो इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना और स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद जरूरी है. कैंडिडल, मोइलियल या ट्राइकोमोनल इन्फेक्शन की वजह से इस तरह के स्राव हो सकते है. बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण होने वाले स्राव में मछली की तरह तेज गंध होती है. इसके अलावा, डायबिटीज मेलिटस से पीड़ित महिलाओं में बार-बार योनि और मूत्र संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है.

सम्हलकर करें,प्यूबिक हेयर की वैक्सिंग या ट्रिमिंग

शरीर के किसी भी अन्य छिद्र की तरह, प्राइवेट पार्ट के बाल भी योनि के छिद्र की हिफाजत करते है, जो कई सूक्ष्मजीवों के लिए किसी रुकावट की तरह काम करते है,इसलिए, वैक्सिंग कराने से न केवल योनि के ऐसे सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि वैक्सिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनुचित साधनों से योनि के आसपास सूजन या संक्रमण भी हो सकता है, रैशेज और इन्फेक्शन से बचने के लिए प्यूबिक एरिया को साफ रखना जरूरी है.

इलाज से बेहतर है, रोकथाम

महिलाओं के लिए समस्याग्रस्त होने के बाद इलाज कराने के बजाय इसकी रोकथाम पर ध्यान देना बेहतर है. साल में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना, सर्विकल कैंसर से बचने के लिए समय-समय पर PAP स्मीयर टेस्ट करानाआदि स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर करने के साथ-साथ उनके द्वारा दी गयी दवाइयों का प्रयोग करें और अन्तरंग स्वच्छता के बारें में भी जानकारी प्राप्त करें. बीमारी का पता सही समय पर चल जाने से इलाज जल्दी हो सकता है और संक्रमण अधिक फ़ैल नहीं सकता.

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19 साल की उम्र में दंगल गर्ल Suhani Bhatnagar का निधन, पैर में फ्रैक्चर के बाद हुई थी ये बीमारी

Suhani Bhatnagar: बॉलीवुड फिल्म ‘दंगल’ तो आपको याद ही होगा, जिसमें आमिर खान बेटियों के पिता बने थे. यह फिल्म साल 2016 में रिलीज हुई थी और लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया था. फिल्म ‘दंगल’ में छोटी बबिता का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस यानी सुहानी भटनागर की क्यूटनेस ने दर्शकों के दिल पर राज किया था.

19 साल की उम्र में सुहानी भटनागर ने दुनिया कहा अलविदा

बॉलीवुड गलियारों से बहुत दुखद खबर आ रही है कि 19 साल की उम्र में सुहानी भटनागर की मौत हो गई है, जी हां सही पढ़ा आपने. सुहानी भटनागर अब इस दुनिया में नहीं रहीं. सोशल मीडिया पर फिल्म जगत के तमाम हस्ती से लेकर फैंस तक सभी शोक जता रहे हैं.

आमिर खान ने जताया शोक

आमिर खान प्रोडक्शन की तरफ दुख व्यक्त करते हुए एक ट्वीट किया गया है, इस ट्विट में लिखा गया ह कि हमें अपनी सुहानी के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ है. उनकी मां पूजा जी और पूरे परिवार के प्रति हमारी दिल से संवेदनाएं हैं. सुहानी, तुम हमेशा हमारे दिलों में सितारा बनकर रहोगी. भगवान आपकी आत्मा को शांति दें.’ आगे इस ट्विट में ये भी लिखा गया है कि इतनी प्रतिभाशाली यंग लड़की, ऐसी टीम प्लेयर सुहानी के बिना दंगल अधूरा होता.

इस वजह से हुई मौत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुहानी भटनागर का किसी एक्सीडेंट में पैर फ्रैक्चर हो गया था, वो इलाज करवा रही थी, इस दौरान उन्होंने जो दवाइयां लीं, उसके रिएक्शन के कारण सुहानी के बॉडी में पानी भर गया था. जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई.

क्या मुझे ऐंडोमैट्रियल कैंसर हो सकता है?

सवाल-

मैं 27 वर्षीय युवती हूं. मैं स्वस्थ हूं और नियमित व्यायाम करती हूं. मेरा मासिकचक्र भी नियमित रहता है. लेकिन इस की उत्तरावस्था में माह में मुझे कम से कम 2 बार रक्तस्राव होता है, जिस से दूसरा रक्तस्राव लंबे समय तक नहीं होता. इस के अलावा योनि से सफेद डिस्चार्ज भी होता है. मुझे सहवास के दौरान भी हलका दर्द होता है लेकिन प्रारंभिक प्रवेश के बाद दर्द समाप्त हो जाता है. क्या मुझे ऐंडोमैट्रियल कैंसर हो सकता है? इस का उपचार क्या है?

जवाब-

27 वर्ष की अवस्था में ऐंडोमैट्रियल कैंसर की संभावना काफी कम होती है. लक्षणों का कारण पैल्विक इन्फ्लैमेट्री डिजीज होता है, जिस का ऐंटीबायोटिक्स द्वारा आसानी से उपचार किया जा सकता है. यदि मासिकधर्म लंबे समय तक अनियमित रहता है, तो डायलेशन ऐंड क्योरटेज (डीएनसी) किया जा सकता है.

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अनिल और सुधा की शादी की पहली रात थी. शादी में आए लोगों के जातेजाते रात का 1 बज गया. तब अनिल की बहन को ध्यान आया कि इस नवविवाहित जोड़े को तो अपने कक्ष में भेजो. चूंकि रात काफी बीत चुकी थी, इसलिए अपने कक्ष में पहुंचते ही अनिल आननफानन सहवास करने लगा तो एक हलकी सी चीख के साथ सुधा उस के बाहुपाश से अलग हो गई. बोली कि नहीं, मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकूंगी. मुझे दर्द होता है. बेचारा अनिल मन मसोस कर रह गया. सुधा की दिन पर दिन बीतते चले गए और फिर दर्द की तीव्रता भी बढ़ती चली गई. पहली रात की मिठास कड़वाहट में बदल गई थी. फिर एक दिन जब अनिल ने यह बात अपने दोस्त को बताई तो उस की सलाह पर वह पत्नी के साथ चिकित्सक के पास पहुंचा. तब जा कर दोनों सहवास का आनंद उठाने में कामयाब हो पाए.

वास्तव में सहवास परम आनंद देता है. मगर इस में इस तरह की कोई परेशानी हो जाए तो नौबत तलाक तक की भी आ जाती है.

आइए, जानें कि ऐसी स्थिति आने पर क्या करें:

पतिपत्नी को चाहिए कि भले प्रथम 1-2 मिलन में दर्द हो, तो भी वे संपर्क बनाना न छोड़ें. कामक्रीड़ा करते रहें ताकि एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहे और दर्द की बात मन में न बैठे.

चूंकि यह शारीरिक से ज्यादा मनोवैज्ञानिक समस्या है, अत: मानसिक स्तर पर भी मजबूत बने रहें.

ऐसे पतिपत्नी को चाहिए कि वे यह सोच कर कि सहवास नहीं करेंगे, प्रतिदिन यौनक्रीड़ा यानी आलिंगन, चुंबन, बाहुपाश में बांधना, सहलाना आदि करते रहें. यौनक्रीड़ा में बहतेबहते उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि वे कब सहवास में सफल हो गए. तब सारा डर जाता रहेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

स्किन को जवां और चमकदार बनाने का नया ट्रेंड है Skin Flooding, जानिए क्यों है ये खास

हमारी स्किन केयर से लेकर मेकअप और स्टाइलिंग तक में अब सोशल मीडिया अहम रोल निभाती है. सोशल मीडिया के जरिए आए दिन कोई न कोई नया ट्रेंड युवाओं के बीच छा जाता है. इन्हीं में से एक है ‘स्किन फ्लडिंग’. स्किन फ्लडिंग त्वचा को मॉइस्चराइज रखने का एक तरीका है. यह स्किन के लिए एक बहुत ही लाभकारी प्रक्रिया है, जिसे ठीक से अपनाकर आप अपनी स्किन को भरपूर पोषण दे सकते हैं. क्या है स्किन फ्लडिंग और कैसे करती है यह काम, चलिए जानते हैं.

यह है स्किन फ्लडिंग

स्किन फ्लडिंग का मुख्य उद्देश्य स्किन में नमी बनाए रखना है. जब आपकी स्किन हाइड्रेट रहेगी तो यह कई परेशानियों से बची रहेगी. इसमें स्किन को पोषण देने के लिए अपनी दिनचर्या में क्लींजर, मॉइस्चराइजर और सीरम को शामिल किया जाता है.

स्किन फ्लडिंग के हैं कई फायदे

स्किन फ्लडिंग आपकी स्किन के लिए बहुत लाभकारी है. इस प्रक्रिया से आपकी स्किन पर चमक आती है और उम्र का प्रभाव कम होता है.

1. बढ़ता है स्किन का हाइड्रेशन

स्किन फ्लडिंग का सबसे बड़ा फायदा है स्किन को भरपूर हाइड्रेशन मिलना. इसके लिए जरूरी है कि आप एक अच्छा मॉइस्चराइजर और सीरम का उपयोग करें. यह परत आपकी स्किन की नमी को पूरी तरह से लॉक कर देती है.

2. कम होगा उम्र का प्रभाव

आपकी स्किन की बाहरी परत ‘स्ट्रेटम काॅर्नियम’ आपको कई समस्याओं से बचाने के लिए लड़ती है. यह आपको कई संक्रमणों, प्रदूषण आदि के नुकसान से बचाती है. जब स्ट्रेटम काॅर्नियम को पूरा पोषण नहीं मिलता तो स्किन रूखी, बेजान होने लगती है और इसपर उम्र का प्रभाव जल्दी पड़ने लगता है. स्किन को हाइड्रेट रखकर आप इन परेशानियों से बच सकते हैं.

3. चमक उठती है त्वचा

नमी की कमी से आपकी स्किन सुस्त और बेजान नजर आती है. लेकिन जब आपकी स्किन माॅइस्चराइज रहेगी तो इस पर चमक बनी रहती है. ऐसा करने में स्किन फ्लडिंग बहुत ही लाभकारी होती है. ये आपके ओपन पोर्स भी कम करती है.

इनके लिए ज्यादा फायदेमंद स्किन फ्लडिंग

स्किन फ्लडिंग वैसे तो हर स्किन टाइप के लिए फायदेमंद है. लेकिन यह उन लोगों के लिए ज्यादा असरदार है जिनकी स्किन सुस्त, शुष्क और बेजान है. खास बात ये है कि सेंसिटिव स्किन पर भी यह अच्छे से काम करती है. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आपको इस प्रक्रिया को वीक में दो से तीन बार करना चाहिए.

ऐसे करें स्किन फ्लडिंग

1. क्लींजिंग: स्किन फ्लडिंग का पहला और महत्वपूर्ण स्टेप है क्लीजिंग. इसके लिए आप एक माइल्ड क्लींजर का उपयोग करें. आप ऑयल बेस मेकअप रिमूवर का भी यूज कर सकते हैं. इससे स्किन को अच्छे से साफ कर लें.

2. टोनर: स्किन को अच्छे से साफ करने के बाद आप त्वचा को थपथपाकर सुखाएं. इसके बाद इसपर हाइड्रेटिंग टोनर लगाएं. इससे आपकी स्किन और ज्यादा साॅफट हो जाएगी और अन्य स्किन प्रोडक्ट्स को आसानी से अवशोषित कर पाएगी.

3. सीरम: अब आपकी स्किन स्किन फ्लडिंग के लिए तैयार है. इसके लिए आप कोई भी अच्छा हयालूरोनिक एसिड वाला सीरम लें. यह आपकी स्किन को पोषण देने के साथ उसकी सूजन कम करेगा. यह स्किन की नमी को भी बनाए रखता है. सीरम का दूसरा विकल्प है नियासिनमाइड. नियासिनमाइड सीरम आपकी स्किन को हाइड्रेट रखता है. इससे स्किन पर चमक आती है. आप चाहें तो इन दोनों सीरम को साथ यूज करें, इससे आपकी स्किन जवां नजर आएगी और झुर्रियों व फाइन लाइंस की समस्या दूर होगी. ये आपके स्किन सेल्स को रिपेयर भी करेंगे.

4. मॉइस्चराइजर: स्किन फ्लडिंग का सबसे अहम स्टेप है माॅइस्चराइजर. आप अपनी स्किन टाइप के अनुसार इसका चयन करें. मॉइस्चराइजर आपकी स्किन को हाइड्रेट रखेगा. इससे आपकी स्किन सुरक्षित रहेगी और उनमें नमी बनी रहेगी.

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