जानें, ऑपरेशन वैलेंटाइन के ट्रेलर लॉन्च पर एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर ने क्या कहा?

मानुषी छिल्लर की बहुप्रतीक्षित हिंदी और तेलुगु भाषा की फ़िल्म ऑपरेशन वैलेंटाइन का ऑफिशियल ट्रेलर आज हैदराबद में एक शानदार इवेंट में जारी किया गया. ट्रेलर लॉन्च छिल्लर के सफल करियर में एक अहम माइलस्टोन साबित हुआ. इस फ़िल्म से उन्होंने मल्टीलिंगुअल सिनेमा में कदम रखा है.

इस अवसर पर एक्ट्रेस मानुषी छिल्लर ने कहा “जब मैं ट्रेलर देखती हूं, मेरे डायरेक्टर शक्ति, को-स्टार वरुण और हमारी टीम के अटूट सपोर्ट और प्रोत्साहन के लिए मेरा दिल आभार से भर जाता है. यह मेरी यात्रा का एक अहम क्षण है, जो मुझे विनम्र बनाता है. ऑपरेशन वैलेंटाइन के साथ, मैं तेलुगु सिनेमा के दर्शकों के साथ कनेक्शन बनाने का उत्सुकता से इंतजार कर रही हूं.”

शानदार ऑउटफिट पहने हुए, मानुषी में कॉन्फिडेंस और पोइज नज़र आ रहा था. फ़िल्म ‘ऑपरेशन वेलेंटाइन’ के ट्रेलर ने स्क्रीन को रोशन कर दिया, जो हाई-ऑक्टेन ड्रामा की एक झलक पेश करता है. भारत में अब तक हुए सबसे भयंकर हवाई हमलों में से एक के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म प्यार, विश्वासघात और देशभक्ति की एक मनोरंजक कहानी होने का वादा करती है. फ़िल्म दो भाषाओं में एक साथ बुनी गई है. हाई-ऑक्टेन एक्शन सीन्स से लेकर दिल दहला देने वाले क्षणों तक, मानुषी सहजता से अपने किरदार की जटिलताओं को दर्शाती हैं.

ऑपरेशन वैलेंटाइन एक अभिनेता के रूप में मानुषी की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।बल्कि सीमाओं को आगे बढ़ाने और विविध कहानी की खोज करने की उनकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है. शक्ति प्रताप सिंह द्वारा निर्देशित और सोनी पिक्चर्स, संदीप मुड्डा की रेनेसां पिक्चर्स द्वारा निर्मित, यह फिल्म 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है.

नाखून हैं आपकी हेल्थ कुंडली, जानिए इनके टूटने का क्या है मतलब

नाखून आपकी ब्यूटी का अहम हिस्सा हैं. ये न सिर्फ आपकी खूबसूरती बढ़ाते हैं, बल्कि लोगों को इंप्रेस भी करते हैं. यही कारण है कि हर कोई, खासतौर पर महिलाएं अपने नाखूनों पर विशेष ध्यान देती हैं. हालांकि कई लोग नाखून टूटने की समस्या से भी परेशान रहते हैं. नाखूनों का बेवजह टूटना कोई आम बात नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी है. नाखून कैसे बताते हैं आपकी हेल्थ कुंडली चलिए जानते हैं.

ये स्थिति है गंभीर

कुछ लोगों के नाखूनों की परतें उतरने लगती हैं. वहीं कुछ के नाखूनों पर सफेद रेखाएं नजर आती हैं, कभी-कभी ये दरारों के रूप में भी दिखाई देती हैं. अगर आपके नाखून भी छूने में खुरदरे या रूखे महसूस होते हैं तो भी आपको सावधान रहने की जरूरत है. अगर अक्सर आपके क्यूटिकल की तरफ से भी नाखून टूटते हैं, तो भी आपको संभलने की आवश्यकता है. विशेषज्ञों के अनुसार नाखूनों की यह स्थिति कई स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा करती हैं और इसके कई कारण भी होते हैं.

1. पोषक तत्वों की कमी

जैसा कि हमने पहले भी बताया आपके नाखून आपकी हेल्थ रिपोर्ट पेश करते हैं. कमजोर, टूटे, बेजान नाखूनों का मतलब है कि आप में कई पोषक तत्वों की कमी है. खासतौर पर आयरन की. कई बार एनीमिया के कारण नाखून टूटने लगते हैं. इसी के साथ बायोटिन, जिंक, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी के कारण भी नाखून कमजोर होकर टूटते हैं.

2. फंगल इंफेक्शन है बड़ा कारण

ओनिकोमाइकोसिस जैसे फंगल इंफेक्शन के कारण नाखून कई बार टिप से मोटा हो जाता है. पीला, सफेद या भूरा होकर यह क्यूटिकल की ओर फैलने लगता है और टूट जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संक्रमण से नाखून में मौजूद केराटिन खत्म हो जाता है. समय रहते इस पर ध्यान देना चाहिए.

3. रसायनों का ज्यादा उपयोग

आमतौर पर महिलाएं जब एसीटोन, सैनिटाइजर, साबुन, क्लीनर, डिटर्जेंट आदि के कठोर रसायनों के संपर्क में रहती हैं तो ये नाखूनों को नुकसान पहुंचाते हंै. इसके कारण नाखून टूटने लगते हैं. इससे नाखूनों का नेचुरल ऑयल खत्म होने लगता है. इसलिए हमेशा सौम्य साबुन और डिटर्जेंट आदि का ही उपयोग करें.

4. बढ़ रही है नाखूनों की उम्र

आपकी बढ़ती उम्र के साथ नाखून कमजोर होने लगते हैं. यही कारण है कि ये बेजान होकर टूटने लगते हैं. शोध बताते हैं कि उम्र के साथ नाखूनों की बढ़ने की गति भी कम हो जाती है. इसलिए आपको अपने आहार पर खास ध्यान दें. कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और विटामिन डी से भरपूर भोजन करें.

5. नियमित एक्सटेंशन और मैनीक्योर खतरनाक

इन दिनों नाखूनों को लेकर युवतियां और महिलाएं कई प्रकार के एक्सपेरिमेंट करती हैं. नेल एक्सटेंशन, आर्टिफिशियल नेल, मैनीक्योर आदि नियमित रूप से करवाने से भी नाखूनों को नुकसान पहुंचता है. इससे नाखून कमजोर होने लगते हैं. इसी के साथ नेल पॉलिश, नेल पेंट रिमूवर जैसे रसायनों का भी लगातार उपयोग नाखूनों को डैमेज करता है.

डिनर में बनाएं दाल कोफ्ता अफगानी करी

इन दिनों में जब कि गर्मियां आगमन का दस्तक दे चुकीं हैं और सर्दियां लगभग प्रस्थान करने वालीं हैं, ऐसे में सर्दियों की गोभी, गाजर, मटर, पत्तागोभी जैसी सब्जियां खाकर बोरियत हो जाती हैं और मन करता है कुछ नया खाने का. दालें हमारे आहार का बहुत अहम हिस्सा होतीं हैं पर अक्सर हम इन्हें दालों के रूप में ही बनाते हैं. दालें विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और आयरन जैसे पौष्टिक तत्वों से भरपूर होतीं हैं इन्हें नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक होतीं हैं. कोफ्ते आमतौर पर सब्जियों से बनाये जाते हैं परन्तु आज हम आपको दाल से कोफ्ते बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप डिनर या लंच किसी में भी बड़े आराम से बना सकती हैं. हम इसे अफगानी करी में बना रहे हैं. आप इसे टमाटर, प्याज की रेड करी अथवा काजू, मूंगफली और प्याज की सफेद ग्रेवी में भी बना सकतीं हैं तो आइये देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए 6

बनने में लगने वाला समय 30 मिनट

मील टाइप वेज

सामग्री( कोफ्ते के लिए)

साबुत मूंग 1 कप
चना दाल 1 कप
कटी हरी मिर्च 2
कटा अदरक 1 इंच
कॉर्नफ्लोर 1 टेबलस्पून
बड़ी इलायची 2
नमक स्वादानुसार
जीरा 1/4 टीस्पून
हल्दी पाउडर 1/4 टीस्पून
गरम मसाला 1/4 टीस्पून
बेसन 1 टेबलस्पून
तेल 2 टेबलस्पून
सामग्री (करी के लिए)
हरी धनिया डंडी सहित 50 ग्राम
प्याज 2
लहसुन 4 कली
अदरक 1 इंच
हरी मिर्च 2
काजू पाउडर 1 टेबलस्पून
काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
तेल 3 टेबलस्पून
घी 1 टीस्पून
कसूरी मैथी 1 टीस्पून
नमक स्वादानुसार

विधि

दोनों दालों को ओवरनाईट भिगो दें. सुबह पानी निकालकर इन्हें प्रेशर कुकर में नमक, बड़ी इलायची और 1 कप पानी के साथ तेज आंच पर 2 सीटी लेकर पका लें. ध्यान रखें कि हमें दालों को सिर्फ सॉफ्ट करना है पकाना नहीं है. अब इन दालों को छलनी से छान कर पानी को अलग रख दें. दालों को एक कटोरे में डालकर कोफ्ते की समस्त सामग्री को एक साथ अच्छी तरह मिला लें. यदि मिश्रण बंध न रहा हो तो थोडा बेसन और मिला लें, तैयार मिश्रण से छोटे छोटे कोफ्ते बनाकर कोर्नफ्लोर में लपेट लें. एक पैन में तेल डालें और तैयार कोफ्तों को गरम तेल में डालकर शेलो फ्राई करें. जब ये सुनहरे हो जाएँ तो बटर पेपर पर निकाल लें.

एक पैन में 1 टेबलस्पून तेल डालकर जीरा तड़काकर प्याज, धनिया, लहसुन को भून लें. जब प्याज हल्का सा पारदर्शी हो जाये तो काजू डालकर भून लें. 2-3 मिनट भूनकर इसे ठंडा होने पर ग्राइंड कर लें. अब पुनः एक पैन में बचा तेल गरम करें और पिसे मसाले और नमक को डालकर धीमी आंच पर तेल के मसाले के सतह पर आने तक भूनें. जब मसाला पैन के किनारे छोड़ने लगे तो 1 कप दूध डालकर पकाएं. जब 3-4 उबाल आ जाये तो गैस बंद कर दें और तैयार कोफ्तों को डाल दें. अब गरम घी में कसूरी मैथी डालकर एक तड़का बनाएं और ऊपर से तैयार कोफ्तों पर डालकर सर्व करें.

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मुझे खाना बनाना नहीं आता, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 25 वर्षीय कामकाजी युवती हूं. 2 महीने बाद मेरी शादी होने वाली है. मुझे खाना बनाना नहीं आता जबकि टीवी धारावाहिकों में मैं ने देखा है कि बहू को खाना बनाना नहीं आने पर ससुराल के लोग न सिर्फ उस का मजाक उड़ाते हैं वरना उसे प्रताडि़त भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

छोटे परदे पर प्रसारित ज्यादातर धारावाहिकों का वास्तविक जीवन से दूरदूर तक वास्ता नहीं होता. सासबहू टाइप के कुछ धारावाहिक तो इतने कपोलकल्पित होते हैं कि जागरूकता फैलाने के बजाय ये समाज में भ्रम और अंधविश्वास फैलाने का काम करते हैं. शायद ही कोई धारावाहिक हो जिस में सासबहू के रिश्ते को बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया हो.

वास्तविक दुनिया धारावाहिकों की दुनिया से बिलकुल अलग है. आज की सासें समझदार और आधुनिक खयाल की हैं. उन्हें पता है कि एक कामकाजी बहू को किस तरह गृहस्थ जीवन में ढालना है.

फिर भी आप अपने मंगेतर से बात कर इस बारे में जानकारी दे दें. अभी विवाह में 2 महीने बाकी भी हैं, इसलिए खाना बनाने के लिए सीखना अभी से शुरू कर दें. खाना बनाना भी एक कला है, जिस में निपुण महिला को किसी और पर आश्रित नहीं होना पड़ता, साथ ही उसे पति व बच्चों सहित घर के सभी सदस्यों का भरपूर प्यार भी मिलता है.

मेरी सहेली शिखा की सास बहुत प्रोटैगनिस्ट है. उस ने अपनी बहू को नौकरानी बना रखा है और शिखा का पति अपनी माताजी का आज्ञाकारी बेटा है, जो अपनी मां के अमानवीय व्यवहार पर भी एक शब्द तक नहीं बोलता और न ही अपनी पत्नी के पक्ष में खड़ा दिखता. यदि शिखा शिकायत भी करती है तो वह उसी को 4 बातें सुना देता. हमेशा जवाब होता कि रहना है तो रहो वरना फौरेन चली जाओ. परेशान हो कर शिखा अपने मायके आ गई. लेकिन समाज के लिए फिर भी शिखा ही गलत है. क्यों? क्योंकि गलती हमेशा बहू की ही होती है.

समाज का यह दोहरा चेहरा क्यों

अकसर खबरें मिलती हैं कि बहू अच्छी नहीं थी बेटे ने उस के कहने पर आ कर मां को घर से निकाल दिया. सोचने वाली बात है हर समय बहू ही गलत क्यों?

जब बीवी की बातों में आ कर मां को तंग करना गलत है, तो मां के सम्मान की खातिर उस की गलत बातों पर चुप रहना सही कैसे हो सकता है?

2 शब्द सासों से

मैं भी मां हूं और मैं जानती हूं मां दुनिया का सब से प्यारा लफ्ज है और सब से ही अनोखा बंधन. वह अद्भुत प्यारा सा एहसास जिस में. मां को सब से करीब देखा जाता है, पर इस का मतलब यह तो नहीं कि मां गलत हो ही नहीं सकती. गलत को गलत कहने में कौन सा गुनाह है? वह भी तब जब अकसर बेटे की मां, सास बनने के बाद जानबूझ कर यह गुनाह करती है. कहीं ऐसा तो नहीं कि सास बनने के बाद मांएं बहुत ही निस्स्वार्थ भाव से की गई ममता का मोल चाहती हैं. इनसिक्योर फील करती हैं. कड़वी सचाई तो यह है कि सास बनने के बाद मांएं स्वार्थी हो जाती हैं. अपने बेटे के अलावा उन्हें कुछ नहीं दिखता, बहू तो बिलकुल भी नहीं, बल्कि बहू को तो वे अपनी प्रतिस्पर्धी समझती हैं, दुश्मन मानती हैं जो उन का बेटा छीन रही हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Wedding Special: ग्लोइंग स्किन के लिए जरूरी है Scrubbing

सुंदर दिखने के लिए महिलाएं हमेशा से ही कुछ न कुछ नया इस्तेमाल करती रहती हैं. आज की दौड़ती- भागती जिंदगी में अक्सर महिलाएं अपने चेहरा का ध्यान नहीं रख पातीं, जिस कारण उनके चेहरे पर डस्ट जमने लगती है.

डस्ट को हटाने के लिए रोज-रोज फेशियल, ब्लीच नहीं किया जा सकता, लेकिन अब एक चीज है जिसके जरिए आप एकदम परफेक्‍ट दिख सकती हैं और वह है ‘स्क्रबिंग’. चेहरे की साफ-सफाई के लिए स्क्रबिंग एक बेहद अच्छा उपाय है. स्क्रबिंग से चेहरे की बेजान परत को आसानी से हटाया जा सकता है, साथ ही इससे स्किन में लचीलापन भी आता है.

अक्सर हम चेहरे की साफ-सफाई के लिए क्लिंजिंग, टोनिंग और मॉइश्‍चराइजर का प्रयोग करते हैं, लेकिन स्क्रबिंग के बिना चेहरे की साफ-सफाई अधूरी मानी गई हैं. चेहरे पर होने वाले पिंपल, ब्लैक हेड्स को भी स्क्रबिंग के जरिए हटाया जा सकता है.

मार्केट में अब बने बनाए स्क्रब मिलते है, जिनके प्रयोग से आप अपने चेहरे पर निखार ला सकती है. स्क्रबिंग को चेहरे पर अप्लाई करते समय ध्यान रखें कि इसे तब तक न उतारा जाए जब तक कि यह अच्छी तरह से सूख न जाए.

यदि आप चाहे तो अपने घर पर खुद भी स्क्रबिंग कर सकती है.

स्क्रबिंग के लिए आपको पहले पेस्ट बनाना होगा. इसके लिए एक छोटा चम्मच संतरे के छिल्के का पाउडर, एक छोटा चम्मच पिसा हुआ जौ का आटा, एक चम्मच पिसा हुआ दरदरा बादाम, एक छोटा चम्मच मसूर की दाल का दरदरा पाउडर, एक छोटा चम्मच चावल के दरदरे पाउडर को आपस में मिला लें. अब कोई सब्जी या फल को इस पेस्ट में मिला लें और चेहरे पर लगाएं. यदि आपकी स्किन ऑयली है तो स्क्रब में शहद मिला लें, उसके बाद इसे चेहरे पर अप्लाई करें.

स्क्रबिंग का इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान:

मार्केट से खरीदे हुए स्क्रब को सीधे ही चेहरे पर इस्तेमाल न करें, बल्कि इसमें पानी की कुछ बूंदें मिलाने के बाद प्रयोग करें.

मार्केट में ऑयली, ड्राई और कॉम्बिनेशन स्किन के लिए अलग-अलग स्क्रब मिलते हैं, इसलिए हमेशा अपनी स्किन के नेचर को ध्यान में रखते हुए सही स्क्रब का चयन करें.

सिम्पल स्क्रब के इस्तेमाल की बजाय ऐसे स्क्रब का इस्तेमाल करें, जिसमें पपीता, खुबानी ओर विटामिन ए, सी और ई की प्रचुर मात्रा हो. क्योंकि ऐसे स्क्रब प्रदुषण, धूप और धूल-मिट्टी से चेहरे की रक्षा करते हैं.

कुछ लोगों कि स्किन पर कई चीजें सूट नहीं करती, ऐसे में मार्केट में मौजूद माइल्ड स्क्रब आपके लिए बेहतर ऑप्‍शन है.

जब भी स्क्रब का इस्तेमाल करें, इसे गालों, माथे और चिन पर अधिक लगाए. क्‍योंकि चेहरे के यही भाग धूल-मिटटी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

स्क्रब के प्रयोग के बाद चेहरे पर मॉइश्‍चराइजर का इस्तेमाल जरूर करें.

Wedding Special: बैल्ट बढ़ाए फिगर की खूबसूरती

फिगर को ध्यान में रख कर पहनी गई बैल्ट आप की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा सकती है. अपने शरीर के आकार के अनुसार बैल्ट का चुनाव करना आप को स्टाइल के साथसाथ स्मार्ट लुक भी देता है, ‘कैसे?’ बता रही हैं बौडी केयर ब्यूटी क्लीनिक की सौंदर्य विशेषज्ञा सोनिया. बैल्ट की खरीदारी करते समय फिगर का ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि बैल्ट महज फैशन ऐक्सैसरीज नहीं है. यह आप के व्यक्तित्व को निखारने का साधन भी है.

ऐप्पल शेप

ऐप्पल शेप यानी शरीर का ऊपर का हिस्सा नीचे की तुलना में अधिक चौड़ा होना. ऐसी महिलाओं का पेट और पीठ का ऊपर का भाग बाहर की ओर निकला हुआ होता है. नीचे का भाग ऊपर के भाग की तुलना में अधिक छरहरा होता है. ऐप्पल शेप बौडी वाली महिलाओं को मध्यम आकार की बैल्ट प्रयोग करनी चाहिए. बैल्ट को कमर से नीचे पहनें पर डीप लो वैस्ट नहीं. ऐसा करने से आप के कंधे चौड़े लगेंगे और कमर और पेट का अंतर भी उभर कर सामने आएगा. कपड़े की जगह लैदर की बैल्ट पहनें. बहुत अधिक बाहर उभरे हुए चौड़े बकल्स का इस्तेमाल न करें.

आवर ग्लास शेप

आवर ग्लास (डमरू जैसी) शेप सब से अधिक पसंद की जाती है. इस में कमर से ऊपर व नीचे के हिस्से में समान अनुपात होता है. ऐसी महिलाओं को बैल्ट एकदम कमर पर पहननी चाहिए, न उस से नीचे न उस से ऊपर. इस से आप की फिगर पूरी तरह उभर कर सामने आएगी. आप सिल्वर, गोल्ड, ब्लैक व वाइट आदि क्लासिक चौड़ी बैल्ट पहनें. यदि आप पतली बैल्ट पहनना चाहती हैं तो गुलाबी, पीला, संतरी व हरा रंग चुन सकती हैं.

पीयर शेप

पीयर शेप की महिलाओं का ऊपरी भाग नीचे की तुलना में अधिक दुबला होता है. कमर से नीचे व कूल्हों का हिस्सा अधिक फैला होता है. ऐसी फिगर पर आप पतली और चौड़ी दोनों तरह की बैल्ट पहन सकती हैं. झालर वाले टौप या ट्यूनिक के साथ बै्रस्ट से एकदम नीचे की तरफ बैल्ट पहनना ऐसी फिगर पर खूब जंचेगा. यदि आप लो वैस्ट बैल्ट पहनना चाहती हैं तो मोती की लटकनों के डिजाइन से बनी बैल्ट आप पर ज्यादा अच्छी लगेगी. इस तरह की बैल्ट पहनने का सब से बड़ा फायदा यह है कि दूसरों का ध्यान आप की कमर वाले हिस्से पर ही रहेगा जोकि नीचे की तुलना में अधिक स्लिम है. इस के अलावा ऐसी महिलाओं को टौप या शर्ट को ट्राउजर के अंदर कर के बैल्ट नहीं लगानी चाहिए. उन्हें साटन व कपड़े से बनी बैल्ट या फिर स्टोन या मोती जड़ी बैल्ट पहननी चाहिए

 प्रमोशन: भाग 1- क्या बॉस ने सीमा का प्रमोशन किया?

सीमा ने औफिस से ही मोबाइल पर अपनी प्रमोशन की खबर अपने पति राजीव को दे दी. उस ने यह बात जब घर वालों को बताई, तो पूरे घर में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई.

‘‘कितना फर्कपड़ेगा उस की पगार में?’’ राजीव के पिता रमाकांत की आंखों में लालच भरी चमक पैदा हुई.

‘‘मेरे खयाल से क्व30-40 हजार का फर्क पड़ना चाहिए. भाभी आखिर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है,’’ उन के सवाल का जवाब बड़े के बजाय छोटे बेटे संजीव ने उत्साहित अंदाज में दिया.

इस के बाद कुछ देर तक बैठक में खामोशी छाई रही. फिर एकएक कर सब ने अपने मन की इच्छाओं को शब्द देने शुरू किए.

‘‘अब मु?ो कोटा में एडमिशन करा देना, भैया,’’ सविता ने बड़े अपनेपन से राजीव को अपनी इच्छा बताई.

‘‘मेरी मोटरसाइकिल ‘लिस्ट’ में सब से ऊपर रहेगी,’’ संजीव का स्वर ?ागड़ालू सा हो गया, ‘‘मैट्रो में धक्के खातेखाते मैं तंग आ

गया हूं.’’

‘‘ये सब खर्चे बाद में होंगे. पहले छत पर

2 कमरों का सैट बनेगा,’’ रमाकांत की सख्त आवाज ने सविता और संजीव की आंखों में निराशा और नाराजगी के भाव पैदा कर दिए.

‘‘हमें अपनी गांठ में पैसा बचा कर भी रखना चाहिए,’’ राजीव की मां सुचित्रा ने सब को सम?ाया, ‘‘कल को सविता की शादी करनी है हमें. इस के नाम से कुछ पैसा हर महीने बैंक में जरूर जमा होगा.’’

राजीव ने अपने मन की इच्छा मुंह से नहीं निकाली. वह सरकारी स्कूल में रसायनविज्ञान पढ़ाता था कोई छोटीमोटी फैक्टरी लगाने या कोचिंग इंस्टिट्यूट खोलने की चाह मन में वर्षों से मौजूद थी. सीमा की बढ़ी पगार के बल पर अब बैंक से लोन मिल जाएगा. उस पैसे से वह छत पर 2 के बजाय 4 कमरे बनवाना चाहता था. फालतू बने कमरों में पहले कोचिंग सैंटर खोलने की इच्छा मन में पलपल अपनी जड़ें मजबूत करने लगी पर राजीव ने इस की चर्चा सब के समाने नहीं करी.

सिर्फ 4 वर्ष की उम्र वाले सीमा के बेटे रोहित को अपनी मां की बढ़ी पगार में

कोई दिलचस्पी नहीं थी और वह कार्टून चैनल देखने में मस्त रहा.

सीमा शाम को औफिस से घर पहुंची, तो उस का जोरदार स्वागत हुआ. औनलाइन चाइनीज और्डर किया गया. ड्राइंगरूम में घंटेभर तक चली पार्टी के दौरान सभी ने सीमा के सामने अपनेअपने मन की इच्छा व्यक्त कर दी.

घर के सभी सदस्य इतने ज्यादा उत्साहित और प्रसन्न थे कि किसी को भी सीमा की आंखों में तैरते तनाव और चिंता के भाव नजर नहीं आए.

सीमा ने अपने मन की परेशानी कुछ देर बाद अपने शयनकक्ष के एकांत में राजीव को बताई.

‘‘मैं ने प्रमोशन लेना अभी स्वीकार नहीं किया है. परसों सोमवार को मु?ो ‘हां’ या ‘न’ का पक्का जवाब देना है,’’ सीमा थके से अंदाज में पलंग पर बैठ गई.

‘‘आज ही ‘हां’ कहने में तुम्हें क्या परेशानी थी?’’ राजीव ने माथे में बल डाल कर पूछा.

‘‘अगर मैं ‘हां’ कहती हूं, तो मु?ो यह शहर छोड़ कर लखनऊ जाना पड़ेगा. वहां खुल रही नई ब्रांच में भेजा जा रहा है मु?ो.’’

‘‘यह तो गलत बात है,’’ राजीव फौरन गुस्सा हो उठा, ‘‘तुम शादीशुदा और 4 साल के बच्चे की मां हो या इन दोनों तथ्यों की जानकारी नहीं है तुम्हारे आला अफसरों को?’’

‘‘है, पर आजकल ऐसी बातों को महत्त्व नहीं दिया जाता है, राजीव. अगर मु?ो प्रमोशन चाहिए तो लखनऊ जाना पड़ेगा.’’

‘‘अगर तुम अभी प्रमोशन लेने से इनकार कर दो तो क्या कुछ समय बाद तुम्हें यहीं प्रमोशन मिल जाएगी?’’

‘‘मेरे इनकार करने पर प्रमोशन 2 साल को टल जाएगी. उस के बाद भी यही प्रमोशन होगी, इस की कोई गारंटी नहीं है.’’

‘‘यह प्रमोशन तुम्हारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है न?’’ कुछ पलों की खामोशी के बाद राजीव ने उस के चेहरे को ध्यान से देखते हुए पूछा.

‘‘यह भी कोई पूछने की बात है,’’ सीमा उत्तेजना का शिकार हो गई, ‘‘पूरी लगन और मेहनत से काम करने का इनाम है मेरे लिए यह प्रमोशन. सोमवार को ‘न’ कहते हुए मु?ा लगता है कि मैं रो ही पड़ूंगी.’’

‘‘और अगर ‘हां’ कहती हो तो बहुत सी परेशानियां फौरन सामने आ खड़ी होंगी,’’ राजीव गंभीर नजर आने लगा.

‘‘सब से बड़ी दिक्कत तो यह आएगी कि आप सरकारी नौकरी छोड़ नहीं सकते और सब से दूर अकेले रहना मेरे बस का बिलकुल नहीं है. नन्हे रोहित में तो मेरी जान बसती है.’’

‘‘और उस के पिता में?’’ राजीव ने शरारती अंदाज में पूछा.

‘‘तुम तो मेरी जान हो ही,’’ भावुक सीमा उठ कर राजीव के गले से आ लगी.

‘‘जो होना है हो जाएगा. तुम टैंशन मत लो,’’ राजीव ने प्यार से उस का माथा चूमा और शयनकक्ष से बाहर निकल आया.

 

Mandelic Acid: ब्यूटी क्वीन जैसी ग्लोइंग स्किन पाने के लिए यूज करें मंडेलिक एसिड

Mandelic Acid: ब्यूटी वर्ल्ड में आपको खूबसूरत बनाने के लिए आए दिन नित नए ब्यूटी प्रोडक्ट्स लॉन्च हो रहे हैं. इन्हीं में शामिल है स्किन को ग्लोइंग और जवां बनाने वाले ‘ब्यूटी एसिड’. हयालूरोनिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, ग्लाइकोलिक एसिड जैसे ब्यूटी एसिड्स के बीच एक नया एसिड आया है, जिसका नाम है ‘मंडेलिक एसिड’. मंडेलिक एसिड आपकी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है. क्या है मंडेलिक एसिड और कैसे है यह दूसरे ब्यूटी एसिड से अलग, आइए जानते हैं.

जानिए ब्यूटी एसिड कैसे करते हैं काम

हर ब्यूटी एसिड का अपना एक खास गुण होता है, इन्हीं के आधार पर आपकी स्किन को फायदा मिलता है. हयालूरोनिक एसिड, सबसे पॉपुलर ब्यूटी एसिड में से एक है. यह एक हीरो हाइड्रेटर के रूप में काम करता है, जिससे स्किन में नमी बनी रहती है. यह स्किन को एक्सफोलिएट भी करता है. अगर आप मुंहासों से परेशान हैं तो सैलिसिलिक एसिड आपके काम आएगा. वहीं स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ग्लाइकोलिक एसिड असरदार रहता है. इन्हीं के बीच मंडेलिक एसिड भी अब लोगों की पसंद बनता जा रहा है.

इसलिए असरदार है मंडेलिक एसिड

मंडेलिक एसिड कई रसायनों का मिश्रण है. इसमें अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड यानी एएचए, बीटा-हाइड्रोक्सी एसिड यानी बीएचए और पीएचए होता है. ये सभी त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर आपके ओपन पोर्स को बंद करते हैं. इससे आपकी स्किन को एक समान रंगत मिलती है. ये सभी सूजन को भी कम करते हैं. एएचए बादाम से प्राप्त होता है, जो मंडेलिक एसिड का प्रमुख तत्व है. मंडेलिक एसिड की खोज 1831 में जर्मनी में हुई थी. इसका नाम भी बादाम से पड़ा है. जर्मन में बादाम को ‘मैंडेल’ कहा जाता है.

मंडेलिक एसिड के फायदे

मंडेलिक एसिड में वे सभी गुण पाए जाते हैं जो ग्लाइकोलिक एसिड में पाए जाते हैं. यह एसिड धीरे-धीरे आपकी स्किन में जाकर उसे एक्सफोलिएट करता है. इससे स्किन की जलन कम होती है और उस पर ग्लो आता है. चलिए जानते हैं इसके फायदे-

स्किन होती है एक्सफोलिएट

मंडेलिक एसिड आपकी स्किन की मृत कोशिकाओं को हटाकर स्किन को एक्सफोलिएट करता है. इससे आपकी स्किन ग्लोइंग बनती है. यह स्किन सेल्स को भी रिपेयर करता है.

करता है एंटी एजिंग का काम

मंडेलिक एसिड आपकी स्किन को जवां बनाता है. इससे आपकी झुर्रियां और फाइन लाइंस दोनों ही कम होते हैं. इससे स्किन में कोलेजन का लेवल बढ़ता है. स्किन खिली हुई नजर आती है.

कम होते हैं मुंहासे

मंडेलिक एसिड में कई एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिसके कारण आपकी मुंहासों की समस्या भी कम होती है. खास बात ये है कि इससे मुंहासों के दाग भी खत्म हो जाते हैं. यह आपके ओपन पोर्स की परेशानी को भी दूर करता है. कुछ शोध के अनुसार मंडेलिक एसिड मुहांसों के घाव और सूजन को सैलिसिलिक एसिड की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके से कम करता है.

हाइपर पिगमेंटेशन का इलाज

लगातार प्रदूषण और अन्य कारणों से स्किन पर हाइपरपिगमेंटेशन होने लगता है. स्किन पर ये धब्बे आपकी खूबसूरती पर दाग से नजर आते हैं. मंडेलिक एसिड इन समस्याओं को दूर करता है. यह स्किन में मेलेनिन के उत्पादन को रोककर हाइपरपिगमेंटेशन को कम करता है.

ऐसे करें मंडेलिक एसिड का उपयोग

विशेषज्ञों के अनुसार मंडेलिक एसिड का उपयोग करने से आपको 6 से 12 सप्ताह में ही स्किन में परिवर्तन नजर आने लगेंगे. अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है या फिर आप एक्जिमा जैसी किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर करें. बादाम से एलर्जी वाले लोगों को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए.

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Wedding Special: साड़ी सदाबहार पहनावे के आधुनिक अंदाज

साड़ी भारतीय मूल का एक ऐसा परिधान है जो सब की पहली पसंद है. उत्तर में बनारसी साड़ी का वर्चस्व है, तो दक्षिण में कांजीवरम का. फिल्मी समारोहों में फिल्म अदाकारा रेखा की भारीभरकम पल्लू वाली गोल्डन कांजीवरम सिल्क की साडि़यां हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रही हैं. इन के अलावा पूर्व में टंगाइल की बंगाली साड़ी, कांथा वर्क और गुजरात की घरचोला या पाटन की पटोला का बोलबाला है. इन सभी की अपनीअपनी विशेषता है. मां से बेटी को विरासत में मिलने वाली पटोला को बनने में कई महीने तो कभीकभी कई बरस भी लग जाते हैं. साड़ी एक है लेकिन इस के रूप अनेक हैं. इस को विशेष बनाती है इसे पहननेओढ़ने की कला.

रैडीमेड साड़ी

कहीं इसे अंगरखा, धोती की तरह पहनने का चलन है तो कहीं सीधे पल्लू वाली का. इस में पल्लू आगे की ओर रहता है. कहींकहीं 2 कपड़ों की साड़ी पहनी जाती है और तो और बाजार में इन दिनों रैडीमेड साड़ी भी मिलने लगी है. बड़ीबड़ी कंपनियों में काम करतीं ऐक्जीक्यूटिव्स औफिशियल सूट की तरह बड़े ही सलीके से 6 गज की बंधीबंधाई साड़ी ठीक किसी रैडीमेड पैंट की तरह पहनने लगी हैं. पहननेओढ़ने में बहुत ही आसान ये साड़ी बिना किसी झंझट के पहनी जाती है.

कारपोरेट जगत ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है. इस में साड़ी का मूल स्वरूप तो वही रहता है, लेकिन थोड़ा सा क्रिएटिव बदलाव के साथ. इस में जिप औन साड़ी, जींस के ऊपर साड़ी और साड़ी विद जैकेट वगैरह खास हैं. साड़ी विद जैकेट में साड़ी प्लेन रंग की है और ऊपर जैकेट कंट्रास्ट कलर में. पाकेट पर बटन या फ्लोरल प्रिंट है. सब से ऊपर गले में फ्लोरल स्कार्फ. इस में आगे से बंद जैकेट और खुले बटन वाले जैकेट भी उपलब्ध हैं.

इंडोवैस्टर्न फ्यूजन

कारपोरेट जगत ने साड़ी का एक और विकल्प दिया है, जिस में पल्लू को अलग से जोड़ा जाता है. यह एक तरह से क्लासिक बिजनैस जैकेट ऐंड स्कर्ट का कौंबिनेशन है. इस में आगे से पल्लू को बाएं कंधे पर जोड़ा जा सकता है. इंडोवैस्टर्न फ्यूजन वाली ये साडि़यां केबीएसएच (करोलबाग साड़ी हाउस) ने कारपोरेट जगत के लिए बाजार में उतारी हैं.

डिजाइनरों का मानना है कि साड़ी तो एक है परंतु इस को विभिन्न तरीकों से पहना जा सकता है.

दिल्ली के हौजखास में बुटीक चला रहीं अशिमा सिंह का मानना है कि स्टिचिंग यूरोपियन कल्चर की खोज है, जबकि कढ़ाईबुनाई और साड़ी ड्रैपिंग भारत, इजिप्ट, यूनान और रोम की. इन जगहों पर कपड़े को बदन के इर्दगिर्द लपेटा जाता था. भारत में तो साड़ी बिना ब्लाउज के पहनी जाती थी. आज भी आदिवासी मूल के लोगों में इसे इसी रूप में पहना जाता है.

साड़ी की देखभाल

जब बाहर से आएं साड़ी उतार कर उसे थोड़ी देर के लिए खुली हवा में छोड़ दें. इस से उस का पसीना निकल जाएगा.

साड़ी अकसर फाल से फटती है. इसलिए साड़ी उतारने के बाद किसी हलके ब्रश की सहायता से फाल में लगी गंदगी उतार दें.

यदि साड़ी में बौलपैन का दाग लग गया हो तो नेलपौलिश रिमूवर से दाग छुड़ा दें, लेकिन कपड़े का टैक्सटाइल और कलर ध्यान में रखें.

टिशू की, जरी वाली और क्रेप, शिफौन, चिनौन साडि़यां हाई ट्विस्ट की श्रेणी में आती हैं. इन का तानाबाना बना ही ऐसा होता है कि आपस में उलझ कर एकदूसरे को काट देता है. इसलिए इन्हें कभी तह लगा कर न रखें. इन्हें रोल कर के रखें.

हैंगर में बिलकुल न टांगें. ऐसा करने से बीच के फोल्ड से ये चिर जाएंगी.

जरी की साड़ी में फिनायल की गोलियां न डालें. इस से रंग काला व धूसर पड़ जाएगा.

जरीदार साड़ी पर परफ्यूम न लगाएं. इस से जरी काली पड़ने का अंदेशा रहता है.

सूती साडि़यों को धो कर कलफ लगाएं. इन्हें भी मलमल के बारीक कपड़े में सहेज कर रख सकती हैं.

इन दिनों बाजार में साडि़यां रखने के लिए खास तरह के लिफाफे भी मिलते हैं. इन में साडि़यां सहेज कर रखें. ऊपर से बंद कर दें. साइड से कोने में हलका सा टक लगा दें. इस से कीड़ा नहीं लगेगा और साडि़यां नई बनी रहेंगी.

यदि आप साडि़यां लकड़ी की अलमारी या बक्से में रख रही हैं तो पहले यह जांच लें उस में कीड़ा या दीमक तो नहीं लगी. यदि ऐसा नहीं है तो उसे के शैल्फ्स पर धूप में सुखाए नीम के पत्ते रखें. फिर शैल्फ्स पर हैंडमेड पेपर या ब्राउन पेपर बिछाएं. इस से कीड़ा नहीं लगेगा.

साडि़यों में महक न आए इस के लिए चाहें तो सुगंधित जड़ीबूटियां, सूखे फूल और पत्ते रख सकती हैं. लौंग व कालीमिर्च के दोनों की महक कीड़ों को दूर रखती है.

बुटीक चला रहीं टैक्सटाइल डिजाइनर आशिमा सिंह कहती हैं कि भारीभरकम साडि़यों को मलमल के कपड़े में लपेट कर रखें. लेकिन रख कर भूल न जाएं. साल में 1-2 बार खोल कर उन की तरह बदल दें. नहीं तो वे तह से बदरंग हो जाती हैं.

बरसात के दिनों में अकसर सीलन हो जाती है. इसलिए बरसात के बाद एक नजर उन पर डालें. कुछ हो तो फौरन ऐक्शन लें.

लमारी में सीलन कतई न हो. इसे धूप लगवाती रहें, अन्यथा सीलन कपड़ों को गला देगी. कभीकभी अलमारी अपनी निगरानी में खुली रखें.

भारी कढाई व जरदोजी वाली साडि़यों को उलटा कर के तह लगाएं. उन्हें यदाकदा पहनती हों तो हैंगर पर ठीक हैं अन्यथा वुडनरौड पर लपेट कर रखें. वे फटेंगी नहीं.

पुराने फैशन को दें नया अंदाज

फैशन के शौकीन खुद को अपडेट रखने के लिए बाजार पर पैनी नजर रखते हैं. भई, बदलते वक्त के साथ अपडेट रहना अच्छी बात भी है. वैसे फैशन खुद को दोहराता है और पुराना फैशन पलट कर नए अंदाज में छा जाता है.

पुरानेनए का मेल आप भी अपने घर बैठेबैठे कर सकती हैं. करीना कपूर ने भी कुछ ऐसा ही किया. उन्होंने अपनी शादी में अपनी सासू मां शर्मिला टैगोर के 50 साल पुराने शादी के जोड़े को आज के फैशन के अनुरूप बदलवा कर अपनी शादी में पहना. आप भी अपनी मां, नानी, दादी की पुरानी साडि़यों को आज के फैशन के मुताबिक ढाल कर नया फैशन अपना सकती हैं.

फैशनेबल लुक कैसे दें

फैशन डिजाइनर नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि नित नए फैशन के इस दौर में लोग स्टाइलिश दिखने के लिए कई जतन करते हैं. आप भी घर बैठे कुछ स्टाइलिश और डिफरैंट ड्रैस का आइडिया सोच सकती हैं.

यंग जैनरेशन के लिए

पुरानी साडि़यों में से आप शिफौन, जौर्जेट की फ्लोरल व प्रिंट वाली साडि़यों की मैक्सी, लौंग स्कर्ट अथवा फ्रौक बनवा सकती हैं. वैसे भी आजकल शिफौन, जौर्जेट के टौप खूब चलन में हैं. इस में आप प्लेन या प्रिंटेड कुछ भी बनवा सकती हैं. इस के अलावा आजकल प्लाजो पैंटें भी ट्रैंड में हैं और खूब बिक रही हैं. ये भी शिफौन या जौर्जेट के कपड़े की हैं. आप प्रिंटेड या प्लेन कोई भी पैंट बनवा सकती हैं.

सिल्क की साडि़यों से आप ट्राउजर व जैकेट बनवा सकती हैं. इन की ट्यूनिक, शर्ट आदि खूब जंचती हैं. अगर बौर्डर वाली साडि़यां हैं, तो आप औफशोल्डर टौप भी बनवा सकती हैं. इस में बौर्डर को फ्रंट में गले के पास लगवाएं. इस के अलावा सिल्क की शौर्ट कुरती भी बहुत आकर्षक बन सकती है. प्लेन सिल्क में बौर्डर को गले, आस्तीन पर लगवा कर इसे और खूबसूरत बनवाया जा सकता है.

महिलाओं के लिए

बहुत सी महिलाएं अपनी पुरानी साडि़यों के सलवार सूट बनवा लेती हैं, जिन्हें देखने से साफ पता चल जाता है कि ये पुरानी साडि़यों के बनवाए गए हैं. लेकिन यदि इन्हें बनवाते समय जरा सा स्टाइल दे दिया जाए तो यह एक स्टाइलिश ड्रैस बन सकती है. अगर साड़ी का सूट बनवाना है तो सिर्फ कुरता बनवाएं. लैंगिंग्स अलग से लें. इस से सूट स्टाइलिश भी दिखेगा और साड़ी का बना भी नहीं लगेगा.

हैवी पल्लू वाली साडि़यों के पल्लू निकाल कर उन के ब्लाउज बनवाएं और उस ब्लाउज को शिफौन की प्लेन साड़ी पर पहनें. प्लेन साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज का यह स्टाइल बहुत फबेगा. इस के अलावा ऐंब्रौयडरी वाले पल्ले की लहंगे पर पहनने के लिए कुरती बनवाएं, बौर्डर वाली साडि़यों के बौर्डर निकाल कर किसी प्लेन साड़ी में लगाएं तो साड़ी की खूबसूरती और बढ़ जाएगी.

अगर पुरानी प्रिंटेड साडि़यां फट गई हों, तो उन के फटे हिस्से को निकाल कर उस जगह दूसरी प्लेन साड़ी को जोड़ दें. प्रिंटों को चुन्नटों वाले हिस्से में लाएं तो यह एक डिजाइनर साड़ी बन जाएगी. इसी प्रकार प्लेन सिल्क के सूट या ब्लाउज में भी साड़ी के बौर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है.

प्रिंटेड व प्लेन साडि़यों के स्टोल भी बना सकती हैं जो किसी भी ड्रैस के साथ मैच कर सकते हैं. अगर नैट की साडि़यां हैं, तो उन के श्रग बनवा सकती हैं, जो आजकल किसी भी ड्रैस के साथ कैरी किए जा रहे हैं.

नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि किसी भी चीज को नया स्टाइल देने के लिए थोड़ा सा दिमाग लगाने से वह चीज स्टाइलिश बन जाती है. आप हैवीवर्क साडि़यों से दुपट्टे भी बना कर प्लेन सूट के साथ ओढ़ सकती हैं. अगर प्रिंटेड साडि़यों के दुपट्टे बनवाती हैं तो उन्हें प्लेन सूटों के साथ कैरी कर सकती हैं.

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