कहीं ऑफिस पॉलिटिक्स बिगाड़ न दे मेंटल हेल्थ, बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स

रौनक बेहद खुश मिज़ाज़ पर्सनालिटी का व्यक्ति था। जो घर और ऑफिस दोनों में बेहतर सामंजस्य बनाए रखता। ऑफिस में बॉस खुश और घर में परिवार वाले. लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो बेहद उखड़ा-उखड़ा ,चिड़चिड़ा रहने लगा जिसका कारण था ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार होना.  हर किसी के ऑफिस में अलग अलग मिज़ाज़ के लोग होते हैं.  कुछ एक दूसरे की सफलता को देख कर खुश होते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जलन महसूस करते हैं जिस कारण वह दूसरों को नाकारा साबित करना ,गॉसिपिंग या खुद को सर्वश्रेष्ठ घोषित करने की आड़ में उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं जिस कारण अच्छी परफॉरमेंस वाला व्यक्ति भी तनाव में रहने लगता है. ऐसे में जरूरी हैं कि आपको इस परेशानी से बाहर निकलने के गुर आते हों. यहां हम ऐसे टिप्स साझा कर रहे हैं जो आपके लिए मददगार साबित होंगे.

खुद पर भरोसा रखें –

किसी भी परिस्थिति में खुद पर विश्वास न खोएं। कही सुनी बातों को सुनने की जगह अपने काम पर पहले से ज्यादा ध्यान लगाएं. हर टास्क समय पर पूरा करें.

नकरात्मकता से बचें –

ऐसे व्यक्ति बहुत खतरनाक सिद्ध होते हैं जो एक दूसरे की पीठ पीछे बुराई करते हैं. ऐसी नकरात्मक सोच रखने वाले व्यक्तियों से दुरी बनाएं. क्योंकि यही वो लोग होते हैं जो ऑफिस पॉलिटिक्स में महारत रखते हैं. इनकी गॉसिप में खुद शामिल होने से बचें.

सही जानकारी हासिल करें –

पूरानी कहावत हैं कि हमें आँखों देखी बातों पर विश्वास करना चाहिए न की दुसरो की बातों में आना चाहिए. जब तक आपके पास सही जानकारी न हो तब तक कोई रियेक्ट न करें.

बॉस से करें चर्चा –

यदि आप सही हैं और बात बहुत बढ़ गयी हैं तो अपने बॉस से उस विषय पर चर्चा अवश्य करें क्योंकि कई बार ऐसी परिस्थितियों में ऑफिस का माहोल भी बिगाड़ जाता है

प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में अंतर –

प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को एक दूसरे पर हावी न होने दे. कोशिश करें कि ऑफिस में हर किसी के साथ अपनी पर्सनल लाइफ का ज़िक्र न करें. साथ ही घर में आते ही ऑफिस के कामों से दुरी बनाएं और अपने परिवार के साथ वक़्त बिताएं।लेकिन यदि आप ऑफिस की किसी बात से परेशान है तो किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जो भरोसेमंद भी हो और आपकी बात को समझ सके.

डिप पाउडर: मैनिक्योर से दें नाखूनों को इंस्टेंट ग्लो

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

जेल और एक्रेलिक नेल्स का जमाना गया . नाखूनों की दुनिया में “डिप पाउडर मैनिक्योर ” एक नया और मजेदार ट्रेंड बनकर उभरा है.  यह मैनिक्योर हर उस लड़की के लिए उपयोगी है, जो अपने नाखूनों को सजाने के तमाम तरीके तलाशती है. यह कुछ अलग तरह से काम करता है. जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह पाउडर के रूप में आता है. इन रंगीन कलर्स को ब्रश की मदद से नाखूनों पर लगाया जाता है. वैसे तो अब तक नाखूनों को मैनिक्योर करने के लिए जेल और साधारण नेल लैकर का इस्तेमाल होता था, लेकिन डिप पाउडर मैनिक्योर रेग्यूलर और एक्रिलिक मेनिक्योर के बीच का मैनिक्योर माना जाता है. इसमें सबसे पहले नाखूनों को ऑयल फ्री किया जाता है. इसके बाद जब ये पूरी तरह से साफ हो जाएं, तो बेस कोट अप्लाई करते हैं. . बेस कोट के ऊपर एक कलर्ड पाउडर की मदद से नाखूनों को कोट किया जाता है. पाउडर को एक नहीं बल्कि कई परतों में नाखूनों पर चढ़ाया जाता है, ताकि ये अच्छे से सेट हो सके. ये डिपिंग प्रोसेस बहुत अच्छा है और लगभग तीन हफ्ते तक इसका असर बना रहता है. डिप पाउडर मैनिक्योर  की सबसे अच्छी बात ये है कि इसका इस्तेमाल करने से नाखूनों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि यह आपके नाखूनों को मजबूत बनाता है. यही वजह है, कि डिप पाउडर मैनिक्योर ने जेल मैनिक्योर की पॉपुलेरिटी को थोड़ा कम कर दिया है. तो आइए जानते क्या हैं डिप पाउडर मैनिक्योर और क्या है इसे करने का सही तरीका.

डिप पाउडर मैनिक्योर करने का सही तरीका

– सबसे पहले नाखूनों को नेल पॉलिश रिमूवर से साफ करें. इसके बाद सुनिश्चित करें, कि आपके नाखून सूखे हों.

– अब अपने नखूनों को सैनेटाइज करने के लिए एंटीसेप्टिक स्प्रे का इस्तेमाल करें. यह किसी भी बैक्टीरिया को नेल पॉलिश में प्रवेश करने से बचाता है.

– नाखूनों पर बेस कोट लगाएं और इसे एक मिनट के लिए सूखने के लिए छोड़ दें.

– अब नाखूनों पर रेसिन ग्लू लगाएं. क्यूटिकल्स के ठीक ऊपर से शुरू करते हुए नेल एज की तरफ बढ़ें.

– इसके सेट होने पर अपनी उंगली को डिप पाउडर में डुबोएं और कुछ सैकंड के लिए चारों तरफ घुमाएं. एक्स्ट्रा पाउडर को हटाने के लिए ब्रश का उपयोग करने से पहले इसे एक मिनट तक सूखने दें.

– अब नाखूनों पर ग्लू का एक अन्य कोट फिर से अप्लाई करें और इसे कलर्ड पाउडर में डुबो दें.

– यदि आप एक गहरा रंग चाहती हैं, तो इस स्टेज को जितना चाहें, उतनी बार दोहरा सकती हैं.

– अब नाखूनों पर एक्टिवेटर अप्लाई करें. इसके बाद फ्रेश टॉप कोट लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें.

– मैनिक्योर को सूखने दें और अपने हाथों को गर्म पानी या क्लींजर से धो लें. इस अवस्था में सादे पानी के अलावा किसी और चीज का उपयोग न करें.

कितना सुरक्षित है डिप पाउडर मैनिक्योर –

वैसे तो डिप पाउडर मैनिक्योर का मैथेड पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन इसे अगर सही तरह न किया जाए, तो यह इंफेक्शन  पैदा कर सकता है. इसे करने के लिए ब्रश का इस्तेमाल करना बेहतर तरीका है. जहां तक संभव हो, सर्टिफाइड पाउडर का ही उपयोग करना चाहिए, इससे नाखूनों के डैमेज होने की संभावना कम हो जाती  है. एक्सपर्ट के अनुसार, डिप पाउडर मैनिक्योर के साथ आपको अपने नाखूनों को हाइड्रेट रखना होगा. इसके अलावा क्यूटिकल ऑयल और हैंड क्रीम का नियमित रूप से उपयोग करते रहें, तो नाखून स्वस्थ बने रहेंगे.

कमजोर नाखूनों के लिए डिप पाउडर मैनिक्योर शानदार विकल्प है. इसे करना भी बेहद आसान है. बेहतर है कि आप अपने ब्यूटी एक्सपर्ट से सलाह लें, वह आपके नाखूनों की स्थिति के हिसाब से इसका उपयोग करने के बारे में बताएंगे.

प्यार में दिल है टूटा तो मनाएं Anti Valentine Week, जानें स्लैप डे से लेकर ब्रेकअप डे तक

Anti Valentine Week 2024: इस वैलेंटाइन वीक पर जिन लोगों को उन का प्यार मिल गया, उनकी तो लव की गाड़ी पटरी पर तेज रफ्तार दौड़ने लगी, पर जिन आशिकों को उन के प्यार ने ठुकरा दिया, वे बेचारे तो दर्द और जलन की आग में झुलस रहे होंगे न.

ऐसे ही दिलजलों के लिए 15 फरवरी से 21 फरवरी तक एंटी वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है, जिसका हर दिन उन्हें अपने ‘प्यार के दुश्मन’ की याद मिटाने का मौका देता है. कहने का मतलब है कि अगर आप ने किसी के सामने अपने प्यार का इजहार किया हो, पर उस ने आप के प्रपोजल को ठुकरा दिया या फिर ऐसे कपल जो अपने साथी से ब्रेकअप के लिए मौके की तलाश में हैं, वे एंटी वैलेंटाइन वीक मना सकते हैं.

एंटी वैलेंटाइन वीक में 15 फरवरी से 21 फरवरी तक कब और क्या खास दिन मनाए जाते हैं, आइए जानते हैं उन के बारे में.

स्लैप डे से शुरुआत

15 फरवरी को स्लैप डे मनाया जाता है. यह दिन बड़ा झन्नाटेदार होता है, क्योंकि इस दिन अगर पार्टनर ने आप को कभी प्यार में धोखा दिया हो या आप दोनों उलझी हुई रिलेशनशिप में हों, तो स्लैप डे पर अपने प्यार को थप्पड़ मार कर रिश्ते को खत्म कर सकते हैं.

स्लैप डे से खुश नहीं तो है किक डे

अगर आप अपने रिश्ते में खुश नहीं हैं, पार्टनर के साथ अकसर नोकझोंक होती है और अब आप को एहसास हो गया है कि इस रिश्ते में कोई मिठास बाकी नहीं है, तो रिश्ते से बाहर निकलने के लिए ब्रेकअप कर लें और 16 फरवरी को बीते हुए कल को लात मारते हुए नई शुरुआत करें. इस के अलावा आप पार्टनर के दिए उपहारों को भी वापस कर सकते हैं, ताकि कोई याद बाकी न रहे.

परफ्यूम डे से महकाएं खुद को

एंटी वैलेंटाइन वीक का तीसरा दिन परफ्यूम डे के रूप में मनाया जाता है. मान लीजिए आप का ब्रेकअप हो ही गया है तो बिलकुल भी दुखी न हों, बल्कि खुद को अच्छा फील कराने के लिए कोई महकता सा परफ्यूम खरीदें और उस की खुशबू को अपनी जिंदगी में शामिल करें, ताकि ब्रेकअप के दर्द को भुलाया जा सके.

फ्लर्टिंग डे है कारगर उपाय

18 फरवरी को फ्लर्टिंग डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन ब्रेकअप के दर्द से बाहर निकलने या फिर आप पहले से ही सिंगल हैं और अपना अकेलापन कम करना चाहते हैं, तो किसी और के साथ फ्लर्ट कर सकते हैं. बस, इतना ध्यान रखें कि वह फ्लर्टिंग हेल्दी हो.

कन्फेशन डे की अहमियत

यह दिन 19 फरवरी को मनाया जाता है, जो किसी सिंगल या आशिक दोनों के लिए है. इस दिन आप कन्फेशन कर सकते हैं कि पार्टनर की कोई बात आप को पसंद नहीं है या फिर आप ने कोई गलती की है तो उसे मान लेने के लिए यह बेहतर दिन है.

मिसिंग डे का अपना ही मजा

20 फरवरी को मिसिंग डे के रूप में मनाया जाता है. अगर आप का अपने पार्टनर के साथ ब्रेकअप हो गया है और एक्स के साथ वापस पैचअप का इरादा है तो उसे एक प्यारा सा मैसेज भेज कर बताएं कि आप उसे कितना मिस कर रहे हैं.

और फिर ब्रेकअप डे

एंटी वैलेंटाइन वीक का आखिरी दिन ब्रेकअप डे के रूप में मनाया जाता है. आप 21 तारीख को ब्रेकअप डे पर अपने रिश्ते को खत्म कर सकते हैं. पर अपने ब्रेकअप को लास्ट ऑप्शन मान कर ही यह कदम उठाएं कि अब पैचअप की कोई गुंजाइश नहीं बची है.

ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ Sussanne Khan बॉयफ्रेंड के साथ हुई कोजी, देखें Video

Sussanne Khan: ऋतिक रोशन की एक्स वाइफ सुजैन खान अक्सर सुर्खियों में छायी रहती है. तलाक के बाद भी दोनों अच्छे दोस्त रहे हैं. सुजैन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, वह अक्सर फोटोज और वीडियोज शेयर करती नजर आती हैं. जिन्हें फैंस खूब पसंद करते हैं.

बॉयफ्रेंड के साथ सुजैन हुई कोजी

अब सुजैन ने वैलेंटाइन डे पर कुछ स्पेशल मोमेंट शेयर किया है. उन्होंने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ फोटोज शेयर की है, वो उन पर प्यार लुटाते नजर आ रही हैं. यह काफी रोमांटिक वीडियो है.इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सुजैन खान अपने बॉयफ्रेंड अर्सलान गोनी के साथ कोजी होती नजर आ रही हैं. वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रोमांटिक पलों को एंजॉय करते नजर आ रही हैं.

वैलेंटाइन डे पर शेयर किया ये वीडियो

इस वीडियो में आप ये भी देख सकते हैं कि सुजैन खान और अर्सलान गोनी कभी बाइक राइड का मजा लेते नजर आ रहे हैं तो कभी कार में चिल करते नजर आ रहे हैं. ये कपल अपने पलों को काफी एंजॉय कर रहे हैं.सुजैन खान ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि ‘मेर प्यार हर दिन वैलेंटाइन डे है… क्योंकि आप मुझे हर दिन अपना जादू दिखाते हैं. Thank You For Everything.

 

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आपको बता दें कि ऋतिक रोशन कथित तौर पर सबा आजाद को डेट कर रहे हैं, तो वहीं सुजैन खान अर्सलान गोनी को डेट कर रही हैं. ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने साल 2000 में शादी की थी.दोनों के दो बच्चे रिहान और रिदान भी हैं. इन्होंने साल 2014 में तलाक भी ले लिया था. हालांकि अभी भी बच्चों के कारण दोनों के अच्छे रिश्ते हैं. ,

सुपर मार्केट जाते समय ध्यान रखें ये खास बातें

अंजली कल भोपाल के प्रसिद्ध डी बी मॉल के सुपर मार्केट में ग्रोसरी खरीदने पहुंची तो देखा एक दंपत्ति ने अपने 5 वर्षीय बेटे को खुला छोड़ दिया है और स्वयं शोपिंग करने में व्यस्त हैं वह बच्चा प्रत्येक कार्ट में से सामान उठाकर इधर उधर भाग रहा है जिससे दूसरे कस्टमर्स को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.

इसी प्रकार रीता अक्सर सुपर मार्केट में अपनी दोस्त के साथ जाती है और फिर वहां दोनों जोर जोर से दुनिया जहांन की बातें करतीं हैं जिससे दूसरे कस्टमर्स को डिस्टर्ब होता है.

आजकल हर शहर में सुपर मार्केट और माल कल्चर डवलप हो चुका है और अधिकांश लोग ग्रोसरी से लेकर कपड़ों और ज्वेलरी तक की खरीददारी यहीं से करते हैं. क्योंकि यहां पर एक ही छत के नीचे आपको सारा सामान मिल जाता है. पर अक्सर हम वहां शोपिंग करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने और अपने बच्चों के व्यवहार के बारे में विचार करना ही भूल जाते हैं आज हम आपको कुछ सुपर मार्केट हैक्स के बारे में बता रहे हैं जो आपकी सुपर मार्केट जाते समय काफी मदद करेंगें.

कार्ट लिए बिना ही प्रवेश करना

अक्सर लोग दनदनाते हुए सुपर मार्केट में प्रवेश कर जाते हैं और फिर अपने हाथों में सामान लेकर इधर उधर घूमते हैं जब कि प्रत्येक सुपर मार्केट के गेट पर ही कार्ट और बैग्स रखे रहते हैं. आप अपनी खरीददारी के अनुसार बैग या कार्ट का चयन करें, अधिक खरीददारी के लिए कार्ट या ट्राली और कम खरीददारी के लिए बैग्स का उपयोग करें.

कार्ट को यहां वहां छोड़ देना

अक्सर देखा जाता है कि लोग कार्ट को बीच में कहीं पर भी छोडकर फिर इधर उधर से सामान लाकर कार्ट में रखते जाते हैं जिससे अन्य कस्टमर्स को मूविंग में परेशानी होती है. आप कार्ट को अपने साथ ही रखें और सामान खरीदकर कार्ट में ही डालते जायें इससे आपको तो आसानी होगी ही साथ ही दूसरे कस्टमर्स भी असुविधा से बचे रहेंगे.

बच्चों का ध्यान न रखना

छोटे बच्चों को अपने साथ ही रखें ताकि वे एक तो इधर उधर भागें नहीं दूसरे रेक्स में करीने से लगे सामान को डिस्टर्ब न करें. आप चाहें तो बहुत छोटे बच्चे को बैठाने के लिए अलग से भी कार्ट ले सकते हैं जिससे आपको बच्चे को अलग से उठाना भी नहीं पड़ेगा.

लाइन को तोड़ देना

कई बार लोग बिलिंग करवाने के लिए लगी लाइन को तोडकर अपना बिल पहले करवाने का प्रयास करते हैं जिससे एक तो माल की व्यवस्था भंग होती है दूसरे इस पर अन्य कस्टमर्स भी आपत्ति लेते हैं इसलिए बिलिंग करवाते समय माल में बनाई गयी व्यवस्था का पालन अवश्य करें.

सामान चुनने का गलत तरीका

सुपर मार्केट में सामान बहुत करीने से जमा होता है अक्सर लोग सामान को उठाकर देखते हैं और फिर उसे कहीं भी रख देते हैं जिससे पूरा सामान ही बेतरतीब हो जाता है आप जहाँ से जो सामान उठायें उसे उसी जगह पर रखने का प्रयास करें.

वर्कर्स के साथ अनुचित व्यवहार

कुछ लोग वर्कर्स के साथ बहुत मिस बिहेव करते हैं उनसे गाली गलौज और तू तड़ाक से बात करते हैं इसकी अपेक्षा आप वर्कर्स के साथ सभ्यता से पेश आयें साथ ही उनसे बात करते समय भी थैंक यू और सॉरी जैसे शब्दों का प्रयोग करने में कंजूसी न करें.

ट्रायल का गलत तरीका

प्रत्येक मॉल में कपड़ों के स्टोर में ड्रेसेज को पहनकर ट्राय करने का नियम होता है जिससे आपको अपनी ड्रेस को चुनने में काफी मदद मिलती है परन्तु अक्सर लोग ड्रेसेज को ट्राय करने के बाद उन्हें बिना सीधे किये फ्लोर पर पड़ा छोडकर या फिर हुक पर टंगा छोडकर ही बाहर आ जाते हैं इसकी अपेक्षा आप कपड़ों को सीधा करके ट्रायल रूम के बहर रखी बास्केट में लाकर रखें क्योंकि आपके द्वारा रिजेक्ट किये गए कपड़ों को दूसरे लोग भी ट्राय करते हैं.

जिंदगी ने मुझे सच्ची राह दिखाई: टीना गुहा

जिंदगी कई बार इंसान को सिखा देती है कि कैसे जीना है और मेरे साथ यही हुआ. पति की एक सड़क दुर्घटना ने मेरी जिंदगी का सुखचैन सब छीन लिया. मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि मैं इस से कैसे बाहर निकलूं. तभी मैं ने एक टीवी शो में देखा कि एक परेशान महिला, जो मेरी तरह ही दुविधा में थी, लेकिन एक आत्मशक्ति ने उसे राह दिखाई और वह उसी पथ पर चल पड़ी और सफल रही.

ऐसी ही बातों को शेयर कर रही थी, मुंबई की गोरेगांव स्थित अपने रेस्तरां ‘आहारे बांग्ला’ यानी ‘द फ्लेवर औफ बेंगल’ में बैठी 35 वर्षीय टीना गुहा, जिसे बताते हुए उन की आवाज भारी हो गई. टीना कहती हैं कि 8 साल पहले जब मेरे पति विधान गुहा जो फिल्मों के आर्ट डाइरैक्टर हैं, काम से रात को लौट रहे थे, लौटते समय एक बड़े ऐक्सीडैंट के शिकार हो कर बैड पर आ जाते हैं, उन के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन काफी महीनों तक बैड पर पड़े रहने के बाद ही वे थोड़े ठीक हुए हैं और अब मेरे साथ काम में हाथ बंटाते हैं. मैं कोलकाता की हूं और शादी के बाद मुंबई आई. यहां के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मेरी बेटी सुविथी गुहा भी तब बहुत छोटी, जब उनका एक्सीडेंट हुआ था.

उस दौरान इस तरह के ?ाटके से मैं सहम गई क्योंकि मेरे पति अच्छा कमाते थे, मु?ो पैसे के बारे में कभी सोचना नहीं पड़ता था. उन के ऐक्सीडेंट के सारे खर्चे मैं ने जमापूंजी से किए. धीरेधीरे पैसे खत्म होने लगे. मु?ो सम?ा नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मैं ने कभी भी बाहर निकल कर कोई काम नहीं किया था, लेकिन मु?ो कुछ कर उन का साथ देना था. मु?ो खाना बनाना भी बहुत कम आता था, लेकिन मेरे दोस्तों ने सलाह दी कि मैं यही काम घर से कर सकती हूं. इस में वे मेरा साथ देंगी.

बढ़ने लगा व्यवसाय

इस से मेरे मन में इस काम को करने की प्रेरणा जगी. मैं ने आसपास के सभी दोस्तों और जानकारों से और्डर ले कर खाना सप्लाई करना शुरू कर दिया, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया क्योंकि यहां लोग अधिकतर जौब के लिए आते हैं और अकेले रहते हैं. मेरा खाना साफसुथरा घर का खाना होता है.
टीना कहती हैं कि इसके कुछ समय बाद मैं ने जोमैटो और स्विगी के साथ औनलाइन जुड़ी. इस से मेरा व्यवसाय बढ़ने लगा, पैसे आने लगे. इस में बंगाल के खाने की क्वालिटी को मैं मैंटेन करती हूं. हर दिन 30 से 35 और्डर औनलाइन आते हैं. इस से मु?ो अधिक काम करने की प्रेरणा मिली. फिर मैं ने एक कमरा अपने एक दोस्त की वित्तीय मदद और खुद की जमापूंजी से लिया और उस का नाम ‘आहारे बांग्ला’ यानी ‘द फ्लेवर औफ बेंगल’ रखा.

लोगों की तारीफ इस नाम से यह स्पष्ट हो गया कि यहां मिलने वाले सारे व्यंजन बंगाल से प्रेरित हैं, जिन में मटन बिरयानी, चिकन बिरयानी, फिश चौप, फिश फ्राई, वैजिटेबल थाली, नौनवैज थाली आदि सभी प्रकार की डिशेज मैं सर्व करती हूं. मेरे रेस्तरां में खाने की भी व्यवस्था है. मैं खुद भी खाना बनाती हूं. बिरयानी और घर का खाना मेरी स्पैश्यिलिटी है, जिसे सभी खा सकते हैं. किसी की पसंद के अनुसार कस्टमाइज्ड फूड भी दिया जाता है.

इस काम में मुश्किल था लोगों को अपने खाने से परिचित करवाना, जो शुरूशुरू में बहुत मुश्किल था क्योंकि लोग मु?ो और मेरे खाने को जानते नहीं थे. इस में मेरे दोस्तों ने काफी सहयोग दिया. वे माउथ पब्लिसिटी करती थीं. मैं ने व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया. उस में मैं तैयार व्यंजनों की तसवीरें डालती गई. इस से लोग जानने लगे.

अच्छा महसूस कर रही हूं, इस में मु?ो बर्थडे पार्टी या छोटीछोटी पार्टियों में खाना सर्व करने के औफर आने लगे थे. इस के अलावा औनलाइन मेरे खाने की लोग काफी तारीफ करते हैं. इस में मु?ो हर दिन कुछ नई रैसिपीज देने के बारे में सोचना पड़ता है क्योंकि एकजैसा टेस्ट किसी को भी पसंद नहीं होता है.
आगे मैं बड़ा रेस्तरां खोलना चाहती हूं और बंगाल की डिशेज को पूरे विश्व में फैलाने की इच्छा रखती हूं. कोलकाता में भी एक रेस्तरां खोलने की इच्छा है. मेरे इस काम में मेरी मां, पति और बेटी बहुत सहयोग देते हैं, जिस से काम में मुश्किल नहीं आती. मैं एक घरेलू महिला से व्यवसाय करने लगी हूं, जिस के बारे में मैं ने पहले कभी सोचा नहीं था. आज अच्छा महसूस कर रही हूं.

सोलमेट: भाग 2- शादी के बाद निकिता का प्रेमी ने उसके साथ क्या किया?

मेरी सोचनेसम झने की शक्ति खत्म हो चुकी थी. बस एक डर लगा हुआ था कि कहीं प्रणय को मेरे अतीत के बारे में सब पता न चल जाए. ‘‘क्या हुआ, तुम ठीक तो हो?’’ मु झे सुस्त देख बाथरूम से निकलते हुए प्रणय ने पूछा, ‘‘देख रहा हूं कुछ सुस्त नजर आ रही हो. खाना भी ठीक से नहीं खाया तुम ने,’’ प्रणय को लगा कि घूमने जाने की बात को ले कर शायद मैं नाराज हो गई. ‘‘अरे, नहीं ऐसी कोई बात नहीं है. वह मेरे पीरियड की डेट नजदीक आ रही है न तो मूड स्विंग हो रहा है. पेट व कमर में दर्द हो रहा है तो लेट गई जरा,’’ मैं ने प्रणय की शंका निवारण हेतु कहा लेकिन बात तो कुछ और ही थी. जब से ऋतिक ने फोन कर मु झे धमकाया था कि अगर मैं ने उस की बात नहीं मानी तो वह प्रणय को हमारे बारे में सबकुछ बता देगा, तब से मेरे दिल में धुकधुकी लगी थी. ‘‘अच्छा, ठीक है आराम करो तुम,’’ बोल कर प्रणय मोबाइल देखने लगे और मैं ऊपर छत निहारने लगी. मोबाइल देखतेदेखते प्रणय तो सो गए लेकिन मेरी आंखों में नींद की जगह डर समाया हुआ था. बारबार वही बातें मेरे दिल को दहला रही थीं कि अगर प्रणय को मेरे अतीत के बारे में सब पता चल गया तो क्या होगा.

आज मन खींच कर मु झे 4 साल पीछे ले गया. उन दिनों की 1-1 बात चलचित्र की तरह मेरी आंखों के आगे तैरने लगी… मैं लखनऊ में अपने मांपापा और छोटी बहन नव्या के साथ रह रही थी. मेरे पापा कालेज में प्रोफैसर हैं और मां स्कूल टीचर हैं. घर में ज्यादातर पढ़ने का ही माहौल होता था. 12वीं कक्षा से ही मेरा सपना डिफैंस में जाने का था मगर मेरे मांपापा चाहते थे कि मैं बैंक सैक्टर में जाऊं. उन का सोचना था कि बैंक सैक्टर लड़कियों के लिए सेफ है और सब से बड़ी बात कि वहां मेल और फीमेल वर्कर में भेदभाव नहीं होता. एक अच्छी बेटी की तरह मैं ने भी अपने मांपापा का कहना माना और ग्रैजुएशन करने के बाद पहली बार में ही बैंक पीओ ऐग्जाम क्रैक कर लिया. हैदराबाद में 15 दिनों की ट्रेनिंग के बाद मेरी पहली पोस्टिंग गुजरात के अहमदाबाद की एक ब्रांच में मिली तो मेरे मांपापा के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लेकिन एक फिक्र भी होने लगी कि मैं वहां इतने बड़े और अनजान शहर में अकेली कैसे रहूंगी.

मगर जौइन तो करना ही था सो मेरी मां कुछ समय यहां मेरे साथ रहीं पर उन का भी अपनी टीचिंग की जौब थी, ज्यादा छुट्टी ले कर मेरे साथ नहीं रह सकती थीं और सब से बड़ी बात कि वहां नव्या भी तो अकेली थी इसलिए वे लखनऊ लौट गईं लेकिन दिन में कई बार फोन कर मेरा हालचाल लेना नहीं भूलती थीं. पता नहीं मातापिता अपनी बेटियों को ले कर इतने फिक्रमंद क्यों रहते हैं? क्या उन्हें अपनी बेटी पर भरोसा नहीं है कि वह भी बाहर अकेले अच्छे से रह सकती है. लेकिन मैं ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मैं ठीक हूं और आप लोग मेरी चिंता न करें. इस तरह बैंक में मेरा प्रोबेशन पीरियड भी खत्म हो गया और अब मैं बैंक में परमानैंट इंप्लोई हो गई थी. मांपापा ने बहुत चाहा कि मैं अपना तबादला अपने होम टाउन लखनऊ में करवा लूं ताकि वे लोग चैन की सांस ले सकें पर यह मुमकिन न था.

उन्हें हमेशा यही डर लगा रहता था कि मैं यहां ठीक तो हूं न? इसलिए फोन कर मु झे हिदायत देते रहते थे कि मैं देर रात तक घर से बाहर न रहूं. औफिस से जल्दी घर आ जाया करूं वगैरहवगैरह. लेकिन अब उन की बातों से मु झे चिढ़ होने लगी थी कि मैं कोई छोटी बच्ची थोड़े ही हूं कि जब देखो मु झे सम झाते रहते हैं कि यहां मत जाओ, वहां मत जाओ और यह यूपीबिहार नहीं हैं, गुजरात है, यहां लड़कियां सेफ हैं. मगर उन्हें कहां मेरी बात सम झ आने लगी. सो उन्होंने अब दूसरा राग अलापना शुरु कर दिया कि मैं शादी कर लूं ताकि वे अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकें. मातापिता अपनी बेटियों को उड़ने के लिए पंख तो देते हैं पर उन के लिए एक दायरा भी तय कर देते हैं कि उन्हें उड़ना कहां तक है और कितनी देर. वैसे गलती उन की भी नहीं है क्योंकि सरकार बेशक मिशन शक्ति अभियान चला कर संपूर्ण महिला सुरक्षा की बात करती हो, लेकिन हकीकत तो यह है कि आज भी लड़कियों के साथ छेड़खानी और रेप जैसी वारदातें हो रही हैं. बैड कमैंट और मिस बिहेव का खतरा लड़कियों के साथसाथ उन के पेरैंट्स को भी सताता रहता है.

इसलिए वे बेटियों को खुद की नजरों से दूर नहीं भेजना चाहते हैं और मेरे मांपापा भी कुछ हद तक अपनी जगह सही थे. लेकिन इस डर से मैं शादी कर लूं, यह सही नहीं था. वैसे भी अभी 2-3 साल मैं शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी इसलिए मैं भी जिद पर अड़ गई कि आप लोग कुछ भी कर लो मैं अभी शादी नहीं करूंगी. लेकिन मांपापा मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं थे. बस शादी कर लो, शादी कर लो की रट लगाए हुए थे. ‘‘अभी तो मैं 25 की भी नहीं हुई फिर क्यों आप लोग मेरी शादी करवाने के पीछे पड़े हो?’’ मैं ने कहा. मां ने मु झे घूर कर देखा. बोली, ‘‘25 की नहीं हुई से क्या मतलब है? अरे, इस उम्र में तुम मेरी गोद में खेल रही थी और नव्या मेरे पेट में थी,’’ मां ने सफाई दी. ‘‘आप का जमाना अलग था मां. अब ऐसा नहीं है,’’ मैं ने सम झाना चाहा, ‘‘मु झे अभी और आगे जाना है इसलिए आप लोग शादी के लिए मजबूर न करें.

क्या इतनी बड़ी बो झ हो गई हूं आप लोगों पर कि जल्द से जल्द आप दोनों मु झे अपनी जिंदगी से निकाल देना चाहते हैं?’’ बोलतेबोलते मेरी आवाज भर्रा गई, तो पापा ने मु झे अपने सीने से लगा लिया और कहा कि अब वे तब ही मेरी शादी की बात करेंगे जब मैं चाहूंगी. ‘‘थैंक यू पापा. मां मैं वादा करती हूं आप से मैं कभी भी आप दोनों का सिर लोगों के सामने नीचा नहीं होने दूंगी,’’ मैं ने कहा. मां कहने लगीं, ‘‘मुझे अपनी बेटी पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है पर दुनिया पर नहीं. न जाने कैसेकैसे लोग हैं दुनिया में. डर लगता है. ‘‘मत डरो मां,’’ मां के गले लगते हुए मैं ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मैं अपना ध्यान रख सकती हूं, तो मां रो पड़ी थीं. यहां अहमदाबाद में आने के बाद मैं कुछ महीने बैंक के गैस्टहाउस में ही रही. फिर अपने लिए 2 कमरे का घर ले लिया और उसी में रहने लगी.

घर बैंक के पास ही था तो मु झे कोई तकलीफ नहीं होती थी आनेजाने में. लेकिन फिर मेरा तबादला किसी दूसरी ब्रांच में कर दिया गया जहां बैंक मेरे घर से करीब 2 घंटे की दूरी पर पड़ता था. मुझे बैंक जाने के लिए अपने घर से दोढाई घंटे पहले निकलना पड़ता है क्योंकि यहां अहमदाबाद में ट्रैफिक ज्यादा होता है और थोड़ा लेट पहुंचने पर बैंक मैनेजर गुस्सा हो जाते थे इसलिए मैं सुबह 8 बजे ही घर से निकल जाती थी बैंक जाने के लिए. घर पहुंचतेपहुंचते मु झे शाम के 7 कभीकभी तो 8 भी बज जाते थे. मैं इतनी ज्यादा थक चुकी होती थी कि उठ कर एक गिलास पानी पीने का भी मन नहीं होता था मेरा. उस समय मु झे मां की बहुत याद आती थी. रोज बाहर से कितना खाना मंगवाती. इसलिए कैसेकैसे कर कुछ भी खा कर मेरा गुजारा हो रहा था. पैसे तो थे मेरे पास पर समय नहीं था कि अपने बारे में कुछ सोचूं, करूं.

मां को कुछ कहती, तो बस यही कहती कि शादी कर लूं सब ठीक हो जाएगा. बताओ, अब शादी से सब का भला होता तो देश में इतने तलाक ही क्यों होते? बीवी कमाऊ हो या गृहिणी, पति तो यही चाहता कि वही उस के लिए खाना पकाए, कपड़े धोए, चायपानी ले कर खड़ी रहे. माई फुट. मैं तो किसी के लिए भी इतना सबकुछ नहीं करने वाली. मैं अपने मन में सोचती कि शादी तो बराबरी का रिश्ता होता है तो फिर एक ही क्यों दूसरे के लिए करता रहे? मु झे तो लगता है आज देश में तलाक के मामले इसलिए ही बढ़ रहे हैं क्योंकि लोगों को अपने पार्टनर से ऐक्सपैक्टेशन बहुत है. इसलिए ही तो मैं शादी से भागती हूं. पर मां सम झती ही नहीं हैं. कुछ बोलो, तो शादी पर आ जाती हैं. इसलिए उन से बोलना ही छोड़ दिया. पापा से इसलिए कुछ नहीं कहती कि वे बेकार में चिंतित हो जाते हैं. मैं यहीं बैंक के आसपास ही कोई एक कमरे का घर ढूंढ़ रही थी, लेकिन मिल नहीं रहा था.

वैसे भी बैचलर को जल्दी कोई किराए पर घर नहीं देना चाहता है पता नहीं क्यों? ऋतिक भी इसी बैंक में मेरे साथ ही काम करता था. वह यूपी का ही रहने वाला था पर उस का घर बिजनौर में था. साथ काम करते हुए जल्द ही हमारी दोस्ती हो गई थी. ऋतिक, इस ब्रांच में दो सालों से काम कर रहा था इसलिए उसे यहां का सारा कुछ पता था. वह अकसर मेरे काम में मेरी हैल्प कर दिया करता था. यहां तक कि कभी घर जाने में देर हो जाती, तो वह अपनी बाइक से मु झे मेरे घर तक छोड़ भी देता था. इस अनजान शहर में जब कोई आप का इतना केयर करे तो मन अपनेआप उस के प्रति शुक्रगुजार हो उठता है. ऋतिक के अच्छे व्यवहार के कारण मैं उस के करीब होने लगी थी. हम दोनों औफिस के बाद या छुट्टियों में अकसर कौफी पीने या कहीं घूमने निकल जाते थे. एक दिन जब मैं ने अपनी परेशानी ऋतिक को बताई तो बोला कि वह जल्द ही कुछ करता है. ऋतिक की कोशिश से जल्द ही मु झे बैंक के नजदीक ही रहने के लिए एक बढि़या घर मिल गया. अब मु झे कोई परेशानी नहीं थी. जिंदगी में आराम हो गया था.

अब बैंक से आने के बाद हमें इतना समय मिल जाता था कि हम दोनों कुछ देर साथ कहीं घूमने निकल सकते थे. धीरेधीरे हमारे बीच की दूरियां कम होती जा रही थीं. अब हम दोनों अपनी पर्सनल बातें भी एकदूसरे से बे िझ झक शेयर करने लगे थे. बातोंबातों में ही हम दोनों ने एक दिन एकदूसरे को अपनेअपने बारे में सबकुछ बता दिया कि हमारे घर में कौनकौन हैं और क्या करते हैं. मेरे परिवार के बारे में जानने के बाद ऋतिक अपने बारे में बताने लगा कि उस के घर में उस के सिवा सिर्फ उस की मां ही हैं. एक बड़ी बहन है जिस की शादी हो चुकी है. उस के पापा तो हैं, पर वे इन के साथ नहीं रहते हैं. ‘‘पर क्यों?’’ ‘‘क्योंकि मेरी मां उन की दूसरी पत्नी हैं,’’ ऋतिक बताने लगा कि उस के पापा, उस के नाना के घर में किराए पर रहते थे तभी उस की मां से उन्हें प्यार हो गया और दोनों ने शादी कर ली.

3 साल साथ रहने के बाद उन्हें 2 बच्चे हुए. लेकिन उस के पापा पहले से शादीशुदा हैं यह बात उन्होंने उस की मां से छिपा कर रखी थी. एक दिन अचानक उस के पापा उन्हें छोड़ कर अपनी पहली पत्नी और बच्चे के पास राजस्थान रहने चले गए.’’ मेरे पूछने पर कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? वह कहने लगा कि उस के पिताजी ने उन्हें अपनी संपत्ति से बेदखल करने की बात करी और उन की पहली पत्नी ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी तो वे उन्हें छोड़ कर पहली पत्नी के पास रहने चले गए. ऋतिक फिर बताने लगा कि सदमे में उस के नानाजी भी गुजर गए तो उस की मां ने बड़े कष्ट से उसे और उस की बहन को बड़ा किया और पढ़ायालिखाया. लेकिन अब वे डिप्रैशन में रहने लगी हैं. ‘‘ओह,’’ उस की दुख भरी कहानी सुन कर मु झे बड़ा अफसोस हुआ कि बेचारे ने पिता के होते हुए बिना पिता का जीवन जीया.

अब ऋतिक को ले कर मेरे दिल में और इज्जत बढ़ गई थी. ऋतिक का मेरा इतना ध्यान रखना इस अजनबी शहर में मु झे एक संबल देता था. ऋतिक का पुष्ट हाथ जब मेरे हाथ में होता, तो मु झे लगता मैं बहुत सुरक्षित हाथों में हूं. अब ऋतिक के बिना मेरा एक पल भी मन नहीं लगता था. ऋतिक का भी यही हाल था. सच बात तो यह थी कि हम दोनों इस रिश्त में काफी दूर निकल चुके थे. इसलिए हम ने यह फैसला किया कि हम एक साथ एक ही घर में रहेंगे यानी लिव इन में. सब कोई रहता है, कोई नई बात नहीं है इस में और मांपापा को इस बारे में कुछ बताने की जरूरत ही क्या है. जल्द ही 2 कमरे का घर ले कर हम दोनों उस में शिफ्ट हो गए. इस फ्लैट में जरूरत का सारा सामान मौजूद था. हम सिर्फ अपने कपड़े और जरूरी सामान ही ले कर यहां रहने आए थे. जल्द ही एक मेड भी मिल गई हमें तो हमारा काम और भी आसान हो गया. मेड रोज सुबह झाड़ूपोंछा, कपड़े और खाना बना कर चली जाती थी. साथ रहते हुए हम दोनों के बीच की सारी मर्यादाएं खत्म हो चुकी थीं. एक दिन भी ऋतिक बैड पर मेरे साथ नहीं होता तो मु झे ठीक से नींद नहीं आती.

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घर पर रेस्टोरेंट की तरह बनाएं जायकेदार मसाला बैंगन

सब्जियों में जब भी बैंगन का नाम लिया जाता है तब बच्चों से लेकर बड़ों सभी का मुंह बन जाता है, लेकिन आज हम आपको बैंगन को जायकेदार तरीके से फैमिली को कैसें खिलाएं इसकी आसान रेसिपी बताएंगे. तो आइए आपको बताते हैं जायकेदार मसाला बैंगन की रेसिपी..

हमें चाहिए…

8-10 छोटे बैगन

3-4 टमाटर

2 प्याज

1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लाल देगीमिर्च

1/2 छोटा चम्मच हल्दी

1/2 छोटा चम्मच भुना व पिसा जीरा

1 बड़ा चम्मच अदरक लहसुन पेस्ट

2-3 तेजपत्ते

1 छोटा टुकड़ा दालचीनी

2-3 लौंग

1-2 हरीमिर्चें आवश्यकतानुसार तेल

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजाने के लिए

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

बैगनों को धो कर अच्छी तरह पोंछ कर लंबाई में 2 भाग कर लें. मिक्सी में टमाटर व हरीमिर्च पीस लें.

एक कड़ाही में तेल गरम कर तेजपत्ते, दालचीनी और लौंग डालें. फिर प्याज के लच्छे डाल कर भूनें. देगी मिर्च, धनिया पाउडर, नमक, हलदी, जीरा और बाकी सारे मसाले डाल कर भूनें.

अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर भूनें. पिसे टमाटर डालें और घी छूटने तक भूनें. इस में बैगन मिलाएं. 1/2 कप पानी डालें और ढक कर पानी सूखने व बैगन गलने तक पकाएं.

कोरियन ग्लास स्किन की है चाहत, तो अपनी रूटीन में शामिल करें ये आदतें

कोरियन “ग्लास स्किन” के बारे में आपने सुना तो बहुत होगा लेकिन आखिर होती क्या है ग्लास स्किन? ग्लास स्किन यानी कांच जैसी त्वचा, जिस में चहरे पर कोई भी दाग या धब्बे ना हों और आपकी त्वचा एकदम साफ दिखाई पड़े. सबसे पहले तो कोरिया में ग्लास स्किन का ट्रेंड था लेकिन अब ग्लास स्किन पाने की चाह भारतीय महिलाओं को भी हो रही है, जिसके लिया वह तरह तरह के नुस्खे आज़मा रही हैं और महंगे से महंगे फेशियल करवा रही हैं.

लेकिन ग्लास स्किन पाने के लिए आपको कोई महंगे फेशियल की आवश्यकता नहीं है. नीचे दिए गए कुछ टिप्स को रोज़ाना फॉलो कर के ही आप हफ्तों में कांच जैसी साफ त्वचा पा सकती हैं.

डबल क्लींजिंग
दो बार अपने चेहरे को साफ करने से आपके स्किन पोर्स क्लीन हो जाते हैं और कोई भी मेकअप प्रोडक्ट पूरी तरह से है हट जाता है जिससे स्किन साफ दिखाई पढ़ने लगती है.
इसके लिए पहले चहरे को कॉटन की मदद से दूध या क्लींजिंग ऑयल से साफ करें और फिर अपने स्किन के मुताबिक फेसवॉश से मुंह धो लें.

एक्सफोलिएशन
यह प्रक्रिया चहरे की मृत त्वचा को हटाने में मदद करती है. बेहतर है अगर इस स्टेप को हफ्ते में एक बार ही किया जाए. आप हफ्ते में एक बार केमिकल या फिजिकल एक्सफोलिएशन कर सकते हैं, जिससे डेड स्किन सेल्स हट जाते हैं और स्किन क्रिस्टल क्लियर दिखने लगती है.

टोनर
टोनर का काम है आपकी त्वचा के PH को संतुलन में रखना. मुंह धोने के बाद आप किसी भी टोनर का इस्तेमाल फेस पर कर सकते हैं, बस ध्यान रहे कि आपके टोनर में एल्कोहल की मात्रा कम हो, नहीं तो यह आपकी त्वचा को रूखा भी कर सकता है.

मॉइश्चराइजर
कोरियन महिलाएं कांच जैसी स्किन बनाए रखने के लिए अपनी त्वचा को हाइड्रेट रखती हैं. आप भी टोनर का इस्तेमाल करने के बाद, चहरे पर मॉइश्चराइज को लगाएं ताकि आपकी स्किन भी हाइड्रेटेड रहे और रूखी ना दिखाई पढ़े. इसके लिए आप किसी लाइट वेट मॉइश्चराइजर को फेस पर लगा सकती हैं.

सनस्क्रीन
स्किन केयर रूटीन के बाद सनस्क्रीन लगाना कभी न भूलें. सनस्क्रिन आपके चेहरे की त्वचा को अल्ट्रावायलेट रेज़ से बचाती है, जिससे स्किन कैंसर का खतरा तो घटता ही है और साथ ही आपके फेस पर टैनिंग और पिगमेंटेशन भी नहीं होती. इसलिए त्वचा को सनस्क्रीन की मदद से प्रोटेक्ट करना कभी ना भूलें.

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