रक्षाबंधन पर झटपट बनाएं ये मिठाइयां

फेस्टिव सीजन प्रारम्भ हो चुका है और फेस्टिवल अर्थात मिठाईयां क्योंकि भारतीय संस्कृति में तो त्यौहार का मतलब ही भांति भांति की टेस्टी मिठाईयां ही हैं.  इन दिनों मेहमानों के आने के कारण घर मे बहुत काम होता है ऐसे में कुछ ऐसा बनाने का मन करता है कि जिसे झटपट घर के सामान से ही आसानी से बनाया जा सके. आज हम आपको ऐसी ही कुछ मिठाईयां बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप मेहमानों के आने से पहले ही बनाकर रख सकतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

  1. कैरेट राईस

कितने लोगों के लिए – 6

बनने में लगने वाला समय –   20 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

  1. चावल  1 कप
  2. पानी  डेढ़ कप
  3. तेजपात पत्ता  2
  4. बड़ी इलायची  2
  5. दालचीनी  1/2 इंच
  6. घी  1 टेबलस्पून
  7. गाजर  250 ग्राम
  8. शकर  100 ग्राम
  9. काजू   8-10
  10. बादाम  8
  11. पिस्ता  8
  12. इलायची पाउडर  1/4 टीस्पून
  13. नारियल लच्छा  1 टेबलस्पून

विधि

चावल को अच्छी तरह धोकर डेढ़ कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें. अब चावल को तेजपात पत्ता, इलायची, दालचीनी और 1/2 टीस्पून घी डालकर एक प्रेशर ले लें. गाजर को धोकर किस लें. अब एक पैन में बचा घी डालकर सभी मेवा को धीमी आंच पर रोस्ट करके एक प्लेट में निकाल लें. जब मेवा ठंडी हो जाये तो चाकू से मोटा मोटा काट लें. अब इसी पैन में इलायची पाउडर किसी गाजर डालकर ढक दें. जब गाजर गल जाये तो शकर डाल दें. जब शकर घुल जाये तो पके चावल डालकर अच्छी तरह चलायें. 3-4 मिनट तक ढककर पकाकर मेवा डालकर सर्व करें.

2. चाकलेट पनीर बर्फी

कितने लोगों के लिए-   6

बनने में लगने वाला समय-    20 मिनट

मील टाइप –    वेज

सामग्री

  1. ताजा पनीर   1 कप
  2. मावा  1 कप
  3. मिल्क पाउडर  1 टीस्पून
  4. पिसी शकर   1 कप
  5. चाकलेट पाउडर  1/4 कप
  6. चाकलेट चिप्स  1 टेबलस्पून
  7. घी 1 टीस्पून

विधि

पनीर और मावा को अच्छी तरह हाथों से क्रम्बल करके एक पैन में डालें अब इसमें मिल्क पाउडर, पिसी शकर डालें. धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए शकर के गलने तक पकाएं. जब मिश्रण गाढ़ा सा होने लगे तो चाकलेट पाउडर मिलाएं. घी डालकर 2 मिनट तक तेज आंच पर रोस्ट करें. जब मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगे तो एक चिकनाई लगी ट्रे में जमा दें. ऊपर से चाको चिप्स डालें. ठंडा होने पर मनचाहे टुकड़ों में काटकर सर्व करें.

3. पान कोकोनट लड्डू

कितने लोगों के लिए-   6

बनने में लगने वाला समय –  20 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

  1. नारियल बुरादा   2 कप
  2. फुल क्रीम दूध  1 कप
  3. मिल्क पाउडर   1/2 कप
  4. पान के पत्ते   8
  5. इलायची पाउडर   1/4 टीस्पून
  6. पिसी शकर   1 टेबलस्पून
  7. गुलकंद  1 टेबलस्पून
  8. घी  1 टीस्पून
  9. पिस्ता कतरन  1 टीस्पून

विधि

नारियल बुरादा और दूध को एक पैन में डालें. जब उबाल आ जाये तो मिल्क पाउडर मिलाएं. अब लगातार चलते हुए शकर और घी डालकर मिश्रण के गाढ़ा होने तक पकाएं. जब मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगे तो गैस बंद कर दें और इसे ठंडा होने दें.पान के पत्तों को बारीक बारीक काट लें. अब नारियल के मिश्रण में कटे पान के पत्ते, गुलकंद और इलायची पाउडर मिलाकर चिकनाई लगे हाथों से छोटे छोटे लड्डू बना लें. पिस्ता कतरन से सजाकर सर्व करें.

अंडरआम्स के बालों को रेजर से रिमूव करती हूं, इस वजह से वह हिस्सा काला हो गया है, अब मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 22 साल की कामकाजी युवती हूं. स्लीवलैस कपड़े पहनने के कारण मुझे अंडरआम्स के बाल जल्दीजल्दी साफ करने पड़ते हैं, जिस के लिए मैं लेडीज रेजर यूज करती हूं. पर इस से वह हिस्सा काला होता जा रहा है और बाल भी मोटे होते जा रहे हैं. क्या करूं?

जवाब

रेजर के नियमित इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ और सख्त और स्किन भी काली हो जाती है. इसलिए रेजर का यूज टोटली बंद कर दें. इन बालों से नजात पाने के लिए वैक्सिंग कर सकती हैं. सही यही है कि पल्स लाइट ट्रीटमैंट (लेजर) ले लें. यह एक इटैलियन टैक्नीक है जो अनचाहे बालों को साफ करने का सब से तेज और सुरक्षित समाधान है. लेजर अंडरआर्म्स के बालों पर ज्यादा असरदार होती है. इसी कारण इस की कुछ ही सिटिंग लेने से बाल खत्म होने लग जाते हैं.

काले अंडरआर्म्स पर आप ब्लीच के जरीए भी उन्हें हलका कर सकती हैं. पर एक बात का खयाल रखें कि ब्लीच और वैक्सिंग कभी भी साथसाथ न करवाएं. घरेलू उपचार के तौर पर कच्चे पपीते के टुकड़े को अंडरआर्म्स में रब करें. इस के साथ ही चाहें तो स्क्रब भी कर सकती हैं. इस के लिए ऐलोवेरा जैल में चंदन पाउडर, अखरोट का पाउडर और थोड़ी खसखस मिला लें. इस से अपने अंडरआर्म्स में स्क्रब करें. रंग में जरूर फर्क नजर आएगा.

-समस्याओं के समाधान

ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर, डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा

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Raksha Bandhan: राखी का उपहार

इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

‘‘आप को सभी की फिक्र है पर अपने घर को आप ने कभी देखा है?’’ अचानक ही नेहा मुखर हो उठी थी, ‘‘भैया, कभी फुरसत के 2 पल निकाल कर भाभी की तरफ तो देखो. क्या उन की सूनी आंखें आप से कुछ पूछती नहीं हैं?’’

‘‘ओह, तो यह बात है. उस ने जरूर तुम से मेरी चुगली की है. जो कुछ कहना था मुझ से कहती, तुम्हें क्यों मोहरा बनाया?’’

‘‘न भैया न, ऐसा न कहो,’’ नेहा का दर्द भरा स्वर उभरा, ‘‘बस, उन का निस्तेज चेहरा और सूनी आंखें देख कर ही मुझे उन के दर्द का एहसास हुआ. उन्होंने मुझ से कुछ नहीं कहा.’’ फिर वह मुझ से पूछने लगी, ‘‘बड़े मनोयोग से तिनकातिनका जोड़ कर अपनी गृहस्थी को सजाती और संवारती भाभी के प्रति क्या आप ने कभी कोई उत्साह दिखाया है? आप को याद होगा, जब भाभी शादी कर के इस परिवार में आई थीं, तो हंसना, खिलखिलाना, हाजिरजवाबी सभी कुछ उन के स्वभाव में कूटकूट कर भरा था. लेकिन आप के शुष्क स्वभाव से सब कुछ दबता चला गया.

‘‘भैया आप अपनी भावनाओं के प्रदर्शन में इतने अनुदार क्यों हो जबकि यह तो भाभी का हक है?’’

‘‘हक… उसे हक देने में मैं ने कभी कोई कोताही नहीं बरती,’’ मैं उस समय अपना आपा खो बैठा था, ‘‘क्या कमी है स्वाति को? नौकरचाकर, बड़ा घर, ऐशोआराम के सभी सामान क्या कुछ नहीं है उस के पास. फिर भी वह…’’

‘‘अपने मन की भावनाओं का प्रदर्शन शायद आप को सतही लगता हो, लेकिन भैया प्रेम की अभिव्यक्ति भी एक औरत के लिए जरूरी है.’’

‘‘पर नेहा, क्या तुम यह चाहती हो कि मैं अपना सारा काम छोड़ कर स्वाति के पल्लू से जा बंधूं? अब मैं कोई दिलफेंक आशिक नहीं हूं, बल्कि ऐसा प्रौढ हूं जिस से अब सिर्फ समझदारी की ही अपेक्षा की जा सकती है.’’ ‘‘पर भैया मैं यह थोड़े ही न कह रही हूं कि आप अपना सारा कामधाम छोड़ कर बैठ जाओ. बल्कि मेरा तो सिर्फ यह कहना है कि आप अपने बिजी शैड्यूल में से थोड़ा सा वक्त भाभी के लिए भी निकाल लो. भाभी को आप का पूरा नहीं बल्कि थोड़ा सा समय चाहिए, जब आप उन की सुनें और कुछ अपनी कहें. ‘‘सराहना, प्रशंसा तो ऐसे टौनिक हैं जिन से शादीशुदा जीवन फलताफूलता है. आप सिर्फ उन छोटीछोटी खुशियों को समेट लो, जो अनायास ही आप की मुट्ठी से फिसलती जा रही हैं. कभी शांत मन से उन का दिल पढ़ कर तो देखो, आप को वहां झील सी गहराई तो मिलेगी, लेकिन चंचल नदी सा अल्हड़पन नदारद मिलेगा.’’

अचानक ही वह मेरे नजदीक आ गई और उस ने चुपके से कल की पिक्चर के 2 टिकट मुझे पकड़ा दिए. फिर भरे मन से बोली, ‘‘भैया, इस से पहले कि भाभी डिप्रेशन में चली जाएं संभाल लो उन को.’’ ‘‘पर नेहा, मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा कि वह इतनी खिन्न, इतनी परेशान है,’’ मैं अभी भी नेहा की बात मानने को तैयार नहीं था.

‘‘भैया, ऊपरी तौर पर तो भाभी सामान्य ही लगती हैं, लेकिन आप को उन का सूना मन पढ़ना होगा. आप जिस सुख और वैभव की बात कर रहे हो, उस का लेशमात्र भी लोभ नहीं है भाभी को. एक बार उन की अलमारी खोल कर देखो, तो आप को पता चलेगा कि आप के दिए हुए सारे महंगे उपहार ज्यों के त्यों पड़े हैं और कुछ उपहारों की तो पैकिंग भी नहीं खुली है. उन्होंने आप के लिए क्या नहीं किया. आप को और आप के बेटों अंशु व नमन को शिखर तक पहुंचाने में उन का योगदान कम नहीं रहा. मांबाबूजी और मेरे प्रति अपने कर्तव्यों को उन्होंने बिना शिकायत पूरा किया, तो आप अपने कर्तव्य से विमुख क्यों हो रहे हैं?’’

‘‘पर पगली, पहले तू यह तो बता कि इतने ज्ञान की बातें कहां से सीख गई? तू तो अब तक एक अल्हड़ और बेपरवाह सी लड़की थी,’’ मैं नेहा की बातों से अचंभे में था.

‘‘क्यों भैया, क्या मैं शादीशुदा नहीं हूं. मेरा भी एक सफल गृहस्थ जीवन है. समर का स्नेहिल साथ मुझे एक ऊर्जा से भर देता है. सच भैया, उन की एक प्यार भरी मुसकान ही मेरी सारी थकान दूर कर देती है,’’ इतना कहतेकहते नेहा के गाल शर्म से लाल हो गए थे. ‘‘अच्छा, ये सब छोड़ो भैया और जरा मेरी बातों पर गौर करो. अगर आप 1 कदम भी उन की तरफ बढ़ाओगे तो वे 10 कदम बढ़ा कर आप के पास आ जाएंगी.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, अब बस भी कर. मुझे औफिस जाने दे, लेट हो रहा हूं मैं,’’ इतना कह कर मैं तेजी से बाहर निकल गया था. वैसे तो मैं सारा दिन औफिस में काम करता रहा पर मेरा मन नेहा की बातों में ही उलझा रहा. फिर घर लौटा तो यही सब सोचतेसोचते कब मेरी आंख लगी, मुझे पता ही नहीं चला. मैं उसी आरामकुरसी पर सिर टिकाएटिकाए सो गया.

‘‘भैया ये लो चाय की ट्रे और अंदर जा कर भाभी के साथ चाय पीओ,’’ नेहा की इस आवाज से मेरी आंख खुलीं.

‘‘तू भी अपना कप ले आ, तीनों एकसाथ ही चाय पिएंगे,’’ मैं आंखें मलता हुआ बोला.

‘‘न बाबा न, मुझे कबाब में हड्डी बनने का कोई शौक नहीं है,’’ इतना कह कर वह मुझे चाय की ट्रे थमा कर अंदर चली गई. जब मैं ट्रे ले कर स्वाति के पास पहुंचा तो मुझे अचानक देख कर वह हड़बड़ा गई, ‘‘आप चाय ले कर आए, मुझे जगा दिया होता. और नेहा को भी चाय देनी है, मैं दे कर आती हूं,’’ कह कर वह बैड से उठने लगी तो मैं उस से बोला, ‘‘मैडम, इतनी परेशान न हो, नेहा भी चाय पी रही है.’’ फिर मैं ने चाय का कप उस की तरफ बढ़ा दिया. चाय पीते वक्त जब मैं ने स्वाति की तरफ देखा तो पाया कि नेहा सही कह रही है. हर समय हंसती रहने वाली स्वाति के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी, जिसे मैं आज तक या तो देख नहीं पाया था या उस की अनदेखी करता आया था. जितनी देर में हम ने चाय खत्म की, उतनी देर तक स्वाति चुप ही रही.

‘‘अच्छा भाई. अब आप दोनों जल्दीजल्दी नहाधो कर तैयार हो जाओ, नहीं तो आप लोगों की मूवी मिस हो जाएगी,’’ नेहा आ कर हमारे खाली कप उठाते हुए बोली.

‘‘लेकिन नेहा, तुम तो बिलकुल अकेली रह जाओगी. तुम भी चलो न हमारे साथ,’’ मैं उस से बोला.

‘‘न बाबा न, मैं तो आप लोगों के साथ बिलकुल भी नहीं चल सकती क्योंकि मेरा तो अपने कालेज की सहेलियों के साथ सारा दिन मौजमस्ती करने का प्रोग्राम है. और हां, शायद डिनर भी बाहर ही हो जाए.’’ फिर नेहा और हम दोनों तैयार हो गए. नेहा को हम ने उस की सहेली के यहां ड्रौप कर दिया फिर हम लोग पिक्चर हौल की तरफ बढ़ गए.

‘‘कुछ तो बोलो. क्यों इतनी चुप हो?’’ मैं ने कार ड्राइव करते समय स्वाति से कहा पर वह फिर भी चुप ही रही. मैं ने सड़क के किनारे अपनी कार रोक दी और उस का सिर अपने कंधे पर टिका दिया. मेरे प्यार की ऊष्मा पाते ही स्वाति फूटफूट कर रो पड़ी और थोड़ी देर रो लेने के बाद जब उस के मन का आवेग शांत हुआ, तब मैं ने अपनी कार पिक्चर हौल की तरफ बढ़ा दी. मूवी वाकई बढि़या थी, उस के बाद हम ने डिनर भी बाहर ही किया. घर पहुंचने पर हम दोनों के बीच वह सब हुआ, जिसे हम लगभग भूल चुके थे. बैड के 2 सिरों पर सोने वाले हम पतिपत्नी के बीच पसरी हुई दूरी आज अचानक ही गायब हो गई थी और तब हम दोनों दो जिस्म और एक जान हो गए थे. मेरा साथ, मेरा प्यार पा कर स्वाति तो एक नवयौवना सी खिल उठी थी. फिर तो उस ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया था. हम दोनों थोड़ी देर सो कर सुबह जब उठे, तब हम दोनों ने ही एक ऐसी ताजगी को महसूस किया जिसे शायद हम दोनों ही भूल चुके थे. बारिश के गहन उमस के बाद आई बारिश के मौसम की पहली बारिश से जैसे सारी प्रकृति नवजीवन पा जाती है, वैसे ही हमारे मृतप्राय संबंध मेरी इस पहल से मानो जीवंत हो उठे थे.

रक्षाबंधन वाले दिन जब मैं ने नेहा को उपहारस्वरूप हीरे की अंगूठी दी तो वह भावविभोर सी हो उठी और बोली, ‘‘खाली इस अंगूठी से काम नहीं चलेगा, मुझे तो कुछ और भी चाहिए.’’

‘‘तो बता न और क्या चाहिए तुझे?’’ मैं मिठाई खाते हुए बोला. ‘‘इस अंगूठी के साथसाथ एक वादा भी चाहिए और वह यह कि आज के बाद आप दोनों ऐसे ही खिलखिलाते रहेंगे. मैं जब भी इंडिया आऊंगी मुझे यह घर एक घर लगना चाहिए, कोई मकान नहीं.’’

‘‘अच्छा मेरी मां, आज के बाद ऐसा ही होगा,’’ इतना कह कर मैं ने उसे अपने गले से लगा लिया. मेरा मन अचानक ही भर आया और मैं भावुक होते हुए बोला, ‘‘वैसे तो रक्षाबंधन पर भाई ही बहन की रक्षा का जिम्मा लेते हैं पर यहां तो मेरी बहन मेरा उद्धार कर गई.’’ ‘‘यह जरूरी नहीं है भैया कि कर्तव्यों का जिम्मा सिर्फ भाइयों के ही हिस्से में आए. क्या बहनों का कोई कर्तव्य नहीं बनता? और वैसे भी अगर बात मायके की हो तो मैं तो क्या हर लड़की इस बात की पुरजोर कोशिश करेगी कि उस के मायके की खुशियां ताउम्र बनी रहें.’’ इतना कह कर वह रो पड़ी. तब स्वाति ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया

Raksha Bandhan: सोनाली की शादी- भाग 3- क्या बहन के लिए प्रणय ढूंढ पाया रिश्ता

कुछ सोच कर प्रणय ताड़देव जा पहुंचा. अचानक मनपसंद संस्था का द्वार खुला और बाबूभाई बाहर निकले, ‘‘सुनिए?’’

‘‘जी, आप ने मुझ से कुछ कहा?’’ प्रणय ने पूछा.

‘‘हां, मैं आप ही से बात करना चाहता हूं. मैं कई दिनों से नोट कर रहा हूं कि आप हमारे दफ्तर के आसपास मंडराते रहते हैं और जो भी ग्राहक आता है, उसे फुसला कर ले जाते हैं. क्या आप किसी प्रतिद्वंद्वी संस्था के लिए काम करते हैं?’’

‘‘जी नहीं, और न ही मुझे आप के ग्राहकों में कोई दिलचस्पी है.’’

‘‘मेरी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश मत करो. मैं तुम्हारे हथकंडों से वाकिफ हूं. दरबान ने बताया है कि तुम कई बार हमारे ग्राहकों को बहका कर ले गए हो.’’

‘‘मैं आप के दफ्तर के बाहर किसी से भी मिलूं, बात करूं, इस से आप को क्या? यह इमारत तो आप की नहीं है. यह सड़क तो आप की नहीं है?’’ प्रणय ने बिगड़ कर कहा.

‘‘अरे, मुझे ऐसावैसा न समझना. मेरा नाम बाबूभाई है, क्या समझे? मैं इस इलाके का दादा हूं. बहुत होशियारी दिखाने की कोशिश की तो हाथपैर तोड़ कर रख दूंगा. अब यहां से चलते बनो, दोबारा मेरे दफ्तर के आसपास नजर आए तो तुम्हें बहुत महंगा पड़ेगा.’’

प्रणय ने वहां से खिसक जाने में ही भलाई समझी.

शाम को रणवीर सिंह के घर पहुंच कर उस ने घंटी बजाई तो एक स्थूलकाय, मूंछों वाले सज्जन ने द्वार खोला.

‘‘क्या रणवीर सिंह घर पर हैं?’’ प्रणय ने हौले से पूछा.

‘‘नहीं, वे व्यापार के सिलसिले में दिल्ली गए हुए हैं. आप कौन साहब हैं?’’

‘‘मैं उन का मित्र हूं.’’

‘‘उस के सारे मित्रों को तो मैं भलीभांति जानता हूं. आप को तो पहले कभी नहीं देखा.’’

‘‘मैं उन से कुछ रोज पहले मिला था…’’

‘‘आइए, अंदर आइए, कुछ ठंडावंडा पीजिए. मैं रणवीर का चाचा हूं, दिग्विजय सिंह.’’

वे उसे अंदर ले गए और खोदखोद कर प्रश्न करने लगे. जल्द ही उन्होंने प्रणय के मुंह से सब उगलवा लिया.

‘‘शादी?’’ वे भड़क गए. ‘‘अरे, जब घर में बड़ेबूढ़े मौजूद हैं तो इन छोकरों को अपने लिए लड़की तलाशने की क्या सूझी? हम लोग मर गए हैं क्या? और आप भी क्यों इस झमेले में अपना सिर खपा रहे हैं?’’

‘‘जी, मैं… नहीं तो, मेरी तो रणवीरजी से अचानक मुलाकात हो गई मनपसंद संस्था के बाहर.’’

‘‘मनपसंद संस्था किस चिडि़या का नाम है,’’ दिग्विजय सिंह के माथे पर बल पड़ गए.

‘‘यह एक वैवाहिक संस्था है. वहां पर जोडि़यां मिलाई जाती हैं, वहां के संचालक हैं, बाबूभाई.’’

‘‘बाबूभाई, कौन बाबूभाई?’’

‘‘बाबूभाई मनपसंद संस्था के संचालक हैं. वे अब तक पचासों शादियां करा चुके हैं.’’

‘‘अरे, बाबूभाई होता कौन है हमारे बेटे की शादी कराने वाला? उस की ऐसी जुर्रत कि हमारे घरेलू मामलों में दखल दे? उसे तो मैं देख लूंगा.’’

‘‘आप जरा उस से संभल कर रहें,’’ प्रणय ने डरतेडरते कहा, ‘‘वह बहुत खतरनाक आदमी है. ताड़देव इलाके का दादा है.’’

‘‘अरे, ऐसे बीसियों दादाओं को हम ने ठिकाने लगा दिया है. वह किस खेत की मूली है. अभी तुरंत जाते हैं, उस की सारी दादागीरी झाड़ देंगे. मेरा नाम भी दिग्विजय सिंह है. देखते हैं वह कितने पानी में है. अरे, कोई है?’’ वे दहाड़े, ‘‘हमारी कार निकालो.’’

प्रणय वहां से जान बचा कर भागा. नरीमन पौइंट पर वह हताश सा बैठा समुद्र की लहरों का उतारचढ़ाव देखता रहा.

‘‘हैलो, दोस्त,’’ सहसा उस के कानों में एक आवाज आई.

प्रणय ने चौंक कर देखा, सामने सतीश खड़ा था.

‘‘अरे यार, तुम?’’ प्रणय खुशी से चिल्लाया, ‘‘इतने दिन कहां गायब रहे? मैं ने तुम्हें कहांकहां नहीं तलाश किया. शहर के सारे गैस्टहाउस छान मारे. आखिर वादा कर के मुकरने की वजह?’’

‘‘अभी बताता हूं,’’ सतीश ने बताया कि उस रात जब वह प्रणय से मिल कर घर गया तो नर्गिस उस की राह में बैठी थी. बातोंबातों में जब सतीश ने कहा कि वह शादी करना चाहता है तो नर्गिस रोने लगी. उस ने रोतेरोते बताया कि वह उसे बेहद प्यार करती है. अगर उस ने उस के प्रेम को ठुकराया तो वह अपनी जान पर खेल जाएगी.

सतीश ने आगे कहा, ‘‘मेरा मन पसीज गया. मैं ने अपने मन को टटोला तो पाया कि मैं भी नर्गिस को बेहद पसंद करता हूं. सो, सोचा, शादी के लिए नर्गिस क्या बुरी है. अब मैं ने उस से शादी कर ली है और घरजमाई बन गया हूं.’’

‘ठीक है बेटा,’ प्रणय ने मन ही मन कहा, ‘छप्पनभोग से परसी थाली ठुकरा दी, अब खाते रहना जिंदगीभर आमलेट.’

प्रणय घर पहुंचा तो टैलीफोन की घंटी घनघना रही थी. उस ने रिसीवर उठाया तो उधर से दीपाली बोली, ‘‘प्रणय, आजकल कहां रहते हो? कई दिनों से तुम्हारी सूरत नहीं दिखी. खैर, एक खुशखबरी सुनो, दीदी की शादी तय हो गई है.’’

‘‘अरे, कब हुई? किस से हुई?’’ प्रणय ने प्रश्नों की बौछार लगा दी.

‘‘दीदी जिस कालेज में पढ़ाती हैं, वहीं के एक प्राध्यापक निरंजन से.’’

‘‘यह तो कमाल हो गया. क्या उन में वे सभी बातें हैं, जो सोनाली को चाहिए थीं?’’

‘‘क्या पता. अब तुम जल्दी से घर आ जाओ. निरंजनजी हमारे घर आ रहे हैं. जानते हो, दीदी का उन से कुछ चक्कर चल रहा था. शायद इसीलिए उन्होंने इतने लड़कों को नापसंद कर दिया. खैर, मैं ने सोचा कि यही मौका है कि हम भी अपने प्यार की बात जगजाहिर कर दें. तो आ रहे हो न?’’

‘‘आ रहा हूं जानेमन, तुरंत आ रहा हूं,’’ प्रणय ने चहकते हुए जवाब दिया.

सफर अनजाना मैंसिविल सर्विसेज की परीक्षा देने पटना गई थी. परीक्षा खत्म होने के बाद मेरे मातापिता हजारीबाग चले गए और मैं अपनी बहन के साथ वापस दिल्ली आ रही थी. हमारा टिकट तूफान मेल का था.

इस ट्रेन से दिल्ली तक का सफर 24 घंटे का है. दरअसल, हम ने जिसे टिकट लेने भेजा था, उस ने गलत टिकट ले लिया. स्लीपर क्लास की 2 टिकटें हमारे पास थीं. मैं अपनी बहन के साथ एसी कोच में बैठ गई और टीटीई का इंतजार करने लगी.

उस ट्रेन में मात्र एक ही एसी कोच था. ट्रेन चलने के डेढ़ घंटे बाद टीटीई के आने पर मैं ने उन्हें अपनी समस्या बता कर एसी कोच में 2 टिकट देने को कहा.

इत्तफाक से 4 सीटें खाली थीं, जिस के कारण हमें आसानी से टिकट मिल गए. टीटीई ने स्लीपर के टिकटों का पैसा काट कर मुझे 1,140 रुपए का टिकट दिया.

मैं ने पैसे देने के लिए जब पर्स ढूंढ़ा तो मुझे वह कहीं नहीं मिला. तभी मेरी मम्मी का फोन आ गया.

मम्मी ने कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारा पर्स मेरे पास ही रह गया.’’ हम दोनों बहनों के पास कुल मिला कर 1,400 रुपए ही थे, जिस में कि एक 500 रुपए का नोट फटा हुआ था, जिसे लेने से टीटीई ने मना कर दिया.

टीटीई ने कहा, ‘‘आप को स्लीपर कोच में जाना पड़ेगा.’’

तभी एक लड़का, जो हमारी बातें सुन रहा था, ने तुरंत आ कर टीटीई को 500 रुपए का नोट दे दिया और मुझ से वह फटा नोट ले लिया. मैं ने सोचा कि वह शायद कोई जानपहचान का है, जिसे मैं नहीं पहचान रही हूं, लेकिन बाद में बात करने पर पता चला कि हम दोनों एकदूसरे से अनजान थे. मैं ने उस लड़के का शुक्रिया अदा किया तब उस ने कहा, ‘‘इंसान ही इंसान के काम आता है. जरूरत पड़ने पर आप भी किसी की मदद कर दीजिएगा.’’

वह लड़का अगले स्टेशन पर ही उतर गया. आज भी मैं उस घटना को याद कर घबरा जाती हूं कि अगर उस दिन उस अनजान शख्स ने हमारी मदद नहीं की होती तो इतना लंबा सफर तय करना बहुत मुश्किल होता. अब मैं हर सफर पर जाने से पहले अपनी हर चीज संभाल कर रखती हूं ताकि उस दिन की तरह मुझे कोई परेशानी न उठानी पड़े.

Raksha Bandhan: कन्यादान- भाग 2- भाई और भाभी का क्या था फैसला

उन्मुक्त की शादी में श्रेयसी को बहुत दिनों बाद देखा था मंजुला ने. श्रेयसी के लिए फैशनेबल कपड़े पहनना मना था. उसे केवल सलवारकुरता पहनने की इजाजत थी. दुपट्टा हर समय पहनना जरूरी था. भाभी की हर समय की डांटफटकार से श्रेयसी को अकेले में आंसू बहाते हुए देख, वह भी रो पड़ी थी.

उस के आंसू देख भाभी गरम हो कर बोली थीं, ‘अपने टेसुए किसी और को दिखाना, अपनी चालचलन ठीक रखो. लड़कियों का जोरजोर से हंसना अच्छा नहीं होता. इतनी जोर के ठहाके क्यों लगाती हो? चल कर नाश्ता लगाओ.’

यदि वह उन्मुक्त से मजाक करती, तो भाभी जोर से डांट कर कहतीं, ‘लड़कों के बीच घुसी रहती हो, चलो, ढोलक बजाओ और औरतों के साथ बैठो.’

ऐसी बातें सुन कर सब का मन खराब हो गया था. भैयाभाभी के चले जाने के बाद सब ने चैन की सांस ली थी. सब अपनीअपनी दुनिया में व्यस्त हो गए थे. प्यारी सी बहू छवि के आने के बाद घर में रौनक आ गई थी.

8 महीने बीते थे कि एक दिन मंजुला के मोबाइल पर भाभी का फोन आया, ‘जीजी, श्रेयसी रिसर्च करना चाहती है. इसलिए हम लोग आप पर विश्वास कर के उसे लखनऊ भेज रहे हैं. वह लड़कियों वाले होस्टल में रहेगी. आप लोगों के विश्वास पर ही उसे आगे पढ़ने के लिए भेज रहे हैं. मेरा तो बहुत जी घबरा रहा है. समय बहुत खराब है. आजकल लड़कियों के कदम बहकते देर नहीं लगती है.’

‘भाभी, घबराने की कोई बात नहीं है. श्रेयसी बहुत समझदार है. आप ठीक समझो तो श्रेयसी को मेरे घर पर ही रहने दो. मुझे अच्छा ही लगेगा. छवि और आयुषी के साथ उस को खूब अच्छा लगेगा.’

भाईसाहब और भाभी श्रेयसी को ले कर आए. 3 दिन रह कर होस्टल में उस की सब व्यवस्था करवाई. चुपचुप, सहमी और गंभीर श्रेयसी को देख कर मन में प्रश्नचिह्न उठा, समझ में नहीं आया कि क्या बात है. एक रात अकेले में भाभी अपने मन का गुबार निकालते हुए बोली थीं, ‘जीजी, अब तुम से क्या छिपाएं. श्रेयसी के पीछे एक बदमाश लड़का पड़ा हुआ है, इसलिए इस को वहां से दूर भेजना आवश्यक हो गया था. हम लोगों ने बहुत हाथपैर मारे, लेकिन कहीं भी रिश्ता तय नहीं हो पाया. इसलिए मजबूरी में यहां ऐडमिशन करवाना पड़ रहा है. इस की सुंदरता इस की दुश्मन बन बैठी है.’

सच ही श्रेयसी को कुदरत ने बड़े मन से गढ़ा था. दूध सा गोरा, सफेद संगमरमर सा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, लंबे व काले घुंघराले बाल. बिना मेकअप के भी वह परी सी दिखती थी.वे आगे बोली थीं, ‘जीजी, जीजाजी तो उसी कालेज में ही प्रोफैसर हैं. वे श्रेयसी पर निगाह रखेंगे. हम इस के लिए लड़का ढूंढ़ रहे हैं. जैसे ही कहीं बात बनी, तुरंत शादी कर देंगे.’ भाभी अपने दिल का बोझ हलका कर के भाईसाहब के साथ अपने घर चली गई थीं.

श्रेयसी होस्टल में रह रही थी. उस की रूमपार्टनर जूली थी, जिस से उस की दोस्ती हो गई थी. उस का भाई रौबर्ट उसी कालेज में लैक्चरर था. जूली के साथ ही श्रेयसी उस के भाई से मिली. रौबर्ट पहली नजर में ही श्रेयसी की सुंदरता पर मर मिटा. शायद मन ही मन श्रेयसी को भी वह अच्छा लगा था.

रौबर्ट ईसाई था परंतु सुलझा और समझदार युवक था. वह अनिरुद्ध से कालेज में कई बार मिल चुका था. अनिरुद्ध उसे पसंद भी करते थे. भाईसाहब और भाभी के लिए उस का ईसाई होना सब से बड़ा दुर्गुण था. श्रेयसी छोटे शहर और भाभी के अनावश्यक प्रतिबंधों से आजाद होने के बाद होस्टल के रंगबिरंगे माहौल में जल्द ही रम गई. उस के तो पर ही निकल पड़े. पहले तो हर शनिवार की शाम को आती रही, फिर धीरेधीरे उस ने आना बंद कर दिया.

आयुषी और छवि जब भी उस से मिलने गए, वह उन्हें मिली नहीं. फोन पर कभीकभी बात हो जाती तो अब उस के सुर बदल चुके थे. अब वह हौलीवुड फिल्में, पिकनिक, पीजा, बर्गर और पार्टी की बातें करने लगी थी.

उस को घर आए बहुत दिन हो गए थे, इसलिए एक दिन मंजुला ने खुद फोन कर के उस से आने को कहा. वह आई, जींसटौप में बहुत स्मार्ट लग रही थी. अनिरुद्ध उसे देख कर बड़े खुश हुए, ‘श्रेयसी, तुम होस्टल में रह कर बिलकुल बदल गई हो.’

‘फूफाजी, मेरी रूममेट जूली कहती है, ‘जैसा देश वैसा भेस’ समय के साथ कदम मिला कर चलो, तभी आगे बढ़ पाओगी. मैं सलवारसूट पहनती थी तो पूरे डिपार्टमैंट में मेरा नाम बहनजी पड़ गया था. सैमिनार में जाती, तो क्लास के लड़केलड़कियां खीखी कर हंसते थे, और मुझे हूट करते थे. मैं ने अपने पुराने चोले को उतार फेंका. इस में जूली ने मेरी बहुत मदद की.’

फिर वह होस्टल चली गई. एक शाम कालेज से आने के बाद अनिरुद्ध बोले, ‘मंजुला, तुम श्रेयसी को बुला कर एक दिन बात करो. आज स्टाफरूम में रौबर्ट के साथ श्रेयसी का नाम जोड़ कर लोग खुसुरफुसुर कर रहे थे. ये दोनों यहांवहां अकसर साथ में दिखाई भी पड़ जाते हैं.’

मंजुला परेशान हो उठी थी. उस के मुंह से निकल पड़ा, ‘भाईसाहब और भाभी तो ये सब बातें सुन कर आपे से बाहर हो जाएंगे. उन्होंने तो हमीं लोगों की जिम्मेदारी पर उसे यहां छोड़ा था.’

‘हां, मैं भी यह सब देखसुन कर परेशान हूं. श्रेयसी के तो रंगढंग ही बदल गए हैं.’

वह मन ही मन सोचती रह गई कि एक शाम श्रेयसी अपनी दोस्त जूली के साथ उस की स्कूटी पर आ गई. सब की प्रश्नवाचक निगाहों का जवाब दे कर बोली, ‘बूआ, यह जूली है. इसे हिंदी नहीं आती, इसलिए यह मुझ से हिंदी सीख रही है. और यह मुझे फ्रैंच सिखा रही है. हम लोग लाइब्रेरी में पढ़तेपढ़ते बोर हो गए थे, तो जूली बोली कि चलो, अपनी फैमिली से मिलवाओ. बस, मैं इसे ले कर यहां आ गई.’

‘अच्छा किया, जो तुम आ गईं. मुझे तुम से कुछ बात भी करनी है. तुम्हारी यह दोस्त हम लोगों का खाना पसंद करे तो खाना खा कर जाना.’

जूली खाने की बात सुन कर खिल उठी, ‘मुझे इंडियन खाना बहुत पसंद है. मेरी मां भी इंडियन खाना कभीकभी बनाती हैं. मेरे पापा तो इंडिया में रहते हुए पूरे शाकाहारी बन गए हैं.’

‘श्रेयसी, इधर मेरे साथ अंदर आना. तुम से कुछ बात करनी है,’ मंजुला ने कहा.

‘बूआ, क्या बात है? बड़ी गंभीर दिख रही हैं आप, कोई खास बात?’

‘साफसाफ शब्दों में कहूं तो तेरा और रौबर्ट का कोई चक्कर चल रहा है क्या?’

उस के चेहरे का उड़ा हुआ रंग देख समझ में आ गया था कि बात सच है. वह अपने को संभाल कर बोली, ‘बूआ, ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप सोच रही हैं. उस से एकाध बार हायहैलो जूली की वजह से हुई है, बस.’ इतना कह

कर वह तेजी से जूली के पास जा कर बैठ गई.

खाने की मेज पर श्रेयसी का तमतमाया चेहरा देख पहले तो सब शांत रहे, फिर थोड़ी ही देर में शुरू हो गया बातों का सिलसिला. फिल्म, फैशन, एसएमएस, फेसबुक, यूट्यूब की गौसिप पर कहकहे. जूली हिंदी अच्छी तरह नहीं समझ पा रही थी, इसलिए वह खाने का स्वाद लेने में लगी हुई थी. मिर्च के कारण उस की आंख, नाक और कान सब लाल हो रहे थे. चेहरा सुर्ख हो रहा था. खाना खाने के बाद आंखों के आंसू पोंछते हुए वह बोली, ‘वैरी टैस्टी, यमी फूड.’ उस की बात सुनते ही सब जोर से हंस पड़े थे. श्रेयसी किचन से रसगुल्ला लाई और उस के मुंह में डाल कर बोली, ‘पहले इस को खाओ, फिर बोलना.’

श्रेयसी जूली की स्कूटी पर बैठी और बाय कहती हुई चली गई. अनिरुद्ध बोले, ‘जूली अच्छी लड़की है.’

Grihshobha Cooking Queen: हैल्दी ईटिंग हैबिट्स को अपनाएं

तीज के उपलक्ष्य पर दिल्ली प्रैस  द्वारा गृहशोभा कुकिंग क्वीन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें पंसारी ग्रुप ने सेहत आपकी वादा हमारा का स्लोगन देकर प्रतियोगिता में मौजूद महिलाओं को अपने घर परिवार के साथ खुद की भी हेल्थ का ध्यान रखने की सलाह दी.  इस इवेंट में सेहत, कुकिंग और वीमेनहुड पर सारा फोकस था.  कार्यक्रम दिल्ली के जनकपुरी के दिल्ली हाट में स्थित स्टारडम बैंकुएट हाल में 17 , अगस्त, 2023 को आयोजित किया गया. जिसमें बढ़चढ़ कर महिलाओं ने हिस्सा लिया.

कहते हैं न की अगर कार्यक्रम की शुरुआत मजेदार तरीके से हो, तो पूरे कार्यक्रम में जान आ जाती है.
और ऐसी ही जोश के साथ हुई इस मजेदार कार्यक्रम की शुरुआत. जिसका श्रेय एंकर अंकिता मंडाल
को जाता है. जिन्होंने वहां मौजूद महिलाओं में मजेदार एक्टिविटीज से कार्यक्रम की शुरुआत करके
उसमें जोश उत्पन्न करने का काम किया और ये जोश व उत्साह उनमें आखिर तक देखने को मिला.

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न्यूट्रिशन सैशन 

इसके बाद नूट्रिशनिस्ट निकिता अग्रवाल ने स्टेज पर आकर प्रोग्राम में और जान डालने का काम किया. उन्हें कहां कि ये सच है कि आज महिलाएं अपनों की हैल्थ का ध्यान रखतेरखते जानेअनजाने में खुद की हैल्थ को पूरी तरह से इग्नोर कर रही हैं.  जो उन्हें धीरेधीरे स्ट्रेस , एंग्जायटी , हार्मोन इम्बैलेंस , वेट गेन जैसी समस्याओं की गिरफ्त में ले जा रहा है.

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ऐसे में उनके लिए जरूरी है कि वे पूरे दिन में खुद के लिए कुछ मिनट निकालें, जिसमें वे नियमित एक्सरसाइज करें और खासकर के अपने खानपान का खास ध्यान रखें. अपने खानपान में सीड्स, फर्मेन्टेड फूड और जूस की जगह फ्रूट्स को शामिल करें. वहीं हैल्दी व वेट को मैनेज करने के लिए थोड़ीथोड़ी देर में  थोड़ाथोड़ा हैल्दी खाते रहें. जिससे एकसाथ ढेर सारा खाने की आदत छूटेगी यानि आपको पोरशन कंट्रोल करना आ सकेगा. जितना हो सके आप अपनी डाइट में मिलेट्स को शामिल करना न भूलें. ये हैल्दी हैबिट्स आपको बीमारियों से दूर रखने के साथ आपके वजन को भी तेजी से कम करने का काम करेगी, जो आज सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है.

बीचबीच में कई गेम्स के सेशन हुए, जिसे वहां मौजूद महिलाओं ने खूब एंजोय किया और साथ ही उसमें अपने हुनर से प्राइस भी जीतें. जिससे उनका उत्साह और बढ़ गया.

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शेफ सैशन 

इसके बाद प्रोग्राम में और जान डाली मास्टर शेफ सीजन 2 की विनर शिप्रा खन्ना ने. जिन्होंने मिलेट्स पर तो जोर दिया ही, साथ ही महिलाओं को उनकी हैल्थ के लिए अवेयर करने के लिए ये समझाया कि हम सब छोटे नहीं बल्कि उम्र में बढ़ ही रहे हैं. इसलिए परिवार के हर सदस्य के साथ आपको भी अपनी हैल्थ का ध्यान रखने की जरूरत है. इस मौके पर उन्होंने ‘ राइस रोल्स’ बनाए. जिसमें उन्होंने लेफ्टओवर राइस का इस्तेमाल करते हुए उसमें हैल्दी चीजों का इस्तेमाल करके डिश को टेस्टी बनाने के साथसाथ हैल्दी बनाया. सेकंड रेसिपी ‘ जवार की मीठी मठरी’ बनाई. जिसमें तिल का इस्तेमाल भी किया गया. जिसे सभी ने खूब पसंद किया.

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कुकिंग क्वीन प्रतियोगिता

कार्यक्रम की मुख्य थीम ‘कुकिंग क्वीन’ प्रतियोगिता थी. जिसके लिए 20 मिनट्स स्वीट मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, क्योंकि तीज के उपलक्ष्य पर कुछ मीठा तो बनता है . जिसमें वहां मौजूद 5 महिलाओं का चयन किया गया. जिसमें रविंदर गुप्ता, शशि श्रीवास्तव , अंजलि बंसल  , अनीता व गौरी बत्रा का नाम शामिल है. जिन्होंने कुकिंग रूल्स को फोलो करते हुए लाजवाब रेसिपीज बनाई. जिसमें ‘कुकिंग क्वीन’ बनीं शशि श्रीवास्तव.

जिन्होंने ‘सुजीबेसन हलवा ‘ इन हार्ट शेप में बनाया. वहीं फर्स्ट रनरअप गौरी बनीं , जिन्होंने ‘रागी पैनकेक’ बनाए. सेकंड रनरअप अंजलि बंसल बनीं , जिन्होंने  ‘कोकोनट लड्डू’ बनाया , जिसमें बनाना मिक्सचर का इस्तेमाल किया गया था.  इसी के साथ रविंदर को ‘ सूजी का हलवा’ बनाने के लिए व अनीता को ‘ मालपुए ‘ बनाने के लिए कंसोलेशन प्राइज दिया गया. इस प्रतियोगिता में महिलाओं ने दिखा गया कि महिलाओं का खाना बनाने में कोई जवाब नहीं.

विनर्स… 

इसके बाद रेसिपी विनर रहीं , कमलजीत कौर, जिन्होंने ओट्स केक बनाया. कंसोलेशन प्राइज मिला, मीनाक्षी, सुमन व मीनाक्षी अग्रवाल को. इसके बाद  ‘मोस्ट एनर्जेटिक वीमेन’ का खिताब मिला ,  रेखा को. ‘मोस्ट कॉंफिडेंट ‘ बनीं  दीक्षा.  वहीं ‘मोस्ट स्टाइलिश ‘ का खिताब मिला, श्वेता को. इस इवेंट में ‘मिस तीज’ बनीं वीना. जो एलिगेंट के साथ उनका कॉन्फिडेंस देखने लायक था. आखिर में सभी को गुडडी बैग्स दिए गए.

Anupamaa: पाखी की जिंदगी मे आया तूफान, अधिक पर लगा रेप का आरोप

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर अनुपमा में काफी समय से ड्रामा चल रहा है. शो के मेकर्स घरेलू हिंसा का मुद्दा लेकर आ गए है. वहीं शो में पाखी और अधिक के जरिए रेप जैसे मुद्दे उठाए जा रहे है. टीवी सीरियल अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में अधिक का जबरदस्त ड्रामा देखने के लिए मिलेगा, जिसमें पाखी पूरी तरह फंस कर रह जाएगी.

पाखी के सामने अधिक ने मांगी माफी

रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर अनुपमा में देखने को मिलेगा कि अधिक पाखी के सामने घुटनों के बाल बैठ कर माफी मांगता है. वह रोते हुए पाखी को अपने रिश्ते को सुधारने के लिए एक मौका देने के लिए कहता है और पाखी भी उसकी बातों में बहुत आसानी से आ जाती है. वह अपने परिवार के खिलाफ जाकर अधिक को माफ कर देती है. इस दौरान पाखी साफ बोलती है कि वह किसी भी कीमत पर अपना रिश्ता नहीं टूटने देगी. हालांकि, इस अनुपमा, वनराज और बाकी सब पाखी को बहुत समझते है.

 

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अनुपमा अधिक को देगी चेतावनी

टीवी सीरियल अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि अनुपमा अधिक की नौटकी देखकर भड़क जाती है. वह अधिक से कहेगी, अधिक मेहता मेरी बात कान खोलकर सुन लो. तूने मेरी बेटी पर हाथ उठाया है. पाखी तुझे माफ कर सकती है, लेकिम हम से कोई भी तुझे माफ नहीं करेगा. तूने मेरी आंखों के नीचे मेरी बच्ची पर हाथ उठाया है. फिर भी मैं चुप हूं क्योंकि इसने तेरा साथ देने का फैसला किया है. इसलिए इसकी माफी और प्यार का सम्मान करना. इसके बाद भी तून मेरी बेटी पर हाथ उठाया या फिर उसे तकलीफ दी कन्हा की सौगंध ये मां तेरा वो हाल करेगी जो तू सपने में भी सोच नहीं सकता. याद रखना अधिक मेहता मेरी नजर तुम दोनों पर ही रहेगी.

 

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‘OMG 2’ एक्टर पंकज त्रिपाठी के पिता का 99 वर्ष की उम्र में निधन

‘ओएमजी 2’ अभिनेता पंकज त्रिपाठी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट चुका है. ‘ओएमजी 2’ की सफलता के बीच बेहद दुखद खबर आई है. बॉलीवुड के  अभिनेता पंकज त्रिपाठी के पिता पंडित बनारस तिवारी का सोमवार को 99 वर्ष की आयु में निधन हो गया. अभिनेता पंकज त्रिपाठी और उनके परिवार के लोगों ने आधिकारिक बयान में कहा है, “भारी मन से यह पुष्टि करनी पड़ रही है कि पंकज त्रिपाठी के पिता पंडित बनारस तिवारी अब नहीं रहे. उन्होंने 99 साल का स्वस्थ जीवन जीया. उनका अंतिम संस्कार सोमवार को उनके करीबी परिवार के बीच किया गया है. पंकज त्रिपाठी फिलहाल गोपालगंज में अपने गांव में है.

अभी हाल ही में पंकज त्रिपाठी की फिल्म ‘ओएमजी 2’ बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई.

अक्षय कुमार ने किया ट्वीट

‘ओएमजी 2’ में पंकज के साथ काम कर चुके अक्षय कुमार ने एक ट्वीट शेयर किया. “मेरे दोस्त और सह-कलाकार @त्रिपाठीपंकज के पिता के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ. माता-पिता की कमी को कोई पूरा नहीं कर सकता. भगवान उनके पिता की आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें. शांति.”

पंकज के पिता चाहते थे- ‘वह डॉक्टर बने’

पंकज ने इंटरव्यू में अपने पिता के बारे में बताया था कि वे कैसे उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे. “मेरे पिता चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं. वह स्थान जहां मैं रहता हूं. उत्तरी बिहार के गोपालगंज का एक गांव जहां लोग, केवल दो पेशे जानते हैं- एक इंजीनियर या एक डॉक्टर. मैं किसान का बेटा हूं. मेरा गांव इतना पिछडा है कि वहां अभी भी अच्छी सड़कें नहीं बनी हैं,” उन्होंने यह बात 2018 में एक इंटरव्यू में कहा था.

 

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पिता को पंकज के काम में कोई दिलचस्पी नहीं थी

अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने खुलासा किया था कि उनके पिता को उनके अभिनय करियर के बारे में बहुत कम जानकारी थी. मीडिया इंटरव्यू में  पंकज ने कहा, ”उन्हें मेरी उपलब्धियों पर ज्यादा गर्व नहीं है. मेरे पिता को यह भी नहीं पता कि मैं सिनेमा में क्या और कैसे करता हूं.’ उन्होंने आज तक नहीं देखा कि कोई सिनेमाघर अंदर से कैसा दिखता है. अगर कोई उन्हें अपने कंप्यूटर पर या टेलीविजन पर दिखाता है, जो हाल ही में मेरे घर पर लगाया गया है तो वह मेरा काम देखता है.”

लिव इन धोखा है: भाग 3- आखिर क्यों परिधि डिप्रेशन में चली गई

एकदूसरे की बांहों में बांहें डाले वे दोनों मस्ती में थिरकते रहे. कुछ नशे का सुरूर और कुछ खुशी की मस्ती… दोनों होश खो बैठे थे. उस खास दिन के लिए परिधि ने होटल में हनीमून सूट बुक किया हुआ था. आज की रात को वह अपने जीवन की मधुरयामिनी की तरह जी लेना चाहती थी.रूम के बाहर डू नौट डिस्टर्ब का कार्ड लगा दिया था.

परिधि की जब आंख खुली तो दोपहर के 11 बज गए थे. उस ने अपने चारों

तरफ नजरें दौड़ाईं तो विभोर कहीं नहीं दिखाई पड़ा, उस का सिर दर्द से फट रहा था. परंतु रात के सुखद पलों को याद कर के उस के चेहरे पर मुसकान की रेखा खिंच गई. वाशरूम देखा खाली था.  उस के कपड़े भी कहीं नहीं दिखे तो जल्दी से वह अपने कपडे़ पहन तैयार हुई, इस बीच वह बारबार विभोर का नंबर मिलाती रही लेकिन नंबर नहीं मिला. वह परेशान हो उठी. कमरे में आई तो वहां विभोर का बैग न देख कर मन आशंकाओं से घिर गया. उस ने विभोर के फ्रैंड कार्तिक को फोन लगाया तो असलियत सुनते ही वह गश खा कर गिर गई.

‘‘विभोर तो आस्ट्रेलिया की फ्लाइट में बैठ चुका होगा,’’ यह सुनते ही सहसा विश्वास ही नहीं कर पाई. कार्तिक ने बताया कि उस का वीजा बन कर आ चुका था. यह सारा प्रोसैस तो काफी दिनों से चल रहा था. क्या विभोर ने तुम्हें कुछ भी नहीं बताया था?

ये सब सुन कर उस के हाथ से मोबाइल गिर गया. वह क्रोधित हो कर अपना सामान उठाउठा कर फेंकने लगी थी. फिर निराश हो कर अपने बैड पर बदहवास गिर और फूटफूट कर रोने लगी. लेकिन क्षणभर में ही वह क्रोधित हो कर चीखने लगी.

अब यह तो वह सम?ा गई थी कि विभोर ने अपने प्यार की मीठीमीठी बातों के जाल में फंसा कर उसे धोखा दिया. विभोर जालसाज है… उस अपने चारों तरफ अंधकार छाया दिखाई पड़ रहा था. उस ने अपना सामान पैक किया और छुट्टी का मेल लिख कर फ्लाइट में बैठ अपने घर मेरठ पहुंच गई.

जब उस की मां सविताजी ने अचानक किसी पूर्व सूचना के उसे आया देखा तो सोचा यह उस लड़के को ले कर आई है. लेकिन जब सविताजी ने उस के उदास व उतरे चेहरे को देखा तो उस पर बरस पड़ीं, ‘‘तेरा आशिक तुझे छोड़ कर भाग गया. मैं तो पहले से ही जानती थी,’’ अब रो अपने कर्मों पर…

‘‘तेरी बेवकूफी के कारण जानेबूझे परिवार का इतना अच्छालड़का हाथ से निकल गया. मेरे तो कर्म ही फूटे हैं जो ऐसी नालायक लड़की पैदा हुई. तुम नौकरी करने गई थी कि इश्क लड़ाने?’’

‘‘हम ने पहले ही कह दिया था कि पैसा जोड़ कर रखो… शादी में काम आएगा… तेरी पढ़ाई में ही लाखों खर्च हो गए… 2 साल से नौकरी कर रही हो, कितना पैसा है तुम्हारे अकाउंट में?’’

‘‘बस चुप हो जाओ मां…’’

‘‘तुम इतने दिन से नौकरी कर रही थी कि घास काट रही थी?’’

उस ने अपना कमरा जोर से बंद कर लिया और फिर फफक पड़ी कि वह क्या करे?

कहां जाए? अपना दर्द किससे साझ करे? उस ने रात में खाना भी नहीं खाया, लेकिन जब पापा ने उसे समझया कि जीवन रुक जाने का नाम नहीं है… चलते  रहना ही जीवन है… जैसे सुबह के बाद शाम अवश्य आती है वैसे ही जीवन में सुख और दुख तो आतेजाते रहते हैं. पापा की बातों से मन को तसल्ली मिली परंतु रात आते ही विभोर के आलिंगन की तड़प से उस की आंखों की नींद रूठ गई.. उस ने लैपटौप से टिकट बुक किया और बैग पैक कर के फिर से बैंगलुरु के अपने कमरे में आ गई. वह विभोर को भूल कर दोबारा अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करना चाहती थी.

निराशाहताशा के कुहासे से जल्द ही उस ने अपने को आजाद कर लिया. परंतु उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि जैसे विभोर ने उसे धोखा दिया है. अब वह भी इसी तरह से लड़कों के साथ प्यार का नाटक कर के उन के पैसों पर ऐश कर के उन्हें चीट किया करेगी. उन के संग बड़े रैस्टोरैंट में डिनर करेगी, डांस करेगी और उन के पैसों पर ऐश किया करेगी. उस ने नित नए लड़कों के साथ दोस्ती कर के संबंध बनाना शुरू कर दिया. वह बड़ीबड़ी गाडि़यों वाले रईसजादों को देख कर उन से दोस्ती करती. उन के साथ बार में बैठ कर जाम छलकाती फिर बांहों में बांहें डाल कर डांस करती.

दूसरों को धोखा देतेदेते वह कब खुद नशे की शिकार बनती चली गई. यह जान ही नहीं पाई. सुबह आंख खोलते ही चाय की जगह जाम की तलब लगने लगी. यही वजह थी कि वह दिनभर नशे में धुत्त रहने लगी.

नित नए साथियों के साथ मस्ती करते हुए भी विभोर की यादें उस का पीछा नहीं छोड़ रही थीं. उस के जीवन में जो खालीपन था वह नहीं भर पा रहा था.

उस के जीवन का सूनापन दूर नहीं हो पा रहा था. उस का मन हर घड़ी बेचैन रहता. विभोर के साथ बिताए हुए खुशनुमा लमहें उस की आंखों के सामने नाचने लगते.

औफिस के काम में उस का मन नहीं लगता. वह अकसर गलतियां कर बैठती. बौस नाराज होते. उसे वार्निंग मिल चुकी थी. वह हर समय खोईखोई सी रहती… गहरे अवसाद की शिकार हो चुकी थी. अब उस की नौकरी भी छूट गई. फ्लैट का किराया कहां से दे? अब क्या करे? कहां जाए?

मां का तो कोई सहारा ही नहीं था. वे कभी उसे समझ ही नहीं पाई थीं… वे तो उस की  नौकरी के ही खिलाफ थीं. इसीलिए हमेशा डांटतीडपटती रहतीं.

हंसतीखिलखिलाती परिधि अब अवसाद के अंधेरे में डूब कर मानसिक रोगी बनती जा रही  थी. एक गलत निर्णय ने उस के जीवन को पतन के गर्त में पहुंचा दिया था. जब वह कई दिनों से कमरे से बाहर नहीं निकली, दूध की कई थैलियां बाहर रखी देख कर फ्लैट की मालकिन ने जब पुलिस को बुलाया तो वह अपने बैड पर नशे में धुत्त बेहोश पड़ी थी, उस के चारों तरफ खाली बोतलें रखी थीं. पुलिस ने उस के मोबाइल से उस के पापा के नंबर पर कौल की. उन्होंने निया का नंबर निकाल कर उसे बुलाया. वह भागती हुई आई और अपनी हंसतीखिलखिलाती फ्रैंड की दशा देख उस की आंखें बरस पड़ीं.

परिधि को जब होश आया तो वह निया को देख कर लड़खड़ाती आवाज में बोली, ‘‘तू सही कह रही थी कि लिव इन धोखा है.’’

डायबिटीज पेशेंट के लिए वरदान से कम नहीं बाजरा, जानें इसके अनगिनत फायदे

बाजरा सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. यह अनाज पोषक तत्वों से भरपूर है. बाजरा में डाइट्री फाइबर प्रोटीन और कई विटामिन्स पाए जाते हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं. बाजरा में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अमीनो एसिड, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, फाइबर और राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड, थायमिन, नियासिन और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. बाजरा सेवन करने से कई फायदे मिलते है. इसके अनगिनत फायदे है. आज ही आहार में शामिल करें बाजरा. आप इससे दालिया और खिचड़ी बना सकते है.

बाजरा के अनगिनत फायदे (Bajra Health Benefits)

  • बाजरा पेट के लिए हमेशा से हल्का मना गया है जिनकों पेट संबधिंत समास्याएं, अल्सर और एसिडिटी की समास्या होती है उनके लिए बाजरा काफी असरदार साबित होगा.
  • कब्ज की समास्या में राहत दिलाता है. यह शाकाहारियो के लिए प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत है.
  • डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है बाजरा. क्योंकि इसमें ग्लाइेमिक इंडेक्स कम होता है इसी वजह से यह ब्लड शुगर के लेवल को सामान्य रखता है.
  • बजरा में मैग्नीशियम पाया जाता है जो दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. बीपी, डायबिटीज और हृदय रोगों के जोखिमों कारकों रोकने में मदद करता है.

इस तरह से डायट में शामिल करें

  1. बाजरे की रोटी

आप बाजरे की रोटी बना सकते है. इसको बनाना बहुत आसान है. इसे बनाने के लिए एक बर्तन में बाजरे का आटा लें और इसे गर्म पानी से गूंथ लें. चाहें तो आप इसमें घी भी मिला सकते हैं, इससे रोटियां नरम और फूली हुई बनेंगी.

2. मिक्स वेज खिचड़ी

बाजरे की खिचड़ी बनाना काफी आसान है, कई सारी सब्जियों का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए आप प्रेशर कुकर गर्म करें, कम मात्रा में तेल डाले. फिर प्याज, शिमला मिर्च, मटर, गाजर आदि सब्जियां डालकर भूनें. अब इसमें भिगे हुए मूंग दाल और बाजरा डालें. इसमें स्वादानुसार नमक और पानी मिलाएं. मध्यम आंच पर 4-5 सीटी आने तक पकने दें.

3. बाजरे का उपमा

बाजरे का उपमा बनाना बेहद आसान है इसके लिए आपको सबसे पहले बाजरे को रात भर भिगोकर रखना होगा और फिर अगले दिन बाजरे को उबालें. इसके बाद पैन गर्म करें, इसमें सरसों के दाने, सूखी लाल मिर्च, करी पत्ते और उड़द दाल का तड़का लगाएं. फिर इसमें थोड़ा पानी के साथ पका हुआ बाजरा मिलाएं. अब इस मिश्रण को उपमा जैसा गाढ़ा होने तक पकाएं. अब इसका गरमागरम आनंद लें.

4. बाजरे के लड्डू

बाजरे के लड्डू बनाना काफी आसान है आपको बस 3 चीज चाहिए. आटा, गुण और घी. बाजरे के लड्डू बनाने के लिए कटोरे में बाजरे के आटा लें, इसमें पिसा हुआ गुड़ मिलाएं. अब एक पैन में घी पिघलने तक गर्म करें. इसमें आटा और गुड़ के मिश्रण को अच्छी तरह भून लें. अब इस मिश्रण से लड्डू बना लें.

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