घुटनों से जुड़ी बीमारी का इलाज बताएं?

सवाल

मैं 48 साल की गृहिणी और जोड़ों के दर्द से पीडि़त हूं. मेरे घुटनों में करीब 13 सालों से दर्द है. डाक्टरों के पास जाने पर पता चला कि मेरे घुटनों की हालत बहुत बिगड़ चुकी है और इन्हें बदलने की जरूरत है. औपरेशन से पहले मैं अपने घुटनों को आराम देने के लिए क्या कर सकती हूं?

जवाब-

घुटनों को बदलवाने की सर्जरी से पहले आप को अपने बढ़े वजन को कम करना चाहिए और घुटनों के इर्दगिर्द की उन मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम करना चाहिए, जो चलनेफिरने में आप के घुटनों को मदद करती हैं. सर्जरी के बाद फिजियोथेरैपिस्ट की देखरेख में की जाने वाली फिजिकल थेरैपी दर्द को कम करने में काफी प्रभावशाली हो सकती है. फिजियोथेरैपी में मांसपेशियों को मजबूत करना, दोनों घुटनों की चलनेफिरने के बाद घर पर नियमित व्यायाम करना जरूरी है.

सवाल-

मेरे घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द होता है. सर्दियों में यह और बढ़ जाता है. क्या सर्जरी ही दर्द से मुक्ति का एकमात्र इलाज है?

जवाब

सर्दियों में जोड़ों में दर्द होने की बहुत ज्यादा संभावना होती है. बैरोमीट्रिक दबाव में बदलाव से घुटनों में सूजन और बहुत तेज दर्द हो सकता है. चूंकि घुटने ही शरीर का पूरा भार वाहन करते हैं, इसलिए अपने वजन पर निगरानी रखनी बहुत जरूरी है. अगर आप में घुटनों के आर्थ्राइटिस की पहचान हुई है तो इस का मतलब यह नहीं है कि आप को अभी घुटने बदलवाने की आवश्यकता है.

अगर आप को बारबार घुटनों में दर्द होता है तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए. आप की स्थिति की गंभीरता के आधार पर डाक्टर आप के इलाज के तरीके पर फैसला कर सकता है. आमतौर पर शुरुआत में मरीज को अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने, उचित आहार लेने, वजन कम करने और नियमित व्यायाम की सलाह दी जाती है. सर्जरी की सलाह मरीज को तभी दी जाती है, जब दर्द कम करने की किसी भी तकनीक से मरीज को कोई आराम न मिले.

सवाल

जब से मेरा वजन बढ़ा है तब से घुटनों में दर्द बहुत बढ़ गया है. क्या वजन बढ़ने के कारण घुटनों में शरीर का वजन सहन करने की क्षमता प्रभावित होती है?

जवाब

शरीर का वजन बढ़ना ही जोड़ों, खासकर घुटनों पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शरीर का बढ़ा 1 किलोग्राम वजन भी घुटनों पर 4 गुना ज्यादा दबाव डाल सकता है. इसलिए वजन को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस से आप के घुटनों पर पड़ने वाला ज्यादा दबाव कम हो सकता है. शरीर का वजन कम रखने से आर्थ्राइटिस से जुड़ा दर्द कम हो सकता है और यह शुरुआती चरण से बाद की स्टेज में जाने से रुक सकता है.

सवाल-

मैं 21 साल का बैडमिंटन खिलाड़ी हूं. पिछले साल मुझे बैडमिंटन कोर्ट में चोट लग गई थी. उसी के बाद से मेरे बाएं घुटने में पहले जैसी ताकत नहीं रह गई है. सर्दियों में यह बहुत ज्यादा दर्द करता है. क्या टीकेआर मेरे लिए विश्वसनीय समाधान होगा?

जवाब-

घुटनों के दर्द ने नौजवानों, युवाओं और बुजुर्गों सभी को समान रूप से जकड़ रखा है. आप के  मामले में घुटनों को बदलने की सर्जरी का फैसला लेने से पहले डाक्टर से मिल कर सही जांच कराना ठीक होगा. अगर आप का डाक्टर आप को टीकेआर की सलाह देता है, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है. यह बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है.

अब इस क्षेत्र में उपलब्ध नई तकनीकों से एक इंप्लांट की मदद से क्षतिग्रस्त घुटनों को बदला जा सकता है, जिस से कुछ ही हफ्तों में आप के घुटनों में पहले जैसी ताकत वापस आ जाएगी. इस के अतिरिक्त इस से अपना लाइफस्टाइल भी सुधारने में मदद मिलेगी. इंप्लांट कराने से तापमान का पारा गिरने या सर्दियों में आप के घुटनों को बेहतर तरीके से कामकाज करने में मदद मिलेगी.

सवाल-

क्या आप बदलते मौसम में घुटनों को नुकसान से बचाने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव का सुझाव दे सकते हैं? मैं एक 45 वर्षीय मरीज हूं. जो लंबे समय से घुटनों के पुराने दर्द से पीडि़त हूं?

जवाब-

तलेभुने पदार्थ न खाएं. धूम्रपान छोड़ दें. विटामिन डी सप्लिमैंट्स लें. घुटनों के इर्दगिर्द की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए टहलने, सैर करने के साथसाथ हलकेफुलके व्यायाम भी करने की जरूरत होगी. हलकेफुलके शारीरिक व्यायाम से घुटनों पर कम दबाव पड़ेगा. अगर चलने से आप के घुटनों में तकलीफ होती है तो आप पानी में रह कर किए जाने वाले व्यायाम जैसे वाटर ऐरोबिक्स, डीप वाटर रनिंग (गहरे पानी में जौगिंग) करने पर विचार कर सकते हैं. आप ऐक्सरसाइज करने वाली साइकिल का भी प्रयोग कर सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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सबक: संध्या का कौनसा राज छिपाए बैठा था उसका देवर

संध्या की आंखों में नींद नहीं थी. बिस्तर पर लेटे हुए छत को एकटक निहारे जा रही थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, जिस से वह आकाश के चंगुल से निकल सके. वह बुरी तरह से उस के चंगुल में फंसी हुई थी. लाचार, बेबस कुछ भी नहीं कर पा रही थी. गलती उस की ही थी जो आकाश को उसे ब्लैकमेल करने का मौका मिल गया.

वह जब चाहता उसे एकांत में बुलाता और जाने क्याक्या करने की मांग करता. संध्या का जीना दूभर हो गया था. आकाश कोई और नहीं उस का देवर ही था. सगा देवर. एक ही घर, एक ही छत के नीचे रहने वाला आकाश इतना शैतान निकलेगा, संध्या ने कल्पना भी नहीं की थी. वह लगातार उसे ब्लैकमेल किए जा रहा था और वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी. बात ज्यादा पुरानी नहीं थी. 2 माह पहले ही संध्या अपने पति साहिल के साथ यूरोप ट्रिप पर गई थी. 50 महिलापुरुषों का गु्रप दिल्ली इंटरनैशनल एअरपोर्ट से रवाना हुआ.

15 दिनों की यात्रा से पूर्व सब का एकदूसरे से परिचय कराया गया. संध्या को उस गु्रप में नवविवाहित रितू कुछ अलग ही नजर आई. उसे लगा रितू के विचार काफी उस से मिलते हैं. बातबात पर खिलखिला कर हंसने वाली रितू से वह जल्द ही घुलमिल गई.

रितू का पति प्रणव भी काफी विनोदी स्वभाव का था. हर बात को जोक्स से जोड़ कर सब को हंसाने की आदत थी उस की. एक तरह से रितू और प्रणव में सब को हंसाने की प्रतिस्पर्धा चलती थी. संध्या इस नवविवाहित जोड़े से खासी प्रभावित थी. संध्या और उस के पति साहिल के बीच वैसे तो सब कुछ सामान्य था, लेकिन जब भी वह रितू और प्रणव की जोड़ी को देखती आहें भर कर रह जाती.

प्रणव के विपरीत साहिल गंभीर स्वभाव का इंसान था, जबकि संध्या साहिल से अलग खुले विचारों वाली थी. यूरोप यात्रा के दौरान ही संध्या, रितू और प्रणव इतना घुलमिल गए कि विभिन्न पर्यटन स्थलों में घूम आने के बाद भी होटल के रूम में खूब बातें करते, हंसीमजाक होता. साहिल संध्या का हाथ पकड़ खींच कर ले जाता. वह कहता कि चलो संध्या, बहुत देर हो गई. इन्हें भी आराम करने दो. हम भी सो लेते हैं. गु्रप लीडर ने सुबह जल्दी उठने को बोला है.

मगर संध्या को कहां चैन मिलता. वह अपने रूम में आ कर भी मोबाइल पर शुरू हो जाती. वहाट्सऐप पर शुरू हो जाता रितू से जोक्स, कौमैंट्स भेजने का सिलसिला. रितू ने संध्या के फेसबुक पर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेज डाली. संध्या ने तुरंत स्वीकार कर ली. दिन में जो फोटोग्राफी वे लोग करते उसे वे व्हाट्सऐप पर एकदूसरे को भेजते. फोटो पर कौमैंट्स भी चलते. रात को रितू और संध्या के बीच व्हाट्सऐप पर घंटों बातें चलतीं. जोक्स से शुरू हो कर, समाजपरिवार की बातें होतीं. धीरेधीरे यह सिलसिला व्यक्तिगत स्तर पर आ गया. एकदूसरे की पसंद, रुचि से ले कर स्कूलकालेज की पढ़ाई, बचपन में बीते दिनों की बातें साझा करने लगीं.

एक रात रितू ने व्हाट्सऐप पर संध्या के सामने दिल खोल कर रख दिया. शादी से पहले के प्यार और शादी तक सब कुछ बता दिया. शादी से पहले रितू की लाइफ में प्रणव था. दोनों एक ही कालेज में पढ़ते थे. दोनों का परिवार अलगअलग धर्म और जाति का था. उन के प्यार में कुछ अड़चनें आईं. शादी को ले कर दोनों परिवारों में तकरार हुई पर आखिर रितू और प्रणव ने सूझबूझ दिखाते हुए अपनेअपने परिवार को मना लिया.

रितू और प्रणव की शादी हो गई.व्हाट्सऐप पर रितू की लव स्टोरी पढ़ कर संध्या के मन में हलचल पैदा हो गई. उसे अपना अतीत याद हो आया. उस रात उस का मन किया वह भी रितू को वह सब कुछ बता दे जो उस का अतीत है, लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पाई कि पता नहीं रितू क्या सोचेगी. वह उस के बारे में न जाने क्या धारणा बना ले. अजीब सी हलचल मन में लिए संध्या सो गई.

अगली रात संध्या अपनेआप को रोक नहीं पाई. रोज की तरह व्हाट्सऐप पर बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि मौका देख कर संध्या ने लिख डाला कि मेरा भी एक अतीत है रितू. मैं भी किसी से प्यार करती थी. पर वह प्यार मुझे नहीं मिल सका.

रितू ने आश्चर्य वाला स्माइली भेजा और लिखा कि बताओ कौन था वह? क्या लव स्टोरी है तुम्हारी?

फिर संध्या ने रितू को अपनी लव स्टोरी बताने का सिलसिला शुरू कर दिया. वह मेरे कालेज में ही था. उस का नाम संजय था. हम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे. हर 1-2 घंटे में मोबाइल पर हमारी बातें नहीं होतीं, तो लगता बहुत कुछ अधूरा है लाइफ में. दोनों में खूब बातें होतीं और तकरार भी. दुनिया से बेखबर हम अपने प्यार की दुनिया में खोए रहते. हमारा प्यार सारी हदें पार कर गया.

विश्वास था कि घर वाले हमारी शादी को राजी हो जाएंगे. इसी विश्वास को ले कर मैं ने खुद को संजय को सौंप दिया. संध्या ने रितू को व्हाट्सऐप पर आगे लिखा, उस दिन पापा ने मुझ से कहा कि बेटी, तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो चुकी है. हम चाहते हैं कि अब अच्छा सा लड़का देख कर तुम्हारी शादी कर दें. मैं एकाएक पापा से कुछ नहीं बोल पाई. बस, इतना ही कहा कि पापा मुझे नहीं करनी शादी. अभी मेरी उम्र ही क्या हुई है.

इस पर पापा ने कहा कि उम्र और क्या होगी? 25 साल की तो हो चुकी हो. जब मैं ने कहा कि नहीं पापा, मुझे नहीं करनी शादी तो वे हंस पड़े. बोले सच में अभी बच्ची हो. मैं ने पापा की बात को गंभीरता से नहीं लिया, पर वे मेरी शादी को ले कर गंभीर थे. एक दिन पापा ने मुझे बताया कि एक अच्छे परिवार का लड़का है तेरे लायक. किसी बड़ी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर है.

25 लाख का पैकेज है. वे अगले हफ्ते तुझे देखने आ रहे हैं. पापा की बात सुन कर मैं अवाक रह गई. मुझ से रहा नहीं गया. मैं ने हिम्मत जुटा कर पापा से कहा कि पापा, मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. आप उन से बात कर लीजिए. पापा मेरी तरफ देखते रह गए. उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उन की नजर में मैं सीधीसादी नजर आने वाली लड़की किस हद तक आगे बढ़ चुकी हूं.

पापा ने पूछा कि कौन है वह लड़का? मैं ने संजय का नाम, पता बताया तो पापा का गुस्सा बढ़ गया कि कभी उस परिवार में अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करूंगा. मैं अंदर तक हिल गई. मुझे लगा मेरे सपने रेत से बने महल की तरह धराशायी हो जाएंगे. मैं ने तो संजय को सब कुछ सौंप दिया था. धरती हिलती हुई नजर आई उस दिन मुझे.

पापा और सब घर वालों ने 2-4 दिन में ऐसा माहौल बनाया कि मेरी और संजय की शादी नहीं हो पाई. अगले हफ्ते ही साहिल और उस के घर वाले मुझे देखने आ गए. मुझे पसंद कर लिया गया. रिश्ता पक्का हो गया. पापा ने सख्त हिदायत दी कि संजय का जिक्र भूल कर भी कभी न करूं. इस तरह मेरी शादी साहिल से हो गई. मैं अतीत भूल कर अपना घर बसाने में लग गई. शादी को 2 साल हो चुके हैं. संध्या ने रितू से व्हाट्सऐप पर अपने अतीत की बातें शेयर की और संजय का वह फोटो भेजा जो उस ने संजय के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किया था.

‘‘अरे वाह, मैडम तुम ने तो बखूबी हैंडल कर लिया लाइफ को,’’ रितू ने संध्या की कहानी सुन कर लिखा.

इसी तरह हंसीमजाक और व्यक्तिगत बातें शेयर करते हुए यूरोप का ट्रिप पूरा हो गया. जब वे वापस घर पहुंचे तो संध्या और साहिल थक कर चूर हो चुके थे. तब रात के 2 बज रहे थे. सुबह देर तक सोते रहे. सास ने दरवाजा खटखटाया कि संध्या, साहिल उठ जाओ… सुबह के 11 बज चुके हैं. नहा कर नाश्ता कर लो. संध्या हड़बड़ा कर उठी. फटाफट फ्रैश हो कर तैयार हुई और किचन में आ गई. नाश्ता तैयार कर डाइनिंग टेबल पर लगाया तब तक साहिल भी तैयार हो चुका था. दोनों ने नाश्ता किया. तभी संध्या को खयाल आया कि मोबाइल कहां है. उस ने इधरउधर देखा पर नहीं मिला. आखिर कहां गया मोबाइल? उसे ध्यान आ रहा था कि रात को जब आई थी तो डाइनिंग टेबल पर रखा था.

‘‘संध्या मैं औफिस जा रहा हूं. आज बौस आ रहे हैं. 3 बजे उन के साथ मीटिंग है,’’ साहिल ने घर से निकलते हुए कहा.

‘‘ठीक है.’’

साहिल के जाने के बाद संध्या मोबाइल ढूंढ़ने में जुट गई. हर जगह देखा. वह अपने देवर आकाश के कमरे में जा पहुंची कि कहीं उस ने देखा हो. वह उस के कमरे में पहुंची तो मोबाइल आकाश के हाथों में देखा. वह मोबाइल स्क्रीन पर व्हाट्सऐप पर मैसेज पढ़ रहा था. वह मैसेज जो संध्या ने रितू को लिखे थे. वह सब कुछ पढ़ चुका था और मोबाइल को साइड में रखने ही जा रहा था.

‘‘आकाश, क्या कर रहे हो? मेरा मोबाइल तुम्हारे पास कहां से आया? क्या देख रहे थे इस में?’’ संध्या ने पूछा तो हमउम्र देवर आकाश के होंठों पर कुटिल मुसकान दौड़ गई.

‘‘कुछ नहीं भाभी, बस आप की लव स्टोरी पढ़ रहा था. आप के लवर का फोटो भी देखा. बहुत स्मार्ट है वह. क्या नाम था उस का संजय?’’ आकाश ने कहा तो संध्या की आंखों के सामने अंधेरा छा गया.

‘‘कुछ नहीं है… आकाश वे सब मजाक की बातें थीं,’’ संध्या ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘अगर भैया को ये सब मजाक की बातें बता दूं तो…?’’ आकाश ने तिरछी नजरें करते हुए कहा. उस की आंखों में शरारत साफ नजर आ रही थी.

संध्या को आकाश के इरादे नेक नहीं लगे. उसे अफसोस था कि उस ने किसी अनजानी दोस्त के सामने क्यों अपने अतीत की बातें व्हाट्सऐप पर लिखी. लिख भी दी थीं तो डिलीट क्यों नहीं कीं.

‘‘तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे आकाश. यह मजाक अच्छा नहीं है तुम्हारे लिए,’’ संध्या ने सख्त लहजे में कहा.

यह सुन कर आकाश अपनी औकात पर उतर आया, ‘‘भाभी जान, क्यों घबराती हो, ऐसा कुछ नहीं करूंगा. आप बस देवर को खुश कर दिया करो.’’

संध्या गुस्सा पीते हुए बोली, ‘‘मुझे क्या करना होगा? तुम क्या चाहते हो?’’

‘‘भाभी, इतना बताना पड़ेगा क्या आप को? आप शादीशुदा हैं. शादी से पहले भी आप काफी ज्ञान रखती थीं,’’ आकाश ने बेशर्मी से कहा.

संध्या को लगा वह बहुत बड़े जाल में फंसने जा रही है. अब करे भी तो क्या करे?

‘‘क्या सोच रही हो संध्या? आकाश अचानक भाभी से संध्या के संबोधन पर उतर आया.

‘‘मुझे सोचने का वक्त दो आकाश,’’ संध्या ने कहा.

‘‘ओके, नो प्रौब्लम. जैसा तुम्हें ठीक लगे. पर याद रखना मेरे पास बहुत कुछ है. भैया को पता चल गया तो धक्के मार कर घर से निकाल देंगे तुम्हें.’’

‘‘पता है, तुम किस हद तक नीचता कर सकते हो,’’ संध्या ने रूखे स्वर में कहा.

संध्या अब क्या करे? कैसे पीछा छुड़ाए आकाश से? वह देवरभाभी के रिश्ते को कलंकित करने पर उतारू था. वह जब भी मौका मिलता संध्या का रास्ता रोक कर खड़ा हो जाता कि क्या सोचा तुम ने?

आकाश मोबाइल पर संध्या को कौल करता, ‘‘इतने दिन हो गए, अभी तक सोचा नहीं क्या? क्यों तड़पा रही हो?’’

संध्या पर आकाश लगातार दबाव बढ़ा रहा था. उस का जीना दूभर हो गया. इसी उधेड़बुन में वह करवटें बदल रही थी. उस की नींद उड़ चुकी थी. वह सुबह तक किसी निर्णय पर पहुंचना चाहती थी. उस के सामने दुविधा यह थी कि वह खुद को बचाए या आकाश की वजह से परिवार में होने वाले विस्फोट से बचे. वह चाहती थी किसी तरह आकाश को समझा सके, ताकि यह बात अन्य सदस्यों तक नहीं पहुंचे, लेकिन करे तो क्या करें. अचानक उस के दिमाग में एक विचार कौंधा. हां, यही ठीक रहेगा. उस ने मन ही मन सोचा और गहरी नींद में सो गई. अगले दिन संध्या ने घर का कामकाज निबटाया और अपनी सास से बोली, ‘‘मम्मीजी, मुझे मार्केट जाना है कुछ घर का सामान लाने. घंटे भर में वापस जा जाऊंगी.’’

फिर संध्या जब घर लौटी तो उस के चेहरे पर चिंता की लकीरों के बजाय चमक थी. उस ने पढ़ा था कि राक्षस को मारने के लिए मायावी होना ही पड़ता है. वह आकाश को भी उसी के हथियार से मारेगी… उस का सामना करेगी. मार्केट से वह अपने मोबाइल में वायस रिकौर्डिंग सौफ्टवेयर डलवा आई. कुछ देर बाद ही आकाश ने घर से बाहर जा कर संध्या के मोबाइल पर कौल की. संध्या पूरी तरह तैयार थी.

‘‘हैलो संध्या क्या सोचा तुम ने?’’ आकाश ने पूछा.

‘‘मुझे क्या करना होगा?’’ संध्या ने पूछा.

‘‘कुछ नहीं बस वही सब… तुम्हें बताना पड़ेगा क्या?’’

‘‘हां, बताना पड़ेगा. मुझे क्या पता तुम क्या चाहते हो?’’

‘‘तुम मेरे साथ…’’ और फिर सब कुछ बताता चला गया आकाश. कब, कहां, क्या करना होगा.

‘‘और अगर मैं मना कर दूं तो क्या करोगे?’’ संध्या ने पूछा.

‘‘कुछ नहीं तुम्हारी लव स्टोरी सब को बता दूंगा.’’

संध्या गुस्से से चिल्ला पड़ी, ‘‘जाओ, सब को बताओ. परंतु एक बात याद रखना तुम जो मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो न मैं इस की शिकायत पुलिस में करूंगी. ऐसी हालत कर दूंगी कि कई जन्मों तक याद रखोगे.’’

‘‘कैसे करोगी?’’ क्या प्रूफ है तुम्हारे पास?’’ आकाश ने कहा.

‘‘घर आ कर देख लेना यों कायरों की तरह घर से बाहर जा कर क्या बात कर रहे हो,’’ संध्या का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था.

शाम को आकाश घर आया. संध्या ने मौका मिलते ही धीमे से कहा ‘‘पू्रफ दूं या वैसे ही मान जाओगे? तुम ने जो भी बातें की हैं वह सब मोबाइल में रिकौर्ड हैं और इस की सीडी अपने लौकर में रख ली है.’’

आकाश को विश्वास नहीं हो रहा था कि संध्या इस कदर पलटवार करेगी. वह चुपचाप अपने कमरे में खिसक गया. संध्या आज अपनी जीत पर प्रसन्न थी. व्हाट्सऐप के जरीए जो मुसीबत उस पर आई थी, वह उस से छुटकारा पा चुकी थी.

गांठ खुल गई- भाग 3 : क्या कभी जुड़ पाया गौतम का टूटा दिल

3 दिनों बाद इषिता आ भी गई. गौतम के घर गई तो वह गहरी सोच में था.

उस ने आवाज दी. पर उस की तंद्रा भंग नहीं हुई. तब उसे झंझोड़ा और कहा, ‘‘किस सोच में डूबे हुए हो?’’

‘‘श्रेया की यादों से अपनेआप को मुक्त नहीं कर पा रहा हूं,’’ गौतम ने सच बता दिया.

इषिता गुस्से से उफन उठी, ‘‘इतना सबकुछ होने के बाद भी उसे याद करते हो? सचमुच तुम पागल हो गए हो?’’

‘‘तुम ने कभी किसी को प्यार नहीं किया है इषिता, मेरा दर्द कैसे समझ सकती हो.’’

‘‘कुछ घाव किसी को दिखते नहीं. इस का मतलब यह नहीं कि उस शख्स ने चोट नहीं खाई होगी,’’ इषिता ने कहा.

गौतम ने इषिता को देखा तो पाया कि उस की आंखें नम थीं. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी आंखों में आंसू हैं. इस का मतलब यह है कि तुम ने भी प्यार में धोखा खाया है?’’

‘‘इसे तुम धोखा नहीं कह सकते. जिसे मैं प्यार करती थी उसे पता नहीं था.’’

‘‘यानी वन साइड लव था?’’

‘‘कुछ ऐसा ही समझो.’’

‘‘लड़का कौन था. निश्चय ही वह कालेज का रहा होगा?’’

इषिता उसे उलझन में नहीं रखना चाहती थी, रहस्य पर से परदा हटाते हुए कह दिया, ‘‘वह कोई और नहीं, तुम हो.’’

गौतम ने चौंक कर उसे देखा तो वह बोली, ‘‘कालेज में पहली बार जिस दिन तुम से मिली थी उसी दिन तुम मेरे दिल में घर कर गए थे. दिल का हाल बताती, उस से पहले पता चला कि तुम श्रेया के दीवाने हो. फिर चुप रह जाने के सिवा मेरे पास रास्ता नहीं था.

‘‘जानती थी कि श्रेया अच्छी लड़की नहीं है. तुम से दिल भर जाएगा, तो झट से किसी दूसरे का दामन थाम लेगी. आगाह करती, तो तुम्हें लगता कि अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए उस पर इलजाम लगा रही हूं. इसलिए तुम से दोस्ती कर ली पर दिल का हाल कभी नहीं बताया.

‘‘श्रेया के साथ तुम्हारा सबकुछ खत्म हो गया, तो सोचा कि मौका देख कर अपनी मोहब्बत का इजहार करूंगी और तुम से शादी कर लूंगी. पर देख रही हूं कि आज भी तुम्हारे दिल में वह ही है.’’

दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी पसर गई. गौतम ने ही थोड़ी देर बार खामोशी दूर की, ‘‘उसे दिल से निकाल नहीं पा रहा हूं, इसीलिए कभी शादी न करने का फैसला किया है.’’

‘‘तुम्हें पाने के लिए मैं ने जो तपस्या की है उस का फल मुझे नहीं दोगे?’’ इषिता का स्वर वेदना से कांपने लगा था. आंखें भी डबडबा आई थीं.

‘‘मुझे माफ कर दो इषिता. तुम बहुत अच्छी लड़की हो. तुम से विवाह करता तो मेरा जीवन सफल हो जाता. पर मैं दिल के हाथों मजबूर हूं. किसी से भी शादी नहीं

कर सकता.’’

इषिता चली गई. उस की आंखों में उमड़ा वेदना का समंदर देख कर भी वह उसे रोक नहीं पाया. वह उसे कैसे समझाता कि श्रेया ने उस के साथ जो कुछ भी किया है, उस से समस्त औरत जाति से उसे नफरत हो गई है.

3 दिन बीत गए. इषिता ने न फोन किया न आई. गौतम सोचने लगा, ‘कहीं नाराज हो कर उस ने दोस्ती तोड़ने का मन तो नहीं बना लिया है?’

उसे फोन करने को सोच ही रहा था कि अचानक उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. उस समय शाम के 6 बज रहे थे. फोन किसी अनजान का था.

उस ने ‘‘हैलो’’ कहा तो उधर से किसी ने कहा, ‘‘इषिता का पापा बोल रहा हूं. तुम से मिलना चाहता हूं. क्या हमारी मुलाकात हो सकती है?’’

उस ने झट से कहा, ‘‘क्यों नहीं अंकल. कहिए, कहां आ जाऊं?’’

‘‘तुम्हें आने की जरूरत नहीं है बेटे. 7 बजे तक मैं ही तुम्हारे घर आ जाता हूं.’’

इषिता उसे 3-4 बार अपने घर ले गई थी. वह उस के मातापिता से मिल चुका था.

उस के पिता रेलवे में उच्च पद पर थे. बहुत सुलझे हुए इंसान थे. वह उन की इकलौती संतान थी. मां कालेज में अध्यापिका थीं. बहुत समझदार थीं. कभी भी उस के और इषिता के रिश्ते पर शक नहीं किया था.

इषिता के पापा समय से पहले ही आ गए. गौतम के साथसाथ उस की मां और बहन ने भी उन का भरपूर स्वागत किया.

उन्होंने मुद्दे पर आने में बहुत देर नहीं लगाई. पर उन चंद लमहों में ही अपने शालीन व्यक्तित्व की खुशबू से पूरे घर को महका दिया था. इतनी आत्मीयता उड़ेल दी थी वातावरण में कि उसे लगने लगा कि उन से जनमजनम का रिश्ता है.

कुछ देर बाद इषिता के पापा को गौतम के साथ कमरे में छोड़ कर मां और बहन चली गईं तो उन्होंने कहा, ‘‘बेटा, इषिता तुम्हें प्यार करती है और शादी करना चाहती है. उस ने श्रेया के बारे में भी सबकुछ बता दिया है.

‘‘श्रेया से तुम्हारा रिश्ता टूट चुका है तो इषिता से शादी क्यों नहीं करना चाहते? वैसे तो बिना कारण भी कोई किसी को नापसंद कर सकता है. यदि तुम्हारे पास इषिता से विवाह न करने का कारण है तो बताओ. मिलबैठ कर कारण को दूर करने की कोशिश करें.’’

उसे लगा जैसे अचानक उस के मन में कोई बड़ी सी शिला पिघलने लगी है. उस ने मन की बात बता देना ही उचित समझा.

‘‘इषिता में कोई कमी नहीं है अंकल. उस से जो भी शादी करेगा उस का जीवन सार्थक हो जाएगा. कमी मुझ में है. श्रेया से धोखा खाने के बाद लड़कियों से मेरा विश्वास उठ गया है.

‘‘लगता है कि जिस से भी शादी करूंगा वह भी मेरे साथ बेवफाई करेगी. ऐसा भी लगता है कि श्रेया को कभी भूल नहीं पाऊंगा और पत्नी को प्यार नहीं कर पाऊंगा,’’ गौतम ने दिल की बात रखते हुए बताया.

‘‘इतनी सी बात के लिए परेशान हो? तुम मेरी परवरिश पर विश्वास रखो बेटा. तुम्हारी पत्नी बन कर इषिता तुम्हें इतना प्यार करेगी कि तुम्हारे मन में लड़कियों के प्रति जो गांठ पड़ गई है वह स्वयं खुल जाएगी.’’

वे बिना रुके कहते रहे, ‘‘प्यार या शादी के रिश्ते में मिलने वाली बेवफाई से हर इंसान दुखी होता है, पर यह दुख इतना बड़ा भी नहीं है कि जिंदगी एकदम से थम जाए.

‘‘किसी एक औरतमर्द या लड़कालड़की से धोखा खाने के बाद दुनिया के तमाम औरतमर्द या लड़केलड़की को एकजैसा समझना सही नहीं है.

‘‘यह जीवन का सब से बड़ा सच है कि कोई भी रिश्ता जिंदगी से बड़ा नहीं होता. यह भी सच है कि हर प्रेम संबंध का अंजाम शादी नहीं होता.

‘‘जीवन में हर किसी को अपना रास्ता चुनने का अधिकार है. यह अलग बात है कि कोई सही रास्ता चुनता है कोई गलत.

‘‘श्रेया के मन में गलत विचार भरे पड़े थे. इसलिए चंद कदम तुम्हारे साथ चल कर अपना रास्ता बदल लिया. अब तुम भी उसे भूल कर जीने की सही राह पर आ जाओ. गिरते सब हैं पर जो उठ कर तुरंत अपनेआप को संभाल लेता है, सही माने में वही साहसी है.’’

थोड़ी देर बाद इषिता के पापा चले गए. गौतम ने मंत्रमुग्ध हो कर उन की बातें सुनी थीं.

श्रेया के कारण लड़कियों के प्रति मन में जो गांठ पड़ गई थी वह खुल गई.

अब देर करना उस ने मुनासिब नहीं समझा. इषिता के पापा को फोन किया, ‘‘अंकल, कल अपने घर वालों के साथ इषिता का हाथ मांगने आप के घर आना चाहता हूं.’’

उधर से इषिता के पापा ने कहा, ‘‘वैलकम बेटे. देर आए दुरुस्त आए. अब तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. तुम ने अपने भीतर के डर पर विजय जो प्राप्त कर ली है.’’

फैस्टिव फिटनैस टिप्स

उत्सवी माहौल होता ही ऐसा है कि लोग दिनरात मौजमस्ती के रंग में रंगे रहते हैं. ऐसे में वक्तबेवक्त सोना और खानापीना तो आम बात है. हां, इन वजहों से आप की सेहत खराब न हो, इस के लिए यहां बताई गई बातों पर गौर जरूर करें.

खानपान

फैस्टिव सीजन में मिठाई और पार्टी से पूरी तरह परहेज करना मुमकिन नहीं होता. फिर भी अपने डेली रूटीन में कुछ बातों का ध्यान रखने से आप काफी हद तक त्योहारों के साइड इफैक्ट्स से खुद को महफूज रख सकती हैं.

– हमारे शरीर में पानी का बहुत ज्यादा महत्त्व है. अत: सुबह उठ कर 2 गिलास कुनकुना पानी पीने से शरीर के अच्छे बैक्टीरिया शरीर में रहते हैं और पानी शरीर को नई ऊर्जा देता है. इस के कुछ देर बाद अजवाइन को उबाल कर उस के पानी को पीने से आप काफी हद तक फैट को कंट्रोल कर सकती हैं. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना न भूलें.

– सुबह खाली पेट 1 चम्मच अलसी के बीज भी कोेलैस्ट्रौल कम करने में सहायता कर सकते हैं. नमकरहित खाना या खाने में कम नमक का प्रयोग करने से भी आप अपने वजन को कंट्रोल कर सकती हैं, साथ ही बैली फैट भी नहीं बढ़ता. ब्लडप्रैशर भी ठीक रहता है. त्योहारों के दौरान रात के खाने से ले कर सुबह के नाश्ते तक हफ्ते में 2 दिन नमक का प्रयोग करें.

– खाना खाने से आधा घंटे पहले और 1 घंटा बाद पानी न पीएं. पूरे दिन में न ज्यादा ठंडा न ज्यादा गरम पानी पीएं. ऐसा करने से पाचनशक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी.

– घर में बनने वाली मिठाई में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग करें. दुकान से भी बेसन से बनी मिठाई ही खरीदें. काफी शोधों से पता चला है कि चीनी, गेहूं और दूध शरीर में जलन पैदा करते हैं, जिस से शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है.

– नीबू पानी या विटामिन सी सप्लिमैंट लेने से जलन से बचा जा सकता है.

अच्छी नींद

फैस्टिव सीजन की भागदौड़ के चलते महिलाएं भरपूर नींद नहीं ले पातीं. जो बहुत नुकसानदायक सिद्ध होता है. इसलिए कम से कम 6-7 घंटे की नींद जरूर लें, क्योंकि सोने के दौरान शरीर से निकलने वाला कैमिकल मैलाटोनिन शरीर को ऊर्जावान बनाता है.

वार्मअप ऐक्सरसाइज

चाहे आप गृहिणी हों या कामकाजी सभी को त्योहारों के कामकाज से निबटने के लिए ऐनर्जी की जरूरत होती है. अत: इस के लिए सुबह की हुई वार्मअप ऐक्सरसाइज पूरे दिन के लिए ऊर्जा से भर देती है. ये ऐक्सरसाइजेज बहुत ही सरल और इफैक्टिव हैं.

– घुटनों को बारीबारी से 10-10 बार छाती की तरफ ले जाना.

– एक ही जगह 2 मिनट खड़े हो कर जौगिंग करना.

– 4-4 बार फौरवर्ड बेंडिंग ऐंड साइड बेंडिंग करना.

– 5-5 बार धीरेधीरे दोनों ओर गरदन घुमाना.

शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कानों को कंधों से छुआना, कंधों को घुमाना. नैक स्ट्रैचिंग को भी आजमाया जा सकता है.

पोस्चर

– खड़े हो घुटनों को हलका सा मोड़ कर रखें.

– सोते समय 1 तकिया गरदन के नीचे और 1 तकिया पैरों के बीच में करवट सोते हुए और सीधे सोते हुए तकिया घुटनों के नीचे लगाएं.

– गाड़ी में घूमते समय अगर गाड़ी की सीट नीची है तो एक कुशन कूल्हों के नीचे लगा कर बैठें.

– सीधा कमर को न मोड़ कर घुटनों को मोड़ कर नीचे झुक कर कोई चीज उठाएं.

– एक पैर को आगे और एक को पीछे रख कर ऊपर से कुछ उतारें.

– खाना पकाते समय कंधों को पीछे रखें और गरदन को हर 2-3 मिनट में सीधा करती रहें.

– डा. एकता अग्निहोत्री

जैसे को तैसा: भाग 2- भावना लड़को को अपने जाल में क्यों फंसाती थी

छाया अपने कमरे में यह सोचसोच कर करवटें बदल रही थी कि आखिर अमन को हो क्या गया है? क्यों वह इस तरह से सब से व्यवहार करने लगा है? रागिनी भी पूछना चाहती थी उस से कि कोई समस्या है तो बताएं, साथ मिल कर सुल   झा लेंगे. लेकिन अमन कैसे बताए किसी को कि वह एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुका है जिस से वह चाह कर भी बाहर नहीं निकल पा रहा है.

‘काश, काश मैं समय को पलट पाता. काश, मैं उस भावना का असली रूप देख पाता, तो आज मेरी जिंदगी कुछ और ही होती.’

अमन अपने मन में सोच ही रहा था कि उस का फोन घनघना उठा. भावना का ही फोन था. ‘नहीं, मैं इस का फोन नहीं उठाऊंगा’ फोन को घूरते हुए अमन बड़बड़ाया. लेकिन अंजाम के डर से उस ने फोन उठा लिया.

‘‘इतनी देर लगती है तुम्हें फोन उठाने में?’’ भावना गुर्राई.

‘‘नहीं, वह मैं सो गया था इसलिए… फोन की आवाज सुन नहीं पाया, सौरी. बोलो न क्या बात है?’’

‘‘बातवात कुछ नहीं, वह कल मु   झे 2 लाख रुपयों की सख्त जरूरत है, तो तुम मेरे घर आ कर दे जाओगे या मैं ही आ जाऊं पैसे लेने?’’ भावना के लफ्ज काफी सख्त थे.

‘‘द… द… दो लाख… पर इतनी जल्दी 2 लाख रुपए कहां से आएंगे?’’

‘‘वह तुम जानो… मु   झे तो बस 2 लाख रुपए चाहिए, वह भी कल के कल,’’ कह कर भावना ने फोन रख दिया और अमन अपना सिर पकड़ कर बैठ गया. मन तो किया उस का अपनी मां की गोद में सिर रख कर खूब रोए और कहे कि अब उसे नहीं जीना है.मर जाना चाहता है वह. मगर छाया हाई बीपी की मरीज है. इसलिए वह अपने आंसुओं को खुद ही पीता रहा घंटों तक. रागिनी से भी वह कुछ नहीं बता सकता था क्योंकि हो सकता है यह सब जानने के बाद वह उस से शादी करने से मना कर दे और वह रागिनी को किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता था. अपने ही गम में डूबे कब अमन की आंखें लग गईं और कब सुबह हुई उसे पाता ही नहीं चला. घड़ी में देखा तो सुबह के 7 बज रहे थे.

रात में ठीक से नींद न आने के कारण उस का सिर दर्द से फटा जा रहा था. इसलिए अपनी आंखें बंद कर वह सोने की कोशिश करने ही लगा कि उस का फोन घनघना उठा.उसे लगा भावना का ही फोन है. इसलिए    झल्ला कर बोला, ‘‘आखिर तुम चाहती क्या हो? बोलो न? क्यों तुम मु   झे चैन से जीने देना नहीं चाहती? एक काम करो, बंदूक लाओ और मार दो मु   झे. एक बार में सारा किस्सा ही खत्म हो जाएगा.’’

रागिनी चौंकी क्योंकि फोन पर वही थी. लेकिन उस ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘अमन, मैं रागिनी बोल रही हूं. ’’

‘‘र… रागिनी… तुम, मु   झे लगा कि मेरे बौस का फोन है. बताओ, इतनी सुबहसुबह क्यों फोन किया? तुम ठीक हो?’’

‘‘हां, मैं तो ठीक हूं. वह मैं ने इसलिए फोन किया कि भैयाभाभी चाहते हैं अगर हमारी शादी अगले महीने के फर्स्ट वीक में हो जाती तो सही होता क्योंकि फिर इतनी दूर अमेरिका से तुरंत आना उन के लिए पौसिबल नहीं हो पाएगा न.’’

‘‘हां, वह कल हमारी बात नहीं हो पाई इस बारे में. सोच रहा हूं औफिस से सीधे तुम्हारे घर ही आ जाऊंगा. भैया तो रहेंगे न?’’

‘‘हांहां, भैया घर पर ही रहेंगे. तुम आ जाओ,’’ रागिनी पूछना चाहती थी कि कोई परेशानी तो नहीं है उसे लेकिन पूछ नहीं पाई.

‘‘ओके, फिर हम शाम को मिलते हैं,’’ अमन फोन रख लेटा ही था कि देखा छाया चाय की ट्रे लिए खड़ी है. वह हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ और हाथ से चाय की ट्रे लेने की कोशिश करने ही लगा. मगर छाया खुद ही चाय की ट्रे टेबल पर रख पानी का खाली जग ले कर वहां से चलती बनी. छाया के चेहरे से ही लगा रहा था कि कल की बात को ले कर अभी भी वह उस से नाराज है. नाश्ते की टेबल पर भी उस ने अमन से कोई बात नहीं की और न ही अमन ने क्योंकि उन के सवालों के क्या जवाब देता वह इसलिए खापी कर सीधे औफिस के लिए निकल गया.

आज शाम औफिस से लौटते हुए अमन को रागिनी के घर जाना था, उस के भैयाभाभी से मिलने. लेकिन वह तो खुद ही रात के 12 बजे घर लौटा, फिर क्या जाता उन से मिलने. रास्ते में जब उस ने अपना फोन चैक किया तो रागिनी और छाया की कई मिस्डकौल्स थीं. वापस जब उस ने उन्हें कौल किया तो किसी ने उस का फोन नहीं उठाया. घर आने पर छाया ने उस से कोई बात भी नहीं की और न ही कुछ पूछाताछ की. खाना डाइनिंग टेबल पर रख सोने चली गई. अमन को भूख तो लगी थी, पर कुछ खाया नहीं. केवल एक गिलास पानी पी कर वह भी सोने चला गया.

‘‘अब गुस्से वाली बात तो है ही न. वहां रागिनी और उस के भैयाभाभी इस का इंतजार कर रहे थे और इन जनाब को कुछ याद ही नहीं रहा.’’

सुबह नाश्ते के टेबल पर छाया ने तल्खी से कहा और फिर जूठे प्लेट्स उठा कर वहां से चलती बनी. अमन के जवाब का इंतजार भी नहीं किया. लेकिन वह जवाब भी क्या देता? यही कि उसे सब याद था, पर जा नहीं पाया रागिनी के भैयाभाभी से मिलने क्योंकि वह उस भावना के साथ था. हां, उसी भावना के साथ जिस का वह मुंह भी नहीं देखना चाहता. लेकिन मजबूर है कि उस की उंगलियों पर नाचने को विवश है.

दूसरे दिन शाम को अमन जब औफिस से घर आया तो काफी थका हुआ महसूस कर रहा था. छाया घर पर नहीं थी इसलिए उस ने खुद ही अपने लिए चाय बनाई. रात के खाने की टेबल पर भी वह चुप ही रहा. बिस्तर पर जब सोने गया, तो फिर उसी बेचैनी ने उसे आ घेरा क्योंकि उसे तो हर पल इसी बात का डर लगा रहता था कि पता नहीं कब भावना का फोन आ जाए और पता नहीं क्या कह दे. इंसान की आंखें नींद से कितनी भी बो ि  झल क्यों न हों, लेकिन अगर सिर पर चिंता मंडरा रही हो तो नींद हवा हो जाती है. अमन के साथ भी यही हो रहा था. भावना नाम के चक्रव्यूह में वह ऐसे फंस चुका था कि उस की रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो चुका था. औफिस में भी उस से ठीक से काम नहीं हो पा रहा था.

मन करता अमन का कि चीखचीख कर दुनिया को भावना की सारी सचाई बता दे. लेकिन क्या इस आग में वह नहीं    झुलसेगा क्योंकि सारी तसवीरें और वीडियो तो यही कह रहे हैं कि अमन ने भावना का बलात्कार किया है. फिर क्या रागिनी के भैया कभी अपनी बहन की शादी अमन से होने देंगे और छाया विश्वास करेगी कि अमन सही बोल रहा है और उस ने भावना के साथ कुछ गलत नहीं किया है? नहींनहीं, उस का चुप रहना ही बेहतर है.

रात के सन्नाटे में घड़ी की टिकटिक उस के सिर पर हथौड़े की चोट की तरह बरस रही थी. मन तो कर रहा था उस का कि घड़ी की बैटरी निकाल कर फेंक दे ताकि वह बजना बंद हो जाए. सोचता, काश समय पीछे जा पाता, तो वह सबकुछ ठीक कर देता. लेकिन यह कहां संभव था. समय कभी पीछे गया है किसी का? हां, उस समय में किए गए अच्छेबुरे कर्म जरूर इंसान के साथसाथ चलते हैं. आज भी उस मनहूस दिन को याद कर अमन तड़प उठता है. सोचता है, काश वह न हुआ होता, तो आज उस की जिंदगी कुछ और ही होती.

आज से 4 साल पहले भावना से उस की पहली मुलाकात अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में हुई थी. शौर्ट ड्रैस में इतनी खूबसूरत लड़की को देख कर मनचला अमन का मन मचल उठा था. लेकिन जब अचानक से वह पार्टी के बीच से ही गायब हो गई, तो उस का मन उदास हो गया. पूछने पर अमन के दोस्त ने बताया कि वह लड़की यानी भावना उस के ही औफिस में काम करती है. अभी पिछले महीने ही इंदौर से ट्रांसफर हो कर वह दिल्ली आई है.

उस के बारे में अमन और भी बहुत कुछ जानना चाहता था, मगर दोस्त से पूछते नहीं बना. घर आ कर भी वह उस के ही खयालों में खो गया. सुबह जब नींद खुली तो भावना का ही मुसकराता चेहरा नजर आया उसे. लेकिन न तो उस के पास भावना का कोई फोन नंबर था और न ही उस के घर का अतापता ही कि वह उस से कौंटैक्ट कर पाता.

उस दिन संडे की छुट्टी से ऊब कर जब वह मौल पहुंचा तो भावना को वहां देख कर

उस की आंखें चमक उठीं. बिना कुछ सोचेसम   झे लपक कर वह उस के करीब आ गया और बोला,  ‘‘हाय, आप वही हैं न… आई मीन… मेरे दोस्त संतोष के बर्थडे पार्टी में मिले थे हम. याद आया?’’

‘‘हां… याद आया. आप अ… मन…’’ भावना रुकरुक कर बोल रही थी क्योंकि ठीक से उसे उस का नाम याद नहीं आ रहा था.

‘‘हां, मैं अमन. अमन सिंह राठौर,’’ बड़ी गरमजोशी के साथ अमन ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.

उस की बात पर भावना मुसकरा कर बोल पड़ी, ‘‘नाम ही काफी है. सरनेम बताने की जरूरत नहीं है.’’

उस की बात पर अमन बुरी तरह से    झेंप गया. बोला, ‘‘आई थिंक… यू आर राइट. और सरनेम में रखा ही क्या है. रखा तो नाम में है.’’

उस की बात पर भावना खिलखिला कर हंस पड़ी तो अमन भी हंसने लगा. उस दिन के बाद से दोनों अच्छे दोस्त बन गए. उन की रोज फोन पर बातें और मुलाकातें होने लगीं.

भेडि़या: भाग 2- मीना और सीमा की खूबसूरती पर किसकी नजर थी

अगले दिन चमेली जसोदा को 25 नंबर के आगे मिली. दोनों ने साथ में काम किया था.

बरामदे में शीला और सान्याल बैठी बियर पी रही थीं. चमेली दोनों के बीच होने वाली वार्त्तालाप को बड़े ध्यान से सुन रही थी.

शीला, ‘‘समाज के इस घिनौना नंगे सच को लोगों के सामने तो लाना ही होगा.’’

‘‘सो तो है. वह दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बारे में पढ़ा?’’ सान्याल बोली.

‘‘हां, मैं ने तो टीवी पर सारा डिटेल में देखा है. सरेआम लोग दरिंदगी कर रहे हैं. सरकार कोई ऐक्शन क्यों नहीं लेती?’’

‘‘बेचारी लड़कियां… थैंकगौड… मेरी बेटियां तो आउट औफ इंडिया हैं,’’ शीला ने बियर का लंबा सिप खींचा.

सान्याल ने सिर घुमा कर शीला को ऐसे देखा जैसे बाकी दुनिया की लड़कियां तो कूड़ाकरकट हैं.

‘‘यू आर राइट शीला,’’ सान्याल को लगा कि अभी यह औरत 1 ग्लास और गटक सकती है. मुंह जुठारने को पूछ ही लिया, ‘‘वन मोर?’’

‘‘नो… नो, इनफ…’’

आखिरी घूंट हलक में उडे़ला और उठ गई, ‘‘ओके सान्याल, मैं चलूं? मिलती हूं सैटरडे को. पैसों का हिसाबकिताब पार्टी के बाद कर लेंगे.’’

शीला जा चुकी थी. सान्याल ने उसे सीढि़यां उतरते देख लिया था.

‘‘स्साली, इडियट. मुफ्ती की मिल जाती है न इसीलिए चिपक जाती है. पूरी बोतल खाली कर के ही हिलती है… यहां से,’’ सान्याल खुद से बातें कर रही थी. इस बीच 2-4 मोटीमोटी  अंगरेजी में गालियां और जड़ दीं शीला को.

चमेली का मन किया कह दे यहां तो सभी ऐसे हैं, मुंह पर कुछ पीछे कुछ. सोचा नहीं, कल को इन दोनों के घर में नौकरी करनी है. चुप रहना ही ठीक होगा.

काम खत्म कर के सड़क पर आई तो

कुछ लोगों को    झुंड में खड़ा देखा. सब काम वालियां थीं.

‘‘अरे क्या हुआ?’’

कुसुम कह रही थी, ‘‘कल रात को नेपाली गार्ड ने 26 नंबर कोठी के पीछे की लेन में भेडि़या देखा.’’

26 नंबर वाली बोली, ‘‘अरे, अरे यानी इसी सामने वाली कोठी के पीछे?’’

‘‘हां, बिलकुल,’’ सीमा ने ऐसे पक्का किया जैसे उस ने अपनी आंखों से देखा.

सब के चेहरे पर भय था जैसे भेडि़या सामने खड़ा हो. सभी के होंठों पर ताले लगे थे.

शायद कोई भी इस विषय पर बात करना नहीं चाहता था. कारण, यह पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी जंगली सूअर, लकड़बग्घा और नील गाय जैसे जानवरों को कोठी वालों ने पिछली लेन में घूमते देखा है.

चमेली ने फोन निकाल कर समय देखा दोपहर के 2 बजे थे. जल्दीजल्दी कदम बढ़ाए. बेटियां स्कूल से आ चुकी होंगी. चलने लगी तो जसोदा ने रोका, ‘‘चमेली, आज मैडम के यहां पार्टी है. मेरी जगह तू काम कर ले.’’

‘‘पार्टी तो रात को होगी?’’

‘‘हां.’’

‘‘चल साथ में. रास्ते में सोच कर बताती हूं.’’

चमेली का गणित फिर से चालू हो गया… पार्टी… मतलब पूरे हजार रुपए यानी तिरपाल की जगह  ऐस्बैसटस शीट की छत पड़ सकती है. यह ठीक रहेगा.

झट से कह दिया, ‘‘हांहां ठीक है. तू फिक्र मत कर. ठीक 8 बजे शीला मैडम के यहां पहुंच जाऊंगी… सब संभाल लूंगी.’’

बेटियों की फिक्र ने उस के पैरों को गति दे दी थी. यों तो घर पर बसेसर है पर वह भी कई दफा दारू के अड्डे पर जा बैठता है. दारू की लत से चमेली बहुत आजिज है.

लड़कियां अभी तक लौटी न थीं. रास्ता अकेला है. चमेली को पता नहीं है कि 3 दिन पहले क्या हुआ था और आज भी.

मीना और सीमा तेजी से चलती हुई घर की ओर आ रही थीं. तभी सामने से एक हट्टोकट्टे  बदसूरत मुच्छड़ ने बिलकुल नजदीक से साइकिल से रास्ता काटा, दोनों पीछे हट गईं. सहम कर तेजी से घर को बढ़ गईं. दोबारा फिर दोनों को घूर कर गंदा सा फिकरा कसा और उन को छूता हुआ सामने जा खड़ा हुआ. वहीं से दोबारा कमैंट मारा, ‘‘हाय मैं सदके जावां.’’

दोनों बड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगीं. डर से चेहरे सफेद थे. कुछ देर बाद देखा मुच्छड़ एक पेड़ के पीछे छिपा खड़ा था. इरादा नेक न था.

एक बार फिर साइकिल करीब ला कर वहशियाना हंसी के साथ बोला, ‘‘आ जाओ… दोनों को खुश कर दूंगा. साथ में पैसे भी दूंगा.’’

मीना और सीमा, सूखे पत्ते सी कांप गईं.

तभी पीछे से धीरू चाचा की आवाज सुनाई दी, ‘‘क्या हुआ बेटियो?’’

‘‘कुछ नहीं चाचा.’’

मीना ने कह तो दिया, किंतु उन्हें भी माजरा सम   झते देर न लगी, ‘‘डरो नहीं मैं साथ हूं. चलो मेरे साथ चलो, मैं भी घर ही जा रहा हूं.’’

बिना कुछ कहे, धीरू के साथ चल दीं. पेड़ के पास खड़े मुच्छड़ के लिए गंदी गाली निकली थी धीरू ने.

‘‘आज लेट हो गईं?’’ चमेली दोनों के चेहरों को देख हैरान थी. लपक कर करीब आई, ‘‘क्या हुआ?’’

दोनों बस्ते फेंक मां से जा चिपकीं. रुलाई रुक नहीं रही थी. बड़ी मुश्किल से कहा, ‘‘वह, वह…’’

‘‘अरे क्या वह… वह… तुम ने भी भेडि़या देख लिया?

‘‘हां… हां,’’ सच बोलने की हिम्मत न थी.

जो भी हो मुच्छड़ भेडि़ए से कम तो नहीं है. दोनों ने चेहरे घुमा कर रजामंदी में सिर हिलाया.

‘‘बस्ती वाले भी आज यही बता रहे थे,

तुम सहेलियों के साथ आया करो. चलो खाना

खा लों.’’

‘‘नहीं, हमें भूख नहीं है.’’

‘‘अरे, थोड़ा सा तो खा लो,’’ मां ने बड़े प्यार से कहा.

नहीं खाया. दोनों चुपचाप खाट पर लेट कर सोने का बहाना करने लगीं.

‘‘देखो मैं पड़ोस वाली कमलो के घर जा रही हूं. दरवाजा बंद कर लो. बापू भी आता ही होगा. आए तो खाना दे देना.’’

मां के जाते ही दोनों उठ कर बैठ गईं.

‘‘सुन मीना कल हम स्कूल नहीं जाएंगे.’’

‘‘मैं भी यही सोच रही हूं. यह रावण फिर पीछे आएगा.’’

‘‘तू ठीक कहती है.’’

‘‘लेकिन कब तक छुट्टी करेंगे? हम किसी को बता भी नहीं सकते. जिसे भी बताएंगे. हमें ही गलत सम   झेगा.’’

‘‘तो फिर भैया को कहूं?’’

‘‘न… न… यह गजब न करना. फिर तो खुलेआम दुश्मनी हो जाएगी. क्या, भैया उसे छोड़ेगा? मुच्छड़ की हड्डीपसली का चूरा बना कर नदी में बहा देगा. बड़ी बदनामी होगी.’’

‘‘फिर हम क्या करें?’’

‘‘छोड़, देखा जाएगा.’’

अगले दिन दोनों घर से बाहर न निकलीं. दरवाजे की मोटी संध से बाहर    झांक लेतीं. हादसे की दहशत बरकरार थी.

अगले दिन मां के जाने के बाद दोनों ने मन की भड़ास निकाली, ‘‘अरे वह तिरपाली बनिया भी ऐसा ही दिखता है. जाने कैसी भूखी नजरों से घूरता है जैसे खा जाएगा. छि: कैसी घिनौनी हंसी है और वह दूध वाला मोटा लाला? कोई उस की बेटी को ऐसे देखे तो लाला सामने वाले का पेट चीर कर अंतडि़यों का सालन बना कर खा जाएगा. एकदम कसाई दिखता है.’’

सारा दिन दोनों बहनें यही सब बातें करती रहीं. मुंह में अन्न का एक दाना तक न गया. मन ही नहीं करता था. कौर तोड़तीं तो कभी मुच्छड़, कभी तिरपाली तो कभी लाला का डरावना चेहरा उन्हें विचलित करता.

गांठ खुल गई- भाग 2 : क्या कभी जुड़ पाया गौतम का टूटा दिल

पहले छुट्टियों में पिता की दुकान संभालता था. अब पिता के कहने पर भी दुकान पर नहीं जाता था. उसे लगता था कि दुकान पर जाएगा तो महल्ले की लड़कियां उस पर छींटाकशी करेंगी तो वह बरदाश्त नहीं कर पाएगा.

इसी तरह घटना को 2 वर्ष बीत गए. इषिता ने ग्रैजुएशन कर ली. जौब की तलाश की, तो वह भी मिल गई. बैक में जौब मिली थी. पोस्टिंग मालदह में हुई थी.

जाते समय इषिता ने उस से कहा, कोलकाता से जाने की इच्छा तो नहीं है पर सवाल जिंदगी का है. जौब तो करनी ही पड़ेगी, पर 6-7 महीने में ट्रांसफर करा कर आ जाऊंगी. विश्वास है कि तब तक श्रेया को दिल से निकाल फेंकने में सफल हो जाओगे.

इषिता मालदह चली गई तो गौतम पहले से अधिक अवसाद में आ गया. तब उस के मातापिता ने उस की शादी करने का विचार किया.

मौका देख कर मां ने उस से कहा, ‘‘जानती हूं कि इषिता सिर्फ तुम्हारी दोस्त है. इस के बावजूद यह जानना चाहती हूं कि यदि वह तुम्हें पसंद है तो बोलो, उस से शादी की बात करूं?’’

‘‘वह सिर्फ मेरी दोस्त है. हमेशा दोस्त ही रहेगी. रही शादी की बात, तो कभी किसी से भी शादी नहीं करूंगा. यदि किसी ने मुझ पर दबाव डाला तो घर छोड़ कर चला जाऊंगा.’’

गौतम ने अपना फैसला बता दिया तो मां और पापा ने उस से फिर कभी शादी के लिए नहीं कहा. उसे उस के हाल पर छोड़ दिया.

लेकिन एक दोस्त ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘श्रेया से तुम्हारी शादी नहीं हो सकती, यह अच्छी तरह जानते हो. फिर जिंदगी बरबाद क्यों कर रहे हो? किसी से विवाह कर लोगे तो पत्नी का प्यार पा कर अवश्य ही उसे भूल जाओगे.’’

‘‘जानता हूं कि तुम मेरे अच्छे दोस्त हो. इसलिए मेरे भविष्य की चिंता है. परंतु सचाई यह है कि श्रेया को भूल पाना मेरे वश की बात नहीं है.’’

दोस्त ने तरहतरह से समझाया. पर वह किसी से भी शादी करने के लिए राजी नहीं हुआ.

इषिता गौतम को सप्ताह में 2-3 दिन फोन अवश्य करती थी. वह उसे बताता था कि जल्दी ही श्रेया को भूल जाऊंगा. जबकि हकीकत कुछ और ही थी.

हकीकत यह थी कि इषिता के जाने के बाद उस ने कई बार श्रेया को फोन लगाया था. पर लगा नहीं था. घटना के बाद शायद उस ने अपना नंबर बदल लिया था.

न जाने क्यों उस से मिलने के लिए वह बहुत बेचैन था. समझ नहीं पा रहा था कि कैसे मिले. अंजाम की परवा किए बिना उस के घर जा कर मिलने को वह सोचने लगा था.

तभी एक दिन श्रेया का ही फोन आ गया. बहुत देर तक विश्वास नहीं हुआ कि उस का फोन है.

विश्वास हुआ, तो पूछा, ‘‘कैसी हो?’’

‘‘तुम से मिल कर अपना हाल बताना चाहती हूं. आज शाम के 7 बजे साल्ट लेक मौल में आ सकते हो?’’ उधर से श्रेया ने कहा.

खुशी से लबालब हो कर गौतम समय से पहले ही मौल पहुंच गया. श्रेया समय पर आई. वह पहले से अधिक सुंदर दिखाई पड़ रही थी.

उस ने पूछा, ‘‘मेरी याद कभी आई थी?’’

‘‘तुम दिल से गई ही कब थीं जो याद आतीं. तुम तो मेरी धड़कन हो. कई बार फोन किया था, लगा नहीं था. लगता भी कैसे, तुम ने नंबर जो बदल लिया था.’’

उस का हाथ अपने हाथ में ले कर श्रेया बोली, ‘‘पहले तो उस दिन की घटना के लिए माफी चाहती हूं. मुझे इस का अनुमान नहीं था कि मेरे झूठ को पापा और भैया सच मान कर तुम्हारी पिटाई करा देंगे.

‘‘फिर कोई लफड़ा न हो जाए, इस डर से पापा ने मेरा मोबाइल ले लिया. अकेले घर से बाहर जाना बंद कर दिया गया.

‘‘मुंबई से तुम्हें फोन करने की कोशिश की, परंतु तुम्हारा नंबर याद नहीं आया. याद आता तो कैसे? घटना के कारण सदमे में जो थी.

‘‘फिलहाल वहां ग्रैजुएशन करने के बाद 3 महीने पहले ही आई हूं. बहुत कोशिश करने पर तुम्हारे एक दोस्त से तुम्हारा नंबर मिला, तो तुम्हें फोन किया. मेरी सगाई हो गई है. 3 महीने बाद शादी हो जाएगी.

‘‘यह कहने के लिए बुलाया है कि जो होना था वह हो गया. अब मुद्दे की बात करते हैं. सचाई यह है कि हम अब भी एकदूसरे को चाहते हैं. तुम मेरे लिए बेताब हो, मैं तुम्हारे लिए.

‘‘इसलिए शादी होेने तक हम रिश्ता बनाए रख सकते हैं. चाहोगे तो शादी के बाद भी मौका पा कर तुम से मिलती रहूंगी. ससुराल कोलकाता में ही है. इसलिए मिलनेजुलने में कोई परेशानी नहीं होगी.’’

श्रेया का चरित्र देख कर गौतम को इतना गुस्सा आया कि उस का कत्ल कर फांसी पर चढ़ जाने का मन हुआ. लेकिन ऐसा करना उस के वश में नहीं था. क्योंकि वह उसे अथाह प्यार करता था. उसे लगता था कि श्रेया को कुछ हो गया तो वह जीवित नहीं रह पाएगा.

उसे समझाते हुए उस ने कहा, ‘‘मुझे इतना प्यार करती हो तो शादी मुझ से क्यों नहीं कर लेतीं?’’

‘‘इस जमाने में शादी की जिद पकड़ कर क्यों बैठे हो? वह जमाना पीछे छूट गया जब प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी एकदूसरे से कहते थे कि जिंदगी तुम से शुरू, तुम पर ही खत्म है.

‘‘अब तो ऐसा चल रहा है कि जब तक साथ निभे, निभाओ, नहीं तो अपनेअपने रास्ते चले जाओ. तुम खुद ही बोलो, मैं क्या कुछ गलत कह रही हूं? क्या आजकल ऐसा नहीं हो रहा है?

‘‘दरअसल, मैं सिर्फ कपड़ों से ही नहीं, विचारों से भी आधुनिक हूं. जमाने के साथ चलने में विश्वास रखती हूं. मैं चाहती हूं कि तुम भी जमाने के साथ चलो. जो मिल रहा है उस का भरपूर उपभोग करो. फिर अपने रास्ते चलते बनो.’’

श्रेया जैसे ही चुप हुई, गौतम ने कहा, ‘‘लगा था कि तुम्हें गलती का अहसास हो गया है. मुझ से माफी मांगना चाहती हो. पर देख रहा हूं कि आधुनिकता के नाम पर तुम सिर से पैर तक कीचड़ से इस तरह सन चुकी हो कि जिस्म से बदबू आने लगी है.

‘‘यह सच है कि तुम्हें अब भी अथाह प्यार करता हूं. इसलिए तुम्हें भूल जाना मेरे वश की बात नहीं है. लेकिन अब तुम मेरे दिल में शूल बन कर रहोगी, प्यार बन कर नहीं.’’

श्रेया ने गौतम को अपने रंग में रंगने की पूरी कोशिश की, परंतु उस की एक दलील भी उस ने नहीं मानी.

उस दिन से गौतम पहले से भी अधिक गमगीन हो गया.

इस तरह कुछ दिन और बीत गए. अचानक इषिता ने फोन पर बताया कि उस ने कोलकाता में ट्रांसफर करा लिया है. 3-4 दिनों में आ जाएगी.

जैसे को तैसा: भाग 1- भावना लड़को को अपने जाल में क्यों फंसाती थी

‘‘अमन,कहां हो तुम? बाय द वे जहां भी हो, मुझे आ कर मिलो अभी, इसी वक्त,’’ फोन पर और्डर देते हुए भावना बोली.

मगर अमन ने यह कहते हुए आने से मना कर दिया कि उस के घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं, तो वह अभी उस से मिलने नहीं आ सकता है.

‘‘ओके… फिर मैं ही आ जाती हूं तुम्हारे घर.’’

‘‘नहीं… तुम यहां मत आना, प्लीज,’’

अमन ने रिक्वैस्ट की, ‘‘ठीक है मैं ही आता हूं.’’

‘‘यह हुई न बात,’’ अपना मुंह गोल कर भावना ने फोन पर ही अमन को बड़ा सा चुम्मा दिया और यह कह कर फोन रख दिया कि उसे इंतजार करना जरा भी नहीं पसंद, इसलिए वह जल्दी आ जाए.

अब अमन को सम   झ नहीं आ रहा था कि वह घर से निकले तो कैसे क्योंकि अगर उस की मां छाया पूछेंगी कि वह कहां जा रहा है तो क्या बहाना बनाएगा? लेकिन जाना तो पड़ेगा वरना उस भावना का कोई भरोसा नहीं कि यहां पहुंच जाए. अपने मन में सोच अमन उठ खड़ा हुआ.

‘‘मां, एक जरूरी काम है, बस थोड़ी देर में आता हूं,’’ बोल कर अमित घर से निकलने ही लगा कि छाया ने उसे रोका, ‘‘पर जा कहां रहा है? अरे, घर पर मेहमान आने वाले हैं और तुम…’’

‘‘हां मां, पता है मु   झे. लेकिन मैं बस थोड़ी देर में आता हूं,’’    झल्लाता सा अमन घर से निकल गया. छाया कुछ और पूछतीं उस से पहले वह गाड़ी स्टार्ट कर पलभर में ओ   झल हो गया.

दरअसल, आज शाम रागिनी अमन की मंगेतर के भैयाभाभी अमन से मिलने उस के घर आने वाले हैं. वे लोग चाहते हैं कि अगर हफ्ता 10 दिनों में ही अमन और रागिनी की शादी हो जाए, तो बहुत अच्छा रहेगा. रागिनी का भाई राकेश गूगल कंपनी में सीओओ है और वे अपने परिवार सहित यहां इंडिया आए हुए हैं. राकेश की सास की हार्ट सर्जरी हुई है इसलिए वे लोग उन्हें देखने आए थे. चूंकि राकेश की पत्नी अपने मातापिता की एकलौती संतान है, इसलिए अपने मातापिता की सारी जिम्मेदारी उन की ही है. इंडिया आने के लिए राकेश को बड़ी मुश्किल से महीनेभर की छुट्टी मिल पाई थी, इसलिए अब वह सोच रहा है कि अगर रागिनी और अमन की शादी इधर ही हो जाए, तो फिर उन्हें तुरंत छुट्टी ले कर यहां नहीं आना पड़ेगा और उन का समय और पैसा दोनों बच जाएंगे.

वैसे सोच तो वे ठीक ही रहे थे क्योंकि उतनी दूर 7 समंदर पार से जल्दीजल्दी छुट्टी ले कर आना कोई बच्चों का खेल थोड़े ही है. आनेजाने में पैसे भी बहुत खर्च हो जाते हैं और बच्चों की पढ़ाई भी रुकती है. लेकिन राकेश का आना व्यर्थ ही गया क्योंकि अमन से उस की भेंट ही नहीं हो पाई. छाया ने कई बार उसे फोन भी लगाया यह पूछने के लिए कि वह कब आ रहा है. लेकिन अमन का फोन नहीं लग रहा था, इसलिए हार कर वे लोग वापस चले गए. रागिनी छाया की सब से प्रिय सहेली की बेटी है. 2 साल पहले ही वह अमेरिका से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स कर के लौटी है. अभी वह दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में बहुत ही अच्छे पैकेज पर जौब कर रही है.

पिछले साल ही एक शादी समारोह में रागिनी और अमन की मुलाकात हुई थी जो धीरेधीरे प्यार में बदल गई. लड़की जानीपहचानी, पढ़ीलिखी और सुंदर है और सब से बड़ी बात कि दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं, यह सोच कर दोनों परिवारों ने भी इस रिश्ते को मंजूरी दे दी और कुछ मेहमानों की मौजूदगी में दोनों की सगाई कर दी गई. लेकिन शादी की डेट 6 महीने बाद का पड़ा क्योंकि अमन ऐसा चाहता था. इसलिए राकेश अमन से बात करना चाह रहा था. मगर बात ही नहीं हो पाई.

मेहमानों के जाने के बाद भी छाया ने अमन को कई बार फोन लगाया. लेकिन हर बार उस का फोन ‘आउट औफ कवरेज’ ही बता रहा था. छाया को परेशान देख कर ब्रजकिशोर अमन के पापा ने कहा भी कि हो सकता उस का फोन डिस्चार्ज हो गया होगा, इसलिए नहीं लग रहा होगा. लेकिन छाया इस बात से परेशान थी कि थोड़ी देर का बोल कर गया यह लड़का घंटों से कहां गायब है? कहीं वह किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया.

छाया को काफी परेशान देख कर ब्रजकिशोर ने फिर सम   झाया कि बेकार में चिंता करने से क्या होगा? होगा कोई जरूरी काम. आ जाएगा न.  लेकिन छाया कैसे कहे अपने पति से कि ऐसा अकसर ही हो रहा है. रात देखता है न दिन… किसी का फोन आते ही दौड़ पड़ता है एकदम से. और फोन आने पर वह इतना घबरा क्यों जाता है? एक मां अपने बच्चे की हर सांस को पहचानती है, तो क्या अमन की आंखों का डर उसे नहीं सम   झ में आएगा? लेकिन पूछने पर वह कुछ बताता भी तो नहीं है न. या हो सकता है

उस के औफिस में कोई टैंशन हो और उस के बौस का फोन आया हो? नहींनहीं, ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि अभी परसों ही तो उस के बौस से छाया की मुलाकात हुई थी. वे तो अमन की कितनी बढ़ाई करने लगे कि अमन बहुत ही मेहनती लड़का है. फिर किस बात की टैंशन है उसे? खुद से ही सवालजवाब करती हुई छाया ने अभी अपनी आंखें    झपकाई ही कि कौल बज उठी. अमन ही था.

रात के करीब साढ़े 11 बजे अमन को घर आया देख कर छाया का पारा 7वें आसमान पर चढ़ गया. अब गुस्सा तो आएगा ही न, मेहमान आ कर चले गए और यह लड़का अब आ रहा है. क्या सोच रहे होंगे वे लोग कि कितना लापरवाह लड़का है. छाया ने तो किसी तरह कोई बहाना बना कर उन्हें सम   झा दिया कि अचानक से अमन के औफिस से फोन आ गया इसलिए जाना पड़ा, आता ही होगा बस. मगर इस लड़के ने तो हद ही कर दी. बस आता हूं, कह कर घंटों बाद लौटा है. आखिर गया कहां था? कुछ बताता भी तो नहीं है.

‘‘आखिर चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में?’’ गुस्से से नाक फुलाती जब छाया ने सवाल किया तो अमन यह बोल कर अपने कमरे में

चला गया कि वह बहुत थक गया है, सुबह बात करेगा. यह भी नहीं पूछा उस ने कि रागिनी के भाईभाभी आए थे तो क्या बातें हुईं या उस के बारे में क्या कुछ पूछ रहे थे वे लोग? बस आया और सीधे अपने कमरे में चला गया. खाना भी तो नहीं खाया उस ने.

‘‘देख, अगर तेरे दिल में कोई बात है तो अभी बता दे. मेरे कहने का मतलब है अगर

तुम्हें कोई और लड़की पसंद आ गई हो तो बोल दे, मैं मना कर दूंगी उन्हें,’’ छाया ने स्पष्ट शब्दों में बोला.

‘‘आप बेकार में क्यों मेरा दिमाग खा रही हो मां,’’ अमन    झल्लाया सा बोला, ‘‘क्या चाहती हैं आप बोलिए न? अरे, कोई जरूरी काम आ पड़ा था इसलिए चला गया न तो इस में कौन सी बड़ी आफत आ गई जो आप इतना सुना रही हैं?’’

अमन के तेवर देख छाया हैरान रह गई क्योंकि पहले कभी उस ने अपनी मां से इस तरह से बात नहीं की थी.

‘‘प्लीज, आप जाइए यहां से, मु   झे सोने दीजिए,’’ कह कर अमन ने लाइट औफ कर दी. छाया कुछ पल वहीं खड़ी रही, फिर कमरे से बाहर निकल कर सोचने लगी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अमन को कोई दूसरी लड़की पसंद आ गई हो और अब वह रागिनी से शादी नहीं करना चाहता है? नहींनहीं, अगर ऐसा होता, तो वह सगाई ही क्यों करता रागिनी के साथ. मैं भी न बेकार में उलटासीधा सोचने लगती हूं. हो सकता है इसे औफिस की ही कोई टैंशन हो. अपने खुले बालों को मुट्ठी में लपेट कर जूड़ा बनाते हुए छाया ने पलट कर देखा, तो अमन दीवार की तरफ मुंह किए सो रहा था. इसलिए वह धीरे से दरवाजा बंद कर वहां से चली आई.

अपनी मां से इस तरह बात करना अमन को जरा भी अच्छा नहीं लगा. लेकिन वह भी क्या करे क्योंकि वह अपनी मां से    झूठ नहीं बोल सकता था और छाया सच सुन नहीं पाती. इसलिए उसे अपनी मां से ऐसे रूखे स्वर में बात करनी पड़ी ताकि वह बारबार उस से सवाल न करे. रागिनी को भी उस ने फोन पर ऐसे ही दोटूक शब्दों में जवाब दे कर चुप करा दिया था कि अभी उन की शादी नहीं हुई है, जो वह उस पर इतना हक जता रही है. रागिनी को अमन की बात का बुरा तो लगा था पर उस ने जताया नहीं. लेकिन अमन को यह भी नहीं हुआ कि वापस फोन कर उसे एक बार सौरी बोल दें. उलटे रागिनी ने ही उसे फोन कर हालचाल पूछा था.

रागिनी भले ही अमेरिका से पढ़लिख कर लौटी है और इतनी बड़ी कंपनी में जौब कर रही है, लेकिन उस में घमंड नाममात्र का भी नहीं है. ‘डाउन टू अर्थ’ है वह. उस की इसी अदा पर तो अमन फिदा हो गया था. रागिनी अमीरीगरीबी, जातिधर्म में कोई भेद नहीं करती है. वह तो सड़क पर भीख मांग रहे बच्चे को भी गोद में उठा कर दुलार करने लगती है. जब भी समय मिलता है वह अपनी मेड के बच्चों को बैठा कर पढ़ाती है. हर संडे वह ब्लाइंड्स बच्चों को भी पढ़ाने जाती है. जब उस की मेड का पति शराब पी कर उसे मारतापीटता था, तब रागिनी ने उसे ऐसी डांट लगाई थी कि उस ने अपनी पत्नी के साथ बदसलूकी करना छोड़ दिया.

रागिनी जबतब अपनी मेड की पैसों से

भी मदद करती रहती है. हालांकि उस की यह मदद सामान्य बात है. पर उसे यह सामाजिक सरोकार की भावना अपनी मां और दादी से विरासत में मिली है. वैसे बेतरतीब इंसान तो अमन भी नहीं है. वह भी लोगों की मदद करने में विश्वास रखता है और उस के इसी विश्वास का नतीजा है कि आज वह इतनी बड़ी मुसीबत में फंस चुका है.

भेडि़या: भाग 1- मीना और सीमा की खूबसूरती पर किसकी नजर थी

‘‘अरे, सुन. क्या नाम है तेरा?’’

‘‘चमेली,’’ पास से गुजरती स्त्री ने पलट कर देखा.

‘‘तेरा नाम जसोदा है न?’’ चमेली ने भी उसे पहचान लिया था.

दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकराईं.  जसोदा मतलब की बात पर आ गई, ‘‘वह मैं इसी हफ्ते 2 महीने के लिए गांव जाऊंगी. मेरे पास 3 कोठियों का काम है. तीनों में बरतन,    झाड़ूपोंछा और कपड़े धोने का काम करती हूं. पूरे 10 हजार का काम है. एक कोठी की डस्टिंग भी है. उस के 3 हजार अलग से हैं. बोल, काम पकड़ेगी?’’

‘‘यानी 13 हजार,’’ चमेली हिसाब लगा

रही थी.

‘‘सुन, 2 महीने बाद आ कर काम वापस ले लूंगी,’’ जसोदा बोली.

‘‘ठीक है, अपना नंबर दे दे. घर पहुंच कर बताती हूं. हां, कोठी वाली से कल बात करा देना.’’

दोनो ने नंबरों का आदानप्रदान किया. मोबाइल अपनेअपने ब्लाउज में घुसेड़े और उसी तरह मुसकराती हुई विपरीत दिशा में मुंड़ गईं.

चमेली सोचने लगी कि पिछली 2 कोठियां छोड़ कर नई कोठियां पकड़ने की बात तो वह  पहले से ही सोच रही थी. जिन कोठियों में काम कर रही है वे सभी घर से दूर पड़ती हैं. काफी पैदल चलना पड़ता है.

चमेली का गणित फिर चालू हो गया. कोठियों के काम से मिली तनखा में से 3 हजार का राशनपानी, 1 हजार    झुग्गी का किराया. अगले महीने गांव में देवर की शादी है. हजार तो भेजने ही पड़ेंगे. गांव वाले घर की छत भी पक्की करानी है. इस के लिए भी 3 हजार महीने का जमा करती हूं. यहां भी कौन से महल में रह रही है. यह तो ठेकेदार के हाथपैर जोड़े तो 15?15 की जगह दे दी. मीना और सीमा 2 बेटियां हैं. लड़कियां बड़ी हो रही हैं. कोने की    झुग्गी है डर लगा रहता है… फिर भी कुछ तो है.

कैसा नसीब ले कर पैदा हुई है, चमेली… 15 साल पहले बसेसर का हाथ पकड़ कर यहां मुंबई आउटर पर आ गई थी. तब यह हाईवे के दोनों ओर जंगल ही जंगल था. जंगल काट कर कोई बहुत बड़ी बिल्डिंग बननी थी. बिल्डर ने 3-4 और भी ठेके ले लिए थे. सो बसेसर 10-12 साल ठेकेदार से जुड़ा रहा.

एक रोज बसेसर की टांग पर पत्थर गिर गया. पैर की हड्डी टूट गई. उस का काम छूट गया.

बेटे ने साफ कह दिया, ‘‘मैं ईंटगारे का काम कतई नहीं करूंगा.’’

पहले तो चमेली कुली का काम करती थी. पर तब बात और थी. बसेसर का काम छूटने पर  चमेली को भी काम छोड़ना पड़ा. ठेकेदार की नियत खराब थी.

चमेली जिन कोठियों में काम करने जाती है ज्यादातर कोठियों की छत बसेसर ने ही डाली है. पर खुद वह    झुग्गी में रहता है, जिस की दीवारें तो हैं पर छत बल्लियों पर टिके तिरपाल की है. तेज आंधी में कई बार तिरपाल उड़ चुका है. जानती है यहां लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. पर क्या करे? यहां सिर्फ एक ही लालच है लड़कियां पढ़ जाएंगी तो अच्छा घरवार मिल जाएगा. गांव चली गई तो रोटी के लाले पड़ जाएंगे. लड़कियां भी किसी काने, कुबड़े या बूढ़े के साथ बैठा दी जाएंगी. 10वीं कर लेंगी तो कोई न कोई कोठी वाली मेमसाब या साहब के औफिस में लग जाएंगी. लड़का भी ढंग का मिल जाएगा. बस इसी लालच में यहां पड़ी है.

अल सुबह बेटियों के साथ निकल जाती है. स्कूल में लड़कियों को छोड़ती हुई कोठियों की तरफ मुड़ जाती है. कोठियों कहें या कंकरीट का जंगल कहें. कभी मीलों तक घना जंगल था. जहां अब कोठियों है वहां कभी जंगली जानवरों का वास था. लेकिन प्रकृति की खूबसूरत संपदा को बड़ी बेरहमी से उखाड़ फेंका इन भूखे बिल्डरों ने. सिर्फ कुछ रुपयों की खातिर.

आज भी ऊंची इमारतों के पीछे खेत हैं और उन के पीछे घना जंगल है, जिस में आज भी जंगली जानवर खेत पार कर के कोठियों के पीछे लगे कंटीले तारों के पास या सर्विस लेन के आसपास देखे जाते हैं.

ये जानवर, पता नहीं क्या सोचते होंगे हम मनुष्यों के बारे में?

संभवतया सोचते होंगे कि कितना दुस्साहसी और निर्दयी है रे मनुष्य. किसी का रैनबसेरा उजाड़ कर अपने लिए घर बना लिया? लानत है ऐसी मानवता पर.

इन्हीं ऊंची इमारतों के पास लेबर बस्ती है. बस्ती में रहने वाले लोगों की संख्या जानते हैं कितनी होगी?

खेत पार बसे घने जंगल के जानवर जमा कोठियों और फ्लैटों में रहने वाले लोगों की संख्या में जोड़ लो और उस का 4 गुना कर दो. इतनी जनसंख्या है लेबर बस्ती की.

ज्यादातर फ्लैट और कोठियों खाली पड़ी हैं. जंगल में भी जानवर नहीं के बराबर रह गए हैं.

लेबर बस्ती में रहने वाले वही लोग हैं जिन्होंने अपने अन्नदाता के एक इशारे पर पूरी की पूरी प्राकृतिक संपदा को काटने में जरा देर नहीं लगाई और देखतेदेखते जमीन पर ऊंचेऊंचे टावर और कोठियों खड़ी कर दीं.

और अपने लिए? एक कमरे का मकान भी न जुटा सके. बस कच्ची सी    झुग्गी है जिस पर छत तो है नहीं. इसी में गरमी, सर्दी व बरसात सब बिताते हैं. छोडि़ए ये सब.

जरा इन कोठियों में    झांक कर देखें. कौन रहता है? क्या होता है यहां और कैसेकैसे लोग रहते हैं. कोठी नं 25. इस में वृद्ध पतिपत्नी रहते हैं. दोनों सारी सर्दी बालकनी में धूप सेंकते हैं.

घर के गेट पर नेम प्लेट लगी है ब्रिगेडियर अमन. इस जोड़े को धूप में बैठ कर चिल्ड बियर पीने का बहुत शौक है. कई बार पड़ोसी भी साथ देने और ठहाके लगाने आ जाते हैं. गरमियों में यही महफिल देर शाम को शुरू हो कर देर रात तक चलती है. कभीकभी 40 नंबर वाले कर्नल रमन भी साथ देने आ जाते हैं.

कर्नल और ब्रिगेडियर दोनों कई साल तक एक ही यूनिट में साथसाथ थे. हां, रिटायर भी एकसाथ हुए. दोनों के बच्चे कैलिफोर्निया में रहते हैं. बच्चे 2-3 सालों में बूढ़े मांबाप पर    झूठे प्यार की बारिश करने चले आते हैं.

ब्रिगेडियर के घर में 2 आया, 1 खानसामा, 2 लैब्रेडोर कुत्ते और एक भूरी आंखों वाली बिल्ली है. सब के ऊपर लंबी नुकीली मूंछों वाला मुस्तैद नेपाली चौकीदार है यानी घर में 2 लोगों की देखभाल के लिए 6 जीव?

26 नंबर कोठी खाली है. 27 नंबर में सान्याल रहतीं. तलाकशुदा है. घर में इवेंट्स और्गेनाइज करती है.

28 नंबर की शीला सान्याल के साथ बियर पीती है. साथ में दोनों मिल कर किट्टी पार्टी, ताश पार्टी बगैरा भी और्गेनाइज करती हैं. दोनों का गुजारा चल जाता है.

चमेली अब तक इन घरों में काम नहीं करती. हां जसोदा जा रही है तो 2 महीनों के लिए तो ये घर उसे मिलेंगे ही.

चमेली को सान्याल का काम इसलिए भी आकृष्ट कर रहा है क्योंकि सान्याल हर शनिवार को पार्टी रखती है. पार्टी बेशक देर रात तक चलती हो पर जानती है कमाई अच्छीखासी होती है. हर हफ्ते हजार रुपए कमाई.

चमेली खुश है. हिसाब बराबर है. जसोदा की दोनों कोठियों के काम को हां कर देगी. घर पहुंचते ही जसोदा को ‘हां’ कह दी.

हेल्दी टिफिन हेल्दी किड्स कॉम्पटीशन

हेल्दी टिफिन बच्चों को हेल्दी रखने में सहायक होते हैं. हालांकि खाने में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों को संतुलित करना मुश्किल है. ये एक ऐसी समस्या है, जिसका मदर्स हमेशा से समाधान निकालने की कोशिश में लगी रहती हैं. टिफिन सिर्फ हेल्दी फूड सर्व करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे साफ हेल्दी लंच बौक्स में परोसना भी जरूरी होता है. एंटी बैक्टीरियल एक्सो, सिर्फ सफाई नहीं करता, बल्कि गंदे बर्तनों पर 10 सेकंड में 700 पर्सेंट बढ़ने वाले बैक्टीरिया का खात्मा भी करता है और लंच बौक्स को साफ करके टिफिन बौक्स को भी हेल्दी बनाता है.

आइए आपको बताते हैं कुछ मजेदार रेसिपीज के बारे में…

  1. मटर टिक्की

4 आलुओं को मैश कर मैदामिला कर मिश्रण बना लें. अब पैन में तेल गरम कर हींग, जीरा, प्याज, अदरक भूनें. साथ ही इसमें उबले मटर, अमचूर पाउडर, गरम मसाला व नमक मिला कर अच्छी तरह से भूनें. आलू और मैदा वाले मिश्रण में थोड़ा सा नमक मिला कर चिकना गूंध लें. अब इसकी नीबू के आकार की लोइयां बना लें. फिर 1 लोई को हथेली पर रख कर फैलाएं. अब इस पर 1 बड़ा चम्मच मटर का मिश्रण रख कर बंद करके इसे टिक्की का आकार दें. इसी तरह सारी टिक्कियां बना लें. अब तवे पर तेल को गरम करके टिक्कियों को धीमी आंच पर सुनहरा होने तक सेंकें, मटर टिक्की तैयार है. इसे हरी चटनी, सौंठ और दही के साथ सर्व करें.

sem matar kabab

2. टोफू टिक्का मसाला

ग्राम टोफू को टुकड़ों में काट लें. इसके बाद आधा कप शिमलामिर्च, 1 टमाटर और 1 प्याज को भी इसी तरह टुकड़ों में काट लें. अब 1 बाउल में थोड़ा दही, 1 हरीमिर्च का पेस्ट, 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर, आधा छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, एकचौथाई छोटा चम्मच चाटमसाला, 1 छोटा चम्मच नमक, थोड़ी सी कटी हुई धनियापत्ती और 1 बड़ा चम्मच के करीब औयल डालकर इसे अच्छे से मिक्स करें. अब इस मिश्रण में कटा टोफू, प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च डालकर अच्छे से कोट करके इसे 2 घंटे के लिए फ्रिज में सैट होने के लिए रख दें. अब सभी टुकड़ों को स्किवर में लगा कर तेज आंच पर सेंकें और फि प्लेट में निकाल कर हरी चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

paneer-tikka

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EXO

रेसिपी भेजने की अंतिम तिथि: 25 अक्टूबर 2023

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