‘Jaane Jaan’ की स्क्रीनिंग पर पहुंचे लव वर्ड्स तमन्ना भाटिया- विजय वर्मा, फैंस ने दिया प्यार

विजय वर्मा बॉलीवुड के अभिनेता हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी. एक्टिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, विजय को कई फिल्मों में देखा गया. हालांकि, वह काफी सालों बाद 2016 में फिल्म पिंक में शानदार अभिनय के बाद वह फेमस हुए. तब से, उन्होंने कई  बेव सीरिज और बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्में दी है.

वर्तमान में, विजय अपनी अपकमिंग ओटीटी फिल्म ‘जाने जान’ को प्रमोट कर रहे हैं. सीरिज की रिलीज से पहले आज, मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म की टीम ने एक स्क्रीनिंग का आयोजन किया जिसमें बी-टाउन के कई सितारों ने भाग लिया.

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की ओटीटी डेब्यू सीरिज ‘जाने जान’ की मुंबई में बीती रात को स्क्रीनिंग रखी गई. इस स्क्रीनिंग में कई बॉलीवुड सितारों ने शिरकत की. वहीं इस स्क्रीनिंग के दौरान फिल्म से ज्यादा चर्चा विजय वर्मा की गर्लफ्रेंड तमन्ना भाटिया की. स्क्रीनिंग के समय दोनों कपल साथ में पोज देते हुए खुश नजर आ रहे थे. दोनों ने पैपराजी को पोज दिए और दूसरे सेलेब्स के साथ हंसी मजाक मस्ती में बाते की.

 

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तम्मना भाटिया और विजय वर्मा

‘जाने जान’ की इवेंट में सभी का ध्यान न्यू लव वर्ड्स तम्मना भाटिया और विजय वर्मा पर खींच लिया. वहीं दोनों हाथों में हाथ डलकर स्क्रीनिंग पर पहुंचे. इस दौरान दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे थे.

लुक की बात करें तो विजय वर्मा ब्लैक शर्ट के साथ गोल्डन पैंट और ब्लेजर में स्टाइलिश लग रहे थे. वहीं, ब्लू ड्रेस में तमन्ना भाटिया का ग्लैमर ऑन-पॉइंट था. हाई स्लीक हेयर बन, हाई हील्स और न्यूड मेकअप में वह खूबसूरत लग रही थीं.

 

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तमन्ना भाटिया और विजय वर्मा का वर्कफ्रंट

तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करने वाली भारतीय अभिनेत्री तम्मना को विजय वर्मा के साथ लस्ट स्टोरीज़ 2 में देखा गया था. इसके बाद वह तमिल फिल्म जेलर और तेलुगु भाषा में भोला शंकर लेकर आईं. वेदा 2024 में उनका अगला हिंदी प्रोजेक्ट होगा. वहीं विजय वर्मा की बात करें, तो ‘जाने जान’ के बाद वह अफगानी स्नो और मर्डर मुबारक में नजर आएंगे.

अनुज के बर्थडे पर बरखा ने खूब किया हंगामा, अनुपमा हुई परेशान

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी वजह से ये शो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में रहता है. सीरियल के कलाकर अपने किरदार से अपनी छाप दर्शकों में छोड़ते है. इसी वजह से अनुपमा की स्टार कस्ट दर्शकों की चाहेती है. इस सीरियल  में अनुपमा का रोल करने वाली रुपाली गांगुली और बरखा का किरदार निभाने वाली अश्लेषा सावंत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वैसे तो बरखा और अनुपमा दोनों स्क्रीन पर काफी लड़ते है लेकिन रियल लाइफ में दोनों सेट पर काफी मास्ती करते है.

अश्लेषा सावंत और रुपाली गांगुली का वीडियो हुआ वायरल

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के सेट से रुपाली गांगुली और अश्लेषा सावंत का वीडियो काफी वायरल हो रहा है. ये वीडियो है कपाडिया हाउस में अनुज का बर्थडे सेलिब्रेशन की तैयारियो के बीच शूट हुआ है. इस वीडियो में बरखा यानी अश्लेषा एक ट्रॉली पर चढ़ी हुई हैं और खूब डांस कर रही है. उस ट्रॉली को एक शख्स आगे पीछे भी कर रहा है.

 

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इस वीडियो में रुपाली भी नजर आ रही हैं, जो बरखा की हरकतों से तंग आ गई हैं. रुपाली अपने सिर पर हाथ लगाए दिख रही हैं. दोनों का ये वीडियो काफी मजेदार है. इस वीडियो पर दोनों के फैंस कमेंट कर रहे हैं. हर किसी ने दोनों को साथ देखकर खुशी जाहिर की है.

रुपाली को खूब तंग करती है अश्लेषा

‘अनुपमा’  के सेट से सबसे ज्यादा मजेदार वीडियो अश्लेषा शेयर करती है. वह रुपाली की टांग खीचनें में एक भी मौका नहीं छोड़ती है. दरअसल, एक बार अश्लेषा ने रुपाली का सोते हुए वीडियो शेयर किया था. ये वीडियो स्टार परिवार के अवार्ड की रात अगले दिन का है, जिसमे रुपाली अवार्ड नाइट खत्म करते ही कुछ देर बाद सेट पर आ गई थी. इसी वजग से वह अपनी नींद पूरी करती नजर आ रही थी.

बाबाजी का ठुल्लू

बाहर गली में लाउडस्पीकर बज रहा था. धूलमिट्टी उड़ाते औटो पर रखे लाउडस्पीकर से आवाज आ रही थी, ‘‘आप सभी को बाबाजी के समागम में आमंत्रित किया जाता है. जहां विशेष कृपा के तौर पर बाबाजी का ठुल्लू दिया जाएगा.

ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर बाबाजी की कृपा का लाभ उठाएं.’’ठुल्लू शब्द उल्लू ज्यादा सुनाई पड़ रहा था पर फिर भी मैसेज जा चुका था कि कोई विशेष कार्यक्रम ही होगा तभी इतनी जोरशोर से प्रचार हो रहा है.

जो ‘कौमेडी नाइट विद कपिल’ देखते हैं वे तो समझ गए पर जो नहीं देखते थे वे कार्यक्रम का हिस्सा बन गए.भव्य पंडाल सजा था. आसपास श्रद्धा की दुकानें सजी थीं, जिन में धूप, मालाएं, धार्मिक ग्रंथ, हवन सामग्री आदि मिल रही थी और साथ ही सजी थीं खानेपीने की दुकानें.

बाहर से तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई शादीब्याह का आयोजन हो. एक बार को लगा कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए पर पता तो यही था. बाबाजी का आने का समय 4 बजे का था. 7 बज रहे थे पर उन का अभी तक कोई अतापता न था. भीड़ बढ़ती जा रही थी.

8 बजे 4 गाडि़यां धूलमिट्टी उड़ाती मैदान में पहुंचीं. उन में एक औडी थी, जिस में गेरुआ चोला पहने बाबाजी अपनी धोती संभालते उतरे. उम्र यही कोई 50-55 वर्ष. बाल मिलेजुले सफेदकाले. चेहरे की चमक किसी महंगे ब्यूटीपार्लर का इश्तिहार लग रही थी जैसे अभी वहां से फेशियल करवा कर आए हों.‘‘बाबाजी की जय हो,’’ समर्थकों ने जोरजोर से नारे लगाने शुरू कर दिए.

लोग उत्सुकतावश बाबाजी की ओर ऐसे देख रहे थे जैसे वे कोई अजूबा हों.बाबाजी हाथ उठा कर बहुत आत्मविश्वास के साथ बोले, ‘‘मैं कुछ नहीं करता, भगवान मुझ से करवाता है. जब तक उस का हुक्म न हो तब तक मैं यहां आ ही नहीं सकता.’’पूरी बात जनता के पल्ले नहीं पड़ी. पर जोरदार तालियों से आभास हो गया शायद कोई बहुत बड़ी बात कही है.

‘‘बाबाजी आज आप सब को एक विशेष कृपा प्रदान करेंगे. ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंच कर आप ने जो विश्वास बाबाजी पर जताया है वह काबिलेतारिफ है.’’समर्थक 1-1 कर के बाबाजी की प्रशंसा के पुल बांधते हुए अपनी बात आगे रखने लगे.तभी एक तरफ खुसुरफुसुर शुरू हो गई.‘‘कृपया शांत बैठें…जो कुछ कहना चाहते हैं कृपया माइक पर कहें.’’कुछ श्रोता आपस में लड़ रहे थे, ‘‘मैं बोलूंगा, मैं बोलूंगा.’’‘‘सभी को मौका दिया जाएगा,’’ ऐसा कह कर एक समर्थक ने माइक एक स्मार्ट, पढ़ेलिखे दिखने वाले सज्जन को पकड़ा दिया.‘‘गुरुदेव आप की सेवा में मेरा कोटिकोटि प्रणाम स्वीकार हो.

मुझे कई सालों से शुगर और ब्लडप्रैशर की बीमारी थी, जो आप की विशेष कृपा से ठीक हो गई.’’शुगर और ब्लडप्रैशर वाले मरीज खुश थे कि हम यहां आ गए तो हमारी भी बीमारी ठीक हो जाएगी.इस के साथ ही समर्थक फिर ‘बाबाजी की जय हो’ दोहराने लगे.‘‘मुझ में ऐसा कुछ नहीं है. परमात्मा परम ज्ञानी हैं,’’ बाबाजी का इतना बोलना था कि लोग फिर जोरजोर से तालियां बजाने लगे.कई लोग जो पहली बार आए थे, थोड़े कनफ्यूज दिखे कि ऐसा कैसे हो गया? यह तो शुरुआत थी.

फिर एक महिला ने माइक पकड़ा और कहा, ‘‘बाबाजी, गृहस्थी चलानी बहुत मुश्किल हो गई है…इतनी महंगाई है कि प्याज तो अब सपने की बात हो गई है और टमाटर तो कीमत से और लाल हुए पड़े हैं,’’ बाबाजी हाथ उठाते हुए बोले, ‘‘प्याज खाना कोई फायदे की बात नहीं है. इसे छीलो तो आंसू निकलते हैं और काटो तो जेब कटती है. मुझे देखो मैं ने इस की तरफ कभी आंख उठा कर भी नहीं देखा.’’समर्थक बोले, ‘‘बाबाजी के नक्शेकदम पर चलो, आंखें भी खुश रहेंगी और जेब भी.’’इस के साथ ही वही तालियां, वही नारा और वही समर्थकों का जोश.

माइक वाली महिला कुछ समझ कुछ नहीं और फिर बगले झंकते हुए बैठ गई. तालियों से शायद उसे अंदाजा हो गया था कि बाबाजी बहुत पहुंचे हुए हैं.तभी माइक एक बच्चे को दिया गया. बोला, ‘‘बाबाजी, मैं पेपरों से पहले बीमार पड़ गया था और यह आप की कृपा ही होगी कि मैं ने 20 नंबर का प्रश्नपत्र हल कर लिया और मेरे 40 नंबर आ गए.’’जनता फिर उल्लू की तरह कभी इधर देखती तो कभी उधर, पर उसे समझ नहीं आया कि यह कैसे हो गया.

जो इन सब बातों की सचाई जानना चाहते थे उन्हें कोई माइक नहीं दे रहा था.रात का 1 बज गया. बाबाजी को नींद आने लगी, तो समागम के समापन की घोषणा हो गई और लाउडस्पीकर पर ‘बजरंगी हमारी सुध लेना भुला नहीं देना, विनय तोहे बारबार है…’ भजन चलाया गया और समर्थक स्टेज पर हाथ उठाउठा कर नाचने लगे.

सब अपने आसपास के लोगों की देखादेखी नाचने लगे. उन के बजरंगी जा चुके थे अपने नए अवतार में, जिस में उन्होंने एक पैर जमीन पर रखा हुआ है और एक लोगों के दिल पर. और अपने बलशाली हाथों पर लोगों का दिमाग रख कर अपनी औडी में उड़ गए.

जिन्होंने माइक पर बोला था स्टेज के पीछे उन्हें पैसे बांटे जा रहे थे. पंडाल वाला भी खुश था कि अगली बार ज्यादा कमाई हो जाएगी. बड़ा पंडाल जो लगाना है.खाने के खोमचे वालों की चांदी हो गई. बाबा के इंतजार में लोगों ने खा कर ही टाइमपास किया.अंत में एक समर्थक ने माइक पर घोषणा की कि अगला कार्यक्रम 15 दिन बाद होगा. अपने साथ अपने पूरे परिवार को लाएं और बाबाजी के उल्लू उफ, सौरी ठुल्लू का सीक्वल पाएं.

चिर आलिंगनरत : मोहन को गौरी मैम से कैसे प्यार हो गया

संसार भर के सागरों में की जाने वाली क्रूज? यात्राओं में अलास्का की क्रूज सब से अधिक मनोहारी और रोमांचकारी मानी जाती है. इस यात्रा हेतु सिल्विया और मोहन 2 दिन पहले कनाडा के वैंकूवर नगर के बंदरगाह से नौर्वेजियन क्रूज लाइन के शिप पर सवार हुए थे.

क्रूज 7 दिन का था और शिप आज प्रात: जूनो नगर में आ कर रुका था. उन्होंने शिप पर ओशन व्यू कमरा बुक कराया था, जिस की खिड़की से दूरदूर तक लहराता सागर और यदाकदा ऊंचेऊंचे वृक्षों की हरीतिमा से आच्छादित द्वीपों का मंत्रमुग्धकारी बियाबान दिखाई देता था. यद्यपि इस प्रेमी युगल को पारस्परिक संग के दौरान किसी अन्य मुग्धकारी उत्तेजक की आवश्यकता नहीं थी, तथापि क्रूज शिप का मोहक वातावरण और महासागर का सम्मोहन अद्वितीय कैमिस्ट्री के जनक थे.

दोनों पृथ्वी पर स्वर्ग का आनंद प्राप्त कर रहे थे. जूनो अलास्का प्रांत की राजधानी है. अलास्का प्रांत की आबादी अधिक नहीं है, परंतु अलास्का की राजधानी होने के कारण यह नगर महासागर के किनारे बसा एक बड़ा कसबा सा है. शिप से उतर कर उन्होंने एक बस पकड़ ली.

उन्होंने 2 घंटे में कसबा व बाजार देख लिया. उन्हें यह देख कर आश्चर्य हुआ था कि बाजार में कुछ दुकानें गहनों की थीं जिन में अधिकांश के मालिक मुंबई के मूल निवासी थे.समयाभाव के कारण वे रोपवे और सी प्लेन की राइड पर नहीं गए.

तत्पश्चात वे मेंडेनहौल ग्लेशियर देखने और व्हेलवाच के लिए बोट से चल दिए. उस बोट में 2 ही हिंदीभाषी पर्यटक थे. शेष में अधिकांश इंग्लिश बोलने वाले अथवा अलास्का की आदिमजातियों की भाषा वाले थे, जिन में मुख्यतया ट्लिंगिट भाषा बोलने वाले थे.

अत: उसे और सिल्विया को आपस में कुछ भी बोलने और चुहलबाजी करने का निर्बाध अवसर उपलब्ध था. दोनों अन्यों की उपस्थिति से अनभिज्ञ रह कर इस अद्भुत यात्रा का आनंद ले रहे थे और जीवनिर्जीव सब पर हिंदी में अच्छीबुरी टिप्पणी कर के हंसते रहे थे.

मेंडेनहौल ग्लेशियर देख कर सिल्विया तो जैसे पागल हो रही थी. उस के और ग्लेशियर के बीच तट के निकट के सागर का एक भाग था. ग्लेशियर सागर के उस भाग के पार स्थित पर्वत से निकल रहा था. वह सुदूर पर्वत से निकल कर हिम की एक विस्तृत नदी की भांति चल कर सागर में समा रहा था. ऊपर से खिसक कर आई हिम सागर किनारे आ कर रुक जाती थी और वहां विशाल हिमखंड के रूप में परिवर्तित हो जाती थी जैसे सागर में कूदने के पूर्व उस की गहराई की थाह लेना चाह रही हो.

कुछकुछ अंतराल के पश्चात सागर किनारे स्थित शिलाखंड पीछे से आने वाली हिम के दबाव से भयंकर गरजना के साथ टूटता था और टुकड़ों में बिखर कर समुद्र में तैरने लगता था.हिमशिला टूटते समय सहस्रों पक्षी उस के नीचे से अपने प्राण बचाने को चिचिया कर निकलते थे. सिल्विया और मोहन यह देख कर हैरान थे कि उन पक्षियों ने सागर किनारे जमी उस हिमशिला के नीचे कुछ अंदर जा कर अपनी कालोनी बसा रखी थी.

हिमखंड के टूटने से उत्पन्न गरजना और जल का उछाल थम जाने पर वे पक्षी उस के नीचे बनी अपनी कालोनी में पुन: चले जाते थे. हिम के टूटे हुए खंड सागर में आइसबर्ग बन कर तैरने लगते थे.सिल्विया और मोहन जहां खड़े थे, वहां से बाईं ओर सागर में दूर तक वे आइसबर्ग दिखाई देते थे. उन के दाहिनी ओर एक पहाड़ी थी, जिस के ऊपर से एक झरना बह रहा था.

उस का आकर्षण सिल्विया को खींचने लगा और वह उस के किनारेकिनारे ऊपर दूर तक जाने लगी. मोहन भी उस के पीछेपीछे चलता गया.एकांत पा कर सिल्विया मोहन से सट गई और बोली, ‘‘मोहन, मेरा मन तो यहीं खो जाने को हो रहा है.’’पता नहीं क्यों तभी मोहन के मन में किसी अनहोनी की आशंका व्याप्त हो गई, परंतु मोहन ने सिल्विया को बांहों में भर लिया और उसे एक चुंबन दिया.

तभी यात्रियों की बोट पर वापसी का अलार्म बज गया और वे जल्दीजल्दी बोट पर वापस आ गए.बोट यात्रियों को व्हेल, सी लायन, सामन मछली, बोल्ड ईगिल आदि जीवधारियों को दिखाने हेतु गहरे समुद्र की ओर चल दी. व्हेलों के निवास के क्षेत्र में जब बोट पहुंची और यात्रियों ने उन की उछलकूद तथा श्वास के साथ पानी के फुहारे छोड़ने के दृश्यों का आनंद लेना प्रारंभ किया, तभी उन की बोट नीचे से एक भीषण ठोकर खा कर उछली और उलट गई. किसी यात्री को संभलने का अवसर नहीं मिला.

कोई डूब रहा था तो कोई तैर रहा था.कुछ यात्री बोट को पकड़ने उस की ओरतैरे भी, परंतु बोट अपने नीचे फंसी व्हेल केसाथ गहरे समुद्र में खिंची जा रही थी. सिल्विया और मोहन ने पानी में बहती लाइफ जैकेट पकड़ कर पहन ली और बोट से समुद्र में गिरे एकचप्पू को पकड़ कर पानी के ऊपर रुके हुए थे. पानी बेहद ठंडा था. थोड़ी देर में चीखपुकार कम हो गई. कुछ यात्री डूब गए थे और कुछ अशक्त हो रहे थे.मोहन और सिल्विया भी शिथिल होने लगे थे.

ऐसे में दोनों के मन एकदूसरे पर केंद्रित हो गए थे. मोहन एकटक सिल्विया की आंखों में देखे जा रहा था. सिल्विया भी उसे अपलक देख रही थी. दोनों के मानस एकदूसरे को ऐसे आत्मसात कर रहे थे कि किसी के होंठ हिलें न हिलें, दूसरा उस के मन की भाषा पढ़ लेता था.दिन ढल रहा था और मोहन का मन आशानिराशा के भंवर में डूबनेउतराने लगा था.

व्याकुलता पर नियंत्रण रखने हेतु वह सिल्विया से प्रथम मिलन की घटना को वर्णित करने लगा था और सिल्विया होंठों पर स्मितरेखा उभार कर तन्मयता से सुनने लगी थी. ‘‘सिल्विया, तुम से प्रथम मिलन में ही मैं सम?ा गया था कि तुम जीवन के विषय में निर्द्वंद्व सोच वाली, साहसी और नटखट स्वभाव की हो. मैं तभी से तुम्हारी इस अदा पर फिदा हो गया था.

उस दिन तुम होटल के कौरीडोर में मोबाइल कान में दबाए किसी से बात करती हुई निकल रही थीं, तभी मैं कमरे से निकल रहा था और तुम मुझ से टकरा गई थीं और तुम्हारे मुंह से अनायास निकल गया था कि ओह, आई एम सौरी. मैं भी अपने उच्छृंखल स्वभाव के वशीभूत हो बोल पड़ा था कि यू आर वैल्कम. तुम नहले पर दहला धर देने में माहिर थीं और बिना किसी झिझक के मेरी ओर बढ़ कर मुझे से फिर टकरा कर बोली थीं कि देन टेक इट. इस पर हम दोनों बेसाख्ता हंस दिए थे और यही बन गया था हमारी अंतरंग दोस्ती का सबब. ‘‘फिर मैं ने तपाक से हाथ बढ़ा कर कहा था कि आई एम मोहन,’’ तुम ने अविलंब हाथ बढ़ा कर अपना नाम बताया था.

मैं तुम्हारे हाथ को सामान्य से अधिक देर तक अपने हाथ में लिए रहा था और तुम ने भी हाथ वापस खींचने का कोई उपक्रम नहीं किया था. तुम्हारे जाते समय मैं ने केवल शरारत हेतु एक आंख मारते हुए पूछ लिया था कि सो, व्हेयर आर वी मीटिंग दिस ईविनिंग ऐट एट पी. एम.? और तुम ने उत्तर दिया था कि औफकोर्स, इन योर रूम.‘‘शाम होने पर मैं तुम्हारे आने हेतु जितना उत्सुक था, उतना आश्वस्त नहीं था.

तुम्हारे आने और न आने की आशानिराशा के काले में झलता हुआ मैं काफी पहले से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा था, जब अपने वादे के अनुसार तुम ने ठीक 8 बजे मेरे कमरे की घंटी बजा दी थी. घंटी सुनते ही मैं ने लपक कर दरवाजा खोला था और तुम को देख कर प्रसन्नता के आवेग में आगापीछा सोचे बिना तुम्हें बांहों में भर कर बोला था कि ओह सिल्विया. लंबे बिछोह के उपरांत मिलने वाले प्रेमी की भांति तुम ने भी मुझे बांहों में समेट लिया था.

फिर मैं ने अपनी सांसों को सामान्य करते हुए तुम्हें कुरसी पर बैठा दिया था और स्वयं सामने की कुरसी पर बैठ गया था. कुछ क्षण तक हम दोनों में एक प्रश्नवाचक सा मौन व्याप्त रहा था. फिर उसे तोड़ते हुए मैं सहज हो कर अपना परिचय देने लगा था कि सिल्विया, मैं मोहन मूल रूप से नैनीताल के एक गांव का रहने वाला हूं. मेरे मातापिता और छोटी बहन पहाड़ पर ही रहते हैं.

आजकल दिल्ली में टी.सी.एस. में जौब करता हूं. उसी सिलसिले में कोच्चि आया हूं. अभी 1 सप्ताह तक और यहां रुकना है. फिर कुछ रुक कर चुहल करने के अंदाज में आगे जोड़ा था कि और मैं निबट कुंआरा हूं.’’इतना बोलने के श्रम से मोहन हांफ गया था और एक निरीह सी दृष्टि से सिल्विया को देखने लगा था. तब सिल्विया बोल पड़ी, ‘‘मुझे सब याद है मोहन. मैं ने अपना परिचय देते हुए कहा था कि मैं सिल्विया मूलरूप से कोच्चि की ही रहने वाली हूं और इसी होटल में असिस्टैंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं.

मेरे मातापिता बग इस दुनिया में नहीं हैं, परंतु उन की प्रेमकथा यहां अभी तक प्रचलित है. मेरी माता जेन का जन्म फ्रांस में हुआ था. वे अपनी युवावस्था में फ्रांस से भ्रमण हेतु यहां आई थीं. उन्हें समुद्र से बहुत लगाव था. मेरे पिता शंकर एक छोटी सी यात्री बोट के चालक थे और उस के मालिक भी.एक दिन जब मौसम काफी खराब था, तब मेरी मां उन की नाव के पास आई थीं और पिता से समुद्र में घूमने की जिद करने लगी थीं. वे पूरी नाव का भाड़ा देने को कह रही थीं.

पिता ने मौसम का हवाला दे कर पहले तो मना किया परंतु सुंदर गोरी महिला की जिद के आगे उन का हृदय पिघल गया. आखिरकार वे अविवाहित नौजवान थे और जिंदादिल भी.‘‘पिता की आशंका के अनुसार नाव के समुद्र में कुछ दूरी तक पहुंचतेपहुंचते तूफान आ गया और नाव को उलट कर बहा ले गया. पिता कुशल तैराक थे और अपनी जान पर खेल कर मां को बचा कर किनारे ले आए.

मां बेहोश थीं और उन का पताठिकाना न जानने के कारण पिता उन्हें अपने घर ले आए. देर रात्रि में होश आने पर मां ने अपने को उन के द्वारा लिपटाए हुए और अश्रु बहाते हुए पाया. वह लजाई तो अवश्य परंतु अलग होने के बजाय उन से और जोर से लिपट गईं और फिर सदैव के लिए उन की हो कर कोच्चि में ही रुक गई थीं.’’सिल्विया के सांस लेने हेतु रुकते ही मोहन बोल पड़ा, ‘‘उसी ढंग से तुम उस दिन होटल के कमरे में मुझ से लिपट गई थीं और सदैव के लिए मेरी हो कर रह गई थीं.

फिर मैं दिल्ली की अपनी जौब छोड़ कर कोच्चिवासी हो गया था.’’ यह सुन कर सिल्विया हलदी सा मुसकरा दी थी. फिर वह बोली, ‘‘तुम ने मुझे जिंदगी में वह सब दिया है, जिस की मुझे चाह थी. हम ने कितनी तूफानी जिंदगी जी है? कितनी बार हम आंधीपानी के तूफानों, वीरान जंगलों और पहाड़ों के जानलेवा झंझवातों में फंसते रहे हैं और हर बार तुम हम दोनों को जीवित बाहर निकालते रहे हो,’’ फिर कुछ आशंकित हो कर प्रश्न किया, ‘‘क्या आज नहीं बचाओगे मेरे मोहन?’’मोहन ने सिल्विया को आश्वस्त करने हेतु कह दिया, ‘‘बचाऊंगा, अवश्य बचाऊंगा मेरी मोहिनी,’’ परंतु उस के शब्दों में वह आत्मविश्वास नहीं था, जो उस के सामान्य स्वभाव में रहता था.

दिन में तो मोहन और सिल्विया एकदूसरे से प्रेमालाप करते रहे थे, परंतु अंधेरा हो जाने और किसी प्रकार की सहायता आती न दिखाई देने पर उन के मन में निराशा व्याप्त हो गई.तब मोहन ने आगे बढ़ कर सिल्विया को अपनी बांहों के घेरे में ले लिया और उस के मुख से अनायास निकला, ‘‘मेरी सिल्विया, क्षमा करना.’’सिल्विया की पथराई सी आंखों के कोरों से मात्र अश्रु ढलका था. दूसरे दिन जूनो से आई एक रैस्क्यू बोट को एक हिंदुस्तानी युवक तथा एक गोरी युवती के बांहों में जकड़े शरीर लहरों पर तैरते मिले थे.

हौसले बुलंद हैं: समाज की परवाह किए बिना सुहानी ने क्या किया

रात सिर्फ करवटें ही तो बदली थीं, नींद न आनी थी, न आई. फिर सुबह ताजी कैसे लगती. 4 बजे ही बिस्तर छोड़ दिया. समीर सो रहे थे पर उन्हें मेरी रात भर की बेचैनी सोतेसोते भी पता था. नींद में ही आदतन कंधा थपथपाते रहे थे. बोलते रहे, ‘‘सुहानी, सो जाओ. चिंता मत करो.’’

मैं ने फ्रैश हो कर पानी पीया. अपने लिए चाय चढ़ा दी. 20 साल की अपनी बेटी पीहू के कमरे में भी धीरे से झंक लिया. वह सो रही थी. मैं चुपचाप बालकनी में आ कर बैठ गई. इंतजार करने लगी कि कब सुबह हो तो बाहर सैर पर ही निकल जाऊं. सोसाइटी की सड़कों को साफ करने वाली लड़कियां काम पर लग चुकी थीं. मेरे दिल में इन लड़कियों के लिए बहुत करुणा, स्नेह रहता है. करीब 20 से 50 साल के ये लोग इतनी सुबह अपना काम शुरू कर चुके हैं. मुंबई में यह दृश्य आम है पर इन की मेहनत देख कर दिल मोम सा हुआ जाता है.

देख इन सब को रही थी पर मम्मी की चिंता में दिल बैठा जा रहा था. रात को उन्होंने फोन पर बताया था कि उन का बीपी बहुत हाई चल रहा है. वे गिर भी गई थीं, कुछ चोटें आई हैं. सुनते ही मन हुआ कि उन्हें देखूं. पीहू ने कहा भी कि नानी को वीडियोकौल कर लो मम्मी. पर 80 साल

की मेरी मम्मी को वीडियोकौल करना आता ही नहीं है. उन्हें कई बार कहा कि मम्मी व्हाट्सऐप या वीडियोकौल सीख लो, कम से कम आप को देख ही लिया करूंगी पर उन की इस टैक्नोलौजी में कोई रुचि ही नहीं है. तड़प रही हूं कि जाऊं, उन्हें देखूं, उन की देखभाल करूं. पर मायके नहीं जाऊंगी, यह फैसला कर लिया है तो कर लिया.

5 साल पहले मैं जब रुड़की मायके गई तो वहीं से यह फैसला कर के आई थी कि अब यहां कभी नहीं आऊंगी. मैं अपने से कई साल बड़े अपने बड़े भाईबहन के नफरतभरे दिलों की आग सहन नहीं कर पाती. वे मुझ से सालों बाद भी नाराज हैं. उन की नजर में मैं ने ऐसा गुनाह किया है जिसे माफ नहीं किया जा सकता.

प्यार करने का गुनाह. ब्राह्मण की बेटी हो कर एक मुसलिम से प्रेमविवाह करने का गुनाह. स्वार्थी, लालची भाईबहन को निश्छल समीर कैसे समझ आते.

वे तो मम्मी थीं कि समीर से मिलते ही समझ गई थीं कि उन की बेटी समीर के साथ हमेशा खुश रहेगी. मम्मी ने कैसे इस समाज को झेला है, मैं ही जानती हूं. मैं बहुत छोटी थी, पापा चले गए थे. मम्मी अगर अपने पैरों पर न खड़ी होतीं तो हम इन भाईबहन के सामने कैसे जीते, यह सोच कर ही खौफ आता है.

आसमान में जब इतना उजाला दिख गया कि सैर पर जाया जा सकता है तो मैं ने अपने सैर के शूज पहने और धीरे से घर से निकल गई. आज कदम सुस्त थे, मन जैसा था, वैसी ही चाल थी, थकी सी, उदास. गार्डन के चक्कर काटने के साथसाथ आज मन अतीत की गलियों में भी घूम रहा था. जब मैं ने मम्मी को अपने दिल की बात बताई, उन्होंने सिर्फ इतना पूछा, ‘‘एडजस्ट कर लोगी? सबकुछ अलग होगा.’’

मैं ने कहा था, ‘‘हां, मम्मी. सब ठीक होगा. समीर को इन 3 सालों में अच्छी तरह समझ

चुकी हूं.’’

‘‘तुम दोनों कब शादी करना चाहते हो?’’

‘‘मम्मी जब आप कहें कर लेंगे.’’

‘‘तो फिर ठीक है, जल्द ही करवा देती हूं. तुम्हारे भाईबहन को भनक भी पड़ गई तो मुश्किल हो जाएगी.’’

मैं खुशी के मारे रोती हुई मम्मी के गले लग गई थी. उन्होंने भी किसी छोटी बच्ची की तरह मुझे अपने से लिपटा लिया. फिर मम्मी ने अपने दम पर हमारी शादी करवाई, अपने बुलंद हौसलों के साथ. जाति, धर्म को दूर धकेल दिया. बहनभाई सिर पीटते रह गए. मैं तो नई गृहस्थी संभालने में व्यस्त थी पर मम्मी ने जो ?ोला वह सोच कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मम्मी टीचर रही हैं. यह शादी करवाने पर स्कूल में उन का सोशल बायकौट हुआ, स्कूल का चपरासी तक उन्हें पानी ला कर नहीं देता था. 1 महीना उन्होंने स्कूल के स्टाफरूम में बैठ कर अकेले खाया, अकेले बैठ कर चुपचाप अपने काम किए और किसी से बिना बात किए घर वापस.

मम्मी ने उस समय किसी की चिंता नहीं की, उन की बेटी खुश है, सिर्फ यही बात उन के लिए माने रखती थी. उन्होंने तो हर जाति के स्टूडैंट्स को बराबर स्नेह दिया था. हमारे घर उन के कितने ही मुसलिम स्टूडैंट्स उन से मिलने आ जाते थे. हम मांबेटी ने तो पता नहीं कितनी बार उन की लाई हुई ईद की सेवइयां खाई थीं जिन्हें मेरे भाईबहन छूते भी नहीं थे.

खुद को गर्व से कट्टर ब्राह्मण बताने वाला भाई शराब पी सकता था, दुनिया के सारे गलत काम कर सकता था पर ईद की सेवइयां कैसे छूता. बहन अपनी बीमारी में एक मौलवी से खुद को ?ाड़वाने जा सकती थीं, पर छोटी बहन के मुसलिम पति को, एक सभ्य, शिष्ट इंसान को कैसे स्वीकार करतीं. उन का धर्म न नष्ट हो जाता.

आज मैं कुछ जल्दी ही थक गई, मन की थकान ज्यादा थकाती है वरना इस समय तो मैं गार्डन में कूदतीफांदती चल रही होती हूं. शायद  ही कभी बैंच पर बैठने की नौबत आई हो. आज मैं थोड़ी देर के लिए बैंच पर बैठ गई.

शुरूशुरू में मम्मी मेरे पास काफी दिन रहीं. समीर ने ही कहा था कि आप कुछ दिन हमारे साथ शांति से रह लें. धीरेधीरे मेरे लालची भाईबहन को मम्मी की बातों से समझ आया कि छोटी बहन तो ससुराल में सुखी है, पति के साथ बनारस में समृद्ध गृहस्थी की उन्हें खबर मिली तो उन्हें सम?ा आ गया कि छोटी बहन से बिगाड़ना नुकसानदायक होगा. समीर अच्छी जौब में रहे हैं. 1-2 बार हिंदूमुसलिम की नफरतों से भरे स्वार्थी, बेशर्म भाईबहन ने समीर से बीमारी के बहाने पैसे भी मांग लिए जो उन्होंने खुशीखुशी दे भी दिए पर हर बार जब भी मतलब निकल जाता है उन की मुसलमानों के प्रति नफरत देख कर मेरा खून खौल जाता.

गिरने की कोई सीमा ही नहीं काम निकलना होता तो समीरसमीर करते हैं और काम पूरा होते ही समीर सिर्फ एक मुसलमान रह जाते हैं. बनारस घूमना है तो आ कर घर भी रह गए, मंदिरों के दर्शन भी कर लिए, खूब आवभगत हो गई. पर जाते ही फिर वही सब. फिर वे सब मुंबई भी आ गए, फिर वही सब किया. ऐसे सिलसिलों से किस का मन नहीं थकेगा.

5 साल पहले मायके गई थी. अब उन्हें मुझ से कोई स्वार्थ नहीं था, सब काम हो ही चुके थे. बातबात पर सुनाया जाने लगा कि मांबेटी ने ब्राह्मण हो कर धर्म को गर्त में गिरा दिया. इतने सालों बाद अब मैं यह सब सुनने के मूड में नहीं रहती. देखा जाए तो बात पुरानी हो चुकी है. अब इस पर बात होनी नहीं चाहिए थी पर मेरे पढ़ेलिखे भाईबहन धर्म के नाम पर जितने तमाशे हो सकते हैं, सब कर सकते हैं.

मुझे लगता है जब तक वे लोग इस धरती पर रहेंगे, जातिधर्म के नारे लगाते रहेंगे. ऐसी

बुद्धि पर मुझे अब तरस आता है. मैं इन लोगों से डरती नहीं, इन्हें हिंदूमुसलमान करने में जिंदगी बितानी है, मुझे यह बताना है कि अंतर्जातीय विवाह होते रहने चाहिए, धर्म, जाति के चक्कर में न पड़ कर प्यार देखा जाए, इंसान के गुण देखे जाएं. वे भी अपने पिछले रास्ते पर चल रहे हैं, मैं भी अपने बुलंद हौसलों के साथ जीवन में आगे बढ़ रही हूं.

पिछली बार मुझे लगा कि मैं यह सब अब नहीं सहूंगी, कह कर आई हूं कि अब कभी नहीं आऊंगी. कह कर आई हूं सब रिश्ते खत्म और यह सच भी है कि मैं अब उन लोगों की शक्ल भी नहीं देखना चाहती जिन के लिए छोटी बहन की खुशी कुछ नहीं, धर्म ही सबकुछ है.

मेरी उन लोगों से कैसे निभ सकती है जिन के लिए धर्म, जाति ही सबकुछ है जबकि मेरे लिए यह सबकुछ माने नहीं रखता. मम्मी से

फोन पर बात रोज होती है, पर उन्हें 5 सालों से देखा नहीं है. इस बात का दुख रहता है. अब वे बीमार हैं. मुझे पता है कि वहां उन की सेवा नहीं होती है. वे वहां अकेली ही हैं. मैं चाहती हूं कि मैं उन की बीमारी में उन की देखभाल करूं. बैठेबैठे पता नहीं मैं क्याक्या सोचती रही. फिर फोन में टाइम देखा. 6 बज रहे थे. कब से बैठी रह गई. घर जा कर पीहू और समीर के लिए टिफिन बनाना है.

अचानक कुछ सोच मम्मी को फोन मिला लिया. हैरान सी कमजोर

आवाज आई, ‘‘अरे, इतनी जल्दी? क्या हुआ?’’

‘‘मम्मी. किसी तरह दिल्ली आ जाओ टैक्सी में. मैं आप को दिल्ली एअरपोर्ट पर मिल जाऊंगी. वहां से आप को अपने साथ ले आऊंगी. फिर तबीयत ठीक होने तक आराम से मेरे साथ कुछ दिन रह कर जाना. दिल्ली तक आ पाओगी?’’

मम्मी हंस पड़ीं, ‘‘इतनी सुबहसुबह यह क्या प्लान बना रही है?’’

मैं भी अचानक हंस पड़ी, ‘‘मैं उस मां की बेटी हूं जिस के हौसले मैं ने हमेशा बुलंद देखे हैं. आप बीमार हैं, मुझे आप की देखभाल करनी है. चलने लायक तो हो न. बस एअरपोर्ट पहुंच जाओ, बाकी मैं सब देख लूंगी.’’

मम्मी की आवाज की कमजोरी अब गायब हो चुकी थी. अब उन की आवाज में एक उल्लास था. कहा, ‘‘ठीक है बना ले प्रोग्राम. यहां से क्याक्या चाहिए, बता देना.’’

मुझे हंसी आ गई, ‘‘कुछ नहीं चाहिए मम्मी. वहां सब कबाड़ है.’’

मेरे कहने का मतलब समझ मम्मी जोर से हंसी, बोलीं, ‘‘सही कह रही है.’’

हम दोनों फिर थोड़ी देर हंसतीबोलती रहीं. मुझे इतनी हिम्मती मां की बेटी होने पर हमेशा गर्व रहा है.

हां, मैं ऐसे ही जीऊंगी बेखौफ, निडर उन सब बेकार के रिश्तों से दूर. मम्मी को लाना है, उन की देखभाल करनी है. रास्ता निकाल

लिया है मैं ने. जब ठीक हो जाएंगी, जब कहेंगी, ऐसे ही छोड़ भी आऊंगी. बस अब घर जा कर कल की ही फ्लाइट बुक करती हूं. मैं एक

बार फिर अपने बुलंद हौसलों पर खुद को ही शाबाशी देती हुई अब तेज कदमों से घर की तरफ बढ़ गई.

10 tips: घर पर नेचुरल रूप से Pink Lips कैसे पाएं

वैसे तो गुलाबी होंठ होना स्वस्थ और हाइड्रेटेड होंठों का संकेत है. लेकिन, ऐसी कई चीजें हैं जिनके कारण होंठ ड्राई, फटे और बदरंग हो जाते हैं. सबसे बड़ा कारण है कि सूरज के संपर्क में आना, डिहाइड्रेशन, धूम्रपान, मसालेदार भोजन खाना और अपने होंठ चाटना शामिल हैं. आज हम आपको बताएंगे एक सप्ताह में प्राकृतिक रूप से गुलाबी होठों के लिए 10 होममेड टिप्स.

गुलाबी होठों के लिए 10 होममेड टिप्स

  1. अपने लिप्स को एक्सफोलिएट करें

मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने के लिए अपने होठों को एक्सफोलिएट करने के लिए चीनी स्क्रब का उपयोग करें. चीनी का स्क्रब बनाने के लिए चीनी और शहद को बराबर मात्रा में मिला लें. स्क्रब को अपने होठों पर लगाएं और कुछ मिनट तक गोलाकार गति में मालिश करें. इसके बाद गर्म पानी से धोना चाहिए. स्क्रब के चीनी क्रिस्टल आपके होठों से मृत त्वचा कोशिकाओं को धीरे से हटाते हैं, जबकि शहद उन्हें मॉइस्चराइज और पोषण देता है.

2. लिप मास्क लगाएं

अपने होठों को नमी और पोषण देने के लिए शहद, एलोवेरा या नारियल तेल का लिप मास्क लगाएं. लिप मास्क आपके होठों को हाइड्रेट और पोषण देंगे. लिप मास्क बाजारों में उपलब्ध हैं, लेकिन आप शहद, एलोवेरा जेल और नारियल तेल को मिलाकर अपना मास्क बना सकते हैं. लिप मास्क को अपने होठों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. गर्म पानी से धोना चाहिए. लिप मास्क आपके होठों की नमी को बनाए रखकर उन्हें नरम और चिकना बनाए रखने में मदद करेगा. इस मास्क को हफ्ते में एक या दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

3. एसपीएफ युक्त लिप बाम का प्रयोग करें

अपने होठों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए एसपीएफ लिप बाम का प्रयोग करें. एसपीएफ़ युक्त लिप बाम का उपयोग आपके होठों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, जिससे वे ड्राई और बदरंग हो सकते हैं. कम से कम 30 एसपीएफ वाले लिप बाम की तलाश करें. बादल वाले दिनों में भी, हर दिन अपने होठों पर एसपीएफ लिप बाम लगाएं.

4. खूब पानी पिएं

अपने होठों को अंदर से हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं. हाइड्रेटेड रहना आपके होठों के स्वास्थ्य सहित अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी का सेवन करें. पानी आपके होठों को पोषण देता है और उन्हें सूखने से बचाता है.

5. अपने होठों को चाटने से बचें

अपने होठों को चाटने से बचें, क्योंकि इससे वे सूख सकते हैं. अपने होठों को चाटने से ऐसा लगता है कि वे नम बने रहेंगे, लेकिन वास्तव में इसका विपरीत होता है. आपके होठों पर मौजूद लार उन्हें और भी अधिक शुष्क कर सकती है. जब आपके होंठ सूख जाएं तो उन्हें चाटने की बजाय लिप बाम का इस्तेमाल करें.

6. ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें

ह्यूमिडिफायर आपके होठों को नमीयुक्त रखता है. हवा में नमी जोड़कर, एक ह्यूमिडिफायर आपके होठों को नम रखने में मदद कर सकता है. यह सर्दियों के लिए सबसे बेस्ट है क्योंकि हवा शुष्क होती है.

7. पर्याप्त नींद लें

एक दिन में 8 घंटे तक सोएं. जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपका शरीर खुद को ठीक से ठीक करने के अवसर से वंचित हो जाता है. इससे होंठ फट सकते हैं, सूखे हो सकते हैं. प्रति रात 7-8 घंटे की नींद लेने का प्रयास करें.

8. स्वस्थ भोजन खाएं

पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर स्वस्थ आहार आपके होठों को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है. ये सभी भोजन विटामिन और खनिजों से भरपूर हैं, जो स्वस्थ होंठों के लिए आवश्यक हैं.

9. धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान करने से होंठ शुष्क और फटने लगते हैं. धूम्रपान छोड़ने से आपके होठों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. धूम्रपान से आपकी त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप होंठ शुष्क और फट जाते है. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो अपने होठों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि इसे छोड़ दें.

10. डॉक्टर से मिलें

डॉक्टर से मिलें क्योंकि यह एक चिकित्सीय बीमारी भी हो सकती है. यदि आपके होंठ अत्यधिक सूखे, फटे या बदरंग हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें. क्या पता आपको कोई बीमारी हो.

इन होममेड टिप्स को अपनाकर आप एक हफ्ते में प्राकृतिक रूप से गुलाबी होंठ पा सकते हैं. हालांकि, आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा और आप जो टिप्स अपनाएंगे उनमें कुछ समय लग सकता है.

 

किट्टी पार्टी में बनाएं ये स्नैक्स

आमतौर पर महिलाएं यह सोचती है कि इस बार किट्टी पार्टी में क्या स्नैक्स बनाएं चिंता बिल्कुल न करें लेडीज. किट्टी पार्टी में बनाएं ये जायकेदार रेसिपी.

  1. बेसन की बाटी

सामग्री

1.  11/2 कप बेसन

 2. 1/2 कप मक्के का आटा

 3.  2 बड़े चम्मच घी 

4.  1/2 कप पनीर

 5.  1 हरीमिर्च कटी

 6.  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

7.   तलने के लिए तेल 

8. नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे को छान कर बेसन, घी और नमक मिला कर गूंध लें. उबलते पानी में आटे की लोइयां बना कर 8-10 मिनट पकाएं. पानी से निकाल कर अच्छी तरह मसल कर छोटीछोटी बौल्स बनाएं. पनीर को मसल कर उस में धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक मिलाएं. आटे की छोटीछोटी बौल्स के बीच पनीर का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें, सरसों के साग के साथ सर्व करें.

2. मक्का पापड़ी चाट

सामग्री

 1.  1 कप मक्के का आटा

2. 1/4 कप मैदा 

3. 1 बड़ा चम्मच तेल

4.  1/2 कप दही 

5. 1 बड़ा चम्मच हरी चटनी

6. 1 बड़ा चम्मच सोंठ 

 7. 1 उबला आलू

8. 1 प्याज बारीक कटा 

9. 1 टमाटर बारीक कटा

 10.  1 हरीमिर्च बारीक कटी

11.  1 छोटा चम्मच धनियापत्ती कटी

12. लालमिर्च पाउडर 

13. तलने के लिए तेल

14. नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे और मैदे को छान कर नमक और तेल डाल कर गूंध लें. इसे पतला बेल कर तिकोने आकार में काट लें. गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. प्लेट में निकाल कर इस के ऊपर प्याज, टमाटर व आलू काट कर डालें. ऊपर से दही, चटनी, सोंठ और धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक डाल कर सर्व करें.

 3. सरसों पालक के कटलेट

सामग्री

 1. 2 कप पालक कटा 

 2. 2 कप सरसों कटी 

 3. 1 छोटा टुकड़ा अदरक

 4.  1 हरीमिर्च कटी 

  5. 2 ब्रैडस्लाइस 

  6.  1/2 कप पनीर

  7.   2 बड़े चम्मच मक्खन 

  8.  नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक और सरसों को स्टीम कर लें. फिर इसे अदरक और हरीमिर्च के साथ मिक्सी में पीस लें. ब्रैडस्लाइस का मिक्सी में चूरा कर लें. फिर ब्रैड चूरा, पनीर, पालक व सरसों का पेस्ट और नमक मिला लें. टिकियां बना कर गरम तवे पर मक्खन के साथ दोनों तरफ से सेंक कर सौस के साथ गरमगरम परोसें.

 4. कौलिफ्लौवर पेटी

सामग्री

 1.  1 कप चावल पके

 2.  1 कप गोभी कसी

 3. 1/4 कप बादाम का पेस्ट

 4.  1 प्याज कटा

 5. 1/2 चम्मच अदरक बारीक कटा

 6.  1 हरीमिर्च कटी

 7.  2-3 बड़े चम्मच तेल

 8.  नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें. अब इस में गोभी, बादाम का पेस्ट, हरीमिर्च, प्याज, अदरक व नमक अच्छी तरह मिला लें. आकार दे कर कटलेट बना गरम तवे पर तेल लगा दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पका कर चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

सरकार को तो मंदिर बनाने की चिंता है

सरकार ने कोटा में सुसाइडों के बढ़ते मामलों को बड़ी चतुराई से अपने समर्थक मीडियाकी सहायता से मांबाप की इच्छाओं और कोटा के किलिंग सैंटरों पर मढ़ दिया. कोटा में 15 से 22 साल के लगभग 2 लाख युवा मांबाप से मोटा पैसा ले कर जेईई, नीट, आईएएस और इन जैसे अन्य सैकड़ों ऐग्जामों की तैयारी के लिए आते हैं ताकि बाद में उन्हें नामीगिरामी इंस्टिट्यूटों में ऐडमिशन मिल जाए.

\इन युवकों और युवतियों के मांबाप इस उम्मीद में अपना पेट काट कर, जमापूंजी लगा कर, लोन ले कर, मकान, खेत बेच कर कोटा जैसे शहरों में भेजते हैं. कुछ तो अपने साथ मां को भी ले आते हैं ताकि घर का खाना भी मिल सके.दिक्कत यह है कि  जितने युवा 12वीं पास कर के निकल रहे हैं, कालेजों में आज उतनी जगह नहीं है. कांग्रेस सरकारों ने समाजवादी सोच में धड़ाधड़ सरकारी स्कूल खोले, मोटा वेतन दे कर टीचर रखे, बड़ीबड़ी बिल्डिंगें बनाईं.

जब दूसरी तरह की भाग्यवाद में भरोसा करने वाली सरकारें आने लगीं तो ये सरकारी स्कूल बिगड़ने लगे और इन की जगह इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूल खुलने लगे जो कई गुना महंगे थे पर लगभग कोई बच्चा स्कूल न होने की वजह से पढ़ाई न कर पा रहा हो ऐसा नहीं हुआ.

देश में हर साल 12वीं कक्षा पास कर के निकलने वालों की गिनती 1 करोड़ से ज्यादा है. 2022 में 1 करोड़ 43 लाख युवा 12वीं कक्षा के ऐग्जाम में बैठे और उन में से 1 करोड़ 24 लाख पास हो गए.अब सरकार के पास क्या इन 1 करोड़ 24 लाख को आगे मुफ्त या अफोर्डबिलिटी के हिसाब से आगे पढ़ाई रखने का इन्फ्रास्ट्रक्चर है, नहीं? सरकारें इन की बातें ही नहीं करतीं क्योंकि शासक नहीं चाहते कि ये सब पढ़लिख कर बराबरी की पहुंच में आ जाएं.

इसलिए ऊंची पढ़ाई में कम फीस वाले मैडिकल कालेजों में सिर्फ 8,500 सीटें सरकारी मैडिकल कालेजों में हैं और प्राइवेट कालेजों में 47,415 सीटें जिन में खर्च लाखों का है. इंजीनियरिंग कालेजों में 15,53,809 सीटें हैं पर आईआईटी जैसे इंस्टिट्यूटों की सीटें मुश्किल से 10,000-12,000 हैं जहां फीस क्व10-15 लाख तक होती है.सरकारी आर्ट्स कालेजों का तो बुरा हाल है. वहां न अंगरेजी पढ़ाई जाती है, न हिंदी, न फिलौसफी, न कौमर्स. ज्यादातर में ऐडमिशन दे दिया और छुट्टी. पर वे भी 1 करोड़44 लाख युवाओं के लायक नहीं हैं.

शिक्षा को माफिया खेल सरकार ने बनाया है. एक तरफ ऊंचे संस्थान कम रखे और दूसरी ओर स्कूलों की पढ़ाई बिगड़ने दी. सरकारी स्कूलों के फेल स्टूडैंट ही नूंह जैसी यात्रा में धर्म के नाम पर सिर फोड़ने के लिए आगे आते हैं. उन्हें कैरियर बनाने के मौके मिलने लगें तो कांवडि़यों, मंदिरों की कतारों और धर्म यात्राओं की कमी होने लगेगी.  मांबाप इस सरकारी निकम्मेपन के शिकार हैं.

कोचिंग इंस्टिट्यूट उस तंदूर में रोटियां सेंक रहे हैं जो सरकार ने जला डाला पर हर कोने पर रखे ताकि उन की आग का इस्तेमाल घरों को जलाने में भी लाया जा सके. अगर कोचिंग इंस्टिट्यूट ढील दें या सुविधा देंगे तो उन की फीस बढ़ जाएगी या उन के स्टूडैंट पिछड़ जाएंगे.जेईई, नीट, यूपीएससी की परीक्षा के रिजल्ट के अगले दिन अखबारों में पूरे पेज के ऐडवरटाइजमैंट युवा चेहरों से भरे होते हैं कि देखो यहां लाखों रुपए खर्च कर के जो पढ़े उन्हें सिलैक्ट कर लिया गया है.

इस स्थिति पर मांबाप लाए हैं या कोचिंग इंस्टिट्यूट? नहीं, सिर्फ सरकार जो1 करोड़ 44 लाख युवाओं को अच्छी कमाई के लिए स्कौलर बनाने की तैयारी नहीं कर पा रही है उसे अपने पैसों से मतलब है.  जीएसटी के क्व2 लाख करोड़ हर माह के टारगेट की चिंता है. उसे मंदिर बनाने की चिंता है. उसे अमीरों के लिए सड़कें बनानी हैं जिन पर 20 लाख से कम की गाडि़यों को हिकारत से देखा जाता है.दोष मांबाप का नहीं. उन्हें जो सरकार या समाज दे रहा है वे उसी के अनुसार रहेंगे.

वे अपने युवा बेटेबेटियों का जीवन थोथले सिद्धांतों के लिए बलिदान नहीं कर सकते. वे तो खर्च करेंगे और दबाव बनाएंगे ही. इस दबाव में कुछ आत्महत्या कर लेंगे तो सरकार बैंड एड लगा कर कहींकहीं कानून बना देगी और कुछ नहीं.मांबाप को गिल्ट से परे रहना चाहिए. उन्हें बेटेबेटियों को वह बनाना ही होगा जो कल उन का भविष्य सुधारें. उन्हें आवारागर्दी वाली लाइनों में भेज कर आज वे खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अपनी संतानों की मान ली पर अगले 50 साल वे पक्का रोएंगे.

मेरे आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स है, मुझे कोई उपाय बताएं

सवाल

मेरी आंखों के नीचे काले हैं और मैं चाहती हूं कि वे जल्दी ठीक हो जाएं. मैं ने सुना है कि कैमिकल पील करने से ये बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं. क्या यह सच है और इस से कोई परेशानी तो नहीं होगी?

जवाब

आप ने बिलकुल सही सुना है. आजकल जल्दी से काले घेरों को ट्रीट करने के लिए अंडर आई पीलिंग ट्रीटमैंट दिया जाता है. इस में सब से पहले आंखों के आसपास की जगह को साफ कर के आरजी पील लगाई जाती है. कुछ मिनट के बाद उसे न्यूट्रिलाइजर से न्यूट्रिलाइज किया जाता है. इस ट्रीटमैंट को10-12 दिन बाद दोहराया जा सकता है. 6 सिटिंग्स के बाद काले घेरे काफी हद तक ठीक हो जाते हैं. मगर इस ट्रीटमैंट के लिए किसी ऐक्सपर्ट की जरूरत होती है. अगर आप यह ट्रीटमैंट कराने जा रही हैं तो किसी ऐक्सपर्ट के पास ही जाएं. जनरली कोई भी पील ट्रीटमैंट करने के बाद स्किन पतली होने के चांसेज रहते हैं. अंडर आई स्किन तो पहले से ही पतली होती है. इसलिए जब भी अंडर आई ट्रीटमैंट कराएं उस के बाद यलो लेजर यानी बायोप्ट्रौन ट्रीटमैंट जरूर ले ताकि इस से आप की स्किन साथसाथ बनती जाती है.

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मेरी उम्र 50 साल है. आंखों के नीचे की त्वचा में हमेशा सूजन बनी रहती है. सुबह और दोपहर के समय सूजन ज्यादा हो जाती है. एक मोटी सी लाइन जैसी दिखती है. कोई उपाय बताएं? 

जवाब

आंखों के आसपास लिंफ इकट्ठा हो जाने की वजह से इस तरह की समस्या पैदा होती है. इस का कारण मुख्यतौर पर स्वास्थ्य की समस्या है. ये दवाइयों के साइड इफैक्ट होते हैं. यदि आप को कोई बीमारी लंबे समय से चली आ रही है तो सब से पहले अपना इंटरनल चैकअप कराने के लिए किसी अच्छे कौस्मेटिक क्लीनिक में जाएं. वहां वैक्यूम मशीन के जरीए लिंफ ड्रेन कर दिया जाएगा और लेजर द्वारा त्वचा को रिजनरेट किया जाएगा. यह उपचार बेशक लंबा है, लेकिन इस से फायदा जरूर होगा. घर पर भी आप आंखों के नीचे औयल लगाएं. फिर लाइट मसाज करतेहुए कानों के पीछे जाएं और उस के  बाद गरदन के पास ले जाएं. ऐसा 15-20 बार करें.

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