सरकार को तो मंदिर बनाने की चिंता है

सरकार ने कोटा में सुसाइडों के बढ़ते मामलों को बड़ी चतुराई से अपने समर्थक मीडियाकी सहायता से मांबाप की इच्छाओं और कोटा के किलिंग सैंटरों पर मढ़ दिया. कोटा में 15 से 22 साल के लगभग 2 लाख युवा मांबाप से मोटा पैसा ले कर जेईई, नीट, आईएएस और इन जैसे अन्य सैकड़ों ऐग्जामों की तैयारी के लिए आते हैं ताकि बाद में उन्हें नामीगिरामी इंस्टिट्यूटों में ऐडमिशन मिल जाए.

\इन युवकों और युवतियों के मांबाप इस उम्मीद में अपना पेट काट कर, जमापूंजी लगा कर, लोन ले कर, मकान, खेत बेच कर कोटा जैसे शहरों में भेजते हैं. कुछ तो अपने साथ मां को भी ले आते हैं ताकि घर का खाना भी मिल सके.दिक्कत यह है कि  जितने युवा 12वीं पास कर के निकल रहे हैं, कालेजों में आज उतनी जगह नहीं है. कांग्रेस सरकारों ने समाजवादी सोच में धड़ाधड़ सरकारी स्कूल खोले, मोटा वेतन दे कर टीचर रखे, बड़ीबड़ी बिल्डिंगें बनाईं.

जब दूसरी तरह की भाग्यवाद में भरोसा करने वाली सरकारें आने लगीं तो ये सरकारी स्कूल बिगड़ने लगे और इन की जगह इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूल खुलने लगे जो कई गुना महंगे थे पर लगभग कोई बच्चा स्कूल न होने की वजह से पढ़ाई न कर पा रहा हो ऐसा नहीं हुआ.

देश में हर साल 12वीं कक्षा पास कर के निकलने वालों की गिनती 1 करोड़ से ज्यादा है. 2022 में 1 करोड़ 43 लाख युवा 12वीं कक्षा के ऐग्जाम में बैठे और उन में से 1 करोड़ 24 लाख पास हो गए.अब सरकार के पास क्या इन 1 करोड़ 24 लाख को आगे मुफ्त या अफोर्डबिलिटी के हिसाब से आगे पढ़ाई रखने का इन्फ्रास्ट्रक्चर है, नहीं? सरकारें इन की बातें ही नहीं करतीं क्योंकि शासक नहीं चाहते कि ये सब पढ़लिख कर बराबरी की पहुंच में आ जाएं.

इसलिए ऊंची पढ़ाई में कम फीस वाले मैडिकल कालेजों में सिर्फ 8,500 सीटें सरकारी मैडिकल कालेजों में हैं और प्राइवेट कालेजों में 47,415 सीटें जिन में खर्च लाखों का है. इंजीनियरिंग कालेजों में 15,53,809 सीटें हैं पर आईआईटी जैसे इंस्टिट्यूटों की सीटें मुश्किल से 10,000-12,000 हैं जहां फीस क्व10-15 लाख तक होती है.सरकारी आर्ट्स कालेजों का तो बुरा हाल है. वहां न अंगरेजी पढ़ाई जाती है, न हिंदी, न फिलौसफी, न कौमर्स. ज्यादातर में ऐडमिशन दे दिया और छुट्टी. पर वे भी 1 करोड़44 लाख युवाओं के लायक नहीं हैं.

शिक्षा को माफिया खेल सरकार ने बनाया है. एक तरफ ऊंचे संस्थान कम रखे और दूसरी ओर स्कूलों की पढ़ाई बिगड़ने दी. सरकारी स्कूलों के फेल स्टूडैंट ही नूंह जैसी यात्रा में धर्म के नाम पर सिर फोड़ने के लिए आगे आते हैं. उन्हें कैरियर बनाने के मौके मिलने लगें तो कांवडि़यों, मंदिरों की कतारों और धर्म यात्राओं की कमी होने लगेगी.  मांबाप इस सरकारी निकम्मेपन के शिकार हैं.

कोचिंग इंस्टिट्यूट उस तंदूर में रोटियां सेंक रहे हैं जो सरकार ने जला डाला पर हर कोने पर रखे ताकि उन की आग का इस्तेमाल घरों को जलाने में भी लाया जा सके. अगर कोचिंग इंस्टिट्यूट ढील दें या सुविधा देंगे तो उन की फीस बढ़ जाएगी या उन के स्टूडैंट पिछड़ जाएंगे.जेईई, नीट, यूपीएससी की परीक्षा के रिजल्ट के अगले दिन अखबारों में पूरे पेज के ऐडवरटाइजमैंट युवा चेहरों से भरे होते हैं कि देखो यहां लाखों रुपए खर्च कर के जो पढ़े उन्हें सिलैक्ट कर लिया गया है.

इस स्थिति पर मांबाप लाए हैं या कोचिंग इंस्टिट्यूट? नहीं, सिर्फ सरकार जो1 करोड़ 44 लाख युवाओं को अच्छी कमाई के लिए स्कौलर बनाने की तैयारी नहीं कर पा रही है उसे अपने पैसों से मतलब है.  जीएसटी के क्व2 लाख करोड़ हर माह के टारगेट की चिंता है. उसे मंदिर बनाने की चिंता है. उसे अमीरों के लिए सड़कें बनानी हैं जिन पर 20 लाख से कम की गाडि़यों को हिकारत से देखा जाता है.दोष मांबाप का नहीं. उन्हें जो सरकार या समाज दे रहा है वे उसी के अनुसार रहेंगे.

वे अपने युवा बेटेबेटियों का जीवन थोथले सिद्धांतों के लिए बलिदान नहीं कर सकते. वे तो खर्च करेंगे और दबाव बनाएंगे ही. इस दबाव में कुछ आत्महत्या कर लेंगे तो सरकार बैंड एड लगा कर कहींकहीं कानून बना देगी और कुछ नहीं.मांबाप को गिल्ट से परे रहना चाहिए. उन्हें बेटेबेटियों को वह बनाना ही होगा जो कल उन का भविष्य सुधारें. उन्हें आवारागर्दी वाली लाइनों में भेज कर आज वे खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अपनी संतानों की मान ली पर अगले 50 साल वे पक्का रोएंगे.

मेरे आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स है, मुझे कोई उपाय बताएं

सवाल

मेरी आंखों के नीचे काले हैं और मैं चाहती हूं कि वे जल्दी ठीक हो जाएं. मैं ने सुना है कि कैमिकल पील करने से ये बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं. क्या यह सच है और इस से कोई परेशानी तो नहीं होगी?

जवाब

आप ने बिलकुल सही सुना है. आजकल जल्दी से काले घेरों को ट्रीट करने के लिए अंडर आई पीलिंग ट्रीटमैंट दिया जाता है. इस में सब से पहले आंखों के आसपास की जगह को साफ कर के आरजी पील लगाई जाती है. कुछ मिनट के बाद उसे न्यूट्रिलाइजर से न्यूट्रिलाइज किया जाता है. इस ट्रीटमैंट को10-12 दिन बाद दोहराया जा सकता है. 6 सिटिंग्स के बाद काले घेरे काफी हद तक ठीक हो जाते हैं. मगर इस ट्रीटमैंट के लिए किसी ऐक्सपर्ट की जरूरत होती है. अगर आप यह ट्रीटमैंट कराने जा रही हैं तो किसी ऐक्सपर्ट के पास ही जाएं. जनरली कोई भी पील ट्रीटमैंट करने के बाद स्किन पतली होने के चांसेज रहते हैं. अंडर आई स्किन तो पहले से ही पतली होती है. इसलिए जब भी अंडर आई ट्रीटमैंट कराएं उस के बाद यलो लेजर यानी बायोप्ट्रौन ट्रीटमैंट जरूर ले ताकि इस से आप की स्किन साथसाथ बनती जाती है.

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मेरी उम्र 50 साल है. आंखों के नीचे की त्वचा में हमेशा सूजन बनी रहती है. सुबह और दोपहर के समय सूजन ज्यादा हो जाती है. एक मोटी सी लाइन जैसी दिखती है. कोई उपाय बताएं? 

जवाब

आंखों के आसपास लिंफ इकट्ठा हो जाने की वजह से इस तरह की समस्या पैदा होती है. इस का कारण मुख्यतौर पर स्वास्थ्य की समस्या है. ये दवाइयों के साइड इफैक्ट होते हैं. यदि आप को कोई बीमारी लंबे समय से चली आ रही है तो सब से पहले अपना इंटरनल चैकअप कराने के लिए किसी अच्छे कौस्मेटिक क्लीनिक में जाएं. वहां वैक्यूम मशीन के जरीए लिंफ ड्रेन कर दिया जाएगा और लेजर द्वारा त्वचा को रिजनरेट किया जाएगा. यह उपचार बेशक लंबा है, लेकिन इस से फायदा जरूर होगा. घर पर भी आप आंखों के नीचे औयल लगाएं. फिर लाइट मसाज करतेहुए कानों के पीछे जाएं और उस के  बाद गरदन के पास ले जाएं. ऐसा 15-20 बार करें.

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अंधविश्वास की दलदल: भाग 1- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

आजरविवार की छुट्टी होने के कारण होटल में काफी भीड़ थी. हमें भी डिनर और्डर किए काफी वक्त हो चुका था पर अभी तक आया नहीं था. हम बैठेबैठे आपसी बातचीत में मशगूल थे. लेकिन मेरा ध्यान बारबार उस टेबल पर जा अटकता जहां एक फैमिली बैठी थी.

उन का टेबल हमारे टेबल को छोड़ तीसरा टेबल था, जिस में मातापिता और 3 बच्चे बैठे हुए थे. 2 बेटियां और एक बेटा. बेटियां अपनेअपने मोबाइल में व्यस्त थीं और मातापिता आपस में ही बातें कर रहे थे. पति का चेहरा तो नहीं दिख रहा था, क्योंकि उस का चेहरा दूसरी तरफ था, पर पत्नी के हावभाव से लग रहा था, उन में किसी बात को ले कर बहस चल रही थी, क्योंकि पत्नी अपनी आंखें बड़ी करकर के कुछ बोले जा रही थी और पति अपना हाथ उठा कर उसे शांत रहने को कह रहा था.

उन का बेटा, जिस की उम्र करीब 3-4 साल होगी, सब बातों से बेफिक्र अपनेआप में ही मगन, कभी कांटाचम्मच से खेलता तो कभी उसी कांटाचम्मच से प्लेट बजाने लगता. कभी टेबल पर रखे नमक और पैपर पाउडर को अपनी हथेली पर गिरा कर उंगली से चाटने लगता तो कभी टिशू पेपर निकाल कर अपना चेहरा खुद ही पोंछने लगता. जब उस की मां उसे आंखें दिखा कर इशारों से कहती कि बैठ जाओ तो वह बैठ भी जाता, पर फिर थोड़ी देर में वही सब शुरू कर देता. उस की छोटीछोटी शरारतें देख कर मुझे उस मासूम पर बड़ी हंसी आ रही थी और प्यार भी.

सच, बच्चे कितने मासूम होते हैं. उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन की हरकतों को कौन देख रहा है कौन नहीं. उस की शरारतें मुझे अपने बचपन की याद दिलाने लगीं. आखिर हम ने भी तो इसी तरह की शरारतें की होंगी कभी. बीचबीच में वह मुझे भी देखता कि मैं उसे देख रही हूं और फिर शांत खड़ा हो जाता और जब मैं उसे देख कर मुसकरा देती तो वह फिर शुरू हो जाता.

तभी मेरे पति वरुण बोले कि खाना आ गया. जहां मेरे बेटे ने पिज्जा और्डर किया था, वहीं बेटी ने पावभाजी और हम ने सिंपल दालरोटी और सब्जी मंगवाई थी. अभी हम ने खाना शुरू ही किया था कि वह बच्चा हमारे टेबल के सामने आ कर खड़ा हो गया. मैं उसे देख कर मुसकराई और उस के नरम गालों को छू कर प्यार भी किया, लेकिन उस का ध्यान तो बस पिज्जा पर ही अटका हुआ था. एकटक वह पिज्जा को देखे जा रहा था. लग रहा था अभी बोलूंगी और खाने लगेगा. ‘‘थोड़ा सा खिला दें क्या?’’ मैं ने वरुण की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘नहीं मीरा, ऐसे किसी अनजान बच्चे को कुछ खिलानापिलाना ठीक बात नहीं है. पता नहीं उस के मांबाप क्या बोल दें.’’

तभी उस की मां ने आंखें दिखाते हुए उसे आने का इशारा किया. मां के डर से वह चला तो गया, लेकिन फिर वापस आ कर हमारे टेबल के सामने खड़ा हो गया. लग रहा था अभी पिज्जा उठा कर खाने लगेगा. हमें थोड़ा अजीब भी लग रहा था.

‘‘थोड़ा सा खिला देते हैं न इस में क्या हरज है? मेरा बेटा जिगर, पिज्जा का एक पीस उस बच्चे की तरफ  बढ़ाते हुए कहने लगा तो वरुण ने झट से उस का हाथ पकड़ लिया और कहने लगा, ‘‘मैं ने मना किया न. अरे, दूसरों के बच्चे को ऐसे कैसे कुछ खिला सकते हैं. अगर इस के मांबाप बुरा मान गए तो?’’

पर वो बच्चा तो वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रहा था. खातेखाते यह सोच कर मेरा हाथ रुक गया कि शायद बच्चा बहुत भूखा है और मैं उस से कुछ पूछती कि उस की मां ने आवाज दे कर उसे बुला लिया, क्योंकि उस के टेबल पर भी खाना लग चुका था.

सच में बच्चा भूखा था. जल्दीजल्दी वह पापड़ पर ही टूट पड़ा. उस की मां आंखें दिखाते हुए उसे बोल रही थी, ‘‘आराम से खाओ आराम से.’’ हमारा खाना तो बस हो ही चुका था और वेटर बिल के साथ सौंफ, चीनी भी ले कर आ गया.

हम रैस्टोरैंट से निकलने लगे, पर हमारी आदत ऐसी होती है कि अगर हम किसी चीज को बारबार देख रहे होते हैं तो जातेजाते भी लगता है कि एक बार मुड़ कर और देख लें. इसलिए मेरी नजर फिर एक बार उस बच्चे पर जा टिकी पर उस बच्चे के बगल वाली कुरसी पर प्रतीक को देख कर हैरान रह गई. लगा कहीं मेरी आंखों का धोखा तो नहीं.

हां धोखा ही होगा क्योंकि यहां प्रतीक कैसे हो सकता है और यह तो सिर्फ प्रतीक सा दिखता है. मैं ने अपने मन में कहा कि तभी पीछे से अपना नाम सुन कर मैं चौंक गई.

वह झटकते हुए मेरे पास आया और कहने लगा, ‘‘मीरा… तुम और यहां?’’

‘‘प्रतीक… तुम?’’ मैं आश्चर्यचकित रह गई उसे यहां देख कर.

तो क्या यह प्रतीक की फैमिली है? और प्रतीक कैसा हो गया? यह तो ठीक से पहचान में भी नहीं आ रहा है. सिर के आधे बाल उड़े हुए, आंखों पर मोटा सा चश्मा, चेहरे पर कोई रौनक नहीं, न वह हंसी न मुसकान. अपनी उम्र से करीब 10 साल बड़ा लग रहा था वह. उसे देख कर मेरे दिल में फिर से वही भावना जाग उठी.

‘‘मीरा… मीरा कहां खो गई? क्या पहचाना नहीं मुझे?’’ प्रतीक की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ.

अपनेआप को भावनाओं के जाल से मुक्त कर और संभलते हुए मैं ने कहा, ‘‘प्रतीक तुम और यहां? और यह तुम्हारी फैमिली है क्या? मुझे उस की फैमिली के बारे में सामने से नहीं पूछना चाहिए था, पर अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया.’’

प्रतीक अपनी फैमिली से मिलवाते हुए कहने लगा, ‘‘हां, मेरी फैमिली है. मेरी पत्नी नंदा, बड़ी बेटी कोयल, छोटी बेटी पिंकी और बेटा अंश. अभी कुछ महीने पहले ही मेरा तबादला यहां मुंबई में हुआ है.’’

मैं ने अपने मन में ही कहा, ‘अच्छा तो ये हैं प्रतीक की जीवनसंगिनी? आखिर प्रतीक की मां को अपने मन की बहू मिल ही गई. वैसे बहुत खास तो नहीं है देखने में. हो सकता है उन की नजर में हो.’

मैं ने भी अपने परिवार से प्रतीक को मिलवाते हुए कहा, ‘‘प्रतीक, ये हैं मेरे पति वरुण और ये है बेटा जिगर और बेटी साक्षी.’’

प्रतीक बड़े गौर से मेरे पति और बच्चों को देखे जा रहा था.

वरुण कहने लगे, ‘‘क्या आप दोनों पहले से एकदूसरे को जानते हैं?’’

‘‘हां वरुण, हम ने एकसाथ ही प्रोबेशनरी औफिसर की ट्रैनिंग ली थी और तब से हम एकदूसरे को जानते हैं.’’

तोहफा: भाग 4- रजत ने सुनयना के साथ कौन-सा खेल खेला

वह मरीन ड्राइव पर असमंजस में खड़ी थी एक गाड़ी उस के पास आ कर रुकी.

‘‘अरे सुनयना?’’ मोहित ने कहा, ‘‘तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं यहां किसी काम से आई थी और अचानक जोरों की बारिश शुरू हो गई. कोई टैक्सी भी दिखाई नहीं दे रही.’’

‘‘तो यहां खड़ी भीग क्यों रही हो? मैं इसी बिल्डिंग में रहता हूं. चलो मेरे यहां चल कर थोड़ी देर बैठो. बारिश रुक जाए तो चली जाना.’’

मोहित के घर उस की मां ने उस का स्वागत किया. थोड़ी देर बाद चाय के साथ हलवा और मठरी ले कर आई.

‘‘ओहो आंटीजी इतना कष्ट क्यों किया?’’

‘‘तुम पहली बार हमारे यहां आई हो. ऐसे कैसे जाने दूं. यह लो हलवा खाओ.’’

‘‘मेरी मां बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती हैं,’’ मोहित ने कहा, ‘‘अरे हां, इस शनिवार को मेरा जन्मदिन है. तुम्हें आना है.’’

‘‘आऊंगी,’’ सुनयना सूखे कंठ से बोली, ‘‘अच्छा अब चलती हूं.’’

मोहित ने घर पर पार्टी रखी थी. उस की मां ने खाना बना कर मेज पर सजा दिया और कहा, ‘‘अब तुम बच्चे लोग ऐंजौय करो.’’

पार्टी में खूब शोरशराबा हुआ. मोहित ने कहा, ‘‘आज मैं अपने यार रजत को बहुत मिस कर रहा हूं. अरे हां, अच्छा याद आया. उस ने कहा था कि वह मेरे लिए एक तोहफा भेज रहा है. एक सरप्राइज गिफ्ट.’’

सुनयना का चेहरा फक पड़ गया.

‘‘लगता है भूल गया. आने दो वापस बच्चू को. तोहफा मय सूद वसूल लूंगा.’’ फिर जब उस ने जाना कि सुनयना नरीमन प्वाइंट स्थित एक होटल में काम करती है, तो बोला, ‘‘अरे तब तो हम पड़ोसी हुए. किसी दिन मैं तुम से मिलने आऊंगा.’’

‘‘अवश्य, मुझे भी मेहमाननवाजी का मौका दो.’’

एक दिन मोहित आया तो दोनों ने इकट्ठे चाय पी. फिर वे मरीन ड्राइव पर टहलते हुए चौपाटी की ओर निकल गए. फिर वे करीब रोज ही मिलने लगे. कभी चौपाटी पर चाट खाते, कभी समंदर के किनारे चट्टानों पर बैठे घंटों बातें करते. बातों के दौरान मोहित ने उसे बताया कि कालेज के दिनों से ही वह उसे चाहता था. वह बोला, ‘‘मुझे अभी तक याद है वह दिन, जब तुम ने स्टेज पर मौडलिंग की थी. हम चारों दोस्त तुम्हारे लिए पागल थे. पर रजत ने कहा ‘हैंड्स अप यह शिकार मेरा है.’ जब वह मैदान में कूद पड़ा तो हम पीछे हट गए, क्योंकि हम जानते थे कि उस से मुकाबला करना आसान नहीं था. वह जब किसी चीज को हासिल करने का मन बना लेता है तो कोई उस के आड़े नहीं आ सकता.’’

सुनयना हलके से मुसकराई. उस का मन हुआ कि वह मोहित को अपने बारे में बता दे कि कैसे रजत के प्यार में पड़ कर वह अधर में लटकी है. पर उस ने चुप्पी साथ ली.

रशिया से 2-4 बार रजत का ईमेल आया. एक बार उस ने लिखा था कि मुझे यहां शायद 3 महीने तक रहना पड़ेगा. फिर अचानक वह आ पहुंचा और आते ही उसने सुनयना को फोन किया, ‘‘हम कब मिल रहे हैं? मैं तुम्हें देखने को तरस गया. इस रविवार को तुम फ्री हो?’’

‘‘नहीं, रविवार को तो मैं फ्री नहीं हूं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उस रोज मेरी मंगनी है.’’

‘‘क्या?’’ रजत मानों आसमान से गिरा, ‘‘ये क्या कह रही हो? तुम मेरी हो. किसी और से तुम्हारी मंगनी कैसे हो सकती है? मैं तुम्हें किसी और की नहीं होने दूंगा.’’

‘‘लेकिन तुम भी तो मुझे अपनाना नहीं चाहते,’’ सुनयना ने उलाहना

दिया, ‘‘जब मेरे मातापिता को पता चला कि तुम्हारा मुझ से शादी करने का कोई इरादा नहीं है, तो उन्होंने मुझ पर दबाव डाल कर मुझे इस शादी के लिए राजी कर लिया.’’

‘‘किस से हो रही है मंगनी?’’

‘‘है एक लड़का. और ज्यादा जान कर क्या करोगे?’’

‘‘ऐसा हरगिज नहीं हो सकता. मैं अभी तुम से मिलने होटल आ रहा हूं.’’

‘‘लेकिन मैं ने होटल की नौकरी छोड़ दी है.’’

‘‘तो कहां हो तुम, घर पर?’’

‘‘नहीं और मैं तुम्हें बताऊंगी भी नहीं कि मैं कहां हूं. मैं जानती हूं कि तुम यहां आ कर एक हंगामा खड़ा करोगे. बस अब आइंदा मुझे फोन मत करना और न मिलने की कोशिश करना. हमारातुम्हारा रिश्ता खत्म,’’ कह कर सुनयना ने फोन रख दिया.

थोड़ी देर बाद मोहित का सैलफोन बज उठा.

‘‘यार मैं रजत बोल रहा हूं.’’

‘‘बोलो मेरे बिगडे़ेदिल शहजादे, रशिया से कब लौटे?’’

‘‘कल ही. और सुना तेरी जन्मदिन की पार्टी कैसी रही?’’

‘‘बहुत बढि़या पर तू होता तो और मजा आता. तू तो हर महफिल की जान है.’’

‘‘और मेरा भेजा तोहफा कैसा लगा?’’

‘‘तोहफा? वह तो सचमुच शानदार था, अनूठा था. मुझे बहुत पसंद आया.’’

‘‘सच? है न वह एक लाजवाब चीज?’’

‘‘हां. मैं तो उसे 1 मिनट के लिए भी अपने से अलग नहीं करता हूं.’’

‘‘यह क्या कह रहा है तू?’’

‘‘सच कह रहा हूं. इतनी सुंदर कलाई घड़ी आज तक मैं ने नहीं देखी. हमेशा पहने रहता हूं.’’

‘‘ओह,’’ रजत हंसने लगा, ‘‘मैं कुछ और ही समझ था.’’

‘‘क्या समझा था तू?’’

‘‘छोड़ जाने दे.’’

‘‘रशिया कैसा देश है और मास्को कैसा शहर है?’’

‘‘दोनों बकवास हैं पर वहां की लड़कियां एक से एक बढ़ कर एक हैं. अपने यहां की लड़कियां तो उन के सामने कुछ भी नहीं हैं.’’

‘‘अच्छा…’’

‘‘हां मैं ने तो एकाध को न्योता भी दे दिया भारत आने का. आएगी तो कुछ धमाल करेंगे.

अरे हां, तुम ने सुना अपनी सुनयना शादी कर रही है?’’

‘‘अच्छा, पर उस का तो तेरे साथ चक्कर चल रहा था?’’

‘‘वह सिलसिला खत्म समझे. वह शादी के लिए मेरे पीछे पड़ी थी तो मैं ने उस से पीछा छुड़ा लेने का निश्चय कर लिया. तू तो जानता है मुझे, मैं मस्तमौला हूं. अपनी मरजी का मालिक. मैं बिंदास जिंदगी जीना चाहता हूं. मुझे किसी तरह की बंदिश गवारा नहीं, किसी तरह का बंधन बरदाश्त नहीं. और एक सुनयना गई तो क्या हुआ? तालाब में और भी मछलियां हैं. खैर छोड़, इस रविवार को तू क्या कर रहा है? मेरे घर आ जा अड्डा जमाते हैं, कुछ मौजमस्ती करते हैं.’’

‘‘इस रविवार को तो मैं फ्री नहीं हूं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उस दिन मेरी सगाई है.’’

‘‘सगाई? ये अचानक सगाई की हवा कैसे बहने लगी? जिसे देखो वही सगाई कर रहा है. खैर, ये बता लड़की कौन है?’’

‘‘है एक…’’

‘‘कहीं सुनयना तो नहीं?’’ रजत ने शंकित हो कर पूछा.

‘‘हां वही है.’’

थोड़ी देर सन्नाटा छाया रहा. फिर रजत ने एक भद्दी गाली दी और जोर से अपना मोबाइल फोन जमीन पर दे मारा.

पेचीदा हल – भाग 2 : नई जिंदगी जीना चाहता था संजीव

उस के साथ मेरी जानपहचान कालेज के समय

से है?’’

‘‘ये सब बताने के अलावा उस ने यह भी बताया है कि अब वह आप की प्रेमिका है.’’

‘‘यह  झूठ बात है. उसे लोग रोहित की प्रेमिका सम झने की भूल एक बार को कर सकते हैं, मेरी नहीं.’’

‘‘लोगों की मु झे फिक्र नहीं, पर शिखा

भाभी की सारी गलतफहमी आज तब दूर हो जाएगी जब मैं उन्हें बताऊंगी कि प्रौपर्टी खरीदनेबेचने के सिलसिले में आप शनिवार या इतवार के दिन सुबह से देर रात तक घर से

बाहर रहते हो, तब कौन आप के साथ होता है.’’

‘‘उसे मालूम है कि तब मैं रोहित के साथ होता हूं.’’

‘‘और अब मैं उन्हें यह बताऊंगी कि आप के दबाव में आ कर रोहित इस मामले में  झूठ बोलते आ रहे हैं. आप रोहित की मौजूदगी को ढाल बना कर मानसी के साथ रंगरलियां मनाते हो.’’

‘‘क्या रोहित ने तुम से ये सब कहा है?’’ संजीव अब डरा हुआ सा नजर आ रहा था.

‘‘आप जानते हो कि रोहित अपने सब से पक्के दोस्त के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोलेंगे.’’

‘‘फिर कौन है यह आदमी जो तुम्हें यह गलत जानकारी दे रहा है?’’

‘‘वह आदमी न हो कर मानसी की कोई महिला मित्र भी हो सकती है और मेरी यह सारी जानकारी गलत नहीं है.’’

अंजलि की इस बात ने संजीव की बोलती बंद कर दी.उस की खामोशी का फायदा उठाते हुए अंजलि दृढ़ लहजे में बोलती रही, ‘‘आप तीनों को साथ घूमते देख कर सब सम झते हैं कि मानसी रोहित की गर्लफ्रैंड होगी, पर सचाई यहहै कि उस के साथ आप का चक्कर चल रहा है. मैं ने इसी पल फैसला कर लिया है कि रोहित और अपने मन की सुखशांति और खुशियोंकी खातिर मैं आज ही उन्हें अमन के बारे में सबकुछ बता दूंगी. अब मैं यह भी चाहती हूं कि आप रोहित के साथ अपनी दोस्ती फौरन खत्म कर दो.’’

‘‘तुम्हारे चाहने भर से ऐसा कुछ कभी नहीं होगा. हमारी दोस्ती के टूटने के सपने भी मत देखना,’’ संजीव ने चिड़े लहजे में जवाब दिया

‘‘यह दोस्ती तो टूट कर रहेगी क्योंकि आप दोनों का साथ रहना हमारे हित में नहीं है. यह तो इत्तफाक से मु झे पता लग गया कि उन की  झूठी गवाही के बल पर आप मानसी के साथ अपने गलत रिश्ते को शिखा भाभी से छिपा कर रखने में सफल हुए हैं… कल को ऐसा ही गलत काम रोहित भी कर सकता है और इसीलिए आप दोनोें की दोस्ती हमारे विवाहित जीवन की भावी खुशियों के लिए बहुत बड़ा खतरा है,’’ भावावेश के कारण अंजलि की आवाज में कंपन पैदा हो गया था.

‘‘तुम बेकार ही बात का बतंगड़ बना रही हो.’’

‘‘आप को जो सम झना है सम झो, पर रोहित के साथ अपनी दोस्ती तोड़ लो.’’

‘‘तुम सम झ नहीं रही हो, अंजलि. रोहित से दूर हो कर मैं बहुत अकेला पड़ जाऊंगा,’’ संजीव अब बहुत बेचैन और परेशान नजर आ

रहा था.‘‘और आप इस मुद्दे को मेरे हिसाब से क्यों नहीं देख रहे हैं? मैं नहीं चाहती हूं कि मानसी से अवैध रिश्ता बनाए रख कर आप

गलत उदाहरण रोहित के सामने रखें. मैं खुद को शिखा भाभी की स्थिति में कभी नहीं देखना चाहूंगी.’’

‘‘और तुम यह क्यों नहीं सम झ रही हो कि अपने सब से पक्के दोस्त को खो कर मेरे लिए जीने का सारा मजा जाता रहेगा?’’ संजीव का बोलते हुए गला भर आया था.

‘‘रोहित के साथ अपनी दोस्ती को अगर आप मानसी के साथ चल रहे नाजायज प्यार के रिश्ते से ज्यादा अहमियत देते हैं, तो उस से हमेशा के लिए दूर क्यों नहीं हो जाते हो?’’ अंजलि ने उत्तेजित लहजे में सवाल किया.

संजीव जवाब में कुछ नहीं बोला तोअंजलि ने कोमल लहजे में सम झाना शुरू किया, ‘‘भाई साहब, अगर आप शांत मन से सोचेंगे तो पाएंगे कि  मैं आप को ठीक कदम उठाने की सलाह दे रही हूं. शिखा भाभी के व्यक्तित्व में आई कमियों को दूर करने की जिम्मेदारी मैं लेती हूं. उन का मोटापा कम कराने के लिए मैं उन के साथ रोज जिम जाना शुरू करूंगी. उन्हें ब्यूटीपार्लर जाने की आदत डलवाऊंगी. हम सब मिल कर सहयोग करेंगे तो जल्द ही उन का व्यक्तित्व वैसा ही आकर्षक हो जाएगा जैसा शादी के समय था.’’

पेचीदा हल – भाग 3 : नई जिंदगी जीना चाहता था संजीव

लंबी खामोशी के बाद संजीव संजीदा लहजे में बोला, ‘‘लगता है कि मानसी के साथ अपने गलत रिश्ते को जड़ से खत्म करने का वक्त आ गया है. शिखा से इस रिश्ते को छिपाने की टैंशन और मन में लगातार बनी रहने वाली खीज व अपराधबोध का शिकार बन मैं अभी से हाई ब्लड प्रैशर का मरीज हो गया हूं. मैं तुम से वादा करता हूं कि मानसी से अपना रिश्ता खत्म कर दूंगा.’’

‘‘भाई साहब, मु झ से  झूठा वादा न करना वरना मु झे बहुत दुख होगा,’’ अंजलि की आंखों में एकाएक आंसू भर आए थे.

‘‘मैं रोहित के साथ अपनी दोस्ती का वास्ता देता हूं कि मैं सच बोल रहा हूं.’’

‘‘तब मैं भी आप से वादा करती हूं कि अगली मुलाकात में मैं अमन को उस से फिर कभी न मिलने आने की बात सख्ती से बता दूंगी.’’

संजीव के मन के एक कोने में यह विचार उभरा कि मानसी के साथ उस कारिश्ता तुड़वाने के लिए ही तो कहीं अंजलि ने अपने पुराने प्रेमी अमन से शादी के बाद भी मिलने जाने का सारा मुद्दा जानबू झ कर तो

खड़ा नहीं किया था. मगर फिर विचार को अनदेखा करते हुए संजीव ने उस की दिल से प्रशंसा करी, ‘‘तुम वाकई बहुत सम झदार लड़की हो अंजलि.’’

‘‘थैंक यू, भाई साहब,’’ अपनी तारीफ सुन कर अंजलि खुशी से भर गई

‘‘सही राह दिखाने के लिए ‘थैंक यू’ तो तुम्हें मु झे बोलना चाहिए,’’ मानसी के साथ

अपने गलत रिश्ते को समाप्त करने का फैसला कर लेने से संजीव मन ही मन सचमुच बहुत ज्यादा राहत और अजीब सी खुशी महसूस कर रहा था.

अंजलि को बस अब यही डर था कि कहीं रोहित अमन की खोजबीन न करना शुरू कर दे क्योंकि वह तो पिछले 6 साल से उन के शहर से कहीं दूर बैंगलुरु में रहता है. उस की पोल खुल गई तो संजीव और अंजलि की उन से दोस्ती समाप्त हो जाएगी.

Rubina Dilaik ने प्रेग्नेंसी पर की बात, बताया कैसा है पति अभिनव का हाल

बिग बॉस 14 की विजेता और खूबसूरत अदाकरा रूबीना दिलैक नें हाल ही में गुड न्यूज दी है. वह अपनी लाइफ का नया चैप्टर शुरु करने जा रही है. वह जल्द ही मां बनने वाली है. हालांकि इस गुड न्यूज का अंदाजा फैंस पहले लगा चुके है.

रूबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला माता-पिता बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और इस कपल ने 16 सितंबर को सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा की. कई दौर की अटकलों के बाद, कपल ने घोषणा के साथ सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया. रूबीना ने एक वीडियो भी पोस्ट किया जहां उन्होंने इस नई यात्रा, अपने बेबीमून और बहुत कुछ के बारे में बात की.

प्रेग्नेंसी जर्नी को एन्जॉय करने के लिए रूबीना और अभिनव फिलहाल काम से ब्रेक पर हैं. यह जोड़ा LA की शानदार यात्रा का आनंद ले रहा है.

रूबीना दिलैक ने शेयर किया पहला वीडियो

टीवी एक्ट्रेस रूबीना दिलैक ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो पोस्ट किया है. जिसमें वह खुलकर अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर बोल रही है. रुबीना अपनी वीडियो में बता रही है कि यह वीडियो अपने फैंस के लिए बना रही है. वह अपनी सबसे खास जर्नी फैंस के साथ शेयर करना चाहती है.

पति अभिनव है काफी एक्साइटेड है

रूबीना ने वीडियो में साझा किया कि जब अभिनव को माता-पिता बनने के बारे में पता चला, तो अभिनव की प्रतिक्रिया काफी अनमोल थी. हालांकि, उन्होंने आगे कहा, “कुछ चीजें हैं जिन्हें हमने बेहद निजी रखा है. मैं घबराई हुई हूं और अभिनव पूरी यात्रा को लेकर बिल्कुल उत्साहित हैं.

 

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एक समय था जब दोनों तलाक ले रहे थे

रूबीना दिलैक और अभिनव ने लंबी डेटिंग के बाद साल 2018 में शादी की. दोनों ने प्यार में काफी कसमें खाई थी एक समय बाद दोनों के रिश्ते में दरार आने लगी थी. अभिनव शुक्ला और रूबीना दिलैक ने बिग बॉस 14 में अपने रिश्ते को लेकर खुलकर बात की थी. वह दोनों तलाक लेने वाले थे. वहीं बिग बॉस के घर में दोनों के रिश्ते में सुधार आया. अब दोनों ही जल्द ही माता-पिता बनने जा रहे है.

Govinda की भांजी Ragini Khanna जल्द करेंगी शादी, बोली- खुद पर ध्यान देना है

टीवी सीरियल ‘ससुराल गेंदा फूल’ फेम एक्ट्रेस रागिनी खन्ना आज भी अपने फैंस के दिलों में राज करती है. रागिनी काफी समय से टीवी की दुनिया से गायब है. हालांकि वह अपने ओटीटी के प्रोजेक्ट के जरिए अपने दर्शकों का मनोरंजन करती है. वहीं रागिना खन्ना 35 साल की हो गई है लेकिन वह अभी तक सिंगल है. एक्ट्रेस अपनी पर्सनल लाइफ को लाइमलाइट से दूर रखती है. वहीं अब रागिनी शादी करने के लिए एकदम तैयार है वह जल्द ही शादी कर सकती है.

रागिनी की मां ने घर को बना दिया मैरिज ब्यूरो

टीवी एक्ट्रेस ने मीडिया इंटरव्यू में बताया है कि उनकी मां अब उन्हें शादी के बंधन में बंधते हुए देखना चाहती है. इसी वजह से उनकी मां रागिनी के लिए लड़का तलाश रही है. रागिनी ने बताया कि उनकी मां ने घर में ही मैरिज ब्यूरो खोल लिया है. एक्ट्रेस ने कहा, वह प्रापोजल पर विचार कर रही है और वह हर दिन एक बैचलर की जांच करती है. रागिनी को भी लगता है कि यह सही समय है शादी करने का और घर बसाने का, उम्मीद हैं ऐसा होना चाहिए.

 

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रागिनी खन्ना खुद पर ध्यान देना चाहती है

टीवी एक्ट्रेस ने इंटरव्यू में बताया कि उनके पास गुणों की लंबी लिस्ट नहीं है जो मैं अपने हमसफर मैं देखना चाहती हूं. मैं चाहुंगी वह मुंबई में रहे. मैने बहुत मेहनत की है और शोबिज मैं काम करना जारी रखूंगी. मैंने 10 साल अपने करियर को महत्व दिया है और अब खुद पर ध्यान देना चाहती हूं.

 

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शादी के बाद भी काम करेंगी रागिनी

टीवी एक्ट्रेस ने आगे बताया कि उनकी एक बार हालत खराब हो गई थी.  रागिनी ने कहा, ‘जब मैं ससुराल गेंदा फूल कर रही थी, तो मुझे कई हेल्थ इशूज का सामना करना पड़ा. मैं लगभग अस्पताल में भर्ती हो गई थी. इसलिए, मैं रियलिटी शो, लाइव इवेंट और फिल्मों की ओर चली गई. लेकिन जैसे कुछ कलाकार टीवी और फिल्म को छोड़ देते हैं, मैं शादी के बाद वैसा नहीं करूंगी. टीवी ने मुझे वह बनाया जो मैं आज हूं.’

मोटापे से सिकुड़ता है मस्तिष्क, जानिए कैसे

मोटापा आज लोगों के लिए बेहद आम और सबसे बड़ी परेशानी बन कर उभरी है. खराब डाइट और खराब लाइफस्टाइल के चलते लोगों में ये परेशानी और ज्यादा बढ़ी है. इन कारणों से लोगों के पेट पर चर्बी बढ़ती है. पेट पर जमा होने वाली चर्बी हमारे सेहत को बुरी तरह प्रभावित करती है. इसका सबसे ज्यादा बुरा असर हमारे दिमाग पर होता है. असल में पेट में मौजूद चर्बी से मस्तिष्क की क्रियाशील पदार्थ या बुद्धि (Grey Matter) कम होने लगती है. इस खतरे का खुलासा हाल ही में हुए एक स्टडी में हुआ.

शोध के मुताबिक दिमाग के क्रियाशील पदार्थ में करीब 100 बिलियन से अधिक नर्व कोशिकाएं होती हैं. इनमें सफेद पदार्थ में नर्व फाइबर होता है, जो दिमाग के हिस्सों से जुड़ा होता है.

आपको बता दें कि इस शोध को करीब 9650 लोगों पर किया गया. शोध में सभी लोगों के बौडी मास इंडेक्स (BMI) और कमर से हिप की जांच की गई. नतीजों में 5 में से लगभग 1 व्यक्ति मोटापे से पीड़ित पाया गया.

शोधकर्ताओं ने स्टडी में शामिल लोगों के दिमाग की वौल्यूम का पता लगाने के लिए उनके दिमाग का MRI स्कैन किया.

स्टडी के नतीजों में सामने आया कि 1, 291 लोग, जिनका BMI 30 या इससे ज्यादा था, उनके मस्तिष्क के क्रियाशील पदार्थ (Grey Matter) की वौल्यूम कम रही. स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक, वजन या मोटापे से पीड़ित लोगों के दिमाग का कुछ हिस्सा सिकुड़ने लगता है.

परिवार से दूर दोस्त क्यों जरूरी है

दोस्ती एक ऐसा मीठा रिश्ता है जो जिंदगी में चाशनी सी घोल जाता है… जब हम अपने परिवार से दूर होते हैं तो वहां पर कोई हमारा अपना होता है तो वो दोस्त ही होते हैं जो हमारा परिवार बनते हैं.अक्सर ऐसा होता है जब पढ़ाई करने या जौब करने के लिए हम घर से बाहर चले जाते हैं और घर से कोसो दूर होते हैं तो उस वक्त वहां दोस्त मिलते हैं जो सुख में दुख में हमारा साथ देते हैं…..

कभी-कभी मन बहुत उदास होता है घर वालों की याद आती है हम उनके बारे में सोचते हैं और रो भी देते हैं ऐसे में दोस्त ही होतें हैं जो हमारा सहारा बनते हैं ,हमें हंसाते हैं,हमारा मूड अच्छा करते हैं.कुछ ऐसी बातें होती हैं जो हम अपने परिवार से नहीं कह सकते हैं लेकिन अपने दोस्तों से शेयर करते हैं और उनसे सलाह भी लेते हैं. अब अगर कौलेज की बात करें तो बहुत सी गॉसिप होती हैं भाई लड़कियों को तो चाहिए वही और वो ये गॉसिप्स अपने दोस्तों से ही शेयर करती हैं.लड़कों का तो लेवल पूछो ही मत भाई उनके तो अपने अलग-अलग कांड ही होते हैं.साथ में मिलकर पार्टी करना दोस्तों के सोथ मिलकर हंसी-मज़ाक करना,और अगर ब्रेकप हो गया तो उसका दुखड़ा भी रोना..कोई पसंद आ गया तो उसकी सेंटिंग करवाना …अब आपको हंसी तो आ ही रही होगी लेकिन आजकल की सच्चाई यही है और होता भी यही है.

जब आप किसी प्रौबलम में होते हैं तो दूसरे दोस्त ही हेल्प करते हैं चाहे पैसे की दिक्कत हो या फिर आप बिमार हैं तो आपका ध्यान भी रखते हैं.या फिर कॉलेज में दोस्त के लिए टीचर से झूठ बोलते हैं या फिर ऑफिस में बॉस…ये सब थोड़ा अजीब भले लगे लेकिन दोस्त होते ही ऐसे हैं और  ये सब खट्टी-मीठी सी यादें होती हैं जब आप अपने दोस्तों से अलग होते हैं तो यही सारी यादें आपके साथ रहती हैं जिन्हें आप अपने घर परिवार या कुछ दूसरे दोस्तों से शेयर करते हो कि अरे हम तो ऐसा किया करते थें..हमने साथ में बहुत मस्तियां की हैं…घर से दूर हमारा परिवार हमारे दोस्त ही होते हैं वरना दुनिया में अकेले रहना बहुत मुश्किल है.अकेले होने पर आपके अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है क्योंकि आप सबकुछ अपने अंदर ही दबा कर रखते हो कुछ भी किसी से शेयर नहीं करते.इसलिए लाइफ में एक ऐसा साथी होना जरूरी है जो हर कदम पर आपके साथ हो अगर बोलो हां तो वो भी बोले हां…मज़े की बात तो ये हैं कि दोस्त एक-दूसरे को छेड़ते भी बहुत है लेकिन उसी में उनका जीना है जिसमें वो बहुत खुश रहते हैं.एक-दूसरे को गाली बिना तो बुला ही नहीं सकते लेकिन उसी गाली में उनका प्यार होता है उनका अपनापन होता है….शायद इसलिए ही कहते हैं कि दोस्ती वो अनमोल तोहफा है जिसे जितनी शिद्दत से निभाओगे उतना ही खुश रहोगे और सभी की जिंदगी में एक ऐसा दोस्त होना जरूरी है…..वो कहते हैं न ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…तोड़ेंगे हम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे.

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