तुम बिन जिया जाए कैसे- भाग 3

अपर्णा अपने पर झल्ला उठती कि आखिर वह यहां आई ही क्यों?

एक शाम अपर्णा पड़ोस की एक औरत से बातें कर रही थी. तभी सुमन बड़बड़ाती हुई आई और कहने लगी, ‘‘दीदीदीदी देखिए तो जरा, कैसे आप के संजू ने मेरे बबलू का खिलौना तोड़ दिया.’’

अपर्णा ने गुस्से से अपने बेटे की तरफ देखा और फिर उसे डांटते हुए बोली, ‘‘क्यों संजू, तुम ने बबलू का खिलौना क्यों तोड़ा? यह तुम्हारा छोटा भाई है न? चलो सौरी बोलो.’’

‘‘मम्मी, मैं ने इस का खिलौना नहीं तोड़ा. मैं ने तो सिर्फ खिलौना देखने के लिए मांगा था और इस ने गुस्से से फेंक दिया… मैं तो खिलौना उठा कर उसे दे रहा था, पर मामी को लगा कि मैं ने इस का खिलौना तोड़ा है,’’ संजू रोते हुए बोला.

‘‘देखो कैसे झूठ बोल रहा है आप का बेटा… मैं बता रही हूं दीदी, संभाल लो इसे नहीं तो बड़ा हो कर और कितना झूठ बोलेगा और क्याक्या करेगा पता नहीं… अब क्या बबलू अपने घर में अपने खिलौने से भी नहीं खेल सकता? यह तो समझना चाहिए लोगों को.’’

सुमन की व्यंग्य भरी बातें सुन कर अपर्णा को लगा जैसे उस के दिल में किसी ने तीर चुभो दिया हो. जब उस ने अपनी मां की तरफ देखा, तो वे भी कहने लगीं, ‘‘सच में अपर्णा, तुम्हारा संजू बड़ा ही जिद्दी हो गया है… जरा संभालो इसे, बेटा.’’

अपर्णा स्तब्ध रह गई. बोली, ‘‘पर मां, आप ने देखेसुने बिना ही कैसे संजू को गलत बोल दिया?’’ उस की समझ में नहीं आ रहा था कि मां अचानक नातेपोते में इतना भेद क्यों करने लगीं.

अपर्णा संजू को ले कर अपने कमरे में जाने  ही लगी थी कि तभी सुमन ने फिर एक व्यंग्यबाण छोड़ा, ‘‘अब जब मांबाप ही आपस में झगड़ेंगे तो बच्चा तो झूठा ही निकलेगा न.’’

सुन कर अपर्णा अपने कमरे में आ कर रो पड़ी. फिर सोचने लगी कि सुमन भाभी ने इतनी बड़ी बात कह दी और मां चुप बैठी रहीं. कल तक मां मेरा संजू मेरा संजू कहते नहीं थकती थीं और आज वही संजू सब की आंखों में खटकने लगा? आज मेरी वजह से मेरे बच्चे को सुनना पड़ रहा है. फिर वह खुद को कोसती रही. संजू कितनी देर तक पापापापा कह कर रोता रहा और फिर बिना खाएपीए ही सो गया.

अपर्णा के आंसू बहे जा रहे थे. सच में कितने घमंड के साथ वह यहां आई थी और कहा था जब तक लेने नहीं आओगे, नहीं आऊंगी. पर अब किस मुंह से वह अपने पति के घर जाएगी… अमन तो यही कहेगा न कि लो निकल गई सारी हेकड़ी… ‘जो भी सुनना पड़े पर जाना तो पड़ेगा यहां से,’ सोच उस ने मन ही मन फैसला कर लिया. बड़ी हिम्मत जुटा कर अपर्णा की मां उस के कमरे में उसे खाने के लिए बुलाने आईं

और कहने लगीं, ‘‘अपर्णा, मुझे माफ कर देना… मैं भी क्या करूं… आखिर रहना तो मुझे इन लोगों के साथ ही है न… बेटा, मेरी बात को दिल से न लगाना,’’ और वे रो पड़ीं.

अपर्णा को अपनी मां की बेबसी पर दया आ गई. कहने लगी, ‘‘मां, आप शर्मिंदा न हों. मैं सब समझती हूं, पर गलती तो मेरी है, जो आज भी मायके को अपना घर समझ कर बड़ी शान से यहां रहने आ गई. सोचती हूं अब किस मुंह से जाऊंगी, पर जाना तो पड़ेगा.’’

रात भर यह सोच कर अपर्णा सिसकती रही कि आखिर क्यों लड़की का अपना कोई घर नहीं होता? आज अपर्णा अपनेआप को बड़ा छोटा महसूस कर रही थी. फिर सोचने लगी कि जो भी हो पर अब वही मेरा अपना घर है. यहां सब की बेइज्जती सहने से तो अच्छा है अपने पति की चार बातें सुन ली जाएं. फिर कहां गलत थे अमन? आखिर वे भी तो मेहनत करते हैं. हमारी सारी सुखसुविधाओं का पूरा खयाल रखते हैं और मैं पागल, बेवजह बातबात पर उन से झगड़ती रहती थी.

सच में बहुत कड़वा बोलती हूं मैं… बहुत बुरी हूं मैं… न जाने खुद से क्याक्या बातें

करती रही. फिर संजू की तरफ देखते हुए बड़बड़ाई कि बेटा मुझे माफ कर देना. अपने घमंड में मैं ने यह भी न सोचा कि तुम अपने पापा के बगैर कैसे रहोगे… पर अब हम अपने घर जरूर जाएंगे बेटा.

सुबह भी अपर्णा काफी देर तक अपने कमरे में ही पड़ी रही. शाम को ट्रेन से जाना

था उन्हें. अपना सारा सामान पैक कर रही थी कि तभी उस की मां आ कर कहने लगीं, ‘‘बेटा, मैं चाह कर भी यह नहीं कह सकती कि बेटा और कुछ दिन रुक जाओ.’’

अपर्णा मां को गले लगाते हुए बोली, ‘‘आप मेरी मां हैं और यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है. रही जाने की बात, तो आज नहीं तो कल मुझे जाना ही था. आप अपने को दोषी न मानें.’’

दोनों बात कर ही रही थीं कि उधर से संजू, पापापापा कहते हुए दौड़ता हुआ आया.

‘‘क्या हुआ संजू? पापापापा चिल्लाता हुआ क्यों दौड़ा आ रहा..’’

अपर्णा अपनी बात पूरी कर पाती उस

से पहले ही उस की नजर सामने से आते अमन पर पड़ी तो वह चौंक उठी. बोली, ‘‘अमन आप?’’

अमन को देख अपर्णा के दिल में उस के लिए फिर वही पहले वाला प्यार उमड़ पड़ा. उस की आंखों से आंसू बह निकले. कहने लगी, ‘‘अमन, हम तो खुद ही आ रहे थे आप के पास.’’

अपर्णा का हाथ अपने हाथों में कस कर दबाते हुए अमन बोला, ‘‘अपर्णा, मुझे माफ कर दो और चलो अपने घर… तुम्हारे बिना हमारा घर घर नहीं लगता… तुम्हारे न होने से मेरे सारे दोस्त भी मुझ से किनारा करने लगे हैं. नहीं अब नहीं जीया जाता तुम बिन… हां मैं बहुत अव्यवस्थित किस्म का इनसान हूं पर जैसा भी हूं… अब तुम ही मुझे संभाल सकती हो. अपर्णा मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं,’’ कहतेकहते अमन की आंखों में आंसू आ गए.

‘‘अमन, गलत आप नहीं मैं…’’

‘‘नहीं,’’ अमन ने अपना हाथ अपर्णा के होंठों पर रखते हुए कहा, ‘‘कोई गलत नहीं था, बस वक्त गलत था. जितना लड़नाझगड़ना था लड़झगड़ लिए, अब और नहीं,’’ कह कर अमन ने अपर्णा को अपने सीने से लगा लिया.

अपर्णा भी पति की बांहों के घेरे में सिमटते हुए बोली, ‘‘मैं भी तुम बिन नहीं जी सकती.’’

Film Review Jawan: सशक्त राजनीतिक संदेश देने से बुरी तरह भटके फिल्मकार..

रेटिंग : 5 में से 2 स्टार

निर्माता : गौरी खान

लेखक : एटली और एस रामागिरीवासन

निर्देशक : एटली कुमार

कलाकार : शाहरुख खान, विजय सेतुपती, दीपिका पादुकोण, नयनतारा, प्रियामणि, सान्या मल्होत्रा, संजीता भट्टाचार्य, गिरिजा ओक

अवधि : 2 घंटे 50 मिनट

प्रदर्शन : 7 सितंबर से सिनेमाघरों में

भ्रष्ट सिस्टम से प्रतिशोध की कहानियों पर कई फिल्में बन चुकी हैं. मगर भ्रष्ट सिस्टम की बात करते हुए यह फिल्म जिस संघर्ष को जन्म देती है, उस में कुछ भी नवीनता नहीं है. यदि हम कला सिनेमा को नजरअंदाज कर दें, तो भी राकेश ओम प्रकाश मेहरा (फिल्म ‘रंग दे बसंती’) या रेंसिल डिसिल्वा (फिल्म ‘उंगली’) से ले कर अब तक कई फिल्मकार इस तरह की कहानियां सशक्त तरीके से पेश करते आए हैं. एटली उसी ढर्रे पर चलते हुए भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ संघर्ष के साथ ही चुनाव में वोट देने से पहले नेताओं से सवाल करने की बात करने वाली 2 घंटे 50 मिनट लंबी अवधि की फिल्म ‘जवान’ ले कर आए हैं. मगर अफसोस निर्देशक एटली, निर्माता गौरी खान और मुख्य अभिनेता शाहरुख खान इस बात को उतने सशक्त व मनोरंजक तरीके से नहीं कह पाए, जो राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने 2006 में प्रदर्शित अपनी फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में कही थी.

फिल्म ‘जवान’ कहीं न कहीं कान फोङू संगीत व ऐक्शन दृश्यों से भरपूर प्रतिशोध की सतही कहानी बन कर रह गई है. एटली जितने मसाले डाल सकते थे, डाल दिए. मगर फिल्म के कथानक के साथ दर्शक जुड़ नहीं पाता.

कहानी : नदी किनारे बसे एक आदिवासी कबीले के कुछ लोग नदी से एक गंभीर रूप से घायल इंसान को अपनी बस्ती में ले जाते हैं। कबीले के वैद्य उस के शरीर के अंदर से गोलियों को निकाल कर इलाज करता है. यह शख्स (शाहरुख खान) अपनी याददाश्त खो चुका है. पर जब कुछ लोग इस कबीले को तबाह करने पहुंचते हैं, तब अचानक यह इंसान उन सब को मौत की नींद सुला देता है. तब कबीले का एक बच्चा उस शख्स से कहता है कि बड़ा हो कर मैं पता कर के बताउंगा कि आप कौन हैं? फिर कहानी 30 साल आगे बढ़ जाती है. अब आजाद (शाहरुख खान) सामने आता है जो एक महिला जेल का जेलर है. पर उस ने अपनी ही महिला जेल की 6 महिला कैदियों (प्रियामणि, सान्या मल्होत्रा, संजीता भट्टाचार्य, रिद्धि डोगरा) संग एक टीम बना रखी है. हर महिला किसी न किसी कृत्य में माहिर है.

अब आजाद अपनी टीम के साथ रौबिनहुड बन कर एक मैटटोन का अपहरण कर यात्रियों को जीवित छोड़ने के बदले ₹40 हजार किसानों का कर्ज हथियार विक्रेता काली (विजय सेतुपती) से ले कर भर देता है. पता चलता है कि काली का जीजा ही मंत्री है. फिर वह अपनी टीम की सदस्य डाक्टर इरम को न्याय दिलाने के लिए कभी एक अस्पताल के डीन रहे व वर्तमान में स्वास्थ सेक्रेटरी जौर्ज को मजबूर करता है कि वह पूरे देश के सामने सच कुबूल करे.

स्पैशल औफिसर नर्मदा (नयनतारा) इस नकाबपोश रौबिनहुड उर्फ आजाद को पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे भेजना चाहती है. नर्मदा ऐसा कर पाती उस से पहले ही वह अपनी बेटी सूजी की खातिर जेलर आजाद से विवाह कर लेती है, पर हनीमून से पहले ही उसे सच पता चल जाता है जबकि उधर काली अपने लोगों की मदद से नर्मदा व आजाद दोनों को दोषी ठहराने के साथ ही मौत के घाट उतारने का प्रयास करता है, पर तभी 30 साल पहले कबीले में पहुंचा हुआ शख्स (शाहरुख खान) अपने लोगों के साथ आता है और घायल आजाद को ले कर चला जाता है. उधर काली रूस जा कर वहां के लोगों से कहता है कि वे लोग धन दें, उस धन की मदद से 2 माह बाद भारत में होने वाले चुनाव में अपनी सरकार बनाएंगे और फिर जिस तरह का जैसा व्यापार करना चाहेंगे कर सकेंगे. उधर आजाद का सच जानने के लिए नाटकीय तरीके से नर्मदा जेल के अंदर पहुंचती है, जहां उन लड़कियों से पता चलता है कि आजाद आर्मी औफिसर विक्रम राठौड़ (शाहरुख खान) और ऐश्वर्या (दीपिका पादुकोण) का बेटा है, जिसे हथियार विक्रेता काली ने मंत्री से मिल कर देशद्रोही घोषित करवा कर एक प्लेन में गोली मार कर नीचे फेंक दिया था, जो एक नदी में गिरा था और कबीले के लोगों ने उस की जान बचाई थी.

फिर आजाद व उस की टीम व विक्रम राठौड़ व उस की टीम का सीधा टकराव काली संग शुरू होता है. आजाद व विक्रम राठौड़, काली का सारा धन और 40 लाख चुनाव मशीनों को अपने कब्जे में करने के बाद आजाद (शाहरुख खान) पूरे स्क्रीन पर छाते हुए लगभग भाषण देता है कि जब आप हर छोटीमोटी चीजें खरीदते हुए उंगली करते हैं यानी बाल की खाल निकाल कर जानकारी लेते हैं, तो वोट देने से पहले क्यों ऐसा नहीं करते. जो नेता आप से वोट मांगने आते हैं, उन्हें वोट देने से पहले उन से स्वास्थय व शिक्षा सुविधाओं को ले कर सवाल किया जाना चाहिए.

लेखन व निर्देशन : हम अतीत में भी देखते आए हैं कि फिल्मकार जब एक अच्छी सोच पर आधारित कहानी को अपने निजी ऐजेंडे के तहत फिल्म में पेश करता है तो वह उस का पूरी तरह से बंटाधार कर देता है. इतना ही नहीं फिल्म की पटकथा भी हिचकोले लेती है. यही वजह है कि इंटरवल से पहले फिल्म रौबिनहुड की कहानी लगती है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म पूरी तरह से बिखरी हुई नजर आती है. फिल्मकार ने किसानों की आत्महत्या से ले कर स्वास्थ्य सुविधाओं का मुद्दा उठाते हुए भ्रष्ट मंत्री, भ्रष्ट सिस्टम, चुनाव कैसे जीता है, वोट देने से पहले सवाल करने  सहित कई बातें कही हैं, मगर फिल्म कहीं न कहीं प्रतिशोध की कहानी बन कर रह जाती है.

आजाद या उन की टीम की 6 सताई गई लड़कियां सिस्टम के खिलाफ बदले की लड़ाई लड़ने का ही आभास कराती हैं. शाहरुख खान अपने मन की करते हुए जनता से भ्रष्टाचार के खिलाफ, अराजकता के खिलाफ, नेताओं की मनमानी के खिलाफ और सत्ता और व्यापारियों के गठजोड़ के खिलाफ बात करते हुए देश के वर्तमान माहौल को बदलने का आव्हान करते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि सिनेमा से क्रांति नहीं आती. बतौर अभिनेता उन का काम दर्शकों का मनोरंजन करते हुए अपनी फिल्म की कहानी के साथ उन्हें जोड़ना होता है, मगर फिल्म में  लाउड ऐक्शन सहित सारे मसाले भर दिए गए हैं. परिणामतया फिल्म या फिल्म की कहानी के साथ दर्शकों का जमीनी जुड़ाव नहीं हो पाता.

KBC 15: पति-पत्नी की नोकझोंक में बुरी तरह फंसे बिग बी, देखें प्रोमो

अमिताभ बच्चन का लोकप्रिय गेम ‘कौन बनेंगा करोड़पति’ इन दिनों काफी सुर्खियों में है. कौन बनेंगा करोड़पति 15 एक मील का पत्थर पार कर चुका है. अमिताभ बच्चन के शो को अपना पहला करोड़पति मिल गया है. पंजाब के जसकरण ₹1 करोड़ जीते. ‘कौन बनेंगा करोड़पति’ में जसकरण के बाद के हमीरपुर के रहने वाले अश्विन कुमार ने फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट का राउंड जीतकर हॉट सीट पर अपनी जगह बनाई.

सवाल- जवाब सेशन के दौरान अश्विन कुमार ने शो के होस्ट अमिताभ बच्चन के साथ खूब गपशप की. लेकिन शो के दौरान अश्विन कुमार की पत्नी ने अपने पति की शिकायत अमिताभ बच्चन से की और पति- पत्नी के बीच का यह झगड़ा मंच पर आ गया. पति- पत्नी के इस झगड़े को सुलझाने के लिए अमिताभ बच्चन को बीच में आना पड़ा.

अश्विन की पत्नी ने बिग बी से की शिकायत

अमिताभ बच्चन का लोकप्रिय गेम ‘कौन बनेंगा करोड़पति’ शो का प्रोमो सोशम मीडिया पर काफी वयराल हो रहा है. यह वीडियो सोनी टीवी के इंस्टाग्राम हैंडल से शेयर किया है. इस वीडियो में अश्विन की पत्नी अमिताभ बच्चन से कंटेस्टेंट की शिकायत लगाते हुए कह रही हैं, “अश्विन सिर्फ अपनी मां के हाथ का ही खाना खाते हैं, मेरे हाथ का नहीं.” वहीं जब बिग बी ने अश्विन से पूछा कि वह ऐसा क्यों करते हैं? तो कंटेस्टेंट ने जवाब देते हुए कहा, “मेरी मां चूल्हे पर खाना बनाती हैं, जो बहुत स्वादिष्ट लगता है.” हालांकि अश्विन और उनकी पत्नी की ये नोकझोंक सुनकर अमिताभ बच्चन का भी सिर चकरा जाता है.

देखें नया प्रोमो

प्रोमो में देखने को मिलता है कि कंटेस्टेंट अश्विन कुमार की पत्नी महानायक से कहती है यह मुझे कहीं नहीं ले जाते और शॉपिंग नहीं कराते है. इस पर बिग बी कहते है ये तो गलत बात है इस पर अश्विन कुमार कहते है आप तो सब जानते है. आप भी… इस पर अमिताभ कहते है क्या आप भी.. फिर अश्विन कहते है आप तो सब समझते है. फिर बिग बी कहते है हम तो कुछ नही समझ रहे..फिर महानायक कहते है जी मान जाइए. एक बजुर्ग जो भुगता हुआ है वो आपको बता रहा है.

अपनापन: भाग 2-मोनिका को विनय की सेक्रेटरी क्यों पसंद नहीं थी?

आजकल तो मुझे सपने भी बहुत अजीबअजीब आने लगे हैं. मैं विनय को पुकारती हुई उन के पीछेपीछे भागती हूं पर वे मेरी आवाज ही नहीं सुनते. वे किसी लड़की का हाथ थामे मुझ से आगे तेजतेज कदमों से चलते चले जाते हैं.

कई बार मेरा मन हुआ कि मैं मोनिका के बारे में इन से पूछूं लेकिन कभी कुछ पूछ नहीं पाई. शायद अंदर का डर कुछ कहने और पूछने से रोकता है. डरती हूं, अगर पूछने पर विनय ने वह सब कह दिया, जो मैं सुनना नहीं चाहती तो क्या होगा? तब मैं क्या करूंगी? कहां जाऊंगी? क्या होगा अंकित का? इसलिए सोचती हूं जैसा चल रहा है चलने दूं. पतिपत्नी का रिश्ता तो कांच के बरतन समान होता है. कहीं उस की मजबूती जांचने के चक्कर में उसे स्वयं ही चकनाचूर न कर बैठूं. इसलिए गुस्सा या शिकायत करने की अपेक्षा पहले से कहीं विनय का ध्यान रखने लगी हूं. उन पर ज्यादा प्यार लुटाने लगी हूं ताकि उन के दिल में मोनिका अपनी जगह न बना सके.

मेरा ध्यान भले ही फोन पर मोनिका की आवाज सुन कर भटक गया था, लेकिन मैं निरंतर बेटे को हिम्मत बंधाने और उस के बहते खून को रोकने की कोशिश में लगी थी. अंकित इतना नुकसान हो जाने के डर से सहमा बिना आवाज निकाले दर्द सह रहा था और आंसू बहा रहा था.

अब कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था तो मैं ने फौरन साथ बन रही कोठी के बाहर खड़े ठेकेदार को आवाज दे कर जल्दी से कोई औटो या टैक्सी ले आने के लिए कहा. मेरी घबराहट देख कर उस ने परेशानी का कारण पूछा तो मैं जल्दी से उसे सब बता कर मदद की गुहार लगाई. वह फौरन वाहन का इंतजाम करने के लिए दौड़ गया.

इस बीच मैं ने घर में रखे पैसे उठा कर बाहर के ताले की चाबियां उठाई ही थीं कि दरवाजे की घंटी बज उठी. घंटी की आवाज सुनते ही धैर्य हुआ कि जल्दी ही अस्पताल जाने का इंतजाम हो गया. बाहर का दरवाजा खुला ही था. मुझे एक खूबसूरत, स्मार्ट नौजवान तेज कदमों से अंदर आता दिखाई दिया.

यह टैक्सी या औटो चालक तो नहीं हो सकता यह सोच कर ही मैं घबरा गई. यह कौन सी नई मुसीबत आ गई? मुझे दरवाजा खुला नहीं छोड़ना चाहिए था. इसी तरह सफेदपोश बन कर ही तो आजकल लुटेरे घरों में घुसते हैं. लेकिन इस से पहले कि मैं उस से कुछ कहती या पूछती, उस युवक ने प्रश्न किया, ‘‘आप मिसेज शर्मा हैं न? क्या हुआ अंकित को?’’

यह सुन कर मेरी तो पूरी देह कांप गई. यह तो सब कुछ जानता है, पूरी तैयारी के साथ आया है.

मुझ इतना परेशान देख कर वह बोला, ‘‘घबराइए नहीं, मैं जय हूं, मोनिका का हसबैंड. मेरा औफिस यहां पास ही है, उसी ने मुझे फोन कर के यहां भेजा है.’’

तभी उस की नजर अंकित पर पड़ी, जिस के सारे कपड़े खून से लथपथ थे. जगहजगह चोटें लगी हुई थीं. फर्श पर भी यहांवहां खून के छींटे और खून से सनी रुई बिखरी पड़ी थी. डिटौल की गंध से पूरा घर भरा था. यह सब देख कर वह भी घबरा गया. अब तक अंकित भी लगभग बेहोशी की हालत में आ गया था.

‘‘ओहो, इसे तो बहुत चोट आई है. मैं इसे बाहर गाड़ी में बैठाता हूं. आप जल्दी से ताला बंद कर के आ जाइए,’’ इतना कहते हुए उस ने अंकित को पकड़ कर ले जाना चाहा, लेकिन अंकित खड़ा होते ही उस की बांहों में झूल गया. उस ने तुरंत 10 साल के अंकित को गोद में उठाया और गाड़ी की तरफ दौड़ पड़ा.

जय को सब पता था. वह तुरंत ही पास के नर्सिंग होम के इमरजैंसी वार्ड में हमें ले गया. वहां पहुंचते ही डाक्टरों ने अंकित का तुरंत इलाज शुरू कर दिया. एक डाक्टर का कहना था कि खून बहुत बह गया है फिर भी घबराने की बात नहीं, जल्दी सब ठीक हो जाएगा.

अंदर डाक्टर अंकित का इलाज कर रहे थे और जय भागभाग कर उन के कहे अनुसार जरूरी कार्यवाही पूरी कर रहा था. मेरे पास उस के धन्यवाद के लिए शब्द ही नहीं थे. मुझे पता ही नहीं लगा कब एक युवती मेरे पास आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘अब अंकित कैसा है?’’  मेरे उत्तर देने से पहले ही कमरे से बाहर आते हुए जय ने बताया, ‘‘अंकित अब

ठीक है. ट्रीटमैंट शुरू हो गया है. घबराने की कोई बात नहीं.’’

मुझे समझते देर नहीं लगी कि युवती मोनिका है. इतना सौम्य रूप, इतना सादा पहनावा,

इतना आकर्षक व्यक्तित्व, इतनी मधुरवाणी, मैं तो उसे देखती ही रह गई. पासपास खड़े जय और मोनिका की जोड़ी इतनी अच्छी लग रही थी मानों बने ही एक दूसरे के लिए हों.

‘‘सर की बहुत ही महत्त्वपूर्ण मीटिंग चल रही थी, इसलिए मैं ने उन्हें कुछ नहीं बताया. मीटिंग से जुड़ी जरूरी जानकारियां और पेपर अपनी साथी को दे कर ही मैं यहां आ पाई हूं. लेकिन इस सब में मुझे समय तो लगना ही था, इसलिए मैं ने जय को फोन पर बता कर आप के पास भेज दिया था,’’ मोनिका मुझे बता रही थी.

चटपटी रैसिपीज: चटपटी टमाटर भुजिया और ब्रैड चौप्स

चटपटा खाने का मन आपका करता है तो घर में बनाएं ये चटपटी रैसिपीज. शाम के समय भूख लगती है. उस समय घर पर बनाएं चटपटी टमाटर भुजिया और ब्रैड चौप्स जो स्वाद से भरपूर है. आइए आज बनाते है ये चटपटी रैसिपीज.

  1. चटपटी टमाटर भुजिया

सामग्री

1.  2 सख्त टमाटर मध्यम आकार पके हुए

  2.   1/4 कप थिक हरी चटनी

  3.   1 कप बेसन द

  4.  1 बड़ा चम्मच चावल का आटा

  5.   1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च कुटी

 6.   1/2 छोटा चम्मच अजवायन

 7.  1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर भुना

 8.   चुटकीभर हींग

 9.  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

 10.   तेल तलने के लिए

11.   नमक स्वादानुसार.

विधि

टमाटरों को धोपोंछ लें. इन के 4-4 स्लाइस कर के इन पर हरी चटनी लगा कर रख दें. एक बौल में बेसनचावल का आटा और चाटमसाला छोड़ कर बाकी सारे सूखे मसाले डाल कर अच्छी तरह मिला लें. फिर थोड़ाथोड़ा पानी मिला कर गाढ़ा घोल बना कर

10 मिनट के लिए ढक कर रख दें. कड़ाही में तेल गरम करें. चटनी लगे टमाटर के स्लाइसेज पर बेसन का घोल लपेट कर इन्हें मध्यम आंच पर दोनों ओर से गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. इन पर चाटमसाला बुरकें और टोमैटो कैचअप के साथ गरमगरम सर्व करें.

2. ब्रैड चौप्स

सामग्री

 1. 6 ब्रैड स्लाइस

 2.  2 बड़े आकार के आलू उबले व मैश किए

 3.  1/2 कप बेसन 

 4. 1 छोटा चम्मच हरीमिर्च बारीक कटी

 5.  1 छोटा चम्मच अदरक बारीक कटा

 6.  1/2 छोटा चम्मच काला नमक

 7.  1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

 8.  1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

 9.  1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर भुना

 10.  1 छोटा चम्मच चाटमसाला

 11.  2 बड़े चम्मच हरी चटनी

 12.  2 बड़े चम्मच इमली की सोंठ

 13.  1 बड़े आकार का प्याज बारीक कटा

 14.  1 बड़े आकार का टमाटर बारीक कटा

 15.  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

 16.   2 बड़े चम्मच तेल

 17. नमक स्वादानुसार.

विधि

ब्रैडस्लाइसेज को पानी में डिप कर के निचोड़ कर एक बाउल में डाल लें. इस में मैश किए आलूबेसनहरीमिर्चअदरककाला नमककालीमिर्च पाउडरलालमिर्च पाउडरजीरा पाउडरनमक और चाटमसाला डाल कर मिलाएं और गूंध कर डो जैसा बना लें. इस डो से मनचाही आकार के चौप्स बना लें. तवा गरम करें और तेल लगा कर आंच धीमी कर लें. चौप्स को सुनहरा होने तक सेंक लें. ब्रैड चौप्स को सोंठहरी चटनीप्याजटमाटर और धनियापत्ती के साथ सर्व करें.

चुकन्दर से बनाइये ये हैल्दी रेसिपीज

चुकन्दर सुर्ख लाल रंग की जड़ वाली सब्जी है इसे अग्रेंजी भाषा में बीटरूट कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम बीटा वाल्गोरिस है. चुकन्दर में सोडियम, फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन तथा अन्य अनेकों पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता तथा हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मददगार होते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में फायबर पाया जाता है जो मानव शरीर के पाचन तन्त्र को दुरुस्त रखने में सहायक होता है. आजकल यह वर्ष भर उपलब्ध रहता है इसलिए इसे किसी न किसी रूप में  अपने भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए. आज हम आपको चुकन्दर से कुछ टेस्टी रेसिपीज बनाना बता रहे हैं

  1. बीटरूट पिज्जा परांठा

कितने लोगों के लिए – 4

बनने में लगने वाला समय – 20 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

 1. गेहूं का आटा  2 कप

 2. बीटरूट प्यूरी                 

  3. 1/2 कप अजवाइन                         

   4. 1 चुटकीनमक                            

   5. 1/4 टीस्पून पनीर                            

   6. 1/2 कप बारीक कटी शिमला मिर्च            

   7. 1 टेबलस्पून बारीक कटा प्याज                  

    8. 1 टेबलस्पून पिज्जा सौस                       

    9. 1/2 टीस्पून पिज्जा सीजनिंग                  

 10.   1/4 टीस्पून चिली फ्लेक्स                      

  11. 1/8 टीस्पून चीज क्यूब्स                       

   12. 2 घी या बटर                       

   13.   1 टीस्पून

विधि-

गेहूं के आटे में चुकन्दर प्यूरी, नमक और अजवाइन मिलाकर रोटी से थोडा कड़ा आटा गूँथ लें. अब रोटी के आकार की लोई लेकर चकले पर बेल लें ध्यान रखें कि इसकी मोटाई रोटी से दोगुनी हो. अब इसे घी लगाकर तवे पर मंदी आंच पर दोनों तरफ से हल्का सा सेक लें. इसी प्रकार अन्य परांठे भी बना लें. पनीर को छोटे टुकड़ों में काट लें. अब नानस्टिक पैन में 1/2 टीस्पून बटर डालकर प्याज सौते कर लें. जब प्याज सुनहरा हो जाये तो 1 चुटकी नमक, कटी शिमला मिर्च, और पनीर डालकर अच्छी तरह चलायें. 3-4 मिनट पकाकर गैस बंद कर दें. पकी सब्जियों में पिज्जा सौस मिलाएं. तैयार परांठे पर बटर लगाकर इन सब्जियों को फैलाकर चीज क्यूब ग्रेट कर दें. चिली फ्लेक्स और पिज्जा सीजनिंग डालकर चिकनाई लगे पैन में रखकर एकदम धीमी आंच पर ढककर चीज के मेल्ट होने तक पकाएं. तैयार पिज्जा को बीच से काटकर टोमेटो सौस के साथ सर्व करें

2. बीटरूट अचारी पार्सल

कितने लोगों के लिए-  6

बनने में लगने वाला समय –   20 मिनट

मील टाईप – वेज

सामग्री

1. किसा बीटरूट                       

 2. 1 कप मैदा                               

 3. 1 कप सूजी                              

 4.  1/4 कप पिसा ओट्स                         

 5. 1/4 कप नमक स्वादानुसार

 6. अजवाइन  1/8 टीस्पून

 7. दरदरी काली मिर्च  1/4 टीस्पून

  8. बेसन  1 टेबलस्पून

  9. आम के अचार का मसाला              

 10. 1 टेबलस्पून तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल

विधि-

मैदा, सूजी और ओट्स को एक बौउल में डालकर नमक, अजवाइन, काली मिर्च डालकर अच्छी तरह चलायें. अब इसमें 2 टेबलस्पून तेल डालकर मिलाएं. ध्यान रखें कि आटे में मोयन मुठिया वाला रहे अर्थात तेल डालने के बाद यदि आप आटे को मुट्ठी में लें तो वह मुठिया का आकार ले ले. अब इसमें चुकन्दर डालें और हाथों से दबाकर कड़ा आटा लगा लें. तैयार आटे को ढककर 20 मिनट के लिए रख दें. बेसन को बिना घी के धीमी आंच पर भून कर प्लेट में ट्रांसफर कर लें. अब इस भुने बेसन में अचार का मसाला मिलाएं. तैयार आटे के 3 भाग करें और 1 भाग को चकले पर रोटी से दोगुना मोटा बेलकर 2 इंच के चौकोर टुकड़ों में काट लें. इन टुकड़ों पर तैयार अचार के मसाले को 1/4 चम्मच फैलाएं. किनारों पर पानी लगाकर दूसरा टुकड़ा रखकर ऊँगली से दबाकर चारों तरफ से पैक कर दें. इसी प्रकार सारे पार्सल तैयार कर लें. अब इन्हें गर्म तेल में मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक तलें. बटर पेपर पर निकालकर एयरटाईट जार में भरकर प्रयोग करें.

चेहरे पर दाग हैं नो टैंशन

पिगमैंटेशन तब होता है जब आप के फेस या बौडी के किसी खास हिस्से की कोशिकाएं मरने लगती हैं और उन्हें पोषक तत्त्व मिलने बंद हो जाते हैं. ऐसे में स्किन काली पड़ने लगती है. कई बार महिलाओं को प्रैगनैंसी के दौरान हारमोनल बदलाव की वजह से भी ऐसा होता है. कीमोथेरैपी के बाद भी पिगमैंटेशन की प्रौब्लम हो जाती है.नई दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में पार्लर चलाने वाली वीणा कहती हैं, ‘‘स्किन पिगमैंटेशन तब ज्यादा होती हैं, जब मैलानिन ज्यादा बनने लगता है.

मैलानिन वह है, जिस से स्किन, आंखों और बालों को अपना रंग मिलता है. यह सूरज की किरणों से स्किन को नुकसान होने से बचाता है. मेकअप के जरीए फेस के पिगमैंटेशन को छिपाया जा सकता है. लेकिन आप हमेशा मेकअप कर के नहीं बैठ सकती हैं. ऐसे में आप को पिगमैंटेशन से छुटकारा पाने के लिए इन का परमानैंट इलाज करना होगा.’’पिगमैंटेशन होना नौर्मल है. लेकिन इन के होने से आप की सुंदरता पर बुरा असर पड़ता है. आप बड़ी लगने लगती हैं. स्किन अपना ग्लो खो देती है. अगर आप चाहती हैं कि पिगमैंटेशन की वजह से आप का कौन्फिडैंट कम न हो तो आप को इन खास बातों का खयाल रखना होगा:

  1. करें सनस्क्रीन का इस्तेमाल

पिगमैंटेशन से छुटकारा पाने के लिए जब भी आप धूप में बाहर निकलें तो 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन जरूर लगाएं. यह सूरज की हानिकारक किरणों से आप की स्किन को बचाएगा. सनस्क्रीन लगाने से स्किन ड्राई नहीं होती, जिस से आप का फेस पिगमैंटेशन की समस्या से बच सकता है. सनलाइट से बचने के लिए आप मामाअर्थ अल्ट्रालाइट इंडियन सनस्क्रीन का भी यूज कर सकती हैं. यह एसपीएफ 50 के साथ आता है. यह इंडियंस स्किन टोन के लिए एक अच्छा सनस्क्रीन है.

2. विटामिन सी सीरम है फायदेमंद

पिगमैंटेशन से बचने के लिए आप विटामिन सी सीरम का उपयोग करें. यह आप की स्किन की हिफाजत करता है और टायरोसिनैस की क्रिया को होने से रोकता भी है. टायरोसिनैस का मुख्य काम है मैलानिन का निर्माण करना. अगर रोज विटामिन सी सीरम का इस्तेमाल किया जाए तो हाइपरपिगमैंटेशन की प्रौब्लम धीरेधीरे दूर हो जाएगी.

3. लेजर थेरैपी का औप्शन

अगर आप को क्रीम, सनस्क्रीन और सीरम से कोई फायदा नहीं हो रहा है, तो आप के पास लेजर टैक्नीक का भी औप्शन है. इस में कुछ सैशन लेने पर आप को पिगमैंटेशन से छुटकारा मिल सकता है.

4.ओटीसी प्रोडक्ट्स का यूज

अपनी स्किन के लिए हमेशा ओटीसी प्रोडक्ट्स का ही यूज करें. ओटीसी प्रोडक्ट्स वे होते हैं जिन में ग्लिसरीन, ह्यालुरोनिक ऐसिड और रैटिनोल जैसे मौइस्चराइजिंग ऐजेंट शामिल होते हैं. ये स्किन पिगमैंटेशन और काले धब्बों से छुटकारा पाने में हैल्प करते हैं. स्किन सैल्स को बढ़ाने में भी मदद करते हैं.

5. कोजिक ऐसिड प्रोडक्ट्स का करें इस्तेमाल 

ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिन में अल्फाहाइड्रौक्सी ऐसिड हो. यह पिगमैंटेशन को कम करने के लिए अच्छा है. उन प्रोडक्ट्स्स का यूज करें जिन में विटामिन सी, लीकोरिस रूट और कोजिक ऐसिड जैसे तत्त्व हों. ये टायरोसिनैस को रोक कर हाइपर पिगमैंटेशन को कम करने में हैल्प करते हैं.

6. नीबू और हनी का पेस्ट

जहां नीबू फेस के दागधब्बे हटाने का काम करता है वहीं हनी स्किन को टाइटनैस प्रदान कर के नैचुरल पोषण देता है. पिगमैंटेशन को दूर करने के लिए नीबू और हनी के पेस्ट को 10 मिनट तक पिगमैंटेशन वाले पार्ट पर लगा रहने दें. इस के बाद उस पार्ट को नौर्मल पानी से धो लें.

7. मसूर दाल, दही और कच्चे दूध का पैक

यह पैक स्किन पिगमैंटेशन से छुटकारा दिलाता है. लाल मसूर दाल डैड स्किन सैल्स को हटाने में हैल्प करती है. यह नैचुरल क्लींजर का काम करती है. इस के साथ ही यह एक अच्छा ब्लीचिंग एजेंट भी है. यही कारण है कि यह काले धब्बों को हलका करने में हैल्प करती है.

8. टमाटर ओट्स का फेसपैक

टमाटर में ऐंटीऐजिंग के गुण होते हैं. टमाटर उम्र बढ़ने के संकेतों जैसे पिगमैंटेशन, फाइन लाइंस, रिंकल्स, डार्क सर्कल्स से निबटने में हैल्प करता है. टमाटर एक स्किन लाइटनर की तरह भी काम करता है. इस के यूज से फेस पर एकदम से ग्लो आ जाता है. वहीं दही में मौजूद लैक्टिक ऐसिड स्किन के पोर्स को टाइट करने में मदद करता है. दही दागधब्बों को भी कम करता है.

ओट्स ऐक्सफौलिएटर के रूप में काम कर के डैड स्किन सैल्स को हटा कर स्किन की हैल्दी लेयर लाता है.इन के अलावा आप घर पर ही कुछ फेस पैक बना कर पिगमैंटेशन पर लगा सकती हैं. आप आलू का रस, खीरे का रस, लाल प्याज का रस लगा सकती हैं. इसे लगाने से आप की स्किन में ग्लो आएगा. इस का एक फायदा यह भी है कि पहले जो पिगमैंटेशन बहुत दिखते थे वे अब कम दिखने लगेंगे.इस बात का ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आप स्किन पिगमैंटेशन का इलाज करेंगी, उतनी ही जल्दी आप इन से छुटकारा पा लेंगी.

चांद के पार चलें

हा में आई कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीजा’ में मशहूर शायर कैफ भोपाली ने मीना कुमारी और राजकुमार से यह गाना गवाया भी था कि ‘चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो… हम हैं तैयार चलो…’ सोशल मीडिया पर यह गाना वायरल भी खूब हुआ. जैसे ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया तो साबित यह हुआ कि सपने देखते तो साहित्यकार हैं पर उन्हें सच कर दिखाने का माद्दा सिर्फ वैज्ञानिकों में ही होता है.

वैज्ञानिक उपलब्धियों का श्रेय लेने की होड़ तो कुछ इस तरह थी मानो किसी हाट में टमाटर लुट रहे हों. इस की शुरुआत 20 अगस्त से ही शुरू हो गई थी. देशभर के मंदिरों में पूजापाठ, यज्ञ और हवनों का दौर था. कई जगह तो शिव के अभिषेक भी हुए जिन के गले में चंद्रमा टाई की तरह लटका रहता है. फिर 21, 22 और 23 अगस्त आतेआते तो लोग पगला उठे.चंद्रमा हमारे लिए आस्था का विषय रहा है. उस के नाम पर व्रत, तीज, त्योहार और दानदक्षिणा बेहद आम हैं.

अब इस की पोल खुलने जा रही थी तो धर्म के दुकानदार घबरा से उठे. लिहाजा उन्होंने भजनकीर्तन कर यह जताने की कोशिशों में कोई कमी नहीं छोड़ी कि वैज्ञानिक तो माध्यम मात्र हैं. दरअसल, में ईश्वर ऐसा चाहता है और बिना उस की परमिशन के चांद को छू पाना नामुमकिन है. यह और बात है कि चंद्रयान की सफलता के आयोजनों में भी दोनों हाथों से दक्षिणा बटोरी गई.

भले ही सालों पहले कोई नील आर्मस्ट्रांग चांद पर उतरा था लेकिन अब हमारी बारी थी और बगैर हरिइच्छा के यह या कोई और मिशन कामयाब हो जाए ऐसा हम होने नही देंगे तो चंद्रयान-3 यों ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड नहीं कर गया बल्कि इस के लिए भक्तों ने 72 घंटे बड़ी मेहनत की. पूजापाठ का हिस्सा क्योंदेश के गलीमहल्लों तक में लोग इकट्ठा थे. बहुतों को तो यह भी नहीं मालूम था कि वे क्यों पूजापाठ का हिस्सा बने हैं. ये वे लोग हैं जो कहीं भी कभी भी उस मंदिर के प्रांगण में हाथ जोड़े जा खड़े होते हैं जहां से जय जगदीश हरे की आवाज आ रही होती है.

इन्हें नहीं मालूम कि लैंडर और रोवर किस बला के नाम हैं. इन्हें यह जरूर मालूम है कि अक्षत कब चढ़ाए जाते हैं और स्वाहा कब बोला जाता है. गलियोंनुक्कड़ों तक के मंदिर आबाद हो उठे.काशी, उज्जैन, मथुरा, वृंदावन, प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार, ऋषिकेश सहित अयोध्या में भी स्पैशल अनुष्ठान हुए. वैज्ञानिकों की मेहनत पर भगवान पानी न फेर दे इस के लिए फायर ब्रैंड साध्वी ऋतंभरा ने मथुरा में कई बार हनुमान चालीसा का पाठ किया तो अयोध्या में तपस्वी छावनी के जगतगुरु आचार्य परमहंस के नेतृत्व में चारों वेदों की ऋचाओं का पाठ साधुसंतों ने किया.

इस पर भी जी नहीं भरा तो महामंत्र और विजय मंत्र का भी पाठनवाचन किया गया.श्रेय लेने की होड़छुटभैयों से ले कर ब्रैंडैड मंदिरों में हर कैटेगिरी के साधुसंतों ने ऐसा समां बांधा, इतना हल्ला मचाया कि एक बार तो लगा कि कहीं सचमुच में भगवान खासतौर से कल्कि अवतार जिस की जयंती कुछ दिन पहले ही मनाई गई थी. धरती पर आ कर इन भक्तों के पांव यह कहते न पकड़ ले कि मु   झे बख्शो मेरे बच्चो, चंद्रयान-3 सफल होगा इस का मैं वरदान देता हूं.

सारा श्रेय सनातनी ही ले जा रहे हैं यह खयाल आते ही मुसलिम धर्मगुरु भी जंग के इस मैदान में कूद पड़े. जगहजगह मसजिदों में विशेष नमाज होने लगी. इस से आम मुसलमानों में भी जोश आया कि देश हमारा भी है और कहीं ऐसा न हो कि कल को हमें इस बात पर भी न लताड़ा जाने लगे कि तुम ने तो चंद्रयान-3 की कामयाबी के लिए नमाज तक नहीं पढ़ी इसलिए तुम देशभक्त नहीं हो. दूसरा मकसद ज्यादा अहम था कि हमारा अल्लाह भी तुम्हारे भगवान से कमतर करिश्माई और रसूखदार नहीं.एक दिन में ही पूजापाठ का यह रोग कोरोना वायरस से भी ज्यादा फैला.

जैन मंदिरों में पूजापाठ हुआ, गुरुद्वारों में अरदास का दौर चला. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी इस बाबत खासतौर से दिल्ली के गुरुद्वारे बंगला साहिब गए. और तो और रांची में आदिवासियों ने अपनी आराध्य सरना मां से प्रार्थना की. कुछ गिरिजाघरों में भी प्रार्थना की गई.हम भी पीछे क्यों रहेंयोग गुरु बाबा रामदेव ने भी बहती गंगा में हाथ धोते हुए हरिद्वार में हवन कर डाला.

अच्छा तो उन का यह बताना न रहा कि चंद्रमा पर इतनी दुर्लभ जड़ीबूटियां पाई जाती हैं जो संजीवनी से भी ज्यादा करामाती और कारगर होती हैं. जैसे ही चांद पर आवाजाही आम होगी तो वे और बालकृष्ण वहां जा कर इन्हें लाएंगे और पतंजलि चांद की जड़ीबूटियों से बने प्रोडक्ट लौंच करेगी.माहौल स्कूलकालेजों में भी गरमाया जहां शासन के आदेश पर छात्र और अध्यापक टीवी स्क्रीन के सामने बैठे समोसा कुतरते अगली आइटम का इंतजार कर रहे थे जो 23 अगस्त को ठीक 6 बज कर 4 मिनट के कुछ देर बाद ही नुमाया हुई.

ये देश के ‘यशस्वी’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे जिन के स्क्रीन पर प्रकट होते ही लगा कि प्रार्थनाएं, पूजापाठ और दुआएं जाया नहीं गई हैं  नीचे वाले तो प्रकट हुए. मोदीजी ने संक्षिप्त सारगर्भित संस्कृतनुमा भाषण दिया. तब वे दक्षिण अफ्रीका के सरकारी दौरे पर थे, लेकिन गौरतलब यह कि देश को और चंद्रयान को नहीं भूले थे.भगवान बड़ा या विज्ञानअसल में हम विश्वगुरु तो तब से ही हैं जब विश्व नाम की कोई चीज अस्तित्व में ही नहीं थी.

बकौल सोमनाथ अफसोस तो इस बात का है कि हमारे ज्ञानविज्ञान को यूरोप और दूसरे विदेशियों ने चुराया. मई में यह कहते वक्त उन्होंने ज्ञानविज्ञान की इस दुर्लभ चोरी का रूट बदल दिया था कि हमारे विज्ञान के सिद्धांत अरब देशों से होते हुए पश्चिमी देशों में पहुंचे जबकि हमारे पूर्वज यूरोपियनों के सिर इस महान चोरी और डकैती का इलजाम मढ़ते रहे थे.

सोमनाथ की मानें तो दुनिया में हम कभी उन्नत विज्ञान के मालिक हुआ करते थे.इस के कारण वे गिना भी सकते हैं कि संजय ने धृतराष्ट्र को महाभारत का जो आखों देखा हाल सुनाया था वह दरअसल में आज की तरह का आम वीडियो कौल थी.

लेकिन वे चाह कर भी यह नहीं बता सकते कि पौराणिक युग में खीर और कान के मैल तक से बच्चे कैसे पैदा हो जाते थे, किसी योद्धा का एक सिर कटता था तो दूसरा वह भी हुबहू कैसे आ जुड़ता था, किसी बच्चे की गरदन पर हाथी का सिर वह भी भारीभरकम सूंड सहित कैसे जोड़ दिया जाता था?अंतहीन सवालऐसे सवाल अंतहीन हैं जिन का चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय लेने वाले लीडर से इतना तअल्लुक भर है कि यह सब था लेकिन हम अज्ञानी वक्त रहते इसे न सम   झ पाए और न ही संभाल पाए.

जाहिर है सोमनाथ भी आस्था या किसी लालच, दबाव या विवशता के चलते वह भाषा बोल रहे हैं जो प्रमाण और परिणाम नहीं देती बल्कि मान्यताओं को थोपती है.हम कथित तौर पर लुटे इसलिए कि हम आज भी जातपात, धर्म के पचड़े में पड़े हैं. यह मिशन इसरो टीम की मेहनत, प्रतिभा और कोशिशों से कामयाब नहीं हुआ बल्कि इश कृपा से हुआ है जिस के लिए खुद सोमनाथ जुलाई में खासतौर से तिरुपति के मंदिर में पूजापाठ कर के आए थे.

हरि ने उन की सुन ली तो मुमकिन है वे जल्द ही मन्नत पूरी होने पर फिर तिरुपति जाएं और सूर्य मिशन की तैयारियों में जुट जाएं जिसे हनुमान ने फल सम   झ कर मुंह में ले लिया था. इस पर वे या कोई और यही कहेगा कि हनुमान का मुंह फायरपू्रफ था.अब अहम सवाल यह कि हम बच्चों को क्या पढ़ाएं और युवाओं को क्या सम   झाएं? यह कि एक तरफ तो चंद्रमा उपग्रह साबित हो चुका है और भारत ने उस के दक्षिणी धु्रव पर दस्तक दे दी है. दूसरी तरफ हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं कि चंद्रमा ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक अत्रि की संतान था, जिस की शादी कर्दम मुनि की बेटी अनुसुइया से हुई थी.

चंद्रमा इन्हीं दोनों का बेटा है. चंद्रमा की शादी दक्ष प्रजापति की 27 बेटियों से हुई थी जिन्हें नक्षत्र कहा और माना जाता है. कभी गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था और कभी चंद्रमा ने अपने गुरु बृहस्पति की खूबसूरत पत्नी तारा को अगवा कर उस से ही शादी कर ली थी जिस से बुध पैदा हुआ था. इसे भी ज्योतिष में ग्रह माना गया है.इन किस्सेकहानियों से तो यही जाहिर होता है कि चंद्रमा व्यभिचारी था और तब एकसाथ कई शादियां की जाती थीं.

उधर चंद्रयान से ऐसी कोई तसवीर अभी तक तो सामने नहीं आई है जिस में शादी का मंडप तो दूर की बात है मानवजीवन होने के भी संकेत मिलते हों. हां, इस की संभावनाएं जरूर जताई जा रही हैं कि वहां आदमी को बसाया जा सकता है. कुछ लोगों ने तो चंद्रमा पर जमीन बेचने और खरीदने का भी कारोबार शुरू कर दिया है. चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद तो लगता है कि चंद्रमा रियल ऐस्टेट का केंद्र बन कर रह जाएगा.पौराणिक मान्यताएंमगर 23 अगस्त को एक खास बात यह भी हुई है कि हमारी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं ध्वस्त हो गई हैं.

लेकिन इस से लोग तार्किक सोच पाएंगे ऐसा लग नहीं रहा. यह बात 1 नवंबर को करवाचौथ पर सिद्ध भी हो जानी है. इस दिन महिलाएं चंद्रमा का पूजापाठ करेंगी.लोगों ने चंद्रयान के रोमांचक क्षणों को जीया है तो बाद में उस पर स्वस्थ हंसीमजाक भी जम कर किया है. लेकिन इस पर राजनीति भी जम कर हुई जिस की शुरुआत न्यूज चैनल्स पर बाइट्स दे रहे आम लोगों ने की कि यह तो मोदीजी का कमाल है.

हम उन्हें बधाई देते हैं व उन का आभार व्यक्त करते हैं. मोदीजी के स्क्रीन पर अवतरित होने के बाद तो भक्त ऊपर वाले को भूल कर नीचे वाले इन भगवान का गुणगान करते दिखे जैसे मोदीजी न होते या न चाहते तो चंद्रयान अभियान परवान नहीं चढ़ पाता.व्यक्तिपूजा की मिसालमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो मोदीजी का आभार व्यक्त करते सभी अखबारों में एक पेज का सरकारी विज्ञापन भी छपवा दिया. चाटुकारिता, खुशामद और व्यक्तिपूजा की इस से बड़ी मिसाल शायद ही कहीं मिले. इस खेल में बेचारा इसरो औपचारिक बधाई का पात्र बन कर रह गया.

राहुल गांधी ने तो अपने संदेश में खासतौर से यह कहा कि अंतरिक्ष गतिविधियों ने 1962 में जो जोर पकड़ा था वे अब फलीभूत हो रही हैं. इस बहाने उन्होंने अपने पूर्वजों की योगदान को याद दिलाने की कोशिश की.मगर नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी भगवा गैंग के लिए कोसने के किरदार भर हैं. उन्हें तभी याद किया जाता है जब किसी परेशानी का ठीकरा फोड़ना होता है.

ऐसे में राहुल को यह उम्मीद  नहीं करनी चाहिए कि चंद्रयान की सफलता और इसरो की जहमत कोई उठाएगा.अब चांद पर बसने की सुगबुगाहट ने बहुतों को और रोमांचित कर दिया है. लोग मीना कुमारी और राजकुमार की तरह चांद पर बसने जाने तैयार हैं क्योंकि वे धरती की आपाधापी, नफरत और रोजरोज दुश्वार होती जिंदगी से आजिज आ चुके हैं.

लेकिन लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर आदमी चांद पर बसा तो वह धरती से धर्म और भगवान जरूर ले जाएगा और वहां भी मंदिरमसजिद और चर्च वगैरह बनाएगा. फिर शुरू होगा जातपात का फसाद, धार्मिक दुकानदारी और रंगभेद सहित अमीरीगरीबी का भी भेदभाव. आज जो कल्पना है वह साकार भी होती है यह बात कैफ भोपाली के सच होते शेर से भी साबित होती है.

लड़कों में क्या ढूंढ़ती हैं लड़कियां

‘‘क्या      यार, तुम इतनी अपसैट क्यों हो?’’ नितिन ने अपनी गर्लफ्रैंड निशा से पूछा.निशा रोंआसी हो कर बोली, ‘‘तुम कभी मेरी बात नहीं मानते. मैं कितनी दफा कह चुकी हूं कि अपने आवारा, शराबी, दोस्तों का साथ छोड़ दो खासकर दीपू मु   झे अजीब नजरों से घूरता रहता है.’’‘‘घूरने की चीज हो तो घूर लेता है. सब मानते हैं कि मेरी गर्लफ्रैंड पूरे कसबे में सब से सुंदर है. पर इस बात का घमंड मत रखो क्योंकि तेरे बौयफ्रैंड जैसा दिलदार और स्मार्ट भी पूरे इलाके में कोई नहीं. तभी तो सारे लड़के मेरे आगेपीछे घूमते रहते हैं. मेरे जैसा रईस बाप किसी का नहीं है.

मैं रोज ब्रैंडेड कपड़े पहनता हूं, इंग्लिश में बातें कर लेता हूं और शरीर ऐसा तगड़ा कि 10 को एक हाथ से गिरा दूं. तू और क्या चाहती है? चल आ जा मेरे घर पर. तु   झे भी पूरा संतुष्ट नहीं किया तो मेरा नाम नहीं,’’ कहते हुए उस ने निशा का हाथ जोर से पकड़ते हुए अपनी तरफ खींचा तो उस ने मुंह फेर लिया.यह देख कर नितिन के अहम को चोट लग गई. उसे एक जोर का थप्पड़ जड़ता हुआ बोला, ‘‘अरे तू चाहती क्या है. मुझ से मुंह फेर रही है तो और कौन चाहिए तु   झे?’’‘‘मैं इज्जत चाहती हूं. अपना आत्मसम्मान चाहती हूं. मैं तेरे हाथ की कठपुतली नहीं हूं. मुझे सही अर्थों में प्यार करने वाला चाहिए न कि मु   झ पर हक जमाने वाला. कोई ऐसा जो मेरी केयर करे, मेरी बात सुने. भले ही उस के पास पैसे कम हों, मगर दिल का अच्छा हो, शरीफ हो, लफंगे दोस्तों और नशे से दूर हो. आज के बाद मु   झे हाथ मत लगाना. फोन भी मत करना. मैं तु   झ से अब कभी नहीं मिलना चाहती, ‘‘कह कर और उस का हाथ झटक कर निशा अपने घर आ गई.

इधर नितिन के अहम को गहरी चोट लगी. कई दिनों तक उसे यकीन ही नहीं हुआ कि इतने स्मार्ट और रईस लड़के को कोई लड़की कैसे छोड़ सकती है. वह नहीं सम   झ पाया कि लड़कियों के दिल को पैसा, घमंड और जबरदस्ती नहीं बल्कि प्यार और शराफत से जीता जा सकता है. लड़कियों को वे लड़के पसंद आते हैं जो उन की केयर करते हैं न कि मारतेपीटते हैं.युवा लड़कों के मन में इस बात को ले कर उल   झन रहती है कि लड़कियों को कैसे लड़के पसंद होते हैं.

अकसर देखा जाता है कि कुछ लड़के छिछोरे किस्म के होते हैं तो कुछ शांत स्वभाव के भी होते हैं. ऐसे में कई लड़के यह सम   झने लगते हैं कि वे अपने छिछोरेपन से या अमीरी का जलवा दिखा कर लड़कियों को पटा लेंगे लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं होता.अगर आप के पास बहुत ज्यादा पैसा नहीं है या आप बहुत ज्यादा सुंदर नहीं हैं तो चल सकता है, लेकिन अगर आप के गुण अच्छे नहीं हैं तो ज्यादातर लड़कियां आप को अस्वीकार ही करेंगी.

भले ही हर लड़की एकजैसी नहीं होती. सब की अपनी अलग सोच और अलग पसंद होती है. पर इन बेसिक चीजों पर हर लड़की का ध्यान जाता है:फन लविंग बौयजलड़कियों को अच्छी सैंस औफ ह्यूमर वाले लड़के अच्छे लगते हैं. मतलब जो लड़के खुद भी हंसतेमुसकराते रहते हैं और अपने मजाकिया अंदाज और बातों से दूसरों को भी हंसाते रहते हैं वे लड़कियों को बहुत अच्छे लगते हैं.

1.अच्छी ड्रैसिंग सैंस

लड़कियों का ध्यान लड़के की ड्रैसिंग सैंस पर भी जाता है. अगर आप हमेशा यों ही ऐसेवैसे या बिना प्रैस किए अटपटे कपड़े पहन कर घूमते रहते हैं तो आप लड़कियों की पसंद नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें स्मार्ट और अच्छी ड्रैसिंग सैंस वाले लड़के भाते हैं.

2. प्यार करने वाले

लड़कियां हमेशा ऐसा लड़का ढूंढ़ना चाहती हैं जिस का स्वभाव बहुत ही केयरिंग और लविंग हो. जिन लड़कों की नाक पर हमेशा गुस्सा रहता है और जो चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं लड़कियां उन से दूर ही रहना पसंद करती हैं. बातचीत का आकर्षक लहजा और तमीज से बोलने की आदत भी लड़कियों को आकर्षित करती है.

3. नशाखोर न हो

90% से ज्यादा लड़कियां किसी ऐसे लड़के के साथ दोस्ती करना चाहती हैं जो किसी प्रकार का नशा न करता हो, फिर नशा चाहे कैसा भी हो. चाहे वह शराब हो, बीड़ीसिगरेट हो, नईनई लड़कियों का हो या फिर गुटका बगैरा क्योंकि ऐसे लड़के जब नशे में होते हैं तो उन का मिजाज और व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है. ऐसे में लड़कियां कोई जोखिम नहीं लेना चाहतीं.

4. इनोसैंट लड़के

हालांकि लड़कियों को स्मार्ट और इंटैलिजैंट लड़के पसंद होते हैं पर वे ऐसे लड़कों से भी बचने का प्रयास करती हैं जो बहुत ज्यादा दिमाग लगाते हैं. मतलब जो कुछ ज्यादा ही चालाक होते हैं और हर बात में अपनी चतुराई का नमूना पेश करने की कोशिश करते हैं. लड़की चाहती है कि जिस लड़के के साथ वह जुड़े वह दिल से उस रिश्ते को निभाए दिमाग से नहीं. यही कारण है कि दिल से सोचने वाले और इनोसैंट लड़के लड़कियों को ज्यादा अच्छे लगते हैं.

5. स्मार्ट और बुद्धिमान

लड़कियां अपने बौयफ्रैंड को स्मार्ट और इंटैलिजैंट भी देखना पसंद करती हैं. बेवकूफ और बचकानी हरकतें करने वाले लड़के के साथ कोई भी लड़की दोस्ती नहीं करना चाहती.

6. जो डरपोक न हों

लड़कियां ऐसे लड़कों से दोस्ती करना चाहती हैं जो बहादुर हों. किसी भी डरपोक लड़के के साथ कोई लड़की दोस्ती नहीं करना चाहेगी क्योंकि हर लड़की चाहती है कि वह जिस लड़के के साथ हो वह उसे पूरी तरह सुरक्षित महसूस कराए.

7. जो घरेलू कामकाज में इंटरैस्ट लेते हों

अगर आप छोटेमोटे घरेलू कामकाज में रुचि लेते हैं तो यह आप के एक लिए प्लस पौइंट हो सकता है क्योंकि लड़कियां ऐसे लड़के पसंद करती हैं जो घर के कामकाज में हाथ बंटाते हैं. ऐसे लड़कों को वे अपने भावी पति के रूप में देखना पसंद करती हैं.

8. फिट बौडी वाले लड़के

फिटनैस किसी भी लड़के की पर्सनैलिटी में चार चांद लगाता है और लड़कियां भी इस चीज पर खूब ध्यान देती हैं. अगर आप बिलकुल फिट बौडी के मालिक हैं तो यकीन मानिए लड़की आप को मना नहीं कर पाएगी. लड़कियों को ऐसे लड़के बिलकुल पसंद नहीं होते जिन की तोंद निकली हुई हो.

9. जो इज्जत करना जानते हों

अगर आप लड़कियों की इज्जत करना नहीं जानते और उन लड़कियों के साथ अटपटी हरकतें करते रहते हैं तो आप उन की पसंद कभी नहीं हो सकते. सब से पहले लड़कियों की इज्जत करना सीखिए, उन से तमीज से बात करें, उन्हें फौर ग्रांटेड न लें और उन की भावनाओं की कदर करना शुरू कीजिए. आत्मसम्मान हर लड़की के लिए सब से पहले आता है.

10. आत्मविश्वास और सकारात्मक अप्रोच

जिन लड़कों में आत्मविश्वास की कमी होती है और जो हमेशा नकारात्मक बातें करते रहते हैं ऐसे लड़कों से लड़कियां बचना चाहती हैं. लेकिन अगर आप आत्मविश्वास से भरपूर हैं और यह हमेशा आप के चेहरे और बातों से    झलकता है तो आप किसी भी लड़की को आसानी से पसंद आ सकते हैं.

11. दूसरों की मदद करने वाले

हैल्पफुल नेचर वाले लड़के लड़कियों की पहली पसंद होते हैं. उन्हें यह देख कर अच्छा लगता है कि कोई लड़का सब की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है.

12. अपने काम पर ध्यान देने वाले

जो लड़के आवारागर्दी करते फिरते हैं लड़कियां उन्हें बिलकुल पसंद नहीं करतीं. उन्हें ऐसे लड़के पसंद होते हैं जिन का अपनी लाइफ में कोई मकसद होता है. ऐसे लड़के जिन का ध्यान हमेशा अपने लक्ष्य पर होता है और जो उस के लिए कड़ी मेहनत करते हैं लड़कियों की पहली पसंद होते हैं.

13. शरीफ लड़के

ज्यादातर लड़कियां ऐसे लड़कों की तरफ आकर्षित होती हैं, जो जैंटलमैन हों, जो स्वभाव से बहुत ही सरल और सीधे हों, लेकिन जरूरत पड़ने पर आक्रामक रुख भी अपना सकें. ज्यादातर लड़कों की शराफत लड़कियों को आकर्षित करती है. उन्हें शरमाने वाले लड़के भी पसंद होते हैं. अगर कोई लड़का सब से शरमाता है केवल एक ही लड़की के सामने खुल कर बोलता है तो उस के दिल में जगह बनानी आसान होती है.

14. स्वभाव में गंभीरता

लड़कियां ऐसे लड़कों को पसंद करती हैं जो अपना आत्मसम्मान बनाए रखें. अगर आप ने अपनी फीलिंग्स एक बार उन्हें बता दी हैं तो उन से हर समय उस का जवाब न मांगें. वे किसी बात से परेशान हैं तो उन्हें सलाह देने के बजाय उन की बात सुनें. लड़कियां कई बार सिर्फ इतना चाहती हैं कि कोई लड़का ध्यान दे कर उन की बातें सुनें और उन्हें समझाए.

15. खयाल रखने वाला

लड़कियों को ऐसे लड़के पसंद आते हैं जो केयरिंग हों. लड़कों का केयरिंग स्वभाव लड़कियों को उन के प्रति आकर्षित करता है. हर लड़की को कूल डूड लड़के ही पसंद आते हैं. लड़कियों को हमेशा उन की प्रशंसा करने वाले लड़के अच्छे लगते हैं और वे जो उन के कहे बिना उन की तारीफ करें. लड़कियां चाहती हैं कि अगर वे किसी दिन अधिक आकर्षक लगें, फिट और स्मार्ट दिखें या कोई नया हेयरकट करवाएं तो बौयफ्रैंड उन की प्रशंसा जरूर करें.

मेरे हाथों और बाजुओं पर टैनिंग हो गई है, सबकुछ कर लिया लेकिन फर्क नहीं दिखा, कोई उपाय बताएं?

सवाल

मेरी उम्र 47 साल है. मेरे हाथों और बाजुओं पर टैनिंग हो गई है. सबकुछ कर के देख लिया पर फर्क नहीं पड़ा. स्किन स्पैशलिस्ट से भी मिल चुकी हूं. उन से भी निराशा ही हाथ लगी. हाथ देखने में बहुत बुरे लगते हैं. कोई उपाय बताएं?

जवाब

आप किसी स्किन क्लीनिक से स्किन पौलिशिंग ट्रीटमैंट ले सकती हैं. यह टैनिंग को रिमूव कर के स्किन पर चमक लाता है. इस के अलावा आप जब भी धूप में निकलें अपनी बौडी के खुले भागों पर एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन जरूर लगा लें. घरेलू उपाय के तौर पर संतरे के सूखे छिलके, सूखी गुलाब और नीम की पत्तियां सभी समान मात्रा में लें और दरदरा पीस लें. इस के एक चम्मच पाउडर में 1 चम्मच कैलेमाइन पाउडर, 1/2 चम्मच चंदन पाउडर और खीरे का रस मिला कर पेस्ट बना करे रोजाना अपनी बांहों पर इस से स्क्रब करें. कुछ ही दिनों में त्वचा साफ दिखने लगती है.

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बालों के लिए अच्छा सीरम खरीदना हो तो किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?

जवाब

बालों के लिए हेयर सीरम खरीदने से पहले आप को जानना होगा कि आप किस काम के लिए सीरम खरीद रही हैं. बाजार में 2 तरह के सीरम मिलते हैं. एक स्टाइलिंग के लिए और दूसरा पोषण के लिए. अगर आप के बाल ड्राई हैं तो उन के लिए हेयर स्टाइलिंग सिरम खरीदना होगा. अगर आप के बाल गिर रहे हैं तो आप को पोषण की जरूरत है. उस के लिए पोषण वाला सीरम लेने की जरूरत है. स्टाइलिंग वाला सीरम आप के बालों को सौफ्ट व चमकदार बनाता है. स्टाइल करने में हैल्प करता है. पोषण वाला सीरम आप के बालों को पोषण देता है. इस को स्कैल्प के ऊपर लगा कर मसाज करनी चाहिए. चाहें तो इसे स्पा क्रीम के साथ मिला कर भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

समस्याओं के समाधान ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर, डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा द्य पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी  झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055. स्रूस्, व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

 

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