नास्ते में बनाएं चावल की बड़ी और वैज पोहा बौल्स

सुबह-सुबह नास्ते में क्या बनाएं ये हर महिला की परेशानी है आखिर हेल्दी और टेस्टी डिश कैसे बनाएं. तो चिंता छोड़िए सुबह नास्ते में बनाएं चावल की बड़ी और वैज पोहा बौल्स और भी डिश..

  1. चावल की बड़ी

 सामग्री 

1.   1 कप चावल 

2. 1 हरीमिर्चद्य 

 3. 1/2 कप फूलगोभी कसी

 4.  1/2 चम्मच अदरक कसा

 5.   2 बड़े टमाटर 

 6.  1/4 चम्मच हलदी 

 7. 1/4 चम्मच जीरा 

 8.  1 चम्मच धनिया पाउडर

 9.   1/4 चम्मच गरममसाला 

 10.  1/4 चम्मच लालमिर्च पाउडर 

 11. चुटकीभर हींग

 12.  1 बड़ा चम्मच घी 

 13. तलने के लिए तेल

 14.   1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

 15.   नमक स्वादानुसार. 

 विधि

चावलों को पानी में 1/2 घंटा भिगो कर महीन पीस लें. फिर इस में अदरक, फूलगोभी, हरीमिर्च और नमक मिला कर अच्छी तरह फेंट लें. कड़ाही में तेल गरम कर मिश्रण की छोटीछोटी बडि़यां बना कर तल लें. एक कड़ाही में घी गरम कर जीरा, हलदी, धनिया पाउडर, लालमिर्च पाउडर और हींग डालें. इस में टमाटरों को मिक्सी में पीस कर डाल अच्छी तरह भून लें. 1 कप पानी और बडि़यां डाल कर 8-10 मिनट हलकी आंच पर पकने दें. फिर धनियापत्ती डाल कर परांठों के साथ परोसें.

 2. वैज पोहा बौल्स  

सामग्री  

 1.  1 कप पोहा

 2. 1-1 बड़ा चम्मच लाल, पीली, व हरीमिर्च बारीक कटी

 3.  1 छोटा प्याज बारीक कटा

 4.   2 छोटी गाजर कसी

  5. 2 बड़े चम्मच कच्चा नारियल कसा

  6.  हरीमिर्च बारीक कटी

 7.   1 बड़ा चम्मच तेल

 8.  1 बड़ा चम्मच गाढ़ा दही

 9.   1/2 चम्मच सरसों

 10. करीपत्ता

 11.   हरीमिर्च कटी

 12. नमक स्वादानुसार.  

विधि

पोहे को पानी से धो कर छलनी में पानी निकालने के लिए रखें. फिर इस में सभी शिमलामिर्च, प्याज, हरीमिर्च, कच्चा नारियल, गाजर, दही व नमक मिलाएं. अच्छी तरह मिला कर इस की छोटीछोटी बौल्स बनाएं. फिर स्टीमर में 10-12 मिनट स्टीम करें. कड़ाही में तेल गरम कर सरसों डालें. भुनने पर करीपत्ता और हरीमिर्च डाल कर पोहे की बौल्स डाल अच्छी तरह मिलाएं और फिर एक प्लेट में सजा कर चटनी के साथ परोसें.

3. बाजरा मेथी परांठा 

सामग्री 

1.  2 कप बाजरे का आटा

 2. 1/2 कप मेथी कटी

 3.  1 छोटा टुकड़ा अदरक

 4.  1 हरीमिर्च कटी

 5. 1/4 कप दही

6.  2 छोटे चम्मच तेल

7.  नमक स्वादानुसार.  

विधि

बाजरे के आटे को छान लें. अदरक और हरीमिर्च को पीस लें. बाजरे के आटे में पिसा अदरक, हरीमिर्च, मेथी, तेल और नमक डाल कर दही के साथ आटा गूंध लें. इस आटे की लोइयां बना कर रोटियां बना लें. गरम तवे पर तेल लगा कर दोनों तरफ से सेंकें. गरमगरम परांठे सब्जी के साथ परोसें.

स्तन कैंसर की दवाओं में नए आविष्कारों से महिलाओं के इलाज में मिली मदद

45 वर्षीय अश्विनी (काल्पनिक नाम) बैंगलुरु की रहने वाली हैं और पेशे से डेटा एनालिस्ट हैं. उनके जीवन में तब एक अप्रत्याशित मोड़ आया जब वे अपनी त्वचा की पुरानी समस्या के लिए डॉक्टर के पास गई थीं. कुछ समय से वे अपनी समस्या से कुछ ज्यादा परेशान थीं. उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि डॉक्टर से उनकी यह मुलाकात उन्हें एकदम अप्रत्याशित और मुश्किल रास्ते पर लेकर जाएगी.

डॉक्टर जब उनकी जांच कर रहे थे, अश्विनी ने प्रसंगवश बताया कि उन्हें अपनी ब्रेस्ट में थोड़ी बेचैनी महसूस होती थी. डॉक्टर ने तुरंत उनकी ब्रेस्ट की जांच की और उन्हें किसी ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर रोग विशेषज्ञ) से दिखाने को कहा. ऑन्कोलॉजिस्ट ने मैमोग्राम कराने को कहा और इसमें उनकी ब्रेस्ट में संदेहास्पद गांठ का पता चला. आगे की गई और जांचों में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की पुष्टि हो गई. भारत में कैंसर सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर चिंता का विषय है, जबकि ब्रेस्ट कैंसर मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है. वर्ष 2020 में सभी प्रकार के कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात 13.5त्न और सभी मौतों में 10.6त्न था.

इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर होने के बाद पहले 5 वर्षों तक केवल 66त्न रोगी ही जीवित रह पाते हैं, जबकि विकसित देशों में यह दर 90त्न है. बीएमसीएचआरसी हॉस्पिटल, जयपुर के डायरेक्टर और एचओडी मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. अजय बापना के अनुसार, मुख्यत: जागरूकता और प्रेरणा, इन दो कारणों से महिलायें ब्रेस्ट कैंसर की जांच नहीं करातीं. डॉ. बापना ने कहा, ‘‘अगर महिलाओं को ब्रेस्ट में निप्पल पर या आस-पास की त्वचा में बदलाव जैसी कोई असमान्यता दिखती है, तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए. अगर महिला की उम्र 40 से ज्यादा है, तो उसे इस प्रकार के बदलावों के प्रति ज्यादा सावधान रहना चाहिए और तुरंत अपनी जांच करानी चाहिए.’’अदृश्य लड़ाई में दृढ़ता: अश्विनी की बायोप्सी का नतीजा एचईआर2-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर के लिए पॉजिटिव पाया गया.

ऑन्कोलॉजिस्ट ने तेज उपचार की योजना बनाई जिसमें ट्रैस्टुजुमाब (हर्सेप्टिन) और पर्टुजुमाब (पर्जेटा) मोनोक्लोकल ऐंटीबॉडीज के साथ कीमोथेरेपी और उसके बाद रेडिएशन शामिल था. चूंकि इन दवाओं को खून की नली (आईवी) में दिया जाता है, इसलिए इसमें अस्पताल और रोगी, दोनों पर भारी दबाव पड़ता है. उपचार की प्रक्रिया आम तौर पर अनेक सत्रों में पूरी होती है जिसमें6 महीनों से लेकर एक वर्ष तक का समय लगता है. चूंकि प्रत्येक स्तर में कई-कई घंटे लग जाते हैं, इससे रोगी का दैनिक जीवन बाधित होता है और काम तथा पारिवारिक दायित्वों पर बोझ पड़ता है. अश्विनी ने बताया, ‘‘प्रतीक्षा अवधि विशेषकर लम्बी थी. मेरा मतलब है कि मुझे बिस्तर पर रहना होता और बिस्तर पर ही दवायें दी जायेंगी.

लेकिन मेरे पिता, जो मेरे साथ जाया करते थे, शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित हो गए थे. वे वृद्ध हैं और उन्हें मेरा उपचार पूरा होने तक दिन भर रुकना पड़ता था. कुछ विजिट्स के लिए मेरी बेटी भी मेरे साथ आती थी और वह भी थक जाती थी. हम रात में लौटते और मैं इतनी थकी रहती कि घर का काम नहीं कर सकती थी. मेरे परिवार को हर चीज की देखभाल करनी पड़ती थी.

अश्विनी ने आगे बताया, ‘‘कैंसर का नाम सुनते ही लोग काफी डर जाते हैं. मैं उन्हें सम?ा सकती हूं, क्योंकि यह केवल बीमारी का डर नहीं होता, बल्कि यह उपचार और होने वाली जांचों के असर का डर भी होता है. यह रोगी और परिवार, दोनों के लिए सदमे वाला अनुभव होता है. बंग्लादेश की एक महिला से मेरी दोस्ती थी. उसे चौथे चरण का ब्रेस्ट कैंसर था. हम कैंसर के अपने अनुभवों और परिवार की बातें साझा किया करते. दुर्भाग्य से, मेरे बाद के अपॉइंटमेंट में मुझे उसके गुजर जाने की जानकारी मिली. इस खबर से मुझे बहुत सदमा पहुंचा था.’’ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों के लिए भर्ती-वार्ड दुधारी तलवार होती है.

एक ओर तो यह जीवन की भंगुरता के प्रति अरक्षित करता है तो दूसरी ओर लड़ने की शक्ति की परीक्षा भी लेता है. भर्ती वार्ड में शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर के रोगी, जिनके जीने की संभावना बेहतर होती है, उन्हें भी इस सदमे से गुजरना पड़ता है, क्योंकि उनकी आंखों के सामने कैंसर के ज्यादा गंभीर चरण वाले लोग भी होते हैं. पीड़ा का अत्यंत दुखदायी दृश्य, परिवारों की वेदना और खो चुके जीवन रोगी को भयाक्रांत और हतोत्साहित कर देते हैं.

ठीक अश्विनी की तरह ही अनेक महिला रोगी शारीरिक और भावनात्मक बोझ का सामना करती हैं जिसके कारण उनकी यात्रा ज्यादा कठिन हो जाती है. इसके अलावा, जिन रोगियों को लम्बे समय तक कीमोथेरेपी कराने की जरूरत होती है, उन्हें एक कीमो पोर्ट के माध्यम से दवा दी जाती है, जो सीधे खून के प्रवाह में जाती है. कुछ रोगी इस पोर्ट का इस्तेमाल करने से इनकार करते हैं या इससे झिझकते हैं.डॉ. बापना ने कहा, ‘‘यह प्रतिरोध चीरे या सूई चुभाने की प्रक्रिया, संक्रमण होने और कुल खर्च के डर से पैदा होता है. साथ ही, बहुत कम रोगियों को कैंसर के उपचार में हुई प्रगति की अच्छी जानकारी होती है.

दूर-दराज के इलाकों में, चुनौतियों में स्वास्थ्य देखभाल की विशेषज्ञ सुविधाओं की सीमित सुलभता और भारी वित्तीय बोझ शामिल हैं.’’उपचार में नई खोज: विगत वर्षों में कैंसर के अनुसंधान और उपचार में काफी महत्त्वपूर्ण खोज और प्रगति हुई हैं. इनसे कीमोथेरेपी की मुश्किलों और साइड इफैक्ट को कम करने में मदद मिली है. उदाहरण के लिए, फेस्गो (क्क॥श्वस्त्रहृ) एक नई नियत खुराक वाला उपचार है जिसमें ट्रैस्टूटुमाब और पर्टुटुमाब का मिश्रण है. इसे जांघ में अध:त्वचीय सूई (सबक्यूटेनियस इंजेक्शन) के रूप में दिया जा सकता है और परम्परागत आईवी में लगने वाले 6-7 घंटे की तुलना में महज 5-8 मिनट समय की जरूरत होती है.

इसे अध:त्वचीय (जांघ की त्वचा के नीचे) सूई से देने से रोगी और डॉक्टर, दोनों का समय बचता है. चूंकि, इसे प्रशिक्षित नर्स द्वारा दिया जा सकता है, इसलिए इस विधि के कारण हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स पर दबाव घट जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें कीमो पोर्ट की जरूरत नहीं होती, जिससे रोगी इसे पसंद करती हैं.जैसाकि अश्विनी ने कहा, ‘‘मेरा उपचार जब फेस्गो विधि से होने लगा, तब मैं एक घंटे में अस्पताल से वापस आने में समर्थ हो गई और थकान महसूस किये बगैर घर के काम समाप्त करने में सुविधा होने लगी. समय की बचत के कारण मेरे लिए अपनी बेटी के साथ समय बिताना, उसका मनपसंद खाना पकाना और उसके होमवर्क में मदद करना आसान हो गया.

साथ ही, मुझे अपने ऑफिस से छुट्टी लेने की जरूरत नहीं रही. मैं अस्पताल जाने के दिन को छोड़कर हर दिन काम करती थी, यहां तक कि सप्ताहांत के दिन भी. फेस्गो ने मुझे पीड़ादायक उपचार की प्रक्रिया से बचाया और कैंसर से लड़ने में अपनी इच्छाशक्ति बनाए रखने में मदद की.’’सबक्यूटेनियस इंजेक्शन से मिली सुविधा के कारण रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों के जीवन की गुणवत्ता सुधरी है. इसका एक प्रमुख लाभ यह है कि रोगी कीमो वार्ड के बाहर उपचार प्राप्त कर सकती हैं.

यह अस्पताल में लगने वाला समय कम करता है और कीमो वार्ड के परेशानी भरे माहौल से बचने में मदद करता है. नतीजतन, रोगी में सामान्य अवस्था, आत्मनिर्भरता और निजता का एहसास ज्यादा अच्छी तरह बना रह सकता है.इस विषय में डॉ. बापना ने कहा, ‘‘मेरी सभी रोगी सबक्यूटेनियस थेरेपी से काफी खुश हैं. वे 30 मिनट में घर जाने और सामान्य दैनिक कार्य करने में सक्षम हैं.’’फेस्गो प्रक्रिया में कम से कम समय लगता है, इस प्रकार इससे हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का समय बचता है और वे ज्यादा रोगियों के उपचार में समय देने में समर्थ हो पाते हैं.

लेकिन किसी भी मेडिकल ट्रीटमेंट की तरह लोगों को अपने लिए उपचार की सबसे बढि़या रणनीति तय करने के लिए हेल्थकेयर टीम के साथ अपनी अवस्था पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस प्रकार कैंसर के डरावने रोग से लड़ने के लिए शीघ्र जांच के महत्त्व के बारे में जागरूकता से लेकर रोगी का समय और ऊर्जा बचाने वाले गुणवत्तापूर्ण उपचार तक एक बहुआयामी दृष्टिकोण समय की मांग है.

बदलते मौसम में अपनाएं ये 7 मेकअप टिप्स

अच्छी त्वचा की देखभाल के लिए स्क्रीन रूटीन फॉलो करना बेहद जरूरी होता है. बदलते मौसम में
स्किन ड्राई होने लगती है इस वजह से हमारी त्वचा बेरंग और रूखी हो जाती है. बदलते मौसम में मेकअप का बह जाना, बिगड़ जाना या फिर मनचाहा लुक न आ पाने जैसीसमस्याएं आम होती हैं.

आइए जानें मेकअप करने के लिए कुछ जरूरी टिप्स:

  1. कंसीलर लगाएं

इस मौसम में जरूरी हो तो ही कंसीलर लगाएं. कंसीलर लगाते समय पूरे चेहरे के बजाय आंखों के नीचे और दागधब्बों पर ही कंसीलर अप्लाई करें.

2. फेस कौंपैक्ट

इस मौसम में कौंपैक्ट लगाना जरूरी नहीं है, लेकिन जिन की स्किन औयली होती है उन्हें बदलते मौसम में कौंपैक्ट लगाना चाहिए. बदलते मौसम में अपनी स्किन की जरूरत के अनुसार कौंपैक्ट खरीदें.

3. ब्लशर न लगाएं

इस मौसम में हैवी मेकअप करना ठीक नहीं इसलिए हो सके तो ब्लशर न लगाएं. यदि ब्लशर लगाना ही चाहती हैं तो लाइट पिंक, पीच कलर का ब्लशर अप्लाई करें.

4. बालों को बांधे

इस मौसम में पसीने के कारण बाल चिपचिपे हो जाते हैं इसलिए इस मौसम में बालों को जहां तक हो सके बांध कर रखें. हर दूसरे या तीसरे दिन बाल धोएं.

5. तेज धूप से बचे

इस मौसम में तेज धूप से बालों की हिफाजत करने के लिए घर से बाहर निकलते समय बालों को स्कार्फ से कवर करें.

6. माइल्ड फेसवाश से चेहरा धोएं

इस मौसम में फ्रैश और क्लीन लुक पाने के लिए दिन में 2-3 बार माइल्ड फेसवाश से चेहरा धोएं. मेकअप से पहले चेहरे पर आइस रब करें. आइस रब करने से मेकअप ज्यादा देर तक टिका रहता है.

7. डार्क शेड्स मेकअप से बचे

इस मौसम में डार्क शेड्स का मेकअप जहां काफी हैवी लगता है वहीं लाइट और न्यूड शेड्स का मेकअप फेस को क्लासी लुक देता है, साथ ही ब्लशर के लिए पाउडर ब्लश के बजाय लिक्विड या लिपस्टिक टिंट लगाना बेहतर रहेगा.

ब्यूटिशियन ने मेरी आईब्रोज पतली कर दी, अब मेरी आईब्रो मोटी है और एक पतली है, क्या करूं

सवाल

मैं 17 साल की हूं. कुछ साल पहले एक ब्यूटिशियन ने मेरी आईब्रोज बनाते समय एक पतली कर दी थी. तब से वहां बाल आए ही नहीं. अब मेरी एक आईब्रो मोटी है और एक पतली जिस की वजह से मेरी शकल बहुत खराब लगती है. क्या कोई क्रीम लगाने से फायदा हो सकता है? 

जवाब

इस समस्या का क्रीम से कोई हल नहीं होगा. आजकल इस का इलाज बहुत जल्दी किया जा सकता है. जो आईब्रो पतली है उसे परमानैंट मेकअप से कलर किया जा सकता है. यह मेकअप 10-15 साल तक रहता है. इस का कोई साइडइफैक्ट भी नहीं है. इस के लिए किसीअच्छे कौस्मैटिक क्लीनिक में जाना जरूरी है क्योंकि यह मेकअप परमानैंट और फिर बदला नहीं जा सकता. करने वाला ऐक्सपर्ट होना चाहिए. करते समय हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. आप के लिए अलग से नीडल का इस्तेमाल होना चाहिए और कलर का भी अलग से इस्तेमाल होना चाहिए. अच्छे प्रोडक्ट का इस्तेमाल होना भी बहुत जरूरी है.

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मेरी त्वचा ड्राई है. उस पर क्रीम लगाती हूं तो कुछ ही देर में वह काली सी नजर आने लगती है. कालापन हटाने के लिए साबुन से धोते ही सफेद चकत्ते पड़ जाते हैं. मैं क्या करूं? 

जवाब

आप को यह समस्या त्वचा में पानी की कमी के कारण हो सकती है. इस किस्म की त्वचा को डीहाइड्रेटेड स्किन कहते हैं. आपको ऐसा उपचार चाहिए जिस में आप की त्वचा के अंदर पानी ठहर सके और सब से अच्छा उपाय है आयोनाइजेशन. किसी अच्छे क्लीनिक में इस ट्रीटमैंट को लें. इस में आप की त्वचा के भीतर कुछ ऐसे मिनरल डाल दिए जाते हैं जो त्वचा के अंदर पानी को ठहराने में मदद करते हैं.आयोनाइजेशन के साथसाथ लेजर ऐंड यंग स्किन मास्क  की सिटिंग भी फायदा पहुंचा सकती है. कुछ घरेलू उपाय भी किए जा सकते हैं. आप के चेहरे पर नमी की आवश्यकता है. आप मौइस्चराइजिंग क्रीम लगाएं. ग्लिसरीन, नीबू कारस और गुलाबजल को बराबरमात्रा में मिला कर रख लें. इसेरोज रात को चेहरे पर लगा कर सोएं. सोयाबीन के पाउडर मेंशहद मिला कर चेहरे पर लगाएं.10 मिनट बाद धो लें. इस से भी आप की त्वचा खूबसूरत हो जाएगी और मौइस्चराइज भी रहेगी.

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

ताकि औरतों का मुंह बंद रहे

यूनिफौर्म सिविल कोड का मसला कश्मीर और 3 तलाक की तरह कट्टर हिंदुओं को बहुत भाता है. उन्हें लगता है कि मुसलिम पुरुष 4-4 शादियां कर के मौज करते हैं और बच्चे पैदा कर अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं. वे यह भूल जाते हैं कि अगर मुसलमानों के लिए भी एक ही शादी की लिमिट कानूनी हो जाए तो भी समाज एक से ज्यादा शादियां होते रहने देगा और पहली औरतें सिवा अपने कमाऊ, घर मुहैया कराने वाले खाविंद को जेल भेज कर खुद बेकार हो जाएंगी.

हर समाज में सुधार होते रहने चाहिए और दुनिया को तार्किक व बराबरी के लक्ष्य की ओर चलते रहना चाहिए पर आज का हिंदू पारिवारिक कानून अभी भी पौराणिक नियमों के हिसाब से चल रहा है और यूनिफौर्म सिविल कोड इस हिस्से को छूने की भी कोशिश नहीं कर सकता क्योंकि इस से पंडों की रोजीरोटी का सवाल जुड़ा है.आज कितने हिंदू परिवार हैं जो कुंडली देख कर शादी नहीं करते?

आज कितने घर दूसरी जाति में शादी बड़ी खुशीखुशी कर देते हैं? 1956 और 2005 के कानूनों के बावजूद कितनी औरतों को पिता की संपत्ति में हिस्सा और बराबर का हिस्सा मिल रहा है?आज कितने हिंदू परिवार हैं जिन में बेटे की चाह नहीं है? कितने घर हैं जिन में बेटी अपने पिता का घर शादी पर छोड़ कर पति के पिता के घर नहीं जाती? बराबरी के कानून की बात करने वाले क्या साबित कर सकते हैं कि सभी हिंदू गरीब दलित गरीब परिवारों में 2 से कम बच्चे पैदा हो रहे हैं?

कानून में बदलाव समाज की मांग पर होना चाहिए पर विज्ञान के युग में जब इसरो के चेयरमैन खुद पाखंडबाजी करते हुए पूजापाठ कर सफल चंद्रयान-3 प्रोजैक्ट का धन्यवाद किसी मंदिर को देते हैं और प्रधानमंत्री उस स्थान का नाम हिंदू देवता शिव पर रखते हैं तो हम कौन सी आधुनिकता, कौन सी बराबरी की बात कर रहे हैं?जैसे 3 तलाक के बारे में कानून बनने पर हिंदुओं के कलेजे में ठंडक तो पड़ गई पर यह आंकड़ा किसी के पास नहीं होगा कि क्या मुसलिम औरतें तलाक की त्रासदी से बच गईं?

जब हिंदू औरतें ही कानूनी ढाल के बावजूद तलाक देने या न देने पर वर्षों अदालतों के चक्कर काटती रहती हैं तो कौन सी बराबरी की बात करते हैं?आज हिंदू औरतों के लिए सामाजिक सुधारों की जरूरत है कि वे कलश उठाए सड़कों पर नंगे पैर चलने को मजबूर न हों, कि वे घंटों घर का काम टाल कर घंटों किसी जगह बैठ कर घंटियां न बजाएं, कि वे विधवा या तलाकशुदा होने पर समाज से बहिष्कृत न की जाएं, कि वे भाई से बराबर का हिसाब मांगने पर घर तोड़ने वाली संस्कारहीन न कहलाएं जबकि उन के 2 भाई घर तोड़ दें तो कोई उंगली नहीं उठाता.

अगर देश में पितृसत्तात्मक समाज है तो बहुसंख्यक होने के कारण वह हिंदू समाज ही है जिस की केवल कुछ चुनिंदा औरतें अपना वजूद रखती हैं. यूनिफौर्म सिविल कोड एक भ्रांति को पूरा करने के लिए एक खाई को चौड़ा करने का काम है. यह सुधार मुसलिम महिलाओं को मांगना चाहिए. उन्हें पढ़ने के मौके दिए जाने चाहिए पर जब हिंदू लड़कियां ही पढ़लिख कर किट्टी पार्टियों और सत्संगों में अपना समय काट रही हैं तो उस पढ़ाई का भी क्या फायदा?ये यूसीसी का शिगूफा केवल औरतों का मुंह बंद करने के लिए है. इस चक्कर में हिंदू कानूनों के सुधारों की बात उठनी बंद हो चुकी है.

जो हिंदू सुधार की बात करता है उसे हिंदू धर्म विरोधी कहने को देर नहीं लगती है. वे औरतें अरबन नक्सल कही जाने लगती हैं, देशद्रोही मानी जाने लगती हैं क्योंकि वे पुराणसम्मत नियम जिन का जीताजागता उदाहरण नरेंद्र मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन के समय दिया था.यूनिफौर्म सिविल कोड की यूनिफौर्म मैनेबिलिटी और ऐक्स्पटेबिलिटी कोड जो तर्क व विज्ञान पर आधारित हो बनना जरूरी है.

एनकोर ट्रेनिंग प्रोग्राम

अग्रणी ग्लोबल गैस कंपनी लिंडे ने हाल ही में एक कार्यक्रम एनकोर लॉन्च किया है जो विशेष रूप से उन महिला प्रोफेशनल्स के लिए तैयार किया गया है जो लंबे अंतराल के बाद अपने करियर को फिर से शुरू करना चाहती हैं.

एनकोर कार्यक्रम का उद्देश्य उन महिला प्रोफेशनलों की प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करना है जो वर्तमान में करियर ब्रेक पर हैं और फिर से कौशल हासिल करने और प्रशिक्षित होने की तलाश में हैं. एनकोर प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्कफोर्स के भीतर लिंग समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

यह कार्यक्रम ऑपरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन, सेल्स और फाइनेंस जैसे विभिन्न डोमेन में एक व्यापक सीखने का अनुभव प्रदान करता है जो प्रतिभागियों को अनुभवी प्रोफेशनल्स के साथ काम करने की अनुमति देता है. एनकोर प्रशिक्षण कार्यक्रम उन महिला प्रोफेशनल्स की क्षमता और कौशल का लाभ उठाने का प्रयास करता है जिन्होंने विभिन्न कारणों से अस्थायी रूप से अपने काम से दूरी बनाई है. इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आवेदकों के पास अपने काम से ब्रेक से पहले का कम से कम 3 वर्ष का कार्य अनुभव होना चाहिए.पेश हैं लिंडे इंडिया की मानव संसाधन अधिकारी ( एचआर हेड) नीता चक्रवर्ती से की गई बातचीत के अंश:नौकरी से ब्रेक लेने के बाद दोबारा काम शुरू करने में महिलाओं को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?

आज की तेज गति और टेक्नोलॉजी ओरिएंटेड, भागदौड़ भरी दुनिया में लगातार आगे बढ़ने का दबाव रहता है. परिणामस्वरूप अधिकांश महिलाओं के लिए यह महसूस करना सामान्य है कि वे अपने करियर के प्रति उदासीन हैं और उनके साथी उनसे बहुत आगे हैं. एक अन्य पहलू जो प्रबल हो सकता है वह है प्रौद्योगिकी से संबंधित विकास. निश्चित रूप से महिलाओं के इस डर को कम कर के नहीं आंका जा सकता है कि उन के करियर ब्रेक को भावी नियोक्ता सकारात्मक रूप से नहीं देखेंगे.

लिंडे लैंगिक समानता और महिलाओं की प्रगति के लिए कैसे काम कर रही है?लिंडे सक्रिय रूप से समावेशी और समकालीन कर्मचारी नीतियों, करियर विकास कार्यक्रमों, जेंडर सेंसिटिविटी ट्रेनिंग, एम्प्लोई रिसोर्स ग्रुप, निष्पक्ष रिक्रूटमेंट प्रक्रिया जैसे उपायों के माध्यम से लैंगिक समानता और महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा देती है. यह व्यापक दृष्टिकोण एक समावेशी वातावरण बनाने के लिए लिंडे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जहां महिलाएं उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं और योगदान दे सकती हैं.

लिंडे कंपनी के एनकोर प्रोग्राम के बारे में बताएं कि यह महिलाओं के लिए कैसे उपयोगी है?एनकोर लिंडे की उन महिला प्रोफेशनलों के लिए करियर के मामले में सक्षम बनाने की पहल है, जिन्होंने अपने करियर में तीन से पांच साल का ब्रेक लिया है. एनकोर उन महिलाओं की मदद करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिन्होंने अपने करियर में ब्रेक लिया है ताकि उन्हें करियर सक्षम प्रशिक्षण दिया जा सके, जिससे उन्हें अपनी दूसरी पारी में एक अच्छा करियर सुरक्षित करने में मदद मिलेगी.

एनकोर एक व्यापक 12-18 महीने का कार्यक्रम है जहां महिलाओं को विशिष्ट जिम्मेदारियों का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित और कुशल बनाया जाता है ताकि वे अपने संबंधित क्षेत्रों में नौकरी के लिए आवेदन करने और अपने करियर में अपनी दूसरी पारी को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकें.

एक महिला होने के नाते क्या आपको कार्यस्थल पर कभी किसी तरह की परेशानी महसूस हुई है? घर और ऑफिस को एक साथ संभालना कितना मुश्किल था?प्रत्येक कार्यस्थल का अनुभव भिन्न होता है और काफी हद तक उस आर्गेनाइजेशन के कल्चर पर निर्भर करता है. एक महिला के रूप में प्रोफेशनल जिम्मेदारियों के बीच अच्छा संतुलन बनाना अक्सर एक चुनौती बन जाती है. हालांकि मेरे लिए घर पर एक अच्छेसपोर्ट सिस्टम का होना, काम में लचीलापन और मेरे करियर में आगे बढ़ने की तीव्रइच्छा ने मुझे इससे आसानी से निबटने में मदद की है.

बहुत सी महिलाओं ने कार्यस्थल में चुनौतियों का सामना करने की बात स्वीकारी है जैसे असमान वेतन, लैंगिक पूर्वाग्रह, उन्नति के सीमित अवसर और काम व पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष आदि. घर और कार्यालय दोनों को मैनेज करना कठिन हो सकता है, जिसके लिए प्रभावी टाइम मैनेजमेंट, सपोर्ट सिस्टम और लचीली कार्य-व्यवस्था की आवश्यकता होती है.

यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है किप्रत्येक महिला का अनुभव, उसके कल्चर, इंडस्ट्री और व्यक्तिगत परिस्थितियों आदि के आधार पर अलग होता है. कई महिलाएं मजबूत सपोर्ट नेटवर्क्स, सही संवाद, प्राथमिकता निर्धारण और कार्य जीवन संतुलन को बढ़ावा देने वाली कार्यस्थल नीतियों की तलाश के माध्यम से इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करती हैं.

अंधविश्वास की दलदल: भाग 2- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

हमारे पिछले रिलेशन के बारे में कुछ न बता कर, हम ने एकदूसरे का परिचय सब के सामने रखा. वरुण, प्रतीक से हाथ मिलाते हुए बातें करने लगे और मैं प्रतीक की पत्नी नंदा से बातें करने लगी. थोड़ी देर में ही पता चल गया कि वह कितनी तेजतरार्र औरत है. बस अपनी ही हांके जा रही थी और बीचबीच में मेरे हाथों में डायमंड जड़ी चूडि़यां भी निहारे जा रही थी.

कुछ देर बाद जैसे ही हम चलने को हुए, अपनी आदत के अनुसार वरुण कहने लगे, ‘‘अब ऐसे सिर्फ हायहैलो से काम नहीं चलेगा. परसों क्रिसमस की छुट्टी है. आप सब हमारे घर खाने पर आमंत्रित हैं.’’ प्रतीक के न करने पर वरुण ने उस की एक न सुनी. मुझे वरुण पर गुस्सा भी आ रहा था. क्या जरूरत थी तुरंत किसी को अपने घर बुलाने की? प्रतीक मुझे देखने लगा, क्योंकि मुझे पता था वह भी मेरे घर नहीं आना चाह रहा होगा. पर वरुण को कौन समझाए. मजबूरन मुझे भी कहना पड़ा, ‘‘आओ न बैठ कर बातें करेंगे.’’

याद करना तो दूर, अब प्रतीक कभी भूलेबिसरे भी मेरे खयालों में नहीं आता था. पर आज अचानक उसे देख जाने मेरे मन को क्या हो गया. वरुण ने अपने फोन नंबर के साथ घर का पता भी प्रतीक को मैसेज कर दिया.

रास्ते भर मैं प्रतीक और उस की फैमिली के बारे में सोचती रही. मां ने ही तो बताया था मुझे. मेरे बाद प्रतीक के लिए कितने रिश्ते आए और कुंडली न मिलने के कारण लौट गए. हां, यह भी बताया था मां ने कि प्रतीक की जिस लड़की से शादी तय हुई है उस से प्रतीक के 28 गुणों का मिलान हुआ है. लेकिन प्रतीक और उस की पत्नी को देख कर लग नहीं रहा था कि दोनों के एक भी गुण मिल रहे हों. खैर, मुझे क्या. माना हमारा रिश्ता न हो पाया पर वरुण जैसा इतना प्यार करने वाला पति तो पाया न मैं ने.

घर आ कर हम ने थोड़ी बहुत इधरउधर

की बातें की और सो गए. सुबह उठ कर बच्चों को स्कूल भेज कर हमेशा की तरह हम जौगिंग पर निकल गए. वरुण बातें करते रहे और मैं उन की बातों पर सिर्फ हांहूं करती रही. मेरे मन में बारबार यही सवाल उठ रहे थे कि जन्मपत्री मिलान के बावजूद प्रतीक खुश था अपनी पत्नी के साथ? क्या सच में दोनों का मन मिल रहा था? चाय पीते हुए भी बस वही सब बातें चल रही थी मेरे दिमाग में. वरुण ने टोका भी कि क्या सोच रही हो, पर मैं ने अपना सिर हिला कर इशारों में कहा, ‘‘कुछ नहीं.’’ वरुण को औफिस भेज कर मैं भी अपने बैंक के लिए निकल गई.

रात में खाना खाते वक्त वरुण कहने लगे, ‘‘मीरा, कल मुझे औफिस जाना पड़ेगा. जरूरी मीटिंग है और हो सकता है लेट आऊं. मेरी तरफ से प्रतीक और उस के परिवार को सौरी बोल देना.’’

मुझे वरुण पर बहुत गुस्सा आया. मुझे गुस्सा होते देख कहने लगे, ‘‘सौरी… सौरी… अब इतना गुस्से से भी मत देखो. क्या बच्चे की जान लोगी?’’ और बच्चों के सामने ही मेरे गालों को चूमने लगे. वरुण की यह आदत भी मुझे नहीं पसंद थी. वे बच्चों के सामने ही रोमांस शुरू कर देते और बच्चे भी ‘हो… हो… पापा’ कह कर मजे लेने लगे.

दूसरे दिन वरुण अपने औफिस के लिए निकल गए और थोड़ी देर बाद बच्चे भी यह कह कर घर से निकल गए कि उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर फिल्म जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब मैं क्या करूंगी? सोचा चलो खाने की तैयारी ही कर लेती हूं क्योंकि अकेली हूं तो खाना बनाने में वक्त भी लगेगा और घर को भी व्यवस्थित करना था, तो लग गई अपने कामों में.

दोपहर के करीब 1 बजे वे लोग हमारे घर आ गए. मैं ने उन्हें बैठाया और पहले सब को जूस सर्व किया. फिर कुछ सूखा नाश्ता टेबल पर लगा दिया. प्रतीक ने वरुण और बच्चों के बारे में पूछा तो मैं ने उसे बताया, ‘‘उन्हें किसी जरूरी मीटिंग में जाना था इसलिए… लेकिन सामने वरुण को देख कर मुझे आश्चर्य हुआ, ‘‘वरुण, आप तो…?’’

‘‘हां, मीटिंग कैंसिल हो गई और अच्छा ही हुआ. बोलो कोई काम बाकी है?’’ वरुण ने कहा.

‘‘नहीं सब तैयार है,’’ मैं ने कहा.

खानापीना समाप्त होने के बाद हम बाहर लौन में ही कुरसी लगा कर बैठ गए. हम बातें कर रहे थे और बच्चे वहीं लौन में खेल रहे थे. लेकिन मेरा ध्यान प्रतीक के बेटे पर चला जाता जो कभी झूला झूलता तो कभी झूले को ही झुलाने लगता. उस की प्यारी शरारतों पर मैं मंदमंद मुसकरा रही थी. फिर मुझ से रहा नहीं गया तो मैं उस के पास जा कर उस से बातें करने लगी, ‘‘क्या नाम है तुम्हारा?’’ मैं ने पूछा तो उस ने तुतलाते हुए कहा, ‘‘अंछ है मेला नाम.’’

‘‘अंश, अरे वाह, बहुत ही सुंदर नाम है तुम्हारा तो.’’ उस की तोतली बातों पर मुझे हंसी आ गई. लेकिन अचानक से जब मेरी नजर प्रतीक पर पड़ी तो मैं सकपका गई. पता नहीं कब से वह मुझे देखे जा रहा था. मुझे लगा शायद वह मुझ से बहुत कुछ कहना चाह रहा था, कुछ बताना चाह रहा था, लेकिन अपने मन में ही दबाए हुए था.

‘‘ठीक है अब चलते हैं,’’ कह कर प्रतीक उठ खड़ा हुआ पर वरुण ने यह कह कर उन्हें रोक लिया कि एकएक कप चाय हो जाए. जिसे प्रतीक ठुकरा नहीं पाया. मैं चाय बनाने जा ही रही थी कि नंदा भी मेरे पीछेपीछे आ गई और कहने लगी, ‘‘हमारे आने से ज्यादा काम बढ़ गया न आप का?’’

‘‘अरे ऐसी बात नहीं नंदाजी. अच्छा अपने बारे में कुछ…?’’ अभी मैं बोल ही रही थी कि मेरी बात बीच में काटते हुए कहने लगी, ‘‘मैं अपने बारे में क्या बताऊं मीराजी, मेरा तो मानना है आप जैसी नौकरी करने वाली औरतें ज्यादा खुश रहती हैं, वरना हम जैसी गृहिणी तो बस काम और परिवार में पिसती रह जाती हैं. अब हमें ही देख लीजिए, दिन भर बस घर और बच्चों के पीछे पागल रहती हूं. ऊपर से मेरी सास, कुछ भी कर लो उन्हें मुझ से शिकायत ही लगी रहती है. कुछ तो काम है नहीं, बस दिन भर बकबक करती रहती हैं. अरे, मैं ने तो प्रतीक से कितनी बार कहा जा कर इन्हें गांव छोड़ आइए, आखिर हमारी भी तो जिंदगी है कब तक ढोते चलेंगे इस माताजी को पर नहीं, इन्हें मेरी बात सुननी ही कहा है.’’

‘Jaane Jaan’ की स्क्रीनिंग पर पहुंचे लव वर्ड्स तमन्ना भाटिया- विजय वर्मा, फैंस ने दिया प्यार

विजय वर्मा बॉलीवुड के अभिनेता हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी. एक्टिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, विजय को कई फिल्मों में देखा गया. हालांकि, वह काफी सालों बाद 2016 में फिल्म पिंक में शानदार अभिनय के बाद वह फेमस हुए. तब से, उन्होंने कई  बेव सीरिज और बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्में दी है.

वर्तमान में, विजय अपनी अपकमिंग ओटीटी फिल्म ‘जाने जान’ को प्रमोट कर रहे हैं. सीरिज की रिलीज से पहले आज, मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म की टीम ने एक स्क्रीनिंग का आयोजन किया जिसमें बी-टाउन के कई सितारों ने भाग लिया.

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की ओटीटी डेब्यू सीरिज ‘जाने जान’ की मुंबई में बीती रात को स्क्रीनिंग रखी गई. इस स्क्रीनिंग में कई बॉलीवुड सितारों ने शिरकत की. वहीं इस स्क्रीनिंग के दौरान फिल्म से ज्यादा चर्चा विजय वर्मा की गर्लफ्रेंड तमन्ना भाटिया की. स्क्रीनिंग के समय दोनों कपल साथ में पोज देते हुए खुश नजर आ रहे थे. दोनों ने पैपराजी को पोज दिए और दूसरे सेलेब्स के साथ हंसी मजाक मस्ती में बाते की.

 

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तम्मना भाटिया और विजय वर्मा

‘जाने जान’ की इवेंट में सभी का ध्यान न्यू लव वर्ड्स तम्मना भाटिया और विजय वर्मा पर खींच लिया. वहीं दोनों हाथों में हाथ डलकर स्क्रीनिंग पर पहुंचे. इस दौरान दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे थे.

लुक की बात करें तो विजय वर्मा ब्लैक शर्ट के साथ गोल्डन पैंट और ब्लेजर में स्टाइलिश लग रहे थे. वहीं, ब्लू ड्रेस में तमन्ना भाटिया का ग्लैमर ऑन-पॉइंट था. हाई स्लीक हेयर बन, हाई हील्स और न्यूड मेकअप में वह खूबसूरत लग रही थीं.

 

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तमन्ना भाटिया और विजय वर्मा का वर्कफ्रंट

तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करने वाली भारतीय अभिनेत्री तम्मना को विजय वर्मा के साथ लस्ट स्टोरीज़ 2 में देखा गया था. इसके बाद वह तमिल फिल्म जेलर और तेलुगु भाषा में भोला शंकर लेकर आईं. वेदा 2024 में उनका अगला हिंदी प्रोजेक्ट होगा. वहीं विजय वर्मा की बात करें, तो ‘जाने जान’ के बाद वह अफगानी स्नो और मर्डर मुबारक में नजर आएंगे.

अनुज के बर्थडे पर बरखा ने खूब किया हंगामा, अनुपमा हुई परेशान

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी वजह से ये शो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में रहता है. सीरियल के कलाकर अपने किरदार से अपनी छाप दर्शकों में छोड़ते है. इसी वजह से अनुपमा की स्टार कस्ट दर्शकों की चाहेती है. इस सीरियल  में अनुपमा का रोल करने वाली रुपाली गांगुली और बरखा का किरदार निभाने वाली अश्लेषा सावंत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वैसे तो बरखा और अनुपमा दोनों स्क्रीन पर काफी लड़ते है लेकिन रियल लाइफ में दोनों सेट पर काफी मास्ती करते है.

अश्लेषा सावंत और रुपाली गांगुली का वीडियो हुआ वायरल

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के सेट से रुपाली गांगुली और अश्लेषा सावंत का वीडियो काफी वायरल हो रहा है. ये वीडियो है कपाडिया हाउस में अनुज का बर्थडे सेलिब्रेशन की तैयारियो के बीच शूट हुआ है. इस वीडियो में बरखा यानी अश्लेषा एक ट्रॉली पर चढ़ी हुई हैं और खूब डांस कर रही है. उस ट्रॉली को एक शख्स आगे पीछे भी कर रहा है.

 

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इस वीडियो में रुपाली भी नजर आ रही हैं, जो बरखा की हरकतों से तंग आ गई हैं. रुपाली अपने सिर पर हाथ लगाए दिख रही हैं. दोनों का ये वीडियो काफी मजेदार है. इस वीडियो पर दोनों के फैंस कमेंट कर रहे हैं. हर किसी ने दोनों को साथ देखकर खुशी जाहिर की है.

रुपाली को खूब तंग करती है अश्लेषा

‘अनुपमा’  के सेट से सबसे ज्यादा मजेदार वीडियो अश्लेषा शेयर करती है. वह रुपाली की टांग खीचनें में एक भी मौका नहीं छोड़ती है. दरअसल, एक बार अश्लेषा ने रुपाली का सोते हुए वीडियो शेयर किया था. ये वीडियो स्टार परिवार के अवार्ड की रात अगले दिन का है, जिसमे रुपाली अवार्ड नाइट खत्म करते ही कुछ देर बाद सेट पर आ गई थी. इसी वजग से वह अपनी नींद पूरी करती नजर आ रही थी.

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