अंधविश्वास की दलदल: भाग 2- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

हमारे पिछले रिलेशन के बारे में कुछ न बता कर, हम ने एकदूसरे का परिचय सब के सामने रखा. वरुण, प्रतीक से हाथ मिलाते हुए बातें करने लगे और मैं प्रतीक की पत्नी नंदा से बातें करने लगी. थोड़ी देर में ही पता चल गया कि वह कितनी तेजतरार्र औरत है. बस अपनी ही हांके जा रही थी और बीचबीच में मेरे हाथों में डायमंड जड़ी चूडि़यां भी निहारे जा रही थी.

कुछ देर बाद जैसे ही हम चलने को हुए, अपनी आदत के अनुसार वरुण कहने लगे, ‘‘अब ऐसे सिर्फ हायहैलो से काम नहीं चलेगा. परसों क्रिसमस की छुट्टी है. आप सब हमारे घर खाने पर आमंत्रित हैं.’’ प्रतीक के न करने पर वरुण ने उस की एक न सुनी. मुझे वरुण पर गुस्सा भी आ रहा था. क्या जरूरत थी तुरंत किसी को अपने घर बुलाने की? प्रतीक मुझे देखने लगा, क्योंकि मुझे पता था वह भी मेरे घर नहीं आना चाह रहा होगा. पर वरुण को कौन समझाए. मजबूरन मुझे भी कहना पड़ा, ‘‘आओ न बैठ कर बातें करेंगे.’’

याद करना तो दूर, अब प्रतीक कभी भूलेबिसरे भी मेरे खयालों में नहीं आता था. पर आज अचानक उसे देख जाने मेरे मन को क्या हो गया. वरुण ने अपने फोन नंबर के साथ घर का पता भी प्रतीक को मैसेज कर दिया.

रास्ते भर मैं प्रतीक और उस की फैमिली के बारे में सोचती रही. मां ने ही तो बताया था मुझे. मेरे बाद प्रतीक के लिए कितने रिश्ते आए और कुंडली न मिलने के कारण लौट गए. हां, यह भी बताया था मां ने कि प्रतीक की जिस लड़की से शादी तय हुई है उस से प्रतीक के 28 गुणों का मिलान हुआ है. लेकिन प्रतीक और उस की पत्नी को देख कर लग नहीं रहा था कि दोनों के एक भी गुण मिल रहे हों. खैर, मुझे क्या. माना हमारा रिश्ता न हो पाया पर वरुण जैसा इतना प्यार करने वाला पति तो पाया न मैं ने.

घर आ कर हम ने थोड़ी बहुत इधरउधर

की बातें की और सो गए. सुबह उठ कर बच्चों को स्कूल भेज कर हमेशा की तरह हम जौगिंग पर निकल गए. वरुण बातें करते रहे और मैं उन की बातों पर सिर्फ हांहूं करती रही. मेरे मन में बारबार यही सवाल उठ रहे थे कि जन्मपत्री मिलान के बावजूद प्रतीक खुश था अपनी पत्नी के साथ? क्या सच में दोनों का मन मिल रहा था? चाय पीते हुए भी बस वही सब बातें चल रही थी मेरे दिमाग में. वरुण ने टोका भी कि क्या सोच रही हो, पर मैं ने अपना सिर हिला कर इशारों में कहा, ‘‘कुछ नहीं.’’ वरुण को औफिस भेज कर मैं भी अपने बैंक के लिए निकल गई.

रात में खाना खाते वक्त वरुण कहने लगे, ‘‘मीरा, कल मुझे औफिस जाना पड़ेगा. जरूरी मीटिंग है और हो सकता है लेट आऊं. मेरी तरफ से प्रतीक और उस के परिवार को सौरी बोल देना.’’

मुझे वरुण पर बहुत गुस्सा आया. मुझे गुस्सा होते देख कहने लगे, ‘‘सौरी… सौरी… अब इतना गुस्से से भी मत देखो. क्या बच्चे की जान लोगी?’’ और बच्चों के सामने ही मेरे गालों को चूमने लगे. वरुण की यह आदत भी मुझे नहीं पसंद थी. वे बच्चों के सामने ही रोमांस शुरू कर देते और बच्चे भी ‘हो… हो… पापा’ कह कर मजे लेने लगे.

दूसरे दिन वरुण अपने औफिस के लिए निकल गए और थोड़ी देर बाद बच्चे भी यह कह कर घर से निकल गए कि उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर फिल्म जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब मैं क्या करूंगी? सोचा चलो खाने की तैयारी ही कर लेती हूं क्योंकि अकेली हूं तो खाना बनाने में वक्त भी लगेगा और घर को भी व्यवस्थित करना था, तो लग गई अपने कामों में.

दोपहर के करीब 1 बजे वे लोग हमारे घर आ गए. मैं ने उन्हें बैठाया और पहले सब को जूस सर्व किया. फिर कुछ सूखा नाश्ता टेबल पर लगा दिया. प्रतीक ने वरुण और बच्चों के बारे में पूछा तो मैं ने उसे बताया, ‘‘उन्हें किसी जरूरी मीटिंग में जाना था इसलिए… लेकिन सामने वरुण को देख कर मुझे आश्चर्य हुआ, ‘‘वरुण, आप तो…?’’

‘‘हां, मीटिंग कैंसिल हो गई और अच्छा ही हुआ. बोलो कोई काम बाकी है?’’ वरुण ने कहा.

‘‘नहीं सब तैयार है,’’ मैं ने कहा.

खानापीना समाप्त होने के बाद हम बाहर लौन में ही कुरसी लगा कर बैठ गए. हम बातें कर रहे थे और बच्चे वहीं लौन में खेल रहे थे. लेकिन मेरा ध्यान प्रतीक के बेटे पर चला जाता जो कभी झूला झूलता तो कभी झूले को ही झुलाने लगता. उस की प्यारी शरारतों पर मैं मंदमंद मुसकरा रही थी. फिर मुझ से रहा नहीं गया तो मैं उस के पास जा कर उस से बातें करने लगी, ‘‘क्या नाम है तुम्हारा?’’ मैं ने पूछा तो उस ने तुतलाते हुए कहा, ‘‘अंछ है मेला नाम.’’

‘‘अंश, अरे वाह, बहुत ही सुंदर नाम है तुम्हारा तो.’’ उस की तोतली बातों पर मुझे हंसी आ गई. लेकिन अचानक से जब मेरी नजर प्रतीक पर पड़ी तो मैं सकपका गई. पता नहीं कब से वह मुझे देखे जा रहा था. मुझे लगा शायद वह मुझ से बहुत कुछ कहना चाह रहा था, कुछ बताना चाह रहा था, लेकिन अपने मन में ही दबाए हुए था.

‘‘ठीक है अब चलते हैं,’’ कह कर प्रतीक उठ खड़ा हुआ पर वरुण ने यह कह कर उन्हें रोक लिया कि एकएक कप चाय हो जाए. जिसे प्रतीक ठुकरा नहीं पाया. मैं चाय बनाने जा ही रही थी कि नंदा भी मेरे पीछेपीछे आ गई और कहने लगी, ‘‘हमारे आने से ज्यादा काम बढ़ गया न आप का?’’

‘‘अरे ऐसी बात नहीं नंदाजी. अच्छा अपने बारे में कुछ…?’’ अभी मैं बोल ही रही थी कि मेरी बात बीच में काटते हुए कहने लगी, ‘‘मैं अपने बारे में क्या बताऊं मीराजी, मेरा तो मानना है आप जैसी नौकरी करने वाली औरतें ज्यादा खुश रहती हैं, वरना हम जैसी गृहिणी तो बस काम और परिवार में पिसती रह जाती हैं. अब हमें ही देख लीजिए, दिन भर बस घर और बच्चों के पीछे पागल रहती हूं. ऊपर से मेरी सास, कुछ भी कर लो उन्हें मुझ से शिकायत ही लगी रहती है. कुछ तो काम है नहीं, बस दिन भर बकबक करती रहती हैं. अरे, मैं ने तो प्रतीक से कितनी बार कहा जा कर इन्हें गांव छोड़ आइए, आखिर हमारी भी तो जिंदगी है कब तक ढोते चलेंगे इस माताजी को पर नहीं, इन्हें मेरी बात सुननी ही कहा है.’’

‘Jaane Jaan’ की स्क्रीनिंग पर पहुंचे लव वर्ड्स तमन्ना भाटिया- विजय वर्मा, फैंस ने दिया प्यार

विजय वर्मा बॉलीवुड के अभिनेता हैं जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी. एक्टिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, विजय को कई फिल्मों में देखा गया. हालांकि, वह काफी सालों बाद 2016 में फिल्म पिंक में शानदार अभिनय के बाद वह फेमस हुए. तब से, उन्होंने कई  बेव सीरिज और बॉक्स ऑफिस पर हिट फिल्में दी है.

वर्तमान में, विजय अपनी अपकमिंग ओटीटी फिल्म ‘जाने जान’ को प्रमोट कर रहे हैं. सीरिज की रिलीज से पहले आज, मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म की टीम ने एक स्क्रीनिंग का आयोजन किया जिसमें बी-टाउन के कई सितारों ने भाग लिया.

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की ओटीटी डेब्यू सीरिज ‘जाने जान’ की मुंबई में बीती रात को स्क्रीनिंग रखी गई. इस स्क्रीनिंग में कई बॉलीवुड सितारों ने शिरकत की. वहीं इस स्क्रीनिंग के दौरान फिल्म से ज्यादा चर्चा विजय वर्मा की गर्लफ्रेंड तमन्ना भाटिया की. स्क्रीनिंग के समय दोनों कपल साथ में पोज देते हुए खुश नजर आ रहे थे. दोनों ने पैपराजी को पोज दिए और दूसरे सेलेब्स के साथ हंसी मजाक मस्ती में बाते की.

 

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तम्मना भाटिया और विजय वर्मा

‘जाने जान’ की इवेंट में सभी का ध्यान न्यू लव वर्ड्स तम्मना भाटिया और विजय वर्मा पर खींच लिया. वहीं दोनों हाथों में हाथ डलकर स्क्रीनिंग पर पहुंचे. इस दौरान दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे थे.

लुक की बात करें तो विजय वर्मा ब्लैक शर्ट के साथ गोल्डन पैंट और ब्लेजर में स्टाइलिश लग रहे थे. वहीं, ब्लू ड्रेस में तमन्ना भाटिया का ग्लैमर ऑन-पॉइंट था. हाई स्लीक हेयर बन, हाई हील्स और न्यूड मेकअप में वह खूबसूरत लग रही थीं.

 

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तमन्ना भाटिया और विजय वर्मा का वर्कफ्रंट

तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करने वाली भारतीय अभिनेत्री तम्मना को विजय वर्मा के साथ लस्ट स्टोरीज़ 2 में देखा गया था. इसके बाद वह तमिल फिल्म जेलर और तेलुगु भाषा में भोला शंकर लेकर आईं. वेदा 2024 में उनका अगला हिंदी प्रोजेक्ट होगा. वहीं विजय वर्मा की बात करें, तो ‘जाने जान’ के बाद वह अफगानी स्नो और मर्डर मुबारक में नजर आएंगे.

अनुज के बर्थडे पर बरखा ने खूब किया हंगामा, अनुपमा हुई परेशान

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. इसी वजह से ये शो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियों में रहता है. सीरियल के कलाकर अपने किरदार से अपनी छाप दर्शकों में छोड़ते है. इसी वजह से अनुपमा की स्टार कस्ट दर्शकों की चाहेती है. इस सीरियल  में अनुपमा का रोल करने वाली रुपाली गांगुली और बरखा का किरदार निभाने वाली अश्लेषा सावंत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वैसे तो बरखा और अनुपमा दोनों स्क्रीन पर काफी लड़ते है लेकिन रियल लाइफ में दोनों सेट पर काफी मास्ती करते है.

अश्लेषा सावंत और रुपाली गांगुली का वीडियो हुआ वायरल

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के सेट से रुपाली गांगुली और अश्लेषा सावंत का वीडियो काफी वायरल हो रहा है. ये वीडियो है कपाडिया हाउस में अनुज का बर्थडे सेलिब्रेशन की तैयारियो के बीच शूट हुआ है. इस वीडियो में बरखा यानी अश्लेषा एक ट्रॉली पर चढ़ी हुई हैं और खूब डांस कर रही है. उस ट्रॉली को एक शख्स आगे पीछे भी कर रहा है.

 

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इस वीडियो में रुपाली भी नजर आ रही हैं, जो बरखा की हरकतों से तंग आ गई हैं. रुपाली अपने सिर पर हाथ लगाए दिख रही हैं. दोनों का ये वीडियो काफी मजेदार है. इस वीडियो पर दोनों के फैंस कमेंट कर रहे हैं. हर किसी ने दोनों को साथ देखकर खुशी जाहिर की है.

रुपाली को खूब तंग करती है अश्लेषा

‘अनुपमा’  के सेट से सबसे ज्यादा मजेदार वीडियो अश्लेषा शेयर करती है. वह रुपाली की टांग खीचनें में एक भी मौका नहीं छोड़ती है. दरअसल, एक बार अश्लेषा ने रुपाली का सोते हुए वीडियो शेयर किया था. ये वीडियो स्टार परिवार के अवार्ड की रात अगले दिन का है, जिसमे रुपाली अवार्ड नाइट खत्म करते ही कुछ देर बाद सेट पर आ गई थी. इसी वजग से वह अपनी नींद पूरी करती नजर आ रही थी.

10 tips: घर पर नेचुरल रूप से Pink Lips कैसे पाएं

वैसे तो गुलाबी होंठ होना स्वस्थ और हाइड्रेटेड होंठों का संकेत है. लेकिन, ऐसी कई चीजें हैं जिनके कारण होंठ ड्राई, फटे और बदरंग हो जाते हैं. सबसे बड़ा कारण है कि सूरज के संपर्क में आना, डिहाइड्रेशन, धूम्रपान, मसालेदार भोजन खाना और अपने होंठ चाटना शामिल हैं. आज हम आपको बताएंगे एक सप्ताह में प्राकृतिक रूप से गुलाबी होठों के लिए 10 होममेड टिप्स.

गुलाबी होठों के लिए 10 होममेड टिप्स

  1. अपने लिप्स को एक्सफोलिएट करें

मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने के लिए अपने होठों को एक्सफोलिएट करने के लिए चीनी स्क्रब का उपयोग करें. चीनी का स्क्रब बनाने के लिए चीनी और शहद को बराबर मात्रा में मिला लें. स्क्रब को अपने होठों पर लगाएं और कुछ मिनट तक गोलाकार गति में मालिश करें. इसके बाद गर्म पानी से धोना चाहिए. स्क्रब के चीनी क्रिस्टल आपके होठों से मृत त्वचा कोशिकाओं को धीरे से हटाते हैं, जबकि शहद उन्हें मॉइस्चराइज और पोषण देता है.

2. लिप मास्क लगाएं

अपने होठों को नमी और पोषण देने के लिए शहद, एलोवेरा या नारियल तेल का लिप मास्क लगाएं. लिप मास्क आपके होठों को हाइड्रेट और पोषण देंगे. लिप मास्क बाजारों में उपलब्ध हैं, लेकिन आप शहद, एलोवेरा जेल और नारियल तेल को मिलाकर अपना मास्क बना सकते हैं. लिप मास्क को अपने होठों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. गर्म पानी से धोना चाहिए. लिप मास्क आपके होठों की नमी को बनाए रखकर उन्हें नरम और चिकना बनाए रखने में मदद करेगा. इस मास्क को हफ्ते में एक या दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है.

3. एसपीएफ युक्त लिप बाम का प्रयोग करें

अपने होठों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए एसपीएफ लिप बाम का प्रयोग करें. एसपीएफ़ युक्त लिप बाम का उपयोग आपके होठों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है, जिससे वे ड्राई और बदरंग हो सकते हैं. कम से कम 30 एसपीएफ वाले लिप बाम की तलाश करें. बादल वाले दिनों में भी, हर दिन अपने होठों पर एसपीएफ लिप बाम लगाएं.

4. खूब पानी पिएं

अपने होठों को अंदर से हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं. हाइड्रेटेड रहना आपके होठों के स्वास्थ्य सहित अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी का सेवन करें. पानी आपके होठों को पोषण देता है और उन्हें सूखने से बचाता है.

5. अपने होठों को चाटने से बचें

अपने होठों को चाटने से बचें, क्योंकि इससे वे सूख सकते हैं. अपने होठों को चाटने से ऐसा लगता है कि वे नम बने रहेंगे, लेकिन वास्तव में इसका विपरीत होता है. आपके होठों पर मौजूद लार उन्हें और भी अधिक शुष्क कर सकती है. जब आपके होंठ सूख जाएं तो उन्हें चाटने की बजाय लिप बाम का इस्तेमाल करें.

6. ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें

ह्यूमिडिफायर आपके होठों को नमीयुक्त रखता है. हवा में नमी जोड़कर, एक ह्यूमिडिफायर आपके होठों को नम रखने में मदद कर सकता है. यह सर्दियों के लिए सबसे बेस्ट है क्योंकि हवा शुष्क होती है.

7. पर्याप्त नींद लें

एक दिन में 8 घंटे तक सोएं. जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपका शरीर खुद को ठीक से ठीक करने के अवसर से वंचित हो जाता है. इससे होंठ फट सकते हैं, सूखे हो सकते हैं. प्रति रात 7-8 घंटे की नींद लेने का प्रयास करें.

8. स्वस्थ भोजन खाएं

पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर स्वस्थ आहार आपके होठों को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है. ये सभी भोजन विटामिन और खनिजों से भरपूर हैं, जो स्वस्थ होंठों के लिए आवश्यक हैं.

9. धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान करने से होंठ शुष्क और फटने लगते हैं. धूम्रपान छोड़ने से आपके होठों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. धूम्रपान से आपकी त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप होंठ शुष्क और फट जाते है. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो अपने होठों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि इसे छोड़ दें.

10. डॉक्टर से मिलें

डॉक्टर से मिलें क्योंकि यह एक चिकित्सीय बीमारी भी हो सकती है. यदि आपके होंठ अत्यधिक सूखे, फटे या बदरंग हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें. क्या पता आपको कोई बीमारी हो.

इन होममेड टिप्स को अपनाकर आप एक हफ्ते में प्राकृतिक रूप से गुलाबी होंठ पा सकते हैं. हालांकि, आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा और आप जो टिप्स अपनाएंगे उनमें कुछ समय लग सकता है.

 

किट्टी पार्टी में बनाएं ये स्नैक्स

आमतौर पर महिलाएं यह सोचती है कि इस बार किट्टी पार्टी में क्या स्नैक्स बनाएं चिंता बिल्कुल न करें लेडीज. किट्टी पार्टी में बनाएं ये जायकेदार रेसिपी.

  1. बेसन की बाटी

सामग्री

1.  11/2 कप बेसन

 2. 1/2 कप मक्के का आटा

 3.  2 बड़े चम्मच घी 

4.  1/2 कप पनीर

 5.  1 हरीमिर्च कटी

 6.  1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

7.   तलने के लिए तेल 

8. नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे को छान कर बेसन, घी और नमक मिला कर गूंध लें. उबलते पानी में आटे की लोइयां बना कर 8-10 मिनट पकाएं. पानी से निकाल कर अच्छी तरह मसल कर छोटीछोटी बौल्स बनाएं. पनीर को मसल कर उस में धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक मिलाएं. आटे की छोटीछोटी बौल्स के बीच पनीर का मिश्रण भर कर अच्छी तरह बंद कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें, सरसों के साग के साथ सर्व करें.

2. मक्का पापड़ी चाट

सामग्री

 1.  1 कप मक्के का आटा

2. 1/4 कप मैदा 

3. 1 बड़ा चम्मच तेल

4.  1/2 कप दही 

5. 1 बड़ा चम्मच हरी चटनी

6. 1 बड़ा चम्मच सोंठ 

 7. 1 उबला आलू

8. 1 प्याज बारीक कटा 

9. 1 टमाटर बारीक कटा

 10.  1 हरीमिर्च बारीक कटी

11.  1 छोटा चम्मच धनियापत्ती कटी

12. लालमिर्च पाउडर 

13. तलने के लिए तेल

14. नमक स्वादानुसार.

विधि

मक्के के आटे और मैदे को छान कर नमक और तेल डाल कर गूंध लें. इसे पतला बेल कर तिकोने आकार में काट लें. गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. प्लेट में निकाल कर इस के ऊपर प्याज, टमाटर व आलू काट कर डालें. ऊपर से दही, चटनी, सोंठ और धनियापत्ती, हरीमिर्च और नमक डाल कर सर्व करें.

 3. सरसों पालक के कटलेट

सामग्री

 1. 2 कप पालक कटा 

 2. 2 कप सरसों कटी 

 3. 1 छोटा टुकड़ा अदरक

 4.  1 हरीमिर्च कटी 

  5. 2 ब्रैडस्लाइस 

  6.  1/2 कप पनीर

  7.   2 बड़े चम्मच मक्खन 

  8.  नमक स्वादानुसार.

विधि

पालक और सरसों को स्टीम कर लें. फिर इसे अदरक और हरीमिर्च के साथ मिक्सी में पीस लें. ब्रैडस्लाइस का मिक्सी में चूरा कर लें. फिर ब्रैड चूरा, पनीर, पालक व सरसों का पेस्ट और नमक मिला लें. टिकियां बना कर गरम तवे पर मक्खन के साथ दोनों तरफ से सेंक कर सौस के साथ गरमगरम परोसें.

 4. कौलिफ्लौवर पेटी

सामग्री

 1.  1 कप चावल पके

 2.  1 कप गोभी कसी

 3. 1/4 कप बादाम का पेस्ट

 4.  1 प्याज कटा

 5. 1/2 चम्मच अदरक बारीक कटा

 6.  1 हरीमिर्च कटी

 7.  2-3 बड़े चम्मच तेल

 8.  नमक स्वादानुसार.

विधि

चावलों को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें. अब इस में गोभी, बादाम का पेस्ट, हरीमिर्च, प्याज, अदरक व नमक अच्छी तरह मिला लें. आकार दे कर कटलेट बना गरम तवे पर तेल लगा दोनों तरफ से सुनहरा होने तक पका कर चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

सरकार को तो मंदिर बनाने की चिंता है

सरकार ने कोटा में सुसाइडों के बढ़ते मामलों को बड़ी चतुराई से अपने समर्थक मीडियाकी सहायता से मांबाप की इच्छाओं और कोटा के किलिंग सैंटरों पर मढ़ दिया. कोटा में 15 से 22 साल के लगभग 2 लाख युवा मांबाप से मोटा पैसा ले कर जेईई, नीट, आईएएस और इन जैसे अन्य सैकड़ों ऐग्जामों की तैयारी के लिए आते हैं ताकि बाद में उन्हें नामीगिरामी इंस्टिट्यूटों में ऐडमिशन मिल जाए.

\इन युवकों और युवतियों के मांबाप इस उम्मीद में अपना पेट काट कर, जमापूंजी लगा कर, लोन ले कर, मकान, खेत बेच कर कोटा जैसे शहरों में भेजते हैं. कुछ तो अपने साथ मां को भी ले आते हैं ताकि घर का खाना भी मिल सके.दिक्कत यह है कि  जितने युवा 12वीं पास कर के निकल रहे हैं, कालेजों में आज उतनी जगह नहीं है. कांग्रेस सरकारों ने समाजवादी सोच में धड़ाधड़ सरकारी स्कूल खोले, मोटा वेतन दे कर टीचर रखे, बड़ीबड़ी बिल्डिंगें बनाईं.

जब दूसरी तरह की भाग्यवाद में भरोसा करने वाली सरकारें आने लगीं तो ये सरकारी स्कूल बिगड़ने लगे और इन की जगह इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूल खुलने लगे जो कई गुना महंगे थे पर लगभग कोई बच्चा स्कूल न होने की वजह से पढ़ाई न कर पा रहा हो ऐसा नहीं हुआ.

देश में हर साल 12वीं कक्षा पास कर के निकलने वालों की गिनती 1 करोड़ से ज्यादा है. 2022 में 1 करोड़ 43 लाख युवा 12वीं कक्षा के ऐग्जाम में बैठे और उन में से 1 करोड़ 24 लाख पास हो गए.अब सरकार के पास क्या इन 1 करोड़ 24 लाख को आगे मुफ्त या अफोर्डबिलिटी के हिसाब से आगे पढ़ाई रखने का इन्फ्रास्ट्रक्चर है, नहीं? सरकारें इन की बातें ही नहीं करतीं क्योंकि शासक नहीं चाहते कि ये सब पढ़लिख कर बराबरी की पहुंच में आ जाएं.

इसलिए ऊंची पढ़ाई में कम फीस वाले मैडिकल कालेजों में सिर्फ 8,500 सीटें सरकारी मैडिकल कालेजों में हैं और प्राइवेट कालेजों में 47,415 सीटें जिन में खर्च लाखों का है. इंजीनियरिंग कालेजों में 15,53,809 सीटें हैं पर आईआईटी जैसे इंस्टिट्यूटों की सीटें मुश्किल से 10,000-12,000 हैं जहां फीस क्व10-15 लाख तक होती है.सरकारी आर्ट्स कालेजों का तो बुरा हाल है. वहां न अंगरेजी पढ़ाई जाती है, न हिंदी, न फिलौसफी, न कौमर्स. ज्यादातर में ऐडमिशन दे दिया और छुट्टी. पर वे भी 1 करोड़44 लाख युवाओं के लायक नहीं हैं.

शिक्षा को माफिया खेल सरकार ने बनाया है. एक तरफ ऊंचे संस्थान कम रखे और दूसरी ओर स्कूलों की पढ़ाई बिगड़ने दी. सरकारी स्कूलों के फेल स्टूडैंट ही नूंह जैसी यात्रा में धर्म के नाम पर सिर फोड़ने के लिए आगे आते हैं. उन्हें कैरियर बनाने के मौके मिलने लगें तो कांवडि़यों, मंदिरों की कतारों और धर्म यात्राओं की कमी होने लगेगी.  मांबाप इस सरकारी निकम्मेपन के शिकार हैं.

कोचिंग इंस्टिट्यूट उस तंदूर में रोटियां सेंक रहे हैं जो सरकार ने जला डाला पर हर कोने पर रखे ताकि उन की आग का इस्तेमाल घरों को जलाने में भी लाया जा सके. अगर कोचिंग इंस्टिट्यूट ढील दें या सुविधा देंगे तो उन की फीस बढ़ जाएगी या उन के स्टूडैंट पिछड़ जाएंगे.जेईई, नीट, यूपीएससी की परीक्षा के रिजल्ट के अगले दिन अखबारों में पूरे पेज के ऐडवरटाइजमैंट युवा चेहरों से भरे होते हैं कि देखो यहां लाखों रुपए खर्च कर के जो पढ़े उन्हें सिलैक्ट कर लिया गया है.

इस स्थिति पर मांबाप लाए हैं या कोचिंग इंस्टिट्यूट? नहीं, सिर्फ सरकार जो1 करोड़ 44 लाख युवाओं को अच्छी कमाई के लिए स्कौलर बनाने की तैयारी नहीं कर पा रही है उसे अपने पैसों से मतलब है.  जीएसटी के क्व2 लाख करोड़ हर माह के टारगेट की चिंता है. उसे मंदिर बनाने की चिंता है. उसे अमीरों के लिए सड़कें बनानी हैं जिन पर 20 लाख से कम की गाडि़यों को हिकारत से देखा जाता है.दोष मांबाप का नहीं. उन्हें जो सरकार या समाज दे रहा है वे उसी के अनुसार रहेंगे.

वे अपने युवा बेटेबेटियों का जीवन थोथले सिद्धांतों के लिए बलिदान नहीं कर सकते. वे तो खर्च करेंगे और दबाव बनाएंगे ही. इस दबाव में कुछ आत्महत्या कर लेंगे तो सरकार बैंड एड लगा कर कहींकहीं कानून बना देगी और कुछ नहीं.मांबाप को गिल्ट से परे रहना चाहिए. उन्हें बेटेबेटियों को वह बनाना ही होगा जो कल उन का भविष्य सुधारें. उन्हें आवारागर्दी वाली लाइनों में भेज कर आज वे खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अपनी संतानों की मान ली पर अगले 50 साल वे पक्का रोएंगे.

मेरे आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स है, मुझे कोई उपाय बताएं

सवाल

मेरी आंखों के नीचे काले हैं और मैं चाहती हूं कि वे जल्दी ठीक हो जाएं. मैं ने सुना है कि कैमिकल पील करने से ये बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं. क्या यह सच है और इस से कोई परेशानी तो नहीं होगी?

जवाब

आप ने बिलकुल सही सुना है. आजकल जल्दी से काले घेरों को ट्रीट करने के लिए अंडर आई पीलिंग ट्रीटमैंट दिया जाता है. इस में सब से पहले आंखों के आसपास की जगह को साफ कर के आरजी पील लगाई जाती है. कुछ मिनट के बाद उसे न्यूट्रिलाइजर से न्यूट्रिलाइज किया जाता है. इस ट्रीटमैंट को10-12 दिन बाद दोहराया जा सकता है. 6 सिटिंग्स के बाद काले घेरे काफी हद तक ठीक हो जाते हैं. मगर इस ट्रीटमैंट के लिए किसी ऐक्सपर्ट की जरूरत होती है. अगर आप यह ट्रीटमैंट कराने जा रही हैं तो किसी ऐक्सपर्ट के पास ही जाएं. जनरली कोई भी पील ट्रीटमैंट करने के बाद स्किन पतली होने के चांसेज रहते हैं. अंडर आई स्किन तो पहले से ही पतली होती है. इसलिए जब भी अंडर आई ट्रीटमैंट कराएं उस के बाद यलो लेजर यानी बायोप्ट्रौन ट्रीटमैंट जरूर ले ताकि इस से आप की स्किन साथसाथ बनती जाती है.

ये भी पढ़ें…

मेरी उम्र 50 साल है. आंखों के नीचे की त्वचा में हमेशा सूजन बनी रहती है. सुबह और दोपहर के समय सूजन ज्यादा हो जाती है. एक मोटी सी लाइन जैसी दिखती है. कोई उपाय बताएं? 

जवाब

आंखों के आसपास लिंफ इकट्ठा हो जाने की वजह से इस तरह की समस्या पैदा होती है. इस का कारण मुख्यतौर पर स्वास्थ्य की समस्या है. ये दवाइयों के साइड इफैक्ट होते हैं. यदि आप को कोई बीमारी लंबे समय से चली आ रही है तो सब से पहले अपना इंटरनल चैकअप कराने के लिए किसी अच्छे कौस्मेटिक क्लीनिक में जाएं. वहां वैक्यूम मशीन के जरीए लिंफ ड्रेन कर दिया जाएगा और लेजर द्वारा त्वचा को रिजनरेट किया जाएगा. यह उपचार बेशक लंबा है, लेकिन इस से फायदा जरूर होगा. घर पर भी आप आंखों के नीचे औयल लगाएं. फिर लाइट मसाज करतेहुए कानों के पीछे जाएं और उस के  बाद गरदन के पास ले जाएं. ऐसा 15-20 बार करें.

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अंधविश्वास की दलदल: भाग 1- प्रतीक और मीरा के रिश्ते का क्या हुआ

आजरविवार की छुट्टी होने के कारण होटल में काफी भीड़ थी. हमें भी डिनर और्डर किए काफी वक्त हो चुका था पर अभी तक आया नहीं था. हम बैठेबैठे आपसी बातचीत में मशगूल थे. लेकिन मेरा ध्यान बारबार उस टेबल पर जा अटकता जहां एक फैमिली बैठी थी.

उन का टेबल हमारे टेबल को छोड़ तीसरा टेबल था, जिस में मातापिता और 3 बच्चे बैठे हुए थे. 2 बेटियां और एक बेटा. बेटियां अपनेअपने मोबाइल में व्यस्त थीं और मातापिता आपस में ही बातें कर रहे थे. पति का चेहरा तो नहीं दिख रहा था, क्योंकि उस का चेहरा दूसरी तरफ था, पर पत्नी के हावभाव से लग रहा था, उन में किसी बात को ले कर बहस चल रही थी, क्योंकि पत्नी अपनी आंखें बड़ी करकर के कुछ बोले जा रही थी और पति अपना हाथ उठा कर उसे शांत रहने को कह रहा था.

उन का बेटा, जिस की उम्र करीब 3-4 साल होगी, सब बातों से बेफिक्र अपनेआप में ही मगन, कभी कांटाचम्मच से खेलता तो कभी उसी कांटाचम्मच से प्लेट बजाने लगता. कभी टेबल पर रखे नमक और पैपर पाउडर को अपनी हथेली पर गिरा कर उंगली से चाटने लगता तो कभी टिशू पेपर निकाल कर अपना चेहरा खुद ही पोंछने लगता. जब उस की मां उसे आंखें दिखा कर इशारों से कहती कि बैठ जाओ तो वह बैठ भी जाता, पर फिर थोड़ी देर में वही सब शुरू कर देता. उस की छोटीछोटी शरारतें देख कर मुझे उस मासूम पर बड़ी हंसी आ रही थी और प्यार भी.

सच, बच्चे कितने मासूम होते हैं. उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन की हरकतों को कौन देख रहा है कौन नहीं. उस की शरारतें मुझे अपने बचपन की याद दिलाने लगीं. आखिर हम ने भी तो इसी तरह की शरारतें की होंगी कभी. बीचबीच में वह मुझे भी देखता कि मैं उसे देख रही हूं और फिर शांत खड़ा हो जाता और जब मैं उसे देख कर मुसकरा देती तो वह फिर शुरू हो जाता.

तभी मेरे पति वरुण बोले कि खाना आ गया. जहां मेरे बेटे ने पिज्जा और्डर किया था, वहीं बेटी ने पावभाजी और हम ने सिंपल दालरोटी और सब्जी मंगवाई थी. अभी हम ने खाना शुरू ही किया था कि वह बच्चा हमारे टेबल के सामने आ कर खड़ा हो गया. मैं उसे देख कर मुसकराई और उस के नरम गालों को छू कर प्यार भी किया, लेकिन उस का ध्यान तो बस पिज्जा पर ही अटका हुआ था. एकटक वह पिज्जा को देखे जा रहा था. लग रहा था अभी बोलूंगी और खाने लगेगा. ‘‘थोड़ा सा खिला दें क्या?’’ मैं ने वरुण की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘नहीं मीरा, ऐसे किसी अनजान बच्चे को कुछ खिलानापिलाना ठीक बात नहीं है. पता नहीं उस के मांबाप क्या बोल दें.’’

तभी उस की मां ने आंखें दिखाते हुए उसे आने का इशारा किया. मां के डर से वह चला तो गया, लेकिन फिर वापस आ कर हमारे टेबल के सामने खड़ा हो गया. लग रहा था अभी पिज्जा उठा कर खाने लगेगा. हमें थोड़ा अजीब भी लग रहा था.

‘‘थोड़ा सा खिला देते हैं न इस में क्या हरज है? मेरा बेटा जिगर, पिज्जा का एक पीस उस बच्चे की तरफ  बढ़ाते हुए कहने लगा तो वरुण ने झट से उस का हाथ पकड़ लिया और कहने लगा, ‘‘मैं ने मना किया न. अरे, दूसरों के बच्चे को ऐसे कैसे कुछ खिला सकते हैं. अगर इस के मांबाप बुरा मान गए तो?’’

पर वो बच्चा तो वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रहा था. खातेखाते यह सोच कर मेरा हाथ रुक गया कि शायद बच्चा बहुत भूखा है और मैं उस से कुछ पूछती कि उस की मां ने आवाज दे कर उसे बुला लिया, क्योंकि उस के टेबल पर भी खाना लग चुका था.

सच में बच्चा भूखा था. जल्दीजल्दी वह पापड़ पर ही टूट पड़ा. उस की मां आंखें दिखाते हुए उसे बोल रही थी, ‘‘आराम से खाओ आराम से.’’ हमारा खाना तो बस हो ही चुका था और वेटर बिल के साथ सौंफ, चीनी भी ले कर आ गया.

हम रैस्टोरैंट से निकलने लगे, पर हमारी आदत ऐसी होती है कि अगर हम किसी चीज को बारबार देख रहे होते हैं तो जातेजाते भी लगता है कि एक बार मुड़ कर और देख लें. इसलिए मेरी नजर फिर एक बार उस बच्चे पर जा टिकी पर उस बच्चे के बगल वाली कुरसी पर प्रतीक को देख कर हैरान रह गई. लगा कहीं मेरी आंखों का धोखा तो नहीं.

हां धोखा ही होगा क्योंकि यहां प्रतीक कैसे हो सकता है और यह तो सिर्फ प्रतीक सा दिखता है. मैं ने अपने मन में कहा कि तभी पीछे से अपना नाम सुन कर मैं चौंक गई.

वह झटकते हुए मेरे पास आया और कहने लगा, ‘‘मीरा… तुम और यहां?’’

‘‘प्रतीक… तुम?’’ मैं आश्चर्यचकित रह गई उसे यहां देख कर.

तो क्या यह प्रतीक की फैमिली है? और प्रतीक कैसा हो गया? यह तो ठीक से पहचान में भी नहीं आ रहा है. सिर के आधे बाल उड़े हुए, आंखों पर मोटा सा चश्मा, चेहरे पर कोई रौनक नहीं, न वह हंसी न मुसकान. अपनी उम्र से करीब 10 साल बड़ा लग रहा था वह. उसे देख कर मेरे दिल में फिर से वही भावना जाग उठी.

‘‘मीरा… मीरा कहां खो गई? क्या पहचाना नहीं मुझे?’’ प्रतीक की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ.

अपनेआप को भावनाओं के जाल से मुक्त कर और संभलते हुए मैं ने कहा, ‘‘प्रतीक तुम और यहां? और यह तुम्हारी फैमिली है क्या? मुझे उस की फैमिली के बारे में सामने से नहीं पूछना चाहिए था, पर अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया.’’

प्रतीक अपनी फैमिली से मिलवाते हुए कहने लगा, ‘‘हां, मेरी फैमिली है. मेरी पत्नी नंदा, बड़ी बेटी कोयल, छोटी बेटी पिंकी और बेटा अंश. अभी कुछ महीने पहले ही मेरा तबादला यहां मुंबई में हुआ है.’’

मैं ने अपने मन में ही कहा, ‘अच्छा तो ये हैं प्रतीक की जीवनसंगिनी? आखिर प्रतीक की मां को अपने मन की बहू मिल ही गई. वैसे बहुत खास तो नहीं है देखने में. हो सकता है उन की नजर में हो.’

मैं ने भी अपने परिवार से प्रतीक को मिलवाते हुए कहा, ‘‘प्रतीक, ये हैं मेरे पति वरुण और ये है बेटा जिगर और बेटी साक्षी.’’

प्रतीक बड़े गौर से मेरे पति और बच्चों को देखे जा रहा था.

वरुण कहने लगे, ‘‘क्या आप दोनों पहले से एकदूसरे को जानते हैं?’’

‘‘हां वरुण, हम ने एकसाथ ही प्रोबेशनरी औफिसर की ट्रैनिंग ली थी और तब से हम एकदूसरे को जानते हैं.’’

तोहफा: भाग 4- रजत ने सुनयना के साथ कौन-सा खेल खेला

वह मरीन ड्राइव पर असमंजस में खड़ी थी एक गाड़ी उस के पास आ कर रुकी.

‘‘अरे सुनयना?’’ मोहित ने कहा, ‘‘तुम यहां कैसे?’’

‘‘मैं यहां किसी काम से आई थी और अचानक जोरों की बारिश शुरू हो गई. कोई टैक्सी भी दिखाई नहीं दे रही.’’

‘‘तो यहां खड़ी भीग क्यों रही हो? मैं इसी बिल्डिंग में रहता हूं. चलो मेरे यहां चल कर थोड़ी देर बैठो. बारिश रुक जाए तो चली जाना.’’

मोहित के घर उस की मां ने उस का स्वागत किया. थोड़ी देर बाद चाय के साथ हलवा और मठरी ले कर आई.

‘‘ओहो आंटीजी इतना कष्ट क्यों किया?’’

‘‘तुम पहली बार हमारे यहां आई हो. ऐसे कैसे जाने दूं. यह लो हलवा खाओ.’’

‘‘मेरी मां बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती हैं,’’ मोहित ने कहा, ‘‘अरे हां, इस शनिवार को मेरा जन्मदिन है. तुम्हें आना है.’’

‘‘आऊंगी,’’ सुनयना सूखे कंठ से बोली, ‘‘अच्छा अब चलती हूं.’’

मोहित ने घर पर पार्टी रखी थी. उस की मां ने खाना बना कर मेज पर सजा दिया और कहा, ‘‘अब तुम बच्चे लोग ऐंजौय करो.’’

पार्टी में खूब शोरशराबा हुआ. मोहित ने कहा, ‘‘आज मैं अपने यार रजत को बहुत मिस कर रहा हूं. अरे हां, अच्छा याद आया. उस ने कहा था कि वह मेरे लिए एक तोहफा भेज रहा है. एक सरप्राइज गिफ्ट.’’

सुनयना का चेहरा फक पड़ गया.

‘‘लगता है भूल गया. आने दो वापस बच्चू को. तोहफा मय सूद वसूल लूंगा.’’ फिर जब उस ने जाना कि सुनयना नरीमन प्वाइंट स्थित एक होटल में काम करती है, तो बोला, ‘‘अरे तब तो हम पड़ोसी हुए. किसी दिन मैं तुम से मिलने आऊंगा.’’

‘‘अवश्य, मुझे भी मेहमाननवाजी का मौका दो.’’

एक दिन मोहित आया तो दोनों ने इकट्ठे चाय पी. फिर वे मरीन ड्राइव पर टहलते हुए चौपाटी की ओर निकल गए. फिर वे करीब रोज ही मिलने लगे. कभी चौपाटी पर चाट खाते, कभी समंदर के किनारे चट्टानों पर बैठे घंटों बातें करते. बातों के दौरान मोहित ने उसे बताया कि कालेज के दिनों से ही वह उसे चाहता था. वह बोला, ‘‘मुझे अभी तक याद है वह दिन, जब तुम ने स्टेज पर मौडलिंग की थी. हम चारों दोस्त तुम्हारे लिए पागल थे. पर रजत ने कहा ‘हैंड्स अप यह शिकार मेरा है.’ जब वह मैदान में कूद पड़ा तो हम पीछे हट गए, क्योंकि हम जानते थे कि उस से मुकाबला करना आसान नहीं था. वह जब किसी चीज को हासिल करने का मन बना लेता है तो कोई उस के आड़े नहीं आ सकता.’’

सुनयना हलके से मुसकराई. उस का मन हुआ कि वह मोहित को अपने बारे में बता दे कि कैसे रजत के प्यार में पड़ कर वह अधर में लटकी है. पर उस ने चुप्पी साथ ली.

रशिया से 2-4 बार रजत का ईमेल आया. एक बार उस ने लिखा था कि मुझे यहां शायद 3 महीने तक रहना पड़ेगा. फिर अचानक वह आ पहुंचा और आते ही उसने सुनयना को फोन किया, ‘‘हम कब मिल रहे हैं? मैं तुम्हें देखने को तरस गया. इस रविवार को तुम फ्री हो?’’

‘‘नहीं, रविवार को तो मैं फ्री नहीं हूं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उस रोज मेरी मंगनी है.’’

‘‘क्या?’’ रजत मानों आसमान से गिरा, ‘‘ये क्या कह रही हो? तुम मेरी हो. किसी और से तुम्हारी मंगनी कैसे हो सकती है? मैं तुम्हें किसी और की नहीं होने दूंगा.’’

‘‘लेकिन तुम भी तो मुझे अपनाना नहीं चाहते,’’ सुनयना ने उलाहना

दिया, ‘‘जब मेरे मातापिता को पता चला कि तुम्हारा मुझ से शादी करने का कोई इरादा नहीं है, तो उन्होंने मुझ पर दबाव डाल कर मुझे इस शादी के लिए राजी कर लिया.’’

‘‘किस से हो रही है मंगनी?’’

‘‘है एक लड़का. और ज्यादा जान कर क्या करोगे?’’

‘‘ऐसा हरगिज नहीं हो सकता. मैं अभी तुम से मिलने होटल आ रहा हूं.’’

‘‘लेकिन मैं ने होटल की नौकरी छोड़ दी है.’’

‘‘तो कहां हो तुम, घर पर?’’

‘‘नहीं और मैं तुम्हें बताऊंगी भी नहीं कि मैं कहां हूं. मैं जानती हूं कि तुम यहां आ कर एक हंगामा खड़ा करोगे. बस अब आइंदा मुझे फोन मत करना और न मिलने की कोशिश करना. हमारातुम्हारा रिश्ता खत्म,’’ कह कर सुनयना ने फोन रख दिया.

थोड़ी देर बाद मोहित का सैलफोन बज उठा.

‘‘यार मैं रजत बोल रहा हूं.’’

‘‘बोलो मेरे बिगडे़ेदिल शहजादे, रशिया से कब लौटे?’’

‘‘कल ही. और सुना तेरी जन्मदिन की पार्टी कैसी रही?’’

‘‘बहुत बढि़या पर तू होता तो और मजा आता. तू तो हर महफिल की जान है.’’

‘‘और मेरा भेजा तोहफा कैसा लगा?’’

‘‘तोहफा? वह तो सचमुच शानदार था, अनूठा था. मुझे बहुत पसंद आया.’’

‘‘सच? है न वह एक लाजवाब चीज?’’

‘‘हां. मैं तो उसे 1 मिनट के लिए भी अपने से अलग नहीं करता हूं.’’

‘‘यह क्या कह रहा है तू?’’

‘‘सच कह रहा हूं. इतनी सुंदर कलाई घड़ी आज तक मैं ने नहीं देखी. हमेशा पहने रहता हूं.’’

‘‘ओह,’’ रजत हंसने लगा, ‘‘मैं कुछ और ही समझ था.’’

‘‘क्या समझा था तू?’’

‘‘छोड़ जाने दे.’’

‘‘रशिया कैसा देश है और मास्को कैसा शहर है?’’

‘‘दोनों बकवास हैं पर वहां की लड़कियां एक से एक बढ़ कर एक हैं. अपने यहां की लड़कियां तो उन के सामने कुछ भी नहीं हैं.’’

‘‘अच्छा…’’

‘‘हां मैं ने तो एकाध को न्योता भी दे दिया भारत आने का. आएगी तो कुछ धमाल करेंगे.

अरे हां, तुम ने सुना अपनी सुनयना शादी कर रही है?’’

‘‘अच्छा, पर उस का तो तेरे साथ चक्कर चल रहा था?’’

‘‘वह सिलसिला खत्म समझे. वह शादी के लिए मेरे पीछे पड़ी थी तो मैं ने उस से पीछा छुड़ा लेने का निश्चय कर लिया. तू तो जानता है मुझे, मैं मस्तमौला हूं. अपनी मरजी का मालिक. मैं बिंदास जिंदगी जीना चाहता हूं. मुझे किसी तरह की बंदिश गवारा नहीं, किसी तरह का बंधन बरदाश्त नहीं. और एक सुनयना गई तो क्या हुआ? तालाब में और भी मछलियां हैं. खैर छोड़, इस रविवार को तू क्या कर रहा है? मेरे घर आ जा अड्डा जमाते हैं, कुछ मौजमस्ती करते हैं.’’

‘‘इस रविवार को तो मैं फ्री नहीं हूं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उस दिन मेरी सगाई है.’’

‘‘सगाई? ये अचानक सगाई की हवा कैसे बहने लगी? जिसे देखो वही सगाई कर रहा है. खैर, ये बता लड़की कौन है?’’

‘‘है एक…’’

‘‘कहीं सुनयना तो नहीं?’’ रजत ने शंकित हो कर पूछा.

‘‘हां वही है.’’

थोड़ी देर सन्नाटा छाया रहा. फिर रजत ने एक भद्दी गाली दी और जोर से अपना मोबाइल फोन जमीन पर दे मारा.

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