राधाकृष्ण फेम मल्लिका सिंह को बिग बॉस 17 के मेकर्स ने किया अप्रोच, जानें एक्ट्रेस का रिएक्शन

बिग बॉस 17 के लिए फैंस का काफी उत्साह बढ़ रहा है, और ऐसा लगता है कि निर्माता आगामी सीजन के लिए तैयार हो रहे हैं. बिग बॉस कंट्रोवर्शियल और कंटेस्टेंट के दिलचस्प मिक्स अप के कारण दर्शकों के बीच एक लोकप्रिय रियलिटी शो है.

हर सीजन में, यह शो अपने मनमोहक कंटेंट से ध्यान खींचने में कामयाब रहता है. सलमान खान द्वारा होस्ट किए जाने वाला रियलिटी शो के 17वें सीज़न की तैयारी शुरु हो चुकी है, ऐसी चर्चा है कि बिग बॉस 17 के लिए कुछ प्रसिद्ध हस्तियों से संपर्क किया जा रहा है.

बिग बॉस 17 के लिए मल्लिका सिंह को किया अप्रोच

टीवी सीरियल  राधाकृष्ण में राधा की भूमिका निभाने वाली मल्लिका सिंह को भी कंट्रोवर्शियल रियलिटी शो में भाग लेने की अफवाह तेजी से फैल रही है. मीडिया से बात करते हुए मल्लिका ने बिग बॉस 17 को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.

अभिनेत्री ने खुलासा किया कि उन्हें सलमान खान के रियलिटी शो बिग बॉस 17 के लिए संपर्क किया गया था. उन्होंने आगे कहा, ”हां, मुझे शो के लिए अप्रोच किया गया है, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रही हूं.” ऐसे में मल्लिका ने साफ कह दिया है कि वह बिग बॉस 17 का हिस्सा नहीं बनेंगी.

 

राधाकृष्ण फेम सुमेध मुदगलकर किया अप्रोच

ऐसी कई रिपोर्टें थीं जिनमें दावा किया गया था कि राधाकृष्ण फेम सुमेध मुदगलकर को भी बिग बॉस 17 के लिए अप्रोच किया गया है.हालांकि, इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.

 

इन सेलेब्स का भी नाम आया सामने

मल्लिका सिंह के साथ, Soundous Moufakir, Alice Kaushik, कंवर ढिल्लन और पूजा भट्ट जैसे सेलेब्स को कथित तौर पर सलमान खान के रियलिटी शो बिग बॉस 17 में भाग लेने के लिए अप्रोच किया गया है.

मीडिया से बात करते हुए, बिग बॉस ओटीटी 2 फेम बेबिका धुर्वे ने बिग बॉस 17 के लिए संपर्क किए जाने की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने साझा किया कि बिग बॉस के अगले सीजन के लिए हामी भरने से पहले उन्हें कुछ समय लगेगा.

इस दिन से शुरु हो रहा है बिग बॉस 17

बिग बॉस 17 में सिंगल बनाम कपल का एक दिलचस्प थीम होगा और इसलिए प्रतियोगियों को उस मानदंड के अनुसार चुना जा सकता है. अफवाहों के मुताबिक, बिग बॉस 17 का प्रीमियर 30 सितंबर को कलर्स टीवी पर होगा. हालांकि, इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.

रक्षाबंधन पर आसानी से बनाइये ये टेस्टी मिठाईयां

रक्षाबंधन का त्यौहार यूं तो भाई बहन के प्यार दुलार के प्रतीक का त्यौहार है परन्तु कोई भी त्यौहार मिठाई के बिना अधूरा होता है. बाजार से लाई गई मिठाइयों में रंग, प्रिजर्वेटिव आदि को भरपूर मात्रा में मिलाया जाता है जिससे वे स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद तो नहीं ही होतीं साथ ही बहुत महंगी भी होती हैं. वहीं घर पर बनी मिठाईयां शुद्ध और मिलावट रहित तो होती ही हैं साथ ही सस्ती भी पड़तीं है. इसी क्रम में हम आज आपको ऐसी ही मिठाई बनाना बता रहे हैं जिन्हें आप घर के सामान से बड़ी आसानी से बना समतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है-

  1. लौकी कलाकंद

कितने लोगों के लिए –  6

बनने में लगने वाला समय -30 मिनट

मील टाइप – वेज

सामग्री

1. लौकी  500 ग्राम

  2. फूल क्रीम दूध 1 लीटर

  3.  नीबू का रस  1टीस्पून

   4. शकर   50 ग्राम

    5. चांदी का वर्क  6 पत्ते

    6. घी  1 टीस्पून

विधि

लौकी को छीलकर बीच का बीज वाला भाग चाकू से काटकर अलग कर दें और लौकी को किस लें. अब एक पैन में दूध डालें जब दूध में उबाल आ जाये तो किसी लौकी डाल दें. इसे तेज आंच पर चलाते हुए 5 मिनट तक पकाएं. 1/4 टीस्पून नीबू का रस डालकर चलाएं. नीबू का रस डालने के बाद दूध धीरे धीरे फटना शुरू कर देगा. 5 मिनट उबालकर फिर से 1/4 टीस्पून नीबू का रस डालकर चलाएं. जब मिश्रण गाढ़ा सा होने लगे तो  50 ग्राम शकर और 1 टीस्पून घी डालें. लगातार चलाते हुए तब तक पकाएं जब तक कि मिश्रण पैन में चिपकना न छोड़ दे. अब इसे चिकनाई लगी ट्रे में जमाकर चांदी का वर्क लगाएं. चौकोर टुकड़ों में काटकर सर्व करें.

2. पीनट रोज कतली

कितने लोगों के लिए-  8

बनने में लगने वाला समय –  30 मिनट

मील टाइप –  वेज

सामग्री

 1. मूंगफली दाना  500 ग्राम

   2. शकर 300 ग्राम

   3. रोज एसेंस 1/4 टीस्पून

   4. पिस्ता कतरन  1 टीस्पून

   5. घी  1 टेबलस्पून

   6. पानी 1/2 कप

विधि

मूंगफली दाना को गैस या माइक्रोवेब में भून लें. ठंडा होने पर इनके छिल्के निकाल दें. अब मूंगफली दाना को मिक्सी में पल्स मोड पर चलाते हुए बारीक पीस लें.  अब एक पैन में पानी और शकर डाल कर चलाएं. जब शकर पूरी तरह घुल जाए तो  पिसी मूंगफली दाना और रोज एसेंस डाल दें. जब मिश्रण थोड़ा  सा गाढ़ा होने लगे तो  घी और पिस्ता कतरन  डालकर चलाएं और मिश्रण को एक चिकनाई लगी ट्रे में निकाल लें. 1-2 मिनट तक ट्रे में ही मिश्रण को उलटें पलटें जिससे यह ठंडा हो जाये. अब एक बटर पेपर या पॉलीथिन पर रखकर इसे बेलन से पतला बेल लें. गर्म में ही चाकू से कतली काट लें. एयर टाइट डिब्बे में भरकर प्रयोग करें.

ऐडवांस लैप्रोस्कोपिक सर्जरी महिलाओं के लिए वरदान

पिछले कुछ वर्षों में स्त्रीरोग से जुड़े मामलों में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी काफी प्रभावशाली साबित हुई है. इन मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं में स्त्रीरोग से जुड़े मामलों में बीमारी का पता लगाने और इलाज करने के लिए छोटे कट लगाए जाते हैं और स्पैशलाइज्ड उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है. लैप्रोस्कोपी सर्जरी ने गाइनोकोलौजी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है जिस से मरीज की रिकवरी कम वक्त में हो जाती है, निशान कम आते हैं और बेहतर परिणाम आते हैं.गुरुग्राम के सीके बिरला हौस्पिटल में ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनोकोलौजी विभाग की डाइरैक्टर डाक्टर अंजलि कुमार ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी दी.

  1. लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी

परंपरागत रूप से हिस्टरेक्टोमी (सर्जरी के जरीए यूटरस निकालना) पेट में चीरे के माध्यम से की जाती थी, जिस में मरीज की रिकवरी में लंबा समय लग जाता था. हालांकि लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जिस के चलते मरीज की रिकवरी तुरंत होती है, औपरेशन के बाद दर्द कम होता है और निशान भी बहुत कम होते हैं.

रोबोटिक असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी जैसी ऐडवांस तकनीक से इलाज को और मजबूती मिली है.इस में जटिल शारीरिक संरचनाओं को भी डाक्टर ज्यादा आसानी से नैविगेट कर लेते हैं और औपरेशन में इस से काफी मदद मिलती है. जिन महिलाओं को यूटरिन फाइब्रौयड, ऐंडोमिट्रिओसिस या पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है उन के लिए यह प्रक्रिया काफी कारगर है.

2. ऐंडोमिट्रिओसिस

ऐंडोमिट्रिओसिस में यूटरस के बाहर ऐंडोमिट्रियल टिशू बढ़ जाते हैं. ये गंभीर पैल्विक पेन और बां?ापन के कारण बन सकते हैं. ऐंडोमिट्रिओसिस घावों के लिए लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया एक बहुत ही स्टैंडर्ड ट्रीटमैंट मैथड बन गया है. इस में डाक्टर ऐंडोमिट्रिओसिस इंप्लांट्स को विजुलाइज करने, उन का मैप बनाने और ठीक से हटाने के लिए लैप्रोस्कोपिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जिस से मरीजों को लंबे समय तक राहत मिलती है.

इस मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया से न केवल लक्षण कम होते हैं, बल्कि प्रजनन क्षमता भी प्रिजर्व होती है. महिलाओं को इस का काफी लाभ मिलता है.

3. ओवेरियन सिस्टेक्टोमी

ओवेरियन अल्सर, तरल पदार्थ से भरी थैली जो अंडाशय पर बनती है में दर्द, हारमोनल असंतुलन और फर्टिलिटी संबंधी परेशानियां होने का डर रहता है. लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी की मदद से डाक्टर अल्सर को हटाते हैं और स्वस्थ ओवेरियन टिशू को संरक्षित करते हैं. इस से ओवेरियन फंक्शन बेहतर होता है और फर्टिलिटी भी सुधरती है.इंट्राऔपरेटिव अल्ट्रासाउंड और फ्लोरेसैंस इमेजिंग जैसी ऐडवांस तकनीक से अल्सर की सटीक पहचान की जाती है और फिर उसे हटाया जाता है. इस प्रक्रिया में जोखिम कम रहता है. ओपन सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपिक सिस्टेक्टोमी के बाद दर्द कम होता है, मरीज को अस्पताल में कम वक्त रहना पड़ता है और वह रोजमर्रा के काम भी जल्दी करने लग जाता है.

4. मायोमेक्टोमी

यूटेरिन फाइब्रौयड के कारण पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है, पेल्विक पेन होता है और प्रजनन संबंधी परेशानियां भी हो जाती हैं. मायोमेक्टोमी में गर्भाशय को संरक्षित करते हुए फाइब्रौयड को सर्जरी के जरीए हटाया जाता है. जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं उन के लिए यह एक बेहतर उपाय है. लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी पारंपरिक ओपन सर्जरी से ज्यादा पौपुलर है क्योंकि इस में छोटे चीरे लगाए जाते हैं, ब्लड लौस कम होता है और मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है.

5. रोबोटिक

असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी से सर्जरी काफी सटीक हुई है और इस के परिणामस्वरूप बेहतर प्रजनन रिजल्ट आते हैं.

6. ट्यूबल रिवर्सल

जिन महिलाओं की ट्यूबल लिगेशन (सर्जिकल नसबंदी) होती है, उन के लिए ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी प्रजनन क्षमता को बहाल करने का अवसर प्रदान करती है. लैप्रोस्कोपिक ट्यूबल रीनास्टोमोसिस में फैलोपियन ट्यूबों को फिर से जोड़ा जाता है, जिस से प्राकृतिक गर्भधारण की संभावनाएं बढ़ती हैं.मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से निशान कम आते हैं और औपरेशन के बाद मरीज को कम परेशानी होती है जिस से महिलाओं को अपनी रूटीन की गतिविधियों में जल्दी लौटने में मदद मिलती है. लैप्रोस्कोपिक तकनीक, माइक्रोसर्जिकल स्किल्स से साथ जुड़ी होती है जिस से ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी की सफलता दर और परिणामों में काफी सुधार होता है.

ऐडवांस गाइनोकोलौजी लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के आने से प्रजनन आयु के दौरान स्त्रीरोग संबंधी तमाम परेशानियों को ठीक करने के मामलों में क्रांति आई है. मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं जैसेकि लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टोमी, ऐंडोमिट्रिओसिस ऐक्साइशन, ओवेरियन सिस्टेक्टोमी, मायोमेक्टोमी और ट्यूबल रिवर्सल से मरीजों को ओपन सर्जरी की तुलना में काफी लाभ पहुंचा है.तेजी से रिकवरी, कम निशान और बेहतर प्रजनन रिजल्ट के चलते लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से स्त्रीरोगों से पीडि़त महिलाओं के लिए आशा की किरण मिली है. तकनीक भी लगातार बढ़ रही है, जिस से यह उम्मीद की जा रही है कि लैप्रोस्कोपिक तकनीक आगे और भी विकसित होगी जिस से और बेहतर रिजल्ट प्राप्त होंगेऔर महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हैल्थ में सुधार आएगा.

मेरी शादी होने वाली है घर का काम और शौपिंग मैं ही कर रहीं हूं, ऐसे में चिड़चिड़ी हो गई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

2 महीनों में मेरी शादी होने वाली है और घर में अभी बहुत सारी तैयारियां बाकी हैं. दरअसल, घर में लोग कम होने के कारण मुझे सभी कामों में हाथ बंटाना पड़ता है और शादी की शौपिंग भी खुद ही करनी पड़ती है. ऐसे में आराम का वक्त ही नहीं मिलता है, मैं हर वक्त तनाव महसूस करती हूं, चिड़चिड़ी भी हो गई हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

शादी पास आने तक होने वाली दुलहन अकसर तनावग्रस्त महसूस करने लगती है. इस के कारण अलगअलग होते हैं लेकिन इन्हें सम?ाना थोड़ा मुश्किल होता है. हालांकि आप को घर के कामों में हाथ बंटाना पड़ता है. इस का मतलब यह नहीं है कि बिलकुल आराम नहीं करेंगी. शादी के तनाव भरे माहौल में खुद के लिए वक्त अवश्य निकालें. काम के साथ आराम करेंगी तो चिड़चिड़ेपन से भी छुटकारा मिलेगी. लोगों के साथ मिल कर थोड़ी हंसीठिठोली करें तो मन शांत और खुश रहेगा.

रात को जल्दी सो जाएं और 7-8 घंटों की नींद लें. सोने से पहले कुनकुने पानी से नहाएं और फिर सरसों का तेल गरम कर के हाथपैरों की मालिश करें. इस के अलावा हलके हाथों से स्कैल्प की भी मसाज करें. इस से दिनभर की थकान दूर होगी और नींद भी अच्छी आएगी. अच्छा खाएं और खूब पानी पीएं.

-डाक्टर गौरव गुप्ता

साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर,

तुलसी हैल्थकेयर

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आशीर्वाद- भाग 2 : क्यों टूट गए मेनका के सारे सपने

‘‘मैं नहीं जाऊंगी. तुम पता नहीं क्यों बारबार मुझे अपने गुरुजी के पास ले जाना चाहते हो जबकि मैं किसी गुरुवुरु के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. अखबारों में और टैलीविजन पर आएदिन अनेक गुरुओं की करतूतों का भंडाफोड़ होता रहता?है,’’ मेनका बोली.

‘‘सभी गुरु एकजैसे नहीं होते. आज मैं ने जब गुरुजी से फोन पर कहा कि आप के दर्शन करना चाहता हूं तो उन्होंने कहा कि मेनका को भी साथ लाना. हम उसे भी आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मुझे किसी आशीर्वाद की जरूरत नहीं है. तुम ही चले जाना.’’

‘‘मैं ने गुरुजी को वचन दिया है कि तुम्हें जरूर ले कर आऊंगा. तुम्हें मेरी कसम मेनका, तुम्हें मेरे साथ चलना होगा. अगर इस बार भी तुम मेरे साथ नहीं गईं तो मैं वहीं गंगा में डूब जाऊंगा,’’ अमित ने अपना फैसला सुनाया.

यह सुन कर मेनका कांप कर रह गई. वह जानती थी कि अमित गुरुजी के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुका है. उस पर गुरुजी का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है. वह भावुक भी है. अगर वह साथ न गई तो हो सकता है कि गुरुजी अमित को इतना बेइज्जत कर दें कि उस के सामने डूब कर मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता न बचे.

मेनका को मजबूरी में कहना पड़ा, ‘‘ऐसा मत कहो… मैं तुम्हारे साथ हरिद्वार चलूंगी.’’

अमित के चेहरे पर मुसकान फैल गई, ‘‘यह हुई न बात. मेनका, तुम्हें गुरुजी से मिल कर बहुत अच्छा लगेगा. वहां मुझे, तुम्हें और पिंकी को आशीर्वाद मिलेगा.’’

मेनका ने कोई जवाब नहीं दिया.

एक हफ्ते बाद अमित मेनका और पिंकी के साथ हरिद्वार जा पहुंचा. रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर उस ने एक आटोरिकशा किया और गुरुजी के आश्रम जा पहुंचा. शिष्यों ने उन के लिए एक कमरा खोल दिया.

सामान रख कर अमित ने मेनका से कहा, ‘‘कुछ देर आराम कर लेते हैं. शाम को गुरुजी से मिलेंगे और आरती देखेंगे. 2-3 दिन हरिद्वारऋषिकेश घूमेंगे.’’

शाम को तकरीबन 6 बजे अमित मेनका व पिंकी के साथ गुरुजी के कमरे के बाहर इंतजार में बैठ गया. कुछ देर बाद शिष्य ने उन को कमरे में भेजा.

कमरे में पहुंचते ही अमित ने हाथ जोड़ कर गुरुजी के चरणों में सिर रख दिया. मेनका ने भी चरण छू कर प्रणाम किया.

‘‘सदा सुखी रहो, सौभाग्यवती रहो,’’ गुरुजी ने आशीर्वाद दिया, ‘‘तुम्हारे घर में अपार सुख और वैभव आ रहा?है मेनका. तुम्हें जल्दी पुत्र रत्न भी प्राप्त होगा.

‘‘यह तुम्हारा पति अमित बहुत भोला और सीधासादा सच्चा इनसान है.’’

मेनका कुछ नहीं बोली.

गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा, ‘‘शाम की आरती में जरूर शामिल होना.’’

‘‘जी गुरुजी,’’ अमित ने तुरंत जवाब दिया.

शाम को साढ़े 7 बजे आश्रम के मंदिर में खूब जोरशोर से आरती हुई. गुरुजी और शिष्य आरती में लीन थे.

प्रसाद ले कर कमरे में लौट कर अमित ने कहा, ‘‘मुझे तो यहां आ कर बहुत अच्छा लगता है मेनका. तुम्हें कैसा लगा?’’

‘‘ठीक है.’’

कुछ देर बाद एक शिष्य ने आ कर कहा, ‘‘गुरुजी मेनका को बुला रहे हैं.’’

‘‘अभी आ रही है,’’ अमित बोला.

‘‘जाओ मेनका. लगता है, गुरुजी तुम्हें कुछ खास आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मैं अकेली नहीं जाऊंगी,’’ मेनका ने कहा.

‘‘अरे मेनका, हम तो भाग्यशाली हैं. गुरुजी हमें बुला कर दर्शन और आशीर्वाद दे रहे हैं. बहुत से लोग तो इन से मिलने को तरसते रहते हैं. जाओ, देर न करो. पिंकी यहीं है मेरे पास,’’ अमित ने कहा.

मेनका को अकेले ही जाना पड़ा. वह धड़कते दिल से नमस्कार कर गुरुजी के सामने बैठ गई.

तख्त पर बैठे हुए गुरुजी ने उस की ओर देख कर कहा, ‘‘मेनका, तुम्हारा भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है. जरा अपना हाथ दिखाओ. हम देखना चाहते हैं कि तुम्हारा भाग्य क्या कह रहा है?’’

मेनका ने न चाहते हुए भी गुरुजी की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया. उस की कोमल हथेली पकड़ कर गुरुजी गंभीर मुद्रा में खो गए.

मेनका के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं. उसे यह सब जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था.

‘‘देखो मेनका, जब तक अमित तुम्हारे पास है तुम्हें बहुत सुख मिलेगा, पर…’’ कहतेकहते गुरुजी रुक गए.

‘‘लेकिन क्या गुरुजी…?’’ मेनका चौंकी.

‘‘अमित ज्यादा दिनों तक तुम्हारी जिंदगी में नहीं रहेगा. वह तुम्हारी जिंदगी से काफी दूर निकल जाएगा. बिना पति के पत्नी की हालत कटी पतंग की तरह होती है. यह तुम भी अच्छी तरह जानती हो. मुझे अमित और तुम्हारे बीच के संबंध के बारे में पूरी जानकारी है. जो तुम चाहती हो, वह नहीं चाहता.’’

‘‘गुरुजी, इस में गलती पर कौन है?’’ मेनका ने पूछा.

‘‘गलती पर कोई नहीं है. अपनेअपने सोचने का ढंग है. मैं तुम्हारे मन की हालत समझ रहा हूं. तुम एक प्यासी नदी की तरह हो मेनका. तुम सुंदर ही नहीं, बहुत सुंदर हो, पर तुम्हारे रूप का असर अमित पर जरा भी नहीं पड़ रहा है. अमित इस समय मेरे प्रभाव में है. अगर मैं चाहूं तो वह कभी भी सबकुछ छोड़ कर मेरी शरण में आ सकता है,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

‘‘आप कहना क्या चाहते हैं?’’

‘‘मेनका, तुम जितनी सुंदर हो, अमित उतना ही भोला है. वह तुम्हारी इच्छाओं को आज तक समझ नहीं पाया. तुम्हारा यह सुंदर रूप देख कर मेरी प्यास बढ़ गई है. मैं भी एक प्यासा सागर हूं,’’ कहते हुए गुरुजी ने मेनका की हथेली चूमनी चाही.

मेनका को लगा, जैसे उस के शरीर में कोई बिच्छू डंक मार देना चाहता है. उस ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हैं आप? यहां बुला कर आप ऐसी हरकतें करते हैं क्या?’’

‘‘मेनका, तुम्हें मेरी बात माननी होगी, नहीं तो तुम्हारा अमित तुम्हें छोड़ कर मेरी शरण में आ जाएगा. उस के बिना क्या तुम अकेली रह लोगी?’’

‘‘मैं अकेली रह लूंगी या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन मैं आप की असलियत जान चुकी हूं. इस देश में आप की तरह अनेक ढोंगी व पाखंडी गुरु हैं जिन के बारे में अखबारों में छपता रहता है.

‘‘अमित भोला है, पर मैं नहीं. मैं तो यहां आना ही नहीं चाहती थी. मुझे तो अमित की कसम के सामने मजबूर होना पड़ा. अब मैं आप के इस आश्रम में नहीं रहूंगी,’’ मेनका ने गुस्से में कहा.

यह सुनते ही गुरुजी खिलखिला कर हंस पड़े. मेनका हैरान सी गुरुजी की ओर देखती रह गई.

‘‘सचमुच तुम बहुत समझदार हो मेनका, तुम भोली नहीं हो. मैं तो तुम्हारा इम्तिहान ले रहा था. मैं यह देखना चाह रहा था कि तुम कितने पानी में हो. अब तुम जा सकती हो,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

मेनका बाहर निकली और तेजी से कमरे में लौट आई. आते ही मेनका ने कहा, ‘‘अब हम यहां नहीं रहेंगे.’’

‘‘क्यों, क्या बात हुई?’’ अमित ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘यह तुम्हारे गुरुजी भी उन ढोंगी बाबाओं की तरह हैं जो पकड़े जा रहे हैं. असलियत खुल जाने पर जिन की जगह आश्रम में नहीं, जेल में होती है. कई गुरु जेल में हैं. देखना, किसी न किसी दिन तुम्हारा यह ढोंगी गुरु भी जरूर पकड़ा जाएगा.’’

‘‘क्या हुआ? कुछ बताओ तो सही? तुम तो गुरुजी के पास आशीर्वाद लेने गई थीं, फिर क्या हो गया जो तुम गुरुजी के लिए ऐसे शब्द बोल रही हो?’’

‘‘मैं तो पहले ही यहां आने के लिए मना कर रही थी. पर तुम्हारी कसम ने मुझे मजबूर कर दिया,’’ कहते हुए मेनका ने पूरी घटना सुना दी.

अमित कुछ कहने ही वाला था, तभी एक शिष्य ने कमरे में आ कर कहा, ‘‘अमितजी, आप को गुरुजी बुला रहे हैं.’’

अमित शिष्य के साथ चल दिया.

मेनका धड़कते दिल से कमरे में बैठी रही. उस की आंखों के सामने बारबार गुरुजी का चेहरा और वह सीन याद आ रहा था, जब गुरुजी ने उस का हाथ पकड़ कर चूमना चाहा था. उस के मन में गुरुजी के प्रति नफरत भर उठी.

कुछ देर बाद अमित लौटा और बोल उठा, ‘‘मेनका, यह तुम ने अच्छा नहीं किया जो गुरुजी की बेइज्जती कर दी. गुरुजी ने तो तुम्हें आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था लेकिन तुम ने गुरुजी की शान में ऐसी बातें कह दीं, जो नहीं कहनी चाहिए थीं. अब तुम्हें मेरे साथ चल कर गुरुजी से माफी मांगनी पड़ेगी.’’

यह सुन कर मेनका समझ गई कि गुरुजी ने अमित से झूठ बोल दिया है. वह बोली, ‘‘अमित, यहां आ कर तो मैं बेइज्जत हुई हूं. गुरुजी ने जो हरकत मेरे साथ की है, उस के बाद तो मैं ऐसे गुरु की शक्ल भी देखना नहीं चाहूंगी. माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं उठता है.’’

अमित का भी पारा ऊपर चढ़ने लगा. वह मेनका को घूरता हुआ बोला, ‘‘मेनका, मुझे गुस्सा न दिलाओ. मेरे गुरुजी झूठ नहीं बोलते. मेरे साथ चल कर तुम्हें माफी मांगनी पड़ेगी.’’

‘‘मुझे नहीं जाना तुम्हारे ढोंगी गुरु के पास.’’

अमित अपने गुस्से पर काबू न रख सका. उस ने एक जोरदार थप्पड़ मेनका के मुंह पर दे मारा और कहा, ‘‘मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहता…’’

‘‘मैं यहां से चली जाऊंगी अपनी बेटी को ले कर. आज की रात किसी होटल में रुक जाऊंगी. कल सुबह होते ही बस या टे्रन से वापस मेरठ चली जाऊंगी. तुम चाहे जितने दिन बाद आना.

‘‘देख लेना किसी न किसी दिन इस ढोंगी गुरु की पोल भी खुलेगी और यह भी जेल में पहुंचेगा.’’

मेनका ने एक बैग में अपने व पिंकी के कपड़े भरे और पिंकी को गोद में उठा कर आश्रम से बाहर निकल गई.

मेनका एक होटल में पहुंची और एक कमरा ले कर बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी.

आश्रम के कमरे में बैठे अमित को बारबार मेनका पर गुस्सा आ रहा था. मेनका ने गुरुजी की बेइज्जती कर दी. वह माफी मांगने भी नहीं गई. वह बहुत हठी है. न जाने खुद को क्या समझती है वह. चली जाएगी जहां जाना होगा, वह तो अब उस से कभी बात नहीं करेगा. उसे ऐसी पत्नी नहीं चाहिए जो गुरुजी और उस की बात ही न सुने. इस के लिए उसे तलाक भी लेना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा.

प्रायश्चित्त: क्या शिशिर को मिला सुकून

शिखा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. मन में तरहतरह की आशंकाएं घुमड़ रही थीं. उस की बेचैन निगाहें बारबार घड़ी की ओर जा टिकतीं. रात का 1 बज चुका था, कहां रह गए शिशिर?

दोपहर में इंदौर से आए फोन ने उसे लगभग चेतना शून्य ही कर दिया था. बड़ी भाभी ने रुंधे गले से बमुश्किल इतना बताया कि तुम्हारे भैया को हार्ट अटैक हुआ है… आईसीयू में भरती करा दिया है. डाक्टरों ने तुरंत बाईपास सर्जरी की आवश्यकता बताई है, जिस पर करीब 2 लाख रुपए खर्च आएगा.

भाभी इस बात को ले कर काफी व्यथित थीं कि इस समय इतने रुपए की व्यवस्था कहां से और कैसे हो सकेगी. शिखा ने भाभी को हौसला बनाए रखने की सलाह दी व शीघ्र इंदौर पहुंचने का आश्वासन दिया.

कुछ संयत हो कर शिखा ने सब से पहले शिशिर को फोन कर के घटना की जानकारी दी. शिशिर की व्यस्तता से वह भलीभांति परिचित थी इसलिए अकेले ही भैया के पास जाने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन शिशिर का अब तक घर न पहुंचना अनेक आशंकाओं को जन्म दे रहा था. एकएक मिनट घंटों के समान बीत रहा?था. इंतजार के इन पलों में उस के मानस पटल पर वह कभी न भूलने वाली घटना चलचित्र की भांति जीवंत हो उठी.

शिखा के विवाह से पहले की बात है. मां को ब्रेन हैमरेज हो गया था. काफी इलाज के बाद वह ठीक तो हुईं पर अकसर बीमार रहने लगीं. शिखा पर पढ़ाई के साथसाथ घरगृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी भी आ पड़ी. कभी पीएच.डी. को अपना ध्येय बना चुकी शिखा ने पारिवारिक कर्तव्यों की पूर्ति के लिए अपने लक्ष्य को तिलांजलि दे दी और एक स्थानीय स्कूल में शिक्षिका की नौकरी कर ली.

भैया तो नौकरी के सिलसिले में पहले ही इंदौर शिफ्ट हो चुके थे. छोटे भाईबहन और मां की देखभाल की जिम्मेदारी बखूबी निबाहते हुए वह पूरी तरह परिवार को समर्पित हो गई.

समय पंख लगाए उड़ रहा था. मां को रहरह कर उस के विवाह की चिंता सताए जाती थी. शिखा के सद्गुणों व घरेलू कार्यों में निपुणता की प्रशंसा सुन कर कई प्रस्ताव आ रहे थे किंतु शिखा इस शहर से दूर शादी करने को कतई तैयार नहीं हुई. उस का अपना वजनदार तर्क था कि दूर की ससुराल से वह जरूरत पड़ने पर मां के पास जल्दी नहीं आ सकेगी.

आखिर उस की इच्छानुसार इसी शहर के एक प्रतिष्ठित परिवार में उस का विवाह हो गया. नए परिवार में नई जिम्मेदारियों ने शिखा का स्वागत किया. नौकरी व परिवार के बीच सामंजस्य बिठाती हुई शिखा की व्यस्तता दिनोंदिन बढ़ती गई.

पहले हफ्ते 10 दिन में मायके का चक्कर लग जाता था पर बिटिया के जन्म के बाद धीरेधीरे यह अवधि बढ़ने लगी. फिर?भी समय निकाल कर कभीकभी टेलीफोन पर मां का हालचाल पूछ लिया करती.

एक दिन शिखा स्कूल से घर लौटी ही थी कि छोटे भाई का फोन आ गया, ‘दीदी, मां की तबीयत बिगड़ गई है. डाक्टर ने चेकअप कर कुछ टेस्ट कराए हैं… रिपोर्ट देख कर पूरी दवा लिखेंगे.’

शिखा का मन मां से मिलने को व्याकुल हो उठा. शिशिर के आफिस में आडिट चल रहा था इसलिए वह रोज देर से घर लौट रहे थे. इधर गुडि़या को भी सुबह से बुखार था. उसे ले कर सर्दी के इस मौसम में कैसे घर से निकले, यह प्रश्न शिखा को दुविधा में डाल रहा था. रात को थकेमांदे लौटे शिशिर को उस ने मां की तबीयत खराब होने की बात बताई तो उन्होंने, ‘कल देखने चलेंगे,’ कह कर बात समाप्त कर दी.

अगला दिन भी नियमित दिनचर्या से कतई अलग नहीं था. फिर भी समय निकाल कर शिखा ने भाई से फोन पर मां के हालचाल पूछे और शाम को आने का वादा किया. शाम को शिशिर का फोन आ गया कि चीफ आडिटर आज ही काम समाप्त कर वापस जाना चाहते हैं अत: घर लौटने में देर हो जाएगी. शिखा मनमसोस कर रह गई लेकिन उसे यह जान कर तसल्ली हुई कि बड़े भैया आ गए हैं और मां को अस्पताल में भरती कराया जा रहा है.

सुबह आफिस के लिए निकलते हुए शिशिर ने कहा, ‘मैं आडिट रिपोर्ट डाक से भिजवा कर लंच तक वापस लौट आऊंगा… तुम तैयार रहना… मां को देखने अस्पताल चलेंगे.’ शिखा ने कोई जवाब नहीं दिया. पिछले 3 दिन से ये कोरे आश्वासन ही तो मिल रहे थे.

गुडि़या को सुबह की दवा दे कर शिखा उठी ही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी. किसी अनहोनी की आशंका से उस का दिल धड़क उठा. आशंका निर्मूल नहीं थी. ‘मां नहीं रहीं…’ ये शब्द पिघले शीशे की तरह उस के कानों में उतरते चले गए.

मातृशोक ने उस के हृदय को छलनी कर दिया. जिस मां की सेवा में कभी उस ने रातदिन एक कर दिया था, आज एक ही शहर में रहते हुए उन्हें अंतिम बार जीवित भी न देख सकी.

खबर मिलते ही शिशिर भी तुरंत घर लौट आए और दोनों अस्पताल जा पहुंचे. सभी का रोरो कर बुरा हाल था. भैया ने बताया कि आखिरी वक्त तक मां की आंखें बस, शिखा को ही तलाश रही थीं. गमगीन माहौल में शिशिर एक कोने मेें स्तब्ध से खड़े थे. उन्हें आत्मग्लानि हो रही थी कि अपनी व्यस्तता के कारण वह एक महत्त्वपूर्ण पारिवारिक दायित्व को नहीं निभा सके.

वक्त हर जख्म का मरहम है. ‘मां’ अतीत हो गईं किंतु एक टीस, शिखा और शिशिर के मन में हमेशा के लिए छोड़ गईं.

शिखा की वैचारिक तंद्रा टूटी. आज पुन: वही मंजर सामने था. उस के भैया जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे… क्या इस बार भी वही कहानी दोहराई जाएगी… नियति उस की राह में रोड़े अटका रही है या शिशिर को काम के अलावा किसी की परवा नहीं… क्या इस संकट की घड़ी में वह भैयाभाभी का संबल बन सकेगी…

तभी दरवाजे की घंटी बजी… शिखा ने बेसब्री से दरवाजा खोला. सामने शिशिर खड़े थे, चेहरे पर दिनभर की भागदौड़ के स्पष्ट निशान लिए. शिखा ने सोचा कि अभी कोई व्यस्तता का नया बहाना सुनने को मिलेगा जिस के लिए वह मानसिक रूप से तैयार भी थी.

सोफे पर बैठते हुए शिशिर ने चुपचाप बैग खोला और 500 के नोटों की 4 गड्डियां उसे सौंपते हुए कहा, ‘‘सौरी शिखा… तुम्हारा फोन आने के बाद से ही आपरेशन के रुपए की व्यवस्था करने में जुट गया था. बैंक की एफडी तो दिन में तुड़वा ली थी, बाकी रुपयों की व्यवस्था दोस्तों से करने में इतनी रात हो गई… जल्दी तैयारी कर लो.. सुबह की ट्रेन से हम इंदौर जा रहे हैं.’’

शिखा हतप्रभ रह गई. उस के मन से संशय और अनिश्चय का कुहासा छंट गया. आज शिशिर ने वह कर दिखाया था जिस की उस ने उम्मीद भी नहीं की थी. वह कितना गलत समझ रही थी. उस की आंखों से अश्रुधार बहने लगी… इन आंसुओं ने वह फांस निकाल कर बाहर की, जो मां के निधन के वक्त से उस के हृदय में धंसी हुई थी.

शिशिर बेहद आत्मिक शांति का अनुभव कर रहे थे. शायद उन्होंने बरसों पहले हुई चूक का प्रायश्चित्त कर लिया था.

Anupama: बा से बदतमीजी करेगी डिंपल, वनराज देगा काव्या का साथ

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में इन दिनों काफी ड्रामा चल रहा है. शो के मेकर्स टीआरपी के लिए जदोजहद्द में लगे है. एक तरफ शो में रोमिल और अधिक के बीच 36 का आंकड़ा है. दूसरी ओर अधिक पाखी को अभी भी टॉर्चर कर रहा है. वहीं शाह हाउस में डिंपल का तमाश चल रहा है.

डिंपल पर भड़केगी बा

रूपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में शाह हाउस में डिंपल अपने दोस्तों के साथ बैठी हुई होती है. तभी वह किचन में कुछ खाने का लेने जाती है, जहां पर बा उसे टोकती है. इस दौरान डिंपल भी चुप नहीं रहती और बा को खूब जवाब देती है.

दोनों के बीच बहस शुरू हो जाती है. आवाज सुनकर डिंपल की एक दोस्त किचन में आ जाती है, तो बा उस पर भड़क जाती है. बा बर्दास्त नहीं कर पाती कि डिंपल की दोस्त किचन में चप्पल पहनकर आई है.

 

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अस्पताल में भर्ती होगी काव्या

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि बा और डिंपल का झगड़ा देखकर वनराज वहां आ जाता है. वनराज की बाते सुनकर काव्या भी वहां आ जाती है. काव्या बा को शांत कराती है. काव्या जैसे ही बा को पानी पिलाती की है, तो डिंपल उस गिलास को गिराकर वहां से निकल जाती है. उसी गिलास की वजह से काव्या जमीन पर फिसलकर गिर जाती है. काव्या को दर्द में देखकर हर कोई परेशान हो जाता है. वनराज जल्दी से उसे अस्पताल लेकर जाता है। इसके बाद हर कोई डिंपल को ही कोसता है.

वनराज डॉक्टर्स पर गुस्सा करेगा

रूपाली गांगुली और गौरव खन्ना स्टारर ‘अनुपमा’ में आगे देखने को मिलेगा कि काव्या की बुरी हालत देख डिंपल घबरा जाती है और समर को कॉल करके अस्पताल जाने के लिए कहती है.

वहीं दूसरी ओर अनुपमा और अनुज भी अस्पताल पहुंचते है. इस बीच वनराज का गुस्सा डॉक्टर्स पर फूटता है. काव्या वनराज का ये रूप देखकर थोड़ा घबरा जाती है.  शो में आगे देखने को मिलेगा कि काव्या वनराज से पूछती है कि क्या तुम इस बच्चे को अपना रहे हो? तब वनराज उसे मना कर देता है. वह बोलता है कि वह सिर्फ उसका साथ दे रहा है. बच्चे को नहीं अपना सकता है.

ब्रेक-अप की अफवाहों के बीच फिर साथ दिखें मलायका अरोड़ा और अर्जुन कपूर

अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा के ब्रेकअप की खबरें नई नहीं हैं. इस कपल की पहले भी ऐसी चीजों का सामना करना पड़ा है. दोनों एक बार फिर सुर्खियों में थे क्योंकि ऐसी अफवाहें थीं कि वे दोनों अलग हो गए हैं. ऐसी अटकलों पर विराम लगाते हुए रविवार दोपहर को मलायका और अर्जुन को लंच डेट पर देखा गया. मलायका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक पोस्ट भी शेयर किया है जिसमें इशारा दिया गया है कि वह अर्जुन के साथ हैं.

बंद्रा में साथ नजर आए अर्जुन- मलायका

अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा को मुंबई के एक रेस्तरां से एक साथ निकलते हुए देखा गया. इस आउटिंग के लिए, मलायका को वाइट आउटफिट में देखा गया, जबकि अर्जुन ने पूरी तरह से काली टी-शर्ट और जींस का कैज़ुअल लुक अपनाया. वहीं दोनो कपल ने चश्मे पहना है.

 

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मलायका अरोड़ा ने शेयर की स्टोरी

मलायका अरोड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की थी. उस स्टोरी में रेस्तरां की मेज पर रखे अपने और प्रेमी अर्जुन कपूर के चश्मे की एक तस्वीर साझा की और इसे कैप्शन दिया, “सनी डेज़ फिर से यहां हैं…”

 

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कुशा कपिल का नाम सामने आया

बता दें कि ऐसी खबरें आ रही थीं कि अर्जुन और मलायका अलग हो गए हैं और अर्जुन अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और एक्टर कुशा कपिल को डेट कर रहे हैं. हालांकि, जैसा कि आज उनकी आउटिंग से साबित हुआ, अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा एक साथ हैं और कुशा कपिला को उनकी कथित ब्रेकअप स्टोरी में घसीटे जाने से भी खुश नहीं थे.

क्या मलायका ने अर्जुन के करीबी को अनफॉलो किया

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि मलाइका ने अभिनेता के परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया है. बाद में मलायका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक गुप्त नोट भी पोस्ट किया, जहां उन्होंने ‘बदलाव’ और अतीत की लालसा न होने का जिक्र किया.

 

क्या है हाई प्रोटीन लो कैलोरी डाइट

हाई प्रोटीन लो कैलोरी फूड की आजकल खूब डिमांड है. भागदौड़ भरी जिंदगी में हर शख्स अपनी हैल्थ के प्रति सजग होता जा रहा है क्योंकि सभी जानते हैं सेहत है तो जहान है वरना कुछ भी नहीं.

ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि रोजमर्रा की डाइट में जो भी आप के द्वारा खाया जा रहा है उस में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो व वसा की कम रहे. ऐसा इसलिए जरूरी होता है क्योंकि-

  •  अधिक प्रोटीन व कम कैलोरीयुक्त डाइट ही हैल्दी डाइट मानी जाती है.
  • प्रोटीन का अधिक सेवन करने से जहां मसल्स (मांसपेशियां) मजबूत होती हैं वहीं वजन भी कम होता है जो फिट व ऐक्टिव रहने के लिए बेहद आवश्यक है.
  • अधिक प्रोटीन व कम वसायुक्त डाइट लेने से जहां वजन कम होता है वहीं हड्डियां भी मजबूत होती हैं, साथ ही टिशू की भी मरम्मत होती है.
  • इस के अतिरिक्त मैटाबोलिज्म को बढ़ा कर देना, हैल्दी प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करना भी शामिल है.
  •  हाई प्रोटीन लो कैलोरी फूड टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करता है.
  • इसी तरह और भी कई स्वास्थ्य लाभ हैं. अत: जो भी नियमित डाइट आप के द्वारा ली जाए उस के प्रति सचेत रहें. प्रोटीन को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें.

ऐसे कुछ खाद्यपदार्थ हैं जिन का सेवन करने से हम प्रोटीन की अधिकता व कैलोरी की कम मात्रा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं:

  1. दालें

दाल को रोज अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए. यह कैलोरी में कम और प्रोटीन से भरपूर होती है. 100 ग्राम उबली दाल में 9 ग्राम प्रोटीन होता है व 116 कैलोरी होती है. दालें कई तरह की होती हैं जैसे मसूर, मूंग, अरहर, चना बगैरा. इन में फाइबर, विटामिन और मिनरल पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है.

साथ ही ये वजन भी कंट्रोल करने में सहायक होती हैं. मसूर दाल बेहतर मानी जाती है. इसे स्प्राउट्स के रूप में भी खाया जा सकता है, सोयाबीन भी अवश्य लेना चाहिए. इस से टोफू बना कर भी खाया जा सकता है.

2. अनाज

यदि रोजमर्रा की डाइट में कम कैलोरी वाले अनाज का सेवन अवश्य किया जाए तो अपनी सेहत को अधिक तंदुरुस्त बनाया जा सकता है. कद्दू का आटा, रागी, ओट्स, जौ, ब्राउन राइस आदि ऐसे अनाज हैं जिन में कैलोरी तो कम होती है, किंतु प्रोटीन के अतिरिक्त फाइबर, जरूरी विटामिंस, मिनरल्स तथा ऐंटीऔक्सीडैंट्स खूब मौजूद होते हैं.

इन का सेवन करने से पाचनक्रिया बेहतर बनती है, शरीर में कोलैस्ट्रौल और ब्लड शुगर लैवल नियंत्रित रहता है, साथ ही वजन भी नियंत्रित रहते हुए शरीर में ऊर्जा बरकरार रहती है, सेहत की कई समस्याएं दूर रह शरीर सेहतमंद रहता है. कोशिश रहे कि साबूत अनाज का सेवन अधिक किया जाए.

3. दूध दही

दूध जहां प्रोटीन का अच्छा स्रोत है वहीं इस में फैट भी कम होता है. इस से वजन भी कम रहता है व शरीर हैल्दी बना रहता है. करीब 100 ग्राम दूध में 3.6 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है, दहीछाछ या लस्सी पीने से भी प्रोटीन मिलता है. पनीर, खोया व स्किम्ड मिल्क का सेवन भी अच्छा रहता है.

4. फलसब्जी

रोज डाइट में फल व सब्जी को भी अवश्य शामिल करें, स्वस्थ रहने व फिजिकल ऐक्टिविटीज के लिए हैल्दी डाइट बहुत जरूरी है. हमेशा हैल्दी रहने के लिए फल व सब्जियों को खाने की सलाह दी जाती है. इन फूड्स में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, ऐंटीऔक्सीडैंट्स व

अन्य पोषक तत्त्व होते हैं जो आंखों की रोशनी बढ़ाने, दांतोंहड्डियों को स्वस्थ रखने, कोलैस्ट्रौल को कम कर हृदय संबंधी परेशानियों को दूर कर हमारी इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाने में सहायक होते हैं.

निम्न कुछ फल व सब्जियां अवश्य लेनी चाहिए जो गुणों से भरपूर व कैलोरी मात्रा होती कम है. अत: वजन घटाने में भी ये सहायक हैं:

केला, अमरूद, कीवी, स्वीटकौर्न, ऐवोकाडो, चकोतरा/ग्रेप फ्रूट, हर तरह की बेरी (स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी) हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. इन से प्रति कप 2 से 4 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है.

हरे मटर, पालक, खीरा, मूली, चुकंदर, टमाटर, मशरूम, फूलगोभी, ब्रोकली आदि का सेवन करने से प्रति कप 2 से 8 ग्राम तक प्रोटीन मिल सकता है.

5. अंडे

अंडा स्वास्थ्ययुक्त और सब से अधिक प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों में से एक है. अंडे को प्रोटीन और पोषक तत्त्वों का पावरहाउस और कैलोरी की कमी मानना गलत नहीं है. एक अंडे में औसतन 6-7 ग्राम प्रोटीन होता है- उच्च प्रोटीन आहार के लिए एक दिन में 3 अंडे तक खा सकते हैं.

6. मीटमछली

दुबला मांस और पोल्ट्री खाने के लिए अच्छे खाद्यपदार्थ हैं. ये कैलोरी में कम होते हैं व प्रोटीन में उच्च. समुद्री भोजन भी अत्यधिक पौष्टिक और उत्कृष्ट विकल्प है.

यदि अपने आहार में मछली का सेवन करते हैं तो इस में प्रोटीन की अच्छी मात्रा रहती है और वसा मौजूद होती है. मछली में असंतृप्त फैटी ऐसिड होता है जिस में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 ऐसिड मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं, चयापचय को सामान्य करते हैं, शरीर की प्रतिरोधक्षमता को बढ़ाते हैं. वसा कम के लिए उबली व सिंकी मछली खाना फायदेमंद रहता है.

7. बीज

कद्दू, सूरजमुखी, चिया व अलसी के बीजों को पोषण का पावरहाउस कहा जाता है. इन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. ये प्रोटीन के स्रोत होने के साथसाथ वजन घटाने में भी सहायक होते हैं, हृदय

स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं. रक्त शर्करा प्रबंधन में सहायता करते हैं व मधुमेह कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को भी कम करने में मदद करते हैं.

कच्चे बीजों को नाश्ते के रूप में खा सकते हैं. उन्हें पत्तेदार हरे सलाद पर बुरक सकते हैं. इन के अलावा इन्हें अनाज, दही, छाछ, प्रोटीन शेक आदि कई खाद्यपदार्थों में मिला कर लिया जा सकता है.

अहम बात है कि इन बीजों का सेवन अलगअलग या फिर एकसाथ मिला कर भून कर भी कर सकते हैं पर प्रतिदिन 15 ग्राम (3 चम्मच) से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए. अत: स्वस्थ रहने या फिजिकल ऐक्टिविटीज के लिए हैल्दी डाइट का लिया जाना बहुत आवश्यक है. तभी फिट व खुश रह सकते हैं.

तुम्हारी कोई गलती नहीं: भाग 3- रिया के साथ ऐसा क्या हुआ था

‘‘शाम के धुंधलके में अचानक उस का मुंह दबा कर 2 अनजान लोगों ने बेचारी के साथ जबरदस्ती की. देर रात में गांव के कुछ लोगों ने लहूलुहान उसे हालत में झडि़यों में बेहोश पड़े देखा. छोटे से गांव में आग की तरह यह खबर फैल गई. मंदिर के महंत और धर्म के ठेकेदार जमा हो गए. लड़की पर सैकड़ों लांछन लगे. उसे जाति व समाज से बाहर कर दिया गया. उस के परिवार को जाति से बाहर कर खेत और संपत्ति छीनने की धमकी दी गई, फिर गांव से बाहर निकलने को कहा गया.

‘‘मजबूर मांबाप अपने बच्चों के भविष्य की दुहाई दे कर बहुत गिड़गिड़ाए, तब मंदिर का महंत इस बात पर राजी हुआ कि परिवार पहले जैसा ही घर और खेत ले कर गांव में रह सकता है परंतु लड़की चूंकि अपवित्र हो चुकी है, इस के कारण गांव पर कोई विपत्ति न आए इस के लिए उसे मंदिर में ईश्वर की सेवा में सौंप दिया जाए. आखिर में समाज के दबाव के चलते उस के पिता को मजबूर हो कर उन की बात माननी पड़ी.

‘‘ईश्वर की सेवा का तो बस दिखावा था. असल में वह महंत और धर्म के ठेकेदारों और जमींदारों की वासनापूर्ति का माध्यम बनी. इन धर्म के ढोंगी ठेकेदारों का यही काम होता है. पहले धर्म का डर दिखा कर लड़की को घर से निकाल कर मंदिर की सेवा में अर्पण करने या आश्रम में रहने के लिए मजबूर करो और फिर उस का जी भर कर दैहिक शोषण करो. एक दिन बेचारी मौका पा कर जैसेतैसे वहां से भाग कर शहर की मिशनरी में आश्रय लेने पहुंची. पर वहां तो उस की और दुर्गति हुई. वहां के कार्यकर्ता स्वयं तो उस का शोषण करते ही, उसे दूसरी जगहों पर भी सप्लाई करने लगे…’’ डा. आशा की आंखों से आंसू बहने लगे.

‘‘फिर उस का क्या हुआ?’’ रिया का स्वर कांप रहा था. शायद वह स्वयं को उस की स्थिति में महसूस कर रही थी.

‘‘जब बेचारी उन के भोग और वासना पूर्ति के लायक नहीं रही, तो एक दिन उसे एक सरकारी अस्पताल के सामने फेंक कर चले गए. मैं उस समय उसी अस्पताल में नौकरी कर रही थी. उसी ने मुझे इन आश्रमों और धार्मिक संस्थानों की घिनौनी सचाई के बारे में बताया. उस की हालत इतनी नाजुक थी कि मैं बहुत कोशिशों के बाद भी उसे बचा नहीं पाई.’’

डा. आशा अपनी आंखें पोंछ कर आगे बोलीं, ‘‘इसलिए मैं कहती हूं कि पवित्रअपवित्र जैसी खोखली दकियानूसी बातों में कुछ नहीं रखा है. बीती बातों को भूल कर अपने परिवार के साथ रहो.’’

रिया पर उन की बातों का गहरा असर हुआ. 4 दिनों में ही वह झूठे अपराधबोध से बाहर निकल कर स्वस्थ हो गई. जब उस ने मम्मीपापा से आगे बढ़ने की इच्छा प्रकट की तो उन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. रिया ने जीतोड़ मेहनत की और एमबीबीएस में सिलैक्ट हो गई. जब वह डाक्टर बन कर इंटर्नशिप कर रही थी, तभी डा. आशा भी वहीं आ गईं. उन के अंडर में ही रिया ने एमडी किया.

जन्म से ही घुट्टी में मिली हुई रूढिवादी मान्यताओं को अपने मन से निकाल फेंकना आसान नहीं था. पर रिया ने साहसपूर्वक यह कर दिखाया और हिम्मत से अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ती रही. उसी साहस और सचाई के चलते वह यह बात नीरज से छिपाना नहीं चाहती थी. जिस हिम्मत से उस ने समाज की थोथी मान्यताओं और कुसंस्कारों को झटक कर अपने लिए एक रास्ता बनाया था, वह चाहती थी कि नीरज सारी सचाई को जान कर उसी हिम्मत से उसे स्वीकार कर उस के साथ जीवनपथ पर आगे बढ़े.

रात के 2 बज गए थे. रिया तो अपने अतीत को रात में देखा बुरा सपना समझ कर झटक चुकी थी, लेकिन नीरज से वह यह बात छिपा कर उसे धोखे में नहीं रखना चाहती थी. अत: उस ने फैसला किया कि वह कल नीरज को सब कुछ बता देगी. यह फैसला करने पर ही उसे नींद आई.

दूसरे दिन रिया की ड्यूटी नहीं थी. उस ने नीरज को फोन लगाया. संयोग से उस दिन उस की भी छुट्टी थी. 4 बजे लेकव्यू स्थित विंड्स ऐंड वेव्स पर उन का मिलना तय हुआ.

4 बजे रिया नियत स्थान पर पहुंची तो देखा नीरज पहले से ही वहां बैठा था. नीरज ने उठ कर उस का स्वागत किया. रिया का कलेजा धड़कने लगा, परंतु जल्द ही उस ने अपनेआप को संयत किया और नीरज के सामने वाली कुरसी पर बैठ गई. कुछ औपचारिक बातों के बाद रिया ने झिझकते हुए नीरज से कहा, ‘‘मुझे आप से कुछ कहना है.’’

‘‘कहो न,’’ नीरज के स्वर में प्रेमपूर्ण आग्रह था.

रिया ने हिम्मत जुटा कर निगाहें नीची कर के अपने साथ हुई दुर्घटना की पूरी बात नीरज को बता दी. फिर उस की आंखों से आंसू छलकने लगे. उस ने बड़ी मुश्किल से अपनेआप को संयत किया, लेकिन आंखें उठा कर नीरज की ओर देखने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. उसे लग रहा था कि जिन नजरों में थोड़ी देर पहले तक उस के लिए प्यार झलक रहा था, उन में अब घृणा झलक रही होगी. वह आंखें नीचे किए ही बैठी रही. तभी अचानक अपने हाथ पर नीरज के हाथ का स्पर्श पा कर उस ने चौंक कर निगाहें ऊपर उठाईं तो आश्चर्यचकित रह गई. नीरज

अब भी उस की ओर प्यार से देख रहा था. नीरज ने रिया का हाथ प्यार से सहलाया और कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बारे में पहले से ही सब कुछ जानता था.’’

‘‘क्या? लेकिन आप को किस ने बताया?’’ रिया अवाक रह गई.

‘‘डा. आशा रिश्ते में मेरी बूआ लगती हैं. उन्होंने ही तुम्हारे बारे में हमें बताया था. सुनते ही मैं ने तय किया था कि मैं ऐसी हिम्मत व आत्मविश्वास से भरी लड़की से शादी करूंगा. लेकिन खुद सचाई बता कर तुम ने मेरे मन में अपने लिए सम्मान और बढ़ा लिया है,’’ नीरज ने संक्षेप में बताया.

‘‘लेकिन मैं… मैं तो अपवित्र…’’ आगे की बातें रिया के गले में ही अटक कर रह गईं.

‘‘नहीं रिया, बूआ की तरह मैं भी यह मानता हूं कि इस में दोष उस हैवान का रहता है, जो यह नीच कार्य करता है. रास्ता चलते यदि कोई गाड़ी वाला हम पर कीचड़ के छींटे डाल कर चला जाए, तो हम घर आ कर नहा कर कपड़े धो लेते हैं न. उन छींटों को सहेज कर उम्र भर अपने से घिन तो नहीं करते? तुम भी उन छींटों को धो डालो. मेरे लिए तुम वैसी ही निर्मल, उज्ज्वल हो. तुम्हारी कोई गलती नहीं,’’ नीरज के स्वर में प्यार और अपनापन था.

रिया विभोर हो गई. ‘‘तो अब झटपट बता दो कि तुम्हें हमारा नीरज पसंद है कि नहीं ताकि हम जल्द से जल्द तुम दोनों की सगाई करा सकें,’’ अपने पीछे से अचानक किसी की आवाज सुन कर रिया ने मुड़ कर देखा तो डा. आशा मुसकरा रही थीं.

‘‘आप के बहुत से एहसान हैं मुझ पर मैडम,’’ रिया की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.

‘‘मैडम नहीं, अब मैं तुम्हारी बूआसास हूं. और यह तो तुम्हारे लिए मेरा प्यार और अपनापन है पगली, कोई एहसान नहीं. अब झटपट बता दो कि सगाई कब कराऊं?’’ डा. आशा ने पूछा तो रिया ने एक नजर नीरज पर डालते हुए शरमा कर जवाब दिया, ‘‘जब आप चाहें…’’

यह सुनते ही डा. आशा ने रिया और नीरज दोनों को अपनी बांहों में भर लिया.

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